राहुल दिल्ली से बैंगलोर एम० बी० ए० करने गया, जहाँ उसके कोई दोस्त नहीं थे, वो बिलकुल अकेला हो गया था, किसी से बात नहीं करता था, क्योंकि उसे कन्नड़ भाषा नहीं आती थी और ज्यादतर लोग कन्नड़ भाषा का ही उपयोग करते थे। इसलिए उसने अपनी दोस्ती इंटरनेट से कर ली, उस समय सोशल साइट के नाम पर ऑरकुट ही था, फेसबुक का चलन नहीं था। राहुल के ऑरकुट पर बहुत से दोस्त थे, जिनसे वो खुल कर बातें करता था, उनमे से एक थी नेहा। नेहा भारत के पडोसी मुल्क नेपाल की राजधानी काठमांडू की रहने वाली थी।
जिससे वो रोज बातें करता था, लेकिन
ये सिलसिला थम गया, जब राहुल का परीक्षा का डेट आ गया और वो पढ़ाई
में जुट गया। धीरे-धीरे उसकी दोस्ती वहां के लड़को के साथ होने लगी और वो ऑरकुट की
तरफ ध्यान देना लगभग छोड़ चुका था। पढ़ाई पूरी करने के बाद जॉब की तलाश शुरू हुई,
इसलिए
वो बैंगलोर से दिल्ली चला गया और एक बार फिर से वो समय आ गया जब राहुल अकेला हो
गया तो उसे याद आयी सोसल साइट। लेकिन तब तक ऑरकुट बंद हो चूका था और फेसबुक का
ट्रेंड आ गया था, इसलिए राहुल भी फेसबुक से जुड़ गया, जहाँ
उसे नए-नए दोस्त बन गए।
एक दिन जब वो फेसबुक यूज़ कर रहा था तो नेहा का
फ्रेंड रिक्वेस्ट आया। राहुल नेहा को पूरी तरह से भूल चूका था। इसलिए उसने नेहा का
प्रोफाइल चेक किया तो पाया की वो ऑरकुट वाली दोस्त है, जिससे वो बात
किया करता था, उसने तुरंत उसका फ्रेंड रिक्वेस्ट एक्सेप्ट कर
लिया और हेलो लिख कर भेज दिया। उधर से हाय का रिप्लाई आया और साथ ही साथ ये भी
लिखा आया कि तुम मुझे बिलकुल भूल ही गए थे, मैंने आखिर
तुम्हे ढूंढ ही लिया। राहुल इसका जवाब नहीं दे पाया,क्योंकि नेहा की
बात बिलकुल सच थी। राहुल नेहा को भूल ही गया था, उसने सच्चाई को
छुपाने के लिए सिर्फ इतना कहा की ऑरकुट बंद होने की वजह से वो उससे बात नहीं कर
पाया, लेकिन नेहा ने कहा, मैंने तो ढूंढ लिया, तुम
चाहते तो तुम भी ढूंढ सकते थे। इस पर राहुल चुप सा हो गया और बात को टालते हुए
पूछा क्या हाल है? इस पर नेहा ने कहा की मैं ठीक हूँ, तुम
कैसे हो? इस पर राहुल ने भी कहा, ठीक हूँ । एक बार फिर दोनों में
बात-चीत शुरू हो गयी, राहुल ने बताया की अभी दिल्ली में हूँ जॉब की
तलाश कर रहा हूँ, और नेहा ने बताया की.. उसकी लौ की पढ़ाई पूरी
हो गयी है और वो यहीं कोर्ट में प्रेटिक्स कर रही है। राहुल ने कहा कि मतलब अब तुम
वकील बन गयी हो, अच्छी बात है, दिन में राहुल
इंटरव्यू देने जाता था और नेहा कोर्ट, इसलिए दोनों पूरी रात बात करते थे,
बात
करते करते दोनों इतने करीब आ गए की एक दूसरे से प्यार करने लगे।
दोनों का प्यार परवान चढ़ने लगा, लेकिन
ताजुब की बात ये थे की दोनों एक दूसरे से कभी मिले नहीं थे, सिर्फ चैटिंग के
जरिये या कभी कभी कॉल के जरिये ही बात होती थी। दोनों एक दूसरे से खूब प्यार करने
लगे। अब तो बिना बात किये हुए दोनों को नींद नहीं आती थी, एक दिन नेहा ने
राहुल को काठमांडू मिलने के लिए बुलाया और बोला वो अपने भाई से मिलवाना चाहती है,
क्योंकि
वो शादी करना चाहती है। ये सुन कर राहुल बहुत खुश हुआ, क्योंकि नेहा ने
उसकी मन की बात बोल दी थी, राहुल भी नेहा से शादी करना चाहता था,
लेकिन
ये बात वो कभी नहीं बोल पाया, आज जब नेहा ने बोला तो वो बहुत खुश
हुआ। अब तो राहुल दिल्ली से काठमांडू की तरफ जाने का प्लान बनाने लगा। उसका दिल
बहुत तेजी से धड़क रहा था, एक ख़ुशी सी चेहरे पर थी, क्योंकि
नेहा से मिलने जो जाना था।
राहुल जब इस यात्रा पर निकला तो उसे उम्मीद
नहीं की थी कि यह शहर इतना खूबसूरत होगा, लेकिन जैसे ही बस बॉर्डर से आगे बढ़ा
तो आंखें खुली की खुली रह गईं। महज कुछ किलोमीटर पार करते ही सामने पहाड़ों की
पूरी एक शृंखला नजर आ रही थी। हल्की सी चढ़ाई के साथ शुरू हुआ पोखरा की ओर जाने
वाली सड़क का सफर। एक ओर आसमान को छूने की जिद करते पहाड़ तो दूसरी ओर पाताल में
समा जाने का एहसास दिलाती गहराई। हर कदम पर एक रोमांच जो राहुल को प्रकृति और उसके
जीवन के करीब लेकर पहुंच जा रही थी। बुटवल से पाल्पा
होते हुए पोखरा का यह सफर सिद्धार्थ राजमार्ग से होते हुए पूरा होता है। राजमार्ग
के दोनों ओर नेपाल के शहर और गांव अपने भीतर प्राकृतिक संपदा और नेपाली संस्कृति
को समेटे हुए हैं। 188 किलोमीटर का यह सफर पूरा करने में करीब सात
घंटे तक का समय लगा और करीब आधी रात को राहुल ने शहर के भीतर प्रवेश किया। शहर की
सीमा के बाहर नेपाल पुलिस के सशस्त्र जवान इंतजार करते मिले। अनुमति और दूसरी
औपचारिकताएं पूरी करने के बाद आगे जाने का इशारा किया। पोखरा ऐसा शहर है जहां देर रात
अगर खाने की गुंजाइश तलाशी जाए तो मुश्किल है। हालांकि शुक्रवार और शनिवार की रात
यहां के कुछ बाजार नो-व्हीकल जोन में तब्दील हो जाते हैं और देर रात दो बजे तक
खुले रहते हैं। यह अपने आप में सुखद अहसास कराने वाले होते हैं। जहां आप लाइव
संगीत का आनंद ले सकते हैं। इसके अलावा आप तरह-तरह के भारतीय व्यंजनों के साथ
नेपाली स्वाद को भी चख सकते हैं। शहर में आने के बाद राहुल को ऐसा लग रहा था कि
जैसे प्रकृति ने स्वयं अपनी गोद में इस शहर को बसाया है। चारों ओर से पहाड़ और
उसके बीच में बचे इस छोटे से प्राकृतिक शहर की तस्वीर को शब्दों में बयां कर पाना
भी मुश्किल था।
शहर में बने छोटे-छोटे होटल यहां आने वाले
पर्यटकों को नेपाली संस्कृति का एहसास करा रहे थे। हर दूसरा घर ही एक होटल जैसा
मालुम पड़ रहा था, जहां घर की महिलाएं ही मुख्य भूमिका में नजर आ
रहीं थीं। इस शहर की सबसे बड़ी खासियत भी यही थी कि यहां के कारोबार पर महिलाओं का
कब्जा है। पुरुष यहां पर महिलाओं के पीछे ही नजर आ रहे थे ...दुकान, होटल
से लेकर हर जगह तक महिलाओं की भूमिका प्रभावी थी। सुबह आठ बजे सफर की शुरुआत हुई।
रात में हुई हल्की बारिश का एहसास अभी भी दिखाई दे रहा था। पहाड़ बादलों के भीतर
असलाए हुए हैं। ऐसा लग रहा था कि जैसे पहाड़ भी रजाई ओढ़कर अलसाए हुए हैं। रास्ता
पिछले रास्ते से आसान था, सड़कें कम घुमावदार हैं और चढ़ाई भी
शुुरुआती सफर में नजर नहीं आ रही थी, लेकिन चारों तरफ पहाड़ जरूर सफर को
मजेदार बना रहे थे, कैमरे और आंखों के बीच में जिद थी कि कौन
बेहतरीन पलों को अपने भीतर कैद कर ले। सफर में साथ-साथ चलती मर्सयांग्दी नदी
आनंदित कर रही थी। वहीं, कुछ दूरी पर जाने के बाद नदी के बहाव
को पलटते देखना भी एक अलग ही अनुभव था। नदी के किनारों पर वाटर स्पोट्र्स के कई
सेंटर नजर आए, जहां युवाओं की उत्साही टोली पानी की धार में
जूझ रही थी। आगे मनकामना देवी का मंदिर १३०२ मीटर की ऊंचाई पर बना हुआ है। हालांकि
यहां तक पहुंचने के लिए रोप-वे (नेपाली इसे केवल कार भी कहते हैं) से जाना ही
विकल्प है। राहुल के लिए यह अब तक का सबसे बड़ा रोप-वे सफर था, जिसका
रोमांच शब्दों में नहीं बयां किया जा सकता है। काठमांडू पहुंचने के ठीक बाद ही
राहुल ने होटल में चेक इन किया और नेहा को इन्फॉर्म किया। नेहा राहुल का इंतज़ार
काठमांडू में अपने भाई राजेश के साथ कर रही थी और इनफार्मेशन मिलते ही वो अपने भाई
के साथ होटल आ गयी। वैसे तो नेहा को राहुल ने पहले कभी नहीं देखा था लेकिन नेहा ने
राहुल को फेसबुक और ऑरकुट पर देखा था। राहुल से मिलकर नेहा बहुत खुश थी, उसे
हग करना चाहती थी लेकिन बड़े भाई के सामने होने की वजह से उसने खुद को कण्ट्रोल
किया। एक सभ्य और शिष्ट तरीके से राहुल ने नेहा और उसके भाई राजेश का स्वागत किया,
उनके
लिए नाश्ता और खाना आर्डर किया और आपस में बातें करने लगे।
राहुल की हाइट ५'६" और नेहा
की हाइट भी ५'६", दोनों एक ही
हाइट के थे, जबकि राजेश ६'२" का
लम्बा, हट्टा कट्टा नौजवान था। काफी देर आपस में बातें करने के बाद राहुल के
बात, विचार और व्यव्हार से नेहा का भाई काफी इम्प्रेस हो गया और अगले दिन
घर पर आने का इनविटेशन देकर होटल से चला गया। राहुल
बहुत खुश था, अगले दिन नेहा के दिए एड्रेस पर राहुल कैब बुक
करके पंहुचा। नेहा को व्हाट्सअप कॉल किया तो घर के बाहर आकर उसने राहुल को हग किया,
गाल
पर किस्स्स किया और अपने साथ घर में ले गयी। नेहा का घर काफी बड़ा, हवेली
टाइप थी। घर में नेहा, उसके भाई राजेश और उसकी माँ के सिवा कोई और
नहीं था, २,३, नौकर चाकर थे जो घर के अलग अलग कामों
में व्यस्त थे। नेहा के परिवार से मिलकर राहुल को बड़ी ख़ुशी हुई, इतना
मान सम्मान और स्नेह मिला, जो शायद ही किसी परिवार से उम्मीद की
जा सकती थी। एक साथ खाना खाने के बाद राहुल को नेहा अपने कमरे में ले गयी और आराम
करने को बोलकर वहां से बाहर चली गयी, राहुल को भी नींद आ गयी।
शाम में जब राहुल
की आँख खुली तो नेहा उसके सिरहाने कुर्सी पर बैठी पढ़ाई कर रही थी। राहुल उठकर बैठ
गया और नेहा को निहारने लगा और नेहा अभी भी अपनी पढ़ाई में मशगूल थी। जब नेहा ने
देखा कि राहुल जाग गया, तो उसने अपनी पढ़ाई बंद कर दी और राहुल की ओर
मुस्कुराते हुए देखने लगी।
चेहरा क्या देखती हो, दिल में उतरकर
देखो ना।", राहुल ने गुनगुनाते हुए नेहा को छेड़ा।
हाहाहा, अरे वाह,
तुम
तो बड़ा सुन्दर गाते हो राहुल।", नेहा बोली।
सिर्फ तुम्हारे लिए बेबी! वैसे इवनिंग का क्या
प्लान है?", राहुल ने पूछा।
इवनिंग में भैया
तुम्हे घुमाने को अपने साथ ले जायेंगे।", नेहा बोली।
तुम नहीं चलोगी?", राहुल ने पूछा।
शादी से पहले ये सब अलाऊ नहीं है बेबी। वैसे
तुमने अपने परिवार के बारे में नहीं बताया कभी, कहाँ रहते हैं,
क्या
करते हैं।", नेहा बोली।
मेरा कोई परिवार नहीं है नेहा, मैं
अनाथ हूँ। अनाथालय से ही पढ़ाई हुई, वहीँ से नौकरी मिली और आगे की पढ़ाई
मैंने अपने बलबूते पर की।", राहुल इमोशनल होकर बोला।
अब है राहुल, मेरा परिवार अब
से तुम्हारा परिवार है राहुल।", नेहा बोली।
राहुल को ये सब एक सपने सा लग रहा था, नेहा
का दुबारा से मिलना, उससे प्यार होना, उसके लिए
काठमांडू आना, इतना प्यार और स्नेह मिलना। शाम को राहुल राजेश
के साथ काठमांडू के ठमेल नाम के जगह घूमने गया। वहां बहुत रौनक थी, ऐसा
लग रहा था मानो कोई रेड लाइट एरिया हो। ठमेल के एक बियर बार में राजेश राहुल को ले
गया, वो डांस बार भी था। वहां विदेशी लोग भी काफी सारे थे और डांस के साथ
साथ बियर और शराब का मजा ले रहे थे। राहुल को ड्रिंक की आदत दिल्ली से ही थी और
डांस बार में उसने पहली बार कदम रखा था। उस बार का मालिक खुद से राहुल और राजेश को
रिसीव करने गेट तक आया तब राहुल को मालुम चला कि राजेश की वहां कितनी इज़्ज़त है।
राहुल और राजेश ने साथ में खूब एन्जॉय किया और राहुल नशे मे होश खोने लगा तो राजेश
उसे अपने साथ घर ले आया।
अगली सुबह राहुल की नींद खुली, बिस्तर से उतरने
लगा तो महसूस हुआ कि उसके शरीर पर एक भी कपडा नहीं है। बिस्तर पर कोई आदमी भी
न्यूड सोया हुआ था, शायद राजेश था क्यूंकि चादर के बाहर सिर्फ उसके
पैर ही दिखाई दे रहा था और वो लम्बी लम्बी सांसें ले रहा था।
आस पास देखने पर भी राहुल को अपने कपडे का एक
भी टुकड़ा नहीं दिखा, चेयर पर टॉवल रखा था। राहुल ने टॉवल लपेटा और
वाशरूम की तरफ बढ़ने लगा। फ्रेश होने के बाद वाशरूम के मिरर में खुद को देखते ही
राहुल की चीख निकल गयी और वो बेहोश हो गया।
चीख की आवाज़ सुनकर राजेश वाशरूम में गया,
राहुल
को उठाकर कमरे में ले आया और उसके चेहरे पर पानी के छींटे मारकर उसे होश में लाया।
क्या हुआ राहुल, तुम बेहोश कैसे
हो गए?", राजेश ने पूछा।
राहुल ने एक बार फिर से खुद को देखा, वो
बिलकुल नार्मल था। लेकिन वो सब क्या था, आईने में उसने खुद को लड़की बना हुआ
पाया था और अभी वो लड़का ही था। राहुल को फील हुआ कि शायद वो डे ड्रीमिंग का शिकार
हुआ था। राहुल ने ये बात राजेश को तो नहीं बताई, लेकिन नेहा के
साथ अपना अनुभव शेयर किया। राहुल की बात सुनते ही नेहा के पैरों तले जमीन खिसक गयी,
वो
रोने लगी और रोते रोते अपनी माँ के पास चली गयी। राहुल ने अपना नया जीन्स और
टीशर्ट बैग से निकाला और नेहा के पीछे पीछे उसकी माँ के पास आ गया।
माँ, ऐसा नहीं हो सकता, वो
श्राप सच नहीं हो सकता माँ।", नेहा रोते हुए बोली।
चुप कर जा नेहा, राहुल यही है,
उसे
इस श्राप के बारे में कुछ भी नहीं पता।", नेहा की माँ
बोली।
"मैं राहुल को उस श्राप के बारे में सबकुछ बता
दूंगी माँ!", नेहा रोते हुए बोली।
कैसा श्राप नेहा! और तुम रो क्यों रही हो नेहा?",
राहुल
ने पूछा।
कुछ नहीं राहुल बेटा, तुम्हारे साथ जो
हुआ, वो सब जानकर नेहा घबरा गयी है।", नेहा की माँ
बोली।
सब ठीक तो है ना माँ जी?", राहुल
ने पूछा।
हाँ राहुल बेटा, सब ठीक
है।", नेहा की माँ बोली।
राहुल अपने कमरे गया
और बिस्तर पर लेट गया। लेकिन जब जब राहुल अपनी आँखें बंद करता अपने स्त्री रूप के
अक्स को अपने सामने पाता। इन सब की वजह से राहुल अब परेशान रहने लगा था।
१५ दिन के लिए नेपाल आया था राहुल, अभी तो बस २ ही दिन हुआ था कि उसे लगने लगा कि
