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Vicky & Amit Part - 5

 घर मे लग रहा था मानो फंक्शन जैसा माहौल था। फिर श्वेता ने बॉक्स खोल के देखा। बॉक्स में से सबसे पहले मांगटीका निकला जिसे श्वेता ने अमित के बालों में सज़ा दिया। फिर हैवी झूमके निकले जो अमित के कानों में पहना दिए। उसके बाद बॉक्स में से एज हैवी चांदी की पायल निकली। श्वेता ने अमित को दोनों पायल पहना दिया। फिर श्वेता ने बॉक्स से बाजूबंद निकाला और बाहों पर बांध दिया, उसके बाद कमरबंद निकला, जिसे श्वेता ने अमित की नाभि पर बांध दिया। श्वेता ने देखा सोने के कंगन, नाक का नथुनी और गले का नौलखा हार बच गया है। फिर श्वेता ने अमित के गले मे नौलखा हार पहना दिया। वो हार काफी बड़ा था। फिर अमित के हाथों में चूड़ियां पहनकर उसके ऊपर से सोने के कंगन पहना दिया। उसके बाद अमित के हाथों में 5 रिंग्स वाला ब्रेसलेट्स पहनाया। अब सिर्फ नथिया रह गया था। श्वेता ने अमित के नाक से वो बाली निकालकर छोटा लेकिन डिज़ाइनर नथिया पहना दिया। फिर एक चुनरी से अमित का घूँघट बना दिया। अमित को दुल्हन की तरह तैयार करने कब बाद श्वेता उसकी मम्मी को बुलाने चली गयी। थोड़ी देर में अमित की माँ और श्वेता अमित से साथ चलने को कहा।

"ये सब क्या हो रहा है माँ, मुझे कहाँ ले जा रहे हो आप। और इस तरीके से तैयार क्यों किया है आपने", अमित ने अपनी माँ से पूछा।

"सरप्राईज़ है अमित, वैसे आज के बाद घर मे सब तुम्हे अमित नही अमिता कहकर पुकारेंगे, ठीक है ना", अमित की माँ बोली और अपने साथ किचन में ले गयी।

किचन में चाय और नाश्ते से भरा हुआ ट्रे देकर उसकी माँ बोली, "श्वेता अब तुम अमिता को मेहमानों के सामने ले जाओ।"

"कैसे मेहमान माँ", अमित ने पूछा।

"वो तो वहाँ जाने पर ही पता चलेगा अमिता", अमित की माँ बोली।

श्वेता ने अमित के हाथों में ट्रे पकड़ा दिया, घूँघट को होठों तक कर दिया और धीरे धीरे कदमो से मेहमानों के सामने ले गयी। श्वेता ने अमित से कहा कि वो मेहमानों को चाय और नास्ता सर्व करें। फिर अमित ने सभी को चाय और नास्ता सर्व किया। घूँघट काफी हैवी होने की वजह से उसे कुछ खास नज़र नही रहा था। फिर अमित को एक सोफे पर बिठा कर श्वेता वहां से चली गयी। अमित को समझ नही रहा की हो क्या रहा है तभी उसके पास एक लेडीज आकर बैठ गयी।

उस लेडीज़ ने अमित का घूंघट उठाया और उसके ठुड्डी पर हाथ रखकर चेहरे को ऊपर ऊठाकर पूछा, "तुम तो बड़ी सुंदर हो, तुम्हारा नाम क्या है बिटिया?"

"मेरा नाम अमिता है आंटी जी", अमित बोला।

"आपकी बेटी तो निहायती खूबसूरत है शिला जी। ऐसा लगता हो जैसे स्वर्ग से कोई अप्सरा जमीन से आसमान से उतर आई हो", उन ऑन्टी ने अमित की माँ से कहा।

"थैंक यू शर्मा जी", शिला जी ने उन ऑन्टी को कहा।

अमित को समझ मे कुछ भी नही रहा था कि हो क्या रहा था, घूंघट में सहमा हुआ सा यही सोच में डूब हुआ था कि ये आंटी कौन हैं और उससे और उसके मम्मी पापा से ऐसे क्यों बात कर रही हैं।

"अरे शिला जी, वैसे हमें तो आपकी बेटी पसंद है। ये रिश्ता हमें मंजूर है, लेकिन मैं चाहती हूं कि आप एक बार अपनी बेटी से भी पूछ लें", शर्मा जी बोले।

"बेटी है शर्मा जी, इनसे क्या पूछना। आपको हमारी बेटी पसन्द है और आपके बेटे को भी, तो ये रिश्ता पक्का समझें", शिला जी बोलीं।

"नेकी और पूछ पूछ। हमें आपकी बेटी पसन्द है और आपको हमारा बेटा। और क्या चाहिए, ये रिश्ता पक्का", शर्मा जी की वाइफ बोलीं।

फिर शर्मा जी की वाइफ अमित के पास गई और उसके नाक में से नथिया निकाल दिया। फिर एक हैवी नथिया जो काफी बड़ा था, वो अमित को पहना दिया ओके चेन को झुमके से क्लिप से जोड़ दिया और बोली, "अमिता, अब तुम हमारे घर की बहू हो, ये नथिया हमारे घर का मान है और इसका मर्यादा तुम्हे ही रखना है।"

"वैसे अमिता बेहद खूबसूरत लग रही है इस नथ को पहनकर", शर्मा जी बोले।

"हाँ, मेरी होने वाली बहु है तो सुंदर तो दिखेगी ना, ये कंगन हमारी खानदानी कंगन हैं और इसे हमेशा पहनकर रखना", शर्मा जी की वाइफ ने अमित को सोने के दो हैवी कंगन पहनाते हुए बोली।

"अमिता बेटी, अपने होने वाले सास ससुर के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लो", शिला जी बोलीं।

अमित ने अपना घूंघट ठीक किया और एक संस्कारी लड़की की तरह अपने होने वाले सास ससुर के पैर छुए और उनका आशीर्वाद लिया। उसके बाद अमित को लेकर श्वेता अंदर चली गयी। इधर अमित के मम्मी पापा ने शर्मा जी से विदा लिया और इंगेजमेंट का दिन तय करने को बोलकर वहां से चले गए।

"ये क्या बकवास था श्वेता, मेरा रिश्ता तय होने वाला था वो भी एक मर्द के साथ और तुमने ना तो मुझे बताया और मेरे मम्मी पापा का साथ भी दिया", गुस्से में अमित श्वेता से बोला।

"अमित, इन सब के बारे में मुझे कुछ पता नही था, मुझे तो मम्मी जी ने ऐसा कुछ भी नही बताया था", श्वेता बोली।

"ये नथ कितना भारी है, इसके वजन से मेरे नाक में दर्द हो रहा है, और कितना टाइट है ये नथ खुल भी नही रहा है", अमित ने गुस्से में नथ उतारने की कोशिश करते हुए कहा।

"ये नथ अब कभी नही उतरेगा अमिता, अब तुम जगदीश शर्मा जो इस शहर के बहुत बड़े इंडस्ट्रियलिस्ट है, उनके घर की बहू बनने जा रही हो, और उनके बेटे को तुम एक बार मे पसन्द गयी", अमित की माँ वहां गयी और बोली।

"मगर माँ, मुझे शादी नही करनी। किसी मर्द से तो कभी नही", अमित ने गुस्से में कहा।

"सुन लड़की, तुम्हारी शादी कब होगी और किसके साथ होगी इसका फैसला हम करेंगे, समझी। अब एक अच्छी लड़की की तरह इस फैसले को एक्सेप्ट करो और इंगेजमेंट की तैयारी करो", अमित की माँ बोली।

"लेकिन माँ, मुझे फ़िल्म में रोल मिला है, मैं अभी उसपर फोकस करना चाहती हूँ", अमित बोला।

"कोई फ़िल्म विलम नही करोगी तुम, अब तुम अपनी शादी पर फोकस करो समझी। इंगेजमेंट का डेट भी कल तक जायेगा", अमित की माँ बोली।

"लेकिन माँ", अमित बोला।

"क्या लेकिन", अमित की माँ गुस्से में बोली।

"माँ ये नथ तो उतार दो, मुझसे नही उतर रहा", अमित बोला।

"श्वेता, तुम अमिता का नथ उतार दो फिलहाल के लिए, लेकिन इसे पहनने का तरीका और उतारने का तरीका सीखा देना। कल को पराये घर जाएगी और ऐसे नथ उतारने के लिए बोलेगी तो अपनी ही बदनामी होगी", अमित की माँ बोली।

अपनी माँ की रूड बाते सुनकर अमित की आंखों में आंसू गया। श्वेता ने अमित को शांत किया और उससे कहा, "अमित शांत हो जाओ, माँ है वो तुम्हारी। तुम्हारी फिक्र है उन्हें और अब तो तुम्हारी शादी भी तय कर दी गयी है। हाय मेरी फूटी किस्मत, मेरा होने वाला पति को अब कोई गैर मर्द अपनी दुल्हन बनाएगा, मुझे तो कुछ समझ नही रहा। तुम औरत क्यों बन गए अमित, मर्द रहते तो मुझे अपनी दुल्हन बनाते, ना कि आज खुद किसी मर्द की दुल्हन बनने के लिए बाध्य होना पड़ता।"

"ये सब मेरे हाथ मे नही था श्वेता, मेरे शरीर मे फीमेल हॉर्मोन्स अचानक बढ़ गए और डॉक्टर ने भी कह दिया कि औरत बनने के सिवा मेरे पास कोई और ऑप्शन नही है, मैं क्या करता तुम ही बताओ", अमित बोला।

"अब कुछ कर भी तो नही सकते, तुम्हारी होने वाली सास ने तुम्हारे नाक में अपने हाथों से नथ पहनाया है। अब तुम एक बड़े घराने की होने वाली बहु हो। चलो तुमसे बात करते करते रात हो जाएगी, आओ तुम्हे नथ पहनना सिखाती हूँ, उसके बाद तुम खुद से प्रैक्टिस करना", ऐसा बोलकर श्वेता ने अमित को नथ पहनना सिखाया।

अमित को नथ पहनना सीखा कर श्वेता ने उसे प्रैक्टिस करने को बोलकर अपने घर चली गयी। फ्रेश होने के बाद अमित नथ पहनने की खुद से कोशिश करने लगा, बहुत समय लगा लेकिन उसने सिख लिया। अब अमित ने खुद से काफी बार नथ पहना और उतारा। अब अमित को नथ के साथ साथ मांगटीका और झुमका पहनना भी गया।

अभी अमित ने सोचा कि चलो एक बार और नथ पहनकर देखूं। फिर अमित ने नथ उठाया और नाक में पहनने लगा तभी उसकी माँ वहां गयी और बोली, "पूरी रात नथ ही पहनेगी तो सोएगी कब, चल डिनर कर ले।"

अपनी माँ की बातें सुनकर अमित शर्माने लगा और नथ उतार कर गोदरेज में रखा और अपनी माँ कब साथ डिनर करने चला गया।

डिनर टेबल पर,

"तो अमिता दीदी, कैसा लग रहा है, बहुत जल्द ही तुम एक बड़े घराने की बहू बन जाओगी", अमित की छोटी बहन बोली।

"अब जो हुआ सो हुआ, क्या कर सकते हैं। लड़कियों का नसीब तो कोई और तय करता है, खुद से फैसला लेने का कौन सा हक़ होता है उन्हें", अमित ने टोन कसते हुए कहा।

"बिल्कुल सही कहा अमिता तुमने, अब जब इतने बड़े घर की बहू बनोगी तो जिंदगी का भी अनुभव हो जाएगा, कल से तुम्हारी ट्रेनिंग शुरू है। घर का एक काम नही आता, चूल्हा चौका से लेकर झाड़ू बर्तन साफ करना, यहां तक कि खुद से साड़ी पहनना भी नही आता। सबका ट्रेनिंग देना पड़ेगा नही ससुराल जाकर हमारी नाक कटवायेगी", अमित की माँ बोली।

एक तरफ अगले दिन से अमित की ट्रेनिंग शुरू हो गयी वही दूसरी तरफ विक्की के भी हालात कुछ खास अच्छे नही थे। घर वालों के सपोर्टिव नही होने की वजह से घर मे रोज़ हल्ला होता, कभी विक्की को शादी के लिए फ़ोर्स करते तो कभी फ़िल्म लाइन छोड़ने के लिए। एक दिन गुस्से में आकर विक्की अपना घर छोड़ कर आपमे फार्म हाउस पर परमानेंटली शिफ्ट हो गया। विक्की ने खुद पर डिपेंडेंट रहने का फैसला किया और घर मे वो सिर्फ रुपा भाभी से ही बातें करता। किसी और से बात करने का मन नही था विक्की को। इधर अमित के फ़िल्म में काम करने से मना करने पर उस फिल्म प्रोड्यूसर ने दूसरी एक्ट्रेस को रख लिया। शूटिंग शुरू होने में अभी 3 दिन बचा हुआ था और विक्की अपने शूटिंग की तैयारियों में व्यस्त था। तभी प्रोड्यूसर का कॉल आया कि फ़िल्म की शूटिंग इंडिया से बाहर होगी। स्विट्ज़रलैंड में शूटिंग के प्रोग्राम रखा गया है और दो दिनों के बाद फ्लाइट है। फिर प्रोड्यूसर्स ने विक्की का फ्लाइट टिकट और गाड़ी उसके फार्म हाउस पर भेज दिया। फ्लाइट वाले दिन विक्की ने रुपा भाभी को कॉल करके बताया कि वो स्विट्ज़रलैंड जा रहा है, फ़िल्म की शूटिंग के सिलसिले में।

