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Misfortune of Raushan and Zubin

हेलो दोस्तों, मेरा नाम राजीव है और मैं दिल्ली का रहना वाला हूँ। मेरा दोस्त जो मेरे पड़ोस में रहता है, उसका नाम रौशन खान है। हमारी दोस्ती बहुत अच्छी है। रौशन के घर मे उसकी सौतेली अम्मी, उसके अब्बू, सौतेली बहन शबनम और एक सौतेला भाई ज़ुबिन है। वो सभी रौशन से बहुत चिढ़ते है और उसके नीचा साबित करने के लिए किसी भी हद तक गिरने को तैयार रहते हैं। रौशन अपने हर दुख सुख को मेरे साथ बांटता है, वो चाहता है कि उसके घर मे सभी उससे उतना ही प्यार करे जितना वो अपने घरवालों से करता है। मैं उसे हमेशा समझाता हूँ, कभी कभी रौशन मेरे ही घर मे सो जाता। मेरे घर मे मेरी माँ, मेरे पापा, मेरा भाई नीरज और मेरी बहन श्रुति है, और रौशन को मेरे घर मे भरपूर प्यार मिलता है। रौशन की अम्मी रुखसार पैसों को लेकर बड़ी कंजूस और किसी भी हद तक जाने को तैयार रहती है। जिस घर मे रुखसार काम करती है, उस घर का मालिक एक गैंगस्टर है और उसका एक डांस बार भी है। रुखसार रौशन को पढ़ने नही देती, दिन भर उससे नौकरों जैसा सलूक करती और खाने में बासी खाना खिलाती। रौशन को इन सब से बहुत दुख होता। एक दिन रौशन ने मुझे बताया कि उसकी अम्मी ने अपने मालिक को लूटने का प्लान बनाया है और वो चाहती है कि रौशन भी उसमे शामिल हो। मैने तो रौशन को साफ मना कर दिया कि इन सब मे ना पड़े, लेकिन आने घरवालो का प्यार पाने के लिए रौशन भी कुछ भी करने को तैयार था। मैंने रौशन को बहुत समझाया कि गैंगस्टर लोगों से पंगा मत लो वो भी इमोशन्स में बहकर तो बिल्कुल भी नही। लेकिन रौशन को अपने अम्मी अब्बू के प्यार को पाने की तलब ने अंधा कर दिया था। रौशन मुझसे लड़कर अपने घर गया और अपने अम्मी अब्बू के प्लान में शामिल हो गया।

रौशन की अम्मी ने उसे समझाया कि हर रोज़ मालिक के घर मालिश वाली आती है और उसकी तबियत खराब है, और हमारे पास यही मौका है मालिक को लूटने का। फिर रुखसार ने रौशन से कहा कि अब वो मालिश वाली बन कर वहां जाएगा, और मालिश करने के बहाने उसके मालिक के सारे नकदी और जेवर लूट के ले जाएगा। उसके बाद पुलिस भी आएगी तो किसे ढूंढेगी, एक मालिश वाली को ना कि किसी मर्द को। ये नींद की गोलियाँ है, मालिक मालिश से पहले जूस पीते है, अब तुम्हे ये काम करना है और वो भी बड़े ही होशियारी से। रौशन मान गया और उसने अपनी अम्मी को हाँ कर दिया इस काम के लिए।

रौशन की हाइट 5.7 और बॉडी भी स्लिम है। शरीर से काफी क्यूट दिखता है और शरीर पे बाल तो ना के बराबर हैं। इस बात का फायदा रौशन को मिल रहा था जब उसने अपनी सौतेली अम्मी के दिये हुए क्रीम को बॉडी पर अप्लाई किया और जब वो नहा कर निकला तब उसका शरीर चमक रहा था। उसकी अम्मी ने 30D साइज के कृत्रिम बूब्स जो सिलिकॉन के थे और उसे टी शर्ट की तरह पहना जा सकता था। रुखसार ने रौशन को वो सिलिकॉन के कृत्रिम बूब्स को पहना दिया और एक लोशन से उसे रौशन की छाती से चिपका दिया। फिर थोड़ा मेकअप के बाद कोई ये कह नही सकता था कि ये रौशन के कृत्रिम बूब्स नही हैं। फिर मेकअप, बॉब कट विग, लिपस्टिक, मिनी स्कर्ट, क्लिप वाला छोटा सा नथ और कानों में झुमके, 3 इंच वाला सैंडल और नेल पॉलिश के बाद रौशन को देखकर कोई ये कह नही सकता था कि वो एक मर्द है। 18 साल का लड़का 16 साल की लड़की बनकर तैयार था, जो अपने अम्मी अब्बू का प्यार पाने को कुछ भी करने को तैयार था। रौशन को थोड़ी ट्रेनिंग दी गयी कि लड़कियों की तरह इठलाने और शर्माना, और कमर मटकाना, हील्स पर बैलेंस बनाकर इठलाते हुए चलना। रौशन को ज्यादा समय नही लगा और आज एक घंटे की ट्रेनिंग के बाद वो तैयार था। रुखसार के मालिक के घर उसके अब्बू ने अपनी बाइक से ड्राप किया।

रौशन ने डोरबेल बजाया। दरवाजा खुला और दो बॉडीगार्ड बाहर आये। उन्होंने रोशन से पूछा कि वो कौन है! रौशन ने अपने आवाज़ को लड़कियों की जैसे किया और बताया कि उसका नाम रेशमा है और मालिक के बॉडी मसाज के लिए आई है। तभी मालिक की आवाज़ आयी कि अंदर आने दो लड़की को। फिर दोनों बॉडीगार्ड रौशन को उनके मालिक के सामने ले गए। रौशन ने देखा, कि उनका मालिक की हाइट तो करीब 6.5 है और वो सोफे पर बैठकर किसी से बात कर रहा था। फिर रौशन से कहा कि वो उस वाले कमरे में जाकर उसका इंतजार करे। रौशन को उसके मालिक के कमरे में ले जाया गया और उसे बैठने को कहा गया। रौशन वहां बैठकर अपने मालिक का इंतज़ार करने लगा। अभी तक रौशन को इस बात का जरा भी एहसास नही था कि वो किस मुसीबत में फंसने वाला है, वो चुपचाप मालिक का इंतजार करने लगा। थोड़ी देर बाद मालिक वहां आया और रौशन से पूछा कि क्या वो उसे जानता है। रौशन ने बताया कि वो सिर्फ मसाज करने आया है और उसे उस शख्स के बारे में कुछ भी नही मालूम। उस आदमी ने बताया कि उसका नाम बख्तावर है, वो अंडरवर्ल्ड का डॉन है और उसके डांस बार मे बहुत सी लड़कियाँ काम करती हैं लेकिन रौशन जैसी सुंदर लड़की एक भी नही है। रौशन ने बख्तावर जूस देते हुए उससे कहा कि वो लेट जाएं और उसे जूस का ग्लास पकड़ा दिया। बख्तावर ने जूस का ग्लास सिरहाने में रखकर रौशन से मसाज करवाने लगा। बख्तावर को आज बहुत मजा आ रहा था। रौशन ने बख्तावर के पीठ पर मसाज किया, फिर छाती पर, कंधो पर, जांघों पर और उसके सिर पर भी बखूबी मसाज किया। रौशन ने सोचा कि अगर बख्तावर जूस नही पियेगा तो वो बेहोश नही होगा और जिस काम के लिए रौशन वहां आया था, वो काम भी नही हो पायेगा। रौशन ने जूस का ग्लास उठाया और बख्तावर से कहा कि वो जूस पी लें। बख्तावर ने जूस हाथ मे लिया और टॉवल लपेट कर खड़ा हो गया। बख्तावर को देखकर रौशन की घिघि बांध गयी। रौशन तो बख्तावर के सामने इतना छोटा लग रहा था मानो स्कूल में पढ़ने वाली कोई लड़की हो। बख्तावर ने रौशन से कहा कि उसने बॉडी मसाज तो बहुत अच्छे से किया लेकिन बॉडी का एक पार्ट का मसाज नही किया। रौशन के समझ मे आता उससे पहले उसने अपना टॉवल खोल दिया और रौशन का हाथ उसपर रख दिया। बख्तावर के अचानक इस हरकत पर रौशन को गुस्सा आने लगा लेकिन कुछ बोल नही सका और हाथ मे थोड़ा सा क्रीम लेकर उसके लंड पर मसाज करने लगा। बख्तावर को बहुत मज़ा आने लगा, और रौशन के हाथों की चूड़ियां खनखनाने लगी। अभी थोड़े देर मसाज किया ही था कि बख्तावर ने रौशन से कहा की वो उसके लंड को अपने होंठों से मसाज दे।

रौशन को बहुत बुरा लग रहा था लेकिन इतनी हिम्मत नही थी उसमें जो एक अंडरवर्ल्ड के डॉन को मना कर सके। रौशन बख्तावर को मासूम नज़रो से देखने लगा। बख्तावर ने जूस को एक बार मे पी लिया और बोला, मैंने तो जूस पी लिया अब जूस पीने की बारी तुम्हारी है रेशमा। फिर उसने रौशन के होंठों पर अपना लंड डाल कर उसे सहलाने लगा। रौशन का मुह अपने आप खुल गया और बख्तावर का लंड उसके मुंह मे घुस गया। करीब 15 मिनट्स के ब्लो जॉब के बाद बख्तावर ने रौशन के मुह में ही अपना विर्य छोड़ दिय और रौशन के मुह से अपना लंड तब तक नही निकाला जब तक रौशन उसे पी नही गया। बख्तावर की नज़र में रौशन एक सोलह साल की लड़की रेशमा थी ना कि एक लड़का। फिर बख्तावर वहीं बिस्तर पर लेट गया और उसे नींद आ गयी। रौशन को गे जैसी फीलिंग आ रही थी, आंखों से आंसू निकलने लगे, लेकिन काम पूरा हुआ था और रौशन ने सारे नकदी, जेवर और पैसे अपने बैग में रखकर वहां से चला गया। किसी को शक नही हुआ कि रौशन वहाँ लड़की बनकर आया था और इतने बड़े अंडरवर्ल्ड डॉन को लूट कर वहां से जा चुका था। आमतौर पर बख्तावर मसाज के बाद अच्छी नींद लेना पसंद करता था और इसी का फायदा रौशन को मिला। रौशन घर पहुँच कर अपनी अम्मी के हाथ मे वो बैग थमा दिया जिसने ढेर सारे पैसे और जेवर थे। रौशन की सौतेली अम्मी इतने सारे पैसे और जेवर देखकर बहुत खुश हुई और रौशन का माथा चुम लिया। घर मे सभी को खुश देखकर रौशन भी बहुत खुश हुआ और अपने साथ हुए ब्लो जॉब और उस अंडरवर्ल्ड डॉन बख्तावर के हरकत को भूल कर चेंज करने गया।

कपड़े चेंज करने के बाद रौशन मेरे घर आया और मुझसे गले मिलकर बोला कि आज वो बहुत खुश है, क्योंकि उसके अम्मी अब्बू और भाई बहन का प्यार मिला। मैंने रौशन को समझाया कि ये प्यार बस तभी तक है जब तक तुमसे तुम्हारे अम्मी अब्बू को फायदा मिल रहा है। फिर रौशन ने मुझे बताया कि कैसे उसने उस अंडरवर्ल्ड डॉन को बेवकूफ बनाया और कैसे उस अंडरवर्ल्ड डॉन ने उसे जबरदस्ती ब्लो जॉब दिया, जिसके बाद उसे गे जैसी फीलिंग्स आयी। अपने अम्मी अब्बू की खुशी के लिए रौशन इस हद तक गिरने को तैयार था, ये मुझे नही मालूम था। खैर जो हुआ सो हुआ, मैंने रौशन को समझाया कि जो तुमने आज किया वो दुबारा मत करना। रौशन भी मान गया और हमने साथ मे डिनर किया और चैस खेलने के बाद रौशन अपने घर चला गया।

जब बख्तावर की नींद खुली तब उसने देखा कि उसकी तिजोरी खुली है और उसमें का सारा नकदी, जेवर और कॅश गायब था। बख्तावर को समझने में देर नही लगा कि ये हरकत किसका हो सकता है। लेकिन बख्तावर को किसी ने बेवकूफ बनाया था इस बात की जानकारी बाहर जाती तो उसकी इमेज पर बहुत बुरा असर पड़ता। बख्तावर ने अपने घर की सीसीटीवी का फुटेज निकाला और उसकी जांच में खुद बैठ गया। जल्दबाजी में रुखसार के शौहर ने एक गलती कर दी। उसने हेलमेट लगाए बिना रौशन को बख्तावर के घर के सामने ड्रॉप किया था, और बख्तावर ने रुखसार के शौहर को पहचान लिया था।

अगले दिन बख्तावर के लोग रौशन के घर पहुँच कर उसकी अम्मी अब्बू भाई बहन को अपने साथ बख्तावर के पास ले गए, उस वक़्त रौशन मेरे साथ बैठा था और हम चैस खेल रहे थे। पड़ोस में रहने वाला एक और दोस्त राज ने हमे इस बात की जानकारी दी। इधर बख्तावर के घर पर रौशन के अब्बू, सौतेली अम्मी, भाई और बहन को उन लोगो ने बंदूक के नोक पर बिठाया हुआ था और उनसे पूछताछ कर रहे थे। रुखसार के घर से वो सारे नकदी, कॅश और जेवर बरामद हो चुके थे। अब बख्तावर को रेशमा की तलाश थी, क्योंकि वो मिल नही रही थी। मिलती भी कैसे क्योंकि रेशमा नाम की कोई लड़की तो थी ही नही, वो तो रौशन था जिसने लड़की बनकर बख्तावर को धोखा दिया था। बख्तावर के डर से ना ही रुखसार और ना ही उसका शौहर ये बताने की हिम्मत जुटा पा रहे थे कि बख्तावर को एक बार नही दो बार बेवकूफ बनाया उनलोगों ने। लेकिन शबनम से ये सब देखा नही गया और उसने बख्तावर को रुकने के लिए कहा और उसे बताया कि वो लड़की जो रेशमा बनकर उन्हें लूटने आयी थी वो कोई लड़की नही बल्कि उसका सौतेला भाई रौशन था। फिर शबनम ने बख्तावर को सब कुछ बताया कि कैसे उसकी अम्मी अब्बू ने ये प्लान बनाया और कैसे रौशन को इस प्लान में शामिल किया। बख्तावर को यकीन नही हो रहा था कि जिस लड़की ने उसे जिंदगी का सबसे सुकून देने वाला ब्लो जॉब का मजा दिया, वो कोई लड़की नही बल्कि एक लड़का था।

बख्तावर ने रुखसार, उसके शौहर, और उसके दोनों बच्चों को छोड़ दिया, लेकिन शर्त ये थी कि वो रौशन को उसके हवाले कर दें और वो भी रेशमा के रूप में तैयार करके। रुखसार तुरन्त मान गयी और जब चारो घर पहुँचे तब रौशन उनका इंतजार कर रहा था। अपने अम्मी अब्बू और भाई बहन को सही सलामत देखा तो बहुत खुश हुआ। उसे नही पता था कि उसके अम्मी अब्बू उसका सौदा बख्तावर से करके आये हैं। रुखसार ने रौशन से कहा कि आज से वो बख्तावर की अमानत है, और अब से वही उसका मालिक है। रौशन ने लाख मिन्नतें की लेकिन उसकी सौतेली अम्मी ने उसकी एक नही सुनी और उसे कमरे में ले गयी। फिर से रौशन को लड़कियों की तरह तैयार किया गया, लेकिन इस बार कुछ अलग था। रुखसार ने रौशन के नाक में बायीं ओर छेद कर दिया, दर्द से रौशन की आंखों से आंसू बहने लगा, फिर उसकी दोनों कानों को छेद दिया। रौशन के नाक में एक गोल नथिया, कानों में बालियां पहना कर तैयार कर दिया। मिनी स्कर्ट में रौशन काफी खूबसूरत लग रहा था, रुखसार ने रौशन को बॉब कट विग भी पहना दिया। रौशन लगातार रोये जा रहा था लेकिन उसके सौतेली अम्मी पर कोई प्रभाव नही पड़ रहा था। फिर रुखसार ने रौशन के आंखों में काजल और होंठों पर लाल लिपस्टिक लगाया। थोड़ी देर में बख्तावर के आदमी वहां आ गए और रौशन को अपने साथ ले जाने लगे। रौशन रोने लगा लेकिन उन में से किसी पर भी उसके रोने का असर नही हुआ। बख्तावर के आदमियों ने रौशन के हाँथ पैर बांध दिए और उनमें से एक आदमी ने रौशन को कंधो पर उठाया और अपनी गाड़ी में बिठाकर ले गए।

रौशन रास्ते भर रोता रहा, उसका काजल भी बिखर कर गालों पर फैल गया था। थोड़ी देर में रेशन को लेकर बख्तावर के आदमी उसके घर पहुच गए। बख्तावर ने उन आदमियों से कहा कि रौशन की यहीं रख दें और बाहर चले जाएं। बख्तावर के आदमियों ने रौशन को वही सोफे पर बिठा दिया और वहां से चले गए।

“तुम्हे क्या लगता है रेशमा, तुम मुझे धोखा दे सकती हो और मैं कुछ भी नही कर सकता, मैं अंडरवर्ल्ड डॉन हूँ, बख्तावर जिससे इस देश का पुलिस भी खौफ खाता है और तुमने मुझे दो बार बेवकूफ बनाया”, बख्तावर ने गुस्से में कहा।

“मैंने ये सिर्फ अपने अम्मी अब्बू के लिए किया, और आपको लूटने के लिए मेरे अम्मी अब्बू ने मुझे फ़ोर्स किया था। क्या करता मैं, मेरे पास अपने अम्मी अब्बू के प्यार को पाने का कोई दूसरा रास्ता नही था”, रौशन रोते हुए बोला।

“किस अम्मी अब्बू की बात कर रहे हो तुम, जिन्होंने तुम्हे अपनी जान बचाने के लिए मुझे बेच दिया, मुझे तरस आता है तुम्हारे ऊपर। आज से तुम मेरी जागीर हो, मेरे घर का काम हो, या मुझे रात को मसाज देना हो या मेरी खिदमत में हाज़िर रहना। जो मैं कहूंगा वो तुम्हारे लिए आज से तुम्हारे खुदा का फरमान होगा। आज से तुम मेरे गुलाम हो और मैं तुम्हारा मालिक”, बख्तावर ने रौशन के रस्सियों को खोलते हुए कहा।

“जी, मेरे अम्मी अब्बू की जान बख्शने के लिए आपका शुक्रिया। आज से मैं आपका गुलाम और आप मेरे मालिक हो”, रौशन बोला।

“यहां आओ रेशमा, मेरे पास आओ”, बख्तावर बोला।

“मालिक! मेरा नाम रौशन है”, बख्तावर के पास जाकर रौशन बोला।

“चटाक”, एक झन्नाटेदार थप्पड़ ने रौशन को अंदर से हिला कर रख दिया।

“तुम रौशन थे मेरी जान, अब तुम रेशमा हो। मेरी रखैल, समझी तुम। अपने आप को लड़का समझने की गलती दुबारा मत करना। आज से तुम्हारी चाल ढाल बात करने का तरीका, सब लड़कियों के जैसा होना चाहिए, समझी तुम”, बख्तावर गुस्से में बोला।

“जी मालिक, आगे से ध्यान रखूंगी”, रौशन डरते हुए बोला।

फिर बख्तावर ने रौशन के हाथ को पकड़कर अपने जांघो पर बिठा लिया। उसके गाल पर जीभ फेरने लगा। रौशन को अपने गाँड़ पर बख्तावर का बढ़ता हुआ लंड महसूस हो रहा था। फिर बख्तावर ने रौशन के होंठो पर अपना जीभ रख कर उसे चूसने लगा। रौशन का पूरा शरीर कांपने लगा था, आंखों से आंसू बहने लगा था लेकिन वो कुछ नही कर सकता था। बख्तावर ने 15 मिनट्स तक रौशन के होंठों को चूसता रहा, फिर रौशन के कमर को दोनों हाथों से जकड़ लिया और उसे गोद मे उठाकर कमरे में ले गया। रौशन को पता था कि अगर उसने बख्तावर को रोकने की कोशिश की तो वो उसके पूरे परिवार को जान से मरवा देगा। फिर बख्तावर ने रौशन को बिस्तर पर लिटा दिया और खुद रौशन के ऊपर आ गया। बख्तावर रौशन के गले को जीभ से चाट रहा था और रौशन चुपचाप सबकुछ होने दे रहा था। फिर बख्तावर ने रौशन के होंठो पर अपना लंड डाल दिया और उसे चूसने को कहा। रौशन बख्तावर के लंड को चूसने लगा, और थोड़ी देर में बख्तावर का वीर्य निकल गया और उसने रौशन को अपना वीर्य पिला दिया। रौशन कुछ नही कर सका और बख्तावर उसके बगल में सो गया। रौशन वैसे ही बख्तावर के साथ लेटा रहा और उसे कब नींद आ गई उसे पता भी नही चला।

सपने में रौशन ने देखा कि उसकी शादी हिन्दू रीति रिवाजों से की जा रही है और वो दुल्हन बनकर मंडप पर बैठा है और बख्तावर दूल्हा बनकर उसकी बगल में बैठा है। फिर बख्तावर ने रौशन को गले मे मंगलसूत्र पहनाया, मांग में सिंदूर भर दिया, नाक में बड़ा सा हैवी नथिया पहना दिया। रौशन के नाक में दर्द होने लगा, उसने अपना नथिया ठीक किया और फिर पंडित ने कहा कि विवाह संपन्न हुआ। विदाई के समय रौशन का रो रो कर बुरा हाल हो जाता है, फिर बख्तावर रौशन को अपनी दुल्हन बनाकर अपने घर ले आता है। अचानक रौशन की नींद खुलती है और वो खुद को बिस्तर पर बख्तावर के बगल में सोया हुआ पाता है।

बख्तावर ने दूसरी बार रौशन को अपना वीर्य पिलाया था। रौशन बाथरूम में गया और कुल्ला कर के फ्रेश हुआ, लेकिन अब उसके दिलो दिमाग मे बख्तावर का डर समाया हुआ था। रौशन समझ चुका था कि वह अब एक बड़ी मुसीबत में फंस चुका है।

शाम हुआ, बख्तावर ने रौशन के लिए कुछ रंग बिरंगी बनारसी सिल्क साड़ियाँ, ब्लाउज, गहने, तरह तरह के डिज़ाइनर हेयर विग्स, लिपस्टिक, लिप ग्लॉस, ऑय लाइनर, बिन्दिया, काजल, नेल पॉलिश, लहँगा चोली, ब्रा पैंटी, और रंग बिरंगे चूड़ियों का तो ढेर ही लगवा दिया था। रौशन से बख्तावर ने कहा कि आज से ये घर तुम्हारा है, जिस कमरे में जाने का दिल करे जाओ, टी वी देखो, गृहशोभा, सरस सलिल, मधुर कथाएं, क्राइम स्टोरीज और बहुत सारे मैगजीन्स है पढ़ने के लिए, तुम्हे जो पका के खाने का दिल करे, पका लेना और जब कोई मेहमान आये तो उनके खाने पीने की जिम्मेदारी भी तुम्हारी ही है। रौशन ने बताया कि उसे खाना पकाना नही आता तो बख्तावर ने कहा कि कोई बात नही रेशमा, तुम्हारी अम्मी तुम्हे सब कुछ सीखा देगी। शाम में रुखसाना वहां आयी और रौशन को लेकर कमरे में चली गयी जहां एक ड्रेसिंग टेबल के सामने रौशन को बिठाकर उसे मेकअप करना सिखाया। चोली की डोरी बाँधना, ब्लाउज का हक लगाना, साड़ी पहनना, काजल लगाना, विग पहनना और औरतों के सारे काम करना सिखाना शुरू किया।

इधर मुझे रौशन के बारे मे कोई जानकारी नही थी कि वो कहाँ है, क्या कर रहा है और घर आया क्यों नही। मैंने रौशन के घर पता किया तो उसके अब्बू ने मुझे बताया कि रौशन को उसकी बुआ के घर भेज दिया है और अब वो कभी नही आएगा। मैने उनसे कहा कि रौशन का फ़ोन नम्बर दे दो, तो उन्होंने बहुत ही रयूड तरीके से मुझे मना कर दिया। रौशन से मेरी दोस्ती बस यही तक थी, यही मान कर मैं अपने घर वापिस आ गया। रौशन मेरा अच्छा दोस्त था, इसीलिए मुझे उसकी फ़िक़्र भी हो रही थी लेकिन अंदर से मैं भी खुश था क्योंकि उसकी बुआ दिल की बहुत अच्छी हैं और रौशन को बहुत मानती हैं।

