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Md. Ali Ansari to Mrs. Aliyaa Abdul Ansari


मेरा नाम अली है। बुलंदशहर में मेरा जन्म हुआ और यहीं मैं पला बढ़ा। मेरा दोस्त राहुल, उसने भी मेरे साथ ही अपनी ग्रेजुएशन कम्पलीट की और हम दोनों ने एक साथ मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी पायी और पिछले एक साल से हम दोनों एक ही कंपनी में अच्छी सैलरी पर काम कर रहे थे। मेरे पापा चाहते थे कि मैं उनका बिज़नेस में साथ दूँ लेकिन मुझे अपने बलबूते पर लाइफ में आगे बढ़ना था और इसीलिए मैं राहुल के साथ मुंबई आ गया था। बचपन से ही राहुल को डिटेक्टिव बनने का बड़ा शौक था और मुंबई आने के बाद राहुल के डिटेक्टिव बनने का सपना करीब आ गया था। कुछ ही दिनों में राहुल ने कंपनी की जॉब छोड़ कर एक प्राइवेट डिटेक्टिव एजेंसी ज्वाइन कर ली। राहुल के इस फैसले को मैंने सपोर्ट किया और उसे काफी मोटीवेट भी किया। मेरे पापा का नाम अब्दुल अंसारी है, उनका अपना बिज़नेस था और काफी अच्छा बिज़नेस चल रहा था। पापा की कंपनी में उनके दोस्त मुकेश शर्मा पिछले १५ साल से उनके बिज़नेस पार्टनर हैं और दोनों की दोस्ती सगे भाई से भी ज्यादा मजबूत थी, शायद इसीलिए पापा की कंपनी का ग्रोथ काफी अच्छा चल रहा था। ४० साल की उम्र में मेरे पापा और उनके दोस्त ने वो मुकाम हासिल कर लिया था, जिस मुकाम को पाने की तालाश में मैं और राहुल बुलंदशहर से मुंबई आया, वो मुकाम था, जिसे सक्सेस कहते हैं।

सबकुछ बहुत ही बढ़िया चल रहा था, मैं और राहुल एक साथ एक छोटे से अपार्टमेंट में रहने लगे थे। मेरी लाइफ काफी सिंपल चल रही थी, सुबह ऑफिस जाना, शाम को घर आना, मेस में खाना खाना और थक हार के सो जाना। लेकिन राहुल की लाइफ काफी एक्साइटिंग थी, उसे अच्छी सैलरी के साथ ट्रेवल एक्सपेंस, ऑफिस में खाना, एक डिजिटल कैमरा और आये दिन कोई टेक्निकल चीज़ें लाता और मेरे साथ दिनभर के काम के बारे में डिसकस करता। एक साल से मुंबई में रहने के बावजूद एक दिन भी ऐसा नहीं गुज़रता जब मेरी अम्मी अब्बू मुझे दिन में ५ दफा कॉल नहीं करती। कुछ दिनों बाद अम्मी से बात करते वक़्त मुझे लगा कि वो काफी उदास है।

मैं: “क्या बात है अम्मी, आप किस बात से इतने परेशान हो!”

अम्मी: “कोई बात नहीं है बेटा, कब आ रहा है घर?”

मैं: “आप बोलो अम्मी, कब आ जाऊ?”

अम्मी: “अगले हफ्ते आ जा !”

मैं: “ठीक है अम्मी! अपना ख्याल रखना तबतक, मैं अगले हफ्ते आ जाऊंगा !”        

अम्मी ने फ़ोन तो रख दिया लेकिन मेरे मैं में सवालों के समुन्दर में सैलाब आ गया था। आखिर ऐसा क्या हो गया अम्मी को जो वो इतनी परेशां थी। मैंने तुरंत बुलंदशहर की टिकट्स बुक की और जाने की तयारी शुरू कर दी। रात को मैं जल्दी सो गया, डोरबेल बजी, मैंने सोचा राहुल होगा तो मैंने दरवाज़ा खोला और बिस्तर पर जाकर सो गया। सोने से मैंने सोचा राहुल को बुलंदशहर जाने वाली बात बता दूँ, जैसे ही मैं बिस्तर से उठा और राहुल की तरफ देखा तो मैं शॉकेड रह गया क्यूंकि मेरे सामने राहुल की जगह कोई बहुत ही खूबसूरत लड़की खड़ी थी। साटन साड़ी में, बैकलेस ब्लाउज पहली वो लड़की किसी मॉडल से कम नहीं लग रही थी। उस लड़की के बूब्स का उभार साफ़ साफ़ दिखाई दे रहा था,  बारिश में भीगी हुई सी वो लड़की मेरी तरफ एक बार भी नहीं देख रही थी और साड़ी के पल्लू से अपना चेहरा पोछ रही थी। मैं यकीन नहीं कर पा रहा था कि इतनी रात को, इतनी सेक्सी लड़की मेरे कमरे में मेरे साथ अकेले है। उस लड़की की गोरी कमर देख कर एक पल को मैं एक्साईडेड हो गया लेकिन दूसरे पल मैंने खुद को संभाला।     

मैं: “कौन हो तुम!”

उस लड़की ने मेरे सवाल का जवाब भी नहीं दिया और वाशरूम में घुस गयी। मैं अभी तक शॉकेड में था, एक लड़की मेरे रूम के वाशरूम में थी और मैं कुछ नहीं कर सकता था। मैंने वाशरूम का दरवाज़ा नॉक करना शुरू किया, लेकिन उस लड़की ने मुझे कोई जवाब नहीं दिया। मुझे लग रहा था कि मैं सपना देख रहा हूँ लेकिन थोड़ी देर बाद वाशरूम से राहुल बाहर आया।  

मैं: “राहुल तुम, वाशरूम में तो वो लड़की गयी थी।”

राहुल: “अबे अली, तू ऐसे क्या देख रहा है, वो लड़की और नहीं बल्कि मैं ही था।”

मैं राहुल की बात सुनकर शॉकेड रह गया था।

मैं: “अबे राहुल, तू लड़की कैसे बन गया था और फिर से लड़का कैसे बन गया!”

राहुल: “अली, मेरे भाई, मैं एक डिटेक्टिव हूँ, कभी कभी क्रॉसड्रेसिंग करना पड़ता है और क्लाइंट्स के हिसाब से जासूसी करने के लिए ये सब करना पड़ता है।”

मैं: “चल कोई नहीं, लेकिन क्रॉसड्रेसिंग के बावजूद तू बिलकुल लड़की की तरह दिख रहा था, तेरे बूब्स दिखाई दे रहे थे, तेरी कमर गोरी दिखाई दे रही थी, ये कैसे, वो भी बारिश में भीगने के बावजूद। तू तो सांवला है, फिर तेरी त्वचा एक डैम मखमल की तरह चिकनी और मलाई की तरह गोरी कैसे हो गयी थी?”

राहुल: “कितना ठरकी है बे तू साले ! अँधेरे में भी तुझे गोरा सांवला का फ़र्क़ दिखाई दे गया ! देख मैं तुझे बता रहा हूँ, लेकीन तू किसी और को मत बताना। वैसे तो बाकी डिटेक्टिव क्रॉसड्रेसिंग करते हैं लेकिन मेरे पास एक जादुई अंगूठी है, जो एक तांत्रिक बाबा ने मुझे आज से ६ महीने पहले मुझे दिया था। वो अंगूठी पहनकर मैं कोई भी रूप ले सकता हूँ और किसी को भनक नहीं लगता, कि वास्तव में मैं कौन हूँ। देख ये है वो अंगूठी, मैं जब चाहूँ  तब जो चाहे वो बन सकता हूँ और मैं इस अंगूठी का इस्तेमाल सिर्फ अपनी काबिलियत को बढ़ाने के लिए करता हूँ।”

मैं: “ऐसा है तो एक काम कर तू मेरा रूप लेकर दिखा, तब मैं मानूंगा।”

राहुल ने पालक झपकते ही मेरा रूप ले लिया और मेरे सामने मैं खड़ा था।

मैं: “राहुल, ये अंगूठी तो वाकई बड़ी जादुई है। चल कभी मुझे जरुरत हुई तो मेरी मदद कर देना यार। एक लड़की बहुत पसंद है मुझे, शबनम नाम है उसका और वो मुझे पसंद भी करती है लेकिन जब मैं उससे बात करने जाता हूँ, वो मुँह फेर लेती है।”

राहुल: “चिंता मत कर अली, मैं तेरी मदद जरूर करूँगा, तू टेंशन ना ले।”

मैं: “थैंक्स मेरे जादूगर भाई, बस एक सवाल और पूछना था!”

राहुल: “यार, ठीक है, लास्ट सवाल, ओके पूछ ले।”

मैं: “इस अंगूठी की सबसे बड़ी प्रॉब्लम क्या है, जिससे तुझे डर लगता हो? ये अंगूठी तेरे सिवा कोई और भी पहन सकता है क्या और अपना रूप बदल सकता है क्या?”

राहुल: “ये बड़ा अच्छा सवाल किया तूने। देख ये अंगूठी ना पहनूं तो कोई डर नहीं है लेकिन अगर इस अंगूठी को पहनने के बाद, चाहे मैं कोई भी रूप में रहूं और ये अंगूठी कहीं खो जाये तो मैं उस रूप में हमेशा के लिए कैद हो जाऊंगा। बस इसीलिए मैं इस अंगूठी के साथ एक लोहे का अंगूठी भी पहनता हूँ ताकि अंगूठी मेरी ऊँगली से तबतक ना निकले, जबतक मैं उसे नहीं निकालूँ। हाँ अली, ये अंगूठी कोई भी इस्तेमाल कर सकता है लेकीन, मैं नहीं जानता कि उसके लिए क्या नियम होगा, क्यूंकि बाबा ने बताया था कि हर किसी के लिए, नियम अलग होगा। “

मैं राहुल के इस जादुई अंगूठी का जादू देखकर काफी खुश हो गया था। मैंने राहुल को बताय कि नेक्स्ट वीक मैं बुलंदशहर जा रहा हूँ और एक वीक बाद आऊंगा। हम दोनो को नींद आ रहा था तो ज्यादा डिस्कस किये बिना हमदोनो सो गए।

अगले दिन हमारी लाइफ पहले जैसी चलने लगी, मैं अगले हफ्ते की छुट्टी अप्लाइ कर चुका था और मुझे एक हफ्ते की छुट्टी भी मिल गई थी। अगले हफ्ते मैं बुलंदशहर के लिए ट्रैन ली और अपने घर आ गया। मेरा घर अब पहले जैसा नहीं रह गया था, अब्बू और अम्मी के बीच कुछ तो ठीक नहीं था। मैंने अम्मी अब्बू के लिए अपनी फेवरेट अल-करीम से बिरयानी मंगवाई और हमने एक साथ डिनर किया। रात को अब्बू दूसरे कमरे में सोने चले गए और अम्मी मेरे साथ सोने आ गयी। 

मैं: “क्या बात है अम्मी, आप और अब्बू बात क्यों नहीं कर रहे और ये क्या हाल बना रखा है घर का।  इतना उदास हमारा घर कभी नहीं था ?”

अम्मी: “जब से तू मुंबई गया है, तेरे अब्बू बदल गए हैं। वो अब पहले जैसे नहीं रह गए हैं, हफ्ते हफ्ते भर बाहर रहते हैं, ऐसे तो वो कभी नहीं थे। कोई सवाल करूँ तो गुस्सा करते हैं और ना जाने किस औरत से आधी रात तक बातें करते हैं। अली, तू अपने अब्बू को समझा, ४० साल के हो गए हैं और तू भी तो है २२ साल का। इस उम्र में गैर औरतों की सांगत उन्हें बर्बादी की ओर लेकर जा रही है।”

मैं: “अम्मी, आप फिक्र मत करो, मैं अब्बू को अभी समझाता हूँ।”

मैं कमरे से निकला और छत पर चला गया, अब्बू ना जाने किससे हंस हंस कर बातें कर रहे थे, मुझे देखते ही उन्होंने कॉल डिसकनेक्ट कर दिया।

मैं: “अब्बू, ये सब क्या है।”

अब्बू: “क्या हुआ अली?”

मैं: “अब्बू, रात रात भर अनजान औरतों से बातें करना, अच्छा नहीं लगता है अब्बू।”

अब्बू: “अरे बेटा , तू भी अपनी अम्मी के बहकावे में आ गया, वो कंपनी के किसी काम के लिए बात कर रहा था।”

मैं: “अब्बू, अम्मी को आपकी फिक्र होती है, ऐसा कुछ मत करना जिससे हमारा हँसता खेलता परिवार बिखर जाये।”

अब्बू: “तू फिक्र मत कर अली, अपने काम पर ध्यान दे। वैसे 22 का हो गया है, नौकरी भी है, तू निकाह कर ले। मेरे एक दोस्त की बेटी मुंबई मे ही जॉब करती है, तू बोल तो मैं बात  करूँ।”

मैं: “नहीं अब्बू, अभी एक दो साल रुक जाओ। मैं खुद बता दूंगा , जब मुझे निकाह करना होगा तब।”

फिर मैं नीचे कमरे में आ गया। एक हफ्ते घर पर रहा लेकिन अब्बू अब पहले की तरह घर परिवार पर ध्यान देने के बजाय, ना जाने किस औरत के चक्कर में फंसते जा रहे थे जो अब्बू को मुझसे और अम्मी से धीरे धीरे दूर किये जा रही थी। मैंने सोचा राहुल से इस बारे में बात करूँ और इस बात की गहरायी में जाकर इसका पता लगाऊं। नेक्स्ट वीक जब मैं मुंबई वापिस गया तब राहुल से मिलकर उसे पूरी बात बताई और उसे इन्वेस्टीगेट करने को कहा। राहुल ने मेरे अब्बू की जासूसी करने मुंबई से बुलंदशहर आ गया और मेरे अब्बू के केस की इन्वेस्टीगेशन शुरू कर दी। करीब १० दिनों के इन्वेस्टीगेशन के बाद जब राहुल मुंबई आया तो उसने मुझे बताया कि मेरे अब्बू का चक्कर उनकी कंपनी में काम कर रही एक ३२ साल की औरत जैस्मिन के साथ चल रहा है। और वो औरत सिर्फ अपनी अय्याशी के लिए मेरे अब्बू के भोलेपन का फायदा उठा रही है। राहुल की बात सुनकर मुझे बहुत गुस्सा आया और मैंने फैसला किया कि चाहे जैसे भी हो, उस औरत को मैं अब्बू के लाइफ से बाहर निकाल दूंगा। अब राहुल अपने दूसरे क्लाइंट्स के केस इन्वेस्टीगेट करने में लग गया और अगले दिन जब मैंने राहुल से इस बारे में बात की तब उसने मुझसे माफ़ी मांगते हुए कहा कि अगले २ महीने के लिए वो मुंबई छोड़कर कहीं नहीं जा सकता है लेकिन उसने मुझे अपनी अंगूठी देते हुए कहा कि मैं खुद बुलंदशहर जाकर अपने अब्बू के लाइफ से उस औरत को बाहर कर दूँ। अंगूठी के जादू से मैं भली भांति वाक़िफ़ था और मैंने राहुल को थैंक्स किया और नौकरी छोड़ने का फैसला कर लिया। मैंने अब्बू को कॉल किया कि मैं उनकी कंपनी को ज्वाइन करना चाहता हूँ, ये सुनकर अब्बू बड़े खुश हुए और मुझे जल्द से जल्द अपनी कंपनी को ज्वाइन करने को कहा। मैंने अपनी प्राइवेट नौकरी छोड़ दी और अगले ही हफ्ते मैं बुलंदशहर स्थित अपने अब्बू की कंपनी को मैनेजिंग डायरेक्टर के पोस्ट पर ज्वाइन किया।    

