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ज़ुबैर, Part -1

ज़ुबैर, २६ साल उम्र और स्लिम शरीर, पांच फुट सात इंच लम्बा और देखने में बहुत ही स्मार्ट। ज़ुबैर अपने अम्मी अब्बू का एकलौता था और बचपन से ही उसके अम्मी अब्बू ने उसकी सभी ख्वाहिशों को पूरा करते आये थे। इस वजह से ज़ुबैर के स्वभाव में ज़िद्दीपन छा गया था। कॉलेज में आते ही ज़ुबैर ने बहुत सी गर्लफ्रेंड बनाया जिनमे पहली नीतू और आखिरी नेहा थी। स्मार्टनेस के साथ साथ पढाई में भी ज़ुबैर बहुत ही अच्छा था।

कॉलेज से निकलने के बाद ज़ुबैर नौकरी की तलाश में निकला और टाटा मोटर्स में उसे एक्सिक्यूटिव की नौकरी मिल गयी। कॉलेज ख़त्म होने के साथ ही ज़ुबैर ने नेहा से अपना रिलेशन ख़त्म कर लिया और नेहा का दिल तोड़ने में उसे जरा भी रहम नहीं आया। नेहा को रोती छोड़ ज़ुबैर उसके साथ ब्रेकअप करके अपनी लाइफ में आगे बढ़ चूका था।

इस बात को कई साल गुज़र चूका था, अपने नए जॉब और नयी गिलफ्रेंड तनुजा के साथ ज़ुबैर लाइफ में बहुत खुश रहने लगा था। तनुजा से ज़ुबैर की मुलाक़ात ऑफिस के तीसरे दिन हुई जब तनुजा को उसका बॉस बहुत डांट रहा था। आँखों में आंसू लिए जब तनुजा केबिन से बाहर आयी तो ज़ुबैर ने उसे अपना रुमाल आंसू पोछने को दिया और यही से दोनों के रिलेशनशिप की शुरुआत हुई। नेक्स्ट सिक्स मंथ्स में तनुजा और ज़ुबैर की नज़दीकियां बढ़ती गयीं और फिर दोनों लिविंग रेलशनशिप में रहने लगे। साकेत में बड़ा सा फ्लैट लेकर वो अपनी गर्लफ्रेंड के साथ लिविंग में रहने लगा था। ज़ुबैर अपनी नौकरी और गर्लफ्रेंड के साथ बहुत खुश था और अपनी लाइफ में आगे बढ़ रहा था।

एक दिन अचानक ऑफिस से रिटर्न होते समय ज़ुबैर की बाइक एक कार से टकरा गयी और उस एक्सीडेंट के साथ ही ज़ुबैर की लाइफ हमेशा के लिए बदल गयी। एक्सीडेंट के तुरंत बाद ही ज़ुबैर को मैक्स हॉस्पिटल में एडमिट कर दिया गया। आईसीयू में पांच दिनों तक रहने के बाद जब ज़ुबैर की हालत ठीक हुई तो उसे जनरल वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया। ज़ुबैर के अम्मी अब्बू अपने इकलौते बेटे को ऐसे हालत में देखकर तनुजा को ही जिम्मेदार ठहराने लगे। तनुजा जो पहले से ही इतनी दुखी थी और ज़ुबैर के अम्मी अब्बू का यूँ उसे कोसना उसे बहुत दुखी करने लगा था। फिर भी ज़ुबैर के प्यार में वो इतनी पागल थी कि उसके अम्मी अब्बू के ताने सुनने के बावजूद ज़ुबैर का पूरा ख्याल रखती। लेकिन ज़ुबैर के अम्मी अब्बू को तनुजा का उनके बेटे के यूँ करीब रहना रास नहीं आ रहा था। इधर ज़ुबैर की हालत पहले से तो ठीक थी लेकिन उसका लंड बुरी तरह से जख्मों से भर चूका था और उसे यूरिनेशन के टाइम भी बहुत दर्द रहने लगा था। ज़ुबैर अपने अम्मी अब्बू का इकलौता था तो उसके अम्मी अब्बू बहुत ही ज्यादा घबराने लगे थे।

