Gaurav and Karthik became women by having sex change and an NRI made both Gaurav and Karthik his beloved Dulhans.
साल २००१, गौरव और कार्तिक, पार्ट – १
गौरव और कार्तिक, एक ही कॉलेज से पास आउट हुए, फिर दो अलग अलग अमेरिकी कम्पनीज में दोनों का सेलक्शन हुआ। दोनों बहुत अच्छे दोस्त थे और लॉस एंजेलिस में जॉब पाने का दोनों का ही सपना था। दोनों बहुत खुश थे और बिना समय गंवाए दोनों ने एक साथ ही वीसा अप्लाई कर दिया। कुछ महीनो बाद दोनों अमेरिकन कम्पनीज में अच्छी पोस्ट पर कार्यरत। गौरव पंजाब का रहने वाला था और कार्तिक हिमाचल का। कद काठी में दोनों में कोई ख़ास अंतर् नहीं था और दोनों ही काफी गोरे भी थे। एक साल बीत गया, सबकुछ अच्छा चल रहा था कि एक दिन गौरव ने अपनी कंपनी में रिजाइन कर दिया। जब कार्तिक को गौरव के रेसिग्नेशन का पता चला तो उसने गौरव को कॉल किया।
“हाय कार्तिक,
हाँ मैंने रिजाइन कर दिया है, एक दूसरी कंपनी में मेरा सिलेक्शन हो गया है और
३ महीने बाद जोइनिंग है। २ महीनो का इस कंपनी में जॉब बाकी है, उसके बाद अगले एक महीने एन्जॉय करूँगा और फिर
तीसरे महीने में नया कंपनी ज्वाइन करूंगा।”, गौरव बोला।
“वाओ ड्यूड,
बधाई हो। एक काम करना तीसरे महीने एन्जॉय ही
करना है तो मेरे अप्पार्टमेन्ट में आ जाना।”, कार्तिक बोला।
“थैंक्स कार्तिक,
पर मैंने कुछ सोच रखा है। वैसे कुछ ख़ास प्लान
कर रहे हो क्या?”, गौरव ने पूछा।
“नहीं गौरव,
अगर मैं तुम्हे १५ दिन मेरे अप्पार्टमेन्ट में
बिताने के पैसे दूँ तो?” कार्तिक ने कहा।
“पैसे, वो भी तुम्हारे अप्पार्टमेन्ट में १५ दिन
बिताने के लिए?”, गौरव ने पूछा।
“हाँ गौरव,
एक्चुअली क्या है ना कि मेरे माँ और पिताजी
यहाँ आने वाले हैं। और एक छोटी सी प्रॉब्लम आ गयी है।”, कार्तिक बोलते बोलते रुक गया।
“कैसी प्रॉब्लम?”
गौरव ने पूछा।
“एक्चुअली,
मैंने मेरे माँ पिताजी से कह दिया था कि मैंने
शादी कर ली है, क्यूंकि वो दोनों
मेरी शादी करवाना चाहते थे और मैं अभी अपना करियर बनाना चाहता था। इसीलिए मैंने
झूठ बोल दिया लेकिन अब मेरे साथ प्रॉब्लम ये है कि मैं अब अपनी पत्नी कहाँ से
लाऊँ! कॉलेज टाइम में तुमने एक प्ले में औरत का रोले प्ले किया था, याद है गौरव, बस १५ दिनों के लिए मेरी बीवी बनकर यहाँ रह लेना। मेरे माँ
और पिताजी भी खुश होकर वापिस चले जायेंगे और तुम्हे १५ दिन के बहुत अच्छे पैसे भी
दूंगा। बाकी के १५ दिन तुम एन्जॉय लेना, मेरी इतनी हेल्प कर दो गौरव।”, कार्तिक बोला।
“देखो कार्तिक,
कॉलेज टाइम में १५ मिनट्स का प्ले किया था
मैंने और यहाँ १५ दिनों की बात है। यार मेरे बस की बात नहीं है कार्तिक, तुम किसी लड़की को हायर कर लो ना इस काम के
लिए।”, गौरव बोला।
“जरूर हायर कर
लेता गौरव, लेकिन मैंने अपने माँ और
पिताजी से कहा है कि लड़की देसी है और यहाँ मैं कहाँ अंग्रेजो के बीच देसी लड़की
ढूंढूं। तुम मान जाओ गौरव मैं तुम्हे २ महीने की सैलरी देने को तैयार हूँ।”,
कार्तिक बोला।
“ठीक है कार्तिक,
मैं एक दो हफ़्तों में सोच के बता दूंगा।”
ऐसा कहकर गौरव ने कॉल डिसकनेक्ट कर दिया।
कार्तिक को पता
था की गौरव को लड़कियों के कपडे पहनना पसंद है और वो ऐसा कोई मौका अपने हाथ से
जाने नहीं देगा। कार्तिक को जब गौरव ने ये कहा कि वो सोचकर बताएगा, इसका मतलब था कि वो तैयार था। कार्तिक खुद गे
फीलिंग्स रखता था लेकिन गौरव को सिर्फ क्रॉसड्रेसिंग पसंद था। उसके अंदर गे के
जैसी कोई फीलिंग्स नहीं थी और २ हफ्ते बाद गौरव ने कार्तिक को कॉल किया और उसे
कन्फर्म कर दिया कि वो १५ दिनों के लिए उसकी पत्नी बनकर रहने को तैयार है। कार्तिक
बहुत खुश था, उसने गौरव के लिए
ऑनलाइन से सिलिकॉन बूब्स का एक पेअर मंगवा लिया, एक फेक वजाइना और ढेर सारी साड़ियां भी। ये सब कार्तिक ने
गौरव के होम एड्रेस पर मनवा दिया था।
२ महीने बाद,
एअरपोर्ट में
दोनों कार्तिक के माता-पिता के आने का इंतज़ार ही कर रहे थे। आखिर वो घडी आ ही गयी
थी, अब तक तो सब ठीक था पर
गौरी अब नर्वस होने लगी थी। अब तो उसकी असली परीक्षा शुरू होने वाली थी, उसने अपनी साड़ी को देखा और सोचने लगी कि यह
साड़ी अपने सास ससुर के सामने पहली बार पहनकर आने के लिए सही भी है या नहीं! चेहरे
से ही थोड़ी घबरायी हुई लग रही थी वो, गौरी ने एक भारी भरकम बनारसी साड़ी पहनी थी, जो एक नयी नवेली बहु के लिए बिलकुल सही थी, जो अपने सास ससुर से पहली बार मिलने वाली थी।
उसने सुन्दर गहने भी पहने हुए थे और उसकी साड़ी की भारी बॉर्डर से मैच कर रहे थे।
हाथ में कंगन भी थे, जो कार्तिक ने
उसे खरीद के दिए थे, पर न जाने गौरी
कहाँ खो गयी थी। इस वक़्त अचानक से ही गौरी की जगह गौरव आ गया था बाहर, तन पर तो साड़ी थी पर मन एक पुरुष का था ..
गौरव का… “ये क्या कर रहा है गौरव?”,
उसके मन ने उससे कहा। जिस साड़ी में गौरी
इठलाती हुई एअरपोर्ट आई थी और जो गर्व से अपने बड़े से मंगलसूत्र को पहनकर पत्नी
बन इठला रही थी, उसी औरत की जगह
अब गौरव था… एक आदमी जो उस
साड़ी को पहनकर बहुत असहज महसूस कर रहा था। वजनी बूब्स और भारी गहने और ऊपर से
भारी साड़ी गौरव को विचलित कर रही थी और इतना विचलित कि गौरव उस साड़ी को उतारकर
अब बस शर्ट पैंट पहनकर वहां से बस निकल जाना चाहता था और उसके चेहरे से उसकी
असहजता कार्तिक से छुपी न रही।
“क्या बात है
गौरी. बहुत परेशान दिख रही हो तुम”, कार्तिक ने पूछा।
“नहीं कुछ नहीं”,
गौरव ने किसी तरह जवाब दिया।
पर ये क्या उस
खुबसूरत औरत से इतनी मर्दानी आवाज़? वो आवाज़ सुनकर तो कार्तिक भी आश्चर्य में था। इतने दिनों में गौरी के मुंह से
उसने मर्दानी आवाज़ नहीं सुनी थी। गौरव भी ये समझ गया था, उसने एक बार फिर औरत की आवाज़ निकालने की कोशिश की और कहा,
“नहीं कुछ बात नहीं है.” पर उसकी आवाज़ थोड़ी मर्दानी और थोड़ी औरत का मिक्स थी।
गौरव के अंग अंग
में डर के मारे रोंगटे खड़े हो गए थे, इतने दिन से गौरी के रुप में वो पूरी तरह औरत की तरह सोच रहा था पर अचानक ही
वो एक बार फिर मर्द बन चूका था। एक साड़ी पहना हुआ मर्द, जहाँ पहले स्त्री के हाव-भाव उसके लिए बिलकुल आसान थे अब वो
सिर्फ एक औरत होने का नाटक करने की कोशिश कर रहा था। वो कोशिश करता रहा कि एक बार
फिर गौरी वापस आ जाए पर वो वापस नहीं आई। एक मर्द कार्तिक को अपने पति के रूप में
देखकर उसे खुद से शर्म आने लगी कि वो इस बात के लिए तैयार कैसे हो गया?
फिर भी वो दोनों
वहीँ इंतज़ार करते रहे और तभी २ लोगो की आकृति उनके सामने दिखने लगी। कार्तिक के
चेहरे के उत्साह को देखकर गौरव को समझ आ गया था कि यही उसके सास ससुर है। गौरव की
कमर पर पेटीकोट और साड़ी उसे बहुत टाइट और भारी लगने लगी, वो असहज होकर अपनी साड़ी संभालने लगा और सामने जो औरत उसकी
ओर आगे बढती हुई दिखाई दी… उसे देखकर तो ऐसा
लगा जैसे किसी टीवी के सास बहु के सीरियल की तरह की एक अमीर घराने की सास उसके
सामने निकल आई हो। भारी साड़ी, भारी गहने और
गोल-मटोल शरीर.. ऐसा लग रहा था जैसे उसकी सास किसी हवेली की रानी हो।उस सास को
देखकर तो गौरव अपने ससुर की ओर देखने की भी नहीं सोच पा रहा था। वो दोनों अब
कार्तिक और गौरव के बहुत करीब थे, कार्तिक के इशारे
से उसे समझ आ गया था कि उसे एक बहु की तरह झुककर अपने सास ससुर के पैर छूने है।
पर हाय यह क्या…
झुकते ही उसका एक नकली बूब्स ब्रा से निकल कर
सरककर बीच में आ गया। किसी तरह तो गौरव ने झुके झुके ही अपने बूब्स को वापस सही
जगह लाया और यही उम्मीद किया कि किसी ने उसे ऐसा करते देखा न हो।
“वाह मेरी बहु
रानी तो बहुत सुन्दर है”, गौरव की सास ने
उसके चेहरे को हाथ लगाते हुए कहा। बहुरानी शब्द सुनकर ही जैसे गौरव अन्दर ही अन्दर
चिढ गया पर उसकी सास इस वक़्त रुकने कहा वाली थी। उसने गौरव की साड़ी के पल्लू को गौरव
के सर के ऊपर रखते हुए उसके पल्लू के दुसरे छोर को उसके ब्लाउज पर से ढंकते हुए
गौरव के हाथ में पकडाती हुई बोली, “तुम बहुत सुन्दर
हो बहु पर एक औरत और भी सुन्दर लगती है जब उसके सर घूँघट से ढंका हुआ हो!”
जहाँ गौरव की सास यह कह कर मुस्कुरा रही थी वहीँ गौरव को अंदाजा हो रहा था कि अगले १४ दिन उसके लिए आसान नहीं होने वाले है। कहाँ वो सोच रहा था कि वो कितनी ख़ुशी से बहु बनकर अपने सपनो को पूरा करेगा पर गौरी थी की अब उसके मन में आ ही नहीं रही थी, उसकी ऊँची हील की सैंडल उसे अब परेशान कर रही थी।
“आप लोगो की
यात्रा कैसी रही?”, किसी तरह से औरत
की कांपती हुई आवाज़ में गौरव ने अपने घूँघट और पल्लू को संभालते हुए कहा। जिन
कंगन और चूड़ियों की आवाज़ उसे इतना लुभाती थी वही कंगन और चूड़ियाँ उसे अब मुसीबत
लग रहे थे।“यात्रा तो अच्छी रही बहु,
अब बस घर पहुच कर अपनी बहु के हाथ का खाना खा
ले तो सब ठीक हो जाएगा।”, गौरव के ससुर ने
हँसते हुए कहा।
“हाँ पिताजी,
गौरी ने आपके लिए बढ़िया खाना बनाया है,
बस हम यहाँ से जल्दी ही घर पहुँच जायेंगे।”,
कार्तिक ने कहा।
और सभी वहां से
सामान लेकर कार की ओर जाने लगे साड़ी और हील में गौरव को चलने में न जाने क्यों
दिक्कत हो रही थी।
“इतनी ऊँची हील मत
पहना करो बहु, तुम्हारे पैरो के
लिए ठीक नहीं है.”, गौरव की सास ने
उससे कहा तो वो बस अपने घूँघट को संभालते हुए आगे चलता रहा।
“माँ, तुम इतने सारे सूटकेस लेकर आई हो. क्या है
इसमें?” कार्तिक ने पूछ
“अरे …. पहली बार अपनी बहु से मिलने आ रही हूँ, तो उसके लिए साड़ियाँ और लहंगे लेकर आई हूँ।
पंडित परिवार की बहु के लिए उसके हिसाब के कपडे होने चाहिए न।”, सास ने कह
“अरे माँ, गौरी के पास बहुत सी साड़ियाँ है, हमने लॉस अन्जेलेस जाकर खरीदी थी, उसके लिए।”, कार्तिक बोला।
“अरे रहने दे अपने
लॉस अन्जेलेस की साड़ियाँ… भला जयपुर की
पारंपरिक साड़ियों के सामने वो टिकेगी, मेरी बहु तो ख़ास जयपुर की नक्काशी वाली साड़ियाँ और लहंगे पहनेगी, वैसे भी तेरे मामा मामी जब मिलने आयेंगे बहु और
हमसे तो उन्हें लगना तो चाहिए कि हमारे खानदान की बहु से मिल रहे है। ये सब बातें
सुनकर तो गौरी को मानो उलटी आने लगी, अब मामा मामी और आयेंगे उससे मिलने! घर में गौरव अपने सास ससुर के लिए खाना
गर्म कर रहा था, सर पे घूँघट और
हाथ में ढेर सारी चूड़ियों से उसे काम करने में बहुत मुश्किल हो रही थी। वो सोच
रहा था कि आखिर क्यों उसने इतनी चूड़ियां पहन लिया था आज और फिर उसके भारी बूब्स
जो उससे जगह पर संभल नहीं रहे थे वो और मुसीबत बने हुए थे। किचन की गर्मी में उसके
ब्लाउज में उसे बहुत पसीना भी आ रहा था आखिर में परेशान होकर उसने गैस की आंच कम
की और बाथरूम चला गया। कोई और दिन होता तो खुद को बाथरूम के शीशे में इतनी सुन्दर
साड़ी और गहने पहन देखकर वो बहुत खुश होता पर आज वो ख़ुशी न थी, उसने झट से अपने ब्लाउज को खोला ताकि कुछ हवा
लग सके और उसका पसीना सूखे। उसने बहुत सेक्सी ब्रा पहन रखी थी, पर आज ब्रा उसकी परेशानी का सबब थी। कम से कम
कुछ देर के लिए उसके सीने को खुला खुला महसूस हुआ तो उसे अच्छा लगने लगा, वो अपना पल्लू हिलाते हुए अपने सीने पर हवा
करने लगा, पर किचन में गर्म होता
खाना जल न जाए इसलिए वो ज्यादा देर बाथरूम में रह भी नहीं सकता था। उसने अपनी ब्रा
का स्ट्राप को थोडा और जोर से कस दिया ताकि उसके बूब्स जगह पर टीके रहे। १४ दिनों
की उसकी मुसीबत की तो यह बस शुरुआत ही थी। उसने अपनी ब्लाउज के हुक लगाये और एक पल
चैन की सांस लेते हुए वहीँ शीशे के सामने खड़ा रहा।
“बहु… ओ बहु..”, उसे बाहर से उसकी सास की आवाज़ आई तो उसने झट से अपने
ब्लाउज को आँचल से ढंका और सर पे एक बार फिर घूँघट लेकर बाहर आ गया। उसकी सास
अन्दर के अपने कमरे से नहाधोकर नए कपडे पहनकर आई थी, उसकी सास को देखकर तो लगता था जैसे की बस वो किसी पार्टी
में ही जाने वाली हो। उसकी सास के हाथ में कुछ साड़ियाँ और पेटीकोट और ब्रा थी। “बहु ये मेरी कुछ साड़ियाँ और कपडे है, इन्हें धो देना तुम”, सास बोली।
“जी, माँजी, मैं आज ही इन्हें मशीन में लगा दूँगी।”, गौरव ने उन साड़ियों को हाथ में लेकर कहा, कितनी भारी साड़ियाँ थी वो।
“अरे मशीन में
धोओगी, तुम इतनी महँगी साड़ियों
को? इन्हें तो हाथ से नजाकत
से धोना होगा।”, सास बोली।
“बहु मेरे भी कुछ
कपडे कमरे में रखे है, उन्हें भी धो
देना।” तभी ससुर भी बोल पड़े।
“जी पिताजी”,
बस इतना कहकर गौरव अन्दर के कमरे में जाकर अपने
ससुर के कपडे भी ले आया, एक आदमी के
अंडरवियर को हाथ में पकड़ कर उसे अपनी किस्मत से चिढ हो गयी। बहु होना आसान नहीं
है, वो सोचने लगा, पर फिर जल्दी ही उन कपड़ो को अपने कमरे के
बाथरूम में रखकर वो किचन में आ गया और जल्दी ही सबके लिए टेबल पर खाना लगाने लगा,
सबको भूख जो लगी थी।
“खाना खाकर तो
मज़ा आ गया बहु, पर तुम अपनी सास
से कुछ दिनों में कुमाऊनी खाना बनाना सिख लेना, असली मज़ा तो उसी में है।”, ससुर ने जब गौरव से कहा तो गौरव से कुछ और न कहा गया। खाने
के बाद उसके सास ससुर अपने कमरे में आराम करने चले गए तो गौरव भी बाथरूम जाकर कपडे
धोने के लिए तयारी करने लगा। अमेरिका में बाथरूम में कपडे धोने की जगह तो होती
नहीं तो किसी तरह उसने अपनी साड़ी को अपनी कमर में ऊपर उठाकर ठूंसा और फिर बाथटब
के अन्दर बैठकर अपनी सास की साड़ी धोने लगा। जो की बहुत मेहनत का काम था, अपने माथे का पसीना पोंछते हुए उसने किसी तरह
कपडे धोये और फिर उन लम्बी लम्बी साड़ियों को सुखाने का इंतज़ाम किया। किसी तरह
सास ससुर की सेवा करते हुए उसका एक दिन बिता और फिर थक हारकर वो कुछ कपडे जैसे
पेटीकोट और ब्रा वगेरह जिसे उसने मशीन में धोये थे, उन्हें लेकर कमरे में आया जहाँ कार्तिक बिस्तर पर आराम से
लेटा हुआ था। उसने उन कपड़ो को बिस्तर पर रखते हुए कार्तिक से कहा, “सुनो तुम इन कपड़ो को तह करने में मेरी मदद
करोगे प्लीज़?” बेचारी गौरी को
दिन भर काम करते देख कार्तिक ने भी उसकी मदद करने की सोचा और उन कपड़ो में सबसे
पहले तो अपनी पत्नी की ब्रा को पकड़ा और बोला, “गौरी तुम्हारी ब्रा तो बहुत बड़ी है यार और सुन्दर भी।”
कार्तिक की बात
सुनकर गौरव खीज सा गया और उसने एक दूसरी ब्रा उन कपड़ो से निकालकर कार्तिक को
पकडाई।
“ये तो बहुत ही
बड़ी है यार।”, कार्तिक बोला।
“हाँ… इसमें मेरे साइज़ के ३ औरतों के बूब्स आ
जायेंगे, तुम्हारी माँ की ब्रा है
ये”, गौरव ने कहा।
गौरी की बात
सुनते ही कार्तिक सकपका गया और वो ब्रा तुरंत उसके हाथ से छुट गयी।
“ये मुझे देने की
क्या ज़रुरत थी, तुम ही संभालो इन
कपड़ो को।”, कार्तिक बोला।
“ठीक है.”,
गौरव ने कहा. “मैं बाथरूम से कपडे बदलकर आती हूँ।”, उसने आगे कहा और अपना ब्लाउज उतार कर अलमारी से नाईटी
निकाली और बाथरूम चला गया, न जाने क्यों आज
कार्तिक का अपनी पत्नी गौरी के ब्लाउज को पकड़ने का मन कर गया। उसने उसे अपने हाथो
में पकड़ा तो उसे ब्लाउज की आस्तीन में अन्दर पसीने से गिला धब्बा दिखाई दिया,
बेचारी गौरी ने दिन भर मेहनत जो की थी, भले गौरव एक औरत के रूप में औरतों वाले डीयो
लगाता था, पर कार्तिक ने जब उस
ब्लाउज की आस्तीन को सुंघा तो उसे एक मर्दानी पसीने की गंध आई। ना जाने क्यों वो
ब्लाउज में पसीने की उस मर्दानी खुशबु से मदहोश हो गया था, वहीँ गौरव बाथरूम में साड़ी और पेटीकोट उतारकर नाईटी पहन
रहा था। बिना ब्रा और बिना पैंटी के नाईटी पहनना आज उसकी मजबूरी थी। दिनभर टाइट
ब्लाउज और भारी स्तनों और साड़ियों से वो आज़ाद होना चाहता था। अब नाईटी में खुला
खुला उसे बहुत अच्छा लग रहा था, कपडे बदलकर जैसे
ही वो कमरे से आया तो कार्तिक थोडा सकपका गया और उसने तुरंत ही अपने हाथ से ब्लाउज
को साइड में रख दिया। गौरी को एक बार फिर बिना पैंटी के उस उभार के साथ देखकर उसे
कुछ कुछ होने लगा पर गौरव इन सबसे अनभिग्य था और वो अपनी साड़ी पेटीकोट ब्लाउज
वगेरह को बिना समेटे ही उठाकर एक कोने में रखकर सो गया। उसके लिए अगला दिन और
मुश्किल होने वाला था, उसी बिस्तर के
दूसरी ओर कार्तिक कमरे की धीमी धीमी रौशनी में गौरव को नाईटी में उसकी नितम्ब को
देख कुछ सोच रहा था। उसका मन कर रहा था कि वो गौरी की कमर के निचे के उभ्हार को
पकड़ कर थोडा सहलाए और उसे खड़ा करे पर बिना कुछ किये वो बेताबी में सोने की कोशिश
करता रहा।
जब एक आदमी सुबह
सुबह उठे तो उसे क्या होता है? यदि उसने अपने
शरीर की उत्तेजना का अंत न किया हो तो सुबह सुबह उसका लिंग खड़ा होता है। और ऐसा
ही हाल गौरव का था, उसकी नाईटी में
उसका लिंग पूरी तरह से उसकी नाज़ुक नाईटी में तना हुआ था। वो अब भी नींद में था और
कार्तिक उसे देख रहा था, कार्तिक के लिए
तो जैसे उसकी बेताबी बढती ही जा रही थी। वो कुछ करना चाहता था, पर करे तो कैसे करे? गौरी तो उसकी मदद के लिए आई थी, वो उसके साथ ऐसे कैसे करता?
कार्तिक की
बेताबी से बिलकुल अलग गौरव नींद में आंहे भर रहा था और न जाने किन सपनो में खोया
हुआ था, पर तभी अलार्म बजा तो
उसकी नींद खुली। उस वक़्त सुबह के ६ बजे थे, उसका लिंग तना हुआ था जिसको वो चाह कर भी छुपा नहीं सकता
था। उसे एक बार फिर जल्दी से उठकर एक बहु के रूप में अपना दिन शुरू करना था,
उसे अपने लिंग का एहसास था जिसकी वजह से उसी
थोडा शर्म भी आ रही थी। फिर भी वो उठा और अपने लम्बे बालो को अपनी उँगलियों से
सवारकर एक बालो का जुड़ा बनाकर अपने पैरो को अपने शरीर के करीब मोड़ कर अपने तने
हुए लिंग को छुपाने की असफल कोशिश करने लगा। कार्तिक ये सब देख रहा था पर उसने कुछ
कहा नहीं।
“तुम इधर मत देखो
जी”, एक पल को तो जैसे गौरव के
अन्दर गौरी वापस आ गयी थी जो शर्माते हुए बोल रही थी। शर्माते हुए वो उठी तो उसके
साथ उसका खड़ा लंड उसकी नाईटी को उठाकर उसे साथ उठ खड़ा हुआ। गौरी के मन करने पर
भी कार्तिक उसे मुस्कुराते हुए देख रहा था। शर्माती हुई गौरी बाथरूम में पहुंची,
उसे लगा कि उसे अपने लिंग को सहला कर अब आराम
करने का मौका देना चाहिए। आखिर उसकी नाईटी में उसे भी सेक्सी लग रहा था, पर समय कम था और वो जल्दी से नाईटी उतार कर
शावर में जा पहुंची। गरम पानी उसके लिंग पर बहने लगा तो वो उसे छूने लगी, पानी के असर से उसका लिंग का तनाव थोडा कम हुआ।
फिर बालो को सुखाकर एक पैंटी और ब्रा पहनकर वो कमरे में आ गयी। कार्तिक अब भी उसकी
पैंटी को घुर रहा था। पर उसे अनदेखा कर गौरी अपनी साड़ी पहनने लगी। एक बार फिर बहु
बनने को तैयार।
सज्धज कर जब गौरी
बाहर निकली तो उसकी सास पहले से ही तैयार बैठी हुई थी। उनको देखकर तो यकीन ही नहीं
होता था कि कोई इतने सवेरे ऐसे तैयार भी हो सकता है। सास को देखते ही एक बार फिर
गौरी न जाने कहाँ रफूचक्कर हो गयी और एक बार फिर रह गया था, गौरव एक औरत के लिबास में. “माँ जी, मैं अभी नाश्ता
बनाती हूँ आप सभी के लिए.”, गौरव ने घूँघट के
साथ अपनी सास से कहा तो सास मुस्कुरा दी और बोली, “हाँ चल. मैं भी तुझे जरा सिखाती हूँ कि कुमाऊनी परिवार की
बहु कैसे नाश्ता बनाती है।”
गौरव की सास बहुत
ही स्वीट सास की तरह अपनी बहु को सिखा रही थी पर गौरव था कि एक नर्वस बहु की तरह
था। उसे तो सिर्फ सादा खाना और नाश्ता बनाना आता था और उसकी सास उससे इतना कुछ
करवा रही थी। एक आदमी के लिए बहु बनना बहुत मुश्किल होता है, यदि इस वक़्त वो दिल से गौरी होती तो वो बड़ी
खुश होती पर इस वक़्त तो गौरव था जो बहु होने का रोल अदा कर रहा था। नाश्ता बनाते
हुए जाने अनजाने में उसकी सास के बूब्स उसकी बांह को छुआ जाते थे, टेंशन में होते हुए भी उन स्तनों के स्पर्श से
गौरव पर कुछ असर होने लगता। उसका दिमाग सोचने लगता कि उसके बूब्स दबाकर कितना मज़ा
आता, उसे ऐसा नहीं सोचना चाहिए
पर एक आदमी का दिमाग कुछ भी कभी भी सोच सकता है। उसकी साड़ी के अन्दर उसका लंड
खड़ा होने लगा था, पर फिर भी किस्मत
से भारी साड़ी और भारी पेटीकोट की वजह से उस लंड का उभार बाहर नहीं दिख रहा था।
सभी को नाश्ता
कराने के बाद जब कार्तिक ऑफिस चला गया तो गौरव की सास ने उससे कहा, “बहु.. चल मैं तुझे वो साड़ियाँ दिखाती हूँ जो
मैं तेरे लिए लेकर आई हूँ।”
ये सुनते ही गौरव
के अन्दर की गौरी जाग उठी, नयी साड़ियाँ
देखना तो हर औरत को पसंद होता है… और गौरी भी वैसी
ही थी, पर वो ज्यादा खुश होती
उसके पहले ही उसकी सास बोल उठी, “और फिर एक साड़ी
मैं तुझे पहना भी दूँगी, तुझे कुमाऊनी तरह
से साड़ी पहनना नहीं आता होगा न।”
हाय… यदि गौरव का लंड एक बार फिर खड़ा हो गया तो जब
उसकी सास अपने हाथो से उसे साड़ी पहना रही होगी? ये सोचकर ही गौरव की चिंता बढ़ गयी। पर उसके पास कोई चारा
नहीं था। अन्दर कमरे में गौरव की सास ने उसे ढेर सारी साड़ियाँ दिखाई जिसमे से
गौरव ने एक उस वक़्त पहनने के लिए पसंद की। वैसे तो सभी साड़ी एक से बढ़कर एक
सुन्दर थी पर उसने जान बुझकर ऐसी साड़ी पसंद की जिसका पेटीकोट सबसे ज्यादा भारी था
और जिसमे खूब सारी चुन्नटें थी, शायद इनके पीछे
उसका लंड छिप जाए। नयी साड़ी पहनने के पहले गौरव बाथरूम में जाकर अपनी पैंटी के
ऊपर २ पैंटी और पहन आया ताकि लंड पर काबू रख सके और फिर उसने वो भारी पेटीकोट
पहना। जितना वो अपने लंड के बारे में सोचता वो और खड़ा होने लगता, फिर भी किसी तरह हिम्मत कर वो बाहर आया जहाँ
उसकी सास अपने हाथ में साड़ी पकडे खड़ी थी और फिर बिना समय व्यर्थ किये वो गौरव की
कमर पर अपने हाथो से साड़ी लपेट कर ठूंसने लगी। गौरव का इस वक़्त बुरा हाल था,
उसकी सास के उसकी कमर पे नाजुक स्पर्श से उसका
लंड उफान पर था। किस्मत से पेटीकोट और ३ पैंटीयाँ उस उफान को काबू में रख पा रही
थी, कब कब ये साड़ी पहनाना
पूरा हो यह सोचकर ही उसके ब्लाउज के अन्दर उसके पसीने छुट रहे थे और ब्लाउज का
अस्तर उस पसीने से भीग रहा था। कहीं उसकी सास को उसके पसीने की खुशबु न आ जाए वरना
उसकी सास को शक हो सकता है। इसी चिंता में जैसे ही उसकी सास ने साड़ी पहना कर उसके
सर पर घूँघट रखा तो उस घूँघट को अपने हाथ से पकड़ कर गौरव की जान में जान आई। उसे
आगे से इसी तरह से अच्छी तरह से साड़ी पहननी होगी क्योंकि वो दोबारा अपनी सास के
द्वारा साड़ी पहनाने का रिस्क नहीं ले सकता था। अब जब चैन की सांस वो ले चूका था
तो खुद को आईने में देख वो अपने रूप पर इठ्लाने लगा। वो सचमुच बेहद सुन्दर कुमाऊनी
बहु लग रहा था। गौरी एक बार फिर उस पर हावी हो रही थी जो अब उस रूप में गहरी
सांसें ले रही थी।
गौरव इस वक़्त
अपने रूप पर इठलाना चाहता था पर उसकी सास की उस पर नज़र उसे थोडा नर्वस कर रही थी।
“बहु बस एक कमी लग
रही है”, उसकी सास ने गौरव से कहा।
“क्या कमी है माँ
जी?”, उसने किसी तरह पूछा।
अभी भी औरत की
आवाज़ निकाल कर एक बहु की तरह बर्ताव करना गौरव के लिए मुश्किल था।
“कुमाऊनी बहु बिना
नथिया के पूरी नहीं होती, तूने अपने नाक
में छेद क्यों नहीं करवाया है? हम लोग अभी जाकर
तेरी नाक छिदा कर आते है।”, सास के मुंह से
ये बात सुनकर गौरव के पैरो तले जमीं खिसक गयी।
गौरव ने कान में
तो छेद कराये थे और क्योंकि लडको में भी ये फैशन होता है तो उसे ऑफिस में कान के
छेद से कोई प्रॉब्लम नहीं थी, पर नाक के छेद?
अपनी सास को लाख समझाने के बाद भी उसकी सास
नहीं मानी, बल्कि वो नाराज़ होने लगी
थी।
“अरे कल तेरे मामा
ससुर तुझे देखने आयेंगे तो वो क्या सोचेंगे कि कैसी बहु है! जिसने नथिया तक नहीं
पहनी है”, उसकी सास ने गुस्से में
कहा था।
और इसी मजबूरी
में गौरव अपनी सास को लेकर शौपिंग मॉल आ गया था, जहाँ एक ब्यूटी पार्लर में अब वो अपनी नाक छिदने का इंतज़ार
कर रहा था। वहां अमेरिकन औरतों और लोगो के बीच वो भारी साड़ी पहने कुमाऊनी बहु के
रूप में बिलकुल अलग लग रहा था। उसकी सास की वजह से उसे सर पर घूँघट भी रखना पड़ा
था सो अलग। वहां लोग उससे तरह तरह के सवाल कर रहे थे और वो अपना घूँघट और साड़ी
संभाले उनके जवाब दे रहा था। भारी पायल और उसकी चूड़ियों की खनक और इस तरह से
साड़ी पहने वो सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर रहा था। अब बस वो कैसे भी ये नाक
छिदा कर वहां से जल्दी से जल्दी जाना चाहता था पर दुकानवाली भी उससे उसकी साड़ी और
गहनों के बारे में तरह तरह के सवाल कर रही थी। कान के छेद कराने के अनुभव से तो वो
इस दर्द से वाकिफ था और फिर जैसे ही उसके नाक का छेद करने के लिए चेयर पर बैठने को
कहा गया, गौरव का हालत ख़राब सा हो
गया, उसने अपनी सास की और
आँखों में आंसू लिए देखा, मानो आँखों ही
आँखों में गौरव नाक ना छिदवाने की गुज़ारिश कर रहा हो। लेकिन उसकी सास ने
मुस्कुराते हुए ब्यूटिशियन की तरफ देखा और उसे गौरव का नाक छेदने को बोली।
ब्यूटिशियन ने
गौरव की सास के कहने पर उसके नाक पर लेफ्ट साइड एक मार्कर से डॉट बनाया और नाक
छेदने वाली गन में एक पिन सेट किया, गौरव की नाक पर सेट किया और गौरव की नाक में छिद गयी, आँखों में आंसू और नाक में एक पिन लिए गौरव अब सही मायनो
में एक कुमाऊनी बहु बन चूका था। गौरव की सास गौरव के चेहरे को ऊपर उठाकर देखा और
अपनी पर्स से पैसे दिए और गौरव के साथ कार में वापस आ गयीं।
उफ़! कितनी तकलीफ
से वो साड़ी संभालते हुए कार चला रहा था, ऐसी भारी साड़ी में कार चलाना और वो भी घूँघट के साथ उसके लिए आसान नहीं था,
ऊपर से नाक में काफी दर्द भी हो रहा था। गाडी
चलते हुए गौरव की नज़र बार बार उसके छिदे हुए नाक पर जा रही थी जिसकी वजह से गौरव
को बहुत शर्म आ रहा था। पर उसे ये सब करते देख उसकी सास अपनी बहु पर बहुत गर्व
महसूस कर रही थी। घर पहुँचते ही गौरव की सास ने उसको एक बड़ी सी कुमाऊनी नथिया
पहनाई गयी और उसकी सास बेहद खुश हो गयी। पर अभी तो आधा दिन ही गुज़रा था, बाकी पूरे दिन वो अपनी सास के साथ किचन में
खाना बनाते रहा और अपनी सास और ससुर की सेवा करता रहा, नाक में दर्द की वजह से उसे बार बार अपनी कुमाऊनी नथिया
संभालनी पड़ रही थी, पूरी तरह औरत के
दर्द से गुज़र रहा था गौरव।
किसी तरह दिन
गुज़रा और रात को कार्तिक घर पर आया तो अपने पति और सास ससुर को खाना खिलाने के
बाद गौरव अपने कमरे में आ गया। अपनी पत्नी को कुमाऊनी नथिया पहने देख कार्तिक को
बड़ा अच्छा लगा। जो भी हो गौरव को साड़ी में देखकर भी कार्तिक का मन रह रह कर गौरव
की साड़ी के निचे छुपे हुए लंड की ओर ही रहता था, गौरव को शायद ये अंदाज़ा हो गया था। वो उस रात को नाईटी
पहनने का रिस्क नहीं लेना चाहता था भले ही साड़ी पहन कर सोना उसके लिए मुश्किल था,
फिर भी उसके पास एक हलकी साड़ी थी जिसे पहनकर
सोना आसान होता। इसलिए उसने एक हलकी क्रेप साड़ी निकाल कर पहन सो गया, कार्तिक के लिए एक बार फिर बेताब करने वाली रात
थी, वहीँ गौरव जिसने सोचा था
कि वो ये दिन गौरी बनकर ख़ुशी से गुजारेगा उसके लिए भी ये सब आसान नहीं था। वो
गौरी की तरह बिलकुल महसूस नहीं कर पा रहा था, भले पूरे समय वो एक खुबसूरत बहु की तरह सजा होता था,
पर उसका मन बिलकुल आदमी की तरह ही सोच रहा होता
था। अगले दिन की शुरुआत भी कुछ अलग नहीं थी, सुबह से उठकर उसे बहुत सारा खाना बनाना था, क्योंकि आज कार्तिक के मामा और मामी अपनी बहु
से पहली बार मिलने आ रहे थे। गौरव की सास के कहने पर उसने आज और भी ज्यादा भारी
साड़ी और पुश्तैनी भारी गहने पहनी हुई थी। इतनी भारी की उसकी मर्दानी कमर भी
नाज़ुक लगने लगी थी और दर्द करने लगी थी। उसे कार्तिक पर गुस्सा भी आ रहा था कि वह
तो ऑफिस चला जाता है पर गौरव को घर में अकेले ही बहु बनकर इतना सब कुछ करना पड़ता
था।
“जीती रहो गौरी
बिटिया, सदा सुहागिन रहो।”,
कार्तिक के मामा मामी ने गौरव को आशीर्वाद दिया
था।
पूरी तरह कमर
झुकाकर मामा ससुर के पैर कई बार छूने में गौरव शर्मिंदगी महसूस कर रहा था, वो आदमी है, गौरव का मन उसे बार बार याद दिला रहा था पर भारी साड़ी और
भारी बूब्स उसे औरत बनने को मजबूर कर रहे थे। कुछ देर उनसे बात करके वो किचन में
आकर खाना गर्म करने में लग गया। इतनी सारी चीजें बनवाई थी कार्तिक के माँ ने गौरव
से जिनको गर्म करने में भी गौरव के पसीने निकल रहे थे, एक बार फिर गौरव ब्लाउज के अन्दर पसीने पसीने हो गयी थी,
पर अचानक ही उसे उसकी बांहों पर किसी के हाथ
महसूस हुए।
“क्या बना रही हो
बहु?”, ये कार्तिक के मामा जी थे
जो गौरव के ब्लाउज की बांह पर उसे कसकर पकड़ चुके थे और गौरव की नितम्ब पर अपने
शरीर से लगा रहे थे। क्या ये सिर्फ गलती से स्पर्श हुआ था? गौरव चौंक पड़ी थी।
“ससुर जी आप यहाँ?”,
गौरव ने घूँघट काढ कर झट से उनसे दूर होते हुए
घबरा कर उनसे पूछा।
“अरे तुम्हारी
मामी और तुम्हारी सास आपस में बातें कर रही है और तुम्हारे ससुर बाहर गार्डन में
है, तो मैंने सोचा कि मैं ही
अपनी बहु को देख आऊँ।”, कार्तिक के मामा
ने कहा।
उनके चेहरे पर एक
क्रूर मुस्कान थी और देखते ही देखते बिना संकोच किये वो गौरव की कमर को अपनी हाथो
से पकड़ कर छूने लगे। उनकी नियत सचमुच खराब थी।
“ये क्या कर रहे
है ससुर जी?”, गौरव ने घबराते
हुए बोली और उनकी गिरफ्त से बाहर होना चाहा, पर उसके मामा ससुर उसकी नितम्ब और स्तनों को छूकर दबाने
लगे।
“मैं तो बस अपनी
बहु को जानने की कोशिश कर रहा हूँ।”, अपनी मक्कार हँसी के साथ वो बोले।
वो तो अच्छा हुआ
कि गौरव की सास और कार्तिक की मामी की किचन की ओर बढ़ने की आवाज़ आई तो गौरव अपने
मामा ससुर की बाहों से बाहर आ सकी, पर उस गिरफ्त से
छूटने के पहले तक उसके मामा ससुर ने गौरव के स्तनों और नितम्ब को दबाने के आनंद के
साथ साथ गौरव के लबो का रस ज़बरदस्ती उन्हें चूम कर ले लिया था। गौरव अब एक कमज़ोर
औरत की तरह महसूस कर रही थी, पर उसके अन्दर का
पुरुष पूरी तरह से गुस्से में था। कैसे गुज़रेगी वो इस हवसी के साथ दिन? वो यही सोच रही थी, एक पल को भी अब वो अपनी सास को अपनी नजरो से ओझल होने नहीं
देगी, वो सोचने लगी।
किसी तरह उसने
अपने आप को अपने मामा ससुर की हवस से उस दिन खुद को बचाया जब तक मामा मामी घर से
चले नहीं गए। उनके जाते ही वो अपने कमरे में जाकर फुट फुट कर रो पड़ी। कैसी हालत
में फंस गयी थी वो? और अपने मामा
ससुर की हवस के बारे में वो किसी को कुछ कह भी नहीं सकती थी।
रात को कार्तिक
ऑफिस से घर आया तो बहुत देर हो चुकी थी, तब तक वो सिसकते हुए सो चुकी थी। कार्तिक तो खुद गौरव के जिस्म को लेकर उतावला
था… वो तो खुद गौरव की साड़ी
उठाकर गौरव के लंड को सहलाना चाहता था और उसके साथ बहुत कुछ करना चाहता था। लेकिन
१२ दिन उसे गौरव की मदद की ज़रुरत थी, इसलिए बिना कुछ किये वो बस रेशमी साड़ी में लिपटी हुई गौरव की नितम्ब को
निहारता हुआ सो गया।
नींद में कई बार
दो शरीर एक दुसरे के पास आ जाते है, भले वो कुछ करे न। ऐसा ही गौरव और कार्तिक के साथ हुआ था, सुबह जब उन दोनों की नींद खुली तो गौरव कार्तिक
की बांहों में थी और कार्तिक का खड़ा लंड गौरव यानी गौरी की नितम्ब पर जोर से टकरा
रहा था और कार्तिक के हाथ गौरव की रेशमी साड़ी पर थे और उसके होंठ गौरव की ब्लाउज
में खुली हुई पीठ से लगे हुए थे। नींद खुलते ही जैसे ही गौरव को ये एहसास हुआ और
वो ज़रा होश में आई तो वो झट से उठकर बिना कुछ कहे अपनी साड़ी संभालती हुई बाथरूम
आ गयी। उसे समझ नहीं आ रहा था कि किसी से कहे तो कहे क्या, ये औरत का रूप उसके लिए कितनी मुसीबत बन गया था।
गौरव और कार्तिक
दोनों को पता था कि सुबह की उस अनजाने में नींद में हुई गलती से दोनों के बीच एक
अनकहा टेंशन था, इस वजह से दोनों
ने ज्यादा बातें नहीं की और कार्तिक अपने ऑफिस जल्दी ही चला गया। वहीँ गौरी घर पर
अपने सास ससुर की बाकी दिन की तरह सेवा करती रही, गौरी की सास उससे दिन भर कुछ न कुछ करवाती रहती थी। मुश्किल
से दोपहर में आधे घंटे की नींद का उसे मौका मिला था पर फिर उसकी सास की आवाज़ से
उसे उठाना पड़ा था। गौरव के नाक में कुमाऊनी नथिया पहनने से अभी भी दर्द था और वो
किचन में अपने सास ससुर के लिए चाय बना रही थी। यही तो समय था जिस वक़्त इस कहानी
की शुरुआत हुई थी और गौरी सोच रही थी कि वो कौन सी घडी थी जब उसने इस घर की बहु
बनना स्वीकार की थी। जब वो कार्तिक के साथ उसकी पत्नी बनकर १४ दिन रहने के लिए
मानी थी, तब तो उसकी तैयारी में वो
मन ही मन बहुत खुश थी, बहु बनकर जीना तो
उसके लिए एक सुन्दर सपना था और उसे कार्तिक पर किसी तरह का डाउट भी नहीं था,
पर पिछले कुछ दिनों में उसे लगने लगा था कि
कार्तिक भी उसके शरीर की तरफ आकर्षित होने लगा था। उसे समझ नहीं आ रहा था कि ऐसा
कैसे हो सकता है, कार्तिक तो गे
था। और गौरी तो उसके सामने एक औरत और एक पत्नी बनकर रह रही थी। उसे ये नहीं समझ आ
रहा था कि कार्तिक का गौरी के लंड की वजह से आकर्षण है। वैसे तो ये दिन गौरव/गौरी
के लिए उतना बुरा नहीं था, सास ससुर की सेवा
तो वो रोज़ की तरह ही कर रही थी, पर इस वक़्त तक
गौरी के अन्दर छुपा हुआ गौरव इन सब से तंग आ चूका था और उस दिन जब कार्तिक ऑफिस से
घर देर से पहुँच कर कमरे में आया तो गौरी का गुस्सा उस पर टूट पड़ा।
“कहाँ थे तुम इतनी
देर तक? मैं यहाँ दिन भर तुम्हारे
माँ बाप की सेवा कर रही हूँ और तुम घर पर समय पर भी नहीं आ सकते?”, गौरी का चेहरा एक गुस्से से भरी पत्नी की तरह
तमतमा रहा था।
“ओहो गौरी, तुम तो जानती हो
कि आज के दिन हफ्ते में एक बार हम सब ऑफिस के बाद खाने के लिए बाहर जाते है,
तुम तो जानती हो कि उस पार्टी में देर हो जाती
है।”, कार्तिक ने एक अजीब सी
मुस्कान के साथ जवाब दिया, वैसी मुस्कान जो
आदमी शराब पीकर देता है।
“तुम शराब पीकर आये हो?”, गौरी और गुस्से से भड़कने लगी तो कार्तिक ने गुस्से से भरी
गौरी को अपनी बांहों में पकड़ लिया
“गौरी तुम तो मेरी
पत्नी की तरह गुस्सा कर रही हो, शराब ही तो पी है,
ऐसा क्या बुरा किया?”, कार्तिक ने कहा और गौरी को बांहों में लेने लगा।
“मुझे छोडो
कार्तिक”, गौरी कार्तिक की बांहों
से बाहर निकलने की कोशिश करने लगी।
“तुम इस नथिया को
पहनकर और बहु के रूप में सचमुच बहुत खुबसूरत लग रही हो गौरी।”,
नशे में धुत
कार्तिक ने गौरी को और जोर से पकड़ने लगा और उसे चूमने की कोशिश करने लगा।
कार्तिक अब गौरी
की नितम्ब को बहुत जोर जोर से अपने हाथ से दबा रहा था और अपने खड़े लंड को गौरी के
शरीर से दबा रहा था।
“छोडो मुझे
कार्तिक, ये क्या कर रहे हो तुम?”,
गौरी खूब कोशिश कर खुद को छुडाने लगी.
“तुम गे हो
कार्तिक. तुम मेरे साथ ऐसा नहीं कर सकते।”, गौरी गिडगिडाने लगी।
पर कार्तिक कहाँ
मानने वाला था, उसने गौरी को और
मजबूती से पकड़ लिया और उसकी साड़ी पर हाथ फेरते हुए गौरी के लंड को अपने हाथ से
पकड़ कर बोला, “हाँ मैं गे हूँ,
पर तुम भी तो औरत नहीं हो डार्लिंग।”, कार्तिक हँसने लगा।
गौरी/गौरव का
चेहरा अब लाल हो गया था, कार्तिक उसके लंड
को पकड़कर हिलाने लगा था और ज़बरदस्ती गौरव का हाथ अपने लंड पर ले जाने लगा।
“डार्लिंग मैं कब
से तुमको प्यार करना चाहता हूँ, तुम इस तरह मुझसे
दूर न भागो।”, कार्तिक गौरी से
कहने लगा।
“कार्तिक प्लीज़…
मैं तुमसे भीख मांगती हूँ, तुम मेरे साथ ये सब नहीं कर सकते। मैं गे नहीं
हूँ। ”, गौरी सचमुच कार्तिक के
सामने कमज़ोर पड़ गयी थी क्योंकि कार्तिक जो भी हो एक मजबूत पंडित आदमी था जिसकी
गिरफ्त से छूटना गौरी के लिए मुश्किल था.
कार्तिक ने
ज़बरदस्ती गौरी को बिस्तर पर उल्टा लिटाया और उसकी साड़ी उठाने लगा, उसके पेटीकोट के अन्दर हाथ डालकर गौरी की पैंटी
उतारने लगा, गौरी के दोनों
हाथ उसकी पीठ के पीछे कार्तिक ने अपने एक हाथ से मजबूती से पकडे हुए था और वहां
गौरी असहाय ही लेती हुई थी जिसकी पैंटी अब उतर चुकी थी और साड़ी पेटीकोट कार्तिक
ने कमर तक उठा लिया था।
“नहीं कार्तिक,
प्लीज मेरे साथ ऐसा मत करो।”, गौरी एक बार फिर बोली।
“डार्लिंग. तुम
चिंता मत करो, तुम्हे भी मज़ा
आएगा, मैं धीरे धीरे…”, कार्तिक ने कहा और उसने गौरी/गौरव की गांड में
अपना लंड डाल दिया। गौरी के मुंह से एक धीमी सी दर्द भरी कराह निकली, “आआह्ह्ह्हह्ह्ह्ह” साड़ी पहनकर गौरी सचमुच अब एक औरत की मुश्किलों को खुद
महसूस कर रही थी और कार्तिक अपना लंड गौरी की गांड में जोर जोर से अन्दर बाहर करने
लगा। बेचारी गौरी अब कुछ और नहीं कर सकती थी, चेहरे पर वो हैवी डिज़ाइनर कुमाऊनी नथिया बार बार टकरा रहा
था, झुमके भी बार बार आगे
पीछे हो रहे थे, बूब्स भी आगे
पीछे हो रहे थे और वो बस इस बुरे समय के ख़तम होने का इंतज़ार करने लगी। जब कार्तिक ने अपनी हवस
पूरी कर ली, तब वो गौरी के
बदन से उठकर अलग हुआ और गौरी को उल्टा पलट कर लिटा दिया।
“मैं तुम्हे भी
खुश करूंगा मेरी गौरी डार्लिंग।”, कार्तिक ने कहा
और एक बार फिर गौरी की साड़ी उठाकर गौरी के लंड को हिलाने लगा, एक कमज़ोर औरत सा अनुभव करती हुई गौरव का लंड
इस वक़्त कैसे खड़ा होता भला? फिर भी कार्तिक
उसे चूसने की कोशिश करता रहा और ऐसे ही कोशिश करते करते कार्तिक वहीँ उसकी गोद में
सो गया और गौरी वहां बस लेटी रही। आखिर में उसने कुमाऊनी बहु होने का सबसे बुरा
रूप देख ही ली थी, गौरव अब एक औरत
होने के सबसे बड़े सुख और दुःख दोनों को समझ चूका था।
शायद रात को अपनी
की हुई हरकत पर कार्तिक शर्मिंदा था, इसलिए सुबह सुबह गौरी से बिना कुछ कहे ही अपना मुंह छिपाए वो अपने ऑफिस के लिए
निकल गया था और घर में रह गयी थी गौरी, जो समझ नहीं पा रही थी कि वो अब क्या करे। किसी को कार्तिक का सच बताकर उसे
कुछ अच्छा हासिल भी नहीं होगा क्योंकि उसकी अपनी असलियत सब के सामने आ जाएगी,
पर घर में वो सास ससुर तो थे ही जो अपनी बहु के
उठने का इंतज़ार कर रहे थे।
जो गौरी के साथ
हुआ उसके बाद उसके शरीर के उस हिस्से में दर्द होना स्वाभाविक था, किसी तरह उस दर्द के साथ उठकर वो बाथरूम गयी।
अब तो उसकी चाल भी बदल गयी थी। उस दर्द की वजह से वो पैर फैलाते हुए चल रही थी,
नहा धोकर और एक बार फिर से तैयार होकर वो
बाथरूम से बाहर आई और धीरे धीरे चलकर किचन जाकर अपने सास ससुर के लिए चाय नाश्ता
बनाने की तैयारी में जुट गयी, पर आज उसका चेहरा
बहुत उदास था और होता भी क्यों नहीं? शायद उसकी सास ने उसकी समस्या को भांप लिया था तभी तो उसने गौरी के ससुर से घर
से १-२ घंटे के लिए बिना चाय पिए ही बाहर मोर्निंग वाक पे जाने के लिए कह दिया था।
“बहु… तुम बहुत उदास लग रही हो.”, सास ने गौरी से कहा, पर गौरी कुछ न बोल सकी और अपने किचन के काम में धीरे धीरे
लगी रही।
“कल कार्तिक शराब
पीकर घर आया था, क्या इसलिए तुम
नाराज़ हो?”, उसकी सास ने एक
बार फिर पूछा।
“नहीं, माँ जी”, गौरी ने धीमे स्वर में कहा और किचन के दुसरे हिस्से से कुछ
सामान लाने के लिए धीरे धीरे उस ओर बढ़ने लगी, लंड के उसके अन्दर जाने के दर्द की वजह से वो पैर फैलाए
धीरे धीरे चल रही थी। उसकी सास शायद अब पूरी बात समझ गयी थी, उसने अपनी बहु को बांह से पकड़ कर रोक कर पूछा,
“मुझे सच सच बताना बहु. मेरे पास कोई और साफ़
सुथरे शब्द नहीं है इस सवाल के लिए. क्या कार्तिक ने कल रात तुम्हारे साथ जबरदस्ती
की?”
