Nagma got her boyfriend Punit to change his gender and got him married to his brother Zorawar who was gay.
ये कहानी पुनीत की है, किस तरह पुनीत को समय के साथ बदलना पड़ा। हालाँकि पुनिता भी चाहती थी कि वो इस कहानी का हिस्सा बने, क्यूंकि ये कहानी तो पुनीता की ही है। लेकिन शुरुआत राइटर की जुबानी होगी, फिर पुनिता अपनी आगे की स्टोरी सुनाएगी।
पुनीत, पूरा नाम पुनीत सिंह, वो एक अनाथ था राजस्थान के एक अनाथालय में उसकी परवरिश हुई और जयपुर का रहने वाला था। ग्रेजुएशन करने के बाद वो रोजगार की तलाश में जयपुर शहर आया, जहाँ बहोत मुश्किल से उसे रोजगार मिला। पुनीत की ऊंचाई 5'6" फिट , सिक्स पैक्स एब्स के साथ साथ शरीर पर बाल के नाम पर सिर्फ हलकी सी मूछ थी, बाकी उसके सिर के बाल घने और घुमावदार थे। स्वभाव से बहोत गुस्से वाला और उसे राजपूत होने का बहोत घमंड था। किसी से भी कभी भी उलझ जाता, किसी को कुछ भी कह देता, किसी की इज़्ज़त नहीं करता, लेकिन फिर भी देखने में इतना क्यूट और डैशिंग लगता कि लड़कियां उसे बहोत पसंद करती थी।
एक दिन उसके ऑफिस
में एक नयी लड़की का आगमन हुआ, उसका नाम नगमा
था। देखने में बहोत ही सुंदर, नैन नख्श भी बहोत
आकर्षक, लंबी भी 5'6"
और बहोत ही समझदार होने के साथ साथ बहोत ही
शांत स्वभाव की भी थी। पुनीत अपने ऑफिस में आने वाली सभी लड़कियों के साथ फ़्लर्ट
करता, लेकिन उसके काफी कोशिशो
के बाद भी नगमा के साथ फ़्लर्ट करने में असमर्थ रहा। उसे बहोत बुरा लगा की पहली बार
किसी लड़की ने उसके तरफ देखा तक नहीं, उसे गुस्सा तो बहोत आया लेकिन कुछ कह नहीं पाया क्योंकि नगमा उससे सीदी मुह
बात ही नहीं करती। फिर थक हार कर उसने नगमा के बारे में सोचना छोड़ दिया और अपने
काम में ध्यान देने लगा, अब बाकी की
लड़कियों से भी बहोत काम बात करता, अपना काम करता और
घर जाता, उसके काम को देखकर उसके
मालिक ने उसे बढ़ावा देकर मेनेजर की पोस्ट पर रख दिया, अब पुनीत सीधे अपने मालिक को रिपोर्ट करता। अब उसका काम भी
बहोत अच्छा चलने लगा, तब उसके मालिक ने
उसे कार्यालय की पूरी जिम्मेदारी दे कर विदेश चला गया। अब जब की वो मेनेजर बन गया
था और कार्यालय की पुरी जिम्मेदारी उसी के ऊपर था, तो सारे लोग जो भी वहां कार्यरत थे पुनीत को रिपोर्ट करते,
नगमा भी पुनीत को रिपोर्ट करती।
एक दिन अचानक
नगमा ऑफिस में आयी , उसके हाथ में एक
वेडिंग इनविटेशन का कार्ड था, पुनीत को वेडिंग
इनविटेशन का कार्ड दिया और बोली मेरे भाई की शादी है सर, आप जरूर आना सर, नगमा ने पुनीत से पहली बार कुछ माँगा था सो पुनीत ने उसे तुरंत हाँ कर दिया।
शादी के दिन पुनीत जब नगमा के घर गया तब वहां नगमा के परिवार ने काफी आदर के साथ
उसका स्वागत किया। नगमा के भाई की शादी थी सो नाच गाने के साथ साथ खाने पीने का भी
बहोत ही अच्छा इंतेज़ाम था। नगमा के दो भाई थे बड़ा भाई शुशांत खान जिसकी शादी थी ,
और छोटा भाई जोरावर खान जो अगले साल शादी करने
का सोच रहा था। दोनों भाई करीब 6'5" लंबे , हट्टे-कट्टे, दाढ़ी मूछ के बिना जैसे वो रह ही नहीं सकते।
जोरावर खान और पुनीत सिंह की बहोत अच्छी बन रही थी, जब दोनों शराब पीने बैठे तब उन्होंने अपने परिवार के बारे
में, अपने काम के बारे में और
लड़कियों के बारे में बहुत सी बातें की। जोरावर खान एक व्यवसायी है और घर से बजी
बहोत पैसे वाला होने के साथ ही अपनी बहन की तरह शांत स्वभाव का था, वहीँ पुनीत सिंह एक कंपनी में मेनेजर की पोस्ट
पर अच्छा इनकम कमाता था लेकिन जोरावर खान से कमाई में बहोत कम था, गांव का रहने वाला था। शादी ख़तम होते होते
दोनों में अच्छी दोस्ती हो गयी। कार्यक्रम ख़तम होने तक दोनों ने नाच गाना और शराब
को अच्छे से एन्जॉय किया।
अब नगमा और पुनीत
करीब आने लगे, ऑफिस में नगमा
पुनीत को हेल्प करने लगी और काफी बातें होती दोनों के बीच में, पुनीत और नगमा अक्सर साथ लंच करते एयर साथ ही
पुनीत नगमा को उसके घर ड्राप कर देता। नगमा के घर अक्सर जोरावर और पुनीत की बातें
होती, दोनों एक दूसरे से अपने
एक्सपीरियंस शेयर करते । जोरावर को पब, डिस्को और नाईट क्लब्स में जाना बहोत पसंद था वहीँ पुनीत को ये सब पसंद नहीं,
वो अपना बाकी समय पोर्न मूवी देख कर हस्थमैथुन
करना बहोत पसंद था। एक दिन ऑफिस से निकलते वक्त नगमा को उसके साथ काम करने वाली एक
दोस्त अनामिका ने उससे कहा कि यौम बहोत शांत रहती हो नगमा, चलो आज नाईटक्लब चलते हैं, नगमा उसे मना करने लगी, लेकिन अनामिका ज़िद करने लगी, फिर उसने नगमा से कहा कि चलो ठीक है, हम गे नाईटक्लब चलते हैं , वहां तुम्हे कोई परेशानी नही होनी चाहिए। नगमा मान गयी,
उसने सोचा चलो अच्छा है , कम से कम लड़को को हम दोनों में कोई इंटरेस्ट
नही होगा और कोई हमे छेड़ेगा भी नही। नगमा और अनामिका रात में गे नाईटक्लब गए,
2 घंटे तक बहोत एन्जॉय किया, लड़को को एक साथ देखकर दोनों बहोत मजे किये,
फिर दोनों अगले दिन ऑफिस आकर पुरे दिन डिसकस
करते रहे और साथ ही दोनों ने अपना काम पूरा किया। शाम को पुनीत ने नगमा को उसके घर
ड्राप किया।
अगले दिन नगमा अनामिका से बोली चलो आज फिर से उसी नाईटक्लब में चलते हैं, अनामिका बोली क्या बात है नगमा अब तुम्हे देख कर लगता है कि तुम फ्रैंक हो गयी हो। दोनों हँसने लगे, फिर उस रात दोनों फिर से गे नाईटक्लब गए, काफी एन्जॉय किया लेकिन नगमा ने देखा जोरावर उसका खुद का भाई भी वहीँ था, उसे देख कर नगमा आश्चर्य चकित हो गयी। फिर नगमा जोरावर के पास गयी, नगमा को देखकर जोरावर शॉक्ड हो गया। नगमा उसको वहां से बाहर लेकर आई और उससे पूछने लगी की वो यहाँ क्या कर रहा है, जोरावर का सर शर्म से झुक गया था, उसे कुछ बोलने में नही बन रहा था, बहोत हिम्मत करके वो बोला की मुझे चिकने लड़के पसंद हैं बस इसी वजह से मैं यहाँ एन्जॉय करने आ गया था।नगमा बोली तो फिर तुम्हे लड़कियां आसान नहीं, फिर जोरावर बोला मुझे लड़कियां पसंद है लेकिन उनमे मुझे इंटरेस्ट नही आता।
नगमा मायूस हो गयी तभी जोरावर बोला बेहेन प्लीज किसी से ये बात मत कहना घर में , मैं नही चाहता की घर वालो को इस बारे में कुछ भी पता चले, तुम जो भी कहोगी मैं बिना सवाल किए करूँगा लेकिन प्लीज इस बारे में किसी से कुछ भी मत कहना। नगमा मान गयी और जोरावर को लेकर घर चली गयी। अगले दिन नगमा सायकोलोजिस्ट के पास गयी और अपने भाई जोरावर के बारे में सबकुछ शेयर किया। डॉक्टर ने एक सलूशन दिया की जोरावर की शादी की ट्रांसजेंडर्ड औरत से करवा दो, इससे तुम्हारे घर वाले को कोई परेशानी नहीं होगी, क्योंकि वो देखने में किसी औरत से कम नही होई है और अगर तुम्हारे भाई को जब इस बात का पता चलेगा कि वो औरत जो कभी एक मर्द थी तो उसका एक्साइटमेन्ट कम होने के बजाय और भी बढ़ जायेगा, और फिर बाद में बच्चा अडॉप्ट करवा देना। इससे अच्छा सलूशन मैं नही दे सकता, उसके बाद नगमा ने डॉक्टर से विदा लिया और अपने घर आ गयी। अब नगमा ने वापिस ऑफिस ज्वाइन कर लिया, इस बात को लेकर वो काफी टेंस रहने लगी। एक दिन पुनीत ने नगमा से कहा तुम काफी टेंस रहती हो नगमा, सब ठीक तो है? नगमा बोली हाँ पुनीत! फिर पुनीत ने बताया कि आज उसका जन्मदिन है, और उसने नगमा को बुलाया किया और साथ ही कहा कि जोरावर को भी लेते आये। नगमा ने सोचा चलो थोड़ा मूड भी बदल जायेगा और उसने हाँ कर दिया। शाम में नगमा जोरावर के साथ पुनीत के घर गयी। पुनीत के और भी बहोत से दोस्त आये थे लेकिन पुनीत ने सबसे ज्यादा प्रायोरिटी नगमा और जोरावर को दिया, फिर बहोत मस्ती की सबने। नगमा ने देखा जोरावर और पुनीत साथ खड़े थे, पुनीत जोरावर से लंबाई में काफी छोटा था, उसका स्किन काफी सॉफ्ट और गोरा था वहीँ जोरावर का स्किन काफी रफ़ और सांवला था। नगमा को अचानक ये बात मन में आया की क्यों ना पुनीत को जोरावर के लिए तैयार कर लूं, वैसे भी दोनों की जोड़ी काफी अच्छी जमती है और दोनों एक दूसरे को बहोत अच्छे से समझते हैं। फिर क्या था , नगमा के मन में जो चल रहा था वो न तो पुनीत को पता था और ना ही जोरावर को।
