रूपेश की माँ विक्की के पास आकर बैठ गई और उसका घूँघट उठाकर पूछा, "तू तो पहले से बड़ी सुंदर हो गयी है, हमने तो सोचा था कि तुम हमारे घर के दामाद बनो, रुचिका को भी तुम बहुत पसंद हो। लेकिन अब तुम औरत बन गयी हो तो हमारे घर की बहू बन जाओ क्योंकि रूपेश भी तुम्हे बहुत पसंद करता है। तुम और रूपेश शादी कर लो, फिर रुचिका के हसबैंड बनने के बजाए उसकी भाभी बन जाना। वैसे अभी भी तुम्हारा नाम विक्की ही है या कुछ और नाम रख लिया औरत बनने के बाद?"
"मेरा नाम विक्की ही है आंटी", विक्की ने उन्हें जवाब देते हुए कहा।
"कुछ भी कहिए, आपका बेटा औरत बनने के बाद सच मे बहुत सुंदर हो गयी है और इसकी आवाज़ तो इससे भी ज्यादा मीठी है। वैसे तो हम सबने पहले भी विक्की को देखा है। लेकिन तब विक्की आपका बेटा था और तब लड़को की तरह शैतानियों में मशगूल रहता था। लेकिन अब तो विक्की बहुत ही सुंदर, सुशील और आज्ञाकारी स्त्री की भांति हमारे सामने बैठी है। हमे तो आपकी बेटी बेहद पसंद है और हमारा बेटा तो पहले से ही विक्की को बहुत पसंद करता है। मैं चाहती हूं कि आपकी बिटिया और मेरा बेटा एक बार बैठकर इस बारे में बात कर ले", रूपेश की
माँ विक्की की माँ से बोली।
"नेकी और पूछ पूछ, क्यों नही। दोनों जवान हैं, और हमउम्र भी है। इन्हें आपस मे बात करने देता हैं और हम चलते हैं", ऐसा बोल कर विक्की की माँ और उनके साथ सभी लोग उठकर वहां से चले गये।
विक्की आज एक संस्कारी और आज्ञाकारी स्त्री की भांति घूँघट में खुद को समेट और रूपेश विक्की को निहारे जा रहा था। दोनों काफी देर तक कर चुपचाप बैठे रहे।
फिर रूपेश ने चुप्पी तोड़ी और बोला, "विक्की, मुझे पता है कि तुम्हारे मन मे क्या चल रहा है। मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ, और तुमसे शादी करना चाहता हूं।"
"रूपेश तुम्हे पता है ना कि मैं पहले खुद मर्द था, मेरी एक गर्लफ्रैंड भी थी। तुम ऐसे इंसान से क्यों शादी करना चाहते हो जो प्राकृतिक रूप से स्त्री नही है। मैं ने कृत्रिम पद्धति के द्वारा इस स्त्री रूप को पाया है। एक नेचुरल स्त्री के जैसा सुख तुम मुझसे एक्सपेस्ट नही कर सकते।", विक्की बोला।
"मुझे इस बात से कोई फर्क नही पड़ता कि तुम पहले मर्द थे और जेंडर चेंज करवाकर औरत बनी हो। मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं और तुम्हे दुनिया भर की खुशियां लेकर दूंगा। मुझे पता है कि आज भी तुम अंदर से एक मर्द ही हो लेकिन यकीन मानो। मैं तुम्हे तन और मन दोनों से स्त्री बना दूंगा। तुम मुझे हर वो सुख दे सकती हो जो मैं अपनी दुल्हन से एक्सपेस्ट करता हूँ। तुम बस इस शादी के लिए हां कर दो विक्की, तुम्हे मुझसे ज्यादा प्यार इस जहां में कोई भी नही कर सकता", रूपेश बोला।
"ठीक है रूपेश, मैं तुम्हारे साथ शादी करने को तैयार हूं, लेकिन मुझसे कोई एक्सपेक्टेशन मत रखना", विक्की बोला।
"ठीक है विक्की, लेकिन तुम मुझसे वो सब एक्सपेक्ट कर सकती हो जो एक पत्नी अपने पति से रखती है", रूपेश बोला।
थोड़ी देर में ही वहां सभी आ गए। रूपेश ने सभी को बताया कि विक्की उसकी दुल्हन बनने को तैयार है। रूपेश के मा बाप बहुत खुश हुए। फिर रुपेश की माँ ने विक्की के नाक से नथ निकाल दिया और एक बड़ा सा हैवी नथ पहना दिया और साथ ही सोने के दो कंगन भी पहनाए। वो नथ बहुत हैवी था और विक्की को बहुत चुभ भी रहा था लेकिन वो उसे तबतक नही ऊतार सकता था जब तक कि उसे कहा ना जाये। फिर रूपेश के माँ ने विक्की की माँ से कहा कि आज ही सगाई करवा दी जाए दोनों की और 1 हफ्ते बाद शादी कर देते हैं। विक्की की माँ को उनका ये प्रस्ताव पसन्द आया और उन्होंने हाँ कर दिया। थोड़े देर में ही रूपेश और विक्की के उँगली के हिसाब से अंगूठी भी आ गया। सुनीता, बबिता, रवीना अपने अपने पतियों के साथ वहां आ गयी और साथ ही राज भी अपनी पत्नी करिश्मा और उसके भाई मुन्ना के साथ वहां पहुच गए। सगाई की रस्में शुरू की गई। इधर पंडित जी ने पहले एक पूजा का आयोजन किया। रूपेश और विक्की को एक साथ बिठाया गया। रूपेश सिर उठाये बैठा था, वहीं दूसरी ओर विक्की घूँघट में सिर झुकाए बैठा था और, अपने नथ को बार बार एडजस्ट कर रहा था।
"करिश्मा, देखो आज तुम्हारे बॉयफ्रेंड की सगाई हो रही है, वो भी एक मर्द के साथ। कितने सेक्सी लग रहे है दोनों ना", राज ने करिश्मा से कहा।
"हां राज, सच मे दोनों की जोड़ी सच मे बहुत सेक्सी है। जितना स्मार्ट रूपेश है, उससे कही ज्यादा सेक्सी तो मेरा बॉयफ्रेंड दुल्हन के जोड़े में लग रहा है", करिश्मा हँसते हुए बोली।
"बात तो एकदम सही है तुम्हारा। लेकिन तुम्हे भी तो पता है ना कि रूपेश के घर मे विक्की को हमेशा ऐसे ही नाक में नथ पहनकर, घूँघट में अपनी बाकी की जिंदगी गुजारनी है", राज बोला।
"हाँजी, इतना कठिन लाइफस्टाइल मुझसे तो बिल्कुल मेन्टेन नही होता। पता नही मेरा बॉयफ्रेंड एक मर्द की दुल्हन बनकर नाक में नथ, चोली घाघरा, लहँगा, साड़ी पहने, घूँघट में अपने सिर को छुपाये कैसे जिंदगी बिताएगा। मुझसे तो ना हो पायेगा", करिश्मा बोली।
"हाहाहाहा, चलो इंगेजमेंट एन्जॉय करते हैं", राज ने करिश्मा से कहा।
थोड़ी ही देर में सगाई का कार्यक्रम शुरू हुआ। रूपेश और विक्की को आमने सामने बिठाया गया। पहले विक्की ने रूपेश को अंगूठी पहनाई। फिर रूपेश ने विक्की को अंगूठी पहना दिया। उसके बाद तालियों की गड़गड़ाहट से हॉल गूंज उठा। रिश्तेदार आये, दोनों को आशीर्वाद दिया। महिलाएं विक्की के पास और पुरुषों ने रूपेश के पास खड़े होकर एक एक करके फोटोज क्लिक करवाये और दोनों को आशीर्वाद दिया। सुनीता, बबिता, रवीना, राज और करिश्मा ने खूब एन्जॉय किया। फिर शाम होने के बाद शादी का दिन तय होने के बाद रूपेश अपने परिजनों के वहाँ से चले गए। फिर करिश्मा और राज ने भी विदा लिया और वहां से चले गए। सुनीता, बबिता और रवीना, विक्की के शादी तक वहीं रुकने का फैसला किया। सभी के जाने के बाद सुनीता, बबिता और रवीना तीनो ने विक्की को खूब छेड़ा। विक्की और रूपेश अब एक दूसरे के हो चुके थे। एक हफ्ते बाद विक्की की शादी एक मर्द से होने जा रही थी। विक्की के मन के भीतर बैठा उसका मर्द रूप उसे बार बार ताने दे रहा था। जब भी विक्की आईने के सामने खड़ा होता, दूसरी तरफ उसका मर्द रूप दिखता।
"क्यों विक्की, कैसा लग रहा है, एक मर्द के साथ सगाई हुई है आज तुम्हारी। एक हफ्ते बाद दुल्हन भी बनने जा रहे हो। मज़ा आ रहा होगा ना तुम्हे", विक्की के मन के भीतर बैठे मर्द ने उससे कहा।
"नही, बिल्कुल भी नही। मैं ऐसा क्यों चाहूंगा और मुझे कोई शौक नही किसी मर्द की दुल्हन बनने में। वो तो दुर्भाग्य है कि आज मेरा शरीर मर्द का नही है। नही तो मैं तो करिश्मा को ही अपनी दुल्हन बनाता", विक्की ने अपने मन के भीतर के मर्द से कहा।
"लेकिन अब तुम औरत हो, क्यों। अब तुम एक मर्द से शादी भी करोगी, सुहागरात मनाओगी, फिर एक सुहागिन औरत की तरह करवाचौथ का व्रत भी रखोगी और तो और अपने पति के बच्चों को जन्म भी दोगी। क्यों दोगी ना रूपेश के बच्चों को जन्म, बनोगी ना रूपेश के बच्चों की माँ", विक्की के मन के भीतर बैठे मर्द ने उससे कहा।
"नही, ऐसा कुछ भी नही होगा। मैं यो सिर्फ रूपेश से शादी करने जा रहा हूँ। और ये सब फालतू बात बन्द करो", विक्की ने अपने मन के भीतर के मर्द से कहा।
"जो तुमने शुरू किया है, उसे मै कैसे बन्द कर दूं। अब 7 दिन बाद रूपेश आएगा, तुम्हे दुल्हन बनाकर अपने साथ ले जाएगा। पूरी जिंदगी नाक में भारी भारी नथ पहनकर, घूँघट में अपनी शक्ल छिपा कर और अपनी सास ससुर और पति की सेवा करो और इस जिंदगी को स्वीकार करो। उनके लिए खाना बनाओ, घरेलू काम करो और भूल जाओ की तुम भी कभी एक मर्द थे", विक्की
के मन के भीतर बैठे मर्द ने उससे कहा।
"नही, मैं ऐसे नही होने दूंगा", विक्की बोला।
"क्या हुआ विक्की, विक्की!!, विक्की उठो!!!, क्या हुआ, ये क्या बड़बड़ा रहे हो", सुनीता वहां आ गयी और बोली।
