मैं आज अपने कमरे में बैठा सोच रहा था कि मेरी जिंदगी ने मेरे साथ ऐसा मजाक क्यूं किया।
ये मजाक ही था कि एक अच्छाखासा मर्द होने के बावजूद मेरे अंदर लड़कियों वाली फीलिंग्स कुछ ज्यादा ही बड़ गई थी। सब कुछ था मेरे पास। लेकिन कोई गर्लफ्रेंड नहीं थी। इसका मुख्य कारण ये था कि मैं एक क्रॉस ड्रेसर था,जो खुद ही लड़की बनना चाहता था। मेरी परेशानी भी यही थी। दिन भर एक ही धुन सवार रहती थी। क्रॉस ड्रेस करना।
लाकडाउन शुरू हो गया था। भैया अपने एक क्लाइंट के घर रुक गए थे। अब उनका आना काफी दिनों तक टल गया था।
अब घर में मैं और भाभी बस दो लोग ही रह रहे थे।
कभी कभी जब मेरे अंदर की लड़की बाहर आने की कोशिश करती थी तो मेरे लिए बड़ी मुश्किल हो जाती थी। अभी तक चोरी छिपे क्रॉस ड्रेसिंग करता था, भाभी को पता ही नहीं था। लेकिन अब स्थिति ये थी कि मन मार कर बाथरूम में घुस कर अपने निपल्स को दबाकर संतुष्टी पा लेता था।
मेरे निपल्स भी बेहद सेंसेटिव हो चुके थे। जरा सा दबाऊं तो सारे बदन में करेंट सा दौड़ जाता था। मेरी इच्छा होती कि ब्रा और पैंटी पहनकर रहूं लेकिन ये संभव नहीं था। मेरा मेल पार्ट भी इतना विकसित नहीं था। शायद इसी वजह से लड़कियों से कतराता था। मैं उनके साथ असहज सा महसूस करता था।
एक दिन मैं बाथरूम में अपने को शांत करने की कोशिश कर रहा था, मेरा हाथ मेरे निपल्स पर था और आंखे बंद करके एक असीम आनन्द ले रहा था तभी भाभी ने देख लिया।
“चंदन क्या कर रहे हो ये?” भाभी बोली।
मैं हड़बड़ाया तुरंत अपना हाथ सीने से हटाया।
“कुछ…कुछ नहीं..भाभी!!” मेरे मुंह से बस इतना ही निकला।
“अच्छा, चलो नहा कर मेरे कमरे में आओ।” भाभी बोली।
मैं सोचने लगा कि अब क्या होगा ? कुछ भी कहने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था। मन में तमाम खयाल आ रहे थे।मैंने अपने कपड़े पहने और उनके कमरे में पंहुचा।
“चंदन यहां बैठो।” उन्होंने मुझे बेड पर बैठने को कहा।
“अभी कुछ देर पहले क्या कर रहे थे“???”
मैं सर झुकाकर बैठा रहा।
“अच्छा ये बता, ये सब कब से कर रहे हो?” भाभी ने मेरा हाथ पकड़ कर पूछा।
“दो तीन साल से ” मैंने बताया।
“अच्छा, तुमको कैसा लगता है,ये सब करके?” उन्होंने फिर पूछा।
“भाभी बस मन करता है कि आपकी तरह लड़की बन जाऊं और अपने बदन से खेलता रहूं।” मैंने जो मन में आया कह दिया।
“अच्छा, इसका मतलब तुमने मेरे कपड़े भी पहने है?”
भाभी ने मुस्कराते हुए पूछा।
“जी..जी..हां भाभी!” मैंने भी धीरे से कहा।
भाभी सुन कर मुस्कराई, फिर बोली, “तुम मुझे भी तो बता सकते थे, मैं क्या मना कर देती ?”
“नहीं वो बात नहीं थी।” मैंने कहा।
“तो क्या थी?” वो बोली।
“कहीं…आप मेरे बारे मैं उल्टा सीधा ना सोंचे, कि मैं कहीं ऐसा वैसा तो नहीं हूं ।” मैंने अपनी शंका बताई।
“अच्छा, सब जाने दो। अब बताओ कि मेरी ननद बनोगे?”
भाभी ने अचानक से पूछा।
“क्यूं नहीं भाभी?” मैंने खुश होकर कहा।
“ठीक है, जाओ जाकर अपने बदन से सारे बाल साफ़ करो। ये मेरी क्रीम लेजाओ। इसे लगाकर आधे घण्टे बाद धो लेना।“
भाभी ने एक क्रीम मेरे हाथों में देते हुए कहा।
आधे घंटे बाद जब मैं बाथरूम से बाहर आया तो मेरा बदन एक दम मुलायम हो गया था और पूरे बदन से गुलाब की महक आ रही थी। अब भाभी ने मुझे अपने कमरे में बुलाया।
“अच्छा ये बताओ कि कौन सी ब्रा और पैंटी पहनी है तुमने?”
