ये कहानी काफी कॉम्प्लिकेटेड है, समझ नहीं आता कि कहाँ से शुरू करूँ।
ईयर 2010,
ट्विन्स बच्चे
सबको बहुत अच्छे लगते है, लेकिन ट्विन्स
होने का दर्द मुझसे ज्यादा कोई नहीं समझ सकता। मैं और मेरी बहन ट्विन्स के रूप में
जन्म लेने के बाद परिवार में सभी बहुत ही ज्यादा खुश थे। मेरा नाम ऋषभ वर्मा और मेरी बहन का नाम संजना वर्मा, हम दोनों ट्विन्स
होने के कारन एक जैसी कदकाठी, एक जैसी नैन नख्श
और यहाँ तक कि अगर चोट संजना को लगती तो रात को सोते समय दर्द का एहसास मुझे भी
होता। लेकिन मुझे कुछ भी होता तो संजना उस दर्द का थोड़ा भी एहसास नहीं होता।
हमदोनो का स्वाभाव एक जैसा था, लेकिन संजना
मुझसे ज्यादा शरारती थी। मेट्रिक की परीक्षा पास करने के बाद मैंने आर्ट्स से
इंटरमीडिएट की पढाई की वहीँ मेरी बहन ने साइंस से इंटरमीडिएट की पढ़ाई की।
इंटरमीडिएट की पढाई ख़त्म करने के बाद ग्रेजुएशन के तीन साल मैंने और मेरी ट्विन
सिस्टर ने एक ही कॉलेज से। कॉलेज में राजेश जो मेरी बहन का बॉयफ्रेंड था और श्वेता
गर्लफ्रेंड थी।
लाइफ में सबकुछ
अच्छा चल रहा था, लेकिन मेरे
ऑर्थोडॉक्स माँ बाप को जब मेरी गर्लफ्रेंड और संजना के बॉयफ्रेंड के बारे में पता
चला तो वो बहुत गुस्सा हुए। मेरे माँ बाप ने श्वेता को लेकर मुझसे तो कुछ भी नहीं
कहा, लेकिन संजना को राजेश को लेकर बहुत डांटा और
फाइनल ईयर में कॉलेज छुड़वाकर उसकी शादी अपने दोस्त के बेटे अर्जुन से साथ फिक्स कर
दी। मेरी बहन ने शादी का बहुत ऑप्पोज किया, लेकिन वो नहीं माने और मेरी बहन को एक कमरे में बंद करके
अपना तालिबानी फैसला सुना दिया। राजेश मेरी बहन से बहुत प्यार करता था और मुझे
यकीन था कि वो मेरी बहन को शादी के बाद बहुत खुश रखेगा। संजना जितना रोई उतना पहले
कभी नहीं रोई, मैं अपनी बहन के
दर्द को बखूभी समझ पा रहा था, लेकिन इस बात से
ना तो मेरी माँ को कोई फ़र्क़ पड़ा और ना ही मेरे पापा को। मुझसे रहा नहीं गया तो मैं
अपने माँ बाप से बात करने गया।
मैं: पापा,
आप ये सही नहीं कर रहे हैं, ऐसे में संजना की लाइफ हेल हो जाएगी। संजना
राजेश से बहुत प्यार करती है और राजेश भी।
पापा: उस नामुराद
का नाम मत लो ऋषभ। संजना की शादी तय की जा चुकी है और एक महीने बाद उसकी शादी है।
जाओ अपने कमरे में और मुझे शांति से पेपर पढ़ने दो।
मैं: पापा,
अर्जुन के साथ संजना कभी खुश नहीं रह सकेगी,
आप प्लीज् उसके साथ ऐसा मत करो!
पापा: अज़ी सुनती
हो! अपने बेटे को समझाओगी या मैं समझाऊं!
इतने में मेरी
माँ वहां आ गयी और मुझे कमरे में ले गयी।
माँ: दिमाग ख़राब
हो गया है ऋषभ? ये क्या कर रहे
हो? तुम्हारे पापा का गुस्सा
जानते हो ना, संजना की शादी अर्जुन
से फिक्स हो चुकी है और अब चाहे जो भी हो, संजना को अर्जुन से शादी करनी पड़ेगी।
मैं: लेकिन माँ,
तुम तो समझो, संजना अर्जुन से नहीं राजेश से प्यार करती है और वो दोनों
एक दूसरे से शादी करना चाहते हैं।
माँ: मैं जानती
हूँ मेरे बच्चे लेकिन मैं कुछ नहीं कर सकती। अब इस शादी को कोई नहीं रोक सकता,
जा तू अपने कमरे में आराम कर, मैं तेरे लिए कुछ खाने को पका कर ले आती हूँ।
मैं: ओके मम्मी!
मैं अपने कमरे
में जा रहा था, लेकिन फिर मैं संजना
के कमरे में चला गया और उसके पास बैठ गया। मुझे देखते ही संजना मुझसे लिपट कर बहुत
रोई, मैंने उसे शांत किया और
उसे समझाया कि मैं उसकी और राजेश की शादी जरूर करवाऊंगा। मेरी बात सुनकर संजना को
बहुत हिम्मत मिली। इतने में माँ कमरे में आयी, मुझे और संजना को ख़ुशी ख़ुशी बातें करते देख बड़ी खुश हुई।
मैंने संजना के साथ ब्रेकफास्ट किया और मैंने संजना को राजेश के साथ भगाने की
प्लानिंग करने के लिए राजेश को कॉफी शॉप बुलाया।
कॉफी शॉप में,
मैं: राजेश,
मेरी बहन तुमसे बहुत प्यार करती है लेकिन मेरे
माँ बाप को तुम पसंद नहीं हो। अब मैंने और संजना ने फैसला किया है कि तुम्हारी और संजना
की शादी मंदिर में होगी। तुम्हे इस बात से कोई ऐतराज़ है तो अभी बता दो, शादी के बाद तुम्हारे माँ बाप मेरी बहन को
एक्सेप्ट तो करेंगे ना!
राजेश: डोंट
वोर्री ऋषभ, तुम्हारी बहन को
मेरे माँ बाप ने वैसे तो एक्सेप्ट कर चुके हैं और वो तो संजना को बहु के रूप में
देखने को वैसे भी मुझसे ज्यादा बेचैन रहते हैं। लेकिन मैंने उन्हें संजना की शादी
के बारे उन्हें कुछ भी नहीं बताया है।
मैं: हम्म,
मैं तुम्हारे पेरेंट्स से बात करना चाहता हूँ।
राजेश: तो चलो,
मैं तुम्हे घर ले चलता हूँ।
जब मैं राजेश के
साथ उसके घर गया तो उसके पेरेंट्स का स्वाभाव और उनका आदर सत्कार देखकर मुझे संजना
की पसंद पर प्राउड फील हुआ। राजेश के पेरेंट्स को ना तो दहेज़ में कुछ चाहिए था और
ना ही किसी तरह के गिफ्ट्स। राजेश के पेरेंट्स संजना को अपनी बहु के तौर पर ही
देखते थे और मुझे ये सब देखकर बड़ी ख़ुशी हुई। मैंने राजेश से शादी का डेट फिक्स
करने को कहा, इसपर राजेश ने
कहा कि वो इन सब पर बिलीव नहीं करता। राजेश कल ही संजना से शादी करने के लिए तैयार
हो गया। मंदिर में शादी की तयारी करने को बोलकर मैं घर आ गया। मैंने संजना को
बताया कि वो अपनी आई कार्ड्स और ग्रेजुएशन सर्टिफिकेट्स को पैक कर ले और जो भी
कपडे पैक करने हैं, उसे भी पैक कर
ले। अगले दिन मैं संजना को शॉपिंग करने के बहाने मार्किट ले गया और वहां से सीधे
मंदिर। राजेश के परिवार ने पहले से ही ब्यूटिशियन को बुला रखा था और जब मेरी बहन
दुल्हन के रूप में तैयार हुई तो फोटोग्राफर ने उसकी काफी तस्वीरों को क्लिक
किया।
मैंने श्वेता और
कुछ दोस्तों को भी मंदिर में बुला लिया। राजेश दूल्हे की तरह तैयार हो चूका था और
पंडित ने कहा कि मुहूर्त का सही समय आ चूका है। राजेश के राइट साइड में संजना को
घूँघट करके बिठा दिया गया। राजेश ने मेरी बहन के साथ सात फेरे लिए, मैंने संजना का कन्यादान किया और फिर राजेश ने
मेरी बहन की नाक में अपने हाथों से नथिया पहनाया, मांग में सिन्दूर भरा और सभी के आशीर्वाद के साथ मेरी बहन
अब लीगली राजेश की पत्नी बन चुकी थी। संजना को राजेश के साथ जाते देख मैं थोड़ा
इमोशनल हो गया लेकिन मुझे ख़ुशी थी कि अब संजना और राजेश को कोई दूर नहीं कर सकता।
मेरी बहन को राजेश और उसके पेरेंट्स के साथ विदा करने के बाद मेरे दोस्तों ने
मुझसे हमदर्दी जताई और वहां से चले गए। मैं काफी देर तक श्वेता के साथ बैठकर इस
फैसले का नेगेटिव रिएक्शन के बारे में बात कर रहा था। मेरे इस कदम का मेरे घर में
मेरे ऊपर क्या इम्पैक्ट पड़ेगा इसको सोच सोच कर मुझे बहुत डर लग रहा था। मैंने
हिम्मत करके श्वेता से कहा कि अब चाहे हो हो सो हो, मुझे मेरे इस कदम का कोई अफ़सोस नहीं है। शाम को जब मैं
अकेले घर पर पहुंचा तो घर पर सिर्फ मम्मी थी।
माँ: ऋषभ,
संजना कहाँ है? वो तो तुम्हारे साथ शॉपिंग करने ही गयी थी ना?
मैं: मम्मी,
मैंने संजना की शादी करवा दी राजेश के साथ।
माँ: ये क्या कर
दिया तुमने ऋषभ! हे भगवान्! ऋषभ तुम्हे अंदाज़ा भी है कि तुमने क्या किया है?
सब बर्बाद कर दिया तुमने!
मैं: मैंने कुछ
भी बर्बाद नहीं किया है मम्मी, संजना की शादी
करके मैंने उसकी जिंदगी बर्बाद खोने से बचाई है और इस बात का मुझे जरा भी अफ़सोस
नहीं है।
मैं मम्मी से ऐसे
बोलकर अपने कमरे में चला गया लेकिन मेरी मम्मी वहीं बैठकर रोने लगी। मेरी मम्मी
जानती थी कि इस एक्शन का क्या रिएक्शन होने वाला है और इसी रिएक्शन से बचाने के
लिए वो मुझसे खफा हो गयी थी। रात को पापा घर पर आये तो मम्मी ने उन्हें पूरी बात
बताई, संजना की शादी की खबर सुनते ही मेरे पापा का गुस्सा सातवें
आसमान पर जा पहुंचा। पापा ने मम्मी से कहा कि वो तुरंत मुझे उनके सामने लेकर आये
और इससे पहले की मम्मी मेरे कमरे में आती, मैं पापा के सामने खड़ा
था। मेरे पापा बहुत गुस्से में थे,
उसकी आँखें लाल हो चुकी
थी लेकिन मेरे सामने पड़ते ही वो शांत होकर बैठ गए और इसकी उम्मीद ना तो मम्मी को
थी और ना ही मुझे। पापा की आँखों में आंसूं थे और वो मेरी और संजना की वजह से थे।
मैंने पापा से कहा कि वो मुझे जो भी सजा देंगे मैंन उसे स्वीकार करूँगा लेकिन वो
प्लीज् रोना बंद कर दें। पापा की आँखों से आंसू नहीं रुक रहे थे, मुझे और मम्मी को समझ में बिलकुल भी नहीं आ रहा था कि आखिर उनके गुस्से को
आंसुओं ने कैसे रेप्लस कर दिया।
मैं: पापा, प्लीज्, आप मुझे जो सजा देना है दे दो, लेकिन प्लीज् आप रो मत!
माँ: क्या हुआ जी, आपको आज से पहले मैंने ऐसे कभी नहीं देखा है। आप प्लीज् शांत हो जाइये।
पापा: अब मैं
क्या बोलूं, मेरे बेटे से मुझे ऐसे धोखे की उम्मीद तो कतई नहीं थी लेकिन इससे भी
बड़ी एक ऐसी प्रॉब्लम खड़ी हो गयी है,
जिसके कारण अब हमारा
परिवार हमेशा के लिए बर्बाद हो जायेगा।
माँ: क्यों जी, ऐसे क्यों कह रहे हो आप! शादी ही तो की है संजना ने, लेकिन उससे हमारा परिवार बर्बाद हो जाये, ये नहीं हो सकता!
पापा: तुम नहीं
जानती हो, संजना की शादी मैंने अपने जिस दोस्त के बेटे के
साथ तय की है, मैं उसी की कंपनी में जॉब करता हूँ। मेरा दोस्त
और उसके बेटे अर्जुन को संजना इतनी पसंद है कि वो सिर्फ फोटो देखकर ही संजना से
शादी करने को तैयार हो गया। मेरे दोस्त ने मेरा प्रमोशन कर दिया और कंपनी का सीओओ
बना दिया और अब संजना ने किसी और से शादी कर ली है। मैं अपने दोस्त की नज़र में गिर
जाऊंगा, मेरी इज़्ज़त ख़ाक में मिल जाएगी और शायद मेरी नौकरी भी छीन ली
जाये। मैं अपने दोस्त को कैसे धोखा दे दूँ, उन्होंने शादी की
तैयारियों में कितने पैसे उड़ेल दिए हैं उतने में ऐसे पांच घर आ जायेंगे।
माँ: लेकिन संजना
की शादी तो हो चुकी, वीडियोग्राफी, फोटोग्राफी के साथ वहां
गवाह भी थे। अब आप एक काम करो, कल ऑफिस जाना तो अर्जुन को घर भेज देना, मैं उसे समझने की कोशिश करुँगी।
पापा: ठीक है।
माँ: अब खाना खा
लो और रेस्ट करो!
अगले दिन, मेरे पापा ऑफिस गए और मैं कॉलेज। इस बीच अर्जुन और मम्मी के बीच डिस्कशन हुआ।
मेरी मम्मी ने पहले तो अर्जुन के पसंद का खाना बनाया और खाना खाने के बाद वो उससे
बातें करने बैठ गयी। काफी देर बातें करने के बाद अर्जुन ख़ुशी ख़ुशी लौट गया। शाम को
जब मैं घर आया तो मम्मी को बहुत खुश देखा। मैंने मम्मी से पूछा कि क्या अर्जुन आया
था और उससे बातें हुई? मेरी मम्मी ने बताया कि उसने अर्जुन को समझा
दिया है और मैं खुश हो कर कमरे में चला गया। मैंने संजना को वीडियो कॉल किया और
उसे बताया कि अब घर में सब ठीक है लेकिन मम्मी पापा ने राजेश को अभी एक्सेप्ट नहीं
किया है, थोड़ा टाइम लगेगा लेकिन सब ठीक हो जायेगा। अब सब पहले जैसा
हो गया था, रात को पापा आये तो वो भी बड़े खुश थे। मेरी समझ
में नहीं आ रहा था कि आखिर मम्मी इतनी बड़ी बात को इतनी आसानी से कैसे हैंडल कर
लिए।
रात को पापा और
मम्मी आपस में बातें कर रहे थे और मैं भी जानना चाहता था कि आखिर मम्मी ने ऐसा
कैसा जादू चलाया जो सबकुछ ठीक हो गया। मैं मम्मी पापा के कमरे के दरवाज़े पर खड़ा हो
गया और उनकी बातें सुनने लगा।
माँ: सुनिए,
अर्जुन को तो मैंने मना लिया है लेकिन उसे अपने
परिवार की इज़्ज़त को बचाने के लिए दिखावटी ही सही, लेकिन ये शादी तो करवानी ही पड़ेगी!
पापा: अच्छा कल
सुबह ऋषभ से इस बारे में बात करते हैं, देखते हैं ऋषभ की क्या राय है इस बारे में!
माँ: देखिये इतनी
मुश्किल से मैंने शादी को छह महीने आगे बढ़वा दिया है। ऋषभ से कुछ भी कहने की जरुरत
नहीं है। आप ये सब मुझपर छोड़ दो, मैं संभाल लुंगी।
आप जॉब पर ध्यान दो।
पापा: हम्म,
ठीक है। इस मैटर को अब तुम ही हैंडल करो,
चलो सोते हैं, बड़े दिनों बाद अच्छी नींद लूंगा मैं।
इधर पापा मम्मी
की बातें सुनकर मैं काफी कंफ्यूज था। आखिर ऐसा क्या था जो पापा मुझसे शेयर करना
चाहते है और मम्मी नहीं। खैर अब सब ठीक था तो मैंने भी इन बातों पर ज्यादा ध्यान
नहीं दिया और अपने पढ़ाई पर फोकस करने लगा। मैं यूपीएससी की तयारी कर रहा था और
पिछले एक तीन चार दिनों से मैं अपने पढ़ाई पर फोकस नहीं कर पा रहा था तो मैं पढ़ाई
करने बैठ गया।
दिन गुजरने लगे,
संजना की शादी को
दो महीने हो चुके थे, वो घर आना चाहती थी, मम्मी पापा से मिलना चाहती थी। मैंने मम्मी से इस बारे में बात की तो वो मान
गयी और उन्होंने पापा को भी मना लिया। संजना को राजेश के साथ घर आने का दिन तय हुआ
उस दिन पापा ने ऑफिस से छुट्टी भी कर ली थी। राजेश अपनी स्विफ्ट कार में बिठाकर संजना
और अपने माँ बाप के साथ पहली बार घर आयी। मेरी मम्मी और पापा ने संजना और राजेश और
उसके पेरेंट्स का स्वागत किया। मेरी बहन बहुत खुश हुई और काफी दिनों के बाद मम्मी
पापा से मिलकर इमोशनल भी हो गयी। फिर मेरे साथ काफी देर संजना ने टाइम स्पेंड किया
और उसने मुझे बताया कि ससुराल में उसे बहु नहीं बल्कि बेटी की तरह ट्रीट करते हैं
और वो गर्भवती भी है। ये बात सुनकर मैं बहुत खुश हो गया, मैं मामा बनने वाला था और मैं काफी एक्साइटेड हो गया था। उधर राजेश और उसके
माँ बाप से मेरे मम्मी पापा मिलकर बहुत खुश हुए और राजेश को आशीर्वाद देकर उसके
पेरेंट्स के साथ विदा किया। संजना कुछ दिनों तक घर पर रहना चाहती थी तो वो यहीं
रुक गयी। शादी के बाद संजना में काफी बदलाव आया और वो पहले से काफी बदल चुकी
थी।
इधर घर में मेरे
पसंद का खूब ख्याल रखा जाना भी काफी अजीब था। मैंने संजना को बताया कि उसकी शादी
के बाद मम्मी पापा मेरी पसंद का कुछ ज्यादा ही ख्याल रखते हैं। मेरे लिए ड्राई
फ्रूट्स, फेवरेट चॉकलेट मिल्क,
चॉकलेट्स और मेरे पसंद की पीएसपी भी घर में थी।
पढ़ाई से मेरा काफी हटने लगा था और संजना आये दिन मुझसे पढ़ने को कहती लेकिन मेरा मन
अब पढ़ाई में कम और पीएसपी पर गेम खेलने में कुछ ज्यादा ही मजा आने लगा था।
तीन महीने गुज़र
चुके थे,
मेरे अंदर भी
बदलाव शुरू हो चुके थे जो थोड़े अजीब थे। क्यूंकि मैं एक लड़का था और मेरे चेस्ट में
स्वेलिंग, टॉयलेट में ब्लड का आना
और पेट के निचले हिस्से में अजीब दर्द फील होना मुझे परेशान करने लगा था, लेकिन इन बातों को मुझे किसी से भी शेयर करने
में बहुत हिचकिचाहट हो रही थी। कुछ दिनों तक तो मैने किसी तरह बर्दाश्त किया लेकिन
अब मेरा दर्द, चेस्ट की सोइलिंग
और टॉयलेट का ब्लड आना मुझे काफी ज्यादा दर्द देने लगा था। मैंने फैसला किया कि
मैं मम्मी को ये बात बताऊंगा और मैं बिस्तर से उठा और किचन की ओर बढ़ा लेकिन किचन
में आलरेडी संजना और मम्मी के बीच बहस चल रहा था।
संजना: मम्मी,
तुमने सही नहीं किया, आखिर तुम ऐसा कैसे कर सकती हो?
