सुबह की थकावट
मिटाने को चाय बनाई और आराम से गृहशोभा लेकर बैठ गयी। पिछलर 5 सालो से यही चल रहा है। आगरा के एक घर की
मालकिन हु मैं और मेरे पति सरकारी अफसर है। पूरा मोहल्ला मुझे अंजू सिंह के नाम से
जनता है। कभी कभी घुटन सी होती है इन सब से। सारा दिन बैठे रहो इनके इंतज़ार में ,
सिलाई बुनाई करो, मोहल्ले की औरतो से पंचायत करो या टीवी देखो। बस यही सब रह
गया है। इनको मेरा ज्यादा मिलना जुलना भी पसंद नहीं। शादी से पहले मैं कितने ख्वाब
देखती थी इस शादीशुदा जिंदगी के। की कैसे पति की बहो में रहूंगी , एक आदर्श गृहणी बनूँगी और आराम से ऐश करुँगी
पति के पैसो पर। और पहले दो साल तो मैंने यही किया भी ,पर पिछले कुछ दिनों से ये सब जेल जैसा क्यों लग रहा है।
खैर ये रोज़मर्रा
के काम कभी ख़त्म नहीं होते. मैगज़ीन के कुछ पन्ने पलटे ही थे की कामवाली आ गयी.
जल्दी से किचन जाकर कहना बनाया और बर्तन निकले. फिर इन्हें फोन करके गाड़ी भेजने को
बोला। इनका मूड अभी भी ख़राब था सो जवाब मिला की देखूंगा। मैंने बोला रात को तुम्हे
ही मज़े मिलने है सोच लो तो फोन काट गया। जवाब तो मैं जानती हूँ , गाड़ी और ड्राइवर समय से आ जायेंगे। मैंने जो भी
चाहा है हमेशा हासिल किया है। चाहे वो इनसे अपने हर मांग पूरी करवाना हो या अपनी
पूरी पहचान मिटा के लिंग परिवर्तन करवाना।
मैं बहार जाने के
लिए सजने बैठ गयी। थोड़ा फाउंडेशन लगाया और लिपिस्टिक उठायी। बचपन में कितना छुप
छुप कर करना पड़ता था ये सब. अब तो मेरा हक़ है सजना सवरना। नक् से नथुनी निकल दी।
इनकी सोचा लौट के फिर पहन लुंगी। इनको मेरी खली नाक बिलकुल अच्छी नहीं लगती। क्या
क्या नहीं करना पड़ता एक नारी को अपने पति के लिए. मैंने सदी भी उतार कर येल्लो सूट
पहन लिया और मैचिंग पर्स और सैंडल निकले. यहाँ भी पति के आदेश हैं की कम से कम चार
इंच की हील तो होनी चाहिए। अब तो बिना हील के चलने में दर्द होता है। घर पर भी
हमेशा हील पेहेन के रहती हूँ। मैंने आईने में खुद को देखा: एक बहुत सुन्दर
शादीशुदा लड़की मुझे वापस देख रही थी। मैंने अपने फेस की भी सर्जरी करवाई थी ताकि
अनुज की कोई निशानी न रह जाये। और आज मुझे देख कर शायद मेरी माँ भी मुझे न पहचान
पाए। मैं इन्ही खयालो में खोयी थी की मोबाइल बजा! इन्ही का फोन था
की ड्राइवर टाइम से आ जायेगा और लंच लेती आना। शाम को पार्टी के बारे में भी
बताया। इनके बॉस के बेटे का जन्मदिन है। मैं खुश हो गयी की आज फिर कोई नयी साड़ी
निकलूंगी और फिर सोच में पड़ गयी की कौन सी जेव्ल्लेरी पहनू। थोड़ी देर में ड्राइवर
आ गया। मैंने जल्दी से नाक में एक कील डाली और फिर इनके ऑफिस में जाकर लंच बॉक्स
दिया. ये किसी फाइल को लेकर बिजी थे पर मुझे देखते ही उठ गए और दरवाजा लॉक कर दिया
और बोले की मेरा गेंदे का फूल आज क्या कहर ढा रहा है। मैं तो धत्त बोल कर शर्मा
गयी और आँखे बंद कर ली। जल्दी ही इनके होंठ मेरे होंठ पर आये और हम एक दूसरे से
लिपट गए। पांच मिनट के बाद ही मैंने आँखें खोली। मन तो कर रहा था की बस इनकी
बाँहों में ही बैठी रहूँ , ये भी फिर काम में
लग गए और में फिर ब्यूटी पार्लर के लिए निकल गयी।
वहां पर अनीता से
मेरी अच्छी दोस्ती हो गयी : वो मुझे देख कर ही समझ लेती है की क्या करना है.उसने
मुझे बैठाया और फिर थ्रेडिंग में लग गयी। थोड़ा दर्द हुआ पर ये सब तो रोज़ का है अब।
अनीता अपने पति की बुराई कर रही थी की वो दिन रात दारू पीता रहता है। मैं सोचने
लगी की मैं कितनी लकी हूँ इस मामले में. प्रकाश हालाँकि की कभी कभी पार्टीज में
ड्रिंक कर लेते हैं पर कभी भी नशे में मुझ से जबरदस्ती नहीं की। अब अनीता वैक्सिंग
करने लगी और मुझसे कानो में दो और छेद करने की ज़िद करने लगी। मैं काफी दिनों से
