राजा महेश कुमार एक विशाल और समृद्ध राज्य के शासक थे। शुरू में उनका शासन काफी अच्छा रहा जहां पूरे राज्य में समृद्धि थी पर जैसे-जैसे उनकी उम्र बढ़ती गई उनके शासन शैली में दिक्कत आने लगी।वे राज्य का काफी धन बेकार कामों में लगाने लगे जिस कारण से कई मंत्री और राज्य के लोग उनसे नाराज हो गए थे।राजा ज्यादा समय नृत्य देखने में व्यतीत करने लगे जिससे कि रोजमर्रा राज दरबार में अमान्य स्थिति आ गई थी।राज्य के कई मंत्री और सैनिक राजा के व्यवहार से दुखी और चिंतित रहते थे।लोगों ने कई बार राजा को समझाया कि वह थोड़ा ध्यान राज पाठ पर भी दें पर राजा ने उनकी एक न सुनी उनकी इस लापरवाही का फायदा जल्दी ही दुश्मन उठाने वाले थे।
उसी राज में भानूमल नाम का मंत्री रहता था जो की राजा से इर्ष्या करता था।उसने जब देखा कि राजा का ध्यान अपने राज्य पर नहीं है तो उसने राजा को गद्दी से हटाने की सोची।सबसे पहले उसने दरबार के कई मंत्री को अपनी तरफ शामिल किया और फिर एक रात उसने राजा महेश कुमार को उनके कक्ष में ही मार डाला।रातों रात राजा को मारने के बाद भानूमल ने राजा के करीबी और परिवार वालों को मारना शुरू कर दिया।कई लोग अचनाक से हुए हमले से हैरान थे और किसी तरह अपनी जान बचाने के लिए इधर उधर भागे।कई रानी को मार दिया गया या बंदी बना दिया गया।सुबह होते ही राज्य में एलान कर दिया गया की राजा महेश कुमार की आचनक मृत्यु होने के बाद मंत्री भानूमल राज्य के नए राजा होंगे।राज्य के लोगों को लगा की कुछ गड़बड़ जरूर है पर वो लोग कुछ कर भी तो नहीं सकते थे उन्हें लगा कि कमसे कम नया राजा उनकी बात तो सुनेगा।कुछ ही दिनों में भानूमल राजा बन गया और उसकी ताज पोसी भी हो गई।महेश कुमार के सारे करीबी और परिवार वाले या तो मारे जा चुके थे या बंदी बनाया जा चुका था और कुछ तो राज्य छोड़ कर भाग गए थे।
भानूमल से बचते हुए एक मंत्री भागे थे जिनका नाम गोपाल था और उनकी पत्नी जिनका नाम राधा था।वो पिछले राजा के बेहद करीबी थे इसलिए जब राजा को मारा दिया गया और उनके परिवार को भी मारा जा रहा था तब गोपाल और राधा ने राजा के सबसे बड़े बेटे चंद्रा को महल से चुप चाप निकल लाए।कुछ दिन राज्य में गुप्त तरीके से रहने के बाद वो दूसरे राज्य की तरफ निकल गए।गोपाल ने निकलते समय ढेर सारे गहने और सोने के सिक्के अपने साथ ले आया था।राजकुमार चंद्रा को राधा ने लड़कियों के कपड़े पहना दिया था ताकि राजकुमार को राज्य के लोग ना पहचान पाए।गोपाल को जब मालूम हुआ कि भानूमल ने राजा महेश के सारे रिश्तेदार और करीबी को मरवा दिया है तो उसे लगा की अब राजकुमार चंद्रा को बचाने के लिए उसे कहीं दूर ही ले जाना होगा क्योंकि राजकुमार ही राजा गद्दी के हकदार हैं।
राजकुमार चंद्रा जब कई दिनों से लगातार चलते चलते नए राज्य में पहुंचे तो वो गुस्सा हो गया।एक लड़का और ऊपर से राजकुमार होने के बावजूद भी उसे एक लड़की के कपड़े पहन कर घूमना पड़ रहा है और उसके बाकी के घरवाले कहां है।गोपाल ने पहले सोचा था कि राजकुमार को कुछ नही बताएगा पर जब राजकुमार जिद करने लगा तब गोपाल ने ना चाहते हुए भी बताया कि कैसे राजकुमार के पिता,माता और बाकी परिवार को मार दिया गया है और अब वो ही सिर्फ बचा है।राजकुमार चंद्रा के आंखों में आंसू थे और मन में गुस्सा भी था।उसने गोपाल और राधा से माफी मांगी और कहा की अब से वही उसके अपने हैं और समय आने पर वो भानुमल से बदला भी लेगा।राजकुमार उस वक्त लगभग 14 साल के थे और इतनी समझ थी की वो क्या बोल रहा था।गोपाल ने नए राज्य में रहने का इंतजाम कर लिया था और फिलहाल वो नए राज्य में ही चुपके से रहने वाले थे।
