हिमाचल की बड़ी ही खूबसूरत शाम थी वो, जब मैं हर रोज़ की तरह झांकी में परफॉर्म करने के लिए रेडी हो रहा था। मैं नही जानता था कि वो शाम मेरी परफॉरमेंस की आखिरी शाम साबित होगी। मेरे डायरेक्टर के एक कॉल ने मेरी जिंदगी ऐसी दोराहे पर लाकर खड़ी कर दी, जहां से एक नया सफर शुरू हुआ और तब मैम अपनी लाइफ का वो फैसला लिया जिसे लेना मेरे लिए आसान नही था।
मेरा नाम शानू है, उम्र 19 साल और कद काठी से काफी स्लिम और छोटी हाइट का होने के कारण झांकी के डायरेक्टर सिद्धान्त कुमार; हमेशा मुझसे फीमेल रोल्स ही करवाते। मुझे फीमेल रोल्स करने में कोई आपत्ति नही क्योंकि इसी से मेरा घर चलता है और सबसे ज्यादा पैसे भी मुझे ही मिलते हैं। मेरी बूढी माँ और छोटी बहन के सिवा मेरी लाइफ में कुछ भी नही था, ना अपना घर, ना ही कोई जमीन और ना ही कोई सेविंग्स। बहन की शादी समय से हो, इसीलिए मैं सेविंग्स करना शुरू कर दिया, मैं अपनी लाइफ में बड़ा ही खुश था, लेकिन एक दिन कुछ ऐसा हुआ कि मेरी खुशी को ग्रहण लग गया। वैसे तो झांकी परफॉरमेंस के दौरान अक्सर जवान लड़े और बूढ़े मर्द मुझमे इंतेरेस्ट दिखाते, मुझसे मेरा नंबर मांगते और मैं भी किसी किसी को अपना नंबर देता और मेरी गर्लफ्रैंड उनसे शानू बनकर मजे लेती। मैं अक्सर नेहा को समझाता कि ऐसे मेरे दर्शकों से मजे ना लिया करे लेकिन उसे बड़ा मजा आता।
इसी दौरान मेरी मुलाकात सोहन से फेसबुक पर हुई, जैसे मेरी प्रोफाइल पर नेहा अपनी आइडेंटिटी छिपा कर सबसे मजे लेती, उसने भी नेहा से अपनी आइडेंटिटी छुपाई और उसने नेहा के साथ काफी दिनों तक उसने फ़्लर्ट किया। जब मैंने अपनी फेसबुक प्रोफाइल से सोहन की चैट पढ़ी, मुझे बहुत अजीब लगा। नेहा मेरी गर्लफ्रैंड थी और मेरे ही फेसबुक प्रोफाइल से सोहन के साथ रोमांटिक बातें कर रही थी। आई स्टिल डोंट नो, फ़्लर्ट करने में क्या मजा आता था सोहन को, लेकिन इन सब के बावजूद नेहा की सोहन से अच्छी दोस्ती हो गयी। नेहा और सोहन के चैट का मैं भी खूब इस्तेमाल करता और कभी कभी मेरे कहने पर सोहन मेरा मोबाइल रिचार्ज करवा देता, मेरी हर झांकी परफॉरमेंस के लिए हिमाचल के हर शहर में मुझसे पहले पहुंच जाता। मुझे नही लगता कि सोहन को पता भी था कि इतनी रोमांटिक बातें करने वाला मैं एक 19 साल का लड़का था और अब सोहन काफी एग्रेसिव होने लगा था। एक दिन फेसबुक चैट पर उसने मुझसे पर्सनली मिलने की जिद करने लगा तो मैंने उसे समझाया कि ये पॉसिबल नही है, लेकिन वो अपने जिद पर अड़ा रहा। ये बात मैंने नेहा को बताई तो नेहा फौरन रेडी हो गयी, लेकिन मैं रेडी नही था।
नेहा: सिर्फ एक बार ही तो मिलना है और वैसे भी सोहन तुम्हारा एक भी झांकी का शो मिस नही करता।
मैं: तुम्हारा दिमाग खराब है नेहा, मैं एक लड़का हूँ और सोहन भी। हम दोनों डेट पर कैसे जा सकते हैं, ये तुम मुझे कौन सी प्रॉब्लम में धकेल रही हो नेहा?
नेहा: अरे यार शानू, दो लड़के साथ बैठकर खा पी नही सकते।
फिर नेहा जिद करने लगी और मैंने सोचा कि सोहन से एक बार मिलकर उसे सच्चाई से रूबरू करवा देना ठीक होगा। मेरा अगला झांकी परफॉरमेंस शिमला में होना था तो मैंने सोहन को वही बस अड्डे के पास एक कॉफी शॉप में मिलने को बुला लिया। सोहन को बड़ी खुशी हुई, वो मुझसे मिलने को बड़ा ही बेताब था और मैने भी सोच लिया था कि सोहन से मैं वैसे ही मिलूंगा जैसा मैं हूँ, लड़के के रूप में। जब सोहन मुझसे मिलने आया तो सीधे उसी टेबल पर आकर बैठ गया जहां मैं टीशर्ट और जीन्स में बैठा था। ओह माय गॉड, ये तो छह फुट लंबा और काफी मस्कुलर है। देखने मे कितना स्मार्ट और डैशिंग है। मैं क्या सोचने बैठ गया सोहन को देखते ही, मैं खुद समझ नही पा रहा था।
सोहन: हाय क्यूटी पाई!
मैं: हाय सोहन!
मैं: सोहन तुमने मुझे कैसे पहचाना!
सोहन: इतनी खूबसूरत लड़की को तो मैं भीड़ में भी पहचान लूं!
मैं: मैं लड़की नही, लड़का हूँ सोहन!
सोहन: आई नो, लेकिन तुम चाहे जो भी कह लो, मेरे लिए तुम एक खूबसूरत लड़की हो शानू!
मैं: तुम्हे मेरा नाम कैसे पता सोहन, मैंने तो कभी नही बताया?
सोहन: तुम कोई आम इंसान नही हो शानू, मेरे दिल के करीब हो। और जो मेरे दिल के करीब रहते हैं, मैं उनकी पूरी जानकारी रखता हूँ।
मैं: ठीक है, अब जब मैं तुम्हारे सामने हूँ तो बोलो, क्या कहना चाहते थे!
सोहन: शानू, जब से तुम मेरी लाइफ में आई हो, मेरी रातों की नींद उड़ गई है। मैं तुम्हे अपना बनाना चाहता हूं, मुझसे शादी करोगी?
मैं: हाहाहाहा, दिमाग खराब हो गया है सोहन, मैं लड़की नही हूँ, लड़का हूँ। मेरी एक गर्लफ्रैंड भी है, मैं उसी से शादी करूंगा। और वैसे भी मैं गे नही हूँ सोहन, इस बारे में तुम सोच भी कैसे सकते हो!
सोहन: मैंने ये फैसला बहुत ही सोच समझ कर किया है। मेरा एक छोटा भाई है, रोहन! मुझे पता है शानू कि तुम्हारे कंधों पर तुम्हारे परिवार की जिम्मेदारी है। तुम मुझसे शादी कर लो, फिर मैं रोहन की शादी तुम्हारी बहन से करवा दूंगा और वो घर जमाई बनकर तुम्हारे घर ही रह लेगा।
मैं: मैं बहन की शादी तो करना चाहता हूँ सोहन और उसके लिए मैं पैसे भी इकट्ठे कर रहा हूँ।
सोहन: हाँ मैं जानता हूँ, लेकिन उतने पैसों से ना तो तुम्हारी बहन की शादी हो सकेगी और ना ही तुम अपने फ्यूचर की प्लानिंग ही कर सकोगे। मुझसे शादी कर लो, मैं जिंदगी भर तुम्हे खुश रखूंगा और रही बात तुम्हारी गर्लफ्रैंड की, मैं उससे भी शादी कर लूंगा। तुम और तुम्हारी गर्लफ्रैंड मेरी पत्नियों के रूप में मेरे घर को संभाल सकती हो, एक साथ रह सकती हो, चाहो तो लेस्बियन सेक्स भी कर सकती हो और मेरे पास बहुत पैसा है। मैं तुम दोनों को हमेशा खुश रखूंगा। लाइफ को ऐसे वेस्ट मत करो शानू, मुझसे शादी कर लो।
मैं: नही सोहन, मैं तुमसे शादी नही कर सकता क्योंकि मैं गे नही हूँ। आज के बाद हम कभी नही मिलेंगे, बाय!
सोहन वहीं बैठा रहा और मैं वहां से उठकर घर आ गया। एक मर्द मुझसे शादी करना चाहता है, मैं किसी मर्द की पत्नी बनकर लाइफ नही जी सकता। मेरी गर्लफ्रैंड इतनी खूबसूरत है, मैं उसे किसी और के साथ शेयर भी नही कर सकता। अभी मैं अपने घर पर बैठकर ये सब सोच ही रह था कि तभी डायरेक्टर का कॉल आया।
डायरेक्टर: हाऊ वाज़ योर डेट शानू!
मैं चौंक गया, डायरेक्टर को मेरे और सोहन के डेट के बारे में कैसे पता चला?
मैं: इट वाज़ गुड, लेकिन आपको इसके बारे में कैसे पता?
डायरेक्टर: सोहन और रोहन मेरे ही बेटे हैं।
मैं: व्हाट!