नेहा उससे कुछ छिपा रही है। राहुल ने नेहा को कमरे में ले गया और उसे सामने बिठाकर
सच्चाई बताने को कहा।
सच्चाई जानने के बाद तुम मेरे प्यार को ठुकरा
दोगे राहुल और मैं तुमसे जुदाई बर्दाश्त नहीं कर सकुंगी।", नेहा
रोते हुए बोली।
देखो नेहा, तुम अगर अपने
अतीत के किसी बात से परेशान हो तो मुझे बताओ। मैं तुम्हारा वर्तमान हूँ नेहा,
तुम्हारे
अतीत को जानने का हक़ है मेरा और ऐसा कुछ नहीं होगा, मैं तुमसे बहुत
प्यार करता हूँ नेहा, तुम्हारे लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार
हूँ।", राहुल बोला।
मेरे अतीत में ऐसा कुछ भी नहीं है राहुल लेकिन
मेरे परिवार के ऊपर एक श्राप है, और यही वजह है, मुझे डर है कि
कहीं वो श्राप सच ना हो जाये।", नेहा रोते रोते बोली।
पहले तो तुम रोना बंद करो नेहा और मुझे उस
श्राप के बारे में बताओ।", राहुल बोला।
मेरे ही परिवार में, आज से ठीक २०
साल पहले, हम दोनों की तरह ही मेरे पापा की बुआ अपनी जवानी में एक लड़के
बेइंतिहा प्यार करती थी। लेकिन मेरे पापा को वो रिश्ता मंजूर नहीं था और उस लड़के
को बेइज़्ज़त करके, सरेआम साड़ी चोली पहनाकर, नाक
में नथिया और कानों में झुमकी पहनाकर, उसे मौत के घाट उतार दिया। मेरी बुआ की
शादी उनकी मर्ज़ी के खिलाफ की गयी और मेरे पापा को उस लड़के की माँ ने श्राप दिया
कि हमारे वंश में कभी लड़का जन्म नहीं लेगा। तब भैया का जन्म हो चूका था और वो ५
साल के थे और मैं माँ के पेट में थी। सभी अनुमान लगा के बैठे थे कि एक बार फिर से
बेटा होगा, लेकिन फिर से लड़की हुई और मेरा जन्म हुआ। उसके
बाद भी मेरी माँ और पापा ने कई कोशिशें की, लेकिन हर बार
लड़की होती और मेरे पापा ने गुस्से में ६ बार माँ का एबॉर्शन करवाया। पापा इतने
दुखी रहने लगे कि उनका अंत पास आ गया, तब उन्होंने माँ को उस लड़के की माँ के
पास माफ़ी मांगने भेजा। वो बूढी हो चुकीं थी और अपने एकलौते बेटे की तस्वीर हाथ
में लिए गम में डूबी थी। जब मेरी माँ ने उनसे मेरे पापा की गलती की माफ़ी मांगी, बहुत
रोई मेरी माँ, तब उस बूढी औरत का दिल पसीजा। उसने मेरी माँ को
बताया कि उसकी कोख में लड़का था और उसी के श्राप से उस लड़के ने लड़की बनकर जन्म
लिया। उसने बताया कि मेरे पापा ने एक नहीं बल्कि सात खून किये हैं, एक
उनका बेटा और अपनी छह बेटियों को भी मारा है।
श्राप मुक्त होने का एक ही तरीका है, मुझसे
जो भी शादी करेगा वो श्राप की वजह से सुहागरात की रात के अगली सुबह, हमेशा
के लिए औरत बन जायेगा और उसी सुबह मैं भी आदमी बन जाउंगी। मेरे पति का स्त्री रूप
में परिवर्तित होने ही काफी नही होगा, उसे अपनी स्वेक्षा से मेरे भैया के साथ
शादी करना पड़ेगा और उसे मेरे भैया के सात संतानों को जन्म देना पड़ेगा। सातवीं
संतान को जन्म देने के 2 साल बाद वो फिर से आदमी बन जाएगी, लेकिन
इसके लिए उसकी इच्छा होनी चाहिए। अगर वो फिर से आदमी बनने का इच्छुक ना हो,
तो
उसका मर्द रूप में परिवर्तन नहीं होगा। अगर तुमने मुझसे शादी की तो सुहागरात की
रात तुम खुद ब खुद लड़की बन जाओगे।", नेहा बोली।
नेहा की बात सुनकर राहुल के पैरों तले जमीन
खिसक गया। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या कहे और क्या ना कहे।
तुमसे जो शादी करेगा, सुहागरात की
अगली सुबह वो औरत बन जायेगा और तुम मर्द, लेकिन एक बात बताओ नेहा! 7
संतानों को जन्म देने के 2 साल बाद उसे पुरुष रूप मिल जाएगा,अगर
उसकी इच्छा हो। लेकिन तुम्हारा क्या नेहा, तुम तो हमेशा के लिए मर्द बन जाओगी।
फिर हम साथ कैसे होंगे, ऐसे तो हम हमेशा के लिए अलग हो जाएंगे!",
राहुल
बोला।
ये बात है तो सही, लेकिन जब तुम
फिर से मर्द बन जाओगे तो क्या पता मैं भी फिर से स्त्री बन जाऊं!", नेहा
बोली।
आई लव यू नेहा!", राहुल बोला।
क्या हुआ राहुल, अब तुम मुझसे
शादी नहीं करोगे, है ना!", नेहा मायूस होकर
बोली।
नहीं नेहा, मैं तुमसे शादी
नहीं कर सकता! मैं प्यार करता हूँ तुमसे लेकिन मैं इतना भी पागल नहीं जो तुम्हारे
प्यार में औरत बन जाऊँ और तुम्हारे बड़े भाई से शादी करके उसके एक नहीं दो नहीं सात
संतान को जन्म दूँ। आई एम् सॉरी बेबी! आई थिंक डिस इस इट, हमे अलग होना
होगा !", बोल्ड आवाज़ में राहुल बोला और नेहा ने उसे जोर
से हग किया और रोने लगी।
नेहा जानती थी कि उसके बड़े भाई राजेश को अपनी
होने वाली दुल्हन का बेसब्री से इंतजार है लेकिन इन सब से पहले राहुल की दुल्हन
बनकर उसके साथ सुहागरात मनानी होगी।
किस सोच में डूबी हो नेहा?", नेहा
की माँ बोली।
माँ तुम! राहुल कहाँ है?", नेहा
बोली।
राहुल तो कमरे में होगा! तुमने बताया राहुल को,
हमारे
वंश के ऊपर के श्राप के बारे में?", नेहा की माँ बोली।
"माँ, मेरे अंदर इतनी हिम्मत नहीं है। मैं
राहुल से बहुत प्यार करती हूँ, मैं उसे खोना नहीं चाहती!",
नेहा
बोली।
ऐसा करना गलत होगा बेटी!", नेहा
की माँ बोली।
राहुल कभी नहीं मानेगा माँ, नहीं
नहीं, मैं राहुल को नहीं खोना चाहती।", नेहा बोली।
देख ले बेटी, सुहागरात की
अगली सुबह जब राहुल औरत बन जायेगा तो उसे सच्चाई जानकार बहुत दुःख होगा। ऐसे में
राहुल को लगेगा कि तुमने राहुल के साथ चीटिंग की है और वो तुमसे हमेशा के लिए दूर
हो जायेगा।", नेहा की माँ बोली।
फिर मैं कह दूंगी कि मुझे इस बारे में कुछ भी
पता नहीं था माँ, लेकिन प्लीज माँ, अभी मैं राहुल
को इस बारे में कुछ भी नहीं बता सकती! जो होगा देखा जायेगा माँ, मैं
राहुल से बहुत प्यार करती हूँ।", नेहा बोली और वहां से उठकर चली गयी।
राहुल इन सब बातों और नेहा के परिवार के ऊपर के
श्राप के बारे में बिना कुछ जाने अपनी और नेहा की शादी को लेकर बहुत ही उत्साहित
था। नेहा चाहती थी कि राहुल को सच्चाई के बारे सब कुछ बता दे, लेकिन
राहुल के प्यार खोने का डर नेहा को सच्चाई बताने से रोकता रहा। चूँकि नेहा और उसका
पूरा परिवार राजपूताने की शाही परिवारसे बिलोंग करते थे तो शादी भी हिन्दू रीती
रिवाज़ों से ही होनी थी। शादी धूमधाम से करने की पूरी प्लानिंग की गयी। सबसे पहले
सगाई की रसम की गयी, नेहा ने राहुल को डायमंड रिंग पहनाई फिर राहुल
ने नेहा को डायमंड रिंग पहनाई।
आस पड़ोस के काफी लोग उस सगाई में हुए थे,
बहुतों
के मन में एक ही सवाल था, कि क्या वो श्राप सच होगा या ये सिर्फ
एक मनगढंत कहानी भर है। सगाई के शामिल ज्यादातर लोग आस पड़ोस के ही रहने वाले थे,
कुछ
पारिवारिक लोग थे और मंत्री अफसर ग्रेड के लोग थे। मेंहदी वाले दिन घरेलू और आस
पड़ोस की महिलाओं और लड़कियों का जमघट लगा हुआ था। एक तरफ नेहा को फुल हैंड और
लेग्स में मेहँदी लगायी गयी थी, वहीँ राहुल के हाथों में भी मेहँदी
लगायी गयी थी। संगीत वाले दिन घर की और आस पड़ोस की लड़कियों और महिलाओं ने खूब
डांस किया, साथ ही नेहा को भी खूब नचाया। तिलक वाला दिन
बहुत ही ख़ास था, पंडित ने एक एक करके पहले नेहा की पूजा करवाई,
फिर
राहुल की। चूँकि राहुल का कोई परिवार नहीं था इसलिए वो रसम पंडित ने खुद निभाया।
शादी से एक दिन पहले हल्दी की रस्म निभाई गयी।
शादी वाले दिन, डार्क लाल रंग
की साड़ी, चमकदार लाल रंग की बैकलेस चोली, पेटीकोट और चोली
के बीच इतना फासला था कि नाभि भी साफ साफ़ दिखाई दे रही थी। हैवी ऑर्नामेंट्स,
कानों
में झुमके और स्पेशली गढ़वाल से नथिया मंगाई गयी थी जिसे पहनने के बाद नेहा की
खूबसूरती में ४ चाँद लग गए थे। पैरों में चंडी की हैवी पायल,
गले
में नौलखा हार, ऊपर से गोल्ड नेकलैस, कमरबंद,बाजूबंद,
मांगटीका,
चूड़ियां
और सोने के कंगन पहनी नेहा बहुत ही खूबसूरत दिख रही थी, बूब्स भी काफी
बड़े बड़े थे और डीप कट चोली में नेहा के बूब्स साफ़ झलक रही थी। इधर राहुल भी सूट
बूट पहनकर तैयार था, कलाई में रोलेक्स और माथे पर सेहरा बांधकर अपनी
शादी के लिए तैयार हो चूका था।
नेहा का शरीर कांप रहा था और स्टेज पर राहुल
बड़े ही जोश में अपनी दुल्हन के आने का इंतेज़ार कर रहा था। धीमे धीमे कदमों के
साथ दुल्हन यानी कि नेहा स्टेज की ओर बढ़ रही थी, उसका नथ बार बार
उसके होंठो से टकरा रहा था, चोली में बूब्स ऊपर नीचे हो रहा था और
आंखों से रुक रुक कर आंसू के बून्द गिर रहे थे, शायद ख़ुशी के
ही आंसू थे। अभी तक नेहा ने घूँघट किया हुआ था, पड़ोस की लड़की
जो नेहा को स्टेज तक लेकर आयी थी उसने नेहा का घूँघट को ऊंचा किया ताकि नेहा राहुल
को ठीक से देख सके और जयमाला का रस्म ठीक से हो सके। पहले उस लड़की ने नेहा को
आरती की थाली देकर राहुल की आरती उतारने को कहा। नेहा ने राहुल की आरती उतारी। फिर
नेहा और राहुल के हाथों में फूलों का हार दिया गया। पहले नेहा से वरमाला पहनाने को
कहा गया, हाइट लगभग बराबर होने की वजह से आसानी से वरमाला पहना दी और फिर
राहुल ने नेहा को वरमाला पहनाया। तालियों की गड़गड़ाहट से स्टेज गूंज उठा। फिर
रिश्तेदारों ने नेहा और राहुल के साथ फोटोज़ क्लिक करवाई और उनदोनो को अपना
आशीर्वाद दिया। उसके बाद पहले राहुल को मंडप पर ले जाया गया और नेहा को उसके कमरे
में।
ब्यूटिशियन ने फिर नेहा का मेकअप ठीक किया और
उससे कहा कि ज्यादा ना रोये, नही तो मेकअप खराब हो जाएगा। फिर नेहा
को होंठ तक घूँघट बनाकर मंडप पर ले जाया गया। राहुल वहां पहले से ही बैठा था,
नेहा
को ठीक राहुल के बगल में बिठाया गया। पंडित ने मंत्रोचारण शुरू किया, फिर
पहले नेहा की माँ का दिया हुआ सोने का कंगन और बड़ा नथिया को पूजा गया। फिर नेहा
की माँ ने उसके हाथों में वो कंगन पहनाया और पहले वाला नथिया उतारकर नया वाला
नथिया पहनाया। नथिया पहले जितना ही था, लेकिन पहले वाले नथिया से ज्यादा
डिज़ाइनर और भारी था और साथ ही जो जुड़ा हुआ चेन था, वो भी पहले की
अपेक्षा ज्यादा भारी था। नथिया पहनते वक़्त नेहा को बहुत दर्द हुआ और आंखों के आंसुओ
को रोक नही सका। राहुल शादी की सभी रस्मों को एन्जॉय कर रहा था। फिर नेहा की माँ
ने उसके आंसुओं को पोछा और उसे शांत किया। फिर राहुल ने नेहा के साथ सात फेरे लिए।
उसके बाद राहुल ने नेहा की मांग में सिंदूर भरा और उसके गले मे मंगलसूत्र पहना
दिया। फिर कुछ मंत्रोचारण के बाद पंडित जी ने कहा कि अब शादी सम्पन्न हो चुकी है।
राहुल और नेहा अब आप दोनों पति पत्नी हैं, अपने बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद
लीजिये। फिर राहुल और नेहा ने सबसे पहले पंडित जी का आशीर्वाद लिया, फिर
अपने अपनी माँ और उसके घर के बड़ों का। रात हो चुकी थी और बाराती के साथ साथ
मेहमानों के खाने पीने का अच्छा इंतेज़ाम था।
सुहागरात की तैयारियां भी पूरी की जा चुकी थी।
नेहा को तैयार करके कमरे में फलों से सजे बिस्तर पर घूँघट करके बिठा दिया गया और
राहुल भी अपनी दुल्हन को देखने को तरस कर रह गया था। जब राहुल कमरे में जाने लगा,
तब
नेहा की सहेली श्रुति ने उसे दरवाजे पर रोक कर
खड़ी हो गयी और अंदर नही जाने दे रही थी। फिर राहुल ने श्रुति को अपना क्रेडिट
कार्ड और पासवर्ड दिया और कहा कि दरवाजा छोड़ दे, लेकिन श्रुति ने
10000 ऊपर से लिए, तब जाकर राहुल को अंदर जाने दिया। कमरे
में अंदर जाते ही श्रुति ने बाहर से दरवाजे को बंद कर दिया और बोली कि मेरी सहेली
को ज्यादा परेशान नहीं करना और गुड लक विश करके वहां से चली गयी। राहुल ने भी अंदर
से दरवाजा लॉक कर लिया और बिस्तर की ओर बढ़ने लगा। राहुल ने देखा नेहा लेटी हुई थी,
आंखें
बंद थी, राहुल को लगा कि वो सो गयी, नेहा के ब्लाउज से उसके बड़े बड़े
बूब्स हर सांस के साथ ऊपर नीचे हो रहे थे, ग्लॉसी रसीले होंठों पर नथिया नेहा की
सुंदरता को और भी निखार रहे थे। राहुल की कदमो की आहट से नेहा की आंख खुल गयी,
वो
उठी और अपने घूँघट को ठीक किया और बिस्तर से उठकर राहुल के पैर छुए, राहुल
समझ गया कि श्रुति ने नेहा को सबकुछ समझा दिया था। राहुल ने नेहा को ऊपर उठाया और
गले से लगा लिया। फिर नेहा ने टेबल पर रखी दूध के ग्लास को उठाया और राहुल को पीने
को दिया। राहुल ने कहा कि वो अपने हाथों से दूध पिला दे। फिर नेहा ने अपने कोमल
हाथों स राहुल को दूध पिलाया, हाफ ग्लास राहुल ने पिया और हाफ ग्लास
नेहा को अपने हाथों से पिलाया।
राहुल ने नेहा का घूँघट उठाना चाहा तो नेहा ने
अपना हथेली दिखते हुए कहा, "मेरा गिफ्ट कहाँ है जी?"
राहुल ने एक गिफ्ट बॉक्स नेहा की हथेली पर रख
दिया और फिर नेहा का घूंघट उठाने की कोशिश करने लगा लेकिन नेहा ने उसे रोकते हुए
कहा, "इतनी जल्दी में हो आप तो!"
राहुल, "अरे मैं अपनी
दुल्हन को देखना चाहता हूँ। तुम इतनी खूबसूरत दिख रही हो नेहा ये मैं शब्दों में
बयां नहीं कर सकता।"
तबतक नेहा ने अपना गिफ्ट बॉक्स खोल कर देखा
जिसमे सोने के काफी डिज़ाइनर गहने थे। गिफ्ट देखकर नेहा बहुत खुश हो गयी और राहुल
ने नेहा का घूँघट उठाया और उसके होंठ पर एक किस कर लिया। तभी नेहा ने राहुल को एक
बार फिर से रोका।
राहुल, "क्या बात है
नेहा? क्या तुम किसी बात से परेशां हो?"
