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रेहान से जैस्मिन बनने का सफर

 क्या मुस्लिम पठान होना गुनाह है? अगर मुस्लिम पठान हो तो क्या आपको “मर्द” होना ही होगा? इस से कम कुछ मंज़ूर नहीं? कुछ भी नहीं!! दुनिया के लिए वही सच है, जो उनकी आँख देखती है और उनकी आँखों को दिखाने के लिए मेरा “मर्द” होना बहुत ज़रूरी था। वरना अंगुली न केवल मेरे पठान होने पर उठती, बल्कि पूरी बिरादरी में मेरे घर का कोई “मर्द” अपनी मूँछों को ताव न दे पाता। मेरा नाम रेहान खान है, मैंने तय किया, कैसे भी करके उदयपुर छोड़ दूँ, वरना एक न एक दिन घरवाले मेरी हकीक़त जान जायेंगे और मैं उनके लिए एक “दाग” हो जाऊंगा! कहाँ से शुरू करूँ, समझ नहीं आ रहा। जब पहली बार पता चला था कि मैं “अलग” हूँ, वहाँ से या फिर वहाँ से जब स्कूल में एक दोस्त से पहले प्यार का अहसास मिला। वहाँ से, जब पहली बार एक कजिन ने मेरा रेप किया या फिर वहाँ से जब मेरा भाई बोल पड़ा, अब तो मर्द बन जा, कब तक ऐसे ही माँ के दूध को लजाता रहेगा? दुनिया के लिए भले ही दरवाज़े खुल रहे होंगे पर मेरे लिए जब एक एक करके सारे दरवाज़े बंद हो रहे थे, तो इन अँधेरी संकड़ी राहों- गलियारों में अपने वजूद को खोजता मैं… कहाँ से शुरू करूँ, समझ नहीं पा रहा। मैं नहीं जानता, क्या गलत है और क्या सही? प्यार करना कभी गलत हो सकता है? ये तो ईश्वर की देन है और ईश्वर की बनाई कोई चीज़ कभी गलत नहीं होती, ये दादी सा’ बचपन से सिखाती आ रही थी। कब-किसका- किससे- कहाँ स्नेहसूत्र जुड़ जाए, कोई पता नहीं… सब मन के रिश्ते हैं, लेकिन इन्हें कौन समझेगा? मैं कहने को लड़का ज़रूर पैदा हुआ था, पर मुझे मेरे मन के अनुरूप किसी लड़के से प्यार करना मना था। वह गुनाह था और गुनाह की पठानों में दो ही सज़ा होती है – या तो मार डाले जाओगे या हमेशा के लिए घर में कैद कर लिए जाओगे। 

वो स्कूल के दिन थे। एक दोस्त से मुलाकात- प्यार क्या हुआ, पूरे स्कूल में मेरे वजूद पर कालिख मल दी गयी। तब नौवी में था। स्कूल के बाथरूम में एक लड़के के साथ पकड़े जाने की सज़ा थी कि मुझे फुटबॉल टीम से निकाल दिया गया। कारण जानने जब कोच के पास गया तो वे जिस तरह की हँसी हँसे, वो कभी नहीं भूल सकता! घर पर क्या बोलूँ? कैसे बोलूँ कि मुझे अब यह स्कूल क्यों बदलना है? तो मतलब ये हुआ कि अब बारहवीं तक मुझे इस जलालत को सहना पड़ेगा। खूब रोता था घर आकर, पर किसी से कह नहीं पाता था। मेरा कोई दोस्त नहीं था, कोई मेरे पास नहीं आना चाहता था। न लड़के और न ही लड़कियाँ। कलेंडर और साल यूँ ही बदल रहे थे पर स्कूल का बाथरूम वाला किस्सा जैसे मेरे ललाट पर लिख दिया गया था। वो बारहवीं का साल था। मेरी खाला का लड़का फ़िरोज़ मुझसे मिलने आया। वो दूसरे स्कूल में पढ़ता था पर हम दोनों विज्ञान के ही छात्र थे। बोला, साथ रहकर पढेंगे तो दोनों एक दूसरे की मदद कर पायेंगे और इस से शायद बोर्ड के रिज़ल्ट अच्छे आये।

मैं तैयार हो गया, भाई जैसा था तो कोई ख़ौफ़ नहीं था। पहली ही रात उसने मुझसे ज़बरदस्ती करनी चाही। मैंने मना किया तो बोला, अपने स्कूल के लड़कों के साथ सो सकता है तो मेरे साथ सोने में क्या दिक्कत है। मैं भौंचक्का था। मैंने दूर हटना चाहा, उसने मेरे मुँह को बंद कर दिया। उस रात सिर्फ मेरे जिस्म को नहीं नोचा गया, बल्कि आत्मा भी लहुलुहान की गयी थी। गे होने का यह मतलब नहीं कि कोई भी कभी भी मेरे साथ कुछ भी कर सकता है। क्या मेरी चॉइस या मेरी रज़ामंदी की कोई अहमियत नहीं? उस बलात्कार के बाद हिम्मत नहीं थी कि कोई शिकायत भी कर सकूँ। उलटे मुझे धमकी दी गयी थी कि अगर मुँह खोला तो सारे पुराने किस्से घर वालों तक पहुँच जायेंगे। फिर वो कजिन जब तक मेरे घर में रहा, हर रात मेरी आत्मा को नोचता रहा। हर बार और ज़्यादा बर्बर तरीके से। उसे अपनी मर्दानगी दिखाने के लिए मेरा ही जिस्म मिला था।

परीक्षाओं के बाद घर पर रिक्वेस्ट की कि इंजीनियरिंग के लिए किसी “अच्छे” कॉलेज में दाख़िला करवा दिया जाए। मैं बस उदयपुर से भाग जाना चाहता था। मेरा दाखिला मुंबई के एक नामी कॉलेज में करवा दिया गया। दिल में खुद को कसम दी कि अब वापस कभी लौट कर नहीं आऊंगा। वो स्कूल के दिन, वो घर पर परीक्षाओं की रातें… मैं इन्हें कभी याद नहीं रखना चाहता था। मुंबई का लाख लाख शुक्रिया, जिसने मुझे ठीक वैसे स्वीकार किया, जैसा मैं था। दूसरे ही साल में मेरी यौनिकता (सेक्सुअलिटी) को लोग जान चुके थे। मैं अक्सर मेरे बॉयफ्रेंड के साथ घूमता रहता था तो लोगों ने सहज अंदाज़ा लगा लिया था, पर कभी भी किसी ने ऑब्जेक्शन नहीं किया। कॉलेज के दरम्यान मेघालय के रिन्गजो से मुलाकात हुई, जो कब प्यार में बदल गयी पता ही नहीं चला। प्यार के मायने समझ पा रहा था। उसका स्पर्श बहुत अच्छा लगता था। रिन्गजो की सांसें भी मेरे अंतर्मन को छूती थी और उन घावों को भरने का काम करती थी, जो अतीत ने दिए थे।

रिन्गजो की कहानी मुझ से थोड़ी थोड़ी अलग थी। उसे उसकी बहन का बहुत अच्छा साथ मिला था। वह अक्सर बताया करता था की उसकी जनजाति में पितृसत्ता नहीं होती। मायने ये कि वहाँ वही होता है, जो औरतें चाहती है। इस सूरत में बहन का उसे समझना एक बड़ी बात थी। हाँ, उसके साथ भी बचपन में ट्यूशन टीचर ने ज़्यादती की थी। पर तब उसने घबराने की बजाय अपनी बहन को बता दिया था, जिसका नतीजा ये हुआ कि उस ट्यूशन टीचर को उसका गाँव छोड़ना पड़ा था। शुरूआती विरोध के बाद रिन्गजो को भी परिवार में अपना लिया गया। मैं अक्सर सोचा करता हूँ कि आम हिन्दुस्तानी जिस नार्थ ईस्ट के सभी आठ (सिक्किम सहित) राज्यों के नाम तक नहीं जानते, वहाँ की परम्पराएं उत्तर भारत से कितनी समृद्ध है। जिन्हें हम आदिवासीकहते हैं, वे हम सभ्यों से कितना अच्छे हैं! वहां पितृ सत्ता ही नहीं। मतलब मर्दवाद ही नहीं। मतलब मूँछ का ताव ख़त्म। मतलब कि अकड ही ख़त्म। वाह !! सोचकर ही रोमांचित हो जाता हूँ। रिन्गजो के साथ दिन खुशनुमा बीत रहे थे कि एक दिन अचानक भाई मुंबई आ गया। वह मुझे सरप्राइज़ देना चाहता था पर उसे क्या पता था कि असल सरप्राइज़ उसे मिलने वाला है। सुबह सुबह अचानक से मेरे रूम पर पहुँचा और ताला पाकर मुझे फोन करने लगा। नींद में होने के कारण जब मैंने फोन नहीं उठाया तो हॉस्टल के दूसरे लड़कों से मेरे बारे में पूछताछ हुई। पड़ोस में रहने वाले एक लड़के ने ऐसे ही मज़ाक में बोल दिया कि और कहाँ होगा, वहीँ होगा उस चिंकीके रूम पर। 

भाई खुश हुआ कि मेरी कोई गर्ल फ्रेंड चिंकीहै। पर जब पता चला कि उस चिंकी का कमरा भी उसी हॉस्टल में है तो थोड़ा असहज होते हुए उसने रिन्गजो का कमरा खटखटा ही दिया। उस सुबह भाई को पता चल गया कि मेरी रूचि लड़कों में है। जितनी गालियाँ वो एक साँस में मुझे दे सकता था, उसने दी। हॉस्टल में अच्छा ख़ासा तमाशा करने के बाद वह उसी समय वहाँ से चला गया। मेरा मन किसी अनहोनी के डर से काँप रहा था। क्या उसने घर जाकर सबको बता दिया होगा? क्या मुझे अपनी पढ़ाई जारी रखने की इजाज़त मिलेगी? क्या मैं अब और रिन्गजो के साथ रह पाउँगा? क्या वे रिन्गजो के साथ कुछ गलत तो नहीं कर देंगे। तमाम आशंकाओं से घिरा मैं बुरी तरह घबरा गया था। रिन्गजो मुझे सांत्वना दे रहा था कि जो होगा देखा जाएगा और हर स्थिति में वो मेरे साथ होगा।  

डेढ़-दो हफ्ते बाद अब्बू का फोन आया कि उन्होंने मेरे लिए एक लड़की पसंद कर ली है। अब्बू के सामने हाँ या ना करने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता। बचपन से ही हमें इस तरह बड़ा किया गया था कि अब्बू या बड़े भाईजान के सामने नज़रें नीची करके खड़े रहो और उनके हर एक शब्द को आदेश मान कर स्वीकार करो। हिम्मत करके मैंने कहा कि अभी तो मेरा ग्रेजुएशन ही पूरा नहीं हुआ है। वे कुछ नहीं बोले और फोन काट दिया गया। मेरे पास कोई चारा नहीं था। रिन्गजो भी कुछ समझ नहीं पा रहा था। और कोई सपोर्ट सिस्टम तो था नहीं कि जिस से बात की जा सके। भागने का सवाल नहीं था क्योकि अभी पढ़ाई का पूरा एक साल बाकि था। एक तरफ कुआँ और एक तरफ खाई वाली बात थी। आखिरकार तय किया कि मुझे घर पर किसी एक को मेरी यौनिकता के बारे में बता देना चाहिए। पर किस को? यह यक्ष प्रश्न सामने खडा था। मेरी केवल माँ से बनती थी और माँ का दर्जा मेरे घर में घूँघट में चुपचाप घर के काम करने जितना ही था। पापा के सामने मैंने कभी उनको सिर ऊँचा करके बोलते तक नहीं देखा था। क्या उनको बोलना ठीक रहेगा? ये भी संभव है कि सबको पता चल गया हो!! क्या करू? उस रात बिलकुल नींद नहीं आई।

मेरी शादी कर दी गयी। आप सोच रहे होंगे, मैं तो बहुत डरपोक निकला। रिन्गजो को धोखा दे दिया। अपने आप को धोखा दे दिया! शायद उस लड़की के साथ भी गलत किया, जिसे शायद मैं अपना 100% कभी दे भी नहीं पाऊंगा! तो जवाब है, हाँ उस स्थिति, उन हालात में मैं डरपोक निकला। बहुत ही डरपोक। पर शायद डरपोक होने से ज्यादा मैं खुदगर्ज़ था। शादी के बाद वापस मुंबई लौट आया। गौनाहोने में अभी वक़्त था। वो भी कुछ दिन उदयपुर बिताकर अपने पीहर लौट गयी। उसकी पढ़ाई भी चल रही थी। रिन्गजो अब भी मेरे साथ था पर रिश्ते की गर्माहट ख़त्म हो चुकी थी। उसी ने मुझे शादी कर लेने की राय दी थी। उसके अनुसार तत्काल समय में इस से बेहतर कुछ नहीं था। इंजीनियरिंग पूरी हुई और मैंने मास्टर्स के लिए देश के बाहर अप्लाई करना शुरू कर दिया।

