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मेरी अधूरी कहानी- फाइनल पार्ट

थोड़ी देर में कमरे में हमारी सास आ गयीं और हमे सोते से जगा कर हमे नाश्ता कर लेने को बोलीं। मैंने देखा मेरी सास के हाथों में नाश्ते की थाली थी और तरह तरह के स्वादिष्ट खाने के साथ मिठे में मिठाइयां भी थीं। रुखसार और मैंने बिस्तर से उतरकर अपनी सास के हाथ से थाली ले लीं और उन्हें बिठाया!

 

मैंने कहा- मॉम आपको तकलीफ करने की क्या जरूरत थी।

रुखसार भी बोली- जी मॉम, आपको ये सब करने की क्या जरूरत थी, हमें बुला लिया होता आपने?

फिर हमारी सास ने हमदोनो के चिन को अपने हाथों से उठाया और बोलीं- मेरी दोनों बहुएं कितनी संस्कारी हैं, मैं तो निहाल हो गयीं तुम्हे पाकर। ऐसा लगता है, बहुए नहीं मेरी दो बेटियां घर आयीं हैं। बचपन से एक बेटी की ख्वाहिश अधूरी थी मेरी और देखो भगवन ने मुझे दो दो बेटियां और एक पोता भी दे दिया। मैं बहुत खुश हूँ और मैं नहीं चाहती कि हमारे घर की दुल्हनें पहले दिन से ही घर के काम में लग जाये। 

मैं और रुखसार अपनी सास को देखती रह गयीं, कितनी कोमल हृदय की माँ जैसी सास मिली थी हमें, मेरी आँखों से आंसू निकल गया। फिर मेरी सास ने मेरे आंसू पोछे और हमे खाने को बोलकर चली गयीं। मैंने और रुखसार ने नाश्ता किया और थोड़ा सा खाने भर से हमारा पेट भर गया। खाने की तो और भी इच्छा थी लेकिन पेट भर गया था मेरा और रुखसार का भी। खाने के बाद हमने थाली को सामने रखी टेबल पर रख दी और बिस्तर पर बैठकर अपनी सास के बारे में बातें करने लगीं। थोड़ी देर बाद कुछ लडकियां कमरे में आ गयीं और मुझे और रुखसार को घेर कर बैठ गयीं। उनमे से एक राजा जी की कजिन बहन थीं और बाकी उनकी कुछ दोस्त। वे बैठकर हमारी खूबसूरती की तारीफें किये जा रहीं थी और रात कैसी होगी उसके बारे में आपस में डिस्कस करने लगीं। मुझे तो बहुत शर्म आ रहा था जब वे सुहागरात के बारे में बातें कर रहीं थीं और मैंने सर झुका लिया था। रुखसार को भी उन लड़कियों की बातें सुनकर काफी शर्मिंदगी हो रही थी। 


 
काफी देर तक लड़कियां मुझे और रुखसार को छेड़ती रहीं और फिर उन्होंने हमे बताया कि वे क्यों आयीं थीं। उन लड़कियों ने बताया के वे हमें मुँह दिखाई और वेडिंग गेम्स के लिए रेडी करने आयीं थीं। फिर उन लड़कियों ने मुझे और रुखसार को बैकलेस गोल्डन ब्लाउज और कांचीवरम साड़ी में रेडी कर दीं। बहुत ही सॉफ्ट थी कांचीवरम सिल्क साड़ी और मुझे उस साड़ी के फैब्रिक से एकदम स्त्रीत्व का एहसास हो रहा था। उसके बाद उन लड़कियों ने मेरे बालों का जुड़ा बना दिया और बालों में गोल्ड ज्वेलरी के साथ मोगरे के सफ़ेद फूलों का कजरा लपेट दिए। फिर उन्होंने रुखसार के बालों का भी जुड़ा बना दीं, लेकिन उनमे गोल्ड ज्वेलरीज और लाल फूलों का कजरा पहना दीं। हम दोनों का मेकअप ठिक करके साड़ी के पल्लू से घूँघट कर दिया गया और वे लडकियां मुझे और रुखसार को हॉल में ले जाकर बिठा दीं और हमारे बेटे की देखभाल के लिए एक लड़की हमारे कमरे में ही रुक गयीं।

मुँह दिखाई की रस्में शुरू हुईं और आसा पड़ोस की औरतों से लेकर राजा जी के घरेलु रिश्तेदारों की महिलाएं मुझे और रुखसार को घेर कर बैठ गयीं। आस पड़ोस की लडकियां भी आयीं थी, उनमे से कुछ ने मुझे बताया कि राजा जी पर उनका भी क्रश था, लेकिन राजा जी ने मुझसे और रुखसार से शादी कर ली। वे लडकियां वाकई बहुत ही सुन्दर थीं, लेकिन राजा जी ने मुझसे शादी की थी और रुखसार को भी अपना नाम दिया, सिर्फ और सिर्फ मेरे लिए। मैं बहुत खुश थी लेकिन जब औरतें मेरे पास आतीं और मुझे आशीर्वाद देतीं और राजा को प्रेज़ भी करतीं कि कितनी सुन्दर सुन्दर बहुए लाया है राजा। बहुत ही शर्मिंदगी और हया से मैं सर उठाने का हिम्मत भी नहीं कर पा रही थी। दो घंटे तक मुँह दिखाई की रस्में हुईं। मुझे और रुखसार को ढेरों गिफ्ट्स भी मिले और जब वे औरतें चली गयीं तो लडकियां वेडिंग गेम्स खेलने की बातें करने लगीं। शाम के छह बजने वाले थे और थकान की वजह से मुझे बहुत ही ज्यादा नींद आ रही थी। वेडिंग गेम्स के लिए राजा जी को भी बुला लिया गया। कुर्ते पायजामे में राजा जी देखने में क्या हैंडसम दिख रहे थे। 



राजा के साथ मुझे और रुखसार को वेडिंग गेम्स खेलने बिठा दिया गया और राजा की कजिन ने बताया कि जो भी दुल्हन जीतेगी, उसे राजा के साथ एक रोमांटिक गाने पर कपल डांस करना पड़ेगा! एक बड़ी बर्तन में दूध, गुलाब के फूल की पंखुड़ियां और बहुत सारे सोने के सिक्के डाल दिए गए। गेम शुरू होने के बाद मैं, रुखसार और राजा हम तीनों से अपने अपने हाथों से सिक्के निकालने शुरू किये। मैंने ज्यादातर सिक्के अपनी मुट्ठी में उठा लिए और जैसे ही दूध से बाहर हाथ निकालने लगी तो राजा ने मेरे हाथों को अपने हाथ से पकड़ लिया। मैं शर्माने लगी और फिर राजा ने मेरे हाथ को छोड़ दिया। रुखसार मुझे और राजा को आपस में रियल कपल की तरह एक दूसरे की आँखों में देखते और शर्माते देख कर मुस्कुराने लगी। मुझे और भी शर्मिंदगी होने लगी और फिर मैने काफी सिक्के निकाले। रुखसार ने भी सिक्के निकाले लेकिन वो समझ चुकी थी कि राजा उससे ज्यादा मुझे पसंद करता है और उसने थोड़े बहुत ही सिक्के निकाले। मैं जीत चुकी थी और शर्त के मुताबिक़ मुझे और राजा को कपल डांस करना था, सबके सामने वो भी रोमांटिक गाने पर। मैं बहुत ही ज्यादा शर्माने लगी लेकिन राजा की कजिन ने मुझे राजा के साथ रोमांटिक गाने पर कपल डांस करने के लिए मना ही लिया। शरमाते हुए मैं खड़ी हुई, मैंने एक नज़र रुखसार को देखा, तो वो मुझे देखकर मुस्कुराने लगी। फिर राजा ने मेरे हाथों और अपने हाथ में थाम लिया और मेरी कमर में एक हाथ डालकर अपने करीब खींच लिया। सबके सामने, खासकर रुखसार के सामने राजा की बाहों में मुझे बहुत ही शर्म आ रहा था, घूँघट ठीक करके मैंने राजा के साथ रोमांटिक गाना "सूरज हुआ मद्धम" पर साथ में डांस की। मुझे गाने पर डांस करने का कोई अनुभव नहीं था, लेकिन राजा की बाहों में, उसकेली से लय मिलाते गयी और साढ़े सात मिनट से ज्यादा के गाने पर मैंने और राजा ने डांस किया। राजा के साथ डांस करते समय मुझे एक बार फिर से अनुभव हुआ कि कद में मैं राजा से कितनी छोटी हूँ। डांस ख़त्म होने के बाद राजा ने मुझे छोड़ दिया और सभी लडकियां बैठकर अंताक्षरी खेलने लगीं और मैं रुखसार के बगल में शर्माते हुए बैठ गयी। 