नेहा, "राहुल इससे पहले
कि हम दोनों एक हो जाएं, मैं तुम्हे कुछ बताना चाहती हूँ।"
"क्या मैं खूबसूरत हूं राहुल?", नेहा
ने पूछा।
"हाँ मेरी जान, तुम बहुत
खूबसूरत हो!", राहुल ने कहा।
राहुल, वो क्या है ना, मेरे साथ
सुहागरात मनाने के बाद तुम हमेशा के लिए औरत बन जाओगे। तो एक काम करते हैं,
हम
सुहागरात ही नहीं मनाते हैं।", हिम्मत करके नेहा ने कहा।
नेहा, आज हमारी पहली सुहागरात है, प्लीज्
सब स्पोइल मत करो। और ये कहीं होता है क्या कि अपनी पत्नी के साथ सुहागरात मनाने
के बाद पति औरत बन जाये। देखो नेहा, आई एम् इन अ गुड मूड, लेट्स
सेलिब्रेट आवर फर्स्ट सुहागरात!', राहुल ने कहा और नेहा के कुछ कहने से
पहले ही उसके साथ रोमांस करने लगा।
राहुल किसी भी तरह के डिस्कशन के बिल्कुल भी
मूड में नहीं था। नेहा सच बताना चाहती थी लेकिन तब तक राहुल ने नेहा को अपनी आगोश
में ले लिया था। राहुल के होंठ नेहा के होंठ को अपने अंदर लेकर उसका रसपान कर रहे
थे, बदन से एक एक करके कपडे अलग हुए जा रहे थे, राहुल की साँसों
की गर्माहट नेहा के चेहरे को तपन दिए जा रही थी और नेहा की साँसों में राहुल की
सांसें शरबत में चीनी की तरह घुल रही थी। दोनों चंद ही पलों में पूरी तरह से न्यूड
हो कर एक दूसरे में समाने को आतुर थे। राहुल नेहा के उरोजों को अपने मुँह से बड़े
ही प्यार से चुम रहा था और नेहा का बदन राहुल के इन छुअन से खिल रहा था। थोड़ी देर
बाद राहुल के लंड को अपने होंठों से बड़े ही प्यार से चूमकर नेहा ने राहुल की
उत्तेजना को इतना बढ़ा दिया कि राहुल बिना समय गँवाय नेहा के ऊपर आ गया और अपना
लंड का पहरा नेहा की वजाइना के मुख्य द्वार पर लगा कर उसे और भी ज्यादा उत्तेजित
करने लगा। अब नेहा से बर्दाश्त नहीं हो रहा था, वो चाहती थी कि
राहुल जल्द से जल्द उसके अंदर अपना लंड घुसा दे। थोड़ी देर बाद जैसे ही राहुल ने
अपना लंड नेहा की वजाइना में घुसाया, नेहा की झिल्ली फट गयी और बहुत जोर से
चीख कर नेहा रोने लगी। डेफ़लोरशन के बाद नेहा से राहुल के स्ट्रोक्स नहीं सहे जा
रहे थे लेकिन राहुल एक माहिर खिलाडी की तरह नेहा के होंठों पर अपने होंठ रखे,
उसके
दोनों उरोजों को अपने हाथों से बड़े ही प्यार से सहलाते हुए उसे शांत करने की
कोशिश करने लगा। थोड़ी देर बाद नेहा राहुल के स्ट्रोक्स को एन्जॉय करने लगी और
अगले कुछ ही पलों में राहुल और नेहा को उनकी लाइफ का पहला ओर्गास्म एक साथ फील हुआ
और दोनों एक दूसरे में समा गए और नींद ने भी बिना बताये दोनों को अपनी आगोश में ले
लिया।
चेहरे पर सुकून की मुस्कान लिए राहुल और नेहा
एक दूसरे की बाहों में सो गए। अगली सुबह, चिड़ियों की चहचहाट और बहती हवा के नरम
एहसास से राहुल की नींद खुली। बिस्तर पर नेहा नहीं थी, पूरा कमरा खाली
था। जैसे ही राहुल ने जम्हाई ली और बिस्तर से उठा, उसे उसके चेस्ट
पर काफी हैवी फील हुआ। इस बात पर ध्यान ना देकर राहुल ने कमर पर टॉवल लपेटा और
बिस्तर से उतर कर वाशरूम की ओर बढ़ा। एक कदम बढ़ाते ही राहुल को हैवी चेस्ट के साथ
अपने लंड वाली जगह खालीपन सा लगा। राहुल ने इसपर भी ध्यान नहीं दिया और वाशरूम में
जाकर टॉयलेट करने के लिए खड़ा हो गया। लड़के अक्सर खड़े खड़े ही टॉयलेट करते हैं,
राहुल
ने भी वही किया और राहुल का टॉवल गीला करते हुए उसका यूरिन उसके जांघ और पैरों को
भिगोते हुए जमीन पर टपकने लगा। राहुल ने अपने हाथ से अपना लंड टटोलकर देखा,
वहां
कुछ भी नहीं था सिवा वजाइना के। राहुल ने अपने चेस्ट को छूकर देखा, सपाट
छाती की जगह दो बड़े बड़े उरोजों ने ली हुई थी। रहल को यक़ीन नहीं हो रहा था कि
नेहा रात को सच कह रही थी। राहुल ने खुद को आईने में देखा तो सामने बहुत ही
खूबसूरत लड़की खड़ी थी, ऑवर गलास फिगर, बड़े बड़े
उरोजों और घने लम्बे बाल, लेकिन शक्ल पहले जैसी ही थी। यानी कि
रहल सच में लड़की बन चूका था और राहुल नर्वस्नेस में बेहोश होकर वहीँ गिर पड़ा।जब
थोड़ी देर बाद राहुल की बेहोशी छूटी और वो नींद से जाएगा तो उसने देखा कि सामने राजेश
और उसकी माँ के साथ एक अनजान शख्स खड़ा था जिसकी शक्ल नेहा से मिलती जुलती थी।
ये सब कैसे हो गया मेरे साथ माँ जी! मैं तो
मर्द था कल तक, आज लड़की कैसे बन गया और नेहा कहाँ है? उसने
मुझसे कहा भी था कि सुहागरात मनाने के बाद मैं औरत बन जाऊंगा। माँ जी, मुझे
लगा था कि वो मजाक कर रही है लेकिन मैं तो सच में लड़की बन गया। अब मैं क्या
करूँगा, कहाँ जाऊंगा, अपनी लाइफ कैसे जियूँगा? नेहा
कहाँ है? वो मुझे ऐसे देखकर कितनी दुखी होगी?", बोलते बोलते
राहुल रोने लगा।
डोंट क्राई राहुल, सिर्फ तुम्हारा
ही सेक्स चेंज नहीं हुआ है। नेहा का भी सेक्स चेंज हो गया है और वो मर्द बन चुकी
है राहुल। तुम्हारे सामने नेहा अपने मर्द रूप में खड़ी है।", राजेश
ने कहा।
लेकिन ऐसा क्यों हुआ मेरे और नेहा के साथ। अभी
कल ही तो हमारी शादी हुई थी, हमारी लाइफ शुरू होने पहले ही ख़त्म हो
गयी!", राहुल और रोने लगा।
आप रो मत दामाद जी, मैंने कहा था
नेहा से कि आपको हमारे परिवार के ऊपर मिले श्राप के बारे में बता दे। लेकिन कहीं
वो आपसे दूर ना हो जाये, इसी डर से नेहा ने आपको कुछ भी नहीं
बताया। दामाद जी, हमे माफ़ कर दीजिये!", नेहा
की माँ बोली।
नहीं माँ जी, आप ऐसे हाथ मत
जोड़िये। लेकिन एक बार नेहा को मुझे इस बारे में बताना चाहिए था ना, हम
कोई न कोई उपाय कर लेते मिलकर। नेहा ये तुमने बहुत गलत किया मेरे साथ, अब
मैं क्या करूँगा, कहाँ जाऊंगा, ना मेरे
एजुकेशनल सर्टिफकेट्स किसी काम के रह गए और ना ही मेरे आईडी। मेरे साथ साथ तुमने
अपना लाइफ भी स्पोइल कर लिया नेहा।", राहुल ने उस शख्स की तरफ देखकर कहा जो
नेहा थी।
आई एम् सॉरी राहुल।", नेहा
बोली।
यार सॉरी का मैं क्या करूँ?", राहुल
ने कहा।
राहुल अब कुछ नहीं हो सकता, तुम
औरत बन गयी हो और नेहा मर्द बन चुकी है। सबसे पहले तो तुम्हारा और नेहा का नए नाम,
जेंडर
और एड्रेस के साथ तुमदोनो की आईदी एड्रेस प्रूफ बनवानी होगी। इसमें कम से कम १५
दिन तो लग ही जायेंगे। इन १५ दिनों में हम बैठकर इस बारे में अच्छे से सोच सकते
हैं।", राजेश ने कहा।
तूने बिलकुल ठीक कहा राजेश, ये
सही रहेगा!", नेहा की माँ बोली।
नेहा, राहुल, राजेश और नेहा
की माँ सभी एग्री थे। नेहा का नया नाम उसकी माँ ने रखा, जो था
सिद्धार्थ। राहुल का नया नाम नेहा ने रखा, जो था उर्वशी। राजेश और नेहा की माँ को
भी राहुल का नया नाम काफी पसंद आया। इन १५ दिनों में राहुल और नेहा की नयी आईडी
बनकर आ चुकी थी और इधर नेहा ने राहुल को हाउसहोल्ड ट्रेनिंग के साथ साड़ी बैकलेस
ब्लाउज, लेहंगा चोली, वेस्टर्न ड्रेसेस और ज्वेलरीज के बारे
में काफी कुछ बता दिया था। नेहा और राहुल अब ऑफिसियली सिद्धार्थ और उर्वशी बन चुके
थे। घर में भी अब सभी नेहा को सिद्धार्थ और राहुल को उर्वशी कहकर पुकारने लगे थे।
उर्वशी ने अपनी फेमिनिटी को एक्सेप्ट कर लिया था और एक प्रॉपर लड़की की तरह घर के
काम काज में सिद्धार्थ की माँ को हेल्प करती। कभी कभी जब राजेश या सिद्धार्थ सामने
आ जाता तो उर्वशी शरमा कर कीचन में चली जाती। घर में अब दो दो मर्द थे, जिनमे
से कोई न कोई हर रोज़ उर्वशी के सामने आ जाता। जब उर्वशी राजेश या सिद्धार्थ को
अर्धनग्न अवस्था में देख लेती तो उसकी धड़कन बढ़ जाती और उसे बहुत शरम आता। राजेश
और सिद्धार्थ की माँ से घर संभालने का गुर सिखने के साथ ही टेस्टी खाना पकने में
भी उर्वशी को महारथ हासिल हो चुकी थी। सिद्धार्थ के मर्दानगी संभाल पाना मुश्किल
होने लगा था, बात बात पर गुस्सा होना, लड़कियों को
देखकर लंड का खड़ा हो जाना। लड़कियों से दोस्ती करने का मन करना, क्लब
जाने का मन होना, राजेश के साथ बैठकर एक दो पैग लगाने का मन
करना। काफी बदलाव आने लगी थी, सिद्धार्थ के स्वाभाव में और ये उसे
बहुत अच्छा लगने लगा था।
राजेश भैया, मेरे को भी क्लब
चलना है!", सिद्धार्थ बोला।
क्यों नहीं सिद्धू, आज चलते हैं।
कैसा लग रहा है मर्द बनकर!", राजेश ने कहा।
मुझे तो बहुत अच्छा लग रहा है, मन
कर रहा है कि एक दो गर्लफ्रेंड बनाकर एक दो साल मौज करूँ। लेकिन राहुल अब उर्वशी
बन चुकी है और उसके बारे में क्या सोचा है आपने, एक दूसरे के
करीब जाओ भैया, उर्वशी को घुमाने लेकर जाओ, कभी
पार्क में लेकर, कभी सिनेमा दिखा लाओ। उर्वशी और आप एक दूसरे के
करीब होंगे तभी तो आप दोनों के बीच प्यार का बीज अंकुरित होगा।", सिद्धार्थ
बोला।
हम्म बोल तो तू ठीक रहा है सिद्धू, इस
बारे में सोचना पड़ेगा।", राजेश ने कहा।
उस रात सिद्धार्थ अपने बड़े भाई राजेश के साथ
क्लब गया जहाँ दोनों ने खूब एन्जॉय किया। सिद्धार्थ ने अपने बड़े भाई के साथ
ड्रिंक भी किया और उसने गौर किया कि मर्द बनने के साथ ही चार पैग ड्रिंक पीकर भी
नशा नहीं होने से उसका कॉन्फिडेंस बढ़ गया था। वहीँ सिद्धार्थ को संजना नाम की एक
लड़की जिसके साथ काफी देर बातें करने के बाद उसका नंबर लिया और अपने बड़े भाई के
साथ घर आ गया। उर्वशी ने राजेश और सिद्धार्थ के लिए डिनर सर्व किया और अपने कमरे
में चली गयी। राजेश और सिद्धार्थ ने खाना खाया और राजेश अपने कमरे में चला गया
वहीँ सिद्धार्थ उर्वशी के कमरे में चला गया जहाँ उर्वशी बिस्तर पर लेटी थी।
सिद्धार्थ, "क्या कर रही हो
उर्वशी?"
उर्वशी, "कुछ भी तो नहीं,
हाउ
इज़ लाइफ सिद्धू, आज तुम क्लब गए थे?"
सिद्धार्थ, "हाँ उर्वशी,
भैया
के साथ क्लब गया था। यार ये मर्द बनने के बाद मेरा मन गर्लफ्रेंड बनाने का करने
लगा है!"
उर्वशी, "मैं हूँ ना
तुम्हारी गर्लफ्रेंड, अच्छा बताओ शादी कब कर रहे हो मुझसे?"
सिद्धार्थ, "उर्वशी, राजेश
भैया की शादी नहीं हुई अभी तक मैं कैसे शादी कर लूँ तुमसे? मैं तो अपनी
पसंद की लड़की से शादी करूँगा, पहले गर्लफ्रेंड बनाऊंगा, फिर
रोमांस करूँगा और फिर उसी से शादी करूँगा!"
उर्वशी, "और मेरा क्या?"
सिद्धार्थ, "तुम भी अपने
पसंद के लड़के के साथ शादी कर लेना, मैंने थोड़े ना रोका है!"
उर्वशी, "लेकिन मुझे तुम
पसंद हो सिद्धू, हम दोनों शादी भी कर चुके हैं फिर भी तुम ऐसे
बोल रहे हो!"
सिद्धार्थ, "आई नो, लेकिन
जब हमारी शादी हुई थी तब ना तो मैं मर्द था और ना ही तुम औरत! देखो उर्वशी,
लाइफ
में आज तक मैंने तुमसे कभी भी कोई झूठ नहीं कहा, आज भी नहीं
कहूंगा। आज क्लब में एक लड़की मिली, बहुत ही खूबसूरत और समझदार। संजना नाम
है उस लड़की का, और वो मेरी गर्लफ्रेंड बनेगी। मैं मूव ऑन कर
रहा हूँ उर्वशी, तुम भी मूव ऑन करो और एक नए सिरे से अपनी लाइफ
की शुरुआत करो!"
