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Local Don - Season - 1st

ये कहानी मध्यप्रदेश के रेवा जिला के एक लोकल गुंडे की है। राजेश महंत नाम के गुंडे ने मध्यप्रदेश के रेवा में काफी दिनों से कोहराम मचा रखा था। पुलिस और गुंडों की दोस्ती सिर्फ पैसों तक ही सिमित होती है और इसी का सबसे ज्यादा फायदा राजेश ने उठाया। राजेश का दाहिना हाथ राजू शेट्टी और बायां हाथ बलवंत ठाकुर, और तीनो के दहशत से पूरा रेवा ग्रसित था। राजू शेट्टी का कोठा, जहाँ नई लड़कियों को लेकर उनसे धंधा करवाया जाता था। राजू शेट्टी के कोठे की हर नयी लड़की को सबसे पहले राजेश अपने कमरे में बुला कर उसका कौमार्य भंग करता और उसके बाद ही उसे धंधे में उतारा जाता। राजू शेट्टी के कोठे पर ड्रग्स और हथियारों का अवैध धंधा चलता था और राजू के सभी कस्टमर्स भी काफी वीआईपी होते। इधर बलवंत के पास गोल्ड और डायमंड स्मगलिंग के साथ साथ अपहरण, लूट और पैसे लेकर हत्या करवाने का सारा काम था। बलवंत और राजू शेट्टी का बॉस राजेश जिसके क्लाइंट्स दुबई, अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका में भी थे, और तीनो मिलकर रेवा पर राज कर रहे थे। राजेश, राजू और बलवंत तीनो की उम्र ३० साल से कम थी और तीनो को पूरा रेवा जानने लगा था। रेवा पुलिस महकमे में एक नया एसपी को अप्पोइंट किया गया जो पहले बिहार में पोस्टेड था, नाम था रवि यादव। रवि यादव, जिसकी उम्र ३५ साल, २६ एनकाउंटर्स और उसे ज्यादातर बिना सवाल किये गोली मारने की आदत थी। एमपी आते ही, रेवा का चार्ज संभालते ही उसने राजेश के खिलाफ शूट एट साईट का वारंट इशू कर दिया। अब राजेश मारा मारा फिर रहा था, पुलिस उसे अब कोई सपोर्ट नहीं कर रही थी। बलवंत और राजू दोनों ही इसी मौके की तालाश में थे कि कब राजेश मारा जाये और कब वो रेवा की गद्दी संभाले। लेकिन राजेश को उम्मीद थी कि बलवंत और राजू उसकी मदद करेंगे। लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। पुलिस ने राजेश का सारा अड्डा सील कर लिया और उसके सभी आदमियों को गिरफ्तार कर लिया गया। अब राजेश के पास कोई सपोर्ट नहीं बचा था, उसके साथियों ने उसे धोखा दे दिया और उसने जंगल की और भागने का फैसला कर लिया। जंगल की तरफ भागते समय जब वो थकने लगा तब उसे एक कॉलोनी दिखाई दी। उस कॉलोनी में जाते समय एक घर की लाइट जल रही थी। जब राजेश उस घर की तरफ बढ़ा तब उस घर में एक बूढी औरत बैठी खाना पका रही थी। राजेश ने दरवाज़ा खटखटाया तब उस बुढ़िया ने दरवाज़ा खोला।

बुढ़िया, “तुम कौन हो?”

राजेश, “मैं राजेश हूँ, राजेश महंत ! रेवा का डॉन !”

बुढ़िया, “तो मैं क्या करूँ?”

राजेश, “मेरे पीछे पुलिस पड़ी है और थोड़ी देर में वो मुझे ढूंढते हुए यहाँ भी आ जाएगी। मेरे पास करोड़ो के हीरे हैं और मैं तुम्हे वो हीरे दे सकता हूँ। तुम अभी मुझे छिपा लो।”

बुढ़िया, “देखो बेटे, मैं ठहरी बूढी औरत, एक कमरे के घर में खुद रहती हूँ, तुम्हे कहाँ छिपाऊं।”

राजेश, “देख बुढ़िया, मुझे यहाँ छिपा दे कहीं, क्या तुझे पुलिस की सायरन सुनाई नहीं दे रही है तुझे ?”

