राहुल - प्लीज् साजिद, प्लीज् फारुख, डोंट डू डिस टू मी प्लीज्!
साजिद - साले राहुल के बच्चे, एक तो तू हमारा जूनियर ऊपर से तू हमे नाम लेकर पुकारता है, अब तो तुझे कुछ ज्यादा ही पनीश करना पड़ेगा!
फारुख - अबे इस लड़के को अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में दाखिला क्या मिला, ये तो खुद को चंगेज़ खान समझने लगा है।
साजिद - अबे राहुल सुन, क्या सोचकर तूने रुखसार और फातिमा से दोस्ती की। अबे वो दोनों सीनियर है तेरी और तू हमारी गिर्ल्फ्रेंड्स को हमसे छीनना चाहता है।
राहुल - नहीं साजिद, मैं ऐसा कुछ नहीं चाहता, वे खुद आयीं थीं मेरे पास!
फारुख - अच्छा, बेवकूफ समझता है हम दोनों को!
राहुल - नहीं फारुख, तुमदोनो ने ही तो कहा था कि उन दोनों को पढाई में हेल्प कर देने को, और तुम दोनों ने ही तो मुझे नाम लेकर बात करने को कहा था।
फारुख - तो हम तुझे कुएं में कूदने को कहेंगे तो क्या तू उसी में कूद जायेगा!
साजिद - हाँ, और अगर हम तुझे जो कहेंगे, वो करेगा तू! तहज़ीब नाम की कोई चीज़ भी है कि नहीं!
राहुल - सॉरी!
राहुल - नहीं फारुख, तुमदोनो ने ही तो कहा था कि उन दोनों को पढाई में हेल्प कर देने को, और तुम दोनों ने ही तो मुझे नाम लेकर बात करने को कहा था।
फारुख - तो हम तुझे कुएं में कूदने को कहेंगे तो क्या तू उसी में कूद जायेगा!
साजिद - हाँ, और अगर हम तुझे जो कहेंगे, वो करेगा तू! तहज़ीब नाम की कोई चीज़ भी है कि नहीं!
राहुल - सॉरी!
साजिद - चल अब हम जो कहते हैं वो कर!
राहुल - अभी नहीं प्लीज्, बहुत इम्पोर्टेन्ट क्लास छूट जाएगी!
फारुख - अबे चुप कर!
राहुल - सॉरी, प्लीज्!
साजिद - चल अब हमारे साथ! ओल्ड लाइब्रेरी में!
राहुल - ओल्ड लाइब्रेरी! नहीं नहीं प्लीज्, वहां नहीं प्लीज्!
साजिद - अबे चल चूतिये! सुना है वहां पर एक जिन्न रहता है जो विश पूरा करता है!
राहुल - जिन्न नहीं होते!
फारुख - हाहाहा, चल आज तुझे जिन्न दिखाता हूँ!
साजिद - अरे रहने दे फारुख, इसकी गांड तो अभी से फट रही है!
फारुख - अबे साजिद, इसकी गांड फट रही है, तेरी क्यों फट रही है! चल ना, वहां से चिराग भी है, क्या पता हमें मिल जाये!
साजिद - अबे नहीं फारुख, वहां कोई चिराग नहीं है। याद है पिछली बार भी हमें कुछ भी नहीं मिला था।
फारुख - आज चल, जरूर मिलेगा!
साजिद -वहां कुछ है ही नहीं तो मिलेगा क्या!
राहुल - तो क्या मैं जाऊं! मेरी क्लास छूट जाएगी!
फारुख - अबे चुपचाप से खड़ा रह! साजिद, तू चल रहा है कि नहीं!
साजिद - हम्म! चल!
