एक साधारण परिवार,
परिवार का मुखिया दिनेश जो दिन रात पसीना बहा
कर, मजदूरी कर के अपना घर
परिवार चलता है और उसका साथ देती है उसकी बीवी विमला जो पास के मोहल्ले में ४-५
घरों में चूल्हा चौका करती और दोनों मिल कर घर के सारे काम करते। दिनेश की बड़ी
बेटी दीपिका और उससे छोटा बेटा हिमांशु दोनों ने अपना अपना स्नातक उत्तीर्ण कर
चुके थे। ना तो किसी से कोई दुश्मनी और ना ही इस परिवार ने किसी से साथ अहित किया।
घर संसार अच्छे से चल रहा था, दोनों कम कमाते
लेकिन परिवार को खुश रखते। हिमांशु ने स्नातक के बाद दूसरे शहर जाने का फैसला किया
ताकि वो अपने माता पिता की मदद कर सके और अपनी बहन की पढ़ाई के खर्च में हाथ बंटा
सके। हिमांशु के शहर जाने के बाद दीपिका ने मास्टर्स में अपना एडमिशन करवा लिया और
कुछ बच्चो को ट्यूशन पढ़ा कर पढ़ाई का खर्च खुद से करने का फैसला किया। घर में सभी
बहुत खुश, अपने दोनों बच्चो पर गर्व
करते और उन्हें प्रोत्साहित करते। सब कुछ बहुत अच्छे से चल रहा था, हिमांशु ने अपनी नौकरी में २ सालों के भीतर की
तरक्की करके अच्छे पद पर पहुंच गया। २३ साल की उम्र में बहुत ही अच्छे मुकाम पर
पहुंच चूका था हिमांशु और उसके सीनियर्स भी उसके काम से काफी प्रभावित हो रहे थे।
एक दिन दिनेश काम पर गया और वहां एक हादसा हो गया, तीसरी मंज़िल पर से लिफ्ट टूट गया जिसकी वजह से हादसा हुआ और
दिनेश की मृत्यु हो गयी। दिनेश की मृत्यु की खबर सुनकर विमला को ह्रदय अवघात हो
गया और उसकी भी मृत्यु हो गयी। ये खबर सुनकर हिमांशु अपने घर पंहुचा और अपनी बहन
को उस परिस्थिति से संभाला, माता पिता के
अंतिम संस्कार के बाद हिमांशु ने दीपिका से शहर चलने को कहा लेकिन दीपिका ने
हिमांशु से कहा कि जो हो गया सो हो गया तुम शहर जाओ और नौकरी करो और मैं अपना
मास्टर्स ख़त्म करने के बाद ही वहां आउंगी। हिमांशु ने दीपिका को बहुत समझाया लेकिन
वो नहीं मानी और वहीँ रहने का फैसला किया। हिमांशु शहर आ गया और अपने नौकरी को फिर
से ज्वाइन कर लिया उधर दूसरी तरफ दीपिका ने भी अपनी पढ़ाई को नियमित रूप से जारी
रखा।
हिमांशु ये सब सुनकर रोने लगा और बोला अब तुम यहाँ नहीं रहोगी, मेरे साथ शहर चलो वहीँ तुम्हारा इलाज़ होगा। लेकिन दीपिका के ससुराल वाले इसके लिए राज़ी नहीं हुए और कुछ दिनों के बाद दीपिका की भी मृत्यु हो गयी। सब ख़त्म हो गया था, माता पिता के जाने के बाद सिर्फ एक बहन ही थी वो भी नहीं रही और ससुराल वालो की लापरवाही की वजह से उसकी भी मृत्यु हो गयी। अब हिमांशु ने सोच लिया कि इसके लिए जो भी जिम्मेदार है उससे बदला लेगा।
मुखिया का बेटा नितेश जो सिर्फ २६ साल का है, वो कुछ नहीं करता। दिन भर आवारागर्दी और बुरी सांगत में अपने साथ साथ हिमांशु की बहन की जिंदगी भी ख़राब करवा दिया। बहन तो रही नही लेकिन हिमांशु के दिमाग में क्या चल रहा है इस बात का जरा सा भी अंदाजा नितेश को नहीं है। हिमांशु ने नितेश को शहर बुला लिया और उसको पूरा शहर घुमाया, फिर अपने पक्ष में लेकर रोज साथ में शराब पिलाता, अच्छा अच्छा खाना, कपडा, उसकी खातिरदारी में कोई कमी नहीं की। एक दिन नितेश ने हिमांशु से नशे की हालत में बताया कि पड़ोस के गाँव की एक लड़की उसे पसंद है, वो एक ठेकेदार की बेटी है,और उसका नाम राधिका है। पहले मेरे साथ ही पढ़ती थी, वो भी मुझसे बहुत प्यार करती है, हिमांशु ने भी कहा फिर क्या सोच रहे हो आप, इस बार गाँव जाना तो शादी की बात भी कर लेना, ऐसे कब तक अकेले रहोगे। दीपिका दीदी के जाने के बाद पहले बार आपको इतना खुश देख रहा हूँ। वीकेंड पर नितेश और हिमांशु अपने गाँव आ गए और मुखिया जी को लेकर ठेकेदार के घर उर्मिला और नितेश का रिश्ता लेकर गए। लड़की लड़के एकदूसरे को पसंद करते हैं इससे ज्यादा क्या चाहिए, दोनों परिवार इस शादी के लिए तैयार हो गए, लेकिन पूरा साल कोई अच्छा मुहूर्त ना होने के कारन दोनों की शादी अगले साल करने का फैसला किया गया। नितेश और हिमांशु सोमवार को शहर आ गए, हिमांशु को ऑफिस ज्वाइन करना था और नितेश को मार्केटिंग। सबकुछ अच्छे से चल रहा था। नितेश ने घर पर फ़ोन करके कहा कि वो शहर में हिमांशु के साथ खुश है और वहीँ नौकरी की तलाश कर रहा है। सब कुछ हिमांशु के योजना के हिसाब से चल रहा था।
एक दिन अचानक
नितेश के पेशाब से खून आने लगा, एक दिन, दो दिन, लेकिन पुरे एक हफ्ते तक उसको खून आता रहा फिर उसने हिमांशु
को पूरी बात बताई। हिमांशु नितेश को डॉक्टर के पास ले गया, वहां खून की जांच, अल्ट्रासाउंड, सी टी स्कैन,
ऍम आर आई, और बाकी के टेस्ट रिपोर्ट्स को देखने के बाद डॉक्टर ने
नितेश को दूसरे डॉक्टर के पास रेफर कर दिया। हिमांशु नितेश को वहां ले गया,
डॉक्टर से मिला, फिर डॉक्टर ने नितेश और हिमांशु को बताया कि नितेश के शरीर
में फीमेल होर्मोनेस ज्यादा होने की वजह से उसको पेशाब में खून आ रहा है और टेस्ट
रिपोर्ट्स के हिसाब से उसके शरीर में गर्भाशय, फलोपियन ट्यूब, और अंडाशय का निर्माण आरम्भ हो चूका है, ऑपरेशन के माध्यम इसको हटाना सम्भव है लेकिन आज तक जितने भी
ऐसे ऑपरेशन्स हुए हैं, उनमे आज तक एक भी
सफल नहीं हुआ। ये सुनकर नितेश रोने लगा, हिमांशु ने उसे शांत किया और डॉक्टर से सलाह ली कि उन्हें क्या करना चाहिए। तब डॉक्टर ने कहा नितेश को अपना सेक्स चेंज
करवा लेना चाहिए क्यूंकि ऐसा करना सही रहेगा, नितेश को अगर औरत बना दिया जाये तो उसकी जिंदगी संवर सकती
है, और वैसे भी कुछ ही दिनों
में नितेश की छाती औरतो जैसी हो जाएगी फिर ऑपरेशन करना भी संभव ना होगा।
नितेश रोने लगा
और डॉक्टर से कहा मेरी शादी है अगले साल, उर्मिला से। मुझे वो बहुत अच्छी लगती है मैं औरत कैसे बन सकता हूँ। डॉक्टर ने
कहा आपके पास इसके अलावे कोई और विकल्प नहीं है। सेक्स चेंज करवा लो और औरत बन जाओ,
कोई लड़की अगर लेस्बियन होगी तभी तुमसे शादी
करेगी अन्यथा किसी मर्द से शादी कर लेना। हमारे हॉस्पिटल में देश की सबसे एडवांस
टेक्नोलॉजी है, हमने आज तक जितने
भी मर्दो को औरत बनाया है उन्हें देख कर कोई ये कह नहीं सकता कि वो जन्म से औरत
नहीं थे। सोच समझ लो, फिर कोई डिसिशन
लेना। नितेश रोने लगा, फिर नितेश को
रोता हुआ देख हिमांशु ने उससे कहा लड़कियों की तरह रोना बंद करो और उसे शांत किया।
फिर डॉक्टर से
बात करने के बाद १ हफ्ते बाद नितेश को हॉस्पीटल में एडमिट करने की बात कर दोनों घर
आ गए। घर आने पर हिमांशु ने नितेश से कहा की गांव में कॉल करके अपने पिताजी से बात
कर लो और उन्हें पूरी बात बता दो। लेकिन नितेश ने कहा नहीं मैं उनसे इस बारे में
बात नहीं कर सकता, वो मुझे घर से
निकल देंगे। फिर हिमांशु के बार बार समझने पर नितेश ने डरते डरते अपने पिता से बात
की और उन्हें पूरी बात बताया। नितेश के पिताजी ने उससे कहा अगले साल तुम्हारी शादी
उर्मिला के साथ होने वाली है और तुम औरत बनने जा रहे हो। ठेकेदार को क्या जवाब
देंगे, कि मुखिया जी का बेटा औरत
बन गया। इससे तो अच्छा होगा तुम मर जाओ, नाक कटवा दिया तुमने, सारे गाँव में
कभी सिर नहीं झुका मेरा और आज तुम्हारे कारण पूरी जिंदगी सिर झुका के रहना पड़ेगा।
लोग तरह तरह की बातें करें इससे तो अच्छा होगा तुम वहीँ रहो आज के बाद गाँव में मत
आना। मैं बोल दूंगा तुम मर गए रोड एक्सीडेंट में। उसके पिता ने पहले तो उसे बहुत
डांटा फिर उससे कहा की तू मर गया आज से हमारे लिए दुबारा फ़ोन भी मत करना और कॉल कट
कर दिया।
नितेश जोर जोर से
रोने लगा और इतना डिप्रेस्ड हो गया कि उसने आत्महत्या करने का फैसला कर लिया।
लेकिन हिमांशु ने उसे समझा बुझा कर शांत किया और उसे हॉस्पिटल में एडमिट होने के
लिए मनाया। नितेश रोता रहा फिर हिमांशु से कहा मैं सेक्स चेंज नहीं करवाना चाहता,
कुछ करते क्यों नहीं मैं तुम्हारा जीजा हूँ,
एक औरत बनकर नहीं जीना चाहता, फिर हिमांशु ने समझाया की अब आखिरी उपाय यही है,
औरत बन जाओ फिर आगे की बाद में सोचेंगे। नितेश
नहीं मान रहा था लेकिन हिमांशु उसे बार बार फ़ोर्स करता रहा कि ऑपरेशन करवा लो बाद
में घरवालों को भी मना लेंगे। पूरा हफ्ता नितेश ने रोते रोते गुज़ार दिया और फिर
अगले दिन हिमांशु ने उसे हॉस्पिटल में एडमिट करवा दिया। नितेश के साथ जो कुछ भी हो
रहा था उसका अंदाजा भी नहीं था उसे। नितेश के हॉस्पिटल में एडमिट होने के बाद उसका
छोटा भाई रवि हिमांशु से मिलने शहर आया, हिमांशु ने बताया कि किसी वजह से तुम्हारे भाई को हॉस्पिटल में एडमिट किया गया
है।
उसके शरीर में
फीमेल होर्मोनेस की संख्या बढ़ गया है, जिसकी वजह से तुम्हारे भाई को सेक्स चेंज करवाना पड़ रहा है, कुछ ही महीनो में तुम्हारा भाई एक औरत बन
जायेगा। रवि अपने भाई के इस हालत से बहुत दुखी हो गया फिर हिमांशु ने उसे समझाया
और शांत किया। रवि ने बताया की पिता जी इस बात से काफी नाराज़ हैं, नितेश भैया मर्द हैं और अब एक औरत बनने जा रहे
हैं। उसके बाद उनकी जिंदगी कैसे कटेगी ,इस बात से पिताजी बहुत परेशान हैं और समाज क्या कहेगा, कि मखिया जी का बेटा अब एक औरत बन चूका है।
मुखिया जी ने ना
चाहते हुए भी ठेकेदार को कॉल किया और सब सच सच बता दिया और अपनी मज़बूरी भी साझा
किया। ठेकेदार बोला, कोई बात नहीं,
अब जो हो गया उसपर किसका जोर है। अच्छा आपका
बेटा औरत बनने वाला है, वो औरत बन जाये
तब उसकी शादी हमारे बेटे से करवा दो। वैसे भी राजवीर के लिए हम अच्छी सी बहु ढूंढ
रहे हैं। मुखिया जी ने कहा, अपने हमारी बात
रखी इसके लिए धन्यवाद् और इस बारे में मैं सोच के बताता हूँ। हिमांशु ने समझाया
इतना परेशान मत हो जाओ आराम करो।
हॉस्पिटल में।
नितेश जो अब
लड़की बनने जा रहा था, अब यही नियती मान
लेने में ही भलाई था सो नितेश अब ऑपरेशन के लिए रेडी था। 1 महीने पूरा होने के बाद नितेश को डॉक्टर के पास अड्मिट
किया गया, पहले लेज़र ट्रीटमेंट
जिसकी वजह से नितेश का पूरा बॉडी चिकना और पहले से ज़्यादा गोरा हो गया, फिर फेस ट्रीटमेंट की वजह से आइब्राउस शार्प हो
गये, नोज़ अपलिफ्टिंग की गयी और
लिप्स ट्रीटमेंट के बाद फुल्लर हो गये, फिर डॉक्टर ने नितेश के होंठ के नीचे एक तिल सेट कर दिया फिर बूब्स की
ट्रीटमेंट की गयी, जिससे रवि के
बूब्स मे सॉफ्टनेस आ गया और गोल शेप होने के साथ साथ साइज़ मे भी बड़ा हो गया,
फिर उसके कमर को लड़कियो जैसे शेप दिया गया फिर
लिंग को शरीर से अलग कर दिया गया और फिर उसकी जगह सर्जरी कर के एक कार्यरत योनि का
शेप दे दिया गया, फिर फेलोपियन
ट्यूब मे मेडिसिन इंजेक्ट किया गया जिसकी वजह से गर्भाशय पूरी तरह ऑपरेशनल हो गया.
पूरे 2 महीने तक रेग्युलर
ट्रीटमेंट चला. अब योनि सेट हो चुका था सो डॉक्टर ने एक 8 इंच मोटा डिल्डो नर्स को देते हुए बोली कि रोज़ 30 मिनिट्स 15 दिनों तक सुबह-दोपहर शाम इसकी योनि मे अंदर बाहर करना ताकि
नितेश का योनि सेट हो जाए और किसी मर्द के साथ संसर्ग करने मे आसानी हो, तुम कर लोगी ना, नर्स ने कहा ओके मैम’आम आप बेफिकर रहें, नितेश ये सब सुन रहा था उसने डॉक्टर से पूछा इसकी ज़रूरत है क्या?
फिर डॉक्टर बोली
रवि ये बहुत ज़रूरी है इससे तुम्हारे योनि को सेट होने में काफ़ी हेल्प मिलेगा और
सही पोज़िशन लेने के साथ साथ टाइट भी हो जाएगा फिर तुम्हे बाद मे जब कभी भी
तुम्हारी शादी होती है तो किसी मर्द के साथ सेक्स करने में या फिर फिज़िकल होने मे
कोई परेशानी नही होगी, आम तौर पर
लड़कियो को पीरियड्स मे काफ़ी दर्द रहता है जबकि तुम्हे पीरियड्स मे भी काफ़ी आराम
रहेगा।
पहले दिन नितेश
को एक कमरे मे ले जया गया जहाँ नर्स ने एक एक सिनेमा चलाया, “जिसमे हीरो को कुछ गुंडे किडनॅप करते हैं,
फिर उसे एक डॉक्टर के पास ले जाकर उसका सेक्स
चेंज करवाकर एक लड़की बना देते हैं, फिर एक कोठे पर लहँगा-चोली और नाक मे बड़ा सा नथ डाल कर बिठा देते हैं। रोज़
रोज़ नये कस्टमर्स आते हैं और हीरो जो अब एक लड़की बन चुका है, उसे एक कमरे मे ले जा कर उसके साथ पूरी रात
सेक्स करते हैं”। सिनेमा चल रहा
था और इधर नर्स ने नितेश के नाजुक सी गुलाबी योनि मे आधा डिल्डो डाल दिया, नितेश सिसकिया लेने लगा फिर नर्स ने डिल्डो डाल
कर नितेश को पूरे आधे घंटे तक अंदर बाहर किया. नितेश को बहुत दर्द हुआ लेकिन वो
सॅटिस्फाइड था और ये सब 15 दिनों तक
सुबह-दोपहर –शाम 15 दिनों तक किया गया. नितेश अब बेहद खूबसूरत और
फुल्ली ऑपरेशनल औरत बन चुका था जो घर जाने के लिए रेडी था।
शाम मे हिमांशु
और रवि हॉस्पिटल आड्मिनिस्ट्रेशन से मिले और नितेश को डिसचार्ज करवाने का प्रोसीजर
कंप्लीट करवाकर डॉक्टर से मिले। फिर डॉक्टर ने हिमांशु और रवि से पूछा नितेश को
कों सी ड्रेस मे देखना पसंद करेंगे, फिर हिमांशु ने कहा हम एक ड्रेस लेकर और ऑर्नमेंट्स लाए हैं, आप प्लीज़ उसे इसी ड्रेस मे हमारे सामने लेकर
आओ फिर नर्स को बुलवाया और उसे ड्रेस और ऑर्नमेंट्स देकर डॉक्टर बोली नितेश को इस
ड्रेस मे तैयार करके यहाँ ले आओ। फिर नर्स ने नितेश को ले जाकर वो ड्रेस और
ऑर्नमेंट्स दिया जिसमे ब्रा – पैंटी, रेड साटन साड़ी-पेटीकोट-बॅकलेस ब्लाउस-नाक में
पहनाया जाने वाला लॉन्ग-झुमके-चूड़ियाँ-कंगन-मांगटीका और एक पायल का सेट और 4 इंच हील्स वाला सॅंडल था. नर्स ने नितेश को
ब्रा और पैंटी पहन कर आने को बोला जो रेड कलर का था, फिर पेटीकोट पहनाया, फिर बैकलेस ब्लाउस पहनाया तो बहुत टाइट था, फिर अच्छे से साड़ी पहनाया गया। फिर हाथों मे
चूड़ियाँ-कंगन पहनाया, फिर बोली
तुम्हारे नाक में नाक और कानो में तो छेद ही नहीं है, फिर क्या नर्स ने बहार से क्लिप वाला नोज रिंग और झुमका
मंगाया और नितेश को पहना दिया। पैर मे पायल पहनाया और फिर ४ इंच वाला सैंडल पहनाया
फिर नितेश के ग्लॉसी ब्राउन लिपस्टिक लगाया, फिर उसके सर पर उसके सारी का पल्लू का घूँघट बना दिया और
फिर उसे हिमांशु और रवि के सामने ले गयी.
