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Zeeshan became Zeenat

 कॉलेज में इस साल कैंपस सिलेक्शन के लिए कोई भी कंपनी नहीं आयी।

राजीव रस्तोगी - ज़ीशान, अब तो कॉलेज भी ख़त्म हो गया? अब क्या करेगा, कम्पनीज तो आयीं ही नहीं , कैंपस भी नहीं हुआ इस साल! साला अपना ही नसीब इतना फूटा हुआ है!

ज़ीशान खां - हां यार, घर पर क्या बोलूं! मेरे अम्मी अब्बू ने इतना क़र्ज़ लेकर मुझे पढ़ाया लिखाया, मेरी परवरिश की और कॉलेज ख़त्म होने के बाद आज मेरे पास नौकरी भी नहीं है। तू तो कड़ोडपति है साले, तेरी तो मौज ही मौज है। मुझसे बड़े चार बड़े भाई और तीन बड़ी बहनें हैं। तुझसे ज्यादा तो मुझे नौकरी की जरुरत है।वैसे ही घर में मुझे सब ऐसे टालते हैं मानो मुझे कूड़ेदान से उठाकर लाये हों।

राजीव - अबे मौज क्या, बापू जमींदार है मारा, बहन को तो नौकरी मिल गईं तो मैंने ही बापू को समझाया कि बहन को नौकरी करने भेजेगा! अब क्या बोलूंगा बापू को, वो तो मन्ने बड़ा कुटेगा।

ज़ीशान - अबे नहीं कुटेगा, तेरा बापू बहुत बड़ा जमींदार है तो जब तक तेरी नौकरी ना लागती, तू तो उसी के कामों में हाथ बटा और मिलकर नोट छाप! लेकिन मेरे अब्बू अम्मी को तो यही लगता है कि उनका बेटा अच्छी नौकरी पा लेगा, कैंपस ना आयी कॉलेज में तो नौकरी कहाँ से पा लेगा।

अचानक वहां प्रियंका आ गयी, ज़ीशान और राजीव की क्लास्स्मेट!

प्रियंका - क्या हुआ तुमदोनो को, काहे परेशान हो रहे हो!

ज़ीशान - आ जा बिहारन, एक तेरी ही तो कमी थी! जले पर नमक छिड़कने आयी है ना तू!

प्रियंका - अरे भड़क काहे रहे हो, नौकरी तो हमारी भी नहीं लगी, नौकरी डॉट कॉम पर प्रोफाइल बना लो तुम दोनों, अच्छी नौकरी मिल जाएगी।

राजीव - अरे यार, उसमे तो वक़्त लगेगा, बापू तो आज ही मुझे मार देगा अगर बिना नौकरी लिए घर गया तो!

प्रियंका - अरे था बापू बड़ा प्यार करता है, तू घर जाकर बता दे उनने कि कैंपस ना आयी इस साल लेकिन दो तीन महीने में नौकरी मिल जाएगी तुझे!

ज़ीशान - यार ये साल 2019 तो बड़ा ही मनहूस है।

प्रियंका - यार तुम दू सब्र रखो, चलो दोनों, नौकरी डॉट कॉम पर प्रोफाइल बनाते हैं।

फिर तीनो साइबर कैफ़े गए और नौकरी डॉट कॉम पर अपनी अपनी प्रोफाइल बना ली। राजीव का बापू जमींदार तो था ही साथ ही उसके पास करोड़ों का बिज़नेस भी था जिसमे उसकी बेटी निकिता उसका हाथ भी बटाती थी। जब राजीव घर आया और कैंपस  बात की तो उसके बापू ने उससे कहा कि अपना घर का बिज़नेस है, उसे संभाले तब तक, जबतक कि नौकरी ना लग जाती। राजीव मान गया और अपने बापू के बिज़नेस में हाथ बटाने लगा। इधर प्रियंका की नौकरी कुछ ही दिनों में लग गयी और उसने कुछ ही दोनों बाद बैंक की नौकरी को ज्वाइन कर ली। इधर दो महीने गुज़र चुके थे, लेकिन ज़ीशान की नौकरी अब तक नहीं लगी थी।

ज़ीशान बहुत परेशान हो गया कि अगर उसे नौकरी नहीं मिली तो वो अपने अम्मी अब्बू का ख़याल कैसे रखेगा। इन बिटवीन ज़ीशान की गर्लफ्रेंड निशा भी उसे छोड़कर चली गयी क्यूंकि बिना पैसों के ये बॉयफ्रेंड गर्लफ्रेंड वाला रिश्ता ज्यादा दिनों तक वैसे भी टिकने वाला भी नहीं था। निशा के साथ ब्रोकअप के बाद ज़ीशान कुछ दिनों तक तो इतना दुखी रहने लगा कि उसका फोकस ही ख़त्म होने लगा, निशा का यूँ उसके साथ ब्रेकअप कर लेना, कॉल पिक नहीं करना और अपने नए बॉयफ्रेंड प्रताप के साथ तस्वीरों को व्हाट्सप्प स्टेटस पर डेली अपडेट करना, वो भी ऐसे समय में जब उसे उसकी सबसे ज्यादा जरुरत थी। ज़ीशान अंदर से टूट चूका था और अब उसने मान लिया था कि लडकियां हमेशा ही धोखा देती हैं। धीरे धीरे समय बीतने लगा, ज़ीशान की बात प्रियंका से उतनी नहीं होती जितनी राजीव से होती और राजीव भी उसकी मदद नहीं कर सकता था। क्यूंकि राजीव के बापू को मुस्लिमों से अलेर्जी थी और मुस्लिमों की परछाई से भी वो दूर रहते थे। इधर प्रियंका ने एक दिन ज़ीशान से बोली कि उसके बैंक में ओपनिंग निकलने वाली है तो उसकी तयारी शुरू कर दे और इंटरव्यू क्वेस्चन्स अंसवेरस के एक्साम्प्लस भी उसके साथ शेयर करने लगी। ये ज़ीशान का बीसवाँ इंटरव्यू था और ज़ीशान ने पूरी तयारी की। लेकिन जब इंटरव्यू में उसका सिलेक्शन नहीं हुआ तो वो बुरी तरह से टूट गया। उस रात उसकी अम्मी से बात करने के दौरान वो रोने लगा।

ज़ीशान की अम्मी - रो मत बेटे, तुझे अच्छी नौकरी मिलेगी बस तो अपनी तैयारियों पर फोकस कर।

ज़ीशान - अम्मी, पिछले सात महीनों से मैं तैयारी भी कर रहा हूँ और इंटरव्यू भी दे रहा हूँ, लेकिन कुछ नहीं हो रहा है। मैं आपकी मदद भी नहीं कर पा रहा हूँ और अब तो ऐसा लग रहा है कि मैंने आपदों के साथ बहुत गलत किया। मुझे भी पढाई ना करके खेती बाड़ी में ही अब्बू की मदद करनी चाहिए थी।

ज़ीशान की अम्मी - इतना बुरा नहीं सोचते बेटे, तू एक काम कर, कल तू चिराग दिल्ली चला जा और वहां हज़रत शेख सलाहुद्दीन दरवेश के दरगाह पर चला जा, वहाँ चादर चढ़ा आ और ईमान से खुदा से अपनी कामयाबी की दुआ मांग। वहां मांगी दुआओं में बड़ी बरकत होती है, तेरी दुआ जरूर कुबूल होगी।

ज़ीशान - अम्मी, मुझे इन सब में कोई इंटरेस्ट नहीं है, मुझे नौकरी पाने के लिए किसी दरगाह पर जाने की जरुरत नहीं!

ज़ीशान की अम्मी - तेरी इसी नाफरमानी की वजह से तेरा ये हाल है। समझ कि ये मेरा फरमान है और जा!

ज़ीशान - अम्मी! ठीक है।

अगले ही दिन ज़ीशान हज़रत शेख सलाहुद्दीन दरवेश के दरगाह पर चला गया, वहां चादर चढ़ा कर दुआ मांगी और जब वो लौटने लगा तब उस दरगाह के दरवाज़े पर एक बुढ़ा आदमी भीख मांग रहा था। ज़ीशान को उस बूढ़े आदमी पर दया आ गया और उसने उस बूढ़े आदमी को अपनी जेब से सौ रूपये निकाल कर दे दिया। वो बूढ़ा आदमी ज़ीशान की नेकदिली से बहुत प्रभावित हुआ और उसने ज़ीशान को एक जादुई रिंग दिया।

ज़ीशान - ये क्या है बाबा?

बाबा - बेटे तू एक नेकदिल इंसान है, ईश्वर आशीर्वाद जरूर बरसेगा तुम्हारे ऊपर। ये एक जादुई अंगूठी है बेटे। इस अंगूठी की खासियत ये है कि इसे पहनकर तू अपना रूप बदल सकता है। तू इस अंगूठी से चाहे तो औरत बन जा और फिर चाहे तो दुबारा से मर्द बन जा और ऐसा करने के लिए तुझे ये अंगूठी पहननी होगी और इस अंगूठी से कहना पड़ेगा कि तुझे मर्द बनना है या औरत।

ज़ीशान  - बाबा, मुझे देखकर क्या लगता है, मैं मर्द ही हूँ अभी!

बाबा - हाँ बेटे, ये अंगूठी जादुई है। इसकी मदद से तू किसी और मर्द का रूप भी ले सकता है और चाहे तो किसी भी औरत का रूप ले सकता है। अंगूठी को पहन, ध्यान लगा और सोच कि तुझे क्या बनना है?

ज़ीशान - बाबा, मुझे ना तो किसी और मर्द में खुद को बदलना है और ना ही किसी औरत में। मुझे तो नौकरी चाहिए ताकि मैं अपने अम्मी अब्बू की सेवा कर सकूँ।

बाबा - ठीक है, तू रूप मत बदल, लेकिन तू इस अंगूठी को अपने पास रख, ये तेरे लिए अच्छा कल लेकर आएगा।    

ज़ीशान - अच्छा!लेकिन बाबा.. मैं इन सब अंधविश्वास में नहीं मानता! और ये अंगूठी इतनी ही पावरफुल है तो आप यहाँ बैठकर भीख क्यों मांग रहे हैं।

बाबा - देखो बच्चा, मैंने अपनी जवानी में इस अंगूठी की मदद से जो चाहा पाया, लेकिन जिनके प्यार के लिए मैंने ये सब किया, उन्होंने आखिर में मुझे ही धोखा दिया और मेरा सबकुछ छीन गया। तब मुझे एहसास हुआ कि इस जीवन में कुछ नहीं रखा, आखिर में सब मिट जाना है। ये तो जीवन की सच्चाई है और मुझे इस सच्चाई को समझने में पूरा जीवन निकल गया। लेकिन तुम्हे इसकी जरुरत पड़ेगी बच्चे, इस अंगूठी को रख ले।

ज़ीशान - लेकिन बाबा, मुझे कुछ हो गया तो!

बाबा - ये इतना भी खतरनाक नहीं है बेटे, इससे सिर्फ रूप बदल सकते हो तुम अपना, लेकिन ध्यान रहे कि रूप बदलने के बाद इस अंगूठी को संभालकर रखना, नहीं तो खुद का रूप भी खो दोगे तुम!

ज़ीशान - यकीन तो अभी भी नहीं हो रहा है बाबा लेकिन ठीक है, इस अंगूठी को रख लेता हूँ, घर जाकर ट्राय करूँगा।

बाबा - सुखी रहो बेटे!

ज़ीशान बाबा से विदा लेकर घर आ गया और अंगूठी को दराज़ में रखकर हर रोज़ की तरह अपने अम्मी अब्बू से बातें की और सो गया। अगली सुबह ज़ीशान बैठा चाय पी रहा था तभी उसे एक बैंक से  इंटरव्यू के लिए कॉल आया। सेम डे इंटरव्यू था तो ज़ीशान फटाफट रेडी होकर इंटरव्यू के लिए निकल पड़ा। यस बैंक में इंटरव्यू था और जब ज़ीशान वहां पहुंचा तब वहां पहले से करीब बिस और लड़के लडकियां इंटरव्यू के लिए बैठे थे। सबसे आखिर में ज़ीशान का इटरव्यू लिया गया और ज़ीशान का सिलेक्शन हो गया। बैंक में अकाउंटेंट की नौकरी मिल चुकी थी ज़ीशान को और वो बहुत खुश था आज। उसने सबसे पहले अपनी अम्मी को कॉल किया और इस बारे में बताया। फिर उसने प्रियंका और राजीव को इस बारे में बताया और वीकेंड में पार्टी प्लान किया। नेक्स्ट मंथ ही ज़ीशान की जोइनिंग हो गयी और वो बहुत ही ज्यादा खुश था, अच्छा जॉब, अच्छी सैलरी और सबकुछ अच्छे से जा रहा था। साल 2019 की शुरुआत भले अच्छी नहीं रही हो, लेकिन ज़ीशान के लिए 2019 का अंत बहुत अच्छा जा रहा था। धीरे धीरे दिन बीतने लगा, महीने गुज़र गए, ज़ीशान अपनी बैंक की नौकरी में बहुत खुश था। एक दिन उसने प्रियंका से कहा कि वो उसे दिलोजान से प्यार करता है और उससे शादी करना चाहता है। प्रियंका शॉक्ड रह गयी।

प्रियंका - तुम बहुत अच्छे लड़के हो ज़ीशान लेकिन मैं किसी मुस्लमान से शादी नहीं कर सकती। मेरे परिवार में मुसलमानों को अच्छे नज़र से नहीं देखा जाता है, हमारी दोस्ती के बारे में भी उन्हें कुछ भी पता नहीं आज तक, शादी तो दूर की बात है।

ज़ीशान - तो उनसे कहो ना कि मैं अपना धरम बदल लूंगा, मुस्लमान से हिन्दू बन जाऊँगा और फिर तो वो मुझे अपना लेंगे।

प्रियंका - इट्स कॉम्प्लिकेटेड ज़ीशान! तुम नहीं जानते मेरे परिवार को और वैसे भी मेरी शादी फिक्स हो चुकी है। बिहार के ही एक जमींदार परिवार का लड़का है, विजेंदर ठाकुर, पेशे से इंजीनियर है आर्मी में। देखो ज़ीशान तुम मेरे लिए अपनी लाइफ स्पोइल मत करो। कोई मुस्लिम लड़की देखकर अपना घर बसा लो और खुश रहो।

ज़ीशान - हम्म! लेकिन शादी में भी तो बुलाओगी नहीं तुम! है ना?

प्रियंका - सॉरी ज़ीशान!

ज़ीशान - गुड लक प्रियंका।

ज़ीशान का दिल टूट गया था, घर जाकर वो बहुत रोया। ज़ीशान सोचने बैठ गया कि इस देश में मुसलामानों को लोग आज भी किस नज़र से देखते हैं। रात हुई तो ज़ीशान अपने अम्मी अब्बू से बात करके सो गया। अगले दिन से ज़ीशान अपनी ड्यूटी करने लगा और ड्यूटी के बाद सीधे घर। एक दिन राजीव ज़ीशान के घर आया तो उसने उसे बताया कि प्रियंका की शादी का इनविटेशन आया है तो वो उसके साथ जाएगा कि नहीं!

ज़ीशान - यार राजीव, तू जा यार उसकी शादी में। मैं मुसलमान हूँ, उसकी शादी में नहीं जा सकता।

राजीव - अबे तू मुस्लमान है, ये कौन बताएगा उसकी फॅमिली वालों को?

ज़ीशान - प्रियंका ने मुझे शादी में इन्वाइट नहीं किया है राजीव, तू जा यार, उसकी शादी में, एन्जॉय कर।

राजीव - तू नहीं चलेगा तो मैं भीं नहीं जाऊँगा उसकी शादी में। ऐसा भी क्या है जो उसने कहा और तूने मान लिया।

ज़ीशान - नहीं यार, वो मुझे देखेगी तो उसे बुरा लगेगा।

राजीव - तो एक काम कर, तू शेव करवा ले। दाढ़ी ही नहीं रहेगा तो तू और भी हैंडसम दिखेगा और किसी को शक भी नहीं होगा कि तू मुस्लमान है। ज़ीशान खां की जगह जयेश रस्तोगी बनकर चल, मेरा भाई बनकर?