उर्वशी ने सिद्धार्थ को समझने की कोशिश की
लेकिन तबतक सिद्धार्थ वहां से जा चूका था। सिद्धार्थ बनने के बाद नेहा बिलकुल ही
बदल चुकी थी। ना तो पहले की तरह केयरिंग ही थी और ना ही पहले की तरह एकाधिकार
जताने वाली। उसने उर्वशी से बात करना भी बहुत कम कर दिया था और उसकी मर्दानगी के
प्रभाव से वो उसके अतीत को भुला कर वर्तमान में एन्जॉय करने में विश्वाश करने लगा
था।
उर्वशी इन सब से बहुत दुखी दुखी रहने लगी थी।
हालाँकि सिद्धार्थ और राजेश की माँ के साथ उर्वशी बहुत ही ज्यादा खुश रहती लेकिन
जब भी अकेली होती, उसे सिद्धार्थ का धोखा याद आता और वो बहुत रोती
और अपनी तन्हाई में कहानियों की किताब पढ़कर दिन और रात काटने लगी थी।
सिद्धार्थ और राजेश की माँ से उर्वशी की ऐसी
हालत देखी नहीं जा रही थी। अगले दिन सुबह सुबह सिद्धार्थ बाइक लेकर कहीं बाहर निकल
गया वहीँ दूसरी ओर राजेश भी तैयार होकर कहीं निकलने वाला था।
"राजेश, एक काम कर, उर्वशी को
काठमांडू घुमा ला, दिन भर घर में अकेली रहती है।", राजेश
की माँ बोली।
"माँ लेकिन आज एक इम्पोर्टेन्ट मीटिंग है।",
राजेश
ने कहा।
"मैं नहीं जानती कुछ, इतना बड़ा
बिज़नेसमैन बना फिरता है, एक दिन छुट्टी नहीं कर सकता मेरे कहने
पर। आज तेरी छुट्टी है, तू उर्वशी को घुमाने ले जा रहा है!",
राजेश
की माँ बोली।
"ठीक है माँ, दस मिनट्स रुको,
मैं
ऑफिस की मीटिंग रिशेड्यूल करके आता हूँ।", राजेश ने कहा।
"उर्वशी बिटिया तैयार हो जा।", राजेश
की माँ ने कहा।
"क्या हुआ माँ जी!", उर्वशी बोली।
"देख उर्वशी, वैसे तो तुम इस
घर की दामाद हो, लेकिन जब से तुम स्त्री रूप में परिवर्तित हुई
हो, तब से घर में ही रहती हो, कहीं घूमने नहीं जाती। ऐसे में तेरा मन
अशांत रहेगा, तू राजेश के साथ काठमांडू घूम आ, तुझे
भी अच्छा लगेगा।", राजेश की माँ बोली।
"ठीक है माँ जी!", उर्वशी बोली।
"आजा मैं तुझे तैयार कर दूँ!", राजेश
की माँ बोली और उर्वशी को उसके कमरे में ले गयी।
रेड सिल्क साड़ी, बैकलेस ब्लाउज,
आर्टिफीसियल
ज्वेलरीज पहनकर उर्वशी तैयार हुई तो राजेश की माँ ने उसका मेकअप किया और माथे पर
एक बिंदी चिपका दी। हील्स वाली सैंडल्स की आदत नहीं थी उर्वशी को लेकिन राजेश की
माँ ने उसे हील्स पहनाया ताकि वो राजेश से कद में ज्यादा छोटी ना लगे। उर्वशी
तैयार होकर राजेश की माँ के साथ बाहर आयी जहाँ राजेश उर्वशी का इंतज़ार कर रहा था।
राजेश की माँ ने उर्वशी को आँचल से सिर ढँक लेने को कहा। उर्वशी धीमे कदमों से
राजेश के साथ चल रही थी, दोनों की जोड़ी बहुत ही खूबसूरत लग रही
थी। अभी उर्वशी कार तक पहुंची ही थी कि राजेश की माँ ने राजेश को बुलाया।
"क्या बात है माँ?", राजेश ने पूछा।
"मार्किट में उर्वशी को ब्यूटीपारलर ले जाना और
उसके नाक और कान छिदवा देना, ताकि उसे आर्टिफीसियल ज्वेलरी ना पहननी
पड़े।", राजेश की माँ बोली।
"ठीक है माँ!", राजेश ने कहा और
कार की तरफ बढ़ा।
उर्वशी अभी भी कार के बाहर खड़ी दोनों को देख
रही थी। राजेश ने कार का दरवाज़ा खोला और उर्वशी को कार में बिठाया और फिर ड्राइवर
सीट पर बैठकर कार ड्राइव करने लगा। ये पहली बार था जब उर्वशी एक मर्द के साथ अकेली
घूमने निकली थी और उसे बहुत अजीब लग रहा था। नेपाल दुनिया का एक बहुत ही खूबसूरत
देश है जिसको ‘दुनिया की छत’ के रूप में भी
जाना जाता है। नेपाल एक प्यारा हिमालयी देश है जो यहाँ आने वाले पर्यटकों को बेहद
आकर्षित करता है। नेपाल आने वाले लोग यहां की यात्रा कई कारणों से करते हैं जैसे
कुछ लोग यहां के बड़े-बड़े पर्वतों के आकर्षण में आते हैं तो कई लोग हिमालय में
चढ़ाई या ट्रेकिंग करने के लिए नेपाल आते हैं। कई लोग ऐसे भी होते हैं जो नेपाल की
संस्कृति और यहां के खास पर्यटक स्थलों को देखने के लिए आते हैं। काठमांडू नेपाल
की सांस्कृतिक राजधानी और यहां का बेहद आकर्षक शहर है। यह शहर नेपाल का एक ऐसा
स्थान है जो यहां आने वाले पर्यटकों को बेहद रोमांचित करता है। काठमांडू एक ऐसा
शहर है जिसमे 1.5 मिलियन से अधिक लोगों का घर है। यह शहर 1400
मीटर की ऊँचाई पर स्थित है, जो पूरे साल यहां आने वाले यात्रियों
को आनंदमय वातावरण देता है। काठमांडू, अपने मठों, मंदिरों और
आध्यात्मिकता के साथ एक शांति वाली जगह है। शहर अपनी प्राकृतिक सुंदरता के साथ
यात्रियों को अन्य पर्यटन स्थलों से अलग अनुभव करवाता है। राजेश उर्वशी को पोखरा
नाम की जगह ले गया जो वहां की सबसे खूबसूरत टूरिस्ट लोकेशन थी। जब राजेश और उर्वशी
कार से उतरे और वहां की वादियों में घूमने निकल गए। उबरखाबर रास्तों में हील्स
पहनकर चलना मुश्किल हो रहा था तो राजेश ने उर्वशी से कहा कि वो उसका हाथ थाम कर
चले ताकि बैलेंस बना रहे। उर्वशी लाइफ में पहली बार इतनी खूबसूरत वादियों और
पहाड़ों झीलों का इतने पास से आनंद ले रही थी और वो बहुत खुश थी। पोखरा घूमने के बाद राजेश उर्वशी को लविश ब्यूटी पारलर ले आया जहाँ पहुंचने पर राजेश
ने उर्वशी को बताया कि माँ ने कहा था कि उसके नाक और कान छिदवा दिए जाएं।
उर्वशी, "माँ जी ने ऐसा
कहा, लेकिन मुझे नाक और कान नहीं छिदवाना।"
राजेश, "देखो उर्वशी,
माँ
चाहती है कि तुम आर्टिफीसियल ज्वेलरी नहीं बल्कि सोने के बने रियल गहने पहनो। इसके
लिए नाक और कान छिदवाना क्यों जरुरी है, ये तो माँ ही जाने!"
उर्वशी, ",ठीक है राजेश
जी।"
राजेश, "फर्स्ट फ्लोर पर
ब्यूटी पारलर है, आओ मैं ले चलता हूँ।"
उर्वशी, "नहीं मैं चली
जाउंगी!"
राजेश, "आर यु
श्योर!"
उर्वशी, "हाँ हाँ!"
राजेश, "ठीक है!"
उर्वशी स्टैर्स से ब्यूटी पारलर में पहुंची
जहाँ उसने ब्यूटीशियन से नाक और कान में छेद कर देने को कहा। ब्यूटीशियन ने उर्वशी
मेकअप चेयर पर बिठाया, सामने मिरर में खुद को देखकर उर्वशी शरमा गयी।
ब्यूटीशियन, "मैडम, आप
बहुत खूबसूरत हो!"
उर्वशी, "थैंक्स
डिअर!"
ब्यूटीशियन, "आप इंडियन हो?"
उर्वशी, "हाँ!"
ब्यूटीशियन ने उर्वशी के दोनों कान पर डॉट
मार्क और पियर्सिंग गन लेकर उसके कान के मार्क पर सेट किया और एक हल्का सा झटका और
काफी शार्प दर्द उर्वशी महसूस हुआ और उसकी आँखों में आंसू आ गए।
ब्यूटीशियन, "इट्स नेचुरल
मैडम, कुछ देर में आपका दर्द गायब हो जायेगा।"
फिर ब्यूटीशियन ने उर्वशी की दूसरी कान की
मार्क पर पियर्सिंग गन सेट किया और उर्वशी का दूसरा कान भी छिद गया। इसबार पहले से
कम दर्द हुआ और अब उर्वशी के दोनों कान में एक एक पिन थी।
ब्यूटीशियन, "तो किस साइड
आपकी नाक में पियर्स करूँ मैडम!"
उर्वशी, "किस साइड ठीक
रहेगा?"
ब्यूटीशियन, "वैसे तो लेफ्ट
साइड ही ठीक रहता है लेकिन आप चाहो तो राइट नोज भी पियर्स करवा सकती हो!"
उर्वशी, "ठीक है, राइट
साइड ही कर दो। ज्यादा दर्द तो नहीं होगा ना?"
ब्यूटीशियन, "अरे नहीं मैडम,
थोड़ा
सा दर्द होगा पांच मिनट्स में दर्द गायब हो जायेगा।"
उर्वशी के कहने पर ब्यूटीशियन ने उर्वशी राइट
साइड नाक पर मार्क किया और पियर्सिंग गन से उर्वशी की नाक को छेदता हुआ एक नोज पिन
उर्वशी की नाक की शोभा बढ़ाने लगी। असहनीय दर्द को बर्दाश्त करने की कोशिश में
उर्वशी की आँखों में आंसू आ गए। नाक और कान छेदने के बाद उस ब्यूटीशियन ने उर्वशी
का मेकअप ठीक किया और उर्वशी ने पेमेंट किया और स्टैर्स से नीचे आने लगी। उर्वशी
ने अपनी साड़ी की आँचल से अपना आधा चेहरा ढँक लिया था और धीरे धीरे चलते हुए कार
के पास आयी ही थी कि वो लड़खड़ा कर गिर पड़ी। राजेश तुरंत कार से बाहर आया और
उर्वशी को उठाया।
"आर यु ओके उर्वशी?", राजेश
ने घबराते हुए पूछा।
"आह्ह, मेरा पैर मुड़ गया है, मुझसे
चला नहीं जा रहा है!", उर्वशी दर्द से रोने लगी।
"आओ, मैं तुम्हे हेल्प करता हूँ!",
राजेश
ने कहा और उर्वशी को अपनी बाहों में उठा लिया।
एक मर्द की बाहों में उर्वशी पहली बार थी और
राजेश ने जब उसे अपनी बाहों में उठाया ठीक उसी समय उसका पानी निकल गया और उर्वशी
को बहुत ही ज्यादा ह्युमिलिएशन महसूस होने लगा। लेकिन भला हो राजेश की माँ ने उसे
सेनेटरी पैड पहनने की सलाह दी थी और उसने उनकी बात मान ली थी। राजेश को कुछ भी पता
नहीं चला लेकिन उर्वशी को बड़ी शर्मिंदगी हुई। राजेश उर्वशी को अपनी कार में
बिठाकर डॉक्टर के पास ले गया। डॉक्टर ने उर्वशी को खाने को मेडिसिन दी और उसे दो
दिनों तक गर्म पट्टी बांध कर रखने को कहा। डॉक्टर के पास से डिस्चार्ज होने के बाद
उर्वशी को अपने साथ लेकर राजेश सीधे घर आ गया। राजेश ने गाडी पार्क किया और उर्वशी
को अपनी बाहों में लेकर घर के अंदर आने लगा। वहीँ सिद्धार्थ खड़ा था।
"क्या बात है राजेश भैया, उर्वशी को गोद
में उठाये कहाँ जा रहे हो?", सिध्दार्थ बोला।
"हम घूमने गए थे, उर्वशी का पैर
लड़खड़ा गया और इनके पैरों में मोच आ गयी है।", राजेश ने जवाब
दिया
मर्द बनने के बाद सिद्धार्थ काफी अर्रोगंट होता
जा रहा था, राजेश भी इस बात को समझ पा रहा था और उर्वशी
भी। उर्वशी को सिद्धार्थ से ऐसे व्यंग की कोई अपेक्षा नहीं थी, वो
सोचती थी कि सिद्धार्थ बनने के बाद वो उसका ख्याल रखेगा जैसे आज राजेश उसका ख्याल
रख रहा था। सिद्धार्थ को उर्वशी के दर्द से अब कोई लेना देना नहीं रह गया था और वो
अपनी लाइफ में मस्त था। इधर राजेश ने उर्वशी को बिस्तर पर लिटा दिया और अपनी माँ
को सबकुछ बताकर उर्वशी का केयर करने के लिए कमरे में भेज दिया। राजेश की माँ जब
कमरे में गयी तबतक मेडिसिन के असर से उर्वशी गहरी नींद में चली जा चुकी थी। राजेश
की माँ चेयर लेकर उर्वशी के बगल में बैठ गयी और किताब पढ़ने लगी। लगभग आधे घंटे
बाद उर्वशी की नींद खुली और बगल में राजेश की माँ को बैठी देखकर उठकर बैठ गयी और
साड़ी की आँचल से माथे पर घूँघट कर लिया।
"आप कब आयीं माँ जी!", उर्वशी
ने पूछा।
"जब तुझे कमरे में बिस्तर पर लिटा कर राजेश कमरे
से बाहर गया उसके थोड़ी देर बाद मैं आई तो देखा तू सो रही है। हाय, नाक
कान छिदवा कर कितनी सुन्दर दिखने लगी है। और हील्स में हमेशा ध्यान से चला कर नहीं
ऐसे ही पैर मुड़ जाया करेगा।", राजेश की माँ ने कहा।
"जी माँ जी, आगे से ध्यान
रखूंगी!", उर्वशी बोली।
"अच्छा ये बता, कहाँ कहाँ
घुमाने ले गया मेरा बेटा!", राजेश की माँ ने पूछा।
"वैसे तो राजेश जी मुझे बहुत सी जगह घूमने ले गए
लेकिन एक जगह थी जिसका नाम पोखरा था। वो मुझे सबसे अच्छा लगा, ऐसी
हसीं वादियों में घूमने का आनंद ही कुछ और है। फिर वो ब्यूटी पारलर ले गए और उसके
बाद डॉक्टर के पास और फिर घर आ गए हम दोनों!", उर्वशी बोली।
"एक बात बताओ उर्वशी, मेरा बेटा राजेश
ज्यादा अच्छा है या सिद्धार्थ?", राजेश की माँ ने पूछा।
"ओफ़्कौर्स राजेश जी बहुत अच्छे हैं। सिद्धार्थ
जब नेहा था तो कितना अच्छा था, लेकिन जब से वो मर्द बना, मेरे
साथ बिलकुल भी अच्छा व्यव्हार नहीं करता। आज मैं जिस भी हालत में हूँ माँ जी,
सिर्फ
और सिर्फ सिद्धार्थ की वजह से हूँ, लेकिन उसे इसका कोई गम नहीं है और
देखिये ना माँ जी, मुझे चोट लगी लेकिन सिद्धार्थ एक बार भी कमरे
में मुझसे मिलने नहीं आया। कितने अलग हैं दोनों, राजेश जी कितने
केयरिंग हैं, उन्होंने मेरा हाथ थाम कर मुझे पोखरा की
वादियों में घूमने में मेरी मदद की। वो जानते थे कि मुझे हील्स की आदत नहीं और इस
बात का उन्होंने बड़ा ख्याल रखा।", उर्वशी बोली।
"ठीक है उर्वशी, तू सो जा,
मैं
कुछ खाने को लेकर आती हूँ।", और मुस्कुराती हुई राजेश की माँ वहां
से चली गयी।
राजेश की माँ समझ चुकी थी कि अगर राजेश उर्वशी
के करीब आ रहा है और उर्वशी की दिल में अपनी जगह भी बना रहा है। थोड़ी देर में
हल्दी दूध और नाश्ता लेकर राजेश की माँ कमरे में आयी जहाँ उर्वशी बैठी बैठी कुछ
सोच रही थी।
"क्या सोच रही हो उर्वशी?", राजेश
की माँ ने पूछा।
"नहीं नहीं कुछ भी नहीं माँ जी! और ये क्या आप
इतना तकलीफ क्यों कर रही हैं?", उर्वशी बोली।
राजेश की माँ ने उर्वशी को हल्दी दूध पीने को
कहा और नाश्ता टेबल पर रख दिया।
"देखो उर्वशी, जब तक मैं
जिन्दा हूँ, मुझे अपनी माँ ही समझना। आज तेरा तकलीफ देखकर
मुझे बहुत दुःख हो रहा है। ना मैं तुझे घूमने काठमांडू भेजती और ना ये सब
होता!", राजेश की माँ ने कहा।
"नहीं माँ जी, इसमें आपका कोई
दोष नहीं है। गलती मेरी ही थी, हील्स पहनने के बाद ध्यान देकर चलती तो
ऐसा कुछ भी नहीं होता।", उर्वशी ने कहा।
"तो आगे का क्या सोचा है तूने। सिद्धार्थ तो
अपनी लाइफ में आगे बढ़ गया, मैं तो कहूँगी कि तू भी आगे बढ़। नयी
शुरुआत कर नए उमंग के साथ!", राजेश की माँ बोली।
"माँ जी, मैं दिल्ली में
जॉब करती थी पहले लेकिन अब मुझे को जॉब नहीं देगा। मैंने एमबीए किया हुआ है लेकिन
मैं यहाँ नेपाल में रहकर कैसे जॉब करूँ!", उर्वशी बोली।
"बस इतनी सी बात, तू राजेश को
असिस्ट कर ना। देख तूने एमबीए किया हुआ है तो तू एक अच्छी मैनेजर बनकर राजेश के
बिज़नेस में उसकी हेल्प कर सकती है। तू चिंता मत कर, मैं राजेश से
बात करुँगी।", राजेश की माँ बोली।
"आप कितनी अच्छी हो!", उर्वशी
ने कहा।
उस समय राजेश की माँ उर्वशी के कमरे से बाहर आ
गयी और सीधे राजेश से जाकर मिली। राजेश को उसकी माँ ने समझाया कि अगर उर्वशी उसके
बिज़नेस को ज्वाइन कर लेती है तो उसे हेल्प भी मिल जाएगी और उर्वशी के करीब आने का
मौका भी मिलेगा। राजेश मान गया और वो उसी समय जाकर उर्वशी से मिला। राजेश को देखते
ही उर्वशी ने अपने आँचल को ठीक किया और उसकी तरफ देखने लगी।
"उर्वशी, माँ ने बताया कि
तुम कुछ करना चाहती हो। तुम एक काम करो, मेरे बिज़नेस का अकाउंट डिपार्टमेंट
तुम संभाल लो। आई होप तू ये कर सकती हो, मैं कल लैपटॉप और इंटरनेट की व्यवस्था
कर देता हूँ। गुड लक उर्वशी फॉर अ न्यू लाइफ अहेड!", राजेश ने कहा और
मुस्कुराता हुआ वहां से चला गया।
उर्वशी बहुत खुश थी, नौकरी मिलने के
साथ साथ वो इंडिपेंडेंट होने जा रही थी। अब दिन भर घर में बैठकर बोर नहीं होना
पड़ेगा और कुछ नया सीखने को भी मिलेगा। नयी उमंग और एनर्जी के साथ नेक्स्ट डे ही
