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Riya D'souza

मैं अपने बड़े समाज के लोगों के साथ कोजागिरी की रात मनाता था, जिसे शरद पूर्णिमा भी कहते हैं। मेरे लिए कोजागिरी की रात किसी मेले से कम नहीं थी, क्यूंकि हमारे शहर के बीचोबीच एक बहुत बड़े मैदान में इसका आयोजन हर साल होता और इस मेले में बहुत सी सुहागिन महिलाएं अपने अपने पतियों और बाल बच्चों के साथ एन्जॉय करने आते। कोजागिरी की रात कुंवारी लडकियां भी आती, जिनकी शादी होने वाली होती और घर के बड़े लड़के के लिए भी ये रात उतनी ही इम्पोर्टेन्ट थी, क्यूंकि इसका बहुत महत्ता थी। इस दिन रात में मां लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण के लिए निकलती हैं और कहते हैं कि दिवाली के अलावा साल में मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए यह तिथि बहुत महत्वपूर्ण मानी गई है। मान्यता है कोजागरी पूर्णिमा की रात जो घर में साफ-सफाई कर मां लक्ष्मी की विधिवत उपासना करता है, देवी उस पर अपनी विशेष कृपा बरसाती हैं और जीवन में उसे कभी धन, सुख-समृद्धि की कमी नहीं होती। लेकिन इस साल मेरी नई सोसायटी में मेरी पहली कोजागिरी की रात थी, जिसमें सभी नए परिवार थे। मेरे शहर में लगभग 400 से ज्यादा फ्लैट हैं और इस साल कोजागिरी का उत्सव भी बहुत खास होने वाला था मेरे लिए क्योंकि मैं इस साल कोजागिरी की रात को अपनी प्यारी पत्नी के साथ मनाने जा रहा था। इसलिए मेरी प्यारी पत्नी और मैं दोनों बहुत उत्साहित हैं। मैं अपने ऑफिस के काम में घंटों से व्यस्त था, इसलिए मैं रात की तैयारी में ज्यादा योगदान नहीं दे रहा था।


एक शाम जब मैं खाना खा रहा था तो मेरी पत्नी ने मुझे बताया कि हमारी सोसाइटी कोजागिरी की रात को सेलिब्रेट करने के लिए बहुत उत्साहित है और डांस, कॉमेडी पालय, रास लीलाएं और स्टेज परफॉरमेंस भी होने हैं।

मैंने कहा, "मम्म्म्म बहुत अच्छा।"

लेकिन मैं अपनी मूडी मॉर्निंग ऑफिस प्रेजेंटेशन के बारे में सोच रहा था और अचानक मेरी प्यारी पत्नी ने मुझसे कहा,  "मैं चाहती हूँ कि इस साल फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए!"

मैंने कहा, "वाह!  सही है!"

मीना बोली, "आप सुन भी रहे हैं, मैं क्या बोल रही हूँ?"

मैंने कहा, "हाँ डार्लिंग! तुम इस साल फैंसी ड्रेस कम्पटीशन में भाग लेना चाहती हो यही ना?"

मीना बोली, "नहीं! मैंने अपनी सहेलियों से शर्त लगाई है कि आप भी इस कम्पटीशन में पार्टिसिपेट करोगे और मैं आपको इसके लिए मना सकती हूँ।"

मैंने उसकी ओर देखा और कहा, "ठीक है मेरी जान! तुम्हारे लिए इतना नहीं कर सकता क्या!"

जैसा कि मैंने यह कहा मीना मुस्कुराई और मेरे गालों पर किस करने लगी।

 

फिर उसने मुझसे कहा, "वो क्या है ना! शर्त कुछ ऐसी लगी है कि तुम्हे मैं लड़की बनाकर कम्पटीशन में लेकर चलूंगी!"

मीना की बातें सुनकर मैं तो चौंक ही गया, मैंने कहा, "व्हाट फ़क! दिमाग खराब हो गया है तुम्हारा!"

फिर मैं जोर से चिल्लाया, "नहीं, बिल्कुल नहीं, बिल्कुल नहीं! मैं 400 परिवारों की महिलाओं के बीच लड़की बनकर नहीं जाने वाला! दिस इज़ इम्पॉसिबल!"

मीना बोली, "प्लीज समीर, मान भी जाओ ना! सिर्फ एक रात की ही तो बात है, मुझे यकीन है कि अगर मैं तुम्हे लड़की बनाकर अपने साथ ले गयी तो मैं शर्त जीत जाउंगी।"

फिर मैं सोने चला गया। लेकिन मेरे दिमाग में वह बात चलती रही, मुझे ऐसा लगा कि क्रॉसड्रेसिंग नहीं किए तो काफी साल हो गए। आखिरी बार 2 साल पहले क्रॉसड्रेसिंग की थी वो भी शादी से पहले। मेरी क्रॉसड्रेसिंग के बहुत से अनुभव में एक मेरी धड़कन बढ़ा देने वाला और मेरे रोंगटे खड़े कर देने वाला एक ऐसा भी एक्सपेरिंस था, जो आज तक मैंने किसी से शेयर नहीं की। बात उन दिनों की की थी जब मैं अपने सोलहवें साल की उम्र में क्रॉसड्रेसिंग को खूब एन्जॉय किया करता था। एक दिन जब मैं अकेले ही आउटिंग कर रहा था, तब एक आदमी मुझे गोवा में मिला। वो अनजान आदमी मेरे साथ के साथ सेल्फी लेने के लिए मेरे पीछे ही हो लिया। उस दिन तो मैं डर ही गयी थी, कोई अनजान 45 साल से ज्यादा उम्र का आदमी मेरे के दौरान मेरा पीछा कर रहा था। पहली बार क्रॉसड्रेसिंग आउटिंग अकेले कर रहा था मैं और इसके लिए मुझे बहुत हिम्मत जुटाना पड़ा था और ऐसे में मेरे प्रति कोई आदमी आकर्षित हो गया था। सुरक्षित रहने के लिए आपको हमेशा किसी के साथ बाहर जाना चाहिए, खासकर अगर आप स्त्री या क्रॉसड्रेस्सेर हो! लेकिन उस रोज़ मैं अकेले ही निकल गया था, साटन साड़ी में और वो आदमी अभी भी मेरे पीछे ही था। मैं उस साटन साड़ी में बहुत हॉट दिख रहा था। सिर पर शेड्स के साथ और अपने हाथ से पल्लू पकड़े हुए, मैं वास्तव में मासूम और सेक्सी लग दिख रहा था। मैं पास के भीड़भाड़ वाले पार्क में चला गया तो वो भी मेरे पीछे आ गया। अब मैं उस आदमी से बात कर सकता था कि आखिर ये आदमी है कौन और ये मेरा पीछा क्यों कर रहा है। तो मैं खड़ा होकर उसका इंतज़ार करने लगा। तभी अचानक वो आदमी मुझे गुस्से में लाल होता देखकर इधर उधर देखने लगा। वो आदमी चालीस पैंतालीस में, छह फुट लम्बा, पेट निकला हुआ और देखने में सांवला था। सर के बाल उड़े हुए और वो मेरे पास आकर मुझसे नज़रें मिलाने लगा।

?"मैंने उससे पूछा, "कौन हो तुम और तुम मेरा पीछा क्यों कर रहे हो

उसने कहा, "मैं तुम्हारा बहुत बड़ा फैन हूँ रिया। जब से तुम्हारी क्रॉसड्रेसिंग वाली तस्वीरों को देखा है, तब से तुमसे मिलने को मैं बहुत बेताब हुआ जा रहा था। आज जब मैंने तुम्हे देखा तो मैं खुद को आपसे मिलने से रोक नहीं सका, प्लीज् मुझे गलत मत समझना! मैंने अपनी लाइफ में तुमसा खूबसूरत क्रॉसड्रेस्सेर कभी नहीं देखा। जितने नज़ाकत से तुम फ्लॉन्ट करती हो, तुम्हारा होंठों पर लिपस्टिक लगाना हो या ब्लू लहँगा में यूँ परियों की तरह बलखाना, मुझे तुम्हारी दिल चुराने वाली अदाएं बहुत पसंद हैं। तुम्हारी फोटोज सच में कमाल की आती हैं लेकिन सामने से तो तुम कहीं ज्यादा खूबसूरत दिख रही हो रिया। "

मैंने कहा, "थैंक यू! अब मिल लिए हो तो निकल लो।"

उसने कहा, "मैं एक सेल्फी लेना चाहता हूँ तुम्हारे साथ, प्लीज् मना मत करना।"

एक मर्द मेरे होंठ चूस गया और मैं कुछ नहीं कर सका।  

इसका एहसास मुझे उस दिन हो गया था। अब तक मुझे लगता था कि सोशल मीडिया पर मेरे क्रॉसड्रेसिंग पिक्स सुरक्षित नहीं थे। मैंने इंटरनेट पर अपनी तस्वीरें खंगाली तो जहाँ तहाँ ऐसी वैसी गन्दी साइट्स पर भी मेरी तस्वीरें काफी वायरल हो चुकी थी। ये तस्वीरें मेरे पर्सनल लाइफ को बर्बाद करने के लिए काफी थी। मैंने उसी समय अपने ब्लॉग को वेबसाइट से हटा दिया और उस रात मैं बहुत रोया। मैंने दसों बार अपना चेहरे को फेसवाश से रगड़ रगड़ कर धोया और खुद को दुबारा क्रॉसड्रेसिंग न करने के लिए उसी दिन से मोटीवेट करने लगा। लेकिन लाख सेल्फ मोटिवेशन भी मुझे क्रॉस्डेस्सिंग करने से नहीं रोक पा रहा था। वैसे तो मैं अनजान आदमियों से बात भी नहीं करता था, लेकिन उसका यूँ रिक्वेस्ट करना मेरा मन भा गया। मैंने उसे हाँ किया तो वो मेरे पास आ गया और मेरी कमर में अपना रुखरा हाथ डालकर मेरे साथ कुछ फोटोज़ क्लीक की। उस आदमी का यूँ मेरे कमर में हाथ डालना मेरे पुरे शरीर में सिहरन पैदा कर रहा था। अब तो मैं शर्माने लगा था, पता नहीं क्या हो गया था कि मेरे बदन में अचानक से थरथराहट होने लगी थी। वो मेरे साथ सेल्फी ले रहा था, फिर उसने सल्फी लेनी बंद की और उसने मुझे देखा। मैं उससे नज़रें भी नहीं मिला पा रहा था, मेरे आज तक के क्रॉसड्रेसिंग के अनुभव में ये पहली बार हुआ था। फिर अचानक उसने मेरे चेहरे को अपने रुखरे हाथों से पकड़ा और मेरे होंठों को चूस लिया। फिर वो आदमी खुद को गर्वान्वित महसूस करता हुआ मुस्कुराने लगा और मुझसे थैंक्स कहा। फिर वो आदमी वहां से चला गया। आई वज लिटेरेली डम्ब स्ट्रक्क्ड़। मेरी आँखों में आंसू आ गए, आई वज इन डीप शॉक्ड, ये क्या था। ऐसे कैसे एक आदमी ने मेरे होंठ को चूस लिया और मैंने उसे ऐसे करने से क्यों नहीं रोका। मेरे अंतर्द्वंद की शुरआत ही यहीं से हुई थी और क्या इससे भी बुरा होना लिखा था, मेरी लाइफ में। बहुत देर तक मैं ऐसे खड़ा सोचता रहा कि आखिर ये मेरे साथ क्या हुआ और उस दिन मैंने ठान लिया कि आज के बाद कभी आउटिंग पर नहीं जाऊंगा। फिर मैंने अपनी साड़ी के आँचल से अपने आंसू पोछे और वहाँ से सीधे अपने होटल के रूम में आ गया। उस दिन जब जब मैं अपनी आँखें बंद करता, उस मोटे भद्दे सी शक्ल वाले आदमी का यूँ मेरे होंठो को चूसने का पूरा नज़ारा मेरे इर्द गिर्द घूमने लगता। उस रात मैं बहुत डर गया था, चाह कर भी मैं सो नहीं पा रहा था। जाने अनजाने मेरे साथ जो कुछ भी हुआ था, वो मेरे इमैजिनेशन से परे था और मैं कभी दुबारा गोवा नहीं आने वाला था, अकेले तो बिलकुल भी नहीं।

 सोशल मीडिया भी कितना नुक्सान करवा सकती है, एक क्रॉसड्रेसिंग ही तो थी जो मुझे खुद से रूबरू करवाता था कि कितना सुन्दर हूँ मैं। वो ख़ुशी मैं एक्सप्लेन तो नहीं कर सकता, लेकिन वो ख़ुशी मुझे मेरी आत्मा को संतुष्टि देती थी। साड़ी हो या लहँगा, मेरे हाव-भाव मन को लुभाने वाले होते थे, एक बड़ी सी मुस्कान के साथ मेरी तस्वीर कितनी आकर्षक हो जाती थी। मुझे अपनी आंखों का मेकअप करना सबसे ज्यादा पसंद था। जब मैं पहली बार कोल्लम गया था तो वहां मैंने अपने नाखून इसलिए बढ़ाए थे ताकि मैं अपने असली नाखूनों पर नेल पॉलिश लगा सकूँ। वो मेरा पहला आउटिंग एक्सपीरियंस था और जब मैं बाहर निकला तो मैं काफी खुश थी। चाहे वह साड़ी के पल्लू के साथ मुझे तस्वीर क्लिक करवानी हो, या उसके साइड पोज़ के साथ तस्वीर करवानी हो। उस समय मैं एक एक प्यारी प्रिंसेस जैसे फील कर रहा था और जब आप अपने पहनावे से खुश होते हैं, तो आपकी तस्वीरें भी बहुत अच्छी आती हैं! मैंने गोवा में काफी मॉडर्न ड्रेसेस पहनी थीं। साड़ी हो या मिनी स्कर्ट ड्रेस, मैं हर ड्रेस में खूबसूरत लगता था। जिस तरह से फोटो खिचवाने के लिए मैंने मिनीस्कर्ट में अपने हाथ-पैर क्रॉस किए थे, इस पोज को मुझे बहुत दिनों से ट्राय करने का मन कर रहा था। साड़ी में भी मैं अक्सर ये पोज़ देता था, तब की तो बात ही कुछ और थी।

खैर क्रॉसड्रेसिंग को मैं त्याग चूका था और मेरा कोई मूड नहीं था इसे दुबारा अपनाने का। मेरे क्रॉसड्रेसिंग की लत के कारन ही मेरी गर्लफ्रेंड मुझे हिजरा, छक्का, किन्नर और ना जाने क्या क्या बोलकर मुझसे ब्रेकअप कर ली थी। अब मैं दुबारा क्रॉसड्रेसिंग के बारे में तो सोचता भी नहीं। क्रॉसड्रेसिंग मेरी कमज़ोरी थी और मैं दुबारा इस कमज़ोरी को नहीं अपनाना चाहता। मैंने तो इतने सालों में कभी फिर कभी ना तो ही साड़ी ब्लाउज पहनी और ना ही कभी लहँगा चोली! मैं जिस चीज़ को भुला चूका था उसे दुबारा अपना कर खुद को कमज़ोर नहीं कर सकता था।

 

मेरा नाम समीर है, मेरी पत्नी का नाम मीना है। मेरी फॅमिली पुणे में रहती थी और मैं मुंबई में नौकरी करता था। मेरी प्यारी पत्नी बिहार से थी, लेकिन उसे हिमाचल की कुमाऊनी और किन्नौरी कल्चर और उत्तराखंड की गढ़वाली कल्चर में बहुत इंटरेस्ट था। लेकिन जब मैं क्रासड्रेसिंग में थी तो मेरा नाम रिया होता था! मुझे यह नाम बहुत पसंद आया क्योंकि मैं अभिनेत्री रिया सेन बहुत बड़ा फैन था। रिया को क्यूट अभिनेत्रियों की श्रेणी में रखा ही इसीलिए जाता है क्यूंकि उसकी आवाज़ इतनी मीठी है, स्माइल इतनी प्यारी है, और कम हाइट होने के बावजूद इतना मस्त फिगर कि कोई भी रिया सेन का दीवाना बन जाए, जैसे कि मैं बन गया था। रिया सेन मेरी इंस्पिरेशन थी और मुझे आज भी याद है जब मैंने क्रॉसड्रेसिंग की शुरुआत सही मायनों में तब की थी, जब रिया को पहली बार मूवी में देखा था। क्रॉसड्रेसिंग के दिनों में मैं अक्सर रिया की तरह ही मीठी आवाज में बोलने की कोशिश करता था। लेकिन जब से मेरी शादी हुई है, मैंने क्रासड्रेसिंग को अलविदा कह दिया और इसके बारे में लगभग भूल ही चूका था। लेकिन हाँ, यह मेरे जीवन का वो खूबसूरत हिस्सा था या है, जिसे मैं चाह कर भी अपने अतीत की यादों से नहीं मिटा पाया। आई वज अ बाथरूम सिंगर और जब ऑफिस जाने के टाइम तैयार होता तो कोई ना कोई गाना जरूर गुनगुना रहा होता हूँ। एक्चुअल में ये मेरी आदत है जो शायद कभी नहीं जाएगी। क्या हो अगर, मेरी पत्नी को मेरे अतीत के बारे में पता हो? नहीं, नहीं! बिल्कुल भी नहीं। मीना को तो इस बात का अंदाजा भी नहीं था कि अगर मैंने कभी दुबारा क्रासड्रेस किया तो मैं उससे भी ज्यादा खूबसूरत दिखूंगा। लेकिन मैं अभी इस प्रतियोगिता में भाग नहीं ले सकता, कल सुबह कोई कोई बहाना बनाकर अपनी प्यारी पत्नी को मना लूंगा।

 

लेकिन शादी के बाद उसने आज अचानक मेरे लिए ऐसा क्यों सोचा, क्या उसे मेरे अतीत से जुड़ी तस्वीरें मिलीं या किसी ने उसे मेरे अतीत के बारे में बताया है? लेकिन ऐसा तो कोई भी आज  ना तो मेरे कांटेक्ट में है और ना ही मीना के, जो मेरे क्रॉसड्रेसिंग के बारे में कुछ भी जानता हो। मेरे कुछ दोस्त जैसे रॉकी उर्फ़ राकेश, वीनू, निशा और सीमा को ये बात पता था और उन्हें मेरी क्रॉसड्रेसिंग से कोई फरक नहीं पड़ता था। आज की डेट में एक रॉकी ही है जो इसी शहर में रहता है, लेकिन वो ऐसा कभी भी नहीं करेगा। मैंने तो सोच लिया है कि सुबह जब मेरी प्यारी पत्नी मुझे लड़की बनने को कहेगी तो मैं उसे साफ़ लफ़्ज़ों में मना कर दूंगा। हाय भगवान्! कृपया सुनिश्चित करना कि ऐसा कुछ भी नहीं हुआ हो। वैसे मैं बहुत थक गया था, मेरे दिमाग में इतनी बातें चल रही थीं कि मुझे पता ही नहीं चला कि मैं कब सो गया। अगली सुबह जब मैं उठा तो मेरा मूड बहुत खराब था, इधर मीना मुझसे बात भी नहीं कर रही थी और गुस्से से भरी हुई थी।

मैंने पूछा, "क्या बात है मीना, क्या तुम मुझसे नाराज हो,  क्या मैंने कुछ गलत किया है?"

अंत में उसने आँसुओं के साथ अपनी चुप्पी तोड़ी कि वह अपनी सहेली के साथ अपनी शर्त हारने जा रही थी।

मीना बोली, "मैं लाइफ में आज पहली बार हारने जा रही हूँ वो सिर्फ इसलिए कि मेरे पति ने मेरा साथ नहीं दिया।

मैं अपनी प्यारी पत्नी को हारते हुए नहीं देख सकता और फिर मैंने एक गहरी सांस ली। मैंने मीना को गले लगाया और मैंने उससे कहा, "मैं प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार हूं, डार्लिंग, प्लीज् रो मत।"

फिर क्या था, मीना एकदम से खुश होकर मुझे हग कर ली और फिर ने मेरे होठों पर किस की और बोली, "तुम दुनिया में सबसे अच्छे पति हो!"

मैंने मीना की तरफ देखा और कसकर स्मूच किया और कहा, "अब नाटक करना बंद करो, मेरा टिफिन ले आओ, मुझे ऑफिस के लिए देर हो रही है।"

बाहर से तो मैंने दिखाया कि मैं अपनी प्यारी पत्नी के लिए ये सब कर रहा था। लेकिन मेरे लिए इससे बड़ा ओपोर्च्युनिटी नहीं मिल सकता था। अंदर से तो मैं भी यही चाहता था कि मेरी प्यारी पत्नी देखे कि उसका पति जब साड़ी या लहँगा चोली पहनता है तो वह कितना सुंदर दिखता है। लेकिन मैं अंदर ही अंदर मैं खुश भी था और थोड़ा नर्वस भी। मैं आज क्रॉसड्रेसिंग के लिए मान तो गया था, लेकिन मुझे डर था कि आज के बाद मेरी चाहत फिर से बढ़  और मैं कैसे रोकूंगा खुद को क्रॉसड्रेसिंग करने से।आखिरी बार मैंने क्रासड्रेसिंग साल दो हज़ार बारह या दो हज़ार तरह में की थी और उस वक्त मेरी उम्र सिर्फ सोलह या सत्रह साल ही थी। लेकिन इतने सालों के अंतराल में मैंने कभी साड़ी या लहँगा चोली नहीं पहना था। मैं बहुत उत्साहित तो था लेकिन नर्वस भी था। अब मैं पहले जितना पतला नहीं था, मेरी दाढ़ी भी काफी बड़ी हो गई थी। दाढ़ी बढ़ाने का सबसे बड़ा कारण यह था कि इस दाढ़ी-मूंछ के पीछे मैं अपनी क्रॉसड्रेसिंग की चाहत रखने वाली स्त्री को छिपाकर और अपनी मर्दानगी को दुनिया के सामने पेश करने के लिए स्वतंत्र था। बियर्डो ब्रांड की क्रीम लगाकर दाढ़ी बढ़ा तो ली थी मैंने, लेकिन अब शेव करने के बाद मेरी शक्ल ना जाने कैसी दिखेगी। हे भगवान, लेकिन यह सब मैं अपनी प्यारी पत्नी और मेरे आंतरिक आत्मसुख के लिए करने जा रहा था। मेरा वजन भी पहले से कुछ बढ़ गया था, मेरा शरीर पहले से अधिक मांसल हो गया था और मेरे शरीर पर भालू जैसे बाल भी उग आए थे। इन सबके बावजूद आज मैं जानता था कि आज क्रॉसड्रेसिंग के बाद मैं फिर से दोहज़ार बारह वाला समीर बन जाऊंगा। लेकिन सबसे अच्छी बात यह थी कि मैं सजने-संवरने जा रहा और मैं यह अवसर पाकर बहुत खुश और इतना उत्साहित था कि मैं ऑफिस से जल्दी घर गया। मैंने कुछ भी तैयार नहीं किया, जैसे मुझे क्या पहनना है? साड़ी, लहँगा या कौन सी ड्रेस पहननी है मैं नहीं जानता? लेकिन जब मैं घर पहुंचा तो मैं हैरान रह गया। मेरी पत्नी ने मेरी सारी खरीदारी आलरेडी कर रखी थी और वह भी मेरी पसंदीदा पोशाक भी लाई। सामने से गहरे गले वाला लहँगा और बैकलेस चोली, ओह माय गॉड, इस लहँगा चोली को देखकर मुझे कितनी खुशी हुई है, मैं बयां नहीं कर सकता। लेकिन अपनी पत्नी के सामने अपनी एक्साइटमेंट बयां भी तो नहीं कर सकता था तो मैंने नार्मल ही बिहैव किया। गोल्डन एम्ब्रायडरी बैकलेस गोल्डन स्लीवलेस डीप कट चोली के साथ इसका फ्लोरोसेंट ग्रीन लॉन्ग रानी स्टाइल लहँगा। वहीँ टेबल पर एक शॉपिंग बैग भी था जिसमे एक विग और कुछ आर्टिफिशियल ज्वैलरी भी रखी हुई थी। इसके अलावा, मेरी प्यारी पत्नी ने एक मेकअप मैन को भी काम पर रखा था, उसका नाम तो सोनू था लेकिन वास्तव में हर तरह से फेमिनिन था।

 

मेरी पत्नी ने मुझे सोनू से मिलवाया और सोनू ने मीना से कहा, "मैडम आप फिक्र मत करना, मैं आपके पति को इतनी सुन्दर औरत में तब्दील कर दूंगा कि किसी को भी ये यकीन नहीं होगा कि ये मर्द हैं या औरत।" 

सोनू की बात सुनकर मैं मन ही मन मुस्कराया और खुद को शांत रखा। सोनू नहीं जनता था कि जिस क्रॉसड्रेसिंग के बारे में वो बात कर रहा था, मैं उस क्रॉसड्रेसिंग को अरसा पहले छोड़ चूका था। मैं भी उस लड़के को अपनी पिछली क्रॉसड्रेसिंग की तस्वीर दिखाना चाहता था कि मैंने मेकअप के बारे में कितना कुछ सीखा रखा था, लेकिन यह दिखावा किया कि ये सब मैं मेरे लिए नया था। सोनू मुझे अपने बड़े से फ्लैट में ले गया जहाँ पूरा ब्यूटी पारलर का सेटअप बिठा रखा था उसने। सोनू ने मुझे शेविंग कर लेने को कहा लेकिन मेरी दाढ़ी इतनी भी सॉफ्ट नहीं थी कि मैं खुद से शेव कर सकूँ। लेकिन सोनू ने मुझे चेयर पर बिठाया और मेरे चेहरे पर किसी क्रीम से मसाज किया और फिर ट्रीमर से मेरी दाढ़ी को महीन कर दिया। उसके बार सोनू ने मुझे शेविंग क्रीम पकड़ाया और एक रेजर भी। मुझे पता कि मुझे आगे क्या करना था, मैं वाशरूम में आईने के सामने खड़ा हुआ और शेविंग करने लगा। मेरा चेहरा साफ़ हो चूका था, मैं पहले जैसा पतला तो नहीं रहा लेकिन मेरे चेहरे में ज्यादा मांस आज भी नहीं भरा था। शेविंग के बाद मेरा चेहरा ग्लो करने लगा और जब मैं सोनू के सामने खड़ा हुआ तब तो वो हैरान ही रह गया।

सोनू बोला, "अरे सर, भालू जैसी दाढ़ी के अंदर इतना सुन्दर मुखरा छिपा कर रखा है आपने?"

मैंने कहा, "थैंक्स।"

सोनू बोला, "अब एक काम करिये, ये पकड़िए क्रीम। इसे चेहरे और माथे के बाल पर मत लगाना, बाकि पुरे शरीर पर लगा लेना और पंद्रह मिनट घडी देखकर रुकना, उसके बाद नहा लेना!"

मैंने कहा, "ओके सोनू!"

फिर जैसा सोनू ने कहा था, मैंने ठीक वैसा ही किया। पंद्रह मिनट्स के बाद जब मैं नहाया उसके बाद मुझे फील हुआ कि अब मेरे हेयरलेस शरीर पर जो मखमल जैसी सॉफ्टनेस है, शायद इतनी सॉफ्टनेस तो लड़कियों में भी नहीं होती। फिर मैं कमर पर टॉवल लपेटकर बाहर गया। फिर सोनू ने बिना देर किए उसने मुझे एक पुशअप ब्रा और पैंटी पहनने को दी और एक कागज भी थमा दिया जिसमें ब्रा और पैंटी पहनने के निर्देश थे। मैं एक बंद कमरे में गया और कागज के उस टुकड़े को एक तरफ फेंक दिया। आखिर सोनू को पता ही क्या था, ब्रा पैंटी ही क्या मैंने तो आँख बंद करके अपने खुद की चोली की डोरी भी बाँध लिया करता था। मैंने अपनी पुशअप ब्रा और पैंटी पहना और बाहर गया। फिर सोनू ने मेरी पैंटी को नीचे सरकाना शुरू कर दिया।

मैं घबरा गया और उससे कहा, "तुम क्या कर रहे हो?"

सोनू ने कहा, "सर बात ऐसी है कि लहंगे के फैब्रिक की रगड़ से अगर आपका लंड खड़ा रहा तो आप डांस कैसे करोगे।और वहां इतनी सारी लडकियां होंगी, किसी को देखकर आपका मन डोला और और किसी ने लहँगा के अंदर के आपके लंड होना फील कर लिया तो कहीं आपको प्रॉब्लम ना हो जाए। देखिये पैंटी की फैब्रिक की छुवन भर से ये तो अभी से इतना टाइट हुआ है जा रहा है।"

मैंने कहा, "लेकिन तुम क्या कर रहे हो? क्या तुम गे हो?"

वह हंसा और बोला, "आप कैसे जानते हैं कि सर मैं गे हूं?"

मैंने कहा, "तुम्हारी बॉडी लैंग्वेज! और क्या?""

मेरी बात सुनकर सोनू जोर जोर से हंसने लगा और फिर उसने मेरे लंड पर एक खास तरह का स्प्रे छिड़का और कुछ ही देर में मेरा लंड सिकुड़ कर इतना छोटा हो गया, मानो वो किसी दो दिन के बच्चे का लंड हो। जब मैं घबराने लगा तो सोनू ने मुझे समझाया कि अगले 24 घंटों तक मुझे कोई इरेक्शन नहीं होगा और मैं अब अपनी स्त्रीत्व का पूरा आनंद ले सकता हूँ।

मैंने उससे कहा, "धन्यवाद!"

फिर उसने लहँगा पहनने में मेरी मदद की। दरअसल लहँगा काफी बड़ा, कढ़ाईदार होने के साथ साथ बहुत हैवी था। फिर सोनू ने मेरा लहँगा की डोरी को मेरी नाभि के नीचे कस से बाँध दिया। अब ये हो रहा था कि अब मुझे हर कदम उठाने के लिए अपना लहँगे को अपने हाथों से ऊंचा उठाना पड़ता था और उसके लिए मुझे झुकना पड़ता था। फिर उसने मुझे आईने के सामने बैठाया और बैग से 34डी साइज का ब्रेस्ट फॉर्म निकाला। क्या बताऊँ, ब्रेस्ट फॉर्म्स पहनने की इच्छा मेरी तबकी थी जब मैं सीक्रेट क्रॉसड्रेसिंग करता था। आज मेरी ये दबी ख्वाहिश भी पूरा होते देख मुझे बहुत ख़ुशी मिल रही थी। सोनू ने बताया कि इसे टी-शर्ट की तरह पहना जा सकता था और उस ब्रेस्ट फॉर्म का रंग मेरी स्किन टोन से लगभग मेल खाता था। ब्रेस्ट फॉर्म्स को पहनने के बाद पहले तो सोनू ने एक ख़ास तरह की ग्लू से उसे मेरी छाती पर चिपका दिया और उसपर एक निप्पल चिपका दिया। फिर थोड़ा सा टचअप और मैंने आईने देखा कि ये कितना नेचुरल दिख रहा था, ऐसा लग रहा था ये मेरे खुद के ब्रेस्ट्स हों। लेकिन इन ब्रेस्ट्स फॉर्म्स का वजन बहुत ज्यादा था। दोनों का वजन डेढ़ किलो से थोड़ा भी कम नहीं था और ये मुझे स्त्रीत्व का एहसास करवा रहा था। इतने सालों के बाद आज मेरे अंदर फिर से वही फीलिंग्स जागने लगी थी जिनका त्याग मैंने साल दो हज़ार तेरह में ही कर दिया था। लेकिन शायद मेरे नसीब में ये ख़ुशी लिखी थी जो आज मुझे क्रॉसड्रेसिंग का दूसरा मौका मिला था। मैं एकटक खुद को आईने में देखे जा रहा था इतने में सोनू ने मुझे टोका।

सोनू ने मुझसे कहा, "आप चाहें तो इसमें दूध भी भर सकते हैं और चाहे तो वो दूध निप्पल्स को घुमाने से पीला भी सकते हैं।"

मैंने कहा, "दिमाग ख़राब है तुम्हारा, मैं दूध पिलाऊंगा? रहने दो, तुम कुछ ज्यादा ही एडवांस नहीं हुए जा रहे हो?"

मैं समझ गया था कि यह मेकअप आर्टिस्ट मेरी स्त्रीत्व को बाहर लाने के लिए मुझे छेड़ रहा था। मैंने पूरी तरह महिला बनने का फैसला किया था, आज मेरा दिन कैसा भी हो, आई वज गोइंग तो रॉक। ये सच था कि अगर इस समय कोई अनजान शख्स मुझे देखता यही कहता कि मैं औरत हूँ, मर्द नहीं! फिर सोनू ने मेरी ब्रा का हुक लगाया तो मेरे ब्रेस्ट्स ऊपर की तरफ उठ गए और मेरे ब्रेस्ट्स के ऊपरी भाग का ज्यादातर हिस्सा विजिबल होने लगा था।  जब मैंने खुद को आईने में देखा तो ऐसा लगा जैसे मेरे बड़े स्तन किसी औरत, किसी भाभी जी या आंटी जैसे हों। ये सब मेरे लिए कितना एक्साइटेड था, मैं किसी से शेयर नहीं कर सकता था क्योंकि ये बात मैं किसी को बता नहीं सकता था। फिर उसने मुझे बैकलेस चोली पहनाई और मेरी चोली के बैक को क्रिस क्रास की डोरी बांध दी। मैं लहँगा चोली में बिना मेकअप के ही इतना खूबसूरत लग रहा था कि सोनू का मन भी मुझे देखकर मचलने लगा था। सोनू ने मुझे एकटक देखने लगा।

मैंने सोनू से पूछा, "ऐसे क्या देख रहे हो सोनू?"

सोनू बोला, "मैं तो यही सोच रहा हूँ कि इतनी खूबसूरत आप अभी दिख रहे हो। अभी तो मेकअप बाकी है, गहने पहनने बाकी हैं। बुरा मत मानना, लेकिन आज पांच सौ औरतों के बीच सिर्फ एक ही ऐसी औरत होगी जिसकी खूबसूरती जवान लड़कियों को भी जला कर रख कर देगी और मर्दों का तो मन ही मचल जायेगा तुम्हे देखकर।

मैंने कहा, "ऐसा कुछ भी नहीं है, तुम अपना काम करो!"

अंदर ही अंदर मैं तो बड़ा खुश था, आज सच में मैं बहुत खूबसूरत दिख रहा था और मैं अपनी खूबसूरती को ऐसे जाया नहीं जाने दूंगा। बलखाऊँगा, शर्माऊँगा, नखरे दिखाऊंगा और कमर मटकाकर सबके सामने ऐसे फ्लॉन्ट करूँगा कि सब मेरे दीवाने हो जाएँ। उसके बाद सोनू ने मेरे हाथों और पैरों के नाखूनों को ब्लड रेड ग्लॉसी नेल पेंट से रंग दिया और फिर वह मेरे दोनों हाथों में सुहाग का चूड़ा पहनाने लगा।

मैंने सोनू से पूछा, "तुम मुझे यह क्यों पहना रहे हो?"

उसने कहा, "मैडम ने कहा था।" 

उसके बाद सोनू ने मेरी दोनों कलाइयों में सुहाग चूड़ा सेट पहनाई, यह वही चूड़ा सेट था, जो शादी के बाद नवविवाहित महिलाएं पहनती हैं। फिर उसने मेरी दोनों हथेलियों में हाथफूल के कंगन पहनाए और अब बारी थी कलेरियों की, जो शादी के खास दिनों में पंजाबी दुल्हनियां पहनती हैं। मुझे पता था कि यह लड़का मुझसे क्या कहेगा। तब सोनू ने मेरी कमर के चारों ओर एक डिज़ाइनर वेस्टबैंड और मेरे प्रत्येक बांह पर एक एक डिज़ाइनर आर्मबैंड पहना दिया। फिर सोनू ने बैग से हैवी चाँदी की पायल और हाई हील्स का एक जोड़ा निकाला और मुझे पहना दिया। मुझे कई सालों से हील्स में चलने का अभ्यास था और जब मैं अकेले क्रासड्रेसिंग करता था तो रोज पायल पहनकर सोता था। फिर सोनू ने मेरे चेहरे का मेकअप किया और थोड़ी ही देर बाद मेरे चेहरे का मेकअप पूरा हुआ। सोनू ने मेकअप का इस्तेमाल किया, इसलिए उसने गहरे लाल रंग की चमकदार लिपस्टिक चुनी, उसने मेरे गालों पर गुलाबी ब्लश और आंखों में गहरे काले धुएं का प्रभाव दिया। फिर सोनू ने मेरी पलकों पर नकली पलकें भी लगाईं और भौंहों को थोड़ा शार्प कर दिया। उसके बाद सोनू ने मेरे होंठों के नीचे एक ब्लैक डॉट बना दिया जो तिल जैसा दिख रहा था और मेरी खूबसूरती को और भी बढ़ा रहा था। मेकअप के बाद, सोनू ने मुझे एक विग पहनाई जो घनी और थोड़ी लंबी थी और उसे मेरे बालों को इस तरह से बांध दिया था कि अगर कोई चाहे भी तो उस विग को मेरे बालों से अलग नहीं कर पायेगा। इन सबके बाद सोनू में मेरे बालों को अच्छे डिज़ाइन वाले जुड़े में तब्दील कर दिया और फिर सोनू ने मेरे माथे पर पांच सिरों वाली आर्टिफीसियल गोल्ड माथापट्टी, जिसके चार लेयर्स साइड बाई साइड थे तो आखिरी लेयर मेरे बीच मांग से होते हुए मेरे माथे पर लटक रहा था। उसके बीच का सिरा बहुत बड़ा था और मेरे माथे पर काफी नीचे तक लटक रहा था। माथापट्टी का कोई आईडिया नहीं था मुझे, लाइफ में पहली बार इस ऑर्नामेंट्स को पहना था मैंने और आईने मैं इतना खूबसूरत दिखने लगा कि खुद को देखकर ही एक्साइटेड होने लगा। फिर सोनू ने मेरे कानों में स्क्रू झुमकी पहना दिया और उसे सपोर्ट के लिए माथापट्टी के दो आखिरी सिरे से जोड़ दिया। फिर सोनू ने अंत में एक बहुत छोटी और डिज़ाइनर बिहारी नथिया, जो था तो स्क्रू वाला, लेकिन उसका डिज़ाइन कुछ ऐसा था कि जब सोनू ने मेरे नाक में उस नथिया को कसा, फिर भी कोई अब ये नहीं कह सकता था कि मैंने नाक नहीं छिदवाई हो। उस नथिया का स्क्रू नीचे से ऊपर की और, नथिया की तार से बारीकी से जुडी थी और उसे सिर्फ ऊपर की जगह नीचे से घुमाने से वो टाइट हो गया। इतना सब होने के बाद मेकअप आर्टिस्ट ने मेरे गले में एक बड़ा सा नौलखा नेकलेस पहना दिया, जो पूरी तरह से मेरे गले में तो गया था लेकिन उसका आखिर छोर मेरे दोनों ब्रेस्ट्स के बीच में ही रहा था। सोनू ने अपना काम पूरा कर लिया था, लेकिन मैंने उससे कहा कि मेरे माथे पर एक बिंदी तो लगा दो ताकि कोई अधूरापन रहे। वह मुस्कुराया और मेरी दोनों भौंहों के बीच मेरी पसंद की लाल बिंदी चिपका दी। एक बड़ी ट्रांसपेरेंट ओढ़नी से सोनू ने मेरा घूँघट बना दिया और जब मैं तैयार हो गया तो मैंने हील्स में चलने का अभ्यास शुरू किया। इतने साल हो गए थे, हाई हील्स में चलने का आदत छूट गया था तो मैंने सोचा क्यों ना थोड़ी प्रैक्टिस कर लूँ। इतनी साडी औरतों के बीच मैं अपना लहँगा सम्भालूंगा या हील्स पर फोकस करूँगा। इफिर सोनू ने मुझे मुँह खोलने को कहा, मैंने मुँह खोला तो उसने मेरे मुँह में कुछ ढेर सारा स्प्रे कर दिया।

पहले तो मुझे खांसी आने लगी फिर मैंने सोनू से कहा, "ये सब क्या था सोनू?"

सोनू बोला, 'एक्सक्यूज़ मी!"

मैंने कहा, "ये तुमने मेरे मुँह में क्या स्प्रे किया?"

फिर मुझे एहसास हुआ कि मेरी आवाज़ में थोड़ी मिठास सी गयी थी।

सोनू बोला, "जबतक आप ग्राउंड में पहुंचेंगे, आपकी आवाज़ लड़कियों जैसी मीठी हो जाएगी और अगले बहत्तर घंटों तक आपकी आवाज़ में मिठास बना रहेगा।"

आई वज वैरी सुरप्राइज़्ड, अब मुझे समझ आया कि सोनू क्यों इतना अच्छा मेकअप आर्टिस्ट था। फिर सोनू ने पहले अपने हाथ आगे करने को कहा। मैं अपने हाथ को आगे किया तो उसने मेरे रिस्ट पर फीमेल परफ्यूम को स्प्रे किया, आगे मैं जानता था कि मुझे क्या करना है, मैंने पहले अपने दोनों रिस्ट में रब किया। फिर सोनू ने मेरे गले पर वही परफ्यूम स्प्रे किया और फिर मेरी आर्मपिट्स में। परफ्यूम की खुशबु इतनी मीठी और मनमोहक थी कि मुझसे रहा नहीं गया और मैंने सोनू को परफ्यूम की बोतल दिखाने को कहा। ओह्ह्ह!  इट वज माय फेवरेट। क्रिस्चियन डिओर ब्रांड की हिप्नोटिक पॉइज़न नाम की परफ्यूम थी, जिसकी खुशबु विश्व प्रसिद्ध था।

फिर सोनू ने ने मेरी पत्नी को फोन किया और कहा कि मैं अब तैयार हूं। यह सुनकर मेरी प्यारी पत्नी, जिसके लिए आज मैंने ये रूप सजाया था, वो कार लेकर सोनू के फ्लैट पर गई और पार्किंग में कार खड़ी कर मेरे पास गई। जब वहीँ बैठा एक मैगज़ीन पढ़ने में मशगूल था और मीना मेरे बगल से गुज़रते हुए सोनू के पास चली गयी। लाल सिल्क साड़ी और पीले रंग की बैकलेस ब्लाउज में मेरी बीवी कितनी खूबसूरत दिख रही थी, मैं बता नहीं सकता। 

मीना बोली, "समीर जी कहाँ हैं?"

सोनू बोला, "वो सामने।"

मीना बोली, "सामने तो कोई दुल्हन बैठी है यार, बताओ ना! समीर कहाँ है?"

सोनू बोला, बताता हूँ, पहले ये बताओ, इस दुल्हन के लिए किसी अच्छे घर का पैसे वाला दूल्हा मिलेगा क्या?"

मीना बोली, "इतनी खूबसूरत दुल्हन के लिए कोई दूल्हा नहीं मिल रहा है तुम्हे। एक काम करो, मेरे बड़े भैया की शादी इससे करवा देती हूँ, वो इस दुल्हन को बहुत प्यार करेंगे। बात चलाओ इस दुल्हन के घरवालों से?

सोनू बोला, "तुम खुद ही क्यों नहीं पूछ लेती हो?"

मीना बोली, "इस लड़की का नाम तो बता दो, शादी की बात कैसे चलाऊंगी मैं?"

सोनू बोला, "इसका नाम समा है।"

फिर मीना मेरे पास आयी तो मुझे लगा कि मीना ने मुझे पहचान लिया है। लेकिन उसने मेरे पास आकर कुछ ऐसा कहा जिससे कि मैं चौंक गया।

मीना बोली, "एक्सक्यूज़ मी समा!"

मीना के सवाल सुनकर मैं समझ गया कि ये मुझे नहीं पहचान सकी, इसे तो मेरा नाम भी पता नहीं अभी तक। मैं अपना नाम बताने ही वाला था कि सोनू ने इशारे से मुझे थोड़ी देर मजे लेने का इशारा किया।

मैंने कहा, "हांजी!"

ओह्ह, मेरी आवाज़ तो लड़कियों जैसी निकली अभी।

मीना बोली, "तुम क्या करती हो?"

मैंने कहा, "मैं कुछ नहीं करती।"

मीना, 'क्या तुम शादी के लिए मर्द की तलाश में हो समा?"

मैंने कहा, "तलाश में तो हूँ!"

मीना बोली, "मेरे बड़े भैया से शादी करोगी, लेकिन उनकी उम्र चालीस है। वो एक बहुत बड़े डॉक्टर हैं और बहुत अच्छा पैसा भी कमाते हैं। तुम शादी के लिए हाँ करो तो मैं रिश्ते की बात चलाऊं!"

मैंने कहा, "आर यू सीरियस?"

मीना ने कहा, "हाँ! क्या तुम मेरे बड़े भैया की दुल्हन बनोगी? क्या मेरी भाभी बनोगी।"

अब तो मुझसे भी कण्ट्रोल नहीं हुआ और मैं जोर जोर से हसने लगा और इतने में सोनू भी पास आकर खड़ा हो गया।

सोनू बोला, "आज पहली बार देख रहा हूँ कि एक बीवी अपने पति को अपने बड़े भाई से ब्याहने को तैयार है।"

मीना, "एक्सक्यूज़ मी! मेरे पति! आप समीर हो? ओह्ह गॉड, मैं तो पहचान ही नहीं सकी। थैंक यू सोनू, तुम्हारे हाथों का जादू तो आज मैंने भी देख लिया। और आप भी कब से एक्टिंग करने लगे?"

मैंने कहा, "ये सोनू का आईडिया था, आई एम् सॉरी!"

मीना बोली, "आपकी आवाज़ में ये मिठास कैसे?"


मैंने मीना को बताया कि सोनू ने कोई ख़ास स्प्रे मेरे मुँह में छिड़क दिया था, जिससे मेरी आवाज़ मीठी होती जा रही है। ग्राउंड में मीना की सहेलियां और मीना की जान पहचान की औरतें हमदोनो के इंतज़ार में पलके बिछाये बैठी थीं।

रस्ते में मीना ने मुझे समझाते हुए बोली, "सुनिए, आप वहां औरतों के सामने अपनी मर्दानगी मत झाड़ने लगना। मैं आपको सबसे सना बोलकर ही परिचय करवाउंगी, ठीक है! और ये लो लेडीज़ पर्स, इसमें अपना मोबाइल रख लो और इसे कंधे पर लटका लेना।"

मैंने कहा, "ठीक है मैडम!"

फिर मीना बोली, "आज मैं पक्का जीत जाउंगी!"

मैंने कहा, "आई होप सो!"

शाम के सात बजते बजते हम ग्राउंड में थे। मेरा लहँगा वाकई बहुत ही ज्यादा भारी और फैला हुआ था। जब मैं कार से निकला तो लेडीज पर्स को अपने एक कंधे पर टांग लिया और अपने दोनों हाथों से अपना लहँगा उठाकर चलते हुए उन लेडीज के ग्रुप में शामिल हो गए। थोड़ा झुककर चलने के कारण मेरे बूब्स मेरी चोली के बाहर विजिबल हो रहे थे और मेरे हर स्टेप्स के साथ मेरे बूब्स ऊपर नीचे हो रहे थे। ऐसे में मुझे बहुत शर्म रही थी, आस पास खड़े मर्द मुझे ऐसे घूर रहे थे मानो खा जायेंगे मुझे। आस पास खड़ी आंटीयों को भी मेरी खूबसूरती अट्रैक्ट कर रही थी।

मीना ने मुझे अपनी सखी सहेलियों से मेरा परिचय करवाई और उन्हें मेरा नाम सना बताई और उनसे बोली कि मैं उसकी ननद हूँ। मीना इस गेम को खेलना चाहती थी और मैं तो हमेशा से उसी के पक्ष में था।

शर्मा आंटी, मिश्रा आंटी और पांडेय आंटी एक तरफ खड़ीं थीं और जब मीना ने उनसे मेरा इंट्रो करवाया तो वो भी मेरी खूबसूरती पर फ़िदा हो गयीं। मैंने मीना से कहा कि मुझे स्टेज पर्फॉर्मन्सेस देखने हैं और मैं स्टेज के पास लेडीज सेक्शन के फ्रंट रौ में जाकर बैठा गया। इधर मीना अपनी सखी सहेलियों और आंटीयों के साथ ना जाने क्या क्या बातें कर रही थी और इधर मैं भगवान् श्री कृष्ण की रास लीला का मंचन देखने लगा।

 

इस दौरान मैंने गौर किया कि कोई मुझे चोरी छुपे देख रहा है। जैसे ही मैंने जेंट्स सेक्शन में देखा, एक आदमी जिसकी उम्र साठ साल रही होगीं, वो मुझे एकटक घूरे जा रहा था, लेकिन जब मैंने उसे देखा, वो सामने देखने लगा। उस आदमी का मुझे ऐसे देखना, कुछ पलों के लिए मेरी धड़कनें बढ़ा गया था। मैंने फिर से उसकी तरफ देखा, तो उसने फिर से अपना चेहरा सामने की तरफ कर लिया। वो आदमी नज़रें छुपाकर बार बार मुझे देखने लगा था और मैं शर्म के मारे पानी पानी हुआ जा रहा था। मैंने अपनी ओढ़नी से अपना घूँघट ठीक किया और वहां से हट गया और फिर से लेडीज़ ग्रुप में जाकर शामिल हो गया।

वहीँ गुप्ता आंटी भी खड़ी थी जिनसे मिश्रा आंटी ने मेरा परिचय करवाया।

गुप्ता आंटी बोली, "तुम मीना की ननद हो?"

मैंने कहा, 'जी!"

क्यूंकि मीना ने किसी को सच नहीं बताई और सभी से मेरा इंट्रो अपनी ननद सना के नाम से मिलवाई थी।

गुप्ता आंटी बोलीं, "तो क्या तुम्हारी शादी हो गयी है?"