ज़ीशान - हम्म! देख ले कोई प्रॉब्लम ना हो।

उस रात ज़ीशान ने अपने दराज़ से वो अंगूठी को बाहर निकाला जो उस रोज़ बाबा ने उसे दिया था। ज़ीशान ने उस अंगूठी हो अपनी ऊँगली में पहन लिया और हिम्मत करके उस अंगूठी से कहा कि वो राजीव बनना चाहता है। अचानक एक ही पल में वो राजीव में बदल गया। आईने में ज़ीशान की जगह राजीव खड़ा था और फिर ज़ीशान ने अंगूठी से कहा कि वो प्रियंका बनना चाहता है, दूसरे पल में वो आईने में प्रियंका को देख रहा था। वही रूप, वही रंगत, वही खूबसूरती, अंगूठी का जादू देखकर ज़ीशान बहुत खुश हुआ और अब उसने अंगूठी से कहा कि वो फिर से अपने रूप में वापिस आना चाहता है और तीसरे ही पल वो फिर से ज़ीशान बन गया। अंगूठी करामाती थी और उसका जादू सच मे काम कर गया था। ज़ीशान ने अंगूठी को अपनी उंगली मे पहन लिया और अपना बैग पैक कर लिया। अगले दिन उसने क्लीन शेव करवा लिया, वो दिखने मे बहुत क्यूट लगने लगा था और अब वो तैयार था, राजीव के साथ बिहार जाने के लिए और दो दिनों के बाद राजीव के साथ ज़ीशान भी प्रियंका की शादी मे शामिल होने आ गया।

राजीव ने प्रियंका को पहले ही बता दिया था कि ज़ीशान भी शादी मे आ रहा है और उसका भाई बनकर आ रहा है। प्रियंका ने राजीव से कहा कि ठीक है लेकिन इस बात का ध्यान भी रखना होगा कि ज़ीशान मुसलमान नहीं हिन्दू है और तुम्हारा भाई है। राजीव ने प्रियंका से कहा कि वो इस बात का पूरा ख्याल रखेगा। इधर राजीव ने ज़ीशान को समझा दिया था कि शादी मे इस बात का ध्यान रखे कि वो हिन्दू है, ना कि मुसलमान। ज़ीशान को इस बात से कोई ऐतराज़ नहीं था और वो खुश था प्रियंका की शादी में आकर। शादी की तैयारियों के बीच ज़ीशान प्रियंका से मिलने को बेताब हुआ जा रहा था और प्रियंका उससे दूर रहने की कोशिश कर रही थी ताकि किसी तरह का कोई इशू क्रिएट ना हो जाए। हल्दी और संगीत वाले दिन भी ज़ीशान के कारण प्रियंका बहुत अनकम्फर्टेबल हुई जा रही थी। इन सबसे परेशान होकर प्रियंका चुपके से ज़ीशान को अपने कमरे में ले गयी।

प्रियंका - ज़ीशान, यू नो ना! तुम ऐसे मुझे अनकम्फर्टेबल करते रहे तो मैं दिक्कत में पड़ जाउंगी।

ज़ीशान - प्रियंका, आई लव यू! इतनी दूर मैं सिर्फ और सिर्फ तुम्हारे लिए यहाँ आया। अब तो समझो मेरे प्यार को!

प्रियंका - देखो ज़ीशान, तुम मेरे दोस्त हो, तो अपने हद में रहो। तुम्हे तो एहसास भी नहीं है कि ऐसे तुम मेरे पीछे पड़े हो शादी के लिए, मेरे ऊपर क्या गुज़रता है। ऐसा लगता है मानो मैं तुम्हारे साथ कितना गलत कर रही हूँ। तुम लड़की नहीं हो ना, इसीलिए समझ नहीं सकते, देखो ज़ीशान, ऐसा अच्छा नहीं लगता, मेरी शादी होने वाली है, लड़का मुझे पसंद है और वो भी मुझे बहुत पसंद करता है। 

दोनों अभी बात ही कर रहे थे कि अचानक दरवाज़े पर नॉक हुआ। दरवाज़े पर प्रियंका के बड़े भाई रवि थे और उन्हें आभास हो चूका था कि कमरे में प्रियंका के साथ कोई है।

प्रियंका - तुम पर्दे के पीछे छिप जाओ ज़ीशान, भैया को शक हो गया लगता है।

ज़ीशान परदे के पीछे जाकर छिप गया और प्रियंका ने दरवाज़ा खोला।

रवि - कौन है कमरे में तुम्हारे साथ!

प्रियंका - वो भैया, कोई भी तो नहीं।

रवि - झूठ मत बोलो प्रियंका, मैंने तेरी आवाज़ भी सुनी है और किसी और की भी। कौन है वहां, परदे के पीछे कौन है? 

प्रियंका डर गयी, कुछ बोल नहीं सकी और रवि ने पर्दा हटाया और प्रियंका ने आँखें बंद कर ली।

रवि - प्रियंका तुमने बताया नहीं कि तुम्हारी इतनी खूबसूरत सहेली भी है।

प्रियंका - वेट व्हाट? ओह्ह हाँ, भैया, येये ज़ीनत है, मेरी दोस्त!

रवि - पहले तो कभी नहीं देखा तेरे साथ?

प्रियंका - ये दिल्ली में रहती है, आज शाम में ही आयी है, मेरी शादी अटेंड करने।

रवि - हाय, मैं रवि हूँ, प्रियंका का बड़ा भाई!

ज़ीशान - हाय! मैं ज़ीनत!

प्रियंका - आप दोनों का परिचय हो गया हो तो भैया अब आप जाओ यहाँ से और दुबारा डिस्टर्ब मत करने आ जाना।

रवि - ठीक है छुटकी, बाय ज़ीनत, गुड नाईट, स्वीट ड्रीम्स!

ज़ीशान - गुड नाईट, स्वीट ड्रीम्स!सेम टू यू!

रवि के जाने के बाद प्रियंका ने देखा लाल साड़ी में लड़की बना ज़ीशान बहुत ही खूबसूरत दिख रहा था। 

प्रियंका - क्या ये तुम हो ज़ीशान?

ज़ीशान - हाँ प्रियंका, ये मैं हूँ, ज़ीशान।

प्रियंका - सीरियसली, तुम लड़की कैसे बन गए?

ज़ीशान - जादू से! मेरे पास एक जादुई रिंग है प्रियंका जिससे मैं जब चाहे जो रूप लेना चाहूँ, वो रूप ले सकता हूँ।

प्रियंका - सच में बहुत हॉट दिख रही हो ज़ीनत।

ज़ीशान - हम्म! अब मैं अपने रूप में वापिस आ जाता हूँ!

प्रियंका - नहीं नहीं! प्लीज् ज़ीनत, मेरी शादी तक ऐसे ही रहो ना! वैसे भी मेरी कोई सहेली नहीं है, तुम ज़ीनत बनकर मेरे साथ मेरी शादी तक रहो ना प्लीज्! फिर मैं तुम्हे एक किस भी दूंगी! 

ज़ीशान - हम्म, ठीक है, लेकिन राजीव को कह देना कि मैं दिल्ली वापिस चला गया ताकि वो भी तुम्हारी शादी को एन्जॉय कर सके।

फिर प्रियंका ने औरत रूपी ज़ीशान यानि ज़ीनत के होंठों को अपने होंठों में लेकर एक किस कर ली और दोनों बिस्तर में एक दूसरे के साथ हमबिस्तर होकर गहरी नींद में समा गयीं। आज ज़ीशान के लिए बहुत ही सुकून भरी रात थी क्यूंकि उसका प्यार प्रियंका उसकी बाहों में थी और एक दूसरे की गर्माहट दोनों को सुकून भरी नींद में ले गयी। प्रियंका भी बहुत खुश थी, वो हमेशा से लेस्बियन सेक्स करना चाहती थी और आज वो रात थी, जब ज़ीशान ज़ीनत बनकर उसकी बाहों में था और वो उसके अंग अंग को चुम रही थी और यही आग अब ज़ीनत के तन बदन में भी लगने लगा था। प्रियंका ने सोचा कि कहीं सेक्स के दौरान ज़ीनत फिर से अपने असली रूप में आ गयी तो अनर्थ हो जाएगा तो रोमांस के दौरान ही उसने ज़ीशान की ऊँगली से अंगूठी को निकालकर टेबल पर रख दी और निश्चिन्त होकर ज़ीनत के साथ रात भर लेस्बियन सेक्स करती रही।

अगली सुबह जब ज़ीशान की नींद खुली तो उसने टेबल पर रखे अपने रिंग को अपनी ऊँगली में पहन लिया और अपने मर्द रूप में उसी रूम में अटैच्ड वाशरूम में फ्रेश होने चला गया। फ्रेश होने के बाद जैसे ही कमरे में आने को हुआ, उसने देखा कि कमरे में रवि था, प्रियंका का बड़ा भाई। ज़ीशान ने फिर से अपना रूप बदल लिया, ज़ीनत बन गया और कमरे में आ गया। ज़ीनत को देखकर रवि की आँखें चमकने लगी। इतने मे प्रियंका ने अपने बड़े भाई को एक झूठी कहानी भी सुनाई कि ज़ीनत एक अनाथाश्रम मे पली बढ़ी है और अपनी मेरिट की वजह से कॉलेज मे दाखिला लेकर उनके साथ पढ़ाई की है। ये सब ज़ीशान सुन रहा था, उसे बहुत गुस्सा आ रहा था लेकिन प्रियंका इन्जॉय कर रही थी और झूठी कहानी सुनाकर अपने भाई को ज़ीनत के प्रति ज्यादा एक्सईटेड कर रही थी।

रवि - गुड मॉर्निंग ज़ीनत!

ज़ीनत - गुड मॉर्निंग!

रवि - आज का क्या प्लान है, अगर फ्री हो तो चलो, मैं नालंदा घुमा लाता हूँ।

प्रियंका - भैया, हद करते हो! मेरी शादी में मेरी हेल्प करेगी ज़ीनत ना कि नालंदा घूमने जाएगी।

रवि - क्यों! संजन को नालंदा घुमा कर ले आता हूँ।

प्रियंका - ज़ीनत, रवि भैया के साथ घूमने जाओगी?

ज़ीनत - तुम साथ चलोगी तो जाउंगी, नहीं तो रहने दो।

प्रियंका - मैं तो नहीं जा सकती, लेकिन अगर तुम्हे घूमने का मन है तो भैया के साथ घूम आओ ज़ीनत!

ज़ीनत ने प्रियंका को ऐसे देखा मानो उसे गुस्सा आ रहा हो, वहीँ प्रियंका ऐसे मुस्कुरा रही थी जैसे कि वो मजे ले रही थी।

रवि - ज़ीनत, बी रेडी! हम नालंदा घूमने चल रहे हैं।

प्रियंका - भैया, आप आधे घंटे में आओ, मैं ज़ीनत को तैयार कर देती हूँ।

रवि के बाहर जाते ही।

ज़ीनत - यार प्रियंका, तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है क्या? तुम्हारे भैया के साथ घूमने कैसे जा सकता हूँ।

प्रियंका - अरे काहे परेशान हो रही हो ज़ीनत, भैया दिल के बहुत अच्छे हैं। वो तुम्हे नालंदा घुमाने ले जाना चाहते हैं, तो चली जाओ, घूम लो। और ये अंगूठी मुझे दो, मैं इसे संभाल कर रख देती हूँ।

ज़ीशान अपनी अंगूठी देना तो नहीं चाहता था, लेकिन प्रियंका ने उससे वो अंगूठी ले ली और वो कुछ नहीं कर सका। प्रियंका ने ज़ीनत की ऊँगली से अंगूठी निकाल ली और उसे पीली साड़ी में रेडी कर दी। थोड़ा सा टचअप और लाइट मेकअप, ऑर्नामेंट्स के नाम पर एक गले की चेन, कानों में क्लीप वाली रिंग्स, कलाई में अमेरिकन सिल्वर चूड़ियाँ, खुले बाल, गुलाबी होंठ और हाई हील्स पहनाकर ज़ीनत को तैयार कर दिया गया और रवि ज़ीनत को अपने साथ नालंदा घुमाने अपने नए बुलेट पर निकल पड़ा। जब जब रवि ब्रेक लगाता, ज़ीनत का ब्रेस्ट उसके पीठ से टकराता और रवि एन्जॉय करता। घूमने के दौरान रवि ज़ीनत को नालंदा विश्वविद्यालय के खंडहर, नालंदा पुरातत्व संग्रहालय, ह्वेन त्सांग मेमोरियल हॉल, राजगीर वाइल्डलाइफ सेंचुरी और प्राचीन शिव मंदिर ले गया। इस दौरान रवि ने ज़ीनत को झाल मुढ़ी और समोसा कचौरी खिलाया, जो ज़ीनत को बहुत पसंद आया। शाम होने वाला था तो ज़ीनत से रवि से कहा कि अब घर लौटना चाहिए और रवि ज़ीनत के साथ घर को लौट आये।घर आने के बाद लेडीज संगीत और मेहँदी के समारोह की तैयारी शुरू हो चुकी थी जिसमे मर्दों का आना मना था। ज़ीनत के रूप में ज़ीशान हमेशा प्रियंका के साथ रहती लेकिन रवि किसी ना किसी बहाने से उससे बात करने की कोशिश करता। प्रियंका समझ रही थी कि उसका बड़ा भाई ज़ीनत को लाइन दे रहा था। ज़ीनत को अनकम्फ़ोर्ट हो रहा था, एक मर्द का यूँ उसे बार बार छेड़ना, ना चाहते हुए भी उसके सवालों का जवाब देना और मधुमक्खी की तरह उसके आस पास मंडराते रहना। इन सब से ज़ीनत को बहुत अनकम्फ़ोर्ट महसूस हो रहा था और ये प्रियंका के नज़रों के सामने हो रहा था। प्रियंका ये सब बहुत एन्जॉय कर रही थी, पहली बार उसके भाई को कोई लड़की पसंद आयी थी और पहली बार ज़ीनत के रूप में ज़ीशान को इस बात का एहसास हो रहा था कि कैसा फील होता है जब एक मर्द किसी लड़की को यूँ छेड़ता है, उसे घूरता है, उसके पास आने की कोशिश करता है। संगीत और मेहँदी के दिन प्रियंका पीली साड़ी में थी तो बाकी औरतें लाल, बैंगनी, हरी साड़ियों में। एक तरफ ढोलक की थाप पर लड़कियाँ नाच गा रही थीं तो वहीँ प्रियंका चुपचाप बैठी मेहँदी लगवा रही थी। लड़कियों ने ज़ीनत को भी खूब नचाईं और ज़ीनत को एहसास हुआ कि वो आखिर कर क्या रहा है? जिस लड़की से ज़ीशान शादी करना चाहता था आज उसकी की मेहँदी संगीत में खुद औरत बनकर नाच रहा था। इट वज़ ह्युमिलिएटिंग मोमेंट फॉर ज़ीशान और अब उसने वापिस जाने का ठान लिया था। मेहँदी की रस्मों के बाद जब डिनर की बारी आयी तो प्रियंका को ज़ीनत ने अपने हाथों से खाना खिलाई। फिर ज़ीनत ने भी डिनर किया और प्रियंका ने उसे भी मेहंदी लगवाने को कहा तो उसने भी मेहंदी लगवा ली। जैसे प्रियंका के हथेली और कलाईयों मे मेहंदी लगी थी, ठीक वैसी ही मेहंदी ज़ीनत की हथेली और कलाइयों मे लगाई गई। फिर पैरों मे भी घुटनों तक मेहंदी लगाई गई ठीक वैसे ही जैसे प्रियंका के घुटनों तक मेहंदी लगी हुई थी।

अब कमरे में प्रियंका और ज़ीनत के सिवा कोई भी नहीं था।

ज़ीनत - प्रियंका, मुझे लगता है कि अब मुझे वापिस चले जाना चाहिए।

प्रियंका - क्यों? कल मेरी शादी है ज़ीनत, शादी के बाद चली जाना।

ज़ीनत - नहीं प्रियंका, यहाँ बहुत अनकम्फ़ोर्ट महसूस हो रहा है। इस लड़की के जिस्म में मुझे जैसे लड़के घूरते हैं, खासकर तुम्हारे बड़े भैया, वो तो जैसे हाथ धोकर मेरे पीछे पड़े हैं। ऐसे मे मैं यहाँ नहीं रह सकता। सबसे पहले तुम मेरी अंगूठी वापिस करो और मैं आज रात ही यहाँ से निकल जाता हूँ।

प्रियंका - अरे हद करती हो ज़ीनत, एक तो सहेली हो तुम मेरी। पहले कहती थी पास आना है, अब कहती हो दूर जाना है। ये क्या है, मैं अपनी शादी इन्जॉय करना चाहती हूँ, उसके बाद तुम रिंग ले लेना और चली जाना, मैं नहीं रोकूँगी। 

ज़ीनत - यार, हद है, तबतक तुम्हारे बड़े भाई को झेलना पड़ेगा।

प्रियंका - आई असूम, तुम अब समझ पा रही हो कि कैसा लगता है।

ज़ीनत - आई एम सॉरी प्रियंका, ये मेरे लिए एक लेशन है, इसे मैं कभी नहीं भूल सकता।

प्रियंका - अच्छा, तुम्हारे हाथ मे मेहंदी का डिजाइन तो मेरे हाथों की मेहंदी से भी अच्छा है यार!

