यह
कहानी शैलेश नाम के एक शख्स की है, जो दुबला पतला, 5 फीट 5 इंच की ऊंचाई
का है और उसका वजन लगभग 55 किलो है। शैलेश पिछले 10 सालों से नई दिल्ली में
रह रहा था, एक अच्छी नौकरी थी, शीतल नाम की एक खूबसूरत पत्नी और एक 1 साल
का बेटा, जिसका नाम दोनों ने मिलकर राहुल रखा था। जीवन में किसी भी चीज़ की
कमी नहीं थी कि अचानक एक दिन किसी कारण से शैलेश की नौकरी चली गई। शैलेश
ने एक नया फ्लैट लिया था, हर महीने की ईएमआई और घर में होने वाले खर्च का
अचानक से बोझ बढ़ गया। सेविंग्स भी इतनी नहीं थी कि पांच से छह महीने से
ज्यादा घर चल सके। शैलेश का परिवार मेरठ में रहता था और फाइनेंसियली अपने
परिवार को सपोर्ट करना शैलेश के ही जिम्मे था। घर चलाना मुश्किल हो रहा था
और साथ ही भविष्य के बारे में चिंता करना, घर की ईएमआई की टेंशन और बच्चे
के बारे में सोचना, शैलेश की नींद गायब हो गई थी। लगभग 2 महीने में नौकरी
के लिए 25 से अधिक इंटरव्यू देने के बावजूद, शैलेश को नौकरी नहीं मिली।
दोस्तों का कोई रिफरेन्स भी काम नहीं कर रहा था और शैलेश का बैंक बैलेंस भी
धीरे-धीरे ख़त्म होता जा रहा था। घर में शीतल और राहुल का चेहरा देखकर
शैलेश बहुत भावुक हो गया था और उसे अपना भविष्य अंधकारमय नजर आने लगा था।
एक दिन शैलेश के दोस्त की सलाह लेकर वो एक ज्योतिष से जाकर मिला
ज्योतिष, “आपके जीवन मे राहु का दुष्प्रभाव शुरू हो चुका है लेकिन आपकी शादी के पश्चात ये दुष्प्रभाव हमेशा के लिए खत्म हो जाएगा!”
शैलेश, “क्या बेवकूफों जैसी बातें कर रहे हो बाबा जी, मैं शादीशुदा हूँ और मेरा एक बेटा भी है!”
ज्योतिष, “बेटे, मैं ज्योतिष हूँ, जो तुम्हारे हाथों की लकीरों में लिखा है मैं वही बता रहा हूँ। आज से ठीक दो साल के अंदर तुम्हारी शादी का संयोग बन रहा है और तुम्हारी शादी के ठीक दो साल के भीतर तुम्हारे पहले पुत्र का संयोग भी बन रहा है।”
शैलेश, “आप रहने दो बाबा जी! आपसे ना हो पायेगा ये ज्योतिष, मैने एक बार बता दिया फिर भी आप वही बात बोल रहे हो।”
ज्योतिष, “तुम मेरी बातों पर ध्यान भले मत दो लेकिन बेटे, दो साल के अंदर जिस मर्द से तुम्हारी शादी होगी, उसके बच्चों को जन्म देने के बाद ही तुम्हारा उद्धार होगा। तबतक तुम चाह कर भी अपने नसीब को नही बदल सकते! लेकिन इससे बचने का एक उपाय है, अगर तुम हाँ करो तो मैं बताता हूँ!”
शैलेश, “पागल हो गया है बुड्ढा! क्या बोले जा रहा है, तू रख अपनी ज्योतिष और उपाय अपने पास और देख मैं कैसे अपना नासिब ठीक करता हूँ!”
ज्योतिष, “जैसी तुम्हारी मर्ज़ी बेटे, मैं तुम्हारा भविष्य साफ देख पा रहा हूँ। तुम चाहे मेरी उपाय मानो या नही मानो, लेकिन तुम्हारा जन्म एक मर्द की दुल्हन बनने के लिए हुआ है। उसके वंश को तुम्हे अपनी कोख में पालना होगा और तुम खुशी खुशी अपने पति के लिये उसके बच्चों को भी जन्म दोगे। याद रखना, एक दिन तुम्हारा पति ही तुम्हे मेरे पास लेकर आएगा अपने बच्चे के नामकरण के लिए! एक बार मेरी बात को सुन लो और जो उपाय कहूँ करने को वो करो, और इस जगह को छोड़कर यहां से 50, 55 किलोमीटर दूर शिफ्ट हो जाओ, तुम्हारे साथ फिर सब अच्छा होगा और तुम्हारा भविष्य बदल जायेगा, लेकिन आज अगर तुमने मेरी बात नही मानी तो जैसा मैंने कहा है, तुम एक दिन अपने पति के साथ ही मेरे पास दुल्हन बनकर आओगे और अपने बच्चों का नामकरण करवाओगे! उसके बाद का जीवन अपने पति के सेवा में बिताना पड़ेगा उससे अच्छा है कि मेरी बात मान लो। मैं जानता हूँ कि तुम्हारा दोष कैसे खत्म होगा।”
शैलेश, “पगला गया है बुड्ढा!”

शैलेश, “क्या बेवकूफों जैसी बातें कर रहे हो बाबा जी, मैं शादीशुदा हूँ और मेरा एक बेटा भी है!”
ज्योतिष, “बेटे, मैं ज्योतिष हूँ, जो तुम्हारे हाथों की लकीरों में लिखा है मैं वही बता रहा हूँ। आज से ठीक दो साल के अंदर तुम्हारी शादी का संयोग बन रहा है और तुम्हारी शादी के ठीक दो साल के भीतर तुम्हारे पहले पुत्र का संयोग भी बन रहा है।”
शैलेश, “आप रहने दो बाबा जी! आपसे ना हो पायेगा ये ज्योतिष, मैने एक बार बता दिया फिर भी आप वही बात बोल रहे हो।”
ज्योतिष, “तुम मेरी बातों पर ध्यान भले मत दो लेकिन बेटे, दो साल के अंदर जिस मर्द से तुम्हारी शादी होगी, उसके बच्चों को जन्म देने के बाद ही तुम्हारा उद्धार होगा। तबतक तुम चाह कर भी अपने नसीब को नही बदल सकते! लेकिन इससे बचने का एक उपाय है, अगर तुम हाँ करो तो मैं बताता हूँ!”
शैलेश, “पागल हो गया है बुड्ढा! क्या बोले जा रहा है, तू रख अपनी ज्योतिष और उपाय अपने पास और देख मैं कैसे अपना नासिब ठीक करता हूँ!”
ज्योतिष, “जैसी तुम्हारी मर्ज़ी बेटे, मैं तुम्हारा भविष्य साफ देख पा रहा हूँ। तुम चाहे मेरी उपाय मानो या नही मानो, लेकिन तुम्हारा जन्म एक मर्द की दुल्हन बनने के लिए हुआ है। उसके वंश को तुम्हे अपनी कोख में पालना होगा और तुम खुशी खुशी अपने पति के लिये उसके बच्चों को भी जन्म दोगे। याद रखना, एक दिन तुम्हारा पति ही तुम्हे मेरे पास लेकर आएगा अपने बच्चे के नामकरण के लिए! एक बार मेरी बात को सुन लो और जो उपाय कहूँ करने को वो करो, और इस जगह को छोड़कर यहां से 50, 55 किलोमीटर दूर शिफ्ट हो जाओ, तुम्हारे साथ फिर सब अच्छा होगा और तुम्हारा भविष्य बदल जायेगा, लेकिन आज अगर तुमने मेरी बात नही मानी तो जैसा मैंने कहा है, तुम एक दिन अपने पति के साथ ही मेरे पास दुल्हन बनकर आओगे और अपने बच्चों का नामकरण करवाओगे! उसके बाद का जीवन अपने पति के सेवा में बिताना पड़ेगा उससे अच्छा है कि मेरी बात मान लो। मैं जानता हूँ कि तुम्हारा दोष कैसे खत्म होगा।”
शैलेश, “पगला गया है बुड्ढा!”

शैलेश ने ज्योतिष को पागल समझकर उसकी बातों को सुनकर भी अनसुना कर दिया और आखिर में उसकी कही बात को सुने बगैर वहां से पैर पटकता हुआ चला गया। एक दिन त्यधिक तनाव के कारण, शैलेश के कदम एक बार की ओर बढ़ गए, जहाँ वह कभी-कभी शराब पीने के लिए जाया करता था। जब शैलेश बार में पहुंचा, तो वह पहली बार उस बार के मालिक से मिला। उस बार का मालिक बलवंत नाम का एक बहुत अच्छा आदमी था; जिसकी उम्र 45 साल थी। उन्होंने शैलेश को एक काम की पेशकश की, जिस प्रस्ताव को सुनकर शैलेश का होश उड़ गया, उसने तुरंत बलवंत को उस काम के लिए मना कर दिया और वहां से जाने लगा, तब बलवंत ने शैलेश को सोचने के लिए एक सप्ताह का समय दिया। शैलेश बार से सीधे घर आया, सीधे अपने घर गया, अपना लैपटॉप खोला और इंटरनेट ऑन किया और लैपटॉप देखने लगा।
शीतल, “शैलेश क्या देख रहे हो? आज इंटरव्यू में क्या हुआ? नौकरी मिल गई?”
शैलेश: “नो बेबी, मुझे अभी तक नौकरी नहीं मिली है, लेकिन मैं एक नई नौकरी के लिए आवेदन कर रहा हूं, अगर मुझे यह मिल जाता है तो हमारा जीवन सेट हो जाएगा।”
शीतल, “भगवान आपको जल्द से जल्द नौकरी दें, हमारा बेटा बड़ा हो रहा है, उसके खर्च बढ़ रहे हैं, आप कोशिश करें, आपको जरूर नौकरी मिल जाएगी!”
शैलेश लैपटॉप के सामने बैठ गया और सोचने लगा, “मैं क्या करूँ, मुझे नौकरी नहीं मिल रही है। शीतल की आँखों में दुःख देखकर मुझे रोना आ गया। कई कंपनियों ने मेरा रिज्यूम वापस कर दिया है और उस बार के मालिक ने मुझे नौकरी ऑफर की है। लेकिन जो नौकरी वो मुझे दे रहा है वो मैं कैसे कर सकता हूँ। मैं एक आदमी हूँ, मेरी एक पत्नी है, मेरा एक बच्चा है और मैं एक क्रॉस-ड्रेसर के रूप में नाच कर और दूसरे आदमी के बिस्तर को गर्म करके पैसे नहीं कमा सकता! ये काम मैं कैसे सकता हूं, मैं इसके बारे में कैसे सोच सकता हूं, नहीं, नहीं! लेकिन मैं क्या करूं, मेरी सारी सेविंग्स धीरे धीरे खत्म हो रही है, मुझे बेटे और शीतल के लिए मुझे जल्द से जल्द नौकरी खोजने की जरूरत है। मैं नौकरी करता हूं; मैं दूसरी कंपनी में नौकरी के लिए आवेदन करता हूं। मैं ऐसी नौकरी नहीं कर सकता, आखिर मैं एक मर्द हूँ कोई ट्रांसजेंडर या शीमेल नहीं।”
शीतल, “तुम क्या सोच रहे हो शैलेश? पहले खाना खाओ और फिर अपना काम करते रहो!”
शैलेश, “बेबी, मैं नौकरी के लिए आवेदन कर रहा हूं, मैं थोड़ी देर बाद रात का खाना खाऊंगा!”
शीतल, “नहीं हनी! पहले खाना खाओ और फिर काम करते रहो! मुझे पता है, तुम नौकरी को लेकर बहुत तनाव में हो, ज्यादा तनाव मत लो नहीं तो बीमार हो जाओगे!”
शैलेश ने डिनर किया और फिर से लैपटॉप के सामने बैठकर काम किया और थोड़ी देर बाद वह सो गया। अगली सुबह मैं उठा और चाय के लिए दूध लाने दुकान पर गया। जब वह दूध लेकर आया, तो सब्जियां खत्म हो गईं, अगर वह एटीएम से पैसे निकालने गया, तो एटीएम में पैसे नहीं थे। समस्याएं बढ़ती रहीं और नौकरियों की पहचान नहीं हुई। एक हफ्ता ख़त्म होने को था और शैलेश को कहीं नौकरी नहीं मिली। शैलेश उदास रहने लगा और खुद को कमरे में बंद कर लिया और सोचने लगा कि क्या किया जाए! एक तो वो ज्योतिष की कही बातें ऊपर से बार मे बार मालिक की बातें, ये सब शैलेश के दिमाग की खिचड़ी बना रहे थे।
एक हफ्ते में 5 से अधिक इंटरव्यू देने के बावजूद कहीं भी नौकरी नहीं मिली। शैलेश को अभी भी बलवंत का प्रस्ताव याद था और अब शैलेश के कदम बलवंत के बार में जाने के लिए तैयार हो रहे थे। बहुत सोच-विचार के बाद शैलेश ने फैसला किया कि वह बलवंत के पास जाएगा और दूसरी नौकरी के लिए बात करेगा! और अगले दिन शैलेश सुबह ही तैयार होकर बलवंत के बार में गया और बलवंत से मिला।
बलवंत, “आओ शैलेश, तुमने क्या सोचा है!”
शैलेश, “सर, डांसर और एस्कॉर्ट बनने के अलावा आपके बार में कोई और काम नहीं है?”
बलवंत, ”अगर मेरे अलावा कोई और नौकरी होता, तो मैं निश्चित रूप से तुम्हे नियुक्त करता, लेकिन मेरे पास बार डांसर् और शीमेल एस्कॉर्ट के अलावा कोई और नौकरी नहीं है। मेरे सभी ग्राहक वीआईपी हैं, तुम्हे उनके सामने ही नाचना भी है और उन्ही वीआईपी कस्टमर्स को पूरी रात शीमेल बनकर खुश भी करना है। अगर तुम ऐसा करने को तैयार हो तो तुम मेरे बार में नौकरी कर सकते हो और मैं तुम्हे हर रात ३००० रूपये दूंगा और साथ ही कस्टमर्स की टिप तुम्हारी होगी! मुझे नहीं लगता कि तुम किसी और नौकरी में इतना पैसा कमाने में सक्षम हो शैलेश।”
शैलेश, “लेकिन सर, मैं एक शादीशुदा मर्द हूँ, मेरी बीवी और एक बेटा भी है सर। और आप चाहते हैं कि मैं इस बार में एक बार डांसर और शीमेल बनकर आपके वीआईपी कस्टमर्स की हवस मिटाऊं।”

बलवंत, “बिलकुल सही समझे हो तुम। अगर तुम इस बार में तुम काम करना चाहते हो तो सिर्फ एक बार डांसर और शीमेल प्रोस्टीच्यूट बनकर ही इस बार में काम कर सकते हो।”
शैलेश, “लेकिन सर, मैं गे नहीं हूँ ! मुझे लड़कियां पसंद हैं!”
बलवंत, “उससे कोई फरक नहीं पड़ता कि तुम एक गे हो या फिर स्ट्रैट! मुझे तुम्हारा शरीर अच्छा लगा, तुम स्लिम ट्रिम हो, तुम्हारा वजन मुश्किल से ५० या ५५ होगा और तुम्हारी कमर भी २७ या २८ से ज्यादा नहीं है और तुम्हारी शक्ल और नैन नख्श भी लड़कियों की तरह शार्प है। और वैसे भी तुम्हे पैसों की जरुरत है शैलेश! तुम्हे कुछ नही करना है, सिर्फ गांड मरवाने और नाचने के पैसे मिलेंगे। क्लाइंट्स को खुश करके रखो और पैसे कमाओ, यही इस बार का नियम है।”
शैलेश ने बहुत सोचा लेकिन उसके पास लाइफ में आगे बढ़ने के लिए पैसों की खास जरूरत थी और इस जॉब को अपनाने के अलावे शैलेश के पास कोई और रास्ता नहीं था। शैलेश ने इस जॉब के लिए हाँ कर दिया।
शैलेश, “मैं तैयार हूँ सर, बताइये मुझे क्या करना होगा !”
बलवंत, “तुम्हे कुछ भी नहीं करना है, जो करेगी अलीशा करेगी !”
फिर बलवंत ने अलीशा को बुलाया और अलीशा, शैलेश को अपने साथ कमरे में ले गयी और उसे आईने के सामने खड़ा कर दिया। मेकअप का पूरा सेट सामने रखा गया था, साड़ी, लहंगा चोली, हील्स वाले सैंडल और महिलाओं के आभूषण भी। सबसे पहले अलीशा, शैलेश को हो जाने को कहा, शैलेश हिचकिचाने लगा और फिर अलीशा ने शैलेश को विश्वास दिलाया कि वो यह सब पैसा कमाने के लिए करने जा रहा है; तब शैलेश उसकी बातों से सहमत हो गया। अलीशा ने शैलेश को आश्वस्त किया और उसे वैक्सिंग और थ्रेडिंग के लिए तैयार किया। शैलेश थ्रेडिंग और वैक्सिंग का दर्द सहन नहीं कर सका और उसकी आंखों में आंसू थे। अलीशा ने शैलेश से कहा कि वह एक महिला के रूप में खुलकर रो सकता है, इसमें कोई शर्म की बात नहीं है। वैक्सिंग और थ्रेडिंग के बाद अलीशा शैलेश के सामने हाथ में एक लम्बी सुई लेकर खड़ी थी। अलीशा के हाथों में वो लम्बी सुई देखकर शैलेश समझ गया और कि अलीशा उसके कान छेदने जा रही है। घबराहट में शैलेश ने अलीशा को रोका लेकिन अलीशा नहीं रुकी।

शैलेश, “ये तुम क्या करने जा रही हो अलीशा!”
अलीशा, “अभी तो मैं तुम्हारे दोनों कानों में तीन तीन छेद करने जा रही हूँ।”
शैलेश, “नहीं अलीशा, मुझे कान नहीं छिदवाना! क्लिप वाली इयररिंग्स भी पहन सकता हूँ मैं!”
अलीशा, “शैलेश तुम घबराओ मत, इससे कुछ नहीं होगा। कान छिदवाने से इतना डर रहे हो, अभी तो तुम्हारी सुनी नाक में भी एक छेद करना है। हमारे देश में औरतें कान और नाक दोनों ही छिदवाती हैं ताकि वो नाक और कान में सोने के आभूषण पहन सकें, सज सवंर सकें।”
शैलेश, “नहीं नहीं, प्लीज अलीशा, मुझे कान और नाक नहीं छिदवाना !”
अलीशा, “देखो शैलेश, नाक और कान छिदवाये बिना तुम इस बार में कैसे काम करोगी। इस बार में किसी बार डांसर को बिना नथिया का देखा है तुमने? नहीं ना क्यूंकि इस बार में सभी बार डांसर्स को नाक में हैवी नथिया और कानों में हैवी झुमके और सोने की बाली पहनना अनिवार्य है।”
शैलेश, “लेकिन अलीशा, बहुत दर्द होगा!”
अलीशा, “हाहाहा! तुम तो सोलह साल की लड़की की तरह घबरा रहे हो शैलेश!”
फिर अलीशा ने सुई को शैलेश की नाक के बाईं ओर दबाया और उसे पुश कर दिया। वो सुई शैलेश के नाक के आर पार हो गयी और दर्द से शैलेश ने अपनी आँखें बंद कर ली, लेकिन अपने आंसुओं क बहने से नहीं रोक सका। अलीशा ने सेम प्रक्रिया को शैलेश के प्रत्येक कान मे तीन बार किया और शैलेश के दोनों कानों मे तीन तीन छेद कर दिए। शैलेश लगातार रोये जा रहा था लेकिन अलीशा पर उसका कोई भी प्रभाव नहीं पड़ रहा था। अलीशा ने शैलेश के नाक में एक पीतल की नोज़रिंग अस्थायी रूप से पहना दिया और उसने शैलेश के दाहिने और बाएँ कान में तीन तीन बाली को कस दिया।
“बेहतर!” अलीशा ने उपहास करते हुए कहा, “एक दिन जरूर तुम एक अच्छी दिखने वाली खूबसूरत महिला बनोगी शैलेश।”
अलीशा की बात सुनकर और शर्मिंदगी में शैलेश ने अपना सर झुका लिया और आँखों में आंसू लिए कभी अपने नाक को तो कभी अपने कानों को छूकर नाक कान छिदवाये होने का एहसास कर रहा था। शर्मिंदगी में शैलेश को कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था।
अलीशा, “क्या हुआ शैलेश, तुम इतने उदास मत हो ! इतनी सुन्दर शक्ल पर उदासी अच्छी नहीं लग रही।”
शैलेश, “अलीशा मैं एक मर्द हूँ जो अपना नाक और कान छिदवा कर इस बार में नाचने वाली बार डांसर बनने जा रहा है। अलीशा मुझसे ये सब कैसे होगा?”
अलीशा, “देखो शैलेश, तुम खुद इस बार में इस नौकरी के लिए आये हो। शिमेल्स का काम है गांड मरवाना और नाचना, तुम्हे पैसों की जरुरत है, क्यों है, वो मैं नहीं जानती, लेकिन इतना जरूर जानती हूँ कि अगर पैसों की जिस जरूरत ने तुम्हे एक मर्द से शीमेल डांसर बनने के लिए मजबूर कर दिया है तो जरूर इसके पीछे कुछ खास रीजन होगा। तुम्हे ज्यादा सोचने की कोई जरूरत नही, क्लाइंट्स के साथ रात बिताओ और डांस करके क्लाइंट्स को खुश रखो, बस इतना ही तो करना है। शुरुआत में तुम्हे एक दो दिन दर्द रहेगा, बाकी कुछ मेडिसिन्स हैं, मैं दे दूंगी, रोज़ लेते रहने पर धीरे धीरे तुम्हारा दर्द खत्म हो जाएगा!”
शैलेश, “हाँ अलीशा, मैं ये सब सिर्फ अपनी पत्नी और बेटे के लिए करने जा रहा हूँ। मेरे लिए मेरे परिवार का भविष्य मेरे लाइफ से ज्यादा इम्पोर्टेन्ट है।”
अलीशा, “तुम्हारे बीवी, बेटे बड़े ही खुशनसीब हैं शैलेश, जिन्हे तुम जैसा प्यार करने वाला इंसान मिला।”
शैलेश, “लेकिन मुझे एक बात समझ में नहीं आया कि इस बार में बार डांसर को नाक में नथिया पहनना इतना जरुरी क्यों है? क्या बिना नथिया पहने इस बार में काम नहीं कर सकते?”
अलीशा, “देखो शैलेश, नथिया हो या झुमके, यहाँ के बार डांसर्स को नाक में नथिया पहना और कानों में भी झुमके पहनना जरुरी इसीलिए है क्यूंकि हमारे बार के मालिक ऐसा चाहते हैं।”
शैलेश, “हम्म! क्या मैं अपनी पत्नी को एक कॉल कर लूँ ?”
अलीशा, “हाँ हाँ, क्यों नहीं ?”
शैलेश ने शीतल को कॉल किया लेकिन उधर से कोई भी जवाब नहीं आया। तीन चार कॉल करने के बावजूद शीतल ने कॉल पिक नहीं किया तो शैलेश ने सोचा कि उसकी पत्नी कहीं व्यस्त होगी इसीलिए उसने बाद में कॉल करने का सोचा और फ़ोन मेकअप टेबल के सामने रख दिया। फिर अलीशा ने फिर से शैलेश का मेकअप करना शुरू कर दिया। मैनीक्योर और पैडीक्योर के बाद अलीशा ने शैलेश को बॉडी क्रीम देकर वाशरूम में भेज दिया। जब शैलेश वाशरूम से बाहर आया तब उसके शरीर हेयरलेस हो चूका था। शैलेश ने अपनी बॉडी को छूकर देखा, काफी नरम और मुलायम सिल्की स्किन जिसके ऊपर खुद के स्पर्श ने शैलेश को अंदर से एक अजीब सी अनुभूति का एहसास हुआ। फिर अलीशा ने शैलेश के नाखूनों पर डार्क पिंक नेल पोलिश, चेस्ट पर एक खास तरह का ग्लू अप्लाई करके फेक बूब्स को ऐसे चिपका दिया मानो वो सच में शैलेश के बूब्स हों। अलीशा ने शैलेश को एक ब्रा और एक खास तरह की पैंटी पहनने को दिया जिसके बाद शैलेश चेंजिंग रूम में गया। शैलेश अपनी ब्रा को हुक नहीं कर पा रहा था और उसे अलीशा की मदद लेनी पड़ी। एक खास तरह का पैंटी जिसको पहनने के बाद शैलेश का लंड को बाहर से देखने पर वजाइना जैसा लुक दे रहा था। फिर अलीशा ने शैलेश को चमकीली सुनहरी बैकलेस चोली पहनाई और डोरी से कस दिया।

फिर अलीशा ने शैलेश को साड़ी पहनने का उचित तरीका दिखाया। उसने साड़ी के भीतरी ऊपरी छोर को शैलेश के पेटीकोट कमर के दाहिनी ओर, सामने की ओर झुका दिया और उसे उसके शरीर के बाईं ओर के चारों ओर लपेट दिया। फिर अलीशा ने शैलेश के शरीर के दाहिने हिस्से के पीछे और उसके चिकनी आवरण को उस सॉफ्ट सी साड़ी में लपेट दिया। साड़ी को मजबूती से पकड़े हुए, अलीशा ने कई बार अपनी उँगलियों से सामने की तरफ प्लीट्स रखीं, साथ ही प्लीट्स को सीधा रखते हुए साड़ी के लगभग एक यार्ड को इकट्ठा किया। फिर उसने शैलेश के चारों ओर साड़ी, फिर से बाईं ओर और अपने दाहिने और से कमर के नीचे लपेट दिया। शेष कपड़े को शैलेश के नकली बूब्स के ऊपर होते हुए उसके कंधे पर ओढ़ाया गया, ताकि उसकी साड़ी बाईं ओर नीचे की ओर लटक सके। उसने इसे कंधे पर पिन किया और यह साड़ी का पल्लू था, जिसके द्वारा आवश्यक होने पर शैलेश को अपना चेहरा ढंकना पड़ा। घूँघट में शैलेश जैसे आदमी के लिए रहना मुश्किल है, लेकिन एक बार डांसर के रूप में उसे अपना ज्यादातर समय घूँघट में ही बिताना था।

अलीशा, “प्रैक्टिस के साथ, ये सब आसान हो जायेगा शैलेश ! तुम्हे बहुत जल्द इन सब की आदत हो जाएगी।”
शैलेश, “हम्म! पता नहीं अलीशा, मैं ये क्या करने जा रहा हूँ! एक मर्द होने के बावजूद मैं आज यहाँ तुम्हारे सामने औरतों की तरह साड़ी पहनकर बैठा हूँ।”
अलीशा, “हम्म! कौन कहेगा कि तुम मर्द हो शैलेश! जरा देखो अपने आप को! कोई ये नहीं कह सकता कि इस साड़ी में बैठी ये खूबसूरत औरत एक मर्द है या एक शीमेल है।”
शैलेश को ह्युमिलियेट करने का एक भी मौका अलीशा नहीं छोड़ रही थी। लाइफ में पहली बार शैलेश ने साड़ी ब्लाउज पहना था जो कि काफी हैवी था। चार इंच की हाई हील्स वाली सैंडल्स के साथ हैवी चांदी की पायल, गोरे हाथों में अमेरिकन डायमंड चूड़ियां, गले में डिज़ाइनर हार और माथे पर मांगटीका, कजरारी आँखें और दोनों भौं के बीचोबीच एक छोटी सी बिंदी शैलेश की खूबसूरती पर चार चाँद लगा रहे थे। शैलेश की नाभि पूरी तरह से विज़िबल थी और पल्लू शैलेश के कन्धों पर झूल रहा था। शैलेश ने एक ऐसा कदम उठा लिया था जिससे पीछे हटना अब कुछ ज्यादा ही मुश्किल था। वैसे तो शैलेश का औरतों का साड़ी पहना पसंद नहीं आता था, लेकिन आज पहली बार खुद को साड़ी में देखकर शैलेश को अपनी खूबसूरती का एहसास हुआ। शैलेश को यकीन था कि अब वो पहले से काफी ज्यादा पैसे कमायेगा और अपने परिवार को खुश रखने में भी वो सक्षम है। अलीशा ने शैलेश को हील्स में चलना सिखाया और कमर मटकाना भी। थोड़ी देर की प्रैक्टिस के बाद शैलेश को औरतों की तरह चलना आ गया, लेकिन हाई हील्स उसकी एड़ी में दर्द दे रही थी। अलीशा ने शैलेश को समझाया कि अब ये दर्द उसकी लाइफ का एक हिस्सा बन गया है। अलीशा ने शैलेश के नाक से आर्टिफीसियल नथिया को निकाल दिया, शैलेश को काफी अच्छा लगा। लेकिन तभी अलीशा ने शैलेश की नाक में एक बड़ा वाला सोने का गढ़वाली नथिया, दोनों कानों मे बड़े बड़े झुमके और बालियाँ पहना दिया। अलीशा, “अब तुम तैयार हो शैलेश। अच्छा शैलेश नाम तो मर्द के लिए है, तुम्हे किस नाम से पुकारूँ? उम्म्म… शालू कैसा रहेगा?”
शैलेश, “नहीं अलीशा, शैलेश ही ठीक है !”
अलीशा, “नहीं शालू, आज से तुम शालू हो।”
शैलेश, “जैसा तुम्हे ठीक लगे !”
फिर अलीशा ने शैलेश के चेहरे को घूँघट ओढ़ा दिया और खड़ा कर दिया।
अलीशा, “तो शालू रानी, अब जरा नाच कर दिखाओ।”
शैलेश ने स्कूल और कॉलेज टाइम पर कुछ डांस स्टेप्स सीखे थे; लेकिन लड़कियों की तरह नाचना नहीं आता था। अलीशा ने शैलेश को कुछ डांस टिप्स दिए और उसे कुछ फेमिनिन मूव्स भी सिखाया। जब शैलेश के डांस में थोड़ी बहुत परफेक्शन आने लगी तो अलीशा शैलेश को घूँघट करके बलवंत के सामने ले गयी। शैलेश को एक तरफ खड़ा करके अलीशा उसके साथ खड़ी हो गयी।
अलीशा, “एक्सक्यूज़ मी बॉस, शालू तैयार है!”
बलवंत, “ठीक है अलीशा, तुम जाओ, मैं देखता हूँ।”
अलीशा के जाने के बाद बलवंत ने शैलेश से कहा, “क्या तुम तैयार हो शालू?”
शैलेश, “यस बॉस, मैं तैयार हूँ।”
बलवंत, “हम्म गुड शालू! तुम बैठो, वैसे बहुत ही ज्यादा सुन्दर दिख रही हो; तुम्हे देख कर ऐसा लगता ही नहीं है कि तुम एक आदमी हो।”
शैलेश, “थैंक्स बॉस!”
बलवंत, “हम्म, आज रात के लिए मेंटली प्रिपेयर हो जाओ शालू। मैं भी तो देखूं कि तुम्हारा कितना स्टैमिना है और मेरे क्लाइंट्स के सामने कितने देर तक टिक सकती हो।”
शैलेश, “तो क्या मुझे आज रात का पैसा मिलेगा?”
बलवंत, “हाहाहा, वैसे तो तुम एक शीमेल प्रॉस्टिट्यूट नहीं हो लेकिन तुम्हारी सोच बिलकुल एक रंडी जैसी है।”
शैलेश, “आई ऍम सॉरी बॉस!”
बलवंत, “कोई बात नहीं शालू। अगर मैं किसी से कोई काम करवाता हूँ तो उसके पैसे भी देता हूँ। लेकिन उससे पहले ये बांड एग्रीमेंट पर अपना साइन कर दो।”
शैलेश, “बांड एग्रीमेंट? ये किस चीज़ का एग्रीमेंट है बॉस?”
बलवंत, “ये तुम्हारे अगले इग्यारह महीने का बांड एग्रीमेंट है और इस बांड एग्रीमेंट के मुताबिक, तुम इस बार को इग्यारह महीने पुरे होने के बाद ही छोड़ कर जा सकती हो। एक साल के अंदर तुम्हे कितनी छुट्टियां मिलेंगी और कब कब मिलेगी उन सब का डिटेल्स है, उन सब को अच्छे से पढ़ लो और साइन कर दो।”
शैलेश में बांड एग्रीमेंट को अच्छे से पढ़ा और अपने नसीब के बुरे दिन समझ कर उनपर साइन कर दिया। उसके बाद शैलेश को इंतज़ार करने को कहा गया और बलवंत केबिन से बाहर चला गया। बलवंत के केबिन से बाहर जाते ही शैलेश ने शीतल को कॉल किया और उसे इन्फॉर्म किया कि वो अगले एक साल के लिए दुबई जा रहा है और उसे काम मिल गया है। उसने शीतल को हर महीने पैसे भेजने की भी बात कही और कॉल डिसकनेक्ट कर दिया। इतने में बलवंत तैयार होकर केबिन में आ गया। उसके बाद बलवंत ने शैलेश को अपने साथ लिया और कार में बिठाकर उसे एक थ्री स्टार होटल में ले गया। होटल पहुंचने के बाद बलवंत शैलेश को लेकर बुक्ड स्वीट में ले गया। बलवंत ने खाना आर्डर किया और खाना खाने के तुरंत बाद दोनों बिस्तर पर थे। बलवंत ने बीयर ऑर्डर किया और थोड़ी देर बाद वेटर दो बीयर की बोतलें लेकर कमरे में आ गया। बलवंत वॉशरूम में था और शैलेश बिस्तर पर।

वेटर, “मुझे माफ करना मैडम, मुझे ये बीयर की बोतलें कहाँ रखनी चाहिए?”
शैलेश ने इशारों से वेटर को मेज पर रखने को कहा और वेटर ने बीयर की बोतलें मेज पर छोड़ दीं और चला गया। शैलेश विश्वास नहीं कर सका कि कोई पहचान नहीं पाया कि वह एक आदमी है और मुस्कुराता हुआ सोच रहा था।
थोड़ी देर बाद बलवंत ने एक सिप में ही आधी बीयर की बोतल खत्म कर दी। उसने उस बोतल से शैलेश को कुछ बीयर पीने को कहा, लेकिन शैलेश ने बीयर पीने से मना कर दिया। तभी बलवंत शैलेश के पास आया और उसके पास बैठ गया। शैलेश ने साड़ी के पल्लू का घूँघट बनाया हुआ था और बलवंत ने शैलेश के सुंदर चेहरे को देखने के लिए अपने हाथों से पल्लू को उठाया और उसके ठुड्डी को अपने हाथों से ऊपर उठाया, शैलेश सरमा गया। शैलेश ने अपनी आँखें बंद कर ली और उसके शरीर मे कंपन शुरू हो गया। शैलेश अपनी लाइफ मे पहली बार एक 45 साल के मर्द के साथ औरत बनकर रात बिताने जा रहा था; उसे बहुत ही ज्यादा अजीब और डर का अनुभव हो रहा था। बलवंत लगातार शैलेश को घूरे जा रहा था और शैलेश की हिम्मत नहीं हो रही थी कि वो अपनी आँखें खोलकर हकीकत का सामना कर सके। अपने दिल को दिलासा देते हुए शैलेश ने अपनी आँखें खोली तो देखा कि बलवंत अभी भी उसे घूरे जा रहा था। शैलेश फिर से शर्माने लगा और अपनी आँखें झुक ली।
बलवंत ने कहा, “वाह शालू! तुम शरमाती भी हो, एक दम लड़कियों कि तरह… भगवान ने तुम्हें बहुत ही सुंदर बनाया है मेरी जान। आज चांद भी तुम्हारी खूबसूरती को देखकर शरमा जायेगा।”
शैलेश लड़की के रूप में और और एक नवविवाहित दुल्हन की तरह उस साड़ी में बहुत ही ज्यादा ह्यूमिएटड महसूस कर रहा था और एक 45 साल का बूढ़ा आदमी उसकी सुंदरता की प्रशंसा कर रहा था। बलवंत ने शैलेश की ठुड्डी को छुआ और उसके चेहरे को देखने के लिए उसका सिर ऊपर उठाया। शैलेश ने अपनी आँखें बंद कर लीं, क्योंकि वह नहीं देखना चाहता था कि उसके साथ क्या होगा। बलवंत ने शैलेश की घूँघट को हटाया और उसके और भी करीब आ गया। फिर बलवंत से शैलेश के शरीर से गहने निकालना शुरू कर दिया। सबसे पहले बलवंत ने शैलेश के नाक से नथिया उतारकर उसके नाक की छेद में हीरे जड़ी सोने की नाक का पिन लगाया और फिर उसने शैलेश के कानों से झुमके और फिर गले से हार निकाले। बलवंत ने शैलेश की नाक में सोने का डायमंड का नग पिन पहनाया था और शैलेश को बहुत शर्म आ रही थी। तब बलवंत ने शैलेश की पतली कलाई से चूड़ियाँ और पैरों से पायल भी हटा दी। फिर उसने अपना पल्लू भी उतार दिया। शर्म के मारे शैलेश की धड़कन बढ़ने लगी; उसने खुद को अपने हाथों से छिपाने की कोशिश की। बलवंत अब शैलेश के बेहद करीब आ गया था और उसने जैसे ही शैलेश के होंठों को अपने होंठों से छुआ, शैलेश का शरीर थरथराने लगा, उसकी आँखों मे आँसू आ गए। लेकिन बलवंत ने शैलेश की फीलिंगस को नजरंदाज करते हुए उसके होंठों पर स्मूच करने लगा। बलवंत की गरम सांसें शैलेश की साँसों मे समाने लगा। करीब पाँच मिनट्स तक शैलेश के होंठों को स्मूच करने के बाद बलवंत ने शैलेश की आँखों मे देखा। शैलेश की लाल आँखों मे आँसू थे, जो गिरने को तैयार थे और बलवंत की आँखों से आँखें मिलाते ही शैलेश रो पड़ा।

बलवंत, “रो मत शालू! अभी तो मैंने तुम्हारे साथ कुछ भी नहीं किया है और तुम औरतों की तरह रोने लगी!”
शैलेश, “बलवंत जी, आप एक मर्द हैं और मैं भी एक आदमी हूँ जो साड़ी में तैयार होकर आपके सामने औरतों की तरह बैठा हूँ। दो मर्दों के बीच ये सब संभव नहीं है बलवंत जी! मुझे लगता है कि ये सब एक मिस्टेक है, ये सब मुझसे नहीं होगा।”
बलवंत, “तुम एक मर्द नहीं बल्कि एक शीमेल हो शालू और आज रात तुम्हे तुम्हारे जीवन का पहला ऐसा सेक्स का अनुभव होगा जो तुमने कभी नहीं किया और मैं तुम्हे ये अनुभव करवाऊंगा! आज की रात मैं तुम्हे तन और मन दोनों से शीमेल बना दूंगा!”
शैलेश, “लेकिन बलवंत जी!”
बलवंत , “लेकिन वेकिन कुछ भी नहीं!
इससे पहले कि शैलेश कुछ और कहता, बलवंत ने उसके शरीर से साड़ी को अलग करने लगा। धीरे धीरे साड़ी को बलवंत ने अलग फेंक दिया और शैलेश अब सिर्फ बैकलेस चोली, पेटीकोट और ज्वेलरीज में था। शर्म से शैलेश ने अपने दोनों हाथों से अपने चोली को ढँक कर खड़ा हो गया। बलवंत ने समय गँवाय बिना शैलेश की पेटीकोट को खोलकर अलग कर दिया और फिर शैलेश की चोली की डोरी को भी खोल दिया। शैलेश अब थरथरा रहा था, आँखों में आंसू लिए, सर झुकाये बलवंत के सामने अपनी इज़्ज़त को अपने दोनों हाथों से ढंके खड़ा था। बलवंत ने शैलेश के शरीर से चोली को खींच कर अलग कर दिया और शैलेश को भींच कर अपनी बाहों में समेट लिया। बलवंत ने शैलेश को पेट के बल लिटा दिया और उसके पूरे जिस्म को चूमने लगा। शैलेश ने अपनी आँखों को बंद कर लिया और तभी बलवंत ने अपने दोनों हाथों से शैलेश के गांड को फैलाया और उसके गांड के छेद को चाटने लगा। शैलेश के पूरे जिस्म मे एक अजीब सी आग भड़क गई; जो उसके इमोशंस के साथ उसे अंदर ही अंदर तोडना शुरू कर दिया और शैलेश अपनी आँखें बंद करके वो सब जल्द से जल्द ख़त्म हो जाने का इंतज़ार करने लगा था। शैलेश को पता था कि आज की रात एक मर्द के हवस की आग उसे राख कर के ही दम लेगी। फिर बलवंत ने एक क्रीम ली और अपने लंड पर लगाने लगा। फिर उसने वही क्रीम शैलेश के गान्ड पर भी लगाई और अपनी उंगली से उसके छेद के अन्दर भी क्रीम को लगाने लगा। करीब दो मिनट तक शैलेश के गांड में उंगली करने के बाद बलवंत ने अपना लन्ड शैलेश के गांड पर लगाया और धीरे धीरे धक्के मारने लगा।

शैलेश, “आअह्ह्ह, प्लीज धीरे!”
बलवंत, “अभी तो मैंने शुरू भी नहीं किया है मेरी जान!”
फिर बलवंत का 8 इंच का लण्ड एकदम सख्त हो चूका था और वो कोई जल्दबाज़ी भी नहीं कर रहा था। उसका लंड शैलेश की गांड के छेद से फिसल रहा था। फिर बलवंत ने अपने दोनों हाथ से शैलेश के दोनों गांड फैला दिए, और फिर बलवंत ने दुबारा अपना लंड शैलेश के छेद पर टिका दिया और धीरे धीरे दबाव देने लगा। बलवंत के लंड का ऊपरी हिस्सा शैलेश की गांड में घुस गया और शैलेश के जिस्म में दर्द की एक लहर दौड़ गई।
शैलेश, “आह्ह्ह्हह्ह, प्लीज, आह! ये बहुत बड़ा है, मुझसे नहीं होगा ये सब, प्लीज निकालो इसे!”
बलवंत, “जानेमन, अब तो ये मिसाइल अपने टारगेट को भेद कर ही दम लेगा!”
शैलेश, “आह्हः प्लीज बॉस, मुझे नहीं करना ये सब, मुझे नहीं कमाने पैसे, छोड़ो मुझे! आह्ह्ह्ह प्लीज आह आह!”
बलवंत, “शालू, तुम कुछ ज्यादा ही नखरे नहीं कर रही?”
शैलेश, “नहीं बॉस, निकालिये अपने लंड को! ये सब नहीं करना मुझे, आह्ह्ह्ह !”
बलवंत, “अब चुप होजा साली रंडी, मुँह बंद कर अपना एन्जॉय करने दे!”

बलवंत ने अपना लंड शैलेश की गांड में घुसाना बंद कर दिया और उसके गांड को मसलने लगा। अब शैलेश का दर्द कम हो गया था और बलवंत ने फिर से उसका मोटा काला लंड धीरे धीरे शैलेश की गांड में घुसाना शुरू कर दिया। अब शैलेश को कम दर्द हो रहा था और करीब दो मिनट में बलवंत का पूरा लंड शैलेश की गांड में था। अब वो धीरे धीरे शैलेश की चुदाई करने लगा और धक्के मारने लगा। अब बलवंत ने अपने हाथ आगे लाकर शैलेश के फेक बूब्स को दबाने लगा और शैलेश के कमर को चूमने लगा। शैलेश को सिहरन की अनुभूति हो रही थी और उसने अपने गांड को हिला हिला कर एडजस्ट करते हुए चुदना शुरू कर दिया। करीब पाँच मिनट बाद बलवंत ने अपने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी। शैलेश समझ गया कि अब वो झड़ने वाला है और करीब एक मिनट बाद ही बलवंत ने अपने लण्ड से पिचकारी छोड़ दी। वो करीब एक मिनट तक पिचकारी छोड़ता रहा। बलवंत का गर्म वीर्य शैलेश की गांड की गर्मी को ठंडा करता रहा। बलवंत ने अपने वीर्य से शैलेश के गांड़ का कुंआ लबालब भर दिया और आँखों के आगे अँधेरा सा छाने लगा और उसकी वजह से शैलेश की आँखें बंद हो रही थी। अब बलवंत शैलेश के पीठ पर ही लुढ़क गया। बलवान को तो बहुत मज़ा आ रहा था लेकिन शैलेश दर्द बर्दाश्त करने की कोशिश करता हुआ लगातार ठीक वैसे ही रोये जा रहा था जैसे पहली रात के बाद एक दुल्हन रोती है। करीब दो मिनट तक दोनों ऐसे ही लेटे रहे। अब बलवंत का लंड सिकुड़ कर शैलेश के गांड से बाहर आने लगा। शैलेश को अपनी गांड में बलवंत का वीर्य भरा हुआ महसूस हुआ। फिर शैलेश उठकर बाथरूम में गया और अपनी गांड को धोने लगा। शैलेश के गांड से बलवंत का वीर्य निकलता ही जा रहा था्। शैलेश अपनी गांड को साफ कर के बाहर आ गया। बलवंत ने भी बाथरूम में जाकर अपने लंड को साफ किया और दोनों फिर बेड पर आ गये और बलवंत ने बिना देर किये शैलेश को अपनी बाहों में दुबारा भर लिया। शैलेश की ताकत ख़त्म हो चुकी थी, उसके आँखों के आगे अँधेरा छा रहा था और वो अब बलवंत के साथ फिर से हार्डकोर सेक्स करने के लिए तैयार नहीं था, लेकिन बलवंत का लंड एक बार फिर से तैयार खड़ा था।लेकिन शैलेश अंदर से बुरी तरह से टूट गया था। शैलेश को एक मर्द के साथ सेक्स करना उसके आत्मसम्मान को झकझोर रही थी लेकिन वो कुछ भी नहीं कर सकता था। जब शैलेश ने बलवंत का तना हुआ लंड देखा तो वो भौंचक्का रह गया। इससे पहले कि शैलेश कुछ सोचता और कुछ करता, बलवंत ने शैलेश को वो लंड अपने मुँह में लेने को कहा, शैलेश लंड को मुँह में नहीं लेना चाह रहा था।

बलवंत, “साली रंडी, ज्यादा नखरे मत कर! चुपचाप ये लंड अपने मुँह में ले और मुझे ब्लोजॉब का मजा दे।”
शैलेश, “मैं गे नहीं हूँ बॉस!”
बलवंत ने शैलेश को एक थप्पड़ दिया और चिल्लाते हुए कहा, “साली रंडी जुबान लड़ती है!”
बलवंत का थप्पड़ इतना झन्नाटेदार था कि शैलेश ने बिना देर किये बलवंत का लंड अपने मुँह में लिया और उसे ब्लोजॉब देने लगा। करीब 20 मिनट्स तक ब्लोजॉब देने के बाद बलवंत के लंड से वीर्य का एक स्ट्रोक निकला और शैलेश गले को भिगोते हुए उसके अंदर चला गया। बलवंत ने शैलेश के चेहरे को अपने हाथ से पकड़ा और ऊपर उठाया। शैलेश के होंठों से अभी भी बलवंत के स्पेर्म्स की कुछ बूंदें टपक रही थी। शैलेश ने अपनी आँखें बंद कर ली और बलवंत ने उसके होंठों को फिर से चूमना शुरू कर दिया। शैलेश जिस शर्मिंदगी से गुज़र रहा था उसका अंदाज़ा लगाना बहुत ही ज्यादा मुश्किल था। आँखों में आंसू लिए शैलेश बलवंत से अपनी आँखें चुराने की कोशिश कर रहा था लेकिन अब बलवंत और भी ज्यादा एक्साइटमेंट में था। बलवंत ने शैलेश को घोड़ी बनने को कहा और शैलेश ने बिना किसी रेसिस्ट के घोड़ी के पोजीशन में बैठ गया। शैलेश को घोड़ी बनाकर बलवंत ने एक बार फिर से चोदना शुरू कर दिया। शैलेश अपनी दर्द भरी आवाज़ को दबाने की कोशिश करने लगा लेकिन बलवंत का हर एक स्ट्रोक उसकी चीख को लाउड होने का कारण बन रहा था। शैलेश की जी भरकर चुदाई करने के बाद बलवंत ने अपने स्पर्म का एक और लोड शैलेश के गांड की छेद में उड़ेल दिया और शैलेश बेसुध होकर बिस्तर पर गिर गया। बलवंत ने शैलेश को अपनी बाहों में समेत लिया और उसे रात भर रुक रुक कर चोदता रहा। सुबह उठकर जब शैलेश ने आँखें खोली तो बलवंत ने उसे अपनी बाहों में जकड रखा था। शैलेश को अपने गांड में अभी भी बलवंत का तना हुआ लंड महसूस हो रहा था। शैलेश ने बलवंत से उसका लंड बाहर निकलने को कहा तो बलवंत ने आहिस्ते से अपना लंड शैलेश की गांड की छेद से बाहर निकाल लिया। शैलेश को बहुत राहत मिली और वो उठकर जैसे ही वाशरूम की और बढ़ा उसके शरीर में असहनीय दर्द होने लगा। गांड में हो रहे जलन की वजह से शैलेश से एक कदम भी चला नहीं जा रहा था और वो खुद को संभाल नहीं सका और दर्द से बेचैन होकर गिर गया। बलवंत बिस्तर से उतरा और शैलेश को अपने बाहों में उठाकर वाशरूम तक ले गया। शर्म से शैलेश ने बलवंत की और देखा और वाशरूम में अंदर चला गया। शैलेश ने अपने आप को आईने के सामने देखा और देखते ही उसकी आँखों से आंसू छलक गए। शैलेश एक मर्द के हवस का शिकार हो चूका था और उसे समझ में नहीं आ रहा था कि अगले इग्यारह महीनो तक वो एक शीमेल की जिंदगी कैसे जियेगा। शैलेश अभी अपने अंतर्द्वंद में फंसा हुआ ही था कि वाशरूम के दरवाज़े पर नॉक हुआ। शैलेश ने दरवाज़े से झांका तो बलवंत ने उसे जल्दी से तैयार होकर बाहर आ जाने को कहा। शैलेश जल्दी जल्दी फ्रेश हुआ और ब्रा पैंटी पहन कर कमरे में आ गया। शैलेश का ना तो दर्द कम हो रहा था और ना ही उसके आंसू रुक रहे थे।
बलवंत, “शालू रानी, ये रात मेरी जिंदगी की बहुत ही खास रात थी। मैंने बहुत एन्जॉय किया और खासकर तुम्हारी कुंवारी गांड का सील तोड़ने में जो मजा आया, उसके तो क्या ही कहने। देखो शालू, एन्जॉय योर लाइफ हेयर ऐज़ अ शीमेल, तभी तुम अगले इग्यारह महीने अच्छे से कमा सकोगी। आज से अपनी मर्दानगी को भूल जाओ, जो भी क्लाइंट आये उसे खुश करने के लिए जो भी करना पड़े करो लेकिन कभी भी किसी क्लाइंट के सामने अपनी मर्दानगी को प्रदर्शित मत करना। याद रहे एक शीमेल वही है जिसका ऊपरी आधा तन औरत का और नीचला आधा तन मर्द का होता है। क्लाइंट को खुश रखोगी तो वो तुम्हे मालामाल कर देगा।”
बलवंत की बात सुनकर शैलेश ने अपनी आँखें नीचे करके हां में सर हिलाया। साटन स्लीपोवेर नाईटी जो खास तौर पर लेडीज रात को सोते समय पहनती हैं, बिस्तर पर पहले से ही रखा हुआ था और जब बलवंत इशारा किया तो शैलेश ने वो साटन स्लीपोवेर नाईटी पहन लिया और बिस्तर के एक कोने पर बैठ गया। बलवंत शैलेश के बगल में बैठ गया और उसके नाक से नथिया को अपने हाथों से निकाल दिया और सोने का लौंग जिसमे हीरा जड़ा था, वो सोने का लौंग शैलेश के नाक में अपने हाथों से पहना दिया। शैलेश समझ नहीं पा रहा था कि आखिर बलवंत ऐसा कर क्यों रहा है तभी दरवाजे पर अलीशा के कदमो की आहट हुई और वो अंदर आ गयी।
बलवंत, “आओ अलीशा, बैठो यहाँ ! ये सोने का लौंग हमारी शालू रानी के चेहरे पर कितना अच्छा दिख रहा है ना?”
अलीशा, “हाँ बॉस, शालू तो बहुत खूबसूरत दिख रही है।”
बलवंत, “हम्म! अलीशा तुम शालू को शाम के डांस प्रोग्राम के लिए तैयार कर लो और जो कुछ भी खाने पीने का मन करे, आर्डर कर लेना।”
अलीशा, “यस बॉस!”
बलवंत, “शालू रानी, ये लो तुम्हारी पहली कमाई !”
शैलेश को पैसे देकर बलवंत कमरे से चला गया।
अलीशा, “वाओ शालू रानी, क्या बात है! एक रात के 7000! इतना तो इस बार की किसी रंडी ने भी नहीं कमाया, जितना पहली रात में तुमने कमा लिया। जरूर शालू रानी में कोई खास बात है जो अभी तक मेरी नज़र से छुपा हुआ है।”

शैलेश, “ये तुम कैसी बात कर रही हो अलीशा, मैं कोई रंडी नहीं, ये शीमेल बनने का फैसला भी मैंने अपने परिवार को सपोर्ट करने के लिए किया है। और एक बात मैं अभी भी एक आदमी ही हूँ, कोई प्रोस्टीच्युट नहीं और सिर्फ एक क्रॉसड्रेस्सेर हूँ। ये सब आर्टिफीसियल है, ना मेरे बूब्स नेचुरल हैं और ना ही मेरे ये घने रेशमी बाल।”
अलीशा, “जानती हूँ शालू रानी और इसमें ऐसे गर्म होने वाली क्या बात कह दी मैंने? मैंने तो सिर्फ इतना ही कहा कि तुमने जितना एक रात में कमाई की उतनी कमाई बार में किसी ने भी एक रात में आज तक नहीं की। और एक बात शालू रानी, अब इस तरह जलील होने की आदत डाल लो, रंडी शब्द वैसे तो बुरा ही है लेकिन जब रात को रंडी बनकर एक मर्द का बिस्तर गर्म करोगी तो लोग तुम्हे रंडी ही कहेंगे।”
शैलेश, “सॉरी अलीशा, मैंने गुस्से में तुम्हे कुछ ज्यादा ही कह दिया। लेकिन मुझे अच्छा नहीं लगा, जब तुमने मुझे रंडी की तरह प्रिटेंड किया।”
अलीशा, “इट्स ओके शालू रानी, तुम्हे दर्द हो रहा होगा ना! ये लो मेडिसिन हर रोज़ तीन टाइम समय से लिया करना, दर्द में जल्दी आराम भी मिलेगा और सेक्स करते समय मजा भी बहुत आएगा। अगले इग्यारह महीने शीमेल बनकर एन्जॉय करो ताकि ये समय जल्द से जल्द पास हो जाये। तुम्हारे जैसे मर्द को एक शीमेल की लाइफ गुज़ारते हुए देख कितना दुःख हो रहा है मुझे, मैं तुम्हे नहीं बता सकती। सोचो अगर तुम्हारी वाइफ को पता चलेगा कि उसका पति मर्दों के बिस्तर गर्म करने के लिए औरत बनता है तो उसे कितना दुःख होगा।”
शैलेश, “देखो अलीशा, मेरी पत्नी को इस बारे में कोई जानकारी नहीं और मैं ऐसा कभी नहीं चाहूंगा कि मेरी पत्नी को इस बारे में कभी भी पता चले। मैं मेरी पत्नी और मेरे बेटे से बहुत प्यार करता हूँ और ये उन्ही के लिए तो कर रहा हूँ। लेकिन अलीशा एक रात में एक मर्द के साथ बिस्तर शेयर करना मुझे इतना दर्द दे गया, मैं बाकी के इग्यारह महीने ऐसी लाइफ कैसे जी सकूंगा?”
अलीशा, “ये सब नेचुरल है शालू रानी, अपने आप को देखो जरा, कितनी खूबसूरत हो। तुम्हे सिर्फ अपनी खूबसूरती और इस शीमेल जीवन को अपनाना होगा, तभी तुम अपने बचे इग्यारह महीने बिता सकोगी। अब से मर्द के साथ तुम्हे हर पल एन्जॉय करना होगा, एक नार्मल स्त्री की तरह। अगर तुम ऐसा करोगी तब तुम्हारे लिए सब कुछ आसान हो जायेगा।”
शैलेश,”हम्म! तुम सही बोल रही हो अलीशा, शैलेश को अगले इग्यारह महीनो के लिए भूलना होगा और शालू को अपनाना होगा।”
अलीशा, “गुड शालू, अब जल्दी से कुछ खाने को और्डर करो, मुझे बड़ी जोरो की भूख लगी है।”
शैलेश ने होटल रिसेप्शन पर कॉल किया और खाने का आर्डर दिया।
शैलेश, “अलीशा, तुम अपने बारे में कुछ बताओ! तुम्हे देखकर ऐसा लगता है कि तुम एक लेस्बियन हो। जिस नज़र से तुम मुझे देखती हो, ऐसा लगता है जैसे कोई मर्द अपनी गर्लफ्रेंड को देख रहा हो। अपने बारे में बताओ अलीशा, तुम कहाँ से हो, यहाँ जॉब कैसे करने लगी?”
अलीशा, “शालू रानी, तुम मेरे बारे में ना ही जानो तो अच्छा होगा। एक अनाथ के बारे में बताने के हो भी क्या सकता है?”
शैलेश, “ऐसे मत कहो अलीशा, तुम इतनी सुन्दर हो अलीशा! तुम बताओ अलीशा, मुझे अच्छा लगेगा।”
अलीशा, “नहीं शालू, मेरे बारे में कुछ भी अच्छा नहीं है बताने को।”
शैलेश, “अलीशा, तुम दिल की बुरी नहीं हो अलीशा तो तुम्हारे बारे कुछ भी बुरा नहीं होगा।”
अलीशा, “हम्म! पहले कुछ खा लेने दो, फिर बताउंगी !”
शैलेश, “हम्म!”
थोड़ी देर में बैरा आर्डर किया हुआ खाना लेकर आ गया। शैलेश और अलीशा ने साथ में खाना खाया और दोनों रेस्ट करने के लिए बिस्तर पर लेट गए।
अलीशा, “मेरा जन्म दिल्ली में आज से २० साल पहले हुआ और मेरे माँ बाप ने मुझे अनाथालय में तभी छोड़कर पता नहीं कहाँ चले गए। मैं एक अनाथ हूँ जिसकी परवरिश अनाथालय में हूँ और कितना कष्ट भरा जीवन जिया मैंने वो सिर्फ मैं ही जानती हूँ। अनाथालय में एक मुस्लिम दम्पति ने मुझे गोद लिया और मुझे साउथ दिल्ली स्थित अपने घर ले आये। उन्होंने मेरा नाम अली रखा और मुझे मुस्लिम रीती रिवाज़ों के साथ पालने लगे। एक दिन अम्मी का इंतेक़ाल हो गया और अब्बू ने दूसरा निकाह कर लिया। जिस औरत को अब्बू मेरी नयी अम्मी बना कर लाये थे, वो मुझे नौकरों की तरह ट्रीट करने लगी और मुझसे घर का पूरा काम करवाने लगी। मेरे ऊपर जुल्म करने लगी तब मैं घर छोड़कर भाग कर एक कमरा किराये पर लेकर छुपकर रहने लगी। जहाँ मैं रहती थी वहीँ पास के एक ब्यूटी पारलर में मुझे नौकरी मिल गयी और मेरी मुलाकात जैस्मिन से हुई। जैस्मिन से मैंने ब्यूटी पारलर के बारे में सबकुछ सीखा और जैस्मिन का पारलर बंद हो जाने के बाद बहुत जगह पर नौकरी के लिए प्रयासरत हो गयी। इस बार में जब मुझे बलवंत जी ने देखा तो उन्होंने मुझे बार में लड़की बनकर काम करने को कहा।”
शैलेश, “एक मिनट ! क्या कहा तुमने, बलवंत जी ने तुम्हे लड़की बनकर बार में काम करने को कहा? लेकिन तुम तो एक लड़की हो ना?”
अलीशा, “नहीं शालू, मैं भी तुम्हारी तरह एक मर्द था लेकिन पैसों की तंगी के कारण मैंने बलवंत जी का प्रपोजल एक्सेप्ट कर लिया। फिर बलवंत जी ने मुझे बैंकाक भेज कर सेक्स चेंज करवा कर लड़की बनवा दिया। बलवंत जी ने तो पैसे खर्च कर दिए लेकिन मैं उस दर्द से गुज़री जिससे एक आम लड़की गुज़रती है। बैंकाक में मुझे पूरी तरह से लड़की बना दिया गया, मैं प्रेग्नेंट भी होने में समर्थ हूँ और हर महीने मुझे पीरियड्स भी आते हैं। लड़की बनने के बाद मैंने बार में बार डांसर बन कर अपना करियर शुरू किया और फिर मुझे रंडी बनकर ना जाने कितने मर्दों के बिस्तर गर्म करने को मजबूर भी किया गया। मेरी शर्मिंदगी की कोई सीमा नहीं थी तो मैं जैस्मिन से दुबारा कभी मिलने नहीं गयी और अलग से एक कमरा लेकर यहाँ जॉब करने लगी। आज भी बलवंत जी का एक कस्टमर मेरे साथ रात बिताएगा, मैं बलवंत जी के एहसानो तले दबी हुई हूँ, उनके कहे बिना ना कहीं जा सकती हूँ और ना ही कोई फैसला कर सकती हूँ। बलवंत जी जो कुछ भी कहते हैं वो मेरे लिए पत्थर की लकीर बन जाती हैं।” बोलते बोलते अलीशा रोने लगी, शैलेश ने अलीशा को शांत किया।
शैलेश, “तुम रो मत अलीशा, सच कहूं तो मुझे अभी भी यकीन नहीं हो रहा है कि तुम कभी एक मर्द थी। इतनी खूबसूरत हो तुम अलीशा, मुझे पता है ये सब तुम्हारे लिए आसान नहीं रहा होगा लेकिन यकीन मानो, जिस दिन मैं यहाँ से जाऊंगा; तुम्हे जरूर इस दलदल से बाहर निकाल कर जाऊंगा।”
अलीशा, “थैंक यू शालू, तुम दिल की बहुत अच्छी हो। तुम मुझे पहले मिली होती तो मैं तुम्हारी गर्लफ्रेंड जरूर बन जाती।”
शैलेश, “तो अब बन जाओ अलीशा, मुझे कोई आपत्ति नहीं है इसमें !”
अलीशा, “नहीं शालू, मैं तुम्हारी गर्लफ्रेंड नहीं बन सकती।”
शैलेश, “क्या कमी है मुझमे अलीशा, मैं तुम्हारा तो बॉयफ्रेंड बन ही सकता हूँ।”
अलीशा, “देखो शालू, मैं बोलूंगी तो तुम्हे बुरा लग जायेगा लेकिन मैं कभी नहीं चाहूंगी कि मेरे बॉयफ्रेंड को हर रोज़ कोई मर्द बिस्तर में चोदे और मेरा बॉयफ्रेंड हर सुबह नयी नवेली दुल्हन की तरह मुझे अपना रोना रोये। मुझे एक मर्द की तलाश है शालू, जो देखने में प्रताप जी जैसा नौजवान हो, सिक्स पैक्स ऐब्स हों और जो मेरा ख़याल रहे और मेरे कहने पर मुझसे शादी भी करे। और तुममे ऐसा कोई भी गुण नहीं है शालू। हाँ तुम चाहो तो मैं तुम्हारे साथ एक बार सेक्स जरूर करना चाहूंगी लेकिन याद रखें शालू अगर तुम मुझे सैटिस्फाई नहीं कर पाए तो मैं तुम्हे सैटिस्फाई कर दूंगी।”
शैलेश, “ये प्रताप जी कौन हैं? और मुझे मंजूर है अलीशा! तो क्या अभी तुम मेरे साथ सेक्स करोगी?”
अलीशा, “प्रताप जी इस होटल के ओनर हैं और बहुत जल्द ही तुम उनसे मिलोगी भी!कंडोम तो होगा ना तुम्हारे पास ?”
शैलेश, “वो तो ड्रॉल में देखना पड़ेगा?”
अलीशा, “हम्म!”
शैलेश ने ड्रॉल से डॉटेड कंडोम का एक पैकेट निकाला और अलीशा के हाथों में रख दिया।
अलीशा ने अपने कपडे उतार दिए और शैलेश ने भी। अब शैलेश और अलीशा दोनों ही ब्रा और पैंटी में आमने सामने खड़े थे। शैलेश ने समय गँवाय बिना अलीशा को अपनी बाहों में जकड लिया और फ्रेंच किस से दोनों के सेक्स सम्बन्ध की पहली शुरुआत हुई। फ्रेंच किस क्या होता है ये आज अलीशा ने पहली बार जाना जब शैलेश ने पंद्रह मिनट्स तक उसे चूमता रहा। फ्रेंच किस के साथ ही अलीशा की बूब्स और शैलेश का लंड, दोनों ही एक्साइटमेंट की वजह से टाइट हो गया। शैलेश का चुम्बन अलीशा के नाज़ुक बदन के रोम रोम को खिला रहा था और खुद शैलेश का लंड टाइट हो गया था। अलीशा ने शैलेश के लंड को अपने मुँह में लेकर ब्लोजॉब दिया लेकिन शैलेश का इरेक्शन ना जाने क्यों कम होता जा रहा था। शैलेश ने खुद को एक्साइटेड करने के लिए अलीशा को और ब्लोजॉब देने को कहा। अलीशा को मजा आ रहा था और वो शैलेश के लंड को लगातार चूसे जा रही थी। शैलेश का लंड अब कुछ टाइट हो गया था और अलीशा ने शैलेश के लंड पर अपने होंठों से ही वो कंडोम चढ़ा दिया और बिस्तर पर लेट गयी। शैलेश भी एक्साइटेड हो चूका था और उसने समय नहीं गंवाया और अलीशा के वजाइना में अपना लंड घुसा दिया और अलीशा को चोदने लगा। लगभग दस मिनट्स भी दोनों के बीच सेक्स नहीं हुआ था कि शैलेश को मजा आ गया; जिसकी वजह से अलीशा का पूरा मजा किरकिरा हो गया। मजा आते ही शैलेश के आँखों के आगे अँधेरा सा छाने लगा और वो अलीशा के ऊपर ही निढाल हो गया। अलीशा को अब गुस्सा आ रहा था, उसने शैलेश को एक तरफ बिस्तर पर धक्का दिया और शैलेश बिस्तर के एक तरफ लेट गया। शैलेश को पता था कि अलीशा गुस्से में है; लेकिन वो अपना मजा ख़राब नहीं करना चाहता था। अलीशा ने सोचा कि शैलेश को फिर से एक्साइटेड करते हैं लेकिन शैलेश का लंड पूरी तरह छोटा हो गया था और उसका कंडोम लंड से बाहर लटक रहा था। शैलेश का सोया हुआ लंड देखकर अलीशा को और भी ज्यादा गुस्सा आया।
अलीशा, “शालू, तुमने शीमेल बनकर बहुत ही अच्छा किया और मुझे पूरी उम्मीद है कि आज से इग्यारह महीने बाद तुम एक औरत बनकर यहाँ से निकलोगी। तुम मर्द कहलाने लायक नहीं हो, तुम्हारे जैसे नपुंसक को तो ऐसी ही लाइफ जीनी चाहिए। काश मेरे पास मेरा खुद का लंड होता तो आज मैं तुम्हे बताती कि चुदाई क्या होती है और चुदाई के बाद तुम्हारा क्या होता। खैर कोई बात नहीं, तुम एक शीमेल हो इस बात को एक्सेप्ट करो और अपने बाकी की महीनो में अच्छे से चुदाई करवाओ।”
शैलेश, “आई ऍम सॉरी अलीशा, मुझे नहीं पता। आज पहली बार ऐसा हुआ है मेरे साथ, प्लीज अलीशा, आई ऍम सॉरी ना !”
अलीशा, “हम्म, आई ऍम सॉरी शालू, मैं भी गुस्से में ना जाने क्या कह गयी।”
शैलेश, “कोई बात नहीं अलीशा!”
अलीशा, “चलो अब जल्दी से फ्रेश हो जाओ, शाम को बार में नाचना भी है तुम्हे। तुम्हारे चक्कर में वैसे ही काफी देर हो गया है।”
फिर अलीशा के कहने पर शैलेश वाशरूम में गया और फ्रेश होकर बाहर आया तब अलीशा ने उसे फेक बूब्स के ऊपर से टॉवल लपेटकर ड्रेसिंग टेबल पर बैठने को कहा। अलीशा ने शैलेश का मेकअप कम्पलीट कर दिया। बालों का डिज़ाइनर जुड़ा और उसमे जस्मिन के फूल, नाखूनों का नेल पेंट फिर से ठीक किया और होंठों पर लाल ग्लॉसी लिपस्टिक, आँखों में काजल, ऑय लैशेस, शेड्स और फॉउण्डेशन के टचअप के बाद शैलेश का मेकअप पूरा हो चूका था। खुद को आईने में देखकर शैलेश को यकीन नहीं हो रहा था कि आईने में एक लड़की बैठी है जो वो खुद ही है। फिर अलीशा ने शैलेश को एक महारानी स्टाइल लहंगा पहनने को दिया।
शैलेश, “लहंगा क्यों?”
अलीशा, “क्यूंकि हमारे बार में लहंगा चोली पहनकर ही नाचती है।”
फिर शैलेश ने लहंगा पहना, वो लहंगा काफी हेवी होने के साथ साथ, काफी डिजाइनर भी था। उस लहंगा का फैलाव भी काफी ज्यादा था। जब शैलेश ने लहंगा पहन तब आलिशा ने उसके लहंगे को नाभि के नीचे उसे टाइट से कस दिया। लहंगा का आखिरी हिस्सा अब जमीन को छू रहा था। अब बारी थी बैकलेस चोली कि जो देखने एक ब्रा की तरह ही छोटी और पूरी तरह बैकलेस भी। महज एक दिन पहले ही आलिशा ने शैलेश को चोली पहनना सिखाया था लेकिन चोली की डोरी कैसे कसते हैं इसके बारे मे शैलेश को कोई भी जानकारी नहीं थी। आलिशा ने शैलेश की चोली की डोरी खुद ही कस कर टाइट से बांध दी। शैलेश की पूरी पीठ के साथ साथ उसकी नाभि और वो फेक बूब्स सब विज़बल थे और शैलेश खुद की अनजान खूबसूरती से हतप्रभ था।
अलीशा, “अरे वाह शालू रानी, अब तुम लग रही हो एक नम्बर की तबायफ। काश मैंने अपना सेक्स चेंज नहीं करवाया होता तो तुम्हे लेकर यहाँ से भाग जाती और तुम्हे ही अपनी दुल्हन बनती शालू रानी। लेकिन मेरी शालू रानी को तो आज की रात प्रताप जी डांस प्रोग्राम के बाद अपनी दुल्हन बनाएंगे।”

शैलेश, “दुल्हन बनाएंगे? क्या मतलब?”
अलीशा, “अरे मेरी जान, घबराओ मत, मेरे कहने का मतलब है कि अगले ४ दिनों के लिए तुम्हारी बुकिंग प्रताप जी के साथ की है। इस बीच वही होगा जो प्रताप जी चाहेंगे। और आज प्रताप जी तुम्हे अपनी दुल्हन बना कर तुम्हारे साथ सुहागरात मनाना चाहते हैं। इतने हैंडसम हैं प्रताप जी कि मत पूछो, मेरा तो दिल आ गया था पहली नज़र में ही; लेकिन प्रताप जी ने मेरे साथ एक बार सेक्स करने के बाद मुड़ कर मेरी तरफ देखा भी नहीं। और तुम्हारी फोटो देखकर ही तुम्हे अगले ४ दिनों के लिए बुक कर लिया। ये होता है नसीब मेरी शालू रानी।”
शैलेश, “अलीशा, यार तुम हद करती हो। मैं डांस भी करूँगा और थकने के बाद प्रताप नाम के मर्द के साथ सोऊंगा भी। यार एक दिन में या तो डांस करवा लो या सेक्स। दोनों एक साथ मुझसे तो नहीं होगा।”
अलीशा, “शालू रानी, नखरे मत दिखाओ। तुम मुज़रा भी करोगी और सेक्स भी करोगी। ऑप्शन नहीं है तुम्हारे पास, एग्रीमेंट की हो तुम साथ। और हाँ गलती से बलवंत बॉस के सामने ऐसे मत बोल देना नहीं तो पनिशमेंट भी तुमसे सहन हो सकेगा।”
शैलेश, “अलीशा, यार तो मैं तो यहाँ नया हूँ ना। थोड़ा टाइम तो लगेगा एडजस्ट होने में।”
अलीशा, “देखो शालू, मैंने तुम्हे पुरे जेवर भी पहना दिए, ये कुमाऊनी नथिया देखो, आज रात ये नथिया पहनकर तुम्हे डांस करना है, समझी तुम?”
शैलेश, “अलीशा, ये तो बहुत हैवी और बड़ा नथिया है। ये मैं कैसे पहनूंगा, और डांस करते समय कितना अनकंफर्टबल फील होगा।”
अलीशा, “जैसे सभी नचनिया पहनती हैं, वैसे ही तुम भी पहनोगी रानी।”
फिर अलीशा ने शैलेश की नाक की छेद में वो कुमाऊनी नथिया पहनकर उसे अच्छे से सेट करके उसकी गुड़िया शैलेश के बालों में हुक कर दी। शैलेश के नाक में लगभग बिस ग्राम वजन जितना हैवी सोने का कुमाऊनी नथिया था जो उसके आधे चेहरे को अपने अंदर ढँक चूका था। शैलेश ने जब मिरर में खुद को देखा तो उसे यकीन नहीं हो रहा था कि वो एक मर्द है या हिमाचल की दुल्हन। शैलेश को अच्छे से तैयार करके अलीशा उसे अपने साथ बार में ले जाकर बलवंत के सामने खड़ा कर दिया। बलवंत ने शैलेश को ऊपर से नीचे तक निहारा और अलीशा से कहा कि माथे पर एक मांगटीका और दोनों भौं के बीच एक लाल बिंदी भी चिपका दे और स्टेज पर ले जाकर नचाये। अलीशा ने ठीक वही किया, शैलेश के माथे पर मांगटीका और उसके दोनों भौ के बीच एक लाल बिंदी चिपका कर एक ट्रांसपेरेंट ओढ़नी से घूँघट करके उसे स्टेज पर ले गयी, जहाँ बार डांसर्स नाच रही थीं। शैलेश ने भी डांस करना शुरू किया। अभी शैलेश डांस कर ही रहा था कि स्टेज पर दो तीन छिछोरे मर्द आ गए और उसे छेड़ने लगे। एक मर्द ने शैलेश के लहंगे में 200 के 5 नोट फंसा दिए, एक ने 2000 के 4 नोट शैलेश की चोली में घुसाने लगा और एक ने तो हद ही कर दिया। उसने शैलेश के लहंगे को उठाने की कोशिश की, तभी वहां बाउंसर्स आ गए और तीनो लफंगों को उठाकर बहार फेंक आये। आज जीवन में पहली बार शैलेश को मर्दों के संकुचित सोंच का एहसास हुआ। ये सब वो भी करने को रेडी रहता था और आज उसके साथ जब ये सब हुआ तब उसे अपने पाप याद आने लगा। शैलेश ने डांस जारी रखा और काफी देर डांस करने के बाद उसने बाकी डांसर्स के मुकाबले ५ गुना ज्यादा कमाई की। शैलेश की कमाई देखकर बलवंत बहुत खुश हुआ और उसे आधी कमाई थमाकर उसे अलीशा के साथ होटल भेज दिया।
रस्ते में,
अलीशा, “शालू, तुमने तो रिकॉर्ड ही तोड़ दिया, इतना बेहतरीन डांस तो अच्छे अच्छे बियर बार में नहीं देखने को मिलता।”
शैलेश, “थैंक्स अलीशा, एरोबिक्स और योग के कारण मेरी बॉडी बहुत लाइट वेट है। शायद इसी वजह से क्रोस्स्ड्रेस्सिंग कर के भी मैं बार में सबसे ज्यादा कमा सका।”
अलीशा, “हाँ शालू, एरोबिक्स और योग के कारण तुम्हारी बॉडी लड़कियों से भी ज्यादा छरहरी है। प्रताप जी तो तुम्हे ही लगातार देखे जा रहे थे और उन्होंने तो तुम्हारे ऊपर सबसे ज्यादा पैसे लुटाये।”
शैलेश, “मैंने ध्यान नहीं दिया अलीशा, लेकिन बात सिर्फ डांस तक ही सिमित होती तो ये जॉब कोई खास बुरी भी नहीं। लेकिन शीमेल प्रोस्टीच्यूट बनने का फैसला मुझे बार से तोड़ता जा रहा है। बलवंत जी के साथ जो रात मैंने बितायी, वो मेरे जीवन का सबसे बुरा पल था। लेकिन क्या करू मैं, मैंने एग्रीमेंट पर साइन किया है, मुझे ये लाइफ जीना पड़ेगा।”
अलीशा, “अब तुमने समझदारों की तरह बात की शालू रानी। तुम जितना खुद को फ्री छोड़ोगी, तुम्हारी लाइफ उतनी स्मूथ होती जाएगी।”
शैलेश, “हम्म!”