माँ: संजना,
हमारे पास दूसरा कोई रास्ता नहीं था बेटे। ये
आखिरी विकल्प था और इसके लिए अर्जुन को भी कोई आपत्ति नहीं थी। घरों की इज़्ज़त और
मान सम्मान भी कुछ ऐसी चीज़ होती है जिसे नेग्लेट नहीं किया जा सकता है।
संजना: लेकिन माँ,
आप और पापा मेरे एकलौते भाई के साथ ऐसा कैसे कर
सकते हो?
मेरे साथ क्या कर
रहे थे मेरी मम्मी पापा? अब तो इस
कन्वर्सेशन को सुनना और भी ज्यादा जरुरी हो गया था।
माँ: संजना,
तुम्हे मैंने बताया ना, सिर्फ इसी शर्त पर इन दो परिवारों की दोस्ती और घर की इज़्ज़त
को बचाया जा सकता है और मैंने और तुम्हारे पापा ने सिर्फ इसी शर्त पर हाँ किया था।
अब पीछे नहीं हट सकते संजना और प्लीज् इस बारे में ऋषभ से कुछ भी मत कहना।
संजना: माँ,
आप गलत कर रही हो, ऐसा कोई माँ अपने बेटे के साथ कभी नहीं करती लेकिन तुम्ह
करो जो तुम्हारा मन में हो, मैं कल ही ससुराल
जा रही हूँ।
मम्मी और संजना
दोनों का कन्वर्सेशन लगभग ख़त्म ही होने को था लेकिन तभी मैं किचन में आ गया।
मैंने माँ और संजना
से इस बारे में जानने की कोशिश की, लेकिन संजना
मुँह फेरकर कमरे में चली गयी और माँ अपनी आंसुओं को पोछते हुए खाना बनाने में लग
गयी। किसी ने मुझे कुछ भी नहीं बताया और मैं अपना दर्द बर्दाश्त करके अपने कमरे
में जाकर सोचने लगा कि आखिर मम्मी और संजना किस बारे में बात कर रहे थे।
रात को मेरे पेट
में फिर से दर्द शुरू हो गया और इस बार मेरे बर्दाश्त के बाहर हो चूका था। मैंने
मम्मी को आवाज़ लगाई और मेरे दर्द को देखते हुए मम्मी पापा ने मुझे हॉस्पिटल में
एडमिट कर दिया। हॉस्पिटल में मेरे ब्लड टेस्ट्स, अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट्स और सिटी, एमआरआई स्कैन के रिपोर्ट्स आने के बाद मुझे डॉक्टर्स चैम्बर
में ले जाया गया और वहां डॉक्टर ने मुझसे सवाल करना शुरू कर दिया।
डॉक्टर: तो ऋषभ
आपको ये दर्द कबसे है?
मैं: पिछले एक
महीनो से!
डॉक्टर: आपको
क्या क्या प्रॉब्लम होती है?
मैं: पेट दर्द,
चेस्ट में सोइलिंग और टॉयलेट करते समय
ब्लीडिंग!
डॉक्टर: हम्म!
पिछले एक महीने से खाने पीने में कुछ बदलाव, जैसे कोई चीज़ आपने पहले कभी नहीं खायी हो और अब अचानक से
आपको वही चीज़ खाने में अच्छा लगने लगा हो!
मैं: हाँ डॉक्टर,
मैं कभी गोलगप्पे नहीं खाता था और खट्टा तो
मुझे बिलकुल भी पसंद नहीं, लेकिन पिछले एक
महीनों से गोलगप्पे और उसकी खटास अच्छी लगने लगी है।
डॉक्टर: ओके,
आपका फेवरेट कलर?
मैं: पिंक और
बैंगनी!
डॉक्टर: आपको
कैसी मूवीज पसंद है?
मैं: रोमांटिक और
कभी कभी सेक्सी मूवीज भी।
डॉक्टर: ओके,
आपकी कोई गर्लफ्रेंड है?
मै: हांजी है!
डॉक्टर: आपको
आपकी गर्लफ्रेंड में सबसे ज्यादा क्या पसंद है?
मैं: उसकी आवाज़,
चलने का तरीका और उसका ऑवर गिलास बॉडी शेप!
डॉक्टर: हम्म!
वैसे मैं आपसे इतने सवाल कर रहा हूँ, एक पल को आपको अजीब लगेगा, लेकिन आपके
मेडिकेशन्स से पहले ये सवाल जरुरी है!
मैं: ओके डॉक्टर,
कोई बात नहीं।
डॉक्टर: आपका
फेवरेट हीरो?
मैं: जॉन अब्राहम
और ह्रितिक रोशन!
डॉक्टर: लेकिन आप
तो काफी स्लिम हैं और आपके पतले बाजुओं को देखने से लगता नहीं है कि आपने कभी जिम
में कसरत भी की है!
मैं: मैं कभी जिम
नहीं गया डॉक्टर, मैं स्लिम हूँ और
मुझे स्लिम रहना ही पसंद है।
डॉक्टर: आपकी
फेवरेट एक्ट्रेस?
मैं: रानी
मुखर्जी और दिया मिर्ज़ा!
डॉक्टर: हम्म!
ठीक है ऋषभ, अब आप अपने रूम
में जाकर रेस्ट करो और अपने मम्मी पापा को अंदर भेज देना।
मैं: ओके डॉक्टर!
मैं अपने रूम में
जाकर बिस्तर पर लेट गया और मम्मी पापा को डॉक्टर के केबिन में भेज दिया।
डॉक्टर: जैसा
आपने कहा था, आपके बेटे के
शरीर में हार्मोनल चेंजेज़ शुरू हो चुके हैं और ऋषभ के शरीर में फीमेल ऑर्गन्स कक
डेवलपमेंट शुरू हो चूका है और साथ ही वो ऑर्गन्स अपने अपने सही जगह पर सेट होने
लगे हैं। मेडिसिन्स ने अपना असर बखूबी दिखाया है और अब ऋषभ के ऑपरेशन का सही समय आ
चूका है!
मेरे पापा: तो
फिर कब ऑपरेशन करेंगे आप और पहले कौन सा ऑपरेशन करेंगे आप?
डॉक्टर: पहले जो
सर्जरी की जाती थी उसे ब्रैस्ट ऑग्मेंटेशन, या फिर मैमोप्लास्टी भी कहा जाता है। लेकिन दो महीने में ऋषभ
का चेस्ट पूरी तरह ब्रैस्ट में तब्दील करने के लिए अब मैमोप्लास्टी की कुछ खास
जरुरत नहीं है। क्यूंकि अब हमारे पास कुछ ऐसी भी मेडिसिन्स हैं, जिससे सिर्फ मेडिसिन्स की सहायता से घर बैठे
ब्रैस्ट ऑगमेंटशन की जा सकती है। ऋषभ को दो महीने सिर्फ मेडिसिन्स खानी है और आयल
मसाज करना है। मैं कुछ मेडिसिन लिख रहा हूँ जिससे ऋषभ के शरीर के अंदर फीमेल
ऑर्गन्स का विकास स्लो और पूर्णतया होगी। दो महीनों में ऋषभ का चेस्ट ब्रैस्ट में
कन्वर्ट हो जायेगा और होर्मोनेस भी अपना असर दिखाना शुरू कर देगी। चूँकि मेडिसिन्स
के प्रभाव से ऋषभ का पेनिस अब सिर्फ दिखावे का रह गया है और अब ऋषभ के शरीर के वाय
क्रोमोसोम्स भी अगले कुछ महीनों में एक्स क्रोमोसोम्स में तब्दील हो जायेंगे।
मैंने जो मेडिसिन्स लिखे हैं इससे ऋषभ का दर्द भी खत्म हो जायेगा और शरीर लड़कियों
की तरह हो जायेगा। लेकिन ध्यान रहे, ब्रैस्ट ऑग्मेंटेशन के एक साल के भीतर ही ऋषभ का वजिनोप्लास्टी करवा देना होगा
क्यूंकि एक साल के अंदर ऋषभ के शरीर के अंदर फीमेल ऑर्गन्स पूरी तरह से डेवेलोप
होकर अपना अपना जगह ले चुके होंगे। ज्यादा देर करने पर ऋषभ की जान को खतरा भी हो
सकता है, इस बात का खास ध्यान रखना
भी बहुत जरुरी है।
मेरी माँ: ओके
डॉक्टर।
मेडिसिन्स लेकर
रिपोर्ट्स के साथ मैं अपने मम्मी पापा के साथ घर आ गया। मुझे इस बारे में कोई आइडिया नहीं था कि आखिर चल क्या रहा
है। ये सब मेरे लिए नेचुरल प्रॉब्लम था। घर आने के बाद मम्मी और पापा ने मुझसे
रेस्ट करने को कहा और संजना को मेडिसिन देकर कहा कि वो मुझे टाइम टू टाइम मेडिसिन
खिला दिया करे। संजना ने मुझे मेडिसिन्स दी और मुझे समझाया भी कि इन मेडिसिन्स को
कैसे खाना है। अगले दिन संजना ससुराल चली गयी और मैं फिर से अकेला हो गया। मैंने श्वेता
को अपनी प्रॉब्लम बताई और उससे कहा कि मैं बहुत जल्द उससे मिलूंगा। मेडिसिन्स लेते
रहने की वजह से मेरे चेस्ट की सोइलिंग, पेट का दर्द और टॉयलेट की ब्लीडिंग रुक गयी। मम्मी ने मुझे बताया कि चेस्ट पर
तेल से कैसे मसाज करनी है और मैं हर रोज़ अपने हाथों से अपने चेस्ट पर मसाज करना
शुरू कर दिया।
चूँकि मैं दिनभर
घर में ही रहता और पीएसपी पर वीडियो गेम्स खेलता रहता तो मेरा दिन बिलकुल भी
प्रोडक्टिव नहीं जाता और यही कहकर मम्मी अब मुझे किचन में हेल्प करवाने को बुला
लेती। मम्मी को रोटी सब्जी चावल दाल बनाते देख अब मेरा भी मन करने लगा था कि क्यों
ना मम्मी से शेफ बनने की ट्रेनिंग ले लूँ। तो मम्मी ने भी मुझे नहीं रोका और कुछ
ही दिनों में मैं भी मम्मी की तरह गोल गोल पतली पतली रोटी, तरह तरह की टेस्टी सब्जी, चावल, दाल बनाना सिख चूका था।
सावन का महीना चल रहा था और मम्मी हर सोमवार को सजधज कर शिव जी को जल चढाने जाती
टी उस दिन वो मुझे भी अपने साथ ले गयी। मम्मी ने शिव जी पर जल चढ़ाया और मैंने भी
तभी किसी ने शिव जी की जगह मेरे ऊपर जल चढ़ा दिया और मुझे लिटेरली बहुत हसी आयी और
मैं मम्मी के साथ मंदिर से बाहर आ गया। जब मैं मंदिर से बाहर आया तो देखा कि
टीशर्ट से मेरे चेस्ट लड़कियों की तरह साफ़ झलक रहा था और ये सब देखकर मुझे बड़ी
शर्मिंदगी हुई। अपने दोनों हाथों से अपने चेस्ट को ढँक मम्मी के साथ घर रिटर्न
हुआ। पुरे रस्ते लोग मुझे घूर रहे थे और मुझे बहुत शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा।
मम्मी ने मुझे ब्रा देते हुए कहा कि अब से मैं घर में ये ब्रा पहन कर रहूं। मैंने
मम्मी से पूछा भी लेकिन मम्मी ने मुझसे कहा कि मेरे ऊपर का शरीर लड़कियों के जैसी
है तो घर में लड़कियों की तरह रहने में कोई हर्ज़ नहीं और वैसे भी अगर मैंने लड़कियों की तरह रहूं तो उन्हें संजना की कमी
फील नहीं होगी। ऐसे इमोशनली ब्लैकमेल करके मम्मी ने मुझे लाइफ में पहली बार ब्रा
पहनाई। ब्रा पहनने के बाद मेरे चेस्ट को काफी सपोर्ट मिला, लेकिन संजना की सलवार कमीज पहनने के बाद तो मैं बिलकुल संजना जैसा दिख रहा था।
मम्मी ने मेरा मेकअप किया और मेरे साथ सेल्फी लेकर संजना को व्हाट्सप्प कर दिया।
इट वाज़ सो ह्युमिलियटिंग लेकिन मम्मी संजना को मेरी फोटो भेज चुकी थी और शायद उसने
राजेश को भी मेरी तस्वीर दिखा दी होगी।
कसम से लाइफ में
इतना हुमिलिएशन पहले कभी नहीं हुआ,
मैंने किचन में अकेले ही
डिनर तैयार किया और रात को मम्मी पापा को खाना भी सर्व किया। पापा के सामने लड़की
की तरह जब मैं गया तो पापा ने उठकर मेरा माथा चुम लिया। ये मेरे लिए काफी हार्ट
व्हेल्मिंग मोमेंट था और मेरी आँखों में आंसू आ गए। मैं पापा मम्मी के साथ बैठकर
डिनर किया और फिर कमरे में चला गया। अभी मैं चेंज करने ही जा रहा था कि मम्मी कमरे
में आ गयी।
माँ: ऋषभ, तुम्हे मेडिसिन्स ली?
मैं: हाँ मम्मी!
बस चेंज करने ही जा रहा था।
माँ: कितने
सुन्दर तो दिख रहे हो, ऐसे ही रहा करो!
मैं: मम्मी, मैं लड़का हूँ यार, संजना के कपडे पहनाकर तुम्हे कैसी ख़ुशी मिलती
है?
माँ: संजना की
ड्रेस पहनने से तुम लड़की थोड़े ना बन जाओगे, लेकिन ब्रा पहनते हो तो संजना
के ड्रेसेज़ पहनने में क्या हर्ज़! देखो ऋषभ ऊपर से लड़कियों की तरह बॉडी होते जा रहा
है तुम्हारा, डॉक्टर की मेडिसिन्स भी सही तरीके से काम कर भी
रही है या नहीं, पता नहीं!
मैं: मम्मी, डॉक्टर की मेडिसिन्स अच्छी काम कर रही है, ना मुझे दर्द है और ना ही
अब टॉयलेट के टाइम ब्लीडिंग होती है। आप बेफिक्र रहो, मैं जल्द ठीक हो जाऊंगा।
मम्मी: ठीक है, जब तक ठीक नहीं होते हो तब तक के लिए तुम पापा के लिए ऋषभ और मेरे लिए संजना
हो ! सिर्फ ड्रेस ही तो पहनना है और करना क्या है?
मैं: यार मम्मी, बड़ी जिद्दी हो तुम, कर लो अपने मन मर्ज़ी का।
मम्मी: संजना रात
में नाईटी पहनकर सोती थी, तुम आज संजना की नाईटी पहन लो और उसे पहनकर ही
सोना और कल सुबह बताना कि तुम्हे कैसा लगा?
मैंने संजना की
नाईटी पहन ली। इट वाज़ सो सॉफ्ट और सिल्की भी। मैंने लाइफ में इतना लाइट ड्रेस कभी
नहीं पहना था और जब मैंने खुद को आईने के सामने देखा तो एक पल के लिए ऐसा लगा कि
सामने संजना खड़ी है। मैंने अपने बालों
को ठीक किया जो कि पहले की अपेक्षा काफी घने और लम्बे हो चुके थे। मैंने एक पल खुद
को निहारा और फिर मैं सबकुछ भूलकर सोने चला गया। अगली सुबह जब मैं सो कर उठा तो
देखा कि सामने मम्मी बेड के कॉर्नर पर बैठी मेरे जागने का इंतज़ार कर रही थी। मम्मी
बोली कि आज चौथा सोमवारी है, मैं जल्दी से स्नान कर के आऊं और आज वो मुझे
अपने साथ मंदिर ले जाना चाहती है। जब मैं स्नान करके कमरे में आया तो मैंने देखा
बिस्तर पर एक पीली रंग की साड़ी,
एक फुल स्लीव बैकलेस
ब्लाउज, एक पेटीकोट,
एक ब्रा और एक पैंटी रखी
थी।
मैं: मम्मी, ये साड़ी तुमपर बहुत अच्छी लगेगी।
माँ: ऋषभ, ये साड़ी मेरे लिए नहीं, तुम्हारे लिए है।
मैं: ये क्या
फालतू की बातें कर रही हो मम्मी! मैं साड़ी क्यों पहनूं?
माँ: आज संजना
बनकर मंदिर चलो ऋषभ, वहां शिवजी पर जल चढ़ाना है और वापिस आना है।
मैं: मम्मी, ये कुछ ज्यादा ही हो रहा है।
माँ: प्लीज्!
मैं: हम्म, ठीक है, लेकिन आज के बाद मुझसे साड़ी पहनने को मत कहना, आई डोंट लाइक दिस !
माँ: ओके!
मम्मी बोली कि
मैं जल्दी से ब्रा, पैंटी के साथ पेटीकोट पहन कर रेडी हो जाऊं और
तबतक वो मेकअप का सामान निकाल कर ले आएगी। इट वाज़ नॉट सो टफ, ब्रा तो मैं वैसे भी पहनता था लेकिन ये कुछ अलग टाइप की ब्रा थी, जिसे पहनने के बाद मेरा चेस्ट लड़कियों की ब्रैस्ट की तरह ऊपर उठ गयी थी। फिर
पैंटी पहनकर मैंने पेटीकोट पहन ली और इतने में मम्मी मेकअप का सामान लेकर कमरे में
आ गयी।
मम्मी: ऋषभ, ये पेटीकोट नाभि के ऊपर नहीं पहनते, नाभि के नीचे पहनते हैं।
मैंने पेटीकोट को
नाभि के नीचे टाइट करके पहन लिया।
मैं: अब ठीक है
मम्मी?
फिर मम्मी ने
मुझे लाल बैकलेस चोली पहनाई और उसे डोरी से बाँध दिया। ये सब मेरी लाइफ में पहली
बार हो रहा था। आज मैं पहली बार साड़ी पहनकर घर के बाहर कदम रखने वाला था।
एक्साइटमेंट, डर और एमबररस्मेंट तीनो ने एक साथ मेरे मन पर
कब्ज़ा कर रखा था। पीली रंग की साड़ी पहनाते समय उसके ट्रांसपेरेंट होने के कारण
मुझे काफी अजीब लग रहा था। साड़ी पहनने के बाद मम्मी ने मेरे पैरों में हैवी चाँदी
की पायल और हाई हील्स पहना दी। मेरे गले में में नेकलेस, हाथों में दो दो दर्जन हरे कांच की चूड़ियां पहना दी और क्लिप वाली झुमकी के
साथ मेरे माथे पर एक लाइट वेट मांगटीका पहना दी। उसके बाद मम्मी ने मेरा मेकअप
किया, ना जाने क्या क्या अप्लाई की मेरे चेहरे पर, लेकिन जब मैंने अपने आप को देखा तो खुद को देखकर यकीन नहीं कर पा रहा था कि
क्या मैं भी इतना सुन्दर दिख सकता हूँ! फिर मम्मी ने मेरे नाक पर एक क्लिप वाली
नोज रिंग पहनाने लगी।
मैं: मम्मी इसकी क्या
जरुरत है, ये रहने दो!
मम्मी: ऋषभ, तुम शर्मिंदा मत होना, बाहर संजना बनकर जा रहे हो, किसी को पता नहीं चलेगा कि तुम ऋषभ हो।
मैं: और अगर किसी
को पता चल गया तो?