अपनी सास के मुंह
से ये सवाल सुनकर गौरी एक पल को भौचक रह गयी पर बिना कुछ कहे ही उसकी सास की ओर
देखते हुए उसकी आँखों में आंसू आ गए, उसकी सास को उसका जवाब मिल गया था, उसकी सास ने गौरी को तुरंत गले लगा लिया और गौरी भी अपनी सास के गले लगकर फुट
फुटकर रोने लगी। गौरी की सास जो अब तक तो बहुत पारंपरिक किस्म की महिला लगती थी जो
अपनी बहु से सब काम करवाती थी, उसका दिल भी पिघल
गया था और वो गौरी के सर पर हाथ फेरते हुए उसे सांत्वना देने लगी।
“बहु, मैं भले कार्तिक की माँ हूँ पर मैं एक औरत भी
हूँ और एक पंडित औरत होने के नाते मैं कहूँगी कि तुम एक पंडित परिवार की बहु हो और
एक पंडित बहु के शरीर को उसके मर्ज़ी के बिना कोई भी मर्द चाहे वो उसका पति ही
क्यों न हो, वो उसे हाथ नहीं
लगा सकता। यदि तुम दोनों की शादी हमारे यहाँ पूरे रीती रिवाज़ से हुई होती न तो
मैं तुझे यह सब सिखा पाती, वरना मर्दों का
क्या है… वो तो औरत को अपनी जागीर
समझते है।” गौरी की सास की बातें सही
भी थी।
“तू अब रोना बंद
कर, तू एक पंडित बहु है,
मैं तुझे सिखाऊंगी कि कैसे एक पंडित बहु अपने
शरीर को अपने पति को अपनी मर्ज़ी से देती है। जब एक मर्द और एक औरत के शरीर आपस
में मिलते है तो सुख दोनों शरीरो को मिलना चाहिए सिर्फ एक मर्द को ही नहीं।”
गौरी ने अपनी सास
की बात सुन बिना कुछ कहे ही नज़रे झुकाए इशारे में कह दिया कि वो उनकी बात समझी
नहीं तो गौरी के सास ने उसके आंसू पोंछते हुए उसके चेहरे को दुलार से देखा और बोली,
“तू मेरे साथ चल मेरे कमरे में, आज मुझे तुम दोनों के सुहागरात की तयारी करनी
है।”
और गौरी का हाथ
पकड़ उसकी सास उसे अपने कमरे में ले गयी और एक बड़े सूटकेस के सामने जाकर खड़ी हो
गयी, जिसे उसने अब तक खोला
नहीं था और फिर जब उसने सूटकेस खोला तो गौरी की आँख खुली की खुली रह गयी। उस
सूटकेस के अन्दर एक बहुत ही खूबसूरत लहंगा चोली और दुपट्टा थी। ऐसा लग रहा था जैसे
२०-२५ किलो का तो लहंगा ही होगा और दुपट्टा ५-६ किलो का अलग। एक से एक पत्थर और
शीशो और जरी के काम से सजा हुआ लहंगा और दुपट्टा उस कमरे की रौशनी में दमक रहा था।
“ये लहंगा मैंने
कुछ महीने पहले अपनी होने वाली बहु के लिए ख़ास तौर से बनवाया था पर तुम दोनों ने
तो यहाँ पहले ही शादी कर ली थी। पर आज एक पंडित बहु की सुहागरात होगी जिसमे तुम
इसे पहनोगी। मैंने कल ही इसकी चोली को तुम्हारे साइज़ के अनुसार सिल दिया था।”,
गौरी की सास वो लहंगा निकालकर गौरी को दिखाने
लगी। उस लहंगे का घेर इतना था कि उसके अन्दर कई लोग समा जाए, जैसे दीपिका रानी पद्मावती बन घूमर करती हुई
लहंगा पहनी थी, ये तो उससे भी
ज्यादा भव्य लहंगा था। इसे पहनकर तो कोई भी औरत एक पंडित बहु होने पर गर्व महसूस
करेगी। इतना गर्व कि वो अपना शरीर किसी भी व्यक्ति को अपनी मर्ज़ी के बिना नहीं
देती। एक पंडित बहु जो कमज़ोर नहीं होगी।
यह सब देखकर गौरी
ने धन्यवाद् कहने के लिए अपनी सास को प्यार से गले लगा लिया। आखिरकार गौरव के
अन्दर अब गौरी के ही मनोभाव थे और गौरव कहीं गूम हो गया था।
“अच्छा अब मुझे
तुम्हारी सुहागरात की बहुत सी तैयारी करनी है, आज तुम्हारे ससुर को बहुत शौपिंग करनी होगी, उन्हें तुम कार की चाबी दे देना।”, सास ने प्यार से मुस्कुराते हुए गौरी से कहा।
वैसे तो इस दिन
भी गौरी को सबके लिए खाना नाश्ता बनाना था पर उसके सास ससुर आज खुद बहुत से काम
में लगे हुए थे। ससुर दूकान दूकान जाकर फुल खरीदने गए थे, तो वहीँ सास गौरी के कमरे को सजाने में व्यस्त थी। शाम तक
पूरा कमरा फूलो की खुशबू से महक उठा था और बिस्तर एक फूलो की सेज में बदल गया था।
अब समय था गौरी के उस लहंगे को पहनने का और एक पारंपरिक पंडित बहु की तरह तैयार
होने का. इसके लिए गौरी पहले तो अपनी चोली पहनकर आई और उसके निचे एक सैटिन का
पेटीकोट पहनकर आई जो उस लहंगे के साथ आया था। क्योंकि उस लहंगे में कई प्रकार के
वर्क किये हुए थे और दुल्हन की नाज़ुक त्वचा पे खरोच न आये इसलिए एक अच्छा पेटीकोट
पहनना ज़रूरी था। गौरी की तो चोली ही १-२ किलो की महसूस हो रही थी। उसके वजन के
सामने आज उसके स्तनों का वजन कम लग रहा था उसे और फिर जब उसकी सास ने उसे वो भारी
लहंगा पहनाया तो उसमे वो खुद को एक नाज़ुक फुल की भाँती महसूस कर रही थी। और फिर
एक एक कर उसकी सास ने उसे पारंपरिक गहने पहनाये ऊपर से निचे तक गौरी गहनों से लद
गयी थी और फिर नाक पर एक बड़ी सी कुमाऊनी नथिया पहन गौरी टिमटिमाने लगी। इतने वजन
के बाद भी उसके चेहरे पर अद्भुत ख़ुशी थी, एक औरत बहुत ख़ास होती है…
ये ख़ास होने का अनुभव वो आज कर रही थी और फिर
अंत में जब उसकी सास ने प्यार से उसके सर पर दुपट्टा चढाते हुए उसके स्तनों पर उसे
लपेटा तो गौरी किसी राजकुमारी से कम नहीं लग रही थी। फिर गौरी की सास ने गौरी को
पकड़ कर उसे सुहाग की सेज पर ले गयी, भारी लहंगे को लेकर चलने में एक एक कदम में गौरी को एक बहुत ही ख़ास औरत होने
का अनुभव हो रहा था। सुहाग की सेज पर सास ने गौरी को बीचोबीच बिठाया और उसके लहंगे
के घेर को उस सेज पर संवार कर सजाने लगी. अब गौरी के चारो ओर उस लहंगे का गोल घेर
बन गया था जो उस बड़ी सी सेज पर भी बड़े से हिस्से को घेर चूका था। गौरी अब अपनी
सुहाग रात के लिए तैयार थी।
“सुन बहु… जब कार्तिक आये तो तू उसे ये बादाम का दूध
ज़रूर पिलाना, ये सुहागरात की
ख़ास रस्म होती है।”, उसकी सास ने बहुत
प्यार से गौरी से कहा।
गौरी की सास जब
कमरे से बाहर चली गयी तो गौरी मन ही मन बहुत खुश थी, आज उसकी सुहागरात थी। हालांकि उसे पता था कि उसे एक मर्द का
स्पर्श पसंद नहीं है पर उसके दिमाग में कुछ अलग चल रहा था। आज वो सुहागरात का आनंद
ज़रूर लेगी। एक औरत होने की ख़ुशी ज़रूर पाएगी वो और वो भी अपने तरीके से।
“जा बहु तेरा कमरे
में इंतज़ार कर रही है.”, कार्तिक के ऑफिस
से आने के बाद उसकी माँ ने उससे कहा, कार्तिक को समझ आ रहा था कि आज कुछ ख़ास है घर में पर उसे यह नहीं समझ आ रहा
था कि कल की हरकत के बाद वो गौरी से कैसे नज़रे मिलाएगा.
“और सुन… बहु की इज्ज़त करना तेरा धर्म है, उसकी ख़ुशी का ध्यान रखना, जा तेरी पत्नी सुहागरात के सेज पर तेरे इंतज़ार
में बैठी है।”, कार्तिक से उसकी
माँ ने कहा और कार्तिक को उसके कमरे की ओर भेज दिया।
जब कमरे के अन्दर
कार्तिक पहुंचा तो गौरी को उस भव्य रूप में देखकर उसे यकीन नहीं हुआ, आज वो सुहागरात मनाने वाला था और गौरी इसके लिए
तैयार कैसे हो गयी? वो मन ही मन
सोचने लगा।
कोई और आदमी वहां
होता तो अपनी इतनी खुबसूरत पत्नी को गले लगाने को बेताब हो उठता, पर कार्तिक अलग था। वो गे था, उसे तो गौरी के इस रूप-सौंदर्य से कम मतलब था।
वो तो गौरी के लिंग की ओर आकर्षित रहता था, पर जब एक स्त्री अपने परम सौंदर्य वाले रूप इतनी भव्य तरीके
से सजी हुई हो तो उससे प्रभावित हुए बगैर कोई भी आदमी नहीं रह सकता और कार्तिक भी
इससे अछूता नहीं था। वो धीरे धीरे बढ़कर अपनी पत्नी के करीब आ गया तो उसकी पत्नी
गौरी ने एक मोहक मुस्कान के साथ धीरे धीरे अपने पति के शर्ट के बटन खोलने शुरू
किये, उसके गहनों की आवाज़ से
गौरी और मोहित हो रही थी।
उस रात कार्तिक
ने गौरव के साथ वो सब किया जो एक पति अपनी पत्नी के साथ सुहागरात की सेज़ पर करता
है। अगली सुबह कार्तिक की बाहों में गौरव काफी देर तक सोया हुआ था।
“बहु, ओ बहु।”, आवाज़ सुनकर गौरव की नींद खुली तो कार्तिक की बाहें उसे
छोड़ने को तैयार नहीं थे। किसी तरह कार्तिक से खुद को छुड़ा कर गौरव जल्दी से
फ्रेश हुआ और नहाकर रेडी हुआ। हर रोज़ की तरह हैवी सिल्क साड़ी और गहनों में लदी
गौरी, थोड़ी ही देर में किचन
में अपने सास ससुर और पति के लिए नाश्ता बना रही थी।
साल २००२,
गौरव और कार्तिक, पार्ट – 1
अगली सुबह बहुत
खास था, गौरव/गौरी के लिए भी और
उसकी सास के लिये भी। सुहागरात के बाद अपने सास के सामने घूँघट में खड़ी गौरी,
नज़रें झुकाएं, घूँघट से अपने छिपाये, अपने सास ससुर और पति को सुबह का नाश्ता करवाया और फिर खुद
नाश्ता किया। नाश्ता करने के बाद कार्तिक आफिस चला गया और ससुर जी टहलने पार्क
में।
“गौरी बहु,
आज तो तुम बहुत खिली खिली सी दिख रही हो। क्या
बात है!”, गौरव की सास बोली।
अपनी सास की बात
सुनकर गौरव की नजरें झुक गयीं और वो नीचे देखने लगा। घूँघट में गौरी का मुखरा ब्लश
कर रहा था और धड़कनें भी तेज़ हो गयी थीं।
“चलो खुश तो है
मेरी बहु। अब तो दो दिन बाकी हैं, उसके बाद फिर से
अपने घर को चले जाना है। कितना अच्छा होता कि तू भी हमारे साथ चलती, कुछ दिन साथ रहती, तो अच्छा लगता। कार्तिक ने बताया था कि तुम्हारा वीसा का
कोई इशू है, लेकिन बिटिया,
जैसे ही वीसा लगे, घर आ जाना।”, गौरव की सास बोली।
“जी माँ जी।”,
गौरव ने कहा।
फिर गौरव की सास
ने उससे उसके घरवालों के बारे में पूछा, गौरव ने सबकुछ बताया, सिवाए एक सच के
कि वो औरत नहीं बल्कि मर्द है। पूरे दिन घर के कामकाज में निकल गया, अपने सास ससुर के कपड़े धोते धोते गौरव के नाज़ुक
सी कमर में लचक आ गयी और वो थोड़ी देर बिस्तर पर जाकर आराम करने लगी।
रात को गौरव ने
सबके लिए डिनर बनाया, सबको खाना खिलाने
के बाद जर रोज़ की तरह अपनी नाईटी पहनकर सोने चले गया। कार्तिक ने कॉल किया तो
गौरव ने कॉल पिक नही किया तो उसने अपनी माँ को कॉल किया और गौरी से बात करवाने को
बोला।
“कहाँ हो गौरी,
मैं कितने देर से तुम्हे कॉल कर रहा हूँ,
एक बार कॉल तो पिक कर लेती।”, कार्तिक ने गुस्से में कहा।
“सॉरी कार्तिक जी,
मैं सो गयी थी।”, गौरव ने कहा (बगल में सास बैठी सबकुछ सुनने की कोशिश कर रही
थी।)
“हम्म, आज ओवरटाइम कर रहा हूँ, परसो माँ और पिताजी की फ्लाइट है। कल सुबह आ जाऊंगा,
तब मेरे साथ मार्किट चलना पड़ेगा, कुछ शॉपिंग करनी है।”, कार्तिक ने कहा।
“जी, मैं तैयार रहूंगी। आप टाइम से आ जाना।”,
गौरव ने कहा और फ़ोन कट कर दिया।
” क्या बोल रहा था
कार्तिक?”, गौरव की सास बोली।
“आज वो नहीं आएंगे,
ओवरटाइम कर रहे हैं इसीलिए, आप सो जाइये बहुत रात हो गयी है माँजी।”,
गौरव ने कहा।
“हाँ, गौरी बिटिया, तू भी सो जा, दिन भर काम करके थक जाती है। कितनी संस्कारी बहु मिली है मुझे, पिछले जनम में मैंने जरूर कोई पुण्य किया होगा।”,
गौरव की सास बोलते हुए कमरे से बाहर चली गयीं।
गौरव बहुत खुश था,
औरत के रूप में ही सही, अपनी सास के रूप में उसे माँ का प्यार जो मिल रहा था और
अंदर ही अंदर एक बहु के रूप में अपने स्त्रीत्व को निखारने का मौका भी। एक सुकून
के साथ गौरव गहरी नींद में सो गया।
अगली सुबह,
गौरव जल्दी उठा, नहाकर तैयार हुआ और सबके लिए नाश्ता तैयार किया और सबको
नाश्ता सर्वे किया, तब तक कार्तिक
ऑफिस से घर आ गया। फिर कार्तिक के नाश्ता करने के बाद गौरव ने भी नाश्ता किया और
कार्तिक के साथ मार्किट निकल गया।
कार में,
“ऐसे क्या देख रहे
हो कार्तिक?”, गौरव ने पूछा।
“कुछ भी कहो,
तुम्हे देखकर मेरी माँ और मेरे पिताजी दोनों
में से किसी को भी पता नहीं चला कि तुम एक आदमी हो। और तुम्हारी खूबसूरती, ये सिल्की साड़ी और हैवी ज्वेलरीज में और भी
निखर गयी है। मॉल में भी ना जाने कितनी लड़कियां तुम्हारी खूबसूरती से अपनी नज़र
नहीं हटा पा रही थीं, तो सोचो आदमी
लोगों का क्या हाल हुआ होगा!”, कार्तिक ने हँसते
हुए कहा।
“तुम भी ना
कार्तिक, कुछ भी! वैसे कल भर की तो
बात है, उसके बाद तो इस खूबसूरत
गौरी की जगह हैंडसम गौरव होगा।”, गौरव ने हँसते
हुए कहा।
“वैसे शादी को
लेकर क्या सोचती हो मिसेज़ गौरी कार्तिक!”, कार्तिक आँख मारते हुए बोला।
“बहुत ही नेक
ख्याल है मिस्टर जी, लेकिन अब क्या है
ना कि कल हमारी सासु माँ और ससुर जी के जाने के बाद, गौरी कार्तिक भी हमेशा के लिए चली जाएगी। और शादी तो मैं
अपनी गर्लफ्रेंड लिज़ेल के साथ ही करूँगा, लेकिन जब लिज़ेल दुल्हन बनेगी तो उसे कुमाऊनी दुल्हन की तरह ही सजाने को
कहूंगा, उसे भी तो पता चले कि
कुमाऊनी बहु होने का क्या मतलब होता है और कैसा फील होता है।”, गौरव बोला।
“वाओ गौरव, तुम्हारी
गर्लफ्रेंड भी है, बताया नहीं तुमने
कभी। अच्छा १० मार्च को मेरा जन्मदिन का पार्टी रहता है हर साल, इस साल लिज़ेल को साथ लेकर आना, खूब एन्जॉय करेंगे और हम भी तो देखें कि आखिर
हमारी दुल्हन की गर्लफ्रेंड कैसी दिखती है!”, कार्तिक बोला।
“हम्म, जरूर कार्तिक।”,
गौरव बोला।
थोड़ी ही देर में
कार्तिक और गौरव घर पहुंच गए। घर पहुंचते ही गौरव फिर से गौरी बन गया और अपनी
साड़ी के पल्लू से घूँघट किया और कार्तिक के साथ घर में एंटर किया। सामने सास बैठी
थी, ससुर जी और ये क्या मामा
मामी भी थे। मामा को देखते ही गौरी बहुत नर्वस हो गयी और कार्तिक का बांह कस के
पकड़ के खुद को छिपाने लगी।
“आओ कार्तिक,
बहु, देखो तो कौन आया है। तुम्हारे मामा ससुर और मामी भी।”, गौरव की सास बोली।
अपनी सास की बात
टालने की हिम्मत तो थी नहीं गौरी में, तो गौरी ने अपनी मामी को दण्डवत प्रणाम किया फिर मामा ससुर के पैर छूने को
जैसे झुकी, उसके मामा ससुर ने उसके
बाहों को सबके सामने पकड़ लिया और ऊपर उठाया और कहा, “मुँह धो नहाओ, पुतो फलो गौरी बहु, सदा सौभाग्यवती
रहना।” ऐसे आशीर्वाद की अपेक्षा
थी गौरी को, लेकिन अपने मामा
ससुर के इस हरकत का कोई अनुमान नहीं था। सबके सामने गौरी को उसका मामा ससुर एकटक
घूरे जा रहा था और वो कुछ नहीं कर पा रही थी। बदन कांपने लगा तो गौरी ने चाय
नाश्ता का बहाना बनाया और किचन में चली गयी। सबके लिए चाय नाश्ता बनाने के बाद
डाइनिंग टेबल पर सर्व किया और सबके नाश्ता कम्पलीट होने के बाद, खाने की प्लेट्स लेकर गौरी किचन में चली गयी।
थोड़ी देर बाद गौरी को पता चला कि कोई अर्जेंट काम आ जाने के कारण उसके मामा ससुर
और मामी चले गए। गौरी ने राहत की सांस ली और अपने कमरे में गयी। वहां कार्तिक और
उसकी माँ दोनों आपस में बातें कर रहें थे, गौरी को देखकर उसकी सास ने उसे पास बिठाया और खूब बातें की, काफी सलाह भी दिए और कभी लड़ाई झगड़ा नहीं करने
की सलाह भी दी।
“हालाँकि मैंने
तुम्हे जन्म नहीं दिया गौरी बिटिया, लेकिन तू मेरी बहु भी है और प्यारी सी बिटिया भी। इन चौदह दिनों में तुमने जो
मेरी सेवा की है, वो शायद ही कोई
बहु पूरी जिंदगी में कर पाती होगी। मुझे मेरे बेटे पे गर्व है कि उसने तुझे अपना
जीवनसाथी चुना, अब बस एक ख्वाहिश
रह गयी है, एक पोता दे दे जल्दी से
और मेरा दादी बनने का सपना पूरा कर दे। इस नालायक से तो कुछ कहने का कोई फायदा ही
नहीं है लेकिन तू तो समझदार है बहु।”, गौरी की सास बोली।
गौरव के समझ में
नहीं आ रहा था तो उसने हाँ में सर हिलाया और शर्माने लगा।
“तू मेरे लिए इतना
कुछ लेकर आयी है, ये ले, ये हमारी खानदानी कंगन है और ये खानदानी नथिया
है जो मेरी सास ने मुझे दिया था। अब इनपे तुम्हारा हक़ है बिटिया।”, गौरी की सास बोली।
“इनकी क्या जरुरत
है माँ जी, जब घर आउंगी तब अपने
हाथों से पहना दीजियेगा, अभी ये जेवर आप
अपने पास रखिये।”, गौरी बोली।
“बहु, तू कब आएगी, कब नहीं। अभी सामने है, ला मैं पहना देती हूँ, अपने हाथों से।”, गौरी की सास बोली।
फिर गौरी के नाक
में सोने का भारीभरकम कुमाऊनी नथिया और हाथों में सोने के कंगन पहनाकर बोली,
“अब लग रही है, पहाड़न बहु। अब ये नथिया मत उतारना कभी, जब तू घर आएगी, तब मैं इससे भी बड़ा नथिया पहनाऊँगी और इससे भी भारी सोने
के कंगन पहनाऊँगी।”
“माँ जी, मैं आपको बहुत मिस करुँगी।”, गौरी इमोशनल होकर बोली।
“मैं भी बहु,
जा सो जा, कल सुबह की फ्लाइट है।”, गौरी की सास बोली और अपने कमरे में चली गयी।
अगली सुबह,
१४ दिनों बाद, एक बार फिर से गौरी एयरपोर्ट पर अपनी सास ससुर के साथ खड़ी
थी। कार्तिक टिकट काउंटर पर कन्फर्मेशन लेने गया हुआ था। गौरी बहुत इमोशनल हो गयी
थी, मानो कार्तिक की माँ और
पिताजी सच में उसकी सास और ससुर हो, कार्तिक उसका पति और वो खुद एक औरत। थोड़ी देर में फ्लाइट टेकऑफ हुई और
कार्तिक गौरी को लेकर घर आ गया।
“गौरी, तुम रो रही हो?”, कार्तिक ने पूछा।
“नही कार्तिक,
बस ऐसे ही। वो क्या है ना, बहुत समय के बाद माँ के साथ समय बिताया था ना,
ऐसा लगा ही नही कि वो मेरी माँ नही थी। ऐसा लग
रहा था कि वो मेरी ही माँ थी और आज वो चली गईं, थोड़ा दुख से हो रहा था, सो आंसू निकल आये।”, गौरव ने कहा।
“माँ तो माँ होती
है, मेरी माँ हो या तुम्हारी।
वैसे सास बहू के बीच इमोशनल अटैचमेंट तो रहता ही है।”, कार्तिक हंसते हुए बोला।
“हम्म, कार्तिक तुम्हारी माँ सच मे बहुत प्यारी है।”,
गौरव बोला।
“तो आगे का क्या
सोचा है गौरी, आज रुकोगी या आज
ही चली जाओगी।”, कार्तिक ने पूछा।
साल २००२,
गौरव और कार्तिक, पार्ट – १
“हाँ कार्तिक,
आज पन्द्रहवां दिन है और परसो से लिज़ेल के साथ
कुछ टाइम स्पेंड करना चाहता हूँ।”, गौरव ने कहा।
“आज पन्द्रहवाँ
दिन है गौरी, आज भर तो रुक ही
सकती हो, कल चली जाना।”, कार्तिक बोला।
“आज और कल में
क्या फरक पड़ जायेगा कार्तिक।”, गौरव बोला।
“फरक नहीं पड़ता
है तो रुक जाओ गौरी। वैसे मैंने तुम्हारे अकाउंट में २ महीनो का सैलरी भेज चूका
हूँ, तुम चेक कर लेना।”,
कार्तिक ने कहा।
गौरव ने अपना
अकाउंट चेक किया, पैसे आ चुके थे।
फिर कार्तिक से कहा कि वो तैयार है आज भर रुकने के लिए। गौरव की बात सुनकर कार्तिक
खुश हो गया और गौरव के गाल पर एक जोर से किस्स कर लिया। कार्तिक की इस हरकत गौरव
को ब्लश करने पर मजबूर कर दिया।
“ये क्या है
कार्तिक, अब मैं गौरव हूँ, गौरी नहीं। ऐसे करोगे तो कैसे चलेगा ?”,
गौरव बोला।
“आई ऍम सॉरी गौरी,
एक रिक्वेस्ट है। जब तक यहाँ हो,गौरव को दूर रखो, मुझे गौरी चाहिए, गौरव नहीं।”, कार्तिक बोला।
“ठीक है बाबा,
लेकिन गौरी को ये सब नहीं पसंद।”, गौरव बोला।
“पसंद नहीं तो उस
दिन सुहागरात में, जिस गौरी ने मेरे
वासना की आग को शांत किया था, वो कौन थी।”,
कार्तिक बोला।
“वो बस एक
फीलिंग्स थी, जो अनजाने में ना
जाने कैसे हावी हो गयी थी मेरे ऊपर और वो सब…. मेरे कण्ट्रोल के बहार होने से हुआ था। एक इत्तेफ़ाक़ था
कार्तिक, गौरी दुबारा रेप नहीं
करवाना चाहती थी, शायद इसीलिए उस
रात गौरी ने तुम्हारी वासना की आग को शांत किया था।”, गौरव बोला।
“हम्म, तो क्या आज की रात भी वैसी रात हो सकती है,
जिसे मैं पूरी जिंदगी अपनी यादों में जिन्दा रख
सकूँ। क्यूंकि आज के बाद गौरी ना जाने कब आएगी, और अब आएगी भी या नहीं।”, कार्तिक बोला।
“ठीक है कार्तिक,
आज अपने लिए और मेरे लिए बियर की बॉटल्स लेते
आना, मैं भी आज गौरी को उस सुख
से वंचित नहीं रखना चाहता।”, गौरव बोला।
गौरव की बातें
सुनकर कार्तिक खुश हो गया और उसे गले से लगाकर एक किस्स दे दिया लेकिन इस बार गौरी
के रसीले होंठों पर। करीब ५ मिनट्स तक एक दूसरे के होंठों को चूमते रहे और तभी
फ़ोन की घंटी बजी और कार्तिक फ़ोन पे बात करता हुआ कमरे से बाहर चला गया। कार्तिक
के बाहर जाने के बाद गौरी ने चेंज करने का सोचा। १५ दिनों से नाक में भारी कुमाऊनी
नथिया, कानों में हैवी झुमके,
हैवी पायल, हैवी बनारसी सिल्क साड़ी, हैवी सोने के कंगन और ढेर सारी चूड़ियां पहने पहने बोर हो
गयी थी, ऊपर से घूँघट ने साँसों
पर कब्ज़ा जमाया हुआ था, हाई हील्स ने तो
एड़ियों में दर्द दे रखा था। सब कुछ हैवी और नाज़ुक सा शरीर, वैसे तो दूर से बड़े लुभावने दीखते हैं लेकिन
पहनने वाला ही जान सकता था कि बदन का क्या हाल होता है। नाक में तो कुमाऊनी नथिया
ने जो दर्द दे रखा था, वो भी कुछ कम
नहीं था। गौरी ने साड़ी, ब्लाउज, गहने और पायल आसानी से उतार लिया, लेकिन कुमाऊनी नथिया का हुक नहीं मिला। थक हार
कर गौरी ने नथिया पहने ही रखा और एक साटन नाईटी पहन लिया और बिस्तर पर सो गयी। आज
ना तो माथे पर घूँघट था, ना बदन पर हैवी
गहने, बस नाक में कुमाऊनी नथिया
और होठों पर हल्का ग्लॉसी लिपस्टिक। पता नहीं चला गौरी को कि वो कब नींद के आगोश
में चली गयी। रात को कार्तिक ने बाहर से डिनर का इंतेज़ाम किया लेकिन गौरी,
अभी तक सो रही थी। जब कार्तिक गौरी को जगाने
कमरे में गया तो देखा, गौरी के बदन से
वो साटन नाईटी पंखे की हवा के साथ बदन से अलग हो गया था, कुमाऊनी नथिया गौरी के होंठों को छू रहा था, आँखें बंद थी और गोरा बदन जो किसी भी मर्द को
अपनी ओर आकर्षिक कर ले मानो कार्तिक को पास आने का न्योता दे रही हो। कार्तिक ने
खुद को संभाला और गौरी को जगाया। कार्तिक को सामने देखकर गौरी ने अपना नाईटी ठीक
किया और कार्तिक के साथ डिनर करने चली गयी। डिनर टेबल पर नॉनवेज डिशेस और बियर की
बॉटल्स गौरी का इंतज़ार कर रहीं थीं।
गौरी और कार्तिक
डिनर करने लगे।
“गौरी, माँ ने जो इतनी सारी ड्रेसेस, साड़ियां और गहनें दिए हैं, इन्हे भी अपने साथ ले जाना, ये सब माँ ने अपनी बहु को तोहफे में दिया था,
ये मेरे किसी काम की नहीं।”, कार्तिक बोला।
“मैं इन ड्रेसेस
और ज्वेलरीज का क्या करूंगा, तुम ही रखो,
मुझे नहीं चाहिए। वैसे भी ये सब बड़ी महंगी
हैं।”, गौरी बोली।
“ये सब मेरी पत्नी
गौरी के लिए है, गौरव के लिए
नहीं। और वैसे भी तुम शौख से इन्हे कभी कभी पहन लेना, मुझे क्रॉसड्रेसिंग पसंद नहीं गौरी वरना मैं इन सब को अपने
पास रख लेता।”, कार्तिक बोला।
“ठीक है कार्तिक,
जो नथिया और कंगन मेरी सास ने मुझे पहनाया था,
मैं बस वही ले जाउंगी, बाकी का सामान तुम अपने पास मेरी अमानत समझकर रखो। जब मैं
कहूँगी, तब मुझे दे देना।”,
गौरी बोली।
“हम्म, ये ठीक है। वैसे मुझे नहीं पता था कि मिसेज़
गौरी कार्तिक को अपने नाक में कुमाऊनी नथिया पहनना इतना पसंद होगा। ये नथिया
खूबसूरती पे चार चाँद लगा रहा है गौरी।”, कार्तिक बोला।
“अभी २ बॉटल्स
बियर पीकर तुम्हे चढ़ गयी है। ये नथिया मुझसे निकल नहीं रही थी, इसीलिए अभी तक मेरे नाक में है। डिनर के बाद
तुम ही उतार देना, वैसे भी मेरे नाक
में दर्द हो गया है, इसे पहनते पहनते।”,
गौरी ने अपनी तीसरी बियर की बोतल उठाते हुए
कहा।
थोड़ी देर बाद,
गौरी और कार्तिक पे नशा छाने लगा और दोनों
मदहोश होने लगे। गौरव और कार्तिक जैसे तैसे कमरे में पहुंचे और एक बिस्तर पर लेट
गए।
“तुम सच मे बहुत
खूबसूरत हो गौरी, काश तुम सच्ची
में लड़की होती, तो मैं ही
तुम्हारा पति होता।”, कार्तिक बोला।
“तुम्हे चढ़ गयी
है कार्तिक, कल्पना मत करो।
वैसे तुम भी बहुत स्मार्ट हो और नैन नख्श भी बड़े मनभावन हैं तुम्हारे।”, गौरी बोली।
गौरी के मुँह से
अपनी तारीफ़ सुनकर कार्तिक उसके और भी करीब आ गया। दोनों ने एक दूसरे की आंखों में
देखा और देखते ही देखते बात किस्स से शुरू हुई, फिर रोमांस और आखिर में हार्डकोर सेक्स पे जाकर रात के ३
बजे एक दूसरे की बाहों में ख़त्म। अगली सुबह गौरी की आँख खुली, तो कार्तिक का लंड उसकी गांड के अंदर था और
मजबूत बाहों की जकड़ से खुद को छुड़ा नहीं पा रही थी। किसी तरह गौरी ने कार्तिक से
खुद को छुड़ाया और बाथरूम में चली गई। नहाने के बाद हर रोज़ की तरह साड़ी और
ज्वेलरीज पहनकर, घूँघट किया और
किचन में जाकर ब्रेकफास्ट तैयार किया और कमरे में वापिस आकर कार्तिक को जगाया। जब
कार्तिक ने गौरी को देखा तो अपनी बाहों में समेटकर बिस्तर पर पटक दिया और उसके
होंठों को चूमने लगा। दोनों काफी देर तक एक दूसरे को चूमते रहे और फिर अचानक गौरी
को याद आया कि अब उसे वापिस अपने घर भी जाना है। एक पल के लिए गौरी अपने अंदर बैठे
गौरव को भूल सी गयी थी, याद आने पर थोड़ा
इमोशनल सी हो गई। फिर गौरी को ध्यान आया कि उसके नाक में अभी तक उसकी सास का
पहनाया नथिया था। गौरी ने कार्तिक से कहा कि वो नथिया उतार दे, कार्तिक ने मुस्कुराते हुए गौरी के नाक से वो कुमाऊनी
नथिया उतार दिया। १५ दिनों के बाद गौरी ने अपने चेहरे को ठीक से देखा था। नाक का
छेद कुछ बड़ा हो गया था तो ब्यूटिशन का दिया नोज फिलर अप्लाई कर लिया, नाक का छेद बंद हो गया और गौरी फिर से गौरव
बनकर, शर्ट पैंट पहनकर तैयार
थी। जब गौरव अपने घर जाने लगा तो कार्तिक ने ज्वेलरीज, साड़ियां, चोलियां, और एक एल्बम देते हुए कहा , “गौरी, ये १५ दिन, इस एल्बम में कैद
हैं, ये तुम्हारे लिए हैं।”
कार्तिक से ऐसा
गिफ्ट भी मिलेगा, गौरी को इसका
अंदाजा भी नहीं था। इमोशनल होकर गौरी की आँखें डबडबा गयीं, उसने कार्तिक को हग किया और कहा, ये १५ दिन मेरी लाइफ के सबसे अच्छे दिन थे कार्तिक, मैं इन १५ दिनों को कभी नहीं भूल पाऊँगी। उसके
बाद गौरी वहां से चली गयी क्यूंकि उसे अपनी लाइफ को भी जीना था, गौरव के रूप में।
साल २००3,
गौरव और कार्तिक, पार्ट – १
गौरव अपने घर आने
के बाद सबसे पहले उन ड्रेसेस और ज्वेलरीज को वार्डरॉब में रखा और एल्बम निकाल कर
देखने लगा, तभी उसे कॉल आया। वो कॉल
कार्तिक ने किया था।
कार्तिक: तुम घर
पहुंच गयी गौरी।
गौरव: गौरी नहीं
कार्तिक, गौरव, हाँ पहुंच गया। वैसे एक बात बताओ, तुम तो बड़े छुपेरुस्तम निकले, मेरी इतनी तस्वीर कब निकाल ली तुमने ?
कार्तिक: मुझे
नहीं पता, इतना ही चाहता था कि जब
तुम यहाँ से जाओ तो तुम्हे देने के लिए मेरे पास कोई गिफ्ट हो। और मेरी नज़र में
इन यादों को सहेजकर रखने से बड़ा गिफ्ट कोई और नहीं लगा, इसीलिए मैंने पहले ही दिन से तुम्हारी और माँ की एकसाथ और
अलग अलग तस्वीरों को कैद करना शुरू कर दिया था। तुम्हे मेरा गिफ्ट कैसा लगा गौरी ?
गौरव: फिर से
गौरी, कार्तिक क्या विचार है
यार? इतना प्यारा गिफ्ट तो
शायद ही किसी को मिला होगा, थैंक यू कार्तिक।
लेकिन अब बस, अब फिर से गौरी
मत बोलना।
कार्तिक: क्यों
गौरी, इतना प्यारा नाम है और
मेरे लिए तो तुम मेरी गौरी ही रहोगी अब।
गौरव: तुम भी ना
कार्तिक, फ़ोन रखो अब।
फिर गौरव ने कॉल
डिसकनेक्ट कर दिया और एल्बम बंद करके, ब्लश करते हुए वाशरूम में फ्रेश होने चला गया। वाशरूम से वापिस आकर,
album को उठाकर वार्डरॉब के एक
कोने में रखा और लिज़ेल को कॉल किया। लिज़ेल ने कॉल पिक नहीं किया तो गौरव ने फ़ोन
बेड पर रखा और सो गया।
इधर गौरव के चले
जाने के बाद, कार्तिक को अपना
घर खाली खाली लग रहा था और उसे गौरव की याद आने लगी। पूरा दिन गुज़र गया, अगले दिन से कार्तिक और गौरव, दोनों की जिंदगी अलग अलग दिशा में चलने लगी।
लिज़ेल जब गौरव से मिलने आयी, तो गौरव ने उसे
बिस्तर पर पटक दिया और रोमांस करने लगा। अमेरिकन लड़कियां काफी खुली स्वभाव की
होती हैं, ठीक उसी तरह लिज़ेल ने भी
गौरव के साथ खूब रोमांस किया लेकिन जब बात सेक्स की आयी, तो गौरव एक्साइटेड नहीं हो पा रहा था। पहले ऐसा नहीं होता
था, २, ४, बार कोशिश करने
के बाद भी जब गौरव बिस्तर पर फ़ैल हो गया तो लिज़ेल गुस्सा होकर वहां से बिना कुछ
बोले वहां से चली गयी। आखिर गौरव लिज़ेल के साथ सेक्स करता भी कैसे, वो जब अपनी आँखें बंद करता, उसके सामने गौरी और कार्तिक सेक्स करते हुए
दिखाई देते और यही कारन था कि गौरव बिस्तर पर लिज़ेल को सैटिस्फाई नहीं कर सका।
उधर कार्तिक जो
गे फीलिंग्स रखता था, अब ना जाने क्यों
उसकी नज़रें सिर्फ गौरी को धुनती रहती। कभी कभी कार्तिक गौरव को कॉल करता और उससे
बहुत बातें करता लेकीन दोनों कभी बोर नहीं होते। इधर लिज़ेल का अफेयर फ्रैंक के
साथ चलने लगा था, इमरान, जो हिमाचल का रहने वाला था, लिज़ेल और गौरव का कॉमन फ्रेंड था, उसने गौरव को लिज़ेल और फ्रैंक के बारे में
बताया। गौरव ने इमरान की बातों पर ध्यान नहीं दिया, शायद जरुरी नहीं था या गौरव को फरक नहीं पड़ता था। ३ महीने
गुज़र गए …
कॉल पर गौरव और
लिज़ेल का कन्वर्सेशन:
Gaurav: Well, Liesel that we no longer talk with each other.
I had already told you before leaving, how much work I had, and I also heard
that you are dating Frank right now. You know, Liesel how much I love you, for
such a thing, you want to breakup with me.
(गौरव: ठीक है,
लिज़ेल कि अब हम एक दूसरे के साथ बात नहीं करते
हैं। मैंने जाने से पहले ही बता दिया था ना, मुझे कितना अर्जेंट काम आ गया था और मैंने ये भी सुना है कि
तुम अभी फ्रैंक को डेट कर रही हो। तुम जानती हो, लिज़ेल कि मैं तुमसे कितना प्यार करता हूँ, इतनी सी बात के लिए, तुम मुझसे ब्रेकअप करना चाहती हो।)
Liesel: Who said I’m dating Frank? We are such good friends,
and not from today but from childhood and you know this pride. But my decision
to move on was absolutely right, you are not worth it, you doubted me. If you
loved me, you would never have dared me, but would have shown confidence.
लिज़ेल: किसने
कहा कि मैं फ्रैंक को डेट कर रही हूँ? हम कितने अच्छे दोस्त हैं, और आज से नहीं
बल्कि बचपन से और तुम इस बात को जानते हो गौरव। लेकिन मेरा मूव ऑन करने का फैसला
बिलकुल सही था, तुम इस लायक नहीं,
तुमने मुझपे शक किया। अगर तुम मुझसे प्यार करते
तो मुझपे कभी डाउट नहीं करते, बल्कि भरोसा
दिखाते।
Gaurav: I heard something about you from Imran (our common
friend). Is it true?
गौरव: मैंने
तुम्हारे बारे में इमरान से कुछ सुना। क्या यह सच है?
Liesel: I don’t know what you’ve heard.
लिज़ेल: मुझे
नहीं पता कि तुमने क्या सुना है।
लिज़ेल पिछले 3 महीनों से बहुत रुड थी। गौरव ने इसका कारण
खोजने की बहुत कोशिश की, लेकिन दोनों का
फोन 1 मिनट तक मुश्किल से चलता
है और गौरव को व्हाट्सएप या फेसबुक पर क्रूरता से नजरअंदाज कर दिया गया। गौरव
लिज़ेल के इस हरकत से काफी दुखी था।
Gaurav: Have I done anything wrong?
गौरव: क्या मैंने
कुछ गलत किया है?
Liesel: Yes indeed. I do not see any future with you. You
are a worthless man. I do not want to waste my life with you.
लिज़ेल: वास्तव
में हाँ। मुझे तुम्हारे साथ कोई भविष्य दिखाई नहीं देता। तुम एक बेकार आदमी हो।
मैं तुम्हारे साथ अपना जीवन बर्बाद नहीं करना चाहती।
गौरव समझ चूका था
कि लिज़ेल ने सोच लिया था कि वो उसे छोड़ देगी, इससे पहले लिज़ेल कुछ कहती, गौरव ने कॉल डिसकनेक्ट कर दिया और दुखी होकर फ़ोन स्विचड ऑफ
करके बिस्तर पर लेटे लेटे रोने लगा। गौरव की लाइफ में पहली बार उसे समझ आ रहा था
कि हार्ट ब्रेक क्या होता है। गौरव कब गहरी नींद में चला गया, इसका पता भी नहीं चला। जब गौरव की नींद खुली तो
उसने देखा कि उसका तकिया उसके आंसुओं की वजह से गीला हो गया था। गौरव ने अपना फ़ोन
ऑन किया तो ना कोई कॉल था, ना कोई मैसेज।
गौरव ने फ़ोन बिस्तर पे फेंका और वाशरूम में फ्रेश होने चला गया। जब गौरव फ्रेश
होकर वापिस आया तो उसने देखा कि उसके फ़ोन में कुछ मेसेजेस थी। ५८ मिस्ड कॉल्स
फ्रॉम कार्तिक। गौरव ने कार्तिक को कॉल किया।
“हाय गौरी,
क्या हुआ, इतनी देर से तुम्हे कॉल कर रहा हूँ , तुम ठीक तो हो ना?”, कार्तिक ने पूछा।
“प्लीज कार्तिक,
अभी मैं मजाक के मूड में नहीं हूँ!”, गौरव बोला।
“क्या बात है गौरव,
तुम परेशान हो, तुम्हारे और लिज़ेल के बिच कुछ हुआ है क्या?”, कार्तिक ने पूछा।
“अब हम साथ नहीं
हैं कार्तिक, हमारा ब्रेकअप हो
गया।”, बोलते बोलते गौरव का गाला
रुंध गया।
“गौरव, तुम अकेलापन फील मत करो, मेरे पास आ जाओ। अकेले रहोगे तो अच्छा नहीं लगेगा, साथ रहोगे तो मन हल्का हो जायेगा।”, कार्तिक बोला।
“हम्म! तुम ठीक
बोल रहे हो कार्तिक, मैं शाम में आता
हूँ।”, गौरव बोला और कॉल
डिसकनेक्ट कर दिया।
शाम में गौरव कैब
लेकर कार्तिक के घर पंहुचा। डोरबेल बजा, एक ६ फुट के आदमी ने दरवाज़ा खोला और गौरव उसे बिना देखे इग्नोर करके अंदर आ
गया। वो आदमी लगातार गौरव को घूरे जा रहा था और गौरव दीवारों पे लगे तस्वीरों को
एकटक देखे जा रहा था। आखिर क्यों ना देखता, दीवारों पे गौरी और उसकी सास की ढेर सारी तस्वीरों का बड़ा
बड़ा फ्रेम, उस घर की दीवारों
को और भी खूबसूरत बना दिया था। तभी वहां कार्तिक आ गया और कार्तिक को देखते ही ना
जाने क्या हुआ कि गौरव के अंदर की गौरी फिर से जाग गयी और कार्तिक से लिपट के रोने
लगी।
“शशशशश शांत हो
जाओ गौरव, वो तुम्हारे जैसे अच्छे
दिल के इंसान को डिज़र्व नहीं करती थी। भूल जाओ लिज़ेल को और लाइफ में आगे बढ़ो।
लड़कियों की तरह आंसू बहाना बंद करो गौरव, बहुत सी लडकियां आएँगी लाइफ में और मैं हूँ ना तुम्हारे साथ, डोंट वोर्री।”, कार्तिक ने गौरव को दिलासा दिलाया और शांत किया।
कार्तिक ने उस
आदमी को पानी के लिए इशारा किया, वो आदमी तुरंत १
गिलास पानी लेकर आया और गौरव के सामने टेबल पर रख दिया। गौरव ने पानी पिया और पहले
कार्तिक की ओर देखा और फिर उस आदमी की ओर।
“ये कौन है
कार्तिक?”, गौरव ने पूछा।
“ये फ़िरोज़ है,
हिमाचली है, मेरे घर के पड़ोस में रहता है, यहाँ घूमने आया है। और फिरोज, ये गौरव है, मेरा दोस्त।”,
कार्तिक ने इंट्रो करवाते हुए कहा।
“हाय गौरव! यू अरे
वैरी स्मार्ट।”, फिरोज बोला।
“हाय फिरोज,
थैंक यु, यू आर आल्सो वैरी हैंडसम डूड।”, गौरव बोला।
कार्तिक ने फिरोज
को गौरव से बात करने को बोल के अपने कमरे में चला गया। दोनों काफी देर तक बातें
करते रहे। बातों बातों में गौरव अपना गम भूलने लगा था कि तभी फिरोज ने उसे अपने और
कार्तिक के बारे में बताया। फिरोज और कार्तिक बॉयफ्रेंड गर्लफ्रेंड थे, ये कैसे हो सकता था? गौरव कार्तिक के कमरे में गया, कार्तिक सोया हुआ था तो गौरव ने उसे जगाया और उसके और फिरोज
के रिलेशनशिप के बारे में पूछा। कार्तिक ने गौरव को बताया कि फिरोज सच बोल रहा था।
एक पल में गौरी कार्तिक पे गुस्सा होने जा रही थी कि उससे पहले गौरव ने उसे रोक
लिया और खुद दूसरे कमरे में चला गया। फिरोज कार्तिक का बॉयफ्रेंड है, और कार्तिक गर्लफ्रेंड। ये कैसे हो सकता है
भला। कार्तिक क्रॉसड्रेस्सेर भी नहीं था, फिर एक मर्द कार्तिक को उसकी गर्लफ्रेंड होने का दावा कैसे कर सकता था।
कार्तिक के साथ वो हसीं रातें, गौरव के मन में
बसी गौरी आज तक नहीं भूली और ये सब। गौरव के समझ में कुछ भी नहीं आ रहा था। रात को
कार्तिक ने डिनर आर्डर करके मंगवा लिया था। गौरव को कार्तिक से उम्मीद थी कि वो
उसे गौरी बनकर रहने को कहेगा और रात उसके साथ ही बिताएगा लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं
हुआ। कार्तिक ने गौरव से उसके मूड के बारे में पूछा तो गौरव ने बताया कि अब वो ठीक
है। फिरोज ने गौरव से कहा कि कार्तिक ने उसे गौरी के बारे में सबकुछ बताया हुआ है
और वो गौरव को उस रूप में देखना चाहता था। लेकिन गौरव ने फिरोज को साफ़ इंकार कर
दिया और डिनर के बाद कार्तिक और फिरोज एक कमरे में चले गए और गौरव अपने कमरे में।
साल २००3,
गौरव और कार्तिक, पार्ट – १ (एक नए शख्श की
एंट्री)
गौरव अपने कमरे
में बिस्तर पर लेटे लेटे कार्तिक और फ़िरोज़ के रिलेशनशिप के बारे में सोच रहा था।
फिर गौरव ने सोचा, चलो कार्तिक तो
गे है, उसके लिए ये सब नार्मल
बातें हैं, और सोने की कोशिश करने
लगा। जब भी उसे लिज़ेल की याद आती, उसकी आँखें नम हो
जातीं और जब लिज़ेल के बारे में खुद को सोचने से रोकता तो उसके सामने सिर्फ
कार्तिक का चेहरा आ जाता और वो १५ दिन भी याद आ जाता जो गौरव को अंदर से काफी
सुकून देता।
गौरव की जब सुबह
नींद खुली तो बंद आंखें रख अपने हाथों से बिस्तर पर जैसे किसी को छूने की कोशिश कर
रहा था। जब किसी को पास में नहीं पाया तब उसकी आंखें अचानक खुल गई और बाजू में कोई
नहीं होने का एहसास हुआ, तब उसे याद आया
अब तो अकेले ही बिस्तर से उठना है। गौरव की लाइफ से लिज़ेल हमेशा के लिए जा चुकी
थी। उसे याद आया कैसे वो रोज सुबह लिज़ेल को छेड़ते हुए उठाता था, रात को लिज़ेल उसके बाहों में सोती और सुबह
नींद भी उसकी आवाज से होती। गौरव रात भर रोया था, जिसकी गवाही उसके चेहरे पर सूखे आंसू, सूजी हुई आंखें और गीला तकिया दे रहे थे। शायद
सुबह सुबह ही नींद लगी थी। जैसे तैसे अपने आप को समेटकर गौरव बिस्तर से उठा,
धीमे कदमों से जाकर फ्रेश होकर आया। बाहर किचन
में गया और अपने लिए चाय बनाने लगा। कार्तिक और फ़िरोज़ का कमरा अभी भी अंदर से
लॉक था। गौरव में कुछ भी करने की ताकत नहीं थी। किचन भी पूरा फैला था, पर हमेशा साफ सफाई पसंद करने वाले गौरव को आज
किसी चीज से कोई फर्क नहीं पड़ रहा था। चाय उबल रही थी तो अचानक उसे अपने अतीत की
बातें सुनाई दी “क्या यार गौरव!