अगले दिन नगमा डॉक्टर से मिली और उसे पूरी बात बताई , वो चाहती थी की कुछ ऐसी परिस्थिति उत्पन्न की जाये जिससे पुनीत एक औरत बनकर जोरावर के साथ घर बसाने को तैयार हो जाये, और किसी को पता भी ना चले की पुनीत कभी लड़का हुआ करता था। डॉक्टर ने बताया कि उसके पास एक सुझाव है जिससे पुनीत के शरीर में फीमेल हॉर्मोन्स के जरिये उसे व्यव्हार में बहोत परिवर्तन आ जायेगा, उसकी हरकत भी एक औरत की तरह हो जायेगी और वो भी औरतो की तरह व्यव्हार करने लगेगा और फिर तो बहोत से उपाय हैं, तुम चाहो तो उसका लिंग परिवर्तन भी करवा देना या फिर औरतो के फेक बूब्स और फेक योनि या प्रजनन नलिका ऑनलाइन मिलता है जिसे किसी भी मर्द को पहना दो तो कोई कह नही सकता कि वो कभी एक मर्द भी था, फिर क्या पुनीत बिना लिंग परिवर्तन करवाये ही तुम्हारे भाई जोरावर से शादी कर सकता है या फिर उसे तुम जोरावर से शादी करने के लिए राजी कर लेना । ये सुन कर नगमा बहोत खुश हो गयी, डॉक्टर ने नगमा को कुछ कैप्सूल्स देते हुए कहा कि ये फीमेल हॉर्मोन्स के कैप्सूल्स हैं, रोज़ इसे लंच में पुनीत को खाने में मिला कर दे देना, 3 महीने तक बिना किसी अब्सेंसे के ठीक है! ये टास्टेलेस्स होते हैं और पुनीत को कभी पता भी नहीं चलेगा कि उसे फीमेल हॉर्मोन्स दिए जा रहे हैं, नगमा ने डॉक्टर को थैंक्स किया और वापिस घर आ गयी। नगमा बहोत खुश थी इस बात से की अब उसके भाई जोरावर की शादी अगले साल तक हो जायेगी और किसी को पता भी नही चलेगा कि मेरे भाई की दुल्हन एक लड़का है। अगले दिन से नगमा ने पुनीत के खाने में कैप्सूल्स को मिला कर देने लगी। दोनों की दोस्ती भी काफी गहरी होने लगी, नगमा जब भी मार्केटिंग करने जाती तो पुनीत को साथ लेकर जाने लगी। कभी ज्वेलरीज तो कभी अलग अलग किस्म की साड़ियाँ, लहँगा-चोली तो कभी लिपस्टिक, लिपग्लॉस, काजल और भी बहोत कुछ की समझ हो गयी थी, नगमा ने पुनीत को औरतो के रोज़ के इस्तेमाल में आने वाले सभी चीज़ों के बारे सब कुछ बता दिया, पुनीत को भी इन सब में बहोत मजा आने लगा था लेकिन वो समझता था कि नगमा उसे पसंद करने लगी है, इसलिए वो नगमा के साथ अपना पूरा समय व्यतीत करने लगा लेकिन उसको ये नही पता था कि नगमा ने पुनीत के लिए कुछ और ही सोच रखा था। 2 महीने अच्छे से गुजर गया एक दिन पुनीत ऑफिस नही आया तो नगमा ने सोचा आज का मेडिसिन तो रह जायेगा तो उसने पुनीत को कॉल किया तो पता चला की उसकी तबियत ठीक नही। नगमा ने कैब किया और पुनीत के घर पहुची तो देखा पुनीत की हालत बहोत ख़राब थी, पूछने पर पता चला क़ि उसे सुबह से पेट में बहोत दर्द है, कोई उसके साथ रहता भी नही था जो उसे मेडिसिन लेकर देता तब नगमा ने पुनीत को खाना खिला कर फीमेल होमोन्स का कैप्सूल दिया और बोली की इसे खा लो उसके थोड़े देर बाद हम डॉक्टर के पास चलेंगे। थोड़े देर के बाद नगमा अपने डॉक्टर से बात करने के बाद दोनों डॉक्टर के पास पहुचे तो उसने कुछ मेडिसिन्स जोड़ दिया और कहा कि इन मेडिसिन्स को 1 महीने तक बिना किसी रुकावट के लेना। फिर नगमा के साथ एक अलग कमरे में गयी जहाँ उसने बताया कि पुनीत का पेट दर्द नार्मल है और ये दर्द बताता है कि उसके शरीर के मेल हॉर्मोन्स निष्क्रिय हो चुके हैं। मैंने जो मेडिसिन्स जोड़ा है वो पुनीत को ज्यादा स्त्रीत्व का आभास करवाएगा और बस एक महीना और फिर देखना इन मेडिसिन्स का कमाल। नगमा ने डॉक्टर को थैंक्स खा और पुनीत को लेकर उसके घर आ गयी। पुनीत को तो कुछ पता भी नही था कि उसके साथ क्या किया जा रहा था।
1 महीने बाद एक दिन अचानक ऑफिस मे एक छोटी सी गलती की वजह से कंपनी के मालिक ने पुनीत को बहोत डांटा और उसको उसके पोस्ट से हटा दिया और नगमा को वो पोस्ट दे दिया। पहले जब भी कभी ऐसा नहीं हुआ लेकिन इस बार पुनीत को बहोत दुःख हुआ, नगमा ने उसका ढाढस बढ़ाया लेकिन पुनीत रोने लगा और नगमा को गले से लगा कर लड़कियों की तरह रोने लगा, नगमा के कहने पर वो शांत हुआ और ऑफिस के बाद घर गया। वहां उसने सोचा की चलो थोड़ा मन हल्का कर लूं, फिर अपना कंप्यूटर ऑन करके सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर हैंग आउट करने लगा, फिर उसने सोचा थोड़ा पोर्न देख लिया जाये थें उसने कामसूत्र की मूवी चला दी और हस्त मैथुन करने लगा लेकिन काफी देर तक कोशिश करने के बाद भी उसे चरम संतुष्टि नही हुई, उसने दुबारा से मूवी स्टार्ट कर दिया। शुरुआत में दुल्हन को शादी के लिए सजाया जा रहा था, वो देखता रहा की कैसे किसी लड़की को दुल्हन की तरह सजाया जाता है, फिर दुल्हन की नाक में बहोत बड़ा नथिया डाला गया उसे देखकर पुनीत खुद को उस दुल्हन की जगह होने की कल्पना करने लगा और साथ ही हस्थमैथुन करता रहा, मूवी में जैसे ही दुल्हन दूल्हा सैट फेरे लेते हैं, उसकी मांग में सिन्दूर भरता है, उसके गले में मंगलसूत्र पहनाता है इतने में ही उसका वीर्य निकल गया, थोड़ी देर बाद पुनीत सो गया। अगले दिन सुबह पुनीत ऑफिस गया , रोज की तरह अपना सारा काम कम्पलीट किया फिर सोचा बहोत दिन हो गए डिस्को गये फिर उसने जोरावर को कॉल किया और उससे कहा कि वो नगमा को ऑफिस के बाद डिस्को आ जायेगा , वहीँ मिलते हैं।
पुनीत नगमा को लेकर डिस्को पंहुचा और जोरावर अपने एक और दोस्त
सार्थक के साथ। डिस्को में काफी देर मस्ती करने के बाद पुनीत और जोरावर साथ बैठ कर
ड्रिंक करने लगे, और जोरावर का
दोस्त सार्थक उसकी बहन नगमा के साथ बैठकर बातें करने लगा। सार्थक भी एक गे था
हट्टा-कट्टा लेकिन देखने में बिलकुल भी अच्छा नही लगा नगमा को। सार्थक ने नगमा से
कहा कि आपका दोस्त पुनीत तो देखने में बिलकुल लड़कियों जैसा कोमल है, हेयर स्टाइल भी बहोत मस्त है, काश ये लड़की होता तो शायद आज मैं गे नही होता,
ये सुनकर नगमा जोर से हँसने लगी। उधर नगमा ने
देखा जोरावर के साथ पुनीत काफी कॉन्फोर्टबल है, उसे इस बात का यकीन होने लगा था कि उसने जो भी सोचा था वो
बिलकुल सही दिशा में जा रहा था।
डिस्को के बाद सभी अपने अपने घर चले गए, घर पहुच कर नगमा ने जोरावर से पूछ की तुम्हे पुनीत कैसा लगता है ? जोरावर बोला पुनीत मुझे बहोत पसंद है और आज तो शराब के नशे में उसने मुझसे कहा कि उसे तुम बहोत पसंद हो लेकिन उसके बोलने के तरीके में स्त्रीत्व की झलक दिखती है, ऐसा लग रहा था मानो वो एक लड़की है। उसके बात करने का तरीका लड़कियों जैसा हो गया है, वो पहले तो ऐसा नही था लेकिन जो भी है बहोत प्यारा है, ये सुनकर नगमा दुबारा जोर से हँसने लगी उसे सार्थक की बात याद आ गयी। अब अगले दो महीने भी गुज़र गए , अब पुनीत का मेडिसिन भी ख़त्म हो गया था। वो डॉक्टर से मिलने ने को लेकर गया तो उन्हें बताया कि पेट का दर्द तो ठीक है अब लेकिन मेरी छाती में दर्द रहता है और पेशाब करते वक़्त कभी कभी खून भी आता है, बोलते बोलते रोने लगा। डॉक्टर ने उसे चुप कराया और उसका पूरा चेक उप किया। जब पुनीत ने डॉक्टर के कहने पर अपना शर्ट उतारा तब डॉक्टर ने उसे आईने के सामने बिठाया और उसको बताया कि तुम्हारा छाती अब बूब्स बन गया है, और देखने में गोल हो गया है। फिर डॉक्टर ने पुनीत के लिंग को चेक किया और उसे अल्ट्रासाउंड, एक्स-रे, सीटी-स्कैन और एम आर आई करवाने को बोला और कहा कि कल रिपोर्ट लेकर आना।
