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Life of Priya

ये कहानी है, प्रियम की। दिल्ली के रोहिणी का रहने वाला प्रियम, बचपन से ही खेलकूद से दूर और पढाई में हमेशा खुद सबसे आगे निकलने की चाह रखने वाला था। प्रियम के परिवार में उसकी दो छोटी बहनें, एक बड़ा भाई और मम्मी पापा थे। बड़ा भाई दिव्यांशु भी पढ़ने में काफी अच्छा था और बैंक में उसकी नौकरी लग चुकी थी। प्रियम अपना कॉलेज ख़त्म कर चूका था और उसके काफी अच्छे मार्क्स और उसे टॉपर्स की श्रेणी में रखा गया था। प्रियम की दोनों बहनें सोनी और प्रीति एक ही कॉलेज में ग्रेजुएशन में एडमिशन ले चुकीं थीं। प्रियम के मम्मी और पापा, दोनों में कुछ ख़ास बनती नहीं थी। प्रियम की मम्मी एक हाउस वाइफ होने के साथ ही सिलाई बुनाई करके कुछ अच्छे पैसे कमा लेती थीं, वहीँ उसके पापा का बिज़नेस कुछ ज्यादा अच्छा नहीं चल रहा था। प्रियम के पापा और बड़ा भाई दिव्यम हमेशा से ही लालची किस्म के थे। दोनों जितना भी कमाते, खुद के ऊपर ज्यादा खर्च करते लेकिन घर में थोड़ा बहुत पैसे ही देते! इससे प्रियम की मम्मी को घर चलाने में थोड़ी मुश्किल तो होती थी लेकिन सिलाई बुनाई का काम करके ही वो अपने बाकी तीनों बच्चों की स्कूलिंग, फिर कॉलेज और उनके ट्यूशंस का भार उठाने के साथ साथ घर की जिम्मेदारी भी संभालती थी। वैसे घर के सारे डिसीजन्स ज्यादातर प्रियम के पापा ही लेते और बड़ा भाई दिव्यांशु बस दो ही काम करता, सुबह उठकर बैंक जाता और घर आकर सो जाता। दिव्यांशु की शादी बहुत ही सुन्दर लड़की से हुई जो प्रियम की क्लास्स्मेट भी थी। श्रुति नाम था उसका और कॉलेज टाइम से ही दिव्यांशु के साथ उसकी जोड़ी बहुत अच्छी जमने लगी थी, कुछ दिनों तक दोनों बॉयफ्रेंड, गर्लफ्रेंड की तरह रहे। दोनों की शादी में थोड़ी बहुत अर्चनें तो आयीं, लेकिन सब को मनाने का काम प्रियम और दिव्यांशु ने मिलकर किया। 

घर में पहली बार लव मैरिज हुई थी और उसी शादी में प्रियम पहली बार संजना से मिला। संजना बिहार की रहने वाली थी और उसकी और श्रुति की अच्छी दोस्ती थी। शादी में संजना बिहार से सिर्फ श्रुति और दिव्यांशु की शादी अटैंड करने आयी तब उसकी मुलाकात श्रुति ने प्रियम से करवाई। संजना दिल्ली आयी थी नौकरी की तलाश में और प्रियम कॉलेज ख़त्म होने के बाद वैसे ही बेकार बैठा था। संजना को जॉब इंटरव्यूज पर ले जाने के बहाने प्रियम भी कई जगह इंटरव्यू देते गया लेकिन ज्यादातर जॉब पोसिशन्स में लड़कियों की कुछ ज्यादा ही डिमांड थी। संजना बिहार बोर्ड से पढ़ी थी, उसे इंग्लिश अच्छी आती थी लेकिन उसका कम्युनिकेशन कुछ कमज़ोर था, जिसके कारण उसे नौकरी नहीं मिल पा रही थी। संजना को कम्युनिकेशन स्किल्स की ट्रेनिंग देने के क्रम में कब प्रियम और संजना दोस्त से बॉयफ्रेंड गर्लफ्रेंड बन गए, दोनों में से किसी को भी पता नहीं चला। आखिर में संजना ने हार मान लिया और लक्मे अकादमी से ब्यूटीशियन का कोर्स करने लगी। इधर प्रियम ने भी पंद्रह बीस जगह इंटरव्यू दिए लेकिन उसका सिलेक्शन भी किसी न किसी वजह से नहीं हो पा रहा था। अपने बड़े भाई को कमाता देख प्रियम के मन मे भी पैसे कमाने का जुनून सवार था और वो भी पैसे कमाकर घर मे अपनी मम्मी और पापा को हेल्प करना चाहता था। लेकिन सिर्फ चाहने से ही सबकुछ मिल जाता तो फिर बात ही क्या थी। पिछले छह महीने में एक ओर जहाँ संजना की ब्यूटीशियन का कोर्स पूरा हो चूका था, वहीँ प्रियम अभी भी बेरोज़गार ही था।  

करीब दो महीनो तक बिना इंटरव्यू प्रियम यूंकि बैठा रहा और तब तक संजना ने अपना खुद का ब्यूटी पार्लर खोल चुकी थी। एक दिन अचानक उसे जॉब इंटरव्यू के लिए कॉल आया तो वो काफी एक्साइटेड होकर जॉब इंटरव्यू के लिए हयात होटल के बैक साइड में क़ुतुब इंस्टीटूशनल एरिया स्थित एक कंपनी जिसका नाम था डब्ल्यू आर एस इंटरनेशनल और अगले दिन प्रियम अच्छे से शेव करके, सूट में तैयार होकर वहां इंटरव्यू के लिए जा पहुंचा। प्रियम को दो महीने बाद जॉब ऑपर्च्युनिटी मिला था और वो इस जॉब को किसी भी हाल में अपने हाथ से नहीं निकलने देना चाहता था। लेकिन जब प्रियम वहां जॉब के लिए पहुंचा तो वहां इंटरव्यू के लिए लडकियां ही लडकियां थी। उन सब लड़कियों में सिर्फ एक प्रियम ही था जो आदमी था। सभी लड़कियों का इंटरव्यू जब ख़त्म हुआ तब प्रियम को इंटरव्यू के लिए बुलाया गया। सबसे पहले प्रियम ने अपना इंट्रोडक्शन दिया और फिर एचआर ने इंटरव्यू राउंड शुरू किया। 

इंटरव्यूवर - आप अपने टेक्निकल स्किल्स के बारे में बताओ!

प्रियम - मैंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से बीसीए के अलावे सिस्को से सीसीएनए का कोर्स किया हुआ है और मुझे एन प्लस, ऐ प्लस, लैन, वैन, मैन, पैन सबका कॉन्फ़िगरेशन आता है। 

इंटरव्यूवर - ओके! आपका फेवरेट कलर!

प्रियम - पिंक!

इंटरव्यूवर - फेवरेट डेस्टिनेशन!

प्रियम - मनाली, शिमला, रामपुर, कश्मीर, गोवा!

इंटरव्यूवर - औरतों और मर्दों के बारे में आपकी क्या राय है?

प्रियम - इनके बारे में मैं क्या बताऊँ!

इंटरव्यूवर - जो भी आपको लगता है कि बताना चाहिए, आप बता दो!

प्रियम - मैं तो बस इतना जानता हूँ कि औरतें मर्दों की सेवा करती हैं, उनके बच्चों को पालती हैं, घर संभालती हैं मानों घर संभालने में एमबीए किया हो। मर्दों के मुकाबले औरतों की लाइफ कुछ ज्यादा ही टफ होती हैं, लेकिन मर्दों की लाइफ भी कुछ कम टफ नहीं होती। मर्द घर के बाहर मेहनत करता है तो औरत घर के अंदर! दोनों एक दूसरे के पूरक होते हैं। 

इंटरव्यूवर - औरतों का जॉब करना सही होता है या सिर्फ मर्दों को ही जॉब करनी चाहिए!

प्रियम - जॉब तो सभी को करनी चाहिए, इससे आत्मविश्वास बढ़ता है। 

इंटरव्यूवर - आर यू अ फ्रेशर!

प्रियम - यस!

इंटरव्यूवर - तो मिस्टर प्रियम, यहाँ के इंटरव्यू के बारे में आपको कैसे पता चला?

प्रियम - आई गॉट अ कॉल फ्रॉम दिस कंपनी रिसेप्शनिष्ट।

इंटरव्यूवर - तो क्या आपको यहाँ के इंटरव्यू का नोटिफिकेशन शेयर किया गया था, बाय एमई और, मैसेज?

प्रियम - हांजी!

इंटरव्यूवर - तो क्या आपने नोटिफिकेशन को अच्छे से पढ़ा था?

प्रियम - हांजी! यहाँ असिस्टेंट आईटी मैनेजर का पोस्ट था, जिसके लिए मैंने आवेदन किया था।  

इंटरव्यूवर - और भी कुछ लिखा था उसे नोटिफिकेशन में?

प्रियम -सॉरी, मैंने ज्यादा कुछ नहीं पढ़ा!

इंटरव्यूवर - आप अभी पढ़ लो!

जब प्रियम ने वो जॉब नोटिफिकेशन को अच्छे से पढ़ा तो उसे बड़ी शर्मिंदगी का एहसास हुआ क्यूंकि उस नोटिफिकेशन में साफ़ साफ़ लिखा था कि इंटरव्यू सिर्फ लड़कियों के लिए था। 

प्रियम - आई एम् सॉरी मैडम! मुझे अगर पता होता कि ये जॉब सिर्फ लड़कियों के लिए है तो मैं यहाँ इंटरव्यू के लिए कभी नहीं आता। 

इंटरव्यूवर - इट्स ओके! अगर तुम लड़की होते तो तुमसे अच्छा कैंडिडेट इस कंपनी को कहीं और नहीं मिल पता। लेकिन तुम एक लड़के हो और लड़कों को हम हायर नहीं कर सकते, लेकिन मेरे पास तुम्हारे लिए एक ऑपर्च्युनिटी है। ये इंटरव्यू पुरे महीने चलेगी और पुरे महीने के इंटरव्यू के बाद नेक्स्ट मंथ सिलेक्शन का प्रोसेस किया जायेगा। अगर कोई ऐसी लड़की हो तुम्हारी नज़र में जो तुम्हारे जितनी ही टैलेंटेड हो तो उसके रिज्यूमे पर रेफर्ड बाय में अपना नाम लिख कर भेज देना इंटरव्यू के लिए। अगर उस लड़की को सेलेक्ट कर लिया जाता है तो तुम्हे पुरे दस हज़ार कमिशन के तौर पर दे सकती हूँ। 

प्रियम - थैंक्स, अगर कोई होगी तो मैं जरूर भेज दूंगा। 

उसके बाद उस कंपनी से प्रियम अपना मन मसोस कर वहां से निकल गया। प्रियम बहुत ही ज्यादा दुखी था और इंटरव्यू के बाद उसे सिर्फ इसीलिए सेलेक्ट नहीं किया गया था क्यूंकि वो एक लड़की नहीं था। प्रियम के साथ कई बार ऐसा पहले भी हो चूका था, जहाँ इंटरव्यू में सुन्दर लड़कियों को उनके कम टैलेंट के साथ सेलेक्ट कर लिया गया था और प्रियम टैलेंटेड होने के बावजूद सेलेक्ट नहीं हो सका था। लेकिन आज तो हद ही हो गया था, जहाँ सिर्फ लड़कियों का इंटरव्यू चल रहा था वहां उसे सिर्फ इसीलिए सेलेक्ट नहीं किया गया क्यूंकि वो एक लड़का था, ना कि एक लड़की। नौकरी नहीं मिलने की वजह से प्रियम बहुत ही ज्यादा परेशान हो चूका था। प्रियम अपने दुःख मन लिए शिव मंदिर चला गया, जहाँ अक्सर कम लोग ही होते या फिर मंदिर का पूरा प्रांगण खाली ही रहता। उस दिन भी मंदिर का प्रांगण खाली था और वहां प्रियम को छोड़कर कोई भी नहीं था। बहुत देर तक प्रियम शिव जी को अपने दुःख बताता रहा और रोने लगा। अभी प्रियम को रोते हुए एक मिनट भी नहीं हुआ था कि वहां एक बूढ़ा बाबा आकर बैठ गया। 

बाबा - क्यों रो रहे हो बच्चे!

प्रियम - नहीं बाबा कुछ नहीं, बस ऐसे ही!

बाबा - तुम नौकरी ना मिल पाने की वजह से दुखी हो बेटे और मैं ये बात जानता हूँ। 

प्रियम - आप मेरी और शिव जी की बातें सुन रहे थे?

बाबा - नहीं बेटे, मैं तो अभी अभी आया। तो क्या ये सच है कि तुम नौकरी नहीं पा सके  हो और इसी वजह से रो रहे हो?

प्रियम - हाँ बाबा!

बाबा - तो क्या तुम सच में यही सोचते हो कि अगर तुम लड़का ना होकर लड़की होते तो तुम्हे आसानी से नौकरी मिल जाती। 

प्रियम - ये तो सच है बाबा। अगर मैं लड़का ना होकर लड़की होता तो अभी तक मुझे नौकरी मिल चुकी होती और आज का इंटरव्यू तो इतना अच्छा गया था कि अगर मैं सच में लड़की होता तो आज मुझे कम से कम चालीस हज़ार की नौकरी मिल जाती। 

बाबा - हम्म! तो ठीक है, मैं तुम्हे आशीर्वाद के तौर पर एक जादुई अंगूठी देता हूँ।

प्रियम - जादुई अंगूठी!

बाबा - हाँ, इस जादुई अंगूठी को पहनकर कोई भी पुरुष स्त्री में बदल सकता है। 

प्रियम - क्या बाबा, आप भी ना! ये इकीसवीं सदी है बाबा, इस सदी में जादू नहीं होता। 

बाबा - प्रत्यक्ष को प्रमाण की आवश्यकता नही होती बेटे, तुम इस अंगूठी को अपनी तर्जनी ऊँगली में पहन लो और सुन्दर स्त्री में बदल जाओ। और जब तुम्हे पुरुष बनना हो तो इसे बाएं हाथ की तर्जनी ऊँगली में पहन लेना। 

प्रियम - और मुझे कुछ हो गया तो?

बाबा - शिव जी के सामने खड़े हो बेटे, कुछ नहीं होगा!

प्रियम में अंगूठी पहना और अंगूठी पहनते ही वो स्त्री में बदल गया। हालाँकि शरीर से स्त्री का रूप मिल चूका था लेकिन प्रियम की शक्ल अभी भी ठीक वैसा ही था जैसा वो था। फिर प्रियम ने अपने बाएं हाथ की तर्जनी ऊँगली में जैसे ही वो अंगूठी पहना, वो फिर से अपने पुरुष रूप में वापिस बदल गया।   

प्रियम - बाबा, ये तो सच में कमाल हो गया। मैं तो स्त्री बन गया था अभी और अब मैं फिर से अपने पुरुष रूप में आ गया। 

बाबा - हाँ बेटे लेकिन एक बात का ख़ास ख्याल रखना!

प्रियम - वो क्या बाबा!

बाबा - जब तुम स्त्री रूप में रहोगे तो तुम्हारे हाव भाव, चलने का, बोलने का तरीका भी स्त्रियों जैसी हो जाएगी, पुरुषों के प्रति आकर्षण बढ़ने लगेगा और स्त्रियों के प्रति आकर्षण घटने लगेगा। तुम्हारी आवाज़ में कोयल सी मिठास आ जाएगी और तुम्हारा स्त्री रूप मन मोह लेने वाला है जो पुरुषों को तुम्हारी ओर आकर्षित करेगी। इस अंगूठी के कुछ दुष्प्रभाव भी हैं। इस बात का तो हमेशा ख्याल रखना कि भूल कर भी किसी पुरुष के साथ शारीरिक सम्बन्ध मत बना लेना और अगर तुमने ऐसा किया तो ये अंगूठी हमेशा के लिए अपनी शक्तियां खो देगी और तुम हमेशा हमेशा के लिए स्त्री में परिवर्तित हो जाओगे। आज से चालीसवे दिन से स्त्रियों की तरह तुम्हे भी मासिक धर्म सहना पड़ेगा और तब तुम अगले पांच दिनों तक अपने पुरुष रूप में परिवर्तित नहीं हो सकोगे और एक आखिरी सलाह, इस अंगूठी को कभी खोना मत, क्यूंकि अगर तुमने ऐसा किया तो उस समय तुम जिस रूप में होंगे, उसी रूप में हमेशा के लिए परिवर्तित होकर रह जाओगे, चाहे वो स्त्री रूप हो या पुरुष रूप!

प्रियम - बाबा, मैं ध्यान रखूँगा। 

फिर प्रियम ने शिव जी को प्रणाम किया और जैसे ही मुड़ा, सामने से वो बाबा गायब हो चुके थे। प्रियम ने मन ही मन बाबा को ध्यान करके प्रणाम किया! प्रियम को ऐसी जादुई अंगूठी मिल चुकी थी कि अब उसे नौकरी मिलनी तो तय थी। प्रियम संजना से सच में बहुत प्यार करता था और वो इस बारे में सबसे पहले संजना से मिलने गया। प्रियम इस बारे में संजना से डिसकस करना चाहता था। 

संजना - बोलो ना बेबी, पिछले आधे घंटे से ऐसे ही बैठे हो।

प्रियम - वो क्या है ना, जो बात मैं तुमसे करना चाहता हूँ वो अकेले में ही हो सकती है। 

संजना - डोंट बी ओवरस्मार्ट डार्लिंग! आई नो कि अकेले में तुम फिर शुरू हो जाओगे!

प्रियम - नहीं संजू, ऐसी कोई बात नहीं है। मुझे किसी ऐसे मैटर में तुमसे बात करनी है जो शायद तुम्हे अटपटी लगे लेकिन ये बहुत जरुरी है। 

संजना - प्रियम, पहेली मत बुझाओ, साफ़ साफ़ कहो, क्या बात है!

प्रियम - आज मैं इंटरव्यू के लिए गया था लेकिन वहां भी मेरा सिलेक्शन नहीं हुआ जबकि मैंने हर सवाल का सही जवाब दिया था। 

संजना - वो क्यों भला? 

प्रियम - क्यूंकि वो इंटरव्यू सिर्फ लड़कियों के लिए थी और चुकवश मेरे नाम की वजह से मुझे इंटरव्यू के लिए बुला लिया गया था।  

संजना - हाहाहाहा!

प्रियम - बेबी! तुम हस रही हो मेरे ऊपर!

संजना - ओह्ह, नहीं प्रियम! अब ऐसा यूनिसेक्स नाम रहेगा तो कोई भी मिसअंडरस्टूड करेगा ही। 

प्रियम - हम्म! तो बताओ अब मैं क्या करूँ!

संजना - कहीं और ट्राय करो बेबी! मैं तो कहूँगी कि कोई बिज़नेस ही कर लो प्रियम!

प्रियम - नहीं संजना, बिज़नेस का लॉस पापा ने बहुत झेला है और मैं भी वही गलती नहीं दोहराना चाहता!

संजना - ऐज़ यु विश प्रियम! अगर तुम लड़की होते तो जरूर तुम्हे ये नौकरी मिल जाती!

प्रियम - अभी भी मिल सकती है!

संजना - क्या! मेरा मतलब कैसे?

प्रियम -  मेरे पास एक जादुई अंगूठी है जिससे मैं जब चाहूँ लड़की बन सकता हूँ!

संजना - जादुई अंगूठी, व्हाट अ जोक, मतलब मैं पागल दिखती हूँ तुम्हे!

प्रियम - नहीं यार, सच में! मेरे पास एक ऐसी अंगूठी है जिससे मैं जब भी चाहूँ खुद को लड़की में बदल सकता हूँ!

संजना - और तुम्हे ये अंगूठी मिली कैसे?

प्रियम - आज ही दिन में एक बाबा ने मुझे ये अंगूठी दी है। 

संजना - मैं नहीं मानती!

प्रियम - मान लोगी, मैं तुम्हे अंगूठी दिखाता हूँ!

फिर प्रियम ने संजना को वो अंगूठी दिखाई तो वो जोर जोर से हसने लगी!

संजना - हाहाहा, ऐसे लोहे की अंगूठी तो हर नुक्कड़ पर पांच पांच रूपये में मिलती है। उस बाबा ने तुम्हे बेवकूफ बनाया है प्रियम!

प्रियम - होल्ड अ सेकंड!

प्रियम ने अंगूठी पहनकर अपना रूप स्त्री रूप में परिवर्तिति कर लिया और प्रियम के इस स्त्री रूप को देखकर संजना का मुँह खुला का खुला रह गया। 

संजना - वाओ प्रियम, ये अंगूठी तो सच में जादुई है। मुझे तो यकीन नहीं हो रहा है, तुम तो बिलकुल लड़की बन गए, तुम्हारे बूब्स, तुम्हारे मांसल जांघें, तुम्हारी कमर, तुम्हारे हिप्स और तुम्हारा पूरा बदन कितना गठीला और परफेक्ट शेप में है। 

प्रियम - अब यकीन हुआ!

संजना - आई एम सॉरी बेबी! 

प्रियम - कोई बात नहीं शोना! अच्छा एक बात बताओ, अगर मैं ऐसे इंटरव्यू के लिए गया तो क्या मेरा सिलेक्शन नहीं होगा?

संजना - ऐसे इंटरव्यू के लिए जाओगे तो तुम्हारा सिलेक्शन जरूर होगा।

प्रियम - संजना, मैं कुछ करना चाहता हूँ जिससे मैं भी दिव्यांशु भैया की तरह अपनी फॅमिली को हेल्प कर सकूँ! मैं ये जॉब लेना चाहता हूँ, क्या तुम्हे कोई ऐतराज़ है?

संजना - नहीं प्रियम, तुम अपनी फॅमिली के लिए जो कुछ भी करना चाहते हो, तुम फ्री हो करने के लिए। लेकिन ज्यादा दिनों तक ऐसे नहीं चलेगा, जॉब मिलने के बाद भी तुम्हे नए जॉब्स ढूंढते रहने होंगे ताकि तुम अपने रियल आइडेंटिटी के साथ जॉब कर सको!

प्रियम - थैंक्स बेबी! आई न्यू इट! अब तुम मुझे ट्रेनिंग दे दो ताकि मैं इंटरव्यू के लिए जा सकूँ!

संजना - ओके बेबी! मैंने ये ब्यूटी पार्लर खोलने का फैसला कर के बहुत सही किया।  

 संजना ने प्रियम को नेक्स्ट तीन दिनों की ट्रेनिंग दी। जिसमे सबसे पहले प्रियम को खुद से मेकअप करना, नेल्स पेंट करना, हाई हील्स में वाक करना, ऑर्नामेंट्स पहनना, साड़ी पहनना, साड़ी की प्लेट्स बनाना, बैकलेस ब्लाउज पहनना, ब्रा पहनना, बाल संवारना और कॉंफिडेंट कैसे दिखें, इसकी ट्रेनिंग दी। चौथे दिन से प्रियम ने खुद से मेकअप किया, खुद से लाल रंग की साड़ी, गोल्डन बैकलेस ब्लाउज, क्लिप वाली झुमकियां, नाक में क्लिप वाली नथिया और मैचिंग हील्स पहनकर रेडी हुआ तो संजना प्रियम को देखकर शॉक्ड रह गयी। इतनी सुन्दर लड़की संजना ने लाइफ में कभी नहीं देखी थी। 

संजना - यार प्रियम तुम तो इतने सुन्दर दिख रहे हो कि मुझे तुम्हारी खूबसूरती देखकर जलन हो रही है। 

प्रियम - हाहाहाहा, कुछ भी!

फिर संजना ने प्रियम के गले के पीछे अपनी आँखों से काजल निकालकर एक टीका लगा दी। 

प्रियम - ये क्या था संजना?

संजना - कहीं नज़र ना लगे मेरे इतने प्यारे बॉयफ्रेंड या मैं कहूं मेरी इतनी प्यारी गर्लफ्रेंड को। आज से तुम मेरे बॉयफ्रेंड भी हो और मेरी गर्लफ्रेंड भी, हाय कितनी खुशनसीब हूँ मैं!

प्रियम - बस, बस हो गया। तुम इतनी खुश क्यों हो रही हो? 

संजना - बस ऐसे ही! चलो इतनी सुन्दर दिख रहे हो, तो इंटरव्यू के लिए आज ही चले जाओ!

प्रियम ने अपना रिज्यूमे अपडेट किया और इंटरव्यू के लिए जाने को तैयार हो गया। इतने में वहां संजना का बड़ा भाई रमेश भी आ गया और संजना से प्रियम के बारे में पूछने लगा। 

संजना - प्रिया, ये मेरा भाई है रमेश और रमेश ये मेरी दोस्त है प्रिया! रमेश भैया, प्रिया को इंटरव्यू के लिए हयात होटल के बैक साइड में क़ुतुब इंस्टीटूशनल एरिया स्थित एक कंपनी जिसका नाम, डब्ल्यू आर एस इंटरनेशनल तक ड्राप कर दोगे?

रमेश - हाँ हाँ क्यों नहीं! चलो प्रिया!

संजना (प्रियम के कानों में) - यार भैया से थोड़ा बचकर रहना, बहुत फ़्लर्ट करते हैं लड़कियों से। 

संजना की बातें सुनकर प्रियम को हंसी आ गयी और संजना को ओके कहकर वो इंटरव्यू के लिए रमेश के साथ निकल पड़ा। आधे घंटे के ट्रेवल के दौरान लाइफ में पहली बार प्रियम को इतना इनकन्वीनेन्ट महसूस हो रहा था। जब कार चल रही थी तो प्रियम के बूब्स ऊपर नीचे हो रहे थे और उनके वजन से प्रियम परेशान हुआ जा रहा था। लेकिन रमेश प्रियम की खूबसूरती को खूब एन्जॉय कर रहा था और हर थोड़ी देर पर ब्रेक लगाता जिससे प्रियम के बूब्स ऊपर नीचे हो जाते। आज लाइफ में पहली बार एक मर्द के साथ ट्रेवल के दौरान प्रियम इतना अशेम्ड महसूस कर रहा था और शरमा भी रहा था। जब प्रियम को लेकर रमेश उसके बताये एड्रेस पर पहुंचा तब प्रियम के दरवाज़ा खोलकर बाहर निकलने से पहले ही रमेश आ गया, उसने कार का गेट खोला और हाथ देकर प्रियम को कार से बाहर निकलने में मदद की। जब प्रियम की हथेली को रमेश ने अपने हाथों में लिया तो प्रियम की धड़कनें बढ़ सी गयी और वो और भी शर्माने लगा।   

जब प्रियम इंटरव्यू के लिए जाने लगा तब रमेश ने उसे टोका!

प्रियम - हाँ रमेश जी!

रमेश - गुड लक फॉर योर इंटरव्यू प्रिया!

प्रियम - थैंक्स रमेश जी!

रमेश - कॉल मी रमेश प्रिया!

प्रियम - थैंक्स रमेश!

प्रियम मुस्कुराता हुआ इंटरव्यू के लिए चला गया, आखिर रमेश वैसा ही निकला जैसा संजना ने कहा था, एक नंबर का ठरकी! प्रियम ने रिसेप्शन पर इंटरव्यू के लिए अपने रिज्यूमे बढ़ाया, जिसमे रिफरेन्स में प्रियम वर्मा का नाम लिख दिया। आधे घंटे के लम्बे इंतज़ार के बाद प्रियम को इंटरव्यू के लिए बुलाया गया। पहले तो प्रियम ने अपना इंट्रोडक्शन दिया, उसके बाद टेक्निकल राउंड हुआ, जिसमे प्रियम अव्वल आया। आखिरी राउंड साइकोलोजिक्ल राउंड था।  

इंटरव्यूवर - व्हाट काइंड ऑफ़ इम्पैक्ट डू यू वांट टू मेक हेयर एंड हाउ विल यू मेक इट? 

प्रियम - आई थिंक द इम्पैक्ट कैन ओनली बी अचीव्ड थरु स्केल, बट द स्केल इज कम्प्लीटली पॉइंटलेस इफ देयर इज़ नो क्वालिटी! देयरफॉर आई वांट टू टो द थींन लाइन बिटवीन स्केल एंड क्वालिटी एंड मेक श्योर दैट वी कैन अचीव बोथ।

इंटरव्यूवर - स्त्री और पुरुष में कौन सर्वोपरि है?

प्रियम - ऑब्वियस स्त्री! कई अध्ययनों में भावनाओं की पहचान, सामाजिक संवेदनशीलता और सहानुभूति के मानक परीक्षणों में महिलाएं पुरुषों की तुलना में अधिक अंक प्राप्त करती हैं। 

इंटरव्यूवर - व्हाट इज़ योर फेवरेट डेस्टिनेशन?

प्रियम - शिमला, कश्मीर और गोवा!

इंटरव्यूवर - आपका फेवरेट कलर?

प्रियम - पिंक एंड ब्लैक!

इंटरव्यूवर - आपका फेवरेट हीरो?

प्रियम - जॉन अब्राहम!

इंटरव्यूवर - तो क्या आपको जॉन अब्राहम से शादी करने का ऑफर मिले तो क्या आप उस हीरो से शादी करोगी?

प्रियम - नो वे! फेवरेट हीरो होने के ये मतलब नहीं कि उसी से शादी कर ली जाये?

इंटरव्यूवर - ओके! आई लाईक योर ऐटिटूड प्रियम!  यू आर सिलेक्टेड फॉर द रोल ऑफ़ असिस्टेंट मैनेजर, आईटी डिपार्टमेंट एंड योर सैलरी वुड बी थर्टी फाइव थाउजेंड इन हैंड प्लस अकोमोडेशन फाइव थाउजेंड एक्स्ट्रा। तुम्हे कंपनी की तरफ से कैब की सुविधा दी जाएगी और ऑफिस हॉर्स में चाय नाश्ता और एक टाइम का खाना भी दिया जायेगा। आर यू ओके विद इट?

प्रियम - यस! 

इंटरव्यूवर - तो आप अपना डॉक्यूमेंटेशन करवा लो और नेक्स्ट फर्स्ट से जॉब ज्वाइन कर लो। यहाँ का ड्रेस कोड मिनी स्कर्ट और साड़ी है और इसकी जानकारी रिसेप्शन पर मिल जाएगी।      

प्रियम - थैंक्स मैम!

उसके बाद प्रियम ने अपने डाक्यूमेंट्स रिसेप्शन पर जमा करवा कर ड्रेस कोड की जानकारी ली। रेसप्शनिष्ट ने प्रियम को बताया कि यहाँ मिनी स्कर्ट और साड़ी पहनना ड्रेस कोड है। मिनी स्कर्ट ब्लैक होनी चाहिए और साड़ी यहीं अवेलेबल है, चाहो तो यहाँ से भी ले सकती हो या फिर तुम अपनी पसंद की साड़ी पहनकर भी ऑफिस आ सकती हो। 

प्रियम - देन, प्लीज गिव मी टू साड़ी।  

रेसप्शनिष्ट ने प्रियम को दो जोड़ी साड़ी दे दी और उसके नाम पर रजिस्टर में मेन्टेन कर दी। उसके बाद प्रियम अपनी दोनों साड़ियों के बैग्स लिए कंपनी कैंपस के बाहर आ गया जहाँ रमेश उसका इंतज़ार कर रहा था। 

रमेश - हाउ वज योर इंटरव्यू प्रिया?

प्रियम - आई एम् सिलेक्टेड फॉर द पोजीशन! 

रमेश - वाओ, कॉन्ग्रैचुलेशन्स!

प्रियम - थैंक्स रमेश!

उसके बाद जैसे ही प्रियम कार का गेट खोलकर अंदर बैठने को बढ़ा, रमेश ने तुरंत कार का दरवाज़ा खोला और प्रियम को बैठने में मदद की। फिर खुद ड्राइविंग सीट पर बैठकर कार ड्राइव करने लगा। प्रियम चुपचाप सर झुकाये बैठा रहा और रमेश हर ब्रेकर पर प्रियम की तरफ देखता और मुस्कुराता! प्रियम को काफी ज्यादा शर्म महसूस हो रहा था लेकिन उसे पता था कि रमेश कितना बड़ा ठरकी है, इसीलिए वो पुरे रस्ते शांत रहा। आज प्रियम को समझ आ रहा था कि लड़की होना भी कम टफ नहीं है। संजना के ब्यूटीपार्लर के पास रमेश प्रियम को ड्राप करके वहां से चला गया। प्रियम संजना के ब्यूटीपार्लर में एंटर हुआ तो वहां कुछ लड़कियां मेकअप करवा रही थीं। प्रियम को देखकर संजना की आँखें चमक उठी। 

संजना - तुम्हारा सिलेक्शन हो गया, है ना?

प्रियम - हाँ संजू!

संजना - कन्ग्रैचुलेशन्स! 

प्रियम - थैंक यू बेबी! पहले तुम सबसे फ्री हो लो, मुझे कुछ काम भी है। 

अपने सभी क्लाइंट्स से फ्री होने के बाद संजना प्रियम से बात करने बैठी तो प्रियम ने उसे बताया कि उसे एक फ्लैट चाहिए! संजना - अरे वाह! पास में ही एक टू बीएचके फ्लैट खाली पड़ा है। तुम यहीं शिफ्ट हो गए तो हम एक दूसरे को और भी ज्यादा टाइम दे सकेंगे।

प्रियम - मैं भी तो यही चाहता हूँ कि मैं अपनी जान के साथ खूब टाइम स्पेंड कर सकूँ!

संजना - तो अभी चलो! 

फिर संजना प्रियम को उस फ्लैट पर ले गयी जो खाली पड़ी थी। तीसरी मंजिल पर वो फ्लैट था, लेकिन प्रियम को वो फ्लैट बहुत पसंद आया। फ्लैट के अंदर सभी फैसिलिटीज थीं, एसी, पलंग, फैन, बल्ब, गीज़र, बाथटब सब कुछ जो फ्लैट को पूरा बनाती है। प्रियम ने एडवांस पेमेंट करके उस फ्लैट को तुरंत बुक कर लिया और संजना के साथ ख़ुशी ख़ुशी थोड़ा टाइम स्पेंड करके अपने घर जाने लगा। 

संजना - ऐसे जाओगे प्रियम? 

प्रियम - ओह्ह! इतना एक्साइटेड हूँ आज कि मैं भूल ही गया कि मुझे अपने असल रूप में वापिस भी आना है। 

फिर प्रियम अंगूठी की मदद से अपने असल रूप में वापिस आया और चेंज किया, मेकअप साफ़ किया और वहां से अपने घर के लिए निकल गया। घर आकर प्रियम ने अपने मम्मी पापा, भैया भाभी और दोनों बहनों की प्रजेंस में सभी को बताया कि उसकी नौकरी लग गयी है, लेकिन दूसरे शहर चंडीगढ़ में। प्रियम के पेरेंट्स, भैया भाभी और दोनों बहनें बड़ी खुश हुईं। प्रियम के बड़े भैया ने पार्टी दी और सबने खूब एन्जॉय किया। अगले दिन बैग एंड बैगेज प्रियम फ्लैट में शिफ्ट होने आ गया। 

सबसे पहले प्रियम संजना के ब्यूटीपार्लर में गया, खुद को अंगूठी की जादू से प्रिया में बदला और संजना के साथ फ्लैट पर शिफ्ट होने चला गया। फ्लैट में शिफ्ट होने के साथ ही प्रियम और संजना एक दूसरे की आगोश में थे, काफी देर तक दोनों ने आपस में रोमांस किया और फिर संजना ने प्रियम को रेस्ट करने का बोलकर ब्यूटीपार्लर चली गयी। प्रियम बहुत खुश था क्यूंकि अब वो संजना के साथ अपना प्रेसियस टाइम स्पेंड कर सकता था और साथ में जॉब भी कर सकता था। अगले महीने के एक तारीख से पहले तक संजना ने प्रियम को अलग अलग तरीके से साड़ी पहनने में ट्रेनिंग दी, कुछ मार्केटिंग भी की, जिनमे तरह तरह की ब्लैक, गोल्डन और सिल्वर हील्स, पटियाला सूट, प्लाज़ो, बनारसी सिल्क, साटन, जॉर्जेट साड़ियां, बेबीडॉल नाईटी, मिनी स्कर्ट्स, ब्रा पैंटी के पांच सेट, मेकअप का सामान, आर्टिफिशियल ऑर्नामेंट्स, क्लिप वाली नथिया, क्लिप वाले झुमके, बालियां और अमेरिकन सिल्वर बैंगल्स, चूड़ियां और कुछ कंगन सेट भी थे। प्रियम के बाल उसके कंधों तक ही थे तो संजना ने उसे दो तीन हेयरस्टाइल बनाना सिखाई और अब प्रियम पूरी तरह से तैयार था, जॉब पर जाने के लिए। 

एक तारीख को प्रियम की नौकरी का पहला दिन था और कैब साढ़े आठ बजे उसके दरवाज़े पर खड़ी थी। प्रियम ने साड़ी पहना हुआ था और जब वो ऑफिस आया तो एचआर ने उसे पूरी टीम से मिलवाई और उसे काम देकर उसके केबिन में भेज दी। 

अपने पहले दिन का काम प्रियम ने अपने सीनियर के गाइडेंस में किया। धीरे धीरे प्रियम को काम समझ आने लगा और वो पूरी लगन से काम करने लगा। अब प्रियम का नया रूटीन था सुबह जॉब पर आना और शाम को घर आने के बाद संजना के साथ डिनर करना और जी भर के रोमांस करना। प्रियम और संजना को एक दूसरे के साथ टाइम बिताने में अब और भी ज्यादा मजा आने लगा था क्यूंकि अब दोनों के बीच रोमांस तो था ही लेकिन उसी के साथ उनकी प्राइवेसी भी थी। हर रोज़ रात प्रियम सोने से पहले अपनी मम्मी से बात करता तब सोता। पहले कुछ महीनों तक तो प्रियम अपना वीकेंड में बोर हो जाता क्यूंकि वीकेंड्स में संजना के ब्यूटीपार्लर में कुछ ज्यादा ही भीड़ होती। फिर एक दिन प्रियम ने संजना से कहा कि वो अपना वीकेंड प्रोडक्टिव बनाना चाहता है और संजना ने उसे ब्यूटीपार्लर में अपन वीकेंड स्पेंड करने की सलाह दी। अब हर वीकेंड प्रियम संजना से ब्यूटीपार्लर से रिलेटेड चीज़ें सीखने लगा और अब दोनों का वीकेंड अच्छे से गुज़रता। दोनों बहुत ही ज्यादा खुश रहते और सब कुछ मक्खन की तरह स्मूथ जा रहा था। 

एक दिन ऑफिस में काम पूरा करते करते प्रियम को काफी लेट हो गया और कैब भी निकल चूका था। प्रियम ऑफिस से निकला, उसने ऑटो किया और वहां से सीधे हौज़ खास मेट्रो से मेट्रो ली और रोहिणी वेस्ट आ गया। रोहिणी पहुंचते पहुंचते रात के नौ बज चुके थे और मेट्रो स्टेशन लगभग खाली थी। लिफ्ट भी काम नहीं कर रहा था तो प्रियम स्टैर्स से नीचे उतर ही रहा था कि तभी वहां तीन लफंगे आ गए तो प्रियम को छेड़ने लगे। प्रियम उन लफंगों को इग्नोर करके जाने लगा तो एक लफंगे ने उसकी कलाई पकड़ ली। 

लफंगा लड़का - नाम तो बताओ रानी!  

प्रियम उस लफंगे लड़के से अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश करने लगा, लेकिन लड़की के इस रूप में वो उन लफंगे लड़कों के सामने काफी कमज़ोर था। किसी तरह प्रियम ने एक लफंगे से अपनी कलाई छुड़ाकर स्टैर्स से नीचे उतरने लगा कि तभी वो लड़खड़ा गया, हील्स की वजह से उसका एंकल मुड़ गया और गिरने को हुआ कि एक अनजान सख्स ने उसे थाम लिया और प्रियम गिरने से बच गया। उस अनजान सख्स ने प्रियम को स्टैर्स ओर बिठाया और उन तीन लफंगों में से एक का गला पकड़ लिया और उसे तीन लप्पड़ जड़ दिया। तीन लप्पड़ में ही वो लफंगा बदहवास होकर गिर पड़ा और उसके दोनों साथी डर के मारे उसे वहीँ छोड़कर भाग गए। फिर उस अनजान शख्स ने प्रियम को खड़े होने में मदद की, जैसे तैसे प्रियम खड़ा हुआ, लेकिन उसे चलने में बहुत दिक्क्त हो रही थी।

अनजान शख्स - आप ठीक तो हैं मैडम!

प्रियम - जी, मैं ठीक हूँ! थैंक यू सो मच, आपने मेरी इतनी मदद की!

अनजान शख्स - इसमें थैंक्स की कौन सी बात है, मेरा नाम विनीत यादव है और आपका?

प्रियम - मेरा नाम प्रिया है!

विनीत - इतनी रात को अकेले निकलना आप जैसी खूबसूरत लड़की के लिए बिलकुल सेफ नहीं है। 

प्रियम - खूबसूरत! फ़्लर्ट कर रहे हो?

विनीत - नहीं! अब खूबसूरत हो तो तारीफ़ तो कर ही सकता हूँ! वैसे आप कहो तो मैं आपको घर छोड़ दूँ!

प्रियम - नहीं नहीं, मैं चली जाउंगी!

विनीत - आर यू श्योर?

प्रियम - या या!

विनीत - ओके! गुड नाईट, बाय!

प्रियम - बाय, गुड नाईट!

विनीत अभी दो कदम बढ़ा ही थी कि अचानक प्रियम ने उसे उसके नाम से पुकारा! विनीत मुड़ा और प्रियम के पास आ गया!

विनीत - आर यू ओके प्रिया! 

प्रियम - वो मुझसे एक कदम भी चला नहीं जा रहा, क्या आप मुझे घर छोड़ देंगे!

विनीत - क्या मैं आपको उठा लूँ!

प्रियम चाहता तो नहीं था लेकिन उसके पास कोई ऑप्शन नहीं था। 

प्रियम - ओके!

विनीत ने बड़े आराम से प्रियम को अपने मजबूत हाथों में उठा लिया ठीक वैसे ही वीर ज़रा मूवी में शाहरुख़ खान ने प्रिटी ज़िंटा को उठाया था और पार्किंग की ओर बढ़ने लगा। विनीत ने प्रियम को बताया कि उसकी कार पार्किंग में लगी है। 

प्रियम - जब कार पार्किंग में है तो मेट्रो से ट्रेवल क्यों करते हो?

विनीत - क्यूंकि मेट्रो में ट्रेवल करना अच्छा लगता है मुझे!

इट वज बीएमडब्ल्यू कार और कार देखकर प्रियम समझ गया कि विनीत काफी पैसे वाला है। विनीत ने प्रियम को फ्रंट कार सीट पर बिठाया और ड्राइव करके उसे उसके घर ले आया। रस्ते में विनीत ने प्रियम के लिए एक गर्म पट्टी और वोलोनी जेल ख़रीदा और घर आने के बाद विनीत ने प्रियम को अपनी बाहों में लेकर स्टैर्स चढ़कर तीन फ्लोर चढ़ा। प्रियम को फ्लैट पर नीचे उतारने के बाद विनीत जा ही रहा था कि प्रियम ने उसे चाय पी लेने को रोक लिया। लेकिन अभी भी प्रियम से चला नहीं जा रहा था तो विनीत ने प्रियम के हील्स उतारे, उसके एंकल पर वोलोनी लगाया, गर्म पट्टी बाँधी और प्रियम को बहुत आराम मिला। प्रियम चाय बनाने के लिए उठने वाला था कि विनीत ने उसे चाय के मना कर दिया और उसे रेस्ट करने को कहकर वहां से चला गया। विनीत की हाइट लगभग सवा छह फुट थी और देखने में बहुत ही स्मार्ट, स्लिम लेकिन मस्कुलर बॉडी थी उसकी और लाइफ में पहली बार किसी मर्द को देखकर प्रियम का दिल इतनी जोर से धड़का था। प्रियम को यकीन नहीं हो रहा था कि क्या दुनिया में ऐसे लोग भी हैं जो पैसे वाले भी हैं और बड़े दिल वाले भी। सोचते सोचते प्रियम कब सो गया, उसे खुद पता नहीं चला।   

अगले दिन सुबह सुबह संजना प्रियम से मिलने आयी!

संजना - गुड मॉर्निंग बेबी!

प्रियम - गुड मॉर्निंग शोना!

संजना - वो नीचे शीला आंटी रहती हैं, वो बता रहीं थी कि कल रात तुम्हारे साथ कोई आदमी आया था!

प्रियम - हाँ संजना, विनीत यादव नाम है उसका! कल रात ऑफिस से आते समय लेट हो गया और मेट्रो स्टेशन पर कुछ लफंगे मुझे छेड़ने लगे थे तो उसी ने मेरी इज़्ज़त बचाई! मेरा पैर मुड़ गया और मुझसे चला नहीं जा रहा था तो विनीत मुझे अपनी बाहों में उठाकर तीन मंज़िल चढ़ा और मुझे घर तक सेफ्टी के साथ ड्राप कर के चला गया!

संजना - अच्छा, कोई दोस्त है तुम्हारा!

प्रियम - नहीं संजू, कल रात वो ना जाने कहाँ से आ गया और मुझे बचा लिया। 

संजना - हम्म! ऐसे देर रात हो तो मुझे कॉल कर लिया करो, समझे तुम! तुम ऐसे रात को निकलोगे और आवारा लड़के मेरे बॉयफ्रेंड को ऐसे छेड़े, मुझे बिलकुल पसंद नहीं!

प्रियम - मैं सबके सामने खुद को अपने असली रूप में परिवर्तित नहीं कर सकता, तुम जानती हो ना! और जब मैं प्रिया बन जाता हूँ तब मेरी ताकत भी लड़कियों की तरह ख़त्म सी हो जाती है। 

संजना - हम्म! तुम तैयार हो जाओ, ऑफिस के लिए लेट हो जायेगा, मैं नाश्ता बना देती हूँ!

प्रियम - लव यू बेबी!

नाश्ता बना कर संजना अपने घर चली गयी तो प्रियम ऑफिस। इधर ऑफिस में एक साल पूरा होने से पहले ही प्रियम को उसके वर्क और डेडिकेशन के कारण प्रोमोशन मिल गया और उसकी सैलरी भी इनक्रीस कर दी गयी। ऑफिस में काफी ऐसी लडकियां भी थीं जो प्रियम से जलती थीं लेकिन प्रियम जानता था कि वो असल में लड़की नहीं है जो सबसे छोटी छोटी बातों को लेकर बहस करे। प्रियम का सारा फोकस उसके काम पर रहने लगा था और इधर संजना का ब्यूटीपार्लर भी बहुत अच्छा चलने लगा था। संजना ने अपने ब्यूटीपार्लर में सिक्किम के तीन ब्यूटीशियन को हायर कर चुकी थी, जिससे उसके ब्यूटीपार्लर में रौनक हो गया था।    

एक दिन अचानक ऑफिस में काम करने के दौरान प्रियम को एचआर का कॉल आया। एचआर ने प्रियम को बताया कि उसे कंपनी की ओनर प्रेरणा यादव ने उसे अपने केबिन में बुलाया है। प्रियम अपना काम पूरी लगन से करता था और अचानक कंपनी की ओनर ने उसे मिलने को बुलाया था जिससे उसके मन में एक डर सा बैठ गया कि कहीं कोई गलती तो नहीं हो गयी। वैसे कंपनी ओनर किसी को मिलने को बुलाती नहीं थी और अगर बुलाती भी थी तो उसके पीछे कोई ना कोई रीज़न जरूर होता। बस प्रियम भी वो रीज़न जानने के लिए बेसब्र हो रहा था जिसकी वजह से उसे बुलाया गया था।  

प्रियम - मे आई कम इन मैडम?

प्रेरणा यादव - यस प्रिया, कम इन!

प्रियम केबिन में एंटर हुआ और प्रेरणा से अनुमति लेकर उसके सामने बैठ गया। 

प्रेरणा - प्रियम, क्या तुम्हे पता है कि मैंने तुम्हे क्यों बुलाया है?

प्रियम - नो मैडम!

प्रेरणा - ओके! प्रियम, तुम बहुत ही मेहनती हो और तुम बहुत ही लगन से काम करते हो जिसे देखते हुए, मैंने तुम्हे प्रमोट किया था। तुम्हारा डेडिकेशन और हार्ड वर्क मुझे बहुत अच्छा लगता है और मैंने यहाँ तुम्हे अप्प्रिशियेट करने बुलवाई हूँ। इस संडे मेरे बेटे का बर्थडे है और तुम्हे मेरे घर आना है, ओके!

प्रियम - इट्स माय प्लेज़र मैडम!