बुढ़िया, “ठीक है बेटे, मैं तुझे छिपा लुंगी। पुलिस से भी बचा लुंगी। पहले तू खाना खा ले।”

राजेश, “ठीक है बुढ़िया, जल्दी से खाना लगा दे। मुझे बहुत भूख लगी है।”

जब राजेश बिस्तर पर बैठा तो उसने सामने दीवाल पर टंगी एक तस्वीर को देखा। उस तस्वीर में सोलह साल की एक लड़की की फोटो थी। ये वही लड़की थी जिसे राजू अपने कोठे पर ले गया था और राजेश ने उसके साथ हार्डकोर सेक्स किया और कुछ महीनो बाद उस लड़की को दुबई के एक नवाब को बेच दिया गया था।

राजेश, “ये तस्वीर किसकी है बुढ़िया?”

बुढ़िया, “बहुत बद्तमीज़ है तू, तेरी माँ की उम्र की हूँ मैं और तू मुझे बुढ़िया बुढ़िया किये जा रहा है। ये मेरी बेटी की तस्वीर है, इसका नाम रजनी था। कुछ साल पहले मेरी बेटी कहीं गायब हो गयी, आज तक नहीं मिली।”

इधर पुलिस की सायरन और भी नजदीक सुनाई दे रही थी और राजेश की हालत ख़राब हो रही थी। बुढ़िया ने अपने अलमीरा से एक लोहे की अंगूठी निकाली और राजेश को रिंग फिंगर में पहनने को दे दी। राजेश ने जैसे ही अपने रिंग फिंगर में वो अंगूठी को पहना, उसका शरीर सोलह साल की रजनी के शरीर सा हो गया। राजेश ने अपने लंड को छूकर देखा, वहां पर वजाइना था, उसने अपने चेस्ट को छूकर देखा तो वहाँ अर्ध विकसित ब्रेस्ट थे, चिकना और कोमल शरीर के आलवे चेहरे पर राजेश के निशानी के तौर पर कुछ भी नहीं था और जब उसने खुद को आईने में देखा तो आईने में रजनी के फिगर मे राजेश खड़ा था।

राजेश का शरीर सोलह साल की लड़की के जैसी हो गयी और फिर बुढ़िया ने राजेश को अनारकली सूट पहनाया और हल्का मेकअप करके बिठाया ही था कि दरवाजे पर पुलिस आ गयी। पुलिस ने एक एक घर की तालाशी ली, लेकिन राजेश उन्हें कहीं भी नहीं मिला। पुलिस के वहाँ से जाने के बाद राजेश ने अपनी उंगली से रिंग निकालना चाहा, लेकिन उसके रिंग फिंगर से रिंग गायब थी । राजेश ने बुढ़िया की तरफ सवाल भरे नज़रों से देखा।        

राजेश, “ओए बुढ़िया, ये सब क्या है, मेरे उंगली मे जो अंगूठी थी वो कहाँ गई?”

बुढ़िया, “तू क्या बार बार बुढ़िया बुढ़िया बोली जा रही है, अब मैं कोई बुढ़िया नहीं तेरी माँ हूँ, समझी तू !”

राजेश, “दिमाग खराब है क्या तेरा ! मैं इस शहर का डॉन हूँ, ये शरीर फिर से पहले जैसा कर दे नहीं तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा, समझी बुढ़िया !”

बुढ़िया, “तू बहुत ही ज्यादा बदतमीज़ है लड़की, अब से तू अगले एक साल तक लड़की बन कर अपनी लाइफ जी! और मेरे सामने दुबारा बदमीजी से बात कि तूने तो तुझे मालूम हो जाएगा कि मुझसे बुरा कोई नहीं है! आज से तू इसी घर मे रहेगी और मेरी सेवा करेगी, समझी! ये अंगूठी मेरे इशारों पर नाचती है और मैं एक डायन हूँ। तू अब मेरी गुलाम बन चुकी है, तेरे लिए अच्छा यही होगा कि आज के बाद तू मेरी इज्जत कर, मेरी सेवा कर, इसके बदले मे मैं तेरी जान बख्श दूँगी।”