सुनीता के यूं अचानक जगाने पर विक्की जाग उठा और उसने देखा कि सामने सुनीता दीदी खड़ी थी।
"क्या हुआ विक्की? तुम रो क्यों रहे हो, और क्या बड़बड़ा रहे थे नींद में", सुनीता ने पूछा।
विक्की सुनीता से लिपट कर रोने लगा और बोला, "दीदी मुझे किसी मर्द की दुल्हन नही बनना। मैं ना बाहर देश जाकर अपना सेक्स परिवर्तन करवा लूंगा और फिर से मर्द बन जाऊंगा। आप प्लीज् ये शादी रुकवा दो, मुझे एक मर्द से शादी नही करनी। मैं फिर से मर्द बन जाऊंगा तो मैं किसी लड़की को अपनी दुल्हन बनाऊंगा। फिर जब मेरे बच्चे होंगे तो वो तुम्हे बुआ कहकर पुकारेंगे। लेकिन दीदी प्लीज् कुछ भी करके ये शादी रुकवा दो।"
"विक्की, तुम्हे क्या लगता है, मुझे खुशी हो रही है कि मेरे भाई की सगाई एक मर्द के साथ हुई है आज। और एक हफ्ते बाद वही मर्द मेरे भाई को अपनी दुल्हन बना कर अपने साथ ले जाएगा। मेरे भाई को पूरी जिंदगी घूँघट में अपना चेहरा छुपाये, नाक में इतना हैवी नथ पहने, साड़ी और घाघरा और लहँगा चोली पहन कर मेरे भाई को अपना जिंदगी गुज़रना पड़ेगा। ये सब मुझे बिल्कुल भी अच्छा नही लग रहा। काश तुम ऐसा कुछ कर सकते, लेकिन अब तुम्हारी सगाई एक मर्द के साथ हो चुकी है। मैं तुम्हारा साथ नही दे सकूंगी लेकिन अगर तुम मम्मी पापा को मना लेते हो तो ये संभव है", सुनीता बोली।
"पापा को कैसे मनाऊ, आप चलो ना साथ मेरे। हम दोनों मिल के मनाते हैं", विक्की ने रोते हुए अपनी दीदी से कहा।
"हम्म, चलो। मैं चलती हूँ तुम्हारे साथ", सुनीता बोली।
फिर सुनीता और विक्की दोनों अपने पापा के पास पहुचे।
"पापा", सुनीता की आवाज़ सुनकर उनके पापा ने उनकी ओर देखा।
"हाँजी, बोलो बेटा", उनके पापा बोले।
"पापा, मुझे रूपेश से शादी नही करनी। मैं आज भी अंदर से आपका बेटा ही हूँ। मैं अपना जेंडर चेंज करवा लूंगा और फिर जिस लड़की से आप कहेंगे, उससे शादी कर लूंगा", विक्की बोला।
"तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है विक्की। बकवास मत करो और जाओ अपने कमरे में और शादी की तैयारियां करो। भूलो मत कि एक मर्द ने तुम्हारे साथ सगाई की है। तुम्हारी वजह से पहले ही बहुत कुछ देख चुका हूँ। और सुनीता तुम भी इसका साथ देने आ गयी। विक्की को लेकर जाओ इसके कमरे में और इसकी शादी की तैयारियों में कोई कमी नही होनी चाहिए", उनके पापा ने गुस्से में कहा।
"लेकिन पापा, आप खुद ही सोचो। आपके बेटे को एक मर्द अपनी दुल्हन बनाने जा रहा है। विक्की को पूरी जिंदगी ढेर सारे हैवी गहने, झुमके, और इतना भारी नथ, लहँगा चोली, साड़ी ब्लाउज और पता नही ससुराल में क्या क्या नही करना पड़ेगा। विक्की का जेंडर चेंज करवा देते है, तो विक्की फिर से मर्द बन जाएगा और आपके लिए बहु भी लाएगा। आप खुद ही डिसाइड कीजिये कि विक्की के बच्चे आपको नाना कहकर पुकारेंगे या दादा कहकर", सुनीता ने अपने पापा को समझाते हुए कहा।
"सुनीता, अब मेरी बात को ध्यान से सुनो। डॉक्टरों के हिसाब से विक्की अब मर्द नही बन सकती। दूसरी बात अगर मर्द बन भी गयी तो बाप नही बन सकती। और तीसरी बात, पूरी दुनिया ये जानती है कि विक्की एक सुलझी अभिनेत्रियों में से एक है। विक्की के मर्द बनने भर से इसकी मर्दानगी वापस नही लायी जा सकती है। समझी तुम। विक्की ने रूपेश के साथ सगाई की है तो इसे अब रूपेश की दुल्हन बनकर अपनी बाकी की जिंदगी बितानी है। रही बात काम की तो विक्की के सास ससुर नही चाहते कि विक्की अब ये अभिनेत्री और नचनिया के रोल्स करे। शादी के बाद एक हाउसवाइफ की तरह विक्की अपनी बाकी जिंदगी गुजरेगी। अब मुझे तुम दोनों की कोई बात नही सुननी। अगर आज मेरे बेटे को एक मर्द की दुल्हन बनने की नौबत आई है तो इसका जिम्मेदार भी विक्की ही है। अब जाओ, शादी की तैयारियों में लग जाओ", उनके पापा बोले।
सुनीता और विक्की अपने कमरे में आ गए।
"विक्की, आई एम सॉरी, अब मैं तुम्हारी कोई मदद नही कर सकती। अब तुम्हे रूपेश की दुल्हन बनना पड़ेगा। जिस भाई के लिए मैने इतने सपने संजोए थे। आज वो सारे सपने टूट गए। मैन तो सोचा था कि मेरा भाई मेरे लिए एक सुंदर सी भाभी लेकर आएगा लेकिन मुझे क्या पता था, एक मर्द ही मेरे भाई को अपनी दुल्हन बनाकर अपने घर ले जाएगा। मेरे भाई को एक मर्द से शादी करना पड़ रहा है और मैं कुछ भी नही कर सकती। लेकिन इसके लिए मैं तुम्हे तैयार जरूर कर सकती हूँ, कल से तुम्हे ट्रेनिंग दूंगी की सास, ससुर, पति, देवर, ननद और ससुराल में बड़े बुजुर्गों के सामने एक नई नवेली दुल्हन को कैसे रहना पड़ता है, ताकि मेरे भाई को ससुराल में कोई परेशानी ना हो", सुनीता बोली।
उसके बाद सुनीता वहां से चली गयी और विक्की भी रोते बिलखते अपने नसीब को कोसते हुए सो गया। अगले दिन से सुनीता ने विक्की को एक आदर्श बहु बनने की ट्रेनिंग देने शुरू किया। 5 दिन लगे विक्की को ये सब समझने में, लेकिन उसके मन के भीतर बैठा मर्द रूप इसे स्वीकार करने को तैयार नही था। शादी का दिन भी नजदीक कब आ गया, इसका पता ना तो विक्की को चला और ना ही घर के सदस्यों को। शादी से पहले हल्दी का रस्म किया गया जहां विक्की को टॉवल लपेटकर औरतों के बीच बैठना था। विक्की को हल्दी का उबटन पूरे शरीर पर लगाया गया। विक्की औरतों से घिरा अपनी नज़रों को झुकाए, बैठा था। औरतें एक एक करके आती और विक्की के कोमल शरीर पर हल्दी लगातीं और फिर बैठ जातीं। करिश्मा भी हल्दी के रस्म में आई, विक्की से मिली, उसके शरीर पर हल्दी लगाया और पास में बैठकर उसे देखने लगी। विक्की करिश्मा को देखकर सोच रहा था कि क्या दिन थे और क्या दिन देखना पड़ रहा है। जिस लड़की से वो प्यार करता था, आज वो लड़की किसी और की पत्नी है और लड़का होते हुए भी विक्की को अपना लिंग परिवर्तन करवा कर औरत बनना पड़ा और आज उसे भी एक मर्द से शादी करवाने की तैयारियों में सभी व्यस्त हैं। हल्दी के रस्मो के खत्म होने के बाद संगीत शुरू हुआ। सभी परिवारजन और पड़ोस की महिलाओ ने खूब डांस किया, करिश्मा भी खूब नाची और विक्की को भी खूब नचाया।
रात हुई और जब सभी जाने लगे तब करिश्मा ने विक्की से कहा, " कल तुम्हारी शादी होने जा रही है विक्की और वो भी एक मर्द के साथ। मुझे पता है तुम इतने समझदार तो हो कि तुम्हे पता है कि शादी के बाद तुम्हारे और रूपेश के बीच क्या होगा। लेकिन एक बाद हमेशा याद रखना। जो होता है वो अच्छे के लिए ही होता है।"
"ठीक है करिश्मा", विक्की ने करिश्मा से कहा और उससे विदा लिया।
सभी से विदा लेने के बाद विक्की और उसके परिवारवालों ने कुछ देर बैठकर बातें की। फिर सभी आने अपने कमरे में सोने चले गए। सुनीता विक्की के कमरे में आई तो देखा विक्की आईने के सामने बैठकर आंखों में आंसू लिए अपने नथ को खोलने का कोशिश कर रहा था। सुनीता ने विक्की से कहा कि नथ उतारने की क्या जरूरत है, ये काम तो उसका पति ही करेगा।
"क्या दीदी, कुछ भी। एक तो पता नही किस डिज़ाइन का नथ है ये और इतना भारी भरकम नथ कोई पहनता है भला। ऊपर से कब से कोशिश कर रहा हूँ लेकिन उतरने का नाम ही नही ले रहा है। अब आप ही बताओ दीदी मैं क्या करूँ", विक्की बोला।
"अच्छा तो लग रहा है विक्की। नथ है तो थोड़ा चुभेगा ही ना, और अगर ये इतना भारी भरकम है तो इसमें मैं क्या कर सकती हूँ। मुझे क्या पता था कि मेरे भाई के नसीब में ऐसे ऐसे नथ पहनना, नथ उतारने के बजाए अपने पति से नथ उतरवाना ही लिखा है। ये नथ और इसके जैसे बड़े और भारी भरकम नथ तो तुम्हे तुम्हारे ससुराल में पूरी ज़िंदगी पहननी है। इसकी आदत डाल लो भाई, कल को ससुराल में ये तो पूरी जिंदगी पहनना ही है तुम्हे", सुनीता बोली।
"मुझसे ये सब नही होगा दीदी। ऐसी जिंदगी आप सभी को तो नही जीना पड़ रहा है फिर मुझे ही क्यों। आप सभी तो नही पहनते इतने भारी भरकम नथ फिर मैं क्यों पहनूँ", विक्की बोला।