मम्मी: तो मैं कह
दूंगी कि मेरी मन्नत थी, तू फिक्र मत कर मेरे बेटे!
मैं: हम्म!
फिर मम्मी ने
मेरे नाक की लेफ्ट साइड में छोटी सी क्लिप वाली नोज़रिंग पहना दी और उसकी चेन मेरे
बालों में फंसा दी। मम्मी ने मेरी साड़ी के आँचल से मेरा घूँघट बनाया और मुझे अपने
साथ लेकर शिवजी को जल चढाने को ले आयी। मम्मी और मैंने अपने सैंडल्स बाहर रख दिए
और मंदिर में एंटर हुए। मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ थी और किसी को भी किसी से
कोई मतलब नहीं था। मैं एक हाथ से कमर की नीचे की साड़ी को उठाये मम्मी के साथ
शिवलिंग पर जल चढ़ाई और उसके बाद हम जैसे ही मंदिर से बाहर आये एक बूढी औरत ने मुझे
देखते ही मुझे अपने पास बुला लिया। मैंने मम्मी से कहा कि वो बूढी औरत हमे बुला
रही है तो मम्मी अपने साथ मुझे उस औरत के पास ले गयी, और इससे पहले कि हम कुछ कहते,
वो बूढी औरत खुद से बोलने
लगी।
बूढी औरत: बेटे, साड़ी में कितने खूबसूरत दिख रहे हो! बहुत जल्द तुम्हारी शादी होगी और तुम्हे
पांच बच्चों का सुख मिलेगा।
मैं: अच्छा?
बूढी औरत: हाँ
बेटे, तुम्हारा पति तुमसे बड़ा प्यार करेगा और तुम हमेशा सुहागिन
रहोगी।
मैं: मम्मी, आपने सही कहा था, कोई मुझे नहीं पहचान पा रहा!
बूढी औरत: मैंने
तुम्हे पहचान लिया है बेटे, इस साड़ी में लड़के होकर भी तुम बड़े खूबसूरत दिख
रहे हो और ये छोटी सी नथिया पहनकर जो तुम इतरा रहे हो! शादी के बाद तुम्हारा पति
तुम्हे इससे भी बड़े और हैवी नथिया पहनाकर अपनी दुल्हन बनाकर रखेगा।
मैं: मम्मी ये
बूढी औरत क्या बोल रही है?
मम्मी: कुछ भी
नहीं, चलो यहाँ से!
पीछे से बूढी औरत
ने कहा: बेटे, तुम्हारा जन्म किसी मर्द की दुल्हन बनने के लिए
हुआ है और बहुत जल्द तुम्हारा होने वाला पति तुम्हे अपनी दुल्हन बनाकर अपने साथ ले
जायेगा। उस बूढी औरत की बातों को इग्नोर करके जैसे ही मैं अपनी माँ के साथ आगे बढ़ा, मेरा पैर लड़खड़ा गया और मैं वहीँ गिर गया। मेरी मम्मी ने मुझे उठाया, लेकिन मुझसे से चला नहीं जा रहा था। इतने में ना जाने कहाँ से अर्जुन वहां आ
गया और उसने मम्मी को प्रणाम किया और मुझे अपनी गोद में उठा लिया। घर ज्यादा दूर
नहीं था मेरा लेकिन इतना नज़दीक भी नहीं था। अर्जुन सवा छह फ़ीट लम्बा, अच्छी कद काठी और मस्क्युलर था और उसने मुझे तकिया की तरह उठा रखा था। रस्ते
में औरतें मुझे और अर्जुन को देखकर कमैंट्स कर रही थी और मम्मी मुस्कुरा रही थी।
मुझे बहुत ह्युमिलिएशन हो रहा था। मैं एक आदमी होने के बावजूद दूसरे मर्द की गोद
में लड़कियों की तरह चुपचाप घर तक आ गया और घर आने के बाद मैंने अपनी हील्स को
खोलकर मम्मी के हाथ में रख दिया और लंगड़ाते हुए अपने कमरे में जाकर खुद को अंदर
लॉक कर लिया।
थोड़े ही देर में, मम्मी कमरे में आ गयी।
मम्मी: ये सब क्या
है ऋषभ? तुमने अर्जुन को थैंक्स भी नहीं कहा और कमरे में आ गए?
मैं: मम्मी, एक तो तुम साड़ी पहनाकर मंदिर ले गयी ऊपर से हाई हील्स। उस बूढी औरत ने वैसे ही
कुछ कुछ बोल कर मेरा दिमाग ख़राब कर दिया और मेरे पैर को भी तभी मुड़ना था जब अर्जुन
वहां आ गया था। अर्जुन मुझे इतनी दूर से उठाकर लेकर आया, लेकिन इनसब के लिए सिर्फ तुम ज़िम्मेदार हो। ना तुम मुझे साड़ी पहनाती और ना ये
सब होता।
मम्मी: अरे ऋषभ, देखो अभी इन सब का टाइम नहीं है। नीचे अर्जुन बैठा है, मैं उससे बात करने जा रही हूँ। तू एक काम कर, पैर में गर्म पट्टी बांध
ले और चाय नाश्ता बना कर ले आ।
मैं: मम्मी, मुझे चेंज करना है!
मम्मी: चेंज बाद
में कर लेना, अर्जुन के जाने के बाद लेकिन अभी चाय नाश्ता ले
आओ और हाँ अर्जुन के सामने घूँघट कर लेना। मैंने उसे बताया नहीं कि तुम ऋषभ हो, उसके लिए तुम संजना को।
मैं: यार मम्मी, कुछ ज्यादा ही हो रहा है तुम्हारा। चलो मैं आता हूँ।
इधर मम्मी अर्जुन
से बातें करने चली आ गयी और मैंने पैरों में गर्म पट्टी बांधकर अर्जुन और चाय बनाकर ट्रे में रखकर लेकर आ गया। मैंने
नाक तक घूँघट कर रखा था और अर्जुन ने मुझे भी बैठने को कहा और मैं भी वहीँ बैठ
गया।
अर्जुन: हाउ इज़
लाइफ संजना, मैंने सुना है कि तुम प्रेग्नेंट हो?
मैं (मेरी मोस्ट
फेमिनिन आवाज़ में): हम्म!
अर्जुन: मेरी
बेस्ट विशेज़ हैं तुम्हारे साथ, बेबी हेअल्थी और तुम्हारी तरह सुन्दर हो!
मैं: थैंक्स अर्जुन!
उसके बाद अर्जुन
मुझे संजना जानकार ससुराल में सभी कैसे हैं, तुम्हारा पति तुम्हे कहाँ
घूमने ले गया और तरह तरह के सवाल करने लगा। मैंने अर्जुन को थैंक्स कहा कि मेरे
पैर मुड़ जाने के बाद वो मुझे घर तक लेकर आया और वहां से उठकर कमरे में आ गया। अभी
मेरे मन में उस बूढी औरत की आवाज़ गूंज रही थी जो मुझे अंदर ही अंदर परेशां कर रही
थी। अर्जुन के जाने के बाद मेरी माँ कमरे में आ गयी और मुझसे पूछी कि मैं परेशां
क्यों हूँ? मैंने मम्मी को बताया कि उस बूढी औरत ने जो कुछ
भी कहा, उसमे कितनी सच्चाई है? मेरी मम्मी ने बात को टाल
दिया और मुझसे आराम करने को कहकर वहां से चली गयी। मैं भी बिस्तर पर सो गया और फिर
ध्यान आया कि अभी तक लंच नहीं पका! मैं बिस्तर से उठा और मेरा पैर साड़ी में उलझ
गया, मैं गिरते गिरते बचा। मैंने तुरंत साड़ी खोल कर बिस्तर पर रख
दिया। इतने सेफ्टी पिंस लगे थे कि साड़ी उतारने में बिस मिनट्स लग गए। साड़ी तो उतार
लिया मैंने लेकिन ब्लाउज नहीं खोलने आता मेरे को। मैंने पेटीकोट को खोल दिया और
पायजामा पहन लिया और एक शर्ट निकाला और चोली के ऊपर से पहन लिया। मैंने नोज रिंग
को नाक से निकालना चाहा लेकिन ऐसा लग रहा था कि स्क्रू कुछ ज्यादा ही टाइट थी। मैं
वैसे ही किचन में चला गया जहाँ मम्मी खाना पका रही थी। मुझे देखकर मम्मी जोर जोर
से हसने लगी।
मम्मी: ये कैसा
हुलिया बना रखा है तुमने ऋषभ, एक दम जोकर लग रहा है।
मैं: हसो नहीं
मम्मी, ये सब खोलने में मेरी मदद करो।
फिर मम्मी को
जबरदस्ती अपने कमरे में ले गया। मम्मी ने मेरे नाक से नथिया, माथे से मांगटीका, गले से सोने की चेन और मेरी चोली खोलने में मदद
की। मैं: रिलीफ किसे कहते हैं मुझसे पूछो मम्मी। फाइनली आई एम् फ्री, साड़ी ब्लाउज हैंडल करना, ओह माय गॉड, औरतें कैसे हैंडल करती
हैं इसे ! ऊपर से ज्वेलरीज, अटपटा नहीं लगता मम्मी ऐसे बन ठन कर घर से बाहर
निकलने में!
मम्मी: कोई बात
नहीं ऋषभ, धीरे धीरे इन सब की आदत हो जाएगी।
मैं: मम्मी मैं
देख रहा हूँ, जब से मेरी बॉडी ऊपर से लड़कियों जैसी होती जा
रही है, तब से तुम बहुत
एन्जॉय कर रही हो। यार मम्मी, मेरा चेस्ट देखो, देखकर ऐसा लगता है कि
चेस्ट ना हो औरतों जैसा ब्रैस्ट बन गया हो!
मम्मी: हाँ तो
क्या हो गया। इस हाल में खुश रख रही हूँ और क्या चाहिए ऋषभ! अगर मैं तुम्हारा मन
अब नहीं बाटूंगी तो कब बाटूंगी। संजना ने तो लव मैरिज करके मेरे सपनो को तोड़ दिया, तू भी यही चाहता है तो ठीक है,
मैं आज से कुछ नहीं
बोलूंगी।
मैं: मम्मी, तुम्हारा मेलो ड्रामा फिर से शुरू मत करो, तुम्हारी ख़ुशी से ज्यादा
कुछ इम्पोर्टेन्ट है क्या मेरी लाइफ में? बोलो क्या करूँ मैं?
मम्मी: हम्म! अभी
तो संजना की कोई सी भी नाईटी पहन लो और किचन में मेरी हेल्प करो।
मैं: ठीक है मम्मी, आप चलो, मैं आता हूँ।
मम्मी: हम्म वैसे नोज रिंग पहनकर तुम बहुत खूबसूरत लग रहे थे। ये
छोटी वाली नोज रिंग पहन लेना।
मैं: यार मम्मी!
मम्मी के जाने के
बाद मैंने संजना के वार्डरॉब से एक लम्बी सी सिल्की नाईटी निकालकर पहन लिया और नाक
में छोटी सी नोज रिंग को फिर से पहनकर रेडी हो गया, सिर्फ और सिर्फ अपनी
मम्मी की ख़ुशी के लिए। सावन ख़त्म हो चूका था, और सितम्बर आने को था।
मेरे बॉडी में हो रहे बदलाव ने मुझे परेशां कर रखा था और जब से उस बूढी औरत ने
मुझसे कहा कि कोई आदमी मुझे अपनी दुल्हन बनाकर अपने घर ले जायेगा, तब से उस बूढी औरत की बात मेरे दिमाग में बस सी गयी थी। मेरा चेस्ट अब काफी
बड़ा हो चूका था और निप्पल्स भी कुछ ज्यादा ही हार्ड से होने लगे थे। ऐसा लग रहा था
कि मेरा ऊपर का बॉडी लड़की वाला और नीचे का बॉडी लड़कों वाला हो गया था। मुझे ये सब
इतना ऐम्बर्रास्मेंट फील दे रहा था कि मैंने श्वेता से भी मिलना जुलना बंद कर दिया
और उसे इग्नोर करने लगा। श्वेता के कॉल्स को इग्नोर करना उसे इतना परेशां करने लगा
कि एक दिन दोपहर में बिना बताये श्वेता घर पर आ गयी। उस दिन मैंने फिर से साड़ी
पहना था और श्वेता को सामने देखते ही मेरा तो होश ही उड़ गया, लेकिन तभी मम्मी ने आवाज़ लगायी, संजना कौन है दरवाज़े पर! श्वेता ने मुझे संजना समझा और मेरे साथ अंदर आ गयी और
मुझे ढूंढने लगी।
मैं: किसे ढूंढ
रही हो श्वेता?
श्वेता: संजना, ऋषभ कहाँ है? वो मेरा कॉल क्यों पिक नहीं करता और ना ही
मुझसे बात करता है। है कहाँ ऋषभ?
तभी वहां मम्मी आ
गयी,
मम्मी: बगल में
छोरा शहर में ढिंढोरा। ये रहा ऋषभ!
मम्मी ने मुझे
पॉइंट करते हुए कहा।
श्वेता: आई कैंट
बिलीव इट आंटी, ऋषभ तुम साड़ी में बिलकुल संजना जैसे दिख रहे
हो। अच्छा मेरा कॉल क्यों इग्नोर कर रहे हो आज कल, कोई और मिल गयी है?
मैं: शांत हो जाओ
श्वेता, मेरे बॉडी में कुछ अनवांटेड चेंजेज़ ने मुझे परेशां कर रखा
है। मैं चाह कर भी घर से बाहर नहीं निकल पाता और ऐसे तुम्हारे सामने आने में मुझे
बहुत शर्मिंदगी फील हो रही थी।
श्वेता: यार ऐसे
कैसे चेंज हैं जिसने तुम्हे परेशां कर रखा है?
मम्मी: ऋषभ, श्वेता के लिए चाय चढ़ाया हुआ है, ले आओ जरा!
मैं किचन में चला
गया।
इधर,
मम्मी: श्वेता
बिटिया, ऋषभ का बॉडी लड़कियों जैसा हो गया है। डॉक्टर्स को डर है कि ऋषभ
फिर दुबारा से कभी अपनी मर्दानगी नहीं पा सकेगा। ये भी हो सकता है कि ऋषभ को अपना
सेक्स चेंज करवा कर औरत बनना पड़े। कुछ भी हो सकता है श्वेता!
श्वेता: ये क्या
बोल रही हो आंटी, ऐसा नहीं हो सकता।
मम्मी: श्वेता, यही हो रहा है। आई डोंट नो आगे क्या होगा लेकिन ऋषभ को इस बारे में मैंने कुछ
भी नहीं बताया है।
श्वेता: मैं समझ
सकती हूँ आंटी, लेकिन कुछ तो उपाय होगा ना कि ऋषभ को फिर से
पहले जैसा किया जा सके!
मम्मी: आई होप सो
बेटे, मेडिसिन्स तो चल रही हैं लेकिन कोई खास असर दिख नहीं रहा
है।
इतने में मैं आ
गया,
मैं: ये लो
गर्मागर्म चाय पियो श्वेता!
श्वेता ने मेरे
और मम्मी के साथ बैठकर चाय पि और फिर वहां से मुझे जल्दी ठीक होने की बात कहकर चली
गयी। श्वेता के जाने के बाद मम्मी मुझे फिर से किचन में ले गयी। अब यही दिनचर्या
थी, सुबह उठो,
घर के कामों में मम्मी की
मदद करो, उसकी पसंद की साड़ी या सलवार कमीज पहनूं। मम्मी ने मुझे
मेकअप करना भी सीखा ही दिया और घर के काम काज में मेरा मन लगने लगा था। साड़ी पहनने
या चोली की डोरी बांधना हो या खुद से मेकअप करना हो, इन सब में मैं अब
एक्सपर्ट हो चूका था। धीरे धीरे लड़कियों की तरह सजना संवारना, घंटो आईने के सामने बैठकर खुद से बातें करना और अब तो बॉडी हेयर भी गायब हो
चले थे। मेरी बॉडी स्किन लड़कियों की तरह स्मूथ और सिल्की हो गयी थी और अब तो टीवी
में सलमान खान या जॉन अब्राहम को देखकर अजीब सा अट्रैक्शन सा होने लगता। हार्मोनल
ट्रीटमेंट चलने के कारण मैं कुछ समझ नहीं पा रहा था कि आखिर मेरे साथ हो क्या रहा
था। संजना की शादी को पांच महीना पूरा होने जा रहा था और मम्मी मुझे उसी डॉक्टर के
पास ले गयी। डॉक्टर ने फिर से मेरा एक्सरे, सिटी और एम् आर आई स्कैन
किया, अल्ट्रासाउंड और ब्लड टेस्ट्स भी हुए और रिपोर्ट्स आने पर डॉक्टर ने मुझे रूम में भेज दिया और
मम्मी से बात करने लगे। डॉक्टर ने मम्मी को बताया कि मेरे बॉडी में फीमेल ऑर्गन्स
का डेवलपमेंट नब्बे फीसदी हो चूका है और अब मुझे परमानेंटली ऑपरेशन के जरिये लड़की
बनवा दिए जाने का सही समय आ चूका है। इस बात को मम्मी ने मुझे नहीं बताया और मुझे
घर लेकर आ गयी।
उस रात,
मम्मी: सुनिए, डॉक्टर ने कहा है कि ऋषभ को औरत बनना पड़ेगा, ऑपरेशन आज कल में जरुरी
है। क्या करूँ कुछ समझ नहीं आ रहा ?
पापा: देखो, अगर ऋषभ को एडमिट होना जरुरी है तो उसे एमिडीऐटली एडमिट करने के लिए डॉक्टर से
बात कर लो।
मम्मी: ऋषभ को इस
बारे में बताना होगा!
पापा: वो तुम ही
बता दो!
मम्मी: हम्म! ठीक
है!
फिर थोड़े डिसकशंस
के बाद मम्मी मेरे कमरे में आ गयी। मैं नाईटी पहनकर सोने जा रहा था।
मम्मी: ऋषभ, मेडिसिन्स ली बेटे!
मैं: हाँ मम्मी!
मम्मी: कुछ बात
करनी है तुमसे!
मैं: बोलो मम्मी!
मम्मी: ऋषभ, मेरे बेटे! डॉक्टर ने आज जो कहा है, वो मैं कैसे बताऊँ!
मैं: बिंदास बोलो
मम्मी!
मम्मी: बेटे, डॉक्टर ने कहा है कि तुम्हारे शरीर से मेल पार्ट को हटाना पड़ेगा!
मैं: व्हाट!
मम्मी, डॉक्टर पागल हो गया है क्या? मेरा मेल ऑर्गन हटाना
पड़ेगा! एक काम करो दूसरे डॉक्टर से मिलने चलो!
मम्मी: बेटे, हमने तुम्हारे रिपोर्ट्स को बहुत से डॉक्टर को दिखाया है लेकिन सबने यही कहा
है। बेटे तुम्हारे बॉडी में इंटरनल फीमेल ऑर्गन्स डेवेलोप हो चुके हैं, अब अगर ऐसी स्थिति में अगर तुम्हारा मेल ऑर्गन नहीं हटाया गया तो तुम्हारी जान
को खतरा है मेरी जान!
मम्मी की बात
सुनकर मेरा दिमाग ख़राब हो गया था।
मैं: मम्मी, मेरा मेल ऑर्गन मेरे बॉडी से हटा दोगे तो तुम्हारा वंश कैसे बढ़ेगा मम्मी!
मम्मी: ऋषभ, तुम हो ना मेरा खून। हमारा वंश तुम ही हो मेरे बच्चे लेकिन तुम्हे कल ही
हॉस्पिटल में एडमिट करना होगा!
मैं: मम्मी, मेरे साथ ऐसा क्यों हो रहा है?