मैंने कहा, "नहीं!"

गुप्ता आंटी मेरे नहीं को सुनकर बहुत खुश हो गयीं।

गुप्ता आंटी बोलीं, "सना, बात ऐसी है कि मेरा बेटा बैंक में पीओ है और उसकी सैलरी अस्सी हज़ार महीना है। गुप्तजी की मिठाई की दूकान है और मैं ब्यूटीपार्लर चलाती हूँ। क्या तुम मेरे घर की बहु बनोगी।"

मैंने कहा, "जी नहीं! मैं शादी की बात खुद से कैसे कर सकती हूँ, इसके लिए मेरे माँ बाप हैं।"

गुप्ता आंटी बोलीं, "कितनी संस्कारी लड़की है। अब तो मैं इसी लड़की को अपने घर की बहु बनाउंगी।"

मैंने कहा, "हमारे यहाँ एंटरकास्ट मैरिज नहीं होता।"

गुप्ता आंटी बोलीं, "लेकिन मेरे घर में इंटरकास्ट मैरिज की मान्यता है, तू फिक्र ना कर। मैं मीना से तेरे माँ बाप का नंबर लेकर उनसे मिलकर तेरा हाथ अपने बेटे के लिए मांग लुंगी।"

मैंने कहा, "आंटी आपको एक बार में समझ नहीं आता? मुझे किसी मर्द से शादी नहीं करनी?"

मिश्रा आंटी बोली, "तो क्या जिंदगी भर अपने माँ बाप के सीना का बोझ बढ़ाते रहेगी रिया? इतना अच्छा रिश्ता मिल रहा है, तू हाँ तो कर, हम तेरे माँ बाप को मना लेंगे।"

मैंने कहा, "देखो आंटी, मुझे शादी नहीं करनी, बस नहीं करनी। और प्लीज् अब इस बारे में और डिस्कशन मत करो आप सब।

गुप्ता आंटी बोलीं, "अच्छा मेरे लड़के से शादी नहीं करेगी लेकिन कभी ना कभी तो शादी करेगी ना।"

मैंने कहा, "नहीं!"

गुप्ता आंटी बोली, "शरमा मत! लड़कियों को अपनी शादी की बात जानकर ऐसे ही फील होता है। हम मीना से बात कर लेंगे, तू रहने दे। मिश्रा जी, मैंने इतनी सुन्दर और शर्मीली लड़की अपने लाइफ में पहली बार देख रही हूँ।"

फिर वो दोनों हसने लगीं और मेरे आँखों में आंसू आ गए। मैंने अपने लेडीज पर्स से हैंकि निकाला और अपने आंसू पोछने लगा। औरतों के बीच एक मैं ही अट्रैक्शन का केंद्र बनकर रह गया था। कुछ आवारा जिन्हें मेरी असलियत का अंदाज़ा ही नहीं था, वो मेरे साथ छेड़खानी करने लगे और सारी औरतें कह रही थीं कि मैं कितना प्यारा और खूबसूरत हूं, जिस तरह से मैं लहँगा उठाकर चलता हूँ, जितनी सुन्दर सी मेरी कमर का और मेरी हिप्स हैं वो उतनी ही अच्छी है। इस वक्त मैं बहुत खुश था, दुनिया का सबसे खुश इंसान। मैं अपने स्त्रीत्व का आनंद ले रहा था। मैं भी पूरी तरह से भीड़ का आनंद ले रहा था और कुछ मिनटों के बाद मैं माहौल के साथ एडजस्ट हो गया। अब मैं पूरी तरह से निश्चिंत था, सभी औरतें मेरी प्यारी पत्नी के सामने मेरे सौंदर्य की प्रशंसा कर रही थीं। कुछ आवारा लड़के मुझे नंबर देने आए लेकिन किसी की हिम्मत नहीं हो रही थी कि उनके नंबर मुझे दे सकें। मेरे ऑफिस का बॉस भी आया था, जिसे नहीं पता था कि आज मैं स्त्री रूप में इस मौके का लुत्फ उठा रहा हूँ। जो आंटी आती, शादी के बारे में पूछती। किसी को अपने बेटे का ब्याह मुझसे करवानी थी तो किसी के भतीजे से मेरा ब्याह करवाने की बात जब मेरे सामने हो रही थी तो मैं घबराहट के मारे बहुत शरमाने लगा। गुप्ता आंटी जोर से हंसीं और वहां से चली गयीं। एक तो बाबा की भविष्यवाणी ने मेरे दिलो दिमाग को अंदर से हिलाकर रख दिया और ऊपर से ये गुप्ता आंटी ने भी मेरा दिमाग ख़राब करके चली गयीं। फिर मैंने वहां से अलग हट जाने का फैसला किया। उन सब लेडीज में ना जाने क्या बातें हो रही थी, मैं अब बोर हो रहा था तो मैंने मीना से साथ टाइम बिताने को कहा। मैं और मीना ग्राउंड में चहलकदमी करने लगें और आपस में अपना कीमती वक़्त बांटने लगे। जब मैं और मीना ऐसे चहलकदमी कर रहे थे तो कुछ आवारा लड़के मुझे छेड़ने लगे ,मीना गुस्सा हो गयी और उसने सैंडल्स निकालकर उन्हें मारने दौर पड़ी। वे सब लड़के वहां से भाग गए तो मीना ने फिर से अपना सैंडल्स पहन ली।

 

फिर मीना मुझे देखते हुए बोली, "मेरे होते हुए कोई मेरी ननद को छेड़े, मुझे बिलकुल पसंद नहीं।"

मीना की ये बात सुनकर मुझे हंसी गयी। वही थोड़ी दूर पर एक बूढ़े बाबा और एक बूढी औरत बैठी थी। मैंने मीना से कहा कि चलकर उस बाबा से मिलते हैं।

मीना तैयार हो गयी और हमदोनो बाबा के पास पहुँच गए। हमारे वहां आने से पहले वो बाबा और वो बूढी औरत उठकर जाने ही वाली थी लेकिन मुझे और मीना को अपने पास आते देख वो बाबा और वो बूढी औरत वहीँ रुक गए। मीना मजे करना चाहती थी। मैंने मीना को समझाया कि ऐसे बाबाओं के साथ मजाक करना सही नहीं होता। लेकिन मीना नहीं मानी और उसने बाबा से मजाक करना शुरू कर दिया और मैं चुपचाप पीछे खड़ा ये सब देख रहा था।

मीना ने बाबा से पूछा, "अच्छा बाबा, ये बताओ, मेरे पीछे जो कन्या खड़ी है, इसकी शादी कब होगी और इसे कितने बच्चे होंगे।"

मीना की बात सुनकर बाबा शांत हो गए, उन्होंने अपनी आँखें बंद की और फिर अपनी आँखें खोली और बोले, "तुम क्या चाहती हो मीना?"

मीना बोली, "मैं तो सिर्फ इतना ही जानना चाहती हूँ बाबा कि मेरे पीछे खड़ी इस कन्या की शादी कब होगी और कैसे घर में इसका ब्याह होगा और ये कन्या शादी के बाद लड़के को जन्म देगी या लड़की को?"

बाबा बोले, "तू मेरी परीक्षा लेना चाहती है तो सुन। इस कन्या का नाम रिया है और ये इसका पुनर्जन्म है। इसके पूर्व जन्म के प्रेमी के साथ इसका मिलन नहीं हुआ था तो इसने पूर्व जन्म में आत्महत्या जैसा पाप किया। लेकिन इस कन्या का प्रेम शुद्ध था तो इसके पूर्व जन्म के प्रेमी के साथ इसका मिलन, इसी जन्म में होगा। इस कन्या की कुंडली और ग्रहों की स्थिति देखकर मेरा ये अनुमान है कि इस कन्या का विवाह आज से ठीक दो साल के अंदर हो जाएगा। लेकिन वो विवाह इस कन्या के मर्ज़ी के विरुद्ध  होगी और शादी के बाद के पहले के कुछ महीने इस कन्या की दुःख की घडी साबित होगी। लेकिन शादी के बाद इस कन्या को अपने पति से बहुत प्यार मिलेगा, जिससे इसका दुखी मन शांत हो जायेगा। शादी के बाद इसका पति इसे अपने पुश्तैनी हवेली में ले जायेगा। इसका होने वाला पति पोलिटिकल बैकग्राउंड से होगा और अपने शहर में उसकी बहुत इज़्ज़त, मान सम्मान और प्रतिष्ठा अर्जित कर चूका होगा। अपने पति के घर में अपने सास ससुर की सेवा में अपने दिन बिताएगी। सास ससुर का स्नेह तो मुश्किल से ही मिल सकेगा इस कन्या को। लेकिन ये भी हो सकता है कि शादी के बाद इस कन्या का पति इसे शहर में अपने साथ ले जाए या ये भी हो सकता है कि ये कन्या अपने सास ससुर और ननद का प्रेम पाने में सफल रहे। लेकिन इसका पति हमेशा इसकी रक्षा करेगा, इसे बुरी नज़रों से बचाये रखेगा। ये कन्या अपना पूरा जीवन घूँघट में ही बिताएगी और सास ससुर की सेवा करके ही ये कन्या उनका दिल जीत सकेगी। ये कन्या बहुत ऊँचे स्तर की पतिव्रता पत्नी बनेगी और अपने पति के लिए हरियाली तीज, करवाचौथ का व्रत और जितने भी व्रत पति को दीर्घायु रखने के लिए हिन्दू धरम में हैं, ये वो सभी व्रत रखेगी। 


इस लड़की का आचरण बहुत ही अच्छा होगा, ये अपने सास ससुर की हर बात मानेगी और अपने पति का प्यार ही इसे उसके प्रति ये सब करने को तैयार करेगा। ये कन्या बहुत ही सौभाग्यवती और पुत्रवती है और इसका सौभाग्य इसका प्रतीक्षा कर रहा है। लेकिन अब ज्यादा दिन नहीं बचे हैं, इसका पति अब बस कुछ ही दिनों में इसे अपने साथ ले जाएगा और इसे वो सुख देगा, जिसकी प्रतीक्षा इस कन्या को अपने पिछले जन्म से है। लेकिन इस कन्या को इस बात का तनिक भी एहसास नहीं है कि इसका वैवाहिक जीवन कैसा रहेगा। इस कन्या की किस्मत स्वयं नारायण ने लिखी है और जिसकी किस्मत स्वयं नारायण ने लिखी हो उसके बारे में प्रश्न नहीं करते। एक स्त्री को अपने पति से हमेशा प्रेम और स्नेह की चाह होती है और ये कन्या ख़ुशी ख़ुशी अपने पति के पांच बच्चों को जन्म देगी, जिनमे से तीन लड़के और दो लडकियां होंगी। इस कन्या क्या वैवाहिक जीवन इसकी अपेक्षा से कहीं ज्यादा उज्जवल होगा और ये कन्या अपना समस्त जीवन अपने पति और सास ससुर की सेवा में सार्थक करेगी।"

मीना बाबा की बात सुनकर हंसने लगी और मेरी तो हालत ही खराब हुई जा रही थी। मैंने मीना को हसने से रोका और बाबा को कुछ पैसे देकर उसे अपने साथ उनसे दूर ले गया।

 

मैंने मीना से कहा, "ये क्या मजाक था मीना, बाबाओं के साथ ऐसा मजाक शोभा नहीं देता। ये बाबा बहुत ही ज्ञानी थी और तुमने इनके साथ बदतमीज़ी की, ये गलत किया तुमने मीना!"

मीना बोली, "अरे ग्यानी मेरी जूती। इस बाबा को तो ये भी नहीं पता था कि तुम्हारा नाम क्या है। मेरा नाम तो इसने तुम्हारे मुँह से ही सुन लिया था और देखा ये बाबा तुम्हारे लिए कैसी भविष्यवाणी कर गया। फिर भी तुम्हे इस ढोंगी बाबा की बातों पर यकीन है?"

मैंने एक बार फिर से बाबा की तरफ देखा, बाबा और बूढी औरत ने अपने दोनों हाथ ऊपर उठाकर मुझे आशीर्वाद दिया और मैं मीना की तरफ मुड़ा।

मैंने मीना से कहा, "वो देखो मीना, इतने सब के बाद भी वो बाबा हमें आशीर्वाद दे रहे हैं।"

मैंने मीना को दिखाने के लिए जैसे ही मुड़ा, दूर दूर तक बाबा और वो बूढी औरत दिखाई नहीं दे रही थी। मीना को तो उन बाबा के भविष्यवाणी पर संदेह था लेकिन मेरा गला सूखने लगा था। बाबा को मेरा वो नाम कैसे पता था जो मैं सिर्फ तभी इस्तेमाल करता था जब मैं क्रॉसड्रेसिंग करता। बाबा ने जो कुछ भी मेरे लिए कहा, उनके हर एक लफ़्ज़ों ने मेरे होश ही उड़ा दिए थे। मैं बाबा की भविष्वाणी के बारे में सोचने लगा था और इधर मीना को उसके मामा का कॉल आया। उन्होंने मीना को  मेरे साथ घर आने को कहा तो मीना ने मुझे भी साथ चलने को कहा, लेकिन मामा मामी के सामने मैं ऐसे नहीं जा सकता था। फिर मीना कार लेकर वहां से चली गयी और अब मैं अकेला था। मेरी नज़रें उन बाबा को ढूंढ रही थी, लेकिन वो मिल नहीं रहे थे। थोड़ी दूर आगे आने पर मैंने देखा कि वो बाबा कहीं भी नहीं थे। मैं बहुत मायूस हो गया था। जहाँ मैं खड़ा था अभी वहां दूर दूर तक सिर्फ सड़कें ही थीं। मैं बहुत निराश हुआ, मुझे उन बाबा से मिलना था, उनसे जानना था कि जो कुछ भी उन्होंने कहा क्या वो सच है या उन्होंने मीना से ये सब मज़ाक मज़ाक में कहा था। मैं फिर भी एक दो बार सडकों को झाँक कर देखा, वहाँ कोई भी नहीं था। 


फिर जैसे मैं मुड़ा, अचानक किसी ने मेरे नाक पर एक रुमाल से दबाया और मैं होश खो बैठा। जब मुझे होश आया तो मैं किसी बंद फैक्ट्री में था, मेरे दोनों हाथ और पैर आपस में बंधे थे और मेरे मुँह को भी रुमाल से बाँधा हुआ था। मेरी तो हालत ही खराब हो गयी थी, मेरा किडनैप हो चूका था। ओह्ह, ये क्या हो गया मेरे साथ। तभी मेरे सामने एक आदमी आया जो देखने में काला और करीब मुझसे हाइट में बहुत ज्यादा था। उसने मेरे मुँह से रुमाल हटाया तो मैं रोने लगा, उसके सामने गिड़गिड़ाने लगा कि वो मुझे छोड़ दे लेकिन उसने ऐसा कुछ भी नहीं किया। रोते रोते मैं बेहोश हो गया और जब मेरी नींद खुली तो मैं एक बहुत ही खूबसूरत बिस्तर के बीचोबीच लेटा हुआ था। अब मेरे हाथ पैर बंधे नहीं था। मैं बिस्तर से उतरा और हेलो कोई है, ऐसे आवाज़ लगाने लगा। तभी मेरे सामने साढ़े छह फुट लम्बा एक उम्रदराज़ आदमी आ गया और वो मुझे देखकर मुस्कुराने लगा।

मैंने कहा, "कौन हैं आप? ये कौन सी जगह है?"

वो बोला, "तुम राजस्थान में हो और ये मेरी हवेली है और तुम आज रात के लिए मेरी दुल्हन हो।"

मैं चौंक गया, ये सब क्या हो रहा है मेरे साथ। मैंने उससे कहा कि मैं कोई औरत नहीं बल्कि एक मर्द हूँ तो उसने कहा कि उसे इस बात से कोई फरक नहीं पड़ता। आज की रात वो मेरे साथ सुहागरात मनाने के लिए इतना बेताब था कि मेरे कुछ कहने से पहले ही मुझे बिस्तर की तरफ घुमाया, मेरा लहँगा उठाया और मेरी गांड में अपना लंड घुसा दिया और मेरे मुँह से चीख निकल गयी। उसके हर एक स्ट्रोक्स से मुझे बहुत दर्द हो रहा था और मैं लगातार रोने के साथ जोर जोर से मॉनिंग कर रहा था। मेरे चिल्लाने की आवाज़ उसे फकिंग स्पीड के साथ और भी तेज़ हो गयी और मेरा शरीर कमज़ोर पड़ने लगा। इतने हार्डकोर चुदाई के दौरान मैं सिर्फ रोता रहा और जब जब वो आदमी स्पीड बढ़ाता, मेरी आवाज़ चीख में बदल जाती। इतने में मुझे मीना की आवाज़ सुनाई दी। मीना यहाँ क्या कर रही थी, ओह्ह गॉड!

मीना बोली, "अब उठो भी!"

मैं समझा नहीं।

मीना मुस्कुराकर बोली, "समीर, अब उठ भी जाओ, ऑफिस के लिए लेट नहीं हो रहा है आज?" 

मैं समझ नहीं पा रहा था कि आखिर हो क्या रहा था मेरे साथ।

फिर अचानक भूकंप सा महसूस हुआ, मेरा शरीर हिलने लगा और मेरी नींद खुल गयी। ओह्ह गॉड, ये सपना था, इतना लम्बा सपना! थैंक्स गॉड कि ये सपना था और मैं नींद से जाग चूका था। इतना सबकुछ हो गया मेरे सपने में कि मेरा पूरा बदन डर से अभी भी थरथरा रहा था। 

मीना, "अब बैठे ही रहोगे?"

हे भगवान, सपना टूटते ही उस आदमी का चेहरा भी धुंधला होता चला गया और मैंने इधर-उधर देखा। सुबह का समय था और मेरी पत्नी ने मुझे नींद से जगाया था।

मीना, "यह क्या है? मैं बहुत उत्साहित हूं, कल इतना बड़ा अवसर है, मैंने तुमसे कहा था कि मैंने अपने दोस्तों के साथ शर्त लगाई है, अगर तुम भाग नहीं लेते हो तो मैं हार जाऊंगी यार!"

मैंने कहा, "मीना, मुझे देखो, मेरे फिगर को देखो! कितना मोटा हो गया हूँ। तुम एक काम करो। अपनी सहेलियों से बात करो और इस शर्त को अगले साल जरूर पूरा करोगी। नेक्स्ट ईयर तक मैं थोड़ा स्लिम हो जाऊंगा तो तुम्हारे शर्त जीतने में जरूर मदद करूँगा।"

मीना, "ठीक है! नेक्स्ट ईयर पक्का। आप जिम ज्वाइन कर लो ना, थोड़े स्लिम हो जाओगे तो पहले के जैसे बहुत हैंडसम दिखोगे।"

मैंने कहा, "यार, कर लूंगा जिम ज्वाइन! एक कप चाय तो पीला दो डार्लिंग! मुझे ऑफिस के लिए देर हो रही है!"

फिर मैं वाशरूम में गया, खुद को आईने में देखा, अपनी दाढ़ी देखकर मैं समझ गया कि यह एक खूबसूरत सपने से ज्यादा कुछ और नहीं है। मैं आज बहुत फ्रेश फील कर रहा था। आंखें बंद करके मैंने अपने सपने को याद करने की बहुत कोशिश की, लेकिन वह सपना धुंधला होता चला गया। मुझे अब जॉब पर जाना था, तैयार होकर मैंने टिफिन उठाया और ऑफिस चला गया। मुझे सपना तो याद नहीं आ रहा था, लेकिन जिस क्रासड्रेसिंग को मैं दो साल पहले भूल गया था, आज इस सपने के जरिए मेरी क्रासड्रेसिंग की जिंदगी फिर से जीवंत हो उठी। अब मैं बस एक अवसर की तलाश में था जब मैं लहँगा चोली पहन सकूं, नखरे दिखा सकूं, शरमाऊं, बलखाऊन, कमर मटका सकूँ, अपने नाक छिदवाकर छोटी वाली नथिया पहन सकूं और बड़ी बड़ी झुमकी पहनने के लिए कान भी छिदवा सकूं। चाहा तो बहुत कुछ, कभी हो पाएगा या नहीं, पता नहीं!

आज ऑफिस में भी काम में बिल्कुल मन नहीं लग रहा था। मेरे अंदर एक अजीब सी उलझन थी, लेकिन एक अजीब सी बेचैनी भी थी, जिसे मैं सोच रहा था कि कैसे शांत होऊं। काम खत्म करके घर लौटते वक्त मैंने खुद को एक बड़े से आईने में देखा। मैं पहले जितना पतला नहीं था, क्रॉसड्रेस भी करता तो शायद पहले जैसा हैंडसम नहीं दिखता। यही सोचकर मैं आगे बढ़ा, फिर एक जिम देखकर सोचा कि क्यों न जिम ज्वाइन कर थोड़ा मोटापा कम किया जाए। बिना कुछ सोचे मैं जिम के मालिक से मिला, जिम की फीस चुकाई और घर आ गया। 

अगले दिन से मैंने हर दिन सुबह 5.30 से 7 बजे तक मैंने जिम जाने और खूब एक्सरसाइज करने का निश्चय किया। घर आकर मैंने अपनी प्यारी पत्नी से कहा कि मैं कल से जिम ज्वाइन कर रहा हूं तो वह हंसने लगी। मैं समझ गया था कि मीना को यह सब मजाक लग रहा होगा। अगली सुबह पांच बजे का अलार्म लगाकर, मैंने अपनी पत्नी को बाहों में लेकर खूब रोमांस किया, लेकिन मीना के पीरियड्स शुरू होने के कारण हमने सेक्स नहीं किया। अगली सुबह मैं समय पर उठा और तैयार होकर जिम गया। मैंने कार्डियो के साथ शुरुआत की, मैंने बीस मिनट दौड़ लगाई, दस मिनट साइकिलिंग की, फिर अगले तीस मिनट हैंड्स फ्री जंपिंग, स्क्वैट्स, चिन-अप्स, पुश-अप्स के बाद पांच किलो के डंबल के साथ तीन अलग-अलग तरह के बाइसेप्स एक्सरसाइज किए। तीन सेट में उस एक्सरसाइज को पूरा कर लिया। फिर बाइसेप्स को पंप करने के लिए मशीन से पंप करना शुरू किया, तीन तरह की एक्सरसाइज के तीन सेट करने के बाद एक बार फिर ट्रेडमिल पर दस मिनट तक वॉक किया। पहले दिन के लिए इतना ही काफी था। मैंने जिम में देखा, मदों के लिए अलग सेक्शन था और लड़कियों के लिए अलग एक सेक्शन बना हुआ था। पांच फिट दस इंच, छह फीट, साढ़े छह फीट और यहां तक ​​कि साढ़े छह फीट के ज्यादा लम्बे मांसल शरीर वाले पुरुष थे। लड़कियों वाली सेलक्शन में सिर्फ लड़कियां थीं और कुछ मोटे अंकल टाइप लोग भी थे, जिनमें से दो या तीन छोटे हाइट के थे और बहुत मोटापा चढ़ा था उनके तोंद पर। लेकिन उनमें से एक अंकल से दिखने वाले, साढ़े छह फुट लंबे, चेहरे पर मूंछें और दाढ़ी, सांवले रंग और उम्र पचास के आसपास रही होगी। वह अपनी उम्र के हिसाब से काफी एग्रेसिव तरीके से एक्सरसाइज कर रहे थे। कुछ देर बैठ कर इधर उधर देखा, कुछ लड़कियों को भी एक्सरसाइज करते देखा, जो अपने हिप्स को राउंड शेप देने के लिए तरह-तरह की एक्सरसाइज कर रही थीं। आज जिम छोड़ने का मन नहीं कर रहा था, जिम ज्वाइन करके बहुत खुशी हो रही थी। फिर मैंने अपना बैग उठाया और घर आ गया।

जैसे ही मैं घर आया, मेरी प्यारी पत्नी ने मुझसे पूछा, "जिम में आपका पहला दिन कैसा रहा?"

मैंने कहा, "ग्रेट!"

फिर गुनगुने पानी से नहा कर तैयार हो गया और ऑफिस जाने के लिए तैयार हो गया।

मेरी प्यारी पत्नी ने मुझे टिफिन दिया और मुझे होंठों पर चूमते हुए कहा, "आज मैं तुम्हें अपनी सेहत का ध्यान रखते हुए देखकर बहुत खुश हूँ, आई लव यू डियर!

मैं अपनी बीवी को बाहों में उठा लिया और काफी देर तक उसे स्मूच करता रहा और फिर ऑफिस के लिए निकल गया। आज मीना को खुश देखकर मैं भी बहुत खुश था, वो खुश थी कि वो सोच रही थी कि मैंने अपनी सेहत के लिए जिम ज्वाइन किया है और मैं सोच !रही था कि जिम में एक्सरसाइज करने के अलावा और कितने आदमी मुझे देखने का सुख पा रहे हैं। आज मैं ऑफिस में भी बहुत उत्साह से काम कर रहा था और समय से पहले अपना काम पूरा करके अपने अपने अंतर्द्व्न्द में फिर से खो गया।

"क्या शादी के बाद क्रासड्रेसिंग करना ठीक होगा, क्या मीना को ये बात बता दूं? पता नहीं क्या सोचेगी अगर मैं उसे ये बात बताऊंगा तो। नहीं, नहीं, मैं अपनी प्यारी बीवी को ये कभी नहीं बता सकता, लेकिन मैं सेक्रेटली क्रासड्रेसिंग कहां करूं। अब? क्या मुझे क्रॉस-ड्रेस करना चाहिए या नहीं! हे भगवान, यह इतना कठिन क्यों है, मैं यह तय क्यों नहीं कर सकता कि मुझे क्या करना है?"

ऑफिस के समय के बाद जब मैं घर लौटा, तो मैंने अपना लैपटॉप खोला और क्रासड्रेसिंग के नए तरीके गूगल करने बैठ गया।

मुझे लैपटॉप में ऐसे क्रासड्रेसिंग के बारे में पढ़ते देख मीना चौंक गई और उसने मुझसे पूछा, "ये क्या है जी?"

मैंने उससे कहा, "इसे क्रासड्रेसिंग कहते हैं मीना। ये वही है जो तुम मुझे कोजागिरी की रात अपनी सहेलियों के सामने ले लड़की बनाकर ले जाना चाहती थी। कॉलेज में मेरे कुछ दोस्त ऐसे भी थे जो अगर क्रासड्रेसिंग करते हैं तो खूबसूरत से खूबसूरत औरतें भी उनके सामने फैल जाती हैं।"

मीना ने कहा, "क्या बात कर रहे हो, असली औरत में बहुत फ़र्क होता है और नकली औरत में। लेकिन तुम इसे क्यों पढ़ रहे हो?"

मैंने कहा, "बस देख रहा हूँ कि लोग ये कैसे कर लेते हैं। यू नो ना, क्यूरोसिटी!"

मीना ने कहा, "हम्म! फिर कोई बात नहीं। किचन में इतना सारा काम है, जब मैं काम निपटाकर वापस आऊँगी तब देखूँगी!"

मैंने पूछा, "देखकर क्या करोगी तुम?"

मीना ने कहा, "क्यूरोसिटी यार!"

फिर मुझे लगा कि लैपटॉप बंद कर दूं, तो मैंने लैपटॉप बंद कर दिया और अपनी प्यारी बीवी के साथ किचन में रोमांस करने लगा। मीना का पीरियड अभी भी चल रहा था और जब भी मीना का पीरियड्स आता था तो मेरी प्यारी बीवी मुझे अपने पास भटकने भी नहीं देती थी। अब मैं हर रोज सुबह जिम जाता था, दो घंटे खूब कसरत करता था, फिर थोड़ा आराम करके सबको कसरत करते देखता था, लेकिन मेरी निगाहें हमेशा उस अंकल को ज्यादा देखती थी, जो अपने बुढ़ापे में इतने जवान और हृष्ट-पुष्ट दिखते थे। क्या उमंग,क या जोश था उस आदमी में। पूरे एक महीने से मैं लगातार एक्सरसाइज किये जा रहा था लेकिन मेरे शरीर में ज्यादा अंतर नहीं दिख रहा था और इसलिए एक दिन मैं जिम प्रशिक्षक से मिला। मैंने उनसे सप्लीमेंट्स के बारे में पूछा, उन्होंने मुझे दो महीने और एक्सरसाइज करने को कहा और उसके बाद सप्लीमेंट्स लेने की सलाह दी वो भी मेरी सहनशक्ति के अनुसार दिया। इन तीन महीनों में मैंने खूब व्यायाम किया, हर दिन दो घंटे कड़ी मेहनत की और जिम ट्रेनर मेरा समर्पण देखकर बहुत खुश हुआ।

उस दिन उसने मुझसे कहा कि अब सप्लीमेंट लेने का सही समय है, उसने मुझसे ढाई हजार रुपए लिए और अगले दिन सप्लीमेंट ले लेने को कहा। जब मैं अगले दिन जब मैं जिम आया तो मैंने उस ट्रेनर को खोजा, वो मुझे नहीं मिला। फिर मैंने जिम के मालिक से बात की तो उसने ट्रेनर से बात की और फिर मुझे एक किलो व्हेय प्रोटीन का एक बड़ा डिब्बा थमा दिया और उसे एक बैग में रख दिया और मुझे समझाया कि इसे कैसे खाना है। जिम के मालिक ने बताया कि अब ट्रेनर बदल गया है और कल से नया ट्रेनर आ जाएगा। मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला था कि जिम इंस्ट्रक्टर कोई भी हो, मैंने अपनी एक्सरसाइज शुरू कर दी और जिम के मालिक के बताए अनुसार मैंने सप्लीमेंट लेना शुरू कर दिया। जिम में एक्सरसाइज के दौरान मेरी दोस्ती एक ऐसे लड़के से हुई जो अलग तरह से एक्सरसाइज करता था। मैंने उस लड़के से बात की, उसने बताया कि उसका नाम जुबैर है और वह समलैंगिक है। वह गे था, इससे क्या फर्क पड़ता! 

एक दिन जिम में एक्सरसाइज खत्म करने के बाद मैंने उनसे पूछा, "जुबैर, तुम कौन सी एक्सरसाइज करते हो? मैंने पहले कभी किसी को इस तरह एक्सरसाइज करते नहीं देखा।"

जुबैर ने मुझे बताया, "ये एक्सरसाइज मेरे शरीर को फेमिनिन कर्व्स देंगे। मेरी छाती का ग्रोथ बढ़ेगी क्योंकि मैं उसी तरह के सप्लीमेंट्स ले रहा हूं जो मेरी छाती को बढ़ने और सॉफ्ट रहने में मदद करेंगे। बाकी, मैं अपनी कमर को पतला करने के लिए एक्सरसाइज करता हूं। तुम चाहो तो यह एक्सरसाइज भी कर सकते हैं और मैं हिप्स को गोल करने की एक्सरसाइज भी करता हूँ!"

मैंने उनसे पूछा, 'लेकिन तुम तो मर्द हो यार, फिर ऐसी एक्सरसाइज क्यों कर रहे हो?"

जुबैर ने मुझसे कहा, "मेरा एक बॉयफ्रेंड है जो इस जिम में वर्कआउट करता है। मैं ये सब उसके लिए कर रहा हूं।"

मैंने कहा, "जुबैर, मैं समझा नहीं!"

जुबैर ने कहा, "मेरे बॉयफ्रेंड को देखो, उसकी ऊंचाई देखो, उसका नाम राजीव सिंह है। वह एक असली मर्द है और हम दोनों एक-दूसरे से बहुत प्यार करते हैं। मैंने फैसला किया है कि मैं अपने शरीर को स्त्री की तरह बना लूँगा ताकि मेरा बॉयफ्रेंड मुझे अपनी माँ के सामने अपनी होने वाली दुल्हन के रूप में ले जाने में ना कतराए!"

आई वज सुरप्राइज़्ड, जुबैर अपने शरीर को एक महिला की तरह बनाने और एक पुरुष की पत्नी बनने के लिए खुद को समर्पित करने जा रहा था। ऐसा समर्पण देखकर मेरे मन में क्रासड्रेसिंग के भाव और भी बढ़ गए।

मैंने जुबैर से पूछा, "तो तुम लड़की बनना चाहते हो?"

जुबैर ने कहा, "अगर हमारी शादी अच्छे से होती है, तो फिर अगर वह चाहे तो मैं अपना सेक्स चेंज करने को भी तैयार हूं।"

मैंने कहा, "सीरियसली ज़ुबैर, क्या तुम उससे इतना प्यार करते हो?"

जुबैर ने कहा, "हम्म!"

मेरे मन में अभी भी असमंजस सा था। मैंने तो सिर्फ क्रॉसड्रेसिंग ही की थी और उसी के लिए इतना पागल रहता था लेकिन लाइफ में पहली बार ऐसे लड़के को देख रहा था जो होते हुए भी अपने बॉयफ्रेंड को अपने पति रूप में पाने के लिए खुद को इतना फेमिनिन बना रहा था। क्या इतना अँधा होता है प्यार, जो एक मर्द के प्यार में खुद को ही भूल जाए। मैंने ज़ुबैर से बातें कंटीन्यू की।

मैंने पूछा, "ज़ुबैर, तुम अगर मर्द से औरत बन जाओगे तो तुम्हारे माँ बाप का क्या होगा? तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है क्या?"

ज़ुबैर, "नहीं समीर! मेरे गे होने की वजह से मुझे आलरेडी मेरे अम्मी अब्बू घर से बेदखल कर चुके हैं। और रही बात गर्लफ्रेंड की, तो वो भी थी। और राजीव उसी का ही तो भाई है। राजीव ने मुझे मेरी ही गर्लफ्रेंड के सामने ये हीरे की अंगूठी पहनाकर प्रोपोज़ किया और मुझे अपनी बाहों में उठाकर बैडरूम में ले गया। मेरी गर्लफ्रेंड देखती रह गयी और राजीव ने उस रोज़ मुझे बिस्तर में लिटाकर खूब प्यार किया और उसी रोज़ मैं हमेशा हमेशा के लिए राजीव का हो गया।"

मैं बोला, "ओह्ह! सीरियसली ज़ुबैर! तुम्हारी गर्लफ्रेंड ने तुमसे या अपने भैया से कुछ नहीं कहा फिर?

ज़ुबैर बोला, "नहीं और अगले ही दिन उसने दूसरा बॉयफ्रेंड बना लिया और उस रोज़ से वो मुझे ज़ुबैर नहीं बल्कि ज़ुबैदा भाभी कहकर पुकारती है। पहले तो उसका ऐसा करना मुझे अच्छा नहीं लगता था, लेकिन धीरे धीरे मुझे उसका छेड़ना अच्छा लगने लगा। उसके फ़ोन में मेरा नंबर आज भी ज़ुबैदा भाभी के नाम से सेव्ड है और मेरे फ़ोन में उसका नाम ननद रानी के नाम से सेव्ड है।"

मैं बोला, "गॉड! तुम तो इंस्पिरेशन हो प्यार करने वालों के लिए ज़ुबैदा!"

ज़ुबैर, "इश्श! यहाँ ये नाम कोई नहीं जानता समीर, प्लीज्!

मैंने हँसते हुए कहा, "अब तो मैं भी तुम्हारा नंबर अपने फ़ोन में ज़ुबैदा नाम से ही सेव करूँगा।"

फिर हमदोनो बहुत देर तक हँसते रहे। 

फिर मैं काफी देर तक एक्सरसाइज करता रहा। एक्सरसाइज के बाद, मैं और ज़ुबैर एक दूसरे के बारे में बातें करते रहे, जुबैर ने मुझे कमर पतली करने के लिए तीन-चार एक्सरसाइज बताई और फिर हम अपने-अपने घर लौट गए। सप्लीमेंट्स लेने के साथ-साथ मैंने कड़ी मेहनत करनी शुरू कर दी। सप्लीमेंट्स लेने की वजह से अब मेरा शरीर काफी तेज़ी से पतला होता जा रहा था, बाइसेप्स का शेप तो रहा लेकिन मेरी कलाइयां पतली होती जा रही थी। मैंने जुबैर द्वारा सुझाई गई एक्सरसाइज भी करनी शुरू कर दी ताकि मैं अपनी कमर पतली कर सकूं। दो महीने के अंत तक, मैं बहुत पतला होता जा रहा था और मेरी प्यारी पत्नी और मैं इस परिवर्तन से बहुत खुश थी। वैसे तो जिम ट्रेनर ने मुझसे कहा था कि उससे पूछे बिना ऐसे ही कोई सप्पलीमेंट ना लूँ।  लेकिन चूंकि मेरे पास सप्लीमेंट्स खत्म हो गए थे, इसलिए मैंने जिम ट्रेनर से पूछे बिना उसी सप्लीमेंट्स का एक और बॉक्स खरीदा, जिसे मैं पिछले दो महीनों से लगातार ले रहा था। यहाँ दुबले-पतले होने के साथ-साथ मेरे शरीर के बाल भी शून्य होने लगे थे, दाढ़ी भी बढ़नी बंद हो गई थी और दाढ़ी के एक-दो बाल भी गिरने लगे थे। इस बारे में जब मैंने जिम ट्रेनर से बात की तो उन्होंने मुझे शेव करने की सलाह दी। जिम के बाद मैं क्लीन शेव हो गया, वैसे भी मेरी प्यारी बीवी को कभी मेरी दाढ़ी-मूंछ पसंद नहीं थी और उस दिन जब मैंने शेव की तो मीना बहुत खुश हो गयी थी। आज ढाई साल बाद मैंने वास्तव में खुद को बिना दाढ़ी-मूंछ के देखा और मैं अपने परिवर्तन से बहुत खुश था। अगले दिन जब मैं जिम गया तो मुझे एंट्री नहीं मिल रही थी, मैंने अपनी आईडी दिखाई तब मुझे एंट्री मिली।

उस दिन जुबैर मेरे पास आया और बोला, "वाह समीर, तुम तो बहुत स्मार्ट लग रहे हो?"

मैंने कहा, "धन्यवाद ज़ुबैदा!"

ज़ुबैर, 'ईश्श्श! समीर प्लीज्!"

मैंने कहा, "ओके ओके सॉरी!"

जुबैर ने मुझसे पूछा, "रविवार को तुम क्या कर रहे हो?"

मैंने कहा, "क्यों? क्या तुम्हारा बॉयफ्रेंड बदलने का मन कर रहा है?"

जुबैर ने हंसते हुए कहा, "नहीं, नहीं, उस रविवार को उन्होंने ब्यूटीशियन को बुलाया है, मैं पहली बार क्रासड्रेसिंग करने जा रहा हूं, मैं सोच रहा था कि अगर तुम मेरे साथ रहो तो बहुत मजा आएगा।"

मैंने जुबैर की बातों का अनजान अंदाज में जवाब दिया।

मैंने कहा, "जुबैर, मैं आऊंगा लेकिन ज्यादा देर नहीं रुकूंगा!"

जुबैर, "कोई बात नहीं! थोड़ी देर के लिए आ जाओ, मुझमे हिम्मत आ जाएगी। वैसे एक दोस्त के नाम पर या तो एक मेरा एक बॉयफ्रेंड है और दूसरे दोस्त तुम।"

मैंने कहा, "धन्यवाद जुबैर!"

फिर जुबैर ने टाइमिंग बताई और मैं रविवार को चला गया। जुबैर जुबैर के बताए पते पर आया। जुबैर मुझे देखकर बहुत खुश हुआ, उसका तीन बीएचके का फ्लैट जिसमें वह अकेला रहता था। ब्यूटीशियन के नाम से एक नेपाली लड़का आया जो दिखने में बेहद स्त्रैण था, उसका नाम आदि था।

आदि ने जुबैर को एक खास क्रीम दी और कहा, "इसे अपने पूरे शरीर पर लगाकर गुनगुने पानी से नहा लो, इसे अपने चेहरे पर मत लगाना!"

जुबैर ने ठीक वैसा ही किया और जब वह वॉशरूम से बाहर आए तो आदि ने उन्हें समझाया कि लड़कियां कमर पर नहीं, बल्कि छाती पर टॉवल लपेटती हैं। आदी की बातें सुनकर ज़ुबैर शरमाने लगा। ऐसा पहली बार में होता है, कुछ बहुत घबराहट होती है और समझ नहीं आता कि क्या करें और क्या न करें। ब्लीच, फाउंडेशन और ब्रेस्ट फॉर्म के बाद वो भी साइज 34D, शायद मैंने सपने में भी इसी तरह के ब्रेस्ट फॉर्म पहने थे, ठीक से याद नहीं। लेकिन मैं उन ब्रेस्ट फॉर्म को देखकर उसे अपने हाथों में उठाने से खुद को नहीं रोक सका। ओह्ह! इसका वजन दो किलो, दोनों तरफ एक-एक किलो और इतना मुलायम था कि इसे छूने पर ऐसा लगा जैसे महिलाओं के स्तनों को छू रहा हूँ। 

जुबैर ने मेरी तरफ देखा और मुझसे पूछा, "क्या तुम्हें ये ब्रेस्ट फॉर्म पसंद हैं समीर?"

मैंने अपने होश को संभाला और उसे रखा और कहा, "यह तो लड़कियों के स्तनों की तरह बहुत कोमल है।"

आदि ने कहा, "हां, ये उनके लिए है जो क्रॉसड्रेसिंग करती हैं।"

मैं समझ गया कि आदि क्या कहना चाहता है। मैंने बेडरूम में देखा, बेड पर गुलाबी रंग का लहँगा चोली रखा हुआ था और उसके कपड़े को छूते ही मेरा दिल धड़क उठा। यह इतना बड़ा सेक्विन लहँगा था और इतनी छोटी बैकलेस चोली। वह बैकलेस सिल्वर रंग की चोली बहुत चमकदार और स्ट्रेची थी। वहां एक ओढ़नी भी रखा हुआ था, जो रेशम का दिखाई देता था। वहां मैंने देखा कि असली सोने के गहने भी रखे हुए थे। नाक में पहनने के लिए बिहारी शैली की छोटी नथिया थी, कान में पहनने के लिए सोने की बड़ी बालियां, सोने के दो जोड़े कंगन, पायल 250 ग्राम की और मांगटीका भी तिकोना, एक जोड़ी सोने का हाथफूल, बालों की सजाने के लिए अलग से सोने का ऑर्नामेंट्स रखा हुआ था। सोने के आभूषण थे अलग से जुड़ा सजाने के लिए, सोने के चौड़े बाजूबंद और कमरबंद भी रखा हुआ था। जुबैर कितने खुशकिस्मत था जो उसे खुलकर ऐसे क्रॉसड्रेसिंग करने का मौका मिल रहा था। सभी क्रॉसड्रेसर को इस तरह से तैयार होने का मौका नहीं मिलता है।

दो घंटे बाद जब जुबैर पूरी तरह से तैयार हो गया तो आदी पैसे लेकर चला गया। अब घर में सिर्फ मैं और जुबैर ही थे। मैं जाकर जुबैर के पास बैठ गया और उनकी खूबसूरती की खूब तारीफ की और उनके साथ कुछ सेल्फी भी लीं। आदि ने वाकई कमाल कर दिया था, एक लड़के को लड़की बना दिया था, जिसे देखकर कोई नहीं कह सकता कि दुल्हन के वेश में बैठी ये औरत एक्चुअल में एक मर्द है। जुबैर ने मुझे बताया कि राजीव आने वाले हैं और साथ में उसके पेरेंट्स भी। आज वो ज़ुबैर को शादी के लिए देखने आ रहे थे और इस बात से ज़ुबैर बहुत नर्वस हुआ जा रहा था। जुबैर का लहँगा उनके शरीर के हिसाब से काफी बड़ा और फैला हुआ था और नाभि में ज्वेलरी भी पहने हुए था। मैंने गौर से देखा, जुबैर की नाक में भी छेद कर दिया गया था, जिसमें उसने बिहारी स्टाइल की नथिया पहनी हुई थी और उनका चेहरा बेहद खूबसूरत लग रहा था। माथे की बिंदी, मांगटीका, झूमकिया चेहरे पर चार चाँद लगा रहे थे। हमदोनो एक कमरे में बैठे थे और अब मेरे जाने का टाइम हो चूका था। लेकिन ज़ुबैर ने मुझसे कहा कि राजेश के पेरेंट्स को आ जाने के बाद चले जाने को। मैं रुकना तो नहीं चाहता था लेकिन ज़ुबैर के कहने पर रुक गया। मुझे ऐसे किसी की शादी की बात के बीच रहने का कोई एक्सपीरियंस नहीं था, लेकिन मेरे अंदर एक अलग तरह की बेचैनी ने मेरा मन विचलित कर रखा था। ज़ुबैर घूँघट में ऐसे सिकुड़कर बैठा था, उसे देखकर मेरा मन कर रहा था कि काश किसी दिन मैं भी ऐसे घूँघट में अपने होने वाले पति के आने का इंतज़ार करूँ। क्रॉसड्रेसिंग के मेरे एक्सपीरियंस से ज़ुबैर बेखबर था और मैं उसे बताने भी नहीं वाला था कि क्रॉसड्रेसिंग मुझे भी आती है और इस खेल का मैं पुराना खिलाड़ी हूँ।

मैंने जुबैर से पूछा, "जुबैर, क्या तुमने अपनी नाक छिदवाई है?"

जुबैर ने कहा, "हां, राजीव जी चाहते थे कि मैं अपनी नाक और कान के साथ-साथ अपनी नाभि भी छिदवा लूं।"

मैंने पूछा, "दर्द नहीं हुआ?"

जुबैर ने कहा, "बहुत ज्यादा दर्द, लेकिन मैं अपने प्यार के लिए इतना ही कर सकता हूं, है ना?"

मैंने कहा, "तुम वास्तव में राजीव से बहुत प्यार करते हो, राजीव कितना भाग्यशाली है कि उसे तुम्हारे जैसा जीवन साथी मिला है।"

जुबैर ने कहा, "ठीक ही है समीर! मुझे तो राजीव जी की दुल्हनिया बनना है और अपने सास-ससुर की सेवा करनी है। मैंने तो बहुत दिनों से कह रहा था कि हरियाली तीज और करवाचौथ का व्रत रख लूँ, लेकिन ये हैं कि मुझे कोई व्रत करने ही नहीं देते। लेकिन इस साल से चाहे जो हो मैं इनके लिए ये दोनों व्रत रखूंगी।"

जुबैर की बातें सुनकर मुझे लगा कि ये लड़का कितना समर्पित है अपने बॉयफ्रेंड को पाने के लिए। इन्हें क्रासड्रेसिंग का कोई अंदाजा नहीं है, फिर भी इन्होंने अपना जीवन राजीव को समर्पित कर दिया है। आज मुझे बहुत जलन हो रही थी जुबैर से, काश मैं इतनी हिम्मत कर सकता समय रहते तो आज मैं भी अपने मन मुताबिक लाइफ जी रहा होता। ज़ुबैर को ऐसे दुल्हन बना देखकर मुझे जलन होने लगी और मैंने जुबैर से कहा कि मुझे लेट हो रहा है, कल अपनी तस्वीरें जरूर दिखाना। उसे अलविदा कह कर जाने लगा तभी डोरबेल की आवाज़ सुनाई दी। मैंने दरवाज़ा खोला, सामने ज़ुबैर का बॉयफ्रेंड अपने परिवार के साथ एंटर हुआ। मैंने सबको नमस्ते किया और ज़ुबैर के बताये जगह पर सबको बिठाया और उनके लिए किचन में जाकर चाय पानी ले आया और उन्हें सर्व किया। राजीव की माँ की हाइट मुझसे तो बहुत ज्यादा थी और वो बहुत मोटी भी थीं। राजीव की बहन दिखने में बहुत क्यूट और खूबसूरत थी और उसके होंठ के नीचे का तिल उसके चेहरे पर चार चाँद लगा रही थी। राजीव के पापा की हाइट राजीव जितनी ही थी, साढ़े छह फिट। पूरा परिवार एक साथ देखने में इतना खूबसूरत लग रहा था। 

तभी राजीव की माँ बोलीं, "तुम लड़की के भाई हो?"

मैंने कहा, "जी आंटी जी!"

राजीव की माँ बोलीं, "तो लड़की को यहाँ ले आओ!"

मैंने कहा, "जी आंटी जी!"

मैं कमरे में गया और ज़ुबैर को समझाया।

ज़ुबैर, "देखो वो तुम्हारी होने वाली सास तुम्हे अपने पास बुला रही है। वो जो भी पूछें उसका जवाब हलके स्वर में देना, घबराना मत, तुम्हारा भाई बन कर मैं यहाँ हूँ। उनके सामने सर झुका कर बैठे रहना, घूँघट उठाने का काम उनका ही है। अगर वो घूँघट उठाकर तुम्हारे खूबसूरती के बारे में तारीफ भी करें तो उत्साहित मत हो जाना। अपने इम्मोशनस को कण्ट्रोल में रखना और अभी जब मैं तुम्हे उनके सामने ले जा रहा हूँ तो सबसे पहले जो भी बड़े हैं तुमसे, उन सभी के पैर छूकर उनसे आशीर्वाद लेना। इससे अच्छा इम्पैक्ट पड़ेगा, अब चलो!"

ज़ुबैर, "थैंक्स समीर! तुम ना होते तो मेरा क्या होता!"

ज़ुबैर खड़ा हुआ और अपना लहँगा दोनों हाथों से उठा लिया। मैंने उसके दोनों कन्धों को पकड़कर राजीव के माँ के सामने खड़ा कर दिया। राजीव की माँ ने ज़ुबैर को अपने बगल में बिठाया और मैं इस नज़ारे को चुपचाप से देखने लगा। मैंने देखा, राजीव की माँ ने ज़ुबैदा का घूँघट हटा दी। फिर उन्होंने ज़ुबैर के शर्म में झुके चेहरे को उसकी ठुड्डी के सहारे ऊपर उठायीं। शायद ज़ुबैर को बहुत शर्म आ रहा था तो उसने अभी भी आँखें बंद कर रखा था। राजीब की माँ ने ज़ुबैर का चेहरा देखा और उनकी स्माइल बता रही थी कि वो कितनी खुश थीं ज़ुबैर को ऐसे देखकर। 

राजीव की माँ बोलीं, "तू तो बड़ी सुन्दर है रे, तेरा नाम क्या है?"