उसे टाल रही थी ,आज तो उसने मशीन भी निकल ली। मैंने कहा कर ले
अपनी मनमानी : घर में पति की सुनु और यहाँ तेरी पर एक ही करवाउंगी । वो भी हंस पड़ी
और मेरे कान साफ करके एक छेद किया । अब इनमे पहनने के लिए भी कुछ लेना पड़ेगा। फिर
अपना पसंदीदा फेसिअल करवाया। चेहरा एकदम खिल गया था। अब मैं मार्किट में निकल पड़ी।
चार ब्रा लिए 30 DD साइज के। शादी के एक साल बाद ही इन्होंने मेरा
ब्रेस्ट इम्प्लांट करवाया था। पहले मैंने अपने साइज के हिसाब से C कप के इम्प्लांट लिए ते पर इन्हें और बड़े बूब्स चाहिए थे। उसके बाद कुछ घर का
सामान लिया और वापस आ गयी और गाड़ी वापस भेज दी।
घर आते ही कानो
में कील डाली। अब पार्टी के लिए गहनों में इनके लिए भी कुछ ढूढना पड़ेगा। 1 -2 घंटो में ये भी आ जायेंगे फिर जल्दी से जाना पड़ेगा। अभी से तैयारी करनी
पड़ेगी।
मैंने पहले साड़ी
निकली। हरी रंग की सिल्क की साड़ी थी और बॉर्डर पर जर्द का काम था। पल्लू ऑरेंज था
और साथ बैकलेस ब्लाउज था। साड़ी तो हो गयी अब गहने क्या पहनू। जब लड़का थी तब हमेशा
पता रहता था की कब क्या करना है। कभी इतना सोचना नहीं पड़ता था। बस जो पैंट दिखी
डालो और कोई भी साफ़ शर्ट पेहेन कर निकल जाओ। कितना आसान था वो जीवन। एकदम क्लियर
रहता था दिमाग और अब देखो हर चीज़ पर पता नहीं कितना सोचती रहती हूँ। हर पार्टी से
पहले यही हाल रहता है। और मूड तो यूँ चेंज होता की क्या बताऊं - कब कौन सी बात पर
रोने लगती हूँ समझ नहीं आता। खैर मेरा ही डिसिशन था ये सब। अब झेलना भी मुझे है।
शुरू में तो ये स्त्रीत्व कितना अच्छा लगता था पर अब बंधन जैसा लगता है।
गहने देख रही थी
की बैडरूम के ऊपर लगी अपने शादी की फोटो देखने लगी। एकदम पारी लगती हूँ मैं उसमे।
लाल लेहेंगा , गले में चार हार, हाथो पैरो में मेहँदी, मांगटीका , झुमके , चूड़िया और बड़ी सी नथ। अब
भी हर साल करवा चौथ में मैं यही नाथ पहनती हूँ. करवा चौथ पर जो पति से खूब प्यार
मिलता है - दिन भर ये आगे पीछे घुमते रहते हैं। कभी कभी सोचती हूँ की मर्द होती तो
मेरे लिए भी कोई होती व्रत रखने वाली।
फिर ना जाने क्या
सोचा की मैंने शादी का एल्बम निकल लिया और उसमे खो गयी। वरमाला की फोटो मैं कैसे
शर्मा रही थी मैं, हाय क्या पल था वो. वो अलग अलग तरह से फोटो
खिंचवाना। कभी झुमके पकड़ के तो कभी नथ पर हाथ रख कर। कभी चूड़ियों से झांकता चेहरा
तो कभी मेहँदी दिखाते हुए। आज भी वो दिन सपने जैसे लगता है। मेरे लाइफ का सबसे बड़ा
सपना सच हुआ था उस दिन जब अपने आप को दुल्हन के रूप में देखा था। दस साल की थी मैं
जब पहली बार लड़की बनने का मन किया था। सबसे बच बचा कर माँ और दीदी के ब्रा पैंटी
पहन लेती थी मैं। थोड़ी उम्र बढ़ी तो लिंग परिवर्तन के बारे में पता लगा। तभी से ठान
लिया था की एक दिन लड़की बनूँगा और नारी जीवन का पूरा मज़ा लूंगा। मैंने घर में किसी
को कभी कुछ नहीं बताया क्योंकि वो लोग कभी समझ न पाते ये सब। जैसे ही स्कूल पूरा
हुआ मैंने बीटेक किया और सॉफ्टवेर कंपनी ज्वाइन की। वहां 6 साल मेहनत की और पैसे बचाये। घर जाना धीरे धीरे कम कर दिया। घर वाले शादी के
लिए पीछे पड़े थे तभी मैंने डिसिजन लिया की अभी नहीं तो कभी नहीं। मैंने एक चिट्ठी
में सब सच लिखा और पाप के नाम से घर भेज दी. घर से एक फोन आया था की अब मैं मर
चूका हूँ उनके लिए। फिर मैंने नौकरी छोड़ दी और डाक्टर की सलाह से होर्मोन लेना
शुरू किया। धीरे धीरे शरीर सॉफ्ट होने लगा। कुछ महीने में वक्ष उभरने लगे और ब्रा
की ज़रूरत पड़ी। पहला ब्रा लेते हुए मैं रो पड़ी थे। करीब एक साल हॉर्मोन लेने के बाद
मेरा शरीर तो लड़की जैसा हो गया था। बाल बढ़ लिए थे और लेज़र थेरेपी से चेहरा साफ़ हो गया