प्रेरणा - ओके! यू कैन जो नाउ!

जब प्रियम अपने केबिन की तरफ बढ़ रहा था सभी कलीग्स की नज़र उसके ऊपर थी। एचआर ने प्रियम से पूछा तो प्रियम ने उसे इनविटेशन दिखाया और बताया कि कैसे मैडम ने उसे पर्सनली अपने बेटे की बर्थडे पार्टी में इन्वाइट किया। 

एचआर - आज तक मैडम ने किसी भी एम्प्लोयी को अपने घर पर पार्टी में नहीं बुलाया और तुम्हे इनविटेशन मिला है, कंग्रेचुलेशन्स प्रिया!

प्रियम - थैंक्स मैम!

जब प्रियम घर आया तो उसने संजना को इस इनविटेशन के बारे में बताया। संजना ने खुश होकर प्रियम को बधाई दी और दोनों ने मार्किट से एक गणेश भगवन की मूर्ति को सेलेक्ट किया, गिफ्ट में देने के लिए।  प्रियम के डेवलपमेंट को देखकर संजना बहुत खुश थी लेकिन वो बहुत उदास थी उस दिन!

प्रियम - क्या बात है संजू, तुम इतनी उदास क्यों हो?

संजना - वो दरअसल, रमेश भैया को एक लड़का पसंद आ गया है और वो चाहते हैं कि मैं उस लड़के से शादी करके अपना घर बसा लूँ!

प्रियम संजना से अचानक ऐसी जानकारी पा कर शॉक्ड हो गया। 

प्रियम - संजना, ये तुम क्या बोल रही हो? तुम मुझसे शादी करोगी, ये फाइनल है ना!

संजना - हाँ बेबी, मैं तुमसे ही शादी करना चाहती हूँ, लेकिन तुम्हारे बारे में घर में किसी को कुछ नहीं पता और मैं किसी और से शादी नहीं करना चाहती!

प्रियम - तो मना कर दो ना!

संजना - मैंने मना किया था लेकिन भैया और पापा का कहना है कि अगर मेरे नज़र में कोई और लड़का है तो उसे मिलवाने संडे को लेकर घर चलूँ! 

प्रियम - तो ठीक है, मैं चलता हूँ संडे को?

संजना - लेकिन चलोगे तो कहोगे क्या? क्या करते हो, क्या कहोगे?

प्रियम - बताऊंगा कि मैं नौकरी करता हूँ, अभी सत्तर हज़ार की नौकरी है मेरी!

संजना - वो तो प्रिया की सैलरी है, प्रियम तो अभी भी जाबलेस ही है बेबी!

प्रियम - तो मैं जॉब ढूंढ रहा हूँ!

संजना - मुझे नहीं लगता, मुझे तो लगता है कि तुम प्रिया की लाइफ जीना चाहते हो ना कि प्रियम की। 

प्रियम - व्हाट द फ़... ! मैं प्रियम हूँ, प्रिया बनता हूँ ताकि मैं नौकरी पर जा सकूँ और जो इनकम आ रही है उससे अपनी फॅमिली को हेल्प कर सकूँ!

संजना - ठीक है प्रियम! मैं घरवालों से टाइम ले लेती हूँ और तुम्हारे बारे में बता देती हूँ। 

प्रियम - हम्म! मैं प्रॉमिस करता हूँ बेबी, मैं बहुत जल्द नौकरी पा लूंगा!

संजना - मुझे तुमपे भरोसा है बेबी! लेकिन प्लीज् जल्द से जल्द नौकरी ले लो ताकि हम एक हो सकें!

प्रियम - बिलीव मी, मैं बहुत जल्द नौकरी पा लूंगा!

उसके बाद संजना अपने घर चली गयी और प्रियम बिस्तर पर लेटकर नई नौकरी के बारे  लगा और सोचते सोचते सो गया। 

इट वज संडे, प्रियम को आज की पार्टी अटेंड करनी थी जिसके लिए वो काफी एक्साइटेड था और उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वो क्या पहनकर पार्टी में जाये! प्रियम ने संजना को बुलाया तो पता चला कि वो ब्राइडल मेकअप के लिए गुडगाँव गयी हुई है। प्रियम ने अपने तीन घंटे सिर्फ इसीलिए वेस्ट कर दिया कि वो क्या पहने। फिर प्रियम ने एक ऑरेंज बनारसी सिल्क साड़ी, गोल्डन बैकलेस डीप कट ब्लाउज, गोल्डन हाई हील्स, लाइट ऑर्नामेंट्स और लाइट मेकअप करने का फैसला किया। प्रियम ऑरेंज बनारसी साड़ी में रेडी हुआ, गिफ्ट लिया और अपनी कंपनी ओनर के दिए इनविटेशन पर उसके घर चला गया। प्रेरणा यादव का घर एक बहुत ही बड़ा था, एकदम बंगलो जैसा। प्रियम ने सिक्योरिटी गार्ड को इनविटेशन दिखाया तो वो एक लड़की को बुलाकर प्रियम को उसके साथ पार्टी जोन में भेज दिया। इट वज अ वैरी बिग कैंपस जिसमे बहुत ही बड़ा गार्डन था, जिसमे पार्टी चल रही थी। प्रियम को देखते ही प्रेरणा की आँखें ख़ुशी से चमक गयी। प्रेरणा से मिलते ही प्रियम ने उसे गुड इवनिंग मैडम विश किया तो प्रेरणा ने उससे कहा कि ये ऑफिस नहीं है, घर है और यहाँ या तो मुझे प्रेरणा कहो या फिर जो तुम्हे अच्छा लगे। प्रियम को प्रेरणा यादव का व्यव्हार बहुत ही अच्छा लगा। उसके बाद प्रेरणा प्रियम को अपने साथ अपने बेटे से मिलवाने ले आयी! 

प्रेरणा - वीनू!

आवाज़ सुनकर एक सख्श प्रेरणा की तरफ बढ़ा और जैसे जैसे वो प्रेरणा की ओर बढ़ रहा था प्रियम को वो कुछ जाना पहचाना सा लग रहा था। 

प्रेरणा - प्रिया, मीट माई ओनली सन, विनीत! 

विनीत - व्हाट अ प्लीजेंट सरप्राइज माँ! प्रिया तुम!

प्रियम - विनीत!

प्रेरणा - ऐसा लगता है कि तुमदोनो एक दूसरे को जानते हो!

विनीत - ज्यादा नहीं जानता माँ! मैंने बताया था न उस रात के बारे में, शी इज़ द वन!

प्रेरणा - ओह्ह! सीरियसली!

विनीत - हाँ माँ!

प्रेरणा - प्रिया, तुमदोनो आपस में बातें करो, मैं बाकी गेस्ट्स को अटेंड कर के आती हूँ!

विनीत - ओके माँ!

प्रियम - तो, हैप्पी बर्थडे वीनू!

विनीत - थैंक्स प्रिया, यू इट मीन्स अ लॉट टू मी! आओ ना, मैं तुम्हे अपने दोस्तों से मिलवाता हूँ। 

प्रियम ने मना किया लेकिन विनीत उसे अपने दोस्तों से मिलवाने ले आया। 

विनीत -राकेश, ऋतिक, सुनैना, ऋतू मीट हर, शी इज़ प्रिया एंड प्रिया, मीट माय फ्रेंड्स!

प्रियम ने सभी से हैंडशेक किया। विनीत के सभी दोस्त उसी की तरह छह फुट प्लस थे और लडकियों की भी अच्छी हाइट थी। प्रियम चार इंच हील्स पहनकर भी उन सब के सामने कद में सबसे छोटा दिख रहा था और उसे बहुत अजीब फील हो रहा था। विनीत ने पार्टी के दौरान उसे केक खिलाया और खुद खाना सर्व किया। उसके दोस्त उसे दूर से देख रहे थे कि कैसे वो प्रियम के इर्द गिर्द घूम रहा था। पार्टी ओवर होने के बाद विनीत प्रियम को उसके घर ड्राप करने के बहाने उसे अपने कार में लेकर निकल पड़ा। रस्ते में विनीत ने प्रियम को आइसक्रीम खिलाया और थोड़ी देर में दोनों प्रियम के घर के नीचे खड़े थे। 

विनीत - तुम तीन फ्लोर चल लोगी ना, कि मैं छोड़ दूँ ऊपर तक!

प्रियम जोर से हंसा। 

प्रियम - नहीं नहीं मैं चली जाउंगी! 

विनीत - आई होप, ये हमारी आखिरी मुलाक़ात नहीं हो! 

प्रियम - ओफ़्कौर्स नॉट वीनू! तुम अच्छे इंसान हो, जब मिलने का मन हो बता देना, वीकेंड में मैं ऐसे भी फ्री रहती हूँ! 

विनीत - थैंक्स प्रिया!

प्रियम - गुड नाईट वीनू! घर चले जाओ, काफी लेट हो गया है!

विनीत  - हाहाहा, थैंक्स! गुड नाईट ब्यूटीफुल! टेक केयर!

विनीत के जाने के बाद प्रियम फ्लैट में आ गया और फ्रेश होने के बाद बिस्तर पर लेट कर सोचने लगा और सोचते सोचते सो गया।

नेक्स्ट मॉर्निंग फिर संजना आयी तो उसने प्रियम से पूछा कि वो रात को किसके साथ घर आया था। सुबह सुबह ऐसा सवाल सुनकर अब प्रियम को गुस्सा आ रहा था।

प्रियम - तुम्हारी प्रॉब्लम क्या है संजना!

संजना - मैंने तुमसे जो पूछा उसका जवाब दो प्रियम!

प्रियम - मैं कल रात विनीत के साथ आया था, वो प्रेरणा मैडम का बेटा है और मुझे इस बारे में पहले से कुछ भी पता नहीं था। प्रेरणा मैडम के कहने पर विनीत मुझे घर छोड़ने आया था, एनीथिंग एल्स?

संजना - प्रियम, मुझे डर लगता है, कहीं मैं तुम्हे खो ना दूँ!

प्रियम - ऐसे शक करती रहोगी तो पक्का खो दोगी। 

संजना - शक नहीं करती हूँ, थोड़ा अजीब लगता है जब कोई और तुम्हारे साथ हो तो!

प्रियम - मेरे साथ सिर्फ तुम हो संजू, आई लव यू और मेरी लाइफ में तुम्हारी जगह कोई नहीं ले सकता!

संजना - प्लीज प्रियम, तुम कहीं और जॉब ज्वाइन कर लो ना जहाँ तुम्हे औरत बनकर नौकरी पर नहीं जाना पड़े!

प्रियम - यार बहुत कम सैलरी मिल रहा है वहां, इसीलिए मैं कोई दूसरा नौकरी ज्वाइन नहीं कर रहा। 

संजना - तो और मेहनत करो प्रियम! वीकेंड पर मेरे साथ टाइम स्पेंड करने की जगह कोई ऐसा कोर्स ज्वाइन कर लो, जिससे तुम्हे अच्छी सैलरी मिले। प्रियम - मैंने लास्ट वीक ही नेटवर्किंग क्लासेज ज्वाइन की है, ऑनलाइन पढाई है और ये छह महीने का कोर्स है। 

संजना - बेबी! मैं बस इतना चाहती हूँ कि तुम जल्द से जल्द कोई अच्छी सी नौकरी ज्वाइन कर लो ताकि हम एक हो सकें। 

प्रियम - मैं कोशिश कर रहा हूँ शोना, यू नो ना कि मुझे पैसों की कितनी जरुरत है आज जितना मैं कमा लेता हूँ, अगर मुझे उसका आधा सैलरी भी मिले तो मैं ये नौकरी छोड़कर दूसरी नौकरी ज्वाइन कर लूंगा। यू नो, लड़कियों को जितनी आसानी से अच्छी सैलरी मिल जाती है, उतनी सैलरी लड़कों को आसानी से नहीं मिलती।  

संजना - तो क्या जिंदगी भर लड़की बने रहोगे? फिर मेरा क्या होगा, क्या कहकर मिलवाऊं मैं तुम्हे अपने पापा मम्मी से?

प्रियम - संजना, मैं देखता हूँ कि जल्द से जल्द मुझे अच्छी नौकरी मिल जाए!

संजना - हम्म! प्लीज् बेबी! आई लव यू!

प्रियम - आई लव यू टू बेबी!

इधर प्रियम बहुत कोशिश कर रहा था कि उसे अच्छी नौकरी मिल जाये, लेकिन इतना आसान नहीं था नौकरी पाना। वीकेंड पर प्रियम की बात एक बार तो जरूर हो जाती विनीत से। विनीत हमेशा प्रियम को मोटीवेट करता और वीकेंड में अक्सर दोनों एक बार जरूर मिलते। या तो प्रियम को विनीत कैंडल लाइट डिनर के लिए ले जाता या फिर प्रियम के घर आ जाता। दोनों की दोस्ती पहले से काफी अच्छी होती जा रही थी और प्रियम अब विनीत को लाईक भी करने लगा था। जब जब विनीत प्रियम के साथ होता, वो सेफ तो महसूस करता और साथ ही उसे विनीत की कंपनी में अच्छा लगता। जिस दिन प्रियम का जन्मदिन था, उस दिन संजना ब्राइडल मेकअप के लिए शहर से बाहर गयी हुई थी लेकिन विनीत प्रियम के लिए बर्थडे केक लेकर उसके घर आया और अपने उन दोस्तों को भी ले आया, जिनसे प्रियम पार्टी में मिला था। विनीत का ऐसे बर्थडे पर उसे सरप्राइज देना, प्रियम को बहुत अच्छा लगा। पार्टी ओवर होने के बाद जब विनीत के दोस्त चले गए तो प्रियम ने विनीत के गालों पर एक किस किया और उसे थैंक्स कहा। प्रियम खुद भी नहीं जानता था कि उसने ऐसा क्यों किया लेकिन विनीत को प्रियम का यूँ उसे चूमना बहुत अच्छा लगा। फिर विनीत प्रियम को गुड नाईट विश करके वहां से चला गया। 

विनीत के जाने के बाद प्रियम एक अजीब सी अंतर्द्वंद में था। प्रियम सोचने लगा, "आखिर मैं ऐसा कैसे कर सकता हूँ, विनीत को मैंने किस किया, व्हाट द फ़क! आखिर मैं ऐसा कैसे कर सकता हूँ, मैं एक मर्द हूँ और दूसरे मर्द को ऐसे चूमा मैंने! ये क्या किया मैंने, विनीत क्या सोच रहा होगा मेरे बारे में, ओह्ह गॉड! क्या विनीत के लिए मेरे अंदर फीलिंग्स जागने लगी है? ओह्ह्ह, अब मैं क्या करूँ! विनीत मेरे सामने होता है तो मैं उसके प्रति इतना आकर्षिक क्यों होने लगता हूँ। मुझे लगता है कि अब मुझे विनीत से दुरी बनाना होगा!" 

फिर प्रियम ने विनीत को कॉल किया। 

विनीत - हेलो प्रिया!

प्रियम - घर पहुंच गए?

विनीत - हाँ प्रिया!

प्रियम - आई एम् सॉरी वीनू! 

विनीत - सॉरी, लेकिन क्यों?

प्रियम - क्यूंकि मैंने तुम्हे किस किया! मुझे ये नहीं करना चाहिए था। 

विनीत -  इट्स ओके प्रिया! आई डोंट माइंड। 

प्रियम - वीनू, आई डोंट नो व्हाय मैंने ऐसा किया लेकिन अगेन, आई एम् सॉरी!

विनीत - प्रिया, आई एम् गेटिंग लेट फॉर बेड! गुड नाईट!

प्रियम - गुड नाईट वीनू!

विनीत - इतने प्यार से गुड नाईट विश करोगी तो मुझे तुमसे प्यार हो जायेगा!

प्रियम शरमा गया और उसने तुरंत कॉल डिसकनेक्ट कर दिया और बिस्तर पर लेट गया। विनीत का यूँ कहना प्रियम की धड़कनें बढ़ाने के लिए काफी थी। रात भर प्रियम यही सोच सोच कर करवटें बदलता रहा कि उसने सही किया या गलत। धीरे धीरे समय बीतने लगा, प्रियम अपनी लाइफ में बहुत खुश था। कंपनी में उसके दो साल पुरे होने जा रहे थे और ऑफिस में उसे जितना रेस्पेक्ट मिलता उससे वो और भी मोटीवेट होकर काम करता। प्रेरणा यादव देखती कि प्रियम कितनी लगन और मेहनत से काम करता, टीम को सपोर्ट करता और सभी को हमेशा मोटीवेट करता रहता। प्रेरणा प्रियम से बहुत ही ज्यादा प्रभावित थीं। पुरे दो सालों में एक भी छुट्टी नहीं लेने वाला प्रियम एक अकेला एम्प्लोयी था और इसीलिए उसे एम्प्लोयी ऑफ़ द ईयर का अवार्ड भी दिया गया। प्रियम की सफलता से वो बहुत ही ज्यादा सैटिस्फाई था लेकिन संजना बहुत दुखी रहने लगी थी। संजना को अब बहुत गुस्सा आता कि प्रियम जॉब क्यों नहीं छोड़ता और अपने असल मेल फॉर्म में कहीं और जॉब क्यों नहीं ज्वाइन कर लेता। इधर विनीत के साथ प्रियम की दोस्ती और भी गहरी होती जा रही थी और हर वीकेंड विनीत प्रियम से मिलने का कोई ना कोई बहाना जरूर ढूंढ लेता। कभी रेस्ट्रॉन्ट में, कभी क्लब्स में तो कभी इंडिया गेट, विनीत प्रियम को अक्सर कहीं ना कहीं साथ ले जाता और उसे स्पेशल फील करवाता। एक अच्छे दोस्त की तरह प्रियम विनीत के साथ हसी मज़ाक कर लेता, लेकिन कभी ये नहीं भूलता कि वो भी एक आदमी है। अक्सर प्रियम को विनीत के लिए बहुत बुरा फील होता क्यूंकि विनीत को प्रियम की सच्चाई नहीं पता था। विनीत प्रियम को प्रिया के तौर पर जानता था और अब जब विनीत से उसकी दोस्ती इतनी गहरी होती जा रही थी तो अब प्रियम बुरा फील करने लगा था। एक दिन संजना प्रियम से मिलने आई, तब प्रियम की ऑनलाइन आईटी क्लासेज ओवर ही हुई थी। 

संजना - प्रियम, तुम क्या चाहते हो?

प्रियम - क्या हुआ बेबी!

संजना - तुम मुझसे शादी नहीं करना चाहते ना?

प्रियम - ओफ़्कौर्स मैं सिर्फ तुमसे ही शादी करना चाहता हूँ संजना!

संजना - लेकिन आज भी तुम उसी कंपनी में लड़की बनकर काम कर रहे हो!

प्रियम - यू नो ना कि कितना टफ है अच्छी सैलरी के साथ नए जॉब में जाना!

संजना - ओके! आई फाउंड माय आंसर! 

इससे पहले प्रियम संजना को रोकता, वो पैर पटकते हुए वहां से चली गयी। उसके बाद प्रियम ने संजना को काफी कॉल किया, लेकिन संजना उसका कॉल इग्नोर करने लगी। प्रियम से बर्दाश्त नहीं हुआ तो एक दिन वो संजना के ब्यूटीपार्लर गया और संजना से मिला! प्रियम को देखकर संजना हिचकिचाने लगी और अपने स्टाफ को काम हैंडओवर करके प्रियम से बात करने लगी। 

संजना - तुम यहाँ क्यों आई हो प्रिया?

प्रियम - तुम मुझे इग्नोर कर रही हो, आखिर क्यों संजना!

संजना - ताकि तुम्हे एहसास हो सके कि तुम्हारी लाइफ में मेरी क्या अहमियत है!

प्रियम - मेरी लाइफ में तुम्हारी एहमियत इतनी है कि मुझे ये बताने की जरूरत नहीं है। 

संजना - सॉरी प्रिया, आई न्यू इट! लेकिन तुम अबतक ये नहीं समझ सके कि मैं क्यों तुम्हे दूसरी नौकरी के लिए फाॅर्स करती रही और वो भी तुम्हारी रियल आइडेंटिटी के साथ। 

प्रियम - मैने समझा लेकिन तुम नहीं समझ रही कि मेरे लिए ये जॉब कितना इम्पोर्टेन्ट है। मैं इस जॉब में कितना अच्छा पैसा कमाने में सक्षम हूँ और मेरे फॅमिली को सपोर्ट भी करने में। 

संजना - तुम जो कर रही हो करो, मैं सिर्फ इतना चाहती थी कि तुम अपने रियल आइडेंटिटी के साथ जॉब करो ताकि हम एक हो सकें। 

प्रियम - चाहती थी मतलब है संजू?

संजना - क्यूंकि मेरी शादी अब फिक्स हो चुकी है प्रियम, मेरे मम्मी पापा और भैया ने जो लड़का देखा था मेरे लिए वो बहुत अच्छा कमाता है, तुमसे भी ज्यादा। और मैंने तुम्हे टाइम दिया लेकिन तुम्हे अपनी नौकरी इतनी प्यारी है कि तुम थोड़ा भी स्ट्रेच करने को तैयार नहीं। 

संजना की शादी के फिक्स होने की बात सुनकर प्रियम का बहुत बड़ा हार्ट ब्रेक हुआ। वो अंदर से इतना टूट गया कि वो संजना से बिना कुछ कहे ही वहां से सीधे अपने फ्लैट पर चला गया। प्रियम फ्लैट पर आते ही अपना हैंडबैग साइड में रखा और बिस्तर पर बैठते ही रोने लगा। आज उसका दिल ऐसा तोडा था संजना ने कि प्रियम अंदर से बहुत बुरी तरह से टूट गया था। संजना से वो दिलोजान से प्यार करता था और संजना ने उसे सिर्फ इसीलिए छोड़ दिया कि वो अपने रियल आइडेंटिटी के साथ नौकरी पाने में सक्षम नहीं था। प्रियम को पहले भी नौकरी मिली भी थी तो मैक्सिमम बिस हज़ार की लेकिन इससे वो अपनी फॅमिली को सपोर्ट नहीं कर सकता था। इन दो सालों में प्रियम और उसके बड़े भाई दिव्यम के सपोर्ट से उनके पेरेंट्स ने उनकी दोनों बहनों की शादी के लिए अच्छा ख़ासा पैसा इकठ्ठा कर लिया था। इधर प्रियम अभी भी ये नहीं समझ पा रहा था कि संजना ने उसे धोखा दिया और किसी और से शादी करने जा रही थी।    

इट वज मंडे और इन दो सालों में पहली बार प्रियम ने दो दिनों की छुट्टी ली। कंपनी एचआर ने जब पहली बार प्रियम का लीव अप्रूवल को हामी भरी थी। उस दिन प्रियम ने किसी से कोई बात नहीं की, विनीत के भी काफी मिस्ड कॉल्स थे, लेकिन प्रियम इतना दुखी था कि वो किसी से बात नहीं करना चाहता था। उस दिन इवनिंग में विनीत प्रियम से मिलने उसके फ्लैट पर आ गया। विनीत ने देखा कि प्रियम अपनी आँखों से आंसू पोछ रहा था। 

विनीत - क्या बात है, ऐसी कौन सी बात है जिससे तुम इतनी दुखी हो?

प्रियम - कोई बात नहीं, बस ऐसे ही!

विनीत - प्लीज् टेल मी द ट्रुथ प्रिया!

प्रियम - विनीत प्लीज्, डोंट पुश मी! अभी जाओ तुम, मुझे कोई बात नहीं करनी!

आज लाइफ में पहली बार विनीत से किसी ने ऐसे कहा और उसे पहले तो बहुत बुरा लगा। लेकिन फिर उसने समझने की कोशिश की, कि आखिर ऐसी कौन सी बात है जिससे प्रियम इतना दुखी है। फिर विनीत प्रियम के पास गया और उसके बगल में बैठकर उसका हाथ अपने हाथ में ले कर उसके आंसू पोछे! ऐसा करते ही प्रियम विनीत के गले लग कर खूब रोया और विनीत ने उसे रोने से नहीं रोका। जब प्रियम का मन हल्का हुआ तो उसने विनीत से माफ़ी मांगी। 

विनीत - अब बताओ प्रिया, क्या बात है? क्यों दुखी हो! मैंने पहले कभी तुम्हे इतना दुखी नहीं देखा!

प्रियम सोचने लगा कि आज अगर उसने अपने बारे में विनीत को सबकुछ बता दिया तो वो हमेशा के लिए उससे दूर हो जायेगा! लेकिन ये एक गोल्डन ओपोर्च्युनिटी भी थी प्रियम के लिए कि विनीत के मन में उसके लिए जो कुछ भी था, वो खत्म हो जायेगा।

प्रियम - वीनू, तुम मेरे बहुत अच्छे दोस्त हो लेकिन आज मैं तुम्हे वो बताने जा रही हूँ, जो मैंने किसी को नहीं बताया। इट्स माय डार्क सीक्रेट वीनू और ये सीक्रेट जानने के बाद तुम जैसा चाहो वैसे रियेक्ट कर सकते हो। 

विनीत - ऐसा कौन सा डार्क सीक्रेट है प्रिया जिसकी वजह से तुम आज इतनी दुखी हो, तुम बेफिक्र होकर मुझे बताओ इस बारे में!

प्रियम - मैं जिस बात से दुखी हूँ वो मैं बताउंगी, लेकिन उससे पहले मैं तुम्हे अपनी सच्चाई के बारे में बताना चाहती हूँ। 

विनीत - प्रिया, तुम अपने बारे में जो भी बताना चाहती हो, मुझे बताओ!

प्रियम - वीनू, मैं ये नहीं हूँ जो दिखती हूँ। मैं तुम्हारी तरह एक मर्द हूँ और मेरे पास एक जादुई अंगूठी है जिससे मैं जब भी चाहूँ लड़की बन जाता हूँ।

विनीत - हाहाहा, कुछ भी प्रिया! मैं इन सब पर यकीन नहीं करता, कुछ और ही बात है जिससे तुम मुझे भटका रही हो!

प्रियम - नहीं वीनू, यही सच है। दो साल पहले तक मुझे नौकरी नहीं मिल रही थी तो मैं एक मंदिर में गया। वहां एक बाबा मिले और उन्होंने मुझे ये अंगूठी दी जिससे मैं जब चाहूँ तब लड़की बन जाता हूँ। लड़की बनकर नौकरी पाना मेरे लिए आसान हो गया और आज मैं जहाँ काम करता हूँ वो तुम्हारी माँ की कंपनी है। 

विनीत - होहोहो! हद है प्रिया! मैंने कहा ना, जादू जैसी कोई चीज़ नहीं होती। 

प्रियम - ठीक है, तो तुम देखो मैं कैसे लड़का बन कर दिखाता हूँ!

उसके बाद प्रियम अंगूठी की मदद से अपने रियल आइडेंटिटी के साथ विनीत के सामने खड़ा था। अब प्रियम अपने एक्चुअल हाइट में था, पांच फुट सात इंच लेकिन देखने में उतना ही क्यूट दिख रहा था जितना क्यूट वो लड़की बनकर दीखता था। पहले तो विनीत को यकीन नहीं हुआ कि सच में एक जादुई अंगूठी की मदद से कोई मर्द से स्त्री और स्त्री से मर्द बन सकता है। 

विनीत - यू आर लुकिंग सो क्यूट प्रिया!

प्रियम - इट्स नॉट प्रिया, मेरा असल नाम प्रियम है वीनू। 

विनीत - तो क्या तुम सिर्फ इसी बात से दुखी थी। 

प्रियम - नहीं वीनू, मेरी गर्लफ्रेंड संजना ने मुझे डिच कर दिया और किसी और से शादी करने जा रही है। मैं उससे बहुत प्यार करता हूँ वीनू, मैं उसके बिना नहीं जी सकता!

विनीत - श्श्श प्रिया! लुक! तुम्हारी गर्लफ्रेंड ने तुम्हे क्यों डिच किया, ये तो मैं नहीं जानता। लेकिन तुम अभी भी मेरे लिए उतनी ही मायने रखती हो। और डोंट वोर्री प्रिया, तुम्हारी ये आइडेंटिटी मेरे साथ सेफ रहेगी। मुझे इस बात से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता कि तुम लड़की हो या लड़के हो। मैं तुम्हे पसंद करता हूँ प्रिया, इसलिए नहीं कि तुम लड़की हो बल्कि इसलिए कि तुम दिल की बहुत अच्छी हो। अब तुमने मुझे अपनी रियल आइडेंटिटी बताकर अपने लिए मेरे दिल में अपनी जगह को और भी मजबूत कर लिया है। क्या सिर्फ इतनी सी बात के लिए तुम इतनी दुखी हो? 

प्रियम - क्या इतना काफी नहीं है मेरे दुखी होने के लिए। मेरी गर्लफ्रेंड मुझे छोड़कर किसी और से शादी करने जा रही है वीनू, मैं क्या करूँ!

विनीत - कम ऑन प्रिया, संजना मूव ऑन कर चुकी तो तुम भी मूव ऑन करो! लड़के होकर भी तुम इतने सुन्दर दीखते हो कि कोई भी लड़की तुम्हे ना नहीं कह सकती। तुम्हे संजना के अलावे और भी लडकियां मिल जाएँगी। 

प्रियम - थैंक्स वीनू! तुमने कभी किसी से प्यार किया है? किया होता तो समझ पाते कि इस वक़्त मेरे दिल पर क्या गुज़र रही है। 

विनीत - प्रिया, मैने जिससे प्यार किया उसने भी मुझे धोखा दिया। मैंने इस दुःख में अपनी लाइफ का दो साल बर्बाद कर दिया, मेरी माँ बीमार रहने लगी। फिर मुझे दो साल पहले एक लड़की मिली, जिससे मिलने के बाद मेरी लाइफ हमेशा के लिए बदल गयी। मैंने मूव ऑन किया और अपनी माँ का ख्याल रखने लगा। मुझे खुश देखकर मेरी माँ भी खुश रहने लगी और वो ठीक होने लगी। अगर मैं उस बेवफा के लिए हमेशा दुखी रहता तो आज हमारी हालत कुछ और ही होती। अगर उस लड़की ने तुम्हे डिच किया है तो तुम भी उसे खुश होकर दिखा दो कि तुम उसके बिना ज्यादा खुश हो, समझी?

प्रियम - अच्छा कौन है वो लड़की?

विनीत - है कोई, मिलवाऊंगा तुम्हे!

प्रियम - हम्म! तुम इतने अच्छे क्यों हो वीनू!

फिर विनीत ने प्रियम को हग किया और उसे काफी देर तक अपनी बाहों में समाये रखा। प्रियम तब अपने रियल फॉर्म में था लेकिन विनीत की बाहों में उसे बहुत अच्छा फील हो रहा था। प्रियम का मन अब बहुत हल्का हो गया था और उसने विनीत की आँखों में देखा। 

प्रियम - वीनू, मैं कुछ पूछूं!

विनीत - हाँ पूछो ना!

प्रियम - अब सब सच जानने के बाद क्या तुम मुझे सपोर्ट करोगे?

विनीत - हाँ प्रिया, आई एम् ऑलवेज विद यू!

प्रियम - थैंक्स! मुझे बहुत भूख लगी है, मैं आर्डर कर लूँ कुछ! क्या खाओगे?

विनीत - कुछ भी मंगवा लो प्रिया!

फिर विनीत ने उबर इट्स से खाना आर्डर किया और फिर दोनों ने एक साथ डिनर किया। डिनर के बाद विनीत अपने घर जाने लगा तो प्रियम ने उसे थैंक्स कहा। 

विनीत - थैंक्स क्यों?

प्रियम - तुमने मेरी सच्चाई जानने के बाद भी अपने दोस्त के रूप में एक्सेप्ट किया, इसलिए!


विनीत - हद है यार, ये अच्छी बात होती है। तुम अगर मुझे अपना नहीं समझती, तो क्या तुम मुझसे अपने सीक्रेट्स शेयर करती?

प्रियम - हम्म!

विनीत - एक बात पूछूं?

प्रियम - हाँ पूछो ना!

विनीत - तुम्हारे बर्थडे वाली रात तुमने मुझे गालों पर किस क्यों किया था?

प्रियम - आई डोंट नो! तुमने मेरे लिए मेरे बर्थडे पर इतना प्यारा सरप्राइज दिया, शायद इसीलिए। 

विनीत -  ओके! वीकेंड पर तो तुम खाली रहती हो प्रिया और मैं भी फ्री ही रहता हूँ। मैं सोच रहा था कि कोई डांस क्लास ज्वाइन कर लूँ, लेकिन मैं अकेला डांस क्लास ज्वाइन नहीं करना चाहता! क्या तुम मेरे साथ डांस क्लासेज ज्वाइन करोगी?

प्रियम - बात तो सही है तुम्हारी लेकिन वीकेंड पर मैं दो घंटे की सीसीएनपी की ट्रेनिंग ले रही हूँ। उसके बाद पुरे दिन तो मैं भी फ्री ही रहती हूँ! मुझे कोई इशू नहीं है!

विनीत - तो फिर ठीक है प्रिया! कल मंडे है और तुम छुट्टी पर भी हो, है ना! तो कल चल कर डांस क्लास में एडमिशन करवा लेते हैं और वीकेंड से डांस क्लासेज शुरू!

प्रियम - कौन सा डांस सीखोगे वीनू?

विनीत - मैं तो सालसा, हिपहॉप, रॉक और भंगड़ा सीखूंगा!

प्रियम - और मैं भी यही सब सीखूंगी!

विनीत - नहीं प्रिया! जरूरी नहीं कि जो डांस मैं सीखूं वो तुम भी सीखो!

प्रियम - तो मैं कौन सा डांस सीखूं?

विनीत - तुम वो डांस सीखो जिससे तुम्हारे व्यक्तित्व में निखार आये, तुम्हारा कॉन्फिडेंस बढे और तुम और भी ज्यादा सेल्फ मोटिवेटेड हो जाओ!

प्रियम - हम्म! तो ठीक है तुम ही डिसाईड कर दो कि मैं कौन सा डांस सीखूं!


विनीत - मैंने सोचा हुआ है, तुम कत्थक, भरतनाट्यम और लावणी डांस फॉर्म सीखो! 

प्रियम - कम ऑन वीनू! तुम चाहते हो कि मैं प्रिया बनकर डांस क्लासेज ज्वाइन करूँ!

विनीत - प्रिया, भरोसा रखो मुझपे! ये ऐसे डांस फॉर्म्स हैं जिन्हे अगर लडकियां सीखे तो उनके व्यक्तित्व का निखार होता है।

प्रियम - लेकिन डांस क्लासेज तो मैं प्रियम बनकर ज्वाइन करना चाहती हूँ, ना कि प्रिया बनकर!

विनीत - तुम प्रियम बनी रहोगी तो तुम्हे संजना की हमेशा याद आती रहेगी, ये बहुत अच्छा तरीका है मूव ऑन करने का। 

प्रियम - हम्म! तुम ठीक कहते हो वीनू! अब मैं एक सवाल पूछूं!

विनीत - हाँ पूछो ना!

प्रियम - उस लड़की का नाम बताओ ना, कौन है वो लड़की जिसके आने से तुम्हारी लाइफ पूरी तरह से बदल गयी! क्या वो तुम्हारी गर्लफ्रेंड है?

विनीत - सही समय आएगा तो मैं खुद तुम्हे उस लड़की से मिलवाऊंगा, लेकिन अभी वो लड़की तुमसे नहीं मिलेगी!

प्रियम - हद है ना! 

विनीत - प्रिया प्लीज्! मैं उस लड़की को खोना नहीं चाहता और ना ही कोई जल्दीबाज़ी करना चाहता हूँ। मैंने कहा ना, जब समय आएगा तो मैं खुद उस लड़की से तुम्हे मिलवाऊंगा!

प्रियम - ऐज़ यू विश वीनू! 

विनीत - अच्छा ये बताओ प्रिया, मैं कैसा लगता हूँ तुम्हे?

प्रियम - बहुत अच्छे लगते हो वीनू! 

विनीत - क्या मैं अच्छा इंसान हूँ?

प्रियम - ओफ़्कौर्स वीनू! तुमसे अच्छा इंसान मैंने आज तक नहीं देखा। तुम इतने पैसे वाले हो, किसी चीज़ की कमी नहीं है तुम्हे और फिर भी इतने डाउन टू अर्थ हो! इसीलिए तो तुम मुझे इतने पसंद हो!

विनीत - थैंक्स प्रिया! अगर मैं तुमसे कुछ मांगू तो मना तो नहीं करोगी?

प्रियम - नहीं मना करुँगी!

विनीत - मैं तुम्हे किस करना चाहता हूँ, होंठों पर! 

प्रियम - वीनू! नो, प्लीज! ये करने को मत कहो!

विनीत - प्रिया प्लीज, सिर्फ एक किस! आई विल बी जेंटल!

प्रियम - वीनू प्लीज्, मैंने कभी किसी आदमी को किस नहीं किया! मैं इसके लिए तैयार नहीं हूँ!

विनीत - सिर्फ एक किस प्लीज् प्रिया!

प्रियम - आर यू श्योर वीनू! तुम्हारी गर्लफ्रेंड को बुरा नहीं लगेगा?

विनीत - मेरी गर्लफ्रेंड को तो बुरा नहीं लगेगा, क्या तुम्हे बुरा लगेगा प्रिया?

प्रियम - आई डोंट नो वीनू! लेकिन मुझे रूप बदल लेने दो वीनू!

विनीत - हाँ प्रिया! मेरे लिए तुम प्रिया ही रहोगी, चाहे तुम किसी भी रूप में रहो!

प्रियम - बट इट वोउल्ड बी कम्फर्टेबल फॉर मी तो किस अ मैन इन अ गर्ल्स बॉडी ,वीनू!

विनीत - मेरे लिए तुम्हे अपना तन बदलने की कोई जरूरत नहीं प्रिया, चाहे तुम इस रूप में रहो या किसी लड़की के रूप में! मेरे लिए तुम सिर्फ प्रिया हो और हमेशा प्रिया ही रहोगी! 

प्रियम - हम्म!

देखते ही देखते विनीत प्रियम के इतने करीब आ गया कि दोनों के बीच हवा जितनी जगह भी नहीं बची। विनीत ने प्रियम को अपनी बाहों में समेट लिया। प्रियम की नज़रें झुक गयी तो विनीत ने उसके चेहरे को ऊपर उठाया और उसके होंठों पर अपने होंठ रखकर उसे चूमने लगा। विनीत की गर्म सांसें अब प्रियम की साँसों में घुलने लगी थी। विनीत की साँसों की गर्माहट और उसके मर्दानगी की खुशबू से प्रियम कमज़ोर पड़ने लगा और उसकी आँखें बंद हो गयी। प्रियम ने खुदको विनीत की बाहों में न्योछावर कर दिया और विनीत के होंठों के चुम्बन को महसूस करने लगा। प्रियम की आँखों से आंसू निकलने लगा, आँखें, नाक और कान लाल हो गयी थी। जब विनीत और प्रियम के चुंबन का सिलसिला टुटा तो शर्म से प्रियम की आँखें झुक गयी और विनीत की आँखें गर्व से उठी हुई थी। प्रियम को लाइफ में पहली बार किसी मर्द ने चूमा था, वो भी होंठों पर और इतने प्यार से! इतने प्यार से तो प्रियम ने भी कभी संजना को नहीं चूमा था जितने प्यार से विनीत ने उसे प्यार से चूमा था। प्रियम की आँखों से आंसू नहीं रुक रहे थे तो विनीत ने उसकी आँखों से बहती आंसुओं को भी पी लिया और उसे एक और चुम्बन देकर गुड नाईट विश करके वहां से चला गया। इधर विनीत के जाने के बाद प्रियम बिस्तर पर बैठकर अपने अस्तित्व को टटोलने लगा। 

प्रियम सोचने लगा, "आखिर क्यों? एक मर्द का मुझे यूँ चूमना, मुझे अच्छा क्यों फील हो रहा था। क्या मैं अंदर से लड़की बनता जा रहा हूँ, क्या पुरुषों के प्रति मैं कुछ ज्यादा ही आकर्षित हुआ जा रहा हूँ। आखिर मैंने वीनू को मुझे चूमने क्यों दिया! आखिर मुझे क्या हो जाता है जब मैं वीनू के सामने होता हूँ। मर्द के रूप में रहते हुए भी मैं लड़कियों की तरह ही बातें करता हूँ। ये गलत हो रहा है, मेरे अंदर वीनू के लिए इतने फीलिंग क्यों जग रहे हैं। क्या मुझे वीनू से प्यार हो रहा है। क्या करूँ भगवान्, क्या मैं वीनू से प्यार तो नहीं करने लगा हूँ, क्या मेरी लाइफ में यही सब होना है!" सोचते सोचते कब प्रियम नींद की आगोश में समा गया, उसे खुद चला!


सपने में प्रियम ने देखा कि वो अब लड़की बन चुका है, ब्यूटिशियन उसे सजा रही है, घर मे बहुत ही ज्यादा चहलकदमी है, उसकी मम्मी इतनी व्यस्त है कि प्रियम की तरफ देख भी नही रही है। प्रियम की भाभी अपनी सहेलियों के साथ बैठकर उसके साथ हंसी ठिठोली कर रही थी। सुहागरात में क्या होगा प्रियम के साथ इस बारे में आस पड़ोस की लडकियां प्रियम को घेरे डिस्कस कर रहीं थी। प्रियम के भैया दिव्यम और उसके पापा थोड़े अपसेट थे और शादी की तैयारियों में व्यस्त थे। प्रियम की बहनें भी तैयार हो रहीं थीं और थोड़ी देर में प्रियम को दूल्हन कि तरह तैयार करने के बाद लड़कियां उसे घेर कर हसी मजाक करने लगी। प्रियम को समझ मे नही आ रहा था कि हो क्या रहा है। अचानक ढोल नगाड़े और बारात के आने खबर आयी और प्रियम को घूँघट करके मंडप पर ले जाया गया। एक मोटे से शरीर वाले उम्रदराज आदमी के साथ उसकी शादी करवाई जा रही थी। प्रियम की नज़रें विनीत को ढूंढने लगीं लेकिन वो वहां कहीं भी नहीं दिखा। अपने बगल में एक उम्रदराज़ मोटे आदमी को देखकर प्रियम लगातार रोये जा रहा था,अपनी शादी को रुकवाने को बोल रहा था, लेकिन किसी ने उसकी एक भी नही सुनी। कुछ ही पलों में प्रियम की शादी कर दी गयी। पंडित के कहने पर उस मोटे आदमी ने प्रियम के नाक में बड़ा सा डिज़ाइनर नथिया  डाला, उसकी मांग में सिंदूर भर दिया और गले मे मंगलसूत्र पहना दिया। विदाई के बाद वो उम्रदराज़ आदमी प्रियम को अपने घर ले गया। 
सुहागरात की सेज पर प्रियम को घूँघट करके बैठा दिया गया और दुखी मन से प्रियम अपने पति का इंतजार कर रहा था, आंखों में आंसू भर आये थे, उसका पति कमरे में दाखिल हुआ। वो जैसे जैसे प्रियम के करीब आ रहा था, प्रियम की हार्टबीट बढ़ती ही जा रही थी। उसने प्रियम का घूँघट उठाया और उसके होंठों पर जैसे ही किस किया, प्रियम का वो भयानक सपना टूट गया और वो नींद से जाग कर बैठ गया। लाइफ में पहली बार प्रियम को इतना डर लगा था, वो पसीने पसीने हो गया था कर उसका पूरा बदन थरथरा रहा था। प्रियम ने लाइट्स ऑन किया, फ्लैट में वो अकेला था। प्रियम ने पानी पीया और सोने का सोचा लेकिन इतना भयानक सपना देखने के बाद उसे दुबारा सोने की हिम्मत नहीं हो रही थी। जैसे तैसे रात कटी, सुबह हुई तो सुबह सुबह उसके दरवाज़े पर संजना खड़ी थी। 

संजना - गुड मॉर्निंग प्रियम!

संजना को देखकर एक पल के लिए प्रियम इमोशनल होने वाला था कि उसने खुद को संभाला!

प्रियम - तुम यहाँ क्यों आयी हो?

संजना - प्रियम, ये मेरी शादी का कार्ड है। तुम्हारे और विनीत के नाम से दो कार्ड्स हैं। मेरी शादी में जरूर आना और प्रियम बनकर नहीं, प्रिया बन कर!

प्रियम - हम्म! ओके बाय!

संजना - अंदर नहीं बुलाओगे!

प्रियम - सॉरी बट नो! तुम जा सकती हो, मुझे तुमसे ना तो कोई बात करनी है और ना ही तुम्हारी शक्ल देखने में कोई इंटरेस्ट है मुझे! यू कैन गो नाउ!

संजना - तुम इतने कैसे बदल सकते हो प्रियम!

प्रियम - जो कुछ भी तुमने मेरे साथ किया उसके बाद मुझे बदलना जरुरी था। 
संजना - हम्म! शादी में आना जरूर!

प्रियम - सोचूंगा इस बारे में, अब तुम जाओ यहाँ से! 

संजना - बाय प्रियम!

प्रियम - गुड बाय!