शैलेश और अलीशा होटल पहुंच चुके थे और पांचवे फ्लोर पर प्रताप का स्वीट बुक था। अलीशा और शैलेश बुक स्वीट में जा पहुंचे। वहां किंग साइज बिस्तर को फूलों से सजाया हुआ था, ठीक वैसे ही जैसे शादी के बाद सुहागरात का सेज़ सजाया जाता है। अंदर स्वीट में जाने से शैलेश कतराने लगा तो अलीशा ने शैलेश को अंदर आने को कहा। अलीशा ने शैलेश का मेकअप ठीक किया। वहां ड्रेसिंग टेबल पर कुछ ज्वेलरीज रखी थी। अलीशा ने बॉक्स खोलकर देखा तो उसमे डिज़ाइनर कंगन का सेट, बड़े बड़े झुमके और सोने का नथिया रखा हुआ था जो काफी बड़ा और डिज़ाइनर था। अलीशा ने शैलेश को दुबारा से डेकोरेट किया और फिर अलीशा ने शैलेश के बॉडी पर रोज फ्लेवर बॉडी डीओ और स्ट्रॉबेरी फ्लेवर माउथ स्प्रे के बाद उसे हैवी सिल्क घूँघट से चेहरा ढँक कर बिस्तर के बीचो-बीच बिठा दिया। उसके बाद शैलेश को गुड लक विश करके अलीशा वहां से चली गयी।
शैलेश को काफी थकान हो रही थी और इंतज़ार करते करते कब शैलेश की आँख लग गयी; इसका उसे पता भी नहीं चला। जब प्रताप कमरे में आया तो शैलेश की खूबसूरती देखकर दंग रह गया। प्रताप को मालुम था कि शैलेश एक मर्द है जो बलवंत के बार में एक शीमेल बनकर पैसे कमा रहा था। लेकिन शैलेश की खूबसूरती ऐसी थी जैसे एक मर्द नहीं बल्कि एक खूबसूरत लड़की सुहागगरात की सेज़ पर लेटी हो। प्रताप ने दरवाज़ा लॉक किया और शैलेश के करीब जाकर बिस्तर पर बैठ गया। हर सांस के साथ शैलेश के फेक बूब्स चोली में ऊपर नीचे हो रहा था और कमर भी पूरी तरह न्यूड वजह से शैलेश की खूबसूरती और भी बढ़ गयी थी। घूँघट से शैलेश को ग्लॉसी होंठ और हैवी नथिया का आधा भाग दिख रहा था जो प्रताप को और भी ज्यादा मदहोश किये जा रहा था। प्रताप ने ज्यादा समय नहीं गंवाया और अपने होंठ शैलेश के होंठों पर रखकर उसे चूमने लगा। प्रताप की गर्म सांसें जब शैलेश की साँसों में घुली तो उसकी नींद खुली और प्रताप के चेहरे का कुछ भाग ही देख सका क्यूंकि प्रताप अभी भी उसे बेतहाशा चूमे जा रहा था। प्रताप का एक्साइटमेंट नेक्स्ट लेवल पर था और उसका जीभ अब शैलेश के होंठो के दरवाज़े को खोलने के प्रयास में थे। शैलेश ज्यादा देर तक प्रताप के जीभ को अपने होंठो के बंद दरवाज़े से रोक नहीं पाया और थोड़ी ही देर में प्रताप का जीब शैलेश के जीभ के साथ एक दूसरे में समाने को तैयार हो चुके थे। शैलेश को इस तरह का कोई एक्सपीरियंस नहीं था और सिर्फ पोर्न वीडियोस में ही इस तरह का सेक्स देखा था। लेकिन एक मर्द ने शैलेश के होंठो का पूरा रस निचोड़ कर पी रहा था और शैलेश की आँखें आंसुओं से भरी हुई थी। फिर प्रताप ने शैलेश के होंठों को चूमना बंद किया और बैठ गया। शैलेश अभी भी बिस्तर पर लेटा हुआ था और प्रताप उसे बैठे बैठे घूरे जा रहा था।
प्रताप, “आँखें खोलो शालू रानी, यही नाम है ना तुम्हारा ?”
शैलेश, “जी !”
प्रताप, “आँखें खोलो !”
शैलेश ने धीरे धीरे अपनी आँखें खोली और प्रताप की और देखा।प्रताप की ६ फुट हाइट, मस्कुलर बॉडी, छाती पर बाल, चेहरे पर हलकी दाढ़ी और कलाई में रोलेक्स की घडी देखकर शैलेश एक पल के लिए प्रताप के स्मार्टनेस में खो गया।
शैलेश सोचने लगा, “ओह माई गॉड, तो अलीशा इसी की बात कर रही थी। प्रताप जी तो सच में बहुत हैंडसम है!”
प्रताप शैलेश के नजदीक आया और शैलेश का पूरा शरीर कंपकंपाने लगे।
प्रताप, “तुम वाकई बेहद खूबसूरत हो शालू रानी! तुम्हारी जैसी स्वर्ग की अप्सरा को प्यार से रखना पड़ेगा!”
प्रताप की बात सुनकर शैलेश को बहुत शर्मिंदगी हुआ। आखिर एक मर्द उसे स्वर्ग की अप्सरा कहकर उसकी खूबसूरती की तारीफ़ कर रहा था। शैलेश ने जैसे ही उठना चाहा, प्रताप ने उसके दोनों कन्धों को अपने बलिष्ठ हाथों से पकड़ कर फिर से लिटा दिया।
प्रताप, “तुम लेटी रहो मेरी रानी !”
प्रताप ने शैलेश को उठने नहीं दिया और अपने जीन्स को खोलकर अंडरवियर में उसके बगल में ही लेट गया और शैलेश के साथ रोमांस करने लगा।शैलेश के साथ एक मर्द रोमांस कर रहा था। प्रताप कभी शैलेश के गालों को चुम रहा था, अभी गले को तो कभी माथे को, कभी नथिया के ऊपर से नाक को तो कभी कंधो को। ऐसे में शैलेश को लाइफ में पहली बार एक ऐसे आनद की अनुभूति हो रही थी; जो शैलेश को अंदर से कमज़ोर किये जा रही थी। प्रताप ने हलके से शैलेश की चोली की डोरी खोल दी और उसके कमर को लगातार बिना रुके चूमने लगा। शैलेश को समझ में नहीं आ रहा था कि वो इतना एक्साइटेड क्यों हुआ जा रहा है। प्रताप ने शैलेश कलहंगा ऊपर उठाया और उसके जाँघों को चूमना शुरू किया। एक आह की आवाज़ शैलेश के मुँह से निकला और उस आह ने प्रताप को और भी एक्साइटेड कर दिया।अब प्रताप ने शैलेश का लहंगा ऊपर उठाया और पैंटी को धीरे धीरे बहुत ही पैशनेट तरीके से नीचे करने लगा। प्रताप का पैशनेट तरीके से ऐसे प्यार करना शैलेश के अंदर की औरत को जगाने की और पहला कदम था। शैलेश को समझ नहीं आ रहा था कि वो प्रताप के ऐसे पैशनेट तरीके के प्यार का क्या करे जो उसे अंदर ही अंदर औरतपन का एक नया ही अनुभव करवा रहा था। प्रताप ने शैलेश की पैंटी उतार दी शैलेश के लंड को सहलाने लगा और शैलेश अपनी उत्तेजना को कण्ट्रोल करने की नाकाम कोशिश करने लगा। शैलेश के मुँह से लगातार आह्हः उह्ह्ह उम्म्म्म की आवाज़ निकल रही थी जो प्रताप को बेचैन करने लगी थी। प्रताप ने शैलेश के लंड को अपने मुँह में लिया और उसे चूसने लगा। शैलेश को इस बात का कोई भी अंदाज़ा नहीं था कि एक मर्द उसे लाइफ में पहली बार ब्लो जॉब का अनुभव करवाएगा लेकिन एक समस्या जिसने इस बेचैनी में भी शैलेश को परेशान कर दिया। वो था शैलेश के लंड में ना होने वाली इरेक्शन। प्रताप ने जितने देर तक शैलेश के लंड को चूसा, उतनी देर में उसका लंड पहली की तरह टाइट हो जाना चाहिए था, लेकिन शैलेश का लंड १ इंच से एक इंच ज्यादा नहीं हुआ। फिर प्रताप ने भी शैलेश के लंड को छोड़कर उसके जाँघों पर फिर से किस करने लगा। शैलेश फिर से उत्तेजित होने लगा तब प्रताप ने समय गंवाए बिना उसके चोली को बदन से अलग कर दिया और फेक बूब्स पर अपने किस की बौछार कर दी। शैलेश का छोटा शरीर पूरी तरह से प्रताप के बड़े से शरीर के अंदर समाया हुआ था और प्रताप का शैलेश के फेक बूब्स को चूमना उसे एक कुंवारी औरत की तरह उत्तेजित किये जा रही थी। फिर प्रताप ने शैलेश को पेट के बल लिटा दिया और उसके गले को, पीठ को और कमर को चूमता हुआ उसके गांड की छेद में अपना जीभ घुसा कर चाटने लगा। शैलेश के मुँह से “आअह्ह्ह्ह, उम् , ओह्ह” निकल रहा था और वो लगातार सिसकियाँ लिए जा रहा था और प्रताप एक एक्सपेरिएंस्ड खिलाडी की तरह बिना रुके उसके गांड को अपने जीब से चाट रहा था। प्रताप का हर एक मूव काफी सेड्यूस कर देने वाला था और शैलेश एक पल के लिए भूल ही गया था कि वो भी एक मर्द ही है, लेकिन इस मदहोश कर देने अनुभव को शैलेश जीना चाहता था। प्रताप ने शैलेश को अपनी बाहो में उठा लिया और उसे लेकर खड़ा हो गया।
प्रताप, “अरे वाह रानी, तुम्हारी कमर तो बहुत ही ज्यादा पतली है। लड़कियां ऐसी कमर को पाने ले लिए तरसती हैं। और मेरे लिए तो तुम स्ट्रॉबेरी हो जिसका रस मैं निचड़ना चाहता हूँ।”
शैलेश, “प्रताप जी, आपके जैसे हैंडसम मर्द की बाहों में मुझे सिर्फ एक लड़की होने का एहसास हो रहा है! (ये मैं क्या बोल गया? मुझे क्या हो गया है, एक मर्द से मैं ऐसा कैसे कह सकता हूँ?)”
प्रताप, “हाँ मेरी रानी, तुम तो हो ही लड़की जो इस आदमी के तन में रहकर भी इतनी खूबसूरत दिख रही हो।”
फिर प्रताप ने शैलेश को अपनी बाहों से नीचे उतरा। शैलेश नीचे देख रहा था तो प्रताप ने शैलेश की ठुड्डी को अपनी और उठाया। शैलेश ने प्रताप की और देखा, काफी ऊँचा था और शैलेश को फिर से शर्मिंदगी हुई।
प्रताप, “मेरी छोटी सी शालू रानी, तुम्हे पता है, तुम्हारी जितनी छोटी शीमेल से साथ सेक्स करने में मुझे बहुत मजा आ रहा है। मैंने तुमसे खूबसूरत शीमेल पहले कभी नहीं देखा।”
शैलेश ने कोई भी जवाब नहीं दिया और अपनी आँखें झुका ली। तब प्रताप ने शैलेश को उसका अंडरवियर उतरने को कहा। जैसे ही शैलेश ने प्रताप का अंडरवियर नीचे किया, आठ इंच का मोटा काला और इरेक्शन भरा लंड देखकर शैलेश घबरा गया लेकिन उस लंड को देखकर; बिना प्रताप के कहे, शैलेश ने उसे अपने हाथों से सहलाना शुरू कर दिया। प्रताप का लंड और भी ज्यादा टाइट हो गया और शैलेश ने उस लंड के टिप पर एक किस कर दिया। प्रताप शैलेश के एक किस से इतना एक्साइटेड हो गया कि उसका असर उसके लंड को देखकर शैलेश समझ गया कि उसे आगे क्या करना है। शैलेश ने प्रताप के लंड को अपने मुँह में लिए, उसे चूसने लगा जिससे प्रताप भी बहुत आनंद मिल रहा था। एक मर्द को ब्लोजॉब का मजा देना शैलेश के नया अनुभव था लेकिन प्रताप के लंड को देखकर शैलेश के अंदर की औरत जाग उठी और शैलेश ने लगभग पच्चीस मिनट्स तक प्रताप को ब्लोजॉब का मजा दिया। अब प्रताप से उसकी एक्साइटमेंट नहीं संभाली जा रही थी तो उसने शैलेश के बाल पकड़ लिए और उसके मुँह में जोर जोर से अपना लंड घुसाने लगा और लगभग अगले दस मिनट्स में शैलेश के मुँह में प्रताप के लंड का गर्मागर्म वीर्य का पहला लोड उसके गले को भिगोते हुए उसके अंदर चला गया। शैलेश ने आज अपनी मर्ज़ी से एक मर्द का वीर्य पिया था जो उसे बहुत ही ज्यादा अच्छा लगा। शैलेश ने अभी भी प्रताप के लंड को अपने मुँह में ही रखा हुआ था और उसके अंदर का एक एक बून्द वीर्य पी जाने को बेताब था। प्रताप का लंड अभी भी वैसे ही टाइट हो रखा था और उसके लंड के वीर्य का एक एक बून्द शैलेश पी गया। महज़ एक दिन पहले मर्द की बाहों में खुद को असहज माने वाले शैलेश को ना जाने क्या हो गया था। जो आज वो बिना कहे एक मर्द के लंड को अपने मुँह से निकालने को तैयार नहीं हो रहा था। शैलेश का सिर्फ एक ही मन कर रहा था कि प्रताप का लंड वो लॉलीपॉप की चूसता रहे और अपने इस हरकत को चाह कर भी नहीं रोक पा रहा था। प्रताप का लंड अब दुबारा टाइट और पहले से मोटा हो गया, तब प्रताप ने शैलेश के मुँह से अपना लंड बाहर निकाला और उसके गांड की छेद पर रखकर सहलाने लगे। शैलेश को पेट के बल लिटाकर प्रताप ने उसके गांड की छेद पर अपने लंड अटकाया और उसे धीरे धीरे अंदर बाहर करना शुरू कर दिया और शैलेश को असहनीय दर्द का अनुभव शुरू हो गया।
शैलेश, “आआह्ह्ह्ह प्रताप जी, ये बहुत मोटा है। मेरी गांड फट जायेगा, प्लीज आअह्ह्ह्ह इसे बाहर निकाल लीजिए।”
प्रताप, “मेरी रानी, शशशशश!”
प्रताप ने शैलेश को चोदने की स्पीड बढ़ा दी और उसकी पतली कमर को अपने दोनों हाथों से जकड लिया और शैलेश को चोदने की स्पीड को और भी ज्यादा बढ़ा दिया।
शैलेश, “आईई माँ, ओह्ह्ह ,नहीं, प्लीज प्लीज् आह्ह्ह्हह्ह प्लीज प्रताप जी आह्ह्ह्ह, नहीं नहीं प्लीज प्लीज, आह्हः आअह्हह्ह्ह्हह गॉड!”
शैलेश जोर जोर से सिसकी लेने लगा, आँखों में आंसुओं के सैलाब थे, नाक का नथिया बार बार होंठों से टकरा रहा था, कंगन आवाज़ कर रही थी, किंग साइज बेड भी आवाज़ कर रहा था, गले के जेवर भी बार बार शैलेश के जिस्म से टकरा रहे थे लेकिन प्रताप पूरी तरह से एन्जॉय कर रहा था।
शैलेश, “प्लीज, प्लीज, प्लीज, आह्ह्ह्हह्ह्ह्ह, नहीं, प्लीज प्लीज, ईईईई आअह्ह्ह्ह !”
शैलेश चाह कर भी अपनी सिसकियों को नहीं रोक पा रहा था और प्रताप का स्पीड कम होने का नाम नहीं ले रहा था। अगले पंद्रह मिनट्स तक शैलेश की पीछे से चुदाई करने के बाद प्रताप ने उसे पीठ के बल लिटाया और उसके दोनों पैरों को हवा में फैलाकर उसके गांड में फिर से अपना लंड घुसा दिया और इस बार प्रताप का लंड शैलेश के गांड में कुछ ज्यादा ही डीप में घुस गया था। शैलेश की फिर से चुदाई शुरू हुई और इस बार दर्द से ज्यादा प्लेज़र फील हो रहा था। प्रताप के साथ अब शैलेश को भी हल्का हल्का मजा आ रहा था। शैलेश को समझ में नहीं आ रहा था कि वो रोये या उस दर्द को एन्जॉय करे। शैलेश की मर्दानगी उसे कोस रही थी और प्रताप बिना रुके शैलेश को चोद रहा था। लगभग अगले बिस मिनट्स की चुदाई के बाद प्रताप ने शैलेश के अंदर ही अपना वीर्य छोड़ दिया और शैलेश को भी ठीक उसी समय वीर्यस्खलित हो गया। शैलेश के गांड के अंदर प्रताप का लंड अभी भी वीर्य छोड़ रहा था और शैलेश की आँखों के आगे अँधेरा छा रहा था। प्रताप भी थकान महसूस करने लगा और शैलेश को अपनी बाहों में जकड कर वैसे ही लेट गया। शैलेश को प्रताप के शरीर की गर्मी का अनुभव हो ही रहा था, और साथ ही प्रताप की गर्म साँसों से चेहरे पर जलन हो रहा था। गांड में प्रताप का वीर्य अलग से जलन दे रहा था, लेकिन प्रताप ने शैलेश को ऐसे जकड रखा था जैसे वो शैलेश को अपने अंदर ही समा लेगा। लगभग एक घंटे तक सेम पोजीशन पर सोने के बाद प्रताप एक बार फिर से उठा और अपना लंड शैलेश के गांड से बाहर निकाल लिया। प्रताप के लंड बाहर निकालते ही शैलेश की आँख दुबारा खुल गयी और सामने प्रताप पूरी तरह से न्यूड मुस्कुराते हुए उसे लगातार घूरे जा रहा था। शैलेश ने अपनी आँखें बंद की तो प्रताप उसके करीब आ गया। प्रताप ने शैलेश के चेहरे को चूमा और उसके नाक से नथिया को खोलकर निकाल। शैलेश को बहुत राहत मिला और फिर प्रताप ने शैलेश के कानों से झुमके, गले से सोने का हार और माथे पर से मांगटीका खोलकर निकालकर बगल के टेबल पर रख दिया। फिर प्रताप ने शैलेश के पुरे चेहरे को स्मूच किया और शैलेश का छोटे से लंड में अपना लंड घुसा दिया।
शैलेश, “ये आप क्या कर रहे हैं प्रताप जी!”
प्रताप, “श्श्श्श, शालू रानी इसे डिक डॉकिंग कहते हैं।”
प्रताप ने शैलेश को अपनी बाहो में लिया और उसके लंड पर अपने लंड से स्ट्रोक करने लगा। शैलेश की लाइफ में पहली बार किसी मर्द का मोटा लंड उसकी छोटी सी लंड में घुस कर उसकी चुदाई कर रहा था। दर्द से शैलेश का बुरा हाल हो रहा था लेकिन प्रताप को उसके दर्द से कोई मतलब नहीं था। शैलेश के लंड का लगभग आधे से ज्यादा स्कीन प्रताप के लंड के ऊपर चढ़ा हुआ था और प्रताप रुक भी नहीं रहा था। शैलेश का रोना, चिल्लाना उसे और भी एक्साइटेड किये जा रहा था। थोड़ी देर तक शैलेश को डिक डॉकिंग सेशन देने के बाद प्रताप ने अपना लंड शैलेश के छोटे से लंड से बाहर निकाला और फिर से शैलेश एक पैर हवा में उठाकर उसकी गांड में डाल दिया और फिर से चुदाई करने लगा। शैलेश को जलन, दर्द और हल्का हल्का एन्जॉयमेंट देने के साथ ही प्रताप ने अपनी स्पीड भी बढ़ा दी। लगभग अगले बिस मिनट्स तक शैलेश की चुदाई करने के बाद प्रताप फिर से उत्तेजित हो गया और शैलेश की गांड में दुबारा से अपना वीर्य भर दिया। शैलेश बेहोश हो गया और उसकी गांड में अपना लंड डालकर बाहों में लेकर सो गया। सुबह के पांच बजे जब शैलेश की नींद खुली तब प्रताप की जकड से निकलने के लिए शैलेश ने उसे भी जगा दिया। नींद खुलने के बाद भी प्रताप ने शैलेश के अंदर से अपना लंड नहीं निकाला।
शैलेश, “प्लीज अपना लंड बाहर निकाल दो आप; मुझे वाशरूम जाना है!”
प्रताप, “मन तो नहीं है, लेकिन जल्दी आना !”
प्रताप ने शैलेश के अंदर से बाहर निकाला और शैलेश बिस्तर से उतर कर वाशरूम की तरफ बढ़ने लगा। दर्द तो बहुत हो रहा था लेकिन शैलेश धीरे धीरे चलकर वाशरूम में जाकर टॉयलेट शीट पर बैठ गया। टॉयलेट शीट पर बैठे ही शैलेश के अंदर से प्रताप का वीर्य का लोड बाहर निकला और उसके साथ ही उसके गांड में जलन होने लगा। फ्रेश होने के बाद शैलेश ने ब्रश किया और गर्म पानी से स्नान किया।
स्नान करने के बाद जब शैलेश कमरे में आया तब प्रताप सोया हुआ था लेकिन उसका लंड अभी भी उतना ही लम्बा और मोटा था, जितना रात को था। पता नहीं शैलेश को क्या हुआ, वो प्रताप के लंड को छू कर फील करने का सोचने लगा। हिचकिचाहट में शैलेश ने प्रताप के लंड को अपने हाथों से छुआ। शैलेश के छूते ही प्रताप का लंड लोहे की रॉड की तरह सख्त हो गया। प्रताप अभी भी सोया ही हुआ था, शैलेश ने लंड को चूमा तो प्रताप की नींद खुल गयी।
प्रताप, “ये तुम क्या कर रही हो शालू रानी!”
शैलेश ने प्रताप की और देखा और बिना कुछ कहे खड़े होकर आँखें झुका ली।
प्रताप, “कोई बात नहीं रानी, तुम चाहो तो एक राउंड ब्लो जॉब का मजा दे दो!”
शैलेश ने फिर से प्रताप के लंड को अपने मुँह में ले लिया और उसे ब्लो जॉब का मजा देने लगा। लगभग पंद्रह मिनट्स तक शैलेश ने प्रताप के लंड को अपने मुँह में रखे रखा और फिर प्रताप के उत्तेजित होते ही शैलेश का मुँह प्रताप के वीर्य से भर गया और तभी दरवाज़े को खोल अलीशा कमरे में एंटर हुई। अलीशा को देखते ही शैलेश बहुत ही शर्मिंदा हुआ, उसके मुँह में अभी भी प्रताप का लंड और उसका वीर्य था। प्रताप ने शैलेश के बाल को पकड़कर अलीशा के सामने ही ब्लो जॉब का पूरा मजा लिया और शैलेश ने प्रताप का वीर्य पी लिया। उसके बाद प्रताप उठा और फ्रेश होने वाशरूम में चला गया।
अलीशा, “वाओ शैली रानी, तुम तो सही मायनो में एक शीमेल बन गयी हो। कितना प्यार से ब्लोजॉब दे रही थी तुम प्रताप जी को और वो भी बिना कंडोम के। शीमेल बनने का तुम्हारा फैसला बिलकुल सही था और बलवंत जी के पारखी नज़र ने तुम्हे ढूंढा था तभी मैं समझ गयी थी कि तुम आगे चलकर एक सक्सेस्फुल शीमेल बनोगी।”
शैलेश, “नहीं अलीशा, ऐसा कुछ भी नहीं है।”
अलीशा, “ऐसा वैसा छोड़ो, तुम्हारे होंठों पर से अभी भी प्रताप जी का वीर्य टपक रहा है।”
शैलेश ने जीभ से अपने होंठ पर पड़े वीर्य के उस बून्द को अपने मुँह में समेट लिया। अलीशा समझ चुकी थी कि शैलेश को प्रताप के वीर्य का टेस्ट पसंद आ चूका है। फिर अलीशा ने शैलेश को साड़ी पहनाया और साड़ी पहनने का पूरा तरीका समझाया। आखिर में शैलेश ने खुद से साड़ी को पहना, प्लेट्स भी बनाये और आँचल भी खुद से सेट किया। अलीशा ने गौर किया कि शैलेश को साड़ी पहनने में मजा आ रहा था। शैलेश को तैयार करने के बाद अलीशा ने उसे बिस्तर के एक कार्नर पर साड़ी के पल्लू से घूँघट करके बिठा दिया। अलीशा शैलेश का मेकअप और जेवर पहनाने का सोच ही रही थी कि प्रताप वाशरूम से बाहर आ गया। प्रताप ने नाईट ड्रेस पहना हुआ था और अंदर आते ही उसने रिसेप्शन पर कॉल करके कुछ मंगवाया। थोड़ी देर में रिसेप्शन पर से एक स्टाफ एक गिफ्ट बॉक्स लेकर स्वीट में आ गया। प्रताप ने शैलेश को अपने जाँघों पर बिठाया और गिफ्ट के साथ 5000 रूपये हाथ में पकड़ा दिया।
शैलेश, “ये गिफ्ट किस लिए?”
प्रताप, “देखो रानी, वैसे तो मैंने तुम्हारे साथ चार दिनों की बुकिंग के पुरे पैसे बलवंत को भेज दिए हैं। लेकिन कल रात जब मैंने तुम्हारी “नथ उतराई” की रस्म की तो तुम्हारे लिए ये गिफ्ट तो बनता ही है।”
शैलेश ने गिफ्ट बॉक्स को खोल कर देखा, उसमे सोने के कंगन, गले का नौलखा हार और एक सानिया मिर्ज़ा स्टाइल सोने का नथिया था। प्रताप ने सोने का नथिया अपने हाथों से शैलेश के नाक में पहना दिया, हाथों में दोनों कंगन और गले में नौलखा हार पहना दिया। फिर प्रताप ने शैलेश को अलीशा के सामने ही स्मूच किया और वहां से चला गया। प्रताप के जाने के बाद अलीशा ने शैलेश को घुरा।
शैलेश, “ऐसे क्या देख रही हो अलीशा?”
अलीशा, “देख रही हूँ कि कैसे प्रताप जी तुम्हे अपनी पत्नी की तरह ट्रीट कर रहे हैं। सुहागरात के समय नथ उतराई की रस्म होती है जब दूल्हा अपनी दुल्हन ने नाक से नथिया निकालकर उसके साथ सम्भोग करता है। आज वही प्रताप जी ने तुम्हारे साथ किया और कैसे तुम एक सभ्य नारी की तरह प्रताप जी के हाथों से गहने पहनती रही।”
शैलेश, “वो मैं, प्रताप जी ने पहना दिया। मैं कैसे मना करता तुमने ही तो मना किया है कि मैं सब बात मानु !”
अलीशा, “हम्म! तुम्हारी सुबह देखकर तो लगता है कि तुम्हारी रात बहुत ही ज्यादा खूबसूरत रही !”
शैलेश, “नहीं अलीशा ऐसा कुछ भी नहीं है !”
अलीशा, “तो शालू रानी को प्रताप जी कैसे लगे?”
शैलेश, “स्मार्ट हैं और हैंडसम भी। प्रताप भी ठीक वैसे ही हैं जैसा तुमने बताया था।”
अलीशा, “हम्म और मुझे तो ऐसा लग रहा है कि तुम्हे भी प्रताप जी से प्यार हो गया है।”
शैलेश, “नहीं अलीशा, मुझे तो तुमसे प्यार हो गया है। क्या आज तुम मेरे साथ सेक्स करोगी?”
अलीशा, “तुम्हारा लंड तो खड़ा ही नहीं होता है। तुम्हारे साथ सेक्स कैसे होगा ?”
शैलेश, “ऐसा कुछ भी नहीं है अलीशा। आज मैंने सोच लिया है कि आज मैं तुम्हे खुश कर दूंगा!”
अलीशा, “हाहाहा, वैसे ही जैसे सुबह तुम प्रताप जी को खुश कर रही थी ?”
शैलेश को अलीशा की बात अच्छी नहीं लगी, वो मुँह फेर कर बैठ गया।
अलीशा, “ठीक है शालू रानी लेकिन याद रखना, आज मैं भी पूरी तयारी के साथ आयी हूँ। आज अगर तुम मुझे खुश नहीं कर सकी तो मैं तुम्हे सटिफाई कर दूंगी।”
शैलेश खुश हो गया, उसने अंदर से दरवाज़ा लॉक किया और अलीशा को बिस्तर पर पटक कर उसके ऊपर लेट कर रोमांस करने लगा। ठीक वैसे ही जैसे प्रताप ने रात में शैलेश के साथ रोमांस किया था। अलीशा एक्साईटेड होने लगी और शैलेश के लंड में भी इरेक्शन होने लगा। अलीशा के साथ काफी देर तक रोमांस करने के बाद शैलेश ने अलीशा को कंडोम देकर उसे पहनाने को कहा। अलीशा ने शैलेश के लंड को अपने मुँह में लेकर ब्लोजॉब देने लगी और आज शैलेश का लंड भी टाइट हो गया था और अलीशा इस बात से बहुत खुश थी। अलीशा ने अपनी पैंटी खोली और शैलेश ने अपनी। शैलेश ने समय नहीं गंवाया और अपना लंड अलीशा की वजाइना के अंदर घुसा दिया। शैलेश का लंड इतना इरेक्शन के बाद भी प्रताप के लंड का आधा ही था लेकिन टाइटनेस की वजह से अलीशा की वजाइना में आसानी से समा गया। शैलेश ने सोच रखा था कि वो ठीक वैसे ही अलीशा के साथ सेक्स करेगा जैसे प्रताप ने लास्ट नाईट उसके साथ सेक्स किया था। शैलेश ने अलीशा को चोदना शुरू किया और लगभग पंद्रह मिनट्स के बाद शैलेश ने अलीशा को अपने ऊपर बिठा लिया और अलीशा को अपने लंड की सवारी करवाने लगा। अलीशा अब एन्जॉय करने लगी थी और शैलेश भी। थोड़ी देर बाद अलीशा को फिर से बिस्तर पर लिटा कर शैलेश ने उसकी चुदाई शुरू कर दी। अभी पांच मिनट्स भी नहीं हुआ था कि शैलेश को एक्साइटमेंट हो गया और शैलेश का वीर्य निकल गया। कंडोम की वजह से शैलेश का वीर्य उसमे जमा हो गया और उसका लंड फिर से छोटा हो गया। लेकिन इन सब में अलीशा को सटिस्फैक्शन नहीं मिला। अब अलीशा ने शैलेश को घूर कर देखा, शैलेश समझ गया कि अलीशा को सटिस्फैक्शन नहीं मिला। अलीशा ने शैलेश को अपने ऊपर से हटाया बैग खोला।
शैलेश, “क्या ढूंढ़ रही हो अलीशा?”
अलीशा, “कंडोम!”
शैलेश, “कंडोम क्यों?”
अलीशा, “मुझे पता है कि अब तुम्हारा लंड सो चूका है और ये किसी काम का नहीं। लेकिन आज लाइफ में पहली बार एक मर्द की चुदाई करने का मौका मिला है जो मैं आज तो नहीं जाने देने वाली!”
शैलेश, “मैं कुछ समझा नहीं अलीशा!”
अलीशा ने मुस्कुराते हुए अपने बैग से छोटा सा डिलडो निकाला और साथ ही चॉकलेट कंडोम भी।
शैलेश, “ये क्या है अलीशा?”
अलीशा, “हाहाहा, क्या तुम सच में नहीं जानती कि ये क्या है! मेरी शालू रानी, नाउ प्रेपर तो गेट फक्ड बाई अ गर्ल टुडे।”
इससे पहले शैलेश कुछ समझ पाता अलीशा ने उसे बिस्तर पर धकेल दिया। शैलेश अलीशा के इस अनजान हरकत से उसकी तरफ देखने लगा। अलीशा ने डिलडो को अपनी वजाइना पर बेल्ट से टक किया और शैलेश के दोनों पैरों को हवा में उठाकर उसकी गांड में डालने लगी। एक मर्द से चुदाई के बाद शैलेश एक लड़की से चुदने वाला था। इससे पहले कि शैलेश अलीशा को रोकता या कुछ कहता अलीशा ने डिलडो को रिमोट से ऑपरेट करना शुरू कर दिया। वो डिलडो जितना आगे की और बढ़ रहा था उतना ही उसके पीछे का हिस्सा भी बढ़ रहा था। छह इंच होने के बाद शैलेश जितना डिलडो शैलेश की गांड में घुस गया उतना ही अलीशा की वजाइना में भी। अलीशा शैलेश के साथ खुद भी एन्जॉय कर रही थी और एन्जॉयमेंट में अलीशा ने रिमोट से साइज को और भी बढ़ा दिया और शैलेश की चढ़ाई के साथ साथ खुद की भी चुदाई करने लगी। लगभग अगले आधे घंटे तक शैलेश के साथ खुद की चुदाई करने के बाद अलीशा और शैलेश को एक्साइटमेंट आ गया और दोनों एक दूसरे से चिपक कर लेट गए। दो घंटे दोनों वैसे ही सोते रहे जिसके बाद फ़ोन की बेल सुनकर अलीशा और शैलेश की नींद खुली। कॉल प्रताप का था और नंबर देखते ही अलीशा बिस्तर से उठकर खड़ी हो गयी। प्रताप ने शैलेश को साड़ी में तैयार करने को कहा और साथ ही लाइट मेकअप और लाइट ज्वेलरी पहनाने की हिदायत दी। प्रताप ने अलीशा से कुछ और भी कहा जिसे सुनकर अलीशा शैलेश को देखकर मुस्कुराते हुए प्रताप को ओके बोलकर फ़ोन रख दिया। कॉल के डिसकनेक्ट होते ही अलीशा ने शैलेश को जल्दी से फ्रेश हो जाने को कहा। जब शैलेश फ्रेश होकर आया; तब तक अलीशा फिर से तैयार हो चुकी थी और उसने शैलेश को दुबारा से एक बनारसी सिल्क साड़ी में तैयार किया, लाइट मेकअप के साथ लाइट ज्वेलरीज भी पहनाई। शैलेश के साड़ी के पल्लू से उसका घूँघट करके पिनअप कर दिया और गांड में एक रिमोट ऑपरेटेड बट प्लग घुसा दिया। इससे पहले कि शैलेश अलीशा से बट प्लग के बारे में पूछता, प्रताप दुबारा कमरे में आ गया और शैलेश ने अपनी आँखें झुका ली। शैलेश को देखकर प्रताप से नहीं रहा गया और वो शैलेश की कमर को पकड़ कर उसके होंठों पर स्मूच करने लगा। अचानक से प्रताप के स्मूचिंग ने शैलेश को अंदर से झकझोर कर रख दिया।
प्रताप, “अलीशा, वाक़ई तुम्हारे हाथों में कमाल का जादू है। शालू वाक़ई खूबसूरत दिख रही है।”
अलीशा, “थैंक्स प्रताप जी।”
फिर प्रताप ने शैलेश की और देखा। शैलेश अभी भी अपने नज़रें झुकाये चुपचाप खड़ा था। अलीशा ने प्रताप की लिपस्टिक को साफ़ किया और दुबारा से डार्क मैटी रेड लिपस्टिक को बहुत ही अच्छे से अप्लाई किया। शैलेश तैयार था, लेकिन प्रताप से आँख मिलाने की हिम्मत शैलेश में नहीं थी।
प्रताप, “शालू रानी, आज तुम बार में नहीं नाचने जाओगी। आज हम मूवी देखने जायेंगे और कुछ शॉपिंग भी करेंगे।”
शैलेश प्रताप की बात सुनकर अलीशा की तरफ देखा जो मुस्कुरा रही थी।
शैलेश, “प्रताप जी, मैं ऐसे बाहर नहीं जा सकता। मैं भले ही पैसे कमाने के लिए शीमेल बना हूँ; लेकिन हूँ तो मैं एक आदमी ही।”
प्रताप, “शालू रानी, तुम्हे देखकर क्या तुम खुद को आदमी कह सकती हो? नहीं ना! तो फिर बाहर चलने में डर कैसा! आज मैं तुम्हारे साथ मूवी देखने जा रहा हूँ और ये फाइनल है। तुम मेंटली प्रेपर हो जाओ रानी।”
शैलेश, “प्रताप जी, किसी ने मुझे पहचान लिया तो मेरी लाइफ हेल हो जाएगी। समाज में मैं किसी को अपना मुँह नहीं दिखा सकूंगा !”
प्रताप, “शालू रानी, तुम्हे कोई नहीं पहचान सकता।”
अलीशा, “हाँ शालू रानी, तुम्हे कोई नहीं पहचान पायेगा बशर्ते तुम बाहर जाकर लड़कियों की तरह बात करना।”
प्रताप, “हम्म अब चलो !”
अलीशा ने प्रताप के हाथों में एक छोटा सा रिमोट दे दिया और मुस्कुराते हुए स्वीट से बाहर चली गयी। अलीशा के जाते ही प्रताप ने शैलेश की कमर में अपना हाथ रखा और उसे अपने साथ होटल के बाहर ले आया। बाहर हौंडा सिटी में प्रताप ने शैलेश बिठाकर खुद भी उसके बगल में बैठ गया और ड्राइवर से सेलेक्ट सिटी मॉल साकेत ले चलने को कहा। रास्ते में प्रताप ने सीट पर से एक बॉक्स उठाया।
शैलेश, “ये क्या है प्रताप जी?”
प्रताप, “श्श्श्श!”
फिर प्रताप ने बॉक्स में से एक सिंदूर का डब्बा निकाला, उसे खोलकर शैलेश की मांग भर दिया।
शैलेश, “ये क्या कर रहे हैं प्रताप जी?”
प्रताप, “तुम यही चाहती हो ना कि तुम्हे कोई भी नहीं पहचाने तो मैंने सोचा क्यों ना मैं तुम्हे अपने पत्नी बनाकर साथ ले चलूँ। आई होप तुम्हे इससे कोई ऐतराज़ नहीं है।”
शैलेश को प्रताप का आइडिया अच्छा लगा। फिर प्रताप ने शैलेश के गले में एक मंगलसूत्र पहना दिया और उसे घूँघट कर लेने को कहा। शैलेश ने घूँघट में अपना पूरा चेहरा ढँक लिया तब प्रताप ने उसके घूँघट को नाक तक ही रखने को कहा। शैलेश ने अपना घूँघट नाक तक किया जैसा प्रताप जी ने कहा। सेलेक्ट सिटी मॉल साकेत साउथ दिल्ली का सबसे बड़ा मॉल था और प्रताप अक्सर अपनी पत्नी शीतल और बेटे राहुल को लेकर इसी मॉल में शॉपिंग करने आता था लेकिन आज सिचुएशन कुछ और ही था। एक मर्द के साथ औरत बनकर शैलेश इस सेलेक्ट सिटी मॉल साकेत में पहली बार आया था। शैलेश ने मॉल में एंटर करते ही प्रताप से मूवी का नाम पूछा। प्रताप ने बताया कि एक नई हॉलीवुड मूवी आयी है जिसका नाम “फिफ्टी शेड्स ऑफ़ ग्रे” है। शैलेश ने वैसे तो कभी हॉलीवुड मूवीज नहीं देखा लेकिन ये नाम उसे सुना सुना सा लग रहा था।फिर भी शैलेश प्रताप के साथ मूवी थिएटर में चला गया। बट प्लग के बारे में शैलेश को ध्यान ही नहीं था; लेकिन प्रताप के जेब में उसका रिमोट रखा था और वो उसे इस्तेमाल करने वाला था।
मूवी शुरू हुई और साथ मूवी के रोमांटिक सेक्स सीन्स, बाँडेज, सबमिशन, फोर्स्ड, डोमिनेंट सीन्स भी, जिसको देखने के बाद प्रताप का एक्साइटमेंट बढ़ गया और मूवी के ख़त्म होने से पहले करीब दस बार शैलेश को पैशनेटली किस किया और शैलेश चुपचाप प्रताप के साथ मूवी एन्जॉय करता रहा। मूवी के ख़त्म होने से पहले ही शैलेश को टॉयलेट आया और उसने प्रताप से वाशरूम जाने की बात कही। प्रताप शैलेश को लेकर लेडीज टॉयलेट के बाहर खड़ा हो गया। शैलेश टॉयलेट में गया और जब वो फ्रेश होकर बाहर आया तब उसे देखकर प्रताप मुस्कुराने लगा।
शैलेश, “क्या हुआ प्रताप जी, आप इतना क्यों मुस्कुरा रहे हैं ?”
प्रताप, “तुम्हारा मेकअप ख़राब हो गया है रानी, तुम अपने पुरे चेहरे हो घूँघट में छिपा लो। अभी पास के ब्यूटी पारलर में चलते हैं।”
फिर प्रताप शैलेश को लेकर पास के ब्यूटी पारलर में गया और शैलेश का मेकअप ठीक करवाया और साथ ही होंठों पर अपनी पसंद का ऑरेंज ग्लॉसी लिपस्टिक अप्लाई करवाया। शैलेश का मेकअप पूरा होने के बाद प्रताप ने पैसे दिए और शैलेश को अपने साथ एक साड़ी शॉप में ले आया।
शैलेश, “साड़ी शॉप में क्यों लेकर आये हैं?”
प्रताप, “ऑब्वियस्ली तुम्हारे लिए कुछ साड़ियां खरीदने। अपनी पसंद से जो भी साड़ी खरीदने का मन हो, ले लो।
शैलेश, “प्रताप जी, मुझे इन सब मे कोई इन्टरेस्ट नहीं है!”
प्रताप, “शालू रानी, एक बार पसंद कर के देख लो!”
प्रताप कि बात शैलेश टाल नहीं सका और साड़ी की दुकान मे बैठकर साड़ी सिलेक्ट करने लगा। प्रताप ने शैलेश को कहा कि वो थोड़ी देर मे आ जाएगा और वो कहीं चला गया। साड़ी दिखाने वाला स्टाफ शैलेश को साड़ी दिखाने लगा और साथ ही साड़ी की वराइटी भी बताने लगा।
स्टाफ, “मैडम, लगता है आपकी नई नई शादी हुई है। ये कांचीवरम साड़ी है और ये बनारसी सिल्क साड़ी। ये दोनों साड़ियाँ आपके ऊपर खूब फबेंगी!”
स्टाफ शैलेश को औरतों की तरह ट्रीट कर रहा था। स्टाफ को लग रहा था कि शैलेश और प्रताप कि नई नई शादी हुई है। बहुत सारी साड़ियों को देखने के बाद शैलेश ने एक ब्राउन कांचीवरम साड़ी, एक बनारसी साड़ी, एक ऑरेंज, एक लाल, एक पीला और एक पिंक जार्जेट साड़ी पसंद की और उन सभी साड़ियों की मैचिंग ब्लाउस भी सिलेक्ट किया। थोड़े देर मे प्रताप भी शोरूम मे आ गया; उसके हाथों में भी एक बैग था। शैलेश ने उस बैग की ओर देखकर प्रताप की तरफ देखा। प्रताप ने शैलेश के कान में बताया कि इसमें बेबीडॉल नाईटी और शाइनी गोल्ड माइक्रो स्कर्ट और नॉन पैडेड नॉन विरीद गोल्ड ब्रा, वेटलूक ब्लैक मिनी स्कर्ट शामिल है। शैलेश ने प्रताप की ओर देखा और उससे पूछना चाहा कि इतनी सारी ड्रेसेस की क्या जरुरत थी, लेकिन उससे पहले ही प्रताप ने शैलेश को साड़ियां पैक करवा लेने को कहा और उसने उन साड़ियों के लिए पेमेंट किया और ड्राइवर को बुलाकर उन साड़ियों को कार मे रखने को बोलकर शैलेश के साथ ज्वेलरी शोरूम मे गया। शैलेश को समझ नहीं आ रहा था कि आखिर प्रताप उसके लिए इतना शॉपिंग क्यूँ कर रहा है। शैलेश चुपचाप प्रताप के साथ धीरे धीरे कदमों के साथ ज्वेलरी शोरूम मे आ गया। ज्वेलरी शॉप स्टाफ ने प्रताप के कहने पर शैलेश के लिए के कंगन दिखाए जो वाकई ज्यादा सुन्दर थे। ज्वेलरी शॉप के स्टाफ ने शैलेश की कलाई नापी जो 2.12 थी। इतना छोटा साइज बहुत ही छरहरी लड़कियों का माना जाता है। शैलेश को अपने दुबलापन पर आज फिर एक बार शर्मिंदगी होने लगी तब स्टाफ ने बताया कि सबसे अच्छे कंगन के डिज़ाइन इसी साइज में आते हैं। 2.12 साइज के दो कंगन प्रताप और शैलेश दोनों को पसंद आयी और प्रताप ने वे कंगन एक तरफ रखवाए और शैलेश के लिए गले के हार और झुमके दिखाने को कहा। स्टाफ ने कुंदन एंड पर्ल माला रानी सेट दिखाया जिसमे सोने का हैवी हार और बड़े बड़े सोने के झुमके भी थे।
शैलेश, “ये तो काफी कॉस्टली है प्रताप जी, और काफी हैवी भी!”
प्रताप, “शालू, तुम सिर्फ पसंद करती जाओ।”
शैलेश ने ओके में सर हिलाया और वो हार और झुमके पसंद कर लिया। प्रताप ने उन झुमको और हार को सिलेक्टेड कंगन के साथ रखवाया और स्टाफ को नथिया और सोने के लौंग दिखाने को कहा। शैलेश इससे पहले कुछ कहता प्रताप ने अचानक बट प्लग को एक्टिवेट कर दिया।
अचानक बट प्लग के एक्टिवेट होने से शैलेश दर्द भरी नज़रों से प्रताप की और देखने लगा।
शैलेश, “ये क्या है प्रताप जी! प्लीज इसे ऑफ कर दीजिये!”
प्रताप, “तुम्हे ऐसे देखकर मुझे बहुत एन्जॉयमेंट फील हो रहा है शालू। थोड़ी देर एन्जॉय करके मैं इसे ऑफ कर दूंगा।”
शैलेश, “मुझे दर्द देकर आपको एन्जॉइन्ट मिल रहा है ?”
शैलेश की बात सुनकर प्रताप हंस पड़ा और उसने रिमोट से बट प्लग का साइज बड़ा कर दिया। शैलेश की आँखें दर्द से बंद बंद सी होने लगी लेकिन इतने सारे लोगों के सामने अपने इमोशंस को कण्ट्रोल किये शैलेश आंखें झुककर बैठ गया। थोड़ी देर में स्टाफ ढेर सारे नथिये और सोने के लौंग के साथ वहां आ गया। प्रताप ने सबसे पहले शैलेश की नाक से सानिया मिर्ज़ा स्टाइल नथिया को उतारा और उसकी नाक में एक एक करके कभी हैवी नथिया तो कभी सोने का लौंग पहनाकर उससे पूछता रहा। शैलेश को एक तरफ गांड में पेनेट्रेशन हो रहा था दूसरी तरफ एक मर्द उसकी नाक में नथिया तो कभी सोने का लौंग पहनाकर उसकी खूबसूरती का ज़ायज़ा ले रहा था। प्रताप ने शैलेश के लिए ३ सोने का लौंग, २ सोने का हैवी नथिया और २ सोने का छोटा छोटा नथिया सेलेक्ट किया और पेमेंट करके शैलेश के साथ खड़ा हुआ। शैलेश ने एक बार फिर प्रताप की तरफ दर्द भरी निगाहो से देखा। प्रताप ने शैलेश के बट प्लग को ऑफ कर दिया और शैलेश ने मुस्कुरा कर प्रताप को थैंक्स कहा। ज्वेल्लेरी शॉपिंग के बाद शैलेश ने प्रताप से कहा कि उसे भूख लगी है और फिर दोनों फ़ूड कोर्ट में जा पहुंचे। फ़ूड कोर्ट में शैलेश और प्रताप एक टेबल पर बैठे और प्रताप आर्डर करने काउंटर की तरफ चला गया। तभी शैलेश ने देखा कि उसकी पत्नी शीतल और उसका बेटा राहुल किसी गैर मर्द के साथ हँसते हुए इधर ही बढ़ रहे थे। शैलेश को लगा कि कहीं शीतल ने उसे पहचान लिए तो क्या होगा। उस गैर मर्द के साथ शीतल और राहुल उसके बगल से गुज़र गए और उन्हें शैलेश की असलियत का पता भी नहीं चला। इतने में प्रताप आर्डर करके टेबल पर आ कर बैठ गया। प्रताप ने देखा कि शैलेश कुछ घबराया हुआ सा है।
प्रताप, “शालू, क्या हुआ मेरी रानी इतनी घबराई हुई क्यों है?”
शैलेश, “प्रताप जी, वो मेरी पत्नी शीतल और मेरा बेटा राहुल है। एक गैर मर्द के साथ मेरी पत्नी मेरे बेटे को साथ लेकर घूम रही है। वो मुझे धोखा दे रही है प्रताप जी, मैंने जिस पत्नी और बेटे के लिए ये सब कर रहा हूँ, आज वो ही पत्नी एक गैर मर्द के साथ कितनी खुश है।”
प्रताप, “अच्छा शालू, तुम्हारी पत्नी तो तुम्हारी तरह ही सुन्दर है, लेकिन खूबसूरती में तुम्हारे सामने पानी भरने लायक भी नहीं। शादीशुदा औरतों में यही समस्या है, पति साथ ना रहे तो कोई भी मर्द उसे पटा लेता है। खैर उसे छोड़ो रानी, तुम मेरी नयी नवेली दुल्हन बनकर यहाँ आई हो तो एन्जॉय करो।”
शैलेश, “नहीं प्रताप जी, मुझे शीतल से अभी बात करनी है। आपको बुरा ना लगे तो क्या मैं शीतल को कॉल कर लूँ?”
प्रताप, “तुम्हारी पत्नी है मेरी जान, तुम्हारा हक़ है! मैं भला तुम्हे तुम्हारी पत्नी को कॉल करने से कैसे रोक सकता हूँ!”
शैलेश ने अपने पर्स से मोबाइल निकाला और शीतल को कॉल किया। पहले 2 बार तो शीतल ने कॉल पिक नहीं किया, लेकिन तीसरी बार शीतल ने कॉल पिक किया और तबियत ख़राब होने का बहाना बनाकर कॉल डिसकनेक्ट कर दिया। शैलेश को बहुत बुरा फील हुआ। उसे उसकी पत्नी ने धोखा दिया था और इससे शैलेश बहुत अपसेट हो गया। प्रताप ने शैलेश से कहा कि ऐसे दुखी ना हो, वो उस आदमी के बारे में पता करके उसे सबकुछ बता देगा। प्रताप ने शैलेश को दिलासा भी दिया और कहा कि अपनी पत्नी के बारे में नहीं बल्कि अपनी इस पति के बारे में सोचो। शैलेश का गाल शर्म से लाल हो गया। अपनी पत्नी और बेटे को छोड़कर शैलेश प्रताप के साथ लंच करने लगा। प्रताप बहुत ही समझदार आदमी था और एक औरत को कैसे हैंडल करना चाहिए ये उसे बखूबी आता था। शैलेश के लिए प्रताप ने एक दिन में लगभग दस लाख की शॉपिंग की थी और इतना कोई किसी के लिए नहीं करता। शीतल और राहुल की तरफ एक आखिरी बार देखकर शैलेश लंच करने के बाद प्रताप के साथ कॉफी शॉप में आ गया। दोनों ने कॉफी पी और थोड़ी देर बाद दोनों कार में थे। कार में बैठते ही प्रताप ने एक बार फिर से बट प्लग को एक्टिवेट कर दिया। बट प्लग के एक्टिवेट होते ही शैलेश ने प्रताप की और देखा और प्रताप ने रिमोट से बट प्लग का साइज बड़ा कर दिया। बट प्लग में वाइब्रेशन शुरू हो गया और शैलेश से दर्द और प्लेज़र सम्भल नहीं रहा था, कार चल रही थी और शैलेश का फेक बूब्स भी ऊपर नीचे हो रहा था। हाथ से शैलेश अपने साइड सीट को खरोच कर अपने दर्द को शांत करने की कोशिश कर रहा था, तभी प्रताप ने शैलेश को अपनी बाहों में भर कर उसके होंठों को स्मूच करना शुरु कर दिया और रोमांस करने लगा। प्रताप का ऐसे पैशनटली रोमांस करना शैलेश को अंदर से एक्साइटेड करने लगा था कि थोड़ी ही देर में कार होटल के गेट पर थी। ड्राइवर से कहकर प्रताप ने सभी सामान को शैलेश के कमरे में पहुँचवा दिया और शैलेश के साथ लिफ्ट में अकेला चढ़ गया। लिफ्ट में एंटर होते ही प्रताप ने शैलेश को अपनी बाहों में उठा लिया और उसके साथ फिर से रोमांस करने लगा। लिफ्ट पांचवे फ्लोर पर रुकी, शैलेश ने अपनी साड़ी ठीक की और घूँघट से अपना चेहरा ढंककर प्रताप के साथ कमरे में जा पहुंचा।
कमरे में एंटर होते ही शैलेश ने देखा कि अलीशा पहले से ही उसका इंतज़ार कर रही थी। प्रताप ने अलीशा की तरफ देखा और मुस्कुराते हुए कमरे से बाहर चला गया।
अलीशा, “क्या बात है शालू रानी, घूँघट में। जरा घूँघट में जो मुखरा छिपा रखा है, जरा मैं भी तो देखूं।”
फिर अलीशा ने शैलेश का घूँघट उठाया और देखकर चौंक गयी।
अलीशा, “ये क्या है शालू, मांग में सिंदूर, गले में मंगलसूत्र और नाक में ये क्या सोने का लौंग? तुम तो सानिया मिर्ज़ा स्टाइल नथिया पहन कर निकली थी यहाँ से और तुम्हारे होंठ पर ग्लॉसी ऑरेंज लिपस्टिक कैसे, यहाँ से तुम होंठों पर कोई और ही लिपस्टिक लगा कर गयी थी, क्यों?”
शैलेश, “वो मैंने वाशरूम में गलती से अपने चेहरे को पानी से धो लिया था और मुझे ध्यान नहीं रहा था। प्रताप जी मुझे ब्यूटी पारलर ले गए और उन्होंने फिर से मेरा मेकअप करवाया।”
अलीशा, “मैं ये बात तो मान सकती हूँ शालू कि प्रताप जी ने तुम्हारा मेकअप करवाया, तुम्हे मूवी दिखाने ले गए और तुम्हारे लिए इतनी शॉपिंग भी की। लेकिन मैं ये नहीं मान सकती कि तुम्हारा मेकअप पानी से ख़राब हुआ। ये जरूर प्रताप जी ने तुम्हे मार्किट में तुम्हारे साथ रोमांस किया है या मूवी देखते समय तुम्हे स्मूच किया या कार में लौटते समय तुम्हारे साथ रोमांस किया।”
शैलेश, “ऐसा कुछ भी नहीं है अलीशा!”
अलीशा, “तो नज़रें क्यों छुपा रही हो शालू ! खैर तुम्हारे लिए पहले दिन में ही प्रताप जी इतना कुछ किया, इतना तो शायद कोई पति भी अपनी पत्नी के लिए ना करे। सच सच बताओ शालू, क्या तुम दोनों ने शादी तो नहीं कर ली?”
शैलेश, “अलीशा, दिमाग तो ख़राब नहीं हो गया है तुम्हारा, ये मंगलसूत्र और मांग में सिंदूर दुनिया को धोखा देने के लिए था।”
अलीशा, “लेकिन प्रताप जी ने तो अपना चेहरा नहीं छिपाया। दुनिया के सामने उन्होंने तो शादीशुदा होने का सुबूत दे दिया वो भी तुम्हारे साथ!”
शैलेश, “नहीं अलीशा, प्रताप जी ने कहीं भी मुझे पत्नी की तरह ट्रीट नहीं किया।”
अलीशा, “ये तो तुम कह रही हो शालू रानी, लेकिन दुनिया के नज़रों में तो शालू रानी प्रताप जी की दुल्हन बन गयी ना !”
शैलेश, “नहीं अलीशा, ऐसा कुछ भी नहीं है और प्लीज इस टॉपिक को यही ख़त्म कर दो।”
अलीशा, “तुम कहती हो तो मैं टॉपिक को यही ख़त्म कर देती हूँ शालू, लेकिन प्रताप जी के ज्यादा करीब मत जाना। भूल कर भी प्यार मत करने लगना प्रताप जी से, उनका इतना बड़ा होटल है और उन्हें लड़कियों की कोई कमी नहीं है। अभी संभल कर आज तुम्हारा दूसरा दिन है उसके आगे २ दिन प्रताप जी के साथ बहुत ही सम्भल कर बिताना। प्रताप जी बहुत ही हैंडसम, समझदार और इंटेलीजेंट आदमी हैं, अक्सर लड़कियां उनसे बैठती हैं, लेकिन उनके लिए लड़कियां एक खिलौने से ज्यादा नहीं। फिर तुम तो एक सिस्सी हो, जिसे प्रताप जी यहाँ सिर्फ ४ दिनों के लिए लेकर आये हैं।”
शैलेश, “अलीशा, मैं अभी भी एक मर्द ही हूँ। भले मैं यहाँ एक शीमेल प्रोस्टीच्यूट बन कर पैसे कमा रहा हूँ लेकिन मेरे मन में एक मर्द के फीलिंग्स कभी भी नहीं जागेगा।”
अलीशा, “गुड !”
शैलेश, “अलीशा, मैं एक बहुत ही बड़े धर्मसंकट में फंस गया हूँ! मुझे समझ में नहीं आ रहा कि मैं क्या करूँ?”
अलीशा, “हद है शालू, मैंने तुम्हे इतना समझाया लेकिन तुम सच में प्रताप जी को दिल दे बैठी, यही ना!”
शैलेश, “नहीं अलीशा, ऐसा कुछ नहीं है। मैं कुछ और तरह के धर्मसंकट की बात कर रहा हूँ !”
अलीशा, “अच्छा तो फिर बताओ!”
शैलेश, “अलीशा ! मॉल में जब मैं और प्रताप जी लंच कर रहे थे तब वहां मेरी पत्नी और बेटा एक गैर मर्द के साथ थे। मेरी पत्नी ने मेरा कॉल भी पिक किया और मुझसे झूठ भी कहा। मेरा बेटा बहुत खुश था उस आदमी के साथ, जैसे वो मेरे साथ खुश रहता था ठीक वैसे ही। वो आदमी देखने में सांवला और प्रताप जी के जैसा कदकाठी का लेकिन मेरी पत्नी ने उस आदमी के लिए मुझसे झूठ बोली। जिस पत्नी और बेटे के लिए मैं यहाँ अपनी गांड मरवा रहा हूँ, उन्हें मुझसे कोई मतलब ही नहीं!”
अलीशा, “यही दुनिया है शालू रानी, यहाँ कोई किसी का वफादार नहीं। कुत्ता पाल लेना लेकिन किसी को अपना मत समझना इस दुनिया में ! अब तो तुम्हारा इग्यारह महीने का कॉन्ट्रैक्ट भी है बलवंत बॉस के साथ, तुम ये काम भी नहीं छोड़ सकती। प्रताप जी के बाद तुम्हारा पूरा हफ्ता बुक है। अब तुम क्या करोगी शालू रानी , तुम्हारी पत्नी ने तो तुम्हे धोखा दिया है, क्या अब तुम उसके रहोगी?”
शैलेश, “मैं शीतल से बहुत प्यार करता हूँ अलीशा, हम दोनों ने अपने अपने परिवार के खिलाफ जाकर लव मैरिज किया, हमारा बेटा राहुल भी हमारे प्यार की ही निशानी है। लेकिन शीतल से ये उम्मीद मैंने कभी नहीं की थी, वो मुझे ऐसे धोखा नहीं दे सकती।”
अलीशा, “तो एक बार कॉल करके बात करो शीतल से !”
शैलेश, “हम्म!”
शैलेश ने फिर एक बार शीतल को। शीतल घर पर थी और उसने कॉल रिसीव किया।
शैलेश, “शीतल, कहाँ थी तुम?”
शीतल, “मेरी तबियत ठीक नहीं है बेबी, मैं घर पर हूँ ! तुम इतने गुस्से में क्यों हो बेबी?”
शैलेश, “क्या सच में तुम्हारी तबियत ख़राब है?”
शीतल, “हाँ बेबी!”
शैलेश, “हम्म, ठीक है तुम रेस्ट करो, राहुल कैसा है ?”
शीतल, “राहुल सो रहा है, तुम्हारा काम कैसा चल रहा है बेबी?”
शैलेश, “हम्म, ठीक है, तुम आराम करो मैं फिर कॉल करूँगा।”
शीतल ने कॉल डिसकनेक्ट कर दिया लेकिन शैलेश ने अपनी पत्नी पर थोड़ा भी भरोसा नहीं था और उसने सोच लिया कि जब प्रताप कमरे में आएगा तो वो उससे एक डिटेक्टिव रखने की बात करेगा। अलीशा ने शैलेश को चेंज करने को कहा। आज लाइफ में पहली बार शैलेश ने चमचमाता हुआ नीले रंग का पटियाला सूट पहना जो पूरी तरह शैलेश को फिट आयी। फिर अलीशा ने शैलेश को गोल्डन हील्स वाला सैंडल्स पहनाया, पैरों में चांदी की पायल, कलाई में ढेर साडी अमेरिकन डायमंड चूड़ियां, लाल रंग का ट्रांसपेरेंट दुपट्टा पहना दिया। फिर अलीशा ने शैलेश का विग निकाल दिया और उसके नेचुरल बालों को लड़कों की तरह संवारा। थोड़ी देर बाद लाइट मेकअप, आँखों में काजल, होंठों पर ग्लॉसी डार्क रेड लिपस्टिक, कानों में बालियाँ और नाक में वही सोने सा लौंग पहना तैयार था। शैलेश तैयार होने के बाद अलीशा से बात करने बैठ गया, लेकिन उसके गांड में जो बट प्लग लगा हुआ था; उसे निकालना भूल गया।
शैलेश, “अलीशा, तुमने शादी क्यों नहीं की?”
अलीशा, “शालू, अब मुझसे तो कोई लड़की शादी करेगी नहीं और प्रताप जी के जैसा मर्द मुझे अपनाएगा नहीं। इसीलिए मैंने शादी नहीं की।”
शैलेश, “तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड नहीं बनी?”
अलीशा, “सेक्स चेंज के बाद उस गर्लफ्रेंड के सामने जाने की हिम्मत नहीं हुई। आखिर कैसा लगता मेरी गर्लफ्रेंड को ये जानकार कि उसका बॉयफ्रेंड अब लड़की बन चूका है!”
शैलेश, “हम्म! तुम फिक्र मत करो, मैं तुम्हारे लिए प्रताप जी के जैसा मर्द ढूंढूंगा।”
अलीशा, “यू आर सो स्वीट शालू! काश ऐसा कुछ होता, लेकिन मुझे उम्मीद नहीं है कि मुझे कभी एक नार्मल लाइफ जीने का मौका भी मिलेगा।”
शैलेश, “उम्मीद पर दुनिया कायम है मेरी जान !”
इससे पहले अलीशा कुछ कहती कमरे में एक बैरा एंटर हुआ। बैरा के हाथ में एक ट्रे था, ट्रे में बियर की कुछ बोतलें थी और कुछ ग्लासेज भी।
बैरा, “शालू मैडम, ये ट्रे कहाँ रखूं !”
शैलेश ने उसे टेबल पर रखने का इशारा किया और बैरा ने ट्रे को टेबल पर रखा और वहां से चला गया। अलीशा समझ चुकी थी कि प्रताप के कमरे में आने का और उसका बार में जाने का टाइम हो चूका। अलीशा ने अपना बैग पैक किया, शैलेश ने उसे कुछ पैसे भी दिए और अलीशा गुड़ लक बोलकर वहां से चली गयी। अलीशा के जाने के बाद प्रताप स्वीट में एंटर हुआ और शैलेश को देखकर उसकी आँखें ख़ुशी से फ़ैल गयी।
प्रताप, “शालू, इस ड्रेस में तो तुम कमाल की लग रही हो। अब चलो, हम तुम्हारे घर पर चलेंगे।”
शैलेश, “मेरे घर! क्यों प्रताप जी! मुझे नहीं जाने घर!”
प्रताप, “घबराओ मत रानी, तुम्हे कोई नहीं पहचानेगा!”
शैलेश, “मैं रिस्क नहीं ले सकता प्रताप जी ! मैं अपने घर लड़की बनकर नहीं जा सकता!”
प्रताप, “तुम फिक्र मत करो शालू, वहां तुम मेरी पत्नी बन कर चलोगी और किसी को तुम्हारे मर्द होने का अंदेशा नहीं होगा।”
शैलेश, “नहीं प्रताप जी, मैं ऐसा रिस्क नहीं ले सकता। किसी ने मुझे पहचान लिया तो जाएगी।”
प्रताप, “शालू, तुम घबराओ मत, कोई तुम्हे नहीं पहचानेगा।”
फिर प्रताप ने शैलेश के गले में एक डिज़ाइनर हार पहना दिया, जिस हार में कसावट था।
प्रताप ने हार के नग पर प्रेस किया और शैलेश से कुछ भी बोलने को कहा। जब शैलेश ने कुछ कहा तो उसे फील हुआ कि उसकी आवाज़ में बहुत ही ज्यादा मिठास आ गया है।
प्रताप, “हम्म, शालू अब तो तुम्हे कोई भी नहीं पहचानेगा और तुम किसी से भी बात भी कर सकती हो।”
शैलेश को प्रताप ने अपने भरोसे में लिया और अपनी मर्सेडीज़ में बिठाकर उसके घर आ गया। घर के दरवाज़े पर शीतल और वो अनजान आदमी दोनों खड़े थे और राहुल कहीं दिखाई नहीं दे रहा था।
शीतल, “ओह माय गॉड सर, मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा है कि इतने बड़े फाइव स्टार होटल के ओनर मेरे घर पर आये हैं।”
प्रताप, “हम्म, देव पहले मेरे ही होटल में जॉब करता था। आज उसका जन्मदिन है और देव ने मुझे इतना इंसिस्ट किया कि मैं मना नहीं कर सका।”
शीतल, “ये तो हैं ही इतने क्यूट सर। सब को मना लेते हैं। मैडम कौन हैं सर ?”
प्रताप, “इनसे मिलिए, ये हैं श्रुति, मेरी गर्लफ्रेंड। शादी होने तक घूँघट में ही रहना पड़ेगा इन्हे।”
शीतल, “लेकिन सर, मैडम का चेहरे हम भी नहीं देख सकते हैं क्या ?”
प्रताप, “सॉरी शीतल, शादी के बाद।”
शीतल, “इट्स ओके सर, मैडम बहुत ही खूबसूरत हैं।”
प्रताप, “थैंक्स शीतल। और देव, जन्मदिन मुबारक हो। अच्छा ये फोटो में तुम्हारे साथ कौन है शीतल ?”
शीतल, “ये मेरे पति हैं, मुंबई में जॉब कर रहे हैं इन दिनों। लेकिन ये फोटो अब किसी काम की नहीं, मैं इनसे डाइवोर्स लेने जा रही हूँ।”
प्रताप, “क्यों?”
शीतल, “ मेरे पति की जॉब का कोई भरोसा नहीं और ये मेरी जरूरतों को पूरा नहीं कर सकते।”
प्रताप, “हम्म, फिर तुम और देव शादी करने जा रही हो ?”
देव, “यस सर, शीतल मेरे बचपन की दोस्त है। मैं शीतल का अच्छे से ख़याल रख सकता हूँ। हमदोनो अगले महीने ही शादी करने जा रहे हैं, शायद शैलेश को इस बात से प्रॉब्लम होगी, लेकिन वो क्या करेगा जब हम शादी कर लेंगे तब।”
शैलेश, “लेकिन ये तो गलत है ना!”
शीतल, “गलत है, लेकिन मुझे भी तो अपनी लाइफ देखनी है मैडम। मेरा बेटा राहुल अब बड़ा हो रहा है, मुझे उसका भविष्य भी देखना होगा।”
प्रताप, “लेट इट बी शीतल, योर लाइफ, योर डिसिशन!”
फिर थोड़ी देर बाद शैलेश को अपने साथ प्रताप होटल ले आया। शैलेश अपनी पत्नी के धोखे से काफी दुखी था। प्रताप को समझ थी कि शैलेश क्यों इतना दुखी है।
प्रताप, “शालू रानी, क्यों उदास हो रही हो?”
शैलेश, “दुखी होने का वजह आप जानते हैं प्रताप जी!”
प्रताप, “हम्म! लेकिन तुम दुखी मत हो शालू, सब ठीक हो जायेगा।”
शैलेश, “कुछ भी ठीक नहीं होगा अब प्रताप जी! मेरी पत्नी ने मुझे बिट्रे कर दिया, जिसके लिए मैंने अपने परिवार से झगड़ा किया, उनसे अलग हो गया। अब मेरी लाइफ में कोई भी नहीं, मैं बिलकुल अकेला हो गया हूँ प्रताप जी।”
प्रताप, “शालू, मैं तुम्हारे जख्म तो नहीं भर सकता लेकिन हाँ हमदोनो मिलकर इस शाम को खूबसूरत तो बना ही सकते हैं।”
शैलेश, “प्रताप जी, आप बहुत ही अच्छे इंसान हैं। आपने मेरे लिए इतना कुछ किया, अनजान होने के बावजूद भी। मैं आपकी शाम को खूबसूरत बनाने में कोई कमी नहीं होने दूंगा।”
फिर प्रताप ने दो बियर की बोतल को खोला, एक शैलेश को दिया और दूसरी खुद पीने बैठ गया। अभी शैलेश ने बियर की आधी बोतल ही पी थी कि प्रताप ने बियर की दूसरी बोतल पीने को उठा ली। फिर प्रताप ने उस बट प्लग को ऑन कर दिया और उसका वाइब्रेशन भी रिमोट से बढ़ा दिया। शैलेश बियर पीते वक़्त आह्हः उम्म्म करने लगा, उसे पता था कि उसे ऐसे देखकर प्रताप को बहुत ख़ुशी मिलती है लेकिन वो दर्द शैलेश की आँखों में हमेशा आंसू ला देता। शैलेश ने मुस्कुराते हुए उस दर्द को बर्दाश्त करने की कोशिश के साथ बियर पीने लगा। प्रताप के शरीर की तरह उसका स्टैमिना भी काफी ज्यादा था, शैलेश की बियर की बोतल ख़त्म होने से पहले प्रताप ने अपनी दूसरी बोतल ख़त्म कर ली। शैलेश ने अपनी पहली बोतल ख़त्म की तबतक प्रताप ने अपनी तीसरी बोतल भी ख़त्म कर दी। प्रताप का स्टैमिना सच में काफी ज्यादा था, लेकिन अब प्रताप ने शैलेश को अपनी बाहों में भर लिया और बियर की हर घूंट के साथ रोमांस करना भी शुरू कर दिया। शैलेश ने आज रात प्रताप को पूरी तरह से सपोर्ट करने का मन बना लिया था और वो एक पल के लिए भी शीतल के बारे में नहीं सोचना चाहता था। प्रताप ने काफी देर तक शैलेश को स्मूच किया, ऐसे लग रहा था मानो प्रताप शैलेश के होंठों को चबा जाएगा लेकिन शैलेश ने प्रताप के साथ एक पल के लिए भी रेसिस्ट नहीं किया। प्रताप ने शैलेश का सूट निकाल दिया और पटियाला भी खोल दिया और उसके पुरे शरीर पर स्मूच करके उसे एक्साइटेड करने लगा। शैलेश के पुरे शरीर पर प्रताप के लव बाइट्स के निशाँ पड़ने लगे थे और शैलेश की सांसें भी तेज़ होने लगी। शैलेश के साथ साथ प्रताप भी न्यूड हो गया और अब शैलेश ने भी बिना कहे प्रताप का अंडरवियर को उतार दिया और उसके लंड को अपने मुँह में लेकर उसे ब्लोजॉब देने लगा। अगले बिस मिनट्स के ब्लोजॉब के बाद प्रताप के वीर्य का एक लोड शैलेश के गले को भिगोता हुआ उसके पेट में चला गया और प्रताप ने उसके बाद शैलेश के गांड की छेद पर किस करना शुरू कर दिया। शैलेश अब एक्साइटेड हो गया था और प्रताप के हर एक किस के साथ उसकी आहें निकल रही थी। अब प्रताप ने शैलेश के गांड में से बट प्लग बाहर निकाल दिया और अपना लंड शैलेश की गांड की छेद पर टिकाया और एक झटके में उसके अंदर घुस गया। शैलेश ने तकिये को अपने दांतों से काटकर अपना दर्द बर्दार्श्त करने की कोशिश करने लगा। अगले आधे घंटे की चुदाई के बाद शैलेश के गांड में प्रताप का वीर्य भर चूका था। दोनों लम्बी लम्बी सांसें ले रहे थे, प्रताप के शरीर की गर्मी से शैलेश के शरीर को इतना रिलैक्स महसूस हुआ कि वो वैसे ही सो गया। थोड़ी देर बाद प्रताप की आँखें खुली, उसके लंड में अभी भी तनाव था और वो शैलेश के साथ और भी सेक्स करना चाहता था। प्रताप ने शैलेश के गांड में से अपना लंड बाहर निकाला और उसके लंड में अपना लंड घुसाकर रात भर शैलेश को अपनी बाहों में लेकर सुबह तक सोता रहा। सुबह जब शैलेश की नींद खुली तो प्रताप के शरीर की गर्माहट में उसे बिस्तर से उठने का मन नहीं किया। प्रताप की नींद खुली तो शैलेश ने मुस्कुरा कर उसे गुड मॉर्निंग विश किया। प्रताप ने शैलेश को होंठों पर किस किया और उसके लंड से अपना लंड बाहर निकाल लिया। शैलेश ने प्रताप को उसका साथ देने के लिए थैंक यू कहा। प्रताप ने उसे फिर से एक किस किया और शैलेश वाशरूम की तरफ बढ़ने के लिए बिस्तर पर उठ कर बैठ गया।
शैलेश, “प्रताप जी, आज मुझे वाशरूम तक नहीं छोड़ेंगे ?”