अब तुम किचन समेटने मत बैठ जाना।” गौरव हंसकर पीछे
मुड़ा तब उसे याद आया कि ये सिर्फ उसका भ्रम है। इतने में चाय उबालकर बाहर आने ही
वाली थी कि गौरव की नजर गई और उसने चाय का बर्तन जल्दी से उतारा। चाय लेकर वो हॉल
में आकर बैठा, उसको सोफे पर
उसके और लिज़ेल के साथ बिताए पल याद आ गये। कैसे वो सोफे पर लेट कर लिज़ेल उसके
ऊपर कभी पैर रखती थी तो गौरव उसके पैरों में गुदगुदी कर देता था। जब गौरव टीवी
देखते हुए लिज़ेल की गोद में सर रखकर सो जाता तो लिज़ेल बहुत देर बिना हिले वहीं
बैठी रहती थी, कभी बैठे-बैठे सो
जाती थी। फिर जब गौरव की नींद खुलती हो लिज़ेल को गोद में उठा कर बेडरूम में ले
जाता, तब लिज़ेल की भी नींद खुल
चुकी होती पर वो सोए रहने का नाटक करती। ख्यालों में ऐसे खोया कि उसकी चाय भी ठंडी
हो गई। एक घूंट में पूरा चाय पीकर कप वहीं रख कर वो अपने कमरे में चला गया। गौरव
के अंदर की गौरी भी कहीं खोने सी लगी थी और काम में भी मन नहीं लग रहा था। कार्तिक
अपने कमरे से बाहर आया तो गौरव को सोफे पर अकेले बैठा देखकर समझ गया था कि वो फिर
से लिज़ेल की यादों में खो गया था।
“गुड मॉर्निंग
गौरव!”, कार्तिक ने गौरव को विश
करते हुए कहा।
“गुड मॉर्निंग
कार्तिक, जाग गए तुम।”, गौरव बोला और फिर सामने देखने लगा।
“ये क्या देवदास
जैसा हाल बना रखा है तुमने गौरव, इतने उदास रहोगे
तो कैसे काम चलेगा। आज ऑफिस भी नहीं गए तुम।”, कार्तिक ने गौरव को समझाया।
“कुछ नहीं कार्तिक,
आज लीव पे हूँ, कल से ऑफिस जाना है।”, गौरव बोला।
“हम्म, गौरव तुम एक काम करो, मेरे साथ वीकेंड्स पर डांस क्लासेज ज्वाइन कर लो। वहां ढेर
सारी लडकियां आती हैं, सुबह से शाम तक
खूब मजे करते हैं उनके साथ। तुम भी चलो इस वीकेंड से, मन हल्का होगा, ऐसे तुम देवदास बन जाओगे तो आगे की लाइफ भी ख़राब कर लोगे।”, कार्तिक बोला।
“नहीं कार्तिक तुम
जाते हो, अच्छी बात है लेकिन,
मुझे नहीं जाना कोई डांस सिखने”, गौरव बोला।
“मैं पूछ नहीं रहा
हूँ तुमसे गौरव, बता रहा हूँ और
ये फाइनल है।”, कार्तिक बोलकर वह
से चला गया।
गौरव को कार्तिक
का यूँ हक़ जाताना अच्छा फील और साथ में मुस्कुराने की वजह दे गया। गौरव को महसूस
हुआ कि अगर वो ऐसे ही अकेला रहेगा तो उसके दिमाग में लिज़ेल की यादें हीं घूमती
रहेगी, इससे अच्छा होगा कि वो
अपने आप को इतना इंगेज करले कि उसे किसी के बारे में सोचने का टाइम ही ना मिले।
गौरव किचन में गया और कार्तिक, फ़िरोज़ और खुद
के लिए खाना तैयार किया, २ बज गया तो
नहाने चला गया। जब गौरव नाहा के बाहर आया तो देखा फ़िरोज़ भी नंगे बदन हॉल में
बैठा है। फ़िरोज़ की पर्सनालिटी बहुत अच्छी थी, ६ फिट ३ इंच का गठीला शरीर, ८ पैक्स एब्स, और सर पे घने बाल, जिसकी वजह से वो
और भी हैंडसम बॉडीबिल्डर दिख रहा था। उसके मुकाबले कार्तिक की हाइट काफी कम थी,
शायद तभी उसने कार्तिक को अपनी गर्लफ्रेंड का
दर्ज़ा दे दिया था।
“गौरी, आज खाना तुमने पकाया है ना, इतने महीनो बाद फिर से मेरी दुल्हन के हाथों का
खाना खाने को मिलेगा।”, कार्तिक ने कहा।
(गौरव के अंदर वे सारे गुण मौजूद थे, घर के सभी काम, अच्छा स्वादिष्ट
भोजन पकाने से लेकर जो सामाजिक मर्यादा, शालीनता एवं शिष्टता के लिए एक नारी में होने चाहिए और कार्तिक इसीलिए उसे
गौरव की जगह गौरी कहकर पुकारता।)
“कार्तिक प्लीज,
गौरी अब कभी नहीं आएगी। खाली बैठा था तो सोचा
कि सबके लिए भोजन पका दूँ, बस ऐसे ही पका
दिया।”, गौरव बोला।
“गौरी प्लीज,
तुम भी जानती हो कि मेरी गौरी को मैं कितना
प्यार करता हूँ, इस घर में तुम जब
भी आओगी, गौरव नहीं बल्कि गौरी
बनकर ही आओगी। भले तुम लेहंगा चोली मत पहनो, भले ही तुम माँ के दिए जेवर मत पहनो, लेकिन मुझसे मेरी गौरी को मत छीनो। इस घर की दीवारों पे भी
सिर्फ गौरी ही गौरी है।”, कार्तिक हक़ से
बोला।
कार्तिक का यूँ
बार बार गौरव पे हक़ जताना, हर बार गौरव के
चेहरे पर मुस्कराहट दे जाता।
“मैं सिर्फ
तुम्हारे लिए गौरी था कार्तिक, किसी और के लिए
नहीं। लेकिन अब तुम्हारे लाइफ में फ़िरोज़ है तो गौरी का इस घर में आने का तो सवाल
ही नहीं उठता।”, गौरव बोला।
“हम्म गौरव सही कह
रहा है कार्तिक।”, फ़िरोज़ जो इतने
देर से सबकुछ सुन रहा था, उसने कहा।
फिर सभी ने डिनर
किया, शाम में गौरव और कार्तिक
पार्क में गए और फ़िरोज़ जिम में। रात को फिर से गौरव ने खाना पकाया, कार्तिक और फ़िरोज़ ने उसके बनाये खाने की खूब
तारीफ़ की और अपने अपने कमरे में जाकर सो गए। आज गौरव का मन पहले से बहुत हल्का लग
रहा था। अगले दिन सुबह सुबह गौरव और कार्तिक अपने अपने ऑफिस गए। आज गौरव को फिर से
काम करने में मजा आने लगा था, शायद कार्तिक के
साथ सुबह शाम बातें करने की वजह से उसका मन बहुत हल्का हो गया था। अगले वीकेंड
कार्तिक गौरव को अपने साथ डांस क्लास जॉइन करवाने ले गया। डांस क्लास में सिर्फ
लडकियां ही थी, सभी का फिगर कमाल
का था। गौरव ने डांस क्लास ज्वाइन कर लिया लेकिन जब उसे पता चला की यहाँ सिर्फ
बेल्ली डांसिंग सिखाई जाती है तो गौरव ने कार्तिक से इस बारे में पूछा। कार्तिक ने
बताया कि बेल्ली डांसिंग से शरीर स्लिम होता है और साथ ही बॉडी फैट्स भी रिड्यूस
होता है। गौरव मान गया और डांस क्लासेज ज्वाइन कर लिया।
अब गौरव रोज़
सुबह अपने और गौरव के लिए टिफ़िन बना देता और दोनों साथ ही ऑफिस के लिए निकलते,
काम करते और इवनिंग में साथ में वापिस आते।
वीकेंड्स पर डांस क्लासेज जाते, अकेलापन गौरव को
काटने को दौरता यही सोचकर गौरव ने अपना घर छोड़ दिया और कार्तिक के साथ उस कमरे
में शिफ्ट हो गया। इससे सैलरी भी बचता और गौरव ने खुद को रिकवर भी कर लिया था।
बेल्ली डांसिंग के सभी फॉर्म्स जैसे इजिप्शियन रक़्स शर्क़ी ,तुर्किश ओरिएण्टल, इराकी कवलिया, इजिप्शियन बलदी, ज़ार रिचुअल,
सईदी एंड रक्स अस्सया, खलेगी डांस फॉर्म्स में कार्तिक और गौरव पूरी तरह ट्रेंनेड
थे और अब डांसिंग में उनकी चाहतें और भी बढ़ने लगीं थीं। कार्तिक और गौरव के बाल
भी काफी लम्बे और घने हो गए थे, दोनों अपने अपने
बाल कटवाना भी चाहते थे, लेकिन वहां की
कोरियोग्राफर ने उन्हें क्लियरली कह दिया था कि बाल ना कटवाएं। कार्तिक और गौरव ने
जुड़ा बांधना शुरू कर दिया था, जिससे उनका लुक
काफी हद तक लड़कियों जैसा दीखता था। बेल्ली डांसिंग ने कार्तिक और गौरव के कमर को
भी काफी पतला कर दिया था। एक परफेक्ट फिगर और घने लम्बे बाल देखकर वहां की अदर
डांसर्स जेलस रहतीं। इन तीन महीनों में हर रोज़ दो घंटे गौरव और कार्तिक बेल्ली
डांसिंग की रेगुलर प्रैक्टिस घर पर भी करते। अक्सर जब फ़िरोज़ जिम से आता तो गौरव
और कार्तिक के लिए डी.जे. बन जाता और अपनी पसंद के बॉलीवुड गाने बजता जिनपर गौरव
और कार्तिक थिरकते। फ़िरोज़ को इनसब में बहुत मजा आता और वो ज्यादातर वही गाने
बजता जिनपर हेरोइनेस डांस करती हैं। वहीँ डांस क्लब की एक डांसर समायरा, जो अरब की रहने वाली थी, उसके साथ गौरव की बहुत गहरी दोस्ती हो गयी थी। समायरा कभी
कभी गौरव के साथ काफी टाइम स्पेंड करती और गौरव को उसका कंपनी देना पसंद आने लगा
था। कभी गौरव समायरा को फिल्म दिखने ले जाता तो कभी डिनर पर, तो कभी डांस क्लब। गौरव को किसी और लड़की के
साथ देखकर कार्तिक जेलस हो जाता, तो गौरव को समझाता
कि एक बार धोखा खाने के बाद, दुबारा वही गलती
ना करे। एक बार तो गौरव को बुरा लगता लेकिन उसे अपने पास्ट में हुए गलती का पछतावा
दुबारा करने का कोई इरादा नहीं था। इससे पहले कि गौरव समायरा से कुछ कहता, वो चली गयी। पता नहीं कहाँ गयी, किसी को नहीं पता चला। इससे गौरव को थोड़ा दुःख
हुआ, लेकिन इस बार वो खुद ही
तैयार था। इधर, कार्तिक और गौरव
को कुछ क्लब्स से डांसिंग के ऑफर्स भी मिलने लगे थे, लेकिन दोनों ने अपने जॉब्स पर फोकस करना जरुरी समझा।
डांसिंग कार्तिक और गौरव के लिए, एक नया हॉबी बन
गया था, जिसे दोनों को डांस के
प्रति और भी आकर्षित कर दिया था। कार्तिक और गौरव ने फैसला किया कि अब वे दोनों
इंडियन क्लासिकल डांस क्लब ज्वाइन करेंगे और अगले ही हफ्ते दोनों ने इंडियन
क्लासिकल डांस क्लब ज्वाइन कर लिया।
वहां भरतनाट्यम,
मोहिनीअट्टम और कथक तीन डांस फॉर्म्स की
ट्रेनिंग दी जाती थीं। वहां भी ज्यादातर लड़कियां ही डांस सीखने आतीं थी और साल
में एक बार वहां की सभी डांसर्स का एक कम्पटीशन होता था, जिसमे पार्टिसिपेट करना सभी के लिए मैनडेटरी था। ऑफिस और
डांस क्लब्स में कार्तिक और गौरव का इतना समय निकल जाता कि उन्हें किसी और काम का
फुर्सत ही नहीं मिलता। कार्तिक और गौरव को पता नहीं था कि भरतनाट्यम, मोहिनीअट्टम और कथक तीनो फीमेल डांस फॉर्म्स थे,
जिनके लगातार प्रैक्टिस की वजह से कार्तिक और
गौरव के शारीरिक बदलाव, चेहरे के फेसिअल
एक्सप्रेशंस और साथ ही उनके बॉडी मूवमेंट्स में भी काफी बदलाव आ चूका था, जिसका एहसास ना तो गौरव को था और न ही कार्तिक
को। सिर्फ एक शख्श था, जो गौरव और
कार्तिक के इस बदलाव का पूरा आनंद उठा रहा था और वो था फ़िरोज़। फ़िरोज़ पहले
सिर्फ कार्तिक का लवर और गे पार्टनर था, लेकिन अब उसकी नज़र गौरव पर भी थी।
साल २००३,
गौरव और कार्तिक, पार्ट – १
इधर गौरव का पूरा
ध्यान अपने डांस क्लासेज और जॉब पर केंद्रित था। कार्तिक अपना पूरा ध्यान डांस
क्लासेज और जॉब के अलावे फ़िरोज़ दोनों पर देता था। कुछ दिनों बाद फ़िरोज़ ने
यूनिसेक्स जिम ओपन कर लिया और गौरव और कार्तिक उसके जिम के पहले दो कस्टमर थे। जिम
इंस्ट्रक्टर बनने के बाद फ़िरोज़ के जिम में लोग आने गए, गौरव और कार्तिक ने भी फ़िरोज़ के जिम का खूब प्रमोशन किया,
चाहे ऑफिस में हो, चाहे डांस क्लास हो।
एक दिन जिम से
आने के बाद टॉयलेट करते वक़्त कार्तिक को यूरिनेट करते समय ब्लड आने लगा। कार्तिक
ने जब ये बाद गौरव को बताई तो वो बहुत घबरा गया। गौरव ने तुरंत डॉक्टर के साथ
अपॉइंटमेंट फिक्स किया और फ़िरोज़ को साथ लेकर कार्तिक के साथ डॉक्टर के पास
पंहुचा। थोड़ी देर के इंतेज़ार के बाद डॉक्टर ने कार्तिक को केबिन में बुलाया,
गौरव और कार्तिक के साथ फ़िरोज़ भी अंदर जाने
लगा तो नर्स ने उसे रोक दिया और कहा कि अंदर सिर्फ दो लोग एलाउड हैं। डॉक्टर ने
कार्तिक से बहुत से सवाल किये, ब्लड टेस्ट्स और
सी.टी.स्कैन, एम्.आर.आई.,
अल्ट्रासाउंड लिखा और टेस्ट करवाने को कहा।
डॉक्टर के केबिन से बाहर आते ही कार्तिक को चक्कर आ गया, फ़िरोज़ ने उसे गोद में उठा लिया और सारे टेस्ट्स करवाए।
फ़िरोज़ बहुत ही ज्यादा केयरिंग था और कार्तिक को एक बार भी चलने नहीं दिया।
टेस्ट्स के रिपोर्ट्स गौरव के हाथ में थे और कार्तिक को फ़िरोज़ ने सुबह से अपनी
गोद में उठाया हुआ था। एक वक़्त था, जब कार्तिक ने गौरव को १५ दिनों तक दुल्हन बनाया था, सेक्स किया था और वही कार्तिक एक गैर मर्द की गोद में बेबस
पड़ा था। गौरव वही था, लेकिन केबिन में
सिर्फ २ लोग ही एलाउड थे तो इसबार गौरव बाहर रुक गया और कार्तिक के साथ फ़िरोज़
अंदर गया। शाम को डॉक्टर ने कार्तिक के टेस्ट्स रिपोर्ट्स को चेक किया और काफी
गंभीर होकर फ़िरोज़ की ओर देखने लगा।
“फ़िरोज़, मैंने कार्तिक के सभी रिपोर्ट्स को बड़े ध्यान
से देखा है और इन रिपोर्ट्स को एनालाइज़ करने के बाद इस बारे में बता रहा हूँ।
कार्तिक के बॉडी में जितने भी क्रोमोसोम्स थे वो Y से X में परिवर्तित हो
चुके हैं। ऐसा लगता है, कार्तिक के बॉडी
में जितने भी मेल क्रोमोसोम्स थे, वे अब फीमेल
क्रोमोसोम्स में तब्दील गए हैं। हैरानी की बात तो ये है कि कार्तिक के बॉडी में
फीमेल ऑर्गन्स भी डेवेलोप हो गए हैं, जिन्हे निकालना पॉसिबल नहीं है। कार्तिक के पास अब अपना जेंडर चेंज करवाने के
अलावे कोई और रास्ता नहीं है।”, डॉक्टर बोला।
“ये क्या बोल रहे
हैं डॉक्टर? ऐसा कैसे हो सकता
है? मैं आदमी हु डॉक्टर,मेरे अंदर फीमेल ऑर्गन्स का डेवलपमेंट कैसे हो
सकता है?”, कार्तिक ने पूछा।
“हाँ डॉक्टर ,
हाउ इस इट पॉसिबल। कार्तिक आदमी है और उसके
अंदर , क्या मजाक है डॉक्टर!”,
फ़िरोज़ ने एग्रेसिव होकर पूछा।
“कॉम डाउन सर,
मैं एक डॉक्टर हूँ, मैं ना तो कभी अपने पेटेंट्स को गलत सलाह दी है और ना ही
झूठ बोलता हूँ। कार्तिक के पास सेक्स चेंज करवाने के सिवा कोई और रास्ता नहीं है।
ये एक गंभीर समस्या है मिस्टर फ़िरोज़, कार्तिक को अपना जेंडर चेंज करवाना पड़ेगा, इनके पास कोई और रास्ता नहीं है। जितनी जल्दी हो सके,
इन्हे हॉस्पिटल में एडमिट कर दो।”, डॉक्टर बोला।
फ़िरोज़: “डॉक्टर, तो क्या कार्तिक को औरत बनना पड़ेगा और अगर हाँ है तो क्या
प्रोसेस है और कितना टाइम लगेगा।”
कार्तिक: “मुझे सेक्स चेंज नहीं करवाना, लेट मी डाई, मुझे औरत नहीं बनना।”
फ़िरोज़: “बेशक तुम औरत मत बनना, लेकिन ये तो जान लो कि सेक्स चेंज का प्रोसेस क्या है और
इसमें कितना समय लगेगा।”
कार्तिक: “तुम्हे जानना है, जानो, मैं बाहर जा रहा
हूँ।”
कार्तिक के वहां
से जाने के बाद डॉक्टर ने फ़िरोज़ को बताया: “सेक्स चेंज ऑपरेशन से पहले इस बात की पुष्टि होनी ज़रूरी है
कि शख़्स को ‘जेंडर
डिस्फ़ोरिया’ है या नहीं। इसके
लिए सायकायट्रिस्ट और साइकोलॉजिस्ट की मदद लेनी पड़ती है। कार्तिक के केस में,
आपको उसे मनोवैज्ञानिक रूप से सेक्स चेंज के
लिए तैयार करना पड़ेगा। क्यूंकि लंबी बातचीत और सेशन्स के बाद सायकायट्रिस्ट इस
नतीजे पर पहुंचता है कि मामला ‘जेंडर
डिस्फ़ोरिया’ का है या नहीं।
अगर ऐसा है तभी ट्रीटमेंट की शुरुआत ‘हॉर्मोनल थेरेपी’ से की जाती है,
यानी जिस हॉर्मोन की ज़रूरत है वो दवाओं और
इंजेक्शन के ज़रिए शरीर में पहुंचाया जाता है। लेकिन कार्तिक के केस में ये बात
कन्फर्म है मिस्टर फ़िरोज़ कि कार्तिक के इंटरनल फीमेल बॉडी ऑर्गन्स अभी विकाशशील
अवस्था में हैं और इन्हे ऑपरेट नहीं किया जा सकता है। हम कार्तिक के इंटरनल फीमेल
ऑर्गन्स के डेवलपमेंट को बढ़ाने का काम सबसे पहले करेंगे और इसके लिए अगले ४ वीक्स
तक कार्तिक को फीमेल होर्मोनेस का हैवी डॉज़ेज़ दी जाएँगी। जब तक कार्तिक के
इंटरनल फीमेल ऑर्गन्स पूरी तरह से डेवेलोप नहीं हो जाते, तब तक इनका पेनिस इनके शरीर से अलग नहीं किया जा सकेगा।
दो-तीन डोज़ के बाद ही असर दिखना शुरू हो जाता है, मनचाहा हॉर्मोन मिलने के बाद लोग अच्छा महसूस करने लगते हैं,
उनका मिज़ाज अच्छा होने लगता है और वो ख़ुश
रहने लगते हैं। इसके बाद ही सर्जरी की तैयारी होती है, सर्जरी कराने वाले की उम्र कम से कम 20 साल होनी चाहिए। कार्तिक की उम्र तो २४ साल से
ज्यादा है, लेकिन फिर भी हमें उनके
पेरेंट्स की या पत्नी की सहमति पत्र पर सिग्नेचर चाहिए होगी। ऑपरेशन के लिए कम से
कम एक सायकायट्रिस्ट और एक साइकोलॉजिस्ट की मंजूरी भी ज़रूरी है, और इसके लिए कार्तिक को तैयार करना आपका काम
है। यह एक लंबी प्रक्रिया है, जिसमें तकरीबन 5-6 घंटे लगते हैं। इस दौरान ब्रेस्ट, जननांगों और चेहरे पर काम किया जाता है। मेरा
मानना है कि सेक्स रिअसाइन्मेंट सर्जरी के लिए टीम वर्क की ज़रूरत होती है। इसमें
प्लास्टिक सर्जन से लेकर सायकायट्रिस्ट, गाइनोकॉलजिस्ट और न्यूरोलॉजिस्ट तक की ज़रूरत पड़ सकती है। ऑपरेशन के बाद कम
से कम एक साल तक हॉ़र्मोनल थेरेपी जारी रहती है, कई बार पूरी ज़िंदगी हॉर्मोनल थेरेपी की ज़रूरत पड़ती है,
ख़ासकर मेल तो फीमेल सर्जरी के मामलों में। और
कार्तिक का केस में तो अभी सब नार्मल है और इंटरनल ऑर्गन का डेवलपमेंट भी सही जा
रहा है।
केबिन के अंदर
फ़िरोज़ और डॉक्टर कार्तिक का केस डिसकस कर रहे था, वहीँ बाहर गौरव और कार्तिक आपस में बातें कर रहे थे,
कार्तिक ने गौरव से कुछ भी नहीं बताया और वही
बैठ के बातें करते रहे।
“कार्तिक, मुझे तो ये फ़िरोज़ शुरू से पसंद नहीं, लेकिन आज उसने जिस तरीके से तुम्हारी केयर की,
उसे देखकर लगता है कि वो तुमसे बहुत प्यार करता
है। तुम खुश भी हो फ़िरोज़ के साथ और तुम दोनों को देखकर मुझे बहुत सुकून मिलता
है।”, गौरव बोला।
“फ़िरोज़ और मैं
एक दूसरे की केयर करते हैं। हमदोनो बेशक गे हैं और साथ एक ही कमरे में रहते हैं,
लेकिन हम दोनों ने रोमांस से ज्यादा कभी कुछ
नहीं किया। फ़िरोज़ इमरान हाश्मी की तरह प्यार करता है और हमदोनो ने कभी सेक्स
नहीं किया।”, कार्तिक बोला।
“कार्तिक, तुम मेरे साथ सेक्स कर सकते हो, लेकिन फ़िरोज़ के साथ नहीं, ये मैं कैसे मान लूँ।”, गौरव बोला।
“मान लो गौरव,
मैंने तुमसे कभी झूठ नहीं बोला, गौरी की जगह कोई नहीं ले सकता।”, कार्तिक बोला।
इससे पहले कि
गौरव कुछ कहता, फिरोज ने गौरव को
मेडिसिन्स का पैकेट्स और रिपोर्ट्स दिया और कार्तिक को फिर से गोद में उठाकर कार
की तरफ बढ़ा। कार्तिक ने उससे कहा कि वो ठीक है, चल के जा सकता है, लेकिन फिरोज नहीं माना और कार्तिक को अपनी गोद में ऐसे गर्व से बिलकुल वैसे ही
चल रहा था, जैसे एक बॉयफ्रेंड अपनी
गर्लफ्रेंड को अपनी गोद में उठाकर चलता है। कार्तिक, गौरव और फिरोज आधे घंटे बाद घर पहुंचे। घर पहुंचने पर सबसे
पहले गौरव ने फिरोज से कार्तिक के रिपोर्ट्स के बारे में पूछा, तो फिरोज ने गौरव को सबकुछ सच सच बता दिया।
कार्तिक के बारे में सुनते ही गौरव के पैरों तले जमीन खिसक गयी। पहले तो गौरव को
यकीन नहीं हुआ, लेकिन जब कार्तिक
ने खुद इस बात कन्फर्म किया, तो गौरव बहुत
उदास हो गया। गौरव के मन में बसी गौरी, जो कार्तिक को आज भी अपना पति मानती थी और जब उसे ये पता चला कि कार्तिक यानि
उसका पति को मजबूरन औरत बनना पड़ेगा, तो वो बहुत दुखी हो गयी। गौरव ने खुद को संभाला और कार्तिक से लाइफ में आगे
बढ़ने की सलाह दी। एक समय तब था जब गौरव का दिल टुटा था और कार्तिक ने उसे संभाला
था और आज गौरव की बारी थी, कार्तिक को
मोटीवेट करने की। हालाँकि, फिरोज वहां था,
लेकिन कार्तिक को ऑपरेशन के लिए मोटीवेट करना
आसान काम नहीं था। कार्तिक ऑपरेशन के लिए मनोवैज्ञानिक रूप से तैयार नहीं था और
डॉक्टर ने एक साल का टाइम और एक साल का मेडिसिन रेगुलर खाने को दे दिया था।
फ़िरोज़ के लिए ये सब थोड़ा मुश्किल था, लेकिन गौरव के लिए नहीं। गौरव ने उस दिन कार्तिक से कुछ भी नहीं कहा, क्यूंकि उस दिन कार्तिक मनोवैज्ञानिक रूप से
अंदर से टूट चूका था और उसे अचानक से नहीं जोड़ा जा सकता था, उसके लिए टाइम चाहिए जो डॉक्टर ने आलरेडी दे
दिया था। अगले दिन से गौरव ने कार्तिक के जागने से पहले, सुबह सुबह नास्ता, बेड टी और मेडिसिन लेकर सिरहाने बैठा था। जब कार्तिक जागा तो गौरव ने उसे
फ्रेश होने को कहा। कार्तिक फ्रेश होकर आया तो गौरव उसके साथ बैठकर चाय पी,
साथ में नाश्ता किया और कार्तिक को मेडिसिन
खिलाया। इधर जब से फ़िरोज़ को पता चला कि कार्तिक लड़की बनने वाला है, तब से वो कार्तिक से दूर दूर रहने लगा और गौरव
कार्तिक के बिलकुल पास हो गया। कार्तिक को फ़िरोज़ का ऐसा करना बिलकुल भी अच्छा
नहीं लगा और उसे अपने घर से जाने को कह दिया।
हालाँकि फ़िरोज़
के पास अब बहुत पैसा था, उसे घर लेने में
समय नहीं लगा और वो कार्तिक से ब्रेकअप करके सेपरेट हो गया। फ़िरोज़ के जाने के
बाद गौरव अब फिर से कार्तिक के करीब आने लगा। कार्तिक ने गौरव को बताया कि सेक्स
चेंज करवाने का डिसिशन लेना उसके लिए आसान नहीं है। घर पर उसकी एक छोटी बहन भी है
जिसकी शादी अभी तक नहीं हुई है और अगर कार्तिक ने सेक्स चेंज करवा लिया तो उसके
परिवार वालों के ऊपर जिम्मेदारियों का बोझ बढ़ जायेगा। गौरव ने कार्तिक से कहा कि
इसी साल हिमाचल चले और वो अपनी बहन की शादी कर दे। कार्तिक ने लड़के के लिए पूछा
तो गौरव ने उसे अपने छोटे भाई के बारे में बताया। गौरव का छोटा भाई बैंगलोर में
बहुत ही अच्छे पोस्ट पर कार्यरत है और उसके लिए घरवाले लड़की ढूंढ रहे हैं। गौरव
ने पूरी अरेंजमेंट यही बैठे बैठे करने की बात कही तो कार्तिक तैयार हो गया। गौरव
ने अपने परिवार वालों को लड़की के बारे में बताया तो वो तैयार हो गए। गौरव ने
कार्तिक के घरवालों से भी बातें कर ली, वो भी लड़के की तस्वीर देखकर मना नहीं कर सके। गौरव और कार्तिक ने ऑफिस और
डांस क्लासेज से एक हफ्ते की छुट्टी ली और शादी से एक दिन पहले अपने अपने घर
पहुंचे। शादी की तयारी आलरेडी पूरी हो चुकी थी, कार्तिक के घर की तयारी भी पूरी हो चुकी थी। अगले दिन गौरव
के भाई सौरव की शादी कार्तिक की छोटी बहन के साथ करवा दी गयी। सब अच्छे से हो गया,
लेकिन विदाई से पहले कार्तिक की माँ ने गौरव को
अपने पास बुलाया और उसके चेहरे देखने लगी। भला हो दाढ़ी मुछ का, जिसकी वजह से उन्हें शक नहीं हुआ और गौरव अपने
भाई और उसकी दुल्हन के साथ घर लौट गया।
“हम घर पहुंच गए
हैं कार्तिक, वहां सब ठीक है
ना। वहां का माहौल क्या अभी भी गमगीन है? सेक्स चेंज के बारे में घरवालों को बता देना।”, गौरव ने कहा।
“सेक्स चेंज बता
दिया तो मेरे घरवाले मुझे वापिस जाने नहीं देंगे। माँ गौरी के बारे में पूछ रही थी
तो मैंने उन्हें तबियत ख़राब का नाटक करके उलझा लिया लेकिन माँ भी अमेरिका चलने की
जिद्द कर रही हैं, क्या करूँ गौरव?”,
कार्तिक बोला।
“हम्म, ये तो सोचने वाली बात है कार्तिक। तुम्हारी माँ
वहां आ गयीं तो वो गौरी को ढूंढने बैठ जाएँगी और फिर मेरा जॉब भी है यार। इस बार
तो मैं मदद भी नहीं करूंगा।”, गौरव बोला।
“मुझे पता है गौरव,
मैं कोई ना कोई बहाना बना के माँ को रोक लूंगा।
चलो अभी रखता हूँ, परसो की फ्लाइट
है, टाइम से एयरपोर्ट पे आ
जाना।”, कार्तिक बोला।
२ दिन बाद
एयरपोर्ट पे,
गौरव: “हाय कार्तिक!”
कार्तिक: “हाय गौरव।”
गौरव: “अब तो तुम खुश हो ना, अब तुम्हारी बहन हमारे घर की बहु बन गयी है, और सौरव उसका बहुत ख्याल रखेगा। अब तुम्हे किसी
बात की चिंता करने की कोई जरुरत नहीं है।”
कार्तिक: “थैंक्स यार, तुम न होते तो मेरा क्या होता। मेरी बहन की शादी की वजह से
घर में सभी बहुत खुश हैं, लेकिन माँ तो
उनकी बहु गौरी के ना आने की वजह से बहुत उदास थीं।”
गौरव: “कार्तिक, तुम तो जानते हो सबकुछ, फिर भी। चलो फ्लाइट का टाइम हो गया है।”
फिर कार्तिक और
गौरव फ्लाइट पे बोर्ड किया और साढ़े पंद्रह घंटे का सफर शुरू हो गया। अभी दो घंटे
बीते ही थे, गौरव टॉयलेट गया
तो उसे भी यूरिनेशन के समय ब्लड आने लगा। गौरव ने इस बात को हलके में ले लिया और
कार्तिक को इस बारे में कुछ भी नहीं बताया। साढ़े पंद्रह घंटे के बाद, कार्तिक और गौरव यु.एस. एयरपोर्ट पर थे। फिर
वहां से लॉस एंजेलिस की फ्लाइट में ६ घंटे का टाइम लगा और वहां से २ घंटे में घर
पहुंचे और फ्रेश होकर रेस्ट करने लगे। कार्तिक और गौरव एक ही बिस्तर पर लेट गए और
अपने अपने घरवालों को पहुंचने का कन्फर्मेशन दिया।
कार्तिक: “गौरव, यार मेरा क्या होगा? मैं सेक्स चेंज
नहीं करवाना चाहता।”
गौरव: “कार्तिक, डॉक्टर ने तो यही कहा है और तुम्हे खुद को मनोवैज्ञानिक रूप
से तैयार होना होगा। देखो, सेक्स चेंज करवा
लेने से तुम्हारी लाइफ में सबकुछ बदल जायेगा और इस बात को मैं भी समझता हूँ,
जॉब में भी प्रॉब्लम हो सकता है और ये भी हो
सकता है कि तुम्हे इंडिया वापिस जाना पड़े। लेकिन, अमेरिका में हज़ारों में ऐसे लोग हैं जो सेक्स चेंज करवाकर
भी हसी ख़ुशी अपनी जिंदगी गुज़र बसर कर रहे हैं। तुम्हारे मामले में तो ये सब
नेचुरल है कार्तिक और तुम्हारे लिए यहाँ बहोत स्कोप है। और फिर मैं भी तो हूँ
तुम्हारे साथ, मैं रखूँगा
तुम्हारा ख्याल, तुम फिक्र मत
करो।”
कार्तिक: “गौरव, सेक्स चेंज के बाद मैं औरत बन जाऊंगा, कैसे जियूँगा मैं औरत बनकर। मेरे माँ पिताजी और घरवाले क्या कहेंगे। उनकी नज़र
में तो मैं शादीशुदा हूँ और औरत बनने के बाद वो मुझे यहाँ नहीं रहने देंगे,
अपने पास बुला लेंगे। और अगर ऐसा हुआ तो फिर
गौरी को भी मेरे साथ हिमाचल चलना पड़ेगा और तुम गौरी बनकर हिमाचल जाओगे नहीं। और
अगर मैंने उन्हें ये कह दिया कि मैंने गौरी को डाइवोर्स दे दिया है तो वो मेरी
शादी कहीं किसी मर्द से ना करवा दें। क्योंकि ऐसा होने से पहले मैं जान दे दूंगा।”
गौरव: “कार्तिक, मैं हूँ ना, तुम्हे मेरे सिवा
कोई छू भी नहीं सकता। अच्छा डॉक्टर ने तुम्हे लड़कियों के कपडे पहनने को कहा था याद
है ना। तुम आज से जब भी घर में रहना, साड़ी-ब्लाउज या लेहंगा-चोली पहनकर रहना, मैं तुम्हे ऐसे कपडे पहनना सीखा दूंगा।”
कार्तिक: “गौरव, लेकिन तुम्हे भी गौरी बनकर रहना होगा। अगर गौरी बनने के लिए तैयार हो तो मैं
भी वही करूँगा, जो तुम कहोगे।”
गौरव: “तुम्हारे लिए कुछ भी कार्तिक! आई एम वैरी
एक्साइटेड फॉर योर ट्रांसफॉर्मेशन।”
कार्तिक: “हम्म, थैंक्स गौरव, यु आर द बेस्ट।”
उसके बाद गौरव
वाशरूम गया और एक बार फिर यूरिनेट करते समय ब्लड आया और इस बार दर्द भी कुछ ज्यादा
हुआ। गौरव ने सोचा ज्यादा मीट खाने की वजह से ऐसा कुछ हुआ और अपने दर्द को एक बार
फिर से नज़रअंदाज़ कर दिया। कमरे में वापिस आया तो देखा कार्तिक सो गया था। अगले
दिन से ऑफिस था, सुबह सुबह गौरव
ने चाय नाश्ता और मेडिसिन कार्तिक के सिरहाने पर रखा और उसे जगा कर नहाने चला गया।
गौरव ऑफिस जाने को तैयार हो गया था और कार्तिक भी।
गौरव और कार्तिक
ऑफिस का काम निपटाकर जब घर वापिस आ रहे थे, तब गौरव ने कार्तिक से कहा कि वो अपने कान छिदवा ले।
कार्तिक ने मना करना चाहा लेकिन फिर भी गौरव ने एक यूनिसेक्स सलून में उसके कान
छिदवाने ले गया। गौरव ने ब्यूटिशन से कहा कि कार्तिक के कान में एक एक होल कर दे।
ब्यूटिशन ने कार्तिक के कानो में पेंसिल मार्क किया, पियर्सिंग गन लिया और कार्तिक के कानो में छेद कर दिया,
हल्का हल्का दर्द हुआ, थोड़े आंसू भी निकले लेकिन बगल में गौरव खड़ा था, कार्तिक के कंधे पर हाथ रखे उसे तसल्ली दे रहा
था। कार्तिक के कानों में एक एक रिंग पहना दिया और गौरव ने पेमेंट किया। फिर दोनों
घर आ गए।
“तुम भी हद करते
हो गौरव, कान छिदवा दिया मेरा,
ऑफिस कैसे जाऊंगा कल से।”, कार्तिक ने कहा।
गौरव: “कार्तिक, आज से घर में औरतों की तरह रहना है, याद है ना। और कान छिदवाने तो आजकल फैशन है।”
कार्तिक: “फिर तो ये भी याद होगा, कि तुम्हे भी गौरी बनना पड़ेगा गौरव।”
गौरव: “याद है कार्तिक, वैसे भी काफी टाइम हो गया, क्रॉसड्रेसिंग नहीं की। मैं तुम्हे सब कुछ सिखाऊंगा,
वो सब जो एक औरत शादी से पहले सीख लेती है।”
कार्तिक: “अच्छा ठीक है।”
गौरव: “आज से तुम कार्तिक सिर्फ ऑफिस और अपने घरवालों
के लिए हो, इस घर में कृतिका बनकर
रहना है।”
कार्तिक: “ठीक है, अब इस घर में कृतिका और गौरी ही रहेंगी, कार्तिक और गौरव इस घर के बाहर।”
गौरव: “डन।”
कार्तिक और गौरव
की लाइफ में बहुत कुछ बदल जाने वाला था और ये तो बस शुरुआत भर थी।
साल २००४,
गौरव और कार्तिक, पार्ट – १
एक नया चैप्टर
शुरू हो गया था, कृतिका और गौरी
का। गौरव ने अगले वीकेंड पर डांस क्लासेज से वापिस आकर कार्तिक को लेडीज ड्रेसेस
पहनने की ट्रेनिंग देनी शुरू कर दी। गौरव और कार्तिक शॉपिंग करने बाहर गए और जब
दोनों वापस लौटे, कार्तिक किसी
लड़की की तरह खिलखिला रहा था। दोनों शौपिंग के लिए गए थे और जब वापस आये तो उनके
पास वो सारी चीजें थी जो कार्तिक के पहले कदम के लिए ज़रूरी थी। गौरव ने कार्तिक
को बताया नहीं था कि वो बाहर क्यों जा रहे है, पर दोनों शायद जानते थे कि अब आगे क्या होने वाला है,
शायद ये होना ही था। गौरव ने कार्तिक को पैंटी,
स्कर्ट, ड्रेस और कुछ ब्लाउज दिलाये थे, उसने कार्तिक से कहा कि उसके लिए साड़ी पहनना जल्दबाजी
होगी। सबसे ज्यादा मुश्किल कार्तिक के लिए ब्रा खरीदने की थी, कहीं भी किसी दुकानदार के पास A कप की ब्रा नहीं थी। गौरव नहीं चाहता था कि
कार्तिक बड़े कप की ब्रा खरीद कर उसमे फेक सिलिकॉन बूब्स को यूज़ करे।
गौरव ने कहा,
“तुम्हारे इतने प्यारे कोमल बूब्स है, उसको किसी और चीज़ से भर कर छुपाने की ज़रुरत
नहीं है।” किस्मत से एक दूकान थी
जहाँ यंग एडल्ट सेक्शन था, जहाँ कार्तिक के
साइज़ की ब्रा मिल गयी।
दोनों जैसे ही घर
पहुंचे, गौरव ने कार्तिक को पूरे
शरीर को शेव करने कहा।
“पर मेरे बॉडी पर
बाल नहीं है।”, कार्तिक ने कहा।
गौरव ने कार्तिक
के बॉडी की ओर देखा और फिर कहा, “कम से कम
तुम्हारे चेहरे पर जो हलके हलके बाल है उन्हें तो शेव कर लो।”
कार्तिक ने शेव
किया और गौरव के सामने आ कर खड़ा हुआ। गौरव ने इतने सालों में कार्तिक को कभी
क्लीन शेव में नहीं देखा था। गौरव को थोड़ा आश्चर्य हुआ पर उसे जल्दी ही समझ आ गया
था कि कार्तिक के बॉडी पर अब तक एक भी बाल नहीं आया था। किसी लड़की की तरह कार्तिक
अब भी चिकना था, गौरव कार्तिक की
ओर देख कर हँसने लगा।
“क्या वो मेरा इस
बात को लेकर मज़ाक उड़ा रहा था?”, कार्तिक सोचने
लगा।
गौरव ने देखा कि
कार्तिक की आँखों में आंसू आ रहे है और फिर उसने वो कहा जो कार्तिक ने सपने में भी
न सोचा था। गौरव ने कार्तिक के चेहरे से एक आंसू की बूंद को पकड़ कर कहा, “मैं तुम्हारा कभी मज़ाक नहीं उड़ाऊँगा, प्रॉमिस!”
“अब जाकर कपडे बदल
कर आओ”, गौरव ने कार्तिक को आर्डर
दिया।
कार्तिक ने जीवन
में कभी कोई लड़कियों के कपडे नहीं पहने थे, पर उन कपड़ो को छू कर ऐसा लगा जैसे वो उसके लिए ही बने थे।
कार्तिक ने बैग से एक पैंटी निकाली, इतनी सिल्की और स्मूथ चीज़ कार्तिक ने पहले कभी नहीं पहना था। बहुत छोटी सी
पेंटी थी वो, पता नहीं कार्तिक
के बड़े से कुलहो पर कैसे आएगी वो? शायद काफी टाइट
होगी। पर जब कार्तिक की चिकनी जांघो से होकर वो पेंटी उसके बॉडी पर चढ़ी, तो जैसे खिल कर वो कार्तिक के बॉडी से ऐसे चिपक
गयी जैसे उसी के बॉडी का हिस्सा हो। फिर कार्तिक ने ब्रा निकाल कर पहनने का प्रयास
किया, पर पीछे हुक नहीं लगा पा
रहा था। कार्तिक को थोड़ी शर्म तो आ रही थी पर उसने आखिर गौरव मदद के लिए बुलाने
के सोचा। पर न जाने क्यों कार्तिक शर्म सी आने लगी और उसने झट से एक टॉवल ढूंढ कर
अपने सीने पर एक दुपट्टे की तरह उसे ओढ़ लिया। कार्तिक जानता था कि थोड़ी सी
मुर्खता थी, पर उसे यह करना
बड़ा स्वाभाविक सा लगा।
कार्तिक ने
दरवाज़ा खोलकर झाँक कर गौरव की ओर देखा, उसने कार्तिक को झांकते हुए देख कर कहा, “कहो कृतिका क्या बात है?”
“मुझे मदद चाहिए”,
कार्तिक ने धीमी आवाज़ में कहा। गौरव मुस्कुरा
कर कार्तिक के पास आया और बोला, “कहो, कैसे मदद कर सकता हूँ मैं?”
गौरव ने कार्तिक
को जीवन में पहली बार ब्रा पहनना सिखाया, कार्तिक अपने सिर झुककर उसे चुपचाप हाथ में ब्रा दे दी। गौरव ने ब्रा को पकड़
कर कार्तिक के चेहरे पर हाथ रखते हुए कहा, “तुम टॉवल में ऐसे छुप कर रहोगी तो मैं तुम्हे ब्रा कैसे
पहनाउंगा?” गौरव ने कार्तिक को लड़की
की तरह संबोधित किया।
कार्तिक का चेहरा
शर्म से लाल हो गया, शर्म में उसने
अपना इरादा बदल लिया, “बस मुझे बता दो
इसे पहनते कैसे है, मैं खुद पहन
लूँगी” अब कार्तिक भी खुद को एक
लड़की की तरह नाज़ुक महसूस करने लगा था।
“यह हुई न असली
लड़की वाली बात”, ये बोलकर गौरव
हँसने लगा, पर उसने कार्तिक को छेड़ा
नहीं।
गौरव ने कार्तिक
को बताया कि कैसे पहले कप को पीछे की ओर करके पहले ब्रा का हुक लगाना चाहिए और फिर
उसे घुमाकर सामने लाकर ब्रा के स्ट्रेप से अपने हाथ डालकर पहननी चाहिए।
कार्तिक गौरव को
देखते ही रह गया, उसने बड़ी
मासूमियत से पूछा, “तुम तो बेहद
स्मार्ट हो, यह तरीका कैसे
सुझा? मैं तो कभी सोच भी नहीं
पाती!”
“यु नो मी कृतिका,
आज तुम पहली बार लड़कियों वाली ड्रेस पहनने जा
रही हो कार्तिक।”, गौरव बोला।
कार्तिक का चेहरा
फिर से शर्म से लाल हो गया। पर गौरव ने कार्तिक के चेहरे को अपने हाथ से प्यार से
उठाते हुए कहा, “जो बीत गया उसे
भूल जाओ, अब सब ठीक होगा।”
और अब सचमुच सब
कुछ ठीक हो रहा था, कार्तिक गौरव के
सीने को अपने हाथो से पकड़ लिया और उसके सीने पर सिर रखकर चुपचाप सिसकने लगा और
उसने कार्तिक को रोने दिया। फिर धीरे से गौरव ने एक बार फिर कार्तिक के चेहरे को
प्यार से अपने हाथ से उठाया और उसके होंठो को अपने होंठो के बीच ले लिया। अब वाकई
में सबकुछ ठीक हो गया था, अब जैसे पुरानी
कोई भी बात कार्तिक को विचलित नहीं कर सकती थी। गौरव जिसके साथ कार्तिक ने कई बार
सेक्स किया था, तब गौरव उसकी
पत्नी गौरी बनकर उसकी हर ख्वाहिश को पूरी करती थी और आज उसी गौरव के हाथों के
स्पर्श ने कार्तिक के अंदर से कृतिका को बाहर निकलने को मजबूर कर दिया था, कार्तिक का मन और समय, दोनों अब ठहर से गए थे। आखिर ऐसा क्यों होने लगा था,
कार्तिक के अंदर से कृतिका को बाहर आने की क्या
जल्दी थी। शायद ये सब उन्ही हार्मोनल की बदलाव का नतीजा था। कार्तिक का मूड स्विंग
होना शुरू हो गया था और गौरव के हाथों का स्पर्श उसके रोम रोम को रोमांचित करने
लगा था। कार्तिक ना जाने किन ख्यालों में खो गया था, गौरव ने चुटकी बजाया तब कहीं कार्तिक वापिस होश में आया। आज
ब्रा और पैंटी में कार्तिक गौरव के सामने खड़ा था और बिलकुल एक लड़की की तरह शर्मा
रहा था।
कार्तिक की त्वचा
काफी गोरी थी, एकदम दूध सा गोरा
था। गौरव ने कार्तिक को आईने के सामने बिठाकर उसके चेहरे पर लाइट मेकअप किया,
लाल लिपस्टिक अप्लाई किया, आँखों में काजल का मोटा लेयर अप्लाई किया। फिर
कार्तिक के बालों का सुन्दर सा जुड़ा बनाया और हाथों और पैरों के नेल्स पर गुलाबी
नेल पेंट अप्लाई किया। दूध से गोरे और संगमरमर से चिकने छरहरे बदन पर गुलाबी
ब्रा-पैंटी, गुलाबी लिपस्टिक
और गुलाबी नेल पेंट ऐसे दिख रहे थे, गौरव कार्तिक को ऐसे ताड़ रहा था मानो सामने कार्तिक नहीं बल्कि सफेद वनिला
आइसक्रीम पर लाल चैरी रखी हो और जिसे गौरव आइसक्रीम के ऊपर से हटाकर खाना चाहता हो
और फिर आइसक्रीम को चाटना चाहता हो।
कार्तिक अपने
बालों को यूं ही सहलाते हुए आईने के सामने खुद को देखने लगा। गोरा, चिकना, चमचमाता बदन… सामने ही गुलाबी
पैंटी से झांकती छोटा सा लंड… पतली सी कमर….
गुलाबी ब्रा में से झांकते भरे हुए व कसे हुए
छोटे स्तन जिनका क्लीवेज किसी भी मर्द की रातों की नींद उड़ा दे… सुर्ख लाल होंठ… काजल से सजी काली-काली बड़ी आंखें और काले लंबे बाल….
कार्तिक इतने से ब्रा पैंटी में इतना खूबसूरत
दिख रहा था, अभी तो
साड़ी-ब्लाउज, लेहेंगा-चोली,
स्कर्ट-टॉप, सब पहनना बाकी है। फिर कुछ सोचकर गौरव आईने के सामने से
टर्न लिया और बिस्तर पर रखा अपना फोन उठा लिया। फिर गौरव अपने स्मार्ट फ़ोन से
आईने के सामने खड़े कार्तिक को लड़कियों वाले अलग-अलग पोश्चर बताकर, खुद के उसकी फोटो लेने लगा। पाउट करते हुए,
बालों पर सैक्सी अंदाज में हाथ फेरते हुए,
कमर पर हाथ रखकर ऊपर की और देखते हुए, कार्तिक की ढेर सारे फोटोज क्लीक किये। कार्तिक
के शरीर ने क्रॉसड्रेसिंग को एक्सेप्ट कर लिया था और उसे अच्छा फील हुआ। फिर
कार्तिक ने गौरव से गौरी बनने को कहा।
गौरव कार्तिक के
सामने चेंज करने लगा और करीब १ घंटे में फिर से गौरी बनकर तैयार था, अब आईने के सामने गौरी ने खुद को देखा।
स्लीवलैस ब्लाउज में गौरी के पतले-पतले हाथ आकर्षक लग रहे थे। वैक्स और बॉडी लोशन
के चलते उनकी चिकनाहट चमक मार रही थी। बाई बांह पूरी पल्लू से ढंकी थी। पल्लू
संभालने के लिए जिसे गौरी ने मोड़ रखा था। नेट की उस ट्रांसपेरेंट हरी साड़ी में
गौरी की ब्लाउज का पूरा शेप और डिजाइन साफ दिख रहा था। गौरी के गोरे चिकने फेक
बूब्स की गहराई और गोलाई न तो वो बड़े गले का ब्लाउज छिपा पा रहा था और न ही वह
ट्रांसपेरेंट साड़ी। पतले कपड़े की होने के कारण वह साड़ी गौरव के बदन से चिपक सी
गई थी। जिसके चलते गौरव की २८ इंच की पतली कमर और नाभि बिल्कुल साफ-साफ दिख रही
थी। गौरव के गोरे बदन पर रत्ती भर भी फैट नहीं था, ऐसा लगातार डांस करने की वजह से था, इसलिए वो साड़ी गौरव पर इतनी अधिक आकर्षक दिख रही थी मानो
गौरव कोई जीता जगता लड़का नहीं, किसी शोरूम में
रखी परफेक्ट फिगर की Mannequin (पुतला) हो। साड़ी
के पारदर्शी पल्लू से ढंकी गौरव की पतली, चिकनी और नाजुक बांह को देखकर कोई सपने में भी नहीं सोच सकता था कि कुछ समय
पहले ये कोई पुरुष हुआ करता था। ब्लाउज से बाहर झांकते और साड़ी के पल्लू से खुद
को छिपाने की नाकाम कोशिश करते गौरव के फेक बूब्स को देखकर कोई सपने में भी नहीं
कह सकता था कि कुछ समय पहले यह एक पुरुष की चौड़ी छाती थी। खैर, काजल से सजी आंखें, गहरे गुलाबी होंठ, गुलाबी रंगे नाखून, बड़े-बड़े बूब्स,
साड़ी में लिपटे बदन और बाएं कंधे से कमर तक
लहराते काले लंबे बाल काफी थे उसे गौरव से गौरी बनाने के लिए।
अब ज्वेलरीज की
बारी थी सो गौरव ने अपने दोनों कानों में एक एक झुमके, हाथों में चूड़ियां, पैरों में पायल पहन कर तैयार था। कार्तिक सबकुछ बहुत ही गौर
से देख रहा था और गौरव एक एक स्टेप कार्तिक को सीखा रहा था। गौरव तो गौरी बनकर
तैयार हो गया लेकिन कार्तिक के अंदर बैठी कृतिका , ब्रा और पैंटी पहने, अभी भी अपने बाहर आने का इंतज़ार कर रही थी। थोड़ी ही देर
में गौरव ने कार्तिक को भी तैयार कर दिया था। बैकलेस मिनी स्कर्ट और हाई हील्स
पहनकर कार्तिक एक हॉट मॉडल से जरा भी कम नहीं लग रहा था। कार्तिक का पूरा पीठ
न्यूड था, स्लिम वैस्ट और कर्वी
फिगर की वजह से कार्तिक बहुत ही ज्यादा सेक्सी दिख रहा था।
कार्तिक: “गौरी, तुमने नाक में कुछ भी नहीं पहना?”
गौरव: “क्यूंकि कृतिका, मेरे नाक का छेद बंद हो गया है। वैसे तुम्हारे बाल खुले ही
ज्यादा अच्छे लग रहे थे कृतिका, लाओ मैं कोई
अच्छा सा डिज़ाइन बना देती हूँ।”
कार्तिक: “क्या बात है गौरी, अच्छा सा हेयर स्टाइल बना देना।”
फिर गौरव ने
कार्तिक का हेयर खोल दिया और अच्छा सा हेयर स्टाइल बना दिया।
गौरव: “ये लो कृतिका, देख लो, कितनी सुन्दर दिख
रही हो।”.
कार्तिक वाकई
बहुत सुन्दर दिख रहा था और गौरव भी।
कार्तिक और गौरव
की जगह अब वहां कमरे में सिर्फ गौरी और कृतिका ही थे और दोनों एक दूसरे की
खूबसूरती को देखकर काफी एक्साइटेड हो गए थे। अभी दोनों बातें ही कर रहे थे कि
डोरबेल की आवाज़ सुनकर दोनों का हक्का बक्का गुल हो गया।
साल २००४,
गौरी और कृतिका, पार्ट – १
गौरी साड़ी में
और कृतिका मिनी स्कर्ट में सोचने लगे कि कौन आया होगा, क्यूंकि कोई और तो यहाँ नहीं आता। क्या फ़िरोज़ आया है या
कार्तिक के मामा मामी! “डिंग डाँग !”,
डोरबेल
फिर से बजा और
कृतिका ने गौरी से कहा कि वो दरवाज़ा खोल दे और वो जल्दी से चेंज कर लेगा। गौरी ने
कहा, चलो साथ में, जो होगा, देखा जायेगा। फिर कृतिका और गौरी दरवाज़े पर आये और गेट ओपन
किया। सामने फ़िरोज़ खड़ा था, जिसको सामने पाकर
कृतिका शाय फील करने लगी और गौरी ने कॉंफिडेंट होकर उससे आने की वजह पूछा। फ़िरोज़
ने बताया कि वो कार्तिक से अकेले में बात करना चाहता है। गौरी ने उसे अंदर बुलाया
और कृतिका के साथ सोफे पे बैठ कर को कहा और चाय बनाने किचन में चली गई। इधर कृतिका
को इतना ऐम्बर्रास्मेंट फील हो रहा था कि उसका चेहरा लाल हो गया था और फ़िरोज़ की
तरफ देखने की हिम्मत तक नहीं कर पा रही थी।
कार्तिक: “तुम यहाँ क्यों आये हो फ़िरोज़!”
फ़िरोज़: “जब से तुमसे दूर हुआ हूँ, एक पल भी चैन नहीं मिला मुझे। मुझे तुम्हारी
बहुत याद आ रही थी, मुझसे बर्दाश्त
नहीं हुआ तो तुमसे मिलने आ गया। कैसे हो तुम, मेडिसिन खा रहे हो टाइम से, और तुम्हे देखकर लगता है कि तुमने डॉक्टर की बात मान ली है।
मिनी स्कर्ट में बहुत हॉट लग रहे हो और तुम्हे देखकर तो मुझे एक बार को लगा ही
नहीं कि तुम कार्तिक हो। मुझे लगा कहीं तुम्हारी छोटी बहन तुमसे मिलने तो नहीं
आयी।”
कार्तिक: “फ़िरोज़, थैंक्स फॉर द कॉम्पलिमेंट, लेकिन अब हम अलग हो चुके हैं और मैं बहुत खुश हूँ, तुम्हारा जिम कैसा चल रहा है?”