इधर पंद्रह दिनों के ट्रीटमेंट के बाद ज़ुबैर को जब हॉस्पिटल से डिस्चार्ज कर दिया गया तब उसके अम्मी अब्बू उसके अपने साथ ले गए और तनुजा को वहीँ छोड़ दिया। तनुजा ज़ुबैर को ऐसी हालत में देखकर बुरी तरह से टूट चुकी थी, उसपर उसके अम्मी अब्बू का व्यव्हार इतना बुरा था कि तनुजा को इस बात से बहुत दुःख हुआ। इधर तनुजा का दुःख कम नहीं हो रहा था और उधर ज़ुबैर अपने घर पर दवाइयों के सहारे जी रहा था। तनुजा ज़ुबैर के घर भी गयी ताकि वो अपने बॉयफ्रेंड से मिल सके लेकिन ज़ुबैर के अम्मी ने उसे दरवाज़े से ही वापिस भगा दीं। इससे तनुजा और भी दुखी होकर अपने घर लौट गयी। तनुजा नए ज़माने की लड़की थी और वो ऐसे मुस्लिम परिवार की बहु तो कतई नहीं बनना चाहती थी जिसमे उसे सम्मान ना मिले। बहुत ही पढ़े लिखे हिन्दू परिवार में जन्मी तनुजा का एक बड़ा भाई जो एक बैंकर था और उसके मम्मी पापा जो कि सरकारी जॉब से रिटायर्ड थे। तनुजा ने उस फ्लैट को छोड़ कर अपने फॅमिली के साथ रहने लगी, जिससे उसका दुःख भी कम हुआ और ज़ुबैर को भुलाना उसके लिए आसान होने लगा। इधर ज़ुबैर की हालत इतनी भी अच्छी नहीं थी। एक्सीडेंट की वजह से ज़ुबैर का लंड अब काम करना बंद करने लगा था और उसके इरेक्शन इश्यूज होने लगे। ये एक ऐसी समस्या थी जिसके बारे में डिस्कस करने में इंसान को शर्म महसूस होती है। लेकिन अपनी इरेक्शन प्रॉब्लम से ज़ुबैर इतना परेशान रहने लगा कि कुछ ही महीनों में डिप्रेशन का शिकार हो गया और उसकी नौकरी भी छूट गयी। अब दिन भर ज़ुबैर घर में पड़ा रहता, उसका मोटिवेशनल लेवल डाउन होने लगा था। फिर बहुत हिम्मत करके वो उसी डॉक्टर के पास चेकअप करवाने चला गया, जिसने एक्सीडेंट के बाद उसका इलाज़ किया था।

डॉक्टर - आपको क्या प्रॉब्लम है?

ज़ुबैर - मेरे लंड में इरेक्शन नहीं हो रहा है।

डॉक्टर - हम्म! ये तो होना ही था ज़ुबैर। ऑपरेशन के दौरान ही आपके बॉडी में टेस्टेस्टोरॉन हॉर्मोन का स्तर कम होने लगा था और आपका लंड भी तो बुरी तरह से क्षतिग्रस्त था जब आपको हॉस्पिटल लाया गया था। आपके अम्मी अब्बू को ये बात बताई गयी थी उन्होंने आपको बताया नहीं?

ज़ुबैर - नहीं!

डॉक्टर - ओह्ह! शायद उन्हें ये बताना सही नहीं लगा होगा। वैसे मैंने तो उन्हें बता ही दिया था कि अब तुम कभी पिता नहीं बन सकोगे।

ज़ुबैर - नहीं डॉक्टर, प्लीज् ऐसा मत कहिये!

डॉक्टर - सॉरी ज़ुबैर बेटे, आप फिजिकली कैपेबल नहीं रहे कि आप पिता बन सको मेडिकल टर्म में कहूं तो अब आप एक नपुंसक बन चुके हो।

ज़ुबैर - ओह्ह डॉक्टर! क्या इसका कोई इलाज़ नहीं?