घरवाले, यहाँ तक कि बीवी को भी इस बारे में नहीं बताया। किस्मत अच्छी रही कि स्कोलरशिप भी मिल गयी और फ़िनलैंड की राजधानी हेलसिंकी के एक कॉलेज में दाखिला भी मिल गया। घर वालों को पता चला तो उन्होंने मना कर दिया। वे चाहते थे कि अगर बाहर जाना ही चाहता हूँ तो बीवी को भी साथ ले जाऊँ। अब उन्हें कैसे समझाता कि मैं यहाँ से भाग जाना चाहता था। ठीक वैसे ही जैसे उदयपुर से भागकर मुंबई आया था। फिर सेखुद से.. हर एक रिश्ते सेबस भाग जाना चाहता था। सारे लोग पीछे छूते जा रहे थे। रिन्गजो भीबीवी भीअम्मी अब्बू भीमुंबई एअरपोर्ट पर खड़े खड़े खुद को कसम दे रहा था कि बस अब कभी लौटकर इंडिया नहीं आऊंगा।

अगर कोई अपने सुख को ज्यादा पसंद करता है तो इसमें उसे शर्म महसूस नहीं करनी चाहिए”- अल्बैर कामू के उपन्यास प्लेगकी ये पंक्तियाँ मेरे सामने आन खड़ी हुई थी।

यूरोप आने के बाद मैंने अपना बहुत वजन कम किया था। पहले अस्सी किलो का था और थोड़ा चब्बी दीखता था लेकिन अब मैं पचास किलो का हूँ और छरहरा दीखता हूँ, पतला और काफी स्लिम भी। 

अपने ट्रांसफॉर्मेशन से मैं बहुत खुश रहने लगा था और मुझे तलाश थी एक पार्टनर की और वो मुझे मिला सुदीप्तो के रूप में। लेकिन सुदीप्तो खुद मार्क नाम के नेटिव अमेरिकन बन्दे के साथ डेडिकेटेड रिलेशनशिप में था तो मैंने उससे ज्यादा नज़दीकियां नहीं बनाई। सुदीप्तो से मुलाकात के कुछ ही महीनों के बाद मैं उसके साथ उसकी फ्लैट में शिफ्ट हो गया। चूँकि सुदीप्तो अकेला ही रहता था तो मेरे वहां साथ रहने में उसे कोई इशू नहीं था। सुदीप्तो को भी मेरी तरह लड़के ही पसंद थे, मीन्स कि वो भी एक गे था। लेकिन उसके जैसा गे मैंने पहले कभी नहीं देखा था, वो एक क्रॉसड्रेस्सेर भी था। उसका जब मन होता साड़ी पहन कर औरत बन जाता और जब मन करता फिर से मर्द बन जाता और उसके साथ रहते रहते मुझे भी मन करने लगा कि मैं भी एक बार क्रॉसड्रेसिंग करूँ।

एक दिन मैंने सुदीप्तो को कुछ पढ़ते हुए देखा, वो एक कहानी थी, जिसमे दो मर्दों के प्यार को कुछ इस तरह से दर्शाया गया था कि एक दूसरे की एक्साइटमेंट बढ़ाने के लिए वे अल्टरनेटिव क्रॉसड्रेसिंग करते और एक दूसरे के साथ बहुत एन्जॉय करते। 

उस रोज़ पहली बार मैंने मार्क को देखा, वो छह फुट लम्बा, बॉडीबिल्डर टाइप और कहाँ साढ़े पांच फुट का सुदीप्तो वो भी बंगाली स्टाइल साड़ी में तैयार! फ्लैट में एंटर होते ही मार्क ने सुदीप्तो को अपनी बाहों में उठा लिया और उसे किस करते हुए उसके कमरे में ले गया। कमरे से तरह तरह की आवाज़ें आने लगी, सुदीप्तो का जोर जोर चिल्लाना भी और मार्क से ओह या डैडी, गिव मी मोर डैडी कहना। तक़रीबन साढ़े चार घंटे बाद मार्क कमरे से निकला और अपने घर चला गया और जब मैं सुदीप्तो के कमरे में गया तो वो बिस्तर पर नंगा लेटा जोर जोर से सांसें ले रहा था। उसके पैरों में पायल थी और रंगे हुए नाख़ून के अलावे, उसके नाक में एक छोटी सी नथिया भी थी, वही सानिया मिर्ज़ा स्टाइल! अल्लाह, ये मैं क्या देख रहा था, मैं तुरंत कमरे से बाहर आ गया और सोचने लगा कि सुदीप्तो कितना खुश था आज, कितना बेफिक्र और कितना सुकून से सो रहा था। उस रोज़ मेरा भी मन करने लगा कि कैसे भी मुझे भी कोई मिल जाता जिसके साथ मैं भी खुश रहता।

हर रोज़ रात में सोने से पहले सुदीप्तो कहानी पढ़ते हुए मास्टरबेट करने लगता और फिर थोड़ी देर बाद ऐसा सोया हुआ मिलता मानो उसके शरीर में जान ही नहीं है। तेज़ सांसें, स्पीड में दौरते उसकी धड़कनें और सुकून की नींद के आगोश में समा जाना क्या होता है, ये सुदीप्तो को सोते हुए देख समझ आता था। अब तो मेरा और भी मन होने लगा था कि मैं भी एक बार क्रॉसड्रेसिंग करूँ लेकिन कहूं कैसे? इतनी हिम्मत भी नहीं थी मुझमे कि मैं सुदीप्तो से इस बारे में हेल्प मांग सकूँ। जब जब मैं सुदीप्तो को क्रॉसड्रेसिंग करते देखता, अल्लाह, क्या बताऊं, मैं इतना एक्साइटेड हो जाता कि मुझे खुद को हैंडल करना मुश्किल हो जाता।

वो संडे का दिन था और ऑफिस की छुट्टी के दिन मेरे पास कोई काम नहीं था। सुदीप्तो घर में नहीं था और उस दिन पहली बार मैंने सुदीप्तो की साड़ी को पहली बार छूकर देखा, ओह्ह, इतना सॉफ्ट, इतना सिल्की, वो एहसास कितना अच्छा लगा था उस दिन। जब मैंने सुदीप्तो की ब्लाउज को उठाकर अपने सीने से लगा कर देखा, अल्लाह, खुद को आईने में देखकर पहली बार इतना शरमाया था मैं। फिर मैंने एक एक करके सुदीप्तो की सभी फीमेल ड्रेसेस को स्पर्श किया और उसे फील करके मुझे बहुत अच्छा लगने लगा था। आई डोंट नो, क्या हो गया था मुझे लेकिन मुझे बहुत अच्छा एहसास हुआ उस दिन। फिर मैंने सुदीप्तो की साड़ी ब्लाउज और सभी फीमेल ड्रेसेस को ठीक वैसे ही रख दिया जैसे पहले से रखा था। दोपहर में जब सुदीप्तो घर आया तो पहले वो अपने कमरे में गया और फिर मेरे पास आ गया। उसने मेरे हाथ को अपने हाथ में ले लिया और मुझसे कहा कि अगर मैं चाहूँ तो वो मुझे लड़की की ड्रेस पहना सकता है। पहले तो मैं हिचकिचाया लेकिन फिर मान भी गया। सुदीप्तो ने मुझे ब्रैस्ट फॉर्म्स दिखाए जो ना तो ज्यादा बड़े थे और ना ही ज्यादा छोटे! सुदीप्तो ने बताया कि ये ब्रेस्टफॉर्म्स सिलिकॉन के बने हैं। ये काफी सॉफ्ट थी और साथ ही थोड़ी हैवी भी।

उस रोज़ सुदीप्तो ने मुझे बनारसी साड़ी में तैयार किया, मेरा मेकअप किया और मुझे विग भी पहना दिया। इन सब के बाद उसने मुझे क्लिप वाली बाली पहना दी और मेरे नाक में वही सानिया मिर्ज़ा स्टाइल नथ पहना दिया, जो उस रोज़ उसने खुद पहना था। मुझे साड़ी में तैयार करने के बाद सुदीप्तो ने मुझे आईने के सामने बिठाया, मेरे नाखूनों को लाल रंग के नेलपॉलिश से रंग दिया, मेरे होंठों को लाल लिपस्टिक से और मेरी आँखों को काजल से सजा दिया। माथे पर एक छोटी से बिंदी मेरे दोनों भौहों के बीचोबीच लगा दिया और माथे पर साड़ी के एक कार्नर से घूँघट बना दिया। मुझे हील्स पहना दिया जो मुझे भी फिट आ गए क्यूंकि मेरी हाइट भी उतनी ही थी जितनी सुदीप्तो की। मैं पहली बार औरत बना था तो मुझे बहुत शर्म आ रही थी, खुद को देखने की हिम्मत भी नहीं हो रही थी। फिर मैंने अपनी हिम्मत जुटाई और आईने में खुद को देखा और बस देखता ही रह गया। मैंने सुदीप्तो से पूछा कि क्या ये मैं हूँ, वो हंसने लगा और मुझसे बोला कि मैं बहुत खूबसूरत दिख रहा हूँ। मैंने खुद को गौर से देखा, खुद में अपनी अम्मी की तस्वीर देख रहा था मैं। मैं अपनी अम्मी की कॉपी ही दिख रहा था और अगर अम्मी की शादी के एल्बम में अम्मी की वो तस्वीर मेरे पास होती तो मैं सुदीप्तो को जरूर दिखाता। मैं बहुत खुश था, हालाँकि हील्स में चलना मेरे लिए नया था लेकिन ये एक सुखद एहसास था मेरे लिया और मैंने सुदीप्तो को इसके लिए थैंक्स भी कहा। फिर सुदीप्तो ने मेरी कुछ तस्वीरें क्लिक की और मुझे पोज़ देना भी सिखाने लगा। जैसा सुदीप्तो ने कहा, मैंने वैसा किया और लगभग 200 से ज्यादा फोटोज क्लिक करने के बाद मैंने उससे कहा कि अब हो गया। फिर मैंने अनड्रेस्सिंग की और बैठकर अपनी पिक्स देखने लगा। अल्लाह, अगर मैं लड़की होता तो मैं कितना खूबसूरत दिखता? बैकलेस चोली में मेरी न्यूड पीठ को देखना, मेरी नाभि को देखना, आज मैं खुद अपने आप को देखकर खुश हो रहा था और शर्माए भी जा रहा था। यकीन नहीं हो रहा था कि ये मैं ही हूँ।

मेरा पहला क्रॉसड्रेसिंग का एक्सपीरियंस बहुत ही बढ़िया रहा और मैं अपनी तस्वीरों को देखकर बहुत खुश रहता। मैंने तो एक बार सोचा भी कि अम्मी को एक आध तस्वीर भेज देता हूँ लेकिन अब्बू के डर से मैंने उन्हें इस बारे में कुछ भी नहीं बताया। उस दिन के बाद तो सुदीप्तो भी मुझे लड़की बोलकर चिढ़ाने लगा था, अल्लाह, इतना शरम आता मुझे, क्या बताऊं! लेकिन सुदीप्तो समझ चूका था कि मुझे क्रॉसड्रेसिंग अच्छा लगा था। उस दिन के बाद मेरे अंदर की फेमिनिटी बाहर आती दिखने लगी थी, सुन्दर दिखना, मेकअप करना, कभी कभी नाक में वो सानिया मिर्ज़ा वाली नथिया पहनकर घंटों आईने के सामने अपनी खूबसूरती को निहारना। एक रोज़ सुदीप्तो ने मुझे साटन साड़ी और बैकलेस डीप क्लीवेज वाली ब्लाउज जो कि पूरी तरह से बैकलेस थी, पहना दिया और मेरा मेकअप करने के बाद खुद भी बनारसी साड़ी में तैयार होकर मुझसे कहता है कि ऐसे ही मार्किट चलने को। मैंने उसे बहुत जोर से डाँटा कि ऐसे मार्किट जाऊँगा मैं! लेकिन उसका तो दिमाग ही खराब हो रखा था, वो मेरे साथ शॉपिंग जाना चाहता था और वो भी मुझे अपनी गर्लफ्रेंड बनाकर! अल्लाह! क्या मुसीबत है? मैंने लाख समझाया, लेकिन सुदीप्तो था कि माना ही नहीं और मैंने लाइफ में पहली बार घर के बाहर लड़की बनकर रखा। 