पुनीत ने सारे टेस्ट करवाये और नगमा के साथ ऑफिस वापिस आ गया। शाम में ऑफिस से वापिस आते वक़्त उसने नगमा से कहा कि उसके कपडे बहोत टाइट हो गए हैं, टेलर के पास चलते हैं, नगमा मान गयी और उसे एक अच्छे से टेलर के पास ले गयी। टेलर ने पुनीत से पूछा की क्या सिलवाना है सर, पुनीत बोला 2 शर्ट और 1 पैंट, कपडे नगमा ने सेलेक्ट कर दिए। जब दर्जी ने पुनीत का नाप लिया तो उससे बोला की सर आपका नाप तो ले लिया है लेकिन आपकी शरीर की बनावट ऐसी है क़ि शर्ट पैंट की जगह लहँगा-चोली में ज्यादा मनमोहक लगोगे, आपका नाप लेने के बाद मैं 100% कह सकता हु कि आपके ऊपर कौन से कपडे ज्यादा सूट करेंगे, आप लड़की क्यों नही बन जाते। पुनीत को ये सब सुनकर बहोत अजीब लग रहा था, उसका राजपुताना खून उबाल मार रहा था तब उसने दर्ज़ी को आँख दिखाते हुए कहा कि जो सिवाने आया हु वो सील दो फिर नगमा को उसके घर ड्राप करने गया। नगमा ने उससे कहा कि दर्ज़ी को तुमने ऐसे आँख क्यों दिखाया जबकि उसने कुछ भी गलत नही कहा , आज घर जाना तो देखना अपने आप को, तुम लहँगा-चोली में ज्यादा अच्छे लगोगे लेकिन तुम्हे गुस्से की सिवा कुछ आता भी है, फिर बिना कुछ सुने अपने घर के अंदर चली गयी।
पुनीत चुपचाप अपने घर आया और अपने कपडे उतार कर खुद को देखा, उसकी छाती लड़कियों की तरह फूल गयी थी, और उसे एहसास हुआ की दर्ज़ी और नगमा दोनों ही सही कह रहे थे। अगले दिन पुनीत ने ऑफिस में नगमा से माफ़ी मांगी और उसे मनाया लेकिन नगमा उसकी कोई बात मानने को तैयार ही नही थी फिर पुनीत ने उससे कहा कि तुम जो भी कहोगी मैं करने को तैयार हूं लेकिन प्लीज मुझसे बात करो।फिर नगमा ने कहा कि तुम मुझसे बात करना चाहते हो ना तो मेरे लिए कुछ करना पड़ेगा, पहले तुम दर्ज़ी से माफ़ी मांगो और अगर वो कह रहा था कि लहँगा-चोली सिल्वा तुम्हारे ऊपर अच्छा लगेगा तो एक लहँगा-चोली सिल्वा लो। मंजूर है तो मैं तुमसे बात करुँगी नहीं तो तुम मुझे भूल जाओ। पुनीत ने कहा ओके शाम में मेरे साथ चलना मैं सब कुछ करूँगा जो तुम कहोगी, पुनीत नगमा को खोना नही चाहता था इसीलिए वो सबकुछ करने को तैयार हो गया। शाम में नगमा के साथ पुनीत दर्जी के पास गया और उससे कल के लिए माफी मांगी, उसने कहा कोई बात नही सर। तभी नगमा बोली अच्छा कल आप कह रहे थे ना की पुनीत के ऊपर लहँगा-चोली बहोत अच्छा लगेगा तो आप लहँगा-चोली के लिए कपडे दिखा दो।
दर्जी ने
लहँगा-चोली के बारे में बताया कि कई डिजाइनरों का मानना है कि सबसे अच्छा कपड़े
लहँगा-चोली एक है जो तरल पदार्थ और प्लिबल जैसे कि भूरागेट जियोर्गेट्टे सबसे
खूबसूरत आधुनिक कपड़ों में से एक है, बहुत ही सुंदरता और चापलूसी सजावट के साथ प्यार करता था। शिफॉन और क्रेप जैसे
आधुनिक कपड़ों में लहँगा-चोली डिजाइनर के साथ बहुत लोकप्रिय हैं ये इनका इस्तेमाल
समकालीन शैली के लहँगा-चोली को और अधिक साइनाउल सिल्हूट और एक अच्छी तरह से सजाया
गया कपड़ा बनाने के लिए किया जा सकता है। जियोर्गेट्टे लहँगा-चोली के लिए बेस्ट
कपड़ा चुनने के बाद 3 दिन का समय देकर
दोनों अपने अपने घर चले गए। 3 दिन बाद नगमा और
पुनीत दर्ज़ी से मिलने गए, पुनीत का
लहँगा-चोली सील गया था, कढ़ाईदार लहँगा,
बैकलेस चोली जो सुनहरा और चमकीला था। दर्ज़ी ने
उसे पैक किया और पुनीत को दिया, पुनीत ने नगमा को
पैकेट दिखाते हुए कहा कि हो गयी तुम खुश अब चलो तुम्हे घर छोड़ दू। नगमा बोली नही
मैं तुम्हारे साथ घर जाउंगी लेकिन पहले मैंने तुम्हारे लिए कुछ मंगवाया है ,
सुरप्रिज़ है अब चलो और पुनीत के साथ उसके घर आ
गयी।
नगमा ने पुनीत से
कहा कि पहले जाओ और एक क्रीम दिया और कहा इसे पुरे शरीर पर लगा कर नहाना, सिर के बाल को छोड़ कर। पुनीत को नगमा की बात
माननी पड़ी, वो क्रीम लेकर वाशरूम में
गया, 10 मिनट्स के बाद जब वो नहा
कर वापिस आया तब उसने सिर्फ अंडरवियर पहन रखा था। उस क्रीम को लगाने का फायदा ये
हुआ कि पुनीत के शरीर के थोड़े बहोत जो भी बाल थे वो निकल गए और एक चमक सी आ गयी।
नगमा ने पुनीत से कहा चलो यहाँ आओ और मिरर के सामने चुपचाप आंख बंद करके बैठ जाओ,
और कोई सवाल जवाब किये बिना और जब तक मैं ना
कहू आंख मत खोलना समझे। फिर पुनीत चुपचाप से मिरर के सामने बैठ गया। नगमा ने सबसे
पहले पुनीत के बाल लड़कियों जैसे बॉब कट सेट किये और बीचोबीच एक मांगटीका सेट किया।
फिर उसके आईब्रोज़ सेट किया, फाउंडेशन लगाने
के बाद उसके होंठ पर लिपस्टिक लगा दिया, फिर उसे ग्लॉस रेड रंग से ग्लॉसी बना दिया। आँखों में काजल लगा दिया। फिर
पुनीत को एक D साइज ब्रा पहनाया,
उसकी छाती फूल चुकी थी लेकिन इतनी भी नही जितनी
औरतो की होती है। फिर नगमा ने ब्रा में नकली बूब्स सेट कर के बोली की चलो आप लहँगा
पहन लो। पुनीत ने चुपचाप से लहँगा पहन लिया फिर नगमा ने चोली पहनाया, वो चोली पूरी तरह से बैकलेस थी और सिर्फ डोरियो
से ही बांध सकते थे, पुनीत को चोली
पहना कर उसे काफी टाइट किया, ऐसा करते ही
पुनीत के चेस्ट ब्रैस्ट में बदल गया, ऊपर से उसके बूब्स काफी आकर्षक दिखने लगे। अब नगमा ने एक ज्वेलरी का सेट
निकाला उसे पुनीत के गले में पहनाया। उसके बाद पुनीत के हांथों में 12-12 चूड़ियां साथ ही 5-5 कंगन भी पहन दिया उसके बाद पुनीत के कानों में फ़साने वाला
बड़ा सा झुमका और उसके नाक में एक क्लिप वाली छोटी नथिया पहना दिया. उसके बाद पुनीत
के हाथों और पान के नाखूनों में नेल पॉलिश लगा दिया। अब पुनीत के पावन में एक बहोत
ही डिज़ाइन वाला पायल और एक 4 इंच वाला हाई
हील्स पहना दिया। इतना सबकुछ होने के बाद एक कढ़ाई वाली लाल रंग की ओढनी से पुनीत
के नाक तक घूँघट कर दिया। नगमा ने अपना काम कर दिया था , पुनीत की काफी फोटोज क्लिक करने के बाद उसने कहा कि चलो अब
तुम अपनी आँख खोल सकते हो। जब पुनीत ने आँखें खोली तो उसने देखा आईने के अंदर
बहोत ही खूबसूरत लड़की घूँघट किये बैठी है। उसे यकीन ही नही हो रहा था कि वो इतना
सुन्दर भी दिख सकता था। अब नगमा ने पुनीत से कहा कि अब चल के दिखाओ, और उसे समझाया कि लड़कियों की तरह कैसे चलते
हैं। आधे घंटे में पुनीत ने ये सीख लिया की औरतों को तरह कुल्हा मटकाकर कैसे चलते
हैं। अब नगमा बोली सब ठीक है बस तुम्हारे हाथो में मेहँदी लगा दूँ फिर तुम और भी
ज्यादा खूबसूरत लगोगे। फिर क्या था नगमा ने पुनीत के दोनों हांथों में अच्छे से
मेहेंदी का डिजाईन बना दिया और खा जी इसे रात भर रहने देना और सुबह में धो देना।
नगमा ने अपना काम कर दिया था सो उसके बाद कुछ फोटोज क्लिक करके वो अपने घर चली
गयी। पुनीत के हाथों में मेहँदी लगी थी जिसकी वजह से उसे पूरी रात वैसे ही सोना
पड़ा, सुबह उठकर जब उसने धोयी
तो उसे देखकर कोई ये नही कह सकता था कि ये किसी मर्द का हाँथ है। अब पुनीत ने
अपनेआप को मिरर में देखा तो किसी एंगल से वो मर्द नही लग रहा था, ये देख कर उसे बहोत शर्मिंदगी महसूस हो रही थी।
अगले दिन नगमा ने पुनीत से कहा कि तुम्हे पता है मैंने जब तुम्हारी तस्वीरों को अपने घर वालो को दिखाया तो उन्हें तो तुम बहोत पसंद आये , और उन्हें ये बात पता ही नही की वो औरत कोई और नही बल्कि एक मर्द है जो तुम ही हो। ये बातें सुनकर पुनीत शर्म से पानी पानी हो गया, फिर नगमा से बोला की यार तुम बिलकुल पागल हो, घरवालो को वो तस्वीर दिखने की क्या जरुरत थी ऐसा भी भला होता है। फिर नगमा उससे बोली मैंने उन्हें ये थोड़े ना बताया है कि वो औरत जो घूँघट ओढ़ कर, लहँगा-चोली, नाक में छोटा सा नथिया, कानो में झुमके, गले में हार पहन कर, हाथों में मेहँदी, चुडिया, कंगन, पांव में पायल और 4 इंच ऊँची हील्स पहन कर जो औरत तस्वीर में है उसका सच क्या है। वो तो यही समझ रहे हैं कि उस तस्वीर में एक बेहद खूबसूरत औरत है, बस। और तुम तो ऐसे बोल रहे हो जैसे मैं तुम्हरी शादी किसी मर्द से करने जा रही हूँ। तुम एक मर्द हो पुनीत और ऊपर से राजपूत , इतना गर्म खून है तुम्हारा , ये सब तो बस एक मजाक है यार और वैसे भी जब जोरावर ने तुम्हे नही पहचान तो फिर तो बाकी की छोड़ ही दो। पुनीत शांत हुआ , फिर लंच खत्म करने के बाद दोनों काम पर चले गए। लगातार फीमेल हॉर्मोन्स की मेडिसिन्स लेने की वजह से पुनीत के बाल अब लंबे होने लगे थे, चेहरा भी पहले से ज्यादा कोमल हो गया था, चेस्ट भी अब बूब्स जैसे बड़े और उनका आकार लेने लगे थे। जांघ भी मोटा होने लगा था साथ ही नितम्ब भी गोल हो गया था। इस बात से पुनीत अब परेशां रहने लगा था, सबकुछ अब बदलने लगा था , बात बात पर किसी से भी लड़ लेना वाला पुनीत सिंह को अब बात बात पर रोने लगता। आवाज में भी कोमलता और मधुरता आने लगा था। ऐसा क्यों हो रहा था ये उसे समझ में नही आ रहा था, वो अपने दिल की बात नगमा से शेयर करता लेकिन नगमा उसे ढाढस बाधा कर बोलती की सब ठीक हो जायेगा। इके दिन नगमा से जोरावर बोला की तुम तो उससे मिलवाती हो रहा गयी ना जिसे तसवीर में देखा था, नगमा बोली मेरी दोस्त बाहर गया हुआ है जब आएगा तब मिलवा दूंगी।