था। अब डॉक्टर ने फुल टाइम लड़की की तरह रहने की सलाह दी। और मैं तो हमेशा से लड़की
की तरह ही रहता था अकेले। मैने इस एक साल में मेकअप करने में महारत हासिल कर ली
थी। अपने कुछ दोस्तों की मदद से घर से ही काम करके थोड़ा बहुत काम भी लेता था। फिर
सर्जरी हुई और मैं पूर्ण औरत बन गयी। अब दिन भर डिलडो डालने पड़ते थे अपने अंदर।
शुरू में दर्द भी होता था बहुत लेकिन मज़ा भी आता था। 3 - 4 महीने गुज़र गए ऐसे फिर फेस और ब्रैस्ट की भी सर्जरी करवाई /
लगभग एक साल बाद कोई भी नहीं कह सकता था की मेरा नाम अनुज है। ऊपर से नीचे तक मैं
हॉट गर्ल लगता था। मैंने अपना नाम बदल कर अंजू रख लिया। नौकरी मिलने में बोहोत
दिक्कत हुई क्योंकि मैं अपनी पहचान छुपन कर रखना चाहता था। किसी तरह नॉएडा में एक
कोचिंग में रेसेप्शनिश की नौकरी ज्वाइन की।
अब तो मैं सुबह
उठती , मेकअप करके ऑफिस जाती। यहाँ दिन भर लड़के किसी न किसी बहाने
से मेरे पास आते रहते थे। बाकि लडकिया मेरे सामने कुछ भी नहीं इसलिए साडी भीड़ मेरे
टेबल पर होती थी। कुछ लड़के किसी बहाने से यहाँ वहां छूते रहते थे। शुरुआत में तो
इस छेड़खनि पर बहुत गुस्सा आता था। कुछ बदमाश लड़के तो भीड़ में आकर मेरे ब्रैस्ट भी
दबा जाते थे। मैंने एक बार मेनेजर से शिकायत की तो उसने मेरे सीने को देख कर कहा
की तुम्हे तो आदत होगी ये सब झेलने की। अब लड़के मुझे हर जगह घूरते थे. बातें करते
वक़्त अक्सर उनकी आँखें मेरे सीने की तरफ चली जाती थी। नौकरी ज्वाइन करने के बाद से
मैं एक गर्ल्स पीजी में रहने लगी थी। बाकि लड़कियों के साथ रहने का भी अलग मज़ा था.
सारा दिन मेकअप के नुस्खे, फिल्मो की गपशप और हॉट लड़को के बारे में बात
होती थी। मुझे लड़को के बातों को लेकर बहुत शर्म आती थी / मन सहर उठता था आगे का
सोच कर। सब लडकिया आश्चर्य करती थी की मेरी शादी क्यों नहीं हुई है अब तक। मैं
अपने अनाथ होने की बात करके सबको समझ लेती थी।
नौकरी से आते हुए अक्सर देर हो जाती थी। कभी कभी कोई स्टाफ आकर मुझे छोड़ जाता था या फिर अकेले आना पड़ता था। मेरी कुछ लड़को से भी दोस्ती हो गयी थी। उनमे से प्रकाश से सबसे ज्यादा बातें होती थी। प्रकाश आईएएस की तैयारी कर रहा था। वो अक्सर जल्दी आ जाता और मेरे आसपास घूमता रहता। एक दिन नंबर माँगा तो मैंने दे दिया क्योंकि मुझे भी वो अच्छा लगता था। प्रकाश मेरे घर के पास ही रहता था। कुछ दिनों बाद उसने मूवी देखने को पूछा तो मैंने हाँ कर दिया। फिर मैंने जीन्स टॉप पहने और मज़े से उसकी बाइक पर बैठ कर मूवी देखने गयी, पूरी मूवी में हम दोनों हाथ पकड़ कर बैठे थे। वापस आते वक़्त ठण्ड हो गयी थी तो मैंने भी उसे कस कर पकड़ लिया। धीरे धीरे हम रोज़ ही ऑफिस के बाद मिलने लगे. पुरे ऑफिस में अब सबको पता था की मैं उसकी गर्ल फ्रेंड हूँ. मुझे भी बहुत मज़ा आता था इन सब में. वो मेरी हर छोटी चीज़ का ध्यान रखता था। गिफ्ट और चॉक्लेट्स तो रोज़ ही मिलती थी / वैलेंटाइन डे पर उसने मुझे प्रोपोज़ किया तो मैं तो पानी पानी हो गयी। लेकिन मैं उसे धोखा नहीं देना चाहती थी इसलिए सोचा की जल्दी उसे अपने बारे में सब बता दूंगी।
होली आ गयी थी।
सब लोग अपने घर चले गए थे. बस मैं अकेले ही थी पीजी में. प्रकाश का भी एग्जाम था
तो वो रुक था। संडे का दिन था तो उसने मुझे बुला लिया की। मैंने बोला था की खाना
बना दूंगी और वो बस पढाई करे। मैं नाहा धो कर उसके रूम चली गयी और खाना बनाया। वो
एक दो बार आया तो मैंने उसे वापस पढ़ने भेज दिया। उस समय यूँ लगा की मैं हमेशा उसके
लिया खाना बनाऊं और उसकी बीवी बन कर रहूँ। मैं ये सोच रही थी की उसने आकर मुझे
पीछे से पकड़ लिया। उसकी बाँहों में आकर मुझे लगा की मेरी दुनिया पूरी हो गयी है.