डॉक्टर बोली आप
यहाँ नितेश को छोड़ कर गये थे जिसे हमने टेक्नालजी के सहारे 100% औरत बना दिया है, अब नितेश जो एक औरत बन चुकी है और पीरियड्स आने के साथ साथ
किसी मर्द के साथ शादी करने के साथ साथ, उसके साथ सेक्स करने मे और उसके शुक्राणुओं भी सहन करने मे और साथ ही उसके
बच्चे को जन्म देने मे भी सक्षम है, यानी नितेश अब किसी मर्द को सॅटिस्फाइ भी कर सकती है और उसके बच्चो की माँ भी
बन सकती है।
नितेश सारी बातें
सुन रहा था उसके भाई रवि ने नितेश से घुंघट हटाने को बोला फिर नितेश ने पल्लू उठा
का कंधे पर रख लिया फिर उन्होने देखा डॉक्टर ने सच मे उसके भाई को एक बहुत ही
सुंदर औरत बना दिया है, साड़ी पहन कर
नितेश बेहद खूबसूरत लग रहा था, और उसके होंठ के
नीचे का तिल उसकी खूबसूरती पर 4 चाँद लगा रहे थे
वो अब एक औरत बन चुका था और अपने फ्यूचर को लेकर काफ़ी टेन्स था।
फिर डॉक्टर ने 2 महीने का मेडिसिन लिख कर दिया और नितेश को
सजेस्ट किया की वो कोई डांस क्लास ज्वाइन कर ले ताकि उसकी कैलोरीज बर्न हो सके और
दवा भी अपना असर दिखाए, पूरी लाइफ
मेडिसिन्स लेने से बेहतर है 2 महीने का
मेडिसिन बस थोड़ा मेहनत। उसके बाद पूरी लाइफ नो मेडिसिन्स और फिर हिमाँशु और रवि से
बोली 2 महीने के बाद आप कभी भी
किसी अच्छे से मर्द से नितेश की शादी करवा देना, और मुझे ज़रूर बुलाना।
नितेश के भाई ने
कहा ज़रूर डॉक्टर साब जैसे ही नितेश के लिए कोई अच्छा सा नदान लड़का मिल जाता है
हम शादी फिक्स कर देंगे और आपको तो हम ज़रूर बुलाएँगे, फिर सभी हंसने लगे। नितेश ये सब सुन रहा था और सोच रहा था
आज अपने साले और भाई के सामने औरत बनकर, ये सब सुनना पड़ रहा है। ये मेरी शादी किसी मर्द के साथ कर देना चाहते हैं।
शर्मिंदा होकर नितेश सबकुछ सुनने के बाद भी कुछ बोल नहीं पाया क्यूंकि वो मर्दानगी
खो चूका है और उसका जिस्म अब एक औरत का है। घर आने पर हिमांशु ने रवि से कहा कि
अपने पिताजी से बात करो, क्या कहते हैं?
रवि ने अपने अपने पिताजी को कॉल किया और इस
बारे में बात की। वो नहीं माने और रवि को भी घर से निकाल दिया। हिमांशु ने नितेश
से कहा जब तक तुम्हारे पिताजी तुम्हे करते तब तक इस घर में रहो , लेकिन इस घर के कायदे कानून के तहत रहना पड़ेगा।
इस घर में वही होता है जो मैं चाहता हूँ। आज से तुम्हारा नाम नताशा है और आज से
तुम्हे सिर्फ साड़ी ही पहनना है और दूसरी बात रवि तुम नताशा को मार्केट लेकर जाओ और
इसके नाक में बाएं ओर और दोनों कानो में छेद करवा के ले आओ। नताशा बोली मुझे नाक
और कान नहीं छिदवाना, तब हिमांशु ने
कहा इस घर के सारे फैसले मैं लेता हूँ। चुपचप जाओ और अपने नाक और कान छिदवाओ,
समझे नहीं तो जाओ अपने बाप के पास। रवि बोला
ठीक है, मैं नताशा दीदी के साथ
बाज़ार जा रहा हूँ और नताशा को लेकर बाज़ार चला गया।
रवि नताशा को
लेकर बाज़ार गया और एक ज्वेलरी शॉप में गया और दुकानदार से कहा नाक और कान छिदवाना
है दीदी का। दुकानदार ने एक नोज पियर्सिंग गन लिया और नताशा के नाक और दोनों कानो
में छेड़ कर दिया, फिर उसमे लकड़ी का
आर्टिफीसियल लॉन्ग और कानो में बाली डाल दिया। नाक छिदवाते वक़्त नताशा की आँखों
में आंसू आ गए। रवि ने उसे चुप कराया और घर लेकर आ गया। शाम में जब हिमांशु ऑफिस
से घर आया तो उसने ढेर सारे साड़ियां, चूड़ियां, कंगन, बाजूबंद, झुमके, बालियां, मांगटीके, और अलग अलग तरह के डिजाइनर नथ ले कर आया। रवि को वो सब पकड़ा
दिया और नताशा से बोला ये सब तुम्हारे लिए है। कल से ये सब तुम्हे पहनना है और हाँ
घर में आज से हमेशा घूँघट में ही रहोगी, घर के सारे काम करोगी, और रवि तुम्हारी
मदद करेगा।
लेकिन मैं
तुम्हारा जीजा हूँ, नताशा ने कहा तब
हिमांशु बोला तुम मेरे जीजा थे, अब तुम एक औरत हो
और इस घर में तुम्हारी हैसियत सिर्फ एक मजबूर औरत की है और मै तुमदोनो का मालिक
हूँ। अब जाओ कपडे बदल के आओ, कुछ खाने को बनाओ
बहुत भूख लगी है और ये लो रेसेपी की किताब। आज से यही तुम्हारी जिंदगी है, तुम्हे पसंद हो या नहीं।
नितेश जो अब
नताशा बन चुका है, चुपचाप किचेन में
गयी और खाना बनाया। खाना बनाते वक़्त हाथों की चूड़ियां खन-खन की आवाज कर रही थी,
नाक में नथ चुभ रहा था, घूँघट में खाना बनाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़
रहा था। अब नताशा रोज़ रोज़ घर के सारे काम करती, कपडे धोना, खाना बनाना,
घर की साफ सफाई करना, और बाकी समय टीवी देखने में गुजर रहा था। एक दिन रवि ने
हिमांशु से कहा, हिमांशु मुझे
पेशाब में खून आ रहा है, बहुत दर्द भी
रहता है, क्या करू ?
हिमांशु बोला,
कोई बात नहीं और डॉक्टर के पास ले गया। डॉक्टर
ने पूरा हेल्थ चेकअप करने के बाद बताया कि रवि को भी वही प्रॉब्लम है जो नितेश को
था। ये पारिवारिक समस्या है जिसका सिर्फ एक ही निदान है, कि रवि भी अपना लिंग परिवर्तन करवा ले और औरत बन जाये।
लेकिन हिमांशु बोला मेरे पास अब इतने पैसे नहीं की इसका लिंग परिवर्तन करवा सकू,
और घर ले आया। घर आकर रवि ने पूरी बात नताशा को
बताया और कहा मैं औरत नहीं बनना चाहता लेकिन डॉक्टर बोल रहे कि अगर मैने लिंग
परिवर्तन नहीं करवाया तो मेरी जिंदगी खतरे में पड़ सकती है। जो समस्या आपके साथ थी
वही समस्या मुझे भी बता रहे हैं, हिमांशु के पास
जो पैसे थे वो उसने आपके लिंग परिवर्तन पर खर्च कर दिया। अब क्या होगा ? नताशा बोली मैं हिमांशु से बात करती हूँ।
शाम में जब
हिमांशु ऑफिस से घर वापिस आया तब वो अकेला नहीं था, उसका एक दोस्त राजवीर जो ठेकेदार का ही बेटा था और उसे इस
बात का जरा भी अंदाजा नहीं था की उसके पिता ने जिस लड़की के लिए बात चला राखी है है
वो नताशा ही है, भी उसके साथ घर
आया। हिमांशु ने आवाज लगा कर नताशा बुलाया। नताशा को राजवीर परिचय दिया और राजवीर
से कहा ये वही है, जिसके बारे में
मैंने तुम्हे बताया था, फिर नताशा से कहा
चाय नास्ता का प्रबंध करो आज राजवीर यहीं रुकेगा। फिर राजवीर के साथ बातों में लग
गया। नताशा अंदर गयी खाना बनाया, चाय सर्व किया,
राजवीर ने नताशा का चेहरा ठीक से नहीं देखा
लेकिन उसके भरे जिस्म को देख कर उसका दीवाना हो चला था। उस वक़्त नताशा ने लाल साड़ी
और बैकलेस चोली पहना हुआ था, हाथों में
चूड़ियां, पैरों में पायल की आवाज़,
घूँघट में छिपा हुआ आधा अधूरा चेहरा और लाल लाल
होठों को छूता हुआ बड़ा सा नथ देखकर राजवीर पागल हुआ जा रहा था। उसके अंदर की
बेताबी को हिमांशु भली भांति समझ रहा था।
राजवीर ने
हिमांशु से कहा मुझे नताशा बहुत पसंद है, कुछ ऐसा करो जिससे नताशा मुझसे शादी करने जाये! मैं कुछ भी करने को तैयार हूँ,
तुम जो कहो वो करूँगा लेकिन मेरे सपनो की रानी
से मेरी शादी करवा दो। उसकी बातें सुनकर हिमांशु जोर से हसने लगा और बोला तुम फ़िक़र
मत करो मैं कुछ करता हूँ। ना तो राजवीर को इस बात का पता था कि नताशा मुखिया जी की
बेटी है और ना नताशा को इस बात का जरा भी अंदाजा था कि राजवीर उसी उर्मिला का भाई
है जिसके साथ उसकी शादी तय की गयी थी। अगले दिन नताशा ने हिमांशु से कहा, रवि के ऑपरेशन लिए कुछ सोचिये ना, मेरे भाई की जिंदगी खतरे में है, दर्द से रोता रहता है। हिमांशु बोला, तुम्हारे बाप को जब पता चला कि उसका दूसरा बेटा
भी औरत बन ही जायेगा उससे पहले ही उसने उसको भी घर से निकाल दिया, ताकि उसको कुछ भी खर्च ना करना पड़े। अब मैं
इतने पैसे कहाँ से लेकर आऊँ?
अगर मेरे नसीब
में यही लिखा है तो मैं ये शादी करने को तैयार हूँ और उसने ये जाने बिना शादी के
लिये हाँ कर दिया, कि जिस राजवीर से
वो शादी करने को हाँ बोलने जा रहा है वो राजवीर तो उर्मिला का भाई है, लेकिन अपने भाई के लिए नताशा ने शादी के लिए
बिना कुछ सोचे समझे हाँ कर दिया। हिमांशु के पास जाकर उसे कहा, मैं राजवीर से शादी करने को तैयार हूँ, लेकिन पहले रवि का ऑपरेशन होगा, उसके बाद मेरी शादी।
हिमांशु खुश हो
गया, आखिर वही हुआ जो वो चाहता
था, वो भी हो गया और राजवीर
को कॉल किया हुए कहा कल अपने घरवालों के साथ नताशा को देखने आ जाओ। अगले दिन
राजवीर अपने घरवालों के साथ शाम में आने को कहा, हिमांशु भी मान गया और रवि से कहा कि तुम नताशा से साथ
ब्यूटीपार्लर चले जाना और तुमदोनो अच्छे से सजधज के घर आना और हाँ उससे पहले खाने
को अच्छे अच्छे स्वादिष्ट व्यंजन जरूर बना लेना। रवि ने कहा ठीक है और फिर घर में
अच्छे अच्छे स्वादिष्ट व्यंजन बनाने के बाद ब्यूटीपार्लर जाकर दोनों ने अपना
ब्राइडल मेकअप करवाया और घर आकर ज्वेलरी पहन कर दोनों हिमांशु का इंतज़ार करने लगे।
दोपहर में
हिमांशु आया तब उसके साथ एक लड़की भी थी और ढेर सारे लिबास भी जो रवि और नताशा के
लिए लेकर आया था। जो लड़की हिमांशु के साथ आयी थी उसका नाम राधिका है जो एक
ब्यूटिशयन है। हिमांशु ने बताया राधिका तुम दोनों को अच्छे से सजायेगी। रवि बोला
लेकिन हम तो सुबह ही ब्यूटीपार्लर से आये हैं फिर इनकी क्या जरुरत है? हिमांशु ने बताया जरुरत है अब चलो राधिका को
अपने कमरे मे ले जाओ। तीनो अंदर वाले कमरे में चले गए। राधिका ने पहले नताशा को
आईने के सामने बिठाया और उसके कपडे उतरवा दिए। पेटीकोट उतारने के बाद नताशा को
घाघरा पहनाया गया फिर चोली उतरवा कर सुनहरे रंग का चमकीला डोरियों वाला चोली पहना
दिया और टाइट से बांध दिया, आगे से नताशा के
बूब्स उभर के ऊपर आ गया। फिर नताशा के होंठो पर ग्लॉसी पिंक लिपस्टिक लगा दिया,
नाक में एक डिज़ाइनर नथ पहना दिया और कानों में
झुमके पहना दिया। मांग के बीचोबीच मांगटीका, गले में बड़ा सा हार पहना दिया जो नताशा के चोली के बीचोबीच
आकर टिक गया फिर बाँहों में बाजूबंद, पैरों में पायल और ४ इंच वाला पेंसिल सैंडल पहना दिया फिर एक बड़ी सी चुनरी से
घूँघट कर दिया।
फिर उसे पास में
बैठा लिया और उसके बाद रवि को आईने के सामने बिठाया। रवि को भी कपडे उतारने को कहा।
रवि के बूब्स बहुत छोटे थे तो राधिका ने सिलिकॉन के आर्टिफीसियल बूब्स लगा कर उसका
साइज भी बड़ा कर दिया और पुशप ब्रा पहना दिया। फिर उसे नीले रंग का अनारकली सूट
पहना दिया जो रवि को एकदम फिट आया। रवि के हाथों में दो दो दर्ज़न चूड़ियां पहना
दिया फिर आँखों में काजल लगाया। उसके होंठों पर डार्क ब्राउन लिपिस्टिक लगा दिया
और नाक में सोने का एक लॉन्ग डाल दिया, और उसके बाद कानो में झुमके पहना दिया और एक अलग किस्म का मांगटीका पहनाया और
उसके बाद उसे भी एक बड़ी सी ओढ़नी से घूँघट कर दिया। अब रवि को भी ४ इंच वाला हील
पहना दिया और उसे बिठाकर हिमांशु को बुलाने चली गयी। जब नताशा ने रवि को देखा तो
उसे यकीन ही नहीं हो रहा था कि रवि एक लड़का है वहीँ दूसरी ओर रवि भी नताशा को
देखकर यकीन नहीं कर पा रहा था कि दुल्हन के लिबास में जो औरत उसके सामने बैठी है
वो कभी उसका बड़ा भाई नितेश हुआ करता था।
तभी वहां हिमांशु
आया और दोनों को देखकर खुश हो गया और राधिका से कहा तुमने तो वाकई जादू ही कर
दिया। तब रवि ने पूछा दीदी का तो समझ में आता है कि लड़के वाले उसे देखने आ रहे हैं
लेकिन मुझे सजा-धजा के क्या मिलना?