प्रियम के बदले हुए व्यव्हार से संजना को बहुत बुरा लगा और वो उदास होकर वहां से चली गयी। प्रियम को बहुत अच्छा महसूस हो रहा था मानो उसके सर से कोई बहुत बड़ा बोझ हट गया हो! संजना के जाने के बाद प्रियम फ्रेश हुआ और विनीत को कॉल करके उससे आने का टाइम पूछ तो विनीत ने उसे बताया कि वो ग्यारह बजे तक वहां आ जायेगा। प्रियम ने एक हरे रंग की लाइट सिल्क साड़ी, हरे रंग की बैकलेस ब्लाउज को सेलेक्ट किया, उसकी खूबसूरती को देखते ही बन रही थी। प्रियम ने साड़ी के कपड़े को छूकर देखा तो उसने महसूस किया कि ऐसा कपड़ा आज से पहले उसने कभी नहीं पहना था। कुछ तो खास बात थी उस साड़ी के स्पर्श मे। फिर प्रियम ने साड़ी का एक छोर लेकर उसे पकड़ा और दाई ओर की पेटीकोट के अंदर उसका एक हिस्सा डालकर कमर पर लपेटने लगा। धीरे धीरे अपनी उंगलियों से प्रियम की कमर मे साड़ी को पेटीकोट के अंदर डलती साड़ी को ऐसे करीने से लपेट रहा था कि साड़ी मे एक भी सिलवट न पड़े।


साड़ी का निचला हिस्सा प्रियम के पैरों को छु रहा था। ज्यों ज्यों साड़ी प्रियम के तन पर लिपटती जाती, उसे एक कोमलता का एहसास होता। अब प्रियम ने साड़ी को अपने कूल्हों पर लपेटकर अपने हाथों से उसकी सिलवटे दूर कर चूका था। यूं तो साड़ी हल्की थी पर फिर भी उसका भार अब प्रियम को महसूस हो रहा था। साड़ी पहनते वक़्त आज पहली बार प्रियम अपने अंदर होने वाली खुशी को खुद समझ नहीं पा रहा था कि आखिर आज वो इतनी खुशी क्यों महसूस कर रहा है? शायद प्रियम समझ रहा था कि आज उसे नारीत्व का एहसास हो रहा था, जो उसके अंदर की नारी को जीवंत स्वरूप दे रहा था। 
साड़ी पर के खूबसूरत फूलों के प्रिन्ट प्रियम को बेहद मोहक लग रहे थे। वह खुद को इस वक्त किसी आईने मे पूरी तरह से देख नहीं सकता था पर उसे भरोसा था कि ये फूल और ये साड़ी उस पर बहुत खूबसूरत लग रही होगी। बैकलेस ब्लॉउज़ और साड़ी के बीच उसकी नाभि और कमर की खूबसूरती कई गुना बढ़ा चुकी थी। नाभि भी भला खूबसूरत लग सकती है? ऑर्नामेंट्स के नाम पर प्रियम ने अपनी कलाइयों में कुछ कंगन और चूड़ियों का कॉम्बिनेशन बनाकर पहन लिया और साथ ही रेड नेल पेंट से अपने हाथों और पैरों के नाखूनों को और भी खूबसूरत बना लिया, कानों में क्लिप वाली झुमकियां, गले में एक पेन्डेन्ट और उँगलियों के एक आर्टिफिशियल रिंग पहन लिया। 

प्रियम ने तो सोचा तक नहीं था, पर आज जैसे उसकी नाभि दिख रही थी, उसकी खूबसूरती देखने लायक थी। प्रियम ने अब साड़ी को लपेटते हुए अपने नाभि के नीचे तक लाकर, साड़ी के दूसरे लंबे छोर को पकड़कर, उसमे कुछ मोड़ बनाता हुआ, एक बार कमर से लपेटते हुए सामने लाकर अपने बैकलेस ब्लॉउज़ पर से ले जाते हुए करीने से अपने कंधे पर रखा। अब साड़ी का वो छोर प्रियम के कंधे से होते हुए पीछे से उसके घुटनों तक लटक रहा था। लंबाई से संतुष्ट होकर प्रियम ने अपनी नाभि के नीचे फंसी हुई साड़ी को निकाल अपनी उंगलियों से वहाँ प्लेट बनाने लगा। करीब ६ प्लेट बनाने के बाद प्रियम नाभि के नीचे अपनी उंगलियों से अपने पेटीकोट मे खोंच दी। साड़ी की प्लेटें ज्यों ही उसके पेटीकोट मे लटकी, यूं लगा मानो वो किसी एक फूल की तरह खुलकर खिल उठा हो। नाभि से होते हुए प्रियम की साड़ी उसके पैरों तक पहुंचने तक जिस तरह से थोड़ी खुल जाती, वो बहुत खूबसूरत लग रहा था और अब साड़ी का भार पूरी तरह से प्रियम की कमर पर था। जिसकी वजह से प्रियम खूद एक नाजुक फूल की तरह महसूस कर रहा था और उसके अंदर इस वक्त जो खुशी थी वो सिर्फ वही समझ सकता था। 

फिर प्रियम ने अपने कंधे पर रखे हुए पल्लू को पकड़ा और फिर उसे बड़े ही नजाकत से बराबर हिस्सों मे मोड़ने लगा। और फिर अपनी उंगलियों से उस पल्लू की लंबाई को बिल्कुल सीध मे खींचकर प्रियम ने अपने कंधे पर एक बार फिर रखा और फिर थोड़ा खींचकर उसकी लंबाई सही की। अब प्रियम की साड़ी उसके तन से बिल्कुल चिपक गई थी। प्रियम ने अपने सीने पर ब्लॉउज़ के ऊपर अपने आँचल पर की मोड़ो को कुछ इस तरह से खोला कि वो उसके ब्लॉउज़ को ढंकने लगे, पर फिर भी प्रियम की कमर जरा खुली रही। प्रियम ने पहली बार कुछ इस तरह पहना था, जिसमे उसकी कमर खुली रहे। प्रियम को बहुत अच्छा लग रहा था, साड़ी उसके कंधों पर से होते हुए उसकी नाभि के बिल्कुल करीब से जाती हुई बेहद सुंदर लग रही थी। और दूसरा हिस्सा उसके बूब्स पर चढ़कर उसके ब्लॉउज़ को ढँक रहा था। साड़ी की खूबसूरती वाकई मे उसके पहनने के तरीके मे भी होती है। पुशअप ब्रा की वजह से प्रियम के बूब्स काफी बड़े लग रहे थे और उन बड़े स्तनों पर उसकी साड़ी और भी खिल रही थी। 



प्रियम का साड़ी पहनना अब पूरा हो चुका था और अब बारी थी मेकअप की। गोल्डन हाई हील्स पहनने के बाद, अपने बालों को अच्छे से संवार कर, आँखों में काजल, होंठों पर लाल लिपस्टिक, गालों पर थोड़ा सा ब्लश और लाइट मेकअप के साथ अब प्रियम पूरी तरह से रेडी था। जब विनीत फ्लैट पर आया और उसने प्रियम को देखा तो एक पल के लिए मानो वो भी स्तब्ध रह गया। हरे रंग की साड़ी में प्रियम इतना खूबसूरत दिख रहा था कि विनीत से रहा नहीं गया। 

विनीत - वाओ! प्रिया, यू आर लुकिंग अब्सोलुट गॉर्जियस! 

प्रियम (शरमाते हुए) - थैंक्स वीनू!

फिर विनीत प्रियम को अपने साथ डांस क्लास ले गया। डांस कोरियोग्राफर का नाम सैम था और उसकी फिजिक शहीद कपूर जैसी थी। 



विनीत - सैम, मीट माय अब्सोल्युट गॉर्जियस फ्रेंड प्रिया। प्रिया, ही इज़ सैम, माय कॉलेज फ्रेंड!

प्रिया - हेलो!

सैम - हाय प्रिया! तो बताइये आपको कौन कौन सा डांस सीखना है?

विनीत - देख सैम, मैंने तो अपना बता ही रखा है, प्रिया को कत्थक, भरतनाट्यम और लावणी डांस फॉर्म्स सीखना है। 

सैम - दैट्स ग्रेट! प्रिया, ये तीनो डांस फॉर्म्स ऐसे हैं, जिनसे किसी भी लड़की का आत्मविश्वास बहुत ही ज्यादा प्रबल होता जाता है और उनका मनोबल भी बढ़ता है। आपने अपने लिए जो डांस फॉर्म्स सेलेक्ट किया है, वो बिलकुल परफेक्ट है। 

प्रियम - थैंक्स सैम!

सैम - मीट ब्यूटी रानी, आज से ये तुम्हे तीनो डांस फॉर्म्स की ट्रेनिंग देंगी। और विनीत, तुम आओ मेरे साथ। 

प्रियम - आपकी फीस?

सैम - मैं विनीत से फीस के बारे में डिस्कस कर लूंगा प्रिया, तुम अभी ट्रैनिग पर फोकस करो!

प्रियम - हम्म! थैंक्स!

विनीत सैम के साथ अलग हॉल में चला गया और प्रियम को ब्यूटी रानी अलग हॉल में ले गयीं जहाँ उसे पैरों में घुंघरू पहना दिया गया और कत्थक डांस फॉर्म से उसकी ट्रैनिग शुरू कर दी गयी। दो दिनों की छुट्टियों के दौरान विनीत के साथ प्रियम में अपना पूरा दिन स्पेंड किया। तीसरे दिन प्रियम ने फिर से ऑफिस ज्वाइन किया और अब वो और भी ज्यादा कॉंफिडेंट महसूस कर रहा था। विनीत जब प्रियम के साथ होता, प्रियम को बहुत ख़ुशी मिलती। इधर संजना की शादी भी थी सैटरडे को और प्रियम वैसे तो शादी में नहीं जाना चाहता था, लेकिन विनीत ने उसे ये सिचुएशन फेस करने की सलाह दी और वो अपनी एक्स की शादी में जाने को मान गया। 

इट वज सैटरडे और संजना की शादी की तैयारी बहुत ही जोर शोर से चल रही थी। प्रियम भी अपनी आईटी क्लासेज और डांस क्लास करके घर आ गया और शाम में संजना की शादी में जाने के लिए ड्रेस डिसाईड करने बैठ गया। 

विनीत उसके साथ था और उसने प्रियम के लिए खुद से एक ड्रेस चुना। इट वज पिंक साटन मिनी स्कर्ट। खुले बालों के साथ जब प्रियम ने उस ड्रेस को पहना तो उसे देखकर विनीत का मुँह खुला का खुला रह गया। 

विनीत - प्रिया, यू आर लुकिंग सो हॉट! 

प्रियम - मैं तो तुम्हे हमेशा ही हॉट दिखती हूँ वीनू!

विनीत - हम्म! ये बात तो है प्रिया! तुम इतनी सुन्दर हो, लगता है स्वर्ग की अप्सरा धरती पर उतर आई हो!

प्रियम - हाहाहा, बस बस वीनू! 

विनीत - हम्म! सच में, तुम बहुत हॉट दिख रही हो प्रिया, इसमें कोई शक नहीं!

प्रियम - लेकिन मैं कभी ऐसी ड्रेस पहनकर फ्लैट के बाहर कदम नहीं रखा! संजना की शादी में मैं ऐसी ड्रेस पहनकर जाउंगी तो लोग क्या कहेंगे!

विनीत - उससे क्या फ़र्क़ पड़ता है प्रिया, यू आर लुकिंग अब्सोल्युट हॉट एंड गॉर्जियस!

प्रियम - थैंक्स वीनू!

संजना की शादी बंसल भवन में होने वाली थी, जो कि रोहिणी के रॉकफील्ड स्कूल के पास थी। पुरे रस्ते विनीत प्रियम की खूबसूरती की तारीफें करता रहा और प्रियम विनीत से अपनी खूबसूरती की तारीफें सुनकर पुरे रस्ते लड़कियों की तरह ही ब्लश भी करता रहा। विनीत और प्रियम दोनों ही संजना के लिए गिफ्ट्स लेकर बंसल भवन पहुंच चुके थे। चूँकि बारात आ चुकी थी और जयमाला भी हो चूका था तो संजना अपने होने वाले पति के साथ स्टेज पर महाराजा कुर्सी पर बैठी थी और उसके पेरेंट्स उसके पास खड़े थे। संजना का हस्बैंड को प्रियम ने पहली बार देखा था, वो आदमी पौने छह फुट लम्बा, मोटा, डार्क कॉम्प्लेक्शन और थोड़ा उम्रदराज़ दिख रहा था। ठीक वैसा ही जैसा उसने अपने सपने में देखा था। फिर प्रियम को विनीत ने स्टेज पर चढ़ने में मदद की और दोनों संजना और उसके होने वाले पति को गिफ्ट्स देकर फोटोज क्लीक करवाकर वहां से जाने लगे तो संजना ने प्रियम को कुछ देर के लिए रुकने को बोली।  प्रियम रुकना तो नहीं चाहता था लेकिन सबके सामने ऐसे मना करना भी अच्छा नहीं लगता तो वो रुक गया और विनीत भी वहीँ उसके साथ खड़ा हो गया। 


संजना - कैसी लग रही हूँ मैं!

प्रियम - अच्छी दिख रही हो, दुल्हन के लिबास में तो कोई भी लड़की सुन्दर ही दिखती है। 

संजना - वैसे इस मिनी स्कर्ट में आज तुम भी काफी हॉट दिख रही हो प्रिया!

प्रियम - थैंक्स संजना!

संजना - प्रिया, क्या तुमने मुझे माफ़ कर दिया!

प्रियम - हाँ! ये तुम्हारी लाइफ है, मेरी नहीं! आई विश यू आल द बेस्ट फॉर योर मैरिड लाइफ एंड फ्यूचर! अब मैं जाऊं!

संजना - एक मिनट रुको प्रिया। सुनिए, शी इज़ प्रिया वर्मा, माय बेस्ट फ्रेंड! और ये विनीत यादव, प्रिया के बेस्ट फ्रेंड!

संजना का होने वाला पति जिसका नाम रणवीर कुमार था, जब उसने प्रिया को देखा तो उसे देखता ही रह गया। 

रणवीर - संजना, आपकी दोस्त वाकई किसी अप्सरा से कम नहीं! इस धरती की नहीं लगती है आपकी सहेली!

संजना - इसी धरती की है मेरी सहेली। 

प्रियम को काफी एम्बर्स फील होने लगा तो उसने संजना को उसके फ्यूचर के लिए बेस्ट विशेज़ दिए और विनीत का हाथ पकड़कर स्टेज से उतर गया। दोनों ने एक साथ डिनर किया और फिर दोनों वहाँ से निकल गए। रास्ते में प्रियम ने जिद करके विनीत से छह बीयर्स खरीदवाए और अपने फ्लैट पर आ गए। 

काफी नाईट हो चूका था और विनीत वहां से जाना चाहता, लेकिन प्रियम ने उसे बियर में कंपनी देने को कहा। प्रियम ने बियर पीने से पहले अपना रूप परिवर्तित करके अपने रियल फॉर्म में आ गया और अपनी मैजिकल रिंग को टेबल के दराज़ में रख दिया। प्रियम ने चेंज किया, ब्लैक टीशर्ट के साथ येल्लो ब्लैक कॉम्बिनेशन वाली फीमेल पजामा पहन लिया। प्रियम अपने मेल फॉर्म में विनीत के साथ बियर पीने बैठ गया, हालाँकि विनीत नहीं चाहता था कि प्रियम बियर पीये लेकिन प्रियम चाहे कितना भी सख्त बनने का दिखावा कर ले लेकिन संजना को गैर मर्द का होता देख वो दुःख के उस सागर में था, जिससे निकलने का अभी यही एक तरीका दिख रहा था उसे। विनीत ने तो पहले भी बियर पी थी, लेकिन आज प्रियम लाइफ में पहली बार बियर को हाथ लगाने वाला था।  

विनीत - प्रिया, एक बार फिर सोच लो! बियर अच्छी चीज़ नहीं होती! बहुत चढ़ गयी तो?

प्रियम - वीनू, आई नो कि तुम्हे भी बियर पसंद है, लेकिन आज मैं भी इसे चखना चाहती हूँ! वैसे भी कल संडे है। 

विनीत - हम्म! ओके! 

प्रियम ने एक बियर की बोतल ली, उसे ओपन किया और एक घूंट पीने के बाद अजीब सा मुँह बना लिया!

विनीत - हाहाहा, मैंने कहा था ना, छोड़ो अब मत पीना!

प्रियम - वीनू, टेस्ट इतना भी ख़राब नहीं है और तुम क्या सोचते हो, मैं इसे पी नहीं सकती!

उसके बाद प्रियम ने हिम्मत करके दो घूंट पी और पीते पीते अपना दुःख सुनाने लगा। पहले आधे घंटे तक तो प्रियम ने अपनी और संजना की अधूरी प्रेम कहानी का रोना रोया और उसके बाद प्रियम विनीत के बारे में बातें करने लगा। विनीत अब तक दो बॉटल्स गटक चूका था और ऐसा लग रहा था कि उसपे कोई फरक ही नहीं पड़ा हो! इधर प्रियम विनीत को उसी के बारे में ऐसी ऐसी बातें बता रहा था जो उसके मन में थी। और विनीत समझ चूका था था अब प्रियम के सर पर बियर का नशा चढ़ चुका है।  प्रियम ने दूसरी बोतल उठाई और उसे पीने लगा और विनीत से अपने मन की बातें कहने लगा। विनीत उसकी बातों पर कोई रिएक्शन नहीं दे रहा था और सिर्फ हम्म हम्म कर रहा था, क्यूंकि वो जानता था कि आज प्रियम उसके सामने अपना दिल खोल कर रख देने वाला था। विनीत ने पहले ही अपनी माँ को मैसेज करके बता दिया कि वो कल ही आएगा और उसकी माँ ने भी उससे कुछ भी नहीं पूछा। 


प्रियम - वीनू, जब से तुम मेरी लाइफ में आये हो, ऐसा लगता है मुझे किसी और की कोई जरुरत नहीं। तुम मुझे इतना मोटीवेट करते हो, यार तुम इतने अच्छे क्यों हो?

विनीत - हम्म! 

प्रियम - बताओ ना वीनू इतने अच्छे कैसे हो सकते हो तुम! जब से तुम मेरी लाइफ में आये हो, ऐसा लगता है कि कितने जन्मो का साथ है हमारा। पता है, जब तुम नहीं थे तब मेरी लाइफ इतने से कमरे में सिमटी हुई थी। लेकिन अब तो लगता है कि ये पूरी दुनिया मेरी है और मैं इस दुनिया की रानी! सच बोलूं, काश तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड नहीं होती वीनू, तो मैं पक्का तुम्हारी गर्लफ्रेंड बन जाती और तुम्हे बहुत प्यार करती। तुम इतने प्यारे क्यों हो वीनू!

विनीत - हम्म!

प्रियम - पता है, आज संजना ने मुझसे क्या कहा! उसने मुझसे कहा कि पहले मैं उसकी बेस्ट फ्रेंड थी, लेकिन अब तुम मेरे बेस्ट फ्रेंड हो। मुझे बहुत अच्छा लगा, यू आर सो क्यूट वीनू! कितनी बेगैरत थी वो लड़की जिसने तुम्हे डिच किया, उस बिच्च को थोड़ा भी आईडिया नहीं रहा होगा कि उसने क्या खोया। लेकिन मैं बहुत खुश हूँ और चाहती हूँ कि तुम भी हमेशा खुश रहो! मैं तुम्हारे लिए दिल से दुआ करुँगी कि अब तुम्हारा दिल कभी ना टूटे! आई नो दिल टूटता है तो कितना दुःख होता है और मैं हमेशा तुम्हे खुश देखना चाहती हूँ। मेरी सच्चाई जानने के बाद भी तुमने मुझे एक्सेप्ट किया, मेरे साथ रहते हो ताकि मुझे अकेलापन फील ना हो। मेरा इतना ख्याल रखते हो वीनू, जो शायद ही कोई कभी रखे।    

विनीत - हम्म!

प्रियम - वीनू, क्या तुम हमेशा मेरा साथ दोगे? शादी के बाद बदल तो नहीं जाओगे न! यू नो व्हाट, मैं तुम्हे खोना नहीं चाहती, तुम्हारे साथ मैं सेफ फील करती हूँ। 

विनीत - मैं हमेशा तुम्हारा साथ दूंगा प्रिया, मैं तुम्हे छोड़कर कभी नहीं जाऊँगा!

प्रियम - याद है, उस रात जब तुमने मुझे किस किया था। आज भी जब मैं वो किस याद करती हूँ तो मुझे बहुत अच्छा फील होता है। ऐसा लगता है कि खुदको तुम्हारे कदमो में न्योछावर कर दूँ वीनू। तुम्हारे  साथ मैं इतनी खुश रहती हूँ कि कभी कभी मेरी आँखें भर आती हैं। ऐसा लगता है कि शिव जी ने तुम्हे सिर्फ मेरे लिए ही भेजा है, लेकिन तुम्हारी लाइफ में आलरेडी कोई लड़की है, ओह्ह। काश वीनू, तुम सिंगल होते, काश तुम्हारी लाइफ में कोई लड़की नहीं होती, तो मैं तुम्हे अपना सबकुछ दे देती। 

प्रियम होश में नहीं था, वो क्या बोल रहा था? वो कभी हंस रहा था तो कभी रो रहा था। विनीत सककुछ देख रहा था और प्रियम को ऐसे टुटा देख उसने उसे अपनी बाहों में भर लिया, लेकिन प्रियम अपने दिल की बात तबतक कहता रहा जब तक वो विनीत की बाहों में सो नहीं गया। विनीत ने प्रियम को बिस्तर पर लिटाया, फ्लोर साफ़ करके बियर की बॉटल्स को किचन में रखकर कमरे में आया तो देखा प्रियम थरथरा रहा है। 

विनीत ने प्रियम के सर पर हाथ रखा, उसका सर आग सा तप रहा था। प्रियम को फीवर चढ़ गया था और वो ठंड से थरथरा रहा था। विनीत ने प्रियम के सारे कपडे खोल दिया और खुद भी न्यूड हो गया। विनीत ने अंदर के कमरे में वार्डरोब से एक बेडशीट निकालकर ले आया और प्रियम को अपनी बाहों में लेकर चादर ओढ़ कर उसका सर सहलाने लगा। अगली सुबह जब प्रियम नींद से जाएगा तब वो विनीत के मजबूत बाहों में स्पूनिंग पोजीशन में था।जब प्रियम नींद से जागा तो उसे अपने शरीर पर भारी हाथ, पैर और चूतड़ पर कुछ भारी सा डंडा सा महसूस हुआ। बगल में विनीत उसे स्पूनिंग पोजीशन में कडल कर के गहरी नींद में सो रहा था। प्रियम को एहसास हुआ कि ना तो उसके बदन पर एक भी कपडा है और ना ही विनीत के। विनीत की मजबूत हाथों का जकड का एहसास प्रियम को हो रहा था। प्रियम विनीत की बाहों में था और वो कोई डंडा नहीं था बल्कि विनीत का मोटा लंड था, जो काफी टाइट तना हुआ था। कल रात जो हुआ प्रियम उससे पूरी तरह अनजान था। प्रियम ने विनीत को नींद से जगाया और सबसे पहले भागते हुए वाशरूम में चला गया। प्रियम को यकीन नहीं हो रहा था कि वो विनीत की बाहों में रात भर नंगा सोया हुआ था। प्रियम के मन में फिर से अंतर्द्व्न्द शुरू हो गया। 

प्रियम सोचने लगा, "ओह्ह गॉड, क्या इससे भी वर्स हो सकता था मेरे साथ, पहले किस और अब एक मर्द की बाहों में नंगा सोना। ओह्ह ये क्या कर लिया मैंने, क्या विनीत ने रात भर मेरे साथ फिजिकल रिलेशन बनाया, ओह्ह ये सर दर्द भी! मैं गे नहीं हूँ फिर क्यों मेरे अंदर विनीत के लिए फीलिंग्स जागने लगती है और क्यों उसे देखकर मेरे अंदर की प्रिया बाहर आने को बेताब हो जाती है? मुझे यकीन है अगर मैं विनीत से इस बारे में पूछूं तो मुझे सब सच बताएगा लेकिन क्या ये सब सच है या सिर्फ हैलुसिनेशन! आई होप ये सब एक हैलुसिनेशन ही हो। लेकिन मैं ये सब कैसे होने दे सकता हूँ, ओह्ह्ह गॉड!" अभी प्रियम अपने अंतर्द्व्न्द में ही था और तभी वहां विनीत आ गया!

विनीत - तुम आधे घंटे से वाशरूम में क्या कर रही हो प्रिया! 

प्रियम - वीनू, ये सब क्या है! तुम मेरे साथ न्यूड सोये हुए थे, रात को क्या हुआ हमारे बीच!

विनीत - ओह्ह्ह! मत पूछो! कल रात बियर के नशे में तुम अपना होश खो चुकी थी। तुम मेरे ऊपर चढ़ गयी थी, कभी मेरे गाल पर, कभी मेरे होंठ पर, कभी मेरे सीने पर, कभी मेरे लंड पर, किस करती रही। मैंने बहुत रोका लेकिन तुम नहीं मानी और पूरी रात हमारे बीच वो हो गया जो नहीं होना चाहिए था। 

प्रियम - मतलब, कल रात तुम मेरे साथ फिजिकल हुए थे? ओह्ह गॉड!

कहते ही प्रियम वहीँ बैठकर रोने लगा। 

विनीत - श्श्श्श! शांत हो जाओ प्रिया! ऐसा कुछ भी नहीं हुआ हमारे बीच! वो तो मैं बस मज़ाक कर रहा था। मैं बिना तुमसे पूछे तुम्हे किस नहीं करता और तुम्हारे से बिना पूछे फिजिकल कैसा हो जाऊंगा! शांत हो जाओ, प्लीज्, रो मत प्रिया! कसम से, माँ की कसम, मैं मज़ाक कर रहा था। 

प्रियम (रोते हुए) - तुम सच कह रहे हो ना वीनू!

विनीत - हाँ प्रिया, कल रात तुमने कुछ ज्यादा ही बियर पी ली थी और तुम्हे हाई फीवर था। इतनी गर्मी में भी, ठण्ड से तुम्हारा पूरा बदन कांप रहा था, फैन बंद करने का भी कोई असर नहीं हुआ तो मैं तुमसे लिपट कर तुम्हे अपने शरीर की गर्मी देता रहा। सुबह के तीन बजे तुम्हारा बदन कम्पकम्पना कुछ कम हुआ और तुम्हे सुकून की नींद आयी। तुम सो गयी तो मैं भी सो गया, अब उठो भी! आई वज किडिंग यार!

प्रिय (आंसू पोछते हुए) - बहुत बुरे हो तुम वीनू! ऐसे मजाक करोगे तो मेरी जान निकल जायेगी!

विनीत - श्श्श्श! शांत प्रिया, आगे से ऐसा मजाक नहीं करूँगा! अब थोड़ा वाशरूम खाली करो ना प्लीज!

प्रियम हँसते और शरमाते हुए वहां से बाहर चला गया और विनीत वाशरूम के अंदर! विनीत की बात सुनकर प्रियम को बहुत ही ज्यादा रिलैक्स फील हुआ। जब विनीत फ्रेश होकर आया तो वो तैयार हो गया, प्रियम भी अपने फीमेल अवतार में था और वो आज प्लाज़ो सूट और ट्रांसपेरेंट गोल्डन चुनरी पहनकर रेडी हो गया। पुरे दिन प्रियम विनीत के साथ रहा और एक भी पल ऐसा नहीं था जब प्रियम को शरम ना आई हो! डांस प्रैक्टिस के बाद प्रियम को अपने साथ लेकर विनीत लाइट डिनर पर ले गया। वहां कैंडल लाइट डिनर के दौरान कुछ आवारा लड़के प्रियम को इशारे इशारे में छेड़ने की कोशिश में थे तो विनीत ने मैनेजर को बुलवाया और उसे उन आवारा लड़कों को समझाने को कहा और हिदायद भी दी कि अगर वे लड़के नहीं माने तो इस जगह जो तोड़फोड़ होगी, उसका जिम्मेदार वो नहीं होगा। विनीत की बात सुनकर वहां का मैनेजर डर गया और उन आवारे लड़कों को वहां से बाहर का रास्ता दिखा दिया। जब विनीत और प्रियम होटल से बाहर निकले, तब वे आवारे लड़के उन दोनों का इंतज़ार कर रहे थे!

एक बोला - तुझे क्या लगता है साले, तू अकेला हम सब से निपट सकता है। 

विनीत - हरामजादों, तू शायद मुझसे लड़ना चाहता है, तो आ जा मैदान में एक मर्द की तरह और लड़ मुझसे! 

प्रियम - वीनू, ये क्या कर रहे हो, हम अकेले हैं और ये चार! 

विनीत - तुम फिक्र मत करो प्रिया, ऐसे कुत्तों के लिए ही मैंने लाइसेंसी गन रखा हुआ है। 

विनीत ने अपने बगल से रिवॉल्वर निकाला और उसे लहराते हुए उन लफंगों को दिखाया। गन देखते ही चारों वहां से भाग खड़े हुए। 

प्रियम - तुम अपने पास गन कब से रखने लगे वीनू!

विनीत - जब से तुम मेरी लाइफ में आई हो प्रिया! मुझे कुछ हो जाए तो कोई गम नहीं लेकिन तुम्हे कुश हो गया तो मैं जीते जी मर जाऊंगा!

प्रियम - ऐसा क्यों वीनू, हम आपके हैं कौन?

विनीत - प्रिया, तुम मेरी दोस्त हो ना, इतना काफी नहीं है एक दूसरे को प्रोटेक्ट करने के लिए!

प्रियम समझ रहा था कि विनीत के दिल में उसके लिए कितना प्यार है। विनीत हर कदम पर प्रिया का साथ दे रहा था और प्रिया को विनीत का यूँ उसके लिए अपने दिल में प्यार जगाना अच्छा नहीं लग रहा था। आखिर वो भी एक मर्द ही था और दोनों कभी एक नहीं हो सकते थे। ये बात प्रियम तो जानता था, लेकिन शायद विनीत श्योर था कि एक ना एक दिन वो प्रियम को अपना बना लेगा। अब प्रियम के ऊपर उसकी खुद की फेमिनिटी हावी होने लगी थी। शर्ट, जीन्स से ज्यादा प्रियम को साड़ी पहनना अच्छा लगने लगा था। अब प्रियम की शॉपिंग में भी बनारसी सिल्क की साड़ियां, सिक्विन गाउन, सूट, पटियाला, डिज़ाइनर सूट प्लाज़ो, रंग बिरंगी चूड़ियां, सोने के कंगन और ब्रांडेड मेकअप का समान ज्यादा होता। अब ऑफिस में तो प्रिया बनकर रहता ही साथ ही घर में भी बस कुछ पल के लिए प्रियम बनता और अपने फॅमिली में सबसे बात करके फिर से प्रिया बन जाता। विनीत के अटेंशन को पाने के लिए प्रियम कुछ कुछ करता रहता, कभी उससे साड़ी का रंग देखने को कहता तो कभी फैब्रिक! अब धीरे धीरे प्रियम उस फेमिनिटी को एक्स्प्लोर करने लगा था और विनीत जब जब उसके साथ होता, प्रियम किसी गर्लफ्रेंड की तरह उसके साथ रहता। 

धीरे धीरे समय बीतने लगा था और उसी के साथ प्रियम और विनीत का रिश्ता और भी गहरा होने लगा था। पूरा एक साल बीत चूका था और ऑफिस में भी प्रियम पुरे डेडिकेशन के साथ काम करता जिसके बदौलत उसे तीसरी बार प्रमोशन मिला और अब वो उस कंपनी में मैनेजर के तौर पर काम कर रहा था। कंपनी ओनर प्रेरणा यादव प्रियम की हार्ड वर्क और डेडिकेशन को देखकर बहुत खुश रहती और टाइम टू टाइम प्रियम की सैलरी इन्क्रीमेंट खुद करवा देतीं। प्रियम अपनी फॅमिली को पैसे से सपोर्ट करने लगा तो उसकी दोनों बहनों की शादी हो गयी। प्रियम की मम्मी अब प्रियम को भी शादी करने के लिए फाॅर्स करने लगी थीं। जब जब प्रियम घर जाता, उसकी मम्मी उसे किसी ना किसी लड़की की फोटो जरूर दिखाती लेकिन प्रियम हमेशा उन्हें रिजेक्ट कर देता। हालाँकि प्रियम को उसके पापा और दिव्यम दोनों ही सपोर्ट मिल जाता, लेकिन उसकी भाभी और मम्मी हाथ धोकर उसकी शादी कराने के पीछे पड़े थे। इधर इन एक साल में प्रियम और विनीत डांस में काफी एक्सपर्ट होने लगे थे। विनीत अब सालसा और हिपहॉप में बहुत अच्छा परफॉर्म करने लगा था, वहीँ प्रियम कत्थक और लावणी में। लड़कियों के ग्रुप में प्रियम लीड करने लगा था, क्यूंकि उसकी आँखों में जो कॉन्फिडेंस था वही कॉन्फिडेंस उसकी डांस में भी था। सैम ने प्रियम से कहा कि वो अपने नाक और कान छिदवा ले और साथ ही नाभि भी, ताकि उसे ऑर्नामेंट्स पहनने में कोई दिक्कत ना हो! लेकिन प्रियम नाक, कान और नाभि छिदवाने के लिए साफ़ मना कर दिया, इस बारे में प्रियम ने विनीत से भी डिस्कस किया। 

विनीत - आई विश प्रिया, तुम नाभि, नाक और कान छिदवा लोगी तो रियल ऑर्नामेंट्स पहन सकोगी। फिर तुम और भी ज्यादा खूबसूरत दिखोगी। 

प्रियम - वीनू! कुछ भी! मैं कह रही हूँ कि मैंने नाभि, नाक और कान नहीं छिदवाना! अगर मैंने ऐसा किया तो जब मैं अपने मेल फॉर्म में रहूंगी तब भी मेरी पिएर्सिंग्स गायब नहीं होगी और जो दर्द होगा सो अलग! 

विनीत - तुम महीने में एक आध बार घर जाती हो प्रिया और तब नाक का छेद बंद करने का कोई ना कोई जुगाड़ ढूंढ लेंगे। 

प्रियम - वीनू, क्या तुम सच में चाहते हो कि मैं अपनी नाभ, नाक और कान छिदवा लूँ!

विनीत - आई विश! लेकिन मैं फाॅर्स नहीं कर रहा प्रिया, तुम चाहो तो मना कर दो!

प्रियम - हम्म! ठीक है, मैं तैयार हूँ! लेकिन मेरी एक शर्त है!

विनीत - कैसी शर्त!

प्रियम - वीनू अगर मैंने नाक, कान और नाभि छिदवा लिया तो तुम मुझे कल उस लड़की से मिलवाओगे, तुम्हारी गर्लफ्रेंड से। 

विनीत - ओके मुझे मंजूर है प्रिया!

विनीत इतना खुश हो गया कि उसने प्रियम को अपनी बाहों में ले लिया और अपनी ख़ुशी जाहिर करने लगा। विनीत की बाहों में प्रियम शरमाने लगा। प्रियम को यकीन नहीं हो रहा था कि वो अपनी ख़ुशी के बारे में ना सोचकर विनीत की ख़ुशी के लिए आज अपने नाक और कान के साथ नाभि भी छिदवाने को तैयार था। उसी दिन विनीत प्रियम को नेअरेस्ट ब्यूटीपार्लर ले गया। वैसे प्रियम संजना के ब्यूटीपार्लर भी जा सकता था, लेकिन अब वो संजना का चेहरा भी नहीं देखना चाहता था, इसीलिए विनीत प्रियम को वहां से दूर एक अच्छे से यूनिसेक्स ब्यूटीपार्लर में ले आया।  

ब्यूटीशियन - हेलो सर, हेलो मैम , हाउ कैन वी हेल्प यू? 

विनीत - हर नोज हैज़ टू बी पिएर्सड ऑन द राइट साइड अलोंग विद बोथ इयर्स एंड द नैवेल हैज़ टू बी पिएर्सड! 

ब्यूटीशियन - ओके मैम, कम विद मी प्लीज!

प्रियम ने विनीत की तरफ देखा और विनीत ने उसे कहा कि कुछ नहीं होगा! ब्यूटीशियन ने प्रियम को चेयर पर बिठाया। प्रियम के सामने बहुत बड़ा मिरर था जिसमे से वो अपनी सोच में घिरा था। प्रियम सोच रहा था, कि वो आज अपना नाक, कान और नाभि छिदवाने जा रहा था, क्या वो सही कर रहा था?  इधर ब्यूटीशियन ने प्रियम की नाभि में ऊपर और नीचे दो तरफ, दोनों कानों के नीचले हिस्से में और नाक के राइट साइड में पेंसिल से डॉट किया। प्रियम ने आईने में देखकर सुनिश्चित किया कि वो इसके लिए तैयार है।

सबसे पहले ब्यूटीशियन ने प्रियम के चेहरे को स्क्रब करने के लिए आगे बढ़ी तो प्रिम सोच में पड़ गया!

प्रियम - ये स्क्रब क्यों?

ब्यूटीशियन  - मैम, वी आर प्रोफेशनल्स! आमतौर पर ब्यूटीशियंस पियर्सिंग करने से पहले प्रीकॉशन्स नहीं बरततीं। लेकिन यहाँ इस बात का ख़ास ख्याल रखा जाता है। यदि आप संक्रमित त्वचा के दाग-धब्बों को या उसके पास छेदने की कोशिश करती हो, तो पियर्सिंग को खुद ही इन्फेक्शन्स के हायर रिस्क्स का सामना करना पड़ सकता है। वैसे तो आपका चेहरे पर ना तो कोई दाग धब्बा है और ना ही किसी तरह के कील मुहासे या ब्लॅकहेड्स! पर फिर भी थोड़ा स्क्रब कर दूँ तो आपके चेहरे की रौनक भी बढ़ जाएगी और अगर किसी तरह का जर्म्स हुआ तो वो भी साफ़ हो जायेगा। 

प्रियम - हम्म!

स्क्रब के बाद, ब्यूटीशियन ने रेपर से एक सुई निकाली और उसे स्टरलाइज़ करने को रख दी, दिस इंक्लूड्स द नीडल्स, ज्वेलरी एंड इतर टूल्स दैट शी विल हैंडल ड्यूरिंग द पियर्सिंग प्रोसेस। उसके बाद ब्यूटीशियन ने रबिंग एल्कोहल में सुई को भिगोकर गर्म पानी में उबाल लिया। फिर अपने हैंडवाश से धोकर लेटेक्स दस्ताने पहन ली। शुरुआत नाभि से हुई! पियर्सिंग से पहले ब्यूटीशियन ने अगले पांच मिनट्स तक प्रियम की नाभि को अल्कोहल से साफ़ करती रही। पियर्सिंग के लिए, ब्यूटीशियन ने एक क्लैंप लिया और इसे प्रियम के नाभि पर रख रख कर दबा दी ताकि इसे अपनी जगह पर रखा जा सके। फिर ब्यूटीशियन ने क्लम्प की छेद से प्रियम के नैवेल में उस सुई को घुसाकर आर पार कर दी। प्रियम को हल्का दर्द महसूस हुआ। 

ब्यूटीशियन - नैवेल पियर्सिंग करवाने के तुरंत बाद पहले 3-5 दिनों में और सिम्पटम्स दिखाई देने लगेगा। स्पेशली स्टार्टिंग में हल्का सूजन, ब्लीडिंग, दर्द और सॉफ्टनेस का एहसास होगा, लेकिन अगले 2-3 दिनों में सब ठीक हो जायेगा! 

फिर ब्यूटीशियन ने प्रियम के नैवेल में नैवेल स्टड रिंग को धीरे से पियर्सिंग के ऊपर रखा और हल्के से इसे चारों ओर घुमाने लगी। पियर्सिंग बिल्कुल नई थी तो इसमें थोड़ा दर्द तो हुआ, लेकिन प्रियम ने इस दर्द को बर्दाश्त कर लिया। पियर्सिंग के बाद प्रियम की कमर और भी खूबसूरत दिखने लगी थी। ब्यूटीशियन ने प्रियम को ये भी सीखा दी कि नैवेल स्टड्स या नैवेल ज्वेलरी को कैसे पहनते हैं। हल्का हल्का ब्लीडिंग हो रहा था जो कि एक ख़ास तरह के ऑइंटमेंट के लगाने के बाद बंद हो गया। नैवेल पियर्सिंग के बाद अब बारी थी एअर पियर्सिंग की। 

ब्यूटीशियन ने अपने ग्लव्स चेंज की, नीडल्स को फिर से स्टरलाइज़ कर ली। कान को डिसइंफेक्ट करने के लिए ब्यूटीशियन ने रबिंग अल्कोहल का उपयोग किया। फिर प्रियम के कान के नीचले बाहरी हिस्से पर क्लैंप से प्रेस की और एक स्टरलाइज़ की हुई सुई को उस डॉट पर रखकर प्रेस कर दी। इस बार प्रियम को कुछ ज्यादा ही दर्द हुआ, उसका एक कान छिद चुका था  और उससे उसके आंसू रोके नहीं गए। ब्यूटीशियन ने प्रियम के सर पर हाथ फेरा!

ब्यूटीशियन - इट्स ओके मैम! लड़कियों को तो ये दर्द बर्दाश्त करना ही पड़ता है!

फिर ब्यूटीशियन ने उस नीडल में एक गोल सी रिंग का एक छोर फंसा दी और जैसे ही पिन को बाहर निकाली, वो रिंग प्रियम के कान में अटक गयी। फिर उस रिंग के दोनों छोर को एक छोटी सी क्लिप की मदद से एक दूसरे से जोड़ दी।  

उसके बाद ब्यूटीशियन ने प्रियम के कान के उस हिस्से में एक खास तरह का ऑइंटमेंट लगा दी जिससे प्रियम का दर्द कुछ कम हुआ। फिर ब्यूटीशियन ने वही सेम प्रोसेस प्रियम के दूसरे कान के साथ किया, प्रियम को इस बार भी दर्द हुआ, लेकिन इस बार वो अपने आंसू रोकने में कामयाब रहा। 

अब प्रियम के दोनों कानों में छोटी छोटी बालियां डोल रही थी। अब बारी थी नाक में छेद करने की लेकिन प्रियम बहुत घबरा रहा था और ब्यूटीशियन इस घबराहट को भांप चुकी थी। तो ब्यूटीशियन प्रियम से बात करने लगी ताकि उसका डर और घबराहट दूर कर सके। लेकिन ब्यूटिशियन नहीं जानती थी कि सुन्दर सी लड़की उसके सामने बैठी थी वो कोई सच में लड़की नहीं थी बल्कि एक लड़का था। इन सब से अनजान ब्यूटीशियन प्रियम को नाक छिदवाने के बारे में और उसके फायदे के बारे में बताने लगी। 

ब्यूटीशियन - मैम, नाक छिदवाना यूं तो भारत में परंपरा है, लेकिन इन दिनों फैशन और स्टाइल के लिए भी लड़कियां नाक में तरह-तरह की बाली, नथ पहनना पसंद करती हैं। भले ही यह परंपरा हो, लेकिन नाक छिदवाने के कुछ फायदे भी हैं। 

प्रियम - अच्छा!

ब्यूटीशियन - हाँ मैम! इतना ही नहीं, नाक पर एक खास जगह छिदवाने से हम औरतों को पीरियड्स के दौरान होने वाले दर्द में आराम मिलता है। वैसे तो नाक में राइट और लेफ्ट दोनों साइड पर बाली पहनने से काफी फायदा होता है। इससे औरतों को प्रसव के समय आसानी होती है। कारण यह है कि औरतों की लेफ्ट साइड नाक की कई नसें प्रजनन अंगों से जुड़ी होती हैं। इतना ही नहीं, औरतें सोने या चांदी की बनी नथ पहनती हैं, जिससे ये धातुएं लगातार शरीर के संपर्क में रहती हैं। इन धातुओं के गुण मिक्स होते रहते हैं और इस वजह से नाक छिदवाना फायदेमंद होता है। नाक छिदवाने से माइग्रेन में आराम मिलता है।

ब्यूटीशियन की बातें सुनकर प्रियम और भी घबराने लगा। हालाँकि पीरियड्स के वो पांच दिन प्रियम को बहुत दर्द रहता है, लेकिन नाक छिदवाने से उसे आराम रहेगा, ये जानकार प्रियम को थोड़ी राहत भी मिली। 

ब्यूटीशियन - तो क्या, मैं आपकी  नाक में लेफ्ट साइड भी छेद कर दूँ मैम?

प्रियम - नहीं नहीं! राइट साइड बोला है ना, अभी राइट साइड में ही छेद कर दो!  

ब्यूटीशियन ने अपने ग्लव्स चेंज की, नीडल्स को फिर से स्टरलाइज़ कर ली। नाक की राइट साइड को डिसइंफेक्ट करने के लिए ब्यूटीशियन ने रबिंग अल्कोहल का ही उपयोग किया। फिर प्रियम के नाक के राइट हिस्से पर मार्क की हुई जगह पर क्लैंप से प्रेस की और एक स्टरलाइज़ की हुई सुई को उस डॉट पर रखकर प्रेस कर दी। इस बार प्रियम को जो दर्द हुआ, वो असहनीय था। प्रियम रोने लगा, ना तो उसके आंसू रुक रहे थे और ना ही उसका रोना। ब्यूटीशियन ने प्रियम को शांत रहने को कहा। लेकिन प्रियम से शांत नहीं रहा जा रहा था और वो लगातार रोये जा रहा था। तब ब्यूटीशियन ने विनीत को बुला लिया और विनीत ने प्रियम को हग करके उसे शांत किया। विनीत के प्यार भरे हग से प्रियम को अच्छा फील हुआ और वो थोड़ा शांत हुआ। वो नीडल अभी भी प्रियम के नाक में ही था और प्रियम खुद को देखकर अपने आंसू नहीं रोक पा रहा था। फिर ब्यूटीशियन ने उस नीडल के नीचले सिरे में एक गोल रिंग का एक हिस्सा सेट की और उस नीडल को ऊपर की और खींच कर बाहर निकाल दी और उस रिंग को एक दूसरे से अटैच कर दी। फिर ब्यूटीशियन ने प्रियम के नाक पर वही ऑइंटमेंट लगा दी, जिससे प्रियम का दर्द कुछ कम हुआ। उसके बाद प्रियम ने विनीत की ओर देखा। 

विनीत - यू आर लुकिंग डैम गॉर्जियस प्रिया! अब तुम रियल ऑर्नामेंट्स पहन सकती हो!

प्रियम - वीनू! तुम खुश हो?

विनीत - हाँ प्रिया, मैं बहुत खुश हूँ!

प्रियम - हम्म!

विनीत - अब चलें? 

प्रियम - कहाँ?

विनीत - मूवी देखने?

प्रियम - कौन सी मूवी?

विनीत - फिफ्टी शेड्स ऑफ़ ग्रे!

प्रियम - हाहाहा! मतलब कुछ भी! तुम मेरे साथ एडल्ट मूवी देखोगे?

विनीत - नहीं देख सकता?

प्रियम - देख सकते हो, चलो!

विनीत ने वहां का पेमेंट किया और प्रियम को अपने साथ वसंत विहार मॉल में ले आया। वहां फिफ्टी शेड्स ऑफ़ ग्रे मूवी की दो टिकट्स लेकर दोनों मूवी देखने चले गए। बालकनी की सीट्स पर दोनों बैठ गए और मूवी देखने लगे। मूवी में काफी किसिंग सीन्स, सेक्स सीन्स, बीएसडीएम पोजिशनिंग सीन्स थे और हार्डकोर सेक्स सीन्स भी थीं और इसी दौरान प्रियम को ना जाने क्या हो रहा था। उसकी नज़र विनीत के पैंट पर पड़ी तो उसका लंड काफी तना हुआ था और मूवी देखने के दौरान प्रियम को भी अंदर से विनीत को किस करने और रोमांस करने का मन करने लगा। हालाँकि विनीत भी चाहता था कि इस दौरान वो प्रियम को अपनी बाहों में भरके खूब रोमांस करे, लेकिन उसे इंतज़ार था, प्रियम के पहले कदम का। 

मूवी ख़त्म हुई तो प्रियम विनीत से बहुत ज्यादा ही शरमा रहा था। प्रियम को फ्लैट पर ड्राप करके विनीत अपने घर जाने को हुआ तो प्रियम से नहीं रहा गया। प्रियम ने विनीत को रोकने और जी भर के प्यार करने का सोचा, लेकिन फिर वो रुक गया। विनीत वहां से चला गया और प्रियम को बहुत अकेलापन फील होने लगा, उसका बहुत मन होने लगा कि कब विनीत लौट के आये।  

फिर प्रियम ने खुद को आईने में देखा और सोचने लगा! "ये कैसे हो सकता है, मैंने मूवी के दौरान वीनू को किस किया, ओह्ह गॉड! ये क्या होता जा रहा है मुझे! क्या लड़कियों वाली लाइफ जीते जीते, मैं सच में लड़की बनता जा रहा हूँ! अगर नहीं तो फिर क्यों जब जब भी वीनू मेरे सामने होता है, या मेरे करीब होता है तब मुझे इतनी बेचैनी क्यों होने लगती है। वीनू के सामने आते ही मेरे मन में हज़ारों ख्वाहिशें क्यों उमड़ने लगती है। ओह्ह मैं क्या करूँ! अभी वीनू जा रहा था तब भी मेरा मन उसे रोकने को कह रहा था।  ये क्या होता जा रहा है मुझे, वीनू ने कहा और मैंने अपना नाक कान और नाभि भी छिदवा लिया, ओह्ह्ह! क्यों वीनू की ख़ुशी के लिए कोई भी दर्द सहने को तैयार हो जाता हूँ। ब्यूटीशियन से नाक और कान के छेद छिपाने के बारे में भी नहीं पूछ सका मैं।" ऐसे ही सोचते सोचते कब प्रियम नींद से सो गया, उसे पता भी नहीं चला। गहरी नींद में, समय फिर से वहीँ से शुरू हो गया, जहाँ विनीत प्रियम को फ्लैट पर ड्राप करने आया था।   

धीरे धीरे प्रियम बहुत अधीर होने लगा और उससे नहीं रहा गया तो उसने विनीत के होंठों पर एक किस कर लिया। 

फिर क्या था, विनीत ने अपने बाहों का हार प्रियम के गले में पहना दिया और उसके होंठों को स्मूच करने लगा। मूवी अभी आधी ख़त्म भी नहीं हुई थी कि प्रियम अपनी एक्साइटमेंट को कण्ट्रोल नहीं कर पा रहा था। किस तक तो ठीक था लेकिन प्रियम के आगे हॉल में बैठे इतने सारे कपल्स के बीच एक इतना एक्साइटमेंट सही नहीं था। मूवी आधी छोड़कर प्रियम ने विनीत को फ्लैट पर ले चलने को कहा। 

विनीत - क्या हुआ प्रिया! 

प्रियम - कुछ नहीं, चलो, मुझे घर जाना है। 

फिर उस मूवी को आधी अधूरी छोड़ विनीत प्रियम को उसके फ्लैट पर ले आया। फ्लैट पर आते ही प्रियम विनीत के ऊपर आ गया और उसे स्मूच करने लगा। 

विनीत - प्रिया, कण्ट्रोल योरसेल्फ! 

प्रियम - शश वीनू, प्लीज्! 

विनीत - लेकिन प्रिया, अगर हमने सेक्स किया तो तुम हमेशा हमेशा के लिए अपने इस स्त्री रूप में कैद होकर रह जाओगी। 

विनीत के समझाने पर प्रियम को एहसास हुआ कि वो क्या करने जा रहा था। 

प्रियम - आई एम् सॉरी वीनू!

विनीत - इट्स ओके प्रिया, लेकिन अगर तुम प्रियम बनकर मेरे साथ सेक्स करोगी तो उससे कुछ चेंज नहीं होगा, यही बताया था ना उन बाबा ने!