डायरेक्टर: सोहन तुम्हे बहुत प्यार करता है शानू, पहले तो मैंने उसे काफी रोका लेकिन जब उसने तुम्हारे साथ की फेसबुक चैट दिखाई तो मैंने फैसला किया कि सोहन से तुम्हे मिलने दूँ। तो क्या फैसला किया है तुमने? क्या तुम मेरे घर की बहू बनोगे! क्या मेरे बेटे सोहन की दुल्हन बनने को तैयार हो? अगर हाँ तो फ़ी शादी की डेट फिक्स करने मैं तुम्हारे घर आ जाता हूँ और अगर नही तो फिर तुम्हे मेरे झांकी के शोज़ भी करने की जरूरत नही है। मैं कोई और लड़का देखूंगा जो तुम्हारी तरह ही क्यूट हो!
मैं: आप इतने समझदार है सर, फिर भी आप मुझे अपने बेटे से शादी करने के लिए फ़ोर्स कैसे कर सकते हैं। झांकी से तो मेरा परिवार चलता है, अगर मैं ये नौकरी भी ना करूँ तो मैं बर्बाद हो जाऊंगा। मैंने मार्किट से दो लाख रुपये कर्ज़ लिए हैं, अपनी बहन की शादी के लिए। मैं लड़का हूँ सर, आपके बेटे से कैसे शादी कर लूँ!
डायरेक्टर: वो तुम सोचो कि तुम्हे क्या करना है और कल सुबह तक बता देना।
इससे पहले कि मैं डायरेक्टर से और रिक्वेस्ट करता, उसने फोन कॉल डिसकनेक्ट कर दिया। बहुत ही बड़ा धर्म संकट था मेरे लिए, एक ही दिन में मैं और मेरा पूरा परिवार सड़क पर आ जायेगा। क्या करूँ मैं कुछ समझ नही आ रहा था। शाम को जब मेरी गर्लफ्रैंड नीतू घर पर आई तो मुझे उदास देखकर मुझसे उदासी का कारण पूछने लगी। बहुत रिक्वेस्ट करने पर मैंने नीतू को अपनी आपबीती सुनाई। नीतू भी टेंशन में आ गई और उसे भी समझ नही आ रहा था कि वो करे तो क्या करे। नीतू ने मुझे समझाया कि मैं इस शादी के लिए हां कर दूं और वो भी सोहन से शादी करने के लिए रेडी है। नीतू साढ़े अट्ठारह साल की लड़की, जिसके मम्मी पापा और चार बड़े भाई थे। नीतू के पेरेंट्स को मैं बहुत पसंद था लेकिन अब सिचुएशन कुछ अलग होने वाला था। किसी तरह रात बीती, अगली सुबह मैंने डारेक्टर को कॉल किया और उसे बताया कि मैं और मेरी गर्लफ्रैंड नीतू, सोहन से शादी करने को तैयार है लेकिन पहले रोहन की शादी मेरी छोटी बहन नेहा से होगी। डायरेक्टर मेरे फैसले से बहुत खुश हो गया और थोड़ी ही देर बाद सोहन का वीडियो कॉल भी आ गया। उसने मुझे और मेरी गर्लफ्रैंड को एक साथ देखकर हमे काफी कॉम्प्लिमेंट दिया और अपनी एक्सआईटमेंट जाहिर की। रोहन और सोहन उसी दिन मेरे घर आये जहां नीतू के घरवाले भी मौजूद थे। नीतू के घरवालों को डायरेक्टर ने बताया कि वो चाहता है कि रोहन से नेहा की शादी और सोहन से मेरी और नीतू की शादी एक ही मंडप पर हो, जिसके लिए मेरी माँ टर्न ही मान गयी लेकिन नीतू के पेरेंट्स जिनके लिए मैं उनके दामाद से कतई कम नही था, वे इस बात से अनभिज्ञ थे।
नीतू के पापा: ये आप क्या कह रहे हैं, शानू को हम अपना दामाद मान चुके हैं। नीतू की शादी शानू के साथ होगी ना कि सोहन के साथ।
डायरेक्टर: समधी जी, आपने जिसे अपना दामाद मान लिया है वो हमारे घर की होने वाली बड़ी बहु है। आपकी बेटी भी हमारे घर की बहू बन जाएगी तो हमारा घर भरा पूरा हो जाएगा और आपकी बेटी शानू के साथ मेरे बेटे सोहन की दुल्हन बने और पत्नियों के रूप में जीवन भर साथ रहेगी।
नीतू के पापा: लेकिन इस तरह की शादी हमारे समाज के लिए अच्छा नही होगा। मैंने इस तरह की शादी के बारे में कभी नही सुना कि एक मर्द से दूसरा मर्द शादी कर ले।
डायरेक्टर: तब तो आप अठारवीं सदी में जी रहे हैं समधी जी। आज एकइसवी सदी में लड़के अगर चाहे तो लड़के से शादी कर लें और लड़कियाँ भी आपस मे शादी करने के लिए स्वतंत्र हैं। और वैसे आपको शानू किस एंगल से मर्द दिखता है, ये देखिए मेरे बेटे को, छह फुट हाइट, मस्कुलर बॉडी, मर्द ऐसे होते हैं। देखिए, शानू मेरे बेटे की दुल्हन बनने में बढ़ कभी झांकियों में काम नही करना पड़ेगा, शानू की बहन की शादी मेरे बेटे रोहन से होने के बाद, रोहन माता जी के पास घर जमाई बनकर रहेगा और इनकी सेवा करेगा। माता जी को दामाद के रूप में एक बेटा मिल जाएगा और हमे शानू के रूप में हमारे घर की बड़ी बहू, चूंकि नीतू की उम्र कम है शानू से इसीलिए नीतू हमारे घर की छोटी बहू बनकर रहेगी और मुझे यकीन है कि मेरा बेटे तीनो बहुओं को खुश रखेंगे।
नीतू के पापा: हम्म! ठीक है, अगर नीतू और शानू को ये शादी मंजूर है तो हमे भी मंजूर है लेकिन हमारी एक शर्त है।
डायरेक्टर: कैसी शर्त!
नीतू के पापा: नीतू भले ही उम्र में शानू से छोटी हो लेकिन घर के कामकाज के मामले में नीतू काफी होशियार है। मैं चाहता हूं कि आपके घर नीतू बड़ी बहू बनकर रहे और शानू छोटी बहू बनकर अपनी जजंदगी जिये।
डायरेक्टर: हमें मंजूर है।
नीतू के पापा: नीतू, क्या तुम सोहन की दुल्हन बनना चाहती हो!
नीतू: मुझे कोई ऐतराज़ नही है।
मेरी माँ ने भी मुझसे यही पूछा: शानू बेटे क्या तुम्हें ये शादी स्वीकार है?
मैं अचंभित था, आखिर नीतू इतनी आसानी से सोहन की दुल्हन बनने को रेडी हो गयी और अब मेरी बारी थी। मुझे जवाब देना था लेकिन एक मर्द से शादी, मुझे नही करनी। लेकिन मेरी बहन की लाइफ का सवाल था, समझ मे नही आ रहा था कि मैं करूँ तो क्या करूँ। बहुत सोचने के बाद भी कोई नतीजा नही निकल सका और मजबूरी वश मैने सोहन से शादी के लिए हाँ कर दिया। मेरी हाँ सुनते ही सोहन के चेहरे पर मुस्कान छा गयी और फिर उसकी माँ मेरे पास आकर बैठ गयी और नीतू और नेहा को भी मेरे बगल में बिठा दिया।
सोहन की माँ: शानू, नीतू और नेहा! तुम तीनो हमारे घर की बहुएं बनने जा रही हो। नीतू और नेहा, तुम दोनों के लिए ये कुछ ऑर्नामेंट्स हैं। तुम दोनों अभी पहन लो।
फिर नेहा और नीतू ने हंसी खुशी वो ऑर्नामेंट्स पहन ली। इतनी बड़ी नथुली, इतने हैवी सोने के झुमके, इतने हैवी सोने के कंगन, मांगटीका और चांदी की पायल भी इतनी हैवी। नेहा और नीतू ऑर्नामेंट्स पहन कर इतराने लगी तो सोहन की माँ ने मेरे हाथ मे भी एक ऑर्नामेंट्स का बॉक्स रख दिया।
सोहन की माँ: शानू बिटिया, ये ऑर्नामेंट्स तुम्हारे लिए। चूंकि नीतू और नेहा की तरह तुम्हारे नाक और कान नही छिदे हैं तो इन ऑर्नामेंट्स को नही पहन सकोगी। तुम अपने नाक कान छिदवा लेना और अच्छे से सिल्क साड़ी में रेडी होकर, इन ऑर्नामेंट्स को पहनकर मुझे वीडियो कॉल करना। फिर मैं देखकर डिसाईड करूँगी कि ये ऑर्नामेंट्स शादी के लिए काफी हैं या नही। आज ही नाक कान छिदवा लेना और कल मुझे शाम तक वीडियो कॉल करना, ठीक है बहु?