राधिका ने चुटकी
लेते हुए कहा क्या पता तुम्हे भी पसंद कर लें फिर तुम्हारी भी शादी हो जाएगी और
दोनों बहनें एक ही घर में अपने अपने पतियों के साथ ख़ुशी ख़ुशी रहेंगी। हिमांशु ने
कहा डरो मत ऐसा कुछ भी नहीं है। नताशा को सजाना था तो सोचा तुम्हे भी इसी बहाने
क्यों ना सजाया जाय, खैर जो भी हो तुम
भी इस लिबास में कहर ढा रही हो। शाम हुआ, राजवीर अपने घरवालों के साथ नताशा को देखने आया, रवि नताशा को धीरे धीरे कदमो से उनके सामने लेकर आया और
बिठा कर नताशा के बगल में बैठ गया।
सामने हिमांशु,
राजवीर और उसके घरवाले बैठ गए। शर्म से नताशा
सिर झुकाये ये सोच यही थी २ साल पहले मैंने हिमांशु की बहन किया था, काश वो जिन्दा होती तो मुझे शायद ही कभी ऐसा
दिन देखना पड़ता, तभी राजवीर की
माँ उठी और नताशा के पास गयी और घूँघट उठाया बोली, आप तो बहुत ही ज्यादा खूबसूरत हो नताशा। मुझे तो ऐसी ही बहु
चाहिए था, मेरा बेटा आपसे अकेले में
बात करना चाहता है कोई ऐतराज ना हो आपको तो! नताशा बोली मुझे कोई ऐतराज नहीं है
माँ जी। फिर नताशा और राजवीर को रवि के कमरे में बिठाकर सभी बाहर चले गए।
राजवीर शारीरिक
रूप से बलिष्ठ, साढ़े छे फुट
लम्बा, और देखने में हैंडसम लग
रहा और शेरवानी में और भी ज्यादा स्मार्ट लग रहा था दूसरी ऒर नताशा साढ़े पांच फुट
की ऊपर से ४ इंच वाला हील पहनने बावजूद राजवीर के कंधो तक आ रही थी और सजी धजी
बहुत ही ज्यादा खूबसूरत और आकर्षक लग रही थी। राजवीर ने अपने बारे मे नताशा से
सबकुछ बताया। फिर बताया कि उसके घर में हमेशा घूँघट में ही रहना पड़ेगा। घर के बड़ो
की सारी बातों को मांनना पड़ेगा, घर का सारा काम
करना पड़ेगा यहाँ तक कि मेरे कपडे भी धोने पड़ेंगे, नाक में नथ पहन कर रहना अनिवार्य है। नताशा बोली इसमें क्या
है, ये सब तो मैं यहाँ भी
करती हूँ, मुझे कोई आपत्ति नहीं है।
राजवीर बोला
तुम्हे जब से देखा है तब बस यही चाहता हूँ कि तुम्हे अपनी रानी बना के रखूं,
मुझे ये रिश्ता मंजूर है अब तुम बताओ क्या तुम
मेरी रानी बनोगी? नताशा ने शर्म से
सर झुका लिया और सोचने लगी की क्या जवाब दूँ लेकिन तभी रवि, हिमांशु और राजवीर के घरवाले वहां आ गए और राजवीर से पूछा
तो उसने कहा मुझे नताशा पसंद है, उसके बाद बधाई का
सिलसिला चल पड़ा। किसी ने नताशा से कुछ पूछना भी जरुरी नहीं समझा और रिश्ता तय कर
दिया। राजवीर की माँ ने सोने का खानदानी कंगन नताशा को पहनते हुए कहा ये राजवीर की
दादी ने मुझे पहनाया था और अब जब तुम हमारे घर की बहु बनने जा रही हो तो ये कंगन
आज से तुम्हारा हुआ। फिर पर्स में से एक बड़ा सा नथ नताशा के नाक में पहनाकर बोली
आज से तुम हमारे घर की बहु हो।
ये सबके लिए
नार्मल था, लेकिन रवि और नताशा के
लिए नहीं। रवि औरत बनने जा रहा था वहीँ नितेश अब नताशा बन चूका था और कुछ ही दिनों
में एक बड़े घराने की बहु भी बनने जा रही थी। हिमांशु ने उनसे कहा की ये शादी
रीती-रिवाज़ों के साथ होगा और गाँव से होगा। सभी राजी थे इस बात से फिर सभी को
गिफ्ट्स देकर विदा किया गया और राधिका से भी कहा गया की शादी से २-३ दिन पहले आ
जाये और सबकुछ संभाल दे, वो भी तैयार हो
गयी और उसे भी एक गिफ्ट देकर विदा किया।
ठेकेदार ने
मुखिया जी को कॉल करके उन्हें बताया कि आपने तो जवाब नहीं दिया लेकिन आपके ही गाँव
की एक लड़की के साथ मैंने अपने बेटे की शादी तय कर दी है। लड़की की तस्वीर और शादी
का आमंत्रण पत्र हम जल्दी ही आपको भेज देंगे। ठेकेदार की इस बात को सुनकर मुखिया
जी का दिल बैठ गया, उन्होंने सोचा
इतना अच्छा रिश्ता हाथ से निकल गया, फिर ठेकेदार को मुबारकबाद देने के बाद उन्होंने कॉल डिसकनेक्ट कर दिया।
उधर दूसर ओर
हिमांशु ने भी मुखिया जी को कॉल किया और उन्हें बताया की उनकी बड़ी बेटी नताशा का रिश्ता
तय कर दिया है। लड़का कांट्रेक्टर है और बड़े घर परिवार से है, आप सभी गुस्सा छोड़ो और जल्दी शहर आ जाओ। मुखिया
जी के सांस में साँस आयी और उन्होंने हिमांशु को धन्यवाद् दिया और कहा हम जल्दी ही
शहर आते हैं।
अगले दिन से रवि
का ऑपरेशन शुरू हुआ। पहले 1 हफ्ते तक उसे
फीमेल हॉर्मोन्स और कुछ इंजेक्शन्स लगाये गए। दूसरे हफ्ते तक रवि का कमर, कुल्हा और नितम्ब पहले से ज्यादा मोटे और नाजुक
हो गए। अगले दो हफ्ते को ख़त्म होते होते रवि के होंठ पहले से ज्यादा मोटे और रसीले
और नाक को भी पहले से पतला कर दिया गया। फिर रवि के गले की सर्जरी की गयी जिससे
उसकी आवाज लड़कियों जैसी मीठी हो गयी। अब 4 हफ्ते गुज़र चुके थे अब डॉक्टर ने रवि के छाती की सर्जरी की और उसे वक्ष के रूप
में तब्दील कर दिया । रवि के वक्षस्थल को 36 साइज दिया गया , उसके बाद उसके शरीर से उसका लिंग हटा दिया गया और उसकी जगह योनि ने ले ली थी।
उसके शरीर में गर्भाशय दो अंडाशय और गर्भाशय नलिका को विकसित किया गया। अगले चार
हफ़्तों तक लेज़र उपचार विधि द्वारा रवि के शरीर के रेशो को हटा दिया गया, जिसके साथ ही उसका शरीर कोमल और गोरा होने के
साथ ही केशहीन भी हो गया। अब डॉक्टर्स ने रवि की योनि को एक्टिव करने के लिए नर्स
से बोलकर 15 दिनों तक
वाइब्रेटर डिलडो से रवि की योनि के अंदर घुसाने का काम दिया ताकि उसका योनि पूर्ण
रूप से अपने प्राकृतिक आकार में आ जाये। नर्स ने जब इस बात को रवि से कहा तो वो
बोला इसकी क्या जरुरत है या इसके लिए कोई और तरीका नहीं ? डिल्डो देखा तो रवि घबराने लगा तो नर्स ने रवि से कहा कि
घबराओ मत अब तुम एक स्त्री बन चुके हो, मैं इनके बारे में तुम्हे बताती हूँ की ये सब क्यों जरूरी है। तुम अब एक
स्त्री हो जिसके शरीर में दो अंडाशय (Ovary) और एक गर्भाशय (Uterus) विकसित किया गया है। हर माह किसी एक ओवरी से एक अंडाणु बनता
है। जैसे जैसे यह अंडाणु परिपक्व होता है, गर्भाशय की भीतरी सुरक्षा परत भी परिपक्व होती जाती है. जब अंडाणु पूरी तरह
परिपक्व हो जाता है और निषेचन (Fertilisation) योग्य बनता है. अगर यह निषेचित हो जाता है तो यह परत भी उसे
ग्रहण करने के लिए तैयार हो जाती है और निषेचित अंडाणु को गर्भाशय में स्थापित
करती है जहाँ शिशु बनता है. इसका अर्थ है कि इस परत का कार्य निषेचित अंडाणु को
आरंभिक पोषण देना है.अगर अंडाणु का निषेचन नहीं होता तब यह परत बेकार हो जाती है.
तब मासिक धर्म के चक्र के अंत में इस परत के उत्तक, रक्त, म्युकस का
मिला-जुला स्त्राव होता है. यह रक्त-मिश्रित स्त्राव के रूप में योनी (Vagina)
से बाहर निकलता है, जिसे मासिक स्त्राव कहते हैं। जैसे सभी स्त्रियों को होता
है वैसे ही ये सब तुम्हे भी हो इसके लिए जरुरी है कि तुम्हारे योनि में डिल्डो का
वाइब्रेटर प्रविष्ट करवाया जाए और जब ये अपना आकार ले लेगा तब तुम किसी भी मर्द के
साथ सम्भोग कर सकते हो और साथ ही बच्चो को जनम देने में सकक्षम हो जाओगे। जब ये
प्रक्रिया शुरू की गयी तब पहली बार रवि को औरत होने का अनुभव हुआ और उसे समझ में
आने लगा की स्त्रियों को कितना दर्द सहना पड़ता है। 14 दिनों बाद रवि का अंडाशय, गर्भाशय और योनि पूर्ण रूप से विकसित हो चुके थे।
डॉक्टर ने रवि को
बधाई देते हुए कहा कि वह अब स्त्री बन चुका है। ये सुनकर रवि बहुत इमोशनल हो गया
और रोने लगा। नर्स ने समझाया कि अब रोने से क्या होगा अब तुम एक औरत बन चुके हो।
नर्स बोली, "इतनी सुन्दर हो
गई हो ऑपरेशन के बाद औरत बन कर, तुम्हारे घर वाले
तुम्हे लेने आते ही होंगे। अच्छा ये बताओ कैसा लग रहा है औरत बन कर?" रवि बोला, "मैंने कभी नहीं सोचा था कि मुझे अपना ऑपरेशन करवा कर औरत
बनना पड़ेगा, कभी सपने में भी
नहीं सोचा था कि ये दिन भी देखना पड़ेगा।"
हाँ सही बोल रही
हो रवि ,तुम मर्द रहते तो किसी
अच्छी सी लड़की से शादी होती तुम्हारी और पूरी जिंदगी वो तुम्हारी सेवा करती लेकिन
अब तुम्हारी शादी एक मर्द से होगी, फिर तुम अपने पति
की सेवा करोगी, करवाचौथ का व्रत
रखोगी। शर्ट पैंट की जगह घाघरा चोली पहनोगी, लिपस्टिक लगाओगी,नाक में नथ पहनोगी, हाथों में
चूड़ियां और हाँ तुम तो अपने होने वाले पति के बच्चो की माँ भी बनने में सक्षम हो
भूलना मत। नर्स के ऐसे बोलने पर रवि शर्म से पानी पानी हो गया। थोड़ी देर में ही
हिमांशु रवि को लेने हॉस्पिटल आ गया, वो अपने साथ एक ड्रेस और ज्वेलरीज लेकर आया था। डॉक्टर ने नर्स को बुलाया,
ड्रेस और ज्वेलरीज देते हुए बोला जाओ रवि को ये
ड्रेस पहना कर यहाँ ले आओ।
नर्स ड्रेस और
ज्वेलरीज लेकर रवि के पास गयी और उसे बताया कि हिमांशु आ चूका है तुम्हे लेने,
हॉस्पिटल की प्रक्रिया भी हो चुकी है, ये ड्रेस और ज्वेलरीज हैं तुम यहाँ आओ तुम्हे
तैयार करना है। रवि ने जब ड्रेस देखा तो उसमें सुनहरे रंग का साटन स्ट्रीचबल चोली,
साटन काली साड़ी, और कुछ ज्वेलरीज थी। नर्स ने सबसे पहले रवि को चोली पहनाने
लगी, चोली काफी छोटी और तंग थी,
स्ट्रीचबल थी तो रवि ने पहन तो लिया लेकिन उसकी
फिटिंग बहोत टाइट थी। रवि ने आईने में देखा उसका पूरा पीठ दिख रहा था और साथ ही
उसके ब्रेस्ट काफी बड़े होने की वजह से चोली के बाहर निकल रहे थे। फिर रवि को
पेटीकोट और साटन साड़ी पहना दिया और पल्लू को उसके सिर पर रख दिया। फिर झुमके और
नाक में सोने का कील डाल दिया, ४ इंच हाइ हील
वाला सैंडल पहना दिया और डार्क ब्राउन रंग का ग्लॉसी लिपस्टिक उसके होंठों पर
लगाया और आखिर में उसकी आँखों में काजल लगाया। अब रवि पूरी तरह तैयार था दुनिया के
सामने एक नए पहचान के साथ जाने को, ये अलग बात है कि
उसे बहोत शर्म महसूस हो रहा था। डॉक्टर के पास जाते क्रम में रवि ने महसूस किया कि
हर एक कदम के साथ उसके बूब्स ऊपर नीचे हो रहे थे। साथ ही रवि अपने लिंग की
अनुपस्थिति महसूस कर रहा था, जिसके कारण उसकी
चाल औरतों के जैसे हो गयी थी। नर्स ने रवि को डॉक्टर के सामने ले जाकर खड़ा कर दिया
उसे गुड लक विश किया और केबिन से चली गयी।
डॉक्टर ने कहा,
रवि अब तुम सही मायने एक औरत बन चुके हो तुम
किसी मर्द से शादी कर के अपना घर भी बसा सकते हो और उसके साथ सम्भोग करने के साथ
ही उस मर्द के बच्चे को जन्म देने में भी सक्षम है। हिमांशु भी रवि का इस रूप को
देख कर दंग था। हिमांशु बोला तुम औरत बन कर कितनी सुन्दर लग रहे हो रवि, ऐसा लगता ही नही की तुम एक मर्द थे। रवि ने कहा
थैंक्स अब चलें। फिर रवि हिमांशु के साथ घर आ गया। पुरे रास्ते हिमांशु रवि को
घूरता रहा और रवि सिर झुकाए बैठा रहा।
घर पर हिमांशु ने
रवि को समझाया कि तुम अब एक औरत हो तो आज के जब भी किसी से भी बात करना लड़कियों की
तरह करना समझी और तुम्हारा नाम भी अब रवि नही रवीना है। कोई भी तुमसे पूछे की
तुम्हारा नाम क्या है तो तुम क्या कहोगी तब रवि बोली मेरा नाम रवीना है। तुम्हे
याद है ना रवीना कल नताशा की सगाई है राजवीर के साथ, उसकी तैयारियां भी करनी है और अब जब तुम आ गयी हो तो नताशा
को राधिका की मदद कर देना। रवीना बोली, ठीक है और कमरे में चली गयी।
वहां राधिका
नताशा को मेहँदी लगा रही थी, रवि को रवीना
देखकर राधिका बोली, कमाल है तुम भी
अब औरत बन गए रवि, अब तो तुम्हारे
लिए भी दूल्हा देखना पड़ेगा, और हसने लगी। तभी
हिमांशु वहां आ गया और बोला रवि का नया नाम रवीना है, और बात तो तुम्हारी एकदम सही है। रवीना के लिए भी एक दूल्हा
सर्च करना पड़ेगा, अरे! उसकी क्या
जरुरत है, राजवीर का छोटा भाई भी तो
कुंवारा ही है, उसी से बात चलाता
हूँ। रवीना बोली नहीं-नहीं मुझे शादी नहीं करनी, वो भी किसी मर्द से तो बिलकुल नहीं अभी नताशा दीदी की शादी
है उस पर फोकस करें? राधिका और
हिमांशु दोनों हसने लगे और सभी नताशा के सगाई की तैयारियों में लग गए।
अचानक दरवाजे की
घंटी बजी, हिमांशु ने कहा, मैं देखता हूँ, दरवाजे पर नितेश और रवि जो अब नताशा और रवीना हैं उनके माता
पिता और छोटी बहन खड़े थे। उन्हें देखकर हिमांशु ने उनके पैर छुए फिर अंदर लेकर
आया। उन्होंने हिमांशु से पूछा नितेश और रवि कहाँ हैं? और घर को तो ऐसे सजा रखा है जैसे किसी की शादी हो। हिमांशु
ने उनसे कहा सही समझे आपलोग, ये सारी
तैयारियां शादी की ही है लेकिन मेरी नहीं आपकी बड़ी बेटी की शादी की। मुखिया जी
आपका बेटा नितेश जो अब नताशा बन चुकी है उसकी सगाई है कल और आपका छोटा बेटा रवि जो
अब रवीना बन चुकी है। दोनों अंदर बैठे हैं फिर राधिका को आवाज लगाया और उससे कहा,
ये नताशा और रवीना के माता पिता और छोटी बहन
हैं। इन्हे अंदर ले जाओ और इनकी बेटियों से मिलवा दो।
अचानक अपने माता
पिता और छोटी बहन रश्मि को देखकर रवीना और नताशा का हलक सूख गया, फिर उन्होंने अपने माता पिता के पैर छुए।
मुखिया जी के परिवार में ऐसा पहली बार था जब घर के दोनों बेटों ने लिंग परिवर्तन
करवा लिया और औरत बन गये। अपने बेटों को औरतों के रूप में देखकर मुखिया और उनकी
पत्नी का सिर शर्म से झुक गया, आँखों में आंसू आ
गए लेकिन रश्मि इन सब से बहुत खुश लग रही थी। क्यूंकि बचपन से दोनों भाइयों ने
लड़की होने के कारन उसे पढ़ने नहीं दिया, घर से निकलने नहीं दिया जाता था, घर में खाना बनाना सिखने को कहा जाता, ओढ़नी ओढ़कर घर से बहार निकलने देते। हमेशा ताने कसते कि लड़का होती तो घर का नाम
रोशन करती लेकिन अब वो दोनों भाई अब खुद एक औरत बन चुके हैं।
सगाई वाले दिन:
बाहर एक कमरे में
रश्मि ने हिमांशु से कहा ये आपने बहुत अच्छा किया, इन दोनों को औरत बना दिया, ये दोनों वैसे भी मर्द कहलाने लायक नहीं हैं। आपकी बहन हो
या इनकी बहन औरतों की इज़्ज़त इन्होने कभी नहीं की, मुझे नहीं लगता ये सब प्राकृतिक रूप से हुआ लेकिन मुझे मतलब
भी नहीं जो हुआ अच्छा हुआ और इन दोनो के लिए जरुरी था।
आपकी बहन इलाज़ के
लिए बोलती यही लेकिन इन लोगों ने आपकी बहन को जिते जी मार डाला, और मुझे भी जिन्दा नहीं रखा, ना ही मुझे पढ़ने दिया गया और ना ही घर से बहार
निकलने दिया, सिर्फ यही कहा कि
तुम एक औरत हो, घर के कामकाज करो
बस।
हिमांशु ने रश्मि
को गले से लगाया और शांत किया और कहा कल नताशा की सगाई है, उसे औरत होने का अनुभव होना चाहिए हर पल। सिर्फ नताशा को