मम्मी: मेरे
बच्चे, भगवान् का लिखा, मैं तो क्या खुद भगवान्
भी नहीं मिटा सकता। तुम अपना मन शांत करो और हॉस्पिटल में एडमिट होने के लिए खुद
को रेडी करो। गुड नाईट।
मम्मी के जाने के
बाद मैं बहुत रोया, आखिर मेरे साथ ये सब क्यों हो रहा था, मैंने क्या बिगाड़ा किसी का। रोते रोते मैं कब सो गया, मुझे पता भी नहीं चला और अगली सुबह जब मैं जाएगा तब मम्मी कमरे में थी। वो
बहुत मायूस दिख रही थी और मेरे माथे को चूमकर रेडी हो जाने को कहा। मैं फ्रेश होकर
आया तो मम्मी ने मुझे पटियाला सूट में तैयार किया और अपने साथ हॉस्पिटल ले गयी।
हॉस्पिटल में एडमिट करके मम्मी ने मुझे बताया कि अगले चार हफ्ते मुझे इसी हॉस्पिटल
में रहना है और ऑपरेशन कल ही है। एक दिन मुझे ऑब्जरवेशन पर रखा गया और फिर अगले
दिन मुझे ऑपरेशन थिएटर में ले जाया गया।
आई डोंट नो, आगे क्या हुआ लेकिन जब मेरी नींद खुली तो मेरे गले पर पट्टी बंधी थी, मैं कुछ बोल नहीं पा रहा था। मैंने अपने मेल ऑर्गन को छू कर देखा तो वहां कुछ
भी नहीं था। मेरा मेल ऑर्गन मेरे शरीर से अलग किया जा चूका था, मेडिसिन्स की वजह से मुझे उस पोरशन में कुछ भी फील नहीं हो रहा था लेकिन बहुत
अफ़सोस हो रहा था आज। थोड़ी देर बाद मैं फिर से बेहोश हो गया और ना जाने कितने दिनों
बाद मैं जागा। मैंने सामने नर्स को देखा और उसे बुलाने के लिए जैसे ही आवाज़ लगायी, मैं चौंक गया। क्यूंकि मेरी आवाज़ पहले से ज्यादा फेमिनिन हो चुकी थी। नर्स
मेरे पास आयी और उसने मुझे बताया कि वोकल सर्जरी के बाद मेरी आवाज़ को महिलाओं की
आवाज़ की तरह मीठा कर दिया गया है। मैंने अपने प्राइवेट पार्ट को छू कर देखा तो
वहां कुछ भी नहीं था और छूने से काफी सॉफ्टनेस फील हो रहा था। नर्स ने मुझसे कहा
कि कुछ ही दिनों में मेरा प्राइवेट पार्ट सही ढंग से काम करने लगेगा और एक बार
पीरियड्स की शुरुआत हो गयी, फिर एक दो महीने बाद मैं प्रॉपर लड़की बन चूका
होऊंगा! व्हाट द फ़क इज़ हप्पेनिंग,
मेरे कुछ भी समझ नहीं आ
रहा था।
कुछ दिनों बाद एक
दिन अचानक मेरे पेट में फिर से दर्द शुरू हो गया और इससे पहले कि मैं कुछ समझता, मेरा बेडशीट ब्लड से भर गया। पेट में अभी भी दर्द हो रहा था और थोड़ी देर बाद
मेरी हालत देखकर नर्स मेरे पास आयी और मुझे वाशरूम में ले गयी और एक सेनेटरी पैड
पहनने को दिया और पहनना सिखाया। मुझे बहुत गुस्सा आ रहा था और नर्स के कहे अनुसार
मैंने पैड पहन लिया और जब मैं अपने बेड तक आया तो देखा कि बेडशीट चेंज हो चूका था।
नर्स ने मुझे बताया कि अब मैं पूरी तरह से औरत बन चूका हूँ और पीरियड्स आना इस बात
का संकेत है कि किसी भी मर्द से सम्भोग करके मैं माँ बन सकता हूँ। नर्स की बात
सुनकर मुझे इतना डिप्रेशन हो रहा था कि मन कर रहा था कि मैं आत्महत्या कर लूँ।
पीरियड्स टाइम बहुत ही दर्द भरा था और चार दिन बाद जब मेरा पीरियड्स ख़त्म हुआ तो
मुझे बहुत राहत मिली। नर्स ने मुझसे शैम्पू करके अच्छे से नहाकर आने को कहा। जब
मैं स्नान कर रहा था तब मिरर में खुद को देखकर शॉक्ड रह गया। ऊपर से नीचे तक मैं
एक औरत बन चूका था और मेरे होंठ के नीचे ठीक वैसा ही तिल था, जैसा तिल मम्मी के होंठों के नीचे था। आई वाज़ सो सरप्राइज़्ड, डॉक्टर ने सच में मुझे औरत बना दिया और मैं संजना से भी ज्यादा खूबसूरत दिख
रहा था। मेरी लाइफ में ऐसे बदलाव होंगे इसकी मुझे कोई उम्मीद नहीं थी ना ही कभी
मैंने अपनी ऐसी लाइफ के बारे में सोचा था। दो दिनों के बाद मम्मी मुझे हॉस्पिटल से
डिस्चार्ज करवाकर घर ले आयी। मेरा कमरा पिंक कलर से रंगा था और मेरे लिए तरह तरह
की ड्रेसेस, गोल्ड ज्वेलरीज, मेकअप का सामान, सैंडल्स, और वार्डरॉब भी पिंक रंग से पेंट किया हुआ था।
हॉस्पिटल से घर गाउन में ही आ गया था बहुत नींद आ रही थी।
मैं: मम्मी, मुझे नींद आ रही है, मैं थोड़ी देर सोऊंगा!
मम्मी: अब तुम
मर्द नहीं रहे, अब तुम मेरी बेटी हो। लड़कियों की तरह बात करना
अब से, ठीक है बिटिया रानी!
मैं: मम्मी, हद है, मैं तुम्हारे लिए हमेशा बेटा ही रहूँगा और ऐसे
ही बात करूँगा।
मम्मी: नाराज़ ना
हो और रेस्ट कर लो।
मुझे यकीन नहीं
हो रहा था, कुछ महीने पहले तक मैं एक मर्द था और आज सेक्स
चेंज ऑपरेशन करवाने के बाद औरत बन बैठा। अब क्या करूँगा मैं, श्वेता से कैसे मिलूंगा, क्या कहूंगा श्वेता से, कैसे आँखें मिला पाउँगा संजना और राजेश से। वो क्या कहेंगे मेरे बारे में, आगे की पढ़ाई कैसे करूँगा। कॉलोनी में
लोग मुझे ऐसे देखेंगे तो क्या कहेंगे, लड़कियां भी छेड़ेंगे। नहीं
नहीं, आज के बाद मैं घर से बाहर नहीं निकलूंगा, चाहे जो भी हो। मेरे दोस्तों के बीच कभी मैं सबसे स्मार्ट लड़का था लेकिन अब
मैं उनके बीच कैसे जाऊँ? मेरी लाइफ, मेरा बॉडी मेरा फ्यूचर, सब बदल गया। मैं रोते रोते कब सो गया, इसका पता भी नहीं चला।
अगली सुबह जब मैं जागा तो मम्मी ने मुझे बताया कि कुछ मेहमान घर आने वाले हैं और
खुद घर के कामों में लग गयी। मैं भी मम्मी के काम में हाथ बटाने लगा और दोपहर तक
सारा काम पूरा हो चूका था। मैं थक गया तो मैं स्नान करने चला गया और मम्मी ने साफ़
सफाई कम्पलीट की और जब मैं स्नान करके कमरे में रिटर्न आया तो देखा कि मम्मी कुछ
ड्रेसेस के साथ कमरे में बैठी है।
मैं: ये सब क्या
है मम्मी?
मम्मी: ये सब
ड्रेसेज़ हैं, कौन सी पहनोगी?
मैं: मम्मी, मुझे नहीं पहननी कोई सी भी ड्रेस, मैं तो नाईटी पहनकर रेस्ट
करूँगा।
मम्मी: देखो ऋषभ, अब तुम लड़के नहीं रहे, सही मायनो में लड़की बन चुके हो तो लड़कियों के
लहज़े में बातें किया करो। तुम लड़की बन चुकी हो और अपनी आइडेंटिटी को एक्सेप्ट करो।
मेहमान के सामने अगर तुम ऐसे लड़को के लहज़े में बात करोगी तो उन्हें बुरा लगेगा ना।
मैं: हम्म!
मम्मी: तो जल्दी
से ड्रेस सेलेक्ट करो!
मैं: मम्मी, इन पांच साड़ियों में मैं क्या सेलेक्ट करूँ, जो तुम्हे पसंद हो, बताओ।
मम्मी: ये पहन लो, सिल्क साड़ी में तुम बहुत ही सुन्दर लगोगी।
थोड़ी देर बाद मैं
ऑरेंज येलो गोल्ड बनारसी साड़ी विद ज़री वोवन पल्लू में तैयार था। मम्मी ने एक अच्छा
सा हेयर स्टाइल बनाया और मेरे कानों में क्लिप वाले झुमकी पहना दी। फिर मेकअप करने
के बाद, मेरे बालों में हेयर ज्वेलरी पहनाई, मेरे नाक पर एक छोटी सी नोज रिंग पहना दी। गले में हैवी नेकलेस और मेरी दोनों
कलाई में दो दो सोने की कंगन पहना दी। फिर मुझे पायल पहनाई जो पहले से काफी हैवी थी
और उसकी आवाज़ भी कुछ ज्यादा ही मीठी थी। मम्मी ने मुझे फीमेल परफ्यूम लगाने को
दिया जिसकी खुशबु बहुत ही ज्यादा अच्छी थी। फिर मम्मी ने मेरी दोनों हाथों की
ऊँगली में एक एक जेम्स वाली अंगूठी पहना दी। मैं तैयार हो चूका था और खुद को आईने
में देखकर मुस्कुराने लगा। थोड़ी देर में मम्मी भी तैयार थी और मेरे कमरे में आ कर
बैठ गयी।
मैं: ऐसे क्या
देख रही हो मम्मी?
मम्मी: मेरी
बिटिया रानी कितनी सुन्दर है, आज तुम्हारी लाइफ का बहुत ही खास दिन है और
इसीलिए आज श्वेता को भी बुलवाया है।
मैं: मम्मी, श्वेता को क्यों बुलाया, मैंने ऐसे श्वेता से नहीं मिलना चाहता। और ऐसा
क्या खास दिन है आज का जो आप इतनी खुश हो रही हो!
तभी डोरबेल की
आवाज़ सुनकर मम्मी दरवाज़े पर चली गयी और थोड़ी देर में श्वेता के साथ कमरे में आ
गयी।
तभी डोरबेल की
आवाज़ सुनकर मम्मी दरवाज़े पर चली गयी और थोड़ी देर में श्वेता के साथ कमरे में आ
गयी।
श्वेता: ये सब कैसे हो गया ऑन्टी, ऋषभ तो लड़का था ना, लड़की कैसे बन गया?
मम्मी: श्वेता तुम्हे तो इस बारे में बताया था मैंने, हार्मोनल प्रोब्लेम्स की वजह से ऋषभ अब एक लड़की बन चुकी है, बिल्कुल तुम्हारी तरह।
श्वेता: ओह गॉड, ये क्या हो गया ऑन्टी। मैंने तो कभी सपने में भी अपने बॉयफ्रेंड के ऐसे भविष्य के बारे में सोचा भी नही था। ऑन्टी मैं ऋषभ से बहुत प्यार करती हूँ, शादी भी करना चाहती हूं, लेकिन अब मैं कैसे शादी करूँगी ऋषभ से?
मम्मी: सॉरी बेटी, आई नो तुम और ऋषभ दोनों एक दूसरे से बहुत प्यार करते हो लेकिन श्वेता बिटिया, ऋषभ भी अब मेरी बेटी बन गयी है। आज कुछ गेस्ट्स आ रहे हैं ऋषभ को देखने और अगर उन्हें ऋषभ पसन्द आ गयी तो इसी महीने ऋषभ की शादी हो जाएगी।
मैं: व्हाट द फ़क मम्मी, मुझे देखने आ रहे हैं गेस्ट्स, आपने मुझे पहले क्यों नही बताया। हाऊ डेयर यु, आप मेरे साथ ऐसा कैसे कर सकते हैं। मुझे नही करनी शादी किसी आदमी से, खुश अच्छा नही लगता आपको मैं?
श्वेता: कैसे बात कर रही हो ऋषभ, ऑन्टी से। लड़के तो रहे नही तुम, अब जब लड़की बन गए हो तो शादी भी कर ही लो। अभी बात घर के अंदर ही है, घर के बाहर ये बात गयी कि तुम अब औरत बन चुके हो तो कमी नही है ऐसे लोगों की जो तुम्हारे मम्मी पापा को ताना देने से पीछे हटें। जैसे मैं लड़की हूँ और मेरी शादी के लिए मेरे मम्मी पापा को फिक्र रहती है, ठीक वैसे ही तुम्हारी मम्मी और पापा को भी तुम्हारी शादी की चिंता होती है और ये नार्मल है। जो गेस्ट्स तुम्हे देखने आ रहे हैं उनके सामने लहज़े से पेश नही आओगी तो तुम्हारे ही पेरेंट्स की बदनामी होगी, इसीलिए ऑन्टी जैसा कहती हैं, वैसा चुपचाप करो। अब ना तो तुम मेरे बॉयफ्रेंड हो और ना ही मैं तुम्हारी गर्लफ्रैंड। मुझे ऐसा बॉयफ्रेंड नही चाहिए, जो खुद लड़की हो। मुझे एक मर्द से शादी करनी है ऋषभ और तुम औरत हो, तुम्हारी शादी जब भी होगी, किसी मर्द से होगी। अब जो ऑन्टी कहती है, चुपचाप मान लो, नही तो हमारी दोस्ती भी खत्म आज।
मैं: हम्म! ठीक है मम्मी! आपको जो मन मे आये करो, मैं नही बोलूंगा कुछ भी!
मम्मी: सबसे पहले तो लड़कियों के लहजे में बात किया करो, दूसरी कि कल हम मार्किट चलेंगे और तुम्हारा नाक और कान छिदवाए जाएंगे और आज जब गेस्ट्स के सामने आना तो घूंघट कर लेना।
मैं: ठीक है मम्मी!
फिर डोरबेल की आवाज़ सुनकर मेरा हलक सुख गया और मम्मी दरवाज़ा खोलने चली गयी। श्वेता ने नीचे जाकर देखा तो कुछ गेस्ट्स आये हुए थे और मेरी मम्मी उनसे बैठकर बातें कर रहीं थी। थोड़ी देर में पापा और चाचा भी आ गए और वे भी वहीं बैठकर उनसे बातें करने लगे। मम्मी ने श्वेता को आवाज़ लगाई तो श्वेता वहां गयी। मम्मी ने श्वेता से मुझे गेस्ट्स के सामने ले आने को कहा और खुद उनके लिए स्नैक्स और चाय लेने चली गयी।
श्वेता: चलो ऋषभ, गेस्ट्स तुम्हारा इंतज़ार कर रहे हैं। शायद मैं दुनिया की पहली गर्लफ्रैंड होउंगी जिसके बॉयफ्रेंड की शादी एक मर्द से होने जा रही है और मैं कुछ नही कर सकती।
मैं: श्वेता यार तुम ना दिमाग खराब कर रखा है तुमने। कभी कुछ कहती हो तो कभी कुछ और। मुझे कंफ्यूज मत करो।
श्वेता: हम्म! चलो, गेस्ट तुम्हारा इंतज़ार कर रहे हैं।
फिर श्वेता ने मेरी साड़ी की पल्लू से घूंघट कर दिया, मुझे कुछ भी नही दिख रहा था, सिवाय मेरे ब्रैस्ट या पैरों के। श्वेता मुझे गेस्ट्स के सामने ले गयी और वहां बिठा दिया। मैं वहीं सिर झुका कर बैठ गया। नर्वसनेस और बॉडी में डर ऐसा कि आंख उठाकर किसी को देखने की हिम्मत भी नही हो रही थी। उस बूढ़ी औरत ने सच कहा था, मेरे नसीब में किसी लड़की का पति बनना नही लिखा, आज एक मर्द से मेरी शादी की बात चल रही थी। मैं अपने ही ख्यालों में खोया हुआ था कि तभी एक ऑन्टी मेरे पास आकर बैठी, उसने मेरा घूंघट उठाया और मेरी ठुड्डी ऊपर किया।
ऑन्टी: तू तो बड़ी खूबसूरत है, नाम क्या है तुम्हारा?
मैं: मेरा नाम ऋषभ है।
ऑन्टी: कुछ भी कहिए, आपकी बेटी है बड़ी खूबसूरत। लेकिन ऋषभ तो आपके बेटे का नाम है ना?
मम्मी: जी, मेरे बेटे को डॉक्टर्स ने एडवांस टेक्नोलॉजी के माध्यम से लड़की बना दिया है और मेरी बिटिया किसी भी मायनो में किसी भी लड़की से कम नही है।
ऑन्टी: साइंस ने बड़ी तरक्की कर ली है। वैसे भी हमारे बेटे को ट्रांसवमेन ही पसन्द है। और आपकी बिटिया इतनी खूबसूरत है कि देख कर ऐसा लगता ही नही कि ऋषभ ने लड़के के रूप में जन्म लिया है। मुझे तो आपकी बिटिया बड़ी पसन्द है, मैं चाहती हूं कि लड़का लड़की एक दूसरे से बात कर ले और शादी का फैसला भी दोनों को ही करने दिया जाए। उसके बाद श्वेता मुझे मेरे कमरे में ले गयी और उस सख्स को भी जो अपने पूरे परिवार के साथ मुझे देखने आया था। कमरे में श्वेता ने मेरा घूंघट हटा दिया और मेरे कान में गुड लक बोलकर कमरे से बाहर चली गयी। मैंने अपना सिर झुका रखा था और जब वो सख्स मेरे सामने आकर बैठा, मैं चौंक गया।
मैं: अर्जुन तुम, सॉरी मेरा मतलब आप!
अर्जुन: हाँ ऋषभ, वही अर्जुन जिसकी होने वाली दुल्हन की शादी तुमने किसी और से करवा दी थी। चलो छोड़ो, वो पहले की बात है लेकिन तुम तो तुम्हारी बहन से भी खूबसूरत हो। मैं तो तुमसे शादी करने के लिए रेडी हूँ, क्या तुम मुझे अपना पति बनाने के लिए रेडी हो?
मैं: अर्जुन, देखिए मैं पहले लड़का था और अब सेक्स चेंज सर्जरी के बाद लड़की बनी हूँ। मेरे मम्मी पापा चाहते हैं कि मैं शादी कर लूं लेकिन मेरे भी कुछ सपने हैं और अगर मैने आपसे शादी के लिए हां कर दी तो मेरे सपने कभी पूरे नही हो सकेंगे!
अर्जुन: हर किसी के सपने पूरे हो जरूरी नही ऋषभ। मुझे ही देख लो, मैं संजना से शादी करने का सपना देख रहा था लेकिन वो पूरा तो नही हुआ ना! लेकिन ये भी जरूरी नही कि शादी के बाद तुम अपना सपना पूरा नही कर सकती, मैं सपोर्ट करूंगा और मेरे पेरेंट्स खुले मेंटेलिटी के हैं। वे भी तुम्हे सपोर्ट जरूर करेंगे।
मैं: लेकिन अर्जुन, मैं आपको एक पत्नी का सुख नही दे पाऊंगी। अंदर से आज भी मैं एक आदमी ही हूँ और मुझे लड़कियों के लहजे में बोलने में इतनी प्रॉब्लम हो रही है, आपकी लाइफ खराब हो जाएगी। प्लीज् आप ही इस शादी के लिए मना कर दो प्लीज्।
अर्जुन: सॉरी ऋषभ। तुम्हारे जैसी खूबसूरत लड़की को शादी के लिए ना कैसे कह दूं। मुझे तुम पसन्द हो और यकीन जानो, शादी के बाद तुम्हारे भीतर के आदमी को औरत बना दूंगा उसकी फिक्र तुम मत करो। और रहे तुम्हारे सपने, उन्हें मैं पूरे करूंगा। तुम मेरे साथ अपने सपने शेयर कर सकती हो ऋषभ।
ऋषभ: अर्जुन, आप अच्छे दिल के हैं। लेकिन मेरे लिए ये डिसिशन लेना थोड़ा टफ है। मुझे थोड़ा टाइम चाहिए।
इससे पहले कि अर्जुन कोई जवाब देते, मम्मी वहां आ गयी और श्वेता भी। मुझे बहुत ज्यादा घबराहट हो रही थी और मेरे कुछ भी समझ मे नही आ रहा था। सामने से अर्जुन की मम्मी भी आ गईं तो श्वेता ने मेरा घूंघट कर दिया।
अर्जुन की मम्मी: तो ऋषभ बिटिया, कैसा लगा तुम्हे हमारा अर्जुन!क्या तुम्हें अर्जुन पसन्द है?