ज़ुबैर ने हल्के से स्वर में जैसा मैंने उसे सिखाया था, बोला, "मेरा नाम ज़ुबैदा है।"

राजीव की माँ बोलीं, "राजीव बता रहा था कि तेरे अम्मी अब्बू ने तुझे घर से निकाल रखा है।"

ज़ुबैर, "जी!"

राजीव की माँ बोली, "हाय राम! इतनी खूबसूरत बच्ची को कोई घर से कैसे निकाल सकता है, तूने ऐसा क्या किया जो तुझे तेरे अम्मी अब्बू ने घर से निकाल दिया।"

राजीव, "माँ, वो मुझसे प्यार करती है और इसके अम्मी अब्बू को हमारा एक होना पसंद नहीं था, इसीलिए उन्होंने ज़ुबैदा को घर से निकाल दिया।"

राजीव की माँ, "ओह्ह! तो बता, क्या तू मेरे बेटे की दुल्हन बनेगी?"

ज़ुबैर राजीव की माँ की सवाल को सुनकर शर्माने लगा। आज पहली बार मैं ज़ुबैर को ऐसे शर्माते और घबराते हुए एक साथ देख रहा था।

राजीव की बहन बोली, "क्या माँ अब छोड़ो भी, देखो ने मेरी ज़ुबैदा भाभी कैसे शर्मा रही है। ज़ुबैदा मेरे भैया की दुल्हनिया बनने को तैयार है, क्यों भाभी!"

ज़ुबैर की मुस्कान निकल गयी और सभी खुश हो गए। उसके बाद ज़ुबैर ने मेरा इंट्रो अपने एक्स गर्लफ्रेंड और उसकी होने वाली ननद श्रुति के करवाया। श्रुति ने मुझे थैंक्स कहा और ज़ुबैर एक कोने में चुपचाप मेरी और श्रुति की बातें सुन रहा था। राजीव ने पहली बार मुझसे बात की, उसकी आवाज़ अमिताभ बच्चन जैसी दमदार थी और हैंडशेक भी बहुत ही प्रोफ़ेशनल थी। अब मुझे ज़ुबैर के नसीब से और भी जलन सा महसूस होने लगा था और अब मेरे लिए यहाँ रुकना पॉसिबल नहीं था। राजीव ने वहां एक फोटोग्राफर को कॉल कर के बुला लिया और ज़ुबैदा के साथ पुरे परिवार की फोटो ली गयी और सबकी सेपरेट फोटो भी ली गयी थी। इनमे से बहुत से फोटोज में मैं भी था, ज़ुबैदा के ससुराल वालों के साथ। ज़ुबैदा के साथ भी मैंने बहुत सी तस्वीरें ली और ज़ुबैदा को दुल्हन बना देख मेरे अंदर की औरत भी मचलने लगी थी। मेरी क्रॉसड्रेसिंग की चाहत अब बहुत प्रबल होते जा रही थी और मैं अपनी इच्छाओं को शांत किये वहाँ से घर आ गया। जो सपना मैंने अपने लिए देखा था, भगवान् से ज़ुबैर की झोली में वो सपना सच करके बिना मांगे उसे सबकुछ दे दिया था। मैंने ज़ुबैर और उसके होने वाले पति, ननद और सास ससुर से विदा लिया और अपना घर आ गया, जहाँ मेरी बीवी गुस्से में थी।

मीना ने पूछा, "कहाँ थे आप? आपने तो कहा था कि जल्दी आ जायेंगे तो हम मूवी देखने चलेंगे।"

मैंने कहा, "आई एम् एक्सट्रेमली वैरी सॉरी मीना। ज़ुबैर का रिश्ता फाइनल होना था और उसे अम्मी अब्बू भी नहीं आये थे शादी की बात करने। ज़ुबैर के साथ सिर्फ मैं ही था और सबसे अच्छी बात ये है कि ज़ुबैर की शादी फाइनल हो चुकी है।"

मीना बोली, "वाओ! अब ये बताओ मूवी लेकर चलोगे या नहीं?"

मैंने कहा, "यार नेक्स्ट वीक चलते हैं ना! प्लीज!"

मीना बोली, "चलो ठीक है लेकिन नेक्स्ट वीक पक्का!" 

मैंने कहा, "हाँ बबा, पक्का!"

फिर मैं कमरे में चला गया और ज़ुबैर के बारे में सोचने लगा। "कितना खुशनसीब है ना ज़ुबैर। उसने कभी क्रॉसड्रेसिंग की चाहत भी नहीं की, लेकिन फिर भी दुल्हन के रूप में सजने संवरने का इतना अच्छा मौका मिला। उसकी शादी फिक्स हो गयी वो भी उसके पसंद के मर्द के साथ। अपने होने वाले पति के लिए ज़ुबैर ने अपना नाक और कान छिदवाने से एक पल के लिए भी पीछे नहीं हटा। क्या गे लव इतना प्यारा होता है और ज़ुबैर तो राजीव के लिए सेक्स चेंज करवाने तक को तैयार है। क्या लाइफ है यार! गे होते हुए भी क्रॉसड्रेसिंग का मजा मिल रहा था आज ज़ुबैर को और मैं क्रॉसड्रेसिंग इतने अच्छे से करना जानता हूँ, फिर भी मेरी हिम्मत नहीं होती कि मैं क्रॉसड्रेसिंग करूँ। ज़ुबैर को सच्चा प्यार मिल रहा था। वो छोटी सी नथिया ज़ुबैर के नाक में कितना प्यारा दिख रहा था, काश मुझे भी क्रॉसड्रेसिंग का मौका मिलता तो कितना मजा करता मैं। घर आने के बाद क्रॉसड्रेसिंग की मेरी चाहत और भी बढ़ गई थी लेकिन मैं ये बात अपनी प्यारी बीवी को बताना नहीं चाहता था। वो बहुत खुश थी क्यूंकि मैं पहले से काफी ज्यादा स्लिम होता जा रहा था, मेरे चेहरे पर दाढ़ी-मूंछ भी नहीं आ रही थी।  शरीर के बाल भी आने बंद हो गए थे, मेरे सिर के बाल भी पहले से काफी लंबे और घने हो गए थे, जो अब मेरे कंधों को छू रहे थे। जब मैंने अपनी बाल कटवाने की बात मीना को बताई तो उसने मुझे बाल कटवाने से साफ़ मना कर दिया। मैं अपने एक्सरसाइज से बहुत खुश था, अब मुझे केवल एक खाली जगह की आवश्यकता थी जहाँ मैं अपनी बढ़ती हुई क्रॉसड्रेसिंग की इच्छा को पूरा कर सकूँ। लेकिन मैं अपनी क्रासड्रेसिंग की फीलिंग्स किसी के साथ शेयर नहीं कर सकता था, न अपनी बीवी, न जुबैर, न ही किसी और के साथ। मैं बहुत तनाव में जाने लगा था, एक जिम और दूसरे ऑफिस, फिर जब भी मैं फ्री होता था, मैं क्रासड्रेसिंग के बारे में ही सोचने लगता था। मुझे एक अवसर की तलाश थी जब मैं खुद को एक महिला में बदल सकूं। अगले दिन जब मैं जिम गया तो जिम में ज्यादा लोग नहीं थे, जुबैर भी आज जिम नहीं आया और राजीव भी नहीं। मैंने हमेशा की तरह दो घंटे खूब मेहनत की और कमर को और भी  पतला करने के लिए एक्सरसाइज पर जोर देने लगा। जब मेरे बाल लंबे हो गए थे तो मैं उसे रबर बैंड से बांध कर टोपी पहन कर जिम जाने लगा था। अब मैं कार्डियो के साथ-साथ क्रंचेज और कमर पतला करने के लिए काफी एक्सरसाइज करने लगा और मेरे शरीर में काफी सुधार होने लगा और बॉडी का शेप थोड़ा कर्वी होना भी शुरू हो चूका था।

एक दिन जब मैं जिम से वापस आया तो मीना ने मुझसे पूछा, "समीर! एक बात बताओ, अब तुम इतने पतले हो गए हो, तुम अपना बाइसेप्स क्यों नहीं बढ़ाते, बस स्लिम ही हो रहे हो।"

मैंने कहा, "मीना, मुझे फिट रहना है, बॉडी नहीं बनाना है।"

और फिर हम हंसने लगे। इन महीनों में मेरी कमर का आकार अब चौंतीस से कम होकर तीस का हो कर रह गया था। मैंने कभी भी अपनी छाती या कूल्हों पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया, लेकिन एक दिन जींस पहनते समय मैंने देखा कि मेरे कूल्हे बहुत गोल हो गए हैं और आकार में भी बड़े होते जा रहे हैं। छाती को ध्यान से देखा तो वह भी चौड़ी होने के बजाय गोल आकार ले रही थी। मेरे शरीर पर बाल आने तो बहुत समय पहले ही बंद हो गए थे और शरीर में सॉफ्टनेस और त्वचा में चिकनाहट इतनी बढ़ गई थी कि मैं अपने आप को छूते ही रोमांचित हो जाता था।

मैं थोड़ा चिंतित था और जिम ट्रेनर से इस बारे में बात की, तो उन्होंने मुझे पुशअप ब्रा पहनने की सलाह दी और मैंने उनसे कहा, "यार, मैं एक मर्द हूं, मैं ब्रा नहीं पहन सकता!"

ट्रेनर ने कहा, "यह एक आम बात है, पहले ब्रा पहनो, फिर गंजी पहनो और फिर ऊपर से टी-शर्ट पहनो, किसी को पता नहीं चलेगा कि तुमने पुशअप ब्रा पहनी है और तुम्हारी छाती का बढ़ना भी कम होता चला जायेगा।"

मैंने कहा, "लेकिन!"

ट्रेनर ने कहा, "लेकिन वेकिन क्या? तुम्हारा चेस्ट तो बहुत ठीक है। जिम में आने वाले कई लड़के तो अपनी छाती की वृद्धि को रोकने के लिए ब्रा पहनते हैं, तुम्हे भी पहननी चाहिए!"

जिम ट्रेनर ने मुझे तीस साइज की पुशअप ब्रा पहनने की सलाह दी और जिम छोड़ने के बाद मैंने अपने लिए अदृश्य स्ट्रैप वाली दो पुशअप ब्रा खरीदीं। जब मैं घर आया, तो मैं नहाने के लिए वॉशरूम गया और एक ब्रा, ऊपर बनियान और अंत में एक गहरे काले रंग की टी-शर्ट पहन ली और जब मैं वॉशरूम से बाहर आया, तो मैंने अपनी दूसरी ब्रा को अपने बैग में छिपा लिया। आज बरसों बाद ब्रा पहनने के बाद मैं बहुत कॉन्फिडेंट फील कर रहा था और मैं बहुत खुश था। क्रासड्रेसिंग ना सही, लेकिन इसी बहाने ब्रा पहनने का मौका तो मिल ही गया। इस सब से बेखबर मेरी प्यारी पत्नी ने मेरा टिफिन पैक करके मुझे दे दिया और मैं ऑफिस के लिए निकल गया।

अगले तीन महीने कब बीत गए पता ही नहीं चला। मैं जिम में खूब एक्सरसाइज करता था और ऑफिस से वापस आने के बाद अपनी प्यारी बीवी से बहुत प्यार करता था। जिम ने मेरी जिंदगी बदल दी। मैं काफी खुश रहने लगा था, जबकि अब जब भी मैं जिम आता था तो मेरी नजरें ज्यादातर वहां जुबैर को ही ढूंढती थीं, लेकिन वो कहीं नजर नहीं आता था। एक दिन जब मैं जिम में एक्सरसाइज करके आराम कर रहा था तो गर्ल्स सेक्शन की एक लड़की ने मुझे हाय कहा। मैंने भी उस लड़की को देखा और हाय कहा और फिर लड़कों के सेक्शन में जुबैर की तलाश करने लगा। तभी मैंने अचानक देखा वो लड़की मेरे सामने खड़ी थी।

लड़की ने कहा, "समीर! क्या तुम मुझे नहीं पहचान रहे हो?"

मैंने उसकी तरफ देखा भी नहीं और कहा, "सॉरी मैडम, मैं तो आपको जानता तक नहीं!"

उसने कहा, "मैं ज़ुबैदा!"

उसने ऐसा कहा और मैं चौंक गया।

मैंने कहा, "जुबैदा, तुम! हे भगवान! तुम लड़कियों के सेक्शन में?"

जुबैदा ने कहा, "हम्म! राजीव जी ने मुझे सेक्स चेंज करने के लिए कहा और अब मेरे पास प्राकृतिक ब्रेस्ट्स और वजाइना है, अब मैं बहुत खुश हूं। कुछ महीने बाद मेरी शादी हो रही है, राजीव जी का परिवार अब मुझे बहुत पसंद करता है। उनका मांनना है कि राजीव के लिए मुझसे सुन्दर दुल्हन उन्हें कही नहीं मिलती। तुम कैसे हो समीर?"

मैं एकदम डीप शॉक में था, ज़ुबैर ने सेक्स चेंज करवा लिया था और अब वो ज़ुबैदा बन चुकी थी। नाक में सानिया मिर्जा स्टाइल नथिया, कानों में सोने की बड़ी-बड़ी बालियां और ऊपर से नीचे तक जुबैदा किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही थी। ज़ुबैदा के नेचुरल ब्रेस्ट्स काफी बड़े बड़े थे और उसकी हिप्स भी काफी राउंड शेप में थी। मैंने जुबैदा को शुभकामनाएं दी और कुछ देर उससे बात करता रहा। मुझे एहसास हुआ कि ज़ुबैदा की आवाज़ भी बहुत फेमिनिन और मीठी हो चुकी थी, उसके नेल पेंट ने उसके गोरे हाथों और पैरों को और भी खूबसूरत बना दिया था। फिर मैंने उसे अलविदा कहा और वहां से चला गया और पूरे रास्ते मैं जुबैर के बारे में सोचता रहा कि कैसे उसने एक आदमी का प्यार पाने के लिए ज़ुबैर ने खुद को एक लड़की में बदल लिया। जुबैदा की क्या लाइफ है, इसे कहते हैं अपनी मर्जी से जीना और वो कितनी खुश थी। मेरी जिंदगी में जुबैर की एंट्री ऐसे वक्त हुई जब मैं खुद क्रासड्रेसिंग की वजह से मेरे मन में चल रहे अंतर्द्वंद से जूझ रहा था। 

यह सुनने के बाद कि ज़ुबैर अब ज़ुबैदा बन चुका है और उसकी पसंद का आदमी उसे बहुत जल्द ब्याह कर अपनी दुल्हन बनाकर अपने साथ ले जाने वाला था। ज़ुबैदा अपनी पसंद के लड़के से शादी करने वाली है, ये जानने के बाद तो मेरे अंदर का स्त्रीत्व बाहर आने को बेताब था। पिछले एक साल से फिर से क्रासड्रेसिंग की चाहत ने मेरे अंदर फिर से आग लगी दी थी और मैं नहीं जानता था कि मैं कब तक इसे कंट्रोल कर पाउँगा।

एक दिन मीना ने मुझसे कहा, "इतनी बोरिंग लाइफ हो गई है तुम्हारे साथ, तुम मुझे घुमाने नहीं ले जाते, पिक्चर भी नहीं दिखाते, साथ में टाइम स्पेंड नहीं करते, ये चल क्या रहा है?"

मैंने कहा, "काम मेरी जान! वैसे हर रोज़ ऑफिस के बाद तो मैं तुम्हारे साथ ही रात बीतता हूँ। रोमांस और सेक्स भी बराबर करता हूँ तुम्हारे साथ। और क्या चाहिए तुम्हे?"

मीना बोली, "देखो, पिछले साल तो तुमने मना कर दिया था लेकिन मैं तुमसे बोली थी ना कि इस बार कोजागिरी के ओकेज़न पर मैंने अपने दोस्तों के साथ वो शर्त पूरा करुँगी।"

मैंने कहा, "यार इस बात को एक साल होने जा रहा है, तुम इस बात के लिए अभी भी सीरियस हो?"

मीना ने कहा, "हाँ! पिछली बार तो मैंने तुम्हारी बात मान ली थी, लेकिन इस बार मैं नहीं मानूँगी। मुझे जीवन में कुछ उत्साह चाहिए और इस बार तुम मेरे मन मुताबिक़ महिला वेश में वहाँ जाओगे और प्लीज्, इस बहार मना मत करना, मैं इस चैलेंज को एक्सेप्ट करना चाहती हूँ। मेरी दोस्तों में, उनका ये मानना ​​है कि महिलाओं से ज्यादा खूबसूरत कोई नहीं है, लेकिन मुझे लगता है कि अगर किसी पुरुष को सलीके से महिलाओं की पोशाक में तैयार किया जाए तो वो उन सभी महिलाओं से ज्यादा खूबसूरत दिखेगी!"

मैंने कहा, "नहीं! मीना। मैं ऐसे औरत बनकर इतने बड़े ओकेज़न में नहीं जा सकता। समाज में मेरी क्या इज़्ज़त रह जाएगी, किसी ने पहचान लिया तो?"

मीना, "मैंने अपना मन बना लिया है! कोजागिरी उत्सव अगले शनिवार को ही, यहाँ से छह किलोमीटर दूर के एक बड़े वाले मैदान में होना है। प्लीज् मान जाओ ना, कौन सा हमेशा के लिए लड़की बनाना चाहती हूँ तुम्हे, सिर्फ एक रात की तो बात है। आप मेरे लिए इतना नहीं कर सकते!"

मैंने कहा, "ठीक है! अब अभिनय मत करो।"

यह सुनकर मीना बहुत खुश हुई और उसने मुझे किस किया, मैंने भी उसे किस किया और इस बार यह कोई सपना नहीं बल्कि हकीकत में होने जा रहा था। यह सब वास्तविक रूप में होने वाला था, मेरी क्रासड्रेसिंग इच्छा मेरी प्यारी पत्नी द्वारा पूरी होने वाली थी। मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि एक साल पहले जो मैंने सपने में देखा था वह कैसे हकीकत में बदलने जा रहा है। उससे पहले मैं आप सभी को इस ओकेज़न के बारे में बता दूँ! जैसे ही मानसून का मौसम समाप्त होता है, कोजागिरी पूर्णिमा या शरद पूर्णिमा को पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है, जिसे हिंदुओं का फसल उत्सव माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन पृथ्वी और चंद्रमा एक-दूसरे के बहुत करीब होते हैं और इसलिए चंद्रमा से जो किरणें हमें प्राप्त होती हैं, वे आत्मा और शरीर के पोषण के लिए बहुत अच्छी होती हैं। वैसे तो महाराष्ट्र में यह पूजा बहुत ही भव्यता के साथ की जाती है। भक्त देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं और पूरे दिन उपवास भी करते हैं। ऐसा माना जाता है कि रात के समय देवी भक्तों के घर आती हैं और जो कोई भी इस रात को जागता है उस पर अपनी कृपा बरसाती है। इसलिए लोग कोशिश करते हैं कि रात को नींद न आए और खुद को व्यस्त रखने के लिए भक्ति गीत गाते हैं। इस पूजा के दौरान, लोग अपने घरों को रोशनी से अच्छी तरह सजाते हैं और देवी लक्ष्मी के स्वागत के लिए रंगोली बनाते हैं। यह एक ऐसा त्योहार है जो लोगों के जीवन में चमक का स्वागत करता है। इस त्योहार की एक और परंपरा यह है कि पूजा समाप्त होने के बाद भक्त रात में चावल के गुच्छे के साथ ठंडे दूध का भोग लगाते हैं। यह त्योहार देश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है लेकिन देवी लक्ष्मी के प्रति समान श्रद्धा के साथ।

मैं बहुत उत्साहित था, मैंने अपनी क्रासड्रेसिंग के लिए मानसिक रूप से तैयारी शुरू कर दी थी। शुक्रवार भी बीत गया था और आज शनिवार था, आज ही कोजागिरी का उत्सव होने वाला था। भक्त आमतौर पर इस दिन किसी भी ठोस भोजन का सेवन नहीं करते हैं और रस और तरल पदार्थों का ही सेवन करते हैं या भूखे रहते हैं। इस पूजा का सबसे बड़ा आकर्षण मसाला दूध है, जिसे कुछ मसाले और बहुत सारे सूखे मेवे डालकर तैयार किया जाता है। इस अवसर पर परिवार के सबसे बड़े बच्चे को भी सम्मानित किया जाता है जो इस अनुष्ठान का हिस्सा होता है। आज इतने बड़े आयोजन में आसपास के समाजों की 400 से अधिक महिलाओं का जमावड़ा होना था और उन महिलाओं की तरह आज मेरा भी उपवास था। वैसे तो मीना ने भी उपवास किया था, लेकिन आज मैंने भी जीवन में पहली बार उपवास किया तो मुझे कमजोरी और चक्कर आ रहे थे। दिन के ग्यारह बजे जब मेरे फ्लैट की डोर बेल बजी तो मैंने दरवाजा खोला। सामने एक लड़की खड़ी थी, उसने अपना नाम गोराल बताया और अंदर आ गई। गोराल एक ब्यूटीशियन थी जो मुझे तैयार करने और ब्यूटी पार्लर ले जाने आई थी। मीना ने ब्यूटीशियन को चार बैग दिखाए, एक में लहँगा चोली और ओढ़नी, दूसरे में गहने, तीसरे में हाई हील्स वाली सैंडल और चौथा, पता नहीं क्या?

मैंने मीना से पूछा, "मीना, तुमने इतनी खरीदारी क्यों की?"

मीना ने कहा, "मैंने अपने लिए लहँगा खरीदा था, आज तुम पहन लो, बाद में मैं पहन लूंगी। गहने आर्टिफिशियल हैं और तुम्हारे पैरों के मुताबिक हील्स ब्रांडेड हैं।"

मैंने पूछा, "चौथे थैले में क्या है?"

मीना ने कहा, "सरप्राइज तुम्हारे लिए है, देखो तुम गोरल के साथ जाओ, उसे जो करना है करने दो, उसे मत रोकना!"

मैंने कहा, "ठीक है माय लव! तुम्हारे लिए कुछ भी!"

फिर मैं गोरल की कार में बैठकर उसके ब्यूटी पार्लर गया, वहां से वह मुझे सीधे उसी ग्राउंड पर ड्राप करने वाली थी, जहाँ ओकेज़न होना था। उसी मैदान में मीना भी मुझसे मिलने जा रही थी। मैंने भी सोचा था कि आज देखते हैं मीना मुझे खुद से कैसे पहचानती है। मैं भी उसे यह बताने के मूड में नहीं था कि मैं कैसा दिखता हूं। गोरल ने ब्यूटी पार्लर में मुझे शीशे के सामने बिठा दी और मेरा मेनीक्योर और पेडिक्योर करने लगी। जिसके बाद गोरल ने मेरे दोनों हाथों में कोहनियों और पैरों तक घुटनों तक मेंहदी लगा दी और मेरे चेहरे पर फेस मास्क लगा दिया और मुझे दो घंटे चुपचाप बैठने को कहा। मैं अगले दो घंटे तक चुपचाप बैठा रहा, फिर गोरल ने मेरा फेसमास्क हटा दिया। बहुत ताज़ा महसूस हुआ। फिर गोराल ने मेरे हाथ-पैर पर विशेष ऑइंटमेंट लगा दी और फिर मुझसे हाथ-पैर धोकर आने को कहा। जब मैं अपने हाथ पैर धो रहा था तो मेंहदी का चमकीला रंग मुझे बहुत आकर्षित कर रहा था। फिर उसने मुझे अपने हाथ पैरों के नाखून रंगने के बाद चेंज कर लेने को कहा। गोरल ने मुझे ब्रा और पेंटी दी और एक बाथरोब भी। गोरल मुझे ब्रा पहनने का तरीका समझाने लगी, पगली को ये नहीं पता था कि मैं खुद इतना अच्छा मेकअप कर लेता हूं, साड़ी पहन लेता हूं, चोली की डोरी खुद ही बांध लेने में भी मैं एक्सपर्ट हूँ, लेकिन मैंने जाहिर नहीं होने दिया कि मैं ये सब जानता हूँ।  गोराल जो कुछ कहती रही, मैं चुपचाप सुनता रहा। फिर मैं कमरे में गया, मैंने जो ब्रा पहनी हुई थी, उसे उतार कर गोरल की दी हुई ब्रा पहन ली। ब्रा और पैंटी पहनकर जब मैं बाथरोब पहनकर बाहर आया तो गोरल की आंखों में चमक आ गई।

गोरल ने कहा, "मैंने आज तक इतना सुंदर आदमी नहीं देखा, तुम्हारा चेहरा भी लड़कियों जैसा है। तुम दाढ़ी-मूंछ नहीं रखते?"

मैंने कहा, "धन्यवाद! पहले दाढ़ी-मूंछ रखता था, लेकिन अब दाढ़ी मुछ आती ही नहीं।"

गोरल ने कहा, "तुम अपना बाथरोब उतार दोगे प्लीज्!"

मैंने बाथरोब उतार दिया, फिर गोराल ने मेरे स्तनों का निरीक्षण करना शुरू किया। तब गोराल ने कहा, "तुम्हारे स्तन तो मेरी अपेक्षा से कहीं ज्यादा बड़े हैं।"

मैंने कहा, "इतने बड़े भी बड़े नहीं हैं।"

गोरल ने कहा, "हम्म, फिर आपको ब्रेस्ट फॉर्म की जरूरत नहीं है, सिलिकॉन पैड ही पर्याप्त होंगे।"

फिर गोरल ने मेरी छाती को एक रबर स्ट्रैप से बीच में समेट कर टाइट कर दी और फिर एक एक करके मेरी ब्रा की फिलिंग में दो बड़े लिक्विड सिलिकॉन पैड ऐसे डाल दी जिससे मेरी ब्रा टाइट हो गयी और मेरी छाती बहुत भारी लगने लगी। फिर मैंने आईने में देखा, मेरी प्राकृतिक छाती बहुत बड़े स्तनों की तरह लग रही थी और वास्तव में सुंदर दिख रही थी। इससे मुझे काफी कॉन्फिडेंस मिल रहा था और गोरल यह नोटिस कर रही थी। फिर गोरल ने लहँगा चोली वाले बैग से चोली निकाली और मुझे पहना दी। चोली मेरे साइज से दो साइज कम थी और डीप कट होने के साथ ही पूरी तरह से बैकलेस थी। हालाँकि स्ट्रेचेबल फैब्रिक होने की वजह से वो चोली मुझे चुस्त हो गयी लेकिन उस चोली को पहनने के बाद दोनों तरफ जो एक-एक डोरी थी उसे गोरल ने कसकर बांध दी। इससे मेरी छाती और भी ज्यादा बीच में दब गई और अब मैं बहुत ही सेक्सी देख रहा था। फिर गोरल ने मुझे एक बहुत बड़ा लहँगा पहना दी। लहंगे पर हैवी कढ़ाईगिरी की हुई थी और गोराल ने उस लहंगे को मेरी पैंटी के ठीक ऊपर और मेरी नाभि के नीचे कस कर बांध दी। जब मैंने खड़े होने की कोशिश की तो गोरल ने मुझे रोका और मुझे पाँच इंच ऊँची हील पहना दी। अब गोराल ने मुझे खड़े होने को कहा तो मैं खड़ा हो गया, लेकिन लहँगा अभी भी फैला हुआ था। मैं नीचे झुका, लहँगा ऊपर उठाया और कुछ कदम चलकर देखा।

मैंने गोरल से कहा, "गोरल, क्या तुम्हें इस लहंगे को इसी तरह अपने हाथ में लेकर चलना होगा?"

गोरल ने हंसते हुए कहा, "सॉरी, लेकिन हाँ! देखने से, क्या आपको नहीं लगता कि आप आज पहली बार क्रॉसड्रेसिंग कर रहे हैं? क्या आपने पहले क्रॉसड्रेसिंग की है?"

मैंने कहा, "किया तो है और तभी तो हील्स में इतने कम्फर्टेबल तरीके से कैट वाक कर पा रहा हूँ, लेकिन प्लीज, आई रिक्वेस्ट यू,  मेरी पत्नी को इस बारे में गलती से भी मत बताना।"

गोरल, "ओह, मैं आपकी पत्नी को नहीं बताउंगी सर!"

फिर गोरल ने सुहाग चूड़ा सेट मेरी पतली कलाइयों पर कोहनी तक पहना दी। फिर उसने मेरी दोनों हथेलियों पर हाथफूल पहनाई और अंत में कलीरे पहना दी जो पंजाबी दुल्हनियां अपनी शादी में पहनती हैं। यह सब एक सपने जैसा लग रहा था, एक ऐसा सपना जिसने क्रासड्रेसिंग के लिए मेरे प्यार को फिर से जगा दिया और आज मेरी वो इच्छा पूरी हो रही थी। फिर गले में बड़ा सा नौलखा हार पहना और उसके बाद गोराल ने मेरे बालों में कंघी की और मेरे बालों को बांध कर जुड़ा बना दी और उसे हेयर ऑर्नामेंट्स, पांच लेयर वाली माथा पट्टी से सजा दी। फिर गोरल मेरे चेहरे का मेकअप करने लगी और थोड़ी देर बाद शार्प आइब्रो, आंखों में गहरे काजल की मोटी परत, पलकों पर आई लैशेज, आई बैग्स, डबल आई लिड, स्मोकी आई शैडो, चेहरे पर फाउंडेशन, गालों पर पिंक और ब्लश और नाक को थोड़ा लम्बा दिखाने ले लिए थोड़ा नोज एन्हांसमेंट टचअप की और उसके साथ गुलाबी चमकदार होंठों को ग्लॉस लगाकर और और भी चमका दी। इसी के साथ, मैं लगभग तैयार था, गोराल ने मेरे कानों में पेंचदार झुमके और नाक में छोटी लेकिन स्टाइलिश नथिया पहनाई जो आमतौर पर यूपी बिहार की दुल्हनियां पहनती हैं। इस नथिया में नीचे की तरफ सेएक छोटा सा पेंच था और इस वजह से इसे देखने से पता नहीं चल रहा था कि मेरी नाक छिदी भी है या नहीं। इतना सब होने के बाद गोरल ने मेरी भौंहों के बीच में एक छोटी सी लाल बिंदी चिपका दी और अंत में मेरे पैर में चांदी की हैवी पायल और साथ ही मेरे पैरों की सभी दसों उंगलियों पर चांदी के बिछुए भी पहना दी। गोरल का काम लगभग समाप्त हो गया था, लेकिन अभी तक एक बैग नहीं खुला और मेरी नजर उसी बैग पर जा रही थी।

जब गोराल ने मुझे इस तरह देखा तो मुझसे बोली, "तुम उस बैग में क्या देख रहे हो?"

मैंने कहा, "सॉरी!"

गोरल ने कहा, "इसमें जो है वह बहुत खास है और आपकी श्रीमती ने मुझे इसके लिए ख़ास जोर देकर कहा है कि इसे सरप्राईज़ ही रखूं!"

मैंने पूछा, "इस बैग में क्या है?"

गोरल ने बैग खोलकर दिखाया, उसमें दो डिब्बे थे, गोरल ने उनमें से एक खोला तो उसमें रिमोट से चलने वाला डिल्डो था, जिसका रिमोट गायब था और गोराल ने मुझे बताई ये बात कि मेरी पत्नी चाहती थी कि मैं यही पहली चीज अपनी गांड की छेद में डाल लूँ। मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि मेरी पत्नी ऐसा क्यों चाहती है। फिर गोराल ने समय देखा और मुझे खड़े होने के लिए कहा। जब मैं खड़ा हुआ तो तो उसने मुझे आगे झुकने को कहा। मैं आगे झुक गया तो उसने मेरी पेंटी पीछे की साइड से नीचे सरका दी। मैं समझ चुका था कि क्या होने वाला है। गोरल ने उस डिल्डो पर कुछ लिक्विड जैसा कोई ऑइंटमेंट से भिगोया और मेरी गांड की छेद में जोर से पुश कर दी और वो डिलडो मेरी गांड के छेद के अंदर सेट हो चूका था। जब डिल्डो मेरी गांड में घुसा, तो मैंने जोर से आह  कहकर चिल्लाया और गोराल मुझे देखकर मुस्कुराती रही।  डिल्डो के ऊपर हीरे जैसा कुछ था और जब गोरल ने मेरी गांड की तस्वीरें क्लिक कीं और मुझे दिखाईं, तो मैं शर्म से पानी पानी हो गया।  फिर गोराल ने मेरे स्मार्टफोन में एक ऐप्प डाउनलोड की और उस एप से मीना को रिक्वेस्ट भेजी। उसके बाद गोरल ने उस ऐप को मेरे स्मार्टफोन से अनइंस्टॉल कर दिया।

गोराल ने कहा, "समीर जी, अब मीना के पास इस डिल्डो तक की पूरी पहुंच है। वह दुनिया के किसी भी कोने में बैठकर इसे ऑपरेट कर सकती है।"

मैंने कहा, "यह लिमिट को क्रॉस करना है, मीना ऐसा क्यों करने को कहेगी?"

गोराल बोली, "ताकि आप चाह कर भी तेज़ ना चल सको। मीना चाहती है कि आप बहुत ही धीरे धीरे चलो और इस बात से आपकी शर्म की स्थिति हमेशा बनी रहे। आप बहुत भाग्यशाली हैं, जो आपको इतनी सुंदर पत्नी मिली है और आपसे बहुत प्यार करती है।"

मैंने कहा, "मुझे पता है, लेकिन उस दूसरे डिब्बे में क्या है?"

फिर गोराल ने दूसरा डिब्बा खोला, उसमें से एक चेस्टिटी निकली। मैंने अपने जीवन में पहली बार ऐसा देखा था, कहाँ पहना जाता है यह भी नहीं पता, लेकिन गोरल को पता था कि चेस्टिटी कहाँ पहनी जाती है। फिर गोरल ने मेरी पेंटी ऊपर और लहँगा ऊपर उठाकर कर मुझे बैठने को बोली। जब मैं उस कुर्सी पर बैठा तो बहुत दर्द हो रहा था, इतना कि बर्दाश्त के बाहर बैठते ही मैं उछल पड़ा। गोराल यह सब देखकर हंसने लगा और मुझे आराम से बैठने को कहा। मैंने आराम से बैठने की कोशिश की लेकिन मैं सीधे बैठ भी नहीं पा रहा था। फिर गोराल ने मुझे खड़े रहने और सामने से लहँगा उठाने को कहा। जब मैंने लहंगे को ऊपर उठाया तो गोरल ने मेरी पैंटी उतारी और मेरा लंड निकाल कर उस पर कोई लिक्विड स्प्रे दिया। उस स्प्रे की वजह से मुझे थोड़ी सी सनसनाहट महसूस हुई और उसके बाद मुझे कुछ भी महसूस नहीं हो रहा था। फिर गोरल ने मेरे लंड को उस चेस्टिटी में सेट किया और उसे लॉक करके उसकी चाबी उसी डिब्बे में रख दी।

मैंने गोराल से पूछा, "यह सब क्या है?"

गोरल ने कहा, "आपकी प्यारी पत्नी आपसे यह सब चाहती है, मुझे खेद है, मैं आपकी कोई मदद नहीं कर सकती।"

वो चेस्टिटी भी धातु से बनी थी, इसलिए मैं उसके वजन को अच्छी तरह से महसूस कर सकता था और गांड में मोटे डिल्डो ने मुझे अपने आप में बंद कर रखा था। इन सबके बावजूद मुझे अच्छा महसूस हो रहा था। मैं सातवें आसमान में उड़ रहा था, आज मेरी इच्छा पूरी हुई और यह सब मेरी प्यारी पत्नी की वजह से हुआ। फिर गोरल ने हिप्नोटिक पॉइजन नाम का फीमेल परफ्यूम मेरे पूरे शरीर पर छिड़क दिया। इस फीमेल परफ्यूम की महक इतनी तेज थी कि मैं खुद इस परफ्यूम का दीवाना हो रहा था। उसके बाद गोरल ने मुझे एक फीमेल लेडीज पर्स दिया, जिसमें मैंने अपना स्मार्टफोन रखा और इस तरह ओढ़नी को मेरे एक कंधे पर पिन करके मेरी कमर पर भी पिन कर दिया, ताकि जरुरत पड़ने पर मैं ओढ़नी से अपना घूंघट भी कर सकूं। गोराल ने मुझे इस तरह तैयार किया था कि जब मैंने खुद को शीशे में देखा तो यकीन ही नहीं हुआ कि यह मैं ही हूं। मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा, समय पूरा हो गया और यह देख गोराल ने मुझे उसी मैदान के बाहर कर दी और वहां से चली गयी। मैंने मीना को फोन किया और उससे कहा कि मैं मैदान के बाहर आ गया हूं और अकेला खड़ा हूँ तो उन्होंने मुझे कुछ देर इंतजार करने को कहा। मैं कुछ देर मैदान के बाहर इंतजार करता रहा। बहुत से लोग वहां से गुज़रते हुए मुझे ऐसे देख रहे थे मानों मैं कोई प्रोस्टीच्यूट हूँ। कुछ मनचले बाइकर लड़के मुझे छेड़ने लगे तो मैं उनसे पीछा छुड़ाने के लिए मैंने अपना लहँगा उठाया और मैदान में चला गया। मैदान में मेला लगा हुआ था, इतने बड़े समाजों की पाँच सौ से अधिक महिलाएँ अपने पतियों और बच्चों के साथ वहाँ आई थीं। अनेक सुन्दर कन्याएँ भी आयी थीं, नाट्य मंडली तरह-तरह के नाटक दिखाकर लोगों का मनोरंजन कर रही थी। वहीं कुछ लड़कियां अपने बॉयफ्रेंड के साथ वहां एन्जॉय कर रही थीं। 

 

मैं इधर-उधर मीना को ढूंढ रहा था और तभी मैंने देखा, वहाँ कुछ आवारा लड़के मुझे घूर रहे थे। मैं वहां से हट गया और महिलाओं के समूह में छिपने की कोशिश करने लगा। ये सब मेरे लिए इतना सहज नहीं था, लेकिन वो आवारा लड़के उन्हीं महिलाओं के लड़के थे और वो भी मेरे पीछे-पीछे चल रहे थे। मैंने देखा मेरे सामने एक मंच प्रदर्शन चल रहा था, जिसमें श्री कृष्ण की रासलीला का मंचन हो रहा था। उन आवारा लड़कों की नजरों से ओझल होकर मैं महिला वर्ग में बैठकर श्रीकृष्ण की रासलीला का मंचन देखने लगी। थोड़ी ही देर में मुझे आभास हो गया कि कोई मुझे देख रहा है, मैंने एक तरफ देखा और देखते ही वह आदमी मेरे सामने देखने लगा। ये तो वही पचास साल का आदमी था, जो जिम का सबसे लम्बा और हैंडसम बूढा आदमी था। अब मैं बार-बार चेक करने के लिए उसकी तरफ देखता और वो मेरी नज़र पड़ते ही सामने देखने लगता। मुझे तो थोड़ा मज़ा भी आ रहा था, क्योंकि आज इतने सालों के बाद क्रासड्रेसिंग करने के बाद भी मर्दों की नज़र मुझ पर से हट नहीं रही थी। अब मैंने उसे मुझे देखने से नहीं रोका, अब मैं उसकी तरफ नहीं देख रहा था, लेकिन मुझे लग रहा था कि वह अभी भी मुझे देख रहा है। इसी बीच मेरा फोन बजा, मीना मैदान में आ गई थी और मुझे बुला रही थी। मैंने उससे पूछा कि कहां आना है, उसने कहा कि वह मेरे पास आएगी। थोड़ी देर बाद मैंने उस आदमी को एक बार फिर देखा, वह अब भी मुझे ही देख रहा था। जब मैंने उसे दोबारा देखा तो वह आगे देखने लगा। इसी बीच मीना मेरे पास आई और मुझे अपने साथ अपने दोस्तों से मिलाने ले गई। मेरे लिए यहां आने और नारीत्व का आनंद लेने का यह एक सुनहरा अवसर था, जो शायद दोबारा न आए। मीना ने कहा तो मैंने अपनी कुर्सी से उठकर सभी महिलाओं से मिलने का फैसला किया तो मैं खड़ा हो गया और मीना अपने ग्रुप की सभी महिलाओं की ओर चल दी। मेरी पत्नी ने मुझे सभी महिलाओं से मिलवाया। इन सबके बीच जब मेरी पत्नी को उसके अंकल का फोन आया तो वह उनसे मिलने जाने की जिद करने लगी।

मैंने उससे कहा, "मैं इस तरह नहीं जा सकता, तुम जाओ और अंकल को यहाँ ले आओ!"

मेरी पत्नी ने कहा, "ठीक है मैं चलती हूँ, लेकिन अपना ख्याल रखना।"

मैंने उससे कहा, "मैं अपना ख्याल रख सकता हूं!" और वह चली गई।

शायद ये सब उस रात मेरे सपने में भी हुआ था, मेरा सपना क्या हकीकत बन रहा था? मुझे लग रहा था कि जो मैंने सपने में कभी देखा था, आज वो मेरे साथ हो रहा था। यह सब इतना सजीव लगा कि मुझे पता ही नहीं चला कि मैं कितना उत्साहित महसूस कर रहा था। मेरी पत्नी के जाने के बाद, मैं बहुत देर तक महिला मंडली में उससे बातें करता रहा। उन सबकी जिज्ञासा शान्त न हुई, उन्हें विश्वास ही न हुआ कि मैं मीना का पति हूँ, जो आज मीना के कहने पर ही सज-धज कर यहाँ आया था। सारी औरतें मेरी खूबसूरती की तारीफ करतीं, कुछ लड़के मेरे साथ सेल्फी लेने आते, लेकिन मैंने उन्हें मना कर दिया। उनमें से एक तो उसी आंटी के लड़कों का ग्रुप था और आंटी के जिद करने पर मैंने सबके साथ सेल्फी ली। सेल्फी के दौरान वो लड़का मेरी कमर को हाथ से दबाने लगा, मैंने उसे आँख दिखाया क्यूंकि अब यह बहुत अधिक हो रहा था। इसलिए मैं महिलाओं के समूह से दूर खड़ा हो गया। तभी मेरी नज़र कोने में खड़े एक बूढ़े आदमी और एक बूढी औरत पर पड़ी। ना जाने क्यों मैं उनकी ओर आकर्षित हो गया कि मैं उनके पास चला गया। मैंने उन बाबा और उस बूढी औरत को प्रणाम किया। उन्होंने मुझे अपना अपना आशीर्वाद दिया और उन्होंने मुझसे कहा कि वे जानते हैं कि मैं उनके पास क्यों आया हूँ।

मैंने जिज्ञासावश पूछा, "बाबा क्या आप जानते हैं कि मैं यहाँ आपके पास क्यों आई हूँ।"

बाबा बोले, "तुम एक स्त्री नहीं हो बल्कि एक शादीशुदा पुरुष हो और तुम्हारा नाम समीर है। है ना!"

मैंने पूछा, "ये आप कैसे जानते हैं बाबा?"

बाबा बोले, "तुम यहाँ ऐसे खुद नहीं आये हो, बल्कि तुम्हारी नियति तुम्हे यहाँ खींच लायी है। तुम्हारे ग्रहों और नक्षत्रों ने अपनी जगह बदलना शुरू कर दिया है। अगर तुम अपना भविष्य जानना चाहते हो तो मैं बता सकता हूँ। लेकिन अगर मैंने तुम्हारा भविष्य बता दिया तो तुम वो खो दोगे जिसे पाने की जद्दोजहद में तुम आज यहाँ लहँगा चोली में खड़े हो।"

बाबा की बातें कुछ सुनी सुनी सी लग रही थी। पता नहीं कब और कहाँ सुना था मैंने बाबा की बातों को और क्या कहा था इन्होने, मुझे कुछ भी याद नहीं!

मैंने कहा, 'तो फिर ठीक है बाबा, आप और माता जी मुझे अपना आशीर्वाद दें ताकि मैं अपना जीवन संवर सकूँ।

फिर मैंने अपनी आँखें बंद कर ली और उन्होंने एक साथ कहा, "सदा सुहागिन रहो, सौभाग्यवती भवः, पुत्रवती भवः!!"

ये क्या था, जब मैंने अपनी आखें खोली तो मेरे सामने कोई भी नहीं था। दूर दूर तक ना तो वो बाबा दिख रहे थे और ना ही वो बूढी औरत। इतनी जल्दी दोनों कहाँ गायब हो गए, यही सोचते हुए मैं सड़क तक आ गया लेकिन मुझे वो दोनों नहीं मिले। उन बूढ़े बाबा और उनके साथ जो बूढी औरत खड़ीं थी, उन्होंने मुझे ये कैसा आशीर्वाद दिया, "सदा सुहागिन", "सौभाग्यवती" और "पुत्रवती" रहने का आशीर्वाद तो लड़कियों को दिया जाता है। शायद मैंने लहँगा चोली पहना हुआ था तो उन्होंने मजाक में ही ऐसा कहा होगा। फिर मैं अपना लहँगा उठाये फिर से उन लेडीज के ग्रुप के पास खड़ा हो गया और उनकी बातें सुनने लगा। तभी अचानक मेरे ऑफिस का बॉस मेरे पास आ गया और मैं उसे देखकर पूरी तरह से चौंक गया। उसने मुझसे मेरा नाम पूछा तो मैं समझ गया कि उसने मुझे पहचाना नहीं। फिर क्या था, मैंने उससे मजे लेने शुरू कर दिए। 

मेरे बॉस ने पूछा, "हाय, मैं महेश हूँ, तुम्हारा नाम क्या है?"

मैंने कहा, "थैंक्स, मेरा नाम रिया है!"

मेरे बॉस ने पूछा, "मैंने तुम्हे पहले कभी नहीं देखा, क्या तुम मिश्रा आंटी की भतीजी हो? तुम लखनऊ में रहती हो ना!"

मेरे डूम्बु बॉस की बातें सुनकर मुझे हंसी आ रही थी। इसे तो लड़कियों से बात करना भी नहीं आता!"

मैंने कहा, "एक्चुअली, मिश्रा आंटी की भतीजी नहीं हूँ मैं! मैं यहीं पास के रामनगर हाउसिंग सोसाइटी में रहती हूँ!"

मेरा बॉस बोला, "आई हैव नेवर सीन सच अ गॉर्जियस गर्ल इन माय लाइफ! डू यू हैव अन्य बॉयफ्रेंड!"

मैंने कहा, "हांजी, वीनू कृष्णन नाम है उसका!"

मेरा बॉस मेरे जवाब से अपसेट हो गया और अपने नसीब को कोसते हुए मुझे बाय बोलकर वहां से चला गया।

उसके जाने के बाद मुझे बहुत हंसी आ रही थी उसके ऊपर, लेकिन मैंने अपनी हंसी को मुस्कराहट में तब्दील करके अपनी एक हथेली से अपना चेहरा छिपा कर शर्माने लगी। मेरी बीवी के जाने के बाद से मैं बहुत बोर हो रहा था। ऑन्टीयों की सास बहु की बातें तो ख़त्म होने का नाम ही नहीं ले रही थी। अब मैं यहां बिना किसी जिम्मेदारी के था। मैंने खुद को बाकी महिलाओं के साथ मिलाया और उनके साथ बैठकर डांस परफॉर्मेंस देखने लगा। बच्चों के डांस शो का आनंद लेते हुए, मैंने अचानक एक बूढ़े व्यक्ति को देखा जो मुझे देख रहा था। जैसे ही मैंने उसे देखा, वह दूसरी तरफ देखने लगा। मैंने फिर ध्यान नहीं दिया और फिर से तमाशा देखने लगा और देखते ही देखते मैं फिर से उस आदमी की ओर मुँह कर लेता था, जैसे वो मुझे खुद को देखते देखता, वो मुँह फेर लेता था। उसने मुझे फिर से देखा और जैसे ही मैंने उसे देखा तो उसने अपना मुँह फेर लिया, चेहरा दूसरी तरफ कर लिया।

मैंने सोचा, "हम्म, है कौन है वो? ऐसे क्यों देख रहा है वो मुझे!"