ज़ीनत - नहीं प्रियंका, लाइफ मे पहली बार मेहंदी लगवा कर कितना एमबरेसमेंट फ़ील हो रहा है, ये मैं बता नहीं सकता। अब तो तुम्हारी शादी का दिन भी आ गया है, कैसा फ़ील हो रहा है प्रियंका?

प्रियंका - हम्म, यार बहुत डर लग रहा है। शादी के नाम से ही गांड फटती थी और कल तो मेरी शादी है। शादी के बाद ससुराल मे कैसे रहूँगी, सास गाली देगी, पति अपना हक जताएगा, दिन भर खाना पकाऊँगी, अपने पति के साथ नया जीवन कैसा होगा, आई डॉन्ट नो। 

ज़ीनत - हम्म! सब अच्छा होगा, डॉन्ट वरी!

बातों बातों मे दोनों को कब नींद आई, इसका पता नहीं चल लेकिन जब दरवाजे पर नॉक हुआ तो दोनों का नींद खुला। ज़ीनत ने दरवाजा खोल कर देखा, सामने रवि खड़ा था और साथ मे उसकी माँ भी खड़ी थी। रवि ने अपनी माँ की ओर देखा और उसकी माँ ने ज़ीनत को कमरे मे ले गई और रवि को जाने को कहा।

रवि की माँ - ज़ीनत, तेरे बारे मे रवि ने मुझे सब कुछ बताया है।

ज़ीनत - ओके!

रवि की माँ - देख ज़ीनत, मेरा बेटा बहुत अच्छा कमाता है, क्या मेरे बेटे से शादी करेगी?

ज़ीनत - लेकिन, मैं! माँ जी, मुझे अपनी पढ़ाई पूरी करनी है, कुछ करना है लाइफ मे, उसके बाद शादी के बारे मे सोचूँगी।

रवि की माँ - वो सब तो तू शादी के बाद भी कर सकती है। रवि ना तो तुझे पढ़ाई करने से रोकेगा और ना ही नौकरी या कोई बिजनस शुरू करने से। तू जो भी करना चाहती है, रवि तुझे पूरा सपोर्ट करेगा। 

ज़ीनत - लेकिन माँ जी, मैंने इस बारे मे कुछ सोचा नहीं है।तू क्या कहती है प्रियंका, तेरे रवि भैया के लिए ज़ीनत कैसी रहेगी?

प्रियंका - मुझे तो भाभी बहुत पसंद है माँ! बस तुम ज़ीनत को मना लो शादी के लिए!

ज़ीशान वज इन डीप शॉक! ये प्रियंका क्या कह रही थी, ये जानने के बावजूद कि वो एक मर्द है जो सिर्फ जादू से लड़की बना था। ज़ीशान समझ नहीं पा रहा था कि ऐसे सिचूऐशन मे क्या करे तो उसने रवि की माँ से सोचने का समय मांग लिया।

सभी के जाने के बाद, पहले तो ज़ीनत ने अपने हाथों और पैरों की मेहँदी को पानी से धो लिया और तबतक प्रियंका अपनी मेहँदी पर ऑइंटमेंट लगा रही थी। उसके बाद प्रियंका ने भी अपनी मेहँदी धोयी लेकिन ज़ीनत के हाथों और पैरों की मेहँदी ज्यादा डार्क थी।

ज़ीनत - ये सब क्या है प्रियंका! मैं कोई शादी वादी नहीं करने वाली, समझी तुम! अल्लाह, कितनी बड़ी गलती कर दी मैंने तुम्हारी शादी मे आकर।

प्रियंका - अब कुछ नहीं हो सकता ज़ीनत, या तो तुम मेरे भैया से शादी कर लो, या फिर ऐसे ही दिल्ली लौट जाओ। मैं तुम्हारी अंगूठी रिटर्न नहीं करने वाली। मेरे भैया की खुशी से बढ़कर मेरे लिए कुछ भी नहीं है!

ज़ीनत - ये तुम बहुत गलत कर रही हो ज़ीनत! अल्लाह से डरो, ऐसा अनर्थ मत करो!

प्रियंका - फिर तुम मेरे भैया से शादी कर लो और मेरी भाभी बन जाओ! देखो, वैसे भी दस हजार की नौकरी से तुम घंटा कुछ उखाड़ सकोगे और मेरे भैया से शादी कर लोगी तो इतना तो वो तुम्हारे ऊपर एक दिन मे लूटा देंगे।

ज़ीनत - यार मैं मर्द हूँ, औरत नहीं!

प्रियंका - अभी तो तुम एक खूबसूरत लड़की हो, ज़ीनत!

ज़ीनत - ठीक है तो मैं तुम्हारी माँ को बता दूंगा कि मैं अनाथ नहीं हूँ, मेरे अम्मी अब्बू हैं, बहुत बड़ा परिवार है और मैं मुसलमान हूँ, हिन्दू नहीं!

प्रियंका - जाओ, बता दो अगर जान प्यारी नहीं है तो! मेरे भैया को झूठ बर्दाश्त नहीं और खासकर तुम्हारे मुसलमान होने वाली बात सुनेंगे तो जान से मार देंगे।

ज़ीनत - तुम मुझे ऐसे थ्रेट नहीं दे सकती प्रियंका! ऐसे कैसे मैं शादी कर लूँ तुम्हारे भैया से?

प्रियंका - जैसे मैं शादी कर रही हूँ विजेंदर जी से, वैसे ही तुम भी शादी कर लो रवि भैया से!

ज़ीनत - नहीं! मैं ये नहीं कर सकता, मैं एक मर्द हूँ, तुम मुझे मेरी अंगूठी रिटर्न करो, मैं कुछ नहीं जानता!

प्रियंका - सॉरी नहीं दे सकती! तुम मुझसे प्यार करती हो नया, मेरे लिए इतना नहीं कर सकती?

ज़ीनत - यार तुम समझ नहीं रही हो, मैं कोई लड़की नहीं हूँ! ऐसे कैसे शादी कर लूँ तुम्हारे भैया से?

प्रियंका - देख लो, तुम्हारी लाइफ है, तुम्हारा डिसिशन है।

ज़ीनत - प्लीज ना, मेरी अंगूठी मुझे रिटर्न कर दो, प्लीज!

प्रियंका - सॉरी बट नो!      

ज़ीनत - प्लीज प्रियंका, आई बेग यू! प्लीज् डोंट डू दिस टू मी!

प्रियंका - हाहाहा, आई एम् लिटरली एंजोयिंग योर सिचुएशन! ऐसे भी तो तुमने माँ से शादी के लिए सोचने का टाइम ली हो ना! तो जल्दी कैसे, मेरी शादी तो इन्जॉय कर लो!

ज़ीनत - हद है! तुम्हारे प्यार मे यही दिन देखना बाकी रह गया था!

प्रियंका - प्यार करते हो लेकिन मेरे प्यार मे इतना नहीं कर सकते!

ज़ीनत - हद है यार! तुम्हारे प्यार मे कुछ भी कर सकता हूँ प्रियंका, लेकिन तुम्हारे भैया से प्यार नहीं करता मैं!

प्रियंका - तो करने लगोगे, जब मेरे भैया को करीब से जानोगे तो उनसे भी प्यार करने लगोगे! अरे बहुत अच्छा ऑपरचयूनिटी है तुम्हारे लिए यार, सोच लो अच्छे से! तुम्हें बहुत करना होगा तो भैया का घर संभालना होगा, एक ही तो भाई है मेरा, इतना बड़ा घर है, इतने सारे नौकर चाकर हैं, करना ही क्या है तुम्हें! भैया को खुश रखो और तुम भी खुश रहोगी भैया से शादी करके! तुम इस घर के दामाद बनना चाहते थे ना और देखो! दामाद ना सही, बहु बनने का तो मौका मिल रहा है। दामाद तो बन नहीं सकते लेकिन बहु बने तो हमारा साथ जिंदगी भर का हो जाएगा, तुम मेरी भाभी बनोगी और मैं तुम्हारी ननद! दोस्ती भी रह जाएगी और एक नए लाइफ मे तुम हमेशा खुश भी रहोगी। ये गोल्डन ऑपरचयूनिटी है ज़ीनत, इसे ग्रैब कर लो! दिल्ली वापिस जाकर तुम्हें वही नौकरी करनी होगी, दिन भर ड्यूटी, रात को घर आते हो तो खाना पकाते ही हो, इतना बड़ा परिवार है तुम्हारा, शादी करोगे किसी लड़की से तो उसके लिए कुछ कर भी नहीं सकोगे ठीक से। प्रॉपर्टी के नाम पर सौ गज का प्लॉट है तुम्हारे अब्बू का, पाँच भाई मे बँटेगा का बीस गज जमीन मिलेगा और क्या? उससे बेहतर लाइफ है यहाँ, यहाँ तुम्हारे लिए क्या नहीं है ज़ीनत! सोचो और मेरी मानो तो मेरे भैया से शादी करके एक नई लाइफ की शुरुआत करो!अपने हाथों की मेहँदी तो देखो ज़ीनत, कितना डार्क है। अगर तुम मेरे भैया की दुल्हन बनती हो तो वो तो तुम्हे पलकों पर बिठाकर रखेंगे और बहुत प्यार भी करेंगे।

ज़ीनत - हद है यार! तुम तो पीछे ही पड़ गयी हो! एक बार में समझ नहीं आता, मैं नहीं कर सकता शादी तुम्हारे भैया से!

प्रियंका - वो तुम देख लो! मेरा क्या है, मुझे कौन सा शादी के बाद इस घर में रहना है।

ज़ीनत - तो एटलीस्ट मेरी अंगूठी तो वापिस कर दो यार!

प्रियंका - इन योर ड्रीम्स बेबी!

ज़ीनत शॉक में थी, आखिर एक मर्द से शादी करने का ख्याल आ भी कैसे सकता था ज़ीशान के मन में! वो तो इसके ख़याल भर से ही डर रहा था।दोनों फ्रेश हुईं और थोड़ी देर में ही कुछ लडकियां कमरे में आयीं और प्रियंका को अपने साथ तैयार करवाने के लिए ले गयीं। कमरे में अकेली बैठी ज़ीनत यही सोच रही थी कि कैसे कर के भी उस अंगूठी को दुबारा से हासिल कर ले। कमरा खाली हुआ तो ज़ीनत ने कमरे के कोने कोने में देख लिए, बिस्तर के नीचे हो या अलमीरा के कोने कोने में लेकिन वो अंगूठी कहीं भी नहीं मिला। ज़ीनत वहीँ बैठकर रोने लगी, सोचने लगी कि आखिर क्यों वो प्रियंका की शादी अटेंड करने आयी! आखिर उसने अपना रूप ही क्यों बदला और आज उसे ये दिन देखना पड़ रहा है। खुद की दोस्त थी प्रियंका, इतनी अच्छी दोस्ती थी लेकिन आज वही दोस्त ज़ीनत को अपने बड़े भाई से ब्याह करवाने को बेताब है। वो चाहती है कि ज़ीनत उसके बड़े भाई से शादी कर ले और अपना पूरा जीवन उसके चरणों की दासी बनकर गुज़ारे। अंगूठी भी कमरे में कहीं नहीं मिली और अगर अंगूठी नहीं मिली तो ज़ीनत को रवि से शादी के लिए हाँ करना मज़बूरी बन जाएगा। ऐसे लड़की वाले रूप में ज़ीनत वापिस दिल्ली कैसे जा सकती है, उसके तो डॉक्युमेंट्स भी ज़ीशान के नाम पर है। ज़ीनत अपना अस्तित्व नहीं खोना चाहती थी, वो हमेशा से ज़ीशान खां थी और ज़ीशान खां ही रहना चाहती थी। लेकिन कैसे, कैसे वो अपना रूप वापिस पा सकती थी, जब कि उसकी जादुई अंगूठी प्रियंका के पास था और वो अंगूठी वापिस करने को राज़ी ही नहीं थी।शाम होने जा रहा था और ज़ीनत अभी तक तैयार भी नहीं हुई थी। रवि की माँ ने जब ज़ीनत को कमरे में यूँ अकेले बैठे देखा तो वो उसके पास आ गई। ज़ीनत अभी भी अपने अंतरदवंद मे थी और अभी भी अपने बारे मे सोच रही थी।

रवि की माँ उसके पास आई, उसका माथा सहलाई और ज़ीनत अपने अंतरदवंद से बाहर आ गई।

रवि की माँ - तुम अभी तक तैयार नहीं हुई ज़ीनत? क्या बात है, तुम परेशान हो शादी की बात को लेकर?

ज़ीनत - नहीं आंटी! बस ऐसे ही बैठी थी।

रवि की माँ - आंटी नहीं, माँ बोल मुझे! मैं समझ सकती हूँ कि शादी का फैसला लेना आसान नहीं है तेरे लिए! तेरे माता पिता होते तो इस शादी के लिए जरूर हाँ कर देते!

ज़ीनत - माँ जी, अगर मैंने शादी की तो मैं अपना फोकस खो दूँगी और जो कुछ सोच रखा है, वो सब कभी नहीं कर पाऊँगी!

रवि की माँ - अरे तो मैं कौन सा आज ही शादी करने को कह रही हूँ! तू अपना पूरा समय ले, अच्छे से सोच ले और बता दे मुझे, मुझे कोई जल्दी नहीं है!

ज़ीनत - जी माँ जी!

रवि की माँ - चल आजा, तैयार कर दूँ तुझे!

ज़ीनत - मैं तो तैयार ही हूँ माँ जी!

रवि की माँ - तो क्या तू ऐसे जाएगी शादी अटेन्ड करने! देख मैं तेरे लिए लहँगा चोली लेकर आई हूँ, ये मैंने प्रियंका के लिए सिलवाई थी, लेकिन उसे तो कोई मनीष मल्होत्रा वाली लहँगा चोली पहननी थी। चल तू ये वाली पहन ले और मैं एक काम करती हूँ, तेरे लिए कुछ ऑर्नामेंट्स भी भिजवा देती हूँ, ब्यूटीशियन के हाथों! वो तुझे तैयार कर देगी फटाफट!

ज़ीनत इससे पहले कुछ कहती, रवि की माँ वहाँ से जा चुकी थी।थोड़ी देर में ब्यूटीशियन कमरे में आयी और पहले तो ज़ीनत को उस लहँगा चोली में रेडी कर दी और फिर उसका मेकअप करने बैठ गयी। कसावट कुछ ज्यादा ही थी, साथ ही डीप कट और बैकलेस डोरी वाली चोली थी। चोली पहनने के बाद ज़ीनत ने गौर किया कि उसके ब्रेस्ट्स का उभार कुछ ज्यादा ही विज़िबल था और साथ ही ज़ीनत के ब्रेस्ट्स की हरी हरी नसें भी कसावट के कारण दिख रही थी। लहँगा नाभि के नीचे पहनाये जाने के कारण नाभि भी विज़िबल थी। लहंगा बहुत ज्यादा हैवी थी और साथ ही उसमे बेहतरीन एम्ब्रोडरी की गयी थी। थोड़ी देर में ब्यूटीशियन अच्छे से मेकअप कर चुकी थी। ग्लॉसी लाल होंठ, कजरारी आंखें, माथे पर एक छोटी सी लाल बिंदी, खुले घने काले बाल, रेड नेल पोलिश उसके पैरों और हाथों के नाखूनों को और भी सुन्दर बना रही थी, गले में एक डिज़ाइनर नेकलेस जिसका आखिरी एन्ड ज़ीनत के दोनों ब्रेस्ट्स के बीच आ गया था, नाक में क्लिप वाली छोटी सी सानिया मिर्ज़ा स्टाइल नथिया, कानों में क्लिप वाली बड़ी बड़ी बालियां, दोनों कलाइयों में ढेर सारे कंगन और चूड़ा का सेट,  पैरों में चाँदी की बहुत ही हैवी पायल पहनाई गयी थी। आखिर में ज़ीनत के पैरों में गोल्डन हाई हील्स पहना दी गयी और माथे पर एक ट्रांसपेरेंट लेकिन बड़ी सी ओढ़नी रखकर सेट कर दी और अब ज़ीनत तैयार थी।थोड़ी देर बाद प्रियंका भी घर आ गयी और दुल्हन के लिबास में वो बहुत खूबसूरत दिख रही थी। ब्राइडल लहँगा चोली, हैवी ऑर्नामेंट्स खासकर नाक में बड़ी कुमाऊनी नथ, कानों में बड़ी बड़ी झूमकियाँ और कलाई में सुहाग का चूड़ा, हथेली में सोने का हाथफूल, गले में नौलखा हार, सोने की चेन और मोतियों का हार पहनाया गया था। बहुत आकर्षक दिख रही थी प्रियंका दुल्हन के इस लिबास में और लाल ओढ़नी से घूँघट करके उसे कमरे ले आकर बिठा दिया गया था। दुलहन तैयार थी और थोड़ी ही देर में एक धूम धड़ाके और भोजपुरिया गानों की आवाज़ें सुनाई देने लगी और बाराती के स्वागत और दूल्हे को देखने सभी लडकियां कमरे से बाहर चली गयीं।इसी बीच ज़ीनत बने ज़ीशान को मौका मिल गया था अपनी अंगूठी वापिस मांगने का।

ज़ीनत - प्रियंका, बारात आ चुकी है यार! प्लीज मुझे मेरी रिंग वापिस कर दो ना, प्लीज यार! आई प्रामिस, तुम्हारी शादी के बाद मैं अपनी शादी के बारे मे जरूर सोचूँगी! तुम मुझे मेरी रिंग वापिस दे दोगी तो कम से कम तुम्हारी शादी को इन्जॉय कर सकूँगा! 