तीसरे दिन विक्की ने स्विट्ज़रलैंड के लिए फ्लाइट पकड़ा। इधर अमित का हाल बहुत ही बुरा था। साड़ी पहनकर, नाक में सास का पहनाया हुआ नथ और कानों में झुमके, हाथों में सास का दिया कंगन पहनकर, चेहरे को घूंघट में छिपाकर घर के सारे काम करना शुरू कर दिया था। अमित तो बचपन से लड़का था और ना ही उसने कभी भी घर के कामों में हाथ भी बंटाया। उसे कहाँ पता था कि एक दिन ऐसा भी आएगा जब उसे अपना मर्दानगी खोना पड़ेगा और औरत बनना पड़ेगा। अमित को तो अभी तक इस बात का यकीन भी नही था, कि वो औरत बन चुका है और एक मर्द के साथ उसका रिश्ता भी तय किया जा चुका है, जिसका वो नाम तक नही जानता। 2 हफ्ते बीत चुके थे। अमित की माँ ने बताया कि लड़के वालों ने कल सगाई का दिन रखा है और 3 दिन बाद शादी का। ये खबर सुनकर अमित के होश उड़ गए। सगाई की तैयारियाँ जोर शोर से चलने लगी। अमित की माँ ने श्वेता को सगाई से शादी तक के लिए घर बुला लिया। अमित की पूरी जिम्मेदारी अब श्वेता पर थी।

श्वेता ने सगाई से एक दिन पहले हाथों और पैरों में मेहंदी अप्लाई किया। अगले दिन सुबह सुबह मेहंदी धोयी गयी तब श्वेता ने अमित को बताया कि दुल्हन का मेहंदी जितना डार्क होता उसका दूल्हा उससे उतना ही ज्यादा प्यार करता है। ये सब बातें लड़कियां करती हैं और अमित भी तो लड़की ही है अब। उसे ऐसी बाते सुनकर शर्मिंदगी महसूस हो रहा था।

"अमित तुम अपना ब्रा उतार दो", श्वेता बोली।

"वो क्यों श्वेता", अमित चौंकते हुए पूछा।

"क्योंकि, इस चोली को बिना ब्रा के ही पहना जाता है अमिता, धीरे धीरे इन सब के बारे में पता चल जाएगा", श्वेता बोली।

श्वेता की बातें सुनकर अमित को बहुत शर्म रहा था। उसे ब्रा खोलने में कुछ ज्यादा ही शर्मिंदगी महसूस हो रही थी। तभी श्वेता बोली, "इतना भी ना शर्माओ, मैं भी तुम्हारी तरह औरत ही हूँ ना, और तुम्हारी एक्स गर्लफ्रैंड भी। मेरे सामने क्या शर्माना, चलो ब्रा उतारो जल्दी से।"

अमित ने ब्रा को उतार तो दिया, लेकिन अपने दोनों उरोजों को अपने दोनों हाथों से ढंकने की नाकाम कोशिश करने लगा।

"ओह्ह, वाओ। कितने सुंदर बूब्स हैं तुम्हारे अमिता", श्वेता बोली।

"थैंक्स श्वेता, अब देर नही हो रहा तुम्हे", अमित ने श्वेता से कहा।

फिर श्वेता ने बिना देर किए अमित को वो लाल चोली पहना दिया। अमित ने गौर किया कि ब्रा के नही पहनने की वजह से उसके बूब्स काफी सॉफ्ट दिख रहे थे। फिर श्वेता ने अमित को पेटिकोट पहनाया और ऊपर से चमकीला साटन साड़ी पहन दिया। साड़ी काफी लंबी और चमकीली थी, जिसे पहन कर अमित किसी मॉडल से बिल्कुल भी कम नही लग रहा था। फिर श्वेता ने खानदानी नथ जो कि बहुत बड़ा था, अमित के नाक में पहनाया और उसके चेन को अमित की बाल में क्लिप से सेट कर दिया। फिर कानों में झुमके, पैरों में पायल, माथे पर मांगटीका और गले मे बाद सा हार पहना दिया। फिर अमित को लाल रंग का 3 इंच हील्स वाला सैंडल पहना दिया। अंत मे श्वेता ने अमित की साड़ी की पल्लू से उसका घूंघट कर दिया और उसे चलने के लिए बोली। अमित ने चलते वक़्त महसूस किया कि उसके बूब्स हर कदम के साथ बाउंस कर रहे थे, जो अमित को बहुत परेशान कर रहा था।

श्वेता ने कहा, "वाओ अमित, तुम कितनी खूबसूरत लग थी हो।"

"थैंक्स श्वेता, लेकिन तुमसे ज्यादा नही", अमित बोला।

तभी वहां अमित की माँ गयी और अमित को गौर से देख कर बोली, "अमित की आंखों में काजल थोड़ा मोटा कर दो और होंठो ओर मैचिंग लिपस्टिक भी लगा देना श्वेता, 10 मिनट्स में लड़के वाले यहां पहुच जाएंगे, थोड़ा जल्दी कर लेना बिटिया।"

"जी माँ जी", श्वेता बोली और फिर अमित की आंखों में काजल को मोटा कर दिया और साथ ही रेड ग्लॉसी लिपस्टिक अप्लाई किया, जिससे अमित के होंठ अनारदाने की तरह लाल हो गए।

"लो, हो गयी हमारी दुल्हन तैयार। अब दूल्हे राजा आएंगे और हमारी अमिता को सगाई को अंगूठी पहना कर हमेशा के लिए अपना बना लेंगे। मैं शायद दुनिया की पहली गर्लफ्रैंड होउंगी जो अपने बॉयफ्रेंड को दुल्हन की तरह सजा रही है, वो भी किसी गैर मर्द के साथ सगाई करने के लिए", श्वेता बोली।

"चलो चलो जल्दी करो, तुमदोनो की तो बातें ही खत्म नही होती। लड़के वाले इंतेज़ार कर रहे हैं दुल्हनिया का। श्वेता तुम अमिता को जल्दी से घूंघट करके स्टेज पर लेकर आओ", अमित की माँ बोली।

"जी माँ जी, अभी आयी", श्वेता बोली और अमित का घूंघट ठीक करके स्टेज पर लेकर आई, जहां अमित का होने वाला पति अपनी होने वाली दुल्हन का बेसब्री से इंतेज़ार कर रहा था।"

स्टेज पर पहुचने पर, अमित की माँ ने अमित को सोफे पर बिठाकर उसका घूंघट ठीक किया। बगल वाले सोफे पर अमित के होने वाले पति को बिठाया गया। अमित घूंघट में सहम हुआ सा, चेहरे को झुकाए, घूंघट में मायूस बैठा हुआ था, अमित के अंदर इतनी भी हिम्मत नही थी कि अपने घूंघट को हटा कर अपने होने वाले पति का चेहरा देख सके। स्टेज पर पंडित जी आये और दोनों को एक एक करके मंत्रों से अभिमंत्रित जल छिड़क कर पवित्र किया। फिर दोनों को आमने सामने खड़ा किया। एक तरफ अमित का होने वाला पति उसकी होने वाली सास के साथ खड़ा था वहीं दूसरी ओर अमित अपनी माँ और एक्स गर्लफ्रेंड के साथ घूंघट में खड़ा था, उसका पूरा शरीर डर से कांप रहा था। पंडित जी के कहने पर अमित को सोने की अंगूठी दी गयी, जिसे अमित ने अपने होने वाले पति को पहना दिया। अंगूठी पहनाते वक़्त अमित को इस बात का एहसास हो गया कि उसका होने वाला पति चाहे जो कोई भी है, काफी बलिष्ट है। तालियों की गड़गड़ाहट से हाल गूंज उठा। फिर अमित के होने वाले पति ने अमित को सोने का बहुत ही सुंदर सी अंगूठी पहना दिया। फिर से तालियों की गड़गड़ाहट से हॉल गूंज उठा। बधाई देने वालो का तांता लग गया और फिर सभी ने एक एक करके नई नवेली जोड़ी के साथ ढेर सारी फोटोज़ क्लिक करवाया।

पड़ोस की एक आंटी दूसरी आंटी से बोली, "शिला जी ने तो विक्की से तुम्हारे बेटे की शादी के लिए मना किया था, याद है। और देखो जरा, खुद का बेटा औरत बन गया यो झटपट उसकी शादी तय कर दी।"

दूसरी आंटी बोली, "हाँ, काश मैने शिला जी की बात ना मानकर विक्की के लिए अपने बेटे की बात चलाती तो अभी तक तो दोनों की शादी भी हो गयी होती। वैसे मेरा बेटा भी इतना ही लंबा है और तो और वो तो रोज़ जिम भी जाता है। विक्की की तो हाइट भी काफी अच्छी है। अमिता को देखो कितनी छोटी दिख रही है अपने होने वाले पति के साथ। ऐसा लगता है एक मुस्टंडे के साथ एक छोटी सी लड़की की सगाई हो गयी है।"

पहली आंटी हंसते बोली, "हाहाहाहा, बिल्कुल सही कह रही हो तुम। चाहे कितनी भी छोटी दुल्हन क्यों ना हो, अपने होने पति के साथ कितनी प्यारी लग रही है अमिता, क्यों है ना?"

दूसरी आंटी बोली, "हाँ बिल्कुल, दोनों बहुत ही प्यारे लग रहे हैं, चलो नाश्ता करते हैं।"

पहली आंटी बोली, "हाँ, चलो ठीक है।"

वो दोनों आंटी वहां से नाश्ता करन चली गयीं। इधर सबने नाश्ता किया, गिफ्ट्स दिए और धीरे धीरे भीड़ कम होते गया और सभी अपने अपने घर को चले गए। शाम हुई फिर अमित के होने वाले पति और उसके परिवारवाले भी विदा लेकर अपने अपने घर को चले गए।

"चलो तुम भी कुछ खा लो अमिता, दो दिन बाद तुम्हारी शादी है, और अभी से तुम्हारा शरीर इतना कांप रहा है", अमित की माँ बोली।

"दुल्हन को शादी से पहले नर्वस होना और कंपकम्पी होना तो स्वाभाविक है माँ जी", श्वेता बोली।

"हाँ, अमिता जो इन सब का आदत हो जाएगा। कुछ खा लो अमिता। वैसे शादी 2 दिन बाद ही है, याद है ना, उसकी तैयारी में कोई कमी ना रहे इस बात का ध्यान रखना श्वेता। हमारी अमिता बेहद सुंदर और आकर्षक दिखनी चाहिए, और इसकी जिम्मेदारी तुम्हारी है श्वेता", अमित की माँ बोली।

"आप फिक्र मत कीजिये, दुल्हन की सारी जिम्मेदारी मेरी है", श्वेता बोली।

फिर अमित ने डिनर किया। डिनर करते समय वो अपने नाक से नथ उतारना चाहता था, लेकिन उसकी माँ ने उसे नथ उतारने नही दिया। फिर अमित ने अपना घूँघट उतारने का सोच लेकिन उसकी माँ ने उसके लिए भी मन कर दिया। एक ही हाथ से नथ और घूँघट को ऊपर करके डिनर करने में परेशानी हुई, लेकिन उसकी माँ ने बताया कि ससुराल में ऐसे ही डिनर, लंच, ब्रेकफास्ट सब नथ पहन कर और घूंघट में ही करना पड़ेगा और अभी से इन सब का आदत रहेगा तो अच्छा ही होगा। डिनर करने कब बाद श्वेता ने अमित को आईने के सामने बिठाया।

"अमित, क्या तुम्हें पता है, जिस आदमी से तुम्हारी शादी होने जा रही है वो कौन है", श्वेता ने पूछा।

"नही श्वेता, मैने तो उस आदमी की शक्ल तक नही देखी है", अमित ने कहा।

"अच्छा तुम्हे याद है, जब कॉलेज में मुझसे सीनियर क्लास का एक लड़का, जो उम्र में भी बहुत ज्यादा था, वो अंकल टाइप लड़का जिसने मुझे गर्लफ्रैंड बनाने के लिए प्रोपोज़ किया था", श्वेता ने पूछा।

"हाँ, श्वेता याद है। उस अंकल को कैसे भूल सकता हूँ। उसी ने तो मुझे तुम्हे छोड़ने की धमकी दी थी। उसका तो नाम भी याद है मुझे, संजीत, यही था ना", अमित बोला।

"हाँ अमित, संजीत", श्वेता बोली।

"तो, आज अचानक तुम्हे संजीत की याद कैसे गयी", अमित बोला।

"आज पार्टी में संजीत के मम्मी पापा आये थे, उनसे बात भी हुई मेरी", श्वेता बोली।

"क्या बात हुई, अब मैं शारीरिक रूप से औरत बन गया हूँ तो क्या उन्होंने तुमसे संजीत से शादी करने के लिए तो नही कहा", अमित ने पूछा।

"नही अमित, ऐसी कोई बात नही है। बल्कि तुम्हारी शादी जिस आदमी से होने जा रही है, वो कोई और नही संजीत ही है", श्वेता बोली।

"क्या, ये नही हो सकता। मेरी शादी उस आदमी से कैसे हो सकती है, नही नही, तुम झूठ बोल रही हो ना। प्लीज बोल दो ये सब झूठ है", अमित श्वेता की बातें सुनकर आवाक होकर बोला।