“भाभी वो..आपकी ही थीं।” मैंने धीरे से कहा।
“अच्छा, मतलब मेरे ही कपड़ों में छापा मार डाला?”
भाभी हंस रही थी।
“कोई बात नहीं,अब ये लो मेरी तरफ से गिफ्ट!”
उन्होंने एक ब्लैक कलर की ब्रा पैंटी मुझे पकड़ाई। जिसे मैंने तुरंत पहन लि। मेरे गोरे बदन पर एक दम मस्त लग रही थी।
“अब क्या पहनोगे? साड़ी या घाघरा?”
“अं.. साड़ी चलेगी भाभी।“। मैंने थोड़ा सा सोचते हुए कहा।
“ठीक है, लेकिन ब्लाउज देखना पड़ेगा। तुम पर फिट आएगा या नहीं।” भाभी मेरे सीने और हाथों को देखते हुए बोली। वैसे मैं कोई हट्टा कट्टा नौजवान नहीं था, मेरा बदन पतला दुबला ही था। लड़की बनने के शौक मैं अपने बदन को भी नाज़ुक बना लिया था। ब्लाउज भी फिट आया। अब उन्होंने एक ब्लैक साड़ी जिसपर फ्लॉवर्स का प्रिंट था, अपनी अलमारी से निकाली। अब उन्होंने साड़ी बांधना शुरू किया।
“आज मैं सिखा रही हूं लेकिन आगे से खुद ही बांधना सीखो।” वो आंखें नचाते हुए बोली।
“ओके मेरी प्यारी भाभी जी” अब मैं भी मस्ती में आ गया।
अब भाभी क्या जानती थी कि मैं काफी पहले ही इस काम में एक्सपर्ट हो गया हूं।
साड़ी पहनने के बाद उन्होंने कुछ चूड़ियां मेरे हाथों में पहना दी। वैसे भी हम दोनों की कलाइयां भी एक जैसी थीं। अब मेरे चेहरे का नंबर आया। पहले फाउंडेशन फिर पाउडर, ब्लश, मस्कारा सब कुछ लगाया और बाद में लक्मे की मेट ब्राउन लिपस्टिक। आंखों में काजल लगा कर मेरा चेहरा दमक उठा। अब मेरी उंगलियों के नेल्स के लिए आर्टिफिशियल नेल्स लगा कर उनको लिपस्टिक की मैचिंग से पेंट कर दिया। नेल पेंट सूखने तक मैं बिना हरकत के बेड पर एक कोने में बैठा रहा। कानो के लिए क्लिप इयररिंग्स की भी व्यवस्था कर दी गई थी।
“देखो जब तक तुम्हारे कानो की पियर्सिंग नहीं होती तब तक इन्हीं से काम चलाओ।” भाभी ने कहा, “चलो अब थोड़ा सा चल कर दिखाओ,पता तो चले कि मेरी ननद कैसे चलती है।” भाभी ने कहा।
अब भाभी भी संतुष्ट थी। उन्होंने पूछा, ” ननद रानी सजने संवरने के अलावा कोई और काम भी आता है या नहीं?”
“मतलब! भाभी आप क्या पूछना चाहती हो?”
मैंने आश्चर्य से पूछा।
“अरे, कुछ घर के काम भी आने चाहिए वरना ससुराल वाले क्या कहेंगे कि लड़की को तो कुछ आता ही नहीं है।“
भाभी ने इतना कह कर मेरे गाल नोच लिए।
“आउच! भाभी क्या करती हो, इन्होंने आप का क्या बिगाड़ा है?” मैंने अपने गाल सहलाते हुए कहा।
“चलो अब किचेन में, तुम्हारी ट्रेनिंग यहीं से शुरू होगी।“
वो मुझे किचेन में ले कर जाने लगी।
“अरे बब्बा चलती हूं, ऐसे धक्का तो मत मारो। पहली बार साड़ी पहनी है, आदत नहीं है मुझे तेज चलने की।” मैंने हंसते हुए कहा।
“सब हो जाएगा, अब रोज पहनना, मेरी तरह आदत पड़ जाएगी।” भाभी ने कहा। और फिर किचन मैं उन्होंने मेरे सामने सब्जी की ट्रे रख दी।
“चलो आज सब्जी काटना शुरू करो, लेकिन ध्यान रहे काम सही होना चाहिए। वरना..!”