अब्बू: “तू फिक्र मत कर अली, अपने काम पर ध्यान दे। वैसे 22 का हो गया है, नौकरी भी है, तू निकाह कर ले। मेरे एक दोस्त की बेटी मुंबई मे ही जॉब करती है, तू बोल तो मैं बात  करूँ।”

मैं: “नहीं अब्बू, अभी एक दो साल रुक जाओ। मैं खुद बता दूंगा , जब मुझे निकाह करना होगा तब।”

फिर मैं नीचे कमरे में आ गया। एक हफ्ते घर पर रहा लेकिन अब्बू अब पहले की तरह घर परिवार पर ध्यान देने के बजाय, ना जाने किस औरत के चक्कर में फंसते जा रहे थे जो अब्बू को मुझसे और अम्मी से धीरे धीरे दूर किये जा रही थी। मैंने सोचा राहुल से इस बारे में बात करूँ और इस बात की गहरायी में जाकर इसका पता लगाऊं। नेक्स्ट वीक जब मैं मुंबई वापिस गया तब राहुल से मिलकर उसे पूरी बात बताई और उसे इन्वेस्टीगेट करने को कहा। राहुल ने मेरे अब्बू की जासूसी करने मुंबई से बुलंदशहर आ गया और मेरे अब्बू के केस की इन्वेस्टीगेशन शुरू कर दी। करीब १० दिनों के इन्वेस्टीगेशन के बाद जब राहुल मुंबई आया तो उसने मुझे बताया कि मेरे अब्बू का चक्कर उनकी कंपनी में काम कर रही एक ३२ साल की औरत जैस्मिन के साथ चल रहा है। और वो औरत सिर्फ अपनी अय्याशी के लिए मेरे अब्बू के भोलेपन का फायदा उठा रही है। राहुल की बात सुनकर मुझे बहुत गुस्सा आया और मैंने फैसला किया कि चाहे जैसे भी हो, उस औरत को मैं अब्बू के लाइफ से बाहर निकाल दूंगा। अब राहुल अपने दूसरे क्लाइंट्स के केस इन्वेस्टीगेट करने में लग गया और अगले दिन जब मैंने राहुल से इस बारे में बात की तब उसने मुझसे माफ़ी मांगते हुए कहा कि अगले २ महीने के लिए वो मुंबई छोड़कर कहीं नहीं जा सकता है लेकिन उसने मुझे अपनी अंगूठी देते हुए कहा कि मैं खुद बुलंदशहर जाकर अपने अब्बू के लाइफ से उस औरत को बाहर कर दूँ। अंगूठी के जादू से मैं भली भांति वाक़िफ़ था और मैंने राहुल को थैंक्स किया और नौकरी छोड़ने का फैसला कर लिया। मैंने अब्बू को कॉल किया कि मैं उनकी कंपनी को ज्वाइन करना चाहता हूँ, ये सुनकर अब्बू बड़े खुश हुए और मुझे जल्द से जल्द अपनी कंपनी को ज्वाइन करने को कहा। मैंने अपनी प्राइवेट नौकरी छोड़ दी और अगले ही हफ्ते मैं बुलंदशहर स्थित अपने अब्बू की कंपनी को मैनेजिंग डायरेक्टर के पोस्ट पर ज्वाइन किया

कंपनी ज्वाइन करने के साथ ही मैंने कपनी में काम करने वाले सभी मैनेजर्स की मीटिंग रखी और मेरे अब्बू ने सभी को मुझसे मिलवाया और मेरा परिचय दिया। सभी ने मेरा खुले दिल से स्वागत किया, उमेश अंकल और मेरे अब्बू ने मेरी हौसला आफज़ाई करते हुए मुझे मेरा केबिन दिखाया, प्रॉडक्शन हाउस ले गए, मशीन दिखाया और उन मशीन के बारे में जानकारी दी। कंपनी की मार्केटिंग टीम की हेड उमेश अंकल की बड़ी बेटी सुहाना शर्मा थी जो कंपनी में पिछले २ साल से काम कर रही थी। मैंने कंपनी में प्रोडक्शन और एकाउंट्स के टीम हेड्स से मिला, प्रोडक्शन की हेड जैस्मिन को बनाया गया था, जिसने सिर्फ ८ महीने पहले ही कंपनी को ज्वाइन किया था और एकाउंट्स मेरे अब्बू खुद सँभालते। मेरे कंपनी को ज्वाइन करने के साथ ही मैंने हर रोज़ सुबह १० बजे १५ मिनट्स की मीटिंग सभी हेड ऑफ़ ऑपरेशन्स के साथ रखें शुरू किया, प्रोडक्टिविटी बढ़ने लगी, सेल्स ज्यादा हो गए, प्रोडक्शन और सप्लाई का काम भी काफी जोरशोर से बढ़ने लगा। अब हर रोज़ मैं अब्बू के साथ ही घर जाता, दिन भर में ज्यादातर समय मैं अब्बू और उमेश अंकल के साथ बिताने लगा था। उधर अब्बू और जैस्मिन की नजदीकियां बढ़ने लगी थी। जब मैंने जैस्मिन को पहली बार देखा तो उसे देखते ही मेरा मन भी एक पल के लिए उसकी कर्वी बॉडी और मनमोहक ड्रेसिंग स्टाइल पर कायल हो गया था लेकिन वो मुझसे १० साल बड़ी भी थी और अब्बू के केबिन में दिन भर उसका आना जाना लगा रहता। मैं अब्बू और जैस्मिन को अलग करने की कोशिश करने लगा लेकिन मेरे अब्बू का सारा ध्यान जैस्मिन पर ऐसे टिक चूका था मानो, अब्बू अब उससे कुछ ही दिनों में निकाह कर घर ले आएंगे।

अब मेरे पास दूसरा कोई रास्ता नहीं था, मैंने एक जॉब वैकेंसी निकाली और एक बहुत ही खूबसूरत लड़की को पर्सनल असिस्टेंट हायर किया। वैसे तो मुझे पर्सनल असिस्टेंट की कोई खास जरुरत नहीं थी, लेकिन मैं जानता था की लोहे को लोहा ही काट सकता था। नेहा नाम था उस लड़की का जिसको हायर करने के ठीक एक हफ्ते बाद मैं एक महीने के लिए छुट्टी पर जाने का फैसला किया और उस लड़की को भी एक महीने की पेड लीव देते हुए कहा कि अब उसे अगले महीने से ऑफिस आना है। नेहा मान गयी क्यूंकि उसे छुट्टी के बावजूद पूरी सैलरी मिल रही थी। नेहा २० साल की बहुत ही आकर्षक लड़की थी, जो मॉडर्न होने के साथ ही काफी कल्चरल भी थी। नेहा की आवाज़ काफी मीठी थी और बॉडी स्लिम होने के साथ साथ उसका फिगर ३२-36-३२ था। नेहा को नेक्स्ट डे से छुट्टी पर रहना था और साथ ही मैंने भी एक महीने के लिए मुंबई जाने की बात अब्बू को बोलकर एक महीने की छुट्टी पर चला गया। मैंने तुरंत अपने लिए एक महीने के लिए होटल में एक कमरा बुक किया। शाम को ऑफिस से निकलकर मैंने लेडीज ऑफिसियल ड्रेस के साथ नेहा के बॉडी के हिसाब से सलवार कमीज, ब्रा पैंटी, नाईट ड्रेस, सैंडल्स और मेकअप का कुछ सामान ख़रीदा और रात को घर से निकलकर सीधे होटल में जाकर शिफ्ट हो गया। अगले दिन सुबह सुबह मैंने राहुल की दी हुई अंगूठी को पहला और नेहा का रूप में खुद को कन्वर्ट कर लिया और रिंग को अपनी ऊँगली से निकालकर अपने पर्स में रखा और यूट्यूब पर देखकर अपना लाइट मेकअप किया और साथ ही ऑफिसियल लेडीज वाइट शर्ट और लेडीज फॉर्मल ब्लैक पैंट, लेडीज सैंडल्स के साथ मैं तैयार होकर ऑफिस जा पहुंचा। लेडीज सैंडल्स में चलने में थोड़ी प्रॉब्लम हो रही थी, लेकिन मैंने मैनेज किया और ऑफिस पहुंचकर नेहा की जगह काम करने बैठ गया।

अभी काम करते हुए १५ मिनट्स भी नहीं हुआ था कि केबिन में उमेश अंकल आ गए। मैंने उन्हें नेहा की आवाज़ में ही गुड मॉर्निग सर विश किया और वो मेरे सामने वाले चेयर पर बैठ गए। उमेश अंकल को ये नहीं पता था कि मैं कौन हूँ, उन्होंने केबिन में जैस्मिन को बुलाया।

मेरे पास काफी काम था करने के लिए, तो मैंने अपने काम पर ध्यान देते हुए उन दोनों की बातें सुनते रहना जरुरी समझा। दोनों काफी देर तक आपस में बातें करते रहे, उमेश अंकल थोड़े परेशां दिख रहे थे और जैस्मिन उनकी बात नहीं सुन रही थी। मैं चुपचाप दोनों की बातें सुन रहा था, उमेश अंकल जैस्मिन को बोल रहे थे कि वो मेरे अब्बू का पीछा छोड़ दे और उनके साथ समय बिताये लेकिन जैस्मिन का कहना था कि मेरे अब्बू ने उनसे वादा किया है कि वो जैस्मिन से निकाह करेंगे। उमेश अंकल ने भी जैस्मिन से कहा कि वो मेरे अब्बू को छोड़ दे, वो शादीशुदा है, २२ साल का एक बेटा भी है। उमेश अंकल चाहते थे कि जैस्मिन उनके साथ शादी कर ले, क्यूंकि उमेश अंकल की वाइफ १० साल पहले ही गुज़र गयीं थी। इससे उनके परिवार का अधूरापन ख़त्म हो जाता, लेकिन जैस्मिन की नज़र मेरे अब्बू पर थी और मैं नहीं चाहता था कि मेरी अम्मी की जगह कोई और औरत ले। जैस्मिन के वहां से जाने के बाद मैंने उमेश अंकल से परेशानी की वजह पूछा। उमेश अंकल ने मुझे पूरी बात बताई कि कैसे जैस्मिन और उसके भाई शब्बीर ने मिलकर मेरे अब्बू को परेशां कर रहे हैं और मैं ये बात सुनकर हैरान रह गया की अब्बू ने जैस्मिन के फिजिकल रिलेशन भी बना रखा है, जिसकी वीडियो फुटेज शब्बीर के पास है और जिसकी वजह से जैस्मिन के सामने मेरे अब्बू कमज़ोर पड़ जाते हैं। मैंने उमेश अंकल से कहा कि मैं उनकी हेल्प कर सकता हूँ, बशर्ते उन्हें मेरी बात माननी होगी। उमेश अंकल जैस्मिन को पाने के लिए मेरी कोई भी शर्त मानने को तैयार हो गए और मैंने अपना ट्रांसफर अब्बू के केबिन में करवा लिया साथ ही जैस्मिन को मेरे केबिन में शिफ्ट कर दिया गया। अब मैं नेहा के रूप में जैस्मिन की जगह प्रोक्शन मैनेजर बन चूका था और जैस्मिन को नेहा की जगह मेरे केबिन में मेरी परसनल अस्सिस्टेंट बना दिया गया। 