मैं (हल्की आवाज़ में शर्माते हुए): अर्जुन अच्छे हैं।
अर्जुन की मम्मी: चलो समधन जी, लड़की को भी लड़का पसन्द है।
फिर अर्जुन की मम्मी मेरे पास आकर बैठ गयी और बोली: मेरे बेटे के लिए दुल्हन के रूप में तुमसे सुंदर नही मिल सकती थी। अपनी कलाई आगे कर।
मैंने अपने दोनों कलाई आगे कर दी तो अर्जुन की मम्मी ने अर्जुन को सोने के कंगन देकर बोली कि वो मुझे कंगन पहना दे। अर्जुन ने मेरी कलाइयों में सोने के कंगन पहनाए और फिर उसकी मम्मी ने एक हैवी डिज़ाइनर नथ अर्जुन को देकर कहा कि वो मुझे पहना दे। इसपर मेरी मम्मी बोली कि ऋषभ ने अभी तक नाक और कान नही छिदवाए हैं और वो नथ अपने पास रख ली। लेकिन अर्जुन की मम्मी ने मीठी मम्मी से प्रॉमिस लिया कि वो कल ही मेरे नाक और कान छिदवा देंगी और अच्छे से सजा धजा कर फ़ोटो क्लिक करके उन्हें भेज देंगी। मेरी मम्मी ने भी उन्हें हंसते हुए हाँ कर दिया। फिर अर्जुन अपने पेरेंट्स के साथ अपने घर चले गए, श्वेता मुझे गुड लक विश करके अपने घर चली गयी। मेरी मम्मी पंडित जी से कॉल पर मेरी और अर्जुन की सगाई और शादी की डेट निकलवाने की बात करने बैठ गयी और पापा अपने दोस्त से मिलने घर से निकल गए। वहीं घूंघट में चुप चाप बैठा मैं यही सोच रहा था कि क्या से क्या हो गया। मेरी लाइफ में और कितना ह्यूमिलियेशन लिखा है समझ नही आता। लड़के से लड़की बना और अब मेरी शादी भी फिक्स हो चुकी, मैं किस्से क्या कहूँ, कहाँ जाऊं, ना ही मम्मी समझ रही है और ना ही पापा। मेरी अंतर्दशा कोई समझने को तैयार नही। अब तो मुझे ऐसा लग रहा था कि मम्मी पापा इसी इंतज़ार में बैठे थे कि कब मैं सेक्स चेंज ऑपेरशन करवाकर लड़की बनू और कब वे मेरी शादी करवा दें। अभी हॉस्पिटल से रिटर्न् आया एक दिन नही हुआ और मेरे लिए लड़का भी फिक्स हो गया, मेरी शादी उसी मर्द से होने वाली है जिससे मेरी बहन की शादी होने वाली थी। संजना को तो इस बारे में कुछ पता भी नही, एक मर्द से शादी, ओह्ह नो, क्या यही मेरा फेट है, क्या इसीलिए मैंने इस घर मे जन्म लिया है। अब मैं कहाँ जाऊं, किस्से अपने मन की बात कहूँ और मुझे समझने वाला कौन है यहां, कुछ समझ नही आ रहा। ड्रेसिंग टेबल पर देखा, मेरी होने वाली सास ने जो खानदानी नथ दिया था पहनने को, कितना बड़ा और हैवी है। इतने बड़े नथ कौन लड़की पहनती है, कल मेरे नाक और कान छिदवाने मार्किट ले जाएगी मम्मी। मेरी आइडेंटिटी खाक में मिल चुकी है, कोई रास्ता नही दिख रहा। मैं अपने ही ख्यालों में कब सो गया, कुछ पता नही चला।
अगले दिन, हर रोज़ की तरह साड़ी पहने किचन में मम्मी की हेल्प कर रहा था कि तभी डोरबेल की आवाज़ सुनकर मम्मी दरवाज़े पर गयी। एक लड़की आयी थी, जिसके हाथों में छोटा सा मेकअप बॉक्स था। मम्मी ने उसे वहीं बिठाया और मुझे उसके पास भेज दी। उस लड़की ने मुझे हाय कहा और मुझे बैठने को कहा। मैं सोफे पर बैठ गया तो उसने मेरे कान के निचले हिस्से पर पेंसिल से डॉट मार्क किया और कान के ऊपरी हिस्से तीन डॉट मार्क किया। दूसरे कान पर भी ठीक वैसे ही डॉट मार्क किया और उसने मेकअप बॉक्स से एक पियरसिंग गन निकाली उसमे 8 पिन्स सेट किये और मेरे कान पर सटा कर ट्रिगर दबा दिया। वो पिन मेरे कान को छेदता हुआ आर पार हो गया। बहुत दर्द हुआ, लेकिन उस लड़की ने समझाया कि अभी तो बहुत से छेद करने हैं। फिर उसने तीन बार मेरे कान के ऊपरी हिस्से में छेद कर दिया और पिन भी ठीक वैसे ही समा गया। मेरे दूसरे कान में भी बेरहमी से छेद करने के बाद उसने मेरे दोनों कानों की छेदों पर एक खास तरह का ऑइंटमेंट अप्लाई किया, मुझे बहुत आराम मिला। फिर उस लड़की ने मेरी नाक पर लेफ्ट साइड मार्क किया, तभी मम्मी वहां आ गयी। मम्मी उससे बोली कि नाक की लेफ्ट साइड नही, राइट साइड छेद करने को। उस लड़की ने मेरे नाक के राइट साइड मार्क किया, मुझे बहुत डर लग रहा था लेकिन मम्मी ने मुझसे कहा कि डरने की कोई जरूरत नही है, लड़कियों में नाक कान छिदवाना नार्मल होता है और मेरे कंधे पर हाथ रखकर वहीं खड़ी हो गयी। उस लड़की ने मेरे नाक पर पियरसिंग गन सेट किया और ट्रिगर दबाते ही उसमे से एक पिन निकलकर मेरे नाक में छेद करते हुए आर पार हो गयी। दर्द से मेरा बुरा हाल था, हल्का ब्लड भी निकला और मैं बहुत रोया, मम्मी ने मुझे शांत किया और समझया कि लड़कियों को इतना दर्द तो सहन करना पड़ता ही है। जब उस लड़की ने मेरी नाक पर ऑइंटमेंट लगाया तब जाकर मेरा दर्द कुछ शांत हुआ। मम्मी ने उस लड़की को पैसे दिए और वो लड़की वहां से मुस्कुराते हुए चली गयी। उसके जाते ही मैं मम्मी पर चिल्लाने लगा।
मैं: मम्मी ये सब क्या है, आपने मेरे नाक कान छिदवा दिए, एक आदमी के आठ शादी फिक्स कर दी और क्या चाहती हो?
मम्मी: मैं चाहती हूं कि मेरी प्यारी बिटिया रानी अपने स्त्रीत्व को एक्सेप्ट करके लाइफ में आगे बढ़े और यही हर मम्मी अपनी बेटी के लिए चाहती है। अब तुम अपने पसन्द की ज्वेलरीज पहन सकोगी, क्लिप वाली नही बल्कि असली सोने की ज्वेलरीज। खास तौर पर वो नथ जो तुम्हारी होने वाली सास ने तुम्हे पहनाने को कहा था, आई एम सो एक्सआईटेड, छह घण्टों में तुम्हारे नाक और कान का छेद क्लियर हो जाएगा, फिर तुम्हे जो भी ज्वेलरी पहननी है, पहन सकती हो।
मैं: हद है मम्मी! मैं अपने कमरे में जा रहा हूँ, मेरे नाक में दर्द हो रहा है अभी भी!
मम्मी: कोई बात नही, इन सब की आदत डाल लो।
फिर मैं अपने कमरे में चला गया और रूम को लॉक कर लिया। मैं आईने के सामने बैठकर खुद को देखने लगा, नाक और कान में छेद होने की वजह से मेरी शक्ल ही बदल गयी है। आई डोंट नो हाऊ तो हैंडल माय ह्यूमिलियेशन, शायद ही किसी लड़के को ऐसे ह्यूमिलियेशन का सामना करना पड़ा हो लेकिन ये सब सच मे मुझे काफी शर्मिंदगी दे रहा था। लंच करने के बाद मैं अपने कमरे में जाकर सो गया।
शाम को मम्मी कमरे में आई और मुझे जगाई।
मम्मी: ऋषभ बिटिया उठ जाओ, तुम्हारी होने वाली सास का कॉल आया था। वो तुम्हे नथ पहने देखना चाहती हैं।
मैं उठा, फ्रेश हुआ, मैंने आईने में अपने नाक की पिन को आगे पीछे करके चेक किया। वाकई मेरे नाक का छेद क्लियर हो चुका था और मेरे दोनों कानों के छेद भी क्लियर हो चुके थे, दैट मीन्स कि अब मम्मी मेरे नाक और कान में अपने पसन्द से जो चाहे पहना सकेगी। व्हाट द हेल, मैं लड़का था, कितनी आज़ादी थी। आपमे मन का करने को फ्री और अब मेरी होने वाली सास की मर्ज़ी से मुझे लड़कियों की तरह सजना सँवरना पड़ेगा। मम्मी ने मेरे दोनों कानों से पिन्स निकाल दी और मेरे दोनों कानों के ऊपरी तीन छेदों में एक एक सोने की बाली पहना दी और निचले हिस्से में बड़े बड़े सोने की झुमकी पहना दी। काफी हैवी झुमकी थी, लाइफ में पहली बार कान में झुमकी पहनने पर उसके वजन भर से कान दर्द दे रहा था, लेकिन मैं करूँ तो क्या करूँ। अब तो ये सब पहनना मेरी मजबूरी है और शादी के बाद ना जाने क्या क्या करना पड़ेगा अब तो यही डर सता रहा था। फिर मम्मी ने मेरे चेहरे को ऊपर उठाया और मेरे नाक की छेद से पिन को निकाल दी और मेरे नाक में वो हैवी डिज़ाइनर नथ पहनाने लगी।
मैं: आउच, मम्मी आराम से, ये कितना बड़ा है!
मम्मी: शुरू शुरू में थोड़ा अजीब लगेगा लेकिन फिर इसकी आदत हो जाएगी ऋषभ।
फिर मम्मी ने नथ को एक सोने की चेन से अटैच कर दी, सपोर्ट के लिए और मुझे आईने के सामने बिठाकर पूछी कि कैसे लग रहा है।
मैं: मम्मी, ये नथ और झुमकी काफी हैवी है, मेरे कान और नाक में दर्द हो रहा है।
मम्मी: चुप कर लड़की, तेरे तो नखरे ही खत्म नही होते। देख तेरी होने वाली सास का वीडियो कॉल भी आ गया है, चुपचाप नज़रें झुका कर बैठ और हां में हां मिलाना, समझी!
मैं चुपचाप एक दुपट्टे की ओढ़नी बना कर सिर झुकाए बैठ गया। मेरी होने वाली सास का वीडियो कॉल था, उन्होंने मुझे देखा और मेरी मम्मी से कहा कि ऋषभ तो बहुत खूबसूरत दिख रही है, इसे काला टीका लगा दो, किसी की नज़र ना लग जाये। फिर उन्होंने मुझसे कहा कि आज से ऐसे ही नथ और झुमकी हमेशा पहने रहना और मम्मी ने अपनी आंखों के काजल से मेरे गाल पर एक टीका लगा दी और दोनों मुस्कुरा उठे। मैं शर्म से गड़ा जा रहा था क्योंकि जो कुछ भी हो रहा था, मेरे सोच से परे था। मेरी होने वाली सास ने वीडियो कॉल पर कहा कि पंडित से शुभ मुहूर्त निकलवाई हैं, सगाई अगले हफ्ते की 2 तारीख को होनी है और शादी 10 तारीख को होगी। अर्जुन प्री वेडिंग फोटोशूट करवाना चाहता है, लोकेशन फिक्स हो चुकी है और वो एड्रेस भेज देंगी। परसो फोटोशूट होनी है और फिर मम्मी से शादी की तैयारियों में जुट जाने को बोलकर कॉल डिसकनेक्ट कर दी। मेरी मम्मी बहुत खुश थी क्योंकि मेरी सास भी शादी को लेकर बड़ी एक्सआईटेड थीं। आज मेरी और अर्जुन की प्री वेडिंग फोटोशूट थी और संजना भी अपने पति राजेश के साथ घर आने वाली थी और मम्मी उसके पति के स्वागत के लिये तरह तरह के पकवान बनाने किचन में चली गयी और मुझे भी अपने साथ किचन में ले गईं। दोपहर तक संजना और राजेश के स्वागत की तैयारी पूरी हो चुकी थी, मुझे स्नान भी करना था तो मैं नहाने चला गया। वाशरूम में गया तो खुद को देखकर हैरान रह गया, आज मैं किसी 18 साल की लड़की से थोड़ा भी कम नही दिख रहा था, मेरे बूब्स संजना और श्वेता से भी काफी बड़े और इतने दूधिया कि उनमें नसों को भी साफ देख पा रहा था मैं। आज मैं वाकई एक खूबसूरत लड़की में तब्दील हो चुका था और मेरे ऑवर गिलास बॉडी फिगर देख कर कोई भी मर्द पागल हो जाये। मेरे घने लंबे बाल अब मेरे पीठ तक आ चुके थे और मेरी गोरी त्वचा और वो भी हेयरलेस, मखमल सी, खुद को जब जब छूता, मुझे अजीब सा सेंसेशन फील होता। डेढ़ घण्टे बाद जब मैं स्नान करके वाशरूम से बाहर आया तो देखा कमरे में श्वेता और संजना बैठे आपस मे बातें कर रहीं थी।
मैं: श्वेता, संजना, तुमदोनो कब आयी?
संजना: मैं तो अभी जस्ट आयी और श्वेता भी बाहर ही मिल गयी तो सोचा साथ ले चलूं।
मैं: हम्म! तुम दोनों आपस मे बातें करो, मैं चेंज करके आता हूँ, चेंज करके आती हूँ!
मेरे बोलने पर दोनों हसने लगी और मैं कपड़े ले कर वाशरूम में चेंज करने आ गया। थोडा देर में पटियाला सूट पहनकर जब मैं कमरे में आया तो देखा संजना और श्वेता आपस मे मेरी शादी के बारे में डिस्कशन कर रहीं थीं। मुझे देखते ही, श्वेता मुझे आईने के सामने बिठाकर बोली कि आज वो मेरा मेकअप करना चाहती है। मैं ओके था तो मैंने भी कुछ नही कहा और आईने के सामने बैठ गया। संजना अपने कमरे में चली गई और श्वेता ने सबसे पहले एयर गन से मेरे बालों को सुखा दी। मेरे बाल, घने और काले थे और आज मैंने शैम्पू किया था तो बाल और भी रेशमी हो गए थे।
श्वेता: वाओ ऋषभ, कितने खूबसूरत और रेशमी बाल है।
मैं: थैंक्स!
श्वेता ने मेरे बालों को पफ विद हाई बन लुक दिया। आज मुझे पता चला कि श्वेता को इतना अच्छा हेयर स्टाइल भी बनानी आती है। फिर श्वेता ने मेरे हाथों में कूल्हों तक और पैरों में घुटनों तक बहुत ही आकर्षक मेहंदी की डिज़ाइन बनाई। दो घण्टे बाद जब मैंने मेहंदी धोयी तो मेहंदी का रंग काफी डार्क आया।
श्वेता बोली: मेहंदी का रंग जितना डार्क होता है, लड़की को उसका पति उतना ही प्यार करता है। मेरे बॉयफ्रेंड को अर्जुन बहुत प्यार करने वाला है, कितनी बदनसीब गर्लफ्रैंड हूँ ना मैं, जिसके बॉयफ्रेंड को एक मर्द ब्याह कर ले जाने वाला है और मैं कुछ भी नही कर सकती।
मैं: जब कुछ कर सकती थी तब तो तुमने कुछ किया नही, अब पछताने से क्या होगा श्वेता!