फ़िरोज़: “कार्तिक, आई नो कि तुम बहुत खुश हो, लेकिन मैं तुमसे आज भी बहुत प्यार करता हूँ।”
दोनों आपस में
बातें कर रहे थे कि तभी वहां कार्तिक के मामा और मामी भी आ गए। अपने मामा मामी को
देखते ही कृतिका डर से कांपने लगी और तभी गौरी भी चाय लेकर वहां आ गयी। कृतिका ने
तुरंत फ़िरोज़ का हाथ पकड़ लिया और उसकी ओर देखने लगी और इशारो इशारो में उसे वहां
से ले जाने को कहने लगी। गौरी ने जब मामा मामी को देखा तो तुरंत घूंघट किया और
उनके पैरों को छू कर आशीर्वाद लिया। हर बार की तरह, अपनी आदत से मजबूर मामा ने गौरी के बदन को स्पर्श करने का
मौका नहीं गंवाया, अपने हाथों से
गौरी के बाहों को पकड़कर उसे उठाया और सौभाग्यवती रहने का आशीर्वाद दिया। कृतिका
फ़िरोज़ के साथ चुपचाप वहां से बहार निकल गयी, हील्स की वजह चला नहीं जा रहा था तो फ़िरोज़ का हाथ पकड़कर
वहां से चली गयी।
“कार्तिक कहाँ है
बहु, आज तो उसकी छुट्टी होगी
ना। और ये कपल्स कौन थे, बड़े क्यूट दिख
रहे थे साथ में।”, मामा ने पूछा।
“कार्तिक जी को
कुछ जरुरी काम आ गया था मामा जी, वो कल आएंगे।”,
गौरी बोली।
“अच्छा, कोई बात नहीं बहु, हम तो बस बगल से गुज़र रहे थे तो सोचा कि बेटे बहु से मिलते
चलें।”, मामी बोली।
फिर थोड़ी देर तक
गौरी से बातें करने के बाद मामी ने कहा कि कार्तिक की माँ गौरी से बात करना चाहती
हैं और उन्होंने वीडियो कॉल लगा दिया। गौरी ने उनके हाथ से फ़ोन लेकर तुरंत
डिसकनेक्ट किया और उनसे १० मिनट्स में वापिस आने की बात बोलकर कमरे में चली गयी।
“अब क्या करूँ मैं,
मुझे तो ये भी पता नहीं कि मंगलसूत्र कहाँ रखा
है, नाक में नथिया पहनना
पड़ेगा, लेकिन मेरे नाक का छेद तो
बंद है। ऐसे ही चली जाऊं माँ जी के सामने, नहीं नहीं, अगर उनके सामने
ऐसे ही चली गयी तो उन्हें बहुत बुरा लगेगा।”, थोड़ी देर में वार्डरॉब के एक लॉकर में मंगलसूत्र, सोने के कंगन, कुमाउनी नथिया और बिंदी का पैकेट रखा मिला। गौरी ने गले में
मंगलसूत्र पहना, मांग में सिन्दूर
भरा, कलाई में सोने के कंगन
पहना और नथिया की तार को नाक पे जोर से प्रेस किया और नथिया का तार नाक के छेद में
समा गया। नथिया की वजह से नाक में दर्द तो हो रहा था, लेकिन गौरी के पास कोई और रास्ता नहीं था। कृतिका भी
फ़िरोज़ के साथ बाहर चली गई थी और गौरी को बचने का कोई और रास्ता नहीं सुझा,
नथिया को अच्छे से सेट किया और थोड़ी ही देर
में गौरी मामा मामी के सामने आयी।
कुछ बदलाव था
गौरी में, नाक में कुमाऊनी नथिया,
गले में मंगलसूत्र, मांग में सिन्दूर और घूँघट में चेहरा छिपा के बैठ गयी। अपनी
सास के प्रति रेस्पेक्ट कह लो या डर, गौरी कुमाऊनी बहु बनकर पहले से ज्यादा कॉंफिडेंट दिख रही थी। मामी ने फिर से
वीडियो कॉल किया और गौरी से उनकी बात करवाई। काफी देर तक कार्तिक की माँ गौरी से
बातें करती रहीं, गौरी को बहुत
प्यार दिया और कार्तिक के बारे में पूछा। गौरी ने बताया कि सब अच्छा है। फिर
कार्तिक की माँ ने एक बार फिर गौरी से बच्चे के बारे में पूछा तो गौरी शर्माने
लगी। कार्तिक की माँ ने गौरी को ढेर सारा आशीर्वाद दिया और फ़ोन कट कर दिया।
कार्तिक की माँ से बात ख़तम होते ही मामा मामी भी वहां से चले गए।
मामा और मामी के
वहां से चले जाने के बाद गौरी ने कृतिका को कॉल लगाया, लेकिन कृतिका अपना आई फ़ोन घर में ही छोड़ गयी थी और वो भी
लॉक था। गौरी के पास फ़िरोज़ का कोई नंबर सेव नहीं था तो गौरी ने कृतिका और
फ़िरोज़ का इंतज़ार करना जरुरी समझा। रात होने को था, ना तो फ़िरोज़ के नंबर से कोई कॉल, या कन्फर्मेशन और ना ही फ़िरोज़ और कृतिका लौट कर वापिस
आये। रात के 8 बजने को था,
गौरी को नींद आने लगा था और अब उसे कृतिका के
ऊपर गुस्सा भी आने लगा था। “ये क्या हो जाता
है कार्तिक को, जब भी फ़िरोज़
उसके सामने होता है, कार्तिक फ़िरोज़
के लिए एकदम शेमफेस्ड हो जाता है, और फ़िरोज़ उसके
ऊपर अपना डोमिनेशन जारी रखता है।”
ब्रेकअप के १ साल
के बाद भी कृतिका के अंदर फ़िरोज़ के लिए फीलिंग्स बाकी थी, ठीक वैसे ही जैसे गौरी के अंदर कार्तिक के लिए फीलिंग्स
थीं। इधर गौरी कृतिका का इंतज़ार करते करते कब नींद के आगोश में चली गयी और दूसरी
ओर कृतिका फ़िरोज़ के अप्पार्टमेन्ट में थी। वहां फ़िरोज़ की अम्मी, अब्बू, बहन रुखसार और भाई सोहैल थे। कृतिका को लेकर फ़िरोज़ जब अपने अपार्टमेंट पर
पंहुचा, तब फ़िरोज़ की अम्मी ने
उसे अपने पास बिठाया।
“फ़िरोज़, ये लड़की तो बड़ी खूबसूरत है, नाम तो बता दे इसका?”, फ़िरोज़ की अम्मी ने पूछा।
फ़िरोज़: “अम्मी, ये कृतिका है, और हमदोनो
एकदूसरे से बेइंतिहा मुहब्बत करते हैं। लेकिन जबतक तुम इज़ाज़त नहीं दे देती,
हम निकाह नहीं करेंगे।”
रुखसार: “लेकिन भाईजान, अब्बू इसके लिए तैयार नहीं होंगे।”
फ़िरोज़: “इस घर में सभी को पता है कि मुझे अब्बू के हाँ
या ना कहने से कोई फरक नहीं पड़ता। बचपन से अम्मी ने मुझे प्यार दिया है और मुझे
बस अम्मी के इज़ाज़त का इंतज़ार है।”
फ़िरोज़ की
अम्मी: “फ़िरोज़ बेटा, बेशक कृतिका खूबसूरत और मॉडर्न है लेकिन बेटा,
कृतिका गैर मजहबी है, इसे हमारे तौर तरीके, पहनावा, खान पान पसंद
आएगा। कृतिका, हमारे घर की
जिम्मेदारी सँभाल सकेगी क्या?”
फ़िरोज़: “अम्मी, कृतिका भले ही मॉडर्न ज़माने की है, लेकिन वो सब कर लेगी, तुम बस हम दोनों
के निकाह को मंजूरी दे दे।”
फ़िरोज़ की
अम्मी: “तेरी ख़ुशी में ही हमारी
ख़ुशी है फ़िरोज़ बेटा। मेरी तरफ से इस रिश्ते के लिए हाँ है बेटा। कृतिका ,
अब से इस घर की बहु है।”
कृतिका फ़िरोज़
और उसकी अम्मी की बातें सुनकर बहुत हैरान थी, उसे समझ नहीं आ रहा था कि आखिर फ़िरोज़ ने अचानक ऐसा फैसला
क्यों किया, वो भी कृतिका की
इज़ाज़त लिए बगैर।
कृतिका: “फ़िरोज़, गौरी अकेली है घर में, मुझे अब जाना चाहिए।”
फ़िरोज़ की
अम्मी: “कृतिका बहु, काफी रात हो गयी है, तू आज भर यहीं रुक जा, कल सुबह फ़िरोज़ तुझे तेरे घर छोड़ आएगा।”
कृतिका: “लेकिन अम्मी!”
फ़िरोज़ की
अम्मी: “लेकिन वेकिन कुछ नहीं,
रुखसार तू कृतिका को अपने साथ अपने कमरे में ले
जा और बहु को साड़ी पहना दे।”
रुखसार: “जी अम्मी!”
कृतिका के पास अब
कोई चारा नहीं बचा था। फ़िरोज़ ने उसे एक नयी मुसीबत में धकेल दिया था, जिसकी कृतिका को कोई उम्मीद नहीं थी। रुखसार
उसे अपने कमरे में ले गयी।
रुखसार: “कृतिका भाभी, मुझे पता है कि आप लड़के हो, लड़की नहीं।”
रुखसार के मुँह
से इस बात को सुनकर कृतिका की आँखें फ़ैल गयी।
रुखसार: “घबराओ नहीं कृतिका भाभी, ये डीप सीक्रेट सिर्फ तुम्हारे मेरे और फ़िरोज़ भैया के बीच
ही रहेगा। आओ मैं तुम्हे साड़ी पहनाती हूँ।”
रुखसार का खुद का
ब्यूटीपार्लर और वो खूब भी बेहद नायब ब्यूटीशियन थी। ज़री फ्रेंच ब्रैड हेयर
स्टाइल ने कृतिका का लुक ही बदल दिया था, नाक जिसमे कृतिका ने कभी कुछ भी नहीं पहना था, उसमे भी एक क्लिप वाला नोज रिंग पहनाया गया था, गले में एक आर्टिफीसियल नेकलेस और पैरों में
हैवी चाँदी का पायल। एक आर्टिफीसियल मांगटीका पहनाने के बाद, थोड़ी ही देर बाद रुखसार ने कृतिका को पीले रंग
की साड़ी में तैयार कर दिया था। साड़ी के पल्लू से कृतिका को घूँघट बना कर रुखसार
उसे अम्मी के सामने ले गयी।
फ़िरोज़ की
अम्मी: “अरे वाह कृतिका बहु,
अब तू लग रही है एक पठान के घर की बहु।”
फिर फ़िरोज़ की
अम्मी ने कृतिका को अपने पास बिठाया, उसके हाथों में अपने घर की खानदानी कंगन पहना दिया और कृतिका के माथे को चुम
लिया। एक सभ्य और संस्कारी बहु की तरह कृतिका भी घूँघट में अपने शाईनेस को छिपा
रही थी।
साल २००४,
गौरी और कृतिका, पार्ट – १
थोड़ी देर बाद
कृतिका ने रुखसार से कहा कि उसे फ़िरोज़ से कुछ जरुरी बातें करनी हैं, अकेले में। रुखसार कमरे से बाहर गयी और थोड़ी
ही देर में फ़िरोज़ अंदर आ गया।
“तुम कितनी हसीं हो कृतिका, शायद ही कोई लड़की इतनी सुन्दर होगी लॉस एंजेलिस में।”,
फ़िरोज़ ने आते ही कृतिका के हुस्न की तारीफ कर
दी।
“थैंक्स फ़िरोज़,
लेकिन ये सब क्या था। तुमने अपनी अम्मी से
हमारी शादी की बात क्यों की? क्या तुमने इस
बारे में राय लेना जरूरी भी नहीं समझा? क्या मेरी लाइफ के डिसीजन्स लेने का हक़ मैंने तुम्हे दिया है?”, कृतिका बोली।
“डिसीज़न लेने का
तुम्हारा पूरा हक़ है तुम्हे कृतिका, तुम चाहो तो मुझसे निकाह मत करना, लेकिन तुम मुझसे बेइंतिहा मुहब्बत करती हो, इस बात को क्या झुठला सकती हो? वो दो साल जब हर रोज़ तुम्हे अपनी बाहों में लेकर सोया,
क्या कभी मैंने तुम्हारे साथ गलत किया? क्या कभी मैंने जोर जबरदस्ती की तुम्हारे साथ,
नहीं ना। कल को तुम्हारा सेक्स चेंज ऑपरेशन हो
जायेगा, तुम पूरी तरह से औरत बन
जाओगी, तो क्या इतने बड़े शहर
में अकेले सर्वाइव कर सकोगी। गौरी और तुम दोनों ही नौकरी में हो, जाहा कभी भी तुमदोनो में से किसी का ट्रांसफर
कही और कभी भी किया जा सकता है। औरत बनने के बाद, कौन ख्याल रखेगा तुम्हारा? कभी सोचा है?”, फ़िरोज़ बोला।
“मेरा ख्याल मैं
खुद रख सकती हूँ, तुम टेंशन मत लो
और मुझे अभी इसी वक़्त मेरे घर पर ड्राप करके आओ।”, फ़िरोज़ बोला।
“कृतिका, अम्मी की बात का मान रख लो , उन्होंने रुकने को कहा है तो रुक जाओ ना,
कल वीकेंड का दूसरा दिन है और मैं तुम्हे कल
सुबह सुबह तुम्हारे घर पर ड्राप कर दूंगा।”, फ़िरोज़ बोला।
“और मैं सोऊंगी
कहाँ?”, कृतिका ने पूछा।
“चाहे तो तुम मेरे
साथ सो सकती हो या फिर रुखसार के साथ सो जाओ।”, फ़िरोज़ ने कहा।
“ठीक है फ़िरोज़,
मैं रुखसार के साथ सो जाउंगी, अब तुम जाओ।”, कृतिका ने कहा।
उसके बाद फ़िरोज़
वहां से चला गया। थोड़ी देर बाद रुखसार कमरे में आयी और कृतिका को छेड़ने लगी।
“कृतिका भाभी,
वीकेंड्स पर क्या करती हो आप?”, रुखसार ने पूछा।
“वीकेंड्स पर मेरी
दोस्त गौरी के साथ डांस क्लासेज जाती हूँ, घर आकर हमदोनो २ घंटे डांस प्रैक्टिस करती हैं और आप क्या करती हो?”, कृतिका ने पूछा।
“मेरा ब्यूटी
पार्लर है, फ़िरोज़ भैया के जिम के
ठीक सामने। आप वीकेंड्स पर मेरे ब्यूटी पार्लर आ जाया करो भाभी, अपनी सहेली को भी साथ ले आना। आप दोनों मिलकर
मुझे डांस सीखा देना, बदले में मैं आप
दोनों को ब्यूटीशियन बना दूंगी।”, रुखसार बोली।
“ठीक है रुखसार।”,
कृतिका ने कहा।
फिर दोनों एक ही
बिस्तर पर अलग अलग सो गए। सुबह हुई, कृतिका फ्रेश होकर अपने घर जाने को तैयार थी और थोड़ी ही देर में फ़िरोज़ भी
तैयार हो गया। दोनों ने नाश्ता किया और कृतिका को लेकर फ़िरोज़ उसके घर की ओर निकल
पड़ा। घर पहुंचने के क्रम में ना तो कृतिका ने एक शब्द कहा और ना ही फ़िरोज़ ने।
कृतिका को उसके घर के डोरस्टेप पे ड्राप करके फ़िरोज़ वहां से चला गया। “डिंग डाँग”, डोरबेल की आवाज़ सुनकर गौरी ने दरवाज़ा खोला, सामने कृतिका खड़ी थी, अकेली और मायूस।
“क्या बात है
कृतिका, मिनी स्कर्ट में गयी थी,
पीली साड़ी में वापिस आयी हो। एक ही रात में
इतना चेंजिंग, नाक भी छिदवा
लिया, कलाई में कंगन, क्या बात है कृतिका, ये तो कमाल ही हो गया। फ़िरोज़ के लिए, इतना प्यार।”, गौरी ने कहा।
“नाक नहीं छिदवाई
है गौरी, वो फ़िरोज़ की बहन ने
पहना दिया, ये कंगन फ़िरोज़ की अम्मी
ने पहनाया। उनके कहने पर रुखसार ने मुझे साड़ी पहनाई, मैं क्या करती, कैसे मना करती उन्हें।”, कृतिका ने कहा।
“फ़िरोज़ की बहन
ने तुम्हे नथिया पहना दिया और तुमने पहन लिया, उसकी अम्मी ने तुम्हे साड़ी पहनवा दिया और तुमने पहन भी
लिया, कलाई में कंगन भी पहनाया
फ़िरोज़ की अम्मी ने और तुमने वो भी पहन लिया। तो कल को फ़िरोज़ तुम्हे अपनी बीवी
बनने को बोलेगा, तो तुम उसकी बीवी
बनने को भी तैयार हो जाओगी। है ना…… !”, गौरी बोली।
“कृतिका, वो मैं …… “, कृतिका ने बोलना चाहा।
“वो मैं क्या
कृतिका, तुम ब्राह्मण हो हिमाचल
के और फ़िरोज़ मुस्लमान है, वो हमेशा
तुम्हारे साथ मौके का फायदा उठाने के फ़िराक में रहता है और तुम उसके सामने बेबस
हो जाती हो। ये सब क्या है कृतिका ….!”, गौरी बोली।
“हम्म तुम सही बोल
रही हो गौरी, लेकिन तुमने नाक
में फिर से माँ का दिया नथिया पहन लिया, इसका मतलब क्या समझूँ!” कृतिका हंस के
बोली।
“एक तो इतना भारी कुमाऊनी नथिया पहनना पड़ा दोबारा से,
मेरे नाक का छेद फिर से खुल गया। तुम्हारी माँ
ने कॉल किया था, पूछ रही थी
कार्तिक कहाँ है, क्या बोलती मैं,
मैंने तो साफ़ कह दिया कि कार्तिक को उसका पति
अपने घर ले गया है।”, गौरी बोली।
“क्या, ऐसे क्यों बोला तुमने, दिमाग तो नहीं ख़राब है।”, कृतिका चौंककर बोली।
“हाहाहाहा,
अरे मजाक कर रही हूँ कृतिका मैडम। चलो अब अंदर
आओ और जल्दी से फ्रेश हो जाओ, डांस क्लासेज को
देर हो रही है। अपने मामा मामी के सामने मुझे अकेला छोड़ के निकल ली, वापिस आ जाती तो रात भर इतना टेंशन तो नहीं
होता। एक कॉल या एक मैसेज ही कर देती, परवाह नाम की कोई चीज़ ही नहीं है मैडम के अंदर।”, गौरी ने कहा।
“सॉरी गौरी,
मुझे पता है, मैंने ना मैसेज किया और ना ही कॉल। फ़िरोज़ के घर पर इतना
टेंशन हो गया था मुझे कि मेरा दिमाग ही काम नहीं कर रहा था। खैर मैं तैयार होकर
आती हूँ, डांस क्लासेज चलते हैं।”,
कृतिका बोली।
थोड़ी देर बाद,
कृतिका और गौरी फिर से गौरव और कार्तिक बनकर
तैयार थे अपने डांस क्लासेज को जाने के लिए, गौरव ने अपनी नाक का छेद बंद करने के लिए नोज-फिलर का
इस्तेमाल किया था, जिससे उसके नाक
का छेद बंद हो गया। दोनों डांस क्लासेज पहुंचे और प्रैक्टिस की, फिर वहां की कोरियोग्राफर में अन्नोउंस किया कि
अगले वीकेंड डांस कम्पटीशन है और सबको अलग अलग बॉलीवुड सांग्स पर परफॉर्म करना है।
कार्तिक को “टिप टिप बरसा
पानी” पर परफॉर्म करने को कहा
गया और गौरव को “आओ राजा” पर परफॉर्म करने को कहा गया था। सभी अपने अपने
डांस की तयारी के लिए यूट्यूब पर डांस देखना शुरू कर दिया। गौरव और कार्तिक ने भी
अपने अपने डांस की वीडियो देखकर कम्पटीशन की तयारी शुरू कर दी। गौरव और कार्तिक ने
घर में फुल टाइम औरतों की तरह रहना शुरू कर दिया था। इधर लगातार मेडिसिन खाने और
लगातार डांस करते रहने की वजह से कार्तिक के अंदर के हाव भाव में काफी बदलाव आने
लगा था और दूसरी ओर गौरव को एक बार फिर यूरिनेट करते समय ब्लड आया और इस समय गौरव
को लगा कि उसे डॉक्टर मिलना चाहिए। गौरव ने ऑफिसियल फिजिशियन से मुलाकात की और
उसने गौरव को मेडिसिन्स और कुछ ब्लड टेस्ट्स और सी.टी.स्कैन, एम्.आर.आई. स्कैन करवाने को कहा। डॉक्टर के कहे
अनुसार अगले ही दिन गौरव ने सारे टेस्ट्स करवा लिए और उसके अगले दिन रिपोर्ट्स के
साथ डॉक्टर से मिलने चला गया। टेस्ट्स रिपोर्ट्स को थोर्रो चेक करने के बाद डॉक्टर
ने गौरव के मेडिसिन बदल दिए और ६ महीनो तक खाने की सलाह दी। शाम को रोज़ डांस
प्रैक्टिस और अगली सुबह ऑफिस जाना, घर में औरतों की
तरह रहना, बातें करना, गौरव और कार्तिक का डेली रूटीन बन गया था।
वीकेंड में कम्पटीशन था, गौरव और कार्तिक
अपना डांस परफॉरमेंस देने को तैयार थे। इसके लिए गौरव ने कार्तिक के लिए ३४ साइज
का फेक बूब्स मंगवा लिया था। कार्तिक अब लड़कियों की तरह खुद को सजाना सँवारना,
साड़ी पहनना, चोली की डोरी बांधना, बाकी लेडीज़ ड्रेसेस पहनना, हील्स में चलना, सबकुछ में एक्सपर्ट हो गया था।
आज डांस कम्पटीशन
था, गौरव और कार्तिक को खुद
से तैयार होना था और डांस परफॉरमेंस भी अकेले अकेले ही देना था। गौरव ने लहंगा
चोली के साथ एक ट्रांसपेरेंट चुनरी और हाई हील्स वाले सैंडल्स को सेलेक्ट किया था
और कार्तिक ने पीली कलर की वही साड़ी ब्लाउज और हील्स वाले सैंडल्स को सेलेक्ट
किया जो फ़िरोज़ की अम्मी ने पिछले हफ्ते दिया था।
“यार कार्तिक,
तुम्हारा कुछ नहीं हो सकता। तुम्हारे पास और
कोई और साड़ी नहीं थी, जो फ़िरोज़ का
दिया साड़ी लेकर आये हो।”, गौरव बोला।
“गौरव, तुम हाथ धोकर फ़िरोज़ के पीछे क्यों पड़े हो,
ये साड़ी मुझे अच्छी लगी और काफी लाइट वेट भी
है, तो ले आया।”, कार्तिक ने कहा।
फिर कार्तिक खुद
से तैयार हुआ, लेकिन इस बार फेक
बूब्स ने कार्तिक के फिगर को और भी आकर्षक बना दिया था। इधर गौरव भी लहंगा चोली
पहनकर तैयार था, चुनरी से हल्का
सा घूंघट किया हुआ था। दोनों की खूबसूरती देखकर बाकी डांसर्स का ध्यान उनकी तरफ
खिंचा चला जाने लगा था। गौरव और कार्तिक, दो हैंडसम मर्द, हाफ डाउन हेयर
स्टाइल, एक लहंगा चोली में,
दूसरा साडी ब्लाउज में पहचान में ही नहीं आ रहे
थे कि वे दोनों लड़की नहीं हैं। सभी डांसर्स ने अपना परफॉरमेंस दिया, सभी ने बॉलीवुड के अलग अलग सांग्स पर बेहतरीन
डांस परफॉरमेंस दिखाया। अब कार्तिक स्टेज पर हील्स पहनकर डांस कर रहा था, एक कंस्ट्रक्शन साइट सा स्टेज था और पानी बेहद
ठंडा था। कार्तिक का साथ देने स्टेज पर कोरियोग्राफर का एकलौता बेटा ऐलेक्स आ गया
था और अक्षय कुमार की तरह कभी कार्तिक को अपनी गोद में उठा लेता तो कभी उसके कमर,
हाथ, गाल और होंठों पर किस करता। ६ मिनट्स का डांस परफॉरमेंस के बाद, तालियों की गड़गड़ाहट से हॉल गूंज उठा। कार्तिक
का पूरा शरीर ठन्डे पानी की वजह से कंपकंपा रहा था और कार्तिक ऐलेक्स के साथ स्टेज
पर खड़ा था। एक डांसर स्टेज पर टॉवल लेकर आयी और कार्तिक को अपने साथ वहां से
चेंजिंग रूम में ले गयी।
अब गौरव की बारी
थी, अलग अलग तरह के पोस्चर,
बलखाती कमर और कातिलाना आदयें, गौरव के डांस परफॉरमेंस ने हॉल में एक अलग ही
जोश भर दिया था, सिर्फ गौरव ही
नहीं, उसके साथ बैक ग्राउंड में
अलग अलग डांसर्स भी डांस कर रही थीं लेकिन फोकस सिर्फ गौरव के गोर शरीर और उसके
नज़ाकत भरी अदाओं में था। सवा ४ मिनट्स के परफॉरमेंस के बाद गौरव के डांस के लिए,
तालियां बजती रही और इसके साथ ही सभी डांसर्स
का डांस परफॉरमेंस ख़त्म हुआ। अब बारी थी रिजल्ट्स की, शुरुआत में किसी को गौरव और कार्तिक से इतनी हैरान कर देने
वाली डांस की उम्मीद नहीं थी, लेकिन जिस तरीके
से गौरव और कार्तिक ने परफॉर्म किया वो वाकई काबिलेतारीफ थी। जज को पता था की विनर
कौन होगा लेकिन ये कन्फर्म नहीं कर पा रहे थे कि कार्तिक को पुरस्कार दिया जाये या
गौरव को। आखिर में दो विनर्स का अनाउंसमेंट किया गया। गौरव और कार्तिक को एक साथ
पुरस्कृत किया गया। सभी डांसर्स ने गौरव और कार्तिक को कॉन्ग्रैचुलेट किया और
ऐलेक्स ने भी। ऐलेक्स अभी भी यकीन नहीं कर पा रहा था कि गौरव और कार्तिक लड़के
हैं। कोरिओग्राफर ने ऐलेक्स को कार्तिक और गौरव से मिलवाया। ऐलेक्स ने गौरव और
कार्तिक को कॉन्ग्रैचुलेट किया और उनसे कहा कि उसे अभी भी यकीन नहीं हो रहा है कि
दोनों लड़के हैं। गौरव और कार्तिक ऐलेक्स की बात सुनकर हसने लगे और उसे समझाया कि
वे दोनों लड़के ही हैं। ऐलेक्स जिसके फादर इंडियन थे और मदर अमेरिकन, इस वजह से उसे हिंदी और इंग्लिश दोनों का अच्छा
ज्ञान था और नासा में साइंटिस्ट के तौर पर काम कर रहा था। ऐलेक्स को गौरव और
कार्तिक दोनों पसंद आ गए थे और उसने अपनी माँ से दोनों का एड्रेस और नंबर भी
कलेक्ट कर लिया।
गौरव और कार्तिक
को ऐलेक्स का बेहेवियर काफी अच्छा लगा और दोनों घर आ गए। काफी थक गए थे दोनों और
बिस्तर पर लेटते ही दोनों की आँखें लग गयी।
सपने में कार्तिक
ने देखा कि वो अब लड़की बन चुका है, ब्यूटिशियन उसे सजा रही है, घर मे बहुत ही
ज्यादा चहलकदमी है, माँ इतनी व्यस्त
है कि कार्तिक की तरफ देख भी नही रही है। थोड़ी देर में कार्तिक को दूल्हन कि तरह
तैयार करके लड़कियां हसी मजाक कर रही हैं। कार्तिक को समझ मे नही आ रहा था कि हो
क्या रहा है। अचानक कार्तिक को मंडप पर ले जाया गया, एक मोटे से शरीर वाले उम्रदराज आदमी के साथ उसकी शादी करवाई
जा रही थी। कार्तिक लगातार रोये जा रहा था,अपनी शादी को रुकवाने को बोल रहा था लेकिन किसी ने एक भी नही सुनी। कुछ ही
पलों में कार्तिक की शादी कर दी गयी, नाक में बड़ा सा कुमाऊनी नथिया पहनाया, मांग में सिंदूर भर दिया गया और गले मे मंगलसूत्र पहना दिया
गया। विदाई के बाद वो आदमी अपने घर ले गया। सुहागरात की सेज पर कार्तिक बैठा अपने
पति का इंतजार कर रहा था, आंखों में आंसू
भर आये थे, उसका पति कमरे में दाखिल हुआ।
“कृतिका, कृतिका, क्या हुआ कृतिका, कार्तिक उठो।” अचानक कार्तिक की
नींद खुल गयी। वो सपना देख रहा था लेकिन सच मे रो रहा था। गौरव ने उसे जगाया और
पूछा, “क्या हुआ कार्तिक!”
साल २००४,
गौरी और कृतिका, पार्ट – १
“क्या हुआ कार्तिक,
क्यू रो रहे हो? क्या हुआ, उठो”, गौरव ने कहा।
“कार्तिक अपना सिर
पकडे उठा तो देखा सामने गौरव खड़ा है, कार्तिक गौरव से लिपट कर रोने लगा, “गौरव, मुझे औरत नहीं बनना यार,
प्लीज कुछ ऐसा करो जिससे मुझे औरत ना बनना पड़े,
या तो मुझे ज़हर दे दो, ना ये ज़िन्दगी रहेगी और ना मुझे इतनी शर्मिंदगी झेलनी
पड़ेगी।”
“शांत हो जाओ
कार्तिक, तुम्हारा औरत बनने का सफर
तो अभी शुरू ही हुआ है और तुम इतने डर रहे हो। इतना डरने का कोई जरुरत नहीं है
कार्तिक, अपने आप को सम्भालो,
तुम इतने कमज़ोर कब से हो गए। और सपना ही तो था,
सच थोड़े ना जो तुम इतना घबरा रहे हो। औरत बनने
के बाद तुम्हारी लाइफ अभी से ज्यादा अच्छी होगी, तुम चिंता मत करो।”, गौरव ने कहा।
“आज वीकेंड है
गौरव, डांस क्लास जाने का मॅन
नहीं कर रहा है आज, तुम अकेले चले
जाओ।”, कार्तिक ने कहा।
“आज मैं भी डांस
क्लास नहीं जा रहा कार्तिक, आज ऐलेक्स ने
मिलने बुलाया है कॉफ़ी शॉप में।”, गौरव शर्माते हुए
बोला।
“क्या बात है,
तो आज हमारी गौरी डेट पर जा रही हैं और हमे पता
भी नहीं !”, कार्तिक ने कहा।
“नहीं कार्तिक,
ऐलेक्स पिछले ५ दिनों से मिलने को बोल रहा था,
आज वीकेंड था तो मैंने मिलने को हाँ कर दिया।”,
गौरव शायनेस में बोला।
“मह्म्मम्म्म्म !
रियली गौरी, तो ऐलेक्स ने
गौरव को डेट पर बुलाया है या गौरी को?”, कार्तिक ने पूछा !
“गौरी को !”,
इस बार गौरव शर्म से लाल हो गया था।
“ओह्ह्ह्ह! वाओ,
गुड लक गौरी, कितने बजे जाना है?”, कार्तिक ने पूछा।
“३ बजे !”,
गौरव ने जवाब दिया।
फिर कार्तिक ने
गौरव से कहा, “इस घर में सिर्फ
गौरी और कृतिका ही रहते हैं, तुम फिर भी लड़को
की तरह बातें करना शुरू कर दिया।”
“हाहाहा, तो कृतिका, मैंने कब मना किया। चलो तुम आराम करो, मैं तो चली तैयार होने।”, गौरव ने कहा।
“हाँ हाँ गौरी,
औरतों को तैयार होने में काफी समय भी तो लगता
है। अभी से तैयार होगी, तभी तो ३ बजे तक
कॉफ़ी पीने जा सकोगी।”, कार्तिक हँसते
हुए बोला।
अब गौरव फिर से
गौरी बन गयी और कार्तिक फिर से कृतिका। गौरी कमरे में तैयार होने चली गयी और
कृतिका मार्किट जाने लगी तो दरवाज़ा लगा लेने को गौरी को आवाज़ देकर चली गयी। गौरी
वाशरूम में थी, उसने आवाज़ सुनी
नहीं, पता नहीं किन ख्यालों में
खोयी हुई थी। शायद कोई बेचैनी, या ऐलेक्स से
मिलने की बेताबी। गौरी ने एक मैरून -गुलाबी रंग की प्लेन शिफ्फौन की साड़ी पसंद की,
जिस पर सुनहरी बॉर्डर थी और उसके पल्लू के अंत
में छोटे छोटे मोती लगे हुए थे। गौरी ने एक सुनहरा छोटी-आस्तीन वाला ब्लाउज भी
निकाली, यह ब्लाउज नया नया खरीदी
थी उसने। उसकी पीठ काफी गहरी थी, कि बिलकुल बैकलेस
ब्लाउज की तरह लगे और उसका सामने का कट भी बहुत सेक्सी गहरा था! फिर गौरी ने एक
सैटिन का पेटीकोट भी अलमारी से निकाली जो की स्पैन्डेक्स के कपडे का बना था और
पहनने वाली औरत के तन से ऐसे चिपक जाता था कि साड़ी पहनकर शेप बहुत ही सेक्सी
दिखाई देता था। गौरी ने सैटिन को अपनी टांगो से छूते हुए पेटीकोट पहनी और फिर
साड़ी अपने तन पर लपेटने लगी। साड़ी पहनते पहनते गौरी खुद को आईने में देख रही थी
और सामने ऐसा लगा जैसे एक बेहद हॉट औरत उसे देख रही हो, उसने अपनी साड़ी की कमर पर प्लेट एडजस्ट की और अपने पल्लू
को खुला रखकर अपने ब्लाउज पे पिन लगा दी और फिर गले में एक मोती के हार और कान की
बालियाँ पहनी जो उसे कार्तिक ने ३ साल पहले गिफ्ट में दी थी। गौरी पूरी तरह से
तैयार हो कमर मटकाते घर में चलने लगी! साड़ी पहनकर खुद को तैयार होते देखना उसे
दीवाना बना रहा था और गौरी ने अपनी पैंटी के अन्दर एक सनसनाहट महसूस कर सकती थी जो
बढ़ते जा रही थी। गौरी की महँगी विक्टोरिया सीक्रेट की सॉफ्ट सुन्दर पैंटी थोड़ी
सी गीली हो रही थी। और फिर गौरी ने अपने लम्बे बालो को गुंथ कर सर पर एक बड़ा सा
जुड़ा बनाया! गौरी को जुड़े के साथ औरते सचमुच सेक्सी लगती है… और आज वो खुद जुड़ा बनाकर और भी सेक्सी लग रही
थी। उफ़… उस सेक्सी फीलिंग के साथ
तो उसे खुद को वहां छूने का मन करने लगा था। गौरी पूरी तरह औरत बनकर अब तैयार थी
और कमर मटकाते हुए वो कमरे में चलने लगी।
तभी दरवाज़ा
खुलने की आवाज़ आई और गौरी की आँखों के सामने फ़िरोज़ खड़ा था!
“पर वो अन्दर कैसे
आया? क्या उसके पास मेरे घर की
चाबी है?”, गौरी सोच में पड़ गयी।
लगता है कार्तिक कही बाहर गया है और दरवाज़ा लॉक करने को कहना भूल गया। फ़िरोज़ ने
गौरी को एक बार फिर से औरत के रूप में देख लिया था। गौरी की धड़कने तेज़ हो गयी और
वो एक अनजाने डर से कांपने लगी और साथ ही साथ उसके अन्दर उस आदमी को देखकर गुस्सा भी
बढ़ रहा था जो उसके ही घर में पीठ पीछे कृतिका के साथ रोमांस करता था।
वो आदमी आगे बढ़
गौरी के सामने आया…. और गौरी डर से
सिहर उठी। जितना आश्चर्य गौरी को उसे देख कर हुआ था, शायद उतना ही हैरान वो गौरी को साड़ी में देख कर था। गौरी
ने खुद को अपनी साड़ी के आँचल में छुपाने की कोशिश की जैसे कोई भी औरत एक अनजान
मर्द के सामने करती, पर उसकी नज़रे
गौरी के पूरे तन को जैसे चीर कर देख रही थी। गौरी के भरे पुरे जवान औरत के बदन को
वो एक टक घूरता रहा और फिर उसके चेहरे पर एक गन्दी सी मुस्कान आ गयी और वो दरवाज़ा
बंद कर गौरी की तरफ बढ़ने लगा। गौरी को पता न था कि उसके इरादे क्या है और वो वहां
खड़ी खड़ी बस उसे अपने पास आते देखते रह गई।
वो धीरे धीरे
गौरी की ओर बढ़ता चला आया… गौरी की धड़कने
बेहद तेज़ हो गयी। उसने गौरी के पास आकर उसकी ओर देखा और बोला, “हेल्लो मैडम, नाम क्या है इस खुबसूरत औरत का?
उसके चेहरे की
मुस्कान देख कर एक अजीब सी चिढ महसूस हुई गौरी को। एक तरफ तो गौरी गुस्से में भी
थी और थोडा डर भी लग रहा था, क्यूंकि उस वक़्त
घर में उसके और फ़िरोज़ के अलावे कोई भी नहीं था। गुस्सा होते हुए भी गौरी ने उसके
सवाल का जवाब एक औरत की तरह देने लगी, “गौरी नाम है मेरा! तुम यहाँ किस लिए आये हो फ़िरोज़, कृतिका घर पर नहीं है।”
ये क्या बोल रही
थी गौरी उससे? शायद वो एक औरत
की तरह महसूस करना चाहती थी और फिर उसने धीरे से गौरी के आँचल और उसके ब्लाउज पर
अपनी ऊँगली फेरी और फिर गौरी की नाभि के पास चिकोटी काट कर हौले से कहा, “तुम इस साड़ी में कमाल लग रही हो, गौरी!”और फिर उसने गौरी की बांहों को जोर से पकड़ अपने पास खिंच लिया। गौरी दर्द से
एक नाज़ुक कलि की तरह कराह उठी जैसे कह रही हो, “छोड़ दे मुझे ज़ालिम”, गौरी उस वक़्त उसकी इस हरकत से सकते में थी। वो ऐसे पेश आ
रहा था जैसे वो गौरी का पति हो,
“कमीना कहीं का”,
गौरी ने मन ही मन उसकी उद्दंडता को देख सोचा,
गौरी की बड़ी बड़ी कजरारी आँखों में गुस्सा था
जो वो भी देख सकता था।
“पता है गौरी?
तुम्हारी कृतिका के साथ बहुत बार … किया है मैंने, पर तुम्हे देख कर लगता है तुम्हे अपनी रानी बनाने में अलग
ही मज़ा आएगी। बड़ा ही हॉट फिगर है तुम्हारा।”, उसने गौरी से कहा और अपने हाथो से गौरी के होंठो को पकड़ कर
उसकी लिपस्टिक को छूने लगा। पता नहीं क्यों, जिस सख्श से इतनी नफरत करती थी गौरी, उसकी बात और उसका स्पर्श पाकर ना जाने क्यों ऐसी फील क्यों
आ रही थी, मानो वो छुअन गौरी को
अच्छा लगा हो। कितने करीब आ गया था वो गौरी के। वो गौरी के सामने कृतिका के बारे
में ऐसा बोल रहा था, गौरी को तो
गुस्से से आग बबूला होना चाहिए था, पर क्या सोच रही
थी गौरी भी, और फिर, एक बार फिर जब उसके और कृतिका के बीच का
सम्बन्ध का ख्याल आया तो गौरी के हाथ खुद ही उठ कर उसे जोर का तमाचा देने के लिए
बढ़ गए, पर वो कितना मजबूत था …
गौरी के सामने हाय, असली मर्द था वो भी। उसने तुरंत गौरी की कलाई पकड़ कर उसके
हाथ को रोक लिए, गौरी के हाथो की
कांच की चूड़ियां उस झटके से खनक उठी। वो गौरी से ज्यादा मजबूत था। न जाने क्यों
गौरी के तन में उसे आग महसूस हो रही थी, वो गौरी पर हावी था और गौरी भी किन खयालो में थी!
“मुझे ऐसी
तेज़-तर्रार गुस्से वाली औरतें बेहद पसंद है, उनके अन्दर की आग मुझे दीवाना बना देती है। तेरी जैसी औरतों
को उनकी औकात दिखाकर अपनी बनाना मुझे अच्छा लगता है, तुझे क्या लगता है गौरी, तू कृतिका को मुझसे अलग कर सकती है? “कृतिका से तो मैं निकाह बाद में जरुर करूँगा, लेकिन उससे पहले तुझे तो अपनी बना लूँ।”,
उसने गौरी की ओर घूरकर देखते हुए मुस्कुरा कर
कहा और जोर से उसकी कलाई को निचे की ओर मोड़ दिया।
उसकी मर्दानगी के
सामने गौरी बेहद ही असहाय महसूस कर रही थी, फ़िरोज़ उसके और करीब आ गया, उसका गठीला बदन अब गौरी के तन को दबा रहा था। गौरी फ़िरोज़
और दीवार के बीच दब गयी थी… और फ़िरोज़ अपने
हाथो से गौरी के होंठो को ज़बरदस्ती पकड़ रहा था और फिर अचानक, वो गौरी के होंठो को चूमने लगा.. !
एक मर्द गौरी को
चूम रहा था! गौरी ने उससे दूर होना चाहा पर होती भी कहाँ और कैसे? फ़िरोज़ के सामने इतनी नाज़ुक थी गौरी। गौरी ने
अपनी आँखें बंद कर ली और फ़िरोज़ उसे ज़बरदस्ती चूमता रहा… गौरी के होंठो को जबरदस्ती चूसता रहा और गौरी एक अबला की
भाँती कुछ भी न कर सकी, गौरी लगभग बस
रोने ही वाली थी कि फ़िरोज़ ने अपने कदम पीछे ले लिए। उसने के बार फिर गौरी को घुर
कर गन्दी नजरो से देखा। गौरी अब तक उसकी बांहों में कैद थी।
“मुझे पता नहीं
गौरी कि तु मुझसे क्यों नाराज़ रहती है, कृतिका को उस दिन मैं अपने घर ले गया था, इसीलिए क्यूंकि कृतिका ने कहा था। मैंने नहीं कहा था उसे
साथ चलने को, तुम्हे गुस्सा
दिखाना है जानेमन तो उस पर दिखा…” फ़िरोज़ ने कहा,
उसको अपने किये पर कोई शर्मिंदगी नहीं थी।
गौरी ने उसे पलट
कर एक बार फिर घुर कर गुस्सैल नज़रो से देखा, उसकी सांस तेज़ थी.. उसका सीना, उसके बूब्स, उसके हर सांस के
साथ ऊपर निचे हो रहे थे… और अचानक फ़िरोज़
एक बार फिर गौरी के करीब आ गया, गौरी की धड़कनें
और तेज़ हो गयी, आँखों में आंसू आ
गए। गौरी ने फ़िरोज़ की छाती को अपने दोनों हाथों से खुद से अलग करना चाहा लेकिन,
फ़िरोज़ के बलिष्ठ शरीर के सामने नाज़ुक गौरी
की पतली कलाई में कोई ताकत नहीं थी। फ़िरोज़ ने गौरी की दोनों कलाई को ऊपर दीवारों
में सटा के पकड़ लिया था, गौरी छटपटा रही
थी, अपनी दोनों कलाईयों को
फ़िरोज़ की गिरफ्त से छुड़ाने की नाकाम कोशिश कर रही थी। फ़िरोज़ के सीने का स्मेल
सीधे गौरी को फील हो रहा था, एक मर्द के शरीर
की खुशबु जो गौरी को कमज़ोर करते जा रही थी। फ़िरोज़ के चेहरे पर अब एक कातिल
मुस्कान थी।
“ये सब क्या है?”,
अचानक कृतिका के वहां आ जाने से गौरी के साँस
में साँस आयी और दौड़कर कृतिका से लिपट कर रोने लगी।
“तुम शांत हो जाओ
गौरी, अब मैं आ गयी हूँ। ये सब
क्या है फ़िरोज़, यही तुम्हारा
असली चेहरा है फ़िरोज़, तुम कभी किसी एक
के होकर नहीं रह सकते। निकल जाओ मेरे घर से और दुबारा कभी लाइफ में अपनी शक्ल मत
दिखाना, घिन आने लगी है मुझे
तुमसे, निकल जाओ।”, कृतिका बोली।
“मेरी बात तो सुनो
कृतिका।”, फ़िरोज़ बोला
“क्या सुनु और
क्यों सुनु। आज से तुम्हारा और मेरा रिश्ता हमेशा के लिए ख़त्म। जाओ अपनी अम्मी से
कहना कोई और लड़की ढूंढ दे तुम्हारे लिए। अब मैं तुमसे शादी नहीं करूंगी, दिल तोडा है तुमने मेरा और मेरी दोस्त के साथ
एटेम्पट टू रेप की कोशिश। इससे पहले की मैं तुम्हे पुलिस के हवाले कर दूँ, दफा हो जाओ यहाँ से।”, कृतिका बोली, गौरी अभी भी उससे लिपटकर रोये जा रही थी।
फ़िरोज़ वहां से
चला गया और अब कृतिका ने भी डिसाइड कर लिया कि अब फ़िरोज़ को हमेशा के लिए भूल जाएगी।
गौरी शांत हुई तो कृतिका ने उसे फ्रेश होने को कहा। जब गौरी फ्रेश होकर बहार आयी
तब कृतिका ने उसे अपनी बाहों में लेकर प्यार किया और समझाया कि मर्द जात होते ही
ऐसे हैं। जब गौरी शांत हुई तो कृतिका ने खुद से गौरी की साड़ी को ठीक किया और
मेकअप भी खुद से किया। कृतिका ने गौरी के सुने नाक में एक सोने की छोटी सी नथिया
पहनाया और ऐलेक्स के साथ डेट पर जाने को तैयार किया। गौरी का मन कुछ हल्का हुआ तो
वो ऐलेक्स से मिलने को तैयार हुई।
साल २००४,
गौरी और कृतिका, पार्ट – १
जनवरी २००५
गौरी और कृतिका
ने फैसला किया कि वे दोनों एक ही हॉस्पिटल में एडमिट होंगी। अलेक्स ने गौरी और
फ़िरोज़ ने कृतिका की हॉस्पिटल की फॉरमैलिटी पूरी की और उन्हें वहां एडमिट करवाया।
डॉक्टर्स ने गौरी और कृतिका को एडमिट कर लिया और सेक्स चेंज ऑपरेशन की प्रक्रिया
शुरू कर दी गयी। गौरी और कृतिका के सारे कपड़े, गहने, सैंडल और इनर
गारमेंट्स सब नर्स ने एक बैग में पैक करके अलेक्स और फ़िरोज़ को दिया और उनसे कहा
गया कि जब जब उनकी जरूरत होगी, उन्हें बुला लिया
जाएगा। अलेक्स और फ़िरोज़ वहां से चले गए और दोनों अपने अपने काम में व्यस्त हो
गए। 3 महीनों में काफी कुछ बदल
गया था, गौरी और कृतिका के चेहरे
पर एक ग्लो आ गया था, शरीर भी पहले से
ज्यादा सेक्सी हो गया था, गर्भाशय का
निर्माण 100% हो चुका था,
बूब्स भी पहले से काफी सुडौल हो गए थे, हिप्स राउंड और जांघ भी मांसल हो गए थे। चौथे
महीने में वजीनोप्लास्टी की गई, जिसमे गौरी और
कृतिका का पेनिस उनके शरीर से अलग कर दिया गया और एक गुलाबी सिलिकॉन की वजाइना को
उस जगह सेट कर दिया गया। कुछ दिनों तक तो गौरी और कृतिका को बहुत दर्द रहा,
लेकिन कुछ दिनों बाद वो सिलिकॉन की वजाइना गौरी
और कृतिका के शरीर का एक हिस्सा बन चुका था। पांचवे महीने में गौरी और कृतिका को
एक तरह के मशीन में हर रोज़ 4 घंटे सुलाया
जाता, जिसकी वजह से गौरी और
कृतिका के शरीर मे लड़कियों की तरह सॉफ्टनेस आने लगा था और बॉडी में गर्भाशय भी
धीरे धीरे वर्किंग हो गया था, लेकिन अभी तक ना
तो गौरी और ना ही कृतिका को पीरियड्स आया था। छठा और आखिरी महीना शुरू हो गया था,
गौरी और कृतिका की आवाज़ में लड़कियों जैसी
मिठास आ गयी थी, शरीर मे सॉफ्टनेस
आ गया था और वजाइना में भी सेंसेशन शुरू हो गया था।
आखिरी महीना चल
रहा था और ना तो गौरी को पीरियड्स आया था और ना ही कृतिका को। डॉक्टर हेल्थ चेकअप
के आये तो नर्स रौशन को एक कमरे में ले गयी। डॉक्टर ने नर्स से कहा कि वो गौरी और
कृतिका को न्यूड कर दे। नर्स ने गौरी और कृतिका को न्यूड कर दिया और उसे डॉक्टर के
सामने खड़ा कर दिया। डॉक्टर ने गौरी और कृतिका से कहा कि वो अपने दोनों बूब्स को
ऊपर की ओर अपने दोनों हाथों से सपोर्ट दे। गौरी और कृतिका ने अपने दोनों हाथों से
अपने बूब्स को ऊपर की ओर सपोर्ट दिया और आईने में खुद को देखकर हैरान रह गया। गौरी
और कृतिका का फिगर बिलकुल सोफिया लियॉन के जैसा हो गया था, फिर डॉक्टर ने गौरी और कृतिका के बूब्स के निप्पलों को पिंच
किया। आआह की आवाज़ गौरी के मुह से निकली तो कृतिका के मुँह से भी जोर से आई आअह
मम्मी की आवाज़ निकली और वो भी इतनी मीठी की उन्हें खुद के आवाज़ पर यकीन नही हुआ।
फिर डॉक्टर ने गौरी और कृतिका के दोनों पैरों को फैला कर लेटने को कहा, दोनों लेट गए। फिर डॉक्टर ने एक डिलडो लिया और
गौरी और कृतिका के वजाइना की छेद पे सटा कर उसका वाइब्रेशन मोड ऑन कर दिया और उसे
रिमोट से ऑपरेट करने लगे। गौरी और कृतिका को हल्का हल्का दर्द होने लगा और उन्हें
अच्छा भी लग रहा था। गौरी और कृतिका ने एक दूसरे की और देखा और फिर आँखें बंद करके
डिलडो के वाइब्रेशन को फील करने लगी। फिर 15 मिनट्स के बाद अब गौरी और कृतिका ने एन्जॉय करना शुरू कर
दिया था, उनका मन कर रहा था की उस
डिलडो को फ़ौरन अंदर ले लें, लेकिन तभी डॉक्टर
ने डिलडो ऑफ कर दिया। गौरी और कृतिका के अधूरे सटिस्फैक्शन ने उनको अचानक से
गुस्सा दिला दिया, लेकिन उन्होंने
खुद को कण्ट्रोल कर लिया।
फिर डॉक्टर ने
नर्स से कहा, “कुछ मेडिसिन लिख
के दे रहा हूँ, अभी इनका एक एक
डोज़ गौरी और कृतिका को दे दो।”
नर्स ने तुरंत उन
मेडिसिन्स का एक एक डोज़ गौरी और कृतिका को दे दिया, डोज़ पड़ते ही गौरी और कृतिका बेहोश हो गए। जब गौरी और
कृतिका की नींद खुली तब उसके पास नर्स बैठी थी, फिर उसने गौरी और कृतिका को मेडिसिन दिया। शाम को गौरी को
उसके लाइफ का पहला पीरियड्स आया, जिसके बाद गौरी
के पेट के निचले हिस्से में दर्द, खून का आना,
चिड़चिड़ापन और गुस्सा आने लगा।
नर्स ने गौरी को समझाया,
“पीरियड्स आने का मतलब है कि तुम अब पूरी तरह से
औरत बन चुकी हो और तुम किसी मर्द के साथ फिजिकल रिलेशनशिप में जा सकती हो, सेक्स का आनंद उठा सकती हो, उसके बच्चों की माँ बनने में भी समर्थ हो।”
ये सब सुनकर गौरी
को बहुत शर्मिंदगी महसूस हो रही थी, लेकिन अब यही उसकी सच्चाई बन चुकी थी कि वो अब एक औरत है। लेकिन कृतिका को अभी
तक पीरियड नहीं आया था, डॉक्टर ने फिर से
कृतिका का चेकउप करने के लिए अलग केबिन में बुलाया। नर्स ने कृतिका को टेबल पर लेट
जाने को कहा और उसके वजाइना की छेद पर पहले वाले डिलडो से बड़ा डिलडो रखा और उसका
वाइब्रेशन ऑन कर दिया। कृतिका का वजाइना काफी सेंसिटिव हो चूका था और डिलडो के
वाइब्रेशन ऑन होते ही वो मदहोशी में खोने लगी। डॉक्टर ने डिलडो को कृतिका की
वजाइना में हल्का पुश किया और बंद करके बाहर निकाला और पेपर पर कुछ मेडिसिन्स
लिखकर नर्स को दिया और दिन में दो टाइम देने को कहा। नर्स ने कृतिका को मेडिसिन
दिया और कृतिका सो गयी। उसी दिन शाम में कृतिका ने अपनी लाइफ का पहला पीरियड फील
किया। कृतिका को लाइफ में पहली बार समझ आया की औरतों का लाइफ इतना मुश्किल क्यों
होता है, क्यों औरतों को इतना दर्द
सहना पड़ता है। उस असहनीय दर्द ने कृतिका की आँखों में आंसू ला दिए।
नर्स ने कृतिका
को समझाया, “रोते नहीं कृतिका,
औरतों को ये दर्द जीवन भर सहना पड़ता है।
पीरियड तो हर महीने आएगा और पीरियड आ गया इसका मतलब है कि अब तुम पूरी तरह से औरत
बन चुकी हो। अब तुम खुल के अपनी लाइफ जी सकती हो, किसी भी मर्द के साथ फिजिकल रिलेशनशिप में जा सकती हो,
उसके बच्चे को जनम भी देने में तुम सक्षम हो।
जब तुम बच्चो को जनम दोगी तो तुम्हारे बूब्स में खुदबखुद दूध भर जायेगा और तुम
अपने बच्चो को अपना दूध पीला सकोगी।”
अगस्त २००५
नर्स की बात
सुनकर कृतिका को बहुत शर्मिंदगी फील हो रही थी। उसने क्या कर लिया, १ साल पहले तक मर्द का शरीर था और आज औरत के
रूप में खुद को देखकर अपनी आगे की लाइफ को लेकर काफी टेन्स हो गयी थी कृतिका। अगले
दिन गौरी और कृतिका को हॉस्पिटल से ले जाने को अलेक्स और फ़िरोज़ आये। अलेक्स और फ़िरोज़,
गौरी और कृतिका के लिए अलग अलग ड्रेस भी लेकर
आये थे। डॉक्टर से मिलकर दोनों ने डाक्यूमेंट्स साइन किये और डॉक्टर ने वे ड्रेस
नर्स को ड्रेस दे कर गौरी और कृतिका को तैयार कर के केबिन में ले आने को कहा।
थोड़ी देर बाद नर्स गौरी और कृतिका को तैयार करके डॉक्टर के चैम्बर में ले गयी।
पीली रंग की
बैकलेस चोली और पीली रंग का लहँगा, गले में डिज़ाइनर
नेकलेस, कलाइयों में एक एक
मोतियों वाला कंगन और कानों में झुमके, जिसके साथ सिल्क के मटेरियल का बना लाल रंग का दुपट्टा कंधे पर ओढ़कर तैयार
गौरी और लाल बैकलेस चोली, सिल्वर कलर का
डिज़ाइनर लहँगा, सिर्फ एक कलाई
में एक सोने का कंगन, गले में बड़ा सा
डिज़ाइनर नेकलेस, कानों में बड़े
बड़े डिज़ाइनर झुमके और सिल्क मटेरियल का बना लाल डिज़ाइनर दुपट्टा कंधे पर ओढ़कर
तैयार कृतिका किसी मॉडल से कम नहीं लग रही थी। दोनों ने लाल लिपस्टिक, लाल नेल पोलिश, आँखों में मोटा गहरा काजल अप्लाई किया हुआ था। गौरी और
कृतिका का हुस्न किसी भी शख्स को दीवाना करने के लिए काफी था। डाक्यूमेंट्स साईन
हो जाने के बाद डॉक्टर ने गौरी और कृतिका को बेस्ट विशेष के साथ डिस्चार्ज कर
दिया। जब गौरी और कृतिका घर वापिस आये, तो उनके घर की दीवार पिंक, पर्पल और पीले
रंग से बड़े ही खूबसूरती से सजाया हुआ था। इन महीनो में अलेक्स और फ़िरोज़ की
अच्छी दोस्ती हो गयी थी और इस बात से ना तो कृतिका को एतराज़ था और ना ही गौरी को।
अब गौरी और कृतिका के नए शरीर में सब नेचुरल था, कुछ भी आर्टिफीसियल नहीं। चलने पर गौरी और कृतिका अपने ३४
डी साइज के बूब्स को ऊपर नीचे होता फील कर सकती थीं और अब उनके मन में सिर्फ एक ही
सवाल चल रहा था।
साल २००४,
गौरी और कृतिका, पार्ट – १
अगस्त २००५
गौरी और कृतिका
को घर पर ड्राप करने के बाद फ़िरोज़ और ऐलेक्स ने उनसे रेस्ट करने को कहा और फिर
दोनों वहां से चले गए। औरत बनने के बाद गौरी और कृतिका को रेस्ट कहाँ था, वे दोनों तो इस बात से परेशान हुए जा रहे थे की
अब उनकी लाइफ में क्या होगा। एक साल पहले तक आदमी थे दोनों और अब दोनों एक औरत बन
चुके हैं। वैसे तो कृतिका ने जॉब के अलावे भी फ़िरोज़ के साथ शादी करने का मन बना
लिया था लेकिन वो बोले तो बोले कैसे, ये बात उसकी समझ से बाहर थी। गौरी और कृतिका आपस में यही डिस्कस कर रही थीं की
क्या अब भी उनके परिवार वाले उन्हें अपनाएंगे?