आज तो पहला दिन था, अभी मेरे पास पूरा महीना था, जैस्मिन को अब्बू की लाइफ से बाहर करने के लिए। अगले दिन मैंने उमेश अंकल को कॉल किया और उनसे एक ब्यूटिशियन के साथ मेरी अपॉइंटमेंट फिक्स करवाने को कहा। उमेश अंकल ने मेरी अपॉइंटमेंट एक ब्यूटिशियन के साथ फिक्स कर दिया, जिसके बाद सुबह के ८ बजे मैं ब्यूटिशियन के पास जा पंहुचा। ब्यूटिशियन से मैंने कहा की मुझे बहुत ही सेक्सी औरत की तरह तैयार कर दे और मेरी हेयर स्टाइल भी चेंज करवा ली। अब मेरे घने बाल पहली की तरह आम लड़कियों जैसी नहीं थी, ब्यूटिशियन ने मेरे बालों को बैलेरिना बन लुक दे दिया था। ब्लैक ट्रांसपेरेंट सिल्क साड़ी, डीप बैकलेस ब्लाउज और हैवी मेकअप, ग्लॉसी लिपस्टिक अप्लाई करने के बाद ब्यूटिशियन ने मुझे हील्स पहना कर तैयार कर दिया था। उमेश अंकल ने मुझे साढ़े ९ बजे पिक किया और हमदोनो ऑफिस आ गए। ब्यूटिशियन ने मुझे सिखाया था कि कैसे मुझे एक मॉडल की तरह रैंप वाक करना चाहिए और मैंने बखूबी रैंप वाक करते हुए अपने अब्बू के केबिन में चला गया। जब मेरे अब्बू ने मुझे देखा तो देखते रह गए, उनके बगल में जैस्मिन भी खड़ी थी, जो मुझे देखकर काफी चिढ गयी थी। मैंने दोनों को ही गुड मॉर्निंग विश किया और प्रोडक्शन हाउस की सभी डिटेल्स साथ लेकर अब्बू के सामने वाले सीट पर बैठकर काम करने लगा। मैं थोड़ी थोड़ी देर में जान बूझकर अपने बाल के लटो को कान के पीछे ले जाता तो कभी अपनी साड़ी का पल्लू सरका देता। मेरे अब्बू का ध्यान भटकने लगा था, मैंने बैकलेस ब्लाउज पहना हुआ था और हाफ साड़ी में मेरी कमर की तरह मेरी पीठ भी पूरी तरह से न्यूड थी। अपने अब्बू को सेड्यूस करने का एक भी मौका मैं नहीं छोड़ रहा था लेकिन मेरी इस हरकत ने जैस्मिन का जीना हराम कर दिया था। अब मैं रोज़ अपने अब्बू से चिपक चिपक कर उनसे काम के डिटेल्स लेता, कभी बूब्स दिखाता, तो कभी पीठ और बड़े प्यार से उनसे बातें करता। जैस्मिन मेरी और मेरे अब्बू की नजदीकियों से काफी परेशां हो चुकी थी, उसने फैसला किया कि वो उमेश अंकल से शादी करेंगी। उमेश अंकल काफी खुश थे और उन्होंने समय गंवाए बिना जैस्मिन के साथ अपनी शादी की कार्ड्स छपवा लिया और शादी का इनविटेशन मेरे अब्बू के साथ अपने सभी करीबियों को दिया। मेरे अब्बू खुश थे,  मैं भी बहुत खुश था, लेकिन अभी तो १० दिन ही हुए थे। अभी भी २० दिन बाकी थे जिन्हे मुझे नेहा बनकर बिताना था। मेरे अब्बू का व्यव्हार मेरे फीमेल फॉर्म के प्रति बदलने लगा था। अब अब्बू मुझे छूने की कोशिश करते, कभी मेरे जाँघों पर अपना हाथ फेरते तो कभी मुझसे अपनी गोद में बैठने को कहते। मैं तो मुस्कुरा कर मना कर देता लेकिन अब्बू अब अपनी लिमिट क्रॉस करने को तैयार रहने लगे।  

अब्बू को ये नहीं पता था कि नेहा के रूप में उनके सामने उनका खुद का बेटा अली है और मैं ये बात उन्हें बता भी नहीं सकता था। उमेश अंकल ने मुझे भी अपनी शादी में इन्वाइट किया था और मेरे अब्बू ने मुझे अपने साथ उमेश अंकल की शादी में चलने को कहा। मैंने अब्बू से कहा कि वो अपनी वाइफ को उमेश अंकल की शादी ले जाएं लेकिन अब्बू ने ये कहकर मना कर दिया कि वो मेरे साथ उमेश अंकल की शादी में जाना चाहते हैं। ब्यूटिशियन से मेरी अच्छी जान पहचान हो गयी थी तो शादी वाले दिन उसने मेरा मेकअप किया और ट्रांसपेरेंट येल्लो साड़ी और बैकलेस ब्लाउज पहनकर मुझे तैयार किया। मेरे अब्बू ने मुझे ब्यूटिशियन के यहाँ से पिक किया और मुझे अपने साथ उमेश अंकल की शादी में ले आये। उमेश अंकल की बेटी सुहाना और बेटा डॉक्टर राजेश से मेरा परिचय खुद उमेश अंकल ने करवाया। सुहाना और राजेश मुझसे मिलकर बड़े खुश हुए और मैंने अब्बू के साथ स्टेज पर जाकर जैस्मिन को गिफ्ट और बेस्ट विशेष दिए। जैस्मिन ने फेक मुस्कराहट के साथ मुझे थैंक्स कहा और मैं अब्बू के साथ स्टेज से नीचे उतरने लगा, तभी उमेश अंकल ने मुझे अपने पास बुलाया, मेरे अब्बू पार्टी एन्जॉय करने के लिए आगे बढ़ गए लेकिन मैं उमेश अंकल के पास खड़ा था।

उमेश अंकल: “बेटा नेहा, ये मेरा बड़ा बेटा राजेश है। पेशे से डॉक्टर है और तुम मेरे बेटे को बहुत पसंद हो। मेरा बेटा तुमसे अकेले में बात करना चाहता है।”

मैं: “कोई बात नहीं सर, राजेश जी क्या बात करना चाहते हैं?”

उमेश अंकल: “वो तो राजेश ही जाने !”

मैं डॉक्टर राजेश के साथ चेयर पर बैठ गया।

डॉक्टर राजेश: “हाय नेहा !”

मैं: “हेलो राजेश जी।”

डॉक्टर राजेश: “नेहा, मुझे ना तुमसे लव एट फर्स्ट साईट हो गया है। क्या तुम मुझसे शादी करोगी।”

मैं: “नहीं, मुझे आपसे शादी नहीं करनी है, अभी एक साल तो बिलकुल भी नहीं।”

मेरी ना सुनकर डॉक्टर राजेश उदास हो गया लेकिन दूसरे ही पल वो मेरी तरफ स्माइल करते हुए बोला: “ठीक है नेहा शादी मत करो लेकिन क्या हम दोनों दोस्त बन सकते हैं।”

मैं: “ओके, मुझे दोस्त बनने में कोई ऐतराज नहीं।”

अभी मैं और डॉक्टर राजेश बात कर ही रहे थे कि अब्बू आ गए तो मुझे अपने साथ चलने को कहा। डॉक्टर राजेश ने मुझे अपना विजिटिंग कार्ड दिया और मुझसे कहा कि जब टाइम मिले कॉल करने को। मैंने वो विजिटिंग कार्ड अपने लेडीज पर्स में रख लिया और अब्बू के साथ डांस फ्लोर पर आ गया। अब्बू मेरे साथ डांस करने लगे, मैं भी डांस में उनका साथ देने लगा तब मुझे पता चला की मेरे अब्बू कितने अच्छे सालसा डांसर हैं और ठरकी भी। वो मुझसे चिपकने का एक भी मौका नहीं छोड़ रहे थे और उन्होंने काफी शराब भी पी रखी थी। पार्टी ओवर होने के बाद मेरे अब्बू ने मुझे होटल के पास वाले कॉलोनी के गेट पर ड्राप किया और घर चले गए। होटल आने के बाद मैंने अपनी रिंग पहनी और फिर से अली बन गया। मैंने मेकअप धोया और अम्मी को कॉल किया। अम्मी ने बताया कि अब्बू ४, ५ दिनों से अब टाइम से घर आ जाते हैं और साथ में डिनर भी करते हैं। अम्मी अब्बू अब फिर से करीब होने लगे थे, इस बात को जानने के बाद मैं बहुत खुश हुआ। मैंने अभी भी अगले १५ दिन नेहा के रूप में काटना था और इसी बारे में सोच रहा था कि क्या करूँ अब। नेहा ने इंटरव्यू के समय बताया था कि वो अनाथ है और उसके साथ ही २ छोटे भाइयों की जिम्मेदारी भी उसके कन्धों पर है। नेहा को ऑफिस के हलचल के बारे में कोई जानकारी नहीं थी तो मैंने डिसाईड किया कि जो जैसा चल रहा है, वैसा चलने दूँ और अगले १५ दिनों तक नेहा बनकर ऑफिस में काम कर लेता हूँ।  

मेरे अब्बू अम्मी की लाइफ पहले जैसी खुशनुमा हो गयी थी और उमेश अंकल भी जैस्मिन को अपनी दुल्हन बनाकर काफी खुश थे। मैं सो गया, जब सुबह मेरी नींद खुली तो सुबह के साढ़े ७ हो गए थे। मै जल्दी जल्दी फ्रेश हुआ, रिंग पहनकर नेहा बन गया और ब्यूटिशियन के पास गया। ब्यूटिशियन ने मुझे मिनी स्कर्ट पहनने की सलाह दी, मैं भी मान गया और मिनी स्कर्ट पहनकर और मेकअप के बाद उमेश अंकल, जैस्मिन, सुहाना के साथ मैं भी ऑफिस पंहुचा। ऑफिस में अपने केबिन में जाकर मैं अपने काम निपटाने बैठ गया और थोड़ी देर बाद मेरे अब्बू केबिन में आये, काफी खुश दिख रहे थे अब्बू, हाथ में मेरी अम्मी का दिया टिफिन भी था। मुझे याद आया, आज तो अम्मी अब्बू की सालगिरह है, मैंने इस साल अम्मी अब्बू को विश भी नहीं किया। फिर भी अनजान बनकर मैंने अब्बू से उनकी ख़ुशी की वजह को पूछ ही लिया।

अब्बू बोले: “आज सालगिरह है, शाम को घर पर पार्टी रखी है। ऑफिस से सभी स्टाफ्स आ रहे हैं, तुम भी आना।”

मैं: “ठीक है सर, लेकिन मुझे आपका घर नहीं देखा हुआ।”

अब्बू: “कोई बात नहीं, शाम को मेरे साथ मेरे घर चल लेना।”

मैं: “ओके”

फिर मैं अपने काम में बिजी हो गया और अब्बू अपने काम में। मेरे अब्बू मेरी तरफ ऐसी नज़र से देखते जैसे कोई भूखा शेर किसी छोटी सी बकरी को। अब्बू इस बात का तो अंदाज़ा ही नहीं था कि जिस लड़की की तरफ वो भूखे भेड़िये की तरह नज़र गड़ाए हैं, वो उनका सागा बेटा है। खैर मैंने अब्बू की ओर ध्यान देने से ज्यादा जरुरी अपने काम पर ध्यान देना जरुरी समझा और अपना काम करता रहा। लंच हॉर्स में डॉक्टर राजेश मुझसे मिलने आया, मैंने मिलने से मना कर दिया तो वो मेरे केबिन में आकर मेरे अब्बू से बात करने लगा। वो लगातार मेरी तरफ गिद्ध की तरह देखे जा रहा था और मैं उनदोनों से अपनी इज़्ज़त बचाने के बारे में सोच रहा था। लंच करने के बाद मेरे अब्बू मेरे पास आये और मेरे सामने टेबल पर बैठ गए।

अब्बू: “तो राजेश को तुम बहुत पसंद हो नेहा, क्या तुम्हे भी राजेश पसंद है!”

मैं: “राजेश जी तो डॉक्टर हैं, उन्हें कोई दूसरी लड़की भी मिल जाएगी। मुझे पसंद नहीं हैं राजेश जी।”

अब्बू: “अच्छा तो क्या तुम्हे मैं पसंद हूँ?”

मैं: “आप तो अच्छे इंसान हैं सर !”

अब्बू: “क्या तुम मुझसे निकाह करोगी?”

ये क्या बोल रहे थे अब्बू, इस बात का उन्हें कोई अंदाज़ा नहीं था। अब घर फिर से पहले की तरह खुशहाल हो रहा था कि अब्बू क्या करना चाहते हैं। दिमाग ख़राब हो गया है अब्बू का, नहीं तो ऐसी बेफिज़ूल की बातें इनकी ज़ेहन में नहीं आती।

मैं: “नहीं सर, आप शादीशुदा हैं। आप तो मेरे पापा के उम्र के हैं, फिर आप ऐसी बातें क्यू कर रहे हैं?”

अब्बू: “क्या मैं बुड्ढा दिखाई देता हूँ। मैं अभी ४० के उम्र का हूँ, २२ साल का एक बेटा है मेरा तो क्या इसमें मेरी गलती है। देखो नेहा मेरे पास दौलत की कोई कमी नहीं है, मेरी बीवी मुझे वो सुख नहीं दे सकती तो मैं दूसरी शादी तो कर ही सकता हूँ। वैसे हमारे मुस्लिम कम्युनिटी में ५ निकाह करने को मैं आजाद हूँ। मैं तुम्हे रानी बना कर रखूँगा।”

 मैं: “सॉरी सर, मुझे आपसे शादी नहीं करनी। मैं आज ही ये नौकरी छोड़कर जा रही हूँ।”

अब्बू: “ओह्ह, आई एम् सो सॉरी नेहा, तुम यहाँ काम कर सकती हो। आगे से मैं इस बात का ख्याल रखूँगा।”

अब्बू ने शाम की पार्टी में मुझे साथ चलने को कहा। वैसे तो नेहा के रूप में मैं अपने घर नहीं जाना चाहता था, लेकिन अम्मी अब्बू के साथ ये लम्हा मैं मिस नहीं करना चाहता था। तो मैं अब्बू के साथ नेहा बनकर अपने घर चलने को तैयार हो गया। उमेश अंकल, राजेश और सुहाना भी पार्टी में आ रहे थे। अब्बू ने मुझे कहा कि मैं चेंज कर लूँ और साड़ी पहन लूँ। मैंने अब्बू को कहा कि मुझे ब्यूटिशियन के पास ले चलने को और मेरे बताये एड्रेस पर अब्बू मुझे ब्यूटिशियन के पास ड्राप करके गिफ्ट खरीदने चले गए। एक लड़की की जिंदगी कितनी मुश्किल भरी होती है, इस बात का अंदाज़ा मुझे अपने अब्बू की गन्दी नज़र से ही लग चूका था, लेकिन फिर भी अपनी अम्मी के चेहरे की मुस्करात देखने के लिए मैं कुछ भी करने को तैयार था। ब्यूटिशियन ने मुझे बनारसी सिल्क साड़ी, हैवी मेकअप, हील्स वाली सैंडल और मैचिंग नेलपॉलिश और लिपस्टिक के साथ तैयार कर दिया, बालों का जुड़ा सेट किया, कुछ आर्टिफीसियल ज्वेलरीज के साथ क्लिप वाला छोटा सा सानिया मिर्ज़ा स्टाइल नथिया मेरे नाक में पहना दी। अब मैं पहले से ज्यादा सुन्दर और आकर्षक दिखने लगा था। मेरी बैकलेस ब्लाउज डोरी वाली थी और आगे से काफी डीप थी, आगे से बूब्स का ऊपरी भाग साफ झलक रहा था और मुझे एक सेक्सी लुक दे रहा था। शायद मैं आईने में खुद को देखकर इतना एक्साइटेड हो रहा था कि मैं खुद के बारे में सोचने लगा कि नेहा से मैं निकाह कर लूँ तो उसे भी ऐसे ही तैयार होने को कहूंगा। लेकिन अभी मैं खुद नेहा के रूप में तैयार बैठा अपने अब्बू के आने के इंतज़ार में था। थोड़ी देर में अब्बू आये और अपनी गाड़ी में बिठाकर मुझे अपने घर ले गए। अब्बू रस्ते भर चोरी छुपी नज़रों से मुझे देखते रहे, लेकिन मेरी खूबसूरती पर कॉम्पलिमेंट देने की हिम्मत नहीं कर पा रहे थे। जब मैं घर पहुंचा तब घर पर ढेर सारे मेहमान आये हुए थे। काफी रिश्तेदार जो हर साल घर आते हैं, उनकी नज़रें मुझे भी ढूंढ रही थी, लेकिन मैं नेहा के रूप में उनसे मिलने में और अपनी पहचान बताने में असमर्थ था। उमेश अंकल का बेटा लगातार मुझे ताड़े जा रहा था और बार बार मेरे करीब आने की कोशिश कर रहा था। आज इतने सारे लोगों की नज़र सिर्फ मेरे ऊपर थी और वो सिर्फ इसलिए क्यूंकि मेरे अब्बू मुझे अपनी गाड़ी में घर लेकर आये थे। राजेश तो मुझसे बात करने के लिए इतना एक्साइट्ड हुआ जा रहा था कि कभी वो मेरे लिए आइस क्रीम लेकर आता तो कभी मलाई कोफ्ता तो कभी कोल्ड ड्रिंक और मैं उसे हर चीज़ के लिए मना कर देता।