सुनीता बोली, "हम तीनों बहनों की शादी जहां हुई है वहां फ्रीडम है। और तुम्हारी शादी हिमाचल के ऑर्थोडॉक्स परिवार में हो रही है जहां दुल्हन हो घूँघट में रहना पड़ता है, नाक में इससे भी भारी भरकम नथ पहनना पड़ता है। ससुराल वालों के सामने घूँघट में सिर झुकाए रहना पड़ता है। वहां तो तुम अपना सिर भी ऊपर नही उठा सकते मेरे भाई। जो तुम्हारा पति बोलेगा, वो सब भी करना पड़ेगा। अब बहुत बहस हो चुका, अब एक मर्द मेरे भाई को अपनी दुल्हन बनाएगा ये तो कन्फर्म हो चुका है। आओ मैं तुम्हे मेहंदी लगा दुँ।"
फिर सुनीता ने विक्की के हाथों में और पैरों में घुटनो तक मेहंदी का बेस्ट डिज़ाइन अप्लाई किया। फेसिअल और ब्लीच भी किया और साथ ही आइब्रो भी अच्छे से सेट किया। फिर सुनीता ने विक्की से 4 घंटे तक अपने हाथ और पैरों को सुखाने को बोलकर वहां से चली गयी। 4 घण्टे बाद विक्की वॉशरूम में गया और अपने हाथों और पैरों को अच्छे से धो लिया। मेहंदी का रंग बखूभी चढ़ा था जो विक्की को और भी आकर्षक और मनमोहक बना रहा था।
सुनीता भी जब कमरे में आये तो विक्की की मेहंदी देखकर बोली, "वाओ विक्की, तुम्हारे हाथों और पैरों की मेहंदी बहुत ही डार्क रची है, इसका मतलब रूपेश और तुम्हारे बीच बहुत प्यार रहेगा।"
"क्या दीदी, आप भी कुछ भी मत बोलो", विक्की बोला, लेकिन थोड़ा शर्माते हुए।
"हाये, अब तो लगता है कि मेरा भाई सही मायनों में मेरी बहन बन चुका है। कल दूल्हे राजा हमारे भाई, ओह्ह सॉरी, हमारी फूलो सी बहन को अपनी दुल्हनिया बना कर अपने साथ ले जाएंगे। बुआ ना सही, कम से कम मौसी बनने का ख्वाब तो देख ही सकती हूं, क्यों है ना विक्की", सुनीता ने छेड़ते हुए कहा।
"ऐसी बातें मत करो दीदी, ये शादी सिर्फ एक समझौता है मेरे लिए, इससे ज्यादा कुछ भी नही। मौसी बनने का ख्वाब छोड़ दो दीदी, क्योंकि ऐसा कुछ भी नही होने जा रहा है। मैं ये शादी सिर्फ अपने मम्मी पापा के इज़्ज़त रखने के लिए कर रहा हूँ, अब ऐसी वैसी बातें करना बंद करो दीदी, मुझे बहुत डर लगता है" विक्की बोला।
"क्यों, क्या गलत बोल रही है सुनीता, सही तो कह रही है, हमारी भी तो शादी हुई है, हमने तो चुपचाप मम्मी पापा ने जहां कहा वहां शादी कर ली। इसमें डरने की क्या बात है, दुल्हन बन कर हर लड़की खुश होती है, उसके सपनो का राजकुमार उसे डोली में बिठाकर अपने साथ ले जाये। भले हमारी दुल्हनिया पहले खुद राजकुमार रही हो लेकिन अब तो राजकुमारी ही है ना। अब राजकुमारी होने का मतलब यही हुआ ना कि राजकुमार ही तुम्हे लेने आएगा, और स्त्रियों की लाइफ बहुत अच्छी होती है, ससुराल में रूपेश तुम्हे बहुत खुश रखेगा, समझी", रूपा भाभी बोली जो अचानक से वहां आ गयी।
"जी भाभी", विक्की बोला।
"चलो अब सो जाओ दोनों, काफी रात हो गयी है। सुबह जल्दी उठ जाना", रूपा भाभी बोल कर वहां से चली गयी।
सुनीता दीदी भी वहां से चली गयी। इधर जैसे जैसे सुबह हो रहा था, विक्की की धड़कन बढ़ती जा रही थी, उसे यकीन नही हो रहा था कि थोड़े ही समय मे एक मर्द उसे अपनी दुल्हन बनाकर अपने घर ले जाएगा। विक्की का तन और मन के बीच जो जंग चल रहा था वो सिर्फ विक्की ही जानता था। सुबह कब हो गया इसका पता भी नही चला। विक्की समय को रोक देना चाहता था लेकिन समय के आगे सब को झुकना पड़ता है। सुबह में विक्की को उबटन लगाकर नहाने को कहा गया। मेकअप करवाने के स्पेशलिस्ट ब्यूटिशियन को बुलवाया गया था। ब्यूटिशियन ने विक्की से कपड़े उतार देने को कहा। विक्की ने कपड़े उतार दिए, तब कमरे में सिर्फ ब्यूटीशियन और विक्की ही थे। अब विक्की सिर्फ ब्रा और पैंटी में था और उसके आकर्षक कर्व्स देखकर ब्यूटीशियन की आंखें भी खुली की खुली रह गयी।
"वाओ विक्की मैम, आपका फिगर तो बिल्कुल सनी लियोनी जैसा है। बुरा मत मानियेगा लेकिन सच मे आप बेहद आकर्षक हो", ब्यूटीशियन विक्की की तारीफ करते हुए बोली।
"थैंक्स", विक्की ने स्माइल देते हुए कहा।
कभी विक्की की तुलना जस्टिन बीबर से होती थी और आज उसकी तुलना सनी लियोनी के साथ कि जा रही है। पहले सभी सर बोलते थे अब सब मैडम बोलते हैं। खैर उस ब्यूटीशियन को ये कहाँ पता था कि जिस विक्की मैडम को दुल्हन की तरह सजाने के लिए वो आयी है, वो खुद कभी एक मर्द हुआ करता था। फिर ब्लीच, फेसिअल, फाउंडेशन और बेसिक मेकअप के बाद ब्यूटीशियन ने विक्की की आखों में काजल लगाया, आई लैशेज को सेट किया, आई ब्रोज़ को छोटी चमकीली बिन्दियों से सजाया, मिडिल में एक बड़ा बिंदी सेट किया और आखिर में होंठों पर वाटरप्रूफ लाल रंग का ग्लॉसी अप्लाई किया। मेकअप के बाद तो विक्की का चेहरा बिल्कुल ही बदल सा गया, ऐसा लग रहा था मानो स्वर्ग की अप्सरा हो। अब ब्यूटीशियन ने विक्की को लाल रंग का हैवी कढ़ाईदार लहँगा पहनाया जो कि काफी बड़ा था। ब्यूटीशियन ने नाभि के नीचे लहँगा पहनाया था। फिर ब्यूटीशियन ने विक्की के कहा कि वो ब्रा उतार दे।
विक्की ने पूछा, "क्यों, ब्रा क्यों उतारना, कोई दूसरा ब्रा है क्या?"
ब्यूटीशियन बोली, "नही मैडम, आपकी मम्मी ने कहा है कि आपको बिना ब्रा वाली चोली पहनाई जाए, अब क्यों कहा ये तो मैं नही जानती।"
फिर विक्की ने अपना ब्रा उतार दिया और अपने दोनों हाथों से अपने दोनों उरोजों को पकड़कर खड़ा हो गया। फिर ब्यूटीशियन ने विक्की को एक लाल रंग की स्ट्रीचबल और बैकलेस चोली पहनाया। चोली पहनाने के बाद ब्यूटीशियन ने विक्की की चोली में डोरी सेट किया और टाइट कर के बांध दिया। चोली की फिटिंग बहुत अच्छी थी, लेकिन प्रॉब्लम ये था कि विक्की को उसके बूब्स ब्रा के बिना काफी असहज महसूस करवा रहे थे। फिर ब्यूटीशियन ने विक्की को लाल रंग का 4 इंच हील वाला सैंडल पहनाया, जिसके बाद लहँगा का फिटिंग भी ठीक हो गया। ब्यूटीशियन ने विक्की से चलने को कहा। विक्की उठा और 2 कदम चल कर रुक गया।
"क्या हुआ मैडम, आप रुक क्यों गयीं?", ब्यूटीशियन ने पूछा।
"ये चोली थोड़ी असहज है, मेरे बूब्स बहुत हिल रहे हैं। पहले ऐसा नही होता था।", विक्की ने कहा।
"ये चोली की यही खासियत है मैडम, औरतें इसे पहनती ही इसीलिए है ताकि उनके बूब्स आजादी से हरकते कर सकें।", ब्यूटीशियन बोली।
फिर ब्यूटीशियन ने विक्की को मेकअप टेबल पर बिठाया और बालों का सुंदर से जुड़ा बना दिया। जुड़े में चमेली के फूलों को सेट किया। मांग में एक बड़ा सा मांगटीका सेट किया। कानों में दो बड़े बड़े झुमके, गले मे तीन तरह के हैवी, मीडियम और एक छोटा सा हार पहनाया। फिर विक्की के दोनों हाथों में कंगन, चूड़ियाँ पहनाया और हाथ की उंगलियों में पांच रिंग वाला सोने का ब्रेसलेट पहनाया गया। बाहों में बाजूबंद, कमर में कमरबन्द और पैरों में हैवी चांदी की पायल पहनाई गयी। फिर ब्यूटीशियन ने एक बड़ा और हैवी कुमाऊनी नथ विक्की के नाक में डाल दिया और उसके चेन को बालों में फंसा दिया। ये नथ पहले के मुकाबले बड़ा और कुछ ज्यादा ही हैवी था। एक बहुत ही हैवी और लंबी चुनरी से विक्की के नाक तक उसका घूँघट बना दिया। विक्की ने नाखूनों में लाल नेलपॉलिश और पैरों की नाखूनों में डार्क लाल नेलपॉलिश अप्लाई किया और बाहर चली गयी। विक्की चुपचाप, अकेले उस कमरे में घूँघट के अंदर से अपने बूब्स को देख रहा था। विक्की ये सोच रहा था, कि औरत बनने के बाद उसका सबसे डरावना सपना, दुल्हन बनने का, एक मर्द की बीवी बनने का, ये सब सच होने जा रहा था। विक्की अपने डरावने सपने में खोया हुआ था कि तभी वहां करिश्मा की एंट्री हुई।
"दुल्हन तैयार है अपने सजना के लिए", कमरे में आते ही विक्की को पीछे से दोनों हाथों से पकड़ती हुई बोली।
"हम्म, करिश्मा।", विक्की बोला।
"तो बताओ, कैसा लग रहा है दुल्हन को। आज तो ऐसी लग रही हो जैसे कोई अप्सरा शादी करने जा रही हो।", करिश्मा बोली।
"डर लग रहा है यार, मेरी शादी एक औरत से ना होकर एक मर्द से मेरी मर्ज़ी के खिलाफ होने जा रही है, और तुम पूछ रही हो कि कैसे लग रहा है। याद है ना करिश्मा, मैं तुम्हे अपनी बाइक पर पीछे बिठाकर, घूमाने ले जाता था, मूवीज हम साथ देखते थे। सब कुछ अच्छा चल रहा था, लेकिन तभी मेरा एक्सीडेंट हुआ और आज मुझे उसी की वजह से ये सब देखना पड़ रहा है।", विक्की सुबकते हुए बोला।