फिर क्या था, तत्काल ही प्रियम मैजिकल अंगूठी से अपने असली रूप में आ गया और अंगूठी खोलकर दराज़ में रख दिया, लेकिन अभी भी वो साड़ी में ही था। प्रियम के नाक में अभी भी वो रिंग थी साथ ही दोनों कानों और नाभि में भी ऑर्नामेंट्स थीं। फिर विनीत ने उसे अपनी बाहों में उठा लिया और उसे जी भर कर स्मूच करने लगा। देखते ही देखते कुछ ही देर में दोनों न्यूड हो चुके थे। एक ओर जहाँ विनीत का मोटा काला लंड तनकर खड़ा हो गया था, वहीँ प्रियम का लंड अभी भी सोया ही हुआ था। प्रियम अभी भी विनीत की बाहों में था और उसे अपने छोटे से लंड का कोई अफ़सोस नहीं था बल्कि अब उसकी नज़र विनीत के लंड पर थी जो उसे ललचा रही थी। प्रियम विनीत के अंग अंग को चूमने लगा और अब उसकी नज़र विनीत के लंड पर थी। प्रियम ने विनीत के लंड को अपने नाज़ुक हाथों में लिया और उसे बड़े प्यार से सहलाने लगा, जिससे विनीत को बहुत अच्छा लग रहा था। धीरे धीरे प्रियम को विनीत के लंड की गर्माहट अच्छी लगने लगी और वो झुककर विनीत के लंड के टिप पर चूमने लगा। विनीत को बहुत अच्छा लगा। विनीत के लंड को चूमते चूमते कब प्रियम ने उसे अपने मुँह में ले लिया और उसे ब्लोजॉब का मजा देने लगा उसे खुद पता नहीं चला। 

लाइफ में पहली बार प्रियम वो कर रहा था जिसके बारे में वो सोचने को भी रेडी नहीं होता। लगभग दस मिनट्स तक प्रियम विनीत को ब्लोजॉब का मजा देता रहा। प्रियम आज पहली बार विनीत की मर्दानगी की स्मेल का एहसास किया। थोड़ी देर बाद विनीत का लंड प्रियम में गले के आखिरी अंत तक जाने लगा तो उसे एहसास हुआ कि अब शायद उसका गला चॉक कर जायेगा।


 इससे पहले कि प्रियम अपने मुँह से विनीत का लंड बाहर निकालता, विनीत को तबतक इतना एक्साइटमेंट हो गया कि उसने प्रियम के मुँह में ही अपना स्पर्म लोड डिस्चार्ज कर दिया जो उसके गले तर करता हुआ उसके अंदर चला गया। स्पर्म डिस्चार्ज के साथ ही विनीत के लंड का टाइटनेस कुछ कम हुआ और उसने प्रियम के मुँह से अपना लंड बाहर निकाल लिया।  फिर भी प्रियम ने उस स्पेर्म्स लोड के एक एक बून्द को चाट गया। विनीत ने प्रियम को ऊपर उठाया और उसकी आँखों में देखा और प्रियम शरमाने लगा और दौड़ता हुआ वाशरूम में चला गया। उसके पीछे पीछे विनीत भी वाशरूम में पहुंचा तो उसने देखा कि प्रियम ब्रश कर रहा है। 

विनीत - लगता है टेस्ट पसंद नहीं आया प्रिया?

प्रियम ने कोई जवाब नहीं दिया और उसने कुल्ली की और थोड़ा फ्रेश महसूस करने लगा। 

प्रियम - आई एम् सॉरी वीनू, ये मैंने क्या कर दिया!

विनीत - इसमें सॉरी वाली कोई बात नहीं है प्रिया, आज तो तुमने अपनी स्त्रीत्व को एक्सेप्ट किया है और मैं यही तो चाहता था। 

प्रियम - वीनू, तुम मेरे साथ सेक्स करना चाहते थे?

विनीत - नहीं, मैं तुम्हे अपनी दुल्हन बनाना चाहता हूँ। तुम मिलना चाहती हो ना कि वो लड़की कौन है!

प्रियम - हाँ वीनू!

विनीत - तो ठीक है, आज रात मैं तुम्हे उससे मिलवाऊंगा, लेकिन उससे मिलने के लिए तुम्हे मेरे कहे अनुसार रेडी होना होगा, क्या तुम्हे  है। 

प्रियम - बिलकुल भी नहीं!

विनीत - तो फिर ठीक है, यहाँ आओ मेरे पास!

प्रियम जैसे ही विनीत के पास गया, विनीत ने उसे अपनी बाहों में उठा लिया और उसके होंठों को चूमने लगा। प्रियम के साथ रोमांस करते करते वो उसे बड़े वाले कमरे में ले गया और बिस्तर पर लिटाकर उसके अंग अंग को चूमने। विनीत का हर एक स्मूच से प्रियम के अंग अंग ऐसे खिलने लगा, जैसे भँवरे के चूमने से कली फूल की तरह खिल जाती है। प्रियम भी विनीत के गले में अपने हाथों का हार डाले उसके होंठों को चुम रहा था।दोनों न्यूड तो थे ही और अब विनीत एक्साइटमेंट के उस मुकाम पर था जहाँ से वो रुकना नहीं चाहता था। विनीत का लंड अब प्रियम की गांड के छेद पर टिक चूका था और प्रियम को इसका एहसास होते ही उसने विनीत को किस करने छोड़ उसे रोकने लगा। 

विनीत - प्रिया, आई एम् रेडी! डोंट स्टॉप मी!

प्रियम - नहीं वीनू, तुम्हारा लंड बहुत बड़ा है। इसे झेल पाना मेरे बस की बात नहीं, प्लीज् मुझे नीचे उतार दो!

विनीत चाहता तो नहीं था लेकिन उसने प्रियम को नीचे उतार दिया। प्रियम ने देखा विनीत का लंड काफी तन कर ऊपर उठा हुआ था। 

प्रियम - वीनू, तुम मेरे साथ सेक्स करना चाहते हो?

विनीत - हाँ प्रिया! लेकिन क्या तुम इसके लिए रेडी हो!

प्रियम - आई डोंट नो वीनू, मुझे बहुत डर लग रहा है इसे देखकर! कहीं कुछ हो गया तो!

विनीत - डोंट वरी प्रिया, आई विल बी जेंटल!

प्रियम - आई एम् रेडी वीनू, लेकिन ज्यादा नहीं करुँगी!

विनीत - इट्स ओके प्रिया!

फिर विनीत ने प्रियम को बिस्तर पर लिटाया, उसके दोनों पैरों को फैलाकर उसके ऊपर आ गया और उसके होंठों  रखकर स्मूच करने लग। स्मूचिंग के दौरान ही विनीत ने प्रियम की गांड की छेद पर हल्का सा स्ट्रोक दिया और प्रियम की चीख निकल गयी। प्रियम की आँखों में आंसू आ गए और वो विनीत की ओर देखने लगा। 

प्रियम - प्लीज्, डोंट बी सो हार्ड!

विनीत ने हल्का सा स्माइल किया और प्रियम को स्मूच करते हुए उसके गांड में अपना आधा लंड घुसा दिया। प्रियम (आँखों में आंसू लिए) - आह्ह्ह्ह, वीनू प्लीज् , दर्द हो रहा है!

विनीत - श्श्श! शांत हो जाओ प्रिया! शुरू में थोड़ा दर्द होगा, फिर सब ठीक हो जायेगा!

प्रियम - महहह! प्लीज्!

विनीत - आई विल बी जेंटल!

उसके बाद बिना कुछ कहे विनीत ने अपना पूरा लंड प्रियम के गांड में घुसा दिया। विनीत के हर स्ट्रोक्स के साथ प्रियम आह्ह्ह्ह, ओह्ह्ह्हह्ह, प्लीज्, प्लीज्, प्लीज्, आअह्ह्ह्हह करने लगा। 

विनीत - प्रियम, प्लीज् शांत हो जाओ प्रिया, पडोसी सुन लेंगे तो क्या कहेंगे!

विनीत उसे पेट के बल लिटा कर उसकी कमर को अपने हाथों से जकड़कर, उसके गांड में अपना लंड घुसा दिया। इस बार थोड़ा दर्द हुआ लेकिन प्रियम ने तकिया में अपने दांत गड़ा दिए और दर्द बर्दाश्त करने की कोशिश करने लगा। लगभग बिस मिनट्स तक विनीत प्रियम के साथ सेक्स करता रहा। प्रियम का लंड अब थोड़ा टाइट हो गया था लेकिन पेट के बल होने के कारण उसका लंड बिस्तर से रगड़ रहा था। बिस मिनट्स के सेक्स के दौरान विनीत प्रियम के पीठ को चूमता रहा, उसकी छाती को मसलता रहा और उसके पुरे जोश में चोदता रहा। 

प्रियम भी बहुत एक्साइटेड हो गया था और जैसे ही विनीत ने प्रियम की गांड में अपना स्पर्म डिस्चार्ज किया, प्रियम का स्पर्म भी डिस्चार्ज हो गया। प्रियम का बदन थरथराने लगा और वो शांत हो गया। प्रियम के मन को असीम शांति का अनुभव हो रहा था और वो इस फीलिंग को जाने देने को तैयार नहीं था। जिसके बाद दोनों नीचे प्रियम और ऊपर विनीत लम्बी लम्बी सांसें लेते हुए लेटे रहे और उस फीलिंग को एन्जॉय करते रहे। प्रियम की आँखों में आंसू भरे थे और विनीत की आँखों में ख़ुशी। थोड़ी देर बाद विनीत ने प्रियम के गांड से अपना लंड बाहर निकाल लिया। प्रियम को बहुत आराम मिला, उसने विनीत को देखा तो विनीत ने उसके होंठों पर स्मूच किया और वाशरूम में चला गया। 

फ़ोन की घंटी बजी और प्रियम नींद से जाग गया। प्रियम ने कॉल पिक किया, वो स्पैम कॉल था। प्रियम ने इधर उधर देखा, उसकी नज़रें विनीत को ढूंढने लगी और प्रियम ने कोने कोने में देख लिया, विनीत वहां कहीं भी नहीं था। वो अभी भी साड़ी में ही था। उसके ऊँगली में अभी भी मैजिकल रिंग थी और वो अभी भी प्रिया की रूप में ही था। प्रियम ने बिस्तर पर देखा कि उसके डिस्चार्ज से उसकी पैंटी, पेटीकोट, साड़ी और बिस्तर गीला हो चूका था। 

प्रियम - ओह्ह थैंक गॉड! इट वज जस्ट अ ड्रीम! 

प्रियम ने अपनी ब्रा, पैंटी, पेटीकोट, साड़ी और बेडशीट को सर्फ में भिगो कर कमरे में आया और नाईटी पहनकर चेयर पर बैठ गया। 

प्रियम सोचने लगा, "ओह्ह! ये कैसा सपना था, विनीत के साथ सपने में सेक्स! ओह्ह! थैंक गॉड कि ये एक सपना था!"

इट वाज़  इवनिंग, विनीत प्रियम को इंडिया गेट घुमाने के बहाने फिर से फ्लैट पर आ गया। तब प्रियम सब काम से निपटकर बिस्तर पर दूसरा बेडशीट बिछा ही रहा था। 

विनीत ने प्रियम को चेयर पर बिठाया और उसके पैरों में बैठकर उसकी ओर देखने लगा।

प्रियम - ऐसे क्या देख रहे हो वीनू?

विनीत - आई वज नॉट जेंटल इन द सिनेमा हॉल, मुझे तुम्हे ऐसे किस नहीं करना चाहिए था। आई एम् सो सॉरी प्रिया!

प्रियम - इट्स ओके वीनू! इट वज नॉट दैट बैड!

विनीत - आर यू श्योर!

प्रियम - हाँ वीनू! यू मेक मी सो हैप्पी टुडे!  

विनीत - हम्म! 

प्रियम  - हाँ वीनू! देखो तुम्हारे लिए मैंने अपनी नाक और कान के साथ नाभि भी पियर्स करवा चुकी हूँ। अब तो उस लड़की से मिलवा दो!

विनीत - मिलवा दूंगा प्रिया! तुम एक काम करो, यू हैव ऑरेंज सिल्क साड़ी, बैकलेस ब्लाउज राइट!

प्रियम - हाँ वीनू, लेकिन ब्लाउज अब टाइट होने लगी है!

विनीत - चलेगा! प्रिया तुम साड़ी में रेडी हो जाओ, मैं बस यूँ गया और यूँ आया!

प्रिया - वीनू, रुको तो!

इससे पहले प्रियम विनीत को रोकता वो जा चुका था। प्रियम ऑरेंज बनारसी सिल्क साड़ी, गोल्डन बैकलेस डीप कट ब्लाउज वार्डरोब से निकाला और ब्रा पैंटी पहनने के बाद गोल्डन बैकलेस डीप कट ब्लाउज पहन लिया। ये ब्लाउज पहले से कहीं ज्यादा टाइट फिटिंग हो चुकी थी जिससे प्रियम के बूब्स का उभार ज्यादा दिखने लगा। इन दो सालों में इतना कुछ बदल चूका, फिजिकली हो या मेंटली! उसके बाद प्रियम ने साड़ी से मैचिंग येलो पेटीकोट पहन लिया और फिर सिल्क साड़ी पहनकर रेडी हो गया। प्रियम ने अपने बालों को अच्छे से संवारा, लाइट मेकअप किया। फिर दोनों कलाइयों में एक एक दर्जन ऑरेंज अमेरिकन सिल्वर चूड़ियां पहनी और बैठ कर नेल पेंट करने लगा, फिर अच्छे से तैयार होने के बाद, पैरों में हील्स पहनकर बैठ गया और विनीत के आने का इंतज़ार करने लगा।थोड़ी देर में विनीत वहां आया तो उसने देखा कि प्रियम आईने के सामने बैठकर खुद से ही बातें कर रहा था। विनीत प्रियम के सामने गया तो प्रियम वहां से उठने लगा लेकिन विनीत ने प्रियम को बैठे रहने को कहा। फिर विनीत ने उस बैग से दो सोने के कंगन निकाल कर प्रियम की कलाइयों में पहना दिया, इससे पहले कि प्रियम कुछ समझ पाता, विनीत ने बैग से एक सोने की लॉकेट निकाला और प्रियम के गले में पहना दिया। प्रियम लॉकेट और कंगन देख रहा था कि विनीत ने प्रियम के पैरों में हैवी चाँदी की पायल पहना दिया और प्रियम के माथे पर, उसके दोनों भौहों के बीच एक लाल बिंदी चिपका दिया। उसके बाद विनीत ने प्रियम की साड़ी से उसके सर पर एक घूँघट बना दिया और पल्लू का एक छोड़ प्रियम को पकड़ा दिया। 

प्रियम - ये तुम क्या कर रहे हो वीनू!

विनीत - कुछ नहीं कर रहा हूँ मैं! तुम जानना चाहती थी ना कि आखिर वो लड़की कौन है?

प्रियम - हाँ वीनू, उसे नहीं लाये तुम!

विनीत ने प्रियम को आईने के सामने खड़ा कर दिया और उसके पीछे खड़ा हो गया। हाई हील्स पहनने के बावजूद प्रियम का सर विनीत की छाती तक ही आ रहा था। 

विनीत - आईने में जो लड़की खड़ी है ना, ये वही लड़की है!

विनीत की बात सुनकर प्रियम होश खो बैठा! जिस लड़की ने विनीत की लाइफ बदल दी, वो कोई और नहीं बल्कि वो खुद है। 

प्रियम - विनीत, मजाक नहीं प्लीज!

विनीत - मैं मजाक नहीं कर रहा प्रिया, जब से तुम मेरी लाइफ में आई हो, मेरी लाइफ बदल गयी है। मुझे जीने की वजह मिल गयी है प्रिया। 

प्रियम - तो तुम ये कहना चाहते हो कि हमेशा जिस लड़की की तुम बात करते थे, वो लड़की कोई और नहीं बल्कि मैं हूँ!

प्रियम की बात सुनकर विनीत घुटनों पर बैठ गया, उसने एक गुलाब का फूल निकाला और प्रियम को दे दिया। 

विनीत - हाँ प्रिया, वो लड़की तुम हो! आई लव यू प्रिया! विल यू मैरी मी!

प्रियम -  तुम जानते हो ना कि तुम क्या कह रहे हो वीनू! ये पॉसिबल नहीं है वीनू! मेरे माँ बाप इस शादी के लिए कभी नहीं मानेंगे!

विनीत - मैं तुम्हारे माँ बाप को मना लूंगा प्रिया! क्या तुम मुझसे शादी करने को तैयार हो?

विनीत की बात सुनकर प्रियम सोच में पड़ गया। वैसे प्रियम के मन में विनीत के लिए बहुत प्यार था लेकिन वो हिम्मत नहीं कर पा रहा था कि विनीत को हाँ कहे या ना!

प्रियम - ठीक है वीनू, तुम मेरे माँ बाप को इस शादी में मना लेते हो तो मैं तुमसे शादी करने को तैयार हूँ। लेकिन तुम मेरे पेरेंट्स से प्रियम का हाथ मांगोगे ना कि प्रिया का। मैं नहीं चाहती कि शादी के बाद मैं अपने पेरेंट्स से मिलने को तरसूं। लेकिन अगर मेरे पेरेंट्स नहीं माने तो! वे मेरी नौकरी छुड़वा देंगे वीनू और मुझे मेरे ही घर में कैद करके रख देंगे। 

विनीत - ऐसा कुछ भी नहीं होगा प्रिया! मैं हूँ ना, तुम्हे मुझपर भरोसा है!

प्रियम - खुद से ज्यादा!

विनीत - तो फिर ठीक है, तुम बेफिक्र रहो, मैं मना लूंगा तुम्हारे पेरेंट्स को!

प्रियम - आर यू श्योर वीनू!

विनीत - हाँ मेरी जान!

बस क्या था, विनीत प्रियम को अपनी बाहों में उठाकर झूम उठा तो प्रियम भी शर्माने लगा। विनीत ने नेक्स्ट वीकेंड प्रियम के पैरेंट्स से मिलने का फैसला किया। प्रियम भी इसके लिए मान गया। विनीत ने प्रियम से कहा कि वो अपने पेरेंट्स को दिल्ली के बड़े इंटरकांटिनेंटल होटल क्राउन प्लाजा में बुला ले और विनीत ने कॉल करके वहां एक स्वीट को बुक करवा लिया। 

विनीत - प्रियम, मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ। क्या तुम मुझसे प्यार करती हो?

प्रियम - वीनू, मैं अभी कुछ नहीं बताना चाहती। 

विनीत - इट्स ओके प्रिया, टेक योर टाइम! डिनर के लिए चलें!

प्रियम - नहीं वीनू, आज मेरा कहीं जाने का मन नहीं है!

विनीत - ओके! तुम रेस्ट करो, मैं नेक्स्ट वीकेंड मिलता हूँ!

प्रियम - तुम जा रहे हो?

विनीत - तुम कहो तो रुक जाऊं!

प्रियम - नहीं वीनू! मुझे थोड़ा टाइम चाहिए। 

विनीत - ओके प्रिया, बाय! आई लव यू, टेक केयर!

प्रियम - यू टू वीनू!

विनीत के जाने के बाद प्रियम फिर से आईने के सामने बैठ गया, उसने फिर से घूँघट कर लिया और सोचने लगा। "ये क्या कर लिया मैंने! मैंने विनीत को अपने पेरेंट्स से हमारी शादी की बात करने को कह दिया! ओह्ह गॉड! अगर मेरे पेरेंट्स मेरी शादी के नहीं माने और गुस्सा हो गए तो वो मुझे घर से निकलना बंद करवा देंगे। मम्मी पापा को ना जाने कैसा लगेगा और भैया भाभी कैसे रियेक्ट करेंगे। मैं क्या करूँ! ये छिदे हुए मेरे नाक, कान और नाभि देखकर मेरे पेरेंट्स को कैसा लगेगा, ओह्ह गॉड! आई होप सब अच्छे से हो जाए, पापा मम्मी इस शादी के लिए मान जाएँ। विनीत कितना अच्छा इंसान है, मेरी लाइफ में जब से वो आया है, मेरी लाइफ कितनी अच्छी हो गयी। वैसे मैं नाक, कान और नाभि छिदवाने के बाद और भी सुन्दर दिख रही हूँ। ये सब विनीत की वजह से है! अब क्या होगा मेरा, ओह्ह! अगर मेरे पेरेंट्स मान गए तो विनीत मुझे अपनी दुल्हन बनाकर अपने घर ले जायेगा। तो क्या मैं विनीत के साथ उसकी पत्नी बनकर अपनी लाइफ गुज़रूंगी? उसके बाद मेरे साथ क्या होगा, विनीत इतना बड़ा है देखने में, स्मार्ट तो है लेकिन शादी के बाद वो मेरे साथ क्या क्या करेगा? क्या मेरी लाइफ में किसी मर्द की दुल्हन बनना लिखा है? ओह्ह्ह! अगर ऐसा है तो सिर्फ वीनू की दुल्हन बनूंगी, अगर वीनू के लिए मम्मी पापा नहीं माने तो मैं क्या करूँगा?" और सोचते सोचते बिस्तर पर जाकर लेट गया और गहरी नींद में सो गया।  नेक्स्ट डे जब प्रियम ऑफिस गया तो ऑफिस में उसके कलीग्स उसके पियर्सिंग को देखकर उसकी खूबसूरती की खूब तारीफ़ करते रहे। एचआर और खुद प्रेरणा यादव से उसे एप्रिशिएशन मिला तो प्रियम को बहुत अच्छा लगा। देखते ही देखते पांच दिन कब बीत गए, इसका पता भी नहीं चला। नाउ डे हैज़ अराईव्ड। इट वज सैटरडे, विनीत प्रियम को क्राउन प्लाजा ले गया, जहाँ प्रियम के पेरेंट्स आने वाले थे। 

प्रियम - वीनू, मम्मी पापा तो दोपहर के बाद आएंगे! तुम अभी मुझे यहाँ क्यों लेकर आ गए?

विनीत - क्यूंकि, तुम्हे तैयार भी तो होना है?

प्रियम - मुझे तैयार क्यों होना है, लेकिन मैं तो तैयार हूँ! नयी शर्ट, नयी जीन्स, ब्लैक शूज, हेयर्स्टाइल देखो, कितना हैंडसम दिख रहा हूँ। 

विनीत - हां, वो तो है प्रिया! लेकिन मैं चाहता हूँ कि आज अपने मम्मी पापा के सामने प्रिया बन कर जाओ।

प्रियम - नो आय वीनू! एक तो ऐसे ही इतना दिल धकधक कर रहा है और ऊपर से तुम मुझे प्रिया बनकर सबके सामने ले जाना चाहते हो?   

विनीत - हाँ प्रिया, जब तक तुम अपनी आइडेंटिटी को एक्सेप्ट नहीं करोगी, दूसरे तुम्हे कैसे एक्सेप्ट करेंगे!

प्रियम - प्लीज् वीनू! ऐसा मत करो! 

विनीत - प्लीज् प्रिया, आई नो, तुम्हे डर लग रहा है, लेकिन यही सही रास्ता है। सबको सच बताकर ही हम एक हो सकते हैं। 

प्रियम - वीनू प्लीज् ना! 

विनीत - प्लीज् प्रिया! अच्छा ब्यूटीशियन आ जाएगी थोड़ी देर में तो वो तुम्हे तैयार कर देगी!

प्रियम - लेकिन वीनू, मैं तो अंगूठी लेकर नहीं आयी हूँ!

विनीत - अच्छा किया, मैं भी चाहता हूँ कि तुम्हारे पेरेंट्स रियल प्रिया को देखें! 

प्रियम - मैं रियल ही हूँ वीनू!

थोड़ी देर में ब्यूटीशियन वहां आ गयी। ब्यूटीशियन के पास दो बड़े बड़े बैग्स थे। लेकिन उन बैग्स को खोलने से पहले ब्यूटीशियन ने प्रियम को न्यूड होकर लेट जाने को कहा। प्रियम न्यूड हो गया तो उसने प्रियम की पूरी बॉडी पर वो लोशन लगा दी। आधे घंटे बाद जब ब्यूटीशियन ने प्रियम को नहाने को कहा और प्रियम नहा कर आईने के सामने खड़ा हुआ तो उसने देखा कि उसकी बॉडी बहुत ही ज्यादा स्मूथ हो चुकी है, एकदम रेशम की तरह। उसके बाद ब्यूटीशियन के कहने पर प्रियम टॉवल लपेटकर आईने के सामने बैठ गया। प्रियम के बाल घने थे, लेकिन देखने में आकर्षक थे। आज लाइफ में पहली बार प्रियम अपनी रियल आइडेंटिटी के साथ स्त्रियों की तरह रेडी हो रहा था। थोड़ी देर बाद, ब्यूटीशियन प्रियम का मेकअप करने से पहले उसे तैयार करने लगी। ब्यूटीशियन ने बैग से एक बैकलेस साटन ब्लाउज निकाली और उसे बिन ब्रा के ही प्रियम को पहना दी। उस ब्लाउज में कुछ हैवी सा मटेरियल था, जिसको पहनते ही प्रियम की छाती दोनों तरफ से बीच की और दब गयी और उसे वजन फील होने लगा। प्रियम ने जब आईने में खुद को देखा तो उसके होश ही उड़ गए। प्रियम की छाती किसी बिस बाईस साल की लड़की की तरह उभरी हुई थी और बूब्स जैसा लुक दे रही थी।  इट वज बैकलेस ब्लाउज विथ थ्री बाय फोर्थ स्लीव्स और प्रियम खुद को बहुत खूबसूरत महसूस कर रहा था।  

उसके बाद ब्यूटीशियन ने प्रियम को एक मैरून साटन पेटीकोट पहनने को दी, जिसे पहनते ही वो पेटीकोट प्रियम के जाँघों से चिपक कर उसके बॉडी शेप में दिखने लगा। फिर उसने प्रियम को मेहरून कलर की साटन साड़ी पहनाई, उसके प्लेट्स बनाई और नाभि को विज़िबल छोड़कर आँचल को प्रियम के सर पर सेट कर दी। अब बारी थी प्रियम के ऑर्नामेंट्स की तो शुरुआत पैरों से हुई। एक जोड़ी चाँदी की पायल, जिसके सिर्फ एक पायल का वजन ढाई सौ ग्राम रहा होगा, उसमे घुंघरू लगे हुए थे और उसमे सुन्दर से दूल्हा दुल्हन डिज़ाइन बना हुआ था और वो काफी भारी था। वो पायल अब प्रियम के पैरों में उसकी सुंदरता बढ़ा रहा था। फिर ब्यूटीशियन ने प्रियम के दोनों कानों में से बालियों को निकालकर टेबल पर रख दी और दो बड़े बड़े सोने की झुमकियां पहना दी, जिससे प्रियम के दोनों कानों में दर्द होने लगा। प्रियम ने आईने में खुद को देखा, वो झुमकियां उसके कंधों को छू रही थी। 

प्रियम - ये बहुत भारी है, मेरे कान दर्द कर रहे हैं!

ब्यूटीशियन - प्रियम जी, आज कल यही फैशन में है।  

फिर उसने प्रियम के नाक से छोटी वाली बाली निकालकर सोने का लौंग पहना दी, जिसमे हिरा जड़ा हुआ था। सोने का लौंग पहनते ही प्रियम का चेहरा ही बदल गया, वो और भी खूबसूरत दिखने लगा था। 

ब्यूटीशियन - वाओ प्रियम जी, आपको देखकर कोई ये नहीं कह सकता कि आप एक मर्द हो!

प्रियम को काफी दिनों के बाद किसी ने मर्द कहा था, उसे अच्छा लगना चाहिए थे। लेकिन फिर भी उसे ऐसा लगा कि ब्यूटीशियन उसका मजाक बना रही है। 

प्रियम - हम्म! थोड़ा जल्दी कर लो!

फिर ब्यूटीशियन ने प्रियम की नाभि में एक सिल्वर डायमंड ऑर्नामेंट पहनाई जिसमे चार डायमंड जड़े हुए थे। साड़ी और ऑर्नामेंट्स के बाद उसने प्रियम को गोल्डन हील्स पहनाई जो प्रियम के एक्चुअल साइज की थी और हील्स पहनने के बाद प्रियम की हाइट थोड़ी अच्छी हो गयी। 

ब्यूटीशियन - आप कुछ ज्यादा ही लम्बे हो गए!

प्रियम - थैंक्स!

उसके बाद ब्यूटीशियन ने प्रियम की कलाइयों में चूड़ा सेट और सोने का कंगन पहना दी। अब बारी था मेकअप का और जैसा विनीत ने इंस्ट्रक्शन दिया था वैसे ही प्रियम का मेकअप किया गया। ब्लड रेड ग्लॉसी लिप्स, आँखों में काजल का मोटा लेयर, माथे पर दोनों भौहों के बीचोबीच के छोटी सी मेहरून बिंदी और प्रियम के गोरी गालों पर हल्की लाली के साथ ही मेकअप का काम भी ख़त्म हुआ। प्रियम रेडी था, प्रिया बन कर। ब्यूटीशियन प्रियम को विनीत के पास ले गयी और उसे बिठा कर उसका घूँघट ठीक कर दी। 
विनीत - ओह्ह वाओ प्रिया! कितनी सुन्दर दिख रही हो आज!

प्रियम (शर्माते हुए) - थैंक्स वीनू!

विनीत - नेहा(ब्यूटीशियन), यू हैव डन ब्यूटीफुल वर्क! आज तो पुरे दिन के लिए बुकिंग है, तो रुक जाओ, शाम में जाना! मेरी भी हेल्प हो जाएगी!

नेहा - ओके सर!

प्रियम - वीनू, मुझे बहुत डर लग रहा है और बहुत घबराहट हो रही है। मेरे पेरेंट्स मुझे ऐसे देखकर कैसे रियेक्ट करेंगे!

विनीत - शांत प्रिया, मैं उनसे बात करने के बाद ही तुम्हे उनके सामने आने दूंगा। 

प्रियम - वीनू, सच में तुम मुझे अपनी दुल्हन बना लोगे! 

विनीत - हाँ, मेरी जान! तुम्हे भगवान ने मेरी दुल्हन बनने के लिए इस धरती पर उतारा है। 

प्रियम - मुझे बहुत कमज़ोरी भी फील हो रहा है वीनू! घबराहट भी हो रही है! 

विनीत - शांत हो जाओ बेबी! नेहा, प्रिया को अंदर वाले कमरे में ले जाओ, प्लीज्! और प्रिया तुम कुछ देर रेस्ट कर लो, तुम्हारे पेरेंट्स आ जायेंगे तो मैं नेहा से कहकर तुम्हे बुलवा लूंगा!

प्रियम - आर यू श्योर वीनू!

विनीत - हाँ शोना! 

फिर नेहा प्रियम को दूसरे कमरे में ले गयी। इधर विनीत अकेला प्रियम के पेरेंट्स के इंतज़ार में था वहीँ नेहा ये जानकार काफी एक्साइटेड थी कि प्रियम लड़का होकर विनीत की दुल्हन बनने को तैयार था। 

नेहा - बुरा ना मानो तो मैं आपसे एक बात पूछूं!

प्रियम - हांजी पूछ लो। 

नेहा - क्या सच में आप विनीत सर से शादी करने जा रहे हो? 

प्रियम - हांजी! 

नेहा - तो क्या आप दोनों एक दूसरे से प्यार करते हैं?

प्रियम - हम्म!

नेहा - ओह्ह! मुझे पता नहीं था कि आपके पेरेंट्स विनीत सर से मिलने आ रहे हैं। और विनीत सर उनसे आपका हाथ मांगने वाले हैं। सच कहूं, आई एम् सो एक्साइटेड, वैसे भी आपके जितनी सुन्दर लड़का और विनीत सर जैसा हैंडसम आदमी पुरे शहर में ढूंढने से भी नहीं मिलेगा। 

प्रियम - हम्म! तुम बहुत एक्साइटेड हो रही हो नेहा!

नेहा - सॉरी प्रियम जी। 

प्रियम - नो, इट्स ओके नेहा! 

नेहा - तो क्या आप गे हो?

प्रियम - नहीं नेहा, मैं गे नहीं हूँ। शादी के बाद मैं हमेशा के लिए लड़की बन जाऊंगा!

नेहा - वाओ, अच्छा अगर आपकी शादी फिक्स हो जाती है तो शादी के दिन मुझे ही बुला लेना आप! मैं आपको दुनिया की सबसे सुन्दर दुल्हन की तरह सजाऊंगी। 


थोड़ी देर बाद प्रियम के पेरेंट्स वहां आ चुके थे। विनीत ने उन्हें रिसेप्शन से पिक किया और होटल के बुक्ड स्वीट में ले आया। प्रियम के मम्मी, पापा, दोनों छोटी बहनें, दोनों दामाद और भैया भाभी आये थे। सभी की खातिरदारी अच्छे से की गयी और जब सभी ने नाश्ता कर लिया तब विनीत ने उनके सामने अपनी बात रखी। 

विनीत - अंकल, आंटी, मैंने आप सभी को अपना इंट्रोडक्शन दे दिया है। अब मैं आपसे जो मांगने जा रहा हूँ वो सुनने के बाद आप शायद गुस्सा हो जाएं। मैं आपके बेटे प्रियम को अपनी दुल्हन बनाना चाहता हूँ!

प्रियम के मम्मी पापा (शॉक्ड में) - व्हाट!

प्रियम के भैया भाभी (शॉक्ड में) - व्हाट द फ़...!

प्रियम की दोनों बहनें (शॉक्ड में ) - क्या! प्रियम भैया को दुल्हन बनाना चाहते हो आप?

प्रियम के दोनों जीजा तो इतने शॉक्ड हो गए कि वे कुछ रियेक्ट ही नहीं कर पाए!

प्रियम की मम्मी - विनीत बेटे, आप इतने बड़े घर से बिलोंग करते हो, आप कोई लड़की देख कर उससे शादी कर लो! मैं अपना बेटा नहीं दे सकती आपको!

प्रियम के पापा - हम्म! हमार बेटे को आप अपनी दुल्हन बनाना चाहते हो! वो हमारा बेटा है, बेटी नहीं जो आपकी दुल्हन बनेगा!

विनीत - सॉरी तो से अंकल! प्रियम से मैं प्यार करता हूँ। मैं आपको भरोसा दिलाता हूँ कि शादी के बाद मैं प्रियम को सही मायनों में लड़की बना दूंगा और उसे हमेशा खुश रखूँगा। 

प्रियम की मम्मी - नहीं विनीत बेटे, ये नहीं हो सकता! तुम्हारी ख़ुशी भर के लिए मैं अपने बेटे की बलि नहीं दे सकती। मेरे बेटे के लिए इतना रिश्ता आ रहा है, इतनी सुन्दर सुन्दर लडकियां मेरे बेटे से शादी करने को तैयार है और आप चाहते हो कि मैं अपने बेटे को आपसे ब्याह दूँ। 

प्रियम की बहन - हाँ विनीत जी, ये तो पॉसिबल नहीं है। वैसे आपको इतनी सुन्दर सुन्दर लडकियां मिल जाएँगी, आप इतने हैंडसम और स्मार्ट हो, हाइट भी अच्छी है आपकी! फिर आप मेरे प्रियम भैया के पीछे क्यों पड़े हैं, ऐसा क्या है उनमे जो लड़कियों में नहीं ढूंढ पाए आप!

प्रियम के जीजा - हाँ, सोनिया की बात बिलकुल सही है। हो सकता है कि आप गे हों और आपको लड़को में इंटरेस्ट हो, लेकिन प्रियम को लड़कों में कोई इंटरेस्ट नहीं है। 

विनीत - प्लीज अंकल, प्लीज आंटी, मैं  प्यार करता हूँ। प्रियम भी मुझसे प्यार करता है और वो मेरी दुल्हन बनने को भी तैयार है। 

प्रियम के मम्मी पापा - व्हाट! प्रियम आपसे शादी नहीं करेगा!

विनीत - आपको यकीन ना हो तो मैं प्रियम को यहीं बुलवा लेता हूँ, आप खुद पूछ लो प्रियम से!

प्रियम के मम्मी पापा - हाँ बुलवाइए!

फिर विनीत ने नेहा को पुकारा और जब वो आई तो उसने उसे प्रियम को लेकर आने को कहा। प्रियम रेस्ट कर रहा था, उसकी आँखें बंद थी। नेहा उसके पास गयी और उसे जगाई। 

नेहा- प्रियम जी, आपके पेरेंट्स आ गए। 

प्रियम - व्हाट तुमने मुझे पहले जगाया क्यों नहीं!

नेहा - प्लीज प्रियम जी, खड़े हो जाइये, मैं आपका आँचल ठीक कर देती हूँ। 

प्रियम खड़ा हुआ तो नेहा उसकी साड़ी की प्लेट्स और आँचल को कंधों पर सेट कर दी। 

नेहा - अब चलिए प्रियम जी, आपके पेरेंट्स आपसे मिलने के लिए आपको बुला रहे हैं। 

प्रियम - ओह्ह गॉड! मैं कैसे फेस करूँगा अपने पेरेंट्स को!

नेहा - डोंट वोर्री प्रियम जी! जो होगा अच्छा होगा!

फिर नेहा के साथ प्रियम कमरे में आ गया और सबके सामने खाली सोफे पर बैठकर सर झुका लिया। अपने मम्मी पापा, भैया भाभी, बहन, जीजा सबके बहुत शरमा रहा था। 

प्रियम की मम्मी - ये सब क्या है प्रियम! तुमने साड़ी क्यों पहन रखा है और लड़कियों की तरह तैयार होकर क्यों आये हो?

दिव्यम - ये सब क्या है प्रियम! तुमने घर की मान मर्यादा का कोई ख्याल है भी या नहीं?

प्रियम - सॉरी दिव्यम भैया, लेकिन अब मुझे ऐसे रहना ही पसंद है। 

दिव्यम - ऐसे रहेगा तो किसी दिन हिजड़े उठा कर ले जायेंगे तुझे और हमारी बदनामी होगी सो अलग!

प्रियम - ऐसा कुछ नहीं होगा, आप शायद भूल रहे हैं कि हर किसी को अपने तरीके से जीने का अधिकार है। 

दिव्यम - लड़कियों की तरह कपडे पहनना पसंद है तो क्या औरत बन जायेगा? और ये विनीत, क्या कह रहा है ये जानते भी हो? ये तुझसे शादी  करना चाहता है, तुझे अपनी दुल्हन बनाना चाहता है। 

प्रियम - जानता हूँ दिव्यम भैया। मुझे कोई ऐतराज नहीं है विनीत जी से शादी करने में। 

दिव्यम - तो यहाँ क्या हमारी बेइज़ती करने को बुलाया है। 

दिव्यम की वाइफ - देवर जी, ऐसे लड़कियों की तरह कपडे पहनना अलग बात है और किसी मर्द की दुल्हन बनना अलग बात है। शादी के बाद लड़कियों की टफ होती है, आप नहीं जानते, मुझसे पूछो!

प्रियम - देखिये भैया भाभी, आप सभी को यहाँ बुलाने का मकसद सिर्फ इतना है कि आप मेरे और विनीत जी की शादी के लिए मान जाएं। और आप दोनों ने भी तो लव मैरिज किया था। मैंने तो आपको सपोर्ट किया था भैया भाभी, आपको भी मुझे सपोर्ट करना चाहिए। 

प्रियम के पापा - और समाज में क्या कहेंगे! हमारा बेटे को एक मर्द अपनी दुल्हन बनाकर अपने साथ ले गया। 

प्रियम - हाँ पापा! आप यही कहना! 

प्रियम की मम्मी - तू फैसला कर चूका है तो हमें यहाँ क्यों बुलाया है। तुमदोनों मंदिर में शादी कर के अपना घर बसा लो, हम सब से कह देंगे कि हमारा बेटा मर गया। 

विनीत - ऐसे मत कहिये आंटी! हम एक दूसरे से प्यार करते हैं और अगर हमें  मंदिर में ही शादी करनी होती तो मैं आपसे प्रियम का हाथ नहीं मांगता।  

प्रियम की मम्मी - प्रियम, तुम विनीत से शादी नहीं करेगा समझा! अगर तुझे इससे शादी करनी है तो आज से हमारा रिश्ता ख़त्म! तू सोच ले और बता दे कि तेरा क्या फैसला है। 

प्रियम - मम्मी, शादी तो मैं विनीत जी से ही करूँगा। आई लव हिम!

प्रियम की मम्मी - ओके! 

उसके बाद प्रियम के पेरेंट्स वहां से उठकर जाने लगे तो विनीत उन्हें रोकने की कोशिश करने लगा, लेकिन वो नहीं माने। प्रियम की मम्मी बहुत गुस्से में थीं और वो प्रियम की तरफ देखे बिना वहां से चली गयी। अपने पेरेंट्स, भैया भाभी, दोनों छोटी बहनें और दोनों जीजा को जाते देख प्रियम वहीँ बैठकर रोने लगा। विनीत प्रियम के पेरेंट्स के पीछे चलता चला गया और उन्हें रुकने को इंसिस्ट करता रहा। विनीत के प्रियम कितना मायने रखता था ये वो अच्छे से जानता था। 

नेहा - रोइये मत प्रियम जी! विनीत सर गए हैं आपके पेरेंट्स से बात करने!

प्रियम - वो नहीं रुकेंगे! मैं जानता था, यही होगा और मैंने मना भी किया था। 

नेहा - लेकिन आपने भी तो खुलकर अपनी बात रखी अपने पेरेंट्स के सामने। 

प्रियम - रखना पड़ा, आई न्यू इट कि वीनू मुझसे कितना प्यार करता है और मैं उसे टूटते हुए नहीं देखना चाहता। इसीलिए मैंने वीनू के लिए स्टैंड किया और आई लव हिम नेहा! 

नेहा - वो तो आपकी आँखों में दिखता है। यकीन मानिये, विनीत जी आपके पेरेंट्स को लेकर आते ही होंगे, वो उन्हें मना लेंगे!

विनीत - वो मेरे पेरेंट्स हैं नेहा, वो नहीं मानेंगे 

नेहा - जरूर मानेंगे, भरोसा रखिये!

आधे घंटे तक प्रियम उस स्वीट में चहलकदमी करता रहा, वो बहुत स्ट्रेस में था। इधर आधे घंटे बाद विनीत वहां आ गया। विनीत को देखते ही प्रियम से नहीं रहा गया और वो उसे हग करके जोर जोर से रोने लगा। विनीत ने प्रियम को शांत करने की कोशिश की लेकिन वो शांत नहीं हो रहा था। 

प्रियम -  मैंने कहा था ना वीनू, मेरे पेरेंट्स कभी नहीं मानेंगे। 

विनीत - श्श्श्श! शांत हो जाओ बेबी! और मैंने कहा था ना कि मैं तुम्हारे पेरेंट्स को मना लूंगा! देखो!

प्रियम ने देखा, उसके मम्मी पापा, भैया भाभी, दोनों बहनें, दोनों जीजू कमरे के गेट पर खड़े मुस्कुरा रहे थे। 

प्रियम - ये सब क्या है वीनू!

विनीत - तुम्हारे पेरेंट्स को तो मैंने यहां आने से पहले ही मना लिया था, लेकिन तुम्हारे भैया चाहते थे कि थोड़ा ड्रामा हो!

प्रियम - सच में बड़े गंदे हो तुम वीनू! 

प्रियम की मम्मी - अरे आजा मेरे बच्चे! मेरे गले लग जा! तुझे क्या लगा? तेरी खुशियों के लिए ऐसे हज़ार समाज कुर्बान कर दूँ! और वैसे भी तुम्हारा होने वाला पति इतना समझदार, हैंडसम, स्मार्ट और इतना संस्कारी है, मैं तो खुश हूँ तुमदोनो के लिए। 

प्रियम के पापा - इतने अच्छे दामाद मिले हैं, प्रियम बहुत खुशनसीब हो तुम!  

प्रियम की भाभी - देवर जी, अब तो आप हमारी ननद हुईं, अब तो शादी की तैयारी करो रानी! इतना कुछ हो रहा है तो मैं अपनी ननद को किस नाम से पुकारूँ!

प्रियम - प्रिया!

प्रियम की भाभी - ओह्ह! बहुत ही प्यार भरा नाम है प्रिया! 

प्रियम की मम्मी - प्रियम घूँघट कर ले और दामाद जी के पैरों को छूकर उनसे आशीर्वाद ले। 

प्रियम की भाभी ने प्रियम का आँचल उसके सर पर रखकर उसे लम्बा घूँघट कर दिया और प्रियम शरमाते हुए विनीत के पैरों को छूकर उससे आशीर्वाद लेने को झुक गया तभी विनीत ने प्रियम को ऊपर उठा लिया। 

विनीत - तुम्हारी जगह मेरे कदमों में नहीं, मेरे दिल में है। 

प्रियम की भाभी - ये तो कहने वाली बातें हैं। अपने होने वाले पति का आशीर्वाद लिए बिना कोई भी दुल्हन अधूरी ही रहती है। आप प्रियम को आशीर्वाद दो!

विनीत - हमेशा खुश रहो! 

प्रियम की भाभी - अब बड़ों का आशीर्वाद लो प्रियम!

प्रियम ने अपनी मम्मी के पैरों को छुआ। 

प्रियम की मम्मी - सदा सुहागिन रहो! 

उसके बाद प्रियम ने अपने पापा के पैरों को छुआ। 

प्रियम के पापा - सौभाग्यवती भवः बेटी!

प्रियम ने उसके बाद अपने भैया भाभी से सदा सुहागिन रहने आशीर्वाद लिया और जाकर विनीत के बगल में खड़ा हो गया। प्रियम खुश था, उसे वो मिल गया था, जिसकी चाह उसके दिल में थी।  प्रियम अपने पेरेंट्स, भैया भाभी, छोटी बहनें, दोनों जीजा सबके साथ  टाइम स्पेंड किया और विनीत की खातिरदारी से सब बहुत खुश थे। हंसी ख़ुशी काफी देर तक प्रियम, उसके पैरेंट, उसके सिब्लिंग्स और विनीत आपस में बातें करते रहे। प्रियम के पेरेंट्स ने विनीत को पंडित से, सगाई और शादी की तारीख तय करके बताने की बात कही। विनीत ने उन्हें आश्वाशन दिया कि वो बहुत जल्द शादी और सगाई की तारीख बता देगा। जब प्रियम के पेरेंट्स घर के लिए निकलने लगे तो वो प्रियम को अपने साथ ले जाना चाहते थे, लेकिन प्रियम ने उनसे कहा कि कल ऑफिस जाकर छुट्टी लेकर शाम में वो घर आ जायेगा और फिर प्रियम और विनीत को अकेला छोड़कर घर आ गए। जब सब चले गए तो प्रियम विनीत को हग करके फिर से रोने लगा। विनीत समझ नहीं पा रहा था कि सबकुछ अच्छे से हो जाने के बावजूद प्रियम इतना इमोशनल क्यों हुआ जा रहा है।   

विनीत - क्या हुआ प्रिया, सब मान गए हैं हमारी शादी के लिए, फिर तुम इतनी उदास क्यों हो और रो क्यों रही हो!

प्रियम - वीनू, आई नो यू लव मी अलॉट और मैं भी तुमसे बहुत प्यार करती हूँ! मुझे बहुत डर लग रहा है वीनू, ये सब इतने आराम से कैसे मान गए हमारी शादी को? 

विनीत - आराम से कहाँ माने! वो तो भला हो तुम्हारे बड़े भाई और पापा का जिन्होंने मेरे प्यार को समझा और मेरी होने वाली मदर इन लॉ को इस शादी के राज़ी किया। तुम्हे क्या लगता है प्रिया, मैं इतना बड़ा रिस्क ऐसे ही ले लूंगा। तुम्हारे पेरेंट्स से मैं वेडनसडे को जाकर मिल चूका था और उन्हें इस शादी के लिए तैयार भी कर लिया था। ये तो एक सरप्राइज था, मेरी शोना बेबी के लिए! अब रोना बंद करो और ये बताओ, मेरा सरप्राइज कैसा लगा। 

प्रियम - थैंक्स वीनू, यू आर द बेस्ट!

विनीत - थैंक्स प्रिया! आई लव यू!

प्रियम - आई लव यू टू बेबी!

फिर दोनों ने काफी देर तक एक दूसरे को होंठों पर स्मूच करते रहे। 

विनीत - प्रिया, अब तुम्हे पूरी तरह से प्रिया बन जाना चाहिए!