गौरी ने कृतिका
से कहा, “एक बार कॉल करके उन्हें
इन्फॉर्म कर दिया जाये की हमदोनो ने सेक्स चेंज करवा के औरत बन चुकी हैं।”
कृतिका ने कहा,
“यार मैं कैसे बोलू, इन ६ महीनों में घर से एक बार भी कॉल नहीं आया है और वे
गुस्सा तो करेंगे ही साथ के साथ घर आने को कहेंगे और मैं हिमाचल नहीं जाना चाहती।
यहाँ करियर का बहुत अच्छा स्कोप है और साथ ही यहाँ ऐसे लोग भी हैं, जो हमे सपोर्ट करते हैं। लेकिन एक बार मैं
हिमाचल चली गयी तो वहां सब मिलकर मेरो शादी करवाने में देर नहीं करेंगे और मैं
शादी नहीं करना चाहती गौरी।”
“कृतिका, तुम बेवजह परेशान हो रही हो, मेरे परिवार वालो ने तो मुझे अपने आप से बेदखल
कर ही दिया था ६ महीने पहले और अब उन्हें इन्फॉर्म करने को कॉल भी करुँगी तो वे
मुझे कोई ख़ास बात नहीं करेंगे लेकिन तम्हारी माँ तुमसे बहुत प्यार करती है और
उनसे मैं तो बात कर ही सकती हूँ ना, आखिर मैं उनकी बहु जो हूँ। मैं उन्हें मना लुंगी, लेकिन माँ जी यहाँ आने की बात कहेंगी तो क्या बोलूंगी ये
बता दो।”, गौरी ने पूछा।
“माँ से मैं भी
बहुत प्यार करती हूँ गौरी, जिस बेटे को बचपन
से पाल पास के इतना बड़ा किया, सुन्दर सी बहु को
घर ले जाने का मेरी माँ का सपना अब अधूरा रह जायेगा। मैं उन्हें ये सुख नहीं दे
पाऊँगी और पता नहीं मेरी माँ को जब ये पता चलेगा कि उनका बेटा अब औरत बन गया है।”,
कृतिका ने पूछा।
“माँ जी को मैं
संभाल लुंगी कृतिका और उन्हें यहाँ बुला लुंगी।”, गौरी ने कहा।
“हम्म! ये ठीक
रहेगा गौरी, वैसे तुम बहुत
खूबसूरत हो गयी हो एकदम मक्खन स्किन हो गयी है तुम्हारी।”, कृतिका ने मुस्कुराते हुए कहा।
“हम्म! सही बोल
रही हो कृतिका, तुम्हारी स्किन
भी एकदम मलाई है मलाई, ऊपर से इतनी गोरी
हो। रस्ते भर फ़िरोज़ तुम्हारे कमर को तो कभी तुम्हारे बूब्स को एकटक देखे जा रहा
था मानो तुम्हे खा ही जायेगा।”, गौरी ने कहा।
“धत्त, कुछ भी बोलती हो गौरी!”, कृतिका शरमाते हुए बोली।
गौरी और कृतिका
का कमरा बखूबी पिंक और बैंगनी रंग से डेकोरेट किया हुआ था और दोनों कमरों में
ड्रेसिंग टेबल और मेकअप का सारे सामन लॉरिअल पेरिस कंपनी का मौजूद था। दोनों के
बिस्तर का कुशन भी पिंक और येल्लो कॉम्बिनेशन के काफी सुन्दर और आकर्षक दिख रहे
थे। कृतिका तो अपने कमरे में जाकर सो गयी लें गौरी अपने कमरे में आईने के सामने
खड़ी थी। औरत का बदन भी एक पहेली की तरह होता है जिसे सुलझाना होता है। हर एक अंग
पर स्पर्श, एक बिलकुल अलग अहसास उस
औरत में जागता है। तभी तो आदमी औरत को हर जगह छूना चाहते है, क्योंकि हर स्पर्श से वो औरत कुछ नए अंदाज़ में
लचकती है, मचलती है। और गौरी के लिए
तो ये स्पर्श का आनंद कुछ अधिक ही थी, अब तो गौरी खुद एक औरत के जिस्म में थी। अपने खुद के स्पर्श से ही उसे आनंद
मिल रहा थी, जैसा उसने पहले
कभी अनुभव नहीं किया था। और इसलिए उसके अन्दर खुद को छूकर देखने की क्यूरोसिटी
बढती जा रही थी। गौरी धीरे धीरे अपने तन पर अपनी उँगलियों को सहलाते हुए, अपने हर अंग में छुपे हुए आनंद को एन्जॉय करने
की चाह बढ़ती जा रही थी। उसकी नजाकत भरी लचीली कमर, उसके संवेदनशील बूब्स और मांसल जांघे; सब जगह गौरी खुद को छूना चाहती थी, पर किसी तरह वो खुद को संभाले हुए थी। अभी तो
फिलहाल वो तैयार होकर खुद को आईने के सामने निहार रहा थी, हलकी हरी रंग की साड़ी में बहुत खिल रहा थी गौरी। आज गौरी
एक असली औरत बन चुकी थी और किसी डरावने सपने से कम नहीं थी गौरी के औरत बनने का अब
तक का सफर।
गौरी ने अपनी
खुली कमर को एक बार अपनी नर्म ऊँगली से छुआ, “उफ़… खुद की ऊँगली से
ही मुझे एक गुदगुदी सी हो रही है।”, उसने सोचा।
गौरी खुद अपने ही
बदन के रोम रोम में छुपे एक्साइटमेंट से अब तक अनजान थी। उसके खुद के स्पर्श से एक
ऐसा एहसास हो रही थी, जो उसे मचलने को
मजबूर कर रही थी। गौरी अपनी मखमली त्वचा पर धीरे धीरे अपनी उँगलियों को फेरने लगे,
अपने पेट पर, अपनी नाभि पर और फिर धीरे धीरे अपने बूब्स के बीच के गहरे
क्लीवेज की ओर। उसने अपनी आँखें बंद कर ली, ताकि वो हर एक एहसास को और अच्छी तरह से महसूस कर सके।
“क्या मैं खुद
अपने बूब्स को छूकर देखूं? न जाने क्या होगा
उन्हें छूकर! उन्हें दबाकर?” गौरी सोचने लगी।
बाहरी दुनिया से
खुद को दूर करके गौरी सिर्फ और सिर्फ अपने अन्दर होने वाली हलचल को अनुभव करने में
एंग्रोस्सेड हो रहा थी और फिर उसने अपनी कुछ उंगलियाँ अपनी साड़ी के निचे से अपने
बूब्स पर हौले से फेरा। स्पर्शमात्र से ही गौरी के जिस्म में मानो बिजली दौड़ गयी
और वो एक्साइटमेंट में सिहर उठा और उस एक्साइटमेंट में खुद को काबू करने के लिए वो
अपने ही होंठो को जोरो से कांटना चाहता थी, क्योंकि अपने एक बूब्स को अपने ही हाथ से धीरे से मसलते हुए
गौरी बेकाबू हो रही थी। गौरी के तन में मानो आग लग रही थी, वो रुकना चाहते हुए भी खुद को रोक नहीं पा रही थी।
एक्साइटमेंट बढ़ता जा रहा था, गौरी जोर से
सिसकियाँ लेना चाहती थी, उसकी बेताबी बढती
ही जा रही थी, उसकी उंगलियाँ
उसके बूब्स और निप्पल्स को छेड़ रही थी। और फिर उसकी उंगलियाँ उसके निप्पल के चारो
ओर गोल गोल घुमाकर छूने लगी। “आह्ह्ह…”, वो आन्हें भरना
चाहती थी, पर उसे अपनी आँहों को
दबाना होगा। उसकी उंगलियाँ अब जैसे बेकाबू हो गयी थी और उसके निप्पल को लगातार छेड़
रही थी। अब उसकी उंगलियाँ उसके निप्पल को पकड़ कर मसलने को तैयार थी, निप्पल दबाकर न जाने कितना सुख मिलेगा, यह सोचकर ही अब बस गौरी अपने होंठो को दबाते
हुए अपने निप्पल को मसलने को तैयार थी।
तभी कमरे में
कृतिका आ गयी और गौरी शर्म से लाल हो गयी। कृतिका गौरी के पास गयी, उसकी साड़ी का पल्लू एक ओर गिरा दिया, कंधे पर किस किया, फिर पीठ पर और फिर उसे अपनी ओर घुमाया और चेहरे पर किस करने
लगी।
“ये क्या कर रही
हो कृतिका!”, गौरी नर्वस हो
गयी थी।
“क्यों गौरी,
क्या तुम्हे मेरा छूना अच्छा नहीं लगा। बेशक अब
मैं औरत बन गयी हूँ गौरी, लेकिन तुम हमेशा
मेरी पत्नी रहोगी।”, कृतिका बोली।
“हम्म! और तुम
हमेशा मेरी पति रहोगे कृतिका।”, गौरी ने कहा।
“मुझे भूख लगी है
कृतिका, कुछ पका लाओ यार।”,
गौरी बोली।
“तुम्हारे लिए कुछ
भी मेरी जान!” कहकर कृतिका किचन
में ब्रेकफास्ट बनाने चली गयी।
और थोड़ी ही देर
में रसोई से नाश्ता ले आई। नाश्ता करने के बाद गौरी और कृतिका दोनों को सुस्ती
चढ़ने लगी।
कृतिका ने कहा,
“चलो कुछ देर बेडरूम में आराम कर लेते हैं गौरी!”
गौरी को भी यह
बात ठीक लगी तो दोनों बेडरूम में सोने को चल दीं। बातों-बातों में नींद कब आ गई
पता ही नहीं चला। अगली सुबह डोरबेल की आवाज़ सुनकर गौरी और कृतिका की आँख खुली।
गौरी ने जब दरवाज़ा खोला तो वहां फ़िरोज़ और उसकी बहन रुखसार खडी थी। गौरी ने
फ़िरोज़ और उसकी बहन को सोफे पर बिठाया और कृतिका को बुलाने कमरे में आ गयी।
“कृतिका, फ़िरोज़ आया है अपनी बहन रुखसार के साथ।”,
गौरी बोली।
“फ़िरोज़, वो भी इतनी सुबह! यहाँ क्यों आया है? गौरी तुम अपने और मेरे लिए चाय तो बना लो,
तबतक मैं देखूं जरा, फ़िरोज़ क्यों आया है।”, कृतिका बोली।
उसके बाद गौरी
किचन में चली गयी और कृतिका फ़िरोज़ से मिलने हॉल में।
“हाय कृतिका भाभी,
कैसी हो?”, रुखसार बोली।
“हाय रुखसार,
हाय फ़िरोज़, मैं तो अच्छी हूँ, आज इतनी सुबह, यहाँ! कोई ख़ास
बात!”, कृतिका बोली।
“कृतिका भाभी,
अब तो अपने अपना जेंडर भी चेंज करवा लिया,
अब तो फ़िरोज़ भैया से निकाह कर लो!”, रुखसार बोली।
“रुखसार, मैंने मज़बूरी में अपना जेंडर चेंज करवाया है
रुखसार, फ़िरोज़ से मैं भी बहुत
प्यार करती हूँ लेकिन तुम्हारे घर में मुझे वो मान सम्मान और इज़्ज़त कभी नहीं मिल
सकेगा जो एक मुस्लिम लड़की को मिलेगा। मैं एक ब्राह्मण घर की लड़की हूँ और फ़िरोज़
एक मुस्लिम घर का। अभी मेरा पहला मोटिव है कि कैसे भी मेरा परिवार मुझ फिर से अपना
ले, उसके बाद ही शादी की
सोचूँगी।”, कृतिका बोली।
“कृतिका भाभी,
आप ब्राह्मण हो इससे ना तो मेरी अम्मी को कोई
दिक्कत है और ना ही मेरे अब्बू को। फ़िरोज़ भाई से निकाह आप हिन्दू रीती रिवाज़ों
से कर सकती हो, एक हिन्दू घर की
बहु की तरह, होली, दिवाली, छठ, करवाचौथ, तीज जैसे व्रत भी रख सकती हो, रोज़ घर में पूजा पाठ करो, इससे भी घर में किसी को कोई दिक्कत नहीं होगी।
ना तो आपको नमाज़ पढ़ने की जरुरत है और ना ही रमजान और ईद में मुस्लिम कल्चर को
अपनाने की जरुरत है। हमारे घर की बहु बनकर आपको हमेशा अपने फैसले पर नाज़ होगा की
अपने हमारे भाईजान से निकाह किया।”, रुखसार बोली।
“रुखसार, तुम्हारा कहना जायज़ है लेकिन पहले मुझे मेरे
परिवार द्वारा अपना लेने दो, फिर मैं अपना
फैसला सुनाऊँगी।”, कृतिका बोली।
“ये लो कृतिका,
चाय पियो। तुम भी लो रुखसार और ये लो जूस
तुम्हरे लिए फ़िरोज़।”, गौरी ने चाय और
जूस का ट्रे टेबल पर रखते हुए कहा।
“रुखसार चलो अब,
अम्मी की सेहत इतनी नासाज़ है और उनके पास कोई
नहीं है अभी!”, फ़िरोज़ ने कहा
और रुखसार को साथ लेकर वहां से चला गया।
“मैंने कहा था ना
रुखसार, जब तक गौरी कृतिका के साथ
है, वो मुझसे निकाह नहीं
करेगी।”, फ़िरोज़ ने रुखसार से
कहा।
“भाईजान आप फिक्र
मत करो, मैं हूँ ना, मैं कृतिका भाभी को आपसे निकाह के लिए राज़ी कर
लुंगी।”, रुखसार बोली।
“गुड लक रुखसार,
लेकिन मुझे नहीं लगता कृतिका मुझसे निकाह करने
के लिए मानेगी।”, फ़िरोज़ बोला।
इधर सुबह सुबह
फ़िरोज़ का घर आना और कृतिका को शादी करने के फिर से प्रोपोज़ करना गौरी को अंदर
ही अंदर एक ख़ुशी दे गया। अब उसे यकीन था कि फ़िरोज़ उससे बहुत ही ज्यादा प्यार
करता है। गौरी ने भी कृतिका को समझाया की ऑपरेशन के समय जब पुरे परिवार ने उसका
साथ छोड़ दिया था तब फ़िरोज़ उसके साथ खड़ा था, दोनों पहले भी काफी समय तक रिलेशनशिप में रह चुके हैं और
नौकरी मिलेगी या नहीं मिलेगा लेकिन फ़िरोज़ जैसा इंसान दुबारा मिलेगा, ये कहा नहीं जा सकता। गौरी की बात कृतिका को
जायज़ लगी लेकिन मूड स्विंग जो औरतों के स्वभाव का एक अभिन्न हिस्सा है, वो अब कृतिका के स्वाभाव का एक हिस्सा बन गया
था। फ़िरोज़ का कृतिका को बार बार शादी के लिए मानना उसे अंदर से एक अलग ही ख़ुशी
का अनुभव करवाता। गौरी और ऐलेक्स की दोस्ती अब पहले से ज्यादा गहरी हो गयी थी,
ऐलेक्स तो गौरी से शादी करना चाहता था लेकिन ये
नहीं जानता था कि गौरी के मन में उसके लिए क्या फीलिंग्स है।
गौरी ने कृतिका
के घर उसकी माँ को कॉल किया।
“माँ जी, प्रणाम! कैसी हैं आप?” गौरी बोली।
“मैं अच्छी हूँ
गौरी बहु, मुझे माफ़ कर दे, मेरे बेटे ने तेरी जिंदगी तबाह कर दी। यकीन मान,
मैंने उसे बड़ा समझाया, लेकिन वो नालायक मानने को राज़ी नहीं। कैसा है मेरा बेटा!
ठीक तो है ना कार्तिक!”, कृतिका की माँ
बोली।
“माँ जी, उन्होंने तो जेंडर चेंज करवा लिया, औरत बन गए हैं कार्तिक जी तो! आप ही बताइये मैं
क्या करूँ, अब तो मेरे जीने का सहारा
भी नहीं है। क्या करू माँ जी, आप यहाँ होतीं तो
शायद इतना कुछ नहीं होता, शायद कार्तिक जी
आज भी मर्द ही रहते। आप यहाँ आ जाइये माँ जी।”, गौरी बोली।
“गौरी बहु तू
परेशान मत हो, मैं अगले हफ्ते
तक तेरे पास होउंगी। हाय मेरे बच्चो को किसकी बुरी नज़र लग गयी।”, कृतिका की माँ बोली।
“माँ जी, जल्दी आना।”, गौरी ने कहते ही कॉल डिसकनेक्ट कर दिया।
“तुम्हे तो ऑस्कर
मिलना चाहिए गौरी, तुमने तो बखूबी
माँ को यहाँ बुलाने को राज़ी कर लिया, लेकिन तुम्हारे माँ बाप का क्या, क्या वो तुम्हे कभी नहीं अपनाएंगे?” कृतिका बोली।
“देखो कृतिका,
मेरा परिवार बहुत हो सख्त है और इस मामले में
तो मेरे पिताजी ने मुझे घर से बेदखल करने का जो फैसला सुनाया था, घर में किसी की हिम्मत नहीं है, उनके फैसले का खिलाफत करने की।”, गौरी इमोशनल होकर बोली।
“गौरी, तो आगे का क्या सोचा है तुमने! ऐलेक्स और तुम
शादी करने का प्लान तो नहीं कर रहे।”, कृतिका बोली।
“ऐलेक्स मेरा
अच्छा दोस्त है कृतिका, हमदोनो में ऐसा
कुछ नहीं है। ऐलेक्स ने मुझसे आजतक एक बार भी प्रोपोज़ नहीं किया, फ़िरोज़ ने तो फिर भी तुम्हे अपने अम्मी और बहन
भाई से इंटोडस भी करवाया है।”, गौरी बोली।
“बात तो तुम्हारी
सही है, फ़िरोज़ और ऐलेक्स दोनों
अच्छे इंसान हैं। दोनों ने हमदोनो के ऑपरेशन का इतना खर्चा उठाया, जरा भी प्रॉब्लम नहीं होने दिया। अगले हफ्ते
माँ आ जाये तो हमदोनो उन्हें डाइवोर्स के लिए बोल देंगे और मैं उन्हें फ़िरोज़ के
बारे में भी सबकुछ बता दूंगी।”, कृतिका बोली।
“अगर माँ तुम्हारे
और फ़िरोज़ के रिश्ते के लिए तैयार नहीं हुईं तो क्या करोगी कृतिका?”, गौरी ने पूछा।
“माँ को मैं मना
लुंगी, वो मुझसे बहुत प्यार करती
है और अगर फिर भी नहीं मानी तो जो माँ कहेगी वही करुँगी।”, कृतिका ने कहा।
“और माँ ने तुम्हे
हिमाचल चलने को कहा तो क्या करोगी?”, गौरी ने पूछा।
“तो मैं माँ के
साथ हिमाचल चली जाउंगी। क्यूंकि अगर माँ मेरे और फ़िरोज़ के रिश्ते के लिए नहीं
मानी तो वैसे भी यहाँ नहीं रह सकुंगी।”, कृतिका बोली।
“तुम चली गयी तो
मेरा क्या होगा कृतिका, मुझे अकेला छोड़
कर मत जाना प्लीज्। मैं यहाँ अकेली क्या करूंगी, वैसे भी तुम्हारे मामा और मामी यहाँ आते हैं तो तुम्हारा
मामा मुझे गन्दी नियत से देखता है। मैंने तुम्हे पहले भी बताने का सोचा था लेकिन
तब माँ जी यहाँ थी और मेरी बात कौन सुनता।”, गौरी बोली।
“हम्म! गौरी फिर
तुम भी मेरे साथ चल लेना, वैसे भी तुम तो
हमारे घर की बहु ही हो, तुम तो आज़ादी से
मेरे घर में रह सकती हो।”, कृतिका बोली।
गौरी और कृतिका
ने फिर से डांस क्लासेज ज्वाइन कर ली, लेकिन इस बार फूल टाइम। डांस क्लासेज में सभी डांसर्स ने गौरी और कृतिका को
स्त्री जीवन में प्रवेश करने के लिए ढेरों बधाई दी और उनका बेहेवियर और भी अच्छा
हो गया था। शायद इंडिया में लोग अपने दोस्तों और बच्चो के सेक्स चेंज के डिसीज़न
को इतने अच्छे से एक्सेप्ट नहीं करते लेकिन वहां के डांसर्स और गौरी और कृतिका के
दोस्तों ने उनके नए फॉर्म को एक्सेप्ट भी किया और उनका साथ भी दिया। गौरी और
कृतिका का फिगर किसी भी मॉडल से थोड़ा भी कम नहीं था और डांस परफॉरमेंस में अब
उनके अंदर कॉन्फिडेंस का एक अलग ही लेवल देखने को मिल रहा था।
अगले हफ्ते
कृतिका की माँ ने इंडिया से अमेरिका के लिए फ्लाइट ली। कृतिका और गौरी एयरपोर्ट पर
खुद गयी, फ़िरोज़ को एयरपोर्ट पर
अपनी माँ को भेज दिया। एयरपोर्ट पर जब कृतिका की माँ लैंड हुईं तो वो अकेली नहीं
थीं, उनके साथ हरीश नाम का
शख्स भी था।
इधर अगली सुबह
कृतिका जल्दी उठकर खाना बनाने में लग गयी ताकि जब माँ आये तो दोपहर का खाना तैयार
रहे। वैसे भी इंडिया से आये हुए लोगो के लिए भारतीय घर के खाने की कीमत ही कुछ और
होती है। खाना बनाने के बाद कृतिका सोचने लगी कि आखिर कौनसे कपडे पहनू। गौरी ने
कृतिका से कहा कि वो उसे तैयार कर देगी, लेकिन कृतिका अपनी माँ के सामने ज्यादा सेक्सी कुछ नहीं पहनना चाहती थी। एक तो
कृतिका लड़की की रूप में पहली बार उसकी माँ उसे देखने वाली थी, ऊपर से ज्यादा सेक्सी कुछ पहन ली, तो उन्हें शॉक ही लग जायेगा और फिर कृतिका अपनी
माँ को जानती भी तो थी…
इसलिए कृतिका ने
तय किया कि वो कोई साड़ी ही पहनेगी। वो भी ऐसी जो सेक्सी कम और शालीन ज्यादा लगे।
जैसे सिल्क साड़ी… वैसे भी कितना
समय हो गया था कृतिका को सिल्क साड़ी पहने। औरत बनने के पहले तो साड़ी कृतिका की
आखिरी चॉइस होती थी, लेकिन यु एस में
काम करना हो तो साड़ी पहनकर ऑफिस नहीं जा सकती थी और फिर घर से बाहर साड़ी पहनो तो
लोगो को लगता है कि कोई भारतीय त्यौहार आने वाला होगा और विदेशी औरतें रोककर पूछने
लगती है साड़ी के बारे में। लड़की बनने के बाद तो अक्सर कृतिका को ऐसी सीटुएशन्स
का सामना करना पड़ता ही था तो डिसाईड हो गया कि कृतिका साडी ही पहनेगी और फिर वो
अपने कलेक्शन में साड़ी ढूँढने लगी। आखिर में कृतिका ने एक सॉफ्ट सिल्क साड़ी पसंद
की जिसके साथ मैचिंग सिल्क ब्लाउज भी था। अब इससे ज्यादा शालीन औरत कैसे बना जा
सकता था ट्रेडिशनल सिल्क साड़ी के अलावा? पर मन ही मन कृतिका ये भी जानती थी कि साड़ी में सेक्सी न लग पाना लगभग असंभव
था। पर इससे ज्यादा और क्या कोशिश करती कृतिका। साड़ी पहनकर कृतिका लगभग तैयार थी
और बस हाथो में चूड़ियां ही पहन रही थी कि तभी दरवाज़े की घंटी बजी।माँ आ गयी लगता
है, कृतिका ने सोचा और आईने
में देखकर अपने आँचल को ठीक करके एक आखिरी बार देखा कि कहीं उसका ब्लाउज खुला तो
नहीं दिख रहा। समय भी कितनी तेज़ी से बदल गया था … इसके पहले कभी अपनी माँ के सामने जाने के लिए कृतिका को यूँ
सोचना न पड़ता था। फिर भी कृतिका इस वक़्त बेहद खुश थी, अपनी माँ से मिलने के लिए और कृतिका दौड़ी दौड़ी दरवाज़े तक
चली आई।
फ़िरोज़ को
एयरपोर्ट पर कृतिका की माँ चौंक गयी, लेकिन फ़िरोज़ ने उन्हें बताया कि वो उन्हें लेने आया है। हरीश के बारे में
फ़िरोज़ ज्यादा जानता था, लेकिन बात करने
से मालुम हुआ कि हरीश कृतिका की माँ का भतीजा का फ्रेंड है। थोड़ी देर में गाडी घर
पहुंची। फ़िरोज़ ने लगेज उठा लिया था और कृतिका की माँ और हरीश को घर के अंदर ले
आया। दरवाज़ा खोलते ही माँ को देखते ही ख़ुशी के मारे कृतिका उसके सीने से लग उससे
लिपट गयी और रोने लगी। गौरी वहीँ खड़ी थी, घूँघट कर रखा था उसने, मांग में सिंदूर,
गले में मंगलसूत्र, हाथों में उसकी सास का पहनाया कंगन और नाक में सोने का
कुमाऊनी नथिया, जैसे गौरी की सास
उसे छोड़कर गयी थी, वो आज भी बिलकुल
वैसी ही थी, बस थोड़ा पहले से
ज्यादा सेक्सी और आकर्षक दिख रहा था। घूंघट करके गौरी कृतिका को अपने साथ लेकर
कृतिका की माँ के पास गयी। दोनों ने ही झुककर माँ के पाओ छुए। कृतिका की माँ ने एक
एक करके दोनों का घूंघट उठाया और दोनों को गले से लगाकर रोने लगी।
कृतिका की माँ ने
दोनों को आशीर्वाद दिया, गौरी सभी के लिए
लंच गर्म करने चली गयी। फ़िरोज़ अपने घर चला गया और हरीश फ्रेश होने चला गया। अब
कमरे में सिर्फ कृतिका और उसकी माँ थी।
“ये क्या कर लिया
कार्तिक बेटा तुमने। ऑपरेशन क्यों करवा लिया तुमने, मैंने मना किया था ना। कभी सोचा था क्या कि मेरा बेटा
ऑपरेशन करवा कर औरत बन जायेगा। अब गौरी बहु का क्या होगा, ये सोचा है क्या? कार्तिक, औरत बनकर तुम
बहुत ही ज्यादा सुन्दर हो गए हो लेकिन अपने भविष्य के बारे में क्या सोचा है?
गौरी अब तुम्हारे साथ ना जाने कितने दिन रह सकेगी,
उसका पति औरत बन गया और अब बच्चों का होगा?
पोते पोतियों की शक्ल तक नहीं देखा और ये सब हो
गया।”, कृतिका की माँ बोली।
“माँ, तुम फिक्र मत करो, गौरी के लिए मैंने एक बहुत ही अच्छा लड़का देख रखा है। नासा
में साइंटिस्ट है और बहुत पैसे भी कमाता है। रही बात मेरी, मैं फ़िरोज़ को बहुत पसंद करने लगी हूँ। फ़िरोज़ भी हिमाचल
का ही रहने वाला है और यहां अपना जिम चलता है। फ़िरोज़ अच्छे पैसे कमाता है माँ,
उसके साथ मैं हमेशा खुश रहूंगी।”, कृतिका बोली।
“ये क्या बोल रही
है, तू फ़िरोज़ से शादी करना
चाहती है? दिमाग तो नहीं ख़राब हो
गया है तेरा, ब्राह्मण कुल की
लड़कियां मुसलामानों से शादी नहीं करतीं। पहले गौरी की शादी होगी, क्यूंकि वो अब हमारी जिम्मेदारी है कि उसका घर
जितनी जल्दी हो सके, उतनी जल्दी बसा
दिया जाये। गौरी की शादी पहले होगी, फिर तेरी शादी करवाउंगी, लेकिन फ़िरोज़ को
भूल जा समझी तू!”, कृतिका की माँ
गुस्से में बोली।
“ठीक है माँ,
जैसा तुम अच्छा समझो। लेकिन फ़िरोज़ ने मेरे
ऑपरेशन से लेकर अब तक मेरा बहुत साथ दिया है, उसके घर में मैं हिन्दू रीती रिवाज़ों को फॉलो कर सकती हूँ,
उसकी अम्मी और उसकी बहन बहुत ही ज्यादा अच्छे
हैं, माँ फ़िरोज़ मुझसे बहुत
प्यार करता है।”, कृतिका ने मायूस
होकर कहा।
“एक बार मे बात
समझ नहीं आती तुझे! एक बार मना किया ना, नहीं हो सकती तेरी और फ़िरोज़ की शादी समझी तू। अब एक बार भी तूने फ़िरोज़ का
नाम लिया तो मैं यहीं अभी जहर खा कर जान दे दंगी।”, कृतिका की माँ बोली।
“माँ, ऐसे मत बोलो, मैं तुम्हारे लिए कुछ भी करुँगी।”, कृतिका रोते हुए बोली और तकिये पर सर छुपा कर रोने लगी।
कृतिका के कमरे
से उसकी माँ बाहर वाले कमरे में चली गयी। गौरी भी खाना तैयार कर चुकी थी और कृतिका
की माँ और हरीश को खाना सर्व किया। दोनों ने खाना खाया, गौरी के हाथों से बने खाने की तारीफ की और सोने चले गए। इधर
कृतिका का रो रो कर बुरा हाल था। आंसू थमने को तैयार नहीं थे, फ़िरोज़ से वो कितना प्यार करती अब कृतिका को
होने लगा था। जब गौरी कमरे में पहुंची तो कृतिका गौरी से लिपट कर जोर जोर से रोने
लगी। गौरी ने किसी तरह कृतिका को शांत किया और उसे समझाया कि माँ बाप अपने बच्चे
का कभी बुरा नहीं चाहते। फ़िरोज़ से बेहतर और हैंडसम मर्द हिमाचल में मिल जायेगा
वैसे माँ जी के साथ जो आदमी आया है, वो भी उतना ही हैंडसम और जवान है। हरीश तो देखने में भी इतना स्मार्ट है,
तुम्हारे लिए तो मर्दों की लाइन लग जाएगी,
फिक्र मत करो। फिर कृतिका शांत हुई और गौरी को
बताया कि माँ ने कहा है कि पहले गौरी बहु की शादी होगी, फिर कृतिका की।
कृतिका ने गौरी
से कहा, “यार सुबह से ऐलेक्स का
कॉल आ रहा है, अभी तक ५०
मिसकाल्स हो चूका है, मैंने एक बार
उससे बात भी नहीं की, तुम जरा माँ जी
के पास चली जाओ तो मैं ऐलेक्स से कुछ देर बात कर लूँ।”
“हम्म, ऐलेक्स गुस्से में होगा, तुम उससे बात कर लो गौरी, मैं माँ को एक बार फिर से समझा कर देखती हूँ।”, कृतिका बोलकर चली गयी।
गौरी ने ऐलेक्स
को कॉल लगाया और कृतिका अपनी माँ को समझाने बाहर वाले कमरे में चली गयी।
“कहाँ थी तुम सुबह
से गौरी, मैंने कितना कॉल किया और
तुमने मेरे एक भी कॉल का जवाब नहीं दिया।”, ऐलेक्स अग्रेशन में बोला।
“सॉरी ऐलेक्स,
वो क्या है ना! कृतिका की माँ घर पर आयी हुई
हैं। उनके सामने तुमसे कैसे बात कर सकती हूँ।”, गौरी बोली।
“ठीक है गौरी,
तुम मुझसे मिलने आ सकती हो क्या?”, ऐलेक्स ने पूछा।
“सॉरी ऐलेक्स,
मैं तुमसे मिलने नहीं आ सकती।”, गौरी बोली।
“ये क्या है गौरी,
तुम मुझसे बात नहीं कर सकती, मिल नहीं सकती। क्या चल रहा है तुम्हारे दिमाग
में ….. !”, ऐलेक्स गुस्से
में बोला।
“तुम मुझपर गुस्सा
हो रहे हो ऐलेक्स ?”, गौरी बोली।
“नहीं गौरी,
मुझे तुमसे दूर नहीं रहना अब !”, ऐलेक्स ने कहा।
“वो क्यों भला?”,
गौरी ने पूछा।
“क्यूंकि मैं …
तुमसे …….. !”, ऐलेक्स बोलते बोलते रुक गया।
“क्यूंकि क्या
ऐलेक्स !”, गौरी ने फिर पूछा।
“क्यूंकि, आई लव यू गौरी, क्या तुम मुझसे शादी करोगी?”, ऐलेक्स ने पूछा
“तुम घर आ सकते हो
ऐलेक्स, अपने परिवार को साथ लेकर,
मेरे लिए!”, गौरी बोली।
“परिवार को लेकर आ
रहा हूँ आज शाम मेरी जान! आई लव यू गौरी, आई लव यू सो मच!”, ऐलेक्स ने
एक्साइटेड होकर कहा।
गौरी ने शर्माते
हुए कॉल डिसकनेक्ट कर दिया। अब गौरी का दिल जोरो से धड़कने लगा था, वो चाह कर भी अपने इमोशंस को कण्ट्रोल नहीं कर
पा रही थी, लेकिन ठीक उसी वक़्त उसके
सामने गौरव का अक्स खड़ा था।
“ये तुम क्या करने
जा रही हो गौरी। कल तक तुम गौरव थी, कितनी आजाद थी। एक मर्द को अपने पति बनाने का सपना देख रही हो, तुम्हे पता है ना, औरतों की लाइफ कितनी टफ होती है। एक मर्द के हाथों में अपना
पूरा जीवन सौंपने जा रही हो, ऐसा कैसे कर सकती
हो गौरी।”, गौरव बोला।
“लेकिन अब गौरव
नहीं हूँ मैं, अब मैं गौरी हूँ,
एक औरत हूँ और मेरे दिल में ऐलेक्स के लिए खास
जगह बन गयी है। मैं उसे अपना पूरा जीवन समर्पित करने को तैयार हूँ गौरव।”, गौरी बोली।
“तुम्हारा दिमाग
ख़राब हो गया है गौरी, वो एक मर्द है।
शादी के बाद ऐलेक्स तुम्हारे साथ क्या क्या करेगा, इसका अंदाज़ा भी नहीं है गौरी।”, गौरव बोला।
“वो मुझसे प्यार
करता है गौरव और मैं भी। अब गौरव का अस्तितव ख़त्म हो चूका है, इस बात को जितनी जल्दी हो सके एक्सेप्ट कर लो।”,
गौरी बोली और गौरव का अक्स धुआं हो गया।
साल २००४,
गौरी और कृतिका, पार्ट – १
अगस्त २००५
गौरी के मन में
ख़ुशी के लड्डू फुट रहे थे। वो बस कृतिका का इंतज़ार कर रही थी की कब कृतिका कमरे
में आये और कब वो उसे ऐलेक्स के बारे में बताये की कैसे ऐलेक्स ने उसे फ़ोन पर
प्रोपोज़ किया और शाम को अपने परिवार के साथ रिश्ते की बात करने के लिए आ रहा था।
थोड़ी देर बाद जब कृतिका कमरे में आयी तो वो बहुत ही ज्यादा उदास थी और उसने
रोत्लू सी शक्ल बना रखा था। गौरी ने पूछा तो कृतिका ने बताया की माँ उसके और
फ़िरोज़ के रिश्ते को एक्सेप्ट नहीं कर रही है और हिमाचल वापिस चलने को कह रही है।
गौरी ने कृतिका से कहा की वो थोड़ी शांत हो जाये, वो खुद से माँ से बात करेगी फ़िरोज़ और कृतिका के रिश्ते के
लिए। कृतिका खुश हो गयी और गौरी को जोर से हग किया। फिर गौरी ने कृतिका को कहा की
शाम में ऐलेक्स अपने परिवार के साथ रिश्ते की बात करने घर आ रहा था। कृतिका ने कहा
की वो माँ को ये बात बता देगी, ताकि शाम में
किसी तरह का कोई इशू नहीं हो। वो लम्हा भी आ गया जब गौरी के लंबे हैंडसम दोस्त
ऐलेक्स ने गौरी का हाथ मांगने उसके घर पर आ चूका था। कृतिका की माँ को देखते ही
ऐलेक्स और उसकी बहन जेनिफर ने झुककर प्रणाम किया। ऐलेक्स और उसकी बहन का इतना
विनम्र स्वाभाव देखकर कृतिका की माँ बहुत खुश हो गयी। ऐलेक्स, उसकी माँ और उसकी बहन का कृतिका की माँ ने बहुत
ही विनम्रता से स्वागत सत्कार किया। कृतिका गौरी को अभी भी तैयार ही कर रही थी।
हैवी साटन शाइनी
मैरून प्लेन साडी और साथ में ब्रोकेड जैक्वार्ड बैकलेस ब्लाउज में बहुत ही सिंपल
तरीके से तैयार थी। बालों को सुपर स्लीक जुड़ा हेयर स्टाइल वाला लुक, कानों में गोल बालियां, नाक में सोने का लौंग, कलाइ में सोने के कंगन, होंठों पर पिंक मैट लिपस्टिक, पिंक नेलपॉलिश, पैरों में पायल और सुनहरे रंग का हाई हील्स पहने गौरी खूबसूरत लग रही थी।
कृतिका ने गौरी का घूँघट बनाया और ऐलेक्स के परिवार के सामने गयी। चलते समय गौरी
के बूब्स ब्लाउज से बाहर दिख रहे थे और साड़ी गौरी की चिकनी कमर को छुपा नहीं पा
रहा था। गौरी भी सबके सामने बहुत ही शर्मिंदगी फील कर रही थी । गौरी के मन में
अजीबोगरीब चीज़ें हो रही थी जिसे गौरी खुद को संभाल नहीं पा रही थी। वो सबके सामने
घूँघट में शर्मायी हुई सी खड़ी थी, साथ में कृतिका
भी वहीँ खड़ी थी। ऐलेक्स की माँ को गौरी से ज्यादा कृतिका पसंद थी और ऐलेक्स को
गौरी पसंद थी। इधर कृतिका की माँ को ऐलेक्स इतना पसंद आ गया कि उनका मन बदल गया।
इससे पहले कि ऐलेक्स की माँ कुछ कहती, कृतिका की माँ कृतिका और गौरी को कमरे में ले गयी, ये बोलकर कि कुछ डिसकस करना है उन्हें।
“बोलो माँ क्या
बात है, यहाँ कमरे में क्यों ले
कर आ गयी अचानक से ऐसा क्या हो गया?”, कृतिका ने पूछा।
“कृतिका, बिटिया, मुझे गौरी से कुछ बात करनी है।”, कृतिका की माँ बोली।
“कहिये ना माँ जी,
ऐसी कौन सी बात है, जो आपके मन में है।”, गौरी बोली।
“गौरी बिटिया,
मैं जो कहूँगी, क्या तुम वो करोगी?”, कृतिका की माँ बोली।
“माँ जी, आप जो कहेंगी मैं वो करुँगी।”, गौरी बोली।
“तो एक काम कर,
तू ऐलेक्स से शादी मत कर, कृतिका की शादी ऐलेक्स से हो जाने दे। तू मेरे
साथ हिमाचल चल, वहां मैं तेरी
शादी बड़ी धूम धाम से करवाउंगी।”, कृतिका की माँ
बोली।
“ये क्या बोल रही
हैं आप माँ जी, ऐसा नहीं हो
सकता।”, गौरी बोली।
“हां माँ, ये नहीं हो सकता, मैं ऐलेक्स से शादी नहीं करूंगी। गौरी और ऐलेक्स एक दूसरे
को पसंद करते हैं, अगर मेरी शादी की
इतनी फिक्र है तो फ़िरोज़ से मेरी शादी करवा दो माँ।”, कृतिका रोते हुए बोली।
“गौरी बिटिया,
कृतिका तो नासमझ है, लेकिन तू तो समझदार है ना, तू हमारे घर की बहु है, तू हमारे साथ हिमाचल में रहेगी तो कोई कुछ नहीं कहेगा और
तेरे लिए मैं ऐलेक्स से भी हैंडसम आदमी ढूंढ के लाऊंगी और उससे तेरी शादी करवा
दूंगी। लेकिन कृतिका के लिए ऐलेक्स से बेहतर लड़का हिमाचल में नहीं धुंध सकुंगी,
क्या कहूँगी सब से कि मेरा बेटा औरत बन गया है।
ये मुझसे नहीं हो सकेगा गौरी, लेकिन बिटिया
तेरे लिए इतना मुश्किल नहीं होगा।”, कृतिका की माँ ने गौरी के आगे हाथ जोड़कर कहा।
“माँ जी प्लीज,
आप बड़ी हैं मुझसे, आप रोइये मत। आपके लिए मैं ये शादी नहीं करुँगी। मैं ऐलेक्स
को तैयार करुँगी कृतिका से शादी करने के लिए और कृतिका को भी। आप नीचे जाइये और
ऐलेक्स को कमरे में भेज दीजिये।”, गौरी बोली।
कृतिका की माँ
ख़ुशी ख़ुशी नीचे ऐलेक्स को बुलाने चली गयी और ऐलेक्स को कमरे में भेज दिया।
“ये क्या है गौरी,
मैं ऐलेक्स से शादी नहीं करुँगी। चाहे जो भी हो
जाये।”, कृतिका रोते हुए बोली।
“कृतिका तुम सच
में बहुत नासमझ हो। इससे अच्छा मौका दुबारा नहीं मिलेगा। तुम और ऐलेक्स शादी कर लो,
मैं यही रहूंगी। एक बार तुम्हारी शादी हो गयी,
फिर माँ जी निश्चिन्त हो जाएँगी और 3 महीने बाद तुम ऐलेक्स से डाइवोर्स लेकर,
फ़िरोज़ से शादी कर लेना और मैं ऐलेक्स से शादी
कर लुंगी। मुझे जितना तुम्हारे ऊपर भरोसा है, उतना ही भरोसा मुझे ऐलेक्स के ऊपर भी है। ऐलेक्स तुम्हे टच
भी नहीं करेगा इस बात की गारंटी मेरी है। अब फ़िरोज़ को कॉल करो और उसे पूरी
सिचुएशन समझाओ।”, गौरी बोली।
फिर कृतिका ने
फ़िरोज़ को समझाया और गौरी ने ऐलेक्स को। दोनों काफी समझदार थे तो, जल्दी ही समझ गए और ऐलेक्स और कृतिका की शादी
पर गौरी और फ़िरोज़ ने अपनी अपनी मुहर लगा दी। जब कृतिका और गौरी ऐलेक्स के साथ
नीचे गए तो ऐलेक्स ने अपनी माँ और सिस्टर को कृतिका के लिए मना लिया। अब घर में
सभी बहुत खुश थे और ऐलेक्स और कृतिका की सगाई का डेट फिक्स करके ऐलेक्स का परिवार
वहां से चला गया।
गौरी ने सगाई से
एक दिन पहले हाथों और पैरों में मेहंदी अप्लाई किया। अगले दिन सुबह सुबह मेहंदी
धोयी गयी तब गौरी ने कृतिका को बताया कि दुल्हन का मेहंदी जितना डार्क होता उसका
दूल्हा उससे उतना ही ज्यादा प्यार करता है। ये सब बातें लड़कियां करती हैं और
कृतिका भी तो लड़की ही है अब। उसे ऐसी बाते सुनकर शर्मिंदगी महसूस हो रहा था।
“कृतिका तुम अपना
ब्रा उतार दो”, गौरी बोली।
“वो क्यों गौरी”,
कृतिका चौंकते हुए पूछा।
“क्योंकि, इस चोली को बिना ब्रा के ही पहना जाता है
कृतिका, धीरे धीरे इन सब के बारे
में पता चल जाएगा”, गौरी बोली।
गौरी की बातें
सुनकर कृतिका को बहुत शर्म आ रहा था। उसे ब्रा खोलने में कुछ ज्यादा ही शर्मिंदगी
महसूस हो रही थी। तभी गौरी बोली, “इतना भी ना
शर्माओ, मैं भी तुम्हारी तरह औरत
ही हूँ ना और तुम्हारी वाइफ भी। मेरे सामने क्या शर्माना, चलो ब्रा उतारो जल्दी से।”
कृतिका ने ब्रा
को उतार तो दिया, लेकिन अपने दोनों
उरोजों को अपने दोनों हाथों से ढंकने की नाकाम कोशिश करने लगी।
“ओह्ह, वाओ। कितने सुंदर बूब्स हैं तुम्हारे कृतिका”,
गौरी बोली।
“थैंक्स गौरी,
अब देर नही हो रहा तुम्हे”, कृतिका ने गौरी से कहा।
फिर गौरी ने बिना
देर किए कृतिका को वो लाल चोली पहना दिया। कृतिका ने गौर किया कि ब्रा के नही
पहनने की वजह से उसके बूब्स काफी सॉफ्ट दिख रहे थे। फिर गौरी ने कृतिका को पेटिकोट
पहनाया और ऊपर से चमकीला साटन साड़ी पहन दिया। साड़ी काफी लंबी और चमकीली थी,
जिसे पहन कर कृतिका किसी मॉडल से बिल्कुल भी कम
नही लग रही थी। फिर गौरी ने खानदानी नथिया जो कि बहुत बड़ा था, और खुद कृतिका की माँ ने गौरी को अपने ही हाथों
से पहनाया था, वही कुमाऊनी
नथिया कृतिका के नाक में पहनाया और उसके चेन को कृतिका की बाल में क्लिप से सेट कर
दिया। उस कुमाऊनी नथिया का वजन का अंदाजा कृतिका को नहीं था, लेकिन इतना हैवी नथिया नाक में पहनने के बाद
कृतिका के नाक में दर्द और भारीपन फील होने लगा। आँखों में आंसू आ गए तो कृतिका ने
गौरी की तरफ देखा। गौरी ने कृतिका को समझाया की ये दर्द तो कुछ भी नहीं है,
औरतों का जीवन तो दर्द भरा ही होता है। फिर
कानों में झुमके, पैरों में पायल,
माथे पर मांगटीका और गले मे बाद सा हार पहना
दिया। फिर कृतिका को लाल रंग का 3 इंच हील्स वाला
सैंडल पहना दिया। अंत मे गौरी ने कृतिका की साड़ी की पल्लू से उसका घूंघट कर दिया
और उसे चलने के लिए बोली। कृतिका ने चलते वक़्त महसूस किया कि उसके बूब्स हर कदम
के साथ बाउंस कर रहे थे, जो कृतिका को
बहुत परेशान कर रहा था।
गौरी ने कहा,
“वाओ कृतिका, तुम कितनी खूबसूरत लग रही हो।”
“थैंक्स गौरी,
लेकिन तुमसे ज्यादा नही”, कृतिका बोली।
तभी वहां कृतिका
की माँ आ गयी और कृतिका को गौर से देख कर बोली, “कृतिका की आंखों में काजल थोड़ा मोटा कर दो और होंठो ओर
मैचिंग लिपस्टिक भी लगा देना गौरी, 10 मिनट्स में लड़के वाले यहां पहुच जाएंगे, थोड़ा जल्दी कर लेना गौरी बिटिया।”
“जी माँ जी”,
गौरी बोली और फिर कृतिका की आंखों में काजल को
मोटा कर दिया और साथ ही रेड ग्लॉसी लिपस्टिक अप्लाई किया, जिससे कृतिका के होंठ अनारदाने की तरह लाल हो गए।
“लो, हो गयी हमारी दुल्हन तैयार। अब दूल्हे राजा
आएंगे और हमारी कृतिका को सगाई को अंगूठी पहना कर हमेशा के लिए अपना बना लेंगे।
मैं शायद दुनिया की पहली वाइफ होउंगी जो अपने हस्बैंड को दुल्हन की तरह सजा रही है,
वो भी किसी गैर मर्द के साथ सगाई करने के लिए”,
गौरी बोली।
“चलो चलो जल्दी
करो, तुम दोनो की तो बातें ही
खत्म नही होती। लड़के वाले आ गए हैं और इंतेज़ार कर रहे हैं दुल्हनिया का। गौरी
तुम कृतिका को जल्दी से घूंघट करके स्टेज पर लेकर आओ”, कृतिका की माँ बोली।
“जी माँ जी,
अभी आयी”, गौरी बोली और कृतिका का घूंघट ठीक करके स्टेज पर लेकर आई,
जहां कृतिका का होने वाला पति अपनी होने वाली
दुल्हन का बेसब्री से इंतेज़ार कर रहा था।
स्टेज पर पहुचने
पर, कृतिका की माँ ने कृतिका
को सोफे पर बिठाकर उसका घूंघट ठीक किया। बगल वाले सोफे पर कृतिका के होने वाले पति
को बिठाया गया। कृतिका घूंघट में सहमी हुई सी, चेहरे को झुकाए, घूंघट में मायूस बैठी हुई थी, कृतिका के अंदर
इतनी भी हिम्मत नही थी कि अपने घूंघट को हटा कर अपने होने वाले पति का चेहरा देख
सके।
स्टेज पर पंडित
जी आये और दोनों को एक एक करके मंत्रों से अभिमंत्रित जल छिड़क कर पवित्र किया।
फिर दोनों को आमने सामने खड़ा किया। एक तरफ कृतिका का होने वाला पति उसकी होने
वाली सास के साथ खड़ी थी, वहीं दूसरी ओर
कृतिका अपनी माँ और वाइफ गौरी के साथ घूंघट में खड़ी थी, उसका पूरा शरीर डर से कांप रहा था। पंडित जी के कहने पर
कृतिका को सोने की अंगूठी दी गयी, जिसे कृतिका ने
अपने होने वाले पति ऐलेक्स को पहना दिया। अंगूठी पहनाते वक़्त कृतिका को इस बात का
एहसास हो गया कि उसका होने वाला पति ऐलेक्स काफी बलिष्ट है। तालियों की गड़गड़ाहट
से हाल गूंज उठा। फिर कृतिका के होने वाले पति ऐलेक्स ने कृतिका को सोने का बहुत
ही सुंदर सी अंगूठी पहना दिया। फिर से तालियों की गड़गड़ाहट से हॉल गूंज उठा। बधाई
देने वालो का तांता लग गया और फिर सभी ने एक एक करके नई नवेली जोड़ी के साथ ढेर
सारी फोटोज़ क्लिक करवाया।
चूँकि शादी पूरी
हिन्दू रीती रिवाज़ों से किया जाना था। ऐलेक्स के फादर की फॅमिली भी पंजाब से ही
थे और धूम धड़ाके के बिना पंजाबियों में शादी कहाँ होती है। ऐलेक्स के परिवार के
ढेर सारे लोग शादी अटेंड करने आने वाले थे।
शादी वाले दिन,
“गौरी, कृतिका तैयार हो गयी? थोड़ी ही देर में बारात आती ही होगी”, कृतिका की माँ बोली।
“दुल्हन तैयार है
माँ जी, आप बस ऑर्नामेंट्स भिजवा
दीजिये”, गौरी बोली।
कृतिका की बचपन
के दोस्त संजू को कृतिका की माँ ने वही बुलवा लिया था। शादी अटेंड करने संजू जब
वहां पंहुचा to सबसे पहले जा कर
कृतिका की माँ से मिला।
“आंटी, कार्तिक कहीं नज़र नहीं आ रहा है?”, संजू ने पूछा।
“वो ऊपर वाले कमरे
में है संजू, तू क्या कर रहा
है”, कृतिका की माँ ने पूछा?