प्रताप ने मुस्कुराते हुए शैलेश को अपनी गोद में उठाया और वाशरुम में छोड़ दिया। शैलेश ने खुद को आईने में देखा, ना जाने कौन सी ख़ुशी थी जिसकी वजह से शैलेश आज पहली बार शीमेल प्रोस्टीच्यूट बनकर इतना खुश था। फ्रेश होने के बाद शैलेश ने प्रताप को वाशरूम में आने का इशारा किया और प्रताप ने शैलेश का इशारा पाते ही वाशरूम में एंटर हुआ। लगभग आधे घंटे तक शैलेश को बाथटब में अपने लंड पर बिठाकर प्रताप ने हार्डकोर सेक्स किया और फिर से उसकी गांड में अपने स्पेर्म्स का एक लोड उड़ेल दिया। शैलेश ने भी प्रताप के साथ सेक्स को बहुत एन्जॉय किया और फिर एक साथ नहाने के बाद प्रताप शैलेश को अपनी गोद में लेकर वाशरूम से बाहर आया। एक ही टॉवल से पहले शैलेश ने प्रताप के मस्कुलर बॉडी को पोछा और फिर उसी टॉवल से अपना शरीर भी पोछा। प्रताप ने जीन्स और टीशर्ट पहन लिया और शैलेश ने येल्लो जॉर्जेट साड़ी विथ मैचिंग ब्लाउज।
प्रताप, “अरे वाह शालू रानी, तुम्हे तो साड़ी पहनने भी आ गया। कितनी अच्छी दिख रही हो इस पीली साड़ी में !”
शैलेश, “थैंक यू प्रताप जी !”
फिर प्रताप ने शैलेश के होंठों और गालों पर एक एक स्मूच किया और थोड़ी देर में वापिस आने की बात कहकर वहां से चला चला गया। शैलेश ने ऐसी का फ्लो कम किया और बिस्तर पर लेट गया। शैलेश अभी भी शीतल के बारे में सोचने से खुद को रोकने की कोशिश कर रहा था, लेकिन खुद को शीतल के धोखे वाली बात से रोक नहीं पा रहा था। सोचते सोचते कब शैलेश की आँख लग गयी उसे पता नहीं चला। सुबह की नींद वैसे ही काफी गहरी होती है, नींद के आगोश में शैलेश समाता चला गया।
अलीशा, “अभी तक सो ही रही हो शालू रानी, सुबह के ११ बज रहे हैं, जाग जाओ!”
अलीशा कब कमरे में आयी, शैलेश को पता भी नहीं चला लेकिन उसकी आवाज़ सुनकर शैलेश की आँखें खुल गयी।
शैलेश, “अलीशा, तुम कब आयी ?”
अलीशा, “मैं तो काफी देर से यहाँ हूँ, तुम्हे जल्दी से तैयार जो करना है।”
शैलेश, “तैयार करना है, लेकिन क्यों?”
अलीशा, “एक विदेशी कस्टमर है, उसके साथ अभी तुम्हे दूसरे होटल जाना होगा !”
शैलैश, “लेकिन मेरी बुकिंग तो अगले दो दिन तक है ?”
अलीशा, “बलवंत बॉस का आर्डर है। नाइजीरिया का क्लाइंट हैं मेरे साथ ही आया है, रिसेप्शन पर बैठा है, तुम लेट मत करो।”
शैलेश, “लेकिन अलीशा?”
अलीशा, “लेकिन वेकिन कुछ नहीं, आर्डर बोले तो आर्डर को फॉलो करो।”
फिर थोड़ी देर में अलीशा ने शैलेश का मेकअप किया और उसके कान नाक में झुमके नथिया पहनकर उस आदमी के सामने ले गयी। वो आदमी करीब साढ़े छह फुट का लम्बा, मोटा, काला, भद्दी सी शक्ल वाला शैलेश को देखकर स्माइल करने लगा। इससे पहले कि शैलेश कुछ समझ पाता, वो आदमी शैलेश को लेकर ताज इंटरकांटिनेंटल में ले गया। वहां ना तो अलीशा थी और ना ही शैलेश के बचने का कोई स्कोप। उस आदमी ने शैलेश को पल भर में न्यूड कर दिया और खुद भी न्यूड हो गया। उस काले आदमी का बड़ा काला लंड देखकर शैलेश का होश उड़ गया। घोड़े के जैसे लंड को वो अपने गांड में कैसे लेगा, यही सोचकर शैलेश की आँखों में आंसू भर आया। लेकिन उस काले सांढ़ ने बिना समय गँवाय शैलेश के मुँह में अपना लंड घुसाने लगा। गन्दा सा स्मेल और इतना मोटा लंड शैलेश के मुँह में था और शैलेश उसे ब्लोजॉब दे रहा था। थोड़ी देर बाद उस आदमी ने शैलेश को अपनी बाहों में उठाया और खड़े खड़े ही अपना लंड शैलेश की गांड में घुसा दिया। शैलेश की आँखें फ़ैल गयी, दर्द से शैलेश मुँह से जोर से आह्हः निकली और तभी शैलेश की आँखें खुल गयी।
शैलेश सपना देख रहा था और वो अभी भी उसी कमरे में था। अलीशा अभी आयी भी नहीं थी। शैलेश ने अपने आप को देखा और राहत की सांस ली।
बिस्तर से उठकर कंधे पर पल्लू को जमाकर अपनी उँगलियों से पकड़कर शैलेश बस अपने ब्लाउज में पिन लगाने ही वाला था कि उसका फोन बजने लगा। उसका फोन पर्स में रखा हुआ था। पिन लगाना भुलकर जैसे ही उसने फोन की ओर अपना बांया हाथ आगे बढाया, उसकी जॉर्जेट साड़ी का पल्ला फिसल कर उसके लम्बे हाथो पर फ़ैल गया।
“उफ्फ … अब फिर से प्लेट बनानी पड़ेगी”, शैलेश ने सोचा।
पर फिलहाल तो उसका ध्यान फोन पर था, अपने बड़े से पर्स को खोलकर अपने बांएँ हाथ से ही फोन को ढूँढने लगा। साड़ी अब फिसल कर उसकी चूड़ियों में फंस रही थी। फोन की घंटी बजती रही और किसी तरह उसने फोन को ढूंढ कर निकाल और अपने दांये हाथ से अपने फिसलते हुए पल्ले को कंधे पर सरकाकर सँभालने लगा। उसने फोन देखा तो होटल के रिसेप्शन का था। शैलेश ने फोन के टचस्क्रीन पर अपने अंगूठे से स्वाइप करके फोन उठाने की कोशिश की, पर उसके नैल्पोलिश से रंगे लम्बे नाख़ून के साथ टचस्क्रीन का उपयोग करना थोडा मुश्किल ही होता है। किसी तरह २-३ प्रयास के बाद फोन उठ ही गया और उसने कान के पास लगाया। कान में लम्बे झुमके भी उसके फोन से टकराने लगे। ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे दुनिया में कोई भी फोन औरतों के बारे में सोच कर नहीं बना है।
शैलेश, “हेलो कौन?”
उधर से आवाज़ आयी, “मैं अलीशा बोल रही हूँ, मेरा कुछ सामन घर पर ही छूट गया है। मैं थोड़ी देर में आउंगी, कोई प्रॉब्लम तो नहीं?”
शैलेश, “नहीं अलीशा, कोई प्रॉब्लम नहीं, लेकिन जल्दी आना!”
अलीशा, “हाँ मेरी जान, जल्दी आ जाउंगी।”
फ़ोन डिसकनेक्ट होने के बाद शैलेश ने अपनी साड़ी को ठीक किया और मेकअप टेबल के सामने बैठकर की हुई शॉपिंग के सभी सामानों को खोलकर देखना शुरू किया।
शैलेश ने बैग्स खोल कर देखा। इतने सोने के ज्वेलरीज, नथिया, झुमके, कंगन, साड़ियां देखकर शैलेश को यकीन नहीं हो रहा था कि ये लाखों की खरीददारी प्रताप ने उसके लिए किया। शैलेश ने सबसे भारी नथिया को उठाकर देखा, उसका वजन करीब ५० ग्राम था। शैलेश ने तुरंत उसे टेबल पर रख दिया और दूसरा नथिया उठाया जो उससे भी वजन में भारी और डिज़ाइनर था। शैलेश ने अपने नाक से सोने का लौंग खोला और भारी वजह वाला नथिया अपने नाक में पहनने लगा। अभी शैलेश ने नथिया को अपने नाक में ही घुसाया था कि कमरे में प्रताप एंटर हुआ। शैलेश से वो नथिया पहना नहीं जा रहा था तो अचानक प्रताप ने पीछे से आकर शैलेश के नथिया को अच्छे से कस दिया।
प्रताप, “कितनी खूबसूरत दिख रही हो शालू रानी ! ऐसा लगता है स्वर्ग की अप्सरा धरती पर आ गयी हो !”
शैलेश, “ऐसा कुछ भी नहीं है प्रताप जी, मैं तो बस देख रहा था कि ये नथिया पहनकर मैं कैसा दिखता हूँ!”
प्रताप, “इसमें कोई शक नहीं शालू कि तुम खूबसूरत हो और ये नथिया तुम्हारी खूबसूरती पर चार चाँद लगा रही है।”
प्रताप समझ गया था कि शैलेश के अंदर की औरत जागने लगी थी और वो भी तो यही चाहता था कि जब शैलेश होटल से जाये तब वो अंदर से पूरी तरह औरत बन चुकी हो। लेकिन प्रताप के लिए शैलेश की नज़रों में जो रेस्पेक्ट था वो हर रोज़ बढ़ता जा रहा था। प्रताप शैलेश को पसंद करने लगा था और शैलेश नहीं चाहता था कि उसके और प्रताप के बीच सेक्स के अलावा कोई इमोशंस जागे।
प्रताप ने शैलेश की साड़ी के आँचल से उसका घूँघट कर दिया और एक बार फिर उसकी खूबसूरती की तारीफ की।
प्रताप, “शालू, बलवंत मेरा दोस्त है। उसके बार में जब भी कोई नयी लड़की आती है तो वो उसे मेरे पास जरूर भेजता है। लेकिन उन सब में ऐसा पहली बार हुआ है कि मुझे किसी लड़की की तरफ अट्रैक्शन हुआ हो। सुना है तुम काफी पढ़ी लिखी हो और पहले टाटा मोटर्स बाराखंभा में बहुत ही अच्छी पोस्ट पर भी थी, क्या ये सच है?”
शैलेश, “जी, लेकिन आपको ये सब बातें किसने कही ?”
प्रताप, “जो मुझे पहली बार में पसंद आ गयी हो, उसके बारे में जानना कोई बुरी बात तो नहीं?”
शैलेश, “नहीं प्रताप जी, लेकिन आपको मेरे बारे इतना कुछ पता है, ये मैं नहीं जानता था।”
फिर प्रताप ने शैलेश के साथ थोड़ी देर तक रोमांस किया और उसे अपने जाँघों पर बिठाकर सभी नथिया और सोने के लौंग, झुमके, कंगन सब एक एक करके ट्राय करने लगा। प्रताप का एक हाथ शैलेश की कमर में थी और दूसरे हाथ से प्रताप शैलेश को गहने पहनने में मदद कर रहा था और रोमांस भी।इतने में अलीशा भी आ गयी। अलीशा ने प्रताप के गोद में शैलेश को रोमांस करते देख दरवाज़ा नॉक किया। अलीशा को प्रताप ने सामने आने को कहा और शैलेश की तरफ देखकर उसके बारे में कहने को कहा। अलीशा ने शैलेश की ज्वेलरीज और खूबसूरती की बहुत तारीफ की। फिर प्रताप ने अलीशा से शैलेश का मेकअप करने को कहा और वो वहीँ खड़ा शैलेश को घूरता रहा। ऐसे एक मर्द का घूरना शैलेश को काफी शर्मिंदा कर रहा था लेकिन अलीशा ने अपना मेकअप पूरा किया और प्रताप ने अलीशा को डायरेक्ट अगले दिन शाम में आने को कहा और उसे जाने को कहा। अलीशा चुपचाप वहां से चली गयी और प्रताप ने दरवाज़े को अंदर से लॉक कर लिया। शैलेश और प्रताप एक बार फिर से कमरे में अकेले थे और प्रताप शैलेश के साथ फिर से रोमांस करने लगा। प्रताप के हाथों के स्पर्श मात्र से शैलेश के शरीर में सिहरन उठने लगता। प्रताप के लव बाइट्स, शैलेश के पुरे शरीर को लाल किये जा रहे थे, साड़ी थोड़ी ही देर में फर्श पर पड़ी थी। ब्लाउज, पेटीकोट और जेवर पहने शैलेश प्रताप के प्यार में डूब रहा था। थोड़ी देर बाद प्रताप ने शैलेश का पेटीकोट उठाया और अपना लंड उसके गांड में एक बार फिर से घुसकर चुदाई करने लगा। दोपहर से शाम तक में शैलेश के साथ ४ राउंड हार्डकोर सेक्स करने के बाद रात को आने की बात कहकर प्रताप तैयार होकर चला गया। शैलेश वैसे ही हाफ न्यूड पेटीकोट और ब्लाउज में बिस्तर पर बैठा अपने नसीब के बारे में सोच रहा था। एक मर्द शैलेश के जिस्म से अपनी हसरतों को पूरा कर रहा था और बदले में उसे गहने, साड़ियां और लेडीज ड्रेसेस गिफ्ट कर रहा था। शैलेश को यकीन नहीं हो रहा था कि उसने अपने लिए साड़ी सेलेक्ट किया और अपनी पसंद से नथिया भी पहनकर खुद की खूबसूरती को महसूस किया। नथिया का भारीपन शैलेश को अंदर से ख़ुशी कैसे दे सकता था, इस बात से शैलेश बहुत ही टेंस हो गया। शैलेश के अंदर लड़कियों वाली फीलिंग्स कैसे जाग सकती है, जबकि वो एक आदमी है। अपने अंतर्द्वंद में फंसा शैलेश थोड़ी देर तक सोचने के बाद फैसला किया कि इन ग्यारह महीनो को वो जैसे भी हो जीएगा और उसके बाद इन पैसो के साथ किसी और स्टेट में शिफ्ट होकर नए सिरे से अपनी लाइफ को शुरू करेगा। शैलेश ने बैग में से बेबीडॉल नाईटी निकाला और उसे पहन लिया।
आईने में खुद को देखकर शैलेश ने स्माइल किया और खुद से कहा, “हाँ मैं खूबसूरत हूँ।”
धीरे धीरे शैलेश को स्त्रीत्व का अनुभव होने लगा था और इसका अनुभव शैलेश बखूबी कर पा रहा था। लेकिन इन सब के बीच उसकी मर्दानगी उसे लताड़ रही थी कि आखिर जिस पत्नी ने उसे धोखा दिया, उस पत्नी के लिए उसके अंदर इतनी इमोशंस क्यों है और बलवंत से बात करके एग्रीमेंट को ख़त्म करने के लिए क्यों नहीं सोच रहा है। शैलेश के अंदर की मर्दानगी उसे फिर से मर्द बन कर नार्मल लाइफ जीने को कह रही थी; वहीँ उसके अंदर का स्त्रीत्व उसे इस पल को एन्जॉय करने और ग्यारह महीनो तक पैसे कमाने की ओर उकसा रही थी। शैलेश सोचते सोचते सो गया और रात के आठ बजे प्रताप जब कमरे में आया तो शैलेश को सोया हुआ पाया। काफी देर तक प्रताप शैलेश के सिरहाने बैठा, उसे प्यार भरी निगाहों से देखता रहा। जब प्रताप से नहीं रहा गया तो उसने शैलेश के गाल पर किस किया। प्रताप की गर्म सांस जब शैलेश के चेहरे पर पड़ी तो उसकी आँखें खुल गयी और प्रताप ने स्माइल करते हुए एक बार फिर से होंठों पर किस किया।शैलेश शर्माने लगा और उसने अपनी नज़रें झुका ली। शैलेश और प्रताप के बीच का रोमांस लगभग आधे घंटों तक चला।
शैलेश, “प्रताप जी, आपका दिल नहीं भरता रोमांस से?”
प्रताप, “लाइफ में पहली बार किसी के साथ रोमांस किया है, वो भी दिल से। नहीं तो मेरे पास हर रोज़ सेक्स के लिए लड़कियां लाइन लगा कर आती हैं।”
शैलेश, “हम्म! प्रताप जी, भूख लगी है, कुछ खाने को तो मंगवा लीजिये!”
शैलेश की बात सुनकर प्रताप ने खाना आर्डर किया और साथ में वाइन भी। दोनों ने साथ में डिनर किया और वाइन पी। वाइन पीने के बाद शैलेश के ऊपर नशा छाने लगा और प्रताप ने उसे अपनी बाहों में लेकर दुबारा रोमांस करने लगा। रात भर शैलेश को कभी घोड़ी बना कर तो कभी हवा में पैर फैलवाकर उसके साथ हार्डकोर सेक्स और रोमांस करने के बाद, शैलेश के गांड में अपने लंड को डाला और उसे कस कर जकड लिया। फिर दोनों गहरी नींद में सो गए और अगली सुबह दोनों ने एक साथ अपनी आँखें खोली। आज प्रताप के साथ शैलेश का आखिरी दिन था और शैलेश पहली बार एक मर्द के लिए इमोशनल हुआ जा रहा था। सुबह फ्रेश होने के बाद शैलेश ने खुद ही प्रताप से अपने पहनने के लिए ड्रेस और ऑर्नामेंट्स सेलेक्ट करने को कहा। प्रताप ने कांचीवरम साड़ी और बैकलेस ब्लाउज के साथ लाइट मेकअप, लाइट ऑर्नामेंट्स सेलेक्ट कर के दिया और फ्रेश होकर स्वीट से बाहर चला गया। प्रताप के जाने के बाद शैलेश फ्रेश होकर कमरे में आया और सिलेक्टेड कांचीवरम साड़ी और बैकलेस ब्लाउज के साथ लाइट मेकअप, लाइट ऑर्नामेंट्स पहनकर तैयार हो गया। साड़ी के लम्बे आँचल से शैलेश ने माथे पर एक संस्कारी नयी नवेली दुल्हन की तरह घूँघट कर लिया और प्रताप का इंतज़ार करने बैठ गया। दिन के ११ बजे तक भी प्रताप कमरे में नहीं आया और ना ही अलीशा आयी। शैलेश को बेचैनी हो रही थी, उसे भूख भी लगी थी तो उसने खाना आर्डर किया और खाना खा कर बिस्तर पर लेट गया। शैलेश को बेसब्री से प्रताप का इंतज़ार था लेकिन प्रताप दिन के ३ बजे तक भी कमरे में नहीं आया। शैलेश प्रताप के इंतज़ार में सो गया और शाम के ६ बजे प्रताप कमरे में आया और उसके क़दमों की आहट ने शैलेश को नींद से जगा दिया।
शैलेश, “प्रताप जी, आप जानते हैं ना, आज आपके साथ मेरी आखिरी रात है। फिर भी आप पुरे दिन से गायब हैं, मैं सुबह से आपका इंतज़ार कर रहा हूँ !”
प्रताप, “आई ऍम सॉरी मेरी रानी, आज होटल में चीफ मिनिस्टर साहब आये हुए थे, उन्ही की खातिरदारी में मुझे इतना लेट हो गया। मेरे लिए काम पहले बाकी सब बाद में होता है।”
शैलेश, “हम्म!”
प्रताप समझ गया कि शैलेश के अंदर एक गर्लफ्रेंड जैसी फीलिंग्स जागने लगी थी, जिसकी वजह से आज शैलेश इतना बेसब्र हो गया था। प्रताप ने शैलेश के लिए स्नैक्स और ड्रिंक्स आर्डर किया और दोनों ने साथ में शाम का नास्ता किया। नास्ता के बाद प्रताप ने शैलेश के साथ का एक पल भी जाया नहीं किया और दोनों ने रोमांस करना शुरू कर दिया। रोमांस, फिर चार राउंड हार्डकोर सेक्स के बाद प्रताप ने पांचवा राउंड सेक्स शुरू किया, जिसके लिए शैलेश अंदर से तो तैयार था लेकिन उसका बॉडी उसे सपोर्ट नहीं कर रहा था। पांचवे राउंड ने प्रताप ने शैलेश को ब्लोजॉब, घोड़ी बना कर हार्डकोर सेक्स किया और जब उसे एक्साइटमेंट आने वाला था, तब प्रताप ने शैलेश के लंड में अपना लंड घुसा दिया और उसे आगे से चोदने लगा। शैलेश अपने दर्द को बर्दाश्त करके प्रताप को ख़ुशी देने के लिए उसकी सभी बात मान रहा था। काफी देर तक डिक डॉकिंग सेशन करने के बाद प्रताप एक्साइटेड हो गया और उसने अपना स्पर्म शैलेश के छोटे से लंड के अंदर ही डिस्चार्ज कर दिया। शैलेश को उसके लंड में जलन होने लगा और वो दर्द से तड़प उठा।
शैलेश, “प्रताप जी, ये क्या किया आपने?
प्रताप, “शालू रानी, आज इस स्पर्म्स को अपने अंदर रख लो। कल से मैं तुम्हारे साथ नहीं रहूँगा।”
शैलेश, “लेकिन मुझे बहुत जलन हो रहा है। आपका स्पर्म बहुत गर्म है और मैं लड़की नहीं हूँ प्रताप जी, मैं आपके स्पेर्म्स को अपने अंदर नहीं रख सकता।”
प्रताप, “हम्म, तुम मेरे स्पर्म को थोड़ी देर अपने लंड में संभालकर रखो उसके बाद इसे डिस्चार्ज कर देना।”
शैलेश ने प्रताप के कहे अनुसार उसके स्पर्म्स को अपने लंड में थोड़ी देर तक संभालकर रखा और फिर वाशरूम में जाकर उस स्पर्म को बाहर निकालने की कोशिश करने लगा। शैलेश लगातार अपने लंड को शेक कर रहा था लेकिन उसे इरेक्शन नहीं आ रहा था और उसके लंड से स्पर्म भी रिलीज़ नहीं हो रहा था। प्रताप ने शैलेश को ऐसे देखकर वाशरूम में चला गया और उसने खड़े खड़े ही अपना लंड शैलेश की गांड में घुसा दिया और उसके लंड को अपने हाथ में लेकर शेक करने के साथ उसकी चुदाई भी करने लगा। थोड़ी देर बाद शैलेश के लंड में इरेक्शन होने लगा और उसे जैसे ही एक्साइटमेंट आया, उसके लंड के अंदर से प्रताप का हैवी लोड शैलेश का स्पर्म भी बाहर आ गया। शैलेश का शरीर कंपकंपाने लगा, उसकी आँखों के आगे अँधेरा छाने लगा और वो प्रताप की बाहो में ही बेहोश हो गया। ऐसा शैलेश के साथ लाइफ में पहली बार हुआ था, जब सेक्स के बाद वो बेहोश हुआ हो। प्रताप ने अपना लंड शैलेश की गांड से बाहर निकाला और शैलेश को अपनी बाहों में लेकर बिस्तर पर लिटा दिया। शैलेश की सांसें तेज़ चल रही थी, शरीर ठंडा पड़ गया था और पानी छिड़कने पर भी शैलेश की बेहोशी नहीं टूट रही थी। शैलेश को ऐसी हालत में देखकर प्रताप घबरा गया और उसने डॉक्टर को कॉल करके होटल रूम में ही बुला लिया। जब तक डॉक्टर होटल रूम में आता, उससे पहले प्रताप ने शैलेश की साड़ी ठीक कर दी।
डॉक्टर, “क्या प्रताप जी, इस लड़की का नब्ज़ तो बहुत ही स्लो चल रहा है , इसका बीपी भी काफी लौ है और इसे फीवर भी हो जायेगा। मैं इंजेक्शन दे रहा हूँ और कुछ मेडिसिन्स भी दे रहा हूँ, आप इस लड़की को दूध के साथ मेडिसिन खिला देना और अपने शरीर की गर्मी देना। आप सेक्स करते समय लड़कियों को इतना क्यों पेल देते हैं कि लड़कियों की तबियत ही ख़राब हो जाती है।”
प्रताप, “आगे से ध्यान रखूँगा डॉक्टर!”
डॉक्टर के जाने के बाद प्रताप ने शैलेश को जगाकर उसे दूध के साथ मेडिसिन्स खिलाया और रात भर अपने शरीर की गर्मी देकर सुबह तक उसका ख्याल रखा। सुबह जब प्रताप की नींद खुली तब सुबह के सात बज रहे थे और शैलेश अभी भी उसकी बाहों में सिकुड़ कर सोया हुआ था। प्रताप ने शैलेश के बालों पर अपना हाथ फेरा और उसे जगाया। शैलेश को अभी भी बहुत वीकनेस हो रहा था और वो बिलकुल भी उठने के मूड में नहीं था। प्रताप ने शैलेश को कम्बल ओढ़ाया और खुद फ्रेश होने वाशरूम में चला गया। जब प्रताप फ्रेश होकर वाशरूम से बाहर आया तब उसने देखा कि शैलेश बिस्तर पर बैठा है।
प्रताप, “तबियत कैसी है रानी?”
शैलेश, “मुझे क्या हुआ था प्रताप जी, मुझे कुछ भी याद नहीं?”
प्रताप, “सेक्स के दौरान तुम बेहोश हो गयी थी शालू रानी! अभी कैसा फील कर रही हो रानी?”
शैलेश, “वीकनेस, आँखों के आगे अँधेरा और उठने का बिलकुल भी मन नहीं कर रहा है।”
फिर प्रताप ने दूध मंगवाया और शैलेश को पीने को दिया और साथ में मेडिसिन भी। मेडिसिन खाकर शैलेश फिर से सो गया। दिन के दो बजे कमरे में अलीशा एंटर हुई, शैलेश अभी भी सोया ही हुआ था। अलीशा ने शैलेश को जगाया और जब शैलेश ने सामने अलीशा को देखा तो अपनी आँखें मलते हुए जाएगा।
शैलेश, “तुम कब आयी अलीशा?”
अलीशा, “मैं तो जस्ट अभी आयी लेकिन तुम इतनी लेट तक सो रही हो ! तुम्हे याद है ना आज से तुम्हे बार में नाचना भी है।”
शैलेश, “याद है अलीशा, कल रात को इतना वीकनेस हो गया था कि सोते सोते इतना लेट हो गया।”
अलीशा, क्यों? प्रताप जी ने ज्यादा ही चोद दिया क्या ?”
शैलेश, “यार अलीशा तुम ऐसे वर्ड्स क्यों यूज़ करती हो। चोद दिया, सेक्स किया ये भी बोल सकती हो ना। और हाँ कल रात प्रताप जी पर तो कोई भूत ही सवार हो गया था।”
अलीशा, “प्रताप जी ने तुम्हारे साथ सेक्स किया बोलू या तुम्हे चोद दिया। बात तो एक ही है ना शालू रानी, खैर मेडिसिन्स तो रेगुलर खा रही हो ना !”
शैलेश, “हम्म, दिन में दो टाइम्स बिना किसी गैप के मेडिसिन्स ले रहा हूँ।”
अलीशा, “गुड गर्ल, अब चलो फ्रेश हो जाओ और जल्दी से तैयार हो जाओ, हम पहले लंच करेंगे, फिर थोड़ा रेस्ट और फिर यहाँ से बैग एंड बैगेज सीधे बार में चलेंगे। वैसे भी बार में तुम्हारे डांस को देखने की डिमांड कुछ ज्यादा ही है।”
शैलेश वाशरूम में गया और फ्रेश होकर कमरे में आया। अलीशा ने शैलेश को सलवार कमीज में तैयार किया और पैकिंग शुरू करने लगी। तभी शैलेश की नज़र आईने के सामने रखे लिफाफे पर गयी। शैलेश ने लिफाफे को उठाया और उसे खोला। उस लिफाफे में एक लेटर, और पच्चीस हज़ार रूपये थे जो शैलेश के लिए थे। उस लेटर में जो लिखा था वो पढ़कर शैलेश की आँखें फटी की फटी रह गयी।
अलीशा ने शैलेश को अवाक देखा और उसके हाथ से लेटर लेकर खुद पढ़ने लगी।
अलीशा(लेटर पढ़ते हुए), “शालू, मेरी रानी! इन चार दिनों में जो ख़ुशी तुमने मुझे दी है, वो ख़ुशी आज के जमाने में अपनी खुद की पत्नी या गर्लफ्रेंड से मिलना भी बहुत मुश्किल होता है। आज से ये स्वीट मैं तुम्हारे नाम करता हूँ और तुम जब चाहो अपने इस स्वीट में रह सकती हो। तुम्हारे जेवर, ड्रेसेस को रखने के लिए वार्डरॉब और लाकर की व्यवस्था की हुई है। तुम इस स्वीट को अब अपने इस्तेमाल कर सकती हो और अब ये तुम्हारा है। तुम बहुत ही पढ़ी लिखी भी हो, मैं बलवंत से बात करके तुम्हे जल्द ही प्रोस्टीच्यूशन से आज़ाद कर दूंगा और एक अच्छी नौकरी भी दूंगा, ताकि तुम अपनी लाइफ अपने टर्म्स पर ख़ुशी ख़ुशी जियो। मुझसे जब भी मिलने का मन करे, मुझे एक कॉल कर देना। तुमसे मिली ख़ुशी के बदले ये कुछ भी नहीं है शालू। अपना ख्याल रखना, आई लव यू मेरी रानी !”
अलीशा, “और क्या चाहिए एक औरत को जब उसके पास एक ऐसा दिलफेंक आशिक हो !”
शैलेश, “अलीशा, मैं औरत नहीं हूँ और मैं प्रताप जी के इस गिफ्ट को एक्सेप्ट नहीं कर सकता।”
अलीशा, “दिमाग खराब हो गया है क्या तुम्हारा शालू? ये एक स्वीट करोड़ का है और तुम इसे लेना नहीं चाहती ?”
शैलेश, “नहीं अलीशा, आज अगर मैंने इस गिफ्ट को एक्सेप्ट किया तो मैं हमेशा के लिए प्रताप जी के एहसानों तले दब जाऊंगा। उन्होंने जो गिफ्ट्स दिए हैं वो मेरे लिए बहुत है। किसी अच्छे इंसान का फायदा नहीं उठाना चाहिए।”
अलीशा, “लेकिन शालू !”
शैलेश, “मैंने डिसाइड कर लिया है अलीशा !”
अलीशा, “बहुत बड़ी बेवकूफ हो शालू तुम! प्रताप जो को कोई मना नहीं करता है और तुम उन्हें मना कर रही हो?”
शैलेश, “बस अलीशा, चलो बार चलते हैं !”
बैग पैक करने के बाद शैलेश ने प्रताप के लिए एक लेटर छोड़ा और अलीशा के साथ बार आ गया। शैलेश थोड़ा दुखी था लेकिन वो प्रताप के और करीब नहीं जाना चाहता था। अलीशा ने शैलेश को बैकस्टेज लहँगा चोली में तैयार किया, एक विग माथे पर सेट करने के साथ ही ऑर्नामेंट्स पहनाया और मेकअप किया। इधर होटल में, शैलेश और अलीशा के जाने के बाद प्रताप ने स्वीट में कदम रखा तो शैलेश का लिखा लेटर उसी आईने के सामने रखा हुआ था। प्रताप ने लेटर खोल कर पढ़ा।
उसमे लिखा था, “प्रताप जी, आपने मेरे लिए जो कुछ भी किया उसके लिए थैंक यू सो मच! ये खत शैलेश की तरफ से नहीं बल्कि शालू की तरफ से है। आपके साथ बिताया एक एक पल मेरे लिए बहुत खास था और आपने मुझे इतने गिफ्ट्स भी दिए, वो गिफ्ट्स और आपका खत मैं हमेशा संभाल कर रखूंगी। आपने इतना कुछ किया है मेरे लिए जो कोई इंसान किसी अजनबी के लिए कभी नहीं करता। मैं आज भी एक मर्द ही हूँ जो पैसे कमाने के लिए क्रॉसड्रेसिंग करती है, मर्द के साथ सेक्स करती है। एक प्रोस्टीच्यूट और आपके जैसा एक सभ्य और समझदार इंसान के बीच कोई रिलेशन रखना आपके इज़्ज़त और मान सम्मान के लिए सही नहीं है। मैं कभी किसी मर्द के इतनी करीब नहीं गयी जितनी आपके करीब आ गयी। हो सके तो मुझे माफ़ कर दीजियेगा, टेक केयर !”
शैलेश का खत पढ़ कर प्रताप के मन में अंतर्द्वंद शुरू हो गया। प्रताप की लाइफ में सिर्फ ऐसी ही लड़कियां आयीं थी जो उनके पैसे पाने की चाह रखती हो, लेकिन एक शीमेल प्रोस्टीच्यूट से अपने प्रति इतना आदर भाव पाकर प्रताप का शैलेश के प्रति प्यार और भी ज्यादा होने लगा था। प्रताप ने शैलेश के लेटर को अपने सीने से लगाया और अपने पर्स में संभाल कर रख लिया। इधर शैलेश बार में बहुत ही अच्छा डांस पेश किया और सभी ग्राहक ने उसपर जमकर खूब पैसे उड़ाए। रात के दस बजे डांस ख़त्म होने के बाद शैलेश को अलीशा मेकअप रूम में ले गयी। अलीशा ने शैलेश के ऑर्नामेंट्स उतार दिए और उसे लेदर ब्लैक मिनी स्कर्ट पहनाकर और डार्क मेकअप करके एक छोटे होटल के कमरे में ले गयी। उस कमरे का साइज दस बाय दस और कमरे में काफी अँधेरा भी था। अलीशा ने शैलेश को बिस्तर पर पेट के बल लेटने को कहा। फिर अलीशा ने अपने बैग से दो हैंडकफ निकाले। शैलेश को पता नहीं था कि उसके साथ क्या होने वाला था। अलीशा ने शैलेश के दोनों हाथों में हैंडकफ पहना दिया और उसके दोनों पैरों को उस हैंडकफ से जोड़ दिया।
शैलेश, “ये तुम क्या कर रही हो अलीशा?”
अलीशा, “क्लाइंट के हिसाब से तुम्हे तैयार कर रही हूँ शालू रानी!”
फिर अलीशा ने शैलेश के गांड में बट प्लग सेट किया और उसे ऑन कर दिया। फिर अलीशा ने शैलेश की आँखों पर काली पट्टी बाँधी, मुँह में माउथ गैग डालकर उसे अच्छे से टाई कर दिया। टाई करने के बाद अलीशा ने शैलेश को गुड लक कहा और कमरे से बाहर चली गयी। शैलेश की आवाज़ माउथ गैग के कारण दब गयी थी और आँखों पर पट्टी उसे और भी डरने को मजबूर कर रही थी।
बीएसडीएम विभिन्न प्रकार की कामुक प्रथाएं हैं या बंधन, अनुशासन, प्रभुत्व और सबमिशन, सेडोमसोचिज़्म और अन्य संबंधित पारस्परिक गतिशीलता को शामिल करने वाली भूमिका निभाती हैं। शैलेश उसकी लाइफ में पहली बार इसको अनुभव करने के लिए बिस्तर पर पड़ा था। अलीशा के गए अभी दो मिनट्स भी नहीं हुआ था कि शैलेश को कमरे में क़दमों की आहट सुनाई दी। धीरे धीर क़दमों की आहट करीब आते गयी और फिर शांत हो गयी। फिर अचानक शैलेश के गांड पर किसी ने जोर का थप्पड़ लगाया, शैलेश दर्द से कराह उठा, लेकिन उसकी आवाज़ माउथ गैग में दबी रह गयी।
एक अनजान आवाज़, जो सुनने में १७-१८ साल के लड़के की रही होगी, कमरे में गुंजी, “ये तो सच में कमाल की माल है। इसकी गांड भी क्या चिकनी हैं, खा जाने का मन हो रहा है मेरा तो!”
तभी कमरे में वो हुआ जिसकी उम्मीद शैलेश ने सपने में भी नहीं की थी। कमरे में एक नहीं बल्कि दो लड़के थे, जिसने शैलेश के गाल पर हल्का सा थप्पड़ मारा और उसके मुँह को दबा कर गाल चूमकर पहले अनजान लड़के की बात का जवाब दिया।
दूसरा बोला, “हाँ रे, ये तो सच में कमाल की माल है। मुझसे तो अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है।”
पहला बोला, “तो शुरू हो जा, इंतज़ार किस बात का है ?”
पहले के कहने के साथ ही दूसरे लड़के ने शैलेश के मुँह से माउथ गैग निकाला और अपने लंड को उसके मुँह में घुसा कर उसे ब्लो जॉब देने लगा। शैलेश को चॉकलेट फ्लेवर का स्मेल आया और डॉटेड कंडोम होने का एहसास भी हुआ। इतने में पहले लड़के ने शैलेश के गांड में से बट प्लग को निकाल लिया और उसके गांड में अपना लंड घुसाने लगा जिसपर उसने भी डॉटेड कंडोम पहना हुआ था। आगे के मुँह में लंड और पीछे से गांड में लंड, बंधे हाथ पैर और ढंकी आँखों से मजबूर शैलेश उन दोनों लड़कों से एक साथ चुद रहा था। वे दोनों थे तो सत्रह अठारह साल के लड़के, लेकिन उनका लंड काफी मोटा और टाइट था। दोनों लड़के एक ही स्पीड में शैलेश को चोदे जा रहे था और थोड़ी देर की चुदाई के बाद उन दोनों में पोजीशन बदल लिया। अब पहला वाला लड़का शैलेश को ब्लो जॉब दे रहा था और दूसरा उसकी चुदाई कर रहा था। आधे घंटो तक ऐसा ही चलता रहा और उन दोनों ने एक पल के लिए भी शैलेश की आँखें नहीं खोली और बेरहमी से उसकी चुदाई करते रहे। फिर उन्होंने शैलेश की हथकड़ी को खोल दिया, एक लड़के ने शैलेश को अपने लंड पर बिठाया और दूसरे में उसकी मुँह में अपना लंड घुसा दिया। मोटे लंड की सवारी को शैलेश बर्दाश्त कर रहा था लेकिन उतने ही मोटे लंड को अपने मुँह में लेकर उसे ब्लोजॉब देना, शैलेश को सिर्फ और सिर्फ दर्द दे रहा था। थोड़ी देर बाद एक लड़के ने अपना लंड शैलेश के मुँह से निकाल लिया और वो भी अपना लंड शैलेश की गांड में घुसाने की कोशिश करने लगा।
शैलेश, “आई, आह्हः, ये क्या कर रहे हो आप लोग? गांड में एक से ज्यादा लंड नहीं डालो!”
एक बोला, “क्यों ना डालूं, पैसे दिए हैं साली छिनाल, मुँह बंद कर के चुदाई करवा ले समझी!”
दूसरा लड़का फिर से जोर लगाने लगा, शैलेश को लगा कि आज ये दोनों लड़के मिलकर उसका गांड फाड़ देंगे। शैलेश रेसिस्ट करने लगा, लेकिन दूसरा लड़का नहीं माना और अपना लंड उसकी गांड में डालने लगा। शैलेश की गांड में दूसरे लड़के का सख्त लंड जैसे ही घुसा, शैलेश का दर्द से रोना आ गया। जैसे ही शैलेश चिल्लाने को हुआ, दूसरे लड़के ने उसके मुँह पर अपना हाथ रख दिया और दोनों मिलकर एक साथ शैलेश की चुदाई करने लगे। शैलेश को पहली बार लाइफ में रेप होने जैसा एहसास हो रहा था, लेकिन उन दोनों लड़कों की गिरफ्त में शैलेश कुछ भी नहीं कर पा रहा था। आधे घंटे का जबर्दत हार्डकोर सेक्स के बाद शैलेश बेसुध हो गया। दोनों लड़कों ने शैलेश को बिस्तर पर पटका और दोनों घबरा कर वहां से भाग गए। थोड़ी देर बाद अलीशा कमरे में आयी और शैलेश को बेहोश देखकर उसे उठाने की कोशिश करने लगी। शैलेश की हालत सच में बहुत ख़राब हो गयी थी, उसके गांड से खून निकल रहा था, आँखें खोल नहीं पा रहा था शैलेश। अलीशा ने डॉक्टर को कॉल करके होटल रूम में बुलवाया। डॉक्टर ने शैलेश के जख्म देखे, अलीशा को मलहम लगाने को दिया और उसे इंजेक्शन देने के बाद मेडिसिन्स के साथ कम से कम ३ दिन का बेड रेस्ट करने की सलाह दी और वहां से चला गया। अलीशा ने शैलेश को सुबह तक अपनी गोद में सुलाए रखा और उसका ध्यान रखा।
सुबह जब शैलेश की नींद खुली तो अलीशा को देखकर अपनी नज़रें झुकाये सीधे वाशरूम में चला गया। टॉयलेट के समय शैलेश को बहुत दर्द हुआ, लेकिन अपने दर्द को अपने आंसू में बहकर शैलेश ने उस दर्द को बर्दाश्त किया। वाशरूम से बाहर आकर भी शैलेश ने अलीशा की तरफ एक बार भी नहीं देखा और अपने आँखों से आंसू पोंछकर बिस्तर के एक तरफ नज़रें झुकाकर बैठ गया। अलीशा समझ रही थी और शैलेश के दर्द को समझ रही थी लेकिन शैलेश के लिए वो नहीं कर सकती थी।
अलीशा, “शालू रानी, मुझसे क्यूँ नाराज़ हो रही हो? मैंने क्या किया?”
शैलेश, “तुमने कुछ भी नहीं किया।”
अलीशा, “शालू, कल रात तुम्हारे साथ जो कुछ भी हुआ वो अमानवीय था लेकिन मैं बलवंत बॉस के आर्डर को फॉलो करने से मना नहीं कर सकती थी। आई नो कि उन दोनों लड़कों ने तुम्हारे साथ रेप किया लेकिन बलवंत बॉस तुम्हे इसी के तो पैसे देते हैं।”
शैलेश, “हम्म!”
फिर अलीशा ने शैलेश को दुबारा से मिनीस्कर्ट, हाई हील्स और डार्क शादी मेकअप करके तैयार किया। शैलेश के बालों को फिर से ठीक किया और उसे अपने साथ लेकर एक इंटरकांटिनेंटल होटल में लेकर आ गया। उस होटल के चौथे फ्लोर के कमरा नंबर ४०७ में आज उसकी बुकिंग थी। शैलेश की हालत ऐसी नहीं थी कि वो आज रात भी किसी मर्द के साथ रात बिताये, लेकिन बलवंत के आर्डर को उसे फॉलो करना था। अलीशा ने सबसे पहले शैलेश के लिए खाना आर्डर किया और उसे खाने को दिया। शैलेश के चेहरे की मुस्कराहट कहीं गायब थी, वो बिना कुछ कहे खाना खाकर बिस्तर पर बैठ गया। अलीशा समझ पा रही थी कि शैलेश की मनोस्थिति क्या है। इसीलिए अलीशा ने शैलेश को तैयार करके वहां से निकलने का सोचा और शैलेश को ब्लू जीन्स पहनने को दिया। शैलेश को ब्लू जीन्स पूरी फिटिंग आयी और फिर अलीशा ने शैलेश को गोल्ड बॉर्डर वाली बैकलेस चोली पहनाई। शैलेश को गोल्ड बॉर्डर बैकलेस चोली पहनाने के बाद अलीशा ने उसका मेकअप किया, आँखों में काजल, होंठों पर रेड लिपस्टिक और रेड नेलपॉलिश के बाद उसकी नाक में नथिया, कानों में झुमके, हाथों में सुहाग का चूड़ा सेट, पैरों में पायल पहनाया। फिर एक हाई हील्स पहनाकर शैलेश को एक चुनरी से घूँघट करके बैठकर अलीशा ने उसे गुड लक कहा और वहां से चली गयी। शैलेश अभी भी चुपचाप बैठा था, ना तो उसने अलीशा की तरफ देखा और ना ही एक जवाब ही दिया। शैलेश बस बैठा रहा क्यूंकि उसे पता था कि फिर कोई मर्द आएगा, उसके जिस्म से अपनी हवस मिटाएगा और उसे एक और दर्द देकर चला जायेगा। कमरे में कोई नहीं था तो शैलेश बिस्तर पर लेट गया और कब सो गया इसका एहसास उसे नहीं हुआ। शैलेश की नींद शाम के सात बजे खुली और जब वो जाएगा तो सामने एक बुजुर्ग करीब साठ साल का आदमी वहां बैठा शराब पी रहा था। टेबल पर तंदूरी चिकन, वोडका और बियर की कुछ बॉटल्स रखी थी। शैलेश को जागते देख, उस आदमी के चेहरे पर एक मुस्कराहट आ गयी।
बुजुर्ग, “इधर आओ शालू! तुम वाक़ई बहुत खूबसूरत हो, मैंने आज तक कभी भी तुमसा खूबसूरत शीमेल नहीं देखा।”
शैलेश, “थैंक यू!”
शैलेश उस बुजुर्ग के सामने गया तो उसने शैलेश को अपने बगल वाली चेयर पर बैठने का इशारा किया। जब शैलेश चेयर पर बैठ गया तो उस आदमी ने शैलेश के हाथों को अपने हाथ में लिए और उसपर किस कर लिया। शैलेश एक पल के लिए प्रताप के साथ बिताये रोमांटिक पलों की यादों में खो गया। उस बुजुर्ग ने शैलेश को खाने को कहा और उसे शराब भी पिलाया। खाने पीने के बाद वो बुजुर्ग पुरे नशे में था। उसने शैलेश के होंठों को चूमा और फिर उसके कन्धों पर किस करने लगा। शैलेश के शरीर में सिहरन होने लगा तो उस बुजुर्ग ने शैलेश को घुटनो पर बैठने को कहा और फिर अपने पैंट का ज़िप खोल दिया। पैंट का ज़िप खुलते ही उस बुजुर्ग आदमी का मोटा काला लंड बाहर आ गया। शैलेश को आगे क्या करना था ये उसे अच्छे से पता था। शैलेश ने उस लंड को अपना हाथों से सहलाया और उसपर स्ट्रॉबेरी फ्लोर कंडोम रखकर उसे ब्लो जॉब देने लगा। उस बुजुर्ग आदमी के चेहरे की ख़ुशी बता रही थी कि वो कितना तृप्त था, शैलेश के ब्लोजॉब से। लगभग बिस मिनट्स के ब्लोजॉब के बाद उस बुजुर्ग के लंड में अच्छा खासा इरेक्शन आ चूका था। उस बुजुर्ग ने बिना देर किये शैलेश का जीन्स उतारा और साथ ही उसकी पैंटी भी। अब शैलेश कमर के नीचे से पूरी तरह से न्यूड हो चूका था, उसका छोटा सा लंड, उस साठ साल के बुजुर्ग के लंड के सामने कुछ भी नहीं था। शैलेश को पीठ के बल लिटाकर वो बुजुर्ग शैलेश के शरीर पर चढ़ गया और उसके गांड में अपना लंड घुसाकर उसको चोदने लगा। अगले पंद्रह मिनट्स तक शैलेश को पीछे से चोदने के बाद उसे एक्साइटमेंट आ गया और वो बुजुर्ग निढाल होकर शैलेश के ऊपर ही सो गया। थोड़ी देर तक सेम पोजीशन में सोने के बाद शैलेश ने उस बुजुर्ग को अपने पीठ पर से हटाया और चादर ओढ़कर सो गया। रात के तीन बजे उस बुजुर्ग की नींद खुली, वो वाशरूम गया और वापिस आकर शैलेश को हग करके सो गया।
सुबह जब शैलेश की नींद खुली तो उसने देखा कि सामने वो बुजुर्ग तैयार बैठा कुछ लिख रहा है। जब उस बुजुर्ग ने देखा कि शैलेश जाग गया है तो वो शैलेश के पास गया, उसके होंठों पर किस किया और उसके हाथ में एक चेक दिया।
बुजुर्ग, “शालू, तुम शायद मुझे नहीं जानती। मेरा नाम राजेश मित्तल है, इस शहर का बहुत बड़ा इंडस्ट्रियलिस्ट हूँ। साठ साल का होने जा रहा हूँ और मेरी पत्नी मुझे अपने पास नहीं आने देती है। तुमसे सम्भोग करके मेरे अंदर की आग शांत हुई है जो ना जाने कितने सालों से जल रही थी। आज मैं बहुत खुश हूँ, ये पच्चीस हज़ार का चेक है तुम्हारे लिए। मैं तुम्हारे साथ एक सेल्फी लेना चाहता हूँ, तुम्हे कोई ऐतराज़ तो नहीं?”
शैलेश, “आई ऍम सॉरी राजेश सर, लेकिन आपके साथ सेल्फी नहीं ले सकती, प्राइवेसी पालिसी !”
बुजुर्ग, “हम्म, इट्स ओके शालू!”
वो बुजुर्ग शैलेश के हाथों में चेक देकर चला गया, लेकिन शैलेश के चेहरे की मुस्कान कहीं खो गयी थी। अपने शीमेल बनने के फैसले पर शैलेश को बहुत गुस्सा आ रहा था, उसका मन सुसाइड करने का कर रहा था तभी कमरे में अलीशा आ गयी।
अलीशा, “रात कैसी रही शालू!”
शैलेश, “ठीक थी !”
अलीशा, “तुमने मेडिसिन्स ली!”
शैलेश, “नहीं!”
अलीशा, “पहले मेडिसिन्स खाओ, फिर कुछ करना !”
फिर शैलेश ने मेडिसिन्स खायी और ब्रेकफास्ट करके बेड पर बैठ गया। अलीशा ने शैलेश को एक कॉटन साड़ी में तैयार किया और अपने साथ बार में आ गयी। बार में शाम सात बजे से रात के नौ बजे तक शैलेश ने स्टेज पर डांस किया। शैलेश के ऊपर जमकर पैसों की बारिश हुई। अलीशा ने शैलेश को लाल साड़ी और लाल बैकलेस ब्लाउज पहनाया, लाल नेलपॉलिश, लाल लिपस्टिक और आँखों में काजल, माथे पर लाल बिंदी लगा कर तैयार किया। बिना हील्स वाली सैंडल्स पहनाया और शैलेश को उसी की साड़ी के आँचल से घूँघट करके उसी फाइव स्टार होटल में ले आयी जहाँ शैलेश पहली बार प्रताप से मिला था। शैलेश ने आँखें झुका रखा था और उसने ये भी नहीं देखा कि अलीशा उसे कहाँ ले जा रही है, वो बस अपनी नज़रें झुकाये उदास मन से अलीशा के साथ चला जा रहा था। दूसरी मंजिल के कमरे में ले जाकर अलीशा ने शैलेश को बिठाया और गुड लक बोलकर वहां से चली गयी। शैलेश ने एक बार भी अपनी नज़रें उठाकर ये नहीं देखा कि वो कहाँ है! शैलेश की उदासी उसके आंसु बयां कर रही थी, आज उसे यकीन था कि फिर कोई मर्द उसके साथ सम्भोग करेगा और अपनी हसरत पूरी करके चला जायेगा। शैलेश वैसे तो लाल साड़ी में बहुत ही ज्यादा खूबसूरत दिख रहा था, लेकिन उसने खुद को एक बार भी आईने में नहीं देखा और बिस्तर पर अपने दोनों पैरों को मोड़कर बैठ गया। डांस के थकावट के कारण शैलेश को नींद आ गयी और वो बैठे बैठे ही सो गया। थोड़ी देर बाद शैलेश के चेहरे पर एक गर्म सांस का एहसास हुआ और वो नींद से जाग गया। शैलेश ने सामने देखा, सामने प्रताप बैठा मुस्कुरा रहा था। प्रताप को देखते ही शैलेश की आँखें भर आयी और उसने बिना देर किये प्रताप को कस कर हग कर लिया।शैलेश प्रताप को हग करके रोने लगा और प्रताप उसे शांत करने की कोशिश करने लगा।
प्रताप, “क्या हुआ शालू, मेरी रानी, क्यों रो रही हो तुम?”
शैलेश, “प्रताप जी, मैं ऐसा लाइफ नहीं जीना चाहती। मुझे जिंदगी के हर कदम पर सिर्फ और सिर्फ दर्द और शर्मिंदगी ही मिल रहा है। ये दर्द मुझसे अब और बर्दाश्त नहीं होता, मुझे समझ नहीं आ रहा कि मैं क्या करूँ?”
प्रताप, “रानी, तुम्हारा दर्द मैं समझ सकता हूँ और तुम्हारे साथ आज जो कुछ भी हो रहा है, उसके लिए तुम खुद को दोष मत दो। ये सब नियति है जिसे भोगना तुम्हारी मज़बूरी है। मुझे अलीशा ने परसो रात वाली पूरी बात बता दी थी, वो तुम्हारी बहुत केयर करती है, तभी उसने मुझे कॉल किया और मुझे तुम्हारी बुकिंग करने को कहा। अगले दो दिन तुम्हे कहीं नहीं जाना है, कुछ भी नहीं करना है। तुम मेडिसिन्स लो और रेस्ट करो, बाकी मैं देख लूंगा।”
शैलेश, “प्रताप जी आप इतने अच्छे क्यों हैं?”
प्रताप, “शालू, मेरी जान! मेरी ज़िन्दगी में बहुत सी लड़कियां आयी; लेकिन तुमसे समझदार, ईमानदार और खूबसूरत कोई भी नहीं थी।”
शैलेश, “प्रताप जी, आपने तो मेरे साथ रात बिताने के लिए पैसे दिए हैं। फिर आप मेरे साथ सबकुछ कर सकते हैं। एक आप ही एकलौते इंसान हैं, जिसके लिए मैं दिल से शालू बन जाती हूँ और हमेशा आपके सामने शालू बनकर ही रहना चाहती हूँ।”
प्रताप, “शालू, मुझे सब पता है लेकिन तुम्हे आराम की सख्त जरुरत है और मैं आज तुम्हे वादा करता हूँ कि बहुत जल्द तुम इस प्रोस्टीच्यूशन लाइफ से बाहर निकाल कर एक इज़्ज़त वाली लाइफ दूंगा।”
शैलेश, “थैंक यू प्रताप जी!”
फिर शैलेश ने प्रताप के होंठों पर किस किया और नज़रें झुककर शर्माने लगा। प्रताप को इनविटेशन मिल चूका था और उसने शैलेश को अपनी बाहों भरकर रात भर रोमांस किया। प्रताप की बाहों में शैलेश रात भर एक औरत की तरह सोता रहा। अगले दिन प्रताप पुरे दिन शैलेश के साथ था। शैलेश के साथ बाथटब रोमांस के बाद प्रताप के पसंद की बेबीडॉल ड्रेस पहनकर शैलेश दिन भर प्रताप की बाहों में रहा और उसके साथ अपने परिवार के बारे में बहुत कुछ शेयर किया। शाम को प्रताप और शैलेश ने काफी देर तक रोमांस किया और दोनों एक दूसरे के बहुत करीब आ गए थे। शैलेश ने खुद को प्रताप की गर्लफ्रेंड के रूप में एक्सेप्ट कर लिया था और प्रताप ने तय कर लिया था कि वो जल्द से जल्द शैलेश को बलवंत के एग्रीमेंट से फ्री करवा लेगा। दूसरे दिन भी प्रताप ने शैलेश के साथ सिर्फ और सिर्फ रोमांस ही किया। सेक्स करने का मन शैलेश को भी था और प्रताप को भी लेकिन प्रताप ने फैसला कर लिया था कि वो शैलेश के साथ सेक्स नहीं करेगा। दो दिनों में शैलेश और प्रताप का रिश्ता काफी हद तक बदल चूका था, शैलेश ने खुद को प्रताप के लिए समर्पित कर दिया था। शैलेश को पता था कि वो भी प्रताप की तरह ही एक मर्द है, लेकिन उसने खुद को प्रताप के करीब होने से खुद को रोकने की एक भी कोशिश नहीं की। दो दिन ख़त्म हो चूका था, अलीशा शैलेश को लेने होटल में आ चुकी थी। इधर शैलेश प्रताप की बाहों में सोया हुआ था, उसके चेहरे पर एक ख़ुशी वही ख़ुशी प्रताप के चेहरे पर भी था। जब अलीशा ने कमरे के दरवाज़े को खटखटाया तो प्रताप ने उठकर कमरे के दरवाज़े को खोला और अलीशा अंदर आ गयी। अलीशा को देखकर शैलेश ने स्माइल किया और उसे हग करके थैंक्स बोला। अलीशा ने शैलेश के चेहरे की स्माइल देखकर खुश थी। प्रताप भी शैलेश के लिए बहुत खुश था और उसने अलीशा और शैलेश के लिए ब्रेकफास्ट आर्डर किया और खुद नीचे चला गया।
शैलेश, “अलीशा, तुम सच में बहुत अच्छी हो ! ये सब तुमने मेरे लिए किया है ना! प्रताप जी ने कहा है कि वो मुझे बलवंत बॉस के एग्रीमेंट से फ्री करवा देंगे। लेकिन अगर ऐसा हुआ तो मैं उनसे तुम्हे भी बलवंत के बार से फ्री करवा कर एक अच्छा मर्द देखकर तुम्हारी शादी करवा दें।”
अलीशा, “वाओ शालू, आई विश प्रताप जी तुम्हे फ्री करवा लें। तुम दोनों एक दूसरे के लिए बने हो और अगर ऐसा हुआ तो उसके बाद तुम सेक्स चेंज करवा लेना और प्रताप जी से शादी कर लेना।”
शैलेश, “अलीशा, तुम कुछ ज्यादा ही दूर की बात नहीं कर रही! यहाँ से फ्री होने के बाद, मैं फिर से अपनी पुरानी लाइफ जियूँगा लेकिन नए ढंग से। मैं अपनी पत्नी को डाइवोर्स दे दूंगा और एक अच्छी सी लड़की से शादी कर के उसके साथ अपना घर बसा लूंगा।”
अलीशा, “मुझे नहीं लगता शालू! लेटस होप सब अच्छा हो!”
शैलेश, “हम्म!”
फिर अलीशा के साथ शैलेश बार आ गया। शैलेश को आज की रात अकेले ही स्टेज पर परफॉर्म करना था और वो इसके लिए बिलकुल भी तैयार नहीं था। अलीशा ने शैलेश को समझाया कि उसके पास इसके अलावे कोई और ऑप्शन नहीं है, उसे स्टेज पर अकेले ही परफॉर्म करना पड़ेगा। उसके बाद अलीशा ने शैलेश को चमकीला और छोटा घाघरा के साथ शार्ट बैकलेस चमकीली चोली भी पहनाई। घाघरा चोली ख़ास डांसर्स के लिए तैयार की गयी थी। आज शैलेश को लाइट मेकअप, लाइट ज्वेलरीज पहनाकर अलीशा ने बहुत ही खूबसूरती से तैयार किया। हाई हील्स, हाथों में ढेर सरे कंगन, चूड़ियां, माथे पर बिंदी और नाक में सोने का लौंग पहनकर जब शैलेश घूँघट में स्टेज पर पंहुचा तो सामने बैठे सारे गेस्ट्स जोर जोर से शालू शालू का शोर मचने लगे। माधुरी दीक्षित के पॉपुलर गाने पर शैलेश ने बखूबी डांस परफॉर्म किया और बहुत पैसे भी कमाए। डांस परफॉरमेंस के बाद शैलेश वापिस अलीशा के साथ बैठी थी।
अलीशा, “तो शालू रानी, क्या तुम तैयार हो आज रात के लिए?”
शैलेश, “हम्म!”
अलीशा, “आज तुम्हारे साथ जो आदमी सोने वाला है, वो पिछले दो दिनों से वेटिंग में है।”
शैलेश, “कोई बात नहीं!”
फिर अलीशा ने शैलेश का ड्रेस चेंज करवाया। शैलेश को जॉर्जेट येल्लो ट्रांसपेरेंट साड़ी, येल्लो बैकलेस ब्लाउज में तैयार किया। मेकअप के साथ रेड नेलपॉलिश, रेड लिपस्टिक, सानिया मिर्ज़ा स्टाइल नथिया और बालों का जुड़ा बनाकर अलीशा ने शैलेश की साड़ी के आँचल से घूँघट बनाया और उसे अपने साथ एक घर पर ले गयी। शैलेश ने गौर से देखा तो ये तो उसी का घर था। अलीशा की ओर शैलेश ने देखा, अलीशा ने चुप रहने का इशारा किया और डोरबेल बजा दिया। अंदर से देव बाहर आया, शैलेश ने उसे पहचान लिया, लेकिन अलीशा नहीं जानती थी कि ये उसी का घर है। अलीशा और शैलेश घर के अंदर गए और सोफे पर बैठ गए। घर पर कोई भी नहीं था, शीतल और राहुल भी नहीं। शैलेश की नज़रें सिर्फ शीतल और राहुल को ढूंढ रही थी। शैलेश से नहीं रहा गया तो उसने अलीशा से कहा कि वो देव से पूछे कि घर में कौन कौन है?
अलीशा, “अच्छा देव सर, आप यहाँ अकेले रहते हैं?”
देव, “नहीं यहाँ मैं अपनी होने वाली पत्नी शीतल और उसके बेटे राहुल के साथ रहता हूँ। राहुल अपनी माँ के साथ गया हुआ है।”
अलीशा ने धीरे से शैलेश के कान में कहा, “शालू! शीतल, राहुल तो तुम्हारी पत्नी और बेटा है ना!”
शैलेश ने अलीशा के सवाल का जवाब अपना सर हाँ में हिलाया।
अलीशा, “शालू, तो क्या आज की रात एक मर्द तुम्हे तुम्हारे ही घर में चोदेगा?”
अलीशा ने शैलेश की कान में कहा लेकिन शैलेश ने कोई रियेक्ट नहीं किया। देव ने अलीशा को बताया कि उसके लिए खाने पीने के साथ रहने का इंतेज़ाम दूसरे कमरे में कर दिया है और फिर शैलेश को अपने साथ दूसरे कमरे में ले गया। शैलेश ने महसूस किया कि ये वही कमरा है जहाँ पहली बार उसने शीतल के साथ सुहागरात मनाई थी। लेकिन आज उसी कमरे में एक मर्द उसके साथ सुहागरात मनाने वाला था। शैलेश चुपचाप बिस्तर के एक कोने पर घूँघट करके बैठ गया। तभी देव उसके करीब आ गया और उसे बियर ऑफर किया। शैलेश ने देव के साथ बैठकर दो दो गिलास बियर पीया और फिर देव ने शैलेश को बिस्तर पर लिटा कर, उसके होंठों पर अपना होंठ रख दिया। देव शैलेश को बड़े ही प्यार से चूमे जा रहा था और शैलेश कुछ भी नहीं कर पा रहा था। शैलेश को यकीन नहीं हो रहा था कि एक दिन लाइफ उसे ऐसा दिन भी दिखाएगी, उसके खुद के घर में एक मर्द उसके साथ सुहागरात मनाएगा। शैलेश ने एक बार भी रेसिस्ट नहीं किया और थोड़ी देर बाद देव का मोटा काला लंड उसकी गांड में था और उसकी चुदाई शुरू हो चुकी थी। अगले पंद्रह मिनट्स तक शैलेश को बुरी तरह चोदने के बाद देव ने अपना स्पर्म का लोड शैलेश की गांड में छोड़ कर उसके ऊपर लेट गया। शैलेश देव के भारीभरकम शरीर के नीचे दब गया, उसकी चूड़ियां टूट गयी और उसके गांड में अभी भी देव का लंड था जो बहुत ही टाइट तना हुआ था। थोड़ी देर के बाद एक बार फिर देव की आँख खुली और उसने शैलेश को अपनी तरफ घुमाया और उसके दोनों पैरों को हवा में फैलाकर एक फिर से उसे चोदने लगा। देव का लंड शैलेश के गांड के अंदर के एन्ड पर टकरा रहा था और शैलेश अब जोर जोर से आह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह प्लीज प्लीज आह्हः की आवाज़ निकाल रहा था और देव शैलेश के दर्द को ऐसे एन्जॉय कर रहा था, जैसे कि उसे कोई फरक नहीं पड़ रहा था। थोड़ी देर तक शैलेश की चुदाई के बाद देव ने एक बार फिर शैलेश के गांड में अपना स्पर्म छोड़ दिया और उसे एक तरफ लिटा कर मुस्कुराते हुए चादर तान कर सो गया। शैलेश वाशरूम में गया और उस लोड को अपने अंदर से बाहर कर दिया। फिर शैलेश ने अपनी साड़ी को ठीक किया और देव के बगल में लेट गया। सुबह दोनों की नींद खुली और देव ने शैलेश और अलीशा को बार के दरवाज़े पर पैसों के साथ अपनी कार में ड्राप किया। बार में एंटर होते ही बलवंत ने शैलेश को अपने केबिन में बुलाया और अलीशा को बाहर वेट करने के लिए कहा।
शैलेश, “जी बॉस!”
बलवंत, “शालू, कल प्रताप ऑफिस आया था। प्रताप मेरा बहुत अच्छा दोस्त और छोटे भाई की तरह है। तुम्हे तो पता ही है कि उसका अपना थ्री स्टार होटल है और उसके पास पैसों और लड़कियों की भी कोई कमी नहीं है। इन सब के बावजूद प्रताप को तुम्हारी बहुत फिक्र है। वैसे तो अगले एक महीने के लिए तुम्हारी बुकिंग थी, लेकिन प्रताप ने तुम्हारी बुकिंग के पुरे पैसे चुकाए भी। आज से तुम आजाद हो शालू, तुम्हारे साथ किये एग्रीमेंट को मैंने कैंसिल कर दिया है। अब तुम बेफिक्र होकर अपना बैग पैक करो और तैयार हो जाओ। थोड़ी देर में प्रताप अपनी गाडी भी भेज देगा और तुम्हारे रहने का इंतेज़ाम और तुम्हारे लिए नई नौकरी की व्यवस्था भी प्रताप ने कर दिया है। वैसे तुम्हारे जाने से इस बार को काफी नुकसान होने वाला है, लेकिन अपने छोटे भाई के मैं इतना तो नुक्सान तो झेल सकता हूँ!”
शैलेश, “थैंक यू सर, थैंक यु सो मच! आपने मेर बुरे वक़्त पर मुझे सहारा दिया, ये बात मैं जिंदगी भर नहीं भूलूंगा और प्रताप जी तो सच में ग्रेट हैं।”
शैलेश बहुत खुश था, वो सीधे जाकर अलीशा से मिला।
शैलेश, “अलीशा, मैं आज बहुत खुश हूँ। तुम्हे पता है प्रताप जी ने मुझे यहाँ ने फ्री करवा दिया है। अब मुझे शीमेल बन कर लाइफ नहीं गुज़ारना पड़ेगा, मैं अब आजाद हूँ। पहले की तरह लाइफ जी सकता हूँ अलीशा, आई ऍम सो हैप्पी !!”
अलीशा, “वाओ शालू, ये तो बहुत ही ख़ुशी की बात है। बधाई हो, अब तुम अपनी नई लाइफ जीने के लिए आज़ाद हो, इससे ज्यादा ख़ुशी की बात क्या हो सकती है?”
शैलेश, “आज मैं सीधे जाकर प्रताप जी से मिलूंगा और बहुत जल्द तुम्हे भी यहाँ से आज़ाद करवा दूंगा।”
अलीशा, “मेरी फिक्र मत करो शालू, मैं यहाँ खुश हूँ। आज तुम फ्री हो गयी, दाट मीन्स तुम्हारी जगह अब इस बार में कोई नई शीमेल लेगी। मुझे अभी तो फ़िलहाल यही रहना पड़ेगा, लेकिन तुम्हारे लिए मैं बहुत खुश हूँ।”
शैलेश, “हाँ अलीशा, अब ये साड़ियां, गहने, हाई हील्स मुझे कभी नहीं पहनना पड़ेगा। ये फेक बूब्स लास्ट एक हफ्ते से मैंने अपने सीने से चिपका रखा है, इसे भी हटा दो अलीशा ! मैं प्रताप जी के सामने अपने वास्तविक रूप में जाना चाहता हूँ।”
अलीशा ने एक लोशन शैलेश के फेक बूब्स के कॉर्नर्स पर अप्लाई किया और थोड़ी देर में ही वो बूब्स शैलेश की छाती से अलग हो गया। शैलेश ने दुबारा से अपनी जीन्स पहननी चाही लेकिन उसकी हिप्स पहले के मुकाबले वाइड होने के कारण फिट नहीं आयी। तब अलीशा ने शैलेश को लेडीज स्ट्रैचेबल जीन्स पहनने को दिया जो उसे अच्छे से फिट आयी। शैलेश ने अपने शरीर से गहने, पायल, कानों से झुमके, सब उतार दिया और अपना बैग पैक करने में बिजी हो गया। अलीशा ने शैलेश के बैग पैक करने में मदद की। फिर शैलेश ने अपने स्पोर्ट्स शूज और शर्ट पहनकर तैयार हो गया। अलीशा ने शैलेश का मेकअप उतार दिया, लेकिन शैलेश की फेमिनिटी उसके शक्ल से झलक रही थी। बाल ठीक करने के बाद शैलेश तैयार हो गया। तैयार होने के बाद शैलेश बलवंत के केबिन में गया जहाँ पिछले हफ्ते का पेमेंट चेक के रूप में रिसीव किया। अलीशा से विदा लेकर शैलेश ने टैक्सी बुक किया और सीधे प्रताप के होटल पर जा पंहुचा। होटल के दरवाज़े पर दरबान ने उसे “गुड मॉर्निंग मैडम” कहकर सम्बोधित किया। शैलेश को समझ नहीं आया, कपडे तो उसने लड़कों जैसे पहने हैं फिर गार्ड उसे लड़की की तरह क्यों सम्बोधित कर रहा है। प्रताप ने पहले से ही शैलेश के लिए रिसेप्शन पर बोल रखा था, रिसेप्शनिस्ट ने शैलेश को स्वीट की चाबी दी और उसे इंतज़ार करने को कहा। शैलेश लिफ्ट से फिफ्थ फ्लोर पर स्थित स्वीट में गया और बेड पर बैठकर प्रताप के आने का इंतज़ार करने लगा। थोड़ी देर में प्रताप के स्वीट में आने का आभास शैलेश को हुआ। शैलेश बिस्तर से उठा और जैसे ही मुड़ा, सामने प्रताप खड़ा था, जीन्स टीशर्ट में प्रताप के डोले शोले साफ़ दिख रहे थे और शैलेश ने प्रताप को देखते ही अपनी आँखें झुका ली।
प्रताप, “ये क्या शालू, अब से तुम्हारी ये मृगनयनी आँखें झुकने के लिए नहीं हैं, अब तुम आजाद हो शालू!”
शैलेश, “प्रताप जी, मेरी नज़रें आपकी रेस्पेक्ट में झुकी हैं। आपने ना सिर्फ मुझे आज़ाद किया बल्कि मुझे अपने एहसानों तले इतना दबा दिया है कि मैं अपनी पूरी जिंदगी भी आपके सेवा में लगा दूँ तो भी एक जिंदगी कम पड़ जाएगी।”
प्रताप, “श्श्श, मेरे प्यार को व्यापर मत समझो शालू। मैंने तुम्हारे लिए जो कुछ भी किया, तुम्हारे प्यार में किया। मैं तुमसे प्यार करता हूँ और हमेशा करूँगा। लेकिन एक प्रॉब्लम है शालू!”
शैलेश, “वो क्या?”
प्रताप, “मैंने तुम्हे इस होटल में मैनेजर के पद पर बिठाने का फैसला किया था। लेकिन मेरे होटल में मैनेजर बनने के लिए तुम्हे कम से कम ऊपर से औरत तो बनना ही पड़ेगा! ये नियम मेरी माँ ने बनाया था कि होटल की मैनेजर किसी औरत को बनाया जायेगा।”
शैलेश, “प्रताप जी, आपने मेरे लिए इतना कुछ किया है, मैं आपके लिए इतना नहीं कर सकता क्या? लेकिन एक बात मेरे समझ में नहीं आयी?”
प्रताप, “वो क्या शालू?”
शैलेश, “इस होटल में सभी मुझे लड़किओं की तरह क्यों ट्रीट कर रहे हैं जबकि अब तो मैं मर्द के रूप में यहाँ आया हूँ।”
प्रताप, “हाहाहा, शालू रानी, तुम्हारे नाक में जो सानिया मिर्ज़ा स्टाइल नथिया और शार्प ऑय ब्रोस हैं, ये तुम्हारे औरत होने का सुबूत दे रहे हैं।”
प्रताप की बात सुनकर शैलेश शर्मिंदा हुआ और सोचने लगा, “ये क्या करा दिया मैंने, नाक से नथिया निकालना तो भूल ही गया।”
प्रताप समझ गया तो उसने शैलेश का चेहरा अपनी और उठाया और कहा, “शालू रानी, शर्माने की कोई बात नहीं है। तुम मर्द के इस रूप में भी उतनी ही खूबसूरत दिख रही हो जितनी साड़ी में लगती हो और तुम्हे इसका आभास भी नहीं है।”
शैलेश, “थैंक्स प्रताप जी, लेकिन मुझे कुछ पूछना है?”
प्रताप, “हाँ पूछो?”
शैलेश, “आपने कहा कि मुझे मैनेजर के पोस्ट पर काम करने से पहले ऊपर से औरत बनना पड़ेगा, लेकिन ये होगा कैसे?”
प्रताप, “मैंने तुम्हारे लिए अपना फार्महाउस खाली करवा दिया है। आज के बाद तुम वही रहोगी और तुम्हारी ब्रैस्ट एनहांसमेंट के लिए तुम्हे कहीं जाने की भी जरुरत नहीं है। उसके लिए अलीशा वहां डेली आएगी, मेडिसिन्स के अलावे क्रीम्स को कब और कैसे अप्लाई करना है इसका भी ख़याल रखेगी। फिटनेस ट्रेनर और जिम इक्विपमेंट्स की भी व्यवस्था की जा चुकी है। वैसे तो फार्महाउस में मैं अकेला रहता था, लेकिन अब से तुम भी वहीँ रहोगी।”
शैलेश, “प्रताप जी, आप इतने अच्छे क्यों हैं?”
प्रताप शैलेश की बात सुनकर हसने लगा और उसकी कमर में अपना हाथ रखकर उसे अपने सीने के करीब खींचकर उसे देखने लगा। इससे पहले कि शैलेश अपनी नज़रें फिर से नीचे करता प्रताप ने शैलेश के होंठों पर एक स्मूच किया। शैलेश शरमा गया और ब्लश करने लगा। उसके बाद शैलेश को बिस्तर पर लिटाकर प्रताप उसके ऊपर आ गया और उसके साथ रोमांस करने लगा।
थोड़ी ही देर के रोमांस ने दोनों के बीच गर्माहट को और भी ज्यादा गर्म कर दिया था। प्रताप और शैलेश एक दूसरे के रोमांस में ऐसे खो गए कि कब दोनों न्यूड हुए और कब प्रताप ने शैलेश के साथ हार्डकोर सेक्स दिया इसका पता भी नहीं चला। प्रताप के शरीर का तपन अब शैलेश को जलाये जा रहा था और शैलेश प्रताप के प्यार में था। दिन भर दोनों ने लगभग सात आठ बार सेक्स किया और आखिर में प्रताप ने अपना लंड शैलेश के लंड में घुसा दिया और उसे एक आखिरी बार चोदने लगा। शैलेश ने एक बार भी प्रताप को उसके लंड के अंदर लंड घुसाने से मना नहीं किया और प्रताप के लंड को अपने अंदर समा लिया। थोड़ी देर बार प्रताप के लंड में बहुत तेज़ इरेक्शन हुआ और स्पेर्म्स का हैवी लोड शैलेश के लंड में समा गया। शैलेश का छोटा लंड सिकुड़ गया और शैलेश को आज एक बार फिर से बहुत ही तेज़ जलन का एहसास हुआ और वो रोने लगा। शैलेश को रोते हुए देख प्रताप ने उसे गले से लगा लिया।
प्रताप, “आई एम् सॉरी शालू, एक्साइटमेंट में ये सब हो गया। अगर तुम्हे अच्छा नहीं लगा हो तो मैं आज के बाद कभी भी तुम्हारे लंड में अपना लंड नहीं घुसाउँगा।”
शैलेश, “कोई बात नहीं प्रताप जी! लेकिन … !”
प्रताप, “लेकिन क्या ?”
शैलेश, “वो मैं आपके इस अमृत को बर्बाद होते नहीं देखना चाहती। मैं चाहती हूँ कि आपके इस अमृत को अपने अंदर हमेशा के लिए रख लूँ।”
प्रताप, “लेकिन तुम ऐसा नहीं कर सकती शालू, तुम्हे पता है अगर तुमने ऐसा किया तो तुम्हे इन्फेक्शन हो जायेगा।”
शैलेश, “लेकिन प्रताप जी, काश मैं एक औरत होती तो आज आपके इस अमृत को अपने अंदर रख लेती और प्रेग्नेंट हो जाती।”
प्रताप, “शालू, तुम औरत नहीं हो! अब चलो इस लोड को बाहर निकाल दो।”
शैलेश, “प्रताप जी, अगर मैंने ऐसा किया तो मैं फिर से बेहोश हो जाउंगी।”
प्रताप, “तुम्हारे लिए दूध और मेडिसिन की व्यवस्था मैंने कर दी है।”
शैलेश, “प्रताप जी, आई लव दिस वीकनेस!”
