यूँ तो कॉलेज में मेरी बहुत सी गर्लफ्रेंड बनी और सब के सब हिन्दू लडकियां ही थी। मेरा नाम शहीद अली है और मुझे हिन्दू लडकियां बहुत ही ज्यादा पसंद थी, मेरा फोकस उन्ही पर रहता था। कॉलेज के चौथे ईयर में मेरी कॉलेज की आखिरी गर्लफ्रेंड जिसका नाम निधि था, वो मुझे बहुत चाहती थी और मुझसे शादी करना भी चाहती थी। लेकिन मेरा ऐसा कोई प्लान नहीं था, मेरा तो ब्रेकअप का प्लान था लेकिन उससे पहले एक रात बिताना चाहता था निधि के साथ भी। निधि को किसी तरह इसके लिए जब मैंने मना लिया तो मेरे चार दोस्त अली, शफीउल, साजिद और शफ़ीक़, जो मेरे बहुत करीब थे, उन्होंने भी मुझसे निधि को उनसे शेयर करने को कहा और मैं भी मान गया। इससे निधि को भी ब्रेकअप का बहाना मिल जाता और चार दोस्तों को ख़ुशी भी। उस रात जब निधि को मैं अपने फ्लैट पर लेकर आया तो मेरे चारो दोस्त भी दूसरी चाभी से दरवाज़ा खोलकर फ्लैट में आ गए और उस वक़्त मैं निधि की चुदाई कर रहा था। निधि उन्हें देखकर सकपका गई और वे चारो हमदोनो को देखकर हंसने लगे। ये प्लान मैंने ही बनाया था कि मुझे रस्सी से बांधकर वे चारो निधि के साथ जी भरके सेक्स करेंगे और फिर मुझे खोलकर वहां से निकल लेंगे। और वही हुआ, उन चारो ने मिलकर मुझे कुर्सी से बाँध दिया और कमरे में चारो अपने अपने फ़ोन की रिकॉर्डिंग ऑन करके एक साथ मिलकर निधि का रेप करने लगे। मैं लाइव सेक्स देखकर कण्ट्रोल नहीं कर सका और मैंने इमेजिनरी मास्टरबेशन शुरू कर दिया और जब उन चारों का मन भर गया तो मुझे खोलकर वहां से चले गए। उनके आते ही निधि मुझे लिपटकर रोने लगी और यहीं गलती हो गयी। निधि ने मेरा गीला अंडरवियर देखकर समझ गयी कि मैं भी इन सब में शामिल हूँ और उसने मुझे एक थप्पड़ लगाकर वहां से चल दी। उसके थप्पड़ का मतलब था, ब्रेकअप और मैं यही तो चाहता था।
काफी साल गुज़र गए, एक दिन अचानक, उस रात मैं बार में अपने कुछ दोस्तों के साथ शराब के नशे में एन्जॉय कर रहा था, फिर अचानक मुझे चक्कर सा आया। फिर वहीँ खड़े एक बॉडीबिल्डर ने मुझे संभाल लिया और अगली सुबह जब मेरी नींद खुली, तब मुझे अनुभव हुआ कि 8 इंच मोटे लंड के साथ एक वही बॉडी बिल्डर ने मेरा रेप किया था। यह थोड़ा आहत कर देने वाला क्षण था मेरे लिए। गांड में इतना दर्द हो रहा था, मैं लंगड़ाते हुए वाशरूम में किसी तरह पहुंचा और बहुत रोया और जब मैं फ्रेश होकर आया तो उस बॉडीबिल्डर ने मुझे बिस्तर पर लिटाकर मुझे सेड्यूस करना शुरू कर दिया।
मैं रेसिस्ट करने लगा तो उसने मुझे तीन चार थप्पड़ मारे, मैं रोने लगा तो उसने मुझे पेट के बल अपने जाँघों पर लिटा कर, मेरे चुतरों पर थप्पड़ों की बरसात कर दी। मेरी चुतर लाल हो गयी थी और रोते रोते मेरी आँखें भी, लेकिन उसने मुझपे जरा भी रहम नहीं किया। उस दिन उस आदमी ने मेरे साथ चार राउंड हार्डकोर सेक्स किया, कभी घोड़ी बनाकर, कभी बाहों में उठाकर, कभी मेरे पैर फैलाकर तो कभी शावर सेक्स। चार राउंड में चार बार उसने मेरी गांड में अपना स्पर्म डिस्चार्ज किया, ये बहुत ही ह्युमिलिएटिंग मोमेंट था मेरे लिए, मैं अंदर से टूट चूका था, समझ नहीं आ रहा था कि आखिर मेरे साथ ऐसा क्यों हो रहा था, कौन था ये आदमी जो मुझे चोद चोद के इतना एन्जॉय कर रहा था। इतने से भी उसका मन नहीं भरा तो उस बॉडी बिल्डर ने मुझे बाथटब में लिटाकर फिर से मेरी गांड मारी। मेरी हालत जब ख़राब हो गयी और जब मुझे वीकनेस होने लगा, तब शायद उसे थोड़ा रहम आया। मुझे दिन में सिर्फ एक बार ही खाने को दिया जाता रहा और पुरे दिन मेरी चुदाई होती। वो घर से बाहर भी जाता तो खिड़की, किंवारी, सब लॉक कर के जाता।
उस
बॉडी बिल्डर ने मुझे अगले एक महीनों तक अपने पास रखा, मैं वहां से जाना चाहता था, लेकिन
वो आदमी हमेशा दरवाज़ा लॉक रखता, ना मेरे पास मोबाइल फ़ोन था और ना ही मेरी पास अपने
दोस्तों से कांटेक्ट करने का कोई और रास्ता था। मुझे पहनने को भी कुछ भी नहीं दिया
गया और पुरे महीने मैं नंगा इस कोने से उस कोने में बैठ कर खूब रोता, लेकिन इस अनजान
आदमी को मेरे ऊपर जरा भी रहम नहीं आता। मैंने उससे हज़ार बार पूछा कि कम से कम मुझे
ये तो बताये कि वो है कौन और मुझे ऐसे बंद करके क्यों रख रखा है। लेकिन ना तो उसने
अपना नाम बताया और ना ही मुझे बंद करके रखने की वजह। वो बस मेरे पास आता तो मेरी चुदाई
करता और बिन कुछ कहे चला जाता।
वो ऐसा क्यों कर रहा था ना तो उसने मुझे एक बार भी बताया और ना ही मेरे एक भी सवाल का जवाब दिया। मुझे गे होने के जैसा फील होने लगा था अब और घिन सी आनी लगी थी, आखिर मैं ये सब कैसे होने दे सकता था लेकिन मैं उसे रोकता भी तो कैसे? छह फुट का ये बॉडीबिल्डर आदमी के सामने मैं दुबला पतला कमज़ोर सा, रेसिस्ट भी करता तो ये आदमी मेरी कलाई मरोड़ देता और थप्पड़ मारने लगता। अब तो आदत सी हो गयी थी, अब जब भी ये आदमी मुझे पास बुलाता, मैं खुद ही इसका पास चला जाता और घोड़ी बन जाता। फिर ये आदमी मेरी सवारी करता और मुझे खूब चोदता। मेरी गांड में अब पहले से कम दर्द होता और जब मुझे इस आदमी का लंड अपनी गांड में लेना अच्छा लगने लगा तो ये आदमी मुझे डेढ़ महीनों में पहली बार उसी बार में ले गया, जहाँ से उठा कर लाया था।
मैं भी शर्ट पैंट में था और ये आदमी
भी, फिर भी ये मेरी कमर में हाथ डाले पार्टी एन्जॉय करता रहा। अगली सुबह जब मेरी नींद
खुली तब मैंने खुद को अपने एक दोस्त के घर पाया। मैं आज साहिल के घर पर था, जब मैंने
अपने दोस्त को देखा तो उससे लिपट कर रोने लगा।
साहिल - डेढ़ महीने से कहाँ थे तुम?
साहिल के इस सवाल का जवाब मैं कैसे देता तो मैंने उससे झूठ कहा।
मैं - साहिल, मुझे कुछ लोगों ने किडनैप कर लिया था।
साहिल - ओह्ह! खुदा का शुक्र है, तुम ठीक हो? लेकिन अगर उन्होंने तुम्हे किडनैप
किया था तो उन्होंने तुम्हे छोड़ कैसे दिया? क्या तुमने उन्हें फिरौती भी दी?
मैं - नहीं साहिल, वे किसी और को किडनैप करने आया थे और गलती से उनके आदमियों
ने मुझे किडनैप कर लिया, मैं ठीक हूँ। लेकिन तुम मुझे क्लब से से कब लाये।
साहिल - खाली क्लब में तुम बेहोशी की हालत में थे और नेहा ने तुम्हे देखा तो
मुझे कॉल की। फिर मैं तुम्हे उठाकर यहाँ ले आया।
मैं - थैंक्स साहिल!
साहिल के पास मेरा फ़ोन भी था, उसने मुझे वो फ़ोन दिया। फ़ोन देखकर मेरा माथा
ठनका! मैं तुरंत साहिल से फ़ोन के बारे में पूछा!
साहिल - ये फ़ोन तो तुम्हारी जेब में ही था।
मैं - ओह्ह! ओके! साहिल, मुझे घर जाना है!
साहिल - चले जाना, कुछ दिन आराम तो कर लो! वैसे भी तुम्हारे अम्मी अब्बू को
शायद इस बारे में कुछ पता नहीं तभी तो उन्होंने तुम्हारे बारे में जानने की कोशिश भी
नहीं की!
मैं - वे बिज़ी रहे होंगे!
साहिल - इतना भी क्या बिज़ी कि अपने बेटे से दिन में एक बार बात ना करें!
मैं - वो क्या है ना साहिल, मेरे अब्बू के इंतेक़ाल के बाद ये मेरी अम्मी की
दूसरी शादी है।
साहिल - ओह्ह, सॉरी! तो आगे का क्या! जॉब नहीं करोगे?
मैं - हाँ हाँ, जॉब नहीं करूँगा तो कमाऊंगा कहाँ से?
साहिल - हम्म! एक नए जगह इंटरव्यू देने जा रहा हूँ कल, तुम चलोगे साथ!
मैं - हाँ हाँ, जरूर!
अगले दिन मैं और साहिल इंटरव्यू के लिए गुडगाँव सेक्टर ५० स्थित मल्टीनेशनल
कंपनी में आये। पहले साहिल इंटरव्यू देने गया लेकिन शायद उसका सिलेक्शन नहीं हुआ था
लेकिन जब मैं इंटरव्यू देने गया तो मेरा सिलेक्शन तुरंत हो गया।
साहिल - बधाई हो दोस्त! तुम सेकंड राउंड के लिए प्रिपेयर करो, मैं साथ वाली
बिल्डिंग में इंटरव्यू देकर आता हूँ।
मैं - ओके!
सेकंड राउंड डिपार्टमेंटल लोग इंटरव्यू लेने वाले थे और मैं वहां भी सेलेक्ट
हो गया था। एक्चुअली क्या है ना, मेरी मैनेजमेंट स्किल्स बहुत ही अच्छी थी और उन सभी
को मेरे मैनेजमेंट स्किल्स बहुत पसंद आया। तीसरा राउंड फाइनल राउंड होने वाला था जो
कंपनी के ओनर के सामने होने वाला था। जब मैं उस राउंड के लिए सेलेक्ट हो गया तब मुझे
कहा गया कि कंपनी ओनर अगले दिन इंटरव्यू लेंगे। मैंने भी डॉक्यूमेंटेशन करवा लिया और
साहिल का इंतज़ार करने लगा। थोड़ी देर बाद साहिल मुस्कुराता हुआ मेरे पास आया।
साहिल - मेरा सिलेक्शन हो गया शाहिद! आई एम् सो हैप्पी! अगले महीने के एक तारीख
से मुझे जॉब पर जाना है।
मैं - कॉन्ग्रैचुलेशन्स साहिल!
साहिल - तू बता, तेरा सिलेक्शन हो गया?
मैं - नहीं, अभी फाइनल राउंड का इंटरव्यू बचा हुआ है।
साहिल - चल हो जायेगा। क्लब चलते हैं, पार्टी करते हैं।
मैं और साहिल क्लब गए। मैंने और साहिल ने ड्रिंक्स आर्डर किये। एक ओर जहाँ साहिल ड्रिंक्स और लड़कियों के साथ एन्जॉय कर रहा था, वहीँ मैं चुपचाप बैठा ड्रिंक्स के साथ उन बॉडी बिल्डर्स को देख देख कर शर्मा रहा था, जो लड़कियों के साथ एन्जॉय कर रहे थे।
मैं भी लड़कियों में इंटरेस्ट लेने की कोशिश कर रहा था, लेकिन मेरी नज़र सिर्फ बॉडी बिल्डर आदमियों को देखने को बेताब हो रही थी। मुझे क्या हो गया था, मेरी नज़रें अभी भी उस अनजान बॉडी बिल्डर को ढूंढ रही थी जिसकी वजह से आज मैं गे होने की फीलिंग्स लिए बैठा था। साहिल ने तो क्लब में खूब एन्जॉय किया लेकिन मैंने नहीं! मैं तो बस बैठा रहा, ड्रिंक्स पीता रहा। जब मेरे ऊपर नशा छाने लगा तो मैंने साहिल से चलने को कहा। साहिल भी नशे में धुत्त था और मेरे बार बार रिक्वेस्ट करने पर वो मेरे साथ घर आ गया। हमदोनो एक ही बिस्तर पर सो गए। साहिल तो बिस्तर पर पड़ते ही सो गया लेकिन मुझे नींद नहीं आ रही थी। मेरे अंदर एक अजीब सी बेचैनी थी जो मुझे सोने नहीं दे रही थी। किसी तरह मुझे नींद आयी और सुबह एक फ़ोन कॉल ने मुझे नींद से जगा दिया। वो कॉल उसी कंपनी से था, जहाँ मुझे तीसरे राउंड का इंटरव्यू देना बाकी था। उन्होंने मुझे बताया कि मेरा सिलेक्शन हो गया है और तीसरे राउंड का इंटरव्यू अब नहीं होगा। फिर उन्होंने मुझसे दो दिनों के बाद जॉब ज्वाइन करने को कहा और मैंने भी एक्साइटमेंट में हामी भरी। थोड़ी देर में साहिल अंदर आया तो मैंने उसे अपने सिलेक्शन के बारे में बताया तो वो भी बहुत खुश हुआ। हमदोनो ने पार्टी की, नेहा को भी पार्टी में बुलाया और साथ ही कुछ और दोस्तों को भी। रात को हम सब पार्टी करने क्लब गए और हमने खूब मस्ती की।
इस दौरान अचानक मेरे सर में तेज़ चक्कर सा आया और पास खड़े एक आदमी ने मुझे सहारा देकर सोफे पर बिठाया। मेरे किसी दोस्त को मेरी परवाह नहीं थी, डीजे के धुन पर सभी मस्ती कर रहे थे और मुझे कुछ साफ़ नहीं दिख रहा था। आधे घंटे बाद जब मेरी नींद खुली तो मैं फिर से उसी फ्लैट में था जहाँ वो बॉडीबिल्डर आदमी मुझे ले गया था। देखते ही देखते वो मेरे पास आया तो उसका धुंधला चेहरा साफ़ हो गया। ये तो वही आदमी था जिसने मुझे डेढ़ महीने अपने पास रखकर मेरी खूब चुदाई की थी। पहले तो मैं डर गया, लेकिन फिर मैंने हिम्मत दिखाने की कोशिश की। लेकिन मेरी ये कोशिश तब नाकाम हो गयी जब वो आदमी मेरे पास आने लगा। मुझे डर लगने लगा तो मैं भी अपने दोनों हाथों से अपने दोनों पैरों को समेटकर उससे दूर होने की कोशिश करने लगा। अब वो मेरे इतने करीब आ गया था कि डर से मैंने अपनी आँखें बंद कर ली। वो मेरे पास आया, उसने मेरी कमर पकड़ कर मुझे अपने बाहों में समेट लिया और मेरे होंठों को चूमने लगा। अल्लाह, ये क्या हो रहा था मेरे साथ, एक मर्द मेरे होंठों को चुम रहा था, उसकी गर्म साँसों की महक मेरे साँसों में घुल रही थी। मैं चाह कर भी उससे दूर नहीं हो पा रहा था और वो मुझे चूमे जा रहा था। अब मुझसे नहीं रहा गया तो किसी तरह मैंने खुद को उस आदमी के जकड़न से छुड़ाया। वो मुझे देखकर मुस्कुराने लगा और मैं आंसू पोछते हुए उसे गुस्से में देख रहा था।
मैं - ये तुम क्या करना चाह रहे हो मेरे साथ?
वो आदमी - वही जो तुम समझ रहे हो शाहिद अली!
मैं - तुम मेरा नाम कैसे जानते हो? कौन हो तुम?
वो आदमी - मेरा नाम सूरज शर्मा है, निधि शर्मा का भाई! अब ये मत पूछना कि निधि
शर्मा कौन है?
मैं - वो मेरी एक्स है, तो तुम निधि के वही भाई हो जो दुबई में रहता था!
सूरज - हाँ मेरी जान!
मैं - डोंट कॉल मी जान!
सूरज - नखरे, उफ़! तुम्हारे नखरे पर ही तो फ़िदा हूँ मैं!
मैं - व्हाट!
सूरज - निधि ने बताया था कि तुम बड़े नखरीले हो, लेकिन मेरे साथ ये सब नहीं
चलेगा, समझे तुम!
मैं - तुम तो ऐसे बात कर रहे हो जैसे तुम मेरे बॉयफ्रेंड हो!
सूरज - तुम्हारा बॉयफ्रेंड ही तो हूँ!
मैं - व्हाट द फ़क! आई एम् नॉट अ गे!
सूरज - सीरियसली! मैं तो चाहता भी नहीं कि तुम्हारे अंदर गे जैसी फीलिंग आये।
मैं तो तुम्हारे अंदर की औरत को जगाना चाहता हूँ!
मैं - दिस इज़ नॉट फेयर!
सूरज - और जो तुमने मेरी बहन के साथ किया, क्या वो फेयर था?
मैं - मैंने निधि से माफ़ी मांगी थी।
सूरज - लेकिन उसने तुम्हे माफ़ नहीं किया था जान!
मैं - डोंट कॉल में जान!
सूरज गुस्सा हो गया, उसने मुझे एक लंबों बालों वाला एक विग पहना दिया और उसने मुझे तीन चार थप्पड़ यूँ ही लगा दिया। सूरज ने मुझे न्यूड कर दिया और खुद भी न्यूड हो गया। मैं उससे दूर होने की कोशिश करने लगा तो उसने मुझे बाहों में जकड कर मुझे स्मूच करने लगा। मेरे एक एक बॉडी पार्ट्स को वो चूमता जा रहा था और मैं कुछ भी नहीं कर पा रहा था, सिवाए रोने और गिड़गिड़ाने के। फिर सूरज का मोटा लम्बा लंड मेरे सामने था और सूरज ने मेरे बाल पकड़ कर अपना लंड घुसा दिया और अपना लंड मेरे मुँह में बार बार घुसा रहा था थो कभी बाहर निकाल रहा था। मेरा तो दम ही घुट रहा था, ये जो वो मेरे साथ कर रहा था, इसे ब्लोजॉब कहते हैं। मैंने हज़ार बार ब्लू फिल्म्स में देखा है कि कैसे ब्लोजॉब देते हैं! लेकिन कभी सोचा नहीं था कि एक दिन ऐसा भी आएगा, जब मैं खुद किसी मर्द का लंड अपने मुँह में लेकर उसे ब्लोजॉब का मजा दूंगा। अगले दस मिनट्स तक सूरज मेरे मुँह में अपना लंड अंदर बाहर करता रहा और फिर उसने मेरे चेहरे को ऊपर उठाया और मेरी आँखों में देखने लगा। शर्म से मैंने अपनी आँखें झुका ली तो उसने मुझे घुटनों से उठाकर बाहों में ले लिया और अपने लंड को मेरी गांड की छेद पर टीकाकार मेरी छाती को चूसने लगा मानो उसे मेरी छाती से दूध मिल रहा हो।
लेकिन जैसे जैसे सूरज मेरी छाती की निप्पल्स को चूस रहा था मुझे एक्साइटमेंट होने लगी और मैं आँखें बंद करके उस फीलिंग को एन्जॉय करने की कोशिश करने लगा। सूरज ने मुझे आँहें भरते देखा और वो और भी एक्साइटेड हो गया और मेरे गांड में अपना पूरा लंड एक झटके में घुसा दिया और स्ट्रोक्स पर स्ट्रोक्स देने लगा। सूरज के हर स्ट्रोक्स के साथ मेरी आँहें निकलती। अल्लाह, इतना मोटा और बड़ा लंड है इसका, सूरज से चुदाई के दौरान मैं ये सोच रहा था। व्हाट अ शेम!