फिर श्वेता मेरे हाथों और पैरों के नाखूनों पर डार्क रेड नेल पॉलिश लगाई और मेरा मेकअप भी की। फिर मुझे महारानी स्टाइल लहँगा पहनाई जो कि बहुत बड़ा और हैवी थी और बिना ब्रा पहनाए ही बैकलेस चोली भी पहनाई, जो डिज़ाइनर होने के साथ काफी शार्ट और स्ट्रेची थी। पहली बार मैंने ऐसी चोली पहनी थी, जिसे पहनने के बाद मैं शर्म से लाल हुआ जा रहा था क्योंकि चोली से मेरे बूब्स का ऊपरी भाग साफ झलक रहा था। फिर श्वेता ने मेरे हाथों में ढेर सारे सोने कंगन और रंग बिरंगी सुहागिन का चूड़ा सेट पहना दी फिर दोनों हाथों में हाथ फूल, गले मे चोकर सेट और दो तीन नेकलेस, कमर में कमरबन्द, बाजुओं में बाजूबन्द, पैरों में हैवी चांदी के पायल और गोल्डन हाई हील्स पहनने के बाद मैं रेडी था। मुझे श्वेता के साथ प्री वेडिंग फोटोशूट के लोकेशन पर ले जाया गया। लहँगा चोली पहनकर अर्जुन
जी के साथ प्री वेडिंग फोटोशूट के दौरान कैमरामैन के कहे अनुसार अर्जुन जी ने ढेर सारे रोमांटिक पोज़ दिए, मुझे भी उन्हें सपोर्ट करना पड़ा। कभी टाइटैनिक
वाला पोज़ तो कभी दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे वाला पोज़, अर्जुन जी के इतने करीब आकर मैं जब भी उनकी ओर देखता,
मुझे बड़ी शर्मिंदगी होती, सामने मेरी गर्लफ्रेंड अपने फ़ोन में मेरी और अर्जुन
जी की रोमांटिक फोटोशूट को रिकॉर्ड कर रही थी। इट वज क्वाइट एम्बैरसिंग, कभी अर्जुन जी मुझे अपनी बाहों में उठा लेते तो
कभी कमर में हाथ से ऐसे जकड लेते मानो मेरी जान ही निकाल देंगे। फिर एकदम अचानक से
अर्जुन जी ने मेरी आँखों में देखा, मेरी चिन को अपने
हाथों से ऊपर उठाया और मेरे होंठों को चूमने लगे, उनका एक हाथ मेरी कमर में था और फोटोग्राफर हम दोनों की
तस्वीर ले रहा था। अर्जुन जी की गर्म साँसों की खुशबु, जब मेरी साँसों में समायी तो मेरी सांसें तेज़ हो गयी,
चेहरा लाल हो गया और आँखें शर्म से झुक गयी। श्वेता
ये सब देख रही थी, उसको मुस्कुराता
हुआ देख मुझे बहुत बुरा लगा। खुद की गर्लफ्रेंड के सामने किसी गैर मर्द के साथ
रोमांटिक प्री वेडिंग फोटोशूट और ऊपर से लिप टू लिप किस, ओह्ह गॉड, मैं शरम से गड़ा
जा रहा था। समझ में नहीं आ रहा था कि श्वेता से नज़रें कैसे मिलाऊँ। फोटोशूट ख़त्म
होने के बाद अर्जुन जी ने मुझे और श्वेता को घर पर ड्राप किया और मेरे कार से
निकलने से पहले मुझे एक बार और स्मूच किया, जो मेरे लिया काफी ह्युमिलियटिंग था। घर पहुंचने के बाद श्वेता
मम्मी के साथ मेरी फोटोशूट का डिस्कशन करने बैठ गयी और मैं अपने कमरे में आ गयी।
एक मर्द का मुझे ऐसे रोमांटिक अंदाज़ में स्मूच करना, मेरी लाइफ का पहला किस
था। आई डोंट नो श्वेता ने मम्मी को क्या क्या बताया लेकिन मेरे ख्यालों में सिर्फ
और सिर्फ मेरा फ्यूचर था जो अब पूरी तरह तबाह हो चूका था। आँखें बंद करूँ तो अर्जुन
जी का रोमांस याद आने लगता और आँखें खोलूं तो मेरा कमरा देख कर काफी एम्बारसमेंट
होता। कभी मैं एक लड़का था, फ्री था कुछ भी करने के लिए, जहाँ मन करता जाता, घूमता, ना सजने संवरने का झंझट
था और ना ही इतने हैवी ऑर्नामेंट्स पहनने होते थे। खुश था मैं लेकिन ना जाने किसकी
नज़र लग गयी मेरी ख़ुशी को जो मेरा अस्तित्व ही मुझसे छीन गया। लड़के के रूप में जन्म
लेना, बचपन से लड़कों के बीच पला बढ़ा, पढ़ाई भी लड़कों के साथ ही की,
कॉलेज में गर्लफ्रेंड भी
बनाई जिसके साथ मैं शादी करने वाला था। लेकिन अब मेरी शादी एक मर्द से होने वाली
है और लाइफ ससुराल में काटना पड़ेगा।
सगाई वाले दिन,
मुझे लाल रंग की
बनारसी सिल्क साड़ी, गोल्डन बैकलेस डोरी वाली ब्लाउज, हैवी ऑर्नामेंट्स, हाई हील्स पहनकर रेडी किया गया। हाथों में
डार्क मैरून राजा रानी स्टाइल मेहँदी, पीठ पर मेहँदी की डिज़ाइन, पैरों में घुटनों तक मेहँदी,
कानों में हैवी झुमकी और
तीन तीन सोने की लौंग जिसमे हीरा जड़ा था, नाक में गढ़वाली नथ जो
काफी बड़ा और हैवी था, पैरों में हैवी चाँदी की पायल जिसके छन छन की
आवाज़ मुझे इर्रिटेट कर रही थी। आँखों में काजल, माथे पर बिंदिया, कलाई सोने के कंगन और सुहाग का चूड़ा सेट से भरा ऊपर से कलाई में सोने का हाथ
फूल, मेरे बालों में हेयर ऑर्नामेंट्स आगे से मांगटीका, जिन्हे पहनने के बाद मैं चलती फिरती सोने चाँदी की दूकान लग रही थी। साड़ी के
आँचल से मेरा लम्बा घूँघट करके अर्जुन जी के पास ले जाया गया। पंडित ने कुछ
विधियां करवाई और फिर अर्जुन जी ने मेरे कनिष्ठ फिंगर में हीरे की बहुत ही सुन्दर
अंगूठी पहनाई। फिर मेरी मम्मी ने मुझे सोने की अंगूठी दी और मैंने अर्जुन जी के
कनिष्ठ ऊँगली में पहना दी। तालियों की गड़गड़ाहट से हॉल गूंज उठा और मेरे दोस्त सीटी
बजा रहे थे। मेरे दोस्तों में से कोई भी अर्जुन जी के जैसा लम्बा और बॉडीबिल्डर
नहीं था लेकिन सभी मेरे और अर्जुन जी के साथ ढेर सारे फोटोज क्लिक करवाए, मुझे गुड लक विश किया और मेरी कुछ तस्वीर क्लिक करके खाने चले गए।
श्वेता भी अपने
पेरेंट्स के साथ मेरी सगाई में आयी थी, उसने मुझे गिफ्ट दिया और
मुझे फ्यूचर के लिए गुड लक विश की। श्वेता आज उदास थी, जो कुछ ही दिनों पहले तक मेरी शादी को लेकर इतनी एक्साइटेड थी। मैंने श्वेता
से पूछा तो उसने बताया कि उसे मेरे लिए बहुत दुःख हो रहा है, मर्द से औरत बनने
के बाद एक मर्द से मेरी शादी हो रही है जो उसके लिए असहनीय है और शायद वो मेरी
शादी में भी नहीं आएगी। मैं असहाय थी, चूँकि मैं भी एक औरत बन
चुकी थी जिसकी सगाई भी हो चुकी थी। क्या करती मैं, मैंने श्वेता से कहा कि
बहुत जल्द उसे एक अच्छा बॉयफ्रेंड मिल जायेगा और वो वहां से चली गयी। सगाई के दौरान अर्जुन जी की माँ ने मुझे
गिफ्ट्स दीं और भी बहुत से गिफ्ट्स मिले। अर्जुन जी भी मेरे लिए गिफ्ट्स लेकर आये
थे और सगाई के बाद जब वो जाने लगे तो मुझे वो गिफ्ट्स देकर कहा कि इन्हे रात को
खोलकर देखना। मैंने उन्हें हाँ कहा और सपरिवार अर्जुन जी हमारे परिवार से विदा
लेकर चले गए।
रात में,
गिफ्ट्स से मेरा
पूरा कमरा भरा पड़ा था। मैंने चेंज तो कर लिया लेकिन मम्मी मुझे ऑर्नामेंट्स नहीं
उतारने दी। इतने सारे ऑर्नामेंट्स पहने रखना मेरे बस की बात नहीं, मैंने मम्मी को समझाया तो मम्मी ने मुझसे कहा कि कंगन, झुमकी, पायल और नथिया पहनकर रखूं। बाकी सभी
ऑर्नामेंट्स उतारकर मैं नाईट गाउन पहन ली और गिफ्ट्स खोलकर देखने लगी। मैंने सबसे
पहले अर्जुन जी की मम्मी का गिफ्ट खोलकर देखा तो उसमे दो कांजीवरम सिल्क साड़ी, एक येल्लो, एक पिंक और एक रेड जॉर्जेट साड़ी रखी थी। उसके
नीचे एक ज्वेलरी बॉक्स था जिसमे बहुत ही बड़ा किन्नौरी नथ रखा था जो कसम से इतना
बड़ा था कि देखकर मैं डर गयी। इतना बड़ा नथ भी भला होता है क्या, मेरी तो समझ में ही नहीं आ रहा था कि शादी के बाद ससुराल में मेरी लाइफ ना
जाने कैसी होगी? फिर मैंने और सभी गिफ्ट्स खोलकर देखा जिनमे तरह
तरह के डिज़ाइनर साड़ियां, मैचिंग ब्लाउज पीसेज़, पेटीकोट, सलवार कमीज, पंजाबी सूट सलवार, प्लाज़ो सूट्स, अनारकली सूट्स और तरह तरह के गहने थे। गिफ्ट्स
में ज्यादातर साड़ियां और सूट्स थीं। आखिर में मैंने अर्जुन जी के गिफ्ट्स को खोलकर
देखा तो हैरान रह गयी। करीब दस तरह की बेबीडॉल ड्रेसेज़, सोने का नोज पिन जिसमे हीरा जड़ा था और मिनी स्कर्ट के साथ एक आईफोन और एक लेटर
भी था।
लेटर में लिखा था,
हाय जान, फाइनली तुमने मेरे गिफ्ट्स को खोलकर देख ही लिया। ये आईफोन एलेवेन सिर्फ मेरी
डार्लिंग के लिए है। जब भी मैं कॉल करूँ, जरूर पिक करना। इस आईफोन
में हमारी प्री वेडिंग फोटोशूट्स के सभी फोटोग्राफ्स और वीडियोस हैं। आई लव यू ऋषभ, तुम बहुत खूबसूरत हो। यू नो व्हाट, उस दिन मंदिर से लौटते
समय भी तुमने अपनी बहन होने की एक्टिंग बखूबी की, लेकिन तब मैं जानता था कि
तुम ऋषभ हो संजना नहीं। तुम्हे अपनी दुल्हन के रूप में पाकर मुझे दुनिया जहाँ की
ख़ुशी मिल गयी है। संजना मेरी ना हो सकी, लेकिन तुम्हारी माँ ने
तुम्हे मुझसे शादी करने के लिए तैयार कर लिया। मुझे नहीं पता कैसे किया लेकिन यकीन
मानो ऋषभ, तुम संजना से भी काफी खूबसूरत हो और अगर मेरी
संजना से शादी होने के बाद तुम सेक्स चेंज करवा कर लड़की बनती और किसी और मर्द से
तुम्हारी शादी होती तो मुझे बहुत दुःख होता। मैं शादी को लेकर काफी एक्साइटेड हूँ
और मैंने तुम्हारे लिए शादी में पहनने के लिए एक महारानी स्टाइल लहँगा ख़रीदा है जो
मैं शादी से दो दिन पहले भेज दूंगा। आई होप तुम भी शादी को लेकर काफी एक्साइटेड हो
ऋषभ। तुम्हारा फिगर बहुत ही आकर्षक है और शादी के बाद हम हनीमून मनाने गोवा
जायेंगे और उसकी टिकट्स भी बुक कर चूका हूँ मैं। अपना ख्याल रखना मेरी रानी, मैं जल्द तुम्हे ब्याहकर अपनी दुल्हन बनाकर अपने साथ ले जाऊंगा।
तुम्हारा अर्जुन!
लेटर पढ़ने के बाद
अर्जुन जी की एक्साइटमेंट का पता चल रहा था। वो काफी एक्साइटेड थे शादी को लेकर और
मैं उतनी ही नर्वस। देखते ही देखते शादी का दिन भी आ गया। शादी से दो दिन पहले
मेहँदी और हल्दी की रस्में, लेडीज़ संगीत में मुझे भी नचाया गया और मेरे
डांस का कम्पेरिज़न आलिया भट्ट से की जा रही थी। मेरे डांस का वीडियो संजना ने अर्जुन
जी को भेजा तो उनका कॉल ही आ गया उस दिन, लेकिन मैंने उनका कॉल पिक
ही नहीं किया। मुझे बहुत शरम जो आ रही थी। संजना की शादी जितनी धूमधाम से होने
चाहिए थी, उससे भी धूमधाम से मेरी शादी की तैयारी चल रही
थी। अर्जुन जी ने जो महारानी स्टाइल लहँगा चोली भिजवाया था मेरे लिए, वो काफी हैवी था और काफी बड़ा भी और चोली उतनी ही छोटी और बैकलेस थी। शादी की
पूरी तयारी पूरी हो चुकी थी। दुल्हन की तरह महारानी स्टाइल लहँगा चोली पहनकर जब
मैं रेडी हुई तो आईने में खुद की खूबसूरती देखकर हैरान रह गयी। मेरी ट्विन सिस्टर
संजना के जैसी मैं भी बहुत खूबसूरत दिख रही थी। मेरी कमर, नाभि पीठ सब विज़िबल थी। हाथों में कुहनी तक राजा रानी स्टाइल मेहँदी, पैरों में घुटनो तक डिज़ाइनर मेहँदी, दोनों कानों में बड़े बड़े
झुमकी और तीन तीन सोने की बाली,
नाक में ससुराल से आयी
किन्नौरी नथ, गले में नौलखा हार, ऊपर से सोने के तीन नेकलेस,
पैरों में हैवी चाँदी की
पायल, पैरों की उँगलियों में चाँदी के बिछुए, कमर में कमरबंद, बाहों में बाजूबंद, कलाई में सुहाग का छुड़ा, सोने के चार चार कंगन, हाथ में सोने का हाथफूल और कलीरे, माथे पर सोने का मांगटीका
और माथे को छोटी छोटी बिंदी से बड़ी ही खूबसूरती से सजाया गया था। किसी खूबसूरत सी
दुल्हन की तरह सज संवर कर मैं घूँघट में सिर झुकाये बैठी बारात के आने का इंतज़ार
कर रही थी।
शादी में मेरे
सभी रिश्तेदार, दोस्त, आस पड़ोस की औरतें, कॉलोनी की लड़कियां और घरेलु सेज सम्बन्धी सभी आये थे। मेरे बचपन का दोस्त सूरज
भी अपनी पत्नी के साथ मेरी शादी में आया था। मैं अपने कमरे में सज धज कर घूँघट में
बैठी बारात के आने के इंतज़ार में थी तभी कमरे में सूरज अपनी पत्नी के साथ आया और
मुझे मेरे नाम से पुकारा।
सूरज: मैं अंदर आ
सकता हूँ ऋषभ?
सूरज की आवाज़ सुनकर
मुझे यकीन नहीं हुआ कि मेरे बचपन का बेस्ट फ्रेंड मेरी शादी में आया है वो भी अपनी
पत्नी के साथ। सूरज यूएस में रहता है और बहुत ही बड़ी कंपनी में अच्छे पोजीशन पर
वर्किंग है। मैंने अपनी फेमिनिन आवाज़ में सूरज को अंदर आने को कहा। सूरज की पत्नी
श्रुति मेरे पास आयी और मेरा घूँघट को हल्के से उठाकर मेरा चेहरे को देखकर मेरी
खूबसूरती की तारीफ की। दो साल पहले जब सूरज और श्रुति की लव मैरिज हुई थी, तब मैं लड़का था और उसकी शादी में बहुत एन्जॉय की थी।
सूरज: ये सब कैसे
हो गया ऋषभ, तुम लड़की कैसे बन गए, मतलब कैसे बन गयी?
मैं: इट्स अ
लॉन्ग स्टोरी सूरज, तुम बताओ, कैसे हो तुम?
सूरज: मैं बढ़िया, माँ ने बताया कि तुम्हारी शादी हो रही है तो मैं यूएस से सिर्फ तुम्हारी शादी
अटेंड करने आ गया। यहाँ आने पर पता चला कि तुम लड़की बन चुकी हो और एक उम्रदराज़
मर्द से शादी कर रही हो आज और तुम्हारा सेक्स चेंज ऑपरेशन भी हो चूका है। आई कैंट
बिलीव ऋषभ, लड़की बनने के बाद तुम संजना जैसी दिख रही हो।
लेकिन ये सब कैसे हो गया, श्वेता कहाँ है, वो नहीं आयी तुम्हारी
शादी में?
श्रुति: कैसी बात
करते हो आप, श्वेता इस शादी में आकर क्या करेगी, आई थिंक वो नहीं आएगी। एक उम्रदराज़ मर्द उसके बॉयफ्रेंड को अपनी दुल्हन बनाकर
ब्याह कर ले जाने वाला है। ये कितना हार्ट ब्रेकिंग मोमेंट है श्वेता के लिए, इसका जरा भी अंदाज़ा नहीं है न तुम्हे।
फिर सूरज और
श्रुति ने मुझे गुड लक विश किया और शादी एन्जॉय करने नीचे चले गए। बारात आने ही वाली
थी क्यूंकि अर्जुन जी ने मुझे मैसेज करके बता दिया था कि वे थोड़ी आने वाले हैं। सूरज और श्रुति के जाने के बाद
मैं सोचने लगी, सूरज ने अपनी गर्लफ्रेंड से शादी की और आज
दोनों कितने खुश हैं। इधर मेरी शादी मेरी गर्लफ्रेंड से ना होकर एक उम्रदराज़ मर्द
से होने जा रही है और मैं दुल्हन बनकर अपने दूल्हे राजा के आने के इंतज़ार में थी।
तभी धूम धड़ाके की आवाज़ सुनकर मेरी हार्ट बीट बढ़ गयी, बॉडी में कंपकंपी होने
लगी। थोड़ी देर में मम्मी और कुछ लड़कियां मुझे स्टेज पर ले जाने को आयीं।
मैं: मम्मी मुझे
शादी नहीं करनी, मुझे बहुत डर लग रहा है। प्लीज् मम्मी ये शादी
रुकवा दो, आप सभी को छोड़कर मुझे नहीं जाना।
मम्मी: हाउ क्यूट, दुल्हन को नर्वसनेस होना लाज़मी होता है। लेकिन मेरी बिटिया, दूल्हे राजा आ चुके हैं अब कुछ भी नहीं हो सकता। वाटरप्रूफ मेकअप इसीलिए तो
करवाई थी ताकि तुम्हारे आंसू तुम्हारा मेकअप ख़राब ना कर सकें।
मैं: मम्मी आपको
मेकअप की पड़ी है, मुझे अर्जुन जी से शादी नहीं करनी, मुझे अपना घर छोड़कर किसी और के घर नहीं जाना। मम्मी प्लीज्!
इससे पहले मैं कुछ और कहता, मम्मी ने मुझे उठाया और लड़कियों से कहा कि मुझे स्टेज तक ले चलें। मेरे नर्वसनेस का कोई अंत नहीं था, बॉडी में कंपकंपी और लहँगा भी इतना हैवी कि मुझे अपने दोनों हाथों से उन्हें उठा कर चलना पड़ रहा था। हर एक कदम के साथ छनछन की आवाज़, मेरे ऑर्नामेंट्स भी काफी आवाज़ कर रहे थे और मेरे बूब्स भी काफी हिल रहे थे। धीरे धीरे चलते चलते मैं स्टेज पर जा पहुंची जहाँ अर्जुन जी शेरवानी पहनी, किसी नवाब के जैसे तनकर खड़े थे। मैंने अर्जुन जी की आरती उतारी जिसके बाद जयमाला हुई और फिर हमदोनो को मंडप पर ले जाया गया। अर्जुन जी के साथ साथ सात फेरे लेने के बाद, अर्जुन जी ने मेरे गले में मंगलसूत्र और मांग में ढेर सारा भक़रा सिंदूर भर दिया जो मेरे नाक से लेकर मेरे माथे के बीचोबीच तक था। मेरे मम्मी पापा ने मेरा कन्यादान किया और शादी की रस्में सुबह के चार बजे तक चली।
शादी के रस्मों के ख़त्म होने के बाद बिदाई का टाइम हो गया और मुझे जिस पल का
सबसे ज्यादा डर था, वो पल आ चूका था। अपने मम्मी पापा बहन से
लिपटकर मैं बहुत रोई और फिर अर्जुन जी मुझे अपने कार में बिठाकर अपने घर ले गए।
आधे रस्ते तक मैं
अपने मम्मी पापा और बहन से बिछङने के दुःख में बहुत रोई और रोते रोते अर्जुन जी की
बाहों में, अपना सर अर्जुन जी के कंधो पर रख जाने कब नींद
की आगोश में समा गयी। जब मेरी नींद खुली तो मैंने एक बहुत ही सुन्दर कमरे में थी, बहुत ही बड़े बिस्तर पर मैं लेटी हुई थी, ऊपर दो तीन झूमर लटक रहे
थे और बिस्तर के राइट साइड में बहुत ही बड़ा मिरर लगा हुआ था। बिस्तर काफी नरम था
और मुझे उठने का बिलकुल भी मन नहीं कर रहा था। दरवाज़ा लॉक था और कमरे में मेरे
सिवा कोई नहीं था। थोड़ी देर मैं वैसे ही
लेटी रही तभी दरवाज़े पर आहाट हुई और मैंने अपने घूँघट से अपना चेहरा ढंक लिया।
मेरी सास और एक लड़की कमरे में आयी। मेरी सास ने बताया कि वैसे तो अर्जुन की कोई
सगी बहन नहीं है लेकिन नताशा बुआ जी की बेटी है और अर्जुन की सबसे प्यारी बहन भी।
फिर हमदोनो को आपस में बात करने को बोलकर मेरी सास कमरे से बाहर चली गयी।
नताशा: भाभी, मैंने तो आपका चेहरा भी नहीं देखा, एक बार घूँघट हटा दो।
मैंने अपना घूँघट
हटाया और सामने नताशा मुझे देखकर मुस्कुरा उठी।
नताशा: वाओ भाभी, आप तो बॉलीवुड की एक्ट्रेस के जैसी सुन्दर हो। भैया इतनी सुन्दर दुल्हन लाये
हैं, आपको किसी की बुरी नज़र ना लगे।
फिर नताशा ने
अपनी आँखों से काजल निकालकर मेरे गाल पर एक काला टीका लगा दिया।
फिर नताशा ने
मुझे अर्जुन जी के बारे में बताना शुरू किया।
नताशा: अर्जुन
भैया बड़े ही प्यारे हैं। बचपन से ही वो हमेशा मेरी पसंद का खास ख़याल रखते हैं।
रक्षाबंधन में मैं कुछ भी मांग लूँ,
वे मना नहीं करते हैं और
घर में सभी के चाहते हैं। इतने बड़े बिजनेसमैन होने के बावजूद अर्जुन भैया घर के
नौकरों के घरों का भी खुद ही ख्याल रखते हैं। मामा तो दिन रात बिज़नेस और मीटिंग्स
में ही लगे रहते हैं लेकिन उनके बिज़नेस में अर्जुन भैया का इन्वेस्टमेंट रहता हैं।
लेकिन भाभी, मामी बता रहीं थी कि आप पहले बचपन से लड़का थीं, उसके बाद सेक्स चेंज करवाकर लड़की बन गईं। ऐसा क्यों किया आपने?