राजेश बुढ़िया की बातें सुनकर उसके कदमों मे गिर पड़ा और रहम की भीख मांगने लगा, लेकिन बुढ़िया अभी भी मुस्कुरा रही थी! राजेश का जिस्म लड़की के जिस्म मे तब्दील हो चुका था और राजेश अपने लड़की वाले शरीर मे नहीं जीना चाहता था! राजेश ने बुढ़िया से हजारों मिन्नतें की लेकिन बुढ़िया नहीं मानी और उसे चुपचाप सो जाने को कहा। बुढ़िया की बात सुनकर राजेश बिस्तर मे खुदको सिकोड़कर सो गया। राजेश पुलिस से जान छुड़ा चुका था लेकिन वो रात भर यही सोचता रहा कि इस बुढ़िया से अपनी जान कैसे छुड़ाए और फिर से मर्द कैसे बने! उस डायन ने अपने जादू से 30 साल के राजेश को 16 साल कि लड़की बना दिया था। राजेश का दिमाग काम नहीं कर रहा था, उसने सोच क्यूँ ना इस डायन को जान से मार दिया जाए, तो डायन के साथ उसका जादू भी खत्म हो जाएगा और वो फिर से मर्द बन जाएगा! लेकिन एक डायन को मारना आसान नहीं होता ये बात राजेश को अच्छे से मालूम था। जैसे तैसे रात कटी, राजेश रात भर सो नही पाया और सुबह के चार बजे उसे नींद आई। अभी राजेश ढंग से 2 घंटे सोया भी नहीं था कि उस बुढ़िया ने लात मारकर राजेश को जगाया।

बुढ़िया, “ऐ लड़की, कितना सोती है, जल्दी से उठ, मुझे खाना चाहिए। मुझे जल्दी से खाना पका कर दे, नहीं तो मैं तुझे ही कहा जाऊँगी!”

राजेश, “इतनी सुबह कौन खाना खाता है बुढ़िया?”

बुढ़िया, “बदतमीज़ लड़की, जुबान संभाल कर मुझसे बात किया कर, नहीं तो तुझे गधी बना दूँगी और तुझे एक गधे के साथ रात भर किसी धोबी के तबेले मे छोड़ दूँगी !”

बुढ़िया डायन की बात सुनते ही राजेश डर से थरथराने लगा, बुढ़िया के पैरों मे गिरकर माफी मांगने लगा और अपनी आजादी के लिए बुढ़िया को मनाने की कोशिश करने लगा! लेकिन बुढ़िया नहीं मानी और उसने राजेश से खाना पकाने को कहा। राजेश ने कहा कि उसे खाना पकाना नहीं आता तो बुढ़िया ने उसे पैसे दिए और मार्केट से खाना लाने को कहा। राजेश उसी रूप मे पास की मार्केट से खाना ले आया और बुढ़िया ने भर पेट खाना खाया और बचा हुआ थोड़ा खाना राजेश को भी खाने को दिया। राजेश ने चुपचाप खाना खाया और बुढ़िया ने उससे घर की साफ सफाई कारवाई, बर्तन धुलवाये, कपड़े धुलवाये और उसे एक एक चीज समझाती गई। राजेश समझ चुका था कि उसे बुधिया से बड़े ही तमीज़ से पेश आना होगा और बुढ़िया की कमजोरी का पता लगाना होगा। बुढ़िया ने राजेश का नया नाम रखा “राजेश्वरी” और उसे उसी नाम से बुलाने लगी! एक दिन पहले तक राजेश एक मर्द था और आज एक सोलह साल की लड़की बन चुका था और राजेश्वरी नाम के एक नए नाम के साथ जीने को मजबूर था। राजेश ने पता किया कि एक डायन की कमजोरी क्या होती है, तो उसे पता चला कि डायन की चोटी मे उसकी सारी शक्तियां होती है; सिर्फ एक बार डायन की चोटी को काट दो, फिर वो आम इंसान जैसी हो जाती है। और राजेश को ये भी पता चला कि अगर कोई सोलह साल की लड़की उस चोटी को अपनी चोटी मे सटा ले तो वो चोटी उसके चोटी मे समय जाती है और उस लड़की के अंदर डायन की सभी शक्तियां समा जाती है। उस बुढ़िया की चोटी बहुत ही घनी और खूबसूरत थी। जब रात को बुढ़िया सो रही थी तब राजेश ने उसकी चोटी काट दी और बुढ़िया दर्द से तड़प उठी। राजेश ने तुरंत उस चोटी को अपनी चोटी मे सटा लिया और उसके साथ ही उसे असीमित शक्तियों का उसके शरीर मे समाने का अनुभव हुआ।

बुढ़िया, “ये क्या किया तूने राजेश्वरी?”