डॉक्टर - सॉरी ज़ुबैर! तुम्हारी नपुंसकता का कोई इलाज़ नहीं।

वहां से ज़ुबैर बहुत निराश होकर घर लौटा। घर पर उसने अपने अम्मी अब्बू से अपने नपुंसक होने के बारे में सवाल किया तो उसके अम्मी अब्बू ने भी यही कहा कि वो उसे और दुखी नहीं देखना चाहते थे इसीलिए उससे सच को छुपाना पड़ा। उस दिन के बाद से ज़ुबैर बहुत दुखी रहने लगा। अपने मोहल्ले के दोस्तों से मिलना जुलना बंद कर दिया और दिन भर घर में ही रहता और अपनी नपुंसकता को लेकर दुखी रहने लगा था। इधर ज़ुबैर के अम्मी अब्बू अपने बेटे को डिप्रेशन का शिकार होते देख बहुत ही ज्यादा दुखी हुए जा रहे थे। उन्होंने ज़ुबैर को उसकी बुआ के घर भेजने का फैसला किया। ज़ुबैर की बुआ अपने शौहर और बेटे बेटी के साथ बंगलोर में ही रहती थी और ज़ुबैर को तो वो बचपन से ही बहुत चाहती थी। जब ज़ुबैर की बुआ को उसके मेडिकल कंडीशन के बारे में पता चला तो वो बहुत दुखी हुईं और उन्होंने तुरंत ज़ुबैर को बंगलौर बुलवा लिया। ज़ुबैर के बंगलौर पहुंचते ही उसकी बुआ ने उसे अपने बेटे की तरह ही ख्याल रखने लगी। ज़ुबैर के बुआ की बेटी का नाम शबनम और बेटे का नाम नदीम था। शबनम ज़ुबैर का बहुत ख्याल रखने लगी थी और कॉलेज ख़त्म होने के बाद हर वक़्त वो ज़ुबैर के साथ बिताती। इधर शबनम के साथ ज़ुबैर की अच्छी दोस्ती हो गयी थी, दोनों हर वक़्त साथ रहते, साथ खाते, साथ उठते बैठते और खूब मजे करते। धीरे धीरे ज़ुबैर की हालत में सुधार होने लगी थी। शबनम ज़ुबैर को नाईट क्लब भी ले जाती और वहां भी दोनों खूब एन्जॉय करते। एक ओर शबनम जो ज़ुबैर को अपने भाई की तरह मानती वहीँ ज़ुबैर शबनम को अपनी गर्लफ्रेंड की तरह समझने लगा था। चूँकि शबनम को तो ज़ुबैर की अम्मी ने अपना दूध नहीं पिलाया तो वो उसे अपनी बहन नहीं मान रहा था लेकिन शबनम इन सब से अनजान थी। धीरे धीरे सब पहले जैसा होने लगा था, ज़ुबैर अब बहुत खुश रहने लगा था और वो चाहता था कि वो शबनम से अपने दिल की बात कहे और उससे निकाह करके वहीँ सेटल हो जाए। इधर जब नदीम को उसकी अम्मी ने ज़ुबैर के मेडिकल कंडीशन के बारे में बतायीं तो नदीम भी ज़ुबैर का ध्यान रखने लगा। इन सब में ज़ुबैर खो सा गया था, अपने अम्मी अब्बू से तो वो रोज़ बात करता, लेकिन अपना ज्यादातर समय शबनम के साथ ही बिताता। एक दिन हिम्मत करके ज़ुबैर ने शबनम को प्रोपोज़ किया और उससे निकाह करने की ख्वाहिश को उसके सामने रखा तो शबनम शॉक हो गयी। शबनम ने ज़ुबैर को हमेशा से अपना भाई माना था और ऐसे में उसे बहुत गुस्सा आया और उसने उसी समय ज़ुबैर को एक थप्पड़ लगा दी और घर आ गयी। पीछे पीछे ज़ुबैर भी घर आ गया।

ज़ुबैर - शबनम, प्लीज् मेरी एक बार बात तो सुन लो!

शबनम - दफा हो जाओ मेरी नज़रों के सामने से ज़ुबैर! आज तुमने हमारे रिश्ते को नापाक कर दिया।

ज़ुबैर - ऐसा कुछ भी नहीं है शबनम, आई रियली लाईक यू! आई लव यू, वैसे भी कौन सा मेरी अम्मी ने तुम्हे अपना दूध पिलाया है जो तुम इतना सोच रही हो। हमें एक होने में बुआ को भी कोई ऐतराज़ नहीं होगा।

शबनम - चुप हो जाओ ज़ुबैर! दूर हो जाओ मेरी नज़रों के सामने से।

ज़ुबैर - शबनम, मेरी बात तो सुनो!

शबनम कमरे में खुद को बंद कर ली और रोने लगी। इधर कमरे के बाहर नदीम ने ज़ुबैर से पूछा तो उसने उससे कहा कि ऐसे ही गुस्सा है शबनम उससे। उस दिन से शबनम और ज़ुबैर का रिश्ता पहले जैसा नहीं रह गया था। शबनम अब ज़ुबैर की नज़रों के सामने आने से भी बचती और पहले की तरह मौज़ मस्ती भी करना कम कर चुकी थी। इधर शबनम की अम्मी ने उसके लिए बहुत ही अच्छा रिश्ता देखा और उसका निकाह तय कर दी। कुछ ही दिनों में शबनम का निकाह बंगलौर के नामी वकील इम्तियाज़ अली के साथ कर दिया गया और शबनम के निकाह और रुखसती के बाद ज़ुबैर पहले की तरह अकेला हो गया। ऐसा पहली बार हुआ था कि किसी लड़की ने उसे रिजेक्ट किया था और ज़ुबैर को इस बात का बहुत दुःख हुआ। शबनम के जाने के बाद धीरे धीरे ज़ुबैर फिर से दुखी रहने लगा था, लेकिन इस बार नदीम उसके साथ था।