"यही सच है अमित, संजीत तुम्हारा होने वाला पति है, सगाई भी हो चुकी है, दो दिन बाद शादी भी है। अब कुछ नही हो सकता", श्वेता बोली।

"ऐसा होने से पहले मैं जान दे दूंगा, मैं नही करूँगा संजीत से शादी", अमित बोला।

"ऐसे नही बोलते अमित। कहते हैं कि शादी के बाद लाइफ बदल जाती है। शादी के साथ ही शुरू होती हैं नई लाइफ की जिम्मेदारियां और आप खुद में बदलाव महसूस करने लगती हैं। अगर आप भी जल्दी ही शादी करने जा रही हैं और अगर यह सवाल कि क्या आप उस बदलाव को हमेशा के लिए अपनाने के लिए तैयार हैं? आपके मन में भी हिलौरे ले रहा है तो हम आपको बता दें कि यह उन खयालों से पैदा हुआ है जिनके कारण आपको लगता है कि अभी लाइफ में कुछ करना बाकी है। यही वह खयाल है, जो आपके मन में नई लाइफ और नए बदलाव के लिए हिचकिचाहट पैदा कर रहा है। आप महसूस करती हैं कि शादी के बाद आप वह सब नहीं कर पाएंगी, जो अभी तक कर सकती हैं और यह खयाल काफी हद तक सही भी है। शादी के बाद आपका परिवार, उनकी सोच और तौर-तरीके बदल जाएंगे। आपको उनके साथ तालमेल बिठाने में ही थोड़ा वक्त लग जाएगा। तो इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए कुछ ऐसा कीजिए कि आप उस बदलाव को आसानी से अपना सकें, क्योंकि अभी लाइफ में आपने अपने दिल की बात सुन ली है। आपके मन में भी कुछ ऐसा होगा, जो आप शादी के पहले करना चाहती हैं, तो समझ लीजिए सही वक्त गया है कि आप उन कामों को अभी से करना शुरू कर दें। आइए, हम आपको बताते हैं कुछ ऐसे काम जिन्हें करने का सही समय चुका है। लड़कियों और शॉपिंग को एक-दूसरे का पूरक समझा जाता है और शादी के पहले की गई शॉपिंग का मजा ही अलग है। तो फिर आप निकल जाइए अपनी पसंद का सामान लेने के लिए। कोई भी आपके इस काम को पैसों की बरबादी नहीं कहेगा, क्योंकि आप वह कर रही हैं, जो आप करना चाहती हैं। हालांकि सामान जरूरत और बजट को देखकर ही चुनें और उसकी उपयोगिता का समय भी काफी लंबा हो, यह सुनिश्चित कर लें। अगर आपको किसी का उधार चुकाना है या किसी रूठे हुए दोस्त को मनाना है तो यह काम तुरंत कर डालिए और अपने इन दोस्तों को अपनी शादी का हिस्सा बना लीजिए। यकीन मानिए आपको अपने सभी दोस्तों की अभी बेहद जरूरत है। नई लाइफ आपको इतना मौका नहीं देगी कि आप अपने दोस्तों को मना सकें और उनके साथ मनचाहा वक्त गुजार सकें। अपने साथ कुछ समय गुजारें, खुद को समझें और याद करें अपना बचपन, किशोर अवस्था और पिछले कुछ साल। आपके बचपन के कपड़े, खिलौने, किताबें या अन्य कोई सामान जो आपको बहुत पसंद हो उसे सही जगह पर रखने की व्यवस्था कर दें। आप पाएंगी कि आपने अपनी जिंदगी को फिर से जी लिया है। बचपन और पुरानी यादें बहुत मीठी लगती हैं। आप खुद को अपने हर बीते हुए लम्हे में प्यार करेंगी। अगला काम जो आपकी आने वाली लाइफ को खुशियों और आत्मविश्वास से भर देगा वह है खुद को उस रूप में देखना, जो आपको सबसे ज्यादा पसंद है। सही पहचाना आपने कि फिट होने का यह सबसे सही समय है। तो आप जिम ज्वॉइन कर सकती हैं या शुरू कर सकती हैं सुबह की सैर। डाइट में बदलाव भी चमत्कार कर सकता है। आपकी शादी के समय ससुराल वाले चौंक जाएंगे और यह आपके जीवनसाथी के लिए सबसे अच्छा तोहफा होगा। आपको एक बार फिर खुद से प्यार हो जाएगा। याद कीजिए आप किन चीजों या काम को करने से डरती हैं जैसे कि ऊंचाई, गाड़ी चलाना, अंग्रेजी बोलना, कम्प्यूटर या फिर स्टेज पर बोलना। जब शादी के बाद लाइफ बदलने वाली है तो इन डर  को अपने साथ क्यों रखें? आप हर वह काम करें जिससे आपको डर लगता है। सिर्फ आपका डर दूर होगा बल्कि आप जबरदस्त रोमांच महसूस करेंगी। शादी के पहले या बाद में वह इंसान जिस पर आपको सबसे ज्यादा भरोसा करना चाहिए वह है आप खुद। आपको अपनी नई जगह के हिसाब से खुद को अपने ड्रीम जॉब के लिए तैयार करना है। शादी खूबसूरत रिश्ता है, पर भविष्य में क्या होने वाला है किसी को नहीं पता। आर्थिक इंडिपेंडेंस आपको कई तरह के खतरों और परिस्थितियों का सामना करने के लिए तैयार रखती है। आप घर से किए जाने वाले और बाहर जाकर करने वाले कामों में से अपनी सहूलियत के हिसाब से चुनाव कर सकती हैं। आप हमेशा से कहीं घूमना चाहती होंगी चाहे वो शिमला हो या गुलाबी शहर जयपुर। बाद में वक्त मिले मिले, अभी आपको अपनी यह इच्छा भी पूरी कर लेनी चाहिए। तो बस, निकल जाइए अपने बेहतरीन दोस्तों के साथ अपनी पसंद की जगहों पर घूमने के लिए। हां, अपने साथ अच्छा कैमरा ले जाना भूलें। यह ट्रिप एक यादगार होने वाली है जिसे आप निश्चित तौर पर सहेजना चाहेंगी। आप शादी के पहले के समय को अपने हिसाब से भरपूर जी सकती हैं और खुद को दे सकती हैं जीवनभर साथ रहने वाला तोहफा", श्वेता ने अमित को समझते हुए कहा।

"ठीक है श्वेता, तुमने इतना बड़ा लेक्चर दे दिया। ये सब शादी के बाद कि बात है, लेकिन मैं किसी और से शादी करने को तैयार हूँ, लेकिन संजीत से शादी नही कर सकता", अमित बोला।

"लेकिन क्या कमी है उसमें अमित, सरकारी नौकरी में है, देखने में कही ज्यादा स्मार्ट है, और तो और तुम दोनों की जोड़ी भी निहायती खूबसूरत है", श्वेता बोली।

"ये तुम बोल रही हो श्वेता, संजीत वही शख्श है जिसके प्रपोजल को तुमने एक्सेप्ट नही किया था। और तुम चाहती हो कि तुम्हारा बॉयफ्रेंड उसी आदमी से शादी कर ले। ये नही हो सकता", अमित बोला।

"तो क्या हुआ अमित। संजीत पहले कुछ भी नही था, लेकिन अब उसमें काफी तब्दीली गयी है। पहले सुखड़ा से था अब 8 पैक एब्स और सरकारी नौकरी और तो और उसने तो आलीशान घर भी बना लिया है। और क्या चाहिए एक आदमी में", श्वेता ने समझाया।

"तुम समझती क्यों नही श्वेता, ये सब मुझसे नही होगा", अमित ने रिक्वेस्ट करते हुए श्वेता से कहा।

"तुम सब कुछ कर सकते हो अमित। संजीत जैसा दूल्हा मिल रहा है तुम्हे, तुम रेस्ट करो", श्वेता बोली।

अमित श्वेता की बातें सुनकर और अपने होने वाले पति के बारे में जानकर इतना नर्वस हो गया कि वो डर से जोर जोर से रोने लगा। फिर श्वेता ने अमित को शांत किया और समझाया कि अब इस शादी को होने से कोई नही रोक सकता। अमित को यकीन नही हो रहा था कि उसकी शादी उसके उम्र से 10 साल ज्यादा उम्र के आदमी से होने वाली थी। रात को अमित को विक्की ने भी कॉल करके शादी के लिए बधाई दी। अमित की माँ ने उसके दोस्तों को भी खबर भिजवा दिया था कि अगले दिन अमित की शादी है। अमित के औरत बनने की बात से बेखबर उसके दोस्तों को जब पता चला कि अमित की शादी है तब वे बहुत खुश हुए। इधर शादी से एक दिन पहले अमित को डार्क कलर मेहंदी और डार्क गुलाबी रंग के नेलपॉलिश से डेकोरेट किया। फेसिअल, ब्लीच और कुछ आयुर्वेदिक लेप लगाया गया।

शादी वाले दिन,

"श्वेता, अमिता तैयार हो गयी, थोड़ी ही देर में बारात आती ही होगी", अमित की माँ बोली।

"दुल्हनिया तैयार है माँ जी, आप बस ऑर्नामेंट्स भिजवा दीजिये", श्वेता बोली।

"पप्पू, तू क्या कर रहा है", अमित की माँ ने पूछा?

"कुछ नही आंटी, वैसे अमित कहीं दिख नही रहा", पप्पू जो अमित का बचपन का दोस्त था, वो बोला।

"अच्छा एक काम कर पप्पू, ये बॉक्स ऊपर ले जाकर श्वेता को दे देना, अमित के कमरे में है", अमित की माँ बोली।

ऊपर जाने पर पप्पू ने बॉक्स श्वेता को दिया और उससे पूछा, "अमित कहीं दिख नही रहा श्वेता।"

"हाहाहाहा, पप्पू, तुम सच मे पप्पू हो। अमित तुम्हर सामने बैठा है और तुम मुझसे अमित के बारे में पूछ रहे हो", श्वेता बोली।

"लेकिन सामने तो तुम्हारे और दुल्हन के सिवा कोई भी नही है", पप्पू बोला।

"हाहाहाहा, पप्पू ये जो दुल्हन है ना, ये कोई और नही अमित ही है", श्वेता बोली।

पप्पू को श्वेता को बात पर यकीन नही हुआ लेकिन जब उसने घूँघट हटाने को कहा तब अमित ने अपना घूँघट हटाया।

"अमित, तुम दुल्हन की लिबास में क्या कर रहे हो", पप्पू बोला।

इससे पहले कि अमित कुछ जवाब देता, श्वेता बोली, "अब एक मर्द की दुल्हन बनने जा रहा है अमित, तो दुल्हन का ही लिबास तो पहनेगा ना। अच्छा तुम दोनों आपस मे बातें करो, मैं 10 मिनट्स में आती हूँ।"

"ये क्या है अमित, तुम तो मर्द हो ना, फिर ये सब क्या है?", पप्पू ने अमित से पूछा।

"मेरा सेक्स चेंज सर्जरी हुआ है, उनके बाद मेरा बॉडी लड़की जैसा हो गया है, लेकिन मेरा मन, दिल और दिमाग आज भी लड़के का ही है।", अमित ने पप्पू से कहा।

"अच्छा तो ये .... बूब्स अलसी हैं?", पप्पू ने पूछा।

"हां", अमित ने कहा।

"और तुम्हारे पेनिस का क्या, क्या वो भी....?", पप्पू ने पूछा।

"हां पप्पू, डॉक्टर्स ने मेरा पेनिस भी रिमूव कर दिया गया है।", अमित बोला।

"तो फिर उसकी जगह?", पप्पू बोला।

"उसकी जगह अब वजाइना है, जैसी औरतों की होती है।", अमित बोला।

"अच्छा, तुमने अपने नाक कान भी छिदवा लिए अमित।", पप्पू ने पूछा।

"मैंने नही छिदवाए, मेरी माँ ने जबरदस्ती मेरे नाक कान छिदवा दिए।", अमित बोला।

"यार कुछ भी कहो, चाहे तुम मन से मर्द हो, लेकिन तन से, सच मे बेहद खूबसूरत हो। मुझे यकीन नही हो रहा अमित, कि आज तुम दुल्हन बनने जा रहे हो।", पप्पू ने मजकिये लहज़े में कहा।

"पप्पू प्लीज् मुझे बचा लो, मुझे ये शादी नही करनी। ये सब मेरी शादी जबर्दस्ती करवा रहे हैं। मुझे संजीत से शादी नही करनी, मुझे उसकी दुल्हन नही बनना।", अमित रोते रोते पप्पू से कहा।

"लेकिन इसमें मैं क्या कर सकता हूँ अमित। तुम्हारे परिजन अगर यही चाहते हैं कि तुम संजीत की दुल्हन बन जाओ, तो इसमें गलत क्या है। संजीत की कमाई बहोत ज्यादा है और इतना स्मार्ट लडका कहाँ से मिलेगा। मेरी मानो तो तुम खुशी खुशी संजीत के साथ शादी कर लो और उसके साथ अपना घर बसा लो। लेकिन एक बात तो है अमित, संजीत तो तुम्हारे साथ सुहागरात मनाएगा तो वो सब करेगा जो एक मर्द एक औरत के साथ करता है, मेरा मतलब समझ रहे हो ना....", पप्पू बोला।