अब मुझे एहसास हो चूका था कि अब नेहा के रूप में ज्यादा दिनों तक रहना सेफ नहीं है। नेहा को एक महीने की एक्स्ट्रा सैलरी देकर अगले महीने से जॉब पर आने के मना करने का फैसला तुरंत कर लिया और आज किसी तरह यहाँ से होटल पहुंचने के बारे में सोचने लगा। राजेश के बार बार कन्विंस करने पर मैंने उसके हाथ से एक कोल्ड ड्रिंक का गिलास ले लिया और उसके साथ बातें करने लगा। मैंने अम्मी को देखा, अब्बू के साथ एन्जॉय करते समय वो बहुत खुश लग रही थी। बस इसी ख़ुशी के लिए ही तो आज मैंने ये रूप लिया था। राजेश बहुत बोल रहा था और उसने मुझे दुबारा एक और कोल्ड ड्रिंक ऑफर की जो मैंने ले लिया। स्टेज पर अम्मी अब्बू और सभी दोस्त एन्जॉय कर रहे थे कि मुझे अचानक चक्कर आ गया और मैं बेहोश होने लगा। सभी एन्जॉय करने में मशगूल थे लेकिन मुझे चक्कर आने पर राजेश ने मुझे अपनी बाहों में संभाल लिया और मुझे कुर्सी पर बिठाकर मुझसे चक्कर आने का रीज़न पूछने लगा। मुझे सबकुछ धुंधला दिख रहा था और मुझे सर में बहोत तेज़ दर्द हुआ। अब्बू अम्मी और घर के सभी सदस्य मेरे पास आ गए और राजेश मुझे अब्बू के कमरे में ले आया। सब फिर से पार्टी एन्जॉय करने लगे लेकिन राजेश मेरे साथ कमरे में ही रुक गया। उसने मुझे मेडिसिन दी, जिसके बाद मेरा सर दर्द तो ख़त्म हुआ लेकिन सर अभी भी घूम रहा था। थोड़ी देर बाद मुझे नींद आ गयी और मैं वहीँ सो गया।

सुबह जब मेरी नींद खुली तो मेरे बदन पर कपडे नहीं थे, बगल एक सख्स मुझसे चिपक कर सोया हुआ था और मुझे अपने अंदर कुछ सख्त सा महसूस हो रहा था। मैंने सोचा कि मैं कोई सपना देख रहा हूँ लेकिन जैसे ही मैंने उस सख्स की और देखा तो वो कोई और नहीं बल्कि राजेश था।

राजेश को देखते ही मेरा गुसा सातवें आसमान में चला गया और मैंने खुद को राजेश से अलग करने की कोशिश करने लगा। राजेश का लंड जो मेरी वजाइना के अंदर घुसा हुआ था, उसके बाहर निकलते ही मुझे बहुत ही जोरों से दर्द हुआ। मेरे मुँह में कुछ गीला गीला सा था, मैंने छू कर देखा तो मुझे एहसास हो गे कि ये कुछ और नहीं बल्कि राजेश का स्पर्म है। अब तो मेरा गुस्सा और भी ज्यादा बढ़ गया और मैंने गुस्से में राजेश को एक लात मारा।

राजेश: “ये सब क्या है नेहा !”

मैं: “वही तो मैं जानना चाहती हूँ, ये सब क्या है, मेरे कपडे कहाँ हैं और तुमने मेरे इज़ाज़त के बगैर मेरे साथ फिजिकल रिलेशन क्यों बनाया?”

राजेश: “आई एम् वैरी सॉरी नेहा, वो कल रात मैंने ज्यादा पी रखी और तुम्हारा ख्याल रखते रखते कब मैं ये हरकत कर बैठा, मुझे नहीं पता चला, लेकिन आई एम् एक्सट्रीमली वैरी सॉरी फॉर व्हाटएवर हप्पेनेड लास्ट नाईट।”

मैं: “तुम्हारे सॉरी बोल देने से क्या सबकुछ पहले सा हो जायेगा राजेश। तुमने मेरे साथ सही नहीं किया राजेश।”

राजेश: मैंने कहा न नेहा, हमदोनो के बीच जो कुछ भी हुआ अनजाने में हुआ।”

मैं: “कुछ भी अनजाने में नहीं हुआ राजेश, तुमने सिर्फ मौके का फायदा उठाया है। अब मैं यहाँ एक पल के लिए भी नहीं रुकना चाहती, मुझे मेरे घर पर ड्राप कर दो, अभी।”

राजेश: “ठीक है, तुम तैयार हो जाओ नेहा !”

राजेश का लंड काफी बड़ा और मोटा था, मेरी वजाइना से बाहर निकलते वक़्त मुझे बहोत दर्द हुआ, शायद मेरा लंड इतना बड़ा और टाइट नहीं था। मैं ये क्या सोच रहा था, मुझे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था लेकिन इतना समझ आ चूका था कि नेहा के इस रूप को मुझे जल्द से जल्द छोड़ना पड़ेगा। मेरे अब्बू को भी नेहा पसंद है और राजेश को भी और मुझे दोनों से खतरा है। राजेश मेरे साथ फिजिकल हो चूका था, जिसका दर्द मुझसे अभी भी सहन नहीं हो रहा था, लेकिन मेरा दर्द मैं किसी के साथ भी शेयर नहीं कर सकता था। मुझसे चला भी नहीं जा रहा था, इतना दर्द हो रहा था। मैं रोने लगा और थोड़ी देर में मैं फ्रेश होकर तैयार हुआ और राजेश के साथ होटल के बगल वाली कॉलोनी के गेट पर उतर गया। उसके बाद राजेश अपने घर चला गया और मैं यही सोचता रहा कि मेरे ही घर पर मेरे ही अब्बू के दोस्त के बेटे ने मेरे साथ सेक्स किया और मैं कुछ नहीं कर सका। अब लड़की बने रहने में बहुत खतरा है, अब ज्यादा रिस्क लेना सही नहीं रहेगा। मैं होटल के कमरे में गया और सबसे पहले अपनी अंगूठी निकाली और उसे पहनने के बाद अपने रूप में वापिस आ गया। मैंने रिंग उतारी और अपने दोस्त राहुल को तुरंत कॉल किया। राहुल से मैंने कहा कि रिंग का काम ख़तम हो गया है और मैं एक दो दिन में मुंबई आ कर वो रिंग उसे लौटा दूंगा। राहुल ने मुझे बताया कि वो अभी बुलंदशहर में ही है। मैंने होटल का एड्रेस देकर राहुल को यहीं बुला लिया। सुबह के ८ बजे राहुल होटल आ गया और मैंने उसे उसकी रिंग रिटर्न कर दी। मैंने उसे थैंक्स कहा, राहुल कुछ ज्यादा ही जल्दी में था तो वो रिंग लेकर वहां से चला गया और मैं सीधे वाशरूम में जाकर नहाने लगा। आप मैं अपने रियल रूप में था लेकिन जब भी आँखें बंद करता, राजेश के गठीले बदन की कसावट, मुझे अपने भीतर समेटना और वीर्य का वो टेस्ट जो अब मैं मरते दम तक शायद ना भूलूँ। मैंने खुद को संभाला और तैयार होकर घर के लिए निकल गया।

घर पहुंचते ही अम्मी अब्बू मुझसे मिलकर बहुत खुश हुए, बाकी के रिश्तेदार अभी तक घर में अड्डा जमाये बैठे थे और उनसे ढेर सारी बातें करने के बाद अम्मी से बात करने कमरे में चला गया।सुबह राजेश ने मेरे साथ जो कुछ भी किया वो सब मैं घर आकर किसी को बता भी नहीं सकता था। मुझे अंदर से गे जैसी फीलिंग आ रही थी, आखिर एक मर्द के साथ मैंने औरत की तरह रात बितायी थी। हम दोनों के बीच सेक्स होना कोई इत्तेफ़ाक़ नहीं था, मुझे पूरी तरह से यकीन था कि राजेश ने जानबूझ कर मेरे कोल्डड्रिंक्स में नशे के गोली मिलायी और मेरी बेहोशी का पूरा फायदा उठाया। लेकिन किसी के साथ अपनी फीलिंग्स शेयर नहीं कर सकता था और अंदर ही अंदर लगभग मैं टूट सा गया था। मैंने अम्मी से ढेरों बातें की और अपने कमरे में गया, फ्रेश हुआ और लंच करके सोने चला गया। अभी मेरी आँख लगी ही थी कि मेरे आँखों के सामने राजेश का अक्स आ गया और मेरी नींद खुल गयी। अब मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि मैं सोऊँ तो कैसे, क्यूंकि जब भी मैं आँखें बंद करता तब तब मेरे सामने राजेश का अक्स मुस्कुराते हुए आ जाता। अब कुछ ज्यादा ही प्रॉब्लम बढ़ने लगा तो मैंने डिसाईड किया कि मैं ऑफिस चला जाऊं और मैं तैयार होकर ऑफिस चला गया। ऑफिस जाते ही मैंने सबसे पहले जैस्मिन से ऑफिस के काम की पूरी जानकारी ली और उमेश अंकल को शादी की बधाई दी। मैंने नेहा के बारे में जैस्मिन से पूछा तो उसने नाक भौं सिकोड़ लिए और मुझसे बोली कि नेहा ऑफिस नहीं आयी है आज। मैंने जैस्मिन को दूसरे काम में उलझा दिया और नेहा को कॉल करके उसे कन्फर्म किया कि प्रोजेक्ट बंद होने की वजह से उसे काम से निकाला जा रहा है, उसके अकाउंट में अगले ३ महीनो की सैलरी, दूसरी कंपनी से ऑफर लेटर और रेलविंग लेटर इशू कर दिया ताक़ि उसे जॉब ढूंढने में कोई परेशानी ना हो और नेहा मान गयी। नेहा ने अपना रेसिग्नेशन लेटर मुझे ईमेल किया और मैंने रेलविंग लेटर उसे मेल और पोस्ट के थ्रू भेज दिया। मैंने दो घंटे बाद ही नेहा को उसकी सैलरी भिजवा दी। जब मेरे अब्बू को इस बात की खबर हुई कि मैंने नेहा को जॉब से निकाल दिया है तो वो बहुत गुस्सा करने लगे, लेकिन मैंने उनको समझाया कि नेहा की जरुरत इस कंपनी को नहीं है और जैस्मिन ने भी मेरा साथ दिया। नेहा के चले जाने से अब्बू उदास उदास रहने लगे।  अगले कुछ दिनों तक सबकुछ नार्मल चलता रहा लेकिन एक दिन मैंने राजेश को ऑफिस में देखा। राजेश को देखते ही मुझे सबकुछ याद आ गया और मेरा मन फिर से डिस्ट्रैक्ट हो गया। राजेश मेरे केबिन में आया, मुझसे मिला और मेरे साथ हैंडशेक किया। राजेश के हैंडशेक करते ही मेरे शरीर में एक अजीब सा सिहरन हुआ और मैंने थोड़ी देर तक राजेश के प्रोफेशन के बारे में उससे बात करने लगा। थोड़ी देर बाद अब्बू, उमेश अंकल और जैस्मिन केबिन में आये और राजेश उन तीनो के साथ उठकर चला गया कर जाते वक़्त उसने फिर से मुझसे हैंडशेक किया। राजेश के हैंडशेक ने मुझे अंदर से सिहरने पर मजबूर कर दिया था और मैं उसे जाते हुए देखता रहा। फिर मैंने सोचा कि ये मैं क्या कर रहा हूँ, मैंने अपना फोकस काम पर लगाया और दिन भर कंपनी का काम करता रहा। शाम को अब्बू के साथ घर आया तो आधे से ज्यादा रिश्तेदार जा चुके थे लेकिन बुआ और उनकी बेटी शबाना अभी तक घर पर ही थीं। मेरे अब्बू ने बताया कि उमेश जी के लड़के के साथ इस घर का रिश्ता जुड़ने जा रहा है। मैं अकचका गया और तुरंत अब्बू से पूछा तो उन्होंने बताया कि राजेश के साथ शबाना के रिश्ते की बात होनी है और इसीलिए ऑफिस में भी सभी राजेश को इतना तवज़्ज़ो दे रहे थे।     

रात हुई, खाना खाने के बाद मैं अपने कमरे में गया और लेट कर सोने की कोशिश करने लगा। थोड़ी देर में मुझे नींद आ गयी, मैं कमरे में अकेला सोया था और अचानक मुझे अपने शरीर में कुछ बदलाव महसूस हुआ। मुझे लगा मैं सपने में हूँ लेकिन अगले एक मिनट में मुझे शरीर में सिहरन महसूस हुआ और मैं उठकर बैठ गया। मैंने खुद को देखा, मैं फिर से नेहा बन चूका था, लेकिन कैसे! मैं बिना अंगूठी के और बिना जादू के नेहा कैसे बन सकता हूँ, मुझे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था तो मैंने राहुल को तुरंत कॉल किया। राहुल ने मेरा कॉल पिक नहीं किया तो मैंने राहुल को तुरंत कॉल करने के लिए मैसेज किया। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि ऐसा हो कैसे सकता है ! इतने में राहुल का कॉल आ गया, मैंने तुरंत उसका कॉल पिक किया और उसे पूरी बात समझायी। राहुल के भी समझ में ये बात नहीं आयी कि बिना अंगूठी और उसके जादू के मैं लड़की कैसे बन गया। राहुल ने मुझे शांत रहने को कहा और बोला कि वो कल बाबा से जाकर मिलेगा और बात करेगा तबतक किसी तरह खुद को संभालने को बोलकर उसने कॉल डिसकनेक्ट कर दिया। मैं खुद को कैसे सम्भालूं मुझे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था, किसी ने मुझे ऐसे देख लिया तो क्या होगा और अब्बू ने अगर मुझे इस रूप में देख लिया तो मुझे अब्बू की बुरी नज़र से कौन बचाएगा। मैंने चादर में खुद को समेटा, एसी के कूलिंग का फ्लो बढ़ाया और सोने की कोशिश करने लगा। मुझे नींद आ गयी और सुबह के ५ बजे मेरी नींद खुल गयी। मुझे वाशरूम जाना था, लेकिन कैसे जाता मैं वाशरूम, किसी ने मुझे देख लिया ऐसे में तो मैं क्या जवाब देता। मुझसे बर्दाश्त भी नहीं हो रहा था तो मैंने चोरी छिपे वाशरूम में चला गया। मैंने आईने में खुद को नेहा के रूप में देखा और मैं रोने लगा। मेरे साथ ही क्यों हो रहा है ये सब, मुझे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था। मैं टॉयलेट कबोट पर बैठ गया और थोड़ी ही देर में मुझे अपने शरीर में फिर से बदलाव महसूस होने लगा। मैं फिर से अपने असली रूप में आ चूका था, मेरा लंड फिर से वापिस आ गया, मेरा शरीर फिर से लड़कों के जैसे हो गया। मैं फिर से अली बन चूका था लेकिन मुझे समझ नहीं आ रहा था कि आखिर ये सब हुआ तो कैसे हुआ !  