फिर एक दिन पुनीत को परेशां देख नगमा उसे
डॉक्टर के पास ले गयी। डॉक्टर ने पुनीत को टेबल पर लिटा कर उसका ऊपर से नीचे तक
जांच किया फिर अल्ट्रा साउंड, एम् आर आई ,
एक्स रे, और सीटी स्कैन के बाद डॉक्टर पुनीत को बिठा कर बोली,
मेरी बात को ध्यान से सुन्ना और समझना मैंने
तुम्हारे रिपोर्ट्स देखें हैं, तुम्हारे शरीर का
मेल हॉर्मोन्स ख़तम हो गया है और फीमेल हॉर्मोन्स में बदल चुका है, अब तुम्हारे पास दो ही ऑप्शन है। पहला तो
तुम्हारे शरीर में दवाइयों के जरिये इस बदलाव को रोक दिया जाये , अगर तुम इस ऑप्शन के साथ आगे बढ़ते हो तो भी
तुम्हारे लिंग से खून का स्राव रोकना मेडिकल साइंस के बस में नही, तुम्हे पूरी जिंदगी इस दर्द के साथ जीना पड़ेगा,
चूँकि तुम्हारे शरीर में शुक्राणु अब नही बन
रहे तो तुम्हे इस दर्द के साथ भी जीना पड़ेगा की तुम अब कभी पिता नही बन सकते।
ये सुनते ही पुनीत रोने लगा और डॉक्टर से पूछा ऐसा बदलाव मेरे शरीर में क्यों हो रहा है तो डॉक्टर ने कहा कि कभी कभी 100000 में से 1 इंसान में ऐसा बदलाव प्राकृतिक रूप से होती है, ये भगवन की देंन है इसमें हम इंसान कुछ नही कर सकते बस ऐसे इंसानो को बेहतर बनाने का प्रयास कर सकते हैं बस। फिर रोते रोते पुनीत डॉक्टर से बोला क़ि मैं इस उम्र में इस परिवर्तन को कैसे अपना सकूँगा। डॉक्टर बोली हाँ तुम इस तरीके से अपनी जिंदगी में कभी आगे नही बढ़ पाओगे अगर तुम मेरे बताये दूसरे ऑप्शन्स के साथ आगे बढ़ते हो तब तुम्हे इतनी परेशानी नहीं होगी। पुनीत के आंसू अभी भी नहीं रुक रहे थे उसने उनसे कहा प्लीज डॉक्टर मैं आपके बताये उपर्युक्त दर्द के साथ अपनी जिंदगी में आगे नहीं बढ़ सकता आप कुछ ऐसा बताएं जिससे कि मुझे मेरे इन दर्द से निजात मिल जाये। डॉक्टर ने पुनीत को शांत किया और कहा क़ि जो मैं बताऊ उसे पहले समझना उसके बाद ही कोई निर्णय लेना ठीक है, अब रोना बंद करो और ध्यान से सुनो। विदेश की एक साइंस डिवीजन के एक साइंटिस्ट ने दावा किया है कि वो किसी ऐसे पुरुष जिनमे तुम्हारे जैसी समस्या है उसका 100% निदान कर सकते हैं। वे इंडिया के ही रहने वाले हैं और आज कल यहीं रह रहे है, अगर तुम कहो तो मैं उनसे बात कर लूं। पुनीत मान गया, डॉक्टर नव साइंटिस्ट जिनका नाम फ्रैंक स्टुअर्ट था उससे बात की और उन्होंने 4 दिन बाद का समय दिया, फिर पुनीत ने डॉक्टर से पूछा की अब मैं कैसे जीऊ, तो डॉक्टर ने कहा तुम अब मर्द नही हो और मेरी मानो तो तुम लड़कियों की तरह रहना शुरू कर दो क्योंकि तुम्हारे शरीर की बनावट और हाव भाव औरतो जैसी हो चुकी है और तुम्हारे लिए सबसे अच्छा यही होगा क़ि तुम औरतो के कपडे पहनो और औरतो वाले काम भी करो। इससे तुम्हारे मन की हिन् भावना ख़तम हो जायेगी और तुम्हे आगे बढ़ने में काफी मदद मिलेगी। ये सुनकर पुनीत और भी ज्यादा परेशां हो गया, वो जनम से एक लड़का है अब वो लड़कियों के कपडे पहनकर बाकी की जिंदगी कोसे निभाएगा, काफी सोचने और डॉक्टर के समझाने के बाद वो तैयार हो गया लेकिन उसका मन तो एक मर्द जैसा है, पुनीत ने डॉक्टर को बाय कहा और केबिन से बाहर आ गया। बाहर नगमा उसका इंतज़ार कर रही थी , उसने पुनीत से पूछा कि क्या कहा डॉक्टर ने तो पुनीत बोला घर चलो बताता हूं नगमा को इस बात का अंदाज़ा था कि डॉक्टर ने उसे क्या कहा होगा फिर नगमा पुनीत के साथ घर आ गए।
घर आते वक़्त
रस्ते में जोरावर का कॉल आया तो नगमा ने बताया कि वो पुनीत के घर जा रही है मुझे
लेने वहीँ आ जाना। घर पहुच कर पुनीत ने नगमा को वो सब बताया जो डॉक्टर ने उससे कही
थी। नगमा को सब पहले से ही मालूम था इस बारे में लेकिन मासूमियत से उसे ऐसे बर्ताव
किया जैसे उसे कुछ भी मालूम नहीं। नगमा बोली तो अब एक काम करो तुम उस साइंटिस्ट से
4 दिन बाद मिलना लेकिन आज
से तुम साड़ी पहनोगे, पुनीत ने मना
किया तो नगमा रूठ गयी तो उसे मानना पड़ा। नगमा पुनीत के साथ नजदीकी रिटेल शॉप पर
गयी वहां उसने पुनीत के लिए सिल्क की 3 सेट साड़ियां 3 सेट छोटी और लचक
वाली चोली जो पूरी तरह से बैकलेस थी, फिर पुनीत को लेकर ब्यूटी पार्लर पर गयी वहां पुनीत के बाल को अच्छे से सेट
करवा दिया, कान छिदवा दिया, और नाक में भी बाए तरफ से छेद करवा दिया। पुनीत
को दर्द सहन नही हो रहा था उसके आँखों में आंसू देख कर नगमा बोली तुम तो राजपूत हो
ना फिर भी रो रहे हो। पुनीत कुछ भी नहीं कह सका, चुपचाप सर झुका कर बैठा रहा। फिर नगमा पुनीत को लेकर
ज्वेलरीज के दुकान पर ले गयी, वहां उसने एक बड़ा
सा नाथिया, नाक का किल और झुमके
खरीदा और घर लेकर वापिस आ गयी। घर पहुचने के बाद पुनीत का मेकअप किया ,फिर उसे चोली पहनाया इस बार पहले की तरह ब्रा
नही दिया पहनने को। चोली छोटी और लचक वाली होने की वजह से पुनीत को फिट आया लेकिन
उसका पीठ नग्न हो गया और उसके वक्षस्थल का ऊपरी भाग पूरी तरह नग्न लग रहा था। फिर एक सिल्क की लचक वाली पेटीकोट पहनाकर साड़ी
को अच्छे से राजस्थानी तरीके से पहना दिया। अब बारी थी पुनीत के मेकअप की तो नगमा
ने पुनीत के नाक की छेद में बड़ा वाला नाथिया पहना दिया, कानो में झुमके पहना दिये, हाथों में ढेर सारे चूड़ियाँ कंगन पहना दिया, माथे पर मांगटीका पहना दिया और गले में नौलखा
हार पहना दिया, उसके होंठ को
ग्लॉसी डार्क रेड लिपस्टिक के मदमस्त कर दिया। अब पाँव में 4 इंच हील वाला लाल सैंडल और पायल पहना दिया। अब
पुनीत दूसरी बार औरतों के परिधान में था और नगमा ने उससे कहा कि साड़ी के पल्लू से
अपना घूंघट बना लो, पुनीत ने घूँघट
बनाया तो नगमा बोली जब भी घूँघट करना पल्लू के छोर को अपने नाक तक ले कर आओ,
हाँ अब ठीक है पुनीत निहायत खूबसूरत लग रहा था।
अभी थोड़ा ही देर हुआ था कि जोरावर भी वहां आ गया। फिर नगमा अपने
भाई जोरावर से बोली ये वही है जिसकी बात की थी मैंने। जोरावर उससे मिल कर काफी
उत्तेजित हो गया। अन ने जोरावर से कहा कि तुम यहाँ रहना ऑफिस का एक काम निपटा कर
आती हूँ। फिर जोरावर ने पूछा अच्छा पूनीता ये तो पुनीत का घर है ना वो कहीं दिख
नही रहा। पुनीत को ये सुनकर भरोसा हो गया कि जोरावर नेउसे अभी भी नही पचाना तो वो
उसके सामने जा सकता है।