वो 6 फुट २ इंच लंबा था और मैं 5 फुट 5 इंच में लगभग उसमे समां जाती थी। वो कहने लगा की एग्जाम होते ही घर जाकर हमारी
शादी की बात करेगा. ये सुन कर मैं रोने लगी। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था की क्या
करूँ। एक तरफ ये ख़ुशी थी की शादी होगी और दूसरी तरह ये डर की अगर प्रकाश सच जान
गया तो क्या होगा। वो मुझे पक्का छोड़ देगा। मैं कभी एक पूर्ण स्त्री नहीं बन सकती।
मैं प्रकाश को धोखा देकर भी उसके साथ नहीं रह सकती। ये सब सोच कर मेरे आंसू धिरे
ही जा रहे थे. प्रकाश ने बहुत कोशिश की समझने की पर मैं रोई ही जा रही थे। मैं कुछ
देर बाद घर आ गयी और उससे बोला की एग्जाम पर ध्यान दे उसके बाद बात करेंगे। करीब
एक महीने बाद जब एग्जाम ख़त्म हुए तो प्रकाश फिर आया। मैंने अब तक सब सोच लिया था।
मैं अपने होने वाले पति से कुछ भी छुपा कर नहीं जी पाऊँगी। मैं उसे लेकर एक मंदिर
गयी और उसे एक चिट्ठी दी जिस पर सब लिखा था। वो पढ़ते ही प्रकाश का चेहरा लाल हो
गया। उसने मुझे एक थप्पड़ मारा और चला गया। मैं तैयार होकर आयी थी इन सब के लिये
लेकिन निकल ही आये। वही हुआ जिसका डर था। प्रकाश चला गया, रात को उसने गाली भरे मैसेज किये, मुझे हिजड़ा किन्नर और न
जजने क्या क्या बोला। मुझे वो सब पढ़ के गुस्सा नहीं आया। मैंने सोचा की शायद यही
मेरी किस्मत है। उसके बाद प्रकाश अपने घर चला गया और मेरी ज़िन्दगी भी नार्मल चलने
लगी।
दो महीने बाद
किसी से पता चला की प्रकाश अब अफसर बन गया है। मुझे ख़ुशी हुई की उसकी लाइफ बन गयी।
धीरे धीरे मैं भी उसे भूल गयी। मेरी कुछ और लड़को से बातें भी होने लगी करीब 6 महीने बाद एक दिन मैं ऑफिस में किसी को कुछ समझ रही थी की अचानक मुझे प्रकाश
दिखा , वो सूट पहन कर आया था और बहुत स्मार्ट लग रहा था। उसके साथ
में एक औरत भी थी जो शायद उसकी माँ थी। वो दोनों मेरी तरफ ही आ रहे थे। प्रकाश
मेरे पास आया और अपनी माँ से बोला " माँ यही वो अंजू है , मैं बस इसी से शादी करूँगा " मैं एकदम दंग रह गयी की ये क्या हो रहा है।
इससे पहले की मैं कुछ समझ पाती की क्या हो रहा है , उसकी माँ बोलीं की "
अंजू बेटा, प्रकाश ने मुझे सब बता दिया है। अब तुम अनाथ
नहीं हो, आज से तुम मेरी बेटी हो " ये कहकर वो मुझसे लिपट गयी।
बोलीं की प्रकाश जबसे लौट है तुम्हारी ही बात करता है। कितने अच्छे रिश्ते यूँही
ठुकरा दिए इसने , अब तुम्हे देख कर मैं समझ गयी सब। हम तुम्हे
लेकर के कल ही आगरा चलेंगे और अगले हफ्ते ही तुम्हारी शादी करवा देंगे। मैं एकदम
सन्न रह गयी की ये हो क्या रहा है। एक हफ्ते में शादी। मैंने प्रकाश को देखा तो वो
हंस रहा था। उसकी हँसी भी कुछ अलग थी , एक क्रूरता थी उसमे। इसके
बाद उसने बोला की कल रात 8 बजे की ट्रैन है।रेडी रहना हम लोग तुम्हे पिक
कर लेंगे। फिर वो चला गया। पूरा ऑफिस मुझे बधाई देने में लग गया। मैं फिर घर चली
गयी और प्रकाश को कॉल किया की ये सब क्या है , एक बार मुझसे पूछ तो लेते
की मेरी क्या मर्ज़ी है , एक हफ्ते में शादी - ये क्या मज़ाक है। जवाब में
वो हांसे लगा और बोला की जब तुमने मुझे इतना बड़ा धोका दिया और अब मुझसे शराफत की
उम्मीद कर रही हो , मेरी लाइफ बर्बाद कर दी तुमने , मैंने जिस लड़की को इतना प्यार किया वो लड़की ही नहीं थी. . इसके बाद भी मैं
तुझसे शादी कर रहा हूँ ये काम है क्या " इस पर मैंने बोला की मैं हमेशा से एक
लड़की थी , बस शरीर कुछ अलग था जो मैंने अपने दम पर सही
करवाया। एक पैसा किसी का एहसान नहीं लिया कभी। इसपर वो बोला " अब तू मेरी ही
रहेगी हमेशा , मैंने ऑफिस में बोल दिया हैं की तू रिजाइन कर