प्रियम - नहीं बन सकती वीनू! शादी के बाद मैं हमेशा के लिए प्रिया बन जाउंगी। 

विनीत - क्यों नहीं बन सकती तुम! तुम प्रिया ही हो, हमारी शादी के लिए तुम्हारे पेरेंट्स और मेरी माँ दोनों ही राज़ी हो चुके हैं। देखो प्रिया, अब तुम्हे घबराने की कोई जरूरत नहीं, सब तुम्हे प्रिया के तौर पर स्वीकार चुके हैं और अब तुम्हारी बारी है, खुद को एक्सेप्ट करो प्रिया। 

प्रियम - हम्म! ओके, लेकिन अंगूठी तो फ्लैट पर है। 

विनीत - हम्म! जब घर चलेंगे तब प्रिया बन जाना, हमेशा हमेशा के लिए। 

प्रियम - तुम चाहते हो तो मैं बन जाउंगी!

विनीत - यू नो व्हाट! कल डांस कम्पटीशन है, तुम पार्टिसिपेट करोगी?

प्रियम - तुम चाहते हो कि मैं पार्टिसिपेट करूँ? लेकिन कल तो मंडे है, ऑफिस है बेबी!

विनीत - हाँ प्रिया, मैं चाहता हूँ कि तुम पार्टिसिपेट करो! तुम्हे एक महीने की पेड लीव मिल रही है माँ की तरफ से!

प्रियम - प्रेरणा मैम को इस बारे में पता है?

विनीत - हाँ प्रिया! वो मेरी माँ है और माँ से कभी कुछ भी नहीं छिपाता मैं। 

प्रियम - फिर तो उन्हें ये भी पता चल गया होगा कि मैं रियल लड़की नहीं हूँ!

विनीत - हाँ प्रिया, मैने उन्हें बहुत पहले ही बता दिया था और वो तुम्हे बहु बनाने के लिए मान भी गयी थी। माँ को तुम्हारे मैजिकल रिंग के तब से पता है जब से मुझे पता चला। फिर भी वो तुम्हे बहु के रूप में ही देखती हैं। 
 
प्रियम - हद है वीनू! मैंने तुमसे कहा था ना, किसी से ये बात शेयर नहीं करने को। फिर भी तुमने प्रेरणा मैम को सब बता दिया? 

विनीत - आई एम् सॉरी प्रिया, एक माँ ही तो है जिससे मैं इतना प्यार करता हूँ। और जिनसे प्यार करते हैं, उनसे झूठ नहीं कहते। 

प्रियम - हम्म! तो ठीक है, लेकिन तुम्हे भी डांस में मेरे साथ पार्टिसिपेट करना होगा। 

विनीत - हाँ मैं तो पार्टिसिपेट कर ही रहा हूँ! तुम्हारे साथ सालसा परफॉर्म करूँगा ना और तुम्हारा सोलो परफॉरमेंस भी होगा, तुम जिस फॉर्म में डांस करना चाहो उसमे!

प्रियम - वीनू, ये सब कोई सपना तो नहीं ना! 

विनीत - नहीं बेबी, ये हकीकत है! तुम सच में मेरी दुल्हन बनोगी और मैं तुम्हे जीवन भर बेशुमार प्यार दूंगा। 

प्रियम - हम्म! मुझे फ्लैट पर छोड़ दोगे? 

विनीत - क्यों नहीं! लेकिन अभी तो रात भर के लिए ये स्वीट बुक्ड है बेबी! लेट्स हैव सम फन ना!

प्रियम - नहीं वीनू, जो होगा शादी के बाद होगा!

विनीत - प्रिया के साथ तो मैं शादी के बाद ही सम्बन्ध बनाऊंगा, लेकिन प्रियम का ये अप्सरा जैसा रूप मुझे पागल बना रहा है। 

प्रियम - धत्त, मुझे नहीं करना कुछ!

विनीत - यहाँ आओ ना मेरे पास!

प्रियम मुँह फेर कर खड़ा हो गया, उसका दिल जोर से धकधक कर रहा था, मन बेचैन हो गया था और जैसे जैसे विनीत प्रियम के करीब आने लगा, प्रियम की सांसें चढ़ने उतरने लगी। विनीत प्रियम के करीब आ चूका था और उसने प्रियम की कमर को अपने दोनों हाथों से कस के अपनी आगोश में ले लिया। प्रियम की धड़कनें बढ़ने लगीं थी और विनीत ने उसे पीछे से उसके गाल पर एक किस किया। ये कोई सपना नहीं था, ये सच था और ये हो रहा था, प्रियम के विनीत इंटिमेट करने की कोशिश में था। विनीत के एक किस के बाद प्रियम की आँखों से आंसू बहने लगे। विनीत ने प्रियम को और कस के थाम लिया और उसके दूसरे गाल पर, पीछे गले पर, पीठ पर और होंठों पर किस करने लगा। 

प्रियम - वीनू, प्लीज्! मत करो ना!

विनीत - श्श्श आई वांट तो एक्स्प्लोर माय बेबी!

प्रियम - शादी से पहले ये सब ठीक नहीं वीनू, प्लीज्!

विनीत - कमऑन प्रिया!

प्रियम - वीनू! प्लीज् ना! डोंट डू डिस, प्लीज्! शादी के बाद मैं नहीं रोकूंगी, लेकिन अभी नहीं प्लीज!

विनीत - ओके प्रिय, लेट्स हैव सम रोमांटिक मोमेंट्स! आई वांट टू लव यू बेबी, आई प्रॉमिस, मैं सेक्स के लिए नहीं कहूंगा!

प्रियम - हम्म!  

विनीत ने प्रियम को अपनी बाहों में थामे हुए उसके साथ एक एक पल  रोमांटिक मोमेंट क्रिएट कर रहा था। विनीत की गर्म साँसों के साथ उसकी मर्दानगी की खुशबू अब प्रियम की साँसों में घुलने लगी थी। अब धीरे धीरे प्रियम अपने होश खोने लगा था। विनीत ने प्रियम को अपनी बाहों में उठा लिया और बिस्तर पर लिटा कर उसके ऊपर आ गया और उसके अंग अंग को चूमने लगा था। प्रियम को समझ नहीं आ रहा था, आखिर वही हो रहा था जो प्रियम ने उस दिन सपने में देखा था। प्रियम विनीत को रोकने की कोशिश कर रहा था लेकिन जब जब विनीत उसके अंग को चूमता, उसकी अहह निकल जाती और वो विनीत को होल्ड करके अपनी एक्साइटमेंट को कण्ट्रोल करने की कोशिश करना लगा। 

प्रियम - वीनू, हो गया बस!

विनीत - अच्छा ठीक है शोना! मैं तुम्हारे लिए कुछ गिफ्ट्स लाया था, देखोगी नहीं?

प्रियम (एक्साइटमेंट में) - सीरियसली वीनू! क्या लाये हो?

विनीत - तुम खुद देख लो मेरी जान!

फिर विनीत ने प्रियम को एक गिफ्ट बॉक्स उसके हाथ में दे दिया। प्रियम ने उस गिफ्ट बॉक्स को खोला और उस गिफ्ट को देखकर शर्माने लगा। 

विनीत - तुम्हे गिफ्ट कैसा लगा प्रिया?

प्रियम - ये नथिया तो बहुत डिज़ाइनर और सुन्दर है वीनू, थैंक्स!

विनीत - यहाँ लाओ, मैं पहना देता हूँ!

प्रियम - तुम मुझे नथिया पहनाओगे?

विनीत - क्यों नहीं पहना सकता?

प्रियम - हम्म, पहना लो!

फिर विनीत ने प्रियम के नाक से सोने का लौंग निकाल दिया और उसकी नाक में खुद से नथिया पहना दिया। वो नथिया छोटी, डिज़ाइनर थी लेकिन काफी हैवी भी। फिर विनीत ने उसकी नथिया का चेन का हुक उसकी झुमकी में अटैच कर दिया। 

प्रियम को बहुत शरम आ रहा था, एक दिन ऐसा भी आएगा जब एक मर्द उसे अपनी दुल्हन बनाने के लिए राज़ी कर लेगा। प्रियम को यकीन नहीं हो रहा था कि वो उस मर्द के हाथ से अपने नाक में नथिया पहन रहा था जो उसे ब्याहकर अपने घर ले जाने वाला था और प्रियम लड़कियों की तरह शरमा रहा था।

प्रियम - ओह्ह वीनू! ये बहुत हैवी है। 

विनीत - मेरे साथ आओ!

विनीत प्रियम को आईने के सामने ले गया और उसकी साड़ी की आँचल से उसे घूँघट कर दिया। 

विनीत - अब लग रही हो तुम मेरी दुल्हन! 

विनीत की बात सुनकर प्रियम शरमाने लगा और उसके सीने से लिपटकर मुस्कुराने लगा। 

प्रियम - थैंक्स वीनू! 

प्रियम ने आईने में खुद को देखा तो आईने में कोई प्यारी सी दुल्हन खड़ी थी और वो दुल्हन अप्सरा जैसी खूबसूरत थी। और उसके पीछे खड़ा था साढ़े छह फुट लम्बा और तगड़ा आदमी जो कि विनीत था और उसका होने वाला पति भी और इस बारे में जब भी प्रियम सोचता, उसे या तो शरम आने लगती या फिर उसकी आँखों में आंसू आ जाते। प्रियम की रियल आइडेंटिटी अब यही थी। कुछ ही दिनों में विनीत उसे ब्याहकर अपनी दुल्हन बनाने वाला था और उसे विदा करवाकर अपने घर ले जाने वाला था। लेकिन प्रियम अपनी जिंदगी के ऐसे दोराहे पर खड़ा था जहाँ से वापिस मुड़ना पॉसिबल नहीं था। प्रियम के पेरेंट्स इस शादी के लिए मान गए थे वहीँ विनीत की माँ को भी प्रिया बहुत पसंद थी। प्रियम ने भी अपने पेरेंट्स से विनीत के लिए लड़ाई कर ली थी और प्रियम का यूँ विनीत के लड़ना ये दर्शा चुका था कि वो विनीत से कितना  प्यार करता था। विनीत ने प्रियम के साथ कुछ सेल्फीज़ ली, उसके बाद विनीत ने प्रियम से कहा कि उन्हें अब घर चलना चाहिए।  प्रियम अपने नाक से नथिया निकालने लगा तो विनीत ने उसे रोका। 

विनीत - प्रिया, ऐसे ही चलो! इतनी सुन्दर दिख रही हो!

प्रियम - लोग क्या कहेंगे वीनू, मुझे ऐसे देखकर!

विनीत - कोई कुछ नहीं कहेगा प्रिया! अब तुम मेरी होने वाली दुल्हन हो और अब कोई भी तुमसे कुछ भी कहने से पहले हज़ार बार सोचेगा। 

प्रियम - कम से कम नथिया तो उतार लेने दो वीनू! 

विनीत - नहीं प्रिया, अब तुम ये नथिया शादी के दिन ही उतारेगी, जब तुम्हारे लिए मेरे घर से गहने आएंगे तब!

प्रियम - हद करते हो वीनू! ऐसे नहीं होता!

विनीत - बेबी, मेरा हक़ है कि मैं तुम्हे अपनी दुल्हन के सुन्दर रूप में देखूं!

प्रियम - फिर भी वीनू? अच्छा नहीं लगेगा! 

विनीत - प्रिया, इन सब की आदत हो जाएगी! और इतना ही डर लग रहा है तो घूँघट कर लो। 

प्रियम - तो क्या मुझे हमेशा घूँघट में रहना पड़ेगा!

विनीत - हाँ बेबी! घूँघट में तो तुम मुझे और भी सेक्सी लगती हो प्रिया! 

प्रियम - और ये नथिया!

विनीत - वो तो तुम्हे आदत हो जायेगा। वैसे ये नथिया तो सबसे छोटा और हल्का है। मेरी बुआ आएगी शादी में तो वो तुम्हे इससे भी भारी भरकम नथिया पहनने को कहेगी। 

प्रियम - इससे भी भारी नथिया! ओह्ह वीनू! तुम्हे पाने के लिए मुझे क्या क्या करना पड़ेगा!

विनीत - प्रिया, ये सब तुम्हे शादी के बाद कुछ दिनों तक करना पड़ेगा, जबतक कि हमारी बुआ वापिस नहीं चली जातीं।  

प्रियम - वीनू! मझसे ये सब कैसे होगा? ये सब मेरे लिए बिलकुल ही नया है और इन सब का तो आदत भी नहीं है मुझे!

विनीत - बेबी, डोंट वोर्री, मैं हूँ ना! चलो ठीक है, फ्लैट पर जाकर नथिया उतार लेना। वैसे रिवाज़ है कि नथिया पहनने से पति की उम्र लम्बी रहती है। 

 प्रियम - हम्म! वीनू, तुम्हे मेरी उम्र लग जाए। 


विनीत - आई लव यू बेबी!

प्रियम ने घूंघट कर लिया और विनीत के एक हाथ में अपना हाथ डालकर उसके साथ होटल से बाहर आ गया। विनीत ने प्रियम को अपनी कार के फ्रंट सीट पर बिठाया और उसे फ्लैट पर ले आया। प्रियम को फ्लैट तक चल कर नहीं जाना पड़ा,  वीनू ने उसे अपनी बाहों में उठा लिया था और तीन मंजिल चढ़ कर वो प्रिय को फ्लैट तक ले आया। उसके बाद जब विनीत जाने लगा तो प्रियम ने उसका हाथ पकड़ लिया। 

प्रियम - ऐसे ही चले जाओगे वीनू!

प्रियम ने इतने प्यार से कहा कि वीनू से नहीं रहा गया और उसने प्रियम को अपनी बाहों में उठाकर उसके होंठों पर फ्रेंच किस करने लगा और पंद्रह मिनट्स तक दोनों लिपलॉक किस करते रहे। 

उसके बाद विनीत प्रियम को गुड नाईट विश करके वहां से चला गया। विनीत के जाने के बाद प्रियम कुछ देर तक तो खुद को आईने में देखता रहा। फिर वो सोचने बैठ गया, "ये मैंने क्या कर लिया! विनीत के साथ मैं शादी करने जा रहा हूँ। बचपन से जिस माँ बाप ने मुझे अपने बेटे की तरह पाला, बेटे की तरह बड़ा किया, आज उन्होंने मुझे लड़की के इस रूप में देखा, कैसे लगा होगा उनको! मेरी माँ को मुझसे कितने एक्सपेक्टेशंस थे, वो मेरे लिए दुल्हन ढूंढ रही थी और मैंने क्या किया, मैं खुद एक मर्द की दुल्हन बनने के लिए अपने पेरेंट्स से लड़ बैठा। हाउ? मेरी एक गर्लफ्रेंड भी थी और उसने मुझे समझाया भी था। शायद संजना सही थी, भले मुझे कम सैलरी मिल रही थी लेकिन कम से कम मेरा अस्तित्व को मिटने के कगार पर नहीं रहता आज। मैं क्या करने जा रहा हूँ, विनीत से शादी और मेरे पेरेंट्स भी मान चुके। आज मैं खुद विनीत की गर्लफ्रेंड बन बैठा हूँ और मेरा रिश्ता भी तय हो गया है। सगाई के बाद विनीत मुझे ब्याहकर अपने घर ले जाएगा। मैं विनीत की दुल्हन बनने जा रहा हूँ, ओह्ह्ह! लेकिन मैं करूं भी तो क्या करूँ? जब जब विनीत मेरे सामने होता है मैं प्रिया बना रहना चाहता हूँ, उसके बारे में सोचना मुझे अच्छा लगने लगा है और जब विनीत मुझे किस करता है, ओह्ह्ह गॉड, कितना अच्छा एहसास है वो! विनीत के सामने मैं लड़की बन जाता हूँ, लड़कियों की तरह बातें करता हूँ, लड़कियों की तरह शर्माता हूँ, ये क्या होता जा रहा है। क्या मैं सही कर रहा हूँ या फिर गलत कुछ समझ में नहीं आ रहा है। ये मेरे नाक, कान नाभि भी विनीत के कहने पर मैंने छिदवा लिया। विनीत ने खुद से मरे नाक में नथिया पहनाया और मैंने पहन भी लिया। मैं विनीत से शादी करने जा रहा हूँ, उसकी दुल्हन बनूंगा मैं और शादी के बाद क्या क्या करेगा वीनू मेरे साथ? वो तो अभी से इतना उतावला हुआ जा रहा है। ओह्ह्ह! अब मैं क्या करूँ!" 

फिर प्रियम शादी के बारे में सोचते सोचते कब विनीत के बारे में सोचने बैठ गया उसे खुद पता नहीं चला। "अब तो ये नथिया शादी वाले दिन ही उतरेगी, लेकिन मैं बाहर कैसे जाऊँ, कोई ऐसे देखा मुझे तो क्या सोचेगा? विनीत ने कैसे सिचुएशन में डाल दिया है मुझे! ओह्ह्ह्ह!"  प्रियम अपने अंतर्द्वंद में बिस्तर पर जाकर लेट गया और लेटे लेटे विनीत के बारे में सोचता रहा। प्रियम बार बार अपने नाक के नथिया को छूता और उसे बहुत अच्छा लगने लगता। प्रियम ने सोचा नहीं था कि कभी वो भी नाक में नथिया पहनेगा और वो भी विनीत खुद उसे नथिया पहनायेगा! लेकिन विनीत ने जब प्रियम के नाक में अपने हाथों से वो नथिया पहनाया तो प्रियम उस फीलिंग को जी रहा था जो उसे अंदर ही अंदर ख़ुशी दे रही थी। विनीत के बारे में सोचते सोचते कब प्रियम नींद की आगोश में समा गया, उसे खुद पता नहीं चला!

अगली सुबह प्रियम जब नींद से जगा तो उसने सबसे पहले मैजिकल अंगूठी से खुद को प्रिया में बदल लिया। प्रियम के नाक में अभी भी वो नथिया थी, वैसे तो विनीत ने उसे वो नथिया उतार लेने की इज़ाज़त दे दी थी लेकिन फिर भी ना जाने क्यों प्रियम ने वो नथिया अभी भी पहन रखा था। स्नान करते समय, तैयार होते समय हर वक़्त प्रियम अपनी नथिया को छूता और उस एहसास को महसूस करने की कोशिश करता जब विनीत ने उसे ये नथिया खुद से उसके नाक में डाला था। प्रियम के लिए ये नथिया बहुत खास बन चूका था और उसने सोच लिया था, वो खुद से ये नथिया नहीं उतारेगा। दिन के दस बज रहे थे, प्रियम हरी साड़ी में तैयार था। विनीत के आने के इंतज़ार में आज प्रियम उसके लिए उसका फेवरेट ढोकला बनाया था। 

प्रियम सोचने लगा, "अब तक तो वीनू को आ जाना चाहिए था, आज डांस कम्पटीशन भी है, कहाँ रह गए वीनू, आ जाओ ना, प्लीज्!"


इतने में दरवाज़े पर नॉक हुआ, सामने वीनू खड़ा था। वीनू को देखते ही प्रियम उससे लिपट गया। 

विनीत - गुड मॉर्निंग बेबी!

प्रियम - गुड मॉर्निंग वीनू!

विनीत - तुमने अभी तक ये नथिया पहन ही रखा है, उतार देती!

प्रियम - मैं नहीं उतार रही। तुमने कहा था ना, इसे पहने रहूं तो तुम्हे कभी कुछ नहीं होगा!

विनीत - इतना सीरियस क्यों रहती हो प्रिया, वो तो मैंने ऐसे ही कह दिया था। लाओ मैं उतार दूँ!

प्रियम - नहीं वीनू, रहने दो ना, तुमने इतने प्यार से पहनाया है, मुझे अच्छा लग रहा है। 

विनीत - लेकिन आज के डांस कम्पटीशन में ऐसे जाओगी? इधर आओ!

प्रियम - नहीं नहीं वीनू,  मैं नहीं चाहती कि तुम्हे कभी भी कुछ भी हो?

विनीत - अच्छा बाबा, तुम छोटी वाली नथिया पहन लो प्रिया। 

प्रियम - तुम ही पहना दो। 

फिर विनीत ने वो नथिया प्रियम के नाक से निकाल कर उसकी नाक में छोटी सी नथिया पहना दिया। 

विनीत - वाओ प्रिया, जंच रही हो!

फिर प्रियम ने विनीत को बैठने को कहा और उसके लिए प्लेट् में अच्छे से ढोकला सजा कर ले आया तो विनीत को सर्व किया। विनीत वज सुरप्राइज़्ड एंड सो हैप्पी!

विनीत - ओह्ह! माई फेवरेट! थैंक यू स्वीटी! यू नो व्हाट आज सुबह सुबह मैंने माँ से ढोकला बनाने को कहा। 

प्रियम - थैंक्स! वैसे क्या कहा माँ ने!

विनीत - माँ बोली, अब आ तो रही है तेरी दुल्हन, वही बनाएगी तेरे लिए ढोकले!

प्रियम - हाहाहा! ऐसे बोली माँ!

प्रियम - हाँ! अच्छा बताओ, ढोकला कैसा लगा?

विनीत - वाकई, माँ के हाथों का स्वाद ,आज तुम्हारे हाथों में आ गया हो जैसे!

प्रियम - थैंक्स वीनू! 

विनीत ने  ढोकला खाया और उसने प्रियम से कहकर टिफिन भी पैक करने को कहा। 

प्रियम - इतना अच्छा लगा?

विनीत - हाँ बेबी, ढोकला इज़ माय फेवरेट!

प्रियम - और मैं!

विनीत - प्रिया, तुम मेरी जान हो! 

प्रियम - वीनू, मुझे बहुत अकेलापन लगने लगता है जब तुम मेरे पास नहीं होते! 

विनीत - आफ्टर मैरिज, आई विल ऑलवेज विद यू बेबी! 

प्रियम - आई नो!

विनीत - तुम रेडी हो, चलें!

प्रियम - एक मिनट, इधर आओ! ये क्या लगा हुआ है?

विनीत झुका और प्रियम ने उसके होंठ पर एक किस कर लिया। 

प्रियम - गुड लक किस, माय लव!

विनीत भी प्रियम को अपनी बाहों में लेकर उसके होंठों पर स्मूच करने लगा जो अगले पांच मिनट्स तक दोनों लिपलॉक पोजीशन में रहे!

विनीत - ये गुड लक किस, मेरे तरफ से! अब चलो, लेट हो जाएंगे!

फिर विनीत और प्रियम डांस क्लासेज आ गए। विनीत ने डिसाईड किया हुआ था कि वो सालसा परफॉरमेंस देगा प्रियम के साथ। लेकिन सैम ने विनीत को वही सालसा ट्रैनिग कर रही रूही नाम की लड़की के साथ परफॉर्म करने को कहा, क्यूंकि रूही की हाइट काफी अच्छी थी और प्रियम की हाइट काफी कम। विनीत को इससे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ने वाला था, लेकिन प्रियम को इससे बहुत फ़र्क़ पड़ रहा था। लेकिन प्रियम ने अपने इमोशंस को कण्ट्रोल किया और ये सिर्फ एक डांस परफॉरमेंस है मान कर, विनीत को रूही के परफॉर्म करने की हामी भर दी। फिर सैम ने प्रियम को लावणी और बॉलीवुड के एक आइटम सांग पर परफॉरमेंस देने को कहा और प्रियम मान गया। काफी सारे परफॉरमेंस के बाद अब विनीत की बारी थी, जिसे रूही के साथ सालसा परफॉर्म करना था।विनीत और रूही स्टेज पर आये तो उनके बैकग्राउंड को स्पेन के बरसेलोना वाली जगह का वॉलपेपर आ गया। विनीत और रूही ने परफॉर्म करना शुरू किया और सभी लड़के लडकियां उनके हर स्टेप के साथ तालियां और सीटी बजाने लगे और विनीत और रूही ने जबरदस्त सालसा परफॉर्म किया। 

इधर प्रियम को रूही के साथ विनीत को डांस करते देख आज पहली बार जलन फील हो रहा था। जब जब रूही विनीत के करीब होती, प्रियम बहुत जेलस फील करता, लेकिन तब वो शांत रहा। जब विनीत और रूही के परफॉर्मन्स ख़त्म हुआ तब प्रियम ने विनीत को अपने बगल में खड़ा कर लिया और उसे आँखे दिखाने लगी तो विनीत समझ गया कि प्रियम को बुरा लग रहा है। उसके बाद कुछ और पर्फॉर्मन्सेस के बाद प्रियम की बारी आने वाली थी तो उसे तैयार होने के लिए अंदर ले जाया गया। इस डांस के लिए प्रियम को 9-यार्ड लंबी साड़ी में तैयार किया गया, जिसे मराठी महिलाएं नौवारी कहती हैं। प्रियम के बालों को बाँध कर जुड़ा बनाया गया और लुक को पूरा करने के लिए भारी गहने जैसे हार, ईयर रिंग, पायल, कमरपट्टा (कमर में एक बेल्ट), चूड़ियाँ और नाक में मराठी स्टाइल नथ पहना दिया गया।  

प्रियम परफॉरमेंस के लिए तैयार था और जब उसकी बारी आयी तो उसे स्टेज पर ले जाय गया। बैकग्राउंड में लावणी स्टेज वाला वॉलपेपर सेट कर दिया गया और प्रियम ने "अप्सरा आली" गाने पर डांस परफॉर्म करना शुरू किया। प्रियम ने जब लावणी पर थिरकना शुरू किया तो वहां खड़े सभी लड़के सीटी और लडकियां तालियां बजाने लगीं। अब वही हाल विनीत का था, उसे बहुत जेलस फील हो रहा था जब लड़के प्रियम के हर स्टेप पर सीटी बजा रहे थे। लेकिन विनीत भी अब क्या कर सकता था, उसे भी प्रियम की तरह परफॉरमेंस ख़त्म होने का इंतज़ार था। लावणी'स टेम्पो वाज़ वैरी फ़ास्ट एंड प्रियम वाज़ इंटेग्रटिंग विद द रिदमिक फ़ीट लाइक एन एक्सपेरिएंस्ड डांसर। 

कमर बलखाना, घुंघरू की आवाज़ निकालना, नज़रें मिलाना, इतराना, और शर्माना। इन सब के साथ प्रियम के पैरों के हर स्टेप इतने एक्यूरेट थे कि उस गाने की ताल से ताल मिलाकर उसने पुरे दिल से परफॉर्म किया। ऐसा लग रहा था कि प्रियम ने इस डांस परफॉरमेंस के लिए कुछ ज्यादा ही मेहनत की थी। 

साढ़े तीन मिनट्स के इस गाने पर परफॉरमेंस के दौरान देखने वालों में एक अलग ही उत्साह नज़र आ रहा था, डांस परफॉरमेंस ख़त्म होने के बाद सभी लडकियां स्टेज पर आ गयीं और प्रियम को अच्छी डांस परफॉर्म करने के लिए कांग्रच्युलेट करने लगीं, इवन लड़के भी प्रियम को कांग्रच्युलेट करते रहे और सबसे आखिर में विनीत ने प्रियम को सबके सामने हग किया। 

विनीत - मुझे तो पता ही नहीं था कि मेरी बेबी इतना अच्छा डांस करती है। इट वज ग्रेट परफॉरमेंस और मेरे लिए तो तुम इस कम्पटीशन को आलरेडी जीत चुकी हो। 

प्रियम - थैंक्स बेबी! लेकिन तुम्हारा परफॉरमेंस मेरी परफॉरमेंस से कहीं ज्यादा अच्छा था। 

विनीत - अभी तो तुम्हारा एक और परफॉरमेंस बाकी है।  

प्रियम - हम्म, आई होप मैं अच्छे से परफॉर्म करूँ!

विनीत - आई डोंट थिंक प्रिया कि यहाँ कोई भी ऐसी लड़की है जो तुम्हे टक्कर दे सके!

प्रियम - और वो रूही!

विनीत - शी इज़ नथिंग इन फ्रंट ऑफ़ यू!

प्रियम - तभी तो डांस करते समय इतना एन्जॉय कर रहे थे!

विनीत -प्रिया, आई लव यू बेबी! ऐसा कुछ भी नहीं है, जैसे तुमने परफॉर्म किया, वैसे मैंने और तुम्हारा परफॉरमेंस अब तक का सबसे बढ़िया परफॉरमेंस रहा है। 

प्रियम - हम्म! थैंक्स वीनू! 

विनीत - अभी तो तुम्हारा एक और परफॉरमेंस बाकी है।  

प्रियम - हम्म!

थोड़ी देर बाद, ब्लैक एंड गोल्ड के बोल्ड शेड्स में, थाई - हाई स्लिट्स वाली स्कर्ट, नाक में छोटी सी नथिया के साथ प्रियम को रेडी किया गया। स्टेज को एक बिस्तर और एक स्विमिंग पूल में आकर्षक लुक दिया गया। अब प्रियम के दूसरे परफॉरमेंस की बारी थी जिसमे "आओ राजा" गाने पर उसे परफॉर्म करना था, लेकिन ये सोलो परफॉरमेंस नहीं था। 

बैकग्रॉउंड में कुछ डांसर्स भी थीं जो साइड आर्टिस्ट की तरह सपोर्टिंग रोल अदा करने जा रही थीं। जब प्रियम का परफॉरमेंस शुरू हुआ तो वो उस गाने को गाती हुई एक्ट्रेस की तरह एक्ट भी कर रही थी। इस आइटम सांग के दौरान प्रियम अपनी आँखों और रुख में कामुकता के साथ परफॉर्म कर रहा था। कुछ डांसर्स जो साइड आर्टिस्ट की तरह प्रियम को सपोर्ट कर रही थीं और सवा चार मिनट के इस गाने पर प्रियम का परफॉरमेंस देखकर सैम सबसे ज्यादा खुश हो रहा था।


विनीत भी बहुत खुश था, भले ही प्रियम का ये परफॉरमेंस काफी कामुक था और इस परफॉरमेंस के दौरान प्रियम का बूब्स का ऊपरी भाग कुछ ज्यादा ही दिख रहा था, लेकिन प्रियम के परफॉरमेंस के आगे ये सब कुछ नहीं था। सवा चार मिनट्स के सेंसुअल और मदहोश कर देने वाले परफॉर्मन्स के ख़त्म होने पर भी बहुत देर तक सन्नाटा रहा। फिर विनीत ने ताली बजाई तो सब होश में आये और सबने जोरदार तालियों से प्रियम के इस परफॉरमेंस का स्वागत किया। प्रियम को अवार्ड भी दिया गया, जिसके बाद विनीत उसके साथ फ्लैट पर आ गया। प्रियम बहुत खुश था, विनीत प्रियम को खुश देखकर खुश था। फ्लैट पर आते ही प्रियम ने अवार्ड को टेबल पर रखा और विनीत को हग कर लिया। 

विनीत - आर यू हैप्पी बेबी?

प्रियम - हाँ वीनू! आई एम् सो हैप्पी! मुझे नहीं पता था कि मेरा परफॉरमेंस इतना अच्छा होगा। 

विनीत - हम्म!

प्रियम - वीनू, मुझे घर ड्राप कर दोगे!

विनीत - क्यों? घर क्यों जा रही हो?

प्रियम - वीनू, मम्मी तो मुझे कल ही अपने साथ घर ले जाने वाली थी लेकिन मैंने मना कर दिया था और आज के लिए बोली थी।

विनीत - हम्म! आई एम् गोंना मिस यू बेबी!

प्रियम - मी टू वीनू! तुम्हारे बिना कैसे रहूंगी मैं?

विनीत - मैं मिलने आ सकता हूँ ना?

प्रियम - बिलकुल नहीं! पहले सगाई का डेट फिक्स करवाओ। अब हम सगाई वाले दिन ही मिलेंगे!

विनीत - प्रिया! ये गलत है। 

प्रियम - बेबी! सगाई और शादी, उसके बाद तो मैं हमेशा के लिए तुम्हारी बन जाउंगी ना!

विनीत - फिर भी प्रिया! मैं तुम्हे बहुत मिस करूँगा!

प्रियम - हां बेबी, मैं भी बहुत मिस करने वाली हूँ, लेकिन क्या करूँ! पेरेंट्स का भी तो हक़ है मेरे ऊपर! उनकी खुशियों का ख्याल रखना पड़ेगा न!

विनीत - हम्म! सही बात है प्रिया! लेकिन घर जाने से पहले मेरी माँ से मिलने चलो, वो तुमसे मिलना चाहती है। 

प्रियम - माँ, आई मीन् आंटी मिलना चाहती हैं मुझसे?

विनीत - हाँ बेबी! 

प्रियम - ठीक है वीनू, लेकिन उनसे ऐसे नहीं मिल सकती। मैं तैयार हो जाती हूँ और साथ ही पैकिंग भी कर लेती हूँ। आंटी से मिलने के बाद मुझे घर ड्राप कर देना वीनू!

विनीत - ओके प्रिया!  

थोड़ी देर में प्रियम ऑरेंज साड़ी में रेडी हुआ और बैगपैक के साथ विनीत की माँ से मिलने निकल पड़ा। उस ऑरेंज साड़ी में प्रियम इतना खूबसूरत दिख रहा था कि विनीत के नज़रें घूम घूम के उसी पर जा रही थी। 

प्रियम - क्या कर रहे हो वीनू? कार ड्राइव करने पर ध्यान दो!

विनीत - इतनी खूबसूरत दिख रही हो तुम कि मेरी नज़रें सिर्फ तुम्हे ही देखना चाहती हैं। 
 
प्रियम - धत्त, कुछ भी! मैं तो तुम्हे हमेशा सुन्दर दिखती हूँ। 

विनीत - रियली! यू आर सो ब्यूटीफुल प्रिया!

प्रियम - ये तो मैं कितनी बार सुन चुकी हूँ, कुछ नया बोलो वीनू!

थोड़ी देर बाद विनीत प्रियम को अपने घर ले आया। जब प्रियम ने विनीत की माँ को देखा तो सर पर पल्लू रखकर किसी संस्कारी लड़की की तरह घूँघट कर लिया और उनके पाओं छुए। 

प्रेरणा यादव - जुग जुग जियो प्रिया, हमेशा खुश रहो! कितनी संस्कारी बहु है मेरी! हाय किसी के नज़र ना लग जाए। 

फिर विनीत की माँ ने अपनी आँखों से काजल निकालकर प्रियम के गाल पर लगा दी।  विनीत की माँ ने प्रियम से ढेर सारी बातें की और उन्होंने प्रियम को ये भी कहा कि वो इस रिश्ते से बहुत खुश हैं। 

प्रेरणा - जब से प्रिया ने ऑफिस ज्वाइन किया है मैं तो उसी दिन से इसे इस घर की बहु बनाकर लाना चाहती थी, चलो ये भी अच्छा हुआ, तुमदोनो एक दूसरे को जान चुके हो और भगवन ने मेरी सुन ली। 

विनीत - हाँ माँ! पंडित जी ने क्या कहा सगाई के लिए!

प्रेरणा - सगाई अगले हफ्ते सोमवार को और शादी रविवार को, तू प्रिया को पेरेंट्स को खुद से इन्फॉर्म कर देना। 

विनीत - ठीक है माँ! थोड़ा चाय बना दो!

प्रियम - मैं बना देती हूँ माँ! मैं माँ तो कह सकती हूँ ना?

प्रेरणा - हाँ बहु, अब से मैं तेरी माँ ही तो हूँ! बाकी तू देख ले, अगर तू मुझे सास बनाना चाहती है तो मैं वो भी बन सकती हूँ। 

प्रियम - नहीं माँ ही ठीक है माँ। आप बैठो मैं चाय बना देती हूँ, किचन कहाँ है?

प्रेरणा - अरे बहु, तू रहने दे! जब विनीत तुझे दुल्हन बनाकर इस घर में लेकर आएगा, तब तुझे जो करना है कर लेना!

प्रियम - लेकिन माँ!

प्रेरणा - लेकिन वेकिन कुछ नहीं, तुमदोनो आपस में बातें करो, मैं चाय लेकर आती हूँ।  

अपनी होने वाली सास से मिलने के बाद और उनके हाथों बनी चाय पीने के बाद कुछ देर तक तो सभी आपस में बातें करते रहे और फिर प्रेरणा ने विनीत से कहा कि वो प्रियम को उसके घर ड्राप कर दे। जब प्रियम जाने लगा तब उसने एक बार फिर से घूँघट करके प्रेरणा के पाओं छू कर उनसे आशीर्वाद लिया। विनीत की माँ ने प्रियम के हाथों में एक कांचीवरम साड़ी और एक ज्वेलरी बॉक्स और कुछ रूपये शगुन के तौर पर दिया और प्रियम का माथा चुम ली। प्रियम को बहुत अच्छा लगा, उसकी आँखों में आंसू आ गए, फिर विनीत के साथ प्रियम अपने घर को निकल गया। सगाई और शादी की तारीख का पता चलने के साथ ही प्रियम की नर्वस्नेस बढ़ने लगी थी। रस्ते में भी प्रियम का पूरा बदन थरथरा रहा था और रुक रुक कर उसकी आँखों से आंसू आ रही थी। विनीत ने प्रियम को आंसू पोछते देखा तो उससे रहा नहीं गया, वो समझ गया था कि प्रियम शादी को लेकर बहुत नर्वस है। 

विनीत - प्रिया, आर यू नर्वस?

प्रियम - हाँ बेबी! मुझे बहुत डर लग रहा है। 

विनीत - लेकिन क्यों प्रिया! तुम्हे नर्वस होने की जरूरत नहीं प्रिया, मैं हूँ ना!

प्रियम - वीनू! मैं क्या करूँ! आई डोंट नो कि मुझे इतनी नर्वसनेस क्यों हो रही है?

विनीत - एवरीथिंग विल बी ओके बेबी!

 प्रियम - आई होप सो वीनू!

थोड़ी देर में विनीत प्रियम के साथ उसके घर आ गया। प्रियम पहली बार प्रिया बनकर अपने पेरेंट्स के सामने खड़ा था। हील्स की वजह से उसकी हाइट मेन्टेन हो गयी थी लेकिन उसका फिगर, स्किन टोन और आवाज़ जो अब लड़कियों जैसी थी। एक पल के लिए तो प्रियम के पेरेंट्स प्रियम को पहचान ही नहीं पाए। प्रियम की भाभी उसे उसके कमरे में ले गयी और विनीत ने प्रियम को सगाई और शादी का डेट बता दिया। विनीत की खूब खातिरदारी हो रही थी, तरह तरह के व्यंजन सर्व हो रहे थे। विनीत की होने वाली दोनों सालियाँ उसके साथ हंसी मजाक कर रही थीं। इधर प्रियम की भाभी प्रियम के इस ट्रांसफॉर्मेशन को देखकर दंग रह गयी थी। 

श्रुति (प्रियम की भाभी) - प्रियम, तुम तो लड़की जैसे दिख रहे हो? ये ट्रांसफॉर्मेशन कब हुआ?

प्रियम - भाभी, अब मैं एक लड़की ही हूँ। आई डोंट नो भाभी, मैं कब लड़की बन गयी!

श्रुति - लेकिन ऐसा कैसे हो सकता है देवर जी! तुम तो लड़के थे, अचानक लड़की कैसे बन गए!

प्रियम - आई डोंट नो भाभी! अब मैं आपकी ननद हूँ भाभी, देवर नहीं!

श्रुति - हम्म!

इधर विनीत जब वहां से जाने लगा तो श्रुति उसे प्रियम का कमरा दिखाने के बहाने वहां ले आयी। प्रियम वहीँ बिस्तर पर बैठा कुछ सोच रहा था और जब उसने विनीत को अपने कमरे में देखा तो उसकी आँखों में ख़ुशी की आंसू आ गयी। श्रुति समझ रही थी कि प्रियम का विनीत से एक हफ्ता तो दूर एक घंटे अलग रहना बर्दाश्त नहीं हो रहा था। श्रुति ने विनीत से कहा कि वो बैठे और प्रियम से बात करे और वो वहां से  बाहर चली गयी और गेट को बाहर से ही लॉक भी कर दी। श्रुति के जाते विनीत ने प्रियम को अपनी बाहों में समा लिया और उसके होंठ चूमने लगा। प्रियम भी विनीत की बाहों में खुद को न्योछावर कर देना चाहता था, लेकिन अभी वो अपने घर में था और उन्हें अपनी फीलिंग्स को कण्ट्रोल करना पड़ा। 

प्रियम - वीनू, मैं कैसे रहूंगी तुम्हारे बिना! एक घंटे मुझसे नहीं रहा जाता, एक हफ्ता कैसे बिताउंगी तुम्हारे बिना!

विनीत - बेबी! आई लव यू। एक बार हम शादी के बंधन में बंध गए, उसके बाद मैं और तुम हमेशा साथ रहेंगे!

प्रियम (रोते हुए) - लेकिन वीनू! एक हफ्ता तुम्हारे बिना? मैं तुम्हारे साथ रहना चाहती हूँ। 

विनीत - बेबी! डोंट क्राई! मैं तुम्हारे आँखों में आंसू नहीं देख सकता, प्लीज् समझने की कोशिश करो बेबी! मैं बीच बीच में आता जाता रहूँगा ना। 

प्रियम - वीनू, इस अंगूठी को संभाल कर रख लेना!

विनीत - हम्म! इसे से जान से ज्यादा संभाल कर रखूँगा! अगर ये अंगूठी ना होती तो मुझे मेरे सपनों की रानी कभी नहीं मिलती। 

प्रियम (आंसू पोछते हुए) - हम्म! पक्का!

विनीत - हाँ बेबी, पक्का!

फिर विनीत ने प्रियम को फिर से अपनी बाहों में लेकर उसके जोर से स्मूच किया और दरवाज़े पर नॉक हुआ तो दोनों अलग होकर बैठ गए और प्रियम ने अपने आंसू पोंछे!

श्रुति - आप दोनो का हो गया हो तो चलें! मम्मी पापा आपका वेट कर रहे हैं। 

विनीत - हाँ भाभी, जरूर!

विनीत ने प्रियम को बाय कहा और वहां से श्रुति के साथ निकल गया। जब विनीत प्रियम के मम्मी पापा के सामने गया तो उन्होंने विनीत के हाथों में शगुन के तौर पर ब्लेज़र का कपडा और उसकी मम्मी के लिए बनारसी सिल्क की साड़ी दी और साथ में कुछ पैसे भी रखे। विनीत के जाने के बाद प्रियम मायूस होकर बैठ गया। थोड़ी देर में प्रियम की भाभी, उसकी माँ और दोनों बहनें कमरे में आ गयीं, जहाँ प्रियम विनीत की यादों में खोया हुआ था। अपनी मम्मी, भाभी और बहनों को कमरे में आता देख प्रियम साड़ी की पल्लू का अंचल अपने कंधों पर रखा और सर झुका कर बैठ गया। पहले तो प्रियम की भाभी और उसकी दोनों बहनों ने मिलकर उसकी खूब खिंचाई की और खूब मजे लिए। इस सब से प्रियम को बहुत शर्मिंदगी का एहसास होने लगा और उसकी आँखों में आंसू आ गए। तब प्रियम की मम्मी ने उसकी भाभी और दोनों बहनों को कमरे से बाहर निकाला और कमरे को अंदर से बंद करके प्रियम से बात करने बैठ गयी। 

प्रियम की मम्मी - प्रियम! तुम ठीक हो?

प्रियम - हाँ मम्मी!

प्रियम की मम्मी - एक बात बताओ प्रियम! बचपन से कॉलेज तक तो तुम मेरे बेटे ही थे फिर अचानक लड़की कैसे बन गए?

प्रियम - मम्मी, ये सब अचानक नहीं हुआ मम्मी! धीरे धीरे मैं विनीत जी के प्रति आकर्षित होता गया और मैं कब लड़की बन गया, मुझे खुद पता नहीं चला! शायद यही मेरी किस्मत में था मम्मी!   

प्रियम की मम्मी - तुमने सेक्स चेंज सर्जरी करवाने से पहले मुझसे एक बार तो पूछ लिया होता!

प्रियम - सॉरी मम्मी!

प्रियम की मम्मी - चलो कोई बात नहीं प्रियम! लेकिन अब जब तुम लड़की बन गए हो तो लड़कियों की तरह बातें किया करो, समझी। 

प्रियम - आई एम् सॉरी मम्मी! मेरे इस ट्रांसफॉर्मेशन की वजह से आपको बहुत तकलीफ हुई होगी ना!

प्रियम की मम्मी - नहीं मेरी बिटिया रानी, मैं बहुत खुश हूँ! हालाँकि थोड़ा दुःख तो रहेगा ना, जिस बेटे को बचपन से ये सोच कर पालपोस कर बड़ा किया कि बड़ा होकर वो मेरे लिए सुन्दर सी बहु लेकर आएगा। लेकिन मेर उसी बेटे को एक मर्द अपनी दुल्हन बनाकर, ब्याह रचा कर अपने साथ ले जाने वाला है। 

प्रियम - मम्मी! 

फिर प्रियम अपनी मम्मी से लिपटकर खूब रोया। उसके बाद उसकी मम्मी ने उसे शांत किया और थोड़ी देर विनीत के बारे में पूछती रही तो प्रियम भी विनीत के बारे में अपनी मम्मी को अच्छी अच्छी बातें बताता रहा।  प्रियम की बातें सुनकर उसकी मम्मी विनीत से काफी प्रभावित हो चुकी थीं। प्रियम की मम्मी ने बिस्तर पर कांचीवरम साड़ी और ऑर्नामेंट्स का बॉक्स देखीं तो उसके बारे में पूछने लगी। प्रियम ने अपनी मम्मी को बताया कि ये सब उसकी होने वाली सास ने उसे दी है। प्रियम की मम्मी ने उसे ऑर्नामेंट्स का बॉक्स खोलने को कहा। प्रियम ने बॉक्स खोला तो उसने देखा कि बॉक्स में सोने का हैवी ऑर्नामेंट्स है। उन ऑर्नामेंट्स में सोने के चार जोड़ी कंगन, बहुत ही हैवी चाँदी की पायल, छोटा सोने का मांगटीका, सोने का हाथफूल, एक नौलखा सोने का हार और एक बड़ी सी नथिया जो आमतौर पर गढ़वाल में पहनी जाती है। वो नथिया काफी हैवी थी और उसका वजन सौ ग्राम के करीब था।   

प्रियम की मम्मी - आई एम् प्राउड ऑफ़ यू प्रियम! मेरी प्यारी सी बिटिया रानी को विनीत से अच्छा पति कहीं और नहीं मिल सकता था। और तुम्हारी होने वाली सास ने कितनी कीमती ऑर्नामेंट्स दी हैं। सगाई में तुम यही ऑर्नामेंट्स पहनना, ठीक है?

प्रियम - थैंक्स मम्मी! 

प्रियम - अब तुम रेस्ट करो प्रियम!

उसके बाद प्रियम की मम्मी वहां से चली गयीं। एक हफ्ते बाद ही सगाई का मुहूर्त आलरेडी तय किया जा चूका था और प्रियम के पेरेंट्स उसकी सगाई की तैयारिओं में पूरी तरह से व्यस्त हो गए थे। प्रियम ने भी अपनी मम्मी के साथ मार्किट जाकर खूब शॉपिंग की। लहँगा, बैकलेस चोली, साटन, जॉर्जेट, बनारसी सिल्क साड़ियां, सुहाग का चूड़ा तीन तीन सेट, गोल्डन हाई हील्स, मेकअप का कुछ सामान और घर के लोगों के लिए कपडे! प्रियम की शॉपिंग शनिवार तक ख़त्म हो चुकी थी, अब दो दिन ही बचे थे शादी में और प्रियम की भाभी उसे मेहँदी लगवाने के लिए अपने पास रहने को बोली तो प्रियम मान गया। 

सगाई के लिए एक बड़ा सा होटल बुक किया गया, जिसमे प्रियम की तरफ से उसके घर वाले, बुआ, फूफा, दोनों बहनें, उनके पतियों के साथ उनके सास ससुर, मौसी, चाचा चाची और चचेरे भाई बहनों को बुलाया गया। वहीँ विनीत की तरफ से उसके दोस्त, उसकी माँ, मौसी, अंकल आंटी, तीन भाई और कुछ फॅमिली फ्रेंड्स को इन्वाइट किया गया। विनीत ने प्रियम के लिए हीरे की अंगूठी खरीदी और उसे दिखाने उसके व्हाट्सप्प पर फोटो भेजा। सबको वो हीरे की अंगूठी बहुत पसंद आयी और सभी ने विनीत के पसंद की खूब तारीफ की। अपने होने वाले पति की तारीफ सुनकर प्रियम शरमाने लगा।      

इट वज सैटरडे नाईट! प्रियम अपनी भाभी के कमरे में था और उसकी भाभी अब उसे मेहँदी लगाने वाली थी। श्रुति ने मेहँदी डिज़ाइन का कोर्स किया हुआ था जिससे उसे मेहँदी लगाने में बहुत मजा आता। हालाँकि प्रियम मेहँदी वाले को बुक करने को कह भी रहा था लेकिन उसकी भाभी ने कहा कि वो खुद मेहँदी लगाएगी। 

श्रुति - अच्छा प्रियम, एक बात बताओ! तुम्हे  कैसा लग रहा है? तुम्हारी शादी एक आदमी से होने वाली है और वो तुम्हे अपनी दुल्हन बना ब्याह ले जाने वाला है!