फिर प्रताप ने मुस्कुराते हुए शैलेश को अपनी बाहों में उठा लिया और उसे वाशरूम में ले गया। शैलेश को पता था कि उसे कुछ करने की कोई जरुरत नहीं। प्रताप ने शैलेश को पीछे से होल्ड किया और उसके लंड को अपने हाथों से शेक करने लगा। लगभग दो मिनट्स भी नहीं हुए थे कि शैलेश के लंड से प्रताप के थिक वीर्य के साथ उसका वीर्य भी बाहर निकल गया। थरथराते हुए शैलेश प्रताप की बाहों में बेहोश होकर गिर पड़ा और प्रताप ने उसे अपनी बाहों में उठाकर बिस्तर पर लिटा दिया। थोड़ी देर तक शैलेश बिस्तर पर लम्बी लम्बी सांसें लेता रहा और चाह कर भी अपनी आँखें नहीं खोल पा रहा था। थोड़ी देर बाद प्रताप ने शैलेश को अपनी बाहों में उठाया और उसे दूध और मेडिसिन देकर, उसे अपनी बाहों में लेकर साथ में सो गया। शैलेश को उस शाम बहुत अच्छी नींद आयी, रात के नौ बजे शैलेश की आँख खुली तो खुद को प्रताप की बाहों में पाया। शैलेश ने प्रताप को सोता हुआ देख, उसकी छाती में अपना सर छुपा लिया और रात भर प्रताप की बाहों में सोता रहा। सुबह प्रताप की बाहों में शैलेश की नींद खुली, जो एक ऐसी सुबह जहाँ शैलेश को कोई गम नहीं था, सिर्फ एक ख़ुशी थी। आजादी और सुकून भरी जिंदगी जीने की ख़ुशी थी और शैलेश अपनी लाइफ को आजादी से जीना चाहता था। लेकिन शैलेश में मन में एक दुविधा थी और वो थी कि जब भी प्रताप उसके सामने होता है, वो कमज़ोर पड़ जाता है और प्रताप की बाहों में खो कर, उसे अपना सबकुछ समर्पित कर देना चाहता है। ऐसा क्यों हो रहा था ! ये तो शैलेश को नहीं पता था, लेकिन प्रताप का दिया बॉडी वीकनेस भी उसे अच्छा फील देने लगा था। उस सुबह उठकर फ्रेश होने के बाद शैलेश ने अपनी जीन्स और शर्ट पहनने के लिए वाशरूम से टॉवल लपेट कर बाहर आया तो बिस्तर पर एक डार्क ब्लैक साटन साड़ी, मैचिंग ब्लाउज, हील्स वाले सैंडल्स और कुछ ज्वेलरीज रखी थी।
शैलेश, “प्रताप जी, इन सब की क्या जुरूरत थी ?”
प्रताप, “शालू, अब तुम इस होटल की मैनेजर बनने वाली हो। साड़ी पहनने की आदत डाल लो और जल्दी से तैयार हो जाओ, हम फार्महाउस पर चल रहे हैं।”
शैलेश, “लेकिन प्रताप जी, मैं कैसे तैयार हो जाऊँ, मेरे फेक बूब्स तो मैं बार में ही छोड़ आया।”
प्रताप, “रानी, आज के बाद तुम कभी कुछ भी फेक नहीं पहनोगी। बिना फेक बूब्स के भी तुम बहुत खूबसूरत दिखती हो। चाहे तुम लड़कों जैसे कपडे पहनो या लड़कियों जैसी, तुम लड़की ही दिखती हो।”
शैलेश ने प्रताप की बात सुनकर हामी भरी और ब्रा पहनकर उस बैकलेस ब्लाउज को जैसे ही पहना, वो ब्लाउज शैलेश को एकदम फिटिंग आया। शैलेश का चेस्ट पहले से कुछ ज्यादा ही फुला हुआ था और ब्लाउज पहनने के बाद शैलेश को बहुत अच्छा फील हुआ। शैलेश ने फिर पेटीकोट पहनकर साड़ी पहन लिया और ज्वेलरी पहनने से पहले मेकअप भी किया। प्रताप ने लिपस्टिक पसंद करके शैलेश को दिया, वो डार्क मैरून ग्लॉसी लिपस्टिक थी, जिसे होंठों पर लगाने के बाद शैलेश के चेहरे का लुक ही बदल गया। शैलेश ने आँखों में काजल अप्लाई किया और फिर कानों में झुमके, नाक में नोज पिन, गले में नेकलेस, पैरों में में ढेर सरे कंगना और चूड़ियां। इन सब के बाद जब शैलेश ने खुद को आईने में देखा तो उसे अपनी खूबसूरती पर एक बार फिर से गर्व हुआ और जब प्रताप ने शैलेश को साड़ी में देखा तो वो उसे देखता ही रह गया।
प्रताप, “वाओ, क्या इस पूरी दुनिया में मेरी शालू से खूबसूरत कोई भी हो सकती है ?”
शैलेश, “प्रताप जी, आप भी ना! आप कुछ ज्यादा ही तारीफ़ नहीं करते हैं !”
फिर प्रताप शैलेश को अपने साथ लेकर फार्म हाउस पर जा पंहुचा, जहाँ पहले से अलीशा उन दोनों का इंतज़ार कर रही थी। अलीशा ने भी शैलेश की खूबसूरती की तारीफ की और प्रताप वहां से सीधे होटल आ गया। एक नयी जिंदगी जीने को शैलेश तैयार था और अलीशा इसमें उसकी काफी मदद कर रही थी। अलीशा ने शैलेश को मेडिसिन खाने की टाइमिंग और ब्रैस्ट एनहांसमेंट क्रीम अप्लाई करने का मेथड बताई। थोड़ी देर बाद जिम ट्रेनर आया, जिसका नाम रवि था और वो भी शैलेश की तरह दुबला पतला था, लेकिन उसके बाइसेप्स अच्छे थे। शैलेश को रवि ने चेस्ट तो ब्रैस्ट ट्रांसफॉर्मेशन के लिए और बॉडी स्लिम रखने के एक्सरसाइजेज बताई और उसे ये भी बताया कि वो हर रोज़ उसे सुबह ५ से सुबह ७ तक एक्सरसाइज करवाने आ जाया करेगा। अलीशा ने शैलेश को मेड से मिलवाया जो वहीँ रहती थी और उसका नाम बिंदु था। बिंदु ने भी शैलेश की खूबसूरती की तारीफ की और शैलेश ने उसे भी थैंक्स कहा। शैलेश को अलीशा ने उसका कमरा दिखाया, जो काफी बड़ा और वहां की दीवारें पिंक कलर से रंगी हुई थी, जो बेहद खूबसूरत दिख रही थी। शैलेश ने वार्डरॉब में अपने कपडे रखे और उसी के लॉकर में अपने सभी गहने। सैंडल्स रखने की अलग से व्यवस्था थी और साथ में आईने की क्वालिटी काफी अच्छी थी। शैलेश खुद को साफ़ साफ़ उस आईने में अपने स्त्री रूप में देख पा रहा था। शैलेश ने नीचे का ड्रोल खोलकर देखा तो उसमे मेकअप का सामान और साथ ही डिलडो भी रखे थे। इससे पहले कि कोई और उस ड्रोल में देखता, शैलेश ने उसे तुरंत बंद कर दिया। एक पल के लिए शैलेश की धड़कनें बढ़ गयीं थी, वो धीरे धीरे स्त्रीत्व जीवन की और बढ़ रहा था और साथ ही हर एक पल को एन्जॉय भी कर रहा था। लेकिन शैलेश को इसका आभास भी नहीं था कि स्त्रीत्व जीवन आसान नहीं होता। शैलेश ने वार्डरॉब को लॉक किया और अलीशा के साथ बिस्तर पर बैठ गया जो काफी सॉफ्ट था और बैठते ही आवाज़ करने लगा। अलीशा शैलेश की तरफ देखकर जोर से हंसी और शैलेश ने आँखें दिखा कर उसे चुप हो जाने को कहा। लेकिन शैलेश को भी पता था कि अलीशा क्यों हंसी थी ! लेकिन वो अलीशा को कुछ भी नहीं बोल सका। शाम हो चुकी थी, अलीशा के साथ रवि भी वहां से चला गया। मेड ने शैलेश से उसकी पसंद का खाना बताने को कहा तो उसने कहा कि वो प्रताप से पूछ कर बताएगा। शैलेश ने प्रताप को कॉल किया और उससे पूछा कि वो क्या खायेगा रात में। शैलेश का ऐसे पूछने पर प्रताप हसने लगा फिर शैलेश को समझाया कि उसे जो भी खाने का मन हो वो मेड को बता दे, मेड पका देगी। शैलेश ने मेड से अपने लिए तंदूरी चिकन, हरी चटनी और रोटी बनवायी। रात को मेड के साथ ही शैलेश ने डिनर किया और डिनर के बाद वो सोने चला गया। शैलेश ने ऐसी का फ्लो बढ़ाया और चादर ओढ़कर सो गया। शैलेश को यकीन था कि प्रताप रात को बिस्तर में उसके साथ ही सोयेगा लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। शैलेश रात भर करवटें बदलता रहा, लेकिन कमरे में प्रताप नहीं आया। किसी तरह रात कटी, सुबह के 4 बजे अलार्म बजा और शैलेश की नींद खुल गयी। 6 बजे जिम ट्रेनर आने वाला था तो शैलेश जल्दी से फ्रेश हुआ और एक्सरसाइज से पहले अलीशा के बताने के अनुसार ऑइंटमेंट से अपने चेस्ट पर आधे घंटे तक मसाज किया और फिर ट्रैक सूट पहनकर तैयार हो गया। शैलेश ने प्रताप को कॉल किया और उससे नहीं आने का कारण पूछा। प्रताप ने बताया कि अब वो शैलेश से अगले तीन महीनो के बाद ही मिलेगा, शैलेश के होटल जोइनिंग के दिन। सुबह के 6 बजते ही रवि आ गया और शैलेश की फिटनेस ट्रेनिंग शुरू हुई। फिटनेस ट्रेनिंग के समय रवि भी शैलेश के साथ एक्सरसाइज करने लगा और आफ्टर एक्सरसाइज शैलेश को बहुत थकावट हुई। म्यूजिक बॉक्स पर रवि ने तीन चार गाने बजाये और शैलेश के साथ हर गाने पर डांस किया। रवि और शैलेश दोनों को थकान हो चूका था। सुबह के आठ बजे अलीशा भी वहां आ गयी। एक्सरसाइज और डांस के बाद शैलेश अलीशा के साथ बैठकर बातें करने लगा।
शैलेश, “अलीशा, ये रवि मुझे कुछ ठीक नहीं लगता !”
अलीशा, “क्यों, रवि तो नार्मल है तुम्हारी तरह !”
शैलेश, “मेरी तरह ?”
अलीशा, “हाँ शालू, रवि को बार में तुम्हारी जगह रखा है बलवंत सर ने। रवि एक क्रॉसड्रेस्सेर होने के साथ ही गे भी है। रवि को मर्दों के साथ रात बिताने में कोई प्रॉब्लम नहीं है। आज रवि का बार में पहला दिन है, जितने भी ग्राहकों ने तुम्हारे साथ रात बिताने को बुकिंग की थी, वे सब अब रवि के साथ रात बिताएंगे।”
शैलेश, “आई कैंट बिलीव इट अलीशा, रवि का फिगर देखकर तो बिलकुल भी नहीं लगता कि ये बार में शीमेल बनकर लाइफ स्पेंड करने वाला है।”
अलीशा, “तुम्हारी जगह तो किसी न किसी को लेनी ही थी। आज से रवि रवीना बनकर बार में एक शीमेल की लाइफ भी बिताएगा। मैं कल तुम्हे रवि की वीडियो और फोटोज़ दिखाउंगी।”
शैलेश, “अलीशा ! प्रताप जी ने तो बुकिंग नहीं की है ना अभी तक ?”
अलीशा, “शालू रानी ! तुम इतनी भी पर्सनल मत हो प्रताप जी के। अगर उनका मन होगा तो वो रवीना को जरूर चोदेंगे।”
शैलेश, “हम्म!”
अलीशा ने शैलेश को समझाया कि उदास होने की जरुरत नहीं है क्यूंकि अभी तक प्रताप ने बुकिंग नहीं करवाई है और ये भी पहली बार हुआ है; नहीं तो बार में आने वाली हर लड़की को सबसे पहले प्रताप के पास सोना होता है। अलीशा की बात सुनकर शैलेश मुस्कुराया और फिर स्नान करने वाशरूम में चला गया। वाशरूम में जाकर शैलेश ने एक बार फिर से अपने चेस्ट पर ऑइंटमेंट से मसाज किया और आधे घंटे तक हॉट बाथ लेने के बाद कमरे में आ गया। तब तक अलीशा और रवि जा चुके थे और मेड ने ब्रेकफास्ट का इंतेज़ाम कर दिया था। अलीशा के वहां से जाने के बाद शैलेश ने ब्रेकफास्ट किया और दो घंटे रेस्ट। दो घंटे बाद जब शैलेश की नींद खुली तो उसने लंच के साथ अपनी मेडिसिन्स खाई। मेडिसिन्स खाने के तुरंत बाद शैलेश को नींद आ गयी और वो फिर से सो गया। शाम को जब शैलेश की नींद खुली तो अलीशा ने जो ऑइंटमेंट दिया था, उससे उसने फिर से अपने चेस्ट पर मसाज किया और थोड़ा वर्कआउट भी। शैलेश ने टीवी खोल कर देखा तो उसपर रोमांटिक सीन्स थे, शैलेश ने चैनल चेंज किया तो ऍफ़ टीवी चैनल आ गया जहाँ मॉडल्स रैंप वल्क करती नज़र आ रही थी। शैलेश ने ज़ी टीवी लगाया और डेली शॉप्स वाले प्रोग्राम्स आ रहे था। थोड़ी देर टीवी देखने के बाद शैलेश ने मेड से बोलकर स्नैक्स बनवाया और उसे अपने साथ बिठाकर खाया। रात को सोने से पहले एक बार फिर शैलेश ने अपने चेस्ट पर ऑइंटमेंट लगा कर मसाज किया और फिर डिनर करके सो गया। अगली सुबह चार बजे फिर से अलार्म बजा और शैलेश जाग गया। फ्रेश होने के बाद शैलेश ने एक बार फिर से ऑइंटमेंट से अपने चेस्ट पर मसाज किया और सुबह के छह बजे रवि ट्रेनिंग के लिए आ गया। सुबह छह से आठ की ट्रेनिंग के बाद रवि के साथ बैठकर शैलेश उसके बारे में पूछने लगा। थोड़ी देर में अलीशा भी आ गयी और उसने दोनों को ज्वाइन किया। अलीशा ने रवि की तस्वीर और डांस का वीडियो शैलेश को दिखाया। शैलेश को रवि की वीडियोस और फोटोज़ देखकर यकीन नहीं हुआ, लहंगा चोली में रवि सच में बहुत खूबसूरत दिख रहा था। फिर अलीशा ने एक बार खुद से शैलेश के चेस्ट पर ऑइंटमेंट अप्लाई किया और रवि के साथ वहां से चली गयी। अब शैलेश के लिए ये सब डेली के रूटीन जैसा हो गया था और अलीशा और रवि भी की ट्रेनिंग और मसाज के लिए टाइमली आ जाते। एक महीना गुज़र गया था, शैलेश को अपने शरीर में होने वाले परिवर्तन का आभास होने लगा था और उसके चेस्ट का साइज अब नार्मल लड़कियों की तरह ३० डी हो गया था। शैलेश के चेस्ट में अब सेंसेशन भी होने लगा था, खुद का छूना भी उसे अंदर से हिलाकर रख देता। औरत होने की बिलकुल नई फीलिंग्स शैलेश को बहुत ही ख़ुशी दे रहा था। समय बीतने लगा, दो महीनो के बाद शैलेश का ब्रैस्ट साइज ३२ ऍफ़ हो गया था और अब उसका चेस्ट ब्रैस्ट में तब्दील हो चूका था। शैलेश के शरीर में होने वाली चेंज और मूड स्विंग्स उसके समझ से परे था। शैलेश की सोच जैसी नहीं रह गयी थी, अब हर छोटी छोटी बात पर आंसू आ जाना, बात बात पर इमोशनल हो जाना, ये सब शैलेश की मूड स्विंग्स का हिस्सा बन गया था। शैलेश का शरीर पहले से गोरा, शरीर पर बालों का नहीं आना और यहाँ तक कि दाढ़ी मुछें भी आनी बंद हो गयी थी। शैलेश की कमर पहले से पतली, हिप्स राउंड और लंड तो बिलकुल छोटा सा रह गया था। शैलेश अब चाहे जितनी भी कोशिश कर ले, उसके लंड में इरेक्शन नहीं आता। इस बात से शैलेश थोड़ा थोड़ा परेशां रहने लगा था, लेकिन वो दुनिया के सामने जाने के लिए अब तैयार था। ये तीसरा और आखिरी महीना चल रहा था और शैलेश के शरीर में होने वाली बदलाव कम हो गयी थी, उसके शरीर की सॉफ्टनेस मखमल की तरह हो चुकी थी, ब्रैस्ट में टाइटनेस आ गया था, आवाज़ में मीठापन और बाल घने और लम्बे पीठ तक हो गए था। इधर रवि के शरीर में भी काफी बदलाव आ गया था। बार ज्वाइन करने के दो महीने के अंदर उसका शरीर भी लड़कियों की तरह होता जा रहा था। वाइड हिप्स, ३२बी साइज ब्रैस्ट, लम्बे बाल और मूड स्विंग्स को रवि भी ठीक वैसे ही महसूस कर पा रहा था जैसे शैलेश कर रहा था। जिम और डांस वर्कआउट के समय भी शैलेश और रवि के नेचुरल ब्रैस्ट अप एंड डाउन होते तो उन्हें भी अपने ब्रैस्ट के वजन का एह्सास होता। ये सब रवि और शैलेश के लिए बिलकुल ही नया फीलिंग था लेकिन अलीशा के लिए ये सब एक हिस्ट्री के पन्ने पलटने से ज्यादा कुछ भी नहीं था। एक समय था जब अली भी ऐसे दौर से गुज़रा था और जो आज अलीशा बनकर अपनी जिंदगी बिता रही थी। रवि के शारीरिक बदलाव से शैलेश को कोई लेना देना नहीं था लेकिन वो हर रोज़ अलीशा से प्रताप के बारे में एंक्वाइरी करता रहता और अलीशा उसे एक ही बात कहती कि पिछले दो महीनो से, प्रताप ने ना तो किसी लड़की छुआ और ना ही रवि या किसी और शीमेल को अपने पास बुलाया। आखिरी महीने के ख़त्म होने से पहले शैलेश ने अलीशा से ईस्टर्न, नॉर्थेर्न, साउथर्न और वेस्टर्न ड्रेसेस के साथ साड़ी, बैकलेस ब्लाउज, नाईटी, हील्स में एक्सोटिक स्टाइल में चलना सीख लिया था। तीसरे महीने के आखिरी दिन शैलेश खुद से ब्लैक साटन साड़ी में तैयार होकर प्रताप के होटल पर जा पंहुचा और वहां प्रताप बेसब्री से शैलेश का इंतज़ार कर रहा था। जब शैलेश होटल में पंहुचा तब रिसेप्शन पर ही प्रताप ने उसे ग्रीटिंग्स के साथ फूलों का गुलदस्ता दिया, जिसे पाकर शैलेश काफी इमोशनल हो गया। प्रताप शैलेश को ऑफिस में ले गया, मैनेजर की कुर्सी पर बिठाया।
प्रताप, “कैसा लग रहा है मेरी रानी?”
शैलेश, “ये सब एक खूबसूरत सपने जैसा है प्रताप जी!”
प्रताप, “हम्म! तो आज से तुम यहाँ की मैनेजर हो शालू, लेकिन तुम्हारे लिए मैंने एक नया नाम सोचा है!”
शैलेश, “नया नाम? मेरे लिए? प्रताप जी नाम बदलने की क्या जरुरत है?”
प्रताप, “हम्म! आज से तुम्हारा नया नाम शैलजा है। यहाँ के सभी स्टफ्फ्स तुम्हे आज के बाद मिस शैलजा के नाम से ही जानेंगे। क्यूंकि अब तुम ना ही शालू हो और ना ही शैलेश।”
शैलेश, “अच्छा नाम है प्रताप जी, मुझे कोई इशू नहीं है।”
प्रताप, “हम्म, तो मैनेजर साहिबा, काम कब से शुरू करोगी आप?”
शैलेश, “प्रताप जी, आप मुझे तुम ही बोला करो। मैं आज जो कुछ भी हूँ, आपकी वजह से हूँ और मैं बहुत खुश हूँ। आप मुझे काम समझा दीजिये, मैं आज से ही होटल का काम संभाल लुंगी।”
प्रताप, “हम्म! शैलजा, आज तुम रेस्ट कर लो, कल से काम संभाल लेना और आज से इस होटल में सभी तुम्हे शैलजा मैडम ही कहेंगे, शैलेश का अस्तित्व अब ख़त्म हो चूका है।”
शैलेश, “मैं भी यही चाहती हूँ प्रताप जी।”
शैलजा की बात सुनकर प्रताप बहुत खुश हुआ और उसे अपने साथ स्टैर्स से होते हुए होटल के सभी कमरे और स्वीट का डिटेल्स बताया। किस कमरे में क्या क्या फैसिलिटी है और इसके अलावे डांस फ्लोर, मेडिकल रूम, किचन, जिम फैसिलिटी, क्लब हाउस और शादी समारोह के लिए स्पेशल हॉल दिखाया और उसके बारे में भी बताया। होटल में लगभग ६० एम्प्लाइज काम पर थे, गार्ड्स और रिसेप्शनिस्ट के अलावे। उन सभी की सैलरी मैनेजर के साइन के बिना अप्प्रोव नहीं होता। शैलजा को मैनेजर के पद पर रहते एम्प्लाइज और क्लाइंट्स दोनों का ख्याल रखना, रोस्टर्स तैयार करना और सभी के साथ टाइम टू टाइम मीटिंग करना ये सब शैलजा को अकेले ही करना था। काम की डिटेल्स जानने के बाद, प्रताप शैलजा को होटल के उसी स्वीट में ले गया जो उसने शैलजा के नाम कर दिया था।
शैलजा ने अपने अस्तित्व को अपना लिया था, शैलेश को अपने पास्ट का हिस्सा मानकर शैलजा ने एक नयी जिंदगी शुरू की, एक मैनेजर के रूप में फाइव स्टार होटल का बागडोर संभालने के लिए तैयार थी और प्रताप हर कदम पर शैलजा का साथ देने को तैयार था। शैलजा की लाइफ में शैलेश और उससे जुड़े पास्ट के लिए अब कोई जगह नहीं थी और प्रताप के साथ स्वीट में कदम रखते ही शैलजा ने प्रताप को कस कर हग किया। तीन महीनो के बाद शैलजा और प्रताप मिले थे और दोनों एक दूसरे में खो जाने को तैयार थे। शैलजा बनने के बाद शैलेश और प्रताप के बीच की दुरी नज़दीकियों में बदल गयी थी। उस रात जब प्रताप ने शैलजा के बूब्स पर अपना हाथ रखा तब उसके बूब्स टाइट हो गए और उसके अंदर की सेंसेशन बढ़ गयी, सांसें तेज़ होने के साथ उत्तेजना बढ़ गयी। प्रताप ने देर किये शैलजा के बूब्स के निप्पल्स को अपने मुँह में लिया और उसे चूसने लगा। शैलजा लाइफ में पहली बार ऐसी उत्तेजना को महसूस कर रही थी, जो उसने लाइफ भी नहीं किया। एक पल में रोने के लिए तैयार शैलजा दूसरे पल में मुस्कुराने लगती, आँहें भरने लगती। प्रताप उसके बूब्स को ऐसे चूस रहा था मानो उसमे से दूध निकल आएगा और आखिर में शैलजा के बूब्स से अचानक दूध के ड्रॉप्स बाहर निकल आये जिसे प्रताप तो पी गया, लेकिन शैलजा को इस तरह उसके बूब्स से दूध का आना समझ नहीं आया। प्रताप उत्तेजना के ऐसे पहाड़ पर चढ़ गया था, जिसपर से वो बिलकुल भी नहीं उतरना चाहता था। थोड़ी ही देर में प्रताप और शैलजा दोनों ही न्यूड थे और दोनों के बीच का रोमांस भी अपने चरम पर था। प्रताप ने देर नहीं किया और शैलजा को घोड़ी बनाकर उसके साथ सम्भोग करने लगा।
इट्स बीन ३ मंथ्स, शैलजा प्रताप के लंड को बहुत मिस कर रही थी और जैसे ही प्रताप का लंड शैलजा की गांड में घुसा, शैलजा मीठे दर्द से तड़प उठी। अब शैलजा की लगाम प्रताप के हाथों में था और प्रताप शैलजा को लगातार चोदे जा रहा था। शैलजा दर्द और एन्जॉयमेंट को एक साथ फील कर रही लग रहा था, कि प्रताप आज की रात उसे प्रेग्नेंट कर देगा। प्रताप ने रात भर शैलजा के साथ आठ राउंड सेक्स किया, कामसूत्र के विभिन्न पोज़ ट्राय किया और लेकिन शैलजा चाहती थी कि प्रताप उसके साथ डिक डॉकिंग सेशन भी दे, लेकिन प्रताप ने ऐसा कुछ भी नहीं किया। शैलजा ने प्रताप से कुछ भी नहीं कहा और प्रताप ने उसको रात भर अपनी बाहों में रखा। शैलजा बनने के बाद पहली बार वो प्रताप की बाहों में रात भर सुकून से सोई। अगली सुबह जब शैलजा नींद से जागी, तब प्रताप कमरे में नहीं था। शैलजा वाशरूम में गयी, उसने अपने आप को आईने में देखा, प्रताप के दिए लव बाइट्स के निशाल उसके बूब्स, गले, कंधे और गालों पर भी थे। शैलजा बनने के बाद शरीर इतना नाज़ुक और स्किन में इतना सॉफ्टनेस होना, ये सब शैलजा को शर्मिंदा कर रही थी। शैलजा फ्रेश होकर तैयार हुई और उसने क्रीम कलर की साटन साड़ी पहना, मेकअप किया, ज्वेलरी पहनकर तैयार हुई और हील्स वाले सैंडल्स पहनकर प्रताप को कॉल किया। थोड़ी देर में प्रताप कमरे में आया और साथ ही सुबह का लंच भी। दोनों ने एक साथ लंच किया और फिर शैलजा ने अपना मैनेजर का पदभार संभाला।
शैलजा ने होटल में मैनेजर का पद संभालते ही काफी बदलाव किये। प्रताप की तरफ से उसे होटल में किसी भी तरह के बदलाव को अप्प्रूव करने की पूरी आज़ादी मिली थी। कुछ ही दिनों में होटल का पूरा नक्शा ही बदल गया, होटल स्टाफ, रिसेप्शनिस्ट, बैरा सभी के ड्रेस कोड्स को चेंज कर दिया गया था और साथ ही कैटरिंग सर्विसेज में भी काफी बदलाव किये गए थे, जिनमे मैक्सिकन डिशेस को ऐड किया गया। शैलजा ने सभी रिसेप्शनिस्ट के लिए एक खास तरह के नोज रिंग्स मंगवाए जिसमे एक ट्रांसमीटर लगा रहता। इससे होटल में होने वाली आधी से ज्यादा गतिविधियों पर शैलजा और प्रताप की खास नज़र रहती। शैलजा के टेक्निकल स्किल्स से प्रताप वाक़िफ़ नहीं था लेकिन शैलजा के किये बदलाव काफी असरदार साबित हो रहे थे। शैलजा के टाटा मोटर्स के कॉन्टेक्ट्स जो काफी वीआईपी लोग थे। शैलजा को पता था कि किसकी मेंटालिटी कैसी थी और उसने सभी को धीरे धीरे अपने होटल की रेगुलर क्लाइंट्स के रूप में शामिल कर लिया। प्रताप के होटल की आमदनी पहले की अपेक्षा चार गुनी हो चुकी थी और शैलजा के प्रति प्रताप में मन में अब इमोशंस जाग गए थे। अब प्रताप ने शैलजा को अपनी पत्नी बनाने के बारे में सोचने लगा था, लेकिन शैलजा से कह नहीं पा रहा था। कभी कभी अलीशा रवि को रवीना बनाकर होटल लेकर आती। रवीना के साथ बहुत से क्लाइंट्स सोते, उसके साथ रात भर सेक्स करते लेकिन रवि को देखकर बिलकुल भी ऐसा नहीं लगता कि उसे इन सब से कोई दुःख है। बल्कि रवि तो बहुत खुश रहता, सजना संवारना उसे काफी अच्छा लगता और मर्दों को औरतों की तरह देखता। अलीशा भी रवि के बारे में बताती कि बलवंत रवि को पाकर बहुत खुश है और वो बहुत जल्द रवि को बैंकाक भेजने वाला है जहाँ रवि सेक्स चेंज सर्जरी के बाद हमेशा के लिए लड़की बन जायेगा और इस बात से रवि भी बहुत खुश है।
शैलजा को अलीशा की बातों पर यकीन नहीं था, लेकिन रवि की ख़ुशी देखकर शैलजा को अलीशा की कही बातों पर भरोसा होने लगा था। शैलजा ने एक दिन सुबह रवि से बात करने उसके बुक कमरे में गयी तो वहां रवि लहंगा पहने सो रहा था।
शैलजा, “गुड मॉर्निंग रवि!”
रवि, “गुड मॉर्निंग शैलजा, कब आयी तुम?”
शैलजा, “बस अभी आयी, कैसी हो तुम?”
रवि, “फर्स्ट क्लास, तुम कैसी हो मैनेजर साहिबा!”
शैलजा, “मैं भी अच्छी हूँ। तुम्हारे साथ तीन महीने रही लेकिन तुम्हारे बारे में कुछ भी नहीं जानती मैं! अपने बारे में बताओ कुछ!”
रवि, “शैलजा, आई होप अलीशा ने तुम्हे मेरे बारे में कुछ तो बताया होगा।”
शैलजा, “अलीशा मेरी अच्छी दोस्त है रवि, लेकिन तुम्हारे बारे में हम दोनों के बीच कुछ ज्यादा बातें नहीं हुई।”
रवि, “हम्म! वैसे अलीशा ने तुम्हारे और प्रताप जी की लव स्टोरी सुनाई। आई होप तुम दोनों जल्द ही शादी कर लो!”
शैलजा, “नहीं रवि, ऐसा कुछ भी नहीं है हम दोनों के बीच!”
रवि, “तुम्हारे लाल गाल के ब्लश बता रहे हैं कि तुम दोनों के बीच क्या है ! खैर, मैं क्या बताऊं अपने बारे में, पूछो!”
शैलजा, “जो भी तुम्हारा मन हो !”
रवि, “हम्म! शैलजा, तुम एक अच्छी औरत हो इसीलिए मैं तुम्हे अपने राज़ की बात बता रहा हूँ, लेकिन ये राज़ की बात सिर्फ तुम्हारे और मेरे बीच रहना चाहिए।”
शैलजा, “ऐज़ यु विश रवि!”
रवि, “मैं बचपन से ऐसा नहीं था। स्कूल टाइम में भी कभी लड़की बनने का ख्याल मन ने नहीं आया, लेकिन कॉलेज टाइम में मैंने स्टेज पर एक हाउसवाइफ बनकर परफॉर्म किया। तब से मुझे क्रॉसड्रेसिंग की आदत हो गयी। मेरी गर्लफ्रेंड ऋचा भी मुझे अक्सर लड़की बनाकर अपने साथ रहने को रोक लेती। हम दोनों के बीच सेक्स होता लेकिन उसे लेस्बियन सेक्स से कम्पयेर कर सकती हो, क्यूंकि हम दोनों लड़कियों की तरह ही सेक्स करते। सबकुछ अच्छा चल रहा था कि एक दिन मेरी गर्लफ्रेंड अपने साथ कमरे पर अपने नए बॉयफ्रेंड सूरज को लेकर आयी, जिसने मेरे साथ जबरदस्ती की और मेरे साथ सेक्स किया, मेरी गर्लफ्रेंड ने उसका साथ दिया। लाइफ में पहली बार एक मर्द का लंड और उसके स्पेर्म्स को अपने मुँह में लेने के बाद मुझे मेरी लाइफ से घिन हो गयी। मेरी गर्लफ्रेंड ने अपने नए बॉयफ्रेंड के साथ शादी कर ली और मेरा दिल बहुत ही बुरी तरह टूट। मैं बहुत रोया लेकिन मुझे चुप कराने वाला कोई नहीं था। मैं फैसला किया कि मैं मेरी गर्लफ्रेंड की लाइफ हेल बना दूंगा और उसके लिए आज मैं बलवंत सर के बार को ज्वाइन किया। मुझे इग्यारह महीनो में लड़की बनाने के बाद अगले इग्यारह महीने विआईपी क्लाइंट्स के सामने पड़ोसा जायेगा और मुझे पता है कि मेरी गर्लफ्रेंड का देवर विजय भी मेरे साथ सेक्स करने जरूर आएगा। मैं उसे अच्छे से जनता हूँ, मैं उसे अपने प्यार के जाल में आसानी से फसा लूंगा और फिर होगी मेरी गर्लफ्रेंड की तबाही।”
शैलजा, “रवि, तुम्हारी गर्लफ्रेंड ने तुम्हे धोखा दिया है। मेरी बात मानो, तुम मूव ऑन करो और अपनी लाइफ इन सब में बर्बाद मत करो।”
रवि, “मेरी लाइफ तो बर्बाद है शैलजा, तभी तो मुझे अब कोई दुःख नहीं। सिर्फ ख़ुशी है कि मैं अपना बदला ले सकूंगा।”
शैलजा, “,रवि, अगर तुम्हारी गर्लफ्रेंड का देवर तुम्हारे लिए कभी नहीं आया तो? फिर क्या करोगे?”
रवि, “वो एक नंबर का अय्याश आदमी है, सूरज की कमाई पर उसकी जिंदगी चल रही है। बलवंत सर के बियर बार का वो रेगुलर ग्राहक है, वो जरूर आएगा।”
शैलजा, “इट्स योर लाइफ रवि, मेक श्योर !”
रवि, “शैलजा, मेरे साथ तुम भी आज आधी औरत बनी हो। लेकिन तुम्हारी लाइफ में प्रताप जी हैं, जो तुम्हारा ख्याल रखते हैं। मेरी लाइफ में कोई भी नहीं है, मुझे कोई फरक नहीं पड़ता शैलजा!”
शैलजा और रवि ने थोड़ी देर आपस में बातें की और उसके बाद शैलजा अपनी ड्यूटी पर चली गयी। दो महीने बीत गए, प्रताप ने एक नए होटल का फाउंडेशन मनाली रखने के लिए शैलजा को प्रपोजल दिया। मनाली में नए होटल का फाउंडेशन रखने की बात सुनकर शैलजा बहुत खुश हुई और उसने अच्छे मुहूर्त देखकर फाउंडेशन का डेट फिक्स किया। फाउंडेशन के लिए जाने से पहले प्रताप चाहता था कि शैलजा एक ट्रेडिशनल लड़की की तरह सज धज कर मनाली जाये और शैलजा ने प्रताप की बात नहीं टाली। अक्टूबर के महीने के दस तारीख को नए होटल का फाउंडेशन रखने का कार्यक्रम रखा गया और प्रताप ने अलीशा को शैलजा को सजाने के लिए दो दिन पहले ही होटल में बुला लिया। होटल आते ही अलीशा ने शैलजा के हाथों में कोहनी तक और पैरों में घुटनों तक बहुत ही खूबसूरती से डिज़ाइनर मेहँदी लगायी। अगले दिन सुबह अलीशा ने सरसो तेल देकर शैलजा से अपने मेहँदी को साफ़ कर लेने को कहा। जब शैलजा ने अपने हाथों और पैरों की मेहँदी साफ़ की, तब अलीशा ने शैलजा को छेड़ते हुए कहा कि मेहँदी बहुत ही डार्क रची है और इसका मतलब है कि उसका पति उसे बहुत प्यार करेगा। शैलजा ने कुछ भी नहीं कहा और सिर्फ मुस्कुरा कर अलीशा को देखा और आँखें झुका ली। मेहँदी के बाद शैलजा वाशरूम में गयी और नहा कर जब शैलजा कमरे में आयी तब वहां प्रताप भी था। हाथों और पैरों में मेहँदी और नंगी बदन पर सफ़ेद तौलिया देखकर प्रताप बहुत खुश हो गया और शैलजा शरमाने लगी।
शैलजा को असहज देखकर प्रताप वहां से तुरंत चला गया।
अलीशा, “प्रताप जी के सामने तुम्हे क्या हो जाता है शैलजा। अभी तुम दोनों की शादी नहीं हुई है लेकिन तुम बिलकुल एक पत्नी की तरह प्रताप जी सामने शाय हो जाती हो।”
शैलजा, “आई डोंट नो अलीशा! लेकिन प्रताप जी के सामने ऐसे शरम आने लगता है, मैं क्या करूँ?”
अलीशा, “हाहाहा, तुम क्या कर सकती हो, बाई द वे तुम शरमाते हुए और भी खूबसूरत दिखती हो शैलजा!”
शैलजा, “ऐसा कुछ भी नहीं है अलीशा!”
अलीशा, “हाहाहा, तुम इसधर आओ, आईने के सामने बैठो। मैं तुम्हे तैयार कर दूँ, जैसे प्रताप जी तैयार करने को कहा है!”
शैलजा, “हम्म!”
थोड़ी देर में शैलजा डार्क ब्राउन कांचीवरम साड़ी, मैचिंग पेटीकोट, बैकलेस चोली, दोनों कानों में दो बड़े बड़े झुमके, हाथों में सोने की कंगन सेट के साथ ढेर सारे लाल सफ़ेद लाख के कंगन भी, गले में नौलखा हार, नाक में सोने का लौंग जिसमे हीरा जड़ा हुआ था, पैरों में हैवी चांदी की पायल और माथे पर एक छोटी सी लाल बिंदी दोनों भौहों के बीच चिपका कर तैयार थी। अलीशा ने शैलजा को तीन चार सैंडल्स दिखाया, लेकिन शैलजा को गोल्डन सैंडल्स जो चार इंच हील्स वाला था, पसंद आया। हील्स पहनने के साथ ही अलीशा ने शैलजा का मेकअप किया और वो अब तैयार थी और अलीशा ने उसके साड़ी की पल्लू से घूँघट बना दिया और वही बैठने को कहा। थोड़ी देर में प्रताप भी वहां आ गया और शैलजा की खूबसूरती का एक बार फिर से कायल हो गया। प्रताप शैलजा को अपने साथ अपनी बीएमडब्लू में बिठाकर मनाली के लिए निकल पड़ा। ड्राइवर कार ड्राइव कर रहा था और शैलजा एक बार फिर से प्रताप की बाहों में थी। मनाली जाने में काफी टाइम लगने वाला था और प्रताप के पास शैलजा से बात करने के लिए काफी वक़्त था।
प्रताप, “शैलजा, आर यु एक्साइटेड फॉर आवर न्यू होटल ! तुम्हे क्या लगता है, मनाली में होटल खोलने का फैसला सही है या गलत!”
शैलजा, “प्रताप जी, मनाली में होटल खोलना आपका ड्रीम प्रोजेक्ट है। आप फिर ऐसा क्यों सोच रहे हैं, मनाली में आपके होटल की बराबरी करने वाला कोई दूसरा होटल नहीं होगा।”
प्रताप, “शैलजा, मैं सोच रहा था कि अपने छोटे भाई ध्रुव को यहाँ का इंचार्ज बना दूँ लेकिन उसको गाइड करने की पूरी जिम्मेदारी तुम्हारी होगी, तुम्हे कोई ऐतराज़ तो नहीं है?”
शैलजा, “नहीं प्रताप जी, मुझे कोई ऐतराज़ क्यों होगा भला! जहाँ आपकी ख़ुशी होगी, वहीँ मैं भी खुश होउंगी!”
प्रताप, “शैलजा, आज भी मैं बलवंत का शुक्रगुज़ार हूँ जिसकी वजह से तुम मेरी जिंदगी में आयी।”
शैलजा, “प्रताप जी, और आज मैं आपकी शुक्रगुज़ार हूँ, जिनकी वजह से आज मैं एक आजाद, सेल्फ डिपेंडेंट और हैप्पी लाइफ जी रही हूँ।”
प्रताप, “नहीं शैलजा, आज तुम मेरी वजह से नहीं बल्कि अपनी काबिलियत के बदौलत इस मुकाम पर हो।”
शैलजा, “प्रताप जी, वैसे आपने कभी अपने भाई के बारे में बताया नहीं !”
प्रताप, “हम्म! ध्रुव अपनी पढ़ाई ख़त्म करके कुछ महीने पहले ही इंडिया रिटर्न हुआ है। मैनेजमेंट की पढ़ाई की है उसने और मैं चाहता हूँ कि वो भी मेरी तरह सेल्फ डिपेंडेंट हो!”
शैलजा, “ये तो बहुत अच्छा सोचा है अपने ,आपके भाई को मैं अच्छे से गाइड करुँगी!”
प्रताप, “विल यु मैरी मि शैलजा!”
शैलजा, “प्रताप जी, अचानक ये क्या बोल रहे हैं आप?”
प्रताप, “आई एम् सीरियस शैलजा, आई लव यु स्वीटी!”
शैलजा, “प्रताप जी, आप जानते हैं मैं आपसे शादी नहीं कर सकती। मैं औरत नहीं हूँ प्रताप जी, मेरे साथ शादी करके आपको कुछ नहीं मिलेगा। न ही मुझसे आपको बच्चे का सुख मिल सकेगा और ना ही एक पत्नी का। वैसे भी, आप एक मर्द हैं प्रताप जी और मैं एक शीमेल, लेकिन मेरा मन आज भी एक मर्द का है। और मैं आपसे तो क्या किसी भी मर्द से शादी नहीं करना चाहती! अगर मैंने आपसे शादी कर भी ली तो समाज तो यही कहेगा ना कि मैंने पैसों के लालच में आपसे शादी की।”
प्रताप, “शैलजा, हम दोनों के बीच एक रिश्ता बन गया है। और मैं इस रिश्ते को एक नाम देना चाहता हूँ। समाज में ऐसा कोई नहीं कहेगा, मैं उसका मुँह तोड़ दूंगा शैलजा, मुझे कि मेरी रानी को मेरे पैसों का कोई लालच नहीं। और एक बात शैलजा, मुझे तुम पसंद हो, जैसी भी हो, बहुत खूबसूरत हो तुम। मुझे यकीन है, तुमसे मुझे वो सब सुख मिलेगा जो एक पति अपनी पत्नी से एक्सपेक्ट करता है।”
शैलजा, “नहीं प्रताप जी, आप समझ नहीं रहे हैं। मैं आलरेडी शादीशुदा हूँ, मेरी पत्नी ने आज तक मुझे तलाक नहीं दिया है और मेरे घरवाले भी नहीं जानते कि आज मैं एक शीमेल बनकर होटल में नौकरी कर रही हूँ। प्रताप जी, मुझे माफ़ कर दीजिये, आपकी ख़ुशी के लिए मैं कुछ भी करने को तैयार हूँ लेकिन आपसे शादी नहीं कर सकती।”
प्रताप, “शैलजा, तुम्हारे घरवालों से मैं बात कर लूंगा, उन्हें पूरी बात समझाऊंगा और उनसे तुमसे शादी करने की बात भी करूँगा। अगर तुम्हारे घरवाले मेरी और तुम्हारी शादी के लिए मान गए, फिर तो तुम्हे कोई ऐतराज़ नहीं होगा ना!”
शैलजा, “प्रताप जी, प्लीज ऐसा कुछ मत कीजिये ! मेरे घरवालों को मेरे बारे में कुछ भी नहीं पता। उन्हें बहुत दुःख होगा ये जानकार कि उनका बेटा एक शीमेल बनकर होटल में काम करता है तो उनपर क्या गुज़रेगा!”
प्रताप, “उन्हें प्राउड होगा अपने बेटे पर, जिसने किसी से क़र्ज़ या मदद मांगने के बजाय अपनी काबिलियत को निखारा। शैलजा बन कर आज तुम पहले से कही ज्यादा कॉंफिडेंट और सक्सेसफुल हो और तुम्हारी काबिलियत तुम्हारे जेंडर पर नहीं बल्कि तुम्हारी पॉजिटिव सोच और कॉन्फिडेंस का नतीजा है। मैं उन्हें समझाऊंगा कि किन परिस्थितियों के कारण तुम शैलजा बनी और आज कितनी सक्सेसफुल हो। मुझे यकीन हैं तुम्हारे परिवार वाले मेरी बात को समझेंगे और तुम्हारे उज्जवल भविष्य को मद्देनज़र रखते हुए मेरी और तुम्हारी शादी के लिए जरूर हाँ करेंगे।”
शैलजा, “प्लीज् प्रताप जी, आपको मेरे पेरेंट्स से जो भी बातें करनी है कर लीजिये, लेकिन अभी प्लीज् इस टॉपिक को यही ड्राप कर दीजिये।”
प्रताप, “ओके मेरी रानी, हमें मनाली पहुंचने में अभी भी थोड़ा वक़्त है। वैसे अभी तो हम शिमला क्रॉस कर रहे हैं और अभी साढ़े छह घंटे का ट्रेवल तो बाकी ही है। चलो मैं अपने परिवार के बारे में तुम्हे बताता हूँ।”
शैलजा, “हम्म, ओके!”
उसके बाद प्रताप ने अपने परिवार के बारे में बताना शुरू किया और अगले आधे घंटे में शैलजा प्रताप की बाहों में सो चुकी थी। प्रताप की बाहों में शैलजा बेफिक्र थी और थोड़ी में प्रताप भी सो गया। लगभग तीन घंटे के ट्रेवल के बाद ड्राइवर में एक रेस्टोरेंट पर गाडी रोकी। कार के रुकते ही शैलजा और प्रताप की भी नींद खुल गयी। प्रताप ने ड्राइवर से पूछा कि उसने गाडी क्यों रोकी तो उसने बताया कि उसे भी नींद आने लगी थी। प्रताप और शैलजा को ड्राइवर की बात सही लगी और दोनों भी कार से बाहर आ गए। सभी ने नाश्ते के साथ चाय पि और फिर एक बार फिर से सफर शुरू हो गया।
प्रताप, “ड्राइवर, अब नींद तो नहीं आ रही?”
ड्राइवर, “नहीं सर, लेकिन प्लीज आप दोनों बातें करते रहिये, आप दोनों दुबारा सो गए तो सफर और भी लम्बा हो जायेगा।”
प्रताप, “डोंट वोर्री ड्राइवर, तुम गाड़ी चलाओ!”
शैलजा, “ड्राइवर, आपका नाम क्या है?”
ड्राइवर, “मेरा नाम विनोद है मैडम!”
शैलजा, “प्रताप जी, विनोद को आज से ड्राइवर ड्राइवर मत कहियेगा! कोई काम छोटा या बड़ा नहीं होता है और इंसान को उसकी पहचान उसके नाम से मिलती है! आज से प्लीज विनोद भैया को ड्राइवर कहकर नहीं पुकारियेगा!”
प्रताप, “ओके शैलजा, तुम्हारी सोच बहुत ही ज्यादा अच्छी है, जैसा तुम्हे ठीक लगे मेरी जान। आर यु हैप्पी विनोद?”
ड्राइवर, “शैलजा मैडम, थैंक यू सो मच! सर आप दोनों बहुत अच्छे हैं!”
शैलजा, “कोई बात नहीं विनोद भैया!”
विनोद, “एक बात बोलू मैडम, आपको बुरा तो नहीं लगेगा?”
शैलजा, “हाँ भैया, बोलो!”
विनोद, “आपको देखकर मुझे मेरी भाभी की याद आती है। क्या मैं आपको भाभी कहकर बुला सकता हूँ?”
शैलजा, “विनोद भैया, मैं आपकी फीलिंग्स की कदर करती हूँ लेकिन भाभी नहीं, आप चाहो तो मुझे दीदी बुला सकते हो!”
विनोद, “ओके दीदी!”
प्रताप, “हाहाहा, अब तो विनोद भी कह रहा है कि तुम भाभी जैसी दिखती हो! अब तो मान जाओ!”
शैलजा, “आप फिर से शुरू हो गए?”
अगले तीन घंटे में प्रताप और शैलजा मनाली पहुंच गए। दोनों काफी थक चुके थे लेकिन होटल का फाउंडेशन रखने का प्रोग्राम तीन घंटे बाद का था। प्रताप और शैलजा ने थोड़ी देर रेस्ट किया और फिर दोनों एक साथ फाउंडेशन के प्रोग्राम में आ गए। प्रोग्राम में प्रताप की पूरी फॅमिली आयी हुई थी और जब प्रताप के साथ शैलजा प्रोग्राम में पहुंची, तब प्रताप की फॅमिली में सभी की नज़र सिर्फ शैलजा पर थी। प्रताप के परिवार में सभी यही जानना चाहते थे कि आखिर शैलजा कौन है? प्रताप ने अपनी फॅमिली से शैलजा का इंट्रोडक्शन करवाया। प्रताप की माँ और बहन ने शैलजा को अपने पास बिठा लिया।
प्रताप की माँ, “शैलजा बिटिया, तेरे घर में कौन कौन हैं?”
शैलजा, “माँ, पापा, चाचा चाची, तीन बड़े भाई और चार छोटी बहन, बुआ और दादी।”
प्रताप की माँ, “बिटिया, तेरा परिवार तो हमारे परिवार जैसा ही काफी बड़ा है?”
शैलजा, “जी, हम सभी जॉइंट फॅमिली की तरह रहते हैं?”
प्रताप की माँ, “तू बड़ी सुन्दर है बिटिया, तेरी शादी हो गयी?”
शैलजा, “नहीं माँ जी, मेरी शादी नहीं हुई है।”
प्रताप की माँ, “ओह्ह, तो कब शादी करेगी, तू तो पच्चीस छब्बीस की दिखती है। तेरे परिवार में कोई तुझे कहता नहीं शादी करने को?”
शैलजा, “नहीं माँ जी, मेरी फॅमिली मेरठ में रहती है और मैं दिल्ली में।”
प्रताप की माँ, “बिटिया, मेरे बेटे से शादी करेगी। प्रताप बहुत अच्छा लड़का है, तुझे बहुत खुश रखेगा !”
शैलजा, “माँ जी, प्रताप जी बहुत अच्छे हैं और मुझे यकीन है कि अगर मैं उनसे शादी करूँ तो वे मुझे हमेशा खुश रखेंगे। लेकिन माँ जी मैं गरीब फॅमिली से हूँ, अगर मैंने प्रताप जी से शादी की तो सभी यही कहेंगे कि मैंने उनसे पैसों के लिए शादी की है। और मैं शादी सिर्फ मेरे परिवार वालों की मर्ज़ी से ही करुँगी!”
प्रताप की माँ, “बिटिया, तेरी सोच तो बहुत अच्छी है। मैं प्रताप से बात करुँगी !”
शैलजा, “क्या बात कीजियेगा माँ जी!”
प्रताप की माँ, “तेरे परिवार के साथ एक दिन मुलाक़ात फिक्स करे और मैं खुद से उनसे बात करुँगी।”
थोड़ी देर बाद, शैलजा को प्रताप ने फाउंडेशन रखने के लिए हवन की जगह बुलाया। फिर शैलजा और प्रताप ने एक साथ होटल के फाउंडेशन की ईंट रखी और पूजा पूरा हुआ। प्रताप की माँ ने शैलजा को गिफ्ट में अपने हाथ से कंगन निकाल कर पहना दी जो शैलजा को बिलकुल फिट आयी। शैलजा थोड़ी इमोशनल हो गयी थी, लेकिन उसने खुद को संभाला और कमरे में रेस्ट करने आ गयी। थोड़ी देर में प्रताप भी कमरे में आ गया, वो शैलजा से बात करना चाहता था, लेकिन शैलजा ने प्रताप को देखकर अपना मुँह फेर लिया।
प्रताप, “क्या हुआ शैलजा, मेरी रानी नाराज़ है मुझसे?”
शैलजा, “आप तो बात ही मत कीजिये!”
प्रताप, “अरे अरे मेरी रानी गुस्से में? शैलजा क्या हुआ, तुम गुस्सा क्यों हो रही हो? क्या हो गया?”
शैलजा, “मैं जब से आपके साथ यहाँ आई हूँ, सिर्फ और सिर्फ शादी शादी शादी! मैंने आपसे कहा ना कि मुझे आपसे शादी नहीं करनी, फिर भी सब मुझे शादी करने को बोल रहे हैं। आपकी माँ भी मेरी शादी आपसे करवाना चाहती हैं, मैं क्या करूँ?”
प्रताप, “श्श्श शैलजा, शांत! मेरी माँ को तुम पसंद थी तभी उन्होंने तुमसे बात की और उन्हें तुम्हारी बातें बहुत अच्छी भी लगी। माँ तो चाहती है कि मैं और तुम शादी कर लें लेकिन तुम नहीं चाहती तो मैं शादी के टॉपिक को कभी नहीं छेड़ूँगा, तुम स्ट्रेस मत लो!”
शैलजा, “थैंक्स प्रताप जी!”
प्रताप, “वैसे आज कहर ढा रही हो, सच में बड़ी खूबसूरत दिख रही हो!”
शैलजा, “प्रताप जी, मैं बहुत थकी हुई हूँ, प्लीज आज नहीं!”
प्रताप, “शैलजा तुम आराम कर लो, मैं रात में आता हूँ।”
उसके बाद प्रताप कमरे से बाहर चला गया और शैलजा सोचने बैठ गयी। शैलजा बनने के बाद ये पहली बार था जब वो समझ नहीं पा रही थी कि इस अवसर को एक्सेप्ट करे या छोड़ दे। शैलजा के मन में लाखो हज़ारो सवाल थीं, लेकिन वो जानती थी कि प्रताप उससे बहुत प्यार करता है और इस बात को झुठलाया नहीं जा सकता है। शैलजा को जितना मान सम्मान प्रताप की वजह से मिला वो शायद ही उसे कभी शैलेश बनकर मिलता। प्रताप के लिए भी शैलजा के मन में बहुत रेस्पेक्ट भी था। शैलजा क्या करे और क्या ना करे, उसे समझ नहीं आ रहा था और थकन की वजह से वो कब सो गयी, इसका पता उसे तब चला जब रात होने पर प्रताप कमरे में आया। थकान के कारण शैलजा की साड़ी उसके बदन से अलग हो गयी थी और उसकी नाभि को देखकर प्रताप एक्साइटेड हो गया। प्रताप शैलजा के करीब गया और झुक कर उसके होंठो को जैसे ही किस करना चाहा, उसकी गर्म सांस ने शैलजा को नींद से जगा दिया। लेकिन प्रताप बिना रुके शैलजा के होंठों को चूमने लगा। शैलजा की साँसों में प्रताप की गर्म साँसों की गर्मी के साथ उसके शराब की खुशबु भी समाने लगी। थोड़ी देर बाद प्रताप ने शैलजा के होंठों पर एक किस करके उसे उठकर बैठने में मदद की।
प्रताप, “शैलजा, तुम डिनर कर लो, मैं थोड़ी देर में आता हूँ।”
शैलजा ने अपनी साड़ी को ठीक किया और तभी वहां प्रताप की बहन रुचिका वहां आ गयी। रुचिका के हाथों में डिनर की थाली थी और वो मुस्कुराते हुए शैलजा के नज़दीक आ गयी। रुचिका ने शैलजा को डिनर करने के लिए कहा और वो भी कमरे से बाहर चली गयी। डिनर के तुरंत बाद एक स्टाफ कमरे में बियर की कुछ बॉटल्स रखकर और डिनर प्लेट्स लेकर वहां से चला गया। शैलजा समझ चुकी थी कि प्रताप आज पूरा मूड में है। लेकिन थोड़ी देर बाद रुचिका दुबारा कमरे में आ गयी। बारह से तेरह साल की उम्र की रुचिका बहुत ही ज्यादा स्वीट थी।
रुचिका, “खाना कैसा लगा आपको?”
शैलजा, “बहुत ही टेस्टी खाना था।”
रुचिका, “तो मैं आपको क्या कहकर बुलाऊँ, आप प्रताप भैया के साथ आयी हैं।”
शैलजा, “आप मेरे नाम से बुला लो, मेरा नाम शैलजा है।”
रुचिका, “मुझे पता है, भैया ने आपके बारे में बताया था। लेकिन आपको मैं आपके नाम से नहीं बुला सकती, आप बहुत बड़ी हैं मुझसे।”
शैलजा, “हम्म!”
रुचिका, “क्या मैं आपको भाभी कहकर पुकारूँ?”
शैलजा को रुचिका के क्यूटनेस बहुत अच्छी लगी।
शैलजा, “आपको जो कहकर पुकारने का मन करे, आप पुकार लो।”
रुचिका, “अच्छा तो भाभी आपको मेरे भैया कैसे लगते हैं?”
शैलजा, “बहुत अच्छे लगते हैं रुचिका लेकिन मुझे सिर्फ अकेले में ही भाभी कहकर पुकारना, ओके!”
रुचिका, “ओके भाभी, और मैं कैसी लगी आपको?”
शैलजा, “सबसे क्यूट और सबसे ब्यूटीफुल।”
रुचिका, “थैंक्स भाभी!”
फिर रुचिका और शैलजा ने काफी देर तक आपस में बातें की और फिर बात करते करते रुचिका वहीँ सो गयी। थोड़ी देर में प्रताप कमरे में आया तो देखा की शैलजा की गोद में रुचिका बच्चे की तरह सोई हुई थी। शैलजा ने मुस्कुराते हुए बताया कि कैसे बात करते करते रुचिका वहां सो गयी। प्रताप ने मुस्कुराते हुए रुचिका को उठाया और अपनी माँ के पास लिटाकर कमरे में आ गया।
प्रताप, “रुचिका पहले कभी किसी अननोन पर्सन के साथ इतनी फ्रैंक नहीं हुई। रुचिका को भी तुम पसंद हो शैलजा!”
शैलजा, “प्रताप जी …. !”
प्रताप, “श्श्श्श, शैलजा आज वाकई तुम बहुत खूबसूरत दिख रही हो।”
शैलजा, “आप भी ना !”
उसके बाद प्रताप ने शैलजा की कमर को कसकर जकड लिया और अपनी बाहों में लेकर रोमांस करने लगा। आधे घंटे के रोमांस, बिस मिनट्स के ब्लोजॉब के बार चार राउंड हार्डकोर सेक्स के बाद शैलजा औंधे मुँह बिस्तर पर पड़ी थी और उसके ऊपर प्रताप। रात के बारह बजने वाला था और प्रताप की नींद खुली, वो उठा, वाशरूम में गया और फिर शैलजा को अपनी बाहों में लेकर उसके सिकुड़े हुए छोटे से लंड में अपने लंड को घुसा कर उसे डिक डॉकिंग सेशन देने लगा। शैलजा को एहसास था कि उसके साथ प्रताप क्या कर रहा था, लेकिन बहुत दिनों के बाद शैलजा के लंड में प्रताप का लंड घुसा हुआ था। शैलजा इस मोमेंट को जाया नहीं जाने देना चाहती थी और उसने प्रताप की बाहों में खुद को फ्री छोड़ दिया। थोड़ी देर के बाद प्रताप का एक्साइटमेंट शैलजा के लंड में स्पर्म के रूप में समां गया। प्रताप लम्बी लम्बी साँसे लेते हुए आँखें बंद कर उस टाइम को इंज्जोय करने लगा और शैलजा अपने लंड को अपने हाथ में लिए उस स्पर्म को होल्ड करने की कोशिश करने लगी। थोड़ी देर बाद प्रताप शैलजा को वाशरूम में ले गया और उसे स्पर्म डिस्चार्ज करने को कहा, लेकिन शैलजा ने प्रताप को एक राउंड सेक्स बाथटब में करने को कहा। प्रताप बाथटब में लेट गया, शैलजा उसके लंड पर बैठ गयी और अगले पंद्रह मिनट्स के हार्डकोर सेक्स के बाद एक तरफ प्रताप ने शैलजा के गांड में अपना स्पर्म डिस्चार्ज कर दिया और शैलजा का भी स्पर्म ठीक उसी वक़्त डिस्चार्ज हो गया। स्पर्म के डिस्चार्ज के साथ ही शैलजा की आँखों के सामने अँधेरा छाने लगा और उसका पूरा शरीर कंपकंपाते हुए ठंडा पड़ गया। प्रताप ने शैलजा को बाथटब से बाहर निकाला, अपने शरीर के साथ शैलजा के शरीर को भी अच्छे से सुखाया। शैलजा अभी भी बेहोश थी तो प्रताप ने उसे एक मेडिसिन और दूध पिलाया। फिर प्रताप ने शैलजा को बेबीडॉल नाईटी पहनाया और बिस्तर पर लिटा दिया और खुद भी नाईट गाउन पहनकर साथ में सो गया। वीक्निस के कारण अगली सुबह शैलजा की नींद देर से खुली, तबतक प्रताप फ्रेश होकर घरवालों के साथ बैठ बातें कर रहा था और शैलजा सोई हुई थी। प्रताप ने रुचिका से कहा कि वो शैलजा को जगाए और अपने साथ ब्रेक्फस्ट के लिए लेकर आए। जब रुचिका कमरे मे गई तब उसने देखा कि शैलजा अभी भी गहरी नींद मे सोई हुई थी।
रुचिका, “भाभी, सुबह हो गई है, गुड मॉर्निंग!”
रुचिका के जगाने पर शैलजा की आँख खुली और उसने तुरंत चादर लपेट लिया।
शैलजा, “गुड मॉर्निंग रुचिका, आप कब आयीं?”
रुचिका, “मैं तो बस अभी आई भाभी लेकिन ये क्या, सुबह के दस बज रहे हैं और आप सो रही हैं? नीचे सब ब्रेकफास्ट पर आपका इंतज़ार कर रहे हैं!”
शैलजा, “आई एम सो सॉरी रुचिका, मैं अभी फ्रेश होकर आई!”
रुचिका, “जल्दी आना भाभी!”
रुचिका के जाने के बाद शैलजा फ्रेश हुई और क्रीम सिल्क साड़ी, बैकलेस चोली, लाइट मेकअप, जूलरी और पायल पहनकर एक संस्कारी औरत की तरह कंधे पर पल्लू रखकर नीचे ब्रेकफास्ट के लिए आ गई जहां सभी उसका वेट कर रहे थे। ब्रेकफास्ट के बाद शैलजा को रुचिका अपने साथ अपने कमरे मे लेकर गई और दोनों ने काफी देर बातें की। रुचिका बहुत अच्छी पेंटिंग करती थी और शैलजा को उसकी पेंटिंग बहुत पसंद आई। रुचिका ने शैलजा को अपनी तरफ से एक पेंटिंग भी गिफ्ट की, शैलजा को बहुत अच्छा लगा। प्रताप के घर मे इन दो दिनों मे शैलजा को बहुत ही ज्यादा प्यार और स्नेह मिला था जिसको पाकर शैलजा बहुत खुश थी। शाम को प्रताप को रिटर्न होना था और उसके घरवाले चाहते थे कि शैलजा वही रुक जाए कुछ दिनों के लिए, लेकिन प्रताप ने उन्हे मना कर दिया और शैलजा को अपने साथ लेकर दिल्ली रिटर्न हो गया। रास्ते मे शैलजा के फोन पर आलिशा का फोन कॉल आया तो उसने बताया कि प्रताप ने अगली रात के लिए रवि को बुक किया है। आलिशा के मुह से ये सुनते ही शैलजा के पैरों तले जमीन खिसक गई और पूरे रास्ते उसने प्रताप से बात नहीं की और न ही उसे नींद आई। जब प्रताप ने शैलजा को परेशान देखा तो उसने शैलजा से उसकी परेशानी की वजह जाननी चाही लेकिन शैलजा ने प्रताप की ओर एक बार भी नहीं देखा। वैसे तो प्रताप को पता था कि शैलजा क्यूँ परेशान है, लेकिन उसने कुछ भी नहीं कहा और अगली सुबह दोनों दिल्ली पहुचे। दिल्ली पहुचते शैलजा को नींद आ गई थी और वो सो चुकी थी। प्रताप ने शैलजा को अपनी बाहों मे उठा लिया और उसे लेकर कमरे मे जाकर बिस्तर पर लिटा दिया और खुद ऑफिस मे जाकर होटल के काम का जायजा लेने लगा। जब शैलजा की नींद खुली तो उसने खुद को कमरे मे अकेला पाया, शाम के चार बज रहे थे और वो समझ गई कि प्रताप उसे अपनी बाहों मे उठाकर कमरे तक लेकर आया और वो सोचने बैठ गई।
शैलजा सोचने बैठ गयी, “प्रताप जी आज रवि के साथ रात बिताएंगे, किसी और के साथ वो कैसे सो सकते हैं। मैंने प्रताप जी के लिए खुद को बदल दिया और आज वो किसी और के साथ कैसे रात बीता सकते हैं? कहीं शैलजा बनकर मैंने कोई गलती तो नहीं कर दी? ये मैंने क्या कर दिया, हे भगवान, मैं मर्द से शीमेल बन गया, मेरी लाइफ तो बर्बाद हो गई। मेरी पत्नी एक ऐसे मर्द के साथ शादी करने जा रही है जिसने मेरे साथ मेरे ही घर में हार्डकोर सेक्स किया था। मेरी पत्नी को इस बारे में कुछ भी नहीं पता और मुझे तो लगता है कि शीतल उस मर्द के साथ बहुत खुश है। यहाँ मैं फिर से अकेली हो गई। अब मैं कहाँ जाऊँगी, मेरे माँ बाप भी नहीं जानते कि मैं आज की डेट मे औरत बनकर इस होटल मे नौकरी कर रही हूँ, मैं उनके पास भी नहीं जा सकती और प्रताप जी पर कैसे भरोसा करूँ। आज प्रताप जी रवि को अपने साथ सुलाने वाले हैं और वो भी इसी कमरे मे। मुझे बहुत डर लग रहा है, हे भगवान ये मैंने क्या कर दिया। शीमेल बनकर मैं कहीं की नहीं रही, प्रताप जी के घरवालों ने भी मुझसे शादी करने के लिए इतना कहा, लेकिन मैंने मना कर दिया, मति मारी गयी थी मेरी, काश मैंने प्रताप जी के शादी के प्रपोज़ल को एक्सेप्ट कर लिया होता! मैंने एक अच्छी लाइफ जीने की ऑपर्च्युनिटी को मिस कर दिया, ये क्या कर दिया मैंने। प्रताप जी के जैसा प्यार करने वाला मर्द मुझे लाइफ में कभी नहीं मिल सकेगा!”
शैलजा अभी सोच ही रही थी तभी कमरे मे आलिशा रवि को दुल्हन की तरह तैयार करके ले आई। हेवी महारानी स्टाइल लहँगा और छोटी सी चोली, पैरों मे पायल की छमछम, नाक मे नथिया, कानों मे झुमके, हाथों मे लाल सफेद कंगन सेट, गुलाबी होंठ, आँखों मे काजल और माथे पर दोनों भौओं के बीचोंबीच पिंक बिंदी रवि की खूबसूरती पर चार चाँद लगा रहे थे और उसकी खूबसूरती देखकर शैलजा को बहुत जलन होने लगा था। आलिशा ने रवि को शैलजा के बिस्तर पर बिठाया और मुसकुराते हुए कमरे के बाहर चली गई। शैलजा अभी भी गुस्से मे थी और रवि सिर झुकाए अपने दोनों पैरों को अपने हाथों से समेटे बैठा था।
शैलजा, “रवि, तुम बहुत खूबसूरत दिख रहे हो। आज कुछ खास है क्या, जो प्रताप जी ने तुम्हें बुलवाया है?”
रवि, “आई डॉन्ट नो शैलजा, प्रताप जी ने कुछ बताया नहीं है इस बारे मे!”
शैलजा, “और बताओ, कैसी हो तुम?”
रवि, “आई ऍम गुड, तुम कैसी हो शैलजा?”
शैलजा, “मैं भी अच्छी हूँ, तुम तो पहले से भी आकर्षक दिखने लगे हो रवि, सेक्स चेंज कब करवा रहे हो?”
रवि, “मैं अपनी मंजिल के बेहद करीब हूँ और मेरी गर्लफ्रेंड ऋचा का पति सूरज भी मेरे लिए जान छिड़कने लगा है। सिर्फ एक महीने की बात है, उसके बाद मेरा सेक्स चेंज ओपेरटशन और फिर इग्यारह महीने पुरे होते ही सूरज का छोटा भाई विजय मुझसे शादी कर लेगा और अपने साथ उसी घर में ले जायेगा जहाँ मेरी गर्लफ्रेंड ने मुझे छोड़कर अपना घर बसाया था। फिर मैं ऋचा की लाइफ को हेल बना दूंगा।”
शैलजा, “तो क्या तुम अपनी पूरी लाइफ एक हाउसवाइफ की तरह बिताओगे?”
रवि, “इसमें बुरा ही क्या है शैलजा! मुझे तो ऋचा से अपना प्रतिशोध लेना है और उसके लिए मुझे मेरी पूरी लाइफ एक मर्द की बीवी बनकर भी बितानी पड़े तो मुझे मंजूर है और सेक्स चेंज के बाद मुझे औरत बनकर ही तो जीना है, यही मेरा फेट है शैलजा और मैं अपने इस फेट को एक्सेप्ट कर चूका हूँ।”
शैलजा, “गुड रवि! तुम बैठो मैं होटल के काम का जायज़ा लेकर आती हूँ।”
अभी शैलजा बिस्तर से उठकर कमरे के बाहर जाने ही वाली थी कि वहां प्रताप आ गया। प्रताप ने शैलजा को रोककर पूछा कि वो कहाँ जा रही है।
शैलजा, “मैं अपने काम पर जा रही हूँ और वैसे भी मैं आपके और रवीना के बीच कबाब में हड्डी नहीं बनना चाहती।”
प्रताप, “ये तुम क्या बोल रही हो शैलजा, मेरे और रवीना के बीच?”
शैलजा, “हम्म! आपने ही तो रवीना को रात के लिए बुक किया है तो यहाँ मेरा क्या काम!”
प्रताप, “मेरी जान तुम्हे किसने कहा कि मैंने रवीना की बुकिंग अपने लिए की है, वो तो मिनिस्टर साहब के डिमांड पर मैंने रवि को बुक किया था आज रात के लिए!”
शैलजा, “तो रवीना इस कमरे में क्या कर रही है?”
प्रताप, “शैलजा, मिनिस्टर साहब थोड़ा लेट हैं आज इसीलिए मैंने अलीशा से कहा कि वो रवीना को तुम्हारे पास बिठा दे ताकि थोड़ी देर तुम दोनों का टाइम पास हो जाये। शैलजा मेरी जान, मुझे पता है कि मेरी रानी मुझसे बहुत प्यार करती है और मेरे प्यार पर कभी शक नहीं करना।”
शैलजा, “प्रताप जी, आप मुझसे शादी करना चाहते हैं ना?”
प्रताप, “हाँ मेरी रानी?”
शैलजा, “तो आपको मेरे पेरेंट्स से बात करना पड़ेगा, अगर मेरे पेरेंट्स मान जाते हैं तो मैं आपसे शादी करने को तैयार हूँ!”
प्रताप, “आई नीव इट, मैं जरूर तुम्हारे पेरेंट्स से बात करूँगा शैलजा, आई लव यु!”
शैलजा शरमाते हुए प्रताप के सीने में अपना सर छुपा लिया, आज शैलजा खुश थी और प्रताप भी। प्रताप की बाँहों में शैलजा बहुत खुश थी और रवि ये सब देख रहा था। अब उसे पूरा यकीन हो गया था कि प्रताप से शादी करने के बाद शैलजा हमेशा हमेशा के लिए प्रताप की हो जाएगी। इतने में प्रताप का फ़ोन बजा, मिनिस्टर अपने कमरे में आ चूका था और प्रताप ने अलीशा को बुलवा कर रवि को उसके साथ मिनिस्टर के कमरे में भेज दिया। थोड़ी देर में प्रताप भी ऑफिस में चला गया। अब शैलजा कमरे में अकेली बैठी ये सोच रही थी कि उसने प्रताप से शादी करने को हाँ तो कर दिया, लेकिन उसके पेरेंट्स को तो ये भी नहीं पता कि अब वो मर्द से शीमेल बन चुकी है। एक मर्द के साथ शादी का फैसला और मर्द से शीमेल बनकर शैलजा ने सही किया या गलत, ये सब शैलजा के दिलोदिमाग में चल रहा था। थोड़ी देर में प्रताप कमरे में आ गया, उसके चेहरे पर जो ख़ुशी थी उसे देखकर शैलजा मुस्कुराते हुए शर्माने लगी और अपनी साड़ी के आँचल को कंधे पर रखकर प्रताप के सामने बैठ गयी। थोड़ी देर में दोनों से एक साथ डिनर किया। डिनर के बाद ड्रेस चेंज करके शैलजा और प्रताप एक बार फिर से एक दूसरे की बाहों में थे। आज शैलजा को बहुत शरम आ रही थी, आखिर उसने अपनी लाइफ एक मर्द के हाथों सौंपने का फैसला जो कर लिया था और प्रताप के चेहरे पर गर्व के भाव थे मानो उसने अपनी लाइफ में कोई बहुत बड़ा जंग जीत लिया हो।
प्रताप, “क्या बात है शैलजा, आज से पहले मैंने तुम्हे यूँ शरमाते हुए कभी नहीं देखा।”
शैलजा, “प्रताप जी, मुझे नहीं पता कि मुझे आपसे इतनी शरम क्यों आ रही है?”
प्रताप, “शैलजा, तुम्हे पता है, मेरी माँ और बहन को तुम बहुत पसंद आयी। जब उन्हें पता चलेगा कि तुम मुझसे शादी करने को मान गयी हो तो वे कितने खुश होंगे।”
शैलजा, “प्रताप जी, मैं तो आपसे शादी करने को तैयार हो गयी हूँ लेकिन अगर मेरे पेरेंट्स नहीं माने तो?”
प्रताप, “शैलजा, तुम उसकी फिक्र मत करो मेरी रानी, उन्हें तो मैं मना लूंगा।”
शैलजा, “अगर फिर भी नहीं माने तो?”
प्रताप, “तो फिर हम कोर्ट मैरिज कर लेंगे।”
शैलजा, “नहीं प्रताप जी, मैंने अपने पेरेंट्स के आशीर्वाद के बिना कभी कुछ नहीं किया। अगर मेरे पेरेंट्स नहीं माने तो आप किसी अच्छी सी लड़की से शादी कर लेना।”
प्रताप, “इतना नेगेटिव नहीं सोचते मेरी रानी। सब अच्छा होगा और तुम्हारे पेरेंट्स जरूर तुम्हारा हाथ मेरे हाथों में देंगे। वैसे इस बेबीडॉल ड्रेस में काफी सेक्सी दिख रही हो रानी!”
शैलजा, “धत्त!”