राजेश्वरी, “अब से तेरी सभी शक्तियां मेरी हो गई है बुढ़िया। तू मुझे गधी बना कर धोबी के तबेले मे रात भर छोड़ने की धमकी दे रही थी ना, ये ले अब मैं तुझे गधी बना देती हूँ!”

इससे पहले कि बुढ़िया राजेश्वरी से कुछ कहती, राजेश्वरी ने बुढ़िया को अपने जादू से गधी बना दिया, लेकिन इसी के साथ राजेश्वरी ने बहुत बड़ी गलती भी कर चुकी थी। राजेश्वरी का जादू उसके ऊपर कभी नही चलेगा, इस बात की जानकारी बुढ़िया उसे दे सकती थी, लेकिन गधी बनने के बाद वो बुढ़िया भी कुछ नहीं कर सकी। राजेश्वरी ने गधी बनी बुढ़िया को घर के बाहर धक्का देकर निकाल दिया और खुद को फिर से राजेश बनाने की कोशिश करने लगी लेकिन उसे नहीं पता था कि उसका जादू उसके ऊपर नहीं चलेगा। राजेश्वरी ने बहुत कोशिश की लेकिन खुद को दुबारा से राजेश नहीं बना सकी। उसने दरवाजा खोलकर उस गधी को अंदर लाकर उसे फिर से बुढ़िया बनाने का सोच कर दरवाजा खोला, लेकिन बाहर वो गधी नहीं थी।

राजेश्वरी अब खुद एक डायन बन चुकी थी लेकिन उसे पता नहीं था कि एक डायन क्या क्या कर सकती है। राजेश्वरी बनने के बाद वो अगले दिन सुबह सुबह एसपी रवि यादव से मिलने गई। पहले तो उसे किसी ने एसपी से मिलने नहीं दिया, लेकिन फिर उसे एसपी रवि यादव के कैबिन मे ले जाया गया। राजेश्वरी ने एसपी रवि यादव को बताया कि वो रेवा की रहने वाली है और उसका अपहरण राजू शेट्टी और बलवंत ठाकुर ने किया था। राजू और बलवंत ने उसके पूरे परिवार को मार डाला और उसे रेड लाइट एरिया मे धंधा करने को मजबूर करने की कोशिश करने लगे। किसी तरह अपनी जान बचाकर राजेश्वरी वहाँ से भाग कर आई है। राजेश्वरी ने एसपी रवि यादव को उन दोनों के समूचे अड्डे की जानकारी दी और अपने पर्टेक्शन की मांग रखी। एसपी रवि यादव ने बलवंत और राजू शेट्टी के सभी ठिकानों पर छापेमारी की और बलवंत और राजू का इन्काउनर कर दिया। एसपी रवि यादव ने राजेश्वरी को अपने घर मे पर्टेक्ट किया और बलवंत और राजू के मरने के बाद उसे इनाम के तौर पर बीस लाख रुपये भी दिए। रवि के पर्टेक्शन मे राजेश्वरी उसके घर मे रहने लगी। औरत की जिंदगी इतनी भी आसान नहीं थी और ये बात राजेश्वरी बनने के बाद राजेश को तब समझ आयी जब उसने पहली बार पीरियड्स को अनुभव किया। राजेश्वरी को इतना पेट दर्द, खून का आना और असहनीय वीकनेस का अनुभव पहले कभी भी नहीं हुआ था। रवि यादव के घर पर काम करने वाली बाई ने राजेश्वरी को उस हालत में देखा तो उसने मार्किट जाकर पैड्स और कुछ मेडिसिन्स लाकर दिए। मेडिसिन खाने और पद पहनने के बाद राजेश्वरी को थोड़ा आराम मिला और वो गहरी नींद में सोई। अगले पांच दिन राजेश्वरी के लाइफ की दर्द भरी दिनों में से एक था जब उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि आखिर वो करे भी तो क्या करे। पीरियड्स के आखिरी दिन बाई ने राजेश्वरी को समझाया कि अब उसे क्या करना होगा। राजेश्वरी ने शैम्पू करके स्नान किया और नाईटी पहनकर बिस्तर पर सो गयी। आज उसे बहुत अच्छा फील हो रहा था, लेकिन जब काम वाली बाई ने उसे बताया कि उसे हर महीने पीरियड्स आएंगे तो ये जानकार राजेश्वरी को बहुत आश्चर्य हुआ और उसे अंदर ही अंदर एक डर बैठ गया कि अब हर महीने उसे ऐसे दर्द से गुज़रना पड़ेगा।