मैंने उस व्यक्ति को करीब से देखा। ओह! ये तो मिस्टर राणा, सेवानिवृत्त मेजर आर्मी मैन, आज के चीफ गेस्ट थे ये तो। सवा छह फुट हाइट के मिस्टर राणा, पचपन साल की उम्र के आसपास, सांवले दिखने वाले, सुना था मैंने कि इनका व्यक्तित्व बहुत ही ज्यादा अच्छा था। लेकिन मेरे सामने आने से पहले, वह बहुत अजीब व्यवहार कर रहे थे।

अब रात के 12.00 बज चूका था,  मेरी पत्नी अभी तक वापस नहीं आई थी। सभी लोग इकट्ठे हुए और कोजागिरी दूध का आनंद लेने लगे। मैंने भी दूध पीकर अपना फ़ास्ट तोडा और गौर किया कि हमारा समाज बहुत बड़ा है। कोजागिरी का दूध पीते समय मीता आंटी पार्किंग एरिया के पीछे अपना सेल फोन भूल गईं और उन सभी महिलाओं में मैं ही एक महिला थीं, जो एक पुरुष होते हुए भी सुन्दर से सुन्दर लड़कियों को टक्कर दे रहा था। पांच सौ से ज्यादा औरतों के बीच मैं बलखाकर चल रहा था, फ्लॉन्ट कर रहा था, जो भी करता पुरे शिद्दत से और एक्ट्रेसेज़ की तरह करता। पार्किंग लॉट एक डार्क क्षेत्र था, इसीलिए मैंने जाकर मीता आंटी का सेलफोन लेने का फैसला किया। मैं अपने लहंगे को थोड़ा ऊंचा पकड़कर पार्किंग की तरफ चल दिया और मेरे स्टेप्स बहुत छोटे छोटे थे। पता नहीं क्यों हर पांच मिनट्स पर मेरी गान वाला डिलडो बड़ा होता फील होता और ऐसा लगता कि वो डिलडो मेरी गांड फाड़ देगा। ऊपर से लहंगे का वजन बहुत भारी था और मैं ठंडी हवा को अपने सभी नंगे हिस्सों जैसे मेरी नंगी कमर, अपनी पूरी नंगी पीठ और अपने दबे ब्रेस्ट्स को छूते हुए महसूस कर सकता था और यही वजह है कि मैं आज यहाँ आया था। मैं खुद की सुंदरता की तारीफें सुनकर आसमान में उड़ रहा था और और नाक की नथिया मेरे गाल से टकरा रही थी, मेरे कान झुमकियां भी मेरे कंधों को छू रही थी। पीठ तो पूरी तरह से न्यूड था और मेरे मर्दों को अपने ऊपर फ़िदा होते देख मुझे बहुत अच्छा फील हो रहा था। पैरों की पायल की छमछम और गहनों की खनक, आज मुझे नई नवेली दुल्हनिया होने का एहसास करा रही थी। मन में कुछ ऐसा चल रहा था कि काश मैं लड़की होता तो आज मेरे लिए इतने मर्दों का रिश्ता आता और किसी एक मर्द से ब्याह करके मैं हमेशा हमेशा के लिए उसका हो जाता । जैसे ही मैं पार्किंग के पीछे पहुँचा, यह थोड़ा अंधेरा और पूरा पार्किंग लॉट खाली था। मैं मैदान से बहुत दूर आ गया था, दूर दूर तक कोई भी नहीं दिख रहा था पार्किन लॉट में। अब यहां से पार्टी एरिया भी नजर नहीं आ रहा था, मैं सेलफोन की तरफ चल पड़ा, मैंने सेलफ़ोन उठाया और खाली जगह का फायदा उठाने का फैसला किया। मैंने अपनेलेडीज पर्स से अपना स्मार्टफोन निकाला और उससे कुछ सेल्फी लीं, वाह! अब मैं पूरी तरह से महिला था, जैसे ही मैंने तस्वीरें क्लिक कीं, मैंने कुछ सुना और वह काला कुत्ता था जो मुझे देखकर भौंक रहा था। मैं कुत्तों से बहुत डरता था, वह मुझ पर भौंकने लगा। मैं डर गया और भागने की कोशिश करने लगा लेकिन मुझसे भागा भी नहीं गया। मेरे गांड में जो डिलडो था, वो ऑटोमोड पर था और हर पांच मिनट्स के बाद वो खुद ही एक्टिवटे हो जाता और अगले पांच मिनट्स तक मुझे बहुत दर्द देता।हील्स में तेज़ चलने की कोशिश में मैं अपना संतुलन खो बैठा और सामने की दीवार से टकराने ही वाला था कि अचानक मिस्टर राणा ने मुझे पकड़ लिया। मेरे पैर में मोच आ गई थी और मैं मिस्टर राणा की बाहों में बहुत सुरक्षित महसूस कर रहा था। उसने कुत्तों को वहां से भगा दिया।

मैंने उसकी तरफ देखा और कहा, "धन्यवाद सर, अगर आप समय पर आते तो वो कुत्ते मुझे तो काट ही लेते।"

मेजर ने कहा, "क्या तुम ठीक हो, इतने सुनसान एरिया में तुम अकेली क्या कर रही हो? तुम्हारे जैसी खूबसूरत लड़कियों को अकेले तो कतई नहीं निकलना चाहिए! इतनी सुन्दर हो, कोई बॉयफ्रेंड नहीं है तुम्हारा? और कुत्तो से तुम बच गयी यह कोई बड़ी बात नहीं है। यहाँ के आवारा कुत्ते कभी भी काट लेते हैं।"

फिर मेजर ने अपना नाम बताकर अपना परिचय दिया और मैं मुस्कराया और अपना नाम रिया बता दिया। 

मैंने कहा, "थैंक्स अगेन मेजर साब, लेकिन आई डोंट हैव एनी बॉयफ्रेंड!"

मेजर ने पूछा, "क्या तुम शादीशुदा हो?"

मैंने कहा, "नहीं! अभी मेरी उम्र ही क्या है, जो मैं शादी कर के अपनी लाइफ ख़राब कर लूँ!"

मेजर ने कहा, "तुम्हे किसने कहा कि शादी के बाद लाइफ बर्बाद हो जाती है?"

मैंने कहा, "दोस्तों को बर्बाद होते देखा है। लड़कियों को तो जिससे शादी करनी होती है, उसे दहेज़ देना होता है, तब जाकर उनकी शादी होती है। तो ऐसी शादी का क्या फायदा!"

मेजर, "अच्छा, तुम्हे ऐसा लगता है।"

मैंने कहा, "हाँ! और ये गलत है।"

फिर मेजर ने पूछा, "तो बताओ, तुम्हारे घर में कितने लोग हैं? कितने भाई बहन हो तुम?"

मैंने कहा, "मैं एक भाई, दो बहन हूँ घर में!"

वैसे तो मैं कुछ भी बोले जा रहा था लेकिन एक्चुअल में मेरे घर में हम दो भाई और एक छोटी बहन है।

मेजर बोला, "तो तुम्हारे ऊपर तुम्हारे माता पिता ने ज्यादा खर्च किया या तुम्हारे भाई के ऊपर?

मैंने कहा, "ओफ़्कौर्से भाई के ऊपर! हमारी तो शादी हो जायेगी, घर तो भाई को ही संभालना होगा!"

मेजर बोला, "तो क्या तुम घर नहीं संभाल सकती? क्या ये सिर्फ तुम्हारे भाई का ही फ़र्ज़ है?"

मैंने कहा, "नहीं! लेकिन "

मेजर बोला, "जब मेरी शादी हुई थी तब मैं दहेज़ के खिलाफ था लेकिन मेरी पत्नी ने मुझसे कहा कि मैं दहेज़ लूँ और उसके फिक्स डिपाजिट में डाल दूँ और मैंने वही किया। क्या तुम्हे पता है कि मेरी वाइफ ने मुझे दहेज़ लेने को क्यों कहा?"

अब मुझे समझ आ रहा था कुछ कुछ!

मेजर फिर से बोला, "क्यूंकि मेरी पत्नी जानती थी कि दहेज़ के पैसों को संभाल कर रखा जाए तो बुरे वक़्त में वो पैसा अच्छी मदद कर देता है। लड़कों के ऊपर तो उनके माँ बाप बहुत पैसा लुटा देते हैं, लेकिन लड़कियों के ऊपर सारा खर्च सिर्फ उनकी शादी में होता है तो दहेज़ लेकर अगर लड़की के नाम पर उसी पैसे को फिक्स डिपाजिट कर दिया जाए तो बुरे वक़्त में अच्छा काम आएगा।"

मैंने कहा, "थैंक यू, अब मैं भी दहेज़ दिलवाऊंगी अपने पति को और उसे भी उस पैसे को सेव करने को कहूँगी!"

मेजर मेरी बात सुनकर मुस्कुराने लगा। मैंने पांच इंच की हील वाली सैंडल पहन रखी थी, फिर भी मैं उसकी नाक तक पहुंच पा रहा था, वह इतना लंबा था और मैं इतनी छोटी।

मैंने उससे पूछा, "मैं आपसे कुछ पूछना चाहती हूँ?"

उसने उत्तर दिया, "हाँ, बिल्कुल।"

मैंने पूछा, "मैंने देखा कि आप मुझे उस समय बार बार घूर रहे थे? क्या आपको मेरा पहनावा पसंद नहीं है?"

वह मुस्कुराया और मेरी आँखों में देखते हुए उसने जवाब दिया, "आई एम् सॉरी! लेकिन मैं तुम्हे बता दूं, तुम इस लहँगा चोली में कहर ढा रही हो। मैंने आज से पहले कभी इतनी खूबसूरत महिला को नहीं देखा जो अपने लहँगे को इतने अच्छे से पहन सके। जिस तरीके से तुम अपना लहँगा कैरी करती हो, तुम्हारे चलने का तरीका, गहने भी इतने अच्छे लग रहे हैं तुम्हारे ऊपर और माथे पर घूंघट तो ऐसे रखकर चलती हो मानो, सीधे स्वर्ग से कोई अप्सरा उतर आयी है तुम्हारे रूप में। मैं तुम्हारी सेक्सी अदाओं का दीवाना हो गया हूँ। सच कहूँ तो आज तुम्हें देखते ही अपनी बीवी की याद आ गई। वह भी अपने कमसिन  जवानी में तुम्हारी ही तरह बहुत खूबसूरत थी, बल्कि तुम उसी के जैसी दिखती हो। तुम्हारी आँखों जितनी बड़ी, प्यारी सी नाक और गुलाब की पंखुड़ियों जैसे तुम्हारे रसीले होंठ। तुम्हारी हाइट भी मेरी बीवी की हाइट जितनी ही है और तुम्हारी बॉडी शेप भी उसी के जैसा ही है। एक बार तुम्हें देखा तो यकीन नहीं हुआ तो मैंने फिर देखा और फिर भी यकीन नहीं हुआ तो तुम्हारे पीछे-पीछे यहाँ तक आया। एक पल को लगा कि मेरी वाइफ मेरे आँखों के सामने आ गयी हो तुम्हारे रूप में!"

मैंने हँसते हुए कहा, "इतना भी सच नहीं बोलना चाहिए!"

मेजर ने कहा, "तुम्हे यकीन नहीं होता तो मेरे घर चलो और खुद ही मेरी वाइफ की तस्वीर देखकर कन्फर्म कर लो!

मैंने कहा, "सॉरी लेकिन मैं आपके घर नहीं आ सकती, फिर कभी आउंगी!"

मेजर ने कहा, "तुम चल कर मेरी वाइफ की तस्वीर देख लो और फिर चली जाना, मैं नहीं रोकूंगा!"

मैंने कहा, "हो सकता है कि आपकी वाइफ में और मुझमे कुछ समानता दिखा हो आपको लेकिन मैंने आपको अपने बारे में सब सच नहीं बताया है।"

मेजर ने कहा, "तो बता दो! कड़वी लेकिन सच्ची बातें हेल्थ के लिए अच्छी होती है।"

मैंने कहा, "धन्यवाद मेजर साब, लेकिन मैं नहीं आ सकती और जैसा आप समझ रहे हैं, वैसा कुछ भी नहीं है।"

मेजर ने कहा, "तो बताओ क्या बात ही?"

मैंने कहा, "एक्चुअल में मैं लड़की नहीं बल्कि एक शादीशुदा मर्द हूँ। मेरी वाइफ चाहती थी कि मैं लड़की बनकर इस पार्टी में आऊं तो मैं ऐसे आया था।"

मेजर ने कहा, "अरे मैं ये बात जनता हूँ। मुझे शर्मा जी की वाइफ ने तुम्हारे बारे में सब बता दिया था। तुम्हारी बीवी के बेट और उसे जिताने के लिए तुम औरत बने हो, है ना! लेकिन ये तो अच्छी बात है ना, अब तो तुम मेरे साथ चलने से मना भी नहीं कर सकती हो। मर्द हो, डर कैसा, चलो मेरे साथ, फिर तस्वीर देखकर निकल जाना वहां से।"

ये मैं कहाँ फंस गया। कैसे मना करूँ इसे! फिर मैंने हिम्मत की और खुद से मोटीवेट किया और खुद को याद करवाया कि मैं एक मर्द ही हूँ तो डर कैसा।

मैंने कहा, "मेजर साब!"

मेजर ने कहा, "कॉल मी रानू!"

मैंने कहा, "अच्छा मैं चलने को तैयार हूँ, लेकिन मुझे रोकियेगा नहीं! मेरी बीवी मुझे नहीं देखकर घबरा जायेगी।"

मेजर ने कहा, "ओके रिया!"

मेजर के मुँह से रिया नाम सुनकर मैं शरमा गया और वो मुस्कुराने लगा मुझे देखकर।

मैंने कहा, "लेकिन मीता आंटी को यह फोन लेना होगा।"

रानू बोला, "तो चलो, तुम्हारी मीता आंटी को फोन दे देते हैं!"

मैंने अपने दोनों हाथों से अपना लहँगा ऊँचा उठाकर और एक हाथ में फोन के साथ उठाया, अपना घूँघट ठीक करके मीता आंटी के पास पहुँचा और उन्हें फोन थमा दिया। इससे पहले कि मैं कुछ कह पाता मीता आंटी अपनी सहेलियों के साथ कहीं चली गईं। मीता आंटी के जाने के बाद जिस तरह रानू ने मेरी तारीफों के पुल बांधे, मुझे अब यकीन हो गया था कि मैं बहुत खूबसूरत दिख रहा हूँ। उसने मुझे देखा और मैं शरमा गया और मैं मुस्कुराया और नीचे देखने लगा और अपनी ओढ़नी से अपने माथे पर घूँघट कर लिया। हाय राम! ये मुझे क्या हो रहा था, मैं इसका सामना क्यों नहीं कर पा रहा था, इस आदमी से नज़रें मिलाने में मुझे इतनी शरम क्यों आ रही थी मुझे नहीं पता। रानू ने कहा, "बहुत देर हो चुकी है, तुम्हारा बीवी कहाँ है रिया?"

मैंने कहा, "वह अपने चाचा से मिलने गई है, जो पांच-छह किलोमीटर दूर रहते हैं। आती ही होगी, टाइम तो हो ही गया है मीना के आने का, कहाँ रह गयी ये।"

फिर मैंने अपनी पत्नी को कॉल कनेक्ट किया।

मीना ने फोन उठाया और कहा, "समीर की कार का इंजन खराब हो गया है, मैं अभी नहीं आ सकती, तुम मीता मौसी के घर पर रात भर रह लो। रात बहुत हो गयी है तो कल सुबह बस से ही घर चले जाना! और मैं भी कल सुबह कार को गरेज में दे कर बस से घर आ जाउंगी।"

मैंने कहा, "ठीक है, अपना ख्याल रखना!"

फोन रखने के बाद रानू ने मुझसे कहा, "अगर तुम्हारी पत्नी नहीं आ रही है आज तो मेरे घर रुक सकते हो, वैसे भी मेरा घर बहुत बड़ा है और मैं घर में अकेला ही रहता हूँ। लेट्स हैव सम ड्रिंक्स!"

मीता आंटी के जाने के बाद मैं धीरे-धीरे सबको जाते हुए देख रहा था। गुप्ता आंटी और मिश्रा आंटी भी आपस में बातें करती सामने से मुस्कुराते हुए निकल गयीं। मैं इस रानू के साथ उसके घर नहीं जाना चाहता था। भले ही दुनिया के लिए ये मेजर बहुत ही सभ्य हो लेकिन पिछले आधे घंटे से ये मेरे साथ फ़्लर्ट कर रहा था और मुझे अपने साथ घर ले जाने के लिए मुझसे चिपकू की तरह चिपक गया था। इससे पीछा छुड़ाने की कोशिश तो नहीं की मैंने क्यूंकि पचास पचपन उम्र के मर्दों को देखकर मेरी धड़कनें बढ़ने लग जाती हैं। लेकिन मैं पूरी रात मैदान में ऐसे अकेले भी तो नहीं बिता सकता था। फिर मैं रानू के साथ उनके घर की ओर बढ़ा। मैं अभी रानू के साथ उनकी बिल्डिंग तक पहुंचा भी नहीं था कि अचानक एक कुत्ता वापस आ गया और हम पर भौंकने लगा। मैं डर गया और मेजर राणा को गले लगा लिया और अपनी आँखें बंद कर ली। जैसे ही मैंने उसे गले लगाया, उसने मुझे अपनी बाहों में समेट लिया। हाय, रानू की बलिष्ट बाहें,मैं उसके खुरदरे हाथों को अपनी नंगी कमर पर तो दूसरे हाथ को अपनी नंगी पीठ पर महसूस कर रहा था और ये सब मेरे लिए बहुत ही ज्यादा ह्युमिलिएटिंग था। लेकिन उसके बाद जो हुआ वो उससे भी ज्यादा ह्युमिलिएशन देने के लिए काफी था, कुत्तों के लगातार भौंकने से मैं अभूत डर चूका था और तभी रानू ने मुझे बाहों में ऐसे उठा लिया, जैसे वीर ज़ारा मूवी में एसआरके ने प्रीति जिंटा को अपनी बाहों में उठाया था। फिर वो उन भौंकने वाले कुत्तों को लात मारते हुए भागने लगे और जब वो कुत्ते भाग गए तो रानू ने अपने हाथों से मेरा घूँघट नाक तक कर दिया। फिर मुझे अपनी बाँहों में लेकर बिल्डिंग की सीढ़ियां चढ़ने लगा। मुझे कुत्तों से बहुत डर लगता है और जब भी कुत्ते भौंकते तो मैं अपनी आंखें बंद करके मेजर की गर्दन को कस कर पकड़ ले रहा था। आई डोंट नो, लेकिन आई वज गेटिंग मैन हैंडल्ड और ये फीलिंग मेरे अंदर की मर्दानगी को धिक्कार रही थी। मैं ये क्या कर रहा था, पचपन साल का रानू मुझे अपनी बाहों में उठाकर, ऐसे सीढ़ियां चढ़ रहा था मानो जैसे मेरे वजन का कोई महत्व ही न हो और उसने मुझे नहीं बल्कि किसी हलके से तकिये को उठा रखा हो। पचपन साल के रानू की ताकत पच्चीस तीस साल के आज कल के मर्दों से कहीं ज्यादा था और आई वज इम्प्रेस्सड बाय दिस पावरफुल ओल्ड मैन! मैं शर्म से काँप रहा था, ये सवा छह फुट का आदमी मुझे अपनी बाँहों में लिए आगे बढ़ रहा था। जैसे ही मैंने इमारत के अंदर प्रवेश किया, मैंने रानू से कहा कि अब वो मुझे उतार दे। इस पर रानू ने कहा कि इस बिल्डिंग में और भी कई कुत्ते भी हैं, ऐसे में रानू ने मुझे गोद में लेकर अपने फ्लैट तक ले गया। लेकिन मेरे अंदर की औरत को ऐसी फीलिंग्स बहुत कमज़ोर, इमोशनल और एम्बरर्स कर रही थी। आई वज फीलिंग टू शाय और जितने देर मैं रानू की बाहों में रहा, एक बार भी उससे नज़रें मिलाने की हिम्मत नहीं हुई मेरी। यह सोचकर कि कुत्ते यहां नहीं आएंगे, मैं नीचे उतरने ही वाला था कि एक जर्मन शेफर्ड के भौंकने की आवाज सुनकर मेरे आंसू निकल आए। मेजर ने अपने फ्लैट का दरवाजा खोला और मुझे अंदर ले गया। मेजर ने मेहरबानी करके मुझे सोफे पर बिठाया और अपने हाथों से पानी पिलाया। कसम से, रानू के हाथ से पानी पीते समय ऐसा फील आया कि मैं उसके लिए करवाचौथ का व्रत रखा हुआ था और वो पानी पिलाकर मेरा व्रत तोड़ रहा था। एक तो सुबह से फास्टिंग की वजह से मुझे चक्कर आ रहे थे , वो तो भला हो रानू का कि वो मुझे अपने घर में ले आया। ओह्ह, मैंने रानू के घर को देखा, ऐसा लगा रहा था कि मैं किसी बड़े होटल की स्वीट में हूँ। इतना बड़ा घर, चारो तरफ मार्बल्स ही मार्बल्स और इतने खूबसूरत घर में वो अकेला ही रहता था। क्या नहीं था मेजर के उस बड़े से घर में, सबकुछ जो उसकी पत्नी को चाहिए होती अपने पति के घर में! एलसीडी टीवी नब्बे इंच वाली वो होमे थिएटर जैसा फील दे रहा था, डबल डोर फ्रिज, आटोमेटिक वाशिंग मशीन, सेंट्रलाइज़्ड एयर कंडीशन, म्यूजिक सिस्टम्स, छोटा सा बार जिसमे तरह तरह के व्हिस्की, रम, वोडका का पूरा कलेक्शन रखा था। किचन भी इतना खूबसूरत और इतना बड़ा था और चूल्हे के ऊपर एक चिमनी भी लगा हुआ था। दरवाज़े के बिलकुल सीध में बड़ी से बालकनी थी, जहाँ छोटा सा गार्डन था और वहां एक झूला लगा हुआ था। वहां से नज़ारा कितना अच्छा दिख रहा था, मैं बता नहीं सकता। ऐसा लग रहा था कि मैं किसी के घर में नहीं बल्कि स्वर्ग में हूँ।

फिर मैंने मेजर को छेड़ते हुए उससे पूछा, "आप इतने बूढ़े दिखते हैं, फिर भी आप मुझे स्टैर्स से इतनी ऊपर तक अपनी बाहों में उठा ले आये? आपमें इतनी ताकत कैसे है? मैं तो अपनी बीवी को एक मिनट के लिए ना उठा सकूँ और आप मुझे स्टैर्स से इतनी ऊपर ले आये।"

रानू ने कहा, "नाईट वाक के बाद हर रोज़ मैं हमेशा अपनी पत्नी को इसी तरह बाहों में उठाकर फ्लैट तक लाता था और उसके साथ बहुत रोमांस करता था।"

मैंने कहा, "हम्म! आपमें वाकई दम तो है।"

मेजर ने कहा, "हां, मैं भारतीय सेना में मेजर था, यह सब प्रशिक्षण के कारण है। और वैसे भी मर्द मेरे जैसे ही होते हैं और औरतें तुम्हारे जैसी नाज़ुक जो कुत्तों से भी डर जाती हैं।"

एक बार फिर से मुझे बहुत शर्मिंदगी हुई और मैंने अपना चेहरा झुका लिया।

मैंने पूछा, "क्या तुम मुझे अपनी पत्नी से नहीं मिलवाओगे?"

फिर रानू ने अपना हाथ आगे किया और ना जाने मुझे क्या हो गया, मैंने रानू के हाथ में अपना हाथ दे दिया और वो मेरा हाथ थामे मुझे अपने कमरे में ले गया। क्वीन साइज बेड के ठीक सामने की दीवार पर एक फोटो फ्रेम में वो अपनी पत्नी को अपनी बाहों में उठाये हुए था। वो रानू और उसकी पत्नी की जवानी की तस्वीर थी लेकिन अचरच की बात तो यह थी कि उसकी पत्नी की शक्ल ही नहीं बल्कि उसका पूरा फिगर मेरे जैसा था। मैं बिस्तर पर बैठकर एकटक उसे और उसकी पत्नी को निहारने लगा। दुर्भाग्य से मेजर की पत्नी का कुछ साल पहले निधन हो गया था, तब से रानू अकेले ही रहते थे।

रानू बोले, "मैंने तुमसे कहा था ना, तुम मेरी पत्नी की तरह ही बहुत सुंदर हो।"

मैंने कहा, "हाँ! यह बात तो है और इस तारीफ के लिए दिल से धन्यवाद और आपकी पत्नी के लिए बहुत दुःख है?"

मेजर, "इट्स ओके!"

मैंने कहा, "लेकिन तुम्हारी पत्नी और मुझमें एक अंतर है! तुम्हारी पत्नी एक स्त्री थी और मैं स्त्री भेष में एक पुरुष।"

मेजर, "तुम किस अंतर की बात कर रही हो रिया, मेरे लिए ये अंतर मायने नहीं रखता।"

मैंने हिम्मत की और कहा, "आपको तो पता ही है कि मैं एक महिला नहीं बल्कि एक विवाहित पुरुष हूं।"

मेजर, "मुझे पता है रिया! लेकिन मैं भी क्रॉसड्रेसेर्स का एडमायरर हूँ और तुम मेरी बात पर यकीन करती हो तो मैं तुम्हे बता दूं कि तुम बहुत ही खूबसूरत क्रॉसड्रेसर हो! तुम्हारा पहनावा और चलने का तरीका, कमर की लचक और ऊपर से इतनी पतली कमर, ओह्ह डिअर गॉड! तुम्हारे लुक को तुम्हारा ये गोरा जिस्म और भी सेक्सी बना रहा है।"

मैंने शर्माते हुए कहा, "बस बस! आज के लिए इतनी तारीफ़ काफी है रानू!"

रानू बोला. "अगर नियर फ्यूचर में तुम अपना सेक्स चेंज करवाने का मन बनाती हो तो तुम खूबसूरती के मामले में बड़ी से बड़ी हीरोइनों को भी मात दे दोगी।"

मैंने कहा, "अरे नहीं रानू! मैं इतना आगे नहीं सोचता!"

फिर रानू ने मेरे लिए शराब का पैक बनाया। मैंने दो पैक पिया और रानू ने चार पैक। दो पैक के बाद मुझे नशा होने लगा तो मेजर ने मुझे गोद में उठा लिया और अपने पर्सनल बेडरूम में ले गए। फिर रानू ने मुझे मुझे बिस्तर पर लिटा दिया और मुझसे बातें करने लगे। धीरे-धीरे मैं अपना राज खोलता गया और मेजर सुनते रहे। मैंने रानू को अपने क्रॉसड्रेसिंग की शुरुआत से आज तक की पूरी कहानी सुनाता गया। इस दरम्यान मैं ना जाने कितनी बार इमोशनल होकर रोया भी तो रानू ने मुझे संभाला। फिर रानू ने मेरा मूड बदलने के लिए एक और पैक बनाया और उसे ले कर बिस्तर पर आए और मुझसे कहा कि हम इस आखिरी ड्रिंक को एक साथ पिएंगे।

रानू बोले, "क्या मैं कुछ सिखाऊँ? इट्स जस्ट लाइक अ गेम, जैसे मेरी पत्नी मुझे शराब पिलाती थी?"

मैंने कहा, "हाँ, ज़रूर! मैं भी ये गेम खेलना चाहूंगा।"

मैंने पूछा, "लेकिन कैसे रानू!"

मेजर ने कहा, "एक घूंट लो, लेकिन इसे गटकना मत, इसे अपने मुँह में ही रखी रहना।"

जब मैंने एक घूंट मुँह में लिया तो रानू ने मेरी गोद में अपना सिर रख कर लेट गया और मुझसे बोला, "अब तुम मुझे अपने होठों से यह ड्रिंक पिलाओ रिया!"

रानू ने जैसे ही ऐसे कहा, मैं घबरा गया! मैंने ड्रिंक को गटक गया।

फिर मैने रानू से कहा, "ये क्या बोल रहे हो? मेरे होंठो से तुम्हे दारू पीनी है, मुझे नहीं खेलना ये गेम! अब मैं नहीं पी रहा।"

रानू ने कहा, "क्यों? इसमें हर्ज़ ही क्या है? तुम्हारी जैसे हसीं लड़की मेरे जैसे मर्द को अपने होंठों से दारू पीला देगी तो इसमें क्या बुरा हो जायेगा रिया?"

मैंने कहा, "मैं लड़की नहीं हूँ! रानू, अब बस करो प्लीज्, अब मुझे गुस्सा आ रहा है। तुम मुझे यहाँ इसीलिए ट्रिक करके लाये ताकि तुम मेरे साथ ये सब कर सको!"

रानू ने कहा, "अच्छा एक काम करो, पहले ट्राय तो करो! अच्छा ना लगे तो दुबारा मत करना।"

मैंने कहा, "नहीं मुझे ट्राय नहीं  करना ऐसी वैसी चीज़ें!"

रानू ने कहा, "सिर्फ एक बार ट्राय तो करो रिया, तुम तो लड़कियों की तरह घबरा रही हो?"

हालाँकि रानू मुझे उसकाने की पूरी कोशिश कर रहा था लेकिन मैं तो ये सब नहीं कर सकता था। ऐसे कैसे अपने होंठों को किसी मर्द के होंठों को चूसने दे दूँ। नहीं नहीं! ये सब गलत हो रहा है, रानू लिमिट क्रॉस कर रहा है और मैं इनसब में नहीं पड़ूंगा।

रानू के कहा, "मेरी जान, सिर्फ एक बार, ट्राय तो करो!"

ओह्ह, ये कैसा गेम था, मुझे लगा था कि कुछ अलग होगा, लेकिन ये इसके लिए मुझे फिजिकल होना पड़ेगा। क्या करूँ मैं? मैं ऐसी स्थिति में था कि रानू को मना नहीं कर सकता था। आज, पता नहीं क्यों मैं अपने रसीले होठों से मेजर के होठों को भिगोने को तैयार हो गया। मैं मान गया और मैंने मेजर के होठों पर अपने होंठ रख दिए और मेजर मेरे मुँह से शराब पीने लगा? यह एक बहुत ही नई सेक्सुअल किसिंग मोमेंट था मेरे लिए और मुझे तो आज पहली बार इतना अच्छा महसूस हुआ। पहले तो मेरा मन इसके लिए राज़ी नहीं हुआ, लेकिन मेरे तन को ये एहसास इतना अच्छा लगा कि नेक्स्ट पैक से रानू को मुझे इंसिस्ट करने की जरुरत नहीं पड़ी और मैं भी सोच लिया कि मैं भी अपनी प्यारी पत्नी के साथ इस गेम को आजमाने वाला था। फिर मैंने दूसरा सिप मुँह में लिया और मेजर ने मेरे होंठों को अपने होंठों से खोलने लगे और मेरे मुँह से मेरे होंठों के माध्यम से उस ड्रिंक को चूस लिया। ऐसा बहुत देर तक चलता रहा, आज पता नहीं क्यों मुझे इतना अच्छा फील हो रहा था। जब मैं रानू के साथ इस घर में आया था तो क्या सोचकर आया था और ये मैं क्या कर रहा था। रानू का मेरे होंठों से शराब पीने की ये अदा मेरे अंदर छुपी औरत को बहुत सुकून भरा एहसास दे रहा था। अपने होंठों को एक मर्द से चुसवाने में कितना आनंद आ रहा था मुझे, पूरी बोतल खाली हो चुकी और अब मैं और रानू दोनों ही नशे में थे।  आज मैं दिल से चाहता था कि रानू मुझे इतना प्यार दे कि मैं सच में औरत बनने को मजबूर हो जाऊं!

फिर अचानक रानू ने मेरी कमर को अपनी मजबूत बाजुओं से पकड़ा और मुझे बिस्तर पर लिटाकर मेरे ऊपर आ गया। ओह्ह! गॉड! ही वज सो डोमिनेटिंग! फिर रानू ने मुझे अपने बहुत पास खींच लिया, इतना पास कि अब उसकी छाती और मेरे बूब्स आपस में टकरा रहे थे। रानू की दाढ़ी मूछें अब मेरे नाज़ुक गालों में चुभ रही थी, जिससे हल्का हल्का जलन भी हो रहा था। रानू फिर से अपने मजबूत हाथों को मेरी नग्न कमर के पीछे ले गया और मुझे कसकर पकड़ लिया। हम अब और भी बहुत करीब थे, इतने करीब कि मैं उसकी गर्म सांसें मेरी साँसों में घुलने लगी थी और उसकी मूंछ दाढ़ी को अपने चेहरे पर रगड़ करते महसूस कर सकता था। रानू की गर्म और मर्दाना सांसें अब मेरी साँसों में घुलने लगी थी और मैं बहुत कमज़ोर होने लगा। मैं रानू की मर्दानगी की खुशबू भी महसूस कर रहा था। फिर रानू ने मेरे होंठों को अपने होंठो से चूसना शुरू कर दिया। कभी रानू मेरे ऊपर के होंठ को चूसता तो कभी मेरे नीचे के होंठों को चूसने लगता। फिर धीरे धीरे रानू ने मेरे गले को चूमना शुरू कर दिया, हाय राम, ये कैसा फीलिंग्स है? रानू की दाढ़ी मूछ की वजह से और उसके चेहरे की रगड़ से मेरी नथिया मेरे नाक में चुभ सी रही थी। मुझे तो लग रहा था कि कही रानू के ऐसा करने से मेरा चेहरा ना छील जाए। आँखों में आंसू लिए मैं खुद के लिए बहुत बुरा फील कर रहा था, समझ में नहीं आ रहा था कि रानू को कैसे रोकूं, ये बहुत उत्तेजित हो रहे थे। मैं पचपन साल के आदमी के साथ हमबिस्तर हो रहा था, मेरे नाक की नथिया मेरे चेहरे से टकराकर इसे लाल किये जा रही थी और मेरी आँखों से आंसू निकल आये। मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि एक मर्द ने आज मुझे बिस्तर में रुला दिया था। रानू ने जब मेरी आँखों में आंसू देखे तो उसने मेरी आँखों को चुम लिया। ओह्ह्ह, ये कैसी फीलिंग्स थी जो मुझे सिहरन सी दे गयी थी। फिर रानू मेरे आंसू भी चूस कर पी गया। रानू का हर अंदाज़ मुझे बहुत ही ज्यादा हॉर्नी बना रहा था, उसके साथ हमबिस्तर होने का कभी दुःख होता तो कभी एन्जॉय करने का मन करने लगा था। इतने में रानू ने मेरे पुरे चेहरे को स्मूच किया और फिर मेरे होंठों को फिर से काफी देर तक स्मूच करता रहा। इसके बाद रानू ने मेरे गले को चूमा, आह्ह्ह्ह, मैं बता नहीं सकता, कितना अच्छा लगा मुझे। फिर रानू ने मेरी नाभि को अपने जीभ से चाटने लगा। गॉड! रानू का ऐसे मेरी नाभि को चाटना मुझे बहुत उत्तेजीत कर रहा था लेकिन मुझे अपना लंड फील ही नहीं हो रहा था, ऐसा लग रहा था कि मेरा लंड आज मेरे शरीर में था ही नहीं। फिर रानू ने मुझे पेट के बल लिटा दिया और मेरे पीठ को चूमने लगा। ओह्ह गॉड! आज रानू मेरे अंदर की औरत को धीरे धीरे फिर से जगा रहा था और मैं उसके हर चुम्बन के साथ सिसकारियां ले रहा था। मुझे यकीन नहीं हो रहा था अपने फेट पर, एक मर्द होते हुए भी दूसरे मर्द के साथ रोमांस के दौरान मुझे एक पल के लिए भी ये फील नहीं हुआ कि मैं एक मर्द हूँ। रानू मेरे साथ इतने पैशनेट तरीके से रोमांस कर रहा था कि आज मैं खुद को उसके ऊपर न्योछावर करने को तैयार था। फिर रानू में मेरे लहंगे की डोरी ढीली की और बहुत ही आहिस्ते से मेरे लहंगे को मेरे जिस्म से अलग कर दिया। मैं अब सिर्फ पैंटी में था और जब रानू ने मेरी चासिस्टी को देखा तो मुस्कुराते हुए मेरी जाँघों को अपने एक हाथ से हवा में उठाया और मेरी जाँघों को चूमने लगा। ओह्ह, गॉड, प्लीज् कोई तो रोक लो! मैं क्या करूँ, रानू का हर मूव मेरी धड़कनें बढ़ा रहा था और इस प्यार को मैं क्या नाम दूँ, मुझे समझ नहीं आ रहा था। फिर रानू ने मेरी दूसरी जांघ को भी अपने हाथ में ले लिए और उसे भी चूमने लगा। मेरी घबराहट बढ़ने सी लगी, पूरा शरीर थरथराने लगा और फिर से मेरी आँखें आंसुओं से भर गयी। फिर रानू ने मुझे पेट के बल लिटाया और मेरे गांड मे डिलडो देखकर हसने लगा। मैं बहुत शर्मिंदगी मेहसुस करने लगा था तब, समझ नहीं आ रहा था कि ऐसा क्यों हो रहा था मेरे साथ। फिर रानू ने मुझे उठाकर मेरी करवट बदल दी और मेरी गांड पर चमकती हुई डिलडो के ऊपर के हीरे को देखकर एकदम से खुश हो गए। वो डिलडो अभी भी वाइब्रेशन में ही था और ये देखकर रानू हंस पड़े।

रानू बोले, "आज के बाद तुम्हे नकली लंड की कोई जरूरत नहीं रिया! आज के बाद तुम्हे जब भी प्यार की तलब मचे तो मेरे पास चली आना।"

रानू की बातें मुझे बहुत शर्मिंदा कर रही थी लेकिन मैं क्या करता! कैसे बताता कि ये डिलडो वाला आईडिया मेरी बीवी का था क्यूंकि वो मुझे बीच पब्लिक में ह्युमिलियेट कर के खुश हो रही थी। अगर मैं क्रॉसड्रेस्सेर ना होता तो मैं इस डिलडो को अपनी गांड में लेने के लिए कभी भी हाँ नहीं करता, लेकिन शायद ये मेरे दिल की चाहत ही थी जो मैंने इस डिलडो को अपनी गांड में इतने देर से रख रखा था। फिर रानू ने मेरी गांड को चूमना शुरू किया और मैं धराशायी हो गया। रानू मेरी गांड को चूमने के दौरान एक दो बार दांत भी चुभोये जिससे मेरे तन बदन में आग सी लग गयी रानू मुझे ऊपर से नीचे तक घंटों तक अपने जीभ से चाटता रहा, मेरी छाती पर तो कभी मेरी गांड पर दांत चुभोता रहा और कई दफे उसके स्मूच में इतनी कसावट महसूस होती। इसी दौरान एक बार रानू ने मेरे होंठों को राइट साइड से इतने जोर से स्मूच किया कि मुझे लगा कि मेरा होंठ ही कट गया। मैं रोने लगा तो रानू मेरे आंसू के साथ मेरे होंठों से निकले खून को भी चूस गया। मेरी उत्तेजना इतनी बढ़ गयी थी कि मेरी तेज़ साँसों की वजह से ब्रा से मेरे ब्रेस्ट्स भी ऊपर नीचे होने लगे थे और रानू ने उसे भी नहीं छोड़ा। उसने मेरी ब्रेस्ट्स को भी इतने जोर जोर से स्मूच किया कि ऐसा एहसास हुआ कि मेरे ब्रेस्ट्स छील गया हो। एक तो उसकी दाढ़ी मूछें इतनी कड़क थी कि मुझे यकीन था कि उसकी वजह से मेरे चेहरा ही छील जायेगा आज लेकिन रानू के प्यार ने मुझे वो तृप्ति दी थी जो मैं अर्सों में नहीं पा सका था। उसकी आगोश में इतने दर्द सहने के बाद भी मन में एक सुकून सा था और रानू मेरे लिए पराये मर्द से अपना मर्द होता प्रतीत हो रहा था। रानू के प्यार में मैं पूरी तरह भीग गया था। फिर रानू ने लाइट बंद कर दी और मुझे अपनी बाहों में लेकर रोमांस करने लगा। पचपन साल के रानू ने मुझे सही मायनों में मेरे जीवन में पहली बार ये एहसास करवाया कि मैं एक औरत हूँ, जिसे अब अपने पति के प्यार की कितनी सख्त जरुरत है। आज मेरे अंदर की औरत को फिर से बाहर आना पड़ा था। मैं एक आदमी के साथ सेक्स करने का आनंद लेने वाला था। रानू मेरे अंग अंग को चूमे जा रहा था और इस बीच मेरे गांड के डिलडो का ऑटो मोड वाइब्रेशन मोड पर चला गया था। मैं जोर जोर से सिसकारियां लेना लगा, अह्ह्ह क्या बताऊं कैसा लगा उस समय मुझे! रानू मेरे होठों को चूम रहा था और मेरे होठों को ऐसे चूस रहा था मानो मेरे होठों से सारा रस निचोड़ लेना चाहता हो। उसकी मजबूत भुजाएँ मेरी कमर के चारों ओर लिपटी हुई थीं और हमारे आलिंगन में हम बहुत करीब थे।

फिर गहरी खामोशी में रानू मफुसफुसा रहे थे, "ओह्ह गर्ल, यू आर सो ब्यूटीफुल! लेट मी एक्स्प्लोर यू माय लव! आई एम् सो थर्स्टी! लेट मी ड्रिंक योर जूसी लिप्स, लेट मी डिस्ट्रॉय यू इन माय बेड रिया। आई लव यू रिया!"

फिर क्या था थोड़ी ही देर में मैं रानू के सामने पूरी तरह से न्यूड लेटा था और रानू मेरे अंग अंग को चूमे जा रहे थे और मेरे तन बदन में आग सी लगी हुई थी।

रानू मिशनरी पोजीशन में था और मैं घोड़ी बन गया था। फिर उसने मेरे गांड से वो डिलडो निकालकर साइड टेबल पर रख दिया और अपने जांघिया से अपना लंड बाहर निकाला। ओह्ह, इतना बड़ा लंड है इसका इस बुढ़ापे में, तो जवानी में कितना बड़ा लंड रहा होगा इसका। अभी मैंने कुछ कहा भी नहीं कि रानू ने अपना लंड मेरी गांड की छेद में बिना कुछ कहे यूँ ही घुसा दिया और जोर जोर से पंप करने लगा।  

मैं दर्द से कराहता हुआ, "आअह्ह्ह्ह! प्लीज् रानू, ये बहुत मोटा आअह्ह्ह, प्लीज् रानू और बहुत आअह्ह्ह्ह! प्लीज् बड़ा है, प्लीज आअह्ह्ह्ह! प्लीज् मम्मी, आअह्ह्ह्ह! प्लीज् लो इसको! अह्ह्ह्ह, रानू, प्लीज्! आअह्ह्ह, आअह्ह्ह, आह्ह्ह्ह, मम्मी, नहीं, ईईश्श्श, ओह्ह्ह, आह्ह्ह्ह, आआह्ह्ह्हह, रानू प्लीज्, धीरे! आह्हः प्लीज् प्लीज् प्लीज् आह्ह्ह्ह रानू प्लीज् ना, आहहहहह भगवन के लिए रुक जाओ, आह्ह्ह्हह, आअह्हह्ह्ह्ह, प्लीज रानू, आह्ह्ह्हह, मम्मी आह्ह्ह्हह, आआह्ह्ह्ह, नहीं प्लीज प्लीज प्लीज ओह्ह्ह, प्लीज्!"

लेकिन मेरे गिड़गिड़ाने का अब कोई फायदा नहीं था, रानू पुरे जोश में मेरी चुदाई शुरू कर चूका था लेकिन मेरे आँखों से बहते आंसू का एक भी कतरा उसने जाया नहीं जाने दिया और उसे अपने होंठों से पीता गया और उसकी यही अदा मुझे उसके प्रति समर्पित होने को मजबूर कर रही थी। सेक्स के दौरान वो मेरे होंठों को भी लगातार चूमे जा रहा था और जब वो मेरे होंठों को नहीं चूमता तो मैं पीछे देखकर उसके गले में अपने हाथ रखकर उसके चहरे को अपने होंठों के करीब कर लेता। आज लाइफ में पहली बार किसी मर्द ने मुझे बिस्तर पर इतना रुलाया था, इससे पहले मैं लाइफ में कभी किसी मर्द के साथ हमबिस्तर नहीं हुआ था और आज जब पहली बार एक मर्द के साथ हमबिस्तर हो रहा था तो मेरे आंसू नहीं थम रहे थे। कसम से उस रात रानू ने मुझे बहुत रुलाया था। मेरे ऑर्नामेंट्स की खनखनाहट और मेरी पायल की घुंघरुओं की छमछम से पूरा कमरा गूंज रहा था। बीच बीच में वो रुकता भी, मेरे साथ रोमांस भी करता और फिर से मेरी चुदाई शुरू कर देता। मुझे उसके हर स्ट्रोक्स से दर्द ही दर्द मिल रहा था, आखिर इतना मोटा और लम्बा लंड इंसानो का होता है भला? मैं रोता रहा और रानू केप्ट फकिंग मी सो हार्ड कि मैं रात भर आंसू बहाता रहा। रानू के प्यार ने मुझे बहुत आंसू दिए और मेरा मन भी बहुत दुखी सा हो गया था। नाक में स्क्रू वाली नथिया अब दर्द देने लगी थी, कानों की झुमकियां भी मेरे कान में दर्द देने लगी थी। रानू वज हैंडलिंग मी वैरी रफली लेकिन इसी के साथ उसका यूँ सेक्स के दौरान मेरे साथ रोमांस भी करते रहना मेरी रूह को तृप्त कर रही थी। ओह्ह्ह! गॉड! ये मैं क्या कर रहा था, वहां मेरी पत्नी इस बारे में कुछ नहीं पता कि उसका पति यहाँ गांड मरवा रहा है एक पचपन साल के बूढ़े से। इधर रानू फुल जोश में कभी घोड़ी बनाकर तो कभी खड़े होकर अपनी बाहों में उठाकर तो कभी मेरे दोनों पैरों को हवा में उठाकर तो कभी स्पूनिंग पोजीशन में मेरी चुदाई करता रहा, जबतक कि मैं बेहोश नहीं हो गया। मेरे बेहोश होने के बाद क्या हुआ होगा ये तो मैं नहीं जानता लेकिन रात के साढ़े तीन बजे जब मेरी नींद खुली तो मैं रानू की बाहों स्पूनिंग पोजीशन में था, उसका लंड अभी भी मेरी गांड में ही था और वो मेरी कमर को अपने दोनों हाथों से बहुत टाइट जकड़े हुए भी था। मैं बहुत इमोशनल हो चूका था, ये क्या कर लिया था मैंने? एक मर्द के साथ सेक्स! तभी अचानक रानू ने करवट बदली लेकिन अकेले नहीं, बल्कि मुझे भी अपने साथ ही दूसरे तरफ लिटा दिया। इट वज सो ह्युमिलिएटिंग मोमेंट और मैंने सपने में भी इसके बारे में कभी नहीं सोचा था कि एक मर्द के साथ मैं सेक्स करूँगा। लेकिन मैं रानू के सामने इतना कमज़ोर कैसे पड़ गया। आधे घंटे तक मैं वैसे ही लेटा रहा और मुझे फिर से नींद आ गयी थी कि तभी अचानक रानू ने फिर से करवट बदल लिया और इस बार भी उसने मेरी कमर पकड़कर मुझे भी दूसरी तरफ लिटा दिया। ये क्या था, ये रानू खुद तो करवट बदल ही रहा था और साथ में मुझे भी उठाकर इधर से उधर और उधर से इधर कर रहा था। मैं नार्मल लड़कियों की तरह क्या इतना नाज़ुक था जो एक मर्द मुझे इतनी आसानी से हैंडल कर पा रहा था या ये मर्द इतना स्ट्रांग है। सुबह होने में अभी भी दो घंटे से ज्यादा का समय था और इस दरम्यान मैं रानू के हर करवट का हिस्सा बन चूका था। रानू के करवट बदलने से हर बार मेरी नींद खराब हो जाती। फिर मैंने रानू के हाथ को अपने ऊपर से हटाने लगी कि ये इतना स्ट्रांग था कि मेरी दोनों कोमल कलाइयों का जोर भी कम पड़ रहा था, रानू के एक हाथ से अपनी पतली कमर को छुड़ाने के लिए। अंत में मैंने रानू को जगाया और उससे कहा कि मुझे टॉयलेट जाना है। रानू ने मेरी कमर से अपना हाथ निकाल लिया और मेरी गांड से अपना लंड भी। उसके लंड निकालने से मुझे बहुत सुकून महसूस हुआ। फिर मैं बिस्तर से उतरा और एक कदम भी ठीक से नहीं चल पाया, इतना दर्द हो रहा था। मेरे पैरों की नसें खिंच गयीं थी, गांड में दर्द का कारण मेरी पत्नी भी थी और रानू भी। फिर मैं दीवार का सहारा लेकर किसी तरह वाशरूम में गया। मैंने आईने में खुद को देखा, मेरे पुरे शरीर पर लव बाइट्स के निशाँ थे जो रानू ने मुझे दिए थे। मेरे नाक की नथिया, कानो में झुमकियां, पैरों की पायल, कलाइयों में पहने हुए सुहाग चूड़ा सेट मेरे बदन को अभी भी खूबसूरती दे रहे थे, लेकिन अब मैं इन लव बाईट को कैसे छुपाऊं, जो मेरे गले पर भी है, गाल पर भी है, होंठों पर भी है, और तो और मेरी छाती पर भी है। ओह्ह अब मैं क्या करूँ?

जब मैं टॉयलेट करने कमोड के पास गया तो अपने लंड को उस चेस्टिटी में बंद पाया। अब मुझे बैठकर लड़कियों की तरह टॉयलेट करना पड़ा और उस चेस्टिटी को अच्छे से धोने के बाद मैं फिर से कमरे में चला गया। मैंने गौर से रानू को देखा, सवा छह फुट हाइट, छाती पर इतने बाल, चेहरे से टपकती मर्दानगी और फिर मैं खुद को कण्ट्रोल नहीं कर सका और रानू की बाहों में जाकर लेट गया। मुझे अपने बगल में लेटते महसूस करते ही रानू ने फिर से मेरी कमर को अपने बलिष्ट हाथों में ले लिया और सुबह होने तक उसके करवटों के साथ मैं भी इधर से उधर और उधर से इधर होता रहा। मुझे बहुत थकान का अनुभव हो रहा था और मैं गहरी नींद की आगोश में समा गया। मैं बैठकर टॉयलेट करने लगा तभी वाशरूम में रानू भी आ गया। वो पूरी तरह से न्यूड था और मैं उसके सामने लड़कियों की तरह बैठकर टॉयलेट कर रहा था। रानू ने जब मुझे ऐसे टॉयलेट करते देखा तो हंसने लगा। मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी कि मैं रानू से नज़रें मिला सकूँ, तभी एहसास हुआ कि रानू टॉयलेट कर रहा था। मैंने बहुत हिम्मत करके उसके लंड को देखा जो अभी भी किसी घोड़े के लंड के जैसे तना हुआ था और उसके टॉयलेट का फ्लो इतना तेज़ था और काफी देर तक वो टॉयलेट करता रहा। मैं टॉयलेट करके उठा तो रानू ने मेरी कमर में हाथ डाला और अपनी बाहों में फिर से खींच लिया। अभी मैं बिना सैंडल्स के था और रानू के कंधों तक मेरा सर आ रहा था। मेरी नज़रें ना चाह कर भी रानू के लंड को देखने से खुद को रोक नहीं पा रही थी और रानू ने मेरा चेहरा उठाया और मेरे होंठों को चूमने लगा और इस दौरान उसका लंड फडकता हुआ मेरी छाती से टकरा रहा था।

रानू, "लेट अस हैव सम फन मेरी जान!"