जोरावर को लग रहा था कि पूनीता सच में एक औरत है लेकिन नगमा के नगमासार पूनीता एक मर्द है। बहोत हिम्मत करके उसने पूछा तूम्हारा असली नाम क्या है, मुझे पता है कि तुम एक मर्द हो हिचकिचाने की जरुरत नहीं ? तब पुनीत ने कहा मेरा नाम पुनीत है ये सुनते ही जोरावर उछल पड़ा । पुनीत तुम ? हे भगवान ! तुम लड़कियों के लिबास में, लेकिन जो भी हो तुम निहायती खूबसूरत लग रहे हो इस साड़ी में, और ये क्या तुमने अपना नाक और कान भी छिदवा लिया , ये नथिया और झुमके भी तुम्हारी खूबसूरती को बढ़ा रही है। अब ये बताओ ये सब हुआ कैसे ? तब पुनीत ने जोरावर को पूरी बात बताई और बताते बताते रोने लगा, उसे अपने भविष्य की बहोत चिंता होने लगा है, जोरावर ने पुनीत को खड़ा किया और हग करते हुए कहा कि तुम अपन भविष्य की चिंता मत करो मैं हूँ ना और पुनीत के चेहरे को ऊपर उठाते हुए कहा, तभी नगमा आ गयी , उसने देखा पुनीत जोरावर दोनों गले मिल रहे थे , पुनीत ने 4इंच वाला हाई हील वाला सैंडल पहना हुआ था फिर भी जोरावर के कंधो तक ही आ रहा था। पहले तो नगमा ने दोनों की ढेर सारी तसवीर ली, दोनों की जोड़ी बहुत अच्छी लग रही थी। फिर अन्य ने गेट नॉक किया , दोनों अलग हुए और नगमा को आने को कहा। दोनों को देख कर नगमा बोली क्या बात तुमदोनो को जोड़ी दोस्त की कम और पति पत्नी की ज्यादा लग रही है, और जोर से हँसने लगी , जोरावर भी हँसने लगा लेकिन घूँघट के अंदर पुनीत का बहोत बुरा हाल था। वो शर्म से जमीन में गड़ा जा रहा था, एक मर्द होते हुए भी साड़ी ब्लाउज और इतने सारे ज्वेलरीज सह ही 4इंच वाला हाई हील्स सैंडल पहने हुए जोरावर के साथ खड़ा हुआ और तो और उसके कंधो तक ही आ रहा था। ये सब बातें उसे अंदर से खाये जा रही थी और नगमा को इन सारी बातों का अंदाजा भी हो रहा था। नगमा ने जोरावर को कहा कि बहोत देर हो गयी है चलो अब घर चलते हैं और नगमा ने पुनीत से कहा कि कल से ऑफिस इन्ही कपड़ो में आना, और यही नथिया मत पेहेन कर आ जाना, सोने की कील डाल लेना अपने नाक में और कान में बालियां समझे, चलो अब बाय और फिर दोनों अपने घर चले गए। अगले दिन पुनीत अपने समय से ऑफिस आया, पुनीत ने खुद से मेकअप किया ,लाल चोली छोटी और लचक वाली होने की वजह से पुनीत को फिट आया लेकिन उसका पीठ नग्न हो गया और उसके वक्षस्थल का ऊपरी भाग पूरी तरह नग्न लग रहा था।फिर एक सिल्क की लचक वाली पेटीकोट पहनकर साड़ी को अच्छे से राजस्थानी तरीके से पहन लिया, नाक की छेद में सोने का कील, कानो में झुमके,हाथों में ढेर सारे चूड़ियाँ, माथे पर एक बिन्दी और गले में पेन्डेन्ट, होंठ को ग्लॉसी डार्क ब्राउन लिपस्टिक पाँव में 4 इंच हील वाला लाल सैंडल और पायल पहन रखा था। पुनीत को ऑफिस के स्टॉफ नही पहचान पाये, कल तक जो लोग पुनीत को सर कहते थे वही आज उसे मैडम बोल कर संबोधित कर रहे थे। नगमा के केबिन में जाकर पुनीत उससे मिला, नगमा बोली क्या बात है पूनीता आज तो तुम कहर ढा रही हो मेरी जान। पुनीत बोला मैं पूनीता नही पुनीत हूँ लड़कियों के कपडे पहने हैं मैंने , मैं कोई लड़की नही। ओके जानू तुम्हे पता है ना कल तुम्हे डॉक्टर से मिलना है।
हाँ, मुझे याद है कल डॉक्टर के पास जाना है, नगमा बोली फिर तो तुम बहोत खुश होंगे ना। नगमा ने पुनीत के साथ क्या किया था इस बात का जरा भी अंदाजा नही था पुनीत को। वो तो नगमा से प्यार करता था इसीलिए नगमा जो भी कुछ कहती पुनीत कभी मन नहीं करता । अगले दिन नगमा पुनीत को लेकर डॉक्टर के पास पहुची। आज भी पुनीत को नगमा ने अच्छे से हरी रंग की साड़ी बैकलेस ब्लाउज, कानो में बालियां, नाक में चाँदी की छोटी सी नथिया पहना कर , हाथो में चूड़ियां और होंठ पर लिपस्टिक लगा कर तैयार कर के डॉक्टर के पास ले गयी। पुनीत को पूरे रास्ते शर्म आ रहा था और वो शर्म के मारे सर झुका कर पूरे रास्ते बैठा रहा। डॉक्टर के पास पहुच कर जब पुनीत की बारी आई तो उसके साथ नगमा भी अंदर गयी। डॉक्टर ने दो दो औरतो को देखा तो बोला अभी आपकी बारी नहीं आयी है, किसी पुनीत की बारी है पहले उसे अंदर भेजो। नगमा हँसने लगी और बोली सर पुनीत भी यही है, ये रहा आपके सामने। डॉक्टर ने कहा पुनीत तो लड़का है लेकिन ये तो कोई लड़की है। नगमा बोली ये लड़की नही लड़का ही है बस कपडे और ज्वेलरीज औरतो वाले हैं। डॉक्टर ने कहा इन्हें देख कर तो मैं धोखा खा गया , सॉरी पुनीत मुझे लगा तुम एक औरत हो।वैसे डॉक्टर ने मुझे तुम्हारे बारे में सब कुछ बता दिया था, तुम लड़के होते हुए भी इतने सुन्दर लग रहे हो। मेरे हॉस्पिटल में एडवांस टेक्नोलॉजी वाले उपकरण है। मेरी मानो तो तुम अपना लिंग परिवर्तन करवा लो।पुनीत ये सुनकर बोला नही सर मुझे औरत नहीं बनना। डॉक्टर बोला मैंने तुम्हारी रिपोर्ट्स देखे हैं उनके हिसाब से तुम्हारे पास इसके अलावे कोई और ऑप्शन नही है। इस देश में सबसे एडवांस टेक्नोलॉजी वाला हॉस्पिटल मेरा ही है जहाँ हम लिंग परिवर्तन के सफल ऑपरेशन्स करते हैं। हमारे अलावे इस देश में कोई ऐसा हॉस्पिटल नहीं जो तुम्हे पूरी तरह औरत बना सकें, और हमारे हॉस्पिटल में अगर तुम अपना लिंग परिवर्तन करवाते हो तो उसके बाद तुम पूरी तरह औरत बन सकते हो। नगमा ने पूछा क्या पूरी तरह डॉक्टर मतलब पुनीत गर्भ धारण भी कर सकता है तब डॉक्टर बोले हाँ एक औरत जो कुछ भी करने में सक्षम होती है वो सब कर सकेगा तुम्हारा पुनीत। पुनीत बोला डॉक्टर मुझे औरत नही बनना, मुझे फिर से अपना पुराना रुप वापिस चाहिए , मुझे एक लड़की से प्यार है मुझे उससे शादी करनी है। इन कपड़ो को पहनकर मुझे बहोत शर्म आता है। डॉक्टर बोले अब तुम्हारा लड़का बनना संभव नही है और कोई लड़की तुमसे शादी नही करना चाहेगीऔर ना ही तुम कभी बाप बन पाओगे, तो इससे अच्छा है कि तुम अपना लिंग परिवर्तन करवा लो और औरत बन जाओ।अभी से इतने सुन्दर और आकर्षक हो, आपरेशन के बाद तो एक दम मॉडल लगोगे। लोग तुम्हे आज नही पहचान पा रहे कि तुम लड़के हो या लड़की, तो सोचो लिंग परिवर्तन के बाद तो तुम्हे सभी औरत की तरह ही व्यवहार करेंगे। डॉक्टर बोले तुम कुछ समय ले लो सोचने के लिए, उसके बाद तुम यहाँ आकर अपना लिंग परिवर्तन करवा कर औरत बन जाना।
नगमा पुनीत को
लेकर घर आई, पुनीत पुरे रस्ते
रोता रहा, नगमा ने जोरावर को भी
बुला लिया। नगमा ने जोरावर को पूरी बात बताई तो वो पुनीत के कमरे में गया और
दरवाजा अंदर से बंद कर दिया। जोरावर ने पुनीत से पूछा तुम्हे क्या परेशानी है लिंग
परिवर्तन करवाने में, पुनीत बोला मैं
एक लड़का हूँ और मैं भी चाहता हूँ कि मैं भी किसी लड़की का दूल्हा बनू उसके बच्चों
का बाप बनू। एक मर्द की तरह जीवन जिउ; जोरावर ने बीच में ही उसकी बात काट दी कहा जो की अब संभव नही। तुम ऐसे रहोगे
तो हिजड़े तुम्हे एक दिन उठा ले जायेंगे तो उससे अच्छा है कि तुम अपना लिंग
परिवर्तन करवा लो। हम सब तुम्हारे साथ हैं। पुनीत बोला इसमें खर्च भी तो बहोत होगा
मेरे पास इतने पैसे नही हैं जो इस ऑपरेशन का खर्च उठा सकूँ। दिलावर बोला पैसो की
फिक्र तुम मत करो वो सब मैं देख लूंगा।फिर दरवाजा खोल कर नगमा को अंदर बुलाया और
उससे कहा कि पुनीत अपना लिंग परिवर्तन करवाने को तैयार है। कल डॉक्टर से
अपॉइंटमेंट ले लेना कि पुनीत को कब से हॉस्पिटल में एडमिट करना है । पुनीत चुप चाप
सब कुछ सुनता रहा लेकिन कुछ बोल न सका, नगमा ने उसकी तरफ देखा और बोली काश तुम्हारे साथ ऐसा कुछ भी ना हुआ होता तो
मैं तुमसे शादी कर लेती लेकिन होनी को कौन टाल सकता है, अब तुम भी इस बात को अभी से मान लो की तुम एक औरत हो,
नहीं तो औरत बनने के बाद इस बात को मानने में
बहोत परेशानी होगी। फिर नगमा ने डॉक्टर से कॉल कर के कहा कि पुनीत लिंग परिवर्तन
करवाने को तैयार है आप बता दो उसे कब एडमिट करना है। डॉक्टर ने 2 दिन बाद का समय दे दिया।
इस बात से नगमा
बहोत खुश थी , जो वो चाहती थी
वो होने जा रहा था, इधर जोरावर इस
बात से आश्चर्य में था कि पुनीत अब औरत बनने जा रहा था और पुनीत उसका हाल तो बहोत
बुरा था, वो अपनी मर्दानगी खो चुका
था और अब लिंगपरिवर्तन के बाद उसे एक औरत की जिंदगी जीनी थी और ये बात उसको अंदर
ही अंदर से खाए जा रहा था, इधर नगमा ने
सोचना शुरू कर दिया था कि पुनीत सिंह को पूनीता खान कैसे बनाया जाये, ये तो तभी होगा जब पुनीत दिलावर की दुल्हन
बनेगा। 2 दिन बाद दिलावर और नगमा
पुनीत को हॉस्पिटल ले गए और उसे डॉक्टर ने एडमिट कर लिया। सबसे पहले नर्स ने पुनीत
से कहा अब तुम्हे इन साड़ियों को पहनने की जरुरत नहीं और वो अपने कपडे और ज्वेलरीज
उतार दे और एक गाउन दिया पहन लेंने को। पुनीत जब गाउन में बाहर आया तो नर्स ने कहा
कि तुम्हारे नाक की नथिया भी उतार दो, पुनीत भूल गया था कि उसकी नाक में एक नथिया भी है, वो उसने शरमाते हुए उतार दिया। नर्स ने वो कपडे और ज्वेलरीज
नगमा को देते हुए बोली की अब आप लोग घर जा सकते हैं और अगर आप पुनीत से मिलना