शैलजा शर्माने लगी और प्रताप ने उसके साथ रोमांस करना शुरू कर दिया। आज शैलजा को प्रताप का एक एक चुम्बन शरीर में सिहरन दिए जा रहा था। आधे घंटे के रोमांस और तीन राउंड सेक्स के बाद प्रताप ने शैलजा के लंड में अपना लंड घुसा कर उसे डिक डॉकिंग सेशन देना शुरू कर दिया और लगभग पांच मिनट्स के पेनेट्रेशन के बाद प्रताप ने शैलजा की छोटी सी लंड के अंदर अपना वीर्य छोड़ दिया। शैलजा को आज लंड में जलन होने लगा था, आँखों में आंसू लिए शैलजा ने प्रताप की तरफ देखा। प्रताप शैलजा को अपनी बाहों में उठाकर वाशरूम के बाथटब में ले गया और अपने लंड पर बिठाकर उसके साथ एक बार फिर से सेक्स करने लगा। अगले बिस मिनट्स के हार्डकोर सेक्स के बाद शैलजा और प्रताप को एक साथ ओर्गास्म हो गया। एक तरफ शैलजा के लंड से वीर्य डिस्चार्ज हुआ और गांड में प्रताप का वीर्य भर गया। जैसे ही शैलजा के लंड से वीर्य का हैवी लोड डिस्चार्ज हुआ, वैसे ही उसकी आँखें जलने लगी और वो बेहोश हो गयी। प्रताप ने शैलजा को अपनी बाहों में उठा लिया और उसे सोफे पर बिठाकर उसके पुरे बदन को अच्छे से पोंछा और उसे जगाया। शैलजा ने किसी तरह अपनी आँखें खोली और अपनी बेबीडॉल ड्रेस को प्रताप की मदद से पहन लिया और फिर से बिस्तर पर बेसुध होकर लेट गयी। प्रताप ने शैलजा को एक बार फिर से जगाया और उसे दूध पिलाया और मेडिसिन खिलाकर उसे अपनी बाहों में लेकर सो गया। रात के २ बज रहे थे और शैलजा प्रताप की आगोश में सो चुकी थी। प्रताप के शरीर का गर्मी उसे बहुत ही ज्यादा सुकून दे रहा था और उसका लंड शैलजा की गांड में घुसा हुआ था जो उसे अच्छा फील दे रहा था। शैलजा और प्रताप एक दूसरे की बाहों में सुबह के आठ बजे तो सोते रहे। सुबह प्रताप के फ़ोन के बेल्ल ने शैलजा और प्रताप दोनों की नींद खुली। सुबह के साढ़े आठ हो रहे थे, मिनिस्टर को निकलना था, रवि को लेने अलीशा भी होटल में आ चुकी थी। प्रताप फटाफट फ्रेश होकर मिनिस्टर से मिलने निकल गया। शैलजा भी फ्रेश होकर साड़ी पहनकर तैयार थी और थोड़ी देर में रवि लंगड़ाते हुए आँखों में आंसू लिए अलीशा के साथ कमरे में आ गया।
शैलजा, “क्या हुआ रवि, तुम क्यों रो रहे हो?”
रवि ने कुछ भी नहीं कहा और वो लगातार रोये ही जा रहा था।
अलीशा, “वो मिनिस्टर बेरहम और जल्लाद आदमी था, आगे मैं क्या बताऊँ?”
शैलजा, “ओह्ह! रवि तुम ठीक तो हो ना?”
रवि ने फिर कुछ नहीं कहा और सर झुकाये दोनों की बातें सुनता रहा।
शैलजा, “अलीशा, तुम रवि के साथ इसी कमरे में बैठो, मैं तुम दोनों के लिए ब्रेकफास्ट आर्डर करके आती हूँ!”
थोड़ी देर में होटल स्टाफ ब्रेकफास्ट लेकर कमरे में आया और साथ ही शैलजा भी। रवि और अलीशा आपस में बातें कर रहे थे। शैलजा ने रवि से उसका हाल पूछा, उसने सब ठीक है कहकर बात को टाल दिया।
शैलजा, “रवि, तुम्हारी हालत बता रही है कि रात को क्या क्या हुआ तुम्हारे साथ। अलीशा, रवि को मेडिसिन्स दी है तुमने?”
अलीशा, “हाँ शैलजा, मेडिसिन्स तो खिला दिए लेकिन रवि को रेस्ट की जरुरत है। उस बेरहम मिनिस्टर का लंड काफी बड़ा और टाइट रहा होगा, हो सकता है वो शिलाजीत खाकर आया हो। खैर रात गयी बात गयी, रवि अब ठीक है, मैंने ऑइंटमेंट लगा दिया है, शाम तक रवि पहले की तरह ठीक हो जायेगा और वैसे भी आज शाम को रवि की छुट्टी है। ये मिनिस्टर है ही ऐसा, जिसके साथ सोता है, उसको तोड़कर रख देता है।”
शैलजा, “हम्म! गुड रवि आज तुम अच्छे से आराम कर लेना। और इतना बड़ा भी लंड नहीं हो सकता उस मिनिस्टर का, ५०-५५ साल की उम्र में इतना बड़ा और टाइट लंड पॉसिबल नहीं है अलीशा।”
रवि, “हम्म! लेकिन उसका लंड बहुत ही बड़ा था, घोड़े सा मोटा लंड मैंने लाइफ में पहली बार देखा है शैलजा, उसके साथ दुबारा रात बिताने का तो मैं सपने में भी नहीं सोच सकता।”
अलीशा, “वो एक मिनिस्टर है रवि, अगर वो दुबारा तुम्हारे साथ नाईट स्पेंड करना चाहेगा तो तुम्हे दुबारा उसके साथ रात बिताना पड़ेगा।”
शैलजा, “इन सब बातों को छोड़ो अलीशा, रवि को आराम की जरुरत है।”
रवि, “थैंक्स शैलजा!”
थोड़ी देर के डिस्कशन के बाद रवि को लेकर अलीशा वहां से चली गयी। शैलजा भी केबिन में चली गयी पहले से काम में व्यस्त था।
शैलजा, “प्रताप जी आपने ब्रेकफास्ट किया?”
प्रताप, “नहीं शैलजा, थोड़ा काम है!”
शैलजा, “काम बाद में, पहले ब्रेकफास्ट कर लीजिये।”
प्रताप, “शैलजा डार्लिंग, तुम इतनी केयरिंग क्यों हो?”
शैलजा, “बातें बाद में पहले ब्रेकफास्ट।”
थोड़ी देर में होटल स्टाफ केबिन में लेकर आया और शैलजा ने अपने हाथों से प्रताप को निवाला खिलाया। प्रताप को बहुत अच्छा लगा, उसने भी शैलजा को निवाला खिलाया। ब्रेकफास्ट करने के बाद, प्रताप और शैलजा अपने केबिन में काम करने लगे। शाम के चार बज रहे थे और शैलजा ने लंच मंगवाया और प्रताप के साथ लंच किया। शैलजा का केयरिंग वाइफली बेहेवियर प्रताप को बहुत ही आनंद दे रहा था। दोनों ने लंच कर लिया था और फिर शैलजा ने प्रताप को थोड़े देर का नैप लेने को कहा। पहले तो प्रताप ने मना किया लेकिन शैलजा ने जब उसे आँखें दिखाई, वो मान गया और थोड़ी देर के लिए दोनों एक साथ होटल के फ्लोर्स का जायज़ा लेने निकल गए। शैलजा और प्रताप ने पुरे होटल का जायज़ा लिया, किचन सर्विसेज को ऑडिट करने के साथ ही स्टाफिंग का भी पूरा जायज़ा लिया। प्रताप को शैलजा का यूँ होटल इंस्पेक्शन करना काफी प्रभावित करता था और आज जब शैलजा के साथ इंस्पेक्शन पर था तो उसे होटल में काफी खामियां दिखी। प्रताप ने सभी स्टफ्फ्स को प्रॉपर इंस्ट्रक्शंस दिए और जब शैलजा के साथ केबिन में पहुंचा तो दोनों ने शाम के सात बजे तक काम किया। शाम के साढ़े सात बज चुके थे, शैलजा और प्रताप ने होटल के इंस्पेक्शन से जुड़े सभी काम ख़त्म कर चुके थे। तभी प्रताप ने शैलजा से कहा कि वो चेंज करके आधे घंटे में नीचे आ जाये। शैलजा के पूछने पर प्रताप ने बताया कि कुछ गेस्ट्स आने वाले हैं और उनसे मिलना है। शैलजा अपने स्वीट में गयी और उसने पीले रंग की शिफॉन साड़ी और रेड बैकलेस ब्लाउज पहनकर, मेकअप ठीक किया, बाल खुले छोड़ दिए जो बिलकुल माधुरी दीक्षित वाले हेयरस्टाइल लुक दे रहा था, होंठों पर रेड लिपस्टिक, आँखों में काजल का मोटा कोटिंग, नाक में नोज पिन पहन लिया, कानों में झुमके और दो दो ईयर रिंग्स भी और हील्स वाली सैंडल पहनकर आधे घंटे में नीचे केबिन में आ गयी। शैलजा बहुत खूबसूरत दिख रही थी, प्रताप शैलजा की खूबसूरती देख एक पल के लिए उसे देखता रह गया, लेकिन जिन गेस्ट्स की बात प्रताप कर रहा था वे आ चुके थे। गेस्ट्स प्रताप के सामने वाले चेयर पर बैठे थे और शैलजा ने जैसे ही उन्हें देखा, वो दंग रह गयी। ये गेस्ट्स शैलजा के माता पिता और भाई थे। अपने माँ बाप को सामने देखते ही शैलजा ने अपनी साड़ी के आँचल को कंधे पर रखा और उनके पैरों को छूकर उनका आशीर्वाद लिया। शैलजा के माँ बाप और भाई कोई भी पहचान नहीं सका कि वो कोई और नहीं बल्कि खुद शैलेश है। प्रताप ने शैलजा को इशारे से बुलाया और अपने साथ वाले चेयर पर बैठने को कहा। शैलजा चुपचाप नज़रें झुकाये चेयर पर बैठ गयी।
प्रताप, “अंकल आंटी, इनसे मिलिए ये हैं शैलजा। आपकी बेटी जिसे आप काफी दिनों से ढूंढ रहे हो!”
शैलजा के पापा, “प्रताप बेटे, मुझे लगता है कि आपको कोई गलतफहमी हुई है। हम हमारे बेटे शैलेश को पिछले दो महीनो से ढूंढ रहे हैं। ये मैडम कौन हैं, हम नहीं जानते!”
प्रताप, “अंकल, ये आपकी बेटी शैलजा है। शैलजा ही पहले शैलेश थीं, लेकिन अब ये मर्द से औरत बन चुकी हैं और इस होटल में मैनेजर के पोस्ट पर हैं। अब आपका बेटा एक औरत है अंकल और मैंने आपको इसीलिए यहाँ बुलवाया है ताकि मैं आपको ये बता सकूँ कि किन परिस्थितियों के कारण शैलेश को शैलजा बनना पड़ा !”
शैलेश के पापा, “हम नहीं जानते प्रताप बेटे, हम वैसे ही बहुत दुखी हैं। हमारा बेटा शादीशुदा है और हमारे पोते और बहु के साथ यहीं साउथ दिल्ली में रहता था। हमारा बेटा औरत नहीं बन सकता।”
प्रताप, “यकीन करना मुश्किल है अंकल, लेकिन यही सच है।”
शैलेश की माँ, “मैं नहीं मान सकती, मेरा बेटा औरत नहीं बन सकता।”
प्रताप, “यही सच है आंटी। आपका बेटा औरत बन चूका है और आपके सामने बैठा है।”
शैलेश की माँ, “मैं कैसे यकीन कर लूँ कि शैलजा ही शैलेश है। शैलजा बिटिया, कह दो कि तुम मेरे बेटे शैलेश नहीं हो।”
शैलजा, “माँ, मैं ही शैलेश था, लेकिन अब शैलजा बन चुकी हूँ। आपको याद है जब राहुल का जन्म हुआ था, तब मेरठ से कितने लोगों को लेकर आयी थी और शीतल को आप सब एक काम नहीं करने देतीं थी। और पापा आप राहुल के लिए कितनी साडी ड्रेस लेकर आएं थे”
शैलेश की माँ, “याद है शैल….. शैलजा। लेकिन तुम औरत क्यों बन गए, तीनि किल्लत थी तो हमे एक बताया तुम्हे। औरत बनकर कैसे लाइफ जियोगे और समाज में हम क्या मुँह दिखाएंगे? आस पड़ोस के लोगों को जब इस बारे में पता चलेगा तो वे हमारी कितनी बेइज़्ज़ती करेंगे, हे भगवान्, ये क्या किया तुमने शैलेश। कम से कम एक बार हमसे सलाह तो लिया होता तुमने?”
शैलजा, “माँ….. आई ऍम सॉरी!”
शैलेश की माँ, “बेटे सॉरी कहने से क्या होगा!”
प्रताप, “आंटी दरअसल शैलजा के शरीर में अचानक फीमेल होर्मोनेस इतने ज्यादा बढ़ गए कि मजबूरन इन्हे औरत बनना पड़ा। अगर आज शैलेश औरत बनी तो सिर्फ इसीलिए ताकि शैलजा बनकर ही सही, आप सभी की सेवा कर सके। और देखिये ना! आज शैलजा आपकी बेटी बनकर ही सही कितनी सक्सेसफुल है ये तो देखिये आंटी!”
शैलेश के पापा, “हम्म! बात तो सही है प्रताप बेटे, शैलेश का औरत बनना और इस होटल में मैनेजर का पदभार संभालना गर्व की बात है। लेकिन काश शैलेश औरत नहीं बनता तो ये ख़ुशी दोगुनी हो जाती।”
शैलेश की माँ, “प्रताप बेटे, शैलेश औरत तो बन गया लेकिन अब इसके फ्यूचर का क्या?”
प्रताप, “मेरे पेरेंट्स को आपकी बेटी बहुत पसंद है आंटी अंकल ! मैं शैलजा से शादी करना चाहता हूँ, उसे एक अच्छी लाइफ देना चाहता हूँ। लेकिन आपके आशीर्वाद के बिना नहीं।”
शैलेश की माँ, “प्रताप बेटे, आप बहुत ही अच्छे इंसान हो, लेकिन क्या हम अपनी बिटिया के कुछ देर बात कर सकते हैं?”
प्रताप, “हाँ जरूर, वैसे मैंने आप सभी के रहने का इंतेज़ाम इसी होटल में कर दिया है।”
शैलेश की माँ, “थैंक यु!”
प्रताप के केबिन से बाहर जाने के बाद शैलजा की माँ ने उसे अपने पास बिठाया। शैलजा की माँ बहुत ही ज्यादा इमोशनल हो गयी थी। प्रताप के जाते ही उनहोंने शैलजा को गले से लगा कर रोने लगी। शैलजा अपनी माँ को शांत करने की कोशिश करने लगी और साथ ही उसके पापा और भाई ने भी।
शैलजा की माँ, “हे भगवान्, ये क्या हो गया। किस जनम का बदला लिया है भगवान तुमने, मेरे बेटे को औरत बना दिया। हाय मेरे बेटे की फूटी किस्मत, कितनी आरज़ू थी एक और पोते का मुँह देखने का लेकिन अब मेरा सपना अधूरा ही रह जायेगा। हाय मेरा बेटा, औरत बनकर कैसे जियेगा लाइफ! ये दिन दिखाने से पहले भगवान् तूने मुझे अपने पास ही क्यों नहीं बुला लिया।”
शैलजा, “माँ प्लीज् ऐसी बात मत करो, औरत बनकर ही सही, आज अपने पैरों पर खड़ी हूँ माँ। और प्रताप जी ने मेरे मुश्किल वक़्त में मेरा साथ दिया, इनके एहसान बहुत है माँ!”
शैलजा की माँ, “शैलेश, ओह्ह शैलजा! तो क्या तुम प्रताप से शादी करना चाहती हो?”
शैलजा, “अगर तुम और पापा हाँ करोगे तो हाँ माँ !”
शैलजा की माँ, “बेटे तुम कहीं गे तो नहीं थे ?”
शैलजा, “नहीं माँ, मेरे शरीर में अचानक फीमेल होर्मोनेस इतने ज्यादा हो गए कि अगर मैं औरत नहीं बनती तो शायद आज इस दुनिया में नहीं होती।”
शैलजा की माँ, “शैलजा के पापा, प्रताप इतना अमीर है और हम सब मिडिल क्लास फॅमिली से। आपको क्या लगता है, क्या शैलजा को उसके ससुराल में वही मान सम्मान मिल सकेगा या उसकी सच्चाई जानकार ससुराल में उसे ताने सुनने पड़ेंगे।”
शैलजा, “भविष्य का तो नहीं कह सकते लेकिन भाग्यवान, दोनों एक दूसरे से प्यार करते हैं और हमारी बिटिया को उसके ससुराल में कोई कष्ट नहीं होगा, पॉजिटिव सोचों।”
शैलेश का भाई, “हाँ मम्मी, देखा नहीं आपने कैसे प्रताप जी ने शैलजा दीदी का पक्ष लिया और उसके प्रोब्लेम्स आप दोनों के साथ डिस्कस किया।”
शैलेश की माँ, “तू चुप हो जा, हम दोनों बात कर रहे हैं ना! और सुन लो आप, शैलजा को ऐसे अकेले छोड़ना उचित नहीं है। वो जॉब कर रही है तो हमें भी कुछ दिनों के लिए उसके साथ यहीं रुक जाना चाहिए। पहले शैलजा और प्रताप की परिस्थिति को अच्छे से समझ लें, फिर शादी के लिए हाँ या नहीं करेंगे।”
शैलेश के पेरेंट्स ने वहीँ शैलजा के साथ ही रुकने का फैसला किया और जब प्रताप को इसकी जानकारी हुई तो वो बहुत खुश हुआ। प्रताप ने शैलजा के पेरेंट्स के लिए अपना बंगलो पर रहने का प्रबंध कर दिया। प्रताप ने शैलजा के पेरेंट्स के साथ ही शैलजा को रहने की सलाह दी और अपनी बीएमडब्लू साथ भेज दिया। शैलजा के पास कोई ऑप्शन नहीं था तो वो भी अपने पेरेंट्स के साथ प्रताप के बंगलो पर शिफ्ट हो गयी। शैलजा ने काफी समय के बाद अपने पेरेंट्स से मुलाकात की थी। वहां पर पहले से मेड थी जिसने डिनर तैयार रखा हुआ था। शैलजा और उसके पेरेंट्स फ्रेश होकर डाइनिंग टेबल पर खाना खाने बैठे। शैलजा ने नाईट गाउन पहना हुआ था तो शैलजा की माँ गुस्सा हो गयी।
शैलजा की माँ, “ये क्या है शैलजा, कैसी ड्रेस पहना हुआ है तुमने। जाओ सलवार कमीज या साड़ी पहनकर आओ।”
अपनी माँ के ऑर्डर्स को फॉलो करने शैलजा अपने कमरे में चली गयी और कॉटन साड़ी पहनकर डाइनिंग टेबल पर आकर बैठ गयी।
शैलजा की माँ, “शैलजा, माथे पर आँचल से घूँघट बनाओ, और आज के बाद ऐसे ही हमारे सामने आना, समझी!”
शैलजा, “हाँ मम्मी!”
शैलजा ने अपनी साड़ी के आँचल से घूँघट किया और अपने पेरेंट्स के साथ डिनर करने बैठ गयी। डिनर के बाद शैलजा के माँ बाप एक कमरे में, एक कमरे में उसका भाई और अपने कमरे में शैलजा चली गयी। शैलजा के फ़ोन पर प्रताप का कॉल आया तो शैलजा ने बताया कि उसके पेरेंट्स डिनर करके अपने कमरे में सोने चले गए हैं। प्रताप ने शैलजा से कहा कि वो उसे बहुत मिस कर रहा है लेकिन वो दोनों साथ नहीं हैं। शैलजा ने भी प्रताप से यही कहा कि आज वो उसके बिना कैसे सोयेगी। थोड़ी देर आपस में बातें करने के बाद शैलजा ने गुड नाईट विश करके कॉल डिसकनेक्ट कर दिया और सोने की कोशिश करने लगी। शैलजा को नींद नहीं आ रही थी, वो आधी रात तक करवटें बदलती रही और जब उससे बर्दाश्त नहीं हुआ तो उसने वार्डरॉब में से रिमोट ऑपरेटेड डिलडो निकाल लिया जो शैलजा अपनी ट्रेनिंग के समय यूज़ करती थी। शैलजा ने अपनी पैंटी नीचे की और डिलडो को ऑन करके अपने गांड की छेद में घुसाने की कोशिश करने लगी। लगातार कोशिश के बावजूद शैलजा वो डिलडो अपने अंदर नहीं ले पा रही थी, फिर शैलजा ने अपनी आँखें बंद करके प्रताप को विज़ुअलाइज़ किया और डिलडो उसके अंदर समा गया। हल्का दर्द हो रहा था लेकिन शैलजा के पेरेंट्स घर में थे, वो अपना दर्द दबा कर रखना चाहती थी। डिलडो वाइब्रेट कर रहा था, शैलजा ने रिमोट से डिलडो का साइज बड़ा कर दिया, लेकिन बड़ा होने के साथ साथ वो डिलडो और स्पीडली वाइब्रेट करते हुए आगे पीछे होने लगा। शैलजा को दर्द होने लगा तो उसने तकिये को अपने मुँह से दबाने लगी और रिमोट से छह नंबर प्रेस कर दिया। छह नंबर प्रेस होते ही वो डिलडो काफी बड़ा होने के साथ साथ पेनेट्रेशन का स्पीड भी बढ़ गया। शैलजा ने अपनी आँखें बंद कर ली, तकिये को अपने दांत से दबा कर अपनी आवाज़ दबाने लगी और प्रताप को अपने साथ फील करने की कोशिश करने लगी। थोड़ी ही देर में शैलजा को ओर्गास्म हो गया, उसकी आँखों में जलन और नींद आने लगा। शैलजा ने रिमोट को अपनी गांड से बाहर निकालकर ऑफ किया और बिस्तर पर रखकर सो गयी। एक अधूरे सटिस्फैक्शन ने शैलजा को प्रताप की कमी महसूस करने को मजबूर कर दिया था। किसी तरह शैलजा रात भर सोई और सुबह सबसे पहले जाग गयी। शैलजा को पता था कि इतनी सुबह प्रताप का जिम टाइम होता है तो जल्दी से फ्रेश होकर अपनी मम्मी पापा के पास चली गयी। शैलजा ने क्रीम सिल्क साड़ी और ग्रीन बैकलेस ब्लाउज पहना हुआ था, ज्वेलरी के नाम पर, सानिया मिर्ज़ा स्टाइल नथिया, कानों में बालियाँ, गले में सोने का नेकलेस, पैरों में पायल और हाई हील्स, हाथों में कंगन सेट के साथ रेड नेलपॉलिश और रेड लिपस्टिक के साथ तैयार थी। मेड में ब्रेकफास्ट रेडी किया हुआ था और शैलजा ने अपनी माँ और पापा को ब्रेकफास्ट के लिए बुलवाया। शैलजा का भाई काफी देर तक सोता रहा, जैसा कि वो अक्सर ही सोता था। अपनी मम्मी पापा के ब्रेकफास्ट करने के बाद शैलजा होटल के निकलने को रेडी हुई उसकी मम्मी ने उसे रोका।
शैलजा की माँ, “कहाँ जा रही हो शैलजा?”
शैलजा, “ऑफिस जा रही हूँ मम्मी!”
शैलजा की माँ, “मैं दामाद जी से बात कर लुंगी, तू आज ऑफिस मत जा !”
शैलजा, “दामाद जी!”
शैलजा की माँ, “हाँ मेरी बच्ची, हम तेरे और प्रताप जी के रिश्ते के लिए तैयार हैं, लेकिन शादी के लिए तेरे और दामाद जी के कुंडली का मिलान जरुरी है। ऑफिस के काम काज के साथ तुझे घर के काम काज का भी हुनर होना बहुत जरुरी है। पति के प्यार को पाने का रास्ता उसके पेट से होकर गुजरता है। जितना स्वादिष्ट खाना पकाओगी, तुम्हारा पति तुमसे उतना ही ज्यादा प्यार करेगा। सिर्फ शादी कर लेने भर से कुछ नहीं होता, एक पत्नी बनने के लिए तुम्हे वो सब आना चाहिए जो एक संस्कारी और पतिव्रता स्त्री को आना जरुरी होता है।”
शैलजा, “आई लव यु मम्मी!”
शैलजा अपनी मम्मी पापा के डिसिशन से बहुत खुश थी और शायद इमोशनल भी हो गयी थी। शैलजा ने अपनी आंखों से आंसू पोछे और प्रताप को कॉल करके इन्फॉर्म किया कि आज वो छुट्टी पर रहेगी और प्रताप को भी बंगलो पर आने को कहा। प्रताप समझ चूका था कि जरूर कोई खास बात है। दोपहर के दो बजे प्रताप बंगलो पर पहुंचा जहाँ शैलजा अपनी कमर में साड़ी लपेटे किचन में अपनी माँ से आटा गूंथना सिख रही थी। प्रताप शैलजा को देखकर मुस्कुराता हुआ उसके पापा को प्रणाम किया और फिर उसकी माँ को।
शैलजा की माँ, “शैलजा, दामाद जी के लिए चाय बना दे, मैं थोड़ी देर में आती हूँ।”
शैलजा, “मम्मी मेरे को चाय बनाना नहीं आता!”
शैलजा की माँ, “हे राम, ये लड़की तो ससुराल जाते ही हम सब का नाक कटवा देगी। दामाद जी घर पर हैं और तुझे एक कप चाय बनानी नहीं आती। छोड़ मैं चाय चढ़ा देती हूँ, खौल कर लाल हो जाये तो छन्नी से छान कर अपने भाई को बुलाकर भेज देना। इतना तो कर लेगी ना!”
शैलजा, “हाँ मम्मी कर लुंगी, आप जाओ!”
शैलजा की माँ ने चाय चढ़ा दिया और प्रताप से मिलने चली गयी। शैलजा ने चाय लाल होने पर उसे छन्नी से छान दिया और अपने छोटे भाई को बुलाया और सभी के लिए चाय बिस्कुट भिजवाया। शैलजा का छोटा भाई चाय लेकर प्रताप और घरवालों को सर्व किया। शैलजा किचन से ही सुनने का कोशिश कर रही थी कि प्रताप और उसके घरवालों के बीच क्या बातचीत हो रही है। थोड़ी देर में वहां एक बाबा जी आ गए और प्रताप और शैलजा की कुंडली मिलान की। बाबा जी ने शैलजा की माँ को बताया कि शैलजा का विवाह एक स्त्री से होना लिखा है और एक वारिस के जन्म हो जाने के बाद एक पुरुष के साथ विवाह करने का संयोग बन रहा है। शैलजा की माँ ने बाबा जी को बताया कि उसकी शादी एक स्त्री से हो चुकी है और एक वारिस का जन्म भी हो चूका है। बाबा जी ने सगाई की समय निर्धारित की और तीन महीने बाद शैलजा और प्रताप की शादी की तारीख निकाल कर दे दी। बाबा जी ने प्रताप और शैलजा की भविष्यवाणी भी की। शादी के पांच वर्ष बाद शैलजा प्रताप के पहले बेटे को जन्म देगी और दोनों का परिवार परिपूर्ण हो जायेगा। शैलजा की माँ ने बाबा जी से कहा कि ऐसा नहीं हो सकता, शैलजा बच्चे को जन्म देने में सक्षम नहीं है। तो बाबा जी ने शैलजा की माँ को कहा कि ईश्वर ने शैलजा के नसीब में माँ बनने का सुख दिया है तो वो बच्चे को भी जन्म जरूर देगी। शैलजा बाबा जी और अपनी माँ की बातों को सुन रही थी और एक अनजान डर से उसके रोंगटे खड़े हो गए। शैलजा को यकीन नहीं हो रहा था, लेकिन जब भी वो प्रताप की तरफ देखती, प्रताप प्रॉडली उसे अपनाने को तैयार था। बाबा जी के जाने के बाद प्रताप ने शैलजा के माँ बाप से विदा लिया और उनसे कहा कि एक दिन बाद वो अपने पूरा परिवार के साथ शैलजा का हाथ मांगने आएगा, जिसे सुनकर शैलजा की दिलो की धड़कनें इतनी बढ़ गयी कि वो अपने कमरे में जाकर बिस्तर में अपना मुँह छिपाकर अपने भविष्य के बारे में सोचने लगी। बाबा जी की भविष्यवाणी सुनने के बाद शैलजा की दिलों की धड़कनें ऐसे बढ़ गईं थी जैसे राजधानी एक्सप्रेस। पांच साल बाद शैलजा प्रताप के बच्चे को जन्म देगी, लेकिन कैसे? आज भी उसके पास खुद का लंड है और प्रताप के बच्चे को जन्म देने के लिए उसे पूरी तरह से औरत बनना होगा, जिसके लिए प्रताप कभी भी नहीं मानेगा। शैलजा सोच सोच कर घबरा रही थी। उस रात जब शैलजा के माँ बाप और भाई अपने अपने कमरे में सोने चले गए तब शैलजा अपने कमरे में अलीशा से करीब दो घंटों तक बातें करती रही। जब अलीशा को बाबा जी के बताये भविष्यवाणी के बारे में पता चला तब वो हसने लगी और शैलजा को छेड़ते हुए कहा कि वो तो पहले से ही इस भविष्यवाणी के बारे में जानती थी। शैलजा ने अलीशा को बताया कि एक दिन बाद प्रताप के पेरेंट्स शादी की बात करने आने वाले हैं और उसे बंगलो पर आने को कहा। अलीशा मान गयी और अगले दिन सुबह इग्यारह बजे तक वो भी आ गयी। शैलजा ने अलीशा को अपने पेरेंट्स से मिलवाया और उनसे कहा कि अलीशा कमाल की ब्यूटीशियन है। शैलजा के पेरेंट्स ने अलीशा को अच्छे से समझाया कि शैलजा को कैसे तैयार करना है और उसकी माँ ने एक महारानी स्टाइल लहँगा चोली सेट अलीशा को पकड़ा दिया। प्रताप अपने पेरेंट्स के साथ एक दिन बाद आने वाला था और शैलजा को तैयार करने की पूरी जिम्मेदारी अलीशा के ऊपर थी।
अलीशा, “तुम बहुत भाग्यशाली हो शैलजा जो तुमको प्रताप जी जैसा एक प्यार करने वाला व्यक्ति मिला, जिसने तुम्हे एक सम्मानजनक काम करने का मौका दिया।”
शैलजा, “हाँ अलीशा, मुझे प्रताप जी से कब प्यार हो गया इसका पता भी नहीं चला! मुझे पता है कि तुम क्या सोच रही हो, अलीशा, लेकिन मेरा विश्वास करो, मैं जल्द ही तुम्हें उस दलदल से निकाल कर एक अच्छा और गरिमापूर्ण जीवन दूंगी!”
अलीशा, ” मुझे नहीं पता कि शालू! कल का कल देखा जाएगा! लेकिन आज तुम प्रताप जी के लिए फिर से एक दूल्हन बनने जा रहे हो और एक दिन बाद तुम्हे देखने प्रताप जी अपने पुरे परिवार के साथ आने वाले हैं।”
शैलजा, “थैंक्स अलीशा!”
अलीशा, “तो तुम्हे किसका इंतज़ार हैं? अब जल्दी से न्यूड हो जाओ, प्लीज मुझे बिना किसी देरी के मेरी शालू की खूबसूरती देखने दो।”
शैलजा, “अलीशा, ऐसा मत कहो, तुम मुझसे ज्यादा सुंदर हो।”
जब शैलजा ने अपने कपड़े उतार दिए और निर्वस्त्र हो गई, तो अलीशा बिना पलक झपकाए उसकी सुंदरता को देखती रही।
शैलजा, “ऐसे क्यों देख रही हो अलीशा, मुझे शर्म आ रहा है, तुम उधर देखो ना प्लीज्?”
अलीशा, “तुम्हारी सुंदरता वास्तव में नेचुरल है। तुम्हारे बूब्स बहुत सुंदर हैं और तुम्हारे शरीर पहले की तुलना में इतना गोरा और चमकदार हो गया है कि जी चाहता है एक बार अभी ही सेक्स कर लूँ।”
शैलजा, “थैंक्स अलीशा, और ऐसी बातें मत करो अलीशा। अब मेरे इस शरीर पर सिर्फ प्रताप जी का हक़ है और अब क्या मुझे भी ऐसा ही नंगा रहना पड़ेगा!”
अलीशा, “नो नो प्लीज! तुम तौलिया लपेट लो।”
शैलजा ने अपने बूब्स पर तौलिया लपेट रखा था, लेकिन फिर भी शैलजा की बूब्स के ऊपरी भाग पर अलीशा की नज़रें टिकी थीं।
शैलजा, “अलीशा! मुझे इस तरह मत देखो, मुझे शर्मिंदगी महसूस हो रही है।”
अलीशा ने शैलजा को तैयार करने के लिए ड्रेसिंग टेबल के सामने बैठा दिया।
अलीशा, “शालू, तुम शैलेश से शैलजा बन गई, लेकिन आज तक तुमने मुझे यह नहीं बताया कि फ्यूचर के बारे में क्या सोचा है तुमने। तब तक मैं तुम्हारे चेहरे के मेकअप को पूरा करती हूँ!”
शैलजा, “फ्यूचर के बारे में कुछ ख़ास नहीं सोचा है अलीशा। प्रताप जी की पत्नी बनने के बाद की लाइफ कैसी होगी, वो मुझे यहाँ दिल्ली में रखेंगे या किन्नौर भेज देंगे, कुछ भी नहीं पता। और मैं सोचना भी नहीं चाहती अलीशा की फ्यूचर कैसा होगा, जब मेरा प्रेजेंट मेरे पास्ट से इतना डिफरेंट है तो मेरा फ्यूचर क्या होगा, कुछ नहीं पता !”
अलीशा, “वो बात तो है शैलजा, प्रताप जी जैसा समझदार, हैंडसम मर्द सभी लड़कियों के नसीब में नहीं होते। तुम खुशनसीब हो शैलजा!”
शैलजा, “हाँ अलीशा, मैं बहुत ही नसीबवाली हूँ जो पति के रूप में मुझे प्रताप जी मिलने वाले हैं।”
अलीशा, “हाँ! और आज तुम आदमी से शीमेल बन गए हो। तुम्हारा मेकअप पूरा हो गया है और मैंने हाथों में मेहंदी भी लगा दी है। अब तुम अपने पैर आगे रखो, मुझे तुम्हारे पैरों में भी मेहंदी लगानी होगी।”
शैलजा, “पैरों में मेहँदी?”
अलीशा, “हाँ शैलजा, आज मैं तुम्हे स्वर्ग की अप्सरा की तरह तैयार करुँगी। तुम्हारी खूबसूरती देखकर प्रताप जी के पेरेंट्स अपना होश खो बैठेंगे!”
शैलजा, “अलीशा, आज तुमने मेरे हाथों में बहुत ही प्यारी मेहँदी लगायी है। आई लव्ड दिस।”
अलीशा, “थैंक यु शैलजा!”
शैलजा, “प्रताप जी ने मेरे लिए इतना कुछ किया है कि मैं उनके लिए कुछ भी करने को तैयार हूं, चाहे वह सेक्स हो या पूरी रात रोमांस। लेकिन मैं किसी भी पुरुष से शादी नहीं करना चाहती। मैं आज भी एक मर्द ही हूँ अलीशा, मेरे पास आज भी खुद का लंड है और मैं किसी लड़की के साथ सेक्स करने में भी सक्षम हूँ। फिर मेरे अंदर प्रताप जी के लिए औरत बनने की भावना क्यों है, मैं क्यों प्रताप जी की पत्नी बनना चाहती हूँ, मुझे इसका कोई अंदाज़ा नहीं। लेकिन अलीशा मेरे अंदर औरतों वाली फीलिंग ना जाने क्यों इतनी बढ़ गयी है कि प्रताप जी के पास आने पर मेरे दिल की धड़कनें बढ़ने लगती हैं और शरम भी बहुत आता है।”
अलीशा, ” यही तुम्हारी लाइफ है शैलजा, तुम्हे स्वीकार करना पड़ेगा कि बाहर से भले ही तुम एक शीमेल हो, लेकिन अंदर से एक नाज़ुक औरत। ये देखो शैलजा, मैंने तुम्हारे पैरों पर मेहंदी लगाई है, अब मेहंदी के सूखने की वेट करो।”
कुछ देर तक अलीशा और शैलजा आपस में बातें करती रहीं और उस रात अलीशा शैलजा के घर पर ही रुक गयी। अगले दिन सुबह, एक खास तरह का ऑइंटमेंट अलीशा ने शैलजा के हाथों और पैरों पर अप्लाई किया और फिर उसके हाथों की मेहँदी छुड़ाई। शैलजा के गोर हाथों और पैरों में मेहँदी बहुत ही डार्क रची थी। हाथों में कुहनी तक और पैरों में घुटनो तक मेहँदी रची थी जो शैलजा की सुंदरता में निखार ला दिया था।
अलीशा, “वाह शैलजा, तुम्हारी मेहंदी का रंग तो काफी गहरा है। क्या तुम जानती हो कि अगर दूल्हन के हाथ और पैर के मेहँदी डार्क होती है तो क्या होता है?”
शैलजा, “अलीशा, मैं यह सब नहीं समझती और ये बताओ कि तुमने मेरी हाथों की मेहंदी में प्रताप क्यों लिखा?”
अलीशा, “मैं बताती हूँ, डार्क मेहँदी का मतलब है कि तुम्हारा भावी पति तुमसे बहुत प्यार करेगा। और प्रताप जी तुमसे प्यार करते हैं तो तुम्हारी हथेली पर किसी और का नाम तो होगा नहीं!”
शैलजा, “अलीशा, तुम कुछ भी बोलती हो।”
अलीशा, “हाय! दुल्हन शरमा रही है, हाउ क्यूट!”
इसके बाद अलीशा ने शैलजा के पैर और हाथ के नाखूनों पर रेड रोज नेल पॉलिश लगाई। शैलजा के हाथों और पैरों की सुंदरता बढ़ गयी थी। अलीशा ने शैलजा के होठों पर ग्लॉसी गहरे लाल रंग की लिपस्टिक लगाई। फिर अलीशा ने बालों को एक अच्छा बन हेयरस्टाइल डिजाइन दिया, आइब्रो के नीचे और आंखों के कोनों के नीचे डेजर्ट रोज हाइलाइटर स्मूथ लगाने के बाद आंखों की लैश कोट किया। अलीशा ने चमकीली हल्की गुलाबी आई शैडो भी लगाई। चेहरे का मेकअप पूरा हुआ। अब अलीशा ने ब्रश की मदद से अतिरिक्त नींव को हटाते हुए एक लाइस पाउडर की मदद से बेस सेट किया। यह शैलजा के चेहरे पर एक प्राकृतिक चमक देने लगा और उसके चेहरे को चमकदार बना दिया। अब अलीशा ने शैलजा के दोनों हाथों में गोल्डन-व्हाइट-रेड कलर में 6 इंच लंबी डिज़ाइनर ब्राइडल रंग की चूड़ा पहना दिया, जिसका वजन प्रत्येक हाथ में लगभग 250 ग्राम था। शैलजा ने अपने जीवन में पहली बार इतनी लंबी डिज़ाइनर दुल्हन का रंगीन चुडा देखा था। शीतल ने भी इतनी लंबी और डिज़ाइनर रंग-बिरंगी चूड़ा कभी नहीं पहना, न शादी से पहले और न ही शादी के बाद। इसके बाद अलीशा ने शैलजा की दोनों कलाई में सोने की राजस्थानी सोने की हाथ-फूल पहनाई। शैलजा ने अपने जीवन में कभी इस तरह के गहने नहीं देखे थे, लेकिन वह उत्साहित महसूस कर रही थीं। फिर अलीशा ने कलाई में शैलजा और पंजाबी दुल्हन द्वारा पहने जाने वाले ब्राइडल कलीरे और बाहों में सोने का बाजूबंद पहना दिया। शैलजा ने अपने दोनों हाथों को देखा, उसके हाथों की सुंदरता पहले से काफी बढ़ गई थी।
शैलजा, “अलीशा, ये तुमने मेरे हाथों में क्या पहना दिया है?”
अलीशा, “इन्हें कलीरे कहा जाता है। वे ज्यादातर पंजाब के दुल्हनों द्वारा पहने जाते हैं।”
शैलजा, “यह वास्तव में सुंदर लेकिन भारी भी है; मैंने अपने जीवन में ऐसे गहने नहीं देखे हैं।”
अलीशा, “हाँ शैलजा, इन कलीरे पहनी दूल्हन जो मेरे सामने बैठी है वो भी बहुत खूबसूरत हैं।”
अलीशा की बातें सुनकर शैलजा एक बार फिर से शरमा गई और अपनी आँखें बंद करके सिर झुका लिया।
इसके बाद अलीशा ने शैलजा को ब्रा नहीं पहनने दी और उसे बैकलेस चोली पहनने दी।
शैलजा, “मैं बिना ब्रा पहने इस पूरी बैकलेस चोली को कैसे पहनूं?”
अलीशा, “यह एक स्पेशल चोली है शैलजा, एक बार जब तुम इसे पहनोगी, तो हमेशा इसे पहनने पर जोर दोगी।”
शैलजा अलीशा के जवाब से चुप हो गयी और अपना तौलिया उतार कर चोली पहन ली। अलीशा ने शैलजा की चोली की डोरियों को बहुत ही आकर्षक और अच्छे डिज़ाइन से बांधा। शैलजा की चोली बहुत टाइट फिटिंग की थी और चोली की डोरियाँ बंधी होने के कारण उसके 28G बूब्स का उभर ऊपर की तरफ फूल गए थे। शैलजा को अपने बूब्स पर चोली की कोमलता का अहसास हो रहा था और वो अंदर से बहुत अच्छा महसूस कर रही थी। इसके बाद अलीशा ने शैलेश को क्रिस्टल-लुक वाली पैंटी के साथ शाही लाल रंग का महारानी स्टाइल लहंगा पहनाया, जो शाही शादियों में दुल्हनें अपनी शादी के दिन पहनना पसंद करती हैं। जब अलीशा ने शैलजा को शाही लाल महारानी स्टाइल लहंगा पहनाया था, जो उसकी नाभि से नीचे और उनके कूल्हों से थोड़ा ऊपर था। वह लहंगा इतना बड़ा और भारी था कि जब शैलजा ने अपने दोनों कोमल हाथों से उसका लहंगा उठाया, तो उसे लगा कि लहंगा कम से कम 10 किलो का होगा। अलीशा ने शैलजा को बिस्तर पर बिठा दिया और शैलजा के पैरों में चांदी के भारी पायल और साथ ही 4 इंच की गोल्डन हील की सैंडल डाल दी। इसके बाद अलीशा ने अपने बैग से एक चांदी का कमरबंद निकाला और शैलजा की पतली कमर में बांध दिया। फिर अलीशा ने शैलजा के दोनों पैरों की अंगुलियों में 5 से 5 चांदी के बिछुआ पहना दिया।
शैलजा, “तुमने मेरे दोनों पैरों की अंगुलीयों में क्या पहनाया है?”
अलीशा, “इन्हें बिच्छूआ कहा जाता है, हमारे देश में सुहागन महिलाएँ अपने सुहाग की निशानी के रूप में बिछुआ पहनती हैं।”
शैलजा, “मैं और क्या क्या पहनूंगी अलीशा?”
अलीशा, “तुम्हे तो अभी भी पूरे चेहरे की ज्वेलरी, शरीर के ऊपरी हिस्से की ज्वेलरी और अपनी गर्दन के चारों ओर के आभूषण भी पहनने बाकी हैं मेरी जान।”
फिर अलीशा ने शैलजा को हैवी डिज़ाइनर कुंदन चोकर सेट पहना दिया।
शैलजा, “यह किस प्रकार का हार है, यह बहुत ही डिजाइनर है, भारी और काफी बड़ा है।”
अलीशा, “कुंदन आभूषण मंत्रमुग्ध करने वाली ज्वेलरीज होती हैं और भारतीय दुल्हनें इसे पहनकर खुश हो जाती हैं। “
शैलजा, “ये गहने बहुत महंगे लगते हैं।”
अलीशा, “हाँ शैलजा, ये गहने विशेष रूप से प्रताप जी ने तुम्हारे लिए भेजे हैं।”
शैलजा, “एक बात बताओ, यह कैसा आदमी है। सबसे पहले हम उनके लिए इतनी मेहनत करते हैं और वे रात भर में ऐसा का तैसा करते हैं, जिससे पूरा मेकअप खराब हो जाता है।”
अलीशा, “हाँ शैलजा, पुरुषों को हमारी मेहनत का कोई अंदाज़ा भी नहीं है।”
अब अलीशा ने शैलजा के माथे पर एक मांगटीका, कानों में भारी सोने के झुमके और हेयर बन में डिजाइनर हेयर ज्वैलरी भी सेट की। उसके बाद, अलीशा ने शैलजा के सामने दस तरह की नथिया खोली और उससे पूछा कि वह कौन सी नथिया पहनेगी। शैलजा ने ध्यान से उसके सामने रखी दस नाथियों को देखा; वे सभी काफी बड़े, भारी और डिजाइनर थे। शैलजा समझ नहीं पा रही थी कि किस नथिया को चुनें और फिर उसने एक नथिया पर हाथ रखा और अलीशा को पहनाने को कहा। जब अलीशा ने इसे नथिया शैलजा की नाक में पहनाई तो शैलजा को अपनी नाक पर भारीपन महसूस हुआ क्योंकि वो नथिया बहुत भारी और लगभग अस्सी से सौ ग्राम थी।
अलीशा, “वाह शैलजा, यह नथिया तुम्हारी नाक में और भी सुंदर लग रही है। और तुमने किन्नौरी नाथिया को भी चुना। इस नथिया को किन्नौर की महिलाओं के द्वारा शादी के बाद जीवन भर के लिए अपनी नाक में पहनना होता है।”
शैलजा, “संभवतः सिर्फ एक संयोग है, अलीशा!”
अलीशा ने शैलजा को तैयार किया था और शैलजा ने अलीशा को उसे ऊपर से पहनने के लिए कुछ देने के लिए कहा था।
अलीशा, “तुम बहुत सुंदर दिख रही हो शैलजा, आज प्रताप जी नहीं चाहेंगे कि तुम घूँघट में रहो।”
शैलजा, “अलीशा, प्रताप चाहेंगे और क्या नहीं वो उनपर छोड़ दो लेकिन पहले मुझे कोई दुपट्टा या चुनरी दो, मुझे बहुत शर्मिंदगी महसूस हो रही है।”
अलीशा, “हाहाहा, ठीक है शैलजा!”
इसके बाद अलीशा ने शैलजा के माथे पर एक छोटी सी रेशम की गोटी दुपट्टे से घूँघट बनाया।
शैलजा, “आपने मुझे यह दुपट्टा पहनाया है लेकिन यह बहुत छोटा है। यह गोटा पट्टी दुपट्टा सिर्फ मेरे चेहरे को कवर कर रहा है, लेकिन मेरी पीठ तो अभी भी न्यूड है अलीशा।”
अलीशा, “आज इतने से ही काम चलाना पड़ेगा शैलजा और तुम कितनी देर से महिलाओं की तरह शर्मिंदा हो रही हो। मुझे आज भी याद है जब तुम पहली बार मुझसे मिले थे, साढ़े तीन महीने पहले, जब तुम एक नौजवान मर्द थे और आज तुम महिलाओं की तरह दुल्हन बनी शर्मिंदा हो रही हो और उनकी तरह आरग्यु भी करने लगी हो।”
अलीशा की बात सुनकर शैलजा ने खुद को आईने में देखा; एक दुलहन उसके सामने एक महारानी स्टाइल लहंगा चोली में बैठी थी।
शैलजा ने सोचना शुरू किया, “यह मैं हूँ, लेकिन मैं यहाँ क्यों बैठा हूँ? एक दूल्हन की तरह कपड़े पहने हुए जो मर्द के साथ शादी करने के लिए तैयार हो रही है। ये क्या करने जा रही हूँ मैं? आज मैं एक आधी शरीर वाली महिला बन गई हूं; अलीशा मुझे एक दूल्हन की तरह सजा रही है। मैं कुछ महीने पहले तक एक आदमी था। मेरी पत्नी शीतल और मेरा बेटा राहुल, उन्हें पता नहीं है कि मैं कहां हूं, मैं कैसे हूँ और क्या कर रहा हूं। मेरी पत्नी ने शादी के बाद मुझे धोखा दिया और मेरा बेटा भी उस आदमी के साथ खुश है। मैंने अपनी पत्नी और बेटे के लिए इस शीमेल वेश्यावृत्ति के धंधे को अपनाया, लेकिन उन्होंने मेरा क्या किया। यदि प्रताप जी मेरे जीवन में नहीं होता, तो मैं आज भी एक शीमेल वेश्या के रूप में अपना जिस्म बेच रहा होता, लेकिन प्रताप जी ने मुझे एक नया जीवन दिया है। आज मैं गरिमा के साथ नौकरी करके पैसा कमा सकती हूं। भले ही आज मेरा जिस्म आधी औरत का है लेकिन मेरी आत्मा आज भी मर्द एक औरत के बीच का फैसला तय नहीं कर सकी है। कभी लगता है मेरी लाइफ शैलेश के रूप में ज्यादा अच्छी होगी तो कभी लगता है कि शैलजा बनने का फैसला मुझे हमेशा खशी देगा। लेकिन प्रताप जी का मुझ पर बहुत एहसान हैं, मुझे प्रताप जी के लिए यह सब करना अच्छा लगने लगा है। मैं बहुत शर्मिंदा महसूस कर रही हूँ और मुझे नहीं पता कि मैं आज पहली बार इतना डर क्यों रही हूँ! अब बस, मुझे अपने अंदर शैलेश को मारना होगा! मुझे अब अपने अंदर के शैलेश को औरत का रूप देना पड़ेगा, अब मेरी जीवन एक नई शुरुआत होने जा रही है और मैं नहीं चाहती कि मुझे फिर से धोखा दे, इससे तो अच्छा यही होगा कि मैं अपना तन मन खुद एक मर्द को समर्पित कर दूँ। अब मैं अपनी जिंदगी में न तो शीतल को चाहता हूं और न ही राहुल को। अगर वे दोनों शीतल के बॉयफ्रेंड से खुश हैं, तो मुझे भी अपने जीवन में आगे बढ़ना होगा। मुझे भी अपना परिवार चाहिए, अपना पति और अपना बच्चा!”
अलीशा, “तुम क्या सोच रही हो शैलजा?”
अलीशा के सवाल को सुनकर शैलाजा अपनी सोच से बाहर आ गयी।
शैलजा, “हाँ अलीशा, बोलो!”
अलीशा, “तुम कहाँ खो गयी? तुम निश्चित रूप से अपने सुहागरात के बारे में सोच रही हो यही ना?”
शैलजा, “नहीं अलीशा, ऐसा कुछ नहीं है।”
अलीशा, “झूठ मत बोलो शैलजा, मुझे पता है कि तुम निश्चित रूप से प्रताप जी के बारे में सोच रही थी।”
शैलजा, “नहीं अलीशा, मैं तुम्हारे बारे में सोच रही थी। मैंने सोचा है कि आज रात मैं तुम्हारी आजादी के लिए प्रताप जी से पूछूँगी।”
शैलजा की बात सुनकर अलीशा भावुक हो गई।
अलीशा, “तुम बहुत अच्छी हो शैलजा! काश तुम आज एक पुरुष ही होती, शीमेल ना बनती तो आज मैं तुमसे शादी कर लेता।”
शैलजा, “चिंता मत करो अलीशा, मैं तुम्हारे लिए एक हैंडसम हंक की तलाश करूँगी और तुम्हारी शादी भी करवा दूँगी। जब तुम शादी करोगी तो मैं तुम्हें अपने हाथों से दुल्हन की तरह सजाऊंगी।”
दोपहर होने जा रहा था, एक तरफ शैलजा तैयार होकर अलीशा के साथ बातें कर रही थी। उसी समय दरवाज़े पर नॉक हुए, प्रताप अपने पुरे परिवार के साथ आ चूका था और शैलजा के माँ बाप और भाई ने उनका स्वागत किया। घर बहुत ही सुन्दर ढंग से सजाया हुआ था जिसे देखकर प्रताप और उसके घरवाले बहुत प्रभावित हुए। प्रताप ने शैलजा के बारे में अपने माँ बाप को कुछ भी नहीं बताया था और शैलजा के माँ बाप को भी शैलजा के पास्ट में मर्द होने की बात ना बताने को कहा हुआ था। शैलजा के माँ बाप तो यही चाहते थे कि शैलजा का रिश्ता प्रताप के साथ तय हो जाये। थोड़ी देर में मेड सभी के लिए नाश्ता और चाय लेकर आ गयी। सभी ने नाश्ते और चाय को बहुत पसंद किया और काफी देर तक बात करने के बाद प्रताप की माँ ने शैलजा की माँ से लड़की को बुलाने को कहा। शैलजा की माँ कमरे में चली गयी जहाँ शैलजा और अलीशा आपस में बातें कर रहे थे। शैलजा की माँ ने अलीशा से कहा कि प्रताप के परिवार वाले आ गए हैं और शैलजा को बुला रहे हैं। अलीशा ने शैलजा की माँ से कहा कि वो जाएं, शैलजा को साथ लेकर वो आ जाएगी। इसके बाद अलीशा ने शैलजा को खड़े होने में मदद की। शैलजा खड़ी हो गई, लेकिन उसका लहंगा बड़ा और भारी था, नाक में नथिया बार-बार होंठों और गालों पर टकरा रही थी। शैलजा ने अपने घूँघट को ठीक किया और उसने अपने दोनों हाथों से अपना लहंगा उठाया और अलीशा के साथ चलने को तैयार हो गई। प्रत्येक कदम के साथ, शैलजा की नाक की किन्नौरी नथिया उसके होठों और गालों पर टकरा रही थी, बूब्स ऊपर से नीचे की ओर स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहे थे, कानों में पहने हुए झुमके भी बार-बार कंधों से टकरा रहे थे और शैलजा ने अपने हाथों से अपना लहंगा उठाया हुआ था। वह बहुत शर्मिंदा थी और अपने कदम बहुत धीरे-धीरे उठा रही थी। कुछ ही पल में शैलजा प्रताप और अपने परिवार के बीचोबीच घूँघट में सिर झुकाये खड़ी थी। शैलजा ने प्रताप के माँ बाप के पैरों को छूकर उनका आशीर्वाद लिया और प्रताप की माँ ने शैलजा को अपने पास में बिठाया।
प्रताप की माँ, “जरा घूँघट उठा दे बेटी, चेहरा तो देखूं?”
प्रताप की माँ की बात सुनकर शैलजा ने अपना घूँघट उठाया और सर झुका कर बैठ गयी।
प्रताप की माँ, “तू तो बड़ी सुन्दर है शैलजा! मुझे तो तू पहली नज़र में पसंद आ गयी थी लेकिन आज तू बहुत ज्यादा सुन्दर दिख रही है। क्या तू मेरे बेटे प्रताप की दुल्हन बनेगी? मेरा बेटा बहुत अच्छे दिल का है, तुम प्रताप के साथ हमेशा खुश रहेगी। इतने अच्छे से होटल को संभाला है तूने अब मेरे बेटे का हाथ थाम ले, और हमारे वंश को आगे बढ़ा ! तू प्रताप से शादी करेगी ना? बनेगी ना मेरे बेटे की दुल्हन?”
शैलजा की माँ के सवालों को सुनकर शैलजा शर्म से पानी पानी हो रही थी, बिना कुछ कहे उसने अपना सिर झुका लिया।
शैलजा की माँ, “लड़की शरमा गयी समधन जी! मेरी बेटी आपके बेटे की दुल्हन बनने को तैयार है, क्यों तैयार है ना शैलजा!”
शैलजा ने हाँ में सर हिलाया और सभी खुश हो गए। शैलजा और प्रताप की ऊँगली के नाप अंगूठी दोनों परिवार ने पहले से ले रखा था। थोड़ी देर में शैलजा और प्रताप को आमने सामने रिंग सेरेमनी “रोका” के लिए बिठा दिया गया और घरवाले उन्हें घेर कर खड़े हो गए। पहले शैलजा ने प्रताप की कनिष्ठ ऊँगली में सोने की अंगूठी पहनाई जो काफी बड़ी थी। फिर प्रताप ने शैलजा की कनिष्ठ ऊँगली में डायमंड प्लैटिनम की लाइट वेट रिंग पहना दी जी काफी डिज़ाइनर और सुन्दर थी। शैलजा का रोका हो चूका था, परिवार में सभी ने शैलजा को को गिफ्ट्स दिए और शैलजा के परिवार की तरफ से प्रताप के परिवार में सभी के लिए गिफ्ट्स दिए। दोनों परिवार थोड़ी ही देर में आपस में घुल मिल गए। शैलजा की होने वाली सास ने उसका नंबर लिया और उसे अपना नंबर भी दिया जिसे शैलजा ने मॉम नाम से सेव कर लिया। सगाई वाली नाईट डिनर के समय शैलजा ने अपने हाथों से प्रताप को खिलाया तो उसे देखकर लड़कियां शैलजा को छेड़ने लगी और शैलजा शरमा गयी। प्रताप ने भी शैलजा को गिफ्ट दिया और शैलजा ने उस गिफ्ट को मुस्कुराते हुए ले लिया। प्रताप ने शैलजा को बताया कि उसने प्री वेडिंग शूट के लिए हैदरआबाद का एक लोकेशन बुक कर लिया है और दो दिन बाद वहां जाना है। शैलजा भी प्रताप के साथ अपना एक एक पल बिताने के लिए तैयार थी और प्री वेडिंग शूट की बात सुनकर शैलजा बहुत खुश हो गयी थी। सगाई का फंक्शन ख़त्म होने के बाद प्रताप अपने परिवार के साथ होटल चला गया जहाँ प्रताप ने अपने परिवार वालों का रहने का इंतेज़ाम कर रखा था। इधर सगाई के बाद शैलजा का शरम आ रहा था और वो अपने कमरे में बैठी गिफ्ट्स देख रही थी।
कमरे में,
शैलजा की माँ, “शैलजा, तुम सोई नहीं?”
शैलजा, “नहीं मम्मी, नींद नहीं आ रही!”
शैलजा की माँ, “हम्म! क्या से क्या हो गया शैलजा! मुझे तो यकीन ही नहीं होता है कि जिस बेटे की सगाई और शादी आज से कुछ साल पहले एक लड़की से हुई। मेरी बहु शीतल जिसने तुम्हारे पहले बच्चे और हमारे घर की वारिस को जन्म दिया। आज मेरे बेटे को एक मर्द के साथ सगाई करनी पड़ी, कुछ दिनों बाद वो मेरे बेटे को अपनी दुल्हन बनाकर ब्याह कर अपने साथ ले जायेगा। मेरे बच्चे कैसे जियेगी एक मर्द की पत्नी बनकर?”
शैलजा, “मम्मी, तुम प्लीज ज्यादा मत सोचो! प्रताप जी ने मेरे बुरे वक़्त में मेरा साथ दिया और अपने होटल में इतना अच्छा पोजीशन दिया। प्रताप जी को मैंने ना जाने कितनो ही बार शादी के लिए मना किया लेकिन उन्होंने तो तय ही कर रखा था कि शादी करेंगे तो मुझसे ही वरना कुंवारे ही रहेंगे! वो मुझसे बहुत प्यार करते हैं और केयर भी। मैं उनके साथ खुश रहूंगी!”
शैलजा की माँ, “हाँ वो तो तेरे चेहरे की रौनक बता रही है शैलजा और मुझे पता है कि तुम भी दामाद जी से बहुत प्यार करती हो। लेकिन समाज क्या कहेगा, जिस परिवेश में हम रहते हैं वो हमेशा हमारे परिवार का मजाक बनाएंगे। मेरे बेटे के इमोशंस की परवाह किये बिना सभी यही कहेंगे कि हमारा बेटा पैसों के लिए औरत बन गया और अपनी बीवी बेटे को छोड़कर एक मर्द से शादी कर ली। शीतल के घरवाले भी बहुत तमाशा करेंगे, लेकिन मुझे ख़ुशी है कि मेरी बेटी को इतना प्यार करने वाला पति मिल रहा है। आई नो प्रताप के साथ तुम हमेशा खुश रहोगी शैलजा, सदा सुहागिन रहो मेरी बेटी ! अच्छा मैं सोने जा रही हूँ, तुम भी सो जाओ शैलजा! गुड नाईट!”
शैलजा, “गुड नाईट मम्मी, आई लव यु!”
शैलजा की माँ अपनी बेटी की शादी के बारे में सोच सोच कर इमोशनल हो चुकी थी, उसने शैलजा की तरफ डबडबायी आँखों से देखा और अपने कमरे में चली गयी। शैलजा अब कुछ ही दिनों में आधिकारिक तौर पर प्रताप की पत्नी बन जाने वाली थी और रात को प्रताप को बहुत ही ज्यादा मिस कर रही थी। प्रताप ने शैलजा को समझाया कि सिर्फ कुछ ही दिनों की बात है, उसके बाद दोनों को तो हमेशा साथ ही रहना है। शैलजा को प्रताप की कमी अभी से महसूस होने लगी थी। शैलजा सगाई वाली रात प्रताप की बाहों में सोना चाहती थी, लेकिन दोनों के घरवालों के रहते ये सब पॉसिबल नहीं था।
सुबह के पांच बजे फ़ोन पर कॉल आया और शैलजा की नींद खुल गयी। प्रताप ने कॉल किया था और उसने बताया कि उसके पेरेंट्स वापिस किन्नौर जाने वाले हैं और चाहते हैं कि शैलजा उनसे मिलने आये। शैलजा ने प्रताप को ओके किया और फ्रेश होने के बाद अपने कमरे में आ गयी। कमरे में शैलजा की माँ उसका इंतज़ार कर रही थी।
शैलजा की माँ, “शैलजा, इतनी सुबह नहा कर कहाँ जाने की तयारी कर रही हो?”
शैलजा, “मम्मी, प्रताप जी के पेरेंट्स ने मिलने के लिए बुलाया है। वे किन्नौर जा रहे हैं और चाहते हैं कि मैं उनसे मिलने आऊं!”
शैलजा की माँ, “हम्म, ठीक है ! नाश्ता तैयार कर देती हूँ मैं, तबतक तुम तैयार हो जाओ।”
शैलजा, “ओके मम्मी!”
वाइन साटन साड़ी और सेक्विन बैकलेस ब्लाउज पहनकर शैलजा तैयार हुई और किचन में अपनी माँ के पास चली गयी।
शैलजा की माँ, “ये तुम बाल को कोई अच्छा सा हेयर कट क्यों नहीं करवा लेती हो। आते समय कोई अच्छा सा हेयर कट करवाती आना और इधर आओ, मैं चोटी बना देती हूँ।”
शैलजा, “नहीं माँ, मैंने आज तक कभी चोटी नहीं बनाई, अच्छा नहीं लगेगा!”
शैलजा की माँ, “अच्छी लगेगी तू, इधर आ!”
इससे पहले की शैलजा कुछ कहती, उसकी माँ उसके बाल बनाने बैठ गयी। थोड़ी ही देर में शैलजा की साइड चोटी तैयार थी। शैलजा की माँ ने शैलजा के बालों को कर्ल किया और उसके बाद बालों को एक साइड करके चोटी बना दी। शैलजा की सुंदरता एक अलग ही लेवल पर दिखने लगी थी और दोनों भौहों के बीच एक छोटी सी बिंदी, मैट रेड लिपस्टिक, आँखों में काजल, नाक में छोटा सा नथिया, कानों में झुमके, गले में नेकलेस, एक हाथ की कलाइयों में सिल्वर अमेरिकन चूड़ियां और पैरों में हैवी चांदी की पायल पहनने के बाद उसका आकर्षण भी काफी बढ़ गया था। शैलजा ने अपनी माँ को थैंक्स किया और नाश्ता करके होटल के लिए निकल गयी। जब शैलजा होटल पहुंची तो उसने देखा प्रताप और उसकी फॅमिली पहले से ही उसके इंतज़ार में थे। शैलजा को प्रताप की माँ ने अपने पास बिठाया और शैलजा चुपचाप अपनी साड़ी की आँचल से घूँघट करके उनके पास बैठ गयी। फिर प्रताप की माँ ने शैलजा को एक जोड़ा सोने का कंगन पहनाया और बताया कि ये खानदानी कंगन हैं। शैलजा अपनी होने वाली सास के इतने सॉफ्ट व्यव्हार से पिघल सी गयी थी, उसकी आँखों में आंसू आ गए। शैलजा ने प्रताप की माँ के पैरों की छूकर उनका आशीर्वाद लिया और फिर सभी ने शैलजा को कुछ न कुछ गिफ्ट दिया। शैलजा ने सभी बड़ों का आशीर्वाद लिया और थोड़ी ही देर में प्रताप की पूरी फॅमिली किन्नौर के लिए निकल गए। प्रताप के फॅमिली के जाते ही प्रताप ने शैलजा को स्वीट में चलने को कहा। शैलजा ने प्रताप से कहा कि होटल के काम को पूरा करने के बाद स्वीट में जाये लेकिन प्रताप नहीं माना और शैलजा को अपनी बाहों में उठाकर सबके सामने स्वीट में ले गया। शैलजा को बहुत ही ज्यादा शॉय फील हुआ, लेकिन प्रताप को कोई फरक नहीं पड़ा। इन कुछ दिनों की दुरी जितनी शैलजा को फील हुआ शायद उतनी ही प्रताप को भी फील हुआ था, तभी तो प्रताप शैलजा को प्यार करने के लिए इतना बेताब था कि उसने किसी की परवाह किये बगैर शैलजा को बिस्तर पर लिटा दिया।
शैलजा, “ये आप क्या कर रहे हैं?”
प्रताप, “शैलजा, आई वांट यू टू बी इन माय आर्म्स टुडे!”
शैलजा, “प्रताप जी, घर पर मम्मी पापा भाई सब मेरा इंतज़ार कर रहे हैं, आज रहने दीजिये ना!”
प्रताप, “पापा मम्मी घर पर हैं शैलजा और हम यहाँ, तुम्हे किस बात का डर है।”
शैलजा, “सुनिए ना, हम दोनों की शादी तय हो चुकी है, शादी से पहले ये सब करना ठीक नहीं, मुझे जाने दीजिये!”
प्रताप, “शैलजा, प्लीज्!”
शैलजा, “प्रताप जी कण्ट्रोल कीजिये! सिर्फ कुछ ही दिनों की बात है ना !”
प्रताप, “शशशशश ….. !”
उसके बाद प्रताप ने शैलजा के होंठों पर अपना होंठ रखा और उसे स्मूच करने के साथ ही रोमांस करना शुरू कर दिया। शैलजा पल भर में गर्म हो गयी, प्रताप की गर्म सांसें अब उसे उत्तेजित करने लगे थे। शैलजा की साड़ी उसके तन से अलग करके प्रताप भी न्यूड हो गया और प्रताप ने शैलजा के बूब्स को चूमना शुरू कर दिया। दोनों बहुत ही ज्यादा गर्म हो गए थे और एक दुसरे में समा जाने को आतुर भी। प्रताप ने शैलजा को पूरी तरह से न्यूड कर दिया और शैलजा ने प्रताप के कहे बिना उसके लंड को अपने मुँह में ले लिया और ब्लो जॉब देने लगी। प्रताप भी बहुत ही ज्यादा उत्तेजित हो गया था और उसने कुछ ही देर में शैलजा के मुँह में ही अपना स्पर्म रिलीज़ कर दिया। शैलजा ने प्रताप के स्पेर्म्स को पी लिया, मानो वो कब से प्रताप के स्पर्म की प्यासी हो। स्पर्म को निगलने के बाद शैलजा ने प्रताप के लंड को चूसना शुरू किया और कुछ ही पल में प्रताप का लंड टाइट हो गया। प्रताप ने शैलजा को अपनी बाहों में उठा लिया और खड़ा हो कर उसके होंठों को चूमने लगा। पांच दस मिनट्स में प्रताप का लंड शैलजा की गांड की छेद में समा गया और प्रताप खड़े खड़े ही शैलजा को चोदने लगा। शैलजा के साथ दस मिनट्स तक खड़े होकर हार्डकोर सेक्स के बाद प्रताप ने शैलजा को सोफ़े पर लिटाया, उसकी टांगों को फैलाया और एक बार फिर से शैलजा को चोदने लगा। शैलजा जोर जोर से मॉनिंग करने लगी और प्रताप और एक्साइटेड हो गया। थोड़ी देर बाद प्रताप ने शैलजा को बिस्तर पर घोड़ी बनाया और फिर से अपना लंड उसकी गांड में घुसा कर सेक्स करने लगा। अगले आधे घंटे के हार्डकोर सेक्स ने शैलजा को थका दिया था। प्रताप ने शैलजा को बिस्तर पर लिटा दिया और उसकी एक टांग हवा में खड़ा करके उसके बगल में लेटकर एक बार फिर से फुल स्पीड में हार्डकोर सेक्स करना शुरू कर दिया। इस बार शैलजा के साथ सेक्स करते समय प्रताप जोर जोर से स्ट्रोक्स लगा रहा था और शैलजा जोर जोर से मॉनिंग कर रही थी। थोड़ी देर बाद जब प्रताप को एक्साइटमेंट आने वाला था तब उसने अपना लंड शैलजा की गांड से बाहर निकाला और उसके छोटे से लंड में घुसा दिया। दो तीन स्ट्रोक्स के बाद प्रताप का स्पर्म शैलजा के लंड में समा गया। शैलजा डबडबायी नज़रों से प्रताप की तरफ देखने लगी।
शैलजा, “प्रताप जी, ये क्या कर दिया आपने! अब मुझे फिर से वीकनेस हो जायेगा, मैं घर कैसे जाउंगी। आपको पता है ना आपके इस स्पर्म्स लोड की एक बून्द भी मैं वेस्ट नहीं करना चाहती। और इसे रिलीज़ करते ही मैं फिर से बेहोश हो जाउंगी। मुझे इस वीकनेस से कोई परहेज़ नहीं है लेकिन प्रताप जी मेरे पेरेंट्स घर पर मेरा इंतज़ार कर रहे हैं। उनके सामने मैं ऐसे नहीं जा सकती।”
प्रताप, “डोंट वोर्री डार्लिंग, मैंने पूरा व्यवस्था कर रखा था। फ़िल्टर में गर्म दूध और टेबल पर मेडिसिन रखी है। दो घंटे में तुम नार्मल हो जाओगी, तुम चिंता मत करो !”
फिर प्रताप ने शैलजा को अपनी बाहों में उठा लिया और उसे लेकर बाथटब में बैठ गया। शैलजा एक बार फिर से प्रताप के लंड पर बैठी सेक्स का मजा ले रही थी और प्रताप शैलजा के लंड को सहला रहा था। थोड़ी ही देर में एक साथ प्रताप और शैलजा का स्पर्म रिलीज़ हो गया और दोनों एक साथ काफी देर तक बाथटब में लेटे रहे। शैलजा तो बेहोश हो गयी थी लेकिन प्रताप पूरी तरह होश में था। प्रताप ने शैलजा के गांड से अपना लंड बाहर निकाल लिया और उसे बाहों में उठाकर टॉवल से लपेट कर सोफे पर लिटा दिया। शैलजा को टॉवल से अच्छे से पोछ कर सुखाने के बाद प्रताप ने खुद को भी टॉवल से सुखाया। शैलजा को हिला डुलाकर होश में लाकर प्रताप ने उसे दूध के साथ मेडिसिन खिलाया और बिस्तर पर न्यूड ही लिटाकर ऊपर से चादर ओढ़ा दिया।
शैलजा लम्बी लम्बी सांसें ले रही थी और वो होश में भी नहीं थी। प्रताप उसके बगल में लेट गया और शैलजा को अपनी बाहों में भर लिया। दिन के १ बज रहे थे और शैलजा प्रताप की बाहों में सिकुड़ कर सोई हुई थी। दिन के ३ बजे प्रताप की नींद खुली, शैलजा अब कुछ नार्मल सांसें ले रही थी लेकिन वो जागने को तैयार नहीं थी। प्रताप ने तीन चार बार शैलजा को जगाने की कोशिश की लेकिन जब वो नहीं जागी तो प्रताप ने उसकी आँखों पर पानी छिड़का। शैलजा ने अपनी आँखें खुली और वो प्रताप की तरफ देखने लगी।
प्रताप, “मेरी रानी, शाम के ४ बज रहे हैं, घर नहीं जाना !”
शैलजा, “प्रताप जी, मुझे बहुत वीकनेस फील हो रहा है। मैं क्या करूँ अब, इतना सारा वीकनेस देकर घर भेजना चाहते हो आप !”
प्रताप, “हाहाहा, सॉरी रानी, आई नो तुम बहुत वीक हो गयी हो, लेकिन तुम्हारा घर जाना भी तो जरुरी है।”
प्रताप की बातें सुनकर शैलजा उठकर बिस्तर पर बैठ गयी और प्रताप की तरफ देखने लगी। प्रताप ने मुस्कुराते हुए शैलजा को हग किया और उसके होंठों पर किस करने लगा। फिर शैलजा बिस्तर से उठकर ठीक वैसे ही तैयार हुई जैसे सुबह तैयार हुई थी। शैलजा ने प्रताप से उसे घर तक छोड़ देने को कहा। प्रताप ने शैलजा की बात मान ली और शैलजा को उसके घर पर सभी गिफ्ट्स के बैग के साथ ड्राप किया। शैलजा ने प्रताप को अंदर आने को कहा, लेकिन वो जरुरी काम का बहाना बनाकर वहां से चला गया। जब शैलजा घर में आयी तब उसकी माँ ने बड़ी गौर से उसे देखा।
शैलजा, “क्या देख रही हो मम्मी?”
शैलजा की माँ, “शैलजा, सुबह ही तुम्हारी चोटी बना दी थी ना मैंने, और अभी तुम्हारे बाल खुले क्यों हैं?”
शैलजा, “वो मम्मी बात ऐसा है ना, प्रताप जी की माँ को हेयर स्टाइल बहुत अच्छी लगी, लेकिन उन्होंने कहा कि खुले बाल ज्यादा अच्छे लगते हैं, इसीलिए बाल को खोल ली मैं।”
शैलजा की माँ, “हाँ हाँ, हम तो पराये हो गए हैं ना, हमारी कोई वैल्यू थोड़े ना है। सास ने कहा तो खोल ली लड़की ने और मैंने इतनी मेहनत से चोटी बनाई थी वो कुछ भी नहीं?”
शैलजा, “मम्मी, तुम बेवजह नाराज़ हो रही हो, ये देखो, प्रताप जी की माँ ने कितने सारे गिफ्ट्स दिए हैं। आओ ना, मैं तुम्हे दिखाती हूँ।”
शैलजा की माँ, “हाँ हाँ रहने दे। चाय नाश्ता बना देती हूँ, तू चेंज कर ले।”
फ्रेश होने के बाद शैलजा ने अपनी फॅमिली के साथ नाश्ता किया और उसके बाद अपनी माँ के साथ कमरे में आ गयी।
शैलजा, “मम्मी, प्रताप जी ने प्री वेडिंग शूट के लिए उदयपुर का एक लोकेशन देखा है। वे चाहते हैं कि मैं उनके साथ उदयपुर प्री वेडिंग शूट के जाऊँ !”
शैलजा की माँ, “अच्छा! उदयपुर तो बहुत दूर है। यही आस पास का कोई अच्छा सा लोकेशन देखने को बोलो, मैं भी चलती हूँ!”
शैलजा, “मम्मी, उदयपुर का कोई बहुत ही बड़ा महल है। शायद प्रताप जी ने बुकिंग भी करवा ली है। सिर्फ एक दिन की बात है मम्मी!”
शैलजा की माँ, “ठीक है, अपने छोटे भाई को भी साथ में लेती जा! वैसे देखूं तो, समधन जी ने क्या गिफ्ट्स दिए हैं मेरी बिटिया को ?”
शैलजा की माँ ने शैलजा के गिफ्ट देखे। उन गिफ्ट्स में ढेर सारी सिल्क, जॉर्जेट और साटन साड़ियां, मैचिंग बैकलेस चोली, हैवी चांदी की पायल, हैवी ज्वेलरीज जैसे सोने के झुमके, कंगन, हार और बड़े बड़े तीन तरह की डिज़ाइनर नथिया जो कि काफी हैवी थी। कुछ गिफ्ट्स शैलजा की माँ के लिए भी थीं, जिनमे कांचीवरम साड़ियां थी। शैलजा के पापा के लिए महंगी घडी और सूट था और शैलजा के भाई के लिए जीन्स, टीशर्ट्स, स्पोर्ट्स वाच थे। प्रताप के परिवार के तरफ दिए गिफ्ट्स ने शैलजा की माँ और पापा के मन में उनके प्रति रेस्पेक्ट बढ़ा दिया था।
शैलजा की माँ, “शैलजा, बेटी इतनी बड़ी बड़ी नथिया पहनोगी ससुराल में। तुम्हे आदत भी नहीं है इतने हैवी नथिया को नाक में पहनने का। तुम्हारे ससुराल वाले तो बहुत सम्पन्न हैं, अब तुम्हे एक आदर्श बहु बनने के लिए ट्रैनिग और भी ज्यादा जरुरी हो गया है।”
शैलजा ,”ओके मम्मी!”