"मैं ये सब, पप्पू ये सब मुझसे नही हो सकेगा यार। संजीत मेरे साथ सुहागरात... नही नही, ये सब सोच कर ही डर लग रहा है पप्पू। प्लीज् पप्पू मुझे ये शादी नही करनी, कुछ भी करो लेकिन इस शादी को रुकवा दो।", अमित बोला।

"शादी रुकवाना मेरे हाथ मे नही है अमित, तुम्हारे परिजनों के हाथ मे है। अगर संजीत ने तुमसे शादी कर लिया तो तुम सोच सकते हो कि वो तुम्हारे साथ क्या क्या करेगा!" पप्पू बोला।

"प्लीज् पप्पू, तुम तो मेरे सबसे अच्छे दोस्त हो ना। शादी को रुकवा नही सकते।", अमित बोला।

"नही रुकवा सकता अमित, अब तुम्हारे पास सिर्फ एक ही रास्ता है।", पप्पू बोला।

"वो क्या पप्पू?", अमित ने पूछा।

"तुम खुद को सुहागरात के लिए तैयार कर लो अमित। सुहागरात में संजीत तुम्हे चोदे बिना नही मानेगा, तुम्हारे ये बड़े बड़े बूब्स को चूसे बिना कैसे रह पाएगा और वो तो यही चाहेगा कि जितनी जल्दी हो सके तुम भी उसे वैसे ही सन्तुष्टि दो।", पप्पू बोला।

"ये सब क्या बोले जा रहे हो तुम पप्पू। मैं तुमसे हेल्प मांग रहा हूँ और तुम मुझे ही....", कहकर अमित रोने लगा।

तभी श्वेता वहां गयी।

"अमित आदमी था, लेकिन अब औरत है। और औरत बनने के साथ ही इस घर की बड़ी बेटी भी बन गया। अमित के मम्मी पापा ने एक आदमी के साथ रिश्ता तय कर दिया और देखो आज हमारा अमित दुल्हन बनकर अपने दूल्हे के इंतेज़ार कर रहा है", श्वेता बोली।

"हम्म, जो भी कहो, बिना मेकअप इतना सुंदर दिख रहा है तो दुल्हन की लिबास में तो कहर ही ढा देगा अपना अमित।", पप्पू बोला।

"हाँ पप्पू, और अमित का नाम अब अमिता है। और इसके लिए स्त्रीलिंग भाषा का इस्तेमाल करो। अमिता जब दुल्हन तैयार हो जाएगी, फिर अमिता को देखना।", श्वेता बोली।

फिर श्वेता ने अमित के माथे पर मांगटीका सजाया, फिर दो बड़े बड़े झुमके कानों में पहनाए। फिर गले मे एक नौलखा हार, एक सोने का हार, दोनो हाथों में पांच रिंग्स वाला सोने का ब्रेसलेट पहनाया, फिर कलाई में सोने के 2 बड़े हैवी कंगन, बाहों पर बाजूबंद पहनाया। फिर कमर में कमरबंद, पैरों में हैवी पायल और नाक में एक कुमाऊनी नथ पहनाया जो इतना बड़ा था कि अमित का आधा चेहरा उसी से ढंक गया। अमित को ये नथ बहुत चुभ रहा था और उसने श्वेता से कई बार नथ उतारने को भी कहा लेकिन श्वेता ने समझाया कि ये नथ अमित के ससुराल वालों के तरफ से आया है, वो कुछ नही कर सकती। आंसू को रोकने की काफी कोशिश करने के बावजूद अमित की आंखों से आंसू निकल गया।

"नही अमित, रो मत। तुम्हारे आंसुओं से तुम्हारा मेकअप खराब हो जाएगा", श्वेता ने अमित का मेकअप ठीक करते हुए कहा।

अमित को तैयार करने के साथ ही धूम धड़ाके की आवाज़ सुनकर श्वेता अमित से बोली, "लो अमित गयी बारात।"

अमित इन धूम धड़ाके की आवाज़ सुनकर अंदर से कांपने लगा। वो कभी नही चाहता था, कि उसकी शादी एक मर्द से हो लेकिन, उसका ये डरावना सपना, अब सच होने जा रहा था। जो लड़की अमित की दुल्हन बनने जा रही थी, वही लड़की अमित को दुल्हन की तरह सजा कर, उसे किसी मर्द की दुल्हन बनने के लिए तैयार कर रही थी। थोड़े देर में ही अमित की माँ वहां गयी और अमित को स्टेज पर ले जाने को बोल कर वहां से चली गयी। धीमे धीमे कदमों से स्टेज की तरफ बढ़ते हुए अमित की दिल की धड़कन बढ़ते जा रही थी। अपने दोनों हाथों से अपना लहँगा उठाये, चूड़ियों और जवैलरीज़ की खनक और अपने हर कदम के साथ बाउंस करते हुए बूब्स अमित को डरने को मजबूर कर रहे थे। नाक में कुमाऊनी नथ भी बार बार अमित के लाल होंठों से टकरा रहा था। धीरे धीरे अमित स्टेज पर पहुंचा जहां संजीत यानी कि अमित का होने वाला पति पहले से ही स्टेज पर मौजूद था। उसके साथ उसके दोस्त और उसके परिवार के सदस्य खड़े थे। अमित ने अपने आस पास देखा तो श्वेता, पप्पू और उसके बचपन के दोस्त और कॉलेज के दोस्त खड़े थे। संजीत की हाइट काफी अच्छी थी और 4 इंच की जगह 5 इंच वाला सैंडल्स पहनने के बावजूद अमित संजीत की छाती तक ही पहुच पा रहा था। जयमाला शुरू हुआ। पहले श्वेता ने अमित को एक थाली देकर कहा कि वो संजीत की आरती उतारे। अमित ने संजीत की आरती उतारी। फिर संजीत ने अमित को फूलों का हार पहनाया, फिर अमित ने संजीत को फूलों का हार पहनाना चाहा, लेकिन एक तो ऊंची हाइट और संजीत झुकने को राजी नही हो रहा था। फिर अमित के दोस्तों ने अमित को कंधे पर उठा लिया, फिर अमित ने संजीत को फूलों का हार पहनाया। सभी हसने लगे और तालियों की गड़गड़ाहट से हॉल गूंज उठा। सभी संजीत और अमित को शादी की शुभकामनाएं देने लगे। मेहमान आते, संजीत और अमित को बधाई देते और संजीत से कहते कि वो खुशनसीब है जो उसे इतनी सुंदर दुल्हन मिली है। संजीत थैंक्स बोलता और गिफ्ट्स अमित को देता जाता। फ़िर आधे से ज्यादा मेहमान के जाने के बाद शादी के लिए संजीत और उसकी नई नवेली दुल्हन अमित को मंडप पर ले जाया गया। मंडप पर संजीत ने अमित के मांग में सिंदूर भरा, गले मे मंगलसूत्र पहनाया, अग्नि के सात फेरे लिए और कुछ मंत्रोचारण के बाद शादी सम्पन्न हुआ। सभी ने संजीत को यशश्वी होने का और अमित को सदा सौभाग्यवती रहने का आशीर्वाद दिया।

पंडित जी बोले, "अब आप दोनों पति पत्नी हैं, और आज से हर कदम पर आपको साथ चलना है, हमारा आशीर्वाद हमेशा आप दोनों के साथ है।"

विदाई का समय कब गया इसका पता भी नही चला। विदाई के दर्द भरे गानों से सभी का दिल भर आया था। "बाबुल की दुआएं लेती जा, जा तुझ को सुखी सन्सार मिले, मैके की कभी याद आए, ससुराल में इतना प्यार मिले" जैसे इमोशनल कर देने वाले गानों को सुनकर अमित भी इमोशनल हो गया।

"माँ मुझे आप लोगों को छोड़ कर नही जाना", अमित रोते हुए बोला।

"बेटी, अब तुम्हारा ससुराल ही तुम्हारा घर है, बेटियों को आज नही तो कल अपना घर छोड़कर ससुराल जाना ही पड़ता है। देख अमिता तुम्हारे पति, सास, ससुर जो भी कहें वो चुपचाप करना। हमेशा घूँघट में रहना, अपने सास ससुर की सेवा करना और अपनी मर्यादा का ख्याल रखना", अमित की माँ बोली।

"लेकिन माँ, आपसब को छोड़ कर नही जाना, प्लीज माँ, रोक दो सबकुछ, प्लीज्", अमित रोते हुए बोला।

"देखो अमिता, अब देर हो रहा है। विदाई का समय हो चला है, सभी इंतेज़ार कर रहे हैं", अमित के पापा बोले।

फिर अमित को उसके पापा कार तक लेकर आये। किसी नार्मल लड़की की तरह अमित भी फुट फुट कर रोया। फिर संजीत ने सबके सामने अमित को अपनी गोद मे उठा लिया और अपनी कार में बिठाकर अपने साथ ले गया और सभी देखते रह गए।

विदाई के बाद पप्पू भी अपने घर गया। घर आते ही पप्पू की माँ ने पूछा कि शादी कैसी थी। अमित ने तो शादी भी कर ली, बस तू भी जल्दी से शादी कर ले।

"वैसे पप्पू, एक बात बता?", पप्पू की माँ ने उससे पूछा।

"बोलो माँ", पप्पू बोला।

"अमित ने शेरवानी पहना था या सफारी सूट? और अमित की दुल्हन कैसी है देखने में?", पप्पू की माँ ने पूछा।

"क्या बताऊँ माँ! समझ मे नही रहा कि तुम्हे कैसे बताऊँ?", पप्पू अपनी माँ से बोला।

"अरे बता ना, इसमें ऐसा क्या है?", पप्पू की माँ बोली।

"अरे माँ, क्या बताऊँ। मैं तो अमित की शादी में एन्जॉय करने गया था, लेकिन वहां के नजारे तो कुछ और ही थे। श्वेता है ना, अमित की गर्लफ्रैंड माँ! श्वेता अमित को दुल्हन के लिबास में सजा रही थी, बात की तो पता चला कि अमित ने सेक्स चेंज आपरेशन करवा लिया है और वो औरत बन चुका है। अमित की माँ ने तो उसका नाक कान भी छिदवा दिया है और कानों में झुमके और नाक में बड़ा सा नथिया पहनकर अमित बहुत खूबसूरत दिख रहा था। फिर संजीत शेरवानी में दूल्हा बनकर बारात लेकर आया और अमित के साथ सात फेरे लिए, उसकी मांग में सिंदूर भरा, पैरों में बिछुए पहनाए और गले मे मंगसूत्र पहनकर अमित को अपनी दुल्हन बनाकर अपने साथ ले गया। मुझे तो यकीन ही नही हो रहा था कि संजीत से अमित इतना नफरत करता था और अब उसी की दुल्हन बन गया। श्वेता भी बहुत खुश थी और विदाई के समय भी अमित आम लड़कियों की तरह बिलख बिलख कर रो रहा था, तब श्वेता उसे ससुराल में सभी को खुश रखने की सलाह दे रही थी।", पप्पू बोला।

"तू शराब पी कर आया है, क्या अनाप शनाप बक रहा है।", पप्पू की माँ ने उससे कहा।

"नही माँ, मैने शराब नही पी। मैं सच कह रहा हूँ। अमित को संजीत अपनी दुल्हन बनाकर ले गया है। अमित भी संस्कारी औरत की तरह घुँघट में चुपचाप संजीत के साथ चला गया।", पप्पू ने अपनी माँ से कहा।

"खैर तेरी बातें तो मेरी समझ की परे है। मैं खुद से जाऊंगी और अमित की माँ से बात करूंगी। और हो क्या गया है आज कल के लड़कों को। कुछ दिनों पहले भी एक लड़का लड़की बन गया था। पप्पू तू भी जल्दी से शादी कर ले अच्छी लड़की देखकर, ऐसा ना हो कि तू भी अमित की तरह औरत बन गया तो तेरे लिए दुल्हन की जगह एक दूल्हा देखना पड़ेगा। ", पप्पू की माँ बोली।

"ये क्या बोले जा रही है माँ, तेरा बेटा मर्द है, तू मेरी फिक्र मत कर। ठीक है माँ, वैसे मैं तो ये सोच रहा हूँ कि आज संजीत अमित के साथ अपनी पहली सुहागरात मनाएगा, उसके साथ पता नही क्या क्या करेगा।", पप्पू बुदबुदाते हुए बोला।

"क्या बुदबुदा रहा है पप्पू?" पप्पू की माँ ने पूछा।

"कुछ नही माँ, मैं फ्रेश होकर बात करता हूँ।", पप्पू ने कहा और फ्रेश होने चला गया।

इधर अमित को अपनी बाहों में लेकर संजीत रास्ते भर उसको निहारते रहा और एक सुशील दुल्हन की तरह अमित चुपचाप घूँघट में अपना सिर झुकाए बैठा रहा।

अमित को समझ गया था कि अब उसे ऐसी ही जिंदगी जीना है, एक मर्द की दुल्हन बनकर, किसी के घर की बहू बनकर। बचपन से किसी लड़की को अपनी दुल्हन बनाने का सपना देखने वाला अमित अब खुद किसी की दुल्हन है।

2 घंटे बाद गाड़ी एक बहुत बड़े हवेली के सामने आकर रुकी। अमित को पता भी नही चला कि रास्ते मे उसे कब नींद गया। जब संजीत ने देखा कि अमित सोया हुआ है तब उसने अमित का घूँघट ठीक किया और खुद अमित को अपनी गोद मे उठाकर गाड़ी से बाहर निकला। वैसे भी संजीत के घर की परंपरा है कि दूल्हा अपनी दुल्हन को अपनी गोद मे उठाकर ही सारे रीति रिवाज को पूरा करता है। फिर सभी रीति रिवाजों को पूरा करने के बाद संजीत अमित को अपने कमरे में ले गया जहां पहले से ही उसकी बहनें इंतेज़ार कर रही थी। संजीत ने अमित को बिस्तर पर लिटा दिया और खुद कमरे से बाहर गया। थोड़ी देर बाद अमित की नींद खुली तो उसने खुद को फूलों से सजे बिस्तर के बीचोबीच पाया। संजीत की बहनों ने देखा कि अमित की नींद खुल गयी है, तब वो अमित को घेर कर बैठ गयीं और अमित से बातें करने लगीं। अमित जब मर्द था तब ऐसी लड़कियों के बीच खूब मजे करता, लेकिन खुद औरत बन जाने के बाद उसे ये सब बहुत अजीब लग रहा था। लड़कियां अमित को भाभी बोल रहीं थीं और बात बात पर छेड़ रहीं थी, और अमित घूँघट में अपना सिर झुकाए सबकुछ सुन रहा था और उसे शर्म भी रहा था।

तभी संजीत की कजिन बहन बोली, "आज भैया के साथ आपकी सुहागरात है भाभी, कैसा लग रहा है आपको?"