चाहते हैं तो अभी मिल लो इसके बाद आप इनसे 2 महीने बाद ही मिल पाओगे। नगमा और जोरावर खान दोनों पुनीत
से मिलने गए और उसे बताया कि अब हम तुमसे मिलने दो महीने बाद आएंगे। दिलावर ने कहा
कि तुम्हे किसी की चीज़ के लिए सोचने की जरुरत नही हमने पैसे भी दे दिए हैं डॉक्टर
को यहाँ तुम्हारा अच्छे से ख्याल रखा जायेगा। पुनीत ने कहा ठीक है और फिर दोनी
वहां से चले गए।
अगले दिन से
पुनीत का ऑपरेशन शुरू हुआ। पहले 1 हफ्ते तक उसे
फीमेल हॉर्मोन्स और कुछ इंजेक्शन्स लगाये गए। दूसरे हफ्ते तक पुनीत का कमर,
कुल्हा और नितम्ब पहले से ज्यादा मोटे और नाजुक
हो गए। अगले दो हफ्ते को ख़त्म होते होते पुनीत के होंठ पहले से ज्यादा मोटे और
रसीले और नाक को भी पहले से पतला कर दिया गया। फिर पुनीत के गले की सर्जरी की गयी
जिससे उसकी आवाज लड़कियों जैसी मीठी हो गयी। अब 4 हफ्ते गुज़र चुके थे अब डॉक्टर ने पुनीत के छाती की सर्जरी
की और उसे वक्ष के रूप में तब्दील कर दिया । पुनीत के वक्षस्थल को 36 साइज दिया गया , उसके बाद उसके शरीर से उसका लिंग हटा दिया गया और उसकी जगह
योनि ने ले ली थी। उसके शरीर में दो गर्भाशय एक अंडाशय और गर्भाशय नलिका को विकसित
किया गया। अगले चार हफ़्तों तक लेज़र उपचार विधि द्वारा पुनीत के शरीर के रेशो को
हटा दिया गया, जिसके साथ ही
उसका शरीर कोमल और गोरा होने के साथ ही केशहीन भी हो गया। अब डॉक्टर्स ने पुनीत की
योनि को एक्टिव करने के लिए नर्स से बोलकर 15 दिनों तक वाइब्रेटर डिलडो से पुनीत की योनि के अंदर घुसाने
का काम दिया ताकि उसका योनि पूर्ण रूप से अपने प्राकृतिक आकार में आ जाये। नर्स ने
जब इस बात को पुनीत से कहा तो वो बोला इसकी क्या जरुरत है या इसके लिए कोई और
तरीका नहीं ? डिल्डो देखा तो
पुनीत घबराने लगा तो नर्स ने पुनीत से कहा कि घबराओ मत अब तुम एक स्त्री बन चुके
हो, मैं इनके बारे में तुम्हे
बताती हूँ की ये सब क्यों जरूरी है। तुम अब एक स्त्री हो जिसके शरीर में दो अंडाशय
(Ovary) और एक गर्भाशय (Uterus)
विकसित किया गया है। हर माह किसी एक ओवरी से एक
अंडाणु बनता है। जैसे जैसे यह अंडाणु परिपक्व होता है, गर्भाशय की भीतरी सुरक्षा परत भी परिपक्व होती जाती है. जब
अंडाणु पूरी तरह परिपक्व हो जाता है और निषेचन (Fertilisation) योग्य बनता है. अगर यह निषेचित हो जाता है तो
यह परत भी उसे ग्रहण करने के लिए तैयार हो जाती है और निषेचित अंडाणु को गर्भाशय
में स्थापित करती है जहाँ शिशु बनता है. इसका अर्थ है कि इस परत का कार्य निषेचित
अंडाणु को आरंभिक पोषण देना है.अगर अंडाणु का निषेचन नहीं होता तब यह परत बेकार हो
जाती है. तब मासिक धर्म के चक्र के अंत में इस परत के उत्तक, रक्त, म्युकस का मिला-जुला स्त्राव होता है. यह रक्त-मिश्रित स्त्राव के रूप में
योनी (Vagina) से बाहर निकलता
है, जिसे मासिक स्त्राव कहते
हैं। जैसे सभी स्त्रियों को होता है वैसे ही ये सब तुम्हे भी हो इसके लिए जरुरी है
कि तुम्हारे योनि में डिल्डो का वाइब्रेटर प्रविष्ट करवाया जाए और जब ये अपना आकार
ले लेगा तब तुम किसी भी मर्द के साथ सम्भोग कर सकते हो और साथ ही बच्चो को जनम
देने में सकक्षम हो जाओगे। जब ये प्रक्रिया शुरू की गयी तब पहली बार पुनीत को औरत
होने का अनुभव हुआ और उसे समझ में आने लगा की स्त्रियों को कितना दर्द सहना पड़ता
है। 14 दिनों बाद पुनीत का
अंडाशय, गर्भाशय और योनि पूर्ण
रूप से विकसित हो चुके थे। डॉक्टर ने पुनीत को बधाई देते हुए कहा कि वह अब स्त्री
बन चुका है। ये सुनकर पुनीत बहुत इमोशनल हो गया और रोने लगा। नर्स ने समझाया कि अब
रोने से क्या होगा अब तुम एक औरत बन चुके हो, तुम्हारे दोस्त आते ही होंगे तुम्हे लेने।
डॉक्टर ने कहा
पुनीत अब तुम सही मायने एक औरत बन चुके हो तुम किसी मर्द से शादी कर के अपना घर भी
बसा सकते हो और उसके साथ सम्भोग करने के साथ ही उस मर्द के बच्चे को जनम देने में
भी सक्षम है। नगमा और जोरावर भी पुनीत के इस रूप को देख कर दंग थे। नगमा बोली तुम
औरत बन कर कितनी सुन्दर लग रहे हो पुनीत ऐसा लगता ही नही की तुम एक मर्द थे। पुनीत
ने कहा थैंक्स नगमा अब चलें। फिर तीनो पुनीत के घर आये। पुरे रास्ते जोरावर पुनीत
को घूरता रहा और पुनीत सिर झुकाए बैठा रहा। घर पर नगमा ने पुनीत को समझाया कि तुम
अब एक स्त्री हो तो आज के जब भी किसी से भी बात करना लड़कियों की तरह करना समझी और
तुम्हारा नाम भी अब पुनीत सिंह नही पूनीता सिंह है। कोई भी तुमसे पूछे की तुम्हारा
नाम क्या है तो तुम क्या कहोगी तब पुनिता बोली मेरा नाम पूनीता सिंह है। बहोत
अच्छे लेकिन एक बात बताओ पूनीता अब तुम करोगी क्या तुम्हारी जगह ऑफिस में एक नई
एम्प्लॉई को जॉब पर रखा है बॉस ने। पूनीता बोली लेकिन बॉस ने मेरी जगह किसी और को
क्यों रखा इसपर नगमा बोली तुम 6 महीनो से ऑफिस
नही आयी तो रखना पड़ा। जोरावर ने कहा कोई बात नही पूनीता को कहीँ भी नौकरी मिल सकती
है। हम्म तुम सही कह रहे हो जोरावर और वैसे भी पूनीता इतनी सुन्दर है कि कोई भी
इसे नौकरी पर रखने से मना नही करेगा और दोनो हँसने लगे, पूनीता को बहोत शर्म आ रहा था। अब वो एक औरत बन चुकी थी और
पूरी जिंदगी उसे ऐसे ही जीना था। काफी दिनों की नौकरी की तलाश करने के बाद भी
पूनीता को नौकरी नही मिली तो एक दिन नगमा से मिलने गयी और नगमा को पूरी बात बताई।
नगमा ने कहा ठीक है मैं तुम्हारे लिए एक अच्छा सा जॉब ढूंढ दूंगी वैसे तुम्हे याद
है ना कि कल जोरावर का जन्मदिन है तुम्हे घर आना होगा। पूनीता ने कहा ठीक है मैं आ
जाऊंगी।
अगले दिन पूनीता
अच्छे से तैयार हुई, चमकीला नीला
सलवार सूट चुनरी एक छोटा सा नथिया और झुमके, हाथो में चूड़ियां और कंगन और साथ ही 4इंच हील्स वाला सैंडल पहना फिर जोरावर के जन्मदिन पर उसके
घर गयी। उसने देखा नगमा, जोरावर, उसके भाई और उसके परिवार वालो के अलावे वहां
कोई भी नही था। नगमा ने पूनीता को घरवालो से मिलवाया। उसकी अम्मी ने कहा बिटिया तू
तो बहोत ही ज्यादा सुन्दर है, तेरा नाम क्या है
फिर उसने कहा मेरा नाम पूनीता है। बाकी के घर वालो ने भी पूनीता को उसकी खूबसूरती
की तारीफ़ की।जन्मदिन के बाद जब पूनीता जाने लगी तब जोरावर की अम्मी उसे एक कमरे
में ले गयी और उससे पूछा की तुम्हे जोरावर कैसा लगता है तब पूनीता ने कहा बहोत
समझदार और हैंडसम है। फिर उसकी अम्मी बोली तू इतनी सुन्दर है, शुशील भी है, मेरे बेटे के साथ तेरी जोड़ी बहोत अच्छी जमती है, तो क्या तू मेरे बेटे से निकाह करेगी। ऑन्टी आप
ये क्या पूछ रहे हो , जोरावर मेरा
दोस्त है मैं उससे शादी कैसे कर सकती हूँ। तभी नगमा अंदर आ गयी और कहा क्यों नही
क्या जोरावर तुम्हारे लायक नही या तुम दोस्त हो इसलिए शादी नही करना चाहती। पूनीता
ने कहा मैं राजपूत हु और आप मुस्लिम ये शादी कैसी हो सकती है। नगमा बोली गलत हम
मुस्लिम नही पठान हैं और आज दुनिया इतनी आगे पहुच चुकी है और तुम क्या ये हिन्दू
मुस्लिम के बीच फँसी हो। थोड़ी देर बाद नगमा की अम्मी उदास होकर वहाँ से चली गयी।
नगमा भाग कर सबसे
पहले जोरावर और अम्मी को साथ में बिठाया फिर बोली भाई तुम्हे पूनीता कैसी लगती है,
तुम उससे शादी करोगे। जोरावर शरमाते हुए बोला
तुम मजाक कर रही हो ना, नही भाई सीरियसली
सच बताओ ना नगमा बोली तब जोरावर बोला मुझे पूनीता पसंद है और उससे शादी करने में
मुझे कोई ऐतेराज़ नही। अम्मी तुम्हे तुम्हारी बहु मिल गयी और मुझे मेरी भाभी पूनीता
जोरावर भाई से शादी करने को तैयार है। सभी खुश हो गए फिर उसी रात पूनीता और जोरावर
के सगाई की तैयारी की गयी।जोरावर ने शेरवानी और पूनीता को लहँगा, चोली, चुनरी, मांगटीका, चूड़ी कंगन, पायल, बिछुआ, नाक और कान के छेद में बड़े वाले नथिया और झुमके
पहनाये गए।फिर 4 इंच वाला लाल
सैंडल पहना दिया फिर घूँघट करके सबके बीचोबीच बिठा दिया गया। पूनीता और जोरावर ने