रुखसार बोली- तुम तो बहुत ही अच्छा डांस कर लेती हो सोफिया, मुझे तो पता भी नहीं था।

मैं बोली- नहीं ऐसा कुछ भी नहीं है रुखसार!

रुखसार बोली- कुछ ,भी कहो सोफिया, तुम्हारी जोड़ी मुझसे ज्यादा राजा जी के साथ जमती है।

मैं बोली- धत्त, ऐसा कुछ भी नहीं है। तुम राजा जी के साथ डांस करती तो मैं भी यही कहती!

रुखसार बोली- लेकिन इस बात को तुम नकार नहीं सकती कि राजा जी तुम्हे मुझसे ज्यादा पसंद करते हैं।

मैं बोली- नहीं रुखसार, वो हम दोनों को ही पसंद करते हैं।

रुखसार बोली- आज तो मैं सुहागरात में नहीं रहूंगी। कैसा लग रहा है, आज दुल्हन के रूप में एक मर्द के साथ तुम्हारी पहली रात है?

मैं बोली- बहुत डर लग रहा है।

रुखसार बोली- वो तो मुझे भी लगा था पहली रात को जब तुम मुझे अपनी दुल्हन बनाकर घर लेकर आयी थी। तब मुझे नहीं पता था कि एक ऐसा भी दिन आएगा, जब मेर पति औरत बन जायेंगे और एक मर्द की दुल्हन बनने का सफर इतनी जल्दी तय कर लेंगे!

मैं बोली- रुखसार, ये हमारे हाथ में नहीं था, तुम जानती हो ना!

रुखसार बोली- हम्म! कोई बात नहीं और मुझे इस बात की ख़ुशी है, भले ही आज मेरे शौहर को एक मर्द से शादी करनी पड़ी, राजा जी तुम्हे और मुझे अपनी दुल्हन बना कर अपने घर ले आये हैं। लेकिन ये मेरा वादा है तुमसे, मैं हमेशा तुम्हारा साथ दूंगी। भले ही हमारे बीच अब वो बात नहीं रही, लेकिन अगर तुम फिर भी मेरे साथ शारीरिक सम्बन्ध रखना चाहोगी, तो मैं कभी मना नहीं करुँगी और हम हमेशा साथ रहेंगे!

रुखसार की बातें सुनकर मुझे एहसास हुआ कि ये कितनी प्यारी है और मुझसे कितना प्यार करती है। अपनी आँखों से आंसू पोछकर मैं और रुखसार लड़कियों की अंताक्षरी देखने लगी। थोड़ी देर बाद पुरे परिवार ने एक साथ डिनर किया और मुझे और रुखसार को अलग अलग कमरे में ले जाया गया। मुझे बहुत ज्यादा ही डर लग रहा था और मेरे साथ समय राजा की कजिन नेहा थी।

मैंने नेहा से पूछा- रुखसार कहाँ है?

नेहा बोली- भाभी, वो तो दूसरे कमरे में हैं, बच्चे के साथ। वैसे भी आज उनकी सुहागरात थोड़े ना है? आप घर की बड़ी बहु हैं, आज आपकी सुहागरात होगी भैया के साथ!

मैंने पूछा- सिर्फ मेरे साथ?

नेहा बोली- हाँ भाभी, चलो देर हो रहा है, आओ आपको तैयार कर दूँ!

फिर नेहा मुझे आईने के सामने बिठा दी, मेरी ब्लाउज उतरवा दी और मेरी ब्रा भी! कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर नेहा करना क्या चाह रही थी, फिर नेहा ने मुझे बिना ब्रा और ब्लाउज के ही मेरी साड़ी फिर से मुझे पहना दी।

मैंने पूछा- नेहा, बिना ब्लाउज के साड़ी?

नेहा बोली- हाँ भाभी, बिना ब्रा और ब्लाउज की साड़ी, आज आपकी और भैया की सुहागरात है! वैसे खुद को देखो भाभी, कितनी हॉट लग रही हो!

मैंने खुद को देखा, मैं सच में बहुत ही ज्यादा हॉट दिख रही थी, मेरी एक तरफ से खंधे, पीठ और मेरे ब्रेअस्ट्स के निप्पल्स मेरी साड़ी से झलक रहे थे। बहुत शरम आ रही थी मुझे, फिर नेहा ने मेरे ज्वेलरीज को फिर से ठीक कर दी और मेरी नथिया को एडजस्ट करने में मदद भी की। जब मैं तैयार हो गयी तो नेहा ने मुझे बिस्तर के कोने पर बिठा दी और घूँघट कर दी।

नेहा बोली- भाभी, थोड़ी देर में भैया जब कमरे में आएंगे तो आप ना उनको केसर वाला दूध पीला देना और कम पड़े तो, आप खुद ही तो समझदार हो! और भैया के पैर छूकर उनका आशीर्वाद जरूर लेना भाभी!

नेहा की बात सुनकर मैंने बिना कुछ कहे हामी भरी और सर झुका कर बैठ गयी। मेरा दिल बहुत जोर से धकधक कर रहा था, मन अशांत हो रहा था और डर से मेरे पुरे बदन में कंपकंपी हो रही थी। आँखें उठाने तक की हिम्मत नहीं हो रही थी मेरी और मन में सिर्फ यही चल रहा था कि राजा के साथ सुहागरात में क्या होगा! रह रह कर आँखों में आंसू आ रहे थे, मन कर रहा था कि कहीं भाग जाऊं। क्या से क्या हो गया, कभी मैं खुद एक मर्द थी, मैंने रुखसार को अपनी दुल्हन बनाकर घर लायी थी। मेरी खुद की बीवी थी जिसके साथ मैंने कितने ही दफे सुहागरात मनाई थी और मेरी बीवी मेरे एक बच्चे की अम्मी भी थी। और आज राजा मुझे मेरी बीवी सहित अपनी दुल्हन बनाकर इस हवेली में ले आया था और आज मैं खुद दुल्हन बनी अपने पति के कमरे में आने के इंतज़ार में थी। आज मैं खुद राजा की पत्नी बन चुकी हूँ और आज मेरी सुहागरात है। 

मैं बैठी बैठी, अपने ही ख्यालों में खोयी हुई कब नींद के आगोश में समा गयी, मुझे इसका जरा भी एहसास नहीं हुआ। फिर अचानक गर्म साँसों की तपिश ने मुझे नींद से जगा दिया। मैं जग गयी तो सामने मेरे पति राजा खडे मुझे देख रहे थे। फिर मैं बिस्तर से उतरी और उनके पैरों को छूकर उनसे आशीर्वाद लेने के लिए झुकी।

राजा जी ने मुझे ऊपर उठा लिया और मुझसे बोले- मेरी रानी, तुम्हारी जगह मेरे दिल में है, ना कि मेरे कदमों में!