"डरो मत विक्की, इतना डरने की जरूरत नही है, सभी लड़कियों को शादी से पहले डर लगता है।", करिश्मा बोली।
"मैं सब की तरह नही हूँ करिश्मा, मैं भी पहले एक मर्द था लेकिन फिर औरत बनना पड़ा। और आज एक मर्द मुझे अपनी दुल्हन बनाने जा रहा है।", विक्की बोला।
"वो सब तो सही है विक्की लेकिन आज शादी है और तुम ये सब बातें लेकर बैठी हुई हो। वैसे निहायती खूबसूरत लग रही हो इस लिबास में, तुम्हारा पति तो तुम्हे देख कर पागल हो जाएगा।", करिश्मा बोली।
"ऐसा कुछ नही होगा।", विक्की बोला।
"होगा विक्की, पहले शादी तो हो जाये। बाकी की बातें उसके बाद ही होगी। ये कुछ गिफ्ट्स और एक लेटर है तुम्हारे लिए।", करिश्मा बोली।
"थैंक्स करिश्मा।", विक्की ने कहा और करिश्मा वहां से उठकर चली गयी।
विक्की ने लेटर और गिफ्ट्स एक तरफ रख दिए। शाम के 7 बीज चुके थे, बारात के आने का समय भी हो गया था। विक्की की हर्ट्स बीट्स बढ़ती जा रही थी। थोड़े ही देर में सुनीता, बबिता, और रवीना दीदी और साथ मे रूपा भाभी उस कमरे में आ गईं और विक्की की खूबसूरती की तारीफ होने लगी। विक्की को बहुत ही ज्यादा शर्म आ रहा था इन सब बातों से। रूपा भाभी तो सीधे सुहागरात की बातें करने लगीं। विक्की कुछ बोल नही पा रहा था। तभी धूम धड़ाके की आवाज़ ने सभी को अपनी ओर आकर्षित कर लिया। सिल्वर कलर के शेरवानी में रूपेश बहुत ही स्मार्ट लग रहा था, घोड़ी पर बैठा था। सुनीता, बबिता, रवीना, रूपा भाभी, और करिश्मा विक्की को कमरे में अकेला छोड़कर बारात देखने चली गईं। विक्की घूँघट में सहमा सिकुड़ा शादी के खयालों में खोया हुआ था। उधर विक्की के परिवार वालों ने बारात का स्वागत किया। रूपेश को स्टेज पर ले जाया गया और विक्की की तीनों बहनें और रूपा भाभी उसे स्टेज पर ले जाने के लिए कमरे में आईं, जहां विक्की सहमा सिकुड़ा बैठा था और उसका पूरा बदन कांप रहा था।
"दूल्हे राजा बारात लेकर आ गए हैं विक्की, तुम किन खयालों में डूबी हुई हो विक्की।", रूपा भाभी बोली।
"कुछ नही भाभी, मैने कभी नही सोचा था कि, एक दिन ऐसा भी आएगा जब मुझे एक मर्द से शादी करना पड़ेगा।", विक्की बोला।
"तुम क्या, भला कोई लड़का ये सोच सकता है कि बड़े होकर उसकी शादी एक मर्द से हो और वो दुल्हन बने? लेकिन आज तुम्हे देखकर ये यकीन तो हो ही गया कि जोड़ियां सच में ऊपरवाला ही बनाता है। और तुम्हे शादी के लाल जोड़े में देखकर ये यकीन हो गया कि तुम्हारा जन्म रूपेश की दुल्हन बनने के लिए ही हुआ है। आखिर इतनी सुंदर हो तुम और तराशा हुआ जिस्म है तुम्हारा जो शायद ही किसी औरत को नसीब होता है।", रूपा भाभी बोली।
"तुम दोनों का हो गया हो तो स्टेज पर चलें, दूल्हे राजा बेसब्री से दुल्हनिया का इंतेज़ार कर रहे हैं।", सुनीता बोली।
"हाँजी, मैं भी तो वही कह रही थी विक्की से।", रुपा भाभी बोली।
फिर रूपा भाभी ने विक्की के होंठ तक घूँघट किया। तीनो बहनों और रूपा भाभी ने विक्की को उठाया और स्टेज की तरफ बढ़ने लगीं। विक्की का शरीर कांप रहा था और स्टेज पर रूपेश बड़े ही जोश में अपनी दुल्हन के आने का इंतेज़ार कर रहा था। धीमे धीमे कदमों के साथ दुल्हन यानी कि विक्की स्टेज केई ओर बढ़ रहा था, उसका नथ बार बार उसके होंठो से टकरा रहा था, चोली में बूब्स ऊपर नीचे हो रहा था और आंखों से रुक रुक कर आंसू के बून्द गिर रहे थे। इनसब के साथ विक्की अपनी बहनों और भाभी के साथ स्टेज पर पहुंचा। अभी तक विक्की ने घूँघट किया हुआ था, रूपा भाभी ने घूँघट को ऊंचा किया ताकि विक्की रूपेश को देख सके और जयमाला का रस्म ठीक से हो सके। पहले सुनीता ने विक्की को आरती की थाली देकर रूपेश की आरती उतारने को कहा। विक्की ने रूपेश की आरती उतारी। फिर विक्की और रूपेश को फूलों का हार दिया गया। पहले विक्की से वरमाला पहनने को कहा गया, लेकिन कम हाइट की वजह से और रूपेश के तन के खड़े होने की वजह से विक्की का हाथ रूपेश के कंधों तक ही सीमित रह गया था। तभी वहां संजीत और राज ने उठा लिया। फिर विक्की ने रूपेश को वरमाला पहनाया। फिर रूपेश ने विक्की को आसानी से वरमाला पहना दिया। तालियों की गड़गड़ाहट से स्टेज गूंज उठा। फिर रिश्तेदारों ने विक्की और रूपेश के साथ फोटोज़ क्लिक करवाई और उनदोनो को अपना आशीर्वाद दिया। उसके बाद पहले रूपेश को मंडप पर ले जाया गया और विक्की को उसके कमरे में। ब्यूटिशियन ने फिर विक्की का मेकअप ठीक किया और उससे कहा कि ज्यादा ना रोये, नही तो मेकअप खराब हो जाएगा। फिर विक्की को होंठ तक घूँघट बनाकर मंडप पर ले जाया गया। रूपेश वहां पहले से ही बैठा था, विक्की को ठीक रूपेश के बगल में बिठाया गया। पंडित ने मंत्रोचारण शुरू किया, फिर पहले रूपेश की माँ का भेजा हुआ खानदानी कंगन और बड़ा नथ को पूजा गया। फिर विक्की की माँ ने विक्की के हाथों में वो कंगन पहनाया और पहले वाला नथ उतारकर नया वाला नथ पहनाया। नथ पहले जितना ही था लेकिन पहले वाले नथ से ज्यादा डिज़ाइनर और भारी था, और साथ ही जो जुड़ा हुआ चेन था, वो भी पहले की अपेक्षा ज्यादा भारी था। नथ पहनते वक़्त विक्की को बहुत दर्द हुआ और आंखों के आंसुओ को रोक नही सका। फिर विक्की की माँ ने विक्की के आंसुओं को पोछा और उसे शांत किया। फिर रूपेश ने विक्की के साथ सात फेरे लिए। उसके बाद रूपेश ने विक्की की मांग में सिंदूर भरा और उसके गले मे मंगलसूत्र पहना दिया। फिर कुछ मंत्रोचारण के बाद पंडित जी ने कहा कि अब शादी सम्पन्न हो चुकी है। रूपेश और विक्की अब आप दोनों पति पत्नी हैं, अपने बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद लीजिये। फिर रूपेश और विक्की ने सबसे पहले पंडित जी का आशीर्वाद लिया, फिर अपने अपने माँ बाप का आशीर्वाद लिया। देखते देखते ही विदाई का समय भी आ गया।
विदाई के समय इमोशनल गाने बज रहे थे, "बाबुल की दुआयें लेती जा, जा तुझको सुखी संसार मिले"। ऐसे गाने सुन सुनकर विक्की और भी ज्यादा इमोशनल होने लगा। साथ ही विक्की के परिवार वाले भी इमोशनल होकर माहौल गमगीन कर चुके थे। जैसे जैसे डोली की तरफ विक्की के कदम बढ़ते जा रहे थे, उसके आंसुओं की रफ्तार बढ़ती जा रही थी। डोली से कुछ कदम पहले ही विक्की अपनी माँ से लिपटा जोर जोर से रोने लगा। फिर सुनीता से गले लगकर और भी ज्यादा रोने लगा। वो कहता रहा कि उसे नही जाना, अपने माँ बाप को छोड़ कर, अपना घर छोड़कर, जहां विक्की का बचपन और जवानी मर्द के रूप में बीता आज उसी घर को विक्की दुल्हन बनकर छोड़ कर हमेशा के लिए जा रहा था। विक्की की माँ ने, बहनों ने, भाभी ने और पड़ोस की आंटियो ने, सभी ने आशीर्वाद दिया और उसे समझाया कि लड़कियों को एक न एक दिन अपना घर छोड़ कर अपने ससुराल जाना ही पड़ता है। अपने पति और सास ससुर और ससुराल वालों की सभी बातों को मानना, जो तुम्हर पति कहे वो चुपचाप करना, ज्यादा ना नुकुर मत करना। ससुराल में सभी का खयाल रखना एक अछि बहु की निशानी होती है। ऐसी ऐसी बातें सुनकर विक्की और भी थरथराने लगा। फिर रूपेश ने विक्की को सबके सामने अपनी गोद में उठा लिया और डोली में बिठाया। विक्की अपने दोनों पैरों को सिकोड़कर, घूँघट में अपना सिर झुकाए, रोते बिलखते वहां से विदा हुआ।
कहाडों ने डोली उठाया और आगे आगे कार में रूपेश और रूपा दोनों और पीछे पीछे विक्की डोली में अपने ससुराल की ओर बढ़ने लगे। सुबह के 4 बजे जो डोली उठी वो करीब 10 बजे कुलदेवी की मंदिर में पहुँची। जब रूपेश विक्की को जगाने गया तब विक्की सो चुका था। रूपेश ने विक्की को जगाया तब, विक्की ने अपना घूँघट ठीक किया और उतरने ही वाला था कि रूपा ने उसे रोक दिया।
"रूपेश, ये कुलदेवी का मंदिर है। तुम्हे इतना भी नही पता कि दुल्हन को तुम्हे अपनी गोद मे उठाना है और दर्शन और पूजा करवाने के बाद फिर से गोद मे ही उठा कर ही बाहर आना है।", रूपा बोली।
"ठीक है दीदी", रूपेश बोला।