नदीम ज़ुबैर को अपने साथ अपने दोस्तों से मिलवाने ले जाता और उसका मन फिर से ठीक करने की कोशिश करने लगा। नदीम के ग्रुप में सभी लड़के नदीम की तरह ही साढ़े छह फुट लम्बे लम्बे थे, लेकिन उनमे रूद्र सबसे लम्बा तो था ही और उसकी बॉडी भी बहुत अच्छी थी। ग्रुप में एक रूद्र ही था जिसके साथ ज़ुबैर की सबसे ज्यादा बनती और रूद्र के साथ वो अपने दिल की बात खुलकर कह देता। रूद्र और ज़ुबैर की दोस्ती बहुत ही अच्छी हो गयी थी और रूद्र के साथ क्लब में मस्ती, मूवी में मस्ती, साथ में दारू पीना और उसने ज़ुबैर की फिर से नौकरी भी लगवा दी। नौकरी लगने के साथ ही ज़ुबैर का कॉन्फिडेंस फिर से लौटने लगा था और वो पहले से बेहतर होने लगा था। रूद्र भी उसी कंपनी में नौकरी करता था तो वो हर रोज़ ज़ुबैर को पिक करने घर आ जाता और रात को उसे घर भी ड्राप कर देता।

रूद्र की बहुत सी गिर्ल्फ्रेंड्स थीं और अलग अलग कम्पनीज में भी उसका अबहूत अच्छा ट्रैक रिकॉर्ड था। रूद्र अक्सर ज़ुबैर को अपनी एक्स या नई नयी लड़कियों से मिलवाता। ज़ुबैर ने कई लड़कियों को सिर्फ इसलिए रिजेक्ट कर दिया ताकि उसे मिले रिजेक्शन का दुःख कुछ कम हो सके। एक दिन उसकी लाइफ में फिर से नेहा एंटर हुई और वो भी रूद्र के माध्यम से। नेहा ज़ुबैर की एक्स थी, इस बात को ना तो ज़ुबैर ने रूद्र को बताया और ना ही नेहा ने। दोनों धीरे धीरे फिर से दोस्ती और एक बार फिर से एक दूसरे के क्लोज आने लगे थे। दोनों के बीच की दूरियां भी मिटने लगी थी और वो दोनों ही फिर से एक दूसरे के करीब आने लगे थे। ऐसा लग रहा था मानो नेहा ने ज़ुबैर को माफ़ कर दिया था और वो ज़ुबैर के साथ अपनी पूरी ज़िन्दगी ख़ुशी ख़ुशी बिताना चाहती हो। इधर एक दिन ज़ुबैर ने नेहा से पूछा कि वो रूद्र को कैसे जानती है।

नेहा - रूद्र भैया है, मेरे बड़े चाचा जी के बड़े बेटे।

ज़ुबैर - ओह्ह! वाओ!

नेहा - तुम्हे मेरी याद नहीं आयी ज़ुबैर? तुम्हे पता है, मैं कितना रोई तुम्हारे लिए?

ज़ुबैर - आई एम् सो सॉरी नेहा! तब मैं बहुत ही अलग किस्म का इंसान था, तब मैं किसी की कद्र नहीं करता था, लेकिन अब! अब मैं बदल चूका हूँ, तुम्हारे प्यार की एहमियत समझ चूका हूँ और मैं कितना अभागा था जिसने तुम्हारे जैसी खूबसूरत और समझदार गर्लफ्रेंड को धोखा दिया। शायद तुम कभी मुझे माफ़ कर सको लेकिन खुदा मुझे कभी माफ़ नहीं करेंगे।

नेहा - ऐसा ना कहो ज़ुबैर, आई लव यू! सुबह का भुला अगर शाम को लौट आये तो उसे भुला नहीं कहते।

फिर ज़ुबैर और नेहा ने एक दूसरे को हग किया और दोनों बहुत देर तक एक दूसरे की बाहों में रोमांस करते रहे। दोनों के बीच प्यार का फूल एक बार फिर से खिलने लगा था और ज़ुबैर नेहा की प्रेम कहानी की फिर से शुरुआत हो चुकी थी। ज़ुबैर की लाइफ में अब कोई इशू नहीं था, एक खूबसूरत गर्लफ्रेंड थी, अच्छी जॉब थी और अच्छी सैलरी भी। लेकिन ज़ुबैर की ज़िन्दगी में एक ऐसा अधूरापन था जिसे दूर कर पाना शायद इतना आसान नहीं था। वो था ज़ुबैर की नामर्दी और इस नामर्दी के साथ वो चाहे जितने भी रिलेशनशिप में रह ले, वो कभी किसी लड़की को बिस्तर में खुश नहीं कर सकता था। इस बात का इल्म तो नदीम को भी था लेकिन उसने इस बात को कभी खुलकर शेयर नहीं किया। इधर ज़ुबैर नेहा के साथ बहुत टाइम स्पेंड करता और बात इतनी बढ़ने लगी कि अब नेहा ज़ुबैर से शादी कर के घर बसाने की बातें करने लगी। ज़ुबैर एक बार फिर से नेहा की बातों को टालने लगा था क्यूंकि इस बार वो नेहा की ज़िन्दगी बर्बाद नहीं करना चाहता था। नेहा को लगने लगा था कि कहीं ज़ुबैर एक बार फिर से तो उसे धोखा नहीं दे रहा और इस बात की तफ्तीश की जिम्मेदारी उसने रूद्र को सौंप दी। रूद्र ने ज़ुबैर के बारे में नदीम से बात की, पहले तो नदीम ने ज़ुबैर की नामर्दी की बात नहीं कही लेकिन रूद्र उसका दोस्त था और उसे धोखे में रखकर वो उसे धोखा नहीं देना चाहता था।