मैंने कहा, "मेरा पूरा बदन टूट रहा था, मेरे अंदर एक स्टेप चलने की हिम्मत नहीं है और आप चाहते हो कि हम फन करें। आपने मुझे बिस्तर में डेट्रॉय कर कर रख दिया, कोई ऐसी प्यार करता है, इतना रफ़ली।"

रानू मेरे सवाल सुनकर हसने लगा, "मर्द तो ऐसे ही प्यार करता है, इससे भी रफ़ली। कम ऑन, लेट्स हैव सम फन अगेन! सुबह तो तुम मुझे छोड़कर चली जाओगी, लेकिन जाने से पहले आज की रात को यादगार बनाती जाओ मेरी जान!"

मैंने कहा, "मुझे सेक्स नहीं करना, उसके अलावे जो कहो!"

फिर रानू ने मेरे चेहरे को अपने दोनों हाथों से जकड लिया और मेरे होंठों को दबाकर उसे चूसने लगा। मैं तो मर ही गया था आज, इसके प्यार करने का तरीका थोड़ा विएर्ड था लेकिन मुझे बहुत अच्छा महसूस हो रहा था। फिर रानू ने मुझे अपनी बाहों में उठा लिया और बिस्तर पर ले गया। रानू ने मुझे बिस्तर पर घुटनो के बल बैठने को कहा तो मैं बैठ गया। फिर रानू ने मेरे चेहरे को पकड़ा और मेरे होंठो को दबाकर मुझे किस नहीं किया बल्कि अपने लंड को मेरे होंठों में घुसा दिया। ये क्या था, रानू का लंड मेरे खुले मुँह के अंदर था और मैं बड़ी बड़ी आँखें करके रानू को देखने लगा लेकिन रानू आँखें बंद करके इसे एन्जॉय कर रहा था। धीरे धीरे उसने मेरे होंठों को क्रॉस करते हुए अपना आधा लंड मेरे मुँह में घुसा दिया और मेरे चेहरे को अपने हाथ से आगे पीछे करने लगा। ओह्ह गॉड, अपनी मर्दानगी को दरकिनार करते हुए दूसरे मर्द के लंड को अपने मुँह में लेने से पहले अच्छा तो यह होता कि मैं मर ही जाता। लेकिन मेरा चेहरा रानू के कण्ट्रोल में थी और वो मुझे लगातार माउथ फकिंग करते ही जा रहा था।  इसे ब्लोजॉब भी कहते हैं, मुझे ये बिलकुल भी पसंद नहीं, लेकिन मेरी पतली कलाइयों में इतनी ताकत नहीं थी कि खुद को रानू से अलग कर सकूँ। लघभग बिस मिनट्स के ब्लोजॉब कम डीपथ्रोट के बाद रानू ने मेरे मुँह में अपने स्पेर्म्स डिस्चार्ज कर दिए और मेरे मुँह को होल्ड करके तबतक रखा जबतक वो उसके लंड से निकलता आखिरी स्पेर्म्स का बून्द मेरे अंदर नहीं चला गया। अगले दो मिनट्स तक उसने मुझे ऐसे ही होल्ड करके रखा और फिर उसने अपना लंड मेरे मुँह से बाहर निकाला और मुस्कुराने लगा। मुझे रानू के अंदर रावण दिख रहा था जो मुझे बिलकुल पसंद नहीं था। ये रानू का प्यार नहीं उसकी वासना थी और अब मुझे समझ आ रहा था कि मेरे साथ रानू ने क्या किया। मैं दौड़ता हुआ वाशरूम में गया और कुल्ली करने लगा, लेकिन स्पेर्म्स मेरे मुँह में नहीं बल्कि मेरे गले तो तर करता हुआ मेरे अंदर चला गया था। तभी रानू भी मेरे पीछे वाशरूम में आ गया और मुझे पीछे से हग करके मुस्कुराने लगा।

रानू बोला, "तुम्हे कैसा लगा रिया, मुझे यकीन है कि ये तुम्हारी लाइफ का पहला ब्लोजॉब रहा होगा!"  

मैं रोने लगा और नज़रें झुका ली।

रानू बोला, "कम ऑन रिया! तेल मी ना!"

मैं पीछे मुड़ा और उससे लिपटकर रोने लगा।

मैंने रानू से कहा, "आपको मेरे साथ ये नहीं करना चाहिए था! मुझे ये बिलकुल भी पसंद नहीं, आपके लंड हो या किसी और का, मुझे ब्लोजॉब बिलकुल भी पसंद नहीं है। आप मेरे साथ थोड़ा रोमांस कर लेते, प्यार कर लेते लेकिन आपने ये किया। आप का स्पेर्म् मेरे अंदर चला गया, कुछ हुआ तो?"

रानू बोला, "कोई बात नहीं रिया, पहली बार में मेरी बीवी भी ऐसे ही रो दी थी लेकिन बाद में ये उसका फेवरेट बन गया था। और मेरा स्पर्म तुम्हारे अंदर जाकर तुम्हे गर्भवती थोड़े न कर देगा, बल्कि इसमें इतना अच्छा प्रोटीन होता जो औरतों के मेरु रज्जा को को मजबूती देती है, धीरे धीरे तुम्हे भी आदत हो जाएगी!"

मैंने कहा, "मुझे नहीं डालनी इसकी आदत, मेरी स्पाइनल कॉर्ड बहुत मजबूत है और अगर आपको मेरे साथ ऐसे दुबारा करना है तो मुझे अभी बता दीजिये। मैं दुबारा आपके पास कभी नहीं आऊंगा!"

रानू मुझे फिर से अपनी बाहों में उठाकर बिस्तर पर ले गया और थोड़ी देर मेरे साथ रोमांस करता रहा। फिर मैं बहुत देर तक रोया, ये क्या कर लिया था मैंने। रानू के लंड का स्मेल मेरी सांसों में ऐसे घुल चुकी थी कि अब मैं सांस भी लूँ तो रानू के लंड की खुशु आती और मैं कमज़ोर, बहुत कमज़ोर होता महसूस कर रहा था। फिर मैंने रानू से कहा कि किसी मेकअप आर्टिस्ट को घर बुला लें जो मुझे तैयार कर दे और मैं अपने घर जा सकूँ! सुबह के आठ बजे मेकअप आर्टिस्ट के नाम पर एक नेपाली लड़का आ गया। मैं स्नान कर चूका था लेकिन अभी भी गहनें मेरे जिस्म को खूबसूरत बना रहे थे। उस नेपाली लड़के का नाम सनी था और उसके हावभाव बहुत ही फेमिनिन था लेकिन उसने अपने हावभाव को एक्सेप्ट कर लिया था। थोड़ी ही देर में उसने मुझे फिर से उसी लहँगा चोली में दुबारा से तैयार कर दिया था। टचअप भी ऐसा कि मेरे शरीर के सभी लव बाईट अदृश्य हो चुके थे। जब मैं तैयार हो गया तो सनी वहां से चला गया। फिर मैंने अपनी हाई हील्स को पहन लिया और घर के लिए निकलने को हुआ। तभी रानू ने मेरी कलाई पकड़ ली और अपनी ओर अपनी बाहों में खींच लिया। फिर रानू ने मेरे जिस्म को सुंघा।

रानू ने मुझसे कहा, "कुछ कमी लग रही है रिया।"

मैंने पूछा, "वो क्या?"

फिर रानू वार्डरोब से एक बहुत ही महंगा फीमेल परफ्यूम ले आये और मेरे पुरे जिस्म पर उसे छिड़क दिए। इट वज  फ्रुइटी परफ्यूम विद सीट्रसी एरोमा इस्पेशली ओरेंजेज़ एंड लेमोंस। इस मीठी खुशबु के तो मर्द इतने दीवाने हैं कि अगर कोई लड़की उनके बगल से ये परफ्यूम छिड़क आकर गुज़रे तो वो भी उसके पीछे हो ले।

रानू बोला, "अब ठीक है, मैं तुम्हे घर छोड़ देता हूँ, लगता है, तुम्हारी बीवी नहीं आएगी?"

मैंने कहा, "ठीक है!"

फिर रानू भी तैयार हो गया और हम स्टैर्स से नीचे उतरने लगे। अभी दो सीढ़ी भी नहीं उतरा था मैं, कि मेरे पैर मुड़ गए, वो तो भला हो कि रानू ने मुझे अपनी स्ट्रांग हाथों से मुझे थाम लिया नहीं तो मैं आज हाथ पैर तो तुड़वा ही लेता। उसके बाद मुझे एहसास हुआ कि मेरा पैर मुड़ गया है और बहुत दर्द के कारण मैं रोने लगा तो रानू ने मुझे शांत किया। मुझसे अगला एक कदम भी नहीं लिया जा रहा था। रानू ने मुझे ऐसे देखा तो मुझे सीढ़ी पर बिठा दिए और वोलिनी स्प्रे और गर्म पट्टी लेकर, तुरंत वहां आ गए। रानू ने बड़े आहिस्ते से मेरी हील्स को मेरे पैरों से अलग किया और मेरी ऐंकल्स को सहलाने लगा। स्टैर्स से और भी लोग गुज़र रहे थे और मुझे रानू के साथ ऐसे देखकर मुस्कुरा भी रहे थे। मुझे बहुत लाज आने लगी तो मैंने शर्म से आँखें नीचे कर ली और अपने दोनों गालों पर हाथ रखकर रानू देखने लगा। रानू कितने प्यारे और केयरिंग हैं और मैं इनको रावण समझ रहा था, कितना गलत था मैं। रानू ने मेरे ऐंकल्स पर वोलिनी स्प्रे छिड़ककर उसपर से क्रैम्प बैंडेज बाँध दिए और मेरे दोनों पैरों के हील्स उतारकर अपनी पत्नी की डार्क रेड एंड कॉपर ज़रदोसी एम्ब्रॉइडरेड वेलवेट जुत्ती पहना दिए और एक बैग मेरे हील्स को रख दिए। अब मेरे लहँगा का साइज और भी ज्यादा बड़ा हो गया था और मैं उस जुत्ती में और भी छोटा दिख रहा था। सबसे हैरानी की बात तो यह थी कि वो जुत्ती भी मेरे पैर में एकदम परफेक्ट और फिट बैठ गयी थी। मेरे पैरों में वो जुत्ती बहुत सुन्दर दिख रही थी और आज लाइफ में पहली बार अपनी हील्स के अलावे भी मैंने दूसरा कुछ ट्राय किया था। मुझसे दर्द की वजह से चला तो जा नहीं रहा था तो रानू ने मुझे अपनी बाहों में उठा लिया। शरम के मारे, मैंने भी अपनी ट्रांसपेरेंट ओढ़नी से अपना पूरा चेहरा ही ढंक लिया। रानू जब मुझे अपनी बाहों में लिए सीढ़ीयों से उतर रहा था तो मैं लगातार उसे ही देख रहा था। मेरा मन तो बिलकुल भी नहीं हो रहा था कि मैं रानू को छोड़कर अपने घर जाऊं, लेकिन मेरी एक अलग ही लाइफ थी।

नेक्स्ट डे से जॉब पर भी जाना था। रानू ने मुझे बेचैन कर रखा था, मेरे अंदर एक आग सी लगी थी। रानू की बाहों अपना पूरा जिंदगी बिताने को तैयार होने का मन हो रहा था आज। फिर पार्किंग लॉट में रानू ने अपनी टोयोटा फॉर्च्यूनर में मुझे आगे की सीट पर बिठाया और मेरे बड़े से लहंगे का कुछ भाग जो अभी भी कार से बाहर लटक रहा था, उसे भी उठाकर अच्छे से मेरी सीट बेल्ट लगाई। सीट बेल्ट लगाते समय उसकी गर्म सांसें मेरी साँसों से टकराई और मैंने अपनी कजरारी आँखों बंद कर लिया अरु फिर रानू ने दरवाज़ा लगाया तो मैंने अपनी आँखें खोली। मुझे तो लगा था कि रानू मुझे किस करेगा, लेकिन वो तो ड्राइविंग सीट पर आ कर बैठ गया। मुझे बहुत अधुरापन सा महसूस होने लगा, आखिर एक किस कर लेते तो क्या चला जाता इनका। मेरा मन बहुत ही ज्यादा बेचैन हो गया था, लेकिन किसी तरह खुद को संभाले हुए था। मेरे अंदर की औरत का बस चलता तो वो तो सच मुझे सेक्स चेंज ऑपरेशन करवाने को बाध्य कर देती! मेरी मर्दानगी ने मेरे अंदर की जिस औरत को अब तक दबाये रखा था, वो अब आक्रोशित होने लग रही थी और मेरी मर्दानगी को बार बार धिक्कार रही थी। रानू को मैंने अपने घर का पता बताया हुआ था तो वो सीधे रामपुर हाउसिंग सोसाइटी के गेट पर ले आया। फिर मैंने सोचा कि मीना अगर घर पर नहीं हुई तो मैं रानू को अपने घर में ले जाऊँगा। फिर मैंने मीना को कॉल किया। मीना बोली कि वो उसके चाचा जी के घर पर ही है और शाम तक वापस आ जाएगी। फिर मैंने रानू को अपने घर ले आया। लेकिन दरवाज़े पर तो मीना के हील्स के साथ बड़े बड़े जूते भी रखे थे। मैंने दूसरी चाबी से आहिस्ते से दरवाज़ा खोला और बैडरूम से आती आवाज़ को सुनकर दंग रह गया। ये क्या, मीना एक मर्द के साथ सेक्स कर रही थी और मैं उसके सामने खड़ा चुपचाप उसे ऐसा करते देख रहा था। फिर मैंने मीना की वीडियो रिकॉर्ड की और बाहर वाले कमरे में जाकर चुपचाप से बैठ गया। 

रानू भी दंग रह गया था कि आखिर मेरी बीवी ने मुझे धोका कैसे दे दिया। मेरे सामने वाले सोफे पर बैठकर रानू मुझे देखने लगा। उसके ऐसे देखने से मैं घबराने लगा। इतने में मीना अपने प्रेमी के साथ कमरे से बाहर निकली और मुझे देखकर चौंक गयी। मुझे देखकर मीना घबराने लगी और वो मेरे पैर पकड़कर गिडगिराने लगी और मुझसे माफ़ी मांगने लगी।

मैंने मीना से कहा, "तुम्हारी कारिस्तानी मेरे फ़ोन में रिकार्डेड है, ये माफ़ी तुम्हे मुझे धोखा देने से पहले मांगनी चाहिए थी। अब इस घर में तुम्हारे लिए कोई जगह नहीं है।"

मीना के साथ जो उसका लवर खड़ा था, वो भी रानू के जितने हाइट का था; उसकी उम्र कम लग रही थी, लेकिन हैंडसम दिख रहा था। मीना के गिड़गिड़ाने का मुझपर कोई असर नहीं हुआ और मैंने उसे घर से निकल जाने के लिए शाम तक की मोहलत दी। मीना का लवर ने उसे समझाया कि अब इस घर में रहने का कोई फायदा नहीं! मीना ने अपने बॉयफ्रेंड को जाने को कहा तो वो बाय बोलकर, वहां से निकल गया और मीना अभी भी मेरे सामने गिड़गिड़ा रही थी।

मैंने कहा, "तुम क्यों नहीं गयी अपने लवर के साथ?"

मीना, "आई एम् एक्सट्रीमली वैरी सॉरी, आज के बाद मुझसे ये गलती दुबारा कभी नहीं होगी, माफ़ कर दीजिये मुझे?"

मीना की कोई बात मैंने नहीं माना और उसे कहा कि वो अपने मायके चली जाए और चूँकि अब तो हमारे साथ रहने का कोई औचित्य ही नहीं था उससे साफ़ लफ़्ज़ों में कह दिया कि अब मुझे डाइवोर्स चाहिए। मुझसे डाइवोर्स के बाद वो अपने नए लवर के साथ आजाद होकर साथ रह सकती है। थोड़ी देर बाद मीना अपना बैग पैक करके मेरे घर से निकल गयी और अब मेरे घर में सिर्फ मैं और रानू ही रह गए थे। मीना के ऐसा करने की वजह से मैं बुरी तरह से टूट चूका था और मैं रोने लगा तो रानू मेरे करीब आकर बैठ गया और अपने हाथों से मेरे आंसुओं को पोछते रहा। मुझे बहुत दुःख हो रहा था और मन कर रहा था कि मीना की जान ले लूँ।

फिर रानू ने मुझे समझाया, "तुम ओवर रियेक्ट कर रही हो रिया! ऐसी भी क्या गलती कर दी थी उसने जो तुमने उसे घर से निकाल दिया। क्या तुम उससे प्यार नहीं करते?"

मैंने कहा, "रानू ये कैसी बातें कर रहे हो, मेरी बीवी किसी गैर मर्द के साथ सेक्स करती रही पूरी रात और मुझे लड़की बनाकर अकेले छोड़कर यहाँ मस्ती करती रही अपने आशिक़ के साथ। अगर मीना मुझे बताती कि वो उस आदमी से प्यार करती है तो मैं तो उसे तभी डिवोर्स देकर हमेशा के लिए मुक्त कर देता खुद से।"

रानू बोले, "लेकिन रिया, तुम भी तो पिछली रात मेरी बाहों में थी। हमने सेक्स भी किया तो ये क्या सही था। अगर तुम्हारी पत्नी ने तुम्हे मेरे साथ सेक्स करते हुए पकड़ ली होती और हमदोनो का वीडियो बना लेती तो तब तुम क्या करती रिया?"

रानू की बातें तर्कसंगत थी तो मैंने उससे कहा कि मुझसे गलती हो गयी।

रानू ने मुझसे कहा, "तो फिर तुम अपनी पत्नी को कॉल करो और उसे यहाँ वापिस बुला लो!

रानू की बातें सुनकर मैंने मीना को कॉल लगाया लेकिन फ़ोन स्विच ऑफ बताने लगा था तो मैंने दुबारा कॉल ट्राय भी नहीं किया। इससे मेरा मन और भी दुखी सा हो गया। मैं रानू के सीने पर सर रखकर बहुत रोई और रानू ने मुझे बहुत समझाया लेकिन मेरा रोना रुक ही नहीं रहा था तो रानू ने मेरे होंठों को अपने होंठों में कैद कर लिया और मेरे होंठों को बेतहाशा चूसने लगा। आई वज लाइक शॉक्ड! फिर जब रानू के होंठों की बंदिश मेरे होंठों से हटी तो मैं गुस्सा होने लगा।

मैंने रानू से पूछा, "ये क्या था रानू?"

रानू ने कहा, "तुम्हारा दिल शांत करने के लिए इससे अच्छा उपाय नहीं था मेरे पास!"

मैंने कहा, "लेकिन अब मुझे ये सब नहीं करना!"

रानू ने कहा, "रिया, सेक्स और रोमांस मेन्टल स्ट्रेस कम करता है। इससे तुम्हे बहुत अच्छा लगेगा!"

मैंने कहा, "नहीं रानू प्लीज्! अब बस भी करो, मेरी शादीशुदा लाइफ ख़त्म हो गयी और तुम्हे मेन्टल स्ट्रेस की पड़ी है?"

रानू ने कहा, "ऐज़ यू विश रिया, लेकिन मैं जानता हूँ की तुम्हे अच्छा फील हुआ होगा।"

मैं दुबारा से रानू के साथ सेक्स में मूड में तो बिलकुल भी नहीं था। हमदोनो ने फैसला किया कि हम दुबारा फिर से मिलेंगे और फिर मैंने रानू को बाय कहा और वो मुझे अपना नंबर देकर चला गया।

रानू के जाने के बाद मैं सोचने लगा कि इसमें मीना कि क्या गलती थी जो मैंने उसे घर से निकाल दिया। फिर मैंने मीना को दिन से लेकर रात तक कॉल ट्राय किया लेकिन फ़ोन अभी भी बंद ही आ रहा था। उसी रात मुझे मीना की ओर से एक टेक्स्ट आया।

उस टेक्स्ट में लिखा था, "जो कुछ भी उसके आई एम् नॉट सॉरी! मैं अपने प्रेमी के साथ एक सुखी संसार बसाने जा रही हूँ। आज के बाद मुझे दुबारा कभी कॉल मत करना।"

टेक्स्ट पढ़ने के बाद मुझे लगा कि सुबह से मैं मीणा के बारे इतना सोच सोच कर परेशान हुआ जा रहा था और एक वो थी जिसे अपना लवर ज्यादा प्यारा था मुझसे भी ज्यादा प्यारा। एक ही दिन में मेरा घर संसार उजड़ गया। बहुत दिन हो गए थे मम्मी पापा से बात किये तो मैंने उन्हें कॉल किया और उनका हाल चाल लेने लगा।

फिर मेरी मम्मी बोली, "तू किसी बात से दुखी है क्या?"

मैंने मम्मी से पूछा, "आपको कैसे पता माँ!"

मम्मी बोली, "तेरी माँ हूँ पगले। मुझे नहीं पता रहेगा तो किसे पता रहेगा! अब जल्दी से बता कि क्या बात है जो तू इतना दुखी है?"

मैंने कहा, "मम्मी, मीना घर छोड़कर जा चुकी अपने नए आशिक़ के साथ! आपने सही कहा था मम्मी, ये लड़की मेरे लिए ठीक नहीं लेकिन मेरे ही आँखों पर पट्टी बंधी थी। लेकिन माँ, मीना मुझे धोखा देकर किसी और के साथ अपनी लाइफ कैसे स्पेंड कर सकती है?" कहते कहते मैं फ़ोन पर ही रोने लगा।

मम्मी बोली, "शांत हो जा मेरे बच्चे! मैं तो शुरू से ही कहती रही कि ये लड़की तुझसे शादी करने लायक नहीं है, चल कोई बात नहीं समीर! तेरी माँ तेरे लिए उससे भी सुन्दर दुल्हन ढूंढ कर ले आएगी। अब तू एक काम कर, कल ही जाकर किसी वकील से मिल और डाइवोर्स फाइल कर दे।"

मैंने कहा, "ठीक है मम्मी लेकिन अब मुझे शादी नहीं करनी! अब से अकेले ही रहूँगा तो मेरे लिए लड़की देखने की कोई जरुरत नहीं है। छोटी की शादी अभी तक नहीं हुई है, उसके लिए लड़का देखो और मम्मी, आई एम् सॉरी! काश मैंने आपकी बात शुरू में ही मान ली होती तो आज मुझे ये दिन नहीं देखना पड़ता।"

मम्मी बोली, "कोई बात नहीं मेरे बच्चे! तू रेस्ट कर, मैं कल की ट्रैन से तेरे पास आ जाती हूँ।"

मैं बोला, "मम्मी, तुम्हे कष्ट करने की जरुरत नहीं! मैं ठीक हूँ, और आप घर पर ध्यान दो!"

मम्मी से बात करने के बाद मैंने पापा से बात की तो पापा ने भी मुझे बहुत समझाया। जब मेरे भाई बहन को ये बात पता चली तो उन्होंने मुझे कॉल करके बहुत देर तक मोटीवेट करते रहे और जब कॉल डिसकनेक्ट हुआ। तब मैं सोचने लगा कि मेरे मम्मी पापा भाई बहन मुझसे कितना प्यार करते हैं। मैं अंदर ही अंदर बहुत खुश हुआ। मैंने चेंज नहीं किया था क्यूंकि लहंगे में मुझे खुद को देखकर बहुत अच्छा फील हो रहा था। रात को रानू का कॉल आया और उसने मुझसे पूछा कि मैं कैसा हूँ! मैंने रानू से से ज्यादा बातें नहीं की और कहा कि मैं बिलकुल ठीक हूँ और मैं उसे बाद में खुद से कॉल लूंगा। फिर हिम्मत करके मैंने चेंज किया और मैंने देखा कि चेस्टिटी की चाबी भी वहीं मेज पर पड़ी थी तो मैंने सबसे पहले उस मेटल चेस्टिटी से मुक्त किया। बहुत रिलीफ मिला मुझे, काश मैंने ये चेस्टिटी ना पहना होता तो लास्ट नाईट मुझे रानू के सामने बैठ कर टॉयलेट नहीं करना पड़ता और ना ही मुझे इतनी शर्मिंदगी का सामना करना पड़ता। मैंने बाहर देखा, वहां कोई भी नहीं था। मैंने अलमारी में देखा तो मीना के कपड़े और गहने कुछ भी नहीं थे। मैं समझ गया कि मीना हमेशा के लिए जा चुकी है मैं उस दिन बहुत रोया। वो दिन मेरे लिए बहुत काला दिन था, मुझे नहीं पता था कि इतने शुभ दिन मेरे साथ ऐसी घटना घटेगी, जो मेरी जिंदगी को बदल कर रख देगी। लेकिन मैंने यह भी तय किया कि अब मैं कानूनी तौर पर मीना से अलग हो जाऊंगा, चाहे जो हो।और अब मैं इस फ्लैट में भी नहीं रह सकता क्यूंकि इस फ्लैट में मैं मीणा को ब्याहकर लाया था और इस घर से जुडी सभी यादें मैं मिटा देना चाहता था। मैं उस दिन जितना रोना चाहता था रोया, फिर से बिखरे हुए मेरे घर को ठीक किया और कपड़े बदले।अपने सारे गहने निकाल कर तिजोरी में रख दिए। मैंने स्नान किया, तरोताजा हुआ और अपनी सामान्य मर्दाना पोशाक पहनी और रात के खाने के लिए बाहर चला गया। अब मेरे शरीर पर ऐसा कुछ भी नहीं था जिससे मैं जरा भी फेमिनिन दिखूं। ना आँखों में काजल ही था और ना ही होंठों पर लिपस्टिक। लेकिन मेरी ऑय ब्रोव्स बहुत शार्प लड़कियों के जैसी ही रही और इस ह्युमिलिएशन से खुद को बचाने के लिए मोटे फ्रेम का चश्मा खरीद लिया। उस रोज़ मैंने घर के बाहर ही डिनर किया और जब मैं खाना खाकर घर लौट रहा था तो रास्ते में मुझे अपना पुराना मित्र राकेश मिल गया। छोटी सी बात में मैंने राकेश से तलाक के वकील के बारे में पूछा। राकेश का दोस्त वकील था और वह मुझे अपने पास ले गया। जब मैं लॉयर से मिला, तो मैं चौंक गया, मैंने उसे पहचान लिया लेकिन लॉयर मुझे पहचान नहीं पाया। वह वकील कोई और नहीं बल्कि एलेक्स था। एलेक्स ने मुझसे मामले की जानकारी ली और मैंने उससे तलाक के लिए बात की।

ऑफिस में कल प्रेजेंटेशन जमा करना था और ये तो मैं भूल ही गया था। मैं काम करने बैठ गया और प्रेजेंटेशन तैयार कर के सो गया। अगली सुबह मैं जिम गया तो वहां मैंने जी तोड़ कसरत की, अपना समूचा गुस्सा बॉक्सिंग बैग पर निकालने लगा। दो घंटे की कठोर मेहनत के बाद मैंने थोड़ा रेस्ट करने बैठ गया। तभी एलेक्स ने मुझे देखा और मेरे पास आ गया और मुझसे कहा कि उसे मुझसे कुछ जरुरी बातें करनी है। मुझे लगा केस से रिलेटेड कोई इम्पोर्टेन्ट बात होगी लेकिन उसने जो कहा, वो सुनकर मैं एक पल को सिहर गया और उसे सुनकर मेरे पैरों तले जमीन खिसक गई।

एलेक्स ने मुस्कुराते हुए फुसफुसाया, "कोजागिरी की रात तुम लहँगा चोली में और भी खूबसूरत लग रही थी!"

मैं चौंक गया, इसे कैसे पता? फिर मैंने एलेक्स की इस बात को सिरे से नकार दिया। लेकिन वो मेरी बात नहीं माना।

मैंने उससे कहा, "आप मेरे वकील हो, इसका मतलब ये नहीं कि आपके जो मन में आएगा आप वो कहोगे।"

फिर एलेक्स ने अपने स्मार्टफोन में उन औरतों से थोड़ी दूर पर जहाँ मैं खड़ा था, वहां की तस्वीर दिखाई।

फिर एलेक्स बोला, "अब बताओ, क्या ये खूबसूरत लड़की, जिसने लहँगा चोली पहन रखा है, क्या ये तुम नहीं हो रिया?"

मैंने कहा, "मिस्टर एलेक्स, आई एम् समीर, नॉट रिया! और आप जो इस लड़की की तस्वीर दिखा रहे हैं मैं ऐसी किसी लड़की को नहीं जानता!"

एलेक्स बोला, "यू नो व्हाट, गुप्ता जी मेरे दोस्त की पत्नी हैं और उन्होंने मुझे उसी रात ये पूरी बात बताई थी और तभी मैं कहूं कि मैंने इस लड़की को पहले कहाँ देखा था।"

चोरी पकड़ी गयी थी मेरी तो मैंने एलेक्स से कहा, "हाँ मैं वही हूँ।"

एलेक्स ने कहा, "मुझे बहुत खुशी है कि तुम भी इस जिम में आती हो रिया!"

मैंने कहा, "मिस्टर एलेक्स, धीरे बोलिये, अभी तो मैं समीर हूँ, रिया नहीं!"

एलेक्स मुस्कुराया और बोला, "ठीक है समीर! तुम दोबारा कब क्रॉसड्रेसिंग करोगे? मैं रिया से मिलने को बेताब हूँ।"

मैंने कहा, "कृपया बाहर में इस तरह बात मत करो, मैंने दो साल में पहली बार क्रॉसड्रेसिंग की है और मैं नहीं जानता कि दुबारा मैं कब क्रॉसड्रेसिंग करूँगा।"

एलेक्स ने कहा, "रिलैक्स रिया, मैं तुम्हें डिस्टर्ब नहीं करना चाहता था, जाओ एक्सरसाइज करो।"

फिर मैंने अपनी एक्सरसाइज पूरी की और अपने फ्लैट पर जाने लगा, तो एलेक्स भी मेरे साथ हो लिया। वो मुझे बहुत अच्छा लग रहा था, जेंटलमैन की तरह। उस दिन ऑफिस में भी मैंने एलेक्स को काम करते देखा था, वो कितनी डेडिकेशन से मेरी बात सुनता रहा। घर जाने को हमारे रास्ते अलग हो गए और मुझे ये जान कर बहुत अच्छा लगा कि चलो कोई मुझे खुश करने की कोशिश कर रहा है। उसने एक महीने के अंदर मेरा और मीना का तलाक करा दिया। उस छली स्त्री से छुटकारा पाकर मैं बहुत खुश हुआ। मीना ने जो कुछ भी किया और मुझसे कराया वह अक्षम्य था और अब मैं अपने जीवन में फिर कभी उनका चेहरा नहीं देखना चाहता था। मैंने जिस लड़की से दिल से प्यार किया था, उसने मुझे ऐसा धोखा दिया। आखिर मैंने क्या गलत किया जो उसने मेरे साथ यह सब किया। मीना ने मेरे साथ बहुत गलत किया और अब मैंने सोच लिया था कि अब मैं भी अपनी लाइफ में आगे बढूंगा और सबसे पहले इस फ्लैट को छोड़ना होगा। यहां से एलेक्स और मेरी काफी अच्छी बॉन्डिंग हो गयी थी। वह अक्सर मेरे साथ वक्त बिताते थे, कभी डिनर पर बुलाते थे तो कभी जिम से लौटते वक्त मेरे साथ आते थे। अब जिम में भी एलेक्स मेरी मदद करता, सबसे ज्यादा चिन-अप्स में और इस बहाने उसे अपनी स्ट्रांग हाथों से मेरी कमर पकड़ने का मौका मिल जाता। एलेक्स के स्ट्रांग मरदाना हथेली जब भी मेरी कमर पर रहता तो मुझे सपोर्ट की जगह पेट में गुड़गुड़ होने लगता। हम अच्छे दोस्त बन गए, एलेक्स मेरे पिता की उम्र से बस पांच साल ही छोटा था, लेकिन फिर भी हमारा रिश्ता अच्छे दोस्तों जैसा हो गया था।एक दिन मेरी और एलेक्स की बात हो रही थी तो मेरे फ़ोन पर रानू का कॉल आया। हमेशा की तरह मैंने रानू से जितने प्यार से बात कर रहा था, एलेक्स वहां से उठकर चला गया। एलेक्स ऐसे ही उठकर नहीं गया था, किसी और मर्द के साथ मुझे ऐसे कोजी बातें करते देख उसे जलन हो रही थी। इन सब से बेखबर मैं उसके जाने के बाद भी रानू से बातें करता रहा। रानू ने सैटरडे और संडे का प्रोग्राम बनाया था, अपने घर पर क्यूंकि रानू का जन्मदिन था उस रोज़। और रानू चाहता था कि मैं उसके घर आऊं! रानू से मिले मुझे भी पुरे दो महीने बीत चुके थे लेकिन मुझे उससे डर लगने लगा था।

मैंने रानू से कहा, "ठीक है मैं आऊंगा लेकिन रिया बनकर नहीं बल्कि समीर बनकर।"

रानू मान गया और उसने मुझे छह बजे मेरी सोसाइटी के गेट से पिक करने की बात कहकर कॉल डिसकनेक्ट कर दिया। कॉल डिसकनेक्ट होने के बाद मैंने इधर उधर देखा, एलेक्स जा चूका था। मैं मेंस जोन में गया जहाँ सिर्फ मर्द एक्सरसाइज करते हैं, एलेक्स वहां भी नहीं था। शायद उसे कोई काम आ गया होगा या फिर उसे मेरा किसी और से बात करना अच्छा नहीं लगा हो! मैं जिम से निकला तो एलेक्स जिम के बाहर भी नहीं था। आई थिंक ही वाज़ लिटिल जेलस और मुस्कुराते हुए मैं अपने उसी फ्लैट में आ गया जहाँ आना भी मुझे ऐसा लगता है कि किसी नर्क में आ गया मैं। घर आने के बाद मैंने एलेक्स को कॉल किया और उससे पूछा, "आखिर क्या बात हुई जो जिम से बिना कुछ कहे अकेले ही घर को चले गए, हम तो हमेशा साथ में जिम से निकलते हैं ना!"

एलेक्स ने कहा, "तुम बिजी थे समीर! मैंने सोचा तुम्हे वक़्त लगेगा।"

मैंने पूछा, "ऐसा क्यों लगा तुम्हे और तुम मेरा इंतज़ार नहीं कर सकते थे?"

एलेक्स ने कहा, "सॉरी समीर!"

मैंने कहा, "एलेक्स, तुम्हे बुरा लगा कि मैं किसी दूसरे मर्द से ऐसे हंस हंस कर बातें कर रहा था तो!"

एलेक्स ने कहा, "मुझे क्यों बुरा लगेगा भला! यू कैन टॉक टू एनीवन यू वांट! हु ऍम आई तो आस्क क्वेश्चंस!"

मुझे लग रहा था कि एलेक्स को बुरा लगा लेकिन मैं रानू को नहीं छोड़ सकता था। रानू उम्र में एलेक्स से तीन साल बड़ा था और वो पहला सख्स है जिसने मुझसे सच्चे दिल से प्यार किया था। मेरे दिल में जितनी बड़ी जगह रानू के लिए थी शायद उतनी एलेक्स के लिए नहीं थी। इसीलिए एलेक्स के सवाल जवाब से मुझे कुछ ख़ास फ़र्क़ नहीं पड़ा, लेकिन मैंने एलेक्स से खूब मजे लिए। उस दिन तो एलेक्स मुझसे उखड़ा उखड़ा रहा लेकिन अगले दिन में जब मुझसे चीनअप्स नहीं हो रही थी तब मैंने एलेक्स के हाथों को अपनी कमर पर महसूस किया और उसकी जकड़ बता रही थी कि वो मान चूका था। अगले दिन से सबकुछ पहले जैसा हो गया, मैं और एलेक्स साथ में जिम जाते और साथ ही जिम से रिटर्न भी होते। नाउ इट वज सैटरडे, आज रानू का जन्मदिन था और इस बात को मैंने एलेक्स से शेयर किया। एलेक्स ने मुझसे कहा कि कोई अच्छा सा गिफ्ट लेते जाऊं! मैंने रानू के लिए "मयूर माय लव" नाम की परफ्यूम खरीदी और उसे अच्छे से पैक कर लिया। शाम को जब मैं ऑफिस से घर वापिस आया तो रानू मेरा इंतज़ार कर रहा था, वो भी ठीक मेरी बिल्डिंग की खराब लिफ्ट के सामने।

मैंने रानू को बर्थडे विश किया तो उसने मुझसे जल्दी से तैयार हो जाने को और साथ चलने को कहा। मैं उसे अपने फ्लैट में ले गया और ब्लेज़र पहनकर रेडी हो गया। फिर मैं रानू के साथ उसके घर आ गया। अभी हम ग्राउंड फ्लोर पर ही थे कि रानू ने मुझे अपनी बाहों में उठा लिया।

मैंने पूछा, "ये सब क्या है रानू? आज कौन सा मैंने लहँगा चोली पहना है?"

रानू हँसते हुए बोले, "आज मेरी जान ने लहँगा चोली तो नहीं पहनी लेकिन कुत्ते तो आज भी हैं इस बिल्डिंग में हैं। और ये जानते हुए कि मेरी रिया को कुत्तों से डर लगता है तो मैं तुम्हे अपनी बाहों में ही अपने घर में ले जाऊंगा।"

मैंने पूछा, "लेकिन कोई देखेगा तो क्या कहेगा?"

रानू ने कहा, "अभी सब लिफ्ट से ही ऊपर नीचे चढ़ते उतरते हैं, सीढ़ियों से कोई नहीं जाता।"

फिर रानू मुझे अपने घर में ले गया और सोफे पर बिठाया। वहां मैं और रानू अकेले थे और हमदोनो बारह बजने के इंतज़ार में थे। जैसे ही घडी में बारह बजे, मैंने रानू को बर्थडे वॉश किया, उसे गिफ्ट दिया और उसके जाँघों पर बैठकर उसके होंठों पर बड़े प्यार से किस किया और तभी पुरे घर में अचानक लाइट से जगमगा गया और बहुत सारे लोग अचानक ना जाने कहाँ से आ गए और मैं शर्म से पानी पानी हो गया। सभी ने पहले तो रानू से केक कटवाया और फिर रानू ने सबसे पहले केक का एक बाईट मुझे खिलाया और फिर मैंने रानू को। केक खाते समय रानू सबके सामने मेरी उँगलियों को चूस गया और मुझे फिर से बहुत ऐम्बर्रास्मेंट फील हुआ। रानू के सभी दोस्तों को ये पता था कि मैं एक लड़की हूँ जो ब्लेज़र में आया हूँ तो उसके सभी दोस्त मुझसे ऐसे बातें करने लगे मानों मैं समीर नहीं बल्कि रिया हूँ। इसमें मुझे भी बहुत अच्छा लग रहा था क्यूंकि सभी मुझे रिया नाम से सम्बोधित कर रहे थे। ये सब रानू के जूनियर्स और दोस्त थे और सभी ने मुझे भी अपना अपना इंट्रो दिया और उन्ही में से एक आंटी ने बताया कि रानू अभी स्पेशल फोर्सेज के इंटेलिजेंस डिपार्टमेंट में काम करता है और इसके जैसा जांबाज़ फौज में बड़े नसीबों से आते हैं। रानू की तारीफ़ सुनकर बहुत ख़ुशी मिली। डिनर के बाद सभी एक एक करके जाने लगे मैंने भी जाने सोचा लेकिन रानू ने मुझे रोक लिया था। मैंने सोचा कि मैं भी निकल लेता हूँ लेकिन रानू ने मुझे रोक लिया।

रानू बोले, "आज रात के लिए यहीं रुक जाओ रिया!"

मैंने कहा, "रानू, तुम्हारे कहने पर मैं यहाँ आई ना? यहाँ रुकी तो तुम फिर उस रात की तरह अपना होश खो बैठोगे।"

रानू बोले, "तो क्या तुम नहीं चाहती कि मैं अपना होश खो दूँ तुम्हे अपने पास रखकर?"

मैं क्या कहता, समझ में नहीं आ रहा था। आज इतने दिनों के बाद हम साथ थे, आज रानू का जन्मदिन भी था। आज उसकी बात को टालना मुझे अच्छा नहीं लगा तो मैंने फैसला किया कि आज की रात, रानू के पास रुकूंगा।

मैंने कहा, "ठीक है, लेकिन मैं ब्लेजर पहनकर नहीं सो सकती यार कुछ पहनने को तो दो?"

रानू ने कहा, "ये लो, मेरी टीशर्ट और पायजामा पहन लो रिया।"

फिर मैंने चेंज किया और रानू की टीशर्ट पहन लिया। टीशर्ट पहनने के बाद मुझे पायजामे की जरुरत ही नहीं पड़ी क्यूंकि उसकी टीशर्ट मेरे जाँघों को भी कवर कर रही थी। फिर मैंने अपने बंधे बालों को रबर की कैद से आजाद कर दिया और मुझे देखकर रानू मेरे पास आ गया और मुझे चारो ओर से घूरने लगा। रानू का मुझे यूँ देखना मेरी बेताबी बढ़ाने लगी थी, मेरी नज़रें खुद ब खुद झुक गयीं थी, मेरी सांसें तेज़ होने लगी थी और अंदर से अब डर लगने लगा था। रानू ने मुझे पीछे से हग किया और मेरे चेहरे को अपनी तरफ घुमा कर मेरे होंठों को चूसने लगा। ओह्ह्ह्ह! गॉड! ये क्या हो जाता है इस आदमी की बाहों में जब भी होता हूँ, इतना वीक कैसे हो जाता हूँ। थोड़ी ही देर में रानू के मर्दाने साँसों की खुशबु मेरे साँसों में घुलने लगी और मैंने खुद को रानू की बाहों में आजाद छोड़ दिया। अब मैं पूरी तरह से रानू के कण्ट्रोल में था और मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर मुझे हो क्या गया है। रानू का मेरे साथ रोमांस तबतक चला, जबतक कि हमदोनो पूरी तरह से न्यूड नहीं हो गए। अब रानू मुझे घोड़ी बना चूका था और आज मैं तैयार था उसकी घोड़ी बनने के लिए क्यूंकि आज मेरे रानू का जन्मदिन था। वो जो भी मांग ले, आज मैं उसे कैसे मना कर सकता था। थोड़ी देर बाद रानू ने मेरे बालों को अपने हाथ से पकड़ लिया और मेरी गांड में अपना लंड घुसा दिया। आज कुछ ज्यादा ही दर्द हुआ, आँखों में आंसू भी आ गए लेकिन इसे रानू का बर्थडे गिफ्ट समझकर अपने दर्द को बर्दाश्त करने लगा। उस हार्डकोर सेक्स के दौरान आज मैं उस दिन की तरह जोर जोर से नहीं चिल्ला रहा था और अपनी आवाज़ को दबाने की खूब कोशिश कर रहा था। लेकिन मुझे बहुत दर्द होने लग रहा तो मैं रोने लगा। आज भी रानू ने मेरे आंसुओं को अपने होंठों से समेटकर पी गया और मुझे होंठों पर चूमते हुए मेरे साथ सेक्स करता रहा। रानू मुझे तबतक चोदता रहा जबतक कि उसके स्पेर्म्स से मेरी गांड लबालब नहीं भर गयी। उसके बाद रानू मुझे अपनी बाहों में ले कर सो गया। मैं भी बहुत थक गया था तो मैं भी तुरंत सो गया। आधी रात में जब मेरी नींद खुली तो उसी दिन की तरह रानू मुझे अपनी बाहों में समेटे गहरी नींद में सो रहा था। मैंने रानू से खुद को अलग करने की कोशिश करने लगा लेकिन उसने मेरी कमर को अपने स्ट्रांग हाथों से जकड रखा था। फिर मैंने रानू को जगाकर उसे हाथ हटा लेने को कहा और उससे बोला कि मुझे वाशरूम जाना है। रानू ने मुझे आजाद कर दिया और मेरी गांड में से अपने लंड को बाहर निकाल लिया। ओह्ह्ह बहुत दर्द हुआ, आँखों में आंसू आ गए थे मेरे। लेकिन आज मुझे चलने में परेशानी नहीं के बराबर थी। जब मैं वाशरूम में गया तो उसी दिन की तरह बैठकर टॉयलेट करने लगा और तभी वहां रानू आ गया और मुझे टोके बिना ही कमोड में टॉयलेट करने लगा। फिर जब मैं उठा तो रानू मुझे अपनी बाहों में उठाकर बिस्तर पर ले गया और मुझे अपनी तरफ चेहरा करके सुला लिया। अब मेरे चेहरे पर रानू की गर्म साँसों की बौछार हो रही थी और मैं रानू को सोते हुए देखकर उसके होंठों से अपने होंठो से मिलाने से खुद को ना रोक सका। मैंने रानू के होंठों को जीभर के चूमता था और उसके होंठों में अपने होंठ रखकर कर कब गहरी नींद में समा गया, मुझे इसका पता भी नहीं चला। आज की रात भी रानू ने चार बार करवट बदली और उस करवट के साथ मैंने भी जगह बदली क्यूंकि रानू के हर करवट के साथ वो मुझे भी उसी दिन की तरह इधर से उधर करता रहा। आई वज फीलिंग लाइक कि मैं एक सेक्स टॉय तो बनकर नहीं रह गया हूँ रानू के लिए? रानू की बाहों में मुझे याद भी नहीं रहता कि मैं समीर हूँ और रिया सिर्फ एक आइडेंटिटी है जिसका कोई अस्तित्व नहीं है। लेकिन अस्तित्व विहीन रिया अब समीर को ओवरकम करना शुरू कर चुकी थी। मेरे अंदर के मर्द की अपेक्षा मेरे अंदर की औरत की ख़ुशी का कोई ठिकाना नहीं था। रानू का यूँ मुझपर जान छिड़कना, रिया को सबसे ज्यादा अच्छा लगता था जो कि मैं ही था ना। अगले सुबह भी जब मैं नींद से जगा तो अभी भी मेरे और रानू के होंठ एक दूसरे में समाये हुए थे और रानू मेरे होंठों को हर थोड़ी देर में चूसने लगता और मेरे शरीर के सिहरन का कोई हिसाब किताब नहीं था। रानू की बाहों में लड़कियाँ की तरह चूमा चाटी में जो मजा आ रहा था वो बेहिसाब था। वो दिन रानू ने पुरे दिन मुझे बिस्तर में ही रखा। उसके साथ हमबिस्तर होने के दौरान एलेक्स का कॉल आ गया। तब रानू वाशरूम गए थे और मैं एलेक्स से बातें करने लगा इसी बीच रानू ने मुझे पीछे से पकड़कर मेरे साथ रोमांस करना लगा। मैंने रानू को इशारे से कहा भी कि मैं कॉल पर हूँ लेकिन ये कहाँ मानने वालों में से था। इधर मैं एलेक्स से बातें कर रहा था और उधर रानू ने मेरी अंडरवेअर को नीचे सरका दिया और मुझे खड़े खड़े ही चोदने लगा। मेरी गांड में रानू का लंड जैसे ही घुसा, मेरी चीख निकल गयी और इस चीख की आवाज़ तो एलेक्स तक भी पहुँच ही गयी थी। उसने मुझसे पूछा कि क्या हुआ। इसका जवाब भी देते समय मेरे मुँह से निकलती आहें रुक नहीं रही थी, मैंने एलेक्स से बाद में बात करने को कहकर कॉल डिसकनेक्ट कर दिया और रानू से खुद को अलग करके उसे देखने लगा।

मैंने गुस्से में रानू से कहा, "ये सब क्या है रानू, मैं कॉल पर थी ना! क्या सोच रहा होगा सामने वाला?"

रानू बोला, "जो सोचे, अब आ भी जाओ रिया, ऐसे मत तड़पाओ!"

रानू ने मुझे अपनी बाहो में उठा लिया और मुझे खड़े खड़े ही चोदने लगा। नेक्स्ट दो राउंड हार्डकोर सेक्स के दौरान मेरी गांड लगभग फ़टी फ़टी सी हो चुकी थी। दर्द के मारे मैं बहुत रो रहा था और रानू मेरे आंसुओं को पी जा रहा था। आज सेक्स के दौरान रानू मेरे चेहरे पर जीभ फेरने लगा, ऐसा लग रहा ता मानों मैं कोई प्रोस्टीच्यूट ही हूँ जो यहाँ चुदवाने आयी हो। दो राउंड हार्डकोर सेक्स के बाद अब मेरे अंदर इतनी शक्ति नहीं बची कि मैं अपनी आँखें खोलकर रख सकूँ! आंखों में इतना जलन और वीकनेस भी इतना ज्यादा हो गया था कि मैं कब सो गया, मुझे नहीं पता। शाम में मेरी नींद खुली तो मैंने रानू से कहा कि मुझे घर जाना है। रानू ने मुझे घर ले जाने से पहले एक गिफ्ट दिया। मैंने वहीँ गिफ्ट को खोलकर देखा तो उसमे सोने के गहने थे। छोटी सी जैसी यूपी बिहार में पहनते हैं वैसी नाक की नथिया, सोने की बड़ी बड़ी बालियाँ, एक मांगटीका, पैरों में पहनने के लिए चाँदी की ढाई सौ ग्राम की पायल और पैरों की उंगलिओ में पहनने के लिए बिछुए रखे थे।

मैंने रानू से कहा, "ये तो बहुत कॉस्टली है, मैं इतना महंगा गिफ्ट नहीं ले सकती!"