फिर रूपेश ने विक्की को गोद मे उठाया और डोली से बाहर निकाला। उसके बाद कुलदेवी के दर्शन करने तक विक्की को अपनी गोद मे उठाये रखा। विक्की रूपेश की ताकत से अनभिज्ञ था, उसे नही पता था, कि रूपेश इतना बलिष्ठ है। रूपेश ने विक्की को ऐसे उठा लिया था, जैसे विक्की एक तकिया से भी हल्का हो। कुलदेवी के दर्शन और पूजा के बाद रूपेश ने विक्की को फिर से गोद में उठा लिया। विक्की के हाथों में पूजा की थाली थी और चेहरा घूँघट में छिपा हुआ था, सिर्फ नथ का कुछ भाग जो विक्की के ग्लॉसी होंठों को चूम रहा था। ऐसे में विक्की को समझ मे कुछ भी नही आ रहा था कि ये सब क्या हो रहा था और क्यों! फिर रूपेश ने विक्की को कार में बिठाया और हिमाचल ले गया। कार एक बड़ी सी हवेली के सामने रुकी। विक्की वहां पहले भी गया था, लेकिन तब वो मर्द था और अपने बड़े भाई की शादी में वहां गया था। तब विक्की को ये थोड़ी न पता था कि उसे इसी हवेली में दुल्हन बन कर आना पड़ेगा।
"शादी के बाद दुल्हा, दुलहन दोनों को इन्तजार रहता है सुहागरात का… यह दोनों
के विवाहित जीवन की पहली और सबसे ख़ास रात होती है, जिसके सपने पुरुष और स्त्री
दोनों
बरसों
से देख रहे होते हैं! दोनों अपनी इर रात को यादगार बनाना चाहते हैं, इसके लिए उन्होंने पूरी तैयारी भी की होती है, स्त्री के मन में पहले सेक्स का डर समाया होता है तो रोमांच भी होता है, वहीं पुरुष भी रोमांचित होने के साथ साथ कुछ डरा हुआ होता है की उससे सब कुछ ठीक ठाक हो भी पाएगा या नहीं। विक्की एक ऐसी स्त्री थी, जिसका मन आज भी पुरुष का ही था, और एक पुरुष की दुल्हन बनने के बाद उसे सुहागरात की चिंता सता रही थी।"
हवेली पर, विक्की और रूपेश का गृहप्रवेश करवाया गया। फिर रूपेश के चाचा की सबसे छोटी बेटी जो करीब 16 साल की रही होगी, रुचिका नाम था उसका।
रुचिका विक्की को रूपेश के कमरे में ले गयी और बोली, "विक्की भाभी, ये हमारे रूपेश भैया का कमरा है। और अब से ये कमर आपका भी है। अभी आप थक गए होंगे तो आप थोड़ी देर रेस्ट कर लो, वाशरूम अटैच्ड है इस रूम में, आप फ्रेश भी हो लेना। मैं आधे घंटे में आती हूँ।"
"ठीक है रुचिका", विक्की बोला।
रुचिका के वहाँ से जाने के बाद विक्की ने देखा कि रूपेश का कमरा करीब 1500 स्कवायर फ़ीट में है, चारो तरफ आईने, झूमर, और फूलों से सजा बिस्तर। इतने बड़े कमरे मे विक्की ने पहली बार कदम रखा था। फिर विक्की ने कमरा अंदर से बंद किया, अपने गहने , कपड़े उतारे और वाशरूम में चला गया। नथ उतारने के बाद विक्की को बहुत रिलैक्स फील हुआ। विक्की फ्रेश होकर बाहर आया तभी गेट नोक हुआ। विक्की ने अपना लहँगा पहना, माथे पर चुनरी से घूँघट बनाकर दरवाजा खोला। सामने देखा तो रुचिका खड़ी थी। विक्की को ऐसे देखकर रुचिका ने झटपट अंदर आयी और दरवाजे को अंदर से लॉक किया।
"भाभी, ये क्या। आपने गहने क्यों उतार दिए। ऐसा करना अपशगुन होता है, आपको इतना भी नही पता। माँ को ये पता चलेगा तो बहुत गुस्सा करेगी।", रुचिका बोली।
"सॉरी रुचिका जी, लेकिन मैं फ्रेश होने गयी थी, इसीलिए गहने उतार दिए थे।", विक्की बोला।
"कोई बात नही भाभी, आओ मैं जल्दी से तैयार कर दूं आपको, इससे पहले की माँ आ जाये।", रुचिका बोली।
फिर रुचिका ने विक्की को फिर से दुल्हन के ऑर्नामेंट्स पहनाए, मेकअप किया, पिंक ग्लॉसी लिपस्टिक होंठों पर लगाया ही था कि तभी वहां रूपेश की माँ भी आ गयी। रूपेश की माँ को देखकर विक्की ने झट से अपना घूँघट कर लिया। ना जाने कौन सा डर समाया हुआ था विक्की के जेहन में। शायद औरत होने का एह्साह होने लगा था और दुल्हन होने का भी। रूपेश की माँ को देखकर विक्की खड़ा हो गया।
विक्की की सास बोली, " दुल्हन, आज तुम्हारा पहला दिन है ससुराल में, आओ बहुत से लोग तुमसे मिलने की राह देख रहे हैं।"
"जी माँ जी", और विक्की अपनी सास और ननद के साथ घुंघुट मे चेहरे को छुपाये उनके साथ दूसरे कमरे में पहुंचा। वहां एक भी मर्द नही, सिर्फ लेडीज ही थीं। सबकी नजरें विक्की यानी कि रूपेश की दुल्हन पर थी और विक्की की नजरें झुकी झुकी, शर्मायी हुई और सिर उठाने की हिम्मत भी ना जाने कहाँ खो सी गयी थी। विक्की के शरीर मे एक कंपकम्पी सी थी और आंखें नम। महिलाओं ने विक्की को सोफे पर बिठाया, फिर एक एक करके सभी महिलाओं ने विक्की की नज़र उतारी। एक बोली कि अपना रूपेश कितनी खूबसूरत बहु लाया है, हज़ारों में एक है। दूसरी बोली कि इतनी प्यारी बहु है और सुना है फिल्मों में हीरोइन थी हमारी रूपेश की दुल्हन। तीसरी बोली हां हीरोइन थी लेकिन अब तो दुल्हन इस घर की बहू है, सच मे हूर सी नुमायी खूबसूरती है बहु की। एक बोली कि इतनी छोटी सी और प्यारी सी दुल्हन है हमारे रूपेश की। अब जल्दी से जल्दी इस घर को वारिस भी दे देना दुल्हन। इतनी सारी लेडीज में विक्की कद में सबसे छोटा था और उसे यकीन नही हो रहा था कि मुह दिखाई के साथ साथ सभी उसे ऐसे ऐसे आशिर्वाद दे रहे थे जिससे विक्की का डर बढ़ता जा रहा था।
फिर लेडीज की भीड़ में से एक लड़की वहां आयी और विक्की के कान में कहा, "भाभी, आप तो इतनी खूबसूरत हो, जितनी खूबसूरत इस हवेली के आस पास के 10 गांव में भी नही होगी। वैसे सुना है आपने फिल्मों में भी काम किया है और मैने तो आपका सब्यसाची वाला फोटोशूट्स के फोटोज वाला मैगज़ीन भी खरीद हुआ है। सच मे भाभी आप कमाल की खूबसूरत हो। वैसे कुछ सोच है, रूपेश भैया के साथ आज आपकी सुहागरात है।"
विक्की ये सब सुनकर बहुत ही ज्यादा शर्मिंदा हो रहा था। उस लड़की की बातें सुनकर विक्की ने ना में सिर हिलाया। फिर शाम को रिसेप्शन में जब दूल्हा दुल्हन स्टेज की शोभा बढ़ा रहे थे, तभी वहाँ करिश्मा, राज और मुन्ना राजपूत वहां आये और दोनों को बधाई देते हुए बोले, "बहुत खूबसूरत दिख रही हो विक्की, और तुम दोनों की जोड़ी भी बहुत जम रही है।"
विक्की और रूपेश ने थैंक्स कहा।
फिर वहां अमित और संजीत भी आ गए। अमित ने पिंक साड़ी, गोल्डन बैकलेस चोली, नाक में छोटी सी सोने की लौंग और हाथों में कंगन पहना हुआ था और संजीत ने ब्लैक सूट। जितनी खूबसूरत अमित लग रहा था, उतना ही स्मार्ट संजीत भी लग रहा था। अमित विवेकी के पास और संजीत रूपेश के साथ खड़े होकर फोटोशूट करवाने और बातें करने में मशगूल था।
"कितनी खूबसूरत लग रही हो विक्की, आज दुल्हन बनकर अपने पति के साथ खड़ी हो, कैसा लग रहा है?", अमित ने विक्की से पूछा।
"डर लग रहा है, तुम तो बहुत खूबसूरत दिख रहे हो अमित, और ऐसा लग रहा है कि तुम्हे आज़ादी से जीने का अधिकार भी है।", विक्की मायूस होकर बोला।
"मायूस मत हो विक्की और डरने की कोई जरूरत नही है। आज़ादी तो मिली है संजीत की पत्नी बनकर, लेकिन मैं आज भी अपने मर्दानगी को बहुत मिस करता हूँ। मैने ऐसी जिंदगी के बारे में कभी नही सोचा था लेकिन नसीब में यही था तो क्या कर सकते हैं। छोड़ो आज तो तुम्हारी सुहागरात है, आज तुम्हे उस सवाल का जवाब भी मिल जाएगा जो तुमने मेरे सुहागरात के नेक्स्ट डे पूछा था।", अमित बोला।
"हम्म, देखते हैं, मेरे नसीब में और क्या क्या लिखा है।", विक्की बोला।
"वैसे सुना है विक्की कि तुम्हे ये नथ जिंदगी भर पहनना है। मुझसे तो एक दिन बर्दाश्त नही होता। कैसे करोगे ये सब?", अमित बोला।
"कुछ नही कर सकता मैं, अब यही मेरी किस्मत है और शादी के बाद ये सब तो करना पड़ेगा।", विक्की बोला।
उसके बाद संजीत उनके पास आया और विक्की से बोला, "आप दोनों की बातें हो गयी हों तो क्या मैं अपनी दुल्हन को ले जाऊं?"
"हाँ हाँ, जरूर, आपकी दुल्हन है।", रूपेश बोला।
अमित शरमा गया, अपना पल्लू ठीक किया और अपने पति के साथ पार्टी एन्जॉय करने लगा। इधर पार्टी में पप्पू भी आया हुआ था। संजीत और अमित को देखकर उससे रहा नही गया और उनदोनो के पास बात करने चला गया। अमित लेडीज के साथ अलग हो गया और संजीत अपने कुछ दोस्तों के साथ अलग।
पप्पू को देखकर संजीत बाद खुश हुआ और उससे बोला, "क्या बात है पप्पू, तुम यहाँ?"