मैंने सोहन की माँ की बातें सुनकर हाँ में सिर हिला दिया। जब सोहन और उसके पेरेंट्स जाने लगे तो मेरी माँ ने मुझसे उन सभी से आशीर्वाद लेने को कहा। मैंने, नेहा और नीतू ने सोहन की माँ बाबूजी के पैर छूकर उनके आशीर्वाद लिए और वे अपने घर चले गए। एक तरफ मेरी माँ, नेहा और मेरी शादी को लेकर बहुत खुश थी, उधर नीतू भी इस शादी से बहुत खुश थी। लेकिन मेरी हालत बिल्कुल वैसे बकरी की तरह थी, जिसको हलाल होना था। मेरी मंजूरी के साथ ही मेरी माँ और मेरी बहन मुझे मार्किट ले गयी, शादी से रिलेटेड काफी शॉपिंग की, मेरे और नेहा के लिए कुछ ऑर्नामेंट्स और लहँगा चोली भी खरीदी। एक्चुअली ज्यादा पैसे थे नही पास में तो बस इतनी सी ही शॉपिंग में हमारे पूरे पैसे खर्च हो गए। फिर थोड़े पैसे बचे तो माँ मुझे एक दुकान पर ले गयी, जहां कभी नेहा का नाक और कान छिदवाया गया था। दुकानदार से बोल कर माँ ने मेरे नाक और कान छिदवा दिए, बहुत दर्द हुआ, बहुत रोया मैं लेकिन मेरी माँ और बहन नेहा बहुत खुश थी। पूरे रास्ते जान पहचान के लोग मुझे देखते, मेरे छिदे हुए नाक और कान देखकर आश्चर्य करते और मेरा ह्यूमिलियेशन की कोई सीमा नही थी। दर्द और शर्मिंदगी मुझे अंदर से इतना दुख दे रहा था कि समझ मे ही नही आ रहा था कि आखिर ये सब मेरे साथ क्यों हो रहा है। जब मैं घर आया तो नीतू घर के बाहर ही खड़ी मेरे आने का इंतज़ार कर रही थी।
नीतू: ये बॉक्स सोहन जी ने दिया था और कहा था कि इसे बिना खोले शानू को दे दूं। ये लो अपनी अमानत और अब मैं चलती हूँ, पापा मम्मी मेरा वेट कर रहे हैं, शॉपिंग के लिए जाना है।
मैं बॉक्स लेकर घर आ गया, नेहा को बहुत एक्सआईटमेंट थी, वो देखना चाहती थी कि बॉक्स में क्या है। मैने नेहा को बॉक्स पकड़ा दिया और उसे कहा कि वो देख ले, बॉक्स में जो कुछ भी है उसमें मुझे कोई दिलचस्पी नही है। नेहा बॉक्स लेकर कमरे में चली गयी, माँ शॉपिंग वाला बैग लेकर दूसरे कमरे में चली गयी और मैं वहीं कुर्सी पर बैठ गया।
इधर मेरी बहन ने बॉक्स खोला और मुस्कुराते हुए कमरे से बाहर आई। नेहा मुस्कुराते हुए मेरे सामने से माँ के कमरे में चली गई। मैं सोचने लगा कि ऐसा क्या था बॉक्स में जिसे देखकर नेहा इतना शरमा रही थी। मैं कमरे में गया, बॉक्स के ढक्कन को हटाया और देखा, बॉक्स में आर्टिफिशियल सिलिकॉन ब्रैस्ट रखे थे और उसके साथ दो बाबीडॉल ड्रेस, एक सिल्क की साड़ी, एक महारानी स्टाइल लहँगा चोली, हाई हील्स, ज्वेलरी बॉक्स जिसमे बहुत ही बड़ा कुमाऊनी नथुली और सोने बालियां और सबसे नीचे एक छोटा सा बॉक्स था। मैंने वो बॉक्स खोल कर देखा तो वो कुछ और नही बल्कि बट प्लग था। बट प्लग के बारे में मैंने पोर्न वीडियोस में देखा था, वो लेडी बॉयज, क्रोसड्रेससेर या फिर शिमेल्स अपने गांड की छेद में डालकर एन्जॉय करती है। ऐसा मैन पोर्न वीडियोस में देखा था लेकिन सोहन ने मेरे लिए ये क्यों भेजा था। अभी मैं कुछ सोचता इससे पहले सोहन का कॉल आ गया।
सोहन: गिफ्ट कैसा लगा मेरी दुल्हन को?
मैं: गिफ्ट तो अच्छा है लेकिन आपने ऐसे गिफ्ट्स क्यों भेजे?
सोहन: कैसे गिफ्ट्स? मैंने तो वही भेजा जिसकी तुम्हे सबसे ज्यादा जरूरत है! लहँगा चोली, ज्वेलरी, हाई हील्स वगैरह वगैरह!
मैं: और वगैरह वगैरह में जो कुछ अपने भेजा है, वो क्यों भेजा?
सोहन: ताकि मेरी होने वाली दुल्हन, शादी से पहले फेमिनिस्म को फील कर सके!
मैं: मुझे नही करना फेमिनिस्म को फील। आपसे शादी मैं सिर्फ अपनी बहन और माँ की खुशी के लिए कर रहा हूँ, इससे ज्यादा कुछ भी नही!
सोहन: लेकिन तुम्हारी बहन की शादी मेरे भाई से सिर्फ मेरी खुशी के लिए हो रही है। मैं खुश तो तुम्हारी बहन खुश, कुछ भी कहने से पहले सोच लिया करो मेरी जान! अब एक काम करो, जल्दी से बाबीडॉल ड्रेस में रेडी हो जाओ और उस डिलडो को अपनी गांड में डाल लो।
मैं: उसके बाद क्या करना है?
सोहन: उसके बाद तुम्हे मुझे वीडियो कॉल करना है।
मेरे पास सोहन की बातों को मानने के सिवा कोई दूसरा रास्ता नही था तो मैंने हाँ कहा और कॉल डिसकनेक्ट कर के बाबीडॉल ड्रेस में रेडी होने लगा। बाबीडॉल ड्रेस हो या कैसी भी ड्रेस हो, आई नो वेरी वेल कि ऐसे ड्रेसेज़ में रेडी कैसे होना है। मैंने गेट को अंदर से लॉक किया। फिर मैं थोड़ी ही देर में बाबीडॉल ड्रेस में रेडी था। जैसा सोहन ने कहा था, मैंने बट प्लग को अपनी गांड में डालने की कोशिश करने लगा, लेकिन इट वज़ नॉट सो इजी। जैसे ही बट प्लग हल्का अंदर गया, मुझे बहुत दर्द हुआ, आंखों में आंसू आ गए और मैने थोड़ा और पुश किया तो वो बट प्लग पूरी तरह मेरी गांड में सेट हो गया। फिर मैंने हाई हील्स पहन लिया और मेकअप करके सोहन को वीडियो कॉल किया। सोहन ने मुझसे कहा कि फ़ोन को ऐसे रखूं ताकि उसे मैं ऊपर से नीचे क्लियर दिखूं।
सोहन: हम्म, शानू तुमने ब्रैस्ट फॉर्म्स को क्यों नही पहनी?
मैं: आपने इसके लिए तो नही कहा था?
सोहन: हम्म! कोई बात नही मेरी जान, यू आर लुकिंग सो हॉट बाय द वे!
मैं: हम्म! थैंक्स!
सोहन: यु नो शानू, ये जो बट प्लग तुमने अपनी गांड में सेट किया है वो मेरे फ़ोन से ऑपरेट होता है। अब तुम कान में ब्लूटूथ लगा लो और बिस्तर पर जाकर लेट जाओ।
मैंने वैसा ही किया। मैं कानों में ब्लूटूथ लगाकर बिस्तर पर लेट गया। आई डोंट नो क्या होने वाला है मेरे साथ लेकिन जो कुछ भी सोहन मेरे साथ करने जा रहा था उसमें सोहन को जितना मजा आने वाला था, मुझे उतना ही दर्द और ह्यूमिलियेशन का सामना करना था। अचानक मेरे बट प्लग में वाइब्रेशन शुरू हो गया।
ओह गॉड, ये दर्द, आई, हहहहहह, आह, प्लीज्, ओह, दर्द हो रहा था बहुत, यकीन नही हो रहा था, सोहन मेरे बट प्लग को अपने फ़ोन से ऑपरेट कर रहा था और उसकी मुस्कान बता रही थी कि वो कितना एन्जॉय कर रहा था। मुझे ये दर्द सहन नही हो रहा था, मैं अपनी आवाज़ को कंट्रोल करने की कोशिश करने लगा ताकि मेरी माँ और मेरी बहन मेरी आवाज ना सुन सके लेकिन रह रह कर जब जब वाइब्रेशन तेज़ होता, मेरी आह निकल जाती। थोड़ी देर बाद मैंने भी मस्टरबेशन शुरू कर दिया। कुछ ही पल में, मुझे एक्सआईटमेंट आने ही वाला था कि वाइब्रेशन ऑफ हो गया। ऐसा लग रहा था कि मेरा पूरा एक्सआईटमेंट खत्म हो गया हो। सोहन ने मुझसे आई लव यू कहा और कॉल डिसकनेक्ट कर दिया। आई वज़ लाइक, ये क्या हुआ अचानक। मैंने अपनी गांड से बट प्लग को निकाल दिया और उसे साफ कपड़े से पोछ कर, सैनिटाइज करके उसी बॉक्स में रख दिया। मुझे समझ नही आ रहा था कि आखिर बट प्लग के ऑफ हो जाने का मेरे एक्सआईटमेंट से क्या लेना देना। हाऊ इज़ इट पॉसिबल। सोहन के कहने पर मैने वो किया जो शायद ही कोई लड़का करता, लेकिन मैंने ऐसा क्यों किया, सोहन से शादी से पहले ये हाल है मेरा, शादी के बाद वो क्या करेगा मेरे साथ। ओह गॉड, प्लीज् हेल्प, मुझसे ये सब नही होगा। मैं एक नॉर्मल लड़का हूँ यार जो एक मर्द की दुल्हन बनने जा रहा है। भले ही ये शादी मेरी मजबूरी है लेकिन करनी तो पड़ेगी, मैं क्या करूँ!
नेक्स्ट डे, मेरे नाक और कान का छेद साफ हो चुका था। शाम में मेरी माँ कमरे में आई, नेहा भी माँ के साथ थी और दोनों ही मुस्कुरा रहीं थी।
मैं: क्या बात है माँ, नेहा बड़ी खुश दिख रही हो दोनों?