रानू ने कहा, "ये हमदोनो की आखिरी मुलाक़ात है। रूस और यूक्रेन में जंग छिड़ने वाली है और फौज की तरफ से मुझे रूस जाना पड़ेगा। क्या पता मैं जंग से लौटूं या नहीं लौटूं!"

मैंने कहा, "इश्स, चुप! ऐसे अपसकुन की बातें ना किया करो! तुम्हे कुछ नहीं होगा क्यूंकि मेरा रानू बहुत बहादुर है।"

फिर मैंने रानू को देखा, मैं बहुत इमोशनल हो गया और उसे हग कर के रोने लगा। मैं रोते रोते रानू से बोला, "रानू, तुम जल्दी आ जाना! मैं तुम्हारा इंतज़ार करुँगी। अगर तुम कहोगे तो मैं तुम्हारे साथ जिंदगी भर रह लुंगी लेकिन प्लीज् रानू, जंग से जल्दी लौट जाना। तुम्हारे बगैर मैं नहीं जी पाऊँगी!"

फिर मैं बहुत फुट फुट कर रोया, रानू ने मुझे शांत किया। लेकिन मैं शांत नहीं हो रहा था। रानू मुझसे इतना दूर जा रहा था, मैं क्या करता, मेरे इमोशंस जो रानू से जुड़े थे और मुझे बहुत रोना आ रहा था। फिर रानू ने मुझे समझा बुझा कर अपने इस घर की डुप्लीकेट चाबी भी देते हुए बोला कि जबतक वो वापिस नहीं आ जाता, इस घर का ख्याल रखना और मैं उसकी बात मान भी गया। रात होने से पहले रानू मुझे मेरे घर पर ड्राप करने आया तो मैंने उसे अपने घर में ले गया और उसे हग करके उसके होंठों को अपने होंठों में लेकर चूसने लगा। मैंने खुद से रानू के पैंट से बेल्ट निकाल दिया और उसके अंडर वियर से उसका लंड निकाल कर अपने मुँह में ले लिया और उसे ब्लोजॉब का मजा देने लगा। ये सब मुझे पसंद नहीं था लेकिन आज मैं रानू के दिल की सभी ख्वाहिशों को पूरा करने के लिए कुछ भी करने को तैयार था। फिर मैं भी न्यूड हो गया और जब रानू उत्तेजित हुआ तो उसने मुझे मेरे बिस्तर पर लिटा दिया, मेरे दोनों पैरों को फैला दिया और मेरे होंठों को चूमने के साथ ही मेरी चुदाई करनी शुरू कर दी। आज मैं पहले की तरह आह उह्ह्ह नहीं कर रहा था बल्कि उसे और जोर जोर से चोदने को कह रहा था। आई डोंट नो लेकिन रानू के दिल की ख्वाहिशों को पूरा करने के लिए आज मैं कुछ भी करने को ना जाने क्यों तैयार हो गया था। रानू मुझे रात भर मेरे बिस्तर पर चोदता रहा और मैं भी पुरे जोश में उसे उत्तेजित करता रहा। अंत में एक मुझे महसूस हुआ कि मेरी गांड में अचानक बाढ़ सी आ गयी और फिर मेरा भी वीर्य स्खलित हो गया। हमदोनो चरमसुख के उस मुकाम पर थे जहाँ हमें रोकने वाला कोई भी नहीं था। रानू बहुत खुश था और वो सेक्स के बाद भी मेरे होंठों को अपने होंठों में समेटे रोमांस कर रहा था। आज वो मेरे साथ कुछ भी करने को आजाद था और रानू ने पूरी रात अपनी आज़ादी का पूरा आनंद उठाया। अगली सुबह जब मेरी नींद खुली तब बिस्तर में मैं अकेला था। मैंने इधर उधर देखा, रानू जा चूका था। मैंने रानू के लिए फिर से रोने लगा और भगवान् से प्रेय करने लगा कि वो रानू को सुरक्षित रखें। रानू के घर की चाभी भी थी मेरे सिराहने और मैं उसकी यादों में ऐसा खो गया कि आज ना तो मैं जिम गया और ना ही ऑफिस। मैंने ऑफिस से मेडिकल लीव ली और दिन भर अपने इमोशंस को कण्ट्रोल करने की कोशिश में लगा रहा। मीना के जाने के टाइम भी मैं इतना नहीं रोया जितना आज रो रहा था और मेरे साथ कोई भी नहीं था कि जो मेरे इस गम में मेरा साथी बन सके। आई वज फीलिंग सो अलोन।

मेरे फ़ोन पर एलेक्स का लगभग दस से ज्यादा मिस कॉल्स थे और मैं ऑफिस में बैठा काम कर रहा था। लंच हॉर्स में मैंने एलेक्स को कॉल किया।

एलेक्स बोला, "रिया, पिछले पांच दिनों से कहाँ हो तुम? तुम ठीक तो हो ना? तुम जिम भी नहीं आ रही हो, क्या बात है? इतनी चिंता हो रही है मुझे तुम्हरी!"

मैंने कहा, "हम्म! मैं ठीक हूँ एलेक्स, कल से जिम में मिलते हैं। अभी मैं ऑफिस में हूँ!"

फिर एलेक्स को बाय कहकर मैं कॉल डिसकनेक्ट कर दिया। ऑफिस का काम ख़त्म करने के बाद मैं अपने घर जाने के बजाय रानू के घर चला गया। मैंने देखा उसके दरवाज़े पर आज भी ताला जड़ा हुआ है, मेरे पास चाबी तो थी लेकिन मैं अंदर नहीं जाना चाहता था। फिर मैं वहां से घर आ गया। रात को बाहर ही डिनर करके घर लौटा और सो गया। रानू के जाने के साथ मेरे अंदर की एक्साइटमेंट भी ना जाने कहाँ गायब हो गयी थी। अगली सुबह जब मैं जिम में एलेक्स से मिला तो एलेक्स मुझे देखते ही अपने पास बिठा लिया।

एलेक्स ने पूछा, "क्या बात है, तुम किस बात को लेकर इतने परेशां हो? तुम्हारे आँखों के नीचे डार्कसर्कल बता रहे हैं कि जरूर कोई ना कोई बात है।"

मैंने कहा, "नहीं ऐसी कोई भी बात नहीं है एलेक्स!"

एलेक्स ने कहा, "चलो ठीक है फिर, लेकिन अपना ख्याल रखा करो और अगर तुमसे तुम्हारा ख्याल खुद से नहीं रखा जाता तो मुझसे कहो, मैं तुम्हारा ख्याल रख लूंगा।"

मैंने कहा, "नो इट्स ओके!"

एलेक्स ने कहा, "अच्छा देखो, मुझे क्या लगता है कि तुम्हे अकेलापन परेशान कर रहा है और यही वजह है जिससे तुम्हारा हेल्थ भी डाउन होता जा रहा है। तुम अब पहले जैसे एक्सरसाइज भी नहीं कर रहे हो, क्यों मैं ठीक कह रहा हूँ ना!"

मैंने कहा, "हम्म!"

एलेक्स ने कहा, "देखो समीर, मैंने तुम्हे कभी ऐसे दुखी नहीं देखा, हमेशा एक नयी एनर्जी के साथ जिम आते देखा है। अगर तुम्हे तुम्हारी एक्स वाइफ इतनी ज्यादा याद आती है तो कोई नई गर्लफ्रेंड बना लो, जिससे तुम्हारा अकेलापन दूर हो!"

मैंने कहा, "नहीं, मैं ऐसे ही ठीक हूँ!"

एलेक्स को लग रहा था कि मैं अपनी एक्स वाइफ को लेकर इतना दुखी हूँ लेकिन मैं उसे कैसे बताऊं कि मैं खुद को जिसकी वाइफ के रूप में देखता था वो मुझसे कितनी दूर चला गया है। पता नहीं अकेले रानू कैसे रहेगा, मुझे बहुत फिक्र होने लगी थी रानू की। 

फिर एलेक्स ने कहा, "तुम ठीक हो?"

मैंने कहा, "हाँ मैं ठीक हूँ। मुझे इतना मोटीवेट करने के लिए थैंक्स एलेक्स!"

फिर एलेक्स ने मेरी एक्साइटमेंट बढ़ाने के लिए मुझे कुछ सेक्सी लड़कियों की तस्वीरें दिखाई, जिनके ब्रेस्ट्स बहुत बड़े बड़े थे और हिप्स भी राउंड शेप में थी, देखने में वो लड़की बहुत खूबसूरत दिख रही थी।

मैंने एलेक्स से पूछा, "ये लड़की कौन है?"

एलेक्स ने कहा, "ये अनास्तासिया क्विटकिओ है, रुस्सियन मॉडल है और शी इज़ सो हॉट!"

मैंने पूछा, "लेकिन मुझे ये तस्वीर क्यों दिखा रहे हो?"

एलेक्स ने कहा, "काश तुम्हारा फिगर भी ऐसा होता तो कितना अच्छा होता!"

मैंने खुद को अनस्तासिया के जिस्म में खुद को अज़्यूम करने लगा, ओह्ह! आई वज गेटिंग नई एक्साइट्मेंट्स।

मैंने कहा, "लेकिन मेरा फिगर ऐसा कभी नहीं सकेगा।"

एलेक्स बोला, "हो तो सकता है लेकिन उसके लिए तुम्हे सेक्स चेंज करवाना होगा और बहुत मेहनत करनी होगी।"

मैंने कहा, "तो फिर रहने दो, मुझसे नहीं होगा ये सब!"

फिर  एलेक्स ने कहा, "संडे को ड्रेसअप करो ना? साड़ी में?"

मैंने कहा, "मेरे पास साड़ियां नहीं हैं और अब ड्रेसअप करने का मन भी नहीं है।"

एलेक्स बोला, "तुम्हे शायद पता नहीं कि लहँगा चोली में तुम कितनी खूबसूरत दिखती हो? तुम्हारी खूबसूरती तारिफेकाबिल है।"

मैंने कहा, "घर चलें!"

फिर हम दोनों घर आ गए, एलेक्स अपने घर और मैं अपने घर। घर आकर मैंने अनस्तास्या की और भी ढेरों पिक्स देखीं। ओह्ह गॉड, कितनी खूबसूरत है ये लड़की! एलेक्स जो कह रहा था, काश मेरा फिगर ऐसा होता तो मैं और भी कितनी सुन्दर दिखती। फिर ऑफिस गया, तो काम में मन नहीं लग रहा था, लेकिन किसी तरह काम निपटाकर मैं घर आ गया। मैं हर रोज़ ऑफिस से सीधे रानू के घर चला जाता, लेकिन हमेशा की तरह वहां ताला ही मिलता। मैं रानू को मिस करने लगा था लेकिन उससे खुद को उबारने के लिए हर रोज़ रात को एलेक्स से देर देर तक बातें करता। एलेक्स को मेरी बहुत परवाह रहती, वो जिम में मुझे हमेशा सपोर्ट करता और रानू की तरह मेरे आँखों में आंसू वो भी देख नहीं पाता था। एक के बाद एक जिस भी किसी को मैं दिल से चाहा, वो मुझसे दूर होता गया और मैं एलेक्स को भी खोना नहीं चाहता था क्यूंकि वो एक बहुत अच्छा दोस्त बन गया था मेरा।

रानू को गए तीन महीने गुज़र चुके, ना कोई कॉल, ना कोई मैसेज, रानू अंडरकवर बनकर वहां गया था, तो शायद इस दौरान बात करने की आज़ादी ना हो। यही सोचकर मैं रानू के बारे में सोचने के बजाय अपने जिम, अपने ऑफिस और अपने क्रॉसड्रेसिंग के साथ एलेक्स के करीब होने लगा। अब मेरा सेल्फ मोटिवेशन काम करने लगा था और क्रॉसड्रेसिंग के बारे में सोच कर मेरे शरीर में नई एनर्जी ही आ गयी थी। अब मैंने सोच लिया था कि रानू जब आएगा तब आएगा देखा जायेगा, तबतक अपनी लाइफ क्यों ना जियूं! एलेक्स को पता था कि मेरे लिए रानू के दिल में बहुत जगह है और उस दिन मेरा जन्मदिन था। मैं अपना जन्मदिन सेलिब्रेट नहीं करना चाहता था, लेकिन एलेक्स चाहता था कि मैं अपना जन्मदिन सेलिब्रेट जरूर करूँ। मैंने एलेक्स को समझाने की कोशिश की कि हम दो ही लोग तो हैं, दो लोगों में क्या बर्थडे सेलिब्रेशन! तब एलेक्स ने मुझे बताया कि मेरे लिए एक सरप्राइज है, बर्थडे वाला पूरा दिन मैं उसी के साथ गुज़ारने वाला था और मन ही मन मैं इसके लिए एक्साइटेड भी था। मेरे बर्थडे वाली सुबह मेरे दरवाज़े पर एक लड़की आ गयी, उसने अपना नाम गोराल बतायी। गोराल ने मुझसे कहा कि एलेक्स के कहने पर वो मुझे तैयार करने आयी है और वो एक मेकअप आर्टिस्ट है। इट वज़ अ बिग सरप्राईज़ फॉर मी। गोरल के हाथों में चार बैग्स थे जिसमे मेकअप का सारा सामान था, ए टू जेड और ये देखकर मैं बहुत खुश हो गया था।

जब गोरल ने मुझे तैयार कर दिया तो मैं अपने घर के बड़े वाले आईने के सामने जाकर खड़ा हो गया। मैंने खुद को देखा, आज मैं पहली बार हलकी पर्पल रंग की शिफॉन की साड़ी में था, बेहद ही खूबसूरत लग रहा था मैं। मेरी साड़ी के बॉर्डर के रंग से मैच करता हुआ गोल्डन रंग का बड़े गले का ब्लाउज पहन रखा था जो पूरी तरह से बैकलेस ही था, बस पीठ पर कंधे से नीचे एक पतली सी डोरी थी और एक डेढ़ इंच का स्ट्रैप ब्लाउज के नीचे की तरफ था, जिसमें हुक लगे हुए थे। केवल इनके सहारे उस खूबसूरत ब्लाउज ने मेरे चौंतीस डी साइज भरे हुए वक्षों (ब्रेस्ट) की खूबसूरती छिपा रखी थी। लेकिन मेरी खुली हुई दूध सी गोरी और मखमली पीठ उस ब्लाउज में से साफ झांक रही थी, जिसे बार बार देखने से मैं खुद को रोक नहीं पा रहा था। मेरी साड़ी भी ट्रांसपेरेंट थी, जिसमें से मेरी अठाइस इंच की पतली कमर को साफ़ देख पा रहा था और जब मैं चलता तो मेरी लचकती हुई कमर साफ देखी जा सकती थी।

ब्लाउज की आस्तीनें भी कंधे से बस जरा सा ही नीचे उतरी हुई थीं, इसलिए ट्रांसपेरेंट साड़ी में से मेरी पतली लेकिन भरी हुई बांहें भी साफ देखी जा सकती थीं, तो गोल्डन ब्लाउज जिसमें चमकीला वर्क था, उसकी चमक साड़ी का वह ट्रांसपेरेंट कपड़ा रोक नहीं पा रहा था। मेरे बाल पहले से कही ज्यादा काले घने लंबे हो चुके थे, जिसमे गोरल ने एक्स्ट्रा बाल जोड़ दी थी और मेरे बाल जो मेरी कमर तक आ रहे थे और जिनके निचले सिरे पर लटें बन रही थीं। मेरे लंबे बाल मेरी खूबसूरती में चार चांद लगा रहे थे। मैंने अपने बाल बाएं कंधे पर आगे की तरफ खुले छोड़ रखे थे। जिससे मेरी खुली हुई पीठ को ढकने का एकमात्र सहारा भी छिन गया था। मुझे तो पहली नजर में ही देखकर पता लग रहा था कि मैं अब एक नये जमाने की एक ऐसी लड़की हूँ, जिसे पहनावे की बहुत अच्छी समझ है। मैंने जहां अपनी बायीं कलाई पर रागा की गोल्डन वॉच पहन रखी थी, वहीं दायीं कलाई में सोने के दो कंगनों के बीच दो दो दर्जन चूड़ियां, जो कि साड़ी और ब्लाउज के रंग से मेल खाती हुई हल्के पर्पल और गोल्डन कलर की थीं। साड़ी का पल्लू को मैंने अपने बाएं कंधे पर खुला छोड़ रखा था, जिसे वह अपने बाएं हाथ से थामे हुए था। साथ ही बाएं हाथ में एक गोल्डन कलर का क्लच पकड़ रखा था।खुद कोआईने में देखने के दौरान गोरल मुझे कॉम्प्लिमेंट्स दे रही थी और जब मैं गोरल से बात करती तो अपना दायां हाथ हिलाती और बार - बार थोड़ी-थोड़ी देर में दायां हाथ अपने सिर के ऊपर से बालों पर फेरते हुए कमर पर लटक रही जुल्फों के कोने तक लाती और अपने बाल संभालती।आज मैं आईने के सामने गुनगुना रहा था, "सजना है मुझे सजना के लिए, जरा उलझी लटें संवार लूँ, हर अंग का रंग निखार लूँ!" जब मैं ऐसा करते खुद को आईने में देखता तो मेरी चूड़ियों की खनक मेरे कानों में मीठा रस घोल रही थी। कद 5’5” इंच था मेरा, ऊपर से उसने गोरल ने मुझे पांच इंच की हाई हील्स पहना दी थी। सच में आज खुद को देखकर ऐसा लग रहा था कि मानो मेरा पूरा जिस्म सांचे में तराशा हुआ था। माथे पर गोल लाल बिंदिया, काजल से भरी हुई आंखें, पर्पल गाल, लिपस्टिक से सजे लाल सुर्ख होंठ, गले को छूते लंबे गोल्डन झुमके और सुराहीदार गर्दन में लटका वो नौलखा हार जो मुझे रानू ने दिया था, जिसमें लाल हीरा जड़ा था। नाक में सानिया मिर्ज़ा स्टाइल छोटी सी नथिया, बिंदी, पेंडेंट और लिपस्टिक से मेल खाते लाल रंग की नेल पॉलिश से सजे मेरे हाथ-पैरों के लंबे नाखून, पैरों में वही चांदी की ढाई सौ ग्राम की हैवी पायल पहन रखा था जो मुझे मेरे रानू ने दिया था। जब मैं जरा सा भी साड़ी ऊपर उठाता तो गोल्डन हील पहने और लाल नेल पॉलिश से सजे चांदी के पायल में में पैरों की खूबसूरती से मेरी खुद की निगाह नहीं हट रही थी। आगे से तो मैं था ही बेहद खूबसूरत, भरे हुए जिस्म, खूबसूरत चेहरे और पर्पल रंगत वाली और बड़ी-बड़ी काली आंखें दिख रही थीं। आज मैं पीछे से भी उतनी ही अधिक खूबसूरत दिख रही थी। खुली पीठ, बलखाती पतली कमर, हर कदम के साथ दाएं-बाएं थिरकते मेरे हिप्स और मदहोश करने वाली चाल तो थी ही। मैं किसी स्वर्ग की अप्सरा से जरा भी कम नहीं दिख रही थी। फिर मैंने अपने वार्डरॉब से उस फीमेल परफ्यूम की शीशी को निकाली जो मुझे रानू ने दिया था। मैंने उस फीमेल परफ्यूम को अपने पुरे शरीर पर स्प्रे कर ली और उसके बाद खुद भी उस फीमेल परफ्यूम की मीठी खुशबु से मन में गुदगुदी सी होने लगी।

गोरल मुझसे बोली, "मैंने कहा था ना, मुंबई में मुझसे बेहतर ऐसा कोई मेकअप आर्टिस्ट नहीं है जो किसी मर्द को इतनी सुन्दर औरत में तब्दील कर सके, आई होप यू आर एंजोयिंग मैडम!"

मैंने कहा, "थैंक यू सो मच गोरल! तुम नहीं होती तो मेरा क्या होता?"

लेकिन आई मस्ट से कि आपने लड़के होते हुए भी इतना कर्वी फिगर को मेन्टेन कर रखा है। आपके चेस्ट्स भी बहुत बहुत बड़े बड़े हैं, जैसे अठारह बीस साल की लड़कियों का होता है। आपके हिप्स भी शेप में होने के कारण काफी आकर्षक दीखता है। क्या आप ट्रान्सिशननिंग में हो? क्या एचआरटी करवा रहे हो आप? 

मैंने कहा, "नहीं गोरल, ये शरीर नेचुरल है और मैं ऐसा ही हूँ!"

गोरल बोली, "वैसे अगर कभी इन फ्यूचर आपको मॉडलिंग शूट करने का मन हो तो ये रहा मेरा नंबर, आप मुझे कॉल कर लेना! ड्रेसिंग और फोटोशूट का कोई खर्च नहीं लगेगा और ऊपर से आई विल पे यू अ गुड पर्क!"

मैंने कहा ,"देखूंगा!"

गोरल बोली, "हैप्पी बर्थडे रिया मैडम!"

मैंने कहा, "थैंक यू! गोरल, यू आर द बेस्ट!" 

इट वज माय फर्स्ट बर्थडे एवर, जब मैं इतनी खुश थी। गोरल के जाने के बाद थोड़ी ही देर में एलेक्स घर आ गया। एलेक्स मेरे लिए गिफ्ट्स भी लाया था और उसने मुझे एक डायमंड रिंग गिफ्ट की जो बहुत ही खूबसूरत थी। फिर एलेक्स ने मुझे बर्थडे विश किया और मुझसे बोला कि आज पहले तो हम मूवी देखने चलेंगे, उसके बाद कार्टर बीच और फिर नाईट क्लब चलेंगे। एलेक्स ने मुझसे कहा, कि आज मैं पुरे दिन के लिए सिर्फ रिया हूँ और मैं इसके तैयार थी। मुझे आज फिर से खुद को एक्स्प्लोर करने का मौका मिल रहा था वो भी मेरे इतने अच्छे दोस्त के साथ। लेकिन साढ़े छह फिट लम्बे हैंडसम हँक एलेक्स के सामने पांच इंच वाली हील्स पहनकर भी इतनी छोटी से पेटीट लड़की दिख रही थी। मुझे शर्म बहुत आ रहा था, एलेक्स के सामने आज मैं पहली बार लड़की बनी थी और वो मेरे इस ट्रांसफॉर्मेशन से बहुत खुश था। घर में तो शेरनी की तरह रेडी थी लेकिन घर से बाहर आते ही मेरे दिल की धड़कनें बढ़ने लगी। पता  सिक्योरिटी गार्ड ने मुझे पहचान लिया था या नहीं वो मुझे एकटक देख रहा था। पार्किंग लॉट में भी वहां से आते जाते मर्दों को मेरी खूबसूरती अपनी ओर आकर्षित कर रही थी। जिस हिम्मत से मैं एलेक्स के साथ आउटिंग के लिए निकली थी, नीचे आते आते मेरी हालत बहुत ख़राब हो रही थी। सब मुझे पहचानते थे मेरी सोसाइटी में और ये भी जानते थे कि कोजागिरी की रात लहँगा चोली पहनकर मैंने खूब फ्लॉन्ट किया था। लेकिन उनमे से कोई भी एलेक्स को नहीं पहचानता था और एलेक्स मुझे अपनी बुलेट के पीछे वाली सीट पर बिठा लिया। मैंने सीट पर बैठते ही एलेक्स के कंधे पर हाथ रखी तो वो मुस्कुराने लगा और मैं शर्माने लगी। मेरी पूरी तरह से न्यूड पीठ पर, मेरी खुली ब्लाउज से बाहर निकलने की कोशिश करती मेरी बूब्स पर, मेरे पतली कलाइयों पर जब हवा का झोंका लग रहा था तो मुझे इतना अच्छा एहसास हो रहा था कि मैं शब्दों में ब्यान नहीं कर सकती। एलेक्स हर थोड़ी देर पर जब भी ब्रेक लगाता, मैं झटका खाकर उसकी पीठ से टकरा जाती और ये दिन भर चलता रहा। रस्ते में मैं गौर किया कि जितने भी मर्दों के आस पास से मैं और एलेक्स गुज़र रहे थे, वो मेरी ओर आकर्षित हो रहे थे। ये मर्दों का होता ही कुछ ऐसा है, खूबसूरत लड़की दिखी नहीं कि उसके पीछे ही पड़ जाते हैं। वहां से सीधे हम पीवीआर सिटी मॉल अँधेरी आये जहाँ मुझे पता नहीं था कि हमें कौन सी मूवी देखनी है। मैं चुपचाप सर झुकाये खड़ी रही तबतक एलेक्स मूवी की दो टिकट्स ले आये। जब मैंने टिकट्स पर मूवी का नाम देखा, वो था "फिफ्टी शेड्स ऑफ़ ग्रे" और ये मूवी एक एडल्ट मूवी थी और टिकट्स बालकनी की थी। मैंने कोई रिएक्शन नहीं दिया और फिर हम मूवी देखने अंदर चले गए। आई वज द ओनली लेडी देयर बाकी वहां सभी मर्द ही मर्द थे। इतने सारे मर्दों के बीच से होते हुए एलेक्स  मुझे बालकनी वाली सीट पर ले गया। वहाँ एक कोने में मैं बैठी तो मेरे बगल में एलेक्स और मूवी शुरू हुई। मूवी में ऐना और क्रिस्टन के इंटरव्यू के बाद उनकी रोमांटिक बातें शुरू होती हैं जो बोर कर रही थी लेकिन उसके बाद उन्दोनो के बीच जो होना शुरू हुआ था वो मेरी धड़कनें बढ़ाने के लिए काफी था। एक्ट्रेस को न्यूड होता देख मुझे ऐसा लग रहा था कि मैं वहां न्यूड खड़ी हूँ। फिर जब एक्टर एक्ट्रेस के साथ बीडीएसएम की कामुक पोसिशन्स ट्राय करना शुरू करता है, कसम से मुझे ऐसे कोई बाँध कर प्यार करे, मुझे तो बिलकुल पसंद नहीं आएगा। मैंने एलेक्स की तरफ देखा, अरे ये तो मुझे ही देख रहा है। मैंने सामने देखने का नाटक किया और अब मेरे नाज़ुक राइट कंधे पर एलेक्स का भारीभरकम हाथ था। आई वज लाइक, फिर उन कामुक पोसिशन्स, स्क्रीन पर होते सेक्स सीन्स मुझे हार्ड फील करवा रहे थे। आई वज फीलिंग सो हार्ड और मैंने देखा कि एलेक्स भी अपने पैंट के ऊपर से अपने लंड को सेहला रहा था और वो तम्बू की तरह खड़ा था, बाहर आने की नाकाम कोशिश में। इधर मैंने अपने लंड पर गौर किया, वो एक दो इंच तना हुआ थे लेकिन इतना भी नहीं कि किसी को पता चले। मूवी के ख़त्म होने के बाद हम एक अँधेरी के रेस्ट्रॉन्ट में गए, उस रेस्ट्रॉन्ट का नाम था "उम्मारो" और हमने लाइट लंच किया। लंच करते समय एलेक्स मुझे ऐसे घूर रहा था मानो मुझे ही खायेगा।

मैंने कहा ,"ऐसे क्या देख रहे हो एलेक्स?"

एलेक्स बोला, "दुनिया की सबसे हसीं लड़की को देख रहा हूँ।"

एलेक्स के ऐसा कहने की देरी ही तो थी और मैं फिर से शरमाने लगी और नज़रें झुका ली। आजतक एलेक्स के बारे में मुझे कुछ ज्यादा पता नहीं था तो मैंने एलेक्स से उसके बारे में पूछा।

एलेक्स ने बताया, "रिया, मैं मनाली का रहना वाला हूँ और आज से बिस साल पहले इस शहर में आया था। मेरी माँ घर संभालती है, मेरे दो बड़े भाई मनाली में ही सोने चांदी का बिज़नेस करते हैं और मेरी दोनों भाभियाँ माँ की मदद करती हैं घर संभालने में। मैं साल में पांच छह बार अपने घर जरूर जाता हूँ और वहां खूब एन्जॉय करता हूँ लेकिन इस साल मैं घर नहीं गया।"

मैंने पूछा, "क्यों नहीं गए?"

एलेक्स ने कहा, "तुम जब से लाइफ में आयी हो, तुमसे दूर जाने का मन ही नहीं कर रहा। माँ ने भी कई बार बुलाया, लेकिन मैंने जरूरी काम का बहाना बताकर बाद में आने को बोल दिया।"

मैंने कहा, "तो चले जाओ ना, मैं कौन सा भागी जा रही हूँ।"

फिर हमदोनो हंसने लगे।

एलेक्स बोला, "ठीक है तुम कहती हो तो घर जाने का प्लान बनाता हूँ।"

मैंने कहा, "गुड बॉय!"

फिर एलेक्स बोला, "लेकिन तुम अपना ख्याल कैसे रखोगी? अकेलापन सताएगा तो क्या करोगी?"

मैंने कहा, "कॉल कर लुंगी एलेक्स, तुम मेरी फिक्र मत करो! वैसे ये बताओ कि तुमने अब तक शादी क्यों नहीं की?"

फिर एलेक्स बोला, "मैं एक डिवोर्सी हूँ। मेरी बीवी मुझे सिर्फ इसलिए छोड़कर चली गयी कि मैं उसके ऊपर ध्यान नहीं देता था और उसे मेरा अटेंशन चाहिए था। मेरे कोई बच्चे भी नहीं हुए और मेरी जिंदगी बिलकुल बेरंग और अधूरी रह गयी। माँ ने मुझे दूसरी शादी कर लेने को बहुत फ़ोर्स की, लेकिन मुझे करियर बनाना था तो मैंने शादी नहीं की।

मैंने कहा, "अच्छा किया!"

फिर एलेक्स ने मुझे अपने घर परिवार और प्रॉपर्टी के बारे में बहुत कुछ बताया। मैं उसकी बातों को अपने गाल पर दोनों हाथों को रखकर सुनती रही। एलेक्स का मन हल्का हो रहा था और मैं यही तो चाहती थी। फिर हम कार्टर बीच के लिए निकले और वहां हमने बीच पर बहुत से फोटोज क्लिक किये और बहुत सी सेल्फीज़ ली।

फिर हम बीच के थोड़े अंदर की तरफ बढे जहाँ एक गणपति जी की मूर्ति थी। किसी ने हमें बताया कि गणपति सबकी मनोकामना पूरी करते हैं तो मैं एलेक्स को जिद करने लगी कि मुझे भी वहां  जाना है। हील्स में चलना मेरे लिए मुश्किल हो रहा था तो मैंने हील्स उतार दी और अपने हाथों में लेकर एलेक्स के साथ गणपति के पास चली गयी। जब हम वहाँ पहुंचे तब समुद्र का लेवल काफी कम था, एक हाथ से मैंने अपनी साड़ी को समेटे हुई थी तो दूसरे हाथ में हील्स थी। बगल में एलेक्स मेरे साथ प्राउडली वाक कर रहा था, जैसे कि वो मेरा पति हो। हम गणपति के मूर्ति के पास पहुंचे तो मैंने और एलेक्स ने एक साथ उसने आशीर्वाद माँगा। एलेक्स ने क्या माँगा ये तो मैं नहीं जानती लेकिन मैंने गणपति से अपने लिए कुछ भी नहीं माँगा बल्कि लेकिन रानू के लिए, जो मुझसे इतना दूर चला गया था, बस उसकी सलामती के लिए प्रे किया मैंने और मैंने गणपति से कहा कि आपको मेरे लिए जो उचित लगता हो, आप मुझे वो दे देना! अभी हम गणपति से आशीर्वाद ले ही रहे थे कि तभी हवाएं तेज़ हो गयीं, समुद्र का जलस्तर बढ़ने लगा और समुद्र की लहरें इतनी तेज़ हो गयीं कि हमें भिगोने लगी। एलेक्स ने कहा कि लगता है कि गणपति हमारे यहाँ आने से नाराज़ हो गए, लेकिन मैं जानती थी कि ये लहरें नहीं गणपति का आशीर्वाद था, जो हमें एक साथ भिगो रहा था। वाटर लेवल बढ़ने की वजह से मैं ठीक से बैलेंस नहीं कर पा रही थी तो एलेक्स ने मुझे अपनी बाहों में उठा लिया और हम करते बीच के ठीक सामने वाले सीसीडी में जा पहुंचे। लेकिन जबतक हम वहां पहुंचे, तेज़ हवाओं ने हमें सूखा भी दिया था और जब मैंने आईने में खुद को देखा, मेरा मेकअप भी खराब नहीं हुआ था। फिर हमने वहां कॉफी पी, इस दौरान मैंने देखा कि कुछ लड़के मेरे पीठ देख रहे हैं और कुछ मर्द सामने से मुझे नज़रें बचाकर देखने की कोशिश कर रहे थी। मैं उन सबके बीच सबसे अट्रैक्टिव दिख रही थी। एलेक्स मेरी आँखों में देख रहा था और वो मुझे बड़े ही प्यार से ट्रीट भी कर रहा था, जैसे कभी रानू किया करता था। रानू की याद आते ही मेरी आँखों में आंसू भर आये, मैंने रुमाल से उसे पोछा, लेकिन एलेक्स ने ये देख लिया। उसने मुझसे पूछा भी लेकिन मैंने उसे कहा कि कुछ चला गया था आँखों में। फिर हम वहां से सीधे एस्कोबार क्लब चले गए। मैं फिर से हील्स में थी, वहां मैंने लाइफ में पहली बार एलेक्स के साथ थोड़ी देर तक डांस करती रही। डांस के दौरान मेरा एक हाथ एलेक्स की हाथों में थी तो दूसरी उसकी कमर में क्यूंकि उसके कंधों तक मेरा हाथ नहीं पहुंच रहा था, इतनी छोटी थी मैं। और एलेक्स का दूसरा हाथ मेरी कमर में था और मैं उसके बेहद करीब लगभग चिपक कर डांस कर रही थी। डांस के दौरान एलेक्स मुझे साथ बड़े ही प्यार और बहुत सॉफ्टनेस के साथ मेरा साथ दे रहा था और मैं भी उसका साथ दे रही थी। आज सही मायनों में मैंने अपना जन्मदिन मनाई थी और रिया बनकर आज मैं बहुत खुश थी। पार्टी के बाद जब हम लौट रहे थे तो रस्ते में बाइक अचानक से रुक गया। मैंने एलेक्स से पूछा कि क्या हुआ तो उसने मुझे बताया कि बाइक की इंजन का कोई इश्यूज हो सकता है। फिर एलेक्स ने कॉल करके मैकेनिक को बुला लिया लेकिन उसके आने में अभी थोड़ा टाइम लगना था। इसी बीच कुछ आवारा लड़के बाइक से हमारे पास आ गए और मुझे एलेक्स के सामने ही अपनी बातों से छेड़ने लगे। मैं तो सच में बहुत डर गयी आज, लेकिन एलेक्स का एक हाथ पड़ा और मुझे छेड़ने वाला जमीन पर पड़ा हुआ था। उन लड़कों को लगा था कि मैं अकेली हूँ, लेकिन मेरे साथ एलेक्स था, जिसने अकेले ही हीरो की तरह उन चारों आवारा लड़कों की ऐसी धुनाई की कि एक तो अपना बाइक ही छोड़कर भाग गया।

फिर एलेक्स ने मुझे कहा, "रिया, तुम घूँघट कर लो! ऐसे में इतनी खूबसूरत लड़कियों को देखकर इन मनचले मर्दों की नियत खराब हो रही है।"

मैंने हँसते हुए कहा, "तुम्हरी नियत ख़राब नहीं हुई?"

एलेक्स बोला, "नियत ख़राब करने वाली उम्र नहीं है मेरी।"

मैंने कहा, "लेकिन उस क्लब में तो तुम मेरे साथ चिपक चिपक कर डांस कर रहे थे?"

एलेक्स बोला, "क्यों तुम्हे अच्छा नहीं लगा?"

मैंने कहा, "अच्छा लगा!" और ऐसा कहकर मैं शर्माने लगी।

फिर बाइक मेकैनिक आ गया, उसने बाइक से कुछ प्लग सा निकाला और अच्छे से साफ़ करके उसके बाइक में फिर से लगा दिया। बाइक फिर से स्टार्ट हो गयी। एलेक्स ने मैकेनिक को पेमेंट किया और फिर हम घर आ गए। रस्ते में एलेक्स ने कुछ  बीयर्स की बॉटल्स और एक रम की बॉटल खरीदी और स्नैक्स में भी थोड़ा बहुत तंदूरी आइटम्स ख़रीदे। जब हम घर आये तब एलेक्स ने बॉटल्स को खोला और फिर हमने एक साथ बियर पी। बियर पीने के दौरान मुझे रानू के साथ बिठाये वो पल भी याद आ गए। जब रानू ने मेरे होंठो से शराब पी थी और कितना एक्साइटेंग मोमेंट था वो। और फिर कभी मैंने उस तरीके से शराब नहीं पी या पिलाई किसी को। आज एलेक्स के साथ पी रही था तो मेरा मन होने लगा कि काश एलेक्स मुझे इसके लिए एक बार कहे और फिर मैं उस एक्साइटमेंट को फील कर सकूँ। लेकिन एलेक्स बहुत ही जेंटलमैन आदमी था, उसने मुझसे ऐसी किसी भी चीज़ की रिक्वेस्ट नहीं की और ना ही मेरे करीब आने की कोशिश की। एलेक्स ने मुझे आज सबसे ख़ास फील करवाया था। बियर के बाद हमने दो दो पैक रम पी। एक्चुअल में रम बहुत ज्यादा गर्मी देता है शरीर को और एनर्जी भी। मेरा तो बहुत मन होने लगा था कि काश एलेक्स एक पहल तो करे लेकिन उसके बाद एलेक्स वहां से जाने लगा। मैंने एलेक्स को दरवाज़े तक छोड़ने आयी और उसके गाल पर एक किस दे दी और शर्माने लगी।

एलेक्स ने पूछा, "ये किस लिए?"

मैंने कहा, "मेरे बर्थडे को इतना स्पेशल बनाने के लिए।"

फिर एलेक्स हँसता हुआ मेरी नज़रों से ओझल हो गया और मैं फिर से अपने घर में अकेली और तनहा रह गयी।  लेकिन एलेक्स बहुत ही जेंटलमैन आदमी था, उसने मुझसे ऐसी किसी भी चीज़ की रिक्वेस्ट नहीं की और ना ही मेरे करीब आने की कोशिश की। एलेक्स ने मुझे आज सबसे ख़ास फील करवाया था। बियर के बाद हमने दो दो पैक रम पी। एक्चुअल में रम बहुत ज्यादा गर्मी देता है शरीर को और एनर्जी भी। मेरा तो बहुत मन होने लगा था कि काश एलेक्स एक पहल तो करे लेकिन उसके बाद एलेक्स वहां से जाने लगा। मैंने एलेक्स को दरवाज़े तक छोड़ने आयी और उसके गाल पर एक किस दे दी और शर्माने लगी।

एलेक्स ने पूछा, "ये किस लिए?"

मैंने कहा, "मेरे बर्थडे को इतना स्पेशल बनाने के लिए।"

फिर एलेक्स हँसता हुआ मेरी नज़रों से ओझल हो गया और मैं फिर से अपने घर में अकेली और तनहा रह गयी। एक दिन हम पार्क में बैठे इस तरह बातें कर रहे थे।  वो थोड़ा अपसेट दिख रहा था तो मैंने उससे पूछ लिया कि क्या बात है। एलेक्स ने मुझे बताया कि कभी कभी उसे अपनी एक्स वाइफ की याद आ जाती है। मैंने पहली बार एलेक्स की आँखों में आँसू देखे और फिर मैंने उसे समझाया कि लाइफ में आगे बढ़ना इतना कठिन क्यों था। मैंने उससे कहा कि अब उसे शादी कर लेनी चाहिए। एलेक्स ने कहा कि शादी करने के बाद क्या होगा, जब तक बच्चे बड़े होंगे, तबतक तो वह बूढ़ा हो जाएगा। बच्चों का भविष्य कैसे बनेगा? मुझे एलेक्स की बात अच्छी लगी, लेकिन फिर भी मैंने उसे समझाया कि अगर वह कम उम्र की लड़की से शादी करेगा तो वह लड़की तो बूढ़ी नहीं होगी। वह बूढ़ा हो जाएगा, लेकिन लड़की भी बच्चों का ख्याल रखेगी, क्योंकि एक माँ अपने बच्चों के लिए कुछ भी करने को तैयार रहती है। मैंने एलेक्स को एक अच्छी लड़की देखने और शादी करने के लिए प्रेरित किया। फिर एलेक्स ने विषय बदल दिया और मुझसे मेरी फ्लैट खोज के बारे में पूछने लगा। मैंने एलेक्स से कहा कि मुझे मेरी इच्छा के अनुसार फ्लैट नहीं मिला है, लेकिन मैं उस घर में भी नहीं रहना चाहता।

ऐसे ही दिन बीतते गए, एक दिन मुझे जुबैदा का फोन आया, वो मुझसे मिलना चाहती है और इसलिए मैंने उसे जिम में मिलने को कहा। उस दिन जुबैदा मुझसे जिम में मिलीं, मुझे शादी का कार्ड दिया और पूरे परिवार के साथ शादी में आने को कहा। जुबैदा पहले से काफी बदल गई थीं। मांसल जाँघें, सुन्दर आँखें, उसकी छोटी-सी नाक में सोने की नोज पिन और ग्लॉसी होंठ। बूब्स भी अब काफी बड़े-बड़े थे और हाथों पर दो दिन पुरानी मेंहदी। एक्सरसाइज के बाद मैंने एलेक्स से कहा कि मुझे शादी का ज़ुबैदा की शादी का निमंत्रण मिला है तो मेरे साथ चलो और वह मान गया। अब एलेक्स मेरी बात नहीं टालता, मेरी बात मान चुपचाप से मान भी लेता है। अब वह शादी के लिए लड़की की तलाश भी करने लगा था तो कभी कभी मुझे लड़कियों की तस्वीरें भी दिखाता। और तब कसम से मन करता कि एलेक्स का गला दबा दूँ, मुझे जलन होती दूसरी लड़कियों की तस्वीर एलेक्स के फोन में देख कर। लेकिन उसके सामने मुस्कुराते ही रहती, आखिर शादी का आईडिया भी तो मैंने ही दिया था तो रक्त कैसे करती। अब मेरा फ्लैट मुझे काटने के लिए दौड़ता है। मैं अब यहां नहीं रहना चाहती थी और मुझे जल्द से जल्द दूसरे फ्लैट में शिफ्ट भी होना था।

 मैंने इस बारे में एलेक्स से बात की और उसने मुझसे कहा कि जब तक दूसरा फ्लैट नहीं मिल जाता तब तक मैं उसके फ्लैट में शिफ्ट हो जाऊं। वैसे भी वहां के दो कमरे वैसे भी खाली रहते हैं। मैंने एलेक्स से कहा कि मैं उसके फ्लैट में तभी शिफ्ट होउंगी जब वह मुझसे किराया लेगा। एलेक्स इसके लिए राजी हो गया और कुछ ही दिनों में मेरी शिफ्टिंग का काम भी खत्म हो गया। अब मैं एलेक्स के इतने बड़े फ्लैट में शिफ्ट हो चुकी थी। एलेक्स के यहां एक नौकरानी खाना बनाने आती थी और एलेक्स भी अच्छा खाना बना लेता था। मैं भी दिन भर ऑफिस में रहती और जब घर आती तो मुझे लगता है कि इस घर में शांति है। इधर मेरे मन में एक जंग छिड़ी हुई थी, समीर और रिया के बीच। क्रॉसड्रेसिंग के कुछ सेशंस ने मेरी लाइफ को पूरी तरह से बदलकर रख दिया था और मैं काम में कम और अपनी लाइफ के बारे में ज्यादा सोचने लगी थी। इससे हुआ यह कि मेरे ऑफिस के काम पर इम्पैक्ट पड़ने लगा और एक दिन एचआर ने मुझे नौकरी से निकाल दी। नौकरी छूटने के बाद, अब मैं बहुत अकेला महसूस करने लगी थी। सुबह एलेक्स के साथ जिम से आने के बाद मेरे पास करने के लिए और कुछ नहीं था। अब जब मेरे पास नौकरी ही नहीं थी तो किराया कहां से दूं। शुरुआती कुछ हफ्तों में मैंने नौकरी की काफी तलाश की, लेकिन मंदी की वजह से मुझे हर जगह नौकरी नहीं मिल पा रही थी। वैसे तो एलेक्स मुझे बहुत सपोर्ट करता था, मेंटली मोटिवेट करता था, लेकिन मेरा मनोबल दिन-ब-दिन गिरता जा रहा था। चूँकि मैं सारा दिन घर में अकेली बैठी थी तो एक दिन नौकरानी ने मुझसे खाना बनाना सीखने को कहा। मैंने सोचा कि जब तक मुझे नौकरी नहीं मिल जाएगी, मैं खाना बनाना सीख लुंगी। बस फिर क्या था, मैं एक नौकरानी के मार्गदर्शन में रोज खाना बनाना सीखने लगी और साथ ही घर के काम जैसे झाडू लगाना, बर्तन धोना, कपड़े धोना भी शुरू कर दिया। अब मैं किराया देने में असमर्थ तो थी लेकिन अब मैंने खाना बनाने के साथ-साथ घर के सभी कामों का हुनर ​​भी सीख लिया था। कपड़े प्रेस करने से लेकर कपड़े धोने, खाना बनाने, बर्तन धोने तक, अच्छे-अच्छे हुनर ​​सीख चुका था। मेड ने मुझे एलेक्स का पसंदीदा चिकन टिक्का, चिकन तंदूरी और चिकन सूप बनाना सिखाया।

चूंकि मैं वेग खाना ज्यादा पसंद करती थी और मुझे नॉन-वेज में ज्यादा दिलचस्पी नहीं थी, लेकिन जब एलेक्स मुझे इतना सपोर्ट कर सकता है, तो कम से कम मैं उसके लिए इतना ही कर ही सकती थी। नौकरी छूटने के बाद मैंने एक बार भी क्रासड्रेसिंग नहीं की और जब मैं दिन भर घर में खाली रहती थी तो मैंने सोचा कि क्यों न अपनी क्रासड्रेसिंग का खुलकर मजा लिया जाए। लहँगा चोली के अलावा मेरे पास एक भी फीमेल ड्रेस नहीं थी, इसलिए मैंने ज्यादा जोर नहीं लगाया। मैंने जींस और चोली पहनी, शीशे के सामने मेकअप किया और बालों का जूड़ा बना लिया। मैं आईने में किसी जवान लड़की से कम नहीं लग रही थी और फिर मैंने मैरून लिपस्टिक और काजल लगा लिया। मेरे साथ हील्स थी तो मैंने हाई हील्स पहनी और अपनी दोनों कलाइयों में ढेर सारी सुहाग की चूड़ियां। अब मैं एक मॉडर्न जमाने की लड़की लग रही थी, लेकिन मुझे कुछ कमी महसूस हो रही थी, इसलिए मैंने माथे पर बिंदी और नाक में वही पेंच वाली नथनी लगा ली। अब मैं खुद को आईने में और अधिक आत्मविश्वास के साथ महसूस कर पा रही थी।

मैंने आज एलेक्स के लिए चिकन टिक्का, दाल मखनी, हरी सब्जियां और जीरा राइस बनाया और एलेक्स के आने का इंतजार करते-करते कब नींद आ गई पता ही नहीं चला। कुछ देर बाद डोरबेल की आवाज सुनकर मेरी नींद खुली और देखा कि एलेक्स दरवाजे पर खड़ा है। जब मैंने अपनी एकमात्र ओढ़नी से घूँघट कर ली और दरवाजा खोलकर एलेक्स का वेलकम किया, तो एलेक्स मेरी तरफ देखने लगा। मैंने कहा, "अंदर आओ, क्या तुम बाहर खड़े रहोगे?"

एलेक्स ने प्रवेश किया और मुझसे पूछा, "ओह! रिया, व्हाट ऐन प्लीजेंट सरप्राइज, तुम इतनी हॉट लग रही हो! और एक मिनट रुको, मेड नहीं आई आज?"

मैंने कहा, "नहीं! आज मेड की छुट्टी है, तुम फ्रेश हो जाओ और मैं तुम्हें खाना परोस दूंगी।"

एलेक्स फ्रेश होने चला गया, लेकिन मुझे क्या हुआ, मैं उससे फेमिनिन तरीके से क्यों बात कर रही थी, मुझे नहीं पता। आज जीवन में पहली बार किसी के लिए कुछ पकाई थी मैं। न जानेकैसा बना होगा, नमक तो ठीक डला होगा ना, मसाले कही ज्यादा तो नहीं डाल दिया मैंने, मैं थोड़ा घबरा रही थी। फिर एलेक्स फ्रेश होकर तुरंत आया और मैंने उसे खाना परोसा।

एलेक्स ने खुद खाने के बजाय मुझे खाने का पहला निवाला खिलाया, इतने प्यार से। मेरे जीवन में कभी भी मेरी एक्स वाइफ ने भी मुझे इतने प्यार से नहीं खिलाया होगा। चूँकि मैं नॉनवेज नहीं खाना पसंद करती लेकिन एलेक्स इतने प्यार से खिलाया कि मैंने भी खा ली। मुझे एक निवाला खिलाने के बाद एलेक्स ने खुद खाना शुरू कर दिया और खाने के बाद उसने मुझे अपने पास बुलाया और मेरा हाथ अपने हाथ में लेकर चूम लिया। ओह!

मैंने पूछा, "यह क्या था एलेक्स?"

एलेक्स ने कहा, "बहुत दिनों बाद मैंने इतना स्वादिष्ट खाना खाया है। और तुमने ये मेरी लिए पकाई हो तो तुम्हारा हाथ चूमने का मन हुआ!"

एलेक्स की बातें सुनकर मुझे शर्म आने लगी।

खाना खाते वक्त एलेक्स ने मुझसे कहा, "अच्छा आज तुम बहुत खूबसूरत लग रही हो रिया!"