रिंग एक्सचेंज किये, फिर दोनों खड़े
हुए सबका आशीर्वाद लिया। फोटोग्राफर ने दोनों की बहोत सी तस्वीरे ली। पूनीता को
विश्वाश नही हो रहा था कि आज उसकी सगाई जोरावर खान के साथ इतनी जल्दी हो गयी। अब
वो जोरावर खान की बीवी बनने जा रही थी और इस बात को उसके दिमाग में बैठा पूनित
मानने को तैयार नहीं था। सगाई के बाद जोरावर नगमा और पूनीता को लेकर उसके घर गया
फिर नगमा बोली भाई तुम अब घर जाओ ,मैं पूनीता को
शादी के लिए तैयार करूँगी। जोरावर ख़ुशी ख़ुशी घर चला गया उसके लिए उसका जन्मदिन
बहोत स्पेसल बन चूका था। इधर पूनीता को विश्वाश नही हो रहा था कि बहोत जल्द उसकी
शादी एक मर्द से होने वाली थी। कभी खुद एक मर्द था लेकिन जोरावर से सगाई कर चूकी
थी। एक दिन में कितना कुछ अचानक बदल गया था और पूनीता को पता भी नही चला कब शादी का
दिन भी आ गया।
आगे की कहानी पूनीता
की जुबानी सुन लो:
थोड़ी देर बाद
जोरावर आये और रूम को लॉक किया। फिर मेरी तरफ आये और मेरा घूंघट उठाया मैंने दूध
बढ़ दिया तो उन्होंने अपने हाथों से पिलाने को कहा। फिर मैं शर्मा गयी तो उन्होंने
मेरे हाथ पकड़ दूध पिया. फिर मेरी मुझे लिटा दिया और मेरे ऊपर ही चढ़ गए। मैं तो
एकदम दब गयी उनके नीचे। मेरी नथिया और चूड़िया गड़ने लगी और मेरी आखों में आंसू आ
गए। लेकिन इनपर कुछ असर नहीं हुआ और ये बोले की आज तुम्हे औरत बनाता हूँ अच्छे से।
फिर इन्होंने मेरा ब्लाउज उतरा और ब्रा के ऊपर से ही मेरे स्तन को मसलने लगे ,
फिर मेरा लेहेंगा उतार फेंक और मेरी पंतय नीचे
कर दी. फिर मेरी योनि पर किस्स करने लगे. मेरी तो आहें निकल रही थी ये फिर इन्होंने
अपनी शेरवानी और पायजामा उतरा। अंडरवियर निकालातो इनका कम से कम 8 इंच लंबा मोटा लिंग दिखा। मेरी तो जान निकल
गयी। इतना बड़ा तो मेरा लिंग नहीं था। फिर इन्होंने सीधा वो मेरे अंदर डाल दिया।
मेरी जान निकल गयी। फिर इन्होंने उसे अंदर बहार करना शुरू किया। ऐसा लग रहा था मनो
कोई गर्म रोड दाल दे रहा हो। मुझे बहुत दर्द हो रहा था और खून भी निकल रहा था। ये
बोले की चलो अब सब तो ये समझेंगे की तुम कुंवारी थी। इन्होंने स्पीड बढ़ दी और मुझे
तो लग रहा था कोई मुझे दो हिस्सो में काट रहा है। इन्हें मेरे दर्द और आंसू से कोई
मतलब नहीं था और ये पूरा मज़ा ले रहे थे। मेरे पुरे सीने लिंक लव बाइट से भर गए थे।
मेरे स्तन पूरे लाल हो गए थे. मुझे अभी बिलकुल मज़ा नहीं आ रहआ था। ये बोले की यहीं
तुम्हारा लिंग रहा होगा न जहाँ आज 8 इंच तक मेरा
लिंग घुस है। मैंने बोला की मैं एक औरत हूँ बस और तुम्हारी बीवी भी , थोड़ा तो रहम करो प्लीज पर ये 10 मिनट तक लगे रहे। मेरे जीवन का पहला सेक्स एक
बलात्कार था। इन्होंने ने दो तीन बार ऐसे ही किया और सो गए और मैं साड़ी रात रोती
रही। मैं पूरी रात पछताती रही अपने औरत बनने पर, अपने इन ब्रैस्ट पर, इस योनि पर , इन मेहँदी लगी हाथो पर, हर चीज़ देख कर
मुझे नफरत हो रही थी। औरत बनने के बाद पहली बार मुझे लगा की इस औरत के शरीर के मैं
शायद आज भी एक मर्द हूँ जो यहाँ कैद है।
अगले दिन सुबह उठी तो ये सो रहे थे। मैं बाथरूम गयी और शावर के नीचे बैठ गयी। पुरे शरीर जल रहा था , हर जगह घाव और छिलने के निशाँ थे। मैंने अपने पुरे शरीर को अच्छे से साफ़ किया और बहार आयी। फिर एक पिंक रंग की साड़ी निकली और मैचिंग चूड़ियां पहनी और मेकअप करके तैयार हुई। फिर सिन्दूर लगाया और मंगलसूत्र पहना. चाहे जो भी हो अब यही जीवन है। मैं भाग कर कहीं नहीं जा सकती। बाकि लडकिया तो अपने माँ बाप के घर जा भी सकती हैं पर मुझे तो अब उम्र कैद हो गयी। चाहे वो जोरावर का बिस्तर हो या औरत का ये शरीर , अब इन्ही में रहना है. मैं तैयार हुई ही थी कि जोरावर उठ गए और मुझे गोद में उठा कर वापस बिस्तर पर फेंक दिया। मैंने बोला की माँ और पूरा परिवार वेट कर रहा है , आज पहला दिन है, जल्दी जाने दो पर ये कहाँ सुनने वालो में से हैं , फिर मेरे कपडे उतार दिए और मेरे ब्रैस्ट काटने लगे अपने दांतो से , दर्द हो रहा था पर मज़ा भी आ रहा था , मैंने भी इनकी पैंट उतारी और इनके लिंग को मुंह में लेकर एकदम लॉलीपॉप के तरह चाटा , इनको बहुत मज़ा आया. मुझे काफी अजीब लग रहा था पर दोबारा बलात्कार करवाने से अच्छा था। फिर इन्होंने मेरे मुंह में आ गए और मेरे मुंह बार गया।
मैं भाग के बाथरूम गयी और मुंह धो कर ब्रश किया। ये हँसते हसँते पीछे से आये और बोले की कितनी बार ब्रश करोगी, आदत डालो जल्दी. फिर जब ये फ्रेश होने गए तो मैंने जल्दी से मेकअप ठीक किया और बहार आ गया. सब बड़ो का आशीर्वाद लिया और फिर सबके लिए चाय और पकोड़ी बनाई। फिर सबने काफी तारीफ़ की , शाम को मुंह दिखाई की रस्म हुई और मुझे काफी गहने और ज़ेवर मिले. फिर रात को दोबारा वही सब हुआ मेरा बलात्कार किया गया , आज मैं नहीं रोई। बस जो ये बोले चुपचाप कर दिया। अगले दिन हम हनीमून पर अंदमान निकल गए। होटल मैं चेक इन करते ही इन्होंने सेक्स किया और फिर हम घूमने निकल पड़े। मैंने शॉर्ट्स और एक टॉप डाला और इन्होंने बस एक शॉर्ट्स डाला और हम बीच पर चले गए. वहां पर जोरावर और बाकि मर्दो को खुली छाती घूमते देख कर एक बार फिर लगा की अब मैं कभी ये सब नहीं कर सकती। अब मुझे हमेशा खुद को ढँक कर रखना है। अगर मैं मर्द होती तो ऐसे ही आराम से घूमती , न की ये ब्रा और उसकी ऊपर टॉप होता. फिर से लगा की अब मैं एक लड़का हूँ जो इस शरीर में कैद है। हनीमून के एक हफ्ते में दिन भर हम घूमते रहते और रात भर ये मेरे साथ हर तरह से सेक्स करते। रात होती ही मैं घबरा जाती थी। कभी कभी थोड़ा मज़ा भी आता था पर ज्यादातार तो दर्द ही होता था। कभी मैं पुनीत सिंह नाम का मर्द थी, फिर लिंगपरिवर्तन के बाद पूनीता सिंह और अब एक मर्द से शादी करने के बाद पूनीता खान बन चुकी हूँ।वापस आकर नार्मल जीवन शुरू हुआ। ये सुबह ऑफिस जाते और मैं पुरे घर का कहना बनाती, झाड़ू बर्तन करती और सब का ख्याल रखती। रात को फिर वही सब होता। धीरे धीरे मुझे आदत पड़ गयी इन सब की. अब मज़ा आने लगा था घर के कामों में। मैं खूब जतन से घर के सारे काम करती और अपने सास ससुर का ख्याल रखती। रात को पति की हो जाती। मेरे सास ससुर भी मुझसे खुश रहने लगे थे और जोरावर भी हर छोटे मोटे कामों के लिए मुझे ही बुलाते रहते थे। ऐसा करते करते एक साल बीत गया. फिर जोरावर ने अपना बिज़नस दिल्ली में शिफ्ट हो गया। नए शहर आने से पहले जोरावर मुझे लेकर दिल्ली आये. यहाँ होटल में आने के बाद मुझे बताया की आज तुम्हारे ब्रैस्ट इम्प्लांट होने हैं. मुझे तुम्हारे ब्रैस्ट छोटे लगते हैं इसलिए आज ऑपेरशन करवा के तुम्हे DD साइज करवा दूंगा। मैं एकदम हक्की बक्की रह गयी. क्या ये वही जोरावर है जिससे मैंने कभी दोस्ती की थी। मेरे लिंग परिवर्तनकरवा कर औरत होने की कितनी सजा मिलेगी मुझे, क्या मैं पूरी ज़िन्दगी बस एक सेक्स ऑब्जेक्ट ही रहूंगी जोरावर के लिए। मैंने कुछ नहीं कहा और चुपचाप आपरेशन करवा लिया. अब बूब्स पहले से बहुत भारी लगता था और ब्रा के बिना बहुत जल्दी थक जाती थी। एक महीने तक इन्होंने कुछ नहीं किया और मुझे घर पर रिकवर करने दिया। मैंने नए शहर मैं नया घर बसाया। घर की हर एक चीज़ अपनी पसंद से ली , और अच्छे से सजाया। दिन भर घर के बारे में ही सोचती थी। एक महीने बाद ये वापस शुरू हो गए। अब तो इन्हें बहुत मज़ा आता था। सारा दिन मेरे ब्रैस्ट से खेलते रहते थे। मैं भी खुश रहने की कोशिश करती थी और घर के काम काज में खुद को बिजी रखती थी।
एक और दिन शुरू! मैंने धीरे से इनका हाथ अपने ऊपर से हटाया और धीरे से उठ बाथरूम गयी! फिर नाइटी उतार नाहा धो ककर ब्रा और पैंटी पहनी! सुबह सुबह बिलकुल समय नहीं मिलता। इन्हें हमेशा मेरा सजा धजा रहना पसंद है। इसलिए तौलिया डाल कर सजने बैठ गयी। जुड़ा बनाया, नक् में नथुनी डाली, काजल लगाया। गहरे लाल रंग का लिपिस्टिक और नेल पोलिश, कानो में झुमके और पुरे हाथ में चूड़ियाँ, पायल, बिंदी और सिन्दूर।