क्यों, रवीना को भी! हर पल
इनदोनो को औरत होने का एहसास करवाउंगी और ये भी भूलने नहीं दूंगी कि कभी वो मर्द
थे। फिर रश्मि भी अंदर चली गयी और अपनी माँ से कहा मैं भी नताशा दीदी को सजाऊंगी।
फिर राधिका से बोली आप रवीना दीदी को तैयार करो मैं नताशा दीदी को तैयार करती हूँ।
रश्मि अपने घर से कुछ ड्रेसेस लेकर आयी थी। उनमे से एक सुनहरे रंग का हाफ चोली जो
कि स्ट्रेची था और विक्टोरिया सीक्रेट्स वाला पुशअप ब्रा भी था। रश्मि ने कहा,
नताशा दीदी आप अपना हाथ ऊपर उठाओ, नताशा ने अपना हाथ ऊपर किया तब रश्मि ने उसका
चोली खोल दिया फिर उसे विक्टोरिया सीक्रेट्स वाला पुशअप ब्रा पहना दिया फिर सुनहरे
रंग का हाफ चोली जो कि स्ट्रेची था और नताशा को टाइट फिटिंग हुआ। नताशा के वक्ष का
उभार दिखने लगा और पीठ भी साफ़ दिख रहा था। दूसरी ओर राधिका ने भी रवीना को एक Calvin
Klein साटिन स्ट्रक्चर पुशअप
ब्रा पहनाया। रवीना के वक्ष नताशा से बड़े थे और ब्रा पहने के बाद वो सुडौल दिखने लगा।
फिर उसे बैकलेस कढ़ाईदार स्ट्रेची चोली पहनाया और डोरियों से टाइट करके बांध दिया।
फिर रश्मि ने नताशा के माथे पर बड़ा सा मांगटीका पहनाया, राधिका ने भी रवीना को बड़ा सा मांगटीका पहनाया। नताशा के
कानों में बड़े बड़े झुमके पहनाये गए वही रवीना के कानो में बड़ी बड़ी बालियाँ पहनाया
गया। फिर नताशा के नाक में राजस्थानी नथ पहनाया और रवीना के नाक में कुमाउनी नथ
पहनाया गया। रश्मि और राधिका के बीच एक प्रतियोगिता चल रहा था जिसमे नताशा और
रवीना दोनों चुप चाप बैठे उनका कहा मान रहे थे। फिर नताशा के हाथों में हाथों में
पहनने वाला जेवर पहनाया, पांच अंगूठियां
जो एक ब्रेसलेट्स से चेन जुड़े हुए थे, रवीना को भी ठीक वैसा ही जेवर हाथों में पहनाया। दोनों के गले में एक एक
नौलक्खा हार और दोनों के कमर में कमरबंद पहनाया। फिर नताशा को घाघरा पहनाया गया
उधर रवीना को साड़ी पहनाया गया।
फिर दोनों को ४
इंच वाला हील्स वाला सैंडल पहनाया और फिर पैर में पायल पहनाया। नताशा को एक बड़ा सा
चुनरी से घूँघट कर दिया और रवीना को उसकी साड़ी की पल्लू से घूँघट बना दिया। फिर
राधिका ने रश्मि से कहा कुछ छूट तो नहीं रहा ना? रश्मि बोली, हाथों में
चूड़ियां और कंगन तो पहनाया ही नहीं! फिर दोनों ने नताशा और रवीना के हाथों में
२४-२४ चूड़ियां पहना दिए गए और फिर सोने कंगन पहना दिया फिर हाथों के जेवर वैसे ही
पहना दिया। हाँ अब ठीक है, अब हमारी दोनों
दुल्हनिया तैयार है, रश्मि बोली और
दोनों हंसने लगी।
रश्मि बाहर वाले
कमरे में गयी और माता पिता और हिमांशु को बुलाकर अंदरवाले कमरे में ले गयी और उनसे
पूछा, कौन ज्यादा खूबसूरत लग
रही है? नताशा या रवीना? सभी ने यही कहा कि दोनों बेहद खूबसूरत लग रही
हैं और तुमदोनो ने तो कमाल ही कर दिया इतने खूबसूरती से सजाया है दोनों को जिसनी
सुन्दर नताशा घाघरा चोली में लग रही है उतनी ही सुन्दर रवीना भी लग रही है। पहले
तो सिर्फ एक ही बेटी का तनाव था और अब मेरे दोनों बेटे भी बेटी बन गए हैं, बोलते बोलते रश्मि की माँ सुबुक सुबुक के रोने
लगी। हिमांशु बोला, कोई बात नहीं माँ
जी वैसे भी थोड़ी देर में नताशा का होने वाला दूल्हा अपने परिवारवालों के साथ सगाई
के लिए आते ही होंगे। थोड़ी देर में ही राजवीर और उसके घरवाले गिफ्ट्स लेकर सगाई के
लिए आ गए।
हिमांशु ने
राजवीर के घरवालों से नताशा के घरवालों को मिलवाया। मुखिया जी ने जब ठेकेदार को
देखा तो समझ गए कि हो ना हो जिस बेटे के लिए ठेकेदार ने नताशा का हाथ माँगा था ये
वही है। दोनों एक दूसरे को देख कर खुश हो गए और गले भी मिले। ठेकेदार ने मुखिया जी
से कहा, मुझे तो अभी भी यकीन नहीं
हो रहा, आपकी जिस बेटी का हमने
आपसे हाथ माँगा था, ऊपर वाले ने उससे
खुद ह मिला दिया। देखिये हमें तो लगा था कि आप अपनी बेटी की शादी कहीं और ही
करेंगे लेकिन नियति ने हमरे परिवारों को आज फिर से मिला दिया। उर्मिला भी उनके साथ
ही आयी थी, वो सीधे जाकर नताशा के
पास बैठ गयी और बोली भाभी आप कितनी सुन्दर हो, मेरे भैया को तो आपसे सुन्दर दुल्हन मिल ही नहीं सकती। आवाज़
जानी पहचानी थी, नताशा ने उसके
तरफ देखा तो उसे ४४० वाल्ट का झटका लगा, जिस लड़की के साथ उसकी शादी होनी थी आज उसी का भाई के साथ वो सगाई कर रही है।
उर्मिला को अभी तक नहीं मालुम था कि जिस होने वाली भाभी की वो बात कर रही है,
वो वही नितेश है जिसके साथ उसकी शादी होने वाली
थी।
राजवीर ने शेरवानी पहना हुआ था, जिसमे वो काफी स्मार्ट लग रहा था और उसका छोटा भाई अजय भी शेरवानी में काफी स्मार्ट लग रहा था। नताशा घाघरा चोली में और रवीना साड़ी में काफी सुन्दर लग रही थी। फिर सगाई की रस्म के लिए राजवीर और नताशा को एक साथ बिठाया गया।
दोनों ने रीति-रिवाजों के साथ एक दूसरे को सगाई की अंगूठी पहनाई और छोटे मोटे रस्मो के साथ सगाई का कार्यक्रम समाप्त हुआ। अब नताशा और राजवीर दोनों को खड़ा किया गया। यहीं पास में खड़ी रश्मि ने नताशा से कहा तुम दोनों की जोड़ी कितनी अच्छी लग रही है, कितने लम्बे चौड़े हैं राजवीर जीजू और दुल्हन के लाल जोड़े में तुम भी बहुत सुन्दर लग रही हो। पास में ही उर्मिला भी कड़ी होकर अपने भाई को छेड़ने लगी। वो बोली, भैया आज सच में मेरे लिए बड़े ही ख़ुशी का दिन है, भाभी और आपकी जोड़ी कितनी अच्छी लग रही है, जितने लम्बे चौड़े आप हो उतनी ही कोमल, सभ्य, और शुशील मेरी भाभी लग रही है। राजवीर ने भी यही कहा, सच में नताशा के साथ मेरा सगाई हो रहा है, जैसे मेरे सपनो की रानी मिल गयी मुझे और दोनों हसने लगे।
नताशा ने सिर उठा
के देखा तो उसे फील हुआ कि सच में ४ इंच वाला हाई हील्स पहनने के बावजूद वो राजवीर
के कन्धों तक ही आ रही है। शर्म से लाल होती जा रही थी नताशा, फोटोग्राफर ने भी ढेर सारी तस्वीर क्लिक करने
के बाद राजवीर से कहा आप अपनी दुल्हन को बाहों में ले लो अच्छी तस्वीर आएगी।
राजवीर ने नताशा की तरफ देखा, राधिका उससे बात
कर रही थी तब राजवीर ने उससे कहा अगर आपको बुरा ना लगे तो मैं अपनी रानी के साथ
तस्वीर क्लिक करा लूँ! राधिका ने हँसते हुए कहा आपकी दुल्हन है, आप जो करो हमें क्या और हँसते हुए वहां से अलग
हट गयी। राजवीर ने सबके सामने नताशा को अपनी बाहों में लिया और अलग अलग पोज़ देते
हुए तस्वीर क्लिक करवाने लगा और नताशा चुपचाप सिर झुकाये खड़ी रही। नताशा को यकीन
नहीं हो रहा था कि उसने भी कभी वो अपनी बीवी के साथ ऐसे ही पोज़ देकर तस्वीर क्लिक
करवाया था और आज खुद दुल्हन बनकर अपने होने वाले पति के साथ सगाई कर लेने के बाद
तस्वीर क्लिक करवा रही थी। उर्मिला भी इस पल को एन्जॉय कर रही थी। उसे सच्चाई का
बिलकुल भी एहसास नहीं था।
रवीना, रश्मि और राधिका तीनो इस लम्हे को एन्जॉय कर
रही थी, लेकिन कोई और भी था जो इस
लम्हे को एन्जॉय कर रहा था। वो था अजय, राजवीर कछोटा भाई जिसे रवीना इतनी पसंद आ गयी कि तब से उसकी नज़र रवीना पर ही
था और हिमांशु ये सब देख रहा था। हिमांशु ने रवीना को अपने पास बुलाया और अजय को
भी बुला लिया। एक ही सोफे पर तीनो बैठ गए, अजय और रवीना कार्नर में और बीच में हिमांशु बैठ गया। फिर हिमांशु ने अजय का
परिचय रवीना से करवाया और उनसे कहा तुम दोनों बातें करो मैं थोड़ी देर में आता हूँ।
अजय भी साढ़े छे फुट लम्बा और राजवीर से ज्यादा तगड़ा भी था, अजय को देखकर रवीना अपने साड़ी का पल्लू ठीक किया और सिर
झुका कर बैठ गयी। अजय ने बताया, मुझे तुम बहुत
पसंद हो रवीना क्या तुम मुझसे शादी करोगी? ये क्या बोल रहे हो आप, मुझे शादी नहीं
करनी। लेकिन क्यों नहीं करनी? क्या कमी है
मुझमें? रवीना बोली आपमें कोई कमी
नहीं है, इतने स्मार्ट हो की कोई
भी लड़की आपसे शादी के लिए ना नहीं करेगी।
तभी वहां राधिका
आ गयी, उसने सब सुन लिया और बोली
रवीना के माता पिता यहीं बैठे हैं अगर तुम्हे रवीना से शादी करनी है तो उनसे बात
कर लो और हसने लगी। रवीना ने राधिका से कहा ये तुम क्या बोल रही हो, इससे पहले उसकी बात पूरी होती अजय वहां से उठकर
गया और अपने परिवार वालों से कहा की मुझे रवीना पसंद है, शादी करूँगा तो उसी से नहीं तो कभी नहीं करूँगा।
अजय के माता पिता
ने कहा ठीक है बेटा हम रवीना परिवार से बात करेंगे। रवीना ने राधिका से कहा,
ये तुमने क्या किया राधिका, मुझे शादी नहीं करनी किसी मर्द से, ये जानते हुए भी तुमने उसे बोल दिया मेरे माता
पिता से बात करने को? तो क्या हो गया
रवीना, तुम्हारी भी शादी हो
जाएगी तो तुम्हारे माता पिता भी खुश रहेंगे। दोनों बेटियां अच्छे घर की बहु बन
जाये इससे ज्यादा क्या चाहिए उन्हें? अपने बारे में सोचना बंद करो अपने माता पिता के बारे में सोचो, उनके ऊपर क्या बीत रहा होगा अभी। वैसे भी अब
तुम मर्द नहीं रहे, एक औरत बन चुके
हो और जब तक तुम्हारी शादी नहीं होगी तब तक तुम्हारी छोटी बहन की शादी कैसे होगी।
उधर राजवीर के
माता पिता ने रवीना से अजय की शादी के लिए उसके माता पिता से बात भी कर ली। वो
तैयार हो गए और कहा इससे ज्यादा अच्छा क्या होगा जब मेरी दोनों बेटियां एक ही घर
की बहु बनें। उन्होंने उसी वक़्त अजय और रवीना दोनों को बुलाया और उनसे बस एक ही
सवाल किया। अजय से जब पूछा गया क्या तुम्हे रवीना पसंद है तो उसने हाँ में जवाब
दिया उधर दूसरी ओर रवीना से जब ये पूछा गया कि अजय कैसा लगता है तुम्हे तो उसने
कहा स्मार्ट है। इतना सा जवाब ही काफी था शायद। दोनों के परिवार में बात बन गयी और
उन्होंने फैसला किया की अभी ही दोनों की सगाई करवा दी जाये। ये फैसला इतनी जल्दी
लिया गया की रवीना को यकीन नहीं हो रहा था की नताशा के देवर से उसकी सगाई करवाई जा
रही है थोड़ी ही देर में वो भी किसी गैर मर्द की अमानत हो जाएगी।
थोड़ी ही देर में
दोनों के लिए सगाई की अंगूठियां भी आ गयीं। रवीना और अजय को एक साथ बिठाया गया,
सगाई के सारे रस्म निभाए गए फिर रवीना ने अजय
को अंगूठी पहनाया और अजय ने रवीना को। छोटे मोठे रस्मों के साथ रवीना और अजय की भी
सगाई पूरी हो गयी। सभी ने रवीना और अजय को बधाई दिया। फोटोग्राफर ने फिर से तस्वीर
क्लिक करने लगा। थोड़ी देर बाद उनसे भी पोज़ देने को कहा गया। अजय ने रवीना के कमर
में हाथ डाला और अपनी ओर खींचा और उसकी आँखों में देखते हुए कहा, तुम्हारा बदन तो बहुत नाज़ुक है, जी चाहता है तुम्हे बाहों में ही रखूं। शर्म से
लाल होते हुए रवीना बोली आपको शर्म नहीं आता इतने सारे लोगों के सामने ऐसी हरकतें
करते हुए। अजय बोला अपनी बेगम के सामने शर्म आये तो मर्द कैसा, मैं तुम्हारे रसीले होंठो को चुम नहीं रहा वही
बहुत है। रवीना शरमाते रही और फोटोग्राफर तस्वीर क्लिक करता रहा।
दोनों परिवार
वाले बहुत खुश थे और रश्मि और हिमांशु भी बहुत खुश थे। अब दोनों के परिवार वालो ने
शादी का दिन निकला २ महीने बाद का और राजवीर के माता पिता ने नताशा के माता पिता
से कहा कि इतनी सारी तैयारियों में अगर हमारी मदद की जरुरत पड़े तो आप हमें जरूर
बताना। हम आपको जरूर बताएंगे और फिर एक दूसरे को गिफ्ट्स देकर विदा लिया। राजवीर
और अजय अपने माता पिता के साथ वहां से चले गए। उनके वहां से जाने के बाद घर में
सन्नाटा छा गया। रश्मि ने रवीना और नताशा को कमरे में चलने को कहा और खुद भी उनके
साथ कमरे में चली गयीं। रश्मि ने देखा नताशा और रवीना दोनों सिर झुका के रो रही
थी। रश्मि ने उन दोनों को समझाया कैसा लग रहा है औरतों की जिंदगी जी कर? तुम दोनों की सगाई भी हो चुकी है, २ महीने बाद तुम्हारे दूल्हे बारात लेकर आएंगे
और तुम्हे अपनी दुल्हन बनाकर ले जायेंगे। फिर तुम दोनों के साथ वो सब करेंगे जो एक
पति अपनी पत्नी के साथ करता है और तुम दोनों को अपने पैरों की जूतियां बनाकर
रखेंगे। यही कहते थे ना तुम दोनो जब तुम मर्द थे? क्यों शर्मिंदा कर रही हो ऐसे बोल कर, एक तो हमारा लिंग परिवर्तन करवा दिया गया,
औरत बना दिया और एक मर्द के साथ सगाई भी करवा
दिया, लेकिन अंदर से हम दोनो आज
भी मर्द हैं। उनकी बातें बीच से काटते हुए रश्मि बोली हाँ, इतना नाज़ुक तन बदन वाले मर्द जो घाघरा चोली पहनती हैं,
नाक में नथ, कानों में झुमके और हांथो में चूड़ियां पहन कर भी अंदर से
मर्द हो; रस्सी कट गयी लेकिन बल
नहीं गया, कोई बात नहीं एक बार शादी
कर लो उसके बाद राजवीर और अजय तुम्हे अंदर से औरत बना देंगे। वो बड़े घराने हैं और
जब तुम दोनो राजवीर और अजय के बच्चो को जन्म दोगी तब भी यही कहना कि तुम अभी भी
अंदर से मर्द हो, और जोर से हसने
लगी।
अगले दिन
फोटोग्राफर २ एल्बम दे गया, एक नताशा और
राजवीर की सगाई की और दूसरा रवीना और अजय की सगाई की। हिमांशु उन तस्वीरों को
देखकर कहा कितनी अच्छी जोड़ी है दोनों बहनें एक ही घर में जाएँगी, खुश रहेंगी, आप क्या कहते हो मुखिया जी? मुखिया जी बोले हाँ हिमांशु तुम सही बोल रहे हो, घर परिवार भी अच्छा है। कभी सोचा नहीं था की
मेरे दोनों बेटे औरत बन जायेंगे और आज उनकी सगाई भी हो गयी। बहु घर लाने का सपना
तोड़ के खुद ही बड़े घराने की बहु बनने जा रहे हैं। वैसे दामाद जी अच्छे भी हैं और
हैंडसम भी, ऐसे दामाद तो नसीब वालों
को ही मिलते हैं।
रश्मि बोली हाँ
पिताजी, अब सिर्फ २ महीने ही रह
गए हैं दोनों की शादी में और माँ ने इन्हे कुछ भी नहीं सिखाया है, रश्मि की माँ ने बीच में बात काटते हुए कहा,
रश्मि सही बोल रही है, इन दोनो को औरतों की सभी चीज़ें सीखनी पड़ेगी। अच्छा रहेगा कि
दोनों को गाँव ले चलते हैं, शादी से पहले
दोनों को सर्वगुणसम्पन्न बनाना जरुरी है नहीं तो ससुराल में जाकर नाक कटवा देंगी।
और मैं ये नहीं चाहती की मेरी बेटियों को ससुराल में दिक्कतों का सामना करना पड़े।
सभी ने ये तय किया कि नताशा और रवीना दोनों को गाँव ले जाया जाय लेकिन शादी की
तैयारियां भी करनी थी तो रश्मि वही हिमांशु के पास रुक गयी, और सभी गाँव चले गए।
नताशा और रवीना
दोनो अपने माता पिता के साथ गाँव आ गए। गाँव के लोगों को जब ये बात पता चला कि
मुखिया जी के दिनों बेटों ने लिंग परिवर्तन करवा लिया और औरत बन गए तब तो मानो