मुझे अपने ऊपर भरोसा नहीं हो रहा था कि सूरज मुझे चोद रहा था और मैं सिसकियाँ ले रहा था। आई डोंट नो कितने देर से सूरज मुझे चोद रहा था लेकिन जैसे ही उसने मेरे गांड में अपने स्पेर्म्स को डिस्चार्ज किया, मेरा स्पर्म भी डिस्चार्ज हो गया और मेरी आँखों के सामने अँधेरा छाने लगा। थोड़ी देर तक सूरज वैसे ही मुझे होल्ड करके रखा लेकिन उसने अपना लंड बाहर नहीं निकाला। इधर मेरा लंड सिकुड़कर आधा इंच का रह गया था। अपनी मर्दानगी के ऊपर भी आज मुझे इतना शर्मिंदगी का सामना करना पड़ रहा था और सूरज ने मुझे बिस्तर पर लिटा दिया, मेरे दोनों पैरों को हवा में फैला दिया और मेरी चुदाई शुरू कर दी।
मेरी गांड सूरज के स्पेर्म्स से लबालब भरी थी और जब वो मेरी चुदाई कर रहा था तब फच फच की आवाज़ आ रही थी। बहुत बुरा फील हुआ मुझे लेकिन सूरज तो प्राउड फील कर रहा था। आज मेरी ही एक्स गर्लफ्रेंड का भाई मेरा रेप कर रहा था और मैं चुद रहा था। शर्म से मुझे आत्महत्या करने का मन हो रहा था और मैंने ठान लिया कि मैं इनसब के बाद मैं सुसाइड कर लूंगा। लेकिन सुसाइड कर लेना इतना आसान कहाँ, बहुत हिम्मत चाहिए होती है जो मुझमे नहीं थी। अगर होती तो आज सूरज मेरी चुदाई ना कर रहा होता। थोड़ी देर की चुदाई के बाद सूरज दूसरी बार मेरी गांड के अंदर अपना स्पेर्म्स डिस्चार्ज किया और मैं अपने गांड से बाहर आते उस लिक्विड को देखकर और भी ज्यादा आहत हुआ। फिर सूरज मुझे वाशरूम में ले गया जहाँ शावर के नीचे और आईने के सामने खड़ा करके, उसने एक राउंड और हार्डकोर सेक्स किया जिसके बाद मेरी गांड में इतना दर्द होने लगा कि मैं बेहोश हो गया। अगली सुबह जब मेरी नींद खुली तो मैं बिस्तर पर अकेला था। दरवाज़ा लॉक था और फ्लैट में कोई भी नहीं था। मैं किसी तरह लंगड़ाते हुए वाशरूम में गया, अपनी हालत देखकर आईने के सामने खड़ा होकर बहुत रोया। फिर मुझे याद आया कि मुझे कल होकर नौकरी ज्वाइन करनी है लेकिन यहाँ से कैसे निकलूं! तभी दरवाज़े पर नॉक हुआ तो मैं सीधे बिस्तर में चला गया और चादर से अपने नंगे बदन को ढंक लिया। क़दमों की आहट सुनकर ऐसा लग रहा था मानो एक से ज्यादा लोग हैं। मैं चुपचाप सेहमा सिकुड़ा बिस्तर में बैठा था कि सामने निधि आ गयी सूरज के साथ। निधि ने मुझे देखा और मैंने डरते हुए उसकी ओर।
निधि - हाहाहाहा, कैसा लगा रहा है शाहिद?
मैंने कुछ नहीं कहा!
निधि - अरे बोलो भी मेरी जान! भैया, ये क्या कर दिया है आपने मेरे एक्स बॉयफ्रेंड
को, ये कुछ बोलता क्यों नहीं!
सूरज - ये ऐसे थोड़ी ना बोलेगा, इसकी गांड में मेरा लंड जायेगा, तब इसके मुँह
से आवाज़ निकलेगी। दिखाऊं!
मैं इतना डर गया कि मैंने निधि से कहा - आई डोंट नो, बहुत बुरा लग रहा है निधि!
निधि - अरे वाह भैया, मुझे तो लगा ये बोलेगा भी नहीं!
सूरज - इसकी आवाज़ इससे ज्यादा तो चुदते वक़्त निकलती है निधि!
निधि - मैं कैसे मान लूँ भैया?
सूरज - तुम सोफे पर बैठो और नज़ारा देखो!
मेरी तो हालत ही ख़राब हो गयी सूरज और निधि की बातें सुनकर! सूरज मुझे निधि
के सामने चोदेगा, अरे नहीं नहीं!
मैं - नहीं सूरज प्लीज्, मेरी गांड में वैसे ही बहुत दर्द है।
सूरज - देखो निधि, तुम्हारा एक्स बॉयफ्रेंड तो इतना नखरीला है, इतनी नखरीली
तो मेरी गर्लफ्रेंड भी नहीं!
निधि - भैया, किसकी सुन रहे हो, शुरू हो जाओ!
फिर क्या था, सूरज ने आव देखा ना ताव, बिस्तर से चादर सहित मुझे खिंच लिया
और मुझे बाहों में भरकर उठा लिया। इससे पहले कि मैं रेसिस्ट करता, सूरज के होंठ ने
मेरे होंठों को सील दिया और उसके मोटे लंड में मेरी गांड की छेद को। मेरी एक्स गर्लफ्रेंड
निधि के सामने सूरज मेरी चुदाई करने लगा और वो भी हार्डकोर। और मैं आँहें भरने, जोर
जोर से चिलाने, सिसकियाँ लेने और दर्द बर्दाश्त करने के सिवा कुछ नहीं कर पा रहा था।
आधे घंटे की चुदाई के बाद सूरज ने मेरी गांड में अपना स्पर्म डिस्चार्ज किया और मेरा
स्पर्म भी डिस्चार्ज हो गया, मेरी आँखों के आगे अँधेरा छाने लगा और मैं सूरज की बाहों
में ही बेसुध होकर झूल गया। लेकिन सूरज और निधि की बातें मुझे साफ़ साफ़ सुनाई दे रही
थी।
निधि - हाहाहा, अरे भैया, ये तो एक राउंड में ही ढेर हो गया।
सूरज - हाँ, इसमें जान तो बिलकुल भी नहीं है। तुम्हे लगता है कि ये मुझे लाइफटाइम
झेल पायेगा।
निधि - डोंट वोर्री भैया, कहाँ सुपरमैन जैसे मेरे भैया और कहाँ नाज़ुक सा मेरा
एक्स बॉयफ्रेंड।
सूरज - हाँ, ये तो सच में बहुत नाज़ुक है। अब तुम आ गयी हो तो मेरा एक काम करोगी?
निधि - हाँ, बोलो ना भैया!
सूरज - इसे साड़ी पहना दो, मेकअप कर दो और ज्वेलरी और हील्स हो तो वो भी पहना
देना।
निधि - भैया, उसके लिए तो मार्किट जाना पड़ेगा। लेकिन कोई बात नहीं, मैं मार्किट से ये सब ले आउंगी और वैसे भी अभी सुबह के ग्यारह बज रहे हैं। आज की रात तो मैं इसे आपकी दुल्हन की तरह सजाऊंगी, बड़ा मजा आएगा। आज आपकी और मेरे एक्स की वीडियो भी बनाउंगी, आप दोनों की सुहागरात की।
मैं ये सब सुन रहा था और सूरज अभी भी मुझे अपनी बाहों में लिए खड़ा ही था। पता नहीं किसका इंतज़ार कर रहा था, मेरी गांड में इतना दर्द हो रहा था कि अपने आंसुओं को रोकना मेरे लिए मुश्किलातों भरा था। निधि के कहने पर सूरज ने मुझे बिस्तर पर पटक दिया और दोनों बाहर वाले हॉल में चले गए। मैं दर्द से अपने आप को बिस्तर में सिकुड़ गया और आँखों में आंसू लिए थोड़ी देर रेस्ट करने लगा। थोड़ी देर बाद निधि कमरे में आयी और मुझे खाना देकर वहां से चली गयी। मैंने खाने से इंकार कर दिया तो निधि गुस्सा होने लगी।
निधि - तुम सच में बहुत नखरीले हो शाहिद, भैया को बुलाऊँ?
मैं - नहीं नहीं, मैं खा लूंगा!
निधि हँसते हुए वहां से जाने लगी तो मैंने उसे रुकने को कहा और वो रुक गयी।
निधि - बोलो शाहिद!
मैं - निधि, कल से मेरी जोइनिंग है, मुझे प्लीज् जाने दो!
निधि - हाहाहाहा, गुडगाँव सेक्टर 50 वाली कंपनी में तुम्हारी जोइनिंग हुई है
ना!
मैं (आश्चर्य से) - हाँ, तुम्हे कैसे पता!
निधि - ये तो भैया की ही कंपनी है, तुम्हे तो अब यहीं रहना है और भैया को खुश
रखना है। तुम्हे सैलरी भी मिलेगी जैसे तुम्हे बताया गया है, डोंट वोर्री!
मैं - या खुदा, ये कहाँ फंस गया मैं?
निधि - बुरे फंसे हो शाहिद!
मैं - तुम मेरे साथ ऐसा क्यों कर रही हो निधि?
निधि - क्यों? गाली सुनने का मन है क्या? याद नहीं तुमने मेरे साथ क्या किया
था? अपने चार दोस्तों के साथ मिलकर मुझे नशा देकर मेरे साथ रेप किया था। तब मैं चुप
रही क्यूंकि तुमने मेरी उन चार लड़कों के साथ फिल्म बनाई थी और अब तुम्हारे चुप रहने
की बारी है जान!
मैं - उसके लिए मैंने तुमसे माफ़ी मांगी थी और तुमने मुझे माफ़ भी कर दिया था।
निधि - इसी दिन के लिए तो माफ़ किया था, अब यही तुम्हारी लाइफ है शाहिद, इस
लाइफ में खुद को एडजस्ट करना सिख लो।
मैं - तो फिर उन चारों का क्या? वो भी तो शामिल थे इसमें!
निधि - कौन चारों? अली, शफीउल, शफ़ीक़, साजिद! तुम उन चारों की बात कर रहे हो,
जिन्हे भैया पहले ही ठिकाने लगा चुके हैं।
मैं - ठिकाने लगा चुके?
निधि - हाँ, उन चारों से मिलना है और जानना है कि वे किस कंडीशन में हैं तो
इसके लिए हमें मुंबई चलना पड़ेगा, जहाँ उन चारों को रेड लाइट एरिया में धंधा करने को
रख दिया गया है। अली अब आलिया बन चूका है, शफीउल सुनैना, शफ़ीक़ सोफिया और साजिद को साज़िया
बना दिया गया है और उन चारों का लंड काटकर, वजाइना डेवेलोप करके धंधा करवाने बिठा दिया
गया है। वे चारों माँ तो नहीं बन सकतीं, लेकिन सेक्स का आनंद जरूर ले सकती हैं।
मैं शॉक्ड हो गया निधि की बातें सुनकर। मुझे यकीन नहीं हुआ तो निधि ने मुझे वीडियो में दिखाया कि कैसे मेरे चारों दोस्तों को मर्द बेदर्दी से चोद रहे थे। मुझसे देखा नहीं गया ये सब, डर के मारे मेरी हालत खराब हुई जा रही थी। मैं निधि के कदमों में गिर गया और फिर से माफ़ी मांगने लगा लेकिन वो नहीं मानी और वहां से उठकर चली गयी। अब मैं समझ चूका था कि मेरी लाइफ स्क्रू हो चुकी, मेरा कुछ नहीं हो सकता। अली, शफीउल, शफ़ीक़ और साजिद के साथ जो कुछ भी किया इन्होने और अब उन चारो के साथ जो कुछ भी होता देखा मैंने, ये सब काफी डरावना था। या अल्लाह, काश उस दिन मैंने वो गलती ना की होती तो आज ये दिन नहीं देखना पड़ता। निधि अपना बदला लेना चाहती है और उसका भाई मुझे आलरेडी मेरा रेप कर चूका था। शायद इनके पास मेरी भी वीडियो रही हो, इससे क्या फरक पड़ता है, निधि के सामने सूरज ने मेरी चुदाई की है और वो आगे क्या करने वाला है ये मैं नहीं जानता।
निधि - क्या सोच रहे हो शाहिद?
मैंने कुछ भी नहीं कहा, हिम्मत ही नहीं हो रही थी।
निधि - बोलो मेरी जान! आज तो बहुत मजा आएगा, आज भैया तुम्हे साड़ी में देखने
की जिद में बैठे हैं।
मैं (रोते हुए) - मुझे साड़ी नहीं पहनना!
निधि - हाहाहा, वो तो तुम नहीं बल्कि मेरे भैया डिसाईड करेंगे। खुद को तैयार
कर लो, आज रात तुम्हारी पहली सुहागरात है।
मैं (रोते हुए) - निधि प्लीज्, मुझे छोड़ तो, जाने दो ना प्लीज्! मैं ये शहर
छोड़ दूंगा, कहीं दूर चला जाऊंगा तुम्हारी नज़रों के सामने से।
निधि - तभी तो नहीं जाने दे रही मैं। अब तुम्हारी जिंदगी इसी घर में कटेगी।
मैं (रोते हुए) - तो मेरे अम्मी अब्बू का क्या?
निधि - हाहाहाहा, भूल जाओ अपने अम्मी अब्बू को, कौन सा उन्हें तुम्हारी फिक्र
रहती है?
मैं (रोते हुए) - लेकिन मुझे तो उनकी फिक्र रहती है!
निधि - तब भी, अब यही तुम्हारी लाइफ है, इसे जितना जल्दी एक्सेप्ट कर लो, तुम्हारे
लिए उतना ही अच्छा है। अब लड़कियों की तरह रोना बंद करो, भैया आते ही होंगे, पहले खाना
खा लो नहीं तो भैया आ गए तो वो तुम्हे खाना खाने नहीं देंगे।
मैं (रोते हुए) - हम्म!
मैंने खाना खाया और टॉवल लेकर वाशरूम में नहाने चला गया। जब मैं नहा रहा था तब मैंने गौर किया कि मेरी छाती पर सूरज के लव बाइट्स के निशान थे, वही निशाँ मेरे गले पर, मेरे होंठों के नीचे और मेरी पीठ पर भी थे। इट वज शेमफुल सिचुएशन फॉर मी। मैं एक सेक्स ऑब्जेक्ट बन चूका था जिसे सूरज जब चाहे तब चोद सकता था और मैं मेंटली और फिजिकली इतना कमज़ोर हो गया था कि रेसिस्ट भी नहीं कर सकता था।
थोड़ी देर बाद सूरज आया तो निधि मार्किट चली गयी, मैं बिस्तर में लेटा हुआ था तो सूरज भी मेरे बगल में लेट गया और मेरे साथ रोमांस करने लगा। कभी मेरे होंठ चूमता तो कभी मेरे गले पर किस करता, वो मुझे नंगा करके मेरे अंग अंग को चुम रहा था मानो आज वो मुझे खा जायेगा। मैं छटपटा रहा था, लेकिन उसे इससे क्या, उसे तो बस मुझे चोदने से मतलब था और उसने वही किया। मुझे घोड़ी बनाकर पीछे से मेरे बाल पकड़कर मेरी गांड में अपना लंड डालकर सूरज मुझे चोदने लगा और तब तक चोदता रहा जबतक मैं बेहोश नहीं हो गया। जब मैं बेहोशी से जागा तो मैं बिस्तर पर पेट के बल लेटा था और सूरज मेरे ऊपर लेटा हुआ था। सूरज का लंड अभी भी मेरी गांड में था और वो लम्बी लम्बी साँसे ले रहा था। अचानक मुझे टॉयलेट लग गया तो मैंने सूरज को जगाया और उससे कहा कि मुझे वाशरूम जाना है। सूरज ने जब मेरी गांड में से अपना लंड बाहर निकाला तब बहुत राहत मिली। मैं वाशरूम में गया, फ्रेश हुआ, मेरी गांड से सूरज का ढेर सारा स्पर्म बाहर निकला और मै शावर खोल कर नहाने लगा। दिन में दूसरी बार नहाने के बाद जब मैं कमरे में आया तो देखा कि निधि आ चुकी है और वो सूरज से बात कर रही थी। बिस्तर पर बहुत सारे बैग्स थे, आई डोंट नो उसमे क्या था। मैंने टॉवल से खुद को सुखाया और अच्छे से लपेट कर वहीँ खड़ा रहा। फिर सूरज ने मेरी कलाई पकड़ी और अपने जाँघ पर बिठा लिया। शर्म से मेरी आँखें आंसुओं से भर गयी और नज़रें खुद ब खुद झुक गयी।
निधि - कुछ भी कहो भैया, शाहिद को असल जिंदगी में लड़की बनाया जाए तो ये बहुत
ही संस्कारी हाउसवाइफ साबित हो सकती है।
सूरज - वो तो आज की रात पता चल ही जायेगा।
निधि - आप एक काम करो भैया, खाने के लिए मार्किट से कुछ आर्डर कर लो, आपकी
दुल्हन को तैयार करने में काफी टाइम लगेगा।
सूरज - ठीक है निधि, मैं मार्किट जा रहा हूँ।
फिर सूरज ने निधि के सामने एक बार फिर से मुझे होंठों पर स्मूच करके मार्किट
चला गया।
निधि - मुझे ऐसा क्यों लग रहा है मानो सूरज भैया को तुम बहुत पसंद हो?
मैं - आई डोंट नो!
निधि - कह तो ऐसे रहे हो जैसे तुम्हे कुछ मालुम नहीं!
मैं - क्या मालुम नहीं?
निधि - यही कि भैया तुम्हे बहुत पसंद करने लगे हैं। वो कहते हैं कि तुमसे खूबसूरत
लड़का उन्होंने लाइफ में कभी नहीं देखा। वैसे भी सुहागरात के बाद तुम हमेशा के लिए लड़की
बन जाओगे शाहिद, फिर तुम्हारा नाम क्या होगा, शाहिना, शाहिज़ा, शहनाज़, मधु या हिना?
मैं - आई डोंट नो! मुझे लड़की नहीं बनना!
निधि - हम्म! लड़की नहीं बनना, तुम्हारे कहने से क्या होता है, वो तो अब मेरे
भैया डिसाईड करेंगे कि वो तुम्हे लड़की बनाते हैं, शीमेल बनाते हैं या तुम्हारे क्रॉसड्रेसिंग
से उनका काम चल जायेगा। कोई नहीं, तुम्हारा नामकरण भी मैं भैया से ही करवा दूंगी।
मैं (गिड़गिड़ाते हुए) - आई एम् सॉरी निधि, मैंने तुम्हारे साथ जो कुछ भी किया,
बहुत गलत किया। शायद अल्लाह मुझे इसी गुनाह की सजा दे रहा है।
निधि - बात तो बिलकुल ही सही है। तुम्हारे कुकृत्य की सजा तो इससे भी भयानक
होनी चाहिए। मुझे तू तुम्हारे चार दोस्तों ने मिलकर रेप किया था और तुम्हे सिर्फ भैया
चोदे ये कहाँ का इन्साफ है। इसके लिए कुछ करना तो पड़ेगा ही।
मैं (रोते और गिड़गिड़ाते हुए) - निधि प्लीज्, ऐसे मत कहो! तुम आलरेडी मुझे इतना
ह्युमिलियेट कर चुकी हो कि अब मेरे पास आत्महत्या के अलावे कोई और रास्ता नहीं बचा
है।
निधि - आत्महत्या, हाहाहा, वो तो मैं तुम्हे करने दूंगी नहीं। याद है, उस दिन
मैं भी ऐसे ही रो रही थी, तुम और तुम्हारे चारो दोस्त कैसे हंस रहे थे, अगर ये बात
याद नहीं तो वीडियो तो है ही ना तुम्हारे पास, देख लो। अब ना तुम्हे चैन से जीने दूंगी
और ना ही चैन से मरने दूंगी, तुम्हारी लाइफ हेल ना बना दी तो मेरा नाम बदल देना।
इससे पहले कि मैं कुछ कहता।
निधि - अब तुम चुप होकर बैठो आईने के सामने! तुम्हे मेकअप में ही दो घंटे लग
जाने हैं और अगर मैं तुझसे बात करती रह गयी तो और टाइम वेस्ट होगा।
निधि मुझे आईने के सामने बिठा दी और मेरा मेकअप करना शुरू कर दी। निधि पहले तो मेरे आइब्रो बनाने लगी और उसके बाद मेरे अपरलिप्स, डार्क सर्कल्स और ब्लैक हेड्स के लिए स्क्रब करने लगी। बहुत ही ज्यादा पेनफुल प्रोसीजर था, मेरे आइब्रो, अपरलिप्स और नाक पर जलन मेहसुस होने लगा। मेरी आँखों में आंसू आ गया तो निधि मुझे डांटने लगी कि ज्यादा रोने से मेकअप ख़राब हो जाता है। मैं अपने आंसू पोछने लगा तो निधि मुझे एक लोशन का डिब्बा पकड़ा दी और उसे पुरे शरीर पर लगाने को बोली और साथ ही ये भी बोली कि इसे सर के बालों और आइब्रो में ना लगाऊं। जैसा निधि ने कहा, मैंने वैसा ही किया और आधे घंटे तक मैं वैसा ही बैठा रहा। फिर निधि मुझसे नहाकर आने को बोली। मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि जब मैं नहा रहा था तब मेरे स्किन में बहुत ज्यादा स्मूथनेस और सॉफ्टनेस आ गया था। फिर मैंने टॉवल से खुद को सुखाया, मेरे शरीर पर एक बाल के रोयें भी नहीं थे। उसके बाद मेरा मेकअप शुरू हुआ जो अगले दो घंटे तक चलता रहा। मैनीक्योर और पैडीक्योर के बाद मेरे हाथों और पैरों में मेहँदी लगाकर मेरे चेहरे पर फेसपैक और पता नहीं क्या क्या लगाने लगी। दो घंटे बाद एक ऑइंटमेंट मेरे हाथों और पैरों में लगाई और एक फेसवाश मेरे हाथ में एक फेसवाश पकड़ा दी।
निधि - अब जाओ, फेसवाश से चेहरा धो लेना और अपने हाथ और पैरों को भी अच्छे
से धो लेना।
जैसा निधि ने कहा, वैसा मैं कर आया। मेरे मेहँदी भरी कलाई और घुटनों तक पैरों में मेहँदी देखकर मुझे अपनी हालत का अंदाजा होने लगा था कि अब मेरी आगे की लाइफ कैसी होने वाली है। मैं टॉवल लपेटकर बैठा तो निधि ने मेरे गाल पर काफी जोर से थप्पड़ मारी। अचानक थप्पड़ पड़ते ही मेरा गाल लाल हो गया। इससे पहले कि मैं कुछ समझ पाता, निधि ने मुझे दूसरे गाल पर भी जोर से थप्पड़ मारी। मेरी दूसरी गाल भी लाल हो गयी और मैं रोने लगा तो निधि मुझे डांटने लगी और रोने से मना करने लगी।
मैं - निधि तुम मुझे मार रही हो और मैं रो भी नहीं सकता?