ऐसे सजने के बाद खुद को देखती हूँ तो कई बार खो जाती हूँ अतीत में। खैर अभी समय नहीं है कुछ सोचने का। जल्दी से उठ कर चाय बनाई और इनको प्यार से उठाया, ये उठते ही मुझे किस्स्स करते है। मै बोली की जल्दी से नहा लीजिये और मैं नाश्ता लती हूँ। ये लेकिन बिना मुझे परेशांन किये बना कुछ नहीं करते हैं। इन्होंने खीच कर मुझे बाहों में भर लिया और देर तक किस्स किया। फिर अपनी पैंट की तरफ इशारा किया। मैं समझ गयी और इनको खुश कर दिया। फिर ये उठ कर फ्रेश होने गए और मैं भी मुंह धोकर और मेकअप सही करके फिर किचन में चली गयी। निकलते ही आवाज लगाएंगे कपडे के लिए इसलिए इनका सूट निकल रख दूंगी ओम्लेट बनाने के बाद। आज दिन में पार्लर भी जाना है। इएब्रोव् काफी दिनों से नहीं बनवाई। कम करने में ये नाख़ून और चूड़ियों भरे हाथो को देख कर अब कौन कहेगा की ये हाथ कभी मर्द के थे। इन सब बातो से अब क्या फर्क पड़ता है। अब तो यही मेरा जीवन है। नाश्ता तैयार होते ही ये निकल आये और आवाज़ लगाई "पूनीता मेरे कपड़े कहाँ हैं ? कितनी बार बोला है जल्दी किया करो सुबह काम। आज फिर लेट करवाओगी। " मैं भाग के गयी और कपड़े निकाले। इनको गुस्सा बहुत आता है, मुझे भी बहोत गुस्सा आता था जब मैं एक मर्द थी। हर बात इनके हिसाब से होती है घर में। मेरा कम बस इनकी आज्ञा का पालन करना है। ये चाहते हैं मैं हमेशा सजी रहूँ, हमेशा साडी पहनू और गहनों से लदी रहूँ। मैंने फटाफट सब कम निपटाये और किस्स करके इन्हें ऑफिस भेज। सुबह की थकावट मिटाने को चाय बनाई और आराम से गृहशोभा लेकर बैठ गयी। पिछलर 5 सालो से यही चल रहा है। आगरा के एक घर की मालकिन हु मैं और मेरे पति सरकारी अफसर है। पूरा मोहल्ला मुझे अंजू सिंह के नाम से जनता है। कभी कभी घुटन सी होती है इन सब से। सारा दिन बैठे रहो इनके इंतज़ार में , सिलाई बुनाई करो, मोहल्ले की औरतो से पंचायत करो या टीवी देखो। बस यही सब रह गया है। इनको मेरा ज्यादा मिलना जुलना भी पसंद नहीं। पिछले कुछ दिनों से ये सब जेल जैसा क्यों लग रहा है।खैर ये रोज़मर्रा के काम कभी ख़त्म नहीं होते. मैगज़ीन के कुछ पन्ने पलटे ही थे की कामवाली आ गयी. जल्दी से किचन जाकर कहना बनाया और बर्तन निकले. फिर इन्हें फोन करके गाड़ी भेजने को बोला। इनका मूड अभी भी ख़राब था सो जवाब मिला की देखूंगा। मैंने बोला रात को तुम्हे ही मज़े मिलने है सोच लो तो फोन काट गया। जवाब तो मैं जानती हूँ , गाड़ी और ड्राइवर समय से आ जायेंगे। मैंने जो भी चाहा है हमेशा हासिल किया है। चाहे वो इनसे अपने हर मांग पूरी करवाना हो या अपनी पूरी पहचान मिटा के लिंग परिवर्तन करवाना। पिछलर 5 सालो से यही चल रहा है। दिल्ली के एक घर की मालकिन हु मैं और मेरे पति बहोत बड़े बिजनेसमैन है। पूरा मोहल्ला मुझे पूनीता खान के नाम से जनता है। कभी कभी घुटन सी होती है इन सब से। सारा दिन बैठे रहो इनके इंतज़ार में , सिलाई बुनाई करो, मोहल्ले की औरतो से पंचायत करो या टीवी देखो। बस यही सब रह गया है। इनको मेरा ज्यादा मिलना जुलना भी पसंद नहीं। पिछले कुछ दिनों से ये सब जेल जैसा क्यों लग रहा है।खैर! ये रोज़मर्रा के काम कभी ख़त्म नहीं होते. मैगज़ीन के कुछ पन्ने पलटे ही थे की कामवाली आ गयी. जल्दी से किचन जाकर कहना बनाया और बर्तन निकले. फिर इन्हें फोन करके गाड़ी भेजने को बोला। इनका मूड अभी भी ख़राब था सो जवाब मिला की देखूंगा। मैंने बोला रात को तुम्हे ही मज़े मिलने है सोच लो तो फोन काट गया। जवाब तो मैं जानती हूँ , गाड़ी और ड्राइवर समय से आ जायेंगे। मैंने जो भी चाहा है हमेशा हासिल किया है। चाहे वो इनसे अपने हर मांग पूरी करवाना हो या अपनी पूरी पहचान मिटा के लिंग परिवर्तन करवाना। मैं बाहर जाने के लिए सजने बैठ गयी। थोड़ा फाउंडेशन लगाया और लिपिस्टिक उठायी। ये सब अब तो मेरा हक़ भी है और मज़बूरी भी है सजना सवरना। नाक से नथुनी निकल दी। इनकी सोचा लौट के फिर पहन लुंगी। इनको मेरी खली नाक बिलकुल अच्छी नहीं लगती । क्या क्या नहीं करना पड़ता एक नारी को अपने पति के लिए. मैंने सदी भी उतार कर येल्लो सूट पहन लिया और मैचिंग पर्स और सैंडल निकले. यहाँ भी पति के आदेश हैं की कम से कम चार इंच की हील तो होनी चाहिए। अब तो बिना हील के चलने में दर्द होता है। घर पर भी हमेशा हील पेहेन के रहती हूँ। मैंने आईने में खुद को देखा: एक बहुत सुन्दर शादीशुदा लड़की मुझे वापस देख रही थी। मैंने अपने फेस की भी सर्जरी करवाई थी और अब पुनीत की कोई निशानी नहीं रह गयी है और आज मुझे देख कर शायद मेरी माँ भी मुझे न पहचान पाए। मैं इन्ही खयालो में खोयी थी की मोबाइल बजा : इन्ही का फोन था की ड्राइवर टाइम से आ जायेगा और लंच लेती आना। शाम को पार्टी के बारे में भी बताया। इनके बॉस के बेटे का जन्मदिन है। मैं खुश हो गयी की आज फिर कोई नयी साड़ी निकलूंगी और फिर सोच में पड़ गयी की कौन सी जेव्ल्लेरी पहनू। थोड़ी देर में ड्राइवर आ गया। मैंने जल्दी से नाक में एक कील डाली और फिर इनके ऑफिस में जाकर लंच बॉक्स दिया. ये किसी फाइल को लेकर बिजी थे पर मुझे देखते ही उठ गए और दरवाजा लॉक कर दिया और बोले की मेरा गेंदे का फूल आज क्या कहर ढा रहा है। मैं तो धत्त बोल कर शर्मा गयी और आँखे बंद कर ली। जल्दी ही इनके होंठ मेरे होंठ पर आये और हम एक दूसरे से लिपट गए। पांच मिनट के बाद ही मैंने आँखें खोली। मन तो कर रहा था की बस इनकी बाँहों में ही बैठी रहूँ , ये भी फिर काम में लग गए और में फिर ब्यूटी पार्लर के लिए निकल गयी।
वहां पर अनीता से मेरी अच्छी दोस्ती हो गयी : वो मुझे देख कर ही समझ लेती है की क्या करना है.उसने मुझे बैठाया और फिर थ्रेडिंग में लग गयी। थोड़ा दर्द हुआ पर ये सब तो रोज़ का है अब। अनीता अपने पति की बुराई कर रही थी की वो दिन रात दारू पीता रहता है। मैं सोचने लगी की मैं कितनी लकी हूँ इस मामले में जोरावर हालाँकि की कभी कभी पार्टीज में ड्रिंक कर लेते हैं पर कभी भी नशे में मुझ से जबरदस्ती नहीं की। अब अनीता वैक्सिंग करने लगी और मुझसे कानो में दो और छेद करने की ज़िद करने लगी। मैं काफी दिनों से उसे टाल रही थी ,आज तो उसने मशीन भी निकल ली। मैंने कहा कर ले अपनी मनमानी : घर में पति की सुनु और यहाँ तेरी पर एक ही करवाउंगी । वो भी हंस पड़ी और मेरे कान साफ करके एक छेद किया । अब इनमे पहनने के लिए भी कुछ लेना पड़ेगा। फिर अपना पसंदीदा फेसिअल करवाया। चेहरा एकदम खिल गया था। अब मैं मार्किट में निकल पड़ी। चार ब्रा लिए 36 DD साइज के। शादी के एक साल बाद ही इन्होंने मेरा ब्रेस्ट इम्प्लांट करवाया था। पहले मैंने अपने साइज के हिसाब से C कप के इम्प्लांट लिए ते पर इन्हें और बड़े बूब्स चाहिए थे। उसके बाद कुछ घर का सामान लिया और वापस आ गयी और गाड़ी वापस भेज दी।घर आते ही कानो
में झुमके डाली। अब पार्टी के लिए गहनों में इनके लिए भी कुछ ढूढना पड़ेगा। 1
-2 घंटो में ये भी आ जायेंगे
फिर जल्दी से जाना पड़ेगा। अभी से तैयारी करनी पड़ेगी। मैंने पहले साड़ी निकली। हरी
रंग की सिल्क की साड़ी थी और बॉर्डर पर जर्द का काम था। पल्लू ऑरेंज था और साथ
बैकलेस ब्लाउज था। साड़ी तो हो गयी अब गहने क्या पहनू। जब लड़का थी तब हमेशा पता
रहता था की कब क्या करना है। कभी इतना सोचना नहीं पड़ता था। बस जो पैंट दिखी डालो
और कोई भी साफ़ शर्ट पेहेन कर निकल जाओ। कितना आसान था वो जीवन। एकदम क्लियर रहता
था दिमाग और अब देखो हर चीज़ पर पता नहीं कितना सोचती रहती हूँ। हर पार्टी से पहले
यही हाल रहता है और मूड तो यूँ
चेंज होता की क्या बताऊं - कब कौन सी बात पर रोने लगती हूँ समझ नहीं आता।
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