गाँव की औरतों का मेला ही लग गया उनके घर मे। नितेश और रवि दोनो बदनाम मर्द थे,
लड़कियों को छेड़ने वाले लड़के अब खुद लड़कियों का
जीवन जी रहे हैं। ये जान कर गांव के लोगो ने पंचो की एक सभा बुलाई जिसमे गाँव के
सभी बड़े बुजुर्ग नयी नेवेली लड़कियों को अपना आशीर्वाद देंगी , ये जान कर मुखिया जी बहुत खुश हुए और अगले दिन
ही दोनों बेटियों के लिए एक समारोह का आयोजन किया गया। गाँव की औरतोँ और नितेश और
रवि के दोस्तो में बहुत उत्साह था।
समारोह के आयोजन
पर सारे गाँव के लोग आए, महिलाओं ने
आशीर्वाद देते हुए कहा, कितनी सुंदर लग
रहे है मुखिया जी के दोनों बेटे औरत बन कर। काश इनकी शादी तय ना हुई होती तो मैं
अपने बेटे से इनकी शादी करवा देती। ऐसी हूर सी नुमायी बहुएँ मिल जाती तो बात ही
क्या थी। पास खड़ी एक औरत बोली दोनो ने तो नाक में दम कर रखा था गाँव वालों का
अच्छा हुआ, अब खुद औरतों की जिंदगी
जियेंगे तो समझ आएगा। एक बोली सुना है डॉक्टर के हिसाब से दोनों बच्चो को जन्म
देने में भी सक्षम है। वैसे नाक में इतना भारी नथ पहनाया गया है पुछु तो जरा कैसा
लग रहा है , और हँसने लगी।
साथ खड़ी एक महिला बोली नाक में इतना बड़ा नथ इनदोनो के चहरे को आकर्षक बना रहा है ,
इन्हें ये नथ पूरी जिंदगी पहननी है, जब जब इनके नथ इनके होंठों को छुएंगे तब तब
इन्हें औरत होने का एहसास कराएंगी और गाँव के लफंगों के लिए ये दोनों एक सबक है।
इनकी हालत देखने के बाद इस गांव में कोई औरतों पर जुल्म नही करेगा और ना ही
लड़कियों को छेड़ेंगे।
गाँव की औरतों के साथ रवि और नितेश के दोस्त भी अपनी अपनी बीवियों के साथ आये थे। उन्होंने नताशा के चेहरे को ऊपर उठाकर चेहरा देखकर अपने पति से बोली ये नितेश है किसी सुंदर लग रही है औरत बनकर और इसके वक्ष तो हमसे भी बड़े हैं। फिर नताशा के पास बैठ गयी और बोली सुना है तुम्हारी सगाई हो चुकी है, क्या करता है तुम्हारा होने वाला पति? नताशा बोली वो बिज़नेस करते हैं। फिर बोली चलो अच्छी बात है कम से कम कुछ तो करते हैं, तुमसे बीवी तो संभाली नही गयी चलो खुद किसी मर्द की बीवी बन जाओगी तो पता चल जाएगा अच्छे पति कैसे होते हैं। फिर रवि का चेहरा उठाकर बोली ये रवि है ना, कितनी सुंदर हो गयी है, सुना है तुम्हारी भी शादी तय हो गई है, एक मर्द ने सगाई भी कर लिया तुमसे और सुना है तुम तैयार नही थी इस शादी के लिए। क्या करता है तुम्हारा होने वाला पति? वो भी बिज़नेस में हैं। तुम कितनी खूबसूरत हो, सच मे अगर तुम दोनों की सगाई ना हुई होती तो मेरे दोनो भाइयों के लिए तुम दोनो का रिश्ता लेकर आती, चलो चाहे जो भी हो दोनो बेहद खूबसूरत हो और तुम्हारे होने वाले पतियों की तो लॉटरी लग गयी, और हंसते हंसते वहां से चली गयी।
सभी रवि और नितेश
को आशीर्वाद देते गए और साथ में दोनों को औरत बनने की बधाई भी दी। रवि और नितेश के
सभी दोस्त लगभग शादीशुदा थे। उनकी बीवियां उनके साथ आयी थी, मुकेश की बीवी उनके पास बैठ गयीं और बोली रवि और नितेश अब
तुम दोनो औरत बन गयी हो मैं कुछ बातें बताना चाहती हूँ जो तुम्हारे काम आएगा। वैसे
कुछ तो नाम रखा होगा न तुम्हारे दोस्तों ने मुकेश? मुकेश ने कहा हाँ नितेश का नाम अब नताशा है और रवि का नाम
रवीना है। थैंक्स मुकेश, अच्छा नताशा और
रवीना ध्यान से सुनो, जब तुम्हारी शादी
हो जाये तब अपने पति और ससुराल वालों के सभी आज्ञा का पालन करना नहीं तो सब कहेंगे
लड़कियां संस्कारी नहीं है, पतियों से जुबान
मत लड़ाना कभी, जो कहें चुप चाप
करना और इतनी सुन्दर और कोमल बदन की मल्लिका हो तो योग रोज़ करना, शादी के बाद औरतों का शरीर फैलने लगता है और
अगर तुम दोनो योगा करोगी तो स्लिम रहोगी और तुम्हारे शरीर हमेशा कोमल रहेगा और और
भी सुन्दर होती जाओगी। फिर बोली, तुम दोनों इतने
चुप क्यों हो? इतनी देर से तुम दोनों
से बातेँ कर रही हूँ और तुम दोनो कुछ बोल ही नहीं रही। नताशा बोली, नहीं भाभी ऐसी बात नहीं है, बस इन रस्मो के खत्म होने का इंतज़ार कर रही
हूँ। वाओ तुम्हारी तो आवाज़ भी इतनी मीठी हो गयी है, डॉक्टर्स ने तो सचमुच जादू ही कर दिया है। अच्छा एक बात
बताओ, कुछ औरतें बात कर रही थी
कि तुम दोनों बच्चो को जन्म देने में सक्षम हो क्या ये सच है? रवीना बोली, जी भाभी ये सच है।
ये सुनकर मनोज की बीवी एकदम खुश हो गयी फिर बोली चलो अच्छा है, मतलब तुम दोनों समूर्ण औरत बन चुकी हो, बस सुहागन बनने की देर है। चलो हम भी चलते हैं काफी देर हो गया है। सभी के जाने के बाद समारोह ख़त्म हुआ, गांववालों ने दोनों को स्वीकार कर लिया था और अब पूरा गांव जानता है कि मुखियाजी के दोनों बेटे अब औरत बन चुके हैं। अगले दिन से नताशा और रवीना की ट्रेनिंग शुरू हुई। दोनों की माँ ने दोनों को साड़ियां पहना दिया फिर हाथों में चूड़ियां, कानो में झुमके और नाक मे नथ और पैरों में पायल और ४ इंच हाई हील्स वाला सैंडल पहनाया गया और उनसे कहा गया की रोज़ यही पहनना है और फिर साड़ी के पल्लू से नाक तक घूँघट कर दिया। उसे ये भी कहा गया जब तक तुम दोनो की शादी नहीं हो जाती तब तक हर रोज़ तुम्हे यही पहनना है, और घर से बाहर नहीं निकलना है। आज से घर में झाड़ू पोछा, सुबह का नाश्ता, दिन का खाना, शाम का नाश्ता और रात का डिनर तुम दोनो को मिलकर बनाना है। उसके बाद कपडे धोने हैं फिर अपना मेकअप करना सीखना है और घर में धीमे आवाज़ मे बातें करोगी, समझी! अब जाओ काम मे लग जाओ।
१ महीना कब बीत
गया, इसका पता भी नहीं चला,
नताशा और रवीना ने घर के सारे काम सीख लिए।
मेकअप करना भी आ गया और धीमे आवाज़ में बात करना भी। कूल्हे मटका कर चलना आ गया और
अब दोनों स्त्रीत्व को समझने लगे थे। एक दिन मुखिया जी ने बताया आज नताशा और रवीना
के ससुराल वाले हमारा गाँव घर देखने आ रहे हैं, ध्यान रहे किसी चीज़ की कमी ना हो खातिरदारी में। दोपहर होते
ही मुखिया जी के होने वाले दोनों दामाद अपने परिवार वालों के साथ वहां आ गए। गाँव
में उनका स्वागत बड़े जोर शोर से किया गया। गाँव की महिलाओं में नताशा और रवीना के
होने वाले पति को देखने की ललक साफ़ दिखाई दे रही थी। मुखिया जी के घर में उनका
बहुत अच्छे से आदर सत्कार किया गया, अच्छे अच्छे व्यंजन परोसे गए। नताशा और रवीना को साड़ी पहना कर जेवर गहने पहना
कर उनके सामने ले जाया गया, दोनों पहले से
काफी स्लिम हो चुके थे, राजवीर और अजय
अपनी होने वाली पत्नियों को छोड़ के कही नहीं जाना चाहता था लेकिन मुखिया जी दोनों
को गाँव घुमाने ले गए।
गाँव की औरतें
राजवीर और अजय को देखकर आपस में बातें करने लगी, नितेश और रवि के पति कितने स्मार्ट हैं इनके सामने तो दोनों
छोटे लगते होंगे ना, दूसरी औरत बोली
हाँ सही बोल रही हो दोनों लम्बे चौड़े हैं।
अब तो यही लगता
है शादी के बाद १ साल के अंदर ही दोनों को अपने बच्चो की माँ बना देंगे, चलो अब शादी के दिन ही पता चलेगा दोनों की जोड़ी
कैसी लगती है। गाँव में राजवीर और अजय को लोग ऐसे देख रहे थे, मानो विदेश से कोई गाँव में आया हो। घर आकर अजय
ने मुखिया जी से कहा, हम दोनों अपनी
होने वाली बीवियों से कुछ बातें करना चाहते हैं। मुखिया जी बोले, हाँ-हाँ क्यों नहीं, उन्होंने अपनी पत्नी को बुलाया और उनसे कहा दामाद जी को
नताशा और रवीना से मिलना है, उन्हें कोई बात
करनी होगी दोनों को उनके कमरे में ले जाओ। मुखिया जी की पत्नी ने राजवीर को नताशा
के साथ उसके कमरे में बिठा दिया और अजय को रवीना के साथ उसके कमरे में बिठा दिया।
राजवीर और
उर्मिला नताशा के साथ एक कमरे में बैठ गए और अजय और रवीना को एक साथ अलग कमरे में
बिठाया गया। फिर उर्मिला नताशा से पूछा, पिताजी बता रहे थे कि तुम वही नितेश हो जिसके साथ मेरा रिश्ता तय हुआ था,
क्या ये सच है, क्या तुम वही नितेश हो जो मुझसे शादी करने वाले थे? तुमने मुझे एक बार भी नहीं बताया कि तुम नितेश
हो, जवाब दो? नताशा बोली, हाँ ये सच है, मैं वही नितेश हूँ जिसके साथ तुम्हारा रिश्ता तय हुआ था लेकिन परिस्थिति ऐसी
बिगड़ी की मुझे अपना लिंग परिवर्तन करवाना पड़ा और देखते ही देखते तुम्हारे भाई के
साथ सगाई भी करना पड़ा। ये सब तुमने मुझे पहले क्यों नहीं बताया, खैर छोड़ो मेरा होने वाला पति अब मेरी होने वाले
भाभी है, इस बात की ख़ुशी है की
मेरे भाई ने तुम्ही से शादी करने का फैसला किया, जिस घर के दामाद बन सकते थे अब उसी घर की बहु बनने का सुख
मिल रहा है। फिर उठकर बोली, अब अपने होने
वाले पति के साथ बातें करो मैं रवीना के कमरे में जा रही हूँ।
राजवीर बोला,
मेरी बहन की बातों का बुरा मत मानना, थोड़ी सी अपसेट है। आखिर हो भी क्यों ना उसका
होने वाला पति अब खुद किसी की होने वाली पत्नी है। मुझे तुम बहुत पसंद हो, ना तो पहली बार जब तुम्हे देखा था तब यकीन हुआ
था और ना ही आज इस बात का यकीन हो रहा है कि तुम कभी मर्द थे। और वैसे भी मुझे इन
सब बातों से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता कि तुम मर्द थे या औरत। मैंने तो जब से तुम्हे
देखा है तुम्हारे हुस्न का दीवाना हो चला हूँ, ये दीवानगी और बेसब्री बढ़ती ही जा रही है। अब तो बस उसी दिन
का इंतज़ार है जिस दिन मैं तुम्हे अपनी दुल्हन बनाऊंगा।
इन बातों को
सुनकर नताशा शर्म से लाल हुयी जा रही थी।
उधर दूसरी तरफ
उर्मिला रवीना के कमरे में गयी जहाँ अजय और रवीना बातें कर रहे थे। उर्मिला रवीना
के पास बैठकर बोली मेरी छोटी भाभी कितनी सुन्दर है ना। भला कोई कह सकता है कि मेरी
छोटी भाभी कभी एक मर्द थी? अजय बोला,
कहने की जरुरत भी नहीं है, तुम्हारी छोटी भाभी बहुत सुन्दर है और क्या
फ़र्क़ पड़ता है, मुझे तो कोई फ़र्क़
नहीं पड़ता। उर्मिला बोली, आप सही बोल रहे
हो भैया, अब तो खैर कोई फ़र्क़ नहीं
पड़ता, सच में कितनी हसीं है
मेरी छोटी भाभी, ऐसा लगता है मनो
तन बदन तराशा गया हो।
मेरी दोनों
भाभियाँ हुस्न की मल्लिका है और मेरे भाई भी काम नहीं हैं। अजय बोला, हो गया तुम्हारा तो हम बातें कर लें? हाँ हाँ क्यों नहीं, आपकी होने वाली धर्म पत्नी है, आप बात करो मैं जाती हूँ, बोलकर उर्मिला वहां से चली गयी।
राजवीर ने नताशा
से कहा, मैंने तुम्हे बहुत मिस
किया, माता ने तुम्हारे लिए कुछ
गिफ्ट्स भेजे हैं, शादी के दिन
इन्हे ही पहनना। गिफ्ट्स में घाघरा-चोली, डिज़ाइनर और बड़ा नथ, सोने के कंगन,
पायल , झुमके, लिपस्टिक, और कुछ साड़ियां थी। इन सब को देखकर नताशा ने
राजवीर को थैंक्स कहा। राजवीर बोला, तुम्हारा रूप पहले से काफी निखार सा गया है और कमर भी पतली हो गयी है। और
हिमांशु ये भी बता रहा था कि तुमने बेल्ली डांसिंग का कोर्स किया है, क्या बात है। नताशा बोली हाँ सीखा है क्यूंकि
डॉक्टर ने कहा था और रेगुलर प्रैक्टिस भी करती हूँ ताकि मेरा शरीर फिट रहे। राजवीर
बोला हाँ पता है मुझे, अच्छा कैसा फील
कर रही हो औरत बन कर? मैंने कभी सोचा
भी नहीं था मेरी शादी एक ऐसी लड़की से होगी जो पहले एक मर्द था लेकिन तुम जैसी भी
हो मेरे दिल की रानी हो। मुझे पता है तुम्हे ये सब बहुत अजीब लग रहा होगा लेकिन
घबराना मत मैं तुम्हे हमेशा खुश रखूँगा और बहुत प्यार करूँगा। नताशा बोली थैंक यू
लेकिन अब जैसी भी जिंदगी है मेरी इसे एक्सेप्ट कर चुकी हूँ।
दूसरी ओर अजय ने
भी रवीना को ढेर सारे गिफ्ट्स दिए और एक सोने का हैवी नथ देते हुए कहा, सगाई के दिन माता ने तुम्हारे नाक में ये नथ
पहनाती अगर उसे पता होता की तुम मुझे पसंद आ जाओगी। ये नथ पहन के दिखाओ। रवीना ने
नथ पहन लिया और उसका चेन का आखिरी छोर अपने बालों में फंसा लिया और पूछा अब ठीक है?
अजय बोला हाँ अब ठीक है। रवीना ने देखा गिफ्ट्स
में ढेर सारी साड़ियां, सोने के कंगन,
झुमके, हैवी और डिज़ाइनर नथ, घाघरा-चोली,
पायल, कमरबंद और ढेर सारे जेवर थे। अजय ने कहा, माता ने कहा है शादी के दिन घाघरा-चोली पहनना। शादी को लेकर
कोई तनाव तो नहीं ना तुम्हारे मन में? हिमांशु ने बताया तुम पहले मर्द थे और लिंग परिवर्तन करवा कर औरत बनी हो,
क्या ये सच है? रवीना को यकीन नहीं हो रहा था की हिमांशु ऐसा कुछ करेगा,
उसे बताने की क्या जरुरत थी, फिर बोली हाँ पहले मैं मर्द थी और मेरा नाम रवि
था लेकिन किसी वजह से मुझे लिंग परिवर्तन करवाना और उस दिन भी मैंने बताने की
कोशिश की थी लेकिन आप इतनी जल्दी में थे कि मेरे साथ सगाई भी कर लिया। क्या बताती
मैं और कैसे बताती, अगर आप चाहो तो
ये सगाई तोड़ दो। अजय बोला, मुझे इस बात से
कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता कि तुमने लड़के के रूप में जन्म लिया, तुम जैसी भी हो बहुत अच्छी हो, और मेरा प्यार कभी कम नहीं होगा तुम्हारे लिए, हमारे घर की बहु बनकर राज़ करोगी। इतनी सेक्सी
हो और क्या चाहिये एक मर्द को। तुम ही मेरे घर की बहु बनोगी।
रवीना ने सोचा सच
जानने के बावजूद भी अजय उससे शादी करना चाहता है। तभी दरवाजे पर किसी की आहट सुनाई
दी, पलट कर देखा तो राजवीर
जीजू और नताशा दीदी खड़ी थी। राजवीर बोला सारी बातें आज ही कर लेगा चलो अब घर भी
जाना है। अजय ने रवीना के हाथ को अपने हाथ में लिया और उस पर किस्स्स किया,
किस्स्स करते ही रवीना के शरीर में एक बिजली से
दौड़ गयी, आँखों में आंसू आ गए और
वो वहीँ बैठ गयी।
सोचने लगी ये
कैसा दिन देखना पड़ रहा है? फिर अपने होने
वाले पति से विदा लिया और सोचने लगी शादी के बाद पता नहीं क्या होगा उसके साथ।
नताशा ने रवीना
से कहा क्या बात है तुम रो क्यों रही हो? रवीना बोली, देखो ना आप और
मैं दोनों लड़के थे, कितना अच्छा था
सब, कही भी आ जा सकते थे,
किसी से भी मिलजुल सकते थे, आपकी तो शादी भी एक बार हो चुकी है, भाभी के जाने के बाद ये सब हुआ, ऐसा लगता है हमें उसी का श्राप लग गया। नताशा
बोली, अब जो हुआ सो हुआ वैसे
अजय तुमसे बहुत प्यार करता है, शादी के बाद भी
हम दोनों एक ही घर में रहेंगे।
तभी उनकी माँ
वहां आ गयीं और बोली हाँ काश तुम दोनों औरत नहीं बनते तो आज मुझे और तुम्हारे
पिताजी को ये दिन नहीं देखना पड़ता। तुम्हारे लिए सुन्दर सी बहु लेकर आते तुम दोनो