माँ: शानू, बचपन से ही बड़े लाड़ प्यार से पाला था तुझे। बड़ा ही नटखट था तब तू लेकिन बड़ा होकर इतना समझदार हो जाएगा, ये मैंने कभी नही सोचा। शायद ही दुनिया मे कोई भाई और बेटा होगा जो अपनी माँ और बहन के लिए इतनी बड़ी सैक्रिफाइस दे सकेगा। बेटे तुमपर नाज़ है मुझे। अपनी बहन का घर बसाने के लिए एक मर्द से ब्याह करने को रेडी हो गए तुम, नाक कान भी छिदवा लिया। और कितना सैक्रिफाइस करोगे?
माँ की बात सुनकर मैं इमोशनल हो गया।
मैं: माँ तुम्हारी और नेहा की खुशी से बढ़कर मेरे लिए लाइफ में कुछ भी नही है। अगर एक जन्म कम पड़ जाए तो मैं अगला जन्म लेकर तुम्हे ही अपनी माँ और नेहा को अपनी बहन के रूप में पाना चाहूंगा।
मेरी बात सुनकर माँ और नेहा भी इमोशनल हो गईं। हम तीनों ने एक दूसरे से गले लगकर खूब रोये। फिर माँ ने मुझसे कहा कि मेरी होने वाली सास यानी सोहन की माँ का कॉल आया था। वो मुझे दुल्हन की तरह सजी धजी देखना चाहती है। मेरा बिल्कुल भी मन नही था लेकिन सोहन की माँ ने कल ही कह दिया था तो अब करना पड़ेगा। थोड़ी ही देर में मैं तैयार था, सिल्क साड़ी, सिल्वर बैकलेस साड़ी, हाई हील्स, ढेर सारे ऑर्नामेंट्स, पैरों में पायल, कानों में बालियां, नाक में हैवी कुमाऊनी नथुली। वैसे तो झांकी में क्लिप वाली आर्टिफिशियल नथुली पहनाई जाती थी, वो काफी लाइट वेट होती थी और इतना पता भी नही चलता था। लेकि ये वाली कुमाऊनी नथुली, इतनी हैवी, डिज़ाइनर और काफी बड़ी साइज की थी। मेरे नाक में दर्द होने लगा तो मैंने माँ की ओर देखा। माँ ने मुझसे कहा कि अब मुझे इन सब की आदत डाल लेनी होगी और फिर घूंघट करके, मेरी होने वाली सास को वीडियो कॉल पर बिठाकर वहाँ से चली गयी। जब मेरी सास ने मुझे देखा तो वो खुश हो गयी।
सोहन की माँ: तू तो बड़ी खूबसूरत दिख रही है शानू! लेकिन ये नथुली तेरे चेहरे पर उतनी अच्छी नही दिख रही है, इसे उतार दे, मैं दूसरी नथुली भिजवाती हूँ कल सुबह!
मैं: जैसा आप ठीक समझें!
सोहन की माँ: अब लगता है, मेरे बेटे ने तुझे अपनी दुल्हन बनाने का जो फैसला किया है, वो बिल्कुल सही किया है। तेरे जैसी संस्कारी बहु को पा कर मैं निहाल हो गयी। चल अब तू ये नथुली उतार दे और आराम कर। वैसे सच मे तुझे देखकर ऐसा लगता है, स्वर्ग से अप्सरा जमीन पर उतर आई हो, हाय मेरी नज़र ना लगे, काला टीका लगा लेना याद से, मैं फिर कॉल करूँगी!
मैं: ठीक है माँ जी!
सोहन की माँ ने जैसे ही कॉल डिसकनेक्ट किया, मैंने नेहा को बुलाया और अपनी नथुली उतारने को कहा। नेहा ने मुस्कुराते हुए मेरे नाक से नथुली उतार दी लेकिन अब मेरा नाक बिना ऑर्नामेंट्स के सुना सुना सा लगने लगा तो नेहा ने सोने की लौंग मेरे नाक में डाल दी। मैं चेंज भी करना चाहता था लेकिन नेहा ने मुझे ऐसे ही रहने को कहा। रात को फिर से सोहन ने मुझे वीडियो कॉल किया, मुझसे बोले कि सिल्क साड़ी में।मैं बहुत ही सेक्सी लग रहा हूँ और मेरी खूबसूरती की तारीफ की। सोहन ने मुझसे कहा कि मैं रोज़ सिल्क साड़ी पहनूँ और मुझसे फिर से बट प्लग लगाने को कहा। मैंने सोहन को समझाने की कोशिश की कि आफ्टर बट प्लग पेनिट्रेशन, काफी दर्द रहता है और चलने में भी प्रॉब्लम होती है। लेकिन सोहन नही माना। मैं भी सोहन की जिद के आगे हार चुका था तो मैने फिर से बट प्लग अपनी गांड में सेट किया और अपने कान में ब्लूएटूथ लगा कर, कमरे को अंदर स लॉक करके, बिस्तर पर लेट गया।
सोहन ने कल के मुकाबले आज काफी ज्यादा देर तक बट प्लग में पेनिट्रेट किया, दर्द कल से कम हुआ और आज तो मुझे अच्छा भी लगने लगा था। इट वाज़ हाफ ऐन ऑवर ऑफ पेनिट्रेशन, अब मेरे हाथ मेरी खुद की छाती को मसल रहे थे और मेरे लन्ड में तनाव आ गया। आज मुझे लन्ड को हाथ लगाने की जरूरत भी नही पड़ी और कुछ ही देर में उधर सोहन को एक्सआईटमेंट हुआ तो मुझे भी एक्सआईटमेंट आ गया। सोहन के कॉल डिसकनेक्ट होने तक मेरा स्पर्म डिसचार्ज हो चुका था और मैं नींद के आगोश में समा चुका था।
अगली सुबह, सुबह के 4 बजे जब मेरी नींद खुली तो मैंने देखा, मेरी साड़ी खराब हो गयी, मेरे बिस्तर पर मेरे स्पर्म्स का दाग हो गया था और मेरी गांड में अभी भी बट प्लग थी। मैने सबसे पहले अपनी बेडशीट उठायी और वाशरूम में आ गया। मैंने बेडशीट और साड़ी को सर्फ में भिगो दिया और नहाने के बाद कमरे में आकर बिस्तर पर नई बेडशीट डाली और पटियाला सलवार सूट पहनकर रेडी हो गया। मैचिंग ओढ़नी ओढ़कर जब मैं नेहा के कमरे में गया तो देखा मेरी माँ और बहन अभी भी गहरी नींद में सो रहीं थी। मैं फिर से अपने कमरे में आ गया और आइने के सामने बैठकर अपने बाल बनाने लगा। थोड़ी देर बाद मैंने अपने हाथों और पैरों के नाखूनों को ग्लॉसी नेल पेंट से रंगा और पायल पहनकर खुद को देखने लगा। मुझे भूख लगी थी तो मैं किचन में गया और खाने को कुछ ढूंढने लगा, जब कुछ भी नही मिला तो बिसकिट्स लेकर बैठकर खाने लगा। मैने माँ को जगाया और उसे नास्ता बनाने को कहा, माँ ने नेहा से कहा कि वो मेरे लिए नास्ता बना दे। नेहा फ्रेश होकर आयी, मेरे लिए नास्ता बनाने किचन में चली गयी। तभी दरवाजे को किसी ने खटखटाया। इतनी सुबह कौन हो सकता है, मैंने दरवाज़ा खोला तो देखा सामने रोहन खड़ा है।
मैं: अरे रोहन जी आप? इतनी सुबह?
रोहन: जी भाभी, माँ ने कहा था कि आपको ये ऑर्नामेंट्स के बॉक्सेज देता चलूँ।
मैं: अरे ऐसे कैसे, अंदर आइए और बैठिए!
रोहन को बिठाकर मैं माँ को कहा कि नेहा के होने वाले दूल्हे राजा आये हुए हैं। सुनते ही माँ राजधानी के स्पीड में उठी और झटपट तैयार होकर अपने होने वाले दामाद की सेवा में लग गयी। मैं किचन में गया और नेहा को बताया कि रोहन जी आये हुए हैं। नेहा का चेहरा शरम से लाल हो गया। नेहा ने रोहन जी को नास्ता सर्व किया, नज़रें मिली और एक दूसरे को देखकर मुस्कुराए। नास्ता करने के बाद रोहन जी अपने काम पर चले गए। मैं अपने कमरे में जाकर उन गिफ्ट बॉक्सेज को खोलकर देखने लगा कि आखिर क्या है इन बॉक्सेज मे। मैंने बॉक्सेज खोलकर देखा, उसमे तीन चार साड़ियां, अनारकली सूट, ऑर्नामेंट्स जिसमे मेरे लिए दूसरी नथुली आयी थी। वो नथुली काफी बड़ी, हैवी थी। इतनी बड़ी नथुली कौन पहनता है और मेरी होने वाली सास ने ये नथुली मेरे लिए भिजवाई थी। मैने उस नथुली को उठाया, उसका वजन 100 ग्राम के करीब था, मैंने अपने नाक से लौंग को निकाला और उस नथुली को अपने नाक में पहन लिया। वाओ, इट इज़ सो बिग, मेरा आधा चेहरा तो इस नथुली से ढंक गया। तभी माँ और बहन कमरे में आ गई।
माँ: तूने बताया नही शानू, तेरी सास ने तेरे लिए इतनी खूबसूरत नथुली भेजी है! कितनी खूबसूरत दिख रही हो इस नथुली को पहनकर!
मैं: लेकिन माँ, एक प्रॉब्लम है!
माँ: वो क्या?