"हां यार, रूपेश की बहन मेरे साथ जॉब में है। उनकी इनविटेशन पर ही यहां आना पड़ा। और तू बता, भाभी कैसी है।", पप्पू ने पूछा।
"मस्त है तेरी भाभी", संजीत बोला।
"वैसे कैसा लगता है, अपने सबसे बड़े दुश्मन को अपनी दुल्हन के रूप में देखना।", पप्पू बोला।
"क्या बोल रहा है पप्पू, तेरी भाभी से मेरी कैसी दुश्मनी?", संजीत बोला।
"क्यों, तेरी दुल्हन का नाम बता तो जरा!", पप्पू बोला।
"अमिता नाम है तेरी भाभी का, तुझे तो पता है, फिर क्यों पूछ रहा है!", संजीत बोला।
"हाहाहाहा, मुझे तो लगा कि तुझे पता होगा।", पप्पू बोला।
"क्या पता होगा पप्पू, तू पहेली मत बुझा और बता क्या बताना चाहता है तू!", संजीत बोला।
"अच्छा तू ध्यान से देख अमिता भाभी को और बता कि उसे देखकर किसकी याद आती है तुझे?", पप्पू ने पूछा।
"अमिता को देखकर मुझे अमित की याद आती है जिसने कॉलेज टाइम में मुझसे श्वेता को छीन कर अपनी गर्लफ्रैंड बना लिया था। दोनों की शादी भी तय हो गयी थी, लेकिन मुझे उनसे क्या?", संजीत बोला।
"ये जो तेरी दुल्हन और मेरी भाभी है ना अमिता। ये कोई और नही अमित है बेवकूफ। अमित ने जेंडर चेंज करवा लिया और औरत बन गया था। तुझे आज तक ये भी नही पता। सारा मुहल्ला जानता है और तू अमित के माँ बाप से कॉल करके कन्फर्म कर ले, मेरा यकीन ना हो तो।", पप्पू बोला।
ये सुनकर संजीत के पांव तले जमीन खिसक गया। वो यकीन नही कर पा रहा था कि उसके साथ धोखा हुआ था और एक ऐसी लड़की को अपना दुल्हन बना लिया था, जिसने एक वक्त पर संजीत से श्वेता को छीन लिया था। उसने तुरंत अमित के घर कॉल करके कन्फर्म किया। अमित के घर वालों ने सारी बातें बताई। अब ये कन्फर्म हो गया था कि पप्पू सच कह रहा था। एक गम था कि उसने जिस लड़की से शादी की, वो पहले खुद मर्द थी। और एक खुशी भी, कि जिस लड़के के लिए श्वेता ने संजीत को छोड़ा था, आज वो लड़का खुद रूपेश की दुल्हन बन बैठा। संजीत ने फैसला किया कि अबतक जितनी आज़ादी उसने अमिता को दी थी, वो सब छीन लेगा। इधर इनसब बातों से अनजान अमित डिनर करने के बाद संजीत के साथ वापिस अपने ससुराल आ गया। संजीत और अमित दोनों फ्रेश हुए, अमित ने नाइटी पहना और संजीत ने नाईट सूट। दोनों काफी थक गए थे, तो संजीत ने सोने का फैसला किया और अमित को सोने को कहकर सो गया। संजीत के सो जाने के बाद अमित भी उसके बगल में सो गया। अमित को ये नही पता था कि उसके साथ क्या होने जा रहा था।
दूसरी ओर रिसेप्शन पार्टी ओवर हो चुका था और सारे मेहमान भी जा चुके थे। रिसेप्शन पार्टी के बाद विक्की को रूपेश के कमरे में ले जाया गया। रूपा भाभी और रुचिका भी वहां कुछ ही पलों में आ गईं। रुचिका के हाथों में एक कांचीवरम साड़ी जो आम साड़ियों से करीब दोगुना लंबी थी। रूपा भाभी के हाथों में कुछ जेवर थे। दोनों ने विक्की को ड्रेसिंग टेबल के सामने बिठाया। फिर रुपा भाभी ने विक्की के कपड़े उतरवाए, लेकिन गहने जस के तस ही रहे। फिर विक्की ने कपड़े तो उतार दिए, लेकिन गहने अभी भी उसके कोमल शरीर के आकर्षण को बढ़ा रहे थे। फिर रुपा भाभी ने विक्की को लाल रंग का कांचीवरम साड़ी, लाल कढ़ाईदार डोरी वाली बैकलेस चोली पहनाया और कुछ और गहने भी पहनाये। फिर विक्की को 4 इंच वाला हाई हील्स वाला लाल रंग का सैंडल पहना दिया। फिर फूलों से सजे बिस्तर के सिरहाने पर बिठाया, साड़ी के पल्लू के एक छोर से घूँघट बना दिया और फिर चेहरे को घूँघट से ढंक दिया।
"अच्छा विक्की, तुम्हारे बिस्तर के दूसरे तरफ वाले टेबल पर एक ग्लास में केसर वाला दूध रखा हुआ है। रूपेश जब अंदर आये तो उसके पांव छुना, उसका आशिर्वाद लेना, वो तुम्हे गिफ्ट भी देगा और उसे ये दूध पिला देना।", रूपा भाभी बोली।
"विक्की भाभी समझ गयी ना, क्या करना है।", रुचिका बोली।
विक्की ने हां में सिर हिलाया। फिर रुचिका और रूपा भाभी कमरे से बाहर चली गयी। विक्की की हालत खराब होते जा रहा था। आज अपने पति का इंतेज़ार कर रहा था, डर से शरीर कांप रहा था। उसे याद था कि जब वो करिश्मा को लेकर घूमने ले जाता था, एन्जॉय करता था, जैसे मन होता कपड़े पहनता, अपनी मर्दानगी दिखाता। लेकिन उसकी मर्दानगी कब छीन गयी और एक मर्द से कब शादी हो गयी। इतनी जल्दी इतना सब कुछ कैसे हो गया। सुहागरात में उसने सपने सजाया था कि वो क्या क्या करेगा करिश्मा के साथ। लेकिन अब विक्की खुद दुल्हन बना हुआ अपने पति के आने की इंतेज़ार में था और उसे ये डर सताए जा रहा था कि पता नही अब रूपेश उसके साथ क्या क्या करेगा। नाक में इतना भारी नथ पहने हुए उसके नाक में दर्द भी होने लगा, लेकिन ये नथ तो अब विक्की की जिंदगी का अभिन्न अंग बन चुका था। सुहागरात का डर और शरीर भी साथ नही दे रहा था। डर से आंखे नम हो गयी, और हल्की सी आहट होती और विक्की के हर्ट्स बीट्स बढ़ने लगती।
बैठे बैठे अपने पति का इंतज़ार करते करते विक्की सो गया और उसको पता भी नही चला।
"अच्छा रूपेश भैया, तुम ऐसे ही विक्की भाभी के कमरे में चले जाओगे। जल्दी से हमारे पैसे निकालो, हैं तभी अंदर जाने देंगे।", रुचिका ने मुँह बना कर दरवाजे के बाहर खड़ी हो गयी।
"अच्छा ठीक है, ये ले छुटकी, जा मजे कर", रूपेश ने 10000 रुपये देते हुए कहा।
"थैंक यू भैया, अब आप जा सकते हैं।", रुचिका खुश होते हुए बोली।
रूपेश अंदर गया, तो देखा विक्की बिस्तर के सिरहाने लेटा हुआ था। रूपेश ने दरवाज़ा अंदर से बंद किया और विक्की के पास गया। विक्की की घूँघट उसके नाक तक थी, लाल लाल ग्लॉसी होंठ और उसपर बड़ा सा नथ, हर सांस के साथ उसकी चोली और गहने ऊपर नीचे हो रहे थे। अपनी दुल्हन को इस अवस्था मे देखकर रूपेश से रहा नही जा रहा था। रूपेश विक्की के पास गया और जैसे ही विक्की को छुआ, विक्की की नींद खुल गई और उसकी धडक़न ऐसे बढ़ गयी जैसे उसने कोई भूत देख लिया हो। रूपेश को देखकर विक्की ने अपना घूँघट ठीक किया और उठकर रूपेश के चरणस्पर्श किया। रूपेश ने विक्की को ऊपर उठाया, उसके ठुड्डी पर हाथ रख, चेहरे को ऊपर उठाकर बोला कि विक्की की जगह उसके दिल मे है ना कि चारणों में। फिर विक्की जल्दी से अपने पति रूपेश के लिए केसर वाला दूध लेकर आया और अपने पति को पीने को दिया। पहला घूंट रूपेश ने विक्की के हाथों से पिया, फिर विक्की को अपना जूठा दूध पिलाया। फिर रूपेश एक घूंट दूध खुद पीता और दूसरा घूंट अपनी दुल्हन को पिलाता। विक्की के पास अपने पति की बातों को मानने के सिवा कोई और रास्ता नही था। वो चुपचाप अपने पति का जूठा दूध पीता रहा और दूध का गिलास कुछ पल में ही खत्म हो गया। विक्की ने रूपेश के हाथों से गिलास लिया और जहां से उठाया था वही रख दिया। दूध का गिलास रखकर विक्की जैसे ही मुड़ा, रूपेश ने विक्की को अपनी गोद मे उठा लिया, और फूलों से सजे बिस्तर के बीचोबीच रख दिया। विक्की की धड़कनें तो राजधानी एक्सप्रेस से भी तेजी से भाग रहीं थी। अपने दोनों पैरों को अपने हाथों से जकड़कर, घूँघट में चेहरे को छुपाये, अपने धड़कनों को कंट्रोल करने की कोशिश करते हुए विक्की डर से कांप रहा था। जैसे जैसे रुपेश उसके करीब आ रहा था, वैसे वैसे विक्की का डर बढ़ता जा रहा था। फिर अचानक रूपेश ने विक्की का हाथ पकड़ लिया। अचानक रूपेश के इस तरह हाथ पकड़ लेने पर विक्की और भी ज्यादा कांपने लगा।
फिर रूपेश ने विक्की का घूँघट उठाया और उससे कहा, "विक्की, आज तुम दुल्हन बनकर कितनी खूबसूरत लग रही हो, शायद तुम्हे इसका अनुमान भी नही। लेकिन मुझसे तो अब बर्दाश्त नही हो रहा, मैने तो कभी सोचा भी नही था कि मुझे इतनी खूबसूरत बीवी मिलेगी। आज हमारी पहली सुहागरात है जान, और ये गिफ्ट लाया हूँ मेरी जान के लिए।"
फिर विक्की के हाथों में रूपेश ने वो गिफ्ट रख दिया और उससे कहा कि गिफ्ट खोल कर देखे। विक्की ने गिफ्ट पैक खोलकर देखा। उसमे सोने के दो हैवी कंगन, एक बहुत बड़ा और हैवी कुमाऊनी नथ जो विक्की ने अपने जीवन मे पहली बार देखा था, एक लाल रंग की लिंगरी और एक लाल रंग की चमकीली मिनी स्कर्ट थी। फिर विक्की ने वो गिफ्ट्स टेबल पर रख दिया और दोनों हाथों से अपने पैरों को समेट कर बैठ गया।