नदीम ने रूद्र को ज़ुबैर के फिजिकल कंडीशन के बारे में सबकुछ बता दिया जिसे सुनने के बाद रूद्र को बहुत दुःख हुआ। ज़ुबैर की इस कंडीशन के बारे में जान कर नेहा का दिल फिर से टूट जाता और अपने दोस्त के इस कंडीशन के बारे में जानकर रूद्र उसके बारे में सोचने लगा। रूद्र ने नेहा से इस बारे में कोई डिस्कशन नहीं किया और सबसे पहले उसने बंगलोर के स्पेशलिस्ट यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर से बात की।

डॉक्टर - रूद्र, जबतक मैं पेशेन्ट की जांच ना कर लूँ, मैं कुछ नहीं कह सकता।

रूद्र - ठीक है डॉक्टर, मैं कल पेशेंट को लेकर आता हूँ।

अगले दिन रूद्र ने ज़ुबैर से इस बारे में बात की और उसे अपने कॉन्फिडेंस में लेकर डॉक्टर के पास मिलवाने ले आया। डॉक्टर ने ज़ुबैर का सिटी स्कैन, एमआर आई, एक्स रे और अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट देखा और गंभीर रूप से ज़ुबैर की तरफ देखने लगा।

रूद्र - क्या हुआ डॉक्टर?

डॉक्टर - ज़ुबैर के डायग्नोस्टिक रिपोर्ट्स देखने के बाद मैं ये तो जरूर कह सकता हूँ कि ज़ुबैर फिर से ठीक हो सकता है लेकिन इसके लिए जो प्रोसेस है, उसके लिए ज़ुबैर कभी तैयार नहीं हो सकता।

ज़ुबैर - डॉक्टर, ऐसा कैसा प्रोसेस है, जिसके लिए मैं तैयार नहीं हो सकता। अपनी मर्दानगी को फिर से पाने के लिए मैं कुछ भी करने को रेडी हूँ।

डॉक्टर - ये तो कहने की बात है, मेडिसिन्स तो मैं दे दूंगा लेकिन उसके साथ ही एक प्रोसेस है जिसे फॉलो करना पड़ेगा और वो भी बिना एक भी दिन के गैप के।

ज़ुबैर - डॉक्टर साब, आप बताओ, अपनी मर्दानगी को दुबारा से पाने के लिए मैं कुछ भी करने को तैयार हूँ।

डॉक्टर - तो फिर ठीक है, ज़ुबैर तुम्हे अगले दो साल तक औरत बनकर रहना पड़ेगा, हर रोज़ मर्द के साथ सेक्स करना पड़ेगा, साथ ही डिक डॉकिंग सेशंस और जिम में बहुत मेहनत भी करनी होगी।

ज़ुबैर - ये कैसा प्रोसेस है डॉक्टर!

डॉक्टर - ये एक रीवर्सल प्रोसेस है जिससे तुम्हारे शरीर में बहुत थकान तो होगा ही, लेकिन उसी के साथ तुम्हारी उत्तेजना में इज़ाफ़ा होगा और डिक डॉकिंग की वजह से तुम्हारी सूखी हुई नसों में भी जान आने लगेगा। ऐसा भी हो सकता है कि तुम्हे मेल बूब्स की समस्या आये लेकिन एक बार तुम्हारी उत्तेजना फिर से एक्टिव हुआ, उसके बाद तुम्हारे मेल बूब्स को ऑपरेट करके रिमूव करवा लेना। उसके बाद तुम फिर से नार्मल मर्द बनकर अपनी लाइफ में आगे बढ़ सकोगे और किसी भी औरत को सेक्सुअली सटिस्फाय भी कर सकोगे। लेकिन इन सब से पहले तुम्हे खुद औरत बनकर उस लाइफ को जीना पड़ेगा, जिसके बारे में मैंने कहा है। खैर मैंने तो पहले ही कहा था कि इसके लिए तुम कभी रेडी नहीं होंगे। अच्छे खासे मर्द हो, दो साल के लिए औरत बनकर रहना मुझे नहीं लगता कि तुम्हारे बस की बात है।

बहुत देर तक सोचने के बाद,

ज़ुबैर - मैं तैयार हूँ डॉक्टर, आप मेडिसिन लिखकर दे दीजिये। रूद्र क्या तुम मेरी मदद कर सकते हो, इस बारे में मैं किसी को कुछ नहीं बता सकता।

रूद्र - यार, ज़ुबैर, आई एम् नॉट गे! मैं कैसे?

