Skip to main content

Posts

Showing posts from March, 2023

Two badass boys, a good boy and a genie! Short Story in Hindi

राहुल - प्लीज् साजिद, प्लीज् फारुख, डोंट डू डिस टू मी प्लीज्! साजिद - साले राहुल के बच्चे, एक तो तू हमारा जूनियर ऊपर से तू हमे नाम लेकर पुकारता है, अब तो तुझे कुछ ज्यादा ही पनीश करना पड़ेगा! फारुख - अबे इस लड़के को अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में दाखिला क्या मिला, ये तो खुद को चंगेज़ खान समझने लगा है। साजिद - अबे राहुल सुन, क्या सोचकर तूने रुखसार और फातिमा से दोस्ती की। अबे वो दोनों सीनियर है तेरी और तू हमारी गिर्ल्फ्रेंड्स को हमसे छीनना चाहता है। राहुल - नहीं साजिद, मैं ऐसा कुछ नहीं चाहता, वे खुद आयीं थीं मेरे पास! फारुख - अच्छा, बेवकूफ समझता है हम दोनों को! राहुल - नहीं फारुख, तुमदोनो ने ही तो कहा था कि उन दोनों को पढाई में हेल्प कर देने को, और तुम दोनों ने ही तो मुझे नाम लेकर बात करने को कहा था। फारुख - तो हम तुझे कुएं में कूदने को कहेंगे तो क्या तू उसी में कूद जायेगा! साजिद - हाँ, और अगर हम तुझे जो कहेंगे, वो करेगा तू! तहज़ीब नाम की कोई चीज़ भी है कि नहीं! राहुल - सॉरी! राहुल - नहीं फारुख, तुमदोनो ने ही तो कहा था कि उन दोनों को पढाई में हेल्प कर देने को, और तुम दोनों ने ही तो मुझे नाम...

ज़ुबैर, Part -1

ज़ुबैर, २६ साल उम्र और स्लिम शरीर, पांच फुट सात इंच लम्बा और देखने में बहुत ही स्मार्ट। ज़ुबैर अपने अम्मी अब्बू का एकलौता था और बचपन से ही उसके अम्मी अब्बू ने उसकी सभी ख्वाहिशों को पूरा करते आये थे। इस वजह से ज़ुबैर के स्वभाव में ज़िद्दीपन छा गया था। कॉलेज में आते ही ज़ुबैर ने बहुत सी गर्लफ्रेंड बनाया जिनमे पहली नीतू और आखिरी नेहा थी। स्मार्टनेस के साथ साथ पढाई में भी ज़ुबैर बहुत ही अच्छा था। कॉलेज से निकलने के बाद ज़ुबैर नौकरी की तलाश में निकला और टाटा मोटर्स में उसे एक्सिक्यूटिव की नौकरी मिल गयी। कॉलेज ख़त्म होने के साथ ही ज़ुबैर ने नेहा से अपना रिलेशन ख़त्म कर लिया और नेहा का दिल तोड़ने में उसे जरा भी रहम नहीं आया। नेहा को रोती छोड़ ज़ुबैर उसके साथ ब्रेकअप करके अपनी लाइफ में आगे बढ़ चूका था। इस बात को कई साल गुज़र चूका था, अपने नए जॉब और नयी गिलफ्रेंड तनुजा के साथ ज़ुबैर लाइफ में बहुत खुश रहने लगा था। तनुजा से ज़ुबैर की मुलाक़ात ऑफिस के तीसरे दिन हुई जब तनुजा को उसका बॉस बहुत डांट रहा था। आँखों में आंसू लिए जब तनुजा केबिन से बाहर आयी तो ज़ुबैर ने उसे अपना रुमाल आंसू पोछने को दिया और यही से दोनों के रि...

Superstar Part -1

अनिरुद्ध सिंह शहर के जाने माने इंडस्ट्रियलिस्ट थे , जिनकी शहर और समाज में बहुत इज़्ज़त थी। अनिरुद्ध सिंह की पत्नी शहर की जानी मानी डॉक्टर थीं और उनका बड़ा बेटा राज इंजीनियर और छोटा बेटा देवेश अपनी इंजीनियरिंग के पहले साल में कोलकाता में पढाई कर रहा था। टिकटोक और यूट्यूब वीडियोस का चलन जोरों पर था और कोलकाता में ज्यादातर लड़के मोंटी रॉय और संजीब दास को फॉलो करते और देखते ही देखते देवेश भी टिक्टक वीडियोस बनाने लगा ताकि उसकी भी अपनी एक पहचान बने! लेकिन देवेश की यही चाह उसे ऐसे मोड़ पर ले आई जहाँ से कोई यू टर्न नहीं बचा था और यहीं से कहानी की शुरुआत होती है। अनिरुद्ध - देव! ये सब क्या है ? देवेश - वो पापा मैं! अनिरुद्ध - देखो ऋतू , अपने नालायक बेटे की करतूत! यही करने भेजा था कोलकाता मैंने! ऋतू - मैं बात करती हूँ , आप शांत हो जाइए! अनिरुष - समझा लो अपने बेटे को! कोलकाता पढ़ने गया है और अपनी पढाई पर ध्यान दे! ऋतू - आप शांत हो जाइये और आराम करो! मैं देव से बात करती हूँ! अनिरुद्ध - हम्म! अनिरुद्ध के जाने के बाद! ऋतू - ये क्या है देवेश! तुझे ऐसे लड़कियों की तरह कपडे पहनने की क्या ज...

Zeeshan became Zeenat

  कॉलेज में इस साल कैंपस सिलेक्शन के लिए कोई भी कंपनी नहीं आयी। राजीव रस्तोगी - ज़ीशान , अब तो कॉलेज भी ख़त्म हो गया ? अब क्या करेगा , कम्पनीज तो आयीं ही नहीं , कैंपस भी नहीं हुआ इस साल! साला अपना ही नसीब इतना फूटा हुआ है! ज़ीशान खां - हां यार , घर पर क्या बोलूं! मेरे अम्मी अब्बू ने इतना क़र्ज़ लेकर मुझे पढ़ाया लिखाया , मेरी परवरिश की और कॉलेज ख़त्म होने के बाद आज मेरे पास नौकरी भी नहीं है। तू तो कड़ोडपति है साले , तेरी तो मौज ही मौज है। मुझसे बड़े चार बड़े भाई और तीन बड़ी बहनें हैं। तुझसे ज्यादा तो मुझे नौकरी की जरुरत है।वैसे ही घर में मुझे सब ऐसे टालते हैं मानो मुझे कूड़ेदान से उठाकर लाये हों। राजीव - अबे मौज क्या , बापू जमींदार है मारा , बहन को तो नौकरी मिल गईं तो मैंने ही बापू को समझाया कि बहन को नौकरी करने भेजेगा! अब क्या बोलूंगा बापू को , वो तो मन्ने बड़ा कुटेगा। ज़ीशान - अबे नहीं कुटेगा , तेरा बापू बहुत बड़ा जमींदार है तो जब तक तेरी नौकरी ना लागती , तू तो उसी के कामों में हाथ बटा और मिलकर नोट छाप! लेकिन मेरे अब्बू अम्मी को तो यही लगता है कि उनका बेटा अच्छी नौकरी पा लेगा , कैंपस ना ...