प्रियंका - देखो अपने आप को ज़ीनत, इतनी खूबसूरत दिख रही हो तुम! मेरे भैया के साथ तुम्हारी जोड़ी नंबर वन होगी, तुम्हें तुम्हारे अम्मी अब्बू की कसम है ज़ीनत, प्लीज मेरे भाई से शादी कर लो! और अगर ऐसी बात है तो ये लो अपनी रिंग, रखो अपने पास! लेकिन मेरे भाई से शादी के लिए हाँ जरूर करना और कम से कम शादी तक तो इसी रूप मे रहना!

ज़ीनत को अंगूठी मिलते ही वो खुशी से झूम उठी! सुकून और राहत किसे कहते हैं, ये समझ आ रहा था ज़ीशान को! अब बस शादी तक ज़ीनत बने रहना होगा और उसके लिए ज़ीशान मेंटली तैयार था। थोड़ी देर बाद प्रियंका को जयमाला के लिए स्टेज पर ले जाया गया तो साथ मे ज़ीनत भी अपना बड़ा सा लहँगा उठाए उसके साथ स्टेज तक चली गई। जयमाला के टाइम बहुत से लड़के जो कि दूल्हे के दोस्त थे, वो ज़ीनत को लाइन देने लगे लेकिन ज़ीनत ने किसी को भाव नहीं दिया और बहुत शरमाये जा रही थी। सभी से छिपने की कोशिश करती ज़ीनत को जब रवि ने ऐसे अनकम्फर्ट होते देखा तो उसके पास जाकर खड़ा हो गया ताकि दूल्हे साइड से जो लड़के आए थे, वो उसके साथ छेड़खानी न कर सकें। जयमाला के बाद दूल्हा दुल्हन को स्टेज पर बिठाया गया और सबने उन्हे आशीर्वाद दिया। प्रियंका बहुत खुश थी वहीं ज़ीनत थोड़ी दुखी क्यूंकी जिस लड़की से वो हमेशा से शादी करना चाहती थी, वो आज किसी और की दुल्हन हो चुकी थी। ज़ीनत कुछ ज्यादा ही ईमोशनल होने लगी तो रवि ने उसे बैठने को कहा और उसके लिए कोल्ड ड्रिंक्स ले आया। ज़ीनत कोल्डड्रिंक पीने लगी, उसे थोड़ा कड़वा लगा लेकिन एक ड्रिंक के बाद उसे बहुत अच्छा फ़ील होने लगा। ज़ीनत को एक और ड्रिंक पीने का मन होने लगा था तो रवि उसे एक ग्लास और लाकर दे दिया। चूंकि दूल्हा और दुल्हन को अब मंडप पर बुलाया गया तो रवि वहाँ की तैयारी करने चला गया। इधर ज़ीनत दो ड्रिंक पीकर अच्छा फ़ील कर रही थी और जब उसने देखा कि दूल्हा और दुल्हन को मंडप पर ले जाया जा रहा है तो वो भी मंडप के पास जाकर चेयर पर बैठ गई। तभी वहाँ रवि भी आ गया और उसके बगल मे बैठ गया। ज़ीनत दूल्हे दुल्हन को देख रही थी, जब दूल्हे ने प्रियंका के नाक से नथ उतारा और उसके नाक मे उससे भी बड़ा नथिया पहना दिया तब प्रियंका की आँखों मे आँसू आ गया, फिर उसके गले मे मंगलसूत्र पहनाया गया, मांग मे सिंदूर भरा गया और दोनों ने साथ फेरे लिए।

ये सब देखकर ज़ीनत फिर से ईमोशनल होने लगी तो रवि ने उसे अपना रुमाल पकड़ा दिया, जिससे वो अपने आँसू पोंछ रही थी। शादी का प्रोग्राम लगभाग रात भर चलता रहा और फिर सुबह के चार बजे तब विदाई का ईमोशनल मोमेंट भी आ गया। विदाई के समय प्रियंका अपनी माँ से, बड़े भाई से और पापा से लिपटकर बहुत रो रही थी और ये देखकर वो भी ईमोशनल होने लगी। विदाई मे देर होने लगी तो विजेंदर ने सबके सामने ही प्रियंका को अपनी बाहों मे उठा लिया और अपना ओनरशिप दिखाते हुए अपनी दुल्हन को अपनी मर्सिडीज मे बिठाया और देखते ही देखते वो आँखों से ओझल हो गया। दुल्हन की विदाई के बाद, दूल्हे के परिवार वालों को भी गिफ्ट्स देकर विदा कर दिया गया। राजीव को भी गिफ्ट और मिठाई देकर विदा कर दिया गया। ज़ीनत भी विदा हो जाना चाहती थी, लेकिन प्रियंका की माँ ने उसे रोक लिया और बाद मे जाने को बोलीं और ज़ीनत मना नहीं कर सकी। विदाई के बाद सब बहुत थके हुए थे, प्रियंका की माँ ने ज़ीनत को नींद से व्याकुल होते देखा तो उसे प्रियंका के कमरे मे सोने भेज दिया। ज़ीनत को इतना नींद आ रहा था कि उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करे और वो सीधे प्रियंका के कमरे मे जाकर लेट गई और देखते ही देखते नींद के आगोश मे समा गई।शाम को जब ज़ीनत की नींद खुली तो उससे मिलने रवि की माँ आ गयी कमरे में। दोनों ने एकसाथ डिनर किया और डिनर के बाद रवि की माँ प्रियंका को याद करके रोने लगी। ज़ीनत ने रवि की माँ को समझाया कि प्रियंका अपने नए घर में बहुत खुश रहेगी और उन्हें खुद को संभालना चाहिए। फिर ज़ीनत ने उनसे कहा कि अब उसके जाने का भी टाइम हो गया है, ऑफिस की छुट्टी कल ख़त्म हो जानी है तो उसे भी अब दिल्ली के लिए निकलना पड़ेगा। रवि की माँ ने ज़ीनत से एक बार फिर से कहा कि वो उन्हें बहुत पसंद हैं और रवि जैसा पति भी उसे ऐसे ही नहीं मिल जायेगा।

ज़ीनत - माँ जी, आप बिलकुल सही कह रही हैं, लेकिन मुझे अभी शादी के बंधन में नहीं बंधना और अगर मैंने शादी के बारे में सोचा तो मैं सबसे पहले रवि जी के लिए सोचूंगी।

रवि की माँ - जुग जग जियो बिटिया, सौभाग्यवती रहो!

फिर ज़ीनत ने ऑनलाइन टिकट कराई और रवि उसे स्टेशन छोड़ने तक गया। जाते जाते रवि ने ज़ीनत को हग किया और जब वो ट्रैन पर चढ़ गयी, तब वो अपने घर लौट गया। ट्रैन में चढ़ते ही ज़ीनत ने अपनी अंगूठी का इस्तेमाल किया और फिर से ज़ीशान खां बनकर अपने बर्थ पर जा कर बहुत ही सुकून से बैठ गया। बहुत सुकून था वहां, अपने असली रूप में वापिस लौटकर ज़ीशान बहुत खुश था और अब वो दुबारा कभी लड़की नहीं बनने की कसम खायी और दिल्ली आ गया। ज़ीशान ने घर आते ही सबसे पहले अंगूठी को दराज़ में रखा, कुछ सोने के गहने को रवि की माँ ने उसे दिए थे, उन्हें अलमीरा में रखा और घर लॉक करके बिस्तर पर लेट गया और सोचने लगा कि अगर प्रियंका उसे अंगूठी वापिस नहीं देती तो उसे तो मजबूरन एक मर्द से शादी करना पड़ जाता! उसने प्रियंका को कॉल किया और उसे थैंक्स कहा और साथ ही ये भी कहा कि अपने भैया के लिए कोई दूसरी लड़की देख लेने को क्यूंकि अब तो वो वहां कभी वापिस नहीं जाने वाला था। ज़ीशान वाज़ सो हैप्पी, अगले ही दिन उसने नौकरी ज्वाइन की।

दो महीने बाद एक दिन राजीव ने ज़ीशान को कॉल करके बताया कि वो अगले महीने शादी कर रहा है और उसे इनविटेशन भेज दिया। इस बात से ज़ीशान खां बहुत खुश हुआ और उसे बधाई दी। उसके बैंक का काम और क्लोजिंग बहुत अच्छा चल रहा था और अब राजीव की शादी में सिर्फ एक हफ्ता ही बाकी रह गया था। ज़ीशान अपनी नौकरी में बहुत खुश था और अपनी लाइफ में आगे बढ़ने लगा था। अब राजीव की शादी में सिर्फ एक हफ्ता बाकी रह गया था और ज़ीशान की चार दिनों की छुट्टी भी मंजूर कर दी गयी थी। दो दिन बाद से ज़ीशान की छुट्टियां शुरू होने वाली थी कि अचानक बैंक में कुछ लुटेरे घुस आये, बन्दूक की नोक पर उनसब ने बैंक का एक एक पैसा लूट लिया। एक लुटेरा जो ज़ीशान के बगल में खड़ा था वो नहीं जानता था कि ज़ीशान ने पुलिस को कॉल करके फ़ोन को छुपा दिया था। वो सब लुटेरे भागने को थे कि अचानक पुलिस जीप की साईरन की आवाज़ तो एक लुटेरे ने ज़ीशान को अपनी बन्दुक की नोक पर अपने गिरफ्त में ले लिया और उसके बहाने भागने में कामयाब रहे। उन लुटेरों ने डकैती का सारा सामान एक गोडाउन में छुपा दिया और ज़ीशान को अपने ढाई घंटों तक साथ ही रखा, उसके हाथ पैर बाँध दिए गए और उसे सिर्फ खाना दिया जाने लगा।

उसी रात अचानक किसी गुप्त सुचना के आधार पर पुलिस ने उस गोडाउन पर रेड किया और डकैती का सारा पैसा जप्त कर लिया। उनमें से एक भी लुटेरा बच नहीं सका और ज़ीशान को वहां से रिहा कर दिया गया। अगले दिन जब ज़ीशान बैंक पहुंचा तब उसे काम नहीं करने दिया गया और उसे एक दिन की छुट्टी पर भेज दिया गया। उसी रात उसके एक कलिग ने उसे बताया कि उन लुटेरों ने इस लूट का सारा इलज़ाम ज़ीशान को ही मास्टरमाइंड बताकर उसी के ऊपर थोप दिया गया। अब ज़ीशान की हालत बहुत खराब हो चुकी थी, उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो करे तो क्या करे, जाए तो कहाँ जाए। पुलिस किसी भी समय उसे गिरफ्तार करने, वहां आ जाने वाली थी तो ज़ीशान के पास एक ही ऑप्शन बचा था। और वो ऑप्शन था कि वो अपना रूप बदल ले और कहीं छिप जाए। अब ज़ीशान अपने घर को लौट नहीं सकता था, वो अपन अम्मी अब्बू के घर भी नहीं जा सकता था, जेब में पैसे भी नहीं थे। ज़ीशान ने अपना रूप बदल कर राजीव या किसी और मर्द में खुद को बदलने की कोशिश की लेकिन नाकाम रहा लेकिन जब उसने खुद को लड़की में बदलने की कोशिश की तो वो फिर से ज़ीनत में तब्दील हो गया। ज़ीनत बनकर रहना ज़ीशान के लिए आखिरी ऑप्शन रह गया था। ज़ीशान ने अपना फ़ोन वहीँ छोड़ दिया और साड़ी में अपना बैग उठाये सीधे स्टेशन को निकल गया। स्टेशन पर ज़ीशान ने करंट टिकट ली, ट्रैन आठ घंटे लेट थी। ज़ीनत बनने के बाद ज़ीशान वहीँ स्टेशन पर ट्रैन का वेट करने लगा।इंतज़ार करते करते कब दो घंटे निकल गए और ज़ीनत की आँख लग गयी। अचानक किसी ने उसका नाम पुकारा तो उसकी नींद खुली। ज़ीनत ने देखा, सामने रवि, प्रियंका और उसका पति विजेंद्र खड़े थे।

प्रियंका - हाय ज़ीनत, इतनी रात को तुम स्टेशन पर अकेली क्या कर रही हो?

ज़ीनत - वो मैं! मैं मुंबई जा रही हूँ!

प्रियंका - कमऑन ज़ीनत, आज राजीव की शादी है!

रवि - हाँ ज़ीनत, आज तो राजीव की शादी है और तुम ऐसे मुंबई नहीं जा सकती!

प्रियंका - हाँ ज़ीनत, भैया ठीक कह रहे हैं। चलो हमारे साथ, हम राजिव के घर ही तो जा रहे है।

ज़ीनत - अरे, नहीं यार! मुझे परसो से नयी नौकरी को ज्वाइन करनी है।

प्रियंका - तुम हमारे साथ चल रही हो ज़ीनत! अब चलो भी ना!

ज़ीनत कुछ नहीं कर सकी क्यूंकि उसकी सच्चाई सिर्फ प्रियंका को पता थी और वो नहीं चाहती थी कि अब किसी को भी इस बारे में कुछ भी पता चले। प्रियंका, विजेंद्र और रवि के साथ ज़ीनत भी राजीव की शादी में पहुंची और प्रियंका की दोस्त के रूप में उसका इंट्रो राजीव से करवाया गया। राजीव की शादी में भी ज़ीशान को ज़ीनत बनकर रहना पड़ रहा था। राजीव की शादी के दौरान रवि को काफी समय मिला, ज़ीनत के साथ टाइम स्पेंड करने का। रवि हर वक़्त ज़ीनत के आस पास मंडराता रहा और उसे हर चीज़ ला कर देता, चाहे वो पानी हो, नास्ता हो या डिनर पार्टी हो। रवि ज़ीनत का बहुत ख्याल भी रख रहा था और ये भी ध्यान रख रहा था कि कोई आदमी उसके करीब आने की कोशिश ना करे।ज़ीनत को इसका एहसास हुआ कि क्यों ना वो रवि से शादी कर ले। इससे वो कानून से तो बच ही जायेगा और रवि उसका ख्याल भी रख लेगा। रही बात सेक्स की तो वो रवि को शादी के बाद अपने पास आने ही नहीं देगी तो सेक्स होगा नहीं। अपनी शर्तों पर अगर वो रवि से शादी करती है तो रवि उसकी बात जरूर मानेगा और आज नहीं तो कल फिर से सबकुछ ठीक हो सकता है।वैसे भी रवि की माँ उसे बहुत पसंद करती थी।

इन्ही ख्यालों में ज़ीनत घिरी थी और इधर धूमधड़ाके और बैंड बाजे के साथ राजीव की बारात उसकी होने वाली दुल्हन के घर पहुंची। वहां राजीव और उसके परिवार के स्वागत के साथ ही प्रियंका, रवि, विजेंद्र और ज़ीनत का भी स्वागत किया गया। पहले जयमाला और फिर राजीव और उसकी होने वाली दुल्हन को मंडप पर ले जाया गया और दोनों की शादी का प्रोग्राम शुरू हो गया। इधर मौका पाकर प्रियंका ज़ीनत से बात करने बैठ गयी।

प्रियंका - ये सब क्या है ज़ीशान, तुम ज़ीनत बन कर कहाँ जा रहे थे?