राजा की बातें सुनकर मैं शर्माने लगी और मैंने टेबल पर से केसर दूध का ग्लास उठाई और राजा को पीने को दी। राजा ने मुझे एक घूंट दूध पीने को कहा तो मैं एक घूंट पी ली और राजा को गिलास पकड़ा दी। राजा ने दूध पी लिया और मुझे वो ग्लास पकड़ा दिया। मैं उस ग्लास को टेबल पर रख दी और जैसे मुड़ी, राजा ने मुझे अपनी बाहों में उठा लिया और बिस्तर पर बिठा दिया। मैं सहमी सिकुड़ी, अपने दोनों पैरों को अपने हाथों से लपेटे सर झुका कर बैठ गयी, तभी राजा ने मेरे हाथों में एक गिफ्ट रख दिया।

मैंने पूछा- ये क्या है?

राजा बोला- ये मुंहदिखाई की नेग है। अब तो मैं अपनी दुल्हन के प्यारे से मुखड़े को देख ही सकता हूँ।

राजा की बात सुनकर मेरी धड़कनें और भी तेज़ हो गयीं और मैंने उस गिफ्ट को एक तरफ रख दिया। राजा ने हौले से मेरे घूँघट को उठाने लगा तो मैं और भी शर्माने लगी।

राजा बोला- शर्माओ मत मेरी रानी, आज हमारी सुहागरात है।

मैं बोली- जानती हूँ!

फिर राजा ने मेरे घूँघट को हटा दिया और मेरे नाक से नथिया उतार दिया। मुझे वैसे तो नाक में नथिया पहनने की आदत सी हो चुकी थी, लेकिन जब राजा ने मेरे नाक से नथिया को उतारा तो मुझे बहुत रिलीफ फील हुआ। फिर राजा ने मेरे नाक में एक सोने की लौंग पहना दिया, जिसमे हिरा जड़ा था। मैं शर्माने लगी तो राजा ने मेरे चेहरे को ऊपर उठाया और मेरे होंठों पर अपने होंठ रखकर मुझे किस करने लगे। मेरे पुरे बदन में सिहरन सी दौर गयी, आँखों में आंसू आ गए और राजा की गर्म सांसें मेरी सांसों में घुलकर मुझे कमज़ोर करने लगी। राजा के एक किस से मेरा ये हाल था, छह महीने से मैं और राजा इतने करीब नहीं आये थे और आज जब मैं राजा की बाहों में थी तो मुझे इतना नर्वसनेस क्यों हो रहा था, मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था। राजा को मेरी नर्वसनेस का पूरा अंदाजा था और वो रुक गया।

राजा बोला- क्या बात है मेरी रानी, इतनी नर्वस क्यों हो आज?

मैं बोली- मालुम नहीं, मुझे बहुत डर लग रहा है!

राजा बोला- क्यों! इतने सालों से मैं तुम्हारे साथ हूँ, फिर भी तुम्हे डर लग रहा है?

मैं बोली- आई डोंट नो राजा जी, मुझे सच ने नहीं पता कि मैं इतनी नर्वस क्यों हूँ!

राजा बोला- रिलैक्स मेरी रानी, चलो थोड़ी देर कुछ बात करते हैं!

मैं बोली- ठीक है!

फिर राजा जी ने मुझसे पूछा- याद है पांच साल पहले जब हम कॉलेज में थे और जब तुम कॉलेज में पहली बार आयी थी!

मैं बोली- वो दिन मैं कैसे भूल सकती हूँ!

राजा बोला- मैं भी नहीं भूल सकता, उस दिन मेरे सपनो की रानी के रूप में तुम मुझे मिली थी।

मैं बोली- हाँ और मेरी रैगिंग भी की थी आपने!

राजा बोला- हाँ मेरी रानी, पहली नज़र में ही मैं तुम्हे अपना दिल दे बैठा था।

मैं बोली- और बताने में चार साल लगा दिए!

राजा बोला- हाँ और फिर भी तुमने किसी लड़की से शादी कर ली।

मैं बोली- हाँ, आई एम् सॉरी राजा जी!

राजा बोला- कोई बात नहीं मेरी रानी! मैंने तो पहले की कहा था, तुम मेरी दुल्हन बनने के लिए जन्मी हो।

मैं बोली- हम्म! आज आपने मुझे अपनी दुल्हन बनाकर यहाँ ले आये! मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं आपकी दुल्हन बनूंगी!

राजा बोला- जरूरी नहीं कि जो हम सोचते हैं वही होता है। लेकिन मुझे यकीन था कि एक ना एक दिन तुम मेरे प्यार को जरूर स्वीकारेगी!

मैं बोली- इतना यकीन क्यों था आपको!

राजा बोला- हाँ मेरी रानी!

मैं बोली- क्यों?

राजा बोला- क्यूंकि मैं तुमसे प्यार करता हूँ मेरी रानी!

राजा ने ऐसे कहा तो मैं फिर से शर्माने लगी और सर झुका ली!

राजा ने मेरे चेहरे को उठाकर कहा- वैसे आज मेरी रानी, मेरी दुल्हन, मेरी सोफिया, मेरी जान, तुम बहुत खूबसूरत दिख रही हो!