उस रोज़ सुदीप्तो ने अपने लिए बहुत सी शॉपिंग की, सोने के कंगन, हाई हील्स, मेकअप के नए नए सामान, ब्राइडल लॉन्जरी, ब्रा, पैंटी, नए ब्रेस्ट फॉर्म, कुछ मिनी स्कर्ट्स और खाने पीने का सामान! मुझे समझ नहीं आ रहा था कि आखिर सुदीप्तो इतना शॉपिंग कर क्यों रहा है। शॉपिंग के दौरान कुछ मनचले लड़के मुझे और सुदीप्तो को लड़की जानकर छेड़ रहे थे तो मैं घबराने लगा। लेकिन सुदीप्तो हँसते हुए मुझसे बोला कि इस मोमेंट को एन्जॉय कर रहा है वो और मुझे भी एन्जॉय करना चाहिए! आई वज लाइक शॉक्ड! लेकिन मेरे पीछे भी कुछ लड़के पड़े थे, ये जानकार मेरा मन बहुत एक्साइटेड हो रहा था। ये एक नयी सी दुनिया थी मेरे लिए और मुझे इसमें मजा आने लगा था। घर आने के बाद सुदीप्तो ने बताया कि तीन महीने बाद वो अपने बॉयफ्रेंड से शादी करने जा रहा है। आई वज लाईक, शादी? कितने खुशनसीब थे ना दोनों, एक हमसफ़र मिल गया था सुदीप्तो को को उससे बेइतहा प्यार करता था और दोनों शादी भी करके सेटल हो जाने वाले थे। मैंने जब सुदीप्तो से शादी के बारे में डिटेल्स में पूछा तो उसने मुझे बताया कि मार्क के पेरेंट्स उसे एक्सेप्ट करने को तैयार हैं, लेकिन एक बहु के तौर पर। मैंने पूछा तो सुदीप्तो ने बताया कि उसे औरत के रूप में रहना तो और भी ज्यादा पसंद है और वो मार्क के लिए नाक और कान भी छिदवाने वाला है। सुदीप्तो और मार्क का प्यार मेरे लिए किसी मोटिवेशन से कम नहीं था। 

काश मुझे भी कोई मिल जाता, फिर मैं भी अपनी लाइफ को एन्जॉय कर पाता! इधर दिन भर ऑफिस के कामों में और रात अपने खुद के पिक्स निहारने में निकल जाता। सुदीप्तो कुछ दिनों में मार्क से शादी करके उसके साथ चला जाने वाला था और मेरी लाइफ में फिर से एक दोस्त की कमी होने वाली थी। लेकिन मैंने सुदीप्तो से कहकर क्रॉसड्रेसिंग के बारे में उससे बहुत कुछ सीख लिया और धीरे धीरे मुझे साड़ी पहननी आ गयी, बैकलेस ब्लाउज की डोरी खुद से बांधनी आ गयी, कितने तरह के मैटेरियल्स में साड़ी मिलती है मार्किट में, साटन साड़ी, बरनारासी साड़ी, शिफॉन और जॉर्जेट साड़ियों में फरक करना, मेकअप करना, टचअप करना और सबसे इम्पोर्टेन्ट खाना पकाना सीख लिया। क्यूंकि मैं नहीं चाहता था कि सुदीप्तो के हाथों से बने खाने को मैं मिस भी करूँ! सुदीप्तो मेरी लाइफ में ऐसे आया जैसे भयानक काली रात के बाद अनिकेत का उजाला आता है। आई एम् सो प्राउड ऑफ़ हिम, सुदीप्तो अपनी लाइफ में आगे बढे और हमेशा खुश रहे, यही दुआ थी मेरी। शादी से एक दिन पहले सुदीप्तो बहुत इमोशनल हो गया था, वो कमरे में अकेले बैठा रो रहा था जब मैं उसके कमरे में गया।

मैंने सुदीप्तो से पूछा तो वो मुझे गले लगकर जोर जोर से रोने लगा। सुदीप्तो बहुत देर तक रोता रहा और मैंने उसे समझाबुझा कर शांत किया। सुदीप्तो आज अपने पेरेंट्स को लेकर बहुत इमोशनल था उस दिन, उसकी बहन शादी में आना चाहती थी लेकिन उसके पेरेंट्स इस शादी के अगेंस्ट थे। मैंने सुदीप्तो से पूछा तो उसने मुझसे कहा कि अब तो उसकी बहन भी नहीं आ रही है तो ब्राइड्समैड कौन बनेगा तो मैंने उससे कहा कि मैं बनूँगा उसकी ब्राइड्समैड। ये सुनकर सुदीप्तो बहुत खुश हुआ और अपने आंसू पोछकर मुझे हग किया और बोला कि शादी के बाद वो मुझे बहुत मिस करेगा। शाम में मेकअप आर्टिस्ट आयी और रात में उसने सुदीप्तो और मेरे हाथों में कुहनी तक और पैरों में घुटनों तक मेहँदी लगाई। लाइफ में पहली बार मेहँदी लगाया था मैंने और वो भी लड़कियों की तरह। यकीन नहीं हो रहा था खुद पर कि आखिर क्यों मुझे ये सब इतना अच्छा लगने लगा था। सजना संवरना, ये सब तो औरतों के गुण होते हैं, मैं तो एक मर्द हूँ! अगली सुबह हमदोनो ने मेहँदी धोयी तो मेकअप आर्टिस्ट ने हमदोनो से कहा कि हमारी मेहँदी बहुत डार्क है, मीन्स हमारे पति हमसे बहुत प्यार करेंगे। आई वज लाइक, बहुत शर्मिंदगी हो रही थी मुझे, लेकिन आज मैं जो कुछ भी कर रहा था, सुदीप्तो के लिए कर रहा था। जब दिन के डेढ़ बजने को थे और सुदीप्तो दुल्हन बन कर तैयार था और उसके छिदे हुए नाक में एक बड़ा सा नथिया और दोनों कानों में बड़ी बड़ी झुमकियां भी थी। थोड़ी देर में मैं भी तैयार था और हमें वेन्यू पर ले जाने के लिए मार्क का दोस्त अनिकेत घर आया। अनिकेत मार्क के जैसा लम्बा, करीब साढ़े छह फुट का रहा होगा और वैसा ही बॉडीबिल्डर भी। जब अनिकेत घर आया तो उसने सुदीप्तो को बड़े ही ध्यान से कार में बिठाया और उसके साथ मैं भी बैठ गया।

थोड़ी देर में हम वेन्यू पर पहुंचे जो कि एक चर्च था और वहां क्रिस्टियन रिचुअल्स के मुताबिक़ मार्क और सुदीप्तो की शादी हो गयी। फिर पादरी ने मार्क और सुदीप्तो को पति और पत्नी घोषित किया और फिर उन्दोनो ने सबके सामने फ्रेंच किस किया। आखिर में सुदीप्तो बुके को पीछे फेंकने वाला रिचुअल निभाया और बुके को मैंने कैच कर लिया। सभी हसने लगे और मुझे बधाई देने लगे, तो मुझे समझ नहीं आया कि आखिर ये सब ऐसे क्यों कर रहे हैं। तो सुदीप्तो ने बताया कि जो लड़की बुके कैच करती है, नेक्स्ट शादी की बारी उसी की होती है और वो हसने लगा। थोड़ी देर सेलिब्रेशन चलता रहा और फिर सुदीप्तो को सबके सामने अपनी बाहों में उठाकर मार्क ने कार में बिठाया और उसे अपने साथ ले गया।

उनदोनो के जाने के बाद मैं वहां अकेला बैठा था, तभी अनिकेत मेरे पास आ गया और मुझे घर ड्राप करने के लिए पूछा। मैंने हाँ कहा तो अनिकेत मुझे मेरे घर ले गया। हम रस्ते में एक दूसरे से बहुत बातें करते रहे। बातों बातों में अनिकेत ने मुझे बताया कि वो उदयपुर, राजस्थान का ही रहने वाला है। जब मैंने उसे बताया कि मैं भी वहीँ का रहने वाला हूँ तो वो बहुत खुश हुआ। फिर उसने बताया कि एक बायसेक्सुअल है, लेकिन उसे भी ज्यादातर इंटरेस्ट क्रॉसड्रेसेर्स में ही है। वो भी मेरी ही तरह एक पार्टनर की तलाश में है। 

अनिकेत की ये बात सुनकर मैं खुश तो बहुत हुआ, लेकिन मैंने अनिकेत से इस बारे में कुछ भी ज्यादा बात नहीं की। अभी तक अनिकेत को पता नहीं था कि मैं कोई लड़की नहीं बल्कि एक मर्द ही हूँ उसी की तरह और एक गे भी हूँ। लेकिन ये सब बातें मैंने अनिकेत से छिपाय रखा क्यूंकि मैं अनिकेत को अच्छे से नहीं जानता था। अनिकेत उदयपुर का ही रहने वाला था तो मैं उसे अपनी सच्चाई बता भी नहीं सकता था, उसकी नज़र में मैं सुदीप्तो की बहन था और मैंने भी उसे इसी धोखे में रहने दिया। लेकिन सच्चाई आज नहीं तो कल जाहिर हो ही जाती है। अनिकेत का मुझसे हर वीकेंड मिलना, हम एक साथ कॉफी पर जाने लगे और हमारा साथ में शॉपिंग करने की शुरुआत हो चुकी थी और मुझे हर बार उसके साथ लड़की बनकर जाना पड़ता। और कोई ऑप्शन नहीं था मेरे पास! मैं उसे नहीं बताना चाहता था कि मैं एक मर्द हूँ। मैं अक्सर अनिकेत को टालता लेकिन वो कोई ना कोई बहाना बनाकर हर वीकेंड घर आ जाता और धीरे धीरे हमारी दोस्ती अच्छी होने लगी, लेकिन मुझे ऐसी दोस्ती नहीं चाहिए थी जो कुछ ही दिनों में ख़त्म हो जाए। एक रोज़ अनिकेत ने मुझे बताया कि वो भी एक क्रॉसड्रेस्सेर की तलाश में हैं जो गे भी हो और फेमिनिटी भी हो। जिस दिन मुझे अनिकेत ने ये बात बतायी, पूरी रात मैं चैन से सो नहीं पाया। अगले दिन ड्यूटी पर भी लेट हो गया। शाम को घर आया तो फिर उसी बारे में सोचने लगा। इधर हमारी दोस्ती अच्छी होने लगी, एक रोज़ मुझे पता चला कि सुदीप्तो के पति मार्क ने उसे हॉस्पिटल एडमिट करवा दिया है जहाँ उसका एसआरएस सर्जरी होनी थी।

मैं सुदीप्तो से हॉस्पिटल मिलने गया तो सुदीप्तो मुझसे लिपटकर रोने लगा। मैंने पूछा तो उसने बताया कि शादी के बाद से ही मार्क उसे एसआरएस सर्जरी करवाने के लिए फ़ोर्स कर रहा था और आखिर में उसे इसके लिए मानना पड़ा। मैंने सुदीप्तो से कहा कि अगर उसका मन नहीं है एसआरएस सर्जरी के लिए तो हॉस्पिटल एडमिन में शिकायत कर दे, लेकिन सुदीप्तो मार्क से बहुत प्यार करता है आज भी। सुदीप्तो ने मुझसे कहा कि सेक्स चेंज के बाद वो हमेशा के लिए लड़की बन जाएगा और अपने पति की हर ख्वाहिश को पूरा करेगा। समझ नहीं आ रहा था मुझे कि आखिर सुदीप्तो ये क्या करने जा रहा था, अपना अस्तित्व, अपनी आइडेंटिटी सब खोने को तैयार था वो सिर्फ अपने पति के प्यार को पाने के लिए! हॉस्पिटल से वापिस आया तो बैठकर सोचने लगा कि क्या सुदीप्तो सही कर रहा है, या उसके साथ गलत हो रहा है। लेकिन फिर सोचा कि ये सुदीप्तो की मर्ज़ी है, मैं क्या कर सकता हूँ! धीरे धीरे समय बीतने लगा, अम्मी से रोज़ फ़ोन पर मेरी बात होती और वो मुझे रोज़ घर लौट आने को कहती, लेकिन मैंने उनसे साफ़ लफ़्ज़ों में कह दिया कि अब मैं वहां कभी लौटकर नहीं आने वाला। 

मेरा बर्ताव मेरी बीवी के प्रति जरा भी अच्छा नहीं था। मैंने अपनी बीवी को निकाह के बाद घर पर अकेला छोड़ रखा था। मैं उसके साथ अपनी लाइफ नहीं बिताना चाहता था लेकिन अब्बू के गुस्से का सामना करना मेरे बस की बात नहीं थी। अम्मी ने कई दफा समझाती रही तो मैंने एक दिन गुस्से में आकर उससे कहा कि मुझे रुखसाना से तलाक़ चाहिए ताकि मैं अपनी लाइफ में आगे बढ़ सकूँ! अम्मी मेरी बातें सुनकर बहुत रोयीं क्यूंकि रुखसाना अम्मी का खूब ख्याल रखती थी और दोनों में बहुत प्यार था। मैंने अम्मी से कहा कि वो रुखसाना से बात करे और उसे समझाए कि मेरे साथ उसका कोई भविष्य नहीं है और मैं लौट कर वापिस नहीं आने वाला। उस रोज़ मैं ऑफिस से घर वापिस आ रहा था और बियर पीने का बड़ा मन हो रहा था। मैं पास के ही एक छोटे से मॉल में गया, बियर के कैन्स ख़रीदे और बिलिंग काउंटर पर जा पहुंचा। वहां मैं बिलिंग करवा ही रहा था कि मेरे पीछे अनिकेत खड़ा हो गया। मैंने उसे पहचान लिया, लेकिन वो मुझे नहीं पहचान सका। मैं मुस्कुराता हुआ वहां से सीधे घर आ गया और अनिकेत पता नहीं कहाँ गया। घर आने के बाद मैंने बियर पी और थोड़ा स्नैक्स खाकर सो गया। अगली सुबह देर से नींद खुली, संडे जो था। लेकिन मेरे फ़ोन पर करीब २० मिस्ड कॉल्स भी थे, अनिकेत का। 