उधर हर रोज़ रुखसार रौशन को औरतों की तरह कैसे जीना है उसकी ट्रेनिंग देती और रात होते ही बख्तावर रौशन को ब्लो जॉब देता और सो जाता। रौशन को ब्लो जॉब का आदत हो गया था, अब बख्तावर के बिना कहे रौशन उसके पैंट की जीप खोलकर खुद उसे ब्लो जॉब का मजा देने लगा था। कभी साड़ी, तो भी लहँगा चोली, तो कभी मिनी स्कर्ट में रौशन अपनी बेबस जिंदगी जिये जा रहा था। इंसान का अच्छा होना क्या इतना बुरा होता है, रौशन अपनी बेबसी और इस दर्द के लिए खुदा को जिम्मेदार ठहराया करता।

3 महीने गुज़र गए, रौशन को औरतो के सारे हाव भाव, नखरे, मेकअप करना और उनके हर कपड़े और जेवर को पहनने का हुनर आ चुका था, लेकिन उसका शरीर आज भी लड़कों जैसा ही था सिवाय उसके बालों के, रौशन के बाल अब उसके गले के नीचे तक आ गए थे और उसे विग पहनने की जरूरत नही पड़ती थी, बख्तावर रौशन के व्यवहार से बहुत ज्यादा खुश रहने लगा था और चाहता था कि, रौशन अब कृत्रिम बूब्स पहनना छोड़ कर अपना प्राकृतिक बूब्स विकसित कर ले। बख्तावर ने एक दिन एक महिला डॉक्टर को अपने यहां बुलाया और उससे कहा कि रौशन का फिगर लिस्ट के हिसाब से हो जिसमें लिखा था, बूब्स 32, कमर 28 और हिप्स 32। डॉक्टर ने मुस्कुराते हुए वो लिस्ट अपने हाथ मे लेकर रौशन के कमरे में गयी। वहां उसने रौशन का हेल्थ चेकअप किया और उसका ब्लड एक सिरिंज में कलेक्ट किया। फिर बख्तावर को दवाइयों की एक लिस्ट थमाते हुए कहा कि ये दवाइयां कल से सुबह दोपहर शाम बिना एक भी दिन गैप किये 6 महीनों तक रौशन को देना है, और हर हफ्ते रौशन का वजन करते रहना है और ये कह कर वहां से चली गई।

अगले दिन से रौशन की दवाइयां शुरू कर दी गयी। हर रोज़ की तरह रौशन सुबह उठता, बख्तावर के लिए ब्रेकफास्ट बनाता, उसके कपड़ो में स्तरी करता, घर की साफ सफाई करता, फिर बख्तावर के कपड़े धोता, फिर खुद नहाता। दिन में लंच बनाता, बख्तावर के आने से पहले डाइनिंग टेबल पर सर्व करता, और उसके खाने के बाद बर्तन धोता, फिर खुद लंच करता। शाम का नाश्ता बनाने के बाद, रात के डिनर बनाने की तैयारी शुरू हो जाती। डिनर के बाद बख्तावर को दारू सर्व करता और उसकी गोद मे बैठकर उसको दारू अपने हाथों से पिलाता। जब बख्तावर कहता तब रौशन खुद डिनर करता, बर्तन धोता, किचन की साफ सफाई करता, फिर फ्रेश होकर बख्तावर के पास आता। बख्तावर उसे स्मूच करता, फिर ब्लो जॉब देता और सो जाता। बख्तावर के सोने के बाद रौशन बाथरूम में जाकर फ्रेश होता और बख्तावर के बगल में सो जाता। रौशन को कपड़ों की कोई कमी नही थी, और बख्तावर के फरमाइश के हिसाब से कभी साड़ी तो कभी लहँगा चोली तो कभी मिनी स्कर्ट तो कभी नाइटी पहनकर उसके बगल में सो जाता। रौशन को अब याद भी नही था कि वो भी कभी एक लड़का था। अपने आप को लड़की मानकर रौशन बख्तावर की हर बात को मानता। बख्तावर भी रौशन से नरमी से पेश आता और बिना कुछ कहे रौशन के लिए हर रोज़ एक नई ड्रेस, या नई ज्वेलरी, या नई सैंडल्स, नई लिपस्टिक या और भी बहुत कुछ लेकर आता। रौशन के पास अब इतनी दौलत थी कि अब वो पूरी जिंदगी बैठे बिठाये कुछ ना भी करे तो भी उसके जीने के लिए काफी था। 5 महीनों में रौशन के शरीर मे बदलाव आने लगे थे, बूब्स भी 28 हो चुकी थी, कमर तो पहले से ही 28 थी अब और भी स्लिम हो गयी थी, बालों का विकास कंधो तक हो गया था और हिप्स भी थोड़ी गोल हो गयी थी। लेकिन अंदर से भी रौशन का बहुत कुछ चेंज होने लगा था। अब रौशन को अक्सर पेट मे दर्द रहता, कभी टॉयलेट करते वक़्त ब्लड आता तो कभी पूरा शरीर दुखता। रौशन ने ये बात बख्तावर को बताई तो उसने डॉक्टर को तुरंत अपने घर बुला लिया।

डॉक्टर ने रौशन के हेल्थ चेकअप के बाद कुछ नई मेडिसिन लिखा और बख्तावर को लिस्ट पकड़ा कर बोली कि सबकुछ नार्मल है। आप बस ये दवाइयां मंगवा दो, आपके कहे अनुसार 1 महीने बाद रौशन का फिगर 32-28-32 हो जाएगा, लेकिन एक प्रॉब्लम है। बख्तावर के पूछने पर डॉक्टर ने बताया कि 6 महीने पूरे होते ही रौशन का फिगर लड़कियों जैसा नेचुरल हो जाएगा लेकिन उसके अंदर गर्भाशय का विकास भी शुरू हो जाएगा। रौशन को पेट दर्द, पेशाब में खून आने की शिकायत आनी शुरू हो जाएगी और पीरियड्स के बाहर नही आने पर उसे हमेशा बॉडी पेन रहेगा। फिर अगले एक साल के अंदर ही रौशन को या तो अपना सेक्स चेंज करवा लेना होगा, नही तो उसकी जान को खतरा रहेगा। बख्तावर ने कहा कि ठीक ही है, एक साल के अंदर लड़की बन कर रेशमा और भी खूबसूरत हो जाएगी और उसके बाद मैं उसे अपने बियर डांस बार मे डांसर बना कर नचाऊंगा। डॉक्टर बख्तावर को लिस्ट पकड़ा कर वहां से चली गयी, लेकिन रौशन अपने कमरे में बैठकर आंसू बहा रहा था। रौशन का अस्तित्व उससे छीन लिया गया था, उसके एक क्रोसड्रेसर की जिंदगी बिताने को मजबूर कर दिया गया था और अब पहले शीमेल और 1 साल के अंदर औरत बना देने वाली बात सुनकर रौशन अंदर से कांप गया था। उसके डर की सीमा बढ़ते जा रही थी। महज 4 महीने पहले जो रौशन एक लड़का था, 4 महीनों से एक क्रोसड्रेसर की जिंदगी बिताने के बाद अगले महीने तक एक शीमेल बन जाने वाला था और 1 साल पूरा होने पर एक सम्पूर्ण औरत बन जायेगा। उस दिन रौशन बहुत रोया, उसके सपने चूर चूर हो चुके थे, और वहां से निकलना अब नामुमकिन हो गया था।

रौशन की अम्मी हर रोज़ की तरह उसे कुछ नया सिखाती, कुछ नया करवाती, रौशन को एम्बर्स करने का एक भी मौका नही छोड़ती। रुखसार हमेशा कहती कि रौशन तुम्हारा जन्म बख्तावर की दुल्हन बनने के लिये ही हुआ है, उसका लंड चूसने में तुम्हे जितना मजा आता है, उससे कहीं ज्यादा तुम्हे उससे अपनी चूत मरवाने में आएगा, बस एक बार तुम पूरी तरह से औरत बन जाओ। रुखसार की बातें रौशन को बहुत चुभती, वो हमेशा सोचता कि ये कैसी अम्मी है जो अपने बेटे को एक औरत की जिंदगी जीने को मजबूर कर रही है आज।

उस दिन रौशन ने रुखसार से पूछ लिया कि वो उसके साथ ऐसा क्यों कर रही है, उसे ये सब कर के कौन सी खुशी मिल रही है। रुखसार ने रौशन से कहा कि तुम जानना चाहते हो ना कि मैं तुम्हारे साथ ऐसा क्यों कर रही हूं तो सुनो। तुम्हारे अब्बा और तुम्हारी अम्मी अमीना दोनों मेरे बहुत अच्छे दोस्त थे कॉलेज के वक़्त। अमीना, रुखसार और शाहिद हम तीनों कॉलेज में एक साथ पढ़ते थे। शाहिद को मैं बहुत पसंद थी और मुझे शाहिद, लेकिन अमीना को भी शहीद बहुत पसंद थे। एक दिन मैंने शाहिद के सामने प्यार का इज़हार करना चाहा लेकिन जो लेटर मैने लिखा था वो लेटर कहीं गिर गया। मैने उस लेटर को बहुत ढूंढा लेकिन वो लेटर मुझे नही मिला। अगले दिन मैंने अमीना और शाहिद को एक साथ देखा, दोनों बहुत खुश दिख रहे थे और शाहिद के हाथ मे वो लेटर था जो मैंने लिखा था। मैं उन दोनों के पास गई तो पता चला कि वो लेटर अमीना ने शहीद को दिया है और वो दोनो बहुत जल्दी निकाह करने वाले हैं। मुझे अमीना पर बहुत गुस्सा आया, इतना गुस्सा कि अगर मेरे हाथों में तब तलवार होती तो शायद मैं अमीना का गला काट देती। लेकिन शाहिद की खुशी देखकर मुझसे रहा नही गया और मैने उन्हें कुछ भी नही कहा, उनदोनो ने अगले हफ्ते ही निकाह कर लिया और सेटल हो गए। मैं भी अपनी पढ़ाई पर ध्यान देना शुरू कर दिया, लेकिन तभी एक दिन शाहिद मेरे पास आया और उसने मुझे बताया कि अमीना को कैंसर है और वो चन्द दिनों की मेहमान है। मैं अमीना से मिलने गयी तो अमीना ने तुम्हे मेरी गोद मे डाल दिया और मुझसे माफी भी मांगी। मैंने अमीना को शाहिद के कहने पर माफ तो कर दिया, लेकिन दिल से उसे माफ करना मुझसे ना हो पाया। मैं जब जब तुम्हे देखती हूँ, तब तब मुझे अमीना की याद आती है। इसीलिए मैं तुमसे इतना चिढ़ती हूँ रौशन और चाहती हूँ कि तुम्हे भी उस दर्द का एहसास हो जो मैंने सहा है। रुखसार की बातें सुनकर रौशन के आंसू बहने लगे, लेकिन एक पत्थरदिल सौतेली अम्मी की तरह रुखसार ने रौशन को चुप होने को कहा और अपने कामकाज में जुट गई।

5 महीने पूरे होने पर, अब रौशन के बूब्स का साइज 32 और राउंड हो चुका था, कमर 28 और हिप्स 32 राउंड शेप में आ चुका था। रौशन के बाल उसके कमर को छूने लगे थे, शरीर के थोड़े बहुत बाल झड़ चुके थे और शरीर मखमली हो गया था। नाक का छेद अब क्लियर हो चुका था जिसमे हमेशा एक मीडियम आकार का नथिया हमेशा रहता, कानो में हमेशा बालियां या तो झुमके रहते और पैरों में हमेशा हैवी पायल होती।

रौशन के 5 महीने पूरे होने पर उसको डॉक्टर के हिसाब से दर्द रहना शुरू हो गया और 6 महीने पूरे होते ही रौशन के शरीर मे कसाव शुरू होने लगा। हर रोज़ की तरह बख्तावर घर आया। आज रौशन ने ग्रीन नाइटी पहना हुआ था, हाथों में चूड़ियां थी, हाथों और पैरों की उंगलियों के नाखूनों पर लाल नेल पॉलिश, पैरों में पायल, खुले बाल, बीच मांग में एक मांगटीका, नाक में छोटा सा गोल नथिया, कानो में बालियां, होंठो पर लाल ग्लॉसी लिपस्टिक, कजरारी आंखें और गले मे एक हार पहना हुआ था। बख्तावर ने रौशन को अपने जांघों पर बिठाया और उसके हाथों से डिनर किया और उसे भी अपने हाथों से खिलाया। खाना खाने के बाद बख्तावर अपने कमरे में चला गया और रौशन किचन में। किचन से काम निपटाने के बाद जब रौशन कमरे में आया तब बख्तावर वहां उसका इंतजार कर रहा था। रौशन कमरे में अंदर गया और हर रोज़ की तरह बख्तावर के पावन दबाने लगा। बख्तावर ने रौशन का हाथ पकड़ लिया और उसे अपनी ओर जोर से खींचा। रौशन की कमज़ोर कलाई बख्तावर के जोर के सामने कुछ भी नही था, वो सीधे बख्तावर के ऊपर आ गिरा और बख्तावर को देखकर शर्माने लगा। बख्तावर ने रौशन के होंठो पर अपना होंठ डाल दिया और उसे काफी जोरों से स्मूच करने लगा और करीब 20 मिनट्स के बाद रौशन को न्यूड कर दिया और उसके बूब्स को चूसने लगा। रौशन के साथ ये सब पहले कभी नही हुआ था। रौशन के मुह से सिसकियों का निकलना शुरू हो गया, और धीरे धीरे बख्तावर रौशन के पूरे जिस्म को चूमने लगा। थोड़ी देर बाद उसने रौशन को उल्टा किया और उसके हिप्स के बीचोबीच अपना लंड टिका दिया। रौशन के साथ कभी बख्तावर ने ऐसा नही किया था, लेकिन आज बख्तावर के लंड का लंबाई भी काफी ज्यादा लग रहा था। फिर उसने बिना सोचे अपना लंड रौशन के हिप्स के बीचोबीच घुसा दिया और उसे चोदने लगा। रौशन का ये पहला एक्सपेरिएंस था, जब वो किसी मर्द से चुद रहा था। दर्द और आंसुओं ने रौशन को बहुत कमजोर कर दिया था। थोड़ी देर तक बख्तावर रौशन को चोदता रहा और 5 राउंड सेक्स के बाद वो रौशन के ऊपर और उसके हिप्स में अपना लंड डालकर सो गया। रौशन पहली बार किसी मर्द से चुदा था और उसको दर्द भी बहुत हो रहा था, लेकिन रौशन सिवाए आंसू बहाने के कुछ भी नही कर सकता था। वो बख्तावर के नीचे उसके लंड को अपने हिप्स के अंदर लेकर सो गया।

अगले दिन, जब रौशन की नींद खुली तब बख्तावर का लंड उसकी गाँड़ के अंदर ही था। बख्तावर ने रौशन के गालों पर किस किया, फिर होंठों पर और एक राउंड और चोद दिया। फिर बख्तावर ने रौशन को बताया कि वो उसे थाईलैंड भेज रहा है जहाँ उसे उसकी सर्जरी की जाएगी और उसे पूरी तरह से औरत बनाया जाएगा। रौशन ने कुछ भी नही कहा और ठीक है बोल कर फ्रेश होने चला गया। बाथरूम में जाकर रौशन ने खुद को देखा और अपनी हालात पर वहीं बैठकर रोने लगा। फिर थोड़ी देर में खुद को संभाला और फ्रेश होकर कमरे में आया। बख्तावर ने रौशन को अपने पास बुलाया और उसके गीले होंठो को चूम लिया और कहा कि आज तुम साड़ी पहनना। रौशन ने उसके हाँ में हाँ मिलाया और एक डार्क ब्लू ट्रांसपैरंट साड़ी पहन लिया साथ मे चमकीला सिल्वर ब्लाउज जो आगे से डीप और पीछे से बैकलेस था, उसे पहन लिया। हाथों में मैचिंग चूड़ियां, मैचिंग नेल पॉलिश, डार्क ब्राउन ग्लॉसी लिपस्टिक, 4 इंच वाला हाई हील्स, पायल, माथे पर मांगटीका, एक बिंदी, कानों में झुमके और नाक में नोज पिन पहन लिया और घर के कामों में लग गया। कभी कभी रौशन जब खुद को आईने में देखता तो उसे यकीन नही होता कि वो कभी एक लड़का था। रौशन आज एक शीमेल है जिसका ऊपरी शरीर लड़कियों जैसा है लेकिन सिर्फ एक छोटा सा लंड ही उसे लड़की नही होने का एहसास करवाती है।

उस दिन रात को बख्तावर ने रौशन से कहा कि आज उसे बैंकाक के लिए निकलना है। कोई सामान पैक करने की जरूरत नही है, वहां सारा व्यवस्था हो चुका है। फिर रौशन को बताया कि कुछ लोग तुम्हारे साथ बैंकॉक जाएंगे, वहां ऑपरेशन में 6 महीने लगेंगे और यही लोग तुम्हारा खयाल रखेंगे और तुम्हारी हर जरूरतों का ख्याल भी रखेंगे। फिर रौशन को लेकर वो दोनों जिनका नाम सोनू और कल्लू था, एयरपोर्ट पहुँचे। एयरपोर्ट से फ्लाइट ली और तीनों बैंकाक पहुच गए। बैंकाक पहुच कर सोनू और कल्लू ने रौशन की हॉस्पिटल की फॉरमैलिटी पूरी की और उसे वहां एडमिट करवाया। डॉक्टर्स ने रौशन को एडमिट कर लिया और सेक्स चेंज ऑपरेशन की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी। रौशन के सारे कपड़े, गहने, सैंडल और इनर गारमेंट्स सब नर्स ने एक बैग में पैक करके सोनू और कल्लू को दिया और उनसे कहा गया कि जब जब उनकी जरूरत होगी, उन्हें बुला लिया जाएगा। कल्लू और सोनू वहां से चले गए और अपने बॉस के पैसों से ऐश की जिंदगी जीने लगे। 3 महीनों में काफी कुछ बदल गया था, रौशन के चेहरे पर एक ग्लो आ गया था, शरीर भी पहले से ज्यादा सेक्सी हो गया था, गर्भाशय का निर्माण 100% हो चुका था, बूब्स भी पहले से काफी सुडौल हो गए थे, हिप्स राउंड और जांघो ने भी शेप ले लिया था। चौथे महीने में वजीनोप्लास्टी की गई, जिसमे रौशन का लंड उसके शरीर से अलग कर दिया गया, और एक गुलाबी सिलिकॉन की वजाइना को उस जगह सेट कर दिया गया। कुछ दिनों तक तो रौशन को बहुत पैन रहा लेकिन कुछ दिनों बाद उस सिलिकॉन की वजाइना रौशन के शरीर का एक हिस्सा बन चुका था। पांचवे महीने में रौशन को एक तरह के मशीन में हर रोज़ 4 घंटे सुलाया जाता, जिसकी वजह से रौशन के शरीर मे लड़कियों की तरह सॉफ्टनेस आने लगा था और बॉडी में गर्भाशय भी धीरे धीरे वर्किंग हो गया था लेकिन अभी तक रौशन को पीरियड्स नही आया था। छठे और आखिरी महीना शुरू हो गया था, रौशन की आवाज़ में लड़कियों जैसी मिठास आ गयी थी, शरीर मे सॉफ्टनेस आ गया था और वजाइना में भी सेंसेशन शुरू हो गया था।

उन दिनों मैं भी अपने कुछ दोस्तों के साथ बैंकॉक घूमने आया हुआ था। विक्रम, सतीश, संजय और मैं कॉलेज के दोस्त बैंकाक का मजा लेने एक ट्रिप पर आए थे। हमने वहाँ देखा कि काफी शिमेल्स, लड़कियां वहां बहुत ही कम पैसों के लिए सेक्स करने को तैयार रहती हैं। हमने वहां के सी फूड्स का जमकर लुफ्त उठाया, सर्फिंग की, नाईट वाक पर निकलते तो और भी मजे करते। एक दिन ऐसे ही कार से हम चारों जा रहे थे कि तभी हमारा एक्सीडेंट हो गया। मुझे, विक्रम और सतीश को तो ज्यादा चोट नही आई लेकिन संजय जो आगे की सीट पर बैठा था, उसे थोड़ी ज्यादा चोट आई। हमे उसी हॉस्पिटल में ले जाया गया जहां रौशन का ऑपरेशन चल रहा था। संजय को डॉक्टर्स ने 1 महीने का बेड रेस्ट दिया जिसके बाद हमारा ट्रिप एक्सटेंड हो गया। मैंने सतीश ने और विक्रम का ख्याल रखा। तभी एक दिन हॉस्पिटल में मैं अकेला संजय के पास बैठा था तभी पीछे से किसी ने मुझे आवाज़ लगाई। विक्रम मुझसे बोला, देख वो लड़की तुझे पुकार रही है। मैंने कहा मुझे यहां कौन जानता है और खासकर कोई लड़की मुझे क्यों बुलाएगी, वो किसी और को बुला रही होगी। एक बार और फिर से मेरा नाम पुकारा, मैं पीछे मुड़ा तो सामने एक बहुत ही खूबसूरत लड़की, जिसका फिगर 34-28-32 और इतनी सेक्सी लड़की को मैने या मेरे दोस्तों ने कभी सामने से नही देखा था, वो मेरे सामने खड़ी थी। इससे पहले मैं उससे कुछ कहता वो मुझसे लिपट कर रोने लगी। मुझे एकदम से कुछ भी समझ मे नही आ रहा था कि हो क्या रहा है। मैने उस लड़की को शांत किया, उसके आँसू पोछे और उसे पास बिठाकर पूछा कि वो कौन है और मुझे कैसे जानती है।

उस लड़की ने मुझे बताया कि वो रौशन है, मेरा दोस्त। मुझे यकीन नही हुआ लेकिन जब उसने हमारे बचपन की बातें जो सिर्फ या तो रौशन को पता था या सिर्फ मुझे। मैंने उससे कहा कि ऐसा नही हो सकता, तुम जरूर कहीं से जानकारी इकट्ठा करके मुझे बेवकूफ बना रही हो। फिर रौशन ने मुझे अपना बर्थ मार्क दिखाया जो उसके पीठ पर था, तब जा कर मुझे यकीन हुआ कि ये तो मेरा दोस्त रौशन है। लेकिन रौशन की हाइट, उसका शरीर पहले से काफी अलग दिख रहा था, चेहरे पर भी ग्लो था जैसा लड़कियों में होता है। बहुत बदल चुका था रौशन लेकिन इसकी वजह क्या थी, जब मैंने रौशन से पूछा तो उसने मुझे सारी आप बीती सुनाई और सुनाते सुनाते रोने लगा। मैने रौशन को गले से लगाया और उसे प्रोमिस किया किया कि उसे इस दलदल से कैसे भी बाहर निकाल दूंगा। विक्रम, संजय, सतीश को मैंने सच नही बताया और रौशन को मेरी स्कूल की गर्लफ्रैंड रौशनी के नाम से मिलवाया। अब मुझे रौशन को यहां से इंडिया वापस लेकर जाना था। ऐसे कोई प्लान बन नही रहा था जिससे रौशन को इस मुश्किल से निकाला जा सके। फिर मैंने और मेरे कुछ दोस्त जो इंडिया में ही रहते हैं और पार्ट टाइम में टैक्सी चलते हैं, मैंने उनसे बात की। वो मेरी मदद करने को तैयार थे। फिर प्लान के हिसाब से जिस दिन रौशन सोनू और कल्लू के साथ जिस एयरपोर्ट पर लैंड करने वाला था, उस एयरपोर्ट पर हमें पहले से ही रहना था, बाकी के काम मेरे दोस्त देख लेंगे। मैंने रौशन से कहा कि जैसा चल रहा है चलने दो, वैसे लड़की बन गए हो तो थोड़े नखरे भी सिख लो लड़कियों वाले, काम आएगा। रौशन खुश हो गया, उसे इस दलदल से आजादी मिलने की खुशी उसके चेहरे पर मुस्कुराहट बन कर आई और उस मुस्कुराते हुए हसीन से चेहरे से मुझे प्यार सा हो गया था। वैसे मैं गे नही था कभी लेकिन रौशन का ये अवतार किसी अप्सरा से कम नही था।