ज़ुबैर - प्लीज रूद्र, मैं किसी पर भरोसा नहीं कर सकता।

रूद्र - हम्म! आई विल ट्राय, लेकिन तुम नदीम से बात क्यों नहीं करते, घर की बात है घर में ही रह जाएगी।

ज़ुबैर - यार, नदीम को इस बारे मे नहीं बता सकता, बुआ भी तो रहती है घर में। तुम तो वैसे भी अकेले ही रहते हो, प्लीज यार, दो साल की बात ही तो है।

रूद्र - हम्म! ओके, ठीक है, आई हेल्प!

ज़ुबैर - थैंक्स रूद्र, यू आर द बेस्ट!

फिर डॉक्टर्स की बताये मेडिसिन्स के साथ ज़ुबैर रूद्र के साथ घर आ गया।

रूद्र - घर क्यों आये हो ज़ुबैर?

ज़ुबैर - कपडे लेने।

रूद्र - क्यों? औरत बनकर रहना है तुम्हे तो इन कपड़ों का क्या काम?

ज़ुबैर - हम्म! लेकिन औरतों वाले कपडे मैं कैसे खरीदूं?

रूद्र - मेरी बहन है ना! नेहा खरीद लेगी, वैसे भी उसकी पसंद बहुत अच्छी है।

ज़ुबैर - नेहा! अरे नहीं रूद्र! उसे इस बारे में प्लीज् कुछ नहीं बताना! ये सब मैं उसी के लिए तो कर रहा हूँ।

रूद्र - हम्म! उसे पता नहीं चलेगा, उसने कभी तुम्हे विथाउट शेव देखा है?

ज़ुबैर - नहीं! दाढ़ी तो मैं कॉलेज टाइम से ही हमेशा रखता हूँ।

रूद्र - फिर ठीक है, वो तुम्हे नहीं पहचान सकेगी।

ज़ुबैर - और मेरी नौकरी का क्या?

रूद्र - मैं वर्क फ्रॉम होम के लिए बात कर लूंगा, यू डोंट वोर्री!

ज़ुबैर - थैंक्स रूद्र! लेकिन नेहा के सामने मैं कभी जाऊंगा नहीं तो वो मुझे पहचाने ना पहचाने, क्या फरक पड़ता है?

रूद्र - ज़ुबैर, एव्री वीकेंड नेहा मेरे घर पर ही रहती है। वो तुम्हे पहचाने ना पहचाने लेकिन तुमसे मुलाकात तो हो ही जाएगी।

ज़ुबैर - यार, कैसे होगा ये सब?

रूद्र - डोंट वोर्री ज़ुबैर! देखते देखते दो साल कब बीत जायेंगे, पता भी नहीं चलेगा।

ज़ुबैर - आर यू श्योर?

रूद्र - हम्म!

फिर ज़ुबैर ने अपनी फुआ को बताया कि वो काम के सिलसिले में दो साल के लिए दुबई जा रहा है और यही बात उसने अपनी अम्मी अब्बू को भी बताया। अपने अम्मी अब्बू और फुआ की हाँ लेकर ज़ुबैर वहां से निकल गया और उसी दिन रूद्र के घर पर शिफ्ट कर गया। शिफ्टिंग के कारण दोनों ही बहुत थक कर सो चुके थे। अगले दिन ही रूद्र ने कंपनी में बात करके ज़ुबैर का वर्क फ्रॉम होम शुरू करवा दिया और खुद नेहा के साथ शॉपिंग के लिए निकल पड़ा। नेहा से कहकर रूद्र ने चार अलग अलग डिज़ाइन की अनारकली ड्रेस, सात रंग की साटन साड़ियां और मैचिंग गोल्डन, सिल्वर, गईं, ऑरेंज, येलो, ब्लैक एंड वाइट कलर की स्ट्रेचेबल बैकलेस ब्लाउज़ेज़, दो इंच वाली गोल्डन और सिल्वर हील्स खरीदने के बाद नेहा को घर ड्राप कर के खुद अब अकेले फिर से शॉपिंग करने आ गया। इस बार रूद्र ने ज़ुबैर के लिए क्लिप वाली सोने की एक छोटी सी नथिया, क्लिप वाली बड़ी बड़ी बालियाँ, फिर उसके लिए एक मेकअप किट, सात अलग अलग रंगों में अमेरिकन सिल्वर बैंगल्स के सात सात दर्ज़न दोनों कलाइयों में पहनने के लिए, कुछ कंगन सेट्स और चूड़ियों का सेट, पैरों में पहनने के लिए चाँदी की ढाई सौ ग्राम वजन की हैवी पायल खरीद कर वहां से सीधे अंडर गारमेंट्स शॉप में गया। वहां रूद्र ने ज़ुबैर के लिए कुछ बेबीडॉल नाईट ड्रेसेज़, ब्रा और पैंटी खरीदी और फिर वहां से सीधे घर आ गया। ज़ुबैर इतने सारे बैग्स देखकर शॉक्ड हो गया।