अब मेरे मन में एक डर बैठ गया, जैसे कल रात मैं बिना अंगूठी के अपने आप लड़की बन गया और जिस तरह सुबह होते ही मैं अपने आप अपने ओरिजिनल रूप में वापिस लड़का भी बन गया। इस सिचुएशन ने मेरे दिमाग को ख़राब कर दिया था, आज ऑफिस में मीटिंग भी था, लेकिन मैं अंदर से डरा हुआ था कि कहीं दुबारा मेरे साथ ऐसा हो गया तो मैं कैसे सिचुएशन को सम्भालूंगा! मैंने फिर से राहुल को कॉल किया और उससे पूछा तो उसने कहा कि बाबा शाम में मिलेंगे, उसके बाद ही कुछ कह सकते हैं। मुझे शाम तक मैनेज करना था और मैं जरा सा भी रिस्क नहीं लेना चाहता था तो मैंने अब्बू को कॉल करके बताया कि मेरी तबियत जरा नासाज़ है, अब्बू मान गए तो मैं घर पर ही रुक गया। रिश्तेदार सभी अपने अपने घर जा चुके थे, बुआ और मेरी शबाना भी मार्केटिंग करने गए हुए थे। घर में मैं और अम्मी ही थे, अम्मी ने मेरे पसंद की हैदराबादी मटन बिरयानी बनाई और हमदोनो ने एक साथ बैठकर मटन बिरयानी खाने लगे। खाते समय मैंने अम्मी से अब्बू के बारे में जानना चाहा तो अम्मी ने बताया कि अब्बू अब टाइम से घर आ जाते हैं, और उन्हें भी प्रॉपर टाइम देते हैं। मुझे बड़ी ख़ुशी हुई अम्मी को खुश देखकर। अभी हमदोनो खाना खाकर बिस्तर पर लेटे हुए ही थे कि मेरा शरीर फिर से नेहा के शरीर में तब्दील हो गया और ऐसे में अम्मी बहुत घबरा गयी।

अम्मी: “तू कौन है, मेरा बेटा अली कहाँ हैं?”

मैं: “अम्मी! मैं ही अली हूँ, आप शांत हो जाओ।”

अम्मी: “तू तो नेहा है, मुलाजिम है ना तू अली के अब्बू की कंपनी में। सच सच बता, अली कहाँ हैं, तू कौन है, इंसान तो नहीं लगती तू, जरूर तू कोई जिन्नात है, या अल्लाह, मेरे बेटे अली को बचा ले, ना जाने सी आफत है ये।”

मैं: “अम्मी, अम्मी, शांत हो जाओ, मैं कोई नेहा नहीं, अली हूँ अम्मी, तू बैठ मैं तुझे पूरी बात बताता हूँ।”

अम्मी: “नहीं तू कोई जिन्नात है लड़की, मुझसे दूर हट, मेरे अली के साथ क्या किया तूने!”

अम्मी काफी हाईपर हो गयी तो और ऐसे सिचुएशन में अम्मी को शांत करने का कोई उपाय नहीं सूझ रहा था, लेकिन मैंने अम्मी को शांत किया और उसे बिठाकर उसे पूरी बात बताई कि कैसे मैंने राहुल की मदद से जादुई अंगूठी के सहारे नेहा बनकर अब्बू को जैस्मिन से दूर किया और कैसे अम्मी अब्बू फिर से करीब आये। लेकिन बिना अंगूठी की मदद से मैं आज दूसरी बार नेहा के रूप में तब्दील हो गया इसके बारे में राहुल शाम में बाबा से जाकर मिलेगा और कोई न कोई हल निकालकर बताएगा। अम्मी ने मुझे गले से लगा लिया और मुझसे लिपट कर रोने लगी और मेरी फिक्र करने लगी। मैंने अम्मी को कहा कि मैं जब तक फिर से अली नहीं बन जाता तब तक इस बात को तेरे मेरे बीच रखना होगा। अम्मी मान गयी लेकिन नेहा के रूप में मुझे देखकर काफी देर तक मुझसे लिपटकर रोई। अपने बेटे को अचानक लड़की बना देख कोई भी पेरेंट्स इमोशनल हो जाये, और मेरी अम्मी तो फिर भी मुझसे इतना प्यार करती है। अम्मी ने मुझे अपने कमरे में लॉक हो जाने को कहा और मुझसे बाहर नहीं आने को कहा, बाकी वो खुद संभाल लेगी। मैं मान गया और कमरे में नेहा के इस रूप में अपने कमरे में बैठा अपने इस हालात से काफी दुखी हो गया था और मैं यही सोच रहा था कि न जाने कितने देर में मैं फिर से अली बनूँगा। मुझसे अब अपनी हालत संभाले नहीं संभल रही थी तो मैं सो गया। अगले ३ घंटे तक सोया रहा और मेरे फ़ोन की घंटी से मेरी नींद खुली। राहुल का कॉल था और मैंने तुरंत कॉल को रिसीव किया। राहुल ने मुझे बताया कि वो बाबा के पास गया था और बाबा ने जो बताया है वो काफी चौकाने वाला है। राहुल ने मुझसे कहा कि वो मुझसे जो कुछ भी पूछे वो सच सच बताने को, मैं मान गया क्यूंकि मुझे जल्द से जल्द अपने रूप में वापिस भी आना था।          

राहुल ने मुझसे कहा कि बाबा ने बताया है कि मैंने लड़की बनकर एक मर्द के साथ सेक्स किया है जिसकी वजह से अंगूठी के जादू का मेरे ऊपर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है और अपने आप लड़की बन जाने के सिवा इसके और भी नकारात्मक प्रभाव हैं। लेकिन इन सबसे पहले राहुल ने मुझसे किसी मर्द के साथ सेक्स करने के बारे में पूछा तो मैंने उसे बताया कि कैसे राजेश ने मेरे साथ मेरी मर्ज़ी के बिना रात भर सेक्स किया। राहुल मेरी बात सुनकर शॉक्ड रह गया, उसे यकीन नहीं हो रहा था कि बाबा ने उसे मेरे बारे सबकुछ सच सच कैसे बताया। राहुल ने मुझे इस बारे में प्रीकॉशन्स के लिए कहा और बाबा ने जो उपाय बताया है, उसे फॉलो करने को भी कहा।

राहुल बोला: “बाबा ने बताया है कि चूंकि तुमने एक मर्द के साथ औरत के रूप मे सेक्स किया है, इसीलिए तुम्हें अब अगले एक महीने तक हर रोज, दिन मे 6 घंटों तक औरत के रूप मे और हर रोज रात मे 6 घंटों तक औरत के रूप मे अगले एक महीने तक जीना पड़ेगा। उसके बाद अगले एक साल के लिए औरत बन जाओगे और अगर तुम्हें दुबारा से मर्द बनना है तो तुम्हें उस मर्द से शादी करना होगा, जिसके साथ तुमने अपनी लाइफ मे पहली बार सेक्स किया है। साथ ही शादी के एक साल के अंदर अगर तुम प्रेगनेंट नहीं हुए तो साल के खत्म होते ही तुम्हारे सपने मे अंगूठी का जादूगर आएगा और तुमसे सवाल करेगा कि क्या तुम दुबारा से मर्द बनना चाहते हो, अगर तुमने सपने मे ही “हाँ” मे जवाब दिया तो तुम दुबारा से अली बन जाओगे और अगर तुमने सपने मे “नहीं” मे जवाब दिया तो अंगूठी का जादू खत्म हो जाएगा और तुम हमेशा के लिए औरत के रूप मे अटक कर रह जाओगे और तुम भूल जाओगे कि कभी तुम मर्द भी थे। और एक बात का ध्यान रखना भी बहुत जरूरी है, इस बीच अगर तुम्हारे पति के सिवा किसी गैर मर्द ने तुम्हारे साथ सेक्स किया या तुमने किसी गैर मर्द के साथ सेक्स किया तो तुम दुबारा कभी अली नहीं बन सकोगे। तुम्हें अगले एक साल तक बहुत ही संभालकर स्टेप लेना होगा अली, एक गलत स्टेप और तुम अली से आलिया बन जाओगे और न ही मैं कुछ कर सकूँगा और ना ही वो बाबा। एक बात और, बाबा ने बताया है कि अगर इस बीच तुमने अली के रूप मे ही औरतों के कपड़े पहने तो उस दिन जादू का असर 24 घंटों के लिए होगा और तुम उस दिन के लिए अपने अली वाले रूप को भूल जाओगे, उस दिन तुम पूरे दिन जो कुछ भी करोगे, अगले दिन तुम्हें कुछ भी याद नही रहेगा। उस दिन के जादू का सिर्फ यही फायदा होगा कि जब तुम लड़कियों वाले कपड़े पहनोगे, तब तुम जिस भी लड़की मे तब्दील होना चाहो हो सकते हो, या अपने पसंद से अपने शरीर मे मनचाहा बदलाव भी कर सकते हो, जवान लड़की बनना चाहो या बूढ़ी औरत, तुम जो चाहे बन सकते हो।”

मैं: “राहुल, ये तो बहुत ही तामझाम वाला उपाय बताया बाबा ने, मुझे उस आदमी से शादी करना पड़ेगा, लेकिन क्यूँ राहुल, एक आदमी से शादी क्यू करूंगा मैं? तुम बाबा से फिर से बात करके बताओ, जरूर कोई मिस्टैक हुआ है, तुम फिर से बाबा से पूछो राहुल।”

राहुल: “अली, मैंने बाबा से दसों बार कन्फर्म किया, उन्होंने ने यही कहा है। मुझे तो अभी तक यकीन नहीं हो रहा है अली, तू एक आदमी के साथ सेक्स कैसे कर सकता है! अली जो गलती तुमने की है, अब उसकी भरपाई तुम्हें ही करनी है और बाबा कि नसीहत याद रखना, एक महीने के अंदर उस आदमी से शादी करके अपना घर बसा लो और याद रहे, अगले एक साल मे प्रेगनेंट नहीं होना है और ना ही किसी गैर मर्द से सेक्स करना है। तुम्हें पता है कि अगर इन दोनों मे से एक भी इनसीडेंट हुआ तो मैं कुछ नहीं कर सकूँगा और बाबा भी तुम्हारी कोई मदद नहीं कर पाएंगे कभी।”     

राहुल की बात सुन कर मैं सन्न रह गया। अब क्या करूँ मैं, कैसे इस प्रॉब्लेम से बाहर निकलूँ, ना तो मैं ऐसे मे ऑफिस जा सकूँगा और ना ही घर मे ही रह सकूँगा। और राजेश से शादी करना, ये क्या कोई मज़ाक चल रहा है। अब मेरा दिमाग खराब हो रहा था, 5 घंटे गुजर चुके थे और थोड़ी ही देर मे 6 घंटा पूरा हो जाएगा और मैं फिर से अगले 6 घंटों के लिए अली बन जाऊंगा। मुझसे अब बर्दाश्त नहीं हो रहा था तो मैने अम्मी को पास बुला लिया और कमरे को अंदर से बंद कर लिया, उसे पूरी बात बताई, लेकिन मेरे और राजेश के बीच जो हुआ वो नहीं बता सका। अम्मी को मैंने बाबा की कही सिर्फ इतनी सी बात बताई कि अगर मुझे फिर से ठीक होना है तो किसी हिन्दू मर्द की दुल्हन बनकर एक साल बिताना पड़ेगा और प्रेगनेंट होने से भी खुद को बचा कर रखना है। अम्मी मेरी बात सुनकर गशखाकर पलंग पर धम्म से बैठ गयी। मेरे चेहरे को अपनी हथेली से ऊपर उठाया और इमोशनल हो गयी।

अम्मी: “अली बेटा, एक तो तू हमारा एकलौता बेटा है। ऊपर से तेरे उस बाबा ने जो कहा है, तू ही बता कि क्या ये सब पॉसिबल है। मेरे बेटे को एक मर्द की दुल्हन बनना पड़ेगा। या अल्लाह, ये सुनने से पहले तुमने मेरी जान क्यों नहीं ले ली। नहीं नहीं, अली बेटे, तू एक बार फिर से बात कर उस बाबा से। मेरे बेटे, तू भी तो एक मर्द है, भला एक मर्द दूसरे मर्द से कैसे शादी कर सकता है।”