मैं: नताशा जी, मैं भले ही बचपन से लड़का थी लेकिन मेरे होर्मोनेस में होने वाले बदलाव के कारण
मेरे बॉडी के Y क्रोमोसोम्स X क्रोमोसोम्स में तब्दील
हो गए। जिसके बाद मुझे अपना सेक्स चेंज करवाना पड़ा।
नताशा: ओह्ह!
भाभी आज आपकी भैया के साथ पहली सुहागरात है। कैसा लग रहा है आपको?
मैं (शरमाते
हुए): आई डोंट नो!
नताशा: भाभी आप
शरमाते हुए कितनी प्यारी लग रही हो।
फिर नताशा ने
मुझे बताया कि वो भी उसी कॉलेज में पढ़ती है जिसमे मैं और श्वेता साथ पढ़ती थी और
उसका बॉयफ्रेंड भी मेरे घर के पास ही रहता है। नताशा पढ़ने में काफी अच्छी थी और
उसने हमेशा कॉलेज में टॉप किया था। काफी देर नताशा के साथ सवाल जवाब करती रही, पसंद नापसंद, शादी के बाद कैसा फील हो रहा है, फ्यूचर प्लान्स क्या है? नताशा के सवाल ख़त्म ही नहीं हो रहे थे, इस बीच मेरी सास कमरे में आ गयीं और नताशा से बोलीं कि मेरा मेकअप ठिक करके
हॉल में ले आये। नताशा ख़ुशी ख़ुशी मान गयी। नताशा ने मेरा मेकअप ठीक किया और मेरे
आँखों में काजल और होंठों पर थोड़ा ग्लॉस अप्लाई की, मेरी बास्केल्स चोली को
थोड़ा टाइट कर दी और फिर घूँघट करके मुझे हॉल में ले आयी जहाँ तरह तरह के दूल्हे
दुल्हन वाले गामेंस में अरजुन जी के साथ खेलने को बिठा दिया गया। दूध में अंगूठी
ढूंढते समय अर्जुन जी ने मेरी उँगलियों में अपनी उँगलियाँ फंसा दी, आई वाज़ लाइक सो नर्वस और फिर मैंने अंगूठी को दूध से बाहर निकाली तो सभी एकदम
से खुश हो गए। दुल्हन अगर इस तरह की गेम्स में दूल्हा से जीते तो उसे अच्छा माना
जाता है। फिर कुछ औरतें आयीं, मेरा घूँघट हटाकर मेरा चेहरा देखतीं, मुझे नेग देतीं और मेरी खूबसूरत की तारीफ करके चली जातीं। काफी देर तक ऐसा
चलता रहा और फिर मुझे फिर से मेरे कमरे में ले जाया गया। थोड़ी देर में नताशा मेरे
लिए लंच ले कर आयी और हमदोनो ने एक साथ लंच किया। नताशा ने मुझे रेस्ट करने को कहा
क्यूंकि शाम में ही रिसेप्शन होना था। मैंने सोचा कम से कम ५ घंटे तो सो ही लूँ। मैं तो चाहती थी कि अपने शरीर से सारे कपडे और
गहने उतार दूँ लेकिन नताशा ने मुझे सैंडल्स भी उतारने नहीं दी। मैं वैसे ही बिस्तर
पर लेट गयी और नताशा से बात करते करते नींद के आगोश में समा गयी। अभी मेरी नींद
पूरी भी नहीं हुई थी कि मेरी सास ने मुझे जगाया।
मेरी सास: जाग
जाओ बहु, शाम हो गयी है। रात को रिसेप्शन की तयारी करनी है।
मेरी सास के
जगाने पर मेरी नींद भी खुल गयी और नताशा की भी।
नताशा: मम्मी आप
जाओ, मैं भाभी को रिसेप्शन के लिए तैयार करके लाती हूँ।
फिर मेरी सास के
जाने के बाद मैं फ्रेश होने वाशरूम में गयी और रिटर्न आने पर नताशा ने मुझे
सेमिन्यूड होने को कहा। मैंने हाई हील्स, लहँगा चोली सब उतार दी और
अब मैं अपने गहने भी उतरने वाली थी कि नताशा ने उसके लिए मना कर दिया। नताशा ने
मुझे चमचमाती हुई सिल्वर रंग की फुल स्लीव बैकलेस ब्लाउज पहनाई और नाभि के नीचे से
एक साटन पेटीकोट भी। फिर एक रेड साटन साड़ी पहनकर मुझे रेडी किया, मेरे गहने ठीक किये और मेरा मेकअप कर के मेरे बालों का सुन्दर सा जुड़ा बना
दिया। मुझे फिर से गोल्डन रंग का हाई हील्स पहनाया गया और फिर मेरी साड़ी के पल्लू
से मेरा घूँघट करके बिठाकर नताशा मेरी सास को बुलाने चली गयी।
जब मेरी सास कमरे में आयी तो उसने मेरी खूबसूरती की तारीफ की और नताशा को अपने गले से सोने का चेन निकालकर पहना दी। फिर मेरी सास मुझे स्टेज पर ले गयी, रिसेप्शन आलरेडी शुरू हो चुकी थी, मेहमान आते, मैं सभी बड़े बुजुर्गों के पैरों को चुकार उनके सौभाग्यवती भवः, सदा सुहागन रहो जैसे आशीर्वाद लेती रही। अर्जुन जी के फ्रेंड्स भी आये थे और उन्होंने मेरे और अर्जुन जी के साथ काफी तस्वीरें क्लिक करवायीं। रिसेप्शन ओवर होने के बाद मुझे फिर से मेरे कमरे में ले जाया गया जो फूलों से सजाया हुआ था। मैंने बिस्तर को देखा, सुहागरात की सेज़ रेडी थी। मुझे काफी नर्वसनेस हो रहा था। आई वाज़ अबाउट टू सेलिब्रेट सुहागरात विद माय हस्बैंड। सभी मेहमानों के जाने के बाद अर्जुनकी कमरे में आये तबतक मैं सो चुकी थी। अर्जुन ने मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए और मुझे काफी जोर से स्मूच किया। आई वज लाईक, ये अचानक से मेरे दिल की धड़कनें इतने तेज़ हो गयीं और बॉडी में कंपकंपी होने लगी। अर्जुन जी आँख भी मिलाने में शरम आने लगी। फिर मैंने अर्जुन जी को बिस्तर से उतरने को कहा और मैं भी बिस्तर से उतर गयी। टेबल पर राखी केसर मिल्क मैंने अर्जुन जी को ऑफर की तो उन्होंने मेरा हाथ पकड़ लिया और मेरे हाथों से वो केसर वाला दूध एक ही घूंट में पी गए। मैंने गिलास टेबल पर रखा और जैसे ही मुड़ी, अर्जुन जी ने मुझे अपनी बाहों में उठा लिया और मेरे साथ रोमांस करने लगे। मैंने लाइफ में कभी भी नहीं सोचा था कि एक दिन ऐसा भी आएगा जब मैं एक मर्द की दुल्हन बनूँगी और वो मेरे साथ वो सब करेगा जो मैंने श्वेता के साथ करने का सोचा था। लेकिन दिस इज माय फेट, मैं अर्जुन जी की दुल्हन हूँ और आज उनका पूरा हक़ है मेरे साथ सुहागरात मनाने का। मैं चाह कर भी उन्हें नहीं रोक सकती थी। अर्जुन जी की बाहों में थी मैं और वो मेरे अंग अंग को चूमे जा रहे थे। काफी देर तक मेरे साथ रोमांस करने के बाद उन्होंने मुझे बिस्तर पर लिटा दिया और मेरे ऊपर चढ़ गए। मैं तो दब ही गयी, अर्जुन जी पूरी तरह से न्यूड हो गए और उनका मोटा काला लंड देखकर तो मेरा होश ही उड़ गया। इतना बड़ा और मोटा काला लंड, ओह माय गॉड, क्या होगा मेरा, मैंने अपनी आँखें बंद कर ली तो अर्जुन जी ने मुझे आँखें खोलने को कहा और मेरी ब्लाउज की डोरी खोल दी और उसे मेरे बदन से अलग कर दिए। अब मैं ब्रा पहनी हुई थी और देखते ही देखते मेरे बदन से मेरी साटन साड़ी और जेवर भी अलग हो चुके थे। मेरे नाक की नथ और कानों के झुमकी छोड़कर अब मैं पूरी तरह न्यूड एक मर्द के बिस्तर की रानी बन चुकी थी। अर्जुन जी ने पास आये, मेरे नथ को एक तरफ उठा दिए और मेरे होंठों पर अपना होंठ रखकर फिर से स्मूच करने लगे। शर्मिंदगी का रियल अनुभव यही था, लेकिन मैं क्या करती, अर्जुन जी मेरे पति हैं अब। उनका कहा मानना मेरा धर्म बन गया था और अर्जुन जी ने अचानक से मेरे हथेली को अपने लंड पर रखकर उसे शेक करने के लिए बोले। ओह्ह गॉड, अर्जुन जी का लंड इतना मोटा और हैवी था, रियल मर्दानगी क्या होती है, आज पता चल रहा था मुझे। मैं अर्जुन जी के लंड को अपने हाथ से शेक करने लगी, ठीक वैसे ही जैसे पोर्न फिल्मों में होता है और देखते ही देखते अर्जुन जी का लंड और भी ज्यादा टाइट और लम्बा हो गया। मैं उठकर बैठ गयी और अर्जुन जी के लंड को अपने हाथ से शेक करने लगी और अब अर्जुन जी का लंड बिलकुल मेरे चेहरे के सामने था। अर्जुन जी ने मुझसे कहा कि मैं उनके लंड को अपने मुँह में ले लूँ लेकिन ऐसा करने का मेरा बिलकुल भी मन नहीं था।
मैं: अर्जुन जी, प्लीज् ये मुझसे नहीं हो पायेगा
मेरे ऐसे कहते ही अर्जुन जी का पूरा मूड स्पोइल हो गया और वे गुस्सा हो गए। "चटाक", उन्होंने मुझे एक थप्पड़ जड़ दिया और मुझे गुस्से से देखने लगे। अर्जुन जी का एक थप्पड़ इतना जोरदार था कि मैं अंदर से डर गयी और रोने लगी
अर्जुन जी: अभी दूसरा थप्पड़ खाने का मन है या जो बोल रहा हूँ करेगी?
दूसरा थप्पड़ खाने की हिम्मत मेरे अंदर नहीं थी, हिम्मत करके मैंने अर्जुन जी के लंड को अपने हाथ में लिया और उसके टिप पर किस करने लगी। "ओह्ह, ये कैसा स्मेल था!" मैं शब्दों में बयां नहीं कर सकती कि अर्जुन जी के लंड का स्मेल कैसा था लेकिन मज़बूरी थी मेरी, मैंने बिना कुछ कहे अर्जुन जी के लंड को अपने मुँह में ले ली और उन्हें ब्लोजॉब का मजा देने लगी। ये मैं क्या कर रही थी, ब्लू फिल्म्स देखते वक़्त मैं हमेशा सोचती थी कि जब मेरी शादी होगी तो मेरी पत्नी से ये सब करवुंगी लेकिन सेक्स चेंज ऑपरेशन करवा कर औरत बनने के बाद और अर्जुन जी की दुल्हन बनने के बाद आज सुहागरात की सेज पर मैं खुद अर्जुन जी को ब्लो जॉब दे रही थी। अर्जुन जी आँखें बंद करके ब्लोजॉब का मजा ले रहे थे और अचानक से उन्होंने मेरे बाल पकड़ लिए और मेरे मुँह को चोदना शुरू कर दिए। डीप थ्रोट और माउथ फकिंग के टाइम एक बार तो ऐसा लगा कि मेरी सांस ही रुक जाएगी, लेकिन तभी अर्जुन जी ने अपना लंड मेरे मुँह से बाहर निकाल लिए। बहुत राहत मिली मुझे लेकिन अर्जुन जी बिस्तर से उतर गए और मुझे अपनी बाहों में उठा लिए और अचानक से मेरे गांड में अपना लंड घुसा दिए। ऐसा लगा मानो किसी ने गर्म लोहा मेरी गांड में डालकर मुझे बीच से चीर कर रख दिया हो। लाइफ में पहली बार मेरी मेरी गांड में किसी का लंड गया था और वो भी इतना बड़ा कि दर्द से मेरी हालत ख़राब हो रही थी।
अर्जुन जी ने खड़े खड़े ही मेरी गांड में अपना लंड डालकर अगले पंद्रह मिनट्स तक चोदते रहे। आई वाज़ लाईक, मैं रो रही रही थी दर्द से, जोर जोर से आअह ओह्ह्ह उह्ह्ह कर रही थी लेकिन अर्जुन जी फुल एन्जॉयमेंट में लगे थे। उसके बाद अर्जुन जी मुझे बिस्तर पर लिटा दिए और मेरे दोनों पैरों को हवा में फैला कर मेरी वजाइना में अपना लंड घुसा दिए। "हाय राम, मम्मी!" जैसे ही उनका लंड मेरी वजाइना में घुसा, मेरी झुल्ली फट गयी, और उस दर्द से मैं जोर जोर से रोने लगी। थोड़ी देर तक तो अर्जुन जी शांत रहे लेकिन वो फिर से शुरू हो गए और मुझे चोदने लगे। दर्द इतना कि मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था और मैं उनके हर एक थ्रस्ट पर जोर जोर से रो रही थी, चिल्ला रही थी, रहम की भीख मांग रही थी लेकिन अर्जुन जी पर कोई असर नहीं हो रहा था। वे तो बस लगे थे मेरी चुदाई करने में।
मैं अर्जुन जी के लंड को अपनी वजाइना के अंदर हो रहे थ्रस्ट और रगड़ के बाद मेरे अंदर भी सेंसेशन आनी शुरू हो चुकी थी। दर्द और जलन के बाद अब मुझे अर्जुन जी के लंड का मेरे अंदर बाहर होना अब अच्छा भी लगने लगा था। लगभग बिस मिनट्स के हार्डकोर सेक्स के बाद जब मुझे ओर्गास्म होने ही वाला था कि अर्जुन जी ने भी मेरे वजाइना के अंदर ही अपना स्पर्म डिस्चार्ज कर दिया और ठीक उसी समय मुझे ओर्गास्म भी हो गया। ओर्गास्म होते ही मेरा पूरा शरीर मेरे कण्ट्रोल के बाहर हो गया और मैं अर्जुन जी के पीठ को जकड़कर अपने जिस्म में होने वाली कमज़ोरी और थरथराहट को कण्ट्रोल करने की कोशिश करने लगी। आँखों में आंसूं लिए, मैं सोच रही थी कि क्या यही मेरा फेट है? क्या इसी दिन के लिए मैंने जन्म लिया था। मेरा कौमार्य भंग हो चूका था, मेरा डिफ्लोरेशन हो चूका था और अपने पति की बाहों में एक नार्मल लड़की की तरह मैं आफ्टर सेक्स वीकनेस का मजा ले रही थी।
एक राउंड के बाद भी अर्जुन जी शांत नहीं हुए और वे एक बार फिर से मेरी चुदाई करने लगे। इस बार अर्जुन जी के थ्रस्ट काफी स्पीड और हार्ड थे और मेरे अंदर इतनी ताकत नहीं बची थी कि अर्जुन जी के सेकंड राउंड में उनका साथ दे सकूँ लेकिन उन्हें रोकना भी पॉसिबल नहीं था। अर्जुन जी ने मुझे घोड़ी बनाकर चोदा और आधे घंटे के हार्डकोर सेंसुअल सेक्स के बाद मेरे अंदर अपना स्पर्म लोड डिस्चार्ज करके मेरे ऊपर लेटकर मेरे बूब्स को चूसने लगे और अपने हाथों से मसलने लगे। दर्द हो रहा था मुझे, ताकत ख़त्म हो चुकी थी मेरी, दूसरे ओर्गास्म में बाद तो ऐसा लग रहा था कि मेरा ब्लडप्रेशर लौ हो गया है और आँखें भी जलने लगी थी मेरी।
मैंने सोचा कि ये सब ख़त्म हो चूका और अब मैं चैन से सो सकुंगी लेकिन ये फिर से चालू हो गए। एक बार फिर से अर्जुन जी मुझे अपनी बाहों में ले कर खड़े हो गए और मुझे खड़े खड़े ही चोदने लगे। तीसरे राउंड सेक्स के बाद जब मुझे तीसरी बार ओर्गास्म हुआ तो मैं अर्जुन जी की बाहों ने ही बदहवास होकर झूल गयी।
मैं बेहोश हो चुकी थी और
मुझे नहीं पता कि कब सुबह हुई और कब अर्जुन जी कमरे से बाहर चले गए। मैं अभी भी सो
रही थी, मेरे नाक में नथ और कानों में झुमकी और मेरे बदन पर सॉफ्ट
सी चादर ओढ़ाया हुआ था।
अर्जुन के
स्पेर्म्स लोड से मेरी वजाइना भरी हुई थी और थकान इतनी हो गयी थी कि मन ही नहीं हो
रहा था कि मैं बिस्तर से उठूं। थोड़ी देर में नताशा कमरे में आ गयी और उसने मुझे
नींद से जगाया। जब मैं जगी तो नताशा ने मेरे चेहरे को उठाया और मुस्कुराते हुए
मेरे सिरहाने पर बैठ गयी।
नताशा: भाभी, सुबह हो गयी है, जल्दी से फ्रेश हो जाओ, नीचे हॉल में सभी आपका इंतज़ार कर रहे हैं।
मैं: नताशा जी, मुझे बहुत वीकनेस हो रही है।
नताशा: अक्सर
फर्स्ट नाईट के बाद वीकनेस हो जाती है, ऋषभ भाभी, आप जल्दी से रेडी हो जाओ, आपको चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है, मैं मेडिसिन लेकर आयी हूँ।
फिर मैं बिस्तर से उत्री और वाशरूम की ओर जाने के लिए जैसे ही कदम बढ़ाई, दर्द से मेरी हालत ख़राब हो गयी, आँखों में आंसू आ गए और मैं वहीँ रुक गयी और अपने दर्द को कण्ट्रोल करने की कोशिश करने लगी। तभी नताशा मेरे पास आयी और मुझे सहारा देते हुए वाशरूम तक ले गयी। मैंने नताशा से कहा कि रूम को अंदर से लॉक कर ले। नताशा ने रूम को अंदर से लॉक कर लिया और मैं वाशरूम में आईने के सामने खड़े होकर अपने फेट को कोस रही थी। मेरा पूरा बदन जल रहा था, वजाइना और गांड का दर्द तो इतना ज्यादा कि एक कदम चलना दूभर हो रहा था। जैसे तैसे फ्रेश होकर स्नान करने के बाद छाती पर टॉवल लपेटकर मैं कमरे में आयी तो देखा नताशा ने मेरे बिस्तर की बेडशीट को चेंज कर चुकी थी। रूम फिर से पहले जैसा साफ़ था और बहुत ही सुन्दर बेडशीट मेरे बिस्तर पर थी। फिर नताशा ने मुझे बताया कि अभी बहुत से मेहमान जो कल रिसेप्शन में नहीं आये थे, वे सभी आज आ रहे हैं और मुझे एक बार फिर से दुल्हन की तरह लाल सिल्क साड़ी में तैयार करके मेरी सास के सामने घूँघट करके ले गयी। मैंने अपने सास ससुर के पैरों को छूकर उनका आशीर्वाद लिया तो मेरी सास बोली कि अपने पति के भी पैर छूकर रोज़ उनका आशीर्वाद लिया करूँ। मैंने अपने पति के पैरों को चुकार उनका भी आशीर्वाद लिया और घूँघट करके एक कोने में खड़ी हो गयी। हर कोई ब्रेकफास्ट कर रहा था और मैं चुपचाप उन्हें देख रही थी। जब सबने ब्रेकफास्ट कर लिया तब नताशा मुझे किचन में ले गयी और एक छोटी सी टेबल पर जमीन पर बिठा दिया और मुझे ब्रेकफास्ट करने को कहा। सब वहां डाइनिंग टेबल पर ब्रेकफास्ट किये और मुझे किचन के एक कोने में बिठाकर ब्रेकफास्ट करने को कहा गया।