इधर रवि यादव राजेश्वरी का अच्छे से ख़याल रखने लगा था, खाने पीने से लेकर तरह तरह की साड़ियां, सूट और कभी कभी ज्वेलरीज भी लाकर देने लगा। राजेश्वरी अब धीरे धीरे अपने अतीत को भूलकर रवि की दोस्ती में खोने लगी थी। रवि का राजेश्वरी का ख्याल रखना उसे अच्छा लगने लगा था। काम वाली बाई भी राजेश्वरी को रवि के हैरतअंगेज कारनामो के बारे में बताने लगी थी और राजेश्वरी को रवि के कारनामे अब अंदर ही अंदर उसके करीब करती जा रही थी। राजेश्वरी अब भूल चुकी थी कि उसके अंदर डायन की शक्तियां अभी भी हैं और रवि के साथ समय बिताना उसे अच्छा लगने लगा था। राजेश्वरी बनने के बाद राजेश की उम्र घट कर सोलह की हो चुकी थी और रवि से शादी करने के लिए उसका अट्ठारह का होना जरुरी था। इधर रवि भी मन ही मन राजेश्वरी को पसंद करने लगा था। सत्रह की होते होते राजेश्वरी को घर के सभी काम करने का अनुभव हो गया था। राजेश्वरी अब स्वादिष्ट स्वादिष्ट खाना तैयार करने लगी थी और रवि को राजेश्वरी के हाथों का खाना पसंद आने लगा था। राजेश्वरी को साड़ी पहनना अच्छा लगने लगा था और ज्यादातर समय वो साड़ी ही पहनती, लेकिन आज भी राजेश्वरी की नाक नहीं छिदी थी जिसकी वजह से रवि से मिली एक भी नथिया या सोने के लौंग वो अपने नाक में नहीं पहन सकी थी। इधर बुढ़िया डायन जिसकी पावर्स को छीनकर गधी बनाकर राजेश्वरी छोड़ आयी थी, एक साल बीतते ही एक दिन राजेश्वरी ने रवि के कहने पर अपना हेअरकट करवा लिया जिसे देखकर रवि बहुत खुश हुआ। इधर राजेश्वरी के बाल कटते ही बुढ़िया डायन के बाल कमर तक लम्बी हो गयी और उसकी शक्तियां वापिस उस में समा गयी। शक्तियां मिलते ही बुढ़िया डायन फिर से अपने रूप में आ गयी और वो जंगल में अकेली काफी दूर आ चुकी थी। राजेश्वरी इन सब बातों से अनजान अपनी नयी लाइफ में ऐसे मशगूल हो गयी थी कि वो बुढ़िया डायन और अपने अतीत के बारे में भूल सी गयी थी।  सबकुछ भूल कर राजेश्वरी रवि के करीब आते जा रही थी। राजेश्वरी बिलकुल भूल ही चुकी थी कि कभी वो राजेश पंडित नाम की डॉन भी। लेकिन रवि के साथ राजेश्वरी की नजदीकियां कुछ ज्यादा ही हो चुकी थी और अगले २ महीनों में राजेश्वरी १८ की होने वाली भी थी। रवि राजेश्वरी से शादी करके उसके साथ अपना घर बसाने की प्लान कर रहा था और इधर वो बुढ़िया डायन, राजेश्वरी की तलाश में निकल चुकी थी। जिस दिन राजेश्वरी १८ की हुई उसी दिन रवि यादव ने उसे एक डायमंड रिंग पहनाकर प्रोपोज़ किया और राजेश्वरी भी मान गयी। दोनों ने शादी करने का फैसला कर लिया और रवि ने राजेश्वरी को बहुत सी शॉपिंग करवाई। ज्वेलरीज, ड्रेसेस, ब्राइडल लिंगरी, ब्रा पैंटी, हील्स वाले सैंडल्स, पंजाबी सुट्स और भी ढेर सारी शॉपिंग के बाद जब राजेश्वरी रवि के साथ वापिस हो रही थी, तब बुढ़िया डायन की नज़र उनदोनो पर पड़ी। बुढ़िया डायन खुश हो गयी क्यूंकि एसपी रवि यादव को ढूँढना आसान था और बुढ़िया डायन ने मन ही मन अपना प्लान भी बना लिया था। एसपी रवि यादव राजेश्वरी से शादी को लेकर उतना ही एक्साइटेड था जितना राजेश्वरी एसपी रवि की पत्नी बनने के लिए एक्साइटेड थी। एसपी रवि को राजेश्वरी की सच्चाई के बारे में कुछ भी मालुम नहीं था और राजेश्वरी को भी अपना अतीत याद नहीं था। वो बस वर्तमान में अपने होने वाले पति के लिए कुछ भी करने को तैयार थी। इधर बुढ़िया डायन ने हवलदार का रूप धारण करके रवि और राजेश्वरी की शादी की पूरी जानकारी इकठ्ठा कर ली और शादी से एक हफ्ते पहले एक हवलदार को मक्खी के रूप में बदल कर उसे उड़ा दिया और उसकी जगह एसपी रवि के घर पर उसी हवलदार का रूप धर कर वहां काम करने लगी। इधर एक दिन एसपी रवि किसी जरुरी काम से एसपी ऑफिस के लिए निकला। तब मौका देखकर बुढ़िया डायन ने एसपी रवि का रूप धर कर घर के अंदर चली गयी। राजेश्वरी ने रवि को देखा तो चौंक गयी, क्यूंकि अभी रवि को गए १० मिनट्स भी नहीं हुए और वो वापिस भी आ गया।