"मुझे पता है विक्की डार्लिंग, तुम बहुत ही ज्यादा नर्वस हो आज। लेकिन तुम घबराने की जरूरत नही है मेरी जान को। आई विल बी जेंटल टुनाइट।", रूपेश बोला।
"नही, ऐसी कोई बात नही है।", विक्की बोला।
"ऐसी बात ही है विक्की। मुझे पता है कि आज भी तुम्हारा मन एक मर्द का है और तन स्त्री का। लेकिन फिक्र मत करो, मैं तुम्हे हमेशा खुश रखूंगा और बहुत प्यार करूँगा।", रूपेश बोला।
"नही रूपेश, आज नही। प्लीज, मुझे ये सब नही करना।", विक्की बोला।
"क्यों नही करना, मैं तो करूँगा। तुम मेरी दुल्हन हो विक्की और मैं तुम्हारा दूल्हा। और आज हमारी सुहागरात है। तुम्हारा मन चाहे मर्द का हो या स्त्री का, आज रात के बाद तुम हमेशा के लिए औरत बनने वाली हो विक्की, तन से भी और मन से भी।", रूपेश कड़ककर बोला।
इससे पहले की विक्की कुछ बोलता, रूपेश ने विक्की के पल्लू को एक ओर गिरा दिया और उसके माथे पर एक किस किया।
"ये क्या कर रहे हो रूपेश, मैं इनसब के लिए अभी तैयार नही हूँ।", विक्की रेसिस्ट करते हुए बोला।
"मेरी जान, कोई भी दुल्हनिया अपने दूल्हे के साथ सुहागरात में ऐसे ही डरती है। लेकिन तुम्हे डरने की जरूरत नही मेरी जान।", रूपेश बोला।
विक्की ने बहुत मना किया, और रेसिस्ट करने लगा, लेकिन रूपेश कहाँ मानने वालो में से था। उसने विक्की के गालों पर किस किया, नाक पे और फिर विक्की के होंठों पर अपना होंठ रखकर उसे बड़े ही प्यार से बिना किसी जल्दीबाजी के चूमने लगा। रूपेश की गर्म सांसें विक्की की सांसों से टकरा रही थी।
इससे पहले भी राज ने विक्की के साथ जबरदस्ती की थी। लेकिन अब बात कुछ और था। आज रूपेश लीगली विक्की का पति है और उसके साथ शारीरिक संबंध बनाने के लिए आजाद। विक्की के आँखों से आंसू बहने लगा। अपने पति के साथ उसका पहला किस था। विक्की का शरीर भी अब कमज़ोर पड़ने लगा था। रूपेश ने एक एक करके विक्की के शरीर से उसके कपड़ों को अलग करता गया, लेकिन गहनों को हाथ तक नही लगाया। कुछ ही पलों में विक्की न्यूड अपने पति के सामने बिस्तर पर बैठ हुआ था और अब रूपेश ने देर ना करते हुए अपने कपड़े भी उतार दिए। मस्क्युलर बॉडी, 8 पकस एबीएस, बाइसेप्स भी 24 से कम नही, इतना लंबा चौड़ा हट्टे कट्टे जवान मर्द के सामने विक्की का कोमल से शरीर पता नही कब तक टिक सकेगा।
विक्की अपने सिर को झुकाए, अपने दोनों हाथों से अपने स्तनों को छुपाने की कोशिश कर रहा था। तभी रूपेश ने विक्की का चेहरा ऊपर उठाया, विक्की ने चेहरा तो उठा लिया, लेकिन उसकी आंखें अभी भी बंद थी।
"आंखें खोलो हुस्न की मल्लिका, मेरी जान, विक्की डार्लिंग।", रूपेश बोला।
रूपेश की बातों को ना मानने का साहस विक्की में नही था। धीरे धीरे उसने आंखें खोली तो रूपेश की चौड़ी छाती और तगड़ा शरीर देखकर दंग रह गया। जब विक्की की नज़र रूपेश के पेनिस पर पड़ा तो देख कर हैरान रह गया कि इतना मोटा और लंबा पेनिस भला किसी मर्द का होता भी है। जब विक्की मर्द था तब उसका पेनिस इसका आधा और काफी छोटा था, और जो डॉक्टर ने डिलडो दिया था, वो भी रूपेश के पेनिस के सामने कुछ भी नही था। रूपेश के पेनिस को देखकर विक्की की हालत और भी खराब हो गयी और डर के मारे वो रोने लगा।
"प्लीज रूपेश, तुम्हारा पेनिस बहुत बड़ा है। प्लीज मुझे छोड़ दो, मुझे सुहागरात नही मनानी, प्लीज रूपेश, प्लीज।", विक्की रोते हुए बोला।
लेकिन रूपेश विक्की की एक सुनने को तैयार नही था। उसने बिना देर किए विक्की को जकड़ लिया और उसे चूमने लगा। एक एक चुम्बन से विक्की सहमा जा रहा था। विक्की लगातार रोये जा रहा था, लेकिन रूपेश पर उसका कोई प्रभाव नही पड़ रहा था। कुछ देर तक रूपेश विक्की के जिस्म को चूमता रहा और उसके बाद रूपेश बैठ गया और विक्की के हाथों में अपना पेनिस पकड़ा दिया। विक्की ने हाथ छुड़ाने की बहुत कोशिश की लेकिन रूपेश नही माना और विक्की के चेहरे को पकड़ लिया।
"मेरी जान, तुम कुछ ज्यादा ही नखरा नही दिखा रही। अब गुस्सा मत दिलाओ और मेरे इस प्यारे से पेनिस को शेक करो।", रूपेश ने विक्की से कहा।
विक्की को सबकुछ याद आ रहा था। कैसे वो सनी लियोनी के पोर्न फिल्मों को देखता था, हस्तमैथून करता था। हमेशा यही सोचता कि जब करिश्मा से शादी करेगा, उसे अपनी दुल्हन बनाएगा तो सुहागरात में ये सब पोज़ ट्राई करेगा। लेकिन यहां मामला पूरा उल्टा हो गया। विक्की खुद रूपेश का दुल्हन बना उसके पेनिस को अपने हाथों में लिए ये सब सोच रहा था।
"शर्माओ मत मेरी जान, शेक करो। मुझे पता है तुम इन सब को बहुत एन्जॉय करोगी विक्की।", रूपेश ने अपना पेनिस आगे पीछे करते हुए कहा।
विक्की के हाथों में उसके पति का गर्म और सख्त पेनिस था जी उसके अनुमान से काफी बड़ा और मोटा था। विक्की ने धीरे धीरे उसे हिलाना शुरू किया। चूड़ियों की खनक से कमर भर गया।
"मेरी चूड़ियां और कंगन बहुत आवाज कर रहे हैं, ये सब कैसे करूँ।", विक्की ने मासूमियत से कहा।
"कोई बात नही मेरी जान, तुम शेक करो। तुम्हारे चूड़ियां और कंगन कि मीठी खनक वैसे भी इस कमरे में ही रहेगी।", रुपेश बोला।
फिर विक्की ने रूपेश का पेनिस धीरे धीरे शेक करना शुरू किया। विक्की हाथों में अभी भी जेवर पहन रखा था, लेकिन रूपेश को इससे कोई फर्क नही पड़ रहा था। उसका पेनिस टाइट होते जा रहा था। और फिर रूपेश ने विक्की से और स्पीड शेक करने को कहा। विक्की ने स्पीड तो बढ़ दिया, लेकिन चूडियों और कंगन की आवाज़ के साथ साथ रूपेश का पेनिस भी विक्की के इमेजिनेशन से काफी ज्यादा बड़ा हो गया। फिर रूपेश ने विक्की के होंठों पर अपना पेनिस रखा और उसे किस करने को कहा। आपने पति की हर बात को मानने के लिए मजबूर विक्की ने रूपेश के पेनिस को चूमने लगा। एक अजीब तरह का स्मेल विक्की को महसूस हुआ। फिर रूपेश ने विक्की के बालों का जुड़ा पकड़ लिया और उसके मुह में अपना पेनिस डाल दिया। रूपेश के पेनिस से विक्की का नथ बार बार टकरा रहा था, लेकिन उसे कोई फर्क नही पड़ रहा था। वही दूसरी तरफ विक्की के नाक में डला नथ आगे पीछे होने की वजह से और भी चुभने लगा था। करीब 30-40 मिनट्स तक विक्की को ब्लो जॉब देने के बाद रूपेश ने अपने वीर्य का एक लोड विक्की के मुह मे ही छोड़ दिया। वो वीर्य डायरेक्ट विक्की के गले मे चला गया और विक्की को ना चाहते हुए बाकी का लोड भी पीना पड़ा। अब रूपेश जोश में आ चुका था और अब उसकी नज़र विक्की की गुलाबी वजाइना पर पड़ी। विक्की को लिटा कर रूपेश उसके ऊपर आ गया और अपने होंठ से विक्की की गुलाबी वजाइना को चूमने लगा। विक्की को एक अजीब सा मीठा मीठा दर्द शुरू हो गया और ऐसा दर्द उसने पहले कभी महसूस नही किया था। रूपेश विक्की की वजाइना को जीभ से चाटने लगा और जोर जोर से चूसने लगा। विक्की खुद को संभाल नही पा रहा था और उसके मुह से जोर जोर से आआहह ऊहह ओह्ह की आवाज़ें निकलनी लगी और आंखों से एक एक बूंद आंसू रुक रुक कर बहने लगे। रूपेश विक्की की आहह ओह्ह की आवाज सुनकर और भी ज्यादा जोश में आ गया था। रूपेश के एक्सआईटमेंट का कोई हिसाब नही था। अब रूपेश तैयार था, अपनी नई नवेली दुल्हन के साथ असली मज़ा करने के लिए। अब रूपेश ने अपना पेनिस विक्की की वजाइना पर रखकर सहलाने लगा। विक्की को बहुत डर लग रहा था, वो बार बार रूपेश से रिक्वेस्ट कर रहा था कि प्लीज उसके साथ सेक्स ना करे। लेकिन रूपेश नही माना और अपना पेनिस विक्की की नाज़ुक वजाइना में घुसा दिया। जैसे ही रूपेश का पेनिस विक्की की वजाइना में घुसा, विक्की को लगा जैसे किसी ने गर्म लोहे का रॉड उसके अंदर डाल दिया हो। दर्द इतना कि विक्की रोने लगा, जोर जोर से चिल्लाने लगा, लेकिन वहां विक्की की सुनने वाला कोई नही था। रूपेश ने विक्की के होंठों पर अपना होंठ रख दिया और उसने होल्ड किया और विक्की को शांत किया। विक्की की वजाइना से हल्का खून आने लगा और खून देखकर विक्की और भी रोने लगा।