राजा की रोमांटिक बातें फिर से शुरू हो चुकी थी, वो मेरे बाहों को सहलाने लगे थे और मैं शर्म से पानी पानी हुई जा रही थी। राजा ने धीरे से मेरी साड़ी को थोड़ा सा खिसका कर मेरे गले पर किस करने लगे और एक किस ने मुझे फिर से नर्वस कर दिया कि मेरे बदन में कंपकंपी शुरू हो गयी और मेरा डर मुझपर हावी होने लगा। जिस मर्द के लिए मैंने अपना सबकुछ न्योछावर कर दिया, जिसके साथ मैंने ना जाने कितने ही बार सुहागरात मनाई थी, लेकिन आज उसी मर्द की दुल्हन बनने के बाद उसके ही साथ सुहागरात मनाने में ना जाने क्यों इतना डर लग रहा था। राजा मेरे अंग अंग को चुम रहा था, कभी मेरे होंठों को, कभी मेरे गले पर तो कभी मेरी कमर को। वो मेरे साथ काफी रोमांटिक हो रहा था और एक नई नवेली सुहागिन औरत की तरह मैं इतनी नर्वस थी। अभी कुछ सोचती समझती उससे पहले राजा मेरे निप्पल्स को चूसने लगा, अल्लाह, कैसी अनोखी फीलिंग्स हैं ये, मैं बता नहीं सकती। राजा मेरे दोनों निप्पल्स को चूसे जा रहा था और मेरे मुँह से आह्ह्ह्ह, उह्ह से ज्यादा कुछ नहीं कर पा रही थी। मुझे अच्छा भी लग रहा था और मेरे पुरे बदन में अजीब सा सेंसेशन फील हो रहा था। लाइफ में पहली बार मुझे ऐसा लग रहा था कि जन्नत है तो बस यही है। थोड़ी देर में मैं पूरी तरह से न्यूड थी और राजा भी। मैं राजा की बाहों में थी और राजा मेरे अंग अंग को चुम चुम कर मेरी सिसकियों को बढ़ाये जा रहा था। मैं क्या करती, कैसे रोकती राजा को, आज की रात तो मेरे राजा के लिए मैं जान देने को भी तैयार थी। राजा का बड़ा सा काला मोटा लंड मेरे शरीर से रगड़ रहा था, उसके होंठ लगातार मेरे होंठों पर डेरा डाले हुए था और वो मेरे बूब्स को अपने दोनों हाथों से मसल रहा था। मुझे बहुत अच्छा लग रहा था, मैने एक बार भी राजा को रोकने की कोशिश नहीं की और राजा भी मुझे एक पल के लिए छोड़ने को राज़ी नहीं था। अब राजा का लंड मेरे सामने था और मैं खुद को रोक नहीं पायी। राजा के बिना कुछ कहे ही मैंने राजा के लंड को अपने होंठों से चूसने लगी और मेरे राजा को ब्लोजॉब देने लगी। राजा मेरे माथे को अपने हाथ से पकड़ कर मुझे कण्ट्रोल करने लगा और लगभग दस मिनट के ब्लोजॉब के बाद राजा ने मेरे मुँह में ही अपना स्पर्म डिस्चार्ज कर दिया और मैं भी उस अमृत को पी गयी। आह्हः, कितना अच्छा लग रहा था आज, पिछले छह महीनों से मैं इस दिन के ही इंतज़ार में थी कि कब मेरे राजा मुझे अपना अमृत पिलाएं। उसके बाद राजा मुझे देखकर मुस्कुराने लगा और मैं शर्माते हुए अपने होंठ पर लगे राजा के वीर्य को अपनी ऊँगली से समेटकर अपनी ऊँगली चूस रही थी। राजा बहुत ही ज्यादा एक्साइटेड हो चूका था और देखते ही देखते मेरे राजा ने मुझे अपनी बाहों में उठा लिया और अब मेरे राजा का लंड मेरी वजाइना के बाहर दस्तक दे रही थी। मुझे भी बहुत ही ज्यादा उत्तेजना हो रही थी और राजा का यूँ मुझे बाहों में लेकर प्यार करना मेरी उत्तेजना को और भी बढ़ावा दे रहा था। मैंने राजा के गले में अपने हाथों का हार डालकर उसे लगातार चूमे जा रही थी।

राजा ने मुझे बड़े ही प्यार से बिस्तर पर लिटाकर मेरे वजाइना पर अपना लंड टिका दिया। राजा के लंड का छुअन भर भी मुझे अंदर ही अंदर कमज़ोर किए जा रहा था और डर तो इतना लग रहा था कि क्या बताऊँ। देखते ही देखते राजा ने अपना लंड मेरी वजाइना में हल्का सा धकेला, अल्लाह मेरी तो जान ही निकल गयी, मैं आँखें बड़ी बड़ी करके राजा को देखने लगी। राजा ने मुस्कुराते हुए मुझे बड़े ही प्यार से चूमा और समूचा लंड मेरी वजाइना में घुसा दिया। अल्लाह, आह्ह्ह्हह, नहीं राजा आह्ह्ह्हह्ह्ह्हह, दर्द के मारे मेरी जान ही निकल गयी थी, ऐसा लग रहा था मानो मैं दो भागों में चीर दी गयीं हूँ। मुझसे दर्द बर्दाश्त नहीं हो रहा था, मैं जोर जोर से रोने लगी, राजा से रिक्वेस्ट करने लगी कि वो अपना लंड बाहर निकाल ले। मुझे नहीं पता था कि इतना दर्द होगा, मैं बहुत ही ज्यादा रो रही थी, मुझे यकीन नहीं था कि इतना तेज़ दर्द होगा। मैं किसी तरह अपना दर्द कण्ट्रोल करने की कोशिश कर रही थी तो राजा ने अपना लंड मेरी वजाइना से बाहर निकाल लिए। बहुत सुकून मिला मुझे लेकिन जब मैंने राजा के लंड पर खून देखा तो मुझे यकीन नहीं हो रहा था।

राजा बोला- देखो रानी, आज तक तुम वर्जिन ही थी लेकिन डेफ़लोरशन के बाद अब तुम विर्जिन नहीं रही।

मैं शर्म से गड़ी जा रही थी और तभी राजा ने एक बार फिर से अपना लंड मेरी वजाइना में घुसा दिया और मुझे फिर से बहुत तेज़ दर्द हुआ और मेरी चीख निकल गयी। राजा ने मेरे होंठों को अपने होंठों से चूमने लगा और अपना लंड मेरी वजाइना में अंदर बाहर करने लगा। धीरे धीरे मुझे दर्द कम और अजीब सी सेंसिटिविटी होने लगी थी और राजा मुझे अब फुल स्पीड में चोदने लगा था। मैं राजा के पीठ को अपने नाखूनों से चुभोकर उसे दर्द दे रही थी और राजा एक रियल मर्द की तरह मुझे अपनी आगोश में लिए मुझे बेतहाशा चोदे जा रहा था। आह्हः, उह्ह्ह, नो प्लीज्, नो प्लीज्, नो, राजा नो प्लीज् प्लीज् प्लीज् प्लीज्, आई, आह नो राजा आह्हः, ओह्ह प्लीज् राजा, राजा मुझे पूरी तरह से कण्ट्रोल कर रहा था और आज मैं किसी नार्मल लड़की की तरह अपने पति से चुद रही थी, यही मेरा फेट था और यही मेरा भविष्य भी। बिस मिनट्स के हार्डकोर सेक्स के बाद राजा ने जैसे मेरे अंदर अपना स्पर्म डिस्चार्ज किया, मुझे ओर्गास्म हो गया और मैं इतनी कमज़ोर पड़ गयी कि मैं थरथराने लगी और मेरी आँखों में जलन होने लगा था। मैं राजा को कस के जकड़ ली और उस ओर्गास्म को एन्जॉय करने की कोशिश करने लगी थी। राजा इतना भारी भरकम था और मैं इतनी सी, लेकिन अभी राजा के शरीर में समा जाने का मन कर रहा था। दो पल का वो मोमेंट जो दो पल बाद ना जाने कहाँ गायब हो गया था और राजा ने मेरे अंदर से अपना लंड निकाल लिया और मेरे बगल में लेट गया।