इस बारे में मैंने नताशा से पूछा तो उसने बताया कि मैं इस घर की बहु हूँ और इस घर
की बहु को खाना सबके खा लेने के बाद मिलता है और उन्हें ऐसे ही किचन में कोने में
बैठकर घूँघट करके खाना पड़ता है। नताशा ने मुझे बताया कि मैं घर में टीवी नहीं देख
सकती, न्यूज़ पेपर नहीं पढ़ सकती, जब अर्जुन जी ड्यूटी से
घर वापिस आएं तो उनके जूते और मोज़े तक को मुझे ही उतारनी थी और जब वे ऑफिस जाने के
लिए रेडी हों तो उन्हें मोज़े और जूते भी मुझे ही पहनानी थी। मैं घर में किसी से
सवाल नहीं कर सकती थी, जो आर्डर मिले, मुझे सिर्फ उन ऑर्डर्स को
फॉलो करना था और अपने मन का कुछ भी नहीं कर सकती। ये सब बहुत ही कॉम्प्लिकेटेड था, मेरी आज़ादी मुझे छीन ली गयी थी,
शादी के बाद मेरी लाइफ
ऐसी होने वाली है, ये अगर मुझे पहले पता होता तो मैं ये शादी ही
नहीं करती लेकिन अब क्या करूँ मैं। मैं अपना घूँघट तक नहीं उठा सकती, किसी को देख नहीं सकती, टीवी नहीं देख सकती, न्यूज़ पेपर नहीं पढ़ सकती।
मेरी लाइफ का एक
नया चैप्टर शुरू हो चूका था जहाँ मुझे प्रॉपर डोमिनेटिंग फॅमिली की बहु बनकर अपना
पूरा जीवन जीना था। जैसा नताशा ने मुझे बताया मैंने उस हिसाब से अपने आप को ससुराल
में ढाल लिया था। हर रोज़ अर्जुन जी मेरे साथ हार्डकोर सेक्स करते, दिनभर घर के कामकाज और सास के ऑर्डर्स फॉलो करने में निकल जाता। टीवी देखे तो
अरसा बीत चूका था और एक दिन अचानक जब मुझे उलटी आयी तो मेरी सास ने उसी समय लेडी
डॉक्टर को घर बुला लिया। लेडी डॉक्टर ने मेरा चेकअप की और मेरी सास को बताया कि
मैं गर्भवती हूँ। मेरी गर्भावस्था की बात जानकार मेरी सास बहुत खुश हुई और डॉक्टर
को अच्छी फीस के साथ मिठाई का डब्बा देकर विदा किया। जब मेरी सास ने अर्जुन जी को
ये खुशखबरी सुनाई तो वे भी बहुत खुश हो गए और उन्होंने मेरे मम्मी पापा को मेरी
गर्भावस्था के बारे में बताया। मेरे मम्मी पापा एकदम से खुश हो गए और उन्होंने
मेरे पति को बताया कि मेरी बहन संजना भी गर्भवती है और अपनी पूरी गर्भावस्था में
उनके पास ही रहेगी। वे चाहते हैं कि मैं भी घर आ जाऊं और हमदोनो एक साथ बच्चों को
जन्म दें। अर्जुन जी को इस बात से ज्यादा कुछ फरक नहीं पड़ा और उन्होंने इस बारे
में मेरी सास से बात की। मेरी सास ने अर्जुन जी से कहा कि वे मुझे मेरे मायके में
रख आएं, वैसे भी यहाँ किसके पास टाइम है जो मेरा ख़याल रखे। आई वाज़
लाइक सो सैड, ये लोग मुझे घर की बहु नहीं नौकरानी मानते हैं
और बस आर्डर फॉलो करवाते हैं और आज जब मेरी कोख में अर्जुन जी का अंश है तो उन्हें
मेरी इस अवस्था को लेकर भी कोई सहानुभूति नहीं है। अर्जुन जी ने मेरे पापा को कॉल
किया और मुझे अगले दिन ले जाने को कहकर कॉल डिस्कोंनेस्क्ट कर दिया। घर में सिर्फ एक
नताशा ही थी जो मुझे नहीं जाने देना चाहती थी लेकिन मेरी सास की बात टालना उसे भी
बस की बात नहीं थी। अगले दिन मेरे पापा मुझे अपने साथ घर ले आये। अपनी मम्मी से
लिपट कर मैं बहुत रोई उन्हें अपनी आप बीती भी सुनाई लेकिन मम्मी बोली कि अब मेरा
ससुराल ही मेरा घर है, मेरे ससुराल वाले मुझे जैसे रखें, मुझे वैसे ही रहना होगा। फिर मैं अपनी बहन
से मिली, मुझे देखा तो वो मुझसे लिपटकर जोर जोर से रोने
लगी और मैं भी बहुत रोई। इमोशंस उमड़ रहे थे और आंसुओं में बह रहे थे, मैं और संजना बहुत दिनों बाद मिले थे, मेरे ससुराल वालों की अपेक्षा
संजना के ससुराल वाले काफी लिबरल थे। दिन रात संजना की सास वीडियो कॉल पर उसके साथ
लगी रहती और उसका काफी ख्याल भी रखती।
इधर मेरी मम्मी
के फ़ोन पर सिर्फ नताशा का वीडियो कॉल आता लेकिन ना तो मेरे पति एक बार भी कॉल करते
और ना ही सास ससुर का कॉल आता। लेकिन नताशा का एक कॉल मुझे अंदर से बहुत खुश और
शांत कर देता। नौ महीने की गर्भावस्था के दौरान मेरी मम्मी पापा संजना और नताशा ने
मुझे बहुत मेंटली सपोर्ट किया। डॉक्टर के डेट के अनुसार मुझे और संजना को एक साथ
हॉस्पिटल में एडमिट किया गया। आठ घंटे के लेबर पेन के दौरान मैं तीन बार बेहोश हुई
लेकिन फिर भी मैनें अपने कोख से अर्जुन जी के बच्चे को जन्म दिया। मुझे बेटी हुई
थी जो बहुत ही खूबसूरत थी। उधर संजना को छह घंटे का लेबर पेन के बाद एक बेटे को
जन्म दी। हम बहुत खुश थीं, मेरी बेटी को मम्मी ने अपनी गोद में लेकर बहुत
रोई और जब मेरी बेटी ने मेरे बूब्स के निप्पल्स को अपने होंठों से चूसना शुरू किया, मेरे बूब्स से दूध की फुहार छूट पड़ी। अर्जुन जी अपनी माँ के साथ हॉस्पिटल में
मुझसे मिलने आये। अर्जुन जी ने हमारी बेटी को अपनी गोद में उठाया, उसे खूब दुलार दिया, मेरी सास ने भी मेरी बेटी को अपनी गोद में लेकर
खूब खेली। मेरे मम्मी पापा मुझे अपने साथ कुछ महीने रखना चाहते थे तो उन्होंने
मेरी सास से बात की। कुछ देर रहने के बाद मेरे पति और मेरी सास ने मेरे मम्मी पापा
से कहा कि अगले छह महीने मुझे मायके में ही रखें, उसके बाद अर्जुन जी आकर
मुझे ले जायेंगे। मेरे मम्मी पापा खुश हो गए और जाने से पहले मेरी सास मेरे पास
आयी और बोली कि इस बार तो पोती हुई है लेकिन अगली बार उन्हें पोता ही चाहिए और फिर
अर्जुन जी के साथ चली गयीं। मुझे और संजना को हॉस्पिटल से डिस्चार्ज करवाने के बाद
मम्मी पापा हमदोनो को घर ले आये।
मेरे जीवन का एक
महत्वपूर्ण फेज शुरू हो चूका था,
मैं माँ बन चुकी थी और
अपनी बेटी को पाकर बेहद खुश थी। इधर संजना का बेटा भी बहुत ही ज्यादा क्यूट था।
इधर कुछ दिनों से मुझे अर्जुन जी का वीडियो कॉल भी अक्सर आने लगा और वे हमेशा मेरी
बेटी को देखने के लिए ही मुझे कॉल करते। जब जब मेरी बेटी को मैं दूध पिलाती, मेरी ममता उमड़ पड़ती। मातृत्व भाव क्या होता है, ये आज मुझे समझ आयी। मैं
एक पल के लिए भी अपनी बेटी और संजना के बेटे से दूर नहीं होती। दोनों बच्चों के
साथ खेलने में मुझे बहुत अच्छा लगता है। देखते ही देखते मेरी बेटी छह महीने की हो
गयी और अर्जुन जी आकर मुझे और मेरी बेटी को अपने साथ फिर से ससुराल ले आये। ससुराल
में बहुत कुछ बदल गया था, मेरी सास का स्वाभाव मेरे प्रति काफी नरम हो
चली थी लेकिन आज भी मुझे घूँघट में ही रहना पड़ता, हैवी ऑर्नामेंट्स पहने
रखना पड़ता और अपनी बेटी को जब जब दूध पिलाना होता उसे आँचल से छिपाकर अपना दूध
पिलाती। मेरी बेटी अब बड़ी हो रही थी, अर्जुन जी उसे बहुत प्यार
करते। मेरी सास ने मेरी बेटी का नाम अपने नाम की तरह रखा, नंदिनी। वाकई बहुत ही प्यारा नाम था मेरी बिटिया का और अब नंदिनी को मेरी दूध
के अलावे काऊ मिल्क और एक्स्ट्रा सुब्स्टीच्यूट दिया जाने लगा। अब अर्जुन जी हर
रोज़ मेरे साथ रोमांस करते और सेक्स करने के लिए हर पल तैयार रहते। आज काफी दिनों
बाद मौका मिला, नंदिनी गहरी नींद में समय से पहले सो चुकी थी
और अर्जुन जी इस मौके को गंवाना नहीं चाहते थे। उस रात अर्जुन जी ने मेरे साथ चार
राउंड हार्डकोर सेक्स किया, कभी मुझे बाहों में उठाकर, तो कभी घोड़ी बनाकर, कभी मेरे पैरों को हवा में फैलाकर तो कभी बाथटब
में लेटकर मुझे अपने लंड पर बिठाकर। आज ब्लोजॉब देने के बाद अर्जुन जी ने मेरे
मुँह में ही अपना स्पर्म डिस्चार्ज कर दिया और मुझे पीने को मजबूर किया। मैंने उस
टेस्टलेस स्पर्म को निगल लिया और आज मुझे एक बार भी ओर्गास्म नहीं हुआ, लेकिन अर्जुन जी ने मेरे वजाइना में तीन बार अपना स्पर्म डिस्चार्ज किया। जब
जब मुझे ओर्गास्म नहीं होता, बहुत बुरा लगता। लेकिन मैं अर्जुन जी से कुछ
नहीं कहती। वो मुझे मशीन की तरह इस्तेमाल करते और जब वो मेरे साथ रोमांस करते बस
तभी अच्छा लगता। नंदिनी अब दस महीने की हो चुकी थी और हर रोज़ अर्जुन जी के साथ
हार्डकोर सेक्स करना, सास ससुर की सेवा करना और दिनभर घूँघट में और
ऑर्नामेंट्स में सजधज कर रहना बस यही मेरी लाइफ बन गयी थी।
अगले महीने मेरे
पीरियड्स का टाइम तो आया लेकिन पीरियड नहीं आया। कुछ दिनों बाद फिर से वैसी ही
उलटी आयी और सास ने उसी डॉक्टर को बुलवाया। डॉक्टर ने फिर से मेरा चेकअप किया और
मेरी सास को बताया कि मैं फिर से गर्भवती हूँ। इस बार भी सास ने डॉक्टर को अच्छे
पैसे दिए और वो चली गयी। मेरी बेटी ग्यारह महीने की होने जा रही थी और मैं गर्भवती
हो चुकी थी। इस बार मेरी सास और मेरे ससुर ने मेरे मम्मीपापा को कुछ भी नहीं बताया
और नौ महीने तक मेरी सेवा करने के लिए एक नौकरानी रख दी। नौ महीने बाद मुझे फिर से
हॉस्पिटल में एडमिट करवाया गया। जिस केबिन में मैं एडमिट थी, उसी केबिन में श्वेता को लेबर पेन के दौरान एडमिट किया गया। व्हाट, श्वेता की शादी हो गयी और उसने मुझे बताया भी नहीं। श्वेता के साथ उसका पति और
कॉलेज का मेरा कंपटिटर सिध्दार्थ था। श्वेता का लेबर पेन शांत हो चूका था, मैंने घूँघट कर रखा था तो श्वेता मुझे नहीं पहचान सकी लेकिन जब उसने अर्जुन जी
को मेरे बगल में देखा तो उसने मेरे पति को हाय किया।
मुझे अचानक से
लेबर पेन शुरू हो गया और लगभग दस घंटे से ज्यादा देर के लेबर पेन के बाद मैंने
अपने पति के दूसरी संतान को जन्म दिया। मैंने अर्जुन जी के बेटे को जन्म दिया वहीँ
श्वेता ने भी सिद्धार्थ के बेटे को जन्म दिया। मैंने अपने तारनहार को अपनी गोद में
लिया, मेरे बूब्स फिर से दूध से भर चुके थे और मेरे बेटे के दूध
पीने की रफ़्तार कुछ ज्यादा ही थी,
बिलकुल अपने पापा पर गया
था। मेरी सास ने मेरे मम्मी पापा को इस बारे बताया तो वे बड़े खुश हुए। इधर
हॉस्पिटल में श्वेता और सिद्धार्थ ने मुझे बेस्ट विशेज़ दी और मेरे पति मुझे
हॉस्पिटल से डिस्चार्ज करके घर ले आये। कितना भी दूध पिलाओ, मेरे बेटे का भख शांत ही नहीं होता।
जब मेरी माँ
मुझसे मिलने मेरे ससुराल आयी और देखा कि मेरे बेटे का भूख शांत नहीं होता तो
उन्होंने कुछ इंग्रेडिएंट्स मंगवाकर मेरे लिए एक स्पेशल मसाला तैयार किया जिसे दिन
भर में चार पांच बार खाने के बाद जब मैंने अपने बेटे को अपना दूध पिलाया तो उसका
भूख शांत होने लगा। मेरी बेटी ने मेरा दूध छोड़कर बोतल का दूध पीने लगी थी। घर में
सभी बहुत ही ज्यादा खुश रहने लगे थे और मेरे दोनों बच्चे अब बड़े होने लगे थे। मेरी
ड्यूटी कुछ ज्यादा ही बढ़ गयी थी लेकिन इस बार मेरी सास मेरे दोनों बच्चों को संभाल
लेती और दिन भर उनके साथ खेलतीं। पति की सेवा, सास ससुर की सेवा, घर के काम काज, बच्चों को दूध पिलाना, बस यहीं मेरी लाइफ बन चुकी थी।
कुछ दिनों बाद, एक दिन संजना से बात करने के दौरान उसने मुझे बताया कि मेरे साथ जो कुछ भी हुआ
वो प्रीप्लांड थी। मेरा लड़की बनना,
मेरी शादी एक मर्द से
करना वो भी उसी सख्श के साथ जिसकी शादी संजना से होनी थी। मुझे फीमेल होर्मोनेस का
हैवी डोज़ देकर मेरे शरीर के अंदर फीमेल ऑर्गन्स को डेवेलोप किया गया और फिर मेरा
सेक्स चेंज सर्जरी करवाकर मुझे लड़की बनाया गया। अर्जुन जी के साथ मेरी शादी होना
और मेरा शरीर का ट्रांसफॉर्मेशन उनके मन मुताबिक सिर्फ इसलिए किया गया, ताकि मम्मी पापा का प्रॉमिस पूरा हो सके।
ये सब सुनने के बाद मुझे बहुत गुस्सा आया, मैं बहुत रोई लेकिन अब कुछ नहीं हो सकता था, एक बेटी और एक बेटे को जन्म देने के बाद मैंने अपने ससुराल में बहुत खुश थी। चूँकि मैंने संजना की शादी घर से भगाकर करवा दी इसीलिए मम्मी और पापा ने ये डिसाइड किया था कि वे मुझे लड़की बनाकर मेरी शादी संजना के होने वाले पति अर्जुन सिंह से करवाएंगे। जिसके लिए खुद अर्जुन जी भी मान चुके थे वही हुआ। मेरा सेक्स चेंज मेरे लिए अब तक एक नेचुरल चेंज था, लेकिन जब संजना ने मुझे इस बारे में डिटेल्स में बताया तो मेरे तो समझ में ही नहीं आ रहा था कि मैं करूँ तो क्या करूँ। मुझे जानबूझ कर लड़की बनाया गया। जानबूझ कर मेरा लंड को काटकर मेरे शरीर से अलग करवाया गया। जानबूझकर मेरी शादी एक मर्द से करवाया गया। मेरे पति को सबकुछ मालूम था, लेकिन उन्होंने मुझे एक बार भी इस बारे में नहीं बताया। अर्जुन जी के दो बच्चों को मैंने अपनी कोख से जन्म दिया था और अब मुझे अर्जुन जी से प्यार भी होने लगा था। ऐसे समय में मुझे ये सब बताने से अब मैं कर भी क्या सकती हूँ? अब मैं अर्जुन जी के दो बच्चों की माँ और उनकी प्यारी धर्मपत्नी हूँ। मुझे नाक में नथ पहनना अब बहुत अच्छा लगता, एक भी दिन ऐसा नहीं जाता जब मैं अपने नाक से नथ निकालती। करवाचौथ पर अपने पति की लम्बी उम्र के लिए व्रत रखती, दीपावली में पुरे घर को दिए और फूलों से सजाती और होली में अपने पति के हाथों रंग लगवाती। मेरी लाइफ की तरह अब मेरी सोच भी पूरी तरह से बदल चुकी थी। अपने पति के प्यार को पाने के लिए अब मैं किसी भी हद तक जाने को तैयार रहती, कोशिश करती कि मेरे दोनों बच्चे अर्जुन जी के आने से पहले सो जाएं ताकि मैं अपने पति के साथ रात खुशनुमा कर सकूँ। सबकुछ बदल गया, हाउसवाइफ बनकर अपने पति की सेवा करना, अब यही मेरी लाइफ है। अब मैं मिस्टर ऋषभ वर्मा नहीं बल्कि मिसेज़ रितिका अर्जुन सिंह बन चुकी हूँ और लाइफ चल रही है।
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