निधि - अरे मेरी जान, रो लो तुम, जी भर के रो लो! यही तो मैं चाहती हूँ। देखो
आईने में, मैंने सोचा कि ज्यादा मेकअप में टाइम वेस्ट करने से अच्छा है ना कि दो थप्पड़
से काम हो जाए!
मैंने आईने में देखा, मेरे दोनों गाल और आँखें लाल हो गयीं।
निधि - देखा, ब्लश का काम ही ख़तम, अब थोड़ा सा मेकअप और फिर ड्रेस पहना कर तैयार
कर दूंगी।
अब मैं क्या बोलता निधि से, तो मैं चुपचाप सर झुका कर बैठ गया। पहले निधि ने
एक बैग खोलो तो उसमे एक प्लास्टिक की छोटी सी गन जैसा कुछ निकाली। फिर एक पेंसिल निकाली
और मेरे दोनों कानों और नाक में राइट साइड में मार्क बनाने लगी।
मैं - ये तुम क्या कर रही हो निधि?
निधि - जल्दी पता चल जायेगा मेरी जान!
फिर निधि उस प्लास्टिक के गन को मेरे कान के निचले हिस्से में फंसा दी और उसका
ट्रिगर दबाई और उसी के साथ मेरे एक कान में छेद हो गया। मुझे बहुत दर्द हुआ, मैं रोना
चाहता था लेकिन निधि मुझे रोने भी नहीं दे रही थी। किसी तरह एक कान का दर्द बर्दाश्त
किया तो निधि मेरे दूसरे कान में उसी तरह से छेद कर दी। इस बार मैं रुमाल से अपने आंसू
पोछने लगा। रो रो कर मेरा बुरा हाल हो रहा था, दोनों कानों में असहनीय दर्द हो रहा
था, इतना दर्द कि मैं बता भी नहीं सकता। फिर निधि मेरे दोनों कानों में ताम्बे की तार
डाल दी और उसे फोल्ड करके उसे बाली का शेप दी। उसके बाद मेरे दोनों कानों की छेद पर
ऑइंटमेंट लगाने के बाद वो मेरे नाक पर वो गन सेट करने लगी तो मेरा तो हालत ही खराब
होने लगा।
मैं - प्लीज् निधि, नाक नहीं, प्लीज्, अल्लाह के वास्ते ऐसा ना करो!
निधि (जोर से डांटते हुए) - चुप, एक दम चुप!
मैं क्या करता, कोई उपाय नहीं था मेरे पास। अपने असहनीय दर्द और आँखों में
आंसुओं का सैलाब लिए मैं चुपचाप उसे देखने लगा। फिर वो मेरे नाक सेट की और ट्रिगर दबाते
ही मेरे नाक में एक पिन आर पार हो गया। अल्लाह, इतना दर्द होने लगा था कि अब मेरा दर्द
बर्दाश्त से बाहर हो गया और मैं अपने नाक को पकड़कर जोर जोर से रोने लगा। इस बार निधि
ने मुझे रोने से नहीं रोका और मैं काफी देर तक रोता रहा। नाक और कान छिदवाकर अपनी एक्स
गर्लफ्रेंड के सामने बैठकर रो रहा था मैं और निधि अभी भी मुझे देखकर मुस्कुरा रही थी।
थोड़ी देर बाद मैं चुप हो गया।
निधि - रो लिए तुम? अपने आंसू बचा कर रखो मेरी जान, सुहागरात में आज कुछ ज्यादा
ही दर्द होने वाला है।
मैंने निधि की बात सुनी लेकिन उसे कोई रिप्लाई नहीं दिया।
उसके बाद निधि ने मेरे नाक की छेद पर भी ऑइंटमेंट लगा दी और बैग में से एक
साड़ी निकाली और मुझे खड़े होने को बोली। मैं चुपचाप खड़ा हो गया तो निधि ने मुझे सबसे
पहले ब्रा और पैंटी पहनने को बोली तो मैने पैंटी पहन लिया लेकिन ब्रा कैसे पहनते हैं,
आई डोंट नो। निधि ने मेरे चुतर पर जोर से थप्पड़ मारी और हँसते हुए मुझे ब्रा पहना दी।
फिर एक पेटीकोट पहनने को दी और पहनने को बोली। मैंने पेटीकोट पहन लिया तो निधि ने एक
बैकलेस ब्लाउज पहना दी और फिर साड़ी पहनाने लगी। पंद्रह मिनट्स तक मैं चुपचाप खड़ा रहा
और निधि मुझे साड़ी पहनाती रही। थोड़ी देर में मैं लाल साड़ी, पीली ब्लाउज में तैयार था।
फिर निधि मेरी कलाइयों में कंगन चूड़ियां पहना दी, पैरों में पायल पहना दी और गले में
एक नेकलेस पहना दी। उसके बाद निधि ने मुझे आईने के सामने बिठाई और मेरे नाखूनों को
पिंक नेलपॉलिश से रंगने लगी। एकदम लड़कियों जैसी फीलिंग आ रही थी और बहुत ह्युमिलिएशन
भी हो रहा था। मेरा हाथों और पैरों की उँगलियों के नाख़ून अब पिंक हो गए थे और देखने
से तो लग रहा था कि खुद की नहीं बल्कि किसी लड़की के पैर हो। फिर निधि ने मेरे चेहरे
का मेकअप किया, आँखों में गहरा काजल का लेयर, गालों पर ब्लश और गुलाबी ग्लॉसी होंठ
मुझे और भी खूबसूरती दे रही थी। फिर निधि मेरे
दोनों कानों से वो तार वाली बाली खोलकर निकाल दी और मेरे नाक की पिन भी। मेरे दोनों
कानों और नाक की छेद अब साफ़ हो गयी थी, तो निधि ने मेरे दोनों कानों में बड़ी बड़ी झुमकियां
पहना दी और मेरी नाक में एक छोटी सी सानिया मिर्ज़ा स्टाइल नथिया। इट वज़ सो ह्युमिलिएटिंग
मोमेंट फॉर मी और अभी मेरे मन में सिर्फ एक ही ख्याल आ रहा था, स्यूसाइड कर लेने का
और मैं वो भी नहीं कर सकता। मेरी लाइफ की एक गलती ने मुझे आज ऐसे मुकाम पर लाकर खड़ा
कर दिया था, जहाँ से अब सबकुछ हमेशा हमेशा के बदल चूका था। आई वज अ स्लेव फॉर बोथ निधि
एंड हिज ब्रदर और दोनों मुझे लड़कियों की तरह सजा धजा कर मेरे साथ क्या क्या करने वाले
हैं, मैं नहीं जानता। मैं तैयार हो चूका था, किसी दुल्हन की तरह ही। मेरे नाक की नथिया,
कानों में झुमकियां, मेहँदी और नेलपॉलिश से से हाथ और ऊपर से घूँघट करके चुपचाप बैठने
को बोलकर निधि बैग से कैमरा निकाल कर ले आयी और उसे सेट करने लगी।
मैं - निधि, क्या ये सब जरुरी है?
निधि - हाँ मेरी जान!
मैं - प्लीज् निधि, मुझे माफ़ कर दो!
निधि - हाँ हाँ, माफ़ कर दूंगी, पहली तुम्हारी और मेरे भैया की सुहागरात की
वीडियो तो बना लूँ।
मैं - प्लीज् निधि!
निधि - श्श्श्श! भूलो मत कि आज कि रात तुम मेरे भैया की दुल्हन हो।
मैं - आई एम् सॉरी निधि!
निधि - तुम अगर आंसू बहाओगे तो थप्पड़ पड़ेगा।
मैं - निधि!
निधि - चुप! एकदम चुप! ज्यादा नखरे करेगा तो एक मेरे भैया की जगह चार और आदमी
का इंतेज़ाम कर दूंगी।
मैं - ओके ओके! प्लीज् ऐसा कुछ मत करना, मैं चुप हूँ!
निधि - हाहाहाहा, इसे कहते हैं गांड का फट जाना। तुम्हे ऐसे देखकर आज मैं कितनी
खुश हूँ, मैं बता नहीं सकती। और जब मेरे भैया तुम्हारी चुदाई करेंगे और तुम्हारी ब्रीडिंग
करेंगे फिर तो मजा ही आ जायेगा।
सूरज - ऐसे क्यों शर्मा रही हो मेरी जान! निधि ने तुम्हारा नया नाम रखने को
कहा है, कौन सा नाम पसंद है तुम्हे? शाहिना, शाहिज़ा, शहनाज़, मधु या हिना?
मैं - मुझे मेरा नाम ही पसंद है, कोई और नाम नहीं चाहिए मुझे!
सूरज - हाँ, लेकिन इतनी खूबसूरत लड़की का नाम शहीद अली हो तो दुनिया वाले क्या
सोचेंगे! लड़की बनने जा रहे हो तो लड़कियों वाले ही नाम जंचेगा ना।
मैं - सूरज प्लीज्, ऐसा मत करो। देखो, मैं भी तुम्हारी तरह मर्द हूँ, कोई औरत
नहीं जो मुझे नया नाम दे दोगे तो मैं औरत बन जाऊँगा।
सूरज - अच्छा! तो तुम्हे पूरी तरह से ही औरत बनवा देते हैं। सेक्स चेंज ऑपरेशन
करवा दूंगा, जैसे तुम्हारे चारों दोस्तों का करवाया है।
मैं - नहीं नहीं, प्लीज्। आप जो नाम रखना चाहते हैं रख दो!
सूरज - हम्म! मधु नाम अच्छा रहेगा।
मैं - हम्म!
फिर सूरज मेरे पास आया, मेरा घूँघट उतारा और मेरे होंठों पर अपने होंठ रखकर
बड़े ही प्यार से स्मूच करने लगा। वैसे तो पहले भी सूरज ने मुझे किस किया था लेकिन इस
बार वो काफी पैशनेट तरीके से मुझे चुम रहा था। सूरज की गर्म साँसों की खुशबु, मेरी
साँसों में घुलने लगी और मेरी आँखें खुद ब खुद बंद हो गयी। काफी देर तक सूरज मेरे होंठों
को चूमता रहा।
सूरज - तुम्हारे होंठ तो लीची जैसे रसीले हैं।
सूरज मेरी तारीफ करने लगा तो मेरी स्माइल निकल गयी और सूरज ने मेरी ब्लाउज
को मेरे जिस्म से अलग करके मेरे निप्पल्स को भी ठीक वैसे ही चूसने लगा। सूरज मेरे सीने
को ऐसे चूस रहा था मानो वो मेरे सीने का दूध पीना चाहता हो। लेकिन मैं भी एक मर्द ही
था तो दूध कहाँ से निकलता लेकिन थोड़ी देर बाद अचानक मेरे सीने से नस खींचने का एहसास
होने लगा। अब सूरज मेरी छाती को जोर जोर से चूसने लगा, मुझे यकीन नहीं हुआ कि सूरज
के होंठों पर दूध सा कुछ था। अल्लाह, क्या ये भी देखना बाकी रह गया था? मेरे सीने से
दूध कैसे निकल गया, अल्लाह!
सूरज - वाओ मधु, तुम्हारे सीने से तो दूध भी निकल रहा है।
मैं (घबराते हुए) - लेकिन ये कैसे हो सकता है?
सूरज - क्यों नहीं हो सकता।
इससे पहले कि मैं कुछ कहता, सूरज ने मेरे सीने से थोड़ा सा दूध अपने मुँह में
इकठ्ठा करके होंठों से मुझे मेरा ही दूध पीला दिया। अल्लाह! ये नहीं हो सकता, ये कैसे
हो सकता है? ये तो सच में दूध ही था वो भी मेरा और टेस्ट भी दूध जैसा ही! नहीं नहीं!
ये नहीं हो सकता।
सूरज - घबराओ नहीं मधु रानी! अभी तो सिर्फ शुरुआत है।
सूरज ने फिर से मेरे गले पर, तो कभी छाती पर तो कभी कमर पर चूमना शुरू कर दिया
और मैं आहें भरना शुरू कर चूका था। आधे घंटे के रोमांस में सूरज ने मुझे पूरी तरह से
न्यूड कर दिया था, मेरे बदन में ऑर्नामेंट्स के सिवा कुछ भी नहीं था और सूरज भी न्यूड
हो गया था और उसका बड़ा, काला मोटा लंड टाइट हो गया था। मेरा लंड अभी भी छोटा और सिकुड़ा
हुआ ही था और तभी सूरज ने वो किया जिसकी उम्मीद नहीं थी मुझे। सूरज ने मेरे लंड को
अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगा। मुझे बहुत अच्छा लगने लगा लेकिन मेरे लंड की लम्बाई
अभी भी बहुत छोटी और पतली ही थी जिससे मुझे बहुत शर्मिंदगी हो रही थी। इतना अच्छा ओप्पोरच्युनिटी
था मेरे पास और मुझे वो भी नहीं हुआ। सूरज मेरे लंड को देखकर हंसने लगा और मुझे घुटनों
पर बिठाकर मेरे मुँह में अपना मोटा काला और लम्बा लंड घुसा कर माउथ फकिंग करने लगा।
सूरज का लंड इतना लम्बा था कि उसका आधा लंड मेरे गले को बार बार छू रहा था। आधे घंटे
के ब्लोजॉब के बाद अचानक सूरज ने मेरे मुँह में अपना स्पर्म डिस्चार्ज कर दिया और वो
लोड मेरे गले को तर करता हुआ मेरे पेट में चला गया। मैं तुरंत खड़ा होना चाहा तो सूरज
ने मेरे बाल पकड़कर दो तीन और स्ट्रोक्स लगा दिया। ब्लोजॉब सेशन के ख़त्म होते ही मैं
तुरंत वाशरूम की तरफ भाग के गया और ब्रश करने लगा। सूरज मुझे देखकर हसने लगा।
मैं - ऐसे क्यों हंस रहे हो!
सूरज - कोई बात नहीं मधु रानी, इन सब की आदत हो जाएगी तुम्हे!
मैं - दिस इज़ नॉट फेयर सूरज!
जब मैं ऐसे बोला तो सूरज गुस्सा हो गया और उसने मेरे बाल पकड़ लिए।
मैं - आह्ह्ह्ह!
सूरज - यू बिच! हाउ डेयर यू!
फिर सूरज ने मुझे जोर से थप्पड़ बरसाने अलग। मैं रोने लगा, मेरे गाल लाल हो
गए। मैं किसी तरह फ्रेश हुआ तो सूरज मुझे अपनी बाहों में उठाकर कमरे में ले आया और
मुझे पेट के बल लिटा कर मेरी गांड में लंड घुसा दिया और मुझे चोदने लगा। सूरज पीछे
से मेरे बालों को अपनी मुट्ठी में पकड़कर मेरे होंठों को चूमने के साथ मुझे बहुत जोर
जोर से चोदने लगा। आधे घंटे तक सूरज किसी मशीन की तरह मेरी चुदाई करता रहा, ऐसा लग
रहा था मानो आज ये मेरी गांड फाड़ देगा। आधे घंटे की हार्डकोर चुदाई के बाद सूरज ने
मेरे गांड में अपना स्पर्म डिस्चार्ज कर दिया और मेरी गांड को अपने स्पेर्म्स लोड से
भर दिया। मेरी हालत बहुत बुरी हो रखी थी, सूरज का लंड अभी भी मेरे गांड में ही था और
वो मेरे ऊपर ही लेट गया। सौ किलो से ज्यादा का वजन था सूरज का और कहाँ मैं पचास साठ
किलो का। मैं दब गया था सूरज के नीचे और उसकी गर्म सांसें मेरे चेहरे की स्किन को जला
रही थी। मुझे लगा कि अब सूरज सो जायेगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
थोड़ी देर का नैप लेने के बाद सूरज फ्रेश हो गया और उसने मुझे भी सोने नहीं
दिया। सूरज मुझे अपनी बाहों में लेकर खड़ा हो गया और मेरी गांड में अपना लंड डालकर फिर
से मुझे चोदने लगा। अगले बिस मिनट्स तक सूरज मुझे खड़े खड़े चोदता रहा और मेरे इतने रोने
और चिल्लाने पर भी उसे मेरे ऊपर रहम नहीं आया। फिर सूरज ने मुझे बिस्तर पर लिटा दिया,
मेरे दोनों पैरों को फैलाकर उसने फिर से मेरी गांड में अपना लंड घुसा कर अगले दस मिनट्स
तक मेरी चुदाई करता रहा। मेरी हालत बहुत खराब हुआ जा रहा था, मैं लगातार रोये जा रहा
था, जल बिन मछली की तरह छटपटा रहा था। लेकिन इससे सूरज पर कोई फरक नहीं पड़ रहा था,
उसका लंड मेरी गांड के काफी अंदर तक आ रहा था और उसका हर स्ट्रोक्स मुझे सिवाए दर्द
और आंसू के कुछ भी नहीं दे रहा था।
दस मिनट्स बाद अचानक सूरज ने मेरे गांड से अपना लंड बाहर निकाल लिया और मुझे अपनी तरह खींच कर मेरे लंड पर अपना लंड रख दिया। फिर धीरे धीरे मेरे लंड में अपने लंड घुसाने लगा। अल्लाह, ये क्या कर रहा था सूरज! सूरज का लंड मेरे लंड के अंदर टाइट हो रहा था और वो धीरे धीरे स्टॉक्स भी लगाने लगा था। मैं दर्द से परेशां होने लगा तो सूरज मुझे देखकर मुस्कुराने लगा। सूरज को मुस्कुराता देख मुझे बहुत रोना आया, मैं जोर जोर से रो रहा था और सूरज मेरे सिकुड़े हुए लंड में अपना लंड घुसा कर स्ट्रोक्स लगाये जा रहा था। मेरे लंड में बहुत दर्द होने लगा और इधर सूरज पुरे जोश में मेरे लंड में अपना लंड घुसा कर स्ट्रोक्स पर स्ट्रोक्स देने लगा। इससे पहले कि मैं कुछ समझ पाता, पांच मिनट्स के बाद अचानक सूरज ने मेरे लंड के अंदर ही अपना स्पर्म डिस्चार्ज कर दिया। मेरे लंड में जलन होने लगा, समझ में नहीं आ रहा था कि इस दर्द से कैसे उबरूं।
मैंने अपने
लंड को शेक करके सूरज के स्पेर्म्स लोड को बाहर निकालने की कोशिश की लेकिन वो बाहर
नहीं आ रहा था। मैं बैठकर रोने लगा, जलन इतना कि बर्दाश्त नहीं हो रहा था और सूरज मुझे
देखकर मुस्कुराते हुए अपना लंड हिला रहा था। फिर सूरज मुझे अपनी बाहों में उठाकर वाशरूम
में ले गया और शावर ऑन करके मेरी गांड में अपना लंड डालकर मेरे लंड को अपने हाथ से
शेक करता हुआ फिर से मेरी चुदाई शुरू कर दी। मेरी चुदाई के दौरान सूरज मेरे लंड को
शेक करता रहा और पांच मिनट्स बाद ही सूरज ने एक बार फिर से मेरी गांड में अपना स्पर्म
डिस्चार्ज कर दिया और मेरे स्पेर्म्स भी डिस्चार्ज हो गए। मेरा शरीर वीक हो गया और
आँखों के आगे अँधेरा छाने लगा। मुझे याद नहीं कि उसके बाद क्या हुआ लेकिन जब मेरी नींद
खुली तो सुबह के नौ बज रहे थे। सूरज मेरे बगल में लेटा हुआ था, उसका लंड अभी भी मेरी
गांड में ही था और वो अपने हाथ से मेरी कमर को जकड़े हुए था। किसी तरह मैंने खुद को
छुड़ाया और वाशरूम जाने के लिए बिस्तर से उतरा। जैसे ही मैं खड़ा हुआ, मेरा सर घूमने
लगा और मैं गिरने ही वाला था कि सूरज ने मुझे अपनी बाहों में थाम लिया।
सूरज - क्या हुआ मेरी मधु रानी हो?