राजेश्वरी, “आप तो एसपी ऑफिस के लिए निकले थे ना, इतनी जल्दी आ गए?”

एसपी रवि(बुढ़िया डायन), “हाँ लेकिन मैंने सोचा कि तुम्हे कहीं घुमाने ले चलूँ!”

राजेश्वरी, “और काम का क्या, वो तो बहुत इम्पोर्टेन्ट हैं ना!”

एसपी रवि(बुढ़िया डायन), “हाँ इम्पोर्टेन्ट तो है लेकिन तुमसे ज्यादा नहीं। चलो कहीं घूमने चलते हैं।”

राजेश्वरी, “रुकिए मैं तैयार होकर आती हूँ!”

एसपी रवि(बुढ़िया डायन), “इतनी खूबसूरत दिख रही हो इस साड़ी में, ऐसे ही चलो!”

उसके बाद एसपी रवि(बुढ़िया डायन) अपने साथ पीछे के रस्ते से दूसरी कार में बिठाकर राजेश्वरी को जंगल की तरफ ले गया। वैसे तो अक्सर राजेश्वरी रवि को घुमाने को कहती तो वो मना कर देता था और आज सीधे जंगल घुमाने, बात कुछ समझ में नहीं आ रही थी राजेश्वरी को। थोड़ी दूर पर पांच छह गधों के एक छोटे से खटाल के पास रवि ने गाडी रोकी और राजेश्वरी को गाडी से उतरने को कहा।

राजेश्वरी, “ये कैसी जगह ले कर आये हैं आप! यहाँ तो दूर दूर तक कुछ भी नहीं है इस खटाल के सिवा!”

एसपी रवि(बुढ़िया डायन), “हाहाहा, क्यूंकि मैं एसपी रवि नहीं, तेरी मौत हूँ!”

बोलते ही बुढ़िया डायन अपने असली रूप में आ गयी और इससे पहले कि राजेश्वरी कुछ कहती, उसने अपनी जादू से राजेश्वरी को एक साल के लिए गधी बना दिया और उस खटाल मालिक को कुछ पैसों में सौंप कर खुद राजेश्वरी बनकर एसपी रवि के घर आ गयी।

राजेश्वरी के रूप धर कर वो बुढ़िया डायन रवि के बारे में सोचती रही और उसे पता था कि एक जवान मर्द के साथ सुहागरात मनाने के बाद वो फिर ये जवान भी हो जाएगी और उसकी शक्तियां भी बढ़ जाएँगी। इधर रवि को जरा भी भनक नहीं लगी कि उसकी होने वाली दुल्हन के साथ क्या हुआ और राजेश्वरी के रूप में बुढ़िया डायन उसके साथ रात बिताने के लिए कितनी बेताब थी। रात को जब रवि घर आया तो उसने देखा कि राजेश्वरी सोई हुई थी तो उसने भी कपडे चेंज किए, फ्रेश हुआ, डिनर किया और जाकर सो गया। इधर रात को खटाल मालिक ने चारो गधों और गधी जो कभी राजेश्वरी और उससे पहले डॉन राजेश पंडित थी, उसे भी उसी खटाल में उन खुले गधों के बीच खुला छोड़ दिया। एक गधी और छह गधे वो भी एक ही खटाल में। पहले तो उस गधी के लिए चारो गधे आपस में लड़ने लगे फिर उनमे से एक गधे ने उस गधी को चोदना शुरू कर दिया और अगले ४ घंटे में ४ इंटरवल्स और २ बार गधे के स्पेर्म्स का हैवी लोड अपने अंदर रखकर वो गधी शांत हो गयी। वहीँ दूसरे गधे भी एक एक करके उस गधी को चोदने लगे और दो घंटे बाद सबकुछ शांत हो गया।