फारुख और साजिद ओल्ड लाइब्रेरी तो गए ही लेकिन अपने साथ राहुल को भी लेते गए! ओल्ड लाइब्रेरी में कोई स्टाफ नहीं होता और वहां घुप्प अँधेरा रहता था तो अंदर जाते ही तीनो ने अपने अपने स्मार्ट फ़ोन की टोर्च ऑन की और वहां चिराग ढूंढने में व्यस्त हो गए। नहीं चाहते हुए भी राहुल को उनकी मदद करनी पड़ी। साजिद और फारुख सभी शीशे की चीज़ों में चिराग ढूंढ रहा है वहीँ राहुल लाइब्रेरी के बुक्स में इंटरेस्टेड था। जिन्न से रिलेटेड बुक्स एक एक सेक्शन बना हुआ था जहाँ जिन्न के बारे में कुछ किताबें थी जिन्होंने राहुल को अपनी ओर आकर्षित कर लिया था। इधर साजिद और फारुख उस जादुई चिराग की तलाश में थे, वहीँ राहुल की नज़र एक ऐसी किताब पर पड़ी जो किसी तरह के लॉक से बंद था। उस किताब पर एक जादुई चिराग का निशाँ था और जब राहुल उस किताब को खोल नहीं सका तो उसने उस किताब को वहीँ रखने की सोच बढ़ा ही था कि वहां साजिद और फारुख आ गया। फारुख ने राहुल के हाथ से वो किताब छीन लिया तभी राहुल ने भी किताब वापिस लेने की कोशिश की और उसमे साजिद भी किताब छीनने लगा। इतने में किताब पर बनी जादुई चिराग में रगड़ हुई और वहां धुंध फैलने लगा। थोड़ी ही देर में उन तीनो के सामने एक बड़ा ही भयानक जिन्न खड़ा था। जिन्न देखकर तीनो टेबल के नीचे चिप गए, इतने में आवाज़ आयी "आका, हुक्म मेरे आका!"
साजिद - लगता है, ये जिन्न हमारे विश को पूरा करेगा।
फारुख - अबे छुपा रह, सभी जिन्न विश पूरा नहीं करते!
इतने में तीनो के ऊपर से टेबल गायब हो गया और जिन्न उनके सामने खड़ा था।
जिन्न - हुक्म मेरे आका, तुम तीनों में से किसने मुझे नींद से जगाया।
साजिद ने तुरंत किताब छोड़ दी और बोला - मैंने नहीं जगाया!
फारुख ने भी किताब छोड़ दी और बोला - मैंने भी नहीं जगाया, इसने जगाया है।
राहुल के हाथ में किताब रह गया था और जिन्न उसे लगातार देखे जा रहा था।
राहुल - हम तीनों ने तुम्हे नींद से जगाया है!
जिन्न - ओह्ह! तो मुझे तुम तीनो की ख्वाहिश पूरी करनी पड़ेगी!
राहुल - हाँ!
जिन्न - तुम तीनो मुझे दो दो ख्वाहिशें मांग लो!
फारुख - लेकिन जिन्न तो तीन तीन ख्वाहिशें पूरी करते हैं।
जिन्न - तुम्हारे पास ज्यादा समय नहीं है, जो ख्वाहिश माँगना है, मांगो!
साजिद - ठीक है, पहले मेरी मुराद पूरी करो।
फारुख - नहीं पहले मेरी मुराद पूरी करो।
साजिद - ठीक है, तू ही मांग ले।
फारुख - मेरी पहली मुराद है, मेरे पास इतना धन दौलत हो जितना किसी के पास नहीं हो! और मेरी दूसरी मुराद है, दुबई में मेरा खुद का बुर्ज खलीफा हो!
जिन्न ने थोड़ा हाथ घुमाया और फारुख अमीर बन गया और आबूधाबी में उसका खुद का बुर्ज खलीफा जैसा बिल्डिंग तैयार हो गया। फारुख के हाथ में अबू धाबी स्थित उसके बुर्ज खलीफा का डाक्यूमेंट्स भी आ गया।
साजिद - मेरी पहली मुराद है, मेरे पास ऐसा पर्स हो जिसमे से जब भी मैं जिस किसी भी देश का पैसा निकालना चाहूँ और जितना निकालना चाहूँ, निकाल सकूँ! चाहे वो दीनार हो, डॉलर हो या रुपया। और मेरी दूसरी मुराद है कि मेरे पुरे गाँव की जमीन मेरी हो जाए!