मैं - आई डोंट नो, मुझे बहुत ही ज्यादा वीकनेस हो रहा है, चक्कर आ रहा है और
चला भी नहीं जा रहा है; मुझे वाशरूम भी जाना है।
सूरज - डोंट वोर्री जान, मैं हूँ ना!
फिर सूरज मुझे अपनी बाहों में उठाकर वाशरूम में ले गया। निधि ये सब देखकर दूर
खड़ी मुस्कुरा रही थी। उसे देखकर मेरी आँखों में आंसू आ गया। सूरज मुझे वाशरूम में छोड़कर
बाहर चला गया और मैंने वाशरूम को अंदर से लॉक कर लिया। जब मैं टॉयलेट करने लगा तो मेरे
छोटे से लंड में बहुत ही ज्यादा दर्द हो रहा था। फिर जब मैं कोड पर बैठा तो मेरी गांड
में इतना दर्द होने लगा कि मुझसे बर्दास्त नहीं हो रहा था। मेरी आँखें आंसुओं से भर
गयी और मैं खुद को रोने से रोक नहीं सका। शावर में नहाते समय जब मैंने खुद को आईने
में देखा, मेरे नाक में अभी भी नथिया थी ही, कानों में झुमकियां भी थी, पैरों में पायल,
कलाइयों में चूड़ी कंगन थे, मांग में सिंदूर और गले में मंगलसूत्र भी था। फिर जब मैंने
गौर किया तो मेरी बॉडी पर सूरज के दिए लव बाइट्स साफ़ झलक रहे थे। जब मैं फ्रेश हुआ,
वाशरूम से बाहर आया तो आज मैंने अपनी छाती पर टॉवल लपेटा हुआ था। असहनीय दर्द और वीकनेस
के कारण मैं धीरे धीरे दीवारों का सहारा लेकर कमरे तक आ गया जहाँ निधि मेरा ही इंतज़ार
कर रही थी। कमरे में जाते ही निधि हरे रंग की साड़ी में मुझे तैयार कर दी और सूरज के
सामने ले जाकर खड़ी कर दी।
निधि (मेरे कान में बोली)- साड़ी की पल्लू से घूँघट कर लो और सूरज भैया के पैर
छू कर आशीर्वाद लो मधु!
मैं - लेकिन क्यों?
निधि - ज्यादा सवाल जवाब करोगी तो भैया तुम्हे कमरे में ले जाकर कल रात की
तरह फिर से चोद देंगे।
मुझे नहीं चुदना फिर से, इतनी हिम्मत नहीं बची थी मेरे अंदर तो मैंने चुपचाप
वही किया जैसा निधि ने कहा। मैंने साड़ी की पल्लू से घूँघट किया और सूरज के पैर छूकर
उससे आशीर्वाद लेने के लिए झुक गया।
सूरज - सदा सौभाग्यवती रहो!
फिर सूरज ने मुझे अपने बगल में बिठाया और मुझे अपने फ़ोन में कल रात की पूरी
वीडियो दिखाने लगा कि कैसे उसने मेरे साथ सुहागरात मनाया। इतना बुरा, इतना ह्युमिलिएशन,
इतनी शर्मिंदगी हो रही थी खुद की चुदाई की वीडियो देखते कि मेरे आँखों में फिर से आंसू
आ गए। सूरज ने मुझे देखा और मेरे आंसू पोछते हुए मुझे होंठ पर किस करने लगा वो भी निधि
के सामने। निधि मुस्कुराते हुए किचन में चली गयी और सूरज अगले पंद्रह मिनट्स तक मेरे
होंठों को चूसता रहा।
सूरज - मैं तुम्हारी आँखों में आंसू नहीं देखना चाहता मधु, बहुत रोती हो तुम!
अच्छा आज से निधि तुम्हे किचन में काम करने की, खुद से मेकअप करने की, साड़ी पहनना सिखाएगी
और लड़कियों की तरह ड्रेसअप की ट्रैनिग देगी, हाई हील्स में चलना सिखाएगी और जब मैं
काम से लौटूंगा तब तुम एक अच्छी हाउसवाइफ की तरह मेरे जूते उतारेगी, मेरे लिए पानी
लाओगी, मेरी सेवा करोगी, समझ में आया।
मैं - हम्म!
सूरज - गुड गर्ल!
उस दिन से मेरी ट्रेनिंग शुरू हुई, दिन में मेरी ट्रेंनिग चलती और ट्रैनिग
के दौरान निधि मुझसे सिर्फ एडल्ट बातें ही करती। और जब रात होती तो सूरज मुझे नंगा
कर देता, खूब चुदाई करता और डिक डॉकिंग सेशन भी देता, जिसके बाद मैं बेहोश होने से
खुद को नहीं रोक पाता। ये सिलसिला अगले डेढ़ सालों तक चला, अब मुझे सबकुछ आता था। हर
रोज़ सुबह मैं सूरज के पैर छूकर उससे सदा सौभाग्यवती का आशीर्वाद लेता। सुबह के साथ
ही ब्रेकफास्ट, लंच, डिनर, इवनिंग स्नैक्स सब मैं खुद ही बनाता। मेकअप करने में भी
मैं एक्सपर्ट हो गया था और निधि ने मुझे मेहँदी लगाना भी सिखाया था। हाई हील्स में
दिन भर रहता और बहुत ही कम्फर्टेबल था अब ये सब मेरे लिए। तरह तरह की साड़ी पहनने में
भी मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं थी। बैकलेस ब्लाउज पहनना मुझे बहुत अच्छा लगने लगा था, खासकर
जब वो ब्लाउज डोरी वाली हो। इन डेढ़ सालों में मेरी लाइफ पूरी तरह बदल गयी थी। अगर सूरज
के साथ सेक्स को छोड़ दिया जाये तो मैं अपनी लाइफ में बहुत खुश था, क्रॉसड्रेसिंग मेरे
सारे गम भूलने में मेरी मदद कर रहा था। सूरज के साथ सेक्स के दौरान मैं अभी भी कम्फर्टेबल
नहीं था लेकिन अब मैं पहले कि तरह रेसिस्ट नहीं करता। जो सूरज को करने का मन होता,
मैं उसे सपोर्ट करता और वो भी बहुत एन्जॉय करता। निधि कभी कभी मुझसे मिलने आती और मुझे
बहुत छेड़ती। पहले तो मुझे निधि का यूँ मुझे छेड़ना अच्छा नहीं लगता था लेकिन अब निधि
मुझे ऐसे छेड़ती तो हसी आ जाती। इन डेढ़ सालों में मेरी फिजिकल अपीयरेंस में भी काफी
तबदीली आ गयी थी, मेरी बॉडी पूरी तरह हेयरलेस हो चुकी थी, चेस्ट पहले से काफी बड़ा होकर
लटक गया था, बाल कटवाए डेढ़ साल हो चुके थे और अब मेरे बाल मेरी कमर से थोड़ी ही ऊपर
रहती। मेरा लंड अब सिर्फ टॉयलेट करने के अलावे किसी काम का नहीं रह गया था। अकेले में
मैंने कई बार खुद से मास्टरबेट करने की कोशिश की लेकिन मेरे लंड ज्यों का त्यों ही
रहता, इससे मुझे और भी आत्मग्लानि होती। इधर मुझे यूरिनेशन के दौरान मुझे ब्लीडिंग
होने लगी थी, चक्कर आना और पेट के निचले हिस्से का दर्द अब मुझे कुछ ज्यादा ही परेशान
करने लगा था। मुझे लगा कि मुझे इन्फेक्शन हुआ है और मैंने ये बात सूरज को बताई। सूरज
ने निधि को बुला लिया और मुझे उसके साथ डॉक्टर के पास भेज दिया। निधि मुझे साड़ी में
बाहर ले जाना चाहती थी, लेकिन ऐसे बाहर जाने में मुझे बहुत शर्म आ रहा था तो निधि ने
मुझे कुर्ती किचनकारी सेल्फ डिज़ाइन अनारकली कुर्ती, बॉटम और दुपट्टे में तैयार की,
गले में मोतियों वाली नेकलेस पहनाई, कलाइयों में सिल्वर अमेरिकन बैंगल्स पहना दी, नाक
में हमेशा की तरह सानिया मिर्ज़ा स्टाइल नथिया और कानों में बड़ी बड़ी झुमकियां पहनाई
और साथ ही सिल्वर हाई हील्स पहना दी। जब मैं तैयार हुआ तो बहुत खूबसूरत दिख रहा था।
निधि मुझे अपने साथ एक फीमेल डॉक्टर के पास ले गयी। वहां डॉक्टर ने कुछ डायग्नोस्टिक
की, फिर अल्ट्रासाउंड, ब्लड टेस्ट्स, सिटी स्कैन और एक्स रे करवाई। इन सब का रिपोर्ट
देखने के बाद डॉक्टर शॉक्ड रह गयी।
डॉक्टर - तुम लड़का हो?
मैं - जो डॉक्टर!
डॉक्टर - लेकिन तुम्हारे रिपोर्ट्स में तो कुछ और भी है। तुम्हारे शरीर में
फीमेल ऑर्गन्स जैसे यूट्रस, ओवरी, फॉलोपियन ट्यूब्स जैसे ऑर्गन्स पूरी तरह डेवलप्ड
अवस्था में हैं।
मैं - आप क्या कहना चाहती हो?
डॉक्टर - यही कि तुम अंदर से औरत हो और बाहर से भी तो औरत जैसी ही हो, बस मॉडिफिकेशन
करवा लो तो अंदर और बाहर दोनों से औरत बन सकती हो।
निधि - सीरियसली डॉक्टर! मधु अंदर से औरत है?
डॉक्टर - हाँ, मिस निधि!
निधि - वाओ! तो मधु के इस मॉडिफिकेशन में कितना टाइम लगेगा?
डॉक्टर - मधु का एचआरटी की जरुरत नहीं है क्यों, लुक शी इज़ लुकिंग सो ब्यूटीफुल!
मधु को देखकर तो लगता है कि ये स्त्रीत्व को अपना ही चुकी हैं। मुश्किल से छह महीने
में हम इन्हे पूरी तरह से औरत बना देंगे।
निधि - अभी कोई मेडिसिन दे सकती हो आप, ताकी मधु की ब्लीडिंग रुक सके?
डॉक्टर - नहीं दे सकती, क्यूंकि, इससे इंटरनल ऑर्गन्स पर दुष्प्रभाव होगा।
आप इन्हे एडमिट कर दो, क्यूंकि सबसे ज्यादा जरुरी है कि इनके पेनिस को काटकर इनके बॉडी
से हटाना। नहीं तो कैंसर भी हो सकता है और वो भी ब्लड कैंसर के चांसेस तो कुछ ज्यादा
ही होते हैं इन केसों में।
मुझे बहुत ह्युमिलियेश हो रही थी जब निधि और डॉक्टर मेरे सेक्स चेंज सर्जरी
के बारे में बातें कर रहे थे। मैं चुपचाप सुन रहा था, कि कैसे मुझे निधि पूरी तरह औरत
बनाने के लिए इतनी एक्साइटेड है। इधर डॉक्टर और निधि की बातें पूरी हो चुकी थी और निधि
ने मेरे सेक्स चेंज सर्जरी का फैसला लेने के थोड़ा भी देर नहीं लगाई। सूरज से बात करके
निधि ने मुझे हॉस्पिटल में एडमिट कर दी और एडवांस पेमेंट करके मुझे हॉस्पिटल में छोड़कर
वहां से चली गयी। अब मैं लेडी गाउन में था, मेरे नाक में नथिया कि जगह लकड़ी की पिन
थी, कानों में भी झुमकियां नहीं बल्कि लकड़ी की पिन थी। विद जीरो ऑर्नामेंट्स बहुत हल्का
महसूस हो रहा था। नर्स मुझे मेरे सिंगल रूम वाले वार्ड में ले गयी, जहाँ मुझे मेरे
चुतरों पर दो इंजेक्शंस, छाती पर दो इंजेक्शंस, कमर पर एक इंजेक्शन और खाने को कुछ
मेडिसिन्स दिए गए और उसके बाद मैं कब बेहोश हो गया, मुझे इसका पता भी नहीं चला।
जब मुझे होश आया तो एक हफ्ता गुज़र चूका था, मेरा लंड काटकर उसकी जगह वजाइना
का डेवलपमेंट शुरू किया जा चूका था। जब मुझे होश आया तो नर्स ने मुझे फिर से दो दो
इंजेक्शंस लगा दी और मैं फिर से बेहोश हो गया। एक हफ्ता और गुज़र गया, थोड़ी देर के लिए
होश आता और फिर मैं बेहोश हो जाता। करीब पंद्रह दिनों तक ऐसा ही चलता रहा। पन्द्रहवे
दिन जब मुझे होश आया तो मुझे बहुत फ्रेशनेस फील हो रहा था। अचानक मुझे टॉयलेट आया तो
मैं वाशरूम में जाने के लिए बिस्तर से उतरा। अभी एक कदम बढ़ाया ही था कि मेरे कदम रुक
गए, मेरे दोनों पैरों के बीच एक खालीपन महसूस हो रहा था और जब मैंने अपने प्राइवेट
पार्ट को छूकर देखा, तो वहां कुछ भी नहीं था। इट वज़ द सैडस्ट मोमेंट इन माय लाइफ। आई
एम् नाउ अ वुमन, अल्लाह, ये क्या हो गया मेरे साथ! मेरे आंसू निकल आये तो नर्स समझ
गयी कि मैं इमोशनल हो चूका था। नर्स मेरे पास आयी और मुझे समझाया कि अब यही मेरी लाइफ
है। फिर मैं वाशरूम में गया, हमेशा की तरह खड़े हो टॉयलेट करने लगा तो मेरा गाउन गीला
हो गया। मैं आईने के सामने खड़ा हो कर बहुत रोया, फिर मैंने शावर लिया और नर्स से टॉवल
और गाउन मांग कर वाशरूम से बाहर आ गया। मेरी लाइफ अब पूरी तरह बदल चुकी थी और मेरी
रियल आइडेंटिटी भी मुझसे छीन ली गयी थी। धीरे धीरे मैं अपनी नयी लाइफ में कम्फर्टेबल
होने लगा, मेरे ब्रेस्ट्स भी काफी स्पीड में ग्रो कर रहे था, इनका साइज और वजन दोनों
ही पहले की अपेक्षा काफी ज्यादा हो गयी थी। फिर डेढ़ महीने मुझे एक ख़ास तरह की मशीन
में रोज़ आठ घंटे सुलाया जाने लगा और डेढ़ महीने में मेरे ब्रेस्ट्स राउंड शेप में आने
के साथ साथ काफी सॉफ्ट और सेंसिटिव भी होने लगे थे और मेरी वजाइना में भी सेंसेशन होनी
शुरू हो चुकी थी। जब जब मैं अपनी वजाइना को छूता, अजीब सा सनसनाहट होने लगता और पूरा
शरीर झनझना उठता।
हफ्ते में दो तीन बार डॉक्टर खुद से मेरा इंस्पेक्शन करती, कभी मेरी वजाइना
में ऊँगली डालकर चेक करती तो कभी मेरी निप्पल्स को उँगलियों से स्क्वीज़ करके। ये सब
मेडिकल इंस्पेक्शन का एक हिस्सा भर ही था। लेकिन जब जब डॉक्टर मेरी वजाइना में ऊँगली
घुसाती या मेरे निप्पल्स को स्क्वीज़ करती, मुझे थोड़ा भी सहज महसूस नहीं होता। इन सब
के साथ मैं बात बात पर रो पड़ता, इमोशनली इतना ब्रेकडाउन हो गया था। मैं अपने लंड को
सबसे ज्यादा तब मिस करता जब डॉक्टर मेरी वजाइना में ऊँगली घुसाती, ऐसा लगता मानो पूरी
बॉडी में करंट दौड़ गया हो। धीरे धीरे ये सब मेरे रूटीन चेकअप का हिस्सा बन चूका था
और एक दिन डॉक्टर ने नर्स से मेरे सामने ही कहा कि वो मुझे डिलडो पेनेट्रेशन देना शुरू
कर सकती है। फिर क्या था अगले ही दिन से नर्स
ने मुझे डिलडो पेनिट्रेशन के बारे में बताया और मुझे डिलडो थमा दी और खुद से पेनिट्रेट
करने को बोली। हथेली भर का डिलडो था और जब मैंने उसे हाथ में लिए तो मुझे एहसास हुआ
कि ये सूरज के लंड से काफी छोटा है तो मैं एग्री हो गया। मुझे नहीं पता था कि उस डिलडो
को रिमोट से ऑपरेट करते हैं और वो रिमोट था नर्स के हाथों में। जब मैं अपनी वजाइना
में डिलडो घुसाने की कोशिश करने लगा तो नर्स मुझे रोकने लगी।
मैं - क्या हुआ?
नर्स - तुम्हे ये भी नहीं पता कि डिलडो कहाँ घुसाना होता है? चलो ओवरऑल ऊपर
ऊपर से मैं समझाती हूँ। ऊपर वाला जो हिस्सा है, ये क्लाइटोरिस है। क्लाइटोरिस को हिंदी
में भगशिश्निका भी कहते हैं और ये तुम्हारे टॉयलेट करने के लिए है। नीचे का भाग वजाइनल
ओरिफाईस यानी योनिछिद्र कहलाता है और ये तुम्हारी वजाइना है, जिसमे तुम्हारा पति अपना
लंड घुसा कर तुम्हारा कौमार्य भंग करेगा।
मैं - क्या?
नर्स (हँसते हुए) - कुछ नहीं! अब तुम ये डिलडो थोड़ा सा अंदर लो, ज्यादा अंदर
मत लेना और अंदर बाहर करना शुरू करो।
जैसा नर्स नहीं कहा मैंने करने की कोशिश की, लेकिन मुझसे नहीं हो रहा था। मेरे
बॉडी थरथराने लगा और वजाइना की ओपनिंग पर डिलडो के सटते ही मेरी रूह झनझना उठी।
मैं - मुझसे नहीं होगा!
नर्स - ठीक है लाओ, मैं करती हूँ।
मैं - नहीं, दर्द होगा?
नर्स - नहीं होगा, थोड़ा सा होगा, लेकिन बहुत मजा भी बहुत आएगा।
गांड में लंड लेने का दर्द तो मैं जानता था लेकिन वजाइना में, जहाँ कभी मेरा
खुद का लंड था। वहां डिलडो घुसाने जा रही थी नर्स और डर के मारे मैंने आँखें बंद कर
ली। मेरा पूरा बदन अभी भी कंपकंपा रहा था और नर्स ने उस डिलडो को मेरी वजाइना में सहलाना
शुरू कर दिया था। जैसे जैसे नर्स डिलडो से मेरी वजाइना को सेहला रही थी, मेरे पुरे
बदन की झनझनाहट बढ़ने लगी, आँखों में आंसू आ गए और थोड़ी देर बाद नर्स ने हल्का सा डिलडो
मेरी वजाइना में घुसाई।
मैं - अल्लाह! आह्ह्ह्ह! प्लीज्, प्लीज्, निकालो! दर्द हो रहा है।
नर्स - शांत हो जाओ मधु!
किसी तरह मैंने खुद को इसके लिए तैयार किया और अपनी आँखें बंद कर ली। नर्स
ने मेरी वजाइना में वो डिलडो फिर से घुसा दी और अंदर बाहर करने लगी। मेरी टाइट वजाइना
में वो डिलडो की रगड़ मुझे कुछ दर्द देती रही और फिर वो हुआ जिसकी उम्मीद मैंने नहीं
की थी। अभी एक दो मिनट्स ही हुए होंगे कि इसी बीच मुझे एक्साइटमेंट हो गया और मुझे
ओर्गास्म हो गया। मेरा पूरा बदन थरथराने लगा, मैंने अपने हाथ से नर्स का हाथ पकड़ कर
रोक दिया और आँखें बंद कर के उस सेंसेशन को महसूस करने लगा जो मुझे उस समय हुआ। दो
पल का वो सेंसेशन और फिर नर्स ने बिना कहे ही डिलडो बाहर निकाल दी। मैं आँखें बंद कर
के लम्बी लम्बी सांसें लेने लगा, कुछ भी बोलने का मन नहीं कर रहा था। मन कर रहा कि
उस सेंसेशन को रोक कर रखूं लेकिन दो पल बाद सब पहले जैसा हो गया।
नर्स (हँसते हुए) - मजा आया मधु!