“क्या वरना?” मैंने भी अपने हाथों को कमर पर रख कर
कहा। जिसे देख भाभी हंसने लगी।
सब्जी काटने के बाद मैं जब उनको धोने के लिए सिंक की ओर जा रहा था तब मैंने अपना पल्लू कमर मैं लपेट लिया। अब चलने मैं भी कोई दिक्कत नहीं हो रही थी।
“आज मैं तुमको पहले सब्जी बनना सिखाऊंगी।” भाभी बोली।
वो एक मसाले के बारे में बताती जा रही थी और मैं सब देख कर सीख भी रहा था। करीब घंटे भर में खाना तैयार हो गया। फिर मैंने किचेन की सफाई भी कर दी और हम दोनों खाना लेकर डायनिंग टेबल पर पहुंच गए।
खाना खाते समय मुझे समस्या हो रही थी क्यूं की लिपस्टिक की वजह से खाना बड़े धीरे धीरे खाना पड़ रहा था। खाना खत्म होने के बाद मैंने झूठे बर्तन भी धो दिए।
“अरे वाह! हमारी ननद रानी एक दम हाउस वाइफ बन गई।“
भाभी ने फिर मेरे गाल खींच दिए।
“भाभी!! प्लीज! ये मत किया करो ।” मैंने रोनी सूरत बना कर कहा।
“अच्छा! फिर ये टमाटर जैसे गाल किस काम के है?” भाभी हस्ते हुए बोली।
अब हम दोनों ड्राइंग रूम में आ गए। टीवी ऑन कर दिया। पहले एक सीरियल देखा। फिर भाभी मुझको अपने कॉलेज के किस्से बताने लगी।
“भाभी आपने किसी से लव किया था?” मैंने पूछा।
” अरे, पूरा कॉलेज मेरा दीवाना था। लेकिन मैं सिर्फ तुम्हारे भैया की दीवानी थी।” वो हंसते हुए बोली।
“वाओ!! भैया इतने हैंडसम थे क्या?” मैंने आश्चर्य से पूछा।
“अरे यार, बस पूछ मत। जब भी इनको देखती मेरी सांसे रुक जाती थी।” उन्होंने एक लम्बी सांस लेकर कहा।
“अब तुम बताओ, तुम्हे कौन पसंद है। कोई लड़का या लड़की..?” उन्होंने पूछा।
“नहीं भाभी, मुझे लड़कों में कोई दिलचस्पी नहीं है। मुझे उनसे नफ़रत है, हां लड़कियां अच्छी लगती हैं।” मैंने बताया।
“अरे तो लड़की ही पसंद कर लेती।” वो बोली।
“भाभी, लड़कियों को देख कर वो फीलिंग्स नहीं आती जो आनी चाहिए।” मैंने धीरे से कहा।
“मतलब??”
“मैं अपने आप को उनमें से एक फील करता हूं!” मैंने बताया। भाभी भी आश्चर्यचकित होकर मेरी ओर देख रही थी।
“भाभी मुझे उनकी तरह रहना,पहनना ,संजना संवारना अच्छा लगता है। मैं ऐसी लड़की चाहता हूं जो मेरी इच्छा को पूरी कर सके ।” मैंने उनको बताया, “बेटा,ऐसी लड़की मिलना मुश्किल है, पर नामुमकिन भी नहीं है!” भाभी कुछ सोचते हुए बोली।
दोपहर से शाम तक हम दोनों बातें ही करते रहे। अब हम दोनों ने ही साड़ी उतार कर मैक्सी पहन रखी थी। बड़ा आराम मिल रहा था। बेड पर लेट कर हम दोनों की बातें चल रही थीं। मैंने भाभी की गोद में अपना सर रखा हुआ था। किसी तरह की सेक्स कि फीलिंग नहीं थी हम दोनों में। वो अपनी उंगलियों को मेरे बालों में प्यार से सहला रही थी।
शाम को सात बजे मेरी आंख खुली, मैंने देखा कि भाभी का हाथ मेरे सीने पर रखा था। मैंने अपना हाथ उनके हाथ पर रख दिया। मेरी कलाइयां जो चूड़ियों की वजह से बेहद खूबसूरत लग रही थी, भाभी की कलाइयों से एक दम मैच कर रही थीं।
” भाभी उठो,दीपक जलाने का समय हो चुका है।” मैंने उनको उठाया।
“अं.. एक काम करो चांदनी, आज तुम ही पूजा कर लो।“
भाभी ने कहा।
मैंने सोचा चलो ये भी कर लेते हैं। बस मैंने अपने हाथ मुंह धोकर शीशे के सामने अपने आप को ठीक किया। शीशे में एक सुंदर सी लड़की को पहचान नहीं पाया। बेहद खूबसूरत हाथों चूड़ियां, होठों पर लिपस्टिक और चेहरे पर मुस्कान।
मैंने मंदिर में जाकर एक दीपक जलाया लेकिन उससे पहले अपने सिर पर एक चुनरी डाली क्यूं कि मैंने अक्सर भाभी को ऐसा करते देखा था।
रात के खाने की भी तैयारी हम दोनों ने मिल कर की। भाभी ने मुझे बुलाया और कहा, “चांदनी तुम एक काम करो। मैं पूरी बेल देती हूं तुम केवल घी में तल दो। हां जरा संभाल के हाथ मत जला लेना।“