मैंने अनिकेत को कॉल किया तो उसने मुझसे कहा कि आज उसका बर्थडे है और उसने मुझे पहली बार अपने घर पर इन्वाइट किया। मैंने उससे कहा कि मैं नहीं आ सकता लेकिन वो ज़िद पर अड़ा था कि उसके बर्थडे पर मुझे आना ही होगा। आख़िरकार मैं मान गया और अनिकेत ने मुझसे कहा कि वो मुझे आफ्टरनून में पिक करने आ जायेगा। अनिकेत के आने से पहले मैं अपनी रेड शिफॉन साड़ी में तैयार हो गया और लाइट मेकअप भी कर लिया। दोपहर के ढाई बजे अनिकेत घर आया तो मुझे अपने साथ अपने घर ले गया। घर पहुंचने से पहले अनिकेत ने मुझसे कहा कि एक दिन के लिए वो मुझे अपनी गर्लफ्रेंड बनाकर अपने दोस्तों से मिलवाना चाहता है। मैं मान गया क्यूंकि एक दिन के लिए ही सही, इतना हैंडसम मर्द खुद ही मेरा बॉयफ्रेंड बनना चाहता था। आई वज लाइक, लाइफ में पहली बार किसी मर्द से मुझे इतना अटेंशन मिल रहा था और मैं बहुत खुश था। अनिकेत के घर गया तो उसने मुझे अपने दोस्तों से मिलवाया। दिलावर, फ्रैंक, रश्मि, कैथरीन, यास्मीन और रॉकी नाम के छह दोस्त जो बहुत ही ज्यादा पोलाइट रहे मेरे साथ। रात को जब घडी का काँटा बारह पर पहुंचा, तब हमसब ने मिलकर अनिकेत का बर्थडे सेलिब्रेट किया। अनिकेत ने सबसे पहले मुझे केक खिलाया और फिर सभी को। 

आई वज सो हैप्पी, इतने लम्बे वक़्त के बाद किसी मर्द का साथ मिलना मेरे लिए हज़ारों खुशियों का एक साथ मिल जाने जितना था। सभी के सामने अनिकेत मुझे अपनी गर्लफ्रेंड के जैसे ट्रीट करता रहा और मैं भी उसे अपने बॉयफ्रेंड जैसे ट्रीट कर रहा था। मेरी धड़कनें पहली बार ऐसे रफ़्तार में रन कर रही थी, आई वज लाइक इन हेवन। सबके जाने के बाद मैंने अनिकेत से कहा कि वो मुझे घर ड्राप कर दे, लेकिन उसने रात भर के लिए वहीँ रुकने के लिए मुझे इंसिस्ट किया और मैं मान गया। उस रात अनिकेत ने मुझे बताया कि सुदीप्तो को हॉस्पिटल से रिलीज़ कर दिया गया है और अब वो पूरी तरह से औरत बन चूका है। आई वज लाइक, व्हाट!  मैंने अनिकेत से पूछा तो उसने बताया कि लेटेस्ट टेक्नोलॉजी की सहायता से मात्र आठ महीने में ही सुदीप्तो को पूरी तरह से लड़की बना दिया गया है। लेकिन उसके बाद जो उसने मुझे बताया वो मेरे लिए किसी शॉक से कम नहीं था। अनिकेत ने बताया कि सुदीप्तो अब मार्क के बच्चों को जन्म देने में भी सक्षम है। व्हाट द हेल, सुदीप्तो, मार्क के बच्चे को जन्म देगा? अनिकेत ने बताया कि सुदीप्तो बहुत खुश है और उसका नया नाम भी रखा गया है, दीप्ती! फिर हमने बियर पी, पिज़्ज़ा खाये और चूँकि उस घर में एक ही बेड था तो हमदोनो उसी पर लेट गए। बिस्तर पर लेटने के साथ ही अनिकेत मेरे हाथ को अपने हाथ में लेकर चूम लिया और मैं शर्म के मारे अपना सर झुका लिया। अचानक अनिकेत ने मुझसे कहा कि उसने आजतक कभी भी मुझसे खूबसूरत मर्द नहीं देखा और मैं शॉक्ड रह गया। मैंने अनिकेत से पूछा कि उसे ये बात किसने बताई कि मैं एक मर्द हूँ?  

अनिकेत ने मुझसे कहा कि दीप्ती ने ये बात बताई जब मैंने उसे बताया कि तुम मुझे बहुत पसंद हो तब! आई वज़ शॉक्ड, ये क्या किया सुदीप्तो ने! मैंने अनिकेत को कहा कि आई एम् सॉरी, मैंने अपनी आइडेंटिटी छिपाये रखा। अनिकेत ने मुझसे कहा कि इसमें शर्म की कोई बात नहीं है, मै उसे पसंद हूँ। फिर अनिकेत ने मुझसे पूछा कि क्या मैं उसकी गर्लफ्रेंड बनूंगी? मैंने अनिकेत को बताया कि अतीत में मेरा एक बॉयफ्रेंड था रिन्गजो और हम एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे, लेकिन फिर मुझे एक लड़की से निकाह करना पड़ा। अनिकेत ने मुझसे कहा कि उसे मेरे अतीत से कोई लेना देना नहीं, वो बस इतना जानना चाहता था कि मैं उसके बारे में क्या सोचता हूँ और क्या मैं उसकी गर्लफ्रेंड बनूंगा? अनिकेत ने एक बार फिर से मेरे हाथों को चूमा, अल्लाह, ये सेंसेशन! और मैंने कहा हाँ, आई विल! 

 

फिर अनिकेत ने मुझे गले से लगा लिया, ओह्ह्ह, इतना वार्म फीलिंग, कई सालों के बाद महसूस हुआ था मुझे और आई वज सो हैप्पी! रिन्गजो के जाने बाद मुझे फिर से प्यार करने वाला कोई मर्द मिलेगा, ये मैं नहीं जानता था। उस रात हमने लिमिट क्रॉस कर दी, ओह्ह, ही वज सो हार्ड इन बेड! आई डोंट रेमेम्बेर कि कभी बिस्तर में सेक्स के दौरान मुझे रोना पड़ा होगा, लेकिन अनिकेत मेक मी क्राई इन हिज बेड! पूरी रात मैं अनिकेत की बाहों में स्पूनिंग पोजीशन में रहा और उसके कड़क लंड को अपनी गांड में पूरी रात महसूस करता रहा। ये रात मेरी लाइफ में उजाला लेकर आया था और अनिकेत वज सो डोमिनेटिंग और मुझे बहुत पसंद आया। इस एहसास को मैं शब्दों में बयान तो नहीं कर सकता था लेकिन मुझे एक ऐसा पार्टनर मिल गया था जिसकी वजह से मैं बहुत खुश था। अनिकेत, जो मेरी खुशियों की वजह बन चूका था। आई वज सो हैप्पी!

अब अनिकेत हर रोज़ मुझे ऑफिस से पिक करने आ जाता, कभी वो मेरे फ्लैट पर तो मैं उसके फ्लैट पर, लेकिन एक भी दिन ऐसा नहीं होता जब मुझे अकेले सोना होता। अनिकेत मेरे साथ साये की तरह रहता, मेरा ख्याल रखता, मेरे पकाये खाने की खूब तारीफ करता और सेक्स तो हर रोज़। अल्लाह, इतना बड़ा लंड, द वे ही फ़क मी, अमेजिंग! अपनी लाइफ में पहली बार मैं इतना खुश रहने लगा था। अम्मी से बात होती तो मैं हमेशा अम्मी से कहता कि मुझे तलाक़ चाहिए, ताकि रुखसाना भी अपनी लाइफ में आगे बढ़ सके। आखिरकार मैने अम्मी को मना ही लिया और रुखसाना ने मुझे तलाक़ दे दिया। तलाक़ के बाद रुखसाना को मेरे खाला के बेटे फ़िरोज़ ने उसे अपना लिया। वही फ़िरोज़ जिसने मेरी रूह को तार तार कर दिया था और जिसने पहली बार मेरा रेप किया था। लेकिन फ़िरोज़ से शादी करने से पहले रुखसाना को निकाह हलाला से गुज़रना पड़ा और इस बात का मुझे बहुत अफ़सोस हुआ। लेकिन रुखसाना और फ़िरोज़ की शादी की खबर सुनकर अब मैं बहुत रिलैक्स था। ऐसा लग रहा था मानो मेरे ऊपर से कोई बहुत ही हैवी बोझ हट गया हो। इधर अनिकेत के साथ मैं अब बहुत खुश था, वो मुझे इतने प्यार से रखता, मेरा ख्याल रखता, मुझसे प्यार करता, रोमांस करता, तरह तरह की बातें करके हंसाता और मैं भी उसे बहुत प्यार करता, उसके लिए टेस्टी खाना पकाता, जब वो सोफे पर अकेला होता तो मैं उसके गोद में सर रखकर सो जाता। जब अनिकेत मुझसे लड़की बनने को कहता तो मैं साड़ी पहनकर तैयार हो जाता तो वो मुझे ऐसे प्यार करता मानो मैं कोई मर्द ना हूँ, बल्कि एक औरत हूँ। एक साल और बीत चूका था, दीप्ति से मिले भी दो साल हो चुके थे, मैंने उसे कॉल किया और मिलने को कहा तो दीप्ती ने मुझसे घर आने को कहा। उस रोज़ अनिकेत के साथ बाइक पर बैठकर मैं दीप्ती से मिलने उसके घर गया तो उसे देखकर पहचान ही नहीं सका कि ये वही सुदीप्तो है। दीप्ती बनने के बाद तो सुदीप्तो कितना अलग दिख रही थी।

उसका ऑवरग्लास बॉडी शेप, बड़े बड़े ब्रेस्ट्स जो उसके बैकलेस ब्लाउज से बाहर झाँक रहे थे, उसका नैवेल पियर्सिंग, नाक में बड़ा सा नथिया, इंडिया में जैसे दुल्हनें पहनती हैं, ठीक वैसी ही। कानों में झुमकियां, गले में मंगलसूत्र, मांग में सिन्दूर और माथे पर साड़ी की आँचल से किया हुआ घूँघट। अल्लाह, इतनी खूबसूरत दिख रही थी दीप्ती। दीप्ती मुझे देखकर इमोशनल हो गयी और मुझे गले से लगा कर मेरा अभिवादन किया। फिर उसने अनिकेत से हैंडशेक भी किया और हमें बैठने को कहा। थोड़ी देर में मार्क भी वहां आ गया और अनिकेत के साथ बातें करने बैठ गया और इधर मैं और दीप्ती आपस में बातें करने लगे। मैंने दीप्ती से पूछा कि आफ्टर सेक्सचैंज, औरत बनने के बाद लाइफ कैसी है। दीप्ती ने मुझे बताया कि औरत बनने के बाद शी इज़ सो हैप्पी, इतना प्यारा पति मिला है जो उसे इतना प्यार करता है। सिर्फ एक प्रॉब्लम है कि हर महीने दीप्ती को पीरियड्स का सामना करना पड़ता है और उस दौरान भी मार्क उसे चॉक्लेट्स लाकर देता है, उसे खुश रखने की कोशिश करता है और उसका पूरा ख्याल भी रखता है। दीप्ती ने बताया कि सेक्स में भी उसे बहुत मजा आता है, जब वो मर्द थी तब उसने कभी इतना एन्जॉय नहीं किया जितना औरत बनने के बाद एन्जॉय कर रही है। दीप्ती ने बताया कि ओर्गास्म का रियल मजा औरतों को ही मिलता है, सेक्स के दौरान एव्री थ्रस्ट, एव्री लव बाईट, ये सब एक औरत के लिए बहुत मायने रखता है।  
दीप्ती की बातें सुनकर ना जाने क्यों मेरा मन भी मचलने लगा था। जब मैं और अनिकेत घर वापिस आ गए तब अनिकेत ने मुझसे कहा कि या तो मैं अपना फ्लैट छोड़कर उसके घर में शिफ्ट हो जाऊं या फिर वो अपना फ्लैट छोड़कर मेरे घर में शिफ्ट हो जाना चाहता है। ये तो मैं कब से चाहता था कि हम एक ही फ्लैट में शिफ्ट हो जाएँ और मैंने अनिकेत को इसके लिए हाँ कर दिया। चूँकि मेरा और अनिकेत का ऑफिस मेरे घर से ज्यादा नजदीक पड़ता था तो अनिकेत ही मेरे घर में शिफ्ट हो गया और अब हम हमेशा साथ रहने लगे।
फ्लैट पर शिफ्ट होने के साथ ही मानो अनिकेत के अंदर का जानवर जाग गया हो। 
 