मैंने शर्माते हुए नर्स की तरफ देखा और मुस्कुराते हुए हाँ में सर हिलाया।
नर्स डिलडो अपने साथ ले गयी और मैं शर्म से पानी पानी हो गया। ये मेरे साथ
क्या हुआ? मुझे इतना अच्छा फील शायद लाइफ में पहले कभी नहीं हुआ, लेकिन ये फीलिंग कुछ
पल का ही था। थोड़ी देर में नर्स आयी और मुझे नींद से जगा दी। डॉक्टर सामने खड़ी थी और
उसने मेरी वजाइना में ऊँगली घुसाकर मेरा इंस्पेक्शन किया। फिर उसने मेरी तरफ देखकर
मुस्कुराने लगी।
डॉक्टर - कॉन्ग्रैचुलेशन्स मधु, अब तुम 99% लेडी बन चुकी हो। नर्स जबतक मधु
के नार्मल पीरियड्स नहीं आ जाते, ये सब कंटिन्यू रखना।
नर्स - ओके!
अगले दो महीनों तक सब वैसा ही चलता रहा, डिलडो पेनिट्रेशन के बाद अक्सर मुझे
डिस्चार्ज हो जाता जिससे बहुत अच्छा फील होता। मुझे मशीन में अगले दो महीनों तक रेगुलर
आठ घण्टों तक सुलाया जाने लगा। मेरे शरीर की बनावट पहले से बहुत स्लिम हो चुकी थी।
लाइक अ पेटीट गर्ल, मैं भी बहुत स्लिम हो चूका था, पतले पतले हाथ पैर, पतली कमर लगभग
24 की, हिप्स की साइज 30 और ब्रेस्ट्स की साइज 32डी हो चुकी थी। बाल पहले से ज्यादा
घने और लम्बे हो गए थे, मेरी कमर तक आते। चेहरे की बनावट तो पहले जैसे थी, लेकिन चेहरे
पर दाढ़ी मुछ का आना तो तीन महीने पहले ही शुरू हो चूका था।
इतना कुछ बदल गया था लेकिन मेरी आवाज़ में ज्यादा कुछ नहीं बदला था, मेरी आवाज़
आज भी वैसी ही थी जैसी पहले थी। एक हफ्ते बाद एक दिन मेरे पास नर्स आयी।
नर्स - मधु! क्या तुम्हे क्रैम्प सा फील हो रहा है, कमर दर्द या मूड स्विंग?
मैं - नहीं!
नर्स - अगर ऐसा फील हो, तो मुझे बताना!
मैं - ओके!
अगले दिन फिर से नर्स मेरे पास आयी।
नर्स - मधु! क्या तुम्हे क्रैम्प सा फील हुआ या कमर दर्द या मूड स्विंग, कुछ
फील हो रहा है?
मैं - नहीं!
नर्स - हम्म!
अगले तीन दिनों तक नर्स रोज़ मुझे सेम सवाल करती और एक दिन मैं झल्ला उठा।
मैं - नहीं और क्या रोज़ रोज़ एक ही सवाल करती हो नर्स!
नर्स - हम्म!
फिर नर्स डॉक्टर को मेरे पास ले आयी और डॉक्टर ने मेरी कमर पर एक सुई दी जिसके
बाद मैं बेहोश हो गया। दो दिनों बाद दोपहर का समय था और मेरी कमर में अजीब सा दर्द
होने लगा और मुझे बहुत गुस्सा आने लगा। मैंने नर्स को पुकारा, लेकिन जब तक वो आयी,
बिस्तर मेरे खून से लाल हो चूका था और मेरे गाउन पर रेड स्पॉट मुझे बहुत ही ज्यादा
शर्मिंदा कर रही है। नर्स हँसते हुए मेरे पास आयी।
मैं - मुझे इतना दर्द हो रहा है, ब्लीडिंग हो रहा है और तुम हंस रही हो?
नर्स - डोंट वोर्री मधु, इसे पीरियड्स कहते हैं। महिलाओं में ये नार्मल होता
है और चार पांच दिनों तक ये सब चलता रहेगा। तुम गाउन चेंज कर लो और मैं पैड्स देती
हूँ, इसे पहन लो।
मैं - पैड्स! ये कैसे पहनते हैं?
नर्स ने मुझे पैड्स पहनना सिखाया। मैंने गाउन चेंज किया और पैड्स पहनकर अपने
बेड पर आ गया जहाँ बिस्तर चेंज हो चूका था। मैं लेट गया तो नर्स ने मेरा माथा सहलाया
और मैं कब नींद से सो गया, पता नहीं चला। किसी तरह मैंने पांच दिन काटे, पीरियड्स का
टाइम ख़त्म हो चूका था और नर्स ने मुझे अच्छे से शैम्पू शावर लेने को बोली। मैंने वैसा
ही किया जैसा नर्स नहीं कहा। जब मैं नहाकर आया तो नर्स ने मुझे बिठाया।
नर्स - मधु, तुम जब यहाँ आयी थी तो आधी अधूरी औरत थी लेकिन अब तुम पूरी तरह
से औरत बन चुकी हो। पीरियड्स आने के साथ ही अब तुम गर्भ धारण कर सकोगी और बच्चों को
नेचुरल बर्थ दे सकोगी। माँ बन सकती हो तुम और किसी नार्मल औरत की तरह सेक्स भी एन्जॉय
कर सकती हो। अब से डिलडो पेनेट्रेशन मत करना क्यूंकि ऐसा करने से तुम्हारी झिल्ली फट
सकती है और ये तुम्हारी शादीशुदा लाइफ के लिए अच्छा नहीं होगा। तुम्हारे गार्डियन आज
शाम में तुम्हे ले जायेंगे यहाँ से।
मैं - थैंक यू नर्स, तुमने इतने महीनों में मुझे इतना सपोर्ट किया, मेरी इतनी
हेल्प की और मुझे इमोशनली मजबूत रहने में मदद की। इन सब के लिए थैंक्स।
नर्स - मोस्ट वेलकम, लेकिन थैंक्स से काम नहीं चलेगा। मैं तो बख्शीश लुंगी।
मैं - ले लेना!
शाम को सूरज और निधि मुझे लेने आये तो निधि मेरे लिए वही सूट लेकर आयी थी जो
पहनकर मैं पहली बार हॉस्पिटल आया था। निधि मेरे पास आयी, मुझे फिर से उसी सूट में तैयार
की। जहाँ पहले उस सूट मुझे काफी ढीली हुई थी, लेकिन आज मेरे ब्रेस्ट्स के बड़े होने
की वजह से वो ड्रेस प्रॉपर शेप में दिख रही थी। निधि ने मेरे लम्बे बालों की लम्बी
चोटी बना दी। फिर प्लाज़ो पहनने पर एहसास हुआ कि वो मेरे मेरे हिप्स और जांघों पर चिपक
सी गयी थी। फिर से वही ऑर्नामेंट्स नाक में सानिया मिर्ज़ा स्टाइल नथिया, कानों में
बड़ी बड़ी झुमकियां, गले में मोती वाली टाइट फिटिंग नेकलेस, पैरों में पायल और सिल्वर
हाई हील्स पहनने के बाद मैं ओढ़नी से घूँघट बनाकर निधि के साथ डॉक्टर के केबिन में आने
लगा तो मैंने निधि को रोका और नर्स को कुछ पैसे देने को कहा। निधि ने नर्स को पांच
हज़ार रूपये दे दी और जब मैं वहां से जाने लगा तो नर्स मुझसे बोली कि जब मेरा मन हो
शादी करने का तो वो लड़का सुझा सकती है। मैंने नर्स को मना किया और निधि के साथ डॉक्टर्स
केबिन में आ गया जहाँ सूरज डॉक्टर से मेरे बारे में बातें कर रहा था।
डॉक्टर - वेलकम मधु रानी! अब से यही तुम्हारा नाम और आइडेंटिटी है। अब तुम
मर्द नहीं रहे, औरत बन चुकी हो और आई एम् सो ग्लैड कि तुमने अपनी स्त्रीत्व को एक्सेप्ट
किया। ये रहा तुम्हारा नाम और जेंडर बदलने का सरकारी सर्टिफिकेट।
मैं - थैंक यू डॉक्टर!
डॉक्टर - सूरज, मधु को नार्मल लड़कियों की तरह पीरियड्स आने शुरू हो गए हैं
और अब मधु चाहे तो किसी मर्द से शादी कर सकती है, सम्भोग करके गर्भ धारण कर सकती है,
माँ बन सकती है और नार्मल लड़कियों की तरह लाइफ स्पेंड कर सकती है।
सूरज - थैंक्स डॉक्टर! यू हैव डन ब्यूटीफुली। तो क्या मैं मधु रानी को अपने
साथ ले जा सकता हूँ।
डॉक्टर - याह श्योर।
उसके बाद सूरज और निधि के साथ मैं फ्लैट पर आ गया। मुझे दोनों के सामने बहुत
शरम आ रहा था, समझ नहीं आ रहा था कि इनदोनो को फेस कैसे करूँ। फिर सूरज और निधि ने
मुझे अपने पास बिठाया।
निधि - तो अब क्या करोगी मधु रानी?
मैं - मैं नहीं जानता!
निधि - जानता या जानती? अब तुम एक औरत हो मधु रानी, औरतों के लिहाज़ में बात
किया करो।
मैं - आई एम् सॉरी! मैं नहीं जानती, मैं क्या करुँगी!
सूरज - अब तुम जा सकती हो!
आई वज़ इन डीप शॉक!
मैं - कहाँ जाऊं?
सूरज - जहाँ तुम्हारा मन करे!
मैं - लेकिन अब मैं कहाँ जाऊं? अब ना तो मेरे अम्मी अब्बू मुझे एक्सेप्ट करेंगे
और ना ही मेरे दोस्त मुझे पहचान पाएंगे! मेरा सबकुछ छीन कर मुझे जाने को कह रहे हो।
सूरज - तो अब तुम्हे यहाँ रखकर मैं करूँगा क्या? तुम्हारा पनिशमेंट ख़त्म हुआ,
अब तुम आजाद हो मधु! जाओ अपनी नई लाइफ को खुल के एन्जॉय करो। निधि भी यही चाहती है,
चूँकि पनिशमेंट तो शाहिद अली को देना था और हमने मिलकर शाहिद को पनिश किया। लेकिन शाहिद
अली नहीं, बल्कि मधु रानी हो, तुम्हे किस बात का पनिशमेंट?
मैं - आई डोंट नो! लेकिन मैं कहाँ जाऊं? कौन अपनाएगा मुझे, मेरे अम्मी अब्बू
मेरे दोस्त भाई बहन किसी को मेरे बारे में कुछ भी पता नहीं। अब मैं कहीं नहीं जाना
चाहती।
निधि - मैंने कहा था ना भैया। ठीक है मधु रानी, तुम यहाँ रह सकती हो! भैया
तुम्हारे लिए नौकरी देख देंगे। वैसे भी पिछले दो सालों से तुम्हारे बैंक अकाउंट में
हर महीने जो पैसे भैया की कंपनी की तरफ से मिल रही थी उसी पैसों से तुम्हारा सेक्स
चेंज सर्जरी करवाया गया है और अब तुम्हारे पास कुछ ढाई लाख रूपये हैं। तुम अपना बिज़नेस
शुरू कर सकती हो या नौकरी भी कर सकती हो।
मैं - थैंक्स! मैं बताउंगी!
सूरज - जाओ कमरे में रेस्ट करो मधु!
मैं कमरे में आ गया, ओह्ह, कमरे में आ गयी। अब मैं औरत बन चुकी थी और मुझे
अपने बात करने का तरीका बदलना पड़ेगा नहीं तो मुझे ही शर्मिंदा होना पड़ेगा। मेरा पनिशमेंट
ओवर हो चूका था लेकिन अब मेरा कहीं जाने का बिलकुल भी मन नहीं था और ना ही नौकरी या
बिज़नेस करने का। तो मैंने निधि से बात करके फैसला किया कि मैं सूरज के साथ पहले की
तरह रह लुंगी, सिर्फ हमारे बीच अब सेक्स नहीं होगा। चूँकि मुझे साड़ी में बहुत अच्छा
फील होता था और बिना ऑर्नामेंट्स रहना मुझे अब बिलकुल भी पसंद नहीं तो मैं पहले वाले
रूटीन को अपना कर सूरज के साथ रहने लगी। मुझे अलग एक कमरा दिया गया जिसमे मैं आजादी
से रह सकती थी। अगले दिन से पहले की तरह जब मैं सुबह जागी तो फ्रेश होकर, नहाकर, सज
संवर कर साड़ी में तैयार हुई और पल्लू का घूँघट बनाकर सूरज के पास गयी और उसके पैर छूकर
उससे सौभाग्यवती रहने का आशीर्वाद लिया।
सूरज - अब इनसब की कोई जरुरत नहीं है मधु!
मैं - मुझे ये करना अच्छा लगने लगा है।
सूरज - ओके! ऐज़ यू विश मधु!
उसके बाद मैंने किचन में जाकर ब्रेकफास्ट बना दी, सूरज के कपडे रखे थे, वो
भी धो दी, फिर दिन का लंच बनाई। घर की साफ़ सफाई की, फिर शाम में स्नैक्स बना दी और
रात हुई तो डिनर बना दी। अब मैं रोज़ सुबह नहाने के बाद सूरज के पास जाती और उससे आशीर्वाद
लेती और उसके लिए रोज़ खाना पकाती, उसके कपडे भी धो देती, साड़ी में सजी धज़ी रहती और
घर की साफ़ सफाई का भी पूरा ख्याल रखती। अब यही मेरा रूटीन बन चूका था, अब सूरज पहले
जैसा नहीं रहा, वो मुझे अपने दोस्त की तरह ट्रीट करता, निधि आती तो मुझसे अक्सर कहती
कि किसी अच्छे से मर्द को देखकर शादी कर लेने को कहती। मैं कैसे बताती उसे कि मैं किसी
मर्द से शादी करके अपनी लाइफ उसे हैंडओवर नहीं करना चाहती। खैर अब तो यही लाइफ थी और
मैं अपनी लाइफ में बहुत खुश थी। एक महीना बीत चूका था। एक दिन निधि फ्लैट पर आयी तो
उसके साथ एक छह फुट का बॉडीबिल्डर सख्स था। मैं इसे पहचानती थी, ये तो शंकर है, कॉलेज
के बास्केटबॉल टीम का कैप्टन और मेरा क्लास्स्मेट! अल्लाह, ये यहाँ क्या कर रहा है
निधि के साथ!
निधि - हाय मधु! इनसे मिलो, ये हैं शंकर यादव, ये मेरे बॉयफ्रेंड हैं और होने
वाले पति। और शंकर ये है मेरी सहेली मधु!
शंकर - हाय मधु, तुम तो सच में बहुत खूबसूरत हो। निधि तुम्हारी सहेली तो सच
में बहुत खूबसूरत है।
निधि - हाँ मैं जानती हूँ।
मैं - आप बैठो, मैं कुछ खाने को लेकर आती हूँ।
निधि - अरे रहने दो मधु, हमने अभी अभी जूस पी है। तुम हमारे साथ बैठो, तुमसे
जरुरी बात करनी है।
मैं - हाँ, बोलो!
निधि - शंकर का बड़ा एक छोटा भाई है ऋषभ यादव! ये है उसकी फोटो!
मैंने फोटो में देखा, ऋषभ भी शंकर जितना ही लम्बा और बॉडीबिल्डर था, लेकिन
सांवला।
निधि - ऋषभ कैसा है मधु?
मैं - स्मार्ट है।
निधि - तो क्या तुम ऋषभ से शादी करोगी?
मैं - शादी?
निधि - हाँ मधु! बोलो ना!
मैं - मैंने इस बारे में अभी कुछ सोचा नहीं है निधि।
निधि - तो सोचो और सोचकर बताओ! अगर तुम हाँ कहोगी तो हम एक ही मंडप पर एक साथ
शादी कर लेंगे।
मैं - ऐसे कैसे बता दूँ। मुझे ऋषभ जी से मिलना पड़ेगा पहले, उसके बाद ही कुछ
कह सकती हूँ।
निधि - शंकर, ऋषभ कितने देर में आ जायेगा?
शंकर - वो आता ही होगा निधि!
निधि - देखो मधु, ऋषभ आता ही होगा। वो आये तो उससे बात करके बताओ।
मैं - हम्म!
ये निधि तो मेरी शादी करवाना चाहती है, लेकिन मैं तो शादी करना ही नहीं चाहती।
फिर क्यों मैं इतना घबरा रही हूँ, जब ऋषभ आएगा तो उससे सच्चाई कह दूंगी। फिर वो खुद
ही मना कर देगा शादी के लिए। फिर मैं किचन में चली गयी और निधि, ऋषभ और शंकर के लिए
चाय नाश्ता बनाने लगी। इतने में डोरबेल बजी, मैंने देखा तो ये तो सूरज है और वो शंकर
से मिलकर वो बहुत खुश हो रहा था। मैंने नाश्ते की क्वांटिटी बढ़ा दी और इतने में सूरज
किचन में आ गया और मुझे पीछे से हग करके बोला,
तो खुश हो अब, तुम्हारे लिए रिश्ता भी आने लगा है अब तो!
मैं - मुझे शादी नहीं करनी!
सूरज - कर लो यार! तुम शादी कर लोगी तो मैं भी शादी कर लूंगा।
मैं - तो आप शादी कर लो ना!
सूरज - नहीं कर सकता। जब तक निधि की शादी नहीं हो जाती, उसका घर नहीं बस जाता,
मैं शादी नहीं कर सकता। थैंक्स टू यू!
मैं - मैं माफ़ी मांग चुकी हूँ और अब तो आप दोनों ने मुझे माफ़ कर दिया है। फिर
ताना क्यों दे रहे हो?
सूरज - माफ़ी मांग लेने से तुम्हारे पास्ट में किये बुरे कर्म चिप नहीं सकते
मधु। हाँ हमदोनो ने तुम्हे माफ़ कर दिया क्यूंकि अब तुम भी उस लाइफ को जी रही हो और
तुम्हे भी इस बात का एहसास है कि जब लड़कियों का रेप होता है उनकी क्या हालत होती है।
मैं - मैं समझ सकती हूँ, उस दौर से मैं भी गुज़री हूँ। निधि का रेप तो एक बार
हुआ लेकिन मेरा तो दो सालों तक लगातार हुआ, आप समझो ना मेरी हालत कैसी रही होगी। फिर
भी मैंने अपने अतीत को भुलाकर वर्तमान में खुद को मधु के रूप में स्वीकार कर चुकी हूँ
तो प्लीज आगे से ताना मत देना।
सूरज - हम्म! ओके!
तभी डोरबेल की आवाज़ आई।
सूरज - लो, आ गया ऋषभ!
जैसे ही सूरज ने ऐसे कहा, मेरा दिल फिर से जोर जोर से धड़कने लगा। मैंने तो
सोच रखा था कि ऋषभ शादी की बात करेगा तो मैं अपनी पूरी सच्चाई उसके सामने रख दूंगी।
थोड़ी देर में जब सूरज ने निधि को भेजा मुझे ऋषभ के साथ कुछ टाइम स्पेंड करने को। फिर
मुझे ऋषभ के सामने बिठाकर निधि अपने बॉयफ्रेंड के पास चली गयी। कमरे में मैं और ऋषभ
थे। देखने में ऋषभ सूरज से भी लम्बा और बॉडीबिल्डर टाइप था लेकिन बहुत ही ज्यादा सांवला
था।
ऋषभ - हाय मधु!
मैं - हाय ऋषभ!
ऋषभ - तुम बहुत सुन्दर हो!
मैं - थैंक्स! आप भी बहुत हैंडसम हो! (ये क्या बोल रही हूँ मैं?)
ऋषभ - थैंक्स मधु! अपने बारे में बताओ!
मैं - क्या बताऊँ? मैं भी आपकी तरह मर्द थी और सेक्स चेंज ऑपरेशन करवाकर औरत
बनी हूँ और मैं मुस्लिम हूँ!
ऋषभ - ये सब तो मैं जानता हूँ, कुछ और बताओ!
मैं - तो क्या ये सब जानने के बावजूद मुझसे शादी करना चाहते हो आप?
ऋषभ - हाँ!
मैं - तो आपके घरवाले मुझे एक्सेप्ट करेंगे?
ऋषभ - तुमसे मिलने आने से पहले मैं उन्हें बताकर आया हूँ कि आज मैं एक ट्रांसवामेन
को डेट करने जा रहा हूँ।
मैं - सीरियसली! कुछ कहा नहीं उन्होंने?