ज़ीनत - वो मैं मुंबई जा रहा था, नई नौकरी की तलाश में!

प्रियंका - लेकिन ऐसे क्यों जा रहे थे, ज़ीशान बन के भी तो जा सकते थे? आखिर तुम ज़ीनत बनकर वहां क्यों जा रहे थे?

ज़ीनत - क्यूंकि, मेरे पास दूसरा कोई ऑप्शन बचा नहीं है।

प्रियंका - ऐसा क्या हो गया?

ज़ीनत - जिस बैंक में मैं काम करता था, वहां परसो लूट की घटना हुई थी। वहां से धरे गए लुटेरों ने मुझे भी फंसा दिया है और अब मुझे इस जगह से निकलना मेरी मज़बूरी बन गया है।

प्रियंका - फिर मुंबई क्यों जा रहे हो? रवि भैया के साथ बिहार चले जाओ, उनसे शादी कर लो और आई एम् श्योर कि मेरे भैया की पत्नी बनकर तुम बहुत खुश रहोगे!

ज़ीनत - लेकिन! मुझे शादी नहीं करनी तुम्हारे भैया से! हद करती हो, ये शरीर लड़कियों वाला है यार, मैं एक मर्द हूँ, ज़ीशान नाम है मेरा! कैसी दोस्त हो यार तुम प्रियंका, मुझसे अपने भैया की शादी करवाने पर ऐसे तुली हो जैसे कि तुम्हारे भैया को लड़की नहीं मिल रही!

प्रियंका – हद है, तुम खूबसूरत हो, मेरे भैया हैन्डसम हैं, तुमदोनों की इतनी अच्छी जोड़ी है, शादी करलो मेरे भैया से, भाभी बन जाओ मेरी! देखो, अब तुम ज़ीशान बनकर कहीं नौकरी तो कर नहीं सकते, हाँ, भैया से शादी के बाद, उनकी कंपनी की मालकिन जरूर बन सकती हो! उसके बाद राज करना, कंपनी पर और मेरे भैया पर भी!

ज़ीनत – नहीं प्रियंका, मुझे मेरे हाल पर छोड़ दो! मैं नहीं करने वाली तुम्हारे भैया से शादी!

प्रियंका – सोच लो ज़ीनत!

ज़ीनत – सोच लिया है, मैं कोई न कोई रास्ता निकाल लूँगी कि मुझे क्या करना है।

प्रियंका – ठीक है ज़ीनत, आज तुम मेरा दिल तोड़ रही हो! याद रखना, बहुत गलत कर रही हो तुम मेरे साथ!

ज़ीनत – सॉरी, अड्वान्स मे, तुम्हारे और तुम्हारे भैया के लिए!

प्रियंका – मी टू! आई एम टू सॉरी फॉर यू ज़ीनत! क्यूंकी मैं तुम्हारी सच्चाई दुनिया के सामने लाने जा रही हूँ!

ज़ीनत – दिमाग खराब हो गया है तुम्हारा! ब्लैक्मैल कर रही हो!

प्रियंका – यही समझ लो ज़ीनत!

ज़ीनत – डॉन्ट डू दिस प्लीज!

प्रियंका – तो फिर बन जाओ मेरी भाभी! आई स्वेर तुम्हारा ये सीक्रिट हमेशा हमेशा के लिए मेरे पास सेफ रहेगा!

ज़ीनत – यार तुम्हारे भैया इतने बड़े हैं!

प्रियंका – हाँ, और तुम उतनी ही छोटी सी, प्यारी सी! जोड़ी कितनी प्यारी लगती है तुमदोनों की!

ज़ीनत – ठीक है, लेकिन इसके लिए तुम्हारे भैया से मुझे कुछ बात करनी होगी!

प्रियंका – हाँ हाँ! जरूर, मेरे भैया की होने वाली दुल्हन हो तुम, बात तो करना जरूरी है।

ज़ीनत – लेकिन! ये सही नहीं रहेगा!  

प्रियंका - लेकिन वेकिन कुछ भी नहीं! तुम मेरे भैया से शादी कर रही हो ज़ीनत और ये फाइनल है। मैं माँ को अभी कॉल करके बोल देती हूँ कि तुमने रवि भैया से शादी के लिए हाँ कर दिया है।

ज़ीनत - नहीं, रुको प्रियंका!

लेकिन प्रियंका अब कहाँ रुकने वाली थी, उसने अपनी माँ को कॉल किया और उनसे कह दिया कि ज़ीनत शादी के लिए मान गयी है। ये सब जो कुछ भी हो रहा था, उसे जानकार ज़ीशान की हार्टबीट इतनी तेज़ हो गयी, डर और शर्म से उसका बुरा हाल हुआ जा रहा था। ज़ीशान रवि से शादी के ख्याल भर से ही थरथरा उठा, उसे समझ नहीं आ रहा था कि अब वो करे भी तो क्या करे! इधर शादी का प्रोग्राम भी ख़त्म होने के कगार पर था, राजीव अपनी नयी नवेली दुल्हन को विदा करवाकर अपने घर ले आया और साथ ही प्रियंका, उसका पति विजेंद्र, रवि और ज़ीनत भी उसके साथ आ गए। मौका पाकर प्रियंका ने रवि और ज़ीनत को शादी की बात करने कमरे में बिठा दी और खुद अपने पति के साथ घूमने निकल गयी।

रवि - प्रियंका बता रही थी, तुम शादी के लिए मान गयी हो ज़ीनत?

ज़ीनत - हां! लेकिन मेरी कुछ शर्तें हैं।

रवि - कैसी शर्तें?

ज़ीनत - देखिये, शादी के बाद मैं अपना कुछ करना चाहती हूँ! सक्सेसफुल होना चाहती हूँ, नौकरी या बिज़नेस करना चाहती हूँ और शादी के बाद मैं जबतक आपसे फिजिकल होने के लिए ना कहूं, तबतक आप मुझसे फिजिकल नहीं होंगे! मतलब, नो सेक्स, नो प्रेग्नेंसी, नो बच्चा, जब तक मैं इसके लिए राज़ी ना हो जाऊं!

रवि - तुम सक्सेसफुल और इंडिपेंडेंट वुमन बनना चाहती हो, ये तो ठीक है ज़ीनत, लेकिन शादी के बाद हमारे बीच प्यार, रोमांस और सेक्स के ऊपर मैं टर्म्स एक्सेप्ट नहीं करूँगा।

ज़ीनत - रवि जी, जो बात है, वो मैंने आपसे कह दिया, आप देख लो!

रवि - ठीक है, मैं सोच कर बताऊंगा!

फिर रवि वहां से उठकर कमरे से बाहर चला गया और शाम में जब प्रियंका अपने पति के साथ घूम कर वापिस आयी तब रवि ने उसे पूरी बात बता दी। प्रियंका ज़ीनत के कमरे में गयी जहाँ वो गहरी नींद में सो रही थी। प्रियंका ने उसे नींद से जगाया और उसे नाराज़गी भरी नज़रों से देखने लगी।

ज़ीनत - ऐसे क्यों देख रही हो प्रियंका?

प्रियंका - देख रही हूँ कि तुम अपने पैर पर कैसे कुल्हाड़ी मार रही हो ज़ीनत!

ज़ीनत - व्हाट डू यू मीन?

प्रियंका - आई मीन, तुम चुपचाप इस शादी के लिए मानने वाली तो हो नहीं, तो क्यों ना मैं एक काम करती हूँ, पुलिस को तुम्हारा इनफार्मेशन दे देती हूँ और जब वो तुम्हें गिरफ्तार करके अपने साथ ले जाएँगे, तब मत कहना मुझे बचा लो!

ज़ीनत - हद है प्रियंका, यार मेरा इतना भी राइट नहीं! मैं अपने टर्म्स पर शादी करुँगी!

प्रियंका - राइट है, लेकिन अगर तुम दोनों के बीच फिजिकल नहीं होगा तो शादी क्यों करेंगे मेरे भैया तुमसे? ऐसे टर्म्स का क्या करोगी, तुम एक नयी लाइफ शुरू करने जा रही हो ज़ीनत, जहाँ तुम्हारी एक नयी आइडेंटिटी होगी। भैया तो तुम्हारे जॉब या बिज़नेस में हाथ बटाने के लिए भी तो रेडी हैं, इतना तो कर ही सकती हो तुम!

ज़ीनत - यार मुझे डर लगता है!

प्रियंका - हाहाहाहा, सब लडकियां ऐसे ही डरती हैं, इट्स नार्मल! अब फालतू का डिस्कशन बंद करो और कल की टिकट्स हो चुकी हैं, हम बिहार जा रहे हैं!

ज़ीनत के पास कोई दूसरा ऑप्शन नहीं था, अम्मी अब्बू के पास जा नहीं सकती थी वो, अपनी पुरानी लाइफ में एंटर नहीं कर सकती थी। ज़ीनत ने भी मान लिया कि अब ज़ीशान को मरना होगा और ज़ीनत को उसकी जगह लेनी होगी। अगले दिन के ट्रैन से प्रियंका, विजेंद्र और रवि के साथ ज़ीनत भी बिहार आ गयी। बिहार आने के साथ ही प्रियंका अपने पति के साथ अपने घर चली गयी और ज़ीनत को रवि की माँ ने अपने साथ रहने को राज़ी कर लिया। रवि की माँ बहुत खुश थीं, आखिरकार ज़ीनत उनकी बहु बनने को तैयार जो हो गयी थी। एक दिन रवि की माँ ने गौर किया कि ज़ीनत ने नाक और कान नहीं छिदवाये हैं तो वो उसे मार्केटिंग के बहाने अपने साथ शोप्पिंग करवाने ले गयीं। साड़ी की दूकान पर रवि की माँ ने ज़ीनत को साड़ी पसंद करने को बोलीं तो उसने एक ऑरेंज और एक लाल बनारसी साड़ी को पसंद किया। रवि की माँ बहुत खुश हुईं, उन्होंने ज़ीनत को अलग अलग रंगों के पांच बनारसी साड़ी खरीद दीं। उसके बाद वो ज़ीनत को अपने साथ ब्यूटी पारलर में ले गयीं और ब्यूटीशियन से उसके नाक और कान छेद देने को बोलीं। ये सुनकर ज़ीनत का होश ही उड़ गया, नाक और कान छिदवाना पड़ेगा। ज़ीनत ने रवि की माँ को देखा और उन्होंने मुस्कुराते हुए उसके सर पर हाथ फेरने लगीं। फिर ब्यूटीशियन ने ज़ीनत ने के दोनों कानों पर पियर्सिंग गन से छेद कर दिया और फिर नाक में राइट साइड छेद कर दिया। छिदे हुए नाक और कान में कॉपर का पिन पहना कर रवि की माँ ज़ीनत को अपने साथ घर ले आयी। दर्द से ज़ीनत का बुरा हाल हो रहा था, लेकिन ऑइंटमेंट लगाने के बाद उसे रिलीफ मिला। जब ज़ीनत आईने के सामने गयी और खुद को देखा और इमोशनल हो गयी और रोने लगी, अपने नसीब को कोसने लगी। एक दिन पंडित जी को घर पर बुलाया गया और रवि और ज़ीनत की शादी का डेट फाइनल किया गया। एक हफ्ते बाद ही हल्दी, मेहँदी, संगीत, शादी के दिन भी ठीक कर लिया गया। प्रियंका अपने ससुराल से मायके आ गयी और ज़ीनत के साथ एक नजदीक में ही फ्लैट लेकर वहीँ शिफ्ट हो गयी जहाँ से शादी के बाद ज़ीनत की डोली उठनी थी। जब प्रियंका ने ज़ीनत के छिदे नाक और कान को देखा तो बहुत खुश हुई और बहुत सी ज्वेलरी लेकर आ गयी। प्रियंका कभी ज़ीनत के कानों में झुमकियां पहनाती, कभी बालियां पहनाती, कभी नाक में नथिया पहनाती, कभी सोने की लौंग पहनाती, कभी गले में नौलखा हार पहनाती तो कभी पैरों में पायल पहनाकर चलकर दिखाने को कहती। प्रियंका ज़ीनत के लिए तरह तरह की डिज़ाइनर लहँगा चोली, साड़ियां, बैकलेस ब्लौसेज़, पेटीकोट, ब्रा और पैंटी भी लेकर आयी थी और हर रोज़ कभी लहँगा पहना देती तो कभी साड़ी में तैयार कर देती और ज़ीनत को इसकी ट्रेनिंग भी देने लगी थी। ताकि शादी के बाद वो खुद से साड़ी में तैयार हो सके। ये सब बहुत ह्युमिलिएटिंग था ज़ीनत के लिए, मर्द से औरत बनकर एक मर्द से शादी का ख्याल ही उसे इतना डराने लगा था कि कभी कभी नींद में उसे डर के मारे नाईट फॉल की शिकायत होने लगी। इसके डर से ज़ीनत ने स्टेफ्री पहनना शुरु कर दिया लेकिन डर मन से निकलने का नाम ही नहीं ले रहा था। ज़ीनत की शादी की तरियारियाँ जोरो शोरो से चल रही थी और एक एक दिन ज़ीनत के लिए दरवारना सपने जैसा बीत रहा था। पोर्न मूवीज तो बहुत देखे थे ज़ीनत और वो ये भी जानती थी कि कैसे एक मर्द एक लड़की के साथ पेश आता है सुहागरात में। ये सबकुछ इतना जल्दी जल्दी हो रहा था कि ज़ीनत को ऐसा फील हो रहा था कि ये सब कोई डरावना सपना है। लेकिन ये एक सच्चाई थी कि ज़ीशान से ज़ीनत बनने के बाद उसे एक मर्द की दुल्हन बनाये जाने की तयारी की जा रही थी जो कि लगभग पूरी हो चुकी थी।

आज हल्दी और मेहंदी के साथ संगीत का प्रोग्राम भी था। इसीलिए प्रियंका की काफी सारी सहेलियां भी वहाँ आ चुकी थीं और सभी ज़ीनत को अपने साथ हॉल मे ले गईं और मेहंदी उबटन लगाने को सबके बीच बिठा दी। ज़ीनत ने सिर्फ एक टोवेल लपेट रखा था और लड़कियां उसके सॉफ्ट बॉडी पर उबटन लगाने लगीं और तरह तरह की बातें करके उसे छेड़ने भी लगीं थीं। ज़ीनत को बहुत अजीब लग रहा था, महज कुछ हफ़्तों पहले तक वो एक इंडिपेंडेंट मर्द था और बैंक में काम करता था। और आज ज़ीनत एक औरत है और उसे एक मर्द ब्याह कर अपने साथ ले जाने वाला था और इस बात से ज़ीनत खुद को कोस रही थी। हल्दी और मेहंदी के दौरान प्रियंका और उसकी सहेलियां संगीत का प्रोग्राम भी करने लगीं और ज़ीनत को भी खूब नचाया गया। डांस मे तो ज़ीनत का कोई जवाब नहीं था, लड़कियों की तरह डांस करना तो नहीं आता था, लेकिन उसने कोशिश की। सबने ज़ीनत के डांस की खूब तारीफ की और वो सबके सामने ब्लश करने लगी। ज़ीनत का तन तो एक लड़की का हो चूका था लेकिन उसकी रूह अभी भी ज़ीशान खां की थी जो ये सच मानने को कतई तैयार नहीं था कि अब उसे पूरी जिंदगी एक हाउसवाइफ बनकर गुज़ारनी है। ज़ीनत के हाथों मे कलाइयों तक और पैरों मे घुटनों तक बहुत ही खूबसूरत मेहंदी अप्लाइ की गई।ज़ीनत के हथेली की मेहंदी के बीचोंबीच उसके होने वाले पति रवि का नाम भी लिख दिया गया था। ज़ीनत बहुत इमोशनल हो गयी थी, बार बार वो अपने हाथों में मेहँदी को देखती, एक मर्द का नाम उसकी हाथों की मेहँदी के बीचोबीच था, जो उसका होने वाला पति था और बहुत रात हो चुकी थी। ज़ीनत रह रह बहुत रो रही थी, सच्चाई का सामना करना ज़ीनत के लिए बहुत डिफिकल्ट था। ज़ीनत को यकीन नहीं हो रहा था कि उसकी शादी होने जा रही है वो भी एक मर्द के साथ और उसके पेरेंट्स को इस बारे में कुछ भी पता नहीं था।