जिन्न ने थोड़ा हाथ घुमाया और साजिद के हाथ में एक वॉलेट आ गया और उसका पूरा गाँव का जमीन उसके नाम पर हो गया। साजिद के हाथों में उसके गाँव की पूरी प्रॉपर्टी के डाक्यूमेंट्स भी आ गया। अब बारी थी राहुल की।
राहुल - मेरी पहली मुराद है कि तुम अभी इन दोनो को छोटी कद, स्लिम और सुन्दर लड़की बना दो, जिनका सबकुछ आज से मेरा हो जाये। लेकिन इस बात का ध्यान रखना कि इन दोनों की शक्ल में लड़कियों जैसी कोमलता भले ही आ जाये लेकिन इन दोनों के नैन नख्श बदलने नहीं चाहिए!
जिन्न - और दूसरी मुराद!
साजिद - साले राहुल के बच्चे, एक तो तू हमारा जूनियर ऊपर से तू हमे नाम लेकर पुकारता है, अब तो तुझे कुछ ज्यादा ही पनीश करना पड़ेगा!
फारुख - अबे इस लड़के को अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में दाखिला क्या मिला, ये तो खुद को चंगेज़ खान समझने लगा है।
साजिद - अबे राहुल सुन, क्या सोचकर तूने रुखसार और फातिमा से दोस्ती की। अबे वो दोनों सीनियर है तेरी और तू हमारी गिर्ल्फ्रेंड्स को हमसे छीनना चाहता है।
राहुल - नहीं साजिद, मैं ऐसा कुछ नहीं चाहता, वे खुद आयीं थीं मेरे पास!
फारुख - अच्छा, बेवकूफ समझता है हम दोनों को!
राहुल - नहीं फारुख, तुमदोनो ने ही तो कहा था कि उन दोनों को पढाई में हेल्प कर देने को, और तुम दोनों ने ही तो मुझे नाम लेकर बात करने को कहा था।
फारुख - तो हम तुझे कुएं में कूदने को कहेंगे तो क्या तू उसी में कूद जायेगा!
साजिद - हाँ, और अगर हम तुझे जो कहेंगे, वो करेगा तू! तहज़ीब नाम की कोई चीज़ भी है कि नहीं!
राहुल - सॉरी!
राहुल - नहीं फारुख, तुमदोनो ने ही तो कहा था कि उन दोनों को पढाई में हेल्प कर देने को, और तुम दोनों ने ही तो मुझे नाम लेकर बात करने को कहा था।
फारुख - तो हम तुझे कुएं में कूदने को कहेंगे तो क्या तू उसी में कूद जायेगा!
साजिद - हाँ, और अगर हम तुझे जो कहेंगे, वो करेगा तू! तहज़ीब नाम की कोई चीज़ भी है कि नहीं!
राहुल - सॉरी!
साजिद - चल अब हम जो कहते हैं वो कर!
राहुल - अभी नहीं प्लीज्, बहुत इम्पोर्टेन्ट क्लास छूट जाएगी!
फारुख - अबे चुप कर!
राहुल - सॉरी, प्लीज्!
साजिद - चल अब हमारे साथ! ओल्ड लाइब्रेरी में!
राहुल - ओल्ड लाइब्रेरी! नहीं नहीं प्लीज्, वहां नहीं प्लीज्!
साजिद - अबे चल चूतिये! सुना है वहां पर एक जिन्न रहता है जो विश पूरा करता है!
राहुल - जिन्न नहीं होते!
फारुख - हाहाहा, चल आज तुझे जिन्न दिखाता हूँ!
साजिद - अरे रहने दे फारुख, इसकी गांड तो अभी से फट रही है!