खाना खाने के बाद सफाई वगैरह करके हम दोनों बेड रूम मैं आ गए। रात भी हो चुकी थी। बातें करते करते कब नींद आ गई पता ही न चला। एक ही बेड, दो जवान बदन फिर भी सेक्स जैसी चीज का नामो निशान तक नहीं। कब भाभी के आंचल में नींद आ गई पता ही न चला।
अगला दिन भी ट्रेनिंग में निकल गया। अब मुझे रोटियां बेलना भी सिखा दिया गया। भाभी धीरे धीरे मेरे अंदर एक सम्पूर्ण औरत को जगा रही थी। हर दिन कुछ न कुछ नया सीखने को मिलता रहा था। चूंकि मेरी क्रॉस ड्रेसिंग बिना रुकावट के चल रही थी, इस लिए मन में कोई तनाव जैसी बात नहीं थी।
फिर एक दिन__
“अरे चांदनी,तुम्हारे भैया ने एक लड़की की फोटो भेजी है, जरा देखना।” भाभी ने अपना फोन मुझे दिखाते हुए कहा।
“भाभी!! आप भी न, मुझे नहीं करनी शादी वादी।” मैंने बुरा सा मुंह बनाते हुए कहा।
“अरे पागल शादी तो करनी ही है, फिर देरी क्यूं?” भाभी बोली।
“आप नहीं समझोगी।” मैंने बात टालते हुए कहा।
“ठीक है फिर में तुम्हारे भैया को मना कर देती हूं।“
भाभी मायूस हो कर बोली।
“अरे मेरी प्यारी भाभी, बुरा मत मानो यार। चलो मैं शादी के लिए तैयार हूं, पर ऐसे रूठा मत करो।“
मैंने उनको गले लगा कर कहा। गले लगाने में उनके स्तन मेरे बनावटी स्तनों से जैसे ही स्पर्श हुए मुझे एक अजीब सी गुदगुदी महसूस हुई।
“पागल,मैं तेरी दुश्मन नहीं हूं, तेरी बगैर मर्जी के कैसे तेरी शादी करवा सकती हूं? तू तो मेरी जान है।“
भाभी की आंखों में आसूं आ गए।
“भाभी तुम कितनी अच्छी हो?” मैंने भी भरे गले से कहा।
मेरी जिंदगी बस चल रही थी। जिस एज पर लड़के लड़कियों के पीछे पागल होते हैं वहीं मैं लड़की जैसा बनना चाहता था। हां ये बात भी थी कि मुझे लड़कों मैं कोई रुचि नहीं थी।
एक अमीर परिवार का सदस्य होने के कारण नौकरी जैसी कोई चिंता नहीं थी। इसी लिए घर रह कर अपना शौक पूरे कर लेता था। बाहर की दुनिया मुझे बेहद नापसंद थी। एक्सरसाइज का जुनून था लेकिन वो भी घर तक सीमित था। एरोबिक नेट से देख कर करता था, मेरे शरीर को देख कर भाभी भी आश्चर्य करती।
“अगर ऐसे ही नाज़ुक बने रहोगे तो अपनी बीबी को कैसे कंट्रोल करोगे?” भाभी भी कभी कभी छेड़ देती।
“नो वे भाभी डियर! मुझे नहीं चाहिए कोई बीबी।” मेरा अक्सर यही जबाव होता।
“ओह! तो फिर किसी लड़के का इंतजाम करना होगा तुम्हारे लिए।” भाभी छेड़ देती।
ऐसे ही छेड़ छाड़ में दिन गुजर रहे थे। एक महीना हो चुका था लोखड़ौन को। भैया के फोन आते रहते थे। मेरे बारे में हमेशा पूछते रहते थे। अब उनको क्या पता था कि उनका भाई अब क्या बनता जा रहा है।
हमारे फ्लैट के नीचे वाले फ्लोर पर एक सिन्हा फैमिली भी रहती थी। उस परिवार में एक लड़की जो मेरे से एक साल छोटी थी, हमारे यहां अक्सर आती रहती थी। सोनाक्षी नाम था उसका। औसत कद काठी की सुंदर सी लड़की थी वो। शायद अपनी पढ़ाई पूरी करके सर्विस की तलाश में जुटी थी।
भाभी के साथ वो अक्सर मार्केट जाती रहती थी। एक दिन वो घर आई।
“भाभी चंदन कहां है?” उसने पूछा।
“होगा कमरे में।” भाभी ने जवाब दिया।
मैं उस समय बेड पर लेटा हुआ क्रासड्रेसिंग टेल्स पर स्टोरी पड़ रहा था। मुझे पता भी नही चला कि कोई कमरे में आ गया है।
“अरे, चंदन मेरा एक काम कर दो।” उसने आते ही कहा।
“क्या..?” मैंने हड़बड़ाकर पूछा।
“यार, मेरा बायोडाटा तैयार करवा दो।” वो बोली।
“अच्छा,जाओ जाकर अपने पेपर्स ले आओ।” मैंने अपना मोबाइल एक तरफ रखते हुए कहा।
“थैंक्स,” इतना कह कर उसने मुझे किस कर लिया।
“अरे, ये क्या करती हो?” मैंने अपने गाल सहलाते हुए कहा।
“बेबी, अकेला थैंक्स अच्छा नहीं लग रहा था।” उसने आंख मारते हुए कहा। और वो कमरे से बाहर निकल गई।
तभी भाभी का कमरे में आना हुआ।
“क्यूं देवर जी, सोनाक्षी को क्या दे दिया जो इतने खुश होकर गई थी।” भाभी आंखे नचाते हुए बोली।
“भाभी आप भी ना, कभी भी शुरू हो जाती हो।” मैंने कहा।
“अच्छा एक बात बताओ? सोनाक्षी कैसी लगी?”