कभी सपने में भी जो नहीं सोचा था ज़ीशान ने वो होने जा रहा था। कहाँ तो ज़ीशान प्रियंका को अपनी दुल्हन बनाना चाहता था और आज वो खुद प्रियंका के बड़े भाई की दुल्हन बनने जा रहा था। रवि उसके साथ सुहागरात में क्या क्या करेगा प्रियंका बार बार उसे याद दिला कर और भी कमज़ोर कर रही थी। प्रियंका की सहेलियां भी कम नहीं थी, सब के सब निर्लज थीं और ज़ीनत को लगातार सुहागरात की बात कर के तो कभी हनीमून डेस्टिनेशन के बारे में पूछ कर लगातार छेड़े जा रही थीं और इतने ह्युमिलिएशन के कारण आखिर में ज़ीनत रो पड़ी, लेकिन तब उसके कमरे में कोई भी नहीं था। ज़ीनत उस रात बहुत रोई, बार बार अपनी मेहँदी को देखकर रोती, कभी अपने छिदे कान और नाक को देखकर रोती, कभी सुहागरात में जो होगा उसके ख़याल भर से रोने लगती। ज़ीनत को बहुत वीकनेस भी होने लगा था और वो लगातार इस डर को काबू करने की कोशिश कर रही थी।   

शादी वाले दिन,

फिर प्रियंका ने ज़ीनत के माथे पर मांगटीका सजाया, फिर दो बड़े बड़े झुमके कानों में पहनाए। फिर गले मे एक नौलखा हार, एक सोने का हार, दोनो हाथों में पांच रिंग्स वाला सोने का ब्रेसलेट पहनाया, फिर कलाई में सोने के 2 बड़े हैवी कंगन, बाहों पर बाजूबंद पहनाया। फिर कमर में कमरबंद, पैरों में हैवी पायल और नाक में एक बड़ी सी नथिया पहनाया जो इतना बड़ा था कि ज़ीनत का आधा चेहरा उसी से ढंक गया। ज़ीनत को ये नथिया बहुत चुभ रहा था और उसने प्रियंका से कई बार नथिया उतारने को भी कहा, लेकिन प्रियंका ने समझाया कि ये नथिया उसकी माँ ने भिजवाए हैं, यानि उसके ससुराल वालों के तरफ से आया है, वो कुछ नही कर सकती। आंसू को रोकने की काफी कोशिश करने के बावजूद ज़ीनत की आंखों से आंसू निकल गया।

प्रियंका - नही ज़ीनत, रो मत। तुम्हारे आंसुओं से तुम्हारा मेकअप खराब हो जाएगा। 

ज़ीनत को तैयार करने के साथ ही धूम धड़ाके की आवाज़ सुनकर प्रियंका ज़ीनत से बोली -  लो ज़ीनत आ गयी बारात।

ज़ीनत इन धूम धड़ाके की आवाज़ सुनकर अंदर से कांपने लगा। वो कभी नही चाहता था कि उसकी शादी एक मर्द से हो, लेकिन उसका ये डरावना सपना अब सच होने जा रहा था। जो लड़की ज़ीनत की दुल्हन बनने वाली थी, वही लड़की ज़ीनत को दुल्हन की तरह सजाने में ब्यूटीशियन की मदद कर रही थी, उसे किसी मर्द की दुल्हन बनने के लिए तैयार कर रही थी। ज़ीनत प्रियंका के बड़े भी की होने वाली दुल्हन तो थी ही लेकिन उसके साथ ही अब वो प्रियंका की होने वाली भाभी भी थी। थोड़े देर में ही प्रियंका की मौसी और उसकी सहेलियाँ वहां आ गयी और ज़ीनत को स्टेज पर ले जाने को बोल कर वहां से चली गयी। धीमे धीमे कदमों से स्टेज की तरफ बढ़ते हुए ज़ीनत की दिल की धड़कन भी बढ़ते ही जा रही थी। अपने दोनों हाथों से अपना लहँगा उठाये, चूड़ियों और जवैलरीज़ की खनक और अपने हर कदम के साथ बाउंस करते हुए बूब्स ज़ीनत को डरने को मजबूर कर रहे थे। नाक में बड़ा डिज़ाइनर नथिया भी बार बार ज़ीनत के लाल होंठों से टकरा रहा था। धीरे धीरे ज़ीनत स्टेज पर पहुंचा जहां रवि यानी कि ज़ीनत का होने वाला दूल्हा पहले से ही स्टेज पर मौजूद था। उसके साथ उसके दोस्त और उसके परिवार के सदस्य खड़े थे। ज़ीनत ने अपने आस पास देखा तो प्रियंका, राजीव और प्रियंका की सहेलियाँ और कॉलेज के दोस्त खड़े थे। 

रवि की हाइट काफी अच्छी थी और 4 इंच की जगह 5 इंच वाला सैंडल्स पहनने के बावजूद ज़ीनत रवि की छाती तक ही पहुच पा रहा था। जयमाला शुरू हुआ। पहले प्रियंका ने ज़ीनत को एक थाली देकर कहा कि वो रवि की आरती उतारे। ज़ीनत ने रवि की आरती उतारी। फिर रवि  ने ज़ीनत को फूलों का हार पहनाया, फिर ज़ीनत ने रवि को फूलों का हार पहनाना चाहा, लेकिन एक तो ऊंची हाइट और रवि झुकने को राजी नही हो रहा था। फिर प्रियंका के दोस्तों ने ज़ीनत को कंधे पर उठा लिया, फिर ज़ीनत ने रवि को फूलों का हार पहनाया। सभी हसने लगे और तालियों की गड़गड़ाहट से हॉल गूंज उठा। 

सभी रवि और ज़ीनत को शादी की शुभकामनाएं देने लगे। मेहमान आते, रवि और ज़ीनत को बधाई देते और रवि से कहते कि वो खुशनसीब है जो उसे इतनी सुंदर दुल्हन मिली है। रवि उन्हें थैंक्स बोलता और गिफ्ट्स ज़ीनत को देता जाता। फ़िर आधे से ज्यादा मेहमान के जाने के बाद शादी के लिए रवि और उसकी नई नवेली दुल्हन ज़ीनत को मंडप पर ले जाया गया। मंडप पर रवि ने ज़ीनत के मांग में सिंदूर भरा, नाक से नथिया उतार कर उससे भी भारीभरकम नथिया उसके नाक में खुद से पहनाया, गले मे मंगलसूत्र पहनाया, अग्नि के सात फेरे लिए और कुछ मंत्रोचारण के बाद शादी सम्पन्न हुआ। सभी ने रवि को यशश्वी होने का और ज़ीनत को सदा सौभाग्यवती और सुहागिन रहने का आशीर्वाद दिया।

पंडित जी बोले - अब आप दोनों पति पत्नी हैं, और आज से हर कदम पर आपको साथ चलना है, हमारा आशीर्वाद हमेशा आप दोनों के साथ है। अब आप दोनों, बड़े बुजुर्गों से आशीर्वाद लें और अपने नए वैवाहिक जीवन की शुरुआत करें। ज़ीनत और रवि ने सभी बड़े बुजुर्गों से आशीर्वाद लिया उसके बाद विदाई का समय कब आ गया इसका पता भी नही चला। विदाई के दर्द भरे गानों से सभी का दिल भर आया था।

"बाबुल की दुआएं लेती जा, जा तुझ को सुखी सन्सार मिले, मैके की कभी न याद आए, ससुराल में इतना प्यार मिले" जैसे इमोशनल कर देने वाले गानों को सुनकर ज़ीनत भी इमोशनल हो गई और अपने अम्मी अब्बू को मिस करके रोने लगी। प्रियंका ने ज़ीनत को समझाया कि उसके अम्मी अब्बू तो यहाँ नहीं आ सकते, लेकिन शादी के बाद वो रवि के साथ उनसे मिलने जरूर जा सकती है। इसपर ज़ीनत ने प्रियंका को घूरते हुए बोली कि वो ऐसे एक मर्द के साथ उसकी पत्नी बनकर अपने अम्मी अब्बू के सामने नहीं जा सकती। फिर प्रियंका उसे बोली कि ठीक है तो रोना बंद करो, मूवऑन करो और अपने पति के साथ खुश रहो और अपना मैरीड लाइफ इन्जॉय करो। प्रियंका की बात सुनकर ज़ीनत को बहुत एमबरेसमेंट फ़ील हुआ और थोड़े देर बाद रवि कर मे बैठ गया और ज़ीनत को फूलों से सजी डोली मे बीठा दिया गया। कहाड़ों ने डोली को उठाया और ज़ीनत अपने दोनों पैरों और अपने दोनों हाथों से फोल्ड करके घूँघट मे बैठी कभी अपने मंगलसूत्र को देखती, कभी अपने मांग मे भरे सिंदूर को तो कभी अपने नाक मे पहनाए नथिया को और हर बार उसे बहुत शर्म आता। ये क्या से क्या हो गया, कभी ज़ीशान खां नाम का मर्द अब ज़ीनत बन चूका है, जिसे ब्याह कर एक मर्द अपने घर ले जा रहा था। ज़ीनत बनने बाद आज ज़ीशान दुल्हन बन चूका था और उसकी पूरी जिंदगी हमेशा हमेशा के लिए बदल चुकी थी। ज़ीनत अब रवि की दुल्हन बन चुकी थी और उसे डोली में बिठा कर ससुराल ले जाया जा रहा था। एक मर्द की नए नवेली दुल्हन होने का एहसास ज़ीनत को कमज़ोर कर रहा था। ज़ीनत समझ नहीं पा रही थी कि आखिर उसके साथ ये सब कैसे हो गया। थोड़ी देर में डोली रवि के घर पहुंची और डोली तक रवि की माँ यानी ज़ीनत की सास आरती की थाल लेकर आ गयीं और उसकी आरती उतारकर उसे रवि के साथ गृह प्रवेश के लिए ले गयीं। रवि के साथ ज़ीनत को दुल्हन के रूप में गृह प्रवेश करवाकर उसे उसके कमरे में ले जाया गया और उसे रेस्ट करने को कहकर सभी लडकियां कमरे से बाहर चली गयीं। थोड़ी देर बाद कमरे में प्रियंका आ गयी और उसने ज़ीनत को अपने हाथों से नाश्ता करवाया।

प्रियंका - क्या हुआ ज़ीनत, तुम अभी भी रो रही हो?

ज़ीनत - नहीं प्रियंका, मैं बस!

प्रियंका - देखो ज़ीनत, अब तुम ज़ीशान खां तो रहे नहीं! अब तुम ज़ीनत बन चुकी हो, मेरे भैया तुम्हे ब्याहकर इस घर में लेकर आये हैं। अब तुम इस घर की बहु हो, मेरे भैया की दुल्हन हो, खुद को मेंटली तैयार कर लो क्यूंकि मेरे भैया तुम्हारे साथ सुहागरात मनाये बिना नहीं रहेंगे!

ज़ीनत - ऐसे मत डराओ प्रियंका, ऐसी भी क्या जल्दी है सुहागरात की? शादी तो कर ली ना तुम्हारे भैया से, अब ये सब क्या जरुरी है?

प्रियंका - आर यू नर्वस? हाउ क्यूट!

ज़ीनत - इट्स नॉट क्यूट प्रियंका! मेरा जिस्म औरत वाला है लेकिन मन से आज भी मैं ज़ीशान खां हूँ!

प्रियंका - हाहाहा, तुम चिंता मत करो ज़ीनत, भैया आज की रात तुम्हे तन और मन दोनों से औरत बना देंगे।

ज़ीनत - प्लीज प्रियंका! मुझे बहुत डर लग रहा है!

प्रियंका - हाहाहा, सभी दुल्हनों को ऐसे ही डर लगता है, सुहागरात वाली रात में। कल तक सब ठीक हो जाएगा, अब मैं जाती हूँ। थोड़ी देर में ब्यूटीशियन आएगी और तुम्हे साड़ी में रेडी कर देगी।

ज़ीनत - ऐसे मत जाओ छोड़कर प्रियंका!

प्रियंका - मैं घर में ही हूँ ज़ीनत भाभी!

प्रियंका के मुँह से भाभी सुनकर ज़ीनत को बहुत शर्म आने लगा और वो सिर झुका कर बैठ गयी और सोचने लगी कि ये सब क्या से क्या हो गया।

थोड़ी देर बाद कमरे में ब्यूटीशियन आयी जिसका नाम था रिया। रिया ने ज़ीनत को बड़े से आईने के सामने बिठाया। पहले मेकअप ठीक किया, फिर वो डिज़ाइनर नथिया को उतार कर उससे भी बड़ा तीसरा डिज़ाइनर नथिया पहना दिया। एक ही दिन में एक के बाद एक बड़ा, हैवी और डिज़ाइनर नथिया, वो भी इतना बड़ा जो ज़ीनत ने जिंदगी में पहले कभी नही देखा था। वो नथिया काफी डिज़ाइनर तो था ही लेकिन साथ ही बहुत हैवी भी था और उसकी वजह से ज़ीनत का नाक भी दर्द देने लगा। फिर रिया ने ज़ीनत को बनारसी सिल्क साड़ी पहनाई, हेयर स्टाइल ठीक किया और उसे साड़ी की आँचल से घूँघट कर के फूलों से सजे बिस्तर पर बीचोबीच बिठा दिया। फिर थोड़ी देर में प्रियंका कमरे में आयी और उसने ज़ीनत को साड़ी में देखा तो बहुत खुश हो गयी। उसने रिया को कुछ पैसे दिए और रिया कमरे से बाहर चली गयी। फिर ज़ीनत को सुहागरात के लिए गुडलक विश किया और केसर-दूध का ग्लास टेबल पर रख दिया।

प्रियंका - भाभी, अगर दूध काम पड़ जाए तो अपना दूध पीला देना भैया को, वैसे भी तुम्हारे बूब्स तो इतने बड़े बड़े हैं!

ज़ीनत को यकीन नहीं हो रहा था कि प्रियंका उसे ऐसे छेड़ रही थी। प्रियंका हँसते हुए कमरे से बाहर चली गयी लेकिन ज़ीनत की धड़कन बहुत तेज़ हो गयी थी। आखिरकार वो रात आ ही गयी थी जिसका डर उसे सता रहा था। एक मर्द के साथ सुहागरात मनाने का ख्याल, ज़ीनत को इतना डरा दिया था कि उसका पूरा बढ़ाना थरथरा रहा था। ज़ीनत का दिल बहुत जोरों से धड़क रहा था, सांसें भी तेज़ चलने लगी थी, आँखें शर्म से घूँघट के बाहर देखने की हिम्मत नहीं कर पा रही थी और बदन की कंपकंपी रोके नहीं रुक रही थी। ज़ीनत तो अपने पति रवि के इंतज़ार में अपनी साँसों को कंट्रोल करने की कोशिश करती तो कभी अपनी धड़कनो की स्पीड कम करने को कोशिश करती। लेकिन ज़ीनत का ना तो उसके धड़कनो पर कोई कण्ट्रोल था और ना ही बदन की कंपकंपी पर। ज़ीनत घूँघट में बैठी, अपने कशमकश के साथ अपने पति रवि के इंतज़ार में कब नींद के आगोश में समा गयी, इसकी खबर ना तो ज़ीनत को थी और ना उसके चिकने बदन के ऊपर से फिसलती बनारसी सिल्क साड़ी को। ज़ीनत के जिस्म से वो बनारसी सिल्क साड़ी फिसल चुकी थी, चोली से बूब्स का उभर साफ़ झलकने लगी और हर सांस और धड़कन के साथ वे बूब्स ऊपर नीचे हो रहे थे।

जब रवि कमरे में आया तो देखा ज़ीनत सो चुकी थी। ज़ीनत के मदहोश कर देने वाले जिस्म को देखकर खुद को ज़ीनत के जिस्म को छूने से रोक नहीं सका। एक स्पर्श, वो भी एक मर्द का स्पर्श महसूस होते ही ज़ीनत की आँखें खुल गयी। ज़ीनत ने बिना समय गँवाय अपना घूँघट ठीक किया, बिस्तर से उतर कर अपने पति रवि के पैरों को छूकर अपने पति का आशीर्वाद लेने को झुकी और तबतक झुकी रही जबतक रवि ने उसे ऊपर नहीं उठाया। रवि ने ज़ीनत के कन्धों को पकड़ा और उसे ऊपर उठाया। ज़ीनत की आँखें अभी भी झुकी थी, घूँघट में सिर झुकाये वो अपने दूल्हे के सामने हाथ में केसर वाला दूध का लिए खड़ी थी। फिर रवि ने ज़ीनत की ठुड्डी को ऊपर उठाया और उसके हाथों से दूध का गिलास पकड़कर एक ही घूंट में पूरा दूध पी गया। फिर ज़ीनत ने दूध का गिलास टेबल पर रखा और जैसे ही मुड़ी, रवि ने ज़ीनत को बाहों मे ले लिया। ज़ीनत रवि के इस ऐक्ट से शर्माने लगी और अपनी आँखें झुकाकर इधर उधर देखने लगी। एक मर्द की बाहों में उसकी दुल्हन बनना और उसे अपने हाथों से दूध पिलाना, ये सब किसी डरावने सपने जैसा था ज़ीनत के लिए। उसके अंदर ज़ीशान की रूह थी जो रो रहा था। रवि ने एक बार फिर से ज़ीनत की ठुड्डी को ऊपर उठाया और उसकी आँखों में देखने लगा तो ज़ीनत ने अपनी आँखें बंद कर ली।

रवि बोला - ज़ीशान!