अगले दिन शैलजा अपने भाई के साथ प्रताप के पास गयी। प्रताप ने शैलजा के साथ छोटे भाई रोहन का टिकट करवाया और उसे भी अपने साथ उदयपुर ले गया। प्री वेडिंग फोटोशूट का स्थान झील शहर उदयपुर में तय किया गया था। शैलजा और प्रताप ने 2001 के ब्लॉकबस्टर फिल्म “कभी खुशी कभी गम” में अब तक के सबसे कामुक बॉलीवुड गाने के थीम पर अपनी केमिस्ट्री का फोटोशूट करवाया। पुरे दिन में शैलजा और प्रताप को काफी बार ड्रेस चेंज करने पड़े लेकिन ब्यूटी एक्सपर्ट के रहने पर पूरा फोटो शूट 8 घंटे में पूरा हुआ। रेड लेहंगा, क्रीम जॉर्जेट साड़ी, येल्लो ट्रांसपेरेंट साड़ी, ब्लैक सूट, पैरेट ग्रीन सिल्क साड़ी, ऑरेंज सिल्क साड़ी में शैलजा का लुक बहुत ही ज्यादा सेक्सी और हॉट था। वहीँ शाहरुख़ के आउटफिट्स में प्रताप भी बहुत हैंडसम दिख रहा था। उदयपुर के झील में एक गाने के थीम पर फोटोशूट ने आठ घंटे लिए। शैलजा और प्रताप ने रॉयल फोटोशूट के लिए मेकअप एक्सपर्ट से सलाह ली, उसने नाईट में रॉयल फोटोशूट का प्लान बनाया। शाम का टाइम फ्री था तो शैलजा और रोहन को साथ लेकर प्रताप खाने एक होटल में पहुंचे। सभी को भूख लगी थी तो उन्होंने अच्छे से खाना खाया और फिर नाईट में शैलजा और प्रताप का रॉयल फोटोशूट किया गया। वेस्टर्न थीम पर, शैलजा ने डार्क ब्लैक सेक्विन क्रॉप टॉप के साथ हाई हील्स, लाइट मेकअप, नाक में नोज पिन, खुले बाल, कानों में बालियाँ पहना हुआ था। ब्लैक ब्रजेर, ब्लैक शाइनी शूज, कलाई में रोलेक्स और सेक्सी हेयरस्टाइल में प्रताप बहुत ही ज्यादा हैंडसम और अट्रैक्टिव दिख रहा था। दोनों में नाईट में फोटोशूट के लिए ज़ीनत महल को चुना था। फोटोशूट के समय पोज़ देते समय कभी प्रताप शैलजा को अपनी बाहों में उठा लेता, तो कभी शैलजा को लिटा कर उसे एक टक देखते हुए, कभी रोमांस करते हुए तो कभी घूमते हुए। सबसे आखिर में प्रताप और शैलजा के बीच के रोमांस को दिखाने के लिए फोटोग्राफर ने रिक्वेस्ट किया तो प्रताप ने कभी शैलजा के गले पर किस करते हुए तो कभी होंठों को चूमते हुए, कभी शैलजा को हवा में उठाकर कमर चूमते हुए तो कभी पीठ चूमते हुए, कभी गालों को चूमते हुए और हाथों पर किस करते हुए फोटशूट किया। इन सब फोटोशूट में शैलजा का शर्माना, इठलाना और कलाई छुड़ाना ये सब फोटोग्राफर ने अपनी कैमरा में सेव कर लिया। फिर शैलजा का एड़ी पर खड़े होकर प्रताप के चूमना, प्रताप के सीने में अपना सिर छुपाना, प्रताप के साथ रोमांस करना, ये सब फोटोग्राफर ने उम्मीद से ज्यादा अच्छे से क्लिक्स किये। साथ ही वीडियोशूट भी हो रहा था जिसमे प्रताप और शैलजा के स्पेरशल मोमेंट्स को रिकॉर्ड किया जा रहा था। रोहन ये सब बैठकर देख रहा था और शैलजा को उसके स्त्रीत्व को स्वीकार करते हुए देख रहा था। रोहन को यकीन नहीं हो रहा था कि उसके भाई ने स्त्रीत्व को इतने अच्छे से अपना लिया था मानो लग रहा था कि शैलजा बचपन से ही औरत रही हो।
फोटोशूट और वीडियोशूट के दो घंटे बाद शैलजा और रोहन के साथ प्रताप एयरपोर्ट पर पहुंचा, जहाँ से तीनो सुबह होते होते दिल्ली एयरपोर्ट पर पहुँच चुके थे। रस्ते भर शैलजा प्रताप की बाँहों से एक पल के लिए भी दूर नहीं हुई और रोहन अपने सीट पर बैठकर हवाई यात्रा का आनंद लेता रहा। एयरपोर्ट से होटल आने में ज्यादा समय नहीं लगा और शैलजा रोहन के साथ प्रताप के विला पर जा पहुंची। सुबह के आठ बज रहे थे, शैलजा के माँ बाप ब्रेकफास्ट कर रहे थे, शैलजा और रोहन को देखकर उसकी माँ उठी और दोनों को फटाफट फ्रेश होकर टेबल पर आ जाने को कहा। शैलजा की माँ ने जितने देर में दोनों के लिए ब्रेकफास्ट तैयार किया उतने देर में शैलजा और रोहन दोनों ही फ्रेश होकर टेबल पर बैठकर अपने ब्रेकफास्ट के आने का इंतज़ार करने लगे। थोड़ी देर में ब्रेकफास्ट आ गया और ब्रेकफास्ट के बाद शैलजा अपने कमरे में चली गयी। रोहन और उसके माँ बाप फोटोशूट और वीडियोशूट के बारे में काफी देर तक एक कमरे में डिसकस करते रहे। रोहन ने अपने माँ बाप को शैलजा और प्रताप प्री वेडिंग फोटोशूट और वीडियोशूट के बारे में बहुत कुछ बताया, लेकिन उन दोनों के रोमांस और किस सीन्स के बारे में कुछ भी नहीं बताया। इधर शैलजा अपने कमरे में प्रताप से घंटों बातें करती रहती, और उसके माँ बाप उसकी शादी की तैयारिओं के बारे में सोच रहे थे। शैलजा के माँ बाप ने शैलजा के कहलवा कर प्रताप को बुलवाया। जब प्रताप शैलजा के पेरेंट्स से मिलने आया तब उन्होंने प्रताप को बताया कि उनके घर में सगाई के बाद शादी के दिन तक दूल्हा दुल्हन को नहीं देखता। इसीलिए शैलजा को उनके साथ मेरठ जाना पड़ेगा। प्रताप तो मान गया और शैलजा गुस्सा हो गयी कि प्रताप आखिर इतने महीनों की दुरी के लिए कैसे मान गया। प्रताप शैलजा को कमरे में ले गया और उसे समझाया कि शादी के पहले की रस्मों को वो मानता है और उसके परिवार में भी रीती रिवाज़ों को बहुत दिल से माना जाता है। शैलजा फिर भी मानने को तैयार थी, लेकिन प्रताप ने उसे रीती रिवाज़ बहुत मायने रखते हैं और उसे भी मान जान चाहिए। शैलजा की माँ ने शैलजा से कहा कि उसे मेरठ ले जाने की दूसरी वजह ये है कि घर के कामकाज और एक संस्कारी हाउस वाइफ बनने की ट्रेनिंग देनी ज्यादा जरुरी है। शैलजा मान गयी और अगले ही दिन प्रताप से विदा लेकर शैलजा अपने पेरेंट्स के साथ मेरठ के लिए रवाना हुई। प्रताप ने अपने ड्राइवर और ऑडी कार में शैलजा और उसके परिवार को मेरठ भेज दिया और शैलजा के हाथ में शॉपिंग के लिए अपना एमेक्स क्रेडिट कार्ड और कुछ कॅश भी दे दिया। तीन घंटे बाद जब शैलजा अपने परिवार के साथ मेरठ पहुंची तो वहां उनके स्वागत के लिए चाचा चाची, चचेरी बहनें सुषमा और रूबी, चचेरे भाई रौनक, संकल्प और सिद्धार्थ के अलावे बुआ और उनकी फॅमिली भी थे। लेकिन शैलजा के परिवार में किसी को भी शैलजा के बारे में कुछ भी नहीं पता था और कोई नहीं जानता था कि आखिर ये लड़की कौन है और सभी शैलजा को देखकर यही अनुमान लगा रहे थे कि जरूर शैलेश ने दूसरी शादी कर ली है और ये लड़की उसकी पत्नी है। शैलजा को उसकी माँ अपने साथ घर के अंदर ले गयी और लगेज ड्राइवर लेकर घर में आया और एक कोने में रखकर कार में जाकर बैठ गया। शैलजा अपनी माँ के साथ कमरे में बैठी ये सोच रही थी कि घर में सब का सामना वो कैसे करेगी। चाचा रमेश, चाची सुशीला, बुआ रूपा और पूरी फॅमिली अभी भी शैलजा के बारे में जानने को बेसब्र हुए जा रहे थे। वहीँ दूसरी और शीतल अपने पुरे परिवार के साथ मेरठ के लिए निकल चुकी थी जिसके बारे में शैलजा को कोई जानकारी नहीं थी। इधर शैलजा की माँ ने पुरे परिवार को एक तरफ बिठाया और एक तरफ शैलजा के साथ बैठ गयी। फिर शैलजा की माँ ने सभी को बताया कि किन वजहों से शैलेश को अपना सेक्स चेंज करवाना पड़ा और मर्द से औरत बनना पड़ा। पहले तो शैलजा के घर वाले इस बात को नकारने लगे लेकिन फिर शैलजा के पापा ने सभी को बताया कि यही सच है और सभी दुखी हो गए।
रूपा बुआ, “अब हम समाज में क्या मुँह दिखाएंगे, शैलेश के मोहल्ले और कॉलेज के दोस्तों को जब इस बात का पता चलेगा तो सब कितना मजाक उड़ाएंगे। भाभी शैलजा बनकर हमारे सामने शैलेश बैठा है, इसकी पत्नी शीतल और बेटा राहुल कहाँ है?”
शैलजा की माँ, “दीदी, शीतल का चक्कर एक अजनबी मर्द के साथ चल रहा है, इसीलिए शैलजा अलग से एक किराये के घर में रह रही है। शैलजा ने शीतल से तलाक़ लेने का फैसला कर लिया है और राहुल ने शीतल के साथ रहने का फैसला कर लिया है। तलाक़ के पेपर्स शीतल के घर पर भिजवाया जा चूका है, हो सकता है वो अपनी फॅमिली के साथ यहाँ आएगी लेकिन अब शैलजा और शीतल को अलग होना पड़ेगा। उस धोखेबाज़ लड़की से छुटकारा पाना बहुत जरुरी है मेरी बेटी को!”
रूपा बुआ, “तो तलाक़ के बाद शैलजा क्या पूरी लाइफ अकेली जियेगी? ये कैसे हो सकता है भैया, शैलजा की उम्र ही क्या है अभी २५ साल की उम्र में है और क्या पूरी जिंदगी समाज के ताने सुनकर बिताएगी।”
शैलजा के पापा, “नहीं रूपा दीदी, तुम फिक्र मत करो। शैलजा के लाइफ में भी एक राजकुमार आ चूका है। उस राजकुमार का नाम प्रताप है और उसके साथ हमारी शैलजा की सगाई हो चुकी है। ३ महीने बाद शैलजा की शादी का दिन तय किया जा चूका है और शादी के बाद शैलजा अपने पति के साथ अपनी पूरी जिंदगी ख़ुशी ख़ुशी बिताएगी।”
रूपा बुआ, “शैलजा का रिश्ता भी तय हो गया और आप दोनों ने मुझे एक बार भी नहीं बताया।”
शैलजा की माँ, “क्या बताऊँ दीदी, ये सब किसी सपने जैसा था, हमने सोचा कि घर आकर ही इस बात को बताई जाए। हमने कभी सपने में भी इस बारे में नहीं सोचा था कि कभी ऐसा भी कोई दिन आएगा जब मेरा बेटा अपना सेक्स चेंज करवा कर औरत बन जायेगा और उसकी फिर से सगाई होगी, वो भी एक मर्द से।”
रूपा बुआ, “भाभी जो हुआ सो हुआ। शैलजा की सगाई कर दी, वो अच्छा किया लेकिन शैलजा को गृहिणी के सभी काम काज भी तो आने जरुरी हैं। इन तीन महीनों में शैलजा को मैं खुद से पूरी ट्रेनिंग दूंगी कि ससुराल में कैसे रहते हैं और टेस्टी खाना कैसे पकाते हैं उसकी ट्रेनिंग आप खुद से देना। सुशीला शैलजा को तरह तरह की साड़ियां ब्लाउज और मेकअप करने की ट्रेनिंग दे देगी। कल से ही शैलजा की ट्रेनिंग शुरू कर देते हैं भाभी, मैं नहीं चाहती कि ससुराल में शैलजा को उसकी सास ताने सुनाये!”
शैलजा, “हाँ दीदी, आप हो! शैलजा की शादी से पहले इसको ट्रेनिंग देना बहुत जरूरी है। लेकिन दीदी अभी हम सब बहुत थके हुए हैं, शैलजा तुम भी अपने कमरे में जाओ और फ्रेश होकर कुछ देर रेस्ट कर लो।”
शैलजा चुपचाप अपने कमरे में चली गयी की और फ्रेश होकर रेस्ट करने के लिए बिस्तर पर जैसे ही लेटी, तभी वहां पर उसके भाई बहन आ गए। सुषमा, रौनक, सिद्धार्थ, रूबी और संकल्प पाँचों शैलजा को घेर के बैठ कर तरह तरह के सवाल करने लगे।
तभी शैलजा के फ़ोन पर प्रताप का कॉल आ गया। शैलजा ने सबको चुप हो जाने को कहा और प्रताप का कॉल रिसीव किया।
प्रताप, “क्या कर रही हो डार्लिंग?”
शैलजा, “मैं आपसे कुछ देर बाद बात करती हूँ?”
इससे पहले की प्रताप कुछ कहता शैलजा ने कॉल डिसकनेक्ट कर दिया।
सुषमा, “शैलजा दीदी, कॉल क्यों डिसकनेक्ट कर दिया आपने, जीजू ने इतने प्यार से कॉल किया था।”
शैलजा, “तुम सब यहाँ रहोगे तो मैं उनसे बात कैसे करुँगी!”
सुषमा, “शैलजा दीदी, जब आप शैलेश भइया थीं तब तो अपनी गर्लफ्रेंड से हमारे सामने बातें करती थीं और अभी हमारे सामने जीजू से बात करने में इतना शरमा रही हो।”
संकल्प, “हाँ शैलजा दीदी, जब आप मर्द थीं तब तो इतनी शर्मीली नहीं थीं। अब तो इतनी शर्मीली हो गयी हो!”
सुषमा, “अच्छा वो सब छोड़ो दीदी, ये बताओ आपने अपने नाक और कान भी छिदवा ली हो। आपको नोजरिंग और एअररिंग्स पहनना पसंद है?”
शैलजा, “हाँ सुषमा मुझे अच्छा लगता है इसीलिए मैंने अपने नाक और कान को छिदवा लिया था।”
सुषमा, “आप अंदर से भी लड़की बन चुकी हो दीदी।”
शैलजा, “हाँ सुषमा, मैं अब लड़की बन चुकी हूँ।”
सिद्धार्थ, “शैलजा दीदी, आप लड़की बनकर इतनी खुश हैं। क्या लड़की होना इतना अच्छा होता है जो अपने अपना सेक्स चेंज करवा लिया।”
शैलजा, “सिद्धार्थ, मैंने मज़बूरी में अपना सेक्स चेंज करवाया है मेरे भाई और खुद के लड़की होने को एक्सेप्ट नहीं करती तो मेरी लाइफ और भी डिफिकल्ट हो जाती।”
रूबी, “हाँ शैलजा दीदी, आपकी शादी के दिन मैं खुद से आपको तैयार करुँगी। आपको पता है, मैंने ब्यूटिशन का छह महीने का कोर्स किया है और मैं आपको रोज़ सुबह मेकअप करुँगी।”
इतने में शैलजा की माँ कमरे में आ गयी।
शैलजा की माँ, “अब तुम सब जाओ यहाँ से, शैलजा को परेशान मत करो !”
शैलजा के सभी भाई बहन चले गए और शैलजा की माँ ने उसे डिनर करने को कहा और फिर रेस्ट करने को। शैलजा ने अपने परिवार के साथ डिनर किया और कमरे में जाकर कमरे को अंदर से लॉक कर लिया ताकि उसके भाई बहन उसे डिस्टर्ब ना करें। फिर शैलजा ने बिस्तर पर लेटते ही सबसे पहले प्रताप को कॉल किया और प्रताप ने भी बिना कॉल मिस किये कॉल पिक कर लिया।
प्रताप, “क्या कर रही हो मेरी रानी, मैंने कॉल किया और तुमने मुझसे बात भी नहीं की।”
शैलजा, “मुझे नहीं करनी आपसे कोई बात, मेरी माँ ने आपसे ३ महीनो तक अलग रहने को कहा और आप मान गए। मैं समझ गयी आप मुझसे कितना प्यार करते हो!”
प्रताप, “सॉरी बेब, आई नो लेकिन रस्मों को मांनना जरुरी होता है। तुम्हारे माँ बाप मेरे होने वाले सास ससुर हैं, उनकी बातें मैं कैसे टाल सकता हूँ।”
शैलजा, “बहाने मत बनाइये ! आप मुझसे दूर रहना चाहते हैं न, तो मैं भी अगले तीन महीनों तक एक भी कॉल नहीं करुँगी।”
प्रताप, “सॉरी रानी, लेकिन ऐसे मत कहो। मैं तुम्हारे बिना नहीं जी सकता, डोंट से दिस। मैं मेरी शैलजा के बिना एक पल भी नहीं रह सकता लेकिन यु नो ना, मैं ये सब सिर्फ और सिर्फ तुम्हारे लिए कर रहा हूँ।”
शैलजा और प्रताप लगभग अगले दो घंटों तक यूँही आपस में बातें करते रहे और एक दूसरे को गुड नाईट विश करके सो गए। उस रात शैलजा को नींद नहीं आ रही थी, वो क्या करे, क्या ना करे उसे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था। शैलजा को अब अकेलापन खलने लगा था। शैलजा ने अपने बैग में से वाइब्रेटर निकाल लिया, उसपर डॉटेड कंडोम लगाया और रिमोट से उसे ऑन करके अपनी गांड में घुसा कर ऑपरेट करने लगी। शैलजा को अच्छा लगने लगा, वो प्रताप के बारे में सोचने लगी, प्रताप के बॉडी को इमेजिन करने लगी, वाइब्रेटर का साइज बड़ा होने के साथ उसका स्पीड बढ़ गया था और उसी इमेजिनेशन में शैलजा को अगले पांच मिनट्स के अंदर ही मजा आ गया। शैलजा के लंड से जैसे ही स्पर्म रिलीज़ हुआ, उसे बहुत ही ज्यादा वीकनेस हुआ और वो वैसे ही बेहोश हो गयी। लेकिन इस बार शैलजा को संभालने वाला वहां कोई भी नहीं था, ना ही मेडिसिन और ना ही दूध। शैलजा बेहोश हो चुकी थी, लम्बी लम्बी सांसें ले रही थी और उसका पूरा बदन ठंडा पड़ गया था। सुबह के चार बजे प्रताप के कॉल आने से शैलजा की नींद खुली। शैलजा ने देखा बिस्तर जैसा तैसा हुआ पड़ा है, डिलडो गांड के अंदर है और उसके लोड से बिस्तर गीला हुआ पड़ा है। शैलजा ने डिलडो को अपनी गांड से बाहर निकाला और बिस्तर को ठीक करने के जैसे ही उठी, उसे इतनी कमजोरी महसूस हुई कि वो लड़खड़ा कर जमीन पर गिर गयी। शैलजा की आँखों में आंसू आ गए और जैसे तैसे वो उठी, वाशरूम में गयी और फ्रेश होकर कमरे में आयी। सबसे पहले बिस्तर को ठीक किया और वाइब्रेटर को साफ़ करके बैग में रख लिया, कंडोम को खिड़की से बाहर फेंक कर शैलजा नहाने चली गयी। जब शैलजा नहाने के बाद कमरे में लौटी तब वहां पहले से उसकी बुआ मौजूद थी। शैलजा ने अपनी बूब्स के ऊपर से टॉवल लपेटा हुआ था और अपनी बुआ को वहां पर देखकर शर्माने लगी। बुआ ने शैलजा को सलवार कमीज और ओढ़नी के साथ कुछ ज्वेलरीज देते हुए कहा कि जल्दी से तैयार होकर किचन में आ जाने को। शैलजा ने देखा पीली रंग की सलवार पटियाला स्टाइल का था, कुर्ती चमकीली नीली रंग की और ओढ़नी ट्रांसपेरेंट नीले रंग की। शैलजा ने सलवार कमीज पहनकर ओढ़नी को अपने कन्धों पर रख लिया, लाइट मेकअप किया और बुआ के दिए ज्वेलरीज को पहन लिया जिसमे लाइट वेट कंगन, नथिया और झुमके थे। तैयार होकर जब शैलजा किचन में पहुंची तब सुबह के साढ़े पांच हो रहे थे और शैलजा की माँ भी सोकर जाग चुकी थी। बुआ ने शैलजा से कहा कि ओढ़नी से घूँघट कर ले और घर के काम को अच्छे से सीख लेने को। इधर सभी घरवाले फ्रेश होने और नहाने में व्यस्त थे, तब शैलजा अपनी बुआ की गाइडेंस में आता गूंथना सीख रही थी। जितने देर में शैलजा ने आटा गुंथा उतने देर में बुआ ने सब्जी, दाल और सलाद भी बना लिया था। शैलजा से दुपट्टा संभल नहीं रहा था और वो बार बार अपनी ओढ़नी को ठीक कर के ओढ़ने की कोशिश में थी। शैलजा को ओढ़नी के साथ परेशान देख बुआ ने उसकी ओढ़नी को अच्छे से सेट किया और शैलजा के आटा गूंथने के बारे में समझाने लगी। रूपा बुआ को लगा कि अगर शैलजा इस रफ़्तार से आटा गुंथेगी तो रोटी शाम तक बनेगी। इसीलिए शैलजा को हटाकर रूपा बुआ ने आता को गूँथ कर रोटी बनाई और शैलजा ने रोटियों को सेंकने में अपनी बुआ की मदद की। साढ़े आठ बजे सभी ने साथ में ब्रेकफास्ट किया। ब्रेकफास्ट करते समय शैलजा की माँ ने उसे समझाया कि कैसे घूँघट हटाए बिना खाते हैं। शैलजा के लिए ये सब बिलकुल ही अजीब था, लेकिन अपने होने वाले पति की ख़ुशी के लिए वो कुछ भी करने को तैयार थी। ब्रेकफास्ट ख़त्म होते ही शैलजा को बुआ ने उसे झाड़ू पकड़ा दिया और शैलजा ने घर के एक एक कोने में झाड़ू से साफ सफाई की। साफ़ सफाई के बाद जैसे ही शैलजा रेस्ट करने को बैठी तो बुआ ने चाय बनाकर लेकर आने को कहा। शैलजा ने रूपा बुआ से कहा कि उसे चाय बनानी नहीं आती।
रूपा बुआ, “हाय राम! ये लड़की तो ससुराल जाते ही हमारे खंडन का नाक कटवा देगी। इस लड़की को तो चाय बनानी भी नहीं आती, शैलजा तू कैसे ससुराल में रहेगी, तेरी सास तो तुझे ताने मार कर ही परेशान कर देगी।”
शैलजा, “कोई बात नहीं दीदी, आप सीखा दो शैलजा को।”
रूपा बुआ, “शैलजा आज मैं चाय बनाना सीखा देती हूँ, अच्छे से सीख ले, फिर कल से तुझे खुद से चाय बनानी होगी।”
शैलजा, “जी बुआ जी!”
उसके बाद बुआ शैलजा को लेकर किचन में गयी और सभी के लिए चाय बनाया और शैलजा को कि चाय में चायपत्ती, दूध, चीनी, इलाइची और अदरक की कितनी मात्रा होती है और चाय को कितने देर खौलाते हैं। शैलजा ने सभी को चाय सर्व किया और सभी ने चाय की खूब तारीफ की। शैलजा को इस बात की भी फिक्र थी कि प्रताप का सुबह से कॉल आ रहा होगा और वो घर के कामों में इतनी व्यस्त हो गयी है कि प्रताप से सुबह से एक बार बात भी नहीं की। शैलजा ने चाय पीने के बाद अपने कमरे की और कदम बढ़ाया तो बुआ ने उसे रोक लिया और बताया कि अभी पुरे परिवार के लिए लंच बनाना है। शैलजा ने बुआ से कहा कि वो थोड़ी देर आ जाएगी लेकिन उसकी बुआ ने उसे जाने नहीं दिया और दोनों फिर से किचन में सभी के लिए लंच बनाने के प्रिपरेशन में लग गए। दिन के साढ़े बारह बजे पुरे परिवार के लिए लंच तैयार था और शैलजा ने चावल, दाल, भुजिया और सब्जी बनाने की पहली बार कोशिश की। शैलजा के दाल चावल और भुजिया तो अच्छी बनी लेकिन सब्जी में पानी ज्यादा हो गया, मसाले कच्चे ही रह गए और टेस्ट भी अच्छा नहीं बना। लेकिन इन सबके बावजूद घर के सभी सदस्यों ने शैलजा को प्रोत्साहित किया और शैलजा खुश हो गयी। लंच करने के बाद जब शैलजा अपने कमरे में जाने लगी तो बुआ ने बर्तन धोने का काम पकड़ा दिया। शैलजा ने बर्तन धोये और दिन के ढाई बजे अपने कमरे की और जाने को फाइनली तैयार हु। अभी शैलजा ने दो कदम ही बढ़ाये थे कि चाचा जी ने उससे पानी मांग लिया। शैलजा एक बार फिर से किचन में चली गयी और अपने चाचा के लिए पानी लेकर आ गयी। पानी पीने के बाद चाचा से गिलास लेकर वाश बेसिन में रखकर अपनी कमरे में चली गयी। अभी शैलजा बिस्तर पर लेटी ही थी कि उसे कुछ आवाज़ें सुनाई देने लगीं। शैलजा ने सोचा चाची और मम्मी की बातें चल रही होगी, लेकिन मामला कुछ और ही था। शैलजा की वाइफ शीतल घर पर आयी हुई थी वो भी राहुल के साथ। शीतल ने शैलजा की माँ से उसके पति से मिलवाने को कहा लेकिन शैलजा की माँ ने उसे पहले आने की वजह बताने को कहा।
शीतल, “सासु माँ, मुझे पहले मेरे पति से मिलना है, उसके बाद ही मैं आपको मेरे आने की वजह बताउंगी।”
शैलजा की माँ, “शीतल तेरा पति तुझसे नहीं मिलना चाहता। तुझे जो कुछ भी कहना है मुझसे बोल। वैसे भी तूने मेरे बेटे का दिल तोड़ते वक़्त शरम नहीं आयी और अब उससे मिलना चाहती है।”
शीतल, “माँ जी, मैं आज भी शैलेश की ही पत्नी हूँ और हम दोनों का डाइवोर्स नहीं हुआ है। आप मुझे शैलेश से मिलने से नहीं रोक सकतीं।”
इससे पहले कि शैलजा की माँ उसे रोकती, वो सीधे शैलेश के कमरे में चली गयी। बिस्तर पर शैलजा दिनभर के कामकाज के बाद थकी हुई सो रही थी।
शीतल, “तुम कौन हो, मेरे पति के कमरे में क्या कर रही हो और मेरा पति शैलेश कहाँ है? अच्छा तभी मेरी सास मुझे अंदर नहीं आने दे रही थी, शैलेश ने दूसरी शादी कर ली और मुझे बताया भी नहीं !”
शैलजा, “नहीं शीतल, शैलेश ने कोई दूसरी शादी नहीं की है। वैसे तुम यहाँ क्या कर रही हो, क्यों आयी हो यहाँ?”
शीतल, “ये मेरे पति का कमरा है, तुम कौन हो, ये बताओ पहले?”
शैलजा, “मैं शैलजा हूँ!”
शीतल, “कौन शैलजा?”
शैलजा, “मैं पहले शैलेश थी और अब मैं शैलजा बन चुकी हूँ। अब तुम बताओ कि तुम यहाँ हो?”
शीतल, “ये नहीं हो सकता, तुम शैलेश कैसे हो सकती हो। शैलेश एक मर्द है, ना कि औरत!”
शैलजा, “लेकिन मैं अब एक औरत बन चुकी हूँ।”
शीतल, “हे भगवन, ये तुमने क्या किया ?”
शैलजा, “मगरमच्छ के आंसू मत बहाओ शीतल क्यूंकि मुझे पता है कि तुम इन दिनों एक गैर मर्द के साथ लिविंग में रह रही हो और ये बताओ कि तुम यहाँ क्यों आयी हो?”
शीतल, “मुझे तुमसे डाइवोर्स चाहिए ताकि मैं भी अपनी लाइफ में आगे बढ़ सकूँ।”
शैलजा, “ठीक है, डाइवोर्स पेपर लेकर आओ, मैं सिग्नेचर कर दूंगी।”
शीतल, “ये हैं डाइवोर्स पेपर्स, सिग्नेचर कर दो इसपर।”
शैलजा ने शीतल से डाइवोर्स पेपर्स लिए और उसपर सिग्नेचर कर दिए। जब शीतल जा रही थी तब उसकी सास ने उसे बताया कि शैलजा की शादी 3 महीने बाद का तय किया गया है, और उसे आने के लिए शादी में आने को इनविटेशन भी दिया। शीतल ने अपनी सास से कहा कि वो शादी में जरूर आएगी और फिर वो वहां से चली गयी। शीतल के वहाँ से जाने के बाद शैलजा की हाउस्वाइफ ट्रैनिंग शुरू हुई। हर रोज दिन भर की हाउस्वाइफ वाली ट्रैनिंग के बाद शैलजा शाम को खुद सबके लिए चाय बनाती और सभी को शैलजा के हाथों की चाय बहुत पसंद आने लगी थीं। रात को प्रताप से बात करते करते अक्सर शैलजा ईमोशनल हो जाती। प्रताप से दूरी शैलजा से बर्दाश्त नहीं होती तो कभी कभी वो फोन पर ही रोने लगती। शैलजा ने लाइफ मे कभी ये नहीं सोचा था कि एक दिन ऐसा भी आएगा जब एक मर्द उसके दिल मे बस जाएगा और उस इंसान को शैलजा अपने हमसफ़र के तौर पर अपनी जिंदगी का हिस्सा बना लेगी। लेकिन अक्सर वही होता है जो इंसान के सोच से परे हो। शादी से पहले हल्दी संगीत और मेहंदी का प्रोग्राम रखा गया और धूमधाम से शैलजा कि शादी की तैयारियां शुरू कर दी गईं थी। हल्दी उबटन के प्रोग्राम के लिए स्पेशल प्रताप को लगाई गई हल्दी उबटन का बचा हुआ हल्दी उबटन शैलजा को लगाने के लिये दिल्ली से ड्राइवर और अलीशा लेकर आये। मेहंदी वाले दिन, शैलजा को सेमि न्यूड करके सिर्फ टॉवल में घर मुहल्ले की औरतों के बीच बैठा दिया गया। शर्म से शैलजा की नजरें झुकी थी लेकिन प्रताप ने अपने ड्राइवर को कॉल करके मेहंदी और संगीत की पूरी वीडियो बनवाई। बहुत ही डार्क मेहंदी रची थी शैलजा के हाथों में, घर मुहल्ले की औरतें सिर्फ एक ही बात कर रही थीं कि शैलजा का पति उससे बहुत प्यार करेगा और हनीमून के लिए कहाँ लेकर जाएगा, साथ ही एडल्ट बातें जैसे सुहागरात पर तो प्रताप शैलजा की जान ही निकाल देगा, ऐसी खूबसूरत दुल्हन के कारण ही सुहागरात पर पलंग टूट जाया करते हैं। शैलजा शर्म से जमीन में गड़ी जा रही थी, उसे समझ मे नही आ रहा था कि वो किसी से नज़रें मिलाए तो भला कैसे! औरतों की बातें इतनी एडल्ट होती हैं, इस बात का अंदाज़ा शैलजा को नही था, वो तो बस मेहंदी और संगीत के रस्मों को फॉर्मेलिटी की तरह निभा रही थी, लेकिन मुहल्ले की लड़कियों और ऑर्टन की गॉसिप्स सुन सुन कर शैलजा का दिमाग खराब हो रहा था। कुछ औरतें शैलजा और प्रताप की शादीशुदा जिंदगी के बारे में तो कुछ शैलजा के सेक्स चेंज करवा कर मर्द से औरत बनने पर डिस्कसन कर रहीं तंगी। कुछ औरतों ने तो यहां तक कह दिया कि मर्द से औरत बनने के बाद क्या शैलजा प्रताप के बच्चे को जनेगी या इसकी कोख हमेशा सुनी ही रहेगी! बहुत दुखी मन से शैलजा ने अपने आंसुओं को बहने से रोका और सोचने लगी कि क्या इन औरतों की बातों पर ध्यान दे या ना दे। हालांकि शैलजा तो बस अपने होने वाले पति प्रताप की बाहों में झूलने का सपना देख रही थी, इतने महीनों की जुदाई के बाद आखिर शादी का वो खास दिन आ ही गया, जिसका सभी को बेसब्री से इंतेज़ार था।
शादी वाले दिन, शैलजा को दुल्हन की तरह सजाने की पूरी जिम्मेदारी अलीशा ने अपने ऊपर ले ली थी। प्रताप की माँ ने स्पेशल ऑर्नामेंट्स और दुल्हन का लाल जोड़ा लहँगा चोली भिजवा दिया था। सुबह से घर मे काफी चहल पहल थी। शैलजा के माँ बाप, चाचा चाची बारात के स्वागत और उनके रुकने की तैयारियों में लगे थे। शैलजा के भाई भी बड़े ही जोश में अपने माँ बाप को सपोर्ट कर रहे थे। पूरे घर को फूलों से सजाया जा रहा था। शैलजा की बहनें शैलजा को तैयार होते देख रहीं थीं। खानसामा तरह तरह के व्यंजन पका रहे थे, सभी व्यस्त थे। इधर अलीशा ने शैलजा को सजाने के लिए दोपहर के 2 बजे मेकअप करना शुरू कर दिया था। मनिकयुर, पडीक्यूर, फेसिअल, ब्लीच के बाद अलीशा ने शैलजा के हाथों और पैरों के लंबे लंबे फिंगरनेल्स को बड़ी ही खूबसूरती से रेड सिल्वर नेल पॉलिश से रंग दिया। चेहरे पर मॉस्चराइज़र, डार्क मेकअप, आंखों में गहरा मोटा ऑयलाइनर, आइब्रो, ऑयलैशेज, ऑयशैडो और डार्क रेड मैट लिपस्टिक अप्लाई करने के बाद शैलजा का चेहरा शाइन कर रहा था, लेकिन चेहरे पर हर दुल्हन की तरह घबराहट साफ दिख रहा था।
अलीशा, “क्या बात है शैलजा, इतनी सुंदर दिख रही हो लेकिन चेहरे पर ये घबराहट कैसी?”
शैलजा, “अलीशा, यू नो ना! एक मर्द के हाथों अपना पूरा जीवन सौंपने का फैसला कर तो लिया लेकिन आज मन कर रहा है कि कहीं दूर भाग जाऊं। मैने अपने इसी परिवार और समाज के सामने पहले भी शादी की है, जब मैं मर्द थी और शीतल को इस घर की दुल्हन बनाकर लायी थी। लेकिन आज आधी औरत बनकर, आज मैं खुद प्रताप जी की दुल्हन बनने जा रही हूं। मेरी घबराहट बढ़ते जा रही है अलीशा, क्या मैं ये सब सही कर रही हूं या नही, कुछ समझ नही आ रहा!”
अलीशा, “घबराओ मत शैलजा। शादी के दिन अक्सर दुल्हनों को घबराहट होती है, वैसे भी आज सुबह से तुमने कुछ भी नही खाया, शायद इसलिए तुम्हारा दिल और भी बेचैन हुआ जा रहा है। कुछ खाने को मंगवा दूँ?”
शैलजा, “नही अलीशा, मुझे कुछ भी नही खाना। लेकिन…….!”
अलीशा, “शशशश…….! शांत हो जाओ शैलजा, आज तुम्हारी शादी दुनिया के सबसे हैंडसम हंक के साथ होने जा रही है। शादी का फैसला भी तुमने ही लिया है, देखो घर को कितनी खूबसूरती से सजाया जा रहा है। तरह तरह की डिशेस की खुशबू, आहा….. ! इस मोमेंट को एन्जॉय करो शैलजा, ये मोमेंट दुबारा नही आएगा।”
शैलजा, “हम्म! लेकिन अलीशा आज पता नही क्यों इतना डर लग रहा है। मेरी धड़कन मेरे कंट्रोल के बाहर है, मैं क्या करूँ!”
अलीशा, “हाय मेरी बन्नो, तुम्हारे इस डर को देखकर मुझे कितना मजा आ रहा है, मैं बता नही सकती। देखो रानी, दुल्हनों का यूँ नर्वस होना लाजमी है, तुम बेकार में इतना सोच रही हो। देखो तो मैंने तुम्हारी कितनी अच्छी हेयरस्टाइल बनाई है, थोड़ी तारीफ तो कर दो मेरी जान!”
शैलजा, “सच मे अलीशा, बहुत ही सुंदर है!”
अलीशा, “लेकिन एक कमी है, अभी भी!
शैलजा, “वो क्या अलीशा?”
अलीशा, “गजरा और हेयर ऑर्नामेंट्स, पता नही अभी तक तुम्हारे ऑर्नामेंट्स लेकर कोई आया क्यों नही। मैंने तो सुबह ही कह दिया था।”
अभी दोनो बात ही कर रहे थे कि एक आदमी कमरे में हाथ मे एक बॉक्स लेकर आया जिसे देखकर शैलजा घबरा गई।
शैलजा, “राहुल तुम?”
राहुल, “शैलेश, ओह्ह सॉरी शैलजा! ये कुछ ऑर्नामेंट्स और गजरा है, ऑन्टी ने दिया था तुम्हे देने को?”
शैलजा, “थैंक्स राहुल, कैसे हो तुम?”
राहुल, “ठीक हूँ, बट आई कैंट बिलीव इट। तुम मर्द से औरत बन गए और आज तो तुम्हारी शादी भी है? कैसे हुआ ये सब, मुहल्ले में आंटियां भी ना जाने कैसी कैसी बातें कर रहीं थी, पहले तो यकीन नही हुआ मुझे लेकिन ये सच है शैलेश, सॉरी शैलजा?”
शैलजा, “ईट्स अ लांग स्टोरी, फिर कभी सुनाऊँगी। तुम बताओ राहुल, हाऊ इज़ लाइफ?”
राहुल, “सब बढ़िया, हु इज़ शी?”
शैलजा, “शी इज़ अलीशा, अलीशा मीट माह चाइल्डहुड बेस्ट फ्रेंड राहुल!”
अलीशा, “हाय राहुल जी? बड़े हैंडसम हो आप तो?”
राहुल, “अलीशा, व्हाट अ ब्यूटीफुल नेम! जितना सुंदर नाम, उतनी ही सुंदर आप?”
अलीशा, “थैंक्स राहुल जी!”
शैलजा, “उहहो, उहहो! एक्सक्यूज़ मि !”
राहुल, “ओह्ह, सॉरी शैलजा! मैं नीचे जा रहा हूँ, किसी चीज़ की जरूरत हो तो मुझे बुला लेना!”
राहुल तो वहां से शर्माता हुआ नीचे चला गया लेकिन अलीशा वहीं खड़ी शरमाये जा रही थी।
शैलजा, “मेरा दोस्त है राहुल, प्रताप जी की तरह ही हैंडसम है। क्या बोलती हो अलीशा, लगेहथ तुम दोनों की शादी की बात करूं?”
अलीशा, “दिमाग खराब है तेरा, ऑर्नामेंट्स आ गए हैं, मुझे मेकअप पर फोकस करने दो!”
राहुल जा चुका था, लेकिन उसके मन मे अलीशा ही थी। राहुल अलीशा से और भी बात करना चाहता था, अलीशा भी राहुल से बात करने के बाद बहुत खुश दिख रही थी। बालों में मांगटीका, झुमरटीका, गजरा और जुड़ा ऑर्नामेंट्स को शैलजा के बाल में सेट करने के साथ ही अलीशा ने शैलजा को चोली पहनने को दिया जो उसके ससुराल पक्ष के तरफ से आया था। चोली थोड़ी टाइट, आगे से डीप और पीछे से पूरी तरह बैकलेस और काफी हैवी एम्ब्रॉयडरी वाली थी। शैलजा के बूब्स का आधा से ज्यादा हिस्सा साफ साफ झलक रहा था। बिना ब्रा के चोली पहनकर शैलजा काफी उनकॉम्फोर्ट फील कर रही थी लेकिन वो उसे पहनने को मजबूर थी। चोली पहनाने के बाद अलीशा ने शैलजा के गले मे कुंदन चोकर सेट पहना दिया, जिसमे काफी स्टोन वर्क किया हुआ था और वो काफी बड़ा भी था। चोली के बीचोबीच कुंदन चोकर सेट का आखिरी हिस्सा शैलजा के बूब्स पर आकर टिक गया और साथ ही अलीशा ने शैलजा को सोने के नेकलेस भी पहना दिया। उसके बाद अलीशा ने शैलजा की दोनो कलाइयों में भारी भरकम सुहाग का चूड़ा जो ढेर सारे लाल सफेद कंगन का सेट था। चूड़ा सेट पहनने के बाद शैलजा के दोनों हाथों में लगभग आधी आधी किलो जितना वजन फील होने लगा था। उसके बाद अलीशा ने शैलजा की दोनो कलाई में तीन तीन जोड़े सोने के कंगन के साथ कलीरे भी पहना दिए। शैलजा ने सोचा कि इतने ऑर्नामेंट्स के बाद कुछ नही बचा होगा, लेकिन अलीशा ने शैलजा की बाहों में सोने का बाजूबन्द पहना दिया। अब जाकर शैलजा के मेहंदी वाली हाथों की सुंदरता झलकने लगी थी। अब अलीशा ने शैलजा को नाभि के नीचे महारानी स्टाइल डिज़ाइनर हैवी लहँगा पहना दिया जो काफी बड़ा और वजनदार भी थी। लहँगा चोली पहनकर शैलजा बहुत ही खूबसूरत दुल्हन की तरह दिखने लगी थी और खुद को देख कर बार बसर शरमाये जा रही थी। अलीशा ये सब देख रही थी, उसने शैलजा को खड़ा होने को कहा। शैलजा खड़ी हो गयी तब अलीशा ने शैलजा को आगे की ओर झुकने को कहा। शैलजा को समझ नही आ रहा था कि आखिर अलीशा ऐसा क्यों कह रही है लेकिन उसकी बात मानते हुए जैसे ही शैलजा आगे की ओर झुकी, अलीशा ने शैलजा की पैंटी को नीचे सरकाया और एक बट प्लग उसकी गांड में घुसा दिया।
शैलजा, “हहहह, अलीशा! ये क्या है!”
अलीशा, “सॉरी शैलजा लेकिन ये रिमोट वाला बट प्लग है और इसका रिमोट प्रताप जी के पास है। उन्होंने ही कहा था कि तुम्हारी गोरी गांड में ये बट प्लग लगा दूँ!”
शैलजा, “यार, मैं क्या करूँ प्रताप जी का?”
अलीशा, “अब तो जो भी करना है प्रताप जी ही करेंगे, तुम्हे तो आजीवन अपने पति की बातें माननी है।”
शैलजा, “अलीशा प्लीज् ना! ऐसे मत बोलो!”
अलीशा, “अच्छा छोड़ो, इधर आओ!”
शैलजा अलीशा की तरफ मुड़ी, अलीशा ने शैलजा से आगे से लहँगा उठाने को कहा। शैलजा ने लहँगा उठाया जोकि काफी भारी थी, अलीशा ने उसकी पैंटी नीचे की और एक स्प्रे उसके छोटे से लन्ड पर लगा दिया। स्प्रे करते ही शैलजा का लन्ड सिकुड़ने लगा और देखते ही देखते इतना छोटा हो गया मानो वजाइना हो।
शैलजा, “अब ये क्या किया अलीशा!”
अलीशा, “मेरी जान, यहां मेरे और तुम्हारे सिवा किसी को नही पता कि दुल्हन भी लन्ड वाली है।”
शैलजा, “हम्म!”
उसके बाद अलीशा ने शैलजा के कमर में सोने का कमरबन्द और पैरों में चांदी की हैवी पायल पहना दी और उसके बाद पैरों की उंगलियों में चांदी के बिछुए पहनाये। ऑर्नामेंट्स में सजी धजी शैलजा यही सोच रही थी कि फाइनली वो तैयार है लेकिन अभी बहुत कुछ बाकी था। अलीशा ने शैलजा के दोनो कानो में हैवी सोने के झुमके जो इतने बड़े बड़े थे कि वे शैलजा के कंधों को चूम रही थी। झुमके पहनाने के बाद शैलजा की नाभि में नैवेल ऑर्नामेंट्स पहनाया जो सिल्वर और ब्लू डायमंड जेम्स के बने थे। फिर अलीशा ने शैलजा के हाथों में पांच रिंग्स वाली सोने की हाथफूल पहनाई और उसके साथ ब्रेसलेट कलाई में पहना दी।
शैलजा, “यार तुमने तो मुझे सोने चांदी की दुकान बना रखा है। इतना ऑर्नामेंट्स कौन पहनता है!”
अलीशा, “जब होने वाला दूल्हा इतना अमीर हो तो दुल्हनें तो सोने चांदी से ही लदी हुई होगी शैलजा। अभी तो नथिया बाकी है मेरी जान!”
शैलजा ने देखा कि वो नथिया काफी बड़ी थी, लगभग 100 ग्राम वजन और लगभग 10 सेंटीमीटर रेडियस वाला था। उसमे मोर का डिज़ाइन बना हुआ था और कुछ लाल सफेद मोतियों के साथ एक सोने की चेन जुड़ी थी। नथिया देखकर शैलजा उस छू कर देखने लगी, हाथ मे उठाया तो उसे वजन का एहसास हुआ।
शैलजा, “अलीशा, नथिया रहने दो। जब बारात नयेगी तब पहना देना!”
अलीशा, “तुम्हारे होने वाले पति तुमसे ज्यादा चालाक हैं। प्रताप जी ने कहा है तुम्हे दुल्हन के रूप में देखने को बेताब हैं वो, अब बताओ अपने दूल्हे राजा को यूं तड़पाओगी क्या!”
अलीशा की बात सुनकर शैलजा कुछ बोल नही सकी और अलीशा ने उसके नाक में वो नथिया पहना दिया और उससे जुड़ी सोने की चेन को बालों में फंसा दिया। नाक पर काफी वजन फील हो रहा था और शैलजा की आंखों में आंसू आ गया। शैलजा ने रुमाल से आंसू की बूंदों को हलके से पोछा और आईने में खुद को देखने बैठ गयी। अलीशा ने शैलजा के कंधे पर एक लम्बी लाल चुनरी ओढा दी और वो कमरे से बाहर चली गयी। दुल्हन बनी शैलजा कमरे में अकेली बैठी अपने अतीत और वर्तमान के बीच ऐसी कशमकश में थी जिससे ना तो वो बाहर ही निकल पा रही थी और ना ही उसे एक्सेप्ट कर पा रही थी। शैलजा का सफर एक मर्द से शीमेल बनना और फिर एक मर्द की दुल्हन बनी बैठी अपने बारात का इंतज़ार करना काफी उलझन भरा था और शैलजा अकेली बैठी यही सोच रही थी कि आज शादी के बाद उसे उसका पति अपने घर ले जाएगा, पता नही ससुराल में सब कैसे ट्रीट करेंगे। इसी उलझनों के बीच शैलजा की एक्स वाइफ शीतल अपने बेटे राहुल और पति देव के साथ कमरे में इंटर हुई।
शीतल, “हाय शैलजा!”
अचानक शीतल की आवाज़ सुनकर शैलजा घबरा गई और उसने तुरंत अपनी चुनरी से अपना लम्बा घूंघट कर लिया। सामने देव शीतल और उसका बेटा राहुल तीनो खड़े थे। देव वही शख्स था जिसने शैलजा को उसी के घर के उसी बैडरूम में उस रात जी भर के चुदाई की थी, घूंघट की वजह से देव उसे पहचान नही सका लेकिन शैलजा के फिगर उसे देखा देखा से लग रहा था।
शैलजा, “आओ शीतल, बैठो!”
शीतल, “दुल्हन के लिबास में कितनी सुंदर दिख रहे हो, सॉरी कितनी सुंदर दिख रही हो शैलजा!”
शैलजा, “थैंक्स, तुम भी खूबसूरत दिख रही हो शीतल, तुम दोनो ने शादी कर ली।”
शीतल, “हम्म शैलजा, मीट माय हबी देव! देव मीट माय एक्स हस्बैंड जो सेक्स चेंज करवा कर औरत बन गया और आज मशहूर होटल मालिक प्रताप की दुल्हन बनने जा रही है।”
देव, “शी इज़ रियल गॉर्जियस लेडी शीतल! हाय शैलजा, आपको देखकर यकीन नही होता है कि आप कभी मर्द थीं और मेरी ही पत्नी की एक्स हबी भी। आपसे मिलकर ऐसा लगता कि मैं पहले भी कभी आपसे मिल चुका हूं!”
शैलजा, “नही, हम पहले कभी नही मिले! शीतल मैं थोड़ी देर राहुल के साथ टाइम स्पेंट करना चाहती हूं, आई होप यू बोथ डोंट माइंड ऐट आल!”
देव, “ऑफकोर्स नॉट!”
शैलजा ने राहुल को अपने पास बुलाया लेकिन राहुल उसे पहचान नही सका और वो दौड़ के देव के पास चला गया। शैलजा को आज उसके खुद के बेटे ने नही पहचाना और शैलजा को एहसास हुआ कि वो अब एक औरत बन चुकी है और उसका पहचान बदल गया है। शैलजा ने शीतल की तरफ देखा।
शीतल, “सॉरी शैलजा, राहुल अपने पापा से बहुत प्यार करता है। आई होप यू डोंट माइंड!”
शीतल ने कोई भी जवाब नही दिया और शीतल उसे गिफ्ट देकर वहां से चली गयी। शाम के साढ़े आठ बज चुकी थी और अभी तक बारात की कोई खबर नही आई। अभी शैलजा अकेली ही बैठी थी कि कमरे में अलीशा के साथ उसकी बहनें और मुहल्ले की लड़कियां घेर कर बैठ गईं। थोड़ी देर हंसी मजाक के बीच धूम धड़ाके की आवाज़ सुनकर शैलजा का दिल जोर से धड़कने लगा और लड़कियों के साथ अलीशा बारात को देखने छत पर चली गयी। शैलजा अकेली बैठी अपने दिल की धड़कनों को कंट्रोल करने की कोशिश कर रही थी, आखिर वो समय आ ही चुका था जब वो अपने घर से पराई होने वाली थी। एक मर्द उसे हमेशा हमेशा के लिये अपने साथ ले जाने वाला था और आगे की लाइफ ससुराल में कैसे कटेगी, ये सब सवाल फिर से शैलजा के मन मे घूमने लगी। थोड़ी देर में शैलजा की माँ, अलीशा, बहनें और मुहल्ले की कुछ औरतें आईं और शैलजा को स्टेज पर ले जाने को तैयार किया। शैलजा को अलीशा ने गोल्डन हाई हील्स पहनाई और शैलजा रेडी थी, स्टेज पर जाने को। शैलजा ने अपने दोनों हाथों से अपना लहँगा उठाया, राहुल और शैलजा के भाई समेत चार लोग एक बड़ी से चुनरी के नीचे लेते हुए शैलजा को स्टेज पर ले जाने लगे। शैलजा अपने दोनों हाथों से अपना लहँगा उठाये धीरे धीरे चल रही थी और उसके ऑर्नामेंट्स काफी आवाज़ कर रहे थे, नाक का नथिया बार बार चेहरे पर टकरा रही थी, जिससे शैलजा को नाक में काफी दर्द भी हो रहा था। लेकिन अपने कदम सम्भालते हुए स्टेज तक जाते समय शैलजा को सबसे ज्यादा एम्बरर्समेंट तब हो रहा था, जब उसके बूब्स उसके हर एक स्टेप के साथ बाउंस कर रहे थे और साफ विजिबल भी हो रहे थे। स्टेज पर पहुचते ही अचानक शैलजा को फील हुआ कि उसके बट प्लग में तेज़ वाइब्रेशन शुरू हो गया है और उसने प्रताप की तरफ आंखें बड़ी बड़ी करके उसे देखने लगी। प्रताप शेरवानी, रोलेक्स घड़ी, सोने की चेन और ब्लैक शूज़ में काफी हैंडसम दिख रहा था और शैलजा को देखकर मुस्कुरा रहा था। तेज़ वाइब्रेशन की वजह से शैलजा वहीं रुक गयी, एक कदम चलने में इतना अजीब सा दर्द, इतने मेहमानों के सामने और तभी प्रताप स्टेज के नीचे आकर शैलजा को अपनी बाहों में उठाकर स्टेज पर ले गया और रिमोट से बट प्लग का वाइब्रेशन ऑफ कर दिया। इतने गेस्ट्स के सामने प्रताप का ये व्यवहार देख शैलजा की आंखों में आंसू आ गए और उसने एक बार फिर प्रताप की तरफ देखा। प्रताप से कुछ कहने से पहले ही स्टेज पर लड़कियां और अलीशा फूलों की वरमाला लेकर आ गईं और शैलजा के हाथों में आरती की थाली देते हुए आरती उतारने को कहा। शैलजा ने शर्माते हुए प्रताप की आरती उतारी जिसके बाद दोनों के हाथ मे खूबसूरत फूलों का वरमाला दे दिया गया। सबसे पहले शैलजा वरमाला पहनाने आगे बढ़ी तो प्रताप तनकर खड़ा हो गया। प्रताप जैसे लंबे चौड़े इंसान के आगे हाई हील्स पहनी शैलजा काफी छोटी मालूम पड़ रही थी, लेकिन लड़कियों की तरह नखरें सीख कर शैलजा भी इस मोमेंट के लिए तैयार थी। शैलजा बैठ गयी, सभी प्रताप की ओर देखने लगे। प्रताप समझ नही पाया और शैलजा से पूछने जैसे ही झुका शैलजा ने उसे वरमाला पहना दी। सभी गेस्ट्स हँसने लगे और खुश होकर ताली बजाने लगे। फिर प्रताप ने शैलजा को वरमाला पहनाया और फिर दोनों को गेस्ट्स से मिलने बिठाया गया। बड़े बुजुर्ग शैलजा को सदा सुहागन रहने का आशीर्वाद देकर चले गए वहीं प्रताप को यशश्वी भवः का आशीर्वाद मिला। आधे घण्टे बाद शैलजा और प्रताप को मंडप पर ले जाया गया। शैलजा के साथ प्रताप ने सात फेरे लेने के बाद उसकी मांग में ढेर सारी सिंदूर भर दिया। कन्यादान शैलजा के पापा ने बड़े ही भारी मन से किया, उसके बाद शैलजा के गले मे मंगलसूत्र पहनाने के साथ ही पंडित ने दोनों को पति पत्नी घोषित कर दिया। शादी पूरी होने के बाद थोड़ी बहुत रीति रिवाजों को पूरा करवाने के साथ ही विदाई का समय भी आ गया। प्रताप शैलजा को अपने साथ विदा करवाकर ले जाने वाला था और ये समय बहुत ही ज्यादा इमोशनल था। बैकग्राउंड में “बाबुल की दुआएं लेती जा….” जैसे गाने ने माहौल को और भी ज्यादा इमोशनल कर दिया। कभी अपने पापा से तो कभी अपनी माँ से लिपट कर शैलजा किसी आम लड़की की तरह ही बहुत रोई। और थोड़ी देर बाद सबके सामने प्रताप ने शैलजा को अपनी गोद मे उठा लिया और कार में बिठाकर, सबसे विदा लेकर वहां से हिमाचल, किन्नौर के लिए निकल पड़ा। कार में बैठने के बाद भी शैलजा बार बार पीछे मुड़ मुड़ कर अपने परिवार से खुद को दूर होते देखती रही और थोड़ी देर बाद अपने पति प्रताप की बाहों में रोते बिलखते सो गई। सुबह के 4 बजे कार मेरठ से निकली वो दिन के 12 बजे ऊटी क्रॉस कर चुकी थी। शैलजा की नींद खुली तो उसने खुद को प्रताप की बाहों में पाया।
प्रताप, “जाग गयी मेरी दुल्हन!”
शैलजा, “आप कब से मुझे ऐसे लिए बैठे हैं, हाथ मे दर्द नही हो रहा आपको?”
प्रताप, “मेरी जान, तुम्हे तो मैं ओरी जिंदगी अपनी बाहों में रखूं तब भी इन हाथों में दर्द नही होगा। वैसे अभी कैसा फील कर रही हो, माँ पापा की याद आ रही है?”
शैलजा, “नही प्रताप जी, ठीक हूँ अभी!”
प्रताप, “हम्म! थोड़ी देर में कुलदेवी का मंदिर आने वाला है। वहां पूजा करने के बाद तुम्हे डोली में मेरे घर तक ले जाया जाएगा!”
शैलजा, “डोली में!”
प्रताप, “हाँ मेरी रानी, डोली में!”
थोड़ी देर में किन्नौर आ गया और कुलदेवी के मंदिर पर डोली, कहार सहित कुछ लोग पहले से ही मौजूद थे। पहले प्रताप कार से बाहर निकला, सामने से एक लेडीज आरती की थाली जिसमे जलता हुआ दिया, नारियल, फूल और सिंदूर रखा था। प्रताप ने शैलजा को अपनी बाहों में उठा लिया, लेडीज़ ने आरती की थाली शैलजा के हाथों में दे दिया और प्रताप शैलजा को अपनी बाहों में लिए मंदिर के अंदर चला गया। देवी का मंदिर था, जहां देवी के सामने प्रताप ने शैलजा को नीचे उतारा और पंडित ने जैसे जैसे कहा शैलजा वैसे वैसे पूजा करने लगी। थोड़ी देर बाद पूजा खत्म हुआ और कुलदेवी से आशीर्वाद लेने के बाद एक बार फिर से प्रताप ने शैलजा को अपनी बाहों में उठा लिया और मंदिर के बाहर आकर डोली में आरती की उसी थाली के साथ बिठा दिया और वो अपनी कार में बैठ गया। आगे आगे डोली में दुल्हन, पीछे पीछे कार में दूल्हा और बाराती चलने लगे और महज आधी किलोमीटर बाद प्रताप का वही हवेली आ गया, जहां एक बार पहले भी शैलजा गयी थी, लेकिन तब वो सिर्फ एक मेहमान थी। लेकिन आज शैलजा को अपनी दुल्हन बनाकर प्रताप उसी हवेली पर लेकर आया था। हवेली के दरवाजे पर प्रताप की माँ यानी शैलाज की सास ने दोनों का गृहप्रवेश करवाया और फिर प्रताप की बहन शैलजा को कमरे में ले गयी। शैलजा बहुत थकी हुई थी, लेकिन प्रताप की बहनें शैलजा को लगातार छेड़े जा रहीं थी और शैलजा चुपचाप बिना कुछ कहे सबकुछ सुनकर शर्मिंदगी से अपना चेहरा झुका रखा था। थोड़ी देर बाद, दिन के 3 बजे शैलजा की सास कमरे में आई और शैलजा को खाना खाने को कहा। एक थाली में ढेर सारी मिठाई और खाना, खाना देखकर ही शैलजा का पेट भर गया। प्रताप की बहनें जाने लगी तो शैलजा ने साथ मे खाने को कहा। प्रताप की बहनों ने शैलजा के हाथों से खाने के लिए जिद करने लगीं तो शैलजा ने अपने हाथों से प्रताप की बहनों को भी खिलाया और खुद भी खाया। एक दिन के हैवी उपवास के बाद खाना बहुत अच्छा लग रहा था, लेकिन थोड़ा खाने के बाद ही शैलजा का पेट भर गया और फिर शैलजा ने हाथ मुह धोये और बिस्तर पर आराम करने बैठ गयी। रुचिका और उसकी चचेरी बहन शोभा भी थोड़ी देर शैलजा के पास ही बैठी रही और थोड़ी देर बाद वहां से अपनी भाभी को रेस्ट करने को कहकर वहां से चली गयी। अभी रुचिका और शोभा वहां से गयी ही थी कि अचानक शैलजा के बट प्लग में बहुत ही तेज़ वाइब्रेशन शुरू हो गया और शैलजा बिस्तर पर लेटी हुई उस वाइब्रेशन को बर्दाश्त करने की कोशिश करने लगी। शैलजा को यकीन था कि ये हरकत प्रताप के सिवा कोई और नही कर सकता और कमरे में प्रताप के अंदर आते ही शैलजा उसे घूर के देखने लगी। प्रताप ने मुस्कुराते हुए रिमोट से बट प्लग का स्पीड और तेज़ कर दिया और शैलजा अपने हाथों को अपने होंठों से दबा कर प्रताप की तरह देखकर आंखों आंखों से इसे बन्द करने की रिक्वेस्ट करने लगी। बिना कुछ कहे प्रताप शैलजा के आंखों से कही बातों को समझ गया और उसने शैलजा के पास आकर कान में कहा कि उसे इससे मजा आता है। अब वो रात को आएगा तो अपने हाथों से इस बट प्लग को रिमूव करेगा। शैलजा ने हामी भरी और लेटे हुए आंखें बंद कर ली और प्रताप वहां से चला गया। आज सुहागरात के बारे में सोच सोच कर शैलजा की घबराहट बढ़ गयी थी, ऊपर से प्रताप की ऐसी हरकत शैलजा को और भी घबराने पर मजबूर कर दिया और शाम से कब रात हो गयी पता भी नही चला। रात को सभी ने एक साथ डिनर किया, शैलजा ने भी डिनर किया लेकिन उसे नाक से नथिया उतारने की अनुमति नही मिली, हालांकि सभी औरों ने बड़ी बड़ी नथिया पहना हुआ था लेकिन उन्हें खाने ने कोई तकलीफ नही हो रही थी। अपने एक हाथ से अपने नाक का नथिया ऊपर उठाकर डिनर करने में खासा तकलीफ हो रही थी। इसपर शैलजा की सास की दोस्त बोली कि ये नथिया अब उसके लाइफ का हिस्सा है औरउसे अपनी पूरी लाइफ ये नथिया पहनना भी पड़ेगा। डिनर के बाद शैलजा को एक बड़े से कमरे में ले जाया गया जहां बिस्तर फूलों से सजाया गया था और वहीं शैलजा को बिस्तर के बीचोबीच घूंघट करके बिठा दिया।
एक औरत बोली, “जब तुम्हारा दूल्हा आये तब उसके पैरों को छूकर आशीर्वाद लेना और जबतक तेरा पति ना कहे, उसके चरणों मे पड़ी रहना और हां केसर वाला दूध भी पिला देना। इतनी खूबसूरत दुल्हन लाया है प्रताप और बहू एक बात याद रखना। तुम्हारी जगह तुम्हारे पति परमेश्वर के पैरों में है, उसकी खूब सेवा करना और जल्दी से पोते पोतियों का चेहरा भी दिखा दो।”
शैलजा ने शर्माते हुए हांमी भरी और अपने दोनों हाथों से अपने पैरों को सिकोड़कर बैठकर अपने दूल्हा के आने का इंतेज़ार करने लगी। जिस दिन के इंतजार में शैलजा इतनी बेताब थी प्रताप के पास जाने को, आज वही दिन था लेकिन शैलजा के दिलो की धड़कन कुछ ज्यादा ही तेज़ हो गयी थी और शैलजा नर्वस हो रही थी। हल्का सा एक आहट भी शैलजा को अंदर से डरने पर मजबूर कर देता। ऐसा पहली बार हो रहा था शैलजा के साथ, शायद हर दुल्हन को ऐसा ही फील होता हो सुहागरात में। अपने पति के इंतेज़ार में कब शैलजा नींद के आगोश में समा गई और कब ओढ़नी उसके तन से अलग हो गयी, पता भी नही चला। रात के 10 बजे जब प्रताप कमरे में आया तो देखा कि उसकी दुल्हन नींद में सो रही है। प्रताप शैलजा के करीब गया और उसके जिस्म की खुशबू से मदहोश होने लगा। शैलजा के बूब्स उसके हर ब्रेथ के साथ ऊपर नीचे रही थी। पतली कमर पर नैवेल ऑर्नामेंट और बड़े से लहंगे में शैलजा बहुत ही ज्यादा एक्सोटिक लुक दे रही थी। लेकिन इन सब से अनजान शैलजा सो रही थी। जैसे ही प्रताप ने शैलजा का घूंघट हटा दिया और उसके होंठ पर एक लाइट किस किया, शैलजा की नींद खुल गयी और वो उठकर बैठ गयी और अपना घूंघट ठीक किया।
शैलजा, “आप कब आये?”
प्रताप, “बस अभी अभी! तुम बहुत ही खूबसूरत दिख रही हो मेरी रानी और तुम्हारे शरीर की ये मीठी खुशबू मेरी एक्सआईटमेन्ट को और भी बढ़ा रही है।”
शैलजा ने तुरन्त अपना घूंघट ठीक किया और खड़ी हो गयी। खड़ी होकर शैलजा ने अपने दोनों हाथों से प्रताप के पैरों को ठीक वैसे ही छुआ, जैसा उस औरत ने कहा था और तब तक पैरों में झुकी रही जबतक प्रताप ने उसे ऊपर नही उठाया। चेहरे को झुकाये खड़ी शैलजा को उसके पति ने बड़े ही प्यार से सीने से लगा लिया, बिना हील्स के शैलजा और भी छोटी दिख रही थी।
प्रताप, “तुम्हारी जगह मेरे दिल मे है शैलजा, पैरों में नही!”
शैलजा, “लेकिन मेरी जगह तो आपके पैरों में ही है!”
प्रताप, “लगता है पुष्पा ऑन्टी ने तुम्हे कुछ ज्यादा ही समझाया है।”
शैलजा, “आप भी ना, ये लीजिये दूध पी लीजिये!”
प्रताप, “इतने से दूध से मेरा क्या होगा मेरी जान!”
प्रताप के कहने भर से शैलजा शर्मा गयी और उसने अपनी नज़रें झुका ली। प्रताप ने एक घूंट में पूरा दूध पी लिया और गिलास टेबल पर रख दिया। प्रताप ने शैलजा को अपनी बाहों में उठा लिया और बिस्तर पर बड़े ही प्यार से लिटा दिया। प्रताप ने शैलजा को एक गिफ्ट दिया, शैलजा ने गिफ्ट खोलकर देखा, उसमे हैवी ऑर्नामेंट्स थे जो सोने और डायमंड के बने थे और बड़े ही खूबसूरत थे। शैलजा ने गिफ्ट बॉक्स को एक तरफ रखा और जैसे ही प्रताप की तरफ मुड़ी, प्रताप ने उसे बिस्तर पर फिर से लिटा दिया और उसके ऊपर आ गया। शैलजा शरमाने लगी और उसके पूरे शरीर मे कम्पकम्पी होने लगी।
प्रताप, “क्या हुआ मेरी दुल्हन को, तुम डर रही हो?”
शैलजा, “नही पता लेकिन ना जाने क्यों, बहुत डर लग रहा है!”
प्रताप, “रिलैक्स शैलजा, मेरी तरफ देखो, मेरी आँखों मे!”
शैलजा, “नही मुझे शर्म आती है!”
प्रताप, “तुम तो आज कुछ ज्यादा ही शरमा रही हो रानी!”
शैलजा, “मुझे नही पता, आप बस मुझे ऐसे मत देखिए!”
शैलजा ने अपनी आंखें बंद कर ली और प्रताप को अपने करीब होते महसूस करने लगी। चँद ही पलों में प्रताप ने अपने दोनों हाथों से शैलजा का छोटा सा चेहरा अपने हाथों में ले लिया और उसके होंठों को बड़े ही रोमांटिक तरीके से सलौली सलौली स्मूच करने लगा। शैलजा गर्म होने लगी और प्रताप ने उसके साथ अगले आधे घण्टे बिना रुके रोमांस किया। शैलजा के बूब्स के निप्पल्स को अपने मुह में रखकर काफी देर तक शैलजा के बूब्स को सक करता रहा, इस्सेशैलाज और भी एक्सआईटेड हो गयी और शैलजा को न्यूड करने के बाद प्रताप भी न्यूड हो गया और शैलजा को अपनी बाहों में लेकर खड़ा हो गया।
शैलजा, “आप ऐसे मत देखिए मुझे?”
प्रताप, “बिना कपड़ों और इतने ऑर्नामेंट्स में तो और भी सेक्सी दिख रही हो शैलजा!”
फिर प्रताप ने शैलजा के नाक से नथिया उतार दिया, बहुत रिलैक्स फील हुआ शैलजा को लेकिन उसके गांड में अभी भी बट प्लग था जिसका रिमोट प्रताप के हाथ मे था।
शैलजा, “ये बट प्लग निकाल दीजिये, मुझे ये नही पसन्द!”
प्रताप, “आई नो!”
शैलजा इससे पहले कुछ कहती, प्रताप ने बट प्लग को रिमूव कर दिया। रिलैक्स होने के साथ शैलजा के चहरे पर मुस्कान आ गयी। प्रताप ने समय वेस्ट नही किया और शैलजा के नाज़ुक कलाई को पकड़कर उसे अपने सख्त लन्ड पर रख दिया। शैलजा ने भी देर नही की, इस पल का उसे कितने महीनों से इंतेज़ार था और उसमें प्रताप के लन्ड को अपने मुह में ले लिया और अपने पति को ब्लो जॉब देने लगी। पन्द्रह मिनट्स के ब्लो जॉब के बाद एक्सआईटमेंट में प्रताप ने अपने स्पर्म का एक लोड शैलजा के मुह में ही छोड़ दिया, जिसका एक बूंद भी शैलजा ने बर्बाद नही जाने दिया। शैलजा ने वो पूरा लोड पी लिया। प्रताप ने शैलजा को कुछ देर यूँही अपनी बाहों में जकड़कर रखा और थोड़ी देर बाद एक बार फिर से शैलजा के शरीर पर किस करने लगा। शैलजा के दोनों पैरों को हवा में फैला कर प्रताप ने एक बार फिर से अपना लन्ड उसकी गान में डाल कर उसे हार्डकोर सेक्स का मजा देने लगा और लगभग बीस मिनट्स के बाद एक्सआईटमेंट आने से ठीक पहले ही प्रताप ने अपना लन्ड शैलजा की गांड से बाहर निकाल कर उसके लन्ड में घुसा दिया। अगले दस मिनट्स तक शैलजा को डिक डॉकिंग सेशन देने के बाद प्रताप को एक्सआईटमेंट आते ही उसने शैलजा के लन्ड में अपना स्पर्म छोड़ दिया । शैलजा को लन्ड में जलन होने लगा और शैलजा अपने दर्द को कंट्रोल करने की कोशिश करने लगी। प्रताप समझ गया, उसने शैलजा को उठा लिया और वाशरूम में बाथटब में ले गया। खुद बाथटब में लेट गया और फिर अपने लन्ड पर शैलजा को बिठा लिया, शैलजा के अंदर प्रताप का लन्ड एक बार फिर से समा गया और अगले आधे घण्टे के हार्डकोर बाथटब सेक्स के बाद एक ही टाइम दोनो को एक्सआईटमेंट आ गया। एक ओर शैलजा की गेंद में प्रताप का स्पर्म भर गया तो दूसरी ओर शैलजा का स्पर्म डिस्चार्ज होते ही शैलजा का पूरा शरीर थरथराने लगा, आंखें जलने लगी और उसे बहुत ही ज्यादा कमज़ोरी फील होने लगी। इस कमज़ोरी के एहसास ने शैलजा को अंदर से खुश कर दिया था और प्रताप भी शैलजा को अपनी बाहों में लेकर काफी देर तक लेटा रहा। बाथटब से बाहर आकर शैलजा और खुदका शरीर सुखाने के बाद प्रताप ने शैलजा को बिस्तर पर लिटा दिया और उसके लन्ड में अपना लन्ड डालकर सो गया। सुबह 4 बजे शैलजा की नींद खुली और प्रताप की बाहों की गर्मी उसे इतनी अच्छी लग रही थी कि वो उठना ही नही चाहती थी। लेकिन आज ससुराल में शैलजा का पहला दिन था, वो इस दिन को बहुत ही खास बना देना चाहती थी। प्रताप से शैलजा ने रिक्वेस्ट किया कि वो उसे जाने दे लेकिन आंख खुलते ही प्रताप ने शैलजा की कमर पकड़ी और उसके लन्ड में अपने लन्ड का एक जोरदार थ्रस्ट दे दिया जिसके बाद एक बार फिर प्रताप का स्पर्म शैलजा के लंड में समा गया।
शैलजा, “आह, प्रताप जी, ये क्या किया आपने! आज ससुराल में पहला दिन है मेरा और अब मैं क्या करूँ!”
प्रताप, “शैलजा, आई एम सॉरी रानी, लेकिन मुझसे कंट्रोल नही हुआ। आओ मैं तुम्हे वाशरूम में ले चलता हूँ!”
उसके बाद प्रताप ने शैलजा को बाहों में उठा लिया और वाशरूम में ले गया। शैलजा बस प्रताप को देखती रह गयी। प्रताप ने शैलजा को अपने लन्ड पर बिठाए बिना पीछे से खड़े होकर जब प्रताप ने शैलजा के लन्ड को अपने हाथों में लेकर शेक किया। तब 2 मिनट्स के अंदर ही शैलजा का स्पर्म डिस्चार्ज हो गया और शैलजा को मॉर्निंग वीकनेस होने लगा। प्रताप ने शैलजा को सम्भाला, फ्रेश होकर शैलजा के साथ नहाया और दोनो कमरे में आ गए। सुबह के 5 बजे, शैलजा की आंखों के आगे अंधेरा से छाने लगा था लेकिन ससुराल में पहला दिन था। आराम करने का टाइम नही था क्योंकि शैलजा को भी पता था कि ना जाने कितने रस्मे होंगी, आज तो पहली रसोई भी थी जिसके लिए इतने ट्रेनिंग ली थी शैलजा ने।
शैलजा, “आपको पता है ना, कितना वीकनेस होता है, फिर भी!”
प्रताप, “आज के लिए सॉरी मेरी रानी, लेकिन अब मैं चाहता हूं कि तुम अपना सेक्स चेंज करवा लो और पूरी तरह से औरत बन जाओ।”
शैलजा, “ये आप क्या बोल रहे हैं, मैं ऐसा नही करना चाहती।”
प्रताप, “क्यों नही शैलजा, औरत बनने के बाद तुम्हे कभी इस तरह के वीकनेस का सामना नही करना पड़ेगा!”
शैलजा, “इसीलिए तो मैं पूरी तरह औरत नही बनना चाहती, ये वीकनेस, आपका प्यार ये सब मुझे बहुत प्यारा है। मैं पूरी लाइफ ऐसे ही जीना चाहती हूं लेकिन रात को, अर्ली मॉर्निंग नही।”
प्रताप, “हाहाहा, आई न्यू इट!”