“मतलब??” मैंने आश्चर्य से पूछा।
“अरे तुम्हारे लिए ठीक है कि नहीं?” वो बोली।
मैं चुप रहा।
” ओके मत बताओ। लगता है सब्जी जल गई।” इतना कहकर वह कमरे से बाहर निकल गई।
अब मैं क्या बताता की सब्जी नहीं बल्कि मेरी आत्मा ही जल गई सोनाक्षी को देख कर। बार बार मुझे उसका चेहरा याद आ रहा था। उसके कपड़े,उसकी कलाइयां जिनमें चूड़ियां डली हुई थी, उसके पॉलिश से दमकते नेल्स सब देख कर मैं सोचने लगा। ‘काश मैं भी उसकी तरह बन जाऊं?’
मेरे मन में अब लड़की वाली फीलिंग आने लगी। तभी मेरी सोच को उसने झिझोड दिया।
” ये लो ,अभी तैयार के दो, तब तक मैं भाभी से मिल कर आती हूं।” वो मुझे एक फोल्डर दे के बोली।
अब मैंने अपना लैपटॉप निकाला और उसका काम शुरू कर दिया। करीब एक घंटे में सारा काम हो गया। मैं आंखे बंद करके बैठ था। तभी मेरे कानो में चूड़ियों की खनक सुनाई दी।
“क्या बात है, इतने में थक गए।” वो हाथ नचाते हुए बोली।
“न.. नहीं.. बस थोड़ा थक गया था।” मैंने बिना उसकी तरफ देखे बोल दिया।
“खाना वाना ढंग से खाया करो, एक दम लड़की जैसे हो गए हो।” वो हंसते हुए बोली।
” खाता तो हूं।” मैंने नजर झुकाकर कहा।
” बाल इतने लंबे कर लिए हैं, लाओ चोटी कर दूं।” वो हंसने लगी।
“ये ठीक रहेगा,वैसे भी ये घर पर ही रहता है। कोई देख भी नहीं पाएगा।” भाभी ने तभी वाहा आकर हां में हां मिलाई।
सोनाक्षी के जाने के बाद मैं थोड़ा अपसेट सा हो गया।
अब हर रोज सोनाक्षी किसी न किसी बहाने से घर आ जाती। फिर वो और भाभी दोनों मुझे खूब छेड़ती। धीरे धीरे अब मुझे सोनाक्षी से बातें करने का कॉन्फिडेंस आने लगा। वो भी अब मेरे साथ खुल गई थी।
“सोनाक्षी मैं कुछ कहना चाहता हूं?” एक दिन मैंने कहा।
“बोलो क्या कहना है?” वो प्यार से बोली।
“सोनाक्षी, मैं..मैं.!!!” बस इतना मेरे मुंह से निकला।
“क्या? आगे तो बोलो।” उसने कहा।
“ये कि मैं एक क्रॉस ड्रेसर हूं।” इतना कहकर मैं चुप हो गया।
एक मिनट तक सब शांत हो गया। सोनाक्षी के चेहरे का रंग उड़ गया। लेकिन वो भी एक समझदार लड़की थी। उसने मेरा हाथ पकड़ कर पूछा, “कब से ये के रहे हो?”
“काफी दिनों से।” मैंने सर झुकाकर कहा।
“भाभी को पता है?” उसने पूछा।
“हां, वो मेरे बारे में सब जानती हैं।“
“अब तक किसके कपड़े पहने है?” उसने पूछा।
“ज्यादातर भाभी के।” मैंने धीरे से कहा।
“अच्छा, मैं कैसी लगी तुमको?” उसने पूछा।
“बहुत ही खूबसूरत ” मैंने जवाब दिया।
“कभी मेरे साथ भी ये सब करके देखो, बड़ा मज़ा आएगा।” अचानक से को बोली।
मैं मुंह फाड़ कर उसको देखता रह गया और सोचता रहा। क्या लड़की है ये..!