वो तीनों नए राज्य में रहने लगे।मंत्री ने नए राज्य में कई नए गुप्तचर और दोस्त बना लिया।गोपाल को जब मालूम हुआ कि भानूमल अभी भी राजकुमार के पीछे पड़ा है तो उसे बहुत चिंता होने लगी।कुछ ही दिन में भानुमाल के सैनिक को नए राज्य में देखने के बाद उसने सबसे पहले राजकुमार का बाहर निकलना बंद कर दिया।उसकी पत्नी राधा ने कहा की वो राजकुमार को पूरी जिंदगी घर में कैद करके तो नही रख सकते हैं और राजकुमार को अपना बदला भी तो लेना है।बहुत सोचने के बाद राधा को लगा की अगर राजकुमार लड़कियों की तरह रहेगें तो वो बाहर घूम भी सकेगें और प्रशिक्षण भी ले सकेगें और लड़की के भेष में वापस महल भी जा सकते हैं।राधा ने यह बात गोपाल और राजकुमार को बताई।राजकुमार ने पहले तो मना कर दिया पर उसे भी बाद में लगा की फिलहाल यही एक तरीका है वापस महल जाके हक लेने का।
अगले ही दिन से राधा राजकुमार चंद्रा को लड़कियों की तरह तैयार होना,उनकी तरह चलना और रहने सिखाने लगी।राजकुमार को कुछ समय तो बहुत दिक्कत हुई पर धीरे धीरे वो लड़कियों की तरह ही तैयार होके और उनकी तरह ही बाकी काम करने लगा।गोपाल ने एक जाने माने वैद्य से एक ऐसी औषधि लाई जो की राजकुमार के शरीर को धीरे धीरे लड़कियों जैसा बना देता।राधा ने राजकुमार को नृत्य भी सिखाने लगी और घर के काम भी सिखा दिया।लगभग चार साल तक राधा राजकुमार को प्रशिक्षण देती रही।अब राजकुमार चंद्रा का शरीर बदल कर बिल्कुल एक युवती जैसा हो गया था और उसके शरीर पर बड़े स्तन,लंबे बाल और चिकनी त्वचा उसे एक युवती बना रहे थे बस उसका लिंग ही उसे मर्द होने का याद दिलाता था।उसे देख कर कोई नहीं कह सकता था की वो एक लड़का और ऊपर से राजकुमार होगा।गोपाल ने कहा था की राजकुमार वापस औषधि लेकर पूर्ण रूप से वापस मर्द वाला शरीर पा सकते है इसलिए राजकुमार ने पहले औषधि लेकर स्त्री वाला शरीर पा लिया।राजकुमार चंद्रा अब राजकुमारी चित्रा बन गए थे।गोपाल ने एक नृत्य समूह में राजकुमारी चित्रा को शामिल करवा दिया और उस नृत्य समूह को भानूमल के राज्य में भेज दिया।
राजकुमारी चित्रा अपने पुराने राज्य में पहुंची तो उसकी आंखें नम हो गई।वो पुराने दिन याद करने लगी जब वो एक राजकुमार थी और उसके पिता उस राज्य के राजा थे।भानुमल के राज में अफसरशाही और गुसखोरी बढ़ गई थी और पूरे राज्य में डर का माहौल था।राजकुमारी चित्रा और उसके साथ के समूह के लोग महल में पहुंचे जहां उन्हें एक कमरा दिया गया रहने के लिए।असल में समूह के लोग गोपाल के गुप्तचर थे और गोपाल खुद भी भेष बदलकर राज्य में आया था।अगले दिन ही राजकुमारी चित्रा और उसके समूह ने भानूमल के सामने नृत्य किया और सारे दरबार के लोगो ने नृत्य को खूब पसंद किया।कुछ ही दिनों में राजकुमारी चित्रा के नृत्य ने सबका मन मोह लिया था और भानूमल भी चित्रा की ओर आकर्षित था।चित्रा ने भानूमल के बड़े बेटे अर्जुन को अपनी ओर आकर्षित करने लगी।कुछ ही दिनों में ऐसा हो गया की भानूमल और अर्जुन दोनो ही चित्रा के प्यार में पड़ गए।चित्रा को जब ये बात पता चली तो उसने दोनो को प्यार में लुभाने लगी।