प्रियम - भाभी, मैं नहीं जानता! ये सब थोड़ा वियर्ड तो है, लेकिन विनीत जब भी मेरे साथ होता है या मेरे सामने होता है तो अंदर से फीलिंग आने लगती है कि खुद को नयूछावर कर दूँ वीनू पर। 

श्रुति - तो क्या हमेशा से ही तुम गे थे प्रियम?

प्रियम - नहीं भाभी, मैं गे नहीं हूँ! मैं प्रिया हूँ और मैं आत्मा से लड़की बन चूका हूँ और मुझे ये लाइफ पसंद है। 

श्रुति - तो क्या तुमदोनो के बीच कभी कुछ हुआ है?

प्रियम - नहीं भाभी! मैंने तो साफ़ साफ़ कह रखा है वीनू को, हमारे बीच जो होगा, शादी के बाद होगा!

श्रुति - ये तुमने बहुत अच्छा किया! वैसे भी शादी से पहले सेक्स सही नहीं होता। प्रिया, अब तुम जाओ, पहले अपने हाथ और पैर धो कर आओ और अच्छे से पोंछ लेना। 

प्रियम ने वैसे ही किया और वापस बेड पर आकर बैठ गया। फिर उसकी भाभी ने इंटरनेट से कुछ डिज़ाइन निकाली। 

श्रुति - प्रियम, तुम्हे कौन सी डिजाइन पसंद है?

प्रियम - मुझे इस बारे में कुछ नहीं पता आपको जो पसंद है बना दो। 

श्रुति - ठीक है फिर बाद में मत बोलना।

प्रियम - ठीक है भाभी! 

प्रियम की भाभी ने उसका एक हाथ पकड़ा, तो उसकी धड़कने तेज होने लगी क्योंकि प्रियम ने अपनी ज़िन्दगी में पहले कभी ऐसा नहीं किया था। उन्होंने एक मेंहदी का कोन बॉक्स से निकाला, प्रियम की धड़कन और भी तेज होने लगी। प्रियम का हाथ उसकी भाभी के हाथ में था तो उन्हें भी पता चल गया कि प्रियम की धड़कन तेज क्यों होने लगी है। प्रियम की भाभी उसकी आंखो में देख रही थी और प्रियम उनकी। 

श्रुति - इतना क्यों घबरा रही हो प्रिया? मैं तुम्हारा हाथ थोड़ी ना काटने वाली हूँ! 

प्रियम - आप नहीं समझोगी भाभी!

श्रुति - अगर मैं नहीं समझूंगी तो कौन समझेगा प्रिया। मेरे देवर की सगाई है कल, वो देवर जो अब मेरी ननद बन गयी है। मैंने तो कभी सोचा भी नहीं था कि मेरे देवर की शादी एक मर्द से होगी। अब जब आपका और विनीत जी का रिश्ता हो ही गया है तो मन से सबकुछ भुला कर अपने प्रेजेंट में रहोगी ना, तो ज्यादा परेशानी नहीं होगी। मुझे भी अजीब फील हो रहा है, जिस देवर के साथ मैं अपनी छोटी बहन को ब्याहना चाहती थी आज मेरे उस देवर को कोई और मर्द ब्याह कर ले जाएगा। कैसा संयोग है? कैसी नियति है मेरे देवर की, एक मर्द की दुल्हन बनना, ओह्ह्ह। वैसे शादी के बाद बच्चे कैसे होंगे, मेरा मतलब है कि आप भी मर्द ही हो और विनीत भी, फिर तुम्हारे बच्चे कैसे होंगे?

प्रियम - भाभी, आप नहीं जानती, देख लेना! 

श्रुति - तो क्या तुम सच में विनीत के बच्चे को जन्म देना चाहते हो?

प्रियम - भाभी, ये सब बातें जरुरी है? 

श्रुति -  जरुरी है तभी तो पूछ रही हूँ। 

प्रियम - भगवान् जाने, आई डोंट नो!

श्रुति - तो मैं शुरू करूं प्रिया?

प्रियम ने अपना सर हाँ में हिलाया और जैसे ही उसकी भाभी ने उसके हाथों पर मेंहदी लगाना शुरू किया तो उसे बहुत अजीब सा लगा। मेहँदी ठंडी लग रही थी और इसी वजह से प्रियम रोंगटे खड़े हो गए। प्रियम के हाथ पर बाल नहीं थे, लेकिन फिर भी उसका एहसास हुआ। जैसे जैसे उसकी भाभी प्रियम के हाथ में मेंहदी लगाती गई, उसे अच्छा लगने लगा। प्रियम के हाथ में ठंडक महसूस होने लगी। तभी तो मेंहदी को एक आयुर्वेदिक दवाई के तौर पर भी इस्तेमाल किया जाता था लेकिन आज सिर्फ इसे सजाने की चीज के तौर पर देखा जाता है। ये तो बिल्कुल ही बहुत अच्छी फिलिंग थी और उसकी खुशबू प्रियम ने कभी इतनी देर तक इतनी पास से नहीं सुंघी थी। ये सब पहली बार हो रहा था। प्रियम को उसकी खुशबू भी बहुत अच्छी लगने लगी। 

प्रियम - भाभी! इसकी खुशबू कितनी अच्छी है न?

श्रुति - हम लड़कियां सिर्फ इसे डिजाइन के लिए थोड़ी लगाती है, अब समझ में आया प्रिया! क्या अब भी पसंद नहीं है मेंहदी?

प्रियम - नहीं भाभी, अब तो बहुत पसंद है, उस वक़्त तो बस ऐसे ही बोल दिया था।

श्रुति - अभी तो बस लगाई है। जब रचेगी तब देखना तुम्हारा मन करेगा कि तुम इसे हमेशा लगाती रहो! 



प्रियम - तो आप क्यों नहीं लगाए रखती हो?

श्रुति - मैं लगाती तो हूँ लेकिन सिर्फ स्पेशल ओकेशन के लिए, जैसे तीज, करवाचौथ या दिवाली में या कोई खास ओकेज़न हो, जैसे शादी, सगाई, रिसेप्शन! कौन मेरे हाथो में मेहँदी लगाएगा? 

प्रियम - तो मुझे सीखा देना भाभी! मैं लगा दिया करूंगी।

श्रुति - हलवा है क्या? बहुत प्रैक्टिस करनी पड़ती है! सीखना पड़ता है! सीखोगी? और इतनी प्रैक्टिस कब करोगी? शादी के बाद? 

प्रियम - हाँ कर लूंगी भाभी!। आप बस सीखा देना मुझे।

श्रुति - ठीक देखते है। 

शुरू में उन्हें थोड़ा टाइम लगा, लेकिन एक बार उनके हाथ सैट हो गये तो फटा फट लगाने लगी दोनों हाथो में। प्रियम की भाभी ने प्रियम के कोहनी तक बिल्कुल वैसी जैसी दुल्हनों को लगाई जाती है वैसी मेंहदी लगा दी। प्रियम को तो नींद भी आने लगी थी। 

श्रुति - प्रिया, एक काम करो! तुम दीवार से टेक लेकर सो जाओ!

प्रियम - कोई बात नहीं भाभी, मैं जाग लूंगी।

श्रुति - रुक अभी चाय बना कर लाती हूँ वरना मुझे भी कहीं नींद ना आ जाए। 

और फिर वो चाय बना कर लाई और प्रियम को उन्होंने अपने हाथो से चाय पिलाई। चाय पीने के बाद वो वापस अपने काम पर लग गई और फिर प्रियम की लेगिंग को उसके पैरो पर घुटनों तक ऊपर कर दिया और पैरो में मेंहदी लगाना शुरू कर दिया। करीब 12 बज रहे होंगे तब जाकर प्रियम की भाभी रुकी। 

श्रुति - लो हो गया, लग गयी दुल्हन के हाथों में मेहँदी।   

प्रियम ने अपने हाथ और पैर देखे। प्रियम की भाभी ने उसके पैरो पर भी घुटनों तक मेंहदी लगा दी थी और फिर उनका मोबाइल उठा ली। 

श्रुति - चलो, अब एक अच्छी सी फोटो खींचने दो प्रिया! 

और प्रियम की भाभी ने उसे कुछ पोज़ेस बताए और फिर फोटो खींची।

प्रियम - भाभी, बस करो अब! बहुत नींद आ रही है, चलो अब सो जाते है।

तो प्रियम की भाभी वहाँ से चली गई और एक मिनट बाद एक छोटे स्टूल के साथ आई।  

श्रुति - प्रिया, इस पर अपने पैर रखो, लेकिन ध्यान से कहीं मेंहदी ना बिगड़ जाए। 

प्रियम ने ठीक वैसे ही किया, लेकिन प्रियम की भाभी वहीं उसके पैरो के सामने बैठ गई। 

प्रियम - क्या कर रही हो भाभी? वहाँ नीचे क्यों बैठ गई?

श्रुति - अभी गर्मी का टाइम है प्रिया और इसी वजह से फर्श भी गरम हो जाता है। तो मैं मेंहदी तेरे पैरो के नीचे भी लगा रही हूँ ताकि थोड़ी ठंडक रहे और ये पैरो के लिए भी अच्छा होती है, फटते नहीं देती। 

प्रियम - ठीक है भाभी!

श्रुति अपनी उंगलियों से प्रियम के पैरो पर मेंहदी लगाने लगी तो उसे गुदगुदी होने लगी। 

प्रियम (हँसते हुए) - अरे मुझे गुदगुदी हो रही है, आप रहने दो भाभी। 

प्रियम की भाभी - चुप चाप लेटी रहो प्रिया!

बड़ी मुश्किल से प्रियम ने खुद को काबू में रखा। जब श्रुति ने दोनों पैरो में मेहँदी लगा दी तो उसे काफी ठंडापन महसूस लगा और फिर श्रुति भी उसकी बगल में आकर लेट गई। 

प्रियम - भाभी, आप यहीं जाओगी?

श्रुति - क्यों मैं अपनी ननद के साथ सो नहीं सकती?

प्रियम - बिलकुल सो सकती हो भाभी!

श्रुति - अच्छा प्रियम, ये बताओ, कल तुम्हारी सगाई होने जा रही है, कैसा लग रहा है अभी?

प्रियम - भाभी, बहुत ज्यादा डर लग रहा है। 

श्रुति - हम्म! वैसे शादी से पहले लड़कियों में नर्वसनेस होना लाज़मी होता है, सो चिल। वैसे भी तुम उसी से शादी करने जा रही हो, जिससे तुम प्यार करती हो और सबसे अच्छी बात तो ये है कि विनीत भी तुमसे बहुत प्यार करता है। 

प्रियम - आई नो भाभी! 

श्रुति - शादी के बाद सुहागरात में क्या क्या होता है, ये तो पता ही होगा प्रियम!

प्रियम - भाभी, डरा रही हो? वैसे ही इतना डर लग रहा है, शादी के बाद कैसी होगी मेरी लाइफ, आई डोंट नो!

श्रुति - शादी के बाद, उसका आईडिया मिल जायेगा। वैसे विनीत सुहागरात में तुम्हारी एक नहीं सुनेगा, तो ध्यान रखना! मुँह दिखाई के दौरान भी जब तक विनीत तुम्हे कोई गिफ्ट ना दे दे, तुम घूंघट मत उठाना!

प्रियम - भाभी, आप सो रही हो या मैं अपने कमरे में जाऊं!

श्रुति - अच्छा बबा, सो जाओ! नहीं छेड़ रही! 

प्रियम - थैंक्स भाभी, गुड नाईट! 

अगली सुबह श्रुति ने प्रियम को नींद से जगाया। 

श्रुति - जाग भी जाओ ननद जी, आज सगाई है तुम्हारी!

प्रियम - ओह्ह, थैंक्स भाभी! आप नहीं होतीं तो मेरा क्या होता। 

श्रुति - अच्छा ये ऑइंटमेंट लगा कर अपने दोनों हाथों और पैरों की मेहँदी छुड़ा लो। 

प्रियम के हाथ में श्रुति ने ऑइंटमेंट अप्लाई किया और प्रियम ने अपने हाथों और पैरों की सुख चुकी मेहँदी को अच्छे से साफ़ किया। फिर श्रुति के कहने पर प्रियम ने अपने हाथ अच्छे से धोये। मेहँदी का रंग चढ़ चूका था और वो भी इतना गहरा कि श्रुति उसे देख बहुत खुश हुई। 

प्रियम - भाभी, इतना खुश क्यों हो रही हो?

श्रुति - खुश हो रही हूँ क्यूंकि मेरी प्यारी सी ननद ने अपने हाथों और पैरों में इतनी डार्क मेहँदी रचाई है। 

प्रियम - डार्क है तो इससे क्या होगा?

श्रुति - इससे होगा ये कि विनीत तुम्हारे प्यार में पागल रहेगा और शादी के बाद तुमसे बहुत प्यार करेगा। 

प्रियम (शरमाते हुए) - भाभी, कुछ भी!

श्रुति - हाय, कितनी सुन्दर लगती हो शरमाते हुए भी! नज़र ना लगे, अब जाओ स्नान कर के आओ! हमें होटल भी पहुंचना है। 

प्रियम - हाँ भाभी!



 
आफ्टर शावर, जब प्रियम कमरे में आया तब कमरा खाली था। प्रियम ने अपनी छाती पर टॉवल लपेटा हुआ था और आईने के सामने खड़ा होकर हेयर ड्रायर से अपने बाल सूखा रहा था। तभी वहां उसकी मम्मी आ गयी। प्रियम की मम्मी ने प्रियम को अच्छी सी शिफॉन साड़ी में खुद से तैयार की और थोड़ी देर बाद प्रियम अपनी पूरी फॅमिली के साथ उस होटल में आ गया जो सगाई के लिए बुक किया गया था। प्रियम को उसके लिए बुक्ड कमरे में ले जाया गया और उसके पापा मम्मी और भाई सगाई की तैयारियों और गेस्ट्स के स्वागत के लिए हॉल में चले गए। अभी सुबह के साढ़े आठ बज रहे थे और ब्यूटीशियन (नेहा) प्रियम को तैयार करने के लिए वहां आ चुकी थी। नेहा जब प्रियम से मिली तो उससे मिलते ही सबसे पहले उसकी खूबसूरती और उसकी खूबसूरत मेहँदी की तारीफ़ की। फिर ब्यूटीशियन नेहा ने प्रियम को पुशअप ब्रा और पैंटी देकर चेंज करके कमरे में आने को बोली। 

प्रियम वाशरूम में गया, उसने साड़ी, ब्लाउज पेटीकोट खोला और पुशअप ब्रा और पैंटी पहनकर कमरे में आ गया। 

नोट - अब आगे की कहानी में प्रियम को प्रिया यानि उसके स्त्री रूप में ही दिखाया जायेगा। 


थोड़ी देर बाद प्रिया गुलाबी पुशअप ब्रा और गुलाबी पैंटी पहने हुए आईने के सामने खड़ी थी। उसके बाएं कंधे की तरफ काले घने लंबे बाल पीठ तक लटक रहे थे, जिन्हें वो अपने बाएं हाथ से सहला रही थी और दाएं हाथ से चेहरे पर आती बालों की लटों को कानों के पीछे ले जाकर संवार रही थी। दूध से गोरे और संगमरमर से चिकने छरहरे बदन पर गुलाबी ब्रा-पैंटी, गुलाबी लिपस्टिक और गुलाबी नेल पेंट ऐसे दिख रहे थे, मानो सफेद वनिला आइसक्रीम पर लाल चैरी रखी हो। प्रिया का गोरा बदन आइसक्रीम था और वो पिंक ब्रा-पैंटी व ग्लॉसी पिंक लिपस्टिक वो चैरी! बस अंतर इतना था कि इस आइसक्रीम और चैरी को देखकर ‘हर कोई’ नहीं सिर्फ पुरुष ही ललचा सकते थे। बालों को यूं ही सहलाते हुए आईने के सामने प्रिया खुद को देखने लगी। गोरा, चिकना, चमचमाता जिस्म, सामने से गुलाबी पैंटी से झांकती सपाट वजाइना, पतली सी कमर, गुलाबी ब्रा में से झांकते भरे हुए व कसे हुए 34 डी उरोज़, जिनका क्लीवेज किसी भी मर्द की रातों की नींद उड़ा दे। ग्लॉसी गुलाबी होंठ, काजल से सजी काली-काली बड़ी आंखें और घने काले लंबे बाल और मध्यम कद 5 फुट 5 इंच में हुस्ने मल्लिका दिख रही थी प्रिया। 

नेहा - वाओ प्रिया मैडम, कितनी सेक्सी दिख रही हो? सच कहूं तो मैंने इतनी सुन्दर लड़की अपनी लाइफ में कभी नहीं देखी है! कितने खुशनसीब हैं विनीत सर जिन्हे हूर सी परी जैसी दुल्हन मिलने जा रही है, है ना भाभी!

श्रुति - हाँ नेहा, विनीत जी तो सच में खुशनसीब हैं! उन्हें प्रिया जैसी हुस्नपरी कहाँ मिल पाती!

नेहा - प्रिया मैडम का ये रूप सच में मन मोह रहा है श्रुति भाभी! 

श्रुति - अरे हमारा ये हाल है तो सोचो विनीत जी का क्या होगा! वो कैसे खुद को कण्ट्रोल करेंगे, मुझे तो नहीं लगता कि विनीत जी हमारी प्रिया को चूमे बगैर रह पाएंगे। अभी हमारी प्रिया इतनी हसीं दिख रही है तो शादी के दिन तो दुल्हन के रूप में कहर ही बरसा देगी। 

नेहा - भाभी, कुछ फोटोज क्लिक कर दो ना!

प्रिया - ऐसे?

नेहा - हाँ प्रिया मैडम, ऐसे ही!

प्रिया- नहीं, पहले कुछ पहन लेने तो दो!

नेहा - ज्यादा नहीं प्रिया मैडम, सिर्फ एक दो फोटो, प्लीज्!  

प्रिया - ओके!

फिर नेहा ने प्रिया के साथ दो तीन सेल्फी ली और श्रुति से कहकर अलग से भी दो चार फोटोज क्लिक करवा ली। 

श्रुति - नेहा, अब हो गया बस! अब प्रिया को रेडी करो, लेट हो जायेगा नहीं तो!

नेहा - ओके भाभी!

उसके बाद नेहा ने सबसे पहले प्रिया को वो हैवी वर्क वाला लहँगा पहनाई और उसकी नाभि के नीचे उसे टाइट से बांध दी। लहँगा बहुत ही ज्यादा हैवी थी, डिज़ाइनर वर्क किया हुआ था और थोड़ी बड़ी भी लेकिन लहँगा पहनने के बाद प्रिया बहुत ही ज्यादा खूबसूरत दिख रही थी। नेहा ने उसके बाद प्रिया से ब्रा खोलने को कहा।

प्रिया - क्यों? 

नेहा - दरअसल, आपने जो लहँगा चोली ली है, इसकी चोली मे अलरेडी पैड लगी हुई है, इसे बिना ब्रा के ही पहनती हैं।

उसके बाद प्रिया ने अपनी ब्रा उतार दी और नेहा ने उसे चोली पहनाई।  चोली पहनने के बाद प्रिया को एहसास हुआ कि चोली सच में बहुत कम्फर्टेबल है और उसे बहुत आराम फील हो रहा था, लेकिन काफी डीप और पीछे से पूरी तरह बैकलेस होने की वजह से प्रिया को बहुत शरम आने लगी थी। नेहा ने प्रिया की चोली की डोरी को क्रिस क्रॉस करके टाइट से बाँध दी, लेकिन फिर भी प्रिया के बूब्स का ऊपरी भाग उस चोली में से साफ झलक रहा था। चोली पहनाने के बाद एक बार फिर ने नेहा ने प्रिया के साथ कुछ सेल्फी ली और फिर उसे मैनीक्योर, पैडीक्योर देने लगी। मनक्योर पैडीक्योर के बाद नेहा ने उन नाखून को ब्लड रेड ग्लॉसी नेलपेंट से रंग दी, जिसके बाद प्रिया के नाख़ून काफी खूबसूरत दिखने लगे। 

उसके बाद उसने प्रिया के पैरों में वो पायल पहना दी, जो उसके ससुराल से उसकी होने वाली सास ने भेजी थी और फिर हाई हील्स पहना दी। हील्स पहनने के बाद प्रिया ने कुछ स्टेप्स चलकर देखा, हील्स तो काफी कम्फर्टेबल थी, चलने में भी कोई परेशानी नहीं हुई। लेकिन प्रिया को महसूस हुआ कि हर स्टेप के साथ उसके बूब्स काफी ऊपर नीचे हो रहे थे और उसे उसका लहँगा दोनों हाथों से उठाकर चलना पड़ेगा। फिर उसने प्रिया की कलाइयों में तीन तीन दर्ज़न सुहाग का चूड़ा और तीन तीन सोने के कंगन पहनाई जो उसके ससुराल से आई थी। उसके बाद उसने प्रिया को सोने का हाथफूल पहना दी, जिसके बाद तो प्रिया की खूबसूरती में चार चाँद लग गया। अब नेहा ने प्रिया के दोनों कानों में बड़ी बड़ी झुमकियां पहनाई, साथ ही उसके माथे पर मांगटीका पहना दी। प्रिया अब लगभग तैयार थी, जिसके बाद नेहा ने प्रिया के बालों में गोल्ड ऑर्नामेंट्स पहनाई और उसे उसकी झुमकियों से अटैच कर दी। प्रिया की नाभि में आलरेडी डायमंड ऑर्नामेंट्स थी जिसे रिप्लेसमेंट की कोई जरूरत नहीं थी। फिर नेहा ने वो नथिया उठा ली और प्रिया के नाक से लौंग निकालकर उसमे वो नथिया डाल दी। वो नथिया पहनते समय प्रिया की आँखों में आंसू आ गए, वजह थी उसका वजन। काफी वजनदार नथिया थी वो, जो डिज़ाइनर भी थी और बहुत बड़ी भी। प्रिया ने अपने आँखों से आंसू पोंछे और नेहा ने उस नथिया की लड़ी को उसकी राइट कान में पहनी झुमकी से अटैच कर दी। 

प्रिया - नेहा, ये नथिया बहुत भारी है!

नेहा - सॉरी प्रिया मैडम, ये आपकी ही है। 

प्रिया - भाभी, लौंग पहन लूँ, ये बहुत भारी है, नाक में दर्द हो रहा है!

श्रुति - नहीं प्रिया, ये तेरे ससुराल से आया है सिर्फ सगाई में पहनने के लिए। सॉरी लेकिन तुम्हे ये पहनकर रहना होगा!

प्रिया के पास कोई और ऑप्शन नहीं बचा था, वो बार बार अपने नाक की नथिया को एडजस्ट करने की कोपशिश करने लगी। आखिर में नेहा ने प्रिया को एक लाल सिल्क डिज़ाइनर ओढ़नी से उसे घूँघट कर दी और श्रुति अपनी सास को यानी प्रिया की मम्मी को कॉल करके कमरे में आने को बोली। थोड़ी देर में प्रिया की मम्मी कमरे में आ गयी, लेकिन वो अकेली नहीं थी। प्रिया की मम्मी के साथ उसकी बुआ, मौसी और चाची तीनो थीं और उनके बच्चे भी। 

प्रिया की बुआ - हाय राम! प्रियम! तू लड़की क्यों बन गया?

प्रिया - आई डोंट नो बुआ जी!

प्रिया की बुआ - आई डोंट नो! ये कैसा जवाब है प्रियम! तू एक मर्द से सगाई करने जा रहा है और आप भाभी, आप ये सब कैसे होने दे सकती हैं?

प्रिया की मम्मी - दीदी जी, प्रिया अब एक लड़की है और बहस करने से सच्चाई तो नहीं बदल जाएगी। 

प्रिया की बुआ - लेकिन भाभी, मेरे भतीजे की सगाई एक मर्द से करवाते आप सब को अजीब नहीं लगा रहा। वो आदमी हमारे भतीजे को अपनी दुल्हन बनाकर अपने साथ ले जायेगा, ससुराल में कैसे लाइफ जियेगा हमारा भतीजा!

प्रिया की मम्मी - दीदी जी, प्रिया जिस्म से एक लड़की है और लड़कियों के सभी गुण हैं इसमें। अच्छा ही है ना, एक मर्द इसे दुल्हन बनाने को तैयार है और देखो ना दीदी, कितनी सुन्दर दिख रही है हमारी प्रिया!

प्रिया की बुआ - वो बात तो है भाभी, लेकिन प्रिया को घर के काम काज आते भी हैं या नहीं? भाभी तुमने प्रिया को खाना पकाने की ट्रेनिंग भी दी हो या इसे ऐसे ही ब्याहकर ससुराल भेज दोगी।   

प्रिया की मम्मी - दीदी, प्रिया को सब आता है, आप टेंशन क्यों लेती हो, आओ मेरे साथ!

प्रिया की बुआ के जाते ही प्रिया इतनी इमोशनल हो गयी कि अपने आंसू नहीं रोक पायी। भला हो वाटरप्रूफ मेकअप का और प्रिया की मौसी और भाभी का जिन्होंने प्रिया को संभाला। 

प्रिया की मौसी - प्रिया, कितनी सुन्दर लग रही है तू! तेरी बुआ तो है ही मुंहफट, तू उनकी बातों पर ध्यान ना दे। आज तेरी सगाई है और तू सच में बहुत खूबसूरत दिख रही है। 

प्रिया की भाभी - हाँ प्रिया, बुआ जी की बातों पर ध्यान मत दो! तुम बहुत सुन्दर लग रही हो, नेहा हमारी कुछ फोटोज तो क्लिक कर दो। 

नेहा - जी भाभी!

उसके बाद नेहा ने प्रिया, उसकी भाभी और मौसी के साथ कुछ फोटोज क्लिक की और उसी दौरान प्रिया की बहन कमरे में आ गयी। 

सोनी - प्रिया दीदी को नीचे बुला रहे हैं, विनीत जीजू भी स्टेज पर आ गए हैं। 

प्रिया की मौसी - तू जा, मैं प्रिया को लेकर आती हूँ!

सोनी के चले जाने के बाद। 

प्रिया की भाभी - तुम तैयार हो ना प्रिया!

प्रिया - भाभी बहुत डर लग रहा है। 

प्रिया की भाभी - सभी लड़कियों को डर लगता है, ये सब नार्मल है, चलो देखें जरा तुम्हारे दूल्हे राजा को!

प्रिया की मौसी - श्रुति, तू नेहा के साथ प्रिया को स्टेज पर लेकर आ, मैं जाती हूँ!

फिर प्रिया खड़ी हुई, उसने अपने दोनों हाथों से अपने लहँगा को उठा लिया और छोटे छोटे स्टेप्स के साथ हॉल की ओर बढ़ने लगी। प्रिया के हर स्टेप्स के साथ उसके बूब्स काफी ऊपर नीचे हो रहे थे और घूँघट मे होने के कारण उसे कुछ ज्यादा दिख नहीं रहा था। प्रिया को शरम भी बहुत आ रही थी और शरम के मारे प्रिया की हिम्मत नहीं हो रही थी कि वो सिर उठाकर किसी से भी नजरें मिला सके। लॉट्स ऑफ़ एम्बैरस्मेंट, ह्युमिलिटी और एक अनजाना डर जिसके कारण लाइफ में पहली बार प्रिया को इतना डर लग रहा था कि उसका पूरा बदन उस डर से कंपकंपा रहा था।  धीरे धीरे छोटे छोटे स्टेप्स के साथ प्रिया को स्टेज पर ले जाया गया, जहाँ विनीत ब्लू सूट में पहले से खड़ा था। विनीत की कलाई में रोलेक्स घडी और गले में सोने की चेन थी, हाथ में रुमाल थी और विथाउट शूज भी वो काफी लम्बा दिख रहा था। प्रियम को विनीत के साथ खड़ा कर दिया गया और वहां पंडित ने एक एक कर के सगाई की रस्मों को पूरा करवाया। प्रिया अभी भी घूंघट में ही थी और उसकी नज़र बार बार विनीत को देखने को बेताब हुई जा रही थी, लेकिन रस्मों के दौरान एक भी मौका ऐसा नहीं आया, जब प्रिया ने विनीत के चेहरे की तरफ देखा हो। हालाँकि सगाई की रस्मों के दौरान प्रिया का हाथ कुछ देर के लिए विनीत के हाथों में था लेकिन उसका डर, उसका कम्पकम्पना और शर्मिंदगी ऐसी की नज़रें उठाने की हिम्मत नहीं हुई। अब सभी रस्में लगभग ख़त्म हो चुकी थी और अब प्रिया और विनीत को स्टेज पर एक रिंग सेरेमनी के लिए दूसरे के साथ बिठा दिया गया। सभी गेस्ट्स प्रिया और विनीत को घेरे खड़े हो गए। फिर प्रियम ने विनीत के रिंग फिंगर में काफी मोटी और हैवी सोने की अंगूठी पहनाई। आज विनीत के छुवन भर से प्रिया के भीतर अजीब सी सरसराहट महसूस हुआ और फिर विनीत ने प्रिया का हाथ अपने हाथों में ले लिया और उसकी रिंग फिंगर में छोटी सी डायमंड रिंग पहना दिया। 

फिर क्या था, तालियों की गडग़ड़ाहट से हॉल गूंज उठा और प्रिया को विनीत के बगल में खड़ी कर के उसकी भाभी उसके साथ खड़ी हो गयी। फिर स्टेज पर एक एक करके गेस्ट्स का आना जाना शुरू हो गया। गेस्ट्स स्टेज पर आते तो विनीत उन्हें झुक कर प्रणाम करता तो प्रिया को सबके पैरों को छूकर उनसे आशीर्वाद लेना पड़ रहा था। सभी ने विनीत को यशश्वी और दीर्घायु होने का आशीर्वाद दिया और प्रिया को सदा सौभाग्यवती और पुत्रवती होने का आशीर्वाद देते गए। 

प्रिया को बहुत अजीब फीलिंग हो रहा था, वो खुश तो बहुत थी आज लेकिन उसके मन में एक अनजाना डर समा गया था कि शादी के बाद उसके साथ क्या होगा? क्या उसे भी नार्मल लड़कियों की तरह बच्चे जन्म देने के लिए फाॅर्स किया जायेगा या जिस इंडिपेंडेंट लाइफ की उसे कामना है वो लाइफ उसे मिलेगी। जब सभी गेस्ट्स विनीत और प्रिया को अपना आशीर्वाद देकर वहां से चले गए तो विनीत और प्रिया को कुछ देर अकेले रहने की इज़ाज़त दे दी गयी। प्रिया तो कमरे में पहले से ही बैठी थी लेकिन जब विनीत कमरे में आया तो उसने सबसे पहले अंदर से दरवाज़ा लॉक कर लिया। 

विनीत - प्रिया, कितनी खूबसूरत दिख रही हो! घूंघट तो हटाओ, मैं भी तो देखूं अपनी दुल्हन को!

फिर विनीत ने जैसे ही प्रिया का घूँघट हटाया, प्रिया शरमाने लगी। विनीत ने प्रिया के चेहरे को ऊपर उठाया और उसके नथिया को अपने हाथ से ऊपर किया और उसके होंठों पर अपना होंठ रखकर उसे स्मूच करने लगा और इसी के साथ प्रिया विनीत को हग करके उसकी बाहों में समाने लगी। 

विनीत - वाओ प्रिया, सच में बहुत खूबसूरत दिख रही हो। 

प्रिया - थैंक्स वीनू, तुम कितने स्मार्ट दिख रहे हो आज? फेसिअल करवाया है तुमने?

विनीत - हाँ बेबी! आई मिस्ड यू सो मच प्रिया!

प्रिया - आई मिस यू तू बेबी! यू डोंट नो ये एक हफ्ता कितना लम्बा था मेरे लिए, तुम जल्दी से मुझे ले जाओ वीनू, मैं नहीं रह सकती एक भी पल! और हफ्ते भर की दुरी मुझे बहुत दुखी करने लगती है। 

विनीत - अब तो हमने एक पड़ाव पार कर लिया है प्रिया! अगले हफ्ते रविवार को मैं बारात लेकर आऊंगा और तुम्हे अपनी दुल्हन बनाकर हमेशा हमेशा के लिए अपने साथ ले जाऊंगा। 

प्रिया- आइ होप ये हफ्ता जल्द से जल्द ख़त्म हो वीनू! आई लव यू, मुझे तुमसे दूर नहीं रहना!

विनीत - मैं भी मेरी जान से दूर नहीं रहना चाहता, लेकिन ये रस्में और परिवारवालों की ख़ुशी के लिए हमें इतना तो करना पड़ेगा। मेरी रानी, मुस्कुराती हो तो ऐसा लगता है मानो मैं हेवन में हूँ सो, प्लीज् प्रिया, आंसू मत बहाना, मेरे लिए इतना तो कर ही सकती हो ना!

प्रिया - हाँ वीनू! तुम्हारे लिए मैं कुछ भी कर सकती हूँ।

विनीत - ये तो मैं जानता हूँ मेरी रानी!

उसके बाद विनीत ने फिर से प्रिया की पतली कमर में हाथ डाला और उसे अपनी बाहों में उठाकर उसके होंठों पर अपने होंठ रखकर उसे स्मूच करने लगा। दरवाज़े पर नॉक हुई तो विनीत ने प्रिया को नीचे उतारा! जब विनीत ने दरवाज़ा खोला तो देखा सामने उसकी दोनों सलियाँ खड़ी थीं। 


सोनी - वीनू जीजू, आपका फोटोसेशन हो गया?

विनीत - नहीं सोनी, अभी तक तो कैमरामैन नहीं आया! 

सोनी - मैं भेजती हूँ, उससे पहले आप दोनों कुछ खा लो!

विनीत - हम्म! ठीक है!

थोड़ी देर में प्रीति प्रिया और विनीत के लिए खाने का एक थाल ले आयी और फिर दोनों को अकेला छोड़कर वहां से हॉल रिटर्न हो गयीं। विनीत ने प्रिया को अपने हाथों से पहला निवाला खिलाया, हालाँकि नथिया की वजह से खाने में प्रॉब्लम हो रही थी। 

विनीत - यू विल गेट यूस्ड टू इट प्रिया! आदत हो जाएगी!

प्रिया - हम्म! क्या मुझे ये नथिया जिंदगी भर पहने रखना होगा!

विनीत - आई डोंट नो प्रिया, वो तो माँ ही बताएगी!

प्रिया - वीनू, ये नथिया बहुत हैवी है!

विनीत - सीरियसली प्रिया, मैं घर जा कर माँ की शादी की पिक व्हाट्सप्प पर भेज दूंगा, फिर यही बात कहना। 

प्रिया - हम्म!

फिर प्रिया ने अपने एक हाथ से नथिया को ऊपर उठा लिया और विनीत के हाथ से पहला निवाला खाई। फिर प्रियम ने अपने हाथों से विनीत को खाने का पहला निवाला खिलाया और दोनों ने एक दूसरे को अपने हाथों से खाना खिलाया। खाना खाने के थोड़ी देर बाद वहां फोटोग्राफर आ गया और उसके साथ सोनी और प्रीति दोनों थीं। थोड़ी देर तक प्रीति और सोनी विनीत के साथ फोटोशूट करवाती रही। 


उसके बाद विनीत के साथ प्रिया का फोटोशूट हुआ। फोटोशूट के दौरान, कभी विनीत प्रिया के गालों को अपने हाथों में लेना, कभी प्रिया का शरमाना और विनीत का उसके चेहरे को ऊपर उठाना, कभी प्रिया को अपनी बाहों में उठाना, कभी प्रिया का विनीत के पैरों में बैठना और विनीत का उसे उठाना तो कभी प्रिया की आँखों में देखते हुए फोटोज क्लिक करवाते रहे। कुछ सोलो फोटोशूट्स भी हुए जिसमे विनीत का तरह तरह से स्टाइल मारना और तिरछी नज़रों से देखना शामिल था। जब प्रिया का सोलो फोटोशूट हुआ तो उसमे प्रिया का चूड़ियों से झांकता चेहरा, शरमाते हुए, तो कभी नथिया पकडे हुए, कभी झुका हुआ चेहरे के साथ तो कभी पूरी कॉन्फिडेंस से सामने देखते हुए। फोटोग्राफर कभी प्रिया के नथिया का क्लोज़अप पिक लेता तो कभी उसके नौलखा हार, कानों की झुमकियां, बालों के ऑर्नामेंट्स, नाभि वाली ऑर्नामेंट, पैरों की पायल तो कभी ऊपर से नीचे तो कभी नीचे से ऊपर फोटो क्लिक करता रहा। कभी प्रिया के बैकग्राउंड में विनीत होता तो कभी विनीत के बैकग्राउंड में प्रिया होती। ऐसे ही लगभग आधे घंटे तक फोटोशूट चलता रहा और उसके बाद जब विनीत और प्रिया को उनके पेरेंट्स ने नीचे हॉल में बुलवाया, तब प्रीति नेहा को वहां बुला ले आयी।


चूँकि विनीत के चूमने से प्रिया का मेकअप थोड़ा बिखर गया था तो नेहा ने प्रिया का मेकअप पहले जैसा ठीक किया। फिर विनीत और प्रिया नीचे हॉल में आ गए। पहले फैमिली फ्रेंड्स, फिर लोकल गेस्ट्स और आखिर में प्रिया का परिवार विनीत और उसकी माँ के साथ उनके परिवार को विदा करने को रेडी थे। प्रिया की मम्मी ने विनीत की मम्मी के साथ उसके फॅमिली के सभी लोगो को साड़ी, सूट, शर्ट और बच्चों के लिए ड्रेसेस के साथ उनके लिए गिफ्ट्स पैक करके उन्हें दे दिया। विनीत की माँ ने भी प्रिया की फॅमिली को कपडे और गिफ्ट्स दीं, जिसके बाद विनीत अपनी माँ और बाकी फैमिली मेंबर्स के साथ अपने घर के लिए निकल पड़ा। विनीत के जाने के बाद प्रिया को घर के सभी लोग घेर कर बैठ गए, सबके सवालों से परेशान होकर प्रिया को रोना आ गया तो उसकी मम्मी ने सबको फटकार लगाई और प्रिया को घर ले आयी। पीछे से प्रिया के परिवार के बाकी लोग भी घर आ गए। सगाई बहुत ही अच्छे से संपन्न हुई, प्रिया और विनीत के फैमिली बहुत खुश थे इस बात से। घर पहुंचने से पहले ही विनीत का मैसेज आ गया कि वो अपने घर अच्छे से पहुंच चूका है और घर में सभी को प्रिया बहुत पसंद आयी। मैसेज पढ़कर प्रिया शरमाने लगी और उसने भी मैसेज किया कि वो भी घर पहुंच चुकी है और सभी को विनीत बहुत पसंद आये। फिर विनीत ने प्रिया को अपनी माँ की शादी के टाइम की पिक भेजी जिसमे उसकी माँ ने बहुत ही बड़ा नथिया पहन रखा था। उतना बड़ा नथिया प्रिया ने लाइफ में पहली बार देखा था और उसे देख उसके होश ही उड़ गए। प्रिया ने मैसेज किया कि वो इतना बड़ा नथिया नहीं पहनेगी, लेकिन उधर से विनीत ने रिप्लाई में कुछ स्माइली भेजी और रेस्ट करने को कहा।   

लेकिन प्रिया को रेस्ट करने का मौका कहाँ मिला। जब मोहल्ले वालों ने सुना कि प्रियम अब प्रिया बन चूका है और उसकी सगाई विनीत से हो चुकी तब उन सब का तांता लग गया था प्रिया के घर पर। मोहल्ले की औरतें, अंकल और लड़के लडकियां सिर्फ प्रियम के ट्रांसफॉर्मेशन और गुपचुप सगाई को लेकर काफी एक्साइटेड थे। जब घर में पांच छह घरों की अंटियाँ और लडकियां पल्लवी, रानी, सान्वी, प्रिया से मिलने आ गयीं तो प्रिया की भाभी उसे वैसे ही सबके सामने ले जाकर बिठा दीं। 

पहली आंटी - प्रियम, तूने सेक्स चेंज कब करवा लिया?

प्रिया - कुछ दिनों पहले आंटी!

पहली आंटी - लेकिन प्रियम, तू तो इतना स्मार्ट और हैंडसम था, मैंने तो अपनी भतीजी का रिश्ता तेरे लिए भिजवाया था, तूने सेक्स चेंज क्यों करवा लिया?

प्रिया - आंटी, इट्स माय पर्सनल चॉइस!

पहली आंटी - अच्छी बात है बेटे, आज तेरी सगाई थी और तेरी माँ ने मुझे बुलाया भी नहीं!

प्रिया की माँ - सबकुछ बहुत शार्ट में करना था विमला जी, माफ़ी चाहती हूँ!

दूसरी आंटी - लेकिन हमारे मोहल्ले में क्या लड़कों की कमी थी जो किसी अनजान आदमी के साथ प्रियम बिटिया की सगाई करवा दी आपने?

प्रिया की माँ - ऐसी बात नहीं है, लेकिन लड़का और लड़की एक दूसरे को पसंद करके शादी करे तो और भी अच्छा होता है। हमारी बड़ी बहु को ही देख लो, दिव्यम और श्रुति, दोनों एक दूसरे को अच्छे से जानते थे और अब शादी के बाद कितनी ख़ुशी से रहते हैं दोनों!

तीसरी आंटी - बात तो सही है आपकी! वैसे प्रियम का कोई नया नाम नहीं रखा आपने?

प्रिया की माँ - अब प्रियम का नया नाम प्रिया है!

तीसरी आंटी - बहुत सुन्दर नाम है और प्रिया के होने वाले दूल्हे का नाम?

प्रिया की माँ - उनका नाम विनीत यादव है। 

पहली आंटी - कितनी सुन्दर दिख रही है प्रिया और ये नथिया तो काफी सुन्दर है? कितने का लिया?

प्रिया की माँ - ये प्रिया की होने वाली सास ने भिजवाया है। 

दूसरी आंटी - काफी सुन्दर है, प्रिया के नाक में ये नथिया बहुत सुन्दर दिख रही है। 

प्रिया की भाभी - ये तो कुछ भी नहीं आंटी, प्रिया की सास तो इसकी शादी के लिए इससे भी बड़ी नथिया और जेवर भेजने वाली हैं।

तीसरी आंटी - काफी रईस घराना लगता है। 

प्रिया की माँ - हाँ वो तो है!

लगभग घंटों मोहल्ले की अंटियाँ प्रिया की खूबसूरती, उसके जेवर की खूबसूरती और उसके होने वाले पति और सास को लेकर काफी कुछ डिस्कस करती रहीं। इधर मोहल्ले की कुछ लडकियां प्रिया को घेर कर बैठ गयीं और उससे सवाल जवाब करने लगी। 

पल्लवी - प्रिया, सच में तुम इतनी खूबसूरत कैसे बन गयी। तुम्हारा तराशा बदन, तुम्हारे बड़े बड़े बूब्स, पतली कमर, सुराही जैसी हिप्स, मांसल जांघें और लहँगा चोली में तो ऐसी दिख रही हो मानो सीधे स्वर्ग की कोई अप्सरा आ गयी हो। लेकिन ऐसा ट्रांसफॉर्मेशन कैसे संभव है प्रिया, तुम तो लड़के थे ना। 

प्रिया - एक्सरसाइज से सब पॉसिबल है। 

पल्लवी - लेकिन प्रिया, तुम्हे देखकर जरा भी महसूस नहीं होता है कि तुम कभी लड़के थे। 

प्रिया - हम्म!

रानी - लेकिन प्रिया एक बात बताओ, तुम कुछ दिन वेट तो कर लेती! क्या पता तुम्हे विनीत जी से भी ज्यादा अच्छा पति मिल जाता?

सान्वी - हाँ प्रिया, मेरे भैया की तो रेलवेज में सरकारी नौकरी है और वो देखने में भी लम्बे और स्मार्ट हैं। 

प्रिया - सॉरी! लेकिन विनीत जी ने मुझे ऐसे वक़्त में सपोर्ट किया, जब मुझे कोई संभालने वाला नहीं था। और मेरी लाइफ में उनकी जगह कोई नहीं ले सकता। 

रानी - हम्म! फिर तो अच्छा किया प्रिया! वैसे भी तुम्हारी भाभी ने तुम्हारी और विनीत जी की पिक दिखाई है, वो बहुत हैंडसम और स्मार्ट हैं और साथ ही तुम्हारी जोड़ी उनके साथ अच्छी लग रही थी। 

प्रिया - थैंक्स! 

पल्लवी - शादी के बाद क्या होगा, कुछ सोचा है?

प्रिया -  क्या होगा शादी के बाद?

रानी - शादी के बाद सुहागरात होगी! और वैसे हनीमून मनाने कहाँ जा रहे हो तुम दोनों?

सान्वी - सुहागरात तो सभी दुल्हनों का सपना होता है। तुमने क्या सोचा है सुहागरात के बारे में!

प्रिया सान्वी, रानी और पल्लवी की बातें सुनकर शरमाने लगी और उसने शरम से अपनी आँखें नीचे कर ली। 

पल्लवी - शरमाने से क्या होगा प्रिया। सुहागरात में विनीत जी तुम्हारा घूँघट उठाएंगे तब के लिए ये शरम बचा कर रखो। तुम्हे तो पता ही होगा कि सुहागरात में दूल्हा अपनी नयी नवेली दुल्हन के साथ क्या क्या करता है?

सान्वी - हाँ पल्लवी, कहाँ साढ़े छह फुट लम्बे विनीत जी और कहाँ फूलों सी कोमल हमारी प्रिया रानी! ओह्ह, जाने क्या होगा सुहागरात मे, हमारी प्रिया विनीत जी जैसे हँक को झेल भी पाएगी भी!

रानी - अरे! कैसी बातें कर रही हो?

पल्लवी - सॉरी सॉरी, छोड़ो ऐसी बातें अब बंद करो, देखो तो दुल्हन शरम से लाल हुई जा रही है! 

लगभग अगले एक घंटे तक तीनों लड़कियां प्रिया को घेरे बैठी रहीं और शादी के बाद लाइफ कैसी होती है, इस बारे मे प्रिया को समझाती रही । वैसे तीनों खुद कुंवारी थीं लेकिन तीनों के बहनों को उनके ससुराल मे कैसी कैसी प्रॉब्लेम्स को फेस करना पड़ा, ये सब बातें प्रिया के सामने बैठकर डिस्कस करती रहीं, किसी को शादी के एक साल के अंदर ही बच्चा जन्म देना पड़ा, तो किसी की खरूस सास ने उसे कुछ सालों तक खूब सताया और किसी को बेटा नहीं हुआ तो उसके लिए ताना सुनना पड़ा। लड़कियों की लाइफ कितनी तकलीफों भरी होती है, उसे कितना सक्रिफ़ाईस करना पड़ता है, पति की, सास ससुर की, मेहमानों की सेवा करनी पड़ती है। और ससुराल मे ताने भी सुनने पड़ते हैं और उन सब मे  प्रिया के मन मे एक डर बिठा दिया था। रात हो चुकी थी, प्रिया को सुबह से थकान कि वजह से वैसे बहुत नींद आ रही थी लेकिन उन तीनों की बातें सुनकर उसकी नींद उड़ चुकी थी, नर्वसनेस बढ़ गया था और वो डर से थरथर कांपने लगी थी। 


सबके जाने के बाद, अब प्रिया सोचने लगी, "ये क्या कर लिया मैंने! ओह्ह गॉड! विनीत के साथ सगाई कर ली मैंने, अगले हफ्ते वो बारात लेकर मेरे घर आएगा और मुझे ब्याह कर अपने साथ ले जायेगा। मैं अपने लिए दुल्हन ला सकता था लेकिन अब मुझे विनीत अपनी दुल्हन बना कर अपने साथ ले जायेगा। ओह्ह्ह! अब क्या होगा, मुझे विनीत की दुल्हन बनकर उसके घर जाना पड़ेगा, उसकी माँ वैसे हैं तो इतनी अच्छी लेकिन अगर उन्होंने मुझे बच्चे के लिए फाॅर्स किया तो? और अगर वीनू ने मुझे सुहागरात में ही प्रेग्नेंट कर दिया तो मैं क्या करुँगी! ओह्ह्ह! अब क्या होगा, वीनू के कहने पर मैंने अपनी नाक छिदवा ली, कान छिदवा ली,  नाभि छिदवा ली और इतनी बड़ी नथिया नाक में डालकर उसके साथ सगाई भी कर चुकी। ओह्ह, गॉड! नो, ये मैंने क्या कर लिया! क्या मुझे उतनी बड़ी नथिया नाक में डालकर रहना पड़ेगा जो वीनू की माँ ने पहनी हुई थी। ओह्ह, ये नथिया तो कुछ भी नहीं है उसके सामने और इतना दर्द दे रहा है, फिर वो नथिया तो इतनी बड़ी है, कैसे पहनूंगी मैं इतनी बड़ी नथिया! ये सब मेरी दुल्हन मेरे लिए जरूर करती अगर मैं लड़की ना बनी होती तो। मेरी अंगूठी भी वीनू के पास ही है, लेकिन वीनू इतना अच्छा है, मैं तो उससे प्यार करती हूँ और वो भी मुझसे बहुत प्यार करता है। ससुराल में वीनू मुझे जरूर सपोर्ट करेगा और मेरी इमोशंस को समझेगा और माँ भी तो इतनी अच्छी है, मुझे नहीं लगता कि वो ऐसी वैसी सास की तरह मुझे किसी भी चीज़ के लिए फाॅर्स करेंगी। लेकिन अगर उन्होंने मुझे इसके लिए फाॅर्स किया तो? क्या वीनू मुझे सपोर्ट करेगा? ओह्ह! मैंने क्या कर लिया, अच्छा खासा मर्द था और अब एक औरत बन गयी हूँ! मैं क्या करूँ, मैं वीनू से इतना प्यार भी तो करती हूँ, जो होगा देखा जायेगा, मैं नहीं सोच रही इस बारे में अब!"