"डरो मत मेरी जान, ये खून नही है। इसका मतलब है तुम आज तक वर्ज़ीन थी। ये तो खुश होने की बात है।", रूपेश बोला।
"रूपेश प्लीज्, ये सब मुझसे बर्दाश्त नही होगा। प्लीज् अपना पेनिस बाहर निकाल लो, नही तो मैं मर जाऊंगा।", बोलते बोलते विक्की की आँखों मे आंसू भर आये।
"वही तो कर रहा हु मेरी जान, आज की रात। तुम्हारे मन मे बैठे मर्दानगी को मारना ही तो है। ताकि कल से तुम अपने स्त्रीत्व को एक्सेप्ट कर सको विक्की। मेरी दुल्हन बनने के बाद भी तुम्हे लगता है कि तुम्हारा मर्द वाला मन मेरे सामने टिक पायेगा।", रूपेश हंसते हुए बोला।
फिर क्या था, रूपेश अंदर बाहर करना शुरू किया और विक्की ने रोना चिल्लाना। लेकिन रूपेश की ताकत के सामने वो कुछ भी नही था।
"आआआहहहहहहह, ऊऊहहहहहहह, ओह्हहहहहहह, ममम, प्लीज्, प्लीज्, प्लीज्, ओह्ह माई गॉड। रुक जाओ रूपेश, आआहहहहहहहहहह, नहीईईईई, ऊहहहहहहहहहह, प्लीज्, प्लीज्, रुक जाओ रूपेश, प्लीज्, रूपेश, आआआहहहहहहहहह", विक्की के रोने और चिल्लाने का रूपेश पर कोई असर नही हुआ और अपनी दुल्हन को स्पीडली चोदने लगा।
करीब आधे घंटे तक रूपेश ने विक्की को चोदा और फिर कुछ देर के लिए रुक गया। रूपेश के रुकने से विक्की को थोड़ा आराम मिला।
"आई होप कि तुम जब मर्द थे तब पोर्न फिल्मों को तो देखा ही होगा। मेरी जान अब घोड़ी बनो जल्दी से।", रूपेश ने विक्की का चेहरा पकड़ कर बोला।
"नही रूपेश।", विक्की बोला।
"चटाक", एक ज़ोरदार थप्पड़ ने विक्की के होश उड़ा दिए।
"ज्यादा बहस नही, जो बोल रहा हूँ, उसे चुपचाप करो, समझी। पत्नी हो तुम मेरी और मैं तुम्हारा पति परमेश्वर। जो बोलू उसे बिना सवाल जवाब किये करो समझी।", रूपेश ने गुस्से में लाल होकर बोला।
विक्की को रूपेश से ये उम्मीद नही था। थप्पड़ खाने के बाद वो रोने लगा। फिर रूपेश ने उसे उल्टा किया और घोड़ी बना कर उसके वजाइना पर अपने पेनिस को रख दिया। विक्की समझ चुका था कि रूपेश अब उसके साथ पूरी रात सुहागरात मनाएगा। रूपेश ने अपना पेनिस जैसे ही घुसाया, विक्की को फिर से दर्द हुआ और वो फिर से रोने लगा। इसबार कुछ ज्यादा ही दर्द हो रहा था। थोड़ा अच्छा भी लग रहा था, लेकिन औरत बनकर एक मर्द से चुदने का दर्द उसे एन्जॉय नही करने दे रहा था। इधर रूपेश ने स्पीड को बढ़ा दिया और विक्की के गहने, जेवर, चूड़ियां, पायल ये सब बहुत आवाज़ कर रही थी और विक्की भी कम आवाज़ नही कर रहा था।
"आआआहहहहहहह, ऊऊहहहहहहह रूपेश
ओह्हहहहहहह,
ममम,
प्लीज्,
प्लीज्,
प्लीज्,
ओह्ह माई गॉड। रुक जाओ रूपेश, प्लीज्, प्लीज् रूपेश प्लीज्, आआहहहहहहहहहहहह, नहीईईईई,
नहीईईईई, मममममममममम, ऊऊऊह, ऊहहहहहहहहहह,
प्लीज्,
प्लीज्,
रुक जाओ रूपेश, प्लीज्, रूपेश, आआआहहहहहहहहह। बहुत दर्द हो रहा है, नहीईईईई, नहीईईईई, प्लीज्, प्लीज्, प्लीज् प्लीज्, ऊऊऊहहहहहहहहह, छोड दो, मत करो प्लीज्, नहीईईईई, ओह माई गॉड, आआहहहहहहहहहहहहहहहह, ओह्हहहहहहहहहहहहहहह, ऊहहहहहहहहहह, रूपेश प्लीज्।", विक्की से एक मर्द से चुदने का दर्द बर्दाश्त नही हो रहा था और वो लगातार रोये जा रहा था और एक हाथ से अपने नथ को पकड़कर उसे आगे पीछे होने से रोकने की कोशिश कर रहा था।
करीब अगले 30 मिनट्स तक विक्की को चोदने के बाद रूपेश फिर से रुक गया। फिर उसने विक्की के चेहरे को पकड़कर अपनी ओर घुमाया और उसके होंठो को चूमने लगा, लेकिन इस बार रूपेश काफी जोश में था। थोड़ी देर दोनों वैसे ही पड़े रहे और रुपेश ने विक्की को अपनी ओर घुमाकर बिठाया। फिर रूपेश ने विक्की के कमर को पकड़ लिया और उसे अपने पेनिस पर बिठाया और अपने पेनिस पर बिठाकर काफी देर तक चोदा। विक्की की सांसें अब कमज़ोर पड़ने लगी थी और वो जोर जोर से सांस ले रहा था। विक्की के बूब्स, रूपेश की छाती से छाती से चिपकी हुई थी और रूपेश उसे लगातार चोद रहा था। विक्की के आंसू थमने का नाम नही ले रहे थे। फिर रूपेश ने विक्की को बिस्तर पर लिटा दिया और उसके दोनों टांगों को फैलाकर उसके वजाइना में फिर से अपना पेनिस डाल कर चोदना चालू किया। विक्की अब अपने नाखूनों से रुपेश के पीठ को खरोंचने लगा और रूपेश विक्की के बूब्स को काटने लगा। रूपेश ने विक्की के साथ लगभग 1 घंटे तक सेक्स किया और एट लास्ट उसने अपना वीर्य विक्की की वजाइना में छोड़ दिया। दोनों काफी देर तक एक ही पोजीशन में थे।
रूपेश विक्की के ऊपर और विक्की अपने दोनों टांगों को हवा में फैलाये अपने पति की बाहों में लंबी लंबी सांसें ले रहा था, शरीर कांप रही थी और इतनी हिम्मत भी नही बची थी कि विक्की उठकर पेशाब तक करने जा सके। थोड़ी देर बाद रूपेश ने अपना पेनिस विक्की की वजाइना से निकाल दिया। रूपेश के पेनिस निकाल लेने पर विक्की को बहुत आराम मिला लेकिन शरीर साथ नही दे रहा था।
विक्की बिस्तर पर से उठा और उसने जैसे ही अपने कपड़े उठाये, रूपेश ने उसके हाथ को पकड़ लिया और कहा, "मेरी जान कपड़ो की क्या जरूरत है तुम्हे, सुबह पहन लेना, अभी ऐसे ही रहो।"
थप्पड़ की गूंज अभी भी विक्की के कानों में गूंज रही थी और उसके अंदर हिम्मत नही था कि अपने पति की बातों को ना माने। विक्की वैसे ही वाशरूम की तरफ बढ़ने लगा लेकिन उससे एक कदम भी चल नही जा रहा था। दूसरे कदम पर ही विक्की लड़खड़ा के गिरने ही वाला था कि रूपेश ने उसे पकड़ लिया। फिर रूपेश ने विक्की को अपनी गोद में उठा लिया और वाशरूम में ले गया। विक्की ने बैठकर पेशाब किया और रूपेश ने खड़े होकर।
रूपेश पेशाब करते वक़्त विक्की से बोला, "कभी तुम भी खड़े होकर करती थी जान, आज देखो कैसे बैठकर कर रही हो।"
रुपेश विक्की को एम्बरर्स करने का एक भी मौका नही छोड़ रहा था। फिर रूपेश ने विक्की को गोद में उठाया और बाथटब में पहले खुद बैठा, फिर विक्की को अपने पेनिस पर बिठा लिया। पानी से लबालब भरे बाथटब में अपने पति के पेनिस पर बैठकर चुदने में विक्की को थोड़ा भी अच्छा नही लग रहा था, लेकिन वो कर भी क्या सकता था। करीब आधे घंटे तक रूपेश ने विक्की को उस टब में चोदा। इस बार फिर से अपना वीर्य विक्की के अंदर डाल दिया। इस बार लोड कुछ ज्यादा ही फ़ोर्स में था और विक्की को ऐसा फील हुआ जैसे रूपेश उसे प्रेग्नेंट कर देगा। विक्की का हालत कुछ ज्यादा ही खराब हो गया था। रूपेश और विक्की दोनों बाथटब से बाहर निकले और फिर रूपेश ने विक्की के शरीर को अच्छे से पोछा और फिर विक्की से अपना शरीर पोछने को कहा। विक्की ने रूपेश के शरीर को अच्छे से पोछने लगा, लेकिन रूपेश के चेहरे तक विक्की का हाथ नही पहुच रहा था। रुपेश ने विक्की को अपनी गोद में उठा लिया तब जाकर विक्की ने रूपेश का चेहरा और बाल पोछा। फिर रूपेश विक्की को बिस्तर पर लिटा दिया और बगल में खुद लेट गया। विक्की के जिस्म रूपेश के मन मे रस गया था, उससे रहा नही गया तो उसने अपना पेनिस एक बार फिर से विक्की के अंदर डाल दिया और उसे जकड़कर वैसे ही सो गया। विक्की अंदर से टूट चुका था और उसके अंदर के मर्द को झकझोर कर रख दिया था। जो कुछ हुआ और जो कुछ हो रहा था विक्की के साथ, उसके लिए विक्की तैयार नही था। लेकिन अपने नाक में हैवी नथ को, कानों के झुमकों को, अपने बूब्स पर हर और मंगलसूत्र का अपने पति के चौड़ी छाती से चिपका हुआ और अपने पति की बाहों में उसके पेनिस को अपनी वजाइना में महसूस कर रहा था। विक्की को सब महसूस हो रहा था साथ ही कमज़ोरी इतना ज्यादा हो गया था कि हिला डुला तक नही जा रहा था, पूरा बॉडी पेन कर रहा था। आंखों से आंसू तो गंगा जमुना की तरह बह रहे थे और शर्मिंदगी इतनी कि विक्की को सिर उठाकर अपने पति रूपेश को देखने की हिम्मत तक नही थी। ना जाने कब नींद आया विक्की को और अपने पति की बाहों में कब सो गया, इसका पता भी नही चला।
Comments
Post a Comment