चित्रा और उसके समूह के लोग पूरे महल में घूम घूम के अलग अलग जानकारी जुटने लगे थे।चित्रा खुद ही उस महल के सारे गुप्त कमरे और रास्ते जानती थी।उसने और उसके साथियों ने जल्द ही महल में हो रही सारी बातें जानकारी प्राप्त करनी शुरू कर दी थी।उन्हें ये पता चल गया था की भानूमल के प्रति राज्य में नाराजगी बढ़ती जा रही है।चित्रा ने महल में नृत्य करना जारी रखा और वो अब भानूमल को और लुभाने लगी थी।अब भानूमल और चित्रा के बीच बातचीत होने लगी थी और अर्जुन से भी बात होने लगी थी।चित्रा ने मौके का फायदा उठाते हुए दोनों बाप बेटे के बीच आग लगाने लगी थी जिससे भानूमल और अर्जुन के बीच दरार बढ़ने लगी।चित्रा ने अर्जुन को उसक्का दिया की भानूमल किसी और अपना उत्तराधिकारी घोषित करने वाला है।
सबकुछ ठीक चल रहा था जब चित्रा को पता चला की भानूमल के एक वरिष्ठ मंत्री को उस पर शक होने लगा है।चित्रा ने गोपाल को यह खबर भेजी और गोपाल ने वापस जवाब भेजवाया की मंत्री जब तक मंत्री अपना मुंह खोले उससे पहले ही उससे मरवा दो और साथ में अर्जुन को भी मार दो।चित्रा और उसके समूह के लोग ने योजना बनाई और उसके बाद रात में पहले चित्रा ने खुद अर्जुन को पीछे से चाकू की मदद से गला काट दिया और मंत्री को खाने में जहर देके मार दिया।भानूमल को जब ये बात पता चली तो वो बहुत जोर से रोने लगा और उसे चित्रा और उसके समूह पर शक भी हुआ।भानूमल ने अर्जुन का अंतिम संस्कार किया और अर्जुन और मंत्री के मौत की जांच के आदेश दिए।जांच करने वाला मंत्री गोपाल का करीबी था इसलिए उसने भानूमल को यह बताया कि चित्रा और उसके समूह के लोग बिल्कुल निर्दोष है और मौत की जांच आगे करनी पड़ेगी।राजा को जानकर अच्छा लगा की चित्रा निर्दोष है और उसने जाकर चित्रा से माफी मांगी और उसे शादी के लिए प्रस्ताव रखा।चित्रा ने भी शादी के लिए हामी भर दी।
चित्रा और भानूमल की शादी की तारीख तय हो गई थी।चित्रा ने महल के अंदर अपने साथी को घुसने लगी थी।अब महल में उसके समर्थन में काफी लोग थे।गोपाल भी महल में दूसरे भेष में आ गया था।भानूमल ने चित्रा को महल के अंदर काफी ताकत दे दी थी जिसका पूरा ज्यादा चित्रा उठा रही थी।शादी का दिन भी जल्द ही आ गया था।योजना यह थी की चित्रा मंडप में बैठिगी और गोपाल के संकेत का इंतजार करगी और उसके बाद मंडप में ही भानूमल को मार देगी।इन सब के बीच उसके आदमी भोज में बैठे भानूमल के सैनिक और सेनापति को जहर देके या तलवार से काट कर मार देगें।चित्रा ने भानुमल को कह के आधे से ज्यादा सैनिकों को भोज में बैठवा दिया था।शादी के लिए चित्रा को दुल्हन की तरह तैयार किया गया था और वो वाकई में बहुत खूबसूरत परी जैसी लग रही थी।
चित्रा को मंडप में बैठा दिया और शादी की रस्म शुरू हो गई थी।शादी देखने के लिए पूरे राज्य से लोग आए थे और मंडप को पूरे लोग देख पा रहे थे।चित्रा ने एक चाकू अपने कमरबंध के पास छुपा कर रखी हुई थी।वहीं दूसरी तरफ चित्रा के आदमी ने अपना काम शुरू कर दिया था और धीरे धीरे सारे सैनिक मरने लगे,थोड़ी भगदड़ मचने लगी तो तलवार से मार चालू हो गई।गोपाल ने मौका देखते हुए भानूमल के सेनापति को मार दिया और बाकी सैनिक को आत्मसमर्पण करने को कहा।बहुत सारे सैनिकों ने अपनी जान बचाने के लिए आत्मसमर्पण कर दिया।इन सब चीजों में काफी समय लग गया और उधर चित्रा और भानूमल की शादी लगभग खत्म होने वाली थी,उनके फेरे खत्म हो गई थी।चित्रा को अंदर से डर था की कहीं उनकी योजना विफल न हो जाए।गोपाल दौड़ते हुए आया और इशारा किया की योजना का एक भाग पूरा हो गया है।