लॉट्स ऑफ नर्वसनेस, फियर एंड शेम केप्ट प्रिया स्केयर्ड ऑल वीक। प्रिया को अंदाजा भी नहीं मिला कि कब पांच दिन गुज़र गए और अब बस एक दिन रह गया था शादी में। प्रिया की हालत बहुत ख़राब थी, उसके मन में हज़ारों सवाल थे और डर से बुरा हाल हो रहा था। रह रह कर प्रिया अकेले में रोने लगती, कभी विनीत को मिस करके तो कभी खुद को विनीत की दुल्हन के रूप में इमेजिन कर के, कभी अपना घर हमेशा के लिए छोड़कर पराये जाने के बारे में सोचकर तो कभी ससुराल में उसके साथ क्या क्या होगा? शादी में बस एक ही दिन बचे थे और अपने माँ बाप से अलग होने का गम प्रिया को अंदर ही अंदर खाये जा रहा था। उस रात प्रिया की भाभी उसके हाथों में मेहँदी लगाने नहीं आयी, बल्कि मेहँदी लगाने वाले को बुलवाया गया। मेहँदी लगाने वाले ने प्रिया के हाथों में बहुत ही आकर्षक रानी मेहँदी लगायी और उसके पैरों में घुटनों तक काफी आकर्षक मेहँदी की डिज़ाइन बनाई। मेहँदी वाले से कहकर प्रिया की भाभी ने विनीत का नाम छिपा कर बनवा दी और प्रिया को इस बारे में बताया भी नहीं! मेहँदी वाले से प्रिया की भाभी, बहनें, माँ, मौसी और बुआ ने भी मेहँदी लगवाई। 


शादी वाले दिन सुबह सुबह वहां प्रिया की एक्स संजना आ गयी और संजना को देख प्रिया कुछ पल के लिए ठिठक गयी। 

प्रिया - संजना, तुम यहाँ?

संजना - मैं इस शहर की बेस्ट ब्यूटीशियन हूँ प्रिया! तुम्हारे भैया ने आज मुझे बुक किया है ताकि मैं तुम्हे दुल्हन की तरह सजाऊँ! अब मुझे क्या पता था कि मेरे एक्स बॉयफ्रेंड को दुल्हन की तरह सजाने मुझे यहाँ आना पड़ेगा!

प्रिया - हम्म!

संजना ने प्रिया को बिठाया और उसका ब्लीच, फेसिअल, फाउंडेशन और बेसिक मेकअप से शुरुआत की। बेसिक मेकअप के बाद संजना ने प्रिया की आखों में काजल लगाया, आई लैशेज को सेट किया, आई ब्रोज़ को छोटी छोटी चमकीली बिन्दियों से सजाया, मिडिल में एक माध्यम साइज बिंदी को सेट किया और आखिर में होंठों पर वाटरप्रूफ लाल रंग का ग्लॉसी लिपस्टिक लगाई। मेकअप के बाद तो प्रिया का चेहरा बिल्कुल ही बदल सा गया, ऐसा लग रहा था कि वो कोई इंसान ना होकर मानो स्वर्ग की अप्सरा हो। मनुस्यार, पैडीक्योर के बाद प्रिया के नाखूनों को डार्क पिंक नेलपेंट से रंगने के बाद उनपर ग्लॉस अप्लाई की जिसके बाद प्रिय के नाख़ून बहुत ही सुन्दर दिखने लगे। बालों का डिज़ाइनर जुड़ा बनाकर संजना ने प्रिया के बालों को सुन्दर लुक दिया और उसे फूलों से सजा दी। मेकअप का काम खत्म हुआ तो अब बारी थी ड्रेसिंग की। 

अब संजना ने प्रिया को मेहरून रंग का हैवी कढ़ाईदार लहँगा पहनाई, जो कि काफी बड़ी, हैवी और वजनदार थी।संजना ने प्रियम की नाभि के नीचे लहँगा पहनाया था और लहँगा सच में बावन गज़ में फैला था।

संजना - अब तुम अपनी ब्रा उतार दो प्रिया!
 
प्रिया - क्यों, ब्रा क्यों उतारना, कोई दूसरा ब्रा है क्या?

संजना - नही प्रिया मैडम, आपकी भाभी ने कहा है कि आपको बिना ब्रा वाली चोली पहनाई जाए, अब क्यों कहा ये तो मैं नही जानती। हो सकता है बिना ब्रा की रहोगी तो शायद तुम्हारे दूल्हे को सुहागरात में ज्यादा मेहनत ना करनी पड़े। 

प्रिया को बहुत बुरा फील हुआ और उसने अपनी ब्रा उतारी और अपने दोनों हाथों से अपने दोनों कोमल उरोजों को पकड़ कर खड़ी हो गयी। संजना ने प्रिया को एक मेहरून रंग की स्ट्रीचबल और बैकलेस चोली पहनाई। चोली पहनाने के बाद संजना ने प्रिया बैकलेस की चोली में डोरी सेट की और टाइट कर के बांध दिया। चोली की फिटिंग बहुत अच्छी थी, लेकिन प्रॉब्लम ये था कि प्रिया को उसके बूब्स ब्रा के बिना काफी अनकम्फर्टेबल महसूस करवा रहे थे। फिर संजना ने प्रिया को गोल्डन हाई हील्स जो कि 4 इंच ऊँची थी, वो पहनाई। जिसके बाद लहँगा का फिटिंग भी कुछ ठीक हो गया, लेकिन अभी भी लहँगा काफी बड़ा और भारीभरकम था। संजना ने प्रिया से चलने को कहा तो वो उठी और 2 कदम चल कर रुक गयी, फिर एक कदम चली और फिर से रुक गयी।

संजना - क्या हुआ प्रिया मैडम, आप रुक क्यों गयीं?

प्रिया - संजना, डोंट कॉल मी मैडम और ये चोली कुछ ज्यादा ही अनकम्फर्टेबल है। तुम्हे दिखाई नहीं दे रहा है, मेरे बूब्स बहुत हिल रहे हैं। पहले ऐसा नही होता था। 

संजना - ये चोली की यही खासियत है प्रिया मैडम, औरतें इसे पहनती ही इसीलिए है ताकि वो अपने बूब्स के ऐसे हिलने को महसूस कर सकें। अब तुम मर्द तो रहे नहीं तो तुम्हे सर बोलूं! जिसका डर था मुझे देखो आज वही हुआ, तुम औरत बन चुकी हो और एक मर्द तुम्हे ब्याहने जा रहा है। मैं तो मैडम ही बोलूंगी क्यूंकि तुमने मुझे शादी में इन्वाइट नहीं किया, मैं यहाँ ऐज़ अ मेकअप आर्टिस्ट आई हूँ और तुम मेरी क्लाइंट हो!

विनीत के घर से प्रिया के लिए शादी में पहनने के लिए सिर्फ लहंगा ही नहीं आया था, बल्कि कुछ ऑर्नामेंट्स भी आये थे जिन्हे प्रिया ने अभी तक खोलकर चेक तक नहीं किया था। जब संजना ने उन ऑर्नामेंट्स को खोलकर देखा तो ऑर्नामेंट्स खूबसूरती देखकर स्माइल करने लगी। 

संजना - हाहाहा, ये हुई ना बात!

प्रिया - क्या हुआ?

संजना - प्रिया मैडम, मैंने इतनी दुल्हनों को गहनों में सजाया है। लेकिन ये गहने औसम हैं, ये जितने बड़े बड़े हैं उतने ही सुन्दर और डिज़ाइनर भी है। जब मैं तुम्हे इन गहनों में सजाऊंगी तब तुम्हारी खूबसूरती देखते बनेगी। 

प्रिया - हम्म!

उसके बाद संजना ने प्रिया को मेकअप टेबल पर बिठाया और उसके बालों के सुंदर से जुड़ा में हेयर ऑर्नामेंट्स को सेट कर दी। जुड़े में चमेली के फूलों को पहले से ही सेट किया जा चूका था। फिर संजना ने प्रिया की बालों के मिडिल मांग में एक बड़ा सा सोने का मांगटीका सेट किया। कानों में दो बड़े बड़े झूमकियाँ, गले मे तीन तरह के हैवी, मीडियम और एक छोटा सा नेक्लेस के साथ एक नौलखा हार भी पहनाई जो प्रिया की चोली के बीचोबीच टिक गया।

संजना - वाओ!

संजना प्रिया को शर्मिंदा करने का एक भी मौका नहीं छोड़ना चाहती थी और वो उसे पिंच करती रही। फिर प्रिया के दोनों हाथों में सोने के छह कंगन और दो दर्ज़न लाल और सफ़ेद रंग का सुहाग का चूड़ा सेट पहनाई। हाथ की उंगलियों में पांच रिंग वाला सोने का ब्रेसलेट, बाहों में बाजूबंद, कमर में कमरबन्द, पैरों में हैवी चांदी की पायल और दोनों कानों में सोने की झुमकियां पहना दी। फिर संजना ने प्रिया की नाक में एक बड़ा और हैवी नथिया पहना दी जो इतनी बड़ी थी कि प्रिया का आधा चेहरा ढंक गया और उससे जुड़े सोने के चेन को उसकी बालों में फंसा दी। ये नथिया पहले वाली नथिया के मुकाबले काफी बड़ा और कुछ ज्यादा ही हैवी थी। उसके बाद संजना ने एक बहुत ही हैवी और लंबी सिल्क ओढ़नी से प्रिया के नाक तक, उसका घूँघट बना दिया। 

संजना - लो, हो गयी दुल्हनिया तैयार, अपने दूल्हे राजा के लिए! आज तो विनीत के मजे हैं, सुहागरात तक वो कैसे खुद को रोकेगा, ये तो वही समझे! 

प्रिया - संजना प्लीज्!

संजना - प्रिया, अब यही सच है प्रिया मैडम! सुहागरात में तो विनीत अपने सामने इतनी खूबसूरत दुल्हन को देखकर खुद को कैसे रोक पायेगा? वो तो तुम्हारे रसीले होंठों को, कोमल जिस्म को, इन गोल उरोजों को, मांसल जाँघों को चूमेगा ही और जब वो तुम्हे चोदेगा, ओह्ह! वो तो अगले साल होने से पहले ही तुम्हे गर्भवती ना कर दे तो मेरा नाम बदल देना। 

प्रिया - ये तुम क्या कह रही हो संजना?

संजना - सच ही तो कह रही हूँ, यही तो होगा तुम्हारे साथ! उफ्फ्फ! कितना मजा आ रहा है सोच कर ही, होगा तो कितना मजा आएगा!

प्रिया - स्टॉप इट संजना! इट्स एनफ!

संजना - मैं तो तुम्हे सच ही बता रही थी, तुम्हे जैसा ठीक लगे! मैं आती हूँ कुछ खाकर, तुम्हे सजाने के चक्कर में पूरा दिन मैंने ऐसे ही निकाल लिया, शाम के आठ बज रहे हैं, दो घंटे में बारात भी आ ही जाएगी, एन्जॉय करो प्रिया। 

प्रिया - हम्म! 

प्रिया चुपचाप, अकेले उस कमरे में घूँघट के अंदर से अपने बूब्स को देख रही थी। प्रिया ये सोच रहा था, कि औरत बनने के बाद उसका सबसे डरावना सपना, दुल्हन बनने का, एक मर्द की बीवी बनने का, ये सब सच होने जा रहा था। प्रिया अपने डरावने सपने में खोयी हुई थी कि तभी वहां उसकी भाभी की एंट्री हुई। इधर प्रिया अपनी सोच में ऐसे खोयी हुई थी कि उसे किसी के आने जाने का कुछ पता नहीं चला, वो अपने अंतर्द्व्न्द में खोयी हुई थी। 

"ये क्या करने जा रही हूँ मैं! मैंने तो एक मर्द के रूप में जन्म लिया था, मेरी गर्लफ्रैंड संजना, जिसके साथ ना जाने कितनी बार मैंने हसीं रातें बितायी, ना जाने कितनी बार संजना को अपने साथ मूवी दिखाने, घुमाने ले गयी और उसकी हर ख्वाहिश को पूरा किया। पोर्न देखकर भी कितना एन्जॉय करती थी मैं, शर्ट, जीन्स और शूज पहनती थी मैं और कितनी आजाद थी मैं और आज मैं कितनी मजबूर हूँ। आज दुल्हन की लिबास में यहां बैठी हूँ, मेरे नाक, कान छिदवा दिए गए हैं और नाक में ये सोने का बड़ा सा नथिया पहन रखी हूँ, ये इतना चुभ रहा है, फिर भी इसे नही खोल नहीं सकती। कानो में भी इतने बड़े बड़े झुमकियां पहनी हुई हूँ और लहँगा चोली में अपने होने वाले पति के बारात के आने का इंतज़ार कर रही हूँ। ये सब कैसे हो गया मेरे साथ। अब ना तो मेरी चौड़ी छाती है, ना तो मेरा लंड ही है और ना ही सिक्स पैक एब्स। ये बड़े बड़े बूब्स, ये मेरी पतली कमर, छिदी हुई मेरी नाभि, लंड की जगह वजाइना और हर महीने पांच दिन पीरियड्स भी आते हैं। विनीत जो अब मेरा बॉयफ्रेंड भी है आज उसके साथ मेरी शादी हो रही है, क्या करूँ मैं, कैसे रोकूँ इस शादी को, भाग जाऊं या सुसाइड कर लूं। क्या करूँ मुझे कुछ भी समझ मे नही आ रहा है!" अपने अंतर्द्वंद्व में फंसी हुई प्रिया की हालत ये सब सोंच सोच कर खराब हुई जा रही थी।

इधर प्रिया की नर्वस्नेस बढ़ने लगी थी, बॉडी शिवर कर रहा था और सुहागरात में जो होगा उसका डर उसे और भी ज्यादा सता रहा था। तभी अचानक धूम धड़ाके और बैंड बाजे की आवाज सुनकर सभी खुश हो गए, बारात आ गयी थी। फूलों से सजी ऑडी में विनीत अपनी कजिन बहन के साथ बैठा था, उसके दोस्त बाहर नाच रहे थे। कुछ के हाथों में गन थी तो कुछ ने दारू पी रखी थी और उसके कुछ दोस्त बारात मैनेजमेंट देख रहे थे। सिल्वर कलर के शेरवानी में विनीत बहुत ही स्मार्ट लग रहा था। प्रिया की भाभी उसको कमरे में अकेला छोड़कर बारात देखने चली गईं। प्रिया घूँघट में सहमी सिकुड़ी, अपनी कपकपाती बदन को शांत करने की कोशिश करती, शादी के खयालों में खोई हुई थी। उधर प्रिया के परिवार वालों ने विनीत और बारात का पुरे जोश में स्वागत किया। मस्कुलर बॉडी और ट्रिम दाढ़ी में ऐलेक्स बहुत स्मार्ट लग रहा था। 

विनीत को घोड़ी पर बिठाकर स्टेज पर ले जाया गया और प्रिया को स्टेज पर ले जाने के लिए उसकी भाभी, सोनी, प्रीति और संजना चारों कमरे में आईं, जहां प्रिया घूंघट में सहमी सिकुड़ी बैठी थी और उसका पूरा बदन कांप रहा था। फोटोग्राफर भी आ गया था और उसने कई पोज़ में प्रिया के फोटो खींचे। प्रिया सब भूल कर उस पल में खो गयी और उस पल के पुरे मज़े लिए। 

लेकिन प्रिया का जी घबराने लगा, कुछ देर में उसकी भाभी और मम्मी आ गयीं और उसे उठाया। 
   
प्रिया की भाभी - प्रिया, तुम इतना थरथरा क्यों रही हो, इतना नर्वस तो मैं भी नहीं थी अपनी शादी में? अब चलो, दूल्हे राजा स्टेज पर तुम्हारा इंतज़ार कर रहे हैं।

संजना - दुल्हन का नर्वस होना कितना क्यूट है ना?

श्रुति - हाँ संजना, शी इज़ लुकिंग सो क्यूट! तुमने बहुत अच्छे से सजाया है हमारी ननद को! थैंक यू संजना!

संजना - यू आर वेलकम भाभी! 

प्रिया के हाथ में वरमाला दे दी गयी और वो धीरे धीरे स्टेज की तरफ चलने लगी। प्रिया को बहुत शर्म महसूस हो रही थी, वो बीच बीच में नज़र उठाती तो सबकी नज़रें उसे ही देख रहे थे। प्रिया की नथिया काफी भारी थी, पर उसका एहसास एकदम उसे औरत होने का एहसास दिला रहा था। शायद औरत होने का मतलब ही यही है, छिदे हुए नाक में नथिया तो कानों में झुमकियां, ये सब स्वर्ण आभूषण बेड़ियाँ ही हैं जो बांधे रखती हैं नारी को। फिर प्रिया की नज़र विनीत पर गयी, क्रीम रंग की शेरवानी में कहीं का नवाब लग रहा था वो। विनीत एक टक प्रिया को ऐसे घूर रहा था मानो सबके सामने ही वो उसे खा जायेगा। प्रिया ने नज़रें झुका ली और स्टेज की ओर बढ़ने लगी। विनीत ने प्रिया के मेहँदी लगे और चूड़ियों से भरे नाज़ुक हाथ को बड़े प्यार से पकड़ा और उसे बाहों में उठा कर सबके सामने स्टेज पर ले गया। प्रिया ने विनीत को देखा तो देखती ही रह गया। सभी गेस्ट्स ने तालियों से दूल्हा दुल्हन का स्वागत किया। गर्व से विनीत का सर उठा था तो प्रिया का सर शर्म से झुक गया था। उसके बाद, प्रिया की भाभी और दोनों बहनें स्टेज पर आ गयीं। 

पहले आरती की थाल देकर प्रिया को देकर उसे विनीत की आरती उतारने को कहा। प्रिया ने विनीत की आरती उतारी, घूँघट में होने की वजह से चेहरा साफ़ नहीं दिख रहा था, लेकिन फिर भी विनीत को देखकर प्रिया का दिल फिर से धड़कने लगा। फिर वरमाला की बारी आयी। विनीत और प्रिया के हाथों में वरमाला दे दी गयी। पहले विनीत ने प्रिया के गले में वरमाला डाला और फिर प्रिया ने विनीत के गले में वरमाला दाल दी। वरमाला होते ही सभी गेस्ट्स तालियां बजाकर दोनों का अभिवादन करने लगे। 

फिर विनीत और प्रिया को स्टेज पर रखी महारानी चेयर पर बिठाया गया। सभी गेस्ट्स इस नए नवेले जोड़े को अपना आशीर्वाद और गिफ्ट्स देते गए। थोड़ी देर बाद एक बार फिर से प्रिया को कमरे मे ले जाया गया और विनीत को अलग एक कमरे मे आराम करने के लिए ले जाया गया। एक घंटे के आराम के बाद, प्रिया को मंडप पर ले जाया गया जहां विनीत पहले से बैठ था। प्रिया को घूँघट कर के विनीत के दाहिने साइड बीठा दिया गया और पंडित ने मंत्रों को पढ़ना शुरू कर दिया। जैसे जैसे पंडित कहते गए, विनीत वैसे वैसे करने लगा और प्रिया घूँघट मे चुपचाप सिर झुकाए बैठी रही। उसके बाद प्रिया के मामा ने उसका कन्यादान किया। कन्यादान के समय प्रिया अपने इमोशंस को कण्ट्रोल नहीं कर सकी और रोने लगी। 

विनीत ने प्रिया को चुप कराया और फिर विनीत ने प्रिया की मांग मे सिंदूर भर दिया, उसके बाद प्रिया के साथ सात फेरे लिए और प्रिया की नाक से नथिया निकालकर, उससे भी बड़ा नथिया उसकी नाक मे डाल दिया। जब विनीत ने प्रिया की नाक मे दूसरा नथिया डाला तो उसके भारीपन और मोती तार की वजह से दर्द के कारण प्रिया की आँखें भर आई और उसे दर्द होने लगा। अब प्रिया समझ चुकी थी कि अब तो जरूर उसे अपनी जिंदगी ऐसे ही बितानी होगी! आखिर मे विनीत ने प्रिया के गले मे सोने का दस तोले का मंगलसूत्र पहना दिया और कुछ मंत्रों के बाद पंडित ने दोनों को पति पत्नी घोषित कर दिया। अब प्रिया के गले मे विनीत के नाम का मंगलसूत्र, मांग मे विनीत के नाम का सिंदूर और नाक मे विनीत के नाम की नथिया डली थी। अब प्रिया पूरी तरह से प्रिया विनीत यादव बन चुकी थी और उसका नए जीवन की शुरुआत उसके खुद के माँ बाप और घर के बड़ों के आशीर्वाद से हुआ। 

फिर बाकी सभी रुके हुए गेस्ट्स ने विनीत को यशश्वी और चिरंजीवी होने का आशीर्वाद दिया तो प्रिया को दूधो नहाओ, पुतो फलो, सदा सुहागिन, सौभाग्यवती और पुत्रवती होने का आशीर्वाद देते गए। सुबह के चार बज रहे थे, अब बैकग्राउंड में "बाबुल की दुआएं लेती जा" गाना चल रहा था और विदाई का समय हो चला था। अपने परिवार, अपने माँ बाप से दूर होने का दुःख जैसे नार्मल लड़कियों को होता है ठीक वैसे ही प्रिया भी आज उतनी ही इमोशनल थी। कभी अपनी माँ से, कभी भाभी से, कभी अपनी बहनों से तो कभी अपने भाई से लिपट कर खूब रोई। सभी ने प्रिया को बहुत समझाया लेकिन प्रिया रोये ही जा रही थी। 

प्रिया की माँ - सभी बेटियों को मायका छोड़कर अपने पति के घर जाना पड़ता है। वहां अपने सास ससुर और पति की सेवा करना और उन्हें हमेशा खुश रखना। अब तुम उस घर की बहु हो प्रिया और अब उस घर की पूरी जिम्मेदारी तुम्हारी है। 

थोड़ी देर तक प्रिया अपनी मम्मी पापा से लिपटकर खूब रोई, उसके बाद दिव्यम ने उसे फूलों से सजी कार में बिठाकर विदा कर दिया। रास्ते भर विनीत ने प्रिया को अपनी बाहों में रखा और उसे हौसला देता रहा, प्रिया को बहुत अच्छा लगा और वो विनीत की बाहों में बड़े सुकून से सो गयी। कार में बैठते ही प्रिया ने पीछे मुड़कर देखा और अपने पेरेंट्स को रोते बिलखते देख और भी रोने लगी लेकिन विनीत ने प्रिया को संभाल लिया। विनीत ने प्रिया को अपनी बाहों में अच्छे से हग करके होल्ड किया और उसे शांत किया। मायके छोड़कर ससुराल जाते समय आज प्रिया को पहली बार एहसास हुआ कि औरत होना का मतलब ही है त्याग! आज प्रिया ने दुल्हन के रूप में अपने घर का त्याग किया था और वो अब अपने पति की बाहों में ससुराल की तरफ अग्रसर थी।  

रिया, विनीत की चचेरी बहन,  उसकी माँ के साथ प्रिया और विनीत के गृहप्रवेश के लिए पहले से ही दरवाज़े पर इंतज़ार कर रहीं थीं। प्रिया और विनीत का एक साथ गृहप्रवेश ठीक वैसे ही करवाया गया, जैसे न्यूली वेडेड कपल्स का गृहप्रवेश होता है। गृहप्रवेश के बाद प्रिया और विनीत को कुलदेवता के सामने ले जाया गया। प्रिया को आरती की थाली दी गयी और उसने अपने पति विनीत के साथ पूजा अर्चना की। पूजा करने के बाद विनीत को कमरे के बाहर भेज दिया गया और प्रिया को विनीत के कमरे में ले जाया गया। वहां पहले से कुछ लड़कियां थीं, जो बिस्तर को फूलों से सजा रही थी, प्रिया के मन में घबराहट होने लगी, उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो करे भी तो क्या करे! रिया ने प्रिया को मिरर के सामने बिठाया। पहले मेकअप ठीक किया, फिर वो डिज़ाइनर नथिया को उतार कर उससे भी बड़ा तीसरा डिज़ाइनर नथिया पहना दिया। एक ही दिन में एक के बाद एक बड़ा, हैवी और डिज़ाइनर नथिया, वो भी इतना बड़ा जो प्रिया ने जिंदगी में पहले कभी नही देखा था। 

वो नथिया काफी डिज़ाइनर और हैवी था और उसकी वजह से प्रिया का नाक भी दर्द देने लगा। फिर रिया ने प्रिया को बनारसी सिल्क साड़ी पहनाई, हेयर स्टाइल ठीक किया और प्रिया को घूँघट कर के फूलों से सजे बिस्तर पर बिठा दिया। 
फिर प्रिया को सुहागरात के लिए गुडलक विश किया और केसर-दूध का ग्लास टेबल पर रख दिया। प्रिया का दिल बहुत जोरों से धड़क रहा था, सांसें भी तेज़ चलने लगी थी, आँखें शर्म से घूँघट के बाहर देखने की हिम्मत नहीं कर पा रही थी और बदन की कंपकंपी रोके नहीं रुक रही थी। प्रिया तो अपने पति के इंतज़ार में अपनी साँसों को कंट्रोल करने की कोशिश करती तो कभी अपनी धड़कनो की स्पीड कम करने को कोशिश करती। लेकिन प्रिया को तो ना ही उसके धड़कनो पर कोई कण्ट्रोल था और ना बदन की कंपकंपी पर। प्रिया घूँघट में अपने कशमकश के साथ अपने पति विनीत के इंतज़ार में कब नींद के आगोश में समां गयी, इसकी खबर ना तो प्रिया को थी और ना उसके चिकने बदन के ऊपर से फिसलती बनारसी सिल्क साड़ी को। प्रिया के जिस्म से वो बनारसी सिल्क साड़ी फिसल चुकी थी, चोली से बूब्स का उभर साफ़ झलकने लगी और हर सांस और धड़कन के साथ वे बूब्स ऊपर नीचे हो रहे थे। जब अलेक्स कमरे में आया तो देखा प्रिया सो चुकी थी। प्रिया के मदहोश कर देने वाले कर्वी जिस्म को देखकर खुद को प्रिया के जिस्म को छूने से रोक नहीं सका। एक स्पर्श, वो भी एक मर्द का स्पर्श महसूस होते ही प्रिया की आँखें खुल गयी। प्रिया ने बिना समय गँवाय अपना घूँघट ठीक किया, बिस्तर से उतर कर विनीत के पैरों को छूकर अपने पति का आशीर्वाद लेने को झुकी। विनीत ने प्रिया के कन्धों को पकड़ा और उसे ऊपर उठाया। प्रिया की आँखें अभी भी झुकी थी, घूँघट में सिर झुकाये विनीत के सामने हाथ में केसर दूध का लिए खड़ी थी।

विनीत: प्रिया, आज मैं बहुत खुश हूँ, आज तुम्हे अपनी पत्नी के रूप में पाकर मेरी जिंदगी ख़ुशी से भर गयी है। मैं तुम्हे बता नहीं सकता प्रिया कि आज मैं कितना खुश हूँ। आई लव यु प्रिया, आई लव यु सो मच……. !

प्रिया: आई नो, आप मुझसे बहुत प्यार करते हैं और आपको अपने पति के रूप में पा कर मेरा जीवन धन्य हो गया। आपकी अर्धांगिनी बनकर मैं भी बहुत खुश हूँ।

विनीत: प्रिया, क्या हुआ मेरी जान, मैंने गौर किया है तुम किसी बात से बहुत ही ज्यादा दुखी हो। मुझे बताओ, किस बात से दुखी हो मेरी जान, मैं तुम्हारे लिए सबकुछ करने को तैयार हूँ।

प्रिया: आई डोंट नो, आपके साथ मैं इतनी कम्फर्टेबल हूँ लेकिन मुझे ये समझ नहीं आता कि आखिर मेरे साथ ही ऐसा क्यों हुआ। आपकी दुल्हन बनना मेरा सौभाग्य है, लेकिन मेरे मन में बैठा मेरा अतीत मुझे हर पल इस बात का एहसास कराता है कि मैंने एक पुरुष के शरीर में जन्म लिया और मैं जादू की वजह से औरत बनी हूँ। 

विनीत: प्रिया, यु नो ना, मैं तुमसे कितना प्यार करता हूँ। आई नो प्रिया कि तुम्हारी वाइफ की वजह से तुम्हे अपना सेक्स चेंज करवाकर मर्द से औरत बनना पड़ा, लेकिन एक बात बताओ प्रिया। क्या तुम इस शादी से खुश नहीं हो? क्या मुझे अपने पति के रूप में पाकर तुम्हे अफ़सोस हो रहा है? नहीं ना! प्रिया, इतने सालों तक मैंने भी सही पार्टनर का इंतज़ार किया और तुम मेरी दुल्हन बन गयी। मुझे इस बात से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता प्रिया, कि कभी तुम एक मर्द थी, लेकिन अब तुम एक औरत हो, मेरी दुल्हन हो और इस घर की बहु हो। मैं तुम्हे इतना प्यार दूंगा कि तुम अपने अतीत को भूल जाओगी। अतीत को भुलाकर वर्तमान को स्वीकार करो और अपने मन शांत रखो। यु नो आई लव यू, तो ठीक है, हम हनीमून मानाने गोवा जायेंगे। कुछ दिन वहां रहोगी तो तुम्हारे मन का दुःख शांत हो जायेगा। तुम सिर्फ इतना याद रखो कि अब तुम एक स्त्री हो, जो एक पत्नी है, एक बहु है और बहुत जल्द मेरे बच्चों की माँ भी बन जाओगी।।

प्रिया: धत्त आप भी ना! रियली? आपको कैसे पता कि मुझे गोवा पसंद है।

विनीत: मेरी दुल्हन को क्या पसंद है और क्या नापसंद, इसकी पूरी डिटेल्स रखता हूँ प्रिया।

प्रिया: आप बहुत अच्छे हो! तो हनीमून पर कब जायेंगे?

विनीत: दो दिनों बाद!

विनीत: लेकिन मेरी रानी, आज हमारी सुहागरात है जान, बताओ क्या गिफ्ट चाहिए?

प्रिया: आपकी दुल्हन बनी मैं, इससे बड़ा गिफ्ट मेरे लिया और क्या हो सकता है। आपने मुझे मेरे बुरे वक़्त में सहारा दिया और मेरा हाथ थाम कर मुझे अपनी दुल्हन बनाकर मुझे एक नयी जिंदगी दी। यही मेरा सबसे बड़ा गिफ्ट है, आई लव यु!

विनीत: नहीं प्रिया, ये तो तुम्हारा हक़ है। गिफ्ट में क्या चाहिए, ये बताओ।

प्रिया: गिफ्ट पूछ कर नहीं दिया जाता, आपको जो भी नेग देनी है, आप दे दो।

विनीत ने प्रिया के हाथों में एक गिफ्ट बॉक्स रख दिया। प्रिया ने बॉक्स खोलकर देखा तो उसमे गोवा की दो फ्लाइट टिकेट्स थीं, अलग अलग रंगों की साटन नाईटी के तीन सेट और साथ में एक सोने की चैन, सोने के कंगन, सोने के झुमके, प्लैटिनम की अंगूठी और सोने की छोटी सी नथिया थी और वो नथिया प्रिया को बहुत पसंद आई। प्रिया की मुस्कान इस बात की गवाही दे रही थी कि वो कितनी खुश थी। विनीत ने देर किये बिना  प्रिया का घूँघट उठाया और माथे पर एक किस्स्स कर लिया। विनीत की वो किस्स्स प्रिया के तन बदन में सिहरन पैदा करने के लिए काफी थी। 
इसमें कोई शक नहीं कि लड़कियों को शादी से ज़्यादा अपनी फर्स्ट नाईट की टेंशन होती है, चाहे लड़की वर्जिन हो या नहीं, टेंशन सबको होती है। अगर वर्जिन लड़की है तो उसे ब्लीडिंग की टेंशन होती है और अगर कोई वर्जिन नहीं है तो उसे टेंशन होती है कि पति क्या सोचेगा। प्रिया आज भी वर्जिन थी, उसे बस एक ही बात का टेंशन जो उसे सबसे ज्यादा सता रहा था, वो था सेक्स के दौरान होने वाली दर्द और ब्लीडिंग का डर। 

प्रिया के गालों का तिल बहुत ही रोमांचक लग रहा था। प्रिया के लीची की तरह सॉफ्ट और रसीले होठों को देखकर विनीत ने अपना आपा खो दिया औरअपनी दुल्हन को बाहों में लेकर उसके रसीले होंठों पर अपने होंठ टिकाकर उसके होंठों पर हल्का सा किस कर लिया। उस प्यार भरे किस ने प्रिया के तन बदन में आग सी लगा दी थी और उसकी आँखें आंसुओं से भर गए। दो हफ़्तों की जुदाई के बाद आज प्रिया दुल्हन बन अपने दूल्हे राजा की बाहों में थी और विनीत का हर एक चुम्बन उसे औरत होने का एहसास दिला रहा था। अब विनीत ने प्रिया के रसीले होंठों को फिर से किस करते हुए उसके होठों को चूसने लगा और इस बार कुछ ज्यादा ही देर तक विनीत ने प्रिया के रसीले लबों को चूमा। अब तो प्रिया के तन बदन में सिहरन सी दौरने लगी थी, शरम से नाक कान लाल हो गए, आँखों में आंसू आ गए और प्रिया ने विनीत को जोर से हग कर लिया। थोड़ी देर बाद प्रिया ने भी हिम्मत दिखाते हुए विनीत के होंठों पर अपने होंठ रखकर उसे चूमना शुरू किया और विनीत ने प्रिया की पतली कमर में अपना हाथ डालकर उसे अपनी आगोश में समा लिया और रोमांस का ये हसीं मोमेंट लगभग आधे घंटे तक यूँही चलता रहा। 

आज से पहले जब भी प्रिया विनीत की बाहों में रही थी, अपने मर्द रूप में रही थी और तब उसके अंदर का स्त्री गुण भी उतना एक्टिव नहीं था। लेकिन आज प्रिया दुल्हन के रूप में सुहागरात की सेज़ पर अपने सभी स्त्री गुण के साथ अपने पति परमेश्वर की बाहों में थी। अब विनीत काफी जोश में आ गया था और प्रिया के होठों को अब स्मूच करने लगा था। प्रिया की सांसे बहुत तेज हो गई और उसके मुंह से सिसकारियां निकलने लगी।हालाँकि, प्रिया का नथिया विनीत और उसके के होंठो के किस्स्स्स के बीच रुकावट बन रही थी, लेकिन फिर भी विनीत ने प्रिया का नथिया नहीं उतारा और उसे अपने बाहों में भरकर जी भरकर किस्स्स्स करता रहा। प्रिया को ऐसा उह्ह्ह्ह आह्ह्ह्हह करते देख विनीत का जोश और भी ज्यादा हो गया और अब वो प्रिया के दोनों उरोजों को अपने दोनों हाथों से समेटकर एक साथ दोनों को चूसने लगा। इतना काफी था, प्रिया को उत्तेजना के उस लेवल तक ले जाने के लिए जहाँ वो विनीत के लिए कुछ भी करने को रेडी हो गयी थी। एक जवान मर्द और एक हसीं लड़की, सुहागरात की सेज़ पर एक दूसरे की आँखों में आँखें डालकर प्यार भरे इस पल को जिंदगी भर के लिए यादगार बनाने को बेताब हुए जा रहे थे। 

प्रिया “उ उ उ उ उ……अअअअअ आआआआ… सी सी सी सी….. ऊँ—ऊँ…ऊँ….” की आवाज निकाल रही थी और विनीत उसके नाज़ुक बदन पर अपने चुम्बन का बौछार किये जा रहा था। कुछ देर तक प्रिया के दूध को पीने के बाद विनीत ने अपने पजामे का नाड़ा खोला और अंडरवियर में हो गया। विनीत का लंड थोड़ा बहुत खड़ा हो चुका था और उसका लंड देखते ही प्रिया चौक गई। विनीत का लंड अब टाइट होकर इतना तन गया था कि अंडरवियर अब तम्बू बन चूका था और ये देख प्रिया अपने होश खोने लगी थी।  

प्रिया: ओह्ह्ह गॉड वीनू, ये तो, बहोत बड़ा है, नहीं नहीं, मुझसे नहीं हो सकेगा। 

विनीत: अच्छा मेरी जान, पहले ये तो बताओ कि मेरा या लंड तुम्हे पसंद आया या नहीं!

प्रिया: ये बहोत बड़ा है वीनू, पसंद क्यों नहीं आएगा? 

विनीत - अच्छा! चलो इसे छू कर देखो जरा !

प्रिया ने विनीत के लंड को अपने नाज़ुक हाथों से छुआ तो उसके बदन अजीब सी सिहरन होने लगी! 

विनीत - कैसा है?

प्रिया - ये तो इतना मोटा है और मेरे हाथ लगाते ही ये तो और लम्बा कर पत्थर की तरह हार्ड हो गया है वीनू! 

विनीत - प्रिया, इसे थोड़ा शेक करो! क्या पता थोड़ा सॉफ्ट हो जाए!

प्रिया - वीनू! 

विनीत - प्लीज् ना!

फिर प्रिया ने विनीत के लंड को शेक किया और शेक करते करते अचानक प्रिया ने उस लंड को चूम ली। इसी के साथ विनीत की मर्दानगी की खुशबू प्रिया की साँसों में घुल गयी और वो उसे विनीत के बिना कहे चूमने लगी। स्टेप बाय स्टेप अब विनीत पुरे जोश में था और अब चूमने से काम नहीं चलने वाला था। 

विनीत - प्रिया, अब इसे अपने मुँह में लेकर इसे चुसो!

प्रिया- सीरियसली वीनू! आई कैंट डू दिस। 

विनीत - कम ऑन प्रिया! तुम मेरी रानी हो और मैं तुम्हारा राजा! अपने राजा को खुश कर दो ना!

प्रिया - वीनू!

विनीत - प्लीज् प्रिया रानी!

प्रिया -  वीनू! डोंट से प्लीज्! मैं वो सब करने को तैयार हूँ जो तुम्हे अच्छा लगता है, बस थोड़ा आराम से करना, मैंने ये पहले कभी नहीं किया। 

विनीत - ओके बेबी!

फिर प्रिया ने विनीत के लंड के टिप को अपने लिप्स से चूसा और फिर उसे थोड़ा अंदर लिया और कुछ देर तक चूसती रही। 

अब विनीत ने प्रिया के बालों को सहलाना शुरू कर दिया और प्रिया विनीत के समूचे लंड को अपने मुँह में लेने की कोशिश करने लगी और विनीत अपने लंड को अंदर बाहर करने लगा। प्रिया के लाइफ का ये पहला ब्लोजॉब था जो कब डीपथ्रोट में बदल गया उसे पता भी नहीं चला। दस मिनट्स के ब्लोजॉब के बाद विनीत ने प्रिया के मुँह से अपना लंड बाहर निकाला और प्रिया को ऊपर उठा लिया। 

प्रिया (आँखों में आंसू लिए ) - तुम खुश हो ना वीनू!

विनीत - हाँ प्रिया! हाउ वज इट?


प्रिया - आई डोंट नो वीनू!

विनीत - अगर तुम्हे अच्छा नहीं लगा तो मैं तुम्हे ब्लोजॉब के लिए कभी दुबारा नहीं कहूंगा!

प्रिया - इट्स ओके वीनू! तुम मेरे पति परमेश्वर हो, तुम्हारी ख़ुशी के लिए मैं कुछ भी करने को रेडी हूँ! 

विनीत - वैसे कहाँ जा रही हो प्रिया!

प्रिया - वाशरूम! ब्रश करके आती हूँ वीनू!

विनीत - हम्म!

प्रिया जब वाशरूम से ब्रश करके आयी तो उसे थोड़ा फ्रेशनेस महसूस हुआ। आईने में खुद को देखा तो प्रिया को बहुत शरम आने लगी। प्रिया के जिस्म पर बनारसी साड़ी अभी भी फब रही थी और उसके विनीत को ब्लोजॉब दिया, ये सोच सोच कर उसकी आँखों से आंसू नहीं रुक रहे थे। जब प्रिया वाशरूम से बाहर आयी तो उसने देखा सामने विनीत खड़ा है और मुस्कुरा रहा है! विनीत को देखकर प्रिया और भी शरमाने लगी तो विनीत ने उसे अपनी बाहों में उठा लिया और फिर से उसके होंठों को चूमने लगा। विनीत ने प्रिया को बिस्तर पर लिटाया और उसकी आधी अधूरी बची हुई बनारसी सिल्क की साड़ी को उसके जिस्म से उतार दिया। प्रिया अपने दोनों बूब्स को अपने दोनों हाथों से छुपाकर शरमाते विनीत की ओर देखने लगी, विनीत का लंड भी तन कर लम्बा और काफी मोटा हो गया था। धीरे धीरे विनीत प्रिया के पुरे जिस्म को चूमता हुआ ऊपर से नीचे आ गया और प्रिया की वजाइना के ऊपर अपने होंठ रखकर उसे पुरे जोश के साथ चूमना शुरू किया। 

प्रिया - आह्हः, वीनू, क्या कर रहे हो!

विनीत - मेरा भी हक़ है प्रिया कि मैं भी तुम्हे वो ख़ुशी दूँ जो तुमने मुझे दिया है। 

प्रिया - आह्ह्ह्हह, ओह्ह्ह्ह, वीनू, बहुत अच्छा लगा रहा है। 

विनीत - आई नो प्रिया!

प्रिया - वीनू, तुम तो एक्सपर्ट अह्ह्ह्हह एक्सपर्ट निकले। 

विनीत - ममम!

प्रिया की सिसकारियां बढ़ने लगी थी, उसकी उत्तेजना भी। एक माहिर खिलाडी की तरह विनीत प्रिया को उत्तेजना की उस चरम सीमा पर ले जाने को आतुर हो गया था, जहाँ उसे चरम सुख मिलने वाला था। थोड़ी देर बाद विनीत ने प्रिया की आँखों में देखा। प्रिया की आँखें शर्म से बंद थी और विनीत ने उसे अपनी बाहों में जकड लिया और उसके होंठों को फिर से चूमने लगा। लेकिन अब विनीत और प्रिया एक्साइटमेंट की चरम सीमा क्रॉस कर चुके थे, विनीत का लंड प्रिया की गुलाबी वजाइना के अंदर जाने को बेताब हो चूका था और धीरे धीरे अंदर घुसने लगा था। 

प्रिया ने विनीत की ओर देखा, मानो उसे रुकने को कह रही हो, लेकिन विनीत ने बड़े ही प्यार से प्रिया के होंठों पर अपना होंठ और वजाइना के अंदर अपना लंड समा दिया। प्रिया का मुह खुला का खुला रह गया, आँखे बड़ी बड़ी करके वो उस दर्द को बर्दाश्त करने की कोशिश करने लगी। फिर विनीत ने एक जोर का झटका लगाया और उसका पूरा लंड प्रिया की वजाइना में पूरी तरह समा गया। प्रिया की झिल्ली फट गयी, थोड़ी सी ब्लीडिंग हुई और अब प्रिया से दर्द बर्दाश्त नही हो रहा था, वो रोने लगी। 

प्रिया (रोते हुए) - आआह वीनू! बहुत दर्द हो रहा है, ओह्ह्ह! ओह्ह गॉड! प्लीज् वीनू!

विनीत - शांत प्रिया, इट इज़ कॉल्ड डेफ्लोरेशन और नाउ यू आर डेफ्लॉवर्ड। अब तुम कुंवारी नहीं रही प्रिया, अब तुम्हारा कुंवारापन मैंने ले लिया है।  

विनीत के मुँह से डिफ्लोरेशन की बात सुनकर प्रिया को बहुत शर्मिंदगी हुई। प्रिया ने विनीत के सीने में अपने आप को छुपा लिया और विनीत ने उसे एक और स्ट्रोक लगाया। उस स्ट्रोक के साथ ही प्रिया के मुँह आह्ह्ह्ह करते हुए चीख निकल गयी।प्रिया की आँखों में आंसुओं के सैलाब थे, लेकिन वो विनीत की बाँहों में ऐसे ही रहना चाहती थी तो उसने दर्द को फिर से बर्दाश्त करने की कोशिश करने लगी। 

प्रिया - वीनू, प्लीज् बी पोलाइट!

विनीत - आई विल प्रिया!

प्रिया के दर्द को प्रिया के दर्द को देखते हुए, विनीत ने उसके होंठो को चूमना शुरू कर दिया और उसने अपना लंड बाहर निकाल लिया! प्रिया ने देखा विनीत लंड पर खून लगा था, विनीत ने प्रिया से कहा कि इसका मतलब है कि तुम आज तक वर्जिन ही थी। विनीत की बात सुनकर प्रिया शर्माने लगी और विनीत को देखकर मुस्कुराने लगी। विनीत ने दुबारा अपना लंड प्रिया की वजाइना में डाल दिया, इस बार पहले से कुछ कम दर्द हुआ और दोनों के बीच अब रियल सेक्स शुरू हो गया। धीरे धीरे प्रिया का दर्द कम होता गया और वो विनीत के हर स्ट्रोक्स को दर्द के बावजूद एन्जॉय करने लगी थी।  

प्रिया: प्लीज्, प्लीज्, प्लीज्, ओह आआह, उह, अम्मी, आआह प्लीज्!

प्रिया आवाज करने लगी, विनीत को लगा आवाज़ बहुत तेज़ है तो उसने प्रिया के होंठो पर अपना होंठ रख दिया और स्पीड बढ़ाने लगा। प्रिया की आवाज़ और विनीत की स्पीड दोनों एक ही स्पीड से बढ़ती जा रही थी। और 15 मिनट्स तक लगातार प्रिया के साथ सेक्स करते करते दोनों को एक ओर्गास्म हो गया। विनीत प्रिया को अपनी बाहों में जकड़कर थोड़ी देर तक वैसे ही लेटा रहा। आज प्रिया को उसके जीवन का पहला चरमसुख का अनुभव हुआ था, जो काफी सुकून से भरा था। विनीत ने प्रिया के साथ फिर से सेक्स करना शुरू किया और सुबह के ३ बजे तक उसने प्रिया के साथ 2 राउंड सेक्स किया। इन दो राउंड हार्डकोर सेक्स के दौरान विनीत ने प्रिया के वजाइना के अंदर दोनो बार अपना स्पर्म डिस्चार्ज किया और जब जब विनीत का स्पर्म डिस्चार्ज होता, प्रिया को भी ओर्गास्म हो जाता। आज प्रिया पहली बार इस चरमसुख को अपने अंदर ही समाये रखना चाहती थी, ओर्गास्म के बाद होने वाली वीकनेस, इस सुख का अनुभव किसी मर्द को कभी नहीं हो सकता। अपने पति की बाहों में प्रिया इस चरमसुख को अनुभव करते करते कब नींद के आगोश में समा गयी, इसका पता भी नहीं चला। प्रिया की सुहागरात उसके और विनीत के लिए यादगार बन गयी थी, दोनों के चेहरे पर मुस्कराहट और सुकून की चमक सोते हुए भी साफ़ झलक रही थी। 

हर लड़की की शादी के बाद एक नई जिंदगी शुरू होती है। शादी के बाद पहली सुबह दुल्हन के लिए आसान नहीं होती। अपनो को छोड़कर नए घर में आना कोई मामुली बात नहीं। वहीं शादी की पहली सुबह लड़की के मन में काफी कुछ चल रहा होता है, खासकर जब उस लड़की ने लड़के के रूप में जन्म लिया हो। प्रिया के मन में भी आज कुछ ऐसा ही चल रहा था, मूडस्विंग्स ने प्रिया को अंदर से परेशान कर रखा था। अपने ससुराल की पहली सुबह, अपने पति विनीत की बाहों में प्रिया की आँख खुली, सुबह के चार बज रहे थे, विनीत गहरी नींद में सोया हुआ था और प्रिया को अपनेआप में समेटा हुआ भी था। प्रिया ने महसूस किया, एक घंटे पहले तक उसने और विनीत ने हार्डकोर सेक्स का मजा लिया था और अभी भी विनीत का लंड प्रिया के वजाइना में उसी जोश के साथ तना और समाया हुआ था।

अब प्रिया रियल में हमेशा हमेशा के लिए लड़की बन गयी थी और उसे पता था कि अब अंगूठी का जादू भी उसे दुबारा लड़का नहीं बना पायेगा। प्रियम का अस्तित्व हमेशा हमेशा के लिए ख़त्म करके अपने पति की बाहों में आज वो प्रिया बनकर जगी थी। विनीत की बाहों से बाहर निकलने का प्रिया का मन तो नहीं कर रहा था, लेकिन ससुराल का पहला दिन बहुत खास होता है नयी नवेली दुल्हन के लिए। 


विनीत - कहाँ जाओगी इतनी सुबह!