मैं: माँ, इस नथुली का वजन बहुत ज्यादा है और देखो ना कितना बड़ा है, मेरा आधा चेहरा इसी से ढंक गया है। और इसमें सपोर्टिंग गुड़िया भी नही है, इससे मेरे नाक में दर्द हो रहा है।
माँ: कोई बात नही, तेरी होने वाली सास ने इतने प्यार से भेजा है तो इसे पहने रख। और धीरे धीरे इन सब की आदत हो जाएगी। वैसे तुझे घर के कामकाज, खाना पकाना, कपड़े धोने का कोई ज्ञान नही है। शादी की डेट का अभी पता नही है तो तू आज से ही घर के कामकाज सीखना शुरू कर दे। पति को टेस्टी खाना खिलाएगी तो वो भी तुझे हमेशा खुश रखेगा।
मैं: मुझे नही सीखना!
माँ: चुप कर जा, देख नेहा को। इसे सबकुछ आता है, तुझे भी सबकुछ आना चाहिए, नही तो ससुराल जाकर मेरा नाक कटवा देगी।
इतने में मेरी होने वाली सास का वीडियो कॉल आ गया। मैंने दुपट्टे से घूंघट कर लिया और वीडियो कॉल पर बैठ गया। मेरी होने वाली सास मुझे ऐसे देखकर बड़ी खुश हो गयी और बोलीं कि अब ये नथुली मुझे हमेशा पहननी है और उन्होंने भी मेरी खूबसूरती की तारीफ की। आई वज़ सो सरप्राइज़्ड कि जब मेरी माँ और बहन मेरी खूबसूरती की तारीफ कर रहीं थी तो मुझे काफी अजीब लग रहा था लेकिन जब मेरी होने वाली सास ने मेरी तारीफ की तो मुझे बहुत अच्छा लगा। डबल इमोशन्स, मूड सेविंग्स ना जाने क्यों हो रहे थे। अब मैं घर के काम काज में नेहा का हाथ बटाने लगा, अब मेरा पूरा दिन किचन में बीतता और रात को डिनर के बाद अक्सर सोहन जी के वीडियो कॉल और बट प्लग लगाकर काफी देर देर तक पेनिट्रेशन के बाद ओर्गास्म का मजा लेकर सो जाना, बस यही लाइफ रह गयी थी। जितने देर मैं नीतू से बात करता था, उससे कहीं ज्यादा शान जी मुझसे वीडियो कॉल्स पर बातें करते। सोहन जी से बातें करके मेरा मन शान्त हो जाता, अछि नींद आती और जब मैं उन्हें बताता कि मैं खाना पकाने और हाउस होल्ड थिंग्स की ट्रेनिंग ले रहा हूँ तो वे भी खुशी जताते। सोहन जी मे अब मुझे इंटरेस्ट आने लगा था। ऐसा क्यों हो रहा था मेरे साथ, मैं नही जानता लेकिन ये मेरे साथ हो रहा था और मुझे अच्छा लगने लगा था।
एक महीना पूरा होने को था, तभी एक दिन मेरी होने वाली सास ने मेरी माँ को कॉल किया और एक हफ्ते बाद 7 तारीख को शादी का डेट फिक्स करके इन्फॉर्म किया। आई वज़ लाइक, इतनी जल्दी शादी का डेट आ गया। एक हफ्ते बाद ही मेरी शादी होनी है, ओह्ह गॉड। मैं नर्वस रहने लगा, बात बात पर मेरी आँखों मे आंसू भर जाते, शरीर कमजोर पड़ने लगा था। इधर एक महीने से मेरे शरीर के बाल भी झड़ गए थे और मेरा शरीर बहुत ही कोमल और सॉफ़्ट हो गया, सिर के बाल घने और लंबे होने लगे थे, मैं पहले से ज्यादा स्लिम हो गया था और मेरी दाढ़ी मूछ तो मानो गायब ही हो गयी थी। ऐसे एक ही हफ्ते में दाढ़ी मूछ आ जाती लेकिन पिछले एक हफ्ते से मेरे चेहरे पर रोएं से ज्यादा कुछ भी नही आया था। देखते ही देखते वो दिन भी आ गया जिसका मुझे डर था। सोहन जी के साथ कल मेरी और मेरी गर्लफ्रैंड की शादी हो जानी थी। मैं बहुत ही ज्यादा नर्वस था, नीतू भी थोड़ी नर्वस थी लेकिन मुझसे ज्यादा नही। मुझे और नेहा को साथ लेकर माँ उस होटल में आ गई जहाँ नीतू भी अपने पेरेंट्स के साथ आ चुकी थी। हम तीनों के लिए तीन अलग अलग कमरे बुक्ड थे और शादी इसी होटल से होनी थी। देखते ही देखते, हल्दी उबटन की रस्में हो या मेहंदी की, सबकुछ इतना फ़ास्ट हो रहा था। समय भी फुल स्पीड में था और रात भी हो गयी। हम तीनों के हाथों में कुहनी तक और पैरों में घुटनों तक तीन तरह की डिज़ाइनर राजा रानी मेहंदी लगाई गई थी। रात को जब हम तीनों ने मेहंदी धोयी तो सबसे ज्यादा डार्क मेरी मेहंदी थी। फिर नीतू और नेहा की मेहंदी का रंग उतना डार्क नही होने से दोनों का चेहरा उतर गया। आई डोंट नो इससे क्या होता है लेकिन नीतू की माँ ने बताया कि मेहंदी जितनी डार्क होती है, दुल्हन को उसका होने वाला दूल्हा उतना ज्यादा प्यार करता है।
नीतू की माँ की बातें सुनकर मैं शरमा गया। मैंने बिना कुछ कहे सिर झुका कर आंखें मूंद ली। लेकिन आसे पड़ोस की लड़कियां और आंटियों के लिए सबसे बड़ी एक्सआईटमेंट की वजह थी कि मैं दुल्हन बन किसी मर्द से ब्याहने वाला था और सब के सब मुझे छेड़ रहीं थीं, तरह तरह की बातें कर हैं थी जो बोलने में भी शरम आती है मुझे। ये दिन भी गुज़र गया और आज मेरी शादी थी। तीन ब्यूटीशियन आईं थी, तीनो दुल्हनों को तैयार करने के लिए जिसमे से मैं भी एक दुल्हन ही था। आर्टिफिशियल सिलिकॉन ब्रैस्ट जो मेरी छाती को लड़कियों के जैसी बूब्स वाली लुक दे रही थी, फिर मैं लाल जोड़े और ससुराल से आये ऑर्नामेंट्स पहनाने के बाद ब्यूटीशियन ने मेरा लाइट मेकअप किया, हाई हील्स पहनाई और फिर मैं घूंघट में तैयार बैठा, बारात के आने और मंडप पर बुलाये जाने के इंतज़ार में बैठ गया। थोड़ी देर में नीतू और नेहा भी लाल जोड़े में तैयार बैठीं थी। नीतू मेरी गर्लफ्रैंड जो मुझसे शादी करके घर बसाने का सपना देखती थी, आज वो जिस सोहन से शादी करने वाली थी, मैं भी उसी से शादी करने वाला था। धूम धड़ाके की आवाज़ सुनते ही मेरे दिल की धड़कन तेज़ हो गयी, नर्वसनेस ने मुझे घेर लिया और मेरे तन बदन में थरथराहट होने लगी। मैं शिविर करने लगा, रह रह कर आंखों में आंसू आ जाते, कमज़ोरी महसूस होने लगा, ये मैं क्या करने जा रहा था। औरतें और लड़कियां मुझे घेरे बैठीं तरह तरह की बातें कर रही थी। थोड़ी देर बाद मुझे नेहा और नीतू को एक ही कमरे में बिठाकर वो सभी आंटियां और लड़कियां बारात के स्वागत के लिए चली गईं।
थोड़ी देर बाद मुझे और नीतू को घूंघट करके एक मंडप पर ले जाया गया और सोहन जी के राइट साइड में बिठा दिया गया। वहीं मेरी बहन नेहा को दूसरे मंडप पर ले जाया गया और उसे रोहन जी के राइट साइड में बिठा दिया गया। रस्में शुरू हुईं, सोहन जी के साथ मैंने और नीतू ने और रोहन जी के साथ नेहा ने एक साथ सात फेरे लिए, सोहन जी ने मेरे और नीतू के गले मे मंगलसूत्र और मांग में सिंदूर भर दिए। उधर रोहन जी ने नेहा के गले मे मंगलसूत्र और मांग में सिंदूर भर दिया। कुछ मंत्रोच्चार, मेरा और नेहा का कन्यादान माँ ने किया वहीं नीतू का कन्यादान उसके मम्मी पापा ने किया। अब मैं और नीतू सही मायनों में सोहन जी की धर्म पत्नियां बन चुके थे और मेरी बहन नेहा रोहन जी की धर्मपत्नी। शादी के बाद मेहमानों के लिए भोज का आयोजन किया गया, सभी खा पी रहे थे वहीं मैं और नीतू अपने दूल्हे के साथ स्टेज पर बैठे आने जाने वाले बड़े बुजुर्गों से सौभाग्यवती रहने का आशीर्वाद ले रहे थे।
