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The Perfect












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Riya D'souza

मैं अपने बड़े समाज के लोगों के साथ कोजागिरी की रात मनाता था , जिसे शरद पूर्णिमा भी कहते हैं। मेरे लिए कोजागिरी की रात किसी मेले से कम नहीं थी , क्यूंकि हमारे शहर के बीचोबीच एक बहुत बड़े मैदान में इसका आयोजन हर साल होता और इस मेले में बहुत सी सुहागिन महिलाएं अपने अपने पतियों और बाल बच्चों के साथ एन्जॉय करने आते। कोजागिरी की रात कुंवारी लडकियां भी आती , जिनकी शादी होने वाली होती और घर के बड़े लड़के के लिए भी ये रात उतनी ही इम्पोर्टेन्ट थी , क्यूंकि इसका बहुत महत्ता थी। इस दिन रात में मां लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण के लिए निकलती हैं और कहते हैं कि दिवाली के अलावा साल में मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए यह तिथि बहुत महत्वपूर्ण मानी गई है। मान्यता है कोजागरी पूर्णिमा की रात जो घर में साफ - सफाई कर मां लक्ष्मी की विधिवत उपासना करता है , देवी उस पर अपनी विशेष कृपा बरसाती हैं और जीवन में उसे कभी धन , सुख - समृद्धि की कमी नहीं होती। लेकिन...

झांकी ने मेरी जिंदगी बदल दी - मिस्टर शानू (डांसर) से मिसेज़ शान्वी (हाउसवाइफ)बनने का सफर

हिमाचल की बड़ी ही खूबसूरत शाम थी वो, जब मैं हर रोज़ की तरह झांकी में परफॉर्म करने के लिए रेडी हो रहा था। मैं नही जानता था कि वो शाम मेरी परफॉरमेंस की आखिरी शाम साबित होगी। मेरे डायरेक्टर के एक कॉल ने मेरी जिंदगी ऐसी दोराहे पर लाकर खड़ी कर दी, जहां से एक नया सफर शुरू हुआ और तब मैम अपनी लाइफ का वो फैसला लिया जिसे लेना मेरे लिए आसान नही था।  मेरा नाम शानू है, उम्र 19 साल और कद काठी से काफी स्लिम और छोटी हाइट का होने के कारण झांकी के डायरेक्टर सिद्धान्त कुमार; हमेशा मुझसे फीमेल रोल्स ही करवाते। मुझे फीमेल रोल्स करने में कोई आपत्ति नही क्योंकि इसी से मेरा घर चलता है और सबसे ज्यादा पैसे भी मुझे ही मिलते हैं। मेरी बूढी माँ और छोटी बहन के सिवा मेरी लाइफ में कुछ भी नही था, ना अपना घर, ना ही कोई जमीन और ना ही कोई सेविंग्स। बहन की शादी समय से हो, इसीलिए मैं सेविंग्स करना शुरू कर दिया, मैं अपनी लाइफ में बड़ा ही खुश था, लेकिन एक दिन कुछ ऐसा हुआ कि मेरी खुशी को ग्रहण लग गया। वैसे तो झांकी परफॉरमेंस के दौरान अक्सर जवान लड़े और बूढ़े मर्द मुझमे इंतेरेस्ट दिखाते, मुझसे मेरा नंबर मांगते और मैं भी किस...

साजिद से मिसेज़ साज़िया बनने का सफर

मेरा नाम साजिद खान है और मैं कानपूर का रहने वाला हूँ। मैं बचपन से ही पढ़ने में बहुत ही ब्रिलियंट था और मेरी समझदारी से मेरे काफी क्लास मेट्स जलते थे। लेकिन फिर भी मेरे जैसे इंटेलीजेंट लड़के को हमेशा अपने ग्रुप में रखते ताकि मैं उन्हें एग्जाम पास करवाने में उनकी मदद कर सकूँ। स्कूलिंग के ख़त्म होने के बाद ट्वेल्थ में जब मैं ट्वेल्थ के एग्जाम देने की तयारी कर रहा था तब इलेवेंथ में एक लड़के ने एडमिशन लिया जिसका नाम मोंटी था। और हम सभी ने मिलकर मोंटी की रैगिंग ली और फिर हम अपने एक्साम्स पर ध्यान देने लगे। ट्वेल्थ ख़त्म होने के बाद मैं कॉलेज में गया और वहां भी मैंने सेकंड ईयर, थर्ड ईयर और फोर्थ ईयर के स्टूडेंट्स की रैगिंग ली। तीन साल कब बीते, पता ही नहीं चला और बहुत जल्द कॉलेज ख़त्म करके मैंने एक सरकारी नौकरी भी पा लिया। गवर्नमेंट जॉब मिलने में बाद मैं बहुत ही ज्यादा बिज़ी रहने लगा और अपने काम में इतना मशगूल हो गया कि इस बात का ध्यान ही नहीं रहा कि मैं कब इक्कीस का हो गया। पढ़ाई पूरी तरह छोड़कर मैं सिर्फ नौकरी ही कर रहा था और मेरे इक्कीस के होते ही मेरे अम्मी अब्बू ने मेरा निकाह हिना से करवा दिया। ...