मेरा नाम साजिद खान है और मैं कानपूर का रहने वाला हूँ। मैं बचपन से ही पढ़ने में बहुत ही ब्रिलियंट था और मेरी समझदारी से मेरे काफी क्लास मेट्स जलते थे। लेकिन फिर भी मेरे जैसे इंटेलीजेंट लड़के को हमेशा अपने ग्रुप में रखते ताकि मैं उन्हें एग्जाम पास करवाने में उनकी मदद कर सकूँ। स्कूलिंग के ख़त्म होने के बाद ट्वेल्थ में जब मैं ट्वेल्थ के एग्जाम देने की तयारी कर रहा था तब इलेवेंथ में एक लड़के ने एडमिशन लिया जिसका नाम मोंटी था। और हम सभी ने मिलकर मोंटी की रैगिंग ली और फिर हम अपने एक्साम्स पर ध्यान देने लगे। ट्वेल्थ ख़त्म होने के बाद मैं कॉलेज में गया और वहां भी मैंने सेकंड ईयर, थर्ड ईयर और फोर्थ ईयर के स्टूडेंट्स की रैगिंग ली। तीन साल कब बीते, पता ही नहीं चला और बहुत जल्द कॉलेज ख़त्म करके मैंने एक सरकारी नौकरी भी पा लिया। गवर्नमेंट जॉब मिलने में बाद मैं बहुत ही ज्यादा बिज़ी रहने लगा और अपने काम में इतना मशगूल हो गया कि इस बात का ध्यान ही नहीं रहा कि मैं कब इक्कीस का हो गया। पढ़ाई पूरी तरह छोड़कर मैं सिर्फ नौकरी ही कर रहा था और मेरे इक्कीस के होते ही मेरे अम्मी अब्बू ने मेरा निकाह हिना से करवा दिया। ...
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