ऋषभ - उन्हें कोई फरक नहीं पड़ता, चाहे तुम ट्रांसवुमन हो या नार्मल वीमेन।
मैं - हम्म! आप बताओ अपने बारे में?
ऋषभ - जिस जिम में सूरज भैया एक्सेर्साइज़ करने आते हैं, वो मेरा ही जिम है।
साइड से शेयर मार्किट का भी काम करता हूँ।
मैं - हम्म! आपकी गिलफ्रेंड!
ऋषभ - हाइट की वजह से अब तक नहीं बनी और तुम्हे देखने के बाद अब मैं सीधा शादी
करना चाहता हूँ।
मैं - हम्म!
ऋषभ घुटने पर बैठ गया और अपने जेब से एक छोटी सी डायमंड रिंग मेरी रिंग फिंगर
में पहनाकर मुझे शादी के लिए प्रोपोज़ किया।
मैं - मैंने इस बारे में सोचा नहीं है, आप मुझसे शादी करके अपनी लाइफ क्यों
बर्बाद करना चाहते हैं?
ऋषभ - क्या कमी है तुममे! मुझे जैसी लड़की की तलाश थी, तुम बिलकुल वैसी ही हो!
क्या तुम मुझसे शादी करोगी मधु?
मैं शॉक्ड थी, क्या जवाब देती? ऋषभ से शादी के बारे में सोच भी कैसे सकती हूँ
मैं? नहीं नहीं, ये सही नहीं है।
मैं - नहीं ऋषभ! मुझे सोचने के लिए टाइम चाहिए!
ऋषभ - ठीक है मधु, अपना फैसला तुम निधि को बता देना।
मैं - हम्म! अभी ये रिंग लेते जाओ।
फिर मैं अपनी ऊँगली से उस डायमंड रिंग को निकालने लगी लेकिन वो स्टक हो चूका
था।
ऋषभ - रहने दो मधु, ये रिंग भी तुम्हारे पास ही रहना चाहता है।
मैं - सॉरी!
फिर ऋषभ उठकर वहां से बाहर वाले कमरे में चला गया। थोड़ी देर बाद सूरज कमरे
में आया, मैं वहीँ बैठी थी।
सूरज - मधु, ऋषभ को तुम बहुत पसंद आ गयी हो, वो तुमसे शादी करना चाहता है।
देखो मैं जानता हूँ ऋषभ से शादी करना तुम्हारे लिए आसान नहीं है लेकिन ऋषभ शादी के
बाद तुम्हे बहुत खुश रखेगा और कब तक ऐसे ही लाइफ स्पेंड करती रहोगी। एक ना एक दिन किसी
मर्द का ही हाथ थामेगी, कोई लड़की तो तुम्हारा हाथ थामेगी नहीं, तो फिर देर क्यों कर
रही हो। देखो ऋषभ से शादी करोगी तो निधि भी उसी घर की बहु बनने वाली है तो तुमदोनो
एक दूसरे का ख़याल भी रख लोगी और मैं भी निश्चिन्त हो जाऊँगा।
मैं - लेकिन वो!
सूरज - जानता हूँ, थोड़ा सांवला है लेकिन दिल का बहुत अच्छा लड़का है। तुमसे
तो एक दो साल छोटा भी है और इससे अच्छा मौका दुबारा नहीं मिलेगा।
मैं - लेकिन! तुमसे भी लम्बा है!
सूरज - अच्छा, तो अच्छा है ना, तुमदोनो जोड़ी भी तो खूब जमेगी। जितना लम्बा
दूल्हा, उतनी ही छोटी सी दुल्हन और उसका लंड भी उतना ही लम्बा होगा या नहीं, ये तो
तुम्हे सुहागरात की रात पता चलेगा। अब मैं कुछ नहीं सुनूंगा, तुम ऋषभ से शादी कर रही
हो, फाइनल।
मैं - लेकिन!
सूरज - मैंने कहा ना!
मैं - ठीक है! जो मन में आये करो!
सूरज - गुड गर्ल!
फिर सूरज बाहर वाले कमरे में गया और निधि कमरे में आ गयी। निधि ने कमरे में
आते ही मुझे गले से लगा लिया। वो बहुत खुश थी और उसे खुश देखकर मुझे भी ख़ुशी हो रही
थी तो मैं भी उसके साथ ही मुस्कुराने लगी। मेरी शादी तय की जा चुकी थी वो भी साढ़े छह
फुट के मुस्क्युलर बॉडीबिल्डर के साथ और मैं शरमा रही थी।
निधि - थैंक्स मधु! अब हम हमेशा साथ रहेंगीं। मैं जेठानी, तुम देवरानी, मजा
आएगा।
मैं - आई डोंट नो!
निधि - अरे वाओ, हिरे की अंगूठी, ऋषभ ने पहनाई?
मैं - हम्म!
निधि - क्या बात है, अकेले अकेले में प्रोपोज़ भी कर दिया ऋषभ ने और हमें बताया
भी नहीं। हाय कितनी सुन्दर अंगूठी है।
मैं - हम्म!
निधि - आई एम् सो एक्साइटेड। फाइनली मेरी शादी हो रही है, इस दिन का कब से
इंतज़ार था मुझे। और सबसे अच्छी बात ये है कि तुम भी उसी घर की दुल्हन बनने वाली हो।
मैं - हम्म!
निधि - एक बात कहूं।
मैं - हम्म, बोलो!
निधि - काश उस रात तुमने उन चार लड़कों के साथ मिलकर मेरा रेप नहीं किया होता
और मेरी वीडियो वायरल ना की होती। तो शायद ना तो तुम्हे सेक्स चेंज ओपरेशन करवा कर
औरत बनना पड़ता और आज तुम ऋषभ की दुल्हन बनने के बजाये मेरे दूल्हे होते।
मैं - इसके लिए मैं बहुत शर्मिंदा हूँ निधि।
निधि - हम्म्म! अब तो कर भी क्या सकते हैं? खुद को मेंटली प्रिपेयर कर लो क्यूंकि
बहुत जल्द एक मर्द तुम्हे अपनी दुल्हन बनाकर हमेशा हमेशा के लिए अपने साथ ले जाने वाला
है।
मैं - कोशिश कर रही हूँ।
निधि - हम्म! कोई बात नहीं, ऋषभ तुम्हे इसमें अच्छे से मदद करेगा।
मैं - कैसे!
निधि - हमारी शादी हो जाये, उसके बाद बताउंगी।
मैं - अभी क्यों नहीं?
निधि - अभी बताकर कुछ होना जाना नहीं है।
निधि के जाने के बाद मैं कमरे में बैठकर सोचने लगी। आखिर मैं ये सब कैसे कर
सकुंगी, एक मर्द से शादी! अल्लाह, मर्द से मेरी शादी का ख्याल ही मेरे रोंगटे खड़े करने
को काफी है, कैसे करुँगी मैं एक मर्द से शादी? शादी के बाद एक हाउसवाइफ की तरह लाइफ
कैसे जियूँगी। ऊपर से ये सब हिन्दू हैं, पता नहीं कितने रस्मोरिवाज होते हैं इनके यहाँ।
कैसे फॉलो करुँगी ये सब! ये क्या कर लिया मैंने, चाहती तो एक मर्द वाली लाइफ भी जी
सकती थी लेकिन अब तो मैं औरत बन गयी हूँ या बना दी गयी हूँ। मेरी एक गलती मुझे जिंदगी
के ऐसे दोराहे पर खड़ा कर देगी, मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था। धीरे धीरे दिन
बीते, ऋषभ के माँ पापा मुझे देखने आये तो निधि मुझे सजा धजा कर ऋषभ के माँ पापा के
सामने ले गयी और उनके सामने बिठा दी। ऋषभ के माँ पापा मुझे देखकर बहुत खुश हुए क्यूंकि
वे मेरी खूबसूरती से बहुत प्रभावित हुए।
ऋषभ की माँ - देखने में तो तू बड़ी सुन्दर है, नाम क्या है तेरा!
मैं (धीमे आवाज़ में) - मधु रानी!
ऋषभ की माँ - ऋषभ कैसा लगता है तुझे?
मैं - अच्छे हैं!
ऋषभ की माँ - मेरे बेटे की दुल्हन बनेगी?
मैं - जी!
ऋषभ की माँ - हम्म! चलो जी, एक ही घर से दो दो बहुएं मिल गयीं हमें तो।
ऋषभ के पापा - सच में बड़ी सुन्दर है मधु रानी! ऋषभ के साथ इसकी जोड़ी क्या खूब
जमेगी!
ऋषभ की माँ - हम्म!
फिर ऋषभ की माँ ने मुझे एक खानदानी बॉक्स दी।
ऋषभ की माँ - कमरे में जा और ये गहने पहनकर आ! निधि, बिटिया, ले जा मधु को!
फिर निधि मुझे कमरे में ले गयी। निधि ने बॉक्स को खोला तो उसके अंदर इतना बड़ा
नथिया रखा था, साथ में सोने के दो जोड़े कंगन, हैवी चांदी की पायल करीब ढाई सौ ग्राम
एक का वजन था और एक मांगटीका भी था। निधि मेरे नाक से छोटी वाली नथिया निकाल दी और
वो बड़ी वाली सौ ज्यादा वजन वाली नथिया मेरे नाक में डाल दी और उसकी चेन को मेरे बालों
में फंसा दी। फिर मेरे कलाइयों में दो दो सोने के कंगन पहना दी, माथे पर मांगटीका पहना
दी और पैरों हैवी चाँदी की पायल पहना दी। उसके बाद फिर से मेरा घूँघट कर दी और मुझसे
बोली कि जब मैं अपनी होने वाली सास ससुर के सामने जाऊं तो उनके पैर छूकर उनसे आशीर्वाद
लूँ। फिर निधि मुझे मेरी होने वाले सास ससुर यानी ऋषभ के माँ पापा के सामने ले जाकर
खड़ी कर दी। मैंने घूँघट ठीक किया और अपने होने वाले सास और ससुर के पैर छुए और उनसे
सौभाग्यवती भवः और पुत्रवती भवः का आशीर्वाद ली। फिर मेरी होने वाली सास ने मुझसे कहा
कि उनके घर में बड़ी बहुओं से ज्यादा छोटी बहुएं घर की जिम्मेदारी उठाती हैं और मुझे
भी घर संभालने की ज्यादातर जिम्मेदारियां उठानी होगी। मैंने हाँ में सर हिला दिया,
ये जाने बगैर कि मेरी लाइफ कैसी होने वाली है मेरे ससुराल में। जब ऋषभ की माँ और पापा
वहां से जाने से पहले शादी की डेट बताते गयीं जो कि एक हफ्ते बाद का डेट था। देखते
ही देखते वो दिन भी आ गया जो मेरा नाईटमेयर था, कल मेरी शादी होनी थी, मेहँदी वाली
मेरे और निधि दोनों हाथों में कुहनी तक और पैरों में घुटनों तक मेहँदी लगा कर जा चुकी
थी। एक ही कमरे में मैं और निधि हाथों और पैरों में मेहँदी लगवाकर बैठीं उसके सूखने
के इंतज़ार में थीं जो कि अगली सुबह तक मेहँदी सुखानी थी। हमदोनो आपस में बातें करती
रहीं, निधि मुझे छेड़ते रही कि ऋषभ सुहागरात में मेरे साथ क्या क्या करेगा। मैं बहुत
शर्मिंदा हुई, डर के मारे वैसे ही मेरी हालत इतनी खराब थी कि अभी से वीकनेस हो रहा
था। ऐसा लग रहा था शरीर में खून की जगह पानी दौड़ रहा हो और बात बात पर रोना आ जा रहा
था। ऐसे में निधि मुझसे बोली कि जितना रोना है, अभी रो लो। लेकिन निधि क्या बोल रही
थी और मैं कितना वीक महसूस कर रही थी, ये मैं बता नहीं सकती थी। जैसे तैसे रात बीती,
सुबह हुई तो निधि ने मुझे जगा दिया। हमदोनो ने मेहँदी धोयी तो मेरी मेहँदी निधि के
मेहँदी से कुछ ज्यादा ही डार्क थी। निधि मुझे देखकर हंसने लगी और बोली कि ऋषभ मुझसे
बहुत प्यार करने वाला है। मैंने अपनी मेहँदी पर गौर किया, मेरी मेहँदी के बीचोबीच दिल
बना था जिसमे ऋषभ लिखा था। ये देखकर तो मेरी हालत और खराब होने लगी थी। मेरे और निधि
के पुरे शरीर पर आखिरी बार उबटन लगाया गया और जब हमदोनो नहा कर आयीं तो ब्यूटीशियन
आ चुकी थी। दिन के दो बजे से ब्यूटीशियन हमें तैयार करने बैठी तो रात के साढ़े छह बज
गए तैयार होते होते।
मैं और निधि लाल जोड़े में तैयार बैठीं थी, एक जैसा रानी स्टाइल लहँगा और बैकलेस
चोली वो भी बिन ब्रा के पहनने के कारण हर स्टेप के साथ मेरे ब्रेस्ट्स बहुत हिलते जिससे
मुझे बहुत शर्म आती। वैसे तो निधि ने भी बिन ब्रा के ही चोली पहनी थी लेकिन उसकी ब्रेस्ट
मेरे ब्रेस्ट से कुछ छोटी थी। इससे ये हो रहा था कि मेरे ब्रेस्ट्स का उभार साफ़ झलक
रहा था, वहीँ निधि के ब्रेस्ट्स का उभार उतना नहीं झलक रहा था। इतनी ज्वेलरीज कि दो
कदम चलो तो पायल की छनछन और बाकी ऑर्नामेंट्स की खन खन की आवाज़ होने लगती। गोल्डन हाई
हील्स मैंने और निधि दोनों ने ही पहन रखी थी। निधि मेरी एक्स गर्लफ्रैंड जो मुझसे शादी
करके घर बसाने का सपना देखती थी, आज वो जिस शंकर से शादी करने वाली थी, मैं भी उसी
के छोटे भाई ऋषभ की दुल्हन बनने जा रही थी। धूम धड़ाके की आवाज़ सुनते ही मेरे दिल की
धड़कन तेज़ हो गयी, नर्वसनेस ने मुझे घेर लिया और मेरे तन बदन में थरथराहट होने लगी।
मैं डर से थरथराने लगी, रह रह कर आंखों में आंसू आ जाते, कमज़ोरी महसूस होने लगा, ये
मैं क्या करने जा रही थी। औरतें और लड़कियां मुझे घेरे बैठीं तरह तरह की एडल्ट बातें
कर रही थी। नाक में इतना बड़ा नथिया मेरे नाक में दर्द दे रहा था लेकिन मैं उस नथिया
को उतार भी नहीं सकती थी। कितनी कम्फर्टेबल थी निधि उस नथिया में लेकिन मुझे तो इतना
दर्द हो रहा था कि मन कर रहा था कि इस नथिया को उतार दूँ। थोड़ी देर बाद मुझे और निधि
को एक ही कमरे में बिठाकर वो सभी आंटियां और लड़कियां बारात के स्वागत के लिए चली गईं।
थोड़ी देर बाद मुझे और निधि को घूंघट करके स्टेज पर ले जाया गया। ऋषभ जो मुझे
ब्याहकर अपने साथ ले जाने वाला था, उसे देखकर मेरा दिल इतनी जोर से धड़कने लगा कि आँखों
में आंसू आने से खुद को रोक ना सकी मैं। जयमाला के टाइम ऋषभ खुद घुटनों पर बैठ गया
और मुझे और ह्युमिलियेट होने से बचा लिया और जयमाला के बाद हमें मंडप पर ले जाया गया
और ऋषभ जी के राइट साइड में बिठा दिया गया। वहीं मेरी एक्स को दूसरे मंडप पर ले जाया
गया और उसे शंकर जी के राइट साइड में बिठा दिया गया। रस्में शुरू हुईं, ऋषभ जी के साथ
मैंने और शंकर जी के साथ निधि ने एक साथ सात फेरे लिए। फिर जैसा पंडित ने कहा तो ऋषभ
जी ने मेरे गले में मंगलसूत्र और मेरी मांग में ढेर सारा सिंदूर भर दिए। उधर शंकर जी
ने निधि के गले मे मंगलसूत्र और मांग में ढेर सारा सिंदूर भर दिया। कुछ मंत्रोच्चार
के बाद, मेरा और निधि का कन्यादान निधि के मामा ने किया। अब मैं सही मायनों में ऋषभ
जी की और निधि सही मायनों में शंकर जी की पत्नी बन चुकी थीं। शादी के बाद मेहमानों
के लिए भोज का आयोजन किया गया, सभी खा पी रहे थे वहीं मैं और निधि अपने अपने दूल्हे
के साथ स्टेज पर बैठे आने जाने वाले बड़े बुजुर्गों से सौभाग्यवती रहने का, सदा सुहागिन
रहने, पुत्रवती रहने का आशीर्वाद ले रही थीं। कुछ लड़कियां मेरे बगल में खड़ी होकर सुहागरात
की बातें करके कर रहीं थी, लड़कियाँ ऐसी एडल्ट बातें कैसे कर सकती हैं, अल्लाह! लेकिन
उन लड़कियों में मेरी और ऋषभ जी की सुहागरात के बारे में जानने की बड़ी बेचैनी थी। जाने
कब विदाई का टाइम आ गया, बैकग्राउंड में इमोशनल गाने मुझे बहुत इमोशनल कर रहे थे। विदाई
के टाइम किसी नार्मल लड़की की तरह मैं भी बहुत रोई, चूँकि मेरा कोई रिश्तेदार, ना मेरे
अम्मी, ना मेरे अब्बू, ना भाई, ना बहन कोई भी नहीं था। लेकिन निधि की माँ ने मुझे गले
से लगाकर घर गृहस्ती के बारे में बताईं और कहा कि अब से वो ही मेरी माँ हैं। मैं उनसे
लिपट कर बहुत रोई, इतना तो निधि भी नहीं रोई। फिर नियम के अनुसार ऋषभ जी ने मुझे सबके
सामने बाहों में उठा लिए और कार में बिठाकर घर ले आये यानी मेरे ससुराल में। मैं तो
रोते रोते कब ऋषभ जी की बाहों में सो गयी, इसका पता भी नहीं चला, लेकिन जब मेरी नींद
खुली तो एक दस बाय दस के कमरे में खुद को देखकर आश्चर्यचकित रह गयी। फूलों से सजी सॉफ्ट
से बिस्तर पर अकेली लेटी हुई थी, अगल बगल में भी फूलों से डेकोरेशन किया हुआ था और
कमरा बहुत सुन्दर दिख रहा था। थोड़ी देर में वहां कुछ लडकियां आयी, मेरा मेकअप ठीक करके
घूँघट कर दीं और मुझे अपने साथ बाहर वाले कमरे में ले गयीं जहाँ मुँहदिखाई की रस्म
होनी थी और वहीँ निधि भी घूँघट में सर झुकाये बैठी थी। मुझे भी निधि के बगल में बिठा
दिया गया और मैंने भी सर झुका लिया। औरतें हमें घेर कर बैठ गयीं कर एक एक करके हमारी
शक़्लें देखतीं और कुछ कुछ बोलने लगतीं।
एक बोली - ऋषभ की दुल्हन कितनी छोटी लग रही है, बालिग़ तो है ना या नाबालिग
लड़की उठा लाया है।
मेरी सास बोली - ये बालिग़ ही है दीदी, देखने में छोटी है लेकिन क्यूट है।
दूसरी बोली - कुछ भी कहो, बड़ी दुल्हन और छोटी दुल्हन दोनों ही बड़ी सुन्दर हैं।
हाँ छोटी की हाइट थोड़ी कम है लेकिन हील्स पहनेगी तो ऋषभ की छाती तक तो आ ही जायेगी।
तीसरी बोली - सच में बड़ी सुन्दर है दोनों दुल्हनियाँ। वैसे बड़ी नसीबों वाली
हैं दोनों दुल्हनें जो इन्हे शंकर और ऋषभ जैसे पति मिले। दोनों इतने अच्छे दिल के हैं
और सबका कितना ख्याल रखते हैं।
मेरी सास बोली - हाँ बहनजी, सही कह रही हो।
वैसे ही अगले डेढ़ दो घंटों तक मैं और निधि बोर होती रहीं, औरतों की बातें और
उनके तर्क वितर्क। फिर कुछ लड़कियों ने मुझे और निधि को घेर लिया और सुहागरात और हनीमून
पर जाने की बातें शुरू कर दीं। मुझे पता है कि सुहागरात में दुल्हन के साथ दूल्हा क्या
करता है और ये सब मैं औरत बनने से पहले निधि के बड़े भैया के साथ डेढ़ सालों तक लगातार
की है। लेकिन अब मैं औरत हूँ तो किस तरह का दर्द झेलना पड़ेगा सुहागरात में, ये मैं
नहीं जानती थी और यही डर मुझे अंदर ही अंदर खाये जा रहा था। धीरे धीरे शाम हुई, मेरी
तो भूख मर गयी थी और निधि की भी। हम दोनों ने लाइट खाना खाया और फिर जब सभी औरतें मुझे
और निधि को सौभाग्यवती रहने का, पुत्रवती रहने का, और संस्कारी होने का कॉम्प्लीमेंट
देकर चली गयीं तो मुझे मेरे कमरे में और निधि को उसके कमरे में ले जाया गया। कुछ लडकियां
मुझे घूँघट करके गुड लक विश करके वहां से चली गयीं, बगल में केसर वाला दूध का गिलास
रख दीं और जाते जाते बोल गयीं कि जब ऋषभ जी कमरे में आएं तो पहले तो मैं उनके पैर छूकर
उनसे आशीर्वाद लूँ, फिर केसर वाला दूध पीने को खुद से दूँ और बिना गिफ्ट लिए घूँघट
ना हटाने दूँ। मैंने हाँ में सर हिलाया और उन लड़कियों को जाते देखती रही।
थोड़ी देर तक मैं वैसे ही बैठी रही, ऐसी का फ्लो इतना ज्यादा था कि ठण्ड लगने
लगी थी और नींद भी बहुत आ रही थी। मैं सोना चाहती थी लेकिन सो नहीं सकती थी, कैसी लाइफ
हो गयी थी मेरी, खुद को देखकर रोना आ रहा था लेकिन मैं रो भी नहीं सकती क्यूंकि इससे
मेरा मेकअप खराब हो जाता। अचानक क़दमों की आहट हुई, दरवाज़ा खुला और बंद हो गया। मैं
समझ चुकी थी कि ऋषभ जी कमरे में आ चुके हैं, ट्रांसपेरेंट ना होने की वजह से घूँघट
से कुछ दिख भी नहीं रहा था और मैं घूँघट भी नहीं उठा सकती खुद से, फिर भी मैंने घूँघट
के किनारे से देखा, सामने ऋषभ जी खड़े मुस्कुरा रहे थे। जैसा लडकियां बोलकर गयीं थी,
मैं बिस्तर से उतरी, ऋषभ जी के पैर छूकर उनसे आश्रीवाद लेने के लिए झुकी तो उन्होंने
मुझे सीने से लगा लिया।
फिर मैं शर्माने लगी और टेबल पर से दूध का गिलास ऋषभ जी को दे दी। एक घूंट
में ऋषभ जी ने दूध गटक लिया।
ऋषभ - इतने दूध से मेरा क्या होगा रानी!