आखिरी महीना चल रहा था और रौशन को पीरियड्स नही आया था। डॉक्टर हेल्थ चेकअप के आये तो नर्स रौशन को एक कमरे में ले गयी। डॉक्टर ने नर्स से कहा कि वो रौशन को न्यूड कर दे। नर्स ने रौशन को न्यूड कर दिया और उसे डॉक्टर के सामने खड़ा कर दिया। डॉक्टर ने रौशन से कहा कि वो अपने दोनों बूब्स को ऊपर की ओर अपने दोनों हाथों से सपोर्ट दे। रौशन ने अपने दोनों हाथों से अपने बूब्स को ऊपर की ओर सपोर्ट दिया, और आईने में खुद को देखकर हैरान रह गया। फिर डॉक्टर ने रौशन के बूब्स के निप्पलों को पिंच किया। आआह की आवाज़ रौशन के मुह से निकली और वो भी इतनी मीठी की उसे खुद के आवाज़ पर यकीन नही हुआ। फिर डॉक्टर ने रौशन के दोनों पैरों को फैला कर लेटने को कहा, रौशन लेट गया। फिर डॉक्टर ने एक डिलडो लिया और रौशन के वजाइना में डाल दिया और उसे रिमोट से ऑपरेट करने लगे। रौशन को हल्का हल्का दर्द होने लगा और उसे अच्छा भी लग रहा था। फिर 15 मिनट्स के बाद डॉक्टर ने नर्स से कहा कि कुछ मेडिसिन लिख के दे रहा हूँ, अभी इनका एक एक डोज़ रौशन को दे दो। नर्स ने तुरंत उन मेडिसिन्स का एक एक डोज़ रौशन को दे दिया, डोज़ पड़ते ही रौशन बेहोश हो गया। जब रौशन की नींद खुली तब उसके पास नर्स बैठी थी, फिर उसने रौशन को मेडिसिन दिया। शाम को रौशन को उसके लाइफ का पहला पीरियड्स आया जिसके बाद रौशन के बदन में दर्द, खून आना, चिड़चिड़ापन और गुस्सा आने लगा। नर्स ने रौशन को समझाया कि पीरियड्स आने का मतलब है कि तुम अब पूरी तरह से औरत बन चुकी हो और तुम किसी मर्द के साथ संसर्ग करके उसके बच्चों की माँ बनने में समर्थ हो। ये सब सुनकर रौशन को बहुत शर्मिंदगी महसूस हो रही थी, लेकिन अब यही उसकी सच्चाई बन चुकी थी कि वो अब एक औरत है।

2 दिन बाद सोनू और कल्लू को डॉक्टर ने बुलाया और हॉस्पिटल के बिल्स भुगतान करने के बाद उन्होंने दोनों से कहा कि दो दिनों बाद तुम रेशमा को यहां से डिस्चार्ज करवा कर ले जाना। वो दोनों फॉरमैलिटी पूरी करके होटल चले गए।

रौशन ने मुझे बताया कि दो दिन बाद सोनू और कल्लू उसे इंडिया वापिस ले जाने वाला है। मैंने रौशन से कहा कि मै कल ही इंडिया की फ्लाइट ले कर जा रहा हूँ, प्लान तैयार है और एयरपोर्ट पर मिलूंगा। रौशन मेरे बात से एग्री था और उसने मुझे हग किया और मेरे गाल पर किस किया। मैंने रौशन से कहा कि मैंने जैसा समझाया है, इस बात का ध्यान रखना। मैने अगले दिन फ्लाइट ली और इंडिया आ गया। अगले दिन रौशन की फ्लाइट थी और मैंने इंडिया आते ही सारी तैयारियां पूरी कर ली थी।

अगले दिन रौशन की फ्लाइट लैंड हुई। कल्लू और सोनू रौशन को अपने साथ लेकर इंडिया आ गए। जब उनकी फ्लाइट लैंड हुई तब हमने उनके बैग्स गायब कर दिए। जितना देर उन दोनों ने अपने बैग्स ढूंढने में लगाये मैं और मेरे दोस्त रौशन को लेकर गायब हो चुके थे। थोडी देर बाद उन्हें उनके बैग्स तो मिल गए लेकिन रौशन को हमने वहां से छुड़ा लिया था, थोड़ी देर में मैं रौशन को लेकर घर पहुँचा। रौशन को देखकर मेरी माँ, मेरे पापा, मेरी बहन सभी हैरान थे। मैंने उनसे रौशन की सच्चाई नही बताई, बस ये बताया कि ये रौशनी है, मेरी गर्ल फ्रेंड। मुझे पता था कि मेरे माँ बाप को इस बात से कोई आपत्ति नहीं हो सकता। वो तो खुद चाहते थे कि मेरी भी कोई गर्लफ्रैंड हो, और आज सब बहुत खुश थे। मैंने उन्हें बताया कि रौशनी का इस दुनिया में मेरे सिवा कोई नही है, उसके माँ बाप मर चुके हैं और उसके भाई बहन ने उसे घर से निकाल दिया है।

ये सुनकर मेरी माँ ने रौशन को गले से लगा कर बोली, मैं हूँ ना तुम्हारी माँ और ये तुम्हारे पिता जी। आज से ये तुम्हारा घर है रौशनी और मैं तुम्हारी और राजीव की शादी बहुत जल्द करवा दूंगी। मेरी माँ की बात सुनकर रौशन बहुत इमोशनल हो गया, फिर मेरी बहन ने कहा कि भाभी आप मेरे साथ आओ और रौशन को अपने साथ कमरे में ले गयी। रौशन ने श्रुति को बताया कि उसके पीरियडस चल रहे हैं और उसे दर्द भी हो रहा था। श्रुति ने रौशन से कहा कि आप रेस्ट करो भाभी, यहां आपको कोई तकलीफ नही होने देंगे हम सब। रौशन बिस्तर पर लेट गया और उसकी आंख लग गयी।

अगले दिन सुबह के अखबार में गैंगवार की एक घटना का जिक्र था जिसमे दो लोगों के मरने की सूचना थी। उनमे से एक सोनू और दूसरा कल्लू, दोनों एक गैंगवार में मारे जा चुके थे। एयरपोर्ट पर उनके साथ जो कुछ भी हुआ था, वो सब हमने प्री प्लांड किया हुआ था, शायद हमारे वहां से निकलने के बाद ही वहां ये सब हुआ हो। खैर इससे सबसे ज्यादा शांति मुझे मिली, क्योंकि अब मुझे पता था कि रौशन अब सेफ है। एक हफ्ते बाद मेरी और रौशन की शादी तय कर दिया गया और इस बात से मैं बहुत खुश था वही रौशन उदास रहता। मैंने उसकी उदासी की वजह पूछा तो उसने मुझे बताया कि वो ऐसी लाइफ नही चाहता था। रौशन चाहता था कि एक सुंदर सी लड़की उससे निकाह करे और उसकी दुल्हन बने, जो कि अब नामुमकिन था। क्योंकि रौशन अब खुद एक खूबसूरत लड़की बन गया था, और एक कुंवारी लड़की के साथ क्या क्या परेशानी होती है, वो मैंने रौशन को समझाया। फिर रौशन मान गया, मुझे गले से लगाकर उसने हग किया और मेरे और रौशन के बीच पहला लिप् टू लिप किस हुआ, वाओ क्या किस था, मैने कभी सोचा नही था कि जब एक लड़का लड़की बन जाता है तो उसके होंठ इतने रसीले हो जाते हैं। हमदोनों बहुत खुश थे, रौशन के आंखों में आंसू थे और मेरी आँखों मे खुशी और अब हम अपने भविष्य की तैयारियों में जुट गए थे।

उधर बख्तावर अपने आदमियों के साथ साथ रौशन को खोने का बहुत दुख था और बहुत ही ज्यादा गुस्से में भी। पूरे शहर में ढूंढने के बाद भी उसे रौशन का कोई अता पता नही चला और जब रुखसार उसके घर काम करने गयी तब कुछ गुंडो से उसकी बहुत पिटाई करवाई और बोला कि मैंने तेरे बेटे रौशन को औरत बनाने में बहुत खर्च किया और वो भाग गया, अब तू एक काम कर अपने बेटे को लड़की बनाकर मेरे पास छोड़ जा, मैं उसे अपनी रखैल बनाऊंगा। ये सुनकर रुखसार के पांव तले जमीन खिसक गया। रुखसार ने रौशन के भागने का दुख जताया और बख्तावर से अपने बेटे की जिंदगी की भीख मांगने लगी, लेकिन बख्तावर पर कोई असर ना हुआ। बाज़ी पलट चुकी थी, अब रुखसार क्या करे और क्या ना करे, उसे कुछ समझ मे नही आ रहा था। रुखसार ने बख्तावर के पैर पकड़ लिए और रोने लगी, बोली मेरा बेटा मेरे बुढापे का सहारा है, और गिड़गिड़ाने लगी। बख्तावर बोला, ठीक है एक काम कर, तू मुझे उतने पैसे लौट दे, जो मैंने रौशन को औरत बनाने में खर्च किये, करीब 15 लाख होंगे, तू वो पैसे दे जा मुझे और अपने बुढ़ापे के सहारे को अपने पास रख। रुखसार के पास अब कोई रास्ता नही था, सिवाए अपने सगे बेटे को लड़की बनाकर बख्तावर के सामने ले जाने के।

रोते बिलखते रुखसार अपने घर आई, उसे रोता हुआ देख उसका शौहर उसे शांत करने की कोशिश करने लगा और उसके रोने का कारण पूछा। रुखसार ने रोते रोते सबकुछ बता दिया, उसकी बात सुनकर उसके शौहर का हलक सुख गया। उसने पूछा, तो अब क्या करेगी रुखसार, देख मैं मेरे बेटे के साथ कोई गलत नही होने दूंगा। रुखसार कुछ सोचती इससे पहले उसके घर पर दो गुंडे आ गए और रुखसार से बोले कि जल्दी से अपने बेटे को तैयार कर के बाहर भेज, हम उसे लेने आये हैं। रुखसार में इतना मार खाने के बाद ईतनी हिम्मत नहीं बची थी कि वो उन सभी का दुबारा सामना कर सके। ज़ुबिन की हाइट 5.8 और वो थोड़ा हेल्थी था। उसकी अम्मी ने उसे कुछ भी नही बताया और उसे सलवार कमीज में तैयार किया, मेकअप किया, हाथों में चूड़ियां और पैरों में पायल पहनाकर, विग पहनकर, नाखुनो पर नेल पॉलिश, होंठों पर ग्लॉसी लिपस्टिक और आर्टिफीसियल ज्वेलरीज जैसे नाक में नथिया, कानो में झुमके और गले मे हार पहनाया और उन लोगो के साथ भेज दिया। ज़ुबिन को कुछ भी समझ मे नही आ रहा था कि उसके साथ हो क्या रहा है। उसे पता नही था, कि उसके साथ क्या होने वाला है। वो लोग ज़ुबिन को लेकर बख्तावर के पास पहुंचे, बख्तावर ज़ुबिन को देखकर बोला, तू तो रेशमा से भी खूबसूरत है, तेरा मांसल शरीर देखकर तो लगता है कि जब तू लड़की बनेगा, तब तू बहुत सेक्सी लगेगा। ज़ुबिन ने बख्तावर के पैर पकड़ लिए, और रोने लगा, वो बोला, मालिक मुझसे क्या गलती हो गयी है जिसके लिए आप मुझे ये सजा दे रहे हैं, मैं तो लड़का हूँ, क्रोसड्रेसर नही जो आपलोगों ने मुझे लड़कियों के कपड़े पहनाकर मुझे यहां बुलाया है। ज़ुबिन की बात सुनकर बख्तावर जोर से हँसा और अपने आदमियों से कहा, इसे कमरे में ले जाओ, और इसे समझाओ कि ये लड़का है या लड़की, समझ गए ना, अब जाओ।

वो गुंडे ज़ुबिन को कमरे में ले गए, हाथ पीछे करके उसके दुपट्टे से बांध दिया, पेट के बल लिटा कर उसके दोनों पैरों को उसी दुपट्टे से बांध दिया। असहाय ज़ुबिन को बिस्तर पर लिटाकर वो गुंडे, उसके हिप्स पर एक पतले से डंडे से पीटने लगे। और ज़ुबिन को तबतक पीटा गया जब तक वो रहम की भीख नही मांगने लग गया। फिर एक गुंडे ने ज़ुबिन से पूछा, अब बता तू कौन है, लड़की है या लड़का। ज़ुबिन जोर जोर से रोने लगा और बोला, आप लोग मुझे मत मारो, मैं मर जाऊंगा, मैं लड़का हूँ, अल्लाह के वास्ते मुझे छोड़ दो। ज़ुबिन की बात सुनकर वो दोनों हंसने लगे और उसके हाथ और पैर खोल दिये। ज़ुबिन को लगा कि उन्हें दया आ गयी है लेकिन ऐसा कुछ भी नही था। उनदोनो ने मिलकर ज़ुबिन को नंगा किया और उसे फिर से वैसे ही बांध दिया। फिर वो दोनों एक डिलडो ले कर आये और ज़ुबिन के गाँड़ की छेद में घुसा दिया और उसका वाइब्रेशन ऑन कर दिया और रिमोट से उसे ऑपरेट करने लगे। ज़ुबिन को एक तरफ असहनीय दर्द होने लगा, शरीर साथ नही दे रहा था, आंखों से आंसू रुकने का नाम नही ले रहे थे और उसके मुह से आहें निकने लगे थे। अभी उन गुंडों में से एक ने ज़ुबिन के चेहरे को पकड़ा और उसके गाल पर थप्पड़ मारने लगे। ज़ुबिन और जोर जोर से रोने लगा। 15 मिनट्स बाद ज़ुबिन बेहोश होने वाला था कि तभी उन गुंडो ने उस डिलडो का वाइब्रेशन बन्द कर दिया और ज़ुबिन से पूछा कि वो कौन है, लड़का या लड़की। ज़ुबिन समझ चुका था, कि इन गुंडों की बात मान लेने में ही भलाई है और तब उसने कहा, मैं लड़की हूँ। वो गुंडे फिर से हसने लगे और बोले कि अब से याद रखना कि तुम एक लड़की हो और आज से लड़कियों की तरह ही बात करना। ज़ुबिन ने हाँ में सिर हिलाया, जिसके बाद उन गुंडो ने ज़ुबिन की फिर से तैयार किया और उसे अपने बॉस बख्तावर के पास ले जाने लगे। ज़ुबिन ने उनसे कहा कि प्लीज् उसके गाँड़ में से वो डिलडो निकाल दें, लेकिन उन गुंडो ने उससे कहा कि अब ये डिलडो तुम्हारी गाँड़ में तबतक रहेगा जब तब बॉस चाहेंगे। फिर उन गुंडो ने ज़ुबिन को बख्तावर के सामने ले गए और डिलडो का रिमोट अपने बॉस के हाथों में दे दिया।

बख्तावर ने ज़ुबिन से पूछा, मेरी जान अब बताओ तुम कौन हो? मैं आपकी गुलाम हूँ मालिक, ज़ुबिन ने डरते हुए जवाब दिया। शाबाश, आज से तुम नुबिन नही जुबैदा हो, मेरी छम्मकछल्लो। इस घर से सारे काम आज से तुम करोगी और वो भी बिना किसी सवाल जवाब के। तुम्हे जो कहा जाए, तुम्हे वो करना है आज से, और तुम आज से लड़कियों का जिंदगी जियोगी। अब तुम रेशमा की जगह लोगी और मेरी रखैल बनकर अपनी बाकी की जिंदगी गुज़ारोगी। फिर बख्तावर ने अपने गुंडो को वहां से जाने को कहा और ज़ुबिन को अपने पैरों में बिठा लिया। फिर ज़ुबिन से कहा कि वो उसके पैंट की जीप खोले। जैसे ही ज़ुबिन ने बख्तावर के पैंट की जीप खोली वैसे ही उसका लंड पैंट से बाहर आ गया। फिर बख्तावर ने ज़ुबिन के हाथों को अपने लंड पर रख दिया और उसे सहलाने को कहा। ज़ुबिन अपने कांपते हुए हाथों से बख्तावर का लंड सहला रहा था कि तभी वहां रुखसार आ गयी। अपने बेटे को ऐसे किसी मर्द का लंड सहलाते हुए उसे बहुत दुख हो रहा था लेकिन वो कुछ भी करने में असमर्थ थी। ज़ुबिन ने अपनी अम्मी की ओर देखा तो उसने मुह फेर लिया और काम करने किचन में चली गयी। फिर बख्तावर ने ज़ुबिन का चेहरा पकड़ा और उसके मुह में अपना लंड डाल दिया और उसे ब्लो जॉब देने लगा। 15 मिनट्स तक ब्लो जॉब देने के बाद उसने अपना वीर्य ज़ुबिन के मुह में छोड़ दिया, इससे पहले ज़ुबिन कुछ समझ पाता वो उसके गले से होते हुए उसके पेट मे चला गया और फिर बख्तावर ने उसके गाल पर किस किया और कहा कि वो किचन में जाये और रुखसार की मदद करे और घर का काम सिख ले।

ज़ुबिन उसी हालत में किचन में गया जहां रुखसार साफ सफाई कर रही थी। अपने बेटे की इस हालत की जिम्मेदार रुखसार खुद थी, उसने ज़ुबिन को गले से लगाया और दोनों माँ बेटे रोने लगे। तभी अचानक ज़ुबिन के मुह से आआह की आवाज़ सुनकर रुखसार चौंक गई। ज़ुबिन का शरीर अचानक से कंपकपाने लगा, और उसके शरीर मे फिर से झटका महसूस हुआ, फिर उसे याद आया कि वो डिलडो अभी भी उसके गाँड़ की छेद में है और बख्तावर उसे ऑपरेट कर रहा है। हर 10 मिनट्स में वो डिलडो जोर जोर से वाइब्रेट करने लगता और ज़ुबिन आआह ऊह करने लगता। जुबन को इस हालत में देखकर रुखसार उसे संभालने की कोशिश करने लगी और उसे शांत किया और घर के काम समझाने लगी। रुखसार को उसकी गलती का एहसास हो चुका था, आज तक वो रौशन के दर्द को समझे बिना उसे औरत बनाकर जो खुशी मिली थी, अब वो खुशी गम में बदल गया था। अपने बेटे ज़ुबिन को औरतों की तरह सिसकियाँ लेते हुए देखना, रुखसार को बिल्कुल भी अच्छा नही लग रहा था लेकिन वो मजबूर थी। जिस गलती की शुरुआत उसने अपने सौतेले बेटे से शुरू किया था, आज खुद के बेटे को वही दर्द झेलते हुए देखना कितना दुखद था, इसका अंदाजा नही लगाया जा सकता था।

इधर मेरे घर मे, पंडित ने बताया कि अभी 1 साल तक शादी का कोई मुहूर्त नही है, और मेरी और रौशन की शादी 1 साल बाद होली के 7 दिन बाद फिक्स कर दिया गया। रौशन घर के कामों में मेरी माँ की मदद करता, श्रुति की पढ़ाई में उसकी हेल्प करता, मैं कभी कभी रौशन को पिक्चर दिखाने ले जाता और कभी कभी घुमाने। रौशन ने स्त्रीत्व को बखूभी स्वीकार कर लिया था और एक मॉडर्न लड़की की तरह साड़ी, तो कभी सूट पहनता, हील्स और नथिया तो उसके खूबसूरती को चार चांद लगा देते। मैं रौशन से हमेशा कहता कि ग्लॉसी लिपस्टिक अप्लाई किया करे और वो मेरी हर बात को ऐसे मानता जैसे वो मेरी गर्लफ्रैंड हो। रौशन के साथ मेरा समय बहुत अच्छा कट रहा था। एक दिन अचानक मेरी सिविल सर्विसेज का रिजल्ट आ गया और मुझे 6 महीने के लिए ट्रेनिंग पर बंगलोर जाना था। रौशन ने जब ये न्यूज़ सुना तो बहुत खुश हुआ और मेरे पास आकर मुझे लिप् टू लिप् किस दिया, मैने भी रौशन को अपनी बाहों में जकड़ लिया और उसे जोर से फ्रेंच किस किया। फिर रौशन ने मुझसे कहा कि जब मैं ट्रेनिंग पर बंगलोर चला जाऊंगा तो वो मुझे बहुत मिस करेगा। मैने रौशन को समझाया कि बस 6 महीनों की बात है, और उसके बाद हम साथ होंगे। आज रौशन की आंखों में आंसू थे, शायद वो मुझसे बहुत प्यार करने लगा था और मुझसे दूरी उसे बर्दाश्त नही हो रही थी। 3 दिनों बाद मैं ट्रेनिंग पर 6 महीने के लिए बंगलोर चला गया। उधर रौशन मेरे परिवार का एक संस्कारी बहु की तरह खयाल रखने लगा। सभी के लिए रौशन, रौशनी था लेकिन मेरे लिए मेरा दोस्त रौशन और होने वाली पत्नी रौशनी दोनों।

उधर बख्तावर ने ज़ुबिन को बैंकॉक भेजने का फैसला किया, जहां उसका सेक्स चेंज सर्जरी किया जाना था। वैसे तो ज़ुबिन हेल्थी था लेकिन उसकी त्वचा बहुत ही सॉफ्ट और मुलायम। ज़ुबिन के नैन नख्श भी काफी शार्प थे और वैसे भी वो राजकुमारों की तरह पला बढ़ा था, उसे किसी तरह की कोई तकलीफ या परेशानी का सामना नही करना पड़ा। जहां रौशन को बचपन से नौकरों के जैसे ट्रीट किया जाता था वहीं ज़ुबिन उसके हर दर्द और तकलीफ पर उसका मजाक बनाता था। यहां तक कि जब रौशन को औरत बनकर बख्तावर के घर मे रहना पड़ा था, तब भी ज़ुबिन इंसानियत को भुलाकर अपने भाई के तकलीफ और दर्द को एन्जॉय करता। ज़ुबिन ही क्यों, रुखसार, शाहिद और उसकी बेटी शबनम तीनों रौशन के दर्द पर मजे ले रहे थे, जब उन्हें पता चला था कि बख्तावर रौशन को औरत बनाकर अपनी रखैल बनाकर रखेगा, तब तो मानो उनमे ऐसी खुशी थी जैसे कितने जन्मो की दुश्मनी रही हो। लेकिन अब जब समय की मार पड़ी, तब रौशन की दुख और दर्द रुखसार, शाहिद, शबनम और ज़ुबिन को समझ मे आने लगा लेकिन अब बहुत देर हो चुकी थी। खुदा के बंदों से बन्दगी ना करके उन्होंने रौशन के साथ गलत किया था, और अब उनके साथ गलत होना शुरू हो गया था। बख्तावर ने 3 महीनों तक ज़ुबिन को अपने पास औरत बनाकर रखा, उसके साथ वो सब हुआ जो रौशन के साथ होता था। रुखसार के सामने जब ज़ुबिन बख्तावर के लंड को अपने मुह में लेकर ब्लो जॉब देता तब रुखसार एक कोने में जाकर आंखें बंद कर लेती और आंसू बहाती। लेकिन इन सब से कुछ बदलने वाला नही था, बख्तावर ने ज़ुबिन के सेक्स चेंज आपरेशन के लिए उसको बैंकाक भेज दिया लेकिन इस बार उसने अपने डांस बार मे काम करने वाली भरोसेमंद औरत जिसका नाम उर्वशी है, उसे साथ भेजा।