कुछ देर तक तो राजा जी शांत रहे, तो मैंने सोचा कि मैं सो जाती हूँ तभी राजा जी ने फिर से मुझे अपनी बाहों में कस कर उठा लिया और मुझे अपने लंड पर बिठाकर खुद लेटकर मेरी चुदाई करने लगे। मुझे दर्द और जलन हो रहा था तो मैं राजा जी से रुकने को बोली लेकिन वो नहीं माने। राजा ने काफी देर तक मुझे अपने लंड की सवारी करवाई और खुद ओर्गास्म का मजा लेकर मुझे यूँ अधूरा छोड़ दिया। मुझे भी ओर्गास्म का मजा चाहिए था लेकिन राजा जी अकेले मजा लेकर मुझे यूँ ही छोड़ दिया। मैं बिस्तर पर राजा जी से मुँह फेरकर लेट गयी तो राजा जी ने स्पूनिंग पोजीशन में मुझे अपनी बाहों में ले लिया और मेरे साथ रोमांस करने लगे। मैं राजा जी से गुस्सा था और राजा जी मुझे मना रहे थे तो मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। फिर मैं जैसे ही राजा जी की ओर मुड़ी, राजा जी ने मुझे फ्रेंच किस किया और मैं पिघल गयी। फिर राजा जी ने मुझे अपनी बाहों में उठा लिया और मुझे अपने लंड पर बिठाकर खड़े खड़े ही मुझे चोदने लगे। इस बार तो राजा जी का लंड मेरी वजाइना के अंदर के दिवार से रगड़ भी कर रहा था और अंदर तक समा रहा था और मैं दर्द और प्लेज़र के बीच समझ नहीं पा रही थी कि मैं क्या करूँ। बिस पचीस मिनट्स तक मेरे राजा जी मुझे ऐसे चोदते रहे और इस बार हमदोनो को एक साथ ओर्गास्म हुआ। अल्लाह, कितना मजा आ रहा था, मन कर रहा था कि ये पल कभी ना जाये लेकिन दो पल का ये मोमेंट कब गायब हो गया मुझे पता भी नहीं चला। राजा जी का बस चलता तो वो मुझे सुबह तक चोदते रहते लेकिन मेरे अंदर अब इतनी हिम्मत नहीं बची थी कि मैं ठीक से आँखें भी खोल सकूँ। मैं राजा से बोली कि अब सो जाते हैं और राजा मुझे अपनी बाहों में लेकर सो गया। अगली सुबह जब मेरी नींद खुली तो अभी भी मैं राजा की बाहों में थी और उसका लंड मेरी वजाइना में। मैं राजा को नींद से जगा दी और उसे बोली कि आज ससुराल में मेरा पहला दिन है। राजा ने मेरी वजाइना से अपना लंड बाहर निकाल लिए और खुद वाशरूम चले गए। जब राजा वाशरूम से बाहर आये तब मैं उन्हें नंगा देखकर अपनी उत्तेजना को कण्ट्रोल नहीं कर सकी और उनसे लिपट गयी। राजा ने मुझे अपनी बाहों मे उठा लिया और मेरे साथ रोमांस करने लगे। मैंने राजा से रिक्वेस्ट की कि अब कुछ ज्यादा ही देर हो रही है, सब इंतज़ार कर रहे होंगे!

मैं बोली- छोड़िये ना अब, देर हो जायेगा।

राजा बोले- मेरी रानी, इतने रसीला जिस्म है और तुम छोड़ने को बात कर रही हो।

मैं बोली- हाँ मेरे राजा, आज पहला दिन है ससुराल में, बहुत काम होंगे और नेहा भी आती ही होगी!

राजा बोले- ओके, ठीक है।

फिर राजा की बाहों से उतरकर मैं वाशरूम की तरफ बढ़ी, अचानक दोनों पैरों में बहुत कमज़ोरी महसूस हुई और मैं लंगड़ाकर गिरने ही वाली थी कि राजा जी ने मुझे अपनी बाहों में संभाल लिया।

राजा बोले- तुम ठीक तो हो ना सोफिया!

मैं बोली- बहुत वीकनेस हो रहा है और चलने में भी नहीं बन रहा है।

फिर राजा जी मुझे वाशरूम तक ले गए और मैं दीवार पकड़कर किसी तरह अंदर गयी। फ्रेश होने के बाद मैं स्नान करने के बाद थोड़ी देर बाथटब में लेटी रही, कुछ आराम मिला तो टॉवल लपेटकर मैं वाशरूम से बाहर आयी। मैंने देखा सामने नेहा और राजा आपस में बातें कर रहे थे।

मुझे देखते ही नेहा मेरे पास आयी और बोली- भाभी, अभी तक आप तैयार नहीं हुईं, आज पहला दिन है आपका इस घर में, आपका इंतज़ार कर रहे हैं!

मैं बोली- बस, थोड़ी देर में तैयार होकर आती हूँ!

नेहा बोली- रुकिए भाभी, मैं आपको तैयार कर देती हूँ! और भैया आप, आप ना नीचे जाओ अंकल आंटी आपको बुला रहे हैं।

नेहा ने मुझे बनारसी साड़ी और बैकलेस साड़ी में तैयार की, मेरा मेकअप की, मुझे गहने पहनाई और आखिर में मेरे नाक में फिर से वही किन्नौरी नथिया पहना दी जो शादी के समय राजा जी ने मेरे नाक में पहनाया था। उसके बाद मैंने हील्स पहन ली और नेहा मुझे घूँघट करने को बोली तो मैं घूँघट कर ली। मैं गले में राजा जी के नाम का मंगलसूत्र और मांग में उनके नाम का सिंदूर भर ली और घूँघट करके नेहा के साथ अपनी सास के पास आ गयी। अपने सास ससुर और जितने भी बड़े बुजुर्ग थे, उनके पैरों को छूकर उनसे आशीर्वाद ली और मेरी सास में मुझे अपने पास बिठा लीं।मेरी सास बोली- तेरे आने से देख कितनी रौनक आ गयी है घर में, अब घर घर लगने लगा है, मैं तो बहुत खुश हूँ, सदा सुहागिन रहो बिटिया!

मैं कुछ नहीं बोली, सिर्फ सर झुकाये सबकी बातें सुनती रही, कुछ औरतें आयीं और मेरे मुंहदिखाई के बाद मुझे नेग और सदा सुहागिन रहने का आशीर्वाद देकर चली गयीं। थोड़ी देर में रुखसार भी आ गयी, राजा उसके साथ थे और वो भी बनारसी साडी में घूँघट की हुई थी। सबसे आशीर्वाद लेकर रुखसार भी मेरे बगल में बैठ ,गयी, उसके गोद में हमारा बेटा था। राजा मेरे बेटे को अपनी गोद में लेकर छत पर चला गया और उसके साथ खेलने में उसे बड़ा मजा आ रहा था। राजा को बच्चा बना देख मुझे बहुत ख़ुशी मिल रही थी और मैं ये सोचने बैठ गयी कि काश मैं अपने बेटे को अपनी कोख से जन्म दी होती।पुरे दिन घर में मेहमान का आना जाना लगा रहा, राजा जी के काफी दोस्त भी आये जिनमे कॉलेज के भी कुछ दोस्त थे और उन्हें पता था कि मैं कौन हूँ! राजा की एक्स गर्लफ्रेंड रुपाली और कुछ ऐसे दोस्त भी आये थे जिनकी आने की कोई उम्मीद नहीं थी मुझे।