मैं - इतना ही था।
ऋषभ - हम्म! दूध का इंतेज़ाम तो मैं कर लूंगा रानी, पहले ये लो, तुम्हारे लिए
गिफ्ट लाया हूँ।
मैंने गिफ्ट बॉक्स हाथ में लिया। उस बॉक्स में तीन तरह की अलग अलग रंग की बनारसी
साड़ी, एक कांचीवरम साड़ी, बेबीडॉल ड्रेस, अनारकली सूट, तीन अलग अलग डिज़ाइन की बॉडीकॉन
मिनी स्कर्ट्स, सोने के कंगन, ढाई ढाई सौ ग्राम की पायल, एक आई फ़ोन और एक बड़ा सा राजस्थानी
स्टाइल नथिया था।
मैं - इतना सबकुछ क्यों?
ऋषभ - मैं नहीं चाहता कि मेरी रानी को किसी भी चीज़ की कमी महसूस हो।
फिर ऋषभ जी ने मुझे अपनी बाहों में उठा लिया और बिस्तर पर बिठा दिए। मेरी धड़कनें तो इतनी तेज़ हो गयी कि ऐसा लगा रहा था कि कहीं मेरा हार्ट फेल ना हो जाए। जैसे जैसे ऋषभ जी मेरे करीब आने लगे मैंने अपने दोनों हाथों से अपने दोनों पैरों को सिकोड़कर पीछे हटने की कोशिश करने लगी। लेकिन वो मेरे पास आ गया, बहुत पास। मेरा पूरा बदन थरथराने लगा था, आँखों में आंसू आने से खुद को रोक नहीं पा रहा था। बड़े ही आहिस्ते ऋषभ ने मेरा घूँघट हटा दिया, तो मैंने शरम से अपनी आँखें बंद कर ली और हथेली से अपना चेहरा छुपा लिया। ऋषभ ने फिर मेरे हाथों पर किस कर लिया और मेरा पूरा बदन झनझना उठा। जिस आंसू को मैंने आने से रोक रखा था, ऋषभ के किस करते ही वो आंसू मेरे आँखों से बहने लगा।
मैं अभी भी कंपकंपा रही थी, आँखों में आंसू थे और
ऋषभ ने फिर बड़े प्यार से मेरे हाथ को चेहरे से अलग किया मेरे होंठो को हलके से चुम लिया। अल्लाह ये कैसा एहसास हो रहा था मुझे मैं शब्दो में बयान नहीं कर सकती लेकिन उसने मेरे होंठों को नहीं बल्कि मेरी रूह को छू लिया था। ऋषभ एक बार फिर मेरे करीब आया, मेरे माथे को चूमा और फिर से मेरे होंठों को चूमने लगा और वो भी बहुत ही पैशनेट तरीके से। मैं बहुत कमज़ोर फील कर रही थी, एक मर्द के सामने औरत होने का एहसास आज सही मायनों में हो रहा था। हौले हौले ऋषभ मेरे बदन को चूमने लगा, गले से होते हुए मेरे ब्रेस्ट्स के ऊपरी उभार को जो उसने चूमा मैं और भी थरथराने लगी और ऋषभ को गले से लगा लिया। ऐसा मैंने क्यों किया, मैं नहीं जानती लेकिन मैंने बस कर दिया। ऋषभ ने धीरे धीरे मेरे शरीर से एक एक जेवर उतारता गया लेकिन पैरों में पायल, दोनों कानों में झुमकियां और नाक की नथिया, गले का मंगलसूत्र छोड़कर अब शरीर पर एक भी ज्वेलरी नहीं रह गयी थी। फिर ऋषभ ने अपनी शेरवानी उतार दी और अब वो सिर्फ चूड़ीदार पायजामे में था और मैं अपने बॉडीबिल्डर दूल्हे को देखकर शर्मा रही थी।फिर ऋषभ ने मेरे करीब आया और उसने मेरे गले पर, पीठ पर किस करते हुए मेरी चोली की डोरी खोल दी। मैंने ब्रा नहीं पहन रखा था तो आगे से मैंने अपनी दोनों हथेलियों से अपनी चोली को संभाली। लेकिन ऋषभ ने अपने हाथों से मेरी चोली को मेरे ब्रेस्ट्स से अलग कर दिया। अब मैंने अपनी हथेलियों से अपने दोनों ब्रेस्ट्स को कवर कर लिया और ऋषभ मेरे ब्रेस्ट्स के उभार को चूमने लगा। अल्लाह कैसी फीलिंग है ये, मैं कमज़ोर हो रही हूँ, ऐसा क्यों हो रहा है। मुझे अच्छा भी लग रहा था, रोना भी आ रहा था और कमज़ोरी भी फील हो रही थी। एक मर्द मुझे पूरी तरह से कण्ट्रोल कर रहा था। धीरे धीरे ऋषभ ने मेरे ब्रेस्ट्स को चूमना शुरू किया और अब मेरे निप्पल्स को बच्चे की तरह जोर जोर से चूसने लगा था। मेरी ब्रेस्ट्स की नसें खिंचता महसूस कर रही थी, मानो मेरे अंदर से कुछ निकल रहा हो और मैंने देखा ऋषभ मेरे ब्रेस्ट्स से दूध खींच रहा था। ऋषभ के होंठों पर दूध का छींटा था और वो दूध मेरे ब्रेस्ट्स से निकला था, बहुत ह्युमिलिएशन हो रही थी लेकिन ऋषभ ने अब मेरी दूसरे ब्रेस्ट्स से दूध खींचने लगा और मुझे बहुत अजीब सा महसूस होने लगा था। धीरे धीरे ऋषभ ने मेरा लहँगा उठा दिया और मेरी पैंटी उतार दी। मैं समझ चुकी थी कि ऋषभ क्या करने जा रहा था लेकिन ऋषभ कुछ और ही करने जा रहा था। ऋषभ ने मेरी वजाइना को जीभ से सहलाना शुरू कर दिया, अल्लाह, ऐसा लग रहा था मानो 440 वाल्ट का करंट दौड़ गया हो मेरे अंदर। थोड़ी देर तक ऋषभ मेरी वजाइना को जीभ से सहलाता रहा, कभी को जीभ अंदर डाल देता और जोर जोर चूसने लगता तो कभी मेरी वजाइना को ऊपर ऊपर से चाटने लगा। ये सब बहुत अजीब था लेकिन मुझे बहुत अच्छा महसूस हो रहा था। फिर ऋषभ ने मुझे देखा, मैं शरमाने लगी थी। ऋषभ ने अब अपना चूड़ीदार पायजामा उतार दिया और अंडरवियर भी। अब वो खड़ा हो गया और उसका लंड मेरी आँखों के सामने था। काले रंग का मोटा, लम्बा और बिलकुल टाइट लंड था वो और उसे देखकर मेरी हालत खराब थी।
ऋषभ - यहाँ आओ रानी!
मैंने अपना लहँगा उठाकर अपने पति के पास चली गयी। ऋषभ ने मेरी ठुड्डी को ऊपर
उठाया और मेरे होंठों को चूमने लगा तो मेरी आँखें खुद ब खुद बंद हो गयी।
ऋषभ - मेरे लंड को तुम्हारे प्यार की जरुरत है मेरी रानी!
मैंने ऋषभ के लंड को इतने पास से देखा, ये सूरज के लंड जितना ही बड़ा था लेकिन
काफी मोटा लंड था और देखकर ही मुझे डर लगने लगा था। लेकिन हिम्मत करके मैंने ऋषभ के
लंड को छुआ, इतना गरम था। फिर माइनर ऋषभ के लंड को अपने हाथों से सहलाना शुरू किया
तो वो लंड और भी मोटा और लम्बा होता चला गया। अल्लाह, आई कैंट बिलीव कि किसी मर्द का
इतना मोटा और लम्बा लंड भी हो सकता है। ये क्या कर रही थी मैं, इतना मोटा लंड को जैसे
जैसे मैं सहलाती गयी, वो टाइट होता गया और मोटा भी। फिर ऋषभ ने मेरे हाथ को अपने लंड
से हटा दिया और मुझे ब्लोजॉब के लिए कहा। मैं जानतीं हूँ कि ब्लोजॉब कैसे देना होता
है, मैंने ना जाने कितने ही बार सूरज को ब्लोजॉब दिया था लेकिन ये तो इतना मोटा है,
मेरे मुँह की ओपनिंग से भी काफी ज्यादा मोटा।
मैं - ये बहुत मोटा है!
ऋषभ - तुम शुरू तो करो मेरी रानी!
मैंने बहुत हिम्मत करके अपने पति के लंड को चूमना शुरू किया। ओह्ह, अल्लाह, कैसा स्मेल है, मैं क्या कर रही हूँ। अपने अंतर्द्वंद को साइड में रखकर मैंने अपने पति के गर्म लंड को चूमना शुरु किया और धीरे धीरे उसे मुँह में लेने की कोशिश भी करने लगी। लेकिन इतना मोटा लंड, मेरे मुँह से बड़ा लंड मुझसे मुँह में लिया नहीं जा रहा था। फिर धीरे धीरे किसी तरह मैंने ऋषभ जी का लंड अपने मुँह में लिया और उन्हें ब्लोजॉब देने की कोशिश करने लगी। फिर ऋषभ जी ने भी मेरे बाल पकड़ लिए और पुरे जोश में आगे पीछे करने लगे। मेरे नाक का नथिया बार बार उनके लंड से टकरा रहा था और मेरे नाक में बहुत दर्द हो रहा था। लेकिन इतनी रगड़ के बावजूद ऋषभ जी पुरे जोश में थे, ना तो वो रुक रहे थे और ना ही मुझे रुकने दे रहे थे। ये मैं क्या कर रही थी, इनका लंड मेरे गले में बार बार टकरा था और थोड़ी देर तक ब्लोजॉब देने के बाद इन्होने अपना लंड मेरे मुँह से बाहर निकाल लिया। बहुत राहत मिली, सांस भी लेने में दिक्कत हो रही थी। मैंने सांस लिया इतने में ये मेरे दोनों पैरो को हवा में उठा दिए और फिर से मेरी वजाइना को चूमने लगे। मेरे दोनों पैर हवा में था, मेरा लहँगा मेरे ऊपर आ रहा था और अब ऋषभ जी तैयार थे।
उन्होंने
मुझे अपनी तरफ खींच लिए और मेरी वजाइना पर अपना लंड सटा कर मेरे साथ रोमांस करने लगे।
आई वज लाइक, या खुदा, ऐसा एहसास मुझे कभी नहीं हुआ जब मैं मर्द थी लेकिन ये एहसास,
इतना अच्छा एहसास था कि मन कर रहा था कि इस एहसास को हमेशा के लिए अपने अंदर संजों
कर रख लूँ। फिर ऋषभ जी मेरे दोनों ब्रेस्ट्स को अपने हाथों से स्क्वीज़ करने लगे और
एक साथ अपने मुँह में लेकर चूसने लगे तो मेरे अंदर अजीब से एक्साइटमेंट होने लगी। मैं
शब्दो में बयान नहीं सकती कि मैं कैसा महसूस कर रही थी, इस फीलिंग को सिर्फ जिया जा
सकता था। इसी बीच ऋषभ जी ने धीरे से अपने लंड को मेरी वजाइना में पुश किया। अल्लाह!
इतना दर्द हुआ, लग रहा था मानो मेरी वजाइना फट जाएगी। मैं दर्द से रोने लगी तो ऋषभ
जी रुक गए और मेरे साथ रोमांस करने लगे। फिर धीरे धीरे उन्होंने अपना लंड फिर से मेरी
वजाइना में घुसा दिए, इस बार भी दर्द हुआ, मैं फिर से रोने लगी और ये फिर से रुक गए
और मेरी निप्पल्स को चूमने लगे जिससे मैं एक्साइटेड होने लगी। इस बार इन्होने अपना
लंड बाहर नहीं निकाला और इन्होने थोड़ा और अंदर पुश किया तो मुझे और दर्द हुआ, मैं और
जोर जोर से रोने लगी। ऋषभ जी मेरे होंठों को अपने होंठों से स्मूच करने लगे और अपने
लंड को और भी अंदर पुश किये और मेरी झिल्ली फट गयी। इस बार का दर्द मुझसे बर्दाश्त
नहीं हुआ और मैं जोर जोर से रोने लगी और ऋषभ जी मेरे बदन को चूमने लगे। इससे मेरी एक्साइटमेंट
बनी रही और मैं आंसू बहाते हुए इनको देखने लगी। फिर इन्होने लंड बाहर निकाल लिया और
जब मैंने इनके लंड को देखा तो देखते रह गयी। इनके लंड के टिप पर ब्लड के छींटे थे और
ये मुस्कुरा रहे थे।
ऋषभ - कॉन्ग्रैचुलेशन्स रानी, नाउ यू आर डेफ्लॉवर्ड। तुम अब कुंवारी नहीं रही
मधु रानी!
ऋषभ जी के ऐसा कहते मैं बहुत शर्मिंदा हुई और इनकी छाती में अपना सर छुपा ली। फिर इन्होने अचानक अपना लंड मेरी वजाइना में घुसा दिए, फिर से दर्द हुआ लेकिन इस बार दर्द मेरे कण्ट्रोल में थी। अब ऋषभ जी धीरे धीरे मुझे चोदना शुरू कर दिया और इनके हर स्ट्रोक्स के साथ मैं जोर जोर से मॉनिंग करने लगी। ये सब अगले पंद्रह मिनट्स तक चलता रहा और अब ये बहुत ज्यादा एक्साइटेड हो गए थे, मुझे भी अच्छा फील होने लगा था क्यूंकि दर्द कम और प्लेज़र ज्यादा मिल रहा था। फिर मैं भी धीरे धीरे एक्साइटेड हुई जा रही थी, मैं रो भी रही थी, हंस भी रही थी, शरमाये भी जा रही थी और जोर जोर से मॉनिंग भी कर रही थी। मैं बहुत एक्साइटेड हो गयी थी और ये भी फिर इन्होने जैसे ही मेरे अंदर अपने स्पेर्म्स का लोड डिस्चार्ज किया, मुझे भी जबरदस्त ओर्गास्म हुआ। इस ओर्गास्म के साथ ही मैं थरथराते हुए अपनी इस पहली ओर्गास्म के एहसास को संभालने की कोशिश करने लगी, इन्होने भी मुझे बहुत जोर से जकड़कर लम्बी लम्बी सांसें ले रहे थे और मैं भी आँखें बंद करके इस एहसास को रोकने की कोशिश में थी। आज एहसास हुआ कितना अच्छा लगता है, जब मैं मर्द थी और मैंने निधि को पहली बार चोदी थी, तब जो एहसास निधि को उस समय हुआ था, आज उसी एहसास के साथ अपने पति को बाहों में थी मैं। अब सही मायनों में मैं औरत बन चुकी थी, इन्होने मेरे रूह को छू लिया था और इस एक ओर्गास्म ने मुझे और ऋषभ जी को हमेशा के लिए एक कर दिया। हमदोनो एक दूसरे से सांप की तरह लिपटकर कब गहरी नींद की आगोश में समा गए, हमें भी पता नहीं चला।
जब सुबह मेरी
नींद खुली तो मैं इनके ऊपर थी, इनका लंड अभी भी मेरी वजाइना में था और ये मेरी कमर
को अपने बलिष्ठ हाथों से जकड़े लम्बी लम्बी सांसें ले रहे थे। मैं जाग चुकी थी और अपने
पति को इतने पास से देख रही थी, अचानक ना जाने मुझे क्या हुआ, मैंने इनके होंठों को
चुम लिया और इनकी नींद खुल गयी। इन्हे जगा देख मैं शरमाने लगी और इन्होने मेरे होंठों
को अपने होंठों से चूमने लगे और बहुत देर तक मुझे चूमते रहे। मैं इनके लंड को अपने
अंदर अभी भी फील कर पा रही थी कि कैसे इनका लंड टाइट हो रहा था। ये मेरे साथ एक राउंड
और सेक्स करना चाहते थे, लेकिन आज ससुराल में मेरा पहला दिन था, मैं देर होना नहीं
चाहती थी तो मैंने इनसे इसके लिए मना किया।
ऋषभ - आई लव यू मधु, तुमने जो मुझे ख़ुशी दी है, उस ख़ुशी को पाकर मैं बहुत खुश
हूँ मेरी रानी। सिर्फ एक राउंड, सुबह के पांच ही तो बजे हैं।
मैं - प्लीज्, मान जाइये ना! देर हो जाएगी तो सासु माँ नाराज़ हो जाएँगी।
ऋषभ - मैं तुरंत कर लूंगा, अब प्लीज् मना मत करो मेरी रानी।
ये मुझे लेकर बिस्तर से खड़े हो चुके थे और इन्होने मेरी हाँ कहे बगैर मुझे
फिर से चोदना शुरू कर दिया। मैंने इनके गले से लिपट गयी और हर स्ट्रोक्स के साथ मेरी
नथिया, झुमकियां और पायल की आवाज़ के साथ मैं रोती भी रही और भी मॉनिंग भी करने लगी।
पंद्रह मिनट्स के हार्डकोर सेक्स के बाद एक बार फिर से इनके डिस्चार्ज के साथ ही मेरा
भी ओर्गास्म हो गया। मैं इन्हे गले से टाइट से जकड कर इस फीलिंग को जीने लगी और फिर
ऋषभ जी मुझे बिस्तर पर अपने ऊपर लिटा लिए। कुछ देर तक मैं आँखें बंद करके इस फीलिंग
को जीने लगी और तभी मेरी आँख खुली। सुबह के साढ़े छह बज चुके थे, मैंने इनसे हटने को
कहा।
मैं - ऋषभ जी, साढ़े छह बज गए हैं, मुझे जाना होगा। हो गयी ना लेट!
ऋषभ - हम्म! कोई बात नहीं! जाओ, पहले फ्रेश हो लो, नाहा लो फिर तैयार हो जाओ
तो बाहर जाना। और बनारसी साड़ी पहन लेना और साथ में कलाइयों में दोनों कंगन और राजस्थानी
नथिया पहन लेना नाक में।
मैं - नथिया तो उतारा नहीं आपने?