अपना नाम सुनकर ज़ीनत ने आँखें खोली और उसे समझ नहीं आ रहा था कि आखिर रवि उसका नाम कैसे जानता है।

रवि बोला - हाँ ज़ीशान, मैं जानता हूँ कि तुम कौन हो? तुम ज़ीशान खां हो और ये बात मुझे प्रियंका ने सालों पहले ही बता दी थी।

ज़ीनत बोली - तो ये सच जानने के बाद भी आपने मुझसे शादी क्यों की?

रवि बोला - क्यूंकि शुरू से मैं गे था। मुझे लड़के पसंद थे और मैं लड़कियों में इंटरेस्ट नहीं लेता था। लेकिन जब तुम मेरी लाइफ में आयी, मेरे साथ नालंदा घूमने गयी थी, तब पहली बार मेरे अंदर तुम्हारे लिए फीलिंग्स जागने लगी थी।

ज़ीनत - तो इसीलिए आपने मुझसे शादी की?

रवि - हाँ मेरी रानी, मैं हमेशा से ऐसी ही दुल्हन चाहता था जो औरत भी हो और अंदर से मर्द भी।

ज़ीनत - यानी आपको ट्रांसजेंडर्स पसंद थे, लेकिन मैं ही क्यों?

रवि - क्यूंकि जब प्रियंका ने बताया कि तुम मुसीबत में हो तब मुझसे सहन नहीं हुआ। मैं तुम्हे कभी दुखी नहीं देख सकता और तभी तो मैंने तुमसे शादी की। ये दखो, मैं तुम्हारे लिए गिफ्ट लेकर आया हूँ।

फिर रवि ने ज़ीनत के हाथों में एक गिफ्ट का बॉक्स रख दिया और जब ज़ीनत ने उस गिफ्ट को खोलकर देखा तो उसमे ब्राइडल लॉन्जरी थी और एक बड़ी से सोने की नथिया भी थी।  

ज़ीनत - इतना बड़ा नथिया?

रवि - हाँ मेरी रानी, ये नथिया मैं सुबह में तुम्हारी नाक में अपने हाथों से डालूंगा। तुम नहीं जानती संजू, कितनी सुन्दर दिख रही हो मेरी दुल्हन बनकर। ये तुमने बहुत अच्छा किया, मर्द से औरत बन गई और मैं तुम्हें ब्याह कर घर ले आया। आई एम सो हैप्पी, तुमसे खूबसूरत दुल्हन मुझे शायद ही कभी मिल सकती थी लेकिन थैंक्स टू प्रियंका, आज तुम मेरी दुल्हन बन गई। आई लव यू स्वीट हार्ट एण्ड आई एम गोइंग टू मेक लव होल नाइट!

ज़ीनत - ऐसे कैसे बोल रहे हैं आप!

ज़ीनत रवि की बातें सुनकर शरम से पानी पानी हुई जा रही थी।   

रवि के मुँह से आई लव यू सुनते ही ज़ीनत की हार्टबीट बढ़ गयी, वो इधर उधर देखकर शर्माने लगी। फिर रवि ने ज़ीनत को अपनी बाहों में उठा लिया और उसके होंठों पर अपने होंठ रखकर एक प्यारा सा किस कर लिया। ज़ीनत की सांसें कमज़ोर हो गयी, उसकी साँसों में रवि की गर्म सांसें घुलने लगी और वो कमज़ोर पड़ने लगी। रवि ने ज़ीनत को बड़े प्यार से ज़ीनत को बिस्तर पर लिटाया और उसके होंठों को अपने होंठों के गिरफ्त में ले कर उसके साथ रोमांस करने लगा। अब रवि की दुल्हन भी धीरे धीरे गरम होने लगी थी और उसके मुँह सेआआअहह..निकल रही थी। कुछ देर ऐसे ही करने के बाद रवि ने धीरे से ज़ीनत के मांसल जांघों को अपने मजबूत हाथों से सहलाना शुरू किया, तो वो काँप उठी और उसका पूरा जिस्म थरथराने लगा। अब रवि ने ज़ीनत के गाल और गले पर किस करते करते उसके लिप टू लिप किस करना शुरू किया। नाक में बड़ा सा नथिया ज़ीनत और रवि के किस में रुकावट तो बन रहा था और ज़ीनत के नाक में दर्द भी हो रहा था, लेकिन रवि ने यह कहकर नथिया नही उतारा कि वो नथिया ज़ीनत के सुंदर से मुखरे पर चार चांद लगा रहा है। ज़ीनत ने सोचा था कि सबसे पहले रवि उसका नथिया उतार देगा, लेकिन रवि तो एक पल के लिए भी अपनी दुल्हन को बगैर नथिया के नही देखना चाहता।

ज़ीनत भी धीरे धीरे अब तक गरम होने लग गई थी और ना चाहते हुए भी वो रवि का साथ भी निभा रही थी। ज़ीनत को अपनी दुल्हन बनाने के बाद रवि और ज़ीनत का पहला लिप किस था जो कि इतना पैशनेट था कि ज़ीनत की आँखों से आंसू निकलने लगी और उसका नाक और कान गर्म हो कर लाल हो गया। एक मर्द के साँसों की गर्मी और उसकी मर्दानगी की सुगंध अब ज़ीनत के साँसों में घुलने लगी थी और मदहोशी ज़ीनत के दिलों दिमाग पर छाने लगा था। ज़ीनत मन ही मन ये सोच रही थी कि आखिर वो लड़का से लड़की बना ही क्यों। काश बैंक मे कभी डकैती ना हुआ होता, ना उसे अगवा किया गया होता और ना ही उसका नाम इस केस मे शामिल करके उसे बदनाम किया गया होता तो शायद ऐसा कुछ ना होता और ना तो उसे आज एक मर्द उसे ब्याहकर इस घर मे ले कर आता, ना ही उसके साथ सुहागरात मना रहा होता बल्कि आज वो अपनी गर्लफ्रेंड के साथ वो अपनी रिया के साथ सुहागरात मना रहा होता। लेकिन नियति में उसे अपने पहचान को छोड़ने और औरत बनने और उसी मर्द की दुल्हन बनना ही लिखा था, जो प्रियंका का बड़ा भाई था। ज़ीनत के मन मे बैठा उसका मर्द रूप ज़ीशान इसे स्वीकार करने को तैयार नही हो रहा था। इसी बीच रवि ने ज़ीनत को अनड्रेस करना शुरू कर दिया, पहले तो रवि ने ज़ीनत की चोली की डोरी खोल दी तो ज़ीनत ने आगे की ओर से अपना चोली कस कर पकड़ लिया। लेकिन फिर रवि ने उस चोली को बड़े ही आहिस्ते से उसके जिस्म से अलग कर दिया। फिर रवि ने ज़ीनत की साड़ी को उसके जिस्म से अलग कर दिया और उसका पेटीकोट भी उतार दिया और ज़ीनत के सामने बैठ गया। ज़ीनत रवि यानी कि उसके दूल्हे के सामने सिर्फ गहनों मे थी, जिस्म पर ब्राइडल ब्रा और पैंटी के अलावे कुछ भी नहीं रह गया था और इस वजह से ज़ीनत इस वक्त बहुत शरमा रही थी और अपने दोनों उरोजों को अपने हाथों से ढकने का प्रयास कर रही थी। रवि ने ज़ीनत से अलग हो कर अपने कपड़े भी उतार दिए थे और सिर्फ़ अंडरवियर में आ गया था। अंडरवियर में से रवि का 7 इंच लंबा और 2 इंच मोटा लंड फरफ़रा रहा था।

रवि ने बहुत ही आइस्ते से ज़ीनत के हाथों को उसके बूब्स पर से हटाया, फिर उसके ब्रैस्ट को अपने होंठों से उसके निप्लस को चूसने लगा। फिर वो अपने होंठ से ज़ीनत के होंठों पर टिका कर लिप-किस करना शुरू कर दिया, साथ ही एक हाथ से उसके दोनों बूब्स और निप्लस को भी सहलाना शुरू कर दियाजैसे ही रवि ने ज़ीनत के बूब्स को हाथ लगाया, ज़ीनत फिर से सिहर उठी और रवि से जोर से गले से लग गई (ये क्या किया ज़ीशान तुमने, एक मर्द की छाती पर सिर रख कर उसकी बाहों में खुद को कैसे समर्पित कर सकते हो तुम। ये सब उस वक़्त ज़ीनत के मन मे चल रहा था)

ज़ीनत ने खुद को अपने पति की बाहों में समर्पित कर दिया था और रवि ने भी उसे अपनी नंगी छाती से चिपका लिया। रवि और ज़ीनत दोनों के तन की गर्मी ने एक दूसरे को प्यार का अहसास करना शुरू कर दिया था। दस मिनट तक रवि ज़ीनत के सॉफ्ट रसीले होंठों को चूमता रहा और इसी बीच रवि ने धीरे से ज़ीनत के निप्पल्स को अपने होंठों से चूसने लगा था। अब ज़ीनत सिर्फ़ पेंटी में रह गई थी, साथ ही उसके बूब्स जो भले ही ज्यादा बड़ी नहीं रही हो, लेकिन ज़ीनत के जिस्म पर वो भी क़यामत लग रहे थे। इस वक्त रवि को ज़ीनत मस्त माल जैसा आइटम लग रही थी। अब रवि ने ज़ीनत को बेड पर चित लिटा दिया और उसके ऊपर चढ़ कर उसके बदन को चूमने लगा, रवि ज़ीनत को ऊपर से नीचे तक किस करने लगा और उसके जिस्म को जीभ से चाटने लगा। ज़ीनत भी इतना गरम हो गई थी कि जैसे ही रवि के होंठ उसकी वजाइना को चूमता, ज़ीनत अकड़ जाती। ज़ीनत के जिस्म पर किस करने के बाद रवि ने उसे गले से लगा लिया।

इधर रवि का लंड उसके अंडरवियर को फाड़ कर बाहर आने को बेताब हो रहा था। रवि ने ज़ीनत को बेड पर उल्टा लेटने को कहा और धीरे से उसकी कमर को सहलाना शुरू किया। रवि ने ज़ीनत के ऊपर हो कर उसके हाथों को पूरा टाइट करके पकड़ा हुआ था, क्योंकि रवि के किस करते ही ज़ीनत पलट कर सीधा होने की कोशिश कर रही थी। ज़ीनत के कमर को किस करने के बहाने रवि ने अपना लंड उसकी गांड पर टिका दिया और उसे कमर के ऊपर किस करता रहा। इस वक्त रवि एक हाथ से साइड से ज़ीनत के बूब्स को भी सहलाए जा रहा था।(ज़ीनत को यकीन नहीं हो रहा था, की एक आदमी उसके साथ सुहागरात मना रहा था और एक आज्ञाकारी और सुशील पत्नी की तरह ज़ीनत चुपचाप से अपने पति रवि की हर बात को मान भी रही थी।)

कुछ मिनट तक ज़ीनत के जिस्म को बड़े ही पैशनेट तरीके से प्यार और किस करने के बाद, रवि ने उसकी पैंटी को छुआ तो पैंटी गीली हो रही थी। रवि ने पैंटी के ऊपर से ही उसकी वजाइना को सहलाना शुरू किया तो ज़ीनत पलट कर सीधा हो गई। रवि ने देर ना करते हुए उसे सहलाना चालू रखा और ज़ीनत की पैंटी के अन्दर हाथ डाल दिया। जैसे ही रवि के हाथ ने ज़ीनत की वजाइना को छुआ, उसने रवि का हाथ पकड़ना चाहा, पर रवि ने ज़ीनत का हाथ हटा दिया।

जैसे जैसे रवि ज़ीनत की वजाइना को सहला रहा था तो वो जोर जोर से सिसकियां लेने लगी और जोर जोर से अम्मी, आह्ह, ओह्ह, आआअहह.. आआआहह..कर रही थी। ज़ीनत की सीत्कारों की आवाज़ कमरे में गूँज रही थीं। इधर रवि के लंड का हाल बेहाल हो रहा था, लेकिन रवि बिल्कुल भी जल्दबाजी नहीं करना चाहता था। रवि ने धीरे से ज़ीनत का हाथ पकड़ा और अपने अंडरवियर के अन्दर अपने लंड पर रख दिया। लंड को छूते ही उसने अपना हाथ तेज़ी से बाहर निकाल लिया। इतने में रवि ने ज़ीनत की पैंटी उतार दी और उसे पूरा नंगा कर दिया। रवि ने ज़ीनत का नाज़ुक हाथ अपने लंड पर रखा और उसकी वजाइना में उंगली कर दी। जैसे ही उंगली थोड़ी सी अन्दर गई, ज़ीनत आआआ.. ओह्ह, अहह..नो, अम्मीकरके कराह उठा और उसने ज़ीनत का हाथ पकड़ लिया। रवि ने ज़ीनत को लिप टू लिप किस किया और उसे हाथ से अपना लंड पकड़ने को कहा। ज़ीनत ने रवि का लंड पकड़ तो लिया, लेकिन उस लंड की लंबाई और मोटाई देखकर उसके होश उड़ गए। फिर रवि के कहने पर ज़ीनत ने काफी देर तक उसे शेक किया।

आखिर कर भी क्या सकती थी, रवि उसका पति था और उसके साथ सुहागरात मनाना उसका हक था और फिर जब रवि ने अचानक ज़ीनत के होंठों पर अपना लंड रख दिया और कहा - ज़ीनत रानी, ये लंड तुम्हारे प्यार का प्यासा है, इसे किस करो।

ज़ीनत चौंक गई और उसने डरते हुए कहा - ये तो बहुत बड़ा है!

रवि - इसे प्यार करो मेरी जान, तुम्हे बहुत अच्छा लगेगा!

ऐसे सिचुएशन में ज़ीनत के पास अपने पति की बातों को मानने के सिवा कोई और रास्ता नही था। रवि का लंड ज़ीनत के रसीले होंठों पर था और उसका स्मेल ज़ीनत की साँसों में घुल रही थी। ज़ीनत ने ना चाहते हुए भी रवि के लंड को जैसे ही किस किया, वो और बड़ा और टाइट हो गया। जैसे जैसे ज़ीनत रवि के लंड को किस करती वो और भी बड़ा और मोटा होता जाता। फिर अचानक रवि ने ज़ीनत के होंठों के बीच अपना लंड रख दिया और उसे ज़ीनत के मुह में घुसाने की कोशिश करने लगा।

ज़ीनत - ये क्या कर रहे हैं आप, किस करने तक तो ठीक था लेकिन, मुह में क्यों घुसा रहे है! 

"चटाक", एक थप्पड़ ज़ीनत के गाल पर पड़ा और ज़ीनत रोने लगी।

रवि - ज़ीनत, ये मत भूलो कि मैं तुम्हारा पति हूँ, मैं जो बोलू, चुपचाप करो, समझी तुम!

वो थप्पड़ ज़ीनत के गाल पर पड़ने के साथ ही उसकी रूह पर भी पड़ा था। उसे रवि से ये उम्मीद नही थी कि उसका पति उसे सुहागरात में थप्पड़ मारेगा।

रवि - अब रोना बन्द करो और इस लंड को चूसना शुरू करो!