“अच्छा मैं चलती हूं, लेकिन मेरी बात पर गौर जरूर करना।“
इतना कह कर वो मेरे पास आई और दोनों हाथों से मेरे सर को पकड़ा और किस करके चली गई। मैं हथप्रभ सा रह गया। दोनों हाथों से अपना सिर थाम लिया।
“क्या बात है, ऐसे परेशान क्यूं हो?” भाभी ने चिंतित होकर पूछा।
“कुछ नहीं भाभी। बस एक कप काफ़ी पिला दो।” मैंने मुस्कराने की कोशिश करते हुए कहा।
सोनाक्षी की खूबसूरती से मेरा मन बार बार भटक रहा था। इस फीलिंग में प्यार उतना नहीं था। लेकिन मुझे लग रहा था कि मेरी समस्या का समाधान सोनाक्षी से हो सकता है। भाभी के बाद ये ही लड़की थी जिससे मैं अपने मन की बात कह सकता था। मेरी क्रॉस ड्रेसिंग घर में चालू थी। एक दिन जब मैं भाभी के साथ उनकी ननद बन कर गप्पे लगा रहा था तब मैंने उनका एक पटियाली सूट पहन रखा था। मेरे हाथों में पंजाबी लड़कियों की तरह ढेर सारी चूड़ियां डली हुई थीं। और उस दिन मैंने दुपट्टा भी डाला हुआ था। मैंने अचानक भाभी से कहा, “भाभी एक बात कहूं?”
वो मेरी तरफ देख कर बोली ” कहो,क्या कहना है?”
“आज…आप.. सोनाक्षी को भी बुला लो ” मैंने जैसे तैसे कह दिया।
“क्या???,पागल हो गई हो। वो क्या सोचेगी?” भाभी ने थोड़े सख्त होकर कहा।
“उसको सब पता है।” मैंने सर झुकाकर कहा।
“कब, कैसे पता चला?” उन्होंने आश्चर्य से पूछा।
“मैंने बताया।“
“है भगवान! फिर क्या कहा उसने?” भाभी ने पूछा।
“कुछ नहीं, बस बोली कि एक बार मेरे सामने भी करो।” मैंने बताया।
“तब तो ठीक है, ले अभी बुलाती हूं।” भाभी खुश होकर बोली।
वो सोनाक्षी को बुलाने चली गई, इधर मैंने भी अपने चेहरे को दुरुस्त कर लिया। दुपट्टे को पंजाबी लड़कियों की तरह सिर पर ले लिया। मन में एक हलचल सी हो रही थी। न जाने क्या सोचेगी वो? जब मुझे इस रूप में देखेगी। कहीं मज़ाक तो नहीं बनाएगी मेरा ? मन में हजारों तरह के विचार आ रहे थे।
लेकिन ये भी पता था कि कुछ भी नहीं होगा। तभी दरवाजे पर भाभी और सोनाक्षी दोनों आ गए। मेरा दिल जोर से धड़कने लगा।
“अरे, चांदनी देखो कौन आया है?” भाभी ने वहीं से आवाज़ लगाई। में बेड पर नजर झुकाकर बैठा रहा।
“ओहो, बड़ी शर्मीली है आपकी ननद?” सोनाक्षी मेरे पास आकर बोली।
“अरे,अब हमसे क्या शर्माना, मैंने ही तुमको कहा था क्रॉस ड्रेसिंग के लिए।” सोनाक्षी ने मेरा दुपट्टा उठाते हुए कहा।
“बताओ, कैसी लगी हमारी चांदनी?” भाभी मेरे पास बैठ कर बोली।
“भाभी एकदम मस्त है!” उसने कहा।
“एक बात बताओ चंदन तुमको चांदनी बन कर कैसा लगता है?” सोनाक्षी ने मेरा हाथ पकड़ कर पूछा।
“सच बताऊं तो ये लगता है कि में हमेशा चांदनी बन कर रहुं” मैंने बताया।
“पर शादी के बाद अगर तुम्हारी पत्नी को ये पसंद नहीं हुआ तब तुम क्या करोगे?” सोनाक्षी ने मुझे कुरेदा।
“सोनाक्षी, इसीलिए मैं शादी नहीं करना चाहता।” मैंने बताया।
“अगर सोनाक्षी तुम हां करदो तो मेरे देवर की जिंदगी बदल जाएगी। तुमसे बेहतर पत्नी इसको मिल नहीं सकती। और तुम इसकी इच्छा को भी पूरी कर दिया करोगी। क्या कहती हो?”भाभी ने सोनाक्षी को समझाया।
“भाभी, मुझे पता है कि चंदन एक बेस्ट पति भी साबित हो सकता है, मुझे अच्छा भी लगता है, लेकिन??”