कुछ लड़कियां मेरे बगल में खड़ी होकर सुहागरात की बातें करके कर रहीं थी, लड़कियाँ ऐसी बातें कैसे कर सकती हैं, लेकिन उन लड़कियों में मेरी और सोहन जी की सुहागरात के बारे में जानने की बड़ी बेचैनी थी। जाने कब विदाई का टाइम आ गया, बैकग्राउंड में इमोशनल गाने मुझे बहुत इमोशनल कर रहे थे। विदाई के टाइम किसी नार्मल लड़की की तरह मैं भी बहुत रोया, जोर जोर से रोया। मैं अपने इमोशन्स कंट्रोल नही कर पा रहा था और अपनी माँ से गले लगकर बिलख बिलख कर रोने लगा तो सोहन जी ने मेरी माँ को समझाया और मुझे शांत किया। फिर सोहन जी ने मुझे अपनी बाहों में उठा लिया सबके सामने अपनी ऑडी में बिठा लिया। बीच मे वो खहड़ बैठ गए और उनके दूसरी साइड नीतू बैठ गयी। नम आंखों से मैं अपनी माँ, अपनी बहन और अपने घर को छोड़कर अपने पति की बाहों में ससुराल को निकल पड़ा।
आधे रास्ते तक मैं नॉर्मल लड़कियों की तरह रोता रहा, सोहन जी ने पूरे रास्ते मुझे और नीतू को अपनी बाहों में रखा। नीतू ने भी मुझे शांत करने की कोशिश की, मैं शांत हुआ लेकिन लाइफ में पहली बार अपनी माँ और बहन को हमेशा के लिए छोड़कर अपने पति के घर जाना, ये मेरे लिए नया एक्सपीरिएंस था। सोहन जी के साथ मैं और नीतू अपने ससुराल पहुंचे जहां हमारा गृह प्रवेश करवाया गया और फिर एक बड़े से कमरे में ले जाया गया। आधे से ज्यादा मेहमान सिर्फ मुझे देखने आए थे। वे देखना चाहते थे कि आखिर मुझमे ऐसी कौन सी बात है जो सोहन जी मुझपर इतने फिदा थे। मेरे लड़का होने के बावजूद सोहन जी से मेरी शादी हुई थी और मैं घर की छोटी बहू बन गया था। मुह दिखाई की रस्म के टाइम औरते, लड़कियाँ और बड़े बुजुर्ग, नीतू से ज्यादा मुझे मुह दिखाई की नेग दे गए। आई वज़ सो सरप्राइज़्ड लेकिन इट वज़ ट्रू। मुह दिखाई की रस्म खत्म होने के बाद मुझे और नीतू को डिनर करवाया गया, उसके बाद एक बार फिर से सोहन जी के कमरे में ले जाया गया, जहां फूलों से सजे किंग साइज, डबल बेड पर मुझे और नीतू को घूंघट करके बिठा दिया गया। अब सुहागरात होनी थी, मुझे बहुत नर्वसनेस हो रहा था, डर भी सताने लगा कि आज रात क्या होगा मेरे साथ। नीतू ने मेरा नर्वसनेस देखा तो उसने मुझे हौसला दिलाया कि अब जो कुछ भी होगा, अच्छा ही होगा। मैं और नीतू काफी देर तक सोहन जी का इंतज़ार करते रहे। नीतू को कुछ ज्यादा ही नींद आने लगी थी तो उसने मुझसे कहा कि जब वो आ जाएं तो मैं उसे जगा दूँ। नीतू सो गयी, कसम से बहुत खूबसूरत दिख रही थी नीतू। मन तो कर रहा था कि मैं ही सुहागरात मना लूँ नीतू के साथ लेकिन नीतू अब मेरी गर्लफ्रेंड नहीं रह गयी थी। नीतू और मैं अब एक ही मर्द की ब्याहता स्त्रियां थीं। मैं भले ही आज भी लड़का था लेकिन आई न्यू इट कि इससे सोहन जी पर कोई खास फरक नहीं पड़ने वाला है। ह्युमिलिएशन के बावजूद सिर्फ अपनी माँ और बहन की ख़ुशी के लिए सोहन जी से शादी की है और आगे मेरे साथ जो कुछ भी होना है वो सोहन जी की मर्जी से ही होगा। नीतू तो सो गयी लेकिन अब मुझे भी नींद आने लगी थी, आमतौर पर नौ बजे सोने की आदत नहीं थी लेकिन दो दिनों की थकान और वीकनेस के कारण मुझे भी नींद आ गई। मैं नहीं जानता कि मैं कब सो गया, लेकिन दरवाज़े से आ रही आवाज़ और आहटों ने मेरी नींद उड़ा दी। ऐसा लग रहा था कि सोहन जी आ चुके हैं। मैंने झटपट अपना घूँघट ठीक किया और नीतू को जगाया और उसे बताया कि सोहन जी आ चुके हैं। नीतू ने भी घूँघट कर लिया, लेकिन उसकी नींद नहीं खुली थी। अचानक दरवाज़ा खुला और सोहन जी ने कमरे में इंटर किया और दरवाज़े को अंदर से लॉक कर लिया। जैसे ही सोहन जी बेड के करीब आये मैं और नीतू बिस्तर से उतरे और जैसा हमारी सास ने इंस्ट्रक्शन दिया था, सोहन जी के पैरों को छू कर उनके आशीर्वाद का इंतज़ार करने लगे। सोहन जी ने हमदोनो को उठाया और सीने से लगाकर बोले कि हमारी जगह उनके पैरों में नहीं बल्कि उनके दिल में है। नीतू के चेहरे की ख़ुशी देखकर ऐसा लग रहा था कि नीतू और सोहन जी की लव मैरिज हुई हो। मैं और नीतू अभी भी घूँघट में ही थे और सोहन जी ने मुझे और नीतू को बिस्तर पर बिठाया।
सोहन जी: नीतू, हमारे यहाँ का रिवाज़ है कि सुहागरात मनाने से पहले , अपनी दुल्हन की एक ख्वाहिश पूछना होता है। चूँकि तुम घर की बड़ी बहु हो, तो तुम अपनी एक ख्वाहिश बताओ!
नीतू( काफी सोचने के बाद): मेरी ख्वाहिश है कि हम हनीमून मनाने बैंकाक चलें और वहां शानू का सेक्स चेंज ऑपरेशन करवाया जाये और इसे पूरी तरह से औरत बना दिया जाये।
व्हाट द फ़क, नीतू मेरे लिए ऐसा सोच भी कैसे सकती है। आई लव माय मैनहुड, मुझे नहीं बनना औरत, एक मर्द से औरतों की तरह दुल्हन बनकर शादी करना, वो मैंने सिर्फ अपनी बहन और माँ की ख़ुशी के लिए किया।
सोहन जी: ओके, हम हनीमून पर बैंकाक चलेंगे, वहीँ शानू का सेक्स चेंज ऑपरेशन करवा कर पूरी तरह से औरत बनवा दूंगा।
मैं: लेकिन सोहन जी!
सोहन जी: लेकिन वेकिन कुछ नहीं, घर की बड़ी बहु की ख्वाहिश है, पूरी तो करनी पड़ेगी।
फिर सोहन जी ने नीतू का घूँघट उठाया और उसके होंठों को स्मूच करने लगे। जैसे ब्लू फिल्म्स में होता है, वो सब लाइव चल रहा था। मैं वहीँ बगल में चुपचाप बैठा अपने नसीब को कोस रहा था। थोड़ी देर नीतू के साथ रोमांस करने के बाद सोहन जी मेरे पास आ गए। आई वज लाईक, मेरी हार्टबीट इतनी बढ़ गयी, बॉडी शिवर करने लगा और आँखों में आंसू आ गए।
सोहन जी: शानू, अब तुम भी अपनी ख्वाहिश बता दो!
मैं(बहुत सोचने के बाद): मैं चाहता हूँ कि नीतू मेरे और आपके मिले जुले अंश को अपनी कोख से जन्म दे। और नीतू के साथ जब मेरा मन हो, मैं सेक्स करूँ, चाहे वो सेक्स मैं औरत बनने से पहले करूँ, या औरत बनने के बाद, आपको इस बात से कोई ऐतराज़ नहीं होगा।
नीतू: व्हाट, पागल हो गए हो शानू?
सोहन जी: ठीक है, तुम घर की छोटी बहु हो, नीतू के गर्भ में मेरा और तुम्हारा मिलाजुला अंश पलेगा शानू और दिन भर घर में तुमदोनो इसी कमरे में रहने वाली हो, मुझे कोई ऐतराज़ नहीं है शानू, मुझे भी थ्रीसम का मजा मिलेगा। ।
नीतू: लेकिन?