राजेश उर्वशी को अपने ऑफिस ले गया और अपनी केबिन में अपने सीट के बगल वाली सीट उसे
दे दी। वहां के स्टफ्फ्स के साथ उर्वशी का परिचय कराया और उर्वशी को काम समझाने की
जिम्मेदारी वहीँ के एक स्टाफ जय अहलूवालिया को सौप कर फील्ड के काम देखने के लिए
निकल गया। शाम को जब राजेश ऑफिस आया तो उसने देखा कि उर्वशी जय से अकाउंट
डिपार्टमेंट के काम करने का तरीका और सीआरएम में फीडिंग का पूरा तरीका समझ रही थी।
उर्वशी का डेडिकेशन देखकर राजेश समझ गया कि अब ऑफिस के काम की पूरी जिम्मेदारी
धीरे धीरे उर्वशी को सौंप कर वो फील्ड वर्क पर ज्यादा अच्छे से ध्यान दे सकता है।
एक महीने के अंदर उर्वशी ने ऑफिस का लगभग पूरा काम खुद से संभाल लिया था और उसे हर
एक बात की जानकारी रहती। सुबह राजेश के साथ ऑफिस आना और शाम को राजेश के साथ घर
जाने का सिलसिला शुरू हुआ। अकसर राजेश शाम को उर्वशी को कभी आइस क्रीम खिलाने ले
जाता तो कभी गोलगप्पे खिलाने। उर्वशी को पता नहीं चला कि कब वो राजेश के करीब आ
गयी। एक दिन ऑफिस से वापिस आते हुए रस्ते में ही राजेश को बहुत तेज़ बुखार हो गया।
राजेश ने कहा कि उससे कार चलाया नहीं जायेगा लेकिन उर्वशी को कार चलाने नहीं आता
था। उर्वशी ने राजेश से कहा कि सिद्धार्थ को कॉल करके बुला लेती हूँ लेकिन
सिद्धार्थ का फ़ोन स्विच ऑफ आ रहा था। उर्वशी बहुत ही बुरी तरह से घबरा गयी और
उसने राजेश को किसी घर या होटल के सामने गाड़ी लगाने को कहा। कुछ ही दुरी पर एक
छोटा सा होटल था जहाँ राजेश ने कार पार्क की और होटल में एक कमरा लेकर उर्वशी के
साथ राजेश कमरे में आ गया। कमरे में आते ही उर्वशी ने राजेश को बिस्तर पर लेट जाने
को कहा और उसे कहा कि वो मेडिसिन लेने जा रही है। उर्वशी ने रिसेप्शन पर कार की
चाबी दी और उसे पार्क करने को कहकर खुद मेडिसिन की दूकान ढूंढने निकल पड़ी। थोड़ी
दुरी पर एक मेडिसिन की दूकान दिखी, फीवर की मेडिसिन्स लेकर उर्वशी होटल के
निकल पड़ी, लेकिन उसके पीछे कुछ गुंडे मवाली पड़ चुके थे।
उर्वशी को बहुत डर लगने लगा था, एक तो वो अकेली थी और उसके पीछे तीन
गुंडे पड़े थे। हील्स में ज्यादा तेज़ चला नहीं जा रहा था उर्वशी से लेकिन तभी
वहां राजेश आ गया। राजेश को देखते ही तीनो गुंडे उलटे पाओ भाग खड़े हुए।
"आप बिस्तर से क्यों उठे? आपको इतना फीवर
है और आप यहाँ टहल रहे हो!", उर्वशी बोली।
"उर्वशी, ये इलाका अच्छा
नहीं है। होटल स्टाफ ने मुझे बताया कि तुम ऐसे एरिया में मेरे लिए मेडिसिन लेने
आयी हो, जान जोखिम में डालने की क्या जरुरत थी उर्वशी। मैं ठीक हूँ!",
राजेश
ने कहा।
"शट अप, अब चुप चाप होटल चलिए और रेस्ट कीजिये।
मैंने माँ जी को बता दिया है कि हम कल सुबह लौटेंगे।", उर्वशी बोली।
उर्वशी का यों केयरिंग होना राजेश को बहुत
अच्छा लगा। दोनों होटल आये, राजेश को डिनर करवा कर उर्वशी ने उसे
मीडीसिन खाने को दिया और राजेश के सो जाने के बाद उर्वशी वहीँ राजेश के माथे के
पास चेयर पर बैठी बैठी सो गयी। आधी रात को उर्वशी की आँख खुली, उसने
राजेश का फीवर चेक किया।
"ओह्ह गॉड, इन्हे तो बहुत
ही ज्यादा फीवर है। अब मैं क्या करूँ, इतनी रात को किसे कॉल करूँ, किसे
हेल्प के लिए बुलाऊँ। मेरे तो कुछ समझ ही नहीं आ रहा है, क्या करूँ मैं?",
उर्वशी
सोचने लगी तभी उसे ध्यान आया कि "अगर गीली पट्टी राजेश के सर पर थोड़ी थोड़ी
देर पर रखूं तो क्या पता इनका फीवर कम हो जाये।" उर्वशी को कोई कपडा नहीं
मिला तो उसने अपनी कॉटन साड़ी की पल्लू को गीला कर के थोड़ी थोड़ी देर के लिए गीली
पट्टी करने लगी। जब उर्वशी खड़ी खड़ी थक गयी तो वो राजेश के सिराहने बैठ कर उसे गीली
पट्टी की सिकाई करने लगी। थोड़ी देर बाद जब उर्वशी राजेश के माथे पर अपनी साड़ी की
गीली पट्टी रखी हुई थी, तभी राजेश ने करवट बदला और उसने अपने हाथ को
उर्वशी की कमर में डाल दिया। एक पल के लिए उर्वशी घबरा गयी, बॉडी में एक
अनजानी सी करंट सी दौर गयी और घबराहट के मारे उर्वशी का पूरा बॉडी कंपकंपाने लगा।
लेकिन उर्वशी को राजेश के फीवर की भी परवाह थी, उसने राजेश का
हाथ अपनी पतली सी कमर से हटाया तो उसे महसूस हुआ कि राजेश का हाथ कितना मजबूत और
सख्त है। बैठे बैठे उर्वशी राजेश के बगल में ही उसके सर पर अपनी साड़ी की गीली
पट्टी रखकर कब सो गयी, उसे पता भी नहीं चला। डोरबेल की आवाज सुनकर जब
उर्वशी की नींद खुली तो उसने देखा, राजेश अभी भी उसकी कमर में अपना हाथ
डाले गहरी नींद में सो रहा था। उर्वशी ने राजेश का हाथ अपनी कमर से हटाया और अपनी
साड़ी ठीक करके दरवाज़ा खोला। सामने होटल स्टाफ चाय लेकर आया हुआ था, वो
अंदर आया और दो कप चाय की ट्रे वहीँ टेबल पर रखा और खाने के बारे में पूछकर वहां से
चला गया।
उर्वशी ने राजेश को जगाया, उसका
फीवर चेक की तो फीवर रात से कम थी। राजेश को चाय सर्व करके उर्वशी ने एक बार फिर
से सिद्धार्थ को कॉल किया और इस बार उसका फ़ोन ऑन था। जैसे ही सिद्धार्थ ने कॉल
पिक किया, उर्वशी उसे फोन पर ही सुनाने लगी।
"ये क्या तरीका है सिद्धार्थ, मैं
कल रात से तुम्हे कॉल कर रही हूँ। कॉल बैक तो करना चाहिए ना!", उर्वशी
ने जोर से कहा।
"सॉरी बाबा, क्या हुआ इतनी
परेशां क्यों हो तुम?", सिद्धार्थ बोला।
"परेशां, राजेश जी को
इतना तेज़ फीवर आया रात को, उनसे कार भी चलाई नहीं जा रही थी। रात
से मैं इतनी परेशां हूँ, राजेश जी का फीवर रात से कुछ कम है
लेकिन यहाँ आओ और हमें घर लेकर चलो। राजेश जी को डॉक्टर से दिखाना भी था और तुम
लड़कियों के साथ ऐश कर रहे हो। तुम्हे कोई फिक्र भी है राजेश जी की, वो
तुम्हारे बड़े भाई हैं। अब जल्दी आओ, मैं होटल का एड्रेस भेज रही हूँ!",
उर्वशी
ने झिडकते हुए कहा और फ़ोन कट कर दिया।
"मैं ठीक हूँ उर्वशी, तुम इतनी परेशां
मत हो!", राजेश ने कहा।
"आपके कहने से, रात को आपको
इतना तेज़ फीवर था, मैं इतनी घबरा गयी थी आपको अंदाज़ा भी है?",
उर्वशी
बोली।
"अच्छा बाबा ठीक है, सिद्धार्थ से
बात हो गयी ना। थोड़ी देर में वो आ जायेगा और हमें यहाँ से ले जायेगा। तुम नहीं
होती तो मेरा क्या होता उर्वशी, अब परेशां मत हो और चाय की चुस्की लो!
यहाँ की चाय वाकई बहुत ही टेस्टी है!", राजेश ने
मुस्कुराते हुए कहा।
राजेश के लिए उर्वशी का यूँ फिक्रमंद होना उसे
अंदर ही अंदर बहुत ख़ुशी दे रही थी। थोड़ी देर में
सिद्धार्थ होटल में आया तो उर्वशी उसके ऊपर एक बार फिर से भड़की, राजेश
के समझाने और सिद्धार्थ के माफ़ी मांगने पर वो शांत हुई। तीनो घर आ गए, राजेश
अपने कमरे में चला गया और उसके साथ उसकी माँ और उर्वशी भी। इधर सिद्धार्थ डॉक्टर
को बुलाकर ले आया तो डॉक्टर ने फीवर की मेडिसिन दी और गीले कपडे की पट्टी हर आधे
घंटे पर दिन भर तीन बार करने की सलाह भी दी। उर्वशी राजेश के सिरहाने बैठ गयी और
राजेश की देखभाल करने लगी। इधर सिद्धार्थ और उसकी माँ बहुत खुश थे, उर्वशी
का यूँ राजेश के प्रति फिक्रमंद होना उन्हें बहुत सुकून दे गया। ऑफिस के कॉल अटेंड
करने के लिए जब उर्वशी उठी तो राजेश की माँ राजेश के सिराहने आकर बैठ गयी। उर्वशी
ऑफिस के एम्प्लाइज से ऑफिस के काम का अपडेट ले रही थी, इधर राजेश और
उसकी माँ आपस में बातें कर रहे थे।
"राजेश बेटे, अब समय बर्बाद
मत कर। उर्वशी से शादी के लिए बात कर और उसे शादी के लिए मना! ऐसा ना हो कि उसे
किसी और से प्यार हो जाये और हमारी इतनी मेहनत भी बेकार हो जाये।", राजेश
की माँ बोली।
"ठीक है माँ, पहले ठीक हो
जाऊं। फिर इस बारे में उर्वशी से बात करूँगा।", राजेश ने कहा।
"हाँ मेरे बच्चे, जल्दी से ठीक हो
जा!", राजेश की माँ बोलते बोलते रो पड़ी।
"रोइये मत माँ जी, राजेश जी को कुछ
नहीं होगा, मैं हूँ ना इनके साथ, इन्हे कुछ भी
नहीं होने दूंगी!", उर्वशी बोली।
"हम्म! आज एक बेटी को खोकर मुझे दूसरी बेटी मिल
गई है। आज से तू मुझे माँ जी, बल्कि सिर्फ माँ कहकर पुकारना।",
राजेश
की माँ आंसू पोंछते हुए बोली।
"ठीक है माँ, अब आप जाओ आराम
करो, मैं राजेश जी का ख्याल रखती हूँ! अच्छा माँ, चूल्हे पर राजेश
जी के लिए सूप चढ़ाया है, पंद्रह मिनट्स बाद ले आइयेगा प्लीज् या
मुझे आवाज़ लगा दीजियेगा प्लीज्!", उर्वशी ने कहा।
"मैं ले आउंगी तू यहीं बैठ राजेश के पास।",
राजेश
की माँ बोली और वहां से उठकर चली गयी।
"उर्वशी, जरा मेरा फ़ोन
ले आओ। ऑफिस में देखूं जरा, क्या चल रहा है?", राजेश
ने कहा।
"और आप, ज्यादा बॉन्ड बनने की जरुरत नहीं है।
ऑफिस का काम मैं देख रही हूँ, आप आराम कीजिये!", उर्वशी
बोली और अपनी कहानी की किताब खोलकर बैठकर पढ़ने लगी।
थोड़ी देर में राजेश की माँ सूप लेकर आ गयी और
राजेश को गिलास में पीने को दे दी।
"माँ कटोरे
में देते हैं चमचे के साथ। आप बैठो मैं कटोरा चम्मच लेकर आती हूँ।", उर्वशी
उठी और किचन से कटोरा और चममच ले आयी।
"माँ सूप को जितनी देर तक चुस्कियों से पीने पर
फीवर में बहुत आराम मिलता है। ऐसे गिलास में सूप पीने से राजेश जी को एसिडिटी हो
जाएगी।", उर्वशी बोली और टेबल पर सूप रख दिया।
राजेश बिस्तर से उठकर बैठ गया और सूप लेकर
चुस्की से पीने लगा। राजेश की माँ वहीँ बैठिये सब देख रही थी और अपने बड़े बेटे के
भविष्य के बारे में सोच कर खुश हो रही थी। कुछ दिनों बाद, उर्वशी ने दिन
रात राजेश की खूब सेवा की और वो पूरी तरह स्वस्थ हो गया। दोनों फिर से ऑफिस जाने
लगे लेकिन अब पहले जैसा कुछ भी नहीं था, सबकुछ बदल गया था। राजेश की आँखों में
उर्वशी के प्रति रेस्पेक्ट और प्यार दोनों ही बढ़ चूका था वहीँ दिन रात एक करके
उर्वशी ने राजेश के बिज़नेस बढ़ाने में अपनी जान लगा रखी थी। राजेश उर्वशी को ढेर
सारे गिफ्ट्स देता, कभी साड़ी ब्लाउज, कभी प्लाज़ो शरारा
सूट, कभी वेस्टर्न ड्रेसेस, कभी हैवी गोल्ड ज्वेलरीज तो कभी सिनेमा
दिखाने ले जाता लेकिन आई लव यू बोलने की हिम्मत अभी भी नहीं आय थी राजेश के अंदर।
इट वाज़ संडे ऑफ और राजेश ने उर्वशी से घूमने
चलने को कहा। उर्वशी ने प्लाज़ो शरारा सूट पहन लिया, मेकअप और लाइट
ज्वेलरी के साथ हील्स पहनकर तैयार हुई और राजेश के साथ घूमने निकल गयी। आज राजेश
ने सोच रखा था कि चाहे जो हो, आज वो उर्वशी को शादी के लिए जरूर
प्रोपोज़ करेगा और इसके लिए उसने डायमंड रिंग भी खरीद ली थी। अक्सर दोनों घूमने
चंद्रगिरि हिल्स ही जाते थे, आज भी राजेश उर्वशी को चंद्रगिरि हिल्स
घुमाने ले गया। उर्वशी को वादियों में घूमने में बड़ा मजा आता और ऐसी जगहों पर वो
अपने दिल की बात अक्सर राजेश के साथ शेयर करती। उर्वशी अपने मेल पेर्सोना को अक्सर
याद करती, भले ही तन से उर्वशी एक औरत हो लेकिन उसकी आत्मा आज भी राहुल की ही
थी। बाहर से औरत और अंदर से मर्द, एक ऐसी सिचुएशन जिसमे इंसान कभी सही
फैसला लेने में हज़ार बार सोचकर भी सही फैसला नहीं कर पाता। स्नैक्स के बाद राजेश
और उर्वशी कुछ दूर आगे आ गए जहाँ थोड़ा एकांत था और वहां बहुत अच्छी हवा बह रही
थी। वही राजेश ने उर्वशी को रुकने को कहा। उर्वशी रुक गयी, राजेश उसके
सामने आया, उसकी आँखों में देखते हुए घुटनों पर बैठ गया और
हीरे की अंगूठी उर्वशी की तरफ कर दिया।
"आई लव यू उर्वशी, विल यू मैरी मी!",
अचानक
राजेश के प्रपोजल को पाकर कुछ पल के लिए उर्वशी ठिठक गयी, फिर बोली,
"आप जानते हैं ना कि मैं भले ही बाहर से औरत बन गयीं हूँ लेकिन अंदर
से आज भी राहुल ही हूँ। फिर भी आप मुझसे शादी करना चाहते हैं, आप
बहुत अच्छे हैं राजेश जी, मैं आपको डिज़र्व नहीं करती!"
कुछ देर तक सब शांत हो गया।
"फिर भी मैं तुमसे शादी करना चाहता हूँ, तुम
जैसी भी हो, मुझे पसंद हो उर्वशी। आई
नो उर्वशी आज भी तुम्हारे अंदर राहुल है लेकिन यकीन मानो, शादी के बाद
तुम्हे राहुल को भूलने और तुम्हारे इस तराशे हुए अप्सरा जैसे शरीर के साथ खुद को
एक्सेप्ट करने में कोई झिझक नहीं होगी। अब तुम राहुल नहीं हो, उर्वशी
हो, एक स्त्री हो तुम और मैं तुमसे शादी करके तुम्हारे साथ अपनी लाइफ
जीना चाहता हूँ। तुम्हे एक बेहतर कल देना चाहता हूँ उर्वशी, आई लव यू!",
राजेश
ने कहा।
"मुझे सोचने के लिए थोड़ा टाइम चाहिए, ये
अंगूठी मैं अपने पास रख लेती हूँ। अगर मेरी हाँ हुई, तो मैं ये
अंगूठी तुम्हारे हाथों से ही पहनूंगी।", उर्वशी बोली।
"ठीक है उर्वशी, घर चलें?",
राजेश
ने पूछा।
"हाँ बिलकुल!", उर्वशी ने कहा
और दोनों घर के लिए रवाना हुए। पुरे रास्ते दोनों के बीच कोई बात नहीं हुई। उर्वशी
राजेश के प्रपोजल के बारे में सोच रही थी और राजेश उर्वशी के जवाब के बारे में। घर
से कुछ ही दूर उर्वशी ने देखा कि सिद्धार्थ किसी लड़की को अपनी बाइक पर बिठाकर मजे
से घूम रहा था। सिद्धार्थ को देखते ही उर्वशी ने सोच लिया कि उसे क्या करना है।
उर्वशी ने राजेश को कार रोकने को कहा, राजेश ने कार रोक दी।
"राजेश जी, मैं आपसे शादी
करने के लिए रेडी हूँ!" और उर्वशी ने डायमंड रिंग राजेश के हाथ में पकड़ा दी
और राजेश ने बिना देर किये उर्वशी की लेफ्ट रिंग फिंगर में वो अंगूठी पहना दिया और
उसके हाथों को चुम लिया।
ये सब बिलकुल वैसा ही था जैसे एक वक़्त में
राहुल ने नेहा को अंगूठी पहनाई थी। लेकिन राहुल से उर्वशी बनने के बाद आज राजेश के
हाथ से अंगूठी पहनना और उसका उर्वशी के हाथों को चूमना उर्वशी के मन में एक
अंतर्द्वंद पैदा कर दिया। राजेश बहुत खुश था, उसे उसके सपनो
की रानी मिल चुकी थी उर्वशी के रुप में वहीँ उर्वशी अपनी ही दुविधा में खोयी हुई
थी।
घर पहुंचकर उर्वशी राजेश को अपने कमरे में ले
गयी और उससे कहा, "इससे पहले कि आप माँ से इस बारे में बात करें,
मैं
आपसे कुछ बात करना चाहती हूँ, अकेले में!"
राजेश, "हाँ पूछो
ना!"
उर्वशी, "राजेश जी,
क्या
आप मुझसे प्यार करते हैं? या ये सिर्फ एक अट्रैक्शन है?"
राजेश, "मैं तुमसे प्यार
करता हूँ उर्वशी, आई लव यु!"
उर्वशी, "शादी के बाद मैं
घर के कामों में माँ की मदद और ऑफिस का काम दोनों करना चाहती हूँ!"
राजेश, "वैसी तो हमारे
घर की बहुएं काम पर नहीं जाती, लेकिन तुम शादी के बाद ऑफिस का काम भी
कर सकती हो!"