रही है , और अगर तूने भागने या न जाने की कोशिश की तो तेरी सच्चाई
सबके सामने होगी , किन्नर लोगो में दे दूंगा तुझे। इसलिए चुपचाप
तैयार हो जा। काम शाम को आता हूँ मैं" ये कहकर उसने फोन रख दिया। मैंने
दोबारा मिलाया तो ऑफ आया। मैं लगातार रोई जा रही थी , कुछ समझ नहीं आ रहा था। अगर भाग गयी तो इतने पैसे नहीं हैं की ज्यादा दिन तक
खा सकूँ। और अगर यहाँ रही तो ये लोग मुझे ज़रूर भगा देंगे। मेरे पास और कोई रास्ता
नहीं था। प्रकाश का ये रूप मैंने पहले कभी नहीं देखा था। अगले दिन मैं तैयार थी
प्रकाश की माँ के पैर छुए और गाड़ी में बैठ गयी। उसकी माँ बोल रही थी की प्रकाश
हमारा अकेला लड़का है। तू पुरे घर की मालकिन बनेगी। अब तुझे कभी नौकरी पर जाने की
ज़रूरत नहीं। हमारे घर की बहुये नौकरी नहीं करती। मैं बस सर झुकाये सुन रही थी सब।
उसकी माँ फिर बोलीं की तेरी नाक छिदवानी पड़ेगी क्योंकि हमारे घर की औरतें नाथ पहना
करती हैं शादी में। मैंने जी बोला दिया। मैं किसी तरह खुद को रोने से रोक रही थी।
पहली बार औरत बनने पर पछतावा हो रहा था। अगर मैं मर्द होता तो क्या मजाल की कोई
मुझसे इस तरह जबरदस्ती शादी करता। मैं सोच रही थी की न जाने कितनी लडकिया जिनकी
मर्ज़ी के बिना उनकी शादी होती है यही सब झेलती होंगी। वही प्रकाश आगे बैठ कर हंस
रहा था।
शादी तक मुझे
प्रकाश के मामा के घर रहना था। मैंने मामा मामी के पैर छुए। प्रकाश से बोला गया की
अब वो मुझसे शादी वाली रात को ही मिलेगा। मामा और मामी ने मुझे कोई परेशानी नहीं
होने दी पर कभी मुझे अकेला भी नहीं छोड़ा। अगले दिन सुबह ही मेरे लिए लेहेंगा लिया
गया और मेरी नाक में छेद किया गया। मामी ने नाक में एक छोटी से नथुनी डाल दी जो
बहुत क्यूट लग रही थी। ३-४ दिन यूँही निकल गए और मेरी मेहँदी की रात आ गयी। मेरे
हाथों और पैरो में मेहँदी लगायी गयी और मैंने डांस भी किया। रात मैं सोच रही थी की
अब यही रहना है तो हंसी ख़ुशी रहते हैं। सारी ज़िन्दगी आराम से पति के पैसो पर ऐश
करना है। ये सब सोच कर मैं खुश हो गयी और सो गयी। अगले दिन उठी तो पुरे घर में चहल
पहल थी , मैं बाथरूम गयी तो और बैठ गयी ,सोचने लगी सुहागरात के बारे में , कैसे आज रात से प्रकाश
रोज़ मुझसे सेक्स करेगा , मेरी मर्ज़ी की कोई कीमत नहीं अब। वो जैसे चाहे
मेरे शरीर का मज़ा लेगा। मेरी आँखें भर गयी ये सब सोच कर। तब तक मामी की आवाज आयी
" अंजू जल्दी बहार तैयार आ एक काम रह गया, मार्किट जाना है "
मैं बहार आयी तो समझ नहीं आ रहा था क्या रह गया। मार्किट में एक लॉन्जरी शॉप पर
रोक मामी ने तो समझ आया , सुहाग रात की शॉपिंग रह गयी है। फिर मामी ने
मुझसे बोला की जा और जो मन करे ले ले , शर्मा मत , एक ही बार आती है ये रात। मैं शरमाते हुए दूकान में गयी और एक लाल सैटिन की
ब्रा और पैंटी ली। फिर एक पर्पल नाइटी भी ली। फिर वहां से हम लोग पार्लर चले गए।
और मैं सजधज के तैयार हुई। एकदम परी लग रही थी मैं , अनुज से अंजू और आज अंजू
से मिसेस अंजू सिंह बन जाउंगी ये कभी नहीं सोचा था। एक सपना सच हो रहा था पर
प्रकाश के बारे में सोच कर डर भी रही थी। फिर हम लोग वापस गयी और मुझे एक कमरे में
बैठा दिया गया और बरात का इंतज़ार हीने लगा।
फोटोग्राफर भी आ
गया था और उसने कई पोज़ में मेरे फोटो खींचे , मैं सब भूल कर उस पल में
खो गयी और उस पल के पुरे मज़े लिए। मेरे बचपन का सपना आज हुआ था , अब कल चाहे जो हो मेरा बीवी बनने का सपना अब हक़ीक़त था। अब मैं किसी की अमानत