के लिए और जो स्वर्ण जड़ित आभूषण तुम दोनों ने पहन रखे हैं वो हम हमारी बहुओं को
पहनाते। लेकिन अब कर भी क्या सकते हैं, तुम दोनों की बहु लाने के बजाय, अब तुम दोनों को एक बड़े घराने घर की बहु बना कर लाल जोड़े में विदा करना पड़ेगा।
तुम्हारे नसीब में यही था किसी घर के दामाद बनने के बजाय एक बड़े घराने के घर की
बहु बनोगी अब। तभी पास के घर की एक महिला वहां आ गयी जो उन्हें लेने आयी थी बोली
बेटियों से फुर्सत मिल जाये तो जो काम कहा था आपने चल के देख लो हुआ की नहीं। फिर
दोनों के वहां से चले जाने के बाद नताशा और रवीना दोनों अपने अपने कमरे में चली
गयी।
हिमांशु और रश्मि
भी गाँव आ गए और बचे कुछ दिन कैसे गुज़र गए किसी को पता भी नहीं चला और शादी का दिन
आ गया। शादी से एक दिन पहले ही नताशा और रवीना के हाथों में और पैरों में मेहँदी
लगायी गयी, अगले दिन जब मेहँदी धोयी
गयी तब वो बहुत डार्क रची थी। नताशा के हथेली पर राजवीर और रवीना के हथेली पर अजय
लिखा था। सभी लड़कियां दोनों को छेड़ते हुए बोली क्या बात है, दुल्हनिया की मेहँदी तो बहुत डार्क रची है इसका मतलब इनके
पति इनसे बहुत प्यार करेंगे और हसने लगी। नताशा और रवीना शर्म से लाल हुई जा रही
थी।
फिर दोनों हाथों
और पैरों में ब्राउन नेलपॉलिश लगाया गया जो दोनों के ऊपर सूट कर रहा था। शादी वाले
दिन दोनों को घाघरा- बैकलेस चोली, हैवी नथ, मांगटीका, चूड़ियां, कंगन, झुमके, नौलक्खा हार, पायल, कमरबंद, बाजूबंद, चूड़ियां, पैरों में बिछुआ और हाथों की उँगलियों में
पहनने वाली ज्वेलरी जो चेन से बाजूबंद से जुड़े थे पहनाया गया। चोली की फिटिंग बहुत
टाइट थी और घाघरा काफी भारी था। फिर ४ इंच वाला हाई हील्स वाला सैंडल पहनाया गया।
फिर दोनों को एक एक हैवी कढ़ाईदार चुनरी से घूँघट कर दिया गया। दोनों बेहद आकर्षक
लग रही थी मानो दोनों जन्म से ही औरत हों।
हिमांशु ने रश्मि
से कहा तुम्हारी दोनों बहनें तो दुल्हन की इस लिबास में कहर ढा रही हैं, रश्मि हँसते हुए बोली हाँ आखिर बह किसकी है और
दोनों हसने लगे। रश्मि बोली इन दोनो के साथ जो हुआ बहुत अच्छा हुआ अब इन्हे पता
चलेगा मर्द क्या होता है जब इनके पति इनको अपने घर में ले जाकर वो सब करेंगे जो एक
पति अपनी पत्नी के साथ करता है। हिमांशु बोला चलो कोई बात नहीं, तुम्हारे दोनों भाइयों के नसीब में एक मर्द की
बीवी बनना लिखा था तो आज वो दिन भी आ ही गया जब दोनों बड़े घराने भाई बारात लेकर
आते ही होंगे और देखो जरा दोनों दुल्हन को, घूँघट ओढ़ कर कैसे सहमी सुकड़ी बैठी हैं, अपने दूल्हे राजा के आने के इंतज़ार में पलकें
बिछाएं बैठी हैं। आपने सही कहा हिमांशु, दोनों की आँखें शर्म से झुकी हुई है। तभी कुछ लड़कियां वहां आयी और बोली रश्मि
तुम यहाँ बैठी हो और तुम्हारी बहनें अकेले बैठी हैं चलो उनके साथ बैठते हैं और
रश्मि को अपने साथ ले गयीं।
पृष्ठभूमि में
विवाह के गीत बज रहे थे जो दोनों दुल्हनों के लिए बजाया जा रहा था। "बन्नो की
आएगी बारात ", "हाथों में मेहँदी
रचाई जाएगी" और "दुल्हन हम ले जायेंगे " जैसे इमोशनल गाने बज़ रहे
थे। अचानक धूम धड़ाके की आवाज़ से सभी का ध्यान भंग हुआ। बैंड बाजे बारात के साथ
राजवीर और अजय दोनों भाई तलवार लिए घोड़े पर बैठे थे वही उसके माता पिता हाथी पर
बैठे थे। बारातियों का उत्साह देखते ही बन रहा था। उधर इस धूम धाम की आवाज़ सुनकर
रश्मि ने नताशा और रवीना से कहा लो आ गए तुम्हारे दूल्हे राजा बाराती लेकर। अब
तैयार हो जाओ थोड़ी देर में आती हूँ बाराती का स्वागत कर के और वहां से चली गयी।
दूल्हे और उसके
परिवार का धूम धाम से स्वागत सत्कार किया गया। बारातियों के आदर सत्कार समारोह के
बाद सभी विवाह स्थल पर बिठाया गया। वहां २ स्टेज फूलों से सजाया हुआ था, एक नताशा और राजवीर के लिए और दूसरा रवीना और
अजय के लिए। रश्मि और उसकी माँ कुछ लड़कियों को लेकर अंदर चली गयी, जो भी थोड़ा मेकअप खराब हुआ था आंसुओं की वजह से
उसे ठीक किया गया तभी वहां मुखिया जी आ गए और बोले पंडित जी ने कहा है जयमाला का
मुहूर्त हो गया है, दूल्हे राजा भी
इंतज़ार कर रहे हैं, दुल्हन तैयार है
तो जल्दी से उन्हें लेकर आओ।
रश्मि ने अपनी माँ से कहा माँ तुम नताशा को लेकर चलो मैं रवीना को साथ लेकर आती हूँ। नताशा और रवीना का घूँघट ठीक किया और उनसे बोली चलो जल्दी वैसे भी दूल्हे राजा की बेताबी बढ़ती जा रही है। नताशा और रवीना धीमे धीमे कदमो के साथ स्टेज पर पहुंचे। जहाँ सबसे पहले नताशा को आरती का थाल दिया गया फिर नताशा ने अपने होने वाले पति की आरती उतारा। फिर रवीना ने भी अपने होने वाले पति अजय की आरती उतारी। फिर पहले नताशा और राजवीर का जयमाला का रस्म निभाया गया फिर रवीना और अजय का जयमाला का रस्म निभाया।
दोनों को माला
पहनते वक़्त नताशा और रवीना दोनों को परेशानी हुई क्यूंकि दोनों के दूल्हे लम्बे
चौड़े थे, उन्हें माला पहनने के लिए
अपनी दुल्हनों के सामने झुकना पड़ा, जिसे देख उनके
दोस्त उनकी टांग खींचने लगे। इतनी जल्दी भाभी के सामने झुक गए, अभी तो शादी भी नहीं हुई है और ठहाके मार के
हसने लगे। स्टेज पर मौजूद सभी लोग भी हसने लगे और दोनो दुल्हनों का हालत ख़राब हो
रहा था।
जयमाला के बाद
दोनों दूल्हे को उनकी दुल्हनों के साथ खड़ा किया गया। बारातियों ने दुल्हन की तारीफ
की वही गाँव की महिलाओं को दोनों दूल्हे बहुत पसंद आये। हिमांशु और रश्मि भी आपस
में बात कर रहे थे, हिमांशु बोला,
कितनी अच्छे लग रहे हैं ना चारो, तुम्हारे भाई दुल्हन के लिबास में कितनी सुन्दर
लग रही हैं, मानो राजवीर और
अजय की दुल्हन बनने के लिए ही जन्म लिया है। रश्मि बोली भाई मत बोलो ये दोनों
दोनों मेरी बहनें हैं और दूल्हे के सामने दुल्हन कितनी छोटी सी लग रही है और क्यूट
भी।
थोड़े ही देर में पंडित जी ने दूल्हे और दुल्हन को मंडप पर बुलाया। एक ही मंडप पर राजवीर के साथ नताशा को और अजय के साथ रवीना को बिठाया गया। वैदिक मन्त्रों के साथ मुखिया जी ने अपनी दोनों बेटियों का कन्यादान किया। उसके बाद राजवीर ने नताशा के साथ और अजय ने रवीना के साथ अग्नि के सात फेरे पुरे किये, फिर राजवीर ने नताशा के मांग में सिंदूर भर दिया, मंगलसूत्र पहनाया और राजवीर की माता ने नताशा का नथ बदल कर उससे भी बड़ा और डिज़ाइनर नथ उसकी नाक में डाल दिया, नताशा का आधा चेहरा तो नथ से ही ढँक गया। अजय ने रवीना की मांग भर दिया, फिर मंगलसूत्र पहनाया, उसकी माता ने रवीना के नाक का नथ भी बदलकर उससे भी बड़ा, भारी और डिज़ाइनर नथ पहना दिया। उसके बाद विवाह होम और पानी ग्रहण करवाया गया जिसमे अग्नि को साक्षी मान कर राजवीर ने नताशा को अपनी पत्नी स्वीकार किया उधर दूसरी ओर अजय ने रवीना को अपनी पत्नी स्वीकार किया।
उसके बाद अन्न परासन करवाया गया जिसमे पहले अग्निदेवता को अन्न समर्पित करने के बाद अपने पति के हाथों दोनों दुल्हन ने अन्न ग्रहण किया फिर नताशा और रवीना ने अपने अपने पति को अपने हाथों से अन्न खिलाया। उसके बाद दोनों जोड़े ने अपने माता पिता से आशीर्वाद लिया फिर घर के बड़े बुजुर्गों ने दोनों जोड़ियों को अपना आशीर्वाद किया। अब नताशा और रवीना दोनों ही राजवीर और अजय की बीवी होने के साथ उनके घर की बहु बन चुकी थी। अब दोनों दुल्हन बड़े घराने ठाकुर खानदान की अमानत थी। रात हो चुकी थी, सारे अतिथि अपना आशीर्वाद देकर जा चुके थे और विदाई का वक़्त भी हो चला था। दूल्हे के माता पिता ने दुल्हन के माता पिता से से विदाई करने को कहा।
विदाई के वक़्त
दोनों दुल्हन अपने माता पिता से लिपट कर बिजख बिलख कर रोने लगी, माँ ने दोनों को समझाया, अपने सास ससुर की बात मानना, अपने पति के सामने कभी ना नुकुर मत करना, जो कहें चुपचाप करना। नितेश ऑपरेशन के बाद
नताशा बनने के बाद अब राजवीर से शादी करने के बाद नताशा राजवीर ठाकुर बन चुकी थी
और रवि ऑपरेशन के बाद रवीना बनने के बाद अजय से शादी करने बाद रवीना अजय ठाकुर बन
चुकी थी।
बेटियों को एक न
एक दिन अपने घर जाना पड़ता है, और आज वो दिन है,
अब ज्यादा रो मत वरना मेकअप धूल जायेगा।
बैकग्राउंड में जो गाना बज रहा था "बाबुल की दुआएं लेती जा" सुनकर दोनों
इमोशनल हुई जा रही थी। फिर राजवीर ने नताशा की कमर में हाथ डालकर उसे गाडी में
बिठा लिया फिर अजय ने भी रवीना की कमर में हाथ डालकर उसे भी अपनी गाडी में बिठा
लिया और दोनों भाई को अपनी दुल्हन बना कर वो बड़े घराने अपने घर को चल दिए। सारे
रास्ते राजवीर ने अपनी दुल्हन नताशा को अपनी बाहों में रखा, उधर अजय भी अपनी दुल्हन रवीना को अपनी बाँहों में जकड़कर रखा,
उसकी नज़र रवीना की सुडौल स्तनों पर थे। उसकी
वहशी नज़र देखकर रवीना भी शर्मिंदा हो रही थी। दोनों दुल्हनों को अपने पति की बाहों
में कब नींद आ गया उन्हें पता भी नहीं चला।
शायद ज्यादा थकान
की वजह से या व्रत रखने की वजह से कमजोरी की वजह से उन्हें पता नहीं चला। जब नताशा
की नींद खुली तब उसने खुद को एक बड़े से शीशे के महल में अकेले पाया, नरम बिस्तर को फूलो से सजाया गया था। उधर बगल
वाले कमरे में रवीना अभी भी सो ही रही थी, उसका दरवाजा खटखटाने पर पता चला तो रवीना का नींद भी खुल गया। उसका कमरा भी
ठीक वैसे ही सजाया गया था और वो भी शीशे का महल था।
दोनों की आहट
सुनते ही उर्मिला कमरे में आ गयी। आप दोनों के जागने का ही इंतज़ार कर रहे थे सभी।
नताशा ने उससे पूछा हम कमरे में कब आये तो उर्मिला ने बताया आप दोनों मेरे भैया के
बाहों में ही सो गयी थी। हमारे यहाँ एक रस्म होता है जिसमे घर की बहु को उनके पति
अपनी गोद में उठा कर घर में लेकर आते हैं। आपको मेरे राजवीर भैया और रवीना भाभी को
अजय भैया ने अपनी गोद में उठा कर अपने अपने कमरे में लिटा दिया था। अब आप दोनो जाग
चुकी हैं तो मैं माँ को बुला कर लाती हूँ।
उर्मिला अपनी
माता को लेकर कमरे में आयी, उन्होंने बताया
आज मेरे बेटों की पहली सुहागरात है। दुल्हनों को सजाने की व्यवस्था करो। दो
बयूटीशन आयीं एक नताशा को राजवीर के कमरे में ले गयी और आईने के सामने बिठा दिया।
दूसरी ब्यूटिशन ने उसी कमरे में रवीना को आईने के सामने बिठाया और उनका फिर से
मेकअप किया गया और दोनों को उनके उनके कमरे में सुहागरात की सेज़ पर बिठाया,
उनका घूँघट नाक तक कर दिया गया और फिर दूध का
गिलास देकर बाहर चली गयी।
तभी कमरे में उर्मिला आयी और नताशा को गले से लगा कर बोली, काश तुम मर्द ही रहते, कभी औरत ना बनते तो आज तुम इस घर के दामाद होते। मैं तुम्हारे ठीक ऐसे ही सुहागरात की सेज़ सजा के बैठती जैसे आज तुम मेरे भैया की दुल्हन बनकर उनके आने का इंतज़ार कर रही हो। मेरे भैया ने तुम्हे अपनी दुल्हन बनाकर एक तरह से अच्छा ही किया, मर्द क्या होता है इस बात का पता भी चल जायेगा आज की रात। औरत बनकर वाकई बहुत हसीन हो गयी हो, तुम्हारे बूब्स भी काफी बड़े और सुडौल है, एक गिलास दूध से काम चल जायेगा ना और अगर इससे काम ना चले तो अपना दूध भी पीला देना। नताश बोली, ये कैसी बहकी बहकी बातें कर रही हो उर्मिला? उर्मिला बोली, आज की रात बहकने की ही होती है मेरी भाभी। आज की रात मेरे भैया तुम्हे सुहागन बनाएंगे, जब एक मर्द का जिस्म एक औरत के जिस्म से टकराता है तो कुछ भी होश नहीं रहता, खैर गुड लक, सुहागरात के लिए।
नताशा और रवीना सहमी सिकुड़ी, अपने दोनों हाथो से अपने पैर मोड़ कर अपने अपने पति के आने का इंतज़ार करने लगी। हलकी सी आहट होती और नताशा और रवीना की दिल की धड़कन बढ़ने लगती, और जब जब उनकी धड़कनें बढ़ती उनके सुन्दर सुडौल बूब्स ऊपर नीचे होने लगते। काफी देर इंतज़ार करवाने के बाद राजवीर और अजय अपने अपने कमरे में आ गए तो देखा उनकी दुल्हनें उनका इंतज़ार कर रही थी। राजवीर जब अंदर आया तब नताशा सिर झुकाये घूँघट में सहमी सिकुड़ी अपने हाथो से पैरों को मोड़ कर बैठी थी, राजवीर के आने की आहट ने उसकी धड़कनो को बढ़ा दिया था। जैसे जैसे राजवीर नताशा के करीब आ रहा था वैसे वैसे नताशा के दिल की धड़कन बढ़ते जा रही थी। वही हाल रवीना का भी था, जैसे जैसे अजय रवीना के करीब आ रहा था वैसे वैसे रवीना भी सिकुड़ते जा रही थी।
इधर राजवीर ने
नताशा का घूँघट उठाने लगा तब नताशा ने दूध देते हुए कहा पहले आप दूध पी लो। राजवीर
ने नताशा के हाथों से पुरा दूध पी लिया। फिर घूँघट उठाने लगा, नताशा शर्माने लगी तब राजवीर बोला तुम शर्मा
क्यों रही हो, मैं तुम्हारा पति
हूँ। फिर नताशा का घूँघट उठा दिया और कहा, तुम ज्यादा थक गयी होगी ना, हम सुहागरात कल
मना लेंगे आज तुम आराम करो। फिर एक गिफ्ट देकर नताशा के होंठो पर अपने होंठ रख के
चूमने लगा, पूरी रात अपनी बाहों में
नताशा को लेकर चूमता रहा और नताशा को पता भी नहीं चला की उसे कब नींद अपनी आगोश
में लेता चला गया।


रवीना कुछ बोल ना सकी और उसके आंसू बहने लगे। अजय ने रवीना का पैंटी उतर दिया और अपने सारे कपडे उतार दिए। रवीना अजय को नंगा हुआ देख अंदर से डर गयी। ८ पैक्स एब्स और इतना बड़ा ९ इंच लम्बा लिंग देखकर उसका हालत ख़राब होने लगा तब अजय ने उससे कहा घबराओ मत मेरी जान इसे छू कर तो देखो। रवीना डर रही थी तब अजय ने उसका हाथ पकड़ा और अपने लिंग पर रख के उसे कहा देखो सॉफ्ट है ना। अब घुटने पर बैठ जाओ और इसे शेक करो, रवीना के पास कोई दूसरा रास्ता नहीं था, अपने पति का लिंग अपने हाथ में लेकर शेक करने लगी, जैसे जैसे रवीना अजय का लिंग शेक करते जा रही थी उसका लिंग और भी बड़ा होता जा रहा था। काफी देर तक शेक करने के बाद अजय ने रवीना के बाल पकड़ के अपना लिंग उसके होंठो पर डाल दिया। ये क्या कर रहे हो आप? अजय बोला मै वही कर रहा हु जो एक पति को अपने सुहागरात पर अपनी पत्नी के साथ करना चाहिए। चलो अब इसे चूमना शुरू करो।