उर्वशी, "शादी के बाद
घुमाने लेकर जाया करेंगे या ये सब सिर्फ शादी से पहले तक ही सिमित रह जायेगा?"
राजेश, "शादी के बाद भी
हम ऐसे ही घूमने जाया करेंगे, लेकिन घर के बाहर तुम्हे घूंघट में ही
जाना पड़ेगा। वैसे मैं माँ से लाइट ज्वेलरी के लिए कहूंगा अगर मान गयी तो ठीक है वर्ना
तुम्हे घर के बाहर भी हैवी ज्वेलरीज पहनकर रहना पड़ेगा।"
उर्वशी, "आप मुझे बच्चों
के लिए तो फोर्स नहीं करेंगे ना?"
राजेश, "सॉरी उर्वशी,
शादी
के बाद बच्चे ही तो घर की रौनक बढ़ाएंगे! इसके लिए मैं कुछ नहीं कह सकता।"
उर्वशी, "हम्म! राजेश जी
शादी के बाद, आप मुझपे कभी हाथ तो नहीं उठाएंगे या कभी
गुस्सा तो नहीं करेंगे ना?"
राजेश, "नहीं स्वीटहार्ट,
ऐसा
कुछ नहीं होगा!"
उर्वशी, "और अगर माँ शादी
के लिए नहीं मानी तो?"
राजेश, "उसकी फिक्र तुम
मत करो, माँ को मैं मना लूंगा।"
उर्वशी, "अच्छा राजेश जी,
आप
तो मेरी और नेहा की लव स्टोरी के बारे में, हमारी शादी के
बारे और मेरे अतीत के बारे में सबकुछ जानते हैं। लेकिन इतने सालों में, आपकी
लाइफ में क्या कभी कोई लड़की नहीं आयी, या आपकी कोई प्रीवियस गर्लफ्रेंड रही
हो?"
राजेश, "हाँ थी ना!”
उर्वशी, "क्या नाम था
उनका, कहाँ रहती थी, आप दोनों ने शादी क्यों नहीं की?"
राजेश, "लम्बी कहानी
है!"
उर्वशी, "मेरे पास पूरा
समय है, आप सुनाइए!"
राजेश, "हम्म्म! महीना
कुछ यूं ही नवंबर-दिसंबर की रही होगी। आकाश साफ़ थी हल्की धूप निकल चुकी थी। हम
अपने दोस्तों के साथ कॉलेज परिसर में ही बैठकर धूप का लुत्फ उठा रहे थे आज हम
दोस्तों यहां वहां की बातें फेंक रहे थे तभी मेरी ध्यान कॉलेज के मेन गेट के पास
जाकर टिकी । हल्के नीले रंग की स्वेटर, पीली सलवार सूट और अपने रेशमी बालों को
मोड़कर आगे की तरफ कर के कोई आ रही थी। उसके चेहरे पर
पड़ती हल्की धूप और उसके लिलार की लाल बिंदी गजब की खिल रही थी। जब वह मेरे नजदीक
आई तो मेरी आंखें खुली की खुली रह गई। अरे! यह तो निशा है। उसकी नाम मेरे मुंह से
अचानक निकल गए। मैं निशा को कई बार प्रपोज कर चुका था, लेकिन उसका अब
तक कोई भी जवाब नहीं मिला था। वह ना तो कभी इंकार की थी और नहीं कभी हामी भरी थी।
बस वह सिर्फ मुस्कुरा कर टाल देती थी। यही कारण था कि मेरे दोस्त मुझे हमेशा कहा
करता था कि निशा भी तुम्हें प्यार करती है तभी तो वह तुम्हें इंकार नहीं करती है। आज उसे इतनी सजी
-सबरी देखकर मैंने भी ठान लिया था कि आज उससे जवाब लेकर ही रहूंगा।
अब हम लोग क्लास में जा चुके थे लेकिन जैसे ही
ब्रेक में मौका मिला उससे पूछ ही लिया "
निशा! मैं तुमसे एक बात पूछना चाहता
हूं।"
"पूछो!'' निशा ने कहीं।
मैं अपनी आवाजों को दबाते हुए बोल ही रहा था कि
उसने मेरी बातों को काटते हुए बोली "ठीक है राजेश! आज तुम कुछ नहीं कहोगे मैं
ही बोलूंगी।"
यह सुन कर तो मेरी धड़कन जोड़ो जोर से धड़कने
लगा। पूरे शरीर में बिजली सी चौंध गई। पर उसने जो कहा वो सुनकर मेरी खुशी का
ठिकाना नहीं था। आज तो मेरी जिंदगी का सबसे हसीन पल था, जिसका इंतजार
मैं बरसों से कर रहा था वह आज सुनने को मिली थी। वह मेरे प्यार को कबूल कर चुकी थी
और देखते ही देखते कुछ दिनों में हम दोनों एक दूसरे से गले में लिपट गए थे। सदियों
से बंजर जमीन पर आज पहली बार प्यार की गुलाब खिल रही थी। सभी दिशाएं मोहब्बत की इस
रंग में विभोर हो चुकी थी। अब हम लैला मजनू की तरह पूरे कॉलेज में फेमस हो चुके थे
हमारे सभी दोस्त उसे भाभी कहकर बुलाने लगे थे। इसके बाद हम
दोनों कई बार साथ में घूमे मस्ती किए, कभी इस पार्क में तो कभी उस पार्क में।
अपनी बाइक पर लेकर उसे जब काठमांडू की
सड़कों पर निकलते थे तो सारी लोगों की नज़र हम दोनों पर टिके रहता था । लेकिन एक
समय ऐसा भी आया जब हमारा कॉलेज खत्म होने को आ रहा था। हम दोनों को ही अलग होने का
डर खाय जा रहा था, दिमाग में अलग-अलग, गजब - गजब के
ख्याल आ रहे थे। कभी सोचते हम दोनों शादी कर ले, तो कभी हमें
अपने परिवार के फैसले का डर सताने लगता। जब हमारी कॉलेज खत्म हुआ तो हम दोनों अपने
अपने शहर वापस आ गए, लेकिन उसकी यादों ने यहां जीना मुश्किल कर रखा
था, लेकिन मैंने फिर से हिम्मत की और निशा को ढूँढ़ने उसके शहर गया। वहां
उसके पापा बहुत बड़े इंडस्ट्रियलिस्ट थे तो ज्यादातर लोगों को उनके घर का पता
मालुम था। जब मैं निशा के घर पहुंचा तो देखा कि कुछ लोग शादी का शामयाना हटा रहे
थे। मैंने एक से पूछा तो उसने बताया कि निशा की शादी हो चुकी और आज वो अपने ससुराल
जा चुकी। मेरा तो दिल ही टूट गया, एकांत में बैठकर मैंने भी मजनू की तरह
आंसू बहाये लेकिन अब मैं खुद को मजबूत बनाने की ठान ली। मेरे अंदर की राजपुताना
खून उबाल मरने लगी वापिस नेपाल आ गया और अपना बिज़नेस
शुरू किया। फसेबूक पर मैंने एक दो बाद निशा का मैसेज भी पढ़ा, लेकिन
मैंने जवाब देना जरुरी नहीं समझा।"
राजेश, "पांच साल बाद
मेरी लाइफ में मेरी नई उम्मीद की किरण बनकर तुम आयी और मुझे एहसास हुआ कि तुमसे
अच्छा जीवनसाथी मुझे कहीं ढूंढने से नहीं मिलेगा। तुम मेरा इतना केयर करती हो,
मुझे
लगता है कि तुम्हारे साथ जो कुछ भी हुआ वो सिर्फ इसलिए हुआ ताकि मुझे मेरे सपनो की
रानी के रूप में तुम मिल सको उर्वशी, आई लव यू।"
उर्वशी, "बट आई डोंट लव
यू राजेश जी! मेरी जैसी लड़की आप जैसे इंसान को डिज़र्व नहीं करती। क्या पता कल को
शादी हो और कुछ महीनो बाद या फिर उसी रात मैं फिर से राहुल बन गयी तो। आपकी लाइफ
फिर से ख़राब हो जाएगी राजेश जी।"
उर्वशी, "बट आई डोंट लव
यू राजेश जी! मेरी जैसी लड़की आप जैसे इंसान को डिज़र्व नहीं करती। क्या पता कल को
शादी हो और कुछ महीनो बाद या फिर उसी रात मैं फिर से राहुल बन गयी तो। आपका दिल एक
बार फिर से टूट जायेगा और आपकी लाइफ फिर से ख़राब हो जाएगी राजेश जी और इसकी
जिम्मेदार मैं होउंगी।"
राजेश, "ऐसा कुछ भी नहीं
होगा उर्वशी, इतने दिनों में तुम फिर से मर्द नहीं बनी तो आई
एम् श्योर, दिस इज़ योर डेस्टिनी उर्वशी। और मान लो कि ऐसा
कुछ ऐसा हुआ भी, कि तुम दुबारा से राहुल भी बन गयी, तब
भी मैं तुम्हे अपनी पत्नी बनाकर रखूँगा। तुम्हे हर वो सुख दूंगा जिसकी अपेक्षा हर
पत्नी को अपने पति से होती है।"
उर्वशी, "तो क्या आपको
लड़के भी पसंद हैं?"
राजेश, "नही मुझे सिर्फ
तुम पसंद हो, चाहे तुम उर्वशी के रूप में हो या राहुल के रूप
में। मुझे कोई फरक नहीं पड़ता इन सब से।"
उर्वशी, "राजेश जी,
अगर
मैं फिर से राहुल बन गयी और सिद्धार्थ फिर से नेहा, तब तो मैं अपनी
पत्नी के साथ ही रहूंगी ना।"
राजेश, "नहीं उर्वशी,
नेहा
हो या सिद्धार्थ, दोनों अब तुम्हारे अतीत का हिस्सा है और मैं
तुम्हारा वर्तमान हूँ। अगर तुम फिर से राहुल बन भी गए, तब मैं तुम्हारा
सेक्स चेंज ऑपरेशन करवा दूंगा और तुम्हे अपनी दुल्हन बना कर ही रखूँगा, लेकिन
अब ऐसा कुछ भी नहीं होगा। अब तुम हमेशा के लिए ऊर्वशी बन चुकी हो और नेहा
सिद्धार्थ बन चुकी है। सिद्धार्थ बनकर नेहा ने एक बार संजना के साथ नाईट भी स्पेंट
किया जिसके बारे में उसने मुझे बताया। लेकिन देखो आज
भी नेहा सिद्धार्थ के रूप में ही है और उसकी गर्लफ्रेंड संजना उसके साथ बहुत खुश
है।"
संजना का नाम सुनते ही उर्वशी ने राजेश से कहा,
"आई लव यू राजेश जी!"
उर्वशी ने जैसे ही राजेश को आई लव यु कहा,
वो
ख़ुशी से उछल पड़ा और उर्वशी को अपनी बाहों में उठाकर झूमने लगा।
"अरे अरे, ये क्या कर रहे
हैं आप, कोई देख लेगा!", उर्वशी शर्माते हुए बोली।
"आज मैं बहुत खुश हूँ उर्वशी, आई
लव यू! इस बारे में मैं माँ को बता कर आता हूँ।", इससे पहले कि
उर्वशी राजेश को रोकती राजेश जा चूका था।
राजेश के वहां से जाते ही उर्वशी ने अपना सिर
पकड़ लिया और बिस्तर पर बैठ कर सोचने लगी, "ये क्या कर दिया
मैंने, शादी के लिए मैं तैयार कैसे हो सकती हूँ। एक मर्द की पत्नी बनकर लाइफ
कैसे जियूँगी मैं? हे भगवन, अगर राजेश जी की
माँ शादी के लिए मान गयीं तो मेरी शादी कर दी जाएगी। अब तो मैं कुछ कर भी नहीं
सकती, राजेश जी जैसा बलिष्ट आदमी और इतनी सी मैं, क्या होगा मेरा
अब? ना जाने क्या क्या करना पड़ेगा शादी के बाद, राजेश जी तो
हाइट में भी मुझसे कितने बड़े हैं।"
इतने में कमरे में राजेश और उसकी माँ आ गयी।
राजेश की माँ, "मेरा बेटा कितना खुशनसीब है जो उसे तेरे जैसी हमसफ़र मिली। मैं भी चाहती थी कि
उर्वशी अपना घर बसा ले, सदा सुहागिन रहो बिटिया, हाथ आगे
करो!"
बिना किसी सवाल जवाब के उर्वशी ने अपनी हथेली
को आगे किया तो राजेश की माँ ने अपनी कलाई से सोने के कंगन निकालकर उर्वशी की कलाई
में पहना दी।
उर्वशी, "ये क्या माँ?"
"ये सगुन है बिटिया, तू इस घर की बहु
बनने जा रही है। एक मिनट रुक जा, मैं अभी आयी! राजेश की माँ उठी और एक
छोटा सा संदूक लेकर आयी और उसमे से खानदानी नथ जो कि मध्यम साइज के साथ साथ काफी
हैवी और डिज़ाइनर थी, उसे निकालकर उर्वशी की नाक में पहना दी और बोली,
"बिटिया, ये कंगन और ये नथिया मेरी सास ने मुझे शादी से
पहले पहनाई थी। अब जब तू इस घर की बहु बनने जा रही है, तो इसपर तेरा
सबसे ज्यादा हक़ है। मैं आज ही पंडित को बुलवाती हूँ, तेरा और राजेश
की शादी का दिन फिक्स करने को!"
उसके बाद वो वहां से चली गयीं। अब कमरे में
सर्फ राजेश और उर्वशी ही थी।
"ये नथिया पहनने के बाद तुम्हारी खूबसूरती में
चार चाँद लग गया है उर्वशी!", राजेश ने कहा तो उर्वशी शर्माने लगी और
अपनी साडी की आँचल से घूँघट कर ली।
"आज कल की लड़कियों में इतना संस्कार नहीं होता,
मुझे
तुम इसीलिए पसंद हो कि एक तो तुम इतनी संस्कारी हो, केयरिंग हो,
स्वीट
हो और क्यूट होने के साथ हॉट भी हो!", राजेश ने कहा तो
उर्वशी ने शर्माते हुए कहा, "धत्त, आप भी ना!"
फिर उर्वशी भी उठकर वहां से अपनी होने वाली सास के कमरे में चली गयी।
उर्वशी किसी सोलह बरस की लड़की की तरह शरमाते
और मुस्कुराते हुए अपनी होने वाली सास के कमरे में चली गयी और वहीँ बैठकर उनसे
बातें करने लगी। उर्वशी की होने वाली सास बहुत ही खुश थी, आखिर उनके वंश
को आगे बढ़ाने वाली आ जो चुकी थी। अपने ऊपर आने वाली जिम्मेदारियों से बेखबर
उर्वशी राजेश के बारे में सोच सोच कर शरमा रही थी और अपनी होने वाली बहु का उसके
होने वाले पति के प्रति समर्पण और प्यार देखकर राजेश की माँ भी बहुत खुश थी। इतने
में सिद्धार्थ अपनी गर्लफ्रेंड संजना के साथ वहां आ गया।
"क्या मैं सही सुन रहा हूँ? क्या
सच में उर्वशी शादी के लिए मान गयी है? उर्वशी, क्या ये सच है?
तुम
सच में भैया की दुल्हन बनने को रेडी हो?", सिद्धार्थ ने
कहा।
"हम्म, मैं राजेश जी से शादी करने के लिए
तैयार हूँ, सिद्धार्थ!", उर्वशी बोली।
"बहुत ही अच्छा डिसिजन लिया है तुमने, आज
से तुम मेरी उर्वशी भाभी, और अब से मैं तुम्हे भाभी कहके ही
पुकारूंगा, क्यों माँ!", सिद्धार्थ ने
कहा।
"हाँ रे, भाभी को भाभी
नहीं कहकर पुकारेगा तो क्या नाम से पुकारेगा?", सिद्धार्थ की
माँ ने कहा।
सिद्धार्थ के साथ संजना को देखकर उर्वशी का खून
खौलने लगता। वो तुरंत वहां से उठकर अपने कमरे में जाने लगी तो संजना भी उसके साथ
हो ली।
"भाभी, हाय, मैं संजना!” संजना ने खुद को
इंट्रोड्यूस किया।
"हाय संजना!", उर्वशी बोली।
"भाभी क्या ये सच है?", संजना
ने पूछा।
"क्या?", उर्वशी चौंक कर
बोली!
"यही भाभी कि आप पहले राहुल थीं और सिद्धार्थ
पहले नेहा था!", संजना ने पूछा।
"ये सब तुमसे किसने कहा?", उर्वशी
ने पूछा।
"सिद्धार्थ ने! जो सेक्रिफाइज आपने किया है इस
परिवार के लिए,शायद ही कोई और कर पाता।", संजना
ने कहा।
"कैसा सेक्रिफाइज?", उर्वशी ने कहा।
"भाभी अब बनो मत, ऐसे मत बोलो
जैसे तुम कुछ जानती ही नही इस परिवार के बारे में!", संजना ने कहा।
"संजना, टेल मि एवरीथिंग। मुझे सच में कुछ भी
नहीं पता इस परिवार के बारे में!", उर्वशी बोली।
संजना, "सीरियसली भाभी,
आपको
कुछ भी नहीं पता?"
उर्वशी, "अब मेरी उलझन और
मत बढ़ाओ और पूरी बात बताओ!"
संजना, "मुझे तो लगा था
कि आपको सब मालूम है, अगर मैंने आपको सबकुछ बता दिया तो अनर्थ हो
जायेगा!"
उर्वशी, "मैं किसी को कुछ
भी नहीं बताउंगी, तुम बोलना शुरू करो!"
संजना, "भाभी, इस
परिवार के ऊपर एक बूढी औरत का श्राप है!"