फारुख - अबे साजिद, इसकी गांड फट रही है, तेरी क्यों फट रही है! चल ना, वहां से चिराग भी है, क्या पता हमें मिल जाये!
साजिद - अबे नहीं फारुख, वहां कोई चिराग नहीं है। याद है पिछली बार भी हमें कुछ भी नहीं मिला था।
फारुख - आज चल, जरूर मिलेगा!
साजिद -वहां कुछ है ही नहीं तो मिलेगा क्या!
राहुल - तो क्या मैं जाऊं! मेरी क्लास छूट जाएगी!
फारुख - अबे चुपचाप से खड़ा रह! साजिद, तू चल रहा है कि नहीं!
साजिद - हम्म! चल!
फारुख और साजिद ओल्ड लाइब्रेरी तो गए ही लेकिन अपने साथ राहुल को भी लेते गए! ओल्ड लाइब्रेरी में कोई स्टाफ नहीं होता और वहां घुप्प अँधेरा रहता था तो अंदर जाते ही तीनो ने अपने अपने स्मार्ट फ़ोन की टोर्च ऑन की और वहां चिराग ढूंढने में व्यस्त हो गए। नहीं चाहते हुए भी राहुल को उनकी मदद करनी पड़ी। साजिद और फारुख सभी शीशे की चीज़ों में चिराग ढूंढ रहा है वहीँ राहुल लाइब्रेरी के बुक्स में इंटरेस्टेड था। जिन्न से रिलेटेड बुक्स एक एक सेक्शन बना हुआ था जहाँ जिन्न के बारे में कुछ किताबें थी जिन्होंने राहुल को अपनी ओर आकर्षित कर लिया था। इधर साजिद और फारुख उस जादुई चिराग की तलाश में थे, वहीँ राहुल की नज़र एक ऐसी किताब पर पड़ी जो किसी तरह के लॉक से बंद था। उस किताब पर एक जादुई चिराग का निशाँ था और जब राहुल उस किताब को खोल नहीं सका तो उसने उस किताब को वहीँ रखने की सोच बढ़ा ही था कि वहां साजिद और फारुख आ गया। फारुख ने राहुल के हाथ से वो किताब छीन लिया तभी राहुल ने भी किताब वापिस लेने की कोशिश की और उसमे साजिद भी किताब छीनने लगा। इतने में किताब पर बनी जादुई चिराग में रगड़ हुई और वहां धुंध फैलने लगा। थोड़ी ही देर में उन तीनो के सामने एक बड़ा ही भयानक जिन्न खड़ा था। जिन्न देखकर तीनो टेबल के नीचे चिप गए, इतने में आवाज़ आयी "आका, हुक्म मेरे आका!"
साजिद - लगता है, ये जिन्न हमारे विश को पूरा करेगा।
फारुख - अबे छुपा रह, सभी जिन्न विश पूरा नहीं करते!
इतने में तीनो के ऊपर से टेबल गायब हो गया और जिन्न उनके सामने खड़ा था।
जिन्न - हुक्म मेरे आका, तुम तीनों में से किसने मुझे नींद से जगाया।
साजिद ने तुरंत किताब छोड़ दी और बोला - मैंने नहीं जगाया!
फारुख ने भी किताब छोड़ दी और बोला - मैंने भी नहीं जगाया, इसने जगाया है।
राहुल के हाथ में किताब रह गया था और जिन्न उसे लगातार देखे जा रहा था।
राहुल - हम तीनों ने तुम्हे नींद से जगाया है!
जिन्न - ओह्ह! तो मुझे तुम तीनो की ख्वाहिश पूरी करनी पड़ेगी!
राहुल - हाँ!
जिन्न - तुम तीनो मुझे दो दो ख्वाहिशें मांग लो!
फारुख - लेकिन जिन्न तो तीन तीन ख्वाहिशें पूरी करते हैं।
जिन्न - तुम्हारे पास ज्यादा समय नहीं है, जो ख्वाहिश माँगना है, मांगो!