“कुछ नहीं आंटी”,
संजू बोला।
“अच्छा एक काम कर
संजू, ये बॉक्स ऊपर ले जाकर
गौरी को दे देना, वो कृतिका के
कमरे में है”, कृतिका की माँ
बोली।
ऊपर जाने पर संजू
ने बॉक्स गौरी को दिया और उससे पूछा, “कार्तिक कहीं दिख नही रहा गौरी।”
“कार्तिक तुम्हारे
सामने बैठा है और तुम मुझसे कार्तिक के बारे में पूछ रहे हो”, गौरी बोली।
“लेकिन सामने तो
तुम्हारे और दुल्हन के सिवा कोई भी नही है”, संजू बोला।
“हाहाहाहा,
संजू ये जो दुल्हन है ना, ये कोई और नही कार्तिक ही है”, गौरी बोली।
संजू को गौरी को
बात पर यकीन नही हुआ, लेकिन जब उसने
घूँघट हटाने को कहा तब कृतिका ने अपना घूँघट हटाया।
“कार्तिक, तुम दुल्हन की लिबास में क्या कर रहे हो”,
संजू बोला।
इससे पहले कि
कृतिका कुछ जवाब देता, गौरी बोली,
“अब एक मर्द की दुल्हन बनने जा रहा है, और अब कार्तिक नहीं कृतिका औरत बन गयी है तो
दुल्हन का ही लिबास तो पहनेगा ना। अच्छा तुम दोनों आपस मे बातें करो, मैं 10 मिनट्स में आती हूँ।”
“ये क्या है
कार्तिक, तुम तो मर्द हो ना,
फिर ये सब क्या है?”, संजू ने कृतिका से पूछा।
“मेरा सेक्स चेंज
सर्जरी हुआ है, उनके बाद मेरा
बॉडी लड़की जैसा हो गया है, लेकिन मेरा मन,
दिल और दिमाग आज भी लड़के का ही है।”, कृतिका ने संजू से कहा।
“अच्छा तो ये ….
बूब्स अलसी हैं?”, संजू ने पूछा।
“हां”, कृतिका ने कहा।
“और तुम्हारे
पेनिस का क्या, क्या वो भी….?”,
संजू ने पूछा।
“हां संजू,
डॉक्टर्स ने मेरा पेनिस भी रिमूव कर दिया गया
है।”, कृतिका बोला।
“तो फिर उसकी जगह?”,
संजू बोला।
“उसकी जगह अब
वजाईना है, जैसी औरतों की होती है।”,
कृतिका बोला।
“अच्छा, तुमने अपने नाक कान भी छिदवा लिए कृतिका।”,
संजू ने पूछा।
“हम्म।”, कृतिका बोला।
“यार कुछ भी कहो,
चाहे तुम मन से मर्द हो, लेकिन तन से, सच मे बेहद खूबसूरत हो। मुझे यकीन नही हो रहा कृतिका, कि आज तुम दुल्हन बनने जा रहे हो।”, संजू ने मजकिये लहज़े में कहा।
तभी गौरी वहां आ
गयी।
“कृतिका पहले आदमी
थी, लेकिन अब औरत है। और औरत
बनने के साथ ही इस घर की बेटी भी बन गयी। कृतिका के मम्मी ने ऐलेक्स के साथ रिश्ता
तय कर दिया और देखो आज हमारा कृतिका दुल्हन बनकर अपने दूल्हे राजा के इंतेज़ार कर
रहा है।”, गौरी बोली।
“हम्म, जो भी कहो, बिना मेकअप इतना सुंदर दिख रही हो, तो दुल्हन की लिबास में तो कहर ही ढा देगी अपनी कृतिका।”,
संजू बोला।
फिर गौरी ने
कृतिका के माथे पर मांगटीका सजाया, फिर दो बड़े बड़े
झुमके कानों में पहनाए। फिर गले मे एक नौलखा हार, एक सोने का हार, दोनो हाथों में पांच रिंग्स वाला सोने का ब्रेसलेट पहनाया, फिर कलाई में सोने के 2 बड़े हैवी कंगन, बाहों पर बाजूबंद पहनाया। फिर कमर में कमरबंद, पैरों में हैवी पायल और नाक में एक कुमाऊनी नथिया पहनाया जो
इतना बड़ा था कि कृतिका का आधा चेहरा उसी से ढंक गया। कृतिका को ये नथिया बहुत चुभ
रहा था और उसने गौरी से कई बार नथिया उतारने को भी कहा लेकिन गौरी ने समझाया कि ये
नथिया कृतिका के ससुराल वालों के तरफ से आया है, वो कुछ नही कर सकती। आंसू को रोकने की काफी कोशिश करने के
बावजूद कृतिका की आंखों से आंसू निकल गया।
“ये तुम क्या कर
रही हो कृतिका, ऐसे रोने से तुम्हारा
मेकअप धूल जायेगा, मुझे फिर से
तुम्हारा मेकअप करना पड़ेगा।”, गौरी बोली।
“मैं क्या करूँ
गौरी, ना जाने कैसे इमोशंस हैं,
मैं इतनी कमज़ोर खुद को कभी फील नहीं किया
जितना आज कर रही हूँ। जब कभी भी मैं नायक मे नथिया पहनती हूँ, मुझे बहुत शर्म आती है। और ना जाने क्यों एक
अनजाना सा डर मेरे अंदर समां गया है और …….. मुझसे मेरे इमोशंस रोके नहीं रुक रहे हैं।”, कृतिका ने कहा।
“अचानक तुम्हे
क्या हो गया है, कैसा डर सता रहा
है तुम्हे, बताओ मुझे।”, गौरी बोली।
“अभी तो तुम,
ऐलेक्स, फ़िरोज़, सभी इस शादी को
एक्सेप्ट करने को तैयार हो गए, लेकिन अगर ऐलेक्स
ने मुझे डाइवोर्स नहीं दिया तो, मैं क्या करुँगी।”,
कृतिका बोली।
“ऐसे मत कहो
कृतिका, जिनसे हम प्यार करते हैं,
उनपर भरोसा भी करते हैं। ३ महीने की तो बात है,
एक बार शादी हो गयी, फिर तुम्हारी माँ हिमाचल चली जाएगी। मैं तो यही रुक जाउंगी,
कह दूंगी वीसा अप्लाई नहीं हुआ मेरा। वैसे भी
इस घर से मेरा गहरा नाता सा जुड़ गया है। जबतक तुम दोनों का डाइवोर्स नहीं हो जाता,
मैं यहीं रहूंगी। तुम टेंशन मत लो, ऐलेक्स एक समझदार इंसान है और दिल का बहुत
अच्छा भी। वो तुम्हे डाइवोर्स दे देगा और फिर तुम फ़िरोज़ से शादी कर लेना और मैं
ऐलेक्स से, टेंशन वाली तो कोई बात ही
नहीं है।”, गौरी बोली।
कृतिका को तैयार
करने के साथ ही धूम धड़ाके की आवाज़ सुनकर गौरी कृतिका से बोली, “लो कृतिका आ गयी बारात।”
कृतिका इन धूम
धड़ाके की आवाज़ सुनकर अंदर से कांपने लगी। वो कभी नही चाहती थी, कि उसकी शादी एक मर्द से हो लेकिन, उसका ये डरावना सपना, अब सच होने जा रहा था। जो लड़की कृतिका की दुल्हन बनने जा
रही थी, वही लड़की कृतिका को
दुल्हन की तरह सजा कर, उसे किसी मर्द की
दुल्हन बनने के लिए तैयार कर रही थी। थोड़े देर में ही कृतिका की माँ वहां आ गयी
और कृतिका को स्टेज पर ले जाने को बोल कर वहां से चली गयी।
धीमे धीमे कदमों
से स्टेज की तरफ बढ़ते हुए कृतिका की दिल की धड़कन बढ़ते जा रही थी, आखिर बढ़े भी क्यूँ ना, अपने मर्दानगी को छोड़कर, औरत बनने के बाद एक मर्द से शादी करने का फैसला भी तो खुद
ही लिया था कृतिका ने और वो अपने आप को एक मर्द के हाथ मे सौंपने जा रहा था। अपने
दोनों हाथों से अपना लहँगा उठाये, चूड़ियों और
जवैलरीज़ की खनक और अपने हर कदम के साथ बाउंस करते हुए बूब्स कृतिका को डरने को
मजबूर कर रहे थे। नाक में कुमाऊनी नथ भी बार बार कृतिका के लाल होंठों से टकरा रहा
था जिसकी वजह से कृतिका को और भी ज्यादा शरमा रही थी। धीरे धीरे कृतिका स्टेज पर
पहुंचा जहां ऐलेक्स यानी कि कृतिका का होने वाला पति पहले से ही स्टेज पर मौजूद
था। उसके साथ उसके दोस्त और उसके परिवार के सदस्य खड़े थे। कृतिका ने अपने आस पास
देखा तो गौरी और ऐलेक्स के बहुत से अँगरेज़ दोस्त और कॉलेज के दोस्त खड़े थे।
ऐलेक्स की हाइट
काफी अच्छी थी और 4 इंच की जगह 5 इंच वाला सैंडल्स पहनने के बावजूद कृतिका
ऐलेक्स की छाती तक ही पहुच पा रही थी। जयमाला शुरू हुआ। पहले गौरी ने कृतिका को एक
थाली देकर कहा कि वो ऐलेक्स की आरती उतारे। कृतिका ने ऐलेक्स की आरती उतारी।
कृतिका के अंदर बैठ कार्तिक एक बार फिर से कृतिका को रोकने कि पूरी कोशिश कर रहा
था, वो नही चाहता था कि
कृतिका एक मर्द को अपना हमसफ़र बनाए और उसकी दुल्हन बनकर अपने घर से विदा हो,
लेकिन कृतिका को इससे कोई खास फरक नहीं पड़ रहा
था । फिरोज के प्यार मे कृतिका, अपने प्यार को
पाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार थी। फिर ऐलेक्स ने कृतिका को फूलों का
हार पहनाया, फिर कृतिका ने
ऐलेक्स को फूलों का हार पहनाना चाहा, लेकिन एक तो ऊंची हाइट और ऐलेक्स झुकने को राजी नही हो रहा था। फिर हरीश और
संजू ने कृतिका को कंधे पर उठा लिया, फिर कृतिका ने ऐलेक्स को फूलों का हार पहनाया। सभी हसने लगे और तालियों की
गड़गड़ाहट से हॉल गूंज उठा। सभी ऐलेक्स और कृतिका को शादी की शुभकामनाएं देने लगे।
मेहमान आते, ऐलेक्स और कृतिका
को बधाई देते और ऐलेक्स से कहते कि वो खुशनसीब है जो उसे इतनी सुंदर दुल्हन मिली
है। ऐलेक्स थैंक्स बोलता और गिफ्ट्स कृतिका को देता जाता।
फ़िर आधे से
ज्यादा मेहमान के जाने के बाद शादी के लिए ऐलेक्स और उसकी नई नवेली दुल्हन कृतिका
को मंडप पर ले जाया गया। मंडप पर ऐलेक्स ने कृतिका के मांग में सिंदूर भरा,
गले मे मंगलसूत्र पहनाया, अग्नि के सात फेरे लिए और कुछ मंत्रोचारण के
बाद शादी सम्पन्न हुआ। सभी ने ऐलेक्स को यशश्वी होने का और कृतिका को सदा
सौभाग्यवती रहने का आशीर्वाद दिया।
पंडित जी बोले,
“अब आप दोनों पति पत्नी हैं, और आज से हर कदम पर आपको साथ चलना है, हमारा आशीर्वाद हमेशा आप दोनों के साथ है।”
विदाई का समय कब
आ गया इसका पता भी नही चला। विदाई के दर्द भरे गानों से सभी का दिल भर आया था। “बाबुल की दुआएं लेती जा, जा तुझ को सुखी सन्सार मिले, मैके की कभी न याद आए, ससुराल में इतना प्यार मिले” जैसे इमोशनल कर देने वाले गानों को सुनकर कृतिका भी इमोशनल
हो गयी।
“माँ मुझे आपको
छोड़ कर नही जाना”, कृतिका रोते हुए
बोली।
“बेटी, अब तुम्हारा ससुराल ही तुम्हारा घर है, बेटियों को आज नही तो कल अपना घर छोड़कर ससुराल
जाना ही पड़ता है। देख कृतिका तुम्हारे पति, सास, ससुर जो भी कहें
वो चुपचाप करना। हमेशा घूँघट में रहना, अपने सास ससुर की सेवा करना और अपनी मर्यादा का ख्याल रखना”, कृतिका की माँ बोली।
“लेकिन माँ,
आपको छोड़ कर नही जाना, प्लीज माँ, रोक दो सबकुछ,
प्लीज्”, कृतिका रोते हुए बोली।
गौरी से लिपटकर
कृतिका काफी देर तक रोई, गौरी ने कृतिका
को समझाया की अभी इतना ज्यादा इमोशनल होने का टाइम नहीं है और मेकअप भी ख़राब हो
जायेगा। फिर कृतिका कुछ शांत हुई। किसी नार्मल लड़की की तरह कृतिका भी फुट फुट कर
रोई। फिर ऐलेक्स ने सबके सामने कृतिका को अपनी गोद मे उठा लिया और अपनी कार में
बिठाकर अपने साथ ले गया और सभी देखते रह गए। गौरी भी थोड़ी इमोशनल हो गयी थी,
कृतिका की माँ का रो रो कर बुरा हाल हो रहा था।
गौरी ने कृतिका की माँ को संभाला और उन्हें अपने पास रखा जबतक वो नार्मल नहीं हो
गयी।
साल २००५,
गौरी और कृतिका, पार्ट – १
दिसंबर २००५
इधर कृतिका अपने
पति ऐलेक्स के साथ उसके घर पहुंची, जहाँ दरवाज़े पर
ऐलेक्स की मा हिंदू रीति रिवाज़ों के अनुसार पूजा की थाली लेकर दरवाज़े पर पहले से
खड़ी थी। ऐलेक्स की माँ के साथ बहुत सी लेडीज भी इंडियन ट्रेडिशनल साड़ी में घूँघट
किये उनके साथ खड़ीं थीं। कृतिका और ऐलेक्स का एकसाथ गृहप्रवेश करवाया गया और
उन्हें कुलदेवता के सामने ले जाया गया। कृतिका को आरती की थाली दी गयी और उसने
अपने पति ऐलेक्स के साथ पूजा की। पूजा करने के बाद ऐलेक्स को कमरे के बाहर भेज
दिया गया और कृतिका को ऐलेक्स के कमरे में ले जाया गया। वहां पहले से कुछ लड़कियां
थीं जो बिस्तर को फूलों से सजा रही थी, कृतिका के मन में घबराहट होने लगी, उसे समझ नहीं आ रहा था की वो क्या करे ! कहीं उसका डर जायज तो नहीं, कहीं ऐलेक्स उसके साथ कुछ गलत तो नहीं करेगा,
ये सभी बातें कृतिका को अंदर ही अंदर खाये जा
रही थी।
जुली और जैस्मिन
ने कृतिका को मिरर के सामने बिठाया। पहले मेकअप ठीक किया, फिर कुमाऊनी नथिया को उतार कर उससे भी बड़ा कुमाऊनी नथिया
पहना दिया। इतना बड़ा नथिया कृतिका ने जिंदगी में पहले कभी नही देखा था। वो नथिया
काफी डिज़ाइनर और हैवी था और उसका नाक भी दर्द देने लगा उस नथिया को पहनकर। फिर
उनदोनो ने कृतिका को फूलों से सजे बिस्तर पर बिठाया, और उसका घूँघट कर दिया। फिर कृतिका को गुडलक विश किया,
केसर-दूध का ग्लास टेबल पर रख दिया।
“बहुत सा
एक्साइटमेंट, बहुत सारी
नर्वसनेस.. शादी के बाद पहली रात हम एक्सट्रीम कंडीशंस से गुज़रते हैं भाभी। जी
हां, हम बात कर रहे हैं
सुहागरात के बारे में। बिल्कुल ठीक समझी कृतिका भाभी। शादी के ठीक पहले लोग दुल्हन
को तैयार करने में लगे होते हैं… हर कैमरे का फोकस
उसकी मुस्कान खींचना चाहता है और किसी को फुर्सत ही नहीं होती ये जानने की कि दुल्हन
के दिमाग में क्या चल रहा है। हम आप को बता दें कि दुल्हन आने वाले उन दिनों के
बारे में सोच रही होती है जब ये लोग नहीं रहेंगे। और इस समय उसके दिमाग में कई तरह
के सवाल आते- जाते रहते हैं। क्या होगा सुहागरात… सेक्स के समय.. उफ़्फ़!”, जैस्मिन ने अपनी कृतिका को छेड़ते हुए कहा।
जुली बोली,
“शादी के बाद दुल्हा, दुलहन दोनों को इन्तजार रहता है सुहागरात का… यह दोनों के विवाहित जीवन की पहली और सबसे ख़ास
रात होती है, जिसके सपने लड़का
लड़की दोनों बरसों से देख रहे होते हैं! दोनों अपनी इर रात को यादगार बनाना चाहते
हैं, इसके लिए उन्होंने पूरी
तैयारी भी की होती है, लड़की के मन में
पहले सेक्स का डर समाया होता है तो रोमांच भी होता है, वहीं लड़का भी रोमांचित होने के साथ साथ कुछ डरा हुआ होता
है की उससे सब कुछ ठीक ठाक हो भी पाएगा या नहीं!”
“हाहाहाहा,
जुली, तुम सही बोल रही हो, चलो बहुत लेक्चर
दे दिया, अब बाहर चलते है”,
जैस्मिन बोली।
“हाँ, जैस्मिन। भैया आते होंगे, भाभी को ज्यादा परेशान किया तो भाभी भैया से
शिकायत कर देंगी, है ना भाभी”,
जुली बोली।
उसके बाद दोनों
हंसी मजाक करते हुए वहां से चले गए। हल्की सी आहट होती और कृतिका अंदर से कांप
जाती। सेहमी सिकुड़ी घुंघुट में, अपने दोनों हाथों
से अपने दोनों पैरों को समेटे हुए, अपने पति का
इंतेज़ार करते करते, कृतिका को कब
नींद आ गया, इसका पता भी नही
चला। दिन भर की थकन ने कृतिका की नींद और भी ज्यादा गहरी कर दी थी। हर सांस के साथ
कृतिका बूब्स ऊपर नीचे होने लगे थे।
थोड़ी देर बाद
ऐलेक्स कमरे में आया तो कृतिका फिर से सो चुकी थी। कृतिका के नाक तक घूँघट,
ग्लॉसी लाल होंठो को चूमता बड़ा और हैवी
कुमाऊनी नथिया, चोली के बाहर आने
की कोशिश करते दोनों बूब्स और हर सांस के साथ ऊपर नीचे होते हुए काफी आकर्षक दिख
रहे थे। पतली कमर और सुंदर नाभि को देखकर ऐलेक्स खुद पर काबू करने में असमर्थ हो
रहा था। ऐलेक्स कृतिका के पास गया और जैसे ही उसका घूँघट उठाना चाहा, कृतिका की नींद खुल गयी।
ऐलेक्स को सामने
देख कृतिका ने झटपट अपना घूँघट ठीक किया, बिस्तर से नीचे उतरकर अपने दूल्हे के पैर छूकर उसका आशीर्वाद लेने के लिए जैसे
ही झुकी, ऐलेक्स ने कृतिका को ऊपर
उठाया, उसके चिन पर अपना हाथ रखा
और चेहरे को ऊपर उठाते हुए बोला, “कृतिका, इन फॉरमैलिटीज की कोई जरुरत नहीं है, अब तुम निश्चिन्त हो जाओ, जो प्रॉमिस मैंने गौरी और तुम्हे दिया है,
वो मैं जरूर निभाउंगा। तुम ये साड़ी उतार लो
वार्डरॉब से नाईटी निकाल के पहन लो और रेस्ट करो, मैं भी सुबह से थक गया हूँ।”
कृतिका के अंदर
ऐलेक्स के प्रति डर अब ख़त्म हो गया था और ऐलेक्स के लिए रेस्पेक्ट और भी ज्यादा
हो गया। कृतिका ने चेंज किया और नाईट सूट पहनकर बिस्तर पर लेट गयी।
“कृतिका, इन गहनों को पहनकर सोओगी, इन्हे भी उतार दो।”, ऐलेक्स ने कहा।
“इन गहनों को
पहनकर रखना अब अच्छा लगता है, आप सिर्फ मेरा
नथिया उतार दो, ये बहुत ही
ज्यादा हैवी है, पहने पहने नाक
में दर्द होने लगा है।”, कृतिका बोली।
फिर ऐलेक्स ने
कृतिका के नाक से वो हैवी कुमाऊनी नथिया उतार दिया, कृतिका ने उस नथिया को टेबल पर रखकर सो गयी। इधर गौरी आधी
रात तक ऐलेक्स के साथ फोन पर वीडियो कॉल स्काइप पर बात करती रही। गौरी के मन में
भी एक डर सताने लगा था कि कहीं अलेक्स और कृतिका के बीच कुछ ऐसा वैसा ना हो जाये।
अगली सुबह,
कृतिका सबसे पहले जाग गयी और फ्रेश होकर और
नहाने के बाद वाशरूम से बाहर आयी तो देखा सामने जुली और जैस्मिन पहले से ही उसके
आने का इंतज़ार कर रही थीं। आज ससुराल में पहला दिन था कृतिका, भले ही कृतिका और ऐलेक्स ने सुहागरात नहीं मनाई,
लेकिन इस बात की भनक किसी को नहीं थी। जुली और
जैस्मिन कमरे में आते ही कृतिका को छेड़ने लगी, सुहागरात के बारे में ढेरों सवाल के कारण कृतिका को और भी
शर्म से लाल हुई जा रही थी। भले ही कृतिका और ऐलेक्स के बीच कुछ भी नहीं हुआ था,
लेकिन ऐसी अंतरंग बातें किसी भी नयी नवेली
दुल्हन को शर्मिंदा करने के लिए काफी होता है।
जब कृतिका किचन
की ओर बढ़ रही थी, तो उसकी नज़रे
ऐलेक्स की नजरो से मिली, उसका पति,
उसका लीगल पति! ऐलेक्स अपनी खुबसूरत पत्नी को
देख मुस्कुरा रहा था, कृतिका भी उसे
देख मुस्कुरा दी।
“हम्म… इस आदमी के साथ मुझे अगले ६ महीने गुजारनी है।”,
कृतिका सोचने लगी।
एक आदमी से शादी
कर चुकी थी कृतिका और अपनी लाइफ की बात सोच कर ही उसका मन विद्रोह करने लगता था ।
लेकिन अब कृतिका को समझ नहीं आ रहा था कि उसे इस बात से खुश होना चाहिए या रोना
चाहिए। फिलहाल तो मन रोने को तैयार था, पर अब उसके पास एक खुबसूरत औरत का जिस्म भी तो था। पर ये समय यह सब सोचने का
नहीं था, उसे अपने सास-ससुर के लिए
नाश्ता बनाना था। अगले ६ महीनो के बारे में वो बाद में शान्ति से सोच लेगी। किचन
में पहुँचते ही उसने अपना पल्लू सर से उतार कर अपनी कमर पर लपेट लिया, कृतिका की नाज़ुक कमर सच में बेहद सेक्सी
मनमोहक थी, उसके बड़े से नितम्ब पर
लिपटी हुई साड़ी और पल्लू उसे वो एहसास दे रही थी, जैसे उसने पहले कभी नहीं किया था और फिर उसने अपने बालो को
लपेटकर जुड़ा बनाया और नाश्ता बनाने में जुट गयी।
कृतिका को
भली-भाँती पता था कि साड़ी पहन कर एक एक्सपर्ट हाउसवाइफ की तरह घरेलु काम कैसे
किये जाते है। “पहले तो मैं चाय
बनाने लगा देती हूँ और फिर पोहा बनाती हूँ, वो जल्दी बन जाएगा।“ , कृतिका ने खुद से कहा।
कृतिका सब कुछ एक
परफेक्ट गृहिणी की तरह कर रही थी, उसने गैस पर चाय
का बर्तन चढ़ाया और फिर प्याज और आलू काटने लगी, पोहा बनाने के लिए।
“तो.. मेरी प्यारी
बहु क्या नाश्ता बना रही है?”, ऐलेक्स की माँ,
कृतिका की सास ने अन्दर आते हुए कहा।
“ओह कुछ ख़ास नहीं
माँ जी. मैं तो बस पोहा बना रही थी आप लोगो के लिए. आशा है कि आप लोगो को पोहा
पसंद है।”, कृतिका ने प्यार से जवाब
दिया।
कृतिका ने तुरंत
अपने पल्लू को कमर से निकाला और फिर अपने सर को ढकने लगी, अपने सास के सम्मान के लिए।
“लो… अब मुझे सर ढँक कर किचन में काम करना पड़ेगा…”,
कृतिका मुस्कुराते हुए सोच रही थी, उसने पहले पहले भी इस तरह से तो खाना बनाया था।
“अरे पगली…
रहने दे तुझे सर ढंकने की ज़रुरत नहीं है,
मैं भी औरत हूँ। क्या मैं नहीं जानती सर पे
पल्लू करके खाना बनाना कितना कठिन है? न तो ढंग से कुछ दिखाई देता है और फिर हाथ भी अच्छी तरह पल्लू के साथ हिल नहीं
पाते। तू तो अब मेरी बेटी पहले है, बहु बाद में है।
मैं नहीं चाहती कि तुझे खुद बदलना पड़े.”, ऐलेक्स की माँ ने प्यार से कृतिका के सर पर हाथ फेरते हुए कहा।
ऐलेक्स की माँ ने
फिर कृतिका के चेहरे को छूते हुए बोली, “मैं तो बहुत खुश हूँ कि तू मेरे घर की बहु बन गयी है, मैं तो सिर्फ इस बारे में सोचा करती थी कि ऐलेक्स किसी हूर को
ही अपनी बीवी बना कर लाएगा, मुझे पता नहीं था
कि ऐलेक्स सच में इतनी सुन्दर बहु घर लाएगा।” कृतिका की शर्म से आँखें झुक गयी, इतना प्यार जो उसे मिल रहा था, पर मन ही मन वो सोच रही थी कि कैसे उसके आस पास की दुनिया
अचानक से बदल गयी है। किसी को भी पता नहीं कि कृतिका कभी लड़का भी थी। सिवाए
कृतिका के घरवालों को, ऐलेक्स, ऐलेक्स की माँ, फ़िरोज़ को और गौरी को।
ऐलेक्स की माँ
फिर कृतिका की पोहा बनाने में मदद करने लगी, दोनों औरतें आपस में खूब बातें करती हुई हँसने लगी। कृतिका
को औरत बनने का यह पहलु बहुत अच्छा लग रहा था, अपनी सास के साथ वो जीवन की छोटी छोटी खुशियों के बारे में
बात कर सकती थी। ऐसी बातें जो आदमी हो कर वो कभी नहीं कर सकती थी, आदमी के रूप में सिर्फ करियर और ज़िम्मेदारी की
बातें होती थी। ऐसा नहीं था कि औरतों को ज़िम्मेदारी नहीं संभालनी होती पर उसके
साथ ही साथ वो अपनी नयी नेल पोलिश या साड़ी के बारे में भी उतनी ही आसानी से बात
कर सकती थी। जॉब में प्रमोशन की बात हो तो उसके साथ वो फिर ये भी बात कर सकती थी
कि प्रमोशन के बाद वो कैसी पर्स लेकर ऑफिस जाया करेंगी या कैसे कपडे पहनेंगी।
जहाँ तक करियर की
बात है, कृतिका को कोई अंदाजा
नहीं था कि इस नए जीवन में उसका क्या करियर है या क्या जॉब है। शादी तो हो चुकी थी,
लेकिन क्या कृतिका काम कर सकेगी या नहीं?
भले ही घर की छोटी छोटी चीजें वो संभालना चाहती
थी पर वो फिर से एक नयी जॉब करना चाहती थी … चाहे जैसी भी जॉब हों, और फिर क्या कृतिका माँ बनना पसंद करेगी? बड़ा भारी सवाल था जिसका जवाब अभी वो सोचना
नहीं चाहती थी।
अभी तो कृतिका बस
खुश थी अपनी सास के साथ किचन संभालते हुए। वो वैसे भी घर संभालने में एक्सपर्ट थी,
लेकिन अब बात क्रॉसड्रेसिंग की नहीं रह गयी थी,
कृतिका एक औरत बन गयी थी। उसने जल्दी ही सबके
लिए चाय नाश्ता तैयार कर ली थी, बाहर नाश्ता ले
जाने के पहले कृतिका एक बार फिर अपना सर ढंकने वाली थी कि ऐलेक्स की माँ ने उसे
रोक लिया और बोली, “अरे कृतिका तू
हमारी बेटी है न? अपने माँ बाप के
सामने भी कोई पल्लू करता है भला? समझी?” कृतिका मुस्कुरायी। अपनी सास के प्यार से वो
मंत्र-मुग्ध थी।
“थैंक यू माँ! मैं
हमेशा आपकी बात याद रखूंगी।” कृतिका सचमुच
ऐलेक्स की माँ के प्यार की शुक्र-गुज़ार थी।
सभी अब नाश्ता
करने में व्यस्त थे, पर ऐलेक्स की
नज़रे तो बस अपनी खुबसूरत और नाज़ुक सी पत्नी पर थी। जब भी कृतिका उसकी ओर देखती,
वो तुरंत मुस्कुरा देता, और यही मुस्कराहट कृतिका को अंदर ही अंदर झकझोर दिया था।
कृतिका के अन्दर थोड़ी सी झिझक थी ऐलेक्स की मुस्कान का जवाब देने के लिए। आखिर
सास ससुर उसके सामने थे, कोई अच्छी बहु
ऐसे कर सकती थी भला? तो कृतिका सिर
झुकाये रखा और सभी को चाय नाश्ता करवाया।
जब सभी ने नाश्ता
कर लिया, फिर आखिर में कृतिका ने
भी नाश्ता किया। वैसे तो घर में सभी ने कृतिका के नाश्ते की खूब तारीफ की, आखिर तारीफ की ही तो बात थी, कृतिका ने इंडियन खाना पकाया था जो ऐलेक्स की
माँ सिर्फ वीकेंड्स पर पकाती थीं। नाश्ता ख़तम होते ही, कृतिका को याद आया कि उसका लहंगा चोली ड्राई क्लीनिंग को
भिजवाना पड़ेगा और ऐलेक्स की शेरवानी भी। कृतिका को बाकी कपडे भी धुलने थे,
लेकिन वाशिंगमशीन में ये सब थोड़ा आसान हो गया
था। दिन का लंच, शाम को नास्ता और
रात का डिनर पकाने के बाद कृतिका को एहसास हुआ कि एक बहु की जिंदगी कितनी टफ होती
है।
गौरी रोज़ कृतिका
से रात दिन बातें करती और ऐलेक्स से भी घंटों बातें करती। इधर रात होते ही कृतिका
हर रोज़ फ़िरोज़ के साथ बातें करती और ३ महीने के इंतज़ार में समय बीतने लगा।
कृतिका हर रोज़ टाइम निकाल कर २ घंटे मिनिमम डांस प्रैक्टिस करती और गौरी भी।
जिसकी वजह से कृतिका और गौरी का फिज़िक अच्छे से मेन्टेन हो रखा था। अब सवाल था कि
डाइवोर्स हो तो कैसे हो क्यूंकि ऐलेक्स की ड्यूटी वाशिंगटन डी सी में नासा के हेड
क्वार्टर में लग गयी थी, उधर कृतिका एक
परफेक्ट हाउसवाइफ की तरह घर संभाल रही थी। ऐलेक्स और कृतिका कुछ ऐसा डाइवोर्स
चाहते थे जिससे कृतिका को घर में कोई बुरा ना समझे और कृतिका को भी कोई प्रॉब्लम
ना हो। इधर कृतिका की माँ अभी तक हिमाचल नहीं गयीं थी और उनकी बहु के रूप में गौरी
उनकी दिन-रात सेवा में लगी रहती।
शादी के बाद एक
भी दिन कृतिका वापिस अपनी माँ से मिलने नहीं गयी। एक दिन कृतिका ने ऐलेक्स से इस
बारे में कहा तो ऐलेक्स कृतिका को उसी घर में ले गया जहाँ से उसे ब्याहकर लाया था।
कृतिका ३ महीनो बाद अपनी माँ से मिलकर बहुत इमोशनल हो गयी थी और गौरी से भी मिलकर
बहुत ख़ुशी मिली उसे। कृतिका ने अपनी माँ और हरीश का फ्लाइट टिकट बुक करवाया और ४
दिनों बाद कृतिका की माँ और हरीश इंडिया चले गए। कृतिका की माँ ने गौरी को इंडिया
वापिस ले जाने को बहुत फाॅर्स किया, लेकिन गौरी ने वीसा अप्लाई नहीं किया और उन्हें अकेले इंडिया वापिस जाना पड़ा।
कृतिका की माँ के इंडिया जाते ही गौरी ने उसे ऐलेक्स से डाइवोर्स देने को कह दिया।
ऐलेक्स ने कृतिका को डाइवोर्स देने में थोड़ी सी भी देर नहीं की और अगले महीने ही
दोनों का डाइवोर्स हो गया। कृतिका और ऐलेक्स के डाइवोर्स ने ऐलेक्स की माँ को सदमे
में डाल दिया, लेकिन जब ऐलेक्स
ने उन्हें पूरी बात बताई तो उन्होंने ऐलेक्स का माथा चुम लिया। ऐलेक्स ने एक
प्रेमी-प्रेमिका को मिलाने के लिए इतना कुछ किया, जो हर मर्द नहीं कर सकता।
अब गौरी और
कृतिका निश्चिंत थे, कृतिका अब
फ़िरोज़ से शादी करने जा रही थी और गौरी ऐलेक्स से। लेकिन ये सब इतना भी आसान नहीं
था जितना देखने में लग रहा था। ऐलेक्स ने गौरी से कहा कि वो शादी की डेट फिक्स
करके बता देगा। गौरी की शादी ऐलेक्स से होनी कन्फर्म थी, लेकिन एक प्रोजेक्ट में ऐलेक्स को १ महीना का टाइम लगना तय
था।
इधर कृतिका ने
फ़िरोज़ से शादी की बात की तो फ़िरोज़ ने उसे बताया कि अब चूँकि कृतिका एक
डिवोर्सी है, तो उसे शादी से
पहले निकाह हलाला से होकर मुस्लिम रीती रिवाज़ों से उसके साथ निकाह करना पड़ेगा,
जिसको सुनकर कृतिका के होश ही उड़ गए। पहले तो
ऐसा नहीं था, लेकिन फ़िरोज़ का
कहना था कि कृतिका एक मर्द से शादी करके उसके साथ ३ महीने साथ रहकर आयी है और उसे
निकाह हलाला करवाना पड़ेगा। कृतिका की लाइफ ने एक ऐसा मोड़ ले लिया था जहाँ से किस
ओर जाना है, कृतिका को इस बात
का कोई अनुमान नहीं हो रहा था। गौरी भी कृतिका की लाइफ को लेकर काफी अपसेट थी,
ऐलेक्स भी १ महीने के नासा के प्रोजेक्ट पर
बाहर था। किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या करें।
साल २००५,
गौरी और कृतिका, पार्ट – १
दिसंबर २००५
“गौरी मैं फ़िरोज़
से मुस्लिम रीती रिवाज़ से फ़िरोज़ से निकाह करने के लिए तैयार हूँ, लेकिन “निकाह हलाला” जैसी कुप्रथा को
सपोर्ट नहीं दे सकती। यार, फ़िरोज़ “निकाह हलाला” के लिए मुझसे ऐसे बोल रहा है, मानो मैंने उसे बिना बताये ही ऐलेक्स से शादी कर ली हो।
ऐलेक्स ने तो एकबार भी टच तक नहीं किया, क्यूंकि वो तुमसे बहुत प्यार करता है गौरी, लेकिन फ़िरोज़ चाहता है कि पहले मेरा निकाह हलाला हो,
फिर वो मुझसे निकाह करेगा। ये तो गलत है ना
गौरी, वो भी उसके अब्बू के साथ,
मुझसे नहीं होगा।”, कृतिका रोते हुए बोली।
“रो मत गौरी,
फ़िरोज़ के बारे में मेरी राय गलत नहीं हो
सकती। मैंने कहा था ना, फ़िरोज़ तुम्हे
डिज़र्व नहीं करता। एक काम करो, मैं ऐलेक्स से
कहती हूँ कि तुम्हारे लिए कोई अच्छा सा लड़का ढूंढ दे।”, कृतिका बोली।
“गौरी, मैं फ़िरोज़ से बहुत प्यार करती हूँ, वो मेरे साथ ऐसा क्यों कर रहा है?”, कृतिका बोली।
“कृतिका, इमोशनल फूल मत बनो। फ़िरोज़ के अलावे भी दुनिया
में बहुत से मर्द हैं जो समझदार भी हैं और अपने साथी को समझते भी हैं।”, गौरी बोली।
“गौरी, तुम समझती क्यों नहीं हो, फ़िरोज़ से मैं प्यार करती हूँ, जिसके लिए मैंने ऐलेक्स से शादी की, उसके साथ ६ महीने गुज़ारे, तो मैं फ़िरोज़ के अब्बू से एक दिन के लिए
निकाह क्यों नहीं कर सकती। अगले दिन तो फ़िरोज़ के अब्बू मुझे तलाक़ दे देंगे,
फिर फ़िरोज़ मुझे अपना लेगा।”, कृतिका बोली।
“तुम्हे तो समझाना
ही बेकार है कृतिका, तुम्हे जो अच्छा
लगता है करो, मेरे पास सलाह
लेने मत आया करो।”, गौरी गुस्से में
बोलकर उठकर वहां से चली गयी।
कृतिका ने फैसला
कर लिया था कि वो फ़िरोज़ से शादी करने के लिए किसी भी हद तक चली जाएगी। कृतिका ने
फ़िरोज़ को कॉल किया और उसे कहा कि वो उसके अब्बू के एक दिन की दुल्हन बनने को
तैयार है। फ़िरोज़ खुश हो गया और क़ाज़ी से बात करके कृतिका को डेट बता दिया और
कहा कि निकाह किसी होटल में होगी। कृतिका ने गौरी को शादी के बारे में बताया तो
उसने साफ़ कह दिया कि उसे जो करना है करे, शादी की डेट बता दे उसे और वो वहां आ जाएगी। कृतिका को पता था कि उसका फ़िरोज़
से शादी करने का फैसला कृतिका को नापसंद था। निकाह हलाला करवाने को तैयार कृतिका
ने गौरी की किसी बात का कोई परवाह किये बगैर इस शादी को अपनी मंजूरी दे दी थी।
इधर फ़िरोज़ और
उसकी बहन रुखसार का कृतिका से मिलना जुलना ज्यादा होने लगा और गौरी ने ज्यादा
बोलना सही नहीं समझा। रुखसार कृतिका को इस्लाम के बारे में तो कभी अल्लाह के बारे
में, कभी मुहम्मद साहब के बारे
में तो कभी निकाह के बारे में बहुत कुछ समझाया। रुखसार ने कृतिका को बताया कि
इस्लाम में विवाह की व्यवस्था एक “चेक ऐंड बैलेंस”
के आधार पर होती है, जहाँ निकाह एक अनुबंध (एग्रीमेंट) होता है, जिसमें लड़के और लड़की की रजामंदी ली जाती है।
लड़की के बाप को यह अधिकार है कि वह अपनी बेटी के भविष्य की सुरक्षा के लिए कोई भी
“मेहर देन” निर्धारित कर सकता है और इसकी ज़रूरत भी
इसीलिये है कि यदि निकाह ( एग्रीमेंट) टूटा तो मेहर उस लड़की के भविष्य को
सुरक्षित करेगा और चाहो तो ये सब खुद भी किया जा सकता है। यह सब कुछ लिखित में
होता है और इसके दो गवाह और एक वकील होते हैं जो सामान्यतः लड़की वालों की तरफ से
रहते हैं। जिससे कि लड़की के साथ अन्याय ना हो, धोखा ना हो, सब तय होने के
बाद सबसे पहले लड़की से निकाह पढ़ाने की इजाज़त, उन्ही वकील और गवाहों के सामने ली जाती है और यदि लड़की ने
इजाजत देकर एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर कर दिया तब निकाह की प्रक्रिया आगे बढ़ती है
नहीं तो वहीं समाप्त। सब कुछ सर्वप्रथम लड़की के निर्णय पर ही आधारित होता है और
अब सब कृतिका के हाथ में था। निकाह का दिन तय हुआ और रुखसार ने कृतिका को दुल्हन
के रूप में तैयार करने की जिम्मेदारी गौरी को सौंप दी।
फ़िरोज़ की अम्मी
ने कृतिका का नया नाम रखा और उसे समझाया कि अब इसी नाम के साथ ही वो अपनी आगे की
जिंदगी फ़िरोज़ के साथ बिताएगी। कृतिका का नया नाम रखा गया, ज़ोया। ये नाम कृतिका को फ़िरोज़ की अम्मी ने दिया और ज़ोया
नाम का मतलब भी समझाया कि जो बहुत प्यारा और केयरिंग होता है उसे ज़ोया कहते हैं।
आख़िरकार निकाह का दिन आ गया। एक बहुत बड़े होटल में फ़िरोज़ के अब्बू अर्सलान
अशरफ के साथ ज़ोया का निकाहनामा तय किया गया। गौरी अपने साथ जो बड़ा सा थैला लाई
थीं, वो उसने कृतिका के हाथों
में थमा दिया। लेकिन जैसे ही कृतिका ने उसे खोलकर देखा, उसकी आंखें फटी रह गईं।
“गौरी ये तो
तुम्हारा दुल्हन वाला लहंगा है, ना जो माँ ने
तुम्हे दिया था।”, कृतिका बोली।
“हाँ कृतिका,
अब लहँगा तुम्हारा है, और ये ज्वेलरीज भी।”, गौरी बोली।
“गौरी, ये लहँगा और ज्वेलरीज माँ ने तुम्हे दिया,
इन्हे तुम अपने पास ही रखो।”, कृतिका बोली।
“नहीं कृतिका,
ये भले ही तुम्हारी माँ ने मुझे दिया था,
लेकिन अब ना ही मैं तुम्हारी पत्नी हूँ और ना
ही तुम मेरे पति। अब तुम खुद भी औरत बन गयी हूँ और फ़िरोज़ के अब्बू से निकाह करने
जा रही हो।”, गौरी बोली।
“वैसे सभी तुम्हे
ज़ोया के नाम से क्यों पुकार रहे हैं कृतिका।”, गौरी बोली।
गौरी की जुबां से
ज़ोया सुनकर कृतिका के तो हाथ-पांव ही फूल गए कि उसका ये वाला नाम गौरी को कैसे
पता? बड़ी हिम्मत करके आँखें
झुका कर कृतिका ने अपने चेहरे पर स्माइल लाते हुए बोलीं, “वो ना, फ़िरोज़ की माँ
ने मेरा नया नाम रखा है” और शर्माने लगी।
“हम्म, ओके ज़ोया जान, आज से मैं भी तुम्हे इसी नाम से पुकारूंगी, अच्छा नाम है, ज़ोया।”, गौरी बोली।
गौरी ने
ज़ोया/कृतिका को ब्लाउज की डोरी पीठ पर कसते हुए बोलीं, “पतिदेव जी, सिर्फ लहंगा नहीं,
आपको आज मेकअप, चूड़ियां, पायल, झुमके, नथिया, मांगटीका, पायल, कमरबंद, बाजूबंद, हाथफूल और वो सब पहनना है जो माँ ने मुझे
सुहागरात वाले दिन अपनी हाथों से पहनाया और तैयार किया था , याद हैं ना।” और अपनी बात खत्म करके गौरी ने वो लहंगा कृतिका के सिर से डालकर उसकी पतली कमर
पर नाभि के नीचे टाइट कस दिया। फिर गौरी कृतिका का मेकअप करने लगीं। आखिरकार
कृतिका ने गौरी के सामने हथियार डाल दिए और वो उसके लंबे बालों का जूड़ा बनाकर उसे
सिर से लेकर पांव तक हर वो आभूषण पहनाने लगीं जो एक दुल्हन के लिए जरूरी होता है
और जो कृतिका की माँ ने गौरी को पहना कर सुहागरात के दिन तैयार किया था।
अंत में कृतिका
के नाक में हैवी कुमाऊनी नथिया और हाथों में कंगन, चूड़ियां पहनाते हुए गौरी बोलीं, “एक औरत की सच्ची पहचान उसके हाथों में खनकती चूड़ियां और
नथिया ही होती हैं। अब इन्हें पहनने के बाद भूल जाना कि तुम कभी एक मर्द थे। अब से
मेरी ही तरह तुम भी एक औरत हो और आज दुल्हन होने का हर एहसास जी लो। बस यही सोचो
कि आज इस खूबबूरत दुल्हन कृतिका/ज़ोया की बारात आने वाली है और उसके साजन के घर
उसकी डोली जाने वाली है।” (शर्म के मारे
कृतिका का चेहरा लाल हो गया और वो बस अपने हाथों की चूड़ी और कंगन देखने लगी।)
गौरी ने अपने
हाथों से कृतिका का चेहरा ऊपर उठाया और दोनों हाथों से उसकी नज़र उतारते हुए बोलीं,
“बहुत खूबसूरत लग रही हो कृतिका …” और खिलखिलाकर हंस पड़ीं।
निकाह का समय
करीब था, एक तरफ कृतिका को तो
दूसरी तरफ फ़िरोज़ के अब्बू अर्सलान को बिठाया गया। ज़ोया/कृतिका की इजाज़त के बाद
पूरे बारात और महफिल में “मेहर की रकम”
को एलान करके सभी शर्तों गवाहों और वकील की
उपस्थिति में निकाह पढाया गया, जो अब फ़िरोज़ के
अब्बू अर्सलान जो दूल्हा बनकर आये थे, उन्होंने कुबूल किया, फिर उस एग्रीमेंट
पर वह हस्ताक्षर किया। सभी गवाह वकील और निकाह पढ़ाने वाले मौलाना हस्ताक्षर करके
एक एक प्रति दोनो पक्षों को दे दिए गए और इस तरह निकाह की एक प्रक्रिया पूरी हुई।
ज़ोया अब फ़िरोज़ के अब्बू की दुल्हन और फ़िरोज़ की अम्मी बन गयी थी। ज़ोया को
मिलने वाले मेहर की रकम तुरंत बिना विलंब के मिल गया क्यूंकि इस्लाम में बिना उसका
मेहर दिये अर्सलान को ज़ोया को छूने का भी अधिकार नहीं था। और ज़ोया के उस “मेहर” पर उसके पति अर्सलान का भी अधिकार नहीं था, वह कृतिका की अपनी “भविष्यनिधि” थी। सभी खुश हो
गए और अर्सलान को बधाई देने लगे। इधर जो औरतें जो फ़िरोज़ की रिश्तेदार थीं,
उन्होंने भी ज़ोया को बधाई दी।
गौरी ज़ोया के
बगल में बैठी सबकुछ देख रही थी, उसे यकीन नहीं हो
रहा था कि ज़ोया फ़िरोज़ के बाप से निकाह हलाला करवाने को तैयार भी हो गयी और आज
उसकी दुल्हन भी बन गयी थी।
निकाह के बाद
कृतिका अस्तित्व ख़तम हो गया था, अब कृतिका
अर्सलान अख्तर की बीवी ज़ोया अख्तर बन चुकी थी और मेहमानो के चले जाने के बाद
अर्सलान अपनी बीवी कृतिका उर्फ़ ज़ोया अख्तर को लेकर अपने घर रवाना हो गया। विदाई
के समय गौरी से लिपटकर जब ज़ोया रो रही थी, तब रुखसार ने उसे संभाला। पुरे रस्ते अर्सलान ने ज़ोया को
अपनी बाहों में रखा, एक दो बार किस
करने का सोचा भी लेकिन ज़ोया का उदास चेहरा देखकर उसे रिलैक्स करने का पूरा मौका
दिया। थोड़ी देर बाद गाडी ज़ोया के नए ससुराल पहुंची, जहाँ उसे फूलों से सजे बिस्तर पर एक बड़े से कमरे में अकेले
बिठा दिया गया। फ़िरोज़, रुखसार और उसकी
अम्मी, सभी ज़ोया की खूबसूरती की
तारीफ किये जा रहे थे। अगले आधे घंटे में ज़ोया बनारसी साड़ी में तैयार था,
नाक में बड़ा नथिया, कानो में झुमके जो कन्धों को छू रहे थे, माथे पर बड़ा सा मांगटीका, गले मे नौलखा हार, कमरबन्द, पायल, बिछिया और अंगूठियों वाला ब्रेसलेट। होंठो पर
ब्राउन ग्लॉसी लिपस्टिक और कजरारी आंखों को देखकर कोई भी मदहोश हो जाये। टाइट
ब्लाउज से बाहर आने की कोशिश करता ज़ोया का बूब्स और उनके ऊपर मंगलसूत्र खूब फब
रहे थे। रुखसार ने ज़ोया को सुहागरात की सेज के बीचबीच बिठाया और कहा कि बिना नेग
लिए अब्बू को अपना चेहरा मत दिखाना। तभी वहां ज़ोया की सास भी आ गयी और ज़ोया के
घूंघट को ठीक से सेट किया। (ज़ोया के अंदर का डर बढ़ता जा रहा था। अब ज़ोया की
हालत डर से इतनी खराब होने लगी कि उसका पूरा शरीर थरथराने लगा था।)
ज़ोया के मन मे
बहुत कुछ चल रहा था। हल्की सी आहट होती और ज़ोया की रूह कांप जाती। थोड़ी देर के
इंतज़ार के बाद ज़ोया को पता भी नही चला कि उसे कब नींद आ गयी और वो बिस्तर पर सो
गयी। रात के 11 बज चुके थे,
ज़ोया थकान की वजह से गहरी नींद में थी और
अर्सलान अभी तक नही आया था। थोड़ी देर बाद अर्सलान कमरे में आया तो उसने देखा
ज़ोया सो चुकी थी। नाक तक घूंघट और ज़ोया के रसीले होंठों को चूमता हैवी नथिया,
हर सांस के साथ ब्लाउज के साथ ऊपर नीचे होते
दूधिया बूब्स और उसके ऊपर मंगलसूत्र, कमर की नाभि ज़ोया को सेक्सी लुक दे रहा था। जैसे ही अर्सलान ने ज़ोया को हाथ
लगाया, ज़ोया ककी रूह सिहर उठी
और उसकी नींद खुल गयी। नींद खुलते ही ज़ोया ने अपना घूंघट ठीक किया। अर्सलान ने
ज़ोया को सीने से लगा लिया और कहा कि उसकी की जगह उसके दिल मे है। फिर अर्सलान ने
ज़ोया को गोद मे उठा लिया और बिस्तर पर बिठाकर एक गिफ्ट बॉक्स उसके हाथों में रख
दिया। ज़ोया ने गिफ्ट बॉक्स को खोल कर देखा, उसमे सोने के बड़े बड़े झुमके और एक बड़ा सा नथिया था।
“गिफ्ट कैसा लगा
मेरी दुल्हन को?”, अर्सलान ने पूछा।
“अच्छा लगा”,
ज़ोया ने शर्मिंदगी महसूस करते हुए कहा।
फिर ज़ोया ने
टेबल पर रखा दूध का ग्लास उठाकर अर्सलान को दिया।
“एक ग्लास दूध से
मेरा क्या होगा मेरी जान, अपनी मेहंदी वाली
हाथों से पिलाओगी तो कुछ फर्क जरूर पड़ेगा।”, अर्सलान बोला।
अर्सलान के बातो
में जो शरारत थी ज़ोया उसको अच्छे से समझ चुकी थी। ज़ोया ने अपने हाथों से अर्सलान
को दूध पिलाया और उस उसने बड़े ही आराम आराम से दूध पी लिया। अर्सलान के दूध पीने
के बाद ज़ोया ने ग्लास टेबल पर रखा और पीछे मुड़ा तो अर्सलान ने अपने दोनों हाथों
से ज़ोया को पकड़ लिया। उस बड़े से कमरे में आज ज़ोया अपने पति के साथ एक ही
बिस्तर पर अकेली बैठी थी। अर्सलान ने अपने हाथों से ज़ोया का घूंघट उठा दिया तो
ज़ोया ने अपनी आंखें बंद कर ली। फिर अर्सलान ज़ोया के नज़दीक आने लगा और कुछ ही
पलों में अपने पति की गर्म साँसों को ज़ोया करीब से महसूस कर रहा था। इससे पहले कि
ज़ोया खुद को तैयार कर पाती, अर्सलान ने ज़ोया
के माथे पर एक किस किया।
वैसे तो ज़ोया ने
गौरी के साथ कई बार शारीरिक संबंध बनाए थे लेकिन इस बार बात कुछ अलग थी। इससे पहले
कि ज़ोया कुछ सोच पाती, अर्सलान ने ज़ोया
की ब्लाउज की डोरी खोल दी और साड़ी भी खींचने लगा। ज़ोया को ऐसा फील हो रहा था
जैसे उसका रेप होने वाला है। थोड़ी ही देर में अर्सलान ने ज़ोया को पूरी तरह नंगा
कर दिया और खुद भी नंगा हो गया। ज़ोया अपने सिर को झुकाए, अपने दोनों हाथों से अपने स्तनों को छुपाने की कोशिश कर रही
थी। तभी अर्सलान ने ज़ोया का चेहरा ऊपर उठाया, ज़ोया ने चेहरा तो उठा लिया, लेकिन उसकी आंखें अभी भी बंद थी।
“आंखें खोलो हुस्न
की मल्लिका, मेरी जान,
ज़ोया डार्लिंग।”, अर्सलान बोला।
अर्सलान की बातों
को ना मानने का साहस ज़ोया में नही था। धीरे धीरे उसने आंखें खोली तो अर्सलान की
चौड़ी छाती और तगड़ा शरीर देखकर दंग रह गया। जब ज़ोया की नज़र अर्सलान के पेनिस पर
पड़ा तो देख कर हैरान रह गया कि इतना मोटा और लंबा पेनिस भला किसी मर्द का होता भी
है। जब ज़ोया मर्द था तब उसका पेनिस इसका आधा और काफी छोटा था, वो भी अर्सलान के पेनिस के सामने कुछ भी नही
था। अर्सलान के पेनिस को देखकर ज़ोया की हालत और भी खराब हो गयी और डर के मारे वो
रोने लगा।
“प्लीज अर्सलान जी,
आपका पेनिस बहुत बड़ा है। प्लीज मुझे छोड़ दो,
मुझे सुहागरात नही मनानी, प्लीज अर्सलान जी प्लीज।”, ज़ोया रोते हुए बोला।
लेकिन अर्सलान
ज़ोया की एक सुनने को तैयार नही था। उसने बिना देर किए ज़ोया को जकड़ लिया और उसे