रुपाली मेरे पास आकर बैठ गयी और बोली- कॉन्ग्रैचुलेशन्स सोफिया! राजा ने आखिरकार तुम्हे अपनी दुल्हन बना ही लिया। वैसे एक राज की बात बताऊँ, तुम्हे औरत बनाने के लिए राजा ने बड़े पापड़ बेले, कॉलेज टाइम से ही तुम्हे फीमेल होर्मोन के हैवी डोज़ देना रहा हो या तुम्हे क्रॉसड्रेसिंग की आदत डलवाना! ये सब राजा ने तुम्हे पाने के लिए किया, मैं तो वैसे भी राजा की लाइफ से दूर जाना चाहती थी क्यूंकि वो तुमसे प्यार करता था। जब हमारा ब्रेकअप हुआ तब राजा ने मुझे बताया कि वो तुम्हे सेक्सचैंज ऑपरेशन के लिए रेडी कर लिया है और बहुत जल्द तुमको अपनी दुल्हन भी बना लेगा। मैं तो जानती थी कि राजा तुम्हे ब्याह कर अपने साथ इस घर में ले आएगा लेकिन ये नहीं जानती थी कि तुम्हारी बीवी और बच्चे को भी अपना लेगा। वैसे मैंने तो सूना है कि तुम माँ बनने में भी सक्षम हो, आई एम् सो हैप्पी फॉर यू सफीउल, ओह्ह सॉरी मिसेज़ सोफिया राजा सिंह! कॉलेज के पहले दिन से ही पता था कि तुम औरत ही हो, बस जिस्म मर्दों वाला मिला था तुम्हे और राजा ने मेरी सोच को सच कर दिखाया। आई एम् सो हैप्पी, सोफिया और मैं जानती हूँ कि कुछ ही दिनों में तुम खुशखबरी भी सुना दोगी, जिसका घर में सभी को बेसब्री से इंतज़ार है।

मैं रुपाली की बातें सुनकर शॉक्ड थी, आखिर राजा ने मेरे साथ ये सब किया, मुझे फीमेल हॉर्मोन्स दिए, मुझे सेक्स चेंज ऑपरेशन के लिए रेडी किया और मुझे अपनी दुल्हन बनाने के लिए भी राज़ी कर लिए, नहीं नहीं ये रुपाली झूठ बोल रही है, वो राजा की नहीं हो सकी तो मुझे भी मेरे राजा से दूर कर देना चाहती है। मैंने रुपाली की बातों को सुनकर कुछ भी रियेक्ट नहीं की।

मैंने कहा- रुपाली, अब जैसे भी हैं, राजा जी मेरे पति हैं और मैं उनकी पत्नी। मुझे ना तू इससे ज्यादा जानने में कोई दिलचस्बी है और ना ये जानने का मन कि मैं औरत कैसे बनी।

रुपाली ने मेरी बात सुनकर जोर से हंसी और फिर वहां से चली गयी। रुपाली के जाने के बाद कॉलेज के फ्रेंड्स मुझे बधाई देने आये और मेरे साथ फोटो क्लिक करवाकर चले गए। मैं रुपाली की बातों पर ज्यादा गौर किये बगैर अपने राजा जी पर जान लुटाने को तैयार थी और उसकी किसी भी बात को तवज़्ज़ो न देकर अपने सास ससुर और ननद के अपने सेरेमनी पर ध्यान देने लगी। लंच के बाद मैंने और रुखसार ने थोड़ा रेस्ट किया और फिर शाम हुई, आज रिसेप्शन होनी थी। इसके बारे में मुझे थोड़ी भी जानकारी नहीं थी और ना ही रुखसार को। रिसेप्शन के लिए मुझे और रुखसार को लाल जोड़े में तैयार किया गया था। लाल जॉर्जेट साड़ी में मैं और पीले रंग की जॉर्जेट साड़ी में रुखसार को हैवी ज्वेलरीज और मेकअप के साथ रेडी करके रिसेप्शन जाया गया। मेहमान आते गए, मुझे और रुखसार को गिफ्ट्स देते और राजा जी को बधाई देते और चले जाते। वहीँ औरतें मुझे और रुखसार को सदा सौभाग्यवती भवः, पुत्रवती भवः, सुहागिन रहो, मुद्दो नहाओ, पुतो फलो जैसे आशीर्वाद देतीं और हमारी सुंदरता की तारीफ करतीं। रिसेप्शन ओवर होने के बाद मुझे और रुखसार को अपने अपने कमरे में ले जाया गया। उस रात रुखसार हमारे बेटे के साथ थी और मैं राजा जी के साथ। पूरी रात अपने राजा की बाहों में, तीन राउंड हार्डकोर सेक्स और ओर्गास्म का मजा लेकर मैं कब सो गयी, कुछ पता नहीं चला।

सबकुछ बहुत अच्छा चल रहा था, घर में सब बहुत खुश थे और मेरे अम्मी अब्बू भी बहुत खुश थे, क्यूंकि राजा रोज़ उनसे कुछ देर जरूर बातें करते और उनकी जरूरतों का खास ख्याल भी रखते। इधर मैं और रुखसार बहुत ही ज्यादा खुश थीं, राजा जी की पत्नियों के रूप में अपने पति के साथ सास ससुर का जितना ख्याल हम मिलकर रखतीं, उतना ही ख्याल हमारी सास भी रखती हमदोनो की। ससुर जी तो रात को ही घर आते लेकिन हमारी सास कभी भी अपनी अम्मी की कमी महसूस नहीं होने देतीं और तो और वो इतनी फनी बातें करतीं कि हमारा मन लगा रहता। एक महीने बाद, हर रोज़ की तरह अपने पति की बाहों की गर्माहट में सुबह जागकर घर के कामकाज में लग गयी और राजा जी और हमारे ससुर जी के ऑफिस जाने के बाद, मेरी सास मेरे बेटे को अपनी गोद में खेला रहीं थी, मैं और रुखसार किचन में काम कर रहीं थीं कि तभी मुझे ना अचानक से उलटी सी आयी। मैं तुरंत वाशरूम में गयी, थोड़ी दी उलटी भी हुई और मन खराब होने लगा। मैं बिस्तर पर लेट गयी तो थोड़ी देर में रुखसार कमरे में आ गया और मुझसे पूछने लगी कि क्या हुआ! मैं बोली कि वोमिटिंग हो रही है तो वो घबरा गयी और मुझसे पूछे बगैर मेरी सास को बुला लायी! मेरी सास ने फीमेल डॉक्टर को कॉल कर के घर बुला ली और थोड़ी देर में जब डॉक्टर घर आयीं और जब उन्होंने मेरा चेकअप की, वो एकदम से बहुत खुश हो गयी, उसके चेहरे पर एक स्माइल थी।

डॉक्टर मॉम से बोली- बधाई हो, आप दादी बनने जा रहीं हैं, मिठाई खिलाइये आपकी बहु गर्भवती हैं!

मॉम डॉक्टर की बातें सुनकर बहुत ही ज्यादा खुश हो गयीं और वो मेरे पास आकर मेरे माथे को चुम लीं।

मेरी सास बोली- बहु तूने मुझे फिर से दुनिया भर की खुशियों से मेरी झोली को भर दिया है, तू गर्भवती है बहु, मैं बहुत खुश हूँ आज! सदा सुहागिन रहो, सौभाग्यवती भवः!