इधर मेरी ट्रेनिंग शुरू हो गयी और उधर ज़ुबिन को बैंकॉक के उस हॉस्पिटल में डॉक्टरों ने एडमिट कर लिया था, जहां रौशन का सेक्स चेंज सर्जरी हुआ था। औरत होने की वजह से उर्वशी को वहां ज़ुबिन के साथ रहने की इजाजत दे दी गयी। ज़ुबिन को पहले दो महीने मेल ब्लॉकर हॉर्मोन्स, फीमेल हॉर्मोन्स के इंजेक्शन्स पर और एक खास तरह के मशीन में रखा गया। तीसरे महीने में ज़ुबिन के लेग्स और कमर शेप लेने लग गए, चेहरे पर दाढ़ी आने बड़ हो गए, छाती गोल होने लगी और हिप्स भी गोल होने लगी। चौथे महीने में ज़ुबिन का ब्रैस्ट एनलार्जमेंट, नोज उपलिफ्टिंग, गर्भाशय का निर्माण 100%, बॉडी की लेज़र ट्रीटमेंट, और बॉडी की री मॉडिफिकेशन की गई जिसके बाद, ज़ुबिन का शरीर कोमल और सेंसेटिव हो गया। पांचवे महीने में ज़ुबिन का पेनिस उसके बॉडी से रिमूव कर दिया गया और वजीनोप्लास्टी के माध्यम से उस जगह पर सिलिकॉन की वजाइना सेट कर दिया गया और उसे गर्भाशय से जोड़ दिया गया। ज़ुबिन को रौशन के दर्द का एहसास हुआ जब वजीनोप्लास्टी के बाद वो पहली बार खुद चल कर वाशरूम में गया, जब उसके बड़े बड़े बूब्स उसके हर कदम के साथ ऊपर नीचे बाउंस कर रहे थे। वाशरूम में जाकर जब ज़ुबिन रो रहा था तब उसने गौर किया कि उसका आवाज़ अभी भी लड़को के जैसा ही है। तभी वहां उर्वशी आयी और उसने ज़ुबिन से पूछा, कि उसे कैसे लग रहा है औरत के शरीर को पाकर। ज़ुबिन बहुत दुखी था और उसने कहा कि उसे बहुत दर्द हो रहा है और ये दर्द उससे बर्दाश्त नही होगा। उर्वशी ने ज़ुबिन को बताया कि तुम्हारा सेक्स चेंज करवाया गया है ताकि तुम बख्तावर के छोटे बेटे की दुल्हन बन सको और तुम्हारी आवाज़ को इसलिए नही बदला गया है ताकि शादी के बाद बख्तावर के बेटे को तुम्हारे साथ सुहागरात मनाने में फील आये। एक्चुअली क्या है ना, बख्तावर के बेटे को तुम्हारे जैसे क्रोसड्रेसर बहुत पसंद है। एक महीने बाद जब तुम वापिस इंडिया जाओगे तब पूरी तरह से औरत बन चुके होंगे बस तुम्हारी आवाज तुम्हे एहसास करवाएगी कि तुम भी कभी मर्द थे। उर्वशी की बातें सुनकर ज़ुबिन की आंखों में आंसू थे और फिर वो उर्वशी के साथ अपने कमरे में आ गया।

छठे महीने में ज़ुबिन को एक खास तरह की मशीन में सुलाया जाने लगा जिसके बाद उसके शरीर मे पहले से ज्यादा कोमलता और सेंसिटिविटी आने लगी और दूसरा हफ्ता होते होते ज़ुबिन को उसका पहला पीरियडस आ गया। डॉक्टर ने ज़ुबिन को पीरियडस के बारे में समझाया और पैड पहनने की सलाह दी। ज़ुबिन शर्म से जमी में गड़ा जा रहा था। ज़ुबिन उस दिन वाशरूम में गया और अपने सारे कपड़े उतार दिए और आईने में खुद को देखने लगा। ज़ुबिन के बाल ज्यादा बड़े नही थे, पिक्सी कट्स बाल, बड़े बड़े गोल बूब्स, गोल हिप्स, 28 साइज की कमर, होंठो के नीचे एक काला तिल जो पहले नही था, वजाइना पिंक कलर की और छूने पर इतना ज्यादा सेंसेशन कि दर्द उठ से शरीर थर्रा जाता और शरीर मे सॉफ्टनेस इतना जैसे मलाई। ज़ुबिन खुद को देखकर काफी देर तक रोता रहा, अपने गलतियों पर पछताता रहा लेकिन अब कुछ नही हो सकता था। ज़ुबिन औरत बन चुका था और डॉक्टर के मुताबिक अगर कोई मर्द उसके साथ शारिरिक संबंध बनाता है तो वो प्रेग्नेंट होने में भी सक्षम है। फिर डॉक्टरों ने ज़ुबिन को 5 दिन बाद वहां से डिस्चार्ज कर दिया। उर्वशी ने ज़ुबिन को सिल्क साड़ी, चमकीला बैकलेस ब्लाउज जो आगे से यू कट था, हाथों में चूड़ियाँ, नाक में आर्टिफिशियल नथिया, कानों में आर्टिफिशियल झुमके, पैरो में पायल, हाई हील्स, होंठो पर ब्राउन लिपस्टिक, आंखों में काजल, माथे पर एक बिन्दिया और गले मे एक आर्टिफिशियल नेकलेस जो काफी बड़ी थी पहनाकर अपने साथ मार्किट ले गयी। मार्किट में एक ज्वेलरी शॉप पर उर्वशी ज़ुबिन को लेकर पहुची, वहां उसने दुकानदार से बोलकर ज़ुबिन के नाक और कान में छेद करवा दिया और सोने का नथिया नाक में और बड़े बड़े दो झुमके दोनों कान में पहना दिया। नाक और कान का छेद तो बारीक था लेकिन नथिया और झुमके के तार थोड़ा मोटे थे और ज़ुबिन को वो नथ और झुमके बहुत चुभ रहे थे। फिर शाम को फ्लाइट लेकर उर्वशी ज़ुबिन को लेकर बख्तावर के घर पहुची जहां उसका बेटा रणधीर और उसकी पत्नी रेखा पहले से आये हुए थे। घर के अंदर कदम रखने से पहले उर्वशी ने ज़ुबिन की साड़ी के पल्लू से उसका घूंघट कर दिया और उसे समझाया कि अंदर जाकर अपने होने वाले सास ससुर के पैर छू कर उनसे आशीर्वाद लेना, बिना कहे कुछ भी मत बोलना और रणधीर के साथ खड़ा भी होना तो सिर झुका कर। अगर कोई काम कहें तो वो भी चुपचाप कर देना समझी। उनके सामने ना तो अखबार पढ़ना, ना ही टी वी देखना, बस चुपचाप खड़ी रहना जबतक तुम्हे बैठने को कहा ना जाये। और एक बात, अब तुम ज़ुबिन नही हो, अब तुम्हारा नाम जुबैदा है, इस बात को मत भूलना। ज़ुबिन ने हाँ में सिर हिलाया और उर्वशी के साथ बख्तावर के घर मे कदम रखा। घूंघट की वजह से ज़ुबिन को कुछ दिखाई नही दे रहा था, उर्वशी ज़ुबिन को बख्तावर की पत्नी के पास ले गयी और उसके पैरों में बिठाकर वहां से चली गयी। रुखसार भी वहीं थी, घर के कामो में व्यस्त और उसे पता भी नही चला कि उसका बेटा औरत बनकर घर आ चुका था, उसे तो ये भी नही पता था कि उसके बेटे को बख्तावर अपने बेटे से शादी करवाकर अपने घर की बहू बनाना चाहता था।

रेखा ने रुखसार को अपने पास बुलाया,

“जी मालकिन, बुलाया आपने”, रुखसार अपने दुपट्टे से पसीना पोंछते हुए बाहर आई।

“जरा देखो तो कौन आया है, मेरे घर की होने वाली बहु”, रेखा ज़ुबिन के तरफ नज़र घुमाते हुए बोली।

“अरे वाह मालकिन, जरा मैं भी तो मुखरा देखूं, रणधीर बाबू की दुल्हनिया को”, रुखसार ने पूछा।

“हाँ हाँ, क्यों नही। कितनी शर्मीली है ना, तुम खुद से घूंघट उठा कर देख लो”, रेखा हंसते हुए बोली।

रुखसार ज़ुबिन के पास गई और उसका घूंघट हटाया।

“अरे, बहुरानी, तुम तो सच मे बड़ी शर्मीली हो, जरा मुखरा तो ऊपर उठाओ, हम भी तो देखें रणधीर बाबू की दुल्हनिया को”, रुखसार ने कहा।

रुखसार की बात सुनकर ज़ुबिन ने अपना चेहरा ऊपर उठाया। ज़ुबिन को देखकर रुखसार के होश फाख्ता हो गए। ये तो उसका बेटा था जो अब औरत बन चुका था। रुखसार ने बख्तावर की ओर देखा, तो उसने इशारों में चुप रहने को कहा।

“कैसी लगी हमारी बहु रुखसार, सुंदर है ना”, रेखा बोली।

“हाँ जी मालकिन, आपकी बहु बड़ी सुंदर है, नज़र ना लगे बहुरानी को”, रुखसार ने अपनी आंखों के काजल से एक काला टिका ज़ुबिन के गले पर लगाते हुए बोली।

“बहुरानी का नाम जुबैदा है, इसके माँ बाप यहां नही रहते और मेरा बेटा जुबैदा को बहुत पसंद करता है, तुम एक काम करो रुखसार। आज से रुखसार तुम्हारे घर पर रहेगी, और शादी होने तक मेरी बहु का ख्याल रखने की पूरी जिम्मेदारी तुम्हारी रहेगी। जिस चीज़ की जरूरत हो बता देना, मैं भिजवा दूंगी। तुम्हे कोई हर्ज तो नही अगर कुछ दिनों के लिए ज़ुबैदा तुम्हारे घर की बेटी बन कर रहे और मेरा बेटा बारात लेकर तुम्हारे घर आये और ज़ुबैदा को अपनी दुल्हन बना कर इस घर मे ले आये”, रेखा बोली।

“नही मालकिन, आपकी बहु, मेरी बेटी, ये तो खुदा ने इस पाक मौके पर मुझे खिदमत करने का मौका मिला ये मेरे लिए बहुत है।”, रुखसार बोली।

“हाँ, वो तो ठीक है रुखसार, लेकिन हम हिन्दू हैं और चाहते हैं कि ज़ुबैदा को हिन्दू रीति रिवाजों के साथ अपने घर की बहू बनाएं। तुम्हे सारी तैयारियां करनी होगी, जहा जब जिस चीज़ की जरूरत पड़े, मुझे बता देना”, रेखा बोली।

“जी मालकिन”, रुखसार बोली।

रुखसार और ज़ुबिन दोनों की आंखों में आंसू थे और दोनों इतने मजबूर थे कि किसी को सच बयान नही कर सकते थे, फिर रुखसार ने ज़ुबिन का घूंघट कर दिया और किचन में चली गयी। रुखसार को यकीन नही हो रहा था कि बख्तावर और रेखा अपने बेटे रणधीर से उसके बेटे ज़ुबिन की शादी करवा कर उसे अपने घर की बहू बनाना चाहते हैं। जिस बेटे की शादी के लिए हजारों सपने संजोये थे, हमेशा कहती थी कि हूर सी सुंदर दुल्हन लाएगी अपने बेटे के लिए और आज ज़ुबिन के औरत बन जाने के बाद, वो खुद किसी हूर से कम नही लग रहा था, जिसे कुछ ही दिनों में रणधीर अपनी दुल्हन बना लेगा। अगले दिन ज़ुबिन को कुछ लोगों से रुखसार के घर भेज दिया गया, उस घर मे एयर कंडीशन लगवा दिया गया और जितनी भी जरूरत के सामान थे उनसे रुखसार का घर भर दिया, और वो लोग चले गए। जिस घर मे जुबिन बचपन से लेकर जवानी तक लड़को की तरह रहा, एक मर्द की तरह जिंदगी जी, जो जी मे आये करता था और आज उसी घर मे जुबिन की घरवापसी हुई लेकिन औरत बन कर जजसकी शादी तय की जा चुकी थी वो भी शहर के सवसे बड़े डॉन के बेटे रणधीर के साथ।

“अरे वाह! ज़ुबिन भैया लड़की बनकर कितने खूबसूरत लग रहे हैं ना”, शबनम हंसते हुए बोली।

“हाँ, और अब तेरे भाई का नाम ज़ुबिन नही ज़ुबैदा है, और बहुत जल्द शादी होने वाली है”, रुखसार बोली।

“अच्छा, तभी घर मे इतना हलचल है अम्मी। वैसे ज़ुबिन भैया, ओह्ह सॉरी ज़ुबैदा आपा का फिगर कितना प्यारा है ना, एक दम रानी मुखर्जी जैसा, और आपा के बूब्स तो मुझसे भी ज्यादा बड़े बड़े हैं। जीजू क्या करते हैं, और शादी कब है अम्मी, मुझे पहले बताया भी नही आपने”, शबनम बोली।

“कितना सवाल करती है, आज ही तो आयी है तेरी ज़ुबैदा आपा बैंकाक से। और 10 दिन बाद तेरी आपा की शादी है, तब देख लेना अपने जीजू को और मिल भी लेना उनसे”, रुखसार बोली।

“ठीक है अम्मी, अभी मैं ज़ुबैदा आपा को ले जाऊं अपने साथ, मुझे बहुत सारी बातें करनी है मेरी आपा से”, शबनम बोली।

“अब तेरी आपा यही रहेगी शादी होने तक, कर लेना ढेर सारी बातें, अभी जा यहां से, मुझे तेरी ज़ुबैदा आपा से कुछ जरूरी बातें करनी है”, रुखसार बोली।

शबनम के जाने के बाद, रुखसार ने ज़ुबिन को गले से लगा लिया और काफी देर तक दोनों रोते रहे।

ज़ुबिन ने रुखसार से कहा, “अम्मी मुझे ये शादी नही करनी, एक मर्द की दुल्हन मैं क्यों बनु अम्मी, उनसे कहो ना अपने लिए कोई लड़की देख लें। अम्मी सच बोल रहा हूँ, अगर ये शादी हुई तो मैं जान दे दूंगा।”

“ऐसे नही कहते मेरे बच्चे, अब तुम मर्द नही हो और ना ही तुम इस शादी से भाग सकते हो। तुम जानते हो ना ज़ुबिन कि वो लोग कितने खतरनाक हैं, मेरे बच्चे, तुम उस बख्तावर के बेटे से शादी कर लो, वो तुम्हे बहुत खुश रखेंगे। उस घर की बहुएं सोने चांदी और हीरों के गहनों से लदी रहती हैं। ऐशोआराम की जिंदगी तुम्हारा इंतेज़ार कर रही है और उस घर की बहू बन जाओगे….

तो तुम्ह भी उतना ही मान सम्मान मिलेगा जितना रेखा जी को मिलता है। रणधीर यू एस ऐ में रहता है और वो आने साथ तुम्हे भी वहां ले जाएगा। फिर तुम्हे कुछ करने की जरूरत नही होगी, ऐश करोगे तुम ऐश। अब तुम औरत बन गए हो ज़ुबिन, लेकिन तुम्हारी आवाज आज भी वैसी ही है जैसी तब थी जब तुम मर्द थे, ऐसा क्यों”, रुखसार इमोशनल होकर बोली।

“मुझे नही पता अम्मी, आपको मेरी आवाज की पड़ी है। तुम्हारे बेटे को कोई अपनी दुल्हन बनाने जा रहा है, उसके बाद सोचा है कि वो मेरे साथ क्या करेगा”, ज़ुबिन गुस्से में बोला।

“जानती हूं ज़ुबिन, लेकिन कुछ भी नही कर सकती। अब तुम्हारे लिए भी यही अच्छ होगा कि तुम इस स्त्रीत्व को अपना लो, क्योंकि अब मन से मर्द और तन से औरत बनकर दोहरी जिंदगी जीना बहुत ही ज्यादा मुश्किल होगा तुम्हारे लिए”, रुखसार ने ज़ुबिन को समझाया।

फिर रुखसार ने ज़ुबिन से कहा कि वो चेंज कर ले और आराम करे। ज़ुबिन अपने कमरे में गया और अपने कपड़े ढूंढने लगा। जब उसने अपने अलमीरा को खोल के देखा तो उसमें सिर्फ औरतों के कपड़े थे। शबनम ने ज़ुबिन से कहा कि वो उसके ही कपड़े हैं और ज़ुबिन को एक ट्रांसपेरेंट नाइटी देते हुए कहा कि वो ये पहन लें। ज़ुबिन ने कपड़े चेंज किए और नाइटी पहन लिया जिसमे वो बहुत खूबसूरत दिख रहा था। रात भर शबनम ज़ुबिन को छेड़ती रही और ना खुद सोई ना ज़ुबिन को सोने दिया।

इधर मेरी ट्रेनिंग भी खत्म हो गयी थी। जब मैं अपने घर आया तो मेरे घर मे सभी बहुत खुश थे। रौशन पहले से ज्यादा खूबसूरत दिख रहा था और मेरी माँ बहन और पापा सभी बहुत खुश थे। उन्होंने बताया कि रौशन ने उनका खूब ख्याल रखा, जैसे वो इस घर की बहू हो। पापा बोले कि अब पंडित से मुहूर्त निकाल कर मेरी और रौशन की शादी करवा देते है, ये सुन कर मैं तो बहुत खुश हो गया और रौशन शर्माते हुए किचन में चला गया। पंडित ने 10 दिन बाद का मुहूर्त निकाला, मैने फैसला किया कि हम मन्दिर में शादी करेंगे और दोस्तों को बाद में रिसेप्शन की पार्टी दे देंगे। मेरी रौशन के साथ शादी, और रणधीर की ज़ुबिन के साथ शादी एक ही दिन होनी थी। दोनों घरों में खुशी का माहौल था, एक तरफ जहां रौशन बहुत खुश था और मेरी दुल्हन बनने को बेताब था। उधर ज़ुबिन की हालत बहुत खराब थी, वो रणधीर की दुल्हन बनने को बिल्कुल भी तैयार नहीं था, लेकिन मजबूरी में उसे अपनी मर्ज़ी के खिलाफ ये शादी करनी पड़ रही थी।

शादी की तैयारियां शुरू हुई। शादी से पहले मेरी माँ ने रौशन को अपने खानदानी जेवर जैसे झुमके, कंगन, हार, बड़ा सा नथिया, कमरबंद, बाजूबंद, मांगटीका, पांच अंगूठियों वाला सोने का ब्रेसलेट, हैवी पायल और 4 सेट सोने के बड़े हैवी कंगन दिए। श्रुति ने रौशन को सजाने, ब्यूटी पार्लर ले जाने और साड़ी, लहँगा चोली खरीदने में काफी मदद की। दूसरी ओर ज़ुबिन की होने वाली सास ने उसके लिए काफी बड़े बड़े झुमके, नौलक्खा हार जो कि काफी बड़ा था, बड़ी डिज़ाइनर सोने के नथिया जिसमे सोने का चेन जुड़ा था, पायल जो कि काफी भारी भरकम थी, मोटे मोटे 6 सेट सोने के कंगन, कमरबन्द, बाजूबंद, काफी हैवी मांगटीका, सोने के पांच अंगूठियों वाला ब्रेसलेट, चांदी के बिछुए पैरो की सभी उंगलियों के लिए, और लहँगा चोली, साड़ी ब्लाउज, ट्रांसपेरेंट नाइटी, ब्रा पैंटी, एक कम्पलीट ड्रेसिंग टेबल सेट जिसमे सभी प्रोडक्ट्स लिपस्टिक से लेकर फाउंडेशन तक लोरियाल पेरिस कंपनी के थे। दोनों परिवारों में शादी की तैयारियों में कोई कमी नही थी, साथ के साथ दोनों घरों में औरतों और लड़कियों की कोई कमी नही रह गयी थी, जो दुल्हन को छेड़ने के लिए ही थे। बात बात पर औरतें कभी रौशन को छेड़तीं, तो ज़ुबिन को उसके घर की औरतें छेड़तीं।

शादी के दिन से दो दिन पहले हल्दी की रस्म होनी थी और साथ ही लेडीज संगीत नाईट का प्रबंध भी किया गया था। उस दिन मेरे घर मे मुझे ही घर से बाहर कर दिया गया, क्योंकि लेडीज संगीत नाईट में मर्द का आना मना था। मैंने भी थोड़ा बहुत एन्जॉय किया और फिर बाहर चला गया। खाली अपने दोस्तों के साथ बैठा था तो सोचा थोड़ा रौशन के घर हो आएं।

मैं और मेरे कुछ दोस्त जो रौशन के भी दोस्त थे उसके घर गए। मैंने देखा, उसके घर को बड़े अच्छे से सजाया गया था और काफी रौनक भी थी। मैने घर मे एंटर किया तो मुझे रौशन की सौतेली अम्मी रुखसार बाहर ही मिल गयीं। मैन उनसे पूछा तो उन्होंने बताया कि ये सारी तैयारियां उनकी बेटी ज़ुबैदा के लिए हैं। मैंने उनसे पूछा, कि ज़ुबैदा नाम की तो कोई बेटी नही थी कभी, आज वो कहाँ से आ गयी। तभी वहां शबनम आ गयी और उसने मुझे बैठाया और मुझे ज़ुबिन के ज़ुबैदा बनने की पूरी कहानी सुनाई। ये सुनकर मैं तो आवाक ही रह गया, रौशन के औरत बनने के बाद ज़ुबिन को भी औरत बना दिया गया। मेरे दोस्तों को रौशन के औरत बनने की कोई खबर नही थी, और ना ही उन्हें ये पता था कि उन सब की होने वाली भाभी खुद रौशन ही है। लेकिन ज़ुबिन के औरत बनने की खबर सुनकर उनसे रहा नही गया और उन्होंने रुखसार से दरख्वास्त की कि वो ज़ुबिन से मिलना चाहते हैं। रुखसार ने उन्हें और मुझे नही रोका और मैं और मेरे दोस्त शबनम के साथ उस कमरे में पहुचें। वहाँ ज़ुबिन साड़ी पहने, बिस्तर पर लेटा हुआ अपना स्मार्टफोन चला रहा था। कसम से क्या फिगर था ज़ुबिन का, वो आँचल से ढंका हुआ चेहरा, होंठो को चूमते उसके नथ, चूड़ियों की खनक, ब्लाउज से बाहर आने की कोशिश करते उसके मिल्की बूब्स, ट्रांसपैरंट साड़ी से दिखता उसका नाभि, पैरों में पायल और उसके सांचे में ढाल कर बनाये गोरे बदन को देखकर ऐसा लग रहा था मानो कि कोई अप्सरा स्वर्ग से धरती पर उतर आई हो। मैं और मेरे दोस्त को ज़ुबिन को देखते ही रह गए तभी शबनम ने हमे नॉक किया तो हम सम्भले। हमें देखकर ज़ुबिन ने अपने घूंघट को ठीक किया और सीधे होकर बैठ गया। मैंने ज़ुबिन से उसका हाल चाल पूछा तो उसने कहा ठीक है। फिर मेरे दोस्तों ने ज़ुबिन से पूछा कि औरत बन कर और कुछ ही दिनों में उसको एक मर्द ब्याह कर अपनी दुल्हन बना कर अपने घर ले जाएगा, अभी कैसा लग रहा है। ज़ुबिन ने आंखें झुका ली और कहा कि अब जो होना है वो तो होगा ही। मैंने और मेरे दोस्तों ने ज़ुबिन को हौसला दिया, उसके साथ फोटोज़ क्लिक करवाई और उसे बेस्ट विश देकर वहां से अपने अपने घर आ गए।

अगले दिन श्रुति ने रौशन के हाथों में बाहों तक और पैरों में घुटनों तक डिज़ाइनर मेहंदी अप्लाई किया और उसे सूखने को कह कर मेरे पास आई। फिर श्रुति ने मेरे हाथों की हथेलियों में भी मेहंदी अप्लाई किया, मैने मना किया लेकिन वो नही मानी और बोली कि दूल्हे के हाथों में भी मेहंदी लगती है, नाखून रंगे जाते हैं। मैंने हंसते हुए श्रुति की हर बात मान ली, और श्रुति ने मुझसे भी कहा कि मेहंदी को सूखने दें। 6 घंटे बाद शाम होने पर मैंने और रौशन ने अपने अपने मेहंदी को धोया तो हम दोनों के मेहंदी बहुत डार्क थे। श्रुति मौके का फायदा उठाते हुए हमें छेड़तीं रही। उधर ज़ुबिन के हाथों और पैरों में ठीक वैसे ही मेहंदी अप्लाई किया गया, जैसे रौशन के हाथों और पैरों में किया गया था, बस डिज़ाइन थोड़े अलग थे। अब दोनों परिवार शादी के दिन का इंतज़ार कर रहे थे और दोनों घरों में खुशियों का माहौल था।