उसके बाद शैलजा तैयार होने लगी और प्रताप नाईट सूट में वही बैठ गया। प्रताप ने शैलजा से सिल्क साड़ी के साथ बिना ब्रा के बैकलेस चोली पहनने को कहा, शैलजा ने सिल्क साड़ी और बिना ब्रा के बैकलेस चोल पहन ली और फिर मेकअप करने बैठ गयी। डार्क मेकअप के साथ, होंठों पर ग्लॉसी रेड लिपस्टिक, आंखों में गहरा मोटा काजल और थोड़ा ऑय शैडो अप्लाई करने के बाद शैलजा ने गले मे सोने का नौलखा हार, मंगलसूत्र, मांग में सिंदूर और मांगटीका, कानों में हैवी सोने के झुमके, हाथों में सोने के कंगन और सुहाग का चूड़ा सेट, पैरों में हैवी पायल और नाभि में नैवेल ऑर्नामेंट पहनकर शैलजा तैयार हुई। प्रताप ने अपने हाथों से वही नथिया शैलजा के नाक में डाल दिया जो उसने सुहागरात पर गिफ्ट किया था। शैलजा ने अपना घूंघट किया और प्रताप के सामने खड़ी ही हुई थी कि उसकी छोटी ननद रुचिका कमरे में आ गयी, साथ मे शैलजा की सास भी थी। सास को देखते ही शैलजा ने बिना देर किए उनके पैरों को अपने दोनों हाथों से छुआ और उसकी सास ने सदा सुहागिन रहो को आशीर्वाद भी दिया। शैलजा को उसकी सास अपने साथ ले गयी और प्रताप कमरे में अकेला रह गया। जब प्रताप कमरे से बाहर गया तो उसने देखा शैलजा की मुह दिखाई की रस्में चल रही थी। शैलजा को प्रताप के रिलेटिव्स और मुहल्ले की औरतें घूंघट उठाकर चेहरा देख रहीं थी, फिर सदा सुहागिन रहो, मुह धो नहाओ, पूतो फलो और सौभाग्यवती भवः जैसे आशीर्वाद के साथ गिफ्ट्स भी दे रहीं थी। 2 घण्टे, औरतें आती गयीं, शैलजा का घूंघट उठाकर उसके चेहरे को देखकर खूबसूरती की तारीफ कर रहीं थीं और शैलजा सभी के पैरों को छूकर आशिर्वाद ले रही थी। मुह दिखाई की रसमें खत्म होने तक शैलजा को बहुत जोरों की भूख लग गयी थी, मॉर्निंग वीकनेस के बाद उसने ना तो नास्ता किया था और ना ही दूध या मेडिसिन ही खाया था। अब शैलजा को सिर में दर्द, वोमेटिंग और चक्कर सा आना शुरू हो गया और सबके सामने ही शैलजा बैठे बैठे ही बेहोश होकर बिस्तर पे निढाल हो गयी। शैलजा को ऐसे बेहोश होता देख उसकी सास घबरा गई और प्रताप को बुलाया। प्रताप शैलजा को अपनी बाहों में उठाकर कमरे में ले गया और उसके पीछे पीछे उसकी सास और ननद भी कमरे में आ गयी। प्रताप ने अपनी माँ से दूध मंगवाने को कहा और रुचिका से कहा कि वो शैलजा का ख्याल रखे और खुद मेडिसिन लेने चला गया। इधर कुछ औरतें आपस मे बातें करने लगीं।
एक औरत बोली, “ये बहु के लक्षण कुछ ठीक नही लग रहे हैं उषा दीदी! प्रताप के सामने तो ये लड़की एक दिन भी नही टिकी!”
दूसरी औरत बोली, “अरे नही सुलेखा, हो सकता है कि बहु को वीकनेस हो रहा हो। शहर की रहने वाली लड़की है, पहाड़न ब्योली बनने में थोड़ा टाइम तो लगेगा ना!”
पहली बोली, “उषा दीदी, प्रताप की दुल्हन देखने मे भी तो कितनी पतली है। हो भी सकता है कि कमज़ोरी की वजह से बहु बेहोश हो गयी हो!”
दूसरी बोली, “सुलेखा, प्रताप दुल्हन तो बड़ी सुंदर लाया है। कुछ दिन यहां रहेगी तो खुद ब खुद पहाड़न ब्योली जैसी तैयार हो जाएगी।”
पहली बोली, “उषा दीदी, प्रताप की माँ स बात करना जरा, बहु की कोई छोटी बहन होगी तो अपने बेटे के लिए बात चलाऊंगी। वो भी तो बहु जैसी पतली, सुंदर और गठीली शरीर वाली होगी, अगले साल बेटे की शादी की सोच रही हूं!”
दूसरी बोली, “मैं बात कर के देखूंगी, अब चल! बहु की देखभाल के लिए यहां बहुत से लोग हैं, हम शाम में आएंगे फिर!”
पहली बोली, “ठीक है दीदी!”
दोनो औरतें चली गईं, इधर शैलजा को होश आया तो वो घबरा के उठकर घूंघट ठीक करने की कोशिश में हड़बड़ाते हु उठी। शैलजा की सास ने उसे अपने हाथों से नाश्ता करवाया और दूध पीने को दिया। नाश्ता खत्म होने से पहले ही प्रताप वहां मेडिसिन लेकर आ गया और शैलजा ने मेडिसिन खाई और उठने लगी तो सास ने उसे आराम करने को कहा और रुचिका को लेकर वहां से चली गयी। प्रताप ने शैलजा को देखा, शैलजा ने घूंघट ठीक किया और दोनो आपस मे बातें करने लगे।
शैलजा, “माँ कितनी अच्छी हैं। उन्होंने मेरा इतना ख्याल रखा! आई एम सॉरी, आज ससुराल में मेरा पहला दिन था और मैंने सब खराब कर दिया!”
प्रताप, “कोई बात नही मेरी जान, रसमें तो कतई रहेंगी, तुम अपना ख्याल रखा करो! आगे स मैं भी इस बात का पूरा ख्याल रखूंगा कि मॉर्निंग में मेरी रानी की ऐसी हालत ना हो। और मेरी माँ बहुत प्यारी है और वो हमेशा तुम्हारा ख्याल रखेगी जैसे वो मेरा ख्याल रखती है।”
शैलजा, “हम्म! अब मैं ठीक हूँ। आप माँ से कहिये मैं तैयार हूं, बाकी के रस्मो के लिए!”
तभी वहां शैलजा की सास आ गई और शैलजा को आराम करने को कहा और बताया कि बाकी की रसमें शाम में होंगी। शैलजा को उसकी सास का उसके प्रति प्रेम भाव इतना भावुक कर रहा था कि उसे अपनी सगी माँ की याद आ गयी। बिल्कुल उसकी माँ की तरह उसकी सास उसका ख्याल रख रही थी, ननद छोटी बहन की तरह उसके साथ सुबह से बैठी, ये सब शैलजा को अंदर ही अंदर बहुत ही सुख दे रहा था। बातों बातों में शाम हुई और शैलजा को उसकी पहली रसोई के लिए किचन में ले जाया गया। किचन में शैलजा को अकेला छोड़ सभी डाइनिंग टेबल ओर बैठकर नाश्ते के इंतेज़ार करने लगे और शैलजा अकेली नर्वस हो गयी। उसे समझ मे ही नही आ रहा था कि वो सभी के लिए नाश्ते में क्या पकाए। शैलजा नर्वस भी थी, वो बार बार यूट्यूब पर रेसेपी देख कर फैसला नही कर पा रही थी कि वो क्या पकाए। शैलजा ने अपने फ़ोन से अपनी माँ को मैसेज कर के पूछा कि वो नाश्ते में क्या पकाए। उसकी माँ ने फ़ोन ओर गाइड किया और थोड़ी ही देर में सूजी का हलवा बनकर तैयार था। शैलजा ने हलवा पकाने के बाद उसे डाइनिंग टेबल पर सर्व करने के लिए रुचिका को इशारे से पूछा तो रुचिका ने इशारे से नाश्ता खुद ही सर्व करने को कहा। शैलजा ने घूंघट ठीक किया और डाइनिंग टेबल पर सभी को नाश्ता सर्व किया। सभी ने शैलजा के पकाए हलवे की खूब तारीफ की और जब शैलजा ने खुद टेस्ट किया तो रियली बहुत स्वादिष्ट हलवा पका था। शैलजा ने सोचा अपनी माँ को थैंक बोल दे, उसने अपनी माँ को कॉल किया और उसे थैंक्स कहा।
शैलजा की माँ, “थैंक किसलिए बेटा?”
शैलजा, “आपने इतनी अच्छी रेसेपी बताई कि सभी ने मेरे हलवे की खूब तारीफ की!”
शैलजा की माँ, “लेकिन बिटिया, मैं तो मंदिर गयी थी, तुमने कब कॉल किया?”
जब शैलजा ने कॉल चेक किया तो वो शोकड रह गयी। उसने अपनी सास का नंबर भी माँ के नाम से ही सेव किया हुआ था।
शैलजा, “ओह्ह माँ, फिर से गलती हो गई, मैं बात करती हूं!”
शैलजा समझ चुकी थी कि फ़ोन पर उस समय कोई और नही बल्कि उसकी खुद की सास थी जिसने उसे एम्बरर्समेंट से बचा लिया। शैलजा इमोशनल हो गयी और जब उसकी सास किचन में आई तब उसने एक बार फिर से अपनी सास के पैरों को छूकर उनका आशीर्वाद लिया। शैलजा की सास समझ चुकी थी कि शैलजा के रूप में उसे बहु और बेटी दोनो मिल गयी थी और शैलजा को सास के रूप में एक माँ! आज शैलजा बहुत खुश थी, रात हुई तो उसने प्रताप के सामने भी अपनी खुशी जाहिर की। प्रताप भी बहुत खुश हुआ और उसने बताया कि उसने हनीमून के लिए गोआ जाने के लिए टिकट्स बुक कर दिया है और अगले ही दिन शैलजा को अपने पति के साथ हनीमून मनाने गोआ जाना था। ये जानकर शैलजा की खुशी दोगुनी हो गई और अपने पति को हग कर के उसके गाल पर एक किस कर लिया। अगले ही दिन शैलजा और प्रताप, दोनों हनीमून मनाने गोवा पहुंच गए और फिर उसके बाद एक रिसोर्ट में जाकर वहां पर एक रूम ले लिया, जो पहले से ही बुक्ड था। सफर करते समय पहले से ही शैलजा से प्रताप ने कहा था कि अब मैं तुम्हे हनीमून का असली मज़ा दूँगा। शैलजा प्रताप की वो बात सुनकर मन ही मन बहुत खुश हुई और उसके बाद होटल पहुंचकर अब दोनों रूम में पहुंचे। उन्होंने वहां के उस वेटर को जो सामान लेकर आया उसको 500 रूपये टिप में दे दिया और उससे उन्होंने थोड़ा बहुत खाने पीने के लिए कोल्ड ड्रिंक और कुछ स्नेक्स और चिकन लाने के लिए कहा और थोड़ी ही देर में वो वेटर सब कुछ लेकर आ गया। फिर प्रताप ने उससे कहा कि अगर हमें कुछ ऑर्डर करना होगा तो हम फोन कर देंगे, ठीक है, अब तुम जाओ और हमें बिल्कुल भी परेशान ना करना और प्रताप की वो बातें सुनने के बाद वो वेटर चला गया। अब शैलजा और प्रताप ने कपड़े बदलकर थोड़ी देर के लिए बेड पर लेट गये। करीब दो घंटो के बाद प्रताप सो कर उठा और उसने शैलजा से कहा कि मैं फ्रेश होकर आता हूँ और फिर उसके बाद तुम भी फ्रेश हो जाना, तो शैलजा ने भी कहा कि क्यों, हनीमून पर आए हो और अकेले ही नहाने जा रहे हो! शैलजा की बात सुनकर प्रताप मुस्कुराया और शैलजा को अपनी बाहों में उठाकर वाशरूम में ले गया। थोड़ी देर दोनो न्यूड होकर बाथटब में एक साथ लेटे रहे और उसके बाद शैलजा ने प्रताप के लन्ड को अपनी गांड में घुसने को कहा। प्रताप ने बिना देर किया सपना लन्ड शैलजा की गेंद में घुसा दिया उर आधे घण्टे तक दोनो बाथटब हार्डकोर सेक्स का मजा लेते रहे। सेक्स के बाद प्रताप ने टॉवल लपेटा और शैलजा ने भी टॉवल लपेटा। प्रताप की बाहों में शैलजा कमरे में आई और दोनो ने नियर बाई बीच पर घूमने का फैसला किया। शैलजा साड़ी में तैयार होने लगी तो प्रताप ने रोका।
प्रताप, “शैलजा, गोआ आकर साड़ी पहनोगी, हद हो तुम भी। कोई वेस्टर्न ड्रेस नही है?”
शैलजा, “आप भी ना, मेरे पास सिर्फ साड़ियां है। अब मैं क्या करूँ?”
प्रताप, “हम्म, मैं नियर बाई मार्किट से कुछ ड्रेस ला देता हूँ। फिर जब हम बीच पर घूमने चलेंगे तो तुम अपनी पसंद की ड्रेस ले लेना!”
शैलजा, “जल्दी आइयेगा!”
उसके बाद प्रताप नियर बाई मार्किट से एक ब्लैक लेदर मिनीस्कर्ट ले आया। शैलजा ने ब्रा और पैंटी पहनकर उस मिनी स्कर्ट को पहनी तो वो ड्रेस उसके जांघ के काफी ऊपर और हिप्स से कुछ नीचे ही आया। शैलजा को काफी अनकम्फर्ट फील हो रहा था, लेकिन प्रताप ने रिक्वेस्ट की तो शैलजा ने वैसे ही बाहर जाने को तैयार हो गई। प्रताप ने 42 एमएम सोने का लौंग जिसमे हीरा जड़ा था, अपने हाथों से शैलजा के नाक में पहना दिया। शैलजा ने कानों में सोने की बालियां पहन ली और गले मे मंगलसूत्र के साथ मांग में सिंदूर भरके पैरों में हाई हील्स पहन लिया। शैलजा हॉट दिख रही थी, और प्रताप ने उसकी कमर में हाथ रखा और दोनो घूमने निकल पड़े। सबसे पहले प्रताप ने शैलजा को मार्केटिंग करवाई, शैलजा ने अपनी पसंद के डेनिम शॉर्ट्स, शार्ट डिज़ाइनर टॉप्स, बिना हील्स वाले कुछ सैंडल्स, डिज़ाइनर एअररिंग्स और कलाइयों में पहनने के कुछ डिज़ाइनर कंगन खरीदे। मार्किट के बाद बीच पर जाना था और हील्स में समुद्र किनारे घूमना पॉसिबल नही था हील्स में, तो शैलजा ने हील्स को उतारकर बैग में रख लिया और बिना हील्स वाली सैंडल पहन ली। प्रताप भी अपनी छोटी सी पत्नी के साथ बीच पर खूब एन्जॉय किया, वहां बीच पर सभी के सामने एक दूसरे को किसिंग कर रहे थे सभी। प्रताप ने भी एक कैमरामैन को ठीक किया और शैलजा के साथ बीच पर रोमांस करते हुए कुछ फोटोशूट करवाई, शैलजा को अपनी बाहों में उठाकर तो कभी उसे अपनी बाहों में कस कर, कभी लिप टू लिप किस करते हुए तो कभी गले को किस करते हुए। दोनो ने खूब एन्जॉय किया और रिटर्न् होटल आगे, डिनर किया और नाईट पार्टी, चिल्ड बियर का मजा लेने लगे। मार्किट से लेकर बीच तक बहुत से लड़के शैलजा को घूर रहे थे, लेकिन शैलजा ने ध्यान नही दिया। नाईट पार्टी में प्रताप के साथ एन्जॉय करने के बाद दोनों होटल के कमरे में आ गए। रात के करीब 11 बज चुके थे और शैलजा सोने से पहले प्रताप के साथ सेक्स करना चाहती थी। प्रताप ने नाईट गाउन पहन लिया और बिस्तर पर लेट गया और शैलजा ने बेबीडॉल स्कर्ट पहन ली और गुलाब की खुशबू वाली फीमेल परफ्यूम लगाकर प्रताप के करीब आ गयी। शैलजा वाकई बहुत ही ज्यादा हॉट और सेक्सी दिख रही थी और जैसे ही प्रताप ने शैलजा को देखा, उसकी पूरी थकान मिट गई और शैलजा की कमर में हाथ डालकर उसे अपने नीचे लिटा लिया। रोमांस, हार्डकोर सेक्स, बाथटब सेक्स के बाद डिकडॉकिंग सेक्स के बाद शैलजा को बहुत बॉडी वीकनेस हुआ और अपने पति की बाहों में सुकून की नींद सो गई। हनीमून के पहले दिन से चौदहवें दिन हर रोज़ शैलजा ने अपने पति से बहुत प्यार किया। अपने पति का प्यार पाकर शैलजा बहुत खुश थी और बीचेस पर घूमती उन औरतों को देखकर काफी अपसेट भी हो जाती और सोचने लगती कि काश वो भी एक नेचुरल औरत होती। इन चौदह दिनों में एक भी दिन ऐसा ना गया हो जब शैलजा की सास ने उसे कॉल नही किया हो और खुशखबरी के साथ वापिस आने को ना कहा हो। लेकिन शैलजा नेचुरल औरत नही बल्कि एक शीमेल थी, बच्चा पैदा करना उसके लिए पॉसिबल नही था और इस बात से वो बहुत अपसेट रहने लगी। दिल्ली रिटर्न् होने से एक दिन पहले प्रताप ने शैलजा के इस उदासी को महसूस किया और उससे पूरी बात डिस्कस किया। प्रताप ने फैसला किया कि शैलजा का सेक्स चेंज आपरेशन होगा जिसके बाद वो हमेशा के लिए औरत बन जाएगी और इसके लिए क्या कब और कैसे प्लानिंग करनी है वो दिल्ली जाकर डिसाइड होगा। इधर शैलजा अपने मर्दानगी की आखिरी निशानी को अपने शरीर से अलग नही करना चाहती थी और सेक्स चेंज के लिये वो बिल्कुल भी तैयार नही थी। हनीमून के आखिरी दिन प्रताप और शैलजा ने फैसला किया कि दिल्ली जाकर सोच समझ कर आगे का फैसला लेना चाहिए और दोनो इस बात पर सहमत हो गए। दोनो दिल्ली रिटर्न् हो गए और शैलजा और प्रताप ने होटल का काम का पूरा ऑडिट और वेरिफिकेशन किया और होटल का पूरा काम दोनो ने फिर से सम्भाल लिया। हर रोज़ शैलजा की सास उसे दिन में 4 बार कॉल करती, उससे खाने के लिए, काम कैसी चल रही है, प्रताप का हेल्थ कैसा है, सब पूछती और हर रोज़ रात को ये ज़रुर पूछती कि पोते का मुह कब दिखाएगी! इस बात पर शैलजा अक्सर चुप हो जाती और मन ही मन दुखी हो जाती।
शैलजा, “सुनिए ना! माँ अक्सर मुझे बच्चे के लिए कहती हैं और मुझे बहुत दुख होता है कि मैं उन्हें पोते का सुख नही दे सकती!”
प्रताप, “आई नो शैलजा, लेकिन तुम दुखी मत हो। मैंने डॉक्टर से बात कर ली है, तुम्हारे सेक्स चेंज के लिए, आठ महीने में तुम्हे पूरी तरह औरत बना देंगे और फिर तुम्हारे शरीर मे फीमेल इंटरनल औऱर्गन्स भी डेवेलोप करेंगे। उसके बाद तुम मेरे बेटे को जन्म दे सकती हो!”
शैलजा, “लेकिन प्रताप जी, मैं अपनी मर्दानगी की आखिरी निशानी को खोना नही चाहती। और मुझे वो वीकनेस का मजा, मैं खोना नही चाहती! कोई और रास्ता या सेरोगेसी से बच्चा कर सकते हैं ना, नौ महीने मैं प्रेग्नेंट होने का नाटक कर लुंगी।”
प्रताप, “नही शैलजा, मेरे बच्चे तो तुम ही अपने कोख में पालोगी और ये फाइनल है।”
शैलजा, “आप ये क्या कह रहे हैं, ऐसे कैसे सेक्स चेंज करवा लूं मैं। और मेरा क्या, मैं नही चाहती सेक्स चेंज करवाना!”
प्रताप, “देखो शैलजा, डॉक्टर से बात की है मैंने। और क्या तुम्हें पता है, जब तुम पूरी तरह औरत बन जाओगी तो सेक्स एन्जॉयमेंट और भी ज्यादा हो जाएगा। आज तो तुम मना कर रही हो लेकिन आफ्टर सेक्स चेंज तुम मेरे इस फैसले पर गर्व करोगी। कल मैं तुम्हे डॉक्टर के पास ले चलूंगा, तुम खुद ही बात कर लेना और फिर डिसाइड करना कि क्या तुम्हें शीमेल बनकर ही पूरी लाइफ बितानी है या औरत बनकर माँ बनने का सुख भी चाहिए।”
शैलजा, “लेकिन प्रताप जी!”
प्रताप, “लेकिन वेकिन कुछ नही मेरी रानी, कल हम हॉस्पिटल जा रहे हैं।”
उसके बाद प्रताप अपने काम और शैलजा भी अपने काम मे व्यस्त हो गयी लेकिन उसके मन एक डर समा गया कि अब तो प्रताप उसे औरत बनवा कर ही मानेगा। शादी से पहले प्रताप की किसी बात को मानना या ना मानना ये शैलजा की मर्ज़ी से होता था लेकिन अब शैलजा प्रताप की पत्नी बन चुकी थी। प्रताप के बात मानने के लिए या उसे ना कहने में शैलजा को बहुत संकोच होने लगा। अगले दिन प्रताप के साथ शैलजा हॉस्पिटल गयी और दोनो डॉक्टर से मिले।
डॉक्टर, “हॉस्पिटल में एडवांस टेक्नोलॉजी के साथ सेक्स चेंज आपरेशन किया जाता है। जिसमे कम दर्द और बेहतर तरीके से मर्द को औरत बनाया जाता है। शैलजा को पूरी तरह से औरत बनाने में आठ महीने का समय लगेगा, जिसमे पहले तीन महीनों तक उसे फीमेल हॉर्मोन्स की हैवी डोज़ के साथ स्पेशल मशीन में हर रोज़ सुलाया जाएगा। इससे शैलजा के शरीर मे फीमेल ऑर्गन्स का डेवलपमेंट पूरी तरह से होगा, ब्रैस्ट भी प्रॉपर शेप में आ जायेगा और उसके शरीर में चिकनापन आने से साथ गोरापन भी पहले से ज्यादा बढ़ जाएगा। उसके अगले महीने में पेनिस रिमूव किया जाएगा और वैजिनोप्लास्टी की जाएगी और फीमेल ऑर्गन्स के साथ उन्हें जोड़ दिया जाएगा। फीमेल ऑर्गन्स और नई वजाइना के डेवेलोप होने में नेक्स्ट दो महीने लगेंगे, जिसके बाद शैलजा को पीरियड्स आने में 3 से 4 हफ्ते का समय लग सकता है। पहले पीरियड्स आने के दूसरे महीने के बाद शैलजा संसर्ग कर सकती है और गर्भधारण करने के साथ शैलजा के ब्रेस्ट में मिल्क प्रोडक्शन भी बिना किसी मेडिकेशन के शुरू हो जाएगी और मैडम अपनी लाइफ नार्मल औरतों की तरह जी सकती है।”
प्रताप, “ठीक है डॉक्टर, आप शैलजा को आज ही हॉस्पिटल में एडमिट कर लीजिए।”
शैलजा, “लेकिन आज ही क्यों?”
प्रताप, “आज नही तो कल एडमिट तो होना पड़ेगा ना, डॉक्टर आप शैलजा को आज ही हॉस्पिटल में एडमिट कर लीजिए। और शैलजा मैं अगले आठ महीनों के लिए अलीशा को यहां के लिए बोल दूंगा। मैं बलवंत से बात कर लूंगा, वो अलीशा को शाम में ही यहां भेज देगा।”
डॉक्टर, “गुड डिसिशन मिस्टर प्रताप, मैं नर्स को बुलवा देता हूँ।”
उसके कुछ देर बाद नर्स केबिन में आ गयी। नर्स शैलजा को अपने साथ ले गयी और कुछ देर में एक बैग में उसके पूरे कपड़े और ऑर्नामेंट्स दे गई। नर्स ने शैलजा को नाक और कान में पहनने के लिए नीम की लकड़ी से बनी पिन दी जिसे शैलजा ने पीने नाक और कान में पहन लिया। शैलजा को समझ मे नही आ रहा था, आज उसे औरत बनाने के लिए प्रताप इतनी जल्दी में था, कि उसने उसके हाँ का भी इंतेज़ार नही किया और एडमिट करवा दिया। शैलजा को एडमिट करवाने और एडवांस पैसे जमा करने के बाद प्रताप ने अपनी माँ को कॉल करके इन्फॉर्म किया कि आठ महीनों के लिए शैलजा ट्रेनिंग पर जा रही है, जहाँ उसे फ़ोन रखना अललौ नही होगा और अपनी माँ को समझा बुझा कर शैलजा से मिलने उसके केबिन में गया। किसी फाइव स्टार होटल जैसे रूम में शैलजा का बेड बुक किया गया था और वहां शैलजा के अलावे सिर्फ दो लड़के एडमिट थे। प्रताप ने शैलजा से कहा कि घबराने की जरूरत नही है और मैं हर रोज़ मिलने आ जाय करूँगा। शैलजा ने हामी भरी क्योंकि उसके पास अपने पति की बात मानने के सिवा कोई और रास्ता नही था। शैलजा के लिए प्रताप ने इतना कुछ किया, उसे बलवंत के यहां से फ्री करवाकर एक नई जिंदगी दी, उसका हाथ थामकर उसे अपने घर मे इतनी इज़्ज़त दी। प्रताप की माँ भी शैलजा से इतना प्यार करती है और उसका भी फ़र्ज़ बनता है कि अपने पति, सास और अपने परिवार के लिए इतना तो करे। शैलजा को हॉस्पिटल में एडमिट करवाने के बाद प्रताप होटल रिटर्न् हो गया और नर्स केबिन में एंटर हुई।
नर्स, “हाय शैलजा!”
शैलजा, “हेलो सिस्टर!”
नर्स, “शैलजा, तुम्हे देखकर तो कोई कह भी नही सकता कि तुम एक शीमेल हो। यू नो, देखो इन दोनों लड़कों को, ये दोनों भी सेक्स चेंज करवाने आज ही एडमिट हुए हैं। और यू नो व्हाट, आज ही एक लड़का यहां से लड़की बनकर डिस्चार्ज होने वाला है।”
शैलजा, “ये दोनो तो इतने स्मार्ट हैं, फिर ये दोनों अपना सेक्स क्यों चेंज करवा रहे हैं?”
नर्स, “इनमें से एक का नाम अमित और दूसरे का आयुष है। अमित और आयुष दोनो को बचपन से ही लड़कियों की तरह रहना, उनकी तरह कपड़े पहनना और लड़कियों की तरह मेकअप करने का बहुत शौक था। फेमिनिन होने के कारण दोनो को अपने अपने परिवार से अलाव होना पड़ा और दोनो अपने पैसों से अपना अपना सेक्स चेंज करवा रहे हैं। सेक्स चेंज के बाद अमित और आयुष हमेशा के लिये लड़की बन जाएंगे और अपनी लाइफ अपनी मर्ज़ी से जिएंगे।”
शैलजा, “वाओ, दैट्स ग्रेट!”
नर्स, “तो क्या तुम शादीशुदा हो?”
शैलजा, “हांजी, प्रताप मेरे पति हैं!”
नर्स, “हम्म, चलो तुम भी पूरी तरह से औरत बन जाओगी। यू नो व्हाट, अभी छह महीने पहले एक लड़का यहां से लड़की बनकर डिसचार्ज हुआ था, कल पता चला कि उसकी शादी बांग्लादेश के एक शेख के साथ हुई थी और पिछले दो महीनों से वो प्रेग्नेंट है।”
शैलजा, “ये तो बहुत अच्छी बात है। आपके हॉस्पिटल में वाकई अच्छा ट्रेटमेंन्ट होता है!”
उसके बाद नर्स ने शैलजा को इंजेक्शन लगाया और दो मेडिसिन खाने को दिया। मेडिसिन खाने के बाद शैलजा को उस मशीन में लिटाया गया और लेटते ही शैलजा को नींद आ गयी। 2 घण्टे बाद शैलजा की नींद खुली तो वो पसीने से लथपथ थी और शरीर भी लाइट वेट फील हो रहा था। शाम को डिनर के बाद शैलजा को फिर से दो मेडिसिन खाने को दी गयी और मेडिसिन खाने के बाद शैलजा सो गई। शैलजा के सोने के कुछ देर बाद अलीशा वहां आ गयी और नर्स से बात की। नर्स ने अलीशा से कहा कि वो शैलजा का ख्याल रखे और जब शैलजा की नींद खुल जाए तो उसे इन्फॉर्म करे। सुबह के 4 बजे शैलजा की नींद खुली तो उसने अलीशा को आपमे पास पाया, लेकिन अलीशा गहरे नींद में थी तो उसने जगाया नही। थोड़ी देर बाद नर्स आयी और तबतक शैलजा फ्रेश हो चुकी थी। नर्स ने शैलजा को फिर से दो मेडिसिन खाने को दिया और एक बार फिर से उसी मशीन में लिटा दिया। मशीन में लेटते ही शैलजा को नींद आ गयी और लगभग दो घण्टे बाद शैलजा की नींद खुली। अलीशा के साथ ब्रेकफास्ट करने के बाद शैलजा काफी देर तक आपस मे बातें करती रही। अगले तीन महीनों तक सेम प्रोसेस चलता रहा और शैलजा का शरीर पहले के मुकाबले सॉफ्ट, स्मूथ, हेयरलेस, गोरा और बूब्स में कसावट आ गयी। इंटरनल ऑर्गन्स के डेवलोपमेन्ट में भी इजाफा हुआ और अब शैलजा के वजिनोप्लास्टी की जानी थी। शैलजा की घबराहट इस कदर बढ़ने लगी थी कि अलीशा को उसके पास रहकर बार बार समझाना पड़ा कि औरत बनने के लिए ये जरूरी है। प्रताप ने शैलजा को काफी समझाया कि यहां से वो एक नेचुरल औरत बन कर अपने घर परिवार के पास जाएगी। जहां किसी से कभी झूठ नही बोलना पड़ेगा और बच्चे के लिए किसी का मुह नही ताकना पड़ेगा। शैलजा ने हिम्मत की, उसने देखा कि अलीशा ने भी अपना सेक्स चेंज सर्जरी करवाई और आज औरत बनकर कितनी खुश है। आखिर में शैलजा ने खुद को वजिनोप्लास्टी के लिए रेडी किया। आपरेशन से एक दिन पहले शैलजा प्रताप के साथ एक रात बिताना चाहती थी और प्रताप भी इसके लिये मान गया। हॉस्पिटल से दो दिन की छुट्टी करवाकर प्रताप शैलजा को अपने साथ होटल ले आया और साथ ही मेडिसिन्स के डोज़ भी। होटल आकर शैलजा ने सबसे पहले अपनी माँ, ननद और सास से बात की और नाईट में शैलजा ने बाबीडॉल शार्ट ड्रेस पहनकर अपने पति के साथ सुहागरात बिताने को रेडी थी लेकिन प्रताप को काम से फुर्सत नही मिल रही थी। इंतेज़ार करते करते शैलजा सो गई और रात के 11 बजे जब प्रताप कमरे में आया तो शैलजा को सोते देख बहुत खुश हुआ। शैलजा का एक एक अंग ग्लो कर रहा था, हर सांस के साथ ऊपर नीचे होते दूधिया बूब्स और ऊपर से मंगलसूत्र, प्रताप की एक्सआईटमेंट को बढ़ा गयी और वो शैलजा के करीब आ गया। प्रताप की गर्म साँसों का वार्म एहसास पाकर शैलजा की नींद खुल गयी और प्रताप को देखते ही उससे लिपट कर रोने लगी।
प्रताप, “क्या हुआ मेरी रानी को, क्या हुआ?”
शैलजा, “इन तीन महीनों में आपसे दूर रहना, मेरे लिए कितना दुखदायी रहा, मैं नही बता सकती। मैं अपने आप को आपमे समा देना चाहती हूं।”
प्रताप, “पहले रोना बन्द करो मेरी रानी। मैं हमेशा तुम्हारे साथ ही तो हूँ। सेक्स चेंज के बाद एक पल के लिए भी मैं तुम्हे खुद से दूर नही होने दूंगा।”
इससे पहले शैलजा कुछ और कहती, प्रताप ने शैलजा के होंठों पर अपने होंठ रख दिए और काफी देर तक स्मूचिंग करता रहा। कुछ ही मिनटों में शैलजा और प्रताप न्यूड हो गए। इन तीन महीनों में शैलजा के शरीर की सॉफ्टनेस रुई जैसी हो गयी थी और पहले से काफी स्लिम बॉडी हो चुकी थी। प्रताप के मस्क्युलर शरीर में शैलजा का शरीर समा गया और शैलजा के शरीर के एक एक अंग का रसपान करने के बाद प्रताप ने शैलजा के बूब्स के निप्पल्स को अपने होंठ से चूसने लगा। हर एक चुम्बन के साथ शैलजा का बूब्स टाइट होता गया और प्रताप ने भी समय गँवाय बिना शैलजा को लेकर खड़ा हो गया। शैलजा की टाइट बूब्स से कुछ बूंदे दूध की भी प्रताप के होंठो में आई जिसे वो पी गया और शैलजा को बहुत एम्बरर्समेंट लगा। फिर प्रताप का तना हुआ लन्ड देखकर शैलजा से जब रहा नही गया और उसने प्रताप के लन्ड को अपने मुह में लेकर जी भर कर चूसती रही, जब तक प्रताप के स्पर्म्स का एक लोड उसके मुह में नही आ गया। शैलजा ने वो लोड पी लिया और उसके एक एक बूंद को अपने जीभ से चाट लिया। उसके बाद भी शैलजा प्रताप के लन्ड को चूस रही थी और एक बार फिर से प्रताप का लन्ड टाइट हो गया। फिर प्रताप ने शैलजा को अपनी बाहों में उठा लिया और उसकी गांड में अपना लन्ड घुसा दिया। प्रताप के जकड़ से उसके हाथों के लाल निशान शैलजा के बदन पर बन गयी लेकिन शैलजा प्रताप के लन्ड की सवारी का मजा ले रही थी। चरमसुख की आस में शैलजा ने प्रताप के साथ रात भर सेक्स किया और प्रताप ने भी एक पल के लिए भी शैलजा को अपने से अलग किये बगैर हार्डकोर सेक्स करता रहा। डिकडॉकिंग सेशन जिसका इंतेज़ार शैलजा को इन तीन महीनों में हर रोज़ रहता था। प्रताप का तना हुआ लन्ड जब शैलजा के लन्ड में घुसकर उसे पेनिट्रेशन देने लगा तो शैलजा सातवे आसमान में थी। एक साथ दोनो को इरेक्शन हुआ, शैलजा के लन्ड से निकलने वाले स्पर्म लोड को प्रताप के लन्ड से निकलने वाले स्पर्म लोड ने एक झटके में अंदर धकेल दिया और शैलजा का लन्ड स्पर्म्स के थिक लोड से भर गया। दोनो कुछ देर सेम पोजीशन में लेटे रहे और फिर प्रताप शैलजा को बाथटब सेक्स के लिए वाशरूम में ले गया। बाथटब में पहले खुद लेट गया, फिर शैलजा को अपने लन्ड पर बिठाया और उसका छोटा सा लन्ड अपने हाथ मे लेकर सेक्स करने साथ शेक करने लगा। थोड़ी देर में ही शैलजा को इरेक्शन हो गया और सेम उसी टाइम प्रताप ने भी अपना स्पर्म लोड शैलजा की गेंद में डिस्चार्ज कर दिया। शैलजा के लन्ड से स्पर्म का थिक लोड डिसचार्ज होते ही वो बेहोश हो गयी और उसका शरीर कम्पकम्पाने लगा। शरीर पोछकर प्रताप शैलजा को कमरे में लेकर आया और उसे जगा कर उसे दूध के साथ मेडिसिन खिलाया और दोनो गहरी नींद में सो गए। सुबह के 4 बजे दोनो की नींद खुली, दोनो फ्रेश हुए और एक बार फिर से एक दूसरे की बाहों में समा गए। शैलजा के साथ एक बार फिर 4 राउंड हार्डकोर सेक्स, कभी बाहों में उठाकर तो कभी शैलजा के दोनों पैरों को फैला कर, कभी खड़े खड़े तो कभी लेट कर काफी देर तक सेक्स करते रहे। शैलजा ने एक बार फिर डिक डॉकिंग सेक्स के लिए कहा और प्रताप ने भी उसे मना नही किया। प्रताप ने शैलजा के लन्ड में एक बार फिर से अपना लन्ड घुसा दिया और इस बार प्रताप उसे जोर जोर से चोदने लगा। आज शैलजा को अपने लन्ड के काफी अंदर तक प्रताप के लन्ड से चुदाई का अनुभव हो रहा था। दर्द, प्लेज़र और एन्जॉयमेंट, तीनो का मजा शैलजा ने लिया। प्रताप ने आधे आधे घण्टे के गैप में शैलजा को तीन बार डिक डॉकिंग का मजा दिया। तीन बार स्पर्म डिस्चार्ज होने के बाद शैलजा काफी कमजोर हो गयी, बीपी लौ हो गया और प्रताप पूरे दिन शैलजा की चुदाई करता रहा। शैलजा आठ दस राउंड की चुदाई के बाद थक कर चूर हो गयी और अपने पति की बाहों में सो गई। शाम।को जब शैलजा की नींद खुली तो प्रताप ने उसे तैयार हो जाने को कहा क्योंकि हॉस्पिटल में वापिस एडमिट होने का टाइम हो चुका था।
शैलजा, “सुनिए ना, बस एक लास्ट बार प्लीज, इस पल को मैं महसूस करके हमेशा के लिए अपनी रूह में बसा लेना चाहती हूं!”
प्रताप, “लेकिन शैलजा, तुम्हारा बीपी लौ है और ये सब तुम कैसे बर्दाश्त करोगी!”
शैलजा, “मैं सब बर्दाश्त कर लूंगी लवकिं प्लीज् आखिरी बार!”
प्रताप ने ज्यादा देर नही किया और शैलजा को अपनी बाहों में लेकर खड़ा हो गया और उसके लन्ड में एक बार फिर से अपना लन्ड घुसा के चोदना शुरू कर दिया। इस बार शैलजा पूरे फील के साथ जोर जोर से आह, ओह्ह प्लीज् सी सी कर के सिसकियां लेती रही और एक्सआईटेड होकर प्रताप के पीठ को अपने नाखूनों से खरोचने लगी। प्रताप भी फुल स्पीड में था और शैलजा के लन्ड में अपना स्पर्म डिसचार्ज करने में जरा भी जल्दी नही की। थोड़ी देर तक सेम पोजीशन में सेक्स करते हुए एक साथ शैलजा और प्रताप का स्पर्म डिस्चार्ज हुआ और दोनो कुछ देर तक यूँही बिस्तर पर पड़े रहे। हास्पिटल जाने को देर हो रही थी लेकिन शैलजा के लन्ड में अभी भी प्रताप का स्पर्म लोड समाया हुआ था। प्रताप शैलजा को अपनी गोद मे उठाकर वाशरूम में ले गया और अपनी बाहों में ही खड़े खड़े सेक्स करना शुरू कर दिया। गांड में प्रताप का लन्ड ऐसे समा गया था जैसे वजाइना में लन्ड समाता है और हार्डकोर सेक्स के बाद दोनो का स्पर्म लोड डिस्चार्ज हो गया। प्रताप को तो कुछ नही हुआ लेकिन शैलजा के आंखों के आगे अंधेरा छाने लगा और वो बेसुध हो गयी। प्रताप ने शैलजा को बाथटब में लिटाया और उसके गांड से अपना स्पर्म लोड को बाहर निकाल दिया और शरीर को पोंछ कर शैलजा को कुछ देर के लिए बिस्तर पर लिटा दिया। बिस्तर पर लेटते हुए शैलजा को पन्द्रह मिनट्स भी नही हुई कि प्रताप दूध का ग्लास लेकर आ गया। शैलजा ने दूध पी तो उसे थोड़ी ताकत महसूस हुई और वो भी सिर्फ इतना ही कि वो जैसे तैसे तैयार हुई। अनारकली सूट और पलाज़ो में बहुत ही सेक्सी दिख रही थी शैलजा और मेकअप और ज्वेलरी पहनने के बाद शैलजा और भी खूबसूरत दिखने लगी। सबके सामने प्रताप ने शैलजा को अपनी बाहों में उठा लिया और सीढ़ियों से होते हुए, एक दूसरे की आंखों में देखते हुए कार तक पहुंचा। शैलजा को कार में बिठाकर खुद उसे अपनी बाहों में लेकर प्रताप ने ड्राइवर से हॉस्पिटल चलने को कहा। हॉस्पिटल जाने पर शैलजा को एक बार फिर से एडमिट कर दिया गया। जब नर्स शैलजा के कपड़े और ऑर्नामेंट्स ले कर प्रताप के पास आई तो उसने प्रताप को बताया कि शैलजा को अक्सर हाई बीपी रहता था और आज बीपी एकदम से नॉर्मल हो गया। कुछ बताए बिना प्रताप ने मुस्कुराते हुए नर्स को 500 रुपये दिए और वहां से चला गया। शैलजा बहुत खुश थी, नर्स और अलीशा ने भी उससे पूछकर देखा कि उसकी खुशी की वजह क्या है! नर्स को तो नही लेकिन अलीशा को शैलजा ने बताया कि कैसे प्रताप ने उसे खुश कर दिया और हर एक पल को दोनो ने कैसे एन्जॉय किया! अलीशा भी स्माइल करने लगी और अपने फ़ोन में बिजी हो गयी। शैलजा ने पूछा तो उसे पता चला कि अलीशा राहुल को उसकी शादी के टाइम से डेट कर रही है।
शैलजा, “कमीनी, तूने पहले क्यों नही बताया?”
अलीशा, “यार क्या बताती, जब मैंने राहुल को सच सच बताया कि मैं सेक्स चेंज करवा कर औरत बनी हूँ तो दो हफ्तों तक उसने मुझसे बात नही की। लेकिन एक दिन मुझसे कॉल करके बोलता है कि तुम जैसी भी हो, आई लव यू। उस दिन बहुत रोई मैं लेकिन उसके बाद राहुल ने मुझे एक्सेप्ट कर लिया और आने मॉम डैड से मिलवाया। उसके पेरेंट्स ने मुझे अपनी बहू के रूप में एक्सेप्ट कर लिया और अगले महीने हमदोनो की शादी होने वाली थी। लेकिन शुभ मुहूर्त नही होने के कारण तीन महीने बाद हमदोनो की शादी तय कर दी गयी है। राहुल मुझसे बहुत प्यार करता है और मैं भी!”
शैलजा, “इतना कुछ हो गया और तुम मुझे अब बता रही हो! चलो जो भी है, अच्छा है। बधाई हो!”
थोड़ी देर तक दोनो गपशप करते रहे फिर उसके बाद नर्स आयी और उसने शैलजा को इंजेक्शन्स लगाए और शैलजा बेहोश हो गई। शैलजा के बेहोश होने के बाद उसे ऑपेरशन थिएटर में ले जाया गया। 5 घण्टे की सर्जरी के बाद शैलजा का लन्ड उसके शरीर से काट कर हटा दिया गया और उसकी वजिनोप्लास्टी की गई, सिलिकॉन वजाइना को उस जगह से अटैच कर दिया। वजिनोप्लास्टी के बाद शैलजा को उसी मशीन में सुलाया गया और मेडिसिन्स, इंजेक्शन्स और पानी चढ़ाया गया। आपरेशन का एक हफ्ता गुज़र चुका था और शैलजा को पूरी तरह होश आया चुका था। शैलजा के प्राइवेट पार्ट पर बैंडेज था और शैलजा को इस बात का एहसास हो चुका था कि अब उसके शरीर से उसकी मर्दानगी की आखिरी निशानी को डिस्ट्रॉय किया जा चुका था। शैलजा को उस प्राइवेट पार्ट में 3, 4 दिनों तक काफी दर्द रहा और शैलजा बहुत रोई। पांचवे दिन से शैलजा का दर्द कुछ कम हुआ और अब वो बिस्तर से उतरकर वाशरूम तक आने जाने लगी थी। अलीशा ने शैलजा को मेंटली सपोर्ट करने के साथ उसके साथ हर पल उसका ख्याल रखती। प्रताप एक हफ्ते बाद जब शैलजा से मिलने आया तब वो अपने पति से लिपटकर बहुत रोई। प्रताप और अलीशा ने शैलजा को ज्यादा इमोशनल ना होने को कहा लेकिन प्रताप के जाने के बाद शैलजा फिर से इमोशनल हो गयी और रोने लगी। अलीशा ने किसी तरह शैलजा को सम्भाला, इधर सैम केबिन में अमित और आयुष का भी वजिनोप्लास्टी सर्जरी हुई। उनदोनो की कंडीशन भी शैलजा की तरह नाज़ुक थी लेकिन वे दोनों इसके लिए मानसिक तौर पर रेडी थे। इन दिनों आयुष, अमित और शैलजा में अच्छी दोस्ती हो चुकी थी। वे तीनो घण्टों आपस मे एक दूसरे के बारे में बातें करतीं और उनका दिन कटता। दो महीने लगे शैलजा का वजाइना पूरी तरह से डेवेलोप हो चुका था। जब नर्स के कहने पर शैलजा ने पहली बार अपनी वजाइना को छुआ तो उसे फील हुआ कि उसकी वजाइना काफी सेंसिटिव है। नर्स ने एक नॉर्मल साइज डिलडो शैलजा को देकर कहा कि जब तक पीरियड्स नही आ जाती तबतक वो हर रोज़ दिनभर में कम से कम 5 बार अपनी वजाइना में पेनिट्रेट करे। छूने भर से शैलजा को इतना सेंसिटिविटी फील हुई कि शैलजा की हिम्मत नही हो रही थी कि वो अपनी वजाइना को दुबारा छूने की हिम्मत कर सके। शैलजा ने नर्स को बताया कि उसे वजाइना में डिलडो पेनिट्रेशन करने में प्रॉब्लम हो रही है। तो नर्स ने रिमोट ऑपरेटेड डिलडो दिया और उसे वजाइना में सेट करना सिखाया। नर्स ने बताया कि डिलडो पेनेट्रेशन जरूरी है ताकि वजाइना अपने शेप में परफेक्टली फिट हो जाये और पेनिट्रेशन के समय ज्यादा दर्द हो तो अपने पति के बारे में विसुअसाइज़ करना। शैलजा ने बहुत हिम्मत करके डिलडो को अपनी वजाइना में सेट किया और रिमोट से उसका पावर ऑन कर दिया। पावर ऑन करते ही, डिलडो में वाइब्रेशन शुरू हो गया और ऑटोमैटिकली उसका साइज हर 2 मिनट के बाद बढ़ता जा रहा था। शैलजा दर्द बर्दाश्त करने की कोशिश करने लगी और फिर उसने आंख बंद करके प्रताप के बारे में सोचना शुरू कर दिया। थोड़ी देर बाद ही प्रताप के ख्याल भर से ही दर्द कम हो गया और शैलजा को ओर्गास्म हो गया और शरीर मे थरथराहट होने लगी। औरत बनने के बाद ये शैलजा की लाइफ का पहला ओर्गास्म था और उसे पहली बार इतना अच्छा एहसास हुआ कि वो अपनी आंखें बंद कर के उस नए एहसास को एन्जॉय करने लगी और तुरन्त बाद शैलजा वैसे ही गहरी नींद में सो गई। जब शैलजा की नींद खुली तो उसने अपने पास नर्स और अलीशा को बात करते हुए देखा।
नर्स, “डिलडो पेनिट्रेशन करके कैसा फील हुआ शैलजा?”
शैलजा, “ठीक था।”
नर्स, “ठीक था तो डिलडो को तो निकाल देती। दो घण्टे से डिलडो अपने वैजाइना में डालकर सो रही हो!”
नर्स की बात सुनकर शैलजा झेंप गयी और नज़र झुका ली। नर्स ने एक टॉवल दिया, शैलजा ने डिलडो को अपनी वैजाइना से बाहर निकाला जो पिछले दो घण्टों से ऑन ही थी। शैलजा ने डिलडो को टॉवल से पोछा और टेबल पर रख दी।
नर्स, “आगे से ख्याल रखना नही तो डिलडो खराब हो जाएगा।”
नर्स मेडिसिन्स दे कर वहां से चली गयी और अब हर रोज़ दिन भर में 5 बार शैलजा खुद से डिलडो पेनिट्रेशन करने लगी और अब उसे पहले से भी ज्यादा मजा आने लगा था। शैलजा अब सोचने लगी थी कि काश उसने पहले ही अपना सेक्स चेंज करवा लिया होता तो आज वो अपने पति के साथ कितना एन्जॉय कर रही होती। दो महीनों में शैलजा के वजाइना प्रॉपर शेप में और पिंकिश हो चुकी थी। प्रॉपर सेंसेटिव वैजाइना शैलजा को अंदर ही अंदर से पूरी तरह औरत बना रही थी। अब शैलजा के पीरियड्स आने का इंतेज़ार सभी को था, हर रोज़ नर्स शैलजा से पीरियड्स के बारे में पूछती, जिससे उसे बहुत शर्मिंदगी होती। इधर आयुष और अमित पूरी तरह से औरत बन चुके थे। ऑवरग्लास बॉडी शेप में दोनो ही बहुत सेक्सी दिखने लगे थे और उनदोनो को उनका पहला पीरियड्स आ चुका था, जिसकी वजह से दोनो काफी चिड़चिड़े हो गए थे। आयुष और अमित के पीरियडस की बात जानने के बाद शैलजा को घबराहट होने लगी कि उसके पीरियड्स क्यों नही आये, ऊपर से हर रोज़ नर्स का इस बारे में पूछना भी शैलजा को अच्छा नही लग रहा था।
शैलजा, “ऐसा क्या है जो पीरियड्स के आने के लिये रोज़ पूछती हो सिस्टर!”
नर्स, “क्योंकि जब तक पीरियड्स नही आएगा, ना ही तुम्हे औरत कहा जा सकेगा और ना ही तुम्हारा गर्भाशय पूरी तरह से काम करेगा।”
नर्स की बात सुनकर शैलजा ने अपना सिर झुका लिया। दो दिन बाद, शैलजा को अचानक से पेट के निचले हिस्से में तेज़ दर्द होने लगा जिसे शैलजा बर्दाश्त नही कर पा रही थी। इट वास् हर फर्स्ट पीरियड्स और शैलजा को इसके बारे में थोड़ा भी नॉवलेज नही थी कि ऐसा होने पर क्या करें और क्या ना करें। अलीशा ने शैलजा को पहली बार पीरियड्स की जानकारी दी, उसे पैड्स पहनना सिखाया और बताया कि हर महीने पीरियड्स आएगा और 5, 7 दिन परेशान करेगा। शैलजा के शरीर से अब हर रोज़ 10, 20 एमएल खून आने लगा और उसके सिर में दर्द, बूब्स में दर्द, बार बार रोने का मन होना, चिड़चिड़ापन, कमरदर्द से परेशान रहने लगी लेकिन जैसे जैसे दिन गुज़रा, शैलजा का दर्द कम होता गया। शैलजा के पीरियड्स के खत्म होने के बाद शैलजा को ऐसा लग रहा था मानो कितना बड़ा बोझ हट गया हो उसके सिर से। नर्स ने शैलजा को पीरियड्स के बारे में सबकुछ समझाया।
नर्स, “एक बार प्यूबर्टी (यौवनावस्था) शुरू होने पर, उसका पहला मासिक धर्म दूर नहीं है। सब ठीक होगा—यह उसके मासिक चक्र का केवल एक हिस्सा है। लेकिन मासिक धर्म सबसे अधिक ध्यान आकर्षित करता है क्योंकि इसी समय आपके शरीर से खून प्रवाहित होता है। मासिक चक्र के चार चरण होते हैं: चरण 1, आपका मासिक चक्र प्रत्येक महीने तब शुरू होता है जब आपका गर्भाशय रक्त युक्त झिल्ली की एक ताज़ा परत बनाता है। यह अंडे के निषेचित या फर्टिलाइज़ होने पर आपके शरीर द्वारा उसे समायोजित करने की तैयारी है। चरण 2, अगला चरण है अण्डोत्सर्ग (ओव्यूलेशन), जब आपके एक अण्डाशय से एक अण्डा निकलता है और आपके गर्भाशय तक यात्रा करता है। चरण 3, यदि अण्डे की आपके गर्भाशय तक की यात्रा के दौरान उसे एक शुक्राणु (स्पर्म) मिलता है और निषेचन होता है, तो आप गर्भवती हो जाती हैं। यदि ऐसा नहीं होता, तो आपका शरीर आपके गर्भाशय की रक्त युक्त झिल्ली जिसका उपयोग नहीं हुआ है उसको हटा देगा। यह आपका मासिक धर्म है। चरण 4, आपका मासिक धर्म शुरू होता है और आपको 5 से 7 दिनों तक रक्तस्राव होता है। लेकिन चिंता न करें, आपके शरीर से केवल 20 से 60 मिलीलीटर रक्त बहेगा, आसान भाषा में: 4 से 12 छोटे चम्मच! ये सभी चरण प्रत्येक महीने में तब तक एक दोहराव चक्र बनाते हैं जब तक आप गर्भवती नहीं हो जाती या जब तक आपकी रजोनिवृत्ति शुरू नहीं हो जाती। यह चरण एक महिला के आमतौर पर चालीसवें वर्ष में पहुँचने तक ज़ारी रहता है और यह व्यक्तिगत रूप से भिन्न हो सकता है, और यह किसी महिला के प्रजनन चक्र के अंत का प्रतीक है।”
शैलजा नर्स की बातें सुनकर काफी एम्बरर्समेंट फील कर रही थी, चूंकि ये उसका पहला पीरियड्स के बाद का पहला दिन था तो शैलजा को शैम्पू करके नहाने को नर्स ने कहा और उसे एक ऑइंटमेंट भी दी जो नहाते वक्त वजाइना पर मसाज करने से वजाइना में टाईटनेस रहेगा और वो सेक्स लाइफ को जी भर कर एन्जॉय कर सकेगी। शैलजा ने नर्स को थैंक्स कहा और ठीक वैसे ही किया जैसा नर्स ने कहा था। नहाने के बाद जब शैलजा केबिन में आई तो उसने देखा कि बेड पर नया बेडशीट है और अलीशा नर्स के साथ बात कर रही है। शैलजा ने उन्हें जॉइन किया और अपने बिस्तर पर लेट गयी और अपने भविष्य के बारे में सोचने लगी। शाम में डॉक्टर ने शैलजा का चेकअप किया और उसे बताया कि दो महीने बाद उसे हॉस्पिटल से डिस्चार्ज कर दिया जाएगा। अगले दो महीने, शैलजा की रूटीन में मेडिसिन्स, ड्रेसअप, कैंपस में घूमना, योग करना, डाइट के हिसाब से खाना और कम से कम दिन भर में 6 घण्टे मशीन में सोना शामिल था। बॉडी फिटनेस के मामले में शैलजा का शरीर स्लिम ऑवरग्लास कर्वी हो चुकी थी, बूब्स बड़े बड़े 32F साइज के और वजाइना में भी कसावट आ गई थी। दिन भर में कम से कम दस बार शैलजा खुद को आईने में निहारती वो भी न्यूड होकर और अपने बॉडी को देखकर खुश हो जाती। शैलजा के लंबे घने काले बाल कमर तक हो चुके थे, ऑयब्रोस शार्प और खूबसूरत आंखें, होठों के नीचे काला तिल उसकी खूबसूरती में चार चांद लगा रही थी। इधर डिस्चार्ज होने से पहले ही आयुष के पेरेंट्स ने उसकी शादी फिक्स कर दी जिसकी वजह से आयुष काफी परेशान था। आयुष शादी नही करना चाहता था लेकिन उसके पेरेंट्स काफी दबाव डालकर उसे शादी के लिए तैयार होने के लिए फ़ोर्स करने लगे थे। इस बात को जानने के बाद अमित के परिवार वालों ने भी उसकी शादी के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया था। हॉस्पिटल से डिसचार्ज होने से पहले आयुष जिसका नाम बदल कर आयुषी और अमित जिसका नाम बदलकर अमिता कर दिया गया था, दोनो के परिवारों ने उन दोनों का रिश्ता फिक्स कर दिया। औरत बनने के साथ ही उनकी आज़ादी ऐसे छीन ली जाएगी, इसकी उम्मीद ना ही अमिता को थी और ना ही आयुषी को। शैलजा और अलीशा को डिसचार्ज होने से पहले दोनो की शादी का इनविटेशन खुद आयुषी और अमिता के पेरेंट्स हाथ मे दे गए और उनदोनो को अपने अपने साथ ले गए। शैलजा पहले अमिता को फिर आयुषी को अपने माँ बाप के साथ मायूस होकर जाते देख अलीशा से बात करने लगी।
अलीशा, “देखो तो जरा शैलजा, कैसे हैं आयुषी और अमिता के पेरेंट्स। उनके बेटे अभी औरत बने ही थे कि उन्होंने दोनो की शादी भी फिक्स कर दी। देखो कार्ड्स भी एक दो दिन के गैप पर ही है और शादी की लोकेशन भी दिल्ली ही है।”
शैलजा, “तुम्हे शादी की पड़ी है अलीशा! ना तो आयुषी इस शादी के लिए तैयार थी और ना ही अमिता। दोनो अपनी अपनी लाइफ में कुछ करना चाहतीं थी, लेकिन दोनों के पेरेंट्स ने दोनों के पैर खींच दिए। अब दोनो की लाइफ कैसे गुजरेगी, ना जाने क्या क्या सपने देखे थे दोनो ने!”
अलीशा, “सब के पेरेंट्स एक जैसे नही होते शैलजा। तुम बहुत खुशनसीब हो तो तुम्हे इतना प्यार करने वाला पति और सास ससुर मिले।”
शैलजा, “हम्म, राहुल से शादी के बाद तो तुम भी बहुत खुश रहोगी अलीशा!”
दोनो की बातें अभी खत्म भी नही हुई थी कि एक और पेशेंट जिसका नाम मनीष था, उसे सेक्स चेंज करवाने के लिए हॉस्पिटल में भर्ती किया गया। 5 फिट की छोटी हाइट, छरहरा शरीर और गोरी त्वचा, छोटी नाक, पतले होंठ और बड़ी बड़ी आंखें, उसे सेक्स चेंज के लिए परफेक्शन दे रही थी। अलीशा और शैलजा तो उसे देखते ही रह गए कि एक लड़का इतना सुंदर कैसे हो सकता है। नर्स से पूछने पर पता चला कि लड़के की उम्र अभी 18 साल प्लस है और वो असम से है, बचपन से ड्रामे में काम करते करते अब उसे हीरोइन बनने के ऑफर्स मिल रहे हैं। सेक्स चेंज के बाद मनीष मॉडलिंग और फिल्मों में काम करेगा। जान कर हैरानी हो रही थी शैलजा को कि वो अकेली नही जिसने लड़की बनने का फैसला किया। और भी ऐसे लोग हैं जो अपनी फ्यूचर को लेकर इतने गम्भीर है कि सक्सेस पाने के लिए लड़की बनने को भी तैयार थे। दो दिनों के बाद शैलजा को भी हॉस्पिटल से डिस्चार्ज करने को डॉक्टर ने ओके बोल दिया। शैलजा बहुत खुश थी, अपने पति के पास जाने को बेकरार और उसके प्यार की प्यासी। दो दिन बाद प्रताप हॉस्पिटल आकर शैलजा को डिसचार्ज करने की फॉरमैलिटी पूरा कर के नर्स को एक बैग दिया, जिसमे शैलजा के लिए ब्राउन साटन साड़ी, बैकलेस ऑफ शौल्डर ब्लाउज, हील्स वाली सैंडल, ऑर्नामेंट्स और मेकअप का पूरा समान था। अलीशा वहीं पर थी तो उसने खुद से शैलजा को उस साटन साड़ी में तैयार किया, मांग में सिंदूर और गले मे मंगलसूत्र पहनकर शैलजा ने ज्यादा ऑर्नामेंट्स नही पहने। कानों में बालियां और गले मे एक नेकलेस पहनकर तैयार हुई। अलीशा ने नाक में नथिया पहनानी चाही तो शैलजा ने ये कह कर मना कर दिया कि नाक में नथिया वो अपने पति के हाथों से ही पहनेगी। फिर अलीशा ने शैलजा का मेकअप किया, ग्लॉसी लिप्स, आंखों में काजल, कलाईयों में चूड़ा सेट और साड़ी के आंचल से घूंघट बना कर प्रताप के सामने ले गयी। प्रताप ने फॉरमैलिटी पूरी कर दी थी और डॉक्टर ने भी शैलजा के डेवलोपमेन्ट की पूरी जानकारी दे दी थी। शैलजा चुपचाप घूंघट में खड़ी दोनो की बातें सुन रही थी। थोड़ी देर बाद जब प्रताप ने डॉक्टर से विदा लिया तो डॉक्टर ने शैलजा से कहा कि जब कभी किसी तरह की कोई भी हेल्थ रिलेटेड प्रॉब्लम हो, तो अपने पति से नंबर लेकर कॉल कर लेना। शैलजा ने ओके किया और अपने पति प्रताप और दोस्त अलीशा के साथ होटल रिटर्न होने के लिए वहां से चल पड़ी। शैलजा ने गौर किया कि अब उसकी चाल फेमिनिन हो गयी है, पहले लड़कियों की तरह चलने के लिए अपना एफर्ट लगाना पड़ता था, लेकिन अब वैसा नही है। हॉस्पिटल से डिस्चार्ज होने के बाद प्रताप ने अलीशा को बार के पास ड्राप किया और फिर शैलजा को लेकर होटल आ गया। होटल आकर प्रताप ने शैलजा को स्टैर्यस से फिफ्थ फ्लोर तक ले गया, शैलजा थर्ड फ्लोर पर जाते जाते तक गयी तो प्रताप ने शैलजा को अपनी बाहों में उठा लिया और फिफ्थ फ्लोर तक ले गया और अपने कमरे में बिस्तर पर लिटा दिया और उसे ऊपर से नीचे तक निहारने लगा।
प्रताप, “बहुत ही खूबसूरत हो गयी हो शैलजा!”
शैलजा, “थैंक्स!”
प्रताप, “शैलजा, कल माँ आ रही है, एक आध हफ्ता यहीं रहेगी और ये भी हो सकता है कि तुम्हे उनके साथ किन्नौर जाना पड़े।”
शैलजा, “क्यों, कोई ओकेज़न है क्या?”
प्रताप, “हम्म, नवरात्रि, दीपावली, करवाचौथ इन सब त्योहारों में पूरा परिवार एक साथ ही रहता है।”
शैलजा, “फिर तो मैं जरूर जाउंगी!”
प्रताप, “तुमने नाक में नथिया क्यों नही पहना शैलजा, मैंने अपनी पसंद की नथिया तुम्हारे लिए भेजी थी।”
शैलजा, “नथिया पहनाने और उतारने का काम तो आपका है। ये रही नथिया, आप अपने हाथ से मेरी नाक में पहना दो!”
शैलजा की बात सुनकर प्रताप हंसने लगा और नथिया अपने हाथ मे लेकर शैलजा को नाक में पहना दिया। छोटी कुमाऊनी नथिया जिसमे कोई चेन नही थी लेकिन शैलजा के चहरे पर बहुत ही खूबसूरत दिख रही थी। शर्माते हुए शैलजा ने अपनी आंखें बंद कर ली और प्रताप उसके इतने करीब था कि शैलजा ने प्रताप को अपनी बाहों में भर लिया। फिर क्या था इनविटेशन मिलते ही प्रताप ने शैलजा के होंठों पर स्मूच करना शुरू कर दिया और पल भर में दोनो न्यूड हो चुके थे। प्रताप पूरे जोश में शैलजा के बॉडी के एक एक अंग को ऐसे चूमे जा रहा था कि शैलजा अपनी सिसकियों को रोक नही पा रही थी। फिर शैलजा ने भी प्रताप के एक एक अंग को अपने रसीले होंठों से चूमने लगी और प्रताप के लन्ड को अपने होंठो से करीब 20 मिनट्स तक जी भर के ब्लोजॉब का मजा दिया। एक बार फिर प्रताप शैलजा के ऊपर आ गया, उसके चेहरे को अपने दोनों हथेलियों से समेटकर होंठों पर, गाल पर, गले पर होते हुए, शैलजा के बूब्स के निप्पल्स को अपने होंठो से स्मूच करना शुरू किया तो शैलजा की आहें निकलने लगी और वो और भी एक्सआईटेड होने लगी। कमर को चूमते हुए प्रताप शैलजा की वैजाइना को चूमना शुरू किया और शैलजा और भी ज्यादा एक्सआईटेड हो गयी। प्रताप ने शैलजा की वैजाइना में अपना जीभ घुसा दिया और उसे चूसने लगा, अब तो शैलजा इतनी एक्सआईटेड हो गयी कि वो खुद प्रताप से रिक्वेस्ट करने लगी कि वो अपना लन्ड उसके अंदर घुसा दे। प्रताप भी बेकरार था शैलजा के अंदर अपने लन्ड को घुसाने को और बिना देर किए प्रताप ने अपना लन्ड शैलजा के वैजाइना के अंदर घुसा दिया। शैलजा की चीख निकल गयी, मानो किसी ने उसे दो हिस्सों में काट दिया हो। अपनी आंखों में उस दर्द के आंसू लिए शैलजा प्रताप के पीठ को अपने नाखूनों से कस कर उस दर्द को बर्दाश्त करने की कोशिश करने लगी। प्रताप ने भी थोड़ा होल्ड किया और फिर धीरे धीरे स्ट्रॉक्स लगाने लगा। हर एक धक्के के साथ शैलजा की आह निकल रही थी, अपने नाखून से प्रताप का पीठ खरोचने लगी थी। प्रताप ने जैसे ही स्पीड बढ़ाई, शैलजा को ओर्गास्म हो गया। वो प्रताप को जकड़ कर अपनी आंखें बंद करके उस दर्द भरे प्यार के पहले एहसास को अपने दिल मे बसा लेना चाहती थी। थोड़ी देर तक दोनो ठीक उसी पोजीशन में लेते रहे, शैलजा एक पल के लिए भी प्रताप के लन्ड को अपने अंदर से बाहर नही निकालना चाहती थी और प्रताप भी पूरे जोश में था।
प्रताप, “कैसा फील हुए मेरी रानी को!”
शैलजा, “आज सही मायनो में मैं आपकी रानी बन गयी हूँ, राजा जी!”
शैलजा की बात सुनकर प्रताप हसने लगा और शैलजा ने फिर से एक राउंड रेक्स को कहा जिसके लिए प्रताप पहले से ही एवर रेडी था। उसने शैलजा को अपनी गोद मे उठाया और खड़े खड़े उसके वजाइना में लन्ड घुसाकर चुदाई शुरू की। अभी प्रताप ने पंद्रह मिनट्स भी शैलजा की चुदाई नही की थी कि एक बार फिर शैलजा को ओर्गास्म हो गया और एक बार फिर से शैलजा प्रताप के गले मे अपने बाहों का हार डाल कर आंखें बंद करके एन्जॉय करने लगी। कुछ पल के खूबसूरत एहसास ने शैलजा को आज कली से फूल बना दिया था। शैलजा ने सही मायनों में डीफ्लावर होने का एहसास किया था, आज शैलजा को सही मायनों में अपनी वर्जिनिटी खोने का एहसास हुआ था, लेकिन इतनी जल्दी जल्दी ओर्गास्म आने से वो ये भी समझ रही थी कि प्रताप सही तरीके से एन्जॉयमेन्ट फील नही कर पा रहा है।
शैलजा, “राजा जी, आई एम सॉरी!”
प्रताप, “वो किस लिए रानी!”
शैलजा, “मैं आपको खुशी नही पा रही, है ना!”
प्रताप, “अच्छा मेरी रानी को ऐसा लगता है! तुम फ़िक़्र मत करो रानी, अभी तो तुम्हारे राजा जी ने शुरू भी नही किया है!”
प्रताप की बात सुनकर शैलजा झेंप गयी और प्रताप ने शैलजा को बिस्तर पर लिटाया, उसके दोनों पैरों को हवा में फैलाया और अपने लन्ड को उसकी वजाइना में घुसा दिया और तीसरे राउंड का हार्डकोर सेक्स शुरू हुआ। दो बार के ओर्गास्म ने शैलजा को अंदर से कमज़ोर कर दिया था और इस बार प्रताप का लन्ड कुछ ज्यादा ही डीप जा रहा था और उसके अंदर की दीवार से टकरा रहा था।
शैलजा, “आह, आह, माँ, मर गयी, ओह्ह, प्लीज्, प्लीज्, नही , आह, ममममममम, नही, आह, प्लीज्, प्लीज्, प्लीज्, राजा जी धीरे, आहह , ओह्ह माय गॉड, राजा जी, प्लीज्!”
प्रताप, “ओह्ह या बेबी!”
दोनो फुल मस्ती में लगभग आधे घण्टे तक एन्जॉय करते रहे और अचानक एक ही साथ प्रताप और शैलजा को ओर्गास्म हो गया और प्रताप के स्पर्म्स का हैवी लोड शैलजा के अंदर समा गया और दोनो वैसे ही सो गए। प्रताप ने भी पूरी रात शैलजा की वजाइना में अपना लन्ड घुसाए रखा और पूरी रात रुक रुक कर हल्के हल्के स्ट्रॉक्स लगाता रहा। शैलजा पूरी रात अपने पति के प्यार में सराबोर हो गयी और बिना कुछ कहे सुबह तक अपने पति की बाहों के आगोश में समाई चरमसुख के सुखद एहसास में खोई रही। सुबह के 5 बजे शैलजा की नींद खुली तो प्रताप भी जाग गया।
प्रताप, “गुड मॉर्निंग रानी!”
शैलजा, “गुड मॉर्निंग राजा जी!”
प्रताप, “हाऊ वाज़ लास्ट नाईट?”
शैलजा, “मुझे हर रोज़ ऐसी रात चाहिये, जब मैं अपने राजा जी की बाहों में रहूं।”
बोलकर शैलजा शरमाने लगी और उठकर वाशरूम में फ्रेश होने लगी। आईने में शैलजा ने खुद को देखा तो गले पर, बूब्स पर, कमर के पास प्रताप के लव बाइट्स के निशान बने थे जिसे देखकर शैलजा शरमाने लगी। फ्रेश होने के बाद शैलजा अपने पति को जगाने गयी।
प्रताप, “तुम नहाई नही!”
शैलजा, “आज आपके साथ नहाना चाहती हूं!”
प्रताप, “क्यों नही रानी, सिर्फ आज ही क्यों, हर रोज़ मेरे साथ नहाना! मैं भी फ्रेश हो लेता हूँ और फिर हम साथ मे स्नान करेंगे!”
शैलजा शरमाने लगी और प्रताप वाशरूम में फ्रेश होकर कमरे में वापिस आ गया। फिर शैलजा और प्रताप वाशरूम में गए, एक साथ नहाते समय एक राउंड हार्डकोर सेक्स किया और शैलजा के अंदर अपने स्पर्म्स का हैवी लोड डालकर उसे खुश कर दिया। आधे घण्टे बाद दोनों वाशरूम से बाहर आये और प्रताप ने शैलजा से कहा कि वो ऑरेंज सिल्क साड़ी पहनकर तैयार हो जाये और वो खुद से शैलजा की नाक में 40 एमएम डायमंड नोज पिन पहना दिया और खुद तैयार होकर आफिस में चला गया। थोड़ी देर बाद शैलजा ऑरेंज सिल्क साड़ी पहनकर, लाइट मेकअप, लाइट ऑर्नामेंट्स और बालों की चोटी बनाकर तैयार हुई। तैयार होने के बाद शैलजा ने मांग में सिंदूर भर कर, गले मे मंगलसूत्र पहना और होंठों पर डार्क ऑरेंज ग्लॉसी लिपस्टिक और आंखों में काजल लगाकर केबिन में जा पहुची। जहां प्रताप पिछले दो घण्टों से अपनी पत्नी और होटल की मैनेजर शैलजा का इंतजार कर रहा था। शैलजा ने प्रताप के साथ ब्रेकफास्ट किया और दोनो काम करने बैठ गए। शैलजा के ध्यान से बिल्कुल ही उतर चुका था कि उसकी सास आज आने वाली थी। दिन के 11 बजे शैलजा की सास होटल पहुची, प्रताप तब बाहर ही था और शैलजा आफिस वर्क निपटा रही थी। प्रताप ने अपनी माँ को प्रणाम किया और अपनी छोटी सी बहन को दुलार। प्रताप की माँ ने शैलजा के बारे में पूछा तो प्रताप ने बताया कि वह अभी ऑफिस में काम कर रही है। जब शैलजा की सास आफिस में दाखिल हुई तो उन्होंने देखा कि उनकी बहू बहुत ही लगन से आफिस के काम मे मशगूल थी। शैलजा की सास ने उसे डिस्टर्ब नही किया और अपनी बहू को इतनी लगन से काम करते देख बड़ी खुश हुई। अचानक शैलजा की नज़र अपनी सास और ननद पर पड़ी तो वो तुरन्त चेयर से उठी, साड़ी की आँचल से घूंघट किया और अपनी सास के दोनो पैरों को छू कर उनका आशीर्वाद लिया। रुचिका को हग करके उसे भी काफी स्नेह जताने के बाद शैलजा अपनी सास और ननद को लेकर कमरे में चली गयी और प्रताप आफिस का काम देखने लगा।
रुचिका, “भाभी, आप तो दिन ब दिन और खूबसूरत होती जा रही हो!”
शैलजा की सास, “ऐसे नही बोलते रुचिका, नज़र ना लगे मेरी बिटिया को। आ मेरे पास काला टिका लगा दूँ।”
शैलजा की सास ने शैलजा के गले के पीछे अपनी आंखों का काजल का टीका कर दिया। शैलजा इमोशनल हो कर अपनी सास से लिपट गयी।
शैलजा, “मैने आपको बहुत मिस किया माँ!”
रुचिका, “और मुझे मिस नही किया न भाभी?”
शैलजा, “आपको तो मैंने सबसे ज्यादा मिस किया मेरी इतनी प्यारी ननद है, इतनी कयूट। कैसे ना मिस करती?”
शैलजा की सास, “बिटिया, तूने बड़े अच्छे से होटल का सारा काम सम्भाला है। मेरे पोते पोतियों का मुह भी दिखा दे, तो मैं चैन से मर सकूँ!”
शैलजा, “माँ, ऐसे नही बोलते। और अगर आपने दुबारा ऐसा कहा तो मैं आपसे बात नही करूँगी!”
शैलजा की माँ, “नही बोलूंगी बिटिया, लेकिन पोते पोतियों का भी एक अलग ही सुख है। वैसे कल तुझे मैं किन्नौर ले जाउंगी अपने साथ। पूरी हवेली मेरी बहु के बिना वीरान हो गयी है।”
शैलजा, “जरूर चलूंगी, आपके लिए तो कुछ भी करूँगी!”
उसके बाद शैलजा की सास और ननद काफी देर तक आपस मे बातें करती रहीं। फिर तीनो ने एक साथ लंच किया और रेस्ट करने के लिए अपनी सास और ननद को छोड़कर अपने पति के पास शैलजा आ गई।
प्रताप, “तो रानी, क्या तुम जा रही हो कल?”
शैलजा, “हाँ राजा जी!”
प्रताप, “मेरे बिना रह लोगी?”
शैलजा, “आपके बिना, आप चल रहे हैं ना, हमारे साथ?”
प्रताप, “नही शैलजा, मैं नही जा रहा।”
शैलजा, “फिर मैं नही जा रही अपने राजा जी को छोड़कर कहीं भी!”