मुझे बहुत ही शर्मिंदगी हो रही थी, क्या सच में मैं गर्भवती हो चुकी थी! मेरे कुछ समझ में नहीं आ रहा था, क्या सच में मैं गर्भवती हो सकती हूँ, क्या डॉक्टर ने सच में मुझे एक कम्पलीट औरत बना दिया था और मेरे अम्मी अब्बू को जब इस बारे में पता चलेगा तो उन्हें कैसा लगेगा। अल्लाह, ये क्या चल रहा है मेरी लाइफ में, मर्द से औरत बनने तक का तो ठीक था लेकिन मैं गर्भवती कैसे हो सकती थी, लेकिन डॉक्टर झूठ क्यों बोलेगी, अल्लाह, सच में मैं अपने पति के बच्चे की माँ बनने वाली हूँ!

रुखसार बोली- बधाई हो सोफिया, तुम राजा जी के पहले बच्चे की माँ बनने वाली हो, कैसा लग रहा है?

मैं बोली- आई एम् सॉरी रुखसार, मैं सच में औरत बनने के बाद कभी इस दिन के बारे में कुछ भी नहीं सोचा। अपने पति के बच्चे को अपने गर्भ में पालने की तो मैं कभी सोच भी नहीं सकती हूँ, ये सब कैसे हो गया रुखसार!

रुखसार बोली- अब जो हो गया सो हो गया, इसमें शर्मिंदा होने वाली क्या बात है? ये तो ख़ुशी की बात है सोफिया कि तुम गर्भवती हो! बहुत जल्द तुम भी मेरी तरह बच्चे को जन्म दोगी, मेरी तरह उसे अपना दूध पिलाओगी और उसके आने के बाद तुम्हारी लाइफ हमेशा के लिए बदल जाएगी।

मैं क्या बोलती रुखसार से, सामने मॉम मुस्कुरा रहीं थी। उनकी ख़ुशी उनके आंसुओं से पता चल रहा था और वो मेरे पास आकर बैठ गयीं और मेरा सर सहलाने लगी। मैं एक अजीब सी उलझन में, चुपचाप अपनी सास की गोद में अपने पास्ट, प्रेजेंट और फ्यूचर में खोयी हुई थी। एक मर्द के रूप में जन्म लेना, रुखसार से निकाह करना, रुखसार का मेरे बेटे को जन्म देना और फिर मुझे मर्द से औरत बनने का सफर तय करना, राजा जी की दुल्हन बनना और फिर आज मेरे राजा जी का अंश मेरी कोख में पल रहा था। मै कभी नहीं सोची थी कि एक दिन ऐसा भी आएगा जब मुझे ये दिन देखना पड़ेगा। शाम को जब राजा जी और मेरे ससुर जी घर आये और जब उन्हें इस बारे में पता चला तो राजा जी ने मुझे अपनी बाहों में उठा लिया और मुझे खूब प्यार किया। अपने पति का प्यार पाकर मैं निहाल हो गयी थी, अब तो उनका अंश भी मेरी कोख में ही था।

धीरे धीरे समय बीतने लगा, तीन महीने गुज़र चुके थे। गर्भावस्था में डॉक्टर ने ज्यादा सेक्स करने के लिए मना किया था तो मैं उन्हें ज्यादा सेक्स नहीं करने देती। इधर राजा जी को भी देखती कि वो मेरे करीब रहकर मेरे साथ खूब सेक्स करना चाहते लेकिन ऐसे मैं उन्हें अपने करीब कैसे आने देती। हाँ रोमांस के मामले में राजा जी का कोई जवाब नहीं ,वो मुझे रोज़ प्यार करते और रुखसार के साथ भी अब तो रोमांटिक होने लगे थे। रुखसार के पीरियड्स नार्मल हो चुके थे और वो राजा जी के साथ सेक्स करने को तैयार थी। राजा जी ने बेटे का नाम मुन्ना रख दिया और उसके साथ जब भी समय मिलता, खूब खेलते, दुलार करते और अपनी गोद में भी सुलाते। ये सब देखकर मुझे बड़ा अच्छा लगने लगा था और अब मैं भी चाहती थी कि मेरे राजा जी, रुखसार के साथ भी सुहागरात मनाएं। एक दिन जब राजा जी ऑफिस से घर आये तबतक मैं रुखसार को दुल्हन की तरह सजाई हुई थी, केसर दूध कमरे के टेबल पर रख दी और उनके बिस्तर को फूलों से सजा दी। राजा जी सरप्राइज़्ड थे और ये सब देखकर वो एकदम से खुश हो गए और मुझे अपनी बाहों में उठाकर रोमांस करने लगे।

मैं बोली- राजा जी, ये सुहागरात की सेज़ मेरे लिए नहीं बल्कि रुखसार और आपके लिए है। आप दोनों ने अभी तक सुहागरात नहीं मनाई है , आप फ्रेश हो लीजिये, मैं डिनर सर्व कर देती हूँ।

राजा जी बोले- और रुखसार?

मैं बोली- वो मेरे साथ डिनर कर लेगी। उसकी हाथों में मेहँदी लगी है, मुझे ही उसे डिनर कराना होगा ना!

फिर मैंने राजा जी को डिनर करवाई, मुन्ना सो चूका था तो उसे उसकी दादी के कमरे में सुला कर आ गयी मैं। राजा जी डिनर कर चुके थे और वो नाईट वाक करने चले गए। इधर मैंने और रुखसार ने भी डिनर कर चुकीं थी। मैं रुखसार को सुहागरात की सेज़ पर घूँघट करके बिठा दी और गुडलक बोलकर कमरे से बाहर आ गयी। थोड़ी देर बाद राजा जी रुखसार के कमरे में गए और दरवाज़ा अंदर से लॉक कर लिए। मैं बाहर ही कड़ी थी, चुपचाप अपने कमरे में चली गयी, आज पहली बार अपने पति के बाहों की गर्मी को मैं इतना मिस कर रही थी। मैं रात भर नहीं सो सकी ऊपर से राजा जी के साथ सेक्स के दौरान रुखसार के चिल्लाने और सिसकियाँ लेने की आवाज़ें आ रहीं थी। मुझे ना जाने क्यों इतना बुरा लग रहा था, अपने पति की बाहों को छोड़कर मुझे कहीं नींद नहीं आती। काफी देर तक सबकुछ शांत रहा लेकिन फिर से रुखसार के रोने, चिल्लाने और जोर जोर से आह्हः उह्ह्ह की आवज़ सुनकर मुझसे रहा नहीं गया। मैं राजा जी की बाहों में किसी को नहीं देखना चाहती थी, चाहे वो रुखसार ही क्यों ना हो! ना जाने क्यों मुझे अपनी ही पत्नी जिससे मैं इतना प्यार करती हूँ और मेरे ही पति जिसके लिए मैं जान भी देने को तैयार हूँ, उन्हें एकसाथ बिस्तर पर एक होता देख इतनी जलन क्यों हो रही थी। मुझे नींद नहीं आ रही थी और रात के दो बज रहे थे, मुझसे नहीं रहा गया तो मैं अपने कमरे से उठी और रुखसार के कमरे को नॉक करने लगी। दरवाज़ा रुखसार ने ही खोला, वो एक चादर से अपना बदन ढंकी हुई थी और कमाल की हॉट दिख रही थी।

रुखसार बोली- क्या हुआ सोफिया, इतनी रात को तुम यहाँ!

मैं बोली- तुम ठीक तो हो ना रुखसार! सुहागरात कैसी रही?