अगले दिन से सबकुछ नार्मल हो गया, लेकिन बुढ़िया डायन राजेश्वरी के शरीर में खुद को काफी कमज़ोर महसूस करने लगी थी। राजेश्वरी बनकर उसकी डेली रूटीन्स को फॉलो करके बुढ़िया डायन ने रवि को अपने मोहजाल में फंसा लिया था और दोनों बहुत ही ज्यादा खुश और एक्साइटेड थे।शादी के एक दिन पहले जब राजेश्वरी को सजाने के लिए ब्यूटिशियन आयी, तब उसने देखा कि राजेश्वरी ने नाक में छेद नहीं है और उसे हैवी नथिया पहनना है। तब उसने राजेश्वरी के नाक में पियर्सिंग गन से छेद कर दिया। राजेश्वरी के रूप में उस बुढ़िया डायन को काफी दर्द हुआ, लेकिन वो उस दर्द को बर्दाश्त करके रह गयी। उसके बाद मेहँदी और उबटन का लेप चढ़ाकर डायन रूपी राजेश्वरी दोनों हाथों और पैरों को फैला कर जमीन पर बैठ गयी। रात बीती, अगले दिन राजेश्वरी को दुल्हन के रूप में सजाया गया। हैवी ज्वेलरीज, हैवी लहंगा, बैकलेस शार्ट चोली, हील्स वाली सैंडल्स और मेकअप के साथ राजेश्वरी को बहुत ही खूबसूरती से तैयार करके मंडप पर ले जाय गया। मंडप पर जब पंडित ने मंत्र पढ़ना शुरू किया तो डायन रूपी राजेश्वरी की शक्तियां छीनने लगीं और वो कमज़ोर होने लगी। लगभग २ घंटे पंडित ने तरह तरह के मंत्र पढ़े और राजेश्वरी की सारी शक्तियां अगले छह महीनों के लिए हवन में समा गयीं और अब उसे अपनी सभी शक्तिओं को दुबारा पाने के लिए गर्भवती होना होगा। राजेश्वरी के रूप में डायन की शक्तियां क्षीण हो चुकी थी और तबेले में राजेश पंडित अपने असली रूप में आ चूका था। गधी से राजेश पंडित के रूप में परिवर्तित होते ही वो तबेले से भाग निकला। जैसे ही राजेश्वरी की मांग में रवि ने सिंदूर भरा, राजेश्वरी इतनी कमज़ोर पड़ गयी कि वो मंडप पर ही बेहोश होने लगी। तब कुछ औरतों ने राजेश्वरी को संभाला और तब रवि ने उसके गले में मंगलसूत्र पहनाया और उसे अपनी बाहों में उठाकर सात फेरे पुरे किये। डायन की शक्तियों के हवन में समा जाने के बाद वो बहुत कमज़ोर पड़ गयी। शादी की रस्मों के खत्म होते ही रवि राजेश्वरी रूपी डायन जिसकी शक्तियों का अंत हो चूका था, उसे सुहागरात की सेज़ पर लिटा दिया और कुछ औरतों को राजेश्वरी की देखभाल करने के लिए छोड़कर गेस्ट्स की खातिरदारी में बिजी हो गया।इधर दुबारा से राजेश पंडित बनने के बाद राजेश मन ही मन बहुत उदास हुआ और वो वहीँ पेड़ के नीचे बैठ कर सोचने लगा कि अब तो रवि उसका एनकाउंटर कर देगा तो शहर जाना ही बेकार है, लेकिन उसके दिल में रवि को लेकर जो प्यार था वो कम नहीं हो रहा था। राजेश अभी भी यही चाहता था कि काश वो फिर से राजेश्वरी बन जाये और रवि से उसकी शादी हो। लेकिन रवि की शादी उस डायन से हो चुकी थी जिसकी वजह से इतना कुछ हुआ था और राजेश को पता ही नहीं था कि उस डायन की शक्तिओं का अंत हो चूका था। वो डायन चाह कर भी राजेश को दुबारा से राजेश्वरी नहीं बना सकती थी और राजेश के रूप में रहना खतरों भरा था। इधर राजेश्वरी रूपी डायन को समझ नहीं आ रहा था कि आखिर उसकी खोयी शक्तियों को दुबारा कैसे हासिल करे और इधर राजेश पंडित ये सोच रहा था कि वो दुबारा राजेश्वरी के रूप में कैसे परिवर्तित हो।