अमित कुछ बोल नही सका और सिर झुका लिया। तभी संजीत की दूसरी बहन बोली, "भाभी तो बड़ी शर्मीली हैं, चलो अब काफी देर हो गया है। अब भाभी को सुहागरात के लिए तैयार भी करना है।"

उन दोनों ने अमित को मिरर के सामने बिठाया।पहले मेकअप ठीक किया, फिर कुमाऊनी नथ को उतार कर उससे भी बड़ा कुमाऊनी नथ पहना दिया। इतना बड़ा नथ अमित ने जिंदगी में पहले कभी नही देखा था। वो नथ काफी डिज़ाइनर और हैवी था और उसका नाक भी दर्द देने लगा उस नथ को पहनकर। फिर उनदोनो ने अमित को फूलों से सजे बिस्तर पर बिठाया, और उसका घूँघट कर दिया। फिर अमित को गुडलक विश किया, केसर-दूध का ग्लास टेबल पर रख दिया।

"बहुत सा एक्साइटमेंट, बहुत सारी नर्वसनेस.. शादी के बाद पहली रात हम एक्सट्रीम कंडीशंस से गुज़रते हैं भाभी। जी हां, हम बात कर रहे हैं सुहागरात के बारे में। बिल्कुल ठीक समझी अमिता भाभी। शादी के ठीक पहले लोग दुल्हन को तैयार करने में लगे होते हैं... हर कैमरे का फोकस उसकी मुस्कान खींचना चाहता है और किसी को फुर्सत ही नहीं होती ये जानने की कि दुल्हन के दिमाग में क्या चल रहा है। हम आप को बता दें कि दुल्हन आने वाले उन दिनों के बारे में सोच रही होती है जब ये लोग नहीं रहेंगे। और इस समय उसके दिमाग में कई तरह के सवाल आते- जाते रहते हैं। क्या होगा सुहागरात... सेक्स के समय.. उफ़्फ़!", पिंकी ने अपनी अमिता भाभी को छेड़ते हुए कहा।

रिंकी बोली, "शादी के बाद दुल्हा, दुलहन दोनों को इन्तजार रहता है सुहागरात का यह दोनों के विवाहित जीवन की पहली और सबसे ख़ास रात होती है, जिसके सपने लड़का लड़की दोनों बरसों से देख रहे होते हैं! दोनों अपनी इर रात को यादगार बनाना चाहते हैं, इसके लिए उन्होंने पूरी तैयारी भी की होती है, लड़की के मन में पहले सेक्स का डर समाया होता है तो रोमांच भी होता है, वहीं लड़का भी रोमांचित होने के साथ साथ कुछ डरा हुआ होता है की उससे सब कुछ ठीक ठाक हो भी पाएगा या नहीं!"

"हाहाहाहा, रिंकी, तुम सही बोल रही हो, चलो बहुत लेक्चर दे दिया, अब बाहर चलते है", पिंकी बोली।

"हाँ, रिंकी। भैया आते होंगे, भाभी को ज्यादा परेशान किया तो भाभी भैया से शिकायत कर देंगी, है ना भाभी", रिंकी बोली।

उसके बाद दोनों हंसी मजाक करते हुए वहां से चले गए। हल्की सी आहट होती और अमित अंदर से कांप जाता। सहमा सिकुड़ा घुंघुट में, अपने दोनों हाथों से अपने दोनों पैरों को समेटे हुए, अपने पति का इंतेज़ार करते करते, अमित को कब नींद गया, इसका पता भी नही चला। थोड़ी देर बाद संजीत कमरे में आया तो अमित फिर से सो चुका था। आमित के नाक तक घूँघट, ग्लॉसी लाल होंठो को चूमता बड़ा और हैवी कुमाऊनी नथ, चोली के बाहर आने की कोशिश करते दोनों उरोज़ और हर सांस के साथ ऊपर नीचे होते हुए काफी आकर्षक दिख रहे थे। पतली कमर और सुंदर नाभि को देखकर संजीत खुद पर काबू करने में असमर्थ हो रहा था। संजीत अमित के पास गया और जैसे ही उसका घूँघट उठाना चाहा, अमित की नींद खुल गयी।

संजीत को सामने देख अमित ने झटपट अपना घूँघट ठीक किया, बिस्तर से नीचे उतरकर अपने दूल्हे के पैर छूकर उसका आशीर्वाद लेने के लिए जैसे ही झुका, संजीत ने अमित को ऊपर उठाया, उसके चिन पर अपना हाथ रखा और चेहरे को ऊपर उठाते हुए बोला, "तुम सिर्फ मेरी दुल्हन ही नही बल्कि मेरे सपनो की रानी हो अमिता। तुम्हारी जगह मेरे पैरों में नही बल्कि मेरे दिल मे है।"

फिर अमित ने केसरयुक्त दूध का ग्लास जो कि टेबल पर रखा हुआ था, उसे उठाया और संजीत को देते हुए, अपने फेमिनिन आवाज़ में बोला, "आप ये दूध पी लीजिये।"

एक ही पल में संजीत ने आधा ग्लास दूध पी लिया और आधा ग्लास अमित को देकर बोला, "ये आधा ग्लास दूध तुम पी लो, मेरी रानी।"

हिचकिचाहट में अमित ने अपने पति के हाथों से ग्लास लिया और उसे पी लिया। फिर अमित मुड़ा और टेबल पर ग्लास रख दिया। फिर अमित जैसे ही मुड़ा, संजीत ने उसे अपनी गोद मे उठा लिया और बिस्तर पर बिठा दिया। फिर संजीत अमित के करीब आने लगा। जैसे जैसे संजीत अमित के करीब आता, अमित ऊपर की तरफ खिसकता जाता और खुद को सिकोड़ कर खुद को बचाने की कोशिश करता। लेकिन बकरे की माँ कब तक खैर मनाती। संजीत अमित के सामने बैठ गया और उसका घूँघट उठाया। अमित को देखकर संजीत से रहा नही गया और उसने अमित के होंठों पर एक किस कर लिया।

"ये आप क्या कर रहे हैं", अमित शर्माते हुए बोला।

"वही जो पहली सुहागरात के दिन एक दूल्हा अपनी दुल्हन के साथ करता है", संजीत बोला।

"लेकिन मैं अभी इनसब के लिए तैयार नही हूँ", अमित बोला।

"कोई दुल्हन इनसब के लिए तैयार नही होती", संजीत बोला।

"लेकिन अभी तो मैं आपको ठीक से जानती भी नही", अमित बोला।

"अच्छा तो ये बात है, चलो मैं तुम्हे अपने बारे में बताता हूँ। स्कूल टाइम में मै काफी पतला था और मेरे दोस्त मुझे बहुत चिढ़ाते थे। हालांकि पढ़ने में मैं काफी अच्छा था, हमेशा अच्छे मार्क्स से पास होता। जब मैं कॉलेज में था तब एक लड़की मुझे बहुत पसंद थी, लेकिन जब मैंने उस लड़की को प्रोपोज़ किया। तब उस नकचढ़ी लड़की ने ये कहकर मेरा प्रपोजल ठुकरा दिया, कि मैं उसके लायक नही। उस लड़की का नाम श्वेता था और उसे अमित नाम के लड़के ने प्रोपोज़ किया तो उसने तुरंत उसका प्रोपोजल एक्सेप्ट कर लिया, क्योंकि वो उसी के कास्ट का था। फिर मैंने एसएससी का एग्जाम क्वालीफाई किया और आज मैं एक बेहतरीन पोस्ट पर हूँ। और तुम श्वेता से लाख गुना सुंदर हो और मैं भगवान का शुक्रिया अदा करता हूँ, कि उस दिन श्वेता ने मेरा प्रोपोजल एक्सेप्ट नही किया। नही तो मुझे इतनी सुंदर दुल्हन कैसे मिलती", संजीत बोला।

"थैंक्स, लेकिन आपकी कोई गर्लफ्रैंड नही बनी कभी", अमित ने पूछा।

"अभी तक तो नही बनी, लेकिन अब सोचता हूँ कि क्यों ना तुम्हे ही अपनी गर्लफ्रैंड भी बना लूँ। वैसे भी मेरी वाइफ तो ऑलरेडी बन चुकी हो तो मेरी गर्लफ्रैंड बनने में कोई हर्ज नही होनी चाहिए", संजीत हंसते हुए बोला।

"कोई हर्ज नही है", अमित बोला।(बोलने के बाद अमित मन ही मन ये सोच रहा था कि वो कर क्या रहा है। वो तो गे नही था, फिर ये फीलिंग उसे क्यों रही थी। ये सब जो हो रहा था, अमित के समझ मे कुछ नही रहा था। उसे बस एक डर सताए जा रहा था कि संजीत उसके साथ अब वो सब करेगा जो एक मर्द अपनी दुल्हन के साथ सुहागरात में करता है। खुद को बचाने की पूरी कोशिश कर रहा था लेकिन अमित को पता था कि उसके साथ क्या होने जा रहा था। अमित ने श्वेता के साथ सुहागरात में जो सब करने का प्लान बनाया था, आज वो प्लान उल्टा पड़ गया था।)

"ये हुई ना बात मेरी रानी। बात करते करते ना जाने कितना समय बर्बाद कर दिया। चलो अब सोते हैं", संजीत ने अमित से कहा।

उसके साथ कुछ देर तक प्यार की बातें करने का बाद सबसे पहले संजीत ने अमित का घूँघट उठाया और उसके उसके माथे पर किस किया, जो उनदोनो का पहला किस था। संजीत के किस करते ही अमित सिहर उठा, उसके शरीर के साथ साथ रूह भी कांप उठा और संजीत ने अमित के हाथों को कस कर पकड़ लिया। संजीत ने धीरे धीरे अपनी दुल्हन यानी कि अमित को किस करना शुरू किया और उसके हाथ को सहलाना शुरू किया। अमित शर्मा रहा था और उसका शरीर थरथरा रहा था।

दस मिनट तक अमित के हाथ को सहलाने के बाद संजीत ने धीरे से उसके गले को अपने होंठों से सहलाना शुरू किया और गाल पर किस किया। गाल पर किस करते ही संजीत ने अमित को गले से लगा लिया। इसी बीच संजीत ने अमित के उसकी गर्दन पर किस तेज किया और उसके बालों में हाथ फिराना चालू कर दिया।

अब संजीत की दुल्हन भी धीरे धीरे गरम होने लगी थी और उसके मुँह से आआअहह.. निकल रही थी। कुछ देर ऐसे ही करने के बाद संजीत ने धीरे से अमित के जांघ को सहलाना शुरू किया, तो वो काँप उठा। अब संजीत ने अमित के गाल और नेक पर किस करते करते उसने अमित को लिप किस करना शुरू किया। नाक में बड़ा सा नथ अमित और संजीत के किस में रुकावट बन रहा था, अमित के नाक में दर्द भी हो रहा था, लेकिन संजीत ने यह कहकर नथ नही उतारा कि वो नथ अमित के सुंदर से मुखरे पर चार चांद लगा रहा है।

अमित ने सोचा था कि सबसे पहले संजीत उसका नथ उतार देगा, लेकिन संजीत तो एक पल के लिए भी अपनी दुल्हन को बगैर नथ के नही देखना चाहता।

अमित भी अब तक गरम हो गया था और संजीत का साथ निभा रहा था। ये अमित को अपनी दुल्हन बनाने के बाद संजीत और अमित का पहला लिप किस था। एक मर्द के साँसों की गर्मी अब अमित के ऊपर छाने लगा था। अमित मन ही मन ये सोच रहा था कि आखिर वो लड़का से लड़की बना ही क्यों। काश ऐसा कुछ ना होता तो आज श्वेता के साथ अमित सुहागरात मना रहा होता। लेकिन नियति में उसे अपने पहचान को छोड़ने और औरत बनना और एक मर्द की दुल्हन बनना ही लिखा था, जो अमित के मन मे बैठा उसका मर्द रूप स्वीकार करने को तैयार नही हो रहा था। इसी बीच संजीत ने अमित के कपड़े उतारने शुरू किए। पहले अमित की चोली की डोरी खोल दिया। अमित ने आगे की ओर से अपना चोली कस कर पकड़ लिया लेकिन फिर संजीत ने उस चोली को बड़े ही आहिस्ते से अमित से अलग कर दिया। फिर संजीत ने अमित का लहँगा उतार दिया और अमित के सामने बैठ गया। अमित संजीत यानी कि उसके दूल्हे के सामने गहनों के अलावे सिर्फ ब्रा और पैंटी में था।