ऋषभ - यहाँ आओ, नथ उतराई की रस्म भी निभा देता हूँ।
फिर ऋषभ जी ने अपने हाथों से मेरे नाक से नथिया को उतार दिया और नथ उतराई की
रस्म भी पूरा कर दिए। मैं शर्माते हुए वाशरूम में चली गयी। मैं वाशरूम से आयी तो इन्होने
मेरे नाक में खुद से वो राजस्थानी नथिया पहना दिए। ये नथिया तो पहली वाली नथिया से
भी बहुत ज्यादा डिज़ाइनर और हैवी थी लेकिन ऋषभ जी ने अपने हाथों से पहनाया था तो मुझे
बहुत अच्छा लगा। बनारसी साड़ी में तैयार होकर, घूँघट करके इनके सामने गयी तो इन्होने
अपने हाथों से मेरी मांग में सिन्दूर भर दिया और मेरे होंठों को चूम लिया। मैंने इनके
पैर छूकर इनसे सौभाग्यवती रहने का आशीर्वाद ली और घूँघट करके इनके साथ बाहर गयी। बाहर
आकर मैंने अपनी सास और ससुर के पैर छुए और उनसे भी सुहागिन रहने का आशीर्वाद ली। मैंने
इधर उधर नज़र दौड़ाई, निधि किचन में थी तो मैं भी किचन में चली गयी। बहुत खुश दिख रही
थी निधि और जब उसने मुझे देखा, ना जाने क्यों मैं शर्माने लगी।
निधि - बहुत देर कर दी तुमने, देवर जी ने ज्यादा चोद दिया क्या?
मैं - निधि, कैसे बोल रही हो यार!
निधि - अच्छा बाबा, कैसी रही सुहागरात!
मैं - इट वज़ गुड!
निधि - देन थैंक्स मी!
मैं - थैंक यू बेबी!
निधि - बेबी तो मेरे पतिदेव पुकारेंगे, तुम तो मुझे भाभी बोलोगी!
मैं - नो वे!
निधि - मेरी देवरानी हो तुम, तो इस रिश्ते से तुम मुझे भाभी ही कह सकती हो।
मैं - ठीक है भाभी!
निधि - मंदिर में पूजा की हो?
मैं - पूजा, नहीं! मैं तो मुस्लिम हूँ!
निधि - मुस्लिम थी तुम, अब तो तुम हिन्दू घर की छोटी बहु हो तो अब से मंदिर
में पूजा करना तुम्हारे नियम में होना चाहिए।
मैं - सीरियसली भाभी!
निधि - हाँ मधु!
मैं - तो मुझे सीखा देना, पूजा कैसे करते हैं!
निधि - हम्म!
फिर निधि भाभी ने खाना पकाई, मैंने सभी को खाना सर्व किया। सभी ने खाने की
बड़ी तारीफ़ की और आखिर में मैंने और निधि ने खाना खाया। आज भी बहुत सी औरतें और लडकियां
मेरी और निधि की मुंहदिखाई के लिए आयीं और सभी ने हमदोनो की सुंदरता की खूब तारीफ़ की।
सबके पैर छूकर सबसे सौभाग्यवती, पुत्रवती और सदा सुहागिन रहने का आशीर्वाद लेते लेते
कब शाम हो गयी पता भी नहीं चला। शाम को मैंने निधि भाभी के साथ मिलकर स्नैक्स बनाई
जो सबको बहुत पसंद आयी। शाम को निधि मुझे घर के मंदिर में ले गयी और दिया जलाई, शाम
की आरती करवाई और एक नया सफर शुरू हो चूका था मेरा। एक हिन्दू बहु की जिम्मेदारी कितनी
ज्यादा होती है ये अब समझ आने लगा था। पांच दिन हो गए हमारी शादी को और ऋषभ जी ने एक
भी रात मुझे आराम से सोने नहीं दिया। आधी रात तक ये मुझे चोदते और तबतक चोदते जबतक
कि मैं बेहोश ना हो जाऊं। अच्छा तो एक राउंड तक ही लगता है, दूसरे राउंड से तो दर्द
और जलन इतना परेशान करती है कि रोना आ जाता है।
शादी के छठे दिन की सुबह ऋषभ जी ने मुझसे कहा कि ये हनीमून की टिकट्स कटवा
चुके हैं और आज शाम ही गोवा की फ्लाइट भी है। हनीमून की बात सुनते ही मैंने इनसे निधि
के बारे में पूछा, तो ये बोले कि भैया भाभी को शिमला घुमाने ले जा रहे हैं कल। सभी
से कुछ दिनों के लिए विदा लेकर शाम की फ्लाइट से ऋषभ जी मुझे अपने साथ गोवा ले आये।
गोवा आते ही हम एक बुक्ड रिसोर्ट में रुके जो नेक्स्ट पंद्रह दिनों के लिए बुक्ड थी।
उस रात से ऋषभ जी मुझसे साफ़ लफ़्ज़ों में कह दिया कि अब यहाँ साड़ी नहीं पहननी, अगर पहननी
भी होगी तो ये खुद से डिसाईड करेंगे और मुझसे बेबीडॉल ड्रेस पहनने को बोले। जब मैं
बेबीडॉल ड्रेस पहनकर इनके सामने आयी तो ये अपना एक्साइटमेंट कण्ट्रोल नहीं कर पाए और
मुझे बाहों में उठाकर मेरे साथ रोमांस करने लगे।
मैं - अरे इतने उतावले क्यों हो रहे हो?
ऋषभ - इतनी सेक्सी वाइफ मिली है तभी तो चौबीसो घंटे उतावलापन बना रहता है।
मैं - धत्त, छोड़िये ना!
ऋषभ - छोड़िये या चोदिये?
मैं - छी, गंदी बातें करते हैं।
ऋषभ - इतनी दूर अच्छी बातें करने थोड़ी ना लाया हूँ मेरी रानी को!
मैं - प्लीज्, छोड़िये ना, बहुत थक गयी हूँ, आज रहने देते हैं प्लीज्।
ऋषभ - हम्म! तो ठीक है फिर, एक राउंड ही करूंगा बस!
मैं - सिर्फ एक राउंड, वो भी आप?
ऋषभ - क्यों?
मैं - आप एक बार शुरू हो जाते हैं तो फिर सुनते कहाँ हैं!
ऋषभ - प्रॉमिस, इस बार पक्का!
मैं - देखते हैं।
अभी भी ऋषभ जी की बलिष्ठ बाहों में थी मैं और वो मेरे होंठों को चूमे जा रहे थे। फिर उन्होंने मेरे ब्रेस्ट्स को चूसना शुरू किया तो मैं उत्तेजित होने लगी। फिर इन्होने मेरे निप्पल्स से मेरा दूध खींचना शुरू कर दिया, अल्लाह, ये एहसास कितना मजा देता है। फिर इन्होने मेरे दोनों ब्रेस्ट्स से दूध पी लिया और फिर मुझे देखने लगे तो मैं शरमाने लगी। फिर इन्होने मुझे बिस्तर पर लिटा दिया और मेरी पैंटी खोलकर अलग कर दिए।
मैंने वैसे ही ब्रा नहीं पहन रखा था और ये अब मेरे ऊपर आ गए। ये बहुत एक्साइटेड हो गए थे और मेरी दोनों टांगों को फैलाकर इन्होने अपना लंड मेरी वजाइना में घुसा दिया और मुझे चोदने लगे। आज ये कुछ ज्यादा ही एक्साइटेड हो गए थे और मैं भी कुछ ज्यादा ही आजादी से मॉनिग कर रही थी। शायद मेरी मॉनिंग की आवाज़ कमरे के बाहर भी जा रही हो लेकिन इससे क्या फरक पड़ता है। ये लगे रहे और मैं भी इन्हे सपोर्ट करती रही, इनके हर स्ट्रोक्स के साथ मेरी आह निकलती तो ये बड़े खुश हो जाते और फिर काफी जोर जोर से स्ट्रोक्स लगाने लगते। बिस मिनट्स तक लगातार ये मुझे चोदते रहे, मैं मॉनिंग करती रही और इनसे लिपटी रही। फिर इन्होने मुझे अपनी बाहों में उठा लिया और मुझे खड़े खड़े छोड़ने लगे, इस बार इनका लंड मेरी वजाइना को अंदर से फाड़ देने वाले स्ट्रोक्स लगा रहा था और मैं भी अब मॉनिंग की जगह जोर जोर से चिल्ला रही थी।
आँखों में आंसू थे मेरी आँखों में और ये मुझे
चोदने के साथ साथ मेरे साथ रोमांस भी करने लगे। ये मुझे ना तो रोने दे रहे थे और ना
ही हॅसने, मैं चुद रही थी और ये चोदे जा रहे थे मुझे। मेरे अंदर का शहीद आज सही मायनों
में मर गया था और मेरे अंदर मधु रानी का जन्म हो चूका था, जो सिर्फ औरत ही बने रहने
चाहती थी। ये मुझे अगले पंद्रह मिनट्स तक खड़े खड़े चोदते रहे और फिर बिस्तर पर लिटा
कर मुझे अपने लंड की सवारी करवाने लगे। अब ये नीचे था और मैं इनके लंड की सवारी कर
रही थी। लगभग दस मिनट्स हुए थे कि ये बहुत ही ज्यादा एक्साइटेड हो गए और मैं भी इन्हे
एक्साइटेड देख बहुत एक्साइड हो गयी। फिर थोड़ी देर में हमदोनो को एक साथ ओर्गास्म हुआ
और मैं थरथराती हुई, आँखें बंद करके इनकी छाती पर ही कब सो गयी, मुझे कुछ पता नहीं
चला।
अगली सुबह जब मैं गहरी नींद से जगी तो दिन के ग्यारह बज चुके थे। अल्लाह! इतना
लेट कैसे हो गया, मैंने इधर उधर देखा, ऋषभ जी कहीं भी नहीं थे। फिर मैं फ्रेश होने
चली गयी, जब वापिस आयी तो इनको देखकर अचानक इमोशनल हो गयी। मैं तुरंत इनकी छाती से
लिपट गयी, ना जाने क्या हो गया था मुझे! मैं ऋषभ जी को इतना मिस कर रही थी, पल भर के
लिए ओझल हुए तो, और कभी इन्हे मुझसे दूर जाना पड़ेगा तो मैं कैसे जियूँगी इसका एहसास
हो रहा था मुझे।
ऋषभ - क्या हुआ मेरी रानी को?
मैं - ऐसे बिन बताये कहीं मत जाया कीजिये, मुझे डर लगता है!
ऋषभ - हम्म! चलो, जल्दी से रेडी हो जाओ, हमें घूमने भी तो जाना है।
मैं - हम्म! साड़ी पहन लूँ?
ऋषभ - नहीं! गोवा में साड़ी कौन पहनता है? तुम एक काम करो, मिनी स्कर्ट पहन
लो और साथ में हाई हील्स पहन लेना, ठीक है!
मैं - और ये जो सुहाग का चूड़ा, मंगलसूत्र पहनी हुई हूँ, इन्हे तो नहीं उतार
सकती!
ऋषभ - इसे पहने रखो, कोई समस्या वाली बात नहीं है।
फिर थोड़ी देर में मैं मिनी स्कर्ट में तैयार हुई और ये मुझे पास के बाघा बीच पर घुमाने ले गए। हमारे ही तरह ना जाने कितने कपल्स वहाँ एन्जॉय कर रहे थे और एक दूसरे को किस कर रहे थे और किसी को किसी से कोई मतलब नहीं था। सब अपनी लाइफ एन्जॉय कर रहे थे। मुझे हील्स पहनकर रेत में चलने में बहुत प्रोब्लम हो रही थी तो मैंने हील्स उतारकर हाथों में ले ली, लेकिन इससे मैं और भी छोटी दिखने लगी थी इनके सामने। ये मुस्कुराने लगे क्यूंकि तपती धुप में बिना हील्स के चलने में बहुत प्रॉब्लम हो रही थी। तो इन्होने मुझे अपनी बाहों में उठा लिए और जब तक हम बीच पर घूमते रहे, तब तक मैं इनकी बाँहों में ही रही।
ये थोड़ी थोड़ी देर में खुल्ले में ही मुझे होंठों स्मूच करने लगते और मैं शरमाने लगती। इसी तरह हमारे हनीमून के पंद्रह दिन कैसे बीत गए, इसका पता भी नहीं चला। इन पंद्रह दिनों में ऋषभ जी ने मेरे साथ कामसूत्र के बिस से ज्यादा सेक्स पोसिशन्स में सेक्स किये और आखिरी रात तो इन्होने बीएसडीएम किया। मुझे रस्सी से बाँध कर, मुँह में एक बॉल घुसकर रुमाल से मुँह बाँध दिए और कभी लटका कर मेरी गांड में लंड घुसा कर चोदते, तो कभी मुँह से बॉल निकालकर मेरे मुँह में लंड घुसा देते, जब इन्होने मुझे खोल दिया तो मैं रोने लगी और इन्हे मेरे रोने से भी एक्साइटमेंट हो रही थी।
इन्होने मुझे बाहों में उठाकर कभी खड़े खड़े चोद रहे थे, तो कभी बिस्तर पर मुझे घोड़ी बनाकर मेरी गांड में लंड घुसा कर मेरी चुदाई कर रहे थे। ऋषभ जी ने मेरे चुतर पर इतने थप्पड़ मारे की मेरी चुतर लाल हो गयी और इनके हथेलियों का निशाँ भी पड़ गया था। इन्होने मुझे एक बट प्लग भी दिया, जिसे ये मेरी वजाइना में घुसाते तो कभी मेरी गांड में। इससे मेरे चुतर थोड़े फैले से दिखाई देते और इन्हे मुझे ऐसे देखकर बड़ा मजा आता। गोवा में हमारी आखिरी रात एक्स्ट्रा लॉन्ग एक्सट्रीम एंड सेंसुअल हार्डकोर सेक्स सेशन रहा जिसे मैं जिंदगी भर नहीं भूल पाउंगी कभी। मुझे पाकर ये इतने एक्साइटेड रहते हैं कि हमारे हनीमून को इन्होने तीन दिन और एक्सटेंड करवा लिया। तीन दिन हम कहीं घूमने नहीं गए, उस कमरे में मैं अगले तीन दिनों तक सिर्फ ब्रा और पैंटी में ही रही। ये इन तीन दिनों में सुबह दोपहर शाम रात भोर, जब मौका पाते, मुझे हार्डकोर सेक्स के बाद निढाल कर देते। बहुत कमज़ोर महसूस करने लगी थी अब मैं, ऐसा लग रहा था, ये मेरे अंदर का पूरा ताकत भी निचोड़ लेंगे। इन तीन दिनों के हार्डकोर सेशंस, अल्लाह, क्या बताऊं मैं।अब ये मेरे पति परमेश्वर हैं तो इन्हे मना भी तो नहीं कर सकती। ये मुझे हर रोज़ खूब रुलाते और मैं अबला नारी, अपने पति के प्रेम में इतनी पागल हो गयी हूँ कि कभी इन्हे नाराज़ नहीं करती। जब हम हनीमून से वापिस लौटकर घर आये तो मेरी सास ने मेरी आरती उतारी, चार दिन पहले ही निधि भी अपने हनीमून से वापिस आयी थी। घर आते ही अगले ही दिन से मैं फिर से सज संवर कर, ढेर सारे ऑर्नामेंट्स, गले में नौलखा हार, कानों में झुमकियां, पैरों में हैवी चाँदी की पायल, पैरों की उँगलियों में चांदी के बिछुए और नाक में बड़ा सा नथिया और होंठ तक घूँघट कर अपने रूटीन में वापिस आ गयी। इधर हनीमून से वापिस आने पर आस पड़ोस की बहुत सी लडकियां मुझसे मिलने आयी और हनीमून पर क्या हुआ, इस बारे में पूछने लगीं। मैं शर्माने लगी तो सभी एडल्ट बातें करने लगीं, मैं और भी ज्यादा शरमाने लगी, इतना कि मैं बहाना बनाकर उनके बीच से निकलकर सीधे किचन में आ गयी। वे सभी हसने लगीं और निधि भी मुझे देखकर हंसने लगी। हनीमून से वापिस आने के बाद कुछ दिनों तक तो कोई भी ऐसी रात नहीं गयी जब ऋषभ जी ने मेरे साथ हार्डकोर सेक्स और रोमांस ना किया हो और मुझे ना रुलाया हो लेकिन हर सुबह इनके किस के साथ जब मेरी नींद खुलती, मैं बहुत अच्छा फील करती।
नेक्स्ट मंथ कुछ ऐसा हुआ जिससे मेरा बदला हुआ लाइफ और भी ज्यादा बदल गया। जिस
तारीख को मेरा पीरियड्स आता था, उस डेट के अगले पांच दिनों के बाद भी मेरा पीरियड्स
नहीं आया। मैंने देखा निधि को प्रॉपर पीरियड्स आ रहे थे तो मुझे डर लगने लगा और मैंने
निधि से इसकी वजह जाननी चाही। पहले तो मेरे सवाल को सुनकर निधि खूब हंसी और फिर उसने
हमारी सास से इस बारे में बात की। मेरी सास भी हसने लगी और उन्होंने लेडी डॉक्टर को
घर बुला लीं। डॉक्टर ने मेरा चेकअप की और फिर मुझे देखकर मुस्कुराने लगी।
डॉक्टर - बधाई हो माँ जी, आपकी छोटी बहु तो गर्भवती है।
मैं वहीँ लेटी हुई थी और गर्भवती वर्ड सुनकर मेरा शरीर झनझना उठा। मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि मैं सच में गर्भवती हो चुकी थी। उस रात जब ऋषभ जी घर आये और रात को कमरे में आये तो मुझे बहुत शरम आ रही थी उन्हें अपनी गर्भावस्था के बारे में बताने में। बहुत हिम्मत करके मैंने इनसे कह दिया कि मैं गर्भवती हूँ और ये इतने खुश हो गए कि मुझे बाहों में उठाकर झूम उठे।
उस दिन से मेरी सास मुझसे बहुत खुश रहने लगीं और मुझे ज्यादा हैवी काम करने ही नहीं देतीं। देखते ही देखते नौ महीना गुज़र गया, निधि आज भी गर्भ धारण नहीं कर सकी थी। शायद वो आज भी प्रोटेक्शन का इस्तेमाल कर रही थी। इधर जब मेरा लेबर पेन होना शुरू हुआ तो उसके तुरंत बाद ही मुझे हॉस्पिटल में एडमिट कर दिया गया।
चार दिनों तक हल्का हल्का दर्द रहा और उस दिन लगातार आठ घंटे तक मुझे लेबर पेन होता रहा और फिर मैं अपने और ऋषभ जी की पहली संतान को जन्म देकर बेहोश हो गयी। थोड़ी देर बाद, नर्स ने मुझसे कहा कि मैंने लड़के को जन्म दिया है और ये सुनकर मेरी सास, मेरे पति, मेरी भाभी, शंकर भैया सब बहुत खुश हुए। जब मुझे होश आया तो नर्स ने मुझे मेरे बेटे को दूध पिलाने को कहा। जब मैंने अपने बेटे को अपनी छाती से लगाई, तो मेरे बच्चे ने मेरे निप्पल्स से दूध खींचना शुरू कर दिया। मेरे बच्चे को दूध पिलाते समय मुझे ममता का एहसास हुआ और अब मैं माँ बन गयी थी। मैं इमोशनल हुई तो निधि ने मुझे संभाल लिया और कुछ दिनों के बाद मैं अपने बेटे के साथ घर लाइ गयी। मेरी गोदभराई की रस्में हुई और फिर मैंने अपने बेटे को छठी का दूध पिलाई। माँ बनने की ख़ुशी ही कुछ और होती है। लेकिन मेरे माँ बनने के साथ साथ ऋषभ जी भी पिता बन कर बहुत खुश थे।आज पांच साल हो गया, ऋषभ जी से मुझे तीन बेटे और एक बेटी हुई जिसके बाद मैंने ऑपरेशन करवा लिया। अब मैं अपने पति के साथ खूब सेक्स करती हूँ, मेरे बच्चे मेरी सास के साथ सोते हैं। इधर निधि ने भी शंकर भैया के दो बेटियों और एक बेटे को जन्म दे चुकी थी और वो भी बहुत खुश रहने लगी थी। यही है मेरी कहानी, कभी मैं एक मर्द थी, मुस्लिम थी तो हिन्दू लडकियां पसंद आती थीं। और आज मैं खुद एक हिन्दू परिवार की बहु बन चुकी हूँ, पांच बच्चों की माँ बन चुकी हूँ और अब सब कुछ बदल चूका है। मेरी सास बहुत अच्छी हैं, वो मेरे और निधि के बच्चों को हमेशा अच्छी बातें सिखाती हैं और बहुत ही संस्कारी बच्चे हैं हमारे। अब मैं सही मायनों में मधु रानी बन चुकी हूँ, ऋषभ जी की पत्नी लेकिन वो मुझे हमेशा रानी ही कहकर पुकारते हैं और हमदोनो का प्रेम सम्भन्ध बहुत प्यारा है। निधि के पनिशमेंट ने मुझे वो लाइफ दी है, जिसे पाकर मुझे तो ऐसा लगता है कि इससे अच्छी लाइफ हो भी नहीं सकती थी। जब मैं मर्द थी तो उतना सेक्स एन्जॉय नहीं करती थी जितना अब करती हूँ। मैंने अपनी नयी लाइफ को एक्सेप्ट कर चुकी हूँ।
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