शादी वाले दिन, वैसे तो मेरी शादी मन्दिर में होनी थी और मेरी होने वाली दुल्हन रौशन तो काफी नर्वस हो रहा था। श्रुति रौशन को तैयार कर रही थी, उसने रौशन से कहा, रौशनी भाभी इतने दिनों से साथ हो आप भैया के, और आज शादी का दिन आया तो इतना नर्वसनेस।

रौशन ने कहा, पता नही क्यों मुझे आज बहुत डर लग रहा है, मुझे लग रहा है, मेरी तबियत भी ठीक नही, सांसें भी तेज हो रखी है, क्या करूँ मैं श्रुति। श्रुति ने रौशन का बाल बनाते हुए कहा, रौशनी भाभी, शादी के दिन दुल्हन को थोड़ा नर्वसनेस तो रहता ही है, लेकिन आपको तो कुछ ज्यादा ही नर्वसनेस हो रहा है। रौशन बोला, हाँ, पता नही क्यों, आआह श्रुति, ये नथिया बहुत मोटा है, बहुत चुभ रहा है। श्रुति उस समय रौशन को नथिया पहना रही थी, वो बोली, हाँ रौशनी भाभी ये नथिया है तो मोटा और डिज़ाइनर लेकिन आपके चेहरे पर बहुत सुंदर लग रहा है। फिर उस नथिया के 3 चेन को रौशन के बालों में क्लिप से जोड़ दिया। श्रुति बोली, देखो ना भाभी कितनी प्यारी लग रही हो आप। फिर श्रुति ने रौशन के कानों में झुमके पहनाये, वो झुमके इतने बड़े से थे कि रौशन के कंधों को छू रहे थे और उसे चुभ भी रहे थे। फिर श्रुति ने रौशन का मेकअप किया, आंखों में काजल, होंठों ओर डार्क लाल लिपस्टिक, नाखूनों पर डार्क लाल नेल पॉलिश, माथे को बिन्दिया से सजा दिया। फिर गले मे नौलखा हार पहना दिया जो काफी बड़ा था, फिर श्रुति ने रौशन से कहा कि वो अपना ब्रा उतार दे और ये ब्लाउज पहन लें। रौशन बोला, क्यों श्रुति, बिना ब्रा के ब्लाउज कैसे पहनूंगा! श्रुति बोली, रौशनी भाभी, ये ब्लाउज खास शादी में दुल्हन के पहनने के लिए बनाया गया है, इसमें ब्रा पहनने की जरूरत नही पड़ती। लेकिन श्रुति ये तो बहुत छोटी है, मुझे नही आएगी, रौशन घबराते हुए बोला। अरे भाभी, आओ मैं पहना देती हूँ, फिर श्रुति ने रौशन के ब्रा को खुलवा दिया और वो ब्लाउज पहना कर पीछे से डोरी को अच्छे से बांध दिया। रौशन ने खुद को आईने में देखा, उसके बूब्स ब्लाउज से बाहर दिख रहे थे और ऊपर से वो नौलखा हार जो उसके दोनों बूब्स के बीचोबीच आकर टिक गया था। कंगन पहनाते हुए श्रुति बोली, रौशनी भाभी आप ना सिर्फ शर्माती हो, इतनी भोली क्यों हो आप, थोड़ा इठलाया करो, थोड़ा बलखाया करो, कभी नखरे दिखाया करो, आपमे ना औरतो वाले गुण है ही नही। रौशन बोला, ये सब मुझे नही आता श्रुति, ऐसी ब्लाउज मैंने लाइफ में पहली बार पहनी है, मुझे सच मे बहुत शर्म आ रहा है। अच्छा रौशनी भाभी ये सब छोड़ो अब एक काम करो आप खड़ी हो जाओ, मैं आपको साड़ी पहना देती हूँ, श्रुति बोली।

रौशन खड़ा हो गया, पहले श्रुति ने उसे कमर के नीचे और हिप्स के थोड़े ऊपर एक सिल्क का पेटीकोट पहनाया और उसकी डोरी को कस के बांध दिया। फिर एक लाल रंग की बनारसी सिल्क साड़ी को अच्छे से पहना दिया, साथ मे साड़ी को अच्छा डिज़ाइन भी दे दिया। साड़ी कुछ ज्यादा ही लंबी थी, तो श्रुति ने साड़ी के आंचल से घूंघट बना दिया और फिर रौशन को बैठने को कहा। फिर श्रुति ने रौशन की साड़ी की क्रिचेज़ ठीक की, और पैरों में एक हैवी चांदी की पायल पहना दिया, जिसमे घुंघरू जड़े थे। फिर आखिर में श्रुति ने रौशन को एक हाई हील्स वाला लाल रंग का सैंडल्स पहना दिया। फिर श्रुति बोली, रौशनी भाभी, अभी जरा चल कर दिखाओ ना। रौशन उठा और नार्मल चल के देख, उसके गहने, कंगन तो आवाज़ कर ही रहे थे और नाक में जो बड़ा सा नथिया पहना हुआ था, वो बार बार होंठो से टकरा रहा था, झुमके कंधों को छू रहे थे और पायल की छन छन की आवाज़ खुद रौशन को मदहोश कर रहा था। एक पल के लिए रौशन ये भूल ही गया था कि उसने जन्म एक मर्द के रूप में लिया था और बाद में सेक्स चेंज करवाने के बाद उसे औरत बनना पड़ा। फिर श्रुति ने घूंघट करके रौशन से बोली, भाभी आप अब थोड़ी देर इंतेज़ार करो मैं भैया को देख कर आती हूँ, तैयार हुए भी या नही। रौशन को दुल्हन के जोड़े में सजाने के बाद श्रुति मेरे पास आई और मुझे तैयार करने में लग गयी। रौशन दुल्हन की लिबास में आईने के सामने बैठकर अपनी शादी का इंतज़ार कर रहा था, जो थोड़ी देर में मंदिर में होने जा रही थी।

दूसरी ओर ज़ुबिन को उबटन लगाकर नहाने को कहा गया। मेकअप करवाने के स्पेशलिस्ट ब्यूटिशियन को बुलवाया गया था। ब्यूटिशियन ने ज़ुबिन से कपड़े उतार देने को कहा। ज़ुबिन ने कपड़े उतार दिए, तब कमरे में सिर्फ ब्यूटीशियन और ज़ुबिन ही थे। अब ज़ुबिन सिर्फ ब्रा और पैंटी में था और उसके आकर्षक कर्व्स देखकर ब्यूटीशियन की आंखें भी खुली की खुली रह गयी।

“वाओ ज़ुबैदा मैम, आपका फिगर तो बिल्कुल सनी लियोनी जैसा है। बुरा मत मानियेगा लेकिन सच मे आप बेहद आकर्षक हो”, ब्यूटीशियन ज़ुबिन की तारीफ करते हुए बोली।

“थैंक्स”, ज़ुबिन ने स्माइल देते हुए कहा।

कभी ज़ुबिन की तुलना जस्टिन बीबर से होती थी और आज उसकी तुलना सनी लियोनी के साथ कि जा रही है। पहले सभी जुबिन बोलते थे, अब सब ज़ुबैदा बोलते हैं। खैर उस ब्यूटीशियन को ये कहाँ पता था कि जिस ज़ुबैदा मैडम को दुल्हन की तरह सजाने के लिए वो आयी है, वो खुद कभी एक मर्द हुआ करता था। फिर ब्लीच, फेसिअल, फाउंडेशन और बेसिक मेकअप के बाद ब्यूटीशियन ने ज़ुबिन की आखों में काजल लगाया, आई लैशेज को सेट किया, आई ब्रोज़ को छोटी चमकीली बिन्दियों से सजाया, मिडिल में एक बड़ा बिंदी सेट किया और आखिर में होंठों पर वाटरप्रूफ लाल रंग का ग्लॉसी अप्लाई किया। मेकअप के बाद तो ज़ुबिन का चेहरा बिल्कुल ही बदल सा गया, ऐसा लग रहा था मानो स्वर्ग की अप्सरा हो। अब ब्यूटीशियन ने ज़ुबिन को लाल रंग का हैवी कढ़ाईदार लहँगा पहनाया जो कि काफी बड़ा था। ब्यूटीशियन ने नाभि के नीचे लहँगा पहनाया था। फिर ब्यूटीशियन ने ज़ुबिन के कहा कि वो ब्रा उतार दे।

ज़ुबिन ने पूछा, “क्यों, ब्रा क्यों उतारना, कोई दूसरा ब्रा है क्या?”

ब्यूटीशियन बोली, “नही ज़ुबैदा मैडम, आपकी अम्मी ने कहा है कि आपको बिना ब्रा वाली चोली पहनाई जाए, अब क्यों कहा ये तो मैं नही जानती।”

फिर ज़ुबिन ने अपना ब्रा उतार दिया और अपने दोनों हाथों से अपने दोनों उरोजों को पकड़कर खड़ा हो गया। फिर ब्यूटीशियन ने ज़ुबिन को एक लाल रंग की स्ट्रीचबल और बैकलेस चोली पहनाया। चोली पहनाने के बाद ब्यूटीशियन ने ज़ुबिन की चोली में डोरी सेट किया और टाइट कर के बांध दिया। चोली की फिटिंग बहुत अच्छी थी, लेकिन प्रॉब्लम ये था कि ज़ुबिन को उसके बूब्स ब्रा के बिना काफी असहज महसूस करवा रहे थे। फिर ब्यूटीशियन ने ज़ुबिन को लाल रंग का 4 इंच हील वाला सैंडल पहनाया, जिसके बाद लहँगा का फिटिंग भी ठीक हो गया। ब्यूटीशियन ने ज़ुबिन से चलने को कहा। ज़ुबिन उठा और 2 कदम चल कर रुक गया।

“क्या हुआ ज़ुबैदा मैडम, आप रुक क्यों गयीं?”, ब्यूटीशियन ने पूछा।

“ये चोली थोड़ी असहज है, मेरे बूब्स बहुत हिल रहे हैं। पहले ऐसा नही होता था।”, ज़ुबिन ने कहा।

“ये चोली की यही खासियत है ज़ुबैदा मैडम, औरतें इसे पहनती ही इसीलिए है ताकि उनके बूब्स आजादी से हरकते कर सकें।”, ब्यूटीशियन बोली।

फिर ब्यूटीशियन ने ज़ुबिन को मेकअप टेबल पर बिठाया और बालों का सुंदर से जुड़ा बना दिया। जुड़े में चमेली के फूलों को सेट किया। मांग में एक बड़ा सा मांगटीका सेट किया। कानों में दो बड़े बड़े झुमके, गले मे तीन तरह के हैवी, मीडियम और एक छोटा सा हार पहनाया। फिर ज़ुबिन के दोनों हाथों में कंगन, चूड़ियाँ पहनाया और हाथ की उंगलियों में पांच रिंग वाला सोने का ब्रेसलेट पहनाया गया। बाहों में बाजूबंद, कमर में कमरबन्द और पैरों में हैवी चांदी की पायल पहनाई गयी। फिर ब्यूटीशियन ने एक बड़ा और हैवी कुमाऊनी नथ ज़ुबिन के नाक में डाल दिया और उसके चेन को बालों में फंसा दिया। ये नथ पहले के मुकाबले बड़ा और कुछ ज्यादा ही हैवी था। एक बहुत ही हैवी और लंबी चुनरी से ज़ुबिन के नाक तक उसका घूँघट बना दिया। ज़ुबिन ने नाखूनों में लाल नेलपॉलिश और पैरों की नाखूनों में डार्क लाल नेलपॉलिश अप्लाई किया और बाहर चली गयी। ज़ुबिन चुपचाप, अकेले उस कमरे में घूँघट के अंदर से अपने बूब्स को देख रहा था। ज़ुबिन ये सोच रहा था, कि औरत बनने के बाद उसका सबसे डरावना सपना, दुल्हन बनने का, एक मर्द की बीवी बनने का, ये सब सच होने जा रहा था। ज़ुबिन अपने डरावने सपने में खोया हुआ था कि तभी वहां शबनम की एंट्री हुई।

“दुल्हन तैयार है अपने सजना के लिए”, कमरे में आते ही ज़ुबिन को पीछे से दोनों हाथों से पकड़ती हुई बोली।

“हम्म, शबनम”, ज़ुबिन बोला।

“तो बताओ, कैसा लग रहा है दुल्हन को! आज तो ऐसी लग रही हो जैसे कोई जन्नत की हूर, शादी करने जा रही हो।”, शबनम बोली।

“डर लग रहा है यार, मेरी शादी एक औरत से ना होकर एक मर्द से मेरी मर्ज़ी के खिलाफ होने जा रही है, और तुम पूछ रही हो कि कैसे लग रहा है। याद है ना शबनम, मैं नूर को अपनी बाइक पर पीछे बिठाकर, घूमाने ले जाता था, मूवीज हम साथ देखते थे। सब कुछ अच्छा चल रहा था, लेकिन तभी मेरा ये सब हुआ और आज मुझे उसी की वजह से ये सब देखना पड़ रहा है।”, ज़ुबिन सुबकते हुए बोला।

“डरो मत ज़ुबैदा, इतना डरने की जरूरत नही है, सभी लड़कियों को शादी से पहले डर लगता है।”, शबनम बोली।

“मैं सब की तरह नही हूँ शबनम, मैं भी पहले एक मर्द था लेकिन फिर औरत बनना पड़ा और आज एक मर्द मुझे अपनी दुल्हन बनाने जा रहा है”, ज़ुबिन बोला।

“वो सब तो सही है ज़ुबैदा, लेकिन आज शादी है और तुम ये सब बातें लेकर बैठी हुई हो। वैसे निहायती खूबसूरत लग रही हो इस लिबास में, तुम्हारा पति तो तुम्हे देख कर पागल हो जाएगा”, शबनम बोली।

“ऐसा कुछ नही होगा।”, शबनम बोला।

“होगा ज़ुबैदा, पहले शादी तो हो जाये। बाकी की बातें उसके बाद ही होगी। ये कुछ गिफ्ट्स और एक लेटर है तुम्हारे लिए, तुम्हारी गर्लफ्रैंड दे गई है”, शबनम बोली।

“क्या! नूर यहां आयी थी, उसे किसने बताया इस बारे में”, ज़ुबिन ने सवाल भरे नज़रो से शबनम की ओर देखते हुए कहा।

“हाँ ज़ुबैदा, तुम्हारी गर्लफ्रैंड नूर आयी थी, थोड़ी दुखी थी, उसे बहुत रोका, मैंने कहा कि जब आ ही गयी हो तो शादी के बाद चली जाना, लेकिन वो गिफ्ट और ये लेटर देकर चली गयी”, शबनम बोली।

“लेकिन नूर को इस बारे में किसने बताया, और क्यों! क्या सोच रही होगी वो मेरे बारे में”, ज़ुबिन बोला।

“कुछ भी नही सोच रही होगी, खुश होगी कि तुम एक मर्द से शादी करके अपना घर बसाने जा रही हो”, शबनम बोली।

“अच्छा तो तुम गिफ़्ट देखो और लेटर पढो, मैं आती हूँ थोड़ी देर में”, शबनम बोलकर वहां से चली गयी।

शबनम के जाने के बाद ज़ुबिन ने गिफ्ट खोल कर देखा। ज़ुबिन की आंखें गिफ्ट देखकर खुली की खुली रह गयी। ये तो वही गिफ्ट्स थे जो ज़ुबिन ने नूर को दिए थे। अपने गिफ्ट्स को देखकर ज़ुबिन को वो बातें याद आ गयी, वो सोने का बड़ा वाला नथिया, बड़े बड़े सोने के झुमके, सोने के कंगन, चांदी के पायल जो खुद नूर ने पसन्द किए थे। लेकिन उसने ये सब वापिस क्यों कर दिया, ज़ुबिन ये सोच रहा था। फिर देखा कि गिफ्ट बॉक्स में कुछ और भी था, ये तो वही कांचीवरम साड़ी थी जो ज़ुबिन ने नूर को उसके जन्मदिन पर गिफ्ट किया था।

#178

Meantime

(Friday, 06 September 2019 00:34)

फिर ज़ुबिन ने लेटर खोल कर देखा, उसमे लिखा था,

“हाय ज़ुबिन,

तुम्हे शादी की बहुत बहुत शुभकामनाएं, खुदा करे तुम्हे तुम्हारे ससुराल में कभी कोई दुख ना हो, तुम्हारा शौहर तुम्हे बहुत प्यार करे और तुम हमेशा खुश रहो। मैंने तुम्हारे साथ जो सपने संजोये थे, वो अब अधूरे रह गए। मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ, तुम्हारे साथ अपनी जिंदगी बिताना चाहती थी, तुम्हारी बीवी बनकर तुम्हारे कदम से कदम मिलाकर चलना चाहती थी, तुम्हारे अम्मी अब्बू की सेवा करना चाहती थी,  मैं बहुत खुश थी तुम्हारे साथ लेकिन अब ये सब एक ऐसा ख्वाब बनकर रह गया है जो कभी पूरा नही हो सकता। मुझे पता नही था कि मेरे बॉयफ्रेंड को ऐसा दिन देखना पड़ेगा, जब वो खुद दुल्हन बनकर एक गैर मर्द की बीवी बनने जा रहा है। अब ये सोने के नथिया, झुमके, कंगन और ये चांदी के पायल मेरे किसी काम के नही। जब तुम ये सोने का नथिया अपने नाक में पहनोगे, झुमके अपने कानों में और कंगन अपने हाथों में पहनोगे तब बहुत खूबसूरत दिखोगे। जब ये चांदी की पायल तुम अपने पैरों में पहनोगे, और जब तुम चलोगे तब छन छन की आवाज़ से पूरा घर गूंजेगा। ये कांचीवरम साड़ी जो तुम मेरे लिए लाए थे, वो तुम्हारे जिस्म पर बेहद खूबसूरत लगेगा। ये सब अब मेरे किसी काम की नही, मैं तो तुम्हे देखना चाहती थी, देखना चाहती थी कि मेरा बॉयफ्रेंड दुल्हन के लिबास में कितनी सुंदर लगती है, लेकिन मेरे अंदर इतनी हिम्मत नही कि अपने बॉयफ्रेंड को इस हाल में देख सकूँ। सुना है कि तुम्हारे होने वाले पति अमेरिका में रहते हैं, और तुम्हे भी वहीं ले जाएंगे। मुझे खुशी है कि तुम एक अच्छी बीवी साबित होंगे और तुम्हारे ससुराल में सभी तुमसे खुश रहेंगे। तुम हमेशा खुश रहो मेरी यही दुआ है, खुदा तुम्हे हमेशा खुश रखें, जहां भी रहो, जिसके साथ भी रहो। मुझे यकीन है कि मेरा बॉयफ्रेंड एक अच्छी बीवी साबित होगा और सुना है कि तुम अब बच्चे को जन्म देने में सक्षम हो, अगर ये सच है तो खुदा तुम्हे जल्द ही एक शहजादे से नवाजे। अपना ख्याल रखना, अपने शौहर सास ससुर की सेवा करना और जैसे मैंने तुम्हारा ख्याल रखा, बिल्कुल वैसे ही तुम भी उनसब का ख्याल रखना।

खुदाहफीज़,

तुम्हारी नूर”

लेटर पढ़ने के बाद ज़ुबिन काफी इमोशनल हो गया, वो सोच रहा था कि ऐसा क्यों हुआ जो आज उसे ऐसा दिन देखना पड़ रहा था। ज़ुबिन को इस बात का पूरा एहसास था कि शादी के बाद उसके साथ उसका शौहर क्या क्या करेगा। ज़ुबिन के ज़ुबान पर आज भी उसके ससुर बख्तावर के मोटे लंड का टेस्ट आज भी याद था, उसके होंठों पर बख्तावर के गर्म सांस आज भी याद करके ज़ुबिन का रूह कांप रहा था। रणधीर को तो ज़ुबिन ने कभी देखा भी नही लेकिन उसने सुना था कि रणधीर भी बख्तावर की तरह हट्टा कट्टा है। और उसके साथ क्या क्या करेगा ये सोच सोच कर ज़ुबिन का हालत खराब हो रहा था।

“ये क्या करने जा रहा हूँ मैं! मैंने तो एक मर्द के रूप में जन्म लिया था, मेरी गर्लफ्रैंड नूर जिसके साथ ना जाने कितनी बार मैंने सुहागरात मनाई, ना जाने कितनी बार नूर को मूवी दिखाने, घुमाने और उसकी हर ख्वाहिश को पूरा किया। पोर्न देखकर भी कितना एन्जॉय करता था, शर्ट, जीन्स और शूज पहनता था, कितना आजाद था मैं। और आज मैं कितना मजबूर हूँ जो आज दुल्हन की लिबास में यहां बैठा, मेरे नाक, कान छिदवा दिए गए हैं, और नाक में ये सोने का नथिया पहना हुआ है जो इतना चुभ रहा है फिर भी इसे नही खोल सकता, कानो बड़े बड़े झुमके पहने हुए, लहँगा चोली में अपने होने वाले शौहर के बारात के आने का इंतज़ार कर रहा हूँ। ये सब कैसे हो गया मेरे साथ। चौड़ी छाती बूब्स में तब्दील हो गयी है, जहां सिक्स पैक्स एब्स थे वो अब स्लिम वेस्ट है, मेरे पेनिस को हटा कर वहां वजाइना बना दिया, मेरे अंदर गर्भाशय भी विकसित कर दिया है। इन लोगो ने मुझे मर्द से औरत बना दिया है और एक मर्द से मेरी शादी करवा रहे हैं, क्या करूँ मैं, कैसे रोकूँ इस शादी को, भाग जाऊं, या सुसाइड कर लूं। क्या करूँ मुझे कुछ भी समझ मे नही आ रहा है”, अपने अंतर्द्वंद्व में फंसा हुआ ज़ुबिन की हालत ये सब सोंच सोच कर खराब हुई जा रही थी। तभी वहां शबनम आ गयी और ज़ुबिन अपने अंतर्द्वंद्व से बाहर निकला, अब उसके पास सोचने का वक़्त नही था, शबनम ने ज़ुबिन को एक चुनरी से नाक तक घूंघट बना दिया और कहा कि उसके कुछ दोस्त उससे मिलने आये हैं। ज़ुबिन और भी घबराने लगा जब उसे पता चला कि उसके दोस्त उससे मिलने आये हैं, क्या कहेगा उनसे। ज़ुबिन अपने दोस्तों के बीच का लीडर था, और अपने दोस्तों से कैसे मिलेगा, उसे कुछ समझ मे नही आ रहा था। ज़ुबिन के दोस्त जब उससे मिलने आये तब ज़ुबिन को दुल्हन की लिबास में देखकर भौंचक रह गए।

“ज़ुबिन, ओह्ह सॉरी! ज़ुबैदा, मुझे तो यकीन ही नही हो रहा है, कि तुम आज दुल्हन के इस रूप में इतनी सुंदर लग रही हो, ऐसा लग रहा है कि तुम बचपन से लड़की ही हो, कोई ये कह नही सकता कि तुम कभी हमारी तरह मर्द थे”, इमरान बोला।

“थैंक्स इमरान, मुझे भी पता नही था कि एक दिन ऐसा भी आएगा जब मुझे दुल्हन बनकर एक मर्द से शादी करने को मजबूर होना पड़ेगा। मेरी शादी जबरन करवाई जा रही है, वो भी इस शहर के सबसे बड़े गैंगस्टर के बेटे के साथ और कोई कुछ भी नही कर रहा सिवाए तमाशा देखने के”, ज़ुबिन बोला।

“अब क्या कर सकते हैं ज़ुबैदा, किसके अंदर इतनी हिम्मत है जो बख्तावर के खिलाफ जाए और तुम्हे इन मजबूरी से आजाद करवाये। तुम हमसब के लीडर थे लेकिन अब तुम औरत हो ज़ुबिन, तुम्हारे बूब्स सनी लियोनी की तरह हो गयी है, और ये जो तुम्हारे नाक में नथिया है ना जो तुम्हारे होंठों को चूमे जा रहा है, तुम्हारी सुंदरता में 4 चांद लगा रहा है। अब तुम एक मर्द की बीवी बनने जा रहे जो ज़ुबिन, पता नही वो सुहागरात में तुम्हारे साथ क्या क्या करेगा। वैसे भी तुम अब औरत हो, बख्तावर की कैद से आजाद हो भी गयी फिर भी तुम्हे अपना घर एक मर्द के साथ ही बसाना पड़ेगा”, साजिद बोला।

“हम्म! तुम मेरी मदद नही कर सकते, कोई बात नही, मेरे परिवार की खुशी के लिए मुझे ये शादी करनी होगी।”, ज़ुबिन ने हल्की आवाज़ में कहा।