रवीना के होंठो पर उसके पति का लिंग था जिसे उसने चूमना शुरू किया। थोड़े ही देर में अजय ने रवीना के मुँह में अपना पूरा लिंग घुसा दिया और अंदर बाहर करते हुए बोला इसे ब्लो जॉब कहते हैं जो तम्हे रोज़ करना है। थोड़ी ही देर में अजय का वीर्य निकल के रवीना के मुँह में आ गया। अजय बोला इसे पी जाओ तुम्हारे लिए अच्छा होगा, अब क्या करे रवीना, शादी के बाद ये सब भी करना पड़ेगा इसका कोई अंदाजा नहीं था रवीना को, अपने पति की बात मानते हुए रवीना वो वीर्य पी गयी। फिर रवीना को अपनी गोद में उठाकर अपने लम्बे लिंग पर बिठा दिया। और अपनी बाहों में लेकर रवीना के साथ हार्डकोर सेक्स करने लगा।
रवीना कि योनि में पहली बार किसी मर्द का लिंग गया, उसे ऐसा लगा जैसे गर्म लोहा उसके शरीर में डाल दिया गया हो। रोने के साथ साथ रवीना अब जोरजोर से आह उह की आवजें भी निकालने लगी जिसे सुनकर नताशा की नींद खुल गयी। उसे समझ आ गया की आज अजय उसकी बहन के साथ सुहागरात मन रहा है, लेकिन चुपचाप लेटी रही, उसे डर था की कही राजवीर की नींद खुल गयी तो आज की रात उसके साथ भी वही होगा जो रवीना के साथ हो रहा था। इधर रवीना को गोद में उठाकर काफी देर तक हार्डकोर सेक्स करने के बाद अपना वीर्य उसकी योनि में डाल दिया। रवीना और अजय अब निढाल हो चुके थे और अपनी बाहों में लेकर अपना लिंग अपनी दुल्हन की योनि में डाल कर सो गया। रवीना रात भर रोती रही लेकिन अजय ने अपना लिंग उसकी योनि से नहीं निकाला। पूरी रात रवीना के साथ ४ राउंड सेक्स करने के बाद दोनों थक के चूर हो गए और अजय रवीना को अपनी बाहों में लेकर सो गया। रवीना का तो दर्द से बुरा हाल था लेकिन अजय ने पूरी रात उसके होंठो को चूमता रहा जब तक दोनों सो नहीं गए।
कब सुबह हो गया
ना ही नताशा को पता चला और ना ही रवीना को, उर्मिला के लगातार दरवाज़ा खटखटाने पर दोनों नए नवेले जोड़ों
की नींद खुली। नताशा बेसुध होकर अपने पति की बाहों में और रवीना भी बेसुध से भरी
अपने पति के बाहों में सो थी। दरवाजे पर आहाट सुनकर दोनों की नींद खुली। नताशा के
पति ने उसे जकड रखा था, फिर नताशा बोली
छोड़िये ना, लगता है दरवाज़े पर कोई है
और खुद को छुड़ा कर दरवाज़े पर जा कर देखा तो उर्मिला कड़ी थी। नताशा को देखकर बोली,
भाभी सुबह के ८ बज गए, जल्दी से फ्रेश हो लो, आज के दिन घर की बड़ी बहु ही घर का सारा काम करती हैं। नताशा
बोली, आप चलिए मैं आती हूँ
फ्रेश होकर, तभी उर्मिला बोली
भाभी फ्रेश होने जा ही रही हो तो छोटी भाभी को भी जगा देना। उर्मिला के जाने के
बाद नताशा ने रवीना का दरवाज़ा खटखटाया कोई जवाब ना मिलने पर वाशरूम में जाकर फ्रेश
होने लगी। उधर रवीना अपने पति से रिक्वेस्ट कर रही थी, प्लीज अपना लिंग मेरे अंदर से निकाल लो लेकिन अजय ने कहा,
बस एक राउंड और कहकर उसके साथ १ राउंड सेक्स
किया फिर कहा अब जाओ फ्रेश हो लो।
नताशा और रवीना
दोनों ने घर के सारे काम किये, नताशा ने घर में
पहली बार खाना बनाया, रवीना ने उसकी
मदद की, सभी को खाना सर्व किया,
पुरे दिन घूँघट में अपनी ननद और उनकी दोस्तों
के साथ बातें करने के बाद रात में नताशा कमरे का चादर ठीक कर रही थी, तभी उसका पति राजवीर वहां आ गया और दरवाज़ा बंद
कर दिया. राजवीर काफ़ी लम्बा चौरा था और उनकी ताक़त के आगे नताशा काफी कमजोर थी।
नताशा ने ग्रीन कलर की साड़ी पहना था और राजवीर टी-शर्ट और शॉर्ट्स में था। वो पीछे
से आहिस्ते से आकर नताशा कंधे पे हाथ रख दिया। नताशा को डर लगने लगा, नताशा सिर्फ़ उमर से नही दिमाग़ से भी छोटी थी
और सेक्स क बारे में डीटेल भी पता था। उसे याद था जब उसने अपनी पत्नी के साथ पहली
बार सुहागरात मनाया था, तब वो मर्द था और
उसकी पत्नी का भी ठीक वही हाल था जो आज खुद औरत बनने के बाद नताशा का था, पूरा शरीर दर से कांप रहा था। फिर आहिस्ता से
राजवीर नताशा के हाथों को छूते हुए उसका हाथ अपने हाथों में ले लिया और बेड पे
बैठा दिया और खुद भी उसके सामने बैठ गया। नताशा की नज़रें झुकी थी। राजवीर ने
नताशा का हाथ हल्के हल्के से दाबना शुरू किया और कहा पता है नताशा तुमसे पहली बार
बातें करने क बाद और कुछ सूझता ही नही था। हर पल तुम्हारे बारे में ही सोचने का मन
करता था। नमाज़ में भी तुम आ जाती थी। जान तुम बहुत खूबसूरत हो और उसे भी ज्यादा
खूबसूरत तुम्हारी होंठ और तुम्हारी तहज़ीब। कल तो हमने अपना सुहागरात नहीं मनाया
लेकिन आज मैं ये मौका नहीं छोड़ने वाला। यह सब कहते कहते राजवीर ने नताशा को तकिया
का टेक लगा कर बैठा दिया और उसकी गोद में सिर रख क लेट गया। थोड़ी देर ही दोनों
बातें करते रहे फिर राजवीर आहिस्ते से उठ कर नताशा के बालों को सवारने लगा। नताशा
को उसकी बातें अच्छी भी लग रही थी साथ डर भी लग रहा था। फिर राजवीर ने नताशा के
सारे खुले हुए बालों को एक तरफ किया और उसकी ओर तरफ देखने लगा और बोला तुमने जो ये
कानो में झुमके जो तुम्हारे कन्धों को छू रहे हैं, नाक में बड़ा सा नथ जो तुम्हारे होंठों को छू रहे हैं,
और तुम्हारे मांग में सजा हुआ ये मांगटीका,
गले में जो हार तुम्हारे दोनों बूब्स के
बीचोबीच आकर टिकी है, तुम्हारे आँखों
का काजल, होंठो की लाली, मेरे होश उड़ा रहे हैं। कल तो मैंने बर्दाश्त कर
लिया लेकिन अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है। नताशा अपने पति की इन बातों को सुन
रही थी कभी नज़रों में नज़रें डालती और कभी नज़रें चुराने लगती। फिर राजवीर आहिस्ता
आहिस्ता नताशा के गर्दन पे हाथ फेरने लगा और उसके करीब आने लगा। धड़कनें बढ़ते जा
रहीं थी, सांसें भी गरम होने लगी
थी।
जैसे जैसे राजवीर
नताशा के करीब आ रहा था उसके तन बदन में में जैसे करेंट सा दौड़ने लगा नताशा ठंडी
पड़ गयी थी। राजवीर ने आहिस्ते से पहले नताशा के नरम होंठों को चूसा, उसकी घबराहट देख राजवीर मुस्कुराने लगा और
नताशा को अपनी बाहों में भरते हुआ कहा घबराओ मत, कुछ नही होगा, हम तुमसे बहुत प्यार करते हैं और ऐसा कह कर नताशा के चेहरे को चूमने लगे,
साथ ही हाथ को सहलाने और दबाने लगा ताकि जो
नताशा थोड़ा बहुत ठंडी पड़ने लग गयी थी तो थोड़ा गरम हो जाये। नताशा की भी घबराहट
थोड़ी कम होने लगी, उसे ऐसा लगने लगा
जैसे राजवीर से ज्यादा अपना और कोई हो ही नही सकता, फिर चूमते चूमते वो नताशा के नरम होंठों को चूसने लगा,
पहले तो आहिस्ता आहिस्ता फिर ज़ोर ज़ोर से,
ऐसा करते हुआ वो नताशा के हाथों को भी दबा रहा
था, उसमें कुछ चूड़ियां टूट
गई।
फिर राजवीर ने
नताशा के तरफ देखा और अपने हाथ अपनी दुल्हन के कमर पर रख के दबाने लगा और उसके
गर्दन और कन्धों को चूमने लगा। फिर राजवीर ने नताशा का साड़ी का पल्लू हटा दिया।
नताशा अधनंगी अपने पति के सामने थी। फिर राजवीर ने भी अपना टी-शर्ट उतार दिया और
नताशा के बूब्स पर किस करने लगा और फिर चूसने लगा और साथ ही साथ कमर भी दबाने लगा।
नताशा बिस्तर को अपने हाथों से को कसकर पकड़ लिया राजवीर का वजन नताशा के उपर काफ़ी
था, उसके गहने, नथ चुभने लगे थे। राजवीर ने फिर अपनी दुल्हन को
बैठा कर उसकी साड़ी को पूरी तरह खोल दिया। अब नताशा सिर्फ़ ब्लाउस और पेटिकोट में
थी। नताशा के गोरे गोरे बदन पर हरा रंग खाया जा रहा था। नताशा को पलंग क बीच
बिल्कुल बैठा कर राजवीर उसकी पीठ पर से बाल हटाया और चूमा, फिर चोली की डोरी खोल दी और पीठ को चूमने लगा। राजवीर का
बदन बिल्कुल गरम हो गया था। और नताशा भी अब मदहोश होने लगी थी पर घबराहट भी थी।
पहली बार किसी मर्द के सामने यह हाल था। फिर राजवीर ने चोली को पूरी तरह उतार दिया
और नताशा के बूब्स का जो पार्ट ब्रा से दिख रहा था उसे चूसा और काटने लगा। नताशा
की सिसकियाँ निकालने लगी और दोनों हल्के हल्के गरम होने लगे थे। फिर राजवीर ने
नताशा का पेटिकोट खोला और नताशा को बिस्तर से उठा लिया और अपने कपडे भी उतार दिया।
नताशा के हाथों को अपने लिंग पर रख कर बोला कभी तुम्हारे पास भी खुद का लिंग था
लेकिन अब उसी जगह तुम्हारे कोमल योनि है। नताशा को घुटने के बल बिठा दिया और उसकी
आँखें झुकी हुई थी। नताशा की हिम्मत नही हुई की अपने पति की बड़ी सी लिंग की तरफ
देखे और ना ही उसके किसी सवाल के जवाब दे।
फिर राजवीर ने
नताशा का हाथ लिया और अपने लिंग पर रख दिया और उससे पूछा इसे छू कर तो बताओ जरा
मेरी रानी को कैसा लग रहा है। नताशा बोली जब मैं नितेश हुआ करती थी तब मेरा भी खुद
का लिंग था लेकिन आपका लिंग तो बहुत गरम है, बड़ा है और मोटा भी। क्या करू मैं इसको हाथ में लेकर। राजवीर
बोला अब तुम नितेश नहीं नताशा हो और मेरी दुल्हन हो, अब मर्द नहीं औरत हो तो जब हाथ में ले ही लिया है तो चलो अब
इसे शेक करो। नताशा के पास कोई विकल्प नहीं था, घुटनो पर बैठी अपने पति को देखते हुए उसके लिंग को शेक करने
लगी। थोड़ी ही देर में अपने पति के लिंग को देखा तो और भी बड़ा और मोटा हो गया था।
नताशा को पता था की यही लिंग आज की रात उसके मुलायम से योनि के अंदर जाने वाला था।
थोड़ी देर बाद राजवीर ने नताशा का चेहरा उठाया और उसके होंठों के बीच अपना लिंग रख
दिया और उसे चूसने को कहा। नताशा को पता था कि ना नहीं बोल सकती अपने पति को तो उसने
बिना कुछ कहे अपने पति का लिंग चूसने लगी। फिर राजवीर ने नताशा के बालों को पकड़कर
अपना पूरा लिंग उसके कोमल होंठों से अंदर दाल दिया। करीब ८ इंच लम्बा लिंग अब
नताशा के मुँह में था, नताशा के बाल
राजवीर के हाथों में था और वो अपनी दुल्हन को बखूभी कण्ट्रोल कर रहा था। नताशा भी
अपने पति के समूचे लिंग को अपने मुँह में लेने लगी, कुछ देर में ही राजवीर आउट ऑफ़ कण्ट्रोल हो गया और अपना
समूचा वीर्य नताशा के मुँह में छोड़ दिया, नताशा का पूरा मुँह उसके पति के वीर्य से भर गया। नताशा ने राजवीर की ओर देखा,
वो बोला ऐसे कजरारी आंखियों से टुकुर टुकुर मत
देखो इसे पी जाओ। नताशा ने पूरा वीर्य पी लिया। फिर राजवीर ने पूछा, कैसा टेस्ट लगा मेरी जान, एकदम अमृत है ना? नताशा बोली हाँ अच्छा था। राजवीर बोला अब रोज़ तुम्हे अमृत
पिलाऊंगा मेरी रानी। नताशा बोली मैं वाशरूम से आती हूँ और वैसे ही अटैच्ड वाशरूम
में चली गयी। वाशरूम में आईने के सामने खड़े होकर खुद को देखा और अपने आप को देखकर
रोने लगी। फिर कुल्ला किया और चेहरा धोकर अपने कमरे में आ गयी।
फिर राजवीर ने नताशा के माथे पर चूमा और उसके पतली कमर के नीचे तकिया रख दिया। फिर नताशा का पैर को खोल दिया, उसकी योनि उसे दिख रहा था, राजवीर ने पहले उसको हल्का सा सहलाया फिर अपने लिंग का मुँह अपनी नयी नवेली दुल्हन के योनि पर रख दिया, राजवीर का लिंग बिल्कुल सख़्त होता जा रहा था, फिर उसने ज़ोर से अपनी दुल्हन का हाथ पकड़ा, अपने पैरों से नताशा का पैर दबा दिया ताकि उसकी दुल्हन हिल डुल ना सके। नताशा की घबराहट और भी बढ़ने लगी और उसने अपना लिंग अपनी दुल्हन की योनि में १ इंच घुसा दिया, नताशा को दर्द होने लगा और छटपटाने लगी पर उसके पति की ताक़त के आगे उसका कोई जोर नहीं चला और एक ज़ोर क धक्के क साथ राजवीर ने अपना लिंग पूरा घुसा दिया। नताशा की चीख निकल पड़ी और वो रोने लगी। राजवीर ने थोड़ी देर तक कुछ नही किया, बस अपनी दुल्हन को दिलासा देता रहा और उसके नाज़ुक होंठों को चूसते और चूमते रहा।
नताशा को अब चक्कर आने लगा था, फिर जब दोनों थोड़ा स्टेबल हुए तो राजवीर अपने लिंग को अंदर बाहर करने लगा। करीब 20 मिनट्स बाद राजवीर ने नताशा के अंदर अपना वीर्य रिलीज़ कर दिया, नताशा को ऐसा लगा जैसे उसके गर्भाशय के अंदर कुछ भर दिया गया हो, नताशा की योनि से खून भी निकल गया था जिसकी वजह से नताशा और भी डर गयी थी , यह दर्द नताशा को काफ़ी देर तक रहा पर जब तक था राजवीर अपनी दुल्हन से प्यार करता रहा और उसको दिलासा देता रहा। और नताशा के पैरों पर अपना हाथ भी सहलाता रहा। नताशा के साथ राजवीर का पहला राउंड था ये तो उसके बाद करीब ४ राउंड सेक्स करने के बाद अपनी दुल्हन को सुहागन बनाने के बाद दोनों कब सो गए पता भी नहीं चला। उधर दूसरी ओर रवीना की रात अच्छी गुज़री, उसने अपने पति से गुज़ारिश किया कि आज की रात प्लीज सेक्स मत करना। अजय मान गया और अपनी बीवी को अपनी बाहों में लेकर उसके होंठ चूमता रहा। और चूमते चूमते दोनों कब सो गए उन्हें पता भी नहीं चला।
अगली सुबह नताशा को काफी कमज़ोरी थी तो राजवीर ने कुछ नहीं किया बस कुछ देर उसके नाज़ुक होंठों को चूमा और उसके सुन्दर सुडौल बूब्स को चूस कर काम चला लिया। दोनों भाई नितेश और रवि जो अब बड़े घराने ख़ानदान की बहु बनकर अपने पति और सास ससुर की सेवा करते हुए अपनी जिंदगी थीं। करीब १ साल ऐसे ही बीत गया, दोनों के पति उनसे बहुत प्यार करते और हर रोज रात में सुहागरात मनाते। घरवालों के मिले हुए भी दोनों को पूरा चूका था। अचानक एक दिन मुखिया जी अपने परिवार के साथ अपनी दोनों बेटियों से मिलने उनके ससुराल आ गए। उन्होंने देखा उनको दोनों बेटी नताशा और रवीना ठीक वैसी ही सज धज के उनके सामने आई जैसे नई नवेली दुल्हन हो। दोनों का रूप पहले से निखर गया था और शरीर भी भरा भरा सा लग रहा था। मुखिया जी ने अपने समधी जी से बोले बहुत दिन हो गया था तो सोचा अपनी बेटियों से मिलता चलू, अचानक यहाँ आ जाने के लिए क्षमा चाहूंगा। समधी जी बोले अरे ये क्या बोल रहे हो आप, यहाँ आने के लिए आपको किसी की इज़ाज़त की जरुरत नहीं। समधन जी बोली और आपकी बेटियां तो सर्वगुणसमपन्न हैं, इनके आ जाने से मेरे दोनों बेटे सुधर गए हैं और घर में भी खुश रहने लगे हैं। नताशा और रवीना दोनों घूँघट ओढ़े वहीँ खड़ी थी। फिर मुखिया जी ने बताया उनकी सबसे छोटी बेटी रश्मि का रिश्ता हिमांशु के साथ तय किया गया है, ये रहा निमंत्रण आप सभी को जरूर आना है। फिर नास्ता पानी के बाद वो वहां से चले गए।शादी के दिन
नताशा और रवीना अपने अपने पति , ननद और सास ससुर
के साथ अपने गाँव पहुंचे। जहाँ उनका स्वागत बड़े धूमधाम से किया गया। गाँव के
महिलाएं आपस में बात कर रही थी ये नितेश और रवि का रूप में तो शादी के बाद निखार आ
गया है, लगता है दोनों के पति
उनसे बहुत प्यार करते हैं, दोनों को कली से
फूल बना दिया है। शादी में नितेश और रवि अपने अपने पति के साथ थे और उनके दोस्त
अपनी अपनी पत्नी के साथ। मनोज की बीवी उनसे मिली और बोली तुम दोनो तो शादी के बाद
और भी खूबसूरत होते जा रही हो, क्या बात है?