चूमने लगा। एक एक चुम्बन से ज़ोया सहमी जा रही थी। ज़ोया लगातार रोये जा रही थी,
लेकिन अर्सलान पर उसका कोई प्रभाव नही पड़ रहा
था। कुछ देर तक अर्सलान ज़ोया के जिस्म को चूमता रहा और उसके बाद अर्सलान बैठ गया
और ज़ोया के हाथों में अपना पेनिस पकड़ा दिया। ज़ोया ने हाथ छुड़ाने की बहुत कोशिश
की लेकिन अर्सलान नही माना और ज़ोया के चेहरे को पकड़ लिया।
“मेरी जान,
तुम कुछ ज्यादा ही नखरा नही दिखा रही, अब गुस्सा मत दिलाओ और मेरे पेनिस को शेक करो।”,
अर्सलान ने ज़ोया से कहा।
ज़ोया को सबकुछ
याद आ रहा था। जब वो कार्तिक थी तो कैसे वो सनी लियोनी के पोर्न फिल्मों को देखती
थी, हस्तमैथून करती करती थी।
हमेशा यही सोचती कि जब उसकी शादी होगी, तो अपनी दुल्हन के साथ सुहागरात में ये सब पोज़ ट्राई करेगी। लेकिन यहां मामला
पूरा उल्टा हो गया। ज़ोया खुद अर्सलान की दुल्हन बन उसके पेनिस को अपने हाथों में
लिए ये सब सोच रही थी।
“शर्माओ मत ज़ोया,
शेक करो। मुझे पता है तुम इन सब को बहुत एन्जॉय
करोगी ज़ोया।”, अर्सलान ने अपना
पेनिस आगे पीछे करते हुए कहा।
ज़ोया के हाथों
में उसके पति का गर्म और सख्त पेनिस था जो उसके अनुमान से काफी बड़ा और मोटा था।
ज़ोया ने धीरे धीरे उसे हिलाना शुरू किया। चूड़ियों की खनक की आवाज़ से कमरा भर
गया।
“मेरी चूड़ियां और
कंगन बहुत आवाज कर रहे हैं, ये सब कैसे करूँ।”,
ज़ोया ने मासूमियत से कहा।
“कोई बात नही मेरी
जान, तुम शेक करो। तुम्हारे
चूड़ियां और कंगन कि मीठी खनक वैसे भी इस कमरे में ही रहेगी।”, अर्सलान बोला।
फिर ज़ोया ने
अर्सलान का पेनिस धीरे धीरे शेक करना शुरू किया। ज़ोया हाथों में अभी भी जेवर पहन
रखा था, लेकिन अर्सलान को इससे
कोई फर्क नही पड़ रहा था। उसका पेनिस टाइट होते जा रहा था। और फिर अर्सलान ने
ज़ोया से और स्पीड शेक करने को कहा। ज़ोया ने स्पीड तो बढ़ दिया, लेकिन चूडियों और कंगन की आवाज़ के साथ साथ
अर्सलान का पेनिस भी ज़ोया के इमेजिनेशन से काफी ज्यादा बड़ा हो गया। फिर अर्सलान
ने ज़ोया के होंठों पर अपना पेनिस रखा और उसे किस करने को कहा। आपने पति की हर बात
को मानने के लिए मजबूर ज़ोया ने अर्सलान के पेनिस को चूमने लगा। एक अजीब तरह का
स्मेल ज़ोया को महसूस हुआ। फिर अर्सलान ने ज़ोया के बालों का जुड़ा पकड़ लिया और
उसके मुह में अपना पेनिस डाल दिया। अर्सलान के पेनिस से ज़ोया का नथ बार बार टकरा
रहा था, लेकिन उसे कोई फर्क नही
पड़ रहा था। वही दूसरी तरफ ज़ोया के नाक में डला नथिया आगे पीछे होने की वजह से और
भी चुभने लगा था। करीब 30-40 मिनट्स तक ज़ोया
को ब्लो जॉब देने के बाद अर्सलान ने अपने वीर्य का एक लोड ज़ोया के मुह मे ही छोड़
दिया। वो वीर्य डायरेक्ट ज़ोया के गले मे चला गया और ज़ोया को ना चाहते हुए बाकी
का लोड भी पीना पड़ा।
अब अर्सलान जोश
में आ चुका था और अब उसकी नज़र ज़ोया की गुलाबी वजाइना पर पड़ी। ज़ोया को लिटा कर
अर्सलान उसके ऊपर आ गया और अपने होंठ से ज़ोया की गुलाबी योनि को चूमने लगा। ज़ोया
को एक अजीब सा मीठा मीठा दर्द शुरू हो गया और ऐसा दर्द उसने पहले कभी महसूस नही
किया था। अर्सलान ज़ोया की वजाईना को जीभ से चाटने लगा और जोर जोर से चूसने लगा।
ज़ोया खुद को संभाल नही पा रही थी और उसके मुह से जोर जोर से आआहह ऊहह ओह्ह की
आवाज़ें निकलनी लगी और आंखों से एक एक बूंद आंसू रुक रुक कर बहने लगे। अर्सलान
ज़ोया की आहह ओह्ह की आवाज सुनकर और भी ज्यादा जोश में आ गया था। अर्सलान के
एक्सआईटमेंट का कोई हिसाब नही था। अब अर्सलान तैयार था, अपनी नई नवेली दुल्हन के साथ असली मज़ा करने के लिए।
अब अर्सलान ने
अपना पेनिस ज़ोया की वजाइना पर रखकर सहलाने लगा। ज़ोया को बहुत डर लग रहा था,
वो बार बार अर्सलान से रिक्वेस्ट कर रही थी कि
प्लीज उसके साथ सेक्स ना करे। लेकिन अर्सलान नही माना और अपना पेनिस ज़ोया की
नाज़ुक वजाइना में घुसा दिया। जैसे ही अर्सलान का पेनिस ज़ोया की वजाइना में घुसा,
ज़ोया को लगा जैसे किसी ने गर्म लोहे का रॉड
उसके अंदर डाल दिया हो। दर्द इतना कि ज़ोया रोने लगी, जोर जोर से चिल्लाने लगी, लेकिन वहां ज़ोया की सुनने वाला कोई नही था। अर्सलान ने
ज़ोया के होंठों पर अपना होंठ रख दिया और उसने होल्ड किया और ज़ोया को शांत किया।
ज़ोया की योनि से हल्का खून आने लगा और खून देखकर ज़ोया और भी रोने लगी।
“डरो मत मेरी जान,
ये खून नही है। इसका मतलब है तुम आज तक वर्ज़ीन
थी। ये तो खुश होने की बात है।”, अर्सलान बोला।
“अर्सलान जी
प्लीज्, ये सब मुझसे बर्दाश्त नही
होगा। प्लीज् आप अपना पेनिस बाहर निकाल लो, नही तो मैं मर जाउंगी।”, बोलते बोलते ज़ोया की आँखों मे आंसू भर आये।
“वही तो कर रहा हु
मेरी जान, आज की रात। तुम्हारे मन
मे बैठे मर्दानगी को मारना ही तो है। ताकि कल से तुम अपने स्त्रीत्व को एक्सेप्ट
कर सको ज़ोया। मेरी दुल्हन बनने के बाद भी तुम्हे लगता है कि तुम्हारा मर्द वाला
मन मेरे सामने टिक पायेगा।”, अर्सलान हंसते
हुए बोला।
फिर क्या था,
अर्सलान अंदर बाहर करना शुरू किया और ज़ोया ने
रोना चिल्लाना। लेकिन अर्सलान की ताकत के सामने वो कुछ भी नही थी।
“आआआहहहहहहह,
ऊऊहहहहहहह, ओह्हहहहहहह, ममम, प्लीज्, प्लीज्, प्लीज्, ओह्ह माई गॉड, मम्मी। रुक जाओ अर्सलान, आआहहहहहहहहहह, नहीईईईई, ऊहहहहहहहहहह,
प्लीज्, प्लीज्, रुक जाओ अर्सलान,
प्लीज्, अर्सलान, आआआहहहहहहहहह”,
ज़ोया के रोने और चिल्लाने का अर्सलान पर कोई
असर नही हुआ और अपनी दुल्हन को स्पीडली चोदने लगा।
करीब आधे घंटे तक
अर्सलान ने ज़ोया को चोदा और फिर कुछ देर के लिए रुक गया। अर्सलान के रुकने से ज़ोया
को थोड़ा आराम मिला।
“आई होप कि तुम जब
मर्द थे तब पोर्न फिल्मों को तो देखा ही होगा, कि कैसे घोड़ी बनते हैं। मेरी जान अब शर्माना छोड़ो और
घोड़ी बनो जल्दी से।”, अर्सलान ने ज़ोया
का चेहरा पकड़ कर बोला।
“नही अर्सलान जी”,
ज़ोया बोला।
“चटाक”, एक ज़ोरदार थप्पड़ ने ज़ोया के होश उड़ा दिए।
“ज्यादा बहस नही,
जो बोल रहा हूँ, उसे चुपचाप करो, समझी। पत्नी हो तुम मेरी और मैं तुम्हारा पति परमेश्वर। जो बोलू उसे बिना सवाल
जवाब किये करो समझी।”, अर्सलान ने
गुस्से में लाल होकर बोला।
ज़ोया को अर्सलान
से ये उम्मीद नही था। थप्पड़ खाने के बाद वो रोने लगा। फिर अर्सलान ने उसे उल्टा
किया और घोड़ी बना कर उसके योनि पर अपने पेनिस को रख दिया। ज़ोया समझ चुका था कि
अर्सलान अब उसके साथ पूरी रात सुहागरात मनाएगा। अर्सलान ने अपना पेनिस जैसे ही
घुसाया, ज़ोया को फिर से दर्द हुआ और वो फिर से रोने लगा। थोड़ा
अच्छा भी लग रहा था, लेकिन औरत बनकर
एक मर्द से चुदने का दर्द उसे एन्जॉय नही करने दे रहा था। इधर अर्सलान ने स्पीड को
बढ़ा दिया और ज़ोया के गहने, जेवर, चूड़ियां, पायल ये सब बहुत आवाज़ कर रही थी और ज़ोया भी कम आवाज़ नही
कर रही थी।
“आआआहहहहहहह,
ऊऊहहहहहहह अर्सलान ओह्हहहहहहह, ममम, प्लीज्, प्लीज्, प्लीज्, ओह्ह माई गॉड। रुक जाओ अर्सलान, प्लीज्, प्लीज् अर्सलान
प्लीज्, आआहहहहहहहहहहहह, नहीईईईई, नहीईईईई, मममममममममम,
ऊऊऊह, ऊहहहहहहहहहह, प्लीज्, प्लीज्, रुक जाओ अर्सलान, प्लीज्, अर्सलान, आआआहहहहहहहहह। बहुत दर्द हो रहा है, नहीईईईई, नहीईईईई, प्लीज्, प्लीज्, प्लीज् प्लीज्, ऊऊऊहहहहहहहहह, छोड दो, मत करो प्लीज्, नहीईईईई, ओह माई गॉड,
आआहहहहहहहहहहहहहहहह, ओह्हहहहहहहहहहहहहहह, ऊहहहहहहहहहह, अर्सलान जी आअह्ह्ह प्लीज्।”, ज़ोया से एक मर्द
से चुदने का दर्द बर्दाश्त नही हो रहा था और वो लगातार रोये जा रही थी और एक हाथ
से अपने नथिया को पकड़कर उसे आगे पीछे होने से रोकने की कोशिश कर रही थी।
करीब अगले 30 मिनट्स तक ज़ोया को चोदने के बाद अर्सलान फिर
से रुक गया। फिर उसने ज़ोया के चेहरे को पकड़कर अपनी ओर घुमाया और उसके होंठो को
चूमने लगा, लेकिन इस बार अर्सलान
काफी जोश में था। थोड़ी देर दोनों वैसे ही पड़े रहे और अर्सलान ने ज़ोया को अपनी
ओर घुमाकर बिठाया। फिर अर्सलान ने ज़ोया के कमर को पकड़ लिया और उसे अपने पेनिस पर
बिठाया और अपने पेनिस पर बिठाकर काफी देर तक चोदा। ज़ोया की सांसें अब कमज़ोर पड़ने
लगी थी और वो जोर जोर से सांस ले रही थी। ज़ोया के बूब्स, अर्सलान की छाती से छाती से चिपकी हुई थी और अर्सलान उसे
लगातार चोद रहा था। ज़ोया के आंसू थमने का नाम नही ले रहे थे। फिर अर्सलान ने
ज़ोया को बिस्तर पर लिटा दिया और उसके दोनों टांगों को फैलाकर उसके वजाइना में फिर
से अपना पेनिस डाल कर चोदना चालू किया। ज़ोया अब अपने नाखूनों से अर्सलान के पीठ
को खरोंचने लगी और अर्सलान ज़ोया के बूब्स को काटने लगा। अर्सलान ने ज़ोया के साथ
लगभग 1 घंटे तक सेक्स किया और
एट लास्ट उसने अपना वीर्य ज़ोया की वजाइना के भीतर छोड़ दिया। जब ज़ोया ने अपने
अंदर अर्सलान का गर्म गर्म वीर्य को महसूस किया, तब ज़ोया को लगा कि वो आज रात ही अपने पति से प्रेग्नेंट हो
जाएगी। दोनों काफी देर तक एक ही पोजीशन में थे। अर्सलान ज़ोया के ऊपर और ज़ोया
अपने दोनों टांगों को हवा में फैलाये अपने पति की बाहों में लंबी लंबी सांसें ले
रही थी, शरीर कांप रही थी और इतनी
हिम्मत भी नही बची थी कि ज़ोया उठकर पेशाब तक करने जा सके। थोड़ी देर बाद अर्सलान
ने अपना पेनिस ज़ोया की वजाइना से बाहर निकाल दिया। अर्सलान के पेनिस निकाल लेने
पर ज़ोया को बहुत आराम मिला लेकिन शरीर साथ नही दे रहा था।
ज़ोया बिस्तर पर
से उठी और उसने जैसे ही अपने कपड़े उठाये, अर्सलान ने उसके हाथ को पकड़ लिया और कहा, “मेरी जान कपड़ो की क्या जरूरत है तुम्हे, सुबह पहन लेना, अभी ऐसे ही रहो।”
थप्पड़ की गूंज
अभी भी ज़ोया के कानों में गूंज रही थी और उसके अंदर हिम्मत नही थी कि वो अपने पति
की बातों को ना माने। ज़ोया वैसे ही वाशरूम की तरफ बढ़ने लगी, लेकिन उससे एक कदम भी चल नही जा रहा था। दूसरे
कदम पर ही ज़ोया लड़खड़ा के गिरने ही वाली थी कि अर्सलान ने उसे पकड़ लिया। फिर
अर्सलान ने ज़ोया को अपनी गोद में उठा लिया और वाशरूम में ले गया।
“ज़ोया, तुम बहुत खूबसूरत हो। तुम अपने दिलो दिमाग से
इस बात को निकाल दो कि अब मैं तुम्हे तलाक़ दूंगा। आज से इस घर में तुम्हारी
हैसियत मेरी बीवी और इस घर की छोटी मालकिन के रूप में होगी। तुम्हारे नरम बदन को
छू कर मेरे रोम रोम में जवानी उबाल मार रहा है। मैं अब तुम्हारे सॉफ्ट सॉफ्ट बदन
को प्यार करना चाहता हूँ।”, अर्सलान ने कहा।
अर्सलान की बात
सुनकर ज़ोया का होश उड़ गया, वो वहीँ वाशरूम
के फर्श पर बैठकर रोने लगी।
साल २००५,
गौरी और कृतिका/ज़ोया, पार्ट – २
दिसंबर २००५
“आप मेरे साथ ऐसा
नहीं कर सकते, आप फ़िरोज़ के
अब्बू हैं और ये निकाह सिर्फ निकाह हलाला के लिए हुआ है।”, ज़ोया ने रोते हुए कहा।
“भले ही ये निकाह,
तेरे निकाह हलाला के लिए हुआ है ज़ोया, मेरी जान लेकिन मुझे कहाँ पता था कि एक मर्द के
औरत बन जाने के बाद तुम्हारे जिस्म में ऐसा रसीलापन आ जायेगा जो बुढ़ापे में मेरी
जवानी को जगा देगी। अब भूल जाओ फ़िरोज़ को, आज से फ़िरोज़ तुम्हारा बेटा है और तुम उसकी छोटी अम्मी।”,
अर्सलान ने कहा।
अर्सलान की बात
सुनकर ज़ोया ने उसके पैर पकड़ लिए और तलाक़ के लिए गिड़गिड़ाने लगी। ऐसी दिन की
उम्मीद ज़ोया ने कभी सपने में भी नहीं की थी। अर्सलान ज़ोया को गोद में लेकर कमरे
में गया और बिस्तर पर पटक दिया। फिर शुरू हुआ अर्सलान का जुल्म। अर्सलान ने ज़ोया
के दोनों हाथों को पलंग के ऊपरी कोनो में उसी की साड़ी से बाँध दिया, और उसके पैरों को पलंग के नीचले कोनो में। अपने
दोनों पैरों को फैलाये, अर्सलान से रहम
की भीख मांग रही ज़ोया का उसके ऊपर कोई असर नहीं हुआ और उसने एक बार फिर ज़ोया को
चोदना शुरू किया और इस बार इतना डीप कि ५ मिनट्स बाद ही ज़ोया बेहोश हो गयी। ज़ोया
के बेहोशी में भी अर्सलान ने उसकी चुदाई नहीं रोकी, जबतक उसे संतुष्टि नहीं मिल गयी। अगली सुबह, ससुराल में पहला दिन, दिन भर किचन के कामों और कमरे की साफ सफाई में बीत गयी।
ज़ोया को मोबाइल
यूज़ करना, टीवी देखना, बिना घूँघट के घर में नहीं रहना, किसी से भी तब तक बात नहीं करना जब तक अर्सलान
खुद ना कहे, जैसे नियम लगा
दिया गया। इधर गौरी ने भी ज़ोया से बात करने की बहुत कोशिश की, लेकिन ज़ोया की आज़ादी अब उससे छीन ली गयी थी।
अर्सलान को जब मौका मिलता तब ज़ोया को बिस्तर पर लिटा देता और उसके साथ अपनी हवस
की आग को ठंडा करता। फ़िरोज़ ने अपने अब्बू से ज़ोया को तलाक़ देने को कहा लेकिन
अर्सलान ने ज़ोया को तलाक़ देने से साफ़ इंकार कर दिया। इधर ज़ोया की फिक्र में
गौरी ने फ़िरोज़ को कई बार उससे बात करवाने को कहा लेकिन फ़िरोज़ ने उसे साफ़ साफ़
कह दिया कि उसके घरेलु मामले में ना पड़े। गौरी को फ़िरोज़ की बात काफी बुरी लगी,
लेकिन ज़ोया की जिंदगी बर्बाद ना हो जाये इसी
ख्याल से गौरी ने रुखसार से बात की। रुखसार ने गौरी को सबकुछ सचसच बता दिया। इधर
पूरा १ महीना हो गया था, ऐलेक्स भी अपने
प्रोजेक्ट को ख़त्म करके वापिस आ गया था। एक गलत डिसीज़न ने ज़ोया की लाइफ को तबाह
कर दिया था। इधर गौरी और ऐलेक्स ने शादी करने का फैसला किया। गौरी ने फ़िरोज़ और
रुखसार को अपनी शादी में ज़ोया को लेकर आने को इन्वाइट किया, फ़िरोज़ ने कहा की अगर अब्बू मान जाये तो ज़ोया
गौरी की शादी में जरूर आएगी। गौरी ने काफी रिक्वेस्ट किया कि ज़ोया को उसकी शादी
में जरूर लेकर आये। गौरी के मन में एक तरफ अपनी शादी की ख़ुशी थी तो दूसरी तरफ
ज़ोया के ऊपर हो रहे जुल्म से दुखी।
शादी वाले दिन,
गौरी ने फैसला किया कि वो अपने होने वाले पति
ऐलेक्स के लिए एक पहाड़ी दुल्हन स्टाइल में दुल्हन की तरह सजेगी। ऐलेक्स ने वहां
की बेस्ट ब्यूटिशियन को गौरी को सजाने के लिए बुलवाया था, लेकिन गौरी ने ब्यूटिशियन को मना कर दिया और रुखसार को अपने
मेकअप के लिए बुलवा लिया ताकि इसी बहाने वो कृतिका/ज़ोया के बारे में उससे बात कर
सके। गौरी को ज़ोया की बहुत फिक्र थी, ये बात रुखसार भी जानती थी, लेकिन अपने अब्बू
के खिलाफ नहीं जा सकती थी।
ब्यूटिशियन ने
गौरी से कपड़े उतार देने को कहा। गौरी ने कपड़े उतार दिए, तब कमरे में सिर्फ ब्यूटीशियन और गौरी ही थे। अब गौरी सिर्फ
ब्रा और पैंटी में थी और उसके आकर्षक कर्व्स देखकर ब्यूटीशियन की आंखें भी खुली की
खुली रह गयी।
“वाओ गौरी मैम,
आपका फिगर तो बिल्कुल सनी लियोनी जैसा है। बुरा
मत मानियेगा लेकिन सच मे आप बेहद आकर्षक हो”, ब्यूटीशियन गौरी की तारीफ करते हुए बोली।
“थैंक्स”, गौरी ने स्माइल देते हुए बोली।
कभी गौरी की
तुलना जस्टिन से होती थी और आज उसकी तुलना सनी लियोनी के साथ कि जा रही थी। पहले
सभी गौरव सर बोलते थे, अब सब गौरी मैडम
बोलते हैं। खैर उस ब्यूटीशियन को ये कहाँ पता था कि जिस गौरी मैडम को दुल्हन की
तरह सजाने के लिए वो आयी है, वो खुद कभी एक
मर्द हुआ करती थी। फिर ब्लीच, फेसिअल, फाउंडेशन और बेसिक मेकअप के बाद ब्यूटीशियन ने
गौरी की आखों में काजल लगाया, आई लैशेज को सेट
किया, आई ब्रोज़ को छोटी चमकीली
बिन्दियों से सजाया, मिडिल में एक
बड़ा बिंदी सेट किया और आखिर में होंठों पर वाटरप्रूफ लाल रंग का ग्लॉसी लिपस्टिक
अप्लाई किया। मेकअप के बाद तो गौरी का चेहरा बिल्कुल ही बदल सा गया, ऐसा लग रहा था मानो स्वर्ग की अप्सरा हो। अब ब्यूटीशियन
ने गौरी को लाल रंग का हैवी कढ़ाईदार लहँगा पहनाया, जो कि काफी बड़ा था। ब्यूटीशियन ने नाभि के नीचे लहँगा
पहनाया था। फिर ब्यूटीशियन ने गौरी के कहा कि वो ब्रा उतार दे।
गौरी ने पूछा,
“क्यों, ब्रा क्यों उतारना, कोई दूसरा ब्रा
है क्या?”
ब्यूटीशियन बोली,
“नही गौरी मैडम, रुखसार मैडम ने कहा है कि आपको बिना ब्रा वाली चोली पहनाई
जाए, अब क्यों कहा ये तो मैं
नही जानती।”
फिर गौरी ने अपना
ब्रा उतार दिया और अपने दोनों हाथों से अपने दोनों कोमल उरोजों को पकड़कर हो गयी।
फिर ब्यूटीशियन ने गौरी को एक लाल रंग की स्ट्रीचबल और बैकलेस चोली पहनाया। चोली
पहनाने के बाद ब्यूटीशियन ने गौरी की चोली में डोरी सेट किया और टाइट कर के बांध
दिया। चोली की फिटिंग बहुत अच्छी थी, लेकिन प्रॉब्लम ये था कि गौरी को उसके बूब्स ब्रा के बिना काफी अनकम्फर्टेबल
महसूस करवा रहे थे। फिर ब्यूटीशियन ने गौरी को लाल रंग का 4 इंच हील वाला सैंडल पहनाया, जिसके बाद लहँगा का फिटिंग भी ठीक हो गया। ब्यूटीशियन ने
गौरी से चलने को कहा। गौरी उठी और 2 कदम चल कर रुक
गयी, फिर एक कदम चली और फिर से
रुक गयी।
“क्या हुआ गौरी
मैडम, आप रुक क्यों गयीं?”,
ब्यूटीशियन ने पूछा।
“ये चोली थोड़ी
अनकम्फर्टेबल है, मेरे बूब्स बहुत
हिल रहे हैं। पहले ऐसा नही होता था।”, गौरी ने कहा।
“ये चोली की यही
खासियत है गौरी मैडम, औरतें इसे पहनती
ही इसीलिए है ताकि वो अपने बूब्स की हरकतों को महसूस कर सकें।”, ब्यूटीशियन बोली।
फिर ब्यूटीशियन
ने गौरी को मेकअप टेबल पर बिठाया और बालों का सुंदर से जुड़ा बना दिया। जुड़े में
चमेली के फूलों को सेट किया। मांग में एक बड़ा सा मांगटीका सेट किया। कानों में दो
बड़े बड़े झुमके, गले मे तीन तरह
के हैवी, मीडियम और एक छोटा सा हार
पहनाया। फिर गौरी के दोनों हाथों में कंगन, चूड़ियाँ पहनाया और हाथ की उंगलियों में पांच रिंग वाला
सोने का ब्रेसलेट पहनाया गया। बाहों में बाजूबंद, कमर में कमरबन्द और पैरों में हैवी चांदी की पायल पहनाई
गयी। फिर ब्यूटीशियन ने एक बड़ा और हैवी कुमाऊनी नथिया गौरी के नाक में डाल दिया
और उसके चेन को बालों में फंसा दिया। ये नथ पहले के मुकाबले बड़ा और कुछ ज्यादा ही
हैवी था। एक बहुत ही हैवी और लंबी चुनरी से गौरी के नाक तक उसका घूँघट बना दिया।
गौरी ने नाखूनों में लाल नेलपॉलिश और पैरों की नाखूनों में डार्क लाल नेलपॉलिश
अप्लाई किया और बाहर चली गयी। गौरी चुपचाप, अकेले उस कमरे में घूँघट के अंदर से अपने बूब्स को देख रही
थी। गौरी ये सोच रहा था, कि औरत बनने के
बाद उसका सबसे डरावना सपना, दुल्हन बनने का,
एक मर्द की बीवी बनने का, ये सब सच होने जा रहा था। गौरी अपने डरावने
सपने में खोयी हुई थी कि तभी वहां रुखसार की एंट्री हुई।
“ये क्या करने जा
रहा हूँ मैं! मैंने तो एक मर्द के रूप में जन्म लिया था, मेरी गर्लफ्रैंड, जिसके साथ ना जाने कितनी बार मैंने सुहागरात मनाई, ना जाने कितनी बार गर्लफ्रेंड के साथ को मूवी दिखाने,
घुमाने और उसकी हर ख्वाहिश को पूरा किया। पोर्न
देखकर भी कितना एन्जॉय करता था, शर्ट, जीन्स और शूज पहनता था, कितना आजाद था मैं। और आज मैं कितना मजबूर हूँ जो आज दुल्हन
की लिबास में यहां बैठा, मेरे नाक,
कान छिदवा दिए गए हैं और नाक में ये सोने का
कुमाऊनी नथिया पहना हुआ है, जो इतना चुभ रहा
है, फिर भी इसे नही खोल सकता,
कानो बड़े बड़े झुमके पहने हुए, लहँगा चोली में अपने होने वाले पति के बारात के
आने का इंतज़ार कर रहा हूँ। ये सब कैसे हो गया मेरे साथ। चौड़ी छाती बूब्स में
तब्दील हो गयी है, जहां सिक्स पैक्स
एब्स थे वो अब स्लिम वेस्ट है, मेरे पेनिस को
हटा कर वहां वजाइना बना दिया, मेरे अंदर
गर्भाशय भी विकसित कर दिया है। डॉक्टर ने मुझे मर्द से औरत बना दिया और एक मर्द जो
अब मेरा बॉयफ्रेंड भी है आज उसके साथ मेरी शादी हो रही है, क्या करूँ मैं, कैसे रोकूँ इस शादी को, भाग जाऊं या
सुसाइड कर लूं। क्या करूँ मुझे कुछ भी समझ मे नही आ रहा है”, अपने अंतर्द्वंद्व में फंसी हुई गौरी की हालत
ये सब सोंच सोच कर खराब हुई जा रही थी।
उधर गौरी की
नर्वस्नेस बढ़ने लगी थी, बॉडी शिवर कर रहा
था और सुहागरात में जो होगा उसका डर उसे और भी ज्यादा सता रहा था। तभी अचानक धूम
धड़ाके और बैंड बाजे की आवाज सुनकर सभी खुश हो गए, बारात आ गयी थी। फूलों से सजी ऑडी में ऐलेक्स अपनी बहन के
साथ बैठा था, उसके दोस्त बाहर
नाच रहे थे। सभी के हाथों में गन और सबने दारू पी रखी थी। सिल्वर कलर के शेरवानी
में ऐलेक्स बहुत ही स्मार्ट लग रहा था। रुखसार गौरी को कमरे में अकेला छोड़कर
बारात देखने चली गईं। गौरी घूँघट में सहमी सिकुड़ी, अपनी कपकपाती बदन को शांत करने की कोशिश करती शादी के
खयालों में खोई हुई थी। उधर रुखसार और फ़िरोज़ ने बारात का स्वागत किया। ऐलेक्स की
हाइट 6.3 और शेरवानी में, मस्कुलर बॉडी और दाढ़ी में ऐलेक्स बहुत स्मार्ट
लग रहा था। उसको स्टेज पर ले जाया गया और गौरी को स्टेज पर ले जाने के लिए रुखसार
और उसकी असिस्टेंट कमरे में आईं, जहां गौरी घूंघट
में सहमी सिकुड़ी बैठी थी और उसका पूरा बदन कांप रहा था।
“गौरी, तुम्हारे दूल्हे राजा तुम्हारा इंतेज़ार कर रहे
हैं, चलो”, रुखसार बोली।
“रुखसार, मुझे बहुत डर लग रहा है, तुम कृतिका को, ओह्ह जोया को नहीं लेकर आयी। ज़ोया होती तो शायद मुझे इतना डर नहीं लगता।”,
गौरी ने कंपकंपाती आवाज़ में रुखसार से कहा।
“गौरी, मुझे यकीन नहीं होता कि कभी तुम गौरव नाम के
आदमी थे। इतना डर, इतना तो लड़कियों
का बदन नहीं कंपकंपाता जितना तुम्हारा शरीर कांप रहा है। जो गलती उपरवाले ने
तुम्हे मर्द का शरीर देकर किया था, वो गलती उपरवाले
ने तुम्हे औरत का जिस्म देकर सुधार लिया है। तुम हमेशा से लड़की हो गौरी, आज तुम्हारी शादी ऐलेक्स से हो रही है और वो तो
सुहागरात मनाएगा ही, जैसे मेरे अब्बू
हर रोज़ तुम्हारी ज़ोया के साथ मनाते हैं। डरो मत गौरी, शादी के बाद सब नार्मल हो जायेगा। अब चलो भी, दूल्हे राजा दुल्हन का इंतज़ार कर रहे हैं।”,
रुखसार बोली।
गौरी को समझ नहीं
आ रहा था कि वो करे भी तो क्या करे। गौरी का जिस्म कांप रहा था और स्टेज पर ऐलेक्स
बड़े ही जोश में अपनी दुल्हन के आने का इंतेज़ार कर रहा था। धीमे धीमे कदमों के
साथ दुल्हन यानी कि गौरी स्टेज की ओर बढ़ रही थी, उसका कुमाऊनी नथिया बार बार उसके होंठो से टकरा रहा था,
चोली में बूब्स ऊपर नीचे हो रहे थे और आंखों से
रुक रुक कर आंसू के बून्द गिर रहे थे, शायद ये ख़ुशी के आंसू थे। इन सब के साथ गौरी रुखसार साथ स्टेज पर पहुंची। अभी
तक गौरी ने घूँघट किया हुआ था, रुखसार ने गौरी
का घूँघट को ऊंचा किया, ताकि गौरी ऐलेक्स
को ठीक से देख सके और जयमाला का रस्म ठीक से हो सके। वैसे तो गौरी कई दफा ऐलेक्स
के करीब गयी, लेकिन आज का दिन
कुछ ज्यादा ही स्पेशल था। जब पहली बार गौरी ने ऐलेक्स को देखा तो उसके होश उड़ गए।
इतना लंबा आदमी, देखने मे
बॉडीबिल्डर जैसा, दाढ़ी में इतना
स्मार्ट लग रहा था और गौरी ने हाई हील्स पहना हुआ था, फिर भी ऐलेक्स के कंधों के नीचे तक उसका सिर आ पा रहा था।
ऐसे आदमी के साथ शादी करने के बाद गौरी का क्या होगा, क्या होगा सुहागरात में जब ऐलेक्स के साथ अकेले एक कमरे में
उसे बिठाया जाएगा, ये सब सोच कर
गौरी का हालात खराब हुआ जा रहा था। 35 साल के ऐलेक्स के सामने, गौरी 26 साल की होने के बावजूद 14-15 साल की लड़की जैसी छोटी और क्यूट लग रही थी।
वरमाला के समय गोरी के हाथों में आरती की थाली और फूलों की माला थी। पहले गौरी ने
ऐलेक्स की आरती उतारी, आरती उतारते समय
ऐलेक्स की ओर देख कर गौरी बहुत ही ज्यादा शर्मा रही थी। पहले गौरी ने ऐलेक्स को
फूलों की माला पहनना चाहा, अलेक्स तन के
खड़ा हो गया। गौरी भी फूलों की माला हाथ में लिए मुँह फुला के बैठ गयी। ऐलेक्स
गौरी के सामने जा कर बैठ गया और गौरी ने हँसते हुए उसे फूलों की माला पहना दी।
तालियों की गड़गड़ाहट के बीच ऐलेक्स ने भी गौरी को फूलों की माला पहना दी। वरमाला
के बाद, ऐलेक्स के सभी सगे
सम्बन्धी उन्हें बेस्ट विशेष विश करने लगे। गौरी को ढेर सारे गिफ्ट्स मिले और
ढेरों आशीर्वाद भी। ऐसे समय में गौरी अपने परिवारवालों और ज़ोया को बहुत मिस कर
रही थी, आँखों में आंसू आने लगा
तो रुखसार ने रुमाल से गौरी की आंसुओं को रोका और उसे समझाया कि रोने से मेकअप
ख़राब हो जायेगा। गौरी ने अपने इमोशंस को कण्ट्रोल किया और मुस्कुराते हुए सभी से
मिली।
उसके बाद पहले
ऐलेक्स को मंडप पर ले जाया गया और गौरी को उसके कमरे में। रुखसार ने फिर गौरी का
मेकअप ठीक किया और उससे कहा कि ज्यादा ना रोये, नही तो मेकअप खराब हो जाएगा। फिर गौरी को होंठ तक घूँघट
बनाकर मंडप पर ले जाया गया। ऐलेक्स वहां पहले से ही बैठा था, गौरी को ठीक ऐलेक्स के बगल में बिठाया गया।
पंडित ने मंत्रोचारण शुरू किया, फिर पहले ऐलेक्स
की माँ का भेजा हुआ खानदानी कंगन और बड़ा नथिया को पूजा गया। फिर रुखसार रुखसार ने
गौरी के हाथों में वो कंगन पहनाया और पहले वाला नथिया उतारकर, नया वाला नथिया पहनाया। नथिया पहले जितना ही था,
लेकिन पहले वाले नथिया से ज्यादा डिज़ाइनर और
भारी था और साथ ही जो जुड़ा हुआ चेन था, वो भी पहले की अपेक्षा ज्यादा भारी था। नथिया पहनते वक़्त गौरी को बहुत दर्द
हुआ और आंखों के आंसुओ को रोक नही सकी। फिर रुखसार ने गौरी के आंसुओं को पोछा और
उसे शांत किया। फिर ऐलेक्स ने गौरी के साथ सात फेरे लिए। उसके बाद ऐलेक्स ने गौरी
की मांग में ढेर सारा सिंदूर भर कर, उसके गले मे मंगलसूत्र पहना दिया। फिर कुछ मंत्रोचारण के बाद पंडित जी ने कहा
कि अब शादी सम्पन्न हो चुकी है। ऐलेक्स और गौरी अब आप दोनों पति पत्नी हैं,
अपने बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद लीजिये। फिर
ऐलेक्स और गौरी ने सबसे पहले पंडित जी का आशीर्वाद लिया, फिर अपने अपने ससुर और उसके घर के बड़ों का आशीर्वाद लिया।
रात हो चुकी थी और बाराती के साथ साथ मेहमानों के खाने पीने का अच्छा इंतेज़ाम था।
गौरी ऐलेक्स के
इतने रिश्तेदारों से मिलकर बहुत ही ज्यादा इमोशनल हो गयी। उसके परिवार का कोई भी
उस शादी में शरीक नहीं हुआ। ना गौरी की माँ, जिससे वो इतना प्यार करती थी, कोई नहीं आया। इस बात का गौरी को बहुत दुःख था, उसने किसी तरह खुद को संभाला। विदाई के समय
गौरी के पास कोई नहीं था, सिवाय रुखसार के।
रुखसार गौरी की मनोदशा अच्छे से समझ रही थी, उसने गौरी को गले से लगाया और गौरी रोने लगी। जब गौरी शांत
हुई तब ऐलेक्स उसे अपने साथ अपनी ऑडी में बिठाकर, पुरे रस्ते अपनी बाहों में रखा और २ घंटे में गौरी अपने
ससुराल पहुंची।
जैस्मिन और जुली
अपनी माँ के साथ गौरी और ऐलेक्स के गृहप्रवेश के लिए पहले से ही दरवाज़े पर
इंतज़ार कर रहीं थीं। गौरी और ऐलेक्स का एक साथ गृहप्रवेश ठीक वैसे ही करवाया गया
जैसे कृतिका और अलेक्स का गृहप्रवेश हुआ था। गृहप्रवेश के बाद उन्हें कुलदेवता के
सामने ले जाया गया। गौरी को आरती की थाली दी गयी और उसने अपने पति ऐलेक्स के साथ
पूजा अर्चना की। पूजा करने के बाद ऐलेक्स को कमरे के बाहर भेज दिया गया और गौरी को
ऐलेक्स के कमरे में ले जाया गया। वहां पहले से कुछ लड़कियां थीं, जो बिस्तर को फूलों से सजा रही थी, गौरी के मन में घबराहट होने लगी, उसे समझ नहीं आ रहा था की वो क्या करे! जुली और
जैस्मिन ने गौरी को मिरर के सामने बिठाया। पहले मेकअप ठीक किया, फिर कुमाऊनी नथिया को उतार कर उससे भी बड़ा
तीसरा कुमाऊनी नथिया पहना दिया। एक ही दिन में एक के बाद एक बड़ा और डिज़ाइनर
नथिया वो भी इतना बड़ा जो गौरी ने जिंदगी में पहले कभी नही देखा था। वो नथिया काफी
डिज़ाइनर और हैवी था और उसका नाक भी दर्द देने लगा, उस नथिया को पहनकर। फिर उन दोनो ने कृतिका को बनारसी सिल्क
साड़ी पहनाई, हेयर स्टाइल ठीक
किया और गौरी को घूँघट कर के फूलों से सजे बिस्तर पर बिठा दिया। फिर गौरी को गुडलक
विश किया, केसर-दूध का ग्लास टेबल
पर रख दिया। गौरी का दिल जोरों से धड़क रहा था, सांसें भी तेज़ चलने लगी थी, आँखें शर्म से घुघट के बाहर देखने की हिम्मत नहीं कर पा रही
थी और बदन की कंपकंपी रोके नहीं रुक रही थी। गौरी तो अपने पति के इंतज़ार में अपनी
साँसों को कंट्रोल करने की कोशिश करती तो कभी अपनी धड़कनो की स्पीड कम करने को
कोशिश करती। लेकिन गौरी को तो ना ही उसके धड़कनो पर कोई कण्ट्रोल था और ना बदन की
कंपकंपी पर। रह रह कर गौरी को रोने का मन करता तो कभी खुश होने का, बस एक कसक सी रह गयी थी गौरी की। ना तो उसके
माँ बाप को इस बात की जरा सी भी भनक तक नहीं थी कि उनका बेटा गौरव अब एक औरत गौरी
बनकर एक मर्द एलेक्स की दुल्हन बन गयी थी, गौरी को ना तो अपनी माँ का आशीर्वाद मिल सका और ना ही अपने पिता का स्नेह और
यही कसक गौरी के मन को दुखी किये जा रही थी।
गौरी घूँघट में
अपने कशमकश के साथ अपने पति ऐलेक्स के इंतज़ार में कब नींद के आगोश में समां गयी,
इसकी खबर ना तो गौरी को थी और ना उसके चिकने
बदन के ऊपर से फिसलती बनारसी सिल्क साड़ी को। गौरी के जिस्म से वो बनारसी सिल्क
साड़ी फिसल चुकी थी, चोली से बूब्स का
उभर साफ़ झलकने लगी और हर सांस और धड़कन के साथ वे बूब्स ऊपर नीचे हो रहे थे। जब
अलेक्स कमरे में आया तो देखा गौरी सो चुकी थी। गौरी के मदहोश कर देने वाले कर्वी
जिस्म को देखकर खुद को गौरी के जिस्म को छूने से रोक नहीं सका। एक स्पर्श, वो भी एक मर्द का स्पर्श महसूस होते ही गौरी की
आँखें खुल गयी। गौरी ने बिना समय गँवाय अपना घूँघट ठीक किया, बिस्तर से उतर कर ऐलेक्स के पैरों को छूकर अपने
पति का आशीर्वाद लेने को झुकी। ऐलेक्स ने गौरी के कन्धों को पकड़ा और उसे ऊपर
उठाया। गौरी की आँखें अभी भी झुकी थी, घूँघट में सिर झुकाये ऐलेक्स के सामने हाथ में केसर दूध का लिए खड़ी थी।
“गौरी, आज मैं बहुत खुश हूँ, आज तुम्हे अपनी पत्नी के रूप में पाकर मेरी जिंदगी ख़ुशी से
भर गयी है। मैं तुम्हे बता नहीं सकता गौरी कि आज मैं कितना खुश हूँ। आई लव यु गौरी,
आई लव यु सो मच……. !”, ऐलेक्स ने कहा।
“थैंक्स ऐलेक्स,
आई नो की आप मुझसे बहुत प्यार करते हैं और आपको
अपने पति के रूप में पा कर मेरा जीवन धन्य हो गया। आपकी अर्धांगिनी बनकर मैं बहुत
खुश हूँ।”, गौरी ने अपनी आंसुओं को
पोंछते हुए कहा।
“गौरी, क्या हुआ मेरी जान, मैंने गौर किया है तुम किसी बात से बहुत ही ज्यादा दुखी हो।
मुझे बताओ, किस बात से दुखी हो मेरी
जान, मैं तुम्हारे लिए सबकुछ
करने को तैयार हूँ।”, ऐलेक्स ने पूछा।
“ऐलेक्स, मेरी शादी इतनी धूम धाम से हुई, लेकिन मेरी शादी में मेरे घर से कोई भी नहीं था,
मेरी माँ मुझसे इतना प्यार करती है, फिर भी ऐलेक्स कोई भी मेरी शादी में नहीं आया।”,
गौरी इमोशनल होकर बोली।
“गौरी, यु नो ना, मैं तुमसे कितना प्यार करता हूँ। हम हनीमून मानाने इंडिया
जायेंगे। वहां तुम्हारे परिवार से मिलकर उन्हें समझाऊंगा, मुझे यकीन हैं की वो मेरी बात नहीं टलेंगे, थोड़ा हिमायत रखो।”, ऐलेक्स बोला।
“रियली !”,
गौरी ने पूछा।
“हाँ मेरी जान,
हम साथ जायेंगे। आज हमारी सुहागरात है जान,
बताओ क्या गिफ्ट चाहिए ?”, ऐलेक्स ने पूछा।
“यही मेरा सबसे
बड़ा गिफ्ट होगा ऐलेक्स, आई लव यु !”,
गौरी बोली।
“नहीं गौरी,
ये तो तुम्हारा हक़ है। गिफ्ट में क्या चाहिए,
ये बताओ।”, ऐलेक्स ने पूछा।
“ऐलेक्स, गिफ्ट पूछ कर नहीं दिया जाता, आपको जो भी नेग देनी है, आप दे दो।”, गौरी ने हाथों को
फैलाते हुए कहा।
ऐलेक्स ने गौरी
के हाथों में एक गिफ्ट बॉक्स रख दिया। गौरी ने बॉक्स खोलकर देखा तो उसमे इंडिया की
दो फ्लाइट टिकेट्स थीं, साटन नाईटी के
तीन सेट और साथ में एक सोने की चैन, सोने के कंगन, सोने के झुमके,
प्लैटिनम की अंगूठी और सोने की छोटी सी नथिया
थी। गौरी की मुस्कान इस बात की गवाही दे रही थी कि वो कितनी खुश थी। ऐलेक्स ने
गौरी का घूँघट उठाया और माथे पर एक किस्स्स कर लिया। ऐलेक्स की वो किस्स्स गौरी के
तन बदन में सिहरन पैदा करने के लिए काफी थी। इसमें कोई शक नहीं कि लड़कियों को
शादी से ज़्यादा अपनी फर्स्ट नाईट की टेंशन होती है, चाहे लड़की वर्जिन हो या नहीं, टेंशन सबको होती है। अगर वर्जिन लड़की है तो उसे ब्लीडिंग
की टेंशन होती है और अगर कोई वर्जिन नहीं है तो उसे टेंशन होती है कि पति क्या
सोचेगा। गौरी आज भी वर्जिन थी, उसे बस एक ही बात
का टेंशन जो उसे सबसे ज्यादा सता रहा था, वो था सेक्स के दौरान होने वाली दर्द और ब्लीडिंग का डर।
गौरी के गालों का
तिल बहुत ही रोमांचक लग रहा था। गुलाब की पंखुड़ियों की तरह गौरी के होठों को
देखकर ऐलेक्स ने अपना आपा खो दिया। गौरी ने भी अपने गुलाबी होठ ऐलेक्स के होठों पर
टिका दिया। मक्खन की तरह मुलायम गौरी के होठों पर ऐलेक्स के होंठ ऊपर नीचे होने
लगे। ऐलेक्स ने गौरी को किस करते हुए उसके होठों को चूसने लगा। कुछ देर तक गौरी
चुप रहकर अपने होठों को चुसवाती रही। ऐलेक्स को गौरी के सॉफ्ट लिप्स को चूमने में
बहुत मजा आ रहा था। गौरी ने भी ऐलेक्स का साथ दे कर उसका मजा डबल कर दिया। अलेक्स
काफी जोश में आ गया और जोर-जोर से गौरी के होठों को अब चूसने लगा, उसकी सांसे बहुत तेज हो गई और गौरी के मुंह से
सिसकारियां निकलने लगी। हालाँकि गौरी का नथिया अलेक्स और गौरी के होंठो के
किस्स्स्स के बीच रुकावट बन रही थी, लेकिन ऐलेक्स ने गौरी का नथिया नहीं उतारा और उसे जी भरकर किस्स्स्स करता रहा।
गौरी के मुँह से
ममममममम …… ममममममम ……. मममममम ….इसस्स्स्स्…….उ हह्ह्ह्ह…..ओह्ह्ह्हह्ह….”
की सिसकारी निकल रही थी। गौरी के होंठों पर
ऐलेक्स का यूँ चूमना, उसे और भी ज्यादा
उत्तेजित करने लगी थी। ऐलेक्स गौरी की चोली को खोलने लगा पीछे की डोरियों को खोलते
ही गौरी के बूब्स आजाद हो गए। गौरी के बूब्स देखने में बहुत ही ज्यादा गोरे और
टाइट लग रहे थे। गौरी के बूब्स पर काला निप्पल बहुत ही अच्छा लग रहा था। ऐलेक्स ने
पहली बार किसी लड़की के इतने गोरे गोरे बूब्स को देखा था। दूध की तरह गोरे गौरी के
बूब्स को देख कर ऐलेक्स के मुंह में पानी आने लगा।
ऐलेक्स ने गौरी
के निप्पल्स को से उसका दूध पीने के लिए अपना मुंह उसके निप्पल पर लगा दिया। भूखे
बच्चे की तरह गौरी के निप्पल को ऐलेक्स जोर-जोर से खींच खींच कर पीने लगा। गौरी ने
ऐलेक्स के बालों को पकड़ कर जोर-जोर से अपने बूब्स में दबाने लगी। गौरी को ऐसा
करते देख ऐलेक्स का जोश और भी ज्यादा हो गया। ऐलेक्स और जोर-जोर से गौरी के बूब्स
को दबा दबा कर पीने लगा। जोर से दूध पीते ही कभी-कभी ऐलेक्स के दांत गौरी के
निप्पल में गड़ जाते थे। गौरी “उ उ उ उ उ……अअअअअ आआआआ… सी सी सी सी….. ऊँ—ऊँ…ऊँ….” की आवाज निकाल
देती थी। कुछ देर तक गौरी के दूध को पीने के बाद ऐलेक्स ने अपने पजामे का नाड़ा
खोला और अंडरवियर में हो गया। ऐलेक्स का लंड थोड़ा बहुत खड़ा हो चुका था। ऐलेक्स
ने अंडरवियर को अपने लंड से अलग किया, और उसका लंड देखते ही गौरी चौक गई।
“ये तो बहुत बड़ा
है ऐलेक्स!”, गौरी ने चौंकते
हुए कहा।
“तुम्हे पसंद आया ?”,
ऐलेक्स ने पूछा।
“तुम भी ना,
लेकिन ये बहुत बड़ा है, बहुत दर्द होगा !”, गौरी ने कहा।
“दर्द तो होगा
मेरी जान, लेकिन, मीठा दर्द होगा।”, ऐलेक्स ने कहा और गौरी की आधी अधूरी बची हुई बनारसी सिल्क
की साड़ी को उसके जिस्म से उतार दिया।
गौरी अपने दोनों
बूब्स को अपने दोनों हाथों से छुपाकर शरमाते ऐलेक्स की ओर देखने लगी, अलेक्स ऐलेक्स का लंड भी तन कर लम्बा और काफी
मोटा हो गया। था धीरे धीरे ऐलेक्स गौरी के पुरे जिस्म को चूमता हुआ ऊपर से नीचे आ
गया और गौरी की वजाइना के ऊपर अपने होंठ रखकर उसे पुरे जोश के साथ चूमना शुरू
किया। गौरी की सिसकारियां बढ़ने लगी थी, उसकी उत्तेजना भी। एक माहिर खिलाडी की तरह ऐलेक्स गौरी को उत्तेजना की उस चरम
सीमा पर ले जाने को आतुर हो गया था, जहाँ उसे चरम सुख मिलने वाला था। थोड़ी देर बाद ऐलेक्स ने गौरी की आँखों में
देखा। गौरी की आँखें शर्म से बंद थी और ऐलेक्स ने उसे अपनी बाहों में जकड लिया और
उसके होंठों को फिर से चूमने लगा। लेकिन अब ऐलेक्स और गौरी एक्साइटमेंट की चरम
सीमा क्रॉस कर चुके थे, ऐलेक्स का लंड
गौरी की गुलाबी वजाइना के अंदर जाने को बेताब हो चूका था और धीरे धीरे अंदर घुसने
लगा था। गौरी ने ऐलेक्स की ओर देखा, मानो उसे रुकने को कह रही हो लेकिन ऐलेक्स ने बड़े ही प्यार से गौरी के होंठों
पर अपना होंठ और वजाइना के अंदर अपना लंड समा दिया।
गौरी का मुह खुला
का खुला रह गया, आँखे बड़ी बड़ी
करके वो उस दर्द को बर्दाश्त करने की कोशिश करने लगी। फिर ऐलेक्स ने एक जोर का
झटका लगाया और उसका पूरा लंड गौरी की वजाइना में पूरी तरह समा गया। गौरी से दर्द
बर्दाश्त नही हो रहा था, वो रोने लगी और
जोर से बोली आआह आआह ओह माई गॉड, प्लीज्। गौरी के
दर्द को देखते हुए, ऐलेक्स ने उसके
होंठो को चूमना शुरू कर दिया। फिर ऐलेक्स ने अपना लंड बाहर निकाल लिया, गौरी ने देखा ऐलेक्स लंड पर खून लगा था,
ऐलेक्स ने गौरी से कहा कि इसका मतलब है कि तुम
आज तक वर्जिन थी। ऐलेक्स की बात सुनकर गौरी शर्माने लगी और ऐलेक्स को देखकर
मुस्कुराने लगी। ऐलेक्स ने दुबारा अपना लंड गौरी की वजाइना में डाल दिया, इस बार पहले से कुछ कम दर्द हुआ और दोनों के
बीच सेक्स शुरू हो गया।
“प्लीज्, प्लीज्, प्लीज्, ओह आआह, उह, अम्मी, आआह प्लीज्” गौरी आवाज करने लगी, ऐलेक्स को लगा आवाज़ बहुत तेज़ है तो उसने गौरी के होंठो पर
अपना होंठ रख दिया और स्पीड बढ़ाने लगा। गौरी की आवाज़ और ऐलेक्स की स्पीड दोनों
एक ही स्पीड से बढ़ती जा रही थी। और १५ मिनट्स तक लगातार गौरी के साथ सेक्स करते
करते दोनों को एक ओर्गास्म हो गया। ऐलेक्स गौरी को अपनी बाहों में जकड़कर थोड़ी
देर तक वैसे ही लेटा रहा। आज गौरी को उसके जीवन का पहला चरमसुख का अनुभव हुआ था,
जो काफी सुकून से भरा था। ऐलेक्स ने गौरी के
साथ फिर से सेक्स करना शुरू किया और सुबह के ३ बजे तक उसने गौरी के साथ 8 राउंड सेक्स किया और थकने के बाद गौरी को अपनी
बाहों में समेट कर सो गया। गौरी की सुहागरात उसके और ऐलेक्स के लिए यादगार बन गयी
थी, दोनों के चेहरे पर
मुस्कराहट और सुकून की चमक सोते हुए भी साफ़ झलक रही थी।
साल २००५,
गौरी और कृतिका/ज़ोया,
पार्ट – २
दिसंबर २००५
हर लड़की की शादी
के बाद एक नई जिंदगी शुरू होती है। शादी के बाद पहली सुबह दुल्हन के लिए आसान नहीं
होती। अपनो को छोड़कर नए घर में आना कोई मामुली बात नहीं। वहीं शादी की पहली सुबह
लड़की के मन में काफी कुछ चल रहा होता है, खासकर जब उस लड़की ने लड़के के रूप में जन्म लिया हो। गौरी के मन में भी आज
कुछ ऐसा ही चल रहा था, मूडस्विंग्स ने
गौरी को अंदर से परेशान कर रखा था। अपने ससुराल की पहली सुबह, अपने पति ऐलेक्स की बाहों में गौरी की आँख खुली,
सुबह के चार बज रहे थे, ऐलेक्स गहरी नींद में सोया हुआ था और गौरी को अपनेआप में
समेटा हुआ भी था। गौरी ने महसूस किया, एक घंटे पहले तक उसने और ऐलेक्स ने हार्डकोर सेक्स का मजा लिया था और अभी भी
ऐलेक्स का लंड गौरी के वजाइना में उसी जोश के साथ तना हुआ था।
“कहाँ जा रही हो
गौरी, इतनी सुबह सुबह!”,
ऐलेक्स ने पूछा।
“इतनी सुबह हो गयी
है, तैयार होते होते ७ बज
जायेगा, प्लीज् जाने दो ना !”,
गौरी बोली।
“अभी ना जाओ
छोड़कर कर दिल अभी भरा नहीं अभी ना जाओ छोड़कर कर दिल अभी भरा नहीं ……. !”,
ऐलेक्स ने गौरी को छेड़ते हुए गुनगुनाया।
“आप भी ना ……..