“लेकिन ज़ुबैदा, तुम्हारी आवाज़ तो आज भी पहले मर्दो की तरह ही है, औरत की तरह मीठी क्यों नही हुई”, साजिद बोला।

“मुझे नही पता”, ज़ुबिन बोला।

इधर ज़ुबिन के घर मे शादी की तैयारियां चल रही थी उधर मेरे घर मे सभी तैयार थे, मेरी और रौशन की शादी मन्दिर में दिन में ही होनी थी और सभी तैयार भी हो चुके थे। मैं और मेरे घरवाले मन्दिर पहुँचे और शादी का मुहूर्त भी आ गया। मुझे और रौशन को एक साथ मंडप पर बिठाया गया, मंत्रोच्चार शुरू हुआ, रौशन के नाक से नथिया निकालकर एक बड़ा से नथिया पहनाया गया, हाथों में सोने के कंगन पहनाये गए, पैरों में चांदी के बिछुए पहनाये, पहले रौशन के साथ सात फेरे लेने के बाद, मैंने उसके गले मे मंगलसूत्र पहनाया, फिर रौशन के बीच मांग में सिंदूर भरा, और थोड़े बहुत मन्त्र और कहानियों के बाद पंडित जी मुझे और रौशन को पति पत्नी घोषित कर दिया। मैंने और रौशन ने पंडित जी का, अपने माता पिता का और घर के बड़ों का आशीर्वाद लिया और सभी मुझे यशश्वी भवः और रौशन को सौभाग्यवती भवः का आशीर्वाद दे रहे थे। रौशन का शरीर पता नही क्यों इतना शिवर कर रहा था, मुझे लगा कहीं फीवर तो नही हो गया, फिर श्रुति मेरे कान में बोली कि शादी के दिन दुल्हन को नर्वसनेस रहता है, ये सब नॉर्मल है। फिर हम मंदिर से घर आये जहां मेरी मौसी ने पहले से ही गृहप्रवेश की पूरी तैयारी की हुई थी। रौशन का गृहप्रवेश करवाने के बाद उसे अलग कमरे में और मुझे अलग कमरे में ले जाया गया। शाम के 7 बज रहे थे, मैंने पगड़ी उतार दिया और बालकनी में चला गया। रौशन का घर मेरी छत से साफ दिखाई देता था। मैंने देखा अभी तक ज़ुबिन की बारात नही आई थी और घर को बड़े अच्छे से सजाया गया था। फिर मैं अंदर आ गया और रौशन के पास जाने का बहाना ढूंढने लगा, लेकिन मेरी बहन बड़ी बदमाश है, वो कहाँ मुझे रौशन के पास जाने देती, मैं भी सोफे पर बैठकर अपने दोस्तों से बातें करने लगा।

उधर ज़ुबिन के दोस्तो के सवाल और उनकी बातें खत्म होने का नाम ही नही ले रहे थे। ज़ुबिन को शादी के बाद होने वाली बातें बताकर डराए जा रहे थे। ज़ुबिन के दोस्त उसके साथ ऐसे एन्जॉय कर रहे थे जैसे मानो किसी लड़की के साथ करते थे। ज़ुबिन का नर्वसनेस बढ़ता जा रहा था, बॉडी शिवर कर रहा था और सुहागरात में जो होगा उसका डर सता रहा था। तभी अचानक धूम धड़ाके और बैंड बाजे की आवाज सुनकर सभी खुश हो गए, बारात आ गयी थी, फूलों से सजी ऑडी में रणधीर अपने बाप बख्तावर के साथ बैठा था, उसके दोस्त बाहर नाच रहे थे, सभी के हाथों में गन और सबने दारू पी रखी थी। सिल्वर कलर के शेरवानी में रणधीर बहुत ही स्मार्ट लग रहा था। ज़ुबिन के दोस्त और शबनम ज़ुबिन को कमरे में अकेला छोड़कर बारात देखने चली गईं। ज़ुबिन घूँघट में सहमा सिकुड़ा शादी के खयालों में खोया हुआ था। उधर ज़ुबिन के परिवार वालों ने बारात का स्वागत किया। रणधीर की हाइट 6.5 और शेरवानी में, मस्कुलर बॉडी, हल्का पेट और दाढ़ी में रणधीर बहुत स्मार्ट लग रहा था और उसको स्टेज पर ले जाया गया और ज़ुबिन को स्टेज पर ले जाने के लिए शबनम, और उसकी अम्मी कमरे में आईं, जहां ज़ुबिन घूंघट में सहमा सिकुड़ा बैठा था और उसका पूरा बदन कांप रहा था।

“ज़ुबैदा बिटिया, तुम्हारे दूल्हे राजा तुम्हारा इंतेज़ार कर रहे हैं, चलो”, रुखसार बोली।

“अम्मी, प्लीज् ये शादी रुकवा दो, मुझे बहुत डर लग रहा है। मुझे आपसब को छोड़ कर नही जाना, प्लीज् अम्मी”, ज़ुबिन ने कंपकंपाती आवाज़ में रुखसार से कहा।

“ऐसे नही बोलते ज़ुबैदा बिटिया, दरवाजे पर तुम्हारे होने वाले शौहर बारात लेकर आ चुके हैं, और तुम फालतू बातें कर रही हो”, रुखसार बोली।

“हाँ ज़ुबैदा आपा, रणधीर जीजू बहुत स्मार्ट हैं, और इतनी अच्छी हाइट है कि तुम तो उनके कंधो तक भी आ जाओ तो गनीमत है”, शबनम बोली।

“लेकिन अम्मी, वो लोग हिन्दू हैं और हम मुसलमान, ये शादी कैसे हो सकती है”, ज़ुबिन बोला।

“वो लोग हिन्दू हैं तो क्या हुआ, उन्ही की बदौलत हमारे परिवार की सांस चल रही है ये मत भूलो, और बातों में वक़्त जाया मत करो। अब तुम भी हिन्दू घर की बहू बनने जा रही हो मेरी ज़ुबैदा बिटिया, उनकी बहु के रूप में हिंदुओं की तरह ही तुम्हारी जिंदगी कटेगी, अब ज्यादा देर मत करो शबनम ज़ुबैदा का चेहरा घूँघट से ढंक दो, स्टेज पर इसका दुल्हा अपनी होने वाली दुल्हन का बेसब्री से इंतजार कर रहा है”, रुखसार बोली और शबनम ने ज़ुबिन के चेहरे को घूँघट से ढंक दिया और स्टेज की ओर उसे लेकर बढ़ने लगे।

ज़ुबिन का शरीर कांप रहा था और स्टेज पर रणधीर बड़े ही जोश में अपनी दुल्हन के आने का इंतेज़ार कर रहा था। धीमे धीमे कदमों के साथ दुल्हन यानी कि ज़ुबिन स्टेज की ओर बढ़ रहा था, उसका नथ बार बार उसके होंठो से टकरा रहा था, चोली में बूब्स ऊपर नीचे हो रहा था और आंखों से रुक रुक कर आंसू के बून्द गिर रहे थे। इनसब के साथ ज़ुबिन अपनी बहन शबनम, अम्मी और पड़ोस की लड़कियों के साथ जो शादी में आईं थी, उनके साथ स्टेज पर पहुंचा। अभी तक ज़ुबिन ने घूँघट किया हुआ था, रुखसार ने ज़ुबिन का घूँघट को ऊंचा किया ताकि ज़ुबिन रणधीर को ठीक से देख सके और जयमाला का रस्म ठीक से हो सके। जब पहली बार ज़ुबिन ने रणधीर को देखा तो उसके होश उड़ गए। इतना लंबा आदमी, देखने मे बॉडीबिल्डर जैसा, दाढ़ी में इतना स्मार्ट लग रहा था, और ज़ुबिन ने हाई हील्स पहना हुआ था फिर भी रणधीर के कंधों के नीचे तक उसका सिर आ पा रहा था। ऐसे आदमी के साथ शादी करने के बाद ज़ुबिन का क्या होगा, क्या होगा सुहागरात में जब रणधीर के साथ अकेले एक कमरे में उसे बिठाया जाएगा, ये सब सोच कर ज़ुबिन का हालात खराब हुआ जा रहा था। 35 साल के रणधीर के सामने ज़ुबिन 26 साल का होने के बावजूद 14-15 साल की लड़की जैसा छोटा और क्यूट लग रहा था।

पहले शबनम ने ज़ुबिन को आरती की थाली देकर रणधीर की आरती उतारने को कहा। ज़ुबिन ने रणधीर की आरती उतारी। फिर ज़ुबिन और रणधीर के हाथों में फूलों का हार दिया गया। पहले ज़ुबिन से वरमाला पहनाने को कहा गया, लेकिन कम हाइट की वजह से और रणधीर के तन के खड़े होने की वजह से ज़ुबिन का हाथ रणधीर के कंधों तक ही सीमित रह गया था। तभी वहां साजिद और इमरान ने उठा लिया। फिर ज़ुबिन ने रणधीर को वरमाला पहनाया। फिर रणधीर ने ज़ुबिन को आसानी से वरमाला पहना दिया। तालियों की गड़गड़ाहट से स्टेज गूंज उठा। फिर रिश्तेदारों ने ज़ुबिन और रणधीर के साथ फोटोज़ क्लिक करवाई और उनदोनो को अपना आशीर्वाद दिया। उसके बाद पहले रणधीर को मंडप पर ले जाया गया और ज़ुबिन को उसके कमरे में। ब्यूटिशियन ने फिर ज़ुबिन का मेकअप ठीक किया और उससे कहा कि ज्यादा ना रोये, नही तो मेकअप खराब हो जाएगा। फिर ज़ुबिन को होंठ तक घूँघट बनाकर मंडप पर ले जाया गया। रणधीर वहां पहले से ही बैठा था, ज़ुबिन को ठीक रूपेश के बगल में बिठाया गया। पंडित ने मंत्रोचारण शुरू किया, फिर पहले रणधीर की माँ का भेजा हुआ खानदानी कंगन और बड़ा नथिया को पूजा गया। फिर ज़ुबिन की अम्मी ने उसके हाथों में वो कंगन पहनाया और पहले वाला नथिया उतारकर नया वाला नथिया पहनाया। नथिया पहले जितना ही था लेकिन पहले वाले नथिया से ज्यादा डिज़ाइनर और भारी था, और साथ ही जो जुड़ा हुआ चेन था, वो भी पहले की अपेक्षा ज्यादा भारी था। नथिया पहनते वक़्त ज़ुबिन को बहुत दर्द हुआ और आंखों के आंसुओ को रोक नही सका। फिर ज़ुबिन की अम्मी ने उसके आंसुओं को पोछा और उसे शांत किया। फिर रणधीर ने ज़ुबिन के साथ सात फेरे लिए। उसके बाद रणधीर ने ज़ुबिन की मांग में सिंदूर भरा और उसके गले मे मंगलसूत्र पहना दिया। फिर कुछ मंत्रोचारण के बाद पंडित जी ने कहा कि अब शादी सम्पन्न हो चुकी है। रणधीर और ज़ुबैदा अब आप दोनों पति पत्नी हैं, अपने बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद लीजिये। फिर रणधीर और ज़ुबिन ने सबसे पहले पंडित जी का आशीर्वाद लिया, फिर अपने अपने ससुर बख्तावर और उसके घर के बड़ों का, फिर अपनी अम्मी अब्बू का आशीर्वाद लिया। रात हो चुकी थी और बाराती के साथ साथ मेहमानों के खाने पीने का अच्छा इंतेज़ाम था।

इधर मेरी और रौशन के सुहागरात की पूरी तैयारियां पूरी हो चुकी थी। रौशन को तैयार करके कमरे में फलों से सजे बिस्तर पर घूँघट करके बिठा दिया गया, और मैं अपनी दुल्हन को देखने को तरस कर रह गया था। जब मैं कमरे में जाने लगा तब मेरी बहन श्रुति ने मुझे दरवाजे पर रोक कर खड़ी हो गयी और अंदर नही जाने दे रही थी। फिर मैंने श्रुति को अपना क्रेडिट कार्ड और पासवर्ड दिया और कहा कि दरवाजा छोड़ दे लेकिन श्रुति ने 10000 ऊपर से लिए, तब जाकर मुझे अंदर जाने दिया। कमरे में अंदर जाते ही श्रुति ने बाहर से दरवाजे को बंद कर दिया और बोली कि भाभी को ज्यादा परेशान ना करूँ, और गुड लक विश करके वहां से चली गयी। मैने भी अंदर से दरवाजा लॉक कर लिया और बिस्तर की ओर बढ़ने लगा। मैने देखा रौशन लेटा हुआ था, आंखें बंद थी, मुझे लगा कि वो सो गया, रौशन के ब्लाउज से उसके बड़े बड़े बूब्स हर सांस के साथ ऊपर नीचे हो रहे थे, ग्लॉसी रसीले होंठों पर नथिया रौशन की सुंदरता को और भी निखार रहे थे। मेरी कदमो की आहट से रौशन की आंख खुल गयी, वो उठा और अपने घूँघट को ठीक किया और बिस्तर से उठकर मेरे पैर छुए, मैं समझ गया कि श्रुति ने रौशन को सबकुछ समझा दिया था। मैंने रौशन को ऊपर उठाया और गले से लगा लिया। फिर रौशन ने टेबल पर रखी दूध के ग्लास को उठाया और मुझे पीने को दिया, मैने कहा कि वो अपने हाथों से दूध पिला दे। फिर रौशन ने अपने कोमल हाथों स मुझे दूध पिलाया, मैने हाफ ग्लास पिया और हाफ ग्लास रौशन को अपने हाथों से पिलाया। फिर मैंने रौशन को बिस्तर पर बिठाया और उसका घूँघट उठाने लगा, रौशन ने शर्माकर अपना सिर झुका लिया और मेहंदी वाले हाथ फैलाकर मुझसे बोला, पहले मुह दिखाई की नेग दो, फिर चेहरा दिखाउंगी। मैने सबकुछ तो श्रुति को दे दिया था और बिल्कुल भूल ही गया था कि सुहागरात में मुह दिखाई देना पड़ता है। फिर मैंने अपने गले से सोने का चेन निकालकर रौशन के गले मे पहना दिया, रौशन खुश हो गया और मेरे सीने पर अपना सिर रख दिया। फिर मैंने रौशन का घूँघट उठाया, ओह्ह गॉड, मेरी दुल्हन तो बड़ी सेक्सी है, अनायास ही मेरे मुह से ये लाइन निकल गया, रौशन अब शर्माने लगा था, उसने अपने पैरों को अपने हाथों से समेटकर सिर झुका लिया था। रौशन के बूब्स उसके ब्लाउज से बाहर आ रहे थे, साइड से गोरा कमर इतना सेक्सी लग रहा था। मैंने रौशन के रसीले होंठो को किस किया, उसके नाक का नथिया बीच मे आ रहा था, मैं उतारने लगा तो रौशन ने मना कर दिया, वो बोला ये रहने दीजिए। मैंने कहा जैसी तुम्हारी इच्छा, फिर मैंने रौशन को चूमना शुरू किया, पहले होंठ, फिर गला फिर बूब्स और फिर कमर, जांघों पर तो कभी पैरों को, फिर मैंने रौशन की साड़ी को उतार दिया। कसम से रौशन का जिस्म किसी खूबसूरत अप्सरा से कम नही था, मेरा तो मन कर रहा था कि खा जाऊं रौशन को। फिर मैंने रौशन का पेटिकोट उतार दिया और ब्लाउज भी खोल दिया। रौशन ने अपने दोनों हाथों से अपने बूब्स को कवर कर लिया, मैने धीरे से उसके दोनों हाथों को नीचे किया और उसके बूब्स के ऊपर अपने होंठ रख दिए। जब मैंने रौशन के बूब्स को स्मूच करना शुरू किया तो रौशन जोर जोर से आआह, ओह्ह उम्म करने लगा। जैसे जैसे रौशन के कोमल बदन और मेरे शरीर के बीच दूरी कम हो रही थी, रौशन की सिसकियां बढ़ते जा रही थी। हमदोनो गर्म हो चुके थे, रौशन का पूरा जिस्म पर गहनों का पहरा था और अब मैने रौशन का पैंटी भी उतार दिया और उसे चूमने लगा। जैसे जैसे मैं रौशन को चूम रहा था वैसे वैसे रौशन की सिसकियां बढ़ती जा रही। फिर अचानक रौशन ने मुझे कस के जकड़ लिया और मुझसे कहा कि उसे बाथरूम जाना है। मैंने रौशन को अपनी गोद मे उठा लिया और अटैच्ड वाशरूम में ले गया, मेरी गोद मे रौशन मेरी तरफ देख रहा था और मैं रौशन की तरफ। फिर मैंने रौशन को अंदर जाने को कहा और खुद वाशरूम के दरवाजे पर खड़ा हो गया और अपनी दुल्हन के बाहर आने का इंतज़ार करने लगा। थोड़ी देर में रौशन बार आया, मेरी ओर देखा तो मुझे इतना प्यार आया कि मुझसे बर्दाश्त नही हुआ और मैने उसे अपनी गोद मे उठा लिया, रौशन ने अपने दोनो पैरों से मुझे जकड़ लिया और हम बिस्तर पर गिर गए। अब रौशन के रसीले होंठो को मैंने बड़े प्यार से चूमना शुरू किया, रौशन भी मेरा पूरा साथ देने लगा। मेरा लंड बहुत टाइट हो गया था और रौशन बार बार उसे अपने वजाइना में डालने से रोक रहा था। मैं समझ रहा था कि रौशन ऐसा क्यों कर रहा है, मैंने रौशन की आंखों में देखा और रौशन शर्माने लगा। फिर मैंने रौशन के दोनों हाथों को अपने दोनों हाथों से उसके सिर के ऊपर कर कर दिया, अपने दोनों पैरों से उसके दोनों पैरों को फैला दिया।

“रुक जाइये प्लीज्, मुझे ये नही होगा, प्लीज्”, रौशन ने मुझे देखकर कहा।

“कोई बात नही मेरी जान, कुछ नही होगा, तुम्हे बहुत मजा आएगा, बस एक बार ट्राई करके देख लो, प्लीज् रौशन”, मैंने कहा।

“रौशन नही अब मैं आपकी पत्नी हूँ, रौशनी, मुझे रौशनी कहकर पुकारा कीजिये”, रौशन बोला।

मुझे यकीन नही हो रहा था कि रौशन ने वुमनहुड को इतने अच्छे से एक्सेप्ट किया।

“रौशनी, एक बार ट्राई करते हैं, अच्छा लगेगा मेरी जान को”, मैंने कहा तो रौशन, सॉरी रौशनी शर्माने लगी। शायद पहली बार मैंने रौशन को रौशनी नाम से पुकारा था।

रौशनी के चेहरे के स्माइल को देखकर मुझे यकीन हो गया कि उसे कोई ऐतराज नहीं। रौशनी ने खुद से अपने दोनों पैरों को फैला दिया, और मैंने अपने लंड को उसके वजाइना पे रखकर सहलाने लगा। रौशनी सिसकियां लेने लगी, कभी आआह तो कभी ऊह, मेरी तरफ लगातार देखे जा रही थी और मैंने ज्यादा समय नही गंवाया और रौशनी की वजाइना में अपने लंड को थोड़ा अंदर धकेल दिया। रौशनी का मुह खुला का खुला रह गया, आँखे बड़ी बड़ी करके वो उस दर्द को बर्दाश्त करने की कोशिश करने लगी। फिर एक जोर का झटका लगाया और मेरा पूरा लंड रौशनी की वजाइना में चला गया। रौशनी से दर्द बर्दाश्त नही हो रहा था, वो रोने लगी और जोर से बोली आआह आआह ओह माई गॉड, प्लीज्। रौशनी के दर्द को देखते हुए, मैने उसके होंठो को चूमने लगा। फिर मैंने अपना लंड बाहर निकाल लिया, मैंने देखा मेरे लंड पर खून लगा था, मैंने रौशनी से कहा कि इसका मतलब है कि तुम आज तक वर्जिन थी। रौशनी मेरी बातें सुनकर शर्माने लगी और मुझे देखकर मुस्कुराने लगी। मैंने दुबारा अपना लंड रौशनी की वजाइना में डाल दिया, इस बार पहले से कुछ कम दर्द हुआ और हम दोनों के बीच सेक्स शुरू हो गया।

“प्लीज्, प्लीज्, प्लीज्, ओह आआह, उह, अम्मी, आआह प्लीज्” रौशनी आवाज करने लगी, मुझे लगा आवाज़ बहुत तेज़ है तो मैंने रौशनी के होंठो पर अपना होंठ रख दिया और स्पीड बढ़ाने लगा। रौशनी की आवाज़ और मेरी स्पीड दोनों एक स्पीड से बढ़ती जा रही थी। सुबह के 3 बजे तक मैने रौशनी के साथ 8 राउंड सेक्स किया और थकने के बाद रौशनी को अपनी बाहों में समेट कर सो गया।

उधर ज़ुबिन के घर रीति रिवाजों में देखते देखते ही विदाई का समय भी आ गया, सुबह के 4 बज चुके थे और समय इतनी तेजी से कैसे बीत रहा था इसका पता भी नही चल रहा था। विदाई के समय इमोशनल गाने बज रहे थे, “बाबुल की दुआयें लेती जा, जा तुझको सुखी संसार मिले”। ऐसे गाने सुन सुनकर ज़ुबिन और भी ज्यादा इमोशनल होने लगा। साथ ही ज़ुबिन के परिवार वाले भी इमोशनल होकर माहौल गमगीन कर चुके थे। जैसे जैसे डोली की तरफ ज़ुबिन के कदम बढ़ते जा रहे थे, उसके आंसुओं की रफ्तार बढ़ती जा रही थी। डोली से कुछ कदम पहले ही ज़ुबिन अपनी अम्मी से लिपटा जोर जोर से रोने लगा। फिर शबनम से गले लगकर और भी ज्यादा रोने लगा। वो कहता रहा कि उसे नही जाना, अपने अम्मी अब्बू को छोड़ कर, अपना घर छोड़कर, जहां ज़ुबिन का बचपन और जवानी मर्द के रूप में बीता आज उसी घर को ज़ुबिन दुल्हन बनकर छोड़ कर हमेशा के लिए जा रहा था। ज़ुबिन की अम्मी ने, बहन ने और पड़ोस की आंटियो ने, सभी ने आशीर्वाद दिया और उसे समझाया कि लड़कियों को एक न एक दिन अपना घर छोड़ कर अपने ससुराल जाना ही पड़ता है। हमेशा घूंघट में रहना, जब तक सास ससुर या पति ना कहे घूंघट मत हटाना, नाक में हमेशा नतगुया ओहने रखना और अपने पति और सास ससुर और ससुराल वालों की सभी बातों को मानना, जो तुम्हर पति कहे वो चुपचाप करना, ज्यादा ना नुकुर मत करना। ससुराल में सभी का खयाल रखना एक अच्छी बहु की निशानी होती है। ऐसी ऐसी बातें सुनकर ज़ुबिन और भी डर से थरथराने लगा। फिर रणधीर ने ज़ुबिन को सबके सामने अपनी गोद में उठा लिया और डोली में बिठाया।

ज़ुबिन अपने दोनों पैरों को सिकोड़कर, घूँघट में अपना सिर झुकाए, रोते बिलखते वहां से विदा हुआ। डोली में बैठे बैठे ज़ुबिन को यकीन नही हो रहा था कि उसकी शादी रणधीर से होने के बाद उसकी बीवी बन चुका था और उसे विदा करवाकर रणधीर अपने घर ले जा रहा था। ज़ुबिन डोली में बैठा अपने नसीब को कोस रहा था, उसे डर सता रहा था, सुहागरात का, ससुराल में उसके साथ कैसा बर्ताव होगा, ये सब बातें ज़ुबिन को सताए जा रही थी। ज़ुबिन खान अब ज़ुबैदा रणधीर सिंह बन चुका था, रणधीर सिंह की लीगल बीवी और उसकी नई नवेली दुल्हन। पूरा समाज अब ज़ुबिन को रणधीर की बीवी ज़ुबैदा रणधीर सिंह के नाम से जानेगा। ज़ुबिन का अस्तित्व खत्म हो चुका था और ज़ुबैदा अब असितत्व में आ चुकी थी।