थी , किसी की अर्धांगिनी थी। बारात आने पर मेरा जी घबराने लगा , कुछ देर में मामी और मम्मी आ गयीं और मुझे उठाया , मेरे हाथ में वरमाला दी गयी और मैं धीरे धीरे स्टेज की तरफ चलने लगी। मुझे
बहुत शर्म आ रही थी. बीच बीच में नज़र उठती तो सब मुझे ही देख रहे थे , मेरी नथ काफी भारी थी पर उसका एहसास एकदम मुझे औरत होने की याद दिल रहा था।
शायद औरत होने का मतलब ही यही है। छिदे हुए नाक और कानो में झुमके और नाथ , ये सब बेड़ियाँ बंधे रखती हैं नारी को. फिर मेरी नज़र प्रकाश पर गयी , क्रीम रंग की शेरवानी में कहीं का नवाब लग रहा था वो. एक टक मुझे घूर रहा था
की जैसे सबके सामने ही मुझे खा जायेगा। मैंने नज़रें झुक लि और स्टेज पर पहुंची।
मेरे मेहँदी लगे
और चूड़ियों से भरे नाज़ुक हाथ को उसने प्यार से पकड़ा और मुझसे स्टेज पर चढ़ाया। फिर
मैंने उसे देखा तो देखती ही रह गया। मेरा नवाब , उस पुरे शरीर पर आज रात
से बस मेरा हक़ था। फिर हमने वरमाला डाली और स्टेज पर बैठे। सारी रस्मे पूरी हुंई , फेरों के वक़्त मैं फिर रोने लगी तो प्रकाश ने मुझे चुप कराया। उसके मामा ने ही
मेरा कन्यादान किया। फिर उसने मुझे सिन्दूर पहनाया और मंगलसूत्र बांध दिया। अब मैं
मिसेस प्रकाश बन गयी थी। साडी रस्मे ख़त्म हुई तो मेरी विदाई हुई। उस समय माँ की
बहुत याद आयी। काश आज वो यहाँ होतीं और मुझे अपनी बेटी की तरह विदा करती। प्रकाश
ने ममुझे संभाल कर गाड़ी में बैठाया और हम उसके घर पहुंचे। वहां उसकी माँ ने मुझे
उतरा और फिर मुझे हमारे कमरे में ले जाया गया और फूलों की सेज़ पर बैठा दिया गया।
हाथ में दूध का गिलास दिया गया। थोड़ी देर बाद प्रकाश आये और रूम को लॉक किया। फिर
मेरी तरफ आये और मेरा घूंघट उठाया मैंने दूध बढ़ दिया तो उन्होंने अपने हाथों से
पिलाने को कहा। फिर मैं शर्मा गयी तो उन्होंने मेरे हाथ पकड़ दूध पिया. फिर मेरी
मुझे लिटा दिया और मेरे ऊपर ही चढ़ गए। मैं तो एकदम दब गयी उनके नीचे। मेरी नथ और
चूड़िया गड़ने लगी और मेरी आखों में आंसू आ गए। लेकिन इनपर कुछ असर नहीं हुआ और ये
बोले की आज तुझे औरत बनाता हूँ अच्छे से. फिर इन्होंने मेरा ब्लाउज उतरा और ब्रा
के ऊपर से ही मेरे स्तन को मसलने लगे , फिर मेरा लेहेंगा उतार
फेंक और मेरी पंतय नीचे कर दी. फिर मेरी योनि पर किस्स करने लगे. मेरी तो आहें
निकल रही थी ये बोले की बहुत शौक है न औरत बनने का, अब देख मैं कैसे तुझे रोज़
औरत बनाऊंगा। फिर इन्होंने अपनी शेरवानी और पायजामा उतरा। अंडरवियर निकल तो इनका
कम से कम 8 इंच लंबा मोटा लंड दिखा। मेरी तो जान निकल गयी।
इतना बड़ा तो मेरा कोई डिलडो नहीं था। फिर इन्होंने सीधा वो मेरे अंदर डाल दिया।
मेरी जान निकल गयी। फिर इन्होंने उसे अंदर बहार करना शुरू किया। ऐसा लग रहा था मनो
कोई गर्म रोड दाल दे रहा हो। मुझे बहुत दर्द हो रहा था और खून भी निकल रहा था। ये
बोले की चल अब सब तो ये समझेंगे की तू कुंवारी थी। इन्होंने स्पीड बढ़ दी और मुझे
तो लग रहा था कोई मुझे दो हिस्सो में काट रहा है। इन्हें मेरे दर्द और आंसू से कोई
मतलब नहीं था और ये पूरा मज़ा ले रहे थे। मेरे पुरे सीने लिंक लव बाइट से भर गए थे।
मेरे स्तन पूरे लाल हो गए थे. मुझे अभी बिलकुल मज़ा नहीं आ रहआ था। ये बोले की यहीं
तेरा लैंड रहा होगा न जहाँ आज 8
इंच तक मेरा लंड घुस है।
मैंने बोला की मैं एक औरत हूँ बस और तुम्हारी बीवी भी , थोड़ा तो रहम करो प्लीज। पर ये नहीं रुके और 10 मिनट तक लगे रहे। मेरे
जीवन का पहला सेक्स एक बलात्कार था। इन्होंने ने दो तीन बार ऐसे ही किया और सो गए
और मैं साड़ी रात रोटी रही। मैं पूरी रात पछताती रही अपने औरत बनने पर, अपने इन ब्रैस्ट पर, इस चूत पर , इन मेहँदी लगी हाथो पर, हर चीज़ देख कर मुझे नफरत हो रही थी। औरत बनने के बाद पहली बार मुझे लगा की इस