चित्रा ने एक झटके में अपना चाकू निकल कर बीच शादी में ही भानूमल के गले पर जोर से झटके से रेत दिया।भानूमल वहीं मंडप में गिर पड़ा और पूरे भीड़ में शामिल लोग हैरान और आश्चर्यचकित हो गए थे।कुछ सैनिक दौड़ कर चित्रा की तरफ बढ़े तो गोपाल ने उन्हें रोक दिया और चित्रा के बाकी साथी भी आ गए थे।चित्रा ने मंडप के पास बने हुए मंच पर जाके जोर से भीड़ को संबोधित किया और अपनी पूरी कहानी बताई की वो एक राजकुमार होते हुए भी एक राजकुमारी और नर्तकी बन कर अपना हक लिया और जनता को भानूमल के आतंक से आजाद किया।सारी बातें सुनकर भीड़ में खुशी की लहर दौड़ गई और सब लोग जोर से ताली बजाने लगे।चित्रा ने जनता से कहा की वो पिछले राजाओं से बेहतर काम करेगी।
कुछ दिन बाद चित्रा की ताजपोसी होनी थी।राधा भी महल में आ गई थी।चित्रा को अब यह चिंता थी कि वो वापस मर्द बनके एक राजा की तरह कैसे राज करेगी क्योंकि उसका शरीर अब बहुत ही स्त्रीव हो गया था।गोपाल और राधा से बहुत बात करने के बाद और खुद भी सोचने के बाद चित्रा ने बाकी जिंदगी एक स्त्री की ही तरह और एक रानी बनकर ही राज करने का फैसला किया।राधा और गोपाल ने उसे आशीर्वाद दिया और उसके फैसले का स्वागत किया।कुछ दिन बाद सारे जानता के बीच चित्रा ने राजगद्दी संभाली।चित्रा अपने साड़ी और आभूषण में काफी सुंदर और आकर्षक रानी लग रही थी।कुछ लोग नाराज थे की एक औरत राजगद्दी पर बैठी है पर वो लोग यह भी जानते थे की वो औरत ही गद्दी की असली वारिस है।
रानी चित्रा का सासनकल शुरू हुआ और कुछ ही महीनों में उनके राज में काफी प्रगति होने लगी थी।राज्य के लोग विशेष तौर पर महिलाएं खुश थी।गोपाल को चित्रा ने अपना विशेष सलाहकार बनाया।रानी चित्रा को दूसरे राज्यों से राजाओं से शादी का प्रस्ताव आता रहता है जिससे वो हर बार ठुकरा देती थी।राधा के कहने पर रानी चित्रा ने एक राजकुमारी से शादी कर लिया।शादी में दोनो दुल्हन की तरह तैयार होकर मंडप में बैठी पर चित्रा ने ही पति का रस्म अदा की शादी में।सुहागरात में चित्रा ने अपनी पत्नी के साथ यौन-क्रिया किया और अपनी पत्नी को पूरा शारीरिक सुख दिया और उनकी पत्नी भी उस समलैंगिक यौन-क्रिया से खुश थी क्योंकि चित्रा का लिंग पूरी तरह से एक मर्द वाला ही था।रानी चित्रा का राजपाठ और निजी जिंदगी भी बहुत अच्छा चल रहा था।रानी चित्रा ने अपने अंदर के औरत की प्यास बुझाने के लिए कुछ युवक के साथ यौन-क्रिया करके देखा कि एक औरत की तरह यौन-क्रिया करना कैसा होता है।रानी चित्रा समझ गई कि उन्हें मर्द और औरत दोनो के साथ यौन-क्रिया करने में मजा आता है पर एक औरत के साथ जायदा अच्छा लगता है।रानी चित्रा ने आगे चल के और भी दूसरी राजकुमारियों के साथ विवाह किया और कुछ राजकुमारी गर्भवती भी हो गई।रानी चित्रा की सारी पत्नी उनसे खुश थी क्योंकि वो उनके साथ काफी समय बिताती थी और उनके कपड़े और गहने भी पहनती थी और कई बार साथ में ही तैयार होती थी।रानी चित्रा के राज में जनता,उनकी पत्नियां और उनके महल के लोग सब खुश थे और राज्य प्रगति कर रहा था।रानी चित्रा ने एक मिसाल कायम कर दिया था की एक औरत भी एक राज्य की राजगद्दी बैठ कर अच्छे तरह से राज्य के समृद्ध और विकासशील बना सकती है।
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