रुखसार बोली- अच्छी थी, हमारी सुहागरात से तो कई गुना बेहतर और आज लगता है की मैंने सुहागरात मनाई है।

मैं बोली- अच्छा!

रुखसार बोली- इतनी रात को तुम, सब ठीक है?

मैं बोली- हाँ मेरी जान, सब ठीक है। बस नींद नहीं आ रही थी!

रुखसार बोली- तो मेरे साथ सो जाओ!

मैं नाईटी में थी और मैं रुखसार को हग करके उसके और राजा के बीच में सोने लगी तो रुखसार मुस्कुराने लगी। रुखसार मेरी मनोस्थिति को समझ पा रही थी। मैंने रुखसार को हग कर के सोने लगी तो राजा जी ने मुझे अपनी बाहों में जकड लिए और उनकी आगोश में आते ही मैं गहरी नींद में समा गयी।

एक महीना और गुज़र गया और उस दिन मैं और रुखसार कमरे में बैठीं आपस में बातें कर रहीं थी कि तभी रुखसार को उलटी आयी और वो वाशरूम में चली गयी। जब वो वापिस आयी तो बोलती है कि उसे खट्टा खाने का मन कर रहा है। मैं रसोई में रुखसार के लिए आम का अचार लेने गयी तो देखा मेरी सास वहीँ खड़ीं थी। मै तुरंत अपनी साड़ी के पल्लू से घूँघट की और उनसे कहने लगी कि वो रसोई में क्या कर रहीं हैं, कुछ चाहिए हो तो बता देतीं, मैं ले आती! इसपर मेरी सास ने मेरा माथा चुम ली और मुझसे पूछने लगीं कि मैं क्या ढूंढ रही हूँ!

मै बोली- मॉम रुखसार को खट्टा खाने का मन कर रहा है।

मेरी सास के चेहरे की स्माइल बता रही थी कि ये बात सुनकर वो कितनी खुश हो गयीं थी। उन्होंने फिर से उसी फीमेल डॉक्टर को घर बुलाकर रुखसार का चेकअप करवायीं। डॉक्टर ने कन्फर्म किया कि रुखसार गर्भवती है, तो मेरी सास की ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा। अब घर में एक नहीं बल्कि दो दो खुशियां आने वाली थीं और मैं एकदम शॉक्ड थी।

मैं रुखसार से बोली- रुखसार, तुमने मुझे बताया नहीं कि तुम गर्भवती हो चुकी हो?

रुखसार बोली- मैंने सोचा कि तुम समझ चुकी होगी! वैसे भी जिस मर्द ने मेरे पति को औरत बनाकर उसे गर्भवती कर दिया, उसके सामने मुझे गर्भवती होने में कितना समय लगता।

मैंने कुछ नहीं कहा और रुखसार को किस करके आराम करने को बोलकर अपने कमरे में आ गयी। शाम को राजा और मेरे ससुर को जब इस बारे में जानकारी मिली तो वे बड़े खुश हुए और राजा जी रुखसार के पास गए और उसे किस करके बधाई देकर मेरे कमरे में आ गए। राजा जी मेरे साथ रोमांस करने लगे, मैं रूठी हुई थी तो उन्होंने मुझे मना लिया और मुझे एक्साइटेड करके डिनर करने चले गए। राजा जी समझ रहे थे कि मैं क्या सोच रही थी और डिनर के बाद उन्होंने मुझे बिस्तर में लिटाकर खूब प्यार किया। मैंने राजा जी से कहा कि मुझे उनके साथ सेक्स करना है, उन्होंने मुझे समझाया कि अभी सेक्स करना उचित नहीं है लेकिन मैं नहीं मानी और एक राउंड सेक्स के लिए राजा जी को रेडी कर ली। राजा जी के साथ एक राउंड हार्डकोर सेक्स करने के बाद उनकी आगोश में सो गयी।

दिन महीने गुज़रने लगे। रुखसार के साथ अब मेरा रिश्ता पहले जैसा नहीं रह गया था। राजा जी को रुखसार के साथ देख मुझे बहुत गुस्सा आ जाता, मैं राजा जी को किसी के साथ शेयर करने को रेडी नहीं थी। इधर मैंने और रुखसार ने नवरात्री, करवाचौथ, दिवाली और छठ पूजा में पार्टिसिपेट की और देखा कि हिन्दू धर्म में लोग कितने स्नेह और प्रेम के साथ ये पर्व को सेलिब्रेट करते हैं। चूँकि मैं और रुखसार गर्भावस्था के कारण इन त्योहारों को नहीं मना सकी, लेकिन अगले साल से इन त्योहारों को मनाऊंगी ये फैसला कर चुकी थी। मेरे नौवे महीने के शुरूआती हफ्ते में ही मुझे लेबर पैन शुरू हो गया और राजा जी मुझे हॉस्पिटल में एडमिट कर दिए। रुखसार दिन रात मेरे साथ रहती और सुबह शाम मेरी सेवा करती। राजा जी भी आ जाते, मेरे ख़याल रखने में वे कोई कसर नहीं छोड़ रहे थे। मुझे नहीं पता था कि बच्चे को लन्म देने के समय कितना दर्द होता है लेकिन जिस समय मैं अपनी संतान को जन्म दे रही थी उस समय इतना दर्द हो रहा था मानो मेरे पुरे जिस्म की एक एक हड्डी टूट गयी हो वो भी एक साथ। आठ घंटे लगातार उस दर्द को बर्दाश्त करने के बाद मैंने अपने राजा जी पहली संतान को जन्म देकर बेहोश हो गयी। दो दिन बाद मुझे होश आया तो मेरी नन्ही सी परी रुखसार की गोद में थी। नर्स ने मेरी बिटिया को मुझे दे दी और उसे अपना दूध पिलाने को बोली। रुखसार सामने बैठी थी और जैसे ही मैंने अपनी बिटिया को अपने जिस्म के करीब लायी, उसके नन्हे हाथ अपने आप मेरे बूब्स को टटोलने लगीं। मैं समझ नहीं पायी और अपनी बिटिया को अपने बूब्स के निप्पल्स से दूध पिलाने लगी। अल्लाह, ये माँ होने का एहसास कितना सुखद अनुभव था मेरी लाइफ का मैं बता नहीं सकती। मुझे बहुत अच्छा लग रहा था और ना जाने कहाँ से मेरे स्तनों से दूध निकल रहा था और मेरी बिटिया का भूख शांत कर रहा था। घर में सभी बहुत खुश थे और चार महीने बाद रुखसार ने भी राजा जी के बेटे को जन्म दी। लाइफ बहुत अच्छा हो चला था, पांच साल गुज़र चुके हैं अब। अब सब बदल चूका है और मैं राजा जी के दूसरे बच्चे को अपनी कोख में पाल रही हूँ, मेरी बिटिया अब प्ले स्कूल जाने लगी है और मुन्ना भी स्कूल जाने लगा है। रुखसार का बेटा भी बड़ा होने लगा है और सभी बच्चों के साथ हम बहुत खुश हैं। राजा जी मुझे और रुखसार को बराबर प्यार करते हैं और आज भी वो उतने ही रोमांटिक हैं जितने पांच साल पहले थे। यही मेरी कहानी है और आई होप आप सभी को मेरी कहानी अच्छी लगी होगी!

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