औरत के शरीर के मैं शायद आज भी एक मर्द हूँ जो यहाँ कैद है।
अगले दिन सुबह
उठी तो ये सो रहे थे। मैं बाथरूम गयी और शावर के नीचे बैठ गयी। पुरे शरीर जल रहा
था , हर जगह घाव और छिलने के निशाँ थे। मैंने अपने पुरे शरीर को
अच्छे से साफ़ किया और बहार आयी। फिर एक पिंक रंग की साड़ी निकली और मैचिंग चूड़ियां
पहनी और मेकअप करके तैयार हुई। फिर सिन्दूर लगाया और मंगलसूत्र पहना. चाहे जो भी
हो अब यही जीवन है। मैं भाग कर कहीं नहीं जा सकती। बाकि लडकिया तो अपने माँ बाप के
घर जा भी सकती हैं पर मुझे तो अब उम्र कैद हो गयी। चाहे वो प्रकाश का बिस्तर हो या
औरत का ये शरीर , अब इन्ही में रहना है. मैं तैयार हुई ही थी की
प्रकाश उठ गए और मुझे गोद में उठा कर वापस बिस्तर पर फेंक दिया। मैंने बोला की माँ
और पूरा परिवार वेट कर रहा है ,
आज पहला दिन है, जल्दी जाने दो पर ये कहाँ सुनने वालो में से हैं , फिर मेरे कपडे उत्तर दिए और मेरे ब्रैस्ट काटने लगे अपने दांतो से , दर्द हो रहा था पर मज़ा भी आ रहा था , मैंने भी इनकी पैंट
उत्तरी और इनके लंड को मुंह में लेकर एकदम लॉलीपॉप के तरह चाटा , इनको बहुत मज़ा आया. मुझे काफी अजीब लग रहा था पर दोबारा बलात्कार करवाने से
अच्छा था। फिर इन्होंने मेरे मुंह में आ गए और मेरे मुंह बार गया। मैं भाग के
बाथरूम गयी और मुंह धो कर ब्रश किया। ये हँसते हसँते पीछे से आये और बोले की कितनी
बार ब्रश करोगी, आदत डालो जल्दी. फिर जब ये फ्रेश होने गए तो
मैंने जल्दी से मेकअप ठीक किया और बहार आ गया. सब बड़ो का आशीर्वाद लिया और फिर
सबके लिए चाय और पकोड़ी बनाई। फिर सबने काफी तारीफ़ की , शाम को मुंह दिखाई की रस्म हुई और मुझे काफी गहने और ज़ेवर मिले. फिर रात को
दोबारा वही सब हुआ
. मेरा बलात्कार किया गया , आज मैं नहीं रोई। बस जो ये बोले चुपचाप कर दिया। अगले दिन हम हनीमून पर अंदमान निकल गए। होटल मैं चेक इन करते ही इंहोंने सेक्स किया और फिर हम घूमने निकल पड़े। मैंने शॉर्ट्स और एक टॉप डाला और इन्होंने बस एक शॉर्ट्स डाला और हम बीच पर चले गए. वहां पर प्रकाश और बाकि मर्दो को खुली छाती घूमते देख कर एक बार फिर लगा की अब मैं कभी ये सब नहीं कर सकती। अब मुझे हमेशा खुद को ढँक कर रखना है। अगर मैं मर्द होती तो ऐसे ही आराम से घूमती , न की ये ब्रा और उसकी ऊपर टॉप होता. फिर से लगा की अब मैं एक लड़का हूँ जो इस शरीर में कैद है। हनीमून के एक हफ्ते में दिन भर हम घूमते रहते और रात भर ये मेरे साथ हर तरह से सेक्स करते। रात होती ही मैं घबरा जाती थी। कभी कभी थोड़ा मज़ा भी आता था पर ज्यादातार तो दर्द ही होता था।
वापस आकर नार्मल
जीवन शुरू हुआ। ये सुबह ऑफिस जाते और मैं पुरे घर का कहना बनाती, झाड़ू बर्तन करती और सब का ख्याल रखती। रात को फिर वही सब होता। धीरे धीरे मुझे
आदत पड़ गयी इन सब की. अब मज़ा आने लगा था घर के कामों में। मैं खूब जतन से घर के
सारे काम करती और अपने सास ससुर का ख्याल रखती। रात को पति की हो जाती। मेरे सास
ससुर भी मुझसे खुश रहने लगे थे और प्रकाश भी हर छोटे मोठे कामों के लिए मुझे ही
बुलाते रहते थे। ऐसा करते करते एक साल बीत गया. फिर प्रकाश का ट्रांसफर हो गया।
नए शहर आने से
पहले प्रकाश मुझे लेकर दिल्ली आये. यहाँ होटल में आने के बाद मुझे बताया की आज
तुम्हारे ब्रैस्ट इम्प्लांट होने हैं. मुझे तुम्हारे ब्रैस्ट छोटे लगते हैं इसलिए
आज ऑपेरशन करवा के तुम्हे 32F साइज करवा दूंगा। मैं एकदम हक्की बक्की रह गयी.