ज़ुबैर - ये क्या है रूद्र?

रूद्र - ये सब तुम्हारे लिए है। इनमे तुम्हारे लिए ब्रा पैंटी, बेबीडॉल ड्रेसेज़, कुछ साड़ियां और ब्लाउज़ेज़, अनारकली ड्रेस, ऑर्नामेंट्स और हील्स हैं। इन सब के अलावे तुम्हारे लिए मेकअप किट भी है।

ज़ुबैर - हद है रूद्र? तुम तो ऐसे कह रहे हो जैसे मुझे साड़ी पहनने का और लड़कियों की तैयार होने का इतना एक्सपीरियंस है, इतने सब की क्या जरुरत थी?

रूद्र - एक्सपीरियंस तो लेना पड़ेगा ना। देखो अभी मेडिसिन लेना शुरू मत करना, नहीं तो आज से सब कुछ करना पड़ेगा। देखो ज़ुबैर, मैंने आज एक ब्यूटीशियन को बुलाया है। वो नेपाली लड़का है लेकिन बहुत अच्छा ब्यूटीशियन भी है। वो तुम्हे पूरी ट्रैनिग दे देगा, एक माहिने वो हमारे साथ ही रहेगा।

ज़ुबैर - रूद्र, एक महीने की ट्रैनिंग?

रूद्र - हाँ ज़ुबैर, इस ट्रेनिंग के बाद तुम्हे कभी ब्यूटीशियन की जरूरत नहीं पड़ेगा और हाउसहोल्ड काम और लड़कियों की तरह सजने संवरने का अच्छा अनुभव भी हो जायेगा।

ज़ुबैर - यार! बहुत खर्च होगा फिर तो? तुम वैसे ही इतनी शॉपिंग कर के ले आये हो।

रूद्र - हम्म! कोई बात नहीं ज़ुबैर! अब तो तुम्हे पुरे दो साल तक मेरी बीवी बनकर रहना है तो इन सब की आदत डाल लो और याद रखना, ये सब मैं तुम्हारे लिए कर रहा हूँ और तुम्हारी मर्ज़ी से कर रहा हूँ।

ज़ुबैर - आई नो रूद्र! आई एम् सो ग्लैड कि तुम्हारे रूप में मुझे इतना अच्छा दोस्त मिला।

रूद्र - हम्म!

शाम में एक नेपाली लड़का घर आया और उसने अपना नाम किरण बताया। किरण ने घर आते ही ज़ुबैर को एक ख़ास तरह का क्रीम देकर उसे अपने पुरे बॉडी पर अप्लाई करके आधे घंटे तक सुखाने को कहा। तबतक ज़ुबैर ने क्लीन शेव भी कर लिया। उसके बाद ज़ुबैर जब नहाने लगा तब उसने गौर किया कि उसके शरीर पर जितने भी छोटे छोटे बाल थे वे सब झड़ने लगे और उसका बॉडी काफी स्मूथ होने लगा। फिर किरण ने जुबैर के पुरे बॉडी की वैक्सिंग की इन्क्लूडिंग उसके लंड के ऊपर के बाल भी। वैक्सिंग के बाद तो ज़ुबैर का बॉडी मखमल जैसा चिकना हो गया। ज़ुबैर किरण से बहुत प्रभावित हुआ। फिर किरण ने ज़ुबैर को छाती पर टॉवल लपेट लेने को कहा और उसके साथ कमरे में आ गया। सबसे पहले किरण ने ज़ुबैर को हील्स पहना दिया और उसे लड़कियों की तरह चलने की ट्रेनिंग देने लगा। पहले कुछ देर तो बहुत प्रॉब्लम हुई, लेकिन फिर ज़ुबैर सीख गया कि उसे हील्स पहनकर कैसे चलना है!