सोहन जी: कोई लेकिन किन्तु परन्तु नहीं! बड़ी बहु की ख्वाहिश जितना इम्पोर्टेन्ट है उतना ही इम्पोर्टेन्ट छोटी बहु की ख्वाहिश भी है।
फिर सोहन जी ने मेरा घूँघट उठाया, मेरी खूबसूरती की तारीफ की और मेरे ग्लॉसी लिप्स पर अपना लिप्स रख दिया। इट वाज़ द वैरी फर्स्ट टाइम इन माय लाइफ, जब एक मर्द मेरे होंठों को स्मूच कर रहा था। सोहन जी की गर्म साँसों की खुशबु मेरी साँसों में घुलने लगी थी, उनका जीभ मेरे जीभ के साथ नागिन डांस कर रहा था और मेरी आँखों से आंसू नहीं रुक रहे थे। इट वाज़ माय फर्स्ट किस ऑफ़ माय लाइफ ऐज़ अ ब्राइड, इससे पहले मैंने नीतू को हज़ारों बार किस किया होगा, लेकिन सोहन जी के किस करने का अंदाज कुछ अलग ही था। आँखें बंद थी मेरी, सोहन जी एक हाथ से मेरे नाक की नथुली को ऊपर करके अभी भी मुझे स्मूच कर रहे थे और मेरे साथ रोमांस कर रहे थे। सोहन जी के साथ रोमांस करना वो भी अपनी गर्लफ्रेंड के सामने, हुमिलियटिंग था लेकिन मैं भी सोहन जी की दुल्हन बन गया था। सोहन जी मेरे साथ कुछ भी करने के लिए फ्री थे, उन्हें रोकने वाला कोई भी नहीं था। नीतू अभी भी इसी सदमे में थी कि मैंने सोहन जी से जो कुछ भी मांग लिया, वो उसे देना पड़ेगा। सोहन जी ने मेरे नाक से नथुली को उतार दिए, मुझे बड़ी राहत मिली। फिर उन्होंने मेरा घूँघट भी हटा दिया और मेरे गले पर किस करने लगे। सोहन जी भूल ही गए थे कि बगल में नीतू भी बैठी है। धीरे धीर उन्होंने अपनी शेरवानी पायजामा और इनर वियर उतार कर मुझे भी सेमि न्यूड कर कर दिया। महारानी स्टाइल लहँगा के सिवा मेरे बदन पर कुछ भी नहीं था, सोहन जी का बिग ब्लैक लंड देखा तो मेरे होश ही उड़ गए। मेरे लंड से दोगुना मोटा और लम्बा जो टाइट हो चूका था। सोहन जी ने मुझसे कहा कि मैं उनके लंड को किस करूं। मैंने आज तक किसी मर्द के लंड को चूमना तो दूर उसे देखा या छुआ तक नहीं। हिम्मत जुटा कर मैंने सोहन जी के लंड को अपने हाथ में लिया और उसके टिप पर एक किस कर दिया। किस करते ही मैंने सोहन जी की तरफ देखा, उन्होंने फिर से किस करने को कहा और ये भी कहा कि जब तक वो ना कहें, मैं नहीं रुकूँ! आई वज लाइक, कोई ऑप्शन नहीं बचा था, अपनी गर्लफ्रेंड के सामने अपने पति के लंड को चूमते चूमते मैंने कब उसे मुँह में ले लिया और काफी देर तक ब्लो जॉब दिया।
इसका मुझे तब एहसास हुआ जब सोहन जी ने मेरे मुँह में ही स्पर्म डिस्चार्ज कर दिया और वो स्पेर्म्स का लोड मेरे गले को तर करता हुआ मेरे अंदर चला गया। ये मोमेंट मेरे लिए काफी ज्यादा ह्युमिलियेटेड कर देने वाला था, मैं बिस्तर से उतरा, दोनों हाथों से अपना लहँगा को उठाया और तुरंत कमरे से अटैच वाशरूम में चला गया लेकिन स्पेर्म्स का लोड अमेरे पेट में जा चूका था, उसे बाहर निकाल सकना अब मेरे बस की बात नहीं थी। जब मैं कमरे में लौटा तो देखा नीतू भी सिर्फ लहँगे में ही थी और सोहन जी को ब्लो जॉब दे रही थी। मैं बिस्तर पर लौटा, तो सोहन जी ने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी बाहों में खींच लिया और मेरे साथ रोमांस करने लगे। थोड़ी देर में मैं और नीतू पूरी तरह से न्यूड हो चुके थे। कुछ देर मेरे साथ रोमांस करने के बाद सोहन जी ने कुछ देर तक नीतू के साथ रोमांस किया और मुझे नीतू के बूब्स को चूमने को कहा और खुद मेरे पीछे आकर खड़े हो गए। मैंने नीतू की तरफ देखा, वो मुस्कुरा रही थी और उसने मेरे चेहरे को ऊपर उठाया और अपने बूब्स को चूसने के लिए एक्साइटेड करने लगी। मैंने भी नीतू के बूब्स को चूमना शुरू कर दिया और इतने में सोहन जी ने अपना मोटा काला लंड मेरी गांड की छेद में घुसा कर मेरे साथ हार्डकोर सेक्स करने लगे।
ही वज सो फ़ास्ट एट फकिंग, थ्रस्ट आफ्टर थ्रस्ट, इट वाज़ सो हार्ड, आई कैंट बिलीव ऑन माय फेट। नेक्स्ट आधे घंटे तक मेरी साथ हार्डकोर सेक्स करने के बाद उन्होंने नीतू को अपनी बाहों में उठा लिया और उसे लिटाकर उसके ऊपर चढ़ गए। मेरी गांड में हो रही जलन और दर्द मेरे बर्दाश्त से बाहर हो गयी थी तो मैं वाशरूम के बाथटब में जाकर थोड़ी देर लेट गया। बहुत राहत मिली मुझे, इधर सोहन जी नीतू के साथ जबरदस्त हार्डकोर सेक्स कर रहे थे कि नीतू के चिल्लाने की आवाज़ यहाँ तक आ रही थी। थोड़ी देर बाद आवाज़ आनी बंद हो गयी तो मैं अपना शरीर सुखाकर कमरे में गया तो देखा, नीतू के वजाइना से थोड़ा सा ब्लड निकला हुआ है और वो अपने दर्द को बर्दाश्त करने की कोशिश कर रही थी। नीतू रो रही थी, उसका पूरा बॉडी थरथरा रहा था। मैं बिस्तर पर गया तो सोहन जी ने मुझे अपनी बाहों में भर लिया और मेरे साथ रोमांस करने लगे। थोड़ी देर रोमांस करने के बाद सोहन जी ने मेरे लंड को अपने मुँह में ले लिया और मेरे लंड को चूसने लगे। मैंने सोचा कि मुझे भी ब्लोजॉब का मजा मिल सकेगा लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। थोड़ी देर तक मेरे लंड को चूसने के बावजूद मेरे लंड में थोड़ा भी इरेक्शन नहीं हुआ, बल्कि वो सिकुड़कर और भी छोटा हो गया। सोहन जी का लंड अभी उतना ही टाइट और बड़ा था। मुझे बड़ी शर्मिंदगी हो रही थी लेकिन सोहन जी मन में कुछ और ही था। सोहन जी ने मेरे लंड पर अपना लंड टिका दिया। इससे पहले कि मैं कुछ समझ पाता, सोहन जी मेरे लंड को थ्रस्ट करने लगे। लगभग बिस मिनट्स तक बिना रुके सोहन जी मेरे लंड को अपने अपने बिग ब्लैक लंड से थ्रस्ट करते रहे और फिर अचानक उन्होंने अपना स्पर्म लोड मेरे लंड के अंदर ही डिस्चार्ज कर दिया। मुझे बहुत जलन होने लगा और मैंने उन्हें खुद से दूर धकेल दिया। नीतू गहरी नींद में थी, उसे कुछ पता नही कि मेरे साथ क्या हुआ था।
मैं: ये क्या किया आपने?
सोहन जी: इसे डिक डॉकिंग कहते हैं शानू रानी और इसमें मुझे बहुत मजा आया। इसकी आदत डाल लो मेरी रानी, धीरे धीरे तुम्हे भी अच्छा लगने लगेगा।
मैं: मेरे लन्ड में जलन हो रहा है और आपको मजा सूझ रहा है?
फिर मैं वाशरूम में गया और अपने लन्ड को सहलाकर उसमे से सोहन जी के स्पर्म्स को निकालने की कोशिश करने लगा लेकिन मेरे लन्ड में इरेक्शन नही आ रहा था। मैं जलन से परेशान था तभी वाशरूम में सोहन जी आ गए और उन्होंने मुझे अपनी बाहों में उठा लिया और बाथटब में पहले खुद लेट गए, फिर मुझे अपने बिग ब्लैक लन्ड पर बिठाकर फिर से सेक्स करने लगे। उनका हर एक थ्रस्ट मुझे सिवाए दर्द के कुछ भी नही दे रहा था लेकिन उन्होंने अपने हाथों से मेरी छाती को मसलना शुरू किया तो मेरे लन्ड में हल्का सा इरेक्शन हुआ। हार्डकोर सेक्स के दौरान जब सोहन जी ने मेरे लन्ड को अपने हाथों से सहलाना शुरू किया तो मेरे लन्ड में इरेक्शन आ गया और जैसे ही सोहन जी मे मेरी गांड में अपना स्पर्म डिस्चार्ज किया, मेरा भी स्पर्म डिस्चार्ज हो गया। स्पर्म डिस्चार्ज होते ही मैं अपना होश खो बैठा और मैं बेहोश हो गया। उसके बाद क्या हुआ मैं नही जानता लेकिन जब सुबह मेरी नींद खुली तो मेरे ऊपर चादर और नाक में हैवी किन्नौरी नथुली थी। सोहन जी की बाहों में सिकुड़ा हुआ मैं उठा तो देखा नीतू के भी नाक में किन्नौरी नथुली है और वो भी चादर लपेटे सो रही थी। सोहन जी बिस्तर पर नही थे और कमरे का दरवाजा खुला हुआ था। मैंने चादर से खुद को ढंका और दरवाज़ा लॉक कर लिया। फिर मैं नीतू को अपनी बाहों में लेकर उसके साथ रोमांस करने लगा, इतने में नीतू की नींद खुल गयी।
नीतू: ये तुम क्या कर रहे हो शानू!
मैंने नीतू को याद दिलाया कि मैं उसके साथ ये सब कर सकता हूँ।
फिर मैं नीतू के साथ रोमान्स करने लगा। पहले तो नीतू ने नखरे दिखाए फिर मान गयी और बिस्तर पर मेरे साथ रोमांस को एन्जॉय करने लगी। मेरे लन्ड में फिर से इरेक्शन होने लगा और वो बहुत ज्यादा टाइट हो गया।
नीतू: हाहाहाहा, ये तो अभी भी सोहन जी के लन्ड के आधे से भी कम है शानू!
मैं: कोई बात नही, एक बार अंदर जाएगा तो अपना सही शेप ले लेगा बेबी!