साजिद - ठीक है, पहले मेरी मुराद पूरी करो।
फारुख - नहीं पहले मेरी मुराद पूरी करो।
साजिद - ठीक है, तू ही मांग ले।
फारुख - मेरी पहली मुराद है, मेरे पास इतना धन दौलत हो जितना किसी के पास नहीं हो! और मेरी दूसरी मुराद है, दुबई में मेरा खुद का बुर्ज खलीफा हो!
जिन्न ने थोड़ा हाथ घुमाया और फारुख अमीर बन गया और आबूधाबी में उसका खुद का बुर्ज खलीफा जैसा बिल्डिंग तैयार हो गया। फारुख के हाथ में अबू धाबी स्थित उसके बुर्ज खलीफा का डाक्यूमेंट्स भी आ गया।
साजिद - मेरी पहली मुराद है, मेरे पास ऐसा पर्स हो जिसमे से जब भी मैं जिस किसी भी देश का पैसा निकालना चाहूँ और जितना निकालना चाहूँ, निकाल सकूँ! चाहे वो दीनार हो, डॉलर हो या रुपया। और मेरी दूसरी मुराद है कि मेरे पुरे गाँव की जमीन मेरी हो जाए!
जिन्न ने थोड़ा हाथ घुमाया और साजिद के हाथ में एक वॉलेट आ गया और उसका पूरा गाँव का जमीन उसके नाम पर हो गया। साजिद के हाथों में उसके गाँव की पूरी प्रॉपर्टी के डाक्यूमेंट्स भी आ गया। अब बारी थी राहुल की।
राहुल - मेरी पहली मुराद है कि तुम अभी इन दोनो को छोटी कद, स्लिम और सुन्दर लड़की बना दो, जिनका सबकुछ आज से मेरा हो जाये। लेकिन इस बात का ध्यान रखना कि इन दोनों की शक्ल में लड़कियों जैसी कोमलता भले ही आ जाये लेकिन इन दोनों के नैन नख्श बदलने नहीं चाहिए!
जिन्न - और दूसरी मुराद!
राहुल - तुम मुझे दुनिया का सबसे बड़ा जादूगर बना दो जो अपनी इच्छा शक्ति से जो चाहे वो कर सके!
जिन्न - जो हुक्म मेरे आका!
इससे पहले कि साजिद और फारुख कुछ समझ पाते, एक काले धुंध ने उन्हें घेर लिया और देखते ही देखते दोनों का कद छोटा हो गया, दोनों स्लिम हो गए और दोनों ही छोटी कद की सुन्दर सुन्दर लड़कियों बदल चुके थे। इधर राहुल को एक सफ़ेद धुंध ने घेर लिया और अब वो दुनिया का सबसे बड़ा जादूगर था और उसके हाथों में फारुख की दुबई की प्रॉपर्टी, साजिद की गाँव की प्रॉपर्टी, साजिद का जादुई वॉलेट और फारुख की पूरी धन संपत्ति अब सब राहुल का हो चूका था। जिन्न के साथ साथ वो किताब की गायब हो चुकी थी। फारुख और साजिद लड़की बन चुके थे और वे दोनों ही राहुल को गुस्से में घूरे जा रहे थे।
साजिद, फारुख - हरामजादे, ये क्या मांग लिया तूने!
राहुल - हाहाहा, लड़की बनकर इतनी क्यूट दिख रही हो दोनों! बहन की लौडियों, मैंने वही किया जो मुझे करना चाहिए था। बड़ा शौक था ना तुमदोनो को मुझे परेशां करने में, अब देख मैं कैसे तुम दोनों की लाइफ का भोसड़ा बनाता हूँ। अब तुम दोनों पर सिर्फ मेरा हक़ है, तुम्हारी प्रॉपर्टी, तुम्हारे पैसे सब मेरे हो चुके।
साजिद (रोते हुए) - ये बहुत गलत किया तुमने राहुल!