ज़ीनत एक थप्पड़ से इतना डर गई थी कि उसने बिना एक पल गवाए ही रवि के लंड को अपने मुह में ले लिया और उसे चूसना शुरू कर दिया। (ये क्या कर रहे हो ज़ीनत, क्या यही सोचा था तुमने कि बड़े होकर एक मर्द से शादी करो, उसकी दुल्हन बनो और उसका लंड अपने मुह में लो।) लेकिन आँखों मे आँसू लिए ज़ीनत चुपचाप अपने पति को ब्लोजॉब का मजा दे रही थी। अपने पति का लंड मुह मे लेकर ब्लोजॉब देते वक़्त ज़ीनत बहुत ही ज्यादा शर्मिदगी महसूस कर रही थी। काफी देर तक ज़ीनत के मुह में अपना लंड डाल कर करीब अगले 15 मिनट्स तक ब्लो जॉब देने के बाद रवि का वीर्य निकल गया। ज़ीनत ने अपनी पूरी जिंदगी में पहली बार, ना चाहते हुए भी अपने पति का वीर्य को टेस्ट किया और ये काफी अजीब और शर्मशार कर देने वाला क्षण था उसके लिए। फिर उसे रवि ने पी जाने को कहा तो ज़ीनत को यकीन नहीं हुआ, लेकिन अपने पति से ना कहने की हिम्मत नहीं थी ज़ीनत में और ना चाहते हुए भी अपने पति का वीर्य को निगलना पड़ा। ज़ीनत कभी गे नहीं थी, लेकिन आज उसे गे जैसी फीलिंग आ रही थी, एक मर्द उसे अपने इशारों पर नचा रहा था और उसकी बात मानने के सिवा ज़ीनत के पास कोई दूसरा रास्ता नहीं था। 

रवि - टेस्ट कैसा लगा मेरी ज़ीनत रानी!

ज़ीनत कुछ भी बोल नही सकी और शर्म से सर झुकाये घुटनों पर बैठी रही। फिर रवि ने ज़ीनत को बिस्तर पर लिटाया और उसकी वजाइना पर अपना लंड रखकर सहलाने लगा। ज़ीनत के अंदर अब इतना हिम्मत नहीं बचा था, कि वो अपने पति को उसके वजाइना में अपना लंड डालने से रोक सके। ज़ीनत का डर इतना ज्यादा होने लगा कि उसकी  शरीर मे थरथराहट होने लगी। ज़ीनत की आँखों से आंसू नहीं रुक रहे थे, लेकिन रवि पर ज़ीनत के आंसुओं का कोई प्रभाव नहीं पड़ रहा था और वो नही रुका। रवि ने ज़ीनत के होंठों पर अपने होंठ रखे और उसे स्मूच करने लगा और हौले से उसने अपने लंड को ज़ीनत के वजाइना में डाल दिया। ज़ीनत को ऐसा महसूस हुआ जैसे उसके अंदर किसी ने गर्म लोहे का रॉड डाल दिया हो, और वो रोने लगी।

ज़ीनत (दर्द में कराहते हुए) - आआहह, अम्मी, आआआह, आह्ह, महह, प्लीज्, प्लीज्, प्लीज्, मुझे बहुत दर्द हो रहा है, प्लीज बाहर निकाल लीजिए ना!"

रवि - अभी तो मैंने शुरू भी नही किया है मेरी रानी! अभी तो मेरा आधा लंड बाहर ही है, थोड़ा दर्द बर्दाश्त कर लो ज़ीनत रानी, धीरे धीरे अच्छा लगने लगेगा!

रवि को ज़ीनत के दर्द से कोई लेना देना नही था, वो बस अपनी हवस शांत करने की फिराक में था। बिना समय गंवाए रवि ने ज़ीनत को जोर जोर से चोदना शुरू कर दिया। ज़ीनत के मुह से आआहह, ऊहह, नो, प्लीज्, प्लीज्, प्लीज् रुक जाओ, आआहह की आवाज़ और आंखों से आंसू बहने लगा। ज़ीनत और जोर जोर से आआ.. आहह उहह ऊऊहह..ओह गॉड, ओह्ह माई गॉड, प्लीज्, आआररहहकी आवाज कर रही थी। उसे बातों में लगा कर जैसे ही रवि ने थोड़ा से दबाव लगा कर लंड अन्दर डाला, तो समूचा लंड उसकी वजाइना के अंदर समा गया और का लंड का टोपा वजाइना के अन्दर के दीवार से टकरा गया। रवि के एक ही स्ट्रोक से ज़ीनत की झिल्ली फैट गयी और उससे थोड़ा सा ब्लड भी निकल गया। ज़ीनत का दर्द से बुरा हाल हो चुका था, एक मर्द का लंड अब उसके अंदर समा चुका था और रवि अपने लंड को निकालने को राज़ी भी नहीं था। 

ज़ीनत दर्द से चीख उठी - आआआ.. उम्म्हअहहहयम्मी, ओहउईईई.. मर गई, प्लीज्, प्लीज्, प्लीज्, प्लीज्, रुक जाइये, प्लीज् ना, प्लीज्, आअह्ह्ह्हह, ओह्ह्ह्हह, गॉड, नो, प्लीज्, प्लीज्, प्लीज्, आइइइइइ, आह्ह्ह्ह। 

ज़ीनत की सांसें बहुत तेज हो चुकी थी और वो अपने सर को इधर उधर करने लगी और जोर जोर से सिसकियाँ लेने लगी। ज़ीनत को अब एहसास हो रहा था कि वो अब एक औरत बन चुकी थी। थोड़ी देर रवि ऐसे ही रुका रहा और ज़ीनत के सर को सहलाया, उसे प्यार किया और तसल्ली दी। फिर कुछ देर बाद धीरे से थोड़ा सा लंड और अन्दर किया, तो ज़ीनत फिर से दर्द से आआअहह उहह ओहूऊ.. करने लगी और रवि को पीछे धकेलने की नाकाम कोशिश करने लगी।

ज़ीनत दर्द से तड़प कर कहने लगी - आआआह, अल्लाह, आह, बहुत दर्द हो रहा है.. प्लीज़ बाहर निकाल लो ना, आह्ह, बहुत दर्द हो रहा है!

पर रवि अपनी नई नवेली दुल्हन ज़ीनत की कोई बात नहीं सुनना चाहता था। 2 मिनट ऐसे ही रहने के बाद रवि ने धीरे धीरे धक्के लगाने शुरू किए तो उसे कुछ आराम मिला। पर ज़ीनत आआ.. आआहह आह उऊहह.. करती ही रही। ज़ीनत दर्द से बेचैन होकर बेड की चादर की भी खींच रही थीयही कुछ 10 मिनट तक जबरदस्ती स्ट्रोक्स लगाने के बाद ही जैसे ही रवि ने अपना स्पर्म डिस्चार्ज किया, ठीक उसी व्यक्त ज़ीनत को भी उसकी लाइफ का पहला ओर्गास्म फील हुआ। रवि थोड़ी देर के लिए रुक गया और ज़ीनत अपनी आँखें बंद करके उस ओर्गास्म के चरमसुख को फील करने लगा। ये पहली बार का ओर्गास्म था जिसने ज़ीनत के अंदर की औरत को जगा दिया था और अपने पति की बाहों में ज़ीनत बड़े ही सुकून से लेटी रही। आधे घंटे तक दोनों लम्बी लम्बी सांसें लेते रहे और एक पल के लिए भी एक दूसरे से अलग नहीं हुए। ज़ीनत ने सोचा कि करवट बदल कर सो जाये, लेकिन तभी रवि ने ज़ीनत को घोड़ी बनने को कहा। 

ज़ीनत - मेरे अंदर और हिम्मत नहीं है, प्लीज्!

रवि ने ज़ीनत को आँख दिखाया, ज़ीनत चुपचाप घोड़ी का पोजीशन बनाकर अपनी गांड ऊपर को ऊपर उठाया और रवि ने उसकी कमर को अपने दोनों हाथों से जकड कर अपना लंड ज़ीनत की वजाइना पर टिका दिया।   रवि ने ज़ीनत को प्यार से सहलाया और थोड़ा जोर से एक धक्का दे मारा और रवि का लंड फिर से ज़ीनत की वजाइना में समा गया। 

ज़ीनत - आइइइइइइ, अल्लाह, नहीं, नहीं, ओह्ह, अम्मी, नहीं नहीं प्लीज्! प्लीज! मुझे जलन हो रही है, रुक जाइये ना प्लीज्!

रवि ने ज़ीनत की एक नहीं सुनी, उसके बालों को लगाम बनाकर ज़ीनत को अपने लंड की सवारी करवाने लगा।

ज़ीनत अभी दर्द और जलन बर्दाश्त करने की कोशिश में ही थी कि इतने में रवि ने एक और तेज स्ट्रोक्स लगाया और पूरा लंड ज़ीनत की वजाइना में घुसा दिया। ज़ीनत दर्द से तड़प रही थी और छूटने का प्रयास कर रही थी। रवि ज़ीनत को पीछे से चोदने लगा और उसे बड़े ही प्यार से पीठ पर तो कभी कमर पर तो कभो जाँघों पर तो कभी गांड पर किस करने लगा। ज़ीनत की एक्साइटमेंट बढ़ने लगी थी, उसका जलन अब कम होने लगा था और उसे एह्सास हो रहा था कि अब उसे एक बार फिर से ओर्गास्म हो जायेगा। वो तो बस आह.. आहह...प्लीज्, प्लीज्, ओह्ह माई गॉड, प्लीज्, ओह्ह.कर रही थी और पीछे से पुरे जोश में चोदे जा रहा था। ज़ीनत की आँहें निकल रही थी, जो सुनकर रवि और भी ज्यादा एक्साइटेड हुआ जा रहा था। अगले बिस मिनट्स के हार्डकोर सेशन के बाद, जब रवि ने ज़ीनत की वजाइना में अपना स्पर्म डिस्चार्ज किया, तभी ज़ीनत को दूसरी बार फिर से ओर्गास्म हो गया। ओर्गास्म के साथ ही ज़ीनत थरथराते हुए बिस्तर पर बेसुध होकर उसी पोजीशन में लेट गई और रवि उसके ऊपर लेट गया। ज़ीनत को नहीं पता चला कि कब वो गहरी नींद की आगोश में समा गई और रवि ज़ीनत को रात भर अपनी बाहों में जकड़े रखा और उसकी वजाइना से एक पल के लिए भी अपना लंड बाहर नहीं निकाला। अगली सुबह जब ज़ीनत की नींद खुली तो उसने देखा कि वो अभी भी अपने पति के बाहों मे थी और उसकी वजाइना मे अभी भी रवि का लंड ऐसे समाया हुआ था मानो वो फिर से सेक्स करना चाहता हो। दीवार पर टंगी घड़ी मे सुबह के सात बज रहे हैं और रवि अभी भी लंबी लंबी सांसें ले रहा है।

ज़ीनत - सुनिए ना! सुबह हो गई है!

ज़ीनत की मीठी आवाज सुनकर रवि नींद से जागा और जागते ही उसने ज़ीनत के होंठों को स्मूच करने लगा।

ज़ीनत - सुनिए ना! आप प्लीज अपना लंड बाहर निकाल लीजिए! आज ससुराल मे मेरा पहला दिन है, काफी देर हो रही है, माँ जी क्या कहेंगी, वो नाराज हो जाएंगी।

रवि ज़ीनत से अलग होने के बिलकुल भी मूड में नहीं था, लेकिन आज ज़ीनत का ससुराल में पहला दिन था और सच में काफी देर हो चुकी थी। ज़ीनत को तैयार होने में समय भी लगने वाला था क्यूंकि उसे पता भी नहीं था कि उसे क्या पहनना है, क्या नहीं! ज़ीनत फ्रेश होने गई और जब वो शावर के नीचे बैठी तो अपनी हालत आईने में देखकर रोने लगी। ज़ीनत को बहुत दुःख हो रहा था, एक मर्द की पत्नी बनने के साथ ही उसका पति उसके साथ सुहागरात भी मना चूका था। ज़ीनत के दिलोंदिमाग में रवि के लंड का स्मेल समा चूका था। अपने पति का वीर्य पीने के बाद इतनी शर्मिंदगी ज़ीनत को हो रही थी कि वो शावर के नीचे बैठ कर काफी टाइम तक रोती रही। नहाने के बाद, ज़ीनत छाती पर से टॉवल लपेटकर वापिस आया तब रवि कमरे में नहीं था, बिस्तर से बेडशीट गायब थी और बिस्तर नयी बेडशीट थी। बिस्तर पर ज़ीनत के लिए लाल बनारसी साड़ी, गहने और विक्टोरिया सीक्रेट्स वाली ब्रा और पैंटी भी रखी थी। ज़ीनत ने कमरे का दरवाज़ा अंदर से लॉक किया और आधे घंटे बाद ज़ीनत लाल साड़ी में तैया थी, डीप क्लीविज ब्लाउज से ज़ीनत के ब्रेस्टस का ऊपरी हिस्सा साफ़ साफ़ झलक रहा था। गले में रवि के नाम का मंगलसूत्र, मांग में रवि के नाम का सिन्दूर, पैरों में पायल, पैरों की उंगलियों मे रवि ने नाम के चांदी के बिछुए और नाक में बड़ी वाली सोने की नथिया, माथे पर सोने का मांगटीका, कानों में बड़ी बड़ी झुमकियाँ, गले में नौलखा हार के बाद घूँघट करके अभी ज़ीनत बिस्तर के कॉर्नर पर बैठा ही था कि प्रियंका उसे लेने कमरे में आ गयीं।  

प्रियंका – ज़ीनत भाभी, कैसी रही सुहागरात? भैया ने ज्यादा परेशान तो नहीं किया ना रात मे।

ज़ीनत – प्रियंका, ये सब क्या है? तुमने उनको मेरे बारे मे सबकुछ क्यूँ बता दिया और ऐसे क्यूँ पूछ रही हो?

प्रियंका – हाहाहा, क्यूँ, बुरा लग रहा है? अब तुम ज़ीशान तो रहे नहीं, अब तो तुम मेरे भैया की दुल्हन बन चुकी हो। पता है ना, भैया तुम्हें ब्याहकर इस घर मे लाए हैं और अब तुम मेरी ज़ीनत भाभी हो, मेरी जान!

ज़ीनत – ऐसे मत बोलो प्रियंका, मुझे रोना आ रहा है। ये क्या से क्या हो गया, मैं मर्द थी, तुम्हारी दोस्त थी ना, तुम्हारे साथ कॉलेज मे पढ़ाई की और गर्लफ्रेंड भी बनाई लेकिन ऐसा क्यूँ हुआ मेरे साथ कि मुझे एक मर्द से शादी करना पड़ा, वो भी तुम्हारे भैया से और देखो आज मैं तुम्हारी भाभी बनी बैठी हूँ। कैसा नसीब है मेरा! यार, काश मेरे बैंक मे वो डकैती ना हुई होती तो आज ना तो तुम्हारे भैया ब्याह कर अपनी दुल्हन बना पाते और ना ही आज मैं उस लड़की की भाभी होती, जिससे मैं कभी शादी करना चाहती थी।

प्रियंका – हाहाहा, लेकिन अब कर भी क्या सकते हैं, भैया के साथ सुहागरात तो मना ही चुकी हो, अब तुम मर्द नहीं रही, औरत बन चुकी हो भाभी, इसे जितना जल्दी एक्सेप्ट कर लो, उतना खुश रहोगी। भूल जाओ अपने अतीत को और अपने प्रेजेंट को एक्सेप्ट करो, समझी तुम! वैसे बहुत अच्छा नसीब है तुम्हारा ज़ीनत भाभी, जो मेरे भैया तुम्हें ब्याहकर इस घर मे ले आए!

ज़ीनत – लेकिन मेरे अम्मी अब्बू का क्या?

प्रियंका – भूल जाओ उन्हे और अपने पास्ट को भी। अब तुम मेरे भैया की दुल्हन बन चुकी हो और मेरी ज़ीनत भाभी भी और मैं तो बहुत खुश हूँ। अब हम हमेशा हमेशा के लिए साथ हो गए। तुम चाहते थे ना कि तुम्हारा रिश्ता इस घर से जुड़े! देखो, इस घर के दामाद नहीं बन सके, लेकिन इस घर की बहुरानी तो बन गई ना! चलो बातों मे इतना टाइम वेस्ट कर दिया, आज तुम्हारी मुहदिखाई की रस्में होनी है। अभी मैं तुम्हें हॉल मे ले जा रही हूँ, सबसे पहले तुम मम्मी पापा के पैरों को छूकर उनसे आशीर्वाद लेना, फिर रवि भैया के पैर भी छूना और उनसे भी आशीर्वाद लेना। उसके बाद जितनी भी लडीज़ तुम्हारा घूँघट उठाएँगी और तुम्हें मुहदिखाई का नेग देंगी, उन्हे भी प्रणाम करना, समझी?

ज़ीनत – ये सब जरूरी है?

प्रियंका – ज़ीनत भाभी, इसे कल्चर कहते हैं! अब तुम मुस्लिम नहीं रही, हिन्दू हो, हिन्दू घर की बहुरानी हो और ये सब तो करना ही पड़ेगा!

 

 

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