अब हमारे बीच सेक्स होने का कोई टाइमिंग नहीं रहता
, उसे जब मन करता, मुझे अपनी बाहों में उठा लेता, कभी किचन में, कभी वाशरूम में, कभी बाथटब में, कभी सोफे पे, कभी बिस्तर में, कभी कभी तो डाइनिंग टेबल और चेयर पर भी! लेकिन एव्रीटाइम, ही मेक मी फील सो हैप्पी, सो अमेजिंग, सो हॉर्नी और थका देता ऐसा कि पेशाब करने को उठने का मन नहीं करता। हर बार नए पोसिशन्स, जिसके बारे में मैंने ना तो कभी सुना, कभी देखा भी नहीं पोर्न मूवीज में, ऐसे पोसिशन्स में ही फक्स मी, सो हार्ड, मुझे याद नहीं कि मैं कभी इतना रोया भी होऊंगा! हार्डकोर सेक्स सेशंस की कोई सीमा नहीं थी, ना ही कोई टाइमिंग और हमारी लाइफ बहुत ही अमेजिंग चल रही है। अनिकेत मुझे हमेशा चोदता है, वो इतना डोमिनेटिंग है कि मैं उसके सामने किसी कमज़ोर लड़की से ज्यादा कुछ भी नहीं। लेकिन मुझे अच्छा लगता है जब मैं अनिकेत की बाहों में होता हूँ और वो मुझे ऐसे पागलों की तरह प्यार करता है। हर सुबह मैं अनिकेत की बाहों में होता हूँ तो हर रात अनिकेत मुझे बहुत चोदता है, तबतक, जबतक कि मैं बेहोश ना हो जाऊं। हर रोज़ अनिकेत के हर करवट के साथ वो मुझे भी इधर से उधर और उधर से इधर कर देता है। आई ऍम सो वीक, उसके सामने इतनी कमज़ोरी हो जाती है, धड़कनें बढ़ जाती है और आँखें भी बंद करके लड़कियों की तरह शर्माने लगता हूँ। वीकेंड पर फिक्स है कि मुझे साड़ी ही पहनना होता है और अनिकेत अपनी बाइक पर बिठाकर मुझे कभी एफिल टावर ले जाता है और कभी उसके बैकयार्ड में। पब्लिक्ली किस करने में भी वो एक पल के लिए हिचकिचाता नहीं और मुझे बहुत शर्म आता।

एक रोज़ हम एक दूसरे के साथ रोमांस कर रहे थे कि अनिकेत मुझसे कहता है कि उसके पेरेंट्स अब उसकी शादी के लिए फ़ोर्स कर रहे हैं। मैंने कहा तो क्या करोगे, तो उसने कहा कि शादी तो करनी हो होगी। आई वज सो सैड, फिर से इतिहास खुद को दोहराने जा रहा था लेकिन इस बार मैं अपने प्यार से जुदा नहीं होना चाहता था। मैं अनिकेत से लिपटकर रोने लगा तो उसने मुझसे कहा कि काश मैं लड़की होता तो वो मुझसे ही शादी करता लेकिन मैं एक आदमी हूँ और एक आदमी को अपने घर की बहु बनाकर कैसे ले जाए? मैंने अनिकेत से कहा कि मैं औरत बनने के लिए भी तैयार हूँ लेकिन मुझसे ये जुदाई बर्दाश्त नहीं हो सकेगा। अनिकेत ने मेरे आंसुओं को अपने होंठों से पी लिया और मुझे बहुत प्यार किया और कहता है, आई एम् सो प्राउड ऑफ़ यू मेरी जान! तुम मुझसे इतना प्यार करते हो कि मेरे लिए लड़की बनने को भी तैयार हो! मैंने कहा हाँ मेरे राजा, मैं तुम्हारे लिए कुछ भी कर सकता हूँ! अगर ये मेरा ये जिस्म, हमारे एक होने में रुकावट डालती है तो मुझे नहीं चाहिए ऐसा जिस्म! मैं तुम्हारे लिए कुछ भी कर सकता हूँ, बस दुबारा अपने प्यार को खो नहीं सकता। अनिकेत के बिना अपनी लाइफ की कल्पना भी नहीं कर सकता हूँ मैं! अनिकेत ने मुझे समझाया कि ये इतना आसान नहीं होगा, उसके घर में लव मैरिज की इज़ाज़त नहीं और अगर हम वहां जाकर शादी की बात करते हैं तो वो तुम्हारे बारे में सब जान कर हमारी शादी के लिए कभी नहीं मानेंगे। मैंने अनिकेत से कहा कि पहले  हम शादी करेंगे और फिर उसके घर जाएंगे, फिर जो भी होगा, उसका सामना हम मिलकर करेंगे। फिर अनिकेत ने मुझे समझाया कि राजस्थानी दुल्हन बनकर रहना आसान नहीं। बहुत प्रॉब्लम होगा, दिन भर घूँघट में रहना होगा, हैवी ऑर्नामेंट्स पहनने होंगे, नाक और कान छिदवाये दिए जाएंगे, नाक में नथिया पहनाया जायेगा तो कानों में बड़ी बड़ी झुमकियां, पैरों में पायल होगी, कलाइयों में भर भर के सुहागनों वाले चूड़े, सोने के कंगन और ना जाने क्या क्या करना होगा। दिन भर सर झुकाये रखना होगा, माँ को और बाबूजी को जी हुक़्क़ुम से सम्बोधित करते रहना पड़ेगा, मैंने देखा है भाभी जब घर में आयीं थी तो वो बहुत रोती थीं, कभी कभी मेरे कंधे पर सर रखकर मुझसे कहती कि उन्हें कितना बुरा फील करवाया जाता है घर में! 

मैंने अनिकेत से कहा, मैं ये सब सेह लूंगा, लेकिन अपने प्यार से दूर नहीं हो सकता मैं। नाक और कान तो मैं आज ही छिदवा लूंगा तुम्हारे लिए, सेक्स चेंज भी करवा लूंगा, तुम्हारे लिए लड़की भी बन जाऊंगा और तुम जो कहोगे, वो करूँगा और मैं फिर से रो पड़ा। मैं अपने प्यार के लिए समर्पित हूँ और ये बात अनिकेत को समझ आ चूका था। अनिकेत में मेरे आंसुओं को एक बार अपने होंठों से पी गया और मुझसे कहा कि सेक्स चेंज करवाने की कोई जरुरत नहीं है, सिर्फ चेस्ट को ब्रेस्ट बनवा लेने और नाक कान छिदवा लेने से भी काम चल जायेगा। उसने मुझे अपनी बाहों में लेकर मुझे बहुत प्यार किया, फिर हमने सेक्स किया, आज पहली बार अनिकेत मुझे खड़े खड़े ही चोद रहा था और मैंने अपने बाहों का हार उसके गले में डाले सेक्स एन्जॉय कर रहा था।

जो मुझे चाहिए अनिकेत में वो सब था। शाम को जब हम घूमने निकले तो मैंने अनिकेत से कहा कि वो मुझे किसी ब्यूटी पारलर में ले जाए, ताकि मैं अपने बाल की कटिंग करवा सकूँ और वो मुझे वहां ले गया। पिछले दो सालों से मैंने बाल नहीं कटवाया था, क्यूंकि कभी ध्यान ही नहीं दिया कि मेरे बाल इतने घने और लम्बे कब हो गए। ब्यूटीशियन ने मेरे बाल की अच्छे से कटाई की और फिर मैंने उसे कहा कि वो मेरे नाक में छेद कर दे और दोनों कानों में भी। ब्यूटीशियन ने मेरे नाक में राइट साइड में मार्क किया और पियर्सिंग गन से मेरी नाक में छेद कर दिया। अल्लाह, इतना दर्द हुआ, मैं बहुत रोया और फिर आंसू पोछने के बाद जब आईने में खुद को छिदे हुए नाक के साथ देखा तो बहुत शर्मिंदगी भी हुई। लेकिन फिर मैंने सोचा कि मैं तो ये सब अपने प्यार को पाने के लिए कर रहा था। फिर ब्यूटीशियन ने मेरी दोनों कानों में छेद कर दिया, कान का दर्द भी वैसे ही हुआ, बहुत रोना आ रहा था लेकिन इस बार मैं नहीं रोया और अनिकेत के बारे में सोचता हुआ मुस्कुराने लगा। मुझे नहीं पता था कि अनिकेत कैसे रियेक्ट करेगा जब वो मेरे छिदे हुए नाक और कान देखेगा। लेकिन जब अनिकेत ने मुझे देखा, अल्लाह, उसने मुझे गले से लगा लिया और मार्किट प्लेस में ही दो मिनट्स तक मेरे होंठों को अपने होंठों में लेकर स्मूच करता रहा। आई वज फीलिंग सो रिलैक्स्ड, दर्द का तो पता नहीं लेकिन अनिकेत के चेहरे पर मुस्कान देखकर मैं बहुत खुश था। फिर हम मार्किट गए जहाँ अनिकेत ने मेरे लिए इंडियन स्टाइल नथिया खरीदी, झुमके ख़रीदे और अपने पसंद की ऑरेंज बनारसी साड़ी और मैचिंग बैकलेस ब्लाउज ख़रीदे और हमने कुछ शॉपिंग की, पिज़्ज़ा खाया और घर आ गए। घर आते ही सबसे पहले मैंने वो नथिया देखने बैठ गया, ना तो बहुत बड़ा ही था और ना ही बहुत छोटा, उसमे सोने का चेन लगा हुआ था और उसे पहनने को मेरा दिल बेचैन हुआ जा रहा था। मैंने उसी रात दीप्ती से बात की और उसे हमारे प्यार से लेकर शादी की पूरी बात बताई। दीप्ती ने मुझसे कहा कि मुझे ब्रैस्ट ऑगमेंटशन सर्जरी करवा लेनी चाहिए और उसके लिए मुझे कौन से हॉस्पिटल में एडमिट होना चाहिए ये भी बताई। दिति बहुत खुश थी, मेरी और अनिकेत के इस डिसीज़न से, उसने मुझे गुड लक विश किया और अनिकेत के कमरे में आते ही मैंने उसे गुड नाईट विश किया।

अनिकेत बिस्तर में आया, वो मेरे नाक का छेद देखना चाहता था और मुझे बहुत शर्म आ रहा था। उसने मेरे नाक को चूमा और मुझसे कहा कि नाक में नथिया पहनने के बाद मैं कितना खूबसूरत दिखूंगा। अनिकेत का ऐसा कहने भर से ही मैं शर्माने लगा। उस रात अनिकेत की बाहों में था, वो मुझे प्यार कर रहा था और अगली सुबह बहुत ही खूबसूरत थी। मैं बहुत खुश था, लेकिन अचानक मुझे ध्यान आया कि मुझे ऑफिस भी जाना था और ऐसे छिदे हुए नाक और कान के साथ मैं ऑफिस कैसे जाऊं! अभी मैं ये सोच ही रहा था तभी अनिकेत ने मुझसे कहा कि नाक और कान छिदवाना यूरोप में लड़कों में भी नार्मल ही है, तो शर्माने की कोई जरुरत नहीं। मैं ऑफिस गया तो मेरे कुछ कलीग्स ने तो गौर किया, मेरी तारीफ भी की, लेकिन किसी ने मुझसे एक बार भी इस बारे में नहीं पूछा। इट वज सो कम्फर्टेबल, अगर ऐसे इंडिया में करता तो आई डोंट हो कितना शर्मिंदा किया जाता मुझे। देखते ही देखते तीन दिन गुज़र चुके थे, मेरे नाक और कानों का छेद क्लियर हो चूका था और उस शाम जब मैं ऑफिस से वापिस आया तो मैं आईने के सामने बैठ गया। आईने के सामने बैठकर पहले से मैंने अपने नाक से वो पिन निकाल दी और फिर अपने दोनों कानों से भी पिंस निकाल दिए। दोनों कानों में वो झुमकियां पहनने के बाद जब मैंने अपने नाक की छेद में नथिया पहना, अल्लाह, कितना खूबसूरत दिख रहा था मैं, एक दम किसी दुल्हन के जैसा। मैंने नथिया का चेन अपने बालों में सेट कर लिया और किचन में चला गया और अनिकेत के लिए डिनर बनाने लगा। आज पहली बार अकेले अकेले में बहुत शरमा रहा था और कभी अपनी नथिया को छूकर देखता तो कभी अपने झुमकियों को। ये फेमिनिटी को एक्स्प्लोर करने का अगला स्टेप समझ कर मैंने इसे एक्सेप्ट किया और शाम में जब अनिकेत फ्रेश होकर डिनर के लिए बैठा तो उसने मेरे नाक की नथिया और दोनों कानों में पहनी झुमकियों को देखकर बहुत एक्साइटेड हो गया। ही वाज़ सो हैप्पी, डिनर ख़त्म होने के साथ ही वो मुझे अपनी बाँहों में उठाकर प्यार और रोमांस करने लगा। वन राउंड हार्डकोर सेक्स के बाद वो टहलने चला गया तो मैं डिनर करने बैठ गया। 