संजना, "उस श्राप के
अनुसार इस घर का दामाद सुहागरात की अगली सुबह औरत बन जायेगा और स घर के बड़े बेटे
से शादी होने के बाद, जब वो अपने पति के सात संतान को अपनी कोख से
जन्म देगी, उसके बाद ही इस परिवार का श्राप ख़त्म हो
सकेगा। यानि कि आप उसी श्राप की वजह से औरत बन गयी और बड़े भैया से शादी भी करने
जा रही हो। मुझे तो लगा कि आपको इसके बारे में मालुम होगा, लेकिन प्लीज्
भाभी किसी से इस बारे में मेरा नाम लेकर कुछ भी मत कहना।" ऐसा कहकर संजना
वहां से चली गयी।
ये सब सुनने के बाद उर्वशी का दिमाग सुन्न पड़
गया। उसक साथ इतना बड़ा धोखा हुआ था और वो वहीँ बैठकर रोने लगी।
संजना से राजेश के परिवार के श्राप के बारे में
सुनकर उर्वशी स्तभ्ध थी। उर्वशी की आँखों से आंसू रुकने का नाम नहीं ले रही थी। उर्वशी इतने गुस्से में थी, उसने उसकी होने वाली सास की पहनाई कंगन
और नथिया को उतार कर टेबल पर रख दिया।
"इतना बड़ा धोखा। राजेश जी और सिद्धार्थ ने मिल
कर मुझे अँधेरे में रखा। इस बारे में माँ ने भी मुझे एक बार भी कुछ भी नहीं बताया,
मेरी
जिंदगी तो बर्बाद कर दी इन लोगो ने। अब क्या करूँ मैं, मेरी तो
आइडेंटिटी भी इनलोगों ने बदल दी है। अब मैं क्या करूँ, कहाँ जाऊं।
मैंने इस घर के लिए दिल से सबकुछ किया, सिद्धार्थ के धोखे से लेकर राजेश जी के
प्यार तक, इस सफर को इतने दिल से तय किया था मैं। राजेश जी इतने अच्छे इंसान
हैं, माँ भी इतनी अच्छी हैं फिर भी मेरे साथ इतना बड़ा धोखा क्यों किया इन
लोगो ने। मैं तो दिल से राजेश जी से प्यार करने लगी हूँ और शादी के लिए भी तैयार
हूँ लेकिन ऐसे धोखेबाज़ परिवार की बहु बनने से अच्छा है कि मैं मर हो जाऊँ। भगवन,
मेरे
साथ ये सब क्यों किया तूने, बचपन से अनाथ और आज जब एक परिवार मिला,
उन्होंने
भी मुझे धोखा दिया।", सोचते सोचते उर्वशी रोती रही और रोते
रोते ही सो गयी।
थोड़ी देर बाद कमरे में राजेश आ गया, उर्वशी
को सोती देख वो उसके पास गया और उसके बांह पर अपना हाथ फिराने लगा। अपने शरीर पर
राजेश के हाथ के स्पर्श से उर्वशी की नींद खुल गयी।
"दूर हटिये आप, छूने की कोशिश
भी मत कीजियेगा!", उर्वशी ने चिल्लाते हुए कहा।
उर्वशी की लाल आँखें, बिखरे हुए बाल
और मेकअप देख कर राजेश समझ गया कि उर्वशी आज बहुत रोई है।
"क्या बात है उर्वशी, तुम्हारी आँखों
में आंसू? और तुम इतनी गुस्से में, क्या बात है मेरी रानी!", राजेश
ने बड़े ही प्यार से पूछा।
"आप लोगो ने मुझे धोखा दिया है। आपने, सिद्धार्थ
ने और माँ ने, सबने मिलकर मेरे साथ विश्वाश्घात किया है राजेश
जी। मुझे इस घर में नहीं रहना!", उर्वशी चिल्ला कर बोली।
"ऐसा क्या हो गया उर्वशी, देखो, पहले
तो शांत हो जाओ और पूरी बात बताओ।", राजेश ने कहा।
"ऐसा क्या हो गया? आपको नहीं पता
कि मेरे साथ क्या हुआ है? क्या सच में आपको इस बारे में कुछ नहीं
पता? देखिये राजेश जी, मैं आपकी बहुत इज़्ज़त करती हूँ,
लेकिन
आप लोगों ने मिलकर जो मेरे साथ धोखा किया है, वो बहुत गलत
किया है। मैंने तो आपसे शादी और उसके बाद की लाइफ की हसीं जिंदगी के बारे में ना
जाने कितने ही ख्वाब संजोये थे, वो सब आज टूट गया।", उर्वशी
बोलते बोलते रोने लगी।
"उर्वशी, शांत हो जाओ,
मेरी
कुछ समझ में नहीं आ रहा है कि तुम्हारी इस उलझन और परेशानी की वजह क्या है। ये लो
पहले पानी पियो और फिर पूरी बात बताओ।", राजेश ने उर्वशी
को समझाते हुए कहा।
"एक बात बताइये राजेश जी, आपके परिवार के
ऊपर जो श्राप है, उसका निवारण कैसे होना है? इस
श्राप के बारे में मुझे क्यों नहीं बताया गया और मुझसे इन बातों को क्यों छिपाया
गया। इसी श्राप की वजह से मैं मर्द से औरत बनी, मुझे इस बारे
में क्यों नहीं बताया गया?", उर्वशी ने रोते हुए कहा।
"उर्वशी, जब तुम मर्द थे
और जब तुम्हारी और नेहा की शादी होने वाली थी, उसी रात नेहा ने
तुम्हे इस बारे में बताया था, लेकिन तुमने नेहा की बात को मज़ाक में
लिया। याद तो होगा ना तुम्हे?", राजेश गंभीर होकर कहा।
"याद है राजेश जी, लेकिन .......!” उर्वशी बोलते बोलते रुक गयी।
"लेकिन क्या उर्वशी, नेहा ने इतनी
हिम्मत जुटा कर तुमसे सच ही कहा था। लेकिन तुमने नेहा की बातो को सीरियस नहीं लिया
और उसकी बात नहीं मानी।", राजेश ने कहा।
"हम्म! लेकिन राजेश जी, ये सब बातें
शादी की रात कौन करता है? इन सब बातों को शादी तय होने से पहले
डिस्कस किया जाना चाहिए था ना?", उर्वशी बोली।
"देखो उर्वशी, आई लव यू,
क्या
तुम मुझसे प्यार करती हो? क्या तुम मेरी दुल्हन बनकर मेरा जीवन
भर साथ देना चाहती हो? क्या तुम्हे मैं पसंद भी हूँ, या
नहीं? क्या मेरे साथ शादी करने का फैसला करने के लिए किसी ने तुम्हे फाॅर्स
किया?", राजेश ने पूछा।
"हाँ मैं आपसे बहुत प्यार करती हूँ राजेश जी और
आपके साथ शादी करने का फैसला मैंने सोच समझकर लिया है। आई एम् सॉरी राजेश जी,
बचपन
से लेकर हमेशा मेरे साथ गलत ही हुआ था। मैं डिप्रेस हो गयी थी, मैं
जीवन भर आपका साथ निभाने को तैयार हूँ। आप जैसा इंसान, बड़ी मुश्किलों
से मिलता है। अपने मेरे गुस्से को इतने प्यार से शांत कर दिया, आई
एम् श्योर आप बहुत अच्छे हस्बैंड साबित होंगे।", इतना कहकर
उर्वशी ने राजेश को हग कर लिया और राजेश ने उर्वशी को अपनी बाहों में समेट लिया।
"अब जल्दी से तैयार हो जाओ मेरी रानी, पंडित
जी आये हुए हैं। शादी का दिन ठीक होने वाला है।", राजेश ने कहा।
"आप जाइये, मैं तैयार होकर
आती हूँ।", उर्वशी तैयार होने लगी और राजेश कमरे से चला
गया।
उर्वशी ने अपनी साड़ी को ठीक किया, फिर
अपने बाल बनाकर, मेकअप करने बैठ गयी। मेकअप करते समय उर्वशी ने
देखा कि गुस्से में उसने अपनी नाक से नथिया और कलाई से कंगन निकाल कर टेबल पर रख
दिए थे। उर्वशी ने अपनी दोनों कलाइयों में होने
वाले सास की दी कंगनों को पहन लिया और फिर नथिया उठाकर अपने नाक में पहनकर तैयार
हो। , माथे पर साड़ी के आँचल से घूँघट करके उर्वशी अपनी होने वाली सास के
कमरे में जा पहुंची, जहाँ, सिद्धार्थ, संजना, राजेश
और उसकी माँ के साथ एक पंडित बैठे थे।
"आ जा बिटिया, पंडित जी,
ये
उर्वशी है। हमारे राजेश की होने वाली दुल्हन। उर्वशी, पंडित जी को
प्रणाम करो!", उर्वशी की होने वाली सास ने कहा और एक संस्कारी
लड़की की तरह उर्वशी ने पंडित जी के पैरों को छुआ।
"सदा सुहागिन रहो बेटी। राजेश की दुल्हन तो बड़ी
संस्कारी है, एक हफ्ते बाद ३ तारीख का लगन बड़ा ही शुभ
है।", पंडित ने कहा।
"ठीक है पंडित जी, ३ तारीख की शादी
तय रही। दुल्हन, पंडित जी के लिए नाश्ता ले आ!", उर्वशी
की होने वाली सास ने कहा।
"अभी लायी माँ!", उर्वशी बहुत खुश
थी, संजना भी उसके साथ किचन में आ गयी।
"भाभी लाओ मैं तुम्हारी हेल्प कर दूँ!",
संजना
ने कहा।
अब संजना को लेकर उर्वशी के मन में कुछ भी नहीं
था। बहुत ही लाइट फील कर रही थी उर्वशी और थोड़ी ही देर में नाश्ता और चाय लेकर
उर्वशी और संजना उसी कमरे में आ गयीं। काफी देर तक पंडित और अपनी होने वाली सास के
बीच चल रहे शादी के डिस्कशन को सुनने के बाद उर्वशी को कन्फर्म हो गया था कि उसकी
होने वाली सास हो, सिद्धार्थ हो, संजना हो या
राजेश जी हो, सभी उसके लिए कितना सोचते हैं। जब पंडित वहां
से चले गए तो उर्वशी की होने वाली सास ने उसे अपने पास
बिठाया और काफी देर तक परिवार के प्रति एक बहु की जिम्मेदारियों के बारे में बहुत
कुछ बताया। अपनी होने वाली सास की आंखों में ख़ुशी देखा तो उर्वशी की आँखें भर
आयीं।
घर में सभी बहुत ही ज्यादा खुश थे। अगले दिन से
शादी की तयारी शुरू हो गयी। रिश्तेदारों का घर में आना शुरू हो गया। दूर के
रिश्तेदारों में, उर्वशी की होने
वाली सास की बहन, उनकी तीन बेटियां, उनके हस्बैंड घर
आ गए। उनके अलावे राजेश के पिता के मित्र और उनकी फैमिली। आस पड़ोस की औरतों और
लड़कियों का घर में आना जाना शुरु हो गया। ऑफिस का सारा काम कुछ दिनों के लिए छोड़
उर्वशी अपनी शादी की तैयारियों में जुट गयी। राजेश की माँ, संजना और
सिद्धार्थ के साथ मार्किट जाकर उर्वशी ने अपने लिए ज्वेलरी, ड्रेसेज़,
साड़ियां,
लेहंगा
चोली, हाई हील्स, चूड़ियां, आर्टिफीसियल
कंगन, लहठी वगैरह ख़रीदे। अपनी सास के लिए सिल्क की साड़ी, संजना
के साटन साड़ी और सिद्धार्थ के लिए ब्लेजर और रिस्ट वाच भी खरीददारी की। घर में
जितने मेहमान आए थे, उन सभी के लिए तरह तरह के डिज़ाइनर कपडे भी
गिफ्ट में देने के लिए खरीदने के बाद, ब्यूटीपारलर में जाकर अपना मेकअप
करवाया, संजना और उसकी होने वाली सास ने भी अपना मेकअप करवाया। तीनो ने
मैनीक्योर, पैडीक्योर और वैक्सिंग भी करवाया। मार्किट से
वापिस लौटने के बाद शादी की तैयारियां देखते ही बन रही थी। उर्वशी तो शादी के दिन
दुल्हन बनती लेकिन पुरे घर को ही दुल्हन की तरह सजा दिया गया था। हर रोज़ पार्टी
होने लगी, आस पड़ोस की औरतें गाना बजाना करतीं और उर्वशी और संजना को भी नचाती।
शादी की तयारी देखते बन रही थी, ऐसे रॉयल तरीके से उर्वशी की शादी होगी,
ये
तो उर्वशी खुद भी नहीं जानती थी।
आज उर्वशी को बिलकुल वैसे ही फील हो रहा था
जैसे किसी राजकुमारी को अपने राजकमार का इंतज़ार करते समय लगता है। उर्वशी को यकीन
नहीं हो रहा था कि आजकल की आंटी और लड़कियाँ इतनी एडल्ट बातें भी करती हैं आपसे
में। कुछ औरतें आपस में कुछ बातें कर रहीं थी।
"अरे दुल्हन को तो देखो कितनी छोटी सी, नाज़ुक
सी है और अपना राजेश इतना हटा कट्टा। सुहागरात में राजेश के सामने मुझे नहीं लगता
कि दुल्हन टिक भी पायेगी।", एक ने कहा।
"हाँ, तुम सही कह रही हो। दुल्हन तो बिलकुल
नाज़ुक सी कली जैसी कोमल है, लेकिन खूबसूरती में दुल्हन का कोई
मुकाबला नहीं।", दूसरी बोली।
"हम्म! वैसे सुना है, दुल्हन पहले
मर्द थी और तब भी काफी हैंडसम थी।", तीसरी ने कहा।
"हाँ ये सच है। इस परिवार पर श्राप था ना,
कि
सुहागरात की अगली सुबह इस घर का दामाद औरत बन जायेगा और घर की बेटी मर्द। तो देखो,
आज
नेहा सिद्धार्थ बन गयी है और इस घर के दामाद उर्वशी, जिसकी शादी
हमारे राजेश के साथ हो रही है।", पहली बोली।
"जो भी कहो, दुल्हन तो लाखों
में एक है। राजेश संभाल लेगा दुल्हन को, लेकिन क्या दुल्हन संभाल पायेगी हमारे
राजेश को। हाहाहाहा।", दूसरी ने हँसते हुए कहा।
तीनो आपस में हंसने लगीं। वैसे इस राजपुताना
परिवार के ऊपर के श्राप के बारे में काफी लोग जानते थे, कुछ औरतें इस
शादी को एन्जॉय कर रहीं थी तो कुछ उर्वशी के बारे में बातें कर रहीं थी। खैर
शादियों दूल्हा दुल्हन की जोड़ी को लेकर तो हज़ारों बातें होती हैं लेकिन ये शादी
कुछ खास थी। एक श्रापित परिवार को श्राप मुक्त करने वाली दुल्हन के साथ इसी घर के
बड़े बेटे की शादी होनी थी। और इस बात को लेकर सभी बहुत ही ज्यादा एक्साइटेड और
खुश थे। शादी का दिन भी आ गया। दुल्हन को तैयार करने की जिम्मेदारी काठमांडू की
नामी ब्यूटीशियन को सौंपा गया वहीँ उसी ब्यूटीशियन के असिस्टेंट को दूल्हे को
तैयार करने की जिम्मादारी दी गयी। मंडप सजाने की पूरी जिम्मेदारी सिद्धार्थ और
संजना को सौंपा गया और घर के बाकी कामों में रिश्तेदारों ने हाथ बटाया।
शादी का समय भी आ गया और उर्वशी को मंडप पर ले
जाने संजना वहां आ गयी। उर्वशी ने अपनी महारानी स्टाइल लहँगा को अपने दोनों हाथों
से उठाया तो उसे मालुम चला कि ये लहँगा कितना हैवी है। हैवी ऑर्नामेंट्स की आवाज़,
पैरों
में पायलों की छनछन, पैरों की उँगलियों में बिछुआ का चुभन, हाथों
में सुहाग का चूड़ा, सोने के कंगन, सोने का हाथफूल
सब के सब इतने हैवी थे कि हर एक कदम के साथ ऑर्नामेंट्स की आवाज़ उर्वशी की कानों
में सुनाई दे रही थी। नाक में पहना हैवी डिज़ाइनर पहाड़ी नथिया बार बार होंठ से टकरा
रही थी तो बड़े बड़े झुमके भी उर्वशी के कन्धों को छू रहे थे। इन सब के अलावे हर
एक कदम के साथ उर्वशी के भरी भरी दूधिया उरोज़ भी काफी हिलडुल रहे थे। उर्वशी को
मंडप पर राजेश की दाहिनी ओर बिठा दिया गया। पंडित ने मंत्र पढना शुरु किया। फिर
राजेश ने अपने हाथों से उर्वशी का नथिया उतार कर दूसरा नथिया पहना दिया जो उससे से
हैवी और बड़ी थी। नथिया पहनते समय उर्वशी की आँखों में आंसू आ गए तो राजेश ने
उर्वशी के आंसू अपने रुमाल से पोछा। फिर राजेश के साथ सात फेरे और जब राजेश ने
उर्वशी के गले में मंगलसूत्र और मांग में सिंदूर भरा तो तालियों की गड़गड़ाहट से
हॉल गूंज उठा। चूँकि उर्वशी का कोई रिश्तेदार तो था नहीं तो कन्यादान राजेश के
मामा ने कर दिया। फिर कुछ और रस्मों के ख़त्म होने के साथ पंडीत ने कहा कि शादी
संपन्न हुई अब से आपदोनो पति पत्नी हुए। उर्वशी और राजेश ने पंडित से, फिर
अपनी माँ से आशीर्वाद लिया। उर्वशी अब सही मायनों में राजेश की दुल्हन बन चुकी थी
और सुहागरात की बात सोच सोच कर उसका दिल बहुत घबरा रहा था।
रात को सभी ने एक साथ डिनर किया, उर्वशी
ने भी डिनर किया लेकिन उसे नाक से नथिया उतारने की अनुमति नही मिली, हालांकि
सभी औरतों ने बड़ी बड़ी नथिया पहना हुआ था, लेकिन उन्हें
खाने ने कोई तकलीफ नही हो रही थी। उर्वशी को अपने एक हाथ से अपने नाक का नथिया ऊपर
उठाकर डिनर करने में खासा तकलीफ हो रही थी। इसपर उर्वशी की सास की दोस्त बोली कि
ये नथिया अब उसके लाइफ का हिस्सा है और उसे अपनी पूरी लाइफ ये नथिया पहनना भी
पड़ेगा। डिनर के बाद उर्वशी को एक बड़े से कमरे में ले जाया गया जहां बिस्तर फूलों
से सजाया गया था और वहीं उर्वशी को बिस्तर के बीचोबीच घूंघट करके बिठा दिया।
एक आंटी बोली, "जब तुम्हारा पति
आये तब उसके पैरों को छूकर आशीर्वाद लेना और जब तक तेरा पति ना कहे, उसके
चरणों मे पड़ी रहना और हां केसर वाला दूध भी पिला देना। इतनी खूबसूरत दुल्हन लाया
है राजेश और बहू एक बात याद रखना। तुम्हारी जगह तुम्हारे पति परमेश्वर के पैरों
में है, उसकी खूब सेवा करना और जल्दी से पोते पोतियों का चेहरा भी दिखा
दो।"
उर्वशी ने शर्माते हुए हांमी भरी और अपने दोनों
हाथों से अपने पैरों को सिकोड़कर बैठकर अपने पति परमेश्वर के आने का इंतेज़ार करने
लगी। जिस दिन के इंतजार में उर्वशी इतनी बेताब थी राजेश के पास जाने को। आज वही
दिन था लेकिन उर्वशी के दिलो की धड़कन कुछ ज्यादा ही तेज़ हो गयी थी और वो नर्वस
हो रही थी। हल्का सा भी एक आहट उर्वशी को अंदर से डरने पर मजबूर कर देता। ऐसा पहली
बार हो रहा था उर्वशी के साथ, शायद हर दुल्हन को ऐसा ही फील होता हो
सुहागरात में, ये सोचकर उर्वशी चुपचाप अपने पति के इंतज़ार
में घूँघट में बैठी थी। अपने पति के इंतेज़ार में कब उर्वशी को नींद ने अपनी आगोश
में ले लिया और कब ओढ़नी उसके तन से अलग हो गयी, पता भी नही चला।
रात के ११ बजे जब राजेश कमरे में आया तो देखा कि उसकी दुल्हन गहरी नींद में सो रही
है। राजेश उर्वशी के करीब गया और उसके जिस्म की खुशबू से मदहोश होने लगा। उर्वशी
के दूधिया उरोज़ उसके हर साँस के साथ ऊपर नीचे रही थी। पतली कमर पर नैवेल
ऑर्नामेंट और बड़े से महारानी स्टाइल लहंगे में उर्वशी बहुत ही ज्यादा एक्सोटिक
लुक दे रही थी। लेकिन इन सब से अनजान उर्वशी गहरी नींद में सो रही थी। जैसे ही
राजेश ने उर्वशी के चहरे का ओढ़नी का घूंघट भी हटा दिया और उसके होंठ पर एक लाइट
किस किया। उर्वशी की नींद खुल गयी और वो उठकर बैठ गयी और अपना घूंघट ठीक किया।
उर्वशी, "आप कब आये?"