अमित इस वक्त बहुत शर्मा रहा था और अपने आप को अपने हाथों से ढकने का प्रयास कर रहा था। संजीत ने अमित से अलग हो कर अपने कपड़े भी उतार दिए थे और सिर्फ़ अंडरवियर में गया था। अंडरवियर में से संजीत का 7 इंच लंबा और 2 इंच मोटा लंड खड़ा उसे सलामी दे रहा था।

संजीत ने अमित के हाथों को उसके बूब्स पर से हटाया और उसके होंठों पर अपने होंठ टिका कर लिप-किस करना शुरू कर दिया, साथ ही एक हाथ से उसके बूब्स को भी सहलाना शुरू कर दिया।

जैसे ही संजीत ने अमित के बूब्स को हाथ लगाया, वो फिर से सिहर उठा और संजीत से जोर से गले से लग गया। (ये क्या किया अमित तुमने, एक मर्द की छाती पर सिर रख कर उसकी बाहों में खुद को कैसे समर्पित कर सकते हो तुम। ये सब उस वक़्त अमित के मन मे चल रहा था, अमित ने खुद को समर्पित कर दिया था और संजीत ने भी उसे अपनी नंगी छाती से चिपका लिया। संजीत और अमित दोनों के तन की गर्मी ने एक दूसरे को प्यार का अहसास करना शुरू कर दिया था।

दस मिनट तक संजीत अमित के सॉफ्ट रसीले होंठों को चूमता रहा और इसी बीच संजीत ने धीरे से अमित का ब्रा खोल दिया। अब अमित सिर्फ़ पेंटी में रह गया था, उस 34 इंच के टाइट बूब्स क़यामत लग रहे थे। इस वक्त संजीत को अमित क्या मस्त माल जैसा आइटम लग रहा था। अब संजीत ने अमित को बेड पर चित लिटा दिया और उसके ऊपर चढ़ कर उसके बदन को चूमने लगा. संजीत अमित को ऊपर से नीचे तक किस करने लगा और चाटने लगा. अमित भी इतना गरम हो गया था कि जैसे ही संजीत के होंठ उसकी वजाइना को चूमते, वो अकड़ जाता। अमित के सारे बदन पर किस करने के बाद संजीत ने उसे गले से लगा लिया।

इधर संजीत का लंड उसके अंडरवियर को फाड़ कर बाहर आने को बेताब हो रहा था। संजीत ने अमित को बेड पर उल्टा लेटने को कहा और धीरे से उसकी कमर को सहलाना शुरू किया। संजीत ने अमित के ऊपर हो कर उसके हाथों को पूरा टाइट करके पकड़ा हुआ था, क्योंकि संजीत के किस करते ही अमित पलट कर सीधा होने की कोशिश कर रहा था। अमित के कमर को किस करने के बहाने संजीत ने अपना लंड उसकी गांड पर टिका दिया और उसे कमर के ऊपर किस करता रहा। इस वक्त संजीत एक हाथ से साइड से अमित के बूब्स को भी सहलाए जा रहा था।(अमित को यकीन नहीं हो रहा था, की एक आदमी उसके साथ सुहागरात मना रहा था, और एक आज्ञाकारी और सुशील पत्नी की तरह अमित चुपचाप से अपने पति संजीत की हर बात को मान रहा था।

कुछ मिनट तक अमित को पूरी तरह से चाटने और किस करने के बाद, संजीत ने उसकी पैंटी को छुआ तो पैंटी गीली हो रही थी। संजीत ने पैंटी के ऊपर से ही उसकी वजाइना को सहलाना शुरू किया तो अमित पलट कर सीधा हो गया।

संजीत ने देर ना करते हुए उसे सहलाना चालू रखा और अमित की पैंटी के अन्दर हाथ डाल दिया। जैसे ही संजीत के हाथ ने अमित की वजाइना को छुआ, उसने संजीत का हाथ पकड़ना चाहा, पर संजीत ने अमित का हाथ हटा दिया।

अब अमित जोर जोर से सिसकियां लेने लगा और जोर जोर से आआअहह.. आआआहह.. कर रहा था। अमित की सीत्कारों की आवाज़ कमरे में गूँज रही थीं। इधर संजीत के लंड का हाल भी बुरा हो रहा था, लेकिन संजीत बिल्कुल भी जल्दबाजी नहीं करना चाहता था। संजीत ने धीरे से अमित का हाथ पकड़ा और अपने अंडरवियर के अन्दर अपने लंड पर रख दिया। लंड को छूते ही उसने अपना हाथ तेज़ी से बाहर निकाल लिया। इतने में संजीत ने अमित की पैंटी उतार दी और उसे पूरा नंगा कर दिया। संजीत ने अमित का नाज़ुक हाथ अपने लंड पर रखा और उसकी वजाइना में उंगली कर दी। जैसे ही उंगली थोड़ी सी अन्दर गई, अमित आआआ.. अहह.. करके कराह उठा और उसने अमित का हाथ पकड़ लिया। संजीत ने अमित को लिप किस किया और उसे हाथ से अपना लंड पकड़ने को कहा। अमित ने संजीत का लंड पकड़ तो लिया, लेकिन उस लंड की लंबाई और मोटाई देखकर उसके होश उड़ गए। फिर संजीत के कहने पर अमित ने काफी देर तक उसे शेक किया।

संजीत ने अचानक अमित के होंठों पर अपना लंड रख दिया और कहा, "अमिता डार्लिंग, ये लंड तुम्हारे प्यार का प्यासा है, इसे किस करो।"

"ये तो बहुत बड़ा है", अमित ने डरते हुए संजीत से कहा।

"इसे प्यार करो मेरी जान, तुम्हे बहुत अच्छा लगेगा", संजीत बोला।

ऐसे सिचुएशन में अमित के पास अपने पति की बातों को मानने के सिवा कोई और रास्ता नही था। संजीत का लंड अमित के रसीले होंठों पर था। अमित ने संजीत के लंड को जैसे ही किस किया, वो और बाद और टाइट हो गया। जैसे जैसे अमित संजीत के लंड को किस करता और और भी बड़ा होता जाता। फिर अचानक संजीत ने अमित के होंठों के बीच अपना लंड रख दिया और उसे अमित के मुह में घुसाने की कोशिश करने लगा।

"ये क्या कर रहे हैं आप, किस करने तक तो ठीक था लेकिन, मुह में क्यों घुसा रहे है",  संजीत की हरकतों से परेशान होकर अमित बोला।

"चटाक", एक थप्पड़ अमित के गाल पर पड़ा और अमित रोने लगा।

"अमिता, ये मत भूलो कि मैं तुम्हारा पति हूँ, मैं जो बोलू, चुपचाप करो, समझी तुम", संजीत गुस्से में बोला।

वो थप्पड़ अमित के गाल पर पड़ने के साथ ही उसके दिल पर भी पड़ा था। उसे संजीत से ये उम्मीद नही थी कि उसका पति उसे सुहागरात में थप्पड़ मरेगा।

"अब रोना बन्द करो और इस लंड को चूसना शुरू करो", संजीत ने अमित को हुक्म देते हुए कहा।

अमित एक थप्पड़ से इतना डर गया था, कि उसने बिना एक पल गवाए ही संजीत के लंड को अपने मुह में ले लिया और उसे चूसना शुरू कर दिया।(ये क्या कर रहे हो अमित, क्या यही सोचा था तुमने, कि बड़े होकर एक मर्द की दुल्हन बनो और उसका लंड अपने मुह में लो।)

संजीत का लंड चूसते वक़्त अमित बहुत ही ज्यादा शर्मिदगी महसूस कर रहा था। काफी देर तक अमित के मुह में अपना लंड डाल कर करीब 15 मिनट्स तक ब्लो जॉब देने के बाद संजीत का वीर्य निकल गया। अमित ने अपनी जिंदगी में पहली बार, ना चाहते हुए भी अपने पति का वीर्य टेस्ट किया, और ये काफी अजीब था।

"टेस्ट कैसा लगा मेरी जान", संजीत ने अमित से पूछा।

अमित कुछ भी बोल नही सका। फिर संजीत ने अमित की वजाइना पर अपना लंड रखकर सहलाने लगा। अमित के अंदर अब इतना हिम्मत नहीं था, कि वो अपने पति को उसके वजाइना में अपना लंड डालने से रोक सके। अमित का डर और शरीर मे थरथराने लगा, लेकिन संजीत नही रुका और उसने अपने लंड को अमित के वजाइना में डाल दिया। अमित को ऐसा महसूस हुआ जैसे उसके अंदर किसी ने गर्म लोहे का रॉड डाल दिया हो, और वो रोने लगा।

"आआहह, आआआह, मुझे बहुत दर्द हो रहा है, प्लीज बाहर निकाल लीजिए ना", अमित ने दर्द से रोते हुए अपने पति से कहा।

"अभी तो मैंने शुरू भी नही किया है मेरी जान, थोड़ा दर्द बर्दाश्त कर लो", संजीत हँसते हुए बोला।

संजीत को अमित के दर्द से कोई लेना देना नही था। वो बस अपनी हवस शांत करने की फिराक में था। बिना समय गंवाए संजीत ने अमित को जोर जोर से पंप करना शुरू कर दिया। अमित के मुह से आआहह, ऊहह, नो, प्लीज्, प्लीज्, प्लीज् रुक जाओ, आआहह की आवाज़ और आंखों से आंसू बहने लगा। अमित और जोर जोर से आआ.. आहह उहह ऊऊहह..ओह गॉड, ओह्ह माई गॉड, प्लीज्, आआररहह की आवाज कर रहा था। उसे बातों में लगा कर जैसे ही संजीत ने थोड़ा से दबाव लगा कर लंड अन्दर डाला, तो लंड का टोपा अन्दर चला गया, पर अमित चीख उठा आआआ.. उम्म्ह अहह हय मम्मी, याह उईईई.. मर गई।" अमित अपने सर को इधर उधर करने लगा।

थोड़ी देर संजीत ऐसे ही रुका रहा और अमित के सर को सहलाया.. उसे प्यार किया और तसल्ली दी। फिर कुछ देर बाद धीरे से थोड़ा सा लंड और अन्दर किया, तो अमित फिर से दर्द से आआअहह उहह ओहूऊ.. करने लगा और संजीत को पीछे धकेलने लगा।

अमित दर्द से तड़प कर कहने लगा, "आआआह, आह, बहुत दर्द हो रहा है.. प्लीज़ बाहर निकाल लो.. दर्द हो रहा है!"

पर संजीत अपनी नई नवेली दुल्हनिया अमित की कोई बात नहीं सुनना चाहता था. मिनट ऐसे ही रहने के बाद संजीत ने धीरे धीरे धक्के लगाने शुरू किए तो उसे कुछ आराम मिला। पर अमित आआ.. आआहह आह उऊहह.. करता ही रहा। अमित दर्द से बेचैन होकर बेड की चादर की भी खींच रहा था।

कुछ 10 मिनट तक धक्के लगने के बाद ही अमित झड़ गया और उसका शरीर अकड़ गया, वो उठते हुए संजीत से लिपट कर आआ.. उहह.. कर रहा था और कह रहा था, "बस रहने दो बहुत दर्द हो रहा है।"

संजीत ने अमित को फिर से लिटाया, प्यार से सहलाया और थोड़ा जोर से एक धक्का दे मारा जो कि वजाइना के पानी की वजह से अन्दर तक चला गया. अमित चीख उठा .. यईई मर गई, छोड़ दो मुझे।'

इतने संजीत ने एक और तेज धक्का लगाया और पूरा लंड अमित की वजाइना में घुसा दिया। अमित दर्द से तड़प रहा था और छूटने का प्रयास कर रहा था। संजीत अमित के ऊपर लेट गया और उसे प्यार से किस करने लगा, पर अमित कहां मानने वाला था, वो तो बस आह.. आहह...प्लीज्, प्लीज्, ओह्ह माई गॉड, प्लीज्, ओह्ह. कर रहा था और संजीत को पीछे धकेलने की कोशिश कर रहा था। जो कि संजीत जैसे बेकाबू सांड के लिए बेकार था। पूरी रात संजीत ने अमित के साथ करीब 10 राउंड सेक्स करने के बाद, उसे अपनी बाहों में लेकर, उसकी वजाइना में अपना तना हुआ लंड डाल कर सो गया। दोनों कब सो गए, इसका पता ना तो संजीत को चला और ना ही उसकी दुल्हन अमित को।

अगली सुबह,

"भाभी, दरवाज़ा खोलो! भाभी सुबह हो गयी है, तैयार होकर जल्दी से नीचे जाओ", संजीत की बहन की आवाज़ सुनकर अमित और संजीत की नींद खुल गयी।

अमित ने संजीत से कहा, "सुनिए ना, लगता है आपकी बहन दरवाज़े पर है। अपना लंड निकलिये ना मेरी वजाइना से, मुझे दरवाजा खोलने जाना है।"

अमित की बात सुनकर संजीत ने आवाज़ लगाकर कहा, "तुम्हारी भाभी वाशरूम में है, आती है तो मैं भेज दूंगा।"