अब छोड़ो भी, जाने दो ना !”, गौरी ने अपने आप को ऐलेक्स की मजबूत बाहों से बाहर निकालने की कोशिश करते हुए
बोली।
“अभी अभी तो आई हो,
बहार बन के छाई हो हवा ज़रा महक तो ले, नजर ज़रा बहक तो ले ये शाम ढल तो ले ज़रा! ये
शाम ढल तो ले ज़रा, ये दिल संभल तो
ले ज़रा ……….!”, ऐलेक्स ने एकबार
फिर से गौरी को छेड़ते हुए गुनगुनाया।
“शाम नहीं सुबह हो
गयी है, जाने दो ना प्लीज्,
लेट हो जायेगा।”, गौरी ने शरमाते हुए कहा।
“मैं थोड़ी देर जी
तो लूँ, नशे के घूँट पी तो लूँ!
नशे के घूँट पी तो लूँ ……. !”, ऐलेक्स ने फिर से
गौरी को छेड़ा।
“प्लीज् ऐलेक्स,
मैं बहुत थक गयी हूँ …… !”, गौरी ने ऐलेक्स से रिक्वेस्ट किया।
“बस एक बार फिर से
मैं तुम्हे प्यार करना चाहता हूँ गौरी, सिर्फ एक बार, मना मत करना !”,
ऐलेक्स ने कहा।
“अच्छा, ठीक है बेबी, लेकिन मैं नाहा तो लूँ !”, गौरी ने अपने आप को ऐलेक्स से छुड़ाते हुए कहा।
“महम्म्म्म,
तो चलो, आज हम साथ में ही नहाएंगे।”, ऐलेक्स ने कहा।
“नहीं, मैं अकेले नहाने जा रही हूँ, आती हूँ तो फिर जी भर कर प्यार कर लेना।”,
गौरी चहकते हुए बोली और वाशरूम की ओर जाने के
लिए बढ़ी कि अचानक उसे बहुत दर्द हुआ और वो वहीँ बैठ गयी।
“क्या हुआ मेरी
जान को!”, ऐलेक्स घबराते हुए गौरी
के पास गया।
“बहुत दर्द हो रहा
है।”, गौरी बोली।
फिर ऐलेक्स ने
गौरी को अपनी गोद में उठा लिया और वाशरूम में ले जाकर उसे उतार दिया। गौरी को अपनी
गोद से उतारकर जैसे ही ऐलेक्स वाशरूम से बहार जाने लगा, गौरी ने उसका हाथ पकड़ लिया और खड़ी होकर शरमाते हुए बोली,
“अभी ना जाओ छोड़कर कर दिल अभी भरा नहीं ……..!”
ऐलेक्स को गौरी
का इनविटेशन मिल चूका था, उसने मौका नहीं
गंवाया और गौरी को फिर से अपनी गोद में उठा लिया और दोनों आधे घंटे तक बाथटब में
रोमांस और सेक्स करते रहे। फिर एक बार गौरी को चरमसुख का अनुभव हुआ और अथाह वीकनेस
भी। ऐलेक्स भी संतुष्ट दिख रहा था और मुस्कुराते हुए वो वाशरूम से ऐसे बाहर निकला
मानो कोई जंग जित कर आया हो। थोड़ी देर बाद गौरी कमरे में आयी तब उसने देखा ऐलेक्स
कमरे में नहीं था।
नहाने के बाद
गौरी कमरे में आकर हाथ-मुंह अच्छी तरह से धोकर अब तैयार होने लगी थी, गौरी ने पहले से ही ससुराल में सुहागरात के बाद
के पहले दिन में पहनने के लिए एक हलकी ऑरेंज रंग की साटन साड़ी चूस करके रखी थी।
गौरी का सैटिन से प्यार ही इतना था कि उस ऑरेंज रंग की साटन साड़ी को पहनने से खुद
को रोक नहीं सकी। लहंगा तो गौरी ने शादी के वक़्त पहनी ही थी तो आज साटन साड़ी ही
ठीक रहेगी, गौरी ने सोचा… और अपनी टॉवल उतारकर एक ओर रख दी। गौरी को
बूब्स के ऊपर ब्लाउज पहनते वक़्त हुक लगाने, डोरी बांधने और खोलने में बड़ा मज़ा आने लगा था।
“भले मेरे बूब्स
ज्यादा बड़े नहीं हैं, पर ब्लाउज टाइट
हो तो उसको पहनने का मज़ा ही कुछ और है और इस साड़ी के साथ तो मेरा ब्लाउज भी
डिज़ाइनर वाला है… !” कितनी खुश थी
गौरी उसको पहनते वक़्त।
फिर अच्छी तरह से
मेकअप करने के बाद गौरी ने पेटीकोट चेंज किया और अपनी साड़ी पहननी शुरू की। साटन
की साड़ी बदन पर चढ़ते ही गौरी के जिस्म में कुछ कुछ होने लगा, गौरी खुद को आईने में देखकर मुस्कुराती रही।
“आज तो पुरे दिन
यूँ ही खुबसूरत दिखूंगी मैं… न जाने कितने
लडको की नज़रे रहेंगी मुझ पर!” गौरी नई नवेली
दुल्हन की तरह शरमाते हुए मुस्कुरा रही थी।
गौरी के मन में
तरह तरह के भाव उसे और भी एक्साइटेड कर रहे थे। फिर गौरी ने अपनी साड़ी की पतली
पतली प्लेट बनाकर अपने ब्लाउज पर पिन कर दी।
“इस तरह से
क्लीवेज और कमर दिखाती हुई पतली प्लेट के साथ साड़ी पहनना आजकल मेरी जैसी दुबली
पतली और लम्बी लड़कियों में फैशन है!”, गौरी ने सोचा।
२ घंटे खुद को
सँवारने के बाद बार बार अपने मेकअप को ठीक करने और ढेर सरे ज्वेलरीज खासकर झुमके,
नथिया, कंगन, मंगलसूत्र और मांग में
अपने पति ऐलेक्स के नाम का सिन्दूर भरने के बाद जब गौरी संतुष्ट हो गयी तो नाक तक
साड़ी के पल्लू के छोर से घूँघट करके कमरे से बाहर आयी। सुबह के साढ़े ६ बज चुके
थे, गौरी ने अपनी साड़ी के
आँचल से अपना घूँघट किया हुआ था और वो सीधे पूजा घर में गयी, वहां पूजा आरती की और डाइनिंग हॉल में गयी।
गौरी ने देखा, उसके सास ससुर
आपस में कुछ डिस्कस कर रहे थे। गौरी ने अपने सास ससुर के पाओं छूकर उनका आशीर्वाद
लिया और सीधे किचन में चली गयी, सभी के लिए
नाश्ता बनाने लगी। गौरी ने ब्रेकफास्ट तैयार कर लिया और डाइनिंग टेबल पर अपने पति
ऐलेक्स और अपने सास ससुर को नाश्ता सर्व किया। उन्होंने गौरी को भी अपने साथ
बिठाया और उसे भी साथ में ही नाश्ता करने को कहा। गौरी ने कहा की वो उनसब से खा
लेने के बाद ही खायेगी। गौरी की सास ने उसे समझाया की ये इंडिया नहीं है, यहाँ हम सब साथ में ही नाश्ता भी करते हैं और
साथ में ही खाना भी खाते हैं। गौरी अपने सास के व्यव्हार से बहुत खुश थी, आखिर उसकी सास उसकी गुरु भी थी, उसका कहा गौरी कैसे टाल सकती थी। गौरी उनके साथ
बैठकर एक परिवार की तरह नाश्ता किया। ऐलेक्स अपने ऑफिस को चला गया, गौरी की सास अपने डांस क्लासेज और ससुर अपने
काम पर। गौरी की दोनों ननद, कॉलेज ट्रिप पर
चली गयीं थी, तो घर बिलकुल
खाली हो गया था, घर में काम करने
को कुछ भी नहीं था। थोड़ा बहुत काम भी था, वो नौकरानी दो टाइम आकर कर गयी थी।
गौरी ने लंच
पकाने के बाद रुखसार को कॉल किया, रुखसार ने बताया
कि अर्सलान कुछ दिनों के लिए इंडिया जाने वाला है, वो भी ज़ोया को साथ लेकर। गौरी ने रुखसार से कहा की वो एक
बार ज़ोया से मिलना चाहती है, उसे एक बार मिलवा
दो।
रुखसार बोली,
“अब्बू एक हफ्ते के लिए अपने काम से बाहर जाने
वाले हैं, तब तुम अपने पति के साथ
घर आकर ज़ोया से मिल लेना। वैसे भी पिछले २ हफ़्तों से ज़ोया को एक कमरे में बंद
कर रखा है अब्बू ने, जोया का रोना अब
मुझसे भी बर्दाश्त नहीं होता है, वो दिन भर अपने
कमरे के एक कोने मे बैठी रोटी रहती है। ज़ोया को हम कभी कभी ही देखते हैं, जब भी देखते हैं, अब्बू के साथ देखते हैं। जोया को हर रोज खुद से दुल्हन की
तरह सजना पड़ता है, अब्बू जोया पर
बहुत ज़ुल्म करते हैं। जोया को एक खास तरह का नथिया पहनाते हैं, और पलंग मे एक साइड को उसके नथिया का एक चेन से
जोड़ कर रहने हो मजबूर करते हैं। जोया के कपड़े अम्मी धोती हैं और वही जोया का
ख्याल भी रखती हैं लेकिन जोया बहुत रोती है, काश भाईजान जोया की मदद करते तो शायद जोया को इतना दुख नहीं
झेलना पड़ता लेकिन वो कुछ नहीं करते हैं और अब्बू तो उसे कमरे मे जेल की तरह कैद
करके रखते हैं।”
“मुझे पता है,
ज़ोया की हालत काफी ख़राब होगी, उसे किसी भी तरह वहां से बाहर निकालने में मेरी
मदद कर दो रुखसार, वैसे फ़िरोज़
ज़ोया की मदद क्यों नहीं कर रहा है, वो तो ज़ोया से बेइंतेहा मुहब्बत करता था ना।”, गौरी ने कहा।
“गौरी, फ़िरोज़ भाईजान मदद करते तो आज ज़ोया को इतना
दुःख और तकलीफ नहीं झेलना पड़ता। फ़िरोज़ भाईजान तो एकदम से बदल गए और ज़ोया को
सबसे ज्यादा इसी बात का दुःख है।”, रुखसार बोली।
“हम्म, तुम मेरी मदद करना, मैं ज़ोया को इस हाल में नहीं देख सकती।”, गौरी ने कहा।
फ़ोन डिसकनेक्ट
होने के बाद गौरी फिर से सोचने बैठ गयी।
“ठीक दो साल पहले
तक सबकुछ कितना अच्छा था। मैं भी मर्द थी और ज़ोया भी। कितनी अच्छी लाइफ थी हमारी।
सबकुछ ऐसे बदल गया और हमारी ज़िंदगियाँ उलट पुलट गयी। ज़ोया जब कार्तिक थी,
कितने प्यार से उसने मुज्झे पहली बार एक
हाउसवाइफ होने का सुख दिया था। कार्तिक की माँ ने मुझे कितना प्यार दिया और आज
कार्तिक, ज़ोया बनकर अपने प्यार को
पाने के लिए फ़िरोज़ के अब्बू से निकाह करके ना जाने कैसे उस दलदल में फंस गयी।
मैंने कितना समझाया था ज़ोया को, मत देखो फ़िरोज़
की दुल्हन बनने के रंगीन सपने, आज ज़ोया को
कितना दुःख होता होगा, फ़िरोज़ का अब्बू,
उसी के सामने ज़ोया के साथ जबरदस्ती करता होगा
और फ़िरोज़ ज़ोया का साथ तक नहीं दे रहा है। किसी तरह ज़ोया को उस दलदल से बाहर
निकाल लूँ, फिर ज़ोया और ऐलेक्स का
कोर्ट मैरिज करवा दूंगी और अपने साथ जिंदगी भर रखूंगी। लेकिन कैसे होगा ये सब,
कैसे मैं ज़ोया को उस दलदल से बाहर निकालूँ,
ज़ोया का पति बनकर अर्सलान उसका पूरा फायदा उठा
रहा है, क्या करूँ मैं, मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है।”, गौरी सोच रही थी।
शाम को गौरी ने
अपने पति ऐलेक्स और अपने सास ससुर के लिए डिनर बनाया जिसकी खूब तारीफ हुई। सभी ने
डिनर किया और अपने अपने कमरे में चले गए, गौरी और ऐलेक्स भी अपने अपने कमरे में आ गए। गौरी ने साड़ी चेंज किया और नाईटी
पहनकर बिस्तर पर बैठ कर सोचने लगी। ऐलेक्स ने शॉर्ट्स पहनकर बिस्तर पर बैठकर गौरी
को एकटक निहारने लगा।
“क्या देख रहे हो
!”, गौरी ने ऐलेक्स से पूछा।
“यही कि मेरी जान
ना जाने किन खयालो में खोयी हुई है।”, ऐलेक्स ने कहा।
“कुछ भी तो नहीं बस
ऐसे ही, कृतिका के बारे में सोच
रही थी।”, गौरी बोली।
“क्या हुआ कृतिका
को।”, ऐलेक्स ने पूछा।
“अर्सलान ने
कृतिका को अपनी पत्नी बनाने के बाद, तलाक़ नहीं दिया और फ़िरोज़ भी कृतिका की कोई मदद नहीं कर रहा है। कृतिका के
ऊपर बहुत ज़ुल्म किया जाता है और वो दिन भर रोती रहती है।”, गौरी बोली।
“गौरी, ये तो उनका पारिवारिक मामला है, इसमें इंटरफेयर करना ठीक नहीं होगा।”, ऐलेक्स ने समझते हुए गौरी से कहा।
“आई नो, लेकिन ऐलेक्स, आज कृतिका के साथ गलत हो रहा है। आप मुझसे प्यार करते हो ना,
तो दो काम करोगे मेरे लिए, प्लीज़।”, गौरी ने कहा।
“हाँ जान, दो ही क्यों तुम्हारे लिए हज़ारों काम कर
दूंगा।”, ऐलेक्स ने जोश में कहा।
“नहीं ऐसे नहीं,
पहले मेरी कसम खाओ !”, गौरी बोली।
“भरोसा नहीं है
मुझपर, है ना !”, ऐलेक्स ने कहा।
“भरोसा है बेबी,
लेकिन मुझे डर है की आप मेरी बात नहीं माने तो।”,
गौरी बोली।
“गौरी, तुम मेरी जान हो, मैं तुम्हारे सर की कसम खा कर कहता हूँ, जो तुम मांगोगी, मैं तुम्हे वो दूंगा।”, ऐलेक्स बोला।
“ऐलेक्स, आप बहुत अच्छे हो। कृतिका को उस दलदल से बाहर
निकालने का कोई उपाय निकालो और गौरी से शादी करके इस घर में ले आओ। कृतिका को एक
साथी की जरुरत है, वो जिस मेन्टल
ट्रामा से गुज़र रही है, वहां से निकाल
लाओ। कृतिका और मैं दोनों आपके साथ हनीमून पर चलेंगे। आपने तो हाँ कर दिया है,
मैं कृतिका को तैयार कर लुंगी।”, गौरी बोली।
गौरी की बात
सुनकर ऐलेक्स अवाक् रह गया, लेकिन गौरी ने
ऐलेक्स से कसम ले लिया था जिसे पूरा करना अब ऐलेक्स की जिम्मेदारी थी। ऐलेक्स ने
उसी समय किसी को कॉल क्या, गौरी से अर्सलान
की पिछ और उसके घर का पता दिया और कुछ डिस्कस किया।
“मैंने तुम्हारी
दोनों बात मान ली है गौरी, अब तो तुमख़ुश हो
जाओ। एक हफ्ते के भीतर कृतिका उस दलदल से बाहर होगी और अर्सलान खुद उसे इस घर की
दहलीज़ पर छोड़ जायेगा। अब तो तुम खुश हो ना मेरी जान!”, ऐलेक्स बोला।
“बहुत खुश!”
गौरी बोली और ऐलेक्स के साथ फिर से रोमांस करने
लगी।
गौरी और ऐलेक्स
एकबार फिर से एक दूसरे की बाहों में समां छुए थे, उसके अंग अंग एक दूसरे से चिपके हुए थे और फिर शुरू हुआ
सेक्स और रोमांस का एक अनमोल संगम जिसमे ऐलेक्स और गौरी दोनों डूब चुके थे।
दो दिनों बाद,
घर के सारे काम निपटाने के बाद गौरी घर में
अकेली थी और बिस्तर पर लेटी हुई आराम कर रही थी तभी डोरबेल की आवाज़ सुनकर गौरी ने
नौकर से दरवाज़ा खोलकर देखने को कहा।
“मेमसाब, दरवाज़े पर एक उम्रदराज़ आदमी के साथ दो जवान
औरत खड़ी है, उनके साथ साब जी
की तरह हट्टा कट्टा नौजवान भी है। देखने से मुस्लमान नज़र रहे हैं।”, नौकर बोला।
“ठीक है, उन्हें अंदर बिठाओ, मैं आती हूँ।”, गौरी बोली।
नौकर ने उन्हें
अंदर बिठाया और गौरी ने कपडे चेंज किया और साड़ी पहनकर नीचे गयी।
गौरी जब नीचे आयी
तो देखा, अर्सलान और फ़िरोज़ सर
झुकाये बैठे थे और साथ में रुखसार के साथ ज़ोया बैठी थी। गौरी को देखते ही ज़ोया
दौड़कर उसके पास गयी और गले लगकर जोर जोर से रोने लगी। गौरी ने ज़ोया को पहले तो रोने
दिया और फिर उसे चुप करवाकर अर्सलान और फ़िरोज़ की तरफ गुस्से से देखा। अर्सलान और
फ़िरोज़ के चेहरे सुज़े थे, मानो किसी ने
अच्छे से उनदोनों की धुलाई की हो। गौरी समझ गई और अर्सलान और फ़िरोज़ को जाने को
कहा, अर्सलान और फ़िरोज़ सर
झुकाये वहां से चले गए और रुखसार को गौरी ने थैंक्स कहा और वो भी वहां से चली गयी।
ज़ोया के आँखों के नीचे के डार्क सर्कल्स, कंपकंपाता बदन और बदन में उठता दर्द अर्सलान के किये जुल्म की गवाही दे रहे
थे। गौरी ज़ोया को लेकर अपने कमरे में गयी, जहाँ ज़ोया फिर से रोने लगी।
गौरी ने ज़ोया को
शांत किया और कहा, “कृतिका, मुझे ज़ोया नहीं मेरी कृतिका चाहिए। आज से
ज़ोया मर गयी, आज से मेरी
कृतिका फिर से वापिस आ गयी है। ज़ोया बनना तुम्हारी लाइफ की सबसे बड़ी गलती थी,
कृतिका, लेकिन अब तुम आज़ाद हो।”
ज़ोया ने कहा,
“हाँ गौरी, इन ४ हफ़्तों में मुझे किस नर्क की आग से गुज़ारना पड़ा है,
ये सिर्फ मैं ही जानती हूँ। काश मैंने तुम्हारी
बात मान ली होती गौरी, ज़ोया बनकर सिर्फ
दुःख और दर्द ही झेला है मैंने। वो तो भला हो उस इंसान का, उसे तो मैं जानती भी नहीं जिसने मुझे इन आदमखोरों से बचाया।”
गौरी को मालूम था
कि कृतिका को उन दोनों हैवानो से किसने बचाया। गौरी ने अपने सास ससुर को कृतिका और
ऐलेक्स के रिश्ते के राज़ी कर लिया और कृतिका को मेंटली मोटिवेशन और इंस्पिरेशन
करना शुरू भी कर दिया। अब दिनभर गौरी और कृतिका एक साथ रहती और ढेरों बातें करती।
एक महीने बाद गौरी ने कृतिका को फिर से डांस क्लास ज्वाइन करवा दिया और साथ में
खुद भी अपनी सास को सपोर्ट करने के लिए डांस क्लासेज जाना भी शुरू कर दिया।
“आपको तो पता ही
है, अब आप कृतिका को फिर से
अपना लो, शादी कही कोर्ट में ही कर
लो और फिर हम तीनो एक साथ हनीमून मनाने चलेंगे।”, गौरी स्माइल करते हुए बोली।
अगले ही दिन
ऐलेक्स कृतिका और गौरी कोर्ट पहुंचे। वहां ऐलेक्स और कृतिका की शादी करवा दी गयी।
एक बार फिर दुल्हन बनना कृतिका को अच्छा फील नहीं दे रहा था लेकिन अब गौरी और
ऐलेक्स के सिवा किसी और पर कृतिका को भरोसा भी नहीं था। एक मर्द जिसने ६ महीने साथ
रहकर भी कृतिका को एक बार भी नहीं छुआ था और एक मर्द जिसने १ महीने धोके में रखकर
कृतिका का शोषण किया। कृतिका ने खुद को बड़ी मुश्किल से जोड़ा था, शादी के बाद कृतिका ऐलेक्स और गौरी अपने ससुराल
पहुंचे तो गौरी की सास ने फिर से कृतिका, गौरी और ऐलेक्स का गृहप्रवेश करवाया। गौरी ने कृतिका को सुहागरात के लिए रेडी
करने कमरे में ले गयी ऐलेक्स के घरवाले भी काफी खुश थे।
कृतिका ने आईने
में अपना प्रतिबिंब देखा और एक गहरी साँस ली, गौरी फाइनल टच दे रही थी। कृतिका का चेहरा गोल्ड़
ऑर्नामेंट्स से सजाया था गौरी ने। एक बड़ी नाक की नथिया जो कृतिका के लाल होंठों
को छू रही थी। एक मांगटीका जो कृतिका के भूरे रेशमी बालों के बीच पूरी तरह से बैठा
था। बड़े झूलते झुमकों से कृतिका के कानों को सजाया गया था। कृतिका ने अपने गोरे
हाथों को देखा जो सुहाग के ढेर सारे चूड़े और सोने के कंगन, मेहंदी और चमकदार लाल नेल पॉलिश के साथ बहुत प्यारा लग रहा
था। एक पल के लिए कृतिका को विश्वास नहीं हो रहा था, लेकिन यह सब सच था। कृतिका के गोरे पैरों में भी गहरी लाल
मेहँदी और लाल नेल पॉलिश ने उसकी खूबसूरती पर चार चाँद लगा रखा था, ऊपर से पायलों की झंकार कृतिका को और भी ज्यादा
खूबसूरत बना दिया था। गौरी ने कृतिका को पीले रंग की डिज़ाइनर ज़रदोसी बनारसी
साड़ी में तैयार किया और घूँघट करके सुहागरात की फूलों से सजी सेज़ पर बिठा कर
जाने लगी।
“मुझे अकेले छोड़
कर मत जाओ गौरी, मुझे डर लग रहा
है।”, कृतिका ने गौरी का हाथ
पकड़कर बोली।
“कृतिका, ऐलेक्स अब पति है तुम्हारा और आज तुमदोनो की
पहली रात है। आज की रात अपने पति को समझो और उसे भी तुम्हे समझने का मौका दो। मैं
रहूंगी तो तुमदोनो एक दूसरे को कैसे समझोगी। गुड लक कृतिका!”, गौरी बोली और कमरे से बाहर चली गयी।
ऐलेक्स कृतिका की
आँखों में देखकर बोला, “मैं तुम्हारे
होठों को चूमना चाहता हूँ कृतिका।”
“अब तो मैं आपकी
हो चुकी हूँ।”, कृतिका शरमाते
हुए बोली।
जैसे ही कृतिका
ने आंखें बंद की, ऐलेक्स किसी और
ही दुनिया में था, एक ऐसी दुनिया
जहाँ से वापस नहीं आना चाहता था। कितने रसीले होंठ थे … शब्दों में नहीं बताया जा सकता। ऐलेक्स कृतिका के होंठ को
चूमने लगा था, दोनों के जीभ
एकदूसरे के साथ खेल रहे थे। फिर कृतिका ऐलेक्स के मुंह में जीभ डालकर फिराने लगी।
ऐलेक्स इतना आनन्द से भर गया कि कृतिका के होंठों को ही काट दिया कृतिका की चीख
निकल गई, तब उसने ऐलेक्स को धक्का
देकर छुड़ा लिया।
“आई ऍम सॉरी
कृतिका”, ऐलेक्स बोला।
“इट्स ओके,
आई डोंट माइंड। “, कृतिका बोली।
ऐलेक्स ने फिर से
कृतिका के रसीले होंठों पर अपना होंठ रख दिया और उस ब्लड को चूसने लगा। कृतिका भी
एक्साइटेड हो गयी थी, पैशनेट रोमांस
में ऐलेक्स का कोई जवाब नहीं था और ये पहली बार था जब कृतिका खुद को एक मर्द की
बाहों में सुरक्षित महसूस कर रही थी। ऐलेक्स ने कपड़ों के ऊपर से ही कृतिका के
बूब्स को सहलाना शुरु किया, कृतिका पर सेक्स
और रोमांस का शुरूर छा रहा था और उसकी तेज साँसें इसका सबूत दे रही थीं। ऊपर से
सहलाने के बाद ऐलेक्स ने कृतिका की साड़ी उतार दी और बैकलेस ब्लाउज के अंदर से हाथ
डालकर, उसके बूब्स को ब्रा के
ऊपर से दबाया। कोई विरोध न होने पर ऐलेक्स ने कृतिका की ब्रा को बैकलेस ब्लाउज के
अंदर ही ऊपर उठाकर उसके नंगे स्तन को अपने हाथ में लेकर दबाया। पहली बार किसी मर्द
के द्वारा इतने प्यार से अपने स्तन को छूने के मखमली अहसास से कृतिका सिहर उठी और
उसकी साँसें पहले से भी ज्यादा तेज हो गयीं। ऐलेक्स ने देर न करते हुये कृतिका को
कमर से पकड़कर ब्लाउज उतारने के लिए उठाया। कृतिका ऐलेक्स का हाथ पकड़कर धीरे से
बोली, “रहने दो ना प्लीज।”
लेकिन कृतिका की आवाज में असहमति नहीं बल्कि एक लड़की की शर्म थी। ऐलेक्स ने कृतिका का हाथ हल्के से हटाकर उसके बैकलेस ब्लाउज को फिर उठाया, इस बार कृतिका ने दोनों हाथ उठाकर ब्लाउज निकालने में अपना सहर्ष सहयोग प्रदान किया। अब ऐलेक्स के सामने उसकी दुल्हन हाफ न्यूड थी और कृतिका के बूब्स थे, जो गोल मटोल सुडौल और निप्पल पर हल्के भूरे रंग का था, कृतिका के निप्पल बहुत ही सुंदर थे। अब ऐलेक्स ने देर न करते हुए कृतिका के निप्पल को चूसना शुरू कर दिया। इस अद्भुत अहसास के रोमांच से कृतिका का नरम हाथ अपने आप ही ऐलेक्स के सर पर सहलाने लगी। ऐलेक्स ने कृतिका के बूब्स चूसते चूसते उसकी सफेद ब्रा को उसके शरीर से अलग ही कर दिया। अब वो ऊपर से पूरी न्यूड थी। ऐलेक्स बारी से उसके दोनों स्तनों को चूस रहा था और कृतिका इस असीम आनन्द में गोते खा रही थी।
अब ऐलेक्स कृतिका से अलग हुआ, ऊपर से नीचे तक उसको देखा। कृतिका ने स्त्रीसुलभ लज्जा से अपनी आंखें अपने हाथों से बंद कर ली। ऐलेक्स ने कृतिका के हाथों को आंखों से हटाकर उसको किस किया और उसे गले लगाकर बोला- आई लव यू कृतिका! कृतिका ने भी ‘आई लव यू टू! ऐलेक्स !’ बोलकर ऐलेक्स को किस्स्स्स किया। तब ऐलेक्स ने कृतिका को उठाकर बहुत प्यार से उसे वहां लिटाया। बेड पर ऊपर से न्यूड कृतिका किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही थी। अब ऐलेक्स ने अपने अंडरवियर को छोड़कर बाकी सारे कपड़े निकाल दिए। कृतिका ऐलेक्स के छाती के बालों को देखकर मंत्रमुग्ध हो गयी। ऐलेक्स कृतिका के बगल में लेट गया और उसको ऊपर से नीचे तक चुम्बन करने लगा। उसके बूब्स को पीने के बाद उसकी नाभि को चूमा। कृतिका बस आंख बंद करके आहें भर रही थी।
अब ऐलेक्स ने
कृतिका का पेटीकोट का नाड़ा ढीला किया और उसको नीचे की तरफ खींचा, कृतिका ने अपनी मांसल जाँघों को उठाकर पेटीकोट
निकालने में अपना सहयोग दिया। अब कृतिका केवल पैंटी में थी, उसकी पैंटी भूरे रंग की थी तथा इलास्टिक के पास थोड़ी फटी
हुई थी। कृतिका के काम रस के कारण उसकी पैंटी वजाइना के पास पूरी भीग चुकी थी।
कुँवारी वजाइना की सम्भोग के लिए तैयार हो रही थी। ऐलेक्स ने कृतिका की वजाइना की
दरार में लगे उसके काम रस को पैंटी के ऊपर से ही चाटा तो कृतिका चिंहुक उठी और
अपनी दोनों जंघाओं को उठाकर मजे लेने लगी।
अब ऐलेक्स ने
अपनी दो उंगली कृतिका की पैंटी की इलास्टिक में पैंटी उतारने के लिए डाली। कृतिका
ने पैंटी को पकड़कर अपनी वजाइना को न्यूड होने से रोका, और बोली, “ये मत करो ना,
प्लीज मुझे डर लगता है!” ऐलेक्स ने कृतिका के चेहरे की तरफ देखा उसके चेहरे पर डर और
शर्म के भाव साफ दिखाई दे रहे थे।
कृतिका के चेहरे
का ये भाव, डर समाज की बदनामी का
नहीं, बल्कि उसकी पहली ओर्गास्म
का था। ऐलेक्स ने कृतिका के हाथ को हल्के से हटाकर उसकी पैंटी को धीरे से निकाला।
कृतिका ने अपने कूल्हे थोड़े से उठाकर अपना विरोध खत्म करते हुए पैंटी भी निकल
जाने दी।
कृतिका की वजाइना
के रस और ऐलेक्स के लंड के प्रिकम के कारण चिकनाई की कोई कमी नहीं थी।
कृतिका को ऐलेक्स
ने कहा, “आज तुम्हारा पहली बार है
तो थोड़ा दर्द होगा, बाद में मजा
आएगा।”
उस प्यासी जवानी
के अंदर अब सेक्स की आग लगी हुई थी, कृतिका बोली , “ऐलेक्स आप देर मत
करो, सारा दर्द मैं सह लूँगी।”
ऐलेक्स ने सोचा,
“ठीक है मुझे क्या करना … जब कृतिका हाँ बोल ही रही है तो!”
ऐलेक्स ने लंड को
कृतिका की वजाइना के छेद पर सेट करके हल्का का धक्का लगाया, कृतिका को थोड़ा सा दर्द हुआ और उसकी आह निकल गई।
दोबारा ऐलेक्स ने
देर न करते हुये, अपने दोनों हाथों
को कृतिका के नाज़ुक कंधों पर टिकाकर जोरदार धक्का दिया, ऐलेक्स का आधा लंड कृतिका की कौमार्य झिल्ली को फाड़ता हुआ
उसकी वजाइना में समा गया और वो दर्द के कारण बिन पानी की मछली की तरह तड़पने लगी।
कृतिका की वजाइना
सच में फट चुकी थी और उसमें खून बह रहा था जो ऐलेक्स के लंड को गीला कर चुका था।
ऐलेक्स ने कृतिका
को उसकी वजाइना के बारे में कुछ नहीं बताया, नहीं तो वो उसे आगे नहीं बढ़ने देती। ऐलेक्स ने उसी अवस्था
में लेटे लेटे कृतिका के बूब्स को सहलाता रहा। जब उसका दर्द कम हो गया तो ऐलेक्स
ने अपने आधे ही लंड को अंदर बाहर करना शुरू कर दिया। थोड़ी देर बाद कृतिका को मजा
आने लगा, तब ऐलेक्स ने उसे बताया
कि अभी आधा ही लंड अंदर गया है। अगर वो कहे तो पूरा डाल दे।”
कृतिका बोली,
“अब दर्द तो नहीं होगा?”
ऐलेक्स ने कहा,
“थोड़ा सा होगा। लेकिन यह दर्द एक बार हर लड़की
को सहना ही पड़ता है। आज के बाद दर्द नहीं होगा, केवल मजा आयेगा।”
कृतिका ने अपने
आंसू पोंछते हुए कहा, “ठीक है लेकिन
आराम से डालना, प्लीज्।”
ऐलेक्स ने ओके
बोला, पर उसे पता था कि लंड
कैसे डालना है। ऐलेक्स ने कुछ देर और आधे लंड को अंदर बाहर किया और उसके बूब्स से
खेलता रहा। जब ऐलेक्स को लगा कि अब कृतिका सामान्य हो चुकी है और दर्द सहने के
लिये तैयार है, तब ऐलेक्स ने
अपने दोनों हाथों से उसके कंधों को दबाया और पूरी ताकत से अपना लंड उसकी वजाइना
में डाल दिया।
करीब 10 मिनट की हाहाकारी चुदाई के बाद कृतिका और
ऐलेक्स एक साथ झड़ गए। ऐलेक्स ने उसे किस किया और बगल में लेट गया। बंजर जमीन पर
ऐलेक्स अपना हल जोत चूका था और बरसात ने उस जमीन के सोंधापन की खुशबु को और भी
बढ़ा दिया था। दोनों खुश थे, कृतिका को असली
सुहागरात का मजा पहली बार आया था, लेकिन शराब और
शबाब के नशे में ऐलेक्स और कृतिका वैसे ही एक दूसरे की बाहों में समेटे हुए सो गए।
सुबह कृतिका ने
खुद को गौरी के ऐलेक्स के बीच पाकर शर्माने लगी। गौरी भी न्यूड थी और कृतिका से
चिपकी हुई भी। ऐलेक्स को एक साथ दो दो बीवियों का सुख मिल रहा था। भले ही गौरी और
कृतिका ने आदमी के रूप में जन्म लिया था, लेकिन ऐलेक्स की दुल्हन बनने के बाद उसे दोनों से ही अपनी पत्नी का सुख मिलने
में कोई कसर नहीं रह गया था। गौरी और कृतिका ने साथ मिलकर घर में खाना पकाया,
डांस क्लासेज कंटिन्यू रखी और हनीमून की तयारी
भी करने लगीं। ऐलेक्स कृतिका और गौरी को लेकर हनीमून मनाने इंडिया आ गया। इंडिया
आते ही ऐलेक्स गौरी और कृतिका को लेकर सबसे पहले चंडीगढ़ आया। चंडीगढ़ के हयात रीजेंसी
में ऐलेक्स ने बुकिंग की हुई थी। गौरी और कृतिका के साथ ऐलेक्स ने होटल में चेक इन
किया, ऐज़ ऐ साइंटिस्ट ऐलेक्स
को बड़े ही मान सम्मान के साथ होटल में उसका और साथ ही गौरी और कृतिका का भी
स्वागत किया गया। आज ऐलेक्स की पत्नी होने पर गौरी और कृतिका को गर्व हो रहा था।
ऐलेक्स ने कृतिका के घर फ़ोन किया, अपना इंट्रोडक्शन
दिया और उन्हें अपनी पत्नी के साथ डिनर पर इन्वाइट किया। कृतिका के माँ बाप को समझ
नहीं आ रहा था की ये कौन शख्स है, जो इतने बड़े
होटल में ना जाने किस वजह से मिलने को डिनर पर बुला रहा है। इधर डर से कृतिका की
हालत बहुत ख़राब थी, कैसे फेस करेगी
अपनी माँ बाप को, उसे समझ में नहीं
आ रहा था।
ऐलेक्स और कृतिका
ने गौरी को समझाया कि डरने की जरुरत नहीं है, लेकिन गौरी का डर अपने माँ बाप से कुछ ज्यादा ही था। रात को
डिनर पर भी अपने माँ बाप के सामने आने से गौरी इतना डर गयी थी कि अपने माँ बाप के
सामने भी नहीं गयी। ऐलेक्स और कृतिका डिनर ने टेबल पर गौरी के माँ बाप का स्वागत
किया। गौरी के माँ बाप के पसंद का खाना आर्डर किया हुआ था और ऐलेक्स के गेस्ट होने
के नाते होटल के स्टाफ्स ने उनका बहुत आदर सत्कार किया और गौरी के माँ बाप को भी
इतना रेस्पेक्ट मिला, जिसकी उन्हें
बड़ी ख़ुशी हुई। ऐलेक्स ने उन्हें गौरी के बारे में सबकुछ बताया, कि कैसे और किन मजबूरियों के कारण उसे अपना
जेंडर चेंज करवाना पड़ा और उन्हें समझाया कि वे गौरी को एक्सेप्ट कर लें। गौरी के
माँ बाप जो बचपन से अपने लादले बेटे को इतना प्यार करते थे, उनका दिल पिघल गया, उनकी आँखें अपने बेटे को देखने को तरस गयी थी। लेकिन गौरी की माँ ने ऐलेक्स को
बताया कि उनके घर में गौरव के दुःख तकलीफ को समझने वाला कोई नहीं।
“मेरे बेटे को
अपना जेंडर चेंज करवाना पड़ा, इस बात की
जानकारी आज तक घर में किसी को नहीं दी है हमने, १ साल से अपने बेटे की शक्ल भी नहीं देखी, पता नहीं हमारा बेटा औरत बनकर कैसा दिखता है!
अगर हो सके तो वीडियो कॉल पर एक बार बात करवा दो हमारे बेटे से!”, गौरी के पिता रोते हुए बोले।
“वीडियो कॉल की
क्या जरूरत है, हम आपको आपके
बेटे से यही मिलवा देंगे। कृतिका, तुम माँ जी को
रूम में ले जाओ, हम थोड़ी देर में
आते हैं।”, ऐलेक्स ने कहा।
जब कृतिका गौरी
की माँ को लेकर रूम में आयी तब गौरी की माँ की नज़रें अपने बेटे को ढूंढ रही थीं।
जब गौरी ने अपनी माँ को देखा तो इमोशनल हो गयी और अपनी माँ के गले से लगकर रोने
लगी। गौरी के स्पर्श मात्र से उसकी माँ ने उसे पहचान लिया और दोनों खूब रोये। जब
गौरी पहली बार अमेरिका गयी थी तब वो मर्द थी और जब वहां से औरत बन कर लौटी थी।
गौरी की माँ ने गौरी को बहुत प्यार किया, लेकिन जब उनकी नज़र गौरी के गले में पड़ी मंगलसूत्र और मांग के सिंदूर पर पड़ी
तो बहुत ही ज्यादा शॉकेड हो गयी। गौरी की माँ समझ गयी थी कि उनका बेटा गौरव औरत ही
नहीं बल्कि एक सुहागन औरत भी बन चूका था।
गौरी की माँ ने
इमोशनली गौरी से पूछा, “बेटी, तुमने शादी कर ली, एक बार हमे बता तो देती।”
“माँ, आप और पापा इतने गुस्से में थे कि मेरी हिम्मत
नहीं हुई आपको ये बात बताने की लेकिन माँ, यकीन मानो मैंने मजबूरन अपना सेक्स चेंज ऑपरेशन करवाया नहीं तो शायद आज मैं इस
दुनिया में नहीं होती।”, गौरी रोते हुए
बोली।
“ऐसे नहीं बोलते
गौरी बिटिया, तू औरत बनकर
कितनी खूबसूरत दिखने लगी है, मैं बता नहीं
सकती। वैसे दामाद जी कहाँ हैं, हमे उनसे भी
मिलना है।”, गौरी की माँ
बोली।
“उनसे तो आप मिल
ही चुकी हो माँ, उनका नाम ऐलेक्स
है, वो नासा में साइंटिस्ट
हैं।”, गौरी बोली।
“वो तो कृतिका के
पति हैं?”, गौरी की माँ बोली।
“हाँ माँ, और ऐलेक्स मेरे भी पति हैं। हम दोनो को
उन्होंने ही सहारा दिया, वो नहीं होते तो
ना ना जाने क्या होता।”, गौरी बोली।
“गौरी, एक सौतन के साथ जिंदगी कैसे बिताओगी?”, गौरी की माँ बोली।
“माँ, मेरे कहने पर ऐलेक्स ने कृतिका को सहारा दिया,
अपना नाम दिया है। कृतिका मेरी बेस्ट फ्रेंड भी
है और एक दूसरे का ख्याल भी रखते हैं।”, गौरी बोली।
“बेटा फिर भी,
एक सौतन हमेशा सौतन ही रहेगी, ध्यान रखना मेरी बात।”, गौरी की माँ बोली।
थोड़ी देर बाद
ऐलेक्स गौरी के पिता के साथ रूम में आये, अपने बेटे को साड़ी में, गले में
मंगलसूत्र और मांग में सिन्दूर देखा तो वो भी दंग रह गए। गौरी को ऐसे किसी की
पत्नी के रूप में देखना उनके लिए शॉक भरा था, लेकिन जब उन्हें मालुम हुआ कि ऐलेक्स ने गौरी से शादी की है
तो उन्हें बहुत सुकून हुआ। गौरी के माँ बाप ने उसे ऐलेक्स की पत्नी और अपनी बेटी
के रूप में एक्सेप्ट कर लिया। गौरी को अपने पति को वापसी में घर होकर अमेरिका जाने
को कहा और अपने दामाद और गौरी के साथ साथ कृतिका को भी आशीर्वाद देकर दोनों घर चले
गए। गौरी खुश थी की उसके माँ बाप ने उसे एक्सेप्ट कर लिया था और ऐलेक्स को थैंक्स
भी कहा। गौरी की ख़ुशी ने कृतिका और ऐलेक्स को ख़ुशी की वजह दे दी थी। अब ऐलेक्स
ने टाइम बर्बाद किये बिना अगले दिन गौरी और कृतिका के साथ हनीमून मानाने शिमला चला
गया। ऐलेक्स ने १५ दिन १४ रातों का हनीमून पैकेज में एक भी दिन जाया नहीं जाने
दिया और सेक्स और रोमांस से अपनी दोनों नयी नवेली दुल्हनों को भरपूर प्यार किया।
गौरी और कृतिका का कली से फूल बनने का सफर १५ दिनों में पूरा हो चूका था और दोनों
का जिस्म पहले से ज्यादा भरा भरा सा दिखने लगा था। गौरी के घर एक दिन के लिए स्टे
करने के बाद ऐलेक्स अगले ही दिन गौरी और कृतिका के साथ अमेरिका वापिस आ गए।
नेक्स्ट मंथ गौरी और कृतिका को उनके प्रेग्नेंसी के बारे में मालूम चला, दोनों बहुत ही ज्यादा खुश, इमोशनल और लेबर पेन के दर्द के डर से घबरा भी
गयीं थी। किसी तरह एक हफ्ते तक गौरी और कृतिका ने अपनी प्रेग्नेंसी को छिपाये रखा
लेकिन एक दिन उनकी सास ने उन्हें खट्टा कहते हुए देखकर समझ गयीं कि उनकी दोनों
बहुएं प्रेग्नेंट हैं। गौरी और कृतिका की सास, ननद और पति ऐलेक्स ने अगले ८ महीनो तक उनका बड़ा ख्याल रखा।
९वे महीने में, प्रसव का समय नज़दीक आने पर गर्भवती महिलाएं अचानक बहुत भावुक हो जाती हैं। उनका मूड लगातार बदलने लगता है और उनके स्वभाव में चिड़चिड़ापन आ जाता है, और यही गौरी और कृतिका के साथ भी होने लगा था। ये सारे लक्षण शिशु के जन्म से पहले हार्मोन में बदलाव होने की वजह से नज़र आते हैं। जब ये लक्षण नज़र आने लगा, तो समझने में देर नहीं हुआ कि लेना चाहिए कि प्रसव और लेबर पेन शुरू होने का समय करीब आ गया है। वैसे तो महिलाओं के मन में लेबर पेन को लेकर कई तरह की शंकाएं और सवाल होते हैं। खासकर, पहली बार गर्भ धारण करने वाली महिलाएं प्रसव के समय होने वाले दर्द के बारे में सुनकर बहुत चिंतित हो जाती हैं, गौरी और कृतिका भी चिंतित हो गयीं थीं। गौरी और कृतिका को संकुचन- जब लगातार और थोड़ी-थोड़ी देर पर गर्भ की मांसपेशियों में खिंचाव महसूस होने लगा था और अधिक समय तक तीव्रता से होता जा रहा था। १० मिनट में दो से तीन बार संकुचन (कॉन्ट्रेक्शन) होना शुरू हो चूका था जिसका मतलब था कि अब डिलीवरी का समय नजदीक आ गया है। गौरी और कृतिका को एक ही दिन लेबर पेन शुरू हो गया, ऐलेक्स ने उन्हें पिट्सबर्ग मेडिकल सेण्टर जो अमेरिका का सबसे बड़ा हॉस्पिटल था, वहां एडमिट करवा दिया।
गौरी और कृतिका को बच्चे को जन्म देते समय होनेवाले दर्द की तुलना किसी अन्य तरह के दर्द से भी नहीं किया जा सकता था। दुनिया का कोई भी व्यक्ति यह नहीं बता सकता कि कितनी हड्डियों के टूटने पर कितना दर्द होता है। जब गौरी ने अपने बच्चों को गोद में लिया, अपना दूध पिलाया तो वे अपने आंसू रोक नहीं पायी। यह एक खुशी का ऐसा लम्हा था, जब गौरी और कृतिका ने आखिरकार उस चेहरे को देखा जिसकी कल्पना वे दोनों पिछले 9 महीनों से कर रही थी। गौरी और कृतिका ने लड़को को जन्म दिया जिसकी ख़ुशी ऐलेक्स को भी थी और घर में भी सभी बड़े खुश थे। जब गौरी और कृतिका हॉस्पिटल से डिस्चार्ज होकर घर आयी और उनदोनों ने अपनी सास से दर्द के बारे में बात की तो उन्होंने कहा कि तुम दोनो बहुत कमज़ोर हो और शायद इसीलिए तुम दोनों को इतना अधिक दर्द हो रहा था। काफी समय बाद, मुझे पता चला कि कि प्रेगनेंसी के बाद महिलाओं को बहुत अधिक दर्द महसूस होता है और हैरानगी की बात है कि इसके बारे में ज़्यादा बात नहीं की जाती। बच्चे के जन्म के बाद गौरी कृतिका के शरीर में विटामिन डी की इतनी अधिक कमी हो गयी थी कि 5 मिनट से अधिक समय तक खड़े रहने से उन्हें दर्द होने लगता था। गौरी और कृतिका के शरीर में गम्भीर दर्द महसूस होता था, विशेषकर जोड़ों में। विटामिन डी की गोलियां और इंजेक्शन लेने के बाद यह समस्या ठीक होने लगी। एक और समस्या जो अक्सर गौरी और कृतिका महसूस करने लगीं थी, वह है पैरों में चोट या दर्द, यह अक्सर बैठने और बच्चे को दूध पिलाते समय महसूस होता था। अब गौरी और कृतिका मातृत्व का अनुभव होने लगा था, माँ होना क्या होता है, इस बात से दोनों ही अनजान थीं, लेकिन अब माँ होने की ख़ुशी और अपनी सास से मिला सपोर्ट और केयर उन्हें उनके दर्द का अनुभव नहीं होने देती। गौरी और कृतिका के बच्चे बहुत ही क्यूट थे, दोनों दिन में दसों बार अपने बच्चों को दूध पिलाती, ४ टाइम्स डाबर आयल से मालिश और मसाज दिन में करतीं और रात में सोने से पहले एक बार। गौरी और कृतिका अपने पति से ज्यादा अपने बच्चों के साथ रहती।
३ महीने बाद,
गौरी और कृतिका का शरीर नार्मल होने लगा था और
घर में दोनों बच्चे ज्यादातर समय गौरी और कृतिका के सास ससुर ननद और पति की गोद
में ही खेलते, लेकिन जब जब दूध
पिलाने की बारी आती तो गौरी और कृतिका उन्हें दूध पिलाती। थोड़ा बहुत रोमांस करने
का समय ऐलेक्स को मिलता, जिसमे कभी गौरी
के साथ रोमांस करता तो कभी कृतिका के साथ। गौरी के बेटे का नाम हरिओम और हैरी रखा
गया जबकि कृतिका के बेटे का नाम शंकर और शैंकी रखा गया। हैरी और शैंकी अब बड़े
होने लगे थे, ६ महीने के बाद
दोनों बच्चो को गौरी और कृतिका के दूध के साथ काऊ मिल्क और सेरेलक भी दिया जाने
लगा। गौरी और कृतिका अपने अतीत को भुला कर अपने वर्तमान को एक्सेप्ट कर लिया था और
अपने पति और बच्चो के साथ अपनी लाइफ में आगे बढ़ने लगीं थी।
२०२०
आज गौरी और कृतिका के बच्चे बड़े बड़े हो गए थे और प्ले स्कूल भी जाने लगे थे। ऐलेक्स अपने बच्चो को लेकर खुद से स्कूल छोड़ने जाता और घर आकर गौरी और कृतिका के साथ जी भरकर रोमांस और सेक्स करता। गौरी और कृतिका के अंदर की औरत का रूह अपने पति के प्यार को पाने के लिए हमेशा तैयार रहती। ऐलेक्स गौरी और कृतिका की लाइफ में आज सबकुछ बहुत अच्छा है। गौरी और कृतिका के मा बाप भी अक्सर उनसे मिलने और अपने नातियों के साथ समय बिताने साल मे एक बार अमेरिका आ जाते, जिसकी वजह से गौरी और कृतिका और भी खुश हो जातीं। इससे ज़्यादा क्या चाहिए था गौरी और कृतिका को, एक प्यार करने वाला पति, उनका ख़याल रखने वाले सास ससुर, दो प्यारे प्यारे बच्चे और एक हैप्पी फॅमिली।
गौरी और कृतिका की लाइफ अब सेट हो चुकी थी, ऐलेक्स भी अपने काम मे खूब तरक्की कर रहा था और अब उसे एक एक बच्चा और चाहिए था, वो भी बेटियाँ, जो गौरी और कृतिका की तरह सुंदर हो।
Gaurav se gauri banna 14din k lie,kartik mas papa ka gauri ka bahu manna tak story bahot jada intresting thi,
ReplyDeleteBut Firoz k aane k bad story me wo dum nahi raha
Gaurav ko kritika k ghar le jana chahiye the,waha gauri ki kritika se shadi karai jati to acha lgta