राजेश, "बस अभी अभी! तुम
बहुत ही खूबसूरत दिख रही हो मेरी रानी और तुम्हारे शरीर से आती ये मीठी खुशबू मेरी
एक्सआईटमेन्ट को और भी बढ़ा रही है।"
उर्वशी ने तुरन्त अपना घूंघट ठीक किया और खड़ी
हो गयी। खड़ी होकर उर्वशी ने अपने दोनों हाथों से राजेश के पैरों को ठीक वैसे ही
छुआ, जैसा उस आंटी ने कहा था और तब तक पैरों में झुकी रही जब तक राजेश ने
उसे ऊपर नही उठाया। चेहरे को झुकाये खड़ी उर्वशी को उसके पति ने बड़े ही प्यार से
सीने से लगा लिया, बिना हील्स के उर्वशी और भी छोटी दिख रही थी।
राजेश, "तुम्हारी जगह
मेरे दिल मे है उर्वशी, पैरों में नही!"
उर्वशी, "लेकिन मेरी जगह
तो मेरे पति परमेश्वर के चरणों में ही है!"
राजेश, "लगता है आस पास
ऑन्टीयो ने तुम्हे कुछ ज्यादा ही समझाया है।"
उर्वशी, “आप भी ना,
ये
लीजिये दूध पी लीजिये!”
राजेश, “इतने से दूध से
मेरा क्या होगा मेरी जान!”
राजेश के कहने भर से उर्वशी शरमा गयी और उसने
अपनी नज़रें झुका ली।राजश ने एक घूंट में पूरा दूध पी लिया और गिलास टेबल पर रख
दिया। फिर राजेश ने उर्वशी को अपनी बाहों में उठा लिया और बिस्तर पर बड़े ही प्यार
से लिटा दिया। राजेश ने उर्वशी को मुंहदिखाई पर एक गिफ्ट भी दिया। उर्वशी ने गिफ्ट
खोलकर देखा, उसमे हैवी ऑर्नामेंट्स थे जो सोने और डायमंड के
बने थे और बड़े ही खूबसूरत थे। उर्वशी ने गिफ्ट बॉक्स को एक तरफ रखा और जैसे ही
राजेश की तरफ मुड़ी, राजेश ने उसे बिस्तर पर फिर से लिटा दिया और
उसके ऊपर आ गया। उर्वशी शरमाने लगी और उसके पूरे शरीर मे कम्पकम्पी होने लगी।
उर्वशी आज दुल्हन बनी अपने पति के सुहागरात की
सेज़ पर थी और उसे वो रात भी याद आ रहा था, जब उसने नेहा को
अपनी दुल्हन बनाकर उसके साथ सुहागरात मनाया था। सुहागरात में क्या होता है,
इस
बारे में सब पता था उर्वशी को लेकिन एक मर्द के साथ बंद कमरे में अकेले, वो
भी सुहागरात की सेज़ पर। नर्वस्नेस इतनी कि उर्वशी का अंग अंग डर से कांप रहा था।
बिना किसी देरी किये राजेश ने उर्वशी के होंठों पर स्मूच किया। इट वाज़ सो फ़ास्ट,
उर्वशी
समझ ही नहीं पायी कि अचानक से राजेश के होंठ उसके होंठ पर थे। राजेश उर्वशी के
होंठों को बड़े ही प्यार से स्मूच कर रहा था इसके साथ ही उसका हाथ उर्वशी के तन
बदन पर फिरने लगे थे। उर्वशी के साथ उसका पति आज की रात क्या क्या करेगा, इसका
पूरा नौलेज होने के कारन नर्वसनेस और भी ज्यादा थी।
धीरे धीरे उर्वशी के तन से कपडे हटते चले गए तो
कुछ ही पल में राजेश भी न्यूड हो चूका था। उर्वशी ने हज़ारों ब्लू फिल्म्स देखे थे,
उसे
पता था कि राजेश भी वही एक्सपेक्ट कर रहा है जो वो एक्सपेक्ट कर रही थी जब वो रहल
थी और नेहा के साथ सुहागरात मना रही थी। बिना राजेश के कुछ भी कहे उर्वशी ने भी
राजेश की छाती को चूमा, फिर उसके गालों को और फिर राजेश का लंड अपने
हाथों में ले लिया और उसे सहलाने लगी। राजेश का लंड काफी गर्म, मोटा
और लम्बा जिसे बिग ब्लैक कॉक भी कहते हैं। अपने जीवन में पहली बार एक मर्द का लंड
अपने नाज़ुक हाथों में लिए उर्वशी सोच रही थी कि इतना मोटा और लम्बा तो उसका लंड
भी नहीं था। लंड का साइज उर्वशी के सहलाने भर से और भी बढ़ गया था।
राजेश, "यू आर परफेक्ट
हाउसवाइफ उर्वशी, जस्ट टेक दिस लॉलीपॉप इन बिटवीन योर
लिप्स!"
अपने पति के कहे अनुसार उर्वशी ने राजेश के लंड
के टिप पर एक किस किया और उसका स्मेल उर्वशी सीधे महसूस हुआ। उर्वशी ने एक बारे
फिर से किस किया लेकिन इस बार थोड़ा मुँह में लेकर। राजेश को अच्छा लगा और उर्वशी
ने एक बार फिर उस लंड को अपने मुँह में लिया और उसे लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी।
लेकिन जैसे जैसे उर्वशी राजेश के लंड को चूस रही थी, उसका साइज और भी
बड़ा होता जा रहा था। राजेश फुल एक्साइटेड हो गया और उसने उर्वशी को अपने ऊपर खींच
लिया, उसके होंठों में अपने होंठ समा कर, उसकी वजाइना में
अपना लंड घुसा दिया। लंड घुसते ही उर्वशी की वजाइना की झिल्ली फट गयी और दर्द से
कराह उठी। डेफ़लोरशन क्या होता है ये उर्वशी को आज पहली बार समझ आया था। लंड अभी
भी उर्वशी की वजाइना में ही थी और राजेश धीरे धीरे स्ट्रोक्स लगाने लगा था। थोड़ी
देर में ही राजेश फूल स्पीड में स्ट्रोक्स लगाने लगा और उर्वशी की सिस्कियाँ चीख
में बदलने लगी, लेकिन अब उर्वशी को मजा आ रहा था। अभी १०
मिनट्स भी नहीं हुए कि उर्वशी को ओर्गास्म हो गया। उर्वशी को ओर्गास्म होते ही वो
राजेश को कस के जकड कर शांत हो गयी। राजेश भी समझ चूका था कि उर्वशी को ओर्गास्म
हो चूका है। उर्वशी का शरीर कमज़ोर पड़ चूका था लेकिन राजेश ने तो अभी शुरू भी
नहीं किया था। राजेश ने उर्वशी के उरोजों को मसलना शुरू किया और उसके होंठों को
चूमना भी। राजेश का लंड अभी भी उर्वशी की वजाइना में घुसने को बेताब हो रहा था तो
बिना देर किये राजेश ने अपना लंड उर्वशी की वजाइना में घुसा कर उसके साथ हार्डकोर
सेक्स करने लगा। लगभग बिस मिनट्स तक लगातार उर्वशी के साथ हार्डकोर सेक्स करने के
बाद राजेश का स्पर्म ठीक उसी समय डिस्चार्ज हो गया जब उर्वशी को दूसरा ओर्गास्म हुआ।
एक दूसरे को जकड़कर उर्वशी और राजेश इस एहसास को हमेशा के लिए अपने दिल में संजो
लेना चाहते थे। कुछ देर बाद राजेश एक बार फिर से एक्साइटेड हो गया और करीब आठ
राउंड हार्डकोर सेक्स के बाद राजेश आखिरी बार अपना स्पर्म उर्वशी के अंदर
डिस्चार्ज करके सो गया। उर्वशी को वजाइना वाले सेक्शन में काफी दर्द हो रहा था,
राजेश
के साथ सेक्स इतना हार्डकोर होगा, इसका कोई अंदाज़ा नहीं था उर्वशी को।
रात के ३ बज रहे थे, लेकिन दर्द के कारण उर्वशी को नींद नहीं आ रही
थी।
"सुनिए ना, मुझे बहुत दर्द
हो रहा है!", उर्वशी ने राजेश से कहा।
"पहली बार है ना, आओ मेरी बाँहों
में सो जाओ।", फिर राजेश ने उर्वशी को अपनी बाहों में लेकर
गहरी नींद में सुलाकर खुद भी सो गया।
अगली सुबह जब उर्वशी की नींद खुली, सुबह
के ५ बज रहे थे। उर्वशी बिस्तर से उठी और किसी तरह वाशरूम तक पहुंची। फ्रेश होने
के बाद उर्वशी का दर्द कुछ शांत हुआ और वो कमरे में आ गयी। उसके बाद उर्वशी तैयार
होने लगी और राजेश नाईट सूट में वही बैठ गया। राजेश ने उर्वशी से सिल्क साड़ी के
साथ बिना ब्रा के बैकलेस चोली पहनने को कहा, उर्वशी ने सिल्क
साड़ी और बिना ब्रा के बैकलेस चोली पहन ली और फिर मेकअप करने बैठ गयी। डार्क मेकअप
के साथ, होंठों पर ग्लॉसी रेड लिपस्टिक, आंखों में गहरा
मोटा काजल और थोड़ा ऑय शैडो अप्लाई करने के बाद उर्वशी ने गले मे सोने का नौलखा
हार, मंगलसूत्र, मांग में सिंदूर और मांगटीका, कानों
में हैवी सोने के झुमके, हाथों में सोने के कंगन और सुहाग का
चूड़ा सेट, पैरों में हैवी पायल और नाभि में नैवेल
ऑर्नामेंट पहनकर उर्वशी तैयार हुई। राजेश ने अपने हाथों से वही नथिया उर्वशी के
नाक में डाल दिया जो उसने सुहागरात पर गिफ्ट किया था। उर्वशी ने अपना घूंघट किया
और राजेश के सामने खड़ी ही हुई थी कि उसकी छोटी ननद रुचिका कमरे में आ गयी,
साथ
मे उर्वशी की सास भी थी। सास को देखते ही उर्वशी ने बिना देर किए उनके पैरों को
अपने दोनों हाथों से छुआ और उसकी सास ने सदा सुहागिन रहो को आशीर्वाद भी दिया।
उर्वशी को उसकी सास अपने साथ ले गयी और राजेश कमरे में अकेला रह गया। जब राजेश
कमरे से बाहर गया तो उसने देखा उर्वशी की मुह दिखाई की रस्में चल रही थी। उर्वशी
को राजेश के रिलेटिव्स और मुहल्ले की औरतें घूंघट उठाकर चेहरा देख रहीं थी,
फिर
सदा सुहागिन रहो, मुह धो नहाओ, पूतो फलो और
सौभाग्यवती भवः जैसे आशीर्वाद के साथ गिफ्ट्स भी दे रहीं थी। 2
घण्टे, औरतें आती गयीं, उर्वशी का घूंघट उठाकर उसके चेहरे को
देखकर खूबसूरती की तारीफ कर रहीं थीं और उर्वशी सभी के पैरों को छूकर आशिर्वाद ले
रही थी। मुह दिखाई की रसमें खत्म होने तक उर्वशी को बहुत जोरों की भूख लग गयी थी,
मॉर्निंग
वीकनेस के बाद उसने ना तो नास्ता किया था और ना ही दूध या मेडिसिन ही खाया था। अब
उर्वशी को सिर में दर्द, वोमेटिंग और चक्कर सा आना शुरू हो गया
और सबके सामने ही उर्वशी बैठे बैठे ही बेहोश होकर बिस्तर पे निढाल हो गयी। उर्वशी
को ऐसे बेहोश होता देख उसकी सास घबरा गई और राजेश को बुलाया। राजेश उर्वशी को अपनी
बाहों में उठाकर कमरे में ले गया और उसके पीछे पीछे उसकी सास और ननद भी कमरे में आ
गयी। राजेश ने अपनी माँ से दूध मंगवाने को कहा और रुचिका से कहा कि वो उर्वशी का
ख्याल रखे और खुद मेडिसिन लेने चला गया। इधर कुछ औरतें आपस मे बातें करने लगीं।
राजेश की पत्नी बनने के एक महीने बाद ही उर्वशी
प्रेग्नेंट हो गयी। इतनी जल्दी माँ बनने का कोई मूड नहीं था उर्वशी को लेकिन राजेश
चाहता था कि उर्वशी उसके बच्चों को जन्म दे। राजेश ने डॉक्टर से दिखाया तो अल्ट्रासाउंड
में पता चला कि उर्वशी की कोख में ट्विन्स पल रहे हैं। डॉक्टर की बात सुनकर राजेश
बहुत खुश हो गया लेकिन उर्वशी दो बच्चों को कैसे जन्म देगी, इस बारे में सोच
सोच कर परेशां हो गयी थी। राजेश को उर्वशी की इन परेशानियों से कोई लेना देना नहीं
था, वो तो बस अपने आने वाले बच्चों के बारे में सोच सोच कर खुश हुआ जा
रहा था। उर्वशी के पास कोई भी ऐसा इंसान नहीं था जिससे वो अपने दिल की बात शेयर
करती लेकिन अपने पति की ख़ुशी के लिए उर्वशी इसके लिए भी खुद को तैयार कर चुकी थी।
नौ महीने क्रॉस होने के कुछ ही दिनों बाद उर्वशी का प्रसव पीड़ा शुरू हो गया और दस
घण्टो के प्रसव पीड़ा के बाद अपने कोख से उसने ट्विन्स को जन्म दिया। इन नौ महीनों
में उर्वशी के उरोजों में दूध भर जाने से टाइटनेस आ गया था। एक एक करके उर्वशी ने
अपने ट्विन्स बच्चों को अपना दूध पिलाया तो उसे लाइफ में पहली बार मातृत्व का
एहसास हुआ। हॉस्पिटल से डिस्चार्ज होने के बाद बच्चों की पूरी देखभाल की
जिम्मेदारी उर्वशी की सास ने खुद संभाली और उर्वशी की देखरेख के लिए संजना को घर
में रख लिया। बच्चे बड़े होने लगे और साल लगते ही उर्वशी एक बार फिर से गर्भवती हो
गयी। एक बार फिर से उर्वशी की कोख में ट्विन्स थे और इस बार वो एबॉर्शन करवाना
चाहती थी, लेकिन उसकी सास ने एबॉर्शन के लिए साफ़ इंकार कर दिया।
अगले पांच सालों में उर्वशी ने अपने पति के दो
और ट्विन्स यानि चार बच्चे और पांचवे साल एक बच्चे को जन्म दिया। सात बच्चों को
जन्म देने के बाद उर्वशी थक चुकी थी। वो नहीं चाहती थी कि वो और बच्चों को जन्म दे
इसीलिए सिद्धार्थ के साथ हॉस्पिटल जाकर ऑपरेशन करवा लिया। ऑपरेशन के बाद चुपके से
उर्वशी घर आ गयी और नार्मल हाउसवाइफ की तरह लाइफ जीने लगी। घर में 7
बच्चे घर की रौनक बन चुके थे और सिद्धार्थ और संजना की शादी भी हो चुकी थी। उस औरत
के श्राप के अनुसार परिवार के ऊपर का श्राप ख़त्म हो चूका था और अगर दो साल बाद
उर्वशी चाहे तो वो फिर से राहुल बन सकती थी। राजेश ने उर्वशी को इस बारे में बहुत
पहले ही बता दिया था, लेकिन एक औरत के रूप में अपने पति से असीम
प्यार और स्नेह के साथ बच्चों के प्रति ममता ने उर्वशी को बदल दिया था। उर्वशी ने
औरत बनकर रहना ही चुना और आज एक प्रॉपर हाउसवाइफ बनकर लाइफ बिता रही है।
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