सोनाक्षी इतना कह कर चुप हो गई।
“लेकिन क्या?” भाभी ने उसकी तरफ देख कर कहा।
“चलो छोड़ो, फिर कभी। ” उसने बात टाल दी।
उस दिन हम सब लोगों ने बड़े मज़े किए। हम तीनों ने मिलकर खाना बनाया, भाभी ने किचेन पूरा का पूरा मेरे हवाले कर दिया था। और वो और सोनाक्षी दोनों मिलकर मुझे सारे समय छेड़ती रहीं।
“क्यूं पूरी बेलना जानती हो?” सोनाक्षी ने मुझसे पूछा।
“अरे, इसको सब आता है। आखिर ससुराल जाएगी तो वहां कुछ करेगी या नहीं।” भाभी बोली।
मुझे इन दोनों की बातें सुन कर बड़ी शर्म आ रही थी।
खाना बनाने के बाद मैंने किचेन कि सफाई की और फिर हम सब ने मिलकर खाना खाया।
करीब एक घंटे बाद सोनाक्षी चली गई। हम दोनों काफी देर तक बातें करते रहे ।
एक बात मैंने गौर की, अब सोनाक्षी के सामने मैं जरा भी असहज फील नहीं करता था। शायद इसका कारण उसकी बिना कहे मदद भी हो सकती है।
धीरे धीरे सोनाक्षी मेरे लिए मेकअप का सामान भी लाने लगी। अब उन लोगो के लिए मैं एक मेकअप मॉडल हो गया था जिस पर उनके एक्सपेरिमेंट्स होते रहते थे।
एक और बात को मैंने गौर किया वो ये थी कि जब मैं भाभी के साथ रहता तब मेरे अंग में कोई उत्तेजना नहीं होती, लेकिन सोनाक्षी के सामने मेरा अंग एक दम कड़क हो जाता था जिसके लिए मुझे बाथरूम में जाकर अपने आप को शांत करना पड़ता था। भाभी भी इसे गौर कर रही थी। लेकिन मेरे अंदर सजने संवरने की ललक कम होने के बजाए बड़ रही थी। मेरी जो फैंटेसी थी, वो सिर्फ मैं जानता था। एक दिन मैं काम करके सोफे पर आराम फरमा रहा था, लेकिन सोच का गुबार मेरे मन को विचलित कर रहा था। मुझे सोचते देख भाभी ने पूछा,” क्या बात है चांदनी, आज कुछ परेशान सी क्यूं है?”
वो, जब भी मैं क्रॉस ड्रेस होता था मुझे मेरे फेमिनिन नाम से ही बुलाती थी।
“भाभी मेरी एक फैंटेसी है,” मैंने बताया।
“क्या,बता तो सही।” वो प्यार से बोली।
“मैं एक बार दुल्हन बनना चाहता हूं।” मैंने धीरे से कहा।
“अच्छा, मेरी ननद बनके अब दुल्हन भी बनना चाहते हो,फिर कहोगी की सुहागरात भी मानानी है।” वो अब मुझे छेड़ते हुए बोली।
“अच्छा,ये बता किसकी दुल्हन बनेंगी?” वो आगे बोली।
“सोनाक्षी की!!” मैंने शरमाते हुए कहा।
“है भगवान! मतलब ये कि उसका लहंगा तुम पहनोगी?” भाभी ने हंसते हुए बोला।
“भाभी, लहंगा मेरी सबसे प्यारी ड्रेस है। इसके लिए मैं कुछ भी कर सकती हूं।” मैंने भी लड़कियों की तरह इठलाते हुए कहा।
“ठीक है, सोनाक्षी से बात करके देखती हूं।” भाभी ने मेरे गाल खींच कर कहा।
“उई!भाभी!!क्या करती हो??” मैंने बनावटी गुस्से से कहा।
“हा हा हा, मैंने किया तो गुस्सा और वो खींचती तो कुछ नहीं कहती,क्यूं ?” भाभी हंसने लगी।
खैर अब स्थिति सामान्य होने लगी थी। और एक दिन भैया भी घर वापस आ गए। भाभी उनको देख कर बहुत खुश थी।अब होती क्यूं नहीं, आखिर दो महीने के बाद दोनों मिले थे। एक दिन भाभी भैया से बोली,” सुनते हो,अपना चंदन अब बड़ा हो गया है, कोई लड़की देखो और मेरे लिए एक देवरानी ले आओ।“
“अच्छा, लेकिन एक बात बताओ मैंने तुमको एक फोटो भेजा था, उस लड़की के बारे में क्या खयाल है?” भैया ने पूछा।
“वो इसको पसंद नहीं है। वैसे एक बात बताऊं?” भाभी ने कहा।
“बोलो “
“हमारे चंदन ने एक लड़की पसंद कर ली है।” भाभी ने बताया।
“ओह! कौन है वो?”