मैं: “अम्मी, खुदा के लिए, खुद को सम्भालो अम्मी! मेरे दिन के ६ घंटे और रात के ६ घंटे मैं जादू के नेगटिव प्रभाव से औरत बन जाता हूँ। एक महीना पूरा होते ही, अगले एक साल के लिए औरत बन जाऊंगा, अम्मी, मुझे वापिस से आपका बेटा बनना है, इसके लिए एक मर्द की दुल्हन ही क्यों ना बनना पड़े, मैं मैनेज कर लूंगा। आप बस इतना करो, शबाना की शादी कहीं और तय करवा दो, राजेश से मैं शादी कर लूंगा। अम्मी, मुझे दुबारा से नार्मल लाइफ जीना है अली बनकर ना कि इस औरत के शरीर में कैद होकर।”             

अम्मी फिर से ईमोशनल हो गई थी, लेकिन इस बार उसने मुझे भी संभाल लिया और खुद को भी। अम्मी मेरी हालात समझ रही थी और घड़ी कई सुई 8 पर चला गया, मैं फिर से अली बन गया और अम्मी ने राहत की सांस ली। अम्मी ने कमरे से बाहर आते समय मुझसे कहा कि आज से रात को वो मेरे साथ सोएगी और इस बात का ख्याल भी रखेगी कि किसी को इस बारे मे भनक ना लगे। मैं खुश हो गया था कि अगले छह घंटों तक मैं बाहर आ जा सकता था और मुझे कोई इशू नहीं रहेगा। मार्केट से बुआ और शबाना लौट गए थे और साथ ही उनके हाथ मे ढेर सारे बैग्स भी थे जिसमे थोड़ों डिजाइनर ड्रेससेस, गहने और 3 हील्स वाले सैंडल्स भी थी। थोड़ी देर मे अब्बू भी घर आ गए और आते ही उन्होंने बताया कि कल सुबह 11 उमेश जी का पूरा परिवार शबाना को देखने आ रहा है और सुबह सुबह सारी तैयारियों को खत्म कर लेना होगा। घर मे सभी बड़े खुश हुए, लेकिन अम्मी और मैं इसी सोच मे था कि सुबह कहीं मैं फिर से लड़की ना बन जाऊ।

अगली सुबह जब मैं जागा तो मैं फिर से नेहा बन चूका था। अम्मी कमरे में आयी तो मुझे देखकर समझ गयी, लेकिन थोड़ी देर में फिर से अली बन गया। अम्मी ने मुझसे कहा कि आज घर पर ढेर सारे मेहमान आ रहे हैं, तेरा शरीर तो हर ६ घंटे में बदल जायेगा तो एक काम कर, मैं तुझे साड़ी पहना देती हूँ और घर पर सबको बता दूंगी कि किसी काम से अली घर से बाहर चला गया। मुझे अम्मी का ये आईडिया अच्छा लगा क्यूंकि अगर मैं सबके सामने लड़की बन गया तो सबको मेरे बारे में पता चल जायेगा और सब कुछ गड़बड़ हो जायेगा और बाबा के भी तो कहा था कि अगर मैं लड़कियों के कपड़े पहन लूँ तो 24 घंटों के लिए लड़की बन जाऊंगा। मैंने अम्मी को ये बात भी बताई और उसे कहा कि लड़की बनते ही मैं भूल जाऊंगा कि मैं आपका बेटा हूँ और आज जो कुछ भी होगा, वो मुझे कल याद नही रहेगा। अम्मी ने मुझे जल्दी से फ्रेश  होकर आने को कहा, मैं फ्रेश होकर आया तो अम्मी चेयर पर बैठी थी, साथ ही बिस्तर पर साड़ी, ब्लाउज, ब्रा, पैंटी, आर्टिफीसियल ज्वेलरीज और हील्स वाला एक गोल्डन कलर का सैंडल भी रखा था। मेकअप बॉक्स ठीक आईने के सामने रखा था और अम्मी सोच रही थी।

मैं: “क्या सोच रही हो अम्मी!”

अम्मी: “अली बेटा, ये सब मेरी वजह से हुआ ना। तेरे अब्बू को पाने की चाह में तेरे साथ अनजाने में ये सब हो गया। अली, मुझे माफ़ कर दे, मेरी वजह से ही आज तेरी लाइफ नार्मल नहीं है और एक महीने बाद राजेश से तेरी शादी फिक्स करना  वो भी एक अलग ही प्रॉब्लम है। अली कैसे जियोगे लड़की बनकर, ना  खाना पकाना आता है और ना ही घर के कामकाज का कोई आईडिया है तुझे। हाय अल्लाह, मेरे ही बेटे को औरत बना दिया, किस जनम का बदला ले रहा है खुदा तू मुझसे!”

मैं: “अम्मी शांत हो जाओ। इतनी भी परेशान मत हो जाओ कि घर में सभी को इस बारे में पता चल जाये।”

अम्मी: “तू ठीक बोल रहा है अली, आ बैठ आईने के सामने, मैं तुझे तैयार कर दूँ। आज मैं चाहती हूँ कि तू मेरी बेटी बन जा एक दिन के लिए, लेकिन दुबली पतली लड़की मत बनना, थोड़ा हेल्थी लड़की बनना, ठीक है और मैं चाहती हूँ कि मेरी बेटी कि शक्ल तेरे जैसी ही सुंदर हो।”

मैं: “ठीक है अम्मी, मुझे तैयार करने से पहले आप फोन मे किसी लड़की की फोटो निकाल कर दिखा दो, मैं खुद ब खुद उसी रूप मे ढल जाऊंगा जिस रूप को मैं तैयार होने से पहले देखकर तैयार होऊँगा।“

अम्मी ने मुझे आयेशा टाकिया की फोटो दिखाई और मुझसे कहा कि ठीक ऐसी ही बेटी चाहिए उसे। मुझे कोई फरक नहीं पड़ने वाला था, कि मैं किसी हेरोइन के रूप मे परिवर्तित हो रहा हूँ या किसी बुढ़िया के रूप मे। तैयार होने से पहले मैं सेमीन्यूड हो गया और मैंने आयेशा टाकिया की फोटो को देख कर खुद को उस रूप मे विजुआलाईज किया और अम्मी ने मुझे ब्रा पहनाया। ब्रा के पहनते ही मेरा पूरा शरीर आयेशा टाकिया के शरीर मे परिवर्तित हो गया, मेरा चेहरा कोमल और काफी गोरा हो गया और शरीर काफी आकर्षक हो गया। मैं भूल गया कि मैं कौन हूँ और अब मुझसे बस इतना ही याद है कि मैं अम्मी की बेटी हूँ। जब अम्मी ने मुझे तैयार कर दिया, तब मैं अपने आप को देखने आईने के सामने खड़ा हो गया। अम्मी ने मुझे कहा कि बाथरूम वाले बड़े से आईने में खुद को देख कर आऊं। अम्मी की बात मानते हुए मैं धीरे धीरे आगे बढ़ने लगा। मेरे बड़े बड़े बूब्स ऊपर नीचे हो रहे थे, हीलस वाली संडल्स चुभ रही थी, तो दिल की धड़कने ना जाने क्यों इतनी तेज हो गई थी। और बेसब्री से आगे बढ़ते हुए जब मैं बाथरूम में पहुंचा तो आईने के सामने उसने एक बेहद खूबसूरत लड़की को देखा, जो खुद को देखकर लजा रही थी। डार्क ग्लॉसी लिप्स्टिक से सजे होंठ के साथ मेरी मुस्कान बेहद मोहक थी। ब्लॉउज़ के ऊपर प्लेट की हुई साड़ी और उसका आँचल बेहद मोहक था, जिस पर फूलों के प्रिन्ट मेरे ऊपर बेहद सुंदर लग रहे थे। कमर के नीचे भी मेरी साड़ी की प्लेट किसी फूल की भांति खिल रही थी। मेरे हाथ मे लंबा पल्लू मेरे कंधे से झूलता हुआ बेहद सुंदर लग रहा था। आज साड़ी ने मुझे वो महसूस कराया था     जो मैंने आजतक किया था। खुद को आईने मे इतना खूबसूरत देखकर मैं जैसे खुद से ही शरमा गया था। मैंने अपने एक हाथ की उंगलियों से अपने चेहरे पर आते हुए बालों को एक ओर करते हुए अपने कान के पीछे किया और कानों मे सजे खूबसूरत झुमके, नाक में सजे क्लिप वाली सानिया मिर्ज़ा स्टाइल वाली नथिया देख, उन्हे निहारने लगा। और फिर अपने आँचल को अपने गोरी स्तनों के ऊपर अपनी उंगलियों से छूते हुए उसने अपने नेकलेस को छूकर निहारा और आईने मे देख खुद से कहा, “मैं आलिया हूँ और मैं बहुत खूबसूरत हूँ।”

जब मैं कमरे मे वापिस गया तो अम्मी ने मुझे अपने पास बुलाया, मेरी आँखों मे काजल लगाया और काजल का एक टीका मेरे कान के पीछे लगा कर बोली, “किसी कि नजर ना लगे मेरी आलिया बिटिया को।”

फिर अम्मी ने मुझे अपने पास बिठाया और मेरी साड़ी के आँचल से लम्बा सा घूँघट बना दिया और मुझे कमरे में बैठे रहने को बोलकर कमरे से बाहर चली गयीं।

थोड़ी देर बाद अम्मी ने मुझे घर के सदस्यों से मेरा परिचय अपनी दोस्त रुखसाना की बेटी आलिया के तौर पर कराया। सभी ने मुस्कुरा कर मुझे अपने पास बिठाया, मेरी बुआ की बेटी शबाना भी मेरे पास आकर मेरी खूबसूरती की तारीफ करने लगी थी। मैंने भी शबाना को यकीन दिलाया कि जब लड़के वाले आएंगे तो मैं उनके सामने नहीं जाऊंगा और हम सभी हसने लगे। हसी मज़ाक के बीच शबाना तैयार थी, हरे रंग की डिज़ाइनर कढाईवाली अनारकली सूट में, ढेर सरे सोने के जेवर में लदी मेरी बहन कमाल की सुन्दर लग रही थी, हाई हील्स पहनकर तो शबाना की उचाई और भी ज्यादा हो गयी थी और वो मेरे बराबर हाइट की दिखने लगी। थोड़ी देर बाद उमेश अंकल और उनका पूरा परिवार शबाना को देखने हमारे घर आ गया, मैं अम्मी के साथ किचन में चला गया और शबाना बुआ के साथ कमरे में अपने बुलावे का इंतज़ार करने लगी। उधर उमेश जी ने मुझे भी देख लिया था और यही बात अम्मी के साथ मैं डिस्कस कर रहा था कि तभी अब्बू भी किचन में आ गए तो अम्मी से नाश्ता लगाने को कहा। अम्मी ने मुझसे कहा कि घूँघट कर लूँ और चाय नाश्ते की ट्रे लेकर मेहमानों के पास चला जाऊँ। अम्मी ने मेरा घूँघट कर दिया और मुझे चाय नाश्ता का ट्रे पकड़ा दिया। इधर शबाना और बुआ ने मुझे ट्रे रखकर जल्दी वापिस आ जाने को कहा। मैं नाश्ता और चाय का ट्रे लेकर उमेश अंकल के परिवार के सामने घूँघट करके गया। उमेश अंकल धोखा खा गए और थैंक यु शबाना बिटिया बोले। मैंने उमेश अंकल को बताया कि मैं शबाना नहीं, आलिया हूँ। उन्होंने मुझे सॉरी कहा और मैं वापिस अम्मी के पास किचन में चला गया।

सभी ने शबाना को देखा, ढेर सारी बातें की लेकिन सबकी नजरें मुझे देखने को तरस कर रह गईं। सभी को समझ आ गया था कि कौन किसे पसंद है, राजेश भी घर के अंदर आने कि कोशिश मे था और वाशरूम जाने का बहाना बनाकर वो मेरे और अम्मी के पास आ गया और अम्मी से बोलकर मुझे छत पर ले गया। घूँघट मे आज मैं उसी आदमी के साथ खडा था, जिसकी वजह से आज मेरी ये हालत हो गई थी, लेकिन मुझे राजेश को अट्रैक्ट करना बहुत जरूरी था, जिसके लिए उसकी हर बात पर मैं स्माइल करता रहा।

राजेश ने अचानक मेरी कलाई पकड़ ली, मेरी तरफ देखा और कहा: “तुम जो दिखती हो, वो हो नहीं, तुम अली हो ना !”

मैं: “नहीं, राजेश जी, मैं आलिया हूँ।”

राजेश: “अली, तुम सबको धोखा दे सकते हो, मुझे नहीं। मैं जानता हूँ कि तुम अली हो और आलिया बन कर यहाँ हमें बेवकूफ बना रहे हो।”

मैं: “आपको ऐसा क्यों लगता है कि मैं अली हूँ, आलिया नहीं।”

राजेश: “क्यूंकि तुम पहले नेहा बनकर कंपनी में काफी दिनों तक सभी को बेवकूफ बना चुके हो और अब आलिया बन कर यहाँ सभी को बेवकूफ बना रहे हो। लेकिन मुझे बेवकूफ नहीं बना सकते अली।”

मैं: “नहीं, आपको जरूर कोई गलतफहमली हुई है। मैं आलिया हूँ, हाथ छोड़िये मेरा, मुझे नीचे जाना है।”

राजेश: “राहुल, मुझे सबकुछ बता चूका है।”

मैं: “क्या, राहुल ने ! क्या बताया राहुल ने आपको!”

राजेश: “सबकुछ, लेकिन तुम इस रूप में नेहा से ज्यादा खूबसूरत दिख रहे हो। मैं यहाँ शबाना से शादी की बात करने आया था लेकिन तुम्हारे इस रूप ने मुझे मोहित कर लिया है। अब मैं तुम्हे अपनी दुल्हन बनाऊंगा अली, ओह्ह आलिया, तुम्हे आलिया बन कर रहना इतना पसंद है, मुझे पहले पता होता तो मैं तुम्हे अली के रूप में ब्याह लेता तुम्हारे अब्बू से बात करके।”

सभी के वहां से चले जाने के बाद, बुआ और शबाना भी ख़ुशी ख़ुशी रात को ही शादी की तयारी करने अपने घर को चले गए। सभी के चले जाने के बाद, अब्बू मेरे कमरे में आये। अब्बू ने मेरी तरफ देखा और फिर अम्मी की तरफ।

अब्बू: “ये लड़की सच में तेरी दोस्त की बेटी है या तू मुझसे कोई सच छिपा रही है!”

अम्मी: “हाँ अली के अब्बू, ये रुखसाना की बेटी है, आलिया!”