कहाडों ने डोली उठाया और आगे आगे कार में रणधीर और बख्तावर दोनों और पीछे पीछे ज़ुबिन डोली में अपने ससुराल की ओर बढ़ने लगे। अगली सुबह के 4 बजे जो डोली उठी वो करीब 10 बजे ससुराल पहुचने वाले थे, सुबह के 5 बज चुके थे, डोली में ज़ुबिन को अब नींद आने लगा था और थकान की वजह से वैसे ही सो गया।

इधर सुबह के 5 बजे रौशनी ने मुझे जगाया और कहा कि मैं अपना लंड उसकी वजाइना से बाहर निकाल लूं, उसे वाशरूम जाना था, फ्रेश होना था और घर के कामकाज में मेरी माँ का हाथ बांटना था। मैंने अपना लंड धीरे से उसके वजाइना से बाहर निकाल लिया और रौशनी फ्रेश होने वाशरूम में चली गयी। आधे घण्टे बाद रौशनी कमरे में आई, मैं वैसे ही न्यूड सोया हुआ था, वो मेरे पास आई और अपने गीले बाल झटकने लगी। पानी के छींटों से मेरी आँखें खुल गयी और मुझे पता था कि ये जरूर रौशनी की शरारत है। मैंने रौशनी के हाथ को पकड़ लिया और अपनी ओर खींच लिया, रोशनी मेरे ऊपर गिर गयी और उसका टॉवल खुल गया। अब हम दोनों पति पत्नी न्यूड थे, तो मैंने मौके का फायदा उठाते हुए फिर से एक राउंड रौशनी के साथ सेक्स किया। रौशनी पहले ही बहुत थक गई थी, एक बार फिर से सेक्स करने के बाद रौशनी मेरे ऊपर ही लेट गयी फिर मुझे देखकर बोली, “आप खुश तो हैं ना”। मैंने कहा कि मैं बहुत खुश हूं। फिर रौशनी उठी और मेरे लंड को चूमने लगी, मुझे मजा आने लगा। मैंने सोचा अचानक क्या हो गया रौशनी को। लेकिन रौशनी को ना जाने क्या हुआ, वो मेरे लंड को अपने मुह में लेकर 15 मिनट्स तक उसे चूसते रही, मेरा लंड काफी बड़ा हो गया था, रौशनी के गले तक जाने लगा तो उसे चोक सा महसूस हुआ और मेरा वीर्य निकल गया। रौशनी ने बिना कुछ कहे मेरे वीर्य को पी लिया और खड़ी होकर शर्माने लगी। मैने रौशनी के फेस को ऊपर किया, उसके गाल पर किस किया और उससे कहा कि इसकी जरूरत नही है, और मैं तुम्हे कभी फ़ोर्स नही करूँगा ब्लो जॉब के लिए। रौशनी बोली कोई बात नही, धीरे धीरे आदत हो जाएगा। रौशन से रौशनी बनने के बाद उसके अंदर स्त्रियों वाले गुण आ तो गए थे लेकिन शादी के बाद इतना बदलाव आ जायेगा, इसका मुझे अनुमान नही था। फिर रौशनी ने मुझसे ब्लाउज की डोरी बांधने को कहा, जब मैंने डोरी बांधी तब उसके बूब्स आगे से ऊपर हो गए। फिर रौशनी ने दूसरी बनारसी सिल्क साड़ी पहनी, थोड़ा मेकअप किया, नाक में नथिया, कान में झुमके और माथे पर मांगटीका एडजस्ट किया। फिर हाथों में लाल सफेद रंग के कंगन सेट और सोने के कंगन और पैरों में बिछुए पहनकर तैयार हो गयी। मैं सबकुछ देख रहा था, रौशनी बेहद खूबसूरत दिख रही थी और मुझे देखकर शर्मा रही थी। मैने रौशनी के गले का मंगलसूत्र ठीक किया, और साड़ी की एक छोर से घूँघट कर दिया। रौशनी ने शर्माते हुए प्यार से मुझे हग किया और मैने उसके माथे पर किस किया जिसके बाद रौशनी कमरे से बाहर चली गयी और घर के कामकाज में जुट गई। इधर रौशनी किचन के काम मे व्यस्त हो गयी, सुबह के 10 बज गए, घर मे सभी बहुत खुश थे, मेरी बहन श्रुति रौशनी को सुहागरात की बात पूछ पूछ कर परेशान कर रही थी। जब मेरी माँ फ्रेश होकर आयी तो रौशनी ने घूँघट में उसके पैर छुए और उनसे सदा सौभाग्यवती का आशीर्वाद लिया।

उधर 10 बजे ज़ुबिन की डोली उसके ससुराल पहुची। ज़ुबिन इतना थक गया था कि उसे कब नींद आ गयी, इसका पता भी नही चला। डोली रुकने पर भी ज़ुबिन डोली में ही सोया हुआ था, रणधीर ने अनुमान लगाया कि शायद उसकी दुल्हन को नींद आ गयी है। रणधीर डोली के पास गया और ज़ुबिन को जगाया। ज़ुबिन ने झटपट अपना घूँघट ठीक किया और डोली से बाहर निकला।

हवेली पर, रणधीर और ज़ुबिन का गृहप्रवेश करवाया गया। फिर रणधीर के चाचा की सबसे छोटी बेटी जो करीब 16 साल की रही होगी, रुचिका नाम था उसका।

रुचिका ज़ुबिन को रणधीर के कमरे में ले गयी और बोली, “जुबैदा भाभी, ये हमारे रणधीर भैया का कमरा है और अब से ये कमर आपका भी है। अभी आप थक गयी होंगी तो आप थोड़ी देर रेस्ट कर लो, वाशरूम अटैच्ड है इस रूम में, आप फ्रेश भी हो लेना। मैं आधे घंटे में आती हूँ।”

“ठीक है रुचिका जी”, ज़ुबिन बोला।

रुचिका के वहाँ से जाने के बाद ज़ुबिन ने देखा कि रणधीर का कमरा करीब 1500 स्कवायर फ़ीट में है, चारो तरफ आईने, झूमर, और फूलों से सजा बिस्तर। इतने बड़े कमरे मे ज़ुबिन ने पहली बार कदम रखा था। फिर ज़ुबिन ने कमरा अंदर से बंद किया, अपने गहने , कपड़े उतारे और वाशरूम में चला गया। नथ उतारने के बाद ज़ुबिन को बहुत रिलैक्स फील हुआ और जैसे ही फ्रेश होकर बाहर आया तभी गेट नोक हुआ। ज़ुबिन ने अपना लहँगा पहना, माथे पर चुनरी से घूँघट बनाकर दरवाजा खोला। सामने देखा तो रुचिका खड़ी थी। ज़ुबिन को ऐसे देखकर रुचिका ने झटपट अंदर आयी और दरवाजे को अंदर से लॉक किया।

“भाभी, ये क्या। आपने गहने क्यों उतार दिए। ऐसा करना अपशगुन होता है, आपको इतना भी नही पता। माँ को ये पता चलेगा तो बहुत गुस्सा करेगी।”, रुचिका बोली।

“सॉरी रुचिका जी, लेकिन मैं फ्रेश होने गयी थी, इसीलिए गहने उतार दिए थे”, ज़ुबिन बोला।

“कोई बात नही भाभी, आओ मैं जल्दी से तैयार कर दूं आपको, इससे पहले की माँ आ जाये।”, रुचिका बोली।

फिर रुचिका ने ज़ुबिन को फिर से दुल्हन के ऑर्नामेंट्स पहनाए, मेकअप किया, पिंक ग्लॉसी लिपस्टिक होंठों पर लगाया ही था कि तभी वहां रूपेश की माँ भी आ गयी। रूपेश की माँ को देखकर ज़ुबिन ने झट से अपना घूँघट कर लिया। ना जाने कौन सा डर समाया हुआ था ज़ुबिन के जेहन में। शायद औरत होने का एह्साह होने लगा था और दुल्हन होने का भी। रणधीर की माँ को देखकर ज़ुबिन खड़ा हो गया।

ज़ुबिन की सास बोली, ” दुल्हन, आज तुम्हारा पहला दिन है ससुराल में, आओ बहुत से लोग तुमसे मिलने की राह देख रहे हैं।”

“जी माँ जी”, और ज़ुबिन अपनी सास और ननद के साथ घुंघुट मे चेहरे को छुपाये उनके साथ दूसरे कमरे में पहुंचा। वहां एक भी मर्द नही, सिर्फ लेडीज ही थीं। सबकी नजरें ज़ुबिन यानी कि रणधीर की दुल्हन पर थी और ज़ुबिन की नजरें झुकी झुकी, शर्मायी हुई और सिर उठाने की हिम्मत भी ना जाने कहाँ खो सी गयी थी। ज़ुबिन के शरीर मे एक कंपकम्पी सी थी और आंखें नम। महिलाओं ने ज़ुबिन को सोफे पर बिठाया, फिर एक एक करके सभी महिलाओं ने ज़ुबिन की नज़र उतारी। एक बोली कि अपना रणधीर कितनी खूबसूरत बहु लाया है, हज़ारों में एक है।

शाम को रिसेप्शन पर पूरे शहर के बड़े बड़े इंडस्ट्रियलिस्ट, पॉलिटिशियन्स, कुछ छोटे कलाकार और बहुत सारे गेस्ट्स आये। ज़ुबिन बैकलेस चोली और बनारसी सिल्क साड़ी पहने अपने पति रणधीर के साथ स्टेज पर सभी से एक एक करके मिल रहा था। तभी वहां ज़ुबिन की अम्मी रुखसार और शबनम गिफ्ट लेकर आये। अपनी अम्मी को देखकर ज़ुबिन इमोशनल हो गया और उसकी आंखें आंसू से भर गए। जब रुखसार और शबनम स्टेज पर पहुचे, तब रणधीर ने उनको नमस्ते किया और ज़ुबिन घूंघट में अपनी अम्मी को देख कर रोने लगा। रुखसार ने ज़ुबिन को गले से लगा लिया और उसे शांत किया।

“अल्लाह के रहमोकरम से मेरी बेटी को इतना अच्छा परिवार मिला है, मैं बहुत खुश हूं मेरी बेटी के लिए।”, रुखसार बोली।

“हाँ अम्मी, इतने बड़े खानदान में ज़ुबैदा आपा का रिश्ता होना कोई आम बात नही। ज़ुबैदा आपा बहुत अच्छे नसीबों वाली है जो इन्हें इतना हैंडसम शौहर मिला है। ज़ुबैदा आपा जब मर्द थी तो मुझसे हमेशा कहती थी कि जब तुम्हारी भाभी जान आएगी तो दुनिया की सबसे खूबसूरत औरत होगी। लेकिन मुझे तो लगता है शायद ही कोई औरत होगी जो मेरी ज़ुबैदा आपा से खूबसूरत होगी। वैसे एक बात बताओ ज़ुबैदा आपा, आज आपकी और मेरे जीजू की पहली रात है, यानी सुहागरात है। कैसा लग रहा है आपको!”, शबनम ज़ुबिन को छेड़ते हुए बोली।

“मुझे नही पता, अम्मी मुझे बहुत डर लग रहा है!”, ज़ुबिन बोला (नर्विसन्स के साथ)

“ज़ुबिन बेटा, रणधीर की पत्नी बनकर तुम हमेशा खुश रहोगे। मैंने तो मेरे बेटे के लिए बहुत कुछ सोच रखा था। मुझे क्या पता था कि मेरे बेटे के नसीब में शौहर बनने के बजाय एक मर्द की दुल्हन बनना लिखा है। आज तुम्हारी और दामाद जी की सुहागरात भी है तो दुल्हन को तो डर लगना वाजिब ही है।”, रुखसार इमोशनल होते हुए बोली।

“हाऊ क्यूट , ज़ुबैदा आपा को सुहागरात का डर अभी से सता रहा है, कितनी नर्वस हो रही हो आपा। अब चलो भी अम्मी, कुछ खाते हैं। देखो ना कितने स्वादिष्ट पकवान बने हैं”, शबनम रुखसार को अपने साथ ले गयी और ज़ुबिन अपने पति के साथ वहीं खड़ा मेहमानों से मिलता, गिफ्ट्स और सदा सुहागिन रहने का आशिर्वाद लेता रहा।

ज़ुबिन की अम्मी और बहन के वहाँ से जाने के बाद, इसके कुछ दोस्त साजिद और इमरान के साथ नूर भी वहाँ आयी। घूंघट में ज़ुबिन को इस बात का एहसास नही हुआ, लेकिन जब नूर की आवज़ सुनी तो ज़ुबिन का दिल दहल गया।

“बधाई ही ज़ुबिन, तुम और तुम्हारे शौहर की जोड़ी वाकई खुदा ने खुद बनाई है। मेरी हिम्मत तो नही हो रही थी कि मैं तुमसे इस हालत में मिल सकूँ लेकिन शबनम ने जबरदस्ती मुझे यहां आने को कहा तब मैं मना नही कर सकी। दुल्हन के इस लिबास में तुम इतनी खूबसूरत दिख रहे हो। मुझे तो यकीन ही नही हो रहा है कि मेरा बॉयफ्रेंड आज एक मर्द की दुल्हन बन बैठा है”, नूर बोली।

“थैंक्स नूर, मुझे भी यकीन नही हो रहा है। मैं हमेशा से तुम्हे अपनी दुल्हन बनाना चाहता था, लेकिन ….. “, ज़ुबिन ने लड़खड़ाते आवाज में कहा।

“लेकिन क्या ज़ुबिन, तुम तो अपने दोस्तों में हीरो थे। तो ऐसा क्या हुआ जो आज एक मर्द की दुल्हन बन गए और मुझे तन्हा छोड़ दिया। ऐसे में अगर इमरान ने मेरा हाथ नही थामा होता तो आज मैं इस दुनिया से रुखसत हो गयी होती। इमरान और मैंने निकाह करने का फैसला कर लिया है और इसी महीने की 10 तारीख यानी परसो हमारा निकाह है। अगर इस निकाह में मेरा बॉयफ्रेंड अपने शौहर के साथ आएगा तो मुझे बहुत खुशी होगी।”, नूर बोली।

“मुझे किन परिस्थितियों में अपना सेक्स चेंज करवा कर औरत बनना पड़ा, ये मैं अभी नही बता सकता। थैंक्स इमरान, मेरी नूर का हाथ थामने के लिए और मैं उनसे बात करूँगा, अगर वो मान जाते है तो मैं और वो मेरी गर्लफ्रैंड के निकाह में जरूर आएंगे।”, ज़ुबिन बोला।

“ज़ुबिन, ये अम्मी ने भेजा है तुमहारे लिए। मेरी अम्मी हमेशा तुम्हे अपना दूसरा बेटा मानती है, और आज जब उन्हें पता चला कि तुमने एक मर्द से शादी की है, तो उन्हें यकीन नही हो रहा था। फिर इमरान ने उन्हें समझाया तब उन्हें यकीन हुआ। आज दुल्हन के जोड़े में अपने पति के साथ तुम बेहद खूबसूरत लग रहे हो ज़ुबिन।”, साज़िद बोला।

“थैंक्स साज़िद, अम्मी को मेरा प्यार देना। जिंदगी में मौका मिला तो हम फिर से जरुर मिलेंगे।”, ज़ुबिन बोला।

उसके बाद नूर, इमरान और साज़िद ने दूल्हा रणधीर और दुल्हन ज़ुबिन के साथ ढेरों फ़ोटो क्लिक करवाए। उसके बाद सुहागरात की बेस्ट विश देकर तीनो वहाँ से चले गए।

रिसेप्शन खत्म होने के बाद रुचिका ज़ुबिन को रणधीर के कमरे में ले गयी जहां सुहागरात की सेज फूलों से सजाई हुई थी। रुचिका ने ज़ुबिन से कहा कि वो फ्रेश हो लें, उसके बाद उसे सुहागरात के लिए तैयार भी होना है। ज़ुबिन ने अपने सारे गहने उतार दिए, लेकिन रुचिका ने उसे नथ नही उतारने दिया। ज़ुबिन वैसे ही वाशरूम में फ्रेश होने चला गया। आईने के सामने ज़ुबिन अपने आप को देखकर रोने लगा, आंखों से आंसुओ के साथ ज़ुबिन का काजल भी बह गया। ज़ुबिन की हिम्मत नही हो रही थी कि वो वाशरूम से बाहर भी निकले। अपना चेहरा धोने के बाद बहुत हिम्मत करके ज़ुबिन कमरे से बाहर आया। रुचिका ने ज़ुबिन को ड्रेसिंग टेबल के आईने के सामने बिठा दिया।

“मुझे पता है ज़ुबैदा भाभी, आपको सुहागरात का डर सता रहा है। लेकिन मेरे भैया बहुत अच्छे हैं, आपको डरने की कोई जरूरत नही। मुझे पता है, कि आप भी पहले भैया की तरह मर्द थे, लेकिन मेरे भैया के प्यार में आपने अपना सेक्स चेंज करवाया और औरत बन गए। फिर मेरे भैया की दुल्हन बन कर इस घर की बहू बनकर हमारे परिवार का हिस्सा बन गए। आप दोनों के प्यार के बारे में मुझे पता है लेकिन मम्मी को कुछ नही मालूम”, रुचिका बोली।

“आपको ये बात किसने बताई कि मैं पहले मर्द थी और फिर सेक्स चेंज करवाने के बाद औरत बनी हूँ”, ज़ुबिन ने रुचिका से पूछा।

“भैया ने, और उन्होंने ये भी बताया कि आप मुस्लिम होने के बावजूद हिन्दू मर्द की दुल्हन बनकर बहुत खुश हैं”, रुचिका बोली।

ज़ुबिन रुचिका की बात सुनकर भौचक्का रह गया।

“अच्छा रुचिका जी, तब तो आपके भैया ने मेरी और उनकी लव स्टोरी भी सुनाई होगी। ज़रा मुझे भी बताइये, क्या बताया उन्होंने?”, ज़ुबिन ने रुचिका से पूछा।

“आप दोनों आज से 2 साल पहले एक पब में मिले, जहां आप दोनों की पहली बार मुलाकात हुई। भैया को आप पहली नज़र में पसन्द आ गए थे क्योंकि वो गे थे, लेकिन आप गे नही थे। फिर आप दोनों अक्सर एक दूसरे से मिलते और ढेर सारी बातें करते। एक दिन भैया ने आपको बताया कि वो आपसे प्यार करते हैं और आपसे शादी करना चाहते हैं। ये बात आपको पसंद नही आई और आपने उन्हें मना कर दिया। उसके बाद आपने भैया से मिलना जुलना भी बंद कर दिया। फिर एक दिन कुछ लोगों से आपकी पैसों को लेकर लड़ाई हुई और आप अकेले पड़ गए थे। तब भैया ने आपकी जान बचाई और तब भैया के लिए आपके अंदर फीलिंग्स जाग गयी। मेरे भैया ने फिर से आपसे शादी करने की बात की तब आपने मेरे भैया से पूछा कि शादी करने के लिए तो आप तैयार हैं, लेकिन क्या बनकर शादी करूँ, दूल्हा बनकर या दुल्हन बनकर। भैया आपसे काफी लम्बे हैं और आपसे पैसे और रुतबे में भी बहुत ज्यादा हैं। फिर भैया ने आपसे कहा कि आप उनसे दुल्हन बनकर शादी कर लो। आपने भैया से कहा कि दुल्हन बनने के लिए तो आपको औरत बनना पड़ेगा और भैया ने आपको बैंकाक भेज दिया जहां आपकी सेक्स चेंज सर्जरी हुई। वहां से आने के बाद भैया आपको अपनी दुल्हन बना कर यहां ले आये। बाकी की कहानी तो पता ही है आपको। अच्छा ज़ुबिन भाभी कहानी सही कही ना मैंने या कुछ छूट गया”, रुचिका ने ज़ुबिन से कहा।

“बिल्कुल सही कहानी सुनाई आपने, आपको तो मेरा नाम भी मालूम है। कुछ भी नही छूटा”, ज़ुबिन शर्मिंदगी महसूस कर रहा था।

“मेरे भैया की दुल्हन बनने के लिए थैंक्स ज़ुबिन, ओह्ह ज़ुबैदा भाभी। आप औरत बनकर इतनी खूबसूरत दिखती हो, तो मर्द रहे होंगे तो कितने स्मार्ट रहे होंगे। ज़ुबिन से ज़ुबैदा बन गए मेरे भैया से शादी करने के लिए और मेरे भैया को इससे ज्यादा प्यार करने वाली भाभी और कहाँ मिलती। ये लो भाभी, बातों बातों में आपका मेकअप भी हो गया।”, रुचिका बोली।

अगले आधे घंटे में ज़ुबिन बनारसी साड़ी में तैयार था, नाक में बड़ा नथिया, कानो में झुमके जो कन्धों को छू रहे थे, माथे पर बड़ा सा मांगटीका, गले मे नौलखा हार, कमरबन्द, पायल, बिछिया और अंगूठियों वाला ब्रेसलेट। होंठो पर ब्राउन ग्लॉसी लिपस्टिक और कजरारी आंखों को देखकर कोई भी मदहोश हो जाये। टाइट ब्लाउज से बाहर आने की कोशिश करता ज़ुबिन का बूब्स और उनके ऊपर मंगलसूत्र खूब फब रहे थे। रुचिका ने ज़ुबिन को सुहागरात की सेज के बीचबीच बिठाया और कहा कि बिना नेग लिए भैया को अपना चेहरा मत दिखाना। तभी वहां ज़ुबिन की सास भी आ गयी और ज़ुबिन के घूंघट को ठीक से सेट किया। (ज़ुबिन के अंदर का डर बढ़ता जा रहा था। रणधीर ने जो कहानी घर मे सुनाई थी, उसमे कोई सच्चाई नही थी बल्कि आज उसके साथ जो कुछ भी हो रहा था, वो जबरदस्ती हो रहा था। एक गे ने ज़ुबिन के साथ शादी कर के उसे अपनी दुल्हन बना लिया और अब ज़ुबिन की हालत डर से इतनी खराब होने लगी कि उसका पूरा शरीर थरथराने लगा था।)

ज़ुबिन के मन मे बहुत कुछ चल रहा था। हल्की सी आहट होती और ज़ुबिन की रूह कांप जाती। थोड़ी देर के इंतज़ार के बाद ज़ुबिन को पता भी नही चला कि उसे कब नींद आ गयी और वो बिस्तर पर सो गया। रात के 11 बज चुके थे, ज़ुबिन थकान की वजह से गहरी नींद में था और रणधीर अभी तक नही आया था। थोड़ी देर बाद रणधीर कमरे में आया तो उसने देखा ज़ुबिन सो चुका था। नाक तक घूंघट और ज़ुबिन के रसीले होंठों को चूमता हैवी नथिया, हर सांस के साथ ब्लाउज के साथ ऊपर नीचे होते दूधिया बूब्स और उसके ऊपर मंगलसूत्र, कमर की नाभि ज़ुबिन को सेक्सी लुक दे रहा था। जैसे ही रणधीर ने ज़ुबिन को हाथ लगाया, ज़ुबिन सिहर उठा और उसकी नींद खुल गयी। नींद खुलते ही ज़ुबिन ने अपना घूंघट ठीक किया और अपने पति रणधीर के पैर छूकर आशीर्वाद लिया। रणधीर ने ज़ुबिन को सीने से लगा लिया और कहा कि ज़ुबिन की जगह उसके पैरों में नही उसके दिल मे है। फिर रणधीर ने ज़ुबिन को गोद मे उठा लिया और बिस्तर पर बिठाकर एक गिफ्ट बॉक्स उसके हाथों में रख दिया। ज़ुबिन ने गिफ्ट बॉक्स को खोल कर देखा, उसमे सोने के बड़े बड़े झुमके और एक बड़ा सा नथिया था।

“गिफ्ट कैसा लगा मेरी दुल्हन को?”, रणधीर ने पूछा।

“अच्छा लगा”, ज़ुबिन ने शर्मिंदगी महसूस करते हुए कहा।

फिर ज़ुबिन ने टेबल पर रखा दूध का ग्लास उठाकर रणधीर को दिया।

“एक ग्लास दूध से मेरा क्या होगा मेरी जान, अपनी मेहंदी वाली हाथों से पिलाओगी तो कुछ फर्क जरूर पड़ेगा।”, रणधीर बोला।