“अपने नीचे वाले फ्लोर के सिन्हा जी हैं, उनकी लड़की सोनाक्षी।” भाभी बोली।
“अच्छा,शायद वो जॉब भी करती है?” भैया ने पूछा।
“हां,इसी महीने जॉब लगी है।“
“क्या सिन्हा जी राजी होंगे?” भैया ने पूछा।
“उनकी लड़की सर्विस वाली और हमारा चंदन कुछ नहीं करता है, क्या उन्हें पसंद होगा?” भैया आगे बोले।
“अरे, तुम बात तो करो तुम भी कह देना कि चंदन मेरे साथ बिजनेस पर बैठता है।” भाभी ने आइडिया दिया।
जैसी उम्मीद थी वैसा ही हुआ। सिन्हा फैमिली को ये रिश्ता मंजूर हो गया। इसका एक कारण ये भी था कि हमारा बिजनेस बैकग्राउंड बेहद मजबूत था। शादी की तारीख दो महीने बाद रखी गई। अब हमारे यहां शादी की शॉपिंग शुरू हुई। एक महीने तक भाभी ने मुझे घनचक्कर बना दिया। कभी लहंगा का कलर पसंद नहीं तो कभी साड़ियों की मैचिंग नहीं हो पा रही थी। मेरी हालत उस समय खराब हो जाती जब मुझे सोनाक्षी के लिए साड़ी,सूट,लहंगा पसंद करना होता। पर खुशी भी हो रही थी कि में भी इन सब कपड़ों को पहन सकूंगा। भाभी ने भी खूब मज़ा लिया मेरे साथ। घर में साड़ी,चूड़ी, आभूषण का भंडार लग गया।
भैया ने मेरे लिए घर से दूर एक फ्लैट ले लिया। जहां मुझे शादी के बाद शिफ्ट होना था। भैया भाभी दोनों इस बात से दुखी भी थे लेकिन वो मुझको मजबूत बनाना चाहते थे। वैसे घर से एक घंटे की दूरी पर ये फ्लैट था। इस लिए ये कोई बड़ी डील नहीं थी।
शादी वाले दिन एक अजीब सी गुदगुदी हो रही थी मेरे अंदर।
सोनाक्षी बेहद खूबसूरत लग रही थी। मरून लहंगा चोली में उसका बदन दमक रहा था। दोनों हाथों में चूड़ियां,मेहंदी लगे हाथ,लम्बे नेल्स उस पर मैचिंग नेल पेंट गजब का लग रहा था। मरून लिपस्टिक,आंखों में काजल और गाल ब्लश कर रहे थे। कुलमिलाकर अप्सरा लग रही थी।
सारी रस्में होते होते रात कब गुजर गई ,पता ही न चला।
सुबह दस बजे मैं सोनाक्षी को खुद कार ड्राइव करके अपने नए फ्लैट मैं ले जा रहा था।
आज सोनाक्षी कुछ खामोश सी लग रही थी। शायद अपने परिवार से अलग होने की पीड़ा महसूस कर रही थी ।
“सोनाक्षी, कैसा लग रहा है?” मैंने चुप्पी तोड़ी।
“अं.. ठीक लग रहा है।” उसने कहा।
“तुम बताओ, खुश हो अब तो?” उसने मुस्करा कर पूछ।
“बहुत, इतना कि कह नहीं सकता।” मैंने जवाब दिया।
“ठीक है, लेकिन एक बात याद रखना।” वो बोली।
“कौन सी बात?” मैंने आश्चर्य से पूछा।
“देखो, ये लहंगा मैं आज के बाद नहीं पहनूंगी।” वो बोली।
“कोई बात नहीं, साड़ी पहन लेना।” मैंने भी मुस्कराते हुए कहा।
“जी नहीं,अब ये लहंगा,साड़ी सब तुम पहनोगे।” उसने मस्ती से कहा।
“मैं क्यूं पहनूंगा? मैंने बनावटी गुस्से से पूछा।
“क्यूं की मैं एक सर्विस वुमन हूं, मैं तो कंफर्ट वाले कपड़े पहनूंगी। तुम एक हाउस हसबैंड हो,साड़ी, सूट,मैक्सी,गाउन तुम पर ही जचेंगे।” वो मस्त होकर बोली।
“अच्छा मेरे पतिदेव!” मैंने भी मस्ती से कहा।
“जी हां मेरी चांदनी, अब तुम्हारी हर फैंटेसी को में पूरा करूंगी।” वो बड़े प्यार से बोली।
“थैंक्यू, माई लव!” मेरे मुंह से बस इतना निकला।
“आज रात को अच्छी तरह से वैक्सिंग करना,”
“क्यूं” मैंने पूछा।
“क्यूं, दुल्हन नहीं बनना?” उसने मेरी आंखों में देखते हुए पूछा।
“हां, ये मेरी जिंदगी का सबसे यादगार दिन होगा।” मेरी आंखें गीली हो गई।
“दिन नहीं, बल्कि रात होगी। तुम्हारी सुहागरात लेकिन इस रात को तुम दुल्हन और मैं दूल्हा बनूंगी।” उसने मुझे किस कर लिया।
हमारी कार धीरे धीरे आगे बढ़ रही थी। हम दोनों एक नए जीवन की तरफ जा रहे थे। वो जीवन जिसको मैंने सिर्फ एक सपना समझा, लेकिन मेरी जान से प्यारी मेरी भाभी और मेरी जान सोनाक्षी की कोशिशों से आज मेरा सपना भी पूरा होने जा रहा है।
भगवान से मेरी यही प्रार्थना है कि मेरी तरह मेरी हर बहन की इच्छा पूरी हो।
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