अब्बू: “ठीक है, रुखसाना को कॉल करके इत्तेला कर दो कि घर पर मिलने आ जाये, कल ही।”

अम्मी: “ठीक है, रुखसाना को तो मैं कल बुला लुंगी, लेकिन क्यों !”

अब्बू: “क्यूंकि आलिया के निकाह की बात करनी है।”

अम्मी अब्बू की बात सुनकर काफी खुश हो गयी और मैं भी, क्यूंकि मेरे दुबारा से अली बनने का सफर शुरू होने जा रहा था। अम्मी ने मुझे कहा कि कल भी वो इसी रूप में रहे, और उसने किसी को कॉल किया और रुखसाना बनकर आने को कहा और उसे ये भी हिदायद दी कि अगर उससे आलिया का हाथ माँगा जाये तो वो मना नहीं करेगी और आलिया का निकाह पढ़वा दिया जायेगा। अम्मी ने जिसे रुखसाना बनकर आने को कहा था वो अम्मी को अच्छे से जानती थीं, लेकिन ना तो मुझे देखा था उन्होंने और ना ही अब्बू को। अगले दिन भी मुझे आलिया बनकर रहना था तो मैंने रात में नाईट गाउन पहन लिया और अपने बिस्तर पर गहरी नींद में सो गया। अगले दिन सुबह अम्मी ने मुझे फिर से तैयार किया। आज अम्मी ने मुझे कढ़ाईदार चमकीला लहंगा जो बहुत ही खूबसूरत थी और एक डीप कट बैकलेस चोली, जो आगे से भी डीप थी और पीछे से कम्प्लीटली डोरियों से बंधी हुई। अम्मी ने एक ओढ़नी देने के साथ साथ मेरे अम्मी ने मुझे कल की पूरी बात बताई कि कल क्या क्या हुआ था।         

मैं: “डोंट मेक मी फील गिलटी राजेश जी। दैट वाज़ यु, जिसकी वजह से मुझे इस रूप में आज आपके सामने खड़े होने को मजबूर होना पड़ा है। लेकिन राहुल ने आपको ये सब क्यों बताया।”

राजेश: “नेहा के कंपनी से निकलने के बाद, मैंने उसके नंबर पर कॉल किया तो उसने बताया कि वो पिछले एक महीने से कंपनी नहीं आयी। वहीँ दूसरी ओर तुम नेहा बनकर अपने अब्बू और जैस्मिन के बीच दीवार बन कर मेरे डैडी से जैस्मिन की शादी करवाने में उनकी मदद की और फिर कंपनी छोड़कर चली गयी। उस रात मैं जनता था कि जिस नेहा के साथ मैं सुहागरात मना रहा हूँ वो कोई और नहीं बल्कि अली है। उस रात जो हुआ वो मेरी लाइफ में हमेशा यादगार रहेगा। मैंने तुम्हारी कॉल डिटेल्स निकलवाई तो सच्चाई का पता चला और जब मैंने राहुल को सामने बिठाकर पूछताछ की तो उसने तुम्हारे बारे में सबकुछ बता दिया। अब तुम जिस रूप में हो, इसी रूप में मैं तुम्हे अपनी दुल्हन बनाऊंगा। शादी की तयारी करो आलिया डार्लिंग।”

फिर राजेश ने मुझे एक फ्रेंच किस्स्स किया और छत्त पर से नीचे चला गया। मैं वहीँ बैठ गया, ये सब क्या हो गया। राजेश को मेरे बारे में सब पता चल चूका है, अब मैं क्या करूँ, शादी करना तो है ही मुझे राजेश से लेकिन इस कीमत पर नहीं। अब मैं क्या करूँ, या अल्लाह, क्या करूँ मैं। मैं वहीँ बैठकर काफी देर तक आंसू बहाता रहा, अम्मी छत्त पर आयी तो मुझे रोता हुआ देखकर मुझे शांत करके अपने साथ नीचे मेरे कमरे में ले गयी। उसके बाद उमेश अंकल और उनका परिवार हमारे परिवार के साथ डिनर करके अपने घर को चले गए। मैं अम्मी के साथ पूरे दिन था, अब्बू को छोड़कर अम्मी, बुआ और शबाना अपने अपने कमरे मे चले गए, मैं भी अपने कमरे मे चला गया। सभी के वहां से चले जाने के बाद, बुआ और शबाना भी ख़ुशी ख़ुशी रात को ही शादी की तयारी करने अपने घर को चले गए। सभी के चले जाने के बाद, अब्बू मेरे कमरे में आये। अब्बू ने मेरी तरफ देखा और फिर अम्मी की तरफ।

अब्बू: “ये लड़की सच में तेरी दोस्त की बेटी है या तू मुझसे कोई सच छिपा रही है!”

अम्मी: “हाँ अली के अब्बू, ये रुखसाना की बेटी है, आलिया!”

अब्बू: “ठीक है, रुखसाना को कॉल करके इत्तेला कर दो कि घर पर मिलने आ जाये, कल ही।”

अम्मी: “ठीक है, रुखसाना को तो मैं कल बुला लुंगी, लेकिन क्यों !”

अब्बू: “क्यूंकि आलिया के निकाह की बात करनी है।”

अम्मी अब्बू की बात सुनकर काफी खुश हो गयी और मैं भी, क्यूंकि मेरे दुबारा से अली बनने का सफर शुरू होने जा रहा था। अम्मी ने मुझे कहा कि कल भी वो इसी रूप में रहे, और उसने किसी को कॉल किया और रुखसाना बनकर आने को कहा और उसे ये भी हिदायद दी कि अगर उससे आलिया का हाथ माँगा जाये तो वो मना नहीं करेगी और आलिया का उसी दिन निकाह पढ़वा दिया जायेगा। अम्मी ने जिसे रुखसाना बनकर आने को कहा था वो अम्मी को अच्छे से जानती थीं, लेकिन ना तो मुझे देखा था उन्होंने और ना ही अब्बू को। अगले दिन भी मुझे आलिया बनकर रहना था तो मैंने रात में नाईट गाउन पहन लिया और अपने बिस्तर पर गहरी नींद में सो गया। अगले दिन सुबह अम्मी ने मुझे फिर से तैयार किया। आज अम्मी ने मुझे कढ़ाईदार चमकीला लहंगा जो बहुत ही खूबसूरत थी और एक डीप कट बैकलेस चोली, जो आगे से भी डीप थी और पीछे से कम्प्लीटली डोरियों से बंधी हुई। फिर अम्मी ने मेरे कानों मे क्लिप वाले झुमके, नाक मे क्लिप वाली सानिया मिर्जा स्टाइल वाली नथिया, पैरों मे हेवी चांदी की पायल, साथ ही कुछ चांदी के बिछुए मेरे पैरों की उंगलियों मे भी पहनाया। जब मेरा डार्क शैड मेकअप पूरा हुआ तो अम्मी ने अपनी आँखों से काजल निकालकर मेरे गले के पीछे लगा दिया।

अम्मी ने एक ओढ़नी देने के साथ साथ अम्मी ने मुझे कल की पूरी बात बताई कि कल क्या क्या हुआ था। अम्मी ने मुझे बताया कि आज हो सके तो तेरा निकाह राजेश के साथ पढ़वा दिया जाएगा, लेकिन आज पूरे दिन तुझे घूँघट मे ही रहना है। थोड़ी देर मे मेरी नकली अम्मी रुखसाना घर पर आ गई। अम्मी ने रुखसाना को अब्बू से मिलवाने ले गई, और खुद मेरे कमरे मे मेरे पास आ गई। उधर अब्बू रुखसाना से बातें कर रहे थे। 

अब्बू के साथ रुखसार ना जाने २ घंटों तक क्या बात करती रही लेकिन जब वो हमारे कमरे में लौटी तो उसके चेहरे पर प्यारी सी मुस्कान थी जिसे देखकर अम्मी समझ गयी थी कि जैसा अम्मी ने रुखसार को करने को कहा था उसने वैसा ही किया। रुखसार ने अम्मी से कहा कि आज ही निकाह होनी है तो मुझे जल्दी से तैयार कर दें, २ बजे होटल में मेरी निकाह होनी है। अम्मी खुश हो गई, मैं भी खुश था क्यूंकि मुझे राजेश के साथ एक साल तक उसकी दुल्हन बनकर रहना था ताकि मैं दुबारा से अली बन सकूँ।

मुझे अम्मी ने दुल्हन की तरह सजाने से पहले मुझे ब्यूटी पारलर ले गयी, मेरा कान और नाक को छेद करने वाली गन से छिदवा दिया। मुझे बहुत दर्द दिया लेकिन, जब ब्यूटीशियन ने मेरे नाक और कान के छेद पर ऑइंटमेंट अप्लाई किया तो अगले २० मिनट्स में मेरे नाक और कान का छेद क्लियर हो गया। आमतौर पर नाक और कान के छेद को क्लियर होने में १० से १२ दिन लग जाता है लेकिन वो स्पेशल ऑइंटमेंट सिर्फ इसीलिए था ताकि मेरे नाक और कान का छेद तुरंत क्लियर हो जाये। लाल रंग की कढ़ाईदार लेहंगा और बेकलेस स्ट्रेची चोली में मुझे तैयार कर के ४ इंच हील्स वाला  सैंडल पहनाया। हाथों में ढेर साडी कंगन चूड़ियां, नाखुनो पर ब्राउन नेल पोलिश, हाथों में आर्टिफीसियल मेहँदी, चेहरे पर मेकअप और डार्क रेड ग्लॉसी लिपस्टिक, माथे पर ढेरों बिंदिया, हैवी ज्वेलरी से मेरा पूरा शरीर लद गया था। अम्मी ने मेरे नाक में एक हैवी नथिया पहनाया और कानों में बड़े बड़े झुमके। नथिया और झुमके पहनकर ऐसा लग रहा था मानो, मेरे नाक में एक किलो का वजन लटका दिया गया हो। मैं दुल्हन बनकर तैयार था और अम्मी ने एक चुनरी ओढ़ाकर मुझे रुखसार के साथ अब्बू के बताये होटल में भेज दिया। जब मैं रुखसार के साथ होटल में पहुंचा तब सबकुछ ऐसे सजाया हुआ था जैसे निकाह के वक़्त फूलों से सजाया जाता है। मुझे फूलों के परदे के एक तरफ बिठा दिया गया था और मैं अभी भी अम्मी के आने में इंतज़ार में था, लेकिन अम्मी नहीं आयी। काज़ी साहब ने मात्र ५ लाख मेहर की रकम पर मुझे ३ बार पूछा कि क्या तुम्हे ये निकाह कुबूल है, मैंने शरमाते हुए तीनो बार हाँ में जवाब दिया। दूसरी तरफ भी निकाह के लिए हामी पूछी गयी, उधर से भी हाँ में जवाब आया। क़ाज़ी साहब ने मुझसे लीगल मैरिज सर्टिफिकेट पर साइन करवाया, मैंने साइन कर दिया और थोड़ी देर बाद जो थोड़ी बहोत लड़कियां और रुखसार मेरे करीब बैठी थीं, वे मुझे बधाई देने लगीं। निकाह के बाद मुझे कार में बिठाया गया, रुखसार से रोने का नाटक किया और मैंने भी। फिर कार में मेरे अब्बू की हाइट का एक शख्स मेरे बगल में आ बैठा और गाडी चल पड़ी। मैंने घूँघट कर रखा था चेहरा झुका रखा था। मुझे मेरी चोली में अपने बूब्स के उभार के सिवा कुछ भी नहीं दिख रहा था। थोड़ी देर बाद गाडी रुकी, मैंने हल्का सर उठाकर सामने देखा तो सामने मेरा ही घर था। मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि मेरे घर पर मुझे फिर से क्यों लेकर आये हैं।

सामने से अम्मी आती दिखाई दी, काफी घबराई हुई थी। वो मेरे शौहर को देखकर आँखें दिखा रहीं थी। मैंने नज़र उठाकर अपने शौहर की तरफ देखा।

“या अल्लाह, ये क्या हो गया। ये तो अब्बू हैं, मतलब, मेरा निकाह राजेश के साथ नहीं बल्कि मेरे खुद के अब्बू के साथ हो गया। या खुदा, अब मैं क्या करूँ। अम्मी चाह कर भी अब्बू को मेरी सच्चाई नहीं बता सकती थी और ना ही मैं। अब्बू खुश थे, उन्होंने अम्मी से कहा कि इस्लाम में ५ निकाह करने के लिए आजाद हैं वो। आज सुहागरात होनी थी, अम्मी मुझे अंदर ले गयी, मुझे अपने कमरे में बिठाया और मुझे बोली कि ये सब मैंने क्या किया। मैंने अम्मी को बताया कि मुझे लगा कि मेरा निकाह राजेश के साथ होना है लेकिन अब्बू मुझसे निकाह कर लेंगे, अम्मी मेरी लाइफ तो ख़राब हो गयी, अब मैं क्या करूँ। अम्मी ने सांस भरकर मुझसे बोली, अब तू मेरा बेटा अली नहीं मेरी छोटी बहन आलिया बन गयी है। अब जो करना है वो तेरे शौहर करेंगे, अब मैं तेरी कोई मदद नहीं कर सकती। अम्मी की बात सुनकर मेरा दिल बैठ गया। मेरे अब्बू को बता भी नहीं सकता कि मैं ही उनका बेटा अली हूँ। इधर शाम तक मैं वैसे ही घूँघट में बैठा रहा। रात हुई, मेरे और मेरे शौहर की सुहागरात की सेज़ तैयार की जा चुकी थी। थोड़ी देर बाद, मैं गुलाब के फूलों से सजी सुहागरात की सेज़ पर घूँघट में अपने आप को समेटे हुए अपने शौहर के आने का इंतज़ार कर रहा था।

निकाह के बाद अब मेरा नाम आलिया अब्दुल अंसारी हो गया था। मेरे अब्बू, जो कि अब मेरे शौहर हैं, जब वो कमरे में आये तब तक मेरी आँख लग चुकी थी। अचानक मेरे शौहर मेरे ऊपर चढ़ गए और मेरे होंठो को बड़े ही प्यार से चूमने लगे। अचानक हुए इस छुअन ने मुझे जगा दिया और मैं घबरा गया। मैं तुरंत उठकर बैठ गया, अपने हाथों से घूँघट को ठीक किया, मेरी हार्ट बीट्स अब पहले से ज्यादा तेज़ हो चुकी थी और मैं बहुत ही ज्यादा नर्वस हो गया था।

अब्दुल: “क्या हुआ हमारी छोटी बेगम, आप ठीक तो हैं ना।”

मैं: “जी, नहीं, ठीक हूँ मैं !”