प्रताप, “शैलजा, रानी ऐसे मत कहो। माँ से तुमने ही कहा है ना कि तुम उनके साथ जाओगी, फिर अभी ऐसे क्यों कह रही हो। मैं बीच बीच मे आता रहूंगा!”
शैलजा, “नही बोला ना, तो नही। मुझे नही पता था कि आप नही जा रहे। नही तो मैं एक बार भी आपसे दूर जाने को तैयार नही होती। अभी आठ महीने आपसे दूर रहकर आयी हूँ और आप हैं कि फिर से मुझे खुद से दूर कर देना चाहते हैं। इसीलिए कहते हैं कि शादी के बाद पत्नी की कोई वैल्यू नही होती! घर की मुर्गी डाल बराबर!”
प्रताप, “ऐसी बात नही है शैलजा। मैं हफ्ते में एक बार तुमसे मिलने जरूर आऊंगा। यहां होटल में भी ध्यान देना जरूरी है। वैसे भी एक डेढ़ महीने की बात है, उसके बाद अगले साल माँ के साथ किन्नौर जाना।”
शैलजा, “माँ से हाँ नही कहती तो मैं आपसे दूर नही जाती। लेकिन माँ से कह चुकी हूं, सिर्फ इसलिए मैं जाने को रेडी हूँ। लेकिन मुझे आपका प्यार चाहिए और आप हर वीकेंड पर किन्नौर जरूर आएंगे!”
प्रताप, “प्रोमिस, मेरी रानी!”
शैलजा, “ऐसे नही राजा जी। मुझे आपका प्यार चाहिए, वो भी अभी।”
प्रताप, “ओके मेरी रानी, आज मै तुम्हे जी भर के प्यार करूँगा!”
उसके बाद शैलजा और प्रताप दोनो अपने स्वीट में गए और कामसुत्र के 4 अलग अलग पोसिशन्स में 4 राउंड हार्डकोर सेक्स, 2 राउंड ऐनल हार्डकोर सेक्स और 2 राउंड ब्लोजॉब के बाद भी शैलजा को संतुष्टि नही मिली। शैलजा और एक बार सेक्स करना चाहती थी लेकिन शाम के 6 बज चुके थे और प्रताप की माँ और ननद कभी भी कमरे में आ जातीं। प्रताप ने शैलजा को प्रॉमिस किया कि वो रात में भी उसे खूब प्यार करेगा। उनका शक बिल्कुल सही था, दोनो फ्रेश होकर दुबारा से तैयार ही हुए थे कि दरवाज़े पर नॉक हुआ। शैलजा ने घूंघट ठीक करके दरवाज़ा खोला, सामने उसकी सास और रुचिका खड़े थे। शैलजा ने दोनो को अंदर बुलाया और प्रताप नीचे चला गया, होटल के काम देखने। नाश्ते के बाद शैलजा भी अपनी सास और रुचिका के साथ घण्टों बातें करती रही। रात के 9 बजे जब प्रताप कमरे में आया तब भी शैलजा और उसकी माँ आपस मे बातें कर रहीं थी और रुचिका शैलजा की गोद मे सिर रखकर सोई हुई थी। ये सब देखकर प्रताप को बड़ी खुशी हुई, सभी खुश थे और क्या चाहिए था। प्रताप ने रुचिका को जगाया और अपने साथ इंडिया गेट घुमाने ले गया। लौट कर आने पर शैलजा, उसकी सास, प्रताप और रुचिका ने एक साथ डिनर किया और प्रताप की माँ रुचिका और शैलजा को अपने साथ लेकर अपने कमरे में चली गयी।
शैलजा आज की रात अपने पति की बाहों में समा जाने को इतनी बेताब थी कि कमरे में आते ही शैलजा ने अपने हाथों का हार प्रताप के कमर में बांध दिया और प्रताप ने भी झुक के शैलजा को बड़े प्यार से होंठों पर काफी देर तक स्मूच किया। दोनो के होंठ एक दूसरे के होंठो को प्यार की चाशनी में डुबोये जा रहे थे और उनके जीभ भी आपस मे सांप की तरह लिपट गए थे। थोड़ी ही देर में शैलजा पूरी तरह से न्यूड हो गई और प्रताप भी। प्रताप ने ज्यादा टाइम वेस्ट किये बिना, शैलजा को बिस्तर पर औंधे मुंह लिटा दिया और उसके वजाइना को अपने जीभ से चूसने लगा। शैलजा बहुत एक्सआईटेड हो गयी लेकिन प्रताप कल वाली गलती नही दुहराना चाहता था। प्रताप ने शैलजा के पीठ से कमर पर चूमने लगा और अपने दोनो हाथों से शैलजा के बूब्स को पकड़ कर उसे निम्बू की तरह निचोड़ने लगा। शैलजा को दर्द होने लगा, लेकिन प्रताप बिना रुके शैलजा की गांड में अपना लन्ड घुसा कर उसे चोदने लगा। आहहह, ओह्ह, मममम, आई, प्लीज्, प्लीज्, आह, शैलजा की एन्जॉयमेंट चरम पर थी और प्रताप की भी। फिर प्रताप ने वैसे ही शैलजा को उठा लिया और उसकी कमर को अपने मजबूत हाथों से पकड़कर पीछे से चोदने लगा। लगभग बीस मिनट्स की चुदाई के बाद प्रताप ने शैलजा को अपनी तरफ घुमाया और खड़े खड़े ही उसकी वजाइना में अपना लन्ड डाल दिया और फिर शैलजा का कमर पकड़कर उसे अपने लन्ड पर कभी बिठाता तो कभी उठाता। इस तरह की चुदाई में शैलजा को बहुत मजा आ रहा था और वो पूरे जोश के साथ प्रताप के गले मे हाथ डालकर चुदाई का मजा ले रही थी। अगले आधे घण्टे की चुदाई और एक साथ ओर्गास्म के साथ ही प्रताप ने शैलजा को बिस्तर पर पटक दिया और खुद भी उसके ऊपर लेट गया। ये सिर्फ पहला राउंड था, शैलजा और प्रताप दोनो एक दूसरे से लिपटकर सोए हुए थे। थोड़ी देर बाद जब शैलजा के शरीर में थोड़ी ताकत फील हुई तो वो उठी और प्रताप के लन्ड को अपने मुह में लेकर बीस मिनट्स तक ब्लोजॉब दिया। ब्लोजॉब और प्रताप के स्पर्म्स को पीने के बाद प्रताप ने शैलजा को अपनी बाहों में लिया और उसके दोनो पैरों को अपने कंधे पर रखकर उसकी चुदाई शुरू की। प्रताप के हर स्ट्रॉक्स शैलजा के मुह से आहें निकल रही थी। जब दर्द, प्लेज़र और प्यार का मिश्रण शैलजा के वजाइना में प्रताप के वीर्य के रूप में समाई उसके साथ एक बार फिर शैलजा को ओर्गास्म हो गया। शैलजा का स्लिम शरीर अब प्रताप के सामने कमज़ोर पड़ने लगा था और अपने पति के लन्ड को अपने वजाइना में लेकर शैलजा सो गई। हर रोज़ की तरह शैलजा सुबह 5 बजे जाग गयी और उसके साथ ही प्रताप भी। दोनो एक एक करके फ्रेश हुए और एक साथ स्नान के साथ बाथटब सेक्स का मजा लिया और वन मोर टाइम ओर्गास्म का मजा लेकर बाथटब में कुछ देर तक यूँही लेटे रहे। स्नान करने के बाद प्रताप सूट में तैयार हुआ और उसके पसन्द की डार्क ग्रीन कांचीवरम सिल्क साड़ी में शैलजा। शैलजा ने मेकअप किया और ऑर्नामेंट्स पहने। प्रताप ने शैलजा की नाक में अपने हाथों से किन्नौरी नथुली, गले मे मंगलसूत्र पहनाया और मांग में सिंदूर भी अपने हाथों से भर दिया। शैलजा तैयार थी और प्रताप भी। थोड़ी ही देर में शैलजा ने अपना बैग पैक कर लिया और अपने पति को देखकर इमोशनल होने लगी। प्रताप ने शैलजा को गले से लगाया, उसके नरम मुलायम रसीले होंठों पर अपने प्यार की मुहर लगा दिया। शैलजा की लिपस्टिक हट गई थी तो शैलजा ने ब्राउन लिपस्टिक से अपने होंठों को सजाया और फिर लिप ग्लॉस का जादू। शैलजा बहुत ही आधुनिक और सेक्सी मॉडल की तरह दिख रही थी और प्रताप का मन ललचा रहा था। इससे पहले कि प्रताप कुछ करता उसकी माँ और रुचिका वहां आ गए। नीचे गाड़ी तीनो के इंतजार में थी और थोड़ी देर में लगेज भी कार में रखवा दिया गया।
जाते समय प्रताप की तरफ शैलजा ने एक बार भी नही देखा क्योंकि उसे पता था कि अपने पति से बिछड़ने का दुख क्या होता है। आँचल के घूंघट से अपना चेहरा छिपाए शैलजा अपनी सास और ननद के साथ किन्नौर पहुचे। किन्नौर पहुचने में आठ घण्टों से ज्यादा का समय लग और तीनों बुरी तरह से थक गए थे। शैलजा की सास और रुचिका के साथ शैलजा ने घर की देवी माँ की पूजा की और फिर अपने अपने कमरे में रेस्ट करने चले गए। अगले दिन से दिन भर घूंघट में, नाक में बड़ी बड़ी हिमाचली नथुली पहनकर शैलजा घर के कामों में अपनी सास का हाथ बटाने लगी। आधा दिन घर के कामों में तो आधा दिन बात करने में और शैलजा की सास से उनकी सास की कहानियाँ सुनने में बीतने लगी। एक प्रॉपर संस्कारी बहु की तरह शैलजा अपनी सास का खूब ख्याल रखती, समय समय पर मेडिसिन्स खिलाती और रुचिका के मनपसन्द व्यंजन भी बनाती। रात को प्रताप से बात करके सो जाती। अक्सर प्रताप शैलजा से कहता कि वो डिलडो का इस्तेमाल करे, लेकिन शैलजा कहती कि अब वो सेक्स करेगी तो सिर्फ अपने राजा जी के साथ। इधर तीन हफ्ता गुज़र गया था नवरात्रि का त्योहार आने वाला था। शैलजा की सास ने उसे नौ दिन फलहारी उपवास करने को कहा और खुद भी उपवास रखा।
सेप्टेम्बर 2019 में, शैलजा ने पहली बार फलहारी उपवास रखा और वो भी नौ दिनों का। हर दिन शैलजा सुबह उठकर, स्नान करके दुल्हन की तरह सजधज कर, माता रानी का पाठ करती, उन्हें फलों का भोग चढ़ाती और उसकी सास के साथ घर के सभी लोगों के साथ मंगल आरती करती। इन नौ दिनों की पूजा में शैलजा की सास हर रोज़ माता रानी से एक ही आशीर्वाद मांगती कि वो शैलजा की सुनी गोद खुशियों से भर दे। शैलजा अपनी सास की आंखों में अपने पोते को देखने की चाहत को साफ देख सकती थी। विजयदशमी के दिन घर पर प्रताप आया और उस दिन की पूजा दोनों पति पत्नी ने मिलकर किया। घर मे सभी बहुत खुश थे और प्रताप के आ जाने से शैलजा सबसे ज्यादा खुश थी। कुंवारी कन्या पूजन में भी शैलजा और प्रताप ने साथ मिलकर कुंवारी बच्चीयों को भोजन करवाया और उनसे आशीर्वाद लिया। सभी ने खुश होकर शैलजा और प्रताप को अपना आशीर्वाद दिया, मानो सच मे माता रानी नौ बालिका के रूप में प्रकट हुई हों। उस दिन शैलजा बहुत इमोशनल हो गयी थी, कुवारी कन्याओं को भेजते समय उसकी आँखों मे आंसू आ गए और वो अपने कमरे में चली गयी। डिनर के बाद, आज दो हफ्तों बाद प्रताप और शैलजा एक साथ थे। पूरी रात एक दूसरे की बाहों में रोमांस, 5 राउंड हार्डकोर सेक्स, 3 राउंड ब्लोजॉब और 2 राउंड ऐनल हार्डकोर सेक्स का मजा लेने के बाद बाथटब सेक्स करके दोनो सो गए। शैलजा और प्रताप को एकसाथ करीब 5 बार ओर्गास्म हुआ और 3 बार प्रताप के वीर्य लोड को पीकर शैलजा बहुत खुश हो गयी। बाथटब सेक्स के बाद शैलजा को इतना वीकनेस हुआ कि वो प्रताप की बाहों में ही सो गई। प्रताप ने शैलजा के साथ खुद को भी टॉवल से सुखाया और उसे जगा कर बिना ब्रा और पैंटी के बेबीडॉल ड्रेस पहनाया और खुद नाईट ड्रेस पहन लिया और शैलजा को अपनी बाहों में लेकर सो गया। रात भर शैलजा के वजाइना में अपना लन्ड घुसाए रखा और बीच बीच मे स्ट्रॉक्स लगाता रहा। सुबह शैलजा प्रताप की छाती पर औंधे मुंह सोई हुई थी और जब उसकी नींद खुली तो उसने प्रताप को लिप टू लिप स्मूच किया। प्रताप ने एक राउंड सेक्स उसी पोजीशन में अगले आधे घण्टे तक करता रहा और दोनो को एक बार फिर से ओर्गास्म हो गया। शैलजा फिर से प्रताप की बाहों में निढाल हो गयी और दोनो अगले एक घण्टे तक वैसे ही सोते रहे। सुबह उठकर शैलजा और प्रताप ने एक साथ स्नान किया और फिर दोनो तैयार हुए।
शैलजा, “कौन सी साड़ी पहनूँ?”
प्रताप, “ये वाली, येल्लो जॉर्जेट ट्रांसपेरेंट साड़ी!
शैलजा, “हम्म!”
फिर शैलजा ने येल्लो जॉर्जेट साड़ी पहन ली। प्रताप ने शैलजा से कहा कि वो आज ही रिटर्न हो रहा है लेकिन करवाचौथ की रात वो जरूर आएगा। शैलजा ने कुछ भी नही कहा, प्रताप ने उसकी मांग भरी, नाक में हैवी डिज़ाइनर नथिया पहनाया और खुद भी तैयार होकर दोनो ने माता रानी से आशीर्वाद लिया। प्रताप की माँ ने शैलजा को सदा सौभाग्यवती रहने का आशीर्वाद दिया और प्रताप को यशश्वी भवः का। प्रताप के जाने के बाद शैलजा अपनी सास के साथ फिर से घर के कामो में लग गयी और हर रोज़ वाले रूटीन में फिर से बिजी हो गयी। पांचवे हफ्ते के शुरुआत में ही शैलजा को अचानक एक दिन काम करते समय चक्कर आने लगा और जी मिचलाने लगा। शैलजा ऐसी हालत में उसकी सास ने उसे रेस्ट करने को कहा और समझाया कि ज्यादा उपवास रखने के कारण ऐसे कमज़ोरी हो रही होगी। लेकिन अगले दिन फिर से शैलजा का जी मिचलाने लगा, उल्टी आयी तो शैलजा की सास ने डॉक्टर को बुलाया और शैलजा को उसके कमरे में बिस्तर पर लिटाया। थोड़ी देर में डॉक्टर शैलजा का नब्ज़ देखा और उसका चेकअप करने लगी। इधर शैलजा की सास, ससुर, ननद सभी घबराए हुए थे और थोड़ी देर में डॉक्टर शैलजा का बॉडी चेकअप करके बाहर आई!
शैलजा की सास, “कैसी है मेरी बहु डॉक्टर?”
डॉक्टर, “आपकी बहु बिल्कुल ठीक है, घबराने की कोई बात नही है।”
शैलजा की सास, “ऐसे कैसे घबराने की बात नही है!”
डॉक्टर, “शांत हो जाइए माँ जी, आपकी बहु गर्भवती है। आप दादी बनने वाली हैं, मैं ये मेडिसिन लिख कर दे रही हूं, आप मंगवा लेना। दूसरा महीना चल रहा है आपकी बहु की गर्भावस्था का, अब आपकी बहु का ख्याल रखने का खास जरूरत है।”
शैलजा की सास डॉक्टर की बात सुनकर इतनी खुश हो गई कि अपने सोने की अंगूठी उसे खुशखबरी सुनाने के इनाम के तौर पर दे दी और साथ मे डॉक्टर की फीस का दस गुना पैसा भी। फीस और सोने की अंगूठी लेकर डॉक्टर चली गयी और शैलजा की सास ने सबसे पहले माता रानी को धन्यवाद किया। फिर अपनी बहू के कमरे में गयी, जहां शैलजा अभी भी अपनी प्रेग्नेंसी से अनजान लेटी हुई थी अपनी सास को देखते ही बिस्तर से उठने लगी।
शैलजा की सास, “अरे अरे, तू लेटी रह बिटिया। आज से बल्कि अभी से तू घर का कोई काम नही करेगी।”
शैलजा, “क्यों माँ, मुझे क्या हुआ है? क्या बोली डॉक्टर?”
शैलजा की सास, “तू बिल्कुल ठीक है बिटिया। तुझे नही पता कि तूने हमसब को कितनी बड़ी खुशखबरी दी है। सदा सौभाग्यवती रह और मुह धो नहाओ पूतो फ्लो। तू माँ बनने वाली है और प्रताप बाप बनने वाला है। शैलजा, मेरा बेटे का बच्चा तेरी कोख में पल रहा है, तू गर्भवती है बेटी। तुझे पता नही कि आज तेरी वजह से इस घर की खुशियों में चार चांद लगा गया। अब से तू दिन भर आराम करेगी, कोई हैवी काम तो बिल्कुल भी नही करेगी। हर रोज़ सुबह शाम योग करना ताकि मेरा पोता तन्दरुस्त पैदा हो। तू आराम कर, मैं प्रताप को ये ख़बर् खुद सुनाऊँगी। वो बहुत खुश हो जाएगा इस बात को सुनकर।”
शैलजा की सास प्रताप को गुड न्यूज सुनाने चली गयी और अपनी सास के मुह से गर्भवती होने की खबर सुनकर शैलजा शॉकड रह गयी। उसे यकीन नही हो रहा था कि वो सच मे गर्भवती हो चुकी है। अभी पांच साल पहले तक तो वो एक मर्द थी, जिसकी पहली संतान को शीतल ने अपनी कोख से जन्म दिया था। क्या दिन थे वो और शैलेश से सेक्स चेंज करवा कर शैलजा बनने के बाद, आज अपने पति के बच्चे को खुद अपनी कोख में पाल रही थी। थोड़ी देर में शैलजा की सास कमरे में आ गयी और शैलजा की माँ को मेरठ में कॉल करके बताया कि उनकी बेटी गर्भवती है और जल्द ही माँ बनने वाली है। पहली बार मे तो शैलजा की माँ को यकीन नही हुआ लेकिन जब शैलजा की सास ने शैलजा से बात करवाई तो शैलजा ने कन्फर्म किया कि वो गर्भवती है। शैलजा के ससुराल के साथ उसके मायके में भी सभी इतने खुश हो गए, शैलजा की माँ में शैलजा की सास से कहा कि वो शैलजा को मेरठ भेज दे, ताकि गर्भावस्था में शैलजा का ख्याल अच्छे से रखा जा सके लेकिन शैलजा की सास ने ये कहकर मना कर दिया कि यहां शैलजा को ससुराल में किसी भी चीज़ की कमी नही होगी।
इधर प्रेग्नेंसी की खबर सुनते ही शैलजा की आंखें भर आयी और वो एक तरफ खुश भी थी और दूसरी तरह दुखी भी। खुश इसीलिए कि आज वो गर्भवती हुई है और उसके कोख में उसके राजा जी का अंश पल रहा है। और दुखी इसलिए कि मर्द के रूप मे जन्म लेने के बावजूद अपनी पत्नी को डाइवोर्स देकर एक मर्द की दुल्हन बनना और आज उसकी गर्भावस्था, ये सब इतनी जल्दी कैसे हो गया। मन के अंतर्द्वंद्व ने शैलजा को अंदर से झकझोर कर रख दिया। पास्ट से लेकर प्रेजेंट सब उसकी आँखों मे फ़िल्म रील की तरह घूमने लगे था। उधर सास ने प्रताप को खुशखबरी सुनाई और प्रताप अपनी एक्सआईटमेंट को कंट्रोल नही कर सका। प्रताप ने तुरंत शैलजा को वीडियो कॉल किया।
प्रताप, “क्या माँ सच कह रही है, क्या तुम सच मे गर्भवती हो मेरी रानी!”
शैलजा, “हाँ राजा जी। मैं गर्भवती हूँ, आपका बच्चा मेरी कोख में पल रहा है।”
प्रताप, “आई एम सो हैप्पी!”
शैलजा, “मि टू राजा जी!”
दोनो इमोशनल हो गए और प्रताप ने शैलजा को बहुत सारी नसीहतें दी। क्या खाना है, क्या नही, हैवी वेट नही उठाना है और भी बहुत कुछ। प्रताप की खुशी ने शैलजा के मन मे चल रहे अंतर्द्वंद्व को शांत कर दिया था। लेकिन शैलजा करवाचौथ का व्रत रखना चाहती थी प्रताप के लिए और गर्भावस्था में फास्टिंग रखना बच्चे के हेल्थ के लिए बिल्कुल भी अच्छा नही था। प्रताप ने शैलजा को करवाचौथ का व्रत ना रखने को कहा और उसकी सास ने भी, लेकिन शैलजा अपने पति के लिए ये व्रत रखना चाहती थी।
17 अक्टूबर 2019, करवाचौथ का दिन, अपनी जिद्द और सास के मना करने के बावजूद शैलजा ने प्रताप के लिए फास्टिंग की। शैलजा की सास शैलजा के प्रताप के प्रति प्यार को साफ़ देख पा रही थी और उसने शैलजा को एक हैवी किन्नौरी नथिया पहनने को दिया। उधर प्रताप ने भी शैलजा के लिए 32 एमएम डायमंड प्लैटिनम नोज पिन डिलीवर करवा दिया था जो सुबह सुबह ही शैलजा को मिल चुका था। अब एक बार फिर से शैलजा के मन मे अंतर्द्वंद्व शुरू हो गया, वो करे तो क्या करे। सास की दी हुई नथिया पहने या पति का भेजा हुआ नोज़ पिन। शैलजा ने डिसाइड किया कि वो अपनी दूसरी नाक भी छिदवा लेगी। अलीशा को कॉल करके शैलजा ने एक ब्यूटीशियन को बुलवा लिया और उसने शैलजा की दूसरी नाक में छेद करके उसपे ऑइंटमेंट लगा दी। उस ब्यूटीशयन ने बताया कि अगले दो घण्टों में नाक का छेद साफ हो जाएगा और वो जो चाहे अपने नाक में पहन सकती है। ब्यूटीशियन के जाने के दो घण्टे बाद शैलजा ने जब नाक को पोछ कर साफ किया तब नाक का छेद साफ हो चुका था। उस नाक के छेद में शैलजा ने प्रताप का भेजा हुआ डायमंड प्लैटिनम नोज पिन पहन लिया और दूसरी नाक में अपनी सास का दिया हैवी किन्नौरी नथिया। आईने में खुद को निहारने के बाद शैलजा को यकीन हो गया कि वो खूबसूरत दिख रही है तब वो अपनी सास के पास गई। शैलजा की सास की नज़र जब शैलजा की नाक पर पड़ी और जब उन्होंने देखा कि शैलजा ने दोनो नाक में ऑर्नामेंट्स पहन रखा है, तब वो समझ गयी कि उनकी बहू ने उनका भी मान रखा और प्रताप के प्यार का भी सम्मान किया। शैलजा को उसकी सास अपने कमरे में ले गईं और वहां अपने वार्डरोब से एक बड़ा सा सन्दूक निकाल कर शैलजा के हाथों में रख दिया। शैलजा ने यह कहकर सन्दूक नही लिया कि उसके लिए सिर्फ अपनी माँ जैसी सास और प्रताप का प्यार काफी है। ये सोने चांदी के गहने हो या हीरे जवाहरात, ये सब शैलजा की सास और ससुर के प्यार के सामने कुछ भी नही है। शैलजा की सास अपनी बहू से इतनी इम्प्रेस हुई कि उनकी आंखों में आंसू आ गए एयर उन्होंने शैलजा को गले से लगा लिया। शाम होते होते प्रताप किन्नौर आ गया, बहुत सारे गिफ्ट्स पैक के साथ। प्रताप का हवेली की छत इतनी बड़ी थी कि आज पास के बीस तीस घर की बहुएं वहीं करवाचौथ मनाती थी, वो भी हर साल। शाम में करीब तीस चालीस शादीशुदा औरतें हवेली की छत पर इकट्ठा हो गयी और शैलजा और उसकी सास को घेर कर बैठ गईं। घूंघट में अपना चेहरा छिपाए शैलजा उन औरतों के बीच एडल्ट बातें सुनकर शर्मिंदगी में शर्म से पानी पानी हुई जा रही थी, वहीं उसकी सास नीचे जा चुकीं थी। शैलजा को पहली बार एहसास हो रहा था कि एडल्ट बातें सिर्फ मर्दों के बीच ही नही होता, औरतों में कुछ ज्यादा ही एडल्ट बातें होती हैं। सुबह से कुछ भी नही खाने की वजह से शैलजा को बहुत कमज़ोरी होने लगा थी, नौ दिनों की फास्टिंग में इतनी वीकनेस नही हुई जितनी एक दिन में हो रही थी। आज शैलजा घूंघट में सजधज के इतनी सारी औरतों के बीच बैठी चांद के आने का इंतज़ार कर रही थी और चाँद सामने आने को तैयार ही नही। रात के पौने बारह बजे चाँद उगा और प्रताप की आरती उतारकर, छलनी से चाँद में अपने पति का चेहरा देखकर शैलजा ने अपना व्रत प्रताप के हाथों से पानी पी कर किया। काफी वीकनेस हो रही थी शैलजा को, पानी पीते ही शैलजा की आंखों के आगे अंधेरा छा गया। प्रताप ने शैलजा को अपनी बाहों में उठा लिया और अपने कमरे में ले गया। प्रताप ने शैलजा को अपनी हाथों से खाना खिलाया और फिर रात भर प्यार किया। अगले दिन प्रताप डॉक्टर से जा कर मिला और शैलजा के बारे में और उसकी गर्भावस्था के दौरान सेक्स करना सही रहेगा या नही इसकी जानकारी ली। डॉक्टर ने प्रताप को बताया कि गर्भावस्था के दौरान भी शैलजा से सेक्स करने में कोई प्रॉब्लम नही है। आठवें महीनों तक नार्मल सेक्स मतलब एक से दो राउंड तक सेक्स करने में कोई प्रॉब्लम नही है और शैलजा घर के लाइट वेट कामों में भी हाथ बटाए तो भी कोई दिक्कत नही, बस इस बात क्या ध्यान रखे कि वो ज्यादा वजन ना उठाये और बहुत ज्यादा काम ना करे। डॉक्टर से शैलजा की गर्भावस्था के दौरान खाने वाली दवाइयां लेकर प्रताप घर आ गया।
शैलजा, “क्या बोली डॉक्टर?”
प्रताप, “यही कि गर्भावस्था के दौरान मेरी रानी को आराम के साथ ज्यादा काम नही करना है और ना ही हैवी वजन उठाना है। सेक्स भी दो राउंड से ज्यादा नही करना है और आठवें महीनों तक सेक्स करने में कोई प्रॉब्लम नही है।”
शैलजा, “राजा जी, आप भी ना!”
प्रताप, “आई लव यू रानी, तुम्हे पता नही कि तुमने मुझे कितनी बड़ी खुशी दी है।”
शैलजा ने शर्म से सिर झुका लिया और थोड़ी देर बाद एक राउंड सेक्स कर भी लिया। प्रताप को ब्लोजॉब देना हो या शैलजा की वजाइना को जीभ से स्मूच करना, दोनो ने खूब एन्जॉय किया और एक दूसरे की बाहों में सो गए। शैलजा अब अपनी दोनो नाक में ऑर्नामेंट्स पहनती, एक मे नोज पिन तो दूसरी में हैवी किन्नौरी नथिया क्योंकि अब उसे ऐसे ऑर्नामेंट्स पहनने में अच्छा लगने लगा था। शैलजा ने अपनी कान के ऊपरी हिस्से में तीन तीन छेद भी करवा चुकी थी और उनमें बालियां शैलजा की खूबसूरती पर चार चांद लगाने लगे थे। हर हफ्ते प्रताप किन्नौर आता और शैलजा को बहुत प्यार करता, सास बहुत ही प्यार से शैलजा का ख्याल रखने लगी थी। शायद शैलजा की खुद की माँ भी उसका इतना ख्याल नही रख पाती जितना शैलजा की सास उसका ख्याल रखती।
सातवां महीना चल रहा था और शैलजा पूरी तरह से स्वस्थ थी, प्रताप इधर कुछ हफ्तों से किन्नौर नही आया था और शैलजा उसे बहुत मिस कर रही थी। शैलजा के कमरे में सिर्फ प्रताप की तस्वीरों ने जगह बना ली थी और वो जब भी कमरे में रहती, अपने पति की फ़ोटो देख देख कर शर्माती रहती। इधर शैलजा की सास ने एक शुभ दिन पंडित से दिखा कर शैलजा की गोदभराई का दिन तय कर दिया। गोदभराई के दिन सुबह सुबह प्रताप दिल्ली से घर आ गया और उसके साथ अलीशा और रवीना दोनो थीं।
शैलजा, “राजा जी, अलीशा को लेकर आये सो तो ठीक, लेकिन रवीना को यहां क्यों ले आये?”
प्रताप, “रवीना का सेक्स चेंज सर्जरी हुआ है और वो अभी नई नई औरत बनी है। रवीना को होटल में मैंने हॉस्पिटैलिटी मैनेजर के पोस्ट पर रख दिया है। अब रवीना कोई शीमेल प्रोस्टीट्यूट या फिर बार डांसर नही रह गयी है। रवीना का होने वाला पति यहीं पास के कुल्लू का रहने वाला है और गोदभराई के टाइम तक वो रवीना को लेने आ जायेगा। रवीना तुमसे मिलने को बहुत एक्सआईटेड थी तो मैंने भी सोचा, अलीशा को ले जा रहा हूँ तो रवीना को ले जाने में क्या हर्ज!”
शैलजा, “आपके अच्छा होने का कोई फायदा नही उठा ले, मुझे हमेशा इसी बात का डर रहता है राजा जी!”
प्रताप, “घबराने की जरूरत नही है मेरी रानी। कोई तुम्हारे पति के सीधेपन से वाकिफ नही!”
अलीशा ने शैलजा का सोलह श्रृंगार और उसे दुल्हन की तरह तैयार करने की जिम्मेदारी ले ली और रवीना ने उसकी मदद की। रवीना ने शैलजा के हाथों में कुहनी तक और पैरों में घुटनो तक डिज़ाइनर मेहंदी लगाई। मेहंदी की खूबसूरती देखकर शैलजा बहुत खुश हुई और रवीना को थैंक्स कहा। इधर अलीशा ने शैलजा का मेकअप किया, उसे ढेर सारे ऑर्नामेंट्स और डिज़ाइनर रेड सिल्क साड़ी में तैयार कर दिया। एक नाक में 42 एमएम गोल्ड पर्ल नोज पिन तो दूसरी नाक में कुमाऊनी नथिया विद हैवी गोल्ड चेन, कानों के तीन ऊपरी छेद में सोने की तीन तीन बालियां और एक एक छेद में बड़े बड़े हैवी सोने के झुमके, माथे पर मांगटीका, झुमरटीका, जुड़े में सोने के ऑर्नामेंट्स, गले मे सोने का गलबन्द, हीरे और पर्ल्स वाले सोने का नौलखा हार, सोने की बड़ी बड़ी चेन, मंगलसूत्र, सोने का कमरबन्द, सोने के बाजूबन्द, पैरों में हैवी चांदी की पायल, ऊपर से नीचे शैलजा गहनों में लदी, लाल सिल्क साड़ी और मेहंदी में बहुत ही ज्यादा खूबसूरत दिख रही थी। शाम में शैलजा को फूलों से सजे हॉल में फूलों से सजी सेज पर बिठाकर घूंघट कर दिया गया। गोदभराई कार्यक्रम जो शाम के 7 बजे पूजा के साथ शुरुर हुआ रात के 9 बजते ही उस कार्यक्रम में कई तरह के गेम्स ने जगह बना ली। नाचने के लिये किन्नर भी आये, शैलजा को बहुत दुआएं दी और पैसे ले कर चली गईं। लड़कियों ने डांस किया और औरतों ने ढोलक बजाए, अलीशा और रवीना ने भी डांस किया और खूब वाहवाही बटोरी। फिर औरतें शैलजा को घेर कर बैठ गईं और बच्चे कब जन्म लेगा उस डेट की भविष्यवाणी करने लगी, बच्चा काला होगा कि गोरा, बेटा पैदा होगा या बेटी। इधर रवीना के साथ शैलजा बात करने लगी और अलीशा राहुल के साथ कॉल पर बिजी हो गयी।
रवीना, “शैलजा, झे तो यकीन ही नही होता कि तुम तो गर्भवती भी हो गई। आज घर मे सभी कितने खुश हैं, तुम माँ बनने वाली हो शैलजा, कैसा लग रहा है?”
शैलजा, “रवीना, आई एम सो हैप्पी टुडे! मेरे गर्भ में प्रताप जी का अंश है और मुझे यकीन है कि बेबी अपने पापा जैसा ही होगा। तुम अपनी बताओ, तुम आज भी बलवंत के बार मे ही काम कर रही हो या तुमने ये सब जिस मकसद से शुरू किया था, उसमे कामयाब हुई?”
रवीना, “बलवंत के बार से तो मैं 11 महीने पूरे होते ही बाहर हो गयी थी। मैं विजय को काफी महीनों से डेट कर रही थी और आज वो मुझे अपने पेरेंट्स से मिलवाने के लिए मुझे ले जाएगा। उसके बाद हमदोनो शादी कर लेंगे और फिर मैं पूजा की लाइफ को हेल बना दूंगी। उसे अपने किये पर पछतावा नही करवाया तो मेरा भी नाम रवि नही!”
शैलजा, “हाहाहा, रवि नही रवीना मेरी जान। आई होप जिस मकसद से तुम औरत बनी, तुम उसमे कामयाब हो जाओ। यहां आती रहना, वैसे विजय कहाँ से है?”
रवीना, “विजय शिमला से है, मेरे प्यार में पागल है बुद्धू! लेकिन एक नंबर का ठरकी है, जहां लड़कियाँ देखा नही कि उनसे बातें करने बैठ जाता है।”
शैलजा, “प्यार तो करता है ना, ठरकी है तो क्या हुआ!”
रवीना, “हम्म!”
शैलजा, “तो क्या तुम पूरी तरह से औरत बन गयी हो या अभी भी शीमेल ही हो!”
रवीना, “मैंने तो बैंकॉक में 3 महीने पहले ही अपना सेक्स चेंज करवा लिया था। लेकिन सच बताऊं तो लड़की बनना कोई आसान काम नही, ये मुझे अब समझ आता है। अब तो हर महीने पीरियड्स में तो इतना चिड़चिड़ापन हो जाता है कि मन करता है आत्महत्या कर लूं। लेकिन इस दर्द के बाद बहुत रिलीफ मिलता है, ऐसा लगता है कि अंदर से खाली हो गयी हूँ। विजय को बस मेरे साथ सेक्स करने का बहाना चाहिए होता है और लॉकडाउन के टाइम जब मै उसे डेट कर रही थी, तब वो हमेशा मेरा हाथ पकड़े रहता और मुझसे हमेशा कहता कि मैं उसकी जान हूँ। विजय आता ही होगा मुझे लेने और ये अलीशा कहाँ है, नज़र नही आ रही?”
शैलजा, “होगी अपनी बॉयफ्रैंड के साथ बातों में मशगूल, किसी कोने में बैठी बैठी!”
रवीना, “हाहाहा,
कार्यक्रम के खत्म होने पर सभी ने डिनर किया और प्रताप शैलजा को सबके सामने अपनी बाहों में उठाकर कमरे में ले गया और दोनो ने बन्द कमरे में रात भर एक दूसरे को बहुत प्यार किया, दो राउंड सेक्स, तीन राउंड ब्लोजॉब के बाद शैलजा और प्रताप एक दूसरे की बाहों में सो गए। अब शैलजा का पेट हल्का हल्का फूलने लगा घ और बूब्स में कड़ापन आ गया था, बूब्स के निप्पल्स भी मानो सील हो रहे थे और शैलजा को अक्सर उसके बूब्स में दर्द, पेट पर खुजली और कमरदर्द जैसे तकलीफ होने शुरू हो गयी। नौवे महीने खत्म होने के आठ दिनों बाद शैलजा को लेबर पेन शुरू हुआ तो उसे हॉस्पिटल में एडमिट करवा दिया गया। शैलजा की सास 24 घण्टे उसके साथ रहने लगी और रोहन को भी मेरठ से बुलवा लिया। हॉस्पिटल में एडमिट होने के बाद शैलजा को दो बार थोड़ी थोड़ी देर पर रुक रुक कर लेबर पेन होना शुरू हो गया था। रात के 3 बजे शैलजा को लेबर पेन शुरू हुआ जो हर बार की तरह नही था क्योंकि इस बार शैलजा को असहनीय दर्द हो रहा था, उसके पूरे शरीर मे एक साथ इतना तेज दर्द होने लगा और वो रोने लगी। लगभग तीन घण्टों की असहनीय दर्द के बाद शैलजा ने प्रताप के बेटे को अपनी कोख से जन्म दिया। प्रताप के बेटे को जन्म देते समय शैलजा रोते रोते बेहोश हो गयी और डॉक्टर ने बच्चे को कुछ देर के लिए हेल्थ चेकअप के लिए वहां से अलग हटा लिया। जब शैलजा को होश आया तब नर्स उसके बेटे को लेकर आई और शैलजा को अपना दूध पिलाने को कहा। शैलजा ने बच्चे को अपनी गोद मे लिया और अपने स्तनों को उसके होंठ पर रख दिया और बच्चे ने तुरंत शैलजा के बूब्स के निप्पल्स को अपनी मुह में लेकर उसका दूध पीने लगा। आज पहली बार शैलजा को यह एहसास हुआ कि मातृत्व का भाव क्या होता है, माँ होना क्या होता है। इधर शैलजा की सास ने शैलजा के लिए मालिश वाली का इंतजाम कर दिया जो हर रोज़ शैलजा का शरीर का मालिश करती। शैलजा ने मालिश के विषय मे अपनी सास से पूछा तो उसकी सास ने बताया कि बच्चे को जन्म देते समय शरीर के दुसरे बॉडी ऑर्गन्स भी प्रभावित हो जाते हैं और मालिश से उन्हें ताकत भी मिलती है और वे अपने सही पोसिशन्स में सेट हो जाते हैं। एक खास तरह का मसाला तैयार किया गया जो च्यवनप्राश की तरह काले रंग का था और अगले 15 दिनों तक शैलजा को सिर्फ मसाला खाने को दिया जाने लगा। पंद्रहवे दिन प्रताप हॉस्पिटल आया, अपने बेटे को गोद मे उठाया, उसे प्यार किया और बहुत ही ज्यादा सेंसिटिव तरीके से ख्याल भी रखा। अब शैलजा को चलने फिरने में प्रोब्लेम्स नही हो रही थी और वो बिल्कुल ठीक थी तो डॉक्टर ने उसे डिसचार्ज कर दिया। प्रताप के साथ शैलजा जब हवेली पर पहुंची तो उसकी सास ने बच्चे के पैरों को लाल रंग में डुबोया और एक सफेद कपड़े पर पैरों के निशान ले लिया और तीनों की आरती उतारी। फिर शैलजा अपने पति और बच्चे के साथ अपने कमरे में आ गयी।
प्रताप, “शैलजा, मायके जाने का मन करे तो बता देना, रोहन मेरठ जाने वाला है।”
शैलजा, “मेरठ जाकर क्या करूँगी, यहां माँ ने कहा है कि उनके साथ ही 5,6 महीने रहना है मुझे! जब दिल्ली आउंगी तो कुछ दिनों के लिए मेरठ चली जाउंगी।”
प्रताप, “और मैं भी कल दिल्ली जा रहा हूँ, होटल के काम पेंडिंग हैं।”
शैलजा, “कोई बात नही, आप चले जाना!”
शैलजा को उदास होते देख प्रताप ने उसे अपनी बाहों में समेट लिया और काफी देर तक हग किया। शैलजा को प्रताप के प्यार ने मुस्कुराने पर मजबूर कर दिया। प्रताप ने अभी तक बच्चे का नामकरण नही किया था और उसने शैलजा को बताया कि बच्चे का नामकरण दिल्ली में ही होगा। शैलजा को कोई ऐतराज नही थी इस बात से और ना ही प्रताप की माँ को। अगले दिन प्रताप दिल्ली चला गया और शैलजा अपनी सास के साथ अपने बेटे और परिवार की सेवा में लग गयी। दिन, हफ्ते, महीने गुज़रते समय नही लगा, शैलजा का बेटा अब बड़ा होने लगा था और शैलजा की सास दिन रात शैलजा के साथ उसके बेटे का भी पूरा ख्याल रखती। हर रोज़ दिन में 10 बार प्रताप कॉल करता, अपने बेटे को वीडियो कॉल पर खूब दुलार करता और जब वो सो जाता तो शैलजा से प्यार भरी बातें करता। छह महीनों में बहुत कुछ बदल चुका था, शैलजा के स्ट्रेच मार्क्स जाने का नाम नही ले रहे थे उर शैलजा पहले से काफी हैल्थी हो रही थी। अपने बेटे को लगातार छह महीनों से दूध पिलाने की वजह से शैलजा के बूब्स का साइज बड़ा हो गया था और शरीर मे हैवीपन महसूस होने लगा था। प्रताप शैलजा को दिल्ली ले जाने वाला था और शैलजा इस बात से काफी एक्सआईटेड थी क्यूंकि उसने पिछले छह महीनों से प्रताप के साथ सेक्स नही किया था। अगले ही दिन प्रताप किन्नौर आया और शैलजा के साथ अपने बेटे को दिल्ली ले गया। घर छोड़कर जाते समय शैलजा अपनी सास से लिपट कर बहुत रोई और फिर प्रताप शैलजा को दिल्ली ले आया। दिल्ली आने के बाद, अगले ही दिन प्रताप शैलजा को अपने बेटे के नामकरण के लिए ले जाने की बात कही तो शैलजा मान भी गयी। अगले दिन प्रताप शैलजा और अपने बेटे को लेकर एक आश्रम में गया, जहां उन्हें बैठने को कहा गया। वो जगह कुछ जानी पहचानी सी थी लेकिन उसे याद नही आ रहा था कि वो आज से पहले यहां कब आयी थी। थोड़ी देर में बाबा के सेवक ने प्रताप से कहा कि बाबा उन्हें बुला रहे हैं, शैलजा ने घूंघट से चेहरा ढंक लिया और अपने पति के साथ अंदर कमरे में गयी।
बाबा, “आओ बालक!”
प्रताप, “प्रणाम बाबा!”
शैलजा, “प्रणाम बाबा!”
बाबा, “यशश्वी भवः प्रताप, सौभाग्यवती भवः दुल्हन”
प्रताप, “बाबा जी, आप तो अंतर्यामी हैं, दिव्य दृष्टि से आप सब कुछ जान लेते हैं। आपके आशीर्वाद से हमें बेटा हुआ है। अब आप ही हमारे बेटे का नामकरण कीजिये! मुझे यकीन है कि अगर आप हमारे बेटे का नामकरण करेंगे तो हमारा बेटा हमसे भी ज्यादा यश प्राप्त करेगा।”
बाबा, “जरूर बालक! लेकिन तुम्हारे बेटे का नामकरण करने से पहले तुम्हारी दुल्हन से कुछ देर अकेले में बात करना चाहता हूँ! तुम मेरी बाहर प्रतीक्षा करो, मैं थोड़ी देर में तुम्हे बुला लूंगा।”
प्रताप, “जी बाबा जी!”
प्रताप के बाहर जाने के बाद,
बाबा, “अब तुम घूंघट हटा सकती हो शैलेश!”
शैलजा बाबा की बात सुनकर शोकड हो गयी। आखिर बाबा को कैसे पता कि वो पहले शैलेश थी।
शैलजा, “बाबा, आपको कैसे पता कि मेरा नाम पहले शैलेश था!”
बाबा, “आज से कुछ साल पहले तुम मुझसे मिलने आयी थी, जब तुम्हारी नौकरी चली गयी थी और तुम काफी निराश हो कर आयी थी। मैंने तुमसे कहा था कि मेरी कहा मानो लेकिन तुमने मुझे पागल बुड्ढा कहकर मेरा अपमान करके यहां से चली गयी थी। अब कुछ याद आया?”
शैलजा को सबकुछ याद आ गया और उसने अपना घूंघट हटाया और बाबा की तरफ देखा। बाबा मुस्कुरा रहे थे और शैलजा को अपनी की गई गलती पर पछतावा होने लगा।
शैलजा, “बाबा, मुझे माफ़ कर दीजिए, उस दिन मैंने आपके साथ अभद्र व्यवहार किया और आज मुझे अपने किये पर बहुत शर्मिंदगी है। काश उस दिन मैंने तुम्हारी बात मान ली होती तो आज मेरी लाइफ कुछ और ही होती बाबा
बाबा, “कोई बात नहीं बेटी! अब जो हो गया सो हो गया। लेकिन अभी भी तुम्हारे पास एक मौका है, अपनी लाइफ को फिर से पहले की तरह जीने का।”
शैलजा, “बाबा, आप क्या कहना चाह रहे हैं बाबा!”
बाबा, “मैं ये कहना चाह रहा हूँ बेटी कि अगर तुम चाहो तो तुम फिर से शैलेश बनकर एक बार फिर से अपनी लाइफ को शुरू कर सकती हो!”
शैलजा, “बाबा, ऐसा कैसे हो सकता है, मैं अब एक शादीशुदा औरत बन चुकी हूँ जिसका एक बच्चा भी है!”
बाबा, “मैं चाहूं तो मैं तुम्हे फिर से तुम्हारे पुराने शरीर मे ठीक उसी दिन में स्थापित कर सकता हूँ, जिस दिन तुम यहाँ आने वाले थे।”
शैलजा, “बाबा, मेरे पति और बच्चे का क्या?”
बाबा, “अगर तुम्हारे भूतकाल को बदल दिया जाए तो तुम्हारे भविष्य को भी बदला जा सकता है। तुम्हे एक और मौके की जरूरत है बेटी, अगर तुम एक और मौका चाहती हो तो मुझे बताओ, तो मैं उपाय बताता हूँ।”
शैलजा के मन मे अपने पति और बेटे को लेकर इतना मोह था कि वो डिसाइड नही कर पा रही थी कि ऐसे में वो क्या करे। एक तरफ शैलजा का हंसता खेलता परिवार, प्यार करने वाला पति और छह महीने का बेटा और इतनी प्यारी सास और ननद! इन सब को छोड़कर शैलजा को अपनी पुरानी लाइफ में नही जाना था, लेकिन दूसरी तरफ शैलजा के पास फिर से मर्दानगी पाने का एक मौका था और वो अपनी लाइफ को फिर से शुरू करने को आज़ाद! शैलजा ने फैसला किया कि वो अपनी लाइफ में एक बार फिर से चांस लेगी और एक नई जिंदगी की शुरुआत के लिए एक कोशिश फिर से करेगी। शैलजा ने बाबा से कहा कि वो एक चांस लेने को तैयार है, लेकिन क्या उसे ये सब याद रहेगा, जब वो फिर से शैलेश बन चुकी होगी तो? तब बाबा ने बताया कि उसे ये सब याद रहेगा और शैलजा ने चांस लेने के लिए हाँ कर दिया। बाबा ने शैलेश को एक चूर्ण दिया और कहा कि घर जाने पर रात को सोने से पहले इसे पानी के साथ खा लेना है। शैलजा ने वो पुड़िया ली, बाबा को धन्यवाद किया और उसे अपने पर्स में रख लिया। प्रताप को बाबा ने अंदर बुला लिया।
बाबा, “प्रताप, तुम्हारे बेटे का नाम होगा अंश प्रताप!”
प्रताप, “जैसी आपकी इच्छा बाबा! आप अपना आशीर्वाद हमेशा बनाये रखिये!”
उसके बाद शैलजा को अपनी कार में बिठाकर प्रताप होटल आ गया। जब शैलजा ने अपने बेटे को सुला लिया तब प्रताप ने शैलजा के साथ 3 राउंड हार्डकोर सेक्स किया। सोने से पहले शैलजा ने वो चूर्ण पानी मे मिलाकर पिया और सो गई। अगली सुबह शैलजा की नींद खुली, बगल में शीतल और एक साल का बेटा राहुल सोया हुआ था।
बाबा का कहना सच हो गया, शैलजा अब फिर से शैलेश बन चुकी थी, वही पुराना मर्द वाला शरीर। शैलेश अपनी पत्नी और बेटे के साथ था, लेकिन उसे सबकुछ याद था कि कैसे वो जॉब मांगने के लिए बलवंत के बियर बार मे गया और सबकुछ बदल गया था। शैलेश को अब पता था कि शीतल की लाइफ में देव नाम का मर्द है और शीतल शैलेश को आने वाले भविष्य में धोखा देगी। लेकिन शैलेश इस बार पूरी तरह से तैयार था, हर उस मुसीबत का सामना करने को, जो उसे भविष्य में करना था। इसी के साथ शैलेश की लाइफ का दूसरा अध्याय भी शुरू होने वाला था जिसका शैलेश को कोई अनुमान नही था।
शैलेश की लाइफ फिर वहीं से शुरू हो चुकी थी जहां से उसके शीमेल और फिर औरत बनने का सफर शुरू हुआ था। स्त्री जीवन के एक एक पल का अनुभव शैलेश के रग रग में समाया था, लेकिन बाबा के आशीर्वाद से शैलेश आज फिर से अपनी मर्दानगी के साथ जीने को आजाद था। सबसे पहले शैलेश ज्योतिषी बाबा के पास गया।
ज्योतिष, “आपके जीवन मे राहु का दुष्प्रभाव शुरू हो चुका है लेकिन आपकी शादी के पश्चात ये दुष्प्रभाव हमेशा के लिए खत्म हो जाएगा!”
शैलेश, “कैसी बात कररहे हो बाबा जी, मैं शादीशुदा हूँ और मेरा एक बेटा भी है!”
ज्योतिष, “बेटे, मैं ज्योतिष हूँ, जो तुम्हारे हाथों की लकीरों में लिखा है मैं वही बता रहा हूँ। आज से ठीक दो साल के अंदर एक पुरुष से तुम्हारी शादी का संयोग बन रहा है और तुम्हारी शादी के ठीक दो साल के भीतर तुम्हारे पहले पुत्र का संयोग भी बन रहा है।”
शैलेश, “बाबा, कोई तो उपाय होगा जिससे ये सब टल जाए और मैं अपनी लाइफ को अपने हिसाब से जी सकूँ!”
ज्योतिष, “हां, उपाय है। तुम दिल्ली को हमेशा के लिए छोड़ दो, चाहे कुछ भी हो जाये, कभी लौटकर दिल्ली मत आना। तुम या तो अपने घर मेरठ शिफ्ट हो जाओ और ये ताबीज़ है, इसे तुम अपनी दाहिनी बांह में या गले मे काले धागे में पहन लेना। मेरी कुछ बातों का ख्याल रखना, ताबीज़ के बारे में किसी को कुछ भी नही बताना ये भी ध्यान में रखना कि भूल से भी ताबीज़ को मत खो देना। ये ताबीज़ तुम्हे पूरी जिंदगी धारण करके रखना है। अपनी पत्नी या बेटे को भी भविष्य में कभी इस ताबीज़ के बारे में कुछ भी मत बताना। यहां से जितने दूर रहोगे, तुम्हारी लाइफ उतनी ही खुशहाल रहेगी। मेरी एक एक बात को अपनी जेहन में अच्छे से बिठा लो शैलेश नही तो कोई भी अनहोनी तुम्हारी खुशियों पर ग्रहण लगा सकता है।”
शैलेश, “ठीक है बाबा, मैं आपकी एक एक बात को याद करके रखूंगा।”
बाबा को दक्षिणा दे कर शैलेश वहां से सीधे घर आ गया और शीतल से बैग पैक करने को कहा। अचानक शैलेश के बैगपैक करने पर शीतल ने सवाल उठाया तो शैलेश ने उसे यही कहा कि बिना किसी सवाल जवाब के मेरठ रिटर्न् होना है। चूंकि शीतल के देव के साथ अवैध सम्बन्ध के बारे में शैलेश वाकिफ था लेकिन उसने शीतल को एक और मौका देने को तैयार था। वैसे भी शैलेश ने एक ऐसी जिंदगी जी थी, जिसकी यादें आज भी उसकी जेहन में बसी हुई थी। आज भले ही शैलेश फिर से मर्द मन चुका था लेकिन इस बार उसकी रूह शैलजा की थी, जो अपने पति प्रताप और बेटे अंश के प्यार को चाह कर भी भुला नही पा रही थी। साड़ियां, मेकअप ज्वेलरीज, मंगलसूत्र, मांग में सिंदूर और पायल की छनछन सुनकर शैलेश का मन करने लगता कि वो फिर से सजधज कर अपने पति की सेवा करे लेकिन खुद को समझाकर शांत भी करता। अपनी पत्नी शीतल और बेटे राहुल को लेकर शैलेश मेरठ आ गया और अपने दिल्ली वाले घर को बेचने की जिम्मेदारी एक ब्रोकर को सौंप दिया। अगले दिन से शैलेश नौकरी की तलाश में दिन भर लैपटॉप पर बैठ कर नए नए जॉब सर्च और नए नए इंटरव्यूज देने लगा फिर भी कोई निष्कर्ष नही। इधर शैलेश की प्रॉपर्टी बिकने पर उसे 25 लाख रुपये एकाउंट में क्रेडिट कर दिया गया अब शैलेश के पास बहुत पैसा था। लेकिन फिर भी एक नौकरी नही मिल पाने के कारण शैलेश को अपनी काबिलियत पर डाउट होने लगा। शैलेश ने लगभग 25 से ज्यादा कम्पनीज में इंटरव्यू देने के बावजूद कहीं सिलेक्शन नही हुआ। शैलेश ने कुछ दिनों के लिए जॉब सर्च बन्द करने का फैसला किया। शीतल के साथ सेक्स किये शैलेश को एक महीना से ज्यादा हो गया था तो शैलेश ने शीतल के साथ कुछ दिनों सेक्स लाइफ एन्जॉय करने का फैसला किया।
उस रात शैलेश ने राहुल को सोने के लिए उसकी दादी के पास भेज दिया और शीतल के साथ बिस्तर पर लेटकर उसको निहारने लगा। शीतल वही लड़की थी जिससे शादी करने के लिए शैलेश अपने माँ बाप के विरुद्ध हो गया था। आज शैलेश शीतल के साथ लाइफ का एक नया चैप्टर शुरू करना चाह रहा था, लेकिन शीतल के मन मे क्या था ये तो शीतल को ही पता था। साटन नाइटी में शीतल का फिगर काफी सेक्सी लग रहा था और शैलेश धीरे धीरे उसके काफी करीब चला गया था। आज शैलेश ने कंडोम पहन लिया और वो शीतल के साथ ठीक वैसे ही हार्डकोर सेक्स करना चाह रहा था जैसे प्रताप शैलजा के साथ हार्डकोर सेक्स किया करता था। शीतल के बदन पर शैलेश की गर्म साँसों का एहसास होते ही वो मुड़ी और शैलेश ने शीतल के लिप्स पर अपने लिप्स रखकर उसे रोमांटिक तरीके से स्मूच करने लगा। शैलेश शीतल के बदन पर ऊपर से नीचे तक सहलाते हुए होंठों पर स्मूच करने लगा जिससे शीतल काफी एक्सआईटेड हो गई। काफी देर तक स्मूच करने के बाद शैलेश और शीतल दोनो काफी गर्म हो चुके थे। अब शैलेश के हाथ शीतल के कोमल उरोजों को सहला रहे थे और शीतल की आँहें निकल रही थी। शैलेश का लन्ड टाइट हो गया था, शैलेश ने शीतल को ब्लोजॉब देने को कहा तो उसने साफ मना कर दिया। शैलेश ने शीतल की बात का बुरा नही माना। शीतल को न्यूड करके शैलेश खुद भी न्यूड हो गया और उसके वजाइना को चूमने लगा। शीतल की वजाइना में कोई टेस्ट नही था, शैलेश ने जीभ से शीतल की वजाइना को सहलाना शुरू किया तो शीतल अब बहुत ही ज्यादा एक्सआईटेड हो गयी। शैलेश ने फिर शीतल के पूरे शरीर को चाटना शुरू कर दिया और वो अपनी पत्नी के हर एक अंग पर लव बाइट्स देने लगा। शीतल ने लाइफ में पहली बार शैलेश को इतने रोमांटिक मूड में देखा था और वो बहुत खुश थी। शैलेश ने शीतल के बूब्स के निप्पल्स को अपने मुह में लेकर चूसना शुरू किया, जिससे शीतल जोर जोर से आह ओह्ह करने लगी और फिर शैलेश ने अपना लन्ड शीतल की वजाइना में घुसा दिया। हर बार के मुकाबले शैलेश इस बार बहुत एक्सआईटेड होकर शीतल की चुदाई करने लगा, शीतल भी जोर जोर से आँहें भरने लगी। 15 मिनट्स के सेक्स के दौरान शैलेश को एक्सआईटमेन्ट हुई, इधर शीतल को भी एक्सआईटमेंट आने ही वाला था कि उससे पहले ही शैलेश को मजा आ गया और स्पर्म डिस्चार्ज करते ही शैलेश शीतल के ऊपर ही लेट गया। शीतल ने शैलेश के सिकुड़ते लन्ड को अपने अंदर से बाहर निकाला और उसे अपने हाथ मे लेकर उसे फिर स एक्सआईटेड करने की कोशिश करने लगी। शैलेश भी एक्सआईटेड होने की पूरी कोशिश में था लेकिन उसका लन्ड सिकुड़ के छोटा हो गया और उसमें इरेक्शन भी नही हो रहा था।
शीतल का मूड ऑफ हो गया और वो शैलेश को अपने ऊपर से हटा कर करवट बदल के लेट गयी। इधर शैलेश को एक बार फिर से बहुत एम्बरर्समेंट हुआ। शैलेश सोचने बैठ गया, आखिर प्रताप उसके साथ किस तरह आठ आठ राउंड हार्डकोर सेक्स कर लेता था और उसे तो एक राउंड भी सही से नही हो सका। शैलेश भी करवट बदल कर अपनी आंखें बंद करके सोने की कोशिश करने लगा लेकिन उसकी यादें, प्रताप के साथ बिताए हर एक पल की याद उसे सोने नही दे रही थी। आज शैलेश सबकुछ पा कर भी अपने लाइफ में एक अधूरापन महसूस कर रहा था। इतना प्यार करने वाला पति और उसके परिवार में मिला सम्मान, अपने बच्चे को छोड़कर बेवफा पत्नी के बगल में लेटे हुए शैलेश अपने किए फैसले पर आंसू बहा रहा था। प्रताप कितना प्यार करता था उससे जब शैलेश मर्द था तब हो या जब शैलेश शीमेल बना तब या जब पूरी तरीके से औरत बनकर अपने पति को जन्म दिया तब। प्रताप के प्यार में कभी कमी नही आई और शैलजा को ना ही पैसों की भी कोई, ना ही मान सम्मान में। आज अपने किए फैसले पर शैलेश को पछतावा हो रहा था, काश वो फिर से वही लाइफ मिल सकती, यही सोचते हुए वो सो गया। अगली सुबह हर रोज़ की तरह शैलेश फिर से नौकरी की तलाश में जुट गया, लेकिन मन मे फिर से शैलजा बन जाने के ख्याल ने शैलेश को पागल ही कर दिया था। शैलेश से अब बर्दाश्त नही हो रहा था, फीमेल ड्रेसेस, ऑर्नामेंट्स और मेकअप में किसी लड़की को देखते ही शैलेश का मन भी सजने संवरने के होने लगता। जब किसी दुल्हन की तस्वीर शैलेश देखता तो उसका मन एक बार फिर से दुल्हन बनने का होने लगता। ईट्स बिन 2 मंथ, शैलेश को ना तो कहीं नौकरी मिली और ना ही कहीं कुछ समझ मे आ रहा था। बस एक ही ख्याल कि क्या शैलेश बनकर उसने कोई गलती तो नही की। पहले शैलजा के शरीर मे शैलेश की आत्मा जिस तरह से कैद थी, आज उसी शैलेश के शरीर मे शैलजा की आत्मा कैद थी, जो बाहर निकलने को बेताब हो चुकी थी। अपने अंतर्द्वंद्व को शांत करने के लिए शैलेश ने बाबा से एक बार फिर से मिलने का फैसला किया। अगले दिन नौकरी के इंटरव्यू का बहाना करके शैलेश अकेले ही दिल्ली चला गया और वहां उसी ज्योतिष से मिला।
ज्योतिष, “आओ शैलेश, बताओ कैसे आना हुआ! मुझे उम्मीद है कि तुम्हारी लाइफ में सबकुछ अच्छा चल रहा होगा?”
शैलेश, “बाबा, ये सब तो अच्छा है लेकिन मेरा मन शांत नही रह पा रहा है। पुरुष शरीर पा कर भी मेरी आत्मा सन्तुष्ट नही है और मुझे समझ मे कुछ भी ना आ रहा है कि मैं करूँ तो क्या करूँ?”
ज्योतिष, “मुझसे क्या चाहते हो शैलेश!”
शैलेश, “बाबा, आपने मेरे लिए इतना कुछ किया है, एक आखिरी मदद चाहिए आपसे!”
ज्योतिष, “बोलो शैलेश, कैसी मदद चाहिए।”
शैलेश, “बाबा, मुझे फिर से अपनी पुरानी लाइफ में वापिस जाना है और मुझे पूरा यकीन है कि आप मेरी मदद जरूर करेंगे!”
ज्योतिष, “लेकिन शैलेश, तुम्हारी पिछली लाइफ में मैं तुम्हे कैसे भेज सकता हूँ। इसके लिए तो कम से कम एक साल की साधना और माता रानी का आशीर्वाद बहुत जरूरी है। माता रानी के आशीर्वाद के बिना सम्भव नही है कि मैं तुम्हे तुम्हारी पिछली लाइफ में भेज दूँ!”
शैलेश, “बाबा, मैं कुछ भी करने को तैयार हूं, आप सिर्फ उपाय बताइये। आप तो अंतर्यामी हैं बाबा, आपको तो ये भी पता है कि मेरे साथ भविष्य में क्या होगा अगर मैं दिल्ली में रहा तो!”
ज्योतिष, “शैलेश, तुम वर्तमान में जी रहे हो। इसके लिए तुम्हे भी बहुत ही कठिन परीक्षा देना पड़ेगा। क्या तुम ऐसी कठिन परीक्षा देने को तैयार हो, क्योंकि ऐसी परीक्षा देना बिल्कुल भी आसान नही है।”
शैलेश, “मैं कैसी भी परीक्षा देने को तैयार हूं बाबा। लेकिन आप प्लीज् मुझे फिर मेरी लाइफ लौटा दो। आप चाहो तो ये कर सकते हैं बाबा, लेकिन मुझे इस मर्द के शरीर मे नही रहना, मुझे फिर से शैलजा बनकर अपने पति और बेटे के साथ लाइफ बितानी है। आप दूर दृष्टि से देखो बाबा, आपने ही मुझे एक चूर्ण दिया था भविष्य में, जिसके पीने के बाद मैं अपने शरीर मे पास्ट में आ गया। लेकिन बाबा मेरी वही लाइफ ज्यादा अच्छी थी, मेरे पति और बेटे के बिना मैं नही जी सकता। मुझे फिर से शैलजा बना दो बाबा, प्लीज् बाबा!”
कहते कहते शैलेश रो पड़ा, उसकी आँखों मे अपने पति और बच्चे के प्रति प्यार साफ झलक रहा था। शैलेश के एक एक आंसू, एक पतिव्रता स्त्री होने की गवाही दे रहे थे। बाबा ने शैलेश को शांत होने को कहा।
ज्योतिष, “शैलेश, तुम अपनी लाइफ को फिर से पा सकते हो। हालांकि तुम्हारे इस वर्तमान के साथ तुम्हारा भविष्य भी बदल गया है लेकिन मैं जो उपाय बताता हूँ, वो करो। कल से चैत्र नवरात्रि शुरू हो रही है, तुम एक सुहागिन स्त्री की तरह सजधज कर, मांग में सिंदूर, गले मे मंगलसूत्र और सोलह श्रृंगार करके अगले नौ दिनों तक केवल फलाहार उपवास के साथ पूरी श्रद्धा और सच्चे ह्रदय से माँ दुर्गा की उपासना करो और अष्टमी, नवमी के दिन माँ से वर में फिर अपनी पहले वाली जिंदगी मांग कर देखो! मुझे पूरा यकीन है कि माँ दुर्गा तुम्हारी मनोकामनाएं जरूर पूरी करेंगी और तुम एक बार फिर अपने पति और बेटे के साथ सुखी जीवन बिताओगे।”
शैलेश, “बाबा, इन व्रतों को रखने स अगर मुझे मेरे पति और बेटे से दुबारा मिलन हो जाएगा तो मैं ये व्रत जरूर रखूंगा। लेकिन बाबा, मुझे इसकी कोई जानकारी नही है कि इन्हें कैसे करते हैं?”
ज्योतिष, “कोई बात नही शैलेश, इसी आश्रम में मैं तुम्हारे रहने का प्रबंध कर देता हूँ, मेरी देखरेख में तुम इन सभी व्रतों को सही तरीके से कर सकते हो और नियमों का पालन भी कर सकते हो!”
शैलेश, “बाबा, आप कितने अच्छे हैं, मेरी इतनी मदद कर रहे हैं।”
ज्योतिष, “कोई बात नही शैलेश, शायद तुम्हरी नियति में मेरी भी कुछ साझेदारी है, जिसे मैं नकार नही सकता। थोड़ी देर बाहर बैठो, मैं तुम्हारे रहने का इंतेज़ाम करवा देता हूँ!”
थोड़ी देर में राधिका नाम की एक लड़की आयी, 16 साल की उम्र में काफी छोटी दिख रही थी और उसकी हाइट भी शैलेश जितनी ही थी।
राधिका, “शैलेश आप ही हो!”
शैलेश, “जी, आप कौन!”
राधिका, “मैं राधिका, मैं बाबा की शिष्या हूँ! आप मेरे साथ आओ!”
फिर शैलेश को अपने साथ लेकर राधिका एक बड़े से कमरे में चली आयी। कमरा काफी बड़ा और सुंदर था।
राधिका, “शैलेश जी, आप आज से इसी कमरे में रहोगे!”
शैलेश, “ठीक है, लेकिन मुझे कुछ शॉपिंग करनी है!”
राधिका, “बाबा ने आपके बारे में मुझे सबकुछ बता दिया है, माता रानी के आशीर्वाद से आप जरूर अपनी नियति को पा लोगे। अभी आप रेस्ट करो, शाम में मैं आपके साथ शॉपिंग करने चलूंगी!”
राधिका के जाने के बाद शैलेश बिस्तर पर लेट गया और रेस्ट करने के लिए अपनी आंखें बंद की। अपने पति के प्यार और बेटे के स्नेह को पाने के लिए शैलेश अपनी नियति बदलने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार था। शाम में शैलेश राधिका के साथ मार्किट गया, जहां उसने अपने पसंदीदा पांच सेट सिल्क साड़ी, कॉटन साड़ी, मैचिंग बैकलेस ब्लाउज और साथ ही दस सेट ब्रा पैंटी, मेकअप का सामान खरीदे। वहां से शैलेश ने अपने लिए हील्स वाली दो सैंडल्स, चार दर्जन कलरफुल डायमंड सिल्वर चूड़ियाँ और डिज़ाइनर कंगन के 4 सेट खरीदकर ज्वेलरी शॉप पर जा पहुँचा। ज्वेलरी शॉप पर शैलेश ने अपने लिए सोने के दो जोड़े कंगन, नाक में पहनने के लिए दो बड़ी बड़ी डिज़ाइनर कुमाऊनी नथिया, दो छोटी सानिया मिर्ज़ा स्टाइल नथिया, कानों में पहनने के लिए दो डिज़ाइनर झुमके और एक दर्जन छोटी छोटी बालियां। पैरों में पहनने के लिए हैवी चांदी की दो जोड़ी पायल, गले मे पहनने के लिए नौलखा डिज़ाइनर हार, मंगलसूत्र, मांगटीका, हाथफूल, नाभि में पहनने के लिए ऑर्नामेंट, कमरबन्द और बाजूबन्द खरीदे। दस लाख की ज्वेलरी खरीदने के बाद शैलेश राधिका के साथ एक ब्यूटी पार्लर में जाकर अपने नाक के दोनो तरफ छिदवा लिया। फिर नाभि में भी एक छेद और उसके साथ ही अपने दोनो कानों में दोनो तरफ चार चार छेद करवा लिए। राधिका को बहुत आश्चर्य हो रहा था कि एक मर्द होने के बावजूद कितनी सहजता से शैलेश अपने नाक कान छिदवाते समय अपने आंसुओं को कंट्रोल कर रहा था। पास में ही एक सख्श मेहंदी लगा रहा था और वो भी बड़ी ही खूबसूरती से तो शैलेश से नही रहा गया, लेकिन राधिका ने शैलेश से कहा कि वो पहले अपना मेकअप भी करवा लें। शैलेश मान गया और ब्यूटिशियन ने शैलेश का डार्क मेकअप किया। शार्प ऑयब्रो, गहरा मोटा काजल, ऑय शैडो, ग्लॉसी लिपस्टिक, चेहरे को बहुत ही आकर्षक लुक दे रही थी। शैलेश ने ब्यूटीशियन से फेक बूब्स के लिए कहा और ब्यूटीशियन ने उसे बताया कि हर तरह के ब्रैस्ट फॉर्म्स अवेलेबल है वहां। सैलेश ने 34 DD ब्रैस्ट फॉर्म्स को सेलेक्ट किया और ब्यूटीशियन से उसे उसके चेस्ट पर सेट करने को कहा। 34 DD ब्रैस्ट फॉर्म्स को शैलेश के चेस्ट पर सेट करने के लिए एक खास तरह का ग्लू ब्यूटीशियन ने शैलेश की चेस्ट पर अप्लाई किया और ब्रैस्ट फॉर्म्स को फिक्स कर दिया। अब काफी हिलाने पर भी वो फेक बूब्स शैलेश की छाती से नही निकल रही थी। ये सब राधिका के लिए बिल्कुल ही नई बात थी। फिर शैलेश के कहने पर ब्यूटीशियन ने शैलेश को ऑरेंज सिल्क साड़ी और मैचिंग बैकलेस ब्लाउज़ में तैयार किया। मैनीक्योर और पडीक्यूर क बाद कलाइयों में ढेर सारी रंगीन सिल्वर डायमंड चूड़ियाँ, रंगे हुए नाखून, पिक्सी हेयरकट के साथ शैलेश तैयार था और काफी खूबसूरत दिख रहा था। थोड़ी देर बाद शैलेश ऑरेंज सिल्क साड़ी में तैयार होकर, आँचल से घूंघट और पैरों में हील्स पहनकर राधिका के साथ ब्यूटी पार्लर से बाहर आया। शैलेश किसी कॉन्फिडेंट लेडी से जरा भी कम नही लग रहा था और उसके बोल्डनेस के आगे राधिका की खूबसूरती भी कम लग रही थी। उसके बाद शैलेश सीधे उसी मेहंदी वाले सख्श के पास चला गया और अपने दोनो हाथों में फूल हैंड मेंहन्दी लगवाई। मेहंदी लगवाने के बाद और शैलेश की शॉपिंग के खत्म होने के बाद राधिका ने शैलेश को पूजा सामग्री खरीदने में मदद की और फिर दोनो ऑटो से आश्रम वापिस आ गए।
राधिका, “शैलेश, तुम्हारे अंदर तो लड़कियों से भी ज्यादा नज़ाकत है, तुम मर्द तो हो ही नही सकते!”
शैलेश, “मैं मर्द नही हूँ, क्योंकि मेरी आत्मा एक स्त्री की है और मुझे अपनी अस्तित्व को फिर से पाना है।”
राधिका, “बाबा ने कहा है तो तुम अपने अस्तित्व को जरूर पा सकोगे शैलेश लेकिन तुम्हे शैलेश कहने का मन नही कर रहा है।”
शैलेश, “तुम मुझे शैलजा कहकर पुकार सकती हो राधिका।”
उसके बाद शैलेश साड़ी में ही सो गया। सुबह जब शैलेश की नींद खुली तो उसने अपनी मेहंदी धोयी, फ्रेश होने के बाद स्नान करके कमरे में आया तो वहां राधिका पहले से मौजूद थी। राधिका के देखरेख में सोलह श्रृंगार करके, मांग में सिंदूर, गले मे मंगलसूत्र और माथे पर आँचल से घूंघट कर के शैलेश ने नवरात्रि की पूजा शुरू की। शैलेश ने लाइफ में पहली बार ऐसा व्रत रखा जिसमे दिन भर भूखा रहना और शाम में सिर्फ एक बार फलाहार करना था। अगले नौ दिनों तक शैलेश हर सुबह सोलह श्रृंगार करके, मांग में प्रताप के नाम का सिंदूर और गले मे मंगलसूत्र पहने, माँ दुर्गा की पूजा, आरती करने के बाद कुछ देर तक ध्यान करना और पूरे दिन निर्जल व्रत और शाम में फलाहार किया। अष्टमी और नवमी को दुल्हन की तरह सज धज के पूजा अर्चना करने के बाद शैलेश ने माँ दुर्गा से अपने पति और बेटे को मांगा। आज विजयदशमी था, शैलेश ने माँ दुर्गा की पूजा अर्चना की और बाबा के पास चला गया और रोने लगा।
बाबा, “तुम क्यों रो रही हो शैलजा!”
आज बाबा ने शैलेश को शैलजा नाम से पुकारा तो शैलेश ने अपने आप को देखा। शैलेश की गोद मे उसका बेटा सोया हुआ था। शैलेश फिर से शैलजा बन चुका था, उसकी गोद मे उसका बेटा और बाहर उसका पति प्रताप उसका इंतेज़ार कर रहा था।
शैलेश, “बाबा, क्या ये सच है!”
बाबा, “हां शैलेश, ये सच है। बस एक पल में तुम्हारी दुनिया बदल जाती, लेकिन तुमने अपनी दुनिया बदलने से खुद को रोक लिया, बाहर प्रताप तुम्हारा इंतेज़ार कर रहा है।”
शैलेश अब फिर से शैलजा बन चुकी थी, फिर उसने बाबा से कहा कि वो प्रताप को अंदर बुला ले। बाबा ने प्रताप को अंदर बुला लिया। प्रताप को देखते ही शैलजा इतनी इमोशनल हो गयी, मानो अर्सों बाद वो अपने पति से मिली हो। शैलजा को फील हुआ कि उसके हाथ मे एक चूर्ण की पुड़िया है, वो उसने बाबा को दे दिया। अपने पति और बेटे को फिर से पाकर शैलजा बहुत ही खुश थी और बाबा से विदा लेने के बाद शैलजा अपने घर आ गयी। प्रताप को शैलजा ने बताया कि उसके बेटे का नाम अंश प्रताप रखा है बाबा ने। प्रताप को नाम बहुत पसंद आया और वो शैलजा के साथ रोमांस करने लगा। शैलेश भी रोमांटिक मूड में थी, अंश सो चुका था और पलंग खाली था। शैलजा ये मौका नही गंवाना चाहती थी और प्रताप भी नही। दोनो के बीच रोमांस शुरू हुआ जो आठ राउंड हार्डकोर सेक्स के बाद ठंडी हुई। शैलजा अपने पति को अपनी बाहों में कसकर जकड़ कर सो गई और दोनो की लाइफ आगे बढ़ने लगी।
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