राहुल - हाहाहा, गलत लोगो के साथ गलत कैसा, साली हरमजादियों, चल अब मैं तुम दोनों की असलियत पुरे कॉलेज में बताऊंगा। धौंस दिखाने का बड़ा शौक था ना तुम दोनों को, अब मैं बताता हूँ, धौंस दिखाना क्या होता है, सच में बहुत मजा आ रहा है तुम दोनों को ऐसे देखकर।
फारुख - तू हमें फिर से मर्द बना दे राहुल, नहीं तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा!
राहुल - हाहाहा, तुझसे बुरा तो कोई और हो भी नहीं सकता! अब अगर तुमदोनो ने ज्यादा चु चपर किया तो मैं बताऊंगा कि बुरा होना क्या होता है! रस्सी जल गयी, बल नहीं गया!
फारुख - राहुल! तुम हमें फिर से मर्द बना रहा है या नहीं!
राहुल - बहुत बोल रही है तू!
अब राहुल को गुस्सा आ रहा था, उसने अपनी जादू से फारुख को और साजिद की याददाश्त मिटा दिया और दोनों को नाम और आइडेंटिटी भी दी। अब से फारुख का नया नाम ग़ज़ल रख दिया और साजिद का नया नाम रखा सजिया! ग़ज़ल और सजिया को भी अब यही याद था कि वे दोनों लड़कियां हैं और राहुल की गुलाम भी! अब कॉलेज मे रहना बेमानी था, राहुल के लिए भी और उनदोनों के लिए भी। राहुल सजिया और ग़ज़ल को अपने साथ दुबई वाले बिल्डिंग मे ले गया, उनदोनों से अपनी सेवा करवाने लगा और उनदोनों से झाड़ू पोंछा लगवाता, खाना पकवाता, कपड़े धुलवाता, पैर दबवाता, जब मन करता सजिया की चुदाई करता, जब मन करता ग़ज़ल की चुदाई करता! कुछ ही दिनों मे ग़ज़ल और सजिया को राहुल को खुश रखना अच्छा लगने लगा था और राहुल उनदोनों के साथ एक एक करके खूब सेक्स करता। राहुल बहुत खुश था और सजिया और ग़ज़ल को बहुत खुश रखता और अपनी नई लाइफ मे तीनों बहुत खुश रहने लगे थे। कुछ दिनों के बाद राहुल ने अपनी फॅमिली को दुबई बुला लिया और उसके मॉम डैड के साथ हंसी खुशी रहने लगा। राहुल की मॉम को ना तो सजिया पसंद थी और ना ही ग़ज़ल और उन दोनों से राहुल भी बोर होने लगा था। राहुल के बिजनस क्लास दोस्त अब्दुल को दोनों ही बहुत पसंद थी तो राहुल ने सजिया और ग़ज़ल का निकाह अब्दुल से करवा दिया और उसके बदले मे अब्दुल ने राहुल को दो मिलियन डॉलर दिए। निकाह के बाद ग़ज़ल और सजिया को अब्दुल अपने घर ले गया और दोनों को अपनी बेगम बनाकर उनके साथ खूब इन्जॉय करता। कुछ दिनों के बाद राहुल की मॉम ने अपने पसंद की हिन्दू लड़की स्नेहा से उसकी शादी करवा दी, उस शादी मे रहमान भी आया था, अपनी दोनों गर्भवती बेगमों के साथ। सजिया और ग़ज़ल गर्भवती थीं और अपना पेट पकड़े अपने शौहर अब्दुल के साथ शादी इन्जॉय कर रही थी। राहुल भी बहुत खुश था, आखिरकर सजिया और ग़ज़ल के कारण ही उसे ये सब मिला था। ना ही उस रोज सजिया और ग़ज़ल उसे उस लाइब्रेरी मे ले जाते और ना ही उसे ये लाइफ मिलती।
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