अब्दुल: “निकाह के समय तो बहुत मुस्कुरा रही थी आप, आपका नर्वस होना लाज़मी है।”

मैं: “मैं ठीक हूँ।”

अब्दुल: “तो इतनी दूर दूर क्यों बैठी हो छोटी बेगम, मेरे करीब आओ, जरा मैं भी तो मेरी दुल्हन के हुस्न का दीदार कर लूँ।”

मैं: “नहीं, मुझे डर लगता है।”

अब्दुल: “मेरे करीब तो आओ मेरी जान, अच्छा ये लो, मैं तुम्हारे लिए कुछ गिफ्ट्स लेकर आया हूँ।”

मेरे शौहर ने मुझे गिफ्ट बॉक्स दिया और मैंने गिफ्ट को खोलकर देखा तो उसमे सोने का नौलखा हार था, साथ ही गढ़वाली नथिया जो कि काफी बड़ा और डिज़ाइनर था और सोने के झुमके का एक सेट भी था जो काफी भारी था। मैं उन्हें पैक करके एक तरफ रखने ही वाला था कि मेरे शौहर ने मुझे एक और गिफ्ट पैक थमा दिया। मैंने उस गिफ्ट पैक को खोल कर देखा तो उसमे बेबीलॉन सिल्क नाईटी थी जो बहुत ही ज्यादा सॉफ्ट थी। मेरे शौहर ने मुझसे कहा कि मैं जाकर चेंज कर लूँ। मना करने की हिम्मत नहीं हो रही थी, ना जाने क्यों मैं इतना कमज़ोर पड़ गया था। मैं तुरंत वाशरूम में गया, अपने पुरे कपडे और गहने उतार दिए सिवाय पैंटी और ब्रा के। फिर मैंने ऊपर से बेबीलॉन ड्रेस को पहन लिया। वो बेबीलॉन ड्रेस का आखिरी हिस्सा मेरे हिप्स पर आकर फिट हो गया और मेरे कर्वी शरीर के ऊपर वो ड्रेस काफी आकर्षक दिख रहा था। मैंने ज्वेलरी बॉक्स को खोलकर अपने कानो में वे झुमके पहन लिए जो मेरे कन्धों को छू रहा था। गले में नौलखा हार, जो मेरे बूब्स के बीचोबीच आकर टिक गया और आखिर में मैंने वो नथिया अपने नाक में पहनने की कोशिश करने लगा। वो नथिया का तर काफी मोटा था, मुझे थोड़ा दर्द हुआ लेकिन मैंने नथिया को अपने नाक में सेट कर लिया और उससे जुडी सोने की चैन को अपने कान वाले झुमके में सेट कर दिया। मैंने चुनरी को अपने माथे पर रख लिया और अपने आप को आईने में देखकर मुस्कुरा उठा, मैं वाकई बेहद खूबसूसरत दिख रहा था। अभी मैं अपने आप को देखकर खुदको निहार रहा था कि मेरे शौहर मेरे पीछे आकर खड़े हो गए।

अब्दुल: “सच में खुदा के बनाये ७० हूरो में से तुम एक हूर हो छोटी बेगम।”

मैं: “थैंक्स ! ऐसा कुछ भी नहीं है।”

इससे पहले मैं कुछ समझता, मेरे अब्बू जो अब मेरे शौहर हैं उन्होंने मुझे अपनी गोद में उठा लिया और बिस्तर के बीचोंबीच लिटा दिया, मेरी चुनरी को उन्होंने अपने हाथों से हटा दिया और मेरे ऊपर आने की तयारी करने लगे। मेरी हार्ट बीट्स बढ़ने लगी थी, ये मैं क्या करने जा रहा था। मेरे खुद के अब्बू से निकाह करने के बाद उनके साथ सुहागरात मनाने जा रहा था और मैं अपने नसीब को कोस रहा था और चाह रहा था कि जो कुछ भी होना है जल्दी हो। ये सब किसी भयानक सपने से थोड़ा भी कम नहीं था।

अब्दुल: “आज के बाद मेरी छोटी बेगम हर रोज़ रात को ऐसे ही तैयार हुआ करेगी और कभी ये नथिया मत उतारना, इसके बिना मेरी बेगम का चेहरा अधूरा लगेगा।”

मैंने हाँ में सर हिलाया और मेरे शौहर न्यूड हो कर मेरे ऊपर चढ़ गए। मैं तो एकदम दब गया उनके नीचे। मेरी नथिया और चूड़िया गड़ने लगी और मेरी आखों में आंसू आ गए। लेकिन इनपर कुछ असर नहीं हुआ और ये बोले की आज के बाद मेरे वंश को मेरी छोटी बेगम ही अपने कोख में पालेगी। फिर इन्होंने मेरा बेबीलॉन ड्रेस को अपने हाथों से उतार दिया और फिर मेरे ब्रा के ऊपर से ही मेरे दोनों बूब्स को मसलने लगे, फिर इन्होने मेरी पैंटी भी उतार दी। फिर मेरी वजाइना पर किस्स करने लगे, या अल्लाह, कोई बचा लो मुझे। मेरी तो आहें निकल रही थी, ये फिर इन्होंने अपनी शेरवानी और पायजामा उतरा। अंडरवियर निकालातो इनका कम से कम ९ इंच लंबा मोटा लंड दिखा। लंड देखकर मेरी तो जान ही निकल गयी। इतना बड़ा तो मेरा लंड नहीं था। फिर इन्होंने सीधा वो मेरे अंदर डाल दिया। या खुदा, आह , प्लीज! मेरी जान निकल गयी। फिर इन्होंने उसे अंदर बहार करना शुरू किया। ऐसा लग रहा था मनो कोई गर्म रॉड डाल रहा हो। मुझे बहुत दर्द हो रहा था और खून भी निकल रहा था। इन्होंने स्पीड बढ़ दी और मुझे तो लग रहा था कोई मुझे दो हिस्सो में काट रहा है। इन्हें मेरे दर्द और आंसू से कोई मतलब नहीं था और ये पूरा मज़ा ले रहे थे। मेरे पुरे सीने इनके लव बाइट से भर गए थे। मेरे बूब्स पूरे लाल हो गए थे, मुझे अभी बिलकुल मज़ा नहीं आ रहा था।

मैंने इनसे बोला की मैं एक औरत हूँ बस और तुम्हारी बीवी भी, थोड़ा तो रहम करो!  प्लीज मरे शौहर अगले २० मिनट तक ऐसे लगे रहे, जैसे कोई नौजवान हों। मेरे जीवन का पहला सेक्स एक बलात्कार था और आज दूसरी बार भी मेरा बलात्कार हो रहा था क्यूंकि ये सब मेरी मर्ज़ी के बगैर हो रहा था। इन्होंने ने दो तीन बार ऐसे ही किया और सो गए और मैं पूरी रात रोता रहा, मैं पूरी रात पछताता रहा, अपने औरत बनने पर, अपने इन बूब्स पर, इस वजाइना पर, इन मेहँदी लगी हाथो पर, हर चीज़ देख कर मुझे नफरत हो रही थी। औरत बनने के बाद पहली बार मुझे लगा कि इस औरत के शरीर के मैं शायद आज भी एक मर्द हूँ जो यहाँ कैद है। आज की रात कितनी लम्बी थी, मैं बता नहीं सकता लेकिन अगली सुबह जब मैं जागा तब भी मेरे शौहर का लंड मेरी छोटी सी वजाइने में ऐसे खड़ा था, जैसे वो मेरे अंदर ही रहना चाहता हो। अगले दिन सुबह उठी तो ये सो रहे थे। मैंने खुद को अपने शौहर के लंड से छुड़ाया और मैं बाथरूम गया और शावर के नीचे बैठ गया। पुरा शरीर जल रहा था , हर जगह घाव और छिलने के निशाँ थे। मैंने अपने पुरे शरीर को अच्छे से साफ़ किया और बाहर आया। फिर एक पिंक रंग की साड़ी निकालकर पहन लिया और साथ में मैचिंग चूड़ियां पहना और मेकअप करके तैयार हुआ। फिर से वही नथिया नाक में पहनकर मैं तैयार हुआ और जैसे ही कमरे के बाहर आया तो सामने अम्मी खड़ी थी। अम्मी को देखते ही मेरी आँखों से आंसुओं का सैलाब उमड़ पड़ा, लेकिन अम्मी अब कुछ बदली बदली सी दिख रही थी। उन्होंने मेरी साड़ी का एक पल्लू अपने हाथ में लिया और मेरा घूँघट बना दिया और अपने साथ किचन में ले गयी।           

अम्मी मुझे अपने साथ किचन मे ले जाकर घरेलू काम सिखाने लगी।

मैं: “अम्मी, ये क्या कर रही हो तुम, अब्बू मेरे साथ इतना कुछ कर चुके हैं और आप मुझे किचन के कामों मे उलझा कर मुझे और भी कॉनफ्यूज कर रही हो।”

अम्मी: “आलिया, अब ना तो मैं तुम्हारी अम्मी हूँ और ना ही तेरे अब्बू तेरे अब्बाजान। तेरे अब्बू ने तुझसे निकाह करके तुझे अपनी दुल्हन का दर्जा दे दिया है और अब से तू मेरी छोटी बहन से ज्यादा कुछ भी नहीं। मैं आज काम समझा देती हूँ, कल से तू सुबह सुबह उठकर जल्दी से सारे काम निपट लिया करना, समझी।” 

मैं: “अम्मी, ऐसा मत कहो प्लीज अम्मी !”

अम्मी: “मैं अब तेरी अम्मी नहीं हूँ, तू आलिया है, मेरे शौहर की दूसरी बीवी, सुहागरात तो तू मना ही चुकी है लेकिन अब ना जाने मेरे शौहर के कितने बच्चों को तू अपने कोख मे पालेगी, खुदा जाने।”

मैं अम्मी की बातें सुनकर भौंचक हो गया था। पहले तो अम्मी ऐसे बातें नहीं करती थी, लेकिन आज क्या हो गया है अम्मी को। मुझसे ऐसी उखड़ी उखड़ी सी बातें क्यूँ कर रही हैं अम्मी। या खुदा, इससे से बदतर दिन देखना बाकी रह गया है क्या, क्या करू मैं, अब्बू ने निकाह करके मुझे अपनी दुल्हन बना लिया और अम्मी मुझसे ऐसी बातें कर रही हैं मानो मैं उनका बेटा ना हुआ, उनकी सौतन हो गया। अम्मी मुझे किचन मे ले गईं, किचन का काम समझाया फिर वाश्रूम मे ले गई और बताया कि मुझे मेरे शौहर के कच्छे बनियान टोवेल और उनके जरूरत की सामानों को हर रोज समय से वाशरूम मे रख देना होगा । दिन भर घूँघट मे रहना पड़ेगा, ना तो मैं खुद से नाक का नथिया उतार सकता था और ना ही कानों के झुमके। जब मेरे शौहर अपने हाथों से मेरा नथिया और झुमका ना बदलें, तब तक मेरे नाक का नथिया ऐसे ही रहेगा और कानों के झुमके भी। अपने शौहर से किसी भी बात के लिए बहस नहीं कर सकता था मैं और जब तक कहा ना जाए तबतक मुझे अपने कमरे मे चुपचाप बैठे रहना होगा। अपने शौहर की खिदमत करना ही आज से मेरा दायित्व है और जैसा समझाया है, अच्छे से समझ लेने को आज ही, अम्मी दुबारा नहीं समझाएगी। अम्मी की दिल तोड़ने वाली बातें सुनकर मेरी आँखों से कब आंसुओं का सैलाब उमड़ पड़ा, मुझे भी नहीं पता चला, घूँघट मे मैं काफी देर तक रोता रहा, कोई मेरे आँसू पोंछने नही आया। खुद को संभालकर मैंने खाना पकाया, हाथों कि चूड़िया और कंगन बहोत आवाज कर रहीं थी लेकिन मुझे इन्हे उतारने की इजाजत नहीं थी। मेरी नथिया का भारीपन मेरे नाक को एक तरफ झुका रही थी, दर्द बर्दाश्त करके मैंने अपनी लाइफ का नया चैप्टर शुरू कर दिया। एक दिन अचानक रात को मेरी अम्मी ने मेरे अब्बू को मेरे बारे मे सबकुछ बताया, फिर भी उन्होंने मुझे तलाक नहीं दिया और मेरे साथ लगे रहे।

1 साल बाद ही, मैंने अपनी कोख से मेरे शौहर के पहले बेटे को जन्म दिया। उस दिन मेरे शौहर बड़े खुश थे मुझसे और मैं प्रसव के बाद बेहोश। मेरे बेटे को गोद मे लेकर मेरे शौहर ने उसका नाम ज़ुबिन रख दिया और मुझसे बोले कि उन्हे मुझसे कम से कम 5 बच्चे और चाहिए। एक बच्चे को जन्म देने मे मेरा दम निकल गया था लेकिन मेरे शौहर नहीं माने, अगले 8 सालों मे मैंने मेरे शौहर की 3 बेटियों और 2 बेटों को जन्म दिया। मेरे बच्चे बड़े हो रहे थे, अपने बच्चों और शौहर की खिदमत के बीच मेरी बड़ी आपा जो कभी मेरी अम्मी थी, उनका इंतेकाल हो गया, बहुत दुख हुआ लेकिन घर अब पहले से ज्यादा खुशनुमा हो गया था। मेरे शौहर घर के सभी कामों के लिए एक नौकरानी ले आए जो 18 साल की रही होगी। वो घर के कामों के साथ साथ मेरे बच्चों का पूरा खयाल रखती और मेरे शौहर को मेरे साथ रात बिताने का पूरा समय मिलने लगा। अब प्रेगनेंट होने का हिम्मत नहीं था लेकिन मेरे शौहर मानते नहीं, मैं गर्भ निरोधक मेडिसीन्स यूज करने लगी हूँ और मेरे शौहर मेरे साथ खूब सेक्स करते हैं, मुझे मज़ा तो आता है लेकिन दर्द भी बहुत होता है। कैसी मेरी जिंदगी ने यू टर्न ले लिया और क्या से क्या बन गया मैं। यही कहानी थी मेरी, मेरे शौहर आते ही होंगे, खुदा हाफ़िज़, शबबा खैर !        

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