फिर नताशा ने कहा, ऐसा कुछ नही है भाभी, जैसे भी हैं आपके सामने कुछ भी नहीं। फिर और कुछ दोस्तों की
पत्नी मिली जिन्होंने दोनों को पास बिठाया और बोली तुम दोनो की शादी को एक साल हो
गए, बच्चो का कुछ सोचा भी है
या नहीं? ये क्या बोल रही हो भाभी,
अभी ऐसा कुछ भी नहीं सोचा है और दोनों शर्माने
लगी। वो बोली हाय मेरी बन्नो शरमाती भी है, अच्छा ये जो तुम दोनो ने इतने अपनी नाक में इतने बड़े बड़े नथ
पहन रखे हैं, क्या रोज़ पहनती
हो। रवीना बोली, हाँ भाभी,
ससुराल में भी ये पहनना जरुरी होता है और अब तो
आदत सी पड़ गयी है। नताशा और रवीना स्टेज पर अपने पति के साथ पहुंची और रश्मि को
बधाई देते हुए बोली, कितनी सुन्दर लग
रही हो दुल्हन के लिबास में और हिमांशु तुम भी बहुत स्मार्ट लग रहे हो शेरवानी
में। रश्मि बोली थैंक दीदी तुम दोनों का शरीर भी पहले से ज्यादा ख़िला खिला लग रहा
है। ऐसा लगता ही नहीं कि तुम दोनो कभी एक मर्द थे, लगता है जीजू तुम्हे बहुत प्यार करते हैं।
फिर वहां उनकी
माँ भी आ गयी और नताशा और रवीना को कमरे में ले गयी और उनसे पूछा १ साल हो गया तुम
दोनों की शादी को, तुम दोनों ने
बच्चो के लिए कुछ सोचा है या नहीं। नताशा बोली, ये क्या पूछ रही हो माँ, एक मर्द से शादी कर लिया, घर के सारे काम करती हूँ और शिकायत का कोई मौका भी नहीं
देते, क्या इतना काफी नहीं।
उसकी माँ बोली इतना काफी नहीं है, समय से बच्चा हो
जायेगा फिर हम भी निश्चिन्त हो जायेंगे नहीं तो तुम्हारे ससुराल वाले ताने देंगे
कि मेरी लड़कियों में कोई प्रॉब्लम है। बात करना अपने पति से, बाकी मैं भी राजवीर और अजय से इस बात को डिसकस
करुँगी।
पल भर में रश्मि
और हिमांशु की शादी हो गयी, दोनों ने अपनों
से बड़ों का आशीर्वाद लिया और रश्मि को विदा करवा कर अपने घर ले गया। उनके जाने के
बाद राजवीर और अजय जाने की बात करने आये तो मुखियाजी की पत्नी ने उन्हें बिठाया और
उनसे पूछा आप दोनों हमारे दामाद हैं, और मेरी बेटियां भी उस घर में बहुत खुश हैं लेकिन बच्चो के लिए अपने क्या सोचा
है? दोनों सिर झुका के बैठ गए
और बोले इसके बारे में तो हमने कुछ नहीं सोचा है लेकिन अगर आप पूछ रहे हो तो हम
सोचेंगे। फिर राजवीर और अजय अपनी अपनी पत्नी, बहन और माता पिता के साथ अपने घर आ गए।
रात को राजवीर और
अजय दोनों ने अपनी पत्नी नताशा और रवीना से पूछा, बच्चो के बारे में तुम्हारा क्या ख्याल है? दोनों समझ गयी कि उसकी माँ ने अपने दामाद से इस
बारे में कुछ न कुछ तो कहा है! दोनों बहनो का एक ही जवाब था, जैसा आपको ठीक लगे। दोनों के पति इस बात से खुश
हो गए और उन्हें बिस्तर पर लिटा कर उनसे प्यार करने लगे। अब हर रोज़ राजवीर और अजय
दोनों भाई अपनी दुल्हन के साथ रात रात भर सेक्स करते, नए नए पोसिशन्स ट्राई करते, दोनों के अंग अंग के साथ खेलते, ब्लोजॉब और बेयरबैक तो अब रोज़ की बात हो चली थी, नितेश नताशा के अंदर अब दम तोड़ने लगा था और रवि
भी रवीना के अंदर ही अंदर शर्मिंदगी से दम तोड़ रहा था, दोनों के अंदर की मर्दानगी खत्म होने के बाद स्त्रीत्व को
स्वीकार करने के सिवाए उनके पास कोई दूसरा उपाय नहीं था। दोनों अब अपने अपने पति
का साथ देने लगी थी। सारी रात दोनों के कमरे से चूड़ियों की और आंहे भरने की आवाज़
गूंजने लगी थी और सारा दिन नताशा और रवीना भी अपने अपने पति की बातें करती,
उनकी सेवा करती और उनके पसंद के पोशाक पहनती और
तो और उन्ही के पसंद की लिपस्टिक भी लगाती।
एक दिन अचानक
रवीना को उलटी आयी पर हुई नहीं, उसने ये बात
नताशा से कहा और नताशा ने उर्मिला से। उर्मिला ने अपनी माता से कहा, फिर उन्होंने रवीना को अपने पास बुलाया और उससे
पूछा इमली खाओगी? रवीना ने हाँ में
सिर हिलाया, फिर इमली मंगवाकर
रवीना को खाने को दिया और पूछा कैसा लग रहा है? रवीना बोली अब अच्छा लग रहा है। फिर रवीना को उसकी सास ने
माथे पर चूमते हुए बोली जग जग जियो बहु, जाओ जाकर आराम करो। रवीना को ये बात समझ नहीं आया लेकिन उर्मिला समझ चुकी थी
कि उसकी छोटी भाभी अब प्रेग्नेंट है। उसने अजय को फ़ोन किया और उसे बताया की भाभी
प्रेग्नेंट है, उसकी ख़ुशी का
ठिकाना नहीं रहा और भागा भागा घर आ गया। अपनी माता से गले लग गया और उनसे पूछा
रवीना कहाँ है अभी? उसकी माता ने
बताया आपने कमरे में रेस्ट कर रही है, फिर वो भाग के अपने कमरे में गया और रवीना को चूमते हुए बोला, आज तुमने मेरी जिंदगी की सबसे बड़ी ख़ुशी दी है।
रवीना बोली ऐसा क्या कर दिया मैंने तो अजय ने बताया की तुम मेरे बच्चे की माता
बनने वाली हो। क्या? ये किसने कह दिया
आपसे, रवीना ने अपने पति से
पूछा तो उसने बताया मेरी माता को बहुत अच्छा एक्सपीरियंस है इन सब का, उन्होंने बताया की तुम प्रेग्नेंट हो। आज से घर
के काम बंद और आराम करो।
घर में सबको पता
चल गया की रवीना प्रेग्नेंट है, ये बात सुन कर
नताशा को यकीन नहीं हुआ लेकिन अगले दिन जब एक लेडीज डॉक्टर ने रवीना का टेस्ट किया
और इस बात की पुष्टि भी की, कि रवीना
प्रेग्नेंट है। ये सुनकर नताशा के होश उड़ गए, ऐसा क्या सच में हो रहा है, या ये सब कल्पना है। नहीं नहीं ये कोई कल्पना नहीं है,
रवीना सच में प्रेग्नेंट है। घर में ख़ुशी का
माहौल था, एक हफ्ता गुज़रा ही था कि
अचानक नताशा को भी उलटी आया। नताशा ने उलटी वाली बात अपनी सास को बताई। उन्होंने
उससे भी यही पूछा इमली खाओगी और नताशा ने भी वही जवाब दिया, हाँ। इमली खाने के बाद नताशा को भी अच्छा लगा, और जब ये बात राजवीर को मालुम हुआ तब वो इतना
खुश हुआ, नताशा को अपनी गोद में
उठाकर झूमने लगा। घर की खुशियां दोगुनी हो गयी थी क्यूंकि दोनों बहुएं अब गर्भ से
थीं।
जब ये बात
हिमांशु को पता चला तब वो और भी खुश हो गया और उसने अपनी पत्नी रश्मि को ये बात
बताई। रश्मि को यकीन नहीं हो रहा था की नितेश और रवि दोनों गर्भ से हैं। रश्मि ने
अपने बड़े जीजू राजवीर को कॉल किया और उनसे बात कन्फर्म किया, राजवीर ने बताया हाँ ये सच है, नताशा गर्भ से है और मेरे बच्चे की माँ बनने जा
रही है। रश्मि ने उसे बधाई दी और कॉल डिसकनेक्ट कर दिया। फिर बैठ कर कुछ सोचने
लगी। हिमांशु ने पूछा क्या सोच रही हो, रश्मि ने बताया, मेरे दोनों भाई
जिन्हे मैं बचपन से राखी बांधते आयी थी, जिनसे कहती थी की जब मेरी भाभियाँ आएँगी तब मैं उनसे तुम्हारी शिकायत करुँगी,
जो मुझसे हमेशा लड़ते थे लेकिन जब कभी मेरी
सुरक्षा की बात होती तब दोनों मेरे बॉडी गार्ड बन जाते, क्या कुछ नहीं सोचा था मैंने अपने भाइयों के लिए। काश मेरे
दोनों भाई दिल से पहले इतने अच्छे होते जितने आज हैं, तो आज उन्हें ये दिन नहीं देखना पड़ता। भाभी की जगह जीजू ने
ले ली और मेरे भाई आज खुद किसी मर्द की पत्नी हैं और उर्मिला की भाभी बनकर उसके
दोनों भाइयों के बच्चे को अपने कोख में पाल रही हैं।
हिमांशु ने
समझाया जो हुआ उसपर ना तो मेरा जोर था और ना ही तुम्हारा, ये सब ऊपर वाले की मर्ज़ी है जिसपर किसी का ज़ोर नहीं चलता,
तुम्हारे भाइयों के नसीब में दुल्हन बनना लिखा
था, तो राजवीर और अजय ने
तुम्हारें दोनों भाइयों को अपनी दुल्हन बनाकर अपने घर ले गए और आज दोनों गर्भ से
हैं तो इसमें दुखी होने वाली कौन सी बात है। ये तो बड़े ही ख़ुशी की बात है, माँ होने का सुख तो पता चलेगा दोनों को,
अच्छा एक काम करना अपने माँ और पिताजी को भी ये
बात बता देना मैं ऑफिस जा रहा हूँ।
कब ९ महीने पुरे
हो गए पता भी नहीं चला, एक ही दिन नताशा
और रवीना को अचानक तेज दर्द शुरू हो गया, दोनों को हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। अपने बच्चो को जन्म देते वक़्त दोनों
को काफी दर्द हुआ, आम लड़कियों की
तरह वो भी दर्द से रोती रही। दोनों ने लड़के को जन्म दिया, ये जान कर सभी बहुत खुश हुए। डॉक्टर ने सलाह दी, अपने बच्चे को ६ महीने तक सिर्फ अपना दूध
पिलाना और कुछ भी नहीं। नताशा और रवीना ने पहली बार अपने अपने अपने बच्चे को अपने
बूब्स से दूध पिलाया, जिसके बाद उन्हें
माँ होने का एहसास हुआ। अजय ने अपने बेटे का नाम मनीष ठाकुर रखा वही राजवीर ने
अपने बेटे का नाम राहुल ठाकुर रखा।
कुछ ही दिनों में
नताशा और रवीना को हॉस्पिटल से छुट्टी मिल गयी और अब दोनों अपने ससुराल आ गयी। नताशा
और रवीना अपने ससुराल में बच्चे पालने, पति और सास ससुर की सेवा में इतनी व्यस्त हो गयी कि उन्हें पता भी नहीं चला कब
१ साल गुज़र गया। पति, सास-ससुर और
एकलौती ननद सभी दोनों बहुओं से बड़ी खुश रहते। अगले साल अजय ने रवीना से कहा मेरे
पास दो खबर है एक ख़ुशी की और दूसरे कम ख़ुशी, कौन सा खबर पहले सुनना चाहोगी? रवीना बोली पहले ख़ुशी की तो अजय ने बताया कि उसकी बहन गर्भ
से है और हिमांशु के बच्चे की माँ बनने वाली है, और तुम्हे अपने पास बुलाया है। रवीना बोली अब कम ख़ुशी वाली
खबर भी सुना दो। अजय ने बताया मलेशिया से क्लाइंट डीलिंग और बिज़नेस मीटिंग के लिए
मैं और राजवीर भैया ३ महीनो के लिए वहां जा रहे हैं, कल ही मेरी और राजवीर भैया की फ्लाइट है। ये सुनकर रवीना
थोड़ी अपसेट सी हो गयी, लेकिन अजय ने
रवीना से कहा कोई बात नहीं जान, सिर्फ ३ महीनो की
ही तो बात है, और वैसे भी आज की
रात भी तो है, मैं जो तुम्हारे
लिए मिनीस्कर्ट ले कर आया था आज रात वो पहन कर मेरा इंतज़ार करना, मनीष को उर्मिला के साथ सुला देना, रवीना मान गयी और उर्मिला से बोल कर मनीष को
उसके साथ सुलाने तो भी तैयार हो गयी।
रवीना ने ये बात
नताशा को बताया तो नताशा गुस्सा हो गयी बोली राजवीर ने तो मुझसे ऐसी कोई बात नहीं
कही, आने दो आज। नताशा का
गुस्सा देखकर रवीना बोली दीदी शांत हो जाओ। फिर शाम में नताशा और रवीना ने उर्मिला
से कहा आज मनीष और राहुल को अपने साथ सुला लेना, तुम्हारे भैया ने कहा है। उर्मिला मान गयी और दोनों को अपने
साथ सुला लिया। इधर रवीना अपने कमरे में मिनी स्कर्ट पहन कर अपने पति का इंतज़ार
करने लगी उधर नताशा ने घूँघट तान कर गुस्से में अपने पति का इंतज़ार करने लगी।
अजय जब अपने कमरे
में आया तब रवीना को मिनी स्कर्ट में देखकर एकदम से खुश हो गया। रवीना का देह पहले
से मांसल और गोरा हो चूका था और मिनी स्कर्ट पहनकर एकदम सेक्सी लग रही थी। उसके
बूब्स और हिप्स भी पहले से बड़े लग रहे थे, साथ ही जांघ भी मांसल और आकर्षक लग रहा था। अजय रवीना को देख कर पागल हुआ जा
रहा था, उसे गोद में उठा लिया और
पलंग पर लिटा कर प्यार करने लगा। उधर दूसरी तरफ राजवीर जब अपने कमरे में गया तब तक
नताशा घूँघट ओढ़कर सोई हुई है। नताशा जिस्म एकदम तराशा हुआ लग रहा था, नाक तक ढंका घूँघट और उसी घूँघट से बाहर होंठों
को चूमता हुआ बड़ा और डिज़ाइनर नथ, हर साँस के साथ
चोली से बाहर आने की कोशिश करते उसके बूब्स, नाभि और उसका रसीला बदन देखकर राजवीर भी पागल हो गया। जैसे
ही पास जाकर उसके होंठ चूमने लगा वैसे ही नताशा का नींद भी खुल गया और अपने ऊपर से
हटती हुई कड़ी होकर बोली, मेरे पास मत आना
आप। राजवीर समझ चूका था, शायद उर्मिला ने
बताया होग तभी गुस्सा है, फिर भी अनजान
बनकर पूछा, क्या हुआ जानेमन आप नाराज़
हो हमसे? नताशा बोली जी जनाब हम
गुस्सा हैं आपसे। मुझे बताया नहीं अपने कि कल आप देवर जी के साथ मलेशिया जा रहे
हैं, वो भी ३ महीनो के लिए।
राजवीर बोला, माफ़ कर दो जान,
गलती हो गयी, मान जाओ ना। आज की रात कितनी खूबसूरत है, मेरी हसीन बीवी और मैं अकेले हैं, कितनी खूबसूरत लग रही हो आज, पास आओ ना। नताशा ये सुन कर कुछ ना बोल सकी,
इतने में राजवीर उसके पास आया और उसे बिस्तर पर
लिटा कर चूमने लगा।
अजय और राजवीर
दोनों ने साड़ी रात अपनी बीवियों के साथ सुहागरात मनाया। अगले दिन दोनों भाई
मलेशिया चले गए, रवीना और नताशा
दोनों इमोशनल हो गए, उर्मिला ने
उन्हें संभाला।
अजय और राजवीर के
मलेशिया जाने के बाद रवीना और नताशा की वो पहली रात थी जो उन दोनों ने शादी के बाद
अपने पति के बिना गुज़ारी थी। हर रोज़ रात को अपने पति से अपने होंठ चुसवाने का आदत
हो गया था दोनों को। आज रात रवीना और नताशा के होंठ चूमने के लिए उनका पति वहां
नहीं था और ना ही उन दोनों की प्यास बुझाने के लिए अजय और राजवीर का लिंग था।
दोनों को सारी रात नींद आयी, अजीब तरह की रात
थी वो उन दोनों के लिए। जैसे तैसे रात गुज़री दोनों ने, सुबह उठ कर घर के काम भी जल्दी निपटा लिए और दोनों बहन एक
साथ बैठ कर अपने अपने पति के बारे में बातें करने लगी साथ ही बच्चे का भी अच्छे से
ख्याल रख रही थी। किसी तरह ३ महीने गुज़र गए, एक कॉल तक नहीं आया, ना ही अजय का और ना ही राजवीर का। अगले दिन उर्मिला ने
बताया कि भैया आज की फ्लाइट से आने वाले हैं, ये सुनते ही रवीना और नताशा दोनों बहनो की आँखें भर आयी और
अपने अपने पति का इंतज़ार करने लगी।
शाम में दोनों
भाई घर आये, दोनों काफी खुश
लग रहे थे और हाथ में ढेर सारे गिफ्ट्स भी थे। आते ही उन्होंने अपनी माता-पिता को
सलाम किया, अपनी बहन के गले मिला,
अपने बच्चे को गोद में लेकर खेलने लगे। उसके
बाद रवीना ने डिनर पकाया और नताशा ने सर्व किया। डिनर करने के बाद दोनों भाई अपने
अपने कमरे में गए, अपनी अपनी
बीवियों को अपनी बाहों में लेकर प्यार करने लगे। आज रवीना और नताशा दोनों ने
राजवीर और अजय के कपडे उतारे, खुद ही उनके
होंठो को चूमने लगी, फिर उनका लिंग
अपने मुँह में लेकर काफी देर तक ब्लो जॉब किया। राजवीर और अजय भी एक्साइटेड हो गए
और पूरी रात अपनी अपनी बीवियों के साथ सेक्स किया।
मलेशिया से आने
के बाद राजवीर और अजय अपनी बीवी के साथ रोज़ रात सुहागरात मानते। अब पहले जैसी बात
नहीं रह गयी थी, रवीना और नताशा
भी जोश में सेक्स करतीं और अपने अपने पति को नाराज़ होने का कोई मौका नहीं देतीं।
सब कुछ बहुत ही अच्छे तरीके से चल रहा था। अब उर्मिला की शादी की बातें भी चल रही
थी गाँव के ही एक इंजीनियर के साथ। कुछ दिनों बाद उसका रिश्ता तय हो गया, जिससे घर में ख़ुशी का माहौल हो गया, लेकिन लड़के की तस्वीर देखकर रवीना और नताशा
दोनों दंग रह गयीं। रवीना बोली, ये तो वही लड़का
है ना जो रश्मि से प्यार करता था, और जिसके साथ
हमारी मार पीट भी हुई थी और हम दोनों को बहुत मारा था, जब हम लड़के थे। हाँ, ये वही लड़का है, भानु! इसके साथ उर्मिला की शादी तय हुई है, हे भगवन। फिर तो उर्मिला उसे ये भी बता देगी कि हमदोनो वही
हैं, जिसकी बहन के साथ वो शादी
करना चाहता था। उर्मिला वहीँ आ गयी और नताशा को पीछे से गले लगाकर बोली, लड़का कैसा है भाभी, पसंद आया आपको? उर्मिला को तस्वीर पकड़ते हुए बोली, अच्छा है, हमनी ननद को पसंद
है इतना काफी है हमारे लिए। फिर उर्मिला ने बताया कि कल भानु को घर बुलाया,
आप दोनों प्लीज अच्छा अच्छा पकवान बनाना।
अगले दिन नताशा
और रवीना ने अच्छे अच्छे पकवान बनाए, दोपहर में भानु अपने परिवार वालों के साथ घर में आया। राजवीर और अजय,उर्मिला और उनके माता पिता सभी ने भानु और उसके
परिवार वालों का स्वागत किए। भानु भी देखने में अजय और राजवीर की तरह तगड़ा था और
उर्मिला के साथ उसकी जोड़ी खूब जम रही थी, फिर अजय ने भानु को रवीना से मिलवाया और फिर राजवीर ने नताशा से मिलवाया। घर
में सभी इस रिश्ते से बहुत खुश थे, दोनों की सगाई के
बाद दोनों परिवारों ने एक दूसरे से विदा लिया। १ महीने उर्मिला की शादी बड़े ही
धूमधाम से कर दी गयी। उर्मिला के विदा हो जाने के बाद घर में नताशा और रवीना अपने
सास ससुर की सेवा, अपने अपने बेटे
की परवरिश और पति की आज्ञाकारी पत्नी बन अपनी जिंदगी जीने लगी। २ साल गुज़र जाने के
बाद नताशा के कोख में राजवीर के जुड़वाँ बच्चे पल रहे थे, उधर रवीना की कोख में अजय का दूसरा बच्चा पल रहा था।
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