"ठीक है भैया", संजीत की बहन ने कहा और वहां से चली गयी।

फिर संजीत ने अमित के वजाइना से अपना लंड निकाल लिया और उसे जल्दी से तैयार हो जाने को बोला। अमित ने अपने कपड़े लिए और वाशरूम में गया। आईने में खुद को देखकर, अपनी सुहागरात को याद करके एक तरफ बैठकर रोने लगा। अमित को बहुत दर्द हो रहा था, पूरा शरीर टूट रहा था, और कमजोरी भी महसूस हो रहा था। लेकिन फिर भी हिम्मत करके अमित जल्दी से नहा लिया और टॉवल लपेटकर वाशरूम से जैसे ही बाहर निकला, उसे बहुत तेज़ चक्कर आया और वो गिरने ही वाला था कि उसके पति संजीत ने उसे सम्भाल लिया।

"क्या हुआ मेरी जान को", संजीत ने अमित से पूछा।

"पता नही, सिर चक्कर दे रहा है और पूरा बदन टूट रहा है, कमज़ोरी सा महसूस हो रहा है और एक कदम चलने में भी बहुत दर्द हो रहा है", अमित ने अपने पति संजीत से कहा।

अमित ने टॉवल लपेटा हुआ था। फिर संजीत ने उसे अपनी गोद मे उठाया, बिस्तर पर लिटाया और उसको लिप तो लिप किस देकर वहां से चला गया।

"तुम रेस्ट करो अमिता, मैं फ्रेश होकर आता हूँ फिर मेडिसिन ला दूंगा", संजीत ने अपनी पत्नी अमित से कहा।

"नीचे सभी हमारा इंतेज़ार कर रहे हैं, आप भी तैयार हो जाइए", अमित बोला।

"हाँ, तुम सही कह रही हो, तुम रेस्ट करो, वो थोड़ा और भी इंतेज़ार कर लेंगे। मैं फ्रेश होकर आता हूँ", संजीत बोला।

हाफ एन ऑवर में संजीत स्नान करके बाहर निकला। उसने देखा की उसकी खूबसूरत पत्नी अमिता गहरे नींद में सो चुकी थी। टॉवल में गीले बालों का जुड़ा बनाया हुआ और बूब्स का ऊपरी हिस्सा भी साफ नजर रहा था। संजीत अमित के पास गया, उसके होंठो पर अपनी उंगली फेरने लगा। उंगली फेरते फेरते संजीत ने अपनी उंगली अमित के होंठों के बीच घुसाने लगा। अमित को होश नही था, लेकिन उसके होंठ संजीत की उंगली के लिए कब खुल गए, इसका पता भी नही चला। अमित संजीत की उंगली चूसने लगा और काफी देर तक चूसता रहा। संजीत भी इन सब से बहुत एक्सआईटेड हो गया और उसने अपनी उंगली अमित के मुह से निकाल लिया। और तभी अमित का नींद भी खुल गया, अपने पति को अपने ऊपर देखकर अमित शरमाने लगा और अपना आंख बन्द कर लिया। फिर संजीत ने अमित को एक लिप टू लिप किस किया।

"तुम बहुत ही अच्छी हो अमिता, आई लव यू मेरी जान और कल रात जो खुशी तुमने मुझे दी है, उसके लिए तुम्हारे लिए आज शाम में एक गिफ्ट लेकर आऊंगा। अभी मैं नीचे जा रहा हूँ, पिंकी को भेज दूंगा, वो तुम्हारा ध्यान रखेगी", संजीत ने अमित से कहा और नीचे चला गया।

थोड़ी देर में पिंकी और रिंकी दोनों अमित के पास गईं।

"क्या हुआ भाभी, आपकी तबियत तो ठीक है ना", रिंकी ने अमित से पूछा।

"जी ठीक हूँ मैं, आप दोनों कब आईं", अमित ने दोनों से पूछा।

"भैया बोल रहे थे, कि आपको वीकनेस हो रहा है। तो हम दोनों आपके लिए मेडिसिन और नास्ता लेकर आईं थी", रिंकी बोली।

"थैंक्स, आप दोनों बहुत अच्छी हैं", अमित ने उन्हें थैंक्स बोला और पहले नास्ता किया, फिर मेडिसिन खाया।

"भाभी अभी सभी आपका नीचे इंतेज़ार कर रहे हैं, आओ हम आपको तैयार कर देते हैं", पिंकी बोली।

"आप चलिए, मैं तैयार होकर जाउंगी", अमित ने कहा।

"ठीक है भाभी, आपके लिए कपड़े और जवेलेरीज़ बिस्तर पर रख दिया है, आप तैयार हो जाइए, हम 15 मिनट्स में आपको लेने जाएंगी", पिंकी बोली और रिंकी को लेकर वहां से चली गयी।

अमित ने देखा कि बिस्तर पर एक लाल कढ़ाईदार बनारसी साड़ी, सिल्वर बैकलेस ब्लाउज, 4 इंच हील्स वाले लाल रंग के सैंडल, और जवेलेरीज़ रखी हैं। अमित ने पहले पेटीकोट फिर सिल्वर बैकलेस चोली पहन लिया। अमित ने महसूस किया कि चोली काफी छोटी है और उसके बूब्स के ऊपर का भाग बाहर नज़र रहा था। फिर लाल कढ़ाईदार बनारसी साड़ी पहनने के बाद अमित ने चूड़ियाँ और कंगन का एक एक सेट दोनों हाथों में पहन लिया। फिर कानों में दो बड़े बड़े झुमके, माथे पर मांगटीका, बाहों पर बाजूबंद, कमर में कमरबंद, पैरों में पायल और 4 इंच वाला हील्स पहनने के बाद नाक में बड़ा सा कुमाऊनी नथिया पहन लिया। अभी अमित पूरी तरह से रेडी भी नही हुआ था कि उसकी दोनों ननदें वहां गयी।

"अरे वाह भाभी, आप तो निहायती खूबसूरत लग रही हो, आओ मैं मेकअप कर देती हूं आपका", पिंकी बोली।

फिर पिंकी और रिंकी ने मिलकर अमित का मेकअप किया और फिर उसका घूँघट करके अपने साथ बाहर ले आयी। सभी मेहमान, घर के सदस्य और खुद संजीत अपनी दुल्हन के बाहर आने का इंतज़ार कर रहे थे। वो शादी के बाद अमित का अपने ससुराल में पहला दिन था। बहुत सारे गेस्ट्स आये थे, साथ ही संजीत के बहुत सारे दोस्त आये थे। उनमें से कई तो स्कूल और कॉलेज वाले दोस्त भी थे, जिनमे से कितनो को अमित जानता था, और कितने अमित को जानते थे। लेकिन आज संजीत की दुल्हन बनकर और उनके तमाम दोस्तों के सामने अनजान बनकर अमित उनसे मिला। घर की महिलाओं ने अमित को "सदा सुहागिन", "मुह धो नहाओ, पूतो फलों", "सौभाग्यवती भवः" जैसे आशीर्वाद दिए। वहीं दूसरी ओर "यशश्वी भवः" और "अब जल्दी से पोते का मुह दिखा दो" जैसे आशीर्वाद संजीत को दिया। शाम में रिसेप्शन था और बहुत सारे दोस्त, रिश्तेदारों को आना था, सो पिंकी और रिंकी के हवाले अमित को करके सभी शाम की तैयाररियों में जुट गए।

रिसेप्शन में, अमित दुल्हन के रूप में बेहद खूबसूरत लग रही थी और साथ मे उसका पति संजीत सफारी सूट में स्मार्ट। दोनों से मिलने वाले दोस्तों और रिश्तेदारों के जमघट लगा हुआ था। तभी वहां कुछ ऐसा हुआ जिसने सभी का ध्यान दूसरी ओर आकर्षित कर लिया।

हल्के गुलाबी रंग की शिफॉन की साड़ी में विक्की बेहद ही खूबसूरत लग रहा था। उसने साड़ी के बॉर्डर के रंग से मैच करता हुआ गोल्डन रंग का बड़े गले का ब्लाउज पहन रखा था. ब्लाउज एक तरह से बैकलेस ही था, बस पीठ पर कंधे से नीचे एक पतली सी डोरी थी और एक डेढ़ इंच का स्ट्रैप ब्लाउज के नीचे की तरफ था, जिसमें हुक थे। केवल इनके सहारे उस खूबसूरत ब्लाउज ने विक्की के 34 इंच के भरे हुए वक्षों (ब्रेस्ट) की खूबसूरती छिपा रखी थी। लेकिन विक्की की खुली हुई दूध सी गोरी और मखमली पीठ उस ब्लाउज में से साफ झांक रही थी, जिसे पार्टी में मौजूद लगभग हर शख्स चोरी-छिपे देखने से खुद को रोक नहीं पा रहा था। विक्की की साड़ी भी ट्रांसपेरेंट थी, जिसमें से उसकी 27 इंच की पतली कमर, जब वह चलता था, तो लचकती हुई साफ देखी जा सकती थी। ब्लाउज की आस्तीनें भी कंधे से बस जरा सा ही नीचे उतरी हुई थीं, इसलिए ट्रांसपेरेंट साड़ी में से विक्की की पतली पर भरी हुई बांहें भी साफ देखी जा सकती थीं। तो गोल्डन ब्लाउज जिसमें चमकीला वर्क था, उसकी चमक साड़ी का वह ट्रांसपेरेंट कपड़ा रोक नहीं पा रहा था। विक्की के काले घने लंबे बाल, जो कमर तक रहे थे और जिनके निचले सिरे पर लटें बन रही थीं, उसकी खूबसूरती में चार चांद लगा रहे थे। विक्की ने अपने बाल बाएं कंधे पर आगे की तरफ खुले छोड़ रखे थे, जिससे उसकी खुली हुई पीठ को ढकने का एकमात्र सहारा भी छिन गया था।

विक्की को पहली नजर में ही देखकर पता लग रहा था, कि वह नये जमाने की एक ऐसी लड़की है, जिसे पहनावे की बहुत अच्छी समझ है। उसने जहां अपनी बायीं कलाई पर रागा की गोल्डन वॉच पहन रखी थी, वहीं दायीं कलाई में सोने के दो कंगनों के बीच 36 चूड़ियां, जो कि साड़ी और ब्लाउज के रंग से मेल खाती हुई हल्के गुलाबी और गोल्डन कलर की थीं। साड़ी का पल्लू उसने अपने बाएं कंधे पर खुला छोड़ रखा था, जिसे वह अपने बाएं हाथ से थामे हुए था। साथ ही बाएं हाथ में एक गोल्डन कलर का क्लच पकड़ रखा था। जब वह बात करता तो अपना दायां हाथ हिलाता और बार - बार थोड़ी-थोड़ी देर में दायां हाथ अपने सिर के ऊपर से बालों पर फेरते हुए कमर पर लटक रही जुल्फों के कोने तक लाता और अपने बाल संभालता। जब वह ऐसा करता तो उसकी चूड़ियों की खनक पार्टी में उसके आसपास खड़े हर व्यक्ति को अपनी ओर देखने पर मजबूर कर देती थी। विक्की का कद 5'6 इंच था, ऊपर से उसने दो इंच की हील पहन रखा था। 51 किलो के विक्की का पूरा जिस्म मानो सांचे में तराशा हुआ था। माथे पर गोल लाल बिंदिया, काजल से भरी हुई आंखें, गुलाबी गाल, लिपस्टिक से सजे लाल सुर्ख होंठ, गले को छूते लंबे गोल्डन झुमके और सुराहीदार गर्दन में लटका उसका पेंडेंट जिसमें लाल हीरा जड़ा था। बिंदी, पेंडेंट और लिपस्टिक से मेल खाते लाल रंग की नेल पॉलिश से सजे उसके हाथ-पैरों के लंबे नाखून। पैरों में उसने गोल्डन पतली पायल पहन रखी थी. इसलिए जब वो जरा सा भी साड़ी ऊपर उठाता तो गोल्डन हील पहने और लाल नेल पॉलिश से सजे गोल्डन पायल में उसके पैरों की खूबसूरती से निगाह नहीं हटती थी।

आगे से तो वह था ही बेहद खूबसूरत। भरे हुए जिस्म, गोर चेहरे और गुलाबी रंगत वाली, जिसकी बड़ी-बड़ी काली आंखें थीं, नाक में सोने का लौंग जिसमे हीरा जड़ा था। लेकिन उस दिन वह पीछे से भी उतनी ही अधिक खूबसूरत दिख रहा था, खुली पीठ, बलखाती पतली कमर, हर कदम के साथ दाएं-बाएं थिरकते उसके गोल नितंब और मदहोश करने वाली चाल।

यह सब विक्की को किसी स्वर्ग से उतरी अप्सरा साबित करने के लिए काफी था। उस दिन रिसेप्शन पार्टी में विक्की का एंट्रेंस किसी पॉपुलर बॉलीवुड अभिनेत्री से बिल्कुल भी कम नही था, और इसमें लगने वाली क्या बात थी। विक्की तो बॉलीवुड, टॉलीवुड और भोजपुरी मूवीज में एक्ट्रेस रह चुका था।

विक्की सीधे स्टेज पर पहुँच गया जहां उसने संजीत को बधाई दी, फिर अमित से गले लग कर बोला, "बधाई हो अमित, भगवान तुम दोनों की जोड़ी हमेशा सलामत रखे।"

अमित बोला, "थैंक्स विक्की, तुम बेहद खूबसूरत दिख रही हो।"