मैंने नीतू की वजाइना में अपना लन्ड घुसाया और मैं भी उसके साथ सेक्स करने लगा। मैंने सोचा लिया था कि जैसे सोहन जी ने हमदोनो के साथ हार्डकोर सेक्स किया था रात को, ठीक वैसे ही मैं भी नीतू के साथ कम से कम दो राउंड हार्डकोर सेक्स तो करूंगा ही। आफ्टर एव्री थ्रस्ट मैं नीतू के आह ओह्ह को एन्जॉय कर रहा था। लगभग दो मिनट्स के सैक्स सेशन के बाद नीतू और मुझे एक साथ ओर्गास्म हो गया। मेरा सारा स्पर्म निकलकर नीतू की वजाइना में समा गया। नीतू ने कुछ पल के लिए अपनी आंखें बंद कर उस मोमेंट्स को एन्जॉय करने लगी वहीं मेरा लन्ड कुछ ही पल में सिकुड़ कर छोटा हो गया और मुझे वीकनेस फील होने लगा। दूसरे राउंड के लिए नीतू कुछ ही पल में तैयार हो गयी लेकिन मेरे लन्ड में अब इरेक्शन नही हो रहा था। आई वज़ लाइक इम्पोटेंट मैन जिसके लन्ड में कोई ताकत नही बची हो। इस बार ह्यूमिलियेशन की वजह मेरी मर्दानगी थी, जो मेरे कितने भी चाहने के बावजूद मेरा साथ नही दे रही थी। अब नीतू भी मुझसे परेशान हो गयी।
नीतू: शायद इसीलिए एक मर्द से तुम्हारी शादी हुई है शानू! मर्दानगी तो बस नाम की थी तुम्हारे अंदर जो एक झटके में अपना रंग दिख चुका है।तुम सोहन जी की दुल्हन ही बने रहो, मेरे बॉयफ्रेंड बनने की जरूरत नही है।
मैं: आई एम सॉरी नीतू!
नीतू: कोई बात नही शानू, चलो साथ मे नहाते हैं।
नीतू का इनविटेशन मैंने एक्सेप्ट कर लिया और हमदोनो लाइफ में पहली बार एक साथ नहाकर कमरे में रिटर्न आ गए। नीतू ने छाती पर और मैंने कमर पर टॉवल लपेटा हुआ था, तभी दरवाज़े को किसी ने खटखटाया। नीतू ने दरवाजा खोला तो सामने हमारे पतिदेव खड़े थे। सोहन जी कमरे में आ गए, उनके हाथ मे कुछ बैग्स थे और फिर उन्होंने मुझे देखा। सोहन जी मेरे पास आये, मेरा टॉवल खोल दिया और मेरी छाती पर टॉवल लपेट दिया।
सोहन जी: शानू, तुम इस घर की छोटी बहू हो। औरतों की तरह रहने की आदत डाल लो, समझी। मेरी पत्नी हो अब तुम, बात करने का लहज़ा भी आज से औरतों जैसा होना चाहिए। चलो दोनों जल्दी से तैयार हो जाओ, नीचे घरवाले तुमदोंनो का इंतज़ार कर रहे हैं।
ऐसा बोलकर वो कमरे से बाहर चले गए। बनारसी सिल्क साड़ी और ऑर्नामेंट्स पहनकर मैं और नीतू रेडी हो चुके थे। सोहन जी की छोटी बहन राधिका कमरे में आई और मेरा और नीतू का घूंघट करके सबके सामने ले गयी। बहुत ही ख़ुशनुमा माहौल था, घर मे सब थे। बॉडीबिल्डर पति, माँ जैसी सास, पिता जैसे ससुर, मेरी सौतन गर्लफ्रैंड और इतनी प्यारी ननद और सब बहुत खुश थे।
हनीमून के लिये मैं और नीतू अगले दिन अपने पति सोहन के साथ बैंकाक के लिए निकल गए। वहां हम अगले दस महीनों तक रहे, एक तरफ नीतू दो महीने की गर्भवती थी तो दूसरी तरफ मेरा सेक्स चेंज ऑपेरशन। डॉक्टर के मुताबिक अगले तीन महीनों में मैं पूरी तरह से औरत बन जाऊंगा और मैं भी प्रेग्नेंट होने में सक्षम होऊंगा। इस बात से नीतू और सोहन जी, दोनों ही काफी ज्यादा एक्सआईटेड थे। नौ महीने बाद एक तरफ डॉक्टर्स ने लेटेस्ट टेक्नोलॉजी की मदद से मुझे पूरी तरह से औरत बना दिया था, उधर नीतू प्रेग्नेंसी की आखिरी हफ्ते में थी। अब मैं पूरी तरह से औरत बन चुका था, अब ना तो मेरे शरीर पर मेरी पिछली जिंदगी कोई निशानी थी और ना ही मुझमे लड़कियों में कोई दिलचसबी रह गयी थी। अपने पति सोहन जी को वीडियो कॉल पर देखकर मुझे बहुत एक्सआईटमेंट होने लगती। मन करता, जाकर सोहन जी की बाहों में झूल जाऊं। नर्स में मुझे सेल्फ पेनिट्रेशन करना सिखाया जिसके बाद तो लगने लगा है कि काश मैंने भी एक लड़की के रूप में जन्म लिया होता।
दस महीने बाद जब हम अपने देश लौटे तो हम तीन से चार हो चुके थे। नीतू ने प्यारे से बेटे को जन्म दिया था, जो देखने मे कुछ कुछ मेरे जैसा तो सोहन जी के जैसा भी कुछ कुछ दिखता था। नीतू की गोद मे सोहन जी के वंश का पहला चिराग था और हम सब बहुत ही खुश थे। सास ससुर और पति की सेवा में मैने अपनी जान लगा दी। सास ससुर के ताने क्या होते हैं, पति की बेरुखी क्या होती है और मेरी सौतन गर्लफ्रैंड का मुझसे जेलस होना, ये सब मुझे फेमिनिज्म के बेहद करीब ला चुका था। नीतू जब दूसरी बार प्रेग्नेंट हुई तब सोहन जी के साथ अगले नौ महीने मैंने अकेले में बिताए। वो नौ महीने मेरी लाइफ के सबसे अच्छे दिनों में से एक थे। सोहन जी के दूसरे बच्चे को बेटी के रूप में जन्म देने के कुछ महीनों बाद ही नीतू ने अपना आपरेशन करवा लिया और प्रेग्नेंसी के झंझट से हमेशा के लिए मुक्त हो गयी। इधर एक साल बाद मैं भी गर्भवती हो गया और मैंने भी सोहन जी के वंश के दूसरे चिराग को जन्म दिया। माँ बनने का सुख, पत्नी बनने के सुख से कहीं ज्यादा था मेरे लिए। अब मैं शानू ने बल्कि सान्वी के नाम से जानी जाती हूँ। जब मैं दूसरी बार गर्भवती हुई तो मेरी माँ ने मुझे मायके में बुला लिया। अपनी दूसरी सन्तान को बेटे के रूप में मैंने अपने मायके में ही जन्म दिया। आस पड़ोस के लोगों में इस बात का यकीन नही हो रहा था कि मैं गर्भवती कैसे हो गयी। खैर इन बातों से अनजान मेरे पड़ोस की आंटियां अब यही मानने लगीं थी कि मैं बचपन से ही लड़की थी जिसे मेरी माँ ने लड़कों की तरह पाला था। एक भी दिन ऐसा नहीं जाता जब सोहन जी मेरे साथ हार्डकोर सेक्स नहीं करते। नीतू ने तो अपना ऑपरेशन करवा लिया, उसे बच्चे तो होते नहीं लेकिन सोहन जी को अब मुझसे कम से कम ३ और बच्चों की उम्मीद थी। मैं आलरेडी दो बच्चों को जन्म दे चुकी हूँ, लेकिन तीन और बच्चों को जन्म देना, मेरे लिए काफी टफ है। बच्चों को जन्म देने के बाद मेरे बूब्स पहले से काफी बड़े और आकर्षक हो गए हैं, बच्चों के लिए मेरे बूब्स में खुद बी खुद दूध भर आये और जब मेरी सास ने एक स्पेशल मसाला खिलाया तब तो मेरे बूब्स में इतना दूध भर गया कि अब तो अपने बूब्स को छूने से डर लगता है क्यूंकि ऐसे में जब भी मैं अपने बूब्स को छूती हूँ, मेरे बूब्स से अपने आप दूध निकलने लगता है। सोहन जी की ख़ुशी मेरे लिए अब बहुत मायने रखती है। मैं हर रोज़ सोहन जी के पसंद का खाना बनाती हूँ, उन्हें खाना पड़ोसती हूँ और खाना टेस्ट करने के बाद उनके चेहरे पर जो स्माइल देखती हूँ तो मेरा सारा थकान मिट जाता है। शानू से शान्वी बनने का मेरा ये सफर शुरुआत में थोड़ा पेनफुल रहा लेकिन अब सब अच्छा लगने लगा है। मैं दिनभर गहनों और हैवी नोज रिंग, झुमकी और कंगन पायल पहने रहती हूँ। मेरी सास को मैं साड़ी में बहुत पसंद आती हूँ तो मैं उनकी ख़ुशी के लिए हर रोज़ तरह तरह की साड़ी पहनती हूँ वो भी बैकलेस ब्लाउज के साथ। सोहन जी की दुल्हन बनकर मुझे कभी अफ़सोस नहीं हुआ, लेकिन भगवन से रोज़ दुआ करती हूँ कि जब भी मुझे अगला जनम मिले, मैं लड़की के रूप में ही जन्म लूँ और अगले जन्म में भी सोहन जी ही मेरे पति बने। हैप्पी फैमिली पाकर मैं सन्तुष्ट थी, प्यार करने वाले सास ससुर और इतने रोमांटिक पति को पाकर मैं निहाल हो चुकी थी।
ये मेरी कहानी है, आई होप आप सभी को पसन्द आयी होगी।
कमैंट्स में जरूर बताये
Pandit's are not like that. I am sure the author is from another religion, portrays Hindus in bad light.
ReplyDelete