क्या ये वही प्रकाश है जिससे मैंने कभी प्यार किया था. मेरे ट्रांसजेंडर होने की
कितनी सजा मिलेगी मुझे, क्या मैं पूरी ज़िन्दगी बस एक सेक्स ऑब्जेक्ट ही
रहूंगी प्रकाश के लिए। मैंने कुछ नहीं कहा और चुपचाप आपरेशन करवा लिया. अब सीन
बहुत भरी लगता था और ब्रा के बिना बहुत जल्दी थक जाती थी। एक महीने तक इन्होंने
कुछ नहीं किया और मुझे घर पर रिकवर करने दिया। मैंने नए शहर मैं नया घर बसाया। घर
की हर एक चीज़ अपनी पसंद से ली ,
और अच्छे से सजाया। दिन
भर घर के बारे में ही सोचती थी। एक महीने बाद ये वापस शुरू हो गए। अब तो इन्हें
बहुत मज़ा आता था। सारा दिन मेरे ब्रैस्ट से खेलते रहते थे। मैं भी खुश रहने की
कोशिश करती थी और घर के काम काज में खुद को बिजी रखती थी।
मैं एकदम खो गयी
थी इन सब बातों में की इनके फोन ने मुझे वापस बुलाया. बोले की आधे घंटे में आ
जायेंगे। मैंने सोचा बस आधे घंटे इतने में कैसे तैयार हूँगी, फिर जल्दी जल्दी फाउंडेशन लगाया, काजल , लिपिस्टिक और मेकअप पूरा किया. ब्रा पैंटी पहनी और पेटीकोट पहना , फिर अपना बैकलैस ब्लाउज पेहेन ही रही थी की ये आ गए और इन्होंने ने मेरे हाथों
से ब्लाउज की डोर ले ली और अपने हाथों से ब्लाउज बाँधा। मैं शर्मा रही थी , फिर इन्होंने मुझे घुमाया और किस्स किया। फिर मैंने बोला बताओ क्या नया दिखा
मेरे में आज. ये थोड़ी देर तक देखते रही फिर मेरे कानो को देख कर हांसे दिए। इन्हें
काफी पसंद आये मेरे नए होल्स और बोले की पुरे कान में होल्स करवा लो. मस्त लगोगी.
मैंने बोला जैसी आपकी आज्ञा मेरे पति परमेश्वर और फिर हम दोनों तैयार होकर पार्टी
में गए।
वहां से आकर फिर हम दोनों ने खूब सेक्स किया। हालाँकि मुझे मज़ा नहीं आता ज्यादा पर इनको खुश रखने के लिए नाटक करना पड़ता था। मैं खूब आवाज़ निकलती और पूरी एक्टिंग करती। इन सब से ये खूब खुश रहते हैं और मुझे भी आराम रहता, लेकिन फिर ये मुझे बच्चे के लिए फाॅर्स करने लगे, मैं कहा से बच्चे पैदा करूँ। जब मैं ऐसा बोली तो ये मेरा ऑपरेशन करवाकर मेरे अंदर गर्भाशय डेवेलोप करवा दिए और मेरे साथ हर रोज़ हार्डकोर सेक्स करने लगे। अगले महीने ही मैं गर्भवती हो गयी तो अगले नौ महीने इन्होने मेरा खूब ख्याल रखा।
एक दिन अचानक मेरे पेट में असहनीय दर्द शुरू हो गया
तो पड़ोसन ने इनसे कहा कि लेबर पेन शुरू हो गया है और ये मुझे हॉस्पिटल ले आये।
हॉस्पिटल में मैंने इनकी खूबसूरत सी बेटी को जन्म दिया और जब मैंने अपनी बेटी को
अपना दूध पिलाई तो एहसास हुआ कि माँ होना क्या होता है। मैं बहुत खुश थी कि
आख़िरकार हमारी संतान ने जन्म ले लिया था लेकिन ये खुश नहीं थे। इन्होने मुझसे कहा
कि अगले साल फिर से ट्राय करेंगे बेटे के लिए और हॉस्पिटल से डिस्चार्ज करवा कर घर
ले आये। आज भी समझ नहीं आता की मैं क्या हूँ , एक औरत या एक मर्द। लेकिन
ये औरत का जीवन अब मेरा जीवन है। मेरी दुनिया मेरे पति और बेटी है और बस यही मेरी
कहानी है।
super stroy
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