"तुझे पलकों पे बिठाने को जी चाहता है

तेरी बाहों से लिपटने को जी चाहता है,

खूबसूरती की इंतेहा हैं तू,

तुझे ज़िन्दगी में बसाने को जी चाहता है..", विक्की ने शायरी के अंदाज में अमित की तारीफ की।

"क्या बात है विक्की, तुम तो शायरी भी करने लगी हो", अमित बोला।

"हाहाहाहा, बस यूँही, कभी कभी। जब इतनी खूबसूरत दुल्हन सामने हो तो शायरी खुद खुद निकल आती है", विक्की बोला।

"थैंक्स विक्की, यू आर सो स्वीट", अमित बोला।

"दिल चाहता है ज़माने से छुपा लूँ तुझको,

दिल की धड़कन की तरह दिल में बसा लूँ तुझ को,

कोई एहसास जुदाई का रह पाये,

इस तरह खुद में मेरी जान छुपा लूँ तुझको", तभी वहां रूपेश भी गया और विक्की और अमित की तारीफ में बोला।

"क्या बात है रूपेश, अब तो लगता है यहाँ शेरो शायरी की महफ़िल लगने वाली है", संजीत बोला।

"हम समंदर है हमें खामोश रहने दो

ज़रा मचल गए तो शहर ले डूबें", विक्की बोला।

"मिलकर भी उनसे हसरत--मुलाकात रह गई

बादल तो घिर आये थे बस बरसात रह गई", संजीत बोला।

"अरे, तुम लोगों की शेरो शायरी खत्म हो गयी हो तो मेहमानों से भी मिल लो, शायरी की महफ़िल किसी दिन फिर रख लेंगे", संजीत की माँ वहां गयी।

संजीत ने विक्की, रूपेश को अपनी माँ से मिलवाया और उसके बाद रूपेश वहां से चला गया। विक्की वहीं अमित के साथ खड़ा रहा।

"फर्स्ट नाईट(सुहागरात) कैसा रहा, अमित", विक्की ने पूछा।

"ये तुम क्या पूछ रहे हो विक्की।", अमित बोला।

"मैं तो बस यही जानना चाहता हूं अमित कि संजीत ने सुहागरात में तुम्हारे साथ क्या किया?", विक्की ने शरारत भरी निगाहों से देखा।

"विक्की, जो भी हुआ, वो याद करके .... नही विक्की प्लीज्, ये सब बन्द करो प्लीज्।", अमित बोला।

"क्यों अमित, क्या बहुत ज्यादा तंग किया तुम्हारे दूल्हे राजा ने", विक्की बोला।

"जब तुम्हारी शादी हो जाएगी, अभी तुम्हे मेरा दर्द समझ मे नही आएग, तब तुम समझोगे विक्की। तब मैं तुमसे पूछुंगा, कि तुम्हारी सुहागरात कैसी रही", अमित उदास होकर बोला।

"यार मैं तो मज़ाक कर रहा था, तुम तो सीरियस ही हो गए। वैसे मेरे घरवालों ने तो नाक में दम कर दिया है, रूपेश से शादी करने के लिए रोज़ फ़ोर्स करते हैं। समझ मे नही आता कि क्या करूँ। फ़िल्म इंडस्ट्री में भी काम करके देख लिया, बोल्ड सीन के नाम पर जिस्म का खेल चलता है, अब इनसब से मन ऊब सा गया है। एक टी वी सीरियल का प्रपोजल आया है, सोचता हूँ वही जॉइन कर लूं" , विक्की बोला।

"वैसे रूपेश तो काफी हैंडसम है। तुम्हे पसंद भी करता है। मैं भी तो कभी मर्द था, लेकिन अब औरत भी हूँ और एक मर्द की पत्नी भी। मेरे घरवालों ने तो मेरी मर्ज़ी के खिलाफ ये शादी करवाई है। अब मुझे इसी तरह जिंदगी बितानी है। लेकिन तुम्हारे घरवाले तो तुम्हे सपोर्ट भी करते हैं। कर लो ना रूपेश से शादी, कम से कम कोई तो होगा जो तुम्हारा ख्याल रखे", अमित बोला।

"लेकिन अमित, मेरा मन अभी भी एक मर्द जैसा ही है। तो मैं एक मर्द से कैसे शादी कर सकता हूँ", विक्की बोला।

"तुम्हारी जिंदगी है विक्की, तुम मुझसे ज्यादा समझदार हो और सक्सेस भी", अमित बोला।

थोड़ी देर बातें करने के बाद विक्की वहां से चला गया। रिसेप्शन के खत्म होने के साथ ही सारे गेस्ट्स भी जा चुके थे। इधर दूसरी ओर, अगले दिन विक्की को उसकी मम्मी ने बैठाकर समझाया।

"देखो विक्की, अमित कितना समझदार है, उसने एक मर्द को अपना जीवनसाथी चुना और उसके साथ ब्याह कर लिया। तुमने देखा उसके घरवाले कितने खुश थे", विक्की की माँ बोली।

"देखो मम्मी, इस टॉपिक पर हम बहुत बार डिस्कस कर चुके हैं और आपको पता है ना, मैं एक मर्द के साथ ब्याह नही करना चाहता", विक्की बोला।

"यही कमी है तुम्हारे अंदर विक्की। तुम शारीरिक रूप से औरत बन चुके हो। तुम चाहोगी भी तो कोई लड़की तुमसे शादी नही करेगी। तुम्हारी गर्लफ्रैंड भी राज से शादी कर के अपना घर बसा चुकी है। अब तुम भी अपना घर बसा लो। इसमें तुम्हारा ही भला है", विक्की की माँ बोली।

"इसमें मेरा क्या भला है मम्मी", विक्की पूछा।

"एक लड़की जब तक कुंवारी रहती है, तब तक वो अपने माँ बाप के छाती पर पत्थर बनी रहती है। सभी के माँ बाप की तरह हमारी भी ख्वाहिश है, कि हमारी बेटी भी दुल्हनिया बने और उसकी भी शादी हो। हमारी बेटी के लिए ऐसा दूल्हा ढूंढ लिया है, जो मेरी बेटी का ख्याल रख सके, उसे प्यार करे और ढेर सारी खुशियाँ लाकर दे। अब बताओ रूपेश से अच्छा लड़का कहाँ मिलेगा, जो तुम्हे ये सब दे सके", विक्की की मम्मी बोली।

"लेकिन माँ, मुझसे ये सब नही होगा। और फ़िल्म इंडस्ट्री में सक्सेस इतनी आसानी से नही मिलता। शादी करते ही कैरियर खत्म हो जाता है। माना कि रूपेश एक अच्छा इंसान है और हैंडसम भी है। लेकिन इसका मतलब ये तो नही की मैं रूपेश से शादी कर लूँ", विक्की बोला।

"लेकिन वेकिन कुछ नही विक्की। बहुत हो गया फ़िल्म इंडस्ट्री का काम। रूपेश से शादी कर के अपना घर बसाओ समझी तुम। और एक बात हज़ार दफा समझाया है कि अब तुम मर्द नही रहे, अब तुम एक औरत हो और हमेशा औरतों की लहज़े में ही बातें किया करो। रूपा अब तू ही समझा इस लड़की को", विक्की को समझते हुए उसकी माँ बोली और वहां से चली गयी।

"विक्की, रूपेश तुमसे प्यार करता है, भले ही उसने तुमसे आज तक ये बात ना कही हो, लेकिन यही सच है। और रूपेश से ज्यादा प्यार करने वाला शख्स तुम्हे फिर कभी नही मिलेगा। और आज रूपेश की वजह से ही तुम एक खुशहाल जिंदगी जी रहे नही तो आज तुम श्वेता के भाई मुन्ना की पत्नी बन चुके होते। रूपेश ने तुम्हे बचाया क्योंकि वो तुमसे बेइंतिहा मुहब्बत करता है", रूपा भाभी बोली।

"भाभी, आप सही कह रही हो। लेकिन ये सब मुझसे नही हो सकेगा", विक्की बोला।

"तुम उसकी फिक्र मत करो विक्की, तुम सिर्फ शादी के लिए हां कर दो। बाकी मेरा भाई तुम्हे सिखा देगा", रूपा भाभी बोली।

"बहुत रात हो गयी है भाभी, मुझे तो बहुत नींद रहा है। आप भी सो जाइये", विक्की ने बात काटते हुए कहा।

रूपा भाभी समझ गयी थी कि विक्की अब इस टॉपिक पर और बात नही करना चाहता था। फिर वो अपने कमरे में चली गयी, और विक्की भी सो गया। सुबह हुई। विक्की ने देखा कि घर मे काफी चहल पहल है, स्वादिष्ट व्यंजनों की खुशबू और फूलों और गुब्बारों से घर को डेकोरेट किया जा रहा था। विक्की को समझ नही रहा था कि वहां हो क्या रहा था। तभी विक्की की माँ उसके पास आई और विक्की को कमरे में ले गयी।

"ये सब हो क्या रहा है माँ, इतना चहल पहल घर। कोई खास बात", विक्की ने अपनी माँ से पूछा।

"हाँ, बिल्कुल खास है। आज रूपा के मम्मी पापा और रूपेश तुमसे मिलने रहे हैं। उसी की तैयारी है", विक्की की माँ बोली।

"वो क्यों", विक्की ने पूछा।

"वो तो उनके आने पर ही पता चलेगा", ऐसा बोलकर विक्की की माँ वहां से चली गयी।

विक्की के समझ मे कुछ भी नही रहा था कि तभी वहां रुपा भाभी गयी और विक्की को उसके कमरे में ले गयी। वहां बिस्तर पर एक लाल कांचीवरम साड़ी, लाल रंग की कढ़ाईदार लेकिन छोटी बैकलेस चोली, चूड़ियाँ, लहठी, कमरबन्द, बाजूबंद, मांगटीका, छोटा सा नथ, और मेकअप का ढेर सारा सामान रखा हुआ था।

"ये सब क्या है भाभी", विक्की ने रूपा भाभी से पूछा।

"ये मेरी ननद के मेकअप का सामान है। मेरे मम्मी पापा के सामने मेरी ननद एकदम अप्सरा दिखनी चाहिए। चलो अब जल्दी से अपने हाथ लाओ, मैं इनमें मेहंदी लगा दूं, ये कोमल कोमल हथेली सुनी सुनी अच्छी नहीं लग रही है।", रूप भाभी बोली।

उसके बाद रुपा भाभी ने विक्की के हाथों में मेहंदी अप्लाई किया और 2 घंटे तक सुखाने को बोलकर उसका मेकअप करने लगी। पहले तो विक्की का आइब्रो सेट किया, फिर ब्लीच और फिर फाउंडेशन। 2 घंटे बाद जब विक्की का मेहंदी धोया गया तब वो काफी डार्क रंग ले चुका था।

"वाओ, देखो ना कितनी सुंदर मेहंदी रची है विक्की के हाथों में", रुपा भाभी ने एक्सआईटमेंट में कहा।

"क्या भाभी, आप भी ना", विक्की बोला।

फिर रूप भाभी ने विक्की को लाल पेटीकोट पहनाया। उसके बाद लाल रंग की कढ़ाईदार और छोटी चोली पहनाया, जो पूरी तरह से बैकलेस थी। चोली कुछ ज्यादा ही टाइट थी। फिर कांचीवरम साड़ी पहनने के बाद विक्की ने गहने पहन लिए। तब तक रूप भाभी ने विक्की के नाखूनों को लाल रंग के नेलपॉलिश से रंग दिया। विक्की के होंठो पर ग्लॉसी रेड लिपस्टिक अप्लाई किया, आंखों में काजल लगाया गया। फिर रूपा भाभी ने विक्की के गहने ठीक किये और उसकी साड़ी के आंचल से उसका घूँघट भी बना दिया। फिर रूप भाभी ने विक्की के साथ ढेर सारी सेल्फीज़ ली। दोपहर के 3 बज रहे थे, घर के सारे काम खत्म हो चुके थे। रूपा भाभी और विक्की आपस मे बातें कर रहे थे, औऱ बात करते करते विक्की बार बार अपने नथ को ठीक करता। थोड़ी देर में विक्की की माँ ने रूपा को बुलाकर कहा कि वो विक्की को अच्छे से घूँघट बनाकर सभी के सामने ले आये।

"जल्दी से अपने सैंडल्स पहन लो विक्की", रूपा भाभी ने विक्की का घूँघट बनाते हुए बोली।

"भाभी ये क्या घूँघट में से कुछ भी नही दिख रहा है", विक्की परेशान हो कर कहा।

"कोई बात नही, मैं हु ना साथ तुम्हारे। अब उठो", रुपा भाभी बोली।

विक्की को कुछ भी दिखाई नही दे रहा रहा था, और साड़ी इतना हैवी था, कि उनका दम घुट रहा था और ऊपर से चाय नास्ता का ट्रे हाथ मे लिए धीमें धीमे कदमो में विक्की को लेकर रुपा भाभी हाल में पहुची, जहां सभी विक्की का इंतेज़ार कर रहे थे। विक्की के सामने कौन बैठे थे, इसका विक्की को कोई अंदाजा नही था। विक्की ने टेबल देखा तो उसने चाय नास्ते का ट्रे उसपर रख दिया। रुपा भाभी ने विक्की को वहीं सोफे पर बैठने को कहा। विक्की को भी अब तक समझ चुका था कि जरूर कोई रिश्ते की बात कह रहा है।

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