मैंने कहा, "धन्यवाद, आज आप भी बहुत हैंडसम लग रहे हैं!"

एलेक्स ने थोड़ी देर में खाना खत्म किया और मुंह धोकर काम पर बैठ गया।

मैंने एलेक्स से कहा, "आप अभी ऑफिस से आए हो, खाना खा लिए, थोड़ा आराम कर लो ना।"

एलेक्स ने मेरी बात को नकारा नहीं और आराम करने के लिए बिस्तर पर लेट गया। मैंने लंच भी किया, चूंकि मैं शाकाहारी हूं, लेकिन नॉन-वेज खाने के बाद, मैंने वेज और नॉन-वेज दोनों तरह का खाना खाया। खाना खाने के बाद मैं मुंह धोकर दूसरे कमरे में बिस्तर पर लेट गया और लेटते ही मुझे नींद आ गई।

अगले दिन जिम के बाद जब मैं नहा रहा था तो दरवाजे की घंटी बजी। मैंने अपने सीने पर तौलिया लपेट कर दरवाजा खोला तो सामने एलेक्स का मुंशी कुछ बैग लिए खड़ा था। उन्होंने वो बैग मुझे सौंप दिए और वहां से वापस चले गए। मैंने देखा बैग में एक चिट्ठी और कुछ साड़ियां थीं।

खत में लिखा था, "ये कुछ साटन और बनारसी साड़ियां और ब्लाउज हैं और मुझे उम्मीद है कि ये आपको पसंद आएंगे।"

कुल सात अलग अलग साड़ियाँ थीं, जिनमें पांच साटन साड़ियाँ थीं और दो बनारसी सिल्क साड़ियाँ थीं। सभी के मैचिंग ब्लाउज़ भी थे और जब मैंने ब्लाउज़ पहना तो वह मुझे टाइट और पूरी तरह से फिट हो गया। उस दिन के बाद से, मैंने खुलकर क्रासड्रेसिंग करना शुरू कर दिया। चूंकि नौकरानी पिछले कई हफ्तों से गायब थी, इसलिए मैंने एलेक्स से नौकरानी को काम से निकालने के लिए कहा और घर के सभी कामों की देखभाल खुद करने लगी। एलेक्स के लिए खाना बनाने से लेकर उसके कपड़े धोने तक का सारा काम अब मैं ही कर रहा था। सुबह होने से पहले घर की सफाई कर लेती, आठ बजे के पहले नाश्ता बना देती, बिस्तर लगाने से लेकर एलेक्स के कागजात संभालने तक की जिम्मेदारी अब मेरी थी। अब मैं हमेशा साड़ी पहनती, अपना मेकअप खुद करती और अपने गहने भी खुद से पहनती। सुहाग चूड़ा सेट मेरा पसंदीदा सेट था, जिसे मैं हमेशा पहनती थी और इस तरह एलेक्स ने मुझे पहनने के लिए और भी बहुत सी कंगन सेट, कई चूड़ियां, सुहाग चूड़ा सेट, कुछ सोने के गहने लाए। लेकिन अगर मेरी नाक में छेद नहीं था तो मैं नथिया नहीं पहन सकती थी और न ही मेरे कानों में छेद था, इसलिए मैं सोने के बड़े-बड़े झुमके भी नहीं पहन सकती थी। एलेक्स अब मुझे हर बार रिया बुलाने लगा था और मैं उसे एलेक्स जी कहती। हमारी बॉन्डिंग इतनी अच्छी होने लगी थी कि अब हम साथ में कैंडल लाइट डिनर करने जाते थे।आज जुबैदा की शादी थी और मैंने एलेक्स को पहले ही कह दिया था कि मुझे उसकी शादी में शामिल होना है ,लेकिन एलेक्स अभी तक ऑफिस से नहीं आया था। शाम के लगभग 3 बज रहे थे, मैंने एलेक्स को फोन किया और उसने मुझे बताया कि वह थोड़ी देर में पहुंच जाएगा। लगातार क्रासड्रेसिंग करते-करते मैं भूल ही गयी थी कि मैं भी एक मर्द ही हूं। मैं गहरे भूरे रंग की साटन साड़ी, सुनहरी स्ट्रेची ब्लाउज, कजरारी आंखें, गुलाबी चमकदार होंठ, माथे पर बिंदी, पैरों में सुनहरी हाई हील्स, गले में नौलखा हार, दोनों कलाइयों में सुहाग चूड़ा सेट, और नाक में छोटी सानिया मिर्ज़ा स्टाइल नोज रिंग, क्लिप वाली झुमकी में तैयार थी और अपने लंबे घने बालों को खुला रखी थी। हील्स और पैरों में लाइट वेट पायल पहनकर मैं तैयार बैठी, एलेक्स के आने का इंतजार करने लगी और थोड़ी ही देर में एलेक्स भी आ गया। एलेक्स ने फेशियल करवाया था, शायद इसलिए आने में देर कर दी। जैसे ही एलेक्स ने फ्लैट में प्रवेश किया, एलेक्स मुझे देखकर मुस्कुराने लगा और मुझसे बोला, "रिया, तुम बहुत खूबसूरत लग रही हो, क्या तुम शादी में ऐसे ही चलना चाहती हो?"

मैंने कहा, "हाँ! यू आर लेट।"

थोड़ी देर में एलेक्स भी तैयार हो गया और हम दोनों जुबैदा की शादी में शामिल होने के लिए निकल पड़े। जुबैदा की शादी में लड़की की तरह तैयार होकर, मेरा जाना उसके लिए बड़ा सरप्राइज था। लेकिन पूरे रास्ते एलेक्स की नजर सड़क की बजाय मुझ पर ही थी। हम अभी शादी के वेन्यू पर पहुंचे भी नहीं थे कि एलेक्स ने एक गोल्ड शॉप पर कार खड़ी कर दी।

मैंने पूछा, "आपने अपनी कार यहाँ क्यों रोकी, शादी का वेन्यू कुछ दूर आगे है।"

एलेक्स ने कहा, "शश! मेरे साथ आओ!"

जब एलेक्स ने सेल्सगर्ल से अंगूठी दिखाने को कहा तो वह हीरे की अंगूठी दिखाने लगी। एलेक्स ने मेरी रिंग फिंगर के के साइज की एक हीरे की अंगूठी खरीदी। मैं हैरान थी, कि अचानक एलेक्स को ये क्या हो गया है, यह अंगूठी क्यों खरीदी, मैं समझ नहीं पा रही थी। अभी एलेक्स और मैं बिलिंग के बाद पार्किंग में पहुंचे, एलेक्स अचानक से मेरे सामने एक घुटने पर बैठ कर मुझे शादी के लिए प्रपोज किया, वह हीरे की अंगूठी मेरी रिंग फिंगर में पहना दी। आई वज इन डीप शॉक और मैं इन सब के लिए तैयार नहीं थी।

एलेक्स ने मुझसे कहा, "प्लीज् रिया, एक्सेप्ट माय प्रपोजल। मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं और मैंने तुम्हें अपने दिल की रानी माना है और विश्वास करो, मैं तुम्हें अपनी रानी के रूप में ही रखूंगा। मैं तुम्हें वह सारी खुशी दूंगा जो एक पत्नी को मिलनी चाहिए उसके पति से। आई वांट दिस रिया, आई लव यू एंड आई कैन डू एनीथिंग फॉर यू!"

अब, मैं पचपन वर्षीय एलेक्स और सत्ताईस वर्षीय मैं, इसके बारे में सोचने लगी। उम्र के इतने फासले के बावजूद हमारी बॉन्डिंग इतनी अच्छी थी। मुझे नहीं पता कि मैं एलेक्स के पैरों पर खुद को न्योछावर करने के लिए क्यों तैयार थी। मैंने बहुत देर तक एलेक्स की आँखों में देखा। मैंने ही तो एलेक्स को शादी का सुझाव दिया था और उसने आज मुझे प्रपोज किया! मुझे क्या करना चाहिए, क्या मुझे हां या ना करना चाहिए? मैं एक बड़ी मुसीबत में था, अगर मैं नहीं कहता, तो एलेक्स दुखी होता और मुझे वह नहीं चाहिए।

मैंने एक गहरी साँस ली, एलेक्स के घुटनों पर बैठ गयी और अपना हाथ उसके गले के हार में लपेट दिया और कहा, "आई एग्री एलेक्स!" और होठों पर उसे चूमा।

मुझे नहीं पता, मुझे क्या हुआ था, लेकिन हां, एलेक्स जैसा इंसान हर किसी की किस्मत में नहीं होता। मैंने एलेक्स को शादी के लिए तो हाँ कहा और फिर उसने मुझे अपनी बाँहों में उठाकर झूम उठा। फिर वो मुझे पार्किंग में बहुत देर तक चूमता रहा। उसके बाद मैंने अपने पर्स से लिपस्टिक निकाल कर अपने होंठों के बिखरे हुए लिपस्टिक को ठीक की और फिर हम तोहफा लेकर जुबैदा की शादी के वेन्यू पर पहुंच गए। मैं एलेक्स को अपने साथ जुबैदा से मिलाने ले गया।

मैंने जुबैदा को पुकारा, "जुबैदा, दुल्हन के लिबास में तुम कितनी खूबसूरत लग रही हो!"

जुबैदा ने मेरी ओर देखा, "सॉरी! तुम कौन हो?"

मैंने कहा, "मुझे पहचानो?"

ज़ुबैदा ने मुझे बहुत गौर से देखा लेकिन वो पहचान नहीं पाई।

फिर मैंने कहा, "मैं समीर हूँ!"

जुबैदा, "बिल्कुल नहीं? समीर, तुम मेरी शादी में साड़ी पहनकर आए हो और किसके साथ हैं? इंट्रो नहीं करवाओगे?"

मैंने एलेक्स का परिचय दिया और कहा, "इनसे मिलो, ये मिस्टर एलेक्स डिसूजा है! यह एक बहुत ही प्रतिष्ठित वकील और हम बहुत जल्द शादी करने वाले हैं।"

जुबैदा ने कहा, "क्या! तुमने सेक्स चेंज करवाया है समीर?"

मैंने कहा, "नहीं, अभी नहीं, अगर वह शादी के बाद कहे तो मैं भी सेक्स चेंज करवा दूंगी, जैसे तुमने अपने पति के लिए सेक्स चेंज करवा लो हो और अब मैं समीर नहीं जुबैदा, मैं अब रिया हूं।"

ज़ुबैदा, "वाह, तुम्हारी सगाई भी हो गई, तुमने मुझे इन्वाइट भी नहीं किया!"

मैंने कहा, "नहीं जुबैदा, इन्होने मुझे शादी के लिए प्रपोज किया और मैं मान गई।"

ज़ुबैदा, "तुम बहुत लकी हो एलेक्स कि रिया तुम्हारी दुल्हन बनने को राज़ी हो गयी है।"

एलेक्स ने कहा, "धन्यवाद जुबैदा।"

फिर ज़ुबैदा और मैंने बातचीत की और एलेक्स को मौज-मस्ती करने के लिए बाहर भेज दी।

ज़ुबैदा ने मुझे बताया, "नई दिल्ली में सेक्स चेंज ऑपरेशन के लिए साउथ-एक्स में एक ऐसा अस्पताल है, जहां की तकनीक बहुत अलग है और आप जानते हैं कि डॉक्टरों के मुताबिक मैं मां बन सकूंगी। मुझे जुबैदा की बातों पर यकीन नहीं हो रहा था, लेकिन फिर भी मैंने जुबैदा से अस्पताल और डॉक्टर का नाम लिया। फिर मैं एलेक्स जी से मिली जो चुपचाप अकेले खड़े थे। मैंने अपना हाथ एलेक्स के हाथों में रखा और साथ चलने लगे। हम दोनों ने एक ही थाली में डिनर किया और शादी को एन्जॉय करने के बाद हम घर आ गए।

आज बहुत कुछ बदल गया था, इतने महीने साथ रहने के बावजूद आज मेरी नजर एलेक्स की नज़रों से नहीं मिला पा रही थी। एलेक्स मुझे अपनी दुल्हन बनाने के लिए पहले ही तैयार हो गए थे और मैं उनकी दुल्हन बनने के ख्याल से भी घबरा रही थी। मेरी घबराहट इतनी बढ़ गई कि तेज़ मुझे बुखार आ गया। जब एलेक्स पार्किंग में कार खड़ी कर रहा था तब मैं दीवार के सहारे खड़ा था। मुझे चक्कर आने लगा और मैं गिरने ही वाली थी कि एलेक्स ने मुझे थाम लिया और मुझे अपनी बाहों में उठाकर फ्लैट की ओर ले गया। मुझे नहीं पता था कि मैं कहाँ था, लेकिन एलेक्स ने उसी समय डॉक्टर को बुलाया। डॉक्टर ने मेरा चेकअप किया, कुछ दवाई दी और चले गए। एलेक्स ने मुझे सहारा देकर उठाया, दवाई खिलाई और मेरे सिर पर बैठकर मेरे सिर को सहलाने लगा। मैं इस प्यार से बदल गया था, मैं अब एलेक्स को वह खुशी देना चाहती थी जो जुबैदा अपने पति को देने जा रही थी। जब मैंने एलेक्स को लेटने के लिए कहा तो एलेक्स ने मुझे अपनी बाहों में ले लिया और मेरे सिर को सहलाने लगा। मुझे बहुत ठंड लग रही थी तो एलेक्स कुछ कंबल ले आया और मुझे ढक दिया। लेकिन मेरा शरीर बिल्कुल भी गर्म नहीं हो रहा था। फिर एलेक्स ने अपने अंडरवियर को छोड़कर अपने सारे कपड़े उतार दिए और मुझे कंबल में अपनी बाहों में ले लिया और मुझे होठों पर चूमने लगा। मेरी सांस गर्म थी, लेकिन उसकी सांसें भी कम गर्म नहीं थी। मैं कब उसकी बाँहों में सो गयी, पता ही नहीं चला। अगली सुबह चार बजे मुझे बहुत गर्मी महसूस हुई। मैंने फौरन कंबल अपने ऊपर से हटाया और फिर से खुद को एलेक्स की बाहों में अपनी बाहें डालकर कर सो गयी। आधे घंटे बाद अलार्म ने हम दोनों को जगा दिया। मैंने देखा कि एलेक्स भी न्यूड था और मैं भी, लेकिन फिर भी उसने मेरे साथ ऐसा कुछ नहीं किया। ऐसे जेंटलमैन की दुल्हन बनना, मेरे लिए गर्व की बात थी। फिर जब मैं फ्रेश हुई तो मैंने एलेक्स के गाल पर किस किया और कहा, "गुड मॉर्निंग एलेक्स जी, क्या आप जिम नहीं जाना चाहते?"

एलेक्स जी ने मुझे अपनी बाहों में खींच लिया और मेरे होठों को चूमने लगा।

एलेक्स बोले, "तो बताओ रिया, शादी की बात तुम्हारे मम्मी पापा से, कब करवा रही हो।"

एलेक्स का सवाल सुनकर मैं हक्का बक्का रह गयी, समझ ही नहीं आ रहा था कि क्या जवाब दूँ।

मैंने कहा, "उसके लिए मम्मी पापा को एग्री करना पड़ेगा यार! कैसे होगा ये सब?"

एलेक्स ने कहा, "मैं मना लूंगा, तुम्हारी मम्मी को भी और तुम्हारे पापा को भी।"

मैंने कहा, "अगर वो नहीं माने तो?"

एलेक्स ने कहा, "मैं उन्हें मना लूंगा, तुम सिर्फ मुझे उनका नंबर दे देना।"

मैंने कहा, "और उन्होंने ओवर रियेक्ट किया तो?"

एलेक्स  ने कहा, "मैं उन्हें मना लूंगा रिया, तुम जरा भी स्ट्रेस ना लो! 

फिर एलेक्स ने मेरे सामने अपनी माँ को कॉल किया और स्पीकर ऑन करके बातें करने लगा और मैं बैठकर अपने होने वाले पति और सास के कन्वर्सेशन सुनने लगी।

एलेक्स, "प्रणाम माँ, कैसी हो?"

एलेक्स की माँ, "मैं तो बढ़िया हूँ, वकालत कैसी चल रही है तेरी?"

एलेक्स, "बहुत बढ़िया। माँ मैंने एक लड़की देखी है, जो तेरी बहु बनेगी!"

एलेक्स की माँ, "अरे वाह! दिल खुश कर दिया तूने! बहु की फोटो तो भेज।"

फिर एलेक्स ने मेरी साड़ी वाली फोटो अपनी माँ को भेज दिए।

एलेक्स की माँ, "लड़की तो बड़ी सुन्दर है मेरे बच्चे, लेकिन ये लड़की कितनी छोटी दिख रही है? स्कूल कॉलेज की लड़की है क्या?"

ओह्ह गॉड! आई वज सो ऐम्बर्रास्ड! ये एलेक्स की माँ मेरे बारे में क्या सोच रही हैं।उन्हें क्या पता जिसके बारे में वो बातें कर रही हैं, वो कभी खुद शादीशुदा मर्द थी लेकिन अपने इमोशंस के आगे मैंने हार मान लिया था। 

एलेक्स, "नहीं माँ, लड़की सताइस साल की है। हाइट में थोड़ी कम है लेकिन बड़ी संस्कारी है।"

एलेक्स की माँ, "लड़की तो पसंद है मुझे, शादी की बात चला और लड़की को ब्याह कर घर ले आ।"

एलेक्स, "जैसी आपकी इच्छा माँ!"

कॉल दिकनेक्ट होने के बाद मैं एलेक्स को देखने लगी।

मैंने कहा, "क्या मैं इतनी छोटी हूँ? स्कूल कॉलेज की लड़की हूँ मैं?"

एलेक्स ने कहा, "हाहाहा, ये तो तुम्हारे लिए कॉम्प्लिमेंट्स में काउंट होगा रिया!"

मैंने कहा, "आपकी माँ को मैं पसंद आउंगी ना?"

एलेक्स ने कहा, "तुम उन्हें बहुत पसंद आयीं। सुना नहीं, माँ ने कहा है कि जल्द से जल्द तुम्हे ब्याहकर अपनी दुल्हन बनाकर घर ले आऊं!"

एलेक्स की बातें सुनकर मुझे बहुत शर्म आई और मैं ब्लश करने लगी। फिर बहुत हिम्मत करके मैंने एलेक्स को अपने पापा और मम्मी का नंबर दे दिया। पता नहीं एलेक्स ने मेरे मम्मी पापा से क्या बात की। शाम को मम्मी का कॉल आया तो मैंने डरते डरते कॉल पिक किया।

मैंने कहा, "हेलो मम्मी, कैसी हो?"

मेरी मम्मी बोली, "समीर, तू एलेक्स जी से शादी करना चाहता है?"

मैंने कहा, "जी मम्मी!"

मेरी मम्मी बोली, "तू जानता है कि तू मर्द है और एलेक्स जी भी!"

मैंने कहा, "जी मम्मी!"

मम्मी बोली, "हम्म! देख समीर, हमारे समाज में ऐसी शादियों को एक्सेप्ट नहीं किया जाता। मैं जानती हूँ मीना के जाने के बाद अकेला पड़ गया होगा। लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि तू किसी मर्द की दुल्हन ही बनने को तैयार हो जा।"

मैंने कहा, "लेकिन मम्मी, एलेक्स जी बहुत अच्छे इंसान हैं।"

मम्मी बोली, "फिर ठीक है, तेरी ख़ुशी से ज्यादा इम्पोर्टेन्ट थोड़े ही ना है समाज के ताने? तू घर आ जा, फिर यहीं से तेरी बिदाई कर देंगे।"

मैंने कहा, "ठीक है मम्मी!"

मम्मी बोली, दामाद जी से बात तो करवा!"

आई वज लिटेरेली शॉक्ड जब मम्मी के मुँह से दामाद जी वर्ड सुनी तो।

मैंने एलेक्स को फ़ोन पकड़ा दिया और वे दोनों ना जाने क्या बात करते रहे फिर कॉल कट होने के बाद एलेक्स मुझे देखकर मुस्कुराने लगे तो मैं शर्माने लगी। एलेक्स बोला, "तुम खुश हो रिया, अब तो तुम्हारे मम्मी पापा मान गए हैं। आंटी ने शादी की डेट देने की बात कही है और तब मैं बारात लेकर तुम्हारे घर आऊंगा और तुम्हे अपनी दूल्हन बनाकर हमेशा के लिए अपने साथ ले आऊंगा।"

एलेक्स की बातें और अपनी शादी की बातें सुनकर मैं बहुत इमोशनल हो गयी और एलेक्स से लिपट कर रोने लगी। एलेक्स ने मेरे आंसुओं को पोछा और हम दोनों काफी देर तक एक दूसरे से नाग नागिन की तरह लिपटे रहे।

कुछ दिनों के बाद एलेक्स मुझे साड़ी में तैयार करके मेरे घर ले गया। वहां मेरे मम्मी पापा और भाई बहन ने स्वागत किया।

मेरी मम्मी बोली, "तू कितनी सुन्दर दिख रहा है समीर! तू ऐसा कब से हो गया?"

मैंने कहा, "डाइवोर्स के बाद मम्मी!"

मम्मी बोली, "नाम भी बदल लिया तुमने? दामाद जी तो तुम्हे रिया बोलकर पुकार रहे थे?"

मैंने कहा, "हाँ मम्मी, अब मैं समीर नहीं रिया हूँ।"

मम्मी मुझे हग करके रोने लगी और बोली, "ये क्या कर लिया तुमने समीर! कभी इसी घर से तेरी बारात निकली थी और तू मीना को ब्याह कर इस घर में ले आया था और अब तेरी शादी होगी तो तुझे लेने के लिए दामाद जी बरात ले कर आएंगे और तुझे अपनी दुल्हन बनाकर और तेरे साथ ब्याह रचाकर तुझे अपने साथ ले जायेगा। घर के कामकाज कुछ आते भी है, तुझे पता भी है, कितना टफ होगा तुम्हारा लाइफ?"

मैंने कहा, "मम्मी, मैं जानती हूँ!"

मम्मी बोली, "तुझे तो किचन के काम में जरा भी मन नहीं लगता था? फिर कब सीख लिया, देख झूठ मत बोल नहीं तो ससुराल में अच्छा खाना नहीं पका सकी तो तेरी सास तुझे ताने देगी कि तेरी माँ ने तुझे कुछ नहीं सिखाया।"

मैंने कहा, "मैंने आलरेडी सबकुछ सीख लिया है, अब किसी ट्रेनिंग की जरुरत नहीं है मम्मी!"

मम्मी बोली, "वैसे तो तेरी शादी के लिए हम सब राज़ी हैं लेकिन तू फिर से सोच ले। देख अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा, शादी कोई खेल नहीं होता। तूने अभी सेक्स चेंज सर्जरी भी नहीं करवाई, अभी भी मौका है तेरे पास! तुझे दूसरी लड़की मैं धुंध कर ला दूंगी। लेकिन अगर ये मौका भी तेरे हाथ से निकल गया फिर हम कुछ नहीं कर सकेंगे रिया!"

मैं बोली, "मम्मी! आप ऐसे क्यों बोल रही हैं? इतने अच्छे तो हैं एलेक्स जी! वो मुझसे प्यार भी बहुत करते हैं और मैं उनके साथ बहुत खुश हूँ मम्मी!"

मम्मी बोली, "ऐसा इसलिए कह रही हूँ क्यूंकि एक बार शादी की थी तूने, तब तू मर्द थी और मीना को अपनी दुल्हन बनाकर इस घर में ले आया था। और आज तू फिर से शादी करने जा रही है और अब एक मर्द तुम्हे अपनी दुल्हन बनाएगा और तुम्हे ब्याह कर अपने साथ ले जायेगा। मुझे बिलकुल भी अच्छा नहीं लग रहा है कि कोई मर्द मेरे बेटे को अपनी दुल्हन बना ले और ब्याह कर अपने साथ ले जाए!"

मैंने कहा ,"मम्मी! मैंने स्त्रीत्व को अपना लिया है और मैं इस स्त्रीत्व में खुद को ढाल चुकी हूँ तो ज्यादा मत सोचो! अब मैं आपका बेटा नहीं आपकी बेटी हूँ। समीर नहीं रिया हूँ मैं अब।"

इतने में मेरे भाई बहन भी कमरे में आ गए। वे कहने लगे कि मैं तो मुंबई कमाने गया था और लड़की बनकर वापिस आयी हूँ और उनके जीजा जी को साथ लायी हूँ। अपने भाई बहन के सवालों का ज्यादा जवाब देना मुझे जरूरी नहीं लगा, लेकिन दोनों ने मुझे बहुत छेड़ा। फिर मम्मी के डांटने पर मुझे अकेला छोड़ गए। अब मेरी शादी होने जा रही थी एलेक्स जी के साथ, ये सब कोई सपने सा लग रहा था। मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि ये सब एक्चुअल में हो रहा था मेरे साथ। अगले दिन से, अब हर रोज़ की तरह साड़ी पहने किचन में मम्मी की हेल्प कर रही थी कि तभी डोरबेल की आवाज़ सुनकर मम्मी दरवाज़े पर गयी। एक लड़की आयी थी, जिसके हाथों में छोटा सा मेकअप बॉक्स था। मम्मी ने उसे वहीं बिठाया और मुझे उसके पास भेज दी। उस लड़की ने मुझे हाय कहा और मुझे बैठने को कहा। मैं सोफे पर बैठ गयी तो उसने मेरे कान के निचले हिस्से पर पेंसिल से डॉट मार्क किया और कान के ऊपरी हिस्से तीन डॉट मार्क किया। दूसरे कान पर भी ठीक वैसे ही डॉट मार्क किया और उसने मेकअप बॉक्स से एक पियरसिंग गन निकाली उसमे 8 पिन्स सेट किये और मेरे कान पर सटा कर ट्रिगर दबा दिया। वो पिन मेरे कान को छेदता हुआ आर पार हो गया। बहुत दर्द हुआ, लेकिन उस लड़की ने समझाया कि अभी तो बहुत से छेद करने हैं। फिर उसने तीन बार मेरे कान के ऊपरी हिस्से में छेद कर दिया और पिन भी ठीक वैसे ही समा गया। मेरे दूसरे कान में भी बेरहमी से छेद करने के बाद उसने मेरे दोनों कानों की छेदों पर एक खास तरह का ऑइंटमेंट अप्लाई की, जिससे मुझे बहुत आराम मिला। फिर उस लड़की ने मेरी नाक पर लेफ्ट साइड मार्क किया, तभी मम्मी वहां आ गयी। मम्मी उससे बोली कि नाक की लेफ्ट साइड नही, राइट साइड छेद करने को। उस लड़की ने मेरे नाक के राइट साइड मार्क किया, मुझे बहुत डर लग रहा था, लेकिन मम्मी ने मुझसे कहा कि डरने की कोई जरूरत नही है, लड़कियों में नाक कान छिदवाना नार्मल होता है और मेरे कंधे पर हाथ रखकर वहीं खड़ी हो गयी। उस लड़की ने मेरे नाक पर पियरसिंग गन सेट किया और ट्रिगर दबाते ही उसमे से एक पिन निकलकर मेरे नाक में छेद करते हुए आर पार हो गयी। दर्द से मेरा बुरा हाल था, हल्का ब्लड भी निकला और मैं बहुत रोई। फिर मम्मी ने मुझे शांत किया और समझया कि लड़कियों को इतना दर्द तो सहन करना पड़ता ही है। जब उस लड़की ने मेरी नाक पर ऑइंटमेंट लगाई, तब जाकर कहीं मेरा दर्द कुछ शांत हुआ। मम्मी ने उस लड़की को पैसे दिए और वो लड़की वहां से मुस्कुराते हुए चली गयी। उसके जाते ही मैं मम्मी पर चिल्लाने लगी।

मैं बोली, "मम्मी ये सब क्या है, आपने मेरे नाक कान छिदवा दिए?"

मम्मी बोली, "मैं चाहती हूं कि मेरी प्यारी बिटिया रानी अपने स्त्रीत्व को एक्सेप्ट करके लाइफ में आगे बढ़े और यही हर मम्मी अपनी बेटी के लिए चाहती है। अब तुम अपने पसन्द की ज्वेलरीज पहन सकोगी, क्लिप वाली नही बल्कि असली सोने की ज्वेलरीज। खास तौर पर वो नथ जो तुम्हारी होने वाली सास ने तुम्हे पहनाने को कहा था, आई एम सो एक्सआईटेड, छह घण्टों में तुम्हारे नाक और कान का छेद क्लियर हो जाएगा, फिर तुम्हे जो भी ज्वेलरी पहननी है, पहन सकती हो।"        

मैं बोली, "हद है मम्मी! मैं अपने कमरे में जा रही हूँ, मेरे नाक में दर्द हो रही है अभी भी!"

मम्मी बोली, "कोई बात नही, इन सब की आदत डाल लो।"

फिर मैं अपने कमरे में चली गई और रूम को लॉक कर लिया। मैं आईने के सामने बैठकर खुद को देखने लगी, नाक और कान में छेद होने की वजह से मेरी शक्ल ही बदल गयी है। आई डोंट नो हाऊ तो हैंडल माय ह्यूमिलियेशन, शायद ही किसी लड़के को ऐसे ह्यूमिलियेशन का सामना करना पड़ा हो, लेकिन ये सब सच मे मुझे काफी शर्मिंदगी दे रही था। लंच करने के बाद मैं अपने कमरे में जाकर सो गई।

शाम को मम्मी कमरे में आई और मुझे जगाई।

मम्मी बोली, "रिया बिटिया उठ जाओ, तुम्हारी होने वाली सास का कॉल आया था। वो तुम्हे नथ पहने देखना चाहती हैं।"

मैं उठा, फ्रेश हुआ, मैंने आईने में अपने नाक की पिन को आगे पीछे करके चेक किया। वाकई मेरे नाक का छेद क्लियर हो चुका था और मेरे दोनों कानों के छेद भी क्लियर हो चुके थे, दैट मीन्स कि अब मम्मी मेरे नाक और कान में अपने पसन्द से जो चाहे पहना सकेगी। व्हाट द हेल, मैं लड़का था, कितनी आज़ादी थी, अपने मन का करने को फ्री और अब मेरी होने वाली सास की मर्ज़ी से मुझे लड़कियों की तरह सजना सँवरना पड़ेगा। मम्मी ने मेरे दोनों कानों से पिन्स निकाल दी और मेरे दोनों कानों के ऊपरी तीन छेदों में एक एक सोने की बाली पहना दी और निचले हिस्से में बड़े बड़े सोने की झुमकी पहना दी। काफी हैवी झुमकी थी, लाइफ में पहली बार कान में झुमकी पहनने पर उसके वजन भर से कान दर्द दे रही था, लेकिन मैं करूँ तो क्या करूँ। अब तो ये सब पहनना मेरी मजबूरी है और शादी के बाद ना जाने क्या क्या करना पड़ेगा, अब तो यही डर सता रहा था। फिर मम्मी ने मेरे चेहरे को ऊपर उठाया और मेरे नाक की छेद से पिन को निकाल दी और मेरे नाक में वो हैवी डिज़ाइनर नथ पहनाने लगी।

मैं बोली, "आउच, मम्मी आराम से, ये कितना बड़ा है!"

मम्मी बोली, "शुरू शुरू में थोड़ा अजीब लगेगा लेकिन फिर इसकी आदत हो जाएगी रिया।"

फिर मम्मी ने नथ को एक सोने की चेन से अटैच कर दी, सपोर्ट के लिए और मुझे आईने के सामने बिठाकर पूछी कि कैसे लग रही है।

मैं बोली, "मम्मी, ये नथ और झुमकी काफी हैवी है, मेरे कान और नाक में दर्द हो रही है।"

मम्मी बोली, "चुप कर लड़की, तेरे तो नखरे ही खत्म नही होते। देख तेरी होने वाली सास का वीडियो कॉल भी आ गया है, चुपचाप नज़रें झुका कर बैठ और हां में हां मिलाना, समझी! "

मैं चुपचाप एक दुपट्टे की ओढ़नी बना कर सिर झुकाए बैठ गई। मेरी होने वाली सास का वीडियो कॉल था, उन्होंने मुझे देखा और मेरी मम्मी से कहा कि रिया तो बहुत खूबसूरत दिख रही है, इसे काला टीका लगी दो, किसी की नज़र ना लग जाये। फिर उन्होंने मुझसे कहा कि आज से ऐसे ही नथ और झुमकी हमेशा पहने रहना और मम्मी ने अपनी आंखों के काजल से मेरे गाल पर एक टीका लगी दी और दोनों मुस्कुरा उठे। मैं शर्म से गड़ा जा रही था, क्योंकि जो कुछ भी हो रही था, मेरे सोच से परे था। मेरी होने वाली सास ने वीडियो कॉल पर कहा कि पंडित से शुभ मुहूर्त निकलवाई हैं, सगाई अगले हफ्ते की 2 तारीख को होनी है और शादी 10 तारीख को होगी। एलेक्स प्री वेडिंग फोटोशूट करवाना चाहता है, लोकेशन फिक्स हो चुकी है और वो एड्रेस भेज देंगी। परसो फोटोशूट होनी है और फिर मम्मी से शादी की तैयारियों में जुट जाने को बोलकर कॉल डिसकनेक्ट कर दी। मेरी मम्मी बहुत खुश थी क्योंकि मेरी सास भी शादी को लेकर बड़ी एक्सआईटेड थीं। आज मेरी और एलेक्स की प्री वेडिंग फोटोशूट थी, मुझे स्नान भी करना था तो मैं नहाने चली गई।

वाशरूम में गई तो खुद को देखकर हैरान रह गई, आज मैं किसी 18 साल की लड़की से थोड़ा भी कम नही दिख रही था। समझ में नहीं आ रहा था कि मेरी चेस्ट लड़कियों के ब्रेस्ट्स की तरह कैसे होता जा रहा है। आज मैं वाकई एक खूबसूरत लड़की में तब्दील हो चुकी थी, शायद रेगुलर जिम की वजह से और मेरे ऑवर गिलास बॉडी और पेटीट फिगर देख कर तो कोई भी मर्द पागल हो जाये। मेरे घने लंबे बाल अब मेरे पीठ तक आ चुके थे और मेरी गोरी त्वचा और वो भी हेयरलेस, मखमल सी, खुद को जब जब छूती, मुझे अजीब सा सेंसेशन फील होता। डेढ़ घण्टे बाद जब मैं स्नान करके वाशरूम से बाहर आयी तो देखा कमरे में मम्मी के साथ ब्यूटीशियन भी बैठी थी और आपस में बातें कर रहीं थी।

मैं बोली, "मम्मी, अब ये कौन है?"

मम्मी बोली, "ये पल्ल्वी है, ब्यूटीशियन है।"

मैं बोली, "ओके!"

फिर मैं कपड़े ले कर वाशरूम में चेंज करने आ गई और थोड़ी देर में पटियाला सूट पहनकर जब मैं कमरे में आयी तो मम्मी और पल्ल्वी आपस मे मेरी शादी के बारे में डिस्कशन कर रहीं थीं। मुझे देखते ही,पल्ल्वी मुझे आईने के सामने बिठा दी। पल्ल्वी ने सबसे पहले एयर गन से मेरे बालों को सुखा दी। मेरे बाल, घने और काले थे और आज मैंने शैम्पू किया था तो बाल और भी रेशमी हो गए थे।

पल्ल्वी बोली, "वाओ रिया! तुम बालों में क्या लगाती हो? कितने खूबसूरत और रेशमी बाल है तुम्हारे।"

मैं बोली, "थैंक्स!"

पल्ल्वी ने मेरे बालों को पफ विद हाई बन लुक दी, आज मुझे पता चली कि इतने अच्छे हेयर स्टाइल मैं और भी कितनी सुन्दर दिखती हूँ। फिर पल्ल्वी ने मेरे हाथों में कूल्हों तक और पैरों में घुटनों तक बहुत ही आकर्षक मेहंदी की डिज़ाइन बनाई। दो घण्टे बाद जब मैंने मेहंदी धोयी तो मेहंदी का रंग काफी डार्क आया।

पल्ल्वी बोली, "मेहंदी का रंग जितना डार्क होता है, लड़की को उसका पति उतना ही प्यार करता है।"

फिर पल्ल्वी मेरे हाथों और पैरों के नाखूनों पर डार्क रेड नेल पॉलिश लगाई और मेरा मेकअप भी की। फिर मुझे महारानी स्टाइल लहँगा पहनाई जो कि बहुत बड़ा और हैवी थी और बिना ब्रा पहनाए ही बैकलेस चोली भी पहनाई, जो डिज़ाइनर होने के साथ काफी शार्ट और स्ट्रेची थी। पहली बार मैंने ऐसी चोली पहनी थी, जिसे पहनने के बाद मैं शर्म से लाल हुई जा रही था, क्योंकि चोली से मेरे बूब्स का ऊपरी भाग का ज्यादातर हिस्सा साफ झलक रही था। फिर पल्ल्वी ने मेरे हाथों में ढेर सारे सोने कंगन और रंग बिरंगी सुहागिन का चूड़ा सेट पहना दी। फिर दोनों हाथों में हाथ फूल, गले मे चोकर सेट और दो तीन नेकलेस, कमर में कमरबन्द, बाजुओं में बाजूबन्द, पैरों में हैवी चांदी के पायल और गोल्डन हाई हील्स पहनने के बाद मैं रेडी थी। फिर पल्ल्वी के साथ प्री वेडिंग फोटोशूट के लोकेशन पर ले जाई गई। लहँगा चोली पहनकर एलेक्स जी के साथ प्री वेडिंग फोटोशूट के दौरान कैमरामैन जैसे जैसे कह रहा था उसी के अनुसार एलेक्स जी ने  ढेर सारे रोमांटिक पोज़ दिए, मुझे भी उन्हें सपोर्ट करना पड़ा। कभी टाइटैनिक वाला पोज़ तो कभी दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे वाला पोज़, एलेक्स जी के इतने करीब आकर मैं जब भी उनकी ओर देखती तो मुझे बड़ी शर्मिंदगी होती। इधर पल्ल्वी अपने फ़ोन में मेरी और एलेक्स जी की रोमांटिक फोटोशूट को रिकॉर्ड कर रही थी। इट वज क्वाइट एम्बैरसिंग, कभी एलेक्स जी मुझे अपनी बाहों में उठा लेते तो कभी कमर में हाथ से ऐसे जकड लेते मानो मेरी जान ही निकाल देंगे। फिर एकदम अचानक से एलेक्स जी ने मेरी आँखों में देखा, मेरी चिन को अपने हाथों से ऊपर उठाया और मेरे होंठों को चूमने लगे, उनका एक हाथ मेरी कमर में था और फोटोग्राफर हम दोनों की तस्वीर ले रही था। एलेक्स जी की गर्म साँसों की खुशबु, जब मेरी साँसों में समायी तो मेरी सांसें तेज़ हो गयी, चेहरा लाल हो गई और आँखें शर्म से झुक गयी और आंसू आ गए। पल्ल्वी ये सब देख रही थी, उसको मुस्कुराता हुआ देख, मुझे बहुत बुरा लगा। किसी मर्द के साथ रोमांटिक प्री वेडिंग फोटोशूट और ऊपर से लिप टू लिप किस, ओह्ह गॉड, मैं शरम से गड़ी जा रही था। समझ में नहीं आ रही था कि एलेक्स जी से नज़रें कैसे मिलाऊँ। फोटोशूट ख़त्म होने के बाद एलेक्स जी ने मुझे और पल्ल्वी को घर पर ड्राप किया और मेरे कार से निकलने से पहले मुझे एक बार और स्मूच किया, जो मेरे लिया काफी ह्युमिलियटिंग था। एलेक्स जी मैं प्यार करने लगी थी अब और ये किसी सरप्राईज़ से कम नहीं था मेरे लिए। प्रीवेडिंग फोटोशूट का आईडिया एलेक्स जी का ही था और उन्होंने इस मौके का खूब फायदा उठाये। घर पहुंचने के बाद पल्ल्वी मम्मी के साथ मेरी फोटोशूट का डिस्कशन करने बैठ गयी और मैं अपने कमरे में आ गयी।

एलेक्स जी का मुझे ऐसे रोमांटिक अंदाज़ में स्मूच करना, मेरी लाइफ का पहला किस मेरे होने वाले पति के साथ। आई डोंट नो पल्ल्वी ने मम्मी को क्या क्या बताया, लेकिन मेरे ख्यालों में सिर्फ और सिर्फ मेरे फ्यूचर हस्बैंड एलेक्स थे, जो मुझे बहुत जल्द ब्याह कर अपने साथ ले जाने वाले थे। आँखें बंद करूँ तो एलेक्स जी का रोमांस याद आने लगता और आँखें खोलूं तो मेरा कमरा देख कर काफी एम्बारसमेंट होता। कभी मैं एक जब मर्द थी तो कितनी फ्री थी मैं! खैर अभी भी मैंने सेक्स चेंज नहीं कराया है लेकिन शादी तो मेरी एक मर्द से ही हो रही थी और मुझे दुल्हन ही बनना भी तो था। लेकिन मेरे मन में एक छोटा सा डर बैठा हुआ था कि शादी के बाद ससुराल में मेरी लाइफ कैसी होगी? और यही सवाल मुझे दिन पर दिन नर्वस करती जा रही थी।

फोटोशूट के बाद एलेक्स जी तो हमारे परिवार से विदा लेकर चले गए लेकिन वो मेरे लिए ढेर सरे गिफ्ट्स ले कर आये थे। गिफ्ट्स से मेरा पूरा कमरा भरा पड़ा था। मैंने चेंज तो कर लिया, लेकिन मम्मी मुझे ऑर्नामेंट्स नहीं उतारने दी। इतने सारे ऑर्नामेंट्स पहने रखना मेरे बस की बात नहीं थी लेकिन मैंने मम्मी को मना किया तो मम्मी ने मुझसे कहा कि कंगन, झुमकी, पायल और नथिया पहनकर रखूं। फिर मैंने बाकी सभी ऑर्नामेंट्स उतारकरअपने वार्डरोब में रख दी और मैं फिर नाईट गाउन पहन ली और गिफ्ट्स खोलकर देखने लगी। मैंने सबसे पहले एलेक्स जी की मम्मी का गिफ्ट खोलकर देखा तो उसमे दो कांजीवरम सिल्क साड़ी, एक येल्लो, एक पिंक और एक रेड जॉर्जेट साड़ी रखी थी। उसके नीचे एक ज्वेलरी बॉक्स था, जिसमे बहुत ही बड़ी किन्नौरी नथ रखा था, जो कसम से इतना बड़ा था कि देखकर मैं डर गयी। इतना बड़ा नथ भी भला होता है क्या, मेरी तो समझ में ही नहीं आ रही था कि शादी के बाद ससुराल में मेरी लाइफ ना जाने कैसी होगी? फिर मैंने और सभी गिफ्ट्स खोलकर देखा जिनमे तरह तरह के डिज़ाइनर साड़ियां, मैचिंग ब्लाउज पीसेज़, पेटीकोट, सलवार कमीज, पंजाबी सूट सलवार, प्लाज़ो सूट्स, अनारकली सूट्स और तरह तरह के गहने थे। गिफ्ट्स में ज्यादातर साड़ियां और सूट्स थीं। आखिर में मैंने एलेक्स जी के गिफ्ट्स को खोलकर देखा तो हैरान रह गयी। करीब दस तरह की बेबीडॉल ड्रेसेज़, सोने का नोज पिन जिसमे हीरा जड़ा था और मिनी स्कर्ट के साथ एक आईफोन और एक लेटर भी था।

लेटर में लिखा था, "हाय जान, फाइनली तुमने मेरे गिफ्ट्स को खोलकर देख ही ली हो तो ये आईफोन एलेवेन सिर्फ मेरी रिया रानी के लिए है। जब भी मैं कॉल करूँ, जरूर पिक करना। इस आईफोन में हमारी प्री वेडिंग फोटोशूट्स के सभी फोटोग्राफ्स और वीडियोस हैं। आई लव यू रिया, तुम बहुत खूबसूरत हो और तुम्हारी जैसी खूबसूरत दुल्हन को पाने को तो मुझ जैसे पचपन साल के बूढ़े आदमी को दस जन्म लेने पड़ते। मैं बहुत खुशनसीब हूँ जो मुझे दुल्हन के रूप में तुम मिली रिया। तुम्हे अपनी दुल्हन के रूप में पाकर मुझे दुनिया जहाँ की ख़ुशी मिल गयी है। मैं शादी को लेकर काफी एक्साइटेड हूँ और मैंने तुम्हारे लिए शादी में पहनने के लिए एक महारानी स्टाइल लहँगा ख़रीदा है जो मैं शादी से दो दिन पहले भेज दूंगा। आई होप तुम भी शादी को लेकर काफी एक्साइटेड हो रिया। तुम्हारा फिगर बहुत ही आकर्षक है और शादी के बाद हम हनीमून मनाने गोवा जायेंगे और उसकी टिकट्स भी बुक कर चूका हूँ मैं। अपना ख्याल रखना मेरी रानी, मैं जल्द तुम्हे ब्याहकर अपनी दुल्हन बनाकर अपने साथ ले जाऊंगा। तुम्हारा एलेक्स!"

लेटर पढ़ने के बाद एलेक्स जी की एक्साइटमेंट का पता चल रहा था। वो काफी एक्साइटेड थे शादी को लेकर और मैं भी एक्साइटेड तो थी, लेकिन उतनी ही नर्वस भी थी और देखते ही देखते शादी का दिन भी आ गया। शादी से दो दिन पहले मेहँदी और हल्दी की रस्में, लेडीज़ संगीत में मुझे भी नचाया गया और मेरे डांस का कम्पेरिज़न आलिया भट्ट से की जा रही थी। मेरे डांस का वीडियो मेरी छोटी बहन ने एलेक्स जी को भेजा तो उनका कॉल ही आ गया उस दिन। लेकिन मैंने उनका कॉल पिक ही नहीं किया। मुझे बहुत शरम जो आ रही थी, मेरी शादी जितनी धूमधाम से होने चाहिए थी, उससे भी धूमधाम से मेरी शादी की तैयारी चल रही थी। एलेक्स जी ने जो महारानी स्टाइल लहँगा चोली भिजवाया था मेरे लिए, वो काफी हैवी था और काफी बड़ा भी और चोली उतनी ही छोटी और पूरी तरह से बैकलेस थी। शादी की तैयारी पूरी हो चुकी थी। दुल्हन की तरह महारानी स्टाइल लहँगा चोली पहनकर जब मैं रेडी हुई तो आईने में खुद की खूबसूरती देखकर हैरान रह गयी। मैं बहुत खूबसूरत दिख रही थी। मेरी कमर, नाभि पीठ सब विज़िबल थी, हाथों में कुहनी तक राजा रानी स्टाइल मेहँदी, पैरों में घुटनो तक डिज़ाइनर मेहँदी, दोनों कानों में बड़े बड़े झुमकी और तीन तीन सोने की बाली, नाक में ससुराल से आयी किन्नौरी नथ, गले में नौलखा हार, ऊपर से सोने के तीन नेकलेस, पैरों में हैवी चाँदी की पायल, पैरों की उँगलियों में चाँदी के बिछुए, कमर में कमरबंद, बाहों में बाजूबंद, कलाई में सुहाग चूड़ा, सोने के चार चार कंगन, हाथ में सोने का हाथफूल और कलीरे, माथे पर सोने का मांगटीका और मेरे फॉरहेड को छोटी छोटी बिंदी से बड़ी ही खूबसूरती से सजा दी गई थी। किसी खूबसूरत सी दुल्हन की तरह सज संवर कर मैं घूँघट में सिर झुकाये बैठी मैं बारात के आने का इंतज़ार कर रही थी। दिल में धकधक हो रही ही, पेट में गुड़गुड़ हो रहा था, शरीर में थरथराहट और मन बेचैन हुआ जा रहा था।

इधर मेरी शादी एक उम्रदराज़ मर्द से होने जा रही थी और मैं दुल्हन बनकर अपने दूल्हे राजा के आने के इंतज़ार में थी। तभी धूम धड़ाके की आवाज़ सुनकर मेरी हार्ट बीट बढ़ गयी, बॉडी में कंपकंपी होने लगी। थोड़ी देर में मम्मी और कुछ लड़कियां मुझे स्टेज पर ले जाने को आयीं।

मैं बोली, "मम्मी मुझे शादी नहीं करनी, मुझे बहुत डर लग रही है। प्लीज् मम्मी ये शादी रुकवा दो, आप सभी को छोड़कर मुझे नहीं जाना।"

मम्मी बोली, "हाउ क्यूट, दुल्हन को नर्वसनेस होना लाज़मी होता है। लेकिन मेरी बिटिया, दूल्हे राजा आ चुके हैं अब कुछ भी नहीं हो सकता। तेरा वाटरप्रूफ मेकअप इसीलिए तो करवाई थी ताकि तुम्हारे आंसू तुम्हारा मेकअप ख़राब ना कर सकें।" 

मैं बोली, "मम्मी आपको मेकअप की पड़ी है, मुझे एलेक्स जी से शादी नहीं करनी, मुझे अपना घर छोड़कर किसी और के घर नहीं जाना। मम्मी प्लीज्!"