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हिमाचल की बड़ी ही खूबसूरत शाम थी वो, जब मैं हर रोज़ की तरह झांकी में परफॉर्म करने के लिए रेडी हो रहा था। मैं नही जानता था कि वो शाम मेरी परफॉरमेंस की आखिरी शाम साबित होगी। मेरे डायरेक्टर के एक कॉल ने मेरी जिंदगी ऐसी दोराहे पर लाकर खड़ी कर दी, जहां से एक नया सफर शुरू हुआ और तब मैम अपनी लाइफ का वो फैसला लिया जिसे लेना मेरे लिए आसान नही था।  मेरा नाम शानू है, उम्र 19 साल और कद काठी से काफी स्लिम और छोटी हाइट का होने के कारण झांकी के डायरेक्टर सिद्धान्त कुमार; हमेशा मुझसे फीमेल रोल्स ही करवाते। मुझे फीमेल रोल्स करने में कोई आपत्ति नही क्योंकि इसी से मेरा घर चलता है और सबसे ज्यादा पैसे भी मुझे ही मिलते हैं। मेरी बूढी माँ और छोटी बहन के सिवा मेरी लाइफ में कुछ भी नही था, ना अपना घर, ना ही कोई जमीन और ना ही कोई सेविंग्स। बहन की शादी समय से हो, इसीलिए मैं सेविंग्स करना शुरू कर दिया, मैं अपनी लाइफ में बड़ा ही खुश था, लेकिन एक दिन कुछ ऐसा हुआ कि मेरी खुशी को ग्रहण लग गया। वैसे तो झांकी परफॉरमेंस के दौरान अक्सर जवान लड़े और बूढ़े मर्द मुझमे इंतेरेस्ट दिखाते, मुझसे मेरा नंबर मांगते और मैं भी किस...

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अनिरुद्ध सिंह शहर के जाने माने इंडस्ट्रियलिस्ट थे , जिनकी शहर और समाज में बहुत इज़्ज़त थी। अनिरुद्ध सिंह की पत्नी शहर की जानी मानी डॉक्टर थीं और उनका बड़ा बेटा राज इंजीनियर और छोटा बेटा देवेश अपनी इंजीनियरिंग के पहले साल में कोलकाता में पढाई कर रहा था। टिकटोक और यूट्यूब वीडियोस का चलन जोरों पर था और कोलकाता में ज्यादातर लड़के मोंटी रॉय और संजीब दास को फॉलो करते और देखते ही देखते देवेश भी टिक्टक वीडियोस बनाने लगा ताकि उसकी भी अपनी एक पहचान बने! लेकिन देवेश की यही चाह उसे ऐसे मोड़ पर ले आई जहाँ से कोई यू टर्न नहीं बचा था और यहीं से कहानी की शुरुआत होती है। अनिरुद्ध - देव! ये सब क्या है ? देवेश - वो पापा मैं! अनिरुद्ध - देखो ऋतू , अपने नालायक बेटे की करतूत! यही करने भेजा था कोलकाता मैंने! ऋतू - मैं बात करती हूँ , आप शांत हो जाइए! अनिरुष - समझा लो अपने बेटे को! कोलकाता पढ़ने गया है और अपनी पढाई पर ध्यान दे! ऋतू - आप शांत हो जाइये और आराम करो! मैं देव से बात करती हूँ! अनिरुद्ध - हम्म! अनिरुद्ध के जाने के बाद! ऋतू - ये क्या है देवेश! तुझे ऐसे लड़कियों की तरह कपडे पहनने की क्या ज...