रणधीर के बातो में जो शरारत थी ज़ुबिन उसको समझ गया था। ज़ुबिन ने अपने हाथों से रणधीर को दूध पिलाया और रणधीर ने बड़े ही आराम आराम से दूध पी लिया। रणधीर के दूध पीने के बाद ज़ुबिन ने ग्लास टेबल पर रखा और पीछे मुड़ा तो रणधीर ने अपने दोनों हाथों से ज़ुबिन को पकड़ लिया। उस बड़े से कमरे में आज ज़ुबिन अपने पति के साथ एक ही बिस्तर पर अकेला बैठा था। रणधीर ने अपने हाथों से ज़ुबिन का घूंघट उठा दिया तो ज़ुबिन ने अपनी आंखें बंद कर ली। फिर रणधीर ज़ुबिन के नज़दीक आने लगा और कुछ ही पलों में अपने पति की गर्म साँसों को ज़ुबिन करीब से महसूस कर रहा था। इससे पहले कि ज़ुबिन खुद को तैयार कर पाता, रणधीर ने ज़ुबिन के माथे पर एक किस किया। वैसे तो ज़ुबिन के साथ उसके ससुर बख्तावर ने कई बार शारीरिक संबंध बनाए थे लेकिन इस बार बात कुछ अलग थी। इससे पहले कि ज़ुबिन कुछ सोच पाता, रणधीर ने ज़ुबिन की ब्लाउज की डोरी खोल दी और साड़ी भी खींचने लगा। ज़ुबिन को ऐसा फील हो रहा था जैसे उसका रेप होने वाला है। थोड़ी ही देर में रणधीर ने ज़ुबिन को पूरी तरह नंगा कर दिया और खुद भी नंगा हो गया।

ज़ुबिन अपने सिर को झुकाए, अपने दोनों हाथों से अपने स्तनों को छुपाने की कोशिश कर रहा था। तभी रणधीर ने ज़ुबिन का चेहरा ऊपर उठाया, ज़ुबिन ने चेहरा तो उठा लिया, लेकिन उसकी आंखें अभी भी बंद थी।

“आंखें खोलो हुस्न की मल्लिका, मेरी जान, ज़ुबिन डार्लिंग।”, रणधीर बोला।

रणधीर की बातों को ना मानने का साहस ज़ुबिन में नही था। धीरे धीरे उसने आंखें खोली तो रणधीर की चौड़ी छाती और तगड़ा शरीर देखकर दंग रह गया। जब ज़ुबिन की नज़र रणधीर के पेनिस पर पड़ा तो देख कर हैरान रह गया कि इतना मोटा और लंबा पेनिस भला किसी मर्द का होता भी है। जब ज़ुबिन मर्द था तब उसका पेनिस इसका आधा और काफी छोटा था, वो भी रणधीर के पेनिस के सामने कुछ भी नही था। रणधीर के पेनिस को देखकर ज़ुबिन की हालत और भी खराब हो गयी और डर के मारे वो रोने लगा।

“प्लीज रणधीर जी, आपका पेनिस बहुत बड़ा है। प्लीज मुझे छोड़ दो, मुझे सुहागरात नही मनानी, प्लीज रणधीर जी प्लीज।”, ज़ुबिन रोते हुए बोला।

लेकिन रणधीर ज़ुबिन की एक सुनने को तैयार नही था। उसने बिना देर किए ज़ुबिन को जकड़ लिया और उसे चूमने लगा। एक एक चुम्बन से ज़ुबिन सहमा जा रहा था। ज़ुबिन लगातार रोये जा रहा था, लेकिन रणधीर पर उसका कोई प्रभाव नही पड़ रहा था। कुछ देर तक रणधीर ज़ुबिन के जिस्म को चूमता रहा और उसके बाद रणधीर बैठ गया और ज़ुबिन के हाथों में अपना पेनिस पकड़ा दिया। ज़ुबिन ने हाथ छुड़ाने की बहुत कोशिश की लेकिन रणधीर नही माना और ज़ुबिन के चेहरे को पकड़ लिया।

“मेरी जान, तुम कुछ ज्यादा ही नखरा नही दिखा रही। अब गुस्सा मत दिलाओ और मेरे इस प्यारे से पेनिस को शेक करो।”, रणधीर ने ज़ुबिन से कहा।

ज़ुबिन को सबकुछ याद आ रहा था। कैसे वो सनी लियोनी के पोर्न फिल्मों को देखता था, हस्तमैथून करता था। हमेशा यही सोचता कि जब नूर से निकाह करेगा, उसे अपनी दुल्हन बनाएगा तो सुहागरात में ये सब पोज़ ट्राई करेगा। लेकिन यहां मामला पूरा उल्टा हो गया। ज़ुबिन खुद रणधीर का दुल्हन बना उसके पेनिस को अपने हाथों में लिए ये सब सोच रहा था।

“शर्माओ मत ज़ुबिन, शेक करो। मुझे पता है तुम इन सब को बहुत एन्जॉय करोगी ज़ुबिन।”, रणधीर ने अपना पेनिस आगे पीछे करते हुए कहा।

ज़ुबिन के हाथों में उसके पति का गर्म और सख्त पेनिस था जी उसके अनुमान से काफी बड़ा और मोटा था। ज़ुबिन ने धीरे धीरे उसे हिलाना शुरू किया। चूड़ियों की खनक की आवाज़ से कमरा भर गया।

“मेरी चूड़ियां और कंगन बहुत आवाज कर रहे हैं, ये सब कैसे करूँ।”, ज़ुबिन ने मासूमियत से कहा।

“कोई बात नही मेरी जान, तुम शेक करो। तुम्हारे चूड़ियां और कंगन कि मीठी खनक वैसे भी इस कमरे में ही रहेगी।”, रुपेश बोला।

फिर ज़ुबिन ने रणधीर का पेनिस धीरे धीरे शेक करना शुरू किया। ज़ुबिन हाथों में अभी भी जेवर पहन रखा था, लेकिन रणधीर को इससे कोई फर्क नही पड़ रहा था। उसका पेनिस टाइट होते जा रहा था। और फिर रणधीर ने ज़ुबिन से और स्पीड शेक करने को कहा। ज़ुबिन ने स्पीड तो बढ़ दिया, लेकिन चूडियों और कंगन की आवाज़ के साथ साथ रणधीर का पेनिस भी ज़ुबिन के इमेजिनेशन से काफी ज्यादा बड़ा हो गया। फिर रणधीर ने ज़ुबिन के होंठों पर अपना पेनिस रखा और उसे किस करने को कहा। आपने पति की हर बात को मानने के लिए मजबूर ज़ुबिन ने रणधीर के पेनिस को चूमने लगा। एक अजीब तरह का स्मेल ज़ुबिन को महसूस हुआ। फिर रणधीर ने ज़ुबिन के बालों का जुड़ा पकड़ लिया और उसके मुह में अपना पेनिस डाल दिया। रणधीर के पेनिस से ज़ुबिन का नथ बार बार टकरा रहा था, लेकिन उसे कोई फर्क नही पड़ रहा था। वही दूसरी तरफ ज़ुबिन के नाक में डला नथिया आगे पीछे होने की वजह से और भी चुभने लगा था। करीब 30-40 मिनट्स तक ज़ुबिन को ब्लो जॉब देने के बाद रणधीर ने अपने वीर्य का एक लोड ज़ुबिन के मुह मे ही छोड़ दिया। वो वीर्य डायरेक्ट ज़ुबिन के गले मे चला गया और ज़ुबिन को ना चाहते हुए बाकी का लोड भी पीना पड़ा।

अब रणधीर जोश में आ चुका था और अब उसकी नज़र ज़ुबिन की गुलाबी योनि पर पड़ी। ज़ुबिन को लिटा कर रणधीर उसके ऊपर आ गया और अपने होंठ से ज़ुबिन की गुलाबी योनि को चूमने लगा। ज़ुबिन को एक अजीब सा मीठा मीठा दर्द शुरू हो गया और ऐसा दर्द उसने पहले कभी महसूस नही किया था। रणधीर ज़ुबिन की योनि को जीभ से चाटने लगा और जोर जोर से चूसने लगा। ज़ुबिन खुद को संभाल नही पा रहा था और उसके मुह से जोर जोर से आआहह ऊहह ओह्ह की आवाज़ें निकलनी लगी और आंखों से एक एक बूंद आंसू रुक रुक कर बहने लगे। रणधीर ज़ुबिन की आहह ओह्ह की आवाज सुनकर और भी ज्यादा जोश में आ गया था। रणधीर के एक्सआईटमेंट का कोई हिसाब नही था। अब रणधीर तैयार था, अपनी नई नवेली दुल्हन के साथ असली मज़ा करने के लिए। अब रणधीर ने अपना पेनिस ज़ुबिन की योनि पर रखकर सहलाने लगा। ज़ुबिन को बहुत डर लग रहा था, वो बार बार रणधीर से रिक्वेस्ट कर रहा था कि प्लीज उसके साथ सेक्स ना करे। लेकिन रणधीर नही माना और अपना पेनिस ज़ुबिन की नाज़ुक योनि में घुसा दिया। जैसे ही रणधीर का पेनिस ज़ुबिन की योनि में घुसा, ज़ुबिन को लगा जैसे किसी ने गर्म लोहे का रॉड उसके अंदर डाल दिया हो। दर्द इतना कि ज़ुबिन रोने लगा, जोर जोर से चिल्लाने लगा, लेकिन वहां ज़ुबिन की सुनने वाला कोई नही था। रणधीर ने ज़ुबिन के होंठों पर अपना होंठ रख दिया और उसने होल्ड किया और ज़ुबिन को शांत किया। ज़ुबिन की योनि से हल्का खून आने लगा और खून देखकर ज़ुबिन और भी रोने लगा।

“डरो मत मेरी जान, ये खून नही है। इसका मतलब है तुम आज तक वर्ज़ीन थी। ये तो खुश होने की बात है।”, रणधीर बोला।

“रणधीर जी प्लीज्, ये सब मुझसे बर्दाश्त नही होगा। प्लीज् आप अपना पेनिस बाहर निकाल लो, नही तो मैं मर जाऊंगा।”, बोलते बोलते ज़ुबिन की आँखों मे आंसू भर आये।

“वही तो कर रहा हु मेरी जान, आज की रात। तुम्हारे मन मे बैठे मर्दानगी को मारना ही तो है। ताकि कल से तुम अपने स्त्रीत्व को एक्सेप्ट कर सको ज़ुबिन। मेरी दुल्हन बनने के बाद भी तुम्हे लगता है कि तुम्हारा मर्द वाला मन मेरे सामने टिक पायेगा।”, रणधीर हंसते हुए बोला।

फिर क्या था, रणधीर अंदर बाहर करना शुरू किया और ज़ुबिन ने रोना चिल्लाना। लेकिन रणधीर की ताकत के सामने वो कुछ भी नही था।

“आआआहहहहहहह, ऊऊहहहहहहह, ओह्हहहहहहह, ममम, प्लीज्, प्लीज्, प्लीज्, ओह्ह माई गॉड, मम्मी। रुक जाओ रणधीर, आआहहहहहहहहहह, नहीईईईई, ऊहहहहहहहहहह, प्लीज्, प्लीज्, रुक जाओ रणधीर, प्लीज्, रणधीर, आआआहहहहहहहहह”, ज़ुबिन के रोने और चिल्लाने का रणधीर पर कोई असर नही हुआ और अपनी दुल्हन को स्पीडली चोदने लगा।

करीब आधे घंटे तक रणधीर ने ज़ुबिन को चोदा और फिर कुछ देर के लिए रुक गया। रणधीर के रुकने से ज़ुबिन को थोड़ा आराम मिला।

“आई होप कि तुम जब मर्द थे तब पोर्न फिल्मों को तो देखा ही होगा। मेरी जान अब घोड़ी बनो जल्दी से।”, रणधीर ने ज़ुबिन का चेहरा पकड़ कर बोला।

“नही रणधीर जी”, ज़ुबिन बोला।

“चटाक”, एक ज़ोरदार थप्पड़ ने ज़ुबिन के होश उड़ा दिए।

“ज्यादा बहस नही, जो बोल रहा हूँ, उसे चुपचाप करो, समझी। पत्नी हो तुम मेरी और मैं तुम्हारा पति परमेश्वर। जो बोलू उसे बिना सवाल जवाब किये करो समझी।”, रणधीर ने गुस्से में लाल होकर बोला।

ज़ुबिन को रणधीर से ये उम्मीद नही था। थप्पड़ खाने के बाद वो रोने लगा। फिर रणधीर ने उसे उल्टा किया और घोड़ी बना कर उसके योनि पर अपने पेनिस को रख दिया। ज़ुबिन समझ चुका था कि रणधीर अब उसके साथ पूरी रात सुहागरात मनाएगा। रणधीर ने अपना पेनिस जैसे ही घुसाया, ज़ुबिन को फिर से दर्द हुआ और वो फिर से रोने लगा। इसबार कुछ ज्यादा ही दर्द हो रहा था। थोड़ा अच्छा भी लग रहा था, लेकिन औरत बनकर एक मर्द से चुदने का दर्द उसे एन्जॉय नही करने दे रहा था। इधर रणधीर ने स्पीड को बढ़ा दिया और ज़ुबिन के गहने, जेवर, चूड़ियां, पायल ये सब बहुत आवाज़ कर रही थी और ज़ुबिन भी कम आवाज़ नही कर रहा था।

“आआआहहहहहहह, ऊऊहहहहहहह रणधीर ओह्हहहहहहह, ममम, प्लीज्, प्लीज्, प्लीज्, ओह्ह माई गॉड। रुक जाओ रणधीर, प्लीज्, प्लीज् रणधीर प्लीज्, आआहहहहहहहहहहहह, नहीईईईई, नहीईईईई, मममममममममम, ऊऊऊह, ऊहहहहहहहहहह, प्लीज्, प्लीज्, रुक जाओ रणधीर, प्लीज्, रणधीर, आआआहहहहहहहहह। बहुत दर्द हो रहा है, नहीईईईई, नहीईईईई, प्लीज्, प्लीज्, प्लीज् प्लीज्, ऊऊऊहहहहहहहहह, छोड दो, मत करो प्लीज्, नहीईईईई, ओह माई गॉड, आआहहहहहहहहहहहहहहहह, ओह्हहहहहहहहहहहहहहह, ऊहहहहहहहहहह, रणधीर प्लीज्।”, ज़ुबिन से एक मर्द से चुदने का दर्द बर्दाश्त नही हो रहा था और वो लगातार रोये जा रहा था और एक हाथ से अपने नथ को पकड़कर उसे आगे पीछे होने से रोकने की कोशिश कर रहा था।

करीब अगले 30 मिनट्स तक ज़ुबिन को चोदने के बाद रणधीर फिर से रुक गया। फिर उसने ज़ुबिन के चेहरे को पकड़कर अपनी ओर घुमाया और उसके होंठो को चूमने लगा, लेकिन इस बार रणधीर काफी जोश में था। थोड़ी देर दोनों वैसे ही पड़े रहे और रुपेश ने ज़ुबिन को अपनी ओर घुमाकर बिठाया। फिर रणधीर ने ज़ुबिन के कमर को पकड़ लिया और उसे अपने पेनिस पर बिठाया और अपने पेनिस पर बिठाकर काफी देर तक चोदा। ज़ुबिन की सांसें अब कमज़ोर पड़ने लगी थी और वो जोर जोर से सांस ले रहा था। ज़ुबिन के बूब्स, रणधीर की छाती से छाती से चिपकी हुई थी और रणधीर उसे लगातार चोद रहा था। ज़ुबिन के आंसू थमने का नाम नही ले रहे थे। फिर रणधीर ने ज़ुबिन को बिस्तर पर लिटा दिया और उसके दोनों टांगों को फैलाकर उसके योनि में फिर से अपना पेनिस डाल कर चोदना चालू किया। ज़ुबिन अब अपने नाखूनों से रुपेश के पीठ को खरोंचने लगा और रणधीर ज़ुबिन के बूब्स को काटने लगा। रणधीर ने ज़ुबिन के साथ लगभग 1 घंटे तक सेक्स किया और एट लास्ट उसने अपना वीर्य ज़ुबिन की योनि में छोड़ दिया। जब ज़ुबिन ने अपने अंदर रणधीर का गर्म गर्म वीर्य को महसूस किया, तब ज़ुबिन को लगा कि वो आज रात ही अपने पति से प्रेग्नेंट हो जाएगा। दोनों काफी देर तक एक ही पोजीशन में थे। रणधीर ज़ुबिन के ऊपर और ज़ुबिन अपने दोनों टांगों को हवा में फैलाये अपने पति की बाहों में लंबी लंबी सांसें ले रहा था, शरीर कांप रही थी और इतनी हिम्मत भी नही बची थी कि ज़ुबिन उठकर पेशाब तक करने जा सके। थोड़ी देर बाद रणधीर ने अपना पेनिस ज़ुबिन की योनि से निकाल दिया। रणधीर के पेनिस निकाल लेने पर ज़ुबिन को बहुत आराम मिला लेकिन शरीर साथ नही दे रहा था।

ज़ुबिन बिस्तर पर से उठा और उसने जैसे ही अपने कपड़े उठाये, रणधीर ने उसके हाथ को पकड़ लिया और कहा, “मेरी जान कपड़ो की क्या जरूरत है तुम्हे, सुबह पहन लेना, अभी ऐसे ही रहो।”

थप्पड़ की गूंज अभी भी ज़ुबिन के कानों में गूंज रही थी और उसके अंदर हिम्मत नही था कि अपने पति की बातों को ना माने। ज़ुबिन वैसे ही वाशरूम की तरफ बढ़ने लगा लेकिन उससे एक कदम भी चल नही जा रहा था। दूसरे कदम पर ही ज़ुबिन लड़खड़ा के गिरने ही वाला था कि रणधीर ने उसे पकड़ लिया। फिर रणधीर ने ज़ुबिन को अपनी गोद में उठा लिया और वाशरूम में ले गया। ज़ुबिन ने बैठकर पेशाब किया और रणधीर ने खड़े होकर।

रणधीर पेशाब करते वक़्त ज़ुबिन से बोला, “कभी तुम भी खड़े होकर पेशाब करती थी जान, आज देखो कैसे बैठकर पेशाब कर रही हो।”

रणधीर ज़ुबिन को एम्बरर्स करने का एक भी मौका नही छोड़ रहा था। फिर रणधीर ने ज़ुबिन को गोद में उठाया और बाथटब में पहले खुद बैठा, फिर ज़ुबिन को अपने पेनिस पर बिठा लिया। पानी से लबालब भरे बाथटब में अपने पति के पेनिस पर बैठकर चुदने में ज़ुबिन को थोड़ा भी अच्छा नही लग रहा था, और अंदर अंदर अपनी बेबसी को कोस रहा था और वो कर भी क्या सकता था। करीब आधे घंटे तक रणधीर ने ज़ुबिन को उस टब में चोदा। इस बार फिर से अपना वीर्य ज़ुबिन के अंदर डाल दिया। इस बार लोड कुछ ज्यादा ही फ़ोर्स में था और ज़ुबिन को ऐसा फील हुआ जैसे रणधीर उसे प्रेग्नेंट कर देगा। ज़ुबिन का हालत कुछ ज्यादा ही खराब हो गया था। रणधीर और ज़ुबिन दोनों बाथटब से बाहर निकले और फिर रणधीर ने ज़ुबिन के शरीर को अच्छे से पोछा और फिर ज़ुबिन से अपना शरीर पोछने को कहा। ज़ुबिन ने रणधीर के शरीर को अच्छे से पोछने लगा, लेकिन रणधीर के चेहरे तक ज़ुबिन का हाथ नही पहुच रहा था। रुपेश ने ज़ुबिन को अपनी गोद में उठा लिया तब जाकर ज़ुबिन ने रणधीर का चेहरा और बाल पोछा। फिर रणधीर ज़ुबिन को बिस्तर पर लिटा दिया और बगल में खुद लेट गया।

ज़ुबिन के जिस्म रणधीर के मन मे रस गया था, उससे रहा नही गया तो उसने अपना पेनिस एक बार फिर से ज़ुबिन के अंदर डाल दिया और उसे जकड़कर वैसे ही सो गया। ज़ुबिन अंदर से टूट चुका था और उसके अंदर के मर्द को झकझोर कर रख दिया था। जो कुछ हुआ और जो कुछ हो रहा था ज़ुबिन के साथ, उसके लिए ज़ुबिन तैयार नही था। लेकिन अपने नाक में हैवी नथ को, कानों के झुमकों को, अपने बूब्स पर हर और मंगलसूत्र का अपने पति के चौड़ी छाती से चिपका हुआ और अपने पति की बाहों में उसके पेनिस को अपनी योनि में महसूस कर रहा था। ज़ुबिन को सब महसूस हो रहा था साथ ही कमज़ोरी इतना ज्यादा हो गया था कि हिला डुला तक नही जा रहा था, पूरा बॉडी पेन कर रहा था। आंखों से आंसू तो गंगा जमुना की तरह बह रहे थे और शर्मिंदगी इतनी कि ज़ुबिन को सिर उठाकर अपने पति रणधीर को देखने की हिम्मत तक नही थी। ना जाने कब नींद आया ज़ुबिन को और अपने पति की बाहों में कब सो गया, इसका पता भी नही चला। सपने में ज़ुबिन ने देखा कि वो प्रेग्नेंट है और उसे लेबर पेन हो रहा है, अपनी लाइफ में पहली बार ऐसा सपना देखकर ज़ुबिन घबरा गया और रोते रोते उसकी आंखें नम हो गयी। ज़ुबिन को लगा कि वो सच मे प्रेग्नेंट है और उस दर्द से ज़ुबिन की आंखें खुल गयी। ज़ुबिन ने देखा सुबह के 4 बज रहे हैं और रणधीर का पेनिस अभी भी उसके योनि में ऐसे तना हुआ है जैसे रात में चुदाई के वक़्त था और रुक रुक कर रणधीर आगे पीछे करता तब ज़ुबिन दर्द से कराह उठता। सुबह के 5 बजे के अलार्म ने ज़ुबिन और रणधीर दोनों को जगा दिया। रणधीर का पेनिस भी भी तना हुआ था और ज़ुबिन की योनि में ही था।

“गुड मॉर्निंग मेरी जान, जाग जाओ।”, रणधीर ने ज़ुबिन से कहा।

“गुड मॉर्निंग रणधीर जी, जाग गया हूँ, लेकिन तुम्हारा पेनिस निकालो ना। मुझे वाशरूम जाना है।”, ज़ुबिन गिड़गिड़ा कर अपने पति रणधीर से कहा।

“ज़ुबिन तुम अब पहले की तरह मर्द नही रहे। तुम एक एक सुहागन स्त्री हो, मेरी नई नवेली दुल्हन और पत्नी हो, इस घर की बड़ी बहू हो। आज बोल लिया लेकिन आज के बाद कभी भी लड़को की तरह बात मत करना। समझी तुम।”, रणधीर ने ज़ुबिन को समझते हुए कहा।

“समझ गयी रणधीर जी, अब मैं जाऊं।”, ज़ुबिन बोला।

“अपने पति का नाम नही लेती हमारे घर की बहुएं, तुम्हे इतना भी नही समझाया तुम्हारे मा बाप ने। इसका भी ध्यान रखोगी तुम, समझी ज़ुबिन। आज से तुम मुझे वैसे ही पुकारोगी जैसे एक पत्नी अपने पति को पुकारती है।”, रणधीर बोला।

“जी समझ गयी, अब मैं जाऊं।”, ज़ुबिन बोला।

“हाँ जाओ।”, रणधीर बोला।

ज़ुबिन बिस्तर पर से उठा, खड़े होते ही फिर से पॉंव कांपने लगा। एक कदम मुश्किल से चला था, लेकिन जैसे ही दूसरा कदम चला ज़ुबिन लड़खड़ा कर गिरने वाला ही था कि रणधीर ने उसे फिर से सम्भाल लिया। फिर रणधीर ने अपनी गोद में उठाकर ज़ुबिन को वाशरूम में ले गया। दोनों ने साथ मुह धोया, एक एक करके फ्रेश हुए और फिर साथ मे स्नान किया। नहाने के बाद रणधीर ज़ुबिन को अपनी गोद में उठाकर कमरे में ले आया और एक नई साटन साड़ी और कुछ नए ऑर्नामेंट्स पहनने को दिया और खुद के लिए कुर्ता पायजामा निकाल लिया। घर मे बहुत से मेहमानों को विदा करने था तो रणधीर और ज़ुबिन को तैयार होकर उन सब मे व्यस्त हो गए।

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