प्रिया - आज ससुराल में मेरा पहला दिन है वीनू! लेट नहीं हो सकती! इतनी सुबह हो गयी है, तैयार होते होते सात बज जायेगा, प्लीज् जाने दीजिये ना!

विनीत - अभी ना जाओ छोड़कर कर दिल अभी भरा नहीं अभी ना जाओ छोड़कर कर दिल अभी भरा नहीं ……. !

प्रिया(अपने आप को विनीत की मजबूत बाहों से बाहर निकालने की कोशिश करते हुए) - आप भी ना, अब छोड़िये भी, जाने दीजिये ना !

विनीत - अभी अभी तो आई हो, बहार बन के छाई हो हवा ज़रा महक तो ले, नजर ज़रा बहक तो ले ये शाम ढल तो ले ज़रा! ये शाम ढल तो ले ज़रा, ये दिल संभल तो ले ज़रा!

प्रिया - शाम नहीं सुबह हो गयी है, जाने दो ना प्लीज्, लेट हो जायेगा।

विनीत - मैं थोड़ी देर जी तो लूँ, नशे के घूँट पी तो लूँ! नशे के घूँट पी तो लूँ !

प्रिया - प्लीज् आप समझने की कोशिश कीजिये, आज ससुराल में मेरा पहला दिन है, बहुत काम होते हैं और वैसे भी नींद पूरी नहीं हुई है और मैं बहुत थक भी गयी हूँ!

विनीत - बस एक बार फिर से मैं तुम्हे प्यार करना चाहता हूँ प्रिया, सिर्फ एक बार, मना मत करना !

प्रिया - अच्छा, ठीक है जी, लेकिन मैं स्नान तो कर लूँ !

विनीत - महम्म्म्म, तो चलो, आज हम साथ में ही नहाएंगे।

प्रिया - नहीं, मैं अकेले नहाने जा रही हूँ, आती हूँ तो फिर जी भर कर प्यार कर लीजियेगा आप!

प्रिया चहकते हुए बोली और वाशरूम की ओर जाने के लिए बढ़ी कि अचानक उसे बहुत दर्द हुआ और वो वहीँ बैठ गयी।

विनीत - क्या हुआ मेरी रानी को!

प्रिया - बहुत दर्द हो रहा है।

प्रिया (शर्माते हुए) - अभी ना जाओ छोड़कर कर दिल अभी भरा नहीं ……..!

विनीत को प्रिया का इनविटेशन मिल चूका था, उसने मौका नहीं गंवाया और प्रिया को फिर से अपनी गोद में उठा लिया और दोनों आधे घंटे तक बाथटब में रोमांस और सेक्स करते रहे। फिर एक बार प्रिया को चरमसुख का अनुभव हुआ और अथाह वीकनेस भी। विनीत भी संतुष्ट दिख रहा था और मुस्कुराते हुए वो वाशरूम से ऐसे बाहर निकला मानो कोई जंग जित कर आया हो। 

थोड़ी देर बाद प्रिया कमरे में आयी तब उसने देखा विनीत कमरे में नहीं था। स्नान के बाद प्रिया कमरे में आकर हाथ-मुंह अच्छी तरह से धोकर अब तैयार होने लगी थी, प्रिया ने पहले से ही ससुराल में सुहागरात के बाद के पहले दिन में पहनने के लिए एक हलकी ऑरेंज रंग की साटन साड़ी चूज़ करके रखी थी। प्रिया का सैटिन से प्यार ही इतना था कि उस ऑरेंज रंग की साटन साड़ी को पहनने से खुद को रोक नहीं सकी। लहंगा तो प्रिया ने शादी के वक़्त पहनी ही थी तो आज साटन साड़ी ही ठीक रहेगी, प्रिया ने सोचा और अपनी टॉवल उतारकर एक ओर रख दी। प्रिया को बूब्स के ऊपर ब्लाउज पहनते वक़्त हुक लगाने, डोरी बांधने और खोलने में बड़ा मज़ा आने लगा था।

 प्रिया सोचने लगी! 

"भले मेरे बूब्स ज्यादा बड़े नहीं हैं, पर ब्लाउज टाइट हो तो उसको पहनने का मज़ा ही कुछ और है और इस साड़ी के साथ तो मेरा ब्लाउज भी डिज़ाइनर वाला है!"

कितनी खुश थी प्रिया उसको पहनते वक़्त। फिर अच्छी तरह से मेकअप करने के बाद प्रिया ने पेटीकोट चेंज किया और अपनी साड़ी पहननी शुरू की। साटन की साड़ी बदन पर चढ़ते ही प्रिया के जिस्म में कुछ कुछ होने लगा, प्रिया खुद को आईने में देखकर मुस्कुराती रही।

“आज तो पुरे दिन यूँ ही खुबसूरत दिखूंगी मैं, न जाने कितने लडको की नज़रे रहेंगी मुझ पर!” 

प्रिया नई नवेली दुल्हन की तरह शरमाते हुए मुस्कुरा रही थी। प्रिया के मन में तरह तरह के भाव उसे और भी एक्साइटेड कर रहे थे। फिर प्रिया ने अपनी साड़ी की पतली पतली प्लेट बनाकर अपने ब्लाउज पर पिन कर दी।

“इस तरह से क्लीवेज और कमर दिखाती हुई पतली प्लेट के साथ साड़ी पहनना आजकल मेरी जैसी दुबली पतली लड़कियों में फैशन है!” 

शर्माते हुए, दो घंटे खुद को सँवारने के बाद बार बार अपने मेकअप को ठीक करने और ढेर सरे ज्वेलरीज खासकर झुमके, वो नथिया जो विनीत ने लास्ट नाईट गिफ्ट किया था, कंगन, मंगलसूत्र और मांग में अपने पति विनीत के नाम का सिन्दूर भरने और गले में विनीत के नाम का मंगलसूत्र पहनने के बाद जब प्रिया संतुष्ट हो गयी तो नाक तक साड़ी के पल्लू के छोर से घूँघट करके कमरे से बाहर आयी। 

सुबह के साढ़े छह बज चुके थे, प्रिया ने अपनी साड़ी के आँचल से अपना घूँघट किया हुआ था और वो सीधे पूजा घर में गयी, वहां पूजा आरती की और डाइनिंग हॉल में गयी। प्रिया ने देखा, उसके सास ससुर आपस में कुछ डिस्कस कर रहे थे। प्रिया ने अपने सास ससुर के पाओं छूकर उनका आशीर्वाद लिया और सीधे किचन में चली गयी, सभी के लिए नाश्ता बनाने लगी। प्रिया ने ब्रेकफास्ट तैयार कर लिया और डाइनिंग टेबल पर अपने पति विनीत और अपने सास ससुर को नाश्ता सर्व किया। उन्होंने प्रिया को भी अपने साथ बिठाया और उसे भी साथ में ही नाश्ता करने को कहा। प्रिया ने कहा की वो उनसब से खा लेने के बाद ही खायेगी। 

सभी ने नाश्ता किया और प्रिया के हाथ के टेस्ट की बड़ी तारीफ की। आखिर में प्रिया ने भी नाश्ता किया और विनीत के घरवाले भी बहुत खुश थे। नेक्स्ट डे मुँह दिखाई की रस्म हुई और आस पड़ोस की औरतें आतीं, प्रिया का घूंघट उठाकर उसका चेहरा देखतीं और उसे आशीर्वाद के साथ नेग दे जातीं। पुरे दिन बस यही सब चलता रहा और रात हुई तो विनीत और प्रिया को दूल्हा दुल्हन वाले गेम्स में बिठा दिया गया। गेम्स ख़त्म होने के बाद विनीत और प्रिया अपने कमरे में थे। प्रिया अभी भी दुल्हन वाले गटेअप में ही थी और विनीत पुरे मूड में।

आज की रात प्रिया विनीत पर अपना तन बदन प्यार सब न्योछावर करने को तैयार थी और विनीत प्रिया के साथ दूसरी बार सुहागरात मनाने को तैयार था। विनीत ने पहले तो काफी देर तक प्रिया के साथ काफी देर तक रोमांस किया, अपनी दुल्हन के एक एक अंग को अपने चुम्बन से ठीक वैसे ही खीला रहा था, जैसे भंवरा का एक चुम्बन फूल को खिलने पर मजबूर कर देता है। रोमांस करते करते विनीत ने प्रिया को पूरी तरह से न्यूड कर दिया और उसके बूब्स और निप्पल्स को पहले तो काफी देर तक चूमा, फिर उसे काफी देर तक चूसता रहा। विनीत का हर एक चुम्बन प्रिया के बूब्स को और भी ज्यादा टाइट कर रहा था और अब प्रिया ने विनीत से कहा कि वो अपना लंड उसकी वजाइना में डाल दे। लेकिन विनीत ने प्रिया को कुछ देर और एक्साइटेड किया और फिर अपना लंड उसकी वजाइना में डालकर उसे अपनी बाहों में उठाकर उसके साथ हार्डकोर सेक्स करने लगा। 

प्रिया विनीत के हर स्ट्रोक्स पर जोर जोर से आँहें भरती, कभी आह्हः, कभी ओह्ह्ह। प्रिया को अब दर्द कम प्लेज़र ज्यादा मिल रहा था, इधर विनीत की स्पीड काफी तेज़ हो चुकी थी। फिर अचानक से जैसे ही विनीत का स्पर्म डिस्चार्ज हुआ, प्रिया को ओर्गास्म हो गया। प्रिया की वजाईना विनीत के स्पेर्म्स से भर गयी थी और फिर विनीत और प्रिया सुकून के अनंत सागर में गोते लगा रहे थे। कामसूत्र के चार अलग अलग तरह के सेक्स पोसिशन्स ट्राय करने के बाद प्रिया अब कमज़ोर सी हो गयी और वो अपने पति की बाहों में सिकुड़कर सो गयी। नेक्स्ट डे, प्रिया को अपने साथ लेकर विनीत ने गोवा के लिए फ्लाइट ली। प्रिया को यकीन नहीं हो रहा था कि विनीत उसे उसी होटल के उसी रूम में लेकर आया था, जिस होटल मे वो संजना के साथ हनीमून मनाना चाहती थी। प्रिया की अतीत के वो सारी यादें ताज़ी हो गयी और वो फिर से सोचने बैठ गयी।

इतने में विनीत प्रिया को अपने साथ लेकर मार्किट चलने को रेडी था।

विनीत: किस सोच में डूबी हो मेरी रानी!



प्रिया: कुछ नहीं, बस ऐसे ही!

विनीत: प्रिया!

प्रिया: आपको पता है, जब मैं मर्द थी तब मैं संजना के साथ हनीमून मनाने इसी होटल मे आना चाहती थी और आज मुझे इसी होटल मे ले आए!

विनीत: कोई बात नहीं, ये तो और भी अच्छा हुआ। तुम्हारी अतीत की यादों पर वर्तमान ज्यादा हावी होगा और जब हम अगली बार गोवा आएंगे तो इसी होटल के रूम को बुक करेंगे। तब तुम मुझसे यही कहोगी कि इस होटल के इस रूम में तुमने मेरे साथ जिंदगी के सबसे हसीं पल को जिया था।

प्रिया: इतना पॉजिटिव कैसे सोच लेते हैं आप!

विनीत: अगर मैं पॉजिटिव नहीं सोचता तो तुम मेरी रानी कैसे बनती प्रिया। अब चलो, गोवा आकर तुम साड़ी पहनकर मेरे साथ बीच पर घूमोगी तो कैसा लगेगा।

प्रिया: मुझे साड़ी पहननी पसंद है, इसी लिए तो मैं सिर्फ साड़ियां ही लायी हूँ।

विनीत: लेकिन आज तुम साड़ी नहीं पहनोगी, आज तुम मेरी पसंद की ड्रेस पहनोगी, अब चलो।

फिर विनीत प्रिया को मार्किट ले आया और उसके लिए ब्लैक मिनी स्कर्ट और हाई हील्स परचेस किया और कुछ आर्टिफीसियल पेंडेंट्स और ज्वेलरी खरीदने के बाद दोनों पति पत्नी होटल आ गए। प्रिया को यकीन नही हो रहा था कि होटल का वही मैनेजर और वही स्टाफ उसे मैडम कहकर सम्बोधित कर रहे थे जो एक टाइम पर उसे सर कहकर सम्बोधित करते थे जब वो संजना के साथ इस होटल में आयी थी। थोड़ी देर बाद प्रिया मिनी स्कर्ट में रेडी हुई, दोनों कानो में एअर रिंग्स और नाक में सोने की लौंग पहन ली, जिसमे हीरा जड़ा था। 

खुले बाल को समेटकर प्रिया ने जुड़ा बना लिया और हाई हील्स पहनकर अपने पति विनीत के साथ बीच पर घूमने निकली। बीच पर हील्स में चला नहीं जा रहा था तो प्रिया ने हील्स को उतार दिया और अपने हाथों में ले ली। हील्स उतारने के बाद विनीत के सामने प्रिया और भी छोटी दिखने लगी, लेकिन विनीत को इससे फ़र्क़ नहीं पड़ा। विनीत प्रिया की पीठ पर हाथ रखकर बीच की खूबसूरती को एन्जॉय किया। मिनी स्कर्ट में प्रिया थोड़ी अनकम्फर्टेबल थी, लेकिन अपने पति की ख़ुशी के लिए उसने अपने पति से इसके लिए एक बार भी शिकायत नहीं की। मिनी स्कर्ट में प्रिया के बूब्स का काफी ज्यादा उभार साफ़ झलक रहा था और विनीत अपनी पत्नी के सेक्सी लुक को काफी एन्जॉय कर रहा था। 


वैसे तो बीच पर काफी  कपल्स घूम रहे थे और ज्यादातर कपल्स शॉर्ट्स और बिकिनी में थे, लेकिन विनीत और प्रिया इतने हॉट दिख रहे थे कि एक फोटोग्राफर खुद चलकर आया और विनीत से एक फोटोसेशन की गुज़ारिश की। विनीत ने फोटोसेशन की इज़ाज़त फोटोग्राफर ने विनीत और प्रिया की काफी हॉट तसवीरो को क्लिक किया। फोटोग्राफर के रिक्वेस्ट पर विनीत ने प्रिया को सबके सामने लिप्सलॉक किस किया, फोटोग्राफर ने उनके इंटिमेट मोमेंट को काफी सेंसुअल तरीके से क्लिक किया। विनीत ने फोटोग्राफर का नंबर लिया और उसे नेक्स्ट डे के लिए बुक कर लिया। प्रिया को बहुत ही शाय फील हुआ, सबके सामने जब विनीत ने अपना हक़ जताते हुए उसे किस किया, वो मोमेंट प्रिया के दिल में बस गया। इधर विनीत भी फोटोसेशन को लेकर काफी एक्साइटेड था।  

अगले चौदह दिन और तेरह रातों में विनीत और प्रिया ने हनीमून को पूरी तरह से एन्जॉय किया। इन चौदह दिनों में बारह दिन अलग अलग बीच पर, अलग अलग ड्रेसेस में विनीत और प्रिया ने फोटोसेशन भी करवाया और एक नाईट फोटोसेशन भी करवाई जिसमे विनीत और प्रिया के इंटिमेट सीन्स को फोटोग्राफर ने अपने डीएसएलआर में बखूबी कैद कर लिया। हनीमून के पंद्रह दिन कैसे निकल गए, प्रिया और विनीत को पता भी नहीं चला, लेकिन इन पंद्रह दिनों में एक भी दिन ऐसा नहीं गया, जब विनीत ने प्रिया के साथ रोमांस नहीं किया हो और एक भी रात ऐसी नहीं गयी जब विनीत ने प्रिया के साथ पूरी रात हार्डकोर तो कभी सेंसुअल सेक्स का मजा नहीं लिया हो। फ्लाइट लेने से पहले फोटोग्राफर ने विनीत और प्रिया के फोटोज़ का एक एल्बम और पुरे फोटोज की फाइल्स पेन ड्राइव में विनीत को दे गया। हनीमून से वापिस आने पर घर पर रिया ने प्रिया को हनीमून की कहानी सुनाने को बोल बोल कर छेड़ने लगीं।

रिया - प्रिया भाभी, आपको पता है, आप हनीमून से वापिस आने के बाद कितनी खिल गयी हो, बताइये न भाभी, भैया के साथ कहाँ कहाँ घूमने गयीं, क्या क्या किया? प्रिया भाभी, भैया बता रहे थे कि गोवा की बीच काफी खूबसूरत है। कौन कौन सी जगह घूमने गयीं थी आप भैया के साथ, बताओ ना!

इससे पहले कि प्रिया कुछ कहती, कमरे में विनीत आ गया और रिया विनीत को देखते ही कमरे से भाग गयीं।

विनीत - रिया ने ज्यादा परेशां तो नहीं किया ना?

प्रिया - उतना नहीं जितना आपने गोवा में किया।

फिर दोनों मुस्कुराए और विनीत ने प्रिया के साथ काफी देर तक रोमांस किया। विनीत और प्रिया की हैप्पी मैरिड लाइफ अब आगे बढ़ने लगी थी और अब प्रिया फिर से ऑफिस जॉइन करना चाहती थी। तो इस बारे में प्रिया ने अपनी सास यानी प्रेरणा यादव से बात की। 

प्रेरणा - बहु, तुम्हारी शादी को अभी एक महीना भी नहीं हुआ है, विनीत के साथ कुछ टाइम स्पेंड करो, काम तो बाद में भी कर लेना!

प्रिया - माँ, ऑफिस में मैं रहूंगी तो आपके साथ भी तो टाइम स्पेंड करने का मौका मिलेगा और वहां के बहुत से काम मेरे ना रहने से पेंडिंग होंगे और आपके बिज़नेस में लॉस हो ये मैं नहीं चाहती! और माँ, अगर मैं घर में रही तो वीनू भी काम पर फोकस नहीं करेगा, हमदोनो के लिए ये जरुरी है माँ, प्लीज्!

प्रेरणा - बहु, इतनी प्यारी बातें करती हो! ठीक है अगर यही बात है तो कल से मेरे साथ ऑफिस चलना! लेकिन एक प्रॉब्लम है बहु!

प्रिया - वो क्या माँ!

प्रेरणा - बहु, हमारे घर की बहुएं एक साल तक वैसे तो घर के बाहर नहीं निकलतीं लेकिन अगर उन्हें निकलना भी पड़े तो नयी नवेली दुल्हन की तरह घूंघट करके जाना पड़ता है। अगर तुम मेरे साथ ऑफिस जाना चाहती हो तो तुम्हे भी सजधज कर नयी नवेली दुल्हन की तरह ऑफिस चलना पड़ेगा!

प्रिया - ठीक है माँ! मुझे मंजूर है, वैसे भी पिछले दो महीनों से मैं ऑफिस नहीं गयी!

प्रेरणा - ठीक है, कल से जल्दी रेडी हो जाया करना, हम साथ ही ऑफिस चलेंगे!

प्रेरणा की बात सुनकर प्रिया बहुत खुश हुई और उसने अपना घूँघट ठीक की और अपनी सास के पैरों को छूकर उनसे सदा सुहागिन और सौभाग्यवती रहने का आशीर्वाद लेकर अपने कमरे में चली गयी। नेक्स्ट डे प्रॉपर नयी नवेली दुल्हन की तरह कांचीवरम साड़ी में, नाक में नथिया, कानों में झुमकियां, गले में नौलखा हार और मंगलसूत्र, पैरों में पायल और पैरों की उँगलियों में चाँदी के बिछुए, माथे पर बिंदी, कलाइयों में सुहाग का चूड़ा और सोने के कंगन, बालों के बीचोबीच मांग में सिंदूर भरकर, सजधज कर तैयार हो गयी।  प्रिया अपनी सास के पास गयी और उनके पैरों को छूकर उनसे आशीर्वाद ली और फिर दोनों ऑफिस को रवाना हो गए। ऑफिस में भी प्रिया का विशेष प्रवेश करवाया गया और वह उसकी सभी कलीग्स ने उसे शादी की बधाइयां दी और साथ ही गिफ्ट्स भी। प्रिया जब अपने केबिन में गयी तो उसके केबिन को बहुत ही खूबसूरती से सजाया हुआ था और टेबल पर विनीत की एक तस्वीर फ्रेम करके रखी हुई थी। विनीत को तस्वीर में देखते ही प्रिया शरमा गयी और चेयर पर बैठकर पिछले पुरे काम का ज़ायज़ा लेते हुए बचे हुए कामों को प्रॉपर तरीके से पूरा करवाई। 

विनीत और प्रिया की शादी को एक महीना से ज्यादा हो चला था, ऑफिस में काम अच्छे से चल रहा था। अब हर रोज़ प्रिया अपनी सास के साथ ऑफिस जाती और साथ ही घर आती। इधर प्रिया के पीरियड्स का टाइम आ चूका था, लेकिन पीरियड्स नहीं आने पर वो घबराने लगी थी। एक दिन अचानक ऑफिस में ही प्रिया को जोर से वोमिटिंग सिम्पटम्स शुरू हो गए और काफी चक्कर जैसा आने लगा। पहले दो चार दिनों तक तो प्रिया समझ नहीं पायी कि उसके साथ हो क्या रहा है, लेकिन एक दिन उसकी सास ने ऑफिस वाशरूम में उसे वोमिट करते देख लिया। 

प्रेरणा - क्या बात है बहु, तुम्हारी तबियत ठीक नहीं है क्या?

प्रिया - नहीं माँ, इधर दो तीन दिनों से वोमिटिंग सिम्पटम्स और चक्कर भी आ रहा है। 

प्रेरणा - तुम रेस्ट करो, मैं डॉक्टर को यहीं बुलवा लेती हूँ। 

लेडी डॉक्टर ऑफिस आ गयी और उसने प्रिया का हेल्थ चेक किया और केबिन से बाहर आ गयी। 

प्रेरणा ने डॉक्टर से एक बार फिर से कन्फर्म किया। 

लेडी डॉक्टर - अरे मैडम, मुँह मीठा करवाइये, आपकी बहु गर्भवती है।

प्रेरणा - आई एम् सो हैप्पी डॉक्टर! प्रिया के आने से हमारे घर में खुशियां ही खुशियां आ गयी हैं और अब मैं दादी बनने जा रही हूँ, इससे ख़ुशी की बात मेरे लिए और क्या हो सकती ही! ये लो, आपका फीस और कुछ पैसे मिठाई के लिए। 

डॉक्टर के जाने के बाद प्रेरणा प्रिया से मिलने केबिन में आ गयी और प्रिया का माथा चुम कर उसे प्यार से देखने लगी। 

प्रिया - ऐसे क्या देख रही हो माँ! क्या कहा डॉक्टर ने?

प्रेरणा - डॉक्टर ने कहा है कि तुम गर्भवती हो प्रिया! मैं तो बहुत खुश हूँ, अब कल से ऑफिस आना बंद और घर पर रेस्ट करो। यहाँ का काम मैं अकेली देख लुंगी। हाय, कितनी भाग्यशाली हूँ मैं, इतनी प्यारी बहु मिली मुझे और शादी के एक महीने बाद ही खुशखबरी भी आ गयी। विनीत ये जानेगा तो कितना खुश हो जायेगा!

प्रिया - माँ, आप सच कह रही हो? क्या सच में मैं गर्भ से हूँ?

प्रेरणा - हाँ मेरी बच्ची, तुम गर्भवती हो। 

प्रिया को यकीन नहीं हो रहा था, उसकी लाइफ का सबसे डरावना सपना आज सच हो चूका था। प्रिया इतनी जल्दी गर्भ धारण नहीं करना चाहती थी, लेकिन चाहने से क्या होता है, प्रिया गर्भ धारण कर चुकी थी और विनीत का अंश उसकी कोख में आ चूका था। अपनी गर्भावस्था की जानकारी मिलने पर प्रिया बहुत इमोशनल हो गयी और सोचने बैठ गयी। 

प्रिया सोचने लगी, "ओह्ह, मैं गर्भवती हूँ! हे भगवान्, यानी मेरी कोख में विनीत का बच्चा! मैं मर्द थी तो कितनी अच्छी लाइफ थी, खुलकर जी सकती थी, किसी लड़की से शादी कर सकती थी, फिर वो मेरे बच्चे को अपने कोख में पालती! लेकिन मैंने विनीत के प्यार में खुद लड़की बनी, फिर वो मुझसे ब्याह रचाकर मुझे अपनी दुल्हन बनाकर और इस घर की बहु बनाकर यहाँ ले आया। दुल्हन की तरह दिन भर सजी रहती हूँ, घूँघट में रहना पड़ता है चाहे मैं घर में रहूं या ऑफिस में। मुझे हमेशा दोनों कानों में बड़ी बड़ी झुमकियां, नाक में भारी भरकम नथिया, गले में विनीत के नाम का मंगलसूत्र, मेरी मांग में विनीत के नाम का सिंदूर, मेरी पायलों की छम छम हर जगह गूंजती है और अब उसके बच्चे को अपनी कोख में पाल रही हूँ। मैंने अपनी जिंदगी का क्या कर लिया, अब मुझे नार्मल औरतों की तरह नौ महीने बच्चे को अपनी कोख में पालना पड़ेगा। ओह्ह गॉड, मेरे पेरेंट्स को इस बारे में पता चलेगा तो वे क्या सोचेंगे! बच्चे को जन्म देते समय इतना दर्द होता है, ओह्ह, मैं इतना दर्द कैसे सहूंगी! ओह्ह, क्या करूँ मैं, मेरे भाग्य में क्या क्या होना लिखा है गॉड, मैंने अपनी लाइफ का क्या कर लिया!"


प्रेरणा - किन ख्यालों में खोयी हो बहु!  विनीत को मैंने कॉल कर के बुला लिया है, लेकिन उसे नहीं पता कि तुम गर्भवती हो प्रिया! अपनी गर्भावस्था के बारे में विनीत को तुम खुद बताओगी तो ज्यादा अच्छा रहेगा, ओके!

प्रिया - जी माँ!   

थोड़ी देर बाद विनीत प्रिया को लेने ऑफिस के नीचे आया तो प्रिया को नीचे छोड़ने उसकी सास खुद आयी। विनीत प्रिया को घर ले आया और उसे  कमरे में ले आया। प्रिया हिम्मत नहीं कर पा रही थी कि विनीत को अपनी गर्भावस्था के बारे में बता सके। प्रिया को घर पर छोड़कर विनीत ऑफिस मीटिंग के लिए चला गया। शाम को प्रिया की सास जल्दी आ गयी। सबसे पहले प्रिया की सास अपनी बहु के पास चली गयी और उसका हाल जाना। फिर प्रिया की सास ने प्रिया से विनीत के बारे में पूछा!

प्रिया - वो तो ऑफिस मीटिंग के लिए गए हैं। 

प्रेरणा - तुमने बताया नहीं बहु! 

प्रिया - सॉरी माँ, आप ही बता दो ना प्लीज! मुझे बहुत शरम आती है। 

प्रेरणा - हाहाहा, बहु, आज कल की लडकियां इतना शर्माती है, तो शरमाते शरमाते बता देना वीनू को, लेकिन ये बात तुम खुद बताओ!

प्रिया - माँ, प्लीज्, आप ही बता दो ना!

प्रेरणा - नहीं प्रिया, आज जब वीनू ऑफिस से आएगा, तब बता देना!

प्रिया की सास ऐसा कहकर वहां से मुस्कुराते हुए डिनर बनाने चली गयी। इधर प्रिया की हालत बहुत ख़राब हुई जा रही थी, वो इस धर्मसंकट में थी कि वो विनीत को अपनी गर्भावस्था के बारे में कैसे बताएगी। इधर रात के डिनर के बाद जब विनीत कमरे में आया तब प्रिया बिस्तर के एक कोने पर घूँघट में बैठी यही सोच रही थी। विनीत प्रिया के पास आया और उसे अपनी बाहों में लेकर उसके साथ रोमांस करने लगा। जब प्रिया गर्म होने लगी तो विनीत ने उसे अपनी आगोश में ले लिया और धीरे धीरे दोनों न्यूड होते चले गए। दो राउंड हार्डकोर सेक्स के बाद जब विनीत और प्रिया दोनों को एक साथ ओर्गास्म हुआ तब दोनों काफी देर तक उसे पोजीशन में सोते रहे। प्रिया ने हिम्मत की और विनीत को अपनी गर्भावस्था के बारे में बताने का सोची। 

प्रिया - वीनू! मुझे तुम्हे कुछ बताना है!

विनीत - हाँ जान, बोलो ना!

प्रिया - वो वीनू बात ऐसी है कि..... नहीं नहीं रहने दो!

विनीत - अरे, क्या रहने दो! बोलो भी बेबी! क्या बात है?

प्रिया - वीनू! 

विनीत - हाँ मेरी रानी!

प्रिया - वीनू, मैं पेट से हूँ! आई एम् प्रेग्नेंट! 

विनीत - ओह्ह गॉड! व्हाट, प्रिया आर यू सीरियस!

प्रिया - हाँ वीनू!

विनीत - आई एम् सो हैप्पी प्रिया! आई लव यू!

फिर विनीत ने प्रिया को कस से हग किया और अपनी ख़ुशी का इज़हार किया। पूरी रात विनीत प्रिया को अपनी बाहों में लिए उस ख़ुशी भरे पल को जी रहा था। आज रात ना तो विनीत को नींद आ रही थी और ना ही प्रिया को। विनीत का अंश अब प्रिया की कोख में पल रहा था और विनीत इस बात से बहुत ही ज्यादा खुश था। किसी तरह रात कटी, हर रोज़ की तरह प्रिया तैयार होकर अपनी सास के साथ ऑफिस जाने को हुई तो उसकी सास ने उसे रेस्ट करने को कहा। अगली सुबह प्रिया की फॅमिली को विनीत ने खुद कॉल करके इन्फॉर्म किया। प्रिया की फॅमिली ने जब विनीत के मुँह से ये बात सुनी तो उन्हें यकीन नहीं हुआ, लेकिन जब उन्होंने कॉन्फ्रेंस कॉल पर डॉक्टर से बात की जिसने प्रिया का चेकअप की थी, तब उन्हें यकीन हुआ कि वे अब नाना, नानी, मामा, मामी, मौसी और मौसा बनने वाले हैं। एक दिन घर आकर प्रिया के पेरेंट्स ने उसे इस बात की बधाई दी और प्रिया को अपने साथ घर ले जाने के लिए उसकी सास से कहा। लेकिन प्रेरणा नहीं मानी और उन्होंने उनसे कहा कि उन्हें प्रिया की फिक्र करने की कोई जरुरत नहीं क्यूंकि वो खुद प्रिया का ख्याल रखेंगी। प्रिया पुरे दिन में घर में नहीं रहना चाहती थी तो वो अपनी सास को इंसिस्ट करने लगी। प्रिया की जिद के कारण उसकी सास मान गयी लेकिन अब प्रिया को वर्क फ्रॉम होम करने की इज़ाज़त दी गयी थी। 

प्रिया इससे भी बहुत खुश थी और वो घर से ही ऑफिस का पूरा काम देखने लगी। चूँकि प्रेरणा यादव अब दादी बनने जा रही थी तो प्रिया और विनीत से ज्यादा वो एक्साइटेड थी। प्रेरणा खुद से प्रिया के खान पान का ख्याल रखने लगी थी और विनीत भी अब प्रिया के साथ रोमांस से ज्यादा कुछ नहीं करता। प्रिया विनीत के लिए सोलह सोमवारी, हरियाली तीज और करवाचौथ का व्रत भी। रखना चाहती थी। लेकिन उसकी सास ने उसे यह कहकर ये सभी व्रत नहीं करने दी कि इससे गर्भ में पल रहे बच्चे पर असर पड़ेगा। प्रिया विनीत के लिए हर तरह का व्रत रखना चाहती थी लेकिन प्रेरणा ने उसे समझाया कि गर्भावस्था के दौरान ऐसा करना कतई गलत साबित हो सकता है। प्रिया भी अपनी सास की बात मानकर अगले साल से हर तरह के व्रत रखने को तैयार हुई। कभी कभी प्रिया को घबराहट, चिरचिरापन और स्ट्रेस होने लगता और उसका किसी से भी बात करने का मन नहीं होता तो प्रेरणा एक अच्छी सास की तरह ही नहीं बल्कि अच्छी माँ भी बनकर प्रिया को अपनी गोद में सुलाती और उसे आराम देती। 

प्रिया की सास और पति विनीत ने अगले 9 महीनो तक प्रिया का बड़ा ख्याल रखा। 9वे महीने में, प्रसव का समय नज़दीक आने पर जैसे गर्भवती महिलाएं अचानक बहुत भावुक हो जाती हैं, जैसे उनका मूड लगातार बदलने लगता है और जैसी उनके स्वभाव में चिड़चिड़ापन आ जाता है और यही प्रिया के साथ भी होने लगा था। ये सारे लक्षण शिशु के जन्म से पहले हार्मोन में बदलाव होने की वजह से नज़र आते हैं और यही लक्षण प्रिया में भी ये सारे लक्षण नज़र आने लगा था। प्रिया की सास लगातार डॉक्टर के संपर्क में थी और उसने बताया कि प्रसव और लेबर पेन शुरू होने का समय करीब आ गया है। महिलाओं के मन में लेबर पेन को लेकर कई तरह की शंकाएं और सवाल होते हैं, प्रिया के मन में भी ऐसी ही शंका और सवालों ने घर कर लिया था। प्रिया ने पहली बार गर्भ धारण करने वाली महिलाओं की तरह प्रसव के समय होने वाले दर्द के बारे में सुनकर बहुत प्रिया चिंतित हो गयी थी। 

प्रिया को संकुचन- जब लगातार और थोड़ी-थोड़ी देर पर गर्भ की मांसपेशियों में खिंचाव महसूस होने लगा और अधिक समय तक तीव्रता से होता जा रहा था। अब प्रिया को संकुचन 10 मिनट में दो से तीन बार होना शुरू हो चूका था, जिसका मतलब था कि अब डिलीवरी का समय नजदीक आ गया है। प्रिया को एक दिन अचानक लेबर पेन शुरू हो गया, तब विनीत ने उसे मैक्स हॉस्पिटल जो दिल्ली का सबसे बड़ा हॉस्पिटल था, वहां एडमिट करवा दिया। 


लगभग आठ घंटे का असहनीय लेबर पेन, दर्द इतना कि प्रिया से सहा नहीं जा रहा था। प्रिया रो रही थी, चिल्ला रही थी और साथ ही प्रेशर भी लगा रही थी और तीन बार बेहोश होने के बाद अच्छे डॉक्टर्स की निगरानी में प्रिया ने अपनी कोख से अपने पति यानि विनीत के पहले बच्चे को जन्म दिया, फिर बेहोश हो गयी। जब प्रिया को होश आया तो नर्स ने उसे बताया कि उसे बेटी हुई है और ये सुनकर प्रिया को बहुत दुःख हुआ। लेकिन जब प्रिया ने अपनी बेटी को अपने सीने से लगाई और उसकी बेटी ने उसके निप्पल्स पर अपने होंठ रखे तो प्रिया की ममता उमड़ने लगी और उसके बूब्स से दूध के फव्वारे निकलने लगा। 

जब प्रिया की बेटी उसका दूध पीकर सो गयी तो रात हो चुकी थी और विनीत प्रिया से मिलने आया तो उसने अपनी बेटी को अपनी गोद में उठाकर खूब दुलार किया। 

विनीत - प्रिया, कांग्रच्युलेशन्स मेरी रानी! एंड थैंक यू, ये नन्ही सी एंजेल को मेरी जिंदगी में लाने के लिया। आज से हमारी बिटिया का नाम प्रियंवदा यादव होगा और हम हमारी बेटी को दुनिया भर की खुशियां देंगे। 

इतने में प्रिया की सास भी वहां आ गयी। 

प्रेरणा - बधाई हो बहु, हमारे घर में लक्ष्मी आयी है और मेरी पोती मेरी दुनिया और मेरे जीने का सहारा बनेगी। थैंक यू बहु, मुझे एक नया जीवन देने के लिए। 

प्रिया को यकीन नहीं हो रहा था कि घर में सब इतने खुश थे। आम तौर पर तो बेटी होने पर इतनी ख़ुशी कहीं नहीं होती जितनी यहाँ थी। 

प्रिया - माँ, मैं कोई सपना तो नहीं देख रही ना!


प्रेरणा - नहीं बहु! ये हकीकत है!

विनीत - प्रिया, तुम रेस्ट करो! माँ यहीं रहेंगी रात भर तुम्हारे साथ और मैं कल सुबह आ जाऊंगा!

प्रेरणा - अरे तू जा ना, अब मेरी पोती आ गयी है, मैं दोनों का ख्याल रख लुंगी!

विनीत - थैंक्स माँ!

विनीत के जाने के बाद प्रेरणा वही प्रिया के पास रुक गयी और रात भर जागकर जच्चा बच्चा दोनों का पूरा ख्याल रखा। अगली सुबह प्रिया की मम्मी और पापा उससे मिलने आये, साथ में प्रिया की भाभी और भैया भी थे। सभी की आँखों में ख़ुशी के आंसू थे, खासकर प्रिया की मम्मी बहुत ही ज्यादा इमोशनल हुई जा रही थी। प्रिया की मम्मी और भाभी को तो यकीन ही नहीं हो रहा था। प्रियम ने लड़के के रूप में जन्म लिया, कॉलेज तक तो वो लड़का ही था। फिर अचानक प्रियम लड़की बन गया और विनीत उसे ब्याह कर अपने घर ले गया। अपने बेटे को एक मर्द की दुल्हन के रूप में देखना तक तो समझ आ रहा था, लेकिन उनके उसी बेटे को एक मर्द ने गर्भवती कैसे कर दिया और उनके बेटे ने आखिर बच्चे को जन्म कैसे दिया। ये सब अकल्पनीय था लेकिन अब उनका बेटा प्रियम सही मायनों में प्रिया बन चुकी थी और एक बच्चे की माँ होने का सम्मान भी उसे मिल चूका था। ये सब प्रिया के पेरेंट्स के सर के ऊपर से निकल रहा था, उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा था कि आखिर ऐसा कैसे हो सकता है और चमत्कारिक रूप से प्रियम का प्रिया बन जाना और एक बच्चे को जन्म देना वो भी नार्मल औरतों की तरह, ये सब प्रिया के पेरेंट्स को अंतर्द्वंद के गर्त में लिए जा रहा था। सबकुछ भुला कर, पास्ट की परवाह किये बगैर प्रिया के पेरेंट्स ने उसे अब सही मायनों में स्त्री रूप में स्वीकार कर लिया था और प्रिया की बेटी को अपनी गोद में लेकर सभी ने अपना अपना आशीर्वाद भी दिया। 

प्रिया की मम्मी -  प्रिया बधाई हो बेटी, तू माँ बन चुकी है। मैं नानी और तेरे पापा नाना बन चुके हैं। 

प्रिया - थैंक यू मम्मी!

प्रिया की भाभी - प्रिया, कांग्रच्युलेशन्स। 

प्रिया - थैंक्स भाभी!

प्रिया की मम्मी - अब तो घर आ जा, मैं तेरा और मेरी नतिनी दोनों का ख्याल भी रख लुंगी। 

प्रिया की सास - समधन जी, मुझे भी तो दादी का सुख भोगने दो। प्रिया अभी कहीं नहीं जाएगी, मैं खुद से प्रिया का ख़ास ख्याल रखूंगी। आप घर आ जाना कुछ दिनों के लिए, इससे मेरी पोती को नानी का भी आशीष मिल जायेगा!

प्रिया की मम्मी कुछ बोल नहीं सकी. लेकिन उसने फैसला किया कि वो प्रिया के घर कुछ दिनों के लिए चली जायेगी ताकि प्रिया का खास ध्यान रख सके! थोड़ी देर तक अपनी माँ, भाभी पापा और भैया से बात करने के बाद वे वहां से चले गए और प्रिया एक बार फिर अपने बच्चे को अपना दूध पिलाने लगी।

अब दो साल गुज़र चूका था। एक और दिन शुरू हुआ! प्रिया ने धीरे से विनीत का हाथ अपने ऊपर से हटाया और धीरे से उठ बाथरूम गयी! फिर नाइटी उतारकर, कपडे धोने बैठ गयी। शादी के बाद औरतों की लाइफ कैसी होती है ये प्रिया को अब समझ आने लगा था। प्रिया की बेटी को अपनी गोद में लिए विनीत काफी देर तक सोता रहा। इधर प्रिया घर के कामकाज में लगी रही। कपडे धोने और नाहा धो लेने के बाद प्रिया ने पुशअप ब्रा और पैंटी पहनी! सुबह सुबह बिलकुल समय नहीं मिलता, विनीत और प्रिया की सास यानी प्रेरणा को हमेशा प्रिया का सजा धजा रहना, सोलह श्रृंगार में रहना  पसंद है, इसलिए सीने पर तौलिया लपेटकर प्रिया सजने संवारने बैठ गयी। जुड़ा बनाया, नाक में प्यारी सी डिज़ाइनर नथिया डाली, आँखों में काजल लगाई, गहरे लाल रंग का लिपिस्टिक और नेल पोलिश, कानो में झुमके और पुरे हाथ में चूड़ियाँ, पायल, माथे पर दोनों भौहों के बीच एक छोटी सी बिंदी और मांग में सिन्दूर, गले में विनीत के नाम का मंगलसूत्र पहनी। ऐसे सजने के बाद प्रिया खुद को देखती है तो कई बार खो जाती है अतीत में। खैर अभी समय नहीं है कुछ सोचने का। प्रिया ने जल्दी से उठ कर चाय बनाई, पहले अपनी सास को चाय दी फिर और विनीत को प्यार से उठाया। विनीत उठते ही प्रिया को अपनी बाहों में खींच कर उसके होंठों पर किस्स्स करता है। 

प्रिया - सुनिए ना! जल्दी से नाहा लीजिये और मैं नाश्ता लेकर आती हूँ। 

लेकिन विनीत बिना प्रिया को परेशान किये बना कुछ नहीं करता, वो प्रिया को अपनी बाहों में खीच कर उसे देर तक किस्स करता रहा और फिर अपनी पैंट की तरफ इशारा किया। प्रिया समझ गयी कि उसे क्या करना है। प्रिया ने अपनी बेटी की तरफ देखा, वो अभी भी गहरे नींद में सो रही थी तो प्रिया ने उसे पालने में सुला दिया। उसके बाद प्रिया ने विनीत के लंड को लॉलीपॉप की चूसना शुरू किया और ब्लोजॉब का मजा देने लगी। दस मिनट्स बाद ही विनीत ने प्रिया के मुँह में ही डिस्चार्ज कर दिया और प्रिया ने भी विनीत के स्पेर्म्स का एक एक बून्द पी गयी। अब प्रिया विनीत को ब्लो जॉब देने में जरा भी नहीं हिचकती और उसके स्पेर्म्स का एक भी बून्द बर्बाद नहीं जाने देती। प्रिया ने विनीत को खुश कर दिया। फिर विनीत मुस्कुराते हुए उठ कर फ्रेश होने गया और प्रिया भी मुंह धोकर और मेकअप सही करके, फिर से किचन में चली गयी। ये सोचकर कि थोड़ी देर बाद विनीत ही आवाज लगाएगा कपडे के लिए, इसलिए प्रिया ने उसका सूट निकल रख दिया। नास्ते के बाद ऑफिस जाने से पहले अब विनीत पहले अपनी बेटी प्रियंवदा को गोद में दुलार किया और उसके बाद प्रिया को लिपलॉक किस करने के बाद ऑफिस चला गया। आज दिन में पार्लर भी जाना था प्रिया को, इएब्रोव् काफी दिनों से नहीं बनवाई। 

फिर प्रिया सोचने बैठ गयी! "ये लाल नाख़ून, पैरों की उँगलियों की बिछुआ, कान में बड़ी बड़ी झुमकियां, नाक में प्यारी सी नथिया और चूड़ियों भरे मेरे मेहँदी लगे हाथो को देख कर अब कौन कहेगा कि ये कोमल हाथ कभी किसी मर्द के थे। इन सब बातो से अब क्या फर्क पड़ता है, अब तो यही मेरा जीवन है। पति और सास की सेवा करना, बच्चे की देखभाल करना और घर के कामकाज में पूरा दिन निकल जाता है। अब तो फुल टाइम विनीत की घरवाली बनकर उसकी सेवा कर रही हूँ, मांग में इनके नाम का सिंदूर और गले में इनके नाम का मंगलसूत्र, अब मेरा यही जीवन है। इनको गुस्सा बहुत आने लगा है, हर बात इनके हिसाब से होती है घर में। मेरा काम अब बस इनकी आज्ञा का पालन करना है। 

ये चाहते हैं मैं हमेशा सजी रहूँ, हमेशा साडी पहनू और गहनों से लदी रहूँ और मुझे ये सब करना पड़ता है, क्या कर सकती हूँ, अब विनीत मेरे पति नहीं बल्कि पति परमेश्वर बन चुके हैं। बिस्तर पर भी अब ये मेरी एक नहीं सुनते और जब से बेटी हुई है, तब से डॉटेड कान्डम पहनकर मेरे साथ सेक्स करते हैं, हालांकि मैंने इनसे कहा भी कि एक और बच्चा कर लेते हैं और ऑपरेशन करवा कर फ्री हो जाती हूँ लेकिन इन्हे अब और बच्चा नहीं चाहिए। लेकिन मेरी खुद की माँ और मेरी सास दोनों ही मुझे एक बेटे के लिए बहुत फोर्स करने लगी हैं। क्या करू, कुछ समझ नहीं आता। कुछ दिनों बाद हरियाली तीज का त्योहार आने वाला है, भाभी हर साल तीज करती हैं, इस साल तो मैं भी तीज करूंगी। 
कुछ दिनों बाद सावन शुरू हो रहा है और इस बार मैंने सोचा हुआ है कि मैं अपने पति के लिए सोलह सोमवारी का व्रत रखूंगी। ऑफिस तो लगभग छूट ही गया है, मेरी सास मुझे घर संभालने को कहती हैं और काम वो खुद देखती हैं। मैं तो उनसे बहस भी नहीं कर सकती, प्रियंवदा के जन्म के बाद मेरा फिगर खराब हो गया था लेकिन अब तो मैं पहले से भी स्लिम हो गई हूँ, अब तो ऑफिस जाने मे कोई इशू नहीं होनी चाहिए, लेकिन मेरी सास मुझे थोड़ा भी काम नहीं करने देतीं। घर मे दो दो नौकरानी हैं, किचन मे जाओ तो वो हेल्प करती हैं और वशरूम मे जाओ तो दूसरी मुझे काम नहीं करने देती। बेटी सच मे बहुत परेशान करने लगी है, मैं जब तक जागती हूँ, वो सोती है और जब मैं सोने जाती हूँ तो वो जाग कर खेलने लगती है। अब तो ऐसी लाइफ हो गई है मेरी जिसकी कल्पना भी मैंने कभी नहीं की थी। कभी नहीं सोची थी मैं कि मर्द से औरत, औरत से दुल्हन और दुल्हन से माँ बनने का सफर ऐसे इतनी जल्दी तय कर लूँगी कि सब सपने जैसा लगने लगा है।" सोचते सोचते प्रिया कब सो गई उसे पता भी नहीं चला। 

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