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मैं अपने बड़े समाज के लोगों के साथ कोजागिरी की रात मनाता था , जिसे शरद पूर्णिमा भी कहते हैं। मेरे लिए कोजागिरी की रात किसी मेले से कम नहीं थी , क्यूंकि हमारे शहर के बीचोबीच एक बहुत बड़े मैदान में इसका आयोजन हर साल होता और इस मेले में बहुत सी सुहागिन महिलाएं अपने अपने पतियों और बाल बच्चों के साथ एन्जॉय करने आते। कोजागिरी की रात कुंवारी लडकियां भी आती , जिनकी शादी होने वाली होती और घर के बड़े लड़के के लिए भी ये रात उतनी ही इम्पोर्टेन्ट थी , क्यूंकि इसका बहुत महत्ता थी। इस दिन रात में मां लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण के लिए निकलती हैं और कहते हैं कि दिवाली के अलावा साल में मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए यह तिथि बहुत महत्वपूर्ण मानी गई है। मान्यता है कोजागरी पूर्णिमा की रात जो घर में साफ - सफाई कर मां लक्ष्मी की विधिवत उपासना करता है , देवी उस पर अपनी विशेष कृपा बरसाती हैं और जीवन में उसे कभी धन , सुख - समृद्धि की कमी नहीं होती। लेकिन

झांकी ने मेरी जिंदगी बदल दी - मिस्टर शानू (डांसर) से मिसेज़ शान्वी (हाउसवाइफ)बनने का सफर

हिमाचल की बड़ी ही खूबसूरत शाम थी वो, जब मैं हर रोज़ की तरह झांकी में परफॉर्म करने के लिए रेडी हो रहा था। मैं नही जानता था कि वो शाम मेरी परफॉरमेंस की आखिरी शाम साबित होगी। मेरे डायरेक्टर के एक कॉल ने मेरी जिंदगी ऐसी दोराहे पर लाकर खड़ी कर दी, जहां से एक नया सफर शुरू हुआ और तब मैम अपनी लाइफ का वो फैसला लिया जिसे लेना मेरे लिए आसान नही था।  मेरा नाम शानू है, उम्र 19 साल और कद काठी से काफी स्लिम और छोटी हाइट का होने के कारण झांकी के डायरेक्टर सिद्धान्त कुमार; हमेशा मुझसे फीमेल रोल्स ही करवाते। मुझे फीमेल रोल्स करने में कोई आपत्ति नही क्योंकि इसी से मेरा घर चलता है और सबसे ज्यादा पैसे भी मुझे ही मिलते हैं। मेरी बूढी माँ और छोटी बहन के सिवा मेरी लाइफ में कुछ भी नही था, ना अपना घर, ना ही कोई जमीन और ना ही कोई सेविंग्स। बहन की शादी समय से हो, इसीलिए मैं सेविंग्स करना शुरू कर दिया, मैं अपनी लाइफ में बड़ा ही खुश था, लेकिन एक दिन कुछ ऐसा हुआ कि मेरी खुशी को ग्रहण लग गया। वैसे तो झांकी परफॉरमेंस के दौरान अक्सर जवान लड़े और बूढ़े मर्द मुझमे इंतेरेस्ट दिखाते, मुझसे मेरा नंबर मांगते और मैं भी किसी किसी को

Superstar Part -1

अनिरुद्ध सिंह शहर के जाने माने इंडस्ट्रियलिस्ट थे , जिनकी शहर और समाज में बहुत इज़्ज़त थी। अनिरुद्ध सिंह की पत्नी शहर की जानी मानी डॉक्टर थीं और उनका बड़ा बेटा राज इंजीनियर और छोटा बेटा देवेश अपनी इंजीनियरिंग के पहले साल में कोलकाता में पढाई कर रहा था। टिकटोक और यूट्यूब वीडियोस का चलन जोरों पर था और कोलकाता में ज्यादातर लड़के मोंटी रॉय और संजीब दास को फॉलो करते और देखते ही देखते देवेश भी टिक्टक वीडियोस बनाने लगा ताकि उसकी भी अपनी एक पहचान बने! लेकिन देवेश की यही चाह उसे ऐसे मोड़ पर ले आई जहाँ से कोई यू टर्न नहीं बचा था और यहीं से कहानी की शुरुआत होती है। अनिरुद्ध - देव! ये सब क्या है ? देवेश - वो पापा मैं! अनिरुद्ध - देखो ऋतू , अपने नालायक बेटे की करतूत! यही करने भेजा था कोलकाता मैंने! ऋतू - मैं बात करती हूँ , आप शांत हो जाइए! अनिरुष - समझा लो अपने बेटे को! कोलकाता पढ़ने गया है और अपनी पढाई पर ध्यान दे! ऋतू - आप शांत हो जाइये और आराम करो! मैं देव से बात करती हूँ! अनिरुद्ध - हम्म! अनिरुद्ध के जाने के बाद! ऋतू - ये क्या है देवेश! तुझे ऐसे लड़कियों की तरह कपडे पहनने की क्या ज