इससे पहले मैं कुछ और कहती, मम्मी ने मुझे उठाया और लड़कियों से कहा कि मुझे स्टेज तक ले चलें। मेरे नर्वसनेस का कोई अंत नहीं था, बॉडी में कंपकंपी और लहँगा भी इतना हैवी कि मुझे अपने दोनों हाथों से उन्हें उठा कर चलना पड़ रही था। हर एक कदम के साथ छनछन की आवाज़, मेरे ऑर्नामेंट्स भी काफी आवाज़ कर रहे थे और मेरे बूब्स भी काफी हिल रहे थे। धीरे धीरे चलते चलते मैं स्टेज पर जा पहुंची, जहाँ एलेक्स जी शेरवानी पहने किसी नवाब के जैसे तनकर खड़े थे। मैंने एलेक्स जी के पैर छुए, फिर उनकी आरती उतारी, जिसके बाद जयमाला की रस्में हुई। जयमाला के बाद हमदोनो को मंडप पर ले जाया गया। एलेक्स जी के साथ साथ सात फेरे लेने के बाद, एलेक्स जी ने मेरे गले में मंगलसूत्र और मांग में ढेर सारा भक़रा सिंदूर भर दिया जो मेरे नाक से लेकर मेरे माथे के बीचोबीच तक था। मेरे मम्मी पापा ने मेरा कन्यादान किया और शादी की रस्में सुबह के चार बजे तक चली। शादी के रस्मों के ख़त्म होने के बाद, बिदाई का इमोशनल मोमेंट आ चूका था। मुझे जिस पल का सबसे ज्यादा डर था, वो पल आ चूका था। अपने मम्मी पापा भाई बहन से लिपटकर बहुत रोई और फिर एलेक्स जी मुझे सबके सामने अपनी बाहों में उठा लिया और अपनी कार में बिठाकर अपने घर ले गए।

आधे रस्ते तक मैं अपने मम्मी पापा और बहन से बिछङने के दुःख में बहुत रोई और रोते रोते एलेक्स जी की बाहों में, अपना सर एलेक्स जी के कंधो पर रख, जाने कब नींद की आगोश में समा गयी। जब मेरी नींद खुली तो मैंने एक बहुत ही सुन्दर कमरे में थी, बहुत ही बड़े बिस्तर पर मैं लेटी हुई थी, ऊपर दो तीन झूमर लटक रहे थे और बिस्तर के राइट साइड में बहुत ही बड़ा मिरर लगी हुआ था। बिस्तर काफी नरम था और मुझे उठने का बिलकुल भी मन नहीं कर रही था। दरवाज़ा लॉक था और कमरे में मेरे सिवा  कोई नहीं था। थोड़ी देर मैं वैसे ही लेटी रही तभी दरवाज़े पर आहाट हुई और मैंने अपने घूँघट से अपना चेहरा ढंक लिया। मेरी सास और एक लड़की कमरे में आयी।

मेरी सास ने बताया, "वैसे तो एलेक्स की कोई सगी बहन नहीं है, लेकिन नताशा बुआ जी की बेटी है और एलेक्स की सबसे प्यारी बहन भी। दो दिन बाद हम मनाली चलेंगे और अगले एक साल वहीँ रहोगी दुल्हन तुम!"

मैंने पूछा, "और ये भी चलेंगे साथ में?"

मेरी सास हँसते हुए बोली, "तेरा पति भी जाएगा, तू फिक्र मत कर!"

फिर मुझे और नताशा को आपस में बात करने को बोलकर मेरी सास कमरे से बाहर चली गयी।

नताशा बोली, "रिया भाभी, मैंने तो आपका चेहरा भी नहीं देखा, अपनी ननद को तो एक बार घूँघट हटा कर अपना प्यारा मुखड़ा दिखा दो, प्लीज् भाभी।

मैंने अपना घूँघट हटाया और सामने नताशा मुझे देखकर मुस्कुरा उठी।

नताशा बोली, "वाओ भाभी, आप तो बॉलीवुड की एक्ट्रेस के जैसी सुन्दर हो। भैया इतनी सुन्दर दुल्हन लाये हैं, आपको किसी की बुरी नज़र ना लगे।"

फिर नताशा ने अपनी आँखों से काजल निकालकर, मेरे गाल पर एक काला टीका लगी दी। फिर नताशा ने मुझे एलेक्स जी के बारे में बताना शुरू की।

नताशा बोली, "एलेक्स भैया बड़े ही प्यारे हैं। बचपन से ही वो हमेशा मेरी पसंद का खास ख़याल रखते हैं। रक्षाबंधन में मैं कुछ भी मांग लूँ, वे मना नहीं करते हैं और घर में सभी के चाहते हैं। इतने बड़े अधिवक्ता होने के बावजूद एलेक्स भैया घर के नौकरों के घरों का भी खुद ही ख्याल रखते हैं। मामा तो दिन रात बिज़नेस और मीटिंग्स में ही लगे रहते हैं, लेकिन उनके बिज़नेस में भी एलेक्स भैया का ही इन्वेस्टमेंट रहता हैं।"

मैंने कहा, "हम्म!"

नताशा बोली, "लेकिन भैया की उम्र इतनी ज्यादा है, फिर भी आप मेरे भैया की दुल्हन बनने को राज़ी हुईं, इसके लिए थैंक्स भाभी!"

नताशा का यूँ मुझे "भाभी" कहकर सम्बोधित करना, मुझे बहुत ही अच्छा महसूस करवा रहा था। हम आपस में बहुत देर तक बातें करती रहीं और अब तो काफी रात भी हो चुकी थी तो नताशा कमरे से चली गयी। 

डिनर के बाद मुझे फिर से उसी बड़े से कमरे में ले जाया गया जहां बिस्तर फूलों से सजाया गया था और वहीं मुझको बिस्तर के बीचोबीच घूंघट करके बिठा दिया।

एक औरत बोली, “जब तुम्हारा दूल्हा आये तब उसके पैरों को छूकर आशीर्वाद लेना और जबतक तेरा पति ना कहे, उसके चरणों मे पड़ी रहना और हां केसर वाला दूध भी पिला देना। इतनी खूबसूरत दुल्हन लाया है एलेक्स और बहू एक बात याद रखना। तुम्हारी जगह तुम्हारे पति परमेश्वर के चरणों में है, उसकी खूब सेवा करना और जल्दी से पोते पोतियों का चेहरा भी दिखा दो।”

मैंने शर्माते हुए हांमी भरी और अपने दोनों हाथों से अपने पैरों को सिकोड़कर बैठकर अपने दूल्हे राजा के आने का इंतेज़ार करने लगी। जिस दिन के इंतजार में मैं इतनी बेताब थी एलेक्स के पास जाने को, उसकी बाहों में समाने को! आज वही दिन था लेकिन मेरी दिल की धड़कन कुछ ज्यादा ही तेज़ हो गयी थी और काफी नर्वस हो रही थी। हल्का सा एक आहट भी मुझे अंदर से डरने पर मजबूर कर देता। ऐसा पहली बार हो रहा था मेरे साथ, शायद हर दुल्हन को ऐसा ही फील होता हो सुहागरात में। अपने पति के इंतेज़ार में कब मैं नींद के आगोश में समा गई और कब ओढ़नी मेरे तन से अलग हो गयी, पता भी नही चला। रात के 10 बजे जब एलेक्स जी कमरे में आये तो उन्होंने देखा कि उसकी दुल्हन नींद में सो रही है। एलेक्स मेरे करीब आ गए और मेरे जिस्म की खुशबू से मदहोश होने लगे। मेरे ब्रेस्ट्स मेरी हर ब्रेथ के साथ ऊपर नीचे रही थी। मेरी पतली कमर पर नैवेल ऑर्नामेंट और बड़े से लहंगे में मैं बहुत ही ज्यादा एक्सोटिक लुक दे रही थी। लेकिन इन सब से अनजान मैं सो रही थी। एलेक्स जी ने मेरा घूंघट हटा दिया और मेरे सॉफ्ट होंठ पर एक लाइट किस किया। इसी के साथ मेरी नींद भी खुल गयी और मैं उठकर बैठ गयी और अपना घूंघट ठीक किया।

मैंने इनसे पूछा, “आप कब आये?”

एलेक्स बोले, "बस अभी अभी! तुम बहुत ही खूबसूरत दिख रही हो मेरी रानी और तुम्हारे शरीर की ये मीठी खुशबू मेरी एक्सआईटमेन्ट को और भी बढ़ा रही है।"

फिर मैंने तुरन्त अपना घूंघट ठीक किया और खड़ी हो गयी। खड़ी होकर मैंने अपने दोनों हाथों से एलेक्स के चरणों को ठीक वैसे ही छुआ, जैसा उस आंटी ने कहा था और तब तक पैरों में झुकी रही, जबतक एलेक्स जी ने मुझे ऊपर नही उठाया। चेहरे को झुकाये खड़ी थी मैं और फिर मेरे पति ने बड़े ही प्यार से सीने से लगा लिया, बिना हील्स के मैं और भी छोटी दिख रही थी। एलेक्स बोले, "तुम्हारी जगह मेरे दिल मे है रिया, पैरों में नही!"

मैं बोली, “लेकिन मेरी जगह तो आपके चरणों में ही है! अब तो मैं आपके चरणों की दासी हूँ जी!"

एलेक्स बोले, “लगता है पुष्पा ऑन्टी ने तुम्हे कुछ ज्यादा ही समझाया है।”

मैं बोली, “आप भी ना, ये लीजिये दूध पी लीजिये!”

एलेक्स बोले, “इतने से दूध से मेरा क्या होगा मेरी जान!”

एलेक्स के ऐसा कहने भर से ही मैं शर्मा गयी और अपनी नज़रें झुका ली। एलेक्स ने एक ही घूंट में पूरा दूध पी लिया और गिलास टेबल पर रख दिया। फिर एलेक्स जी ने मुझे अपनी बाहों में उठा लिया और बिस्तर पर बड़े ही प्यार से लिटा दिया। एलेक्स ने मुझे मुंहदिखाई में एक गिफ्ट दिया। और जब मैंने गिफ्ट खोलकर देखा, उसमे हैवी ऑर्नामेंट्स थे जो सोने और डायमंड के बने थे और बड़े ही खूबसूरत थे। मैंने गिफ्ट बॉक्स को एक तरफ रखा और जैसे ही एलेक्स जी की तरफ मुड़ी, उन्होंने मुझे बिस्तर पर फिर से लिटा दिया और मेरे ऊपर आ गया। मैं शरमाने लगी और मेरे पूरे शरीर मे कम्पकम्पी होने लगी।

एलेक्स जी बोले, “क्या हुआ मेरी दुल्हन को, तुम डर रही हो?”

मैं बोली, “नही पता जी! लेकिन ना जाने क्यों, बहुत डर लग रहा है!”

एलेक्स जी बोले, “रिलैक्स मिसेज़ रिया रानी, मेरी तरफ देखो, मेरी आँखों मे!”

मैंने कहा, “नही जी, मुझे शर्म आती है!”

फिर एलेक्स जी बोले, “दुल्हन बनने के बाद तुम तो आज कुछ ज्यादा ही शरमा रही हो मेरी रानी!”

मैंने कहा, “मुझे नही पता, आप बस मुझे ऐसे मत देखिए!”

फिर मैंने अपनी आंखें बंद कर ली और एलेक्स जी को अपने करीब होते महसूस करने लगी। चँद ही पलों में एलेक्स जी ने अपने दोनों हाथों से मेरा छोटा सा चेहरा अपने हाथों में ले लिया और मेरे होंठों को बड़े ही रोमांटिक तरीके से सलौली सलौली स्मूच करने लगा। मैं गर्म होने लगी और एलेक्स ने मेरे साथ अगले आधे घण्टे बिना रुके रोमांस किया। मेरे ब्रेस्ट्स के निप्पल्स को अपने मुह में रखकर काफी देर तक चूसते रहे, मानों उन्हें मेरे अर्धविकसित ब्रेस्ट्स से दूध मिल रहा हो पीने को, लेकिन उनके ऐसा करने से मैं बहुत ज्यादा एक्साइटेड होने लगी थी। फिर मुझे न्यूड करने के बाद एलेक्स जी भी न्यूड हो गए और मुझे अपनी बाहों में उठाकर खड़े हो गए।

मैंने कहा, “आप ऐसे मत देखिए मुझे?”

एलेक्स जी बोले, “बिना कपड़ों और इतने ऑर्नामेंट्स में तो मेरी रानी और भी सेक्सी दिख रही हो।"

फिर एलेक्स जी ने मेरे नाक से नथिया को उतार दिए तो बहुत रिलैक्स फील हुआ। रिलैक्स होने के साथ ही मेरे चहरे पर मुस्कान आ गयी। एलेक्स जी ने समय वेस्ट नही किया और मेरी नाज़ुक कलाई को पकड़कर उसे अपने सख्त लन्ड पर रख दिया। मैंने आज से पहले कभी एलेक्स के लंड को नहीं देख सकी थी लेकिन ओह्ह्ह माय गॉड! इनका लंड तो  रानू के लंड से भी बड़ा और मोटा है। मुझे पता था कि मुझे क्या करना है जिससे मैं अपने पति को खुश कर सकूँ! मैंने देर नही की और मैंने इनके  लन्ड को अपने मुह में ले ली और अपने पति को ब्लो जॉब का मजा देने लगी। इनका लंड बहुत हार्ड होता गया और कब ये सेशन ब्लो जॉब से आगे बढ़ते हुए डीपथ्रोट तक जा पहुंचा। पन्द्रह मिनट्स के ब्लो जॉब कम डीप थ्रोट के बाद एक्सआईटमेंट में एलेक्स जी ने अपने स्पर्म का एक लोड मेरे के मुह में ही छोड़ दिया, जिसकी एक बूंद भी मैंने बर्बाद नही जाने दिया। मैंने वो पूरा लोड पी लिया और अपने पति परमेश्वर के तृप्त चेहरे पर आती मुस्कान को देखने लगी। एलेक्स जी ने मुझे कुछ देर यूँही अपनी बाहों में जकड़कर रखा और थोड़ी देर बाद एक बार फिर से मेरे अंग अंग पर किस करने लगा। मेरी के दोनों पैरों को हवा में फैला कर एलेक्स जी ने अपना लन्ड मेरी गांड में डालने लगे तो मेरी तो हालत ही खराब होने लगी और मैं दर्द से रोने लगी। फिर एलेक्स जी ने अपने लंड पर किसी तरह का तेल लगा लिए और अब वो लंड बिना किसी रगड़ के मेरे गांड में अंदर बाहर होने लगा। रगड़ का दर्द तो कम हुआ लेकिन उनके दिए फ़क्किंग सेशंस ओह्ह, मेरी तो जान ही निकाल कर रख दिए ये। एलेक्स जी ने अगले आधे घंटे तक फुल स्पीड में मेरी चुदाई की, ओह्ह गॉड, मैं इतना रोई, इतना दर्द बर्दाश्त की लेकिन इनपर कोई असर नहीं हुआ। ये तो बस लगे रहे और एक बार फिर से इन्होने एक्साइटमेंट में अपना स्पर्म डिस्चार्ज कर दिए लेकिन इस बार मेरी गांड में। हालाँकि इनके गर्मागर्म स्पेर्म्स जब मेरी गांड में गया तो मुझे ऐसा लगा कि मैं बता नहीं सकती। उसके बाद इन्होने मुझे अपनी बाहों में उठा लिए और मुझे खड़े खड़े चोदने लगे, आई वज लाइक अब मेरी इतनी हालत नहीं थी कि मैं इनके स्ट्रोक्स बर्दाश्त कर सकूँ लेकिन इनपर कोई असर नहीं हो रहा था मेरे रोने चिल्लाने का और ये लगे रहे। अब मैं लगभग अधमरी हो चुकी थी, शरीर में जान नहीं बची थी लेकिन इनको अभी और सेक्स करना था मेरे साथ। फिर इन्होने वो किया जिसकी उम्मीद तो मैंने कतई सपने में भी नहीं की थी। इन्होने मेरे छोटे से लंड पर अपना लंड टिका दिए और लगे स्ट्रोक्स पर स्ट्रोक्स देने। मुझे तो लग रहा था कि आज तो ये मेरा लंड फाड़ ही डालेंगे। मेरे लंड का स्किन अब इनके आधे लंड को कवर कर रहा था लेकिन इनका लंड अब मेरे अंदर स्ट्रोक्स लगा रहा था। अगले दस मिनट्स तक इनका डिक डॉकिंग सेशन चलता रहा और फिर अचानक इन्हे एक्सआईटमेंट आते ही इन्होने मेर लन्ड में अपना स्पर्म डिस्चार्ज कर दिए। मेरे छोटे से लन्ड में जलन होने लगी और मैं रोने लगी और अपने दर्द को कंट्रोल करने की कोशिश करने लगी। फिर एलेक्स जी उठे और उन्होंने मुझे अपनी बाहों में उठा लिए और वाशरूम में बाथटब में ले गए। ये तो खुद बाथटब में लेट गए और फिर मुझे अपने लन्ड बिठा लिया, इसके साथ ही मेरे अंदर एलेक्स जी का लन्ड एक बार फिर से समा गया और अगले आधे घण्टे के हार्डकोर बाथटब सेक्स के बाद एक ही टाइम हम दोनो को एक्सआईटमेंट आ गया। एक ओर मेरी गांड में फिर से एलेक्स जी का स्पर्म भर गया था तो दूसरी ओर मेरे लंड से भी स्पेर्म्स का डिस्चार्ज मेरा पूरा जिस्म थरथराने लगा, आंखें जलने लगी और उसे बहुत ही ज्यादा कमज़ोरी फील होने लगी। लेकिन इस कमज़ोरी के एहसास ने मुझे अंदर से बहुत खुश कर दिया था। फिर मैं एलेक्स जी की बाहों में कब निढाल हो गयी इसका पता भी नहीं चला। मेरी नींद अगली सुबह खुली। आज ससुराल में मेरा पहला दिन था और मैं इस दिन को बहुत ही खास बना देना चाहती थी। मैंने इनसे रिक्वेस्ट किया कि वो मुझे जाने दे, लेकिन आंख खुलते ही इनकी नज़र मेरी कमर पर पड़ी और इन्होने मेरे साथ रोमांस करना शुरू कर दिया। मैंने इनसे कहा कि आज ससुराल में मेरा पहला दिन है और घर में सभी मेरे जल्दी जागने का इंतज़ार कर रहे होंगे। लेकिन ये है की मानते ही नहीं, इन्होने मेरे साथ जबरदस्ती एक राउंड हार्डकोर सेक्स कर लिए और मैं फिर से निढाल हो गयी। अब तो मेरे जिस्म की बची खुची ताकत भी ख़त्म हो चुकी थी, आँखों के आगे फिर से अँधेरा छाने लगा और मैं दुबारा से गहरी नींद में समा गयी। इन्होने मुझे अपनी बाहों में ले लिए और लगे रहे जबतक इनका मन नहीं भरा। अब मैं समीर नहीं रह गया था। अब मैं सही मायनों में मिसेज़ रिया डिसूज़ा बन चुकी थी, एलेक्स डिसूज़ा की पत्नी।

शादी के दूसरे दिन ही मुझे और एलेक्स को हिमाचल के मनाली नाम के शहर में ले जाया गया। बहुत ही खूबसूरत था शिमला और मनाली तो उससे भी सुन्दर था। लेकिन वहां जाने के बाद मेरी लाइफ पहले जैसी नहीं रह गयी थी। हमारी हनीमून की टिकट्स कैंसिल हो गयीं। फिर एलेक्स को मुंबई जाना पड़ा वो भी मेरे बिना। फिर मेरी सास ने मेरे ऊपर कुछ रिस्ट्रिक्शन्स लगा दी थीं कि मैं न्यूज़ पेपर नहीं पढ़ सकती, मैगजीन नहीं पढ़ सकती, मोबाइल फ़ोन का इस्तेमाल नहीं कर सकती, टीवी नहीं देख सकती, इंटरनेट सर्फिंग नहीं कर सकती, फेसबुक और इंस्टाग्राम भी यूज़ नहीं कर सकती, बिना पूछे कोई काम नहीं कर सकती, हमेशा घूँघट किये रखना होता, नाक की नथिया उतारने का हक़ सिर्फ मेरे पति को था, दिन भर घर के काम काज के बाद जब थोड़ी फुर्सत मिलती तब मैं अपने बिस्तर में चुपचाप लेटी रहती। कभी कभी मैं बहुत रोती, सोचती कि मैंने एलेक्स से शादी ही क्यों की। एलेक्स से रोज़ रात में बात होती लेकिन वो भी तब जब मेरी सास मुझे बात करने के लिए मेरा फ़ोन देतीं। अगर एलेक्स कॉल ना करे तो मेरी उनसे बात भी नहीं होती।

सुहागरात के बाद सिर्फ एक रात हमारे बीच सेक्स हुआ और उसके बाद एक भी दिन हमारे बीच सेक्स नहीं हुआ और वो भी माँ जी से भी कुछ नहीं कहते। मेरी पूरी जिंदगी पिंजरे में कैद एक पक्षी के जैसी हो गयी थी। तीज करवाचौथ के व्रत रखने के बावजूद मेरे साथ मेरे पति नहीं थे, तो उस दिन मुझे बहुत गुस्सा आया और मैं बहुत रोई। अब मैंने सोच लिया था कि इसबार जब एलेक्स जी घर आएंगे तो मैं भी उनके साथ मुंबई चली जाउंगी। कुछ दिनों के बाद मुझे सुनने को मिला कि मेरे एलेक्स जी घर आ रहे हैं तो मैं बहुत खुश हो गयी। अब मैं दिन गिनने लगी कि कब मेरे पति परमेश्वर आएं और मुझे अपने साथ ले जाएँ। एक हफ्ते बाद एलेक्स जी घर आ गए, उस दिन मैं बहुत खुश थी, उनको देखते ही मैंने उनके चरणों को छूकर उनसे आशीर्वाद ली और कमरे में ले गयी। उस रात एलेक्स जी ने मुझे बिस्तर में तहस नहस कर दिया और मैं यही तो चाहती थी। इट वज ऐन एक्सट्रीम हार्डकोर सेशन, उसके बाद डिक डॉकिंग सेशन और फिर वो मदहोशी जिसे पाने के लिए मैं इतने महीनों से इतनी बेताब हुई जा रही थी।

मैंने इनसे कहा, "मुझे भी आपके साथ मुंबई जाना है जी!"

ये बोले, "इस बार मैं तुम्हे अपने साथ ही तो ले जाने आया हूँ मेरी जान! अच्छा ये बताओ इस घर में एक साल रहने के बाद कैसा लगा।"

मैं बोली, "बहुत अच्छा, माँ जी बहुत अच्छी हैं। मैं उनकी सेवा करती हूँ तो वो बहुत खुश रहती हैं, दिन भर मुझे गहनों में लदी रहना होता है, ऊपर से घूँघट में रहती हूँ तो माँ जी कहती हैं कि मैं बहुत ही संस्कारी हूँ। ऐसी लाइफ तो नसीब वाली बहुओं को नसीब होता है।"

ये बोले, "हम्म! माँ बहुत अच्छी है, वो हमेशा फ़ोन पर तुम्हारी तारीफ ही करती हैं और उन्होंने ही मुझे कॉल कर के यहाँ बुलाया है ताकि तुम मेरे साथ रह सको।"

मैंने कहा, "माँ जी ने कहा!"

ये बोले, "हाँ मेरी रानी, माँ बोली! वो तुमसे बहुत प्यार करती हैं और तुम्हारी सहनशक्ति की परीक्षा ले रही थीं। तुम अपने पति के कितना सेह सकती हो, ये जानना चाहती थीं तभी तो उन्होंने एक साल के लिए तुम्हे अपने पास रोक लिया था। अब माँ को लगता है कि उनकी बहु की सहनशक्ति बहुत ज्यादा है, इसीलिए वो तुम्हे ले जाने के लिए मुझे बुलवाई हैं।"

मैं बोली, "माँ कितनी अच्छी है ना!"

ये बोले, "हम्म! माँ बच्चों के लिए पूछ रही थी!"

मैं बोली, "हाय राम जी! ये आप कैसी बातें कर रहे हैं?"

ये बोले, "मजाक नहीं रिया रानी, सेरियस्ली माँ को अपने पोते पोतियों को देखना है।"

मैं बोली, "मैं कैसे बच्चों को जन्म दे सकती हूँ?"

ये बोले, "मैंने बात की है एक हॉस्पिटल में,वहां बहुत ही लेटेस्ट टेक्नोलॉजी वाले इक्विपमेंट्स है और सुना है कि वहां से जिस लड़के ने भी अपना सेक्स चेंज करवाया है, वो माँ बनने में भी सक्षम है।"

इनकी बातें सुनकर मैं शर्म से लाल होने लगी और इनके सीने में खुद को समा ली।

ये बोले, "तो मैं तुम्हारे लिए बात कर लूँ मेरी रानी!"

मैंने कहा, "अब आप मेरे पति परमेश्वर हैं, आप जो कहेंगे मैं करुँगी!   

फिर एलेक्स जी ने मेरे साथ रोमांस करना शुरू कर दिया, लेकिन मैंने सेक्स के लिए इन्हे रोका कि अब हम मुम्बई में ही सेक्स करेंगे और हसने लगी। कुछ ही दिनों के बाद एलेक्स जी मुझे फिर से मुंबई ले आये और उस दिन हमारे घर में हमदोनो अकेले थे। ट्रैवेलिंग से मैं बहुत थक गयी थी लेकिन ये नहीं थके थे। उस रात ये मेरे लिए कजरा लेकर आये और मेरे बालों में पहनाने लगे। उस वक़्त मैं किचन में थी, इनके लिए खाना पका रही थी। ये इतने रोमांटिक हो रहे थे कि मेरा एक रोटी जल गया। फिर मैंने इनसे कहा कि अगर ऐसे ही रोमांस करते रहे थे पूरा खाना ही जल जायेगा। फिर ये मुस्कुराये, मेरे होंठों को चुम लिए और कमरे में चले गए। ये मुझे एक्साइटेड करके खुद तो मुझसे दूर हो गए लेकिन मेरी बेचैनी बढ़ा गए। खाना पकाने के बाद मैं इनके पास गयी ये पूछने के लिए खाना पड़ोस दूँ। लेकिन इन्होने तो मुझे अपनी बाहों में उठा लिए और बिस्तर पर लिटाकर दो राउंड हार्डकोर सेक्स किये। इस दौरान ये बहुत ही ज्यादा रफ़ हो रहे थे मेरे साथ जो मुझे बिलकुल पसंद नहीं था, लेकिन इनकी ख़ुशी के लिए सब कुबूल था मुझे। दो राउंड हार्डकोर सेक्स के बाद ये कहते हैं कि इनको भूख लगी है और मैं बिस्तर से उतरी अपनी साड़ी ठीक की और घूँघट करके किचन में चली गयी। फिर डाइनिंग टेबल पर मैंने इनके लिए खाना पड़ोस और इन्होने हमेशा की तरह पहला निवाला मुझे खिला दिए। और उसके बाद खुद खाना खाने लगे, इनका प्यार करने का तरीका बहुत ही अलग है और मुझे बहुत पसंद है। दो दिन बाद ये मुझे हॉस्पिटल ले गए और सेक्स चेंज सर्जरी के मुझे वहीँ एडमिट कर दिए। मुझे बहुत डर लगा रहा तो इन्होने मेरे माथे को चूमा और मेरा सारा डर छूमंतर हो गया। अपने पति परमेशवर की ख़ुशी के लिए मैं कुछ भी कर सकती थी। हॉस्पिटल में एडमिट होने के साथ ही एलेक्स जी ने वहाँ का पूरा पेमेंट भी कर दिए, लेकिन उन्हें रुकने की इज़ाज़त नहीं थी। डॉक्टर ने उन्हें कहा कि अब वे तभी यहाँ आएंगे जब मैं पूरी तरह से औरत बन चुकी होउंगी। ये क्या लिखा था भगवन ने हमारे नसीब में, दो दिन साथ रहते फिर जुदाई का दर्द झेलना पड़ता। पहले दो महीनों तक मुझे सिर्फ फीमेल होर्मोनेस के मेडिसिन्स, मेल ब्लॉकर्स के इंजेक्शंस और ताकत के लिए पानी पर रखा गया। इन दो महीनों में मैंने गौर किया कि मेरी अर्धविकसित ब्रेस्ट्स का ग्रोथ काफी तेज़ी से हो रहा था, मेरे सर के बाल भी बहुत तेज़ी से बढ़ने लगे थे और शरीर मेरा नाज़ुक होने लगा था। दो महीने बाद डॉक्टर्स ने मेरे शरीर से मेरे छोटे से लंड को जो मेरे शरीर में मेरी मर्दानगी की एकलौती निशानी थी, उसे काट कर हटा दिया और उसकी जगह वजाइना का डेवलपमेंट शुरू हो गया। पहले तीन दिन तो मुझे होश भी नहीं था कि मेरे साथ हुआ क्या। चौथे दिन जब मुझे होश आया तो मैंने अपने प्राइवेट पार्ट को छू कर देखी और इमोशनल होकर रोने लगी। फिर मैंने खुद को संभाल लिया और डॉक्टर रेगुलर मेरा चेकअप करने आते। पहले एक हफ्ते तो चलने में भी इतनी तकलीफ हुई, अब मेरे दोनों पैरों के बीच अब कुछ भी नहीं था। लेकिन एक महीने के अंदर मेरे घाव भरने लगे और टांका सूखने लगा और फिर एक और सर्जरी हुई जिसमे मुझे जरा भी दर्द नहीं हुआ। इट वज लाइक दैट कि मेरी जहाँ कभी मेरा लंड था, आज वहां कुछ भी नहीं था। लेकिन मेरी उस जगह को नेचुरल लुक देने के लिए एक सिलिकॉन की परत को मेरी वजाइना पर चढ़ा दिया गया और कुछ ही दिनों में मेरी वजाइना बिलकुल नेचुरल दिखने लगी थी। डॉक्टर ने मुझे बताया कि अब मेरी वजाइना में वो सिलिकॉन की लेयर अब्सॉर्ब हो चुकी है और तीन महीनों में ये मेरे वजाइना को और भी बहुत सुन्दर बना देगा। मैं शर्मा गयी। कुछ दिनों के बाद मेरी ब्रैस्ट ऑगमेंटशन सर्जरी की गयी, हालाँकि मेरे ब्रेस्ट्स का ग्रोथ तो काफी तेज़ी से हो रहा था लेकिन उसमे टाइटनेस कतई नहीं थी तो ब्रेस्ट ऑगमेंटशन सर्जरी के बाद मेरे ब्रेस्ट्स में टाइटनेस आ गयी और अब मुझे अपने ब्रेस्ट्स का रियल भारीपन और शेप समझ आ रहा था। अब कुछ ऐसा हो गया था कि मुझे अपने ब्रेस्ट्स से नीचे का कुछ देखने के लिए काफी झुकाना पड़ता था खुद को। इन दो सर्जरी के बाद मेरे गले की सर्जरी की गयी जिसके बाद कुछ दिनों की ट्रेनिंग और मेरी आवाज़ कोयल की कुक से भी मीठी हो गयी थी। मैं बहुत खुश थी अपने ट्रांस्फ़ॉर्मेशन्स को लेकर। उसके बाद मुझे हर रोज़ रात को सोने के लिए एक छोटे से चैम्बर में लिटा दिया जाता और वो ख़ास वाइब्रेटिंग चैम्बर था जिससे मेरे शरीर का शेप धीरे धीरे काफी आकर्षक होने लगा था। इधर मेरे शरीर में फीमेल  इंटरनल ऑर्गन्स का डेवलपमेंट भी पूरा हो चूका था। अब धीरे धीरे मेरे इंटरनल ऑर्गन्स मेरे शरीर से अटैच होने लगे थे। उस दिन मैं लेटी हुई थी कि अचानक मुझे गीलापन सा महसूस हुआ। मैं उठी और देखा कि बिस्तर पर बहुत ब्लड है और मैं बहुत डर गयी और रोने लगी। तभी वहां नर्स आई और मुझे देखकर हंसने लगी।

नर्स बोली, "रिया मैडम, आप समझ रही हो, इसे पीरियड्स कहते हैं और इसका मतलब है कि अब आप पूरी तरह से स्त्री बन चुकी हैं और अब आप माँ बनने में भी सक्षम हैं।"

नर्स की बातें सुनकर थोड़ा रिलीफ तो मिला, लेकिन बहुत शर्मिंदगी हुई मुझे। आई डोंट नो कि मेरी नेक्स्ट चार दिनों में मैंने नर्क सा दर्द क्यों झेला, लेकिन नर्स ने बताया कि अब तो ये पीरियड्स हर महीने इसी तारीख के आगे पीछे आएंगे। मैं एक बार फिर बहुत ऐम्बर्रास्ड हुई और नज़रें झुकाकर बैठी रही। बदन दर्द, कमर दर्द और मूड स्विंग्स इन चार दिनों में मेरी हालत खराब कर रखी थी। लेकिन पांचवे दिन से सब पहले जैसा हो गया। नर्स ने मुझे समझाया कि पीरियड्स के दौरान पैड्स पहनते हैं, ताकि ऐम्बर्रास्ड फील ना कर सको और इट्स सेफ। नर्स ने मुझे ये भी बताई कि पीरियड्स के दौरान अपने पति से दूर ही रहूं ताकि किसी तरह के होने वाले इन्फेक्शन्स से मैं भी बच सकूँ और मेरे पति भी। ये सब कितना ह्युमिलिएटिंग था, लेकिन अब मैं सही मायनों में एक स्त्री बन चुकी थी जो माँ भी बन सकती थी और मैं बहुत खुश थी। एक हफ्ते बाद मेरा चेकअप किया गया और मुझे एक सम्पूर्ण स्त्री के तौर पर मेरे पति परमेश्वर के सामने प्रस्तुत किया गया। मेरे पति मेरे ट्रांस्फ़ॉर्मेशन्स से बहुत खुश थे और मेरी आवाज़ सुनकर उनकी जो मुस्कान देखने को मिली, उसके लिए तो मैं जान भी दे दूँ। डॉक्टर ने मेरे पतिदेव को समझाया कि अभी नेक्स्ट दो महीने, नो सेक्स! मेरे पतिदेव मुझे देखकर मुस्कुराये और मैं फिर से शर्माने लगी और नज़रें झुका ली। फिर डॉक्टर ने मुझे भी समझाए कि जो योग पोसिशन्स मुझे बताये गए हैं उन्हें नियमित रूप से बिना किसी गैप के हर रोज़ करती रहूं और मैंने भी हाँ में अपना सर हिला दी। फिर मेरे पतिदेव ने डॉक्टर से पूछ लिया कि सेक्स नहीं कर सकते लेकिन रोमांस करने में तो कोई हर्ज़ नहीं। फिर डॉक्टर साब जोर से हँसे और मुझे बहुत ह्युमिलिएशन का सामना करना पड़ा। इन्हे जरा भी चैन नहीं है, किसी के सामने भी कुछ भी पूछ लेते हैं। फिर डॉक्टर साब ने मुझे समझाते हुए बोले कि अगर मैं दो महीने बाद गर्भवती हो गयी तो हॉस्पिटल आकर जरूर मिल लूँ उनसे। एक बार फिर से मुझे बहुत ह्युमिलिएशन हो रहा था और नज़रें झुका कर मैं उनसे हाँ बोली।  फिर डॉक्टर ने एलेक्स से मेरे डिस्चार्ज के पेपर्स पर साइन करवाए और फिर मुझे हॉस्पिटल से रिलीज़ कर दिया। इनके साथ जब मैं हॉस्पिटल की सीढ़ियां उतर रही थी  तब मुझे अपने सीने के भारीपन ने बहुत ऐम्बर्रेस किया। बार बार मेरी ब्लाउज से मेरे ब्रेस्ट्स का ऊपर नीचे होना मुझे और भी शाय फील होने को मजबूर किये जा रही थी। जब मैं एलेक्स के साथ अपने घर आ गयी तब मैंने हमारे कमरे को देखा, पिंक कलर की दीवारें, गुलाब की पंखुड़ियों से सजी पिंक बेडशीट और बहुत ही खूबसूरती से सजाया हुआ मेरा कमरा, देखकर मैं बहुत इमोशनल हो गयी और इनसे लिपटकर रोने लगी।

फिर जब इनके मनाने से मैं चुप हुई तब मैंने इनसे पूछा, "आप खुश तो हैं ना जी?"

ये बोले, "मैं बहुत खुश हूँ रिया रानी!"

ये जब जब मेरा नाम लेते तो उसके आगे रानी लगा देते और मुझे बहुत शर्म आने लगता। घर आकर लगा कि शरीर से तो मैं अब सम्पूर्ण औरत तो बन चुकी थी, लेकिन अभी भी जो अधूरापन था मेरी लाइफ में, उसे अब मेरे पतिदेव ही पूरा कर सकते हैं। अपने पति के साथ इन दो महीनों में खूब रोमांस की मैं! मैं इतनी कोमल हो गयी थी कि इनके लव बाईट्स से मेरा जिस्म पर अक्सर दाग हो जाते। ये कभी मेरे होंठ को काट लेते तो कभी मेरे ब्रेस्ट्स को चूस चूस कर मुझे एक्साइटेड करने लगते। मैं इनसे कहती भी कि अगर सेक्स नहीं करना है तो इतना भी रोमांस ना करा करो कि खुद को संभालना मुश्किल पड़े। दो महीने का लम्बा अरसा कैसे काटा मैंने ये तो मैं ही जानती हूँ। जिस दिन डॉक्टर के बताये हमारे दो महीने पुरे हुए, उस दिन से  मेरे पीरियड्स शुरू हो गए। बहुत गुस्सा आया उस दिन तो लेकिन अगले पांच दिनों के असहनीय कमरदर्द, बॉडी पैन, मूड स्विंग्स और बेचैनी ने मुझे परेशान कर रखा था। मेरे पीरियड्स ख़त्म हुए तो मैं अच्छे से नहायी, बाल धोयी, नहाने के बाद जब कमरे में आयी तो गणपति की पूजा अर्चना की और फिर किचन में जाकर खाना पकाने लगी। इतने में ये किचन में आ गए और मुझे पीछे से हग करके मेरे साथ रोमांटिक होने लगे।

ये बोले, "चलो जी मेरी मिसेज़ जी! अब तो हम एक हो सकते हैं!"

मैं बोली, "छी! जाइये यहाँ से, सुबह सुबह आ गए परेशान करने।"

ये बोले, "हाहाहा, तो किसे परेशां करूँ मिसेज़ रिया रानी?"

मैं बोली, "ये सब रात को!"

ये बोले, "किस ग्रंथ में लिखा है?"

मैं बोली, "खाना बनाने दीजिये ना! खाना जल गया तो!"

ये बोले, "हम बाहर से मंगवा लेंगे!"

मैं बोली, "ठीक है, जाइये पहले नाहा कर आइये, फिर!" और मैं कहते कहते शर्माने लगी।

थोड़ी देर में मैं खाना पका चुकी थी तब ये स्नान करके बाहर आये और कमर में टॉवल लपेटे हुए मेरे सामने आकर खड़े हो गए।

मैं बोली, "पहले हमारे गणपति की पूजा कर के आओ, फिर!"

आज मेरी रियल सुहागरात थी वो भी दिन में ही। मैं बहुत उत्तेजित हुई जा रही थी तो मैं दुल्हन की तरह सजधज कर इनका इंतज़ार करना शुरू कर दिया। ये भी मेरे गणपति की, जिनकी वजह से आज मैं उस जिंदगी को जी पा रही हूँ जो मेरे बचपन का सपना था। ये पूजा कर के सीधे कमरे में आ गए तो मैं शर्माते हुए झट से घूँघट कर ली। ये बिस्तर पर आ गए, इन्होने मेरे घूँघट को हटा दिए और मेरे होंठों को अपने होंठों से चूसने लगे, फ्रेंच किस करने लगे, कभी मेरे नीचे वाले होंठ चूसते तो कभी मेरे ऊपर वाले होंठों को इतने पैशनेट तरीके से चूसते कि मेरी धड़कनें बढ़ा देते। अब मैं बहुत उत्तेजित होने लगी थी, दिस इज माय फेट, एंड आई वज रेडी फॉर दिस! मैं एलेक्स जी की दुल्हन हूँ और आज इनका पूरा हक़ है मेरे साथ सुहागरात मनाने का। मैं चाह कर भी इन्हे नहीं रोक सकती थी और मैं ये चाहती भी नहीं थी कि ये रुकें आज। फिर थोड़ी ही देर में मैं इनकी बाहों में थी और ये मेरे अंग अंग को चूमे जा रहे थे। काफी देर तक मेरे साथ रोमांस करने के बाद इन्होने मुझे बिस्तर पर लिटा दिया और मेरे ऊपर चढ़ गए। मैं तो दब ही गयी, ये तो पूरी तरह से न्यूड हो गए और इनका मोटा काला लंड देखकर तो मेरा होश ही उड़ गया। इतना बड़ा और मोटा काला लंड, ओह माय गॉड, क्या होगा मेरा, मैंने अपनी आँखें बंद कर ली तो ये मुझे आँखें खोलने को बोले। फिर इन्होने मेरी ब्लाउज की डोरी खोल दी और उसे मेरे बदन से अलग कर दिए। अब मैं ब्रा पहनी हुई थी और देखते ही देखते मेरे बदन से मेरी साटन साड़ी और जेवर भी अलग हो चुके थे। मेरे नाक की नथिया और कानों के झुमकी छोड़कर अब मैं पूरी तरह न्यूड एक मर्द के बिस्तर की रानी बन चुकी थी। ये मेरे पास आये, मेरे नथिया को एक तरफ उठा दिए और मेरे होंठों पर अपना होंठ रखकर फिर से स्मूच करने लगे। शर्मिंदगी का रियल अनुभव यही था, लेकिन मैं क्या करती, ये मेरे पति परमेश्वर हैं अब। इनका हर कहा मानना, मेरा धर्म बन गया था और फिर इन्होने अचानक से मेरे हथेली को अपने लंड पर रखकर उसे शेक करने के लिए बोले। ओह्ह गॉड, एलेक्स जी का लंड इतना मोटा और हैवी था, रियल मर्दानगी क्या होती है, आज पता चल रहा था मुझे। फिर मैं अपने पतिदेव के लंड को अपने हाथ से शेक करने लगी, ठीक वैसे ही जैसे पोर्न फिल्मों में होता है और देखते ही देखते इनका लंड और भी ज्यादा टाइट और लम्बा हो गया। मैं उठकर बैठ गयी और अर्जुन जी के लंड को अपने हाथ से शेक करने लगी, मेरे कलाइयों के चूड़े कंगन आवाज़ करने लगे और अब इनका लंड भी बिलकुल मेरे चेहरे के सामने था। इन्होने मुझसे कहा कि मैं इनके लंड को अपने मुँह में ले लूँ, लेकिन ऐसा करने का मेरा बिलकुल भी मन नहीं था।

मैं बोली, "सुनिए ना, ये रहने दीजिये आज! आपका बहुत बड़ा है, प्लीज् ये मुझसे नहीं हो पायेगा।"

ये बोले, "कम ऑन रानी, मजा आएगा!"

मैं तो जानती ही थी कि कितना मजा आएगा इन्हे और कितनी शर्मिंदगी होगी मुझे।  फिर हिम्मत करके मैंने इनके लंड को अपने हाथ में लिया और उसके टिप पर किस करने लगी।

"ओह्ह, ये कैसा स्मेल था!" मैं शब्दों में बयां नहीं कर सकती कि मेरे पतिदेव के लंड का स्मेल कैसा था, लेकिन मज़बूरी थी मेरी, मैंने बिना कुछ कहे इनके लंड को अपने मुँह में ले ली और इन्हे ब्लोजॉब का मजा देने लगी। ये मैं क्या कर रही थी, ब्लू फिल्म्स देखते वक़्त मैं हमेशा सोचती थी कि जब मेरी शादी होगी तो मेरी पत्नी से ये सब करवाउंगी, लेकिन कभी मीना इन सब के लिए राज़ी नहीं हुई लेकिन अब सेक्स चेंज ऑपरेशन करवा कर खुद औरत बनने के बाद और इनकी दुल्हन बनने के बाद आज सुहागरात की सेज पर मैं खुद अपने पतिदेव को ब्लो जॉब दे रही थी। एलेक्स जी आँखें बंद करके ब्लोजॉब का मजा ले रहे थे और अचानक से उन्होंने मेरे बाल पकड़ लिए और मेरे मुँह को चोदना शुरू कर दिए। डीप थ्रोट और माउथ फकिंग के टाइम एक बार तो ऐसा लगा कि मेरी सांस ही रुक जाएगी, लेकिन तभी एलेक्स जी ने अपना लंड मेरे मुँह से बाहर निकाल लिए। बहुत राहत मिली मुझे, लेकिन अर्जुन जी बिस्तर से उतर गए और मुझे अपनी बाहों में उठा लिए और अचानक से वजाइना में अपना लंड सटाकर रगड़ने लगे। आई वज लाइक इतनी उत्तेजना कहाँ से आ गयी मेरे अंदर, कि मैं इन्हे अंदर घुसाने को कहने लगी। फिर इन्होने भी देर किये बगैर अपना लंड मेरी वजाइना में घुसा दिए। चारसौचालिस वाल्ट का करंट दौड़ गया मेरे तन बदन में, दर्द ऐसा लगा किसी ने मुझे बीच से चिर दिया हो और जब इन्होने अपना लंड बाहर निकाला तो मैंने देखा कि उसपर ब्लड के छींटे थे।

खून देखकर मैं तो घबराने ही लगी थी लेकिन इन्होने मुझे समझाया कि इसे डेफ़लोरशन कहते हैं और मैं अब अपनी वर्जिनिटी खो चुकी हूँ। अभी भी इनका लंड मेरी वजाइना में था और इतना बड़ा था कि पूरा जा भी नहीं रहा था। फिर ये शुरू हुए, गांड में लंड लेना अलग बात थी, लेकिन वजाइना में लंड के जाने भर से ही मेरी उत्तेजना चरम पर थी। इन्होने देर किये बगैर मेरी चुदाई शुरू की और मैंने चिल्लाना शुरू किया। ये दर्द गांड में लंड लेने के दर्द से कहीं ज्यादा थी और जैसे जैसे ये मेरी चुदाई कर रहे थे, मैं अपना होश खोने लगी। आधे घंटे लगातार हार्डकोर सेशन के बाद अब मेरी उत्तेजना इतनी बढ़ चुकी थी कि अब मैं हार मान गयी और हमदोनो को एक साथ ओर्गास्म हुआ। मैं थरथराते हुए बेहोश हो गयी तो शाम में मेरी नींद खुली। मैं अभी भी इनकी बाहों में थी लेकिन आज मैं तृप्त हो चुकी थी। मेरी जिंदगी का अधूरापन ख़त्म हो चूका था और मैं एक नए एनर्जी को फील कर पा रही थी। जब ये नींद से जागे तो मेरे साथ खूब रोमांस करने लगे, मैं तो ऐसे ही इतनी खुश थी आज और इनके रोमांटिक होने भर से मुझे बहुत अच्छा लगने लगा। अब हमारे बीच रोज़ तीन चार राउंड हार्डकोर सेक्स जरूर होता, दर्द तो इतना कि मैं रो पड़ती लेकिन जब हमें एक साथ ओर्गास्म होता, तब ऐसा लगता कि इनके रूह में मेरी रूह को अपने आप मेर समेट लिया हो। अगले ही महीने मैं गर्भवती हो गयी और ये बहुत खुश हो गए। गर्भावस्था से दौरान मैं इनके साथ हॉस्पिटल गयी और डॉक्टर से मिले तो उन्होंने प्रीकॉशन्स बताये और उन्ही की देखरेख में मेरी दवाइयां चलने लगी। जब मेरी माँ ने ये बात मेरी सास को बतायीं तो वो भी बहुत खुश हो गयीं। गर्भावस्था के सातवें महीने में मैंने मेरी माँ को अपने पास बुला ली और वो मेरा बहुत ध्यान रखने लगीं थी। नौवे महीने के ख़त्म हुए पांच दिन हो चुके थे और अचानक एक दिन मुझे दर्द होने लगा। ऐसा लगा कि किसी ने मुझे निचोड़ दिया हो, मेरे शरीर की एक एक हड्डी में दर्द होने लगा था। लगभग आठ घंटे के लेबर पैन के बाद मैंने इनके पहले बच्चे को जन्म दिया और बेहोश हो गयी। पंद्रह मिनट्स के बाद नर्स मेरे बच्चे को मेरे पास ले आयी और मेरे बगल में रखकर अपना दूध पिलाने को बोली। बहुत शर्म आ रहा था तो मैंने अपने बच्चे को गोद में लेकर अपना दूध पिलाने की कोशिश करने लगी। जैसे ही मेरे बच्चे ने मेरे निप्पल्स को अपने मुँह में लिया और चूसने लगा तो मुझे एहसास हुआ कि मेरे सीने से दूध निकल रहा है। आँखों में आंसू लिए मैं अपने बच्चे को दूध पिलाती रही और जब मेरा बच्चा सो गया तो मैंने अपने बच्चे को माँ को संभालने को देकर फिर से सो गयी। अब मैं एलेक्स जी के बच्चे की माँ बन चुकी थी और मेरे बच्चे को एलेक्स ने अपनी गोद में लेकर खूब दुलार किया और यह देखकर मैं बहुत इमोशनल हो गयी। मेरी माँ को तो यकीन ही नहीं हो रहा था कि मैंने एक बच्चे को जन्म कैसे दे दिया लेकिन उन्होंने मेरी और मेरे बच्चे की परवरिश में अहम् भूमिका निभाई। आज मेरी शादी को पांच साल बीत चुके हैं और हमारा मुन्ना अब तीन साल का हो चूका है और मेरे पतिदेव के आँखों का तारा बन चूका है। कभी कभी मेरी सास घर आकर रहती तो कभी कभी मेरी माँ घर आ कर रहती। एलेक्स जी हम सबका बहुत ख्याल रखते और अब मैंने फिर से जिम ज्वाइन कर लिया है। लेकिन अब मैं लेडीज़ सेक्शन में एक्सरसाइज करती हूँ और एलेक्स जी गेट्स सेक्शन में। अपना फिगर मेन्टेन करने के लिए मैं नियमित रूप से योग जरूर करती हूँ। मैं अब पहले से थोड़ी चब्बी दिखने लगी हूँ लेकिन ये मेरे इस रूप से भी बहुत खुश रहते हैं। यही मेरी कहानी है और मैं अब अपने स्त्री जीवन में बहुत खुश रहती हूँ।   

 

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