इट वज सो अमेजिंग लाइफ, कभी ऐसा सपने में भी नहीं सोचा था कि कभी मुझे इतना प्यार करने वाला प्रेमी मिलेगा। कुछ दिनों तक हम काफी एन्जॉय करते रहे और मैंने जॉब छोड़ने का फैसला किया। क्यंकि ट्रांजीशन के दौरान ड्यूटी करना मेरे लिए पॉसिबल नहीं था। मेरे रिजाइन करने के बाद अनिकेत मेरा ख्याल रखता और मैं उसके लिए खाना पकाता, उसके कपडे धोता, इवन अंडरवियर भी। फिर एक रोज़ अनिकेत मुझे एक लेडी डॉक्टर के पास ले गया जिसने डायग्नोस्टिक्स के बाद मुझे ट्रांज़िशनिंग के बारे में बताई। डॉक्टर ने मुझे दो ऑप्शंस दिए, एक मेडिसिन्स और इंजेक्शंस के माध्यम से ब्रेस्ट पाने को और दूसरा ऑपरेशन के जरिये ब्रेस्ट ऑगमेंटशन सर्जरी करवाने को। मैंने और अनिकेत ने आपसी सलाह के बाद फैसला किया कि मैं इंजेक्शंस और मेडिसिन्स के थ्रू ब्रेस्ट पाऊंगा। ये एक ऐसा फैसला था जिसके बाद मेरी आइडेंटिटी हमेशा के लिए बदल जाने वाली थी लेकिन मैं इसके लिए तैयार था। अपने प्यार को पाने के लिए मैं किसी भी हद से गुज़र जाने को तैयार था। उसी दिन मेरे दोनों चेस्ट के निचले हिस्से और ऊपरी हिस्से पर एक एक मेडिसिन इंजेक्ट किया गया। इसके बाद मुझे बेहोशी छाने लगी और जब मुझे होश आया तब मैं अपने घर पर था। अनिकेत ने डिनर आर्डर किया और आफ्टर डिनर मुझे मेडिसिन खाने को दे दिया। मेडिसिन खाने के साथ ही मैं कब बेहोश हुआ, मैं नहीं जानता। अगली सुबह जब मुझे होश आया तब मैं अनिकेत के सीने पर सर रखे तेज़ सांसें ले रहा था। जब मैं बिस्तर से उठा तो मुझे अपने चेस्ट पर बहुत हैवीनेस महसूस हो रहा था। जब मैं वाशरूम में गया और मिरर में खुद को देखा तो मेरे चेस्ट में थोड़ा वजन और साइज में भी पहले से ज्यादा हो गया था। अब हर हफ्ते मुझे इंजेक्ट किया जाने लगा था और हर रोज़ मेडिसिन्स लेने लगा था। तीन महीने बाद अब मेरे चेस्ट का ग्रोथ काफी ज्यादा हो चूका था और अब मेरे पास किसी अठारह बीस साल की लड़की जैसा नेचुरल ब्रेस्ट्स का पेअर था। डॉक्टर मेरे ट्रांसफॉर्मेशन से बहुत खुश हुई और उसने मुझे एक महीने के लिए अपनी क्लिनिक में चार घंटों के लिए वाइब्रेटिंग मशीन में मसाज लेने का सजेशन दी और मुझे वो सजेशन अच्छा लगा। एक महीने बाद अब मेरे ब्रेस्ट्स खूबसूरत शेप में आ चूका था और मैं बहुत खुश था। मेडिसिन्स और इंजेक्शंस लेना बंद कर चूका था, मैं लेकिन डॉक्टर के एडवाइस के अनुसार मैंने जिम ज्वाइन कर लिया था। 

अब मेरी एक नयी पहचान थी, अब मैं रेहान खान नहीं था। एक गवर्नमेंटल सर्टिफिकेट भी इशू किया गया जिसमे मेरा नया नाम था जैस्मिन और मेरी आइडेंटिटी थी, फीमेल। अब मेरी आगे की जिंदगी इसी नाम के सहारे आगे बढ़ने वाली थी। इधर डाक्यूमेंट्स का काम फिनिश हुआ और उधर अनिकेत ने इंडिया जाने की तयारी भी कर ली। फ्लाइट टिकट्स बुक हो चुके, उसने ऑफिस में छुट्टी भी ले ली और मेरे लिए बहुत शॉपिंग भी की। फ्लाइट में मैं साड़ी में था, या थी, क्या कहूं समझ नहीं आता लेकिन अनिकेत के साथ बहुत खुश थी मैं। अनिकेत ने मुझे समझाया कि इंडिया पहुंचते ही वो अपने दोस्तों को बुला लाएगा और सबसे पहले हमारी शादी होगी उसके बाद हम घर जायेंगे। मैं अनिकेत की हर बात मानने को बाध्य था और मुंबई लैंड करते ही अनिकेत के फ्रेंड्स हमें होटल से पिक करने आ गए। वहां से हम सीधे एक बड़े से मंदिर में गए। पंडित जी ने हमे एक दूसरे के साथ बिठाया, सातो वचन समझाए, फिर सात फेरे हुए, अनिकेत ने मेरे नाक से नथिया उतार कर एक नया नथिया जो थोड़ा हैवी था मेरे नाक में अपने हाथों से पहना दिया। फिर अनिकेत ने मेरी मांग में सिंदूर भर दिया और मेरे गले में मंगलसूत्र पहना दिया। थोड़ी देर तक पंडित का मन्त्र चलता रहा और आखिर में पंडित जी ने हमें पति पत्नी घोषित कर दिया। इस दौरान फोटोसेशन्स और वीडियोग्राफी चलती रही और मैं बहुत इमोशनल हो गयी थी। अनिकेत अब मेरे पति बन चुके थे और मैं उनकी पत्नी। कभी सोचा नहीं था कि अपनी खुद की पत्नी को तलाक़ देने के बाद मैं भी कभी किसी मर्द की पत्नी बनूंगी, लेकिन ऐसा हो चूका था, आज मैं अनिकेत की पत्नी बन चुकी थी और अनिकेत के सभी दोस्तों के लिए मैं उन सब की भाभी भी थी। सब बहुत खुश थे, अनिकेत भी बहुत खुश थे और मैं खुश तो थी, लेकिन थोड़ी इमोशनल भी थी। उसके बाद शाम में ही हमने मुंबई से जयपुर की फ्लाइट ली और सीधे जयपुर जा पहुंचे जहाँ से कार बुक करके हम उदयपुर आ गए। 

उदयपुर में मेरा घर था, जिसे मैं छोड़ चूका था लेकिन कभी सोचा नहीं था कि कोई मर्द मुझे उदयपुर ले आएगा, वो भी मेरे साथ ब्याह कर के, मुझे अपनी दुल्हन बना कर के। उदयपुर के मिडिल क्लास फॅमिली का रहने वाला अनिकेत, जिसका अपना बड़ा सा विला था, महलों जैसा। जब हम उस घर में जाने लगे तो अनिकेत ने मेरी साड़ी की आँचल से लम्बा सा घूँघट कर दिया और सबकुछ समझाया कि बड़ों के सामने कैसे रहना है। आई वज लाइक, ये क्या कर लिया था मैंने अनिकेत के प्यार में! कैसे होगा ये सब, अल्लाह! लेकिन अब जो भी हो, अनिकेत ने मेरा साथ दिया है तो मैं भी अनिकेत का साथ जरूर दूंगी। अनिकेत ने कॉल करके अपनी बहन नेहा को बाहर बुला लिया और उसे मेरे साथ खड़ा करके खुद अंदर चला गया। थोड़ी गरमाहट का एहसास हुआ, ऐसा लगा मानो घर के अंदर अनिकेत को बहुत डाँट पड़ रही हो, लेकिन फिर सब शांत हो गया। अनिकेत की माँ आरती की थाली लेकर घर से निकली, उसकी भाभी ने घर के दरवाज़े पर चावल भर कर लोटा रखा और मेरा गृहप्रवेश करवाया गया। गृहप्रवेश के बाद ही अनिकेत की माँ, भाभी और बहन तीनो मुझे कमरे में ले गयी जहाँ अनिकेत की एंट्री को बैन कर दिया गया था। 

अनिकेत की माँ ने मेरा घूँघट उठायीं और मेरा चेहरा देखकर मेरी खूबसूरती की तारीफ की, भाभी और नेहा ने भी मेरी खूबसूरती की तारीफ की और शाम में मुझे बड़े से लहँगा और चोली में तैयार किया गया, पुरे शरीर को गहनों से लाद दिया गया और नाक में बहुत ही हैवी नथिया पहनाकर मुझे मुंहदिखाई और गोदभराई की रस्मों के लिए ले जाया गया। मैं बहुत सी औरतों के बीच अनिकेत की दुल्हन बनी बैठी, उनकी बातें सुनकर बहुत एम्बर्स फील कर रही थी। पहले तो एक एक करके बहुत सी औरतें आयीं, मेरा घुघट उठातीं, मेरी बालाएं लेती, मुझे पुत्रवती, सौभाग्यवती जैसा आशीर्वाद देतीं और नेग देती। कुछ मेरी सास से कहती कि अनिकेत बहुत ही सुन्दर दुल्हन ब्याह लाया है, तो कुछ कहतीं कि अब जब दुल्हन घर में आ ही गयी है तो जल्द से जल्द भगवान् बच्चा भी दे ही दे ताकि वो भी दादी बनने का सुख पा सकें। कुछ औरतें कहतीं कि अनिकेत कितनी छोटी दुल्हन लाया है, थोड़ी लम्बी होती तो जोड़ी और भी जमती तो कुछ कहतीं कि अनिकेत की दुल्हन बहुत सौभाग्यशाली है जिसे अनिकेत जैसा पति मिला। कुछ औरतें मुझे घर के रहन सहन के बारे में बतातीं तो कुछ बतातीं कि अनिकेत को क्या खाने में पसंद है। बहुत सी लड़कियां जो मुझे घेरे बैठी थीं, तरह तरह की बातें कर रहीं थी। कोई कहती कि सुहागरात में अनिकेत मेरे साथ क्या क्या करेगा, ये सब क्या जानें कि ऐसी ना जाने कितनी सुहागरात हम रोज़ सेलेब्रेट करते थे। फिर कुछ लडकियां मुझे छेड़ने लगीं कि हनीमून पर अनिकेत मुझे कहाँ ले जा रहा है। आई वज लाइक, ये लड़कियां शरमाती नहीं, ऐसी बातों को डिस्कस कर रहीं थी मेरे साथ और मैं चुपचाप सबकुछ सुनकर भी चुप रही। उसके बाद रात हुई तो मुझे उस कमरे में ले जाया गया, जो काफी बड़ा सा था, फूलों से सजी सेज़ के बीचोबीच मुझे बिठा दिया गया, टेबल पर केसर वाला दूध का ग्लास रख दिया और मुझसे कहा गया कि जब अनिकेत कमरे में आये तो सबसे पहले उसके पैर छूकर उससे आशीर्वाद लूँ, फिर उसे दूध पिलाऊँ और कम पड़े तो अपना दूध पिला दूँ। उन बेशरम लड़कियों ने मुझे शर्मिंदा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। 

फिर वे सभी लडकियां वहां से चली गयीं और कमरे में मैं अकेली, घूँघट में बैठी अपने पति के आने के इंतज़ार में थी। थोड़ी देर में अनिकेत कमरे में आये तो मैं बिस्तर से उतरी और उनके चरणस्पर्श करने के लिए झुक गयी। अनिकेत ने मुझे बड़े प्यार से ऊपर उठाया, मेरे झुके हुए चेहरे को ऊपर किया और मेरे होंठ चुम लिए और बोले कि मेरी जगह उनके चरणों में नहीं बल्कि उनके दिल में है। अनिकेत बोले कि अब मैं सिर्फ जस्मिन नहीं बल्कि इनकी पत्नी भी हूँ और मुझे इस घर के नियमों को फॉलो भी करना होगा। मैंने इनसे कहा कि ये सब तो मैं जानती हूँ और इसके लिए रेडी भी हूँ तो ये हसने लगे। फिर मैंने टेबल पर से दूध का गिलास उठाया और इन्हे पीने को दिया। एक घूंट में पूरा दूध पीने के बाद इन्होने मुझे गिलास थमा दिया और मैं जैसे ही गिलास को टेबल पर रखकर मुड़ी, इन्होने मुझे अपनी बाहों में उठा लिया और बिस्तर पर लिटा दिया।

फिर अनिकेत मेरे साथ रोमांस करने लगे लेकिन इन्होने ना तो मेरे ऑर्नामेंट्स को उतारा और ना ही मेरी लहंगा चोली को। उस रात इन्होने बस मेरी पैंटी उतारी और मुझे अपनी बाहों में लेकर मेरे साथ पहले तो खूब रोमांस किया और फिर मेरी चुदाई, वो भी एक्स्ट्रा हार्डकोर! कभी घोड़ी बनाकर, तो कभी मेरी दोनों टांगों को हवा में फैलाकर। सेक्स के दौरान जब अनिकेत ने मेरी चोली और फिर ब्रा को मेरे शरीर से अलग किया तो ये मेरे ब्रेस्ट्स को भी जी भर कर ऐसे चूसा मानो इन्हे इनमे से दूध मिल रहा हो पीने को। इसके साथ ही मेरी चुदाई भी हो रही थी। अनिकेत को खुश करना ही मेरा एकमात्र मकसद था, मेरे पति खुश तो मैं खुश। अनिकेत की ख़ुशी से ज्यादा कुछ भी इम्पोर्टेन्ट नहीं था मेरे लिए। मुझे नहीं पता, मैं कब सो गयी लेकिन जब मेरी नींद खुली तब मैं इनकी बाहों में थी और एक स्माइल के साथ ही मैंने अनिकेत को किस किया और गुडमॉर्निंग विश किया। 

तभी दरवाज़े पर नॉक हुआ, मैंने चादर लपेट लिया और दरवाज़ा खोलकर देखा तो सामने भाभी खड़ी थीं। भाभी ने मुझसे कहा कि मैं आलरेडी बहुत लेट हूँ, जल्दी से नहा लेने को बोलकर वो चली गयीं। मैं फटाफट नहाने चली गयी और नहाने के बाद जब कमरे में वापिस आयी तो भाभी बिस्तर के एक कोने में बैठी थीं और कोई भी नहीं था कमरे में। भाभी ने मुझे बनारसी साड़ी में तैयार कीं, मुझे गहने पहनायीं, फिर मैंने गले में मंगलसूत्र पहन लिया और मांग में सिन्दूर भरने के बाद घूँघट करके भाभी के साथ सीधे अपनी सास के सामने थी। मैंने अपनी सास के पैर छूकर उनसे सदा सुहागिन रहने का आशीर्वाद लिया, फिर ससुर जी और जेठ जी से सदा सुहागिन रहने का आशीर्वाद लिया और फिर उनके कहने पर अपने पतिदेव अनिकेत के चरणस्पर्श कर के सौभाग्यवती रहने का आशीर्वाद लेकर खड़ी हो गयी। घूँघट से मेरा पूरा चेहरा ढंका था और सिल्क की साड़ी की वजह से मुझे सामने का कुछ भी ठीक से नहीं दिख रहा था। नाक में इतना वजन वाला नथिया था जिससे मेरी नाक में दर्द हो रहा था और वो इतना बड़ा था कि मेरे आधे चेहरे को ढंक रखा था।

सभी बैठे थे, सिर्फ मैं खड़ी थी और मेरे साथ भाभी भी खड़ी थी और हमदोनो ने घूँघट कर रखा था। मैं सोच ही रही थी कि अब तो मुझे अपना पूरा जीवन लहँगा चोली या साड़ी पहने इस हवेली में अपना चेहरा घूँघट से ढक कर बिताना होगा। मुझे तो अब सास-ससुर के दबंग कानूनों में रहना होगा और मुझे बार-बार उनके चरण स्पर्श करने पड़ेंगे। मुझे जेठजी का कमरा साफ करना पड़ेगा, मुझे बार-बार अपना घूँघट नीचे खींचना पड़ेगा! पता नहीं और क्या क्या करना पड़ेगा अपने प्यार को पाने के लिए, लेकिन मैं इन सब के लिए तैयार थी। तभी मेरी सास ने मुझे समझाया कि इस घर की बहुएं कैसे रहती हैं। उनके हिसाब से मुझे हमेशा घूँघट किये रहना होगा, ऑर्नामेंट्स पहने रखना होगा वो भी सोते जागते, चाहे वो मेरे नाक की नथिया हो या मेरे पैरों की पायल! मुझे मेरे पति अनिकेत को स्वामी कहकर पुकारना होगा, हर सुबह इनके चरणस्पर्श करना होगा। स्नान के बाद, सबसे पहले पूजा करना होगा, फिर सास ससुर, जेठ जी और भाभी के चरणस्पर्श करना होगा। सबसे आशीर्वाद लेकर सीधे किचन में जाकर सबके लिए खाना पकाना होगा, ब्रेकफास्ट, लंच, इवनिंग स्नैक्स और डिनर भी और इनसब में भाभी और नेहा मेरा साथ देगी। अनिकेत के कपडे भी मुझे ही धोने पड़ेंगे, उन्हें स्त्री भी मुझे ही करना पड़ेगा। मेरे खुद के कमरे की साफ सफाई मुझे खुद से करना होगा। मुझे न्यूज़पेपर पढ़ने की इज़ाज़त नहीं, मोबाइल फ़ोन के इस्तेमाल की इज़ाज़त नहीं, टीवी नहीं देख सकती, घर से बाहर नहीं जा सकती, बिना इज़ाज़त एक शब्द बोलने की इज़ाज़त नहीं। 

जबतक कोई खुद से मुझसे बात ना करे, मैं किसी से बात भी नहीं कर सकती। इतने सारे नियम कानून, अल्लाह! कहाँ से कहाँ आ गयी मैं। मैंने अनिकेत की ओर देखा, वो मस्त न्यूज़ पेपर पढ़ रहा था, उसे इन नियमों में कोई इंटरेस्ट नहीं। थोड़ी देर बाद, भाभी मुझे किचन में ले गयी और मेरी पहली रसोई वाली रस्में हुईं। मैंने अनिकेत के पसंद का मूंगदाल का हलवा बनाया, जो सभी को बहुत पसंद आया सिवाय मेरी सास को, उनके मुताबिक़ हलवे में चीनी की क्वान्टिटी जरुरत से ज्यादा थी। उन्होंने मुझसे कहा कि हिसाब से रसोई के सामान का इस्तेमाल करूँ। कुछ ज्यादा ही कड़े स्वर थे मेरी सास की, आँखों में आंसू आ गए मेरे, शायद भाभी को ये समझ आ रहा था तो वो मुझे अपने साथ मेरे कमरे में ले गयीं और मुझे अपने हाथों से हलवा खिलायीं। बहुत प्यारी हैं भाभी, काश मेरी सास भी इतनी प्यारी होती। भाभी ने मेरे पकाये हलवे की तारीफ की और फिर हम रसोई में गए लंच पकाई और जब दोपहर में सभी ने लंच किया तो सभी ने मेरे हाथों से बनी सब्जी की तारीफ की, सिवाए मेरी सास के। रात हुई, जब घर का सारा काम ख़त्म करके मुझे मेरे कमरे में जाने की अनुमति मिली तब मुझे ऐसा लगा मानो मुझे आजादी मिल गयी हो। जब कमरे में गयी तो अनिकेत बिस्तर पर लेटा हुआ था और कुछ सोच रहा था। मैं उसके पास गयी और बोली क्या सोच रहे हैं स्वामी! मेरी बात सुनकर अनिकेत हंस पड़ा और मुझसे कहा कि उसके पैरों में दर्द है। मैंने अनिकेत के पैर दबाये, उसके बाद अनिकेत के पास गयी और उससे पूछा कि आखिर वो ऐसा क्या सोच रहा है? अनिकेत ने मुझे सॉरी कहा, फिर बोला कि उसने तो मुझे पहले ही कहा था कि उसके घर में बहुत नियम कानून हैं। मैंने अनिकेत से कहा कि स्वामी, मैं आपके चरणों की दासी हूँ, आपके लिए कुछ भी करने को तैयार हूँ। अनिकेत फिर से हंस पड़ा और पूरी रात मुझे बहुत प्यार किया और अपनी बाहों में लेकर सो गया।


एक हफ्ते ऐसे ही चलता रहा, घर में सभी खुश थे मेरे आने से सिवाए मेरी सास के। मेरी सास मेरे अंदर की कमियां गिनाते रहती, मेरे पकाये खाने में कभी उन्हें नमक ज्यादा लगता तो कभी मिठास ज्यादा हो जाती। भाभी मेरे साथ नहीं होती तो शायद मैं हिम्मत हार जाती लेकिन हर पल वो मेरे साथ थी, मेरा साथ देतीं, मुझे समझाती कि हमारी सास ऐसी ही हैं। दिन भर घूँघट में रहना होता, ऐसा लगता मानों मुझे किसी पिंजरे में बंद कर दिया गया हो। नाक की नथिया बेड़ियों सी महसूस होती, पैरों की पायल हमेशा छन छन करती और एहसास करवाती कि अब मैं एक ब्याहता स्त्री हूँ, इस घर की छोटी बहु हूँ और एक मर्द की पत्नी हूँ। छुट्टियों का दिन ख़त्म हुआ जा रहा था, अनिकेत को यूरोप रिटर्न होना था और उसने अपनी माँ से इस बारे में बात की तो उन्होंने अनिकेत को अकेले ही यूरोप जाने को कहा। 

मेरी सास मुझे यूरोप नहीं जाने देना चाहती थी। अनिकेत ने उन्हें समझाया कि खाने पीने की दिक्कत हो जाएगी तो मेरी सास मान गयी। जब मैं अनिकेत के साथ यूरोप वापिस आ रही थी तो भाभी मुझसे लिपटकर बहुत रोयीं, उनके रोने से मैं भी बहुत रोई, वो मेरे सबसे ज्यादा करीब थीं। मैंने भाभी को दिलासा दिया कि मैं बहुत जल्द वापिस आ जाउंगी। पन्द्रहवे दिन अनिकेत मुझे यूरोप ले आये, ऐसा लग रहा था मानो किसी जेल से बाहर आयी थी मैं। आज़ादी की हवा, अल्लाह कितनी खुश थी मैं। यूरोप पहुंचने के साथ ही मेरी सास ने वीडियो कॉल किया। मेरी सास के सामने मैं घूँघट करके बैठ गयी तो उन्होंने मुझसे कहा कि मैं उनके बेटे का अच्छे से ख़याल रखूं और सभी नियमो का पालन भी करूँ और मुझे सभी नियम याद दिलायीं। मुझे फ़ोन इस्तेमाल करने की छूट मिली, ताकि मेरी सास मुझपर नज़र रख सके।

अब मेरी सास कभी भी कॉल कर देतीं, खाने के बारे में पूछतीं, किचन में जब मैं रहती, तब कॉल कर देतीं! कपडे धो रही होती, तब वीडियो कॉल कर देतीं। कोई टाइमिंग नहीं था, मेरी सास ने मेरा खून चूस रखा था। मेरी सास की वजह से दिन भर मुझे घूँघट में रहना पड़ता, लहँगा चोली पहने रखना पड़ता, नाक में बड़ा सा नथिया, कानो में झुमकियां, गले में नौलखा हार, मंगलसूत्र, मांग में सिंदूर, पैरों में पायल और पैरों की उँगलियों में चाँदी के बिछुए पहने रखना होता। अक्सर मैं अनिकेत से इस बारे में कहती तो वो कहता कि वो कुछ नहीं कर सकता, सास बहु के बीच वो नहीं आ सकता और इस सिचुएशन को मुझे खुद से ही हैंडल करना पड़ेगा और सास के दिल में अपने लिए जगह बनानी पड़ेगी। लेकिन अनिकेत मुझसे बहुत प्यार करते, जब वो ऑफिस से घर आते तो मुझे बाहों में लेकर मुझे बिस्तर में ले जाते और खूब प्यार करते, आई वज लाइक इन हेवन दैट टाइम।


अनिकेत के साथ रोमांस और सेक्स के बाद थोड़ा वीकनेस तो होता लेकिन इतना तो मैं कर ही सकती हूँ अपने स्वामी के लिए। समय गुजरने लगा, तीज का त्यौहार आने से पहले मेरी सास ने मुझे उस त्यौहार को करने की विधि बताई और मुझे फास्टिंग करने को बोली। तीज वाले दिन मैंने हरी चूड़ियां पहनी, हरी सिल्क साड़ी पहनी, हरे रंग की बैकलेस ब्लाउज पहनी, ढेरों गहने पहनी और अपने पति के पुरे दिन फ़ास्ट रखा। जैसे जैसे मेरी सास ने बताया मैंने रात को पूजा किया और अपने पति के साथ तीज सेलेब्रेट की। आई वज सो हैप्पी, शादी के बाद ये मेरा पहला तीज था और अनिकेत की लम्बी आयु के लिए मैंने ये व्रत रखा था। तीज के काफी महीनों के बाद मैंने करवाचौथ का व्रत भी रखा। करवाचौथ वाले दिन भी मैं दुल्हन बनकर तैयार हुई और अपने पति के लिए वो व्रत रखा। रात को चलनी से चाँद को देखकर अपने पति को देखकर शर्माना और अनिकेत का मुझे पानी पिलाकर मेरा व्रत तोडना, फिर मुझे बाहों में उठाकर बिस्तर में ले जाना और खुद से मुझे खाना खिलाना। अल्लाह, इतनी ख़ुशी थी मेरी लाइफ में, मैं बहुत खुश थी। 

लेकिन कुछ दिनों के बाद ही मुझे कुछ प्रोब्लेम्स आने लगी, यूरिनेशन के दौरान ब्लड का आना, पेट के निचले हिस्से में दर्द रहना और बैकपेन ने मुझे परेशां कर रखा था। डॉक्टर को दिखाया तो पता चला कि फीमेल हार्मोन्स के हैवी डोज़ के कारण मेरे अंदर फॉलोपियन ट्युब, गर्भाशय और फीमेल ऑर्गन्स का निर्माण पूरा हो चूका है, जिसकी वजह से मुझे इन दर्द का सामना करना पड़ रहा है। डॉक्टर ने मुझे सेक्सचैंज करवा लेने की सलाह दी लेकिन मैं अपनी मर्दानगी की आखिरी निशानी को खोना नहीं चाहती थी। फिर अनिकेत ने मुझे समझाया कि वो मुझे हमेशा इतना ही प्यार करेगा, अगर मैं सेक्सचैंज करवा भी लेती हूँ। मैं मान गयी और छह महीने बाद मैं पूरी तरह से औरत बन चुकी थी। सेक्स चेंज ऑपरेशन के पहले हफ्ते मुझे बहुत दर्द रहा और खालीपन का एहसास मुझे बार बार रुला रहा था। लेकिन सक्सेसफुल सेक्स चेंज ऑपरेशन के बाद जब अनिकेत मुझे घर लेकर आया तो सबकुछ बदला हुआ सा था। कमरे की दीवारें पिंक कलर की थी जो बहुत ही खूबसूरत दिख रही थी। घर आने के साथ ही मेरे साथ अजीबोगरीब चीज़ें होने लगी। हर महीने पीरियड्स आने लगे, जिसके दौरान अनिकेत मेरा बहुत ख्याल रखते, मुझे चॉकलेट्स खिलाते और मेरे लिए गिफ्ट्स लेकर आते।

फर्स्ट पीरियड्स वाज़ लाइक अ नाईटमेयर फॉर मी! उसके बाद बहुत रिलीफ मिला मुझे, मैं इन चार पांच दिनों में बहुत रोई, मन में इतनी बेचैनी पहले कभी नहीं हुई, मैं अब पूरी तरह से स्त्री बन चुकी थी, जो शायद कभी एक माँ भी बन सकती थी। इधर मेरे पीरियड्स के ख़त्म होने के बाद आज की रात अपने पति की बाहों में एक औरत बनी समाई हुई थी। पहले की बात कुछ और ही थी, लेकिन आज की रात बहुत ख़ास थी मेरे लिए। अनिकेत जब मेरे साथ रोमांस कर रहे थे तो मेरा मन कर रहा था कि मैं अपने ब्रेस्ट्स को अपने हाथों से मसलू और अपनी नयी वजाइना को ऊँगली से सेहलाऊं। ऐसा सेंसेशन मुझे आज से पहले कभी नहीं हुआ था, थोड़ी ही देर में मेरे पति के प्यार ने मुझे उत्तेजित कर दिया था। उसके बाद एक एक करके मेरे स्वामी ने मुझे न्यूड कर दिया और खुद भी न्यूड हो गए। 

मैंने इन्हे ब्लोजॉब दिया तो ये भी एक्साइटेड हो गए और मुझे बिस्तर में लिटाकर, मेरे दोनों टांगों को हवा में फैलाकर, मेरी नयी वजाइना के बाहर पाने कड़क लंड से दस्तक देने लगे। इनके लंड के स्पर्श से ही मेरी वजाइना में सेंसिटिविटी बहुत बढ़ने लगी थी। फिर इन्होने अपना लंड मेरी वजाइना के भीतर थोड़ा सा ही गया था कि मेरी तो जान ही निकल जाएगी, इतना दर्द, इतना जलन, अल्लाह, क्या बताऊँ कितना दर्द हो रहा था मुझे। लेकिन जब अनिकेत ने होल्ड किया और मुझे प्यार से चूमने लगे तो धीरे धीरे कुछ दर्द कम हुआ। फिर इन्होने मेरे ब्रेस्ट को चूमना शुरू किया और मेरी निप्पल्स को चूसने लगे जिससे मेरी उत्तेजना बढ़ने लगी। मैंने सिसकारियां लेने लगी तो इन्होने उसी दौरान फिर से एक स्ट्रोक में अपना समूचा लंड मेरी वजाइना में घुसा दिया। ऐसा दर्द हुआ, ऐसा जलन कि मेरी चीख निकल गयी, मैं थरथरा उठी और रोने लगी, क्यूंकि बहुत दर्द हो रहा था। 

मेरे आंसू निकले तो अनिकेत मेरे आंसुओं को पीने लगे, मुझे प्यार करने लगे और धीरे धीरे स्ट्रोक्स लगाने लगे। इस दौरान थोड़ा दर्द तो कम हुआ लेकिन जलन नहीं। मैं बहुत रोई, इतना भी कोई रोटा है बिस्तर में जितना अनिकेत ने रुलाया मुझे। इस दौरान अनिकेत एक बार भी नहीं रुके और लगे रहे लेकिन इसके साथ ही मेरे तन बदन को चूमते भी रहे। इससे मेरी उत्तेजना बनी रही और लगभग बीस मिनट्स तक हार्डकोर सेक्स के बाद जैसे ही इन्होने मेरे अंदर अपना स्पर्म डिस्चार्ज किया, मुझे भी मेरी लाइफ का पहला ओर्गास्म का एहसास हुआ। उस चरमसुख को मैं शब्दो में बयान नहीं कर सकती लेकिन इसी के साथ मैं बहुत कमज़ोर हो गयी थी, आँखों में जलन होने लगा था और मैं इस सुख को ज्यादा देर तक बटोर कर नहीं रख पायी। मैं बहुत खुश थी क्यूंकि मेरी लाइफ का पहला ओर्गास्म और इनका डिस्चार्ज एक ही टाइम पर हुआ और हमदोनो एक दूसरे से लिपट कर सो गए। अगली सुबह से मेरी हाउसवाइफ वाली ड्यूटी शुरू हो गयी और अनिकेत ऑफिसियल ड्यूटी पर चले गए। मेरी सास का वीडियो कॉल आता तो वो मुझसे हर चीज़ के बारे में पूछती और मुझे छोटी छोटी बातों को लेकर ताने भी देने लगी थी। मैं बहुत रोती, लेकिन अब कर भी क्या सकती थी। ना तो मैं पहले की तरह मर्द थी और ना ही मेरे सपोर्ट में कोई था सिवाए अनिकेत के लेकिन वो भी मेरे और मेरी सास के बीच नहीं आते। 

इधर कुछ दिनों हमने बहुत एन्जॉय किया, सेक्स के दौरान ना जलन होती, ना ज्यादा दर्द होता और मजा भी बहुत आता। दीप्ती सच ही कहती थी, मर्द था तो कभी इतना एन्जॉय नहीं कर सकी जितना औरत बनने के बाद एन्जॉय कर रही थी। अगले महीने मेरे पीरियड्स मिस हुए तो मुझे टेंशन होने लगा। जी मचलना, उलटी आना, खट्टा खाने का मन करना, ये सब मैंने डॉक्टर को कॉल करके इस बारे में पूछा तो उसने मुझे प्रेग्नेंसी टेस्ट करवाने को कहा। जब मैंने प्रेग्नेंसी टेस्ट किया तो मुझे एहसास हुआ कि मैं प्रेग्नेंट थी। इस बारे में मैंने उसी रात अनिकेत को बता दिया, वो बहुत खुश हुआ और अगले ही हफ्ते मुझे इंडिया ले आये। जब मैं ससुराल में आयी तो मेरी सास ने पहली बार मेरा माथा चुम लिया और मैं इमोशनल होकर रो पड़ी। उन्होंने मुझे चुप कराया और भाभी मुझे मेरे कमरे में ले गयी। फिर कुछ दिनों के बाद अनिकेत मुझे यहीं इंडिया में छोड़कर यूरोप चले गए और मेरी सास, मेरी भाभी, मेरी ननद, सब मेरा पूरा ख्याल रखने लगी। अनिकेत के बिन रहना कितना मुश्किल भरा था मेरे लिए, मैं शब्दों में बयान नहीं कर सकती लेकिन अपने पति को याद करके मैं हर रोज़ रात में बहुत रोटी। मैं अनिकेत को बहुत मिस कर रही थी, लेकिन ससुराल में मैं अपना फ़ोन भी यूज़ नहीं कर सकती थी। लेकिन भाभी मेरा बहुत ख्याल रखतीं, नेहा भी। नौवे महीने मुझे एक हॉस्पिटल में एडमिट कर दिया गया। वीआईपी वार्ड था वो, दो बेड्स थे, जिसपर एक पर मैं थी और दूसरी खाली। मेरी भाभी मेरा ख्याल रखने के लिए हॉस्पिटल में दिनभर रहती और रात के लिए नर्स मेरे पास रहती। दो चार दिनों तक मेरी जांच चलती रही, एक दिन बहुत पैन हुआ लेकिन कुछ भी नहीं हुआ। 

दो दिन बाद मेरे बगल वाली बिस्तर पर कुछ सामान रखा था तो मैं समझ गयी कि कोई न्यू पेशेंट एडमिट हुई है। थोड़ी देर बाद गाउन पहने एक प्रेग्नेंट औरत मेरे सामने से गुज़रते हुए उस बिस्तर पर जाकर लेट गयी। वो रुखसाना थी, वो भी प्रेग्नेंट थी। रुखसाना को देखते ही मैं अतीत में खो सी गई। एक वक़्त था जब रुखसाना मेरी बीवी थी और मैं उसकी पति। लेकिन आज हमदोनो एक्स पति पत्नी एक ही जगह पर थीं। कभी मैं रेहान खान था लेकिन औरत बनने के बाद आज अपनी ही एक्स बीवी के साथ गर्भावस्था के दौरान एक ही कमरा शेयर कर रही थी। रुखसाना बहुत खुश थी और मैं भी। कुछ दिनों के बाद मुझे बहुत तेज़ दर्द शुरू हुआ, रुखसाना पास के बेड पर थी तो उसने नर्स को पुकारा। लगभग छह घंटों के असहनीय दर्द के बाद मैंने अपने बच्चे को अपनी कोख से जन्म दिया और बेहोश हो गयी। जब मुझे होश आया तो नर्स ने मुझे मेरे बेटे से मिलवाई और मुझसे कहा कि मैं अपने बच्चे को दूध पिलाऊँ। रुखसाना पास वाली बेड पर लेटी मुझे देख रही थी और मुझे बहुत शर्म आ रहा था। मैंने अपने बेटे को अपना दूध पिलाने लगी तो मुझे रोना आ गया। ये मेरा बच्चा था जिसे मैंने अपनी कोख से जन्म दिया था। अपने बच्चे को दूध पिलाने के बाद जब मेरा बेटा सो गया तब मैं भी थोड़ी देर के लिए सो गयी। बहुत वीकनेस हो रहा था। मेरी सास जब मुझसे मिलने हॉस्पिटल आयी तो उन्होंने मेरे बेटे को अपने गोद मे लेकर दुलार करने लगी। उन्होंने एक बार फिर से मेरा माथा चूम लिया और मैं फिर से रोने लगी। दो दिन बाद जब मुझे अस्पताल से डिस्चार्ज किया गया, उसी दिन रुखसाना को भी लेबर पेन शुरू हो गया था। आई डॉन्ट नो रुखसाना ने बेटे को जन्म दिया या बेटी को लेकिन मैं अपने बच्चे के साथ घर आ गई। 

धीरे धीरे समय बीतने लगा, मेरी सास मुझे यूरोप नहीं जाने देना चाहती थी, लेकिन मैंने उन्हे समझाया कि अनिकेत वहाँ अकेले हैं। फिर मेरी सास ने मुझे यूरोप जाने की अनुमति दे दी। दो साल बाद अनिकेत मुझे यूरोप ले गए और हम फिर से साथ रहने लगे। अपने बच्चे के पालन पोषण, अपने पति की सेवा करने मे मेरे दिन गुजरने लगे थे और अब मैं बहुत खुश हूँ। अब मेरा खुद का एक परिवार है, इतना प्यार करने वाला पति है, इतना प्यार बेटा है, सास भी बहुत प्यार से बात करती हैं, मेरी भाभी भी मुझसे बहुत स्नेह रखती हैं और दिन रात मेरे बारे मे पूछती रहती हैं। मैं कभी नहीं जानती थी कि एक पठान परिवार मे मर्द के रूप मे जन्म लेने से लेकर एक राजपुत परिवार की बहु बनने का सफर ना तो आसान रहा और ना ही मुश्किल। लेकिन मैं आज बहुत खुश हूँ, स्त्री जीवन जीकर ऐसा लग रहा है जैसे कि यही मेरी नियति होनी